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छक्खंडागमे जीवट्ठाणं [१, ९-९, १०१ तिरिक्खा सण्णी मिच्छाइट्ठी पंचिंदियपज्जत्ता संखेज्जवासाउआ तिरिक्खा तिरिक्खेहि कालगदसमाणा कदि गदीओ गच्छंति ॥१०१॥
तिर्यंचोंमें संज्ञी, मिथ्यादृष्टि, पंचेन्द्रिय, पर्याप्त व संख्यात वर्षकी आयुवाले तिर्यंच जीव तिर्यंच पर्यायके साथ मरण करके कितनी गतियोंमें जाते हैं ? ॥ १०१॥
चत्तारि गदीओ गच्छंति-णिरयगदि तिरिक्खगदि मणुसगदिं देवगदिं चेदि ॥
उपर्युक्त तिर्यंच जीव तिर्यंच. पर्यायके साथ मर करके नरकगति, तिर्यंचगति, मनुष्यगति और देवगति इन चारों ही गतियोंमें जाते हैं ॥ १०२ ॥
णिरएसु गच्छंता सव्वणिरएसु गच्छंति ॥१०३ ॥ नरकोंमें जाते हुए उक्त तिर्यंच जीव सभी नरकोंमें जाते हैं ॥ १०३ ॥ तिरिक्खेसु गच्छंता सव्वतिरिक्खेसु गच्छंति ॥ १०४ ॥ तिर्यंचोंमें जाते हुए वे सभी तिर्यंचोंमें जाते हैं ॥ १०४ ॥ मणुसेसु गच्छंता सव्वमणुसेसु गच्छंति ॥ १०५॥ मनुष्योंमें जाते हुए वे सभी मनुष्योंमें जाते हैं ॥ १०५॥
देवेसु गच्छंता भवणवासियप्पहुडि जाव सयार-सहस्सारकप्पवासियदेवेसु • गच्छंति ॥१०६॥
देवोंमें जाते हुए वे भवनवासियोंसे लगाकर शतार-सहस्रार कल्प तकके देवोंमें जाते हैं ।। ___ इसके उपर उनका जाना सम्भव नहीं है, क्योंकि, ऊपरके कल्पोंमें सम्यक्त्व और अणुव्रतोंके धारक जीव ही जाते हैं, असंयत व मिथ्यादृष्टि नहीं जाते।
पंचिंदियतिरिक्ख-असण्णि-पज्जत्ता तिरिक्खा तिरिक्खेहि कालगदसमाणा कदि गदीओ गच्छंति? ॥ १०७॥
पंचेन्द्रिय तिर्यंच असंज्ञी पर्याप्त तिर्यंच जीव तिर्यंच पर्यायके साथ मर करके कितनी गतियोंमें जाते हैं ॥ १०७ ॥
चत्तारि गदीओ गच्छंति-णिरयगदि तिरिक्खगदि मणुसगदि देवगदि चेदि ।
उपर्युक्त तिर्यंच जीव तिर्यंच पर्यायके साथ मर करके नरकगति, तिर्यंचगति, मनुष्यगति और देवगति इन चारों ही गतियोंमें जाते हैं ॥ १०८ ॥
णिरएसु गच्छंता पढमाए पुढवीए णेरइएसु गच्छंति ।। १०९ ।। नरकोंमें जाते हुए वे प्रथम पृथिवीके नारक जीवोंमें जाते हैं ॥ १०९॥
तिरिक्ख-मणुस्सेसु गच्छंता सव्वतिरिक्ख-मणुस्सेसु गच्छंति, णो असंखेज्जवासाउएसु गच्छति ॥ ११० ॥
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