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२३८ ] छक्खंडागमे जीवठ्ठाणं
[१, ८, ११८ ॥ ११६ ॥ पांचों मनोयोगी और पांचों वचनयोगी असंयतसम्यग्दृष्टियोंसे इन्हीं योगवाले मिथ्यादृष्टि असंख्यातगुणित हैं और काययोगी तथा औदारिककाययोगी असंयतसम्यग्दृष्टियोंसे इन्हीं दोनों योगवाले मिथ्यादृष्टि जीव अनन्तगुणित हैं ॥ ११७ ॥
असंजदसम्मादिहि-संजदासंजद-पमत्तापमत्तसंजदट्ठाण सम्मत्तप्पाबहुअमोघं ॥
उक्त बारह योगवाले जीवोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि, संयतासंयत, प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत गुणस्थानमें सम्यक्त्व सम्बन्धी अल्पबहुत्वकी प्ररूपणा ओधके समान है ॥ ११८ ॥
एवं तिसु अद्धासु ॥ ११९ ॥
इसी प्रकार उक्त बारह योगवाले जीवोंमें अपूर्वकरण आदि तीन गुणस्थानोंमें सम्यक्त्व सम्बन्धी अल्पबहुत्व है ॥ ११९ ॥
सव्वत्थोवा उवसमा ।। १२० ॥ खवा संखेज्जगुणा ॥ १२१ ॥
उक्त बारह योगवाले जीवोंमें उपशामक सबसे कम हैं ॥ १२० ॥ उपशामकोंसे क्षपक संख्यातगुणित हैं ॥ १२१ ॥
ओरालियमिस्सकायजोगीसु सव्वत्थोवा सजोगिकेवली ॥ १२२ ॥ औदारिकमिश्रकाययोगियोंमें सयोगिकेवली जिन सबसे कम हैं ॥ १२२ ।।
असंजदसम्मादिट्ठी संखेज्जगुणा ॥१२३ ॥ सासणसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ॥ १२४ ॥ मिच्छादिट्ठी अणंतगुणा ॥ १२५ ॥
औदारिकमिश्रकाययोगियोंमें सयोगिकेवली जिनसे असंयतसम्यग्दृष्टि जीव संख्यातगुणित हैं । १२३ ॥ असंयतसम्यग्दृष्टियोंसे सासादनसम्यग्दृष्टि असंख्यातगुणित हैं ॥ १२४ । सासादनसम्यग्दृष्टियोंसे मिथ्यादृष्टि जीव अनन्तगुणित हैं ॥ १२५ ॥
असंजदसम्माइडिट्ठाणे सव्वत्थोवा खइयसम्मादिट्ठी ॥ १२६ ॥
औदारिकमिश्रकाययोगियोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानमें क्षायिकसम्यग्दृष्टि जीव सबसे कम हैं ॥ १२६ ॥
वेदगसम्मादिट्ठी संखेज्जगुणा ।। १२७ ॥
औदारिकमिश्रकाययोगियोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानमें क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंसे वेदकसम्यग्दृष्टि संख्यातगुणित हैं ॥ १२७ ॥
वेउब्वियकायजोगीसु देवगदिभंगो ॥ १२८ ॥ वैक्रियिककाययोगियोंमें अल्पबहुत्वकी प्ररूपणा देवगतिके समान है ॥ १२८ ॥ वेउब्बियमिस्सकायजोगीसु सव्वत्थोवा सासणसम्मादिट्ठी ।। १२९॥
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