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१२] छक्खंडागमे जीवाणं
[१, १, २४. . आदेसेण गदियाणुवादेण अस्थि णिरयगदी तिरिक्खगदी मणुस्सगदी देवगदी सिद्धगदी चेदि ॥ २४ ॥
आदेश (विशेष) की अपेक्षा गतिमार्गणाके अनुवादसे नरकगति, तिर्यंचगति, मनुष्यगति, देवगति और सिद्धगति हैं ॥ २४ ॥
प्रसिद्ध आचार्यपरंपरासे आये हुए अर्थका तदनुसार कथन करना, इसका नाम अनुवाद है। इस प्रकार आचार्यपरंपराके अनुसार गतिका कथन करना गत्यनुवाद है। गत्यनुवादसे नरकगति आदि गतियां होती हैं। जो हिंसादिक निकृष्ट कार्योंमें रत हैं उन्हें निरत और उनकी गतिको निरतगति कहते हैं। अथवा, जो नर अर्थात् प्राणियोंको गिराता है या दुःख देता है उसे नरक कहते हैं । नरक यह एक कर्म है। इसके उदयसे जिनकी उत्पत्ति होती है उन जीवोंको नारक
और उनकी गतिको नारकगति कहते हैं । अथवा, जिस गतिका उदय संपूर्ण अशुभ कर्मोके उदयका सहकारी कारण है उसे नरकगति कहते हैं।
जो समस्त जातिके तिर्यंचोंमें उत्पत्तिका कारण है उसे तिर्यंचगति कहते हैं। अथवा, जो तिरस्, अर्थात् ( वक्र ) या कुटिल भावको प्राप्त होते हैं उन्हें तिर्यंच और उनकी गतिको तिर्यंचगति कहते हैं। तात्पर्य यह है कि जो मन, वचन और कायकी कुटिलताको प्राप्त हैं; जिनकी आहारादि संज्ञाएं सुव्यक्त हैं, जो निकृष्ट अज्ञानी हैं, और जिनके पापकी अत्यधिक बहुलता पाई जाती है, उनको तिर्यंच कहते हैं।
जो मनुष्यकी समस्त पर्यायोंमें उत्पन्न कराती है उसे मनुष्यगति कहते हैं। अथवा, जो मनसे निपुण अर्थात् गुण-दोषादिका विचार कर सकते हैं उन्हें मनुष्य और उनकी गतिको मनुष्यगति कहते हैं । अथवा, जो मनुकी सन्तान हैं उन्हें मनुष्य और उनकी गतिको मनुष्यगति कहते हैं ।
जो अणिमा, महिमा आदि आठ ऋद्धियोंकी प्राप्तिके बलसे क्रीडा करते हैं उन्हें देव और उनकी गतिको देवगति कहते हैं।
जो जन्म, जरा, मरण, भय, संयोग, वियोग, दुःख, आहारादि संज्ञाएं और रोगादिसे रहित हो चुके हैं उन्हें सिद्ध और उनकी गतिको सिद्धगति कहते हैं।
अब इस गतिमें जीवसमासोंके अन्वेषणके लिये उत्तर सूत्र कहते हैं
णेरइया चउट्ठाणेसु अत्थि मिच्छाइट्ठी सासणसम्माइट्ठी सम्मामिच्छाइट्ठी असंजदसम्माइट्टि त्ति ॥ २५ ॥
नारकी जीव मिथ्यादृष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि इन चार गुणस्थानोंमें होते हैं ॥ २५ ॥
नरकगतिमें अपर्याप्त अवस्थाके साथ सासादन गुणस्थानका विरोध है। सम्यग्मिथ्यात्व गुणस्थानका सर्वत्र ही अपर्याप्त अवस्थाके साथ विरोध है। परन्तु पर्याप्त अवस्थाके साथ इनका विरोध
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