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३. खेत्ताणुगमो
खेत्ताणुगमेण दुविहो णिद्देसो ओघेण आदेसेण य ॥ १ ॥ क्षेत्रानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है- ओघनिर्देश और आदेशनिर्देश ॥ १ ॥
जिन चौदह जीवसमासोंका सत्प्ररूपणा नामक अनुयोगद्वारसे अस्तित्व जान लिया गया है तथा द्रव्यप्रमाणानुगमसे जिनकी संख्याका प्रमाण ज्ञात हो चुका है उन चौदह जीवसमासोंके क्षेत्रसम्बन्धी प्रमाणका परिज्ञान करानेके लिये प्रकृत क्षेत्रानुगम अनुयोगद्वार प्राप्त हुआ है । अथवा जीव अनन्तानन्त हैं और लोकाकाश असंख्यात प्रदेशरूप है, ऐसी अवस्थामें उस लोकाकाशमें समस्त जीवराशि कैसे अवस्थित है, इस शंकाके निवारणार्थ यह क्षेत्रानुगम अनुयोगद्वार प्राप्त हुआ है। यहां प्रारम्भमें क्षेत्रका निक्षेप किया जाता है- वह निक्षेप नाम, स्थापना, द्रव्य और भावके भेदसे चार प्रकारका है । अन्य कारणोंकी अपेक्षा न करके केवल अपने आपमें प्रवृत्त हुए 'क्षेत्र' इस शब्दका नाम नामक्षेत्र है । तदाकार या अतदाकार द्रव्यमें 'यह क्षेत्र है' ऐसी जो कल्पना की जाती है उसे स्थापनाक्षेत्र कहते हैं।
द्रव्यक्षेत्र दो प्रकारका है- आगमद्रव्यक्षेत्र और नोआगमद्रव्यक्षेत्र । उनमें जो क्षेत्रप्राभृतका जानकार है, परन्तु वर्तमानमें तद्विषयक उपयोगसे रहित है उसे आगमद्रव्यक्षेत्र कहा जाता है। नोआगमद्रव्यक्षेत्र तीन प्रकारका है- ज्ञायकशरीर, भावी और तद्व्यतिरिक्त । इनमेंसे ज्ञायकशरीर तीन प्रकारका है- भावी ज्ञायकशरीर, वर्तमान ज्ञायकशरीर और अतीत ज्ञायकशरीर । इनमेंसे अतीत ज्ञायकशरीर भी च्युत, च्यावित और त्यक्तके भेदसे तीन प्रकारका है। जो आगामी कालमें क्षेत्रविषयक शास्त्रको जानेगा उसे भावी नोआगमद्रव्यक्षेत्र कहते हैं । ज्ञायकशरीर और भावीसे भिन्न जो तद्व्यतिरिक्त नोआगमद्रव्यक्षेत्र है वह कर्मद्रव्यक्षेत्र और नोकर्मद्रव्यक्षेत्रके भेदसे दो प्रकारका है । उनमेंसे ज्ञानावरणादि आठ प्रकारके कर्मद्रव्यको तद्व्यतिरिक्त नोआगमकर्मद्रव्यक्षेत्र कहते हैं। नोकर्मद्रव्यक्षेत्र औपचारिक और पारमार्थिकके भेदसे दो प्रकारका है। उनमेंसे लोकमें प्रसिद्ध शक्तिक्षेत्र एवं गोधूम (गेहूं) आदि औपचारिक तद्व्यतिरिक्त नोआगम-नोकर्मद्रव्यक्षेत्र कहलाता है। आकाशद्रव्य परमार्थ तद्व्यतिरिक्त नोआगम-नोकर्मद्रव्यक्षेत्र है।
___ भावक्षेत्र आगमभावक्षेत्र और नोआगमभावक्षेत्रके भेदसे दो प्रकारका है। जो जीव क्षेत्रविषयक ग्राभृतको जानता है और वर्तमान कालमें तद्विषयक उपयोगसे भी सहित है वह आगमभावक्षेत्र कहा जाता है। जो क्षेत्रविषयक शास्त्रके उपयोगके विना अन्य पदार्थमें उपयुक्त हो उस जीवको नोआगमभावक्षेत्र कहते हैं।
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