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२३.] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
. [ १, ८, २२ खइयसम्मादिट्ठी संखेज्जगुणा ॥ २२॥ __ प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत गुणस्थानमें उपशमसम्यग्दृष्टियोंसे क्षायिकसम्यग्दृष्टि जीव संख्यातगुणित हैं ॥२२॥
वेदगसम्मादिट्ठी संखेज्जगुणा ॥ २३ ॥
प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत गुणस्थानोंमें क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंसे वेदकसम्यग्दृष्टि जीव संख्यातगुणित हैं ॥ २३ ॥
एवं तिसु वि अद्धासु ॥ २४ ॥
इसी प्रकार अपूर्वकरण आदि तीन उपशामक गुणस्थानोंमें सम्यक्त्व सम्बन्धी अल्पबहुत्व है । इतना विशेष समझना चाहिये कि यहां क्षायोपशमिक सम्यक्त्वकी सम्भावना नहीं है ॥ २४ ॥
सव्वत्थोवा उवसमा ॥ २५॥ अपूर्वकरण आदि तीन गुणस्थानोंमें उपशामक जीव सबसे कम हैं ॥ २५ ॥ खवा संखेज्जगुणा ॥ २६ ॥
अपूर्वकरण आदि तीन गुणस्थानवर्ती उपशामकोंसे इन तीनों ही गुणस्थानवर्ती क्षपक जीव संख्यातगुणित हैं ॥ २६ ॥
आदेसेण गदियाणुवादेण णिरयगदीए णेरइएसु सव्वत्थोवा सासणसम्मादिट्ठी ॥
आदेशकी अपेक्षा गतिमार्गणाके अनुवादसे नरकगतिमें नारकियोंमें सासादनसम्यग्दृष्टि जीव सबसे कम हैं ॥ २७ ॥
सम्मामिच्छादिट्ठी संखेज्जगुणा ॥ २८ ॥ असंजदसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ॥ २९ ॥ मिच्छादिट्ठी असंखेज्जगुणा ॥ ३०॥
___ नारकियोंमें सासादनसम्यग्दृष्टियोंसे सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीव संख्यातगुणित हैं ॥ २८ ॥ सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंसे असंयतसम्यग्दृष्टि असंख्यातगुणित हैं ॥२९॥ असंयतसम्यग्दृष्टियोसे मिथ्यादृष्टि जीव असंख्यातगुणित हैं ॥ ३० ॥
असंजदसम्माइडिट्ठाणे सव्वत्थोवा उवसमसम्मादिट्ठी ॥ ३१ ॥ नारकियोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानमें उपशमसम्यग्दृष्टि सबसे कम हैं ॥ ३१ ॥ खइयसम्मादिट्ठी अखंसेज्जगुणा ।। ३२ ॥ वेदगसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ।
नारकियोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानमें उपशमसम्यग्दृष्टियोंसे क्षायिकसम्यग्दृष्टि असंख्यातगुणित हैं ॥ ३२ ॥ क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंसे वेदकसम्यग्दृष्टि असंख्यातगुणित हैं ॥ ३३ ॥
एवं पढमाए पुढवीए णेरइया ॥ ३४ ॥ इसी प्रकार प्रथम पृथिवीमें भी नारकियोंके अल्पबहुत्वको जानना चाहिये ॥ ३४ ॥
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