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१,९-९, ५९] जीवट्ठाण-चूलियाए पवेस-णिग्गमणगुणट्ठाणणि
[३२१ मिथ्यात्व सहित उन द्वितीयादि पृथिवियोंमें प्रविष्ट हुए नारकियोंमेंसे कितने ही सासादन- . सम्यक्त्वके साथ वहांसे निकलते हैं ॥ ५० ॥
मिच्छत्तेण अधिगदा केई सम्मत्तेण णीति ॥५१॥
__ मिथ्यात्वसहित द्वितीयादि पृथिवियोंमें प्रविष्ट हुए नारकियोंमेंसे कितने ही वहांसे सम्यक्त्वके साथ निकलते हैं ॥५१॥
सत्तमाए पुढवीए गेरइया मिच्छत्तेण चेव णीति ॥ ५२ ।। सातवीं पृथिवीके नारकी जीव मिथ्यात्वसहित ही वहांसे निकलते हैं ॥ ५२ ॥
इसका कारण यह है कि सम्यक्त्व, सासादनसम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वको प्राप्त हुए सातवीं पृथिवीके नारकी जीव मरणकालमें नियमसे मिथ्यात्वको प्राप्त हुआ करते हैं।
तिरिक्खा केई मिच्छत्तेण अधिगदा मिच्छत्तेण णीति ॥ ५३॥
तिर्यंच जीव कितने ही मिथ्यात्वसहित तिर्यंचगतिमें जाकर मिथ्यात्वसहित ही वहांसे निकलते हैं ॥ ५३ ॥
केई मिच्छत्तेण अधिगदा सासणसम्मत्तेण णीति ॥५४॥ कितने ही मिथ्यात्वसहित तिर्यंचगतिमें जाकर सासादनसम्यक्त्वके साथ वहांसे निकलते
केई मिच्छत्तेण अधिगदा सम्मत्तेण णींति ॥ ५५ ॥ कितने ही मिथ्यात्वसहित तिर्यंचगतिमें जाकर सम्यक्त्वके साथ वहांसे निकलते हैं ॥५५॥ केई सासणसम्मत्तेण अधिगदा मिच्छत्तेण णीति ॥ ५६ ॥ कितने ही सासादनसम्यक्त्व सहित तिर्यंचगतिमें जाकर मिथ्यात्वके साथ वहांसे निकलते
केई सासणसम्मत्तेण अधिगदा सासणसम्मत्तेण णीति ॥ ५७ ॥
कितने ही सासादनसम्यक्त्व सहित तिर्यंचगतिमें जाकर सासादनसम्यक्त्वके साथ ही वहांसे निकलते हैं ॥ ५७॥
केई सासणसम्मत्तेण अधिगदा सम्मत्तेण णीति ॥ ५८॥
कितने ही सासादनसम्यक्त्व सहित तिर्यंचगतिमें जाकर सम्यक्त्वके साथ बहांसे निकलते हैं ॥ ५८ ॥
सम्मत्तेण अधिगदा णियमा सम्मत्तेण चेव णीति ॥ ५९॥ सम्यक्त्व सहित तिर्यंचगतिमें जानेवाले जीव नियमसे सम्यक्त्वके साथ ही वहांसे निकलते हैं।
इसका कारण यह है कि पूर्वबद्ध आयुके वश तिर्यंचगतिमें जानेवाले क्षायिकसम्यग्दृष्टि छ.४१
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