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२, ५, ४३ ] दव्वपमाणाणुगमे गदिमग्गणा
[ ३९७ देवगतिमें देव द्रव्यप्रमाणसे कितने हैं ? ॥ ३० ॥
असंखेज्जा ॥ ३१ ॥ असंखेज्जासंखेज्जाहि ओसप्पिणि-उस्सपिणीहि अवहिरंति कालेण ॥ ३२ ॥
.. देवगतिमें देव द्रव्यप्रमाणसे असंख्यात हैं ॥३१॥ वे कालकी अपेक्षा असंख्यातासंख्यात अवसर्पिणी और उत्सर्पिणियोंसे अपहृत होते हैं ॥ ३२ ॥
खेत्तेण पदरस्स बेछप्पण्णंगुलसदवग्गपडिभाएण ।। ३३ ।।
क्षेत्रकी अपेक्षा देवोंका प्रमाण जगप्रतरके दो सौ छप्पन अंगुलोंके वर्गरूप प्रतिभागसे प्राप्त होता है ॥ ३३ ॥
भवणवासियदेवा दव्वपमाणेण केवडिया ? ॥ ३४ ॥ भवनवासी देव द्रव्यप्रमाणसे कितने हैं ? ॥ ३४ ॥
असंखेज्जा ॥ ३५ ॥ असंखेज्जासंखेज्जाहि ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीहि अवहिरंति कालेण ।। ३६ ॥
भवनवासी देव द्रव्यप्रमाणसे असंख्यात हैं ॥३५॥ कालकी अपेक्षा वे असंख्यातासंख्यात अवसर्पिणी-उत्सर्पिणियोंसे अपहृत होते हैं ॥ ३६ ॥
खेत्तेण असंखेज्जाओ सेडीओ ॥ ३७ ॥ पदरस्स असंखेज्जदिभागो ॥ ३८ ॥
क्षेत्रकी अपेक्षा भवनवासी देव असंख्यात जगश्रेणी प्रमाण हैं ॥३७॥ उपर्युक्त असंख्यात जगश्रेणियां जगप्रतरके असंख्यातवें भाग प्रमाण हैं ॥ ३८ ॥
तासिं सेडीणं विक्खंभसूची अंगुलं अंगुलवग्गमूलगुणिदेण ॥ ३९ ॥
उन असंख्यात जगश्रेणियोंकी विष्कम्भसूची सूच्यंगुलको सुच्यंगुलके ही वर्गमूलसे गुणित करनेपर जो लब्ध हो उतनी है ॥ ३९ ॥
वाणवेंतरदेवा दव्वपमाणेण केवडिया ?॥४०॥ वानव्यन्तर देव द्रव्यप्रमाणसे कितने हैं ? ॥ ४० ॥
असंखेज्जा ॥ ४१ ॥ असंखेज्जासंखेज्जाहि ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीहि अवहिरंति कालेण ॥ ४२ ॥
वानव्यन्तर देव द्रव्यप्रमाणसे असंख्यात हैं ॥४१॥ कालकी अपेक्षा वे असंख्यातासंख्यात अवसर्पिणी-उत्सर्पिणियोंसे अपहृत होते हैं ॥ ४२ ॥
खेत्तेण पदरस्स संखेज्जजोयणसदवग्गपडिभाएण ॥ ४३ ॥
क्षेत्रकी अपेक्षा वानव्यन्तर देवोंका प्रमाण जगप्रतरके संख्यात सौ योजनोंके वर्गरूप प्रतिभागसे प्राप्त होता है ॥ ४३ ॥
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