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२, ३, २३ ]
एगजीवेण अंतराणुगमे गदिमग्गण्णा
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उनका वह अन्तर अधिकसे अधिक असंख्यात पुद्गलपरिवर्तन प्रमाण अनन्त काल तक होता है ॥ १३ ॥
भवणवासिय चाणवेंतर-जोदिसिय-सोधम्मीसाणकप्पवासियदेवा देवगदिभंगो ॥
भवनवासी, वानव्यन्तर, ज्योतिषी और सौधर्म-ईशान कल्पवासी देवोंका अन्तर सामान्य देवगतिके समान होता है ॥ १४ ॥
सणकुमार-माहिंदाणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? ॥ १५ ॥ सनत्कुमार और माहेन्द्र कल्पवासी देवोंका अन्तर कितने काल होता है ? ॥ १५ ॥ जहण्णण मुहुत्तपुधत्तं ॥ १६ ॥
सनत्कुमार और माहेन्द्र कल्पवासी देवोंका अन्तर कमसे कम मुहूर्तपृथक्त्व काल तक होता है ॥ १६ ॥
उक्कस्सेण अणंतकालमसंखेज्जपोग्गलपरियढें ॥ १७ ॥
उनका वह अन्तर अधिकसे अधिक असंख्यात पुद्गलपरिवर्तन प्रमाण अनन्त काल तक होता है ॥ १७ ॥
बम्हबम्हुत्तर-लांतवकाविट्ठकप्पवासियदेवाणमंतर केवचिरं कालादो होदि? ॥१८॥ ब्रम्ह-ब्रम्होत्तर और लान्तव-कापिष्ठ कल्पवासी देवोंका अन्तर कितने काल होता है ? ॥ जहण्णेण दिवसपुधत्तं ॥ १९ ॥
ब्रम्ह-ब्रम्होत्तर और लान्तत्र-कापिष्ठ कल्पवासी देवोंका अन्तर कमसे कम दिवसपृथक्त्व काल तक होता है ॥ १९ ॥
उक्स्से ण अगंतकालमसंखेज्जपोग्गलपरियढें ॥ २० ॥
उनका वह अन्तर अधिकसे अधिक असंख्यात पुद्गलपरिवर्तन प्रमाण अनन्त काल तक होता है ॥ २० ॥
सुक्कमहासुक्क-सदारसहस्सारकप्पवासियदेवाणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? ॥
शुक्र-महाशुक्र और शतार-सहस्रार कल्पवासी देवोंका अन्तर कितने काल होता है ? ॥ २१॥
जहण्णेण पक्खपुवत्तं ॥ २२ ॥ उक्कस्सेण अणंतकालमसंखेज्जपोग्गलपरियट्टे ।।
शुक्र-महाशुक्र और शतार-सहस्रार कल्पवासी देवोंका अन्तर कमसे कम पक्षपृथक्त्व काल तक होता है ॥ २२ ॥ उनका वह अन्तर अधिकसे अधिक असंख्यात पुद्गलपरिवर्तन प्रमाण अनन्त काल तक होता है ॥ २३ ॥
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