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छक्खंडागमे जीवट्ठाणं - [१, ६, ५९ एक जीवकी अपेक्षा उक्त तीनों प्रकारके मनुष्य मिथ्यादृष्टियोंका उत्कृष्ट अन्तर कुछ ( नौ मास, उनचास दिन और दो अन्तर्मुहूर्त ) कम तीन पल्योपम है ॥ ५९॥
सासणसम्मादिहि-सम्मामिच्छादिट्ठीणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमयं ।। ६० ॥
उक्त तीनों प्रकारके मनुष्य सासादनसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंका अन्तर कितने काल होता है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्यसे एक समय मात्र अन्तर होता है । ६० ॥
उक्कस्सेण पलिदोवमस्स असंखेजदिभागो ।। ६१ ॥
नाना जीवोंकी अपेक्षा उक्त मनुष्योंका उत्कृष्ट अन्तर पल्योपमके असंख्यातवें भाग मात्र होता हैं ॥ ६१ ॥
एगजीवं पडुच्च जहण्णण पलिदोवमस्स असंखेजदिभागो, अंतोमुहुत्तं ॥ ६२ ।।
एक जीवकी अपेक्षा उक्त तीन प्रकारके मनुष्य सासादन और सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंका अन्तर जघन्यसे क्रमशः पल्योपमका असंख्यातवें भाग और अन्तर्मुहूर्त मात्र होता है ॥ ६२ ॥
उक्कस्सेण तिणि पलिदोवमाणि पुचकोडि पुधत्तेणब्भहियाणि ॥ ६३ ॥
एक जीवकी अपेक्षा उक्त मनुष्योंका उत्कृष्ट अन्तर पूर्वकोटिवर्षपृथक्त्वसे अधिक तीन पल्योपम मात्र होता है ॥ ६३ ॥
असंजदसम्मादिट्ठीणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं, णिरंतरं ।। ६४ ॥
उक्त तीनों प्रकारके असंयतसम्यग्दृष्टि मनुष्योंका अन्तर कितने काल होता है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तर नहीं होता, निरन्तर है ॥ ६४ ॥
एगजी पडुच्च जहणेण अंतोमुहुत्तं ।। ६५ ।।
एक जीवकी अपेक्षा उक्त तीनों प्रकारके मनुष्य असंथतसम्यग्दृष्टियोंका अन्तर जघन्यसे अन्तर्मुहूर्त मात्र होता है ॥६५॥
उकस्सेण तिणि पलिदोवमाणि पुवकोडि पुवत्तेणब्भहियाणि ॥६६॥
एक जीवकी अपेक्षा उक्त तीनों प्रकारके असंयतसम्यग्दृष्टि मनुष्योंका उत्कृष्ट अन्तर पूर्वकोटिवर्षपृथक्त्वसे अधिक तीन पल्योपम मात्र होता है ॥६६॥
संजदासंजदबहुडि जाव अप्पमत्तसंजदाणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च णस्थि अंतरं, पिरंतरं ॥ ६७ ॥
___ संपतासंयतोंसे लेकर अप्रमत्तसंयतों तक उक्त तीनों प्रकारके मनुष्योंका अन्तर कितने काल होता है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तर नहीं होता, निरन्तर है ॥ ६७ ॥
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