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१४० ] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[ १, ५, ६८ होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सम्बद्धा ॥ ६८॥
मनुष्यगतिमें मनुष्य, मनुष्यपर्याप्त और मनुष्यनियोंमें मिथ्यादृष्टि जीव कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल होते हैं ॥ ६८॥
एगजीवं पडुच्च जहण्णण अंतोमुहुत्तं ॥ ६९॥ एक जीवकी अपेक्षा उक्त तीन प्रकारके मिथ्यादृष्टि मनुष्योंका जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है ॥ उक्कस्सेण तिण्णि पलिदोवमाणि पुव्बकोडिपुधत्तेणब्भहियाणि ॥ ७० ॥
एक जीवकी अपेक्षा उपर्युक्त तीन प्रकारके मिथ्यादृष्टि मनुष्योंका उत्कृष्ट काल पूर्वकोटिपृथक्त्वसे अधिक तीन पल्योपम प्रमाण है ॥ ७० ॥
सासणसम्मादिट्ठी केवचिरं कालादो होति ? णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमयं ॥ ७१॥
उक्त तीन प्रकारके मनुष्योंमें सासादनसम्यग्दृष्टि जीव कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्यसे एक समय होते हैं ॥ ७१ ॥
उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं ॥ ७२ ।।
उक्त तीन प्रकारके मनुष्योंमें सासादनसम्यग्दृष्टि जीवोंका नाना जीवोंकी अपेक्षा उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है ॥ ७२ ॥
एगजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमयं ॥ ७३ ॥
उक्त तीन प्रकारके सासादनसम्यग्दृष्टि मनुष्योंका एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल एक समय है । ७३ ॥
उक्कस्सं छ आवलियाओ ॥ ७४ ॥
उक्त तीन प्रकारके सासादनसम्यग्दृष्टि मनुष्योंका एक जीवकी अपेक्षा उत्कृष्ट काल छह आवली प्रमाण है । ७४ ॥
सम्मामिच्छादिट्ठी केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण अंतोमुहत्तं ।। ७५ ॥
उक्त तीन प्रकारके सम्यग्मिथ्यादृष्टि मनुष्य कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्यसे अन्तर्मुहूर्त काल होते हैं ॥ ७५ ॥
उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं ॥ ७६ ॥ उक्त तीन प्रकारके सम्यग्मिथ्यादृष्टि मनुष्योंका उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है ॥ ७६ ॥ एगजीवं पडुच्च जहण्णण अंतोमुहत्तं ॥ ७७ ।।
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