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छक्खंडागमे जीवट्ठाणं.
[१, ८, ४६
सम्यग्दृष्टियोंसे असंख्यातगुणित हैं ॥ ४५ ॥
असंजदसम्मादिडिट्ठाणे सव्वत्थोवा उवसमसम्मादिट्ठी ॥ ४६॥ उक्त चार तिर्यंचोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानमें उपशमसम्यग्दृष्टि जीव सबसे कम हैं । खइयसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ॥४७॥
उक्त चार तिर्यंचोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानमें उपशमसम्यग्दृष्टियोंसे क्षायिकसम्यग्दृष्टि जीव असंख्यातगुणित हैं ॥ १७ ॥
वेदगसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ॥ ४८॥
उक्त चार तियचोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानमें क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंसे वेदकसम्यग्दृष्टि जीव असंख्यातगुणित हैं ॥ ४८ ॥
__ संजदासंजदहाणे सव्वत्थोवा उबसमसम्माइट्ठी ॥४९॥ वेदगसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ॥ ५० ॥
____ उक्त चार तिर्यंचोंमें संयतासंयत गुणस्थानमें उपशमसम्यग्दृष्टि जीव सबसे कम हैं ॥४९॥ उपशमसम्यग्दृष्टियोंसे वेदकसम्यग्दृष्टि जीव असंख्यातगुणित हैं ॥ ५० ॥
णवरि विसेसो, पंचिंदियतिरिक्खजोणिणीसु असंजदसम्मादिट्टि-संजदासंजदट्ठाणे सव्वत्थोवा उबसमसम्मादिट्ठी ।। ५१ ॥
विशेषता यह है कि पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिमतियोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि और संयतासंयत गुणस्थानमें उपशमसम्यग्दृष्टि जीव सबसे कम हैं ॥ ५१ ॥
वेदगसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ।। ५२ ।।
पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिमतियोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि और संयतासंयत गुणस्थानमें उपशमसम्यग्दृष्टियोंसे वेदकसम्यग्दृष्टि जीव असंख्यातगुणित हैं ॥ ५२ ॥
मणुसगदीए मणुस-मणुसपज्जत्त-मणुसिणीसु तिसु अद्धासु उवसमा पवेसणेण तुल्ला थोवा ।। ५३ ॥
मनुष्यगतिमें मनुष्य, मनुष्य पर्याप्त और मनुष्यनियोंमें अपूर्वकरण आदि तीन गुणस्थानोंमें उपशामक जीव प्रवेशकी अपेक्षा तुल्य और अल्प हैं ॥ ५३ ।।
उवसंतकसाय-वीदराग-छदुमत्था तेत्तिया चेव ।। ५४ ॥ खवा संखज्जगुणा ।
उपशान्तकषाय-वीतराग-छद्मस्थ जीव प्रवेशकी अपेक्षा पूर्वोक्त प्रमाण ही हैं ॥ ५४ ॥ उपशान्तकषाय-वीतराग-छद्मस्थोंसे क्षपक जीव संख्यातगुणित हैं ॥ ५५ ॥
खीणकसाय-बीदराग-छदुमत्था तत्तिया चेव ॥ ५६ ॥ तीनों प्रकारके मनुष्योंमें क्षीणकषाय-वीतराग-छद्मस्थ जीव पूर्वोक्त प्रमाण ही हैं ॥ ५६ ॥
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