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२४२] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं.
[१, ८, १७२ - पुरुषवेदियोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि, संयतासंयत, प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत गुणस्थानमें सम्यक्त्व सम्बन्धी अल्पबहुत्वकी प्ररूपणा ओघके समान है ॥ १७१ ॥
एवं दोसु अद्धासु ॥ १७२ ॥
इसी प्रकार पुरुषवेदियोंमें अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण इन दोनों गुणस्थानोंमें सम्यक्त्व सम्बन्धी अल्पबहुत्व जानना चाहिये ॥ १७२ ॥
सव्वत्थोवा उवसमा ॥ १७३ ॥ खवा संखेज्जगुणा ॥ १७४ ॥
पुरुषवेदियोंमें उपशामक जीव सबसे कम हैं ॥ १७३ ॥ उपशामकोंसे क्षपक जीव संख्यातगुणित हैं ॥ १७४ ॥
णउसंयवेदएसु दोसु अद्धासु उवसमा पवेसणेण तुल्ला थोवा ॥ १७५ ।।
नपुंसकवेदियोंमें अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण इन दोनों गुणस्थानोंमें उपशामक जीव प्रवेशकी अपेक्षा तुल्य और अल्प हैं ॥ १७५ ॥
खवा संखेज्जगुणा ॥ १७६ ॥
नपुंसकवेदियोंमें अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण इन दोनों गुणस्थानोंमें उपशामकोंसे क्षपक जीव प्रवेशकी अपेक्षा संख्यातगुणित हैं ॥ १७६ ॥
अप्पमत्तसंजदा अक्खवा अणुवसमा संखेज्जगुणा ॥ १७७॥ नपुंसकवेदियोंमें क्षपकोंसे अक्षपक और अनुपशामक अप्रमत्तसंयत जीव संख्यातगुणित हैं। पमत्तसंजदा संखेज्जगुणा ॥ १७८ ॥ संजदासंजदा असंखेज्जगुणा ॥ १७९ ॥
नपुंसकवेदियोंमें अप्रमत्तसंयतोंसे प्रमत्तसंयत जीव संख्यातगुणित हैं ॥ १७८ ॥ प्रमत्तसंयतोंसे संयतासंयत जीव असंख्यातगुणित हैं ॥ १७९ ॥
सासणसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ॥१८०॥ सम्मामिच्छादिट्ठी संखेज्जगुणा ॥
संयतासंयतोंसे सासादनसम्यग्दृष्टि जीव असंख्यातगुणित हैं ॥ १८० ॥ सासादनसम्यग्दृष्टियोंसे सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीव संख्यातगुणित हैं ॥ १८१ ।।
असंजदसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ॥ १८२ ॥ मिच्छादिट्ठी अणंतगुणा ॥१८३॥
नपुंसकवेदियोंमें सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंसे असंयतसम्यग्दृष्टि जीव असंख्यातगुणित हैं ॥१८२॥ असंयतसम्यग्दृष्टियोंसे मिथ्यादृष्टि अनन्तगुणित हैं ॥ १८३ ॥
असंजदसम्मादिहि-संजदासंजदट्ठाणे सम्मत्तप्पाबहुअमोघं ॥ १८४ ॥
नपुंसकवेदियोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि और संयतासंयत गुणस्थानोंमें सम्यक्त्व सम्बन्धी अल्पबहुत्वकी प्ररूपणा ओघके समान है ॥ १८४ ॥
पमत्त-अपमत्तसंजदट्ठाणे सव्वत्थोवा खइयसम्मादिट्ठी ॥ १८५॥
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