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छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[ १, ३, १३ मणुसअपञ्जता केवडिखेत्ते ? लोगस्स असंखेजदिभागे ॥ १३ ॥ लब्ध्यपर्याप्त मनुष्य कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? लोकके असंख्यातवें भाग प्रमाण क्षेत्रमें रहते
देवगदीए देवेसु मिच्छादिटिप्पहुडि जाव असंजदसम्मादिट्ठि त्ति केवडिखेत्ते ?. लोगस्स असंखेजदिभागे ॥ १४ ॥
देवगतिमें देवोंमें मिथ्यादृष्टि गुणस्थानसे लेकर असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थान तक प्रत्येक गुणस्थानवर्ती देव कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? लोकके असंख्यातवें भाग प्रमाण क्षेत्रमें रहते हैं ॥ १४ ॥
एवं भवणवासियप्पहुडि जाव उवरिम-उपरिमगेवज्जविमाणवासियदेवा त्ति ॥१५
इसी प्रकार भवनवासी देवोंसे लेकर उपरिम-उपरिम अवेयकविमानवासी देवों तकका क्षेत्र जानना चाहिये ॥ १५॥
अणुदिसादि जाव सबट्टसिद्धिविमाणवासियदेवा असंजदसम्मादिट्ठी केवडिखेत्ते ? लोगस्स असंखेज्जदिभागे ॥ १६ ॥
नौ अनुदिशोंसे लेकर सर्वार्थसिद्धि विमान तकके असंयतसम्यग्दृष्टि देव कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? लोकके असंख्यातवें भाग प्रमाण क्षेत्रमें रहते हैं ॥ १६ ॥
अब इन्द्रियमार्गणाकी अपेक्षा जीवोंके क्षेत्रका निरूपण करते हैं
इंदियाणुवादेण एइंदिया बादरा सुहुमा पज्जत्ता अपज्जत्ता केवडिखेत्ते ? सबलोगे ॥ १७ ॥
इन्द्रियमार्गणाके अनुवादसे एकेन्द्रिय जीव, बादर एकेन्द्रिय जीव, सूक्ष्म एकेन्द्रिय जीव, बादर एकेन्द्रिय पर्याप्त जीव, बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्त जीव, सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्त जीव और सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्त जीव कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? सर्व लोकमें रहते हैं ॥ १७ ॥
बोइंदिय-तीइंदिय-चउरिदिया तस्सेव पज्जत्ता अपज्जत्ता य केवडिखत्ते ? लोगस्स असंखेज्जदिभागे ।। १८॥
___ द्वोन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय जीव और उन्हींके पर्याप्त तथा अपर्याप्त जीव कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? लोकके असंख्यात भाग प्रमाण क्षेत्रमें रहते हैं ॥ १८ ॥
__पंचिंदिय-पंचिंदियपज्जत्तएसु मिच्छाइटिप्पहुडि जाव अजोगिकेवलि त्ति केवडिखेत्ते ? लोगस्स असंखेज्जदिभागे ।। १९ ॥
पंचेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय पर्याप्त जीवोंमें मिथ्यादृष्टि गुणस्थानसे लेकर अयोगिकेवली गुणस्थान तक प्रत्येक गुणस्थानवी जीव कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? लोकके असंख्यातवें भाग प्रमाण क्षेत्रमें रहते हैं ॥ १९॥
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