________________
७२]
छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[ १, २, ९१
होता है ॥ ९० ॥
बादरतेउपज्जत्ता दव्वपमाणेण केवडिया ? असंखेज्जा। असंखेज्जावलियवग्गो आवलियघणस्स अंतो ॥ ९१ ॥
___ बादर तेजकायिक पर्याप्त जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? असंख्यात हैं। यह असंख्यातरूप प्रमाण असंख्यात आवलियोंके वर्गरूप है जो आवलीके घनके भीतर आता है ॥९१॥
बादरवाउकाइयपज्जत्ता दव्वपमाणेण केवडिया ? असंखेज्जा ॥ ९२ ॥ बादर वायुकायिक पर्याप्त जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? असंख्यात हैं ॥९२॥ असंखेज्जासंखेज्जाहि ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीहि अवहिरंति कालेण ॥ ९३ ।।
कालकी अपेक्षा बादर वायुकायिक पर्याप्त जीव असंख्यातासंख्यात अवसर्पिणियों और उत्सर्पिणियोंके द्वारा अपहृत होते हैं ॥ ९३ ॥
खेत्तेण असंखेज्जाणि जगपदराणि लोगस्स संखेज्जदिभागो ॥ ९४ ॥
क्षेत्रकी अपेक्षा बादर वायुकायिक पर्याप्त जीव असंख्यात जगप्रतर प्रमाण हैं। वह असंख्यात जगप्रतर प्रमाण लोकके संख्यातवें भाग हैं ॥ ९४ ॥
अभिप्राय यह है कि संख्यातसे घनलोकके भाजित करनेपर बादर वायुकायिक पर्याप्त जीवोंका द्रव्य आता है।
वणप्फइकाइया णिगोदजीवा बादरा सुहमा पज्जत्तापज्जत्ता दव्बपमाणेण केवडिया ? अणंता ॥ ९५ ॥
वनस्पतिकायिक जीव, निगोद जीव, वनस्पतिकायिक बादर जीव, वनस्पतिकायिक सूक्ष्म जीव, वनस्पतिकायिक बादर पर्याप्त जीव, वनस्पतिकायिक बादर अपर्याप्त जीव, वनस्पतिकायिक सूक्ष्म पर्याप्त जीव, वनस्पतिकायिक सूक्ष्म अपर्याप्त जीव, निगोद बादर जीव, निगोद सूक्ष्म जीव, निगोद बादर पर्याप्त जीव, निगोद बादर अपर्याप्त जीव, निगोद सूक्ष्म पर्याप्त जीव और निगोद सूक्ष्म अपर्याप्त जीव; ये प्रत्येक द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? अनन्त हैं ॥ ९५ ॥
अणंताणंताहि ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीहि ण अवहिरंति कालेण ॥ ९६ ॥
कालकी अपेक्षा पूर्वोक्त चौदह जीवराशियां अनन्तानन्त अवसर्पिणियों और उत्सर्पिणियोंके द्वारा अपहृत नहीं होती हैं ॥ ९६ ॥
खेत्तेण अणंताणंता लोगा ॥ ९७ ॥ वे चौदह जीवराशियां क्षेत्रकी अपेक्षा अनन्तानन्त लोक प्रमाण हैं ॥ ९७ ॥ तसकाइय-तसकाइयपज्जत्तएसु मिच्छाइट्टी दव्वपमाणेण केवडिया? असंखेज्जा। त्रसकायिक और त्रसकायिक पर्याप्तोंमें मिथ्यादृष्टि जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org