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४०.] छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[२, ५, ६६ प्रत्येकशरीर और उन्हींके अपर्याप्त, तथा सूक्ष्म पृथिवीकायिक, सूक्ष्म जलकायिक, सूक्ष्म तेजकायिक, सूक्ष्म वायुकायिक और उन्हीं चार सूक्ष्मोंके पर्याप्त व अपर्याप्त ये प्रत्येक जीव द्रव्यप्रमाणसे कितने हैं ? ॥ ६५ ॥
असंखेज्जा लोगा ॥ ६६ ॥ उपर्युक्त जीवोमें प्रत्येक जीवराशि असंख्यात लोक प्रमाण है ॥ ६६ ॥
बादरपुढविकाइय-बादरआउकाइय-बादरवणप्फदिकाइयपत्तेयसरीरपज्जत्ता दव्वपमाणेण केवडिया ? ॥ ६७ ॥
बादर पृथिवीकायिक, बादर जलकायिक और बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्त जीव द्रव्यप्रमाणसे कितने हैं ? ॥ ६७ ॥
असंखेज्जा ॥ ६८ ॥ असंखेज्जासंखेज्जाहि ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीहि अवहिरंति कालेण ॥ ६९॥
उपर्युक्त बादर पृथिवीकायिकादि जीव द्रव्यप्रमाणसे असंख्यात हैं ॥ ६८ ॥ कालकी अपेक्षा वे असंख्यातासंख्यात अवसर्पिणी-उत्सर्पिणियोंसे अपहृत होते हैं ॥ ६९॥
खेत्तेण बादरपुढविकाइय-बादरआउकाइय-बादरवणप्फदिकाइयपत्तेयसरीरपज्जत्तएहि पदरमवहिरदि अंगुलस्स असंखेज्जदिभागवग्गपडिभाएण ॥ ७० ॥
क्षेत्रकी अपेक्षा बादर पृथिवीकायिक, बादर जलकायिक और बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्त जीवोंके द्वारा सूच्यंगुलके असंख्यातवें भागके वर्गरूप प्रतिभागसे जगप्रतर अपहृत होता है ॥ ७० ॥
बादरतेउपज्जत्ता दव्यपमाणेण केवडिया ? ॥ ७१ ॥ बादर तेजकायिक पर्याप्त जीव द्रव्यप्रमाणसे कितने हैं ? ॥ ७१ ॥ असंखेज्जा ॥ ७२ ॥ असंखेज्जावलियवग्गो आवलियघणस्स अंतो ।। ७३ ॥
बादर तेजकायिक पर्याप्त जीव द्रव्यप्रमाणसे असंख्यात हैं ॥ ७२ ॥ उस असंख्यातका प्रमाण असंख्यात आवलियोंके वर्गरूप है जो आवलीके घनके भीतर आता है ॥ ७३ ॥
बादरवाउपज्जत्ता दव्वपमाणेण केवडिया ? ॥ ७४ ॥ बादर वायुकायिक पर्याप्त जीव द्रव्यप्रमाणसे कितने हैं ? ॥ ७४ ॥
असंखेज्जा ॥ ७५ ॥ असंखेज्जासंखेज्जाहि ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीहि अवहिरंति कालेण ॥ ७६ ॥
बादर वायुकायिक पर्याप्त जीव द्रव्यप्रमाणसे असंख्यात हैं ॥ ७५ ॥ वे कालकी अपेक्षा असंख्यातासंख्यात अवसर्पिणी-उत्सर्पिणियोंसे अपहृत होते हैं ॥ ७६ ॥
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