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छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[ २, ४, ९
द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय तथा वे ही पर्याप्त व अपर्याप्त जीव नियमसे हैं ॥ ८ ॥
३९२ ]
कायावादेण पुढविकाइया आउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणफदिकाइया णिगोदजीवा बादरा हुमा पज्जत्ता अपज्जत्ता बादरवणफदिकाइयपत्तेयसरीरा पज्जत्ता अपज्जत्ता तसकाइया तसकाइयपज्जत्ता अपज्जत्ता णियमा अस्थि ।। ९ ।।
काय मार्गणा के अनुसार पृथिवीकायिक, जलकायिक, तेजकायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक, निगोद जीव, बादर व सूक्ष्म, पर्याप्त व अपर्याप्त, तथा बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर, पर्याप्त व अपर्याप्त एवं सकायिक, त्रसकायिक पर्याप्त व अपर्याप्त जीव नियमसे हैं ॥ ९ ॥
जोगाणुवादेण पंचमणजोगी पंचवचिजोगी कायजोगी ओरालियकायजोगी ओरालियमस्सकायजोगी वेउब्वियकायजोगी कम्मइयकायजोगी णियमा अस्थि ॥ १० ॥ योगमार्मणाके अनुसार पांच मनोयोगी, पांच वचनयोगी, काययोगी, औदारिककाययोगी, औदारिकमिश्रकाययोगी, वैक्रियिककाययोगी और कार्मणकाययोगी जीव नियमसे हैं ॥ १० ॥ उचियमस्कायजोगी आहारकायजोगी आहारमिस्सकायजोगी सिया अस्थि, सिया पथि ॥ ११ ॥
वैक्रियिकमिश्रकाययोगी, आहारककाययोगी और आहारकमिश्रकाययोगी कदाचित् होते भी हैं और कदाचित् नहीं भी होते हैं ॥ ११ ॥
वेणुवादे इत्थवेदा पुरिसवेदा णवुंसयवेदा अवगदवेदा णियमा अत्थि ॥१२॥
मार्गणानुसार स्त्रीवेदी, पुरुषवेदी, नपुंसकवेदी और अपगतवेदी जीव नियमसे हैं ॥ १२ ॥ कसायावादे को कसाई माणकसाई मायकसाई लोभकसाई अक्साई णियमा
अस्थि ।। १३ ।।
कषायमार्गणानुसार क्रोधकषायी, मानकषायी, मायाकषायी, लोभकषायी और अकषायी जीव नियमसे हैं ॥ १३ ॥
णाणाणुवादेण मदिअण्णाणी सुदअण्णाणी विभंगणाणी आभिणिबोहिय-सुदओहि मणपज्जवणाणी केवलणाणी णियमा अत्थि ॥ १४ ॥
ज्ञानमार्गणाके अनुसार मत्यज्ञानी, श्रुताज्ञानी, विभंगज्ञानी, आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी, अवधिज्ञानी, मन:पर्ययज्ञानी और केवलज्ञानी जीव नियमसे हैं ॥ १४ ॥
संजमाणुवादेण सामाइय-छेदोवडावणसुद्धिसंजदा परिहारसुद्धिसंजदा जहाक्खादविहार - सुद्धिसंजदा संजदासंजदा असंजदा णियमा अत्थि ।। १५ ॥
संयममार्गणानुसार सामायिक व छेदोपस्थापनाशुद्धिसंयत, परिहारशुद्धिसंयत, यथाख्यातविहार-शुद्धिसंयत, संयतासंयत और असंयत जीव नियमसे हैं ॥ १५ ॥
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