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१, ४, १६३ ]
भाग स्पर्श किया है ॥ १५४ ॥
फोसणाणुगमे लेस्सामग्गणा
दिवड चोदसभागा वा देखणा ।। १५५ ।।
तेजोलेश्यावाले संयतासंयत जीवोंने कुछ कम डेढ़ बटे चौदह भाग स्पर्श किये हैं ॥ १५५ ॥ पमत्त अप्पमत्तसंजदा ओघं ॥ १५६ ॥
तेजोलेश्यावाले प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत जीवोंका स्पर्शनक्षेत्र ओधके समान है ।। १५६
पम्म लेस्सिएसु मिच्छादिट्टि पहुडि जाव असंजद सम्मादिट्ठीहि केवडियं खेत्तं फोसिदं 8 लोगस्स असंखेज्जदिभागो ।। १५७ ॥
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पद्मलेश्यावाले जीवोंमें मिथ्यादृष्टि गुणस्थान से लेकर असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थान तक प्रत्येक गुणस्थानवर्ती जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ अट्ठ चोइस भागा वा देखणा ।। १५८ ॥
उक्त पद्मलेश्यावाले जीवोंने अतीत और अनागत कालकी अपेक्षा कुछ कम आठ बटे चौदह भाग स्पर्श किये हैं ॥ १५८ ॥
संजदासंजदेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेज्जदिभागो ।। १५९ ।। पद्मलेश्यावाले संयतासंयत जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ १५९ ॥
पंच चोहसभागा वा देखणा ॥ पद्मलेश्यावाले संयतासंयत जीवोंने बटे चौदह भाग स्पर्श किये हैं ॥ १६० ॥
१६० ॥ अतीत और अनागत कालकी अपेक्षा कुछ कम पांच
पमत्त अप्पमत्त संजदा ओघं ॥ १६९ ॥
पद्मश्यावाले प्रमत्त और अप्रमत्तसंयत जीवोंका स्पर्शनक्षेत्र ओघके समान है ॥ १६९ ॥ सुकस्सिएसु मिच्छादिठ्ठिष्पहुडि जाव संजदासंजदेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेज्जदिभागो ।। १६२ ।।
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शुक्लेश्यावाले जीवोंमें मिथ्यादृष्टि गुणस्थान से लेकर संयतासंयत गुणस्थान तक प्रत्येक गुणस्थानवर्ती जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ १६२
छ चोदसभागा वा देसूणा ।। १६३ ।।
शुक्लेश्यावाले उक्त जीवोंने अतीत और अनागत कालकी अपेक्षा कुछ कम छह बटे चौदह भाग स्पर्श किये हैं ॥ १६३ ॥
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