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१, २, १२४ ] दव्वपमाणाणुगमे वेदमग्गणा
[७५ सासणसम्माइट्ठी सम्मामिच्छाइट्ठी असंजदसम्माइट्ठी दव्वपमाणेण केवडिया ? ओघं ॥ ११६ ॥
सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि वैक्रियककाययोगी जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? ओघप्ररूपणाके समान हैं ॥ ११६ ॥
वेउव्वियमिस्सकायजोगीसु मिच्छाइट्ठी दव्यपमाणेण केवडिया ? देवाणं संखेज्जदिभागो ॥ ११७ ॥
वैक्रियिकमिश्रकाययोगियोंमें मिथ्यादृष्टि जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? देवोंके संख्यातवें भाग हैं ॥ ११७ ॥
सासणसम्माइट्ठी असंजदसम्माइट्ठी दव्धपमाणेण केवडिया ? ओघं ॥ ११८ ॥
सासादनसम्यग्दृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि वैक्रियिकमिश्रकाययोगी जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? ओघ प्ररूपणाके समान हैं ॥ ११८ ॥
आहारकायजोगीसु पमत्तसंजदा दव्वपमाणेण केवडिया ? चदुवण्णं ॥११९ ॥ आहारकाययोगियोंमें प्रमत्तसंयत जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? चौवन हैं।
प्रमत्तसंयत गुणस्थानको छोड़कर दूसरे गुणस्थानोंमें आहारशरीर नहीं पाया जाता है, इसका ज्ञान करानेके लिये सूत्रमें प्रमत्तसंयत पदका ग्रहण किया गया है।
आहारमिस्सकायजोगीसु पमत्तसंजदा दव्वपमाणेण केवडिया ? संखेज्जा ॥
आहारमिश्रकाययोगियोंमें प्रमत्तसंयत जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? संख्यात हैं ॥ १२० ॥
कम्मइयकायजोगीसु मिच्छाइट्ठी दव्वपमाणेण केवडिया ? मूलोघं ॥ १२१ ॥
कार्मणकाययोगियोंमें मिथ्यादृष्टि जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? ओघ प्ररूपणाके समान हैं ॥ १२१ ॥
सासणसम्माइट्ठी असंजदसम्माइट्ठी दव्यपमाणेण केवडिया ? ओघं ॥ १२२ ।।
सासादनसम्यग्दृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि कार्मणकाययोगी जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? सामान्य प्ररूपणाके समान पल्योपमके असंख्यातवें भाग हैं ॥ १२२ ॥
सजोगिकेवली दव्वपमाणेण केवडिया ? संखेज्जा ।। १२३॥ कार्मणकाययोगी सजोगिकेवली जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? संख्यात हैं । अब वेदमार्गणाकी अपेक्षा जीवोंकी संख्याका निरूपण करते हैं..वेदाणुवादेण इत्थिवेदएसु मिच्छाइट्ठी दव्यपमाणेण केवडिया? देवीहि सादिरेयं ॥ वेदमार्गणाके अनुवादसे स्त्रीवेदियोंमें मिथ्यादृष्टि जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ?
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