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१, ८, २७१] अप्पाबहुगाणुगमे संजममग्गणा
[२४९ सामायिक और छेदोपस्थापना शुद्धिसंयतोंमें उपशामकोंसे क्षपक जीव संख्यातगुणित हैं । अप्पमत्तसंजदा अक्खवा अणुवसमा संखेज्जगुणा ॥ २६० ।।
सामायिक और छेदोपस्थापना शुद्धिसंयतोंमें क्षपकोंसे अक्षपक और अनुपशामक अप्रमत्तसंयत संख्यातगुणित हैं ॥ २६० ॥
पमत्तसंजदा संखेज्जगुणा ।। २६१ ।। उक्त दो संयतोंमें अप्रमत्तसंयतोंसे प्रमत्तसंयत संख्यातगुणित हैं ॥ २६१ ॥ पमत्त-अप्पमत्तसंजदट्ठाणे सव्वत्थोवा उवसमसम्मादिट्ठी ॥ २६२ ।।
उक्त दो संयतोंमें प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत गुणस्थानमें उपशमसम्यग्दृष्टि जीव सबसे कम हैं ॥२६२॥
खइयसम्मादिट्ठी संखेज्जगुणा ॥ २६३ ॥
उक्त दो संयतोंमें प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत गुणस्थानवर्ती उपशमसम्यग्दृष्टियोंसे क्षायिकसम्यग्दृष्टि जीव संख्यातगुणित हैं ॥ २६३ ॥
वेदगसम्मादिट्ठी संखेज्जगुणा ॥ २६४ ॥
उक्त दो संयतोंमें प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत गुणस्थानवर्ती क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंसे वेदकसम्यग्दृष्टि जीव संख्यातगुणित हैं ॥ २६४ ॥
__ एवं दोसु अद्धासु ।। २६५ ॥
इसी प्रकार उक्त जीवोंका अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण इन गुणस्थानोंमें सम्यक्त्व सम्बन्धी अल्पबहुत्व जानना चाहिये ॥ २६५ ॥
सव्वत्थोवा उवसमा ।। २६६ ॥ खवा संखेज्जगुणा ॥ २६७ ॥
उक्त दो संयतोंमें उमशामक सबसे कम हैं ॥ २६६ ॥ उपशामकोंसे क्षपक संख्यातगुणित हैं ॥ २६७ ॥
परिहारसुद्धिसंजदेसु सव्वत्थोवा अप्पमत्तसंजदा ।। २६८ ॥ परिहारशुद्धिसंयतोंमें अप्रमत्तसंयत जीव सबसे कम हैं ॥ २६८ ।। पमत्तसंजदा संखेज्जगुणा ॥ २६९ ॥ परिहारशुद्धिसंयतोंमें अप्रमत्तसंयतोंसे प्रमत्तसंयत जीव संख्यातगुणित हैं ॥ २६९ ॥ पमत्त-अप्पमत्तसंजदट्ठाणे सव्वत्थोवा खइयसम्मादिट्ठी ।। २७० ॥
परिहारशुद्धिसंयतोंमें प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत गुणस्थानमें क्षायिकसम्यग्दृष्टि जीव सबसे कम हैं ॥ २७० ॥
वेदगसम्मादिट्ठी संखेज्जगुणा ॥ २७१ ।। छ. ३२
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