Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ प्रथम प्रज्ञापनापद ] टूटे हुए जिस प्रवाल (कोंपल) का भंग समान दोखे, वह प्रवाल भी अनन्तजीव वाला है। इसी प्रकार के जितने भी अन्य (प्रवाल) हों, (उन्हें अनन्तजीव वाले समझो) / / 61 / / टूटे हुए जिस पत्ते का भंग समान दिखाई दे, वह पत्ता (पत्र) भी अनन्तजीव वाला है। इसी प्रकार जितने भी अन्य पत्र हों, उन्हें अनन्तजीव वाले समझने चाहिए / / 62 / / टूटे हुए जिस फूल (पुष्प) का भंग समान दिखाई दे, वह भी अनन्तजीव वाला है। इसी प्रकार के अन्य जितने भी पुष्प हों, उन्हें अनन्तजीव वाले समझने चाहिए / / 63 / / जिस टूटे हुए फल का भंग सम दिखाई दे, वह फल भी अनन्त जीव वाला है। इसी प्रकार के अन्य जितने भी फल हों, उन्हें अनन्तजीव वाले समझने चाहिए // 64|| जिस टटे हए बीज का भंग समान दिखाई दे, वह बीज भी अनन्तजीव वाला है। इसी प्रकार के अन्य जितने भी बीज हों, उन्हें अनन्तजीव वाले समझने चाहिए // 65 // [4] जस्स मूलस्स भग्गस होरो भंगे पदोसई / परित्तजीवे उ से मूले, जे यावऽण्णे तहाविहा // 66 // जस्स कंदस्स भग्गस्स होरो भंगे पदीसई / परितजीवे उ से कंदे, जे यावऽण्णे तहाविहा // 67 // जस्स खंधस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसई / परित्तजीवे उ से खंधे, जे यावऽण्णे तहाविहा // 6 // जीसे तयाए भग्गाए होरो भंगे पदीसई। परित्तजीवा तया सा उ, जा यावऽण्णा तहाविहा // 66 // जस्स सालस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदोसती। परित्तजीवे उ से साले, जे यावऽषणे तहाविहा // 7 // जस्स पवालस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसति / परित्तजीवे पवाले उ, जे यावण्णे तहाविहा // 71 // जस्स पत्तस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसति / परित्तजीवे उ से पत्ते, जे यावऽणे तहाविहा // 72 / / जस्स पुप्फस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसति / परित्तजीवे उ से पुष्फे, जे यावऽण्णे तहाविहा // 73 // जस्स फलस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसति / परित्तजीवे फले से उ, जे यावऽण्णे तहाविहा // 74 / जस्स बीयस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसति / परित्तजीवे उ से बीए, जे यावऽण्णे तहाविहा // 7 // [54-4] टूटे हुए जिस मूल का भंग(-प्रदेश) हीर (विषमछेद) दिखाई दे, वह मूल प्रत्येक (परित्त) जीव वाला है / , इसी प्रकार के अन्य जितने भी मूल हों, (उन्हें भी प्रत्येकजीव वाले समझने चाहिए) // 66 / / टूटे हुए जिस कन्द के भंग-प्रदेश में हीर (विषमछेद) दिखाई दे, वह कन्द Jain Education International ; For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org