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१, ४, ६६] फोसणाणुगमे इंदियमग्गणा
[ १११ एकेन्द्रिय अपर्याप्त जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? सर्व लोक स्पर्श किया है ॥ ५७ ॥
बीइंदिय-तीइंदिय-चउरिदिय तस्सेव पञ्जत्त-अपजत्तएहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥ ५८ ॥
द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय तथा उन्हींके पर्याप्त और अपर्याप्त जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ ५८ ॥
सव्वलोगो वा ।। ५९ ॥
द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीव तथा उन्हींके पर्याप्त और अपर्याप्त जीवोंने अतीत और अनागत कालकी अपेक्षा सर्व लोक स्पर्श किया है ॥ ५९ ॥
पंचिंदिय-पंचिंदियपज्जत्तएसु मिच्छादिट्ठीहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥ ६० ॥
पंचेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय पर्याप्तोंमें मिथ्यादृष्टि जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ ६०॥
अट्ट चोदस भागा देसूणा सव्वलोगो वा ।। ६१ ॥
पंचेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय पर्याप्त मिथ्यादृष्टि जीवोंने अतीत और अनागत कालकी अपेक्षा कुछ कम आठ बटे चौदह भाग और सर्व लोक स्पर्श किया है ॥ ६१ ॥
सासणसम्मादिट्टिप्पहुडि जाव अजोगिकेवलि त्ति ओघ ।। ६२ ॥
सासादनसम्यग्दृष्टि गुणस्थानसे लेकर अयोगिकेवली गुणस्थान तक प्रत्येक गुणस्थानवर्ती पंचेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय पर्याप्त जीवोंका स्पर्शनक्षेत्र ओघके समान है ॥ ६२ ॥
सजोगिकेवली ओघं ॥ ६३॥
पंचेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय पर्याप्त जीवोंमें सजोगिकेवलीके स्पर्शनकी प्ररूपणा ओघप्ररूपणाके समान है ॥ ६३ ॥
पंचिदियअपज्जत्तएहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥६४ .
लब्ध्यपर्याप्त पंचेन्द्रिय जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ ६४ ॥
सबलोगो वा ।। ६५॥
लब्ध्यपर्याप्त पंचेन्द्रिय जीवोंने अतीत और अनागत कालकी अपेक्षा सर्व लोक स्पर्श किया है ॥ ६५ ॥
कायाणुवादेण पुढविकाइय-आउकाइय-तेउकाइय-वाउकाइय-बादरपुढविकाइयबादरआउकाइय-बादरतेउकाइय-बादरवाउकाइय-बादरवणप्फदिकाइय-पत्तेयसरीर तस्सेव
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