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छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[२, १, २९. केवलदसणी बंधा वि अस्थि अबंधा वि अस्थि ॥ २९ ॥ केवलदर्शनी बन्धक भी हैं और अबन्धक भी हैं ॥ २९॥
कारण यह कि केवलदर्शनी जीवोंमें सयोगिकेवली बन्धक और अयोगिकेवली अबन्धक होते हैं।
सिद्धा अबंधा ॥ ३०॥ सिद्ध अबन्धक हैं ॥ ३० ॥
लेस्साणुवादेण किण्हलेस्सिया णीललेस्सिया काउलेस्सिया तेउलेस्सिया पम्मलेस्सिया सुक्कलेस्सिया बंधा ॥ ३१ ॥
लेश्यामार्गणाके अनुसार कृष्णलेश्यावाले, णीललेश्यावाले, कापोतलेश्यावाले, तेजोलेश्यावाले,. पद्मलेश्यावाले और शुक्ललेश्यावाले बन्धक हैं ॥ ३१ ॥
अलेस्सिया अबंधा ॥३२॥ लेश्यारहित जीव अबन्धक हैं ॥ ३२ ॥
भवियाणुवादेण अभवसिद्धिया बंधा, भवसिद्धिया बंधा वि अस्थि अवंधा वि अत्थि ॥ ३३ ॥
भव्यमार्गणाके अनुसार अभव्यसिद्धिक जीव बन्धक हैं, परन्तु भव्यसिद्धिक जीव बन्धक भी हैं और अबन्धक भी हैं ॥ ३३ ॥
णेव भवसिद्धिया णेव अभवसिद्धिया अबंधा ॥ ३४॥ जो न भव्यसिद्धिक हैं और न अभव्यसिद्धिक हैं ऐसे सिद्ध जीव अबन्धक हैं ॥ ३४ ॥
सम्मत्ताणुवादेण मिच्छादिट्ठी बंधा, सासणसम्मादिट्ठी बंधा, सम्मामिच्छादिट्ठी बंधा ॥३५॥
सम्यक्त्वमार्गणाके अनुसार मिथ्यादृष्टि बन्धक हैं, सासादनसम्यग्दृष्टि बन्धक हैं, और सम्यग्मिथ्यादृष्टि बन्धक हैं ॥ ३५ ॥
सम्मादिट्ठी बंधा वि अत्थि अबंधा वि अत्थि ॥ ३६॥ सम्यग्दृष्टि बन्धक भी हैं और अबन्धक भी हैं ॥ ३६ ॥
चौथेसे तेरहवें गुणस्थान तकके जीव आस्रवसहित होनेसे बन्धक और चौदहवें गुणस्थानवर्ती अयोगिकेवली आस्रवरहित होनेसे अबन्धक हैं ।
सिद्धा अबंधा ।। ३७॥ सिद्ध अबन्धक हैं ॥ ३७ ॥ - सणियाणुवादेण सण्णी बंधा असण्णी बंधा ॥ ३८॥ .
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