Book Title: Suttagame 01
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Sra - bin a maARORG o odmaewapwwamimdandramasomaamromeomamrowolanational ~ML hi मोऽत्थु णं समणस्स भगवओ णायपुत्त-महावीरस्स चरिमतित्थग्रर-पंचमगणहर-नुहम्मायरियविरइए सुत्तागमे तत्थ णं : " एक्कारसंगसंजुओ पढमो अंसो । Gk पुष्फभिक्खुणा संपादियो अदणाणगरेल्वेगे'गुरुगामलावणीपुच्छनाल समिनिमगाम : गाम मंतिणा 'बाव रामलाल जैनो गामा नौरमंद-रं २०७० म .... परमा आगली } Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशक-बाबू रामलाल जैन नायब तहसीलदार मंत्री-श्रीसूत्रागमप्रकाशकसमिति जैनस्थानक, रेल्वे रोड, गुडगाँव-छावनी (पूर्वपंजाब) सर्वाधिकार समिति द्वारा सुरक्षित - लक्ष्मीबाई नारायण चौधरी, निर्णयसागर प्रेस, २६।२८ कोलभाट स्ट्रीट, मुंबई नं. २ Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समप्पणं जाण किंवाए मम मणस्ल चवलया नट्ठा, जेसिसुबएसेण मज्अंतकरणे संतिसंचारो हओ, जाणमन्सुअचरित्तजोगेण संपदाइगयाबंधणुम्मूलणनिच्छयं पत्तो, जेसिं बोहवयणेहिं अखंडमत्तसुहमग्गो लाहो, जेसिमपारमणुग्गहवच्छल्लुच्छाहदाणेण मह लेहणकलाए पडत्ती जाया, जेसिणं धारणाववहाराणुसार पयामणमिणं वट्टए, तेसिसअप्पसत्थाणुराइअप्पडिबद्धविहारिक वइनिझामपरोवयारिसंतमुद्दभम्बुद्वारगमहारिसिपवरथविरपयविभूसियणायपुत्तमहावीरजइणसंघाणुयाइगयसग्गपरम पुज १०८ सिरिजहणमुणिफकीरचंदमहारायाणं पुणीयसमरणे हिययविसुद्धभत्तिपुब्वगं एक्का, .रसंगसंजुयमेयं सुत्तागमपढम अंसं समप्पिणोमि । पुष्फभिक्खू Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोऽत्थु णं समणस्स भूगरओ णाययुत्त-महावीरस्स ८. कृतज्ञताप्रकाश जताप्रकाशा जिसप्रकार स्थापत्यकलाकोविद अपनी मस्तिष्क शक्तिका उपयोग करके मालिकके आदेश-निर्देशमें तत्पर होकर एक सुंदर प्रासादका निर्माण करता है उसी भाँति मेरे अन्तेवासी प्रशिष्य आयुष्मान 'जिणचंदभिक्खू ने अपनी विनयता, मृदुता, भक्ति-वैयावृत्यसेवातत्परता, दक्षता और प्राकृतविज्ञानकलामर्मजता आदि सद्भावनाओंमें तन्मय होकर 'सुत्तागमे के प्रकाशन संबंधी कार्य तथा प्रूफसंशोधनादिकी सेवाका सहयोग देकर ज्ञातपुत्र महावीर भगवान्की शासनसेवा, और जिनवाणीकी भक्तितत्परता द्वारा खूब ही साथ दिया है। भला इस कीमती सेवा के मृदु संस्मरणोंको कैसे भुलाया जासकता है। मै इस मूल्यवान् सेवाकी बड़ी कदर करता हूं। आखिर मनुष्य दो प्रकारके ही तो होते हैं एक उपकार करनेवाला और दूसरा उपकारज। पुप्फभिक्खू Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशकीय १ आजके इस वैज्ञानिक युगमें जहां मनुष्यने विज्ञानके द्वारा नई २ व्यवहारोपयोगी वस्तुओं का आविष्कार किया है वहां महान् से महान् संहारक अणुवम जैसे शस्त्रोंका भी। यह सब किसलिए? मेरी सत्ता समस्त संसार पर छा जाए, मैं ही सवका प्रभु हो जाऊं, एक ओर तो शस्त्रोंकी होड़में एक देश दूसरे देशसे आगे निकल जाना चाहता है तव दूसरी ओर आधुनिक जनता का अधिक भाग युद्धको न चाहकर शांतिकी झंखना करता है परन्तु शांति शस्त्रोंके वलबूते पर किए गए युद्धोंसे नहीं मिल सकती शांतिका वास तो आध्यात्मिकतामें है भौतिकतामें नहीं और शातपुत्र महावीर भगवान्के द्वारा प्रतिपादित आगम आध्यात्मिकतासे भरपूर है, उस आध्यात्मिकताके प्रसारके लिए ज्ञातपुत्र महावीर जैनसंघानुयायी उग्रविहारी जैन मुनि १०८ श्रीफूलचंद्रजी महाराज की विशुद्ध प्रेरणासे समितिने आगमोंके प्रकाशनका कार्य अपने हाथमें लिया है जिसका प्रथम फल आपके सन्मुख है। ३२ सूत्रोको 'लुत्तागम' के रूपमें एक ही जिल्दमें देनेकी उत्कट इच्छा होते हुए भी ग्रंथराजका देह-सूत्र वढ़ जानेसे ११ अंगोका प्रथम अंश अलग वनाना पड़ा। इसके प्रकाशनमें जिन २ महानुभावोंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूपमें किसी भी प्रकारकी जिनवाणीकी सेवा की है उनका हम हार्दिक आभार मानते हैं, साथ ही सूत्रोंके निकले हुए अलग २ प्रकाशनों पर जिन २ मुनिवरोंने अपनी २ शुभ सम्मतिऍ भिजवाई हैं हम उनके अनुगृहीत हैं और सहधी महानुभावोसे निवेदन है कि वे इस पवित्र कार्यमें सहयोग देकर हमारे उत्साह को बढ़ाएँ। हम हैं जिनवाणीके सेवाकांक्षी, प्रधान-मास्टर दुर्गाप्रसाद जैन B. A. B. T. मंत्री-वाबू रामलाल जैन नायव तहसीलदार Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे पर लोकमत (नं. १) "श्रीपुप्फभिक्खु द्वारा सम्पादित 'आचारांग' का मैने भली भांति अवलोकन किया है, धर्मोपदेष्टाजीका यह प्रयास प्रशंसनीय है, संपादन बहुत ही सुंदर बना है, विशेषतः स्वाध्यायप्रेमियों के लिए इस शैलीसे अन्य सूत्रोका भी संपादन हो । मुद्रणकलाकी दृष्टिसे भी रमणीय रहा है, आगमप्रेमी सज्जनगण इस प्रयासमें अधिकसे अधिक सहयोग देकर जिनवाणीका प्रचार करेंगे।" पूज्य श्रीपृथिवीचंद्रजी महाराज, आगरा (लोहामंडी) (नं. २) "श्रीधर्मोपदेष्टाजी द्वारा संपादित 'आचारांगसूत्र' मैंने ध्यानपूर्वक देखा है, संपादनकी शैली सुंदर और युगानुकूल है, स्वाध्यायप्रेमियोके लिए और साधु-साध्विओके लिए यह संस्करण वहुत ही उपयुक्त सिद्ध होगा । मुद्रणकलाकी दृष्टिसे भी प्रस्तुत ग्रंथ वड़ा रमणीय दीख पड़ता है, शुद्धिपर काफी ध्यान रक्खा गया है, आचारांग का प्रस्तुत संस्करण समाजमें अधिकाधिक स्थान ग्रहण करे, यही हार्दिक अभिलापा है, पुस्तक मुझे पसंद है।" कविरत्न, उपाध्याय श्रीअमरचंदजी महाराज, जैनसुनि कुंदनभवन व्यावर (नं. ३) “यह लघुपुस्तिका लघु होते हुए भी परमोपयोगी है, नित्यपाठ करनेवालोंके लिए यह नित्यकी सहायिका है, इसका प्रकाशन भी बहुत सुंदर हुआ है। इस प्रेमोपहारके लिए जैलसुनि पं. श्रीहेमचंद्रजी महाराजने आपका और णायपुत्तमहावीरजइणसंघाणुआई लहुअम पुप्फभिक्खू का शतशः धन्यवाद किया है और हार्दिक कृतज्ञता प्रगट की है, तथा मुनिश्रीको सस्नेह सुखसाता पूछी है।" लमाला मंडी पटियाला (पंजाव) भगवालदास ब्रजलाल जैन वजाज (नं. ४) "मैंने श्रद्धेय मुनि श्रीफूलचंदजी महाराज द्वारा संपादित आचारागसूत्रके प्रथमश्रुतस्कंध के मूल संस्करण को देखा, इसे पढ़कर मै अत्यधिक आनंदित हुआ, इस प्रकार के सुंदर प्रकाशन के लिए मुनिश्री धन्यवाद के पात्र हैं।" श्रीमान् श्रद्धेय प्रवर्तक स्वामीजी श्री श्री हजारीमलजी म. जैन स्थानक ब्यावर Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (नं. ५) "जैनधर्मोपदेष्टा उग्रविहारी पं. मुनिश्री फूलचंद्रजी महाराज से । संपादित होकर प्रकाशित मूल आचारांग सूत्रके प्रथम श्रुतस्कंधको देखकर मुझे वहुतही हर्ष हुआ, इस संस्करणके मूलपाठ बहुत शुद्ध हैं, अपने परिश्रममें मुनिश्री बहुत सफल वने हैं।" जैन न्याय साहित्यतीर्थ तर्कमनीषी पं. मुनिश्री मिश्रीमलजी म. (मधुकर) प्रेषक धूलचंदजी महता ब्यावर (नं. ६) "सुत्तागमे (आयारे) पुस्तक पहुंच गई, यह उनकी बहुत कृपा है; उनको महाराज साहिव कोटि कोटि धन्यवाद करते हैं और अर्ज करते हैं कि और कोई पुस्तक अगर आपने छपवाई हो तो कृपा करके भेजे।" गणावच्छेदक मुनिश्री रघुवरदयालजी महाराज प्रेपक तेलूराम जैन रईसेआज़म, जालंधर-छावनी (पू. पंजाव) (नं. ७) "आचारांग सूत्र" जैसी पूर्ण बत्तीसी सूत्ररूपसे निकले, खाध्याय करनेवालोंके लिए बड़ी उच्चकोटीकी वस्तु होगी, ऐसा श्रीमुनि हीरालालजी म. ने फर्माया है।" लालभवन जयपुर ' (नं. ८) "तमारा तरफथी सुत्तागमे ए नामर्नु पवित्र आगम आचारांगजी नो प्रथम भाग मूलपाठे सम्पादक भिक्खु फूलचंदजी महाराज | सदरहु पुस्तक तमोए रवाना करेल ते अमोने गई काले मल्यो छे अने ते महाराज श्रीशामजीस्वामी ने आपेल छे, पुस्तकनी शुद्धि अने व्यवस्थित जोई महाराजश्री घणा खुशी थया छे।" शा. मोहनलाल रतनजी कच्छ मांडवी Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (नं. ९) जैन जगतके सुप्रसिद्ध पर्यटक एवं जैन धर्मोपदेष्टा श्री पुप्फभिक्खू द्वारा संपादित सूत्रकृतांगसूत्रका मूलसंस्करण. देखकर महती प्रसन्नता हुई। मूलपाठका शुद्धरूप उत्तम संपादन और नयनाभिराम प्रकाशन, वस्तुतः आजके युगमें सर्वतोभावेन आदरणीय है। स्वाध्याय प्रेमी विद्वानोंके लिए यह प्रयत्न बहुत ही स्तुत्य प्रयत्न है । इस दिशामे श्रीपुप्फभिक्खूका यह सत्प्रयास चिरस्मरणीय रहेगा । मूल आगमों के प्रकाशनकी उनकी योजनाकी मै हृदयसे सफलता चाहता हूं । सर्वसाधारण जनताके लिए बड़े काम की वस्तु है । शंकरलाल वाटिका १६ मई १९५१ मुनि 'अमर' व्यावर (नोट) आपका पूरा नाम जगद्विख्यात कविरत्न, उपाध्याय, मुनि श्री १०८ श्री अमरचंद्रजी महाराज है। (नं. १०) श्रीमान श्रद्धेय मुनिश्री हजारीमलजी महाराज तथा पंडित मुनिश्री मिश्रीमलजी (मधुकर) महाराज की सम्मति ___ "आचारांग" की तरह 'सूत्रकृतांग' का प्रकाशन भी बहुत सुंदर हुआ है । स्वाध्याय रसिकोके लिए यह प्रकाशन बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। जैनधर्मोपदेष्टा उग्रविहारी पंडित मुनिश्री फूलचद (पुप्फभिक्खू) का आगससाहित्यकी दिशामें यह सत्प्रयत्न हृदयसे अभिनंदनीय है। आशा है जैनसमाज मुनिश्री की इस विराट् आगमसंपादन योजनाका उदार हृदयसे स्वागत करेगा। हम मुनिश्रीके इस स्तुत्य प्रयासकी हार्दिक सफलता चाहते हैं। प्रेपक श्रीधूलचंदजी महता व्यावर (नं. ११) "मैंने पंडितरत्न, मधुर व्याख्याता उग्रविहारी अनथक प्रचारक जैन धर्मोपदेष्टा मुनिश्रीफूलचंद्रजी महाराज द्वारा संपादित सूत्रकृतांग सूत्र नुत्तागमरूप पुस्तकाकार देखा । संपादकने इसमें पाठोंकी शुद्धि, उपकरणमे हलका तथा मुद्रणकलाकी दृष्टि से सुंदर व्यवस्थित छपाई आदिका विशेष ध्यान रक्खा Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ है, अतः स्वाध्याय प्रेमिओंके लिए विशेप उपयोगी है । संपादक शतशः धन्यवादके पात्र हैं, क्योंकि सुत्तागम प्रकाशनरूप जिनवाणीकी अनथक रूपसे आप उपासना कर रहे हैं । मुझे यह भी आशा है कि आगे इसी प्रकार निर्विघ्नतया सेवा करते रहेंगे।" मुनि प्रेमचंद, मानसा (E. P.) (नं. १२) "श्रीयुत पंडितरत्न, सुत्तागम संपादक, जैनधर्मोपदेष्टा, 'पुष्फभिक्खु द्वारा संपादित ठाणांग सूत्र देखा, जिसमे पाठशुद्धि, भारमें हलका और मुंदर छपाई आदिका ध्यान संपादकका खूब रहा है। इस नई शैलीके प्रकाशनको देखकर प्रत्येक व्यक्ति यह खुले दिलसे कह सकता है कि गागरमें सागरकी उक्ति साफ चरितार्थ है । मुझे पूरा संतोप तव ही होगा जब पूर्ण आगम बत्तीसी सुत्तागमरूपेण प्रकाशित होगी। संपादक और सहायक शतशः धन्यवादाह हैं।" निवेदक मुनि प्रेमचंद मानसा (E. P.) __ (नं. १३) श्रीमान् पूज्यवर जैनधर्मोपदेष्टा वीरशासन प्रभाकर विद्यावारिधि, धर्मनायक, पुप्फभिक्खू सादर स्नेहसुधासिक्त अनेक वंदन | और ऑग्लभापा विशारद सुमित्त भिक्खूको सुखशांति पृच्छा । आपश्री का सुत्तागमे सूत्रोके मूलपाठका संपादनका सुंदर कार्य जैन समाज पर, विशेषकर मुनि और साध्वीवर्ग पर महान उपकारी है । आपने समाजके लिए यह अपूर्व अवसर दिया है। आपका यह मंगलकार्य महान स्तुत्य है। मेरी चिरकालीन अभिलाषा साकार हो उठी। क्योंकि मेरी यह प्रवल इच्छा थी कि जिस प्रकार चार वेद हैं इसी प्रकार हमारे ३२ सूत्रोंका चार भागोंमें प्रकाशन हो । पहला मूळपाठके रूपमें, दूसरा शब्दार्थके रूपमें, तीसरा भावार्थके रूपमे और चौथा संस्कृतच्छाया तथा नई टीकाओंके रूपमें । मूलपाठ सुंदर अक्षरोंमे पुस्तकाकार हो । जैसे कुरान वाईबल ग्रंथसाहब आदि पाए जाते है । इसके उपरांत अंग्रेजी, जापानी, चीनी और फ्रेच आदि पाश्चात्यभापाओंमें भी अनुवाद हो । आपने तो मेरी सैकड़ों मीलकी दूर रही भावनाको जानकर यह मंगलकार्य वंबई नगरमे रह कर आरंभ किया है, मुझे तो ठीक यही भास हो उठा है। ठीक भी है क्योंकि मनको मनसे राहत होती है । हे ज्योतिर्धर! वैसे तो आपके जीवनका प्रत्येक अमूल्य क्षण प्राणीमात्रके हित और जैनसमाजके उत्थानमें व्यतीत हुआ है । आपने भगवान् ज्ञातपुत्र महावीर प्रभुकी पविन वाणीको भारतवर्षके कोने कोनेमें पहुंचाकर सभ्य जनसमाज को सुनाया है। अपनी मधुर और ओजस्वी वाणी द्वारा पत्थर दिलोंको दयाके Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पानीसे पिघला दिया है। कितने ही पशुओंकी बलिवेदीके अट्ठोंको उखाड़ फेका है। हजारो मूक प्राणिओंके प्राणोको मौत के घाट उतरनेसे बचाया है । धन्य है आपके विश्व वत्सल जीवन को, इस क्रूर हिंसाकी भयावह अंधियारी निशामें आप जैसे भिक्खु ही दयाके प्रकाशमान उडुपति हैं तथा लाइट ऑफ मिनार हैं । आपने अहिंसा के ऊंचे ध्वजको फहराया है यानी देश के बड़े बड़े नगरोंमें दयाधर्मके झंडे को हाथमें लेकर भ्रमण किया है । जैसे कश्मीर, कराची, कलकत्ता, झरिया, कानपुर आदि २ और अबकी बार विभवपूर्ण और सौदर्यसम्पन्न कुबेरनगरीके समान वंबई नगर में जैनधर्म की विजयपताका लहरा रहे हैं । इतनी दूर जाकर वीरशासनकी सेवा करना अपनी उपमा आपही है । अस्तु ! मेरी तो शासनदेवसे यही प्रार्थना है कि आप दीर्घायु हों। और आपने जो जैनागम प्रचारका शुभसंकल्प किया है इस भगीरथ कार्य में आपको महान सफलता मिले और तीर्थकर पदके भागी बनें । यद्यपि आपके पावन दर्शनका अवसर मुझे नही मिला तब क्या मै यह आशा कर सकता हूं कि चतुर्मासके बाद इधर पधार कर दर्शनाभिलापा पूरी करेंगे ? क्योंकि आपके मनोहर और क्रांतिकारी उपदेश सुनने को दिल बहुत चाहता है और जो २ सूत्र प्रकाशित हों उन्हें भिजवानेकी कृपा करें आपकी बड़ी महरबानी होगी । भूलके लिए क्षमा ! प्रेषक सेक्रेटरी S. S. जैन सभा मूलक (पेप्लू) } आपका प्यारा दास मुनि भागचंद ( नं. १४) श्री १००८ श्री गणावच्छेदक श्रीरघुवरदयालजी महाराज के पास अपका भेजा हुआ सूत्रकृतांग सूत्र मिला. “संपादन" सुंदर है। धर्मोपदेष्टा श्रीफूलचंदजी महाराजके परिश्रमका यह फल है । आपकी परिश्रमशीलताको देखकर कौनसा मानव है जो आपकी स्तुति न करे । आप जैन साहित्यका कार्य करके अपने जीवनका चरमलक्ष्य पूरा करेंगे। जिसके लिए आपने कदम उठाया है । महाराज श्री आपको धन्यवाद देते हैं निवेदक ५-१०-५१ लाला अछरूमल जैन रईसेआज़म चौक कसेरान पटियाला (E. P . ) Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (नं १५) ता. २०-९-५१ श्रीमान् वावू रामलालजी साहव ! जय जिनेंद्र ! आपका इरसाल करदह श्री आचारांग सूत्र तथा सूत्रकृताङ्ग सूत्र मोसूल हुए। मुलाहिजा श्री १००८ श्रीवहुसूत्री पंडितरत्त श्रीमुनि नरपतरायजी महाराजने अत्यन्त प्रसन्नता प्रगट की। नीज़ मुनि श्री फूलचंद्रजीके इस प्रयासकी अति प्रशंसा करते हैं और फर्माते है कि यह कार्य जो उन्होने आरंभ किया है, भगवान् उनको सफलता दे ।। संघ सेवक मदनलाल जैन फर्स-बंसीलाल बनारसीदास जैन होशियारपुर E. P. (नं. १६) मेवाड़भूपण पूज्य श्री १००८ श्रीमोतीलालजी महाराज फर्माते है कि "आपकी तरफसे 'सुत्तागो' सूयगडे नामकी किताब मिली । पूज्यश्रीके नज़र (भेंट)करदी गई । पूज्यश्रीने फर्माया है कि पुस्तक बड़ी ही सराहनीय है। आपने बड़े परिश्रमके साथ आगमोद्धार करना आरंभ किया है। आपको हार्दिक धन्यवाद है।” कालूराम हरकलाल जैन कपासन (मेवाड़) (नं. १७) "आपका भिजवाया हुआ (ठाणांग-समवायांग-मूल सूत्र दो प्रतिऍ) वुक-पोष्ट लाला परसराम जैन खत्री द्वारा हमें प्राप्त हुआ है । एतदर्थ सुमहान धन्यवाद ! ये महान् अनमोल रत्न भिजवाकर हमे कृतार्थ किया है और भविष्यके लिए आशा करते हैं कि इसी प्रकार अन्य अनमोल रत्न भी भिजवाकर अनुगृहीत करते रहेंगे । पुस्तककी छपाई-शुद्धता-सुंदरता-लघुता-आकार-प्रकार सब कुछ वैसा ही है जैसा मै चाहता था, मानो मेरे विचारोंको समझकर ही आपने प्रकाशित करानेका प्रयत्न किया हो । यह संस्करण स्वाध्यायपरायण लघुविहारी मुनिराजोंके लिए परमोपयोगी है।" रोपड़ १-९-१९५२ ६ भवदीय मुनि फूलचंद्र (श्रमण) (नं. १८) "श्रद्धेय धर्मोपदेष्टाजी जो आगमोंका संशोधित मूलपाठ प्रकाशित करवा रहे है इसकी परमावश्यकता थी, इस दिशाकी ओर बहुत कम विद्वान Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुनिओंका ध्यान गया है इस भगीरथ कार्य के लिए श्रीधर्मोपदेष्टाजीका जैनसमाज सदैव ही आभारी रहेगा।” कविराज श्रीचंदनसुति, मु० गीदड़वहा मंडी E. P. (नं १९)"श्री १००८ श्रीरघुवरदयालजी स० ठा० ६ सुखशांतिसे विराजमान है, आपके भेजे दो सूत्र प्राप्त हुए, वे अति सुंदर छपाई सफाई कागजादि सव दृष्टिसे विद्वानोंके लिए महतोपयोगी हैं। आपका कार्य केवल प्रशंसाके योग्य ही नहीं बल्कि आदर्श और आचरणके योग्य है और निःशुल्क भिजवाकर तो अपने समाज पर अपनी अति उदारताका परिचय दिया है अतः इसके लिए कोटि २ धन्यवाद ! ता. १-९-५२ । मंत्री S. S. जैनसभा. मालेरकोटला. E. P. (नं २०) श्री आंबाजी स्वामीए आपने वहुमानथी वंदणा करी सुखशाता पुछावेल छे. आपे भगवती सहित सात सूत्रो छुटक छुटक करी मोकल्या ते साते पुष्पो मल्या छे. ते सहर्ष स्वीकारी लीधा छ । तमो शास्त्रोद्धारनुं काम करी जैनसमाजनी सेवा बजावी रह्या छो. ते घणुं इच्छवा योग्य काम छे. तमोए तथा त्यांनी समितिना कार्यकर्ताओए सूत्रानुवाद गुजराती अने हिदी तथा काव्योमा वनाववानी भावना प्रदर्शित कीधी छे ए अतिस्तुत्य छे. पोरबंदर ता० १०-१-१९५२. (नं. २१) तमारा तरफ थी मागधीभापामां आपणा शास्त्रनी पुस्तिकाओं मोकली ते मळी छे 'सुत्तागमे' तेनी बे जुदी २ मळी छे. आप आ ज्ञानोद्धारक शास्त्रोद्धारने माटे कार्य करो छो ते माटे एमना मंत्रीश्रीने खरेखर धन्यवाद छे. ए प्रकाशन जगत्उपयोगी छे. ए आपनी परोपकारी भावनाने धन्यवाद घटे छे. पोरवंदर ता. ३१-८-५२ सुनिश्री आंबाजी स्वामी Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... (नं. २२) जैन मुनि श्रीश्री हजारीमलजी महाराज व पं. मुनिश्री मिश्रीमल्लजी (मधुकर) महाराज की सम्मति __ "स्थानांगसूत्रके दोनों अंश और समवायांगसूत्र हमने पड़े। आचारांग और सूत्रकृतांगकी तरह ये प्रकाशन भी बहुत सुंदर निकले है । इन आगमोंके सम्पादनमें जैनधर्मोपदेष्टा उग्रविहारी मंत्री मुनि श्रीफूलचंद्रजी महाराजने जो परिश्रम उठाया है वह अत्यन्त प्रशंसाके योग्य है । स्वाध्यायप्रेमियों के लिए मुनिश्रीका यह प्रयास वहुत सफल सिद्ध हो रहा है। भावना तो यह है कि आगेके प्रकाशनभी बहुत शीघ्र हमारे हाथोमें आजाएँ।" प्रेपक-गजमल विरधीचंद तातेड़ मु. पो. विजयनगर (अजमेर) (नं. २३) मुनि श्रीफूलचंद्रजी म. द्वारा संपादित 'सुत्तागम' अंतर्गत आचारांगसूत्रकृतांग-ठाणायंग और समवायांग पुस्तक नंग ४ भेट मिली। 'सुत्तागमे' की उपरोक्त पुस्तकें स्वाध्याय योग्य होनेसे स्वाध्याय करके अतिप्रमोद प्राप्त हुआ है। जिज्ञासु और खाध्याय करनेवालो के लिए यह बहुत उपयोगी साधन है । विजयडायरी पढ़नेसे मालूम हुआ है कि 'सुत्तागमप्रकाशकसमिति' (गुड़गाँव पंजाव)ने आगमप्रचारविषयक योजना विशाल रक्खी हैं । यदि सुत्तागमकी तरह सौ १०० भापाओमें श्रीश्रमण भगवान महावीरस्वामी द्वारा निर्दिष्ट जगज्जतुकल्याणक अनेकान्त स्याद्वादर्भित जैनसिद्धान्त का प्रतिदेश प्रतिप्रान्त और प्रतिघरमें प्रचार हो तो इसके सिवाय दूसरा पुण्यकार्य क्या हो सकता है । यह धर्मप्रचारकी सर्वोपरि योजना है, यह कहते हुए हमें हर्प होता है । जैनसमाजके श्रीमान् विद्वानोका और श्रीमान् लक्ष्मीनंदनोका इसमें पूरा साथ हो तो कार्य जल्दी सुचारुरूपसे हो सकता है अतः दोनो उदार बनें । जामजोधपुर ता. ३१-८-५२ शुभेच्छुक जैन भिक्खु गव्वुलालजी स० (नं. २४) आपकी ओरसे सूत्रोंका वुकपोस्ट मिला, मेवाड़ भूपण. चतुर्मास-विहारमंत्री श्री १००८ मोतीलालजी म. की सेवामें प्रस्तुत किया. उत्तरमें फर्माया है कि आपको हार्दिक धन्यवाद है, आप बड़े परिश्रमपूर्वक शास्त्रोद्धार कर रहे है आपका शास्त्रोद्धार सराहनीय हैं। ऐसा परिश्रम करके Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शास्त्रोद्धार करनेवाले विरले मुनि है । आपको जितनी उपमा दी जायें थोड़ी है। आपश्री चतुर्विध संघके लिए बड़ा ही सराहनीय कार्य कर रहे हो। ऐसा कार्य करने ही से समाजमें ज्ञानप्रचार व शास्त्रोद्धार हो सकता है, थोड़से में बहुत समझे! श्रीमान्-श्रावक संघका पैसा भी सदुपयोगमें लग रहा है। श्रावकसंघको चाहिए कि ऐसे कार्यमें कंजूसी न करते हुए द्रव्यका इसके प्रचारमें सदुपयोग करें जिसमें सवका कल्याण समाया हुआ है। ता० ३१-७-१९५२ आपका भंवरलाल जैन, खमनार (नोट) इनके अतिरिक्त और वहुतसी सम्मतिऍ ग्रंथ वटनेके भयस नहीं दे रहे । आपने इन पृष्टपटोपर अंकित सम्मतिओसे यह तो जान ही लिया होगा कि ये प्रकाशन कैसे है। वैसे तो सव संप्रदायोके मुनिओ और महासतिओकी ओरसे सूत्रोकी मांगे धड़ाधड़ आती रहती है, अर्थात् सूत्रोका प्रचार आगासे अधिक हो रहा है । इसी प्रकार ३२ आगमोंको यथासमय मुनिओ और महासतिओंके करकमलोंमे पहुंचाकर समिति अपना ध्येय पूरा करनेका प्रयत्न करेगी । समिति यही चाहती है कि हमारे मुनिगण प्रकाण्ड विद्वान् वन कर जिनशासनका उत्थान करें। मंत्री Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयणा इक्कारसंगाइमिमाइमम्ह धम्मगुरूण गरिमजियमेरूण साहुकुलचूलामणीण अहिलसरगुणखणीण चत्तअदत्तकलत्तपुत्तमित्ताण पसंतचित्ताण अग्गिव्व उग्गतवतेयदित्ताण पोम्मं व अलित्ताण पागयजणमुच्छाविहाणनियाणविसयगामविरयाण पंचविहायारनिरइयारचरणनिरयाण भवोयहितारणतरंडाण अण्णाणतमोहपयंडमायंडाण मोहेभनिवारणवरंडाण पासंडिमाणसेलमद्दणवजदंडाण वाउरिव अपडिबद्धाण तवसिरिसमिद्धाण सम्मअवगयजिणमयसम्मयसुहुमयरवियारसयलभवसिद्धियलोयहिययंगमाण सुसंजयपंचपसियतरलयरकरणतुरंगमाण दुजयअणंगमायंगभंगसारंगपुंगवसरिच्छाण अकुव्व सुयणंबुरुहवोहणअण्णाणमोहतिमिरभरहरणधम्मुज्जोयकरणिकतलिच्छाण दुहतरुउम्मूलणेकखरपवणाण चरित्तणाणदंसणफललुद्धमुणिंदसउणमेरुखणाण सारयसलिलं व सुद्धमणाण पाविधणोहहुयासणाण संसारण्णवमज्जतजीवमणतारणसमत्थवोहित्थाण अद्दिव्व धीरिमापडिहत्थाण जिणपवयणगयणनिसायराण मेराणाणचरणाइनिम्मलगुणरयणरयणायराण नियसुद्धवएस देसणाणिण्णासियभव्वजन्तुजायजीवियभूयसम्मदसणणासणपञ्चलमिच्छादसणुग्गगरलाण दुजणदुव्वयणपवणवाए वि अतरलाण विसयसुहनिप्पिवासाण मुक्कगिहवासपासाण दूरपरिचत्तविइगिच्छाअरइरइभीइहासाण मित्तसत्तुजणजुम्मसमाणमणोविलासाण नवविहवंभचेरगुत्तिसम्मसंरक्खणेकपरायणाण दुक्कम्मदइचनिवहविद्धंसणनारायणाण सुत्तत्थविसारयाण जिणधम्म. पसारयाण मरालुव्व परगुणखीरगहणदोसंवुविचजणवियक्खणाण कयछकायरक्खणाण खं व अणप्पकुवियप्पसंकप्पसुण्णाण खंतिमुत्तिअज्जवमवलाघवाइपुण्णाण धरामंडलव्व सव्वसहाण भवदुक्खायवसंतत्तपंथिसंतिदायगदहाण चंदणवणं व सुसीयलाण जसच्छाइयधरणीयलाण कंदप्पदप्पदलणिकमलाण नीसल्लाण नियनिरुवमवयणकलारंजियसयललोगाण सव्वहा निम्ममयाए निरासीकयसोगाण आइचुव्व तेयसा फुरंताण धम्मुव्व मुत्तिमंताण जियतिजयदप्पकंदप्पमत्तगयवियडकुंभयडदलणसीहाण निरीहाण जिणगणहरसमणुचिण्णसम्ममग्गाणुयाईण 'निहिलागमपारयाईण परजियपियहियमियफुडभासीण सयलगुणरासीण माणावमाणपसंसणिंदणलाहालाहसुहदुहसमाणमणसाण अंसुमालिव्व फेडियदुम्मइतमसाण संतिमुत्तीण सियकित्तीण जीवुव्व अप्पडियगईण जिणपवयणाणुसारमईण अमयनिग्गमुव्व सोमसहावाण महापहावाण पंचाणणुव्व दुप्पधंसणिज्जाण सयलजणाभिगमणिजाण सासणपभावगाण जीवे सम्मग्गे ठावगाण जम्मजरमरणकलोललोलजलपडलपुण्य Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विविहमहायंकसमुल्लसंतलल्लकणकचक्कअणवरयविसप्पिररोगसोगमयराइभीमभवण्गवाउ भव्वे धम्मदोणीतारणसमट्ठकुसलकण्णधाराण धीरधुरधवलुव्ब उव्वाहियदुव्वहपंचमहन्वयगुरुभाराण उदहिविव गहीराण मोहमल्लिकवीराण पावदावग्गिनीराण दुरियरयसमीराण जिणधम्मरहसुसारहीण धम्मकहीण तिगुत्तिवरगावसीकयदुट्ठमणस्साण अवगयदुग्गमसिद्धंतरहस्साण अपसत्यासवदारनिरोहगाण बहुभवजणसमाजवोहगाण जिइंदियाण धम्मपियाण पंचविहसज्झायविहि विहाणविहावगसावहाणाण अहिलजगज्जंतुजायवियरंतअभयदाणाण भवजलहिवुडंतजंतुसंतरणअणहवरजाणाण भवभयचारयवंधणविच्छेयनिमित्तसत्ताणाण समतिणमणिलेटकंचणाण छड्डियमयतण्हावंचणाण अण्णाणतिमिरावरियअन्तरणयणजणताविइण्णतदुग्धाडणारिहतविमलयाहेउपरमणाणंजणाण सखुव्व निरंजणाण कम्ममहीमहकुमइलउप्पाडणगइंदाण परतित्थियमियमइंदाण कासकुसुमालिनिम्मलजसभरपरिभरियभुवणयलाण दारिद्ददुमदवानलाण सोमुव्व सोम्मयागुणगरिहाण सव्वसाहुजणपगिट्ठाण सीहुव्व असंखोहाण आहिवाहिउवाहिकसायग्गिउल्हवणमेहसंदोहाण वज्जियलोहनियडिमयकोहाण पणट्ठसंपदायपक्खवायमोहाण अण्णाणंधयारावडियदावियमुत्तिमग्गाण गयसग्गाण कि बहुणा सव्वसाहुगुणोवमाजुत्ताण ससहरुव्व विवुहजणमणचओरामंदाणंददायगभव्वाहिययकेरववियासगनियसियतुजसजुण्हाधवलियदियंतरअण्णउत्थियचक्कविहडणपयडमहप्पपावकलंकवंकत्तणमुत्ताण अजपरमपुजाण वंदणिजाण ४ सिरि १०८ सिरिफकीरचंदमहारायाण धारणाववहाराणुसारं वदंति जइ मे पयासेण कस्स वि किचि वि लाहो होहिइ तो सपयत्तसाहलं मण्णिस्स, दिद्विमुद्दणक्खरजोजगदोसा कहिंपि कावि असुद्धी होउ सोहिजउ, पेसिजउ ससम्मई, इमाण सज्झायं कटु वुहा निरावाहं सुहं पाउणंतु त्ति । ___गुरुपयंबुरुहदुरेहो-युप्फसिक्खू सूचना यह प्रकाशन मेरे धर्मगुरु धर्माचार्य साधुकुलशिरोमणि १०८ श्रीफकीरचंद्रजीमहाराज (स्वर्गीय ) के धारणाव्यवहारानुसार है, यदि कोई दृष्टिमुद्रणादि दोप हो तो स्वाध्याय प्रेमी सज्जन सुधारकर पढ़े । यदि इस प्रयत्नसे मुमुक्षुओंको ज्ञानसाधनाका लाभ मिला तो परिश्रम सफल समझकर सन्तोप होगा। इन अंगसूत्रोंका अहर्निश स्वाध्याय करते हुए वे निराबाध सुख प्राप्त करे। मुनिगण अपनी सम्मति समितिको भेजें। गुरुचरणचंचरीक पुप्फभिक्खू Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्तावना इस अनादि अनंत संसारमें आत्माने अनन्त वार जन्म मरण किए है परन्तु अपने स्वरूपको भूलकर विभाव-परपरिणतिमें रच पचकर कर्मवश होकर अनन्तानन्त दुःख सहन करता रहा है । यद्यपि सुखको पानेके लिए अनेक प्रकारके पापड़ वेलता है लेकिन अवतक उसे वह सच्चा और टिकाऊ सुख नही मिल सका है कि जिसके द्वारा संसृतिके सब दुःखोंसे नितान्त छुटकारा पालेता, परन्तु धर्म पुरुषार्थके विना वह सुख कहां? 'धर्मात्सुखं' धर्मसे सुख मिलता है, सुखके पानेमें धर्म कारणभूत है, तव कारणके विना कार्य कैसे संपन्न हो सकता है। साथ ही यह भी स्मरण रहे कि धर्मपुरुषार्थ ही मोक्षका वास्तविक मार्ग है जिसके मुख्य तीन प्रकार सर्वज्ञों द्वारा प्रतिपादित है, वे है सम्यग्ज्ञान, सम्यग्दर्शन और सम्यक्चरित्र। शरीर और मनके दुःखोंसे छुटकारा दिलाने वाला यही रत्नत्रय समर्थ साधन है। इस रत्नत्रयमें 'पढमं नाणं तओ दया के अनुसार सम्यग्ज्ञानकी प्रधानता है । मोहरूपी महा अंधकारके समूहको नष्ट करनेमें ज्ञान सूर्यके समान है । इष्ट वस्तुको प्राप्त करानेमें ज्ञान कल्पवृक्ष है । दुर्जेय कर्मरूपी हाथीको पछाड़नेमें ज्ञान सिंह जैसा है। ज्ञानके अभावमें मुंहपर दो आंखे होनेपर भी वह अन्धेके सदृश है । ज्ञानके भी पांच प्रकार है जिनमें 'श्रुतज्ञान' बड़े ही महत्वकी वस्तु और परोपकारी है। केवली भगवान्का केवलज्ञान उनके स्वयंके लिए लाभ दायक है औरोके लिए नहीं वे भी श्रुतज्ञानके द्वारा ही जगत्के असंख्य भव्यजीवोको प्रतिवोध देकर महान् उपकार करते है। लेकिन श्रुतज्ञानकी भी दो वीथियाँ है जिन्हें सम्यकश्रुत और मिथ्याश्रुत कहते हैं। सम्यक्श्रुतके भी अनेक भेद है जिनमें वर्तमान समयमें केवल ३२ आगम ही उपलब्ध है और जो १४ पूर्वीय श्रुतज्ञान महान् समुद्रके समान था उसका काल दोषसे इस समय विच्छेद हो चुका है। यह हमारे मंदभाग्य ही का कारण है, तो भी ये वार्तमानिक आगम आजके सत्साहित्यके मूल स्रोतके समान है । इन्हीं स्रोतो द्वारा हमारा साहित्य अमर विभूति प्राप्त है । साहित्य वह वस्तु है जो प्रत्येक धर्म और राष्ट्रका प्राणभूत होता है । जिसका अपना निजीसाहित्य न हो वह धर्म मृतकके समान है। जैनसाहित्यमें आगमोंका स्थान-यो तो जैनसाहित्य अन्य साहित्योकी अपेक्षा अत्यन्त विशाल है। कोई ऐसा विषय नहीं है जिसपर जैनसाहित्यकों की लेखनी न उठी हो, परन्तु उसमें भी आगमोंका स्थान सर्वोच्च है । या यो कहिए Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कि ये आगमसूत्र जैनसाहित्यके लिए प्राणभूत है । इन आगमों का सहारा लेकर बड़े २ विद्वानोंने नाना प्रकारकी उत्तमोत्तम रचनाएँ की है । इससे यह पाया पड़ता है कि ये हमारे पवित्र आगम जिनशासनरूपी कल्पवृक्षके दृढ़तम मूल है। ___ आगम रचयिता—जिस समय तीर्थकर भगवान् चारो तीर्थोकी स्थापना करते है उस समय द्वादशांगीके बीजभूत महत्त्वपूर्ण तीन वचनोका प्रकाश गण. धरोके सन्मुख करते है, उस उत्पाद व्यय और ध्रौव्यरूप त्रिपदीके द्वारा गणधरदेव द्वादशांगीकी रचना करते है * वर्तमानसमयमें जो ३२ आगम उपलब्ध है वे सब ज्ञातपुत्र महावीर भगवान् के सदुपदेशोंसे भरपूर होने के कारण हमारे लिए अक्षय कोपके समान है। वर्तमान आगमोंका इतिहास-भगवान् महावीर प्रभुके निर्वाणसे ९८० वर्ष तक उस समयके साधु साध्वियों सम्पूर्ण सिद्धान्त-आगमोंको अपनी तीक्ष्णवुद्धिके कारण कण्ठस्थ रखते रहे। वे दिन रातमें १२ घण्टे तक उनका स्वाध्यायके रूपमें परावर्तन किया करते थे। इसके पश्चात् कालदोषसे स्मरणशक्तिमें कमी आ जानेके कारण जहाँ तहाँ स्खलना पड़ने लगी। कहा जाता है कि उस समयके विद्यमान आचार्य देवर्द्धिगणि क्षमा-श्रमणने इस कमीको महसूस किया 'जिनशासनकी रक्षा प्रत्येक प्रकारसे करनी चाहिए और शासनकी रक्षा सिद्धान्तकी रक्षा करनेसे ही हो सकती है, इस उद्देश्यसे उन्होने आगामी भव्यलोकोके उपकार के लिए वीरसवत् ९८० विक्रमसंवत् ५११, तदनुसार ई. सन् ४५४ मे वल्लभी नगरीमें तत्कालीन समस्त जैनमुनियोको एकत्रित किया जिसे जितना याद था सुना और फिर उस महान् ज्ञानको यथाक्रम पुस्तकारूढ़ किया । उस सम्मेलनके वाद मूलरूपसे गणधर भापित होनेपर भी सव आगमोके संकलयिता देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण ही समझे जाने लगे, उदाहरणके लिए श्रीभगवतीसूत्र श्रीसुधर्माचार्य प्रणीत है और प्रज्ञापनासूत्र भगवान् महावीर प्रभुके निर्वाणके ३३५ वर्ष बाद श्रीश्यामाचार्य द्वारा संकलित किया गया पर भगवती मे कई स्थलोपर 'जहा पण्णवणाए' ऐसा पाठ .. अत्थ भासइ अरिहा, सुत्तं गंथंति गणहरा निउण। । पडिकमामि चउकाल सज्झायरस अकरणयाए; अथ च उत्तराध्ययने समाचारी नाम षड्विशतितमे अध्ययने प्रथमा समाचारी स्वाध्यायरूपा स्थापिता येन शानस्य विस्मरणं न भवेत्।। इतना और स्मरण रहे कि इससे पहले पाटलीपुत्र का सम्मेलन और नागार्जुनक्षमाश्रमणके तत्त्वावधानमे माथुरीवाचना हो चुकी थी । देखो 'आगमोंकी भाषा का प्रकरण । Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मिलता है। इसी भांति और अंगोमें भी उपांगोंकी साक्षियां पाई जाती हैं, अर्थात् अमुक उपांगोंसे समझ लेना चाहिए। इससे यह स्वयंसिद्ध है कि देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण वर्तमान आगमोके संकलयिता थे, उन्होने लिपिवद्ध करते समय पाठोमे साम्य देखकर समयका अपव्यय न हो इसलिए ऐसा किया । आगमोंको पुस्तकारुड़ करके उन्होंने जैन समाज पर जो महान् उपकार किया है उसे कभी भी नहीं भुलाया जा सकता। एक आगमका उली आगममें निर्देश-आगमोमे प्रस्तुत आगमका प्रस्तुत आगममे भी निर्देश पाया जाता है, जैसे समवायांगसूत्रमे १२ अंगोंके वर्णन मे समवायांगका भी वर्णन है, यही क्रम और आगमोंमे भी मिलता है, इसका कारण आगमोकी प्राचीन शैली है, यही प्राचीन पद्धति वेदोमे भी पाई जाती है। जैसे "सुपर्णोऽसि गरुत्मा त्रिवृत्ते शिरौ गायत्रं चक्षुर्वृहद्रथन्तरे पक्षी स्तोमं आत्मा छन्दा स्यङ्गानि यजू पि नाम ।” जैनसाहित्यपर नई २ आपत्तियाँ-जिसकालमें बौद्धों और जैनोके साथ हिदुओका महान् संघर्ष था उस समय धर्मके नाम पर बड़े से बड़े अत्याचार हुए, उस अंधड़मे साहित्यको भी भारी धक्का लगा, फिर भी जैनसमाजका शुभ उदय समझे या आगमोंका माहात्म्य ! जिससे आगम वाल २ वचे और सुरक्षित रहे । परन्तु वड़ो पर आपत्तियों आया ही करती है । इसके अनन्तर चैत्यवासियोका युग आया, उन्होने चैत्यवादका जोर शोरसे आंदोलन किया और अपनी मान्यताको मजबूत करने के लिए नई २ बातें घड़नी शुरू की, जैसे कि अंगूठे जितनी प्रतिमा वनवा देनेसे स्वर्गकी प्राप्ति होती है, जो पशु मंदिरकी ईटे ढोते हैं वे भी देवलोक जाते हैं, आदि २। वे यहां तक ही नहीं रुके वल्के उन्होने आगमोमे भी अनेक वनावटी पाठ घुसेड़ दिए। जिस प्रकार रामायणमे क्षेपकोकी भरमार है उसी प्रकार आगमोमे भी । इसके बाद युगने करवट बदली और उसी कटाकटीके समय धर्मप्राण लोकाशाह जैसे क्रान्तिकारी पुरुप प्रगट हुए । उन्होने जनताको सन्मार्ग सुझाया और उसपर चलनेकी प्रेरणा दी। चैत्यवासियोने तो उनको अनेक काट दिए पर वे कहा टससे मस होनेवाले थे । “धस्मो मंगलमुकिट्ट' गाथा पढ़कर और चैत्यवासियोमे आचार विचार संबंधी शिथिलता देखकर उन्होने वह आवाज उठाई कि जिससे लोगोमे क्रांति और जागृति उत्पन्न हुई तथा लवजी धर्मशी धर्मदासजी जीवराजजी जैसे भव्यभावुकोने धर्मकी वास्तविकताको अपनाया और उसके स्वरूपका प्रचार आरंभ Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किया । परिणाम स्वरूप आज भी उनकी प्रेरणाओंको जीवित रखनेवालोंकी संख्या ५ लाखसे कहीं अधिक पाई जाती है । लोकाशाह सहित इन चारों महापुरुषोंने चैत्यवासी मान्य अन्य आगमोंमे परस्पर विरोध एवं. मन घड़न्त वाते देखकर ३२ आगमोंको ही मान्य किया। __ आगमोंकी भाषा-समवायांग सूत्र तथा औपपातिकसूत्रमें क्रमशः पाठ आते है "अगवं च णं अद्धमागहीए भासाए धम्ममाइक्खई" "तए णं ससणे भगवं महावीरे कूणियरल रणो मिसिलारपुत्तस्स..." अद्धमागहाए भासाए मालइ । "ला वि य णं अद्धमागहा मासा तेसिं सव्वेसिं आरियमणारियाणं अप्पणो सभालाए परिणामेणं परिणमई" अर्थात् ज्ञातपुत्र-महावीर भगवान् अर्धमागधी भापामें उपदेश करते थे और वह भापा सब जीवोंकी अपनी २ भाषामें परिणत होती थी। उनके पांचवें गणधर श्रीसुधर्मा स्वामीने द्वादशांगीकी रचना भी अर्धमागधीमें ही की । दिगंबरोंके मतसे ये १२ अंग विच्छिन्न हो चुके हैं परन्तु अपने मतानुसार जैसा कि पहले लिखा जा चुका है देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमणने आगमोको लिपिवद्ध किया। इतने समयके बाद लिखे जानेपर भी भाषाकी प्राचीनतामे कमी नहीं आई। क्योकि सैकड़ो वर्पोतक जैसे ब्राह्मणोंने मुखपाठके द्वारा वेदोकी रक्षा की उसी प्रकार जैन मुनिओने भी लगभग १००० वर्ष पर्यन्त शिष्य परम्परासे इन पवित्र आगमोको स्मृतिपथमे रक्खा । दूसरा कारण यह है कि जैन धर्ममें शुद्धपाठोचारण पर खूब जोर दिया गया है, और 'हीणक्खरं' आदि अतिचार वताए गए हैं । फिर भी वारीकीसे देखनेपर यह अवश्य मानना पड़ेगा कि चाहे जैसे भापामें परिवर्तन ज़रूर हुआ है। इसका होना असंभव भी नहीं कहा जा सकता, क्योकि आगम वेदोकी भान्ति शब्द-प्रधान न होकर अर्थप्रवान हैं। ये सूत्र उस समयकी जनसाधारणकी कथ्यभाषामें निर्मित हुए और समयानुसार बोली में (लोकभापामें) होनेवाले परिवर्तनका प्रभाव लोगोके समझा के लिए आगमोपर भी होना आश्चर्यजनक नहीं। इसका एक मुख्यकारण यह भी है कि जातपुत्र-सहावीर भगवान् के मोक्ष जानेके लगभग २०० वर्ष पीछे, २. न. पृ. ३१० चन्द्रगुप्तके समयमे मगधमें १२ वर्षका भयानक अकाल पड़नेके कारण मुनिओको सयम निभानेके लिए दक्षिण देशमें जाना पड़ा और परावर्तन दयो 'एनुअल रिपोर्ट ऑफ एशियाटिक सोसायटी वेगाल' १८५८ डॉ. Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न कर सकनेके कारण उन्हें भूल से गए। उसके बाद पाटलीपुत्र में संघ एकत्र हुआ और जिसे जितना याद था सुनकर ११ अंगोका संकलन किया गया अर्धमागधीमें मगधके आसपासके प्रदेशोकी भापाओकी अपेक्षा दूरस्थ महाराष्ट्रकी भापाका जो अधिक साम्य देखा जाता है उसका कारण भी यही है । इतिहास द्वारा यह भी सिद्ध है कि पुराने समयमे जैनधर्मका दक्षिणमें भली भांति प्रचार हुआ था, तब यह अनुमान असंगत नहीं हो सकता कि दुर्मिक्षकालमें मुनिवर्ग दक्षिणमें न गया हो, तद्देशीय भापाज्ञानके विना प्रचार सम्यक्तया नहीं हो सकता, अतः उसका प्रभाव कंठस्थ आगमोकी भापा पर भी पड़ा, इसके द्वारा प्रभावित बहुतसे मुनि पूर्वोक्त सम्मेलनमे पधारे, इसलिए अंगोके सकलनमे भी इसका थोड़ा बहुत असर पड़ा । उससे लगभग ८०० वर्प वाद थोड़े २ अंतरसे मथुरा और वल्लभीमे आगमोको पुस्तकारूड़ करने के लिए साधुसम्मेलन हुए, जिनमे सब प्रान्तोसे मुनि आए, जिनके मुखस्थ सूत्रोपर तत्तत्प्रदेशोमें बहुत समय तक विचरनेसे उस देशकी भाषा, उच्चारण आर व्याकरणका कुछ न कुछ प्रभाव अंकित था । यही कारण है कि अंगोमे एक ही अगके भिन्न २ भागोमे और कहीं २ एक ही वाक्यमे भापाभेद दृष्टिगोचर होता है। इस प्रकार भाषापरिवर्तनके वहुतसे कारणोंके उपस्थित होनेपर भी पाटलीपुत्रके सम्मेलनके वाद विल्कुल अथवा अधिक परिवर्तन न होकर मात्र थोड़ा बहुत भाषा-भेद ही हुआ और अर्धमागधीके सैकड़ों प्राचीन रूप अपने स्वरूपमे सुरक्षित रह सके, इसका श्रेय अशुद्ध उच्चारणके लिए पापबंधके धार्मिक नियमको है जो कि सम्मेलनके पीछे और भी मज़बूत किया गया । वर्तमान आगमोमे कही २ जो पाठ-भेद मिलते है उनका कारण उपरोक्त वाचनाएँ है। समवायांग औपपातिक व्याख्याप्रज्ञप्ति और प्रज्ञापनासूत्र तथा वहुतसे प्राचीन ग्रंथोंमें जिसे अर्धमागधी कहा १ देखो स्थविरावलिचरित्र सर्ग ९ श्लो. ५५ से ५८ तक । २ देवा ण भंते ! कयराए भासाए भासंति ? कयरा वा भासा भासिज्जमाणी विसिस्सति ? गोयमा! देवा णं अद्धमागहाए भासाए भासंति, सा वि य णं अद्धमागहा भासा भासिज्जमाणी विसिस्सति । ३ से कि तं भासारिया ? भासारिया जे णं अद्धमागहाए भासाए भासति । ४ ! आरिसचयणे सिद्धं, देवाण अद्धमागहा वाणी । (काव्यालंकारकी नमिसाधु कृत टीका २, १२) !! सर्विमागवीं सर्वभापासु परिणामिणीम् । सर्वपा सर्वतो वाचं, सार्वशी प्रणिदध्महे ॥ ( वाग्भट्टकाव्यानुशासन पृ० २) !!! अकृत्रिमस्वादुपदा, परमार्थाभिधायिनीम् । सर्वभाषापरिणतां, जैनी वाचमुपास्महे ॥ (स्वोपज्ञ काव्यातुशासन, हेमचंद्राचार्य) Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गया । स्थानींगसूत्र तथा अनुयोगद्वारमें जिसे 'इसिभासिया' कहा गया है और इसीके आधारपर हेमचंद्राचार्य आदिने इसका नाम 'आप' रक्खा अर्थात् अर्धमागधी ऋषिभाषिता और आप तीनों एक ही बात हैं । पहला नाम उत्पत्ति स्थान तथा अन्य उस भापाको सर्वप्रथम साहित्यमें स्थान दायकोंसे संबंधित है। हेमचंद्राचार्यने अपने बनाए हुए प्राकृत व्याकरणमें आपके जो लक्षण तथा उदाहरण बताए हैं उनसे और 'अत एत् सौ पुंसि मागध्यां' (हे.प्रा.४-२८७) इस सूत्रकी व्याख्यामें जो "यदपि पोराणमद्धमागहमासानिययं हवइ सुत्तं' इत्यादिना आर्षस्यार्धमागधभाषानियतत्वमानायि वृद्धस्तदपि प्रायोऽस्यैव विधानात् न वक्ष्यमाणलक्षणस्य" ऐसा कहकर उसके अनन्तर जो 'कयरे आगच्छई' ले तारिसे जिइंदिए' के उदाहरण दिए हैं उनसे उक्त बात भली भांति सिद्ध हो जाती है, डॉक्टर हर्मन जेकोबीने जैनागमोकी भाषाको प्राचीन महाराष्ट्री कहकर 'जैन महाराष्ट्री' नाम दिया है। जिसका डॉ. पिशलने अपने विख्यात प्राकृत व्याकरणमें खंडन करके सप्रमाण सिद्ध किया है कि अर्धमागधीमें वहुलतासे ऐसी अनेक विशेषताएँ हैं जो महाराष्ट्री आदि किसी प्राकृतमें ढूंढनेसे भी नहीं मिलतीं । इसलिए उपरोक्त नाम नहीं दिया जा सकता। नाटकोमें जो अर्धमागधी पाई जाती है उसमें और सूत्रोकी अर्ध. मागधीमें समानताकी अपेक्षा अत्यधिक भेद है। भरत मार्कण्डेय और क्रमदीश्वरने अर्धमागधीके भिन्न २ लक्षण बताए हैं, लेकिन वे केवल नाटकीय अर्धमागधीके लिए हैं। हेमचंद्राचार्यने अपने व्याकरणमें अर्धमागधीको 'आर्ष प्राकृत' और अर्वाचीन रूपको महाराष्ट्री माना है। इससे यह सिद्ध होता है कि महाराष्ट्रीसे अर्धमागधी बहुत प्राचीन है । अथवा यों कहिए कि अर्धमागधी ही महाराष्ट्रीका १ सकता पागता चेव, दुहा भणितीओ आहिया । सरमडलस्मि गिज्जते, पसत्था इसिभासिता । २ सक्काया पायया चेव, भणिईओ होति दोण्णि वा । सरमंडलम्मि गिज्जते, पसत्था इसिभासिआ ॥ ३ देखो हेमचंद्राचार्यका प्राकृतव्याकरण सूत्र १-३ । आर्षोंत्यमार्पतुल्यं च द्विविधं प्राकृतं विदुः । ( काव्यादर्श टीका १-३३ में प्रेमचद्र तर्कवागीशद्वारा उद्धृत पद्याश) ॥ ४ डॉ. हॉर्नलीने चड कृत प्राकृत लक्षणके इन्ट्रोडक्शन पृ. १८-१९ में हेमाचार्यके मतमें पोराण आर्ष प्राकृतका नाम लिखा परतु वह बिल्कुल गलत है, कारण यह सूत्रका विशेषण है भाषाका नही। ५ इट्रोडक्शन टु प्राकृत लक्षण ऑफ़ चंड पृ. १९ डॉ. हॉर्नली । Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ___ अर्धमागधीकी संगत व्युत्पत्ति-बहुतसे लोग इसकी व्युत्पत्ति 'अध मागध्या' करते है अर्थात् जिसका आधा अंश मागधी भाषा हो वह अर्धमागधी है, क्योंकि नाटकीय अर्धमागधीमे मागधीके लक्षण बहुलतासे पाए जाते हैं इसलिए वह अर्धमागधी है और जैनसूत्रोमें मागधीके लक्षण बहुत कम मिलते हैं इसलिए वह अर्धमागधी नहीं। परन्तु उनकी यह व्युत्पत्ति भ्रमात्मक एवं असंगत है। इसकी वास्तविक व्युत्पत्ति है 'अर्धमगधस्येय' अर्थात् मगधदेशके अर्धाशकी जो भाषा हो वह भाषा अर्धमागधी है । इसकी उत्पत्ति पश्चिम मगध अथवा मगध और शूरसेनका मध्यप्रदेश (अयोध्या) होनेपर भी इसमे मागधी और शौरसेनीके इतने लक्षण नहीं दिखते जितने महाराष्ट्रीके। इसका कारण पहले लिखा जा चुका है, दुष्काल और मुनिओका दक्षिण गमन एवं तद्देशीय भापाका प्रभाव । __ अर्धमागधी और महाराष्ट्रीमें भेद-(१) अर्धमागधीमें दो स्वरोंके मध्यवर्ती असंयुक्त 'क' के स्थानमें प्रायः सर्वत्र 'ग' और बहुतसी जगह 'त' और 'य' होता है। जैसे-लोक लोग, आकाश-आगास आदि । 'त' सामाइकसामातित इत्यादि । 'य' शोक-सोय, कायिक-काइय आदि । (२) दो खरोंके बीचका असंयुक्त 'ग' प्रायः कायम रहता है, जैसे भगवन् = भगवं, आनुगामिक-आणुगामिय वगैरह । 'त' अतिग-अतित, 'य' सागर-सायर आदि । (३) दो स्वरों के बीचके असंयुक्त 'च' और 'ज' के स्थानमें 'त' और 'य' दोनों होते है। जैसे रुचि-रुति, वचस्-वति, लोच लोय आदि । 'ज' के स्थानमें 'त' जैसे ओजसू ओत, राजेश्वर-रातीसर इत्यादि । 'ज' के स्थानमें 'य' आत्मज अत्तय, कामध्वजा कामज्झया आदि । (४) दो स्वरोंका मध्यवर्ती 'त' प्रायः कायम रहता है और कहीं २ 'य' भी होता है, जैसे कि जाति-जाति; 'य' करतलकरयल प्रभृति । (५) स्वरोंके बीचमे स्थित 'द' का 'द' और 'त' ही अधिकांश देखा जाता है, कहीं २ 'य' भी होता है, जैसे-प्रदिशः-पदिसो, भेद-भेद आदि । 'त' यदिजति, मृषावाद-मुसावात आदि । 'य' चतुष्पद-चउप्पय, पाद=पाय आदि । . (६) दो खरोंके मध्यमे स्थित 'प' के स्थानमे प्रायः सर्वत्र 'व' ही होता है जैसे-अध्युपपन्न अज्झोववन्न, आधिपत्य आहेवच्च वगैरह । (७) स्वरोंका मध्यवर्ती 'य' प्रायः कायम रहता है जैसे-निरय=निरय, इंद्रिय इंदिय आदि । अनेक स्थानोमे इसके स्थानपर 'त' भी देखा जाता है, जैसे-पर्याय परियात इत्यादि । Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (८) दो स्वरोंके बीचके 'व' के स्थानमे 'व' 'त' और 'य' होते है, जैसे गौरव गारव; 'त' कवि-कति; 'य' परिवर्तना-परियट्टणा इत्यादि । (९) महाराष्ट्रीमे स्वरोंके मध्यवर्ती असंयुक्त 'क-ग-च-ज-त-द-प-य-व' का प्रायः सर्वत्र लोप होता है और कई व्याकरणोंके अनुसार इनके स्थानमें कोई अन्य वर्ण नहीं होता । हेमचंद्राचार्यके प्राकृतव्याकरणानुसार उक्त लुप्तव्यंजनोंके दोनों ओर 'अ' या 'आ' होनेपर उनके स्थानमें 'य' होता है, किन्तु जैन अर्धमागधीमे जैसा कि ऊपरके नियमोंसे घटित है, प्रायः उनके स्थानमें अन्य व्यंजन होते है, और कहीं २ तो वही कायम रहता है। कहीं २ दोनो बातें न होकर महाराष्ट्रीकी तरह लोप भी होता है परन्तु वहीं जहां उक्त व्यंजनोंके बाद अवर्णसे भिन्न कोई स्वर हो। जैसे-आतुर आउर, लोक. लोओ प्रभृति । (१०) शब्दके आदि मध्य और संयोगमें सर्वत्र 'ण' की तरह 'न' भी होता है। जैसे-ज्ञातपुत्र लायपुत्त; अनल=अनल; अन्योन्य-अन्नमन्नः सर्वज्ञ-सन्वन्नु इत्यादि । (११) एव से पूर्वके 'अम्' के स्थानमे 'आम्' होता है, जैसे यामेव जामेव; क्षिप्रमेव-खिप्पामेवः एवमेव-एवामेव वगैरह । (१२) दीर्घ स्वरके बादके 'इति वा' के स्थानमें 'ति वा' और 'इ वा' होता है, जैसे-इन्द्रमह इति वा इंदमहे ति वा-इंदमहे इ वा इत्यादि । (१३) 'यथा' और 'यावत्' शब्दके 'य' का लोप और 'ज' दोनों ही देखे जाते हैं जैसे-यथाख्यात अहक्खाय; यथानामक-जहानामए; यावत्कथा आवकहा; यावजीव-जावज्जीव । वर्णागम-अर्धमागधीमें गद्यमें भी अनेक जगह पर समासके उत्तर शब्दके पहले 'म्' का आगम होता है, जैसे-अजहन्नमणुक्कोस, अदुक्खमसुहा, गोणमाइ, णिरयंगामी, सामाइयमाइयाई, उढुंगारव आदि । महाराष्ट्रीमे पद्यमें ही पादपूर्तिके लिए कहीं २ 'म्' का आगम देखा जाता है गद्यमे नहीं। शब्दभेद--(१) अर्धमागधीमें ऐसे बहुतसे शब्द हैं जिनका प्रयोग महाराष्ट्रीमें प्रायः उपलब्ध नहीं होता, जैसे-अज्झत्थिय, अज्झोववन्न, अणुवीति, आघवणा, आघवेत्तग, आणापाणु, आवीकम्म, कण्हुइ, केमहालए, दुरूढ, पञ्चत्थिमिल, पाउकुव्वं, पुरथिमिल्ल, पोरेवच्च, महतिमहालिया, वक, विउस इत्यादि । (२) ऐसे शब्द भी प्रचुर संख्यामे पाए जाते हैं जिनके रूप अर्धमागधी और महाराष्ट्रीमें भिन्न २ प्रकारके होते है । जैसे कि Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुचि मिलिच्छ अर्धमागधी महाराष्ट्री अर्धमागधी महाराष्ट्री अभियागम अब्भाअम नितिय णिच आउंटण आउंचण निएय णिअअ आहरण उआहरण पडप्पन्न पचुप्पन्न उप्पि उवार-अवरि पच्छेकम्म पच्छाकम्म किया किरिआ पाय (पात्र) पत्त कीस-केस केरिस पुढो (पृथक्) पुहं-पिहं केवच्चिर किअच्चिर पुरेकम्म पुराकम्स गेहि गिद्धि पुव्वं चियत्त चइअ माय (मात्र) मत्त-मेत्त छच छक माहण वम्हण जाया जत्ता मिलक्खु-मेच्छ णिगण-णिगिण(नग्न) णग्ग वग्गू वाआ णिगिणिण (नाम्न्य) णग्गत्तण वाहणा (उपानह् ) उवाणआ तच्च (तृतीय) तइअ सहेज सहाअ तच (तथ्य) तच्छ सीआण-सुसाण मसाण तेगिच्छा चिइच्छा सुमिण सिमिण दुवालसंग वारसंग सुहम-सहुम सोहि सुद्धि ___ और दुवालस, तेरस, अउणवीसड, वत्तीस, पणतीस, इगयाल, तेयालीस, पणयाल, अढयाल, एगट्ठि, वावहि, तेवहि, छावट्टि, अडसट्ठि, अउणत्तरि, वावत्तरि, पण्णत्तरि, सत्तहत्तरि, तेयासी, छलसीइ, वाणउइ प्रभृति संख्या शब्दोंके रूप जैसे अर्धमागधीमें पाए जाते हैं वैले महाराष्ट्री में नहीं । नामविभक्ति-(१) अर्धमागधीमे पुलिंग अकारांत गव्दके प्रथमाके एकवचनमे प्रायः सर्वत्र 'ए' और क्वचित् 'ओ' होता है जब कि महाराष्ट्रीमें केवल 'ओ' ही होता है। (२) सप्तमीका एक वचन 'स्सि' होता है किन्तु महाराष्ट्रीम 'म्मि' 1 (३) चतुर्थी के एकवचनमे 'आए' या 'आते' होता है, जैसे-अढाए, गमणाए, देवाए, सवणयाए, अहिताते इत्यादि । महाराष्ट्रीमें ऐसा नहीं। (४) अनेक शब्दोंके नृतीयाके एकवचनमे 'सा' होता है, जैसे-मना, सह दोच्च दुइअ म कवचनमे 'आए । महाराष्ट्रीम ए जसे Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ वयसा, कायसा, जोगसा, वलसा, चक्खुसा। महाराष्ट्रीम अनुकमने उनके स्थान में सणेण, वएण, कारण, जोगेण, वलेण, चक्खुणा होते हैं । (५) 'कम्म' और 'धम्म' शब्दके तृतीयाके एकवचनमें 'कम्मुणा' और 'धम्मुणा' होता है, जिसका अनुकरण पाली भाषा भी करती है, जबकि महाराष्ट्री 'कम्मेण' और 'धम्मेण ' होता हैं । ( ६ ) अर्धमागधीमें 'तत्' शब्दके पंचमी के बहुवचन में 'तेभो' भी देखा जाता है, जब कि महाराष्ट्री में इसका 'अदर्शनं लोपः' है । (७) 'युष्मत्' शब्दका षष्टीका एकत्रचन 'तव' और 'अन्मन्' का पीका बहुवचन ‘अस्माकम्' जिसका अनुकरण संस्कृतभाषा भी करती है, अर्धमागधीमं है महाराष्ट्र मे नही । आख्यात- विभक्ति - अर्धमागधीमे भूतकालके बहुवचन में 'सु' प्रत्ययका प्रयोग होता है, जैसे 'आभा सिसु' 'गच्छिसु' 'पुच्छिसु' आदि | महाराष्ट्रमि यह प्रयोग लुप्त है । धातुरूप — अर्धमागधीमे अकासी -अव्ववी- आइक्खर - आघं आहंसुकुम्बईघेच्छिइ-तिउट्टई-तिउट्टिज्जा - तिवायए-दुरूहइ-पडि संधयाति-पहारेत्था-भूया- भुवि - विगिंचए-समुच्छिहिति-सारयती- हुत्था होक्खती होत्या-प्रभृति प्रभूत प्रयोगों में धातुकी प्रकृति प्रत्यय अथवा दोनो जिस आकारमें पाए जाते हैं महाराष्ट्री में वे अलग २ प्रकारके देखे जाते है । धातुप्रत्यय - अर्धमागधीमें 'तत्वा' प्रत्यय के रूप अनेक तरहके होते है । (१) (अ) दु; जैसे - अवहट्टु, कट्टु, साह आदि । (आ) इत्ता, एत्ता, इत्ताणं और एत्ताणं; यथा - चइत्ता, पासित्ता, विउद्वित्ता, करेत्ता, पासित्ताणं, करेत्ताणं इत्यादि । (इ) इत्तु; जैसे - जाणित्तु, दुरूहित्तु, वधित्तु वगैरह । (ई) चा; यथा - किच्चा, चेच्चा, णच्चा, भोच्चा, सोचा प्रभृति । ( उ ) इया; जैसे- दुरूहिया, परिजाणिया आदि । इनके अतिरिक्त अणुवीति, निसम्म, विउक्कम्म, लड्डु, लडूण, समिच, संखाए, दिस्सा आदि प्रयोगो में 'त्वा' के रूप भिन्न २ प्रकारके पाए जाते हैं । (२) 'तुम' प्रत्ययके स्थान में 'इत्तए' या 'इत्तते' प्राय. देखा जाता है । जैसे - करित्तए, गच्छित्तए, विहरित्तए, संभुंजित्तए, उवसामित्त आदि । (३) ऋकारांत धातुके 'त' प्रत्ययके स्थान में 'ड' होता है, जैसे- कड, मड, अभिहड, वावड, संवुड, वियड, वित्थड प्रभृति । Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३ तद्धित (१) अर्धमागधीमें 'तर' प्रत्ययका 'तराय' रूप होता है, जैसे-अणि?तराए, अप्पतराए, बहुतराए, कंततराए इत्यादि । (२) आउसो, आउसंतो, गोमी, वुसिमं, भगवंतो, पुरथिम, पञ्चत्थिम, ओयंसि, दोसिणो, पोरेवच्च आदि प्रयोगोमें 'मतुप्' और अन्य तद्धित प्रत्ययोके जैसे रूप जैन अर्धमागधीमें देखे जाते हैं महाराष्ट्रीमें वे भिन्न प्रकारके होते हैं। महाराष्ट्री और अर्धमागधीमें इनके अतिरिक्त बहुतसे सूक्ष्म भेद हैं जिनका उल्लेख लेखका देहसूत्र बढ़नेके भयसे नहीं किया। आगमोद्धार जैसाकि हम ऊपर आगमोके इतिहास प्रकरणमें लिख चुके है स्थानकवासी समाजमे उत्तरोत्तर वृद्धि होती चली गई, अतः ज्ञानमे वृद्धि होनी ही थी । सवसे पहले श्रीधर्मशी स्वामीने मूलसूत्रोंपर 'टब्बे' लिखे, जो कि साधारण अभ्यासीके लिए अत्यंत उपयोगी है । क्या ही अच्छा होता यदि उन्हें प्रकाशित किया जाता। इसके बाद पूज्य श्रीअमोलक ऋषिजी म० ने बत्तीसों सूत्रोंका अनुवाद किया । जिसका प्रकाशन हज़ारों रुपया व्यय करके श्रीमान् राजा बहादुर शेठ दानवीर सुखदेवसहाय ज्वालाप्रसाद जौहरीने किया, इसके लिए वे अधिकाधिक धन्यवादके पात्र है । लेकिन पाठोकी अशुद्धि, कागज़की खरावी और मिश्रित हिन्दी होनेके कारण समाजको इतना लाभ न मिल सका जितना मिलना चाहिए था। इसके अनन्तर जैनाचार्य पूज्य श्रीआत्मारामजी महाराज और पूज्य श्रीहस्तीमलजी म. ने भी कई सूत्रोंके अनुवाद किए और घासीलालमुनि भी कर रहे हैं। __इसके अतिरिक्त रायवहादुर धनपतसिंह (मकसूदावादवाले) और आगमोदयसमिति आदिने भी आगमोंका प्रकाशन किया है पर वे भी अशुद्धियोंसे खाली नहीं । कई प्राध्यापकों ने भी इंग्लिश अनुवाद सहित कुछ सूत्र प्रकाशित किए, परंतु अतिसंक्षिप्त और महाराष्ट्री प्रधान होनेके कारण स्वाध्यायी के लिए अधिक उपयोगी नहीं। सूत्रागमप्रकाशकसमिति वैदिक प्रेस अजमेरकी छपी हुई चारो मूल वेदोकी पुस्तक एक किसानने गुरु महाराजकी सेवामे पेश की और पूछा कि आपके आगम भी एक जिल्दमे मिल Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४ सकते है, गुरु महाराज क्या उत्तर देते ? अतः उन्होंने गुडगांव न्यान त्यानी जिनका जैन संघको प्रेरणा दी और श्रीसूत्रागमप्रकाशकमामितिकी स्थापना विस्तृत वर्णन "विजय डायरी', 'मोहन डायरी', 'सामायिकसन' हिन्दी गानि प्रकाश' और 'नेमराजुल बारहमासा' गुजरातीम पढ़ सकते है। विल्लारमय उसका उल्लेख यहां नहीं किया गया । सूत्रागमप्रकाशकसमितिका पहला ध्येय ३२ आगमोको आगमत्रयकी पद्धति से प्रकाशित करना है। मूलसूत्रोंका प्रकाशन मूलसूत्रोंका प्रकाशन छुटक २ कई संस्थाओने किया है परन्तु पूरे मत्र किसीने अब तक मूल रूपमें प्रकाशित नहीं किए । आज तक उत्तराध्ययन टग कालिका सुखविपाक-नंदी बहुतसे और सूयगडाग-आचारांग-अनुयोगहार न्यून संख्या में मूलरूपमे छपे है। परन्तु अनुक्रमसे सबके सब आगम नहीं । सूत्रागमप्रकाशकसमितिकी योजना वत्तीसों सूत्रोको 'सुत्तागमे के रूपमे एकही पुन्तकम प्रकाशित करनेकी थी, परन्तु ग्रन्थकी देहयष्टी बहुत बढ़ जानेसे वैसा न हो सका। इसलिए ११ अंगोका प्रथम खंड बनाना पड़ा जिसमे लगभग १४०० पृष्टोमे ३५००० श्लोक है यह जानकर किसे प्रसन्नता न होगी। ___ आगमोंमें ११ अंगोंका महत्व-यो तो सारे ही आगम अत्यन्त उपयोगी और ज्ञानके अगाध समुद्र रूप है, परन्तु उनमें भी ११ अगोका अनोखा स्थान है । आचारांगमें साधु साध्वियोके आचार, भगवान् महावीरकी परिपहसहिष्णुता, एषणा, पाच महाव्रतोंकी २५ भावना आदिका वर्णन है । जो 'आचारः प्रथमो धर्मः' की उक्तिको चरितार्थ करता है । सूत्रकृतांगमें अन्यमतोंका दिग्दर्शन, उनका खंडन और स्वसमयका मंडन किया गया है । स्थानांगरसत्रमें १ से लेकर १० पर्यत संख्याकी वस्तुओका वर्णन है । विशेष नौवे ठाणेमे श्रेणिक राजाके आगामी भव पर प्रकाश डाला है । समवायांगलूत्र में १ से लगाकर कोडाकोडी सख्यातकके विषय वर्णित है। इसके अतिरिक्त द्वादशांगी स्वरूप भूत- - भविष्यत्-वर्तमान त्रिषष्ठिशलाका पुरुषोके माता पिताओके नाम एवं उनके नाम, पूर्वभव और आगामी भवके नामोका वर्णन है । ठाणाग और समवायागकी यही विशेषता है कि कोई भी विषय इनसे अछूता नही । भगवतीमें भगवान् गौतम द्वारा पूछे गए ३६००० प्रश्नोके उत्तर है । इसके अतर्गत रोहा अणगार, स्कंदक, तामली तापस, शिवराजर्षि, महाबल, ऋषभदत्त-देवानंदा, जमालि, गागेय अणगार, अतिमुक्तकुमारश्रमण, गोशालक, उदायन, मृगावती, जयंती लोक है यह ११ अंगों का रूप है, पाचार, भगवान मह जो 'आन Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५ श्राविका, सोमिल ब्राह्मण आदिके चरित्र भी है । ज्ञाताधर्मकथांगमें प्रथमश्रुतस्कंधमें १९ कथाएं उपनय सहित है। जो कि रोचक होनेके साथ २ बोधप्रद भी हैं, मेघकुमारकी यावत् कंडरीक-पुंडरीककी । दूसरे श्रुतस्कंधमें शिथिलाचार द्वारा होनेवाले दोपोंका दिग्दर्शन करानेवाली कथाएँ है । उपासकदशांगमें ज्ञातपुत्र महावीर भगवान् के १० मुख्य श्रावकोंका वर्णन है। उनमे भी आनंद और कामदेव का मुख्य स्थान है। अंतकृद्दशांगमें उन ९० महापुरुषोका चरित्र है जिन्होने कर्मोका निकंदन करके मोक्ष प्राप्त किया है । इसमे गजसुकुमाल, पद्मावती राणी, अर्जुन माली, अयवन्ताकुमारकी कथाएँ विशेष उल्लेखनीय है । अनुत्तरोपपातिकसूत्रमे अनुत्तरविमानमें उत्पन्न होनेवाले महापुरुषोंका वर्णन है। जिसमे महातपोधन धन्ना अणगार का वर्णन मुख्य है । प्रश्नव्याकरणमें आस्रवद्वारमें हिंसा असत्य-स्तेय-अब्रह्म और परिग्रह इन पांचोका स्वरूप समझाया है। इनके कर्ताओं और इनके फलका वर्णन भी है । संवरद्वार में अहिंसा-सत्य-अचौर्य-ब्रह्मचर्य-अपरिग्रह, उनका फल और साथ ही उनकी भावनाएँ वर्णित हैं। विपाकसूत्रके प्रथम श्रुतस्कंधमें १० जीवोका वर्णन है । जिन्होने असीम पाप करके महान् कष्ट उठाए, मृगापुत्रका यावत् अंजूका । दूसरे श्रुतस्कंधमें उन १० जीवोका वर्णन है जिन्होंने सुपात्र दान देकर सुख प्राप्त किया। सुवाह्रकुमारका यावत् वरदत्तकुमारका । इन ११ अंगोंमें धर्मकथानुयोग (प्रथमानुयोग ) गणितानुयोग, द्रव्यानुयोग और चरणकरणानुयोगके प्रायः सभी विषय वर्णित हैं। इनका अध्ययन-चिन्तनमनन करके अनेक भव्य आत्माओंने उत्तरोत्तर संसारका अन्त करके मुक्तिको पाया है। इनकी अधिक महत्ता बताना सूर्यको दीपक दिखानेके समान है। ये सुभाषितोके महाभंडार हैं। प्रस्तुत प्रकाशनकी विशेषता-(१) पाठशुद्धिका पूरा २ खयाल रक्खा गया है। (२) इसके संपादनमें शुद्ध प्रतियोका उपयोग किया है। (३) संक्षिप्त अर्धमागधी व्याकरण भी दिया गया है ताकि समझने में सरलता हो सके। (४) पाठान्तर नवीन पद्धतिसे दिए है। कार्यविवरण-इसका आरभ पूना चातुर्मासमें हुआ। वहां केवल आचा Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रांग का प्रथम श्रुतस्कंध ही अलग रूपमें प्रगट हो सका जो कि बहुतसे साधुसाध्वियोंके करकमलों में पहुँचाया गया। इसके अनन्तर गुरुदेव घोड़नदी अहमदनगर आदि क्षेत्रोंमें विचरते हुए नासिक पधारे। वहां तक केवल स्थानांगसूत्र तक छप सका। तदनन्तर घाटकोपर चातुर्मासमें समवायांग और भगवतीसूत्र तैयार हुए । पूर्वोक्त सूत्र भी कई साधु-साध्वियोके पास पहुँचाए गए । शुद्धपाठका निर्णय करनेमें काफ़ी से ज्यादह परिश्रम उठाना पड़ा है। इसके बाद सादड़ी सम्मेलनमें जाना पड़ा। अतः लगभग पांच मास तक कार्य बंद रहा । दोडायचा चतुर्मासमें फिर कार्य आरंभ हुआ। जहां से लगभग १००० सूत्र साधु-साध्वियोके हाथोंमें पहुंचाए गए। शनैः २ कार्य चलता रहा और सिरपुर में ११ अंगोके कार्यकी पूर्णाहुति हुई। स्पष्टीकरण-(१) जिनका ११ अंगोंमें वर्णन है उन्होंने भी ११ अंगोका अध्ययन किया, इसका कारण यह कि इनके प्रणेता श्रीसुधर्मा खामी हैं। भगवान् महावीरके पश्चात् वे ही पट्टपर आए, और शासनकी वागडोर संभाली। जैसे अनुत्तरोपपातिकसूत्रमें धन्ना अणगारका वर्णन है। कई प्रतियोके आरंभमें पाठ मिलता है. लेणिओ राया लेकिन श्रेणिक तो पहले ही मर चुके थे। अतः वह पाठ अशुद्ध है ऐसा जानना चाहिए। (२) शब्दकोप गाथाबद्ध सानुवाद तैयार किया जा रहा है, अतः शब्दकोष नहीं दिया गया। (३) अन्य उपयुक्त विषय जो कि ग्रंथके देहसूत्र वढ़ जानेके कारण नहीं दिए जा सके, वे अन्य पुस्तकमें दिए जायंगे । जिणचंदभिक्खू शातिभवन अंबरनाथ C. R. ता० ७.२-१९५३ Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७ संक्षिप्त-अर्धमागधी व्याकरण स्वरोंका प्रयोग (१) अर्धमागधीमें 'ऋ' 'ल' 'ऐ' औ' का प्रयोग नहीं होता। (२) संयुक्त व्यंजनसे पूर्वके दीर्घ खरके स्थानमें ह्रखका प्रयोग होता है, जैसे-आम्र=अंब इत्यादि। (३) 'ऋ' के स्थानमें 'अ' और कहीं २ 'इ' 'उ' और "रि' भी होता है। जैसेघृत-घय; कृपा-किवा; स्पृष्ट-पुट्ठः ऋद्धि-रिद्धि। (४) 'ल' के स्थानमें 'इलि' होता है, जैसे-कृप्त किलित्त । (५) संयुक्त व्यंजनसे पूर्वके 'इ' और 'उ' के स्थानमे 'ए' और 'ओ' का प्रयोग प्रायः होता है, जैसे-विल्व-वेल; पुष्करिणी-पोक्खरिणी। (६) 'ऐ' और 'ओं के स्थानमे 'ए' 'अइ' और 'ओ' 'अउ' होता है, जैसेवैद्य-वेज; वैशाख वइसाह; यौवन जोव्वणः पौर-पउर; विशेष-सौन्दर्यम् सुंदेरं; दौवारिकः दुवारिओ; गौरवम् गारवं-गउरवं; नौ-नावा इत्यादि । व्यंजनोंका प्रयोग-(१) 'म्ह’ ‘ण्ह' और 'ल्ह' के अतिरिक्त विजातीय संयुक्त व्यंजन प्रयुक्त नहीं होते, जैसे-पक्क-पक्क । (२) स्वर रहित केवल व्यंजनका प्रयोग नहीं होता, जैसे-राजन् राय; तमस्-तम । संयुक्त व्यंजनोंमें परिवर्तन-(१) क्त-क्य-क्र-क्ल-क्व-त्क-क-ल्क-के स्थानमे "क होता है । जैसे-मुक्त-मुक्क; शाक्य-सका शक्र-सकविक्लव-विक्कव; पक्क पक्क; उत्कंठा-उक्कंठा; अर्क-अक; वल्कल-बक्कल । (२) ख क्ष-ख्य-क्ष्य-रक्ष-त्ख-ष्क-स्क-स्ख-के स्थानमें 'क्ख' होता है । जैसेदुःख-दुक्ख; मक्षिका मक्खिया; मुख्य-मुक्ख; भक्ष्य-भक्ख; उत्क्षिप्त उक्खित्त; उत्खात-उक्खाय; पुष्कर पोक्खर; प्रस्कंदन पक्खंदण; प्रस्खलित-पक्खलिय । (३)न-ग्म-ग्य-ग्र-श-द्र-र्ग-ल्ग-के स्थानमें 'ग' होता है । जैसे-संविग्न= संविग्ग; युग्म जुग्ग; आरोग्य-आरोग्ग; समग्र समग्ग, खड्ग-खग्ग; मुद्ग-मुग्ग; मागे मग्ग; वल्ग-वग्ग । (४) घन-घ्र-द्ध-र्घ-के स्थानमे 'घ' होता है । जैसे-कृतघ्न क्रयग्य; शीघ्र सिग्घ; उद्धाटन उग्घाडण; दीर्घ-दिग्घ । (५) च्य-त्य-त्व-थ्य-र्च-के स्थानमे 'च' होता है । जैसे-वाच्य-वच्च अपत्य-अवच्च कृत्वा-किच्चा; तथ्य-तच; वचेवच्च । Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) थ्य-क्ष-क्ष्म-छू-त्स-त्स्य-थ्य-प्स-च्छ-श्च-स्त-के स्थानमे 'च्छ' होता है। जैसे-दक्ष-दच्छ; लक्ष्मी-लच्छी; कृच्छ्र-किच्छ; वत्सल वच्छल; मत्स्य-मच्छ; नेपथ्य-नेवच्छ; अप्सरा अच्छरा; मूर्छा-मुच्छा; पश्चात् पच्छा; विस्तीर्ण विच्छिन्न । (७) ज्य-ज्र-ज्व-द्य-द्व-ब्ज-यय-य-र्ज-w-के स्थानमें 'ज' होता है, जैसेविभाज्य-विभज्जः वज्र-वज; प्रज्वलित-पजलिय; अनवद्य-अणवज; विद्वान् विज; अब्ज अज; शय्या=सिज्जा; आर्या-अजा; तर्जनी-तज्जणी; वर्ण्य वज्ज । (८) ध्य-ध्व-ह्य-के स्थानमें 'ज्झ' होता है, जैसे-उपाध्याय-उवज्झाय; बुध्वा% वुज्झा; ग्राह्य-गेज्झ। (९) त-त्त-त-के स्थानमे 'ह' होता है । जैसे-वर्ती वट्टी; पत्तन पट्टण; नर्तक-नट्टग। (१०) ष्ट-ट-र्थ-के स्थानमें '' होता है, जैसे-संतुष्ट-संतुट्टः निष्ठुर=निहर; समर्थ समट्ठ। र्त-द-के स्थानमे 'ड' होता है, जैसे-गर्ता गड्डा; विच्छर्द-विच्छड्ड । व्य-द्ध-ध-के स्थानमे 'ड' होता है, जैसे-धनाढ्य धणड्डः वृद्धि वुद्धि; वर्धमान वढमाण । (११) ज-ण्य-न्य-न्व-म्न-र्ण-के स्थानमे 'पण' होता है, जैसे--विज्ञान विन्नाण, हिरण्य-हिरण्ण; धन्य धण्ण; अन्वर्थ-अण्णत्थ; निम्न निण्ण; सुवर्ण सुवण्ण । (१२) क्ष्ण-श्न-ष्ण-स्न-ल-ह्न-के स्थानमे 'ह' होता है, जैसे-श्लक्ष्ण-सण्ह: प्रश्न-पण्हः पृष्णि-पण्हि; स्नान=ण्हाण, पूर्वाह्न-पुव्वण्ह; वह्नि-वहि । (१३) क्त-न-त्म-त्र-त्व-प्त-त-के स्थानमे 'त्त' होता है, जैसे-भुक्त-भुत्ता प्रयत्न पयत्त, आत्मा अत्ता; पत्र-पत्त; तत्व-तत्त; प्राप्त पत्त; का कत्ता। (१४ ) क्थ-त्र-र्थ-स्त-स्थ-के स्थानमे 'त्थ' होता है, जैसे-सिक्थ-सित्थ; तत्र तत्य, समर्थ-समत्य; विस्तार-वित्थार; इन्द्रप्रस्थ इंदपत्थ । द्र द ब्द-र्द-के स्थानमें 'ह' होता है। जैसे-समुद्र-समुद्दः प्रद्वेप-पद्देस; शब्द सद्द; कर्दम-कदम । ग्ध-ध्वब्ध-र्ध के स्थानमे 'द्ध' होता है, जैसे-दुग्ध-दुद्ध; अध्वन् अद्ध; लब्धि-लद्धि; वर्षमान बद्धमाण । (१५) क्म-त्प-त्म-प्य-प्र-प्ल-प-ल्प-के स्थानमे 'प्प' होता है, जैसे-रुक्मिणी= रुप्पिणी; उत्पल-उप्पल, परमात्मन् परमप्पः क्षिप्र-खिप्प; विप्लव-विप्पवः सर्पसप्प; जल्प जप्प; कल्प-कप्प । त्फ-ष्प-फ-स्प-स्फ-के स्थानसे 'प्फ' होता है, जैस-उत्फुर-उप्फुट पुष्प-पुप्फ; निष्फल=निप्फल; बृहस्पति-बिहप्फइ प्रस्फो-- Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ टित-पप्फोडिय । द्व-र्व-व-के स्थानमे 'ब्ब' होता है, जैसे-उद्बोधित-उब्बोहिय; निर्वल=निव्वल; अब्रह्म-अब्बंभ । ग्भ-भू-भ्य-भ्र-भ-व्ह-इनके स्थानमे 'भ' होता है, ईपत्प्रारभार ईसिपव्भार; सद्भुत-सब्भूय; अभ्यास-अब्भास; शुभ्र सुब्भ; अर्भक अव्भग; विव्हल-विव्भल । (१६) ग्म-न्म-म्य-म-ल्म-अ-H-के स्थानमें 'म्म' होता है, जैसे-युग्म-जुम्म; मन्मथ-वम्महः साम्य-सम्म; धर्म-धम्म; गुल्म-गुम्म; पद्म-पोम्म; हमे हम्म । क्ष्म-म-घूम-स्म-स-के स्थानमें 'म्ह' होता है, जैसे-पक्ष्मन् पम्ह; कुश्मान-कुम्हाण; ग्रीप्म-गिम्ह; विस्मय-विम्हय; ब्रह्मा वम्हा; विशेप-ब्राह्मण वम्हण, बंभण। (१७) र्य-ल-ल्य-ल्व-के स्थानमें '' होता है, जैसे-पर्यस्त-पल्लत्थ; निर्लज= निल्लज कल्याण कल्लाण; पल्वल-पल्लल; 'हृ' को 'ल्ह' आह्लाद-आल्हाय । द्व-र्वव्य-ब-के स्थानमे 'व्व' होता है, जैसे-उद्वेग-उव्वेग; उर्वी उव्वी; काव्य-कव्व; प्रव्रज्या पव्वजा। (१८) पे-इम-श्य-श्र-श्व-ष्य-स्य-त्र-स्व-के स्थानमें 'स्स' होता है, जैसे-वर्ष= वस्स; रश्मि रस्सि; लेझ्या लेस्सा; विश्राम विस्साम; ईश्वर इस्सर; दूष्य-दुस्स; तस्य-तस्स; सहस्र-सहस्स; ओजस्विन्=ओयस्सि । ___असंयुक्त व्यंजनोंमें परिवर्तन (१) क-ग-च-ज-त-द-प-य-व-लुक् और ण-न-के लिए देखो अर्धमागधी और महाराष्ट्रीमे भेद (१) से (१०) तक । (२) ख-घ-थ-ध-भ-के स्थानमें 'ह' होता है, जैसे-सुख-सुह; मेघ-मेह, रथ= रह; वधिर वहिर; सफल-सहल; सभा-सहा । (३) ट-ठ-ड-के स्थानमे ड-ढ-ल होते है जैसे-भट-भड; शठ सढ; गुड-गुल। (४) आदि के 'य' को 'ज' होता है और उपसर्ग के पीछे 'य' आनेपर कही २ 'ज' होता है, जैसे-यम-जम; संयोग-संजोग । (५) कहीं २ 'र' को 'ल' होता है, जैसे-दरिद्र-दलिद्द । (६) 'श' और 'प' के स्थानमे 'स' होता है जैसे-विशेप-विसेस । (७) अनुस्वारके पीछे 'ह' आवे तो उसे 'घ' विकल्पसे होता है, जैसे-संहारः= संघारो, संहारो। शेष-(१) आदि के क्ष-स्क त्य-द्य-ध्य-ध्व-स्त-स्थ-स्प और 'ज्ञ' के स्थानमे ख-छझ, ख, च, ज, झ, झ, थ, ठ-थ, फ और ण-न होते है, जैसे-क्षयः खओ, क्षीर छोर, क्षर-झरः स्कन्ध खंध; त्यागः-चाओ द्युति-जुइ; ध्यान झाण; ध्वजः-अओ; स्तुति-थुइ Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३० स्थान-ठाण; स्थावर-थावर; स्पर्श-फास; ज्ञान-णाण-नाण; आदिके 'क' आदि के स्थानमे 'क' आदि होते है जैसे-क्रम क्रम; ग्रसित गसिय; घ्राण घाण; द्रह-दह; प्रहार पहार; भ्रम=भम; म्रक्षण-मक्खण; व्रणवण; श्रम-सम; ह्रास हास; त्रस-तस । (२) उष्ट्र, इष्टा, संदष्ट के 'ष्ट्र' और 'ट' को 'g' न होकर 'दृ' होता है, 'समस्त' और 'स्तब' के 'स्त' को 'त्थ' और 'थ' नहीं होता, समस्त समत्त; स्तंबतंब । 'प्प' और 'स्प' को कहीं २ 'फ' नही होता । जैसे-निष्प्रभ निप्पह; परस्पर परोप्पर । 'म' को 'प्प' होता है, जैसे-कुमल कुप्पल । 'ज्ञ' के 'अ' का लोप भी विकल्पसे होता है, मनोज्ञ-मणोज-मगोण्ण । (३) द्विरुक्तिको पाए हुए ख्ख-छ्छ-ठ्ठ-थ्थ-फ्फ ध्य-झझ--ध्ध-भ्भ-के स्थानमें अनुक्रमसे क्ख-च्छ-ठ्ठ-त्थ-प्फ-ग्घ-ज्झ-बृद्ध-ब्भ होते हैं। . (४) शब्दवर्ती 'य' का 'रिय' और 'हं' का 'रिह' होता है, इसी प्रकार श्री-ही-कृत्स्न-क्रिया इन शब्दों में संयुक्त अन्त्याक्षरके पूर्व 'इ' होता है, जैसे-भार्या भारिया, गर्दा गरिहा; श्री. सिरी; ह्री=हिरी; कृत्स्न कसिण; क्रिया-किरिया । (५) संयुक्त 'ल'के पहले 'इ' होता है, जैसे-क्लेश-किलेस; श्लोक-सिलोग। (६) 'श' अथवा 'घ' को 'रिस' विकल्पसे होता है, और 'तप्त' 'वज्र' शब्दमें भी संयुक्त अन्त्याक्षर के पहले 'इ' का आगम विकल्पसे होता है, जैसे-दर्शन= दरिसण-दसण; वर्पा वरिसा-वासा; तप्तं-तवियं-तत्तं; वज्रं-वरं-वजं । (७) स्याद् भव्य और चौर्य तथा उसके समान शब्दोंके संयुक्त व्यंजनोंके अन्त्याक्षरके पूर्व 'इ' होता है, जैसे-स्यात्-सिया; भव्यः भविओ; सूर्यः सूरिओ। (८) जिनके अन्तमे 'वी' सयुक्त व्यंजन हो ऐसे स्त्रीलिग नामोंमे उससे पूर्व 'उ' होता है, जैसे-तन्वी-तणुवी; पृथ्वी-पुहुवी। (९) जिस अव्ययके अन्तमे 'त्र' हो उसके स्थानमे हि-ह-त्थ होता है जैसेतत्र-तहि-तह-तत्थ । (१०) य-र-व-श-प-स ये श-ष-स-के साथ पहले या पीछे जुड़े हुए हो तो नियमानुसार लोप होनेपर श-ष स-को द्वित्व नहीं होता, परन्तु उसके पूर्वका स्वर प्रायः दीर्घ होता है, जैसे-पश्यति-पासइ; वर्षः वासो; कस्यचित् कासइ आदि । (११) अव्ययोमे तथा 'उत्वात' आदि शब्दोमे और 'घ' प्रत्ययके निमित्तसे वृद्धि पाए हुए 'आ' को 'अ' होता है, जैसे-यथा जह-जहा। उत्खातं उक्खयंउक्खाय । प्रवाह. पवहो-पवाहो आदि । Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२) 'उत्साह' और 'उत्सन्न' को छोड़कर जिन शब्दोंमें 'स' और 'च्छ' हो तो उनके पूर्वके 'उ' को 'ऊ' होता है, जैसे-उत्सुकः-ऊसुओ; उच्छ्वास= ऊसास। (१३) 'दृश' के 'दृ' को 'रि' होता है एवं ऋण-ऋजु-ऋपभ-ऋतु-ऋषि इनमें 'ऋ' को 'रि' विकल्पसे होता है,जैसे-सदृश-सरिस सदृक्ष-सरिच्छ; ऋण-रिणअण; ऋजु-रिजु-उज्जु; ऋपभ-रिसह-उसह; ऋतु-रिउ-उउ; ऋषि-रिसि-इसि । (१४) संख्यावाचक शब्दोमें असंयुक्त 'द' को 'र' होता है और दश-पापाण शब्दमें श-पको 'ह' विकल्पसे होता है, जैसे-एकादश-एयारह-एगारस; दश= दह-दस; पापाण=पाहाण-पासाण । (१५) शन्दके अन्य व्यंजनका लोप होता है । सामासिक शब्दोंमें प्रयोगके अनुसार (नित्य अथवा विकल्पसे) लोप होता है, जैसे-तावत्-ताव; सजन= सज्जण-सजण। (१६) स्त्रीलिंगी शब्दोंके अन्त्य व्यंजनके स्थानमें 'आ' अथवा 'या' होता है जैसे-सरित सरिआ-सरिया; अपवाद-विद्युत् विजुः क्षुध् छुहा; दिक्-दिसा; अप्सरस-अच्छरसा-अच्छरा; प्रावृष्=पाउस्; ककुभ् कउहा । व्यंजनान्त स्त्रीलिंगमें अन्य 'र' को 'रा' होता है, जैसे-धुर-धुरा । शरद् आदि शब्दोमें अन्त्य व्यंजनको 'अ' होता है जैसे-शरद-सरओ; भिपक्=भिसओ विशेष-आयुष्=आउसो-आउ, धनुप्=धणुह-धणू । (१७) दीर्घ स्वर और अनुस्वारके पीछे शेप व्यंजन और आदेशभूत व्यंजनको द्वित्व नही होता, एवं र-ह-को भी द्वित्व नही होता, जैसे—स्पर्श=फास; सन्ध्या सझा; ब्रह्मचर्यवंभचेर; कार्पापण काहावण । समासमे द्वित्व विकल्प से होता है, जैसे-देवस्तुति-देवत्युइ-देवथुइ । (१८) संयुक्त व्यंजनके अन्तमे म-न-य-ल-व-ब-र हो तो उसका और संयुक्त व्यंजनका पहला व्यंजन ल-व-व-र हो तो लोप होता है। जहां दोनोंका लोप होता हो वहां प्रयोगानुसार दो में से एक का लोप होता है, जैसे-स्मर-सर; श्याम साम; श्लक्ष्ण-सण्ह-लण्ह आदि । Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लंधि स्वरसंधि (१) अर्धमागधीमें यदि एक ही पदमें दो स्वर साथमे आवे तो संधि नहीं होती, जैसे-कुणइ, करेइत्था, जिणाओ। अपवाद रूपसे कहीं २ एक पदमे भी संधि होती है, जैसे-होहिइ होही, विइओ बीओ। भिन्न २ दो पदोंके स्वरोकी संधि संस्कृतके समान विकल्पसे होती है और ये दोनों पद सामासिक होने चाहिए, जैसे-मगह अहिवो-मगहाहिवो; सुर+ईसो-सुरेसो इत्यादि । कही २ असामासिक दो पदोंमे भी संधि होती है, जैसे-तत्थ+आगओ-तत्थागओ। (२) समासमे ह्रख स्वरको दीर्घ और दीर्घको ह्रस्व प्रयोगानुसार होता है, जैसे-सत्त+बीसा-सत्तावीसा; नई+कूलं नइकूलं ।। (३) इ-ई अथवा उ-ऊ के पीछे विजातीय स्वर आवे तो संधि नहीं होती, इसी प्रकार ए और ओ के बाद कोई भी स्वर हो तो संधि नहीं होती, जैसेवंदामि अजवइरं-वंदामि अजवइरं; नई एत्थ=,, माऊ एइ-, वणे अडइ-, अहो अच्छरियं-,,। (४) स्वर परे हो तो पहले स्वरका प्रयोगानुसार प्रायः लोप होता है, जैसेनीसास+ऊसासा-नीसासूसासा । (५) 'त्यद' आदि सर्वनाम तथा अव्यय के पीछे आए हए 'यद्' आदि सर्वनाम अथवा अव्ययके प्रथम स्वरका प्रायः लोप होता है, जैसे-अम्हे+एत्थ= अम्हेत्य; को+इमो=कोमो; जइ+अहं-जइहं । (६) 'इ' आदि पुरुषवोधक प्रत्ययके पीछे स्वर आवे तो संधि नहीं होती, जैसे-होइ+इह होइ इह। (७) व्यंजन सहित स्वरमे से व्यंजनका लोप होने पर शेष स्वरकी पूर्वके । म्वरके साथ सधि नहीं होती, जैसे-पयावई-पयावई। कहीं २ संधि भी देखी जाती है जैसे-कुंभआरो=कुंभारो। व्यंजनसंधि (१) अकारसे परे विसर्ग होनेपर पूर्वके स्वर सहित ओ होता है, जैसेअग्रतः अग्गओ; इसी प्रकार तम् प्रत्ययके स्थानमे तो, दो विकल्पसे होते है, ने-नत-नओ, तत्तो, तटो इत्यादि । (२) पदान्त 'म्' के पूर्वके अक्षरके ऊपर अनुस्वार होता है, यदि 'म्' के Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૨ पीछे खर हो तो अनुस्वार विकल्पसे होता है, जब अनुस्वार न हो तो 'म्' में पिछला स्वर मिल जाता है । जैसे-जिनम्-जिणं; उसभम् अजियं-उसभं अनियं, उसभमजिय; कहीं २ अन्त्य व्यंजनको भी अनुखार हो जाता है, जैसे-साक्षात्= सक्ख; यत्-जं; तत्-त; सम्यक् सम्मं । (३) शब्दवती 'ड्-अ-ण-न्' को अनुस्वार होता है, जैसे-पराड्मुख-परंमुह; काञ्चनम्-कंचणं; उत्कण्ठा-उकंठा; वन्ध्या वंझा। (४) अनुसारको सवर्गी व्यंजन परे हो तो अनुनासिक विकल्पसे होता है, जैसे-गङ्गा, गंगा; लन्छणं, लछणं; कण्टए, कंटए; आणन्दे, आणंदे; चम्पा-चंपा। (५) वक्रादि शब्दोंमें पहले दूसरे या तीसरे स्वर पर प्रयोगानुसार अनुस्वार होता है, जैसे-वक्रम् वंक; मनस्वी-मणंसी; उपरि-उवरिं। (६)जहां स्वरादि पदोंकी द्विरुक्ति हो वहां विकल्पसे 'म्' का आगम होता है, जैसे-एक+एक-एकमेक, एकक । (७) कई शब्दोंमें प्रयोगानुसार अनुस्वार का लोप होता है, जैसे-त्रिंशत्= तीसा; सिंह-सीह । अव्ययसंधि ' (१) अपि (अवि) अव्यय किसी भी पदके परे हो तो उसके आदिके 'अ' का लोप विकल्पसे होता है, जैसे-तं+अपि-तंपि-तमवि; केण+अविकेणवि, केणावि। (२) पदान्तमें स्वरसे परे 'इति' के स्थानमें 'त्ति' होता है, यदि पदान्तमें खर न हो तो नि' होता है; जैसे-तहा+इति-तहत्ति; जुत्तं+इति-जुत्तति । कारक (१) अर्धमागधीमें द्विवचन नहीं होता वल्के उसके स्थानमें बहुवचन का ही प्रयोग होता है, जैसे-हस्तौ हत्था। (२) चतुर्थी विभक्ति के स्थानमें षष्ठी का प्रयोग होता है, जैसे-नमोऽर्हद्भय.= णमो अरिहंताणं । . (३) एक विभक्तिके स्थानमें अन्य विभक्तिका प्रयोग भी देखा जाता है, जैसे-तृतीयाके स्थानमे छही-तैरेतदनाचीर्ण-तेसिं एयमणाइण्ण; सप्तमीके स्थानमें छट्टी-दानेपु श्रेष्ठं-दाणाण सेढं; सप्तमीके स्थानमे तृतीया-तस्मिन् काले तस्मिन् समये-तेणं कालेणं तेणं समएणं इत्यादि। Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४. शब्दोंके रूप अकारान्त पुल्लिंग.. बमाण एकवचन बहुवचन पढमा-बद्धमाणे, वद्धमाशो विद्धमाणा, . . . विइया-वद्धमाण वद्धमाणे, वद्धमाणा तइया-वद्धमाणेण, वद्धमाणेणं वद्धमाणेहिं, बद्धमाणेहि-हिँ ... चउत्थी-बद्धमाणस्स,'वद्धमाणाए-ते वद्धमाणाण, वद्धमाणाणं : पंचसी-बद्धमाणा, वद्धमाणत्तो, बद्ध- वद्धमाणत्तो, वद्धमाणाओ-तो-उ-तु-हि माणाओ-तो-उ-तु-हि-हितो _ 'हिंतो-सुंतो, बद्धमाणेहि-हिंतो-संतो। छठी-वद्धमाणस्स .. विद्धमाणाण, वर्द्धमाणाणं सत्तसी-बद्धमाणे, बद्धमाणसि, वद्ध- वद्धमाणेसु, वद्धमाणेसुं ', ___ माणम्मि संबोहण-बद्धमाणे, वद्धमाणो, वद्ध-वद्धमाणा • माण, वद्धमाणा . . , अकारान्त नपुंसकलिंग । दमाणा जल. ५०-जलं. जलाणि, जलाई-इ-इ वि०-, तृतीयासे सप्तमी तक 'वद्धमाण' की तरह जानें। संक-जल (प्रथमाके अनुसार ) (नोट) पलिंगके प्रथमाके एक वचन बद्धमागे' की तरह नपुंसक-लिंगमे भी ‘णयरे ? जग आदि प्रथमाके एकवचन के रूप अर्द्धमागवीमें पाए जाते है। Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6 मुणओ-उ, मुणिणो, मुणी मुणिणो, मुणी प०- मुणी वि०-मुणि त० - मुणिणा च० - मुणिणो मुणिस्स मुणी हि - हिं-हिं सुणीण, सुणीणं पं० - मुणित्तो, सुणीओ-उ-हिंतो, मुणिणो | मुणित्तो, सुणीओ-उ-हिंतो- सुंतो सुणीण, सुणीं छ० - मुणिर्णो, मुणिस्स स० - मुर्णिसि, मुणिम्मि सं०- मुणी, मुणि प० - दहि वि०-,, सं० - दहि ३५ • प० - महुं वि०-,, इकारान्त पुल्लिंग मुणि प० - साहू साहवो, साहवे, साहओ उ, साहू, वि०- साहु साहुणो. साहुणो, साहू, साहवे, इससे आगे के रूप इकारान्त 'मुणि' शब्दके समान जानने चाहिएँ । } सं० - महु मुणीसु, मुणीसुं ( प्रथम के अनुसार ) उकारान्त पुल्लिंग 'साहु "" तृतीया सप्तमी तकके रूप 'मुणि" के समान समझें । | (प्रथमा के अनुसार ) इकारान्त नपुंसक लिंग दहि | दहीणि, दही-इँ उकारान्त नपुंसक लिंग महु महूणि-इ-हूँ """ तृतीया सप्तमी तक 'साहु' शब्द के समान जानें । | (प्रथमा के अनुसार ) 1, Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ऋकारान्त पुल्लिंग पियर-पिउ (पित) | पियओ, पियवो, पियउ, पिऊ, पियरा, पिउणो पियरे, पियरा, पिउणो, पिऊ प-पिया, पियरो बि०-पियरं तृतीयासे सप्तमी तक 'साहु' शब्दके समान जाने । 'पियर' के रूप 'वद्धमाण' के समान होते हैं। विशेष-छठी विभक्तिके एकवचनमें 'पिउए' भी होता है। सं०-हे पिय! पियर, पियरो (प्रथमाके अनुसार) (नोट) पितृ आदि शब्द विशेष्यवाची हैं, विशेष्यवाचक शब्दके अन्त्य 'ऋ' के स्थानमें 'उ' और 'अर' होता है, जैसे-पितृ-पिउ, पियर; जामातृ जामाउ, जामायर । दातृ आदि शब्द विशेषण-वाचक हैं, इनके स्थानमें 'उ' और 'आर' होता है, जैसे-दातृ-दाउ, दायार; कर्तृ कत्तु, कत्तार । व्यंजनान्तनाम (१) जिन नामोंके अंतमें मत्-वत् और अत् हो उनके अंतके अत्के स्थानमें अन्तका प्रयोग होता है और उनके रूप अकारान्त 'वद्धमाण' के समान चलते हैं। जैसे-भगवत्-भगवंत; भवत्-भवंत; धीमत् धीमंत । भगवत् शब्दका प्रथमाका एकवचन 'भगवं' होता है जो कि शौरसेनीके समान है। (२) जिन नामोके अन्तमें 'अन्' है उन नामोंके अन्तके 'अन्' को 'आण' विकल्पसे होता है और उसके रूप अकारान्त पुल्लिंगके समान होते हैं । यथाराजन्-रायाण, राय; आत्मन् अप्पाण, अप्प । 'अन्' अंत वाले शब्दोंके और भी रूप होते हैं जो नीचे दिए जाते हैं। Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७ अप्पा-अप्पाण प०-अप्पा, अप्पो, अप्पाणो । | अप्पा, अप्पाणा, अप्पाणो वि०-अप्पं, अप्पाणं, अप्पिणं अप्पे, अप्पा, अप्पाणे, अप्पाणा-णो त०-अप्पेण-णं, अप्पाणेण-णं, अप्पणा अप्पेहि-हिं-हिं, अप्पाणेहि-हि-हिँ च०-अप्पस्स, अप्पाणस्स, अप्पणो अप्पाण-णं, अप्पाणाण-णं, अप्पिणं पं०-अप्पत्तो, अप्पाओ-उ-हि-हितो, अप्पत्तो, अप्पाओ-उ-हि-हिंतो-सुंतो, अप्पा, अप्पाणो, अप्पाणत्तो, अप्पेहि-हिंतो-सुंतो, अप्पाणत्तो, अप्पाअप्पाणाओ-उ-हि-हिंतो, अप्पाणा णाओ-उ-हि-हिंतो-सुतो, अप्पाणेहि-हिंतो सुतो छ०-अप्पस्स, अप्पाणस्स, अप्पणो अप्पाण-णं, अप्पाणाण-णं, अप्पिणं स०-अप्पे, अप्पम्मि, अप्पाणे, अप्पा- | अप्पेसु-सुं, अप्पाणेसु-सुं णम्मि सं०-हे अप्प, अप्पो, अप्पा, अप्पाण, अप्पा, अप्पाणा, अप्पाणो अप्पाणो, हे अप्पाणा इस प्रकार 'अन्' अंत सब नामोंके रूप जानना। विशेष:-'राय-रायाण' शब्दके रूपोंमें जो विशेषता है वह इस प्रकार है (१.) णो, णा, म्मि ये तीन प्रत्यय लगाते समय पूर्वके 'य' को विकल्पसे 'ई' होता है, जैसे-राइणो, रायणो; राइणा, रायणा; राइम्मि, रायम्मि । (२) द्वितीयाके एकवचन और छट्ठीके बहुवचनमें प्रत्यय सहित 'राय' शब्दके 'य' को 'इणं' आदेश विकल्पसे होता है। जैसे-द्वि. ए. राइणं अथवा रायं, छ. व. राइणं अथवा रायाणं । (३) तृतीया पंचमी और छडीके एकवचनमें मा, णो प्रत्ययके पहले 'राय' शब्दके 'आय' को 'अण' विकल्पसे होता है तृ. ए. रण्णा अथवा राइणा, रायणा पं. ए. रणो अथवा राइणो, रायाणो छ. ए: रण्णो अथवा राइणो, रायणो (४) तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी और सप्तमीके बहुवचनमें प्रत्ययोंसे पहले 'राय' शव्दके 'य' को विकल्पसे 'ई' होता है तृ. ब. राईहि अथवा राएहि च. छ. व. राईणं अथवा राइणं, रायाणं पं. ब. राईओ, राईसुतो अथवा रायाओ, रायासंतो स. ब. राईसु अथवा राएहुँ। Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आकारान्त स्त्रीलिंग कहा प०-कहा | कहाओ, कहाउ, कहा वीया-कहं त०-कहाय, कहाइ, कहा(ते) ए कहाहि, कहाहिं, कहाहिं च०७०-, " " कहाण, कहाणं पं०-कहाय, कहाइ, कहाए, कहत्तो, कहत्तो, कहाओ-उ-हिंतो-सुंतो कहाओ-उ-हिंतो स०-कहाय, कहाइ, कहाए । कहासु-सुं सं०-कहे, कहा (प्रथमाके अनुसार) इकारान्त स्त्रीलिंग मई सम२ ज०-मई | मईओ, मईउ, मई वी०-मई " , " त०-मईय, मईइ, मईए मईहि-हिं-हि च०छ०-, ,, मईण, मईणं' पं०-, , , मइत्तो, मईओ-उ-हिंतो मइत्तो, मईओ-उ-हिंतो-सुतो 'स०-मईय, मईइ, सईए | मईसु, मईसुं सं०-सइ, मई (प्रथमाके अनुसार) दीर्घ ईकारान्त ह्रस्व उकारान्त और दीर्घ ऊकारान्तके रूप भी 'मई के समान जानें। ऋकारान्त स्त्रीलिंग 'मातृ' शब्दके स्थानमे 'माया' और 'मायरा' प्रयुक्त होते हैं, इसके सब रूप 'कहा' के समान हैं । केवल संबोधन प्रथमाकी तरह ही होता है। सर्वनाम अकारान्त पुल्लिंग सर्वनामके रूप 'वद्धमाण' शब्दकी तरह जानें, विशेषता निम्नलिखित है। Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प०-... सव्व' . . सव्वे. . चल्छ०-... सव्वेसि पं०-सव्वम्हा स०-सव्वत्थ, सव्वस्सि; सव्वहिं, सव्वम्मि (नोट) 'एय' और 'इम' को "हिं' प्रत्यय नहीं लगता। आकारान्त स्त्रीलिंग सर्वनाम के रूप 'कहा' की तरह होते हैं । विशेष छट्ठीके बहुवचनमें 'सिं' प्रत्यय होता है । अकारान्त नपुंसकलिंगके रूप 'जल' के समान जाने । तुम्ह-अम्ह के उपयोगी रूप तुम्ह पं०-तं, तुं, तुम | तुम्हे, तुब्भे, तुज्झे, भे बी०-तं, तुं, तुम ,, , , ,, वो ल०-तए, तुमए, तुमे तुव्भेहिं, तुम्हेहि, भे च० छ०-ते, तुह, तुज्झ तुन्माण, तुम्हाण, मे, वो पं०-तुमत्तो, तुमाओ तुम्हत्तो, तुम्हाओ, तुब्भत्तो, तुब्भाओ ल०-तुमए, तए, तइ . तुन्भेसु, तुम्हेसु-सुं । अम्ह प०-हं, अहं, अहy अम्हे, मो, वयं बी०-म, ममं अम्हे, णे त-मइ, मए अम्हेहि णे च० छ०-मे, मम, मज्झ, मह, मनं अम्हं, अम्हाणं, णे, णो पं०-ममत्तो, ममाओ अम्हत्तो, अम्हाओ स०-मइ, मज्झे, ममंसि, मम्हि | अम्हेसु संख्यावाचक शब्द ___ एग-एक-इक शब्दके रूप तीनों लिंगोंमे प्रयुक्त होते है, उनके रूप 'सव्व के समान जानना। Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ___ 'दो' से 'अट्ठारह' तकके रूप बहुवचनमें प्रयुक्त होते हैं और तीनों लिंगोंमें समान रहते है । 'अट्ठारह' तकके संख्यावाचक शब्दोंके छट्ठीके बहुवचनमें यह और 'हं' प्रत्यय लगता है। ___ दु-दो-वे प० बी०-दुवे, दोग्गि, दुण्णि, वेण्णि, विण्णि, दो, वे त०-दोहि-हिं-हिं, वेहि-हि-हिँ च० छ०-दोण्ह, दोण्हं, दुण्ह, दुण्हं, वेण्ह, वेण्हं, विण्ह, विण्हं पं०-दुत्तो, दोओ-उ-हिंतो-संतो, वित्तो, वेओ-उ-हिंतो-सुंतो स०-दोसु-सुं, वेसु-सुं प० बी-तिण्णि च००-तिग्रह, तिण्हं शेष रूप 'मुणि' शब्दके बहुवचनानुसार जानें । चउ प० बी०-चत्तारो, चउरो, चत्तारि त०-चउहि-हिं-हिं, चऊहि-हिं-हिँ च० छ०-चउण्ह, चउण्हं शेष 'साहु' के बहुवचनानुसार जानें। पंच प० बी०-पंच त०-पंचहि-हिं-हिं च० छ०-पंचण्ह, पंचण्हं शेष 'वद्धमाण' के बहुवचनानुसार । क्रियापद जैसे संस्कृतमें दश गण और उनमे परस्मैपदी, आत्मनेपदी, उभयपदी धातु और उनके भिन्न २ प्रत्यय होते हैं, वैसे अर्धमागधीमें नही । अर्धमागधीमे वर्तमानकाल, भूतकाल (ह्यस्तन परोक्ष. अद्यतन भूतके स्थानमें) आज्ञार्थ, विध्यर्थ, भविष्यकाल (श्वस्तन भविष्य और सामान्य भविष्यके स्थानमें) और क्रियातिपत्यर्थ इतने कालोंका प्रयोग होता है। Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरान्त और व्यंजनान्त धातुमें भेद व्यंजनान्त धातुके अन्तमें 'अ' अवश्य लगता है और स्वरान्त धातुक्के विकल्पसे । वर्तमान काल - नमा NE एकवचन वहुवचन प्र०पु०-हसइ, हसेइ, हसए हसन्ति, हसन्ते, हसिरे, हसेंति, हसेते, हसेइरे, हसिंति, हसिंते, हसइरे म० पु०-हससि, हसेसि, हससे हसह, हसित्था, हसेह, हसेइत्था, हस इत्था, हसेत्था उ० पु०-हसामि, हस मि,हसेसि हसिमो, हसामो, हसमो, हसेमो (नोट) उत्तम पुरुषके बहुवचनमें 'मो-मु-म' ये तीन प्रत्यय लगते है यहाँ केवल 'मो' के रूप दिए हैं 'मु' और 'म' के रूप भी इसी प्रकार जानलें । सर्ववचन सर्वपुरुप हसेज, हसेज्जा, हसिज्ज, हसिज्जा 'अस' धातुके रूप प्र० पु०-अस्थि सन्ति म० पु०-सि उ० पु०-मि, अंसि स्वरान्तधातु हो जब उपरोक्त नियमानुसार 'अ' लगता है तो इसके रूप 'हस्' की तरह होते है जैसे-होअइ, होअसि, होअमि इत्यादि । __ जव 'अ' नहीं लगता तो इसके रूप इस प्रकार होते हैं। प्र० पु०-होइ | होंति, हुंति, होते, होइरे म० पु०-होसि होह, होइत्था उ० पु०-होमि होमो, होमु, होम Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ કર विशेष - खरान्त धातुओंमें 'दा' धातुको पुरुषबोधक प्रत्यय लगाते समय अन्त्य 'आ' को कहीं २ 'ए' होता है, जैसे-देइ, दंति, दिन्ति, देसि देमि, देमु इत्यादि । भूतकाल व्यंजनान्त धातुओंके सर्ववचन और सर्वपुरुषमें 'अ' प्रत्यय लगता है, जैसे - वस् + ई = वसीअ । स्वरान्त धातुओंको 'सी' 'ही' 'हीअ' प्रत्यय लगते हैं, जैसे - कासी - काही - काहीअ | अस्सू सर्ववचन सर्वपुरुष - आसि, अहेसि 'परिवर्तन से होनेवाले रूप – अवोच, अभू, आसी, आसिमो-मु, अदक्खु, अकासि | 1 (२) सर्ववचन और सर्वपुरुष में धातुको 'स्था' और 'इंस' प्रत्यय होता है, जैसे - होत्या, पलाइत्था । 'इंसु' प्रत्ययके लिए देखो आख्यात- विभक्ति प्रकरण । विशेष - ( १ ) कहीं २ ' इंसु' को गुण भी होता है, जैसे— परिकहेंसु । (२) धातुके पूर्व कहीं २ 'अ' का आगम भी होता है, जैसे- अकहिं | भविष्यकाल हस्र हसिहिंति - ते -- हिरे प्र०पु० - हसिहिइ-हिए-स्सइ-स्सए हसेहिंति, हसिस्संति-ते, हसेस्संति - ते हसेहिइ,,,,,, म० पु० - हसि हिसि हिसे स्ससि - स्ससे- हसि हिह स्सह-हित्या हसे हिसि हसेहिह, " " उत्तम पु० - हसिस्सं-स्सामि हामि हिमि,हसिस्सामो- मु-म-हामो सु-म- हिमो-मु-म हिस्सा हित्था हसेस्सं-स्सा मि-हामि-हिमि हसेस्सामो-मु-म-हामो-मु-म- हिमो-मु-म सर्वपुरुष सर्ववचन - हसेज-ज्जा, हसिज-जा در हिस्सा-हित्था Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपरोक्त नियमानुसार 'हो' और 'हो' दोनोंको हस्के समान प्रत्यय लगाएं। विशेष-कर् धातुको भविष्यकालमें 'का' आदेश विकल्पसे होता है, और उत्तम पुरुषके एक वचनमे 'काहं विकल्पसे होता है। ऐसे ही 'दा' धातुके विषयमें भी जानें। ও হে হি प्र० पु०-हसउ, हसेउ, हसए, हसे हसंतु, हसेंतु, हसितु म० पु०-हसहि, हससु, हसिन्जसु-जहि- हसह, हसेह, हसिज्जाह, हसेज्जाह जे-जसि-जासि-जाहि, हसे हिसु-जसु-जहि जे-जसि-जासि जाहि, हस, हसे, हसाहि । उ० पु०-हसमु, हसामु, हसिमु, हसेमु हंसमो, हसामो, हसिमो, हसेमो लर्वपुरुष-सर्ववचन-हसेज-ज्जा, हसिज-ना होमो (१) 'होम' में हस्के समान प्रत्यय जुड़ते हैं। ' (२) केवल 'हो' के रूप नीचे लिखे अनुसार हैं। प्र०पु०-होउ होतु म०पु०-होसु, होहि होह उ०पु०-होमु क्रियातिपत्यर्थ _"क्रियातिपत्यर्थ' क्रियाकी निष्फलताका सूचक है जैसे-'ऐसा हुआ होता तो ऐसा होता' पर पहला कार्य न होने से दूसरा कार्य भी न बना। प्रत्यय-विशेष्य के लिंगानुसार प्रथमा के एकवचन और बहुवचनके उस २ लिंगके प्रत्यय, 'न्त' लगाकर तैयार किए गए प्रत्यय और सर्ववचन सर्वपुरुषमे ज-जा प्रत्यय लगानेसे क्रियातिपत्यर्थके रूप होते हैं । Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ पुलिंग-हस्-हसन्ते, हसन्तो हो-होन्ते, हुन्ते, होतो, हसन्ता होन्ता, हुन्ता हुतो मीलिंग-हस्-हसन्ती, हसन्ता हो-होन्ती, हुन्ती, होता, 'ओ' और जोड़ देनेसे वहुवचनके रूप बन जाते हैं। हुन्ता नपुंसकलिंग-हसू-हसंतं हसन्ताई हो-होन्तं, हुन्तं होन्ताई, हुंताई _ 'हो' अंगके रूप पुल्लिंग | स्त्रीलिंग नपुंसकलिंग होअन्तो होअन्ता होअन्ती होअन्ता । होअन्तं होअन्ताई सर्ववचन सर्वपुरुष हसू-हसेज, हसेज्जा हो-होज, होजा, होएज, होएजा कर्मणि जो धातु सकर्मक हो उसका कर्मणि प्रयोग होता है, कर्तामे तृतीया विभक्ति और कर्ममें प्रथमा विभक्ति होती है तथा कर्मके आधार पर क्रियापद होता है जैसे-वालो पुत्थयं पढइ-बालेण पुत्थयं पढिजइ इत्यादि। भाव प्रयोगमे कर्ताके स्थानमें तृतीया विभक्तिका प्रयोग होता है और कर्म न होनेके कारण क्रियापद प्रथम पुरुपके एकवचनमें प्रयुक्त होता है, जैसे-सो गच्छइ-तेण गम्मइ आदि । __ धातुसे कर्म और भावमे रूप वनानेके लिए 'ईअ' अथवा 'इज' प्रत्यय प्रयुक्त होता है, इसके बाद काल के पुरुपबोधक प्रत्यय लगते है। . __ भविष्यकाल क्रियातिपत्यर्थ आदिके रूप भाव और कर्ममे कर्ताके समान होते है। Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कर्तरि कर्म और भावमें प्रयुक्त होनेवाले कुछ धातु कर्मणि वयू बुच सुव्व हण हम्म उ उज्झ भण्ण लन्स हर हीर जाण् पासू दीस कीर नज्ज इत्यादि विकल्पसे आदि नित्य कृदन्त वर्तमानकृदन्त हसन्त, हसेन्त, हसमाण, हसेमाण (पुल्लिंगके रूप बद्धमाणके समान और नपुंसकलिंगके रूप जलके समान होते हैं) स्त्रीलिंग-हसन्ती, हसन्ता, हसेन्ती, हसेंता, हसमाणी-माणा, हसेमाणी माणा (आकारान्त कहाके समान और ईकारान्त मइ के समान) पुल्लिंग-होन्त, हुन्त, होमाण, होअन्त, होएन्त, होअमाण, होएमाण (पुल्लिंग ___ वद्धमाणकी तरह नपुंसकलिंग जलकी तरह) स्त्रीलिंग-होन्ती, हुन्ती, होन्ता, हुन्ता, होमाणी-माणा-ई-अई-एई-अन्ती ___ अन्ता-एन्ती-एन्ता-अमाणी-एमाणी-अमाणा-एमाणा (आकारान्त __कहाकी भांति और ईकारान्त मइकी भांति) धातुके कर्मणि अंगको ये ही प्रत्यय लगानेसे कर्मणि वर्तमान कृदन्त होता है। विध्यर्थ कृदन्त धातुके अंगको तव्व-यव्व-अणीअ और अणिज्ज प्रत्यय लगानेसे विध्यर्थ कर्मणि कृदन्त होता है, यदि 'तव्च' और 'यव्व' प्रत्यय लगाते समय पूर्वमें 'अ' हो तो उसे 'इ' अथवा 'ए' होता है, जैसे-झाइतव्वं-झाएतव्वं-झाइयव्वं-झाएयव्वंशाअणीअं-झाअणिजं इत्यादि । Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भूत-कृदन्त धातुको 'य' अथवा 'त' प्रत्यय लगानेसे कर्मणि भूत कृदन्त होता है । प्रत्यय लगाते समय 'अ' को 'इ' होता है और यह कृदन्त विशेषण होता है । तथा स्त्रीलिग करना हो तो 'आ' लगानेसे वैसा हो जाता है । जैसे-हसियं-हसितं, हसिए-ते, हसिओ-तो, हसिया-ता, हू+अ हूअ-हूइअ-हड़त, हू-हूअ, हूत। हेत्वर्थ कृदन्त धातुके अंगको उ-तुं-त्तुं-इत्तए प्रत्यय लगानेसे हेत्वर्थ कृदन्त होता है , पूर्वमें यदि 'अ' हो तो उसे 'इ' अथवा 'ए' होता है, जैसे-हसिउं, हसेडं, हसितुं, हसेतुं, हसित्तुं, हसेत्तुं । 'इत्तए' के लिए देखो धातु-प्रत्यय नियम नं० २ । | ঘন্ধ স্কুল জুহু। धातुके अंगको तु-उं-य-तूण-ऊण-तुआण-तूण-ऊणं-तुआगं-उआणं-उआण प्रत्यय लगानेसे संबंधक भूत कृदन्त होता है तथा पूर्वके 'अ' को 'इ' अथवा 'ए' होता है। जैसे-हसितुं-उ-य-तूण-ऊण-तुआण-तूण-ऊणं-तुआणं-उआणं-उआण, हसेतु-उ-तूण-; यावत् उआण । विशेपताके लिए देखो धातु-प्रत्यय नियम नं. १। संस्कृतके समान अर्धमागधीमें भी सात समास होते है। गाहा-दंदे य वहुव्वीही, कम्मधारयए दिगुयए चेव । — तप्पुरिसे अव्वईभावे, एगसेसे य सत्तमे ॥ १ ॥ (अनुयोगद्वारसूत्र) ' विशेषता यह है कि संस्कृतके स्थानमें अर्धमागधी शब्दोंका प्रयोग होता है। Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७ पिट्ठसंखा १०१ ૧૮૩ ३१६ सुत्ताणुक्रमणिया सुत्तणाम आयारे सूयगडं ठाणे समवाए भगवई-विवाहपण्णत्ती णायाधम्मकहाओ उवासगदसाओ अंतगडदसाओ अणुत्तरोववाइयदसाओ पण्हावागरणं विवागसुयं ३८४ ९४१ ११२७ १९६१ ११९१ ११९९ १२४१ Page #52 --------------------------------------------------------------------------  Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोऽत्यु णं समणस्स भगवओ णायपुत्त महावीरस्स सुत्तागमे तत्थ णं आयारे सुयं मे आंउसं! तेगं भगवया एवमक्खायं ॥ १ ॥ इह - मेगेसि णो सण्णा भवइ, तंजहा - पुरथिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि ? दाहिणाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, पचत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, उत्तराओ वा दिसाओ आगओ अहमंति, उड्डाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि ? अहो दिसाओ चा आगओ अहमंसि ? अण्णयरीओ वा दिसाओ अणुदिसाओ वा आगओ अहमंसि ? एवमेगेसिं णो णायं भवइ . अस्थि मे आया उववाइए. णत्थि मे आया उववाइए के अहं आसि ? के वा इओ चुओ इह पेचा भविस्सामि ? ॥ २ ॥ से जं पुण जाणेजा सहसंमइयाए परवागरणेणं. अण्णेसिं अंतिए वा सोचा. तंजहा - पुरत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि जाव अण्णयरीओ दिसाओ अणुदिसाओ वा आगओ अहमंसि. एवमेगेसिं जं णायं भवइ अत्थि मे आया उववाइए. जो इमाओ - दिसाओ अणुदिसाओ वा अणुसंचरइ सोहं, सव्वाओ दिसाओ - अणुदिसाओ जो आगओ अणुसंचरइ, सोहं । से आयावाई, लोयावाई, कम्मावाई, किरियावाई ॥ ३ ॥ अकरिस्सं चाहं कारवेसुं चऽहं करओ यावि समणुन्ने भविस्सामि; एयावंति सव्वावंति लोगंसि कम्मसमारंभा परिजाणियव्वा भवंति ॥ ४ ॥ अपरिण्णायकम्मे खलु अयं पुरिसे, जो इमाओ दिसाओ अणुदिसाओ अणुसंचरइ, सव्वाओ दिसाओ सव्वाओ अणुदिसाओ साहेs, अणेगरुवाओ जोणीओ संधेइ, विरूवरूवे फासे पडसंवेदेह ॥ ५ ॥ तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेइया ॥ ६ ॥ इमस्स चैव जीवियस्स परिचंदणमाणणपूयणाए, जाईमरणमोयणाए, दुक्खपडिघायहेरं ॥ ७ ॥ एयावंति सव्वाचंति लोगंसि कम्मसमारंभा परिजाणियव्वा भवंति ॥ ८ ॥ जस्सेते लोगसि कम्मसमारंभा परिणाया भवंति से ह मुणी परिण्णायकम्मे ति बेमि ॥ ९ ॥ पढमो उद्देसो ॥ अट्टे लोए परिजुण्णे दुस्संवोहे अविजाणए अस्सि लोए पव्वहिए तत्थ तत्थ पुढो पास आतुरा अस्सि परितावेंति ॥ १० ॥ संति पाणा पुढोसिया, लजमाणा पुढो Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ आयारेपास ॥ ११ ॥ अणगारा मोत्ति एगे पवयमाणाः जमिणं विस्वस्वहिं सत्थेहिं पुविकम्मसमारंभेणं पुढविसत्थं समारंभेमाणे अणेगरूवे पाणे विहिसइ ॥ १२ ॥ तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेइआ । इमस्स चेव जीवियस्स परिवंदण माणण-पूयणाए, जाइमरणमोयणाए, दुक्खपडिघायहेडं, से सयमेव पुढविसत्थं समारंभइ, अण्णहिं वा पुढविसत्थं समारंभावेइ । अण्णेवा पुढविसत्यं समारंभंते समणुजाण । तं से अहियाए, तं से अबोहिए ॥ १३ ॥ से तं संवुज्झमाणे आयाणीयं समुट्ठाय सोचा खलु भगवओ, अणगाराणं अंतिए; इहमेगेसि णातं भवति - एस खल, गंथे एस खलु मोहे, एस खलु मारे, एस खलु णरए । इच्चत्थं गढिए लोए जमिणं विस्वरूवेहिं सत्थेहिं पुढविक्रम्मसमारंभेण पुढविसत्थं समारंभमाणे अण्णे अणेगरूवे पाण विहिंसइ ॥ १४ ॥ से बेमि - अप्पे अधमन्भे, अप्पेगे अंधमच्छे; अप्पेगे पायमन्भे, अप्पेगे पायमच्छे, अप्पेगे गुप्फमव्भे, २ अप्पेगे जंघमव्भे, २ अप्पेगे जाणुमव्भे २ अप्पेगे ऊरुमब्भे, २ अप्पेगे कडिमव्भे, २ अप्पेगे णाभिमव्भे, २ अप्पेगे उयरमन्भे, २ अप्पेगे पासमन्भे, २ अप्पेगे पिठ्ठिमन्भे, २ अप्पेगे उरमब्भे, २ अप्पेगे हिययमब्भे, २ अप्पेगे थणमब्भे, २ अप्पेगे खंधमव्भे, २ अप्पेगे बाहुमब्भे, २ अप्पेगे हत्थमब्भे, २ अप्पेगे अंगुलिमव्भे, २ अप्पेगे णहमब्भे, २ अप्पेगे गीवमब्भे, २ अप्पेगे हणुमन्मे, २ अप्पेगे होठ्ठमब्भे, २ अप्पेगे दंतमब्भे, २ अप्पेगे जिब्भमब्भे, २ अप्पेगे तालुमव्भे, २ अप्पेगे गलमब्भे, २ अप्पेगे गंडमब्भे, २ अप्पेगे कण्णमब्भे, २ अप्पेगे णासमब्भे, २ अप्पेगे अच्छिममे, २ अप्पेगे भमुहममे, २ अप्पेगे णिडालमव्भे, २ अप्पेगे सीसमब्भे, २ अप्पेगे संपमारए, अप्पेगे उद्दव ॥ १५ ॥ इत्थं सत्थं समारंभमाणस्स इच्चेते आरंभा अपरिण्णाता भवंति । एत्थ सत्थं असमारंभभाणरस इ आरंभा परिण्णाता भवंति ॥ १६ ॥ तं परिणाय मेहावी नेव सयं पुढवि सत्थं समारंभेज्जा, णेवण्णेहि पुढविसत्थं समारंभावेजा, णेवण्णे पुढविसत्थं समारंभंते समणुजाणेज्जा । जस्सेते पुढविकम्मसमारंभा परिण्णाता भवंति से हु मुणी परिण्णातकम्मेत्ति बेमि ॥ १७ ॥ बीयो उद्देसो ॥ से बेमि, जहावि अणगारे उज्जुकडे, णियायपडिवण्णे अमायं कुव्वमाणे विया - हिते, जाए सद्धाए णिक्खंतो तमेवअणुपालिया वियहित्तु विसोत्तियं-॥ १८॥ पणया वीरा महावीहिं, लोगं च आणाए अभिसमेच्चा अकुओभयं ॥ १९ ॥ से बेमि णेव सयं लोगं अब्भाइक्खिज्जा, णेव अत्ताणं अब्भाइक्खिज्जा । जे लोय अब्भाइक्खइ, से अत्ताणं अब्भाइक्खइ, जे अत्ताणं अब्भाइक्खइ, से लोयं अब्भा Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमज्झयणं उ *] सुत्तागमे इक्खइ ॥ २० ॥ लज्जमाणा पुढो, पास, अणगारा मो त्ति एगे पवयमाणा; जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहि उदयकम्मसमारंभेणं उदयसत्थं समारंभमाणे अणेगरूवे पाणे विहिंसइ ॥ २१ ॥ तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेइया, इमरस चेव जीवियस्स परिवंदण, माणण, पूयणाए जाइमरणमोयणाए, दुक्खपडिघायहेउं, से सयमेव उदयसत्थं समारभति, अण्णेहिं वा उदयसत्थं समारंभावेति, अन्ने उदयसत्थं समारंभंते समणुजाणति, तं से अहियाए, तं से अवोहीए ॥ २२ ॥ से तं संवुज्झमाणे आयाणीयं समुट्ठाय सोचा खलु भगवओ अणगाराणं अंतिए इहमेगेसि णायं भवति, एस खलु गंथे, एस खलु मोहे, एस खलु मारे, एस खलु णरए । इचत्थं गढिए लोए जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहिं उदयकम्मसमारंभेणं उदयसत्थं समारंभमाणे अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिंसइ ॥ २३ ॥ से बेमि, संति पाणा उदयनिस्सिया जीवा अणेगे, इह च खलु भो ! अणगाराणं उदयजीवा वियाहिया । सत्थं चेत्थं अणुवीर पासा । पुढो सत्थं पवेदितं ॥ २४ ॥ अदुवा अदिन्नादानं ॥ २५ ॥ कप्पड़ कप्पइ णे पाउं, अदुवा विभूसाए, पुढो सत्थेहिं विउति एत्थ वि तेसि णो णिकरणाए ॥ २६ ॥ एत्थ सत्थं समारभमाणस्स इच्चेते आरंभा अपरिण्णाया भवंति । एत्थ सत्यं असमारंभमाणस्स इच्चेते आरंभा परिण्णाया भवंति । तं परिण्णाय मेहावी व सयं उदयसत्यं समारंभेजा, णेवन्नेहिं उदयसत्थं समारंभावेजा उदयसत्थं समारंभंतेऽवि अण्णे ण समणुजाणेज्जा, जस्सेते उदयसत्थसमारंभा परिण्णाया भवंति से हु मुणी परिण्णातकम्मे त्ति बेमि ॥ २७ ॥ तइओसो ॥ से बेमिव स लोयं अब्भाइक्खेजा, णेव अत्ताणं अब्भाइक्खेजा, जे लोगं अब्भाइक्खति, से अत्ताणं अव्भाइक्खति, जे अत्ताणं अब्भाइक्खति, से लोगं अव्भाइक्खति ॥ २८ ॥ जे दीहलोगसत्थस्स खेयन्ने, से असत्थस्स खेयन्ने; जे असत्यस्स खेयन्ने, से दीहलोगसत्थस्स खेयने ॥ २९ ॥ वीरेहि एवं अभिभूय दिठ्ठे, संजते हिंसया जत्तेहिं सया अप्पमत्तेहिं ॥ ३० ॥ जे पमत्ते गुणट्ठीए से हु दंडे त्ति पचति । तं परिणाय मेहावी इयाणि णो जमहं पुव्वमकासी पमादेणं ॥ ३१ ॥ लज्जमाणा पुढो पास-अणगारा मोत्ति एगे पवयमाणा जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहिं अगणिकम्मसमारंभेणं अगणिसत्यं समारभमाणे, अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिंसति ॥ ३२ ॥ तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेदिया, इमस्स चेव जीवियस्स परिवंदणमाणणपूयणाए, जाइमरणमोयणाए, दुक्खपडिघायहेडं, से सयमेव अगणिसत्यं समारंभति, अण्णेहिं वा अगणिसत्यं समारंभावेइ अण्णेवा अगणिसत्यं समारभमाणे समणुजाणति । तं से अहियाए तं से अवोहिए ॥ ३३ ॥ से तं संवुज्झमाणे आया 6 Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयारे सुत्तागमे णीयं समुठ्ठाय सोचा भगवओ अणगाराणं इहमेगेसि णायं भवति-एस खलु गंथे एस खलु मोहे एस खलु मारे एस खलु णरए । इच्चत्थं गट्ठिए लोए जमिणं विरुवरूवेहि सत्थेहिं अगणिकम्मसमारभमाणे अण्णे अणेगावे पाणे विहिसति ॥ ३४ ॥ से बेमि, संति पाणा, पुढविणिस्सिया, तणणिस्सिया, पत्तणिस्सिया, कणिस्सिया, गोमयणिस्सिया, कयवरणिस्सिया; सन्ति संपातिमा पाणा, आहच संपयंति । अगगिं च खलु पुठ्ठा, एगे संघायमावति । जे तत्थ संघायमावति, ते तत्य परियावज्जति, जे तत्य परियावज्जति ते तत्थ उद्दायंति ॥ ३५ ॥ एत्थ सत्यं असमारंभमाणस्स इचेते आरंभा परिणाया भवंति ॥ ३६॥ तं परिणाय मेहावी नेव सयं अगणिसत्यं समारंभेजा, नेवन्नेहिं अगणिसत्यं समारंभावेजा, अगणिसत्यं समारंभमाणे अन्ने न समणुजाणेजा। जस्सेते अगणिकम्मसमारंभा परिण्णाया भवंति, से हु मुणी परिण्णायकम्मे त्ति बेमि ॥ ३७॥ चउत्थोदेसो॥ तं णो करिस्सामि समुठाए सत्ता मतिमं, अभयं विदित्ता, तं जे णो करए, एसोवरए, एत्थोवरए, एस अणगारे त्ति पचुच्चइ ॥ ३८ ॥ जे गुणेसे आवट्टे जे आवडे से गुणे ॥ ३९ ॥ उर्दू-अहं-तिरियं-पाईणं पासमाणे स्वाइं पासइ, सुणमाणे सद्दाई सुणइ, उद्बु-अहं-तिरियं पाईणं मुच्छमाणे रूवेसु मुच्छति, सद्देसु यावि एस लोगे वियाहिए । एत्थ अगुत्ते अणाणाए पुणो पुणो गुणासाते वंकसमायारे पसत्तेऽगारमावसे ॥ ४० ॥ लज्जमाणा पुढो पास, अणगारा मोत्ति एगे पवदमाणा; जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहिं वणस्सइकम्मसमारंभेगं वणस्सइसत्थं समारभमाणा अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिंसंति ॥ ४१ ॥ तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेदिता । इमस्स चेव जीवियस्स परिवंदण, माणण, पूयणाए, जातिमरण मोयणाए दुक्खपडिघायहेडं से सयमेव वणस्सइसत्थं समारंभइ, अण्णेहिं वा वणस्सइसत्थं समारंभावेइ, अण्णे वा वणस्सइसत्थं समारभमाणे समणुजाणइ, तं से अहियाए, तं से अवोहीए ॥४२॥ से तं संवुज्झमाणे आयाणीयं समुठाए सोचा भगवओ, अणगारागं वा अंतिए इह मेगेसिं णायं भवति-एस खलु गंथे एस खलु मोहे एस खलु मारे एस खलु णरए। इञ्चत्थं गट्ठिए लोए; जमिगं विरूवरूवेहिं सत्येहिं वणस्सइकम्मसमारंभेणं वणस्सइसत्थं समारंभमाणे अन्ने अणेगरूवे पाणे विहिसति ॥४३॥ से बेमि,-इमंपि जाइधम्मयं, एयंपि जाइधम्मयं, इमंपि बुद्धिधम्मयं एयपि बुद्धिधम्मयं; इसपि चित्तमंतयं एयंपि चित्तमंतयं; इमंपि छिन्नं मिलाति, एयंपि छिन्नं मिलाति; इमंपि आहारगं, एयपि आहारगं, इमंपि अणिच्चयं, एयंपि अणिच्चयं; इमंपि असासयं, एयपि असासयं; इमंपि चओवचइयं, एयंपि चओवचइयं; इमंपि विपरिणामधम्मयं, एयंपि Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमज्झयणं उ०६] सुत्तागमे विपरिणामधम्मयं ॥ ४४ ॥ एत्थ सत्थं समारंभमाणस्स इच्चेते आरंभा अपरिष्णाता भवति । एत्य सत्थं असमारंभमाणस्स इच्चेते आरंभा परिणाया भवंति । तं परिण्णाय मेहावी व सयं वणस्सइसत्यं समारंभेजा, णेवण्णेहिं वणस्सइसत्यं समारंभावेजा, णेवण्णे वणस्सइसत्यं समारंभंते समणुजाणेजा, जस्सेते वणस्सइसत्थसमारंभा परिण्णाया भवंति से हु मुणी परिण्णायकम्मे त्ति बेमि ॥ ४५ ॥ पंचमोद्देलो॥ से बेमि, संतिमे तसा पाणा, तंजहा-अंडया, पोयया, जराउया, रसया, संसेयया, संमुच्छिमा, उभियया, उववातिया, एस संसारेत्ति पवुच्चति, मंदस्स अवियाणतो ॥४६॥ णिज्झाइत्ता पडिलेहित्ता पत्तेयं परिणिव्वाणं सव्वेसि पाणाणं, सव्वेसि भूयाणं, सव्वेसि जीवाणं, सव्वेसिं सत्ताणं, असातं अपरिणिव्वाणं, महन्भयं दुक्खं त्ति बेमि ॥४७॥ तसंति पाणा पदिसोदिसासुय । तत्थ तत्थ पुढो पास आउरा परितावेंति । संति पाणा पुढोसिता ॥४८॥ लजमाणा पुढो पास अणगारा मोत्ति एगे पवयमाणा जमिग विरूवरूवेहि सत्थेहि तसकायसमारंभेणं तसकायसत्थं समारभमाणे अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिसइ ॥ ४९ ॥ तत्य खलु भगवया परिण्णा पवेदिता । इमस्स चेव जीवियस्स परिवंदण, माणण, पूयणाए, जाइमरणमोयणाए, दुक्खपडिघायहेलं, से सयमेव तसकायसत्थं समारंभति, अण्णेहि वा तसकायसत्यं समारंभावेइ, अण्णे वा तसकायसत्यं समारभमाणे समणुजाणति; तं से अहियाए, तं से अवोहीए ॥५०॥ से तं संवुज्झमाणे आयाणीयं समुठ्ठाय सोचा भगवओ, अणगारागं अंतिए इहमेगेसिं णायं भवइ-एस खलु गंथे, एस खलु मोहे, एस खलु मारे, एस खलु णरए । इच्चत्यं गढ़िए लोए; जमिणं विस्वरूवेहि सत्थेहि तसकायसमारंमेणं तसकायसत्थं समारंभमाणे अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिसति ॥ ५१ ॥ से बेमि-अप्पेगे अच्चाए वहंति, अप्पेगे अजिणाए वहति, अप्पेगे मंसाए वहति, अप्पेगे सोणिताए वहति, अप्पेगे हिययाए वहंति, एवंपित्ताए वसाए-पिच्छाए-पुच्छाए-बालाए-विसाणाए-दंताएदाढाए-णहाए-हारुणीए-अठ्ठीए-अठीमिंजाए-अठाए-अणठाए-अप्पेगे हिसिंसु मेति वा वहंति, अप्पेगे हिसंति मेत्ति वा वहंति, अप्पेगे हिंसिस्संति मेत्ति वा वहति ॥ ५२ ॥ एत्थ सत्यं समारंभमाणस्स इच्चेते आरंभा अपरिण्णाया भवंति एत्थ सत्यं असमारंभमाणस्स इच्चेते आरंभा परिण्णाया भवंति ॥ ५३॥ तं परिणाय मेहावी णेवसयं तसकायसत्थं समारंभेजा, णेवण्णेहिं तसकायसत्यं समारंभावेजा, णेवण्णे तसकायसत्यं समारंभंते समणुजाणेज्जा, जस्सेते तसकायसत्यसमारंभा परिण्णाया भवंति, से हु मुणी परिण्णायकम्मे त्ति बेमि ॥५४॥ इइ छठ्ठोद्देसो॥ Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [आयारे__ पहू एजरस दुगंछणाए, आयंकटंसी अहियति नचा । जे अज्सत्यं जाणट, से बहिया जाणइ, जे बहिया जाणइ, से अमत्थं जाणइ । एयं तुलमन्नेसि । दह संतिगया दविया णावकखंति जीविउं ॥५५॥ लजमाणा पुढो, पास, अणगारा मोनि एगे पवयमाणा; जमिणं विरूवरूवेहि सत्थेहि, वाउकम्मसमारंभेणं वाउरात्थं समारंभमाणे अण्ण अणंगरूवे पाणे विहिसइ ॥ ५६ ॥ तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेश्या, इमस्स चेव जीवियस्स परिवंदण, माणण, पूयणाए, जाइमरणमोयणाए दुक्खपडिघायहेडं, से सयमेव वाउसत्यं समारंभति, अन्नेहिं वा वाउसत्यं समारंभावेति, अन्न वा वाउसल्यं समारंभंते समणुजाणति, तं से अहियाए तं से अबोहीए ॥ ५७ ॥ से तं संबुज्जमाण आयाणीयं समुठाए सोचा भगवओ अणगाराणं अंतिए इभेगसिं णायं भवति-एन खलु गंथे, एस खलु मोहे, एस खलु मारे, एस खलु णरए । इचल्यं गठ्ठिए लोए, जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहिं वाउकम्मसमारंमेणं वाउसत्यं समारंभमागे अन्ने अर्णगरूवे पाणे विहिसति ॥ ५८ ॥ से बेमि, संति संपाइमा पाणा, आय संपयंति य फरिसं च खलु पुछा एगे संघायमावति । जे तत्थ संघायमावज्जंति, ते तत्थ परियावजंति, जे तत्य परियावजंति, ते तत्थ उद्दायंति ॥ ५९ ॥ एत्य सत्यं समारंभमाणस्स इच्चेते आरंभा अपरिण्णाया भवंति । एत्थ सत्यं असमारंभमाणस्स इचेते आरंभा परिण्णाया भवंति ॥ ६० ॥ तं परिण्णाय मेहावी व सयं वाउसत्यं समारंभेजा, णेवन्नेहि वाउसत्यं समारंभावेजा, णेवन्ने वाउसत्यं समारंभंते समणुजाणेजा । जस्सेते वाउसत्थसमारंभा परिण्णाया भवंति से हु मुणी परिण्णायकम्मे त्ति बेमि ॥ ६१॥ एत्यं पि जाणे उवादीयमाणा जे आयारे न रमंति, आरंभमाणा विणयं वयंति, छंदोवणीया, अज्झोववण्णा, आरंभसत्ता पकरंति संगं ॥ ६२ ॥ से वसुमं सव्वसमण्णागयपण्णाणेणं अप्पाणेणं अकरणिजं पावकम्मं णो अन्नेसि ॥६३॥ तं परिणाय मेहावी णेव सयं छज्जीवणिकायसत्यं समारंभेजा, णेवन्नेहिं छज्जीवणिकायसत्यं समारंभावेजा, णेवन्ने छज्जीवणिकायसत्थं समारंभंते समणुजाणेजा। जस्सेते छजीवणिकायसत्थसमारंभा परिणाया भवंति, से हु मुणी परिण्णायकम्मेत्ति वेमि ॥ ६४ ॥ सत्तमोद्देसो॥ ॥ सत्थपरिण्णा णाम पढमज्झयणं समत्तं ॥ जे गुणे से मूलठ्ठाणे, जे मूलठ्ठाणे से गुणे, इति से गुणठी महता परियावेगं पुणो पुणो वसे पमत्ते, तंजहा-माया मे, पिया मे, भाया मे, भइणी मे, भजा मे, पुत्ता मे, धूया मे, एहसा मे, सहि-सयण-संगंथ-संधुया मे, विवित्तुवगरण-परिवट्टण-भोयण Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चीनमज्झयणं उ० २] सुत्तागमे च्छायगं मे, इच्चत्यं गढिए लोए बसे पमत्ते ॥ ६५ ॥ अहोय राओ परियप्पमाणे, कालाकालसमुठ्ठाई, संजोगठ्ठी, अठ्ठालोभी, आलुपे, सहसाकारे, विणिविठ्ठचित्ते एत्य सत्थे पुणो पुणो ॥६६॥ अप्पं च खलु आउयं इहमेगेसि माणवाणं; तंजहा सोयपरिणाणेहि, परिहायमाणेहिं, चक्खुपरिणाणेहि परिहायमाणेहिं, घाणपरिणाणेहिं परिहायमाणेहिं, रसणापरिणाणेहिं परिहायमाणेहिं, फासपरिणाणेहिं परिहायमारोहिं, अभिकंतं च खलु क्यं संपेहाए तओ से एगया मूढभावं जणयति ॥ ६७ ॥ जेहि वा सद्धि संवसति, तेविणं एगया णियगा पुचि परिव्वयंति । सो वि ते णियगे यच्छा परिवएज्जा, णालं ते तव ताणाए वा, सरणाए वा । तुमं पि तेसि नालं ताणाए वा, सरणाए वा । से ण हासाए, ण किड्डाए, ण रतीए, ण विभूसाए,॥६८॥ इच्चेवं समुछिए अहोविहाराए अंतरं च खलु इमं संपेहाए धीरो मुहुत्तमवि णो पमायए । वओ अच्चेइ जोव्वगं च ॥ ६९ ॥ इह जीविए जे पमत्ता । से हता, छेत्ता, मेत्ता, लुपित्ता, विलुपित्ता, उद्दवित्ता, उत्तासइत्ता, अकडं करिस्सामित्ति मण्णमाणे ॥ ७० ॥ जेहि वा सद्धिं संवसति ते वा णं एगया णियगा तं पुव्वि पोसेंति, सो वा ते नियगे पच्छा पोसिज्जा । णालं ते तव ताणाए वा, सरणाए वा । तुमंपि तेसिं णालं ताणाए वा सरणाए वा ॥७१॥ उवाईयसेसेण वा संणिहिंसंणियओ-किजति, इहमेगेसि असंजताणं भोयणाए। तओ से एगया रोगसमुप्पाया समुप्पजंति ॥ ७२ ॥ जेहि वा सद्धि संवसति ते वा णं एगया णियगा तं पुब्वि परिहरंति, सो वा ते णियगे पच्छा परिहरिजा । णालं ते तव ताणाए वा सरणाए वा तुमं पि तेसिं नालं ताणाए वा सरणाए वा ॥७३॥ एवं जाणित्तु दुक्खं पत्तेयं सायं, अणभिकंतं च खलु वयं संपेहाए खगं जाणाहि पंडिए ॥ ७४ ॥ जाव सोयपरिण्णाणा अपरिहीणा, जाव णेत्तपरिणाणा अपरिहीणा, जाव घाणपरिण्णाणा अपरिहीणा, जाव जीहपरिण्णाणा अपरिहीणा, जाव फासपरिणाणा अपरिहीणा, इच्चेतेहि विरूवरूवेहि पन्नाणेहिं अपरिहीणेहिं आयर्छ सम्म समणुवासिजासित्ति बेमि ॥ ७५ ॥ पढमोदेसो समत्तो॥ ___ अरइं आउट्टे से मेहावी; खणंसि मुक्के ॥ ७६ ॥ अणाणाय पुठ्ठावि एगे णियटृति मंदा मोहेण पाउडा ॥ ७७ ॥ "अपरिग्गहा भविस्सामो” समुठ्ठाय लद्धे कामे अभिगाहेंति, अणाणाए मुणिणो, पडिलेहंति, एत्थं मोहे पुणो पुणो सण्णा, णो हव्वाए गो, पाराए ॥ ७८ ॥ विमुत्ता हु ते जणा, जे जणा पारगामिणो लोभं अलोभेण दुगंछमाणे लद्धे कामे णाभिगाहइ, विणावि लोभं निक्खम्म एस अकम्मे जाणति यासति । पडिलेहाए णावकंखति, एस अणगारित्तिपवुच्चति ॥ ७९ ॥ अहोयराओ Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [आयारेपरितप्पमाणे कालाकालसमुट्ठाइ, संजोगठ्ठी, अठ्ठालोभी, आलुपे, सहसाकारे, विणिविठ्ठचित्ते एत्थ, सत्थे पुणो पुणो ॥ ८० ॥ से आयवले, से णाइवले, से सयणवले, से मित्तबले, से पिचवले, से देववले, से रायवले, से चोरवले, से अतिहिवले, से किविणवले, से समणवले, इच्चेतेहि विरूवरूवेहि कज्जेहि दंडसमायाणं संपेहाए भया कजति । पावमुक्खुत्ति मण्णमाणे अदुवा आसंसाए ॥ ८१॥ तं परिण्णाय मेहावी, णेव सयं एएहि कजेहिं दंड समारंभिजा, णेवणं एएहि कजेहि दंडं समारंभाविजा, एएहि कोहि दंडं समारंभंतेवि अण्णे णो समणुजाणिजा ॥ ८२ ॥ एस मग्गे आयरिएहि पवेदिए, जहेत्य कुसले णोवलिप्पिजासि-त्ति बेमि ॥ ८३ ॥ वीओद्देसो समत्तो॥ ___ से असइं उच्चागोए, असई णीयागोए । णो हीणे, णो अइरित्ते, णोऽपीहए, इय संखाय को गोयावादी, को माणावादी, कंसि वा एगे गिज्झा ॥ ८४ ॥ तम्हा पंडिए णो हरिसे, णो कुप्पे, भूएहि जाण पडिलेह सातं, समिते एयाणुपस्सी, तंजहाअंधत्तं, वहिरत्तं, मूयत्तं, काणत्तं, कुंटतं, खुजत्तं, वडभत्तं, सामत्तं, सवलत्तं, सहपमाएणं, अणेगरूवाओ जोणीओ, संधायति, विरुवरूवे फासे परिसंवेदेइ ॥ ८५ ॥ से अवुज्यमाणे हतोवहते जाइमरणमणुपरियट्टमाणे ॥ ८६ ॥ जीवियं पुढो पियं -इहमेगेसि माणवाणं खित्तवत्थुममायमाणाणं ॥ ८७॥ आरत्तं विरत्तं मणिकुंडलं, सह हिरण्णेण इत्थियाओ परिगिज्झति तत्थेव रत्ता ॥ ८८ ॥ “ण इत्थ तवो वा, दमो वा, णियमो वा, दिस्सति,” संपुण्णं वाले जीविउकामे लालप्पमाणे मूढे विप्परियासमुवेति ॥ ८९ ॥ इणमेव णावकंखंति, जे जणा धुवचारिणो; जातीमरणं परिन्नाय, चरे संक्रमणे दढे ॥ ९० ॥ णत्थि कालस्स णागमो ॥ ९१ ॥ सव्वे पाणा पियाउया, सुहसाया, दुक्खपडिकूला, अप्पियवहा, पियजीविणो, जीविउकामा, ॥ ९२॥ सव्वेसिं जीवियं पियं ॥ ९३ ॥ तं परिगिज्झ दुपयं चउप्पयं अभिमुंजिया णं, संसिचियाणं, तिविधेण जावि से तत्थ मत्ता भवइ अप्पा वा बहुगा वा से तत्थ गहिए चिठ्ठइ, भोयणाए ॥ ९४ ॥ तओ से एगया विविहं परिसिठं संभूयं महोवगरणं भवति । तंपि से एगया दायाया वा विभयंति, अदत्तहारो वा से अवहरति, रायाणो वा से विलुपंति, णस्सति वा से, विणस्सति वा से, अगारदाहेण वा से डज्झइ ॥९५॥ इय से परस्सठ्ठाए कूराई कम्माई वाले पकुव्वमाणे तेण दुक्खेण संमूढे विप्परियासमुवेति ॥ ९६ ॥ मुणिणा हु एयं पवेइयं ॥ ९७ ॥ अगोहंतरा एते, णय ओहं तरित्तए, अतीरंगमा एते, णयतीरं गमित्तए । अपारंगमा एते णय पारं गमित्तए ॥ ९८ ॥ आयाणिजं च आयाय, तंमि ठाणे ण चिठुइ । वितहं पप्पऽखेयन्ने Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीअमज्झयणं उ० ४] सुत्तागमे तमि ठाणमि चिठ्ठइ ॥ ९९ ॥ उद्देसो पासगस्स णत्थि ॥ १०० ॥ वाले पुण णिहे कामसमणुण्णे असमितदुक्खे दुक्खी दुक्खाणमेव आवढे अणुपरियट्टइ त्ति बेमि॥१०१॥ तइओद्देसो समत्तो॥ __ततो से एगया रोगसमुप्पाया समुप्पजति ॥ १०२ ॥ जेहिं वा साद्ध संवसति, ते वा णं एगया णियया पुब्बि परिवयंति । सो वा ते णियगे पच्छा परिवइजा, णालं ते तव ताणाए वा, सरणाए वा, तुम पि तेसि णालं ताणाए वा सरणाए वा ॥ १०३ ॥ जाणित्तु दुक्खं पत्तेयं सायं ॥ १०४ ॥ भोगा मे व अणुसोयंतिइहमेगेसिं माणवाणं, तिविहेण, जावि से तत्थ मत्ता भवइ, अप्पा वा, बहुगा वा, से तत्थ गट्ठिए चिकृति, भोयणाए ॥ १०५ ॥ ततो से एगया विपरिसिठं संभूयं महोवगरणं भवति, तंपि से एगया दायाया विभयंति, अदत्तहारो वा से हरति, रायाणो वा से विलुपंति, णस्सइ वा से, विणस्सइ वा से, अगारडाहेण वा से डज्झइ ॥ १०६ ॥ इय, से वाले परस्स अठ्ठाए कूराणि कम्माणि पकुव्वमाणे तेण दुक्खेण मूढ़े विप्परियासमुवेति ॥ १०७ ॥ आसं च छंदं च विगिच धीरे ॥ १०८॥ तुमं चेव तं सहमाहट्ट ॥ १०९ ॥ जेणसिया तेण णो सिया ॥ ११० ॥ इणमेव णावबुझंति, जे जणा मोहपाउडा ॥ १११॥ थीलोएपव्वहिए ते भो वयंति “एयाई आयतणाई” ॥ ११२ ॥ से दुक्खाए-मोहाए-माराए-णरगाए-णरगतिरिक्खाए ॥ ११३ ॥ सततं मूढे धम्मं णाभिजाणाति ॥ ११४ ॥ उदाहु वीरे, अप्पमादो महामोहे ॥ ११५ ॥ अलं कुसलस्स पमादेणं, संति मरणं संपेहाए, भेउरधम्म संपेहाए ॥११॥णालं पास अलं ते एएहिं, एयं पस्स, मुणी ? महब्भयं ॥११७॥ णातिवाइज कंचणं ॥ ११८ ॥ एस वीरे पसंसिए-जे ण णिविज्जति आदाणाए ॥ ११९ ॥ “ण मे देति" ण कुप्पिज्जा, थोवं लर्बु ण खिसए, पडिसेहियो परिणमिज्जा, पडिलाभिओ परिणमेज्जा ॥ १२० ॥ एयं मोणं समणुवासिज्जासित्ति बेमि ॥ १२१ ॥ चउत्थोद्देसो समत्तो॥ जमिणं विरूवरूवेहि सत्थेहि लोगस्स कम्मसमारंभा कजंति, तंजहा-अप्पणो से । पुत्ताणं, धूयाणं, मुण्हाणं, णातीणं, धातीणं, राईणं, दासाणं, दासीणं, कम्मकराणं, कम्मकरीगं, आएसाए, पुढोपेहणाए, सामासाए, पायरासाए, संणिहि-संनिचओ कजई, इह मेगेसिं माणवाणं भोयणाए ॥ १२२ ॥ समुछिते अणगारे आरिए आरियदंसी, आरियपण्णे, अयंसंधित्ति, अदक्खु, से णादिए, णादिआवए, णादियंतं समणुजाणइ ॥ १२३ ॥ सव्वामगंधं परिण्णाय णिरामगंधो परिव्वए ॥ १२४ ॥ अदिस्समाणे कयविक्कएसुः से ण किणे, ण किणावए, किगंतं ण समणुजाणइ ॥१२५॥ Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागभे [आयारेसे भिक्खु कालण्णे-वालण्णे-मायण्णे-खेयण्णे-खणयण्णे-विणयण्णे-ससमयण्णे-परसमयण्णे-भावण्णे-परिग्गहं अममायमाणे, कालाणठाई, अपडिन्ने दुहओ छेत्ता, नियाइ ॥ १२६ ॥ वत्थं-पडिग्गह-कंवलं-पायपुंछग-उग्गाहं च कडासणं, एतेमु चेव जाणिज्जा ॥१२७॥ लद्धे आहारे, अणगारो मायं जाणिजा, से जहेयं भगवया पवेइयं ॥ १२८ ॥ लाभुत्ति ण मजिज्जा, अलाभुत्ति ण सोइज्जा, वहुंपि लटुं ण णिहे, परिग्गहाओ अप्पाणं अवसकिजा, अण्णहा णं पासए परिहरिजा ॥ १२९ ।। एस मग्गे आयरिएहि पवेदिते, जहित्य कुसले णोवलिप्पिजासित्ति बेमि ॥ १३० ॥ कामा दुरतिकमा, जीवियं दुप्पडिवूहगं, कामकामी खलु अयं पुरिसे, से सोयति, जूति, तिप्पति, पिड्डति, परितप्पति ॥ १३१ ॥ आययचक्खू लोगविपासी लोगस्स अहो भागं जाणति, उड्ढे भागं जाणति, तिरियंभागं जाणति ॥ १३२ ॥ गद्धिए लोए अणुपरियट्टमाणे, संधि विदित्ता इह मच्चिएहिं, एस वीरे पसंसिए जे वद्ध पडिमोयए ॥ १३३ ॥ जहा अंतो तहा वाहिं जहा वाहिं तहा अंतो ॥ १३४ ।। अंतो पूतिदेहंतराणि पासति पुढोवि सवंताई पंडिए पडिलेहाए ॥ १३५ ॥ से मइमं परिण्णाय माय हु लालं पञ्चासी, मा तेसु तिरिच्छमप्पाणमावायए ॥१३६॥ कासंकासे खलु अयं पुरिसे, वहुमाई, कडेण मूढे, पुणो तं करेइ लोभ, वेरं वड्डेति अप्पणो ॥ १३७ ॥ जमिणं परिकहिज्जइ इमस्स चेव पडिवूहणयाए अमराय महासड्डी अट्टमेतं तु पेहाए ॥ १३८ ॥ अपरिन्नाय कंदति, से तं जाणह जमहं बेमि ॥ १३९ ॥ ते इच्छं पंडिते पवयमाणे, से हंता, छित्ता भित्ता, लुंपइत्ता, विलुपइत्ता उद्दवइत्ता, अकडं करिस्सामित्ति मण्णमाणे, जस्सवि य णं करेइ, अलं वालस्स संगणं, जे वा से कारइ बाले, ण एवं अणगारस्स जायतित्ति बेमि ॥ १४० ॥ पंचमोद्देसो लसन्तो॥ से तं संबुज्झमाणे आयाणीयं समुठ्ठाय तम्हा पावकम्मं णेव कुज्जा, ण कारवेजा ॥ १४१॥ सिया तत्थएगयरं विप्परामुसति, छसु अण्णयरंमि, कप्पति ॥१४२॥ सुहठ्ठी लालप्पमाणो सएण दुक्खेण मूढे विप्परियासमुवेति । सएण विप्पमाएण पुढो वयं पकुव्वति, जं सि मे पाणा पव्वाहिया, पडिलेहाए णो णिकरणयाए एस परिण्णा पञ्चति, कम्मोवसंती ॥ १४३ ॥ जे ममाइयमति जहाति, से चयइ ममाइयं से हु दिठ्ठपहे मुणी जरस, णत्थि ममाइतं ॥ १४४ ॥ तं परिणाय मेहावी विदित्ता लोगं वंता लोगसणं से मतिमं परिकमिजासित्ति बेमि ॥ १४५ ॥णारति सहते वीरे, वीरे णो सहते रतिं । जम्हा अविमणे वीरे, तम्हा वीरे ण रजति ॥ १४६ ॥ सद्दे फासे अहियासमाणे, णिविद णंदि इह जीवियस्स ॥१४७ ।। मुणी मोगं समायाय, Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयज्झयणं उ० १] सुत्तागमे धुणे कम्मसरीरगं; पंतं लूहं च सेवंति, वीरा संमत्तदंसिणो ॥ १४८ ॥ एस ओघंतरे मुणी, तिन्ने मुत्ते, विरते वियाहितत्ति बेमि ॥ १४९ ॥ दुव्वसुमुणी अणाणाए० तुच्छए गिलाइ वत्तए ॥ १५० ॥ एस वीरे पसंसिए, अच्चेइ लोयसंजोयं, ॥ १५१ ॥ एस णाए पवुच्चइ, जं दुक्खं पवेदितं इह माणवाणं, तस्स दुक्खस्स कुसला परिणमुदाहरंति ॥ १५२ ॥ इति कम्मं परिण्णाय सव्वसो ॥ १५३ ॥ जे अणन्नदंसी से अणण्णारामे, जे अणण्णारामे से अणण्णदंसी ॥ १५४ ॥ जहा पुण्णस्स कत्थति तहा तुच्छस्स कत्थति, जहा तुच्छस्स कत्थति तहा पुण्णस्स कत्थति ॥ १५५ ॥ अविय हणो अणातियमाणे । एत्यपि जाण, सेयंति णत्थि ॥ १५६ ॥ केयं पुरिसे कंच णए ? एस वीरे पसंसिए, जे बद्धे पडिमोयए, उद्धं अहं तिरियं दिसासु ॥१५७॥ से सव्वतो सव्वपरिण्णाचारि ण लिप्पति छणपएण, वीरे ॥ १५८ ॥ से, मेहावी अणुग्घायणखेयन्ने जे य वंधपमुक्खमन्नेसी ॥ १५९ ॥ कुसले पुण णो बद्धे, णो मुक्के ।। १६० ॥ से जं च आरमे जं च णारमे । अणारद्धं च ण आरमे ॥१६१॥ छगं छणं परिण्णाय लोगसन्नं च सव्वसो ॥ १६२ ॥ उद्देसो पासगस्स णत्थि ॥ १६३ ॥ वाले पुणे णिहे कामसमणुन्ने असमियदुक्खे दुक्खी दुक्खाणमेव आवर्ट अणुपरियइत्ति बेमि ॥ १६४ ॥ छठ्ठोद्देसो सभत्तो॥ लोगविजय णाम वीअमज्झयणं समत्तं ॥ सुत्ता अमुणी मुणिणो सया जागरंति ॥ १६५ ॥ लोयंसि जाण अहियाय दुक्खं ॥ १६६ ॥ समयं लोगस्स जाणित्ता, इत्थ सत्योवरए ॥ १६७ ॥ जस्सिमे सद्दा य-रूवाय-गंधा य-रसा य-फासा य-अहिसमन्नागया भवंति, से आयवं-णाणवंवेयवं-धम्मवं-वंभवं- पन्नाणेहिं परियाणइ लोयं, मुणीति चुच्चे धम्मविऊ, उज्जू आवदृसोए संगमभिजाणति, सीउसिणच्चाई, से निग्गंथे, अरइरइसहे' फरुसयं णो वेदेति, जागरे-वेरोवरए-धीरे एवं दुक्खा पमुच्चति ॥ १६८ ॥ जरामन्चुवसोवणीए णरे सययं मृढे धम्मं णाभिजाणाति ॥१६९॥ पासिय आउरपाणे, अप्पमत्तो परिव्वए ॥१७॥ मंता य, मइमं-पास ॥ १७१ ॥ आरंभजं दुक्खमिगंति णच्चा, माइ पमाइ पुण-एइ गर्भ, उवेहमाणो सहरूवेसु उज्जू , माराभिसंकी मरणा पमुच्चति ॥ १७२ ॥ अप्पमत्तो कामेहिं, उवरतो पावकम्मेहिं, वीरे आयगुत्ते खेयन्ने ॥ १७३ ॥ जे पज्जवजायसत्यस्स खेयन्ने, से असत्थस्स खेयन्नेः जे असत्थस्स खेयन्ने, से पज्जवजाय सत्थस्स खेयन्ने ॥ १७४ ॥ अकम्मस्स ववहारो न विजइ, कम्मुणा उवाही जायइ ॥१७५॥ कम्मं च पडिलेहाए, कम्ममूलं च ज छणं ॥ १७६ ॥ पडिलेहिय, सव्वं समायाय 1" " Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૧૨ सुत्तागमे [आयारेदोहि अंतेहि अदिस्समाणे ॥ १७७ ॥ तं परिणाय मेहावी विदित्ता लोगं, वंता लोगसनं से मइमं परक्कमिजासित्ति बेमि ॥ १७८ ॥ पढमोइसो समत्तो॥ जाति च बुड्ढि च इहज पासे, भूतेहि जाणे पडिलेह सातं । तम्हाऽतिविज्जो परमंति णच्चा, संमत्तदंसी ण करेति पावं ॥ १७९ ॥ उम्मुंच पासं इह मच्चिएहि, आरंभजीवी उभयाणुपस्सी । कामेसु गिद्धा णिचयं करेंति । संसिच्चमाणा पुणरिंति गमं ॥ १८० ॥ अवि से हासमासज्ज, हंता गंदीति मन्नति । अलं बालस्स संगणं वेरं वड्वेति अप्पणो॥१८१॥ तम्हा-तिविजो परमंति णचा, आयंकदंसी ण करेति पावं ॥१८२॥ अग्गं च मूलं च विगिच धीरे, पलिच्छिदिया णं णिकम्मदंसी ॥ १८३ ॥ एस मरणा पमुच्चति, से हु दिठ्ठभए मुणी, लोयंसी परमदंसी विवित्तजीवी उवसंते समिते सहिते सयाजए कालकंखी परिव्वए ॥ १८४ ॥ वहुं च खलु पावकम्म पगडं, सच्चमि धिइं कुव्वहा, एत्थोवरए मेहावी सव्वं पावकम्मं झोसति ॥ १८५ ॥ अणेगचित्ते खलु अयं पुरिसे, से केयणं अरिहए पूरिण्णए से अन्नवहाए, अण्णपरियावा ए अण्णप्परिग्गहाए, जणवयवहाए, जणवयपरियावाए, जणवयपरिग्गहाए ॥१८६॥ आसेवित्ता एतमळू इच्चेवेगे समुठ्ठिया, तम्हा तं विइयं नो सेवे णिस्सारं पासिय णाणी ॥ १८७ ॥ उववायं चवणं णचा, अणण्णं चर माहणे ॥ १८८ ॥ से ण छणेण छणावए, छगंतं णाणुजाणइ ॥ १८९ ॥ णिव्विद णंदि अरते पयासु, अगोमदंसी णिसन्ने पावेहि कम्महि ॥ १९० ॥ कोहाइमाणं हणिया य वीरे, लोभस्स पासे णिरयं महंतं । तम्हाय वीरे विरते वहाओ, छिदिज सोयं लहुभूयगामी ॥ १९१॥ गंथं परिन्नाय इहज वीरे, सोयं परिणाय चरिज दंते । उम्मज लद्धं इह माणवेहि, णो पाणिणं पाणे समारभिजासि-त्ति बेमि ॥ १९२ ॥ बीओद्देसो समत्तो॥ __ संधि लोगस्स जाणित्ता ॥ १९३ ॥ आययो बहिया पास, तम्हा ण हंताणविघायये ॥ १९४ ॥ जमिणं अन्नमन्नवितिगिच्छाए पडिलेहाए ण करेइ पावं कम्म, कि तत्य मुणी कारणं सिया ? समयं तत्थुवेहाए अप्पाणं विप्पसायए ॥ १९५॥ अणण्णपरमं नाणी, णो पमाए कयाइवि । आयगुत्ते सया धीरे, जायामायाइ जावए ॥ १९६ ॥ विरागं स्वेहि गच्छिज्जा महता खुड्डएहिं य ॥ १९७ ॥ आगति गति परिणाय दोहिवि अंतेहि अदिस्समाणेहिं से ण छिज्जइ, ण भिज्जइ, ण डज्झइ, ण हम्मइ कंचणं सव्वलोए ॥ १९८ ॥ अवरेण पुव्वि ण सरंति एगे, किमस्सतीतं किवाऽऽगमिस्तं । भासंति एगे इह माणवाओ, जमस्सतीतं तं आगमिस्सं ॥१९९॥ णातीतमलु णय आगमिस्सं, अठ्ठ निअच्छंति तहागया उ; विधूतकप्पे एताणुपस्सी, निज्जोमइत्ता खवगे महेसी ॥ २०० ॥ का अरई ! के आणंदे ? एत्थंपि अग्गहे Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउत्थमज्झयणं उ०१] सुत्तागमे चरे । सव्वं हासं परिच्चन्ज, आलीणगुत्तो परिव्वए ॥ २०१॥ पुरिसा, तुममेव तुम मित्तं, किं वहिया मित्तमिच्छसि ॥ २०२ ॥ जं जाणिज्जा उच्चालइयं तं जाणिज्जा दूरालइयं, जं जाणिज्जा दूरालइयं तं जाणेज्जा उच्चालइयं ॥ २०३ ॥ पुरिसा! अत्ताणमेवं अभिणिगिज्झ एवं दुक्खा पमुच्चसि ॥ २०४ ॥ पुरिसा! सचमेव समभिजाणाहि, सच्चस्साणाए से उवठिए मेहावी मारं तरति, सहिओ धम्ममायाय सेयं समणुपस्सति ॥ २०५॥ दुहओ, जीवियस्स परिवंदणमाणणपूयणाए, जंसि एगे पमायंति ॥ २०६ ॥ सहिओ दुक्खमत्ताए पुठ्ठो णो झंझाए; पासिमं दविए लोए लोयालोयपवंचाओ मुच्चइत्ति बेमि ॥ २०७ ॥ तइओद्देसो समत्तो॥ से वंता कोहं च, मागं च, मायं च, लोभं च, एयं पासगस्स दंसणं, उवरयसत्थस्स पलियंतकरस्स आयाणं सगडभि ॥ २०८ ॥ जे एग जाणइ से लव्वं जाणइ, जे सव्वं जाणइ से एगं जाणइ ॥ २०९ ॥ सव्वतो पमत्तस्स भयं, सब्बतो अप्पमत्तस्स णत्थि भयं ॥ २१० ॥ जे एगं णामे से वहुं णामे, जे वहुं णामे से एगं णामे ॥ २११॥ दुक्खं लोयस्स जाणित्ता, वंता लोगस्स संजोगं, जंति वीरा महाजाणं, परेण परं जंति, नावखंति जीवियं ॥२१२॥ एग विगिचमाणे पुढो विगिचइ पुढो विगिचमाणे एगं विगिचइ ॥ २१३ ॥ सड्डी आणाए मेहावी ॥२१४ ॥ लोगं च आणाए अभिसमेच्च अकुओभयं ॥ २१५ ॥ अत्थि सत्थं परेण परं, णत्थि असत्यं परेण परं ॥ २१६ ॥ जे कोहदंसी से माणदंसी, जे माणदंसी से मायादंसी, जे मायादंसी से लोभदंसी, जे लोभदंसी से पिज्जदंसी, जे पिज्जदंसी से दोसदंसी, जे दोसदंसी से मोहदंसी, जे मोहदंसी से गन्भदंसी, जे गम्भदंसी से जम्मदंसी, जे जम्मदंसी से मारदंसी, जे मारदंसी से णरयदंसी, जे णरयदंसी से तिरियदंसी, जे तिरियदंसी से दुक्खदंसी ॥२१७ ॥ से मेहावी अभिनिवट्टिजा, कोहं च-माणं च-सायं च-लोहं च-पिजं च-दोसं च-मोहं च-गभं च-जम्म च-मरणं च-णरगं च-तिरियं च-दुक्खं च-एयं पासगस्स दंसणं उवरयसत्थस्स पलियंतकरस्स ॥ २१८ ॥ आयाणं णिसिद्धा सगडभि ॥ २१९ ॥ किमत्यि ओवाहि पासगस्स ? ण विजइ ? णत्थित्ति, बेमि ॥ २२० ॥ चउत्थोद्देसो समत्तो॥ सीयोसणीयं तइयज्झयणं समत्तं से बेमि-जेय अईया, जेय पद्धप्पन्ना, जेय आगमिस्सा-अरहंता भगवंतो ते सव्वे, एव-माइक्खंति-एवं भासंति-एवं पण्णविंति, एवं परूविंति-सव्वे पाणा, सव्वे भूया, सव्वे जीवा, सव्वे सत्ता, ण हंतव्वा, ण अज्जावेयव्वा, ण परिघितव्चा, ण Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [आयारे १४ सुत्तागमे परितावेयव्या, ण उद्दवेयव्वा, ॥ २२१॥ एस धम्मे सुद्धे, णिइए-सासए-समिच्च लोयं खेयन्नेहि पवेइए, तंजहा-उठ्ठिएसु वा, अणुठ्ठिएसु वा, उवठ्ठिय-अणुवठ्ठिएसु वा, उवरयदंडेसु वा, अणुवरयदंडेसु वा, सोवहिएसु वा, अणोवहिएसु वा, संजोगरएसु वा, असंजोगरएसु वा ॥ २२२ ॥ तच्चं चेयं तहा चेयं अस्सि चेयं पवुच्चइ ॥ २२३ ॥ तं आइत्तु ण णिहे ण णिक्खिये, जाणित्तु धम्म जहा तहा ॥२२४॥ दिठेहिं णिन्वेयं गच्छिजा ॥ २२५ ॥ जो लोगस्सेसणं चरे ॥ २२६ ॥ जस्स णस्थि इमा जाई अन्ना तस्स को सिया ! ॥ २२७ ॥ दिळं सुयं मयं विन्नायं, जमेयं परिकहिजइ ॥२२८॥ समेमाणा पलेमाणा पुणो पुगो जाति पक्रप्पंति ॥ २२९ ॥ अहोय राओय जयमाणे धीरे सया आगयपन्नाणे, पमत्ते वहिया पास अप्पमत्ते सया परिकमिजासित्ति बेमि ॥ २३० ॥ पढमोद्देलो लमत्तो॥ जे आसवा ते परिस्सवा, जे परिस्सवा ते आसवा ॥ २३१ ॥ जे अणासवा ते अपरिरसवा, जे अपरिस्सवा ते अणासवा ॥ २३२ ॥ एए पए संबुज्झमाणे लोयं च आणाए अभिसमिच्चा पुढो पवेइयं ॥ २३३ ॥ आघाइ णाणी इह माणवाण संसारपडिवन्नाणं संबुज्झमाणाणं विन्नाणपत्ताणं, अट्टावि संता अदुवा पमत्ता, अहा सच मिगंत्ति-बेमि ॥ २३४ ॥ नाणागमो मचुमुहस्स अस्थि । इच्छापणीया वंकाणिकेया कालग्गहीआ णिचयणिविट्ठा पुढो पुढो जाइं पकप्पयंति, ॥ २३५ ॥ इहमंगेसि तत्थ तत्य संथवो भवति । अहोववाइए फासे पडिसंवेयंति ॥ २३६ ॥ चिट्ठ कृरेहि कम्मेहि, चिटुं परिचिट्ठति;अचिट्ठ कूरेहि कम्मेहि णो चिट्ठ परिचिट्ठति ॥२३७॥ एगे वयंति अदुवावि णाणी, णाणी वयंति अदुवावि एगे ॥२३८॥ आवंती केयावंती लोयंसि समणा य माहणाय पुढो विवायं वदंति, “से दिलु च णे, सुयं च णे, मयं च ण, विण्यायं च ण, उडे अहं तिरियं दिसामु सव्वतो सुपडिलेहियं च णे सव्वे पाणा, गव्ये भृया, सब्वे जीवा, सव्वे सत्ता-हंतव्वा-अजावेयव्वा-परिघेतव्वा-परियावेयव्वाउडवेयव्या । एत्थं पि जाणह, णत्थित्य दोसो।” अणारियवयणमेयं ॥२३९॥ तत्थ ज ने आरिया, त एवं वयासी-"से दुठ्ठि च भे, दुस्सुयं च भे, दुम्मयं च में, दुब्दिलायं च ने, उर्दू, अहं, तिरियंदिसामु सव्वतो दुप्पडिलेहियं च मे; जं णं तुम्भ नाटस्यह, एवं भामह, एवं पत्वेह-एवं पन्नवेह-सव्वे पाणा-सव्वे भूया-सव्वे जीवागव्यगना, तव्या, अज्जावयब्वा, परिघेतव्वा-परियावेयव्या-उद्दवेयव्वा-एत्थवि जागा नन्वित्य दोनो।" अगारियवयणमेयं ॥ २४० ॥ वयं पुण एवमाइक्खामो, पर भानामो, एवं पन्वेमो, एवं पन्नवेमो, “सव्वे पाणा, सव्वे भूया, सव्वे जीवा, ममता, नव्या, ण अनावेतव्या, ण परिघेतव्वा, ण परियावेयव्वा, ण उद्द Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउत्थमज्झयणं उ० ४] सुत्तागमे वेयव्वा, एथवि जाणह, णत्थित्थ दोसो।” आरियवयणमेयं ॥ २४१ ॥ पुव्वं निकायसमय, पत्तेयं पत्तेयं पुच्छिस्सामो, हं भो पवादिया, किं भे सायं दुक्खं उदाहु असायं ? समिया पडिवन्ने यावि एवं वूया,-सव्वेसि पाणाणं, सव्वेसि भूयाणं, सव्वेसिं जीवाणं, सव्वेसि सत्ताणं, असायं, अपरिणिव्वाणं महन्भयं दुक्खं त्ति बेमि ॥ २४२ ॥ वीओद्देसो समत्तो॥ ___ उवेहि णं बहिया य लोयं, से सव्वलोयंमि जे केइ विन्नू ॥ २४३ ॥ अणुवीद पास, णिक्खित्तदंडा जे केइ सत्ता पलियं चयंति, णरे मुयच्चा धम्मविदुत्ति अंजू ; आरंभजं दुक्खमिगंति णञ्चा, एवमाहु संमत्तदसिणो ॥ २४४ ॥ ते सव्वे पावाझ्या दुक्खस्स कुसला परिन्नमुदाहरंति, इति कम्मं परिन्नाय सव्वसो ॥ २४५ ॥ इह आणाकंखी पंडिए अणिहे, एगमप्पाणं संपेहाए धुणे सरीरं ॥ २४६ ॥ कसेहि अप्पाणं, जरेहि अप्पाणं ॥ २४७ ॥ जहा जुन्नाइं कठ्ठाई हव्ववाहो पमत्थति, एवं अत्तसमाहिए अणिहे ॥२४८॥ विगिच कोहं अविकंपमाणे, इमं णिरुद्धाउयं संपेहाए ॥२४९।। ढुक्खं च जाण अदुवागमेस्सं, पुढो फासाइं च फासे, लोयं च पास, विप्फंदमाणं ॥ २५० ॥ जे णिव्वुडा, पावेहि कम्मेहि अणियाणा ते वियाहिया ॥२५१॥ तम्हाऽतिविजो णो पडिसंजलिजासित्ति बेमि ॥२५२॥ तइओद्देलो समत्तो॥ __ आवीलए पवीलए निप्पीलए, जहित्ता पुव्वसंजोगं हिचा उवसमं ॥ २५३ ।। तम्हा अविमणे वीरे, सारए समिए सहिते सया जए ॥ २५४ ॥ दुरणुचरो मग्गो वीराणं अणियगामीगं ॥ २५५ ॥ विगिंच मंससोणियं, एस पुरिसे दवीए वीरे आयाणिजे वियाहिए, जे धुणाइ समुस्सयं वसित्ता वंभचेरंमि ॥ २५६ ॥ णित्तेहिं पलिछिन्नेहिं आयाणसोयगट्टिए वाले, अव्वोच्छिन्नबंधणे अणभिकंतसंजोए । तमंसि अविजाणओ आणाए लंभो णत्थि-त्ति बेमि ॥ २५७ ॥ जस्स नत्थि पुरा पच्छा, मज्ञ तस्स कुओ सिया ? ॥ २५८ ॥ से हु पन्नाणमंते बुद्धे आरंभोवरए, सम्ममेयंति पासह, जेण वंधं वहं घोरं परितावं च दारुगं ॥ २५९ ॥ पलिछिदिय वाहिरगं च सोयं, 'णिकम्मदंसी इह मच्चिएहि ॥ २६० ॥ कम्माणं सफलं दट्ठण तओ णिज्जइ पुचवी ॥ २६१ ॥ जे खलु भो ! वीरा ते समिता सहिता सयाजता संघडदंसिगो आतोवरया अहातहं लोगमुवेहमाणा पाईणं पडीगं दाहीणं उदीणं इति सच्चंसि परिचिठिसु ॥ २६२ ॥ साहिस्सामो णाणं वीराणं समियाणं सहियाणं, सयाजताणं संघडदंसिणं आतोवरयाणं अहातहं लोगंसमुवेहमाणाणं किमत्थि उवाधी? पासगस्स - ण विज्जति णत्यित्ति बेमि ॥ २६३ ॥ चउत्थोद्देसो समत्तो॥ सम्मत्तं णाम चउत्थमज्झयणं समत्तं Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ आयारे आवंती केयावंती लोयंसि विप्परामुसंति अठ्ठाए अण्ठ्ठाए वा । एएस चेव विप्परामुसंति, गुरु से कामा, तओ से मारंते, जओ से मारते, तओ से दूरे, णेव से अंतो णेव से दूरे ॥ २६४ ॥ से पासति फुसियमिव कुसग्गे पणुन्नं णिवइतं वातेरितं, एवं वालस्स जीवियं मंदस्स अविजाणओ ॥ २६५ ॥ कूराई कम्माई वाले पकुव्वमाणे तेण दुक्खेण मूढे विपरियासमुवेति, मोहेण गब्धं मरणाइ एति, एत्थ मोहे पुणो पुणो ॥ २६६ ॥ संसयं परियाणतो संसारे परिण्णाते भवति, संसयं अपरिजाणओ संसारे अपरिण्णाते भवति ॥ २६७ ॥ जे छेए से सागारियं ण सेवइ ॥ २६८ ॥ कट्टु एवं अविजाणओ बितिया मंदस्स बालया ॥ २६९ ॥ लवा हुरत्था पडिलेहाए आगमित्ता आणविज्जा अणासेवणयत्ति बेमि ॥ २७० ॥ पासह एगे रुवे गिद्धे परिणिजमाणे, इत्थ फासे पुगो पुगो, आवंती केयावंती लोयंसि आरंभजीवी ॥ २७१ ॥ एएस चेव आरंभजीवी, इत्यवि वाले परिपच्चमाणे रमति पावेहि कम्मेहि असरणे सरगत्ति मण्णमाणे ॥ २७२ ॥ एहमेगेसि एगचरिया भवति, से बहुकोहे, बहुमाणे-बहुमाए - बहुलो हे बहुरए - बहुनडे - बहुसढे - बहुसंकप्पे, आसवसत्ती पलिउच्छन्ने उट्ठियवायं पवयमाणे “मा मे केइ अदक्खू" अण्णाणपमायदोसेणं, सययं मूढे धम्मं णाभिजाणाइ ॥ २७३ ॥ अट्टा पया माणव ? कम्मकोविया जे अणुवरया अविज्जाए पलिमुक्खमाहु आवट्टमेव अणुपरियÉतित्ति बेमि ॥ २७४ ॥ पढमोसो समत्तो ॥ १६ आवंती केयावंती लोए अणारंभजीविगो तेसु ॥ २७५ ॥ एत्थोवरए तं झोसमाणे "अयं संधीति” अदक्खु, जे इमस्स विग्गहस्स अयं खणेत्ति अन्नेसी ॥ २७६ ॥ एस मग्गे आरिएहि पवेदिते, उट्ठिए णो पमायए, जाणि त्तु दुक्खं पत्तेयं सायं ॥ २७७ ॥ पुढो छंदा इह माणवा, पुढो दुक्खं पवेदितं, से अविहिसमाणे अणवयमाणे, पुट्ठो फासे विप्पणुन्नए । एस समिया परियाए वियाहिते ॥ २७८ ॥ जे असत्ता पावेहि कम्मेहि उदाहु ते आयंका फुसंति इति उदाहु धीरे ते फासे पुट्टो अहियासइ ॥ २७९ ॥ से पुव्वं पेयं, पच्छापेयं भिउरधम्मं विद्धंसणधम्मं - अधुवं अणितियं असासयं चयावचइयं विप्परिण्णामधम्मं, पासह एयं रुवसंधिं ॥ २८० ॥ समुप्पेहमाणस्स इक्काययणरयस्स इह विप्पमुक्कस्स णत्थि मग्गे विरयस्सत्ति बेमि ॥ २८१ ॥ आवंती के यावंती लोगंसि परिग्गहावंती से अप्पं वा, बहुयं वा, अणुं वा, थूलं वा, चित्तमंतं वा, अचित्तमंतं वा एतेसु चेव परिग्गहावंती ॥ २८२॥ एवगेवेगेसि महव्भयं भवति, लोगवित्तं च णं उवेहाए ॥ २८३ ॥ एए संगे अविजाणतो से सुपडिबर्द्ध सृवणीयंति णच्चा, पुरिसा ! परमचक्खू विप्परिकमा, एतेसु Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पञ्चमज्झयणं उ० ३] सुत्तागमे चेव वंभचेरं त्ति बेमि ॥ २८४ ॥ से सुयं च मे, अज्झत्थयं च मे, वंधपमुक्खो अज्झत्थेव || २८५ ॥ इत्थ विरते अणगारे दीहरायं तितिक्खए ॥ २८६ ॥ पमत्ते चहिया पास, अप्पमत्तो परिव्व ॥ २८७ ॥ एवं मोगं सम्मं अणुवासिज्जासित्ति बेमि ॥ २८८ ॥ बीयोदेसो समत्तो ॥ TO आवंती के यावंती लोयंसि अपरिग्गहावंती एएस चेव अपरिग्गहावंती सुधा वई मेहावी, पंडियाण णिसामिया ॥ २८९ ॥ समिया धम्मे आरिएहि पवेदिते जहित्य मए संधी झोसिए एवमण्णत्य संधी दुज्झोसए भवति, तम्हा वेमिणो हिणिज वीरियं ॥ २९० ॥ जे पुव्वुठ्ठाई णो पच्छाणिवाई, जे पुव्वुठ्ठाई पच्छाणिचाई, जेणो पुठ्ठाई णो पच्छाणिवाई, सेऽवि तारिसिए सिया, जे परिण्णाय लोगमण्णेसयंति, एवं णियाय मुणिणा पवेदितं ॥ २९१ ॥ इह आणाकंखी पंडिए अणिहे, पुव्वावररायं जयमाणे सया सीलं सुपेहाए ॥ २९२ ॥ सुणिया भवे अकामे अझे ॥ २९३ ॥ इमेण चेव जुज्झाहि, किं ते जुज्झेण बज्झओ ? जुद्धारिहं खलु दुहं ॥ २९४ ॥ जहित्थ कुसलेहिं परिन्नाविवेगे भासिए, चुए हु बाले गव्भाइसु रजइ ॥ २९५ ॥ असि चेयं पव्वुच्चति, रूवंसि वा छगंसि वा ॥ २९६ ॥ से हु एगे संविद्धपहे मुणी, अण्णहा लोगमुवेहमाणे ॥ २९७ ॥ इति कम्मं परिण्णाय सव्वसो से ण हिंसति संजमति णो पगब्भति, उवेहमाणो पत्तेयं सायं ॥ २९८ ॥ चन्नाएसी णारभे कंचगं सव्वलोए, एगप्पमुहे विदिसप्पन्ने निव्विन्नचारी अरए पयासु ॥ २९९ ॥ से वसुमं सव्वसमन्नागयपन्नाणेगं अप्पाणेगं अकर णिज्जं पावकम्मं तं णो अन्नेसी ॥ ३०० ॥ जं सम्मं ति पासहा तं मोगं ति पासहा, जं मोगं ति पासहा तं सम्मं ति पासहा ॥ ३०१ ॥ ण इमं सक्कं सिढिलेहि अद्दिजमाणेहिं गुणासहि कसमायारेहिं पमत्तेहिं गारमावसंतेहि ॥ ३०२ ॥ मुणी मोगं समायाए, धुणे कम्मसरीरगं, पंतं लूहं सेवंति, वीरा संमत्तदंसिजो || एस ओहं तरे मुणी, तिणे मुत्ते विरए वियाहिएत्ति बेमि ॥ ३०३ ॥ तइओसो समत्तो ॥ गामाणुगामं दूइजमाणस्स दुज्जातं दुप्परकंतं भवति अवियत्तस्स भिक्खुणो ॥ ३०४ ॥ वयसावि एगे वुझ्या कुप्पंति माणवा, उन्नयमाणे य णरे महता मोहेण मुज्झति, संवाहा वहवे भुज्जो २ दुरतिक्कमा अजाणतो, अपासतो, एयं ते मा होउ, एयं कुसलस्स दंसणं ॥ ३०५ ॥ तद्दिठ्ठीए तम्मुत्तीए तप्पुरकारे तस्सन्नी तन्निवेसणे जयं विहारी चित्तणिवाती पंथणिज्झाती पलिबाहिरे, पासिय पाणे गच्छिजा । से अभिकममाणे पडिक्कममाणे संकुचमाणे पसारेमाणे विणिवट्टमाणे संपलिमज्जमाणे ॥ ३०६ ॥ एगया गुणसमियस्स रीयतो कायसंफासं समणुचिन्ना एगतिया पाणा २ सुत्ता० Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ आयारे उद्दायंति; इहलो गवेयणविज्जावडियं, जं आउट्टिकयं कम्मं तं परिज्ञाय विवेगमेति, एवं से अप्पमाएगं विवेगं किट्टति पुव्ववी ॥ ३०७ ॥ से पभूयदंसी पभूयपरिन्नाणे उवमंत समिए सहिते सयाजए, दहं विप्पडिवेदेति अप्पाणं, “किमेस जणो करिरसति ! एस से परमारामो जाओ लोगंमि इत्थीओ", सुणिणा हु एतं पवेदितं ॥ ३०८ ॥ उब्वाहिजमाणे गामधम्मेहिं अवि णिब्वलासए, अवि ओमोयरियं कुज्जा, अवि उ ठागं ठाइजा, अवि गामाणुगामं दूइज्जिज्जा, अवि आहारं वुच्छिदिजा, अवि चए इत्थिमु मगं ॥ ३०९ ॥ पुव्वं दंडा पच्छा फासा, पुव्वं फासा पच्छा दंडा, इच्चेत कलहासंगकरा भवंति । पडिलेहाए आगमित्ता आणविज्जा अणासेवणाए तिमि ॥ ३१० ॥ से णो काहिए, णो पासणिए, जो सामए, जो कयकिरिए, बइगुत्ते, अज्झप्पसवुडे, परिवज्जइ सदा पावं, एवं मोगं समणुवासिजाति-त्ति बेमि ॥ ३११ ॥ चउत्थोद्देसो समत्तो ॥ १८ से बेमि—तंजहा, अवि हरए पडिपुन्ने समंति भोमे चिठ्ठ उवसंतरए सारक्खमाणे, से चिठ्ठति सोयमज्झगए, से पास, सव्वतो गुत्ते, पास, लोए महेसिगो, जे य पन्नाणमंता पबुद्धा आरंभोवरया सम्ममेयंति पासह, कालस्स कंखाए परिव्वयंति त्ति बेमि ॥ ३१२ ॥ वितिगिच्छसमावन्नेणं अप्पाणेणं णो लभति समाधि ॥३१३॥ सिया वेगे अणुगच्छंति, असिया वेगे अणुगच्छंति, अणुगच्छमाणेहि अणणुगच्छमाणे कहं णणिव्वजे, तमेव सच्चं णीसंकं जं जिणेहिं पवेइयं ॥ ३१४ ॥ सस्सि of समन्नस्स सपव्वयमाणस्स समियंति मण्णमाणस्स एगया समिया होति, समियंति मग माणस एगया असमिया होति, असमयंति मण्णमागस्स एगया समिया होति, असमिति मण्णमाणस्स एगया असमिया होति ॥ ३१५ ॥ समियंति मण्णमाणस्स नमिया वा, असमिया वा, समिया होति उवेहाए ॥ ३१६ ॥ असमियंति मण्णमाणस्स गमिया वा, असमिया वा, असमिया होति उवेहाए ॥ ३१७ ॥ उवेहमाणो अणुवेहमाणं गा-" उहाहि समियाए इच्चेवं तत्थ संधी झोसितो भवति ॥ ३१८ ॥ से उठिवर ठिपस्न गति समणुपासह, एत्यवि वालभावे अप्पाणं णो उवदंसेज्जा ॥ ३९९ ॥ तुमनि नाम सच्चेव, जं हंतव्वंति मन्नसि तुमंस नाम सच्चेव, जं अज्जानितुमनि नाम सच्चेव, जं परितावे यव्वंति मन्नसि, एवं जं परिविित्तव्वंति मननि, जं उदवेधीत मन्नन । अंजू चेयपडिबुद्धजीवी तम्हा ण हंता, ण विघायए; पाणे जं हंनव्वं णाभिपत्यए ॥ ३२० ॥ जे आया से विन्नाया, जे में भावा, जेण निजाणति से आया, तं पच परिसंखाए, एस आयावादी गमिण परियाए वियाहितंत्ति बेमि ॥ १२१ ॥ पंचमोद्देसो समत्तो ॥ Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छठ्ठमज्झयणं उ० १] सुत्तागमे अणाणाए एगे सोवठ्ठाणा आणाए एगे निस्वठ्ठाणा एतं ते मा होउ, एयं कुसलस्स दंसणं ॥ ३२२ ॥ तद्दिट्ठीए तम्मुत्तीए तप्पुरकारे तस्सण्णी तण्णिवेसणे, अभिभूय अदक्खू, अणभिभूते पभू निरालंबणयाए; जे महं अवहिंमणे ॥ ३२३ ॥ पवाएगं पवायं जाणिजा, सहसम्मइयाए, परवागरणेगं अन्नेसिं वा अंतिए सोचा ॥ ३२४ ॥ सिं गातिवट्टेजा मेहावी सुपडिलेहिया सव्वतो सव्वप्पणा सम्ममेव समभिण्णाय ॥ ३२५ ॥ इह आरामं परिण्णाय अल्लीणगुत्तो आरामो परिव्वए, णिठियठ्ठी वीरे आगमेण सदा परिक्क मेजासि त्ति बेमि ॥ ३२६ ॥ उ सोता, अहे सोता, तिरियं सोता वियाहिया ; एते सोया वियक्खाया, जेहिं संगति पासा ॥ ३२७ ॥ आवट्टं तु उवेहाए, एत्थ विरमिज्ज पुव्ववी ॥ ३२८ ॥ विणइत्तु सोयं णिक्खम्म एसमहं अकम्मा जाणति, पासति, पडिलेहाए णावकंखति, इह आगति गतिं परिण्णाय अच्चेइ जातिमरणस्स वट्टमग्गं विक्खायरए ॥ ३२९ ॥ सव्वे सरा णियति, तक्का जत्थण विज्जर, मई तत्य ण गाहिता, ओए अप्पतिट्ठाणस्स खेयने ॥ ३३० ॥ सेण दी हस्सेण वट्टेण तंसेण चउरंसे ण परिमंडले, न किण्हे, न गीले, ण लोहिए, प हालिद्दे ण सुकिल्ले ण सुरहिगंधे ण दुरहिंगंधे ण तित्ते ण कडुए, ण कसाए ण अंबिलेण महुरे ण कक्खडे ण मउएण गरुए ण लहुए ण सीए ण उण्हेण णिद्धेण लुक्खेण काऊ ण रहेण संगेण इत्थी ण पुरिसे ण अन्नहा परिण्णे, सण्णे ॥ ३३१ ॥ उवमा विजए, अरूवी सत्ता, अपयस्स पयं णत्थि ॥ ३३२ ॥ सेण सद्देण रूवेण गंधेण रसे फासे इच्छेवत्ति बेमि ॥ ३३३ ॥ छट्टोदेसो समत्तो ॥ | लोकसारणाम पंचमज्झयणं समत्तं ॥ १९ ओज्झमाणे इह माणवेसु आधाइ से परे, जस्सिमाओ जाइओ सव्वओ सुपडिलेहियाओ भवति, आघाइ से णाणमणेलिसं ॥ ३३४ ॥ से किट्टति तेसि समुठियाणं णिक्खित्तडागं समाहियागं पन्नाणमंतागं इह मुत्तिमग्गं, एवं एगे महावीरा विप्परिकमंति, पासह एगे अविसीयमाणे अणत्तपन्ने ॥ ३३५॥ से बेमि से जहावि कुम्मे हरए विणिविठ्ठचित्ते पच्छन्नपलासे उम्मग्गं से णो लहइ ॥ ३३६ ॥ भंजगा इव सन्निवेसं णो चयंति, एवं एगे अगरूवेहिं कुलेहिं जाया, रूवेहिं सत्ता, कलुणं थणंति, णियाणओ ते ण लभंति मुक्खं ॥ ३३७ ॥ अह पास तेहिं कुलेहि आयत्ताए जाया ॥ ३३८ ॥ गंडी अदुवा कुठ्ठी, रायंसी अवमारियं । काणियं झिमियं चेव, कुणियं खुज्जियं तहा ॥ उअरिं पास मूयं च सूणिअं च गिलासिगिं, वेवई पीढसपि च, सिलिवयं महुमेहगिं सोलस एते रोगा, अक्खाया अणुपुव्वसो, अह णं फुसंति Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [आयारे आयंका, फासाय असमंजसा ॥ मरणं तेसि संपेहाए, उववाय चवणं णच्चा; परियागं च संपेहाए, तं सुणेह जहा तहा ॥ ३३९ ।। संति पाणा अंधा तमंसि वियाहिया; तामेव सई असई अइ अच्च उच्चावयफासे पडिसंवेदेति, बुद्धेहिं एवं पवेदितं ॥३४०॥ संति पाणा वासगा, रसगा उदए उदएचरा आगासगामिणो पाणा पाणे किलेसंति ॥ ३४१ ॥ पास लोए महन्मयं ॥ ३४२ ॥ बहुदुक्खाहु जंतवो ॥ ३४३ ।। सत्ता कामेसु माणवा, अवलेण वहं गच्छंति सरीरेणं पभंगुरेण ॥ ३४४ ॥ अट्टे से बहुदुक्खे, इति वाले पकुव्वइः एते रोगा वहु णञ्चा, आउरा परितावए ॥ ३४५ ।। णालं पास, अलं तवेएहिं । एयं पास मुणी! महन्मयं, णातिवाएज कंचणं ॥ ३४६॥ आयाणं भो! सुस्सूस ! भो धूयवादं पवेदइस्सामि इह खलु अत्तत्ताए तेहिं तेहिं कुलेहिं अभिसेएण, अभिसंभूता, अभिसंजाता, अभिणिव्वुडा, अभिसंवुड्डा, अविसंबुद्धा अभिणिकंता अणुपुत्वेगं महामुणी ॥ ३४७ ॥ तं परिकमंतं परिदेवमाणा मा चयाहि इति ते वदंति; "छंदोवणीया अज्झोववन्ना," अक्कंदकारी जणगा रुवंति । अतारिसे मुणी णो ओहंतरए, जगगा जेण विप्पजडा ॥३४८॥ सरणं तत्थ णो समेति कहं नु णाम से तत्थ रमति ? एवं णागं सया समणुवासिज्जासि-त्ति बेमि ॥३४९॥ पढमोइसोसमत्तो॥ आतुरं लोयमायाए चइत्ता पुव्वसंजोगं, हिच्चा उवसमं, वसित्ता बंभचेरंमि, वसु वा अणुवसु वा जाणित्तु धम्मं अहा तहा, अहेगे तमचाइ कुसीला, वत्थं पडिग्गहं कंवलं पायपुंछणं विउसिज्जा, अणुपुत्वेण अणहियासेमाणा परीसहे दुरहियासए, कामे ममायमाणस्स, इयाणि मुहुत्तेण वा अपरिमाणाए भेए, एवं से अंतराएहि कामेहिं आकेवलिएहि अवइन्नाचेए ॥ ३५०॥ अहेगे धम्ममादाय आयाणप्पभिइसु पणिहिए चरे अप्पलीयमाणे दढे ॥ ३५१ ॥ सव्वं गिद्धिं परिण्णाय एस पणए महामुणी ॥ ३५२ ।। अइअच्च सव्वतो संगं “णमहं अत्थित्ति इति एगोहमंसि" जयमाणे एत्य विरते, अणगारे, सव्वओ मुंडे, रीयंते, जे अचेले परिचुसिए संचिक्खति जोमोयरियाए ॥ ३५३ ॥ से आकुछो चा, हए वा, लुंचिए वा, पलियं पकत्य, अदुवा पकल्य, अनहेहिं सहफासेहि, इति संखाए एगतरे अन्नयरे अभिन्नाय तितिक्खमाणे परिन्दा, जे य हिरी जे य अहिरीमाणा, चिचा सव्वं विसोत्तियं संफासे फासे रामियदसणे ॥ ३५४ ॥ एते भो णगिणा वुत्ता, जे लोगसि अणागमणधम्मिणो, ॥ ३५५ ॥ "आणाए मामगं धम्म” एस उत्तरवादे इह माणवाणं वियाहिते ॥३५६॥ एन्योवरए त सोबमाणे, आयाणिज्ज परिण्णाय परियाएणं विगिंचइ ।। ३५७ ॥ इह मंगमि एगचरिया होति, तत्थियरा इयरेहिं कुलेहि सुद्धसणाए सव्वेसणाए से मेहावी परिणा, मुभि अदुवा दुरिंग अदुवा तत्य मेरवा पाणापाणे किलेसंति ते फासे पुढो गोरो अहियासेन्जामित्ति वेसि ॥ ३५८ ॥ वीओद्देसो समत्तो।। Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छठज्यणं उ०४] सुत्तागमे ___ एयं खु मुणी आयाणं सया सुअक्खायधम्मे विधूतकप्पे णिज्झोसइत्ता ॥३५९॥ जे अचेले परिखुसिए तस्स णं भिक्खुस्स णो एवं भवइ परिजुण्णे मे वत्थे वत्थं जाइस्सामि, सुत्तं जाइस्सामि, सूई जाइस्सामि, संधिस्सामि, सीविस्सामि, उक्कसिस्सामि वोक्कसिस्सामि, परिहिस्सामि पाउणिस्सामि ॥ ३६० ॥ अदुवा तत्थ परक्कमंतं भुजो अचेलं तणफासा फुसंति, तेउफासा सीयफासा फुसंति, दंसमसगफासा फुसंति, एगयरे अन्नयरे विस्वरूवे फासे अहियासेति, अचेले लाघवं आगममाणे, तवेसे अभिसमण्णागए भवति ॥ ३६१ ॥ जहेयं भगवता पवेदितं तमेव अभिसमेचा सव्वतो सव्वत्ताए समत्तमेव समभिजाणिज्जा एवं तेसि महावीराणं चिरराइं पुन्वाइं वासाणि रीयमाणाणं दवियाणं पास, अहियासियं ॥ ३६२ ॥ आगयपन्नाणाणं किसा बाहवो भवंति, पयणुए मंससोणिए, विस्सेगि कट्ट परिण्णाए, एस तिन्ने मुत्ते विरए वियाहिएत्ति बेमि ॥ ३६३ ॥ विरयं भिक्खु रीयंतं चिररातोसियं अरती तत्थ किं विहारए ॥३६४॥ संधे माणे समुहिए, जहासे दीवे असंदीणे ॥३६५॥ एवं से धम्मे आयरियपदेसिए॥३६६॥ ते अणवकंखमाणा, पाणे अणतिवातेमाणा जइया मेहाविणो पंडिया ॥ ३६७ ॥ एवं तेसिं भगवओ अणुहाणो जहा से दियापोए एवं ते सिस्सा दिया य राओ य अणुपुत्वेण वाइय त्ति वेमि ॥३६८॥ तइओद्देसो समतो॥ एवं ते सिस्सा दिया य राओ य अणुपुत्वेण वाइया तेहिं महावीरेहिं पण्णाणमंतेहिं तेसिमंतिए पण्णाणमुवलब्भ हिच्चा उवसमं फारसियं समादियंति ॥ ३६९ ॥ वसित्ता वंभचेरंसि आणं तं णो त्ति मण्णमाणा ॥३७०॥ अग्घायं तु सोचा णिसम्म "समणुना जीविस्सामो" एगे णिक्खमंते असंभवेता विडज्झमाणा कामेहिं गिद्धा अज्झोववण्णा समाहिमाघायमजोसयंता सत्यारमेव फरसं वदंति ॥ ३७१ ॥ सीलमंता उवसंता संखाए रीयमाणा “असीला" अणुवयमाणस्स बितिया मंदस्स बालया ।। ३७२ ॥ णियट्टमाणा वेगे आयारगोयरमाइक्खंति ॥ ३७३ ॥णाणभट्ठा दसणलूसिणो णममाणा एगे जीवितं विप्परिणामंति ॥ ३७४ ॥ पुट्ठावेगे णियति जीवियस्सेव कारणा, णिक्खंतपि तेसिं दुन्निक्खंतं भवति ॥ ३७५ ॥ वालवयणिज्जा हु ते नरा पुणो पुणो जाति पकप्पंति अहे संभवंता विद्दायमाणा अहमंसि ति विउक्कसे उदासीणे फरुसं वदंति, पलियं पकत्थे अदुवा पकत्थे अतहेहिं तं मेहावी जाणिज्जा धम्मं ॥ ३७६ ॥ अहम्मट्ठी तुमंसि णामवाले, आरंभठ्ठी अणुवयमाणे "हणपाणे” घायमाणे, हणओयावि समणुजाणमाणे "घोरे धम्मे उदीरिए” उहइ णं आणाणाए एस विसण्णे वियद्दे वियाहिंते ति बेमि ॥ ३७७ ॥ किमणेणं भो जणेण करिस्सामि त्ति मण्णमाणा एवं एगे वइत्ता, मातरं पितरं हिच्चा, णातओ य Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૨ सुत्तागमे [आयारे परिग्गह, वीरायमाणा समुठाए, अविहिंसा सुव्वया दंता, पस्स दीणे उप्पइए पडिवयमाणे ॥ ३७८ ॥ वसट्टा कायरा य जणा लूसगा भवंति ॥ ३७९ ॥ अहमेगेसिं सिलोए पावए भवइ, से समणो भवित्ता विब्भते२ ॥ ३८० ॥ पास हेगे समनागएहि सह असमण्णागए, णसमाणेहिं अणममाणे विरतेहिं अविरते दविएहिं अदविए ॥ ३८१ ॥ अभिसमेचा पंडिए मेहावी णिठ्ठियठे वीरे आगमेणं सया परकमेज्जासि त्ति बेमि ॥ ३८२ ॥ चउत्थोद्दसो समत्तो॥ से गिहेसु वा, गिहतरेसु वा, गामेसु वा, गामंतरेसु वा, नगरेसु वा, नगरंतरेसु वा, जणवएसु वा, जणवयंतरेसु वा, गामजणवयंतरे वा गामणयरंतरे वा, णगरजगवयंतरे वा, संतेगतिया जणा लूसगा भवंति, अदुवा फासा फुसंति, ते फासे पुट्ठो धीरो अहियासए ओए समियदसणे ॥ ३८३ ॥ दयं लोगस्स, जाणित्ता पादीगं पडीगं, दाहीणं उदीगं, आइक्खे, विभये, किट्टे, पुव्ववी ॥ ३८४ ॥ से उद्विएसु वा, अणुठ्ठिएसु वा सुस्सूसमाणेसु पवेदए, संति, विरति, उवसमं, णिव्वाणं सोयं अजवियं मद्दवियं लाघवियं अणइवत्तियं ॥ ३८५ ॥ सव्वेसि पाणाणं सव्वेसि भूयागं सव्वेसि जीवाग सव्वेसि सत्तागं अणुवीइ भिक्खु धम्ममाइक्खेजा ॥३८६॥ अणुवीइ भिक्खु धम्ममाइक्खमाणे णो अत्ताणं आसाइजा, णो परं आसाइजा, णो अन्नाइं पाणाइं भूयाइं जीवाई सत्ताइं आसाएजा ॥ ३८७ ॥ से अणासादए अणासादमाणे वज्द्रमाणाणं पाणागं भूयाणं जीवाणं सत्तागं, जहा से दीवे असंदीणे एवं से भवति सरगं महामुणी ॥ ३८८ ॥ एवं से उठ्ठिए ठियप्पा अणिहे अचले चले अवहिस्से परिव्वए ॥ ३८९ ॥ संखाय पेसलं धम्म, दिठुिमं परिणिबुडे ॥३९०॥ तम्हा सगं ति पासह, गंथेहिं गढिया णरा विसण्णा कामकंता, तम्हा लूहाओ णो परिवित्तसेज्जा ॥ ३९१ ॥ जस्सिमे आरंभा सव्वतो सव्वप्पयाए सुपरिण्णाया भवंति तेसिंमे लूसिणो णो परिविनसंति से वंता कोहं च माणं च मायं च लोभं च, एस तुट्टे वियाहिते त्ति बेमि ॥ ३९२ ॥ कायस्स वियाघाए संगामसीसे वियाहिए, से हु पारंगमे मुणी, अविहम्ममाणे फलगावय४ि कालोवणीते कंखेजकालं जाव सरीर भेउत्ति बेमि ॥ ३९३ ॥ पंचमोद्देसो समत्तो॥ ॥धूताक्खं छठमज्झयणं समत्तं ॥ महापरिण्णा णामं सत्तमज्झयणं वोच्छिण्णं में चमि समणुनस्स वा असमणुन्नस्स वा असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं ना, मयंका, पचिगई, वा, कंबलं वा, पायपुंच्छणं वा णो पाएजा, णो णिमतिजा Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टमज्झयणं उ० २ ] सुत्तागमे गो कुजा वेयावडियं परं आढायमाणेत्ति बेमि ॥ ३९४ ॥ धुयं चेतं जाणेजा असणं वा जाव पायपुंछगं वा, लभिया णो लभिया, भुंजिया णो भुंजिया पंथं वित्ता विकम्म विभत्तं धम्मं जोसेमाणे समेमाणे चलेमाणे पाएजा वा णिमंतेजा वा कुजा वेयावडियं परं अणाढायमाणेत्ति वेमि ॥ ३९५ ॥ इहमेगेसि आयारगोयरे णो सुणिसंते भवति, ते इह आरंभट्ठी अणुवयमाणा “हण पाणा" घायमाणा हणतो यावि समणुजाणमाणा अदुवा अदिन्नमाययंति, अदुवा वायाओ विउज्जति; तंजहा - अस्थि लोए णत्थि लोए धुवे लोए अधुवे लोए सादिए लोए अणादिए लोए सपज्जवमिते लोए अपज्जवसिते लोए सुकडेत्ति वा दुवडेत्ति वा कलाणेत्ति वा पावेत्ति वा साहुत्ति वा असाहुत्ति वा सिद्धीति वा, असिद्धीत्ति वा, णिरएत्ति वा अणिरएत्ति वा ॥ ३९६ ॥ जमिगं विप्पडिवण्णा “सामगं धम्मं” पन्नवेमाणा, इत्थवि जाणह अम्हा । एवं तेसिं णो सुअक्खाए सुपन्नत्ते धम्मे भवति, से जर्हेयं भगवया पवेदितं आसुपण्णेण जाणया पासया, अदुवा गुत्ती वओगोयरस्स त्ति बेसि ॥ ३९७॥ सव्वत्थ संमयं पावं, तमेव उवाइकम्म, एस महं विवेगे वियाहिते ॥ ३९८ ॥ गामे अदुवा रण्णे, णेव गामेणेव रणे, धम्ममायाणह पवेदितं माहणेण मईमया ॥ ३९९॥ जामा तिण्गि उदाहिया, जेसु इमे आयरिया संबुज्झमाणा समुट्ठिया ॥४०० ॥ जे णिव्वुया पावेहिं कम्मेहिं अणियाणा ते वियाहिया ॥ ४०१ ॥ उ अहे तिरियं दिसासु सव्वतो सव्वावंति च णं पाडियक्कं जीवेहिं कम्मसमारंभे णं ॥ ४०२ ॥ तं परिण्णाय मेहावी णेच सयं एतेहिं कायेहिं दंडं समारंभेजा, णेवण्णे एतेहिं कायेहिं दंडं समारंभावेजा, वने एहिं काहिं दंड समारंभंतेवि समणुजाणेजा ॥ ४०३ ॥ जेयन्ने एते हिं काए हिं दंड समारंभंति तेसिपि वयं लजामो ॥ ४०४ ॥ तं परिण्णाय मेहावी तं वा दंड अण्णं वा णो दंडेमि, दंडं समारंभिजासि त्ति बेमि ॥ ४०५ ॥ पढमोद्देसो समन्तो ॥ से भिक्खु परक्कमेज वा, चिठ्ठेज्ज वा, णिसीएज वा, तुयट्टेज वा, सुसाणंसि वा, सुन्नागारंसि वा, गिरिगुहंसि वा, स्क्खमूलंसि वा, कुंभाराययगंसि वा, हुरत्था वा, कहिं चि विहरमाणं तं भिक्खु उवसंक्रमित्तु गाहावती बूया आउसंतो समणा ! अहं खलु तव अठ्ठाए असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा, वत्थं वा, पडिग्गहं वा, कंबलं वा, पायपुंछगं वा, पाणाई, भूयाई, जीवाई, सत्ताई, समारम्भ समुद्दिस्स कीयं, पामिचं, अच्छिजं, अणिसठ्ठे, अभिहडं आहड चेतेमि, आवसहं वा समुस्मिणोमि, से भुंजह, वसह ॥ ४०६ ॥ आउसंतो समणा ! भिक्खु तं गाहावति समणसं सवयसं संपडियाइक्खे आउसंतो गाहावति ! णो खलु ते वयगं आढामि, णो खलु ते वयगं परिजाणामि, जो तुमं मम अट्ठाए असणं वा (४) वत्थं वा (४) पाणाई २३ Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [आयारेसुत्तागसे २४ वा (४) जाव समारम्भ समुद्दिस्स कीयं पामिचं, अच्छिज्ज, अणिसहूं, अभिहडं आहट चेएसि, आवसहं वा समुस्सिणासि, से विरतो आउसो! गाहावती! एयस्स अकरणयाए ॥ ४०७ ॥ से भिक्खुं परिक्रमेज वा जाव हुरत्था वा कहिंचि विहरमाणं तं भिक्खुं उपसंक्रमित्तु गाहावइ आयगयाए पेहाए असणं वा (४) वत्थं वा (४) पाणाई (४) जाव आहहु चेएति आवसहं वा समुस्सिणाति भिक्खुं परिघासिउं, तं च भिक्खु जाणेजा सह संमइयाए परवागरणेणं अण्णेसि वा सोचा “अय खलु गाहावइ ! मम अठाए असणं वा (४) वत्थं वा (४) पाणाई वा (४) समारब्भ जाव चेएति आवसहं वा समुस्सिणाति" तं च भिक्खु संपडिलेहाए आगमेत्ता आणवेना अणासेवणाए त्ति बेसि ।। ४०८ ॥ भिक्खुं च खलु पुछा वा अपुठा वा जे इमे आहच्च गंथा फुसंति से हंता “हणह खणह छिंदह दहह पयह आलुपह विलुपह सहसा कारेह विप्परामुसह" ते फासे पुठो धीरो. अहियासए अदुवा आयारगोयरमाइक्खे तकियाणमणेलिस, अदुवा वइगुत्तिए गोयरस्स अणुपुत्वेण सम्म पडिलेहाए आयगुत्ते जिणेहिं एयं पवेदितं ॥ ४०९ ॥ से समणुन्ने असमणुनस्स असणंवा (४) वत्थं वा (४) नोपाएजा, नोनिमंतेजा, नो कुना वेयावडियं परं आढायमाणेत्ति बेमि ॥ ४१० ॥ धम्ममायाणह पवेइयं माहणेण मतिमया समणुन्ने समणुनस्स असणं वा, (४) वत्थं वा (४) पाएजा णिमंत्तेजा कुज्जा वेयावडियं परं आढायमाणेत्ति बेमि ॥ ४११॥ बीओहेलो समतो॥ मज्झिमेणं वयसावि एगे संबुज्झमाणा समुहिता ॥ ४१२ ॥ सोचा मेहावी वयणं पंडियागं निसामित्ता ॥ ४१३ ॥ समियाए धम्मे आरिएहिं पवेदिते ॥ ४१४ ॥ ते अगवक्रसमाणा अणतिवाएमाणा अपरिग्गहमाणा णो परिग्गहावंति सव्वावंति च नं लोगति । णिहाय दंडं पाणेहिं पावं कम्मं अकुव्वमाणे एस महं अगंथे वियाहिए, ओए जुतिमस्स खेयन्ने उववायं चवणं च णञ्चा ॥ ४१५ ॥ आहारोवचया देहा, परिसह पभंगुरा । पासहेगे सव्विदिएहिं परिगिलायमाणेहिं ॥ ४१६ ॥ ओए दयं दयइ ॥ ४१७ ॥ जे सनिहाणसत्यस्स खेयन्ने से भिक्खु कालण्णे वलण्णे मायण्णे खणपणे विणयण्णे समयण्णे परिग्गहं अममायमाणे कालेण्टाइ अपडिन्ने दुहओ छेत्ता गियाति ॥ ४१८ ॥ तं भिक्खं सीयफासपरिवेवमाणगायं उवसंकमित्तु गाहावइ बूया, "आसतो समणा, जो खलु ते गामधम्मा उव्वाहंति" आउसंतो गाहावइ ! णो गाल मम गामधम्मा उच्चाहंति सीयफास च णो खलु अहं संचाएमि अहियासित्तए । को मान्नु मे कम्पति अगणिकायं उज्जालेत्तए पज्जालेत्तए वा कायं आयावेत्तए पयावे वा, अण्गेनि वा वयणाओ ॥ ४१९ ॥ सिया से एवं वदंतस्स परो अगणिकार्य Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टमायणं उ० ५ ] सुत्तागमे उज्जालेत्ता जाता कार्य आयावेजा वा पयावेजा वा, तं च भिक्खु पडिलेहाए आगमेत्ता आणविज्जा, अणासेवणाए त्ति वेमि ॥४२० ॥ तइओद्देसो समन्तो ॥ जे भिक्खु तिवत्थेहिं परिवसिते पायचउत्थेहिं तस्स णं णो एवं भवति "चरत्थं वत्थं जाइस्सामि" से अहेस णिजाई वत्थाई जाएजा अहापरिग्गहियाई वत्थाई धारेजा, णो धोविजा णो रएजा णो धोयरत्ताईं वत्थाई धारेजा, अपलिओवमाणे, गामंतरेसु, ओमचेलिए, एवं खु वत्थधारिस्त सामग्गियं ॥ ४२१ ॥ अह पुण एवं जाणेजा; उवातिकंते खलु हेमंते, गिम्हे पडिवन्ने अहापरिजुन्नाई वत्थाई परिद्वविजा, अदुवा संतरुत्तरे, अदुवा ओमचेले, अदुवा एगसाडे, अदुवा अचेले, लाघवियं आगममाणे, तवे से अभिसमन्नागए भवति । जमेयं भगवया पवेदितं तमेव अभिसमेचा, सव्वतो सव्वत्ताए समत्तमेव समभिजाणिया ॥ ४२२ ॥ जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवति, पुट्ठो खलु अहमंसि, नालमहसि सीयफासं अहियासित्तए, से वसुमं सव्वसमण्णागयपन्नाणेणं अप्पाणेणं केइ अकरणयाए आउट्टे, तवस्सिणो हु तं सेयं जमेगे विहमाइए, तत्थवि तस्स कालपरियाए, से वि तत्थ विअंतिकारए, इचेतं विमोहाय तणं हियंसुहंखर्मणिस्तेयसं आणुगामियं त्ति बेमि ॥४२३॥ चउत्थोद्देसो समन्तो ॥ से भिक्खु दोहिं वत्थेहिं परिवुसिते, पायतइए हिं, तस्स णं णो एवं भवति, तइयं वत्यं जाइस्सामि, से अहेसणिजाई वत्थाई जाएजा जाव एवं खलु तस्स भिक्खुस्स सामग्गियं ॥ ४२४॥ अह पुण एवं जाणेजा, उवाइकंते खलु हेमते, गिम्हे पडिवन्ने, अहा परिजुष्णाई वत्थाई परिट्ठवेज्जा २ अदुवा संतरुत्तरे, अदुवा ओमचेलए, अदुवा एगसाडे, अदुवा अचेले, लाघवियं आगममाणे, तवे से अभिसमण्णागए भवति, जहेयं भगवता पवेदितं तमेव अभिसमेच्चा सव्वतो सव्वत्ताए सम्मत्तमेव समभिजाणिया ॥ ४२५ ॥ जस्सणं भिक्खुस्स एवं भवति, पुठ्ठो अवलो अहमंसि, नालमहमंसि गिहंतर संकमणं भिक्खायरियं गमणाए, से चेवं वदंतस्स परो अभिहड असणं वा (४) आहट्टु दलएजा से पुव्वामेव आलोएजा आउसंतो गाहावती णो खलु मे कप्पड़ अभिहडं असणं वा ( ४ ) भोत्तए वा, पायए वा, अन्ने वा एयपगारे ४२६ ॥ जस्सणं भिक्खुस्स अयं पगप्पे; अहं च खलु पडिण्णत्तो अपडिन्नत्तेहिं, गिलाणो अगिलाणेहिं, अभिकंख साहम्मिएहिं, कीरमाणं वेयावडियं साइजिस्सामि । अहं वा वि खलु अपडिन्नत्तो पडिण्णत्तस्स अगिलाणे गिलाणस्स, अभिकख साहम्मिअस्स कुज्जा वेयावडिअं करणाए ॥ ४२७ ॥ आड परिणं अणुक्खिस्सामि, आहडं च सातिज्जिस्सामि, ( १ ) आहड्ड परिणं आणक्खेस्सामि, आहडं च णो सातिजिस्सामि (२) आह परिण्णं, णो आणक्खेस्सामि, आह २५ Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [आयारे च सातिजिस्सासि (३) आहट्ट परिणं णो आणक्खेस्सामि, आहडं च णो सातिजिस्सामि (४) एवं से अहाकिट्टियमेव, धम्म समहिजाणमाणे संते विरते सुसमाहितलेसे तत्यवि तस्स कालपरियाए, से तत्थ विअंतिकारए, इचेतं विमोहायतणं हितं मुहं खमं णिस्सेसं आणुगामियं त्ति बेमि ॥ ४२८ ॥ पंचमोद्देलो समत्तो। जे भिक्खु एगेण वत्थेण परिखुसिते पायवितिएण, तस्सणं णो एवं भवइ, "बितियं वत्थं जाइस्सामि” से अहेसणिज वत्थं जाएजा, अहापरिग्गहियं वा वत्यं धारेजा, जाव गिम्हे पडिवण्णे अहा परिजुन्नं वत्थं परिठ्ठवेजा २ अदुवा एग साडे अदुवा अचले लाघवियं आगममाणे, जाव सम्मत्तमेव समभिजाणिया, जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवइ एगे अहमंसि न मे अत्थि कोइ न याहमवि कस्स वि, एवं से एगागिणमेव अप्पागं समभिजाणिज्जा लाघवियं आगममाणे तवे से अभिसमन्नागए भवइ जाव समभिजाणिया ॥ ४२९ ॥ से भिक्खु वा भिक्खुणी वा असणं वा (४) आहारेमाणे णो वामाओ हणुयाओ दाहिगं हणुयं संचारेजा आसाएमाणे, दाहिणाओ वा हणुयाओ वामं हणुयं णो संचारेजा आसाएमाणे, से अणासायमाणे लाघवियं आगममाणे, तसे अभिसमन्नागए भवइ । जहेयं भगवता पवेइयं तमेव अभिसमेचा सव्वतो सव्वत्ताए सम्मत्तमेव समभिजाणिया ॥ ४३० ॥ जस्सणं भिक्खुस्स एवं भवति, से गिलामि च खलु अहं इमंमि समए णो संचाएमि इमं सरीरगं अणुपुव्वेण परिवहित्तए, से अणुपुव्वेगं आहारं संवट्टेजा, आहारं अणुपुव्वेण संवट्टित्ता, कसाए पयणुए किच्चा, समाहियच्चे फलगावयट्टी उट्ठाय भिक्खु अभिनिव्वुडच्चे अणुपविसित्ता गामं वा, णगरं वा, खेडं वा, कव्वडं वा, मंडवं वा, पट्टगं वा,दोगमुहं वा, आगरं वा, आसमं वा, संणिवेसं वा, णिगमं वा, रायहागि वा, तणाई जाएजा, तणाई जाइत्ता से तमायाए एगंतमवकमिजा, एगंतमवक्कमित्ता, अप्पंडे-अप्पपाणे-अप्पवीए-अप्पहरिए-अप्पोसे-अप्पोदए-अप्पुत्तिग-पणय-दग-मट्टियमकडासंताणए पडिलेहिय २ पमजिय २ तणाई सथरेजा, तणाई संयरेत्ता एत्यवि समए इत्तरियं कुज्जा ॥ ४३१॥ तं गचं मनवादी ओए तिण्णे, छिण्णकहं कहे, आतीतढे अणातीते चिच्चाण भिउरं कावं संविय विश्वरूवे परिसहोवसग्गे अस्सिं विसंभणयाए भेरवमणुचिण्णे, तत्यवि तस्म कालपरियाए, जाव आणुगामियं त्ति बेमि ॥४३२॥ छठ्ठोदेलो समत्तो॥ जे भिक्नु अत्रले परित्रुसिते, तस्स णं एवं भवति, चाएमि अहं तणफासं आत्मानिनए, सीय कासं अहियातित्तए, तेउकासं अहियासित्तए, दंसमसगफासं अश्विामिनाए, एगतरे अन्नतरे बिरवरूवे फासे अहिंयासित्तए हिरिपडिच्छादणं चऽहं Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अहमज्झयणं उ० ८ ] सुत्तागमे संचामि अहियात्तिए, एवं से कम्पति कडिवंधणं धारितए ॥ ४३३ ॥ अदुवा तत्थ परक्कमंतं भुज्जो अचेलं तणफासा फुसंति, सीयफासा पुसंति, ते उफासा संति, दसमसगफासा फुसंति, एगयरे अन्नयरे विरूवरूवे फासे अहियासेति अचेले लाघवियं आगममाणे, जाव समभिजाणियां ॥ ४३४ ॥ जस्सणं भिक्खुस्स एवं भवति; अहं च खलु अन्नेसिं भिक्खूणं असणं वा ( ४ ) आहट्टु दलइस्सामि, आहडं च सातिज्जिस्सामि [१] जस्सगं भिक्खुस्स एवं भवति, अहं च खलु अन्नेसि भिक्खूर्ण असणं वा ( ४ ) आहट्टु दलइस्सामि आहडं च णो सातिज्जिस्यामि (२) जस्स ं भिक्खुस्स एवं भवति; अहं च खलु असणं वा (४) आ नो दलइस्सामि आहडं च सातिजिस्सामि ( ३ ) जरसणं भिक्खुरस एवं भवति अहं च खलु अण्णेसि भिक्खूणं असणं वा ( ४ ) आहट्टु नो दलइस्सामि आहडं च णो सातिज्जिस्सामि ॥ ४ ॥ अहं च खलु तेण अहाइरित्तेणं आहेस णिजेण अहापरिग्गहिएणं असणेणं वा (४) अभिकख साहम्मियस्स बुजा वेयावडियं करणाए, अहं वावि तेण अहातिरित्तेणं अहेस णिज्जेणं अहापरिग्गहिएणं असणेणं वा (४) अभिकख साहम्मिएहिं कीरमाणं वेयावडियं सातिजिस्सामि लाघवियं आगममाणे जाव सम्मत्तमेव समभिजाणिया ॥ ४३५ ॥ जस्सणं भिक्खुस्स एवं भवति से गिलामि खलु अहं इमम्मि समये इमं सरीरं अणुपुव्वेगं परिवहित्तए, से अणुपुव्वेगं आहारं संवट्टेज्जा, संवट्टइत्ता कसाए पयणुए किच्चा समाहिअच्चे फलगावयट्ठी उट्ठाय भिक्खू अभिणिव्वुडच्चे, अणुपविसित्ता गामं वा जाव रायहाणि वा 'तणाई जाएजा तणाईं जाएत्ता, से तमायाए एगंतमवक्कमेज्जा, अप्पंडे जाव तणाईं संथरेज्जा, इत्यवि समए कार्यं च, जोगं च, इरियं च पच्चक्खाएजा ॥ ४३६ ॥ तं सचं सच्चावादीओए तिने छिन्नकहकहे आतीतट्टे अणातीते चेचाण भिउरं कार्यं संविहृणिय विरूवरूवे परिसहोवसग्गे अस्सि विसंभणाए भैरवमणुचिन्ने तत्थवि तस्सकालपरियाए से तत्थ विअंतिकारए इच्चेयं विमोहायतणं हियं सुहं खमं णिस्सेयसं आणुगामियं त्ति वेमि ॥ ४३७ ॥ सन्तोद्देसो समत्तो ॥ २७ अणुपुव्वेण विमोहाई, जाई धीरा समासज्ज ; वसुमंतो मइमंतो, सव्वं णचा अणेलिसं ॥१॥४३८॥ दुविहंपि विदित्ताणं, जिणा धम्मस्स पारगा; अणुपुव्वीइ संखाए, कम्मुणाउ तिउट्टति ॥२॥४३९ ॥ कसाए पयणू किच्चा, अप्पाहारो तितिक्खए; अह भिक्खु गिलाएज्जा, आहारस्सेव अंतियं ॥ ३ ॥ ४४० ॥ जीवियं णाभिकंखेज्जा, मरणं णोवि पत्थए; दुहतोवि ण सज्जेजा, जीविते मरणे तहा ॥४॥ मज्झत्यो णिज्जरापेही, समा Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागसे [आयारे२८ हिमणुपालए; अंतो वहि विउस्सिज्ज, अज्झत्थं सुद्धमेसए ॥५॥४४१॥ ज किंचुवक्कम जाणे, आउक्खेमस्स अप्पणो; तस्सेव अंतरद्धाए, खिप्पं सिक्खेज पडिए ॥६॥४४२॥ गामे वा अदुवा रण्णे, थंडिलं पडिलेहिया; अप्पपाणं तु विनाय, तणाई संयरे मुणी ॥७॥४४३॥ अणाहारो तुअटेजा, पुट्ठो तत्थ हियासए; णातिवेलं उवचरे, माणुस्सेहिं विपुठ्ठवं ॥८॥४४४॥ संसप्पगा य जे पाणा, जे उ उद्धृमहाचरा; भुंजंति मंससोणितं, ण छणे ण पमजए ॥ ९ ॥ ४४५ ॥ पाणा देहं विहिंसंति, ठाणाओ ण वि उब्भमे; आसवेहिं विवित्तेहिं, तिप्पमाणोऽहियासए ॥१०॥ गंथेहिं विवित्तेहिं, आउकालस्स पारए॥४४६॥ पग्गहियतरगं चेयं, दवियस्स वियाणतो ॥११॥४४७॥ अयं से अवरे धम्मे, णायपुत्तेण साहिए; आयवजं पडीयारं, विजहिजा तिहा तिहा ॥ १२ ॥ ४४८ ॥ हरिएसु ण णिवजेजा, थंडिलं मुणिआ सए; विउस्सिज्ज अणाहारो, पुट्ठो तत्थ हियासए ॥ १३ ॥ ४४९ ॥ इंदिएहि गिलायंते, समियं आहरे मुणी; तहावि से अगरिहे, अचले जे समाहिए ॥ १४ ॥ ४५० ॥ अभिकमे पडिकामे, संकुचए पसारए; कायसाहारणहाए, इत्थं वा वि अचेयणे ॥१५॥४५१॥ परिकमे परिकिलंते, अदुवा चिठे अहायते; ठाणेण परिकिलंते, णिसिइजाय अंतसो ॥ १६ ॥ ४५२ ॥ आसीणे णेलिसं मरणं, इंदियाणि समीरए; कोलावासं समासम्म, वितहं पादुरेसए ॥ १७ ॥ ४५३ ॥ जओ वजं समुप्पजे, ण तत्थ अवलंबए; ततो उसे अप्पागं, सव्वे फासे अहिंयासए ॥ १८ ॥ ४५४ ॥ अयं चायततरे सिया, जो एवं अणुपालए; सव्वगायणिरोधेवि, ठाणातो णवि उन्भमे ॥१९॥४५५॥ अयं से उनमे धम्मे, पुवठ्ठाणस्स पग्गहे; अचिरं पडिलेहित्ता, विहरे चिठ्ठ माहणो ॥ २० ॥ ४५६ ॥ अचित्तं तु समासज, ठावए तत्थ अप्पगं; वोसिरे सव्वसो कायं, ण मे देहे परीसहा ॥ २१॥ ४५७ ॥ जावजीवं परीसहा, उसग्गा इति मंगया; सबुढे देहमेयाए, इति पण्णे हियासए ॥२२॥४५८॥ भेउरेसु न रजेजा, कागेम बहुतरेसु वि; इच्छा लोभ ण सेवेजा, धुवं वन्नं सपेहिया ॥ २३ ॥ ४५९ ॥ सामहि णिमंनेजा, दिव्वमायं ण सद्दहे; तं पडिवुज्झ माहणे, सव्वं नूसं विधूणिया ॥ २४ ॥ ४६० ॥ सचठेहिं अमुच्छिए, आउकालस्स पारए; तितिक्खं परमं पचा, निमोहननरं हितं त्ति बेमि ॥ २५॥ ४६१ ॥ अठमोद्देसो समत्तो॥ ॥ विमोक्खणासमठमझयणं समत्तं ॥ Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमायणं उ०१] सुत्तागमे अहासुयं वदिस्सामि, जहा से समणे भगवं उठाय; संखाय तंसि हेमंते, अहुणा पव्वइए रीयत्था ॥ ४६२ ॥ णो चेविमेण वत्थेण, पिहिस्सामि तंसि हेमंते; से पारए आवकहाए, एवं खु अणुधम्मियं तस्स ॥ ४६३ ॥ चत्तारि साहिए मासे, बहवे पाणजाइया आगम्म; अभिरुज्झकायं विहरिंसु, आरहियाणं तत्थ हिंसिसु ॥ ४६४ ॥ संवच्छरं साहियं मासं, जंण रिकासि वत्थगं भगवं; अचेलए ततो चाई, तं वोसिरिज वत्थमणगारे ॥ ४६५ ॥ अदु पोरिसिं तिरियंभित्ति, चक्खुमासज्ज अंतसो झायति; अह चक्खुभीया संहिया, ते हंता बहवे कंदिसु ॥ ४६६ ॥ सयहिं वितिमिस्सेहि, इत्थीओ तत्थसे परिणाय; सागारियं ण सेवेइ, य इति से सयं पवेसिया झाति ॥४६७॥ जे केइ इमे अगारत्था, मीसीभावं पहाय ते झाति; पुट्ठो वि णाभिभासिसु, गच्छति णाइवत्तइ अंजू ॥ ४६८ ॥ णो सुगरमेतमेगेसि, णाभिभासे अभिवायमाणे; हयपुव्वो तत्थ दंडेहिं, लूसियपुव्वो अप्पपुन्नेहिं ॥ ४६९ ॥ फरसाइं दुत्तितिक्खाइं, अतिअच्च मुणी परक्कममाणे; आघायणट्टगीताई, दंडजुज्झाई मुट्ठिजुज्झाइं ॥ ४७० ॥ गढिए मिहो कहासु, समयंमि णायसुए विसोगे अदक्खू ; एताइं सो उरालाई, गच्छइ णायपुत्ते असरणाए ॥ ४७१ ॥ अविसाहिए दुवे वासे, सीतोदं अभोच्चा णिक्खंते; एगत्तगए पिहियच्चे, से अहिन्नायदंसणे संते ॥ ४७२ ॥ पुढविं च आउकायं, तेउक्कायं च वाउकायं च; पणगाइं बीयहरियाई, तसकायं च सव्वसो णच्चा “एयाई संति" पडिलेहे, चित्तमंताई से अभिन्नाय; परिवज्जिय विहरित्था, इति संखाय से महावीरे ॥ ४७३ ॥ अदु थावरा तसत्ताए, तसजीवाय थावरत्ताए; अदुवा सव्वजोणीया, सत्ता कम्मुणा कप्पिया पुढो बाला ॥ ४७४ ॥ भगवं च एवमन्नेसि, सोवहिए हु लुप्पती बाले; कम्मं च सव्वसो णच्चा, तं पडियाइक्खे पावगं भगवं ॥ ४७५ ॥ दुविहं समिच मेहावी, किरियमक्खायमणेलिसं णाणी; आयाणसोयमतिवायसोयं जोगं च सव्वसोणच्चा ॥ ४७६ ॥ अइवत्तियं अणाउट्टि, सयमन्नेसि अकरणयाए; जस्सित्थिओ परिण्णाया, सव्वकम्मावहाउसे अदक्खू ॥ ४७७ ॥ अहाकडं न से सेवे, सव्वसो कम्मुणा वंधं अदक्खू ; जं किंचि पावगं भगवं, तं अकुव्वं वियर्ड अँजित्था ॥४७८॥णो सेवती य परवत्थं, परपाएवि से ण भुंजित्था; परिवज्जियाण ओमाणं, गच्छति संखडिं असरणयाए ॥ ४७९ ॥ मायन्ने असणपाणस्स, णाणुगिद्धे रसेसु अपडिण्णे; अच्छिपि णो पमजिजा, गोवि य कंड्यये मुणी गायं ॥ ४८० ॥ अप्पं तिरियं पेहाए, अप्पं पिट्टओ व पेहाए; अप्पं वुइए पडिभाणी, पंथपेही चरे जयमाणे ॥ ४८१॥ सिसिरंसि अद्धपडिवन्ने, तं वोसिज्ज वत्यमणगारे; पसारित्तु बाहूं परकमे, णो अवलंबिया ण खंधमि ॥ ४८२ ॥ एस Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [आयारे विही अणुकतो, माहणेण मइमया; बहुसो अप्पडिन्नेण, भगवया एवं रियंति त्ति बेमि ॥ ४८३ ॥ पढमोद्देसो समत्तो । __ चरियासणाई सेजाओ, एगतियाओ जाओ वुइयाओ; आइक्खताइं सयणासगाई, जाइं सेवित्या से महावीरो ॥ ४८४ ॥ आवेसणसभापवासु, पणियसालासु, एगदा वासो; अदुवा पलियठाणेसु, पलालपुंजेसु एगदा वासो ॥ ४८५ ॥ आगंतारे आरामागारे तह य णगरे वि एगदा वासो, सुसाणे सुण्णागारे वा, रुक्खमूले वि एगदा वासो ॥ ४८६ ॥ एतेहिं मुणी सयणेहिं, समणे आसी पत्तेरसवासे; राई दिवं पि जयमाणे, अप्पमत्ते समाहिए झाति ॥ ४८७ ॥ णिपि णो पगामाए, सेवइ य भगवं उठाए; जग्गावती य अप्पागं, ईसि साति य अपडिन्ने ॥ ४८८ ।। संबुज्झमाणे पुणरवि, आसिंसु भगवं उठाए; णिक्खम्म एगया राओ, बहिं चंकमित्ता मुहुत्तागं ॥ ४८९ ॥ सयणेहिं तत्थुवसग्गा, भीमा आसी अणेगरूवाय; संसप्पगाय जे पाणा, अदुवा जे पक्खिणो उवचरंति ॥ ४९० ॥ अदुवा कुचरा उवचरंति, गामरक्वाय सत्तिहत्थाय; अदुगामिया उवसग्गा इत्थी एगतिया पुरिसा य ॥ ४९१ ॥ इहलोइयाई परलोइयाई, भीमाई अणेगरूवाइं; अवि सुभिदुभिगंधाई, सद्दाइं अणेगख्वाइं अहियासए सया समिए, फासाई विरूवरूवाई ॥ ४९२ ॥ अरइं रई अभिभूय, रीयई माहणे अबहुवाई ॥ ४९३ ॥ स जणेहि नत्य पुच्छिनु, एगचरा वि एगदा राओ; अव्वाहिए कसाइत्या, पेहमाणे समाहिं अपडिन्ने ॥ ४९४ ॥ अयमंतरंसि को एत्थ, अहमंसिति भिक्खू आहटु; अयमुत्तमे से धम्मे तुसिणीए सकसाइए झाति ॥ ४९५ ॥ जंसिप्पेगे पवेयंति, 'सिसिरे मारुए पवायंते; तंसिप्पेगे अणगारा, हिमवाए णिवायमेसंति ॥ संघाडिओ पवेसिस्सामो, एहा य समादहमाणा, पिहिया वा सक्खामो, अतिदुक्खे हिमगसंफासा ॥ तंसि भगवं अपडिण्णे, अहे वियडे अहिंयासए दविए, 'णिक्खम्म एगदा राओ, ठाइए भगवं ममियाए ॥ ४९६ ॥ एस विही अणुकतो माहणेण मईमया; बहुसो अपडिपंगंग, भगवया एवं रीयंति त्ति बेमि ॥ ४९७ ॥ वितिओद्देसो समत्तो॥ तगासे, सीयफासे, तेउफासे य, दंसमसगे य, अहियासए सया समिए, फासाइं पिचरवाई ॥ ४९८ ॥ अह दुच्चरलाढमचारी, वनभूमि च सुब्भभूमि च; पंतं मेर माविमु, आसणगाई चेव पंताई ॥ ४९९ ॥ लाढेसु तस्सुवसग्गा, वहवे जाणवया स्टति, अह लडेलिए भत्ते, पुबुरा तत्य हिलिंसु णिवतिंसु ॥ ५०० ॥ अप्पे जणे सिगारेट, टगणाा नुगए डसमाणे; छुछुकारंति आहेसु 'समणं कुकुरा डसंतु'त्ति 1! . . । एलियए जगा भुजो, वहवे वज्जभूमि फल्सासी; लठ्ठि गहाय णालीय, Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमज्झयणं उ० ४ ] सुत्तागमे ३१ संमणा तत्थ य विहरिं । ५०२ ॥ एवं पि तत्थ विहरंता, पुपुव्वा अहेसि सुणएहि ; संलुंचमाणा सुणएहिं, दुच्चरगाणि तत्थ लाढेहिं ॥ निधाय दंडं पाणेहिं, तं कायं वोसिज्जमणगारे ॥ अह गामकंटए भगवं, ते अहिग्रासए अभिसमेच्चा ॥ ५०२॥ णागो संगामसीसे वा, पारए तत्थ से महावीरे ॥ ५०३ ॥ एवं पि तत्थ लाढेहिं, अलद्वपुव्वो वि एगदा गामे उवसंकमंतमपडिन्नं, गामंतियंमि अप्पत्तं; पडिणिक्खमित्तु लसिंगु एतातो परं पलेहित्ति ॥ ५०४ ॥ हयपुव्वो तत्थ दंडेण, अदुवा मुठा, अटु कुंता फलेगं; अदु लेलुणा कवालेगं, हंता हंता वहवे कंदिंसु ॥ ५०५ ॥ मसाणि छिन्नपुव्वाई, उठ्ठेभिया एगया कार्य; परीसहाई लुंचिंसु, अहवा पंसुणा उवकरिं ॥ उचालय हिगिनु, अदुवा आसणाओ खलइंसु; वोसट्टकाये पणयासी, दुक्खसहे भगवं अपनेि ॥ १०६ ॥ सूरो संगामसीसे वा, संवुडे तत्थ से महावीरे; पडिसेवमाणे फसाई, अचले भगवं रीइत्था ॥ ५०७ ॥ एस विही अणुक्कंतो, माहणेण मईमया; बहुसो अपडिनेणं, भगवया एवं रीयंति, त्ति बेमि ॥ ५०८ ॥ इस समत्तो ॥ ओमोदरियं चाएति, अपुट्ठेवि भगवं रोगेहिं पुट्ठो वा से अपुट्ठो वा णो से सातिजति इच्छं । ५०९ ॥ संसोहणं च वमणं च, गायब्भंगणं च सिणाणं च; संवा हणं ण से कप्पे, दंतपक्खालण परिण्णाए । ५१० ॥ विरए य गामधम्मेहिं, रीयति माहणो अवहुवाई ॥ ५११ ॥ सिसिरंमि एगदा भगवं, छायाए झाई आसीया ॥ आयावई य गिम्हागं, अच्छति उक्कुडुए अभित्तावे ॥ ५१२ ॥ अदु जावइत्थ लूहेगं, ओयणमंथुकुम्मासेगं ॥ एयाणि तिन्नि पडिसेवे, अठ्ठमासे य जावयं भगवं ॥ ५१३ ॥ अवि इत्थ एगया भगवं, अद्धमासं अदुवा मासंपि ॥ अविसाहिए दुवे मासे, छप्पिमासे अदुवा विहरित्था || रायोवरायं अपडिने, अन्नगिलायमेगया भुंजे, छठेण एगया भुंजे, अदुवा अठ्ठमेगं दसमेगं; दुवालसमेण एगया भुंजे, पेहमाणे समाहिं अपनेि ॥ ५१४ ॥ णच्चा णं से महावीरे, णोवि य पावगं सयमकासी ॥ अन्नेहिं वा ण कारित्था, कीरंतंपि णाणुजाणित्था ॥ ५१५ ॥ गामं पविस्स णयरं वा, घासमेसे कड परट्ठाए; सुविसुद्धमेसिया भगवं, आयतजोगयाए सेवित्था ॥ ५१६ ॥ अदु वायसा दिगिंच्छित्ता, जे अन्ने रसेसिणो सत्ता; घासेसणाए चिठ्ठति, सययं णिवत्तिए य पेहाए ॥ ५१७ ॥ अदु माहणं व समणं वा, गामपिंडोलगं च अतिहिं वा; सोवागं मूसियारं वा कुक्कुरं वा विठ्ठितं पुरतो ॥ वित्तिच्छेदं वजंतो, तेसिमप्पत्तियं परिहरतो; मंदं परक्कमे भगवं अहिंसमाणो घास सित्था ॥५१८॥ अविसूइयं वा सुक्कं वा, सीयपिंडं पुराणकुम्मासं; अदु बुक्कसं पुलागं वा, लद्धे पिडे Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागले [आयारेअलद्धए दविए ॥ ५१९ ॥ अवि झाति से महावीरे, आसणत्थे अकुक्कुए झाणं; उडमहेयं तिरियं च, पेहमाणे समाहिमपडिन्ने ॥ ५२० ॥ अकसायी विगयगेही य, सद्दसवेसु अमुच्छिए झाति; छउमत्थो वि परकममागो, ण पसायं सइंपि कुम्वित्था ॥ ५२१ ॥ सयमेव अभिसमागम्म, आयतजोगमायसोहीए। अभिणिव्वुडे अमाइले आवकहं भगवं समिआसी ॥ एस विधी अणुकंतो साहणेण मईमया; बहुसो अपडिन्नेणं भगवया एवं रीयंति त्ति बेसि ॥५२२॥ च उत्थोद्देसो समत्तो॥ ॥ उवहाणसुयं नवमज्झयणं समत्तं ॥ ॥ वंभचेरणाम पढमे सुयक्खंधे संपुण्णे ।। Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३ अ० १-उ० १] सुत्तागमे णमो त्थु णं समणस्स भगवओ णायपुत्त-महावीरस्स विइये सुयक्खंधे से भिक्खू वा, भिक्खुणी वा, गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविठे समाणे, से जं पुणजाणेज्जा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पाणेहिं वा पणएहिं वा वीएहिं वा, हरिएहिं वा, संसत्तं उम्मिस्सं सीओदएण वा ओसित्तं, रयसा वा परिघासियं, तहप्पगारं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा, परहत्यंसि वा परपायंसि वा, अफासुयं अणेसणिजति मण्णमाणे लाभेवि संते णो पडिगाहेजा ॥ ५२३ ॥ से य आहच पडिग्गहिए सिया से तं आयाय एर्गतमवक्कमेजा, एगंतमवक्कमित्ता अहे आरामसि वा अहे उवस्सयंसि वा, अप्पंडे-अप्पपाणे-अप्पबीए, अप्पहरिए, अप्पोसे, अप्पोदए, अप्पुत्तिंग-पणग-दग-मट्टियमक्कडासंताणए विगिंचिय विगिचिय उम्मीसं विसोहिय विसोहिय तओ संजयामेव भुजिज्ज वा, पीइज्ज वा, जं च णो संचाइज्जा भोत्तए वा पायए वा, से तमायाय एगंतमवक्कमिज्जा, एगंतमवक्कमित्ता, अहे ज्झामथंडिलंसि वा, किट्टरासिसि वा, तुसरासिसि वा, सुक्कगोमयरासिंसि वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि पडिलेहिय २ पमज्जिय २ तओ संजयामेव परिछुविजा ।। ५२४ ॥ से भिक्खू वा, भिक्खुणी वा, गाहावइकुलं पिडवायपडियाए अणुपविढे समाणे, से जाओ पुण ओसहीओ जाणेज्जा कसिणाओ सासिआओ अविदलकडाओ अतिरिच्छछिन्नाओ, अव्वोच्छिन्नाओ तरुणियं वा छिवाडि अणभिकंतभज्जियं पेहाए, अफासुर्य अणेसणिज्जति मण्णमाणे लाभे संते णो पडिगाहिज्जा ॥ ५२५ ॥ से भिक्खू वा, भिक्खुणी वा, जाव. पविढे समाणे से जाओ पुण ओसहीओ जाणेज्जा, अकसिणाओ असासियाओ, विदलकडाओ, तिरिच्छछिन्नाओ, वोच्छिण्णाओ, तरुणि वा छिवाडि अभिकंतं भज्जियं पेहाए फासुयं एसणिज्जति मण्णमाणे लामे संते पडिगाहेजा ॥ ५२६ ॥ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा जाव पविढे समाणे से जं पुण जाणेजा, पिहुयं वा बहुरयं वा, भुज्जियं वा, मंथु वा, चाउलं वा, चाउलपलंवं वा, सई संभज्जियं, अफासुयं अणेसणिजं मण्णमाणे लामे संते णो पडिगाहिज्जा ॥ ५२७ ॥ से भिक्खू वा, भिक्खुणी वा, जाव पविढे समाणे से जं घुण जाणिज्जा, पिहुयं वा जाव चाउलपलंब वा असई भज्जियं दुक्खुत्तो वा भजियं तिक्खुत्तो वा भज्जियं फासुयं एसणिजं जाव लाभे संते पडिगाहिजा ॥५२८॥ से भिक्खु वा भिक्खुणी वा, गाहावइकुलं जाव पविसिउकामे णो अन्नउत्थिएण वा गारथिएण वा परिहारिओ वा अपरिहारिएणं सद्धिं गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए ३ सुत्ता. Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागले [भायारे३४ पविसिज्ज वा णिक्खमिज वा ॥५२९॥ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा, वहिया वियारभूमि वा, विहारभूमि वा, णिक्खममाणे पविसमाणे वा, णो अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा परिहारिओ वा अपरिहारिएण सद्धि बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा णिक्खमिज वा पविसिज्ज वा ॥५३०॥ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा जाव पविढे समाणे से णो अण्णउत्थिअस्स वा गारत्थियस्स वा परिहारिओ वा अपरिहारिअस्स वा असणं पाणं खाइमं साइमं वा देजा अणुपदेजा वा ॥ ५३१ ॥ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गामाणुगाम दूइजमाणे णो अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा, परिहारिओ अपरिहारिएण वा, सद्धि गामाणुगामं दूइजिजा ॥ ५३२ ॥ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा जाव पविढे समाणे से जं पुण जाणिज्जा, असणं वा (४) अस्संपडियाए एर्ग साहम्मियं समुद्दिस्स पाणाई, भूयाइं जीवाइं, सत्ताइं समारब्भ समुद्दिस्स कीयं पामिचं अच्छिजं अणिसटुं अभिहडं आहट्ट चेएइ तं तहप्पगारं असणं वा (४) पुरिसंतरकडं अपुरिसंतरकडं वा बहिया णीहडं वा अणीहडं वा अत्तट्टियं वा अणत्तट्ठियं वा, परिभुत्तं वा अपरिभुत्तं वा आसेवियं वा अणासेवियं वा अफासुयं जाव णो पडिगाहिजा ॥ ५३३ ॥ एवं वहवे साहम्मिया, एगा साहम्मिणी, वहवे साहम्मिणीओ समुद्दिस्स चत्तारि आलावगा भाणियव्वा ॥५३४ ॥ से भिक्खू वा (२) गाहावइकुलं जाव पविढे समाणे से जं पुण जाणिज्जा, असणं वा (४) वहवे समणमाहणअतिहिकिवणवणीमए पगणिय पगणिय समुद्दिस्स पाणाई वा ४ जाव समारब्भ आसेवियं वा अफासुयं अणेसणिजति मण्णमाणे लाभे संते जाव णो पडिगाहिजा ॥ ५३५ ॥ से भिक्खू वा (२) गाहावइकुलं जाव पविठे समाणे से जं पुण जाणेजा, असणं वा (४) बहवे समणमाहणअतिहिकिवणवणीमए समुहिस्स पाणाई (४) आहट्ट चेएइ, तं तहप्पगारं असणं वा (४) अपुरिसंतरकडं अवहिया णीहडं अणत्तद्वियं अपरिभुत्तं अणासेवितं अफासुयं अणेसणिज्जं जाव णो पडिगाहिजा ॥ ५३६ ॥ अह पुण एवं जाणिज्जा पुरिसंतरकडं वहिया णीहर्ड अत्तठ्ठियं परिभुत्तं आसेवियं फासुयं एसणिजं जाव पडिगाहिजा ॥ ५३७ ॥ से भिक्खू वा (२) गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविसित्तु कामे से जाइं पुण कुलाई जाणिज्जा, इमेसु खलु कुलेसु णितिए पिडे दिज्जइ, णितिए अग्गपिडे दिज्जइ, णितिए भाए दिजइ, अवठ्ठभाए दिजइ, तहप्पगाराइं कुलाई णितियाई णितिओमाणाई, णो भत्ताए वा णो पाणाए वा पविसिज्ज वा णिक्खमिज वा ॥ ५३८ ॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स वा भिक्खुणीए वा सामग्गियं जं सव्वठेहिं समिए सहिए सयाजए त्ति बेमि ॥ ५३९ ॥ पढमोद्देसो समत्तो॥ Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म० १-उ० २] सुत्तागमे __ से ,भिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहावइकुलं पिडवायपडियाए अणुपविठे समाणे से जं पुण जाणेजा, असणं वा (४) अमिपोसहिएसु वा, अद्धमासिएसु वा, मासिएसु वा, दोमासिएसु वा, तिमासिएसु वा, चाउमासिएसु वा, पंचमासिएसु वा, छमासिएसु वा, उऊसु वा, उऊसंधीसु वा, उउपरियट्टेसु वा, वहवे समणमाहणअतिहिकिवणवणीमगे एगाओ उक्खाओ परिएसिज्जमाणे पेहाए, दोहिं उक्खाहिं परिएसिज्जमाणे पेहाए, तिहिं उक्खाहि परिएसिजमाणे पेहाए, चउहिं उक्खाहिं परिएसिजमाणे पेहाए, कुंभीमुहाओ वा कलोवाइओ वा, संणिहिसंणिचयाओ वा परिएसिज्जमाणे पेहाए तहप्पगारं असणं (४) अपुरिसंतरकडं जाव अणासेवियं अफासुयं अणेसणिज णो पडिगाहिज्जा ॥५४० ॥ अह पुण एवं जाणिज्जा पुरिसंतरकडं जाव आसेवियं फासुयं जाव पडिगाहिजा ॥ ५४१ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव पविठू समाणे जाइं पुण कुलाइं जाणिज्जा; तंजहा-उग्गकुलाणि वा भोगकुलाणि वा, राइण्णकुलाणि वा, खत्तियकुलाणि वा, इक्खागकुलाणि वा, हरिवंसकुलाणि वा, एसियकुलाणि वा, वेसियकुलाणि वा, गंडागकुलाणि वा, कोट्टागकुलाणि वा, गामरक्खकुलाणि वा, वोकसालियकुलाणि वा, अण्णयरेसु वा तहप्पगारेसु कुलेसु अदुगुंछिएसु अगरहिएसु वा, असणं वा (४) फासुयं एसणिज जाव पडिगाहिज्जा ॥ ५४२ ॥ से भिक्खू वा (२) गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविढे समाणे से जं पुण जाणेजा असणं वा (४) समवाएसु वा, पिंडणियरेसु वा, इंदमहेसु वा, खंदमहेसु वा, रुद्दमहेसु वा, मुगुंदमहेसु वा, भूयमहेसु वा, जक्खमहेसु वा, णागमहेसु वा, थूभमहेसु वा, रुक्खमहेसु वा, गिरिमहेसु वा, दरिमहेसु वा, अगडमहेसु वा, तडागमहेसु वा, दहमहेसु वा, णईमहेसु वा, सरमहेसु वा, सागरमहेसु वा, आगरमहेसु वा, अण्णयरेसु वा तहप्पगारेसु विरुवरुवेसु महामहेसु वट्टमाणेसु, वहवे समणमाहणअतिहिकिवणवणीमए एगाओ उक्खाओ परिएसिज्जमाणे पेहाए, दोहिं जाव संणिहिसंणिचयाओ वा परिएसिज्नमाणे पेहाए तहप्पगारं असणं वा (४) अपुरिसंतरकडं जाव णो पडिगाहिज्जा ॥५४३ ॥ अह पुण एवं जाणिज्जा, दिण्णं जं तेसिं दायव्वं, अह तत्थ भुंजमाणे पेहाए गाहावइभारियं वा, गाहावइभगिणि वा, गाहावइपुत्तं वा, गाहावइधूयं वा, सुण्डं वा, धाइं वा, दासं वा, दासिं वा, कम्मकरं वा, कम्मकार वा, से पुव्वामेव आलोएजा, आउसि त्ति वा भगिणित्ति वा, दाहिसि मे इत्तो अन्नयरं भोयणजायं? से सेवं वयंतस्स परो असणं वा (४) आहटु दलएज्जा तहप्पगारं असणं वा (४) सयं वा पुण जाएज्जा, परो वा से देजा, फासुयं जाव पडिगाहिजा ॥ ५४४ ॥ से भिक्खू वा (२) परं अद्धजोयणमेराए दाहिति में कार वा से पुश्य वा, सह वा, हावहभारियं वा, Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [मायारे संखडिंणचा संखडिपडियाए णो अभिसंधारेजा गमणाए ॥ ५४५ ॥ से भिक्खू वा (२) पाईणं संखडि णचा पडीणं गच्छे आणाढायमाणे पडीणं संखडिं णच्चा पाईणं गच्छे अणाढायमाणे दाहिणं संखडि णचा उदीणं गच्छे अणाढायमाणे, उदीणं संखडि गच्चा दाहिणं गच्छे अणाढायमाणे ॥ ५४६ ॥ जत्थेव सा संखडी सिया, तंजहा गामंसि वा, णगरंसि वा, खेडं सि वा, कव्वडंसि वा, मंडवंसि वा, पट्टगंसि वा, आगरंसि वा, दोणमुहंसि वा, णिगमंसि वा, आसमंसि वा, रायहाणिसि वा, जाव संणिवेसंसि वा, संखडि संखडिपडियाए णो अभिसंधारेजा गमणाए, केवली वूया 'आयाणमेयं' ॥५४७ ॥ संखडि संखडिपडियाए अभिसंधारेमाणे आहाकम्मियं वा उद्देसियं, मीसजायं वा, कीयगडं वा पामिचं वा, अच्छेज वा, आणिसटु वा, अभिहडं वा, आहह दिजमाण भुजिज्जा, असंजए भिक्खुपडियाए, खुड्डियदुवारियाओ महल्लियदुवारियाओ कुजा, महल्लियदुवारियाओ खुड्डियदुवारियाओ कुजा, समाओ सिजाओ विसमाओ कुजा, विसमाओ सिज्जाओ समाओ कुजा, पवायाओ सिजाओ णिवायाओ कुजा, णिवायाओ सिजाओ पवायाओ कुज्जा, अंतो वा, बहिं वा उवस्सयस्स हरियाणिं छिंदिय २ दालिय २ संथारगं संथारिजा एस बिलुंगयामो सिज्जाए तम्हा से संजए णियंठे अण्णयरं वा तहप्पगारं पुरे संखडिं वा पच्छासंखडि वा संखडि संखडिपडियाए णो अभिसंधारिज गमणाए ॥५४८ ॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं जं सन्वहिं समिए सहिए सयाजए त्ति बेमि ॥५४९॥ बीमोइसोसमत्तो॥ से एगया अण्णतरं संखडिं आसित्ता पिवित्ता छड्डेज वा वमेज वा, भुत्ते वा से णो सम्मं परिणमिज्जा अण्णतरे वा से दुक्खे रोयातंके समुपजिजा, केवली बूया आयाणमेयं ॥ ५५० ॥ इह खलु भिक्खू गाहावइहिं वा, गाहावइणीहिं वा, परिवायएहिं वा, परिवाइयाहिं वा, एगजं सद्धि सोंडं पाउं भो वतिमिस्सं हुरत्था वा, उवस्सयं पडिलेहेमाणे णो लभिज्जा, तमेव उवस्सयं संमिस्सिभावमावजिज्जा अण्णमण्णे वा से मत्ते विप्परियासियभूए इत्थिविग्गहे वा किलीबे वा तं भिक्खू उवसंकमित्तु वूया 'आउसंतो समणा अहे आरामंसि वा, अहे उवस्सयंसि वा, राओ वा, वियाले वा, गामधम्मणियंतियं कटु, रहस्सियंमेहुणधम्मपरियारणाए आउट्टामो' तं चेवेगइओ साइजिजा, अकरणिजं चेयं संखाए । एते आयतणाणि संति संचिजमाणा पच्चवाया भवंति, तम्हा से संजए णियंठे तहप्पगारं पुरेसंखडि वा पच्छासंखडि वा संखडि संखडिसंपडियाए णो अभिसंधारिजा गमणाए॥५५१॥ से भिक्खू वा (२) अन्नयरिं संखडिं वा सोच्चा णिसम्म संपरिहावइ उस्सुयभूयेण अप्पाणेणं 'धुवा संखडी' णो संचाएइ, तत्य इयरेयरेहिं कुलेहि सामुदाणियं एसियं वेसियं पिडवायं पडिगा Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ० १-उ० ३] सुत्तागमे हित्ता आहारं आहारेत्तए, माइट्ठाणं संफासे णो एवं करिजा, से तत्थ कालेण अणुपविसित्ता तत्वेयरेयरेहि कुलेहिं सामुदाणियं एसियं वेसियं पिडवायं पडिगाहित्ता आहारं आहारिजा ॥ ५५२ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण जाणेजा गामं वा जाव रायहाणिं वा, इमंसि खलु गामंसि वा जाव रायहार्णिसि वा संखडि सिया तंपि य गामं वा जाव रायहाणिं वा संखडि संखडिपडियाए णो अभिसंधारेजा गमणाए, केवली बूया आयाणमेयं ।। ५५३ ।। आइण्णा अवमा णं संखडि अणुपविस्समाणस्स पाएण वा पाए अकंतपुव्वे भवइ, हत्थेण वा हत्थे संचालियपुग्वे भवइ, पाएण वा पाए आवडियपुग्वे भवइ, सीसेण वा सीसे संघट्टियपुव्वे भवइ, काएण वा काए संखोभियपुव्वे भवइ, दंडेण वा मुठ्ठिणा वा लेलुणा वा कवालेण वा अभिहयपुव्वे वा भवइ, सीओदएण वा उसित्तपुव्वे भवइ, रयसा वा परिघासियपुव्वे भवइ, अणेसणिजेग वा परिभुत्तपुव्वे भवइ, अण्णेसिं वा दिजमाणे पडिगाहियपुव्वे भवइ, तम्हा से संजए णिग्गंथे तहप्पगारं आइण्णाऽवमा णं संखडि संखडिपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए ॥ ५५४ ॥ से भिक्खू वा (२) गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविढे समाणे से जं पुण जाणेजा, असणं वा (४) एसणिज्जं सिया अणेस णिज सिया वितिगिच्छसमावण्णेणं अप्पाणेणं असमाहडाए लेस्साए तहप्पगारं असणं वा (४) लामे संते णो पडिगाहिज्जा ॥ ५५५ ॥ से भिक्खू वा (२) गाहावइकुलं पविसित्तु कामे सव्वं भंडगमायाय गाहावइकुलं पिडवायपडियाए पविसिज वा णिक्खमिज्ज वा ॥ ५५६ ॥ से भिक्खू वा (२) वहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा णिक्खममाणे पविसमाणे वा सव्वं भंडगमायाए बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा णिक्खमिज वा पविसिज वा ॥ ५५७ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइज्जमाणे सव्वं भंडगमायाए गामाणुगामं दूइजिजा ॥ ५५८ ॥ से भिक्खू वा (२) अह पुण एवं जाणिज्जा तिव्वदेसियं वासं वासेमाणं पेहाए, तिव्वदेसियं महियं संणिचयमाणं पेहाए महावाएण वा रयं समुद्भुयं पेहाए तिरिच्छसंपाइमा वा तसा पाणा संथडा सन्निचयमाणा पेहाए, से एवं णच्चा णो सव्वं भंडगमायाय गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविसिज वा णिक्खमिज्ज वा बहिया वियारभूमि वा विहारभूमिं वा पविसिज वा णिक्खमिज वा गामाणुगामं दूइज्जिज्जा ॥५५९ ॥ से भिक्खू वा (२) से जाइं पुण कुलाई जाणिज्जा, तंजहा-खत्तियाण वा, राईण वा, कुराईण वा, रायपेसियाण वा, रायवंसठियाण वा अंतो वा वहि वा संणिविठ्ठाण वा, गच्छंताण वा णिमंतेमाणाण वा अणिमंतेमाणाण वा असणं वा (४) लामे संते णो पडिगाहिज्जा त्ति बेमि ॥ ५६० ॥ तइओदेसो समत्तों ॥ Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [मायारे से भिक्खू वा (२) जाव पविठे समाणे से जं पुण जाणिज्जा, आहेणं वा पहेणं वा, हिंगोलं वा, संमेलं वा हीरमाणं संपेहाए अंतरा से मग्गा वहुपाणा, बहुवीया, बहुहरिया, बहुओसा, वहुउदया, बहुउत्तिंगपणगदगमट्टियमकडासंताणगा, वहवे तत्य समणमाहणअतिहिकिवणवणीमगा उवागता उवागमिस्संति तत्थाडण्यावित्तीणो पण्णस्सणि क्खमणपवेसाए, णो वायणपुच्छणपरियट्टणाणुपेहधम्माणुओगचिंताए, सेवं णच्चा तहप्पगारं पुरेसंखडिं वा पच्छासंखडिं वा संखडि संखडिपडियाए णो अभिसंधारेजा गमणाए ॥५६१॥ से भिक्खू वा (२) गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविटे समाणे से जं पुण जाणेजा, आहेगं वा जाव संमेलं वा हीरमाणं पेहाए, अंतरा से मग्गा अप्पंडा जाव अप्पसंताणगा णो जत्थ वहवे समणमाहणा जाव उवागमिस्संति, अप्पाइण्णावित्ती पण्णस्स गिक्खमणपवेसाए पण्णस्स वायणपुच्छणपरियट्टणाणुपेहधम्माणुओगचिताए सेवं णच्चा तहप्पगारं पुरेसंखडिं वा पच्छासंखडिं वा संखडिपडियाए अभिसंधारेज गमणाए ॥ ५६२ ॥ से भिक्खू वा (२) गाहावइकुलं जाव पविसिउकामे जं पुण जाणेजा, खीरिणियाओ गावीओ सीरिजमाणीओ पहाए असणं वा (४) उवसंखडिजमाणं पेहाए पुरा अप्पजूहिए सेवं णचा णो गाहावइकुलं पिडवायपडियाए गिक्खमिज वा पविसिज्ज वा से तमायाए एगंतमवकमिजा, अणावायमसंलोए चिठ्ठिजा, अह पुण एवं जाणेजा खीरिणीओ गावीओ खीरियाओ पेहाए, असणं वा (४) उवक्खडियं पेहाए पुराए जूहिए से एवं णचा तओ संजयामेव गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविसिजवा गिक्खमिज वा ॥ ५६३ ॥ भिक्खागाणामेगे एवमासु समाणा वा वसमाणा वा गामाणुगामं दूइजमाणे 'खुड्डाए खलु अयं गामे संगिरूद्धाए णो महालए से हंता, भयंतारो बाहिरगाणि गामाणि भिक्खायरियाए वयह ॥ ५६४ ॥ संति तत्थेगइयस्स भिक्खुस्स पुरे संथुया वा पच्छासंथुया वा परिवसंति, तंजहा-गाहावइ वा, गाहावइणीओ वा, गाहावइपुत्ता वा, गाहावइधूयाओ वा, गाहावइसुण्हाओ वा, धाईओ वा, दासा वा, दासीओ वा, कम्मकरा वा, कम्मकरीओ वा, तहप्पगाराइं कुलाई पुरे संथुयाणि वा पच्छासंथुयागि वा, पुवामेव भिक्खायरियाए अणुपविसिस्सामि अविय इत्थ लभिस्सामि, पिंडं वा लोयं वा, असणं वा, पाणं वा, खीरं वा, दधि वा, घयं वा, गुलं वा, तेलं वा, सकुलि, फाणियं वा, पूयं वा, सिहरिगि वा, तं पुत्वामेव भुच्चा पिच्चा पडिग्गहं संलिहिय संमजिय तओ पच्छा भिक्खूहि सद्धि गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविसिस्सामि गिक्खमिस्सामि वा, माइट्ठाणं संफासे, तं णो एवं करेजा, से तत्थ भिक्खूहिं सद्धिं कालेग अणुपविसित्ता, तत्थियरेयरेहिं कुलेहिं सामुदाणियं एसियं Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ० १ - उ० ५ ] सुत्तागमे ३९ वेसियं पिंडवायं पडिगाहित्ता आहारं आहारिजा ॥ ५६६ ॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स वा भिक्खुणीए वा सामग्गियं ॥ ५६६ ॥ चउत्थोद्देसो समत्तो ॥ से भिक्खू वा ( २ ) जाव पविट्ठे समाणे से जं पुण जाणिज्जा, अग्गपिडं उक्खिमाणं पेहाए, अग्गपिंडं णिक्खिप्पमागं पेहाए अग्गपिंडं हीरमागं पेहाए, अग्गपिंडं परिभाइज्जमाणं पेहाए, परिभुंजमाणं पेहाए, अग्गपिंडं परिहविजमाणं पेहाए, पुरा अतिणाइवा, अवहाराइ वा पुरा जत्यन्ने समणमाहणअतिहिकिवणवणीमगा खद्धं खद्धं उवसं कर्मति, से हंता अहमवि खद्धं २ उवसंक्रमामि, माइठाणं संकासे णो एवं करिजा ।। ५६७ ।। से भिक्खू वा, (२) जाव पविठ्ठे समाणे अंतरा से वप्पाणि वा, फलिहाणि वा, पागाराणि वा, तोरणाणि वा, अग्गलाणि वा, अग्गलपासगागि वा सइ परकमे संजयामेव परक्कमिजा, णो उजुयं गच्छिजा, केवली वूया आयाणमेयं ॥ ५६८ ॥ से तत्य परक्कममाणे पयलिज वा, पक्खलेज वा पवडिज वा, से तत्थ पयलेमाणे वा पक्खलेजमाणे पवडमाणे वा, तत्थ से काये उच्चारेण वा पासवणेग वा खेलेग वा सिंघाणेग वा, वंतेण वा पित्तेण वा, एण वा, सुकेण वा, सोणिएण वा, उवलित्ते सिया, तहप्पगारं कार्यं णो अनंतर हि - या पुढवीए णो ससिणिद्धा पुढवीए, णो ससरक्खाए पुढवीए, णो चित्तमंताए सिलाए, णो चित्तमंताए लेलए, कोलावासंसि वा, दारुए जीवपइट्टिए सअंडे सपाणे जाव ससंताणए, णो आमज्जिज्ज वा पमज्जिज्ज वा, संलिहिज्ज वा, विलिहिज्ज वा, उव्वलिज वा, उवट्टिज्ज वा, आयाविज्ज वा, पयाविज्ज वा, से पुव्वामेव अप्पससरक्खं तणं वा, पत्तं वा, कठ्ठे वा, सक्करं वा, जाइज्जा, जाइत्ता सेतमायाय एगंतमवक्कमिज्जा, २ अहे झामर्थंडिलंसि वा, जाव अण्णयरंसि वा, तहप्पगारंसि पडिले हिय २ पमज्जिय २ तओ संजयामेव आमजिज्ज वा जाव पयाविज्ज वा ॥ ५६९ ।। से भिक्खू वा (२) जाव पविट्ठे समाणे से जं पुण जाणेजा गोगं वियालं पडिपहे पेहाए, महिसं वियालं पडिप पेहाए एवं मणुस्सं आसं हथि सीहं वग्घं विगं दीवियं अच्छं तरच्छं परिसरं सियालं विरालं सुणयं कोलसुणयं कोकंतियं चित्ताचेहरयं वियालं पडिपहे पेहाए सइपरक्कमे संजयामेव परकमेजा णो उज्जुयं गच्छेजा ॥ ५७० ॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे अंतरा से ओवाओ वा, खाणू वा, कंटए वा, घसी वा, भिलूगा वा, विसमे वा, विज्जले वा, परियावज्जिज्जा, सति परक्कमे संजयामेव परक्कमेज्जा गो उज्जुयं गच्छिजा ॥५७१॥ से भिक्खू वा (२) गाहावइकुलस्स दुवारवाहं कंटकत्रोंदियाए परिपिहियं पेहाए तेसिं पुव्वामेव उग्गहं अणणुन्नविय अपडिलेहिय अपमजिय णो अवंगुगिज वा पविसिज्ज वा णिक्खमिज्ज वा, तेसिं पुव्वामेव Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ आयारे उग्गहं अणुन्नविय पडिलेहिय २ पमजिय २ तओ संजयामेव अवंगुणिज वा पविसेज वा णिक्खमेज्ज वा ॥५७२ || से भिक्खू वा (२) जाव समाणे से जं पुण जाणेजा, समणं वा, माहणं वा, गामपिंडोलगं वा, अतिहिं वा, पुव्वपविठ्ठे पेहाए णो तेसिं संलोए सपडिदुवारे चिट्ठेजा, केवली बूया आयाणमेयं ॥ ५७३ ॥ पुरा पेहाए तस्सठ्ठाए परो असणं वा, (४) आहट्टु दलएजा अह भिक्खूणं पुव्वोवदिट्टा एस पन्ना एस हेऊ, एस उवएसो, जंणो तेसि संलोए सपडिदुवारे चिठ्ठेजा से तमायाए एगंतमवक्कमिज्जा अणावायमसंलोए चिठ्ठेजा ॥ ५७४ ॥ से परो अणावायमसंलोए चिट्ठमाणस्स असणं वा ( ४ ) आहट्टु दलएजा से य वदेजा “आउसंतो समणा इमे भे असणे वा ( ४ ) सव्वजणाए निसिठे, तं भुंजह च णं परिभाएह च णं तं चेगइओ पडिगाहेत्ता तुसिणीओ उवेहेजा, अवियाइ एयं मममेव तिया एवं माइद्वाणं संफासे, णो एवं करेजा, से तमायाए तत्थ गच्छेजा ( २ ) से पुव्वामेव आलोएज्जा, “आउसंतो समणा, इमे भे असणं वा ( ४ ) सव्व जगाए णिसिठ्ठे तं भुंजह च णं परिभाएह च णं” सेवं वदतं परो वएजा 'आउसंतो समणा, तुमं चेव णं परिभाएहि, से तत्थ परिभाएमाणे णो अप्पगो खद्धं २ डायं २ ऊसढं २ रसियं २ मणुन्नं २ णिद्धं २ लुक्खं २ से तत्थ अमुच्छिए अगिद्धे अगढिए अणज्झोववण्णे, बहुसममेव, परिभाएजा ॥ ५७५ ॥ से णं परिभाएमाणं परो वएजा 'आउसंतो समणा मा णं तुमं परिभाएहि सव्वे वेगतिया ठिया उ भोक्खामो वा पाहामो वा” से तत्थ भुंजमाणे णो अप्पणा खद्धं २ जाव लुक्सं २ से तत्थ अमुच्छिए ( ४ ) बहुसममेव भुंज्जिज्ज वा पीइज वा ॥ ५७६ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे से जं पुण जाणिजा, समगं वा, माहणं वा, गामपिंडोलगं वा, अतिहिं वा, पुव्वपविद्वं पेहाए णो ते उवाइकम्म पविसेज्ज वा ओभासेज वा से तमायाय एगंतमवकमेज्जा अणावायमसंलोए चिठ्ठिजा, अह पुण एवं जाणिजा, पडिसेहिए वा दिने वा तओ तंमि णियत्तिए संजयामेव पविसिज वा ओभासिज्ज वा ॥ ५७७ ॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं ॥ ५७८ ॥ पंचमोसो समत्तो ॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे से जं पुण जाणेज्जा, रसेसिणो बहवे पाणा घासेसणाए संथडे संणिवइए पेहाए तंजहा - कुक्कुडजाइयं वा, सूयरजाइयं वा अग्गपिंडंसि वा वायसा संथडा संणिवइया पेहाए सइ परक्कमे संजयामेव परक्कमेज्जा नो उज्जुयं गच्छिजा ॥ ५७९ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव पविट्ठे समाणे नो गाहावइकुलस्स दुवारसाहं अवलंबिय २ चिठ्ठेजा, नो गाहावइकुलस्स दगच्छड्डणमत्तए ४० Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भ०१-उ० ६] सुत्तागमे चिठ्ठिजा, नो गाहावइकुलस्स चंदणिउयए चिठेजा, णो० सिणाणस्स वा वच्चस वा संलोए सपडिदुवारे चिठ्ठिज्जा णो गाहावइकुलस्स आलोयं वा थिग्गलं वा संधिं वा दगभवणं वा बाहाउ पगिज्झिय २ अंगुलियाए वा उद्दिसिय २ उण्णमिय २ अवनमिय २ णिज्झाइज्जा, णो गाहावई अंगुलियाए उद्दिसिय २ जाइजा, णो गाहावई अंगुलियए चालिय २ जाएजा, णो गाहावइं अंगुलियए तज्जिय २ जाएज्जा, णो गाहावई अंगुलियाए उक्खुलंपिय २ जाएजा, णो गाहावई वंदिय २ जाएज्जा, णो वयणं फरसं वइज्जा ॥ ५८० ॥ अह तत्थ कंचि भुंजमाणं पेहाए, तंजहा-गाहावई वा जाव कम्मकरिं वा से पुत्वामेव आलोइज्जा, “आउसो त्ति वा, भइणि त्ति वा दाहिसि मे एत्तो अन्नयरं भोयणजायं” से एवं वयंतस्स परो हत्थं वा मत्तं वा दव्वि वा भायणं वा सीओदगवियडेण वा, उसिणोदगवियडेण वा, उच्छोलेज वा, पहोएज्ज वा, से पुत्वामेव आलोएजा “आउसो त्ति, वा भइणित्ति वा, मा एयं तुम हत्थं वा, मत्तं वा, दव्चि वा, भायणं वा, सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा, उच्छोलेहि वा पहोवेहि वा, अभिकंखसि मे दाउं एमेव दलयाहि" से सेवं वयंतस्स परो हत्यं वा (४) सीओदगवियडेण वा २ उच्छोलेत्ता पहोइत्ता आहट्ट दलएज्जा तहप्पगारेण पुरे कम्मकएणं हत्थेण वा (४) असणं वा (४) अफासुयं अणेसणिज्जं जाव- णो पडिगाहिज्जा, अह पुण एवं जाणिज्जा णो पुरेकम्मएणं उदउल्लेणं तहप्पगारेणं वा ससिणिद्धेण वा हत्थेण वा (४) असणं वा (४) अफासुयं जाव णो पडिगाहिजा अह पुण एवं जाणेजा णो उदउल्लेग ससिणिद्धणं सेसं तं चेव, एवं ससरक्खे, मट्टिया, ऊसे हरियाले, हिंगुलए, मणोसिला, अंजणे, लोणे, गेरुय, वन्निय, सेढिय, सोरठिय पिट्ठ कुक्कस उकुट्ट संसटेणं ॥ ५८१ ॥ अह पुण एवं जाणिज्जा, णो असंसद्धे, संसढे तहप्पगारेण संसटेण हत्थेण वा (४) असणं वा. (४) फासुयं जाव पडिगाहिजा ॥ ५८२ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण जाणेज्जा पिहुयं वा वहुरयं वा जाव चाउलपलंवं वा, असंजए भिक्खुपडियाए चित्तमंताए सिलाए जाव मक्कडासंताणाए कुर्दिसु वा,, कुट्टिति वा, कुट्टिस्संति वा, उप्फणिसु वा (३) तहप्पगारं पिहुयं वा, जाव चाउलपलंवं वा, अफासुयं जाव णो पडिगाहिज्जा ॥५८३॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे से जं पुण जाणिज्जा विलं वा लोणं उब्भियं वा लोणं असंजए भिक्खुपडियाए चित्तमंताए सिलाए जाव संताणाए भिदिसु वा, भिदंति वा, भिंदिस्संति वा, रुच्चिसु वा (३) विलं वा लोणं उभियं वा लोणं अफासुयं जाव णो पडिगाहिज्जा ॥ ५८४ ॥ से भिक्खू वा जाव समाणे से जं पुण जाणेज्जा असणं वा (४) अगणिणिक्खित्तं तहप्पगारं Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छहोस एवं खलु तसतं अफ सुत्तागये [भायारेअसणं वा (४) अफासुयं लाभे संते णो पडिगाहिज्जा, केवली वूया, "आयाणमेयं” असंजए भिक्खुपडियाए उस्सिंचमाणे वा, निस्सिचमाणे वा, आमज्जमाणे चा, पमज्जमाणे वा, ओयारेमाणे वा, उव्वत्तसाणे वा, अगणिजीवे हिंसिज्जा, अह भिक्खूणं पुन्चोवदिठ्ठा एस पइण्णा, एस हेऊ, एस कारणे, एसुवएसे, जं तह पगारं असणं वा, (४) अगणिणिक्खित्तं अफासुयं अणेसणिज्ज लामे संते णो पडिगाहिज्जा ॥ ५८५ ॥ एवं खलु तस्स भिक्खुस्स वा भिक्खुणीए वा सामग्गियं ।। ५८६ ॥ छटोदेसो समत्तो॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे से जं पुण जाणेज्जा असणं वा (४) खंधंसि वा थंभंसि वा, मंचंसि वा, मालंसि वा, पासायंसि वा, हम्मियतलंसि वा, अन्नयरंसि वा, तहप्पगारंसि अंतलिक्खजायंसि उवगिक्खित्ते सिया, तहप्पगारं मालोहडं असणं वा (४) जाव अफासुयं णो पडिगाहिज्जा, केवली बूया "आयाणमेयं" असंजए भिक्खुपडियाए पीढं वा फलगं वा, णिस्सेगि वा, उद्हुलं वा, आहट्ट उस्स विय दुरुहेजा, से तत्य दुरुहमाणे, पयलेजा वा पवडेज्जा वा, से तत्य पयले. माणे वा पवडेमाणे वा, हत्थं वा, पायं वा, वाहु वा, ऊरुं वा, उदरं वा, सीसं वा, अण्णयरं वा कायंसि इंदियजायं लूसिज्ज वा, पाणागि वा, भूयागि वा, जीवाणि वा, सत्ताणि वा, अभिहणिज वा, वित्तासिज्ज वा, लेसिज्ज वा, संघसिज्ज वा, संघट्टिज वा, परियाविज वा, किलामिज वा, ठाणाओ ठाणं संकामिज वा, तं तहप्पगारं मालोहडं असणं वा, (४) लाभे संते णो पडिगाहिज्जा ॥५८७ ॥ से भिक्खू वा, (२) जाव समाणे से जं पुण जाणेज्जा, असणं वा (४) कुठ्ठियाओ वा कोलेजाओ वा, असंजए भिक्खुपडियाए, उक्कुन्जिय अवउज्जिय ओहरिय, आहह, दलइजा, तहप्पगारं असगं वा, (४) मालोहडंति णच्चा लामे संते णो पडिगाहिजा ॥ ५८८ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे से जं पुण जाणेज्जा असणं वा (४) मट्टियाओलित्तं तहप्पगारं असणं वा (४) जाव लामे संते णो पडिगाहिजा । केवली बूया 'आयाण, मेयं' असंजए भिक्खुपडियाए मट्टिओलित्तं असणं वा (४) उभिदमाणे पुढवीकायं समारंभिज्जा, तहा तेऊ-वाऊ-वगस्सइ-तस कायं समारंभिज्जा पुणरवि ओलिंपमाणे पच्छाकम्म करिजा । अह भिक्खूणं पुव्वोवदिठ्ठा जाव ज तहप्पगारं मट्टिओलित्तं असणं वा, (४) लामे संते णो पडिगाहिज्जा ॥ ५८९ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव पविठू समाणे से जं पुण जाणेज्जा असणं वा (४) पुढविकायपइठ्ठियं तहप्पगार असगं वा (४) अफासुयं जाव णो पडिगाहिजा ॥ ५९० ॥ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा से जं पुण जाणिज्जा, असगं वा वा (४) माला बूया ‘आयाण, समारंभिजा, तहा अह भिक्खूणं पुब्बोवाजा Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ __ म० १-उ०७] सुत्तागमे (४) आउकायपइठ्ठियं चेव एवं अगणिकायपइठ्ठियं लामे संते णो पडिगाहिजा, 'केवलीबूया' “आयाणमेयं" असंजए भिक्खूपडियाए अगणि उस्सकिय २ णिसक्किय २ ओहरिय २ आहह, दलएज्जा अह भिक्खूगं पुव्वोवदिठ्ठा जाव णो पडिगाहिजा ॥ ५९१ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव पविठे समाणे से जं पुण जाणिज्जा, असणं वा (४) अञ्चुसिणं असंजए भिक्खुपडियाए, सुप्पेण वा, विहुयणेण वा, तालियंटेण वा, पत्तेण वा, साहाए वा, साहाभंगेण वा, पिहुणेण वा, पिहुणहत्थेण वा, चेलेण वा, चेलकन्नेण वा, हत्थेण वा, मुहेण वा, फुमिज वा, वीएज वा, से पुव्वामेव आलोएज्जा “आउसो त्ति वा, भगिणि त्ति वा, मा एयं तुमं, असणं वा, (४) अञ्चुसिणं सुप्पेण वा जाव फुमाहि वा, वीयाहि वा, अभिकंखसि मे दाउं एमेव दलयाहि" से सेवं वयंतस्स परो सुप्पेण वा जाव वीइत्ता आहट्ट दलएज्जा, तहप्पगारं असणं वा (४) अफासुयं जाव णो पडिगाहिज्जा ॥५९२॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे से जं पुण जाणेजा, असणं वा (४) वणस्सइकायपइठ्ठियं तहप्पगारं असणं वा (४) वणस्सइकायपइट्ठियं अफासुयं अणेसणिज्जं लाभे संते णो पडिगाहिज्जा, एवं तसकाएवि ॥ ५९३ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव पविठे समाणे से जं पुण पाणगजायं जाणेजा, तंजहा-उस्सेइमं वा, संसेइमं वा, चाउलोदगं वा, अण्णयरं वा तहप्पगारं पाणगजायं, अहुणाधोयं, अणंबिलं, अवोकंतं, अपरिणयं अविद्धत्यं, अफासुयं, अणेसणिजं, मण्णमाणे णो पडिगाहिज्जा ॥ ५९४ ॥ अह पुण एवं जाणिजा, चिराधोयं, अंबिलं, वुकंतं, परिणयं, विद्धत्थं, फासुयं जाव पडिगाहिजा ॥५९५॥ से भिक्खू वा, (२) जाव पविढे समाणे से जं पुण पाणगजायं जाणेजा, तंजहा-तिलोदगं वा, तुसोदगं वा, जवोदगं वा, आयामं वा, सोवीरं वा, सुद्धवियडं वा, अण्णयरं वा तहप्पगारं पाणगजायं पुवामेव आलोएजा “आउसो त्ति वा, भगिणित्ति वा, दाहिसि मे एत्तो अन्नयरं पाणगजायं ?” से सेवं वयंतं परो वएज्जा “आउसंतो समणा, तुमं चेवेदं पाणगजायं पडिग्गहेण वा उस्सिचियाणं २ ओयत्तियाणं गिण्हाहि" तहप्पगारं पाणगजायं सयं वा गिहिज्जा, परो वा से दिजा, फासुयं लामे संते पडिगाहिजा ॥ ५९६ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण पाणगं जाणेज्जा अणंतरहियाए पुढवीए. जाव संताणए ओहट्ट निक्खित्ते सिया असंजए भिक्खुपडियाए, उदउल्लेण वा, ससिणिद्धेण वा, सकसाएण वा, मत्तेण वा सीओदएण वा, संभोएत्ता आहट्ट दलएजा तहप्पगारं पाणगजायं अफासुयं लामे संते णो पर्डिगाहिज्जा ॥ ५९७ ॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं ॥ ५९८ ॥ सत्तमोद्देसो समत्तो॥ Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ सुत्तागमे [आयारेसे भिक्खू वा (२) जाव पविठे समाणे से जं पुण पाणगजायं जाणिजा, तंजहा-अंबपाणगं वा, अंबाडगपाणगं वा, कविठ्ठपाणगं वा, माउलिंगपाणगं वा, मुद्दियापाणगं वा, दाडिमपाणगं वा, खजूरपाणगं वा, णालिएरपाणगं वा, करीरपाणगं वा, कोलपाणगं वा, आमलगपाणगं वा, चिंचापाणगं वा, अण्गयरं वा तहप्पगारं पाणगजायं सकणुयं सवीयगं असंजए भिक्खुपडियाए छब्वेण वा दूसेण वा, वालगेण वा, आवीलियाण वा, पवीलियाण परिसाइयाण आहटु दलएजा, तहप्पगारं पाणगजायं अफासुयं लाभे संते णो पडिगाहिजा ॥ ५९९ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव पविढे समाणे, से आगंतारेसु वा, आरामागारेसु वा, गाहावइकुलेमु वा, परियावसहेसु वा, अन्नगंधाणि वा, पाणगंधाणि वा, सुरभिगंधाणि वा, अग्घाय २ से तत्थ आसायवडियाए मुच्छिए, गिद्धे, गढिए, अज्झोववन्ने 'अहो गंधो २' णो गंधमाघाइज्जा ॥ ६०० ॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे, से जं पुण जाणेजा, सालुयं वा, विरालियं वा, सासवणालियं वा, अण्णतरं वा तहप्पगारं • आमगं असत्थपरिणयं अफासुयं जाव णो पडिगाहिज्जा ॥ ६०१ ॥ से भिक्स् वा (२) जाव पविढे समाणे से जं पुण जाणेज्जा, पिप्पलिं वा, पिप्पलिचुण्ण वा, मिरियं वा, मिरियचुन्नं वा, सिगबेरं वा, सिगबेरचुन्नं वा, अण्णतरं वा "तहप्पगारं आमगं असत्थपरिणयं अफासुयं जाव णो पडिगाहिजा ॥६०२॥ से भिक्खू वा (२) जाव पविढे समाणे से जं पुण जाणेज्जा, पलंबजायं तंजहाअंबपलंबं वा, अंबाडगपलंबं वा, तालपलंवं वा, झिज्झिरिपलंवं वा, सुरभिपलंबं वा, सलइपलंबं वा, अन्नयरं वा तहप्पगारं पलंबजायं आमगं असत्थपरिणयं अफासुर्य अणेसणिजं जाव लाभे संते णो पडिगाहिजा ॥ ६०३ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव पविढे समाणे से जं पुण पवालजायं जाणिज्जा, तंजहा-आसोत्थपवालं वा, णग्गोहपवालं वा, पिलुंखुपवालं वा, णीपूरपवालं वा, सल्लइपवालं वा, अन्नयरं तहप्पगार पवालजायं आमगं असत्थपरिणयं अफासुयं अणेसणिज जाव णो पडिगाहिज्जा ॥ ६०४ ॥ से, भिक्खू वा (२) जाव समाणे से जं पुण सरडुयजायं जाणिज्जा, तंजहा-अंवसरडुयं वा, कविठ्ठसरडुयं वा, दाडिमसरडुयं वा, विल्लसरडुयं वा, अण्णयरं वा तहप्पगारं सरडुयजायं आमं असत्थपरिणयं अफासुयं णो पडिगाहिजा ॥ ६०५ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव पविठे समाणे, से जं पुण मंथुजाय जाणिजा, तंजहा-उंवरमंथु वा, णग्गोहमथु वा, पिलुक्खुमंथु वा, आसोत्थमंथु वा, अण्णयरं वा तहप्पगारं मंथुजायं आमयं दुरुकं साणुबीयं अफासुयं णो पडिगाहिज्जा ॥ ६०६॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे से जं पुण जाणिजा, आमडाग जाणिजा, तसे भिक्खु वा (आमं असत्थपरिणय वा, विसर Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५ अ० १-उ० ९] सुत्तागमे वा, पूइपिण्णागं वा, सप्पिं वा, पेज वा लेझं वा खाइमं वा साइमं वा, पुराणं एत्थ पाणा, अणुप्पसूया, एत्थ पाणा संवुड्डा, एत्थ पाणा जाया, एत्थ पाणा अवुकंता, एत्थ पाणा अपरिणया, एत्थ पाणा अविद्धत्था, णो पडिगाहिज्जा ॥ ६०७ ॥ से भिक्खू वा, (२) जाव समाणे से जं पुण जाणिज्जा, उच्छुमेरगं वा अंककरेलुयं वा, कसेरुगं वा, सिंग्घाडगं वा, पूतिआलुगं वा, अन्नयरं वा तहप्पगारं आमगं असत्थपरिणयं जाव णो पडिगाहिज्जा ॥ ६०८ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण जाणिज्जा, उप्पलं वा, उप्पल नालं वा, भिसं वा, भिसमुणालं वा, पोक्खलं वा, पोक्खलविभंग वा, अण्णतरं वा तहप्पगारं, जाव णो पडिगाहिज्जा ॥६०९ ॥ से भिक्खू वा, (२) जाव समाणे, से जं पुण जाणिज्जा, अग्गवीयाणि वा, मूलबीयाणि वा, खंधबीयाणि वा, पोरबीयाणि वा, अग्गजायाणि वा, मूलजायाणि वा, खंधजायाणि वा, पोरजायाणि वा, णण्णत्थ तक्कलिमत्थएण वा, तक्कलिसीसेण वा, णालिएरमत्थएण वा, खजूरमत्थएण वा, तालमत्थएण वा, अन्नयरं वा तहप्पगारं आमं असत्थपरिणयं जाव णो पडिगाहिज्जा ॥ ६१० ॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे से जं पुण जाणिज्जा, उच्छु , वा, काणगं, अंगारियं संमिस्सं, विगदूसियं, वेत्तरगं वा, कंदलीऊसयं वा, अण्णयरं वा, तहप्पगारं आमं असत्थ परिणयं जाव णो पडिगाहिज्जा ॥ ६११ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे से जं पुण जाणिज्जा, लसुणं वा, लसुणपत्तं वा, लसुणनालं .. वा, लसुणकंदं वा, लसुणचोयं वा, अण्णयरं वा तहप्पगारं कंदजायं णो पडिगाहिज्जा ॥ ६१२ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे से जं पुण जाणिज्जा, अंच्छिअं वा, कुंभिपक्कं, तिढुगं वा, टिवख्यं वा, विलुयं वा, पलगं वा, कासवणालियं वा, अण्णतरं वा आमं असत्थपरिणयं जाव णो पडिगाहिज्जा ॥ ६१३ ॥ से भिक्खू वा, (२) जाव समाणे से जं पुण जाणिज्जा, कणं वा कणकुंडगं वा, कणपूयलियं वा, चाउलं वा, चाउलपिढें वा, तिलं वा, तिलपिठुवा, तिलपप्पडगं वा, अन्नतरं वा, तहप्पगार आम असत्थपरिणयं जाव लाभे संते णो पडिगाहिज्जा ॥ ६१४ ॥ एस खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं ॥ ६१५ ॥ अठ्ठमोद्देसो समत्तो।। इह खलु पाईणं वा, पडीणं वा, दाहिणं वा, उदीणं वा, संतेगइया सढा भवंति, गाहावइ वा जाव कम्मकरी वा; तेसिं च णं एवं वुत्तपुव्वं भवइ जे इमे भवंति समणा, भगवंतो, सीलमंता, वयमंता, गुणमंता, संजया, संवुडा, वंभचारी, उवरया मेहुणाओ धम्माओ, णो खलु एएसिं कप्पइ आहाकम्मिए असणं वा (४) भोइत्तए वा पाइत्तए वा; से जं पुण इमं अम्हं अप्पणो अट्ठाए णिट्ठिय, तंजहा-असणं वा (४) सव्वमेयं समणाणं णिसिरामो, अवियाइं वय पच्छा अप्पणो अठ्ठाए असणं Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [मायारे वा (४) चेइस्सामो एयप्पगारं णिग्धोसं सोचा णिसम्म तहप्पगारं असणं वा (४) अफासुयं अणेसणिजं लाभे संते णो पडिगाहिजा ॥ ६१६ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे वसमाणे वा गामाणुगाम दूइज्जमाणे से जं पुण जाणिज्जा, गामं वा जाव रायहागि वा, इमंसि खलु गामंसि वा जाव रायहाणिसि वा संतेगइयस्स भिक्खुस्स पुरे संथुया वा पच्छासंथुया वा परिवसंति, तंजहा-गाहावइ वा जाव कम्मकरी वा तहप्पगाराई कुलाई णो पुव्वामेव भत्ताए वा पाणाए वा णिक्खमेज वा पविसेज वा, केवली वूया, 'आयाणमेयं' । पुरा पेहाए तस्स परो अट्टाए असणं वा (४) उवकरेज वा, उवक्खडेज वा, अह भिक्खूगं पुव्वोवदिट्टा (४) जंणो तहप्पगाराइं कुलाई पुव्वामेव भत्ताए वा पाणाए वा पविसेज वा णिक्खमेज वा । से तमायाय एगंतमवक्कमिज्जा अणावायमसंलोए चिटेजा, से तत्थ कालेगं अणुपविसिज्जा (२) तत्थियरेयरेहिं कुलेहिं सामुदाणियं एसियं वेसियं पिडवायं एसित्ता आहारं आहारिजा ॥ ६१७ ॥ सिया से परो कालेण अणुपविठ्ठस्स आहाकम्मियं असणं वा (४) उवकरेज वा उवक्खडेज वा, तं चेगइओ तूसणीओ उवेहेजा, 'आहडमेव पञ्चाइक्खिस्सामि' माइछाणं संफासे, णो एवं करेजा, से पुवामेव आलोएजा 'आउसो त्ति वा भगिगि त्ति वा, णो खलु मे कप्पइ आहाकम्मियं असणं वा (४) भोत्तए वा पायए वा । मा उवकरेहि, मा उवक्खडेहि, से सेवं वयंतस्स परो आहाकम्मियं असणं वा (४) उवक्खडावित्ता आहट्ट दलएज्जा, तहप्पगारं असणं वा (४) अफासुयं लाभे संते णो पडिगाहिजा ॥ ६१८ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे से जं पुण जाणिज्जा, असणं वा ४ आएसाए उवक्खडिजमाणं पेहाए णो खद्धं २ उवसंकमित्तु ओभासेज्जा णन्नत्थ गिलाणणीसाए ॥६१९॥ से भिक्खू वा जाव समाणे अण्णतरं भोयणजायं पडिगाहित्ता सुभि सुब्भि भोच्चा दुभि दुभि परिट्ठवेइ, माइट्टागं संफासे, णो एवं करेजा, सुभि वा दुभि वा सव्वं भुंजे न छड्डए ॥ ६२० ॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे अण्णतरं वा पाणयजायं पडिगाहित्ता पुप्फ २ आसाइत्ता कसायं २ परिवेइ, माइट्टाणं संफासे णो एवं करिजा, पुप्फ पुप्फेति वा कसायं कसाएत्ति वा सव्वमेयं भुंजिजाणो किंचिवि परिट्ठवेजा ॥६२१॥ से भिक्खू वा (२) बहुपरियावणं भोयणजायं पडिगाहित्ता बहवे साहम्मिया तत्थ वसंति संभोइया, समणुण्णा अपरिहारिया, अदूरगया तेसि अणालोइया अणामंतिय परिहवेइ, माइठ्ठाणं संफासे णो एवं करेजा से तमादाय तत्थ गच्छेजा (२) से पुवामेव आलोएजा, “आउसंतो समणा इमे मे असणं वा (४) बहुपरियावण्ण, तं भुंजह च णं" से सेवं वयं परो वएजा “आउसंतो समणा आहारमेयं असणं वा Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... . .. ..] सुत्तागम ४७ (४) जावइयं (२) परिसडइ तावइयं (२) भोक्खामो वा, पाहामो वा, सव्वमेयं परिसडइ, सव्वमेयं भोक्खामो वा” २ ॥ ६२२ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण जाणिज्जा, असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा, परं समुद्दिस्स बहिया णीहडं तं परेहिं असमणुन्नायं अणिसिटुं अफासुयं जाव णो पडिगाहिज्जा, तं परेहि समणुन्नायं संणिसिटुं फासुयं लाभे संते जाव पडिगाहिज्जा ॥ ६२३ ॥ एस खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं ॥ ६२४ ॥ नवमोइसो समत्तो॥ १ से एगइओ साहारणं वा पिंडवायं पडिगाहित्ता, ते साहम्मिए अणापुच्छित्ता जस्स जस्स इच्छइ तस्स तस्स खद्धं खद्धं दलयइ, माइट्ठाणं संफासे णो एवं करेजा, से तमायाए तत्थ गच्छेज्जा (२) पुवामेव आलोएजा “आउसंतो समणा, संति मम पुरे संथुया वा पच्छासंथुया वा, तंजहा-आयरिए वा, उवज्झाए वा, पवित्ती वा, थेरे वा, गणी वा, गणहरे वा, गणावच्छेइए वा, अवियाइं एएसिं खद्धं खद्धं दाहामि" से सेवं वयंतं परो वएज्जा, कामं खलु आउसो अहापज्जत्तं णिसिराहि जावइयं २ परो वयइ तावइयं २ णिसिरेजा, सव्वमेयं परो वयइ सव्वमेयं णिसिरेजा ॥ ६२५ ॥ से एगइओ मणुन्नं भोयणजायं पडिगाहित्ता पंतेण भोयणेण पलिच्छाएति “मामेयं दाइयं संतं, दट्टगं सयमायए, आयरिए वा जाव गणावच्छेइए वा, णो खलु मे कस्सवि किंचि दायव्वं सिया” माइठाणं संफासे णो एवं करेजा, से तमायाए तत्थ गच्छेजा, (२) पुवामेव उत्ताणए हत्थे पडिग्गहं कह "इमं खलु इमं खलु त्ति" आलोएजा, णो किंचिवि णिगृहेजा ॥ ६२६ ॥ से एगइओ अण्णतरं भोयणजायं पडिगाहित्ता, भद्दयं भद्दयं भोचा, विवन्नं विरसमाहरइ, माइट्ठाणं संफासे, णो एवं करिज्जा ॥ ६२७ ॥ से भिक्खू वा, (२) से जं पुण जाणिज्जा, अंतरुच्छियं वा, उच्छुगंडियं वा, उच्छुचोयगं वा, उच्छुमेरगं वा, उच्छुसालगं वा, उच्छुडालगं वा, सिंवलिं वा, सिवलथालगं वा, अस्सि खलु पडिग्गहियंसि अप्पे सिया भोयणजाए, वहुउज्झियधम्मिए, तहप्पगारं अंतरुच्छुयं जाव सिंवली थालगं वा अफासुयं जाव णो पडिगाहिज्जा ॥ ६२८ ॥ से भिक्खु वा (२) से जं पुण जाणिज्जा, वहुवीयग-बहुकंटगं-फलं अस्सि खलु पडिगाहियंसि अप्पेसिया भोयणजाए वहुउज्झियधम्मिए-तहप्पगारं बहुबीयगं बहुकंटगं फलं लामे संते जाव णो पडिगाहिजा॥ ६२९ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे, सिया णं परो वहुवीयएण, बहुकटगण फलेण उवणिमंतेज्जा “आउसंतो समणा अभिकंखसि! बहुवीयअंबहुकंटगं फलं पडिगाहित्तए ?" एयप्पगारं णिग्योसं सोचा णिसम्म से पुवामेव आलोएज्जा -“आउसो त्ति वा भइणित्ति वा. णो खलु मे कप्पइ से वहकंटयं बह Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८ सुत्तागमे [आयारेबीयों फलं पडिगाहित्तए, अभिकंखसि मे दाउं, जावइयं तावइयं फलस्स सारभागं दलयाहि, मा य बीयाइं “से सेवं वयंतस्स परो अभिहट्ट अंतो पडिग्गहगंसि बहुबीयअं २ फलं परिभाएत्ता णिहट्ट दलएजा, तहप्पगारं पडिग्गहगं परहत्यसि वा परपायंसि वा अफासुर्य अणेसणिज लामे संते णो पडिगाहिज्जा, से आहच्च पडिगाहिए सिया तं णो हिं त्ति वएजा, णो अणहित्ति वएजा, से तमायाए एगंतमक्कमेजा (२) अहे आरामंसि वा, अहे उवस्सयंसि वा, अप्पंडए जाव अप्पसंताणए, ,फलस्स सारभागं भुच्चा बीयाई कंटए गहाय से तमायाए एगंतमवक्कमिजा, अहे ज्झामथंडिलंसि वा, जाव पमज्जिय २ परिठविज्जा ॥६३०॥ से भिक्खू वा (२) जाव समाणे सिया परो अभिहट्ट अंतो पडिग्गहए विलं वा लोग, उभियं वा लोगं, परिभाएत्ता णीहट्ट दलएजा, तहप्पगारं पडिग्गहगं परहत्यंसि वा, परपायंसि वा अफासुयं जाव ण्ने पडिगाहिजा से आहच्च पडिग्गाहिए सिया तं च णाइदूरगए जाणिज्जा, से तमायाए तस्य गच्छिज्जा (२) पुत्वामेव आलोएन्जा “आउसो त्ति वा, भइणि त्ति वा, इमं ते किं जाणया दिन्नं उदाहु अजाणया ? सो य भणेजा, णो खलु मे जाणया दिन्नं अजाणया दिन्नं, कामं खलु आउसो इदाणिं णिसिरामि तं भुंजह च णं परिभाएह च णं, तं परेहिं समणुन्नायं समणुसिठ्ठ तओ संजयामेव, भुंजेज वा पीएज वा, जं च णो संचाएति भोत्तए वा पायए वा साहम्मिया तत्थ वसंति संभोइया समणुन्ना अपरिहारिया अदूरगया तेसिं अणुपयायव्वं, सिया णो जत्य साहम्मिया जहेव बहुपरियावन्ने कीरति तहेव कायव्वं सिया ॥ ६३१ ॥ एस खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं ॥ ६३२ ॥ दसमोइसो समत्तो॥ भिक्खागा णामेगे एवमाहंसु समाणे वा वसमाणे वा गामाणुगामं वा दूइजमाणे मणुण्णं भोयणजायं लभित्ता “से य भिक्खू गिलाई से हंदह णं तस्साहरह से य भिक्खू णो भुजिजा आहरिजा तुमं चेव णं भुंजिज्जासि” से एगइओ भोक्खामित्ति कट्ठ पलिउंचिय २ आलोएजा, तंजहा-इमे पिडे इमे लोए इमे तित्तए इमे कडए इमे कसाए इमे अविले इमे महुरे णो खलु एत्तो किंचि गिलाणस्स सयइत्ति माइठ्ठाणं संफासे, णो एवं करेजा, तहेव तं आलोएजा, जहेव तं गिलाणस्स सयइत्ति, तंजहा-तित्तयं तित्तएत्ति वा, कडुयं कडएत्ति वा, कसायं कसाएत्ति वा, अंबिलं अंविलेत्ति वा, महुरं महुरेत्ति वा ॥ ६३३ ॥ भिक्खागा णामेगे एवमाहंसु, समाणे वा वसमाणे वा, गामाणुगामं दूइजमाणे मणुन्नं भोयणजायं लभित्ता से भिक्खू गिलाइ से हंदह णं तस्साहरह सेय भिक्खू णो भुजिज्जा, आहरेजा, से ण Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० १-उ० ११] सुत्तागमे १९ णो खलु मे अंतराए आहरिस्सामि इच्चेयाई आयतणाई उवाइक्कम्म ॥ ६३४ ॥ अह भिक्खू जाणिज्जा सत्त पिंडेसणाओ सत्त पाणेसणाओ तत्थ खलु इमा पढमा पिंडेसणा असंसढे हत्थे असंसटे मत्ते, तहप्पगारेण असंसटेण हत्थेण वा मत्तेण वा, असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा सयं वा णं जाएजा, परो वा से दिजा, फासुयं जाव पडिगाहिज्जा, इति पढमा पिंडेसणा ॥ ६३५ ॥ अहावरा दोच्चा पिंडेसणा, संसढे हत्थे संसट्टे मत्तए तहेव दोच्चा पिडेसणा इति दोच्चा पिंडेसणा ॥ ६३६ ॥ अहावरा तच्चा पिंडेसणा, इह खलु पाईणं वा ४ संतेगइया सड्ढा भवंति गाहावइ वा जाव कम्मकरी वा, तेसिं च णं अण्णतरेसु विरूवरूवेसु भायणजाएसु उवणिक्खित्तपुव्वे सिया तंजहा थालंसि वा, पिढरंसि वा सरगंसि वा, परगंसि वा, वरगंसि वा, अह पुण एवं जाणिजा, असंसठे हत्थे संसठू मत्ते, संसढे हत्थे असंसठे मत्ते से य पडिग्गहधारी सिया पाणिपडिग्गहिए 'वा, से पुवामेव आलोएजा “आउसोत्ति वा, भगिणि त्ति-वा, एएणं तुम' असंसटेण हत्थेण संसट्टेण मत्तेण संसटेण वा हत्येण असंसठूण मत्तेण अस्सि पडिग्गहगंसि वा पाणिसि वा णिहड्डु उचित्तु दलयाहि" तहप्पगारं भोयणजायं सयं वा णं जाएजा, परो वा से देजा, फासुयं जाव पडिगाहिज्जा, तच्चा पिंडेलणा ॥६३७ ॥ अहावरा चउत्था पिंडेसणा ॥ से भिक्खू वा, (२) से जं पुण जाणिजा, पिहुअं वा, जाव चाउलपलंवं वा, अस्सि खलु पडिग्गहियंसि अप्पे पच्छाकम्मे अप्पे पजवजाए, तहप्पगारं पिहुयं वा जाव चाउलपलंबं वा सयं वा जाएजा जाव पडिगाहिज्जा । इति चउत्था पिंडेसणा ॥ ६३८ ॥ अहावरा पंचमा पिंडेसणा से भिक्खू वा भिक्खुणी वा, जाव समाणे, उग्गहितमेव भोयणजायं जाणिज्जा, तंजहा-सरावंसि वा, डिडिमंसि वा, कोसगंसि वा, अह पुण एवं जाणिजा बहुपरियावन्ने पाणीसु उदगलेवे तहप्पगारं असणं वा (४) सयं वा णं जाएज्जा, जाव पडिगाहिजा ॥ पंचमापिंडेसणा ॥ ६३९ ॥ अहावरा छठा पिंडेसणा, से भिक्खू वा (२) पग्गहियमेव भोयणजायं जाणिज्जा, जं च सयठाए पग्गहियं जंच परवाए परगहियं तं पायपरियावन्नं तं पाणिपरियावण्णं फासुयं जाव पडिगाहिज्जा, छठा पिंडेसणा ॥ ६४० ॥ अहावरा सत्तमा पिंडेसणा, से भिक्खू वा (२) जाव समाणे बहु उज्झियधम्मियं भोयणजायं जाणिज्जा, जं चऽन्ने वहवे दुपय-चउप्पय-समण-माहणअतिहि-किवण-वणीमगा णावकंखंति तहप्पगारं उज्झियधम्मियं भोयणजायं सयं वा णं जाएजा परो वा से दिजा जाव फासुयं पडिगाहिज्जा ॥ सत्तमा पिडेसणा॥ इच्चेयाओ सत्त पिंडेसणाओ ॥ ६४१ ॥ अहावराओ सत्त पाणेसणाओ, तत्थ Vाना. Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५ . सुत्तागमे [भायारेखलु इमा पढमा पाणेसणा, असंसढे हत्थे २ तं चेव भाणियन्वं, णवरं चउत्थाए णाणत्तं, से भिक्खू वा (२) जाव समाणे से जं पुण पाणगजायं जाणिज्जा, तंजहातिलोदगं वा, तुसोदगं वा, जवोदगं वा, आयामं वा, सोवीरं वा, सुद्धवियडं वा, अस्सि खलु पडिग्गाहियंसि अप्पे पच्छाकम्मे, तहेव पडिग्गाहिजा ॥ ६४२ ॥ इच्चेयासि सत्तण्हं पिडेसणागं सत्तण्हं पाणेसणाणं अण्णतरं पडिमं पडिवजमाणे णो एवं वएजा “मिच्छापडिवण्णा खलु एते भयतारो अहमेगे सम्म पडिवन्ने, जे एते भयंतारो एयाओ पडिमाओ पडिवजित्ताणं विहरंति, जो य अहमंसि एवं पडिमं पडिवजित्तागं विहरामि सव्वेऽवि ते उ जिणाणाए उठ्ठिया अन्नोन्नसमाहीए एवं च णं विहरंति ॥ ६४३ ॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं ॥६४४॥ पिंडेसणाणामज्झयणस्ल एगारलमोद्देलो, विइयसुयक्खंधस्स पिंडेसणा णामं पढमज्झयणं समत्तं ॥ से भिक्खू वा (२) अभिकंखेजा, उवस्सयं एसित्तए, से अणुपविसे गामं वा । जाव रायहागि वा ॥ ६४५ ॥ से जं पुण उवस्लयं जाणिजा, सअंडं जाव ससंताणयं तहप्पगारे उवस्लए णो ठाणं वा सेजं वा निसीहियं वा चेतेजा ॥ ६४६ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उवस्मयं जाणिजा, अप्पंडं अप्पपाणं जाव अप्पसंताणयं तहप्पगारे उवस्सए पडिलेहित्ता पमजित्ता, तओ संजयामेव ठाणं वा सेजं वा निसीहियं वा चेतेज्जा ॥ ६४७ ॥ से जं पुण उवस्मयं जाणिज्जा अस्सिपडियाए एग साहम्मियं समुद्दिस्स पाणाइं भूयाइं जीवाइं सत्ताइं समारब्भ समुद्दिस्स कीयं पामिच्च अच्छिजं अणिसठ्ठ अभिहडं आह१ चेएति तहप्पगारे उवस्सए पुरिसंतरगडे वा अपुरिसंतरगडे वा जाव अणासेविते वा णो ठाणं वा सेजं वा णिसीहियं वा चेतेजा । एवं वहवे साहम्मिया एगा साहम्मिणी बहवे साहम्मिणीओ॥६४८॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा असंजए भिक्खुपडियाए बहवे समणमाहणअतिहिकिवणवणीमए पगणिय २ समुद्दिस्स पाणाइं भूयाइं जीवाई सत्ताइं जाव चेएइ तहप्पगारे उवस्सए अपुरिसंतरगडे जाव अणासेविए णो ठाणे वा सेजं वा णिसीहियं वा चेतेजा, अह पुण एवं जाणिज्जा पुरिसंतरगडे जाव आसेविए पडिलेहित्ता पमज्जित्ता तओ संजयामेव ठाणं वा सेजं वा णिसीहियं वा चेतेजा ॥ ६४९ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उवस्मयं जाणिज्जा, असंजए भिक्खुपडियाए कडिए वा, उकंविए वा, छन्ने वा, लित्ते वा, घठे वा, मढे वा, संमठे वा, संपधूमिए वा, तहप्पगारे उवस्लए अपुरिसंतरगडे जाव अणासेविए, णो ठागं वा, सेज्जं वा, णिसीहियं वा, चेतेजा, अह पुण एवं जाणिज्जा पुरिसंतरगडे जाव आसे Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० २-उ० १] सुत्तागमे विए, पडिलेहित्ता पमज्जित्ता, तओ संजयामेव जाव चेतेजा ॥ ६५० ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उवस्मयं जाणिज्जा, असंजए भिक्खुपडियाए खुड्डियाओ दुवारियाओ महल्लिआओ कुज्जा, जहा पिडेसणाए जाव संथारगं संयारिजा, बहिया वा णिण्णक्खु तहप्पगारे उवस्सए अपुरिसंतरगडे जाव अणासेविते णो ठाणं वा, सेनं वा निसीहियं वा चेतेज्जा, अह पुण एवं जाणिज्जा पुरिसंतरगडे जाव आसेविए पडिलेहित्ता पमजित्ता तओ संजयामेव जाव चेतेज्जा ।। ६५१ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा, असंजए भिक्खुपडियाए उदगप्पसूयाणि वा, कंदाणि वा, मूलाणि वा, पत्ताणि वा, पुप्फाणि वा, फलाणि वा, वीयाणि वा, हरियाणि वा, ठाणाओ ठाणं साहरति, बहिया वा णिण्णक्खु तहप्पगारे उवस्सए अपुरिसंतरगडे जाव णो ठागं वा सेजं वा णिसीहियं वा चेतेजा। अह पुण एवं जाणिज्जा, पुरिसंतरगडे जाव चेतेज्जा ॥ ६५२ ॥ से भिक्खू वा, भिक्खुणी वा, से जं पुण जाणिज्जा, असंजए भिक्खूपडियाए पीढं वा फलगं वा णिस्सेणिं वा उदूहलं वा ठाणाओ ठाणं साहरइ वहिया वा णिण्णक्खु, तहप्पगारे उवस्सए अपुरिसंतरगडे जाव णो ठाणं वा सेज वा णिसीहियं वा चेतेजा, अह पुण एवं जाणिजा पुरिसंतरगडे जाव चेतेज्जा ।। ६५३ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा, तंजहा खंधंसि वा मंचंसि वा मालंसि वा पासायंसि वा हम्मियतलंसि वा अन्नतरंसि वा तहप्पगारंसि अंतलिक्खजायंसि, णण्णत्थ आगाढाणागादेहि कारणेहि, ठाणं वा सेजं वा णिसीहियं वा णो चेतेजा ॥ ६५४ ॥ से आहच्च चेतिते सिया णो तत्थ सीओदगवियडेण वा, उसिगोदगवियडेण वा, हत्थाणि वा, पादाणि वा, अच्छीणि वा, दंताणि वा, मुहं वा, उच्छोलेज वा पहोएन वा, णो तत्थ ऊसढं पगरेजा, तंजहा-उच्चारं वा, पासवणं वा, खेलं वा, सिंघागं वा, वंतं वा, पित्तं वा, पूयं वा, सोणियं वा, अन्नयरं वा सरीरावयवं केवली वूया “आयाण मेयं” से तत्थ ऊसढं पगरेमाणे पयलेज वा, पवडेज वा, से तत्थ पयलेमाणे पवडेमाणे वा हत्थं वा, जाव सीसं वा अन्नतरं वा कायंसि इंदियजालं लूसेज्जा पाणाणि वा ४ अभिहणेज वा जाव ववरोवेज वा, अह भिक्खूणं पुव्वोवदिट्ठा एस पइन्ना जाव जं तहप्पगारे उवस्सए अंतलिक्खजाए णो ठाणं वा सेजं वा णिसीहियं वा चेतेजा ॥ ६५५ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा सइत्थियं सखुटुं सपसुभत्तपाणं तहप्पगारे सागारिए उवस्सए णो ठाणं वा सेजं वा णिसी हियं वा चेतेजा, आयाणमेयं भिक्खुस्स गाहावइकुलेण सद्धि संवसमाणस्स अलसए वा, विसूइया वा छड्डी वा उव्वाहिज्जा अन्नतरे वा से दुक्खे रोगायंके समुप्पज्जेज्जा असं Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [भायारे सुत्तागमे जए कलुणपडियाए तं भिक्खुस्स गातं तेल्लेण वा, घएण वा, उव्वदृणेण वा अभं. गेज मक्खिज्ज वा, सिणाणेण वा, ककेण वा, लोद्देश वा, वण्णेण वा चुनेण वा, पउमेण वा, आघंसेज वा, पघंसेज वा, उव्वलेज वा, उबट्टेज वा सीओदगवियडेण वा, उसिणोदगवियडेण वा, उच्छोलेज वा, पच्छोलेज वा, पहोएन वा, निणाविज्ज वा, सिचिज वा, दारुणा वा दारुपरिणामं कट्ट, अगणिकायं उजालेन वा, पजालिज वा, उजालित्ता २ कायं आयावेज वा पयावेज वा अह भिववृणं पुचोवदिठ्ठा एस पइन्ना जं तहप्पगारे सागारिए उवस्सए णो ठाणं वा सेज वा नितीहियं वा चेतेजा ॥ ६५६ ॥ आयाणमेयं भिक्खुस्स सागारिए उवस्सए वसमाणस्स इह खलु गाहावइ वा जाव कम्मकरी वा अन्नमन्नं अकोसंति वा, पचंति वा रंभंति वा उद्दविंति वा अह भिक्खूण उच्चावयं मणं णियंछेज्जा एते सलु अन्नमन्नं उक्कोसंतु वा मा वा उक्कोसंतु जाव मा वा उद्दवितु । अह भिक्रवृणं पुचोवदिठ्ठा एस पइन्ना जाव जं तहप्पगारे सागारिए उवस्सए णो ठागं वा सेज वा णिसीहियं वा चेतेजा ॥ ६५७ ॥ आयाणमेयं भिक्खुरस गाहावइहिं सद्धिं संवसमाणस्स इह खलु गाहावइ अप्पणो सअठाए अगणिकायं उज्जालेज वा, पज्जालेज वा विज्झावेज वा, अह भिक्खू उच्चावयं मणं णियंछेजा, एते खल अगणिकायं उज्जालेंतु वा जाच मा वा विज्झावेंतु अह भिक्खूणं पुव्वोवदिठ्ठा जाव जं तहप्पगारे उवस्सए नो ठाणं वा सेजं वा, निसी हियं वा चेतेजा ॥ ६५८ ॥ आयाणमेयं भिक्खुस्स गाहावइहिं सद्धि संवसमाणस्स इह खलु गाहावइस्स कुंडले वा, गुणे वा, मणी वा, मोत्तिए वा, हिरण्णे वा, सुवण्णे वा, कडगाणि वा, तुडियाणि वा, तिसरगाणि वा, पालंबाणि वा, हारे वा, अद्धहारे वा, एगावली वा, मुत्तावली वा, कणगावली वा, रयणावली वा, तरुणियं वा कुमारिं अलंकियविभूसियं पेहाए, अह भिक्खू उच्चावयं मणं, णियंछेजा, “एरिसिया वा सा णो वा एरिसिया” इति वा णं वूया, इति वा णं मणं साएज्जा, अह भिक्खूणं पुव्वोवदिठ्ठा ४ जाव जं तहप्पगारे उवस्सए णो ठाणं वा जाव चेतेजा ॥ ६५९ ॥ आयाणमेयं भिक्खुस्स गाहावइहिं सद्धि संवसमाणस्स इह खलु गाहावइणीओ वा, गाहावइधूयाओ वा, गाहावइसुण्हाओ वा, गाहावइधाईओ वा, गाहावइदासीओ वा, गाहावइकम्मकरीओ वा, तासिं च णं एवं वुत्तपुव्वं भवइ, “जे इमे भवंति समणा भगवंतो जाव उवरया मेहुणधम्माओ णो खलु एतेसि कप्पइ मेहुणधम्म परियारणाए आउट्टित्तए, जा य खलु एएहिं सद्धिं मेहुणधम्मं परियारणाए आउट्टाविजा पुत्तं खलु सा लभेजा, ओयस्सि तेयस्सि वचस्सिं जसस्सिं संपराइयं आलोयणदरिसिणिज," एयप्पगार Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुष्वकम्म ला जाव जं तहप्पगारवइहि सद्धि संवसासया अहप २ सु० अ० २-उ० २] सुत्तागमे णिग्योसं सोचा णिसम्म तासिं च णं अण्णयरी सड्डी तं तवस्सि भिक्खू मेहुणधम्मपरियारणाए आउट्टावेजा, अह भिक्खूणं पुव्वोवदिठ्ठा जाव जं तहप्पगारे सागारिए उवस्सए णो ठाणं वा सेजं वा णिसीहियं वा चेतेजा ॥ ६६० ॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं ॥ ६६१ ॥ सेजाज्झयणस्स पढमोद्देसो समत्तो॥ ___ गाहावइ णामेगे सुइसमायारा भवंति से भिक्खू य असिणाणाए से तगंधे दुग्गंधे पडिकूले पडिलोमे यावि भवइ, जे पुव्वकम्मं तं पच्छाकम्म, जं पच्छाकम्मं तं पुन्वकम्मं तं भिक्खुपडियाए वट्टमाणे करेजा वा नो करेजा वा अह भिक्खूणं पुव्वोचदिट्ठा जाव जं तहप्पगारे उवस्सए णो ठाणं वा जाव चेतेना ॥ ६६२ ॥ आयाणमेयं भिक्खुस्स गाहावइहिं सद्धिं संवसमाणस्स इह खलु गाहावइस्स अप्पगो सअठ्ठाए विरुवरुवे भोयणजाए उवक्खडिए सिया अह पच्छा भिक्खुपडियाए असणं वा (४) उवक्खडेज वा उवकरेज वा तं च भिक्खू अभिकंखेज्जा भोत्तए वा पायए वा वियत्तिए वा अह भिक्खूणं पुव्वोवदिट्ठा जाव जं नो तहप्पगारे उवस्सए ठाणं चेतेजा ॥ ६६३ ॥ आयाणमेयं भिक्खुरस गाहावइणा सद्धिं संवसमाणस्स इह खलु गाहावइस्स अप्पणो सयठाए विरूवरूवाइं दारुयाई भिन्नपुव्वाई भवंति, अह पच्छा भिक्खुपडियाए विरूवरूवाइं दास्याइं भिदेज वा, किणेज वा पामिच्चेज वा, दारुणा वा दारुपरिणाम कटु अगणिकायं उज्जालेज वा, पज्जालेज वा, तत्थ भिक्खू अभिकंखेज वा आतावेत्तए वा, पयावेत्तए वा, वियट्टित्तए वा, अह भिक्खूणं पुव्वोवदिठ्ठा जाव जं तहप्पगारे उवस्सए णो ठाणं चेतेजा ॥ ६६४ ॥ से भिक्खू वा (२) उच्चारपासवणेणं उन्वाहिज्जमाणे राओ वा विआले वा, गाहावइकुलस्स दुवारवाहं अवंगुणेजा तेणे य तस्संधिचारी अणुपविसेज्जा, तस्स भिक्खुस्स णो कप्पइ एवं वदित्तए "अयं तेणे पविसइ वा णो वा पविसइ, उवल्लियइ वा णो वा उवल्लियइ, आवयति वा णो वा आवयति, वदति वा णो वा वदति, तेण हडं अण्णेण हडं, तस्स हडं अण्णस्स हडं, अयं तेणे अयं उवयरए, अयं हंता, अयं एत्थमकासी," तं तवस्सि भिक्खु अतेणं तेणं ति संकइ, अह भिक्खूणं पुब्बोवदिठ्ठा जाव णो चेतेज्जा ॥ ६६५ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा तणपुंजेसु पलालपुंजेसु वा, सअंडे जाव ससंताणए तहप्पगारे उवस्लए णो ठाणं वा सेज वा णिसीहियं वा चेएजा ॥ ६६६ ॥ से भिक्खू. वा (२) से जं पुण उवस्सयं जाणिजा, तणपुंजेसु वा, पलालपुंजेसु वा अप्पंडे जाव चेएजा ॥ ६६७ ॥ से आगंतारेसु वा, आरामागारेसु वा, गाहावइकुलेसु वा .. न al. Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागये [भायारे५४ परियावसहेसु वा अभिक्खणं अभिक्खणं साहम्मिएहिं ओवयमाणेहिं णो ओवएज्जा ॥ ६६८ ॥ से आगंतारेसु वा जाव परियावसहेसु वा, जे भयंतारो उड्डुवद्धियं वासा__वासियं वा कप्पं उवातिणित्ता तत्थेव भुजो भुज्जो संवसंति, अयमाउसो कालाइकंतकिरिया भवइ ।। ६६९ ॥ से आगंतारेसु वा जाव परियावसहेसु वा, जे भयंतारो उडुवद्धियं वा, वासावासियं वा, कप्पं उवातिणावित्ता तं दुगुणा दुगुणेण अपरिहरित्ता तत्थेव भुजो भुजो संवसंति, अयमाउसो इत्तरा उवठ्ठाणकिरिया यावि भवइ ॥६७०॥ इह खलु पाईणं वा पडीगं वा दाहीणं वा उदीणं वा संतेगइया सहा भवंति तंजहा गाहावइ वा जाव कम्मकरीओ वा तेसि च णं आयारगोयरे णो सुणिसंते भवइ तं सदहमाणेहि, तं पत्तियमाणेहि, तं रोयमाणेहिं वहवे समणमाहणअतिहिकिवणवणीमए समुद्दिस्स तत्थ तत्थ अगारीहिं अगाराइं चेतिआई भवंति, तंजहाआएसणाणि वा आयतणाणि वा देवकुलाणि वा सहाओ वा पवाणि वा पणियगिहाणि वा पणियसालाओ वा जाणगिहाणि वा जाणसालाओ वा सुहाकम्मंताणि वा ब्भकम्मंताणि वा वद्धकम्मंताणि वा, वकयकम्मंताणि वा, वणकम्मंताणि वा इंगालकम्मंताणि वा कछुकम्मंताणि वा सुसाणकम्मंताणि वा संति कम्मंताणि वा सुण्णागारकम्मंताणि वा गिरिकम्मंताणि वा कंदराकम्मंताणि वा सेलोवठ्ठाणकम्मंताणि वा भवणगिहाणि वा जे भयंतारो तहप्पगाराइं आएसणाणि वा जाव भवणगिहाणि वा तेहिं ओवयमाणेहिं ओवयंति, अयमाउसो अभिकंतकिरिया या वि भवइ ॥६७१॥ इह खलु पाईणं वा पडीणं वा दाहिणं वा उदीणं वा संतेगइया सड्ढा भवंति जाव तं रोयमाणेहिं बहवे समण जाव वणीमए समुद्दिस्स, तत्य २ अगारीहिं अगाराई चेतिआई भवंति, तंजहा-आएसणाणि वा जाव भवणगिहाणि वा जे भयंतारो तहप्पगाराई आएसणाणि वा जाव भवणगिहाणि वा तेहिं अणोवयमाणेहि ओवयति अयमाउसो ! अणभिकंतकिरिया या वि भवति ॥६७२॥ इह खलु पाईणं वा पढीगं वा दाहिणं वा उदीणं वा संतेगइआ सट्टा भवंति, तंजहा-गाहावइ वा जाव कम्मकरी वा, तेसिं च णं एवं वुत्तपुव्वं भवइ, “जे इमे भवंति समणा भगवंता सीलमंता जाव उवरया मेहुणधम्माओ, णो खलु एएसिं भयंताराणं कप्पइ आहाकम्मिए उवस्सए वत्थए, से जाणि इमाणि अम्हं अप्पणो सअठाए चेतिताई भवंति, तंजहा आएसणाणि वा, जाव भवणगिहाणि वा, सव्वाणि ताण समणाणं णिसिरामो अवियाई वयं पच्छा अप्पणो सअठाए चेतिस्सामो तंजहाआएसणाणि वा जाव भवणगिहाणि वा, एयप्पगारं णिग्घोसं सोचा णिसम्म ज भयंतारो तहप्पगाराइं आएसणाणि वा जाव भवणगिहाणि वा उवागच्छंति उचा Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० २-उ०३] सुत्तागमे गच्छित्ता इयराइयरेहिं पाहुडेहिं वहति अयमाउसो वजकिरिया या वि भवइ ॥६७३॥ इह खलु पाईणं वा पडीणं वा दाहीणं वा उदीणं वा संतेगइया सड्ढा भवंति तेसि च णं आयारगोयरे णो सुणिसंते भवइ, जाव तं रोयमाणेहिं बहवे समण जाव वणीमए पगणिय २ समुद्दिस्स तत्थ २ अगारीहिं अगाराइं चेतिताइं भवंति तंजहाआएसणाणि वा जाव भवणगिहाणि वा जे भयंतारो तहप्पगाराइं आएसणाणि वा जाव भवणगिहाणि वा उवागच्छंति, इयराइयरेहिं पाहुडेहिं वदृति अयमाउसो महावज्जकिरिया या वि भवइ ॥६७४॥ इह खलु पाईणं वा पडीणं दाहिणं वा उदीणं वा संतेगइया सट्टा भवंति जाव तं रोयमाणेहिं वहवे समण० जाव समुद्दिस्स तत्थ तत्थ अगारीहिं अगाराइं चेतिआई भवंति-तंजहा आएसणाणि वा जाव भवणगिहाणि वा जे भयंतारो तहप्पगाराइं आएसणाणि वा जाव भवणगिहाणि वा उवागच्छंति इयराइयरेहिं पाहुडेहिं वटंति, अयमाउसो सावजकिरिया या वि भवइ ॥ ६७५ ॥ इह खलु पाईगं वा जाव उदीणं वा संतेगइया सहा भवंति तंजहागाहावइ वा जाव कम्मकरी वा तेसि च णं आयारगोयरे णो सुणिसंते भवइ जाव तं रोयमाणेहिं एकं समणजायं समुद्दिस्स तत्थ तत्थ अगारीहिं अगाराइं चेतिताइं भवंति, तंजहा आएसणाणि वा जाव भवणगिहाणि वा, महया पुढवीकायसमारंभेणं एवं महया आउ-तेउ-बाउ-वणस्सइ-तसकायसमारंभेणं महया संरंभेणं महया आरं भेणं महया विरूवरूवेहिं पावक्रम्मेहिं तंजहा छायणओ, लेवणओ, संथारदुवारपिहणाओ, सीतोदए वा, परिठवियपुव्वे भवइ, अगणिकाए वा उज्जालियपुव्वे भवइ, जे भयंतारो तहप्पगाराइं आएसणाणि वा जाव भवणगिहाणि वा उवागच्छंति इयराइयरेहिं पाहुडेहिं वÉति दुपक्खं ते कम्मं सेवंति अयमाउसो महासावजकिरिया या वि भवइ ।। ६७६ ॥ इह खलु पाईणं वा जाव तं रोयमाणेहिं अप्पणो सअट्ठाए तत्थ २ अगारीहिं जाव भवणगिहाणि वा, महया पुढविकायसमारंभेणं जाव अगणिकाए वा उजालियपुग्वे भवइ जे भयंतारो तहप्पगाराइं आएसणाणि वा जाव भवणगिहाणि वा उवागच्छंति इयराइयरेहिं पाहुडेहिं वटुंति एगपक्खं ते कम्मं सेवंति अयमाउसो अप्पसावज्जा किरिया या वि भवइ ।। ६७७ ॥ एस खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं ।। ६७८ ॥ सेजाज्झयणस्स बीओदेसो समत्तो॥ ___ “से य णो सुलमे फासुए उंछे अहेसणिजे णो य खलु सुद्धे इमेहिं पाहुडेहि, तंजहा-छायणओ, लेवणओ संथारदुवारपिहणओ पिडवाएसणाओ से य भिक्खू चरियारए ठाणरए निसीहियारए सेज्जासंथारपिंडवाएसणारए” संति भिक्खुणो एव मक्खाइगो उज्जुया णियागपडिवन्ना अमायं कुव्वमाणा वियाहिया ॥ ६७९ ॥ संते Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [आयारे तहमा का ॥ ५ महिए, जाब आउभा देण पर गइआ पाहुडिया उक्खित्तपुव्वा भवइ एवं णिक्खित्तपुव्वा भवइ परिभाइयपुव्वा भवइ परिभुत्तपुव्वा भवइ परिठवियपुव्वा भवइ एवं वियागरेमाणे समियाए वियागरेति ? हंता भवइ ॥ ६८० ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा खुडियाओ खुडदुवारियाओ नीयाओ संनिरुद्धाओ भवंति, तहप्पगारे उवस्सए राओ वा विआले वा णिक्खममाणे वा पविसमाणे वा पुरा हत्थेण वा पच्छा पाएण वा तओ संजयामेव णिक्खमेज वा पविसेज वा, केवली वूया, 'आयाणमेयं' जे तत्थ समणाण वा माहणाण वा छत्तए वा मत्तए वा दडए वा लठुिआ वा भिसिया वा नालिया वा चेले वा चिलिमिली वा चम्मए वा चम्सकोसए वा चम्मछेदणए वा दुब्बद्धे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले भिक्खू य राओ वा वियाले वा 'णिक्खममाणे वा पविसमाणे वा पयलिज्ज वा पवडेज वा, से तत्थ पयलेमाणे वा पवडेमाणे वा, हत्थं वा पायं वा जाव इंदियजायं वा लूसेज वा, पाणाणि जाव सत्ताणि वा, अभिहणेज वा जाव ववरोवेज वा, अह भिक्खूणं पुव्वोचदिठ्ठा जाव जं तहप्पगारे उवस्सए पुरा हत्थेणं पच्छा पाएणं तओ संजयामेव णिक्खमेज वा पविसेज वा ॥ ६८१ ॥ से आगंतारेसु वा अणुवीइ उवस्लयं जाएजा, जे तत्थ ईसरे जे तत्थ समहिठ्ठाए, ते उवस्लयं अणुण्णवेजा, कामं खलु आउसो अहालंदं अहापरिण्णातं वसिस्सामो जाव आउसंतो जाव आउसंतस्स उवस्सए जाव साहम्मियाए तओ उवस्सयं गिहिस्सामो तेण परं विहरिस्सामो ॥६८२॥ से भिक्खू वा (२) जस्लुवस्सए संवसिजा तस्स णामगोयं पुवामेव जाणिज्जा तओ पच्छा तस्स गिहे णिमंतेमाणस्स अणिमंतेमाणस्स वा असणं वा (४) अफासुयं जाव णो पडिग्गाहिजा ॥ ६८३ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा ससागारियं सागणियं सउदयं णो पण्णस्स निक्खमणपवेसणाए, णो पण्णस्स वायण जाव चिताए, तहप्पगारे उवस्सए णो ठाणं वा सेजं वा निसीहियं वा चेतेजा ॥ ६८४ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा गाहावइकुलस्स मज्झं मज्झेणं गंतुं पंथए पएपएपडिबद्धं णो पण्णस्स णिक्खमण जाव चिंताए तहप्पगारे उवस्सए णो ठाणं वा सेज वा णिसीहियं वा चेतेजा ॥ ६८५ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा इह खलु गाहावइ वा जाव क्रम्मकरीओ वा अण्णमण्णमकोसंति वा जाव उद्दवेंति वा गो पण्यम्स जाव चिंताए सेवं णचा तहप्पगारे उवस्सए णो ठाणं वा जाव चेतेजा ॥ ६८६॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उवस्सयं जाणिजा इह खलु गाहावई या जाव कम्मकरीओ वा अण्णमण्णस्स गायं तेल्लेण वा घएण वा अभंगेति वा Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० २-उ० ३ ] सुत्तागमे मक्खेति वा णो पण्णस्स जाव चिंताए, तहप्पगारे उवस्सए णो ठाणं वा जाव चेतेजा ॥ ६८७ ॥ से भिक्खू वा ( २ ) से जं पुण उवस्सयं जाणिजा, इह खलु गाहावइ वा जाव कम्मकरीओ वा, अण्णमण्णस्स गायं सिणाणेण वा ककेण वा लोहेण वा वण्णेण वा चुण्णेण वा परमेण वा, आघंसंति वा पघंसंति वा उव्वलंत वा उव्वहिंति वा णो पण्णस्स णिक्खमण जाव चिताए तहप्पगारे उवस्सए णो ठाणं वा जाव चेतेजा || ६८८ ॥ से भिक्खू वा ( २ ) से जं पुण उवस्सयं जाणिजा इह खलु गाहावइ वा जाव कम्मकरीओ वा अण्णमण्णस्स गायं सीओद - गवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा, उच्छोलंति वा पधोवेंति वा सिचंति वा सिणावेंति वा णो पण्णस्स जाव णो ठाणं वा जाव चेतेजा ॥ ६८९ ॥ से भिक्खू वा ( २ ) से जं पुण उवस्सयं जाणिजा, इह खलु गाहावइ वा जाव कम्मकरीओ वा णिगिणा ठिआ णिगिणा उल्लीणा मेहुणधम्मं विष्णवेंति रहस्सियं वा मंतं मंतेंति णो पण्णस्स जाव णो ठाणं वा जाव चेतेजा ॥ ६९० ॥ से भिक्खू वा ( २ ) से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा आइण्णसंलिक्खं णो पण्णस्स जाव चिंताए जाव णो ठाणं वा सेजं वा निसीहियं वा चेतेजा ॥ ६९१ ॥ से भिक्खु वा ( २ ) अभिकं खेजा संथारं एसित्तए ॥ ६९२ ॥ से जं पुण संथारयं जाणिज्जा सअंडं जाव ससंताणगं तहप्पगारं संथारगं लाभे संते णो पडिगाहिज्जा ॥ ६९३ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण संथारयं जाणिजा अप्पंडं जाव संताणगं गरुयं तहप्पगारं लाभे संते णो पडिगाहिजा ॥ ६९४ ॥ से भिक्खू वा ( २ ) से जं पुण संथारगं जाणिजा, अप्पंडं जाव संताणगं लहुयं अपाडिहारियं तहप्पगारं सेजा संथारयं ला संते णो पडिगाहिजा ॥ ६९५ ॥ से भिक्खू वा ( २ ) से जं पुण संथारगं जाणिजा, अप्पंडं जाव संताणगं लहुयं पाडिहारियं णो अहावद्धं तहप्पगारं लामे संते णो पडिगाहिजा ॥ ६९६ ॥ से भिक्खु वा ( २ ) से जं पुण संथारयं जाणिज्जा अप्पंडं जाव संताणगं लहुयं पाडिहारियं अहावद्धं तहप्पगारं संथारयं जाव लाभे संते पडिगाहिजा ॥ ६९७ ॥ इच्चेयाई आयतणाई उवाइकम्म अह भिक्खु जाणिजा इमाहिं चउहिं पडिमाहिं संथारगं एसित्तए तत्थ खलु इमा पढमा पडिमा से भिक्खू वा ( २ ) उद्दिसिय उद्दिसिय संथारगं जाएजा तंजहा - इकडं वा कढिणं वा जंतुयं वा परगं वा मोरगं वा तणं वा सोरगं वा कुरूं वा कुन्वगं वा पव्वगं वा पिप्पलगं वा पलालगं वा से पुव्वामेव आलोएजा आउसो त्ति वा भगिणी त्ति वा दाहिसि मे एत्तो अण्णयरं सेथारगं ? तहप्पगारं सयं वा णं जाएजा परो वा से देना फासुयं एसणिजं लाभे संते पडिगाहिजा पढमा पडिमा ५७ Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ आयारे 3 ॥ ६९८ ॥ अहावरा दोच्चा पडिमा से भिक्खू वा (२) पेहाए संधारगं जाएजा तंजहा - गाहावई वा जाव कम्मकरिं वा पुव्वामेव आलोएजा आउसो त्ति वा भगणित्ति वा दाहिसि मे एतो अण्णयरं संथारगं ?” तहप्पगारं संथारगं सयं वा णं जाएजा परो वा से देज्जा फासूयं एसणिज्जं जाव पडिगाहिजा दोच्चा पडिमा ॥ ६९९ ॥ अहावरा तच्चा पडिमा से भिक्खू वा ( २ ) जस्सुवस्सए संवसेज्जा जे तत्थ अहासमण्णागए तंजहा - इकडेइ वा जाव पलाइवा तस्स लाभे संवसेज्जा तस्स अलाभे उक्कुडए वा निसज्जिए वा विहरेजा तच्चा पडिमा ॥ ७०० ॥ अहावरा चउत्था पडिमा से भिक्खू वा (२) अहा संथडमेव संथारगं जाइज्जा तंजहा - पुढविसिलं कट्ठसिलं वा, अहा संथडमेव तस्स लाभे संते संवसेज्जा, अलाभे उक्कडुए वा निसजिए वा विहरेज्जा, चउत्था पडिमा ॥७०१৷ इच्चेयाणं चउन्हं परिमाणं अण्णयरं पडिमं पडिवज्जमाणे तं चेव जाव अन्नोन्नसमा - हीए एवं चणं विहरति ॥ ७०२ ॥ से भिक्खू वा (२) अभिकंखेजा संथारं पच्चप्पिणित्तए से जं पुण संथारगं जाणिजा सअंडं जाव संताणगं तहप्पगारं संथारगं णो पचप्पिणिजा ॥ ७०३ ॥ से भिक्खू वा ( २ ) अभिकंखेजा संथारगं पचप्पिपित्तए, से जं पुण संथारगं जाणिजा अप्पंडं जाव संताणगं तहप्पगारं संथारगं पडिलेहिय २ पमजिय २ आयाविय २ विधूणिय २ तओ संजयामेव पञ्चप्पिणेजा ॥ ७०४॥ से भिक्खू वा (२) समाणे वा वसमाणे वा गामाणुगामं दूइज्माणे पुव्वामेव णं पण्णस्स उच्चारपासवणभूमिं पडिलेहिजा केवली वूया 'आयाणमेयं' अपडिलेहियाए उच्चारपासवणभूमिए भिक्खु वा भिक्खुणी वा राओ वा वियाले वा उच्चारपासवर्गं परिठ्ठवेमाणे, पयलेज वा पवडेज वा से तत्थ पयलेमाणे पवडमाणे वा हत्थं व' पायं वा जाव लूसिज्जा पाणाणि वा ४ जाव ववरोवेजा, अह भिक्खूर्ण पुव्वोवदिठ्ठा जाव जं पुव्वामेव पण्णस्स उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेजा ॥ ७०५ ॥ से भिक्खू वा (२) अभिकखेज्जा सेज्जासंथारगभूमि पडिले हित्तए णण्णत्य आयरिएण वा उवज्झाएण वा जाव गणावच्छेएण वा वालेण वा वुड्ढेण वा सेहेण वा गिलाणेण वा आएसेण वा अंतेण वा मज्झेण वा समेण वा विसमेण वा पवाएण वा णिवाएण वा तओ संजयामेव पडिले हिय २ पमजिय २ तओ संजयामेव बहुफामुयं सिज्जासंथारगं संथरिज्जा ॥ ७०६ ॥ से भिक्खू वा (२) बहुफासुयं सेज्जासंथारगं संथरित्ता अभिकंखेज्जा, बहुफासुए सेज्जासंबारए दुरुहित्तए ॥ ७०७ ॥ से भिक्ष्व् वा (२) बहुफासुए सेज्जासंथारए दुरुहमाणे से पुव्वामेव ससीसोवरियं कार्यं पाए य पमजिय २ तओ संजयामेव बहुफासुए सिज्जासंवारगे दुरुहित्ता तओ संज ५८ Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० ३-उ०१] सुत्तागमे यामेव बहुफासुए सेज्जासंथारए सएज्जा ॥ ७०८ ॥ से भिक्खू वा (२) बहुफासुए सेज्जा संथारए सयमाणे णो अण्णमण्णस्स हत्थेण हत्थं पाएण पायं काएण कार्य, आसाएजा, से अणासायमाणे तओ संजयामेव बहुफासुए सेज्जासंथारए सएज्जा ॥ ७०९ ॥ से भिक्खू वा (२) उस्सासमाणे वा णीसासमाणे वा कासमाणे वा छीयमाणे वा जंभायमाणे वा उड्दुए वा वायणिसग्गे वा करेमाणे पुव्वामेव आसयं वा पोसयं वा पाणिणा परिपिहित्ता तओ संजयामेव ऊससेज वा जाव वायणिसग्गं वा करेजा, ।। ७१० ॥ से भिक्खू वा (२) समावेगया सेज्जा भवेजा, विसमा वेगया सेजा भवेजा, पवाता वेगया सेजा भवेजा, णिवाता वेगया सेजा भवेज्जा, ससरक्खा वेगया सेना भवेजा, अप्पससरक्खा वेगया सेज्जा भवेजा, सदंसमसगा वेगया सेज्जा भवेजा, अप्पदंसमसगा वेगया सेज्जा भवेज्जा, सपरिसाडा वेगया सेजा भवेजा, अपरिसाडा वेगया सेज्जा भवेजा, सउवसग्गा वेगया सेज्जा भवेजा, णिस्वसग्गा वेगया सेना भवेजा, तहप्पगाराहिं सेजाहिं संविजमाणाहिं पग्गहिततरागं विहारं विहरेजा, णो किचिवि गिलाएजा ॥ ७११॥ एस खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गिय ज सव्वठेहिं सहिए सया जएज्जासि त्ति बेमि ॥ ७१२ ॥ सेजाज्झयणस्स तइओद्देसो समत्तो॥ ॥ सेजाणामविइयमज्झयणं समत्तं ॥ “अब्भुवगए खलु वासावासे अभिपचुढे वहवे पाणा अभिसंभूया, वहवे बीयाअहुणुन्भिन्ना, अंतरा से मग्गा, वहुपाणा वहुवीया, जाव संताणगा, अणभिकंता पंथा णो विण्णाया मग्गा” सेवं णचा णो गामाणुगामं दूइजेजा, तओ सजयामेव वासावासं उवल्लिएज्जा ॥ ७१३ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण जाणिज्जा गामं वा जाव रायहाणिं वा, इमंसि खलु गामंसि रायहाणिसि वा णो महती विहारभूमी णो महती विचारभूमी, णो सुलभे पीढफलगसेज्जासंथारए णो सुलभे फासुए उञ्छे अहेसणिजे वहवे जत्थ समणमाहणअतिहिकिवणवणीमगा उवागया उवागमिरसंति य अच्चाइण्णा वित्ती णो पण्णस्स निक्खमणपवेसाए जाव धम्माणुओगचिताए सेवं णच्चा तहप्पगारं गाम वा णगरं वा जाव रायहाणिं वा णो वासावासं उवल्लिएजा ।। ७१४ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण जाणिज्जा गाम वा जाव रायहाणि वा, इमंसि खलु गामंसि वा रायहाणिसि वा महती विहारभूमी महती विचारभूमी सुलभे जत्थ पीढफलगसेजासंथारए सुलभे फासुए उंच्छे अहेसणिजे णो जत्थ वहवे समण Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६० सुत्तागमे [ आयारे जाव उवागया उवागमिस्संति य अप्पाण्णा वित्ती जाव रायहाणिंसि वा तओ संजयामेव वासावासं उवल्लिएजा ॥ ७१५ ॥ अह पुण एवं जाणिजा चत्तारि मासा वासावासाणं वीइकंता हेमंताण य पंचदसरायकप्पे परिवुसिए अंतरा से मग्गा बहुपाणा जाव संताणगा णो जत्थ बहवे समण जाव उवागया उवागमिस्संति य सेवं चाणो गामाणुगामं दूइजेजा ॥७१६॥ अह पुण एवं जाणिजा चत्तारि मासा वासा वासाणं वीइकंता हेमंताण य पंच दस रायकप्पे परिवुसिए, अंतरा से मग्गा अप्पंडा जाव असंताणगा बहवे जत्थ समण जाव उवागमिस्संति य सेवं णच्चा तओ संजयामेव गामाणुगासं दूइज्जिज्जा ॥ ७१७ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइजमाणे पुरओ जुगमायं पेहमाणे दट्ठूण तसे पाणे उद्धट्टु पायं रीएजा साहद्रु पायं रीएज्जा उक्खिप्पपायं रीएजा तिरिच्छं वा कट्टु पायं रीएजा सति परकमे संजतामेव परिक्कमेजा णो उज्जुयं गच्छेजा, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइजेज्जा ॥ ७१८ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइज्माणे अंतरा से पाणाणि वा वीयाणि वा हरियाणि वा उदए वा मट्टिया वा अविद्धत्थे सइ परक्कमे जाव णो उज्जयं गच्छेजा, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइजेजा ॥ ७१९ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइजमाणे अंतरा से विरूवरूवाणि पचतिकाणि दस्सुगायतणाणि मिलक्खूणि अणायरियाणि दुस्सन्नप्पाणि दुप्पण्णवणिजाणि अकालपडिवोहीणि अकालपरिभोईणि सति लाढे विहाराए संथरमाणेहिं जाणवएहिं णो विहारवत्तियाए पवजेजा गमणाए केवली वूया 'आयाणमेयं' ते णं वाला "अयं तेणे अयं उवचरए अयं तओ आगए" त्ति कट्टु तं भिक्खुं अक्कोसेज वा जाव उद्वेज वा वत्थं पडिग्गहं कंवलं पायपुंछणं अच्छिदेज वा अभिदेज वा अवहरिज्ज वा, परिठ्ठविज्ज वा, अह भिक्खूणं पुव्वोवदिठ्ठा पइण्णा जाव जं णो तहप्पगाराणि विरूवरूवाणि पञ्चतियाणि दस्सुगायतणाणि जाव विहारवत्तियाए णो पवज्जेजा गमणाए, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइजेजा ॥ ७२० ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइजमाणे अंतरा से अरायाणि वा, गणरायाणि वा, जुवरायाणि वा, दोरज्जाणि वा, वा, विरुद्धरज्जाणि वा, सइ लाढे विहाराए संथरमाणेहिं जणवएहिं णो विहारवत्तियाए वेरजाणि पवज्जेजगमणाए, केवली वूया 'आयाणमेयं' ते णं वाला 'अयं तेणे' तं चैव जाव णो विहारखत्तियाए पवज्जेज गमणाए तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइजेजा ॥७२१॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइजमाणे अंतरा से विहं सिया से जं पुण विहं जाणिज्जा, एगाहेण वा, दुयाहेण वा, तियाहेण वा, चउयाहेण वा, पंचाहेण वा, पाउण वा, नो पाउणिज वा, तहप्पगारं विहं अणेगाहगमणिज्जं सति लाढे जाव Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० ३-उ० १] सुत्तागमे ६१ णो विहारवत्तियाए पवज्जेज्ज गमणाए, केवली वूया 'आयाणमेयं' अंतरा से वासे सिया, पाणेसु वा, पणएसुवा, वीएस वा, हरिएसु वा, उदएसु वा, मट्टियाए वा, अविद्वत्थाए, अह भिक्खुणं पुव्वोवदिठ्ठा जाव जं तहप्पगारं अणेगाहगमणिज्जं जाव णो गमणाए, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइजेज्जा गमणाए ॥ ७२२॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइजमाणे अंतरा से णावा संतारिमे उदए सिया, से जं पुण णावं जाणिजा, असंजए भिक्खुपडियाए किणेज्ज वा, पामिच्चेज वा, णाचाए वा णावं परिणामं कट्टु, थलाओ वा णावं जलंसि ओगाहेजा, जलाओ वा णावं थलंसि उक्कसेज्जा, पुण्णं वा णावं उस्सिचेज्जा, सण्णं वा गावं उप्पीलावेजा, तहप्पगारं णावं उद्धृगामिणिं वा, अहेगामिणिं वा, तिरियगामिणि वा, परं जोयणमेराए अद्धजोयणमेराए अप्पतरो वा, भुज्जतरो वा णो दुरुहेज गमणाए ॥ ७२३ ॥ से भिक्खु वा (२) पुव्वामेव तिरिच्छसंपातिमं णावं जाणिजा जाणित्ता से तमायाए एगंतमवकमिज्जा, भंडगं पडिले हिजा, पडिले हित्ता एगओ भोयणभंडगं करेजा २ ससीसोवरियं कार्यं पाए य पमज्जेज्जा पमज्जित्ता सागारियभत्तं पञ्चक्खाएजा पच्चक्खाइत्ता एवं पायं जले किच्चा एगं पायं थले किच्चा तओ संजयामेव णावं दुरुहेजा ॥ ७२४ ॥ से भिक्खु वा ( २ ) णावं दुरुहमाणे णो णावाए पुरओ दुरुहेजा, णो णावाए अग्गओ दुरुहेजा, णो णावाए मज्झतो दुरुहेजा, णो वाहाओ पगिज्झिय पगिज्झिय अंगुलिए उवदंसिय २ ओणमिय २ उष्णमिय २ णिज्झाएजा ॥ ७२५ ॥ से णं परो णावागतो णावागयं वएजा “आउसंतो समणा । एयं ता तुमं णावं उक्कसाहि वा वोक्कसाहि वा खिवाहि वा रज्जूए वा गहाय आकसाहि” णो से तं परिन्नं परिजाणेज्जा तुसिणीओ उवेहेजा ॥ ७२६ ॥ से णं परो गावागओ णावागयं वएजा “आउसंतो समणा णो संचाएसि णावं उक्कसित्तए वा वोक्कसित्तए वा खिवित्तए वा रज्जुयाए वा गहाय आक्कसित्तए आहर एतं णावाए रज्जूयं सयं चेव णं वयं णावं उक्कसिस्सामो वा जाव रज्जूए वा गहाय आकसिस्सामो” णो से तं परिण्णं परिजा जा तुसिणीओ उवेहेज्जा ॥ ७२७ ॥ से णं परो णावागओ णावागयं वएजा आउसंतो समणा एयं ता तुमं णावं आलित्तेण वा पीढेण वा वंसेण वा वलएण वा अवलुएण वा वाहेहिं णो से तं परिण्णं परिजाणिज्जा तुसिणीओ उवेहेजा ॥ ७२८ ॥ से णं परो गावागओ णावागयं वदेजा " आउसंतो समणा एवं ता तुमं णावाए उदयं हत्थेण वा पाएण वा मत्तेण वा पडिग्गहेण वा णावा उस्सिंचणेण वा उस्सिचाहि” णो से तं परिण्णं परिजाणिज्जा तुसिणीओ उवेहेजा ॥ ७२९ ॥ से णं परो णावागओ णावागयं वएजा, आउसंतो समणा एतं तो तुमं णावाए उत्तिंगं हत्थेण Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२ सुत्तागमे [ आयारे वा पाएण वा बाहुणा वा उरुणा वा उदरेण वा सीसेण वा कारण वा णावा उस्सि - चणेण चेलेण वा मट्टियाए वा कुसपत्तएण वा कुरुविंदेण वा पिहेहि" णो से तं परिण्णं परिजाणिज्जा ॥ ७३० ॥ से भिक्खू वा ( २ ) णावाए उत्तिगेणं उदयं आसवमागं पेहाए उवस्वरि णावं कज्जलावेमाणि पेहाए णो परं उवसंक्रमित्तु एवं वूया, “आउसंतो गाहावइ एयं ते णावाए उदयं उत्तिगेण आसवति, उवरुवरिं वा णावा कज्जलावेति” एतप्पगारं मणं वा वायं वा णो पुरओ कट्टु विहरेजा, अप्पुस्मुए अब हिस्से एगंतगएणं अप्पागं विउसेज समाहीए, तओ संजयामेव णावासंतारिमे उदए अहारियं रीएज्जा ॥ ७३१ ॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं जं सव्वठ्ठेहिं सहिए सदा जएजाति त्ति बेमि ॥ ७३२ ॥ इरियाज्झयणे पढमोद्देसो समत्तो ॥ से णं परो णावागओ णावागयं वदेजा, “आउसंतो समणा एयं ता तुमं छत्तगं वा जाव चम्मछेयणगं वा गिण्हाहि, एयाणि तुमं विरूवस्वाणि सत्यजायाणि धारेहि, एवं ता तुमं दारगं वा, पजेहि" णो से तं परिण्गं परिजाणिजा, तुसिणीओ उवेहेज्जा ॥ ७३३ ॥ से णं परो णावागए णावागयं वदेजा एसगं समणे णावाए भंडभारिए भवइ से णं बहाए गहाय णावाओं उदगंसि पक्खिवह" एतप्पगारं णिग्घोसं सोच्चा णिसम्म से य चीवरधारी सिया खिप्पामेव चीवराणि उव्वेढिज्ज वा णिव्वेड्डिज्ज वा उप्फेसं वा करिज्जा ॥ ७३४ ॥ अह पुण एवं जाणिज्जा अभिनंतकूरकम्मा खलु बाला बाहाहिं गहाय नावाओ उदगंसि पक्खिविजा से पुव्वामेव वएज्जा 'आउसंतो ! गाहावर ! मा` मेत्तो बाहाए गहाय णावाओ उदगंसि पक्खिवह सयं चेव णं अहं णावातो उदगंसि ओगाहिस्सामि' से णेवं वयंतं परो सहसा वलसा वाहाहिं गहाय उदगंसि पक्खिविज्जा तं णो सुमणे सिया णो दुम्मणे सिया णो उच्चावयं मणं णियंछिज्जा, णो तेसि बालाणं घातए वहाए समुट्ठिजा, अप्पुस्सुए जाव समाहिए तओ संजयामेव उदगंसि पविजा ॥ ७३५ ॥ से भिक्खू वा ( २ ) उदगंसि पवमाणे णो हत्थेण हत्थं पाएण पायं काएण कार्य आसाएजा से अणासायणाए अणासायमाणे तओ संजयामेव उदगंसि पविना ॥ ७३६ ॥ से भिक्खू वा (२) उद्गंसि पवमाणे णो उम्मुग्गणिम्मुग्गियं करिजा, मामेयं उदगं कण्णेसु वा अच्छीसु वा णक्कंसि वा मुहंसि वा परियावज्जिज्जा, तओ संजयामेव उदगंसि पविजा ॥ ७३७ ॥ से भिक्खू वा (२) उदगंसि पवमाणे दोब्बलियं पाउणिजा खिप्पामेव उवहिं विगिचिज्ज वा विसोहिज्ज वा, जो चेवणं सातिजिजा अह पुण एवं जाणिज्जा पारए सिया उदगाओ तीरं पाडणित्तए तओ संजयामेव उदउल्लेण वा ससिणिद्धेण Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० ३-उ०२] सुत्तागमे ६३ वा काएण उदगतीरे चिठ्ठिज्जा ॥ ७३८ ॥ से भिक्खू वा (२) उदउल्लं वा ससिणिद्धं वा काय णो आमजिज वा पमजिज वा संलिहिज वा णिल्लिहिज्ज वा उन्वलिज वा उव्वट्टिज वा, आयाविज पयाविज वा, अह पु० विगओदओ मे काए छिन्नसिणेहे काए त० आ० पयाविज्ज वा० तओ संजयामेव गामाणुगाम दूइजेजा ॥ ७३९ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइज्जमाणे णो परेहिं सद्धिं परिजविय परिजविय गामाणुगामं दूइन्जिजा, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइजिजा ॥ ७४० ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइजमाणे अंतरा से जंघासंतारिमे उदए सिया से पुवामेव ससीसोवरियं कायं पादे य पमजेजा से पुत्वामेव पमजित्ता एगं पायं जले किच्चा एगं पायं थले किच्चा तओ संजयामेव जंघासंतारिमे उदए अहारियं रीएजा ॥ ७४१॥ से भिक्खू वा (२) जंघासंतारिमे उदगे अहारियं रीयमाणे णो हत्येण वा हत्थं पाएण वा पायं काएण वा कायं आसाएज्जा, से अणासायए अणासायमाणे तओ संजयामेव जंघासंतारिमे उदए अहारियं रीएजा ॥ ७४२ ॥ से भिक्खू वा (२) जंधासंतारिमे उदए अहारियं रीयमाणे णो सायावडियाए णो परिदाहवडियाए महइ महालयंसि उदगंसि कायं विउसिजा, तओ संजयामेव जंघार्सतारिमे उदए अहारियं रीएज्जा, अह पुण एवं जाणिज्जा पारए सिया उदगाओ तीरं पाउणित्तए तओ संजयामेव उदउल्लेण वा ससिणिद्धेण वा काएण उदगतीरे चिठेजा ॥ ७४३ ॥ से भिक्खू वा (२) उदउलं वा कार्य ससिणिद्धं वा कायं णो आमज्जेज वा पमजेज वा, अह पुण एवं जाणिज्जा विगतोदए मे काए छिण्णसिणेहे तहप्पगारं कायं आमजेज वा जाव पयावेज वा, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइजेजा ॥ ७४४ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइजमाणे णो मट्टियामएहिं पाएहिं हरियाणि छिंदिय २ विकुन्जिय २ विफालिय २ उम्मग्गेणं हरियवहाए गच्छेना “जहेयं पाएहिं मट्टियं खिप्पामेव हरियाणि अवहरंतु" माइठ्ठाणं संफासे णो एवं करेजा से पुवामेव अप्पहरियं मग्गं पडिलेहेजा, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा ।। ७४५ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगाम दूइजमाणे अंतरा से वप्पाणि वा, फलिहाणि वा, पागाराणि वा, तोरणाणि वा, अग्गलाणि वा, अग्गलपासगाणि वा, गड्ढाओ वा, दरीओ वा, सइ परक्कमे संजयामेव परकमेजा, णो उजुयं गच्छेजा, केवली वूया 'आयाणमेयं से तत्थ परकममाणे पयलेज वा पवडेज वा ॥ ७४६ ॥ से तत्थ पयलमाणे वा, पवडेमाणे वा, रुक्खाणि वा, गुच्छाणि वा, गुम्माणि वा, लयाओ वा, वल्लीओ वा, तणाणि वा, गहणाणि वा, में हरियाणि वा, अवलंबिय २ उत्तरेजा, जे तत्थ पाडिपहिया उवागच्छंति, ते पाणी . . Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [आयारे सुत्तागमे जाएजा, तओ संजयामेव अवलंबिय २ उत्तरेजा, तओ गामाणुगामं दूइजेजा ॥ ७४७ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से जवसाणि वा, सगडाणि वा, रहाणि वा, सचक्काणि वा, परचक्काणि वा, से णं वा विरूवरूवं संणिरुद्ध पेहाए सइ परक्कमे संजयामेव णो उज्जुयं गच्छेजा ॥ ७४८ ॥ से णं परो सेणागओ वएजा, आउसंतो एसगं समणे सेणाए अभिनिवारियं करेइ, से णं वाहाए गहाय आगसह सेणं परो वाहाहि गहाय आगसेज्जा, तं गो सुसणे सिया जाव समाहीए तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा ॥ ७४९ ॥ से भिक्खू वा (२) अंतरा से पाडिपहिया उवागच्छेजा तेणं पाडिपहिया एवं वदेजा आउसंतो समणा केवइए एस गामे वा रायहाणी वा केवइया एत्थ आसा हत्थी गामपिंडोलगा मणुस्सा परिवसति ? से वहुभत्ते बहुउदए बहुजणे वहुजवसे से अप्पुदए अप्पभत्ते अप्पजणे अप्पजवसे, एयप्पगाराणि पसिणाणि पुठ्ठो वा अपुट्ठो वा णो आइक्खेजा, एतप्पगाराणि पसिणाणि णो पुच्छेजा ॥ ७५० ॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुगीए वा सामग्गियं ॥ ७५१ ॥ इरियाज्झयणे बीओद्देसो समत्तो॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइजमाणे अंतरा से वप्पाणि वा, फलिहाणि वा, पागाराणि वा, जाव दरीओ वा, कूडागाराणि वा, पासादाणि वा, णूमगिहाणि चा, रुक्खगिहाणि वा, पव्वयगिहाणि वा, आएसणाणि वा, जाव भवणगिहाणि वा, णो वाहाओ पगिज्झिय २ अंगुलियाए उद्दिसिय २ ओ०२ उण्णमिय २ णिज्झाएजा, तओ संजयामेव गामाणुगाम दूइजेजा ॥ ७५२ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगाम दृइज्जमाणे अंतरा से कच्छाणि वा, दवियाणि वा, णूमाणि वा, वलयाणि वा, गहणाणि वा, गहणविदुग्गाणि वा, वणाणि वा, वणपव्वयाणि वा, पव्वतविदुग्गाणि वा, पव्वतगिहाणि वा, अगडाणि वा, तलागाणि वा, दहाणि वा, णदीओ वा, वावीआ वा, पुक्खरणीओ वा, दीहियाओ वा, गुंजालियाओ वा, सराणि वा, सरपंतियाणि वा, सरसरपंतियाणि वा, णो वाहाओ पगिज्झिय जाव णिज्झाएजा, केवली बूया 'आयाण-मेयं' जे तत्थ मिगा वा, पसू वा, पक्खी वा, सिरीसिवा वा, सीहा वा, जलचरा वा, थलचरा वा, खहचरा वा, सत्ता ते उत्तसेज वा, वित्तसेज वा, वाड वा सरगं वा कंखेजा, “चारित्ति मे अयं समणे" अह भिक्खूणं पुव्वोवदिठ्ठा एस पदण्णा जंणो वाहाओ पगिज्झिय २ जाव णिज्झाएजा, तओ संजयामेव आयरिय उज्याएहि सद्धिं गामाणुगामं दूइजेजा ॥ ७५३ ॥ से भिक्खू वा (२) आयरियउवज्ञाएहिं सद्धिं गामाणुगामं दूइजमाणे, णो आयरियउवज्झायस्स हत्थेण वा हत्ये जाव अणासायमाणे तओ संजयामेव आयरियउवज्झाएहिं सद्धि जाव दूर manimaALALPURBELIERNA Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० भ० ३-उ० ३] सुत्तागमे ज्जिज्जा ॥ ७५४ ॥ से भिक्खू वा (२) आयरियउवज्झाएहिं सद्धि दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया उवागच्छेजा, ते णं पाडिपहिया से एवं वएज्जा “आउसंतो समणा के तुन्भे ? कओ वा एह ? कहिं वा गच्छिहिह” जे तत्थ आयरियउवज्झाए से भासेज वा, वियागरेज वा, आयरियोवज्झायस्स भासमाणस्स वा वियागरेमाणस्स वा णो अंतराभासं करेजा, तओ संजयामेव अहारातिणिए वा० दूइज्जेज्जा ॥ ७५५॥ से भिक्खू वा (२) अहारातिणियं गामाणुगामं दूइज्जमाणे णो अहारातिणियस्स हत्थेण हत्यं जाव अणासायमाणे तओ संजयामेव अहारातिणियं गामागुगाम दूइजिज्जा ॥ ७५६ ॥ से भिक्खू वा (२) अहारातिणियं दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया उवागच्छेज्जा, ते णं पाडिपहिया एवं वदेज्जा, आउसंतो समणा के तुमे ? कओ वा एह ? कहिं वा गच्छिहिह ? जे तत्थ सव्वरातिणिए से भासेज्ज वा वागरेज वा अहारातिणियस्स भासमाणस्स वियागरेमाणस्स वा णो अंतराभासं भासेज्जा, तओ संजयामेव अहाराइणियाए गामाणुगामं दूइजिज्जा ॥ ७५७ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगाम दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया आगच्छेजा, ते णं पाडिपहिया एवं वदेजा “आउसंतो समणा ! अवियाइं एत्तो पडिपहे पासह तंजहामणुस्सं वा गोणं वा महिसं वा पसु वा पक्खि वा, सिरीसिवं वा जलयरं वा से आइक्खह दंसेह" तं णो आइक्खेज्जा णो दंसेज्जा णो तेसिं तं परिणं परिजाणिज्जा, तुसिणीओ उवेहेजा, जाणं वा, णो जाणंति वएज्जा, तओ संजयामेव गामागुगामं दूइजेज्जा ॥ ७५८ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया आगच्छेजा ते णं पाडिपहिया एवं वएज्जा “आउसंतो समणा अवियाइं एत्तो पडिपहे पासह उदगपसूयाणि कंदाणि वा मूलाणि वा तयाणि वा पत्ताणि वा पुष्पाणि वा फलाणि वा बीयाणि वा हरियाणि वा उदगं वा संणिहियं अगणिं वा संणिक्खित्तं, सेसं तं चेव से आइक्खह, जाव दूइज्जेज्जा ॥ ७५९ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया उवागच्छेज्जा ते णं पाडिपहिया एवं वएज्जा, आउसंतो समणा अवियाइं एत्तो पडिपहे पासह, जवसाणि वा, जाव से णं वा, विरूवरूवं संणिविठ्ठ, से आइक्खह जाव दूइजिज्जा ॥ ७६० ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया जाव “आउसंतो समणा ! केवइए एत्तो गामे वा जाव रायहाणी वा से आइक्खह जाव दूइजिज्जा ॥ ७६१ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइजमाणे अंतरा से पाडिपहिया जाव “आउसंतो समणा केवइए एत्तो गामस्स णगरस्स वा जाव रायहाणीए वा मग्गे, से आइक्खह तहेव जाव दूइजिज्जा ॥ ७६२ ॥ से भिक्खु वा ५ सुत्ता. Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [आयारे(२) गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से गोणं वियालं पडिपहे पेहाए जाव चित्तचिलंडं वियालं पडिपहे पेहाए णो तेसि भीओ उम्मग्गेणं गच्छेज्जा, णो मग्गाओ उम्मग्गं संकमिज्जा, णो गहणं वा वणं वा दुग्गं वा अणुपविसेजा, णो रुक्खंसि दुरुहेज्जा, णो महइमहालयंसि उदयंसि कायं विउसेजा, णो वाडं वा सरणं वा सेणं वा सत्थं वा कंखेज्जा, अप्पुस्सुए जाव समाहीए तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जिज्जा ॥ ७६३ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से विहं सिया से जं पुण विहं जाणिज्जा, इमंसि खलु विहंसि वहवे आमोसगा उवगरणपडियाए संपिंडिया गच्छेजा, णो तेसिं भीओ उम्मग्गेण गच्छेज्जा, जाव समाहीए तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइजिजा ॥ ७६४ ॥ से भिक्खु वा (२) गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से आमोसगा संपिंडिया गच्छेजा ते णं आमोसगा एवं वदेजा, आउसंतो समणा, आहर एवं वत्थं वा पायं वा कंवलं वा पायपुंछणं वा देहि णिक्खिवाहि, तं णो देजा णिक्खिवेजा, णो वंदिय २ जाएज्जा, णो अंजलिं कह जाएजा, णो कलुणपडियाए जाएजा, धम्मियाए जाएजा, तुसिणीयभावेण वा उवेहिज्जा, ते णं आमोसगा 'सयं करणिज्ज' त्ति कट्ठ, अकोसंति वा जाव उवद्दवंति वा वत्थं वा पायं वा कंबलं वा पायपुंछणं अच्छिदेज वा, जाव परिठवेज वा, तं णं णो गामसंसारियं कुज्जा, णो रायसंसारियं कुज्जा, णो परं उवसंकमित्तु वूया, आउसंतो गाहावइ एए खलु मे आमोसगा उवगरणपडियाए सयं करणिजं त्ति कट्ठ अमोसंति वा जाव परिठवेंति वा, एयप्पगारं मगं वा वयगं वा णो पुरओ कट्ट विहरेजा, अप्पुस्सुए जाव समाहीए तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा ॥ ७६५ ॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं, जं सव्वछेहिं सहिए सया जएजासि त्ति बेमि ॥ ७६६ ॥ इरियाज्झयणस्ल तइओद्देसो समतो॥ तइयं इरियाज्झयणं समत्तं ॥ से भिक्खू वा (२) इमाई वयायाराइं सोचा 'णिसम्म इमाइं अणायाराई अगायरियपुव्वाइं जाणिज्जा,जे कोहा वा माणा वा मायाए वा लोहा वा वायं विउंजति, जागओ वा फल्सं वयंति, अजाणओ वा फरसं वयंति, सव्वमेयं सावजं वजेजा, विवेगमायाए ॥७६७॥ धुवं चेयं जाणिजा, अधुवं चेयं जाणिज्जा, असणं वा (४) लभिय णो लभिय, भुंजिय णो भुजिय, अदुवा आगए णो आगए, अदुवा एइ जो एइ, अदुवा एहिति णो एहिति, एत्थवि आगए णो आगए, एत्थवि एइ णो एइ, एत्यवि एहिति णो एहिति ॥ ७६८ ॥ अणुवीइ णिठ्ठाभासी, समियाए संजए भास भासेना, तंजहा-एगवयणं, दुवयणं, बहुवयणं, इत्थिवयणं, पुरिसवयणं, णपुंसगवयण, Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० ४- उ० १] सुत्तागमे अज्झत्थवयणं, उवणीयवयणं, अवणीयवयणं, उवणीयावणीयवयणं, अवणीयोवणीयवयणं, तीयवयणं, पडुप्पन्नवयणं, अणागयवयणं, पच्चक्खवयणं, परोक्खवय ॥ ७६९ ॥ से एगवयणं वदिस्सामीति एगवयणं वएज्जा, जाव परोक्खवयणं वइस्सामीति परोक्खवयणं वएजा, इत्थी वेस पुरिसो वेस, णपुंसगं वेस, एवं वा चेयं, अण्णं वा चेयं, अणुवीर गिठ्ठाभासी, समियाए संजए भासं भासिजा, इच्चेयाई आयतणाई उवातिक्रम्म ॥ ७७० ॥ अह भिक्खू जाणिज्जा चत्तारि भासजायाई, तंजा - सच्चमेगं पढमं भासजायं, वीयं मोसं, तइयं सच्चामोस, जं णेव सच्चं व मोसं नेव सच्चामोस “असच्चामोसं" णाम तं चत्यं भासजातं ॥ ७७१ ॥ से बेमि जे अतीता जे य पडुप्पन्ना जे य अणागया अरहंता भगवंतो सव्वे ते एयाणि चेव चत्तारि भासाजायाई भासिंसु वा भासंति वा भासिस्संति वा, पण्णविसु वा, पण्णवेंति वा, पण्णविस्संति वा, सव्वाईं च णं एयाइं अचित्ताणि वण्णसंताणि गंधमंताणि रसमंताणि फासमंताणि चभवचइयाइँ विपरिणामधम्माई भवतीति समक्खायाई ॥ ७७२ ॥ से भिक्खू वा ( २ ) पुव्विं भासा अभासा भासमाणा भासा भासा, भासासमयविइकंता च णं भासिया भासा अभासा ॥७७३॥ से भिक्खू वा (२) जाय भासा सच्चा, जाय भासा मोसा, जाय भासा सच्चामोसा, जाय भासा असच्चामोसा, तहप्पगारं भासं सावजं सकिरियं कक्कसं कडुयं निठुरं फरुसं अण्यकरि छेयणभेयणकरिं परितावणकरिं उद्दवकरिं भूतोवघाइयं अभिकख भासं णो भासेजा ॥ ७७४ || से भिक्खू वा ( २ ) जाय भासा सच्चा सुहुमा जाय भासा असन्चामोसा तहप्पगारं भासं असावज्जं अकिरियं जाव अभूतोवघाइयं अभिकख भासं भासेज्जा, अदुवा य पुमं आमंतेमाणे आमंतिते वा अपडिसुणेमाणं णो एवं वएज्जा, होले ति वा गोले त्ति वा वसुले त्ति वा कुपक्खे त्ति वा घडदासे त्ति वा सात्ति वा तेणेत्ति वा चारिए त्ति वा माईत्ति वा मुसावाई त्ति वा एयाई तुमं ते जणगा वा, एतप्पगारं भासं सावज्जं सकिरियं जाव अभिकंख नो भासेज्जा ॥ ७७५ ॥ से भिक्खू वा (२) पुमं आमंतेमाणे आमंतिए वा अपडिसुणेमाणे एवं वएज्जा, अमुगे त्ति वा आउसोत्ति वा आउसंतोत्ति वा सावगे त्ति वा उपासगेत्ति वा धम्मिएत्ति वा धम्मपियेत्ति वा एयप्पगारं भासं असावज्जं जाव अभूतोवघाइयं अभिकंख भासेजा ॥ ७७६ ॥ से भिक्खू वा ( २ ) इत्थि आमंतेमाणे आमंतिए य अपडिसुणेमाणीं नो एवं वएज्जा, होली इ वा गोली इ वा इत्थीगमेगं तव्वं ॥ ७७७ ॥ से भिक्खू वा ( २ ) इत्थियं आमंतेमाणे आमंतिए य अपडिसुणेमाणीं एवं वएज्जा, आउसि त्ति वा भगिणित्ति वा भगवइ त्ति वा साविगे त्ति वा उवासिए त्ति वा धम्मिए ि ६७ Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भायारे वा धम्मपियेत्ति वा एतप्पगारं भासं असावजं जाव अभिकंख भासेजा ॥ ७७८ ॥ से भिक्खू वा (२) णो एवं वएजा, णभोदेवेत्ति वा गजदेवेत्ति वा विजुदेवे त्ति वा पवुठ्ठदेवेत्ति वा निवुठ्ठदेवेत्ति वा पडउ वा वासं मा वा पडउ णिप्फजउ वा सस्सं मा वा णिप्फजउ विभाउ वा रयणी मा वा विभाउ उदेउ वा सूरिए मा वा उदेउ सो वा राया जयउ मा वा जयउ णो एतप्पगारं भासं भासिज्जा, पण्णवं ॥ ७७९ ॥ से भिक्खू वा (२) अंतलिक्खेत्ति वा गुज्झाणुचरिएत्ति वा संमुच्छिए वा णिवइए वा पओवएजा वा वुठूबलाहगेत्ति वा ॥७८०॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं जं सव्वहिं समिए सहिए सया जएजासि त्ति बेमि ॥ ७८१ ॥ भासाज्झयणस्स पढमोद्देसो समत्तो॥ ___ से भिक्खू वा (२) जहा वेगइयाइं रूवाइं पासेज्जा तहावि ताई णो एवं वएज्जा, तंजहा-गंडी गंडीति वा, कुछी कुठ्ठीति वा, जाव महुमेहुणीति वा, हत्थछिन्नं हत्थछिन्नेत्ति वा, एवं पादणक्ककण्णउच्छिण्णेति वा । जे या वण्णे तहप्पगारा एयप्पगाराहिं भासाहिं वुइया वुझ्या कुप्पंति माणवा, तेयावि तहप्पगाराहिं भासाहिं अभिकंख णो भासेज्जा ॥ ७८२ ॥ से भिक्खू वा (२) जहा वेगइयाई रूवाइं पासिज्जा तहावि ताई एवं वएज्जा तंजहा-ओयंसी ओयंसीति वा, तेयंसी तेयंसी ति वा, वच्चंसी वच्चंसीति वा, जसंसी जसंसीति वा, अभिरूवं अभिरूवेति वा पडिरूवं पडिरूवेति वा, पासाइयं पासाइयंति वा दरिसणिज्जं दरिसणीएति वा, जेया वण्णे तहप्पगारा एयप्पगाराहिं भासाहिं वुइया वुझ्या णो कुप्पंति माणवा, तेयावि तहप्पगारा एयप्पगाराहिं भासाहिं अभिकंख भासिज्जा । तहप्पगारं भासं असावजं जाव भासेज्जा ॥ ७८३ ॥ से भिक्खू वा (२) जहा वेगइयाई रूवाइं पासेज्जा तंजहावप्पाणि वा जाव भवणगिहाणि वा, तहावि ताई णो एवं वएजा, तंजहा-सुकडे इ वा सुठुकडे इ वा साहुकडे इ वा कल्लाणे इ वा करणिज्जे इ वा एयप्पगार भास सावजं जाव णो भासेज्जा ॥ ७८४ ॥ से भिक्खू वा (२) जहा वेगइयाई त्वाइं पासेज्जा, तंजहा-वप्पाणि वा जाव भवणगिहाणि वा तहावि ताई एव वएज्जा, तंजहा-आरंभकडेइ वा सावज्जकडे इ वा पयत्तकडे इ वा पासाइय पासाइएत्ति वा दरिसणीयं दरिसणीएत्ति वा अभिरूवं अभिरूवेत्ति वा पडिरूवं पडिहवेत्ति वा एयप्पगारं भास असावजं जाव भासेजा ॥७८५ ॥ से भिक्खू वा (२) असगं वा (४) उवक्खडियं पेहाए तहाविहं तं णो एवं वएजा, तंजहा-सुकडेत्ति वा मुळूकडे इ वा साहुकडे इ वा कलाणे इ वा करणिजे इ वा एयप्पगारं भासं सावज जावणो भासेना ॥ ७८६ ॥ से भिक्खू वा (२) असणं वा (४) उवक्खडिय त्वाई पासेजा, णो भासेज्जा ॥ ४ा कल्लाणे इ वा करण Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० ४-उ० २] सुत्तागमे पेहाए एवं वएजा, तंजहा-आरंभकडे त्ति वा सावजकडे त्ति वा पयत्तकडेत्ति वा भयं भद्दए त्ति वा ऊसद ऊसढे त्ति वा रसियं रसिए त्ति वा मणुण्णं मणुण्णे त्ति वा एयप्पगारं भासं असावजं जाव भासेजा ॥ ७८७ ॥ से भिक्खू वा (२) मणुस्सं वा गोणं वा महिसं वा मिगं वा पसु वा पक्खि वा सरीसिवं वा जलयरं वा से तं परिवूढकायं पेहाए गो एवं वएजा थूलेइ वा पमेइलेइ वा चढेइ वा वज्झे इ वा पाइमे इ वा एयप्पगारं भासं सावजं जाव णो भासिज्जा ॥ ७८८ ।। से भिक्खू वा (२) मणुस्सं जाव जलयरं वा से तं परिवूढकायं पेहाए एवं वएजा, परिवूढकाएत्ति वा, उवचियकाए त्ति वा थिरसंघयणेत्ति वा उवचियमंससोणिएत्ति वा बहुपडिपुण्णइंदिएत्ति वा एयप्पगारं भासं असावजं जाव भासिज्जा ॥ ७८९ ॥ से भिक्खू वा (२) विरूवरूवाओ गाओ पेहाए णो एवं वएजा, तंजहा-गाओ दोज्झाओ त्ति वा दम्मेत्ति वा गोरहत्ति वा वाहिमत्ति वा रहजोग्गत्ति वा एयप्पगारं भासं सावज जाव णो भासिज्जा ॥ ७९० ॥ से भिक्खू वा (२) विरूवरुवाओ गाओ पेहाए एवं वएजा तंजहा-जुवंगवेत्ति वा घेणु त्ति वा रसवइ त्ति वा हस्से इ वा महल्लए इ वा महव्वए इ वा संवहणि त्ति वा एयप्पगारं भासं असावजं जाव अभिकंख भासिज्जा ॥ ७९१ ॥ से भिक्खू वा (२) तहेव गंतुमुजाणाई पन्वयाई वणाणि वा रुक्खा महल्ला पेहाए णो एवं वएजा, तंजहा-पासायजोग्गा ति वा तोरणजोग्गाति वा गिहजोग्गा इ वा फलिहजोग्गाइ वा अग्गल-नावा-उदगदोणि-पीढ-चंगबेर-णंगल-कुलिय-जंतलठ्ठीणाभि-गंडी-आसण-सयण-जाण-उवस्सय-जोग्गा इ वा, एयप्पगारं भासं सावजं जाव णो भासिजा ॥ ७९२ ॥ से भिक्खू वा (२) तहेव गंतुमुज्जाणाइं पन्चयाणि वणाणि य रुक्खा महल्ला पेहाए एवं वएज्जा, तंजहा-जातिमंता इ वा दीहवट्टा इ वा महालया इ वा पयायसाला इ वा विडिमसाला इ वा पासाइया इ वा जाव पडिरूवा इ वा एयप्पगारं भासं असावजं जाव अभिकंख भासिज्जा ॥ ७९३ ॥ से भिक्खू वा (२) वहुसंभूया वणफला पेहाए तहावि ते णो एवं वएज्जा तंजहा-पक्का ति वा पायक्खज्जाइ वा वेलोइयाति वा टालाइ वा वेहिया इ वा एयप्पगारं भासं सावजं जाव णो भासिज्जा ॥ ७९४ ॥ से भिक्खू वा (२) बहुसंभूयाफला अंवा पेहाए एवं वएजा, तंजहा-असंथडा इ वा वहुणिवटिमफला इ वा बहुसंभूया इ वा भूयरूवित्ति वा एयप्पगारं भासं असावज जाव भासेज्जा ॥ ७९५॥ से भिक्खू वा (२) बहुसंभूयाओ ओसहीओ पेहाए तहावि ताओ णो एवं वएज्जा, तंजहा-पक्का इ वा नीलिया इ वा छवीड वा Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [आयारे लाइमा इ वा भज्जिमा इ वा बहुखज्जा इ वा एयप्पगारं भासं सावज जाव णो भासेज्जा ॥ ७९६ ॥ से भिक्खू वा (२) बहुसंभूयाओ ओसहीओ पेहाए तहावि एवं वएज्जा, तंजहा-रूढा इ वा बहुसंभूया इ वा थिरा इ वा ऊसढाइ वा गन्भिया इ वा पसूया इ वा ससारा इ वा एयप्पगारं असावजं जाव भासेजा ॥ ७९७॥ से भिक्खू वा (२) जहा वेगइयाइं सद्दाइं सुणेज्जा, तहावि एयाई णो एवं वएजा, तंजहा-सुसद्दे इ वा दुसद्दे इ वा एयप्पगारं सावजं जाव णो भासेज्जा, तहावि ताइं एवं वएजा, तंजहा-सुसई सुसद्दे त्ति वा दुसई दुसद्दे त्ति वा एयप्पगारं असावजं जाव भासेजा ॥ ७९८ ॥ एवं स्वाइं कण्हे त्ति वा ५ गंधाइं सुमिगंधे त्ति वा २ रसाइं तित्ताणि वा ५ फासाइं कक्खडाणि वा ८ ॥ ७९९ ॥ से भिक्खू वा (२) वंता कोहं च माणं च मायं च लोमं च अणुवीइ णिहाभासी णिसम्म भासी अतुरियभासी विवेगभासी समियाए संजए भासं भासेजा ॥ ८०० ॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं ॥ ८०१॥ भासाज्झयणे बीओद्देसो समत्तो॥ चउत्थं भासाज्झयणं समत्तं ॥ __से भिक्खु वा (२) अभिकंखेज्जा वत्थं एसित्तए, से जं पुण वत्थं जाणिज्जा, तंजहा-जंगियं-साणयं-पोत्तयं-खोमियं वा तूलकडं वा तहप्पगारं वत्थं ॥ ८०२ ॥ जे णिग्गंथे तरुणे जुगवं वलवं अप्पायंके थिरसंघयणे से एगं वत्थं धारेजा णो वितियं, जा णिग्गंथी सा चत्तारि संघाडीओ धारेजा, एग दुहत्थवित्थारं, दो तिहत्थवित्याराओ, एगं चउहत्थवित्थारं, एएहिं वत्थेहिं असंधिजमाणेहिं अह पच्छा एगमेगं संसीविजा ॥ ८०३ ॥ से भिक्खू वा (२) परं अद्धजोयणमेराए वत्थपडियाए नो अभिसंधारेजा गमणाए ॥ ८०४॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण वत्थं जाणिजा अस्सिंपडियाए एगं साहम्मियं समुद्दिस्स पाणाइं (जहा पिंडेसणाए)॥ ८०५ ॥ एवं वहवे साहम्मिया, एग साहम्मिणिं, बहवे साहम्मिणीओ, बहवे समणमाहणा, तहेव पुरिसंतरकर्ड (जहा पिंडेसणाए)॥ ८०६ ॥ से भिक्खू वा (२) से ज पुण वत्यं जाणिजा, असंजए भिक्खुपडियाए कीय वा धोयं रत्तं वा घटुं वा मठ्ठ वा संसर्ट वा संपधूमियं वा तहप्पगारं वन्यं अपुरिसंतरकडं जाव णो पडिगाहेजा, अह पुण एवं जाणिज्जा पुरिसंतरकडं जाव पडिगाहेजा ॥ ८०७ ॥ से भिक्खू वा (2) से जाई पुण वत्थाई जाणिज्जा, विरूवरूवाइं महद्धणमोल्लाइं तंजहा-आजिगागि वा, सहिणाणि वा, सहिणकल्लाणाणि वा, आयाणि वा, कायकाणि वा, गोमियाणि वा, दुगुलाणि वा, पट्टाणि वा, मलयाणि वा, पनुण्णाणि वा, अंसुयाणि Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० भ०५-उ० १] सुत्तागमे वा, चीगंसुयाणि वा, देसरागाणि वा, अमिलाणि वा, गजफलाणि वा, फालियाणि वा, कोयवाणि वा, कंबलगाणि वा, पावरणाणि वा, अण्णयराणि वा तहप्पगाराई वत्थाई महद्धणमोल्लाई लाभे संते णो पडिगाहिजा ॥ ८०८ ॥ से भिक्खू वा (२) से जाइं पुण आईणपाउरणाणि वत्थाणि जाणिज्जा, तंजहा-उद्दाणि वा पेसाणि चा, पेसलाणि वा किण्हमिगाईणगाणि वा णीलमिगाईणगाणि वा गोरमिगाईणगाणि वा कणगाणि वा कणगकंताणि वा कणगपट्टाणि वा कणगखइयाणि वा कणगफुसियाणि वा वग्घाणि वा विवग्धाणि वा आभरणाणि वा आभरणविचित्ताणि वा अण्णयराणि वा तहप्पगाराणि आईणपाउरणाणि वत्थाणि लाभे संते णो पडिगाहिजा ॥ ८०९ ॥ इच्चेझ्याइं आयतणाई उवाइकम्म अह भिक्खु जाणिजा, चउहि पडिमाहिं वत्थं एसित्तए ॥ ८१० ॥ तत्थ खलु इमा पढमा पडिमा, से भिक्खू वा (२) उद्दिसिय २ वत्थं जाएज्जा, तंजहा-जंगियं वा साणयं वा पोत्तयं वा खोमियं वा तूलकडं वा तहप्पगारं वत्थं सयं वा णं जाएजा परो वा णं देजा, फासुयं एसणीयं लाभे संते पडिगाहिजा, पढमा पडिमा ॥ ८११॥ अहावरा दोच्चा पडिमा ॥ से भिक्खू वा (२) पेहाए २ जाएजा, तंजहागाहावई वा जाव कम्मकरी वा, से पुन्वामेव आलोएजा, आउसो त्ति वा भगिणि त्ति वा, दाहिसि मे एत्तो अण्णतरं वत्थं ? तहप्पगारं वत्थं सयं वा णं जाएज्जा, परो वा से देजा, जाव फासुयं एसणीयं लामे संते पडिगाहिजा ॥ दोच्चा पडिमा, ॥ ८१२ ॥ अहावरा तच्चा पडिमा ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण वत्यं जाणिज्जा तंजहा-अंतरिजगं वा उत्तरिज्जगं वा तहप्पगारं वत्थं सयं वा णं जाएजा जाव पडिगाहिज्जा ॥ तच्चा पडिमा ॥ ८१३ ॥ अहावरा चउत्था पडिमा ॥ से भिक्खू वा (२) उज्झियधम्मियं वत्थं जाएजा, जं चऽण्णे बहवे समणमाहणअतिहिकिवणवणीमगा णावकंखति, तहप्पगारं उज्झियधम्मियं वत्थं सयं वा णं जाएजा परो वा से देजा फासुयं जाव पडिगाहेजा, चउत्था पडिमा ॥ ८१४ ॥ इच्चेयाणं चउण्हं पडिमाणं जहा पिडेसणाए ॥ ८१५ ॥ सिया णं एयाए एसणाए एसमाणं परो वएज्जा आउसंतो समणा एजाहि तुमं मासेण वा दसराएण वा पंचराएण वा सुए वा सुयतरे वा तो ते वयं आउसो अण्णयरं वत्थं दाहामो ।” तहप्पगारं णिग्योसं सोचा णिसम्म से पुवामेव आलोएज्जा आउसो त्ति वा भइणि त्ति वा णो खलु मे कप्पइ एयप्पगारे संगारे वयणे पडिसुणेत्तए अभिकंखसि मे दाउं इयाणिमेव दलयाहि, से णेवं वयंत परो वएज्जा आउसंतो समणा अणुगच्छाहि तो ते वयं अण्णतरं वत्थं दाहामो से पुवामेव आलोएज्जा Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२ सुत्तागमे [आयारेआउसो त्ति वा भइणि त्ति वा णो खलु मे कप्पइ एयप्पगारे संगारवयणे पडिनुणेत्तए, अभिकंखसि मे दाउं इयाणिमेव दलयाहि ।” से सेवं वयंतं परो णेया वदेजा “आउसो त्ति वा भइणि त्ति वा आहरेयं वत्थं समणस्स दाहामा अवियाई वयं पच्छावि अप्पणो सयठाए पाणाइं भूयाइं जीवाइं सत्ताई समारम्भ समुदिस्स जाव चेइस्सामो” एयप्पगारं 'णिग्योसं सोचा णिसम्म तहप्पगारं वत्यं अफामुयं जाव णो पडिगाहेजा ॥ ८१६ ॥ सिया णं परो णेया वएज्जा “आउसो त्ति वा भइणि त्ति वा आहरेयं वत्थं सिणाणेण वा ४ जाव आघंसित्ता वा पघंसित्ता वा समणस्स णं दाहामो” एयप्पगारं णिग्घोसं सोच्चा णिसम्म से पुवामेव आलोएज्जा, आउसो त्ति वा भइणि त्ति वा मा एयं तुमं वत्थं सिणाणेण वा जाव पघंसाहि वा अभिकंखसि मे दाउं, एमेव दलयाहि" से सेवं वयंतस्स परो सिणाणेण वा जाव पघंसित्ता दलएजा, तहप्पगार वत्यं अफासुयं जाव णो पडिगाहेजा ॥ ८१७ ॥ से णं परो णेया वएजा, “आउसो त्ति वा भइणि त्ति वा आहर एयं वत्यं सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेत्ता वा पधोवेत्ता वा समणस्स दाहामो एयप्पगारं णिग्धोसं सोचा णिसम्म से पुवामेव आलोएजा आउसो त्ति वा भइणि त्ति वा मा एयं तुमं वत्थं सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेहि वा पहोवेहि वा अभिकंखसि सेसं तहेव जाव णो पडिगाहेज्जा ॥ ८१८ ॥ से णं परो णेया वएजा “आउसो त्ति वा भइणि त्ति वा आहरेयं वत्थं कंदाणि वा जाव हरियाणि वा विसोहित्ता रामणस्स दाहामो” एयप्पगारं णिग्धोसं सोचा णिसम्म जाव “भइणि त्ति वा मा एयाणि तुमं कंदाणि वा जाव विसोहेहि णो खलु मे कप्पइ एयप्पगारे वत्थे पडिगाहित्तए" से सेवं वयंतस्स परो कंदाणि वा जाव विसोहित्ता दलएजा तहप्पगारं वत्थं अफासुयं णो पडिग्गाहेजा ॥ ८१९ ॥ सिया से परो णेया वत्यं णिसिरेजा से पुव्वामेव आलोएजा “आउसो त्ति वा भइणि त्ति वा तुमं चेवणं संतियं वत्थं अंतोअंतेणं पडिलेहिजिस्सामि" केवली बूया आयाणमेयं वत्यंतेण बद्धे सिया कुंडले वा गुणे वा हिरण्णे वा सुवण्णे वा मणी वा जाव रयणावली वा पाणे वा बीए वा हरिए वा अह भिक्खूणं पुव्वोवदिट्ठा जाव ज पुवामेव वत्थं अंतोअंतेणं पडिलेहिज्जा ॥ ८२० ॥ से भिक्खू वा (२) से जे पुण वत्थं जाणिज्जा सअंडं जाव संताणगं तहप्पगारं वत्थं अफासुयं जाव णो पर्डिगाहेजा ॥ ८२१ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण वत्थं जाणिजा अप्पंडं जाव अप्पसंताणगं अणलं अथिरं अधुवं अधारणिजं रोइजंतं ण रोच्चइ तहप्पगारं वत्थ अफासुयं जाव णो पडिगाहेजा ॥ ५२२ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण वत्थ Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३ २ सु० भ०५-उ०२] सुत्तागमे जाणिज्जा, अप्पंडं जाव संताणगं अलं थिरं धुवं धारणिज्जं रोइज्जतं रुचइ तहप्पगारं चत्वं फासुयं जाव पडिग्गाहेजा ॥णो णवए मे वत्थे त्ति कटु णो वहुदेसिएण सिणागेण वा जाव पघंसेज्जा ॥ ८२३ ॥ पुण णो णवए मे वत्थे त्ति कट्ठ णो बहुदेसिएण सीतोदगवियडेण वा जाव पहोवेना ॥ ८२४ ॥ पुण दुब्भिगंधे मे वत्थे त्ति कट्टु णो बहुदेसिएण सिणाणेण वा तहेव सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा (आलावओ)॥ ८२५ ॥ पुण अभिकंखेज वत्थं आयावेत्तए वा पयावेत्तए वा तहप्पगारं वत्यं णो अगंतरहियाए जाव पुढवीए णो ससिणद्धाए जाव संताणाए आयावेज वा पयावेज वा ॥ ८२६ ॥ पुण अभिकंखेजा वत्थं आयावेत्तए वा पयावेत्तए वा तहप्पगारं वत्थं थूणसि वा गिहेलुगंसि वा उसुयालंसि वा कामजलंसि वा अण्णयरे वा तहप्पगारे अंतलिक्खजाए दुब्बद्धे दुन्निक्खित्ते अणिकंपे चलाचले णो आयावेज वा पयावेज वा ॥ ८२७ ॥ पुण अभिकंखेज्जा वत्थं आयावेत्तए पयावेत्तए वा तहप्पगारं वत्थं कुडियंसि भित्तिसि सिलंसि वा लेलुसि वा अण्णतरे वा तहप्पगारे अंतलिक्खजाए जाव णो आयावेज वा पयावेज वा ॥ ८२८ ॥ पुण अभिकंखेज्जा वत्थं आयावेत्तए पयावेत्तए वा तहप्पगारे वत्थे खंधंसि वा मंचंसिमालंसि-पासायंसि-हम्मियतलंसि वा अण्णयरे वा तहप्पगारे अंतलिक्खजाए जाव णो आयावेज वा पयावेज वा ॥ ८२९ ॥ से तमादाय एगंतमवक्कमेजा अहे ज्झामथंडिलंसि वा जाव अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि पडिलेहिय २ पमजिय २ तओ संजयामेव वत्थं आयावेज वा पयावेज वा ॥ ८३० ॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं सया जइजासि त्ति बेमि ॥ ८३१ ॥ वत्थेसणाज्झयणे पढमोद्देसो समत्तो॥ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा, अहेसणिजाई वत्थाई जाएज्जा, अहापरिग्गहियाई वत्थाई धारेजा, णो धोएज्जा, णो रएज्जा, णो धोयरत्ताई वत्थाई धारेज्जा अपलिउंचमाणे गामंतरेसु ओमचेलिए, एयं खलु वत्थधारिस्स सामग्गियं ॥ ८३२ ॥ से भिक्खू वा (२) गाहावइ कुलं पिंडवायपडियाए पविसिउकामे सव्वं चीवरमायाए गाहावइकुलं पिडवायपडियाए णिक्खमेज वा पविसेज वा, एवं वहिया विचारभूमि विहारभूमि वा गामाणुगामं दूइजेज्जा । अह पुण एवं जाणिज्जा तिव्वदेसियं वा वासं वासमाणं पेहाए जहा पिडेसणाए णवरं सव्वं चीवरमायाए ॥ ८३३ ॥ से एगइओ मुहुत्तगं २ पाडिहारियं वीयं वत्थं जाएज्जा, जाव एगाहेण वा दुयाहेण वा तिया-चउ-पंचाहेण वा विप्पवसिय २ उवागच्छेज्जा, तहप्पगारं वत्यं णो अप्पणा गिण्हेजा, णो अण्णमण्णस्स देजा, णो पामिच्चं कुज्जा, णो वत्थेण वत्थपरिणाम Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [आयारे ७४ करेजा, णो परं उवसंकमित्ता एवं वएज्जा “आउसंतो समणा अभिकंखसि वलं धारेत्तए परिहरित्तए वा” थिरं वा णं संतं णो पलिच्छिदिय २ परिवेज्जा, तहप्पगारं ससंधितं वत्थं तस्स चेव णिसिरेजा, णो अत्ताणं साइजेजा ॥ ८३४ ॥ से एगइओ तहप्पगारं णिग्घोसं सोचा णिसम्म जे भयंतारो तहप्पगाराणि वत्याणि ससंधियाणि मुहुत्तगं २ जाइत्ता जाव एगाहेण वा जाव पंचाहेण वा विप्पवसिय विप्पवसिय उवागच्छंति, तहप्पगाराणि वत्थाणि णो अप्पणा गिण्हंति. नो अण्णमण्णस्स दलयंति अणुवयंति, तं चेव जाव णो साइजंति वहुवयणेण भाणियव्वं ॥ ८३५ ॥ से हंता "अहमवि मुहुत्तं पाडिहारियं वत्यं जाइत्ता जाव एगाहेण वा जाव पंचाहेण वा विप्पवसिय २ उवागच्छिस्सामि, अवियाइं एयं ममेव सिया" माइट्टाणं संफासे णो एवं करिजा ॥ ८३६ ॥ पुण णो वण्णमंताई वत्याइं विवण्णाई करेजा, णो विवण्णाई वण्णमंताई करेजा, “अन्नं वा वत्यं लमिस्सामि त्ति" कट्टु नो अण्णमण्णस्स दिज्जा, णो पामिच्चं कुज्जा, णो वत्थेण वत्थपरिणाम कुजा, णो परं उवसंकमित्तु एवं वएज्जा, “आउसंतो समणा अभिकंखसि मे वत्थं धारित्तए वा परिहरित्तए वा” थिरं वा णं संतं णो पलिच्छिदिय २ परिट्ठविज्जा, जहा मेयं वत्थं पावगं परो मन्नइ, परं च णं अदत्तहारि पडिपहे पेहाए तस्स वत्थस्स गिदाणाए णो तेसिं भीओ उम्मग्गेणं गच्छेजा । जाव अप्पुस्सुए तओ संजयामेव गामाणुगामं इजिज्जा ॥ ८३७ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से विहं सिया से जं पुण विहं जाणिज्जा, इमंसि खलु विहंसि वहवे आमोसगा वत्थपडियाए संपिडिया गच्छेज्जा णो तेसिं भीओ उम्मग्गेणं गच्छेज्जा, जाव गामाणुगामं दूइजेजा ॥ ८३८ ॥ पुण गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से आमोसगा पडियागच्छेजा, ते णं आमोसगा एवं वएज्जा “आउसंतो समणा आहरेयं वत्यं देहि निक्खिवाहि" जहा इरियाए णाणत्तं वत्थपडियाए ॥ ८३९ ॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं ॥ ८४० ॥ वत्थेसणाज्झयणे बीओद्देसो ॥ पंचम वत्थेसणाज्झयणं समत्तं ॥ से भिक्खू वा (२) अभिकंखिज्जा पायं एसित्तए, से जं पुण पायं जाणिज्जा तंजहा अलाउयपायं वा दारुपायं मट्टियापायं वा तहप्पगारं पायं जे णिग्गंथे तरुण जाव थिरसंघयणे से एगं पायं धारेजा णो बीयं ॥ ८४१॥ पुण परं अद्धजोयणमेराए पायपडियाए णो अभिसंधारेजा गमणाए ॥ ८४२॥ से जं पुण पायं जाणिज्जा अस्सिपडियाए एगं साहम्मियं समुद्दिस्स पाणाई ४ जहा पिंडेसणाए चत्तार Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. जाव पाडवा दारुपायं वा माल वा (२) २ सु० भ०६-उ० १] सुत्तागमे ७५ आलावगा, पंचमे वहवे समणमाहणा पगणिय २ तहेव ॥ ८४३ ॥ पुण असंजए भिक्खुपडियाए वहवे समणमाहणा (वत्थेसणाऽऽलावओ)॥ ८४४ ॥ से भिक्खू वा (२) से जाइं पुण पादाई जाणिज्जा विरूवरूवाई महद्धणमुल्लाइं तंजहाअयपादाणि वा तड० तंवपादाणि वा सीसग-हिरण्ण-सुवण्ण-रीरिय-हारपुड-पायाणि वा मणि-काय-कंस-संख-सिंग-दंत-चेल-सेल-पायाणि वा चम्मपायाणि वा अण्णयराणि वा तहप्पगाराइं विरुवरुवाइं महद्धणमोल्लाइं पायाइं अफासुयाइं जाव णो पडिग्गाहेजा ॥ ८४५ ॥ से भिक्खू वा (२) से जाइं पुण पायाइं जाणिज्जा, विरुवरुवाइं महद्धणवंधणाई तं० अयवंधणाणि वा जाव चम्मवंधणाणि वा अन्नयराइं तहप्पगाराइं महद्धणवंधणाई अफासुयाई जाव णो पडिग्गाहेजा, इच्चेइयाइं आयतणाई उवातिकम्म ॥ ८४६ ॥ अह भिक्खू जाणिजा चउहि पडिमाहिं पायं एसित्तए, तत्य खलु इमा पढमा पडिमा से भिक्खू वा (२) उद्दिसिय २ पायं जाएजा, तंजहा-अलाउयपायं वा दारुपायं वा मट्टियापायं वा तहप्पगारं पायं सयं वा गं जाएजा, जाव पडिगाहिज्जा ॥ पढमा-पडिमा ॥ ८४७ ॥ अहावरा दोत्रा पडिमा, से भिक्खू वा (२) पेहाए पायं जाएजा, तंजहा-गाहावई वा जाव कम्मकरिं वा से पुव्वामेव आलोएज्जा, “आउसो त्ति वा भइणि त्ति वा दाहिसि मे एत्तो अण्णयरं पायं, तंजहा-अलाउयपायं वा" जाव तहप्पगारं पायं सयं वा णं जाएज्जा, परो वा से देजा जाव पडिगाहेजा ॥ दोच्चा पडिमा ॥ ८४८ ॥ अहावरा तच्चा पडिमा ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण पायं जाणिज्जा, संगतियं वा वेजइयंतियं वा तहप्पगारं पायं सयं वा जाव पडिगाहिजा ॥ तचा पडिमा ॥ ८४९ ॥ अहावरा चउत्था पडिमा ॥ से भिक्खू वा (२) उज्झियधम्मियं पायं जाएजा, जंचऽण्णे बहवे समणमाहणा जाव वणीमगा णावखंति, तहप्पगारं पायं सयं वा णं जाव पडिगाहिज्जा, चउत्था पडिमा ॥ ८५० ॥ इच्चेयागं चउण्हं पडिमाणं अण्णयरं पडिमं (जहा पिंडेसणाए)॥ ८५१ ॥ से णं एताए एसणाए एसमाणं पासित्ता परो वएज्जा, “आउसंतो समणा एजासि तुमं मासेण वा जाव" जहा वत्थेसणाए ॥ ८५२ ॥ से णं परो णेया वएज्जा, आउसो त्ति वा भइणि त्ति वा आहरेयं पायं तेल्लेण वा घएण वा अन्भंगेत्ता वा तहेव सिणाणाइ तहेव सीओदगकंदाइं तहेव ॥ ८५३ ॥ से णं परो णेया वएज्जा, “आउसंतो समणा मुहुत्तगं २ अच्छाहि जाव ताव अम्हे असणं वा उवकरेंसु उवक्खडेसु वा, तो ते वयं आउसो सपाणं सभोयणं पडिग्गहगं दाहामो, तुच्छए पडिग्गहए दिण्णे समणस्स णो सुटु साहु भवई" से पुव्वामेव आलोएज्जा आउसो Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६ सुत्तागमे [ आयारे त्ति वा भइणित्ति वा णो खलु मे कप्पर आहाकम्मिए असणे वा पाणे वा खाइने वा साइमे वा भोत्तए वा पायए वा मा उवकरेहि मा उवक्खडेहि, अभिकखसि मे दाउँ एमेव दलयाहि से सेवं वयंतस्स परो असणं वा जाव उवकरिता उवक्खडित्ता, सपाणगं सभोयणं पडिग्गहगं दलएजा तहप्पगारं पडिग्गहं अफाख्यं जाव णो पडिगाहेजा || ८५४ ॥ सिया से परो उवणेत्ता पडिग्गहं णिसिरेजा से पुव्वामेव आलोएजा आउसो त्ति वा भइणि त्ति वा तुमं चेवणं संतियं पडिग्गहगं अंतोअंतेगं पडिलेहिस्सामि || ८५५ ॥ केवली वूया 'आयाणमेयं' अंतो पडिग्गहंसि पाणाणि वा बीयाणि वा हरियाणि वा जाव अह भिक्खूणं एस पइण्णा जं पुव्वामेव पडिग्गहगं अंतोअंतेणं पडिलेहिज्जा | ८५६ || सअडाईं सव्वे आलावगा भाणियव्वा जहा वत्थेसणाए, णाणत्तं तेल्लेण वा घएण वा सिणाणाइ जाव अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि पडिले हिय २ पमज्जिय २ तओ संजयामेव आमज्जिज्जा ॥ ८५७॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं जं सव्वद्वेहिं सहिएहि सया जएजासि त्ति वेमि ॥ ८५८ ॥ पत्तेसणाज्झयणे पढमोसो समत्तो ॥ से भिक्खू वा (२) गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविट्ठे समाणे, पुव्वामेव पेहाए पडिग्गहगं अवहट्टु पाणे पमजिय रयं ततो संजयामेव गाहावइकुलं पिंडवाय पडियाए णिक्खमेज वा पविसेज्ज वा ॥ ८५९ ॥ केवली वूया 'आयाणमेयं अंतो पडिग्गहगंसि पाणे वा बीए वा रए वा परियावज्जेज्जा अह भिक्खूणं पुव्वोवदिद्वा एस पइण्णा जं पुव्वामेव पेहाए पडिग्गहं अवहट्टु पाणे पमजिय रयं तओ संजयामेव गाहावइकुलं पिडवायपडियाए पविसेज्ज वा णिक्खमेज वा ॥ ८६० ॥ से भिक्खु वा (२) गाहावइ० जाव० समाणे सिया से परो आहद्रु अंतो पडिग्गहगंति सीओदगं परिभाएता णीहरु दलएजा तहप्पगारं पडिग्गहं परहत्यंसि वा परपायंसि वा अफासुयं जाव णो पडिग्गाहेजा ॥ ८६१ ॥ सेय आहच्च पडिग्गाहिए सिया से खिप्पामेव उदगंसि साहरिजा, से पडिग्गहमायाए पाणं परिट्ठवेजा, ससणिद्धाए वा भूमीए णियमिज्जा | ८६२ ॥ से भिक्खू वा (२) उदउल्लं वा ससिणिद्धं वा पडिग्गहं णो आमज्जिज्ज वा जाव पयावेज्ज वा ॥ ८६३ ॥ अह पुण एवं जाणिजाविगओदए मे पडिग्गहए छिण्णसिणेहे तहप्पगारं पडिग्गहं तओ संजयामेव आमजिज्ज वा जाव पयाविज्ज वा ॥ ८६४ ॥ से भिक्खू वा ( २ ) गाहावइकुलं वा० पविसिउकामे से पडिग्गहमायाए गाहा • पिडवायपडियाए पविसिज्ज वा णिक्खमिज्ज वा एवं बहिया वियारभूमिं वा विहारभूमि वा गामाणुगामं दूइज्जिजा ॥८६५॥ तिव्वदेतियाए जहा बिइयाए वत्थेसणाए गवरं एत्थ पडिग्गहे ॥ ८६६॥ Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७ २ सु० अ०७-उ० ] सुत्तागमे एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं जं सव्वठेहिं सहिए सया जएजासि त्ति बेमि ॥ ८६७ ॥ पत्तेसणाज्झयणे बीओदेसो समत्तो॥ छठं पत्तेसणाज्झयणं समत्तं ॥ समणे भविस्सासि अणगारे अकिंचणे अपुत्ते अपसू परदत्तभोई पावं कम्म णो करिस्सामि त्ति समुट्ठाए सव्वं भंते अदिण्णादाणं पञ्चक्खामि ॥ ८६८ ॥ से अणुपविसित्ता गामं वा जाव० णेच सयं अदिन्नं गिण्हिज्जा, णेवण्णेणं अदिण्णं गिण्हावेजा, णेवण्णेणं अदिणं गिण्हतं समणुजाणेजा। जेहिवि सद्धि संपन्वइए तेसिं पुव्वामेव उग्गहं अणुण्णविय अपडिलेहिय अपमज्जिय णो गिण्हेज वा पगिण्हेज वा तेसि पुव्वामेव उग्गहं जाइज्जा अणुण्णविय पडिलेहिय पमज्जिय तओ सं० उगिहिज वा पगिहिज्ज वा ॥ ८६९ ॥ से आगंतारेसु वा (४) अणुवीइ उग्गहं जाएजा, जे तत्थ ईसरे जे तत्थ समहिहाए ते उग्गहं अणुण्णवेजा कामं खलु आउसो अहालंदं अहापरिण्णातं वसामो जाव आउसंतस्स उग्गहे जाव साहम्मिया एइ ताव उग्गहं गिहिस्सामो तेण परं विहरिस्सामो ॥ ८७० ॥ से कि पुण तत्थोग्गहंसि एवोग्गहियसि ? जे तत्थ साहम्मिया संभोइया समणुण्णा उवागच्छेज्जा, जे तेण सयमेसित्तए असणे वा (४) तेण ते साहम्मिया संभोइया समणुण्णा उवणिमंतेज्जा, णो चेव णं परवडियाए उगिज्झिय २ उवणिमंतेजा ॥ ८७१ ॥ से आगंतारेसु वा (४) जाव से किं पुण तत्थोग्गहंसि एवोग्गहियंसि, जे तत्थ साहम्मिया अण्णसंभोइया समणुन्ना उवागच्छेजा जे तेणं सयमेसित्तए पीढे वा फलए वा सेज्जासंथारए वा, तेण ते साहम्मिए अण्णसंभोइए समणुन्ने उवणिमंतेजा णो चेव णं परवडियाए उगिज्झिय २ उवणिमंतेज्जा ॥ ८७२ ॥ से आगंतारेसु वा (४) जाव से किं पुण तत्थोग्गहंसि एवोग्गहियंसि जे तत्थ गाहावईण वा गाहावइपुत्ताण वा सूई वा पिप्पलए वा कण्णसोहणए वा णहच्छेयणए वा अप्पणो तं एगस्स अठाए पाडिहारियं जाइत्ता णो अण्णमण्णस्स देज वा अणुपदेज वा सयं करणिज त्ति कटु से तमादाए तत्थ गच्छेज्ना गच्छित्ता पुव्वामेव उत्ताणए हत्थे त्ति कट्ठ भूमीए वा ठवेत्ता 'इमं खलु इमं खलु' त्ति आलोएज्जा, णो चेव णं सयं पाणिणा परपाणिसि पच्चप्पिणेज्जा ॥ ८७३ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा अणंतरहियाए पुढवीए ससणिद्धाए पुढवीए जाव संताणाए तहप्पगारं उग्गहं णो उगिण्हेज्ज वा पगिण्हेज वा ॥ ८७४ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा थूणसि वा (४) तहप्पगारे अंतलिक्खजाए दुबद्धे जाव णो उग्गहं उगिण्हेज वा पगिण्हेज वा Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८ सुत्तागमे [आयारे ॥ ८७५ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा कुलियंसि वा जाव णो उगिण्हेज वा (२)॥ ८७६ ॥ से भिक्खू वा (२) खंधसि वा अण्णयरे वा तहप्पगारे जाव णो उगिण्हेज वा (२) ॥ ८७७ ॥ से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा ससागारियं सागणियं सउदयं सइत्थि सखुटुं सपसुं सभत्तपागं णो पण्णस्स णिक्खमणपवेसे जाव धम्माणुओगचिताए सेवं णचा तहप्पगारे उवस्सए ससागारिए जाव सखुट्ट-पसु-भत्तपाणे णो उग्गहं उगिण्हेजा वा २ ॥ ८७८ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा गाहावकुलस्स मज्झमज्झेणं गंतुं पंथे पडिबद्धं वा णो पण्णस्स जाव से एवं णच्चा तहप्पगारे उवस्सए णो उग्गहं उगिण्हेज वा २ ॥ ८७९ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा, इह खलु गाहावइ वा जाव कम्मकरीओ वा अण्णमण्णं अकोसंति वा तहेव तेल्ह-सिणाण-सीओदगवियडणिगिणाइ य जहा सिज्जाए आलावगा णवरं उग्गहवत्तवया ॥८८०॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा आइण्णसंलिक्खे णो पण्णस्स जाव चिंताए, तहप्पगारे उवस्सए णो उग्गहं उगिण्हिज वा २ ॥ ८८१॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स २ सामग्गियं ॥ ८८२ ॥ उग्गहपडिमाज्झयणे पढमोदेसो॥ ___ से आगंतारेसु वा (४) अणुवीइ उग्गहं जाएजा, जे तत्थ ईसरे समहिट्ठाए ते उग्गहं अणुण्णविज्जा काम खलु आउसो अहालंदं अहा परिण्णायं वसामो जाव आउसो, आउसंतस्स उग्गहे जाव साहम्मियाए ताव उग्गहं उग्गिहिस्सामो तेण परं विहरिस्सामो ॥ ८८३ ॥ से किं पुण तत्थ उग्गहंसि एवोग्गहियंसि ? जे तत्य समणाण वा माहणाण वा दंडए वा छत्तए वा जाव चम्मछेदणए वा तं णो अंताहिंतो वाहिं णीणेजा, वहियाओ वा णो अंतो पवेसेज्जा, णो सुत्तं वा णं पडिवोहेजा, णो तेसिं किंचिवि अप्पत्तियं पडिणीयं करेजा ॥ ८८४ ॥ से भिक्खू वा (२) अभिकंखेज्जा अंबवणं उवागच्छित्तए जे तत्थ ईसरे जे तत्थ समहिहाए ते उग्गह अणुजाणावेजा, काम खलु जाव विहरिस्सामो ॥ ८८५ ॥ से किं पुण तत्थोग्गहंसि एवोग्गहियंसि अह भिक्खु इच्छेजा अंबं भोत्तए वा से जं पुण अंवं जाणिज्जा सअंडं जाव ससंताणं तहप्पगारं अंबं अफासुयं जाव णो पडिगाहिज्जा, ॥ ८८६ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण अंबं जाणिजा, अप्पंडं जाव अप्पसंताणगं आतरिच्छछिन्नं अवोच्छिन्नं अफासुयं जाव णो पडिगाहिज्जा ॥ ८८७ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण अंबं जाणिजा, अप्पंडं जाव संताणगं तिरिच्छच्छिण्णं वोच्छिन फासुयं जाव पडिगाहिज्जा ॥ ८८८ ॥ से भिक्खू वा (२) अभिकंखेजा अंबाभ त्तगं वा अंबपेसियं वा अंवचोयगं वा अंबसालगं वा अंबडालग वा Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९ २ सु० भ०७-उ० २] सुत्तागमे भोत्तए वा पायए वा से जं पुण जाणिज्जा, अंधभित्तगं वा जाव अंबडालगं वा सअंडं जाव संताणगं अफासुयं जाव णो पडिग्गाहिज्जा ॥ ८८९ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण जाणिज्जा, अंवभित्तगं वा जाव, अप्पंडं जाव संताणगं अतिरिच्छच्छिन्नं वा अवोच्छिन्नं वा अफासुयं जाव णो पडिग्गाहिज्जा ॥ ८९० ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण जाणिज्जा अंचभित्तगं वा जाव, अप्पंडं जाव संताणगं तिरिच्छछिन्नं वोच्छिन्नं फासुयं जाव पडिग्गाहिजा ॥ ८९१ ॥ से भिक्खू वा (२) अभिकंखेजा उच्छवणं उवागच्छित्तए जे तत्थ ईसरे जाव उग्गहंसि० ॥ ८९२ ॥ अह भिक्खू इच्छेज्ना उच्छं भोत्तए वा पायए वा से जं उच्छु जाणिज्जा, सअंडं जाव णो पडिग्गाहिज्जा ॥ अतिरिच्छच्छिन्नं तहेव, तिरिच्छच्छिन्ने वि तहेव ॥ ८९३ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण अभिकंखेजा अंतरुच्छुयं उच्छुगंडियं वा उच्छुचोयगं वा उच्छुसालगं वा उच्छुडालगं वा सअंडं जाव णो पडिग्गाहिजा ॥ ८९४ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण जाणिजा, अंतर च्छुयं वा जाव डालगं वा सअंडं जाव णो पडिग्गाहिजा ॥ ८९५ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण जाणिज्जा अंतरुच्छुयं वा जाव डालगं वा अप्पंडं जाव णो पडिग्गाहिजा, अतिरिच्छच्छिन्नं तहेव ॥ ८९६ ॥ तिरिच्छच्छिन्नं तहेव पडिग्गाहिज्जा ॥ ८९७ ॥ से भिक्खू वा (२) आगंतारेसु वा (४) जाव उग्गहियंसि जे तत्य, गाहावईण वा गाहावइपुत्ताण वा इच्चेयाइं आयतणाई उवाइकम्म ॥ ८९८ ॥ अह भिक्खू जाणिज्जा इमाहिं सत्तहिं पडिमाहिं उग्गहं उगिहित्तए ॥ ८९९ ॥ पढमा पडिमा, से आगंतारेसु वा (४) अणुवीइ उग्गहं जाएजा जाव० विहरिस्सामो॥ ९००॥ दोच्चा पडिमा, जस्सणं भिक्खुस्स एवं भवइ "अहं च खलु अण्णेसिं भिक्खूणं अट्ठाए उग्गहं गिहिस्सामि, अण्णेसिं भिक्खूणं उग्गहिए उग्गहे उवहिस्सामि, ॥ ९०१॥ तच्चा पडिमा, जस्सणं भिक्खुस्स एवं भवइ "अहं च खलु अण्णेसि भिक्खूणं अठाए उग्गहं उगिहिस्सामि, अण्णेसि च उग्गहिए उग्गहे णो उवहिस्सामि ॥ ९०२ ॥ चउत्था पडिमा, जस्सणं भिक्खुस्स एवं भवइ "अहं च खलु अण्णेसिं भिक्खूणं अठाए उग्गहं णो उगिहिस्सामि अण्णेसिं च उग्गहे उपगहिए उवल्लिस्सामि ॥ ९०३ ॥ पंचमा पडिमा, जस्सणं भिक्खुस्स एवं भवइ, अहं च खलु अप्पणो अठाए उग्गहं उगिहिस्सामि, णो दोण्हं, णो तिण्डं, णो चउण्हं, णो पंचण्हं, ॥ ९०४ ॥ छठ्ठा पडिमा, जस्सेव उग्गहे उवल्लिएज्जा, जे तत्थ अहा समण्णागए, तंजहा-इक्कडे जाव पलाले वा तस्स लाभे संवसेज्जा, तस्स अलाभे उक्कडए वा णेसज्जिए वा विहरेज्जा ॥ ९०५ ॥ सत्तमा Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८० सुत्तागमे [आयारे पडिमा, से भिक्खू वा, अहासंथडमेव उग्गहं जाएजा, तंजहा-पुटविसिलं वा, कट्ठसिलं वा, अहासंथडमेव तस्स लाभे संवसेज्जा, तस्स अलामे उबुडओ वा णेसजिओ वा, विहरेजा ॥ ९०६ ॥ इच्चेसि सत्तण्हं पडिमाणं अण्णयरं, जहा पिंडेसणाए ॥ ९०७ ॥ सुयं मे आउसं तेणं भगवया एवमक्खायं इह खलु थेरेहि भगवंतेहिं पंचविहे उग्गहे पण्णत्ते, तंजहा-देविंदोग्गहे, रायोग्गहे, गाहावइउग्गहे, सागारियउग्गहे, साहम्मियउग्गहे ॥ ९०८ ॥ एवं खलु तरस भिक्युस्स २ सामग्गियं ॥ ९०९ ॥ उग्गहपडिमाज्झयणे बीओद्देसो समत्तो॥ सत्तमं उग्गहपडिमाज्झयणं समत्तं, पढमा चूडा समत्ता॥ ___ से भिक्खू वा (२) अभिकंखेजा ठाणं ठाइत्तए से अणुपविसिज्जा, गामं वा, नगरं वा, जाव सण्णिवेसं वा, से अणुपविसित्ता, गाम वा जाव सण्णिवेसं वा, से जं ___पुण ठाणं जाणिज्जा, सअंडं जाव समकडासंताणयं तं तहप्पगारं ठाणं अफासुयं अणेसणिज लाभे संते णो पडिगाहिज्जा, एवं सेजागमेण णेयव्वं, जाव उदयपसूयाइंति ॥९१०॥ इच्चेयाइं आयतणाई उवातिकम्म अह भिक्खू इच्छेज्जा, चरहिं पडिमाहि ठाणं ठाइत्तए॥९११॥ पढमा पडिमा-अचित्तं खलु उवसजेजा अवलंबेज्जा काएण विपरिकम्मादि सवियारं ठाणं ठाइस्सामि ॥" ॥ ९१२ ॥ दोच्चा पडिमा-अचित्तं खलु उवसज्जेजा अवलंबेज्जा काएण विपरिकम्माइ णो सवियारं ठाणं ठाइस्सामि ॥९१३॥ तच्चा पडिमा-अचित्तं खलु उवसज्जेजा अवलंबेजा णो काएण, विपरिकम्माइं णो सवियारं ठाणं ठाइस्सामि त्ति ॥ ९१४ ॥ चउत्था पडिमा-अचित्त खलु उवसज्जेजा, णो अवलंबेज्जा काएण, णो विपरिकम्माइं णो सवियारं ठाण ठाइस्सामि त्ति वोसठ्ठकाए वोसठ्ठकेसमंसुलोमणहे संणिरुद्धं वा ठाणं ठाइस्सामि त्ति ॥ ९१५ ॥ इच्चेयासिं चउण्हं पडिमाणं जाव पग्गहियतरायं विहरेजा, णो तत्थ किंचिवि वएजा ॥ ९१६ ॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स २ वा सामग्गियं जाव जएज्जासि त्ति बेमि ॥ ९१७ ॥ ठाणसत्तिकयं अट्रमं अज्झयणं समत्त, पढमं सत्तिकयं समत्तं ॥ से भिक्खू वा (२) अभिकंखेज्जा णिसीहियं फासुयं गमणाए से पुण णिसीहिय जाणिज्जा, सअंडं सपाणं जाव मकडासंताणयं तहप्पगारं णिसीहियं अणेसाणज्ज लाभे संते णो चेतिस्सामि ॥ ९१८ ॥ से भिक्खू वा (२) अभिकंखेजा णिसीहिय गमणाए से जं पुण णिसीहियं जाणिज्जा अप्पंडं अप्पपाणं जाव मक्कडासंताणय तहप्पगारं 'णिसीहियं फासुयं एसणिजं लाभे संते चेतिस्सामि एवं सेजागमण र णिसीहियं फाहय जाणिज्जा अप्पया (२) अभिकलेज अणेस Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० भ० १०] सुत्तागमे णेयव्वं जाव उदगप्पसूयाइं ॥ ९१९ ॥ जे तत्थ दुवग्गा जाव पंचवग्गा वा अभिसंधारेंति णिसीहियं गमणाए ते णो अण्णमण्णस्स कायं आलिंगेज वा विलिंगेज वा चुंबेज वा दंतेहिं णहेहिं वा अच्छिदेज वा वुच्छिदेज वा ॥ ९२० ॥ एवं खलु तस्स भिक्खुस्स (२) वा सामग्गियं जं सव्वठेहिं सहिए समिए सया जएजा सेयमिणं मण्णिजासि त्ति बेमि ॥ ९२१ ॥ णवमं णिसीहियाज्झयणं समत्तं, मिसीहियासत्तिकयं समत्तं वीयं ॥ से भिक्खू वा (२) उच्चारपासवणकिरियाए उव्याहिजमाणे सयस्स पायपुंछणस्स असईए तओ पच्छा साहम्मियं जाएजा ॥ ९२२ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा सअंडं सपागं जाव मक्कडासंताणयं तहप्पगारंसि थंडिलंसिणो उच्चारपासवणं वोसिरेजा ॥ ९२३ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण थंडिलं जाणिजा, अप्पपाणं अप्पवीयं जाव मक्कडासंताणयं तहप्पगारंसि थंडिलंसि उच्चारपासवगं वोसिरेजा ॥ ९२४ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा, अस्सिपडियाए एगं साहम्मियं समुद्दिस्स अस्सिपडियाए वहवे साह- .. म्मिया समुद्दिस्स अस्सिपडियाए एगं साहम्मिणि समुद्दिस्स अस्सि पडियाए बहवे साहम्मिणीओ समुद्दिस्स अस्सि० वहवे समणमाहणवणीमया पगणिय पगणिय समुद्दिस्स पाणाई (४) जाव उद्देसियं चेतेति, तहप्पगारं थंडिलं पुरिसंतरकडं जाव वहिया णीहडं वा अनीहडं वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवणं वोसिरेजा ॥ ९२५ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण थंडिलं जाणिजा, वहवे समणमाहणकिवणवणीमगअतिही समुद्दिस्स पाणाई (४) जाव उद्देसियं चेतेति, तहप्पगारं थंडिलं अपुरिसंतरकडं जाव बहिया अणीहडं वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवणं वोसिरेजा ॥ ९२६ ॥ अह पुण एवं जाणिज्जा, पुरिसंतरकडं जाव वहिया णीहडं वा अण्णयरंसि तहप्पगारंसि थंडिलंसि उच्चारपासवणं वोसिरेजा ॥ ९२७ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा, अस्सिंपडियाए कयं वा कारियं वा पामिच्चियं वा छण्णं वा घट्ट वा मर्छ वा लित्तं वा संपधूमियं वा अण्णयरंसि तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवणं वोसिरेजा ॥ ९२८ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा, इह खलु गाहावइ वा गाहावइपुत्ता वा कंदाणि वा मूलाणि वा जाव हरियाणि वा अंतराओ वा वाहिं णीहरंति वहियाओ वा अंतो साहरंति अण्णयरंसि चा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवणं वोसिरेजा ॥ ९२९ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा, खधंसि वा पीढंसि वा मंचंसि वा मालंसि वा ६ सुत्ता Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [आयारे सुत्तागमे अटुंसि वा पासायंसि वा अण्णयरंसि वा थंडिलंसि णो उच्चारपासवणं वोसिरेजा ॥९३०॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण थंडिलं जाणिजा, अगंतरहियाए पुढवीए ससिणिद्धाए पुढवीए ससरक्खाए पुढवीए मट्टियामकडाए चित्तमंताए सिलाए चित्तमंताए लेलुयाए कोलावासंसि वा दास्यसि वा जीवपइट्ठियंसि वा जाव मकडासंताणयंसि वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवणं वोसि रेजा ॥ ९३१॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा, इह खलु गाहावइ वा गाहावड् पुत्ता वा कंदाणि वा जाव बीयाणि वा परिसा.सु वा परिसाडिति वा परिसाडिस्संति वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवणं वोसि रेज्जा ॥९३२॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण थंडिलं जाणिजा, इह खलु गाहावइ वा गाहावइपुत्ता वा सालीणि वा वीहीणि वा मुग्गाणि वा मासाणि वा कुलत्थाणि वा जवाणि वा जवजवाणि वा पतिरिसु वा पतिरिति वा पतिरिस्संति वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवणं वोसिरेजा ॥ ९३३ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा, आमोयाणि वा घासाणि वा भिलुयाणि वा विजलयाणि वा खाणुयाणि वा कडयाणि वा पगडाणि वा दरीणि वा पदुग्गाणि वा समाणि वा विसमाणि वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवणं वोसिरेजा ॥ ९३४ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा, माणुसरंधणाणि वा, महिसकरणाणि वा, वसभकरणाणि वा, अस्सकरणाणि वा, कुक्कुडकरणाणि वा, मकडकरणाणि वा लावयकरणाणि वा, वट्टयकरणाणि वा, त्तित्तिरकरणाणि वा, कवोयकरणाणि वा, कपिजलकरणाणि वा, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवणं वोसिरेजा ॥ ९३५ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा, वेहाणसठ्ठाणेसु वा, गिद्धपिठ्ठठाणेसु वा, तरुपडणठाणेसु वा, मेरुपडणठाणेसु वा, विसभक्खणयठाणेसु वा, अगणिपडणठाणेसु वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि णो उच्चारपासवणं वोसिरेजा ॥ ९३६ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा, आरामाणि वा, उजाणाणि वा, वणाणि वा वणसंडाणि वा, देवकुलाणि वा, सभाणि वा, पवाणि वा, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवणं वोसिरेजा ॥ ९३७ ॥ से भिक्खू वा (२) से ज पुण थंडिलं जाणिजा, अट्टालयाणि वा, चरियाणि वा, दाराणि वा, गोपुराणि वा, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवणं वोसिरेजा ॥ ९३८ ॥ से भिक्खू वा (२) से जं पुण थंडिलं जाणिजा, तिगाणि वा, चउकाणि वा, चच्चराणि वा, चउमुहाणि वा, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवर्ण mein Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० ११ ] सुत्तागमे ८३ वोसिरेजा ॥ ९३९ ॥ से भिक्खू वा ( २ ) से जं पुण थंडिलं जाणिजा, इगारडाहेसुवा, खारडाहेसु वा, मडयडाहेसु वा, मडयधूभियासु वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवर्गं वोसिरेजा ॥ ९४० ॥ से भिक्खू वा ( २ ) से जं पुण थंडिलं जाणिजा णदियाययणेसु वा, पंकाययणेसु वा, ओघाययसु वा, सेयणवहंसि वा, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवणं वोसिरेज्जा ॥ ९४१ ॥ से भिक्खू वा ( २ ) से जं पुण थंडिलं जाणिजा, णवियासु वा मट्टियखाणियासु णवियासु गोप्पहिलियासु वा, गवाणीसु वा, खाणीसु वा, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवर्ण वोसि रेज्जा ॥ ९४२ ॥ से भिक्खु वा ( २ ) से जं पुण थंडिलं जाणिजा, डागवचंसि वा, सागवचंसि वा, मूलगवच्चंसि वा, हत्थंकरवच्चंसि वा, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवर्ण वोसिरेजा ॥ ९४३ ॥ से भिक्खू वा ( २ ) से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा, असंणवणंसि वा, सणवणंसि वा, धायइवणंसि वा, केयइवणंसि वा, अंववणंसि वा, असोगवणंसि वा, णागवणंसि वा, पुण्णागवणंसि वा, चुलगवणंसि वा, अण्णयरेसु वा तहप्पगारेसु वा पत्तोवेएसु वा, पुफ्फोवेएसु वा, फलोवेएसु वा, बीओएस वा, हरिओवेएस वा णो उच्चारपासवर्ण वोसिरेजा ॥ ९४४ ॥ से भिक्खू वा (२) सयपाययं वा परपाययं वा गहाय सेतमायाए एगंतमवक्कमेज्जा, अणावायंसि असंलोइयंसि अप्पपाणंसि जाव मक्कडासंताणयंसि अहारामंसि वा उवस्यंसि तओ संजयामेव उच्चारपासवणं वोसिरेज्जा, उच्चारपासवर्ण वोसिरित्ता सेतमायाए एगंतमवक्कमे अणावाहंसि जाव मक्कडासंताणयंसि अहारामंसि वा, ज्झामथंडिलसि वा, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि अचित्तंसि तओ संजयामेव उच्चारपासवणं परिठ्ठवेज्जा ॥ ९४५ ॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स २ वा सामग्गियं जाव जएज्जासि त्तिबेमि ॥ ९४६ ॥ उच्चारपासवणसत्तिक्कयं दसम - मज्झयणं समत्तं ॥ सत्तिक्कयं समत्तं तइयं ॥ सेभिक्खू वा (२) मुइंगसद्दाणि वा, नंदीसद्दाणि वा, झहरीसद्दाणि वा, अण्णयराणि वा तहप्पगाराणि विरूवरुवाणि वितताईं सद्दाईं कण्णसोयणपडियाए णो अभिसंवारेजा गमणाए ॥ ९४७ ॥ से भिक्खू वा (२) अहावेगइयाई सद्दाईं सुइ तंजहा - वीणासद्दाणि वा, विपंचीसद्दाणि वा, पिप्पीसगसद्दाणि वा, तूणयसद्दाणि वा, वणयसद्दाणि वा, तुंबवीणियसद्दाणि वा, ढंकुणसद्दाणि वा अण्णयराई वा तहप्पगाराईं विरूवरूवाणि सद्दाणि वितताईं कण्णसोयपडियाए णो अभिसंधारेजा गमणाए ॥ ९४८ ॥ से भिक्खू वा ( २ ) अहावेगइयाई सद्दाई सुणेति 'तंजहा Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४ सुत्तागमे [आयारेतालसहाणि वा, कंसतालसदाणि वा, लत्तियसद्दाणि वा, गोहिगसहाणि वा, किरिकिरियसदाणि वा अण्णयराणि वा तहप्पगाराई विरुवालाई तालसहाई कण्गसोयपडियाए णो अभिसंधारेजा गमणाए ॥ ९४९ ॥ से भिक्यू वा (२) अहावेगइयाई सद्दाइं सुणेति तंजहा-संखसहाणि वा, वेणुसहाणि वा, वंससहाणि वा, खरमुहीसहाणि वा, पिरिपिरियसदाणि वा अण्णयराइं वा तहप्पगाराई विस्वत्वाई सद्दाई झुसिराई कण्णसोयपडियाए णो अभिसंधारेजा गमणाए ॥ ९५० ॥ से भिक्खू वा (२) अहावेगइयाई सद्दाइं सुणेति तंजहा-वप्पाणि वा, फलिहाणि वा, जाव सराणि वा, सागराणि वा सरपंतियाणि वा, सरसरपंतियाणि वा, अण्णयराई तहप्पगाराइं विख्वस्वाइं सहाई कण्णसोयपडियाए णो अभिसंधारेजा गमणाए ॥ ९५१ ॥ से भिक्खू वा (२) अहावेगइयाइं सहाई सुणेति तंजहा-कच्याणि वा, णूमाणि वा, गहणाणि वा, वणाणि वा, वणदुग्गाणि वा, पव्वयाणि वा, पचयदुग्गाणि वा, अण्णयराइं वा तहप्पगाराइं विरूवरूवाइं सहाई कण्णसोयपडियाए णो अभिसंधारेजा गमणाए ॥९५२॥ से भिक्खू वा (२) अहावेगझ्याई सद्दाइं मुणेति तंजहा-गामाणि वा, णगराणि वा, णिगमाणि वा, रायहाणिआसमपट्टणसनिवेसाणि वा, अण्णयराई तहप्पगाराइं सद्दाइं णो अभिसंधारेजा गमणाए ॥ ९५३ ॥ से भिक्खू वा (२) अहावेगइयाई सद्दाई सुणेति तंजहा-आरामाणि वा, उजाणाणि वा, वणाणि वा, वणसंडाणि वा, देवकुलाणि वा सभाणि वा, पवाणि वा, अण्णयराइ वा तहप्पगाराई सदाई णो अभिसंधारेजा गमणाए ॥ ९५४ ॥ से भिक्खू वा (२) अहावेगइयाई सद्दाइं सुणेति तंजहा अट्टाणि वा, अद्यालयाणि वा, चरियाणि वा, दाराणि वा, गोपुराणि वा, अण्णयराइं वा तहप्पगाराइं सहाई णो अभिसंधारेजा गमणाए ॥ ९५५ ॥ से भिक्खू वा (२) अहावेगइयाइं सद्दाइं सुति तंजहा-तियाणि वा, चउक्काणि वा, चच्चराणि वा, चउम्मुहाणि वा, अण्णयराई वा तहप्पगाराई सद्दाई णो अभिसंधारेजा गमणाए ॥ ९५६ ॥ से भिक्खू वा (२) अहावेगइयाई सद्दाइं सुणेति तंजहा-महिसठ्ठाणकरणाणि वा, वसभट्ठाणकरणाणि वा, अस्सठ्ठाणकरणाणि वा, हत्थिठाणकरणाणि वा जाव कविंजलठ्ठाणकरणाणि वा, अण्णयराइं वा तहप्पगाराइं सद्दाइं णो अभिसंधारेजा गमणाए॥९५७ ॥ से भिक्स वा (२) अहावेगइयाइं सद्दाइं सुणेति तंजहा महिसजुद्धाणि वा, वसभजुद्धाणि वा, अस्सजुद्धाणि वा, हत्थिजुद्वाणि वा जाव कविंजलजुद्धाणि वा, अण्णयराई वा तहप्पगाराई णो अभिसंधारेजा गमणाए ॥ ९५८ ॥ से भिक्खू वा (२) अहा. वेगइयाई सद्दाई सुणेति तंजहा-जूहियठ्ठाणाणि वा, हयजूहियठाणाणि अण्णयरा२ भिक्षु वा (सहपगाराई सद्दाह चरियार Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० म० १३] सुत्तागमे तहप्पगाराइं णो अभिसंधारेज गमणाए ॥९५९ ॥ से भिक्खू वा (२) जाव सुणेति तंजहा-अक्खाइयठाणाणि वा, माणुम्माणियठ्ठाणाणि वा, महयाऽऽहयणट्टगीयवाइयतंतितलतालतुडियपडप्पवाइयठाणाणि वा, अण्णयराई वा तहप्पगाराई णो अभिसंधारेज गमणाए ॥ ९६० ॥ से भिक्खू वा (२) जाव सुणेति तंजहा-कलहाणि वा, डिवाणि वा, डमराणि वा, दोरजाणि वा, वेररजाणि वा विरुद्धरजाणि वा, अण्णयराई वा तहप्पगाराई सद्दाइं णो अभिसंधारेज गमणाए ॥९६१॥ से भिक्खू वा (२) जाव सद्दाई सुणेइ खुड्डियं दारियं परिभुत्तमंडियालंकियनिवुज्झमाणिं पेहाए एगं पुरिसं वा वहाए णीणिजमाणं पेहाए अण्णयराइंवा तहप्पगाराई णो अभिसंधारेज गमणाए ॥ ९६२ ॥ से भिक्खू वा (२) अण्णयराइं विख्वरूवाइं महासवाइं एवं जाणिज्जा तंजहा बहुसगडाणि वा, बहुरहाणि वा, बहुमिलक्खूणि वा, बहुपच्चंताणि वा, अण्णयराइं वा तहप्पगाराइं विरूवरूवाइं महासवाइं कण्णसोयपडियाए णो अभिसंधारेज गमणाए ॥ ९६३ ॥ से भिक्खू वा (२) विरूवरूवाई महुस्सवाइं एवं जाणिज्जा तंजहा-इत्थीणि वा, पुरिसाणि वा, थेराणि वा, डहराणि वा, मज्झिमाणि वा, आभरणविभूसियाणि वा, गायंताणि वायंताणि वा, णचंताणि वा, हसंताणि वा, रमंताणि वा, मोहंताणि वा, विउलं असणपाणखाइमसाइमं परिभुजंताणि वा, परिभाइंताणि वा, विच्छड्डियमाणाणि वा, विगोवयमाणाणि वा, अण्णयराइं वा तहप्पगाराइं विरूवस्वाइं महुस्सवाइं कण्णसोयपडियाए णो अभिसंधारेज गमणाए ॥ ९६४ ॥ से भिक्खू वा (२)णो इहलोइएहिं सद्देहिं णो परलोइएहि सद्देहि, णो सुएहिं सद्देहि, णो असुएहिं सद्देहि, णो दिटेहिं सद्देहिं णो अदिठेहि सद्देहि, णो कंतेहिं सद्देहिं सजिजा, जो रज्जेजा, णो गिज्झेजा, णो मुज्झेजा, णो अज्झोववजेज्जा ॥ ९६५ ॥ एवं खलु तस्स भिक्खुस्स २ वा सामग्गियं जाव जएजासि त्ति बेमि ॥ ९६६ ॥ सहसत्तिकयं एयारहममज्झयणं समत्तं सद्दसत्तिक्कयं चउत्थं ॥ ___ से भिक्खू वा (२) अहावेगइयाई रुवाई पासइ तंजहा-गंथिमाणि वा, वेढिमाणि वा, पूरिमाणि वा, संघाइमाणि वा, कट्ठकम्माणि वा, पोत्थकम्माणि वा, चित्तकम्माणि वा, मणिकम्माणि वा, दंतक्रम्माणि वा, पत्तच्छेजकम्माणि वा, विविहाणि वा वेढिमाइं जाव अण्णयराइं वा तहप्पगाराई विरूवरूवाई चक्खुदंसणपडियाए णो अभिसंधारेज गमणाए ॥ ९६७ ॥ एवं णायव्वं जहा सहपडियाए सव्वा वाइत्तवज्जा रूवपडियाएवि ॥ ९६८ ॥ रूवसत्तिक्कयं दुवालसममज्झयणं समत्तं रूवसत्तिक्कयं पंचम . परकिरियं अज्झत्थियं संसेसियं णो तं सायए णो तं णियमे ॥ ९६९ ॥ सिया Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -- -- --- yernment AATANDAm itmen t सुत्तागमे [आयारे से परो पाए आमजिज वा पमजिज वा णो तं सायए णो तं णियमे सिया से परो पादाइं संवाहेज वा पलिमद्दिज वा णो तं सायए णो तं णियमे सिया से परो पायाइं फुसेज वा रएज वा णो तं सायए णो तं णियमे सिया से परो पादाई तेल्लेण वा घएण वा मक्खेज वा अभिगिज वा णो तं सायए णो तं नियमे, सिया से परो पादाइं लोद्देण वा कक्केण वा चुन्नेण वा वनेण वा उल्लोढिज वा उव्वलिज्ज वा णो तं सायए णो तं नियमे, सिया से परो पादाइं सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज वा पधोएज वा णो तं सायए णो तं णियमे, सिया से परो पादाइं अण्णयरेण विलेवणजाएण आलिपेज वा विलिपेज वा णो तं सायए णो तं नियमे, 'सिया से परो पादाइं अण्णयरेण धूवणजाएण धूवेज वा पधूवेज वा णो तं सायए णो तं 'णियमे, सिया से परो पादाओ खाणुं वा कंटयं वा णीहरेज वा विसोहेज वा णो तं सायए णो तं णियमे । सिया से परो पादाओ पूर्व वा सोणियं वा णीहरेज वा विसोहेज वा णो तं सायए णो तं णियमे ॥ ९७० ॥ सिया से परो कायं आमजेज वा पमज्जेज वा णो तं सायए णो तं णियमे, सिया से परो कायं लोट्टेण वा संवाहिज्ज वा पलिमद्दिज वा णो तं सायए णो तं णियमे, 'सिया से परो कायं तेल्लेण वा घएण वा मक्खेज वा अभंगेज वा णो तं सायए णो तं णियमे, सिया से परो कायं लोहेण वा ककेण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा उल्लोढिज वा उव्वलिज वा णो तं सायए णो तं णियमे सिया से परो कायं सीओदगवियडेणे वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज वा- पहोएज वा णो तं सायए णो तं णियमे, सिया से परो कार्य अण्णयरेणं विलेवणजाएणं आलिपेज वा, विलिपेज वा, णोतं सायए, णो तं णियमे । सिया से परो कायं अण्णयरेण धूवणजाएण धूवेज वा, पधूवेज वा, णो तं सायए णो तं णियमे ॥ ९७१ ॥ सिया से परो कार्यसि वणं आमज्जेज वा पमज्जेज वा णो तं सायए णो तं नियमे, सिया से परो कायंसि वणं संवाहेज वा पलिमद्देज वा णोतं सायए णो तं नियमे, 'सिया से परो कायंसि वणं तेल्लेण वा घएण वा मक्खेज वा अभंगिज वा, णो तं सायए णो तं नियमे । सिया से परो कायंसि वणं लोद्देण वा कक्केण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा उल्लोढिज वा उव्वल्लेज वा णो तं सायए णो तं नियमे, सिया से परो कार्यसि वणं सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज वा पधोवेज वा णो तं सायए णो तं नियमे ॥ ९७२ ॥ से सिया परो कार्यसि वणं अन्नयरेणं विलेवणजाएणं आलिंपेज वा विलिंपेज वा नो तं २। सिया से परो कायंसि वणं अन्नयरेणं धूवणजाएणं धूवेज वा प० नो तं० २। सिया से परो कार्यसि Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० १३] सुत्तागमे चगं अन्नयरेणं सत्थजाएणं अच्छिदिन वा विच्छिदिज वा प० नो तं० २। सिया से परो कायंसि वणं अन्न सत्थजाएणं आच्छिदित्ता वा विच्छिदित्ता वा पूर्व वा सोणियं वा नीहरिज वा वि० नो तं० २। सिया से परो कार्यसि गंडं वा, अरइं वा, पुलइयं चा, भगंदलं वा, आमज्जेज वा, पमज्जेज वा, णो तं सायए णो तं नियमे । सिया से परो कार्यसि गंडं वा, अरइयं वा, पुलइयं वा, भगंदलं वा, संवाहेज वा पलिमद्देन वा, णोतं सायए णोतं नियमे, सिया से परो कार्यसि गंडं, वा जाव भगंदलं वा, तेल्लेण वा घएण वा मक्खेज वा अभिगेज वा णो तं सायए णोतं नियमे । सिया से कार्यसि गंडं वा जाव भगंदलं वा, लोद्देण वा, कक्रेण वा चुन्नेण वा, वण्णेण वा उल्लोडिज्ज वा, उव्वलेज वा, णो तं सायए णो तं नियमे । सिया से परो कायंसि गंडं वा भगंदलं वा, सीओदगवियडेण वा, उसिणोदगवियडेण वा, उच्छो. लेज वा, पधोवेज वा, णो तं सायए, णो तं नियमे, सिया से परो कार्यसि गंडं वा जाव भगंदलं वा अण्णयरेणं सत्यजाएणं अच्छिदेज विच्छिदेज वा, सिया से परो अण्णयरेणं सत्थजाएणं अच्छिदित्ता वा २ पूयं वा सोणियं वा णीहरेज वा णो तं सायए णो तं नियमे ॥९७३॥ सिया से परो कायाओ सेयं वा जलं वा णीहरेज वा विसोहेज वा णो तं सायए णो तं नियमे ॥९७४॥ सिया से परो अच्छिमलं, कण्णमलं वा, दंतमलं वा णहमलं वा, णीहरिज वा विसोहिज वा णो तं सायए णो तं नियमे ॥९७५॥ सिया से परो दीहाइं वालाइं, दीहाइं रोमाइं, दीहाई भमुहाई, दीहाइं कक्खरोमाइं, दीहाई वत्थिरोमाइं, कप्पेज वा संठवेज वा णो तं सायए णो तं नियमे ॥९७६॥ सिया से परो सीसाओ लिक्खं वा जूयं वा णीहरेज वा विसोहेज वा णोतं सायए णो तं नियमे ॥ ९७७ ॥ सिया से परो अंक्रसि पलियंकंसि वा तुयट्टावित्ता पादाई आमजिज वा पमजिज्ज वा एवं हिछिमो गमो पायादि भाणियव्वो, सिया से परो अंकंसि वा पलियंकंसि वा तुयट्टावित्ता, हारं वा अद्धहारं वा उरत्थं वा, गेवेयं वा, मउडं वा, पालंबं वा सुवण्णसुत्तं वा, आविहिज वा, पिणहिज वा णों तं सायए णो तं नियमे ॥ ९७८ ॥ सिया से परो आरामंसि वा, उज्जाणंसि वा, णीहरित्ता वा पविसित्ता वा पायाइं आमजेज वा पमजेज वा, णो तं सायए णो त नियमे ॥ ९७९ ॥ एवं णेयव्वा अण्णमण्णकिरियावि ॥ ९८० ॥ सिया से परो सुद्धणं वइवलेणं तेइच्छं आउट्टे सिया से परो असुद्धणं वतिवलेणं तेइच्छ आउट्टे, सिया से परो गिलाणस्स सचित्ताणि कंदाणि वा मूलाणि वा तयाणि वा हरियाणि वा खणित्तु वा कढित्तु वा कट्ठावित्तु वा तेइच्छं आउट्टाविजा णो तं सायए णा त नियमे ॥ ९८१ ॥ कडुवेयणा पाणभूयजीवसत्ता वेयणं वेइंति ॥ ९८२ ॥ Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [आयारे एयं खलु तस्स भिक्खुस्स २ सामग्गियं जं सव्वटेहिं सहिते समिते सदा जए सेयमिणं मण्णेजासि त्ति बेमि ॥ ९८३ ॥ परकिरियासत्तिकयं समत्तं छटुं, तेरहममज्झयणं समत्तं ॥ __ से भिक्खू वा (२) अण्णमण्णकिरियं अज्झत्थियं संसेइयं णो तं सायए णो तं नियमे ॥ ९८४ ॥ सिया से अण्णमण्णं पाए आमजेज वा पमज्जेज वा णो तं सायए णो तं नियमे ॥९८५॥ सेसं तं चेव ॥९८६॥ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स २ वा सामग्गियं ॥९८७ ॥ अन्नुन्नकिरिया सत्तिकयं समत्तं सत्तमं, चउद्दसममज्झयणं समत्तं, बीया चूडा समत्ता॥ तेणं कालेगं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पंचहत्युत्तरे यावि होत्था, तंजहा-हत्युत्तराहिं चुए चइत्ता गम्भं वकंते, हत्युत्तराहिं गम्भाओ गम्भं साहरिए, हत्युत्तराहिं जाए, हत्युत्तराहि मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वइए, हत्युत्तराहिं कसिणे पडिपुण्णे अव्वाघाए निरावरणे अणंते अणुत्तरे केवलवरनाणदंसणे समुप्पण्णे, साइणा परिनिव्वुए भगवं ॥ ९८८ ॥ समणे भगवं महावीरे, इमाए ओसप्पिणीए सुसमंसुसमाए समाए विइकंताए, सुसमाए समाए वीतिकंताए, सुसमदुसमाए समाए वीतिकंताए, दुसमसुसमाए समाए बहुवीतिकंताए, पण्णहत्तरीए वासेहिं मासेहि य अद्धणवयसेसेहि, जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अठुमे पक्खे, आसाढसुद्धे,तस्सणं आसाठसुद्धस्स छठीपक्खेणं हत्युत्तराहिं णक्खत्तेणं जोगमुवागएणं, महाविजयसिद्धत्थपुप्फुत्तरपवरपुंडरीयदिसासोवत्थियवद्धमाणाओ महाविमाणाओ वीसंसागरोवमाइं आउयं पालइत्ता, आउक्खएणं, भवक्खएणं ठिइक्खएणं चुए चइत्ता इह खलु जंबुद्दीवे दीवे, भारहे वासे, दाहिणड्डभरहे दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसंमि उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगोत्तस्स देवाणंदाए माहणीए जालंधरस्स गुत्ताए सीहुभवभूएणं अप्पाणेणं कुच्छिसि गम्भं वकंते, समणे भगवं महावीरे तिन्नाणोवगए यावि होत्था, चइस्सामित्ति जाणइ चुएमित्ति जाणइ, चयमाणे न जाणेइ, सुहुमे णं से काले पन्नत्ते । तओ णं समणे भगवं महावीरे हियाणुकंपए णं देवेणं जीयमेयं त्ति का जे से वासाणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे आसोयबहुले तस्सणं आसोयवहुलस्स तेरसीपक्खेणं हत्युत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं बासीहिं राइंदिएहिं विइक्तेहिं तेसीइमस्स राइंदियस्स परियाए वट्टमाणे दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसाओ उत्तरखत्तियकुंडपुरसंनिवेसंसि णायाणं खत्तियाण सिद्धत्थस्स खत्तियस्स कासवगुत्तस्स तिसलाए खत्तियाणीए वासिठ्ठसगुत्ताए असुभाणं पुग्गलाणं अवहार करित्ता, सुभाणं पुग्गलाणं पक्खेवं करित्ता कुच्छिसि गब्भ साहरइ, जेविय से Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० १५] सुत्तागमे तिसलाए खत्तियाणीए कुच्छिसि गम्भे तंपि य दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसंसि उस...को...देवा...जालंधरायणगुत्ताए कुच्छिसि गभं साहरइ ॥ ९८९ ॥ समणे भगवं महावीरे तिण्णाणोवगए यावि होत्था, साहरिजिस्सामित्ति जाणइ, साहरिजमाणे न जाणइ साहरिएमित्ति जाणइ समणाउसो! ॥ ९९० ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं तिसलाए खत्तियाणीए अह अण्णया कयाइ णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धठमाणं राइंदियाणं वीतिकंताणं जे से गिम्हाणं पढमे मासे दोचे पक्खे चित्तसुद्धे तस्सणं चित्तसुद्धस्स तेरसीपक्खेणं, हत्युत्तराहिं जोगमुवागएणं समणं भगवं महावीर आरोग्गारोग्गं पसूया ॥९९१॥ ज णं राइं तिसला खत्तियाणी समणं भगवं महावीरं आरोयारोयं पसूया, तं णं राइं भवणवइवाणमंतरजोइसियविमाणवासिदेवेहि य देवीहि य उवयंतेहि य उप्पयंतेहि य एगे महं दिव्वे देवुजोए देवसण्णिवाते देवकहकहे उप्पिंजलगभूए यावि होत्था ॥ ९९२ ॥ ज णं रयणिं तिसला खत्तियाणी समणं भगवं महावीरं आरोयारोयं पसूया तं गं रयाणिं वहवे देवा य देवीओ य एग महं अमयवासं च, गंधवासं च, चुण्णवासं च, पुप्फवासं च, हिरण्णवासं च, रयणवासं च वासिंसु ॥ ९९३ ॥ जंण रयणि तिसला खत्तियाणी समणं भगवं महावीरं आरोयारोयं पसूया, तं गं रयणिं भवणवइवाणमंतरजोइसियविमाणवासिणो देवा य देवीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स सूइकम्माइं तित्थयराभिसेयं च करिसु ॥ ९९४ ॥ जओ णं पभिइ भगवं महावीरे तिसलाए खत्तियाणीए कुच्छिसि गब्भ आगए ततो गं पभिइ तं कुलं विपुलेणं हिरण्णेणं सुवण्णेणं धणेणं धण्णेणं माणिक्केणं मोत्तिएणं संखसिलप्पवालेणं अईव २ परिवड्डइ, ततोणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अम्मापियरो एयमढ़ जाणित्ता णिवत्तदसाहसि वोक्ततंसि सुचिभूयंसि विपुलं असणपाणखाइमसाइमं उवक्खडावेंति उवक्खडावेत्ता मित्तणातिसयणसंबंधिवग्गं उवणिमंतेति उवणिमंतेत्ता वहवे समणमाहणकिवणवणिमगाहिं भिच्छंडगपंडरगातीण विच्छहृति विग्गोवेति विस्साणेति दातारेसु णं दाणं पजभाइंति, विच्छड्डित्ता विग्गो वित्ता विस्साणित्ता दायारेसु णं दाणं पज्जभाइत्ता मित्तणाइसयणसंबंधिवग्गं भुंजावेंति भुंजावेत्ता मित्तणाइसयणसंबंधिवग्गेण इमेयारूवं णामधेनं कारवेंति, जओ णं पभिइ इमे कुमारे तिसलाए खत्तियाणीए कुच्छिसि गम्भे आगए, तओणं पभिइ इमं कुलं, विउलेणं हिरण्णेणं सुवण्णेणं धणेणं धण्णेणं माणिक्केणं मोत्तिएणं संखसिलप्पवालेणं अईव २ परिवहइ तं होउ णं कुमारे "वद्धमाणे" ॥९९५॥ तओ णं समणे भगवं महावीरे पंचधातिपरिवुडे तंजहा-खीरधाईए-मज्जणधाईए-मंडावणधाइए-खेल्लावणघाइए-अंकधाईए अंकाओ अंकं साहरिजमाणे रम्मे मणिकोट्टिमतले गिरिकंदरस Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [आयारे - मल्लीणे विव चंपयपायवे अहाणुपुव्वीए संवड्डइ ॥ ९९६ ॥ तओ णं समणे भगवं महावीरे विण्णायपरिणये विणियत्तबालभावे अणुस्सुयाइं उरालाई माणुस्सगाई पंचलक्खणाई कामभोगाइं सद्दफरिसरसरूवगंधाइं परियारेमाणे एवं च णं विहरइ ॥९९७ ॥ समणे भगवं महावीरे कासवगोत्ते तस्सणं इमे तिणि णाम धेजा एवमाहिति, अम्मापिउसंतिए “वद्धमाणे,” सहसम्मइए “समणे" भीमभयभेरवं उरालं अचेलयं परिसहं सहइ त्ति कटु देवेहिं से णाम कयं “समणे भगवं महावीरे" ॥ ९९८ ॥ समणस्स णं भगवओ महावीररस पिआ कासवगोत्तेणं तस्स णं तिण्णि णामधेजा एवमाहिंजंति, तंजहा-सिद्धत्थे त्ति वा, सेजसेत्ति वा, जसंसे त्ति वा ॥ ९९९ ॥ समणस्स भगवओ महावीरस्स अम्मा वासिठ्ठसगोत्ता तीसेणं तिण्णि णामधेजा, एवमाहिति तंजहा-तिसला इ वा, विदेहदिण्णा इ वा, पियकारिणी इ वा ॥ १००० ॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स पित्तियए 'सुपासे' कासवगोत्तेणं, समणस्स णं भगवओ महावीरस्स जेठे भाया णंदिवद्धणे कासवगोत्तेणं, समणस्स णं भगवओ महावीरस्स जेट्ठा भइणी सुदंसणा कासवगोत्तेणं, समणस्स णं भगवओ महावीरस्स भजा जसोया गोत्तेणं कोडिण्णा, समणस्स भगवओ महावीरस्स धूया कासवगोत्तेणं, तीसेणं दो णाम धेजा, एवमाहिजंति, तंजहाअणोजा इ वा, पियदसणा इ वा, समणस्स णं भगवओ महावीरस्स णत्तुई कोसियगोत्तेणं तीसेणं दो णामधेजा, एव माहिज्जति, तंजहा-सेसवई इ वा, जसवती इ वा ॥ १००१ ॥ समणस्स णं भगवओ सहावीरस्स अम्मापियरो पासावच्चिजा, समणोवासगा यावि होत्था, ते णं बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पालइत्ता, छण्हं जीवनिकायाणं संरक्खणनिमित्तं आलोइत्ता निदित्ता गरहित्ता पडिक्कमित्ता अहारिहं उत्तरगुणपायच्छित्तं पडिवजित्ता कुससंथारं दुरुहित्ता, भत्तं पञ्चक्खाइंति, भत्तं पच्चक्खाइत्ता अपच्छिमाए मारणंतियाए संलेहणाए झुसियसरीरा कालमासे कालं किच्चा तं सरीरं विप्पजहित्ता अच्चुए कप्पए देवत्ताए-उववण्णा, तओणं आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं चुए चइत्ता महाविदेहवासे चरिमेणं ऊसासेणं सिज्झिस्संति, वुज्झिस्संति, मुच्चिस्संति, परिणिव्वाइस्संति, सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ १००२॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे णाए णायपुत्ते णायकुलणिवत्ते विदेहे विदेहदिण्णे विदेहजचे विदेहसूमाले तीसं वासाइं विदेहंसित्ति कटु अगारमज्झे वसित्ता अम्मापिऊहिं कालगएहिं देवलोगमणुपत्तेहिं समत्तपइण्णे चिच्चा हिरण्णं, चिच्चा सुवण्णं, चिच्चा बलं, चिच्चा वाहणं चिच्चा धणधण्णकणयरयणसंतसारसावइज्जं, विच्छवेत्ता, विगोवित्ता, विस्साणित्ता, दायारेसु Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० म० १५]] सुत्तागमे दाणं दाइत्ता परिभाइत्ता, संवच्छरं दलइत्ता, जे से हेमंताणं पढमे मासे पढमे पक्खे, मग्गसिरवहुले, तस्सणं मग्गसिरवहुलस्स दसमीपंक्षेणं हत्युत्तराहिं णक्खतेणं जोगमुवागएणं अभिणिक्खमणाभिप्पाए यावि होत्था ॥ १००३॥ संवच्छरेण होहिति अभिणिक्खमणं तु जिणवरिंदाणं, तो अस्थि संपदाणं, पव्वत्तई पुव्वसूराओ ॥ १००४ ॥ एगा हिरण्णकोडी, अठेव अणूणया सयसहस्सा, सूरोदयमाईयं दिजइ जा पायरासोत्ति ॥१००५ ॥ तिण्णेव य कोडिसया अठासीइंच होंति कोडीओ, असिइं च सयसहस्सा, एवं संवच्छरे दिण्णं ॥ १००६ ॥ वेसमणकुंडलधरा, देवा लोगतिया महिड्डिया। वोहिंति य तित्थयरं, पण्णरससु कम्मभूमिसु ॥ १००७ ॥ भमि य कप्पमि य वोद्धव्वा कण्हराइणो मज्झे लोगंतिया विमाणा, अठ्ठसुवत्था असंखेजा ॥ १००८ ॥ एते देवणिकाया, भगवं वोहिति जिणवरं वीरं, सव्वजगज्जीवहियं, अरहं तित्थं पव्वत्तेहिं ॥ १००९ ॥ तओ णं समणस्स भगवओ महावीरस्स अभिणिक्खमणाभिप्पायं जाणेत्ता भवणवइवाणमंतरजोइसियविमाणचासिणो देवा य देवीओ य सएहिं सएहिं रूवेहिं, सएहि सएहिं णेवत्येहिं, सरहिं सएहिं चिधेहि, सव्विड्डीए, सव्वजुईए, सव्ववलसमुदएणं, सयाइं सयाइं जाणविमाणाई दुरुहंति सयाइं २ जाणविमाणाई दुरुहित्ता, अहा वादराई पोग्गलाइं परिसाडेति परिसाडित्ता, अहासुहुमाइं पोग्गलाइं परियाइंति परियाइत्ता, उड़े उप्पयंति उप्पइत्ता, ताए उक्किठाए सिग्याए चंवलाए तुरियाए दिव्वाए देवगईए अहेणं उवयमाणा २ तिरिएणं असंखेजाइं दीवसमुद्दाई वीतिकममाणा २ जेणेव जंबुद्दीवे दीवे तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता, जेणेव उत्तरखत्तियकुंडपुरसंणिवेसे तेणेव उवागच्छित्ता, तस्स उत्तरपुरस्थिमे दिसिभाए तेणेव झत्तिवेगेण उवठिया ॥ १०१०॥ तओ णं सक्के देविंदे देवराया सणियं सणियं जाणविमाणं ठवेति ठवेत्ता, सणियं २ जाणविमाणाओ पच्चोत्तरति, पच्चोत्तरित्ता एगंतमवक्कमेति एगंतमवक्कमेत्ता, महया वेविएणं समुग्धाएणं समोहणति, महया वेउविएणं समुग्घाएणं समोहणित्ता, एगं महं, णाणामणिकणगरयणभत्तिचित्तं सुभं चारुकंतरूवं देवच्छंदयं विउव्वति, तस्सणं देवच्छंदयस्स वहुमज्झदेसभाए एग महं सपायपीढं सीहासणं णाणामणिकणयरयणभत्तिचित्तं सुभं चारुकंतरूवं विउव्वइ विउव्वित्ता, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, समणं भगवं महावीरं वंदति णमंसति, वंदित्ता णमंसित्ता समणं भगवं महावीरं गहाय जेणेव देवच्छंदए तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता, संणियं २ पुरत्थाभिमुहे सीहासणे णिसीयावेइ णिसीयावेत्ता सयपागसहस्सपागेहिं तेल्लेहि अभंगेति Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [आयारे अब्भंगेत्ता गंधकासाइएहिं उल्लोलेति उल्लोलित्ता, सुद्धोदएणं मज्जावेइ मजावित्ता, जस्स णं मुलं सयसहस्सेगं तिपडोलतित्तिएणं साहिएणं सीएणं गोसीसरत्तचंदणेणं अणुलिंपति अणुलिंपित्ता ईसिंणिस्सासवातवोझं वरणगरपट्टणुग्गयं कुसलणरपसंसितं अस्सलालापेलवं छेयायरियकणगखचियंतकम्मं हंसलक्खणं, पजुयलं णियंसावेइ, णियंसावेत्ता हारं अद्धहारं उरत्यं नेवत्थं एगावलिं पालंवसुत्तं पट्टमउडरयणमालाओ आविंधावेति आविधावेत्ता गंठिमवेढिमपूरिमसंघाइमेणं मल्ढेणं कप्परुक्खमिव समलंकरेति २ दोच्चपि महया वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहणइ, समोहणित्ता एगं महं चंदप्पमं सिवियं सहस्सवाहिणि विउव्वइ तंजहा-ईहामियउसभतुरगणरमकरविहगवाणरकुंजररुरुसरभचमरसहूलसीहवणलयपउमलयभत्तिचित्तलयविचित्तविजाहरमिहुणजुयलजंतजोगजुत्तं, अच्चीसहस्समालिणीयं सुणिरूवियं मिसिमिसिंतरूवगसहस्सकलियं, ईसिभिसमाणं भिब्भिसमाणं चक्खुल्लोयणलेसं, मुत्ताहलमुत्तजालंतरोपियंतवणीयपवरलंवूसगपलंबंतमुत्तदाम, हारद्धहारभूसणसमोणयं अहियपिच्छणिज पउमलयभत्तिचित्तं, असोककुंदणाणालयभत्तिचित्तं विरइयं सुभं चारकंतख्वं णाणामणिपंचवण्णघंटापडायपरिमंडियग्गसिहरं पासादीयं दरिसणीयं सुरूवं ॥१०११॥ सीया उवणीया जिणवरस्स-जरमरणविप्पमुक्कस्स; ओसत्तमल्लदामा, जलथलयदिव्वकुसुमेहिं ॥१॥ सिवियाइ मज्झयारे, दिव्वं वररयणरूवचिंचइयं; सीहासणं महरिहं सपादपीढं जिणवरस्स ॥ २ ॥ आलइयमालमउडो भासुरबोंदी वराभरणधारी; खोमियवत्थणियत्थो, जस्स य मोल्लं सयसहस्सं ॥ ३ ॥ छठेण उ भत्तेणं अज्झवसाणेण सोहणेण जिणो, लेसाहि विसुज्झंतो, आरुहइ उत्तमं सीयं ॥ ४ ॥ सीहासणे णिविठ्ठो सक्कीसाणा य दोहिं पासेहि, वीयंति चामराहिं मणिरयणविचित्तदंडाहिं ॥ ५॥ पुग्ि उक्खित्ता माणुसेहिं साहठ्ठरोमपुलएहि, पच्छा वहंति देवा, सुरअसुरगरुलणागिंदा ॥ ६ ॥ पुरओ सुरा वहंती असुरा पुण दाहिणमि पासंमि । अवरे वहति गरुला, णागा पुण उत्तरे पासे ॥ ७ ॥ वणसंडं व कुसुमियं, पउमसरो वा जहा सरयकाले; सोहइ कुसुमभरेणं, इय गगणयलं सुरगणेहिं ॥ ८॥ सिद्धत्थवणं व जहा, कणियारवणं व चंपयवणं वा, सोहइ कुसुमभरेणं, इय गगणयलं सुरगणेहिं ॥९॥ वरपडहमेरिज्झल्लरिसंखसयसहस्सिएहि तूरेहिं । गगणतले धरणितले तूरणिणाओं परमरम्मो ॥ १०॥ ततविततं घणझुसिरं आउजं चउविहं बहुविहीयं; वायंति तत्थ देवा, बहुहिं आणट्टगसएहि ॥ ११॥ १०१२ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं जे से हेमंताणं पढमे मासे पढमे पक्खे, मग्गसिरबहुले, तस्सणं मग्गसिरबहुलस्स दसमीपक्खेणं, सुव्वएणं दिवसेणं, विजएणं मुहुत्तेणं, हत्युत्तराणक्खत्तेणं जोगोवगएणं Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० १५] सुत्तागमे पाईणगामिणीए छायाए बिझ्याए पोरिसीए छठेणं भत्तेणं अपाणएणं, एगसाडगमायाए, चंदप्पहाए सिवियाए सहस्सवाहिणीए सदेवमणुयासुराएपरिसाए समणिजमाणे २ उत्तरखत्तियकुंडपुरसंणिवेसस्स मज्झमज्झेणं णिगच्छित्ता जेणेव णायसंडे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ईसिरयणिप्पमाणं अच्छोप्पेणं भूमिभागेणं सणियं २ चंदप्पभं सिवियं सहस्सवाहिणि ठवेइ ठवेत्ता सणियं २ चंदप्पभाओ सिवियाओ सहस्सवाहिणीओ पच्चोयरइ, पच्चोयरित्ता सणियं २ पुरत्थाभिमुहे सीहासणे णिसीयेइ, आभरणालंकारं ओमुयइ, तओणं वेसमणे देवे जन्नुव्वायपडिओ समणस्स भगवओ महावीरस्स हंसलक्खणेणं पडेणं आभरणालंकारं पडिच्छइ; तओ णं समणे भगवं महावीरे दाहिणेणं दाहिणं वामेणं वामं पंचमुठ्ठियं लोयं करेइ, तओ णं सक्के देविंदे देवराया समणस्स भगवओ महावीरस्स जन्नुव्वायपडिए वयरामयेणं थालेणं केसाई पडिच्छइ, पडिच्छित्ता “अणुजाणेसि भंते” त्ति कटु खीरोयसायरं साहरइ, तओ णं समणे भगवं महावीरे दाहिणेणं दाहिणं वामेणं वाम पंचमुठ्ठियं लोयं करेत्ता सिद्धाणं णमोकारं करेइ करेत्ता, "सव्वं मे अकरणिजं पावकम्म"ति कटु सामाइयं चरित्तं पडिवजइ, सामाइयं चरित्तं पडिवज्जित्ता देवपरिसं मणुयपरिसं च आलिक्खचित्तभूयमिव ठवेइ ॥ १०१३ ॥ दिव्वो मणुस्सघोसो, तुरियणिणाओ य सक्कवयगेण, खिप्पामेव णिलुक्को, जाहे पडिवजइ चरित्तं ॥ १॥ पडिवजित्तु चरित्तं अहोणिसिं सव्वपाणभूतहितं; साहट्ट लोमपुलया, सव्वे देवा निसामिति २॥ १०१४॥ तओ णं समणस्स भगवओ महावीरस्स सामाइयं खाओवसमियं चरित्तं पडिवनस्स मणपजवणाणे णामं णाणे समुप्पन्ने, अड्डाइजेहिं दीवहिं दोहिं य समुद्दहि सण्णीणं पंचेंदियाणं पज्जत्ताणं वियत्तमणसाणं मणोगयाइं भावाई जाणेइ ॥ १०१५ ॥ तओ णं समणे भेगवं महावीरे पव्वइते समाणे मित्तणातिसयणसंबंधिवग्गं पडिविसज्जेति, पडिविसजित्ता इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ, “वारसवासाइं वोसठुकाए चत्तदहे जे केइ उवसग्गा समुप्पजति, तंजहा-दिव्वा वा, माणुस्सा वा, तेरिच्छिया वा, ते सव्वे उवसग्गे समुप्पण्णे समाणे सम्मं सहिस्सामि, खमिस्सामि अहियासइस्सामि" ॥१०१६ ॥ तओणं समणे भगवं महावीरे इमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिम्हित्ता वोसट्टकाए चत्तदेहे दिवसे मुहुत्तसेसे कुमारगाम समणुपत्ते ॥ १०१७ ॥ तओ णं समणे भगवं महावीरे वोसचत्तदेहे अणुत्तरेणं आलएणं, अणुत्तरेगं विहारंग, एवं संजमेणं, परगहेणं, संवरेणं तवेणं, बंभचेरवासेणं, खंतीए, मोत्तीए, तुठीए, समितीए, गुत्तीए, ठाणेणं, कम्मेणं, सुचरियफलणिव्वाणमुत्तिमग्गेणं, अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।। १०१८॥ एवं वा विहरमाणस्स जे केइ उवसग्गा समुपज्जति दिव्वा Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे अणते, अणुती सत्वष्णू सवालवणं, उववाय [आयारे९४ वा माणुस्सा वा तेरिच्छिया वा ते सव्वे उवसग्गे समुप्पन्ने समाणे अणाउले अव्वहिए अदीणमाणसे तिविहमणवयणकायगुत्ते सम्म सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ ॥ १०१९ ॥ तओ णं समणस्स भगवओ महावीरस्स एएणं विहारेणं विहरमाणस्स वारसवासा विइकंता, तेरसमस्स वासस्स परियाए वट्टमाणस्स जे से गिम्हाणं दोचे मासे चउत्थे पक्खे वइसाहसुद्धे, तस्सणं वइसाहसुद्धस्स दसमीपक्खेणं सुव्वएणं दिवसेणं विजएणं मुहुत्तेण हत्युत्तराहिं णक्खत्तेणं जोगोवगतेणं पाईणगामिणीए छायाए वियत्ताए पोरिसीए जंभियगामस्स णगरस्स बहिया णईए उजुवालियाए उत्तरे कूले, सामागस्स गाहावइस्स कठुकरणंसि वेयावत्तस्स चेइयस्स उत्तरपुरथिमे दिसीभाए सालरुक्खस्स अदूरसामंते उकुडयस्स गोदोहियाए आयावणाए आयावेमाणस्स छठेणं भत्तेणं अपाणएणं उद्बुजाणुअहोसिरस्स धम्मज्झाणकोठोवगयस्स सुक्कज्झाणंतरियाए वट्टमाणस्स निव्वाणे, कसिणे, पडिपुण्णे, अव्वाहए, णिरावरणे, अणंते, अणुत्तरे, केवलवरणाणदंसणे समुप्पण्णे ॥ १०२० ॥ से भयवं अरहा जिणे जाए, केवली सव्वण्णू सव्वभावदरिसी, सदेवमणुयासुरस्स लोयस्स पनाए जाणइ, तंजहा-आगति गतिं ठिति चवणं, उववायं भुत्तं पीयं कडं पडिसेवियं आवीकम्मं रहोकम्म लवियं कहियं मगोमाणसियं सव्वलोए सव्वजीवाणं, सव्वभावाइं जाणमाणे पासमाणे एवं च णं विहरइ ।। १०२१ ॥ जणं दिवसं समणस्स भगवओ महावीरस्स णिव्वाणे कसिणे जाव समुप्पण्णे, तण्णं दिवसं भवणवइवाणमंतरजोइसियविमाणवासिदेवेहि य देवीहि य उव्वयंतेहिं य जाव उप्पिंजलगभूए यावि होत्था ॥१०२२॥ तओ णं समणे भगवं महावीरे उप्पण्णवरणाणदंसणधरे अप्पाणं च लोगं च अभिसमिक्ख पुव्वं देवाणं धम्ममाइक्खति तओ पच्छा मणुस्साणं ॥ १०२३ ॥ तओणं समणे भगवं महावीरे उप्पण्णणाणदंसणधरे गोयमाईणं समणाणं णिग्गंथाणं पंच महव्वयाई सभावणाई छज्जीवनिकायाइं आइक्खइ, भासइ, परवेइ, तंजहा-पुढविकाए जाव तसकाए ॥१०२४॥ पढसं भंते ! महन्वयं पञ्चक्खामि, सव्वं पाणाइवायं से सुहुमं वा वायरं वा तसं वा थावरं वा व सयं पाणाइवायं करेजा ३ जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं मणसा वयसा कायसा, तस्स भंते ! पडिकमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि ॥ १०२५ ॥ तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति ॥ १०२६ ॥तथिमा पढमा भावणा, इरियासमिए से णिग्गंथे, णो अणइरियासमिए त्ति, केवली बूया अणडरियासमिए से णिग्गंथे, पाणाइं ४ अभिहणेज वा, वत्तेज वा, परियावेज वा, लेसेज वा, उद्दवेज वा, इरियासमिए से णिग्गंथे, णो अणइरियासमिए त्ति पढमाभावणा ॥१०२७ ॥ वजीवाणं, Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० १५] सुत्तागमे अहावरा दोच्चा भावणा, मणं परिजाणाइ से गिरगंथे, जे य मणे पावए सावज सकिरिए अण्हयकरे छेयकरे भेयकरे अधिकरणिए पाउसिए, परिताविए पाणाइवाइए, भूओवधाइए तहप्पगारं मणं णो पधारेजा, मणं परिजाणाति से णिनगंथे जे य मणे अपावए त्ति दोच्चा भावणा ॥ १०२८ ॥ अहावरा तच्चा भावणा ॥ वइं परिजाणाइ से णिग्गंथे जा य वई पाविया सावज्जा सकिरिया जाव भूओवघाइया तहप्पगारं वई णो उच्चारिजा, जे वइं परिजाणाइ से गिरगंथे जाय वई अपाविय त्ति तच्चा भावणा ॥ १०२९ ॥ अहावरा चउत्था भावणा, आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिए से णिग्गंथे, णो अणायाणभंडमत्तणिक्खेणासमिए णिग्गंथे केवली वूया, आयाणभंडमत्तणिक्खेवणाअसमिए णिग्गंथे पाणाइंभूयाइंजीवाइं सत्ताइं अभिहणेज वा जाव उद्दवेज वा, तम्हा आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिए से णिग्गंथे जो आयाणभंडमत्तणिक्खेवणाअसमिए त्ति चउत्था भावणा ॥ १०३०॥ अहावरा पंचमा भावणा, आलोइयपाणभोयणभोई से गिरगंथे, णो अणालोइयपाणभोयणभोई, केवली वूया, अणालोइयपाणभोयणभोई से णिग्गंथे पाणाई वा ४ अभिहणेज वा जाव उद्दवेज वा, तम्हा आलोइयपाणभोयणभोई से णिग्गंथे, णो अणालोइयपाणभोयणभोइ त्ति पंचमा भावणा ॥ १०३१॥ एतावता पढमे महव्वए सम्मं काएण फासिए पालिए तीरिए किट्टिए अवट्ठिए आणाए आराहिए यावि भवइ ॥ १०३२॥ पढमे भंते ! महव्वए पाणाइवायाओ वेरमणं ॥ १०३३ ।। अहावरं दोच्चं महव्वयं पञ्चक्खामि सव्वं मुसावायं वइदोसं से कोहा वा, लोहा वा, भया वा, हासा वा, णेव सयं मुसं भासेजा, णेवन्नेगं मुसं भासावेज्जा, अण्णं पि मुसं भासंतं ण समणुजाणेज्जा, तिविहं तिविहेणं मणसा वायसा कायसा तस्स भंते पडिकमामि जाव वोसिरामि ॥ १०३४ ॥ तस्सिमाओ पंच भावणाआ भवति ॥ १०३५ ॥ तस्थिमा पढमा भावणा, अणुवीइभासी से 'णिग्गंथे, णो अणणुवीइभासी; केवली वूया, अणणुवीइभासी से णिग्गंथे समावज्जिन मोसं वयणाए, अणुवीइभासी से णिग्गंथे, णो अणणुवीइभासि त्ति पढमा भावणा ॥ १०३६ ॥ अहावरा दोच्चा भावणा, कोहं परिजाणाइ से णिग्गंथे, णो काहणं सिया, केवली वूया, कोहपत्ते कोहत्तं समावदेजा मोसं वयणाए, कोहं परिजाणाइ से णिग्गंथे, णय कोहणे सियत्ति दोच्चा भावणा ॥ १०३७ ॥ अहावरा तचा भावणा, लोभं परिजाणाइ से णिग्गंथे, णो य लोभणए सिया, केवली व्या, लोभपत्ते लोभी समावदेजा मोसं वयणाए, लोभ परिजाणइ से णिग्गंथे, णो य लोभणए सियत्ति तच्चा भावणा ॥ १०३८ ॥ अहावरा चउत्था भावणा, Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [आयारे भयं परिजाणाइ से 'णिगंथे, णो भयभीरुए सिया; केवली वूया, भयप्पत्ते भीरू समावदेजा मोसं वयणाए, भयं परिजाणइ से णिग्गंथे, णो भयभीरुए सिय त्ति चउत्था भावणा ॥ १०३९ ॥ अहावरा पंचमा भावणा, हासं परिजाणइ से णिग्गंथे, णो य हासणए सिया, केवली वूया, हासप्पत्ते हासी समावदेजा मोसं वयणाए, हासं परिजाणइ से णिग्गंथे, णो य हासणए सिय त्ति पंचमा भावणा ॥ १०४० ॥ एतावता दोचे महव्वए सम्मं काएण फासिए जाव आणाए आराहिए या वि भवति ॥ दोचे भंते महत्वए०॥ १०४१॥ अहावरं तच्चं भंते ! महव्वयं पञ्चक्खामि सव्वं अदिण्णादाणं; से गामे वा, णगरे वा, अरण्णे वा, अप्पं वा, बहुं वा, अणुं वा, थूलं वा, चित्तमंतं वा, अचित्तमंतं वा, णेव सयं अदिण्णं गिण्हिज्जा, णेवण्णेहिं अदिण्णं गेण्हावेजा अण्णंपि अदिण्णं गिण्हतं न समणुजाणिना जावज्जीवाएं जाव वोसिरामि ॥ १०४२ ॥ तस्सिमाओ पंचभावणाओ भवंति तत्थिमा पढमा भावणा, अणुवीइ मिउग्गहं जाई से णिग्गंथे णो अणणुवीई मिउग्गहं जाई से णिग्गंथे केवली बूया अणणुवीईमिओग्गहं जाई से णिग्गंथे अदिण्णं गिण्हेजा अणुवीइमिउग्गहं जाई से णिग्गंथे णो अणणुवीइमिओग्गहंजाइ त्ति पढमा भावणा ॥ १०४३ ॥ अहावरा दोच्चा भावणा, अणुण्णवियपाणभोयणभोई से 'णिग्गंथे णो अणणुण्णवियपाणभोयणभोई, केवली वूया, अणणुण्णवियपाणभोयणभोई से णिग्गंथे अदिण्णं भुंजेजा, तम्हा अणुण्णवियपाणभोयणभोई से णिग्गंथे, णो अणणुण्णवियपाणभोयणभोइ त्ति दोचा भावणा ॥ १०४४ ॥ अहावरा तच्चा भावणा, णिग्गंथे णं उग्गहंसि उग्गहियंसि एतावताव उग्गहणसीलए सिया, केवली वूया, णिग्गंथेणं उग्गहंसि अणुग्गहियंसि एतावताव अणोरगहणसीले अदिण्णं गिण्हेजा णिग्गंथेणं उग्गहसि उग्गहियंसि एतावताव उग्गहणसीलए सियत्ति तच्चा भावणा ॥ १०४५॥ अहावरा चउत्था भावणा, णिग्गयेणं उग्गहंसि उरगहियंसि अभिक्खणं २ उग्गहणसीलए सिया, केवली वूया, णिग्गंथेणं उग्गहंसि उग्गहियंसि अभिक्खणं २ अणोरगहणसीले अदिण्णं गिण्हेजा णिग्गंथे उग्गहसि उग्गहियंसि अभिक्खणं २ उग्गहणसीलए सिय त्ति चउत्था भावणा ॥ १०४६ ॥ अहावरा पंचमा भावणा, अणुवीइमितोग्गहजाई से णिग्गंथे साहम्मिएसु णो अणणुवीइमिउग्गहजाई, केवली वूया, अणणुवीइमिउग्गहजाई से णिग्गंथे साहम्मिएसु अदिण्णं उगिण्हेज्जा, अणुवीइमिओग्गहजाई से णिग्गंथे साहम्मिएसु णो अणणुवीइमिओग्गहजाई इइ पंचमा भावणा,॥ १०४७ ॥ एतावताव तच्चे महन्वए सम्म जाव आणाए आराहिए यावि भवइ, तच्चं भंते महः Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० म० १५] सुत्तागमे ९७ व्वयं ॥ १०४८ ॥ अहावरं चउत्थं महब्वयं पच्चक्खामि सव्वं मेहुणं, से दिव्वं वा, माणुसं वा, तिरिक्खजोणियं वा, णेव सयं मेहुणं गच्छेजा तं चेव अदिण्णादाणवत्तव्वया भाणियव्वा, जाव वोसिरामि ॥ १०४९ ॥ तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति ॥ १०५० ॥ तत्थिमा पढमा भावणा, णो णिग्गंथे अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहइत्तए सिया, केवली बूया, णिग्गंथेणं अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहेमाणे संतिभेदा संतिविभंगा संतिकेवलीपण्यत्ताओ धम्माओ भंसेज्जा, णो णिग्गंथेणं अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहित्तए सिय त्ति पढमा भावगा ॥१०५१॥ अहावरा दोच्चा भावणा, णो णिग्गंथे इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाइं आलोएत्तए णिज्झाइत्तए सिया, केवली वूया, णिग्गथे णं इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई आलोएमाणे णिज्झाएमाणे संतिभेया संतिविभंगा जाव धम्माओ भंसेजा, णो णिग्गंथे इत्थीगं मणोहराई २ इंदियाई आलोएत्तए णिज्झाइत्तए सिय त्ति दोच्चा भावणा ॥ १०५२ ॥ अहावरा तच्चा भावणा, णो णिग्गंथे इत्थीगं पुव्वरयाई पुन्वकीलियाई सरित्तए सिया, केवली वूया, णिग्गंथे णं इत्थीणं पुव्वरयाई पुव्वकीलियाई सरमाणे संतिभेया जाव भंसेजा, णो णिग्गंथे इत्थीणं पुवरयाई पुव्वकीलियाई सरित्तए सिय त्ति तच्चा भावणा ॥ १०५३ ॥ अहावरा चउत्था भावणा, गाइमत्तपाणभोयणभोई से णिग्गथे णो पणीयरसभोयणभोई, केवली वूया, अइमतपाभोयणभोई से णिग्गंथे पणीयरसभोयणभोई य संतिभेदा जाव भंसेज्जा, णोऽतिमत्तपाणभोयणभोई से णिग्गंथे, णो पणीयरसभोयणभोइ त्ति चउत्था भावणा, ॥ १०५४ ॥ अहावरा पंचमा भावणा, णो णिग्गंथे इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई सयासणाई सेवित्तए सिया, केवली वूया, णिग्गंथेणं इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवेमाणे संतिमेया जाव भंसेज्जा, णो णिग्गंथे इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवित्तए सियत्ति पंचमा भावणा ॥१०५५॥ एतावताव चउत्थे महत्वए सम्मं काएण फासिए जाव आराहिए या वि भवइ, चउत्थं भंते ! महन्वयं० ॥१०५६॥ अहावरं पंचम भंते ! महव्वयं सव्वं परिग्गहं पञ्चक्खामि, से अप्पं वा, वहुं वा, अणुं वा, थूलं वा, चित्तमंतं वा, अचित्तमंतं वा, णेव सयं परिग्गहं गिण्हेज्जा, गवण्णेहिं परिग्गहं गिहाविज्जा, अण्णंपि परिग्गहं गिण्हतं ण समणुजाणिज्जा, जाव चासिरामि ॥ १०५७ ।। तस्सिमाओ पंच" भावगाओ भवंति ॥ तत्थिमा पढमा भावणा, सोयओणं जीवे मणुण्णामणुण्णाइं सहाई सुणेइ, मणुण्णामणुण्णेहिं सद्देहिं णो सज्जेज्जा, णो रज्जेजा, णो गिज्झेजा, णो मुज्झेज्जा, णो अज्झोववजेजा, णो वेणिग्यायमावजेजा, केवली वूया, णिग्गंथेणं मणुण्णामणुण्णेहिं सद्देहिं सज्जमाणे ७ सुत्ता० Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९८ सुत्तागमे [ आयारे जाव विणिग्घायमावजमाणे संतिभेया संतिविभंगा संतिकेवलिपण्णत्ताओ धम्माओ भंसेज्जा ॥ १०५८ ॥ ण सक्का ण सोउं सद्दा, सोयविसयमागताः रागदोसा उ जे तत्थ ते भिक्खू परिवज्जए ॥ १०५९ ॥ सोयओ जीवो मणुण्णामणुण्णाई सद्दाई सुणेइ० ॥ १०६० ॥ अहावरा दोच्चा भावणा, चक्खूओ जीवो मणुण्णामणुण्णाई रुवाई पासइ, मणुण्णामणुण्णेहि रूवेहिं णो सज्जेज्जा, णो रज्जेजा, जाव णो विणिग्घायमावज्जेज्जा, केवली बूया, मणुण्णासणुण्णेहिं रूवेहिं सज्जमाणे रज्जमाणे जाव विणिग्धायमावज्जमाणे संतिभेया संतिविभंगा जाव भंसेज्जा ॥ १०६१ ॥ ण सक्का रूवमदठ्ठे चक्खुविसयमागयं, रागदोसा उ जे तत्थ, ते भिक्खू परिवज्जए ॥१०६२॥ चक्खूओ जीवो मणुण्णामणुण्णाई रुवाई पासइ ॥ १०६३ || अहावरा तच्चा भावणा, घाणओ जीवो मणुण्णामणुण्णाई गंधाई अग्घायइ, मणुण्णामणुण्णेहिं गंधेहिं णो सज्जेजा, णो रजेजा, जाव णो विणिग्धायमावज्जेजा, केवली वूया, मणुणामणुण्णेहिं गंधेहिं सज्जमाणे रज्जमाणे जाव विणिग्धायमावज्जमाणे संतिभेदा संतिविभंगा जाव भंसेजा ॥ १०६४ ॥ णो सका गंधमग्घाउं णासाविसयमागयं, रागदोसा उ जे तत्थ ते भिक्खू परिवजए ॥ १०६५ ॥ घाणओ जीवो मणुण्णामगुणाई गंधाई अग्घायइ० ॥ १०६६ || अहावरा चउत्था भावणा, जिन्भाओ जीवो मणुण्णामणुण्णाईं रसाईं अस्सादेइ, मणुण्णामणुण्णेहिं रसेहिं णो रज्जेजा, जाव णो विणिग्वायसावज्जेज्जा, केवली वूया, णिग्गंथे णं मणुण्णामणुण्णेहिं रसेहिं सज्ज - माणे जाव विणिग्घायसावज्जमाणे संतिभेदा जाव भंसेजा ॥ १०६७ ॥ णो सका रसमस्साउं, जीहाविसयमागय; रागदोसा उ जे तत्थ, ते भिक्खू परिवज्जए ॥ १०६८ ॥ जीहाओ जीवो मणुण्णामणुण्णाई रसाई अस्सादेइ० ॥ १०६९॥ अहावरा पंचमा भावणा, फासओ जीवो मणुण्णामणुण्णाई फासाईं पडिसंवेदेइ, मणुण्णामणुण्णेहिं फासेहिं णो सज्जेज्जा, णो रज्जेजा, णो गिज्झेजा, णो मुज्झेजा, णो अज्झोववजेजा, णो विणिग्धायमावज्जेजा, केवली वूया, णिग्गंथे णं मणुण्णामणुण्णेहिं फासेहिं सज्जमाणे जाव विणिग्धायमावजमाणे, संतिभेदा संतिविभंगा, संतिकेवलिपण्णत्ताओ धम्माओ भंसेज्जा ॥ १०७० ॥ णो सक्का फासमवेदेउं फासविसयमागयं; रागदोसा उ जे तत्थ, ते भिक्खू परिवज्जएं ॥ १०७१ ॥ फासओ मणुण्गामणुण्णाई फासाई पडिसंवेदेइ० ॥ १०७२ ॥ एतावताव पंचमे मद्दव्वए सम्मं क्राएण फासिएपालिएतीरिएकिट्टिए अहिठिए आणाए आराहिए यावि भवइ, पंचमं भंते! महव्वयं ॥ १०७३ ॥ इच्चेएहिं पंचमहव्वएहिं पणवीसाहि य भावणाहिं संपण्णे अणगारे अहासुयं अहाकप्पं अहामग्गं सम्मं काएण फासिता, 1 Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे २ सु० अ० १६] पालित्ता, तीरित्ता, किट्टित्ता, आणाए आराहिए यावि भवइ ॥१०७४॥ भावणाज्झयणं पणरहमं समत्तं इय तइआ चूला समत्ता ।। __ अणिच्चमावासमुवेंति जंतुणो, पलोयए सुच्चमिदं अणुत्तरं; विऊसिरे विन्नु अगारबंधणं, अभीरु आरंभपरिग्गहं चए ॥ १०७५ ॥ तहाग भिक्खुमणंतसंजयं, अणेलिसं विन्नु चरंतमेसणं; तुदंति वायाहिं अभिद्दवं णरा, सरेहिं संगामगयं व कुंजरं ॥ १०७६ ॥ तहप्पगारेहिं जणेहिं हीलिए, ससद्दफासा फरुसा उईरिया; तितिक्खए णाणि अदुठ्ठचेयसा, गिरिव्व वारण ण संपवेयए ॥१०७७॥ उवेहमाणे कुसलेहिं संवसे, अकंतदुक्खी तसथावरा दुही; अल्सए सव्वसहे महामुणी, तहा हि से सुस्समणे समाहिए ॥ १०७८ ॥ विऊ णए धम्मपयं अणुत्तरं, विणीयतण्हस्स मुणिस्स ज्झायओ; समाहियस्सऽग्गिसिहा व तेयसा, तवो य पण्णा य जसो य वहइ ॥ १०७९ ॥ दिसोदिसिंऽणंतजिणेण ताइणा, महत्वया खेमपदा पवेदिता; महागुरू णिस्सयरा उदीरिया, तमेव तेऊत्तिदिसं पगासया ॥ १०८० ॥ सिएहिं भिक्खू असिए परिव्वए, असजमित्थीसु चएज पूअणं; अणिस्सिओ लोगमिणं तहा परं, णमिजइ कामगुणेहिं पंडिए ॥ १०८१॥ तहा विमुक्कस्स परिणचारिणो धिईमओ दुक्खखमस्स भिक्खुणो; विसुज्झई जंसि मलं पुरेकडं, समीरियं रुप्पमलं व जोइणा ॥ १०८२ ॥ से हु प्परिण्णा समयमि वट्टइ, णिराससे उवरय मेहुणा चरे; भुजंगमे जुण्णतयं जहा जहे, विमुच्चइ से दुहसेज माहणे ॥ १०८३॥ जमाहु ओहं सलिलं अपारगं, महासमुदं व भुयाहिं दुत्तरं; अहे य णं परिजाणाहि पंडिए, से हु मुणी अंतकडे त्ति वुच्चइ ॥ १०८४ ॥ जहा हि बद्धं इह माणवेहि, जहा य तेर्सि तु विमोक्ख आहिओ; अहा तहा बंधविमोक्ख जे विऊ, से हु मुणी अंतकडे त्ति बुच्चइ ॥ १०८५ ॥ इममि लोए परए य दोसुवि, ण विजइ वंधणं जस्स किंचिवि; से हु णिरालंबणमप्पइट्ठिए, कलंकली भावपहं विमुच्चइ त्ति बेमि ॥ १०८६ ॥ सोलहमं विमुत्तिज्झयणं समत्तं ॥ सदाचारणाम बीओ सुयक्खंधो संपुण्णो, चउत्था चूडा समत्ता ॥ इइ आयारे Page #152 --------------------------------------------------------------------------  Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - १ सु० अ० १ - उ० १] सुत्तागमे णमो त्थु णं. समणस्स भगवओ " णायपुत्त महावीरस्स 43 सूयगडं पढमे सुक्खंधे समयज्झयणे पढमे बुज्झिज त्ति तिरट्टिजा बन्धणं परिजाणिया । किमाह बन्धणं वीरो किंवा जाणं तिउइ ॥ १ ॥ १ ॥ चित्तमन्तमचित्तं वा परिगिज्झ किसामवि । अन्नं वा अणुजााइ एवं दुक्खा न मुचई ॥ २ ॥ २ ॥ सयं तिवायए पाणे अदुवऽन्नेहि वायए । हन्तं वाऽणुजाणा वेरं वढेइ अप्पणो ॥ ३ ॥ ३ ॥ जसि कुले समुप्पन्ने जेहिं वा संवसे नरे । ममाइ लुप्पई वाले अन्ने अन्नेहि मुच्छिए ॥ ४ ॥ ४ ॥ वित्तं सोयरिया चैव सव्वमेयं न ताणइ । संखाऍ जीवियं चेवं कम्मुणा उ तिउट्टइ ॥ ५ ॥ ५ ॥ एए गन्धे विउक्कम्म एगे समणमाहणा । अयाणन्ता विउस्सित्ता सत्ता कामेहि माणवा ॥ ६ ॥ ६ ॥ सन्ति पञ्च महब्भूया इहमेगेसिमाहिया । पुढवी आउ तेऊ वा वाउ आगासपञ्चमा ॥ ७ ॥ ७ ॥ एए पञ्च महन्भूया तेव्भो एगो त्ति आहिया । अह तेसिं विणासेणं विणासो होइ देहिणो ॥ ८ ॥ ८ ॥ जहा य पुढवीथूमे एगे नाणाहि दीसइ । एवं भो कसिणे लोए विन्नू नाणाहि दीसइ ॥ ९ ॥ ९ ॥ एवमेगे त्ति जम्पन्ति मन्दा आरम्भनिस्सिया । एगे किच्चा सयं पावं तिव्वं दुक्खं नियच्छइ ॥१०॥१०॥ पत्तेयं कसिणे आया जे बाला जे य पण्डिया । सन्ति पिच्चा न ते सन्ति नत्थ सत्तोववाइया ॥ ११ ॥ ११ ॥ नत्थि पुण्णे व पावे वा नत्थि लोए इओवरे । सरीरस्स विणासेणं विणासो होइ देहिणो ॥ १२ ॥ १२ ॥ कुव्वं च कारयं चेव सं कुव्वं न विज्जई । एवं अकारओ अप्पा एवं ते उ पगब्भिया ॥ १३ ॥ १.३ ॥ जे ते C + वाइगो एवं लोए तेसिं कओ सिया । तमाओ ते तमं जन्ति मन्दा आरम्भनिस्सिया ॥ १४ ॥ १४ ॥ सन्ति पञ्च महन्भूया इहमेगेसिमाहिया । आयछट्ठा पुणो आ आया लोगे य सास ॥ १५ ॥ १५ ॥ दुहओ न विणस्सन्ति नो य उप्पजए असं । सव्वे वि सव्वहा भावा नियत्तीभावमागया ॥ १६ ॥ १६ ॥ पञ्च खन्धे वयन्तेगे बाला उ खणजोइणो । अन्नो अणन्नो नेवाह हेउयं च अहेउयं ॥१७॥१७॥ पुढवी आउ तेऊ य तहा वाऊ य एगओ । चत्तारि धाउणी रूवं एवमाहंसु आवरे ॥ १८ ॥ १८ ॥ अगारमावसन्ता वि अरण्णा वा वि पव्वया । इमं दरिमणमावन्ना सव्वदुक्खा विमुच्चई ॥१९॥१९॥ ते नावि संधिं नच्चा णं न ते धम्मविऊ जणा । ७अ सुत्ता• S Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगड जे ते उ वाइणो एवं न ते ओहंतराऽऽहिया ॥२०॥२०॥ ते नाचि संधि नचाणं न ते धम्मविऊ जणा । जे ते उ वाइगो एवं न ते संसारपारगा ॥ २१ ॥ २१ ॥ ते नावि संधिं नच्चा णं न ते धम्मविऊ जणा । जे ते उ वाइगो एवं न ते गम्भस्स पारगा ॥ २२ ॥ २२ ॥ ते नावि संधि नच्चा णं न ते धम्मविऊ जणा । जे ते उ वाइणो एवं न ते जम्मस्स पारगा ॥ २३ ॥ २३ ॥ ते नावि संधि नच्चा णं न ते धम्मविऊ जणा । जे ते उ वाइणो एवं न ते दुक्खस्स पारगा ॥ २४ ॥ २४ ॥ ते नावि संधि नच्चा णं न ते धम्मविऊ जणा । जे ते उ वाइणो एवं न ते मारस्स पारगा ॥ २५ ॥ २५ ॥ नाणाविहाइं दुक्खाइं अणुहोन्ति पुणो पुणो । संसारचक्कवालम्मि मन्चुवाहिजराकुले ॥ २६ ॥ २६ ॥ उच्चावयाणि गच्छन्ता गम्भमेस्सन्ति गन्तसो । नायपुत्ते महावीरे एवमाह जिणुत्तमे ॥ २७ ॥ २७ ॥ ति बेमि ॥ समयज्झयणे पढमुद्देसो ॥ आघायं पुण एगेसिं उववन्ना पुढो जिया । वेदयन्ति सुहं दुक्खं अदुवा लुप्पन्ति ठाणओ ॥ १॥ २८ ॥ न तं सयं कई दुक्खं कओ अन्नकडं च णं । सुहं वा जइ वा दुक्खं सेहियं वा असेहियं ॥ २ ॥ २९ ॥ सयं कडं न अन्नेहिं वेदयन्ति पुढो जिया । संगइयं तं तहा तेसि इहमेगेसिमाहियं ॥३॥ ३०॥ एवमेयाणि जम्पन्ता बाला पण्डियमाणिणो । निययानिययं सन्तं अयाणन्ता अबुद्धिया ॥ ४ ॥ ३१ ॥ एवमेगे उ पासत्था ते भुजो विष्पगन्भिया। एवं उवट्ठिया सन्ता न ते दुक्खविमोक्खगा ॥ ५ ॥ ३२ ॥ जविगो मिगा जहा सन्ता परियाणेण वज्जिया। असङ्कियाई सङ्कन्ति सकियाइँ असङ्किणो ॥ ६ ॥ ३३ ॥ परियाणियाणि सन्ता पासियाणि असङ्किणो। अन्नाणभयसंविग्गा संपलिन्ति तहिं तहिं ॥ ७ ॥ ३४ ॥ अह तं पवेज वझं अहे बज्झस्स वा वए । मुच्चेज पयपासाओ तं तु मन्दे न देहई ॥ ८॥ ३५॥ अहियप्पाहियपन्नाणे विसमन्तेणुवागए। स बद्ध पयपासण तत्थ घायं नियच्छइ ॥ ९ ॥ ३६ ॥ एवं तु समणा एगे मिच्छदिट्ठी अणारिया। असकियाई सङ्कन्ति सकियाइँ असङ्किणो॥ १० ॥ ३७ ॥ धम्मपनवणा जा सा तं तु सङ्कन्ति मूढगा। आरम्भाई न सङ्कन्ति अवियत्ता अकोविया ॥ ११॥ ३८ ॥ सव्वप्पगं विउक्कस्सं सव्वं नूमं विहणिया। अप्पत्तियं अकम्मंसे एयमढे मिगे चुए ॥ १२ ॥ ३९ ॥.जे एयं नाभिजाणन्ति मिच्छदिट्ठी अणारिया । मिगा वा पास बद्धा ते घायमेस्सन्ति णन्तसो ॥ १३ ॥ ४० ॥ माहणा समणा एगे सव्वे माण सयं वए । सव्वलोगे वि जे पाणा न ते जाणन्ति किंचण ॥ १४ ॥४१॥ मिलक्ष अमिलक्खुस्स जहा वुत्ताणुभासए । न हे से वियाणाइ भासियं तऽणुभासए ॥१५॥ Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १ सु० म. ५-उ० ३] सुत्तागमे १०३ ॥ ४२ ॥ एवमन्नाणिया नाणं वयन्ता वि सयं सयं । निच्छयत्यं ण जाणन्ति मिलक्खु व्च अवोहिया ॥ १६ ॥ ४३ ॥ अन्नाणियाणं वीमंसा अन्नाणे न नियच्छइ । अप्पगो य परं नालं कुतो अन्नाणुसासि ॥ १७॥ ४४ ॥ वणे मूढे जहा जन्तू मूढे नेयाणुगामिए । दो वि एए अकोविया तिव्वं सोयं नियच्छई ॥ १८ ॥ ४५ ॥ अन्धो अन्धं पहं नेन्तो दूरमद्धाणुगच्छइ । आवजे उप्पहं जन्तू अदु वा पन्थाणुः गामिए ॥ १९ ॥ ४६ ॥ एवमेगे नियागट्ठी धम्ममाराहगा वयं । अदु चा अहम्ममावजे न ते सव्वजुयं वए ॥ २० ॥ ४७ ॥ एवमेगे वियकाहिं नो अन्नं पजुवासिया। अप्पणो य वियकाहिं अयमनं हि दुम्मई ॥ २१ ॥ ४८ ॥ एवं तकाइ साहेन्ता धम्माधम्मे अकोविया । दुक्खं ते नाइतुट्टेन्ति सउणी पञ्जरं जहा ॥२२॥ ॥ ४९ ॥ सयं सयं पसंसन्ता गरहन्ता परं वयं । जे उ तत्थ विउस्सन्ति संसारं ते विउस्सिया ॥ २३ ॥ ५० ॥ अहावरं पुरक्खायं किरियावाइदरिसणं । कम्मचिन्तापणट्टाणं संसारस्स पवद्वगं ॥ २४ ॥ ५१ ॥ जाणं काएणऽणाउट्टी अबुहो जं च हिंसइ। पुट्ठो संवेयइ परं अवियत्तं खु सावजं ॥ २५ ॥ ५२ ॥ सन्तिमे तउ आयाणा जेहिं कीरइ पावगं । अभिकम्मा य पेसा य मणसा अणुजाणिया ॥ २६ ॥ ५३ ॥ एए उ तउ आयाणा जेहिं कीरइ पावगं । एवं भावविसोहीए निव्वाणमभिगच्छई ॥ २७ ॥५४॥ पुत्तं पिया समारब्भ आहारेज असंजए। भुञ्जमाणो य मेहावी कम्मुणा नोवलिप्पई ॥ २८ ॥ ५५ ॥ मणसा जे पउस्सन्ति चित्तं तेसिं न विजइ । अणवजमतहं तेसिं न ते संवुडचारिणो ॥२९॥ ॥ ५६ ॥ इच्चैयाहि य दिट्टीहि सायागारवनिस्सिया । सरणं ति मन्नमाणा सेवन्ती पावगं जणा ॥ ३० ॥ ५७ ॥ जहा अस्साविणिं नावं जाइअन्धो दुरूहिया । इच्छई पारमागन्तुं अन्तरा य विसीयई ॥ ३१ ॥ ५८ ॥ एवं तु समणा एगे मिच्छदिट्ठी अणारिया । संसारपारकंखी ते संसारं अणुपरियट्टन्ति ॥ ३२ ॥ ५९ ॥ त्ति बेमि ॥ समयज्झयणे विइयुद्देसो॥ जं किंचि उ पूइकडं सड्डीमागन्तुमीहियं । सहस्सन्तरियं भुजे दुपक्खं चेव सेवई ॥ १॥ ६० ॥ तमेव अवियाणन्ता विसमंसि अकोविया। मच्छा वेसालिया चेव उदगस्सभियागमे ॥ २॥६१॥ उदगस्स पहावेणं सुकं सिग्धं तमेन्ति उ। ढङ्केहि य कङ्केहि य आमिसत्थेहि ते दुही ॥३॥ ६२॥ एवं तु समणा एगे वट्टमाणसुहेसिणो। मच्छा वेसालिया चेव घायमेस्सन्ति णन्तसो ॥ ४ ॥ ६३ ॥ इणमनं तु अन्नाणं इहमेगेसिमाहियं । देवउत्ते अयं लोए बम्भउत्ते इ आवरे ॥५॥ ॥ ६४ ॥ ईसरेण कडे लोए पहाणाइ तहावरे । जीवाजीवसमाउत्ते सुहृदुक्खसम Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगढ़१०४ निए ॥ ६ ॥ ६५ ॥ सयंभुणा कडे लोए इइ वुत्तं महेसिणा। मारेण संथुया माया तेण लोए असासए ॥ ७ ॥ ६६ ॥ माहणा समणा एगे आह अण्डकडे जए । असो तत्तमकासी य अयाणन्ता मुसं वए ॥ ८॥ ६७ ॥ सएहिं परियाएहिं लोगं वूया कडे ति य । तत्तं ते न वियाणन्ति न विणासी कयाइ वि ॥ ९ ॥ ६८ ॥ अमणुन्नसमुप्पायं दुक्खमेव वियाणिया। समुप्पायमयाणन्ता कहं नायन्ति संवरं ॥ १० ॥ ६९ ॥ सुद्धे अपावए आया इहमेगेसिमाहियं । पुणो किट्ठापदोसेगं सो तत्थ अवरज्झई ॥ ११ ॥ ७० ॥ इह संवुडे मुणी जाए पच्छा होइ अपावए । वियडम्बु जहा भुजो नीरयं सरयं तहा ॥ १२ ॥ ७१ ॥ एयाणुवीइ मेहावी वम्भचेरेण ते वसे । पुढो पावाउया सव्वे अक्खायारो सयं सयं ॥ १३ ॥ ७२ ॥ सए सए उवठ्ठाणे सिद्धिमेव न अन्नहा । अहे इहेव वसवत्ती सव्वकामसमप्पिए ॥१४॥ ॥ ७३ ॥ सिद्धा य ते अरोगे य इहमेगेसिमाहियं । सिद्धिमेव पुरो काउं सासए गढिया नरा ॥ १५ ॥ ७४ ॥ असंवुडा अणाईयं भमिहिन्ति पुणो पुणो । कप्पकालमुवजन्ति ठाणा आसुरकिब्बिसिय ॥ १६ ॥ ७५ ॥ त्ति बेमि ॥ समयज्झयणे तइयुद्देसो॥ ___ एए जिया भो न सरणं बाला पण्डियमाणिणो । हिंच्चा णं पुन्वसंजोयं सिया किचोवएसगा ॥१॥ ७६ ॥ तं च भिक्खू परिन्नाय वियं तेसु न मुच्छए । अणुकस्से अप्पलीणे मज्झेण मुणि जावए ॥ २ ॥ ७७ ॥ सपरिग्गहा य सारम्भा इहमेगेसिमाहियं । अपरिग्गहा अणारम्भा भिक्खू ताणं परिव्वए ॥ ३ ॥ ७८ ॥ कडेसु घासमेसेजा विऊ दत्तेसणं चरे । अगिद्धो विप्पमुक्को य ओमाणं परिवजए ॥४॥ ७९ ॥ लोगवायं निसामेज्जा इहमेगेसिमाहियं । विवरीयपन्नसंभूयं अन्नउत्तं तयाणुयं ॥ ५॥ ८० ॥ अणन्ते निइए लोए सासए न विणस्सई । अन्तवं निइए लोए इइ धीरोऽतिपासई ॥ ६ ॥ ८१ ॥ अपरिमाणं वियाणाइ इहमेगेसिमाहियं । सव्वत्थ सपरिमाणं इइ धीरोऽतिपासई ॥ ७ ॥ ८२॥ जे केइ तसा पाणा चिट्ठन्ति अदु थावरा । परियाए अत्थि से अञ्जु जेण ते तसथावरा ॥ ८ ॥ ८३ ॥ उराल जगओ जोगं विवजासं पलेन्ति य । सव्वे अकन्तदुक्खा य अओ सव्वे अहिंसिया ॥९॥ ८४ ॥ एवं खु नाणिणो सारं जं न हिंसइ किंचण । अहिंसासमयं चेव एयावन्तं वियाणिया ॥ १०॥ ८५॥ वुसिए य विगयगेही आयाणं सम्म रक्खए । चरियासणसेज्नासु भत्तपाणे य अन्तसो ॥ ११ ॥८६॥ एएहि तिहि ठाणेहिं संजए सययं मुणी । उक्कसं जलणं नूम मज्झत्थं च विगिचए ॥ १२ ॥ ८७ ॥ समिए उ सया साह पञ्चसंवरसंवुडे । सिएहि असिए भिक्खू आमोक्खाए परिव्वएजासि ॥ १३ ॥ ८८ ॥ त्ति वेमि ॥ समयज्झयणं पढमं ॥ Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १ सु० अ०२-उ०१] १०५ वैयालियज्झयणे विइए संवुज्झह किं न बुज्झह संवोही खलु पेञ्च दुल्लहा । नो हूवणमन्ति राइयो नो सुलभं पुणरावि जीवियं ॥ १ ॥ ८९ ॥ डहरा बुड्ढा य पासह गन्भत्या वि चयन्ति माणवा । सेणे जह वट्टयं हरे एवं आउखयम्मि तुट्टई ॥२॥९०॥ मायाहि पियाहिं लुप्पई नो सुलहा सुगई य पेच्चओ। एयाइ भयाइ पेहिया आरम्भा विरमेज सुव्वए ॥ ३ ॥ ९१ ॥ जमिणं जगई पुढो जगा कम्मेहिं लुप्पन्ति पाणिणो । सयमेव कडेहि गाहई नो तस्स मुच्चेजऽपुठ्ठयं ॥ ४ ॥ ९२॥ देवा गन्धव्वरक्खसा असुरा भूमिचरा सरीसिवा । राया नरसेठिमाहणा ठाणा ते वि चयन्ति दुक्खिया ॥ ५ ॥ ९३ ॥ कामेहि य संथवेहि गिद्धा कम्मसहा कालेण जन्तवो । ताले जह बन्धणञ्चुए एवं आउखयम्मि तुई ॥ ६ ॥ ९४॥ जे यावि वहुस्सुए सिया धम्मिय माहण भिक्खुए सिया। अभिनूमकडेहि मुच्छिए तिव्वं ते कम्मेहि किच्चई ॥ ७ ॥ ९५ ॥ अह पास विवेगमुट्ठिए अवितिण्णे इह भासई धुवं । नाहिसि आरं कओ परं वेहासे कम्मेहि किच्चई ॥ ८॥ ९६ ॥ जइ वि य नगिणे किसे चरे जइ वि य भुञ्जिय मासमन्तसो । जे इह मायाहि मिजई आगन्ता गब्भाय णन्तसो ॥ ९ ॥ ९७ ॥ पुरिसोरम पावकम्मुणा पलियन्तं मणुयाण जीवियं । सन्ना इह काममुच्छिया मोहं जन्ति नरा असंवुडा ॥ १० ॥ ९८ ॥ जययं विहराहि जोगवं अणुपाणा पन्था दुरुत्तरा । अणुसासणमेव पक्कमे वीरेहिं सम्मं पवेइयं ॥ ११ ॥ ९९ ॥ विरया वीरा समुट्ठिया कोहकायरियाइपीसणा । पाणे न हणन्ति सव्वसो पावाओ विरयाऽभिनिव्वुडा ॥ १२॥ १००॥ न वि ता अहमेव लुप्पए लुप्पन्ती लोगंसि पाणिणो। एवं सहिएहि पासए अणिहे से पुढेऽहिंयासए ॥ १३ ॥ १०१॥ धुणिया कुलियं व लेववं किसए देहमणासणाइहिं । अविहिंसामेव पव्वए अणुधम्मो मुणिणा पवेइयो ॥ १४ ॥ १०२ ॥ सउणी जह पंसुगुण्डिया विहुणिय धंसयई सियं रयं । एवं दविओवहाणवं कम्म खवइ तवस्सि माहणे ॥ १५ ॥ १०३ ॥ उट्ठियमणगारमेसणं समग ठाणठियं तवस्सिणं । डहरा बुड्ढा य पत्यए अवि सुस्से न य तं लभेज नो ॥ १६ ॥ १०४ ॥ जइ कालुणियाणि कासिया जइ रोयन्ति य पुत्तकारणा। दवियं भिक्खं समुट्ठियं नो लब्भन्ति न संठवित्तए ॥ १७ ॥ १०५ ॥ जइ वि य कामेहि लाविया जई नेजाहि ण वन्धिउं घरं। जइ जीविय नावकसए नो लब्भन्ति न संठवित्तए ॥ १८ ॥१०६॥ सेहन्तिय णं ममाइणो माय पिया य सुया य भारिया। पोसाहिण पासओ तुम लोग परं पि जहासि पोसणो ॥ १९॥ १०७॥ अन्ने अन्नेहि मुच्छिया मोहं जन्ति नरा असंवुडा। विसमं विसमेहि गाहिया ते Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगडं पावेहि पुणो पगमिया ॥ २० ॥ १०८ ॥ तम्हा दवि इक्ख पण्डिए पावाओ विरएऽभिनिव्वुडे । पणए वीरं महाविहिं सिद्धिपहं नेयाउयं धुवं ॥ २१ ॥ १०९ ॥ वेयालियमग्गमागओ मणवयसा काएण निव्वुडो । चिच्चा वित्तं च नायओ आरम्भ च सुसंवुडं चरे ॥ २२ ॥ ११० ॥ त्ति बेमि वेयालियज्झयणे पढमुद्देसो ॥ तयसं व जहाइ से रयं इइ संखाय मुणी न मज्जई। गोयन्नतरेण माहणे अहसेयकरी अन्नेसि इंखिणी ॥ १ ॥ १११ ॥ जो परिभवई परं जणं संसारे परिवत्तई महं । अदु इंखिणिया उ पाविया इइ संखाय मुणी न मजई ॥२॥११२॥ जे यावि अणायगे सिया जे वि य पेसगपेसगे सिया। जे मोणपर्य उवट्ठिए नो लज्जे समयं सया चरे ॥ ३ ॥ ११३ ॥ सम अन्नयरम्मि संजमे संसुद्धे समणे परिव्वए। जे आवकहा समाहिए दविए कालमकासि पण्डिए ॥ ४ ॥ ११४ ॥ दूरं अणुपस्सिया मुणी तीयं धम्ममणागयं तहा। पुढे फरसेहि माहणे अवि हण्णू समयम्मि रीयइ ॥ ५॥ ११५ ॥ पन्नसमत्ते सया जए समताधम्ममुदाहरे मुणी। सुहुमे उ सया अलूसए नो कुज्झे नो माणि माहणे ॥ ६ ॥ ११६ ॥ बहुजणनमणम्मि संवुडो सव्वटेहि नरे अणिस्सिए। हरए व सया अणाविले धम्मं पादुरकासि कासवं ॥ ७ ॥ ११७ ॥ बहवे पाणा पुढो सिया पत्तेयं समयं समीहिया । जे मोणपयं उपट्ठिए विरइं तत्थ अकासि पण्डिए ॥ ८ ॥ ११८ ॥ धम्मस्स य पारगे मुणी आरम्भस्स य अन्तए ठिए। सोयन्ति य णं ममाइणो नो लब्भन्ति नियं परिंग्गरं ॥ ९ ॥ ११९ ॥ इहलोगदुहावहं विऊ परलोगे य दुहं दुहावहं । विद्धसणधम्ममेव तं इइ विजं को गारमावसे ॥ १० ॥ १२० ॥ महयं पलिगोव जाणिया जॉ वि य वंदणपूयणा इहं। सुहमे सल्ले दुरुद्धरे विउमंता पयहिज संथवं ॥ ११ ॥ १२१॥ एगे चर ठाणमासणे सयणे एग समाहिए सिया। भिक्खू उवहाणवीरिए वइगुत्ते अज्झत्तसंवुडो ॥ १२ ॥ १२२ ॥ नो पीहे न यावपंगुणे दारं सुन्नघरस्स संजए । पुढे न उदाहरे वयं न समुच्छे नो संथरे तणं ॥ १३॥ १२३॥ जत्थत्थमिए अणाउले समविसमाइं मुणी हियासए । चरगा अदु वा वि भेरवा अदु वा तत्थ सरीसिवा सिया ॥ १४ ॥ १२४-॥ तिरिया मणुया य दिव्वगा उवसग्गा तिविहा हियासिया। लोमादीयं न हारिसे सुन्नागारगओ महामुणी ॥ १५॥१२५॥ नो अभिकंखेज जीवियं नो वि य पूयणपत्थए सिया । अब्भत्थमुवेन्ति भेरवा सुन्नागारगयस्स भिक्खुणो ॥ १६ ॥ १२६ ॥ उवणीयतरस्स ताइणो भयमाणस्स विविकमासगं । सामाइयमाहु तस्स जं जो अप्पाण भए न दसए ॥ १७॥१२७ ॥ उसिणोदगतत्तभोइणो धम्मठियस्स मुणिस्स हीमतो। संसग्गे असाहु राइहि Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० अ० २-उ० ३] सुत्तागमे १०७ असमाही उ तहागयस्स वि ॥ १८ ॥ १२८ ॥ अहिगरणकडस्स भिक्खुणो वयमाणस्स पसज्झ दारुणं । अढे परिहायई बहू अहिगरणं न करेज पण्डिए ॥ १९ ॥ १२९ ॥ सीओदग पडि दुगुछिणो अपडिन्नस्स लवावसप्पिणो । सामाइयमाहु तस्स जं जो गिहिमत्तेऽसणं न भुलई ॥ २० ॥ १३० ॥ न य संखयमाहु जीवियं तह वि य बालजणो पगभई । वाले पावेहि मिज्जई इइ संखाय मुणी न मज्जई ॥ २१ ॥ १३१॥ छंदेण पले इमा पया बहुमाया मोहेण पावुडा। वियडेण पलेन्ति माहणे सीउण्हं वयसा हियासए ॥ २२ ॥ १३२ ॥ कुजए अपराजिए जहा अक्खेहि कुसलेहिं दीवयं । कडमेव गहाय नो कलिं नो तीयं नो चेव दावरं ॥ २३ ॥ १३३ ॥ एवं लोगम्मि ताइणा वुइए जे धम्मे अणुत्तरे । तं गिण्ह हियं ति उत्तमं कडमिव सेसऽवहाय पण्डिए ॥ २४ ॥ १३४ ॥ उत्तर मणुयाण आहिया गामधम्म इइ मे अणुस्सुयं । जसी विरया समुट्ठिया कासवस्स अणुधम्मचारिणो ॥ २५ ॥ १३५ ॥ जे एय चरन्ति आहियं नाएणं महया महेसिणा । ते उट्ठिय ते समुट्ठिया अन्नोन्नं सारेन्ति धम्मओ ॥ २६ ॥ १३६ ॥ मा पेह पुरा पणामए अभिकंखे उवहिं धुणित्तए । जे दूमण तेहि नो नया ते जाणन्ति समाहिमाहियं ॥ २७ ॥ १३७ ॥ नो काहिएँ होज संजए पासणिए न य संपसारए । नच्चा धम्म अणुत्तरं कयकिरिए न यावि मामए ॥ २८ ॥ १३८ ॥ छन्नं च पसंस नो करे न य उक्कोस पगास माहणे । तेसिं सुविवेगमाहिए पणया जेहि सुजोसियं धुयं ॥२९॥ ॥ १३९ ॥ अनिहे सहिए सुसंवुडे धम्मट्ठी उवहाणवीरिए। विहरेज समाहिइंदिए अत्तहियं खु दुहेण लब्भइ ॥ ३० ॥ १४० ॥ न हि नूण पुरा अणुस्सुयं अदु वा तं तह नो समुट्ठियं । मुणिणा सामाइ आहियं नाएणं जगसव्वदसिणा ॥३१॥१४१॥ एवं मत्ता महन्तरं धम्ममिणं सहिया वहू जणा । गुरुगो छंदाणुवत्तगा विरया तिण्ण महोघमाहियं ॥३२॥१४२॥ ति बेमि ॥ वेयालियज्झयणम्मि बिइयुद्देसो॥ संवुडकम्मस्स भिक्खुणो जं दुक्खं पुढं अवोहिंए । तं संजमओऽवचिजई मरणं हेच्च वयन्ति पण्डिया ॥१॥१४३॥ जे विन्नवणाहिजोसिया संतिण्णेहि समं वियाहिया। तम्हा उ8 ति पासहा अदक्खु कामा रोगवं ॥ २॥ १४४ ॥ अग्गं वणिएहि आहियं धारेन्ती राइणिया इहं । एवं परमा महन्वया अक्खाया उ सराइभोयणा ॥ ३ ॥ १४५ ॥ जे इह सायाणुगा नरा अज्झोववन्ना कामेहिं मुच्छिया । किवणेण समं पगन्भिया न वि जाणन्ति समाहिमाहियं ॥ ४ ॥ १४६ ॥ वाहेण जहा व विच्छए अबले होइ गवं पचोइए । से अन्तसो अप्पथामए नाइवहे अवले विसीयइ ॥ ५॥ १४७ ॥ एवं कामेसणं विऊ अज्ज सुए पयहेज संथवं । कामी कामे न Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागसे [ सूयगड कामए लद्धे वा वि अलद्ध कण्हुई ॥ ६ ॥ १४८ ॥ मा पच्छ असाहुया भवे अचेही अणुसास अप्पगं । अहियं च असाहु सोयई से थणई परिदेवई बहुं ॥ ७ ॥ १४९ ॥ इह जीवियमेव पासहा तरुणे वा ससयस्स तुट्टई । इत्तरवासे य वुज्झह गिद्ध नरा कामेसु मुच्छिया ॥ ८ ॥ १५० ॥ जे इह आरम्भनिस्सिया आयदण्ड एगन्तलुसगा । गन्ता ते पावलोगयं चिररायं आसुरियं दिसं ॥ ९ ॥ १५१ ॥ न य संखयमाहु जीवियं तह वि य बालजणो पगभई ॥ पचुप्पन्नेण कारियं को दट्टु परलोगमागए ॥ १० ॥ १५२ ॥ अदक्खुव दक्खुवाहियं तं सद्दहसु अदक्खुदंसणा । हंदि हु सुनिरुद्धदंसणे मोहणिएण कडेण कम्मुणा ॥ ११ ॥ १५३ ॥ दुक्खी मोहे पुणो पुणो निव्विन्देज सिलोगपूयणं । एवं सहिए हिपासए आयतुलं पाणेहि संजए ॥१२॥ ॥ १५४ ॥ गारं पिय आवसे नरे अणुपुव्वं पाणेहि संजए । समया सव्वत्थ सुव्वए देवाणं गच्छे सलोगयं ॥ १३ ॥ १५५ ॥ सोचा भगवाणुसासणं सच्चे तत्थ करेज्जुचक्क । सव्वत्थ विणीयमच्छरे उच्छं भिक्खु विसुद्धमाहरे ॥ १४ ॥ १५६ ॥ सव्वं नच्चा अहि धम्मट्ठी उवहाणवीरिए । गुत्ते जुत्ते सया जए आयपरे परमायतट्ठिए ॥ १५॥ १५७ ॥ वित्तं पसवो य नाइओ तं वाले सरणं ति मन्नई । एए मम तेसु वी अहं नो ताणं सरणं न विज्जई ॥ १६ ॥ १५८ ॥ अब्भागमियम्मि वा दुहे अहवा उक्कमिए भवन्तिए । एगस्स गई य आगई विदुमन्ता सरणं न मन्नई ॥ १७ ॥ १५९ ॥ सव्वे सयकम्मकप्पिया अवियत्तेण दुहेण पाणिगो । हिण्डन्ति भयाउला सढा जाइजरामरणेहिऽभिहुया ॥ १८ ॥ १६० ॥ इणमेव खणं वियाणिया नो सुलभं बोहिं च आहियं । एवं सहिए हिपासए आह जिणे इणमेव सेसगा ॥ १९ ॥ १६१ ॥ अभविंसु पुरा वि भिक्खुवो आएसा वि भवन्ति सुव्वया । एयाइँ गुणाई आहु ते कासवस्स अणुधम्मचारिणो ॥ २० ॥ १६२ ॥ तिविहेण वि पाण मा हणे आयहिए अणियाण संबुडे । एवं सिद्धा अणन्तसो संपइ जे य अणाग्र्यावरे ॥ २१ ॥ १६३ ॥ एवं से उदाहु अणुत्तरनाणी अणुत्तरदंसी अणुत्तरनाणदंसणधरे । अरहा नायपुत्ते भगवं वेसालिए वियाहिए ॥ २२ ॥ १६४ ॥ त्ति बेमि ॥ वेयालियज्झयणं विइयं ॥ १०८ उवसग्गज्झयणे तइए सूरं मन्नइ अप्पाणं जाव जेयं न पस्सई । जुज्झन्तं दढधम्माणं सिसुपालो व महारहं ॥ १ ॥ १६५ ॥ पयाया सूरा रणंसीसे संगामम्मि उवट्ठिए । माया पुत्तं Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० भ०३-उ० २] सुत्तागमे १०९ न जाणाइ जेएण परिविच्छए ॥ २ ॥ १६६ ॥ एवं सेहे वि अप्पुढे भिक्खायरियाअकोविए । सूरं मन्नइ अप्पाणं जाव लूह न सेवए ॥ ३ ॥ १६७ ॥ जया हेमन्तमासम्मि सीयं फुसइ सव्वगं । तत्थ मन्दा विसीयन्ति रजहीणा व खत्तिया ॥ ४ ॥ ॥ १६८ ॥ पुढे गिम्हाहितावेगं विमणे सुपिवासिए । तत्थ मन्दा विसीयन्ति मच्छा अप्पोदए जहा ॥ ५ ॥ १६९ ॥ सया दत्तेसणा दुक्खा जायणा दुप्पणोदिया। कम्मत्ता दुव्भगा चेव इचाहंसु पुढोजणा ॥ ६॥ १७० ॥ एए सद्दे अचायन्ता गामेसु नगरेसु वा । तत्थ मन्दा विसीयन्ति संगामम्मि व भीख्या ॥ ७ ॥ १७१ ॥ अप्पेगे खुहियं भिक्खं सुणी डंसइ लसए। तत्थ मन्दा विसीयन्ति तेउपुट्ठा व पाणिणो ॥ ८ ॥ १७२ ॥ अप्पेगे पडिभासन्ति पडिपन्थियमागया। पडियारगया एए जे एए एवजीविणो ॥ ९ ॥ १७३ ॥ अप्पेगे वइ जुञ्जन्ति नगिणा पिण्डोलगाहमा । मुण्डा कण्डविणट्ठना उज्जल्ला असमाहिया ॥ १० ॥ १७४ ॥ एवं विप्पडिवन्नेगे अप्पणा उ अजाणया। तमाओ ते तमं जन्ति मन्दा मोहेण पावुडा ॥११॥१७५॥ पुट्ठो य दंसमसगेहिं तणफासमचाइया । न मे दिढे परे लोए जइ परं मरणं सिया ॥ १२ ॥ १७६ ॥ संतत्ता केसलोएणं वम्भचेरपराइया । तत्थ मन्दा विसीयन्ति मच्छा विट्ठा व केयणे ॥ १३ ॥ १७७ ॥ आयदण्डसमायारे मिच्छासंठियभावणा । हरिसप्पोसमावन्ना केई लूसन्तिऽनारिया ॥ १४ ॥ १७८ ॥ अप्पेगे पलियन्तेसिं चारो चोरो त्ति सुव्वयं । बन्धन्ति भिक्खुयं वाला कसायवयणेहि य ॥ १५॥ १७९॥ तत्य दण्डेण संवीते मुट्ठिणा अदु फलेण वा । नाईणं सरई वाले इत्थी वा कुद्धगामिणी ॥ १६ ॥ १८० ॥ एए भो कसिणा फासा फस्सा दुरहियासया । हत्थी वा सरसंवित्ता कीवावस गया गिहं ॥ १७ ॥ १८१॥ति बेमि ॥ उवसग्गज्झयणे पढमुद्देसे ।। । अहिमे सुहुमा संगा भिक्खूणं जे दुरुत्तरा । जत्थ एगे विसीयन्ति न चयन्ति जवित्तए ॥ 1 ॥ १८२ ॥ अप्पेगे नायओ दिस्स रोयन्ति परिवारिया। पोसणे ताय पुट्ठो सि कस्स ताय जहासि णे ॥ २ ॥ १८३ ॥ पिया ते थेरओ ताय ससा ते खुड्डिया इमा ।' भायरो ते सगा ताय सोयरा किं जहासिणे ॥ ३ ॥ १८४ ॥ मायरं पियरं पोस एवं लोगो भविस्सइ । एवं खु लोइयं ताय जे पालेन्ति य मायरं ॥ ४ ॥ १८५ ॥ उत्तरा महुरुलावा पुत्ता ते ताय खुड्डया । भारिया ते नवा ताय मा सा अन्नं जगं गमे ॥ ५॥ १८६ ॥ एहि ताय घरं जामो मा य कम्मे सहा वयं । बिइयं पि ताय पासामो जामु ताव सयं गिह ॥६॥१८७॥ गन्तुं ताय पुणो गच्छे न तेणा समणो सिया । अकामगं परिकम्मं को ते वारिउमरिहइ ॥७॥१८८॥ Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११० सुत्तागमे [सूयगडंजं किंचि अणगें ताय तं पि सव्वं समीकयं । हिरणं ववहाराइ तं पि दाहामु ते वयं ॥८॥१८९॥ इच्छेव णं सुसेहन्ति कालुणीयसमुट्ठिया । विवद्धो नाइसंगेहिं तओऽगारं पहावइ ॥ ९ ॥ १९० ॥ जहा रुक्खं वणे जायं मालुया पडिचन्धइ । एवं णं पडिवन्धन्ति नाइओ असमाहिणा ॥ १० ॥ १९१ ॥ विवद्धो नाइसंगेहि हत्थी वा वि नवग्गहे। पिट्ठओ परिसप्पन्ति सुय गो व्व अदूरए ॥ ११ ॥ १९२ ॥ एए संगा मणूसाणं पायाला व अतारिमा । कीवा जत्थ य किस्सन्ति नाइसंगेहि मुच्छिया ॥ १२ ॥ १९३ ॥ तं च भिक्खू परिन्नाय सव्वे संगा महासवा । जीवियं नावकं. खिजा सोचा धम्ममणुत्तरं ॥ १३ ॥ १९४ ॥ अहिमे सन्ति आवद्या कासवेणं पवेइया । बुद्धा जत्थावसप्पन्ति सीयन्ति अबुहा जहिं ॥ १४ ॥ १९५ ॥ रायाणो रायऽमच्चा य माहणा अदु व खत्तिया । निमन्तयन्ति भोगेहि भिक्खुयं साहुजीविणं ॥ १५ ॥ १९६ ॥ हत्यस्सरहजाणेहिं विहारगमणेहि य। भुज भोगे इमे सग्धे महरिसी पूजयामु तं ॥ १६ ॥ १९७ ॥ वत्थगन्धमलंकारं इत्थीओ सयणाणि य । भुजाहिमाइँ भोगाइं आउसो पूजयामु तं ॥ १७ ॥ १९८ ॥ जो तुमे नियमो चिण्णो भिक्खु भावम्मि सुन्वया। अगारमावसन्तस्स सव्वो संविजए तहा ॥ १८॥१९९॥ चिरं दूइज्जमाणस्स दोसो दाणि कुओ तव । इच्चेव णं निमन्तेन्ति नीवारेण व सूयरं ॥ १९ ॥ २०० ॥ चोइया भिक्खचरियाए अचयन्ता जवित्तए। तत्य मन्दा विसीयन्ति उज्जाणंसि च दुब्बला ॥ २० ॥ २०१॥ अचयन्ता व लूहेगं उवहाणेण तजिया । तत्थ मन्दा विसीयन्ति उज्जाणंसि जरग्गवा ॥ २१ ॥ २०२ ॥ एव निमन्तणं लटुं मुच्छिया गिद्ध इत्थिसु । अज्झोववन्ना कामेहिं चोइजन्ता गया गिह ॥ २२ ॥ २०३ ॥ ति बेमि ॥ उवसग्गज्झयणे बिइयुद्देसे ॥ __ जहा संगामकालम्मि पिट्ठओ भीरु वेहइ । वलयं गहणं नूमं को जाणइ पराजय ॥१॥ २०४ ॥ मुहुत्ताणं मुहुनस्स मुहुत्तो होइ तारिसो । पराजियाऽवसप्पामा इइ भीरू उवेहई ॥ २ ॥ २०५॥ एवं उ समणा एगे अबलं नचाण अप्पगं । अणागयं भयं दिस्स अवकप्पन्तिमं सुयं ॥ ३ ॥ २०६ ॥ को जाणइ विऊवाय इत्थीओ उदगाउ वा । चोइजन्ता पवक्खामो न नो अत्थि पकप्पियं ॥४॥२०७॥ इच्चेव पडिलेहन्ति वलया पडिलेहिणो। वितिगिच्छसमावन्ना पन्थाणं च अकोविया ॥ ५॥ २०८ ॥ जे उ संगामकालम्मि नाया ,सूरपुरंगमा । नो ते पिट्ठमुवेहिन्ति किं परं मरणं सिया ॥ ६ ॥ २०९ ॥ एवं समुट्ठिए भिक्खू वोसिजा-गारबन्धणे । आरम्भ तिरियं कट्टु अत्तत्ताए परिव्वए ॥ ७ ॥ २१०॥ तमेगे परिभासन्ति भिक्खुयं साहुजीविणं । जे एवं परिभासन्ति अन्तए ते समाहिए ॥ ८ ॥ २११ ।। Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . सु० अ० ३-उ० ४] सुत्तागमे संबद्धसमकप्पा उ अन्नमन्नेसु मुच्छिया । पिण्डवायं गिलाणस्स जं सारेह दलाह य ॥९॥ २१२ ॥ एवं तुन्भे सरागत्या अन्नमन्नमणुव्वसा । नट्ठसप्पहसब्भावा संसारस्स अपारगा ॥ १० ॥ २१३ ॥ अह ते परिभासेजा भिक्खु मोक्खविसारए । एवं तुन्भे पभासन्ता दुपक्खं चेव सेवह ॥ ११ ॥ २१४ ॥ तुम्भे भुजह पाएसु गिलागो अभिहडम्मि य । तं च बीओदगं भोच्चा तमुहिस्सादि जं कई ॥ १२॥ २१५॥ लित्ता तिव्चाभितावेणं उज्झिया असमाहिया । नाइकण्डूइयं सेयं अरुयस्सावरज्ञई ॥ १३ ॥ २१६॥ तत्तेण अणुसिहा ते अपडिन्नेण जाणया। न एस नियए मग्गे असमिक्खा वई किई ॥ १४ ॥ २१७ ॥ एरिसा जा वई एसा अग्गवेणु व्व करिसिया। गिहिणो अभिहडं सेयं भुजिउं न उ भिक्खुणं ॥ १५ ॥ २१८ ॥ धम्मपन्नवणा जा सा सारम्भा न विसोहिया । न उ एयाहि दिट्ठीहिं पुन्वमासिं पगप्पियं ॥ १६ ॥ २१९ ॥ सव्वाहि अणुजुत्तीहिं अचयन्ता जवितए । तओ वायं निराकिच्चा ते भुजो वि पगन्भिया ॥ १७ ॥ २२० ॥ रागदोसाभिभूयप्पा मिच्छत्तेण अभिडुया । आउस्से सरणं जन्ति टंकणा इव पव्वयं ॥ १८ ॥ २२१ ॥ बहुगुणप्पगप्पाई कुजा अत्तसमाहिए । जेणन्ने न विरुज्झेजा तेण तं तं समायरे ॥ १९ ॥ २२२ ॥ इमं च धम्ममायाय कासवेण पवेइयं । कुज्जा भिक्खू गिलाणस्स अगिलाए समाहिए ॥ २० ॥ २२३ ॥ संखाय-पेसलं धर्म दिद्विमं परिनिव्वुडे । उवसग्गे नियामित्ता आमोक्खाए परिव्वएजासि ॥२१॥२२४॥ त्ति बेमि ॥ उवसग्गज्झयणे तइयुद्देसे ।। आहंसु महापुरिसा पुट्विं तत्ततवोधणा। उदएण सिद्धिमावन्ना तत्थ मन्दो विसीयइ ॥ १ ॥ २२५ ।। अभुजिया नमी विदेही रामगुत्ते य भुञ्जिया । बाहुए उदगं भोच्चा तहा नारायणे रिसी ॥२॥ २२६ ॥ आसिले देविले चेव दीवायण महारिसी । पारासरे दग भोचा बीयाणि हरियाणि य ॥ ३ ॥ २२७ ॥ एए पुन्वं महापुरिसा आहिया इह संमया । भोच्चा बीयोदगं सिद्धा इइ मेयमणुस्सुयं ॥ ४ ॥ २२८ ॥ तत्थ मन्दा विसीयन्ति वाहच्छिंन्ना व गद्दभा। पिट्ठओ परिसप्पन्ति पिट्ठसप्पी य संभमे ॥५॥ २२९ ॥ इहमेगे उ भासन्ति सायं साएंण विजई । जे तत्थ आरियं मग्गं परमं च समाहिये ॥ ६॥ २३० ॥ मा एयं अवमन्नन्ता अप्पेणं लुम्पहा बहुं । एयस्स उ अमोक्खाएं अयोहारि व्व जूरह ॥ ७ ॥ २३१ ॥ पाणाइवाए वहन्ता मुसावाए असंजया । अदिन्नादाणे वट्टन्ता मेहणे य परिग्गहे ॥ ८ ॥ २३२ ।। एवमेगे उ पासत्या पन्नवन्ति अणारिया। इत्थीवसं गया बाला जिणसासणपरंमुहा ॥९॥ २३३ ॥ जहा गण्डं पिलागं वा परिपीलेज मुहुत्तगं । एवं विन्नवणिस्थीसु Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगडं दोसो तत्थ कओ सिया ॥ १० ॥ २३४ ॥ जहा मन्धादणे नाम थिमियं भुजई दगं । एवं विन्नवणित्थीसु दोसो तत्थ कओ सिया ॥ ११ ॥ २३५ ॥ जहा विहंगमा पिशा थिमियं भुजई दर्ग। एवं विन्नवणित्थीसु दोसो तत्थ कओ सिया॥ १२ ॥ २३६ ॥ एवमेगे उ पासत्था मिच्छदिट्ठी अणारिया । अज्झोववन्ना कामेहिं पूयणा इव तरुणए ॥ १३ ॥ २३७ ॥ अणागयमपस्सन्ता पञ्चप्पन्नगवेसगा। ते पच्छा परितप्पंति खीणे आउम्मि जोन्दणे ॥ १४ ॥ २३८ । जेहिं काले परिकन्तं न पच्छा परितप्पए। ते धीरा बंधणुम्मुक्का नावकंखन्ति जीवियं ॥ १५ ॥ २३९ ॥ जहा नई वेयरणी दुत्तरा इह संमया । एवं लोगंसि नारीओ दुत्तरा अमईमया ॥१६॥२४०॥ जेहिं नारीण संजोगा पूयणा पिट्ठओ कया । सव्वमेयं निराकिच्चा ते ठिया सुसमाहिए ॥ १७ ॥ २४१॥ एए ओघं तरिस्सन्ति समुई ववहारिणो । जत्थ पाणा विसन्नासि किच्चन्ती सयकम्मुणा ॥ १८ ॥ २४२ ॥ तं च भिक्खू परिन्नाय सुव्वए समिए चरे । मुसावायं च वजिन्जा अदिन्नादागं च वोसिरे ॥ १९ ॥ २४३ ॥ उड्महे तिरियं वा जे केई तसथावरा । सत्वत्थ विरई कुज्जा सन्ति निव्वाणमाहियं ॥ २० ॥ २४४ ॥ इमं च धम्ममायाय कासवेण पवेइयं । कुजा भिक्खू गिलाणस्स अगिलाए समाहिए ॥ २१ ॥ २४५ ॥ संखाय पेसलं धम्म दिट्ठिमं परिनिव्वुडे । उवसग्गे नियामित्ता आमोक्खाए परिव्वएज्जासि ॥ २२ ॥ २४६ ॥ त्ति बेमि ॥ उवसग्गज्झयणं तइयं ॥ इत्थिपरिन्नज्झयणे चउत्थे जे मायरं च पियरं च विप्पजहाय पुव्वसंजोगं । एगे सहिए चरिस्सामि आरयमेहुणो विवित्तेसु ॥ १ ॥ २४७ ॥ सुहुमेणं तं परिकम्म छन्नपएण इथिओ मन्दा। उव्वायं पि ताउ जाणंसु जहा लिस्सन्ति भिक्खुशो एगे॥२॥ २४८॥ पासे भिसं निसीयन्ति अभिक्खणं पोसवत्थं परिहिन्ति । कार्य अहे वि दंसन्ति बाहू उद्ध? कक्खमणुव्वए ॥ ३ ॥ २४९ ॥ सयणासणेहि जोगेहिं इत्थियो-एगया निमन्तेन्ति। एयाणि चेव से जाणे पासाणि विरूवरूवाणि ॥४॥२५०॥ नो तासु चक्खु संधेजा नो वि य साहसं समभिजाणे । नो सहियं पि विहरेजा एवमप्पा सुरक्खिओ होइ ॥५॥ २५१ ॥ आमन्तिय उस्सविया भिक्खु आयसा निमन्तेन्ति । एयाणि चेव से जाणे सद्दाणि विरूवरूवाणि ॥ ६ ॥ २५२ ॥ मणबन्धणेहि णेगेहिं कलुणविणीयमुवगसित्ताणं । अदु मञ्जुलाइँ भासन्ति आणवयन्ति भिन्नकहाहि ॥ ७ ॥ २५३ ॥ Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ f १ सु० अ० ४- उ० ] सुत्तागमे ११३ सीहं जहा व कुणिमेगं निब्भयमेगचरं ति पासेगं । एवित्थियाउ वन्धन्ति संवुड एगइयमणगारं ॥ ८ ॥ २५४ ॥ अह तत्थ पुणो नमयन्ती रहकारो व नेमि आणुपुव्वीए । बद्धो मिए व पासेणं फन्दन्ते वि न मुच्चए ताहे ॥ ९ ॥ २५५ ॥ अह सेऽणुतप्पई पच्छा भोचा पायसं व विसमिस्सं । एवं विवेगमायाय संवासो न वि कप्पए दविए ॥ १० ॥ २५६ ॥ तम्हा उ वज्जए इत्थी विसलित्तं व कण्टगं नच्चा । ओए कुलाणि वसवत्ती आघाए न से वि निग्गन्थे ॥ ११ ॥ २५७ ॥ जे एयं उञ्छं अद्धा अन्नरा होन्ति कुसीलागं । सुतवस्सिए वि से भिक्खू नो विहरे सह णमित्थीसु ॥ १२॥ २५८ ॥ अवि धूयराहि मुण्हाहिं धाईहिं अदुव दासीहिं । महईहि वा कुमारीहिं संथवं से न कुज्जा अणगारे ॥ १३ ॥ २५९ ॥ अदु नाइणं च सुहीणं वा अणियं दट्टु एगया होइ । गिद्धा सत्ता कामेहिं रक्खणपोसणे मणुस्सोऽसि ॥ १४॥ ॥ २६० ॥ समणं पि दह्रुदासीगं तत्थ वि ताव एगे कुप्पन्ति । अदुवा भोयणेहि नत्थेहिं इत्थदोसं संकिणो होन्ति ॥ १५ ॥ २६१ ॥ कुव्वन्ति संथवं ताहिं पन्भट्ठा समाहिजोगेहिं । तम्हा समणा न समेन्ति आयहियाए संनिसेज्जाओ ॥ १६ ॥ २६२॥ बहवे गिहाई अवहट्टु मिस्सीभावं पत्थुया य एगे । धुवमग्गमेव पवयन्ति वायावीरियं कुसीलाणं ॥ १७ ॥ २६३ ॥ सुद्धं रवइ परिसाए अह रहस्सम्मि दुकडे करेति । जागन्ति य णं तहाविऊ माइले महासढेऽयं ति ॥ १८ ॥ २६४ ॥ सयं दुक्कडं च न वयइ आइट्ठो विपकत्थइ वाले । वेयाणुवीर मा कासी चोइजन्तो गिलाइ से भुजो ॥ १९ ॥ २६५ ॥ ओसिया वि इत्थिपोसेस पुरिसा इत्थिवेयखेयन्ना । पन्नासमन्निया वेगे नारीणं वसं उवकसन्ति ॥ २० ॥ २६६ ॥ अवि हत्यपायछेयाए अदुवा चद्धमंसउक्कन्ते । अवि तेयसाभितावणाणि तच्छिय खारसिंचणाइँ य ॥२१॥२६७॥ अदु कण्णनासछेयं कण्ठच्छेयणं तिझ्क्खन्ती । इइ एत्थ पावसंतत्ता न वेन्ति पुणो न काहिन्ति ॥ २२ ॥ २६८ ॥ सुयमेयमेवमेगेसिं इत्थीवेय त्ति हु सुयक्खायं । एयं पिता वत्ताणं अदुवा कम्मुणा अवकरेन्ति ॥ २३ ॥ २६९ ॥ अन्नं मणेण चिन्तेन्ति वाया अन्नं च कम्मुणा अन्नं । तम्हा न सद्दहे भिक्खू बहुमायाओ इथिओ नच्चा ॥ २४ ॥ २७० ॥ जुवई समणं वूया विचित्तलंकारवत्थगाणि परिहित्ता । विरया चरिस्सहं स्क्खं धम्ममाइक्ख णे भयन्तारो ॥ २५ ॥ २७१ ॥ अदु सावियापवाणं अहमंसि साहम्मिणी य समणाणं । जउकुम्भे जहा उवज्जोई संवासे विऊ विसीएजा ॥ २६ ॥ २७२ ॥ जउकुम्भे जोइउवगूढे आसुभितत्ते नासमुवयाइ । एवित्थियाहि अणगारा संवासेण नासमुवयन्ति ॥ २७ ॥ २७३ ॥ कुव्वन्ति पावगं कम्मं पुट्ठा वेगेवमाहिंसु । नो हं करेमि पावं ति अंकेसाइणी ममेस त्ति ॥ २८॥२७४॥ 4 सत्ता Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगडं बालस्स मन्दयं बीयं जं च कडं अवजाणइ भुजो । दुगुणं करेइ से पावं पूयणकामो विसन्नेसी ॥ २९ ॥ २७५ ॥ संलोकणिजमणगारं आयगयं निमन्तणेणाहंसु । वत्थं च ताइ पायं वा अन्नं पाणगं पडिग्गाहे ॥ ३० ॥२७६ ॥ नीवारमेवं बुज्झेजा नो इच्छे अगारमागन्तुं । बद्धे विसयपासेहिं मोहमावज्जइ पुणो मन्दे ॥ ३१ ॥ २७७ ॥ त्ति बेमि ॥ इत्थिपरिन्नज्झयणे पढमुद्देले ॥ ___ ओए सया न रजेजा भोगकामी पुणो विरज्जेज्जा । भोगे समणाण सुणेह जह भुञ्जन्ति भिक्खुणो एगे ॥१॥ २७८ ॥ अह तं तु मेयमावनं मुच्छियं भिक्खुं काममइवढं । पलिभिन्दिया णं तो पच्छा पादुटु मुद्धि पहणन्ति ॥ २ ॥ २७९ ।। जइ केसिया णं मए भिक्खु नो विहरे सह णमित्थीए । केसाणवि हं लुचिस्सं नन्नत्थ मए चरेजासि ॥ ३ ॥ २८० ॥ अह णं से होइ उवलद्धो तो पेसन्ति तहाभूएहि । अलाउच्छेयं पेहेहि वग्गुफलाइं आहराहि त्ति ॥ ४ ॥२८१॥ दारूणि सागपागाए पज्जोओ वा भविस्सई राओ । पायाणि य मे रयावेहि एहि ता मे पिट्ठओमद्दे ॥५॥ ॥ २८२ ॥ वत्थाणि य मे पडिलेहेहि अन्नं पाणं च आहराहि त्ति । गन्धं च रओहरणं च कासवगं च मे समणुजाणाहि ॥ ६ ॥ २८३ ॥ अदु अञ्जणिं अलंकारं कुक्कययं मे पयच्छाहि । लोद्धं च लोद्धकुसुमं च वेणुपलासियं च गुलियं च ॥ ७ ॥ ॥ २८४ ॥ कुटुं तगरं च अगरुं संपिढें सम्मं उसिरेणं । तेल्लं मुहभिजाए वेणुफलाई संनिहाणाए ॥ ८ ॥ २८५ ॥ नन्दीचुण्णगाइं पाहराहि छत्तोवाणहं च जाणाहि । सत्थं च सूवच्छेज्जाए आणीलं च वत्थयं रयावेहि ॥९॥ २८६ ॥ सुफणि च सागपागाए आमलगाइं दगाहरणं च । तिलगकरणिसञ्जणसलागं घिसु मे विहूणर्य विजाणेहि ॥ १० ॥ २८७ ॥ संडासगं च फणिहं च सीहलिपासगं च आणाहि । आदंसगं च पयच्छाहि दन्तपक्खालगं पवेसाहिं ॥११॥२८८॥ पूगफलं तंबोल्लयं सूइ । मुत्तगं च जाणाहि । कोसं च मोयमेहाए सुप्पुक्खलगं च खारगालणं च ॥ १२ ॥ • ॥ २८९ ॥ चन्दालगं च करगं च वच्चघरं च आउसो खणाहि। सरपाययं च जायाए गोरहगं च सामणेराए ॥ १३ ॥ २९० ॥ घडिगं च सडिण्डिमयं च चेलगोलं कुमारभूयाए । वासं समभिआवण्णं आवसहं च जाण भत्तं च ॥ १४ ॥२९१॥ आसन्दियं च नवसुत्तं पाउलाई संकमठाए। अदु पुत्तदोहलहाए आणप्पा हवन्ति दासा वा ॥ १५ ॥ २९२ ॥ जाए फले समुप्पन्ने गेण्हसु वा णं अहवा जहाहि । अह पुत्तपोसिणो एगे भारवहा हवन्ति उट्टा वा ॥ १६ ॥ २९३ ॥ राओ वि उट्टिया सन्ता दारगं च संठवन्ति धाई वा। सुहिरामणा वि ते सन्ता वत्थधोवा वन्ति हंसा वा ॥ १७ ॥ २९४ ॥ एवं बहुहिं कयपुव्वं भोगत्थाए जेऽभियावन्ना। Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .सु. म. ५ उ०१] सुत्तागमे दासे मिए व पेसे व पसुभूए वा से न वा केई ॥ १८ ॥ २९५ ॥ एवं खु तासु विन्नप्पं संयवं संवासं च वजेजा। तजातिया इमे कामा वजकरा य एवमक्खाए ॥ १९ ॥ २९६ ॥ एयं भयं न सेयाए इइ से अप्पगं निरुम्भित्ता । नो इत्थि नो पसुं भिक्खु नो सयं पाणिणा निलिज्जेजा ॥ २० ॥ २९७ ॥ सुविसुद्धलेसे मेहावी परकिरियं च वजए नाणी । मणसा वयसा काएणं सव्वफाससहे अणगारे ॥ २१॥ ॥ २९८ ॥ इच्छेवमाहु से वीरे धुयरए धुयमोहे से भिक्खु । तम्हा अज्झत्तविसुद्धे सुविमुक्के आमोक्खाए परिव्वएजासि ॥ २२ ॥ २९९ ॥ त्ति बेमि ॥ इत्थिपरिनज्झयणं चउत्थं ॥ . निरयविभत्तियज्झयणे पञ्चमे पुच्छिस्सहं केवलियं महेसि कहं भितावा नरगा पुरत्था। अजाणओ मे मुणि बूहि जाणं कहिं नु बाला नरगं उवेन्ति ॥ १॥३०० ॥ एवं मए पुढे महाणुभावे इणमोऽब्बवी कासवे आसुपन्ने । पवेयइस्सं दुहमट्ठदुग्गं आईणियं दुक्कडिणं पुरत्था ॥ २ ॥ ३०१ ॥ जे केइ बाला इह जीवियट्ठी पावाइँ कम्मा करेन्ति रुद्दा । ते घोररूवे तमिसन्धयारे तिव्वाभितावे नरगे पडन्ति ॥ ३ ॥ ३०२॥ तिव्वं तसे पाणिणो थावरे य जे हिंसई आयसुहं पडुच्चा । जे लूसए होइ अदत्तहारी न सिक्खई सेयवियस्स किंचि ॥ ४ ॥ ३०३ ॥ पागन्भि पाणे बहुणं तिवाई अनिव्वुए घायमुवेइ वाले । निहो निसं गच्छइ अन्तकाले अहोसिरं कटु उवेइ दुग्गं ॥५॥३०४ ॥ हण छिन्दह भिन्दह णं दहेति सद्दे सुणेन्ता परधम्मियाणं । ते नारगाओ भयभिन्नसन्ना कंखन्ति कं नाम दिसं वयामो ॥ ६ ॥ ३०५ ॥ इझालरासिं जलियं सजोइं तत्तोवमं भूमिमणुकमन्ता । ते डज्ममाणा कलुणं थणन्ति अरहस्सरा तत्थ चिरटिईया ॥ ७ ॥ ३०६ ॥ जइ ते सुया वेयरणी भिदुग्गा निसिओ जहा खुर इव तिक्खसोया । तरन्ति ते वेयरणिं भिदुग्गं उसुचोइया सत्तिसु हम्ममाणा ॥ ८ ॥ ॥३०७ ॥ कीलेहि विज्झन्ति असाहुकम्मा नावं उवेन्ते सइविप्पहूणा । अन्ने उ सूलाहि तिसृलियाहिं दीहाहि विद्भूण अहे करेन्ति ॥ ९॥ ३०८ ॥ केसि च वन्धित्तु गले सिलाओ उदगंसि वोलेन्ति महालयंसि । कलंबुयावालुयमुम्मुरे य लोलन्ति पञ्चन्ति य तत्य अन्ने ॥ १० ॥ ३०९ ॥ आसूरियं नाम महाभितावं अन्धंतमं दुप्पतरं महन्तं । उर्दू अहे यं तिरियं दिसासु समाहिओ जत्थगणी झियाइ ॥ ११ ॥ ३१० ॥ जंसी गुहाए जलणेऽतिउट्टे अविजाणओ डझइ लुत्तपन्नो। सया य कलुणं पुण धम्मठाणं गाढोवणीयं अइदुक्खधम्मं ॥ १२ ॥ ३११ ॥ चत्तारि Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगढं ११६ अगणीओ समारभेत्ता जहिँ कूरकम्मा भितवेन्ति बालं । ते तत्थ चिट्ठन्तभितप्पमाणा मच्छा व जीवन्तो व जोइपत्ता ॥ १३ ॥ ३१२ ॥ संतच्छगं नाम महाभितावं ते नारगा जत्य असाहुकम्मा। हत्थेहि पाएहि य बन्धिऊणं फलगं व तच्छन्ति कुहाडहत्या ॥ १४ ॥ ३१३ ॥ रुहिरे पुणो वच्चसमुस्सियंगे भिन्नुत्तमंगे परिवत्तयन्ता। पयन्ति णं नेरइए फुरन्ते सजीवमच्छे व अयोकवल्ले ॥ १५ ॥ ३१४ ॥ नो चेव ते तत्थ मसीभवन्ति न मिजई तिव्वभिवेयणाए । तमाणुभागं अणुवेययन्ता दुक्खन्ति दुक्खी इह दुक्कडेणं ॥ १६ ॥ ३१५ ॥ तहि च ते लोलणसंपगाढे गाढं सुतत्तं अगगिं वयन्ति । न तत्य सायं लहई भिदुग्गे अरहियाभितावा तह वी तवेन्ति ॥ १७ ॥ ३१६ ॥ से सुच्चई नगरवहे व सद्दे दुहोवणीयाणि पयाणि तत्थ । उदिण्णकम्माण उदिण्गक्रम्मा पुगो पुगो ते सरहं दुहेन्ति ॥ १८॥ ३१७ ॥ पाणेहि णं पाव वियोजयन्ति तं मे पवक्खामि जहातहेणं । दण्डेहिं तत्था सरयन्ति बाला सव्वेहि दण्डेहि पुराकएहिं ॥ १९ ॥ ३१८ ॥ ते हम्ममाणा नरगे पडन्ति पुण्णे दुरूवस्स महाभितावे । ते तत्थ चिट्ठन्ति दुरूवभक्खी तुट्टन्ति कम्मोवगया किमीहिं ॥ २० ॥ ३१९ ॥ सया कसिगं पुण घम्मठाणं गाढोवणीयं अइदुक्खधम्मं । अन्सु पक्खिप्प विहत्तु देहं वेहेण सीसं सेऽभितावयन्ति ॥ २१ ॥ ३२० ॥ छिन्दन्ति वालस्स खुरेण नकं ओढे वि छिन्दन्ति दुवे वि कण्णे । जिब्भं विणिक्कस्स विहत्थिमेत्तं तिक्खाहि सूलाहि भितावयन्ति ॥ २२ ॥ ३२१॥ ते तिप्पमाणा तलसंपुडं व राइंदियं तत्य थगन्ति वाला । गलन्ति ते सोणियपूयमंसं पज्जोइया खारपइद्धियंगा ॥ २३ ॥ ३२२ ॥ जइ ते सुया लोहियपूयपाई बालागणी तेअगुणा परेणं । कुम्भी महन्ताहियोरुसीया समूसिया लोहियपूयपुण्णा ॥ २४ ॥ ३२३ ॥ पक्खिप्प तासुं पययन्ति वाले अट्टस्सरे ते कलुणं रसन्ते । तण्हाइया ते तउतम्बतत्तं पजिजमाणयर रसन्ति ॥ २५ ॥ ३२४ ॥ अप्पेण अप्पं इह वञ्चइत्ता भवाहमे पुव्वसए सहस्से । चिट्ठन्ति तत्था बहुकूरकम्मा जहा कडं कम्म तहासि भारे ॥२६॥ ३२५॥ समजिणित्ता कलुसं अणज्जा इठेहि कन्तेहि य विप्पहूणा । ते दुब्भिगन्धे कसिणे य फासे कम्मोवगा कुणिमे आवसन्ति ॥ २७ ॥ ३२६ ॥ त्ति बेमि निरयविभत्तियज्झयणे पढसुद्देसे ॥ __ अहावरं सासयदुक्खधम्मं तं मे पक्क्खामि जहातहेणं । बाला जहा दुक्कडकन्कारी वेयन्ति कम्मा: पुरेकडाई ॥ १॥ ३२७ ॥ हत्थेहि पाएहि य बन्धिऊण उप विकत्तन्ति खुरातिएहिं । निहित्तु वालस्स विहत्तु देहं वद्धं थिरं पिठ्ठउ उत्तरन्ति ॥ २ ॥ ३२८ ॥ वाह पकत्तन्ति य मूलओ से थूलं वियासं मुहे आड Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १ सु० अ० ५ उ०२] सुत्तागमे हन्ति । रहंसि जुत्तं सरयन्ति बालं आरुस्स विज्झन्ति तुदेण पिढे ॥ ३ ॥ ३२९ ॥ अयं व तत्तं जलियं सजोइ तऊवमं भूमिमणुक्कमन्ता । ते डज्झमाणा कलुणं थणन्ति उसुचोइया तत्तजुगेसु जुत्ता ॥ ४ ॥ ३३० ॥ बाला वला भूमिमणुक्कमन्ता पविजलं लोहपहं च तत्तं । जंसी भिदुग्गसि पवजमाणा पेसे व दण्डेहि पुरा करेन्ति ॥ ५॥ ॥ ३३१ ॥ ते संपगाढंसि पवजमाणा सिलाहि हम्मन्ति निपातिणीहिं । संतावणी नाम चिरढ़िईया संतप्पई जत्थ असाहुकम्मा ॥ ६ ॥ ३३२ ॥ कन्दूसु पक्खिप्प पयन्ति वालं तओ वि दड्डा पुण उप्पयन्ति । ते उद्दकाएहि पखज्जमाणा अवरेहि खजन्ति सणप्फएहि ॥ ७ ॥ ३३३ ॥ समूसियं नाम विधूमठाणं जं सोयतत्ता कलुणं थणन्ति । अहोसिरं कट्ठ विगत्तिऊणं अयं व सत्थेहि समोसवेन्ति ॥ ८॥ ॥ ३३४ ॥ समूसिया तत्थ विसूणियंगा पक्खीहिं खजन्ति अयोमुहेहिं । संजीवणी नाम चिरहिईया जंसी पया हम्मइ पावचेया ॥ ९ ॥ ३३५ ॥ तिक्खाहि सूलाहि निवाययन्ति वसोगयं सावययं व लद्धं । ते सूलविद्धा कलुणं थणन्ति एगन्तदुक्खं दुहओ गिलाणा ॥ १० ॥ ३३६ ॥ सया जलं नाम निहं महन्तं जंसी जलन्तो अगणी अकट्ठो। चिट्ठन्ति बद्धा बहुकूरकम्मा अरहस्सरा केइ चिरहिईया ॥ ११ ॥ ॥ ३३७ ॥ चिया महन्तीउ समारभित्ता छुन्भन्ति ते तं कलुणं रसन्ति । आवट्टई तत्थ असाहुकम्मा सप्पी जहा पडियं जोइमज्झे ॥ १२ ॥ ३३८ । सया कसिणं पुण धम्मठाणं गाढोवणीयं अइदुक्खधम्मं । हत्थेहि पाएहि य बन्धिऊणं सत्तुव्वदण्डेहि समारभन्ति ॥ १३ ॥ ३३९ ॥ भजन्ति बालस्स वहेण पुट्ठी सीसं पि भिन्दन्ति अयोधणेहिं । ते भिन्नदेहा फलगं व तच्छा तत्ताहि आराहि नियोजयन्ति ॥ १४ ॥ ३४०॥ अभिमुंजिया रुद्द असाहुकम्मा उसुचोइया हत्यिवहं वहन्ति । एग दुरूहित्तु दुवे तओ वा आरुस्स विज्झन्ति ककाणओ से ॥ १५॥ ३४१॥ चाला वला भूमिमणुकमन्ता पविजलं कण्टइलं महन्तं । विवद्धतप्पेहि विवण्णचित्ते समीरिया कोट्टवलिं करेन्ति ॥ १६ ॥ ३४२ ॥ वेयालिए नाम महाभितावे एगायए पव्वयमन्तलिक्खे । हम्मन्ति तत्था बहुकूरकम्मा परं सहस्साण मुहत्तगाणं ॥ १७ ॥ ॥३४३ ॥ संवाहिया दुक्कडिणो थणन्ति अहो य राओ परितप्पमाणा । एगन्तकूडे नरगे महन्ते कूडेण तत्था विसमे हया उ॥ १८ ॥ ३४४ ॥ भजन्ति णं पुन्वमरी सरोसं समुग्गरे ते मुसले गहेडं । ते भिन्नदेहा रहिरं वमन्ता ओमुद्धगा धरणितले पडन्ति ॥ १९ ॥ ३४५ ॥ अणासिया नाम महासियाला पागब्मिणो तत्य सयावकोवा । खजन्ति तत्था बहुकूरकम्मा अदूरगा संखलियाहि बद्धा ॥२०॥ ॥ ३४६ ॥ सयाजला नाम नई भिदुग्गा पविज्जलं लोहविलीणतत्ता । जंसी भिद Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगड गंसि पवजमाणा एगायताणुकमणं करेन्ति ॥२१॥ ३४७ ॥ एयाइँ फासाइँ फुसन्ति बाल निरन्तरं तत्थ चिरहिईयं । न हम्ममाणस्स उ होइ ताणं एगो सयं पचणुहोइ दुक्खं ॥ २२ ॥ ३४८ ॥ जं जारिसं पुव्वमकासि कम्मं तमेव आगच्छइ संपराए । एगन्तदुक्खं भवमजणित्ता वेयन्ति दुक्खी तमणन्तदुक्खं ॥ २३ ॥ ॥ ३४९ ॥ एयाणि सोचा नरगाणि धीरे न हिंसए किंचण सव्वलोए । एगन्तदिट्ठी अपरिग्गहे उ बुज्झिज लोगस्स वसं न गच्छे ॥ २४ ॥ ३५० ॥ एवं तिरिक्खे मणुयामरेसुं चउरन्तणन्तं तयणुविवागं । स सव्वमेयं इइ वेयइत्ता कंखेज कालं धुयमायरेज ॥ २५ ॥ ३५१ ॥ त्ति बेमि ॥ निरयविभत्तियज्झयणं पञ्चमं ॥ सिरिवीरत्थुइयज्झयणे छठे पुच्छिस्सु णं समणा माहणा य अगारिणो या परतित्थिया य। से केइ नेगंतहियं धम्ममाहु अणेलिसं साहुसमिक्खयाए ॥ १॥ ३५२ ॥ कहं च नाणं कह दंसगं से सीलं कहं नायसुयस्स आसि । जाणासि णं भिक्खु जहातहेगं अहासुयं हि जहा निसन्तं ॥ २ ॥ ३५३ ॥ खेयन्नए से कुसलासुपन्ने अणन्तनाणी य अणन्तदंसी । जसंसिणो चक्खुपहे ठियस्स जाणाहिं धम्मं च धिइं च पेहि ॥ ३ ॥ ३५४ ॥ उर्दू अहे यं तिरियं दिसासु तसा य जे थावर जे य पाणा । से निच्चनिच्चेहि समिक्ख पन्ने दीवे व धम्म समियं उदाहु ॥ ४ ॥ ३५५ ॥ से सव्वदंसी अभिभूयनाणी निरामगन्धे धिइमं ठियप्पा । अणुत्तरे सव्वजगंसि विजं गन्था अईए अभए अणाऊ ॥५॥ ३५६ ॥ से भूइपन्ने अणिएअचारी ओहंतरे धीरे अणन्तचक्खू । अणुत्तरं तप्पइ सूरिए वा वइरोयणिन्दे व तमं पगासे ॥ ६ ॥ ३५७ ॥ अणुत्तरं धम्ममिणं जिणाणं नेया मुणी कासव आसुपन्ने । इन्दे व देवाण महाणुभावे सहस्सणेया दिवि णं विसिढे ॥ ७ ॥ ३५८ ॥ से पन्नया अक्खयसागरे वा महोदही वा वि अणन्तपारे । अणाविले वा अकसाइ मुक्के सके व देवाहिवई जुईमं ॥ ८॥ ३५९ ॥ से वीरिएणं पडिपुण्णवीरिए सुदंसणे वा नगसव्वसेटे। सुरालए वा सि मुदागरे से विरायए नेगगुगोववेए ॥ ९ ॥ ३६० ॥ सयं सहस्साण उ जोयणाणं तिकण्डगे पण्डगवेजयन्ते । से जोयणे नवनवते सहस्से उद्भुस्सियो हेट्ठ सहस्समेगं ॥ १० ॥ ॥ ३६१ ॥ पुढे नमे चिट्ठइ भूमिवट्ठिए जं सूरिया अणुपरिवत्र्यन्ति । से हेमवणे यहुनन्दणे य जंसी रई वेययई महिन्दा ॥ ११॥ ३६२॥ से पव्वए सहमहप्पगासे विरावई कवणमट्टवण्णे । अणुत्तरे गिरिसु य पव्वदुग्गे गिरीवरे से जलिए व भोम Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १ सु० भ० ६] सुत्तागमे ॥ १२ ॥ ३६३ ॥ महीइ मज्झम्मि ठिए नगिन्दे पन्नायए सूरियसुद्धलेसे । एवं सिरीए उ स भूरिवण्णे मणोरमे जोयइ अचिमाली ॥ १३ ॥ ३६४ ॥ सुदंसणस्सेव जसो गिरिस्स पवुच्चई महओ पव्वयस्स । एओवमे समणे नायपुत्ते जाईजसोदसणनाणसीले ॥१४॥ ३६५ ॥ गिरीवरे वा निसहाययागं रुयए व सेढे वलयाययाणं । तओवमे से जगभूइपन्ने मुणीण मज्झे तमुदाहु पन्ने ॥ १५ ॥ ३६६ ॥ अणुत्तरं धम्ममुईरइत्ता अणुत्तरं झाणवरं झियाइ । सुसुक्कसुकं अपगण्डसुक्कं संखिन्दुएगन्तवदायसुकं ॥ १६ ॥ ३६७ ॥ अणुत्तरग्गं परमं महेसी असेसकम्मं स विसोहइत्ता। सिद्धिं गए साइमणन्तपत्ते नाणेण सीलेण य दंसणेण ॥ १७ ॥ ३६८ ॥ रुक्खेसु णाए जह सामली वा जस्सि रइं वेययई सुवण्णा । वणेसु वा नन्दणमाहु सेलु नाणेण सीलेण य भूइपन्ने ॥ १८ ॥ ३६९ ॥ थणियं व सद्दाण अणुत्तरे उ चन्दो व ताराण महाणुभावे । गन्धेसु वा चन्दणमाहु सेढं एवं मुणीगं अपडिन्नमाहु ॥१९॥३७॥ जहा सयंभू उदहीण सेढे नागेसु वा धरणिन्दमाहु सेहूँ । खोओदए वा रस वेजयन्ते तवोवहाणे मुणि वेजयन्ते ॥२०॥३७१॥ हत्थीसु एरावणमाहु नाए सीहो मिगाणं सलिलाण गङ्गा । पक्खीसु वा गरुळे वेणुदेवो निव्वाणवादीणिह नायपुत्ते ॥ २१ ॥ ॥ ३७२ ॥ जोहेसु नाए जह वीससेणे पुप्फेसु वा जह अरविन्दमाहु । खत्तीण सेढे जह दन्तवक्के इसीण सेढे तह वद्धमाणे ॥ २२ ॥ ३७३ ॥ दाणाण सेढे अभयप्पयाणं सच्चेसु वा अणवजं वयन्ति । तवेसु वा उत्तमं बम्भचेरं लोगुत्तमे समणे नायपुत्ते ॥ २३ ॥ ३७४ ॥ ठिईण सेट्ठा लवसत्तमा वा सभा सुहम्मा व सभाण सेट्ठा। निव्वाणसेट्ठा जह सव्वधम्मा न नायपुत्ता परमत्थि नाणी ॥ २४ ॥ ३७५ ॥ पुढोवमे धुणइ विगयगेही न संनिहिं कुव्वइ आसुपन्ने । तरि समुदं व महाभवोघं अभयंकरे वीर अणन्तचक्खू ॥ २५॥ ३७६ ॥ कोहं च माणं च तहेव मायं लोभ चउत्यं अज्झत्तदोसा । एयाणि वन्ता अरहा महेसी न कुव्वई पाव न कारवेइ ॥ २६ ॥ ३७७ ॥ किरियाकिरियं वेणइयाणुवायं अन्नाणियाणं पडियच ठाणं । से सव्ववायं इइ वेयइत्ता उवहिए संजमदीहरायं ॥ २७ ॥ ३७८ ॥ से वारिया इत्थि सराइभत्तं उवहाणवं दुक्खखयट्टयाए । लोगं विदित्ता आरं परं च सव्वं पभू वारिय सव्ववारं ॥ २८ ॥ ३७९ ॥ सोचा य धम्म अरहन्तभासियं समाहियं अट्टपदोवसुद्धं । तं सद्दहाणा य जणा अणाऊ इन्दा व देवाहिव आगमिस्सन्ति ॥२९॥३८०॥ त्ति बेमि ॥ सिरिवीरत्थुइज्झयणं छह ।। Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगडं कुसीलपरिभासियज्झयणे सत्तमे पुढवी य आऊ अगणी य वाऊ तण रुक्ख बीया य तसा य पाणा । जे अण्डया जे य जराउ पाणा संसेयया जे रसयाभिहाणा ॥ १ ॥ ३८१ ॥ एयाइँ काया पवेइयाइं एएसु जाणे पडिलेह सायं । एएण काएण य आयदण्डे एएसु या विप्परियासुवेन्ति ॥ २ ॥ ३८२ ॥ जाईपहं अणुपरिवट्टमाणे तसथावरेहिं विणिघायमेइ । से जाइ जाइं बहुकूरकम्मे जं कुव्वई मिजइ तेण बाले ॥ ३ ॥ ३८३ ॥ अस्सि च लोए अदु वा परत्था सयग्गसो वा तह अन्नहा वा । संसारमावन्न परं परं ते बन्धन्ति वेयन्ति य दुन्नियाणि ॥ ४ ॥ ३८४ ॥ जे मायरं वा पियरं च हिच्चा समणव्वए अगणि समारभिजा । अहाहु से लोऍ कुसीलधम्मे भूयाइँ जे हिंसइ आयसाए ॥५॥ ॥ ३८५ ॥ उजालओ पाण निवायएज्जा निव्वावओ अगणि निवायवेजा। तम्हा उ मेहावि समिक्ख धम्म न पण्डिए अगणि समारभिजा ॥ ६ ॥ ३८६ ॥ पुढवी वि जीवा आऊ वि जीवा पाणा य संपाइम संपयन्ति । संसेयया कट्ठसमस्सिया य एए दहे अगगिं समारभन्ते ॥ ७ ॥ ३८७ ॥ हरियाणि भूयाणि विलम्बगाणि आहार देहा य पुढो सियाइ । जे छिन्दई आयसुहं पडुच पागन्भि पाणे बहुणं तिवाई ॥ ८ ॥ ३८८ ॥ जाइं च बुद्धिं च विणासयन्ते बीयाइ अस्संजय आयदण्डे । अहाहु से लोऍ अणजधम्मे बीयाइ से हिंसइ आयसाए ॥ ९ ॥ ३८९ ॥ गन्भाइ मिजन्ति वुयावुयाणा नरा परे पञ्चसिहा कुमारा। जुवाणगा मज्झिम थेरगा य चयन्ति ते आउखए पलीणा ॥ १० ॥ ३९० ॥ संबुज्झहा जन्तवो माणुसत्तं दर्रा भयं वालिसेणं अलम्भो। एगन्तदुक्खे जरिए व लोए सकम्मुणा विप्परियासुवेइ ॥ ११ ॥ ३९१ ॥ इहेग मूढा पवयन्ति मोक्खं आहारसंपजणवजणेणं । एगे य सीओदगसेवणेणं हुएण एगे पवयन्ति मोक्खं ॥ १२॥ ३९२ ॥ पाओसिणाणाइसु नत्थि मोक्खो खारस्स लोणस्स अणासणेणं । ते मजमंसं लसुणं च भोच्चा अन्नत्थ वासं परिकप्पयन्ति ॥ १३ ॥ ३९३ ॥ उदगेण जे सिद्धिमुदाहरन्ति सायं च पायं उदगं फुसन्ता। उदगस्स फासेण सिया य सिद्धी सिज्झिसु पाणा बहवे दगंसि ॥ १४ ॥ ३९४ ॥ मच्छा य कुम्मा य सिरीसिवा य मग्गू य उट्टा दगरक्खसा य। अढाणमेयं कुसला वयन्ति उदगेण जे सिद्धिमुदाहरन्ति ॥ १५ ॥ ३९५ ॥ उदगं जई कम्ममलं हरेजा एवं सुहं इच्छामित्तमेव । अन्धं व नेयारमणुस्सरित्ता पाणाणि चेवं विणिहन्ति मन्दा ॥ १६ ॥ ३९६ ॥ पावाइँ कम्मा पकुव्वओ हि सिओदगं ऊ जइ तं हरेजा । सिन्झिसु एगे दगसत्तघाई मुसं वथन्ते जलसिद्धिमाहु ॥१७॥ ॥ ३९७ ॥ हुएण जे सिद्धिमुदाहरन्ति सायं च पायं अगणि फुसन्ता । एवं सिया Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १ सु० अ० ८ ] सुत्तागमे सिद्धि हवेज तम्हा अगणि फुसन्ताण कुकम्मिणं पि ॥ १८ ॥ ३९८ ॥ अपरिक्ख दिहं न हु एव सिद्धी एहिन्ति ते घायमवुज्झमाणा । भूएहि जाणं पडिलेह सायं विज्जं गहायं तस्थावरेहिं ॥ १९ ॥ ३९९ ॥ थणन्ति लुप्पन्ति तसन्ति कम्मी पुढो जगा परिसंखाय भिक्खु । तम्हा विऊ विरओ आयगुत्ते दठ्ठे तसे या पडिसंह रेज्जा ॥ २० ॥ ४०० ॥ जे धम्मलद्धं विणिहाय भुजे वियडेण साहहु य जे सिणाई । जे धोवई सयई व वत्थं अहाहु ते नागणियस्स दूरे ॥ २१ ॥ ४०१ ॥ कम्मं परिन्नाय दगंसि धीरे वियडेण जीवेज य आदिमोक्खं । से वीयकन्दाइ अभुजमाणे विरए सिणाणाइसु इत्थियासु ॥ २२ ॥ ४०२ ॥ जे मायरं च पियरं च हिचा गारं तहा पुत्तपसुं धणं च । कुलाई जे धावइ साउगाई अहाहु से सामणियस्स दूरे ॥ २३ ॥ ॥ ४०३ ॥ कुलाई जे धावइ साउगाईं आघाइ धम्मं उयराणुगिद्धे । अहाहु से आयरियाण सयंसे जे लावएजा असणस्स हेऊ ॥ २४ ॥ ४०४ ॥ निक्खम्म दीणे पर भोयणम्मि मुहमङ्गलीए उयराणुगिद्धे । नीवार गिद्धे व महावरा हे अदूरए एहि घायमेव ॥ २५ ॥ ४०५ ।। अन्नस्स पाणस्सिहलोइयस्स अणुप्पियं भासइ सेवमाणे । पासत्थयं चेव कुसीलयं च निस्सारए होइ जहा पुलाए ॥ २६ ॥ ४०६ ॥ अन्नायपिण्डेण हियासएजा नो पूयणं तवसा आवहेजा । सद्देहि रूवेहि असज्जमाणं सव्वेहि कामेहि विणीय गेहिं ॥ २७ ॥ ४०७ ॥ सव्वाइँ संगाई अइच धीरे सव्वाई दुक्खाईं तितिक्खमाणे | अखिले अगिद्धे अणिएयचारी अभयंकरे भिक्खु अणाविलप्पा ॥ २८ ॥ ४०८ ॥ भारस्स जाओ मुणि भुञ्जएज्जा कंखेज्ज पावस्स विवेग भिक्खू । दुक्खेण पुट्ठे धुयमाइएजा संगामसीसे व परं दमेज्जा ॥ २९ ॥ ४०९ ॥ अवि हम्ममाणे फलगावतट्ठी समागमं कखइ अन्तगस्स । निधूय कम्मं न पवचुवेइ अक्खक्खए वा सगडं ति बेमि ॥ ३० ॥ ४१० ॥ कुसीलपरिभासियज्झयणं सत्तमं ॥ १२१ वीरियज्झयणे अट्टमे दुहा वेयं सुयक्खायं वीरियं ति पवुचई । किं नु वीरस्स वीरत्तं कहं चेयं पवचई ॥ १ ॥ ४११ ॥ कम्ममेगे पवेदेन्ति अक्रम्मं वा वि सुव्वया । एएहिं दोहि ठाणेहिं जेहिं दीसन्ति मच्चिया ॥ २ ॥ ४१२ ॥ पमायं कम्ममाहंसु अप्पमायं तहावरं । तन्भावादेसओ वा वि बालं पण्डियमेव वा ॥ ३ ॥ ४१३ ॥ सत्थमेगे तु सिक्खन्ता अश्वायाय पाणिणं । एगे मन्ते अहिजन्ति पाणभूयविहेडिगो ॥ ४ ॥ ४१४ ॥ मायिणो कट्टु माया य कामभोगे समारभे । हन्ता छेत्ता पगब्भित्ता आयसायाणु Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [सूयगडं सुत्तात्तमे गामिणो ॥५॥ ४१५॥ मणसा वयसा चेव कायसा चेव अन्तसो । आरओ परओ चा वि दुहा वि य असंजया ॥ ६ ॥४१६॥ वेराई कुम्वई वेरी तओ वेरेहि रजई । पावोवगा य आरम्भा दुक्खफासा य अन्तसो ॥ ७ ॥ ४१७ ॥ संपरायं नियच्छन्ति अत्तदुक्कडकारिणो । रागदोसस्सिया बाला पावं कुव्वन्ति ते वहुं ॥ ८ ॥ ४१८ ॥ एवं सकम्मविरियं बालागं तु पवेइयं । इत्तो अकम्मविरियं पण्डियाणं सुणेह मे ॥ ९ ॥ ॥ ४१९ ॥ दविए वन्धणुम्मुक्के सव्वओ छिन्नबन्धणे । पणोल्ल पावगं कम्मं सलं कंतइ अन्तसो ॥ १० ॥ ४२० ॥ नेयाउयं सुयक्खायं उवायाय समीहए । भुजो भुजो दुहावासं असुहत्तं तहा तहा ॥ ११ ॥ ४२१ ॥ ठाणी विविहठाणाणि चइस्सन्ति न संसओ । अणियए अयं वासे नायएहि सुहीहि य ॥ १२ ॥ ४२२ ॥ एवमायाय मेहावी अप्पगो गिद्धिमुद्धरे । आरियं उवसंपज्जे सव्वधम्ममकोवियं ॥ १३ ॥ ४२३ ॥ सहसंमइए नच्चा धम्मसारं सुणेत्तु वा । समुवट्ठिए उ अणगारे पच्चक्खायपावए ॥ १४ ॥ ४२४ ॥ जं किंचुवक्कम जाणे आउक्खेमस्स अप्पणो । तस्सेव अन्तरा खिप्पं सिक्खं सिक्खेज पण्डिए ॥ १५ ॥ ४२५ ॥ जहा कुम्मे सअङ्गाइं सए देहे समाहरे । एवं पावाइँ मेहावी अज्झप्पेण समाहरे ॥ १६ ॥ ॥ ४२६ ॥ साहरे हत्यपाए य मगं पञ्चिन्दियाणि य । पावगं च परीणामं भासादोसं च तारिसं ॥ १७ ॥ ४२७ ॥ अणु माणं च मायं च तं परिन्नाय पण्डिए। सायागारवणिहुए उवसन्ते निहे' चरे ॥ १८ ॥ ४२८ ॥ पाणे य नाइवाएजा अदिन्नं पि य नायए । साइयं न सुसं बूया एस धम्मे वुसीमओ ॥ १९ ॥ ४२९ ॥ अकम्मन्ति वायाए मणसा वि न पत्यए । सव्वओ संवुडे दन्ते आयाणं सुसमाहरे ॥ २० ॥ ४३० ॥ कडं च कन्जमागं च आगमिस्सं च पावगं । सव्वं तं नाणुजाणन्ति आयगुत्ता जिइन्दिया ॥ २१ ॥ ४३१ ॥ जे याऽबुद्धा महाभागा वीरा असमत्तदंसिगो । असुद्धं तेसि परकन्तं सफलं होइ सव्वसो ॥ २२ ॥ ४३२ ॥ जे य बुद्धा महाभागा वीरा सम्मत्तदंसिणो । सुद्धं तेसिं परक्कन्तं अफलं होइ सव्वसो ॥ २३ ॥ ४३३ ॥ तेसिं पि न तवो सुद्धो निक्खन्ता जे महाकुला । जं नेवने वियाणन्ति न सिलोगं पवेज्जए ॥ २४ ॥ ४३४ ॥ अप्पपिण्डासि पाणासि अप्पं भासेज मुव्वए । खन्ते भिनिव्वुडे दन्ते वीयगिद्धी सया जए ॥ २५ ॥ ४३५ ॥ प्राणजोगं समाहट्ट कायं विउसेज्ज सव्वसो । तितिक्खं परमं नच्चा आमोक्खाए परिवएनासि ॥ २६ ॥ ४३६ ॥ त्ति बेसि ॥ वीरियज्झयणं अट्रमं ॥ Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० अ०९] सुत्तागमे १२३ ' धम्मज्झयणे नवमे ५ कयरे धम्मे अक्खाए माहणेण मईमया । अजु धम्मं जहातचं जिणाणं तं सुणेह मे ॥१॥४३७ ॥ माहणा खत्तिया वेस्सा चण्डाला अदु वोकसा । एसिया वेसिया सुद्दा जे य आरम्भनिस्सिया ॥२॥ ४३८ ॥ परिग्गहनिविट्ठाणं पावं तेसि पवडई । आरम्भसंभिया कामा न ते दुक्खविमोयगा ॥ ३ ॥ ४३९ ॥ आघायकिच्चमाहेउं नाइओ विसएसिणो । अन्ने हरन्ति तं वित्तं कम्मी कम्मेहि किच्चई ॥ ४ ॥ ४४० ॥ माया पिया ण्हुसा भाया भज्जा पुत्ता य ओरसा । नालं ते तव ताणाय लुप्पन्तस्स सकम्मुणा ॥५॥ ४४१ ॥ एयमढें सपेहाए परमट्ठागुगामियं । निम्ममो निरहंकारो चरे भिक्खू जिणाहियं ॥ ६॥ ४४२ ॥ चिच्चा वित्तं च पुत्ते य नाइओ य परिग्गहं । चिच्चा ग अन्तगं सोयं निरवेक्खो परिव्वए ॥ ७ ॥ ४४३ ॥ पुढवी अगणी वाऊ तणरुक्ख सबीयगा । अण्डया पोयजराऊ रससंसेयउन्भिया ॥ ८॥ ४४४ ॥ एएहिं छहिं काएहिं तं विजं परिजाणिया । मणसा कायवक्केणं नारम्भी न परिग्गही ॥ ९॥ ४४५॥ मुसावायं बहिद्धं च उग्गहं च अजाइया । सत्थादाणाइ लोगसि तं विजं परिजाणिया ॥ १० ॥ ४४६ ॥ पलिउच्चणं च भयणं च थण्डिल्लुस्सयणाणि य । धूणादाणाइ लोगंसि तं विज परिजाणिया ॥ ११ ॥ ४४७ ॥ धोयणं रयणं चेव वत्थीकम्मं विरेयणं । वमणञ्जणपलीमंथं तं विजं परिजाणिया ॥ १२॥ ४४८ ॥ गन्धमल्लसिणाणं च दन्तपक्खालणं तहा । परिग्गहित्थिकम्मं च तं विजं परिजाणिया ॥ १३ ॥ ४४९ ॥ उद्देसियं कीयगडं पामिच्चं चेव आहडं । पूर्य अणेसणिज्जं च तं विजं परिजाणिया ॥ १४ ॥ ४५० ॥ आसूणिमक्खिरागं च गिद्धवघायकम्मगं । उच्छोलणं च कवं च तं विजं परिजाणिया ॥ १५॥ ४५१ ॥ संपसारी कयकिरिए पसिणाययणाणि य । सागारिय च पिण्डं च तं विजं परिजाणिया ॥ १६ ॥ ४५२ ॥ अट्ठावयं न सिक्खिज्जा वेहाईयं च नो वए । हत्थकम्म विवायं च तं विजं परिजाणिया ॥ १७ ॥ ४५३ ॥ पाणहाओ य छत्तं च नालीयं वालवीयणं । परकिरियं अन्नमन्नं च तं विजं परिजाणिया ॥ १८ ॥ ४५४ ॥ उच्चारं पासवणं हरिएसु न करे मुणी । वियडेण वा वि साहट्ट नावमजे कयाइ वि ॥ १९ ॥ ४५५ ॥ परमत्ते अन्नपाणं न भुजेज कयाइ वि । परवत्थं अचेलो वि तं विज परिजाणिया ॥ २० ॥ ४५६ ॥ आसन्दी पलियः य निसिज्जं च गिहन्तरे । संपुच्छणं सरणं वा तं विजं परिजाणिया ॥ २१॥ ४५७ ॥ जसं कित्तिं सिलोगं च जाय वन्दणपूयणा । सव्वलोयंसि जे कामा तं विजं परिजाणिया ॥ २२ ॥ ४५८ ॥ जेणेहं निव्वहे भिक्खू Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४ सुत्तागसे [सूयगई अन्नपाणं तहाविहं । अणुप्पयाणमन्नेसि तं विजं परिजाणिया ॥ २३ ॥ ४५९ ॥ एवं उदाहु निग्गन्थे महावीरे महामुणी। अणन्तनाणदंसी से धम्म, देसितवं सुयं ॥ २४ ॥ ४६० ॥ भासमाणो न भासेजा नेव वम्फेज मम्मयं । माइट्टाणं विवजेजा अणुचिन्तिय वियागरे ॥ २५ ॥ ४६१ ॥ तत्थिमा तइया भासा जं वइत्ताणुतप्पई । जं छन्नं तं न वत्तव्वं एसा आणा नियण्ठिया ॥ २६ ॥ ४६२ ।। होलावायं सहीवायं गोयावायं च नो वए । तुमं तुमं ति अमणुन्नं सव्वसो तं न वत्तए ॥ २७ ॥ ४६३ ॥ अकुसीले सया भिक्खू नेव संसग्गिय भए । सुहरूवा तत्युवस्सग्गा पडिवुज्झेज ते विऊ ॥ २८ ॥ ४६४ ॥ नन्नत्थ अन्तराएणं परगेहे न निसीयए । गामकुमारियं किडं नाइवेलं हसे मुणी ॥ २९ ॥ ४६५ ॥ अणुस्सुओ उरालेसु जयमाणो परिव्वए । चरियाए अप्पमत्तो पुट्ठो तत्थ हियासए ॥ ३० ॥ ॥ ४६६ ॥ हम्ममागो न कुप्पेज बुच्चमागो न संजले । सुमणे अहियासेज्जा न य कोलाहलं करे ॥ ३१ ॥ ४६७ ॥ लद्धे कामे न पत्थेजा विवेगे एवमाहिए । आयरियाई सिक्खेजा गुरूणं अन्तिए सया ॥ ३२ ॥ ४६८ ॥ सुस्सूसमाणो उवासेज्जा सुप्पन्नं सुतवस्सियं । वीरा जे अत्तपन्नेसी धिइमन्ता जिइन्दिया ॥ ३३ ॥ ॥ ४६९ ॥ गिहे दीवमपासन्ता पुरिसादाणिया नरा । ते वीरा बन्धणुम्मुक्का नावकंखन्ति जीवियं ॥ ३४ ॥ ४७० ॥ अगिद्धे सद्दफासेसु आरम्भेसु अनिस्सिए । सव्वं तं समयातीयं जमेयं लवियं बह ॥ ३५ ॥ ४७१ ॥ अइमाणं च मायं च तं परिन्नाय पण्डिए । गारवाणि य सव्वाणि निव्वाणं संधए मुणि ॥ ३६ ॥ ४७२ ॥ त्ति बेमि ॥ धम्मज्झयणं नवमं ॥ + समाहियज्झयणे दसमे आघं मईमं अणुवीइ धम्म अङ्ग् समाहिं तमिमं सुणेह । अपडिन्न भिक्खू उ समाहिपत्ते अणियाण भूएसु परिव्वएज्जा ॥१॥ ४७३ ॥ उर्दू अहे यं तिरिय दिमामु तसा य जे थावर जे य पाणा। हत्थेहि पाएहि य संजमित्ता अदिन्नमन्नेसु य नो गहेज्जा ॥ २ ॥ ४७४ ॥ सुयक्खायधम्मे वितिगिच्छतिण्णे लाढे चरे आयतुले पयासु । आयं न कुजा इह जीवियट्ठी चयं न कुजा सुतवस्सि भिक्खू ॥३॥ ॥ ४७५ ॥ सव्विन्दियाभिनिव्वुडे पयासु चरे मुणी सव्वउ विप्पमुक्के । पासाहि पाणे य पुढो वि सत्ते दुक्खेण अट्टे परितप्पमाणे ॥ ४ ॥ ४७६ ॥ एएसु बाले य पाबमाणे आवट्टई कम्ममु पावएसु । अइवायओ कीरइ पावकम्मं निउञ्जमाणे उ करेड कमां ॥५॥ ४७७ ॥ आदीणवित्ती व करेइ पावं मन्ता उ एगन्तसमाहिमाह, । बुद्धे समाहीय रए विवेगे पाणाइवाया विरए ठियप्पा ॥६॥ ४७८ ॥ Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२५ १ सु० १० १० ] सुत्तागमे सव्वं जगं तू समयाणुपेही पियमप्पियं करस वि नो करेजा । उट्ठाय दीणो य पुणो विसण्णो संपूयणं चेव सिलोयकामी ॥ ७ ॥ ४७९ ॥ आहाकडं चेव निकाममीणे नियामचारी य विसण्णमेसी। इत्थीसु सत्ते य पुढो य वाले परिग्गरं चेव पकुव्वमाणे ॥ ८ ॥ ४८० ॥ वेराणुगिद्धे निचयं करेइ इओ चुए से इहमठ्ठदुग्गं । तम्हा उ मेहावि समिक्ख धम्म चरे मुणि सव्वउ विप्पमुक्के ॥ ९॥ ४८१ ॥ आयं न कुज्जा इह जीवियही असज्जमागो य परिव्वएजा। निसम्मभासी य विणीय गिद्धिं हिंसन्नियं वा न कह करेजा ॥१०॥ ४८२॥ आहाकडं वा न निकामएज्जा निकामयन्ते य न संथवेजा। धुणे उरालं अणुवेहमाणे चिच्चा न सोयं अणवेक्खमागो ॥ ११॥ ४८३ ॥ एगत्तमेयं अभिपत्यएज्जा एवं पमोक्खो न मुसं ति पास। एसप्पमोक्खो अमुसे वरे वि अकोहणे सच्चरए तवस्सी ॥ १२ ॥ ४८४ ॥ इत्थीसु या आरय मेहुणाओ परिग्गहं चेव अकुव्वमाणे । उच्चावएसुं विसएसु ताई निस्संसयं भिक्खु समाहिपत्ते ॥ १३ ॥ ४८५ ॥ अरइं रइं च अभिभूय भिक्खू तणाइफासं तह सीयफासं । उहं च दंसं चऽहियासएज्जा सुभि व दुभि व तितिक्खएज्जा ॥ १४ ॥ ४८६ ॥ गुत्तो वईए य समाहिपत्तो लेसं समाहट्ठ परिव्वएज्जा । गिहं न छाए न वि छायएज्जा संमिस्सभावं पयहे पयासु ॥ १५ ॥ ४८७ ॥ जे केइ लोगम्मि उ अकिरियआया अन्नेण पुट्ठा धुयमादिसन्ति । आरम्भसत्ता गढिया य लोए धम्म न जाणन्ति विमोक्खहेउं ॥ १६॥ ४८८ ॥ पुढो य छन्दा इह माणवा उ किरियाकिरीयं च पुढो य वायं । जायस्स वालस्स पकुव्व देहं पवट्ठई वेरमसंजयस्स ॥ १७ ॥ ४८९ ॥ आउक्खयं चेव अबुज्झमाणे ममाइ से साहसकारि मन्दे । अहो य राओ परितप्पमाणे अढेसु मूढे अजरामरे व्व ॥ १८ ॥ ४९० ॥ जहाहि वित्तं पसवो य सव्वं जे वन्धवा जे य पिया य मित्ता । लालप्पई से वि य एइ मोहं अन्ने जणा तंसि हरन्ति वित्तं ॥ १९ ॥ ४९१ ॥ सीहं जहा खुड्डमिगा चरन्ता दूरे चरन्ति परिसंकमाणा। एवं तु मेहावि समिक्ख धम्मं दूरेण पावं परिवज्जएज्जा ॥ २० ॥ ४९२ ॥ संवुज्झमाणे उ नरे' मईमं पावाउ अप्पाण निवट्टएज्जा । हिंसप्पसूयाइँ दुहाइँ मत्ता वेराणुवन्धीणि महब्भयाणि ॥ २१ ॥ ४९३ ॥ मुसं न वूया मुणि अत्तगामी निव्वाणमेयं कसिणं समाहिं । सयं न कुज्जा न य कारवेज्जा करन्तमन्नं पि य नाणुजाणे ॥ २२ ॥ ४९४ ॥ सुद्धे सिया जाएँ न दूसएजा अमुच्छिए न य अज्झोववन्ने । धिइमं विमुक्के न य पूयणट्ठी न सिलोयगामी य परिव्वएजा ॥ २३ ॥ ४९५ ॥ निक्खम्म गेहाउ निरावकंखी कायं विउस्सेज्ज नियाणछिन्ने । नो जीवियं नो मरणाभिकंखी चरेज भिक्खू वलया विमुक्के ॥ २४ ॥ ॥ ४९६ ॥ त्ति बेमि ॥ समाहियज्झयणं दसमं ॥ Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६ सुत्तागमे [ सूयगडं मृग्गज्झयणे एयारहमे कयरे मग्गे अक्खाए माहणेगं सईमया । जं मग्गं उज्जु पावित्ता ओहं तरइ दुत्तरं ॥ १॥ ४९७ ॥ जं सरगं गुत्तरं सुद्धं सव्वदुक्खविमोक्खणं । जाणासि णं जहा भिक्खू तं णो बूहि महामुणी ॥ २ ॥ ४९८ ॥ जइ णो केइ पुच्छिज्जा देवा अदुव माणुसा । तेसि तु कयरं मग्गं आइक्खेज कहाहि णो ॥ ३ ॥ ४९९ ॥ जइ वो केइ पुच्छिज्जा देवा अदुव माणुसा। तेसिमं पडिसाहेजा मग्गसारं सुणेह मे ॥ ४॥ ५०० ॥ अणुपुव्वेण महाघोरं कासवेण पवेइयं । जमायाय इओ पुव्वं समुद्दे ववहारिणो ॥ ५ ॥ ५०१ ॥ अतरिसु तरन्तेगे तरिस्सन्ति अणागया । तं सोचा पडिवक्खामि जन्तवो तं सुणेह मे ॥ ६ ॥ ५०२ ॥ पुढवीजीवा पुढो सत्ता आउजीवा तहागणी। वाउजीवा पुढो सत्ता तणरुक्खा सबीयगा।॥ ७ ॥ ५०३ ॥ अहावरा तसा पाणा एवं छकाय आहिया। एयावए जीवकाए नावरे कोइ विजई ॥ ८ ॥ ५०४ ॥ सव्वाहिँ अणुजुत्तीहिँ मइमं पडिलेहिया। सव्वे अकन्तदुक्खा य अओ सव्वे न हिंसया ॥ ९॥५०५ ॥ एयं खु नाणियो सारं जं न हिंसइ कंचण। अहिंसा समयं चेव एयावन्तं वियाणिया ॥ १० ॥ ५०६ ॥ उद्धं अहे य तिरियं जे केइ तसथावरा। सव्वत्थ विरई विजा सन्ति निव्वाणमाहियं ॥ ११ ॥ ५०७ ॥ पभू दोसे निराकिच्चा न विरुज्झेज केण वि। सणसा वयसा चेव कायसा चेव अन्तसो ॥ १२ ॥ ५०८ ॥ संबुडे से महापन्ने धीरे दत्तेसणं चरे। एसणासमिए निच्चं वजयन्ते अणेसणं ॥ १३ ॥ ५०९ ॥ भूयाइं च समारम्भ तमुद्दिस्सा य जं कडं। तारिसं तु न गिण्हेजा अन्नपाणं सुसंजए ॥ १४ ॥ ५१० ॥ पूईकम्मं न सेवेजा एस धम्मे वुसीमओ। जं किंचि अभिकंखेजा सव्वसो तं न कप्पए ॥१५॥. ॥ ५११ ॥ हणन्तं नाणुजाणेज्जा आयगुत्ते जिइन्दिए । ठाणाइँ सन्ति सङ्घीणं गामेसु नगरेसु वा ॥ १६ ॥ ५१२ ॥ तहा गिरं समारब्स अत्थि पुण्णं ति नो वए । अहवा नत्थि पुण्णं ति एवमेयं महब्भयं ॥ १७ ॥ ५१३ ॥ दाणठ्ठया य जे पाणा हम्मन्ति तसथावरा। तेसि सारक्खणवाए तम्हा अत्थि त्ति नो वए ॥ १८॥५१४॥ जेसिं तं उवक्रप्पन्ति अन्नपाणं तहाविहं । तेसिं लाभन्तरायं ति तम्हा नत्थि त्ति नो वए ॥ १९ ॥ ५१५ ॥ जे य दाणं पसंसन्ति वहमिच्छन्ति पाणिणं । जे य णं पडिसेहन्ति वित्तिच्छेयं करन्ति ते ॥ २० ॥ ५१६ ॥ दुहओ वि ते न भासन्ति अत्यि वा नत्यि वा पुणो। आयं रयस्स हेच्चा णं निव्वाणं पाउणन्ति ते ॥ २१ ॥ ॥ ५१७ ॥ निव्वाणं परमं बुद्धा नक्खत्ताण व चन्दिमा । तम्हा सया जए दन्ते निव्वाणं सधए मुणी ॥ २२ ॥ ५१८ ॥ वुज्झमाणाण पाणागं किच्चन्ताण सकम्मुणा। Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० अ० १२] सुत्तागमे १२७ आघाइ साहु तं दीवं पइटेसा पवुचई ॥ २३ ॥ ५१९ ॥ आयगुत्ते सया दन्ते छिन्नसोए अणासवे । जे धम्मं सुद्धमक्खाइ पडिपुण्णमणोलिसं ॥ २४ ॥ ५२० ॥ तमेव अवियाणन्ता अवुद्धा वुद्धमाणिणो । वुद्धा मो त्ति य मन्नन्ता अन्त एए समाहिए ॥ २५ ॥ ५२१ ॥ ते य बीयोदगं चेव तमुहिस्सा य ज कडं । भोच्चा झाणं झियायन्ति अखंयन्नासमाहिया ॥ २६ ॥ ५२२ ॥ जहा ढंका य कंका य कुलला मग्गुका सिही। मच्छेसणं झियायन्ति आणं ते कलुसाध ॥ २७ ॥ ५२३ ॥ एवं तु समणा एगे मिच्छदिट्टी अणारिया। विसएसणं झियायन्ति कंका वा कटुसाहमा ॥ २८ ॥ ५२४ ॥ सुद्धं मग्गं विराहित्ता इहमेगे उ दुम्मई। उम्मग्गगया दुक्खं घायमेसन्ति तं तहा ॥ २९ ॥५२५ ॥ जहा आसाविणिं नावं जाइअन्धो दुरूहिया। इच्छई पारमागन्तुं अन्तरा य विसीयइ ॥ ३० ॥ ५२६ ॥ एवं तु समणा एगे मिच्छदिट्टी अणारिया। सोयं कसिणमावन्ना आगन्तारो महन्भयं ॥ ३१॥ ५२७ ॥ इमं च धम्ममायाय कासवेण पवेइयं । तरे सोयं महाघोरं अत्तत्ताए परिव्वए ॥ ३२ ॥ ५.२८॥ विरए गामधम्मेहिं जे केइ जगई जगा। तेर्सि अत्तुवमायाए थाम कुव्वं परिव्वए ॥ ३३ ॥ ५२९ ॥ अइमाणं च मायं च तं परिन्नाय पण्डिए। सव्वमेयं निराकिच्चा निव्वाणं संधए मुणी ॥ ३४ ॥ ५३० ॥ संधए साहुधम्म च पावधम्मं निराकरे। उवहाणवीरिए भिक्खू कोहं माणं न पत्थए ॥ ३५॥५३१॥ जे य वुद्धा अतिक्कन्ता जे य बुद्धा अणागया। सन्ति तेर्सि पइट्ठाणं भूयाणं जगई जहा ॥ ३६ ॥ ५३२ ॥ अह णं वयमावन्नं फ़ासा उच्चावया फुसे । न तेसु विणिहण्णेज्जा वाएण व महागिरी ॥ ३७ ॥ ५३३ ॥ संवुडे से महापन्ने धीरे दत्तेसणं चरे । निव्वुडे कालमाकंखी एवं केवलिणो मयं ॥ ३८ ॥ ५३४ ॥ ति बाम ॥ मग्गज्झयणं एयारहमं ॥ समोसरणज्झयणे बारहमे चत्तारि समोसरणाणिमाणि पावादुया जाइँ पुढो वयन्ति । किरियं अकिरियं विणयं ति तइयं अन्नाणमाहंसु चउत्थमेव ॥ १ ॥ ५३५ ॥ अन्नाणिया ता कुसला वि सन्ता असंथुया नो वितिगिच्छतिण्णा । अकोविया आहु अकोवियहिं अणाणुवीइत्तु मुसं वयन्ति ॥२॥ ५३६ ॥ सच्चं असच्चं इति चिन्तयन्ता असाहु साह त्ति उदाहरन्ता । जेमे जणा वेणइया अणेगे पुट्ठा वि भावं विणइंसु नाम ॥३॥ ॥ ५३७ ॥ अगोवसंखा इइ ते उदाहु अढे स ओभासइ अम्ह एवं । लवावसंकी Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुत्तागमे सूयगई १२८ य अगागएहि नो किरियमाहंसु अकिरियवाई ॥ ४ ॥ ५३८ ॥ संमिस्सभावं च गिरा गहीए से मुम्मुई होइ अणाणुवाई । इमं दुपक्खं इममेगपक्खं आहंमु छलाययगं च कम्मं ॥५॥ ५३९ ॥ ते एवमक्खन्ति अवुज्जमाणा विरूवरूवाणि अकिरियवाई । जे मायइत्ता वहवे मणूसा भमन्ति संसारमणोवदग्गं ॥ ६ ॥ ॥ ५४० ॥ नाइचो उदेइ न अत्यमेइ न चन्दिमा वड्डइ हायई वा । सलिला न सन्दन्ति न वन्ति वाया वञ्झो नियओ कसिणे हु लोए ॥ ७ ॥ ५४१ ॥ जहा हि अन्धे सह जोइणा वि रूवाइँ नो पस्सइ हीणनेत्ते । सन्तं पि ते एवमकिरियवाई किरियं न पस्सन्ति निरुद्धपन्ना ॥८॥ ५४२ ॥ संवच्छरं सुविगं लक्खणं च निमित्तदेहं च उप्पाइयं च । अट्ठङ्गमेयं वहवे अहित्ता लोगंसि जाणन्ति अणागयाई ॥ ९॥ ५४३ ॥ केई निमित्ता तहिया भवन्ति केसिंचि तं विप्पडिएइ नागं । ते विजभावं अणहिजमाणा आहंसु विजा परिमोक्खमेव ॥ १० ॥ ५४४ ॥ ते एवमक्खन्ति समिच लोग तहा तहा समणा माहणा य । सयंकडं नन्नकडं च दुक्खं आहंसु विजाचरणं पमोक्खं ॥ ११ ॥ ५४५ ॥ ते चक्खु लोगंसिह नायगा उ मग्गाणुसासन्ति हियं पयाणं । तहा तहा सासयमाहु लोए जंसी पया माणव संपगाढा ॥ १२॥ ५४६ ॥ जे रक्खसा वा जमलोइया वा जे वा सुरा गंधव्वा य काया । आगासगामी य पुढोसिया जे पुगो पुणो विप्परियासुवेन्ति ॥ १३ ॥ ॥ ५४७ ॥ जमाह ओहं सलिलं अपारगं जाणाहि णं भवगहणं दुमोक्खं । जंसी विसण्णा विसयगणाहिं दुहओ वि लोयं अणुसंचरन्ति ॥ १४ ॥ ५४८ ॥ न कम्मुणा कम्म खवेन्ति बाला अक्रम्मुणा कम्म खवेन्ति धीरा । मेहाविगो लोभभयावईया संतोसिगो नो पकरेन्ति पावं ॥ १५ ॥ ५४९ ॥ ते तीयउप्पन्नमणागयाइं लोगस्स जाणन्ति तहागयाइं। नेयारो अन्नेसि अणन्ननेया बुद्धा हु ते अन्तकडा भवन्ति ॥ १६ ॥ ५५० ॥ ते नेव कुव्वन्ति न कारवेन्ति भूयाहिसंकाइ दुगुञ्छमाणा। सया जया विप्पणमन्ति धीरा विण्णत्ति धीरा य हवन्ति एग ॥ १७ ॥ ५५१ ॥ डहरे य पाणे बुड्ढे य पाणे ते अत्तओ पासइ सव्वलोए । उव्वेहई लोगमिगं महन्तं बुद्धपमत्तेसु परिव्वएजा ॥ १८ ॥ ५५२ ॥ जे आया परओ वा वि नच्चा अलमप्पणो होन्ति अलं परेसि । तं जोइभूयं च सयावसेजा जे पाउकुजा अणुवीइ धम्मं ॥ १९ ॥ ५५३ ॥ अत्ताण जो जाणइ जो य लोग गई च जो जाणइ नागई च । जो सासयं जाण असासयं च जाइं च मरणं च जगोववायं ॥ २० ॥ ५५४ ॥ अहो वि सत्ताण विउदृणं च जो आसवं जाणइ संवरं च । दुक्खं च जो जाणइ निजरं च सो भासिउमरिहइ किरियवायं ॥ २१ ॥ Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .सु. ० १३) सुत्तागमे १२९ १॥ ५५५ ॥ सद्देसु रुवेसु असज्जमाणे गन्धेसु रसेसु अदुस्समाणे । नो जीवियं नो मरणाहिकखी आयाणगुत्ते वलया विमुक्के ॥ २२ ॥ ५५६ ॥ त्ति बेमि । समोसरणज्झयणं बारहम। । आहत्तहीयज्झयणे तेरहमे • आहत्तहीयं तु पवेयइस्सं नाणप्पकारं पुरिसस्स जायं । सओ य धम्म असओ असीलं सन्ति असन्ति करिस्सामि पाउं ॥ १ ॥ ५५७ ॥ अहो य राओ य समुट्ठिएहिं तहागएहिं पडिलम धम्मं । समाहिमाघायमजोसयन्ता सत्थारमेवं फरुसं वयन्ति ॥ २ ॥ ५५८ ॥ विसोहियं ते अणुकाहयन्ते जे आयभावेण वियागरेजा ।, अट्टाणिए होइ बहुगुणाणं जे नाणसंकाइ मुसं वएज्जा ॥ ३ ॥ ५५९ ॥ जे यावि पुट्टा पलिउच्चयन्ति आयाणमटुं खलु बच्चइत्ता । असाहुणो ते इह साहुमाणी मायणि एस्सन्ति अणन्तघायं ॥ ४ ॥ ५६० ॥ जे कोहणे होइ जयभासी विओसियं जे उ उदीरएजा । अन्धे व से दण्डपहं गहाय अविओसिए धासइ पावकम्मी ॥५॥ ५६१ ॥ जे विग्गहीए अन्नायभासी न से समे होइ अझञ्झपत्ते । ओवायकारी य हिरीमणे य एगन्तदिट्ठी य अमाइरूवे ॥ ६ ॥ ५६२ ॥ से पेसले सुहुमे पुरिसजाए जच्चन्निए चेव सुउज्जुयारे । बहुं पि अणुसासिएँ जे तहच्चा समे हु से होइ अझञ्झपत्ते ॥ ७ ॥ ५६३ ॥ जे' यावि अप्पं वसुमं ति मत्ता संखाय वायं अपरिक्ख कुज्जा । तवेण वाहं सहिउ त्ति मत्ता अन्नं जणं पस्सइ विम्बभूयं ॥ ८ ॥ ५६४ ॥ एगन्तकूडेण उ से पलेइ न विजई मोणपयंसि गोत्ते । जे माणणटेण विउकसेज्जा वसुमन्नतरेण अवुज्झमाणे ॥ ९ ॥ ५६५ ॥ जे माहणे खत्तियजायए वा तहुग्गपुत्ते तह लेच्छई वा । जे पवईए परदत्तभोई गोत्ते न जे थब्भइ माणबद्धे ॥ १० ॥५६६ ॥ न तस्स जाई व कुलं व ताणं नन्नत्थ विजाचरणं सुचिणं । निक्खम्म से सेवइऽगारिकम्मं न से पारए होइ विमोयणाए ॥ ११ ॥ ५६७ ॥ निकिंचणे भिक्खु सुलूहजीवी जे गारवं होइ सिलोगकामी । आजीवमेयं तु अवुज्झमाणो पुणो पुणो विप्परियासुवेन्ति ॥ १२ ॥ ५६८ ॥ जे भासवं भिक्खु सुसाहुवाई पडिहाणवं होइ विसारए य । आगाढपन्ने सुविभावियप्पा अन्नं जणं पन्नया परिहवेजा ॥ १३ ॥ ५६९ ॥ एवं-न से होइ समाहिपत्ते जे पन्नवं भिक्खु विउकसेज्जा । अहवा वि जे लाहमयावलित्ते अन्नं जणं खिंसइ वालपने ॥ १४ ॥ ५७० ॥-पन्नामयं चेव तवोमयं च निन्नामए गोयमयं च भिक्ख । ९ सुत्ता Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगढ़ आजीवगं चेव चउत्थमाहु से पण्डिए उत्तमपोग्गले से ॥ १५ ॥ ५७१ ॥ मया एयाइँ विगिच्च धीरा न ताणि सेवन्ति सुधीरधम्मा । ते सव्वगोत्तावगया महेसी उच्चं अगोत्तं च गतिं वयन्ति ॥ १६ ॥ ५७२ ॥ भिक्खू मुयच्चे तह दिधम्मे गामं च नगरं च अणुप्पविस्सा । से एसणं जाणमणेसणं च अन्नस्स पाणस्स अणाणुगिद्धे ॥ १७ ॥ ५७३ ॥ अरइं रइंच अभिभूय भिक्खू वहूजणे वा तह एगचारी । एगन्तमोणेण वियागरेजा एगस्स जन्तो गइरागई य ॥ १८ ॥ ॥ ५७४ ॥ सयं समेचा अदुवा वि सोचा भासेज धम्म हिययं पयाणं । जे गरहिया सणियाणप्पओगा न ताणि सेवन्ति सुधीरधम्मा ॥ १९ ॥ ५७५ ॥ केसिंचि तक्काइ अबुज्झ भावं खुई पि गच्छेज असद्दहाणे । आउस्स कालाइयारं वघाए लद्धाणुमाणे य परेसु अढे ॥ २० ॥ ५७६ ॥ कम्मं च छन्दं च विगिच्च धीरे विणइज ऊ सव्वउ आयभावं । रूवेहि लुप्पन्ति भयावहेहिं विजं गहाया तसथावरेहिं ॥ २१ ॥ ५७७ ॥ न पूयणं चेव सिलोयकामी पियमप्पियं कस्सइ नो करेजा । सव्वे अणडे परिवजयन्ते अणाउले या अकसाइ भिक्खू ॥ २२ ॥ ॥ ५७८ ॥ आहत्तहीयं समुपेहमाणे सव्वेहिं पाणेहिं निहाय दण्डं । नो जीवियं नो मरणाहिकंखी परिव्वएजा वलया विमुक्ने ॥ २३ ॥ ५७९ ॥त्ति बेमि ॥ आहत्तहीयज्झयणं तेरहमं॥ मान्यज्झयणे चोदहमे गन्थं विहाय इह सिक्खमाणो उहाय सुबम्भचेरं वसेजा। ओवायकारी विणयं सुसिक्खे जे छेय से विप्पसायं न कुजा ॥ १॥ ५८० ॥ जहा दियापोयमपत्तजायं सावासगा पवित्रं मन्नमाणं । तमचाइयं तरुणमपत्तजायं ढंकाइ अव्वत्तगमं हरेजा ॥२॥ ५८१॥ एवं तु सेहं पि अपुट्ठधम्मं निस्सारियं त्रुसिमं मन्नमाणा । दियस्स छायं व अपत्तजायं हरिंसु णं पावधम्मा अणेगे ॥३॥ ५८२ ॥ ओसाणमिच्छे मणुए समाहिं अणोसिए णन्तकरि ति नच्चा। ओभासमाणे दवियस्स वित्तं न निकसे बहिया आसुपन्नो ॥ ४ ॥ ५८३ ॥ जे ठाणओ य सयणासणे य परक्कमे यावि सुसाहुजुत्ते । समिईसु गुत्तीसु य आयपन्ने वियागरिं ते य पुढो वएजा ॥५॥५८४॥ सद्दाणि सोचा अदु भेरवाणि अणासवे तेसु परिव्वएजा। निदं च भिक्खू न पमाय कुज्जा कहकहं वा वितिगिच्छतिण्णे ॥ ६ ॥ ५८५ ॥ डहरेण वुद्वेणऽणुसासिए उ राइणिएगावि समन्वएणं । सम्मं तयं थिरओ नाभिगच्छे निजन्तए वावि अपारए से ॥ ७ ॥ ५८६ ॥ विउट्ठिएणं समयाणुसिढे डहरेण वुढेण उ चोइए य । अचुट्टि Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १ सु० भ० १४] सुत्तागमे याए घडदासिए वा अगारिणं वा समयाणुसिढे ॥ ८ ॥ ५८७ ॥ न तेसु कुज्झे न य पव्वहेजा न यावि किंची फरसं वएज्जा । तहा करिस्सं ति पडिस्सुणेज्ना सेयं खु मेयं न पमाय कुज्जा ॥९॥५८८ ॥ वर्णसि मूढस्स जहा अमूढा मग्गाणुसासन्ति हियं पयाणं । तेणेव मज्झं इणमेव सेयं जं मे बुहा समणुसासयन्ति ॥१०॥५८९॥ अह तेण मूढेण अमूढगस्स कायव्व पूया सविसेसजुत्ता । एओवमं तत्थ उदाहु वीरे अणुगम्म अत्यं उवणेइ सम्मं ॥ ११॥ ५९० ॥ नेया जहा अन्धकारंसि राओ मग्गं न जाणाइ अपस्समाणे । से सूरियस्स अब्भुग्गमेणं मग्गं वियाणाइ पगासियंसि ॥ १२ ॥ ५९१ ॥ एवं तु सेहे वि अपुट्ठधम्मे धम्म न जाणाइ ,अबुज्झमाणे। से कोविए जिणवयणेण पच्छा सूरोदए पासइ चक्खुणेव ॥ १३ ॥ ५९२ ॥ उड्डे अहे यं तिरियं दिसासु तसा य जे थावर जे य पाणा। सया जए तेसु परिन्वएजा मणप्पओसं अविकम्पमाणे ॥ १४ ॥ ५९३ ॥ कालेण पुच्छे समियं पयासु आइक्खमाणो दवियस्स वित्तं । तं सोयकारी य पुढो पवेसे संखा इमं केवलियं समाहि ॥ १५ ॥ ५९४ ॥ अस्सिं सुठिचा तिविहेण तायी एएसु या सन्ति निरोहमाहु । ते एवमक्खन्ति तिलोगदंसी न भुजमेयन्ति पमायसंगं ॥१६॥ ५९५ ॥ निसम्म से भिक्खु समीहियटुं पडिभाणवं होइ विसारए य । आयाणअट्ठी चोदाणमोणं उवेच्च सुद्धेण उवेइ मोक्खं ॥ १७ ॥ ५९६ ॥ संखाइ धम्मं च वियागरन्ति बुद्धा हु ते अन्तकरा भवन्ति । ते पारगा दोण्ह वि मोयणाए संसोधियं पण्हमुदाहरन्ति ॥ १८ ॥ ५९७ ॥ नो छायए नो वि य लसएन्जा माणं न सेवेज पगासणं च । न यावि पन्ने परिहास कुज्जा न याऽऽसियावाय वियागरेजा ॥ १९ ॥ ५९८ ॥, भूयाभिसंकाइ दुगुञ्छमाणे न निव्वहे' मन्तपएण गोयं । न किंचिमिच्छे मणुए पयासुं असाहुधम्माणि न संवएज्जा ॥ २० ॥ ५९९ ॥ हासं पि नो संधइ पावधम्मे ओए तहीयं फरुसं वियाणे । नो तुच्छए नो य विकंथइजा अणाइले या अकसाइ भिक्खू ॥ २१ ॥ ६०० ॥ संकेज याऽसंकियभाव भिक्खू विभजवायं च वियागरेजा। भासादुयं धम्मसमुट्ठिएहिं वियागरेजा समयासुपन्ने ॥ २२ ॥ ६०१ ॥ अणुगच्छमाणे वितहं विजाणे तहा तहा साहु अकक्कसेणं । न कत्थई भास विहिंसइज्जा निरुद्धगं वावि न दीहइजा ॥ २३ ॥ ६०२॥ समालवेज्जा पडिपुण्णभासी निसामिया समियाअट्ठदंसी। आणाइ सुद्धं वयणं भिउजे अभिसंधए पावावग भिक्खू ॥ २४ ॥६०३ ॥ अहावुइयाई सुसिक्खएज्जा जइज्जया नाइवेले वएज्जा । से दिट्ठिमं दिट्टिन लूसएज्जा से जाणइ भासिउं तं समाहि ॥२५॥६०४॥ अल्सए नो पच्छन्नभासी नो सुत्तमत्थं च करेज ताई । सत्थारभत्ती अणुवीइ वायं Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगई सुयं च सम्म पडिवाययन्ति ॥ २६ ॥ ६०५ ॥ से सुद्धसुत्ते उवहाणवं च धम्म च जे विन्दइ तत्थ तत्थ। आएज्जवक्ने कुसले वियत्ते स अरिहइ भासिउं तं समाहि ॥ २७ ॥ ६०६ ॥ ति बेमि ॥ गन्थज्झयणं चोदहमं ॥ . आयाणियज्झयणे पण्णरहमे - जमईअं पडुप्पन्नं आगसिस्सं च नायओ । सव्वं मन्नइ तं ताई दसणावरणन्तए ॥१॥ ६०७ ॥ अन्तए वितिगिच्छाए से जाणइ अणेलिसं । अणेलिसस्स अक्खाया न से होइ तहिं तहि ॥ २ ॥ ६०८ ॥ तहि तहिं सुयक्खायं से य सच्चे सुआहिए। सया सच्चेण संपन्ने मेत्तिं भूएहि कप्पए ॥ ३ ॥ ६०९ ॥ भूएहि न विरुज्झेजा एस धम्मे सीमओ। वुसिमं जगं परिनाय अस्सिं जीवियभावणा ॥ ४ ॥ ६१० ॥ भावणाजोगसुद्धप्पा जले नावा व आहिया। नावा व तीरसंपन्ना सव्वदुक्खा तिउदृइ ॥ ५॥ ६११ ॥ तिउट्टई उ मेहावी जाणं लोगसि पावगं । तुट्टन्ति पावकम्माणि नवं कम्ममकुव्वओ।॥ ६ ॥ ६१२ ॥ अकुव्वओ नवं नत्थि कम्मं नाम विजाणइ । विन्नाय से महावीरे जेण जाई न मिजई ॥ ७ ॥ ६१३ ॥ न मिजई महावीरे जस्स नत्थि पुरेकडं । वाउ व्व जालमचेइ पिया लोगंसि इत्थियो ॥ ८॥६१४ ॥ इथियो जे न सेवन्ति आइमोक्खा हु ते जणा। ते जणा बन्धणुम्मुक्का नावकंखन्ति जीवियं ॥ ९ ॥ ६१५ ॥ जीवियं पिट्ठओ किच्चा अन्तं पावन्ति कम्मुणं । कम्मुणा संमुहीभूया जे मग्गमणुसासई ॥ १० ॥ ६१६ ॥ अणुसासणं पुढो पाणी वसुमं पूयणासु ते । अणासए जए दन्ते दढे आरयमेहुणे ॥ ११ ॥ ६१७ ॥ नीवारे व न लीएजा छिन्नसोए अणाविले । अणाइले सया दन्ते संधि पत्ते अणेलिसं ॥१२॥ ॥६१८॥ अणेलिसस्स खेयने न विरुज्झेज केणइ । मणसा वयसा चेव कायसा चेव चक्खुमं ॥ १३ ॥ ६१९ ॥ से हु चक्खू मणुस्साणं जे कंखाए य अन्तए । अन्तेण खुरो वहई चकं अन्तेण लोट्टई ॥ १४ ॥ ६२० ॥ अन्ताणि धीरा सेवन्ति तेण अन्तकरा इह । इह माणुस्सएं ठाणे धम्ममाराहिलं नरा ॥ १५ ॥ ६२१ ॥ निहि यहा व देवा वा उत्तरीए इयं सुयं । सुयं च मेयमेगेसिं अमगुस्सेसु नो तहा ॥१६॥ ॥ ६२२ ॥ अन्तं करन्ति दुक्खाणं इहमेगेसिमाहियं । आघायं पुण एगेसिं दुल्लभेऽयं समुस्सए ॥ १७ ॥ ६२३ ॥ इओ विद्धंसमाणस्स पुणो संवोहि दुलहा । दुल्लहाओ तहचाओ जे धम्मटुं वियागरे ॥ १८ ॥ ६२४ ॥ जे धम्मं सुद्धमक्खन्ति पडिपुण्णमणेलिसं । अणेलिसस्स जं ठाणं तस्स जम्मकहा कओ ॥ १९ ॥ ६२५ ॥ कओ कयाइ मेहावी उप्पजन्ति तहागया। तहागया अप्पडिन्ना चक्खू लोगस्सणुत्तरा Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० १ ] सुत्तागमे १३३ ॥ २० ॥ ६२६ ॥ अणुत्तरे य ठाणे से कासवेण पवेइए । जं किच्चा निव्वुडा एगे निहं पावन्ति पण्डिया ॥ २१ ॥ ६२७ ॥ पण्डिए वीरियं लद्धुं निग्घायाय पवत्तगं धुणे पुण्वकर्ड कम्मं नवं वा विन कुम्बई ॥ २२ ॥ ६२८ ॥ न कुव्वई महावीरे अणुपुव्वकडं रयं । रयसा संमुहीभूया कम्मं हेचाण जं मयं ॥ २३ ॥ ६२९ ॥ जं मयं सव्वसाहूणं तं मयं सलगत्तणं । साहइत्ताण तं तिण्णा देवा वा अभविसु ते ॥२४॥ ६३० ॥ अभविंसु पुरा धीरा आगमिस्सा वि सुव्वया । दुन्निवोहस्स मग्गस्स अन्तं पाउकरा ति ॥ २५ ॥ ६३१ ॥ त्ति बेमि ॥ आयाणियज्झयणं पण्णरहमं ॥ गाहज्झयणे सोळसमे ० अहाह भगव — एवं से दन्ते दविए वोसट्टकाए त्ति बच्चे माहणे त्ति वा १ समणे त्ति वा २. भिक्खुत्ति वा ३ निग्गन्थे त्ति वा ४ । पडिआह-भन्ते कहं नु दन्ते दविए वोसडकाए त्ति वचे माहणे त्ति वा समणे त्ति वा भिक्खु त्ति वा निग्गन्थे त्ति वा । तं नो बूहि महामुनी ॥ इति विरए सव्वपावकम्मेहिं पिज्जदोसकलह • अब्भक्खाण • पेसुन्न० परपरिवाय० अरइरइ० मायामोस • मिच्छादंसणसल्लविरए समिए सहिए सया जए नो कुज्झे नो माणी माहणे त्ति वच्चे ॥ १ ॥ ६३२ ॥ एत्थ वि समणे अनिस्सिए अणियाणे आयाणं च अइवायं च मुसावायं च बर्हिद्धं च कोहं च माणं च मायं च लोहं च पिजं च दोसं च इचेव जओ जओ आयाणं अप्पणी पोसहेऊ तओ तओ आयाणाओ पुव्वं पडिविरए. पाणाइवाया सिंआ दन्ते दविए वोसकाए समणेत्ति वचे ॥ २ ॥ ६३३ ॥ एत्थ वि भिक्खू अणुन्नए विणीए नामए दन्ते दविए वोसकाए संविधुणीय विरूवरूवे परीस होवसग्गे अज्झप्पजोगसुद्धादाणे उaट्ठिए ठिअप्पा संखाएं परदत्तभोई भिक्खु त्ति वचे ॥ ३ ॥ ६३४ ॥ एत्थ वि निग्गन्थे एगे एगविऊ बुद्धे संछिन्नसोए सुसंजए सुसमिए सुसामाइए आयवायपत्ते विऊ दुहओ वि सोय लिछिन्ने णो पूयणसकारलाभठ्ठी धम्मठ्ठी धम्मविऊ नियाग पडिवन्ने समियं चरे दन्ते दविए वोसहकाए निग्गन्धे त्ति वचे ॥ ४ ॥ ६३५ ॥ से एवमेव जाणह जमहं भयन्तारो ॥ त्ति बेमि ॥ गाहज्झयणं सोळसमं, पढमे सुक्खन्धे समत्ते ॥ पोण्डरियज्झयणे पढमे मुयं मे आउ तेण भगवया एवमक्खायं । इह खलु पोण्डरीए नामज्झयणे Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागसे [ सूर्यगढ़ १३४ तस्स णं अयमठ्ठे पन्नत्ते । से जहानामए पुक्खरिणी सिया बहुउदगा बहुसेया बहुपुक्खला लट्ठा पुण्डरिकिणी पासादिया दरिसणिया अभिरुवा पडिरूवा । तीसे णं पुक्खरिणीए तत्थ तत्थ देसे देसे तहिं तहिं बहवे पउमवरपोण्डरीया वुझ्या, अणुपुव्वुट्टिया ऊसिया रुइला वण्णमन्ता गन्धमन्ता रसमन्ता फासमन्ता पासादिया दरिसणिया अभिरुवा पडिरूवा । तीसे णं पुक्खरिणीए बहुमज्झदेसभाए एगे महं पउमवरपोण्डरीए बुइए, अणुपुव्वुट्ठिए ऊसिए रुइले वण्णमन्ते गन्धमन्ते रमन्ते फाऩमन्ते पासादीए जाव पडिरूवे । सव्वावन्ति च णं तीसे पुक्खरिणीए तत्थ तत्थ देसे देसे तहिं तहिं बहवे पउमवरपोण्डरीया वुझ्या अणुपुव्वुट्टिया ऊसिया रुइला जाव पडिरूवा । सव्वावन्ति च णं तीसे णं पुक्खरिणीए बहुमज्झदेसभाए एगे महं पउमवरपोण्डरीए वुइए अणुपुव्वुट्ठिए जाव पडिरूवे ॥ १ ॥ ६३६ ॥ अह पुरिसे पुरित्यमाओ दिसाओ आगम्म तं पुक्खरिणि तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा पासइ तं महं एगं पउमवरपोण्डरीयं अणुपुव्वुट्ठियं ऊसियं जाव पडिरुवं । तए णं से पुरिसे एवं वयासी - अहमंसि पुरिसे खेयने कुसले पण्डिए वियत्ते मेहावी अबाले मग्गट्ठे मग्गविऊ मग्गस्स गइपरिक्कमन्नू । अहमेयं पउमवरपोण्डरीयं उन्निक्खिस्सामिति कट्टु इइ वुया से पुरिसे अभिक्कमेइ तं पुक्खरिणि । जावं जावं च णं अभिकमेइ तावं तावं च णं महन्ते उदए महन्ते सेए पहीणे तीरं अपत्ते पउमवरपोण्डरीयं नो हव्वाए नो पाराए अन्तरा पुक्खरिणीए सेयंसि निसण्णे पढमे पुरिसजाए ॥ २ ॥ ६३७ ॥ अहावरे दोच्चे पुरिसजाए । अह पुरिसे दक्खिणाओ दिसाओ आगम्म तं पुक्खरिणें तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिचा पासइ तं महं एवं पउमवरपोण्डरीयं अणुपुव्वुट्ठियं पासादीयं जाव पडिरुवं । तं च एत्थ एगं पुरिसजायं पासइ पहीणतीरं अपत्तपउमवरपोण्डरीयं नो हव्वाए नो पाराए अन्तरा पुक्खरिणीए सेयंसि निसणं । तए णं से पुरिसे तं पुरिसं एवं वयासी - अहो णं इमे पुरिसे अखेयन्ने अकुसले अपण्डिए अवियत्ते अमेहावी वाले नो मग्गट्ट नो मग्गविऊ नो मग्गस्स गइपरिक्कमन्नू जं णं एस पुरिसे । अहमंसि खेयने कुसले जाव पउमवरपोण्डरीयं उन्निक्खिस्सामि । नो य खलु एयं पउमवरपोण्डरीयं एवं उन्निक्खेयन्वं जहा णं एस पुरिसे मन्ने । अहमंसि पुरिसे खेयन्ने कुसले पण्डिए वियत्ते मेहावी अबाले मग्गट्ठे मग्गविऊ मग्गस्स गइपरिक्कमन्नू, अहमेयं पउमवरपोण्डरीयं उन्निक्खिस्सामि त्ति कहु इइ बुया से पुरिसे अभिक्कमे तं पुक्खरिणि । जावं जावं च णं अभिक्कमेइ तावं तावं चणं महन्ते उदए महन्ते सेए पहीणे तीरं अपत्ते पउमवरपोण्डरीयं नो हव्वाए नो पाराए अन्तरा पुक्खरिणीए सेयंसि निसणे दोचे पुरिसजाए ॥ ३ ॥ ६३८ ॥ Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० भ०.] सुत्तागमे अहावरे तच्चे पुरिसजाए । अह पुरिसे पचत्थिमाओ दिसाओ आगम्म तं पुक्खरिणि तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा पासइ तं एगं महं पउमवरपोण्डरीयं अणुपुब्बुट्ठियं जाव पडिरूवं । ते तत्थ दोण्णि पुरिसजाए पासइ पहीणे तीरं अपत्ते पउमवरपोण्डरीयं नो हव्वाए नो पाराए जाव सेयंसि निसण्णे । तए णं से पुरिसे एवं वयासीअहो णं इमे पुरिसा अखेयन्ना अकुसला अपण्डिया अवियत्ता अमेहावी वाला नो मग्गट्ठा नो मग्गविऊ नो मग्गस्स गइपरिक्कमन्नू जंणं एए पुरिसा एवं मन्ने-अम्हे एयं पउमवरपोण्डरीयं उन्निक्खिस्सामो नो य खलु एयं पउमवरपोण्डरीयं एवं उन्निक्खेयव्वं जहा णं एए पुरिसा मन्ने। अहमंसि पुरिसे खेयन्ने कुसले पण्डिए वियत्ते मेहावी अवाले मग्गढे मग्गविऊ मग्गस्स गइपरिक्कमन्नू अहमेयं पउमवरपोण्डरीयं उन्निक्खिस्सामि त्ति कट्ठ इति वुच्चा से पुरिसे अभिक्कमे तं पुक्खरिणिं । जावं जावं च णं अभिक्कमे तावं तावं च णं महन्ते उदए महन्ते सेए जाव अन्तरा पुक्खरिणीए सेयंसि निसण्णे तचे पुरिसजाए ॥ ४॥ ६३९ ॥ अहावरे चउत्थे पुरिसजाए। अह पुरिसे उत्तराओ दिसाओ आगम्म तं पुक्खरिगिं तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा पासइ तं महं एग पउमवरपोण्डरीयं अणुपुन्बुट्टियं जाव पडिरूवं । ते तत्थ तिष्णि पुरिसजाए पासइ पहीणे तीरं अपत्ते जाव सेयंसि निसण्णे । तए णं से पुरिसे एवं वयासी-अहो णं इमे पुरिसा अखेयन्ना जाव नो मग्गस्स गइपरिक्कमन्नू जंणं एए पुरिसा एवं मन्ने-अम्हे एवं पउमवरपोण्डरीयं उन्निक्खिस्सामो नो य खलु एयं पउमवरपोण्डरीयं एवं उन्निक्लेयत्वं जहा णं एए पुरिसा मन्ने । अहमसि पुरिसे खेयन्ने जाव मग्गस्स गइपरिकमन्नू , अहमेयं पउमवरपोण्डरीयं एवं उन्निक्खिस्सामि त्ति कट्ठ इति वुच्चा से पुरिसे अभिक्कमे तं पुक्खरिणि । जावं जावं च णं अभिक्कमे तावं तावं च णं महन्ते उदए महन्ते सेए 'जाव निसणे चउत्थे पुरिसजाए ॥