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१, ३, २५]
खेत्तपमाणाणुगमे कायमग्गणा
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सजोगिकेवली ओघं ॥२०॥ सयोगिकेवलियोंका क्षेत्र सामान्य प्ररूपणाके समान है ॥ २० ॥ पंचिंदिय-अपज्जत्ता केवडिखेत्ते? लोगस्स असंखेजदिभागे ।। २१ ।।
पंचेन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्तक जीव कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? लोकके असंख्यातवें भाग प्रमाण क्षेत्रमें रहते हैं ॥ २१ ॥
अब कायमार्गणाकी अपेक्षा क्षेत्रका निरूपण करते हैं----
कायाणुवादेण पुढविकाइया आउकाइया तेउकाइया वाउकाइया बादरपुढविकाइया बादरआउकाइया बादरतेउकाइया बादरवाउकाइया बादरवणप्फदिकाइयपत्तेयसरीरा तस्सेव अपजत्ता सुहुमपुढविकाइया सुहुमआउकाइया सुहुमतेउकाइया सुहुमवाउकाइया तस्सेव पज्जत्ता अपजत्ता य केवडिखेत्ते ? सव्वलोगे ॥ २२ ॥
__ कायमार्गणाके अनुवादसे पृथिवीकायिक, अप्कायिक, तेजकायिक व वायुकायिक जीव तथा बादर पृथिवीकायिक, बादर अप्कायिक, बादर तेजकायिक, बादर वायुकायिक और बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर जीव तथा इन्हीं पांच बादरकाय सम्बन्धी अपर्याप्त जीव, सूक्ष्म पृथिवीकायिक, सूक्ष्म अप्कायिक, सूक्ष्म तेजकायिक, सूक्ष्म वायुकायिक और इन्हीं सूक्ष्मोंके पर्याप्त और अपर्याप्त जीव कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? सर्व लोकमें रहते हैं ॥ २२ ॥
बादरपुढविकाइया बादरआउकाइया बादरतेउकाइया बादरवणफदिकाइयपत्तेयसरीरा पज्जत्ता केवडिखेत्ते ? लोगस्स असंखेज्जदिभागे ।। २३ ।।
बादर पृथिवीकायिक पर्याप्त जीव, बादर अप्कायिक पर्याप्त जीव, बादर तेजकायिक पर्याप्त जीव और बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्त जीव कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? लोकके असंख्यातवें भाग प्रमाण क्षेत्रमें रहते हैं ॥ २३ ॥
बादरवाउकाइयपज्जत्ता केवडिखेत्ते ? लोगस्स संखेज्जदिभागे ॥ २४॥ बादर वायुकायिक पर्याप्त जीव कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? लोकके संख्यातवें भागमें रहते हैं।
वणफदिकाइयणिगोदजीवा बादरा सुहुमा पज्जत्तापज्जत्ता केवडिखेत्ते ? सबलोगे ॥ २५ ॥
वनस्पतिकायिक जीव, निगोद जीव, वनस्पतिकायिक बादर जीव, वनस्पतिकायिक सूक्ष्म जीव, वनस्पतिकायिक बादर पर्याप्त जीव, वनस्पतिकायिक बादर अपर्याप्त जीव, वनस्पतिकायिक सूक्ष्म पर्याप्त जीव, वनस्पतिकायिक सूक्ष्म अपर्याप्त जीव, निगोद बादर पर्याप्त जीव, निगोद बादर अपर्याप्त जीव, निगोद सूक्ष्म पर्याप्त जीव और निगोद सूक्ष्म अपर्याप्त जीव कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? सर्व लोकमें रहते हैं ॥ २५ ॥
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