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१५८ ] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[१,५,२३० सासणसम्मादिट्ठी ओघं ॥२३० ॥ . स्त्रीवेदी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवोंका काल ओघके समान है ॥ २३० ॥ सम्मामिच्छादिट्ठी ओघं ॥ २३१ ॥ स्त्रीवेदी सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवोंका काल ओघके समान है ॥ २३१ ॥ असंजदसम्मादिट्ठी केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्बद्धा ।।२३२॥
स्त्रीवेदियोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि जीव कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल होते हैं ॥ २३२ ॥
एगजीवं पड़च्च जहण्णण अंतोमुहत्तं ॥ २३३॥ एक जीवकी अपेक्षा उक्त जीवोंका जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है ॥ २३३ ॥ उक्कस्सेण पणवण्णपलिदोवमाणि देसूणाणि ।। २३४ ॥
एक जीवकी अपेक्षा स्त्रीवेदी असंयतसम्यग्दृष्टि जीवोंका उत्कृष्ट काल कुछ (तीन अन्तर्मुहूर्त) कम पचपन पल्योपम प्रमाण है ॥ २३४ ॥
संजदासंजदप्पहुडि जाव अणियट्टि त्ति ओघं ।। २३५ ।।
संयतासंयत गुणस्थानसे लेकर अनिवृत्तिकरण गुणस्थान तक स्त्रीवेदी जीवोंका काल ओधके समान है ॥ २३५ ॥
पुरिसवेदएसु मिच्छादिट्ठी केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा ॥
पुरुषवेदियोंमें मिथ्यादृष्टि जीव कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल होते हैं ॥ २३६ ॥
एगजीवं पडुच्च जहण्णेण अंतोमुहुत्तं ॥ २३७ ।। एक जीवकी अपेक्षा पुरुषवेदी मिथ्यादृष्टि जीवोंका जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है ॥ २३७ ।। उक्कस्सेण सागरोवमसदपुधत्तं ।। २३८ ।। एक जीवकी अपेक्षा उक्त जीवोंका उत्कृष्ट काल सागरोपमशतपृथक्त्व है ॥ २३८ ॥ सासणसम्मादिटिप्पहुडि जाव अणियट्टि त्ति ओघं ।। २३९ ॥
सासादनसम्यग्दृष्टिसे लेकर अनिबृत्तिकरण गुणस्थान तक प्रत्येक गुणस्थानवर्ती पुरुषवेदी जीवोंका काल ओधके समान है ॥ २३९ ॥
णqसयवेदेसु मिच्छादिट्ठी केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा ।
नपुंसकवेदियोंमें मिथ्यादृष्टि जीव कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल होते हैं ॥ २४०॥
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