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छक्खंडागमे जीवद्वाणं
[ १, ९-२, ६५
एक समयमें यथासम्भव किसी एक एक प्रकृतिका ही बन्ध सम्भव होनेसे चार हजार छह सौ आठ ( ६×६x२x२x२x२x२x२x२=४६०८ ) भंग होते हैं ।
तिरिक्खगदिं पंचिंदिय- पज्जत्त उज्जोवसंजुत्तं बंधमाणस्स तं मिच्छादिट्ठिस्स || वह प्रथम तीस प्रकृतिरूप बन्धस्थान पंचेन्द्रियजाति, पर्याप्त और उद्योत नामकर्मसे संयुक्त तिर्यग्गतिको बांधनेवाले मिथ्यादृष्टिके होता है ॥ ६५ ॥
तत्थ इमं विदियत्तीसाए द्वाणं- तिरिक्खगदी पंचिंदियजादी ओरालिय-तेजाकम्मइयसरीरं हुंडर्सठाणं वज्ज पंचण्हं संठाणाणमेक्कदरं ओरालियसरीरअंगोवंग असंपत्तसेवट्टसंघडणं वज्ज पचण्हं संघडणाणमेक्कदरं वण्ण-गंध-रस- फासं तिरिक्खगदिपाओग्गाणुपुव्वी अगुरुवलहुव-उवघाद-परघाद- उस्सास-उज्जीवं दोन्हं विहायगदी मेक्कदरं तस - चादर - पज्जतपत्तेयसरीरं थिराथिराणमेक्कदरं सुहासुहाणमेक्कदरं सुहव - दुहवाणमेक्कदरं सुस्सर - दुस्सराणमेक्कदरं आदेज्ज- अणादेज्जाण मेक्कदरं जसकित्ति अजसकित्तीण मेक्कदरं णिमिणणामं । दासं विदित्तीसार पयडीणं एक्कम्हि चेव द्वाणं ॥ ६६ ॥
नामकर्मके तिर्यग्गति सम्बन्धी उक्त पांच बन्धस्थानोंमें यह द्वितीय तीसप्रकृतिक बन्धस्थान है– तिर्यग्गति, पंचेन्द्रियजाति, औदारिकशरीर, तैजसशरीर, कार्मणशरीर, हुण्डसंस्थानको छोड़कर शेष पांच संस्थानोंमेंसे कोई एक, औदारिकशरीरअंगोपांग, असंप्राप्तासृपाटिकासंहननको छोड़कर शेष पांचों संहननोंमेंसे कोई एक; वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श, तिर्यग्गतिप्रायोग्यानुपूर्वी, अगुरुलघु, उपघात, परघात, उच्छ्वास, उद्योत, दोनों विहायोगतियोंमें से कोई एक त्रस, बादर, पर्याप्त, प्रत्येकशरीर, स्थिर और अस्थिर इन दोनोमेंसे कोई एक, शुभ और अशुभ इन दोनोंमेंसे कोई एक, सुभग और दुर्भग इन दोनों में से कोई एक, सुखर और दुस्वर इन दोनोंमेंसे कोई एक, आदेय और अनादेय इन दोनोंमेंसे कोई एक, यशःकीर्ति और अयशःकीर्ति इन दोनोंमेंसे कोई एक तथा निर्माण नामकर्म; इन द्वितीय तीस प्राकृतियोंका एक ही भावमें अवस्थान है ॥ ६६ ॥
पूर्व तीसप्रकृतिक बन्धस्थान में हुण्डसंस्थान और असंप्राप्ता सृपाटिकासंहनन इन दो प्रकृतियोंका सद्भाव था, किन्तु इस द्वितीय बन्धस्थानमें वे दोनों प्रकृतियां नहीं है; यह इन दोनों स्थानों में भेद है ।
तिरिक्खगदिं पंचिंदिय-पजत्त - उज्जोवसंजुत्तं बंधमाणस्स तं सासणसम्मादिट्ठिस्स || वह द्वितीय तीसप्रकृतिक बन्वस्थान पंचेन्द्रिय जाति, पर्याप्त और उद्योत नामकर्मसे संयुक्त तिर्यग्गतिको बांधनेवाले सासादनसम्यग्दृष्टिके होता है ॥ ६७ ॥
यहां पांच संस्थान, पांच संहनन तथा उक्त विहायोगति आदि सात युगलों के विकल्प से तीन हजार दो सौ ( ५x५४२ २x२x२x२ = ३२०० ) भंग होते हैं ।
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