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छक्खंडागमे जीवद्वाणं
[ १, ५, ४८
तिर्यंचगतिमें तिर्यचोंमें मिथ्यादृष्टि जीव कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल होते हैं ॥ ४७ ॥
१३८ ]
एगजीवं पडुच्च जहणेण अंतोमुहुत्तं ॥ ४८ ॥
एक जीवकी अपेक्षा तिर्यंच मिथ्यादृष्टि जीवोंका जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है ॥ ४८ ॥ उक्कस्सेण अनंतकालमसंखेज्जा पोग्गलपरियÎ ।। ४९ ।।
एक जीवकी अपेक्षा उक्त तिर्यंच मिथ्यादृष्टि जीवोंका उत्कृष्ट काल असंख्यात पुद्गलपरिवर्तन प्रमाण अनन्त काल है ॥ ४९ ॥
सास सम्मादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी ओघं ॥ ५० ॥
सासादन सम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि तिर्यंचोंका काल ओघके समान है ॥ ५० ॥ असंजद सम्मादिट्ठी केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा ॥ ५१ ॥ असंयतसम्यग्दृष्टि तिर्यंच जीव कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल
होते हैं ॥ ५१ ॥
एगजीवं पडुच्च जहणेण अंतोमुहुत्तं ॥ ५२ ॥
एक जीवकी अपेक्षा असंयतसम्यग्दृष्टि तिर्यंचोंका जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है ॥ ५२ ॥ उक्कस्से तिणि पलिदोवमाणि ।। ५३ ।
असंयतसम्यग्दृष्टि तिर्यंचोंका उत्कृष्ट काल तीन पल्योपम है ॥ ५३ ॥
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संजदासजदा केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा ॥ ५४ ॥ संयतासंयत तिर्यंच कितने काल होते हैं : नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल होते हैं ॥
एकजीव पडुच्च जहणेण अंतोमुहुत्तं ॥ ५५ ॥
एक जीवकी अपेक्षा संयतासंयत तिर्यंचोंका जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है ॥ ५५ ॥
उक्कस्सेण पुव्वकोडी देखणा ॥ ५६ ॥
एक जीवकी अपेक्षा संयतासंयत तिर्यंचोंका उत्कृष्ट काल कुछ कम पूर्वकोटि वर्ष प्रमाण है ।
मिच्छा
पंचिदियतिरिक्ख-पंचिदियतिरिक्खपञ्जत्त-पंचिदियतिरिक्खजोणिणीसु
fast केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा || ५७ ॥
पंचेन्द्रिय तिर्यंच, पंचेन्द्रिय तिर्यंच पर्याप्त और पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिमतियोंमें मिथ्यादृष्टि कितने काल होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल होते हैं ॥ ५७ ॥
एगजीवं पडुच्च जहणेण अंतोमुहुत्त । ५८ ॥
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