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१७६ ] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[१, ६, १६ कषाय (९), पुनः सूक्ष्मसाम्पराय (१०), अनिवृत्तिकरण (११), और अपूर्वकरण गुणस्थानवर्ती हो गया। (१२) पश्चात् नीचे गिरकर अन्तरको प्राप्त हुआ और कुछ कम अर्ध पुद्गलपरिवर्तन काल प्रमाण परिभ्रमण करके अन्तिम भवमें दर्शनमोहनीयकी तीनों प्रकृतियोंका क्षय करके अपूर्वकरण उपशामक हुआ (१३)। इस प्रकार अन्तर उपलब्ध हो गया । पुनः अनिवृत्तिकरण (१४), सूक्ष्मसाम्परायिक (१५) और उपशान्तकषाय उपशामक हो गया (१६)। पुनः लौटकर सूक्ष्मसाम्परायिक (१७), अनिवृत्तिकरण (१८), अपूर्वकरण (१९), अप्रमत्तसंयत (२०), प्रमत्तसंयत (२१), पुनः अप्रमत्तसंयत (२२), अपूर्वकरण क्षपक (२३), अनिवृत्तिकरण क्षपक (२४), सूक्ष्मसाम्परायिक क्षपक (२५), क्षीणकषाय (२६), सयोगकेवली (२७) और अयोगकेवली (२८) होकर निर्वाणको प्राप्त हुआ। इस प्रकार अपूर्वकरणका उत्कृष्ट अन्तर अट्ठाईस अन्तर्मुहूतोसे कम अर्ध पुद्गलपरिवर्तन मात्र उपलब्ध होता है।
__इसी प्रकारसे अन्य तीनों उपशामकोंका भी अन्तर जानना चाहिये । विशेषता यह है कि परिपाटीक्रमसे अनिवृत्तिकरण उपशामकोंकी अपेक्षा छब्बीस, सूक्ष्मसाम्पराय उपशामकोंकी अपेक्षा चौबीस और उपशान्तकषाय उपशामकोंकी अपेक्षा बाईस अन्तर्मुहूर्तोसे कम अर्ध पुद्गलपरिवर्तन काल उन तीनों उपशामकोंका क्रमशः उत्कृष्ट अन्तर होता है ।
चदुण्हं खवग-अजोगिकेवलीणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमयं ॥ १६ ॥
चारों क्षपक और अयोगिकेवलियोंका अन्तर कितने काल होता है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्यसे एक समय होता है ॥ १६॥
सात आठ अथवा अधिकसे अधिक एक सौ आठ अपूर्वकरण क्षपक सबके सब एक ही समयमें अनिवृत्तिकरण क्षपक हो गये। इस प्रकार एक समयके लिए अपूर्वकरण गुणस्थानका अभाव हो गया। पश्चात् द्वितीय समयमें सात आठ अथवा एक सौ आठ अप्रमत्तसंयत एक साथ अपूर्वकरण क्षपक हो गये । इस प्रकारसे एक समय प्रमाण वह जघन्य अन्तर प्राप्त हो जाता है। इसी प्रकारसे शेष अनिवृत्तिकरण आदि तीन क्षपकोंका भी अन्तरकाल एक समय प्रमाण जानना चाहिये ।
उक्कस्सेण छम्मासं ॥ १७ ॥ नाना जीवोंकी अपेक्षा चारों क्षपक और अयोगिकेवलियोंका उत्कृष्ट अन्तरकाल छह मास है ॥
सात आठ अथवा एक सौ आठ अपूर्वकरण क्षपक जीव अनिवृत्तिकरण क्षपक हुए । तब उत्कर्षसे छह मासके लिए अपूर्वकरण गुणस्थानका अभाव हो गया। तत्पश्चात् सात आठ अथवा एक सौ आठ अप्रमत्तसंयत जीव अपूर्वकरण क्षपक हुए । इस प्रकारसे अपूर्वकरण क्षपकोंका वह छह मास प्रमाण उत्कृष्ट अन्तर प्राप्त हो गया। इसी प्रकार शेष गुणस्थानोंका भी छह मास प्रमाण उत्कृष्ट
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