________________
१, ८, १७१ ] अप्पाबहुगाणुगमे वेदमग्गणा
[२४१ स्त्रीवेदियोंमें उक्त दोनों गुणस्थानवर्ती क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंसे उपशमसम्यग्दृष्टि जीव संख्यातगुणित हैं ॥१५७॥ स्त्रीवेदियोंमें उक्त दोनों गुणस्थावर्ती उपशमसम्यग्दृष्टियोंसे वेदकसम्यग्दृष्टि जीव संख्यातगुणित हैं ॥ १५८ ॥
एवं दोसु अद्धासु ॥ १५९ ।।
इसी प्रकार अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण इन दोनों गुणस्थानोंमें स्त्रीवेदियोंका अल्पबहुत्व जानना चाहिये ॥ १५९ ॥
सव्वत्थोवा उवसमा ॥ १६० ॥ खवा संखेज्जगुणा ॥ १६१ ।। स्त्रीवेदियोंमें उपशामक जीव सबसे कम हैं ॥ १६० ॥ उपशामकोंसे क्षपक संख्यातगुणित
पुरिसवेदएसु दोसु अद्धासु उवसमा पवेसणेण तुल्ला थोवा ॥ १६२ ॥
पुरुषवेदियोंमें अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण इन दोनों गुणस्थानवर्ती उपशामक जीव प्रवेशकी अपेक्षा तुल्य और अल्प हैं ॥ १६२ ॥
खवा संखेज्जगुणा ।। १६३ ॥ पुरुषवेदियोंमें उक्त दोनों गुणस्थानवर्ती उपशामकोंसे क्षपक जीव संख्यातगुणित हैं ॥ अप्पमत्तसंजदा अक्खवा अणुवसमा संखेज्जगुणा ॥ १६४॥
पुरुषवेदियोंमें उक्त दोनों गुणस्थानोंके क्षपकोंसे अक्षपक और अनुपशामक अप्रमत्तसंयत संख्यातगुणित हैं ॥ १६४ ॥
पमत्तसंजदा संखेज्जगुणा ॥ १६५ ॥ संजदासजदा असंखेज्जगुणा ॥ १६६ ॥
पुरुषवेदियोंमें उक्त अप्रमत्तसंयतोंसे प्रमत्तसंयत संख्यातगुणित हैं ॥१६५॥ प्रमत्तसंयतोंसे संयतासंयत जीव असंख्यातगुणित हैं ॥ १६६ ॥
सासणसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ।।१६७।। सम्मामिच्छादिट्टी संखेज्जगुणा ।।
पुरुषवेदियोंमें संयतासंयतोंसे सासादनसम्यग्दृष्टि जीव असंख्यातगुणित हैं ॥ १६७ ।। सासादनसम्यग्दृष्टियोंसे सम्यग्मिथ्यादृष्टि संख्यातगुणित हैं ॥ १६८ ॥
असंजदसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ॥ १६९ ॥ मिच्छादिट्ठी असंखेज्जगुणा ॥
पुरुषवेदियोंमें सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंसे असंयतसम्यग्दृष्टि असंख्यातगुणित हैं ॥ १६९ ॥ असंयतसम्यग्दृष्टियोंसे मिथ्यादृष्टि असंख्यातगुणित हैं ॥ १७०॥
असंजदसम्मादिहि-संजदासंजद-पमत्त-अप्पमत्त-संजदट्ठाणे सम्मत्तप्पाबहुअमोघं ॥१७१ ॥ छ. ३.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org