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१, ४, ८]
फोसणाणुगमे ओघणिद्देसो
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तक छह राजु इस प्रकार लोकनालीके चौदह भागोंमेंसे ग्यारह भाग प्रमाण उनका उपपादक्षेत्र हो जाता है।
सम्मामिच्छाइटि-असंजदसम्माइट्ठीहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥५॥
सम्यग्मिय्यादृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ ५ ॥
स्वस्थानस्वस्थान, विहारवत्स्वस्थान, वेदनासमुद्घात, कषायसमुद्घात और वैक्रियिक समुद्घातगत सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवोंने वर्तमान कालमें सामान्य लोक आदि चार लोकोंका असंख्यातवां भाग और मनुष्यक्षेत्रसे असंख्यातगुणा क्षेत्र स्पर्श किया है। स्वस्थानखस्थान, विहारवत्खस्थान, वेदनासमुद्घात, कषायसमुद्घात, वैक्रियिकसमुद्घात, मारणान्तिकसमुद्धात और उपपादको प्राप्त असंयतसम्यग्दृष्टि जीवोंका स्पर्शन क्षेत्रप्ररूपणाके समान जानना चाहिये ।।
अट्ठ चोदसभागा वा देसूणा ॥ ६॥
सम्यग्मिथ्यादृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि जीवोंने अतीत कालकी अपेक्षा कुछ कम आठ बटे चौदह भाग स्पर्श किये हैं ॥६॥
___ स्वस्थानगत सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवोंने सामान्य लोक आदि तीन लोकोंका असंख्यातवां भाग, तिर्यग्लोकका संख्यतवां भाग और मनुष्यलोकसे असंख्यातगुणा क्षेत्र स्पर्श किया है। विहारवत्खस्थान, वेदना, कषाय और वैक्रियिक समुद्घातगत सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंने कुछ कम आठ बटे चौदह भाग (2) स्पर्श किये हैं। स्वस्थानगत असंयतसम्यग्दृष्टियोंने सामान्य लोक आदि तीन लोकोंका असंख्यातवां भाग, तिर्यग्लोकका संख्यातवां भाग और मनुष्यलोकसे असंख्यातगुणा क्षेत्र स्पर्श किया है। विहारवत्स्वस्थान, वेदना, कषाय, वैक्रियिक और मारणान्तिक समुद्घातगत उन्हीं असंयतसम्यग्दृष्टियोंने कुछ कम आठ बटे चौदह भाग (1) भाग (मेरुके ऊपर छह राजु और नीचे दो राजु) स्पर्श किये हैं। उपपादगत उक्त जीवोंने कुछ कम छह बटे चौदह भाग स्पर्श किये हैं। इसका कारण यह है कि असंयतसम्यग्दृष्टि जीवोंका उपपाद क्षेत्र उसके नीचे नहीं पाया जाता है ।
संजदासंजदेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥ ७ ॥
संयतासंयत जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥७॥
छ चोदसभागा या देसूणा ॥ ८ ॥ संयतासंयत जीवोंने अतीत कालकी अपेक्षा कुछ कम छह बटे चौदह भाग स्पर्श किये हैं ।
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