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छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[ १, ९-७, ३६ अंतोमुहुत्तमाबाधा ॥३६॥ उक्त नरकगति आदि छह प्रकृतियोंका जघन्य आबाधाकाल अन्तर्मुहूर्त मात्र होता है ॥ आबाधूणिया कम्मट्ठिदी कम्मणिसेगो ॥ ३७॥ उक्त प्रकृतियोंकी आबाधाकालसे हीन कर्मस्थिति प्रमाण उनका कर्मनिषेक होता है ॥
आहारसरीर-आहारसरीरअंगोवंग-तित्थयरणामाणं जहण्णगो ट्ठिदिबंधो अंतोकोडाकोडीओ ॥ ३८॥
___ आहारकशरीर, आहारकशरीरअंगोपांग और तीर्थंकर नामकोका जघन्य स्थितिबन्ध अन्तःकोडाकोडि सागरोपम मात्र होता है ॥ ३८॥
अंतोमुहुत्तमाबाधा ॥ ३९ ॥
आहारकशरीर, आहारकअंगोपांग और तीर्थंकर नामकर्मका जघन्य आबाधाकाल अन्तर्मुहूर्त मात्र होता है ॥ ३९ ॥
आबाधूणिया कम्मद्विदी कम्मणिसेओ ॥४०॥ उक्त कर्मोकी आबाधाकालसे हीन कर्मस्थिति प्रमाण उनका कर्मनिषेक होता है ॥४०॥ जसगित्ति-उच्चागोदाणं जहण्णगो ट्ठिदिबंधो अट्ठ मुहुत्ताणि ॥४१॥ यशःकीर्ति और उच्चगोत्र इन दो प्रकृतियोंका जघन्य स्थितिबन्ध आठ मुहूर्त मात्र होता
अंतोमुहुत्तमाबाधा ॥ ४२ ॥
यशःकीर्ति और उच्चगोत्र इन दोनों प्रकृतियोंका जघन्य आबाधाकाल अन्तर्मुहूर्त मात्र होता है ॥ ४२ ॥
आबाधूणिया कम्मद्विदी कम्मणिसेओ ॥ ४३ ॥ उक्त प्रकृतियोंकी आबाधाकालसे हीन कर्मस्थिति प्रमाण उनका कर्मनिषेक होता है॥४३॥.
॥ सातवी चूलिका समाप्त हुई ॥ ७ ॥
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