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... छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[ १, २, १२५ देवियोंसे कुछ अधिक हैं ॥ १२४ ॥
सासणसम्माइटिप्पहुडि जाव संजदासजदा त्ति ओघं ॥ १२५ ॥
सासादनसम्यग्दृष्टि गुणस्थानसे लेकर संयतासंयत गुणस्थान तक प्रत्येक गुणस्थानमें स्त्रीवेदी जीव ओघप्ररूपणाके समान पल्योपमके असंख्यातवें भाग हैं ॥ १२५ ॥
पमत्तसंजदप्पहुडि जाव अणियट्टि-बादरसांपराइय-पविट्ठ-उवसमा खवा दव्वपमाणेण केवडिया ? संखेज्जा ।। १२६ ॥
प्रमत्तसंयत गुणस्थानसे लेकर अनिवृत्ति-बादर-सांपराय-प्रविष्ट उपशमक और क्षपक गुणस्थान तक स्त्रीवेदी जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? संख्यात हैं ॥ १२६ ॥
पुरिसवेदएसु मिच्छाइट्ठी दव्यपमाणेण केवडिया ? देवेहि सादिरेयं ।। १२७ ॥ पुरुषवेदियोंमें मिथ्यादृष्टि जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? देवोंसे कुछ अधिक हैं ॥
सासणसम्माइटिप्पहुडि जाव अणियट्टि-बादरसांपराइय-पविट्ठ-उवसमा खवा दव्वपमाणेण केवडिया ? ओघं ।। १२८॥
सासादनसम्यग्दृष्टि गुणस्थानसे लेकर अनिवृत्ति-बादर-सांपराय-प्रविष्ट उपशमक और क्षपक जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? ओघ प्ररूपणाके समान हैं ॥ १२८ ॥
णqसयवेदेसु मिच्छाइटिप्पहुडि जाव संजदासंजदा त्ति ओधं ।। १२९ ।।
नपुंसकवेदी जीवोंमें मिथ्यादृष्टिसे लेकर संयतासंयत गुणस्थान तक प्रत्येक गुणस्थानवर्ती जीव ओघ प्ररूपणाके समान हैं ॥ १२९ ॥
पमत्तसंजदप्पहुडि जाव अणियट्टि बादरसांपराइय-पविठ्ठ-उवसमा खवा दव्वपमाणेण केवडिया ? संखेज्जा ॥ १३० ॥
प्रमत्तसंयत गुणस्थानसे लेकर अनिवृत्ति-बादरसांपरायिक प्रविष्ट उपशमक और क्षपक गुणस्थान तकके जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? संख्यात हैं ॥ १३० ॥
अपगदवेदएसु तिण्हं उवसामगा दव्यपमाणेण केवडिया ? पवेसेण एको वा दो वा तिणि वा उक्कस्सेण चउवणं ॥ १३१ ॥
___ अपगतवेदी जीवोंमें तीन गुणस्थानके उपशामक जीव द्रव्यप्रमाणकी अपक्षा कितने हैं ? प्रवेशकी अपेक्षा एक, अथवा दो, अथवा तीन, अथवा उत्कृष्टरूपसे चौवन हैं ॥ १३१ ॥
अद्धं पडुच्च संज्जा ॥ १३२ ॥ कालकी अपेक्षा उपर्युक्त तीन गुणस्थानवर्ती अपगतवेदी उपशामक जीव संख्यात हैं । तिण्णि खवा अजोगिकेवली ओघं ।। १३३ ॥ अपगतवेदियोंमें तीन गुणस्थानवर्ती क्षपक और अयोगिकेवली जीव ओघप्ररूपणाके
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