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१, २,५१] दव्वपमाणाणुगमे गदिमग्गणा
[ ६५ अब आगे मनुष्यविशेषोंमें गुणस्थानोंके आश्रयसे द्रव्यप्रमाणकी प्ररूपणा की जाती है
मणुसपज्जत्तेसु मिच्छाइट्ठी दव्वपमाणेण केवडिया ? कोडाकोडाकोडीए उवरि कोडाकोडाकोडाकोडीए हेढदो छण्हं वग्गाणमुवरि सत्तण्हं वग्गाणं हेह्रदो ॥ ४५॥
मनुष्य पर्याप्तोंमें मिथ्यादृष्टि मनुष्य द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? वे कोडाकोडाकोडिके ऊपर और कोडाकोडाकोड़ाकोड़िके नीचे छह वर्गोके ऊपर और सात वर्गोंके नीचे अर्थात् छठे और सातवें वर्गके बीचकी संख्या प्रमाण हैं ॥ ४५ ॥
सासणसम्माइट्टिप्पहुडि जाव संजदासजदा त्ति दव्वपमाणेण केवडिया ? संखेज्जा ।। ४६ ॥
सासादनसम्यग्दृष्टि गुणस्थानसे लेकर संयतासंयत गुणस्थान तक प्रत्येक गुणस्थानवर्ती पर्याप्त मनुष्य द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? संख्यात हैं ॥ ४६॥
पमत्तसंजदप्पहुडि जाव अजोगिकेवलि त्ति ओघं ॥ ४७ ॥
प्रमत्तसंयत गुणस्थानसे लेकर अयोगिकेवली गुणस्थान तक प्रत्येक गुणस्थानवर्ती पर्याप्त मनुष्य सामान्यप्ररूपणाके समान संख्यात हैं ॥ ४७ ॥
अब मनुष्यनियोंमें द्रव्यप्रमाणका निरूपण करते हैं
मणुसिणीसु मिच्छाइट्ठी दव्वपमाणेण केवडिया ? कोडाकोडाकोडीए उवरि कोडाकोडाकोडाकोडीए हेढदो छण्हं वग्गाणमुवरि सत्तण्हं वग्गाणं हेढदो ॥४८॥
मनुष्यनियोंमें मिथ्यादृष्टि जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? कोडाकोडाकोडिके ऊपर और कोडाकोडाकोडाकोडिके नीचे छठे वर्गके ऊपर और सातवें वर्गके नीचे मध्यकी संख्या प्रमाण हैं ॥ ४८॥
मणुसिणीसु सासणसम्माइटिप्पहुडि जाव अजोगिकेवलि त्ति दव्वपमाणेण केवडिया ? संखेज्जा ॥ ४९ ॥
मनुष्यनियोंमें सासादनसम्यग्दृष्टि गुणस्थानसे लेकर अयोगिकेवली गुणस्थान तक प्रत्येक गुणस्थानवी जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? संख्यात हैं ॥ ४९ ॥
अब लब्ध्यपर्याप्त मनुष्योंके प्रमाणका निरूपण करनेके लिये उत्तरसूत्र कहते हैंमणुसअपज्जत्ता दव्वपमाणेण केवडिया ? असंखेज्जा ।। ५० ॥ लब्ध्यपर्याप्त मनुष्य द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? असंख्यात हैं ॥ ५० ॥
अपर्याप्त मनुष्यराशि असंख्यातरूप है, यह यहां सामान्यरूपसे निर्देश किया गया है। विशेषरूपसे उस असंख्यातका प्ररूपण करनेके लिये उत्तरसूत्र कहते हैं
असंखेज्जासंखेज्जाहि ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीहि अवहिरंति कालेण ॥ ५१ ॥
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