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१, ६, १०] अंतराणुगमे ओघणिद्देसो
[१७३ प्रमत्त और अप्रमत्त गुणस्थानोंमें हजारों परावर्तनोंको करके (७) क्षपकश्रेणीके योग्य विशुद्धिसे विशुद्ध होकर (८) अपूर्वकरण क्षपक (९), अनिवृत्तिकरण क्षपक (१०), सूक्ष्मसाम्परायिक क्षपक (११), क्षीणकषाय-वीतराग-छद्मस्थ (१२) सयोगकेवली (१३) और अयोगकेवली (१४) हो करके सिद्ध हो गया। इस प्रकारसे एक समय अधिक चौदह अन्तर्मुहूर्तोसे कम अर्ध पुद्गलपरिवर्तन मात्र सासादनसम्यग्दृष्टिका उत्कृष्ट अन्तरकाल प्राप्त हो जाता है।
सम्यग्मिथ्यादृष्टिका वह उत्कृष्ट अन्तर– एक अनादि मिथ्यादृष्टि जीवने तीनों ही करणोंको करके उपरानसम्यक्त्रको ग्रहण किया और उसके ग्रहण करने के प्रथम समयमें अनन्त संसारको अर्थ पुद्गलपरिवर्तन मात्र कर दिया। फिर वह उपशमसम्यक्त्वके साथ अन्तर्मुहूर्त रहकर (१) सम्यग्मिथ्यात्वको प्रात हुआ (२)। पुनः मिथ्यात्वको प्राप्त होकर अन्तरको प्राप्त हो गया। पश्चात् अर्थ पुद्गलपरिवर्तन काल प्रमाण परिभ्रमण कर संसारके अन्तर्मुहूर्त प्रमाण शेष रह जानेपर उपशमसम्यक्त्वको प्राप्त हुआ और वहांपर अनन्तानुबन्धी कषायकी विसंपोजना करके सम्यग्मिथ्यात्वको प्राप्त हुआ। इस प्रकारसे वह अन्तर उपलब्ध हो गया ( ३ )। तत्पश्चात् वेदकसम्यक्त्वको प्राप्त कर (४) दर्शनमोहनीयका क्षपण करके (५) अप्रमत्तसंपत हुआ (६)। पुन: प्रमत्त और अप्रमत्त गुणस्थान संबन्धी हजारों परावर्तनोंको करके (७) क्षपकश्रेणीके योग्य विशुद्धिसे विशुद्ध होकर (८), अपूर्वकरण क्षपक (९), अनिवृत्तिकरण क्षपक (१०), सूक्ष्मसाम्पराय क्षपक (११), क्षीणकषाय (१२), सयोगकेवली ( १३ ) और अयोगकेवली (१४) हो करके सिद्धपदको प्राप्त हो गया। इस प्रकार इन चौदह अन्तर्मुहूतोंसे कम अर्ध पुद्गलपरिवर्तन मात्र सम्यग्मिथ्यात्वका उत्कृष्ट अन्तरकाल प्राप्त हो जाता है।
असंजदसम्मादिहिप्पहुडि जाव अप्पमत्तसंजदा त्ति अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं, णिरंतरं ॥९॥
___ असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानको आदि लेकर अप्रमत्तसंयत गुणस्थान तकके प्रत्येक गुणस्थानवी जीवोंका अन्तर कितने काल होता है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तर नहीं है, निरन्तर है ॥ ९॥
एगजीवं पडुच्च जहण्णेण अंतोमुहुत्तं ॥ १० ॥
एक जीवकी अपेक्षा उन असंयतसम्यग्दृष्टि आदिका अन्तर जघन्यसे अन्तर्मुहूर्त मात्र होता है ॥ १० ॥
असंयतसम्यग्दृष्टिका अन्तर - कोई एक असंयतसम्यग्दृष्टि जीव संयमासंयमको प्राप्त हुआ। वहांपर अन्तर्मुहूर्त काल रहकर और अन्तरको प्राप्त होकर पुनः असंयतसम्यग्दृष्टि हो गया। इस प्रकारसे वह अन्तर्मुहूर्त प्रमाण अन्तरकाल प्राप्त हो जाता है। संयतासंयतका अन्तर-- एक संयतासंयत जीव असंयतसम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि अथवा संयत हुआ और अन्तर्मुहूर्त काल वहांपर रहकर
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