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१, ४, ३८] फोसणाणुगमे गदिमग्गणा
[१०७ पंचेन्द्रिय तिर्यंच, पंचेन्द्रिय तिर्यंच पर्याप्त और पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिमतियोंमें मिथ्यादृष्टि जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ २९ ॥
सव्वलोगो वा ॥३०॥ उक्त तीनों प्रकारके तिर्यंच जीवोंने अतीत और अनागत कालमें सर्व लोक स्पर्श किया
सेसाणं तिरिक्खगदीणं भंगो ॥ ३१ ॥
शेष सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि, असंयतसम्यग्दृष्टि और संयतासंयत गुणस्थानवर्ती तिर्यंच जीवोंका स्पर्शन सामान्य तिर्यंचोंके समान है ॥ ३१ ॥
पंचिंदियतिरिक्खअपजत्तएहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेजदिभागो॥
पंचेन्द्रिय तिर्यंच लब्ध्यपर्याप्त जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ ३२ ॥
सबलोगो वा ॥ ३३ ॥ ___ पंचेन्द्रिय तिर्यंच लब्ध्यपर्याप्त जीवोंने अतीत और अनागत कालकी अपेक्षा सर्व लोक स्पर्श किया है ॥ ३३ ॥
.मणुसगदीए मणुस-मणुसपज्जत्त-मणुसिणीसु मिच्छादिट्ठीहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेज्जदिभागो ।। ३४ ॥
___ मनुष्यगतिमें मनुष्य, मनुष्य पर्याप्त और मनुष्यनियोंमें मिथ्यादृष्टि जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ ३४ ॥
सव्वलोगो वा ॥ ३५ ॥
मिथ्यादृष्टि मनुष्य, मनुष्य पर्याप्त और मनुष्यनियोंने अतीत और अनागत कालकी अपेक्षा सर्व लोक स्पर्श किया है ॥ ३५ ॥
सासणसम्मादिट्ठीहि केवडियं खत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेजदिभागो॥३६॥
मनुष्य, मनुष्य पर्याप्त और मनुष्यनी सासदनसम्यग्दृष्टि जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ ३६ ॥
सत्त चोदसमागा वा देसूणा ॥ ३७॥
मारणान्तिकसमुद्घातगत मनुष्य, मनुष्य पर्याप्त और मनुष्यनी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवोंने अतीत और अनागत कालकी अपेक्षा कुछ कम सात बटे चौदह भाग स्पर्श किये हैं ? ॥ ३७॥
सम्मामिच्छाइटिप्पहुडि जाव अजोगिकेवलीहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स
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