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२, २, ३८]
एगजीवेण कालाणुगमे गदिमग्गणा . [ ३६३ वे भवनवासी, वानव्यन्तर व ज्योतिषी देव अधिकसे अधिक क्रमशः साधिक एक सागरोपम, साधिक एक पल्योपम व साधिक एक पल्योपम काल तक रहते हैं ॥ ३०॥
सोहम्मीसाणप्पहुडि जाव सदर-सहस्सारकप्पवासियदेवा केवचिरं कालादो होति ॥
जीव सौधर्म-ईशानसे लेकर शतार-सहस्सार कल्प पर्यन्त कल्पवासी देव कितने काल रहते हैं ? ॥ ३१ ॥
जहण्णण पलिदोवमं वे सत्त दस चोदस सोलस सागरोवमाणि सादिरेयाणि ॥३२॥
जीव सौधर्म-ईशानसे लेकर शतार-सहरसार तक कल्पवासी देव कमसे कम क्रमशः साधिक एक पल्योपम, दो सागरोपम, सात सागरोपम, दस सागरोपम, चौदह सागरोपम और सोलह सागरोपम काल तक रहते हैं ॥ ३२ ॥
उक्कस्सेण वे सत्त दस चोदस सोलस अट्ठारस सागरोवमाणि सादिरेयाणि ॥३३॥
उत्कर्षसे साधिक दो, सात, दस, चौदह, सोलह व अठारह सागरोपम काल तक जीव क्रमशः उक्त सौधर्म-ईशान आदि कल्पवासी देव रहते हैं ॥ ३३ ॥
आणदप्पहुडि जाव अबराइदविमाणवासियदेवा केवचिरं कालादो होंति ? ॥३४॥
जीव आनत कल्पसे लेकर अपराजित विमान तक विमानवासी देव कितने काल रहते हैं । । जहण्णेण अट्ठारस वीसं वावीसं तेवीसं चउवीसं पणुवीसं छब्बीसं सत्तावीसं अट्ठावीसं एगुणतीसं तीसं एकत्तीसं बत्तीसं सागरोवमाणि सादिरेयाणि ॥ ३५ ॥
___ जीव उक्त आनत आदि अपराजित विमानवासी देव कमसे कम क्रमशः साधिक अठारह। बीस, बाईस, तेईस, चौबीस, पच्चीस, छब्बीस, सत्ताईस, अट्ठाईस, उनतीस, तीस, इकतीस व बत्तीस सागरोपम काल तक रहते हैं ॥ ३५ ॥
उक्कस्सेण वीसं बावीसं तेवीसं चउवीसं पणुवीसं छव्वीसं सत्तावीसं अट्ठावीसं एगुणतीसं तीसं एकत्तीसं बत्तीसं तेत्तीसं सागरोवमाणि ॥ ३६॥
___जीब उक्त आनत-प्राणत आदि विमानवासी देव अधिकसे अधिक क्रमसे बीस, बाईस, तेईस, चौबीस, पच्चीस, छब्बीस, सत्ताईस, अट्ठाईस, उनतीस, तीस, इकतीस, बत्तीस और तेतीस सागरोपम काल तक रहते हैं ॥ ३६॥
सव्वट्ठसिद्धियविमाणवासियदेवा केवचिरं कालादो होंति ? ॥ ३७॥ जीव सर्वार्थसिद्धि विमानवासी देव कितने काल रहते हैं ? ॥ ३७ ॥ जहण्णुक्कस्सेण तेत्तीसं सागरोवमाणि ॥ ३८ ॥ जीव सर्वार्थसिद्धिविमानवासी देव कमसे कम और अधिकसे अधिक भी तेतीस सागरोपम
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