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छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[ २, ५, ४४ जोदिसिया देवा देवगदिभंगो ॥ ४४ ॥ ज्योतिषी देवोंका प्रमाण देवगतिके प्रमाणके समान है ॥ ४४ ॥ सोहम्मीसाणकप्पवासियदेवा दव्वपमाणेण केवडिया ? ॥ ४५ ॥ सौधर्म व ईशान कल्पवासी देव द्रव्यप्रमाणसे कितने हैं ? ॥ ४५ ॥
असंखेज्जा ।। ४६ ॥ असंखेज्जासंखेज्जाहि ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीहि अवहिरंति कालेण ॥ ४७ ॥
सौधर्म व ईशान कल्पवासी देव द्रव्यप्रमाणसे असंख्यात हैं ॥ ४६ ॥ वे कालकी अपेक्षा असंख्यातासंख्यात अवसापणी-उत्सर्पिणियोंसे अपहृत होते हैं ॥ ४७ ॥
खेत्तेण असंखेज्जाओ सेडीओ ॥ ४८ ॥ पदरस्स असंखेज्जदिभागो ॥४९॥
उपर्युक्त देव क्षेत्रकी अपेक्षा असंख्यात जगश्रेणी प्रमाण हैं ॥ ४८ ॥ वे असंख्यात जगश्रेणियां जगप्रतरके असंख्यातवें भाग प्रमाण हैं ॥ ४२ ॥
तासिं सडीणं विक्खंभसूची अंगुलस्स बग्गमूलं विदियं तदियवग्गमूलगुणिदेण ॥
उन असंख्यात जगश्रेणियोंकी विष्कम्भसूची सूच्यंगुलके तृतीय वर्गमूलसे गुणित उसीके द्वितीय वर्गमूल प्रमाण हैं ॥ ५० ॥
सणक्कुमार जाव सदर-सहस्सारकप्पवासियदेवा सत्तमपुढवीभंगो ॥५१॥
सनत्कुमारसे लेकर शतार-सहस्रार कल्प तकके कल्पवासी देवोंका प्रमाण सप्तम पृथिवीके समान है ॥५१॥
आणद जाव अवराइदविमाणवासियदेवा दव्वपमाणेण केवडिया ? ॥ ५२ ॥ आनतसे लेकर अपराजित विमान तक विमानवासी देव द्रव्यप्रमाणसे कितने हैं ? ॥५२॥
पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो ॥ ५३॥ एदेहि पलिदोवममवहिरदि अंतोमुहुत्तण ॥ ५४ ॥
उपर्युक्त देव द्रव्यप्रमाणसे पल्योपमके असंख्यातवें भाग मात्र हैं ॥ ५३ ॥ उनके द्वारा अन्तर्मुहूर्तसे पल्योपम अपहृत होता है ॥ ५४ ॥
सव्वट्ठसिद्धिविमाणवासियदेवा दव्वपमाणेण केवडिया ? ॥ ५५ ॥ सर्वार्थसिद्धिविमानवासी देव द्रव्यप्रमाणसे कितने हैं ? ॥ ५५ ॥ असंखेज्जा ।। ५६ ॥ सर्वार्थसिद्धिविमानवासी देव द्रव्यप्रमाणसे असंख्यात हैं ॥ ५६ ॥
इंदियाणुवादेण एइंदिया बादरा सुहुमा पज्जत्ता अपज्जत्ता दव्वपमाणेण केवडिया ? ।। ५७ ॥
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