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१,९-९, १५७ ] जीवट्ठाण-चूलियाए मणुस्साणं गदिपरूपणा
[३३१ उपर्युक्त मनुष्य अपर्याप्त तिर्यंच और मनुष्य इन दो गतियोंमें जाते हैं ॥ १४८ ॥
तिरिक्ख-मणुसेसु गच्छंता सव्वतिरिक्ख-मणुसेसु गच्छंति, णो असंखेजवासाउएसु गच्छंति ॥ १४९ ॥
तिर्यंच और मनुष्योंमें जाते हुए वे सभी तिर्यंच और सभी मनुष्योंमें जाते हैं, किन्तु असंख्यात वर्षकी आयुवाले तिर्यंच और मनुष्योंमें नहीं जाते हैं ॥ १४९॥
मणुस्ससासणसम्माइट्ठी संखेज्जवासाउआ मणुसा मणुसेहि कालगदसमाणा कदि गदीओ गच्छंति ? ॥ १५० ॥
मनुष्य सासादनसम्यग्दृष्टि संख्यातवर्षायुष्क मनुष्य मनुष्य पर्यायके साथ मर करके कितनी गतियोंको जाते हैं ? ।। १५० ॥
तिण्णि गदीओ गच्छंति-तिरिक्खगदि मणुसगदिं देवगदिं चेदि ॥ १५१ ॥
उपर्युक्त मनुष्य सासादनसम्यग्दृष्टि तिर्यंचगति, मनुष्यगति और देवगति इन तीन गतियोंमें जाते हैं ॥ १५१ ॥
तिरिक्खेसु गच्छंता एइंदिय-पंचिंदिएसु गच्छंति, णो विगलिंदिएसु गच्छंति ॥ तिर्यंचोंमें जाते हुए वे एकेन्द्रिय और पंचेन्द्रियोंमें जाते हैं, विकलेन्द्रियोंमें नहीं जाते ॥
एइंदिएसु गच्छंता बादरपुढवी-बादरआउ-बादरवणप्फदिकाइयपत्तेयसरीरपज्जत्तएसु गच्छंति, णो अपज्जत्तएसु ॥ १५३ ॥
एकेन्द्रियोंमें जाते हुए वे बादर पृथिवीकायिक, बादर जलकायिक और बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्तकोंमें जाते हैं, अपर्याप्तकोंमें नहीं जाते ॥ १५३ ॥
पंचिंदिएसु गच्छंता सण्णीसु गच्छंति, णो असण्णीसु ॥ १५४ ॥ पंचेन्द्रियोंमें जाते हुए वे संज्ञियोंमें जाते हैं, असंज्ञियोंमें नहीं जाते ॥ १५४ ॥ सण्णीसु गच्छंता गब्भोवतंतिएसु गच्छंति, णो सम्मुच्छिमेसु ॥ १५५ ॥ संज्ञियोंमें जाते हुए वे गर्भजोमें जाते हैं, सम्मूर्छनोंमें नहीं जाते ॥ १५५ ॥ गब्भोवकंतिएसु गच्छंता पज्जत्तएसु गच्छंति, णो अपज्जत्तएसु ॥ १५६ ॥ गर्भजोमें जाते हुए वे पर्याप्तकोंमें जाते हैं, अपर्याप्तकोंमें नहीं जाते ॥ १५६ ॥
पज्जत्तएसु गच्छंता संखेज्जवासाउएसु वि गच्छंति, असंखेज्जवासाउएसु वि गच्छंति ॥ १५७ ॥
पर्याप्तकोंमें जाते हुए वे संख्यातवर्षकी आयुवालोंमें भी जाते हैं और असंख्यातवर्षकी आयुवालोंमें भी जाते हैं ॥ १५७ ॥
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