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. १, ९-९, २१३ ] जीवट्ठाण-चूलियाए णेरइयाणमागदिपुव्वं गुण-परूवणा
[३३७ दुवे गदीयो आगच्छंति तिरिक्खगर्दि मणुसगदिं चैव ॥ २०७॥ __ छठी पृथिवीसे निकलते हुए नारकी जीव तिर्यंचगति और मनुष्यगति इन दो गतियोंमें आते हैं ॥ २०७॥
तिरिक्ख-मणुस्सेसु उववण्णल्लया तिरिक्खा मणुसा केई छ उप्पाएंति-केई आभिणिबोहियणाणमुप्पाएंति, केई सुदणाणमुप्पाएंति, केइमोहिणाणमुप्पाएंति, केइं सम्मामिच्छत्तमुप्पाएंति, केई सम्मत्तमुप्पाएंति, केई संजमासंजममुप्पाएंति ॥ २०८ ॥
छठी पृथिवीसे तिर्यंच और मनुष्योंमें उत्पन्न हुए कितने ही तिर्यंच व मनुष्य इन छहको उत्पन्न करते हैं- कोई आभिनिबोधिकज्ञानको उत्पन्न करते हैं, कोई श्रुतज्ञानको उत्पन्न करते हैं, कोई अवधिज्ञानको उत्पन्न करते हैं, कोई सम्यग्मिथ्यात्वको उत्पन्न करते हैं, कोई सम्यक्त्वको उत्पन्न करते हैं, और कोई संयमासंयमको उत्पन्न करते हैं ॥ २०८ ॥
पंचमीए पुढवीए णेरइया णिरयादो णेरइया उब्वट्टिदसमाणा कदि गदीयो आगच्छंति ? ॥ २०९ ॥
___ पांचवीं पृथिवीके नारकी जीव नारकी होते हुए नरकसे निकलकर कितनी गतियोंमें आते हैं ? ॥ २०२॥
दुवे गदीयो आगच्छंति तिरिक्खगदिं चेव मणुसगदि चेव ।। २१० ॥
पांचवीं पृथिवीसे निकले हुए नारकी जीव तिर्यंचगति और मनुष्यगति इन दो गतियोंमें आते हैं ॥ २१० ॥
तिरिक्खेसु उववण्णल्लया तिरिक्खा केई छ उप्पाएंति ॥ २११ ।।
पांचवीं पृथिवीसे तिर्यंचोंमें उत्पन्न हुए कोई तिर्यंच अभिनिबोधिकज्ञान आदि उपर्युक्त छहको उत्पन्न करते हैं ॥ २११ ॥
मणुस्सेसु उववण्णल्लया मणुसा केइमट्टमुप्पाएंति- केइमाभिणिवोहियणाणमुप्पा एंति, केइं सुदणाणमुप्पाएंति, केइंमोहिणाणमुप्पाएंति, केई मणपज्जवणाणमुप्पाएंति, केई सम्मामिच्छत्तमुप्पाएंति, केइं सम्मत्तमुप्पाएंति, केई संजमासंजममुप्पाएंति, केई संजममुप्पाएंति ॥ २१२ ॥
... पांचवीं पृथिवीसे मनुष्योंमें उत्पन्न हुए कोई मनुष्य आठको उत्पन्न करते हैं- कोई आभिनिबोधिकज्ञानको उत्पन्न करते हैं, कोई श्रुतज्ञानको उत्पन्न करते हैं, कोई अवधिज्ञानको उत्पन्न करते हैं, कोई मनःपर्ययज्ञानको उत्पन्न करते हैं, कोई सम्यग्मिथ्यात्वको उत्पन्न करते हैं, कोई सम्यक्त्वको उत्पन्न करते हैं, कोई संयमासंयमको उत्पन्न करते हैं, और कोई संयमको उत्पन्न करते हैं ।
चउत्थीए पुढवीए णेरइया णिरयादो णेरइया उव्वट्टिदसमाणा कदि गदीओ आगच्छंति ? ॥ २१३॥
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