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छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[ १, ५, १२२
सुहमेइंदियपजत्ता केवचिरं कालादो होति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा ॥१२२॥
सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तक जीव कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल होते हैं ॥ १२२ ॥
एगजीवं पडुच्च जहण्णेण अंतोमुहुत्तं ॥ १२३ ।। एक जीवकी अपेक्षा उक्त जीवोंका जघन्य काल अन्तर्मुहृत है ॥ १२३ ॥ उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं ॥ १२४ ॥ सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्यातक जीवोंका उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है ॥ १२१ ॥ सुहुमेइंदियअपजत्ता केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सम्बद्धा ॥१२५
सूक्ष्म एकेन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्तक जीव कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल होते हैं ॥ १२५ ॥
एगजीवं पडुञ्च जहण्णेण खुद्दाभवग्गहणं ॥ १२६ ॥ एक जीवकी अपेक्षा उक्त जीवोंका जघन्य काल क्षुद्रभवग्रहण प्रमाण है ॥ १२६ ॥ उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं ॥ १२७॥ उक्त जीवोंका उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है ॥ १२७ ॥
बीइंदिया तीइंदिया चउरिदिया बीइंदिय-तीइंदिय-चउरिदियपज्जत्ता केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा ॥ १२८ ।।।
द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीव तथा द्वीन्द्रिय पर्याप्तक, त्रीन्द्रिय पर्याप्तक और चतुरिन्द्रिय पर्याप्तक जीव कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल होते हैं ॥१२८।।
एगजीवं पडुच्च जहण्णेण खुद्दाभवग्गहणं अंतोमुहुत्तं ॥ १२९ ॥
एक जीवकी अपेक्षा द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवोंका जघन्य काल क्षुद्रभवग्रहण मात्र तथा द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय पर्याप्त जीवोंका वह जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है ॥ १२९ ॥
उक्कस्सेण संखेज्जाणि वाससहस्साणि ।। १३०॥ एक जीवकी अपेक्षा उक्त जीवोंका उत्कृष्ट काल संख्यात हजार वर्ष मात्र है ॥ १३० ।।
बीइंदिय-तीइंदिय-चउरिदिया अपज्जत्ता केवचिरं कालादो होति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा ॥ १३१ ।।
द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्तक जीव कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल होते हैं । १३१ ॥
एगजीवं पडुच्च जहण्णेण खुद्दाभवग्गहणं ॥ १३२ ॥
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