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छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[ १, ८, ७२
तीन प्रकारके मनुष्यों में संयतासंयत गुणस्थानमें क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंसे उपशमसम्यग्दृष्टि संख्यातगुणित हैं ॥ ७० ॥ उपशमसम्यग्दृष्टियोंसे वेदगसम्यग्दृष्टि संख्यातगुणित हैं ॥ ७१ ॥ पमत्त अप्पमत्त संजदट्ठाणे सव्वत्थोवा उवसमसम्मादिट्ठी ॥ ७२ ॥
तीन प्रकारके मनुष्यों में प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत गुणस्थानमें उपशमसम्यग्दृष्टि सबसे कम हैं ॥ ७२ ॥
खइयसम्मादिट्ठी संखेज्जगुणा || ७३ || वेदगसम्मादिट्ठी संखेज्जगुणा ||७४ || तीन प्रकारके मनुष्यों में प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत गुणस्थानमें उपशमसम्यग्दृष्टियोंसे क्षायिकसम्यग्दृष्टि संख्यातगुणित हैं ॥ ७३ ॥ उक्त क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंसे वेदकसम्यग्दृष्टि संख्यातगुण हैं ॥ ७४ ॥
वरि विसेसो, मणुसिणीसु असंजद-संजदासंजद- पमत्तापमत्त संजदट्ठाणे सव्वत्थोवा खइयसम्मादिट्ठी ॥ ७५ ॥
विशेषता यह है कि मनुष्यनियोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि, संयतासंयत, प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत गुणस्थानमें क्षायिकसम्यग्दृष्टि जीव सबसे कम हैं || ७५ ॥
उवसमसम्मादिट्ठी संखेज्जगुणा || ७६ || वेदगसम्मादिट्ठी संखेज्जगुणा ||७७ || मनुष्यनियोंमें उक्त असंयतसम्यग्दृष्टि आदि चार गुणस्थानवर्ती क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंसे उपशमसम्यग्दृष्टि संख्यातगुणित हैं || ७६ ॥ उपशमसम्यग्दृष्टियोंसे वेदकसम्यग्दृष्टि संख्यातगुणित हैं |
एवं तिसु अद्धासु ॥ ७८ ॥
इसी प्रकार उक्त तीनों प्रकारके मनुष्योंमें अपूर्वकरण आदि तीन उपशामक गुणस्थान में सम्यक्त्व सम्बन्धी अल्पबहुत्व है ॥ ७८ ॥
सव्त्रत्थोवा उवसमा ।। ७९ ।। खवा संखेज्जगुणा ॥ ८० ॥
उक्त तीन प्रकारके मनुष्योंमें उपशामक जीव सबसे कम हैं ॥ ७९ ॥ उक्त तीन प्रकारके मनुष्योंमें उपशामकोंसे क्षपक जीव संख्यातगुणित हैं ॥ ८० ॥
tarate देवेसु सव्वत्थोवा सासणसम्मादिट्ठी ॥ ८१ ॥ सम्मामिच्छादिट्ठी संखेज्जगुणा ॥ ८२ ॥
देवगतिमें देवोंमें सासादनसम्यग्दृष्टि सबसे कम हैं ॥ ८१ ॥ देवोंमें सासादनसम्यग्दृष्टियों से सम्यग्मिथ्यादृष्टि संख्यातगुणित हैं ॥ ८२ ॥
असंजदसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ॥ ८३ ॥
देवोंमें सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंसे असंयतसम्यग्दृष्टि असंख्यातगुणित हैं ॥ ८३ ॥
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