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१, ८, २४६] अप्पाबहुगाणुगमे संजमग्गणा
[२४७ अप्पमत्तसंजदा अक्खवा अणुवसमा संखेजगुणा ॥ २३४ ॥
मनःपर्ययज्ञानियोंमें क्षीणकषाय-वीतराग-छद्मस्थोंसे अक्षपक और अनुपशामक अप्रमत्तसंयत जीव संख्यातगुणित हैं ॥ २३४ ॥
पमत्तसंजदा संखेज्जगुणा ॥ २३५ ॥ मनःपर्ययज्ञानियोंमें अप्रमत्तसंयतोंसे प्रमत्तसंयत जीव संख्यातगुणित हैं ॥ २३५॥ पमत्त-अपमत्तसंजदट्ठाणे सव्वत्थोवा उवसमसम्मादिट्टी ॥२३६ ॥
मनःपर्ययज्ञानियोंमें प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत गुणस्थानमें उपशमसम्यग्दृष्टि जीव सबसे कम हैं ॥ २३६॥
खइयसम्मादिट्ठी संखेज्जगुणा ॥२३७॥ वेदगसम्मादिट्ठी संखेज्जगुणा ॥२३८॥
मनःपर्ययज्ञानियोंमें प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत गुणस्थानवर्ती उपशमसम्यग्दृष्टियोंसे क्षायिकसम्यग्दृष्टि जीव संख्यातगुणित हैं ॥ २३७ ॥ क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंसे वेदकसम्यग्दृष्टि जीव संख्यातगुणित हैं ॥ २३८ ॥
एवं तिसु अद्धासु ॥ २३९ ॥
इसी प्रकार मनःपर्ययज्ञानियोंमें अपूर्वकरण आदि तीन उपशामक गुणस्थानोंमें सम्यक्त्व सम्बन्धी अल्पबहुत्व जानना चाहिये ॥ २३९ ॥
सव्वत्थोवा उवसमा ॥ २४० ॥ खवा संखेज्जगुणा ॥ २४१ ॥
मनःपर्ययज्ञानियोंमें उपशामक जीव सबसे कम हैं ॥२४०॥ मनःपर्ययज्ञानियोंमें उपशामक जीवोंसे क्षपक जीव संख्यातगुणित हैं ॥ २४१॥
केवलणाणीसु सजोगिकेवली अजोगिकेवली पवेसणेण दो वि तुल्ला तत्तिया चेव।
केवलज्ञानियोंमें सयोगिकेवली और अयोगिकेवली जिन प्रवेशकी अपेक्षा दोनों ही तुल्य और पूर्वोक्त प्रमाण ही हैं ॥ २४२॥
सजोगिकेवली अद्धं पडुच्च संखेज्जगुणा ॥ २४३ ॥ केवलज्ञानियोंमें सयोगिकेवली संचयकालकी अपेक्षा संख्यातगुणित हैं ॥ २४३ ॥ संजमाणुवादेण संजदेसु तिसु अद्धासु उवसमा पवेसणेण तुल्ला थोवा ॥ २४४ ॥
संयममार्गणाके अनुवादसे संयतोंमें अपूर्वकरण आदि तीन गुणस्थानोमें उपशामक जीव प्रवेशकी अपेक्षा तुल्य और अल्प हैं ॥ २४४ ॥
उवसंतकसाय-चीदराग-छदुमत्था तत्तिया चेव ॥ २४५ ॥ संयतोंमें उपशान्तकषाय-वीतराग-छमस्थ जीव पूर्वोक्त प्रमाण ही हैं ॥ २४५ ॥ खवा संखेज्जगुणा ॥ २४६ ॥
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