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छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[१, ४, ८३
असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ ८२ ॥
सत्त चोद्दसभागा वा देसूणा ॥ ८३ ॥
उक्त जीवोंने अतीत और अनागत कालकी अपेक्षा कुछ कम सात बटे चौदह भाग स्पर्श किये हैं ॥ ८३ ॥
सम्मामिच्छादिट्ठीहि केवडियं खेत्तं फोसिदं? लोगस्स असंखेज्जदिभागो॥८४॥ __ औदारिककाययोगी सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ ८४ ॥
असंजदसम्मादिट्ठीहि संजदासंजदेहि केवाडयं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥ ८५ ।।
औदारिककाययोगी असंयतसम्यग्दृष्टि और संयतासंयत जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ ८५ ॥
छ चोदसभागा वा देसूणा ।। ८६ ॥ __ औदारिककाययोगी उक्त दोनों गुणस्थानवी जीवोंने अतीत और अनागत कालकी अपेक्षा कुछ कम छह बटे चौदह भाग स्पर्श किये हैं ॥ ८६ ॥
पमत्तसंजदप्पहुडि जाव सजोगिकेवलीहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेजदिभागो ।। ८७ ॥
प्रमत्तसंयत गुणस्थानसे लेकर सयोगिकेवली गुणस्थान तक प्रत्येक गुणस्थानवर्ती औदारिककाययोगी जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यांतवां भाग स्पर्श किया है।
ओरालियमिस्सकायजोगीसु मिच्छादिट्ठी ओघं ।। ८८ ॥ औदारिकमिश्रकाययोगियोंमें मिथ्यादृष्टि जीवोंका स्पर्शनक्षेत्र ओघके समान सर्वलोक है ।
सासणसम्माइट्ठि-असंजदसम्माइट्ठि-सजोगिकेवलीहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥ ८९ ॥
औदारिकमिश्रकाययोगी, सासादनसम्यग्दृष्टि, असंयतसम्यग्दृष्टि और सयोगिकेवली जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है । ८९ ॥
बेउब्धियकायजोगीसु मिच्छादिट्ठीहि केवडियं खेत्तं फोमिदं ? लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥ ९० ॥
वैक्रियिककाययोगियोंमें मिथ्यादृष्टि जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ ९० ॥
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