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छक्खंडागमे खुदाबंध
आभिणिबोहिय-सुद-ओहिणाणी केवचिरं कालादो होदि १
॥
अंतोमुहुत्तं ।। १४२ ।। उक्कस्सेण छावट्टिसागरोवमाणि सादिरेयाणि ॥ १४३ ॥
जीव आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी कितने काल रहता है ? ॥ १४१ ॥ जीव आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी एवं अवधिज्ञानी कमसे कम अन्तर्मुहूर्त काल तक रहता है ॥ १४२ ॥ अधिकसे अधिक वह साधिक छयासठ सागरोपम काल तक आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी एवं अवधिज्ञानी रहता है ॥ १४३ ॥
मणपजवणाणी केवलणाणी केवचिरं कालादो होंति १ ।। १४४ ॥
ta मन:पर्ययज्ञानी और केवलज्ञानी कितने काल रहते हैं ? ॥ १४४ ॥ जहणेण अंतमुत्तं ॥ १४५ ।। उक्कस्सेण पुव्वकोडी देखणा || १४६ || जीव मन:पर्ययज्ञानी और केवलज्ञानी कमसे कम अन्तर्मुहूर्त तक रहते हैं ॥ १४५ ॥ अधिकसे अधिक वे कुछ कम पूर्वकोटि काल तक मन:पर्ययज्ञानी और केवलज्ञानी रहते हैं ॥ १४६ ॥ संजमाणुवादेण संजदा परिहारसुद्धिसंजदा संजदासंजदा केवचिरं कालादो होंति ? संयममार्गणाके अनुसार जीव संयत, परिहारशुद्धिसंयत और संयतासंयत कितने का • रहते हैं ? ॥ १४७ ॥
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जहणेण अंतमुत्तं ॥ १४८ ॥ उक्कस्सेण पुव्वकोडी देसूणा || १४९ ॥ जीव संयत आदि कमसे कम अन्तर्मुहूर्त काल तक रहते हैं ॥ १४८ ॥ अधिक अधिक वे कुछ कम पूर्वकोटि काल तक संयत आदि रहते हैं ॥ १४९ ॥ सामाइय-छेदोवद्वावणसुद्धिसंजदा केवचिरं कालादो होंति । ॥ १५० ॥
जीव सामायिक और छेदोपस्थापना शुद्धिसंयत कितने काल रहते हैं ? ॥ १५० ॥ जहण्णेण एगसमओ || १५१ ।। उक्कस्सेण पुव्त्रकोडी देणा ॥ १५२ ॥ जीव सामायिक और छेदोपस्थापना शुद्धिसंयत कमसे कम एक समय रहते हैं ॥ १५१ ॥ अधिकसे अधिक वे कुछ कम पूर्वकोटि काल तक सामायिक और छेदोपस्थापना शुद्धिसंयत रहते हैं ॥ सुहुम-सांपराइयसुद्धिसंजदा केवचिरं कालादो होंति १ ।। १५३ ।।
जीव सूक्ष्मसाम्परायिक-शुद्धिसंयत कितने काल रहते हैं ? ॥ १५३ ॥
उवसमं पडुच्च जहणेण एगसमओ || १५४ ॥ उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं ।। १५५ ॥ उपशमकी अपेक्षा जीव कमसे कम एक समय सूक्ष्मसाम्परायिक शुद्धिसंयत रहते हैं ॥१५४॥ अधिकसे अधिक वे अन्तर्मुहूर्त काल तक सूक्ष्मसाम्परायिक शुद्धिसंयत रहते हैं ॥ १५५ ॥ खवगं पडुच्च जहणेण अंतोमुहुत्तं ॥ १५६ ॥ उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं ॥ १५७ ॥ क्षपककी अपेक्षा वे कमसे कम अन्तर्मुहूर्त काल सूक्ष्मसाम्परायिक शुद्धिसंयत रहते हैं ॥
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[ २,२, १४१
१४१ ॥ जहण्णेण
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