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१, ५, २२९]
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कालाणुगमे वेदमग्गणा
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उक्कस्सेण तिण्णि समयां ॥ २१९ ॥ एक जीवकी अपेक्षा कार्मणकाययोगी मिथ्यादृष्टि जीवोंका उत्कृष्ट काल तीन समय है।
सासणसम्मादिट्ठी असंजदसम्मादिट्ठी केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमयं ॥ २२० ॥
कार्मणकाययोगी सासादनसम्यग्दृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि जीव कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्यसे एक समय होते हैं ॥ २२० ॥
उक्कस्सेण आवलियाए असंखेज्जदिभागो ॥ २२१ ॥ नाना जीवोंकी अपेक्षा उक्त जीवोंका उत्कृष्ट काल आवलीके असंख्यातवें भाग प्रमाण है ॥ एगजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमयं ॥ २२२ ॥ एक जीवकी अपेक्षा उक्त जीवोंका जघन्य काल एक समय है ॥ २२२ ।। उक्कस्सेण वे समयं ॥ २२३ ।। एक जीवकी अपेक्षा उक्त जीवोंका उत्कृष्ट काल दो समय है ॥ २२३ ॥ सजोगिकेवली केवचि कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण तिण्णिसमयं ॥
कार्मणकाययोगी सयोगिकेवली कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्यसे तीन समय होते हैं ॥ २२४ ॥
उक्कस्सेण संखेज्जसमयं ।। २२५ ॥ नाना जीवोंकी अपेक्षा कार्मणकाययोगी सयोगिजिनोंका उत्कृष्ट काल संख्यात समय है । एगजीवं पडुच्च जहण्णुकस्सेण तिण्णिसमयं ॥ २२६ ।।
एक जीवकी अपेक्षा कार्मणकाययोगी सयोगिजिनोंका जघन्य और उत्कृष्ट काल तीन समय मात्र है ॥ २२६ ॥
वेदाणुवादेण इथिवेदेसु मिच्छादिट्ठी केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा ॥ २२७ ॥
वेदमार्गणाके अनुवादसे स्त्रीवेदियोंमें मिथ्यादृष्टि जीव कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल होते हैं ॥ २२७ ॥
एगजीवं पडुच्च जहण्णेण अंतोमुहुत्तं ॥ २२८ ।। एक जीवकी अपेक्षा उक्त जीवोंका जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है ॥ २२८ ॥ उक्कस्सेण पलिदोवमसदपुधत्तं ।। २२९ ॥ एक जीवकी अपेक्षा उक्त जीवोंका उत्कृष्ट काल पल्योपमशतपृथक्त्व है ॥ २२९ ॥
। २२९ ॥
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