५॥ ६४० ॥ अह भिक्खू लूहे तीरट्ठी खेयन्ने जाव गइपरिक्कमन्नू अन्नयराओ दिसाओ वा अणुदिसाओ वा आगम्म तं पुक्खरिणिं तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा पासइ तं महं एगं पउमवरपोण्डरीयं जाव पडिरूवं । ते तत्थ चत्तारि पुरिसजाए पासइ पहीणे तीरं अपत्ते जाव पउमवरपोण्डरीयं नो हवाए नो पाराए अन्तरा पुक्खरिणीए सेयंसि निसण्णे । तए णं से भिक्खू एवं वयासी-अहोणं इमे पुरिसा अखेयन्ना जाव नो मग्गस्स गइपरिक्कमन्नू जं एए पुरिसा एवं मन्ने अम्हे एयं पउमवरपोण्डरीयं उन्निक्खिस्सामो, नों य खलु एयं पउमवरपोण्डरीयं एवं उन्निक्खेयव्वं जहा णं एए पुरिसा मन्ने । अहमंसि भिक्खू लहे तीरट्ठी खेयन्ने जाव गइपरिक्कमन्नू अहमेयं परमवरपोण्डरीयं उन्निक्खिस्सामि त्ति कडु इति वुचा से भिक्खू पुरिसे एवं वारिसजाए पासइ पहाडमवरपोण्डरीयं अपी पुक्सरिणिं तीस Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३६ सुत्तागमे [सूयगई नो अभिक्कमे तं पुक्खरिणि तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा सई कुजा-उप्पयाहि खलु भो पउमवरपोण्डरीया उप्पयाहि । अह उप्पइए से पउमवरपोण्डरीए ॥ ६ ॥ ॥ ६४१॥ किट्टिए नाए समणाउसो, अढे पुण से जाणियन्वे भवइ । भन्ते त्ति समणं भगवं महावीरं निग्गन्था य निग्गन्थीओ य वन्दन्ति नमंसन्ति वन्दित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-किट्टिए नाए समणाउसो, अटुं पुण से न जाणामो समणाउसो त्ति । समणे भगवं महावीरे ते य बहवे निग्गन्थे य निग्गन्थीओ य आमन्तेत्ता एवं वयासी-हन्त समणाउसो आइक्खामि विभावेमि कित्तेमि पवेएमि सअटुं सहेडं सनिमित्तं भुज्नो भुजो उवदंसेमि । से बेमि ॥ ७ ॥ ६४२ ॥ लोयं च खलु मए अप्पाहढ्नु समणाउसो पुक्खरिणी बुझ्या । कम्मं च खलु मए अप्पाहमु समणाउसो से उदए बुइए। कामभोगे य खलु मए अप्पाहमु समणाउसो से सेए बुइए । जणजाणवयं च खलु मए अप्पाहमु समणाउसो ते बहवे पउमवरपोण्डरीए बुइए। रायाणं च खलु मए अप्पाहट्ट समणाउसो से एगे महं पउमवरपोण्डरीए बुइए। अन्नतित्थिया य खलु मए अप्पाहतु समणाउसो ते चत्तारि पुरिसजाया बुइया । धम्मं च खलु मए अप्पाहटु समणाउसो से भिक्खू बुइए। धम्मतित्थं च खलु मए अप्पाह१ समणाउसो से तीरे बुइए । धम्मकहं च खलु मए अप्पाहट्ट समणाउसो से सद्दे वुइए । निव्वाणं च खलु भए अप्पाहठ समणाउसो से उप्पाए बुइए। एवमेयं च मए अप्पाह९ समणाउसो से एवमेयं बुइयं ॥ ८ ॥ ६४३ ॥ इह खलु पाईणं वा पडीणं वा उदीणं वा दाहिणं वा सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति अणुपुव्वेणं लोग उववन्ना। तंजहा-आरिया वेगे अणारिया वेगे उच्चागोत्ता वेगे णीयागोया वेगे कायमन्ता वेगे रहस्समन्ता वेगे सुवण्णा वेगे दुव्वण्णा वेगे सुरूवा वेगे दुरूवा वेगे। तेसि च णं मणुयाणं एगे राया भवइ महया हिमवन्तमलयमन्दरमहिन्दसारे अचन्तविसुद्धरायकुलवंसप्पसूए निरन्तररायलक्खणविराइयङ्गमङ्गे बहुजणवहुमाणपूइए सव्वगुणसमिद्धे खत्तिए मुदिए मुद्धाभिसित्ते माउपिउसुजाए दयप्पिए सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे,मणुस्सिदे जणवयपिया जणवयपुरोहिए सेउकरे केउकरे नरपवरे पुरिसंपवरे पुरिससीहे पुरिसआसीविसे पुरिसवरपोण्डरीए पुरिसवरगंधहत्थी अन्डे दित्ते वित्ते वित्थिण्णविउलभवणसयंणासणजाणवाहणाइण्णे बहुधणवहुजायरूवरयए आओगपओगसंपउत्ते विच्छड्डियपउरभत्तपाणे बहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूए पडिपुण्णजंतकोसकोठागाराउहागारे वलवं दुब्बलंपञ्चामित्ते ओहयकण्टय निहयकण्टयं मलियकण्टयं उद्धियकण्टयं अकण्टयं ओहयसत्तू निहयसत्तू मलियसत्तू उद्धियसत्तू निजियसत्तू पराइयसत्तू ववगयदुभिक्खमारिभयविप्पमुकं Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ०१] सुत्तागमे (रायवण्णओ जहा ओववाइए,) जाच पसंतडिम्बडमरं रजं पसाहेमाणे विहरइ । तस्स णं रन्नो परिसा भवइ उग्गा उग्गपुत्ता भोगा भोगपुत्ता इक्खागाइ इक्खागाइपुत्ता नाया नायपुत्ता कोरव्वा कोरव्वपुत्ता भट्टा भट्टपुत्ता माहणा माहणपुत्ता लेच्छा लेच्छइपुत्ता पसत्यारो पसत्थपुत्ता सेणावई सेणावइपुत्ता । तेसि च णं एगइए सही भवइ कामं तं समणा वा महिणा वा संपहारिंसु गमणाए । तत्थ अन्नयरेणं धम्मेणं पन्नत्तारो वयं इमेणं धम्मेणं पनवइस्सामो से एवमायाणह भयंतारो जहा मए एस धम्मे सुयक्खाए सुपन्नत्ते भवइ । तं जहा-उर्दू पायतला अहे केसरगमत्थया तिरियं तयपरियंते. जीवे एस आयापजवे कसिणे एस जीवे जीवइ, एस मए नो जीवइ, सरीरे धरमाणे धरइ विणम्मि य नो धरइ । एयं तं जीवियं भवइ, आदहणाए परेहिं निजइ, अगणिझामिए सरीरे कवोयवण्णाणि अट्ठीणि भवंति, आसंदीपञ्चमा पुरिसा गामं पञ्चागच्छंति, एवं असंते असंविजमाणे । जेसिं तं असंते असंविजमाणे तेसिं तं सुयक्खायं भवइ-अन्नो भवइ जीवो अन्नं सरीरं, तम्हा ते एवं नो विपडिवेदेति-अयमाउसो आया दीहे त्ति वा हस्से त्ति वा परिमण्डले त्ति वा वट्टे त्ति वा तंसे त्ति वा चउरंसे त्ति वा आयए त्ति वा छलंसिए त्ति वा अटुंसे त्ति वा किण्हे त्ति वा नीले त्ति वा लोहियहालिद्दे त्ति वा सुकिल्ले त्ति वा सुब्भिगंधे त्ति वा दुन्भिगंधे त्ति वा तित्ते त्ति वा कडुए त्ति वा कसाए त्ति वा अम्बिले त्ति वा महुरे त्ति वा कक्खडे त्ति वा मउए त्ति वा गुरुए त्ति वा लहुए त्ति वा सीए त्ति वा उसिणे. त्ति वा निद्धे त्ति वा लुक्खे ति वा । एवं असंते असंविजमाणे । जेसिं तं सुयक्खायं भवइ-अन्नो जीवो अन्नं सरीरं, तम्हां ते नो एवं उवलभंति । से जहानामए-केइ पुरिसे कोसीओ असिं अभिनिव्वट्टित्ता णं उवदंसेज्जा अयमाउसो असी अयं कोसी, एवमेव नत्यि केइ पुरिसे अभिनिव्वट्टित्ता णं उवदंसेत्तारो अयमाउसो आया इयं सरीरं । से जहानामए केइ पुरिसे मुञ्जाओ इसियं अभिनिव्वट्टित्ताण उवदंसेज्जा अयमाउसो मुझे इयं इसियं, एवमेव नत्थि केइ पुरिसे उवदंसेत्तारो अयमाउसो आया इयं सरीरं । से जहानामए-केइ पुरिसे मंसाओ अढेि अभिनिव्वट्टित्ता णं उवदंसेजा अयमाउसो मंसे अयं अट्ठी, एवमेव नत्यि केइ पुरिसे उवदंसेत्तारो अयमाउसो आया इयं सरीरं । से जहानामए केइ पुरिसे करयलाओ आमलकं अभिनिव्वट्टित्ता णं उचदंसेज्जा अयमाउसो करयले अयं आमलए, एवमेव नत्थि केइ पुरिसे उवदंसेत्तारो अयमाउसो आया इयं सरीरं । से जहानामए-केइ पुरिसे दहीओ नवपीय अभिनिव्वट्टित्ता णं उवदंसेज्जा अयमाउसो नवणीयं अयं तु दही, एवमेव नत्यि केइ पुरिसे जाव सरीरं । से जहानामए-केइ पुरिसे तिलहितो तेलं अभिनिव्वट्टित्ता णं उवदंसेवा Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३८ सुत्तागमे [सूयगर्ड अयमाउसो तेल्लं अयं पिण्णाए, एवमेव जाव सरीरं । से जहानामए-केइ पुरिसे इक्खूओ खोयरसं अभिनिव्वट्टित्ता ण उवदंसेज्जा अयमाउसो खोयरसे अयं छोए, एवमेव जाव सरीरं । से जहानामए-केइ पुरिसे अरणीओ अग्गि अभिनिव्वट्टित्ता णं उवदंसेज्जा अयमाउसो अरणी अयं अग्गी, एवमेव जाव सरीरं । एवं असंते असंविजमाणे । जेसिं तं सुयक्खायं भवइ तं जहा-अन्नो जीवो अन्नं सरीरं । तम्हा ते मिच्छा ॥ से हंता तं हणह खणह छणह उहह पयह आलुम्पह विलुम्पह सहसक्कारेह विपरामुसह, एयावया जीवे नत्यि परलोए। ते नो एवं विप्पडिंवेदेति, तं जहा-किरिया इवा अकिरिया इ वा सुक्कडे इ वा दुक्कडे इ वा कल्लाणे इ वा पावए इ वा साहु इ वा असाहु इ वा सिद्धी इ वा असिद्धी इ वा निरए इ वा अणिरए इ वा । एवं ते विरूवरूवेहि कम्मसमारंभेहिं विरूवरूवाई कामभोगाइं समारभन्ति भोयणाए ॥ एवं एगे पागन्भिया निक्खम्म मामगं धम्मं पनवेति । तं सद्दहमाणा तं पत्तियमाणा तं रोएमाणा साहु सुयक्खाए समणे त्ति वा माहणे त्ति वा कामं खलु आउसो तुम पूययामि, तं जहा-असणेण वा पाणेण वा खाइमेण वा साइमेण वा वत्थेण वा पडिग्गहेण वा कम्बलेण वा पायपुञ्छणेण वा । तत्थेगे पूयणाए समाउटिंसु तत्थेगे पूयणाए निकाइंसु ॥ पुत्वमेव तेसिं नायं भवइ-समणा भविस्सामो अणगारा अकिंचणा अपुत्ता अपसू परदत्तभोइणो भिक्खुणो पावं कम्मं नो करिस्सामो समुट्ठाए । ते अप्पणा अप्पडिविरया भवंति, सयमाइयंति अन्ने वि आइयाति अन्न पि आययंतं समणुजाणंति एवमेव ते इत्थिकामभोगेहिं मुच्छिया गिद्धा गढिया अज्झोववन्ना लुद्धा रागदोसवसट्टा । ते नो अप्पाणं समुच्छेदेति ते नो परं समुच्छेदेंति ते नो अन्नाइं पाणाई भूयाइं जीवाई सत्ताई समुच्छेदेति, पहीणा पुव्वसंजोगं आयरियं सग्गं असंपत्ता इति ते नो हव्वाए नो पाराए अंतरा कामभोगेसु विसण्णा । इति पढमे पुरिसजाए तज्जीवतच्छरीरए त्ति आहिए ॥ ९॥ ६४४ ॥ __ अहावरे दोचे पुरिसजाए पञ्चमहब्भूइए त्ति आहिजइ। इह खलु पाईणं वा ६ सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति अणुपुव्वेण लोयं उववन्ना, तं जहा-आरिया वेगे अणारिया वेगे एवं जाव दुरूवा वेगे। तेसिं च णं महं एगे राया भवइ महया एवं चेव निरवसेसं जाव सेणावइपुत्ता । तेसिं च णं एगइए सङ्की भवति कामं तं समणा य माणा य पहारिंसु गमणाए। तत्थ अन्नयरेणं धम्मेणं पन्नत्तारो वयं इमेणं धम्मेणं पनवइस्सामो से एवमायाणह भयन्तारो जहा मए एस धम्मे सुअक्खाए सुपनत्ते भवद । इह खलु पञ्चमहन्भूया जेहिं नो विजइ किरिय त्ति वा अकिरिय त्ति वा सुकरे त्ति वा दुकडे त्ति वा कलाणे त्ति वा पावए त्ति वा साहु त्ति वा असाहु त्ति Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० म० ] सुत्तागमे १३९ चा सिद्धि त्ति वाअसिद्धि त्ति वा निरए त्ति वा अनिरए त्ति वा अवि अन्तसो तणमायमवि ॥ तं च पिहुइसेणं पुढोभूयसमवायं जाणेजा। तं जहा पुढवी एगे महन्भूए; आऊ दुच्चे महब्भूए, तेऊ तच्चे महन्भूए, वाऊ चउत्थे महन्भूए, आगासे पञ्चमे महन्भूए। इच्चेए पञ्च महन्भूया अनिम्मिया अनिम्माविया अकडा नो कित्तिमा नो कडगा अणाइया अणिहणा अवझा अपुरोहिया सतंता सासया आयछट्ठा। पुण एगे एवमाहु-सओ नत्थि विणासो असओ नत्थि संभवो। एयावया व जीवकाए एयावया व अत्यिकाए एयावया व सव्वलोए, एयं मुहं लोगस्स करणयाए, अवि अन्तसो तणमायमवि । से किणं किणावेमाणे हणं घायमाणे पयं पयावेमाणे अवि अन्तसो पुरिसमवि कीणित्ता धायइत्ता एत्यं पि जाणाहि नत्थित्थ दोसो। ते नो एवं विप्पडिवेदेति । तं जहा-किरिया इ वा जाव अनिरए इ वा । एवं ते विरूवरूवेहि कामसमारंभेहिं विरूवरूवाइं कामभोगाइं समारभंति भोयणाए । एवमेव ते अणारिया विप्पडिवन्ना तं सद्दहमाणा तं पत्तियमाणा जाव ते नो हव्वाए नो पाराए अंतरा कामभोगेसु विसण्णा । दोचे पुरिसजाए पञ्चमहन्भूइए त्ति आहिए ॥ १० ॥ ६४५ ॥ अहावरे तच्चे पुरिसजाए ईसरकारणिए त्ति आहिजइ । - इह खलु पाईणं वा ६ संतेगइया मणुस्सा भवंति अणुपुश्वेणं लोयं उववन्ना । तं जहा-आरिया वेगे जाव तेसिं च णं महंते एगे राया भवइ जाव सेणावइपुत्ता । तेसिं च णं एगइए सड्ढी भवइ, कामं तं समणा य माहणा य पहारिंसु गमणाए जाव जहा मए एस धम्मे सुयक्खाए सुपन्नत्ते भवइ । इह खलु धम्मा पुरिसादिया पुरिसोत्तरिया पुरिसप्पणीया पुरिससंभूया पुरिसपज्जोइया पुरिसमभिसमन्नागया पुरिसमेव अभिभूय चिठ्ठति । से जहानामए-गण्डे सिया सरीरे जाए सरीरे संवुद्धे सरीरे अभिसमन्नागए सरीरमेव अभिभूय चिट्ठई, एवमेव धम्मा पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिठ्ठति । से जहानामए-अरई सिया सरीरे जाया सरीरे संवुढा सरीरे अभिसमन्नागया सरीरमेव अभिभूय चिट्ठइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिटुंति से जहानामए-वम्मिए सिया पुढविजाए पुढविसंवुड्ढे पुढविअभिसमन्नागए पुढविमेव अभिभूय चिठ्ठइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिठ्ठति, से जहानामए-रुक्खे सिया पुढविजाए पुढविसंबुद्धे पुढेविअभिसमन्नागए पुढविमेव अभिभूय चिठ्ठइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादियो जाव पुरिसमेव अभिभूय चिठ्ठति । से जहानामए-पुक्खरिणी सिया पुढविजाया जाव पुढविमेव अभिभूय चिट्ठइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिठ्ठति । से जहानामए-उदगपुक्खले सिया उदगजाए जाव Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४० सुत्तागमे [सूयग उदगमेव अभिभूय चिट्ठइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिठ्ठति से जहानामए-उदगबुब्बुए सिया उदगजाए जाव उदगमेव अभिभूय चिट्ठइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिठ्ठति । जंपि य इमं समणाणं निग्गंथाणं उद्दिद्धं पणीयं वियजियं दुवालसङ्गं गणिपिडगं, तं जहा-आयारो सूयगडो जाव दिद्विवाओ, सव्वमेवं 'मिच्छा, न एयं तहियं न एयं आहातहियं, इम सच्चं इमं तहियं इमं आहातहियं । ते एवं सन्नं कुव्वंति, ते एवं सन्नं संठवेंति, ते एवं सन्नं सोवट्ठवंति । तमेवं ते तज्जाइयं दुक्खं नाइउटृति सउणी पञ्जरं जहा । ते नो एवं विप्पडिवेदेति तं जहा-किरिया इ वा जाव अणिरए इ वा, एवामेव ते विरूवरूवेहि कम्मसमारम्भेहिं विरूवरूवाइं कामभोगाइं समारम्भंति भोयणाए। एवामेव ते अणारिया विप्पडिवना एवं सद्दहमाणा जाव इति ते नो हव्वाए नो पाराए, अंतरा कामभोगेसु विसण्णे त्ति, तच्चे पुरिसजाए ईसरकारणिए त्ति आहिए ॥ ११॥ ६४६ ॥ अहावरे चउत्थे पुरिसजाए नियइवाइए त्ति आहिजइ । इह खलु पाईणं वा ६ तहेव जाव सेणावइपुत्ता वा। तेसिं च णं एगइए सढी भवइ, कामं तं समणा य माहणा य संपहारिंसु गमणाए जाव मए एस धम्मे सुअक्खाए सुपन्नत्ते भवइ । इह खलु दुवे पुरिसा भवंति-एगे पुरिसे किरियमाइक्खइ एगे पुरिसे नोकिरिय माइक्खा । जे य पुरिसे किरियमाइक्खइ जे य पुरिसे नोकिरियमाइक्खइ दो वि ते पुरिसा तुल्ला एगट्ठा कारणमावन्ना । बाले पुण एवं विप्पडिवेदेति कारणमावन्ने-अहमंसि दुक्खामि वा सोयामि वा जूरामि वा तिप्पामि वा पीडामि वा परितप्पामि वा अहमेयमकासि, परो वा जं दुक्खइ वा सोयइ वा जूरइ वा तिप्पइ वा पीडइ वा परितप्पइ वा परो एवमकासि । एवं से बाले सकारणं वा परकारणं वा एवं विप्पडिवेदेति कारणमावने । मेहावी पुण एवं विप्पडिवेदेति कारणमावन्ने-अहमंसि दुक्खामि वा सोयामि वा जूरामि वा तिप्पामि वा पीडामि वा परितप्पामि वा, नो अहं एवमकासि । परो वा जं दुक्खइ वा जाव परितप्पइ वा नो परो एवमकासि, एवं से मेहावी सकारणं वा परकारणं वा एवं विप्पडिवेदेति कारणमावन्ने । से बेमि पाईणं वा ६ जे तसंथावरा पाणा ते एवं संघायमागच्छति ते एवं विप्परियासमावजति ते एवं विवेगमागच्छंति ते एवं विहाणमागच्छंति ते एवं संगइयन्ति उवेहाए ! नो एवं विप्पडिवेदेति, तं जहाँ-किरिया इ वा जाव निरए इ वा अनिरए इ वा । एवं ते विरूवरूवेहि कम्मसमारम्भेहिं विरूवरूवाई कामभोगाई समारभंति भोयणाए । एवमेव ते अणारिया विप्पडिवना तं सदहः भाणा जाव इति ते नो हव्वाए नो पाराए अंतरा कामभोगेसु विसण्णा। चउत्थे Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० भ०१] सुत्तागमे पुरिसजाए नियइवाइए ति आहिए ॥ इच्चेए चत्तारि 'पुरिसजाया नाणापन्ना नानाछंदा नाणासीला नाणादिट्ठी नाणारुई नाणारम्भा नाणाअज्झवसाणसंजुत्ता पहीणपुव्वसंजोगा आरियं मग्गं असंपत्ता इति ते नो हव्वाए नो पाराए अंतरा कामभोगेसु विसण्णा ॥ १२ ॥ ६४७ ॥. से बेमि पाईणं वा ६ सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति । तं जहा-आरिया वेगे अणारिया वेगे उच्चागोया वेगे नीयागोया वेगे कायमन्ता वेगे हस्समन्ता वेगे सुवण्णा वेगे दुवण्णा वेगे सुरूवा वेगे दुरूवा वेगे। तेसिं च णं खेत्तवत्थूणि परिग्गहियाणि भवंति, तं.जहा अप्पयरो चा भुजयरो वा। तेसिं च णं जणजाणवयाइं परिग्गहियाई भवन्ति, तं जहा अप्पयरा भुजयरा वा । तहप्पगारेहिं कुलेहिं आगम्म अभिभूय एगे भिक्खायरियाए समुट्ठिया। सओ वा वि एगे नायओ (अणायओ) य उवगरणं च विप्पजहाय भिक्खायरियाए समुठिया । असओ वा वि एगे नायओ (अणायओ) य उवगरणं च विप्पजहाय भिक्खायरियाए समुट्ठिया। [जे ते सओ वा असओ वा नायओ य अणायओ य उवगरणं च विप्पजहाय भिक्खायरियाए समुट्ठिया] पुन्वमेवं तेहिं नायं भवइ । तं जहाइह खलु पुरिसे अन्नमन्नं ममहाए एवं विप्पडिवेदेति । तं जहा-खेत्तं मे वत्थू मे हिरणं मे सुवणं मे धणं मे धनं में कंसं मे दूस मे विपुलधणकणगरयणमणिमो. त्तियसंखसिलप्पवालरत्तरयणसंतसारसावएयं मे । सदा मे रूवा मे गंधा मे रसा मे फासा मे । एए खलु मे कामभोगा अहमवि एएसिं । से मेहावी पुव्वामेव अप्पणो एवं समभिजाणेजा । तं जहा-इह खलु मम अन्नयरे दुक्खे रोगायके समुप्पज्जेज्जा अणिटे अकंते अप्पिए असुभे अमणुन्ने अमणामे दुक्खे नो सुहे । से हंता भयंतारो कामभोगाई मर्म अन्नयरं दुक्खं रोगायंकं परियाइयह अणिटुं अकंतं अप्पियं अमुभं अमणुन्नं अमणामं दुक्खं नो सुहं । ता अहं दुक्खामि वा सोयामि वा जूरामि वा तिप्पामि वा पीडामि वा परितप्पामि वा इमाओ मे अन्नयराओ दुक्खाओ रोगायंकाओ पडिमोयह अणिट्ठाओ अकंताओ अप्पियाओ असुभाओ अमणुन्नाओ अमणामाओ दुक्खाओ नो सुहाओ । एवमेव नो लद्धपुव्वं भवइ । इह खलु कामभोगा नो ताणाए वा नों सरणाए वा । पुरिसे वा एगया पुचि कामभोगे विप्पजहइ, कामभोगा वा एगया पुचि पुरिसं विप्पजहन्ति ! अन्ने खलु कामभोगा अन्नो अहमंसि । से किमंग पुण वयं अन्नमन्नेहि कामभोगेहिं मुच्छामो । इति संखाए णं वयं च कामभोगेहिं विप्पजहिस्सामो । से मेहावी जाणेजा बहिरङ्गमेयं इणमेव उवणीययरागं । तं जहामाया मे पिया मे भाया मे भगिणी मे भजा मे पुत्ता मे धूया मे पेसा मे नत्ता मे सुण्हा मे सुहा मे पिया मे सहा मे सयणसंगंथसंथुया मे । एए खल मम नारो Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४२ सुत्तागमे [ सूयगड अहमवि एएसिं । एवं से मेहावी पुव्वामेव अप्पणा एवं समभिजाणेज्जा । इह खलु मम अन्नयरे दुक्खे रोगायंके समुप्पज्जेजा अणिट्ठे जाव दुक्खे तो सुहे । से हंता भयंतारो नायओ इमं मम अन्नयरं दुक्खं रोगायकं परियाइयह अणिट्ठं जाव नो सुहं । ता अहं दुक्खामि वा सोयामि वा जाव परितप्पामि वा, इमाओ मे अन्नंयराओ दुक्खाओ रोगायंकाओ परिमोएह अणिट्ठाओ जाव नो सुहाओ, एवमेव नो लपुवं भवइ । तेसिं वा वि भयंताराणं मम नाययागं अन्नयरे दुक्खे रोगायंके समुप्पजेजा अणिट्ठे जाव नो सुहे, से हंता अहमेएसिं भयंताराणं नाययाणं इम अन्नयरं दुक्खं रोगायकं परियाइयामि अणिहूं जाव तो सुहे, मा मे दुक्खंतु वा जाव मा मे परितप्पंतु वा, इमाओ णं अन्नयराओ दुक्खाओ रोगायंकाओ परिमोएमि अणिट्ठाओ जाव नो सुहाओ, एवमेव नो लद्धपुव्वं भवइ । अन्नस्स दुक्खं अन्नो न परियाइयइ अन्त्रेण कर्ड अन्नो नो पडिसंवेदेइ पत्तेयं जायइ पत्तेयं मरइ पत्तेयं चयइ पत्तेयं उववज्जइ पत्तेयं झंझा पत्तेयं सन्ना पत्तेयं मन्ना एवं विन्नू वेयणा । इइ खलु नाइसंजोगा नो ताणाए वा नो सरणाए वा । पुरिसे वा एगया पुवि नाइसंजोगे विप्पजहइ, नाइसंजोगा वा एगया पुत्रि पुरिसं विप्पजहन्ति, अन्ने खलु नाइसंजोगा अन्नो अहमंसि, से किमंग पुण वयं अन्नमन्नेहिं नाइसंजोगेहिं मुच्छामो, इति संखाए णं वयं नाइसंजोगं विप्पजहिस्सामो से मेहावी जाणेजा बहिरङ्गमेयं, इणमेव उवणीययरागं । तं जहा - हत्था में पाया मे वाहा मे उरू मे उयरं मे सीसं मे सीलं मे आऊ में बलं मे वृष्णो मे तया में छाया मे सोयं मे चक्खू मे घाणं मे जिब्सा मे फासा मे ममाइजइ, वयाउ पडिजूरइ । तं जहा - आउओ ब्लाओ aणाओ तयाओ छायाओ सोयाओ जाव फासाओ । सुसंधिओ संधी विसंधीभवइ, वलियतरंगे गाए भवइ, किण्हा केसा पलिया भवन्ति । तं जहाजं पि य इमं सरीरगं उरालं आहारोवइयं एयं पि य अणुपुव्वेणं विप्पजहियव्वं भविस्सइ । एवं संखाए से भिक्खु भिक्खायरियाए समुट्टिए दुहओ लोगं जाणेजा, तं जहा जीवा चेव अजीवा चेव, तसा चैव थावरा चेव ॥ १३ ॥ ६४८ ॥ इह खलु गारत्था सारम्भा सपरिग्गहा, संतेगइया समणा माहणा वि सारम्भा सपरिग्गहा, जे इमे तसा थावरा पाणा ते सयं समारभन्ति अन्त्रेण वि समारम्भावेति अन्नं पि समारभंतं समणुजाणन्ति । इह खलु गारत्था सारम्भा सपरिग्गहा, संतेगइया समणा माहणा विसारम्भा सपरिग्गहा, जे इमे कामभोगा सचित्ता वा अचित्ता वा ते सर्व परिगिण्हन्ति अन्त्रेण वि परिगिण्हावेन्ति अन्नं पि परिगिण्हतं समणुजागंति । इह खलु गारत्या सारम्भा सपरिग्गहा, संतेगइया समणा माहणा वि 1 Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० १] सुत्तागमे १४३ सारम्भा सपरिग्गहा, अहं खलु अणारम्भे अपरिग्गहे, जे खलु गारत्था सारम्भा सपरिग्गहा, संतेगइया समणा माहणा वि सारम्भा सपरिग्गहा, एएसिं चेव निस्साए बम्भचेरवासं वसिस्सामो । कस्स णं तं हेउं ? जहा पुव्वं तहा अवरं जहा अवरं तहा पुव्वं, अझ एए अणुवरया अणुवट्टिया पुणरवि तारिसगा चेव जे खलु गारत्था सारम्भा सपरिग्गहा, संतेगइया समणा माहणा वि सारम्भा सपरिग्गहा, दुहओ पावाईं कुव्वंति इति संखाए दोहि वि अंतेहिं अदिस्समाणो इति भिक्खू रीएजा । से बेमि पाईणं वा ६ जाव एवं से परिन्नायकम्मे, एवं से ववेयकम्मे, एवं से विअंतकारए भवइ त्ति - मक्खायं ॥ १४ ॥ ६४९ ॥ तत्थ खलु भगवया छज्जीवनिकायहेऊ पन्नत्ता । तं जहा - पुढवीकाए जाव तसकाए । से जहानामए-मम असायं दण्डेण वा मुट्ठीण वा लेलूण वा कवालेण वा आउट्टिज्जमाणस्स वा हम्ममाणस्स वा तज्जिज्जमाणस्स वा ताडिजमाणस्स वा परियाविज्जमाणस्स वा किलामिजमाणस्स वा उद्दविजमाणस्स वा जाव लोमुक्खणणमायमवि हिंसाकारगं दुक्खं भयं पडिसंवेदेमि, इमेवं जाण सव्वे जीवा सव्वे भूया सव्वे पाणा सव्वे सत्ता दण्डेण वा जाव कवालेण वा आउट्टिज्जमाणा वा हम्ममाणा वा तज्जिजमाणा वा ताडिजमाणा वा परियाविज्जमाणा वा किलामिज्जमाणा वा उद्दविजमाणा वा जाव लोमुक्खणणमायमवि हिंसाकारगं दुक्खं भयं पडिसंवेदेति । एवं नच्चा सव्वे पाणा, जाव सत्ता न हंतव्वा न अजावेयव्वा न परिघेयव्वा न परितावेयव्वा न उद्दवेयव्वा । से बेमि जे य अईया जे य पडुप्पन्ना जे य आगमिस्सा अरिहंता भगवंता सव्वे ते एवमाइक्खंति एवं भासंति एवं पन्नवेंति एवं परूवेंति सव्वे पाणा जाव सत्ता न हंतव्वा न परिघेयव्वा न अज्जावेयव्वा न परितावेयव्वा न उद्दवेयव्वा । एस धम्मे धुवे नीइए सासए समिच्च लोगं खेयन्नेहिं पवेइए | एवं से भिक्खू विरए पाणाइवायाओ जाव विरए परिग्गहाओ नो दंतक्खाणं दंते पक्खालेजा नो अजणं नो वमणं नो धूवणे नो तं परिआविएजा ॥ से भिक्खु अकिरिए अलूसए अकोहे अमाणे अमाए अलोहे उवसंते परिनिव्वुडे नो आसंसं पुरओ करेजा इमेण मे दिट्टेण वा सुएण वा मएण वा विन्नाएण वा इमेण वा सुचरितवनियमवम्भचेरवासेण इमेण वा जायामायाबुत्तिएणं धम्मेणं इओ चुए पेचा देवे सिया कामभोगाण वसवत्ती सिद्धे वा अदुक्खमसुभे एत्थ - वि सिया एत्थ वि नो सिया । से भिक्खू सद्देहिं अमुच्छिए रूवेहिं अमुच्छिए गंधेहिं अमुच्छिए रसेहिं अमुच्छिए फासेहिं अमुच्छिए विरए कोहाओ माणाओ मायाओ लोभाओ पेजाओ दोसाओ कलहाओ अब्भक्खाणाओ पेसुन्नाओ परपरिवायाओ Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगड अरइरईओ मायामोसाओ मिच्छादसणसल्लाओ इति से महओ आयाणाओ उवसंते उवट्ठिए पडिविरए से भिक्खू । जे इमे तसथावरा पाणा भवंति ते नो सयं समारम्भइ नो वन्नेहि समारम्भावेइ अन्ने समारम्भंते वि न समणुजाणइ इति से महओ आयाणाओ उवसंते उवट्ठिए पडिविरए से भिक्खू जे इमे कामभोगा सचित्ता वा अचित्ता वा ते णो सयं परिगिण्हंति णो अण्णेणं परिगिण्हावेंति अन्नं परिगिण्हतंपि न समणुजाणंति इति से महओ आयाणाओ. उवसंते उवट्ठिए पडिविरओ से भिक्खू । ज पि य. इमं संपराइयं कम्म किजइ, नो तं सयं करेइ नो अन्नाणं कारवेइ अनं पि करेंतं न समणुजाणइ, इति से महओ आयाणाओ उंवसंते उवट्ठिए पडिविरए। से भिक्खू जाणेजा असणं वा ४ अस्सि पडियाए एगं साहम्मियं समुद्दिस्स पाणाई भूयाइं जीवाइं सत्ताइं समारम्भ समुद्दिस्स कीयं पामिच्च अच्छिज्जं अनिसटुं अभिहडं आहट्ठद्देसियं तं चेइयं सिया तं नो सयं भुञ्जइ नो अन्नणं भुञ्जावेइ अन्नं पि भुजंतं न समणुजाणइ, इति से महओ आयाणाओ उवसंते उवट्ठिए पडिविरए से भिक्खू अह पुण एवं जाणेज्जा तं विजइ तेसिं परक्कमे । (जस्सठ्ठा ते वेइयं सिया तंजहा अप्पणो पुत्ताइणहाए जाव आएसाए पुढो पहेणाए सामासाए पायरासाए संनिहिसंनिचओ क्रिजइ इह एएसिं माणवाणं भोयणाए) तत्थ भिक्खू परकडं परनिट्ठियमु गमुप्पायणेसणासुद्धं सत्थाईयं सत्थपरिणामियं अविहिंसियं एसियं वेसियं सामुदाणियं पत्तमसणं कारणट्टा पमाणजुत्तं अक्खोवजणवणलेवणभूयं संजमजायामायावत्तियं विलमिव पन्नगभूएणं अप्पाणेणं आहारं आहारेजा अन्नं अन्नकाले पाणं पाणकाले वत्यं वत्थकाले लेग लेणकाले सयणं सयणकाले। से भिक्खू मायन्ने अन्नयरं दिसं अणुदिसं वा पडिवन्ने धम्म आइक्खे विभए किट्टे उचट्ठिएसु वा अणुवट्ठिएसु वा मुस्सूसमाणेसु पवेयए, संतिविरई उवसमं निव्वाणं सोयवियं अजवियं मद्दवियं लाघवियं अणइवाइयं सव्वेसिं पाणाणं सव्वेसिं भूयाणं जाव सत्ताणं अणुवाई किट्टए धम्मं । से भिक्खू धम्म किट्टमाणे नो अन्नस्स हे धम्ममाइक्खेजा, नो पाणस्स हे धम्ममाइक्खेजा, नो वत्थस्स हेडं धम्ममाइक्खेजा, नो लेणस्स हेडं धम्ममाइक्खेजा, नो सयणस्स हेडं धम्ममाइक्खेजा, नो अन्नसिं विरूवरूवाणं कामभागाणं हेडं धम्ममाइक्वेना, अगिलाए धम्ममाइक्खेजा, नन्नत्थ कम्मनिज्जरहाए धम्ममाइक्खेजा। इह खलु तस्स भिक्खुस्स अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म उठा गं उट्ठाय वीरा अस्सि धम्मे समुट्ठिया। जे तस्स भिक्खुस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म सम्म उहाणेगं उठाय वीरा अस्सि धम्मे समुट्ठिया ते एवं सव्वोवगया त एवं सचोवरया ते एवं सव्वोवसंता ते एवं सव्वत्ताए परिणिव्वुडे त्ति बेमि । एव Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे २ सु० अ०२] १४५ से भिक्खू धम्मट्ठी धम्मविऊ नियागपडिवन्ने से जहेयं वुइयं अदुवा पत्ते पउमवरपोण्डरीयं अदुवा अपत्ते पउमवरपोण्डरीयं, एवं से भिक्खू परिन्नायकम्मे परिनाय संगे परिनायगेहवासे उवसंते समिए सहिए सयाजए । सेयं वयणिज्जे तं जहासमणे त्ति वा माहणे त्ति वा खंते त्ति वा दंते त्ति वा गुत्ते त्ति वा मुत्ते त्ति वा इसि त्ति वा मुणि त्ति वा कइ त्ति वा विउ ति वा भिक्खु त्ति वा लूहे ति वा तीरहि त्ति वा चरणकरणपारविउ ति बेमि ॥ १५ ॥ ६५० ॥ पोण्डरियज्झयणं पढमं समत्तं ॥ किरियाठाणज्झयणे बिइये . सुयं मे आउसं! तेणं भगवया एवमक्खायं । इह खलु किरियाठाणे नामज्झयणे पन्नत्ते, तस्स णं अयमठे। इह खलु संजूहेणं दुवे ठाणे एवमाहिति । तं जहा । धम्मे चेव अधम्मे चेव उवसंते चेव अणुवसंते चेव । तत्थ णं जे से पढमस्स ठाणस्स अहम्मपक्खस्स विभङ्गे तस्सणं अयमढे पन्नत्ते । इह खलु पाईणं वा ६ संतेगइया मणुस्सा भवंति । तं जहा-आरिया वेगे अणारिया वेगे उच्चागोया वेगे नीयागोया वेगे कायमंता वेगे हस्समंता वेगे सुवण्णा वेगे दुव्वण्णा वेगे सुरूवा चेगे दुरूवा वेगे । तेसिं च णं इमं एयारूवं दण्डसमादाणं संपेहाए । तं जहा-नेरइएसुवा तिरिक्खजोणिएसु वा मणुस्सेसु वा देवेसु वा जे यावन्ने तहप्पगारा पाणा विनू वेयणं वेयंति ॥ तेंसिं पि य णं इमाइं तेरस किरियाठाणाई भवंतीतिमक्खायं । तं जहा-अट्ठादण्डे १, अणट्ठादण्डे २, हिंसादण्डे ३, अकम्हादण्डे ४, दिट्ठिविपरियासियादण्डे ५, मोसवत्तिए ६, अदिन्नादाणवत्तिए ७, अज्झत्थवत्तिए ८, माणवत्तिए ९, मित्तदोसंवत्तिए १०,, मायावत्तिए ११, लोभवत्तिए १२, इरियावहिए -१३ ॥१॥६५१॥ पढमे दण्डसमादाणे अट्ठादण्डवत्तिए त्ति आहिजइ । से जहानामए-केइ पुरिसे आयहेङ वा नाइहेउं वा अगारहेडं वा-परिवारहेउं वा मित्तहेउं वा नागहेडं वा भूयहेउं वा जक्खहेडं वा तं दण्डं तसथावरेहिं पाणेहि सयमेव निसिरइ अन्नेण वि निसिरावेइ अन्नं पि निसिरंतं समणुयाणइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावज ति आहिजइ । पढमे दण्डसमादाणे अट्ठादण्डवत्तिए त्ति आहिए ॥ २ ॥ ६५२ ॥ अहावरे दोचे दण्डसमादाणे अणट्ठादण्डवत्तिए त्ति आहिजइ । से जहानामएकेइ पुरिसे जे इमे तसा पाणा भवंति ते नो अच्चाए नो अजिणाए नो मंसाए नो सोणियाए एवं हिययाए पित्ताए वसाए पिच्छाए पुच्छाए वालाए सिंगाए विसाणाए १० सुत्ता. Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगडं दंताए दाढाए नहाए हारुणिए अट्ठीए अद्विमञ्जाए नो हिंसिंसु मे त्ति नो हिंसंति मे त्ति नो हिंसिस्संति मे त्ति नो पुत्तपोसणाए नो पसुपोसणाए नो अगारपरिवूहणयाए नो समणमाहणवत्तणाहेउं नो तस्स सरीरगस्स किंचि विप्परियाइत्ता भवंति। से हंता छेत्ता भेत्ता लुम्पइत्ता विलुम्पइत्ता उद्दवइत्ता उज्झिउं वाले वेरस्स आभागी भवइ अणद्वादण्डे । से जहानामए केइ पुरिसे जे इमे थावरा पाणा भवंति । तं जहा-इक्कडा इ वा कडिणा इ वा जंतुगा इ वा परगा इ वा मोक्खा इ वा तणा इ वा कुसा इ वा कुच्छगा इ वा पव्वगा इ वा पलाला इ वा, ते नो पुत्तपोसणाए नो पसुपोसणाए नो अगारपरिवूहणयाए नो समणमाहणपोसणयाए नो तस्स सरीरगस्स किंचि विपरियाइत्ता भवंति । से हंता छेत्ता भेत्ता लुम्पइत्ता विलुम्पइत्ता उद्दवइत्ता उज्झिउं वाले वेरस्स आभागी भवइ अणट्ठादण्डे ॥ से जहानामए केइ पुरिसे कच्छंसि वा दहंसि वा उदगंसि वा दवियंसि वा वलयंसि वा नूमंसि वा गणसि वा गहणविदुग्गंसि वा वर्णसि वा वणविदुग्गंसि वा पव्वयंसि वा पव्वयविदुग्गंसि वा तणाई ऊसविय ऊसविय सयमेव अगणिकायं निसिरइ अन्नेण वि अगणिकायं निसिरावेइ अन्नं पि अगणिकायं निसिरंतं समणुजाणइ अणट्ठादण्डे । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिज्जइ । दोचे दण्डसमादाणे अणट्ठादण्डवत्तिए त्ति आहिए ॥ ३ ॥ ६५३ ॥ अहावरे तच्चे दण्डसमादाणे हिंसादण्डवत्तिए त्ति आहिज्जइ।से जहानामए-केइ पुरिसे ममं वा ममि वा अन्नं वा अनि वा हिंसिसु वा हिंसइ वा हिंसिस्सइ वा तं दण्डं तसथावरेहिं पाणेहिं सयमेव निसिरइ अनेण वि निसिरावेइ अन्नं पि निसिरंतं समणुजाणइ हिंसादण्डे, एवं खलु तस्स तप्पत्तिय सावजं ति आहिजइ । तच्चे दण्डसमादाणे हिंमादण्डवत्तिए त्ति आहिए ॥४॥६५४॥ अहावरे चउत्थे दण्डसमादाणे अकम्हादण्डवत्तिए त्ति आहिजइ । से जहानामए-केइ पुरिसे कच्छंसि वा जाव वणविदुग्गंसि वा मियवत्तिए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता एए मिय त्ति काउं अन्नयरस्स मियस्स वहाए उसु आयामेत्ता णं निसिरेजा, स मियं वहिस्सामि त्ति कट्ट तित्तिरं वा वट्टगं वा चडगं वा लावग वा कवोयगं वा कविं वा कविंजलं वा विधित्ता भवइ, इह खलु से अन्नस्स अठाए अन्नं फुसइ अकम्हादण्डे । से जहानामए केइ पुरिसे सालीणि वा वीहीणि वा काहि वाणि वा कंगूणि वा परगाणि वा रालाणि वा निलिज्जमाणे अन्नयरस्स तणस्स वहाए सत्यं निसिरेजा, से सामगं तणगं कुमुटुगं वीहीऊसियं कलेसुयं तणं छिन्दिस्सामि त्ति कटु सालिं वा वीहिं वा कोहवं वा कंगुं वा परगं वा रालयं वा छिन्दित्ता भवइ ! दनि सल से अन्नस्स अट्ठाए अन्नं फुसइ अकम्हादण्डे । एवं खलु तस्स तप्पत्तिय Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे २ सु० अ० २] १४७ सावजं आहिजइ । चउत्थे दण्डसमादाणे अकम्हादण्डवत्तिए आहिए ॥५॥६५५॥ अहावरे पञ्चमे दण्डसमादाणे दिद्विविपरियासियादण्डवत्तिए त्ति आहिजइ । से जहानामए-केइ पुरिसे माईहिं वा पिईहिं वा भाईहिं वा भगिणीहिँ वा भज्जाहिं वा पुत्तेहिं वा धूयाहि वा सुण्हाहिँ वा सद्धिं संवसमाणे मित्तं अमित्तमेव मन्नमाणे मित्ते हयपुव्वे भवइ दिद्विविपरियासियादण्डे । से जहानामए-केइ पुरिसे गामघायंसि वा नगरघायंसि वा खेडघायंसि कब्बडघायंसि मडंवघायंसि वा दोणमुहघायंसि वा पट्टणघायंसि वा आसमघायंसि वा संनिवेसघायंसि वा निग्गमघायंसि वा रायहाणिघायंसि वा अतेणं तेणमिति मन्नमाणे अतेणे हयपुग्वे भवइ दिद्विविपरियासियादण्डे । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । पञ्चमे दण्डसमादाणे दिद्विविपरियासियादण्डवत्तिए त्ति आहिए॥६॥६५६ ।। अहावरे छठे किरियट्ठाणे मोसावत्तिए त्ति आहिजइ । से जहानामए-केइ पुरिसे आयहे वा नाइहेउं वा अगारहेडं वा परिवारहेडं वा सयमेव मुसं वयइ अण्णेण वि मुसं वाएइ मुसं वयन्तं पि अन्नं समणुजाणइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । छठे किरियट्ठाणे मोसावत्तिए त्ति आहिए ॥७॥६५॥ अहावरे सत्तमे किरियट्ठाणे अदिन्नादाणवत्तिए त्ति आहिज्जइ। से जहानामए-केइ पुरिसे आयहेडं वा जाव परिवारहेडं वा सयमेव अदिन्नं आदियइ अनेणं वि अदिन्नं आदियावेइ अदिन्नं आदियन्तं अन्नं समणुजाणइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावज ति आहिजइ । सत्तमे किरियट्ठाणे अदिन्नादाणवत्तिए त्ति आहिए ॥८॥६५८॥ अहावरे अट्ठमे किरियट्ठाणे अज्झत्यवत्तिए त्ति आहिजइ। से जहानामएकेइ पुरिसे नत्थि णं केइ किंचि विसंवादेइ सयमेव हीणे दीणे दुट्टे दुम्मणे ओयमणसंकप्पे चिन्तासोगसागरसंपविढे करयलपल्हत्थमुहे अज्झाणोवगए भूमिगयदिहिए झियाइ, तस्स णं अज्झत्थया आसंसइया चत्तारि ठाणा एवमाहिजन्ति । तं जहाकोहे माणे माया लोहे । अज्झत्थमेव कोहमाणमायालोहे । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावज ति आहिज्जइ । अट्ठमे किरियहाणे अज्झत्थवत्तिए त्ति आहिए ॥९॥६५९॥ अहावरे नवमे किरियट्ठाणे माणवत्तिए त्ति आहिजइ । से जहानामए-केइ पुरिसे जाइमएण वा कुलमएण वा वलमएण वा. रूवमएण वा तवमएण वा सुयमएण वा लाभमएण वा इस्सरियमएण वा पन्नामएण वा अन्नयरेण वा मयहाणेणं मत्ते समाणे परं हीलेइ निन्देइ खिसइ गरहइ परिभवइ अवमन्नेइ, इत्तरिए अयं, अहमंसि पुण विसिट्ठजाइकुलबलाइगुणोववेए । एवं अप्पाणं समुक्कस्से, देहचुए कम्मविइए अवसे पयाइ । तं जहा-ब्भाओ गन्भं ४ जम्माओ जम्मं माराओ मारं नरगाओ नरगं चण्डे थद्धे चवले माणी यावि भवइ । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावज Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ सूयगड १४८ ति आहिज्जइ । नवमे किरियद्वाणे माणवत्तिए ति आहिए ॥ १० ॥ ६६० ॥ अहावरे दस मे किरियट्ठाणे मित्तदोसवत्तिए त्ति आहिज्जइ । से जहानामए- केइ पुरिसे माईहिं वा पिईहिं वा भाईहिं वा भइणीहिं वा भज्जाहिं वा धूयाहिं वा पुत्तेहिं चा सुण्हाहिं वा सद्धिं संवसमाणे तेसि अन्नयरंसि अहालहुगंसि अवराहंसि सयमेव गस्यं दण्डं निवत्ते । तं जहा - सीओदगवियडंसि वा कार्य उच्छोलित्ता भवइ, उसिणोदगवियडेण वा कार्य ओसिश्चित्ता भवइ, अगणिकायेणं कार्यं उवडहित्ता भवई, जोत्तेण वा वेत्तेण वा नेत्तेण वा तयाइ वा [ कण्णेण वा छियाए वा ] लयाए वा ( अन्नयरेण वा दवरएण ) पासाईं उद्दालित्ता भवइ, दण्डेण वा अट्ठीण वा मुट्ठीण वा लूण वा कवाले वा कार्य आउट्टित्ता भवइ । तहप्पगारे पुरिसजांए संवसमाणे दुम्मणा भवइ, पवसमाणे सुमणा भवइ, तहप्पगारे पुरिसंजाए दण्डपासी दण्डगुरुए दण्डपुरकडे अहिए इमंसि लोगंसि अहिए परंसि लोगंसि संजलणे कोहणे पिट्ठिमंती यावि भवइ । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । दसमे किरियद्वाणे मित्तदोसवत्तिए त्ति आहिए ॥ ११ ॥ ६६१ ॥ अहावरे एकारसमे किरियट्ठाणे मायावत्तिए त्ति आहिज्जइ । जे इमे भवन्ति - गूढायारा तमोकसिया उलुगपत्तलहुया पव्वयगुरुया ते आरिया वि सन्ना अणारियाओ भासाओ वि पउज्जन्ति, अन्नहासन्तं अप्पाणं अन्नहा मन्नन्ति, 'अन्नं पुट्ठा अन्नं वागरंति, अन्नं आइक्खियव्वं अन्नं आइक्खति । से जहानामए केइ पुरिसे अंतोसल्ले तं सलं नो सयं-निहरइ तो अन्नेण निहरावेइ नो पडिविद्धंसेइ, एवमेव निण्हवेइ, अविउट्टमाणे अंतोअंतो रियइ, एवमेव माई मायं कंडु नो आलोएइ नो पडिक्कमेइ नो निन्दइ नो गरहइ नो विउट्टइ नो विसोहेइ नो अकरणाए अब्भुट्ठेइ नो अहारिहं तवोकम्मं पायच्छित्तं पडिवज्जर, माई अस्सि लोए पच्चायाइ माई परंसि लोएं पुगो पुणो पच्चायाइ निन्दइ गरहइ पसंसइ निच्चरइ न नियट्टइ निसिरियं दण्डं छाएइ, माइ असमाहडसुहलेस्से यावि भवइ । एवं खलु तस्स तम्पत्तियं सावज्जं ति आहिजइ । एक्कारसमे किरियद्वाणे मायावत्तिए ति आहिए ।। १२ ।। ६६२ ॥ अहावरे बारसमे किरियट्ठाणे लोभवत्तिए त्ति आहिज्जइ । जे इमे भवंति, तं जहा- आरण्णिया आवसहिया गामन्तिया कण्हुईरहस्सिया नो बहुसंजया नो बहुपडिविरया सव्वपाणभूयजीवसत्तेहिं ते अप्पगो सच्चामोसाई एवं विउज्जति । अहं न हन्तव्वो अन्ने हन्तव्वा, अहं न अजावेयव्वो अन्ने अज्जावेयव्वा, अहं न परि यत्रो अन्ने परिघेयव्वा, अहं न परितावेयब्वो, अन्ने परितावेयव्वा, अहं न उद्दवेयन्त्रो अन्ने उद्दवेयव्वा, एवमेव ते इत्थिकामेहिं सुच्छिया गिद्धा गढिया गरहिया Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० म०२] सुत्तागमे १४९ अझोववन्ना जाव वासाइं चउपञ्चमाइं छद्दसमाई अप्पयरो वा भुजयरो वा भुजित्तु भोगभोगाई कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु , आसुरिएसु किदिबसिएसु ठाणेसु उववत्तारो भवन्ति । तओ विप्पमुच्चमाणे भुजो भुज्जो एलमूयत्ताएं तमूयत्ताए जाइयत्ताए पञ्चायन्ति । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिज्जइ । दुवालसमे किरियट्ठाणे लोभवत्तिए त्ति आहिए । इच्चेयाई दुवालस किरियट्ठाणाइं दविएणं समणेण वा माहणेण वा सम्मं सुपरिजाणियव्वाइं भवन्ति ॥ १३ ॥ ६६३ ॥ अहावरे तेरसमे किरियट्ठाणे इरियावहिए -त्ति ·आहिजइ । इह खलु अत्तत्ताए संवुडस्स अणगारस्स इरियासमियस्स भासासमियस्स एसणासमियस्स आयाणभण्डमत्तनिक्खेवणासमियस्स उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिद्वावणियासमियस्स मणसमियस्स वयसमियस्स कायसमियस्स मणगुनस्स वयगुत्तस्स कायगुत्तस्स गुत्तिन्दियस्स गुत्तवम्भयारिस्स आउत्तं चिट्ठमाणस आउत्तं निसीयमाणस्स आउत्तं तुयट्टमाणस्स आउत्तं भुञ्जमाणस्स आउत्तं गच्छमाणस्स आउत्तं भासमाणस्स आउत्तं वत्थं पडिग्गहं कम्बलं पायपुञ्छगं गिण्हमाणरस वा निक्खिवमाणस्स वा जाव चक्खुपम्हनिवायमवि अस्थि विमाया सुहुमा किरिया इरियावहिया नाम कज्जइ । सा, पढमसमए बद्धा पुट्ठा विईयसमए वेइया तइयसमए निजिण्णा सा बद्धा पुट्टा उदीरिया वेइया निजिष्णा सेयकाले अकम्मे यावि. भवइ । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावज ति आहिजइ, तेरसमे किरियट्ठाणे इरियावहिए त्ति आहिज्जइ । से बेमि, जे य अईया जे य पडुप्पन्ना जे य आगमिस्सा अरिहन्ता भगवन्ता सव्वे ते एयाई चेव तेरस किरियट्ठाणाई भासिसु वा भासेन्ति,वा भासिस्सन्ति वा पन्नविंसु वा पनवेन्ति वा पनविस्सन्ति वा, एवं चेव तेरसमं किरियट्ठाणं सेविंसु वा सेवन्ति वा सेविस्सन्ति वा ॥ १४ ॥ ६६४ ॥ अदुत्तरं च णं पुरिसविजयं विभङ्गमाइक्खिस्सामि । इह खलु नाणापन्नाणं. नागाछन्दाणं नाणासीलाणं नाणादिट्ठीणं नाणारईणं नाणारम्भाणं नाणाज्झवसाणसंजुत्ताणं नाणाविहपावसुयज्झयणं एवं भवइ । तं जहा-भोम उप्पायं सुविणं अन्तलिक्खं अङ्गं सरं लक्खणं वजणं इत्यिलक्खणं पुरिसलक्खणं हयलक्खणं गयलक्खणं गोणलक्खगं मेण्डलक्खणं कुक्कुडलक्खणं तित्तिरलक्खणं वगलक्खणं लावयलक्खणं चकलक्खण छत्तलक्खणं चम्मलक्खणं दण्डलक्खणं असिलक्खणं मणिलक्खणं कागिणिलक्षण सुभगाकरं दुब्भगाकरं गन्भाकर मोहणकरं आहव्वणिं पागसासणिं दवहोम खत्तियविजं चन्दचरियं सूरचारियं सुकचरियं वहस्सइचरियं उक्कापाय दिसादाह मियचकं वायसपरिमण्डलं पंसुवुद्धिं केसवुद्धिं मंसवुद्धिं रुहिरवुट्टि वेयालिं अद्धवेयालि. ओसोवणि तालग्घाडणि सोवागिं सोवारिं दामिलिं कालिङ्गि Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगड १५० गोरिं गन्धारिं ओवयणि उप्पणिं जम्भणि थम्भणि लेसणि आमयकरणिं विसल्लकरणिं पक्कमणिं अन्तद्धाणिं आयमिणिं, एवमाइयाओ विज्जाओ अन्नस्स हेड पउञ्जन्ति पाणस्स हेउं पउञ्जन्ति वत्थस्स हेउं पउञ्जन्ति लेणस्स हेउं पउञ्जन्ति सयणस्स हेउं पउञ्जन्ति, अन्नेसिं वा विरूवरूवाणं कामभोगाण हेडं पउऑति । तिरिच्छं ते विजं सेवन्ति, ते अणारिया विप्पडिवन्ना कालमासे कालं किंवा अन्नयराइं आसुरियाई किब्बिसयाइं ठाणाई उववत्तारो भवन्ति । तओ वि विप्पमुच्चमाणा भुजो एलसूययाए तमअन्धयाए पञ्चायन्ति ॥ १५ ॥ ६६५ ॥ से एगइओ आयहेउं वा नायहेउं वा सयणहेडं वा अगारहेउं वा परिवारहेउं वा नायगं वा सहवासियं वा निस्साए अदुवा अणुगामिए १ अदुवा उवचरए २ अदुवा पडिपहिए ३ अदुवा संधिच्छेयए ४ अदुवा गण्ठिच्छेयए ५ अदुवा उरब्भिए ६ अदुवा सोपरिए ७ अदुवा वागुरिए ८ अदुवा साउणिए ९ अदुवा मच्छिए १० अदुवा गोधायए ११ अदुवा गोवालए १२ अदुवा सोवणिए १३ अदुवा सोवणियंतिए १४ । एगइओ आणुगामियभावं पडिसंधाय तमेव अणुगामियाणुगामियं हन्ता छेत्ता भत्ता लुम्पइत्ता विलुम्पइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ, इति से महया पावेहिं कम्मेहि अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ उदचरयभावं पडिसंधाय तमेव उवचरियं हन्ता छेत्ता भेत्ता लुम्पइत्ता विलुम्पइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ । इति से महया पावेहि कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ पाडिपहियभावं पडिसंधाय तमेव पडिपहे ठिच्चा हन्ता छेत्ता भेत्ता लुम्पइत्ता विलुम्पइत्ता उद्दवइत्ता आहार आहारेइ, इति से महया पावेहि कम्महिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ संधिच्छेदगभावं पडिसंधाय तमेव संधि छेत्ता भेत्ता जाव इति से महया पावेहिं कम्मेहि अत्ताणं उवक्खाइत्ता सवइ । से एगइओ गण्ठिच्छेदगभावं पडिसंधाय तमेव गण्ठि छेत्ता भेत्ता जाव इति से महया पावेहि कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ उरम्भियभावं पडिसंधाय उरभ वा अन्नयरं वा तसं पाणं हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । (एसो अभिलावो सव्वत्थ) से एगइओ सोयरियभावं पडिसंधाय महिसं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ वागुरियभावं पडिसंधाय मियं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ सउणियभावं पडिसंधाय सउणि वा अन्नयरं वा तसं पाणं हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ मच्छियभावं पडिसंधाय मच्छं वा अनयर वा तसं पाणं हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ गोधायभावं पडिसंधाय तमेव गोणं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवई । से एगइओ Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० म०२] सुत्तागमे गोवालभावं पडिसंधाय तमेव गोवालं वा परिजविय परिजविय हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ सोवणियभावं पडिसंधाय तमेव सुणगं वा अन्नयरं चां तसं पाणं हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ सोवणियन्तियभावं पडिसंधाय तमेव मणुस्सं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हन्ता जाव आहारं आहारेइ इति से महया पावेहिं कम्मेहि अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ ॥ १६ ॥ ६६६ ॥ से एगइओ परिसामज्झाओं उद्वित्ता अहमेयं हणामि त्ति कछु तित्तिरं वा वट्टगं वा लावगं वा कवोयगं वा कविञ्जलं वा अन्नयरं वा तसं वा पाणं हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ केणइ आयाणेणं विरुद्ध समाणे अदुवा खलदाणेणं अदुवा सुराथालएणं गाहावईण वा गाहावइपुत्ताण वा सयमेव अगणिकाएणं सस्साइं झामेइ अनेण वि अगणिकाएंणं सस्साई झामावेइ अगणिकाएणं सस्साई झामन्तं पि अन्नं समणुजाणइ, इति से महया पावकम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ केणइ आयाणेणं विरुद्ध समाणे अदुवा खलदाणेणं अदुवा सुराथालएणं गाहावईण वा गाहावइपुत्ताण वा उट्टाण वा गोणाण वा घोडगाण वा गद्दभाण वा सयमेव धूराओ कप्पेइ अन्नेण वि कप्पावेइ कप्पन्तं पि. अन्नं समणुजाणइ, इति से महया जाव भवइ । से एगइओ केणइ आयाणेणं विरुद्ध समाणे अदुवा खलदाणेणं अदुवा सुराथालएणं गाहावईण वा गाहावइपुत्ताण वा उट्टसालाओ वा गोणसालाओ वा घोडगसालाओ वा गद्दभसालाओ वा कण्टकवोंदियाए पडिपेहित्ता सयमेव अगणिकाएणं झामेइ अन्नेण वि झामावेइ झामन्तं पि अन्नं समगुंजाणइ, इति से महया जाव भवइ । से एगइओ केणइ आयाणेणं विरुद्ध समाणे अदुवा खलदाणेणं अदुवा सुरीथालएणं गाहावईण वां गाहावइपुत्ताण वा कुण्डलं 'वा मणिं वा मोत्तियं वा सयमेव अवहरइ अनेण वि.अवहरावेई अवहरन्तं पि अन्नं समणुजाणइ इति से महया जाव भवइ ॥ से एगइओ केणइ वि आयाणेगं विरुद्धे समाणे अदुवा खलदाणेणं अदुवा सुराथालएणे समणाण वा माहणाण वा छत्तगं वा दण्डगं वा भण्डगं वा मत्तगं वा लहिँ वा भिसिगं वा चेलगं वा चिलिमिलिगं वा चम्मयं वा छेयणगं वा चम्मकोसियं वा सयमेव अवहरइजाव समणुजाणइ, इति से महया जाव उवक्खाइत्ता भवइ ॥ से एगइओ नो वितिगिञ्छइ । तं जहा-गाहावईण वा गाहावइपुत्ताण वा सयमेव अगणिकाएणं ओसहीओ झामेइ जावं अन्न पि झामन्तं समणुजाणइ, इति से महया जाव उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ नो वितिगिन्छई, तं जहा-गाहावईण वा गाहावइपुत्ताण वा उट्टाण वा गोणाण वा घोडगाण वा गद्दभाण वा सयमेव घूराओ कप्पेइ अन्नेण वि कप्पावेइ अन्न पि कप्पन्तं समणुजाणइ । से एगईओ Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुत्तागमे सूयगर्ड १५२ नो वितिगिञ्छइ, तं जहा-गाहावईण वा गाहावइपुत्ताण वा उट्टसालाओ वा जाव गद्दभसालाओ वा कण्टकवोंदियाहिं पडिपेहित्ता सयमेव अगणिकाएणं झामेइ जाव समणुजाणइ । से एगइओ नो वितिगिञ्छइ, तं जहा-गाहावईण चा गाहावइपुत्ताण वा जाव मोत्तियं वा सयमेव अवहरइ जाव समणुजाणइ । से एगइओ नो वितिगि छइ तं जहा-समणाण वा माहणाण वा छत्तगं वा दण्डगं वा जाव चम्मछेयणगं वा सयमेव अवहरइ जाव' समणुजाणइ । इति से महया जाव-उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ समणं वा माहणं वा दिस्सा नाणाविहेहिं पावकम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ, अदुवा णं अच्छराए आफालित्ता भवइ, अदुवा णं फरुसं वदित्ता भवइ, कालेण वि से अणुपविट्ठस्स असणं वा पाणं वा जाव नो दवावेत्ता भवइ, जे इमे भवन्ति वोणमन्ता भारकन्ता अलसगा वसलगा किवणगा समणगा निउजमा वणगा पव्वयन्ति ते इणमेव जीवियं धिजीवियं संपडिबूहेन्ति, नाइ ते-परलोगस्स अट्ठाए किंचि वि- सिलीसन्ति, ते दुक्खन्ति ते सोयन्ति ते जूरन्ति ते तिप्पन्ति ते पिट्टन्ति ते परितप्पन्ति ते दुक्खणजूरणसोयणतिप्पणपिट्टणपरितिप्पणवहबन्धणपरिकिलेसाओ अप्पडिविरया भवन्ति । ते महया आरम्मेण ते महया समारम्भेण ते महया आरम्भसमारम्भेण विरूवरूवेहिं पावकम्मकिच्चेहिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुजित्तारो भवन्ति । तं जहा-अन्नं अन्नकाले पाणं पाणकाले वत्थं वत्यकाले लेणं लेणकाले सयणं सयणकाले : सपुव्वावरं च णं ण्हाए कण्ठेमालाकडे आविद्धमणिसुवण्णे कप्पियमालामउली पडिवद्धसरीरे वग्धारियसोणिसुत्तगमल्लदामकलावे अहयवत्थपरिहिए चन्दणोक्खित्तगायसरीरे महइमहालियाए कूडागारसालाए महइमहालयंसि सीहासणंसि इत्थीगुम्मसंपरिचुडे सव्वराइएणं जोइणा झियायमाणेणं महयाहयनमृगीयवाइयतन्तीतलतालतुडियघणमुइंगपडुप्पवाइयरवेण उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई -भुजमाणे विहरइ. । तस्स णं एगमवि आणवेमाणस्स जाव चत्तारि - पञ्च जणा अवुत्ता चेव - अन्भुट्ठन्ति । भणह देवाणुप्पिया किं करेमो ? किं आहरेमो ? किं उवणेमो ? कि आचिट्ठामो ? किं में हियं इच्छियं ? किं भे आसगस्स सयइ? तमेव पासित्ता अणारिया एवं वयन्तिदेवे खलु अयं पुरिसे, देवसिणाए. खलु अयं पुरिसे, देवजीवणिजे खलु अय पुरिसे, अन्ने वि य णं उवजीवन्ति । तमेव. “पासित्ता. आरिया वयन्तिअभिकन्तकूरकम्मे खलु अयं पुरिसे अइधुए अइयायरक्खे दाहिंणगामिए नेरइए कनपक्खिए आगमिस्साणं दुलहबोहियाए यावि भविस्सइ। इच्चेयस्स ठाणस्स उहिया वेगे अभिगिज्झन्ति अणुट्ठिया वेगे अभिगिज्झन्ति अभिझंझाउरो अभि. Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु अ० २] सुत्तागमे १५३ गिज्झन्ति । एस ठाणे अणारिए अकेवले अप्पडिपुणणे अणेयाउए असंसुद्धे असलगत्तणे असिद्धिमग्गे अमुत्तिमांगे अनिव्वाणमग्गे अनिजाणमग्गे असव्वदुक्खपहीणमग्गे एगन्तमिच्छे असाहु । एस खलु पढमस्स ठाणस्स अधम्मपक्खस्स विभङ्गे एवमाहिए ॥१७॥६६७॥ अहावरे दोच्चस्स ठाणस्स धम्मपक्खस्स विभङ्गे एवमाहिजइ । इह खलु पाईग वा पडीणं वा उदीणं वा दाहिणं वा सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति । तं जहा-आरिया वेगे अणारिया वेगे उच्चागोया वेगे नीयागोया वेगे कायमन्ता वेगे हस्समन्ता वेगे सुवण्णा वेगे दुवण्णा वेगे सुरूवा वेगे दुरूवा वेगे। तेसि च णं खेत्तवत्थूणि परिग्गहियाई भवन्ति, एसो आलावगो जहा पोण्डरीए तहा नेयव्वो, तेणेव अभिलावेण जाव सव्वोवसन्ता सत्वत्ताए परिनिन्बुडे त्ति बेमि ॥ एस ठाणे आरिए केवले जाव सव्वदुक्खय्पहीणमग्गे एगन्तसम्म साहु । दोच्चस्स ठाणस्स धम्मपक्खस्स विभङ्गे एवमाहिए॥१८॥६६८॥ अहावरे तच्चस्स.ठाणस्स मिस्सगस्स विभङ्गे एवमाहिज्जइ । जे इमे भवन्ति आरणिया आवसहिया गामणियन्तिया कण्हुईरहस्सिया जाव ते तओ विप्पमुच्चमाणा भुजो एलमूयाए तमूयत्ताए पच्चायन्ति। एस ठाणे अणारिए अकेवले जाव असव्वदुक्खपहीणमग्गे एगन्तमिच्छे असाहू । एस खलु तच्चस्स ठाणस्स मिस्सगस्स विभङ्गे एवमाहिए ॥ १९॥ ६६९ ॥ अहावरे पढमस्स ठाणस्स अधम्मपक्खस्स - विभङ्गे एवमाहिज्जइ । इह खलु पाईणं वा ४ सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति-गिहत्था महिच्छा महारम्भा महापरिग्गहा अधम्मिया अधम्माणुया अधम्मिट्ठा अधम्मक्खाई अधम्मपायजीविगो अधम्मपलोई अधम्मपलज्जणा अधम्मसीलसमुदायारा अधम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणा विहरन्ति । हण छिन्द मिन्द विगत्तगा लोहियपाणी चण्डा रुद्दा खुद्दा साहस्सिया उक्कुम्चणवञ्चणमायानियडिकूडकवडसाइसंपओगबहुला दुस्सीला दुव्वया दुप्पडियाणन्दा असाह सव्वाओ पाणाइवायाओ अप्पडिविरयां जावजीवाए जाव सव्वाओ परिग्गहाओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए सव्वाओ कोहाओ जाव मिच्छादसणसल्लाओ अप्पडिविरया, सव्वाओ पहाणुममद्दणवण्णगन्धविलेवणसद्दफरिसरसरूवगन्धमल्लालंकाराओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए. सव्वाओ सगडरहजागजुग्गगिल्लिथिल्लिसियासंदमाणियासंयणासणजाणवाहणभोगभोयंणपवित्थरविहीओ अपडिविरया जावज्जीवाए सव्वाओ कयविक्कयमासद्धमासरूवगसंववहाराओ अप्पडिविरया, जावजीवाए, सव्वाओ हिरण्णसुवण्णधणधन्नमणिमोत्तियसंखसिलप्पवालाओं अप्पडिविरया जावज्जीवाए सव्वाओ कूडतुलकूडमाणाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सव्वाओ आरम्भसमारम्भाओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए सव्वाओ करणकारावाओ अप्पडिविरया Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगडं १५४ जावज्जीवाए सव्वाओ पयणपयावणाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सव्वाओ कुट्टणपिट्टणतज्जणताडणवहबन्धपरिकिलेसाओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए । जे यावण्णे तहप्पगारा सावज्जा अबोहिया कम्मन्ता परपाणपरियावणकरा जे अणारिएहि कजन्ति तओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए । से जहानामए केइ पुरिसे कलममसूरतिलमुग्गमासनिप्फावकुलत्थआलिसन्दगपलिमन्थगमादिएहि अयन्ते कूरे मिच्छादण्डं पउञ्जन्ति, एवमेव तहप्पगारे पुरिसजाए तित्तिरवट्टगलावगकवोयकविक्षलमियमहिसवराहगाहगोहकुम्मसिरिसिवमादिएहिं अयन्ते कूरे मिच्छादण्डं पउञ्जन्ति जा वि य से बाहिरिया परिसा भवइ, तं जहा-दासे इ वा पेसे इ वा भयए इ वा भाइल्ले इ वा कम्मकरए इ वा भोगपुरिसे इ वा तेसिं पि य णं अन्नयरंसि अहालहुगंसि अवराहसि सयमेव गस्यं दण्डं निवत्तेइ । तं जहा-इमं दण्डेह इमं मुण्डेह इमं तजेह इमं तालेह इमं अदुयबन्धगं करेह इमं नियलवन्धणं करेह इमं हड्डिबन्धणं करेह इमं चारगबन्धणं करेह इमं नियलजुयलसंकोचियमोडियं करेह इमं हत्थच्छिन्नयं करेह इमं पायच्छिन्नयं करेह इमं कण्णछिन्नयं करेह इमं नकओट्ठसीसमुहच्छिन्नयं करेह वेयगच्छहियं अगच्छहियं पक्खाफोडियं करेह इमं नयणुप्पाडियं करेह इमं दंसणुप्पाडियं वसणुप्पाडियं जिन्भुप्पाडियं ओलम्बियं करेह घसियं करेह घोलियं करेह सूलाइयं करेह सूलाभिन्नयं करेह खारवत्तियं करेह वज्झवत्तियं करेह सीहपुच्छियगं करेह वसभपुच्छियगं करेह दवग्गिदढयङ्गं कागणिमंसखावियङ्गं भत्तपाणनिरुद्ध इमं जावजीवं वहबन्धणं करेह इमं अन्नयरेण असुभेणं कुमारेणं मारेह । जा वि य से अन्भिन्तरिया परिसा भवइ, तं जहा-माया इ वा पिया इ वा भाया इ वा भगिणी इ वा भजा इ वा पुत्ता इ वा धूया इ वा सुण्हा इवा, तेर्सि पि य ण अन्नयरंसि अहालहुगंसि अवराहसि सयमेव गरुयं दण्डं निवत्तेइ, सीओदगवियर्डसि उच्छोलित्ता भवइ जहा मित्तदोसवत्तिए जाव अहिए परंसि लोगंसि । ते दुक्खन्ति सोयन्ति जूरन्ति तिप्पन्ति पिट्टन्ति परितप्पन्ति ते दुक्खणसोयणजूरणतिप्पणपिट्टणपरितप्पणवहबन्धणपरिकिलेसाओ अप्पडिविरया भवन्ति । एवमेव ते इत्थिकामेहि मुच्छिया गिद्धा गढिया अज्झोववन्ना जाव वासाइं चउपञ्चमाइं छद्दसमाई वा अप्पयरो वा भुजयरो वा कालं भुजित्तु भोगभोगाइं पविसुइत्ता वेराययणाई संचिणित्ता वहुई पावाई कम्माइं उस्सन्नाई संभारकडेण कम्मुणा से जहानामए अयगोले इवा सेलगोले इ वा उदगंसि पक्खित्ते समाणे उदगयलमइवइत्ता अहे धरणियलपइट्ठाण भवइ, एवमेव तहप्पगारे पुरिसजाए वजबहुले धूयबहुले पड्कबहुले वेरबहुले अप्पत्तियबहुले दम्भबहुले नियडिवहुले साइबहुले अयसबहुले उस्सन्नतसपाणघाई कालमासे Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० २] सुत्तागमे १५५ कालं किच्चा धरणियलमइवइत्ता अहे नरंगयलपइट्टाणे भवइ ॥२०॥६७०॥ ते णं नरगा अन्तो वट्टा बाहिं चउरंसा अहे खुरप्पसंठाणसंठिया निबन्धकारतमसा ववगयगहचन्दसूरनक्खत्तजोइंसप्पहा - मेदवसामसरुहिरपूयपडलचिक्खिल्ललित्ताणुलेवणयला असुई वीसा परमदुन्भिगन्धा कण्हा अगणिवण्णाभा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभा नरएसु वेयणाओ॥ नो चेव नरएसु नेरइया निहायन्ति वा पयलायन्ति वा सुई वा रइं वा घिई वा मइं वा उचलभन्ते । ते णं तत्य उज्जलं विउलं पगाढं कड्डयं ककसं चण्डं दुक्खं दुग्गं तिब्वं दुरहियासं नेरइया वेयणं पञ्चणुभवमाणा विहरन्ति ॥ २१ ॥६७१ ॥ से जहानामए रुक्खे सिया पव्वयग्गे जाए मूले छिन्ने अग्गे गरुए जओ निण्णं जओ विसमं जओ दुग्गं तओ पवडइ, एवामेव तहप्पगारे पुरिसजाए गम्भाओ गभं जम्माओ जम्मं माराओ मारं नरगाओ नरगं दुक्खाओ दुक्खं दाहिणगामिए नेरइए कण्हपक्खिए आगमिस्साणं दुलहबोहिए यावि भवइ । एस ठाणे अणारिए अकेवले जाव असव्वदुक्खपहीणमग्गे एगन्तमिच्छे असाहू । पढमस्स ठाणस्स अधम्मपक्खस्स विभने एवमाहिए ॥ २२ ॥ ६७२ ।। अहावरे दोच्चस्स- ठाणस्स धम्मपक्खस्स विभने एवमाहिज्जइ । इह खलु पाईणं वा ४ सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति । तं जहा-अणारम्भा अपरिग्गहा. धम्मिया धम्माणुगा धम्मिट्ठा जाव धम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणा विहरन्ति, मुसीला सुन्वया सुप्पडियाणन्दा सुसाहू सव्वाओ पाणाइवायाओ पडिविरया जावज्जीवाए जाव जे यावने तहप्पगारा सावजा अवोहिया कम्मन्ता परपाणपरियावणकरा कज्जन्ति तओ वि पडिविरया जावज्जीवाए ॥ से जहानामएअणगारा भगवन्तो इरियासमिया भासासमिया एसणासमिया' आयाणभण्डमत्तनिक्खेवणसमिया उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपरिट्ठावणियासमिया मणसमियो वयसमिया कायसमिया मणगुत्ता वयगुत्ता कायगुत्ता गुत्ता गुत्तिन्दिया गुत्तवम्भयारी अकोहा अमाणा अमाया अलोभा सन्ता पसन्ता उवसन्ता परिनिव्वुडा अणासवा अग्गन्था छिन्नसोया निरुवलेवा कंसपाइव्व मुक्कतोया संखो इव निरक्षणा जीव इव अपडिहयगई गगणतलं पिव निरालम्बणा वाउरिव अपडिवद्धा सारदसलिलं व सुद्धहियया पुक्खरपत्तं व निस्वलेवा कुम्मो इव गुत्तिन्दिया विहग इव विप्पमुक्का खग्गिविसाणं व एगजाया भारुण्डपक्खी व अप्पमत्ता कुञ्जरो इव सोण्डीरा वसभो इव जायत्यामा सीहो इव दुद्धरिसा मन्दरो इव अप्पकम्पा सागरो इव गम्भीरा चन्दो इव सोमलेसा सूरों इव दित्ततेया जच्चकवणगं व जायरूवा वसुंधरा इव सञ्चफासविसहा सहुययासणो विय तेयसा जलन्ता । नत्थि णं तेसिं भगवन्ताणं Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५६ सुत्तागमे [ सूयगड कत्थ वि पडिबन्धे भवइ । से पडिवन्धे चउव्विहे पन्नत्ते । तं जहा - अण्डए इ वा पोयए इ वा उग्गहे इ वा पग्गहे इ वा जं णं जं णं दिसं इच्छन्ति तं णं तं णं दिसं अपडिवद्धा सुइभूया लहुभूया अप्परगन्था संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरन्ति ॥ तेसिं णं भगवन्ताणं इमा एयारूवा जायामायावित्ती होत्या । तं जहांचउत्थे भत्ते छट्टे भत्ते अट्ठमे भत्ते दसमे भत्ते दुवालसमे भत्ते चउदसमे भत्ते अद्धमासिए भत्ते मासिए भत्ते दोमासिए तिमासिए चाउम्मासिए पञ्चमासिए छम्मासिए अदुत्तरं च णं उक्खित्तचरया निक्खित्तचरया उक्खित्तनिक्खित्तचरया अन्तचरगा पन्तचरगा लहुचरगा समुदाणचरगा संसट्टचरगा असंसट्टचरगा तज्जायसंसहचरगा दिट्ठलाभिया अदिट्ठलाभिया पुट्ठलाभिया अपुट्ठलाभिया भिक्खलाभिया अभिक्खलाभिया अन्नायचरंगा उवनिहिया संखादत्तिया परिमियपिण्डवाड्या सुद्धेसणिया अन्ताहारा पन्ताहारा अरसाहारा विरसाहारा लहाहारा तुच्छाहारा अन्तजीवी पन्तजीवी आयम्बिलिया पुरिमडिया निव्विगइया अमज्जमंसारिणो नो नियामरसभोई ठाणाइया पडिमाठाणाइया उक्कडुआसणिया नेसज्जिया वीरासणिया दण्डायझ्या लगडसाइणो अप्पाउडा अगत्तया अकण्डया अणिहा ( एवं जहोववाइए.) धुयकेसमंसुरोमनहा सव्वगायपडिकम्मविप्पमुक्का चिट्ठन्ति । ते णं एएणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाईं सामन्नपरियागं पाउणन्ति २ बहुवहु आवाहंसि उप्पन्नंसि वा अणुप्पन्नंसि वा बहूई भत्ताई पच्चक्खन्ति पच्चक्खाइत्ता बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेन्ति, अणसणाए छेदित्ता जस्साए कीरइ थेरकप्पभावे जिणकप्पभावे मुण्डभावे अण्हाणभावे अदन्तवणगे अछत्तए अगोवाहणए भूमिसेजां फलगसेज्जा कट्टसेज्जा केसलोए बम्भचेरवासे परघरपवेसे लद्धावल माणावमाणणाओ हीलणाओ निन्दणाओ खिंसणाओ गरहणाओ तजणाओ तालणाओ उच्चावया गामकण्टगा बावीसं परीसहोवसग्गा अहियासिज्जन्ति तमहं आराहेन्ति तमहं आराहित्ता चरमेहिं उस्सासनिस्सासेहिं अणन्तं अणुत्तरं निव्वाघायं निरावरणं कसिणं पडिपुण्णं केवलवरनाणदंसणं समुप्पाडेन्ति, समुप्पाडित्ता तओ पच्छा सिज्झन्ति वुज्झन्ति मुञ्चन्ति परिणिव्वायन्ति सव्वदुक्खाणं अन्तं करन्ति । एगच्चाए पुण एगे भयन्तारो भवन्ति, अवरे पुण पुव्वकम्नावसेसेणं कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएस देवत्ताए उववत्तारो भवन्ति । तं जहा - महट्टिएस महजुइएस महापरक्कमेसु महाजसेसु महाबले महाणुभावेनु महामुक्खेसु । ते णं तत्थ देवा भवन्ति महड्डिया महजुइया जाव महासुक्खा हारविराझ्यवच्छा कडगतुडियथम्भियभुया अभयकुण्डलमट्टगण्डयलकण्णपीढधारी विचित्तहत्याभरणा विचित्तमालामउलिमउडा काण गन्धपवरवत्थपरिहिया कल्लाणग Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० २ ] सुत्तागमे पवरमल्लाणुलेवणधरा भासुरबोंदी पलम्बवणमालाधरा दिव्वेणं रुवेणं दिव्वेणं वण्णेणं दिव्वेणं गन्धेणं दिव्वेगं फासेणं दिव्वेगं संघाएणं दिव्वेणं संठाणेणं दिव्वाए इड्डीए दिव्वाए जुईए दिव्वाए पभाए दिव्वाए छायाए दिव्वाए अच्चाए दिव्वेणं तेएणं दिव्वाए बेसाए दस दिसाओ उज्जोवेमाणा पभासेमाणा गइकळाणा ठिइकल्लाणा आगमेसिभद्दया यावि भवन्ति । एस ठाणे आरिए जाव सव्वदुक्खपहीणमग्गे एगन्तसम्म सुसाहू । दोच्चस ठाणस्स धम्मपक्खस्स विभने एवमाहिए ॥ २३ ॥ ६७३ ॥ अहावरे तस ठाणस्स मीसगस्सविभने एवमाहिजइ । इह खलु पाईणं वा ४ सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति । तं जहां- अप्पिच्छा अप्पारम्भा अप्पपरिग्गहा धम्मिया धम्माया जाव धम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरन्ति सुसीला सुव्वया सुपडियाणन्दा साह एगचाओ पाणाइवायाओ पडिविरया जावजीवाए एगचाओ अपडिरिया जाव जे यावन्ने तहप्पगारा सावजा अवोहिया कम्मन्ता परपाणपरितावणकरा कज्जन्ति तओ वि एगचाओ अप्पडिविरया । से जहानामए समणोवासंगा भवन्ति अभिगयजीवाजीवा उवलद्वपुण्णपावा आसवसंवरवेयणानिज्जराकिरियाहिगरणबन्धमोक्खकुसला असहेजदेवासुरनागसुवण्णजक्खरक्खस किंनर किंपुरिसगरुलगन्धव्वमहोरगाइएहिं देवगणेहिं निग्गन्याओ पावयणाओं अगइक्कमणिजा, इणमेव निग्गन्थे पावयणे निस्संकिया निक्कंखिया निव्विइगिच्छा लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा अभिगयट्ठा अट्ठिमि पेम्माणुरागरता । अयमाउसो निग्गन्थे पावयणे अट्ठे अयं परमट्ठे सेसे अगट्ठे उसियफलिहा अवगुयंदुवाराअचियत्तन्तेउरपरघरपवेसा चाउद्दसमुद्दिद्वपुष्णिमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्मं अणुपालेमाणा समणे निग्गन्धे फासुएसणिज्जेगं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थपडिग्गहकम्बलपायपुञ्छणेणं ओसहभेसजेगं पीठफलगसेज्जासन्थारएणं पडिलाभेमाणा वहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पागं भावेमाणा विहरन्ति ॥ ते णं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा वहुईं वासाईं समणोवासगपरियागं पाउणंति पाउणित्ता आबाहंसि उप्पण्णंसि वा, अणुप्पण्णंसि वा बहूई भत्ताई अणसणाए पच्चक्खाएन्ति बहूई भत्ताईं अणसणाए पच्चक्खाएत्ता बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेन्ति चहूई भत्ताई अणसणाए छेइत्ता आलोइयपडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किंचा अन्नयरेसु देवलोएस देवत्ताए उचवत्तारो भवति, तंजहा - महढिएस महज्जुइएस जाव महासोक्खे से तहेव जाव एसठ्ठाणे आयरिए जाव एगंतसम्मे साहू तचस्स ठाणस्स मीसगस्स विभंगे एवमाहिए ॥ २४ ॥ ६७४ ॥ अविरइं पहुंच वाले आहिजइ विरई पच पंडिए आहिज्जइ विरयाविरइं पहुच बालपंडिए आहिज्जर, तत्यगं 1 १५७ Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [. सूयगड जा सा सव्वओ अविरइ एसठ्ठाणे आरंभठ्ठाणे अणारिए जाव असन्वदुक्खप्पडीणमग्गे एगंतमिच्छे असाहू, तत्थणं जा सा सव्वओ विरइ एसठाणे अणारंभठ्ठाणे आरिए जाव सव्वदुक्खप्पहीणसग्गे एगंतसम्मे साहू, तत्थणं जा सा सव्वओ विरयाविरइ एसठ्ठाणे आरंभणोरंआभठ्ठाणे एसठ्ठाणे आरिए जाव सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे एगंतसम्मे साहू ।। २५ ।। ६७५ ।। एवमेव समणुगम्ममाणा इमेहिं चैव दोहिं ठाणेहिं समोअरंति, तंजहा - धम्मे चेव अधम्मे चेव, उवसंते चेव अणुवसंते चेव, तत्थणं जे से पढमठ्ठाणस्स अधम्मपक्खस्स विभंगे एवमाहिए तरसणं इमाई तिन्नि तेवठ्ठाइं पावादुयसयाईं भवतीति मक्खायाई, तंजहा - किरियावाईणं अकिरियावाईणं अन्नाणियवाईणं वेणइयवाईणं तेवि परिनिव्वाणमाहंसु तेवि परिमोक्खमाहंसु तेवि लवंति सावगा बिलवंत सावइत्तारो ॥ २६ ॥ ६७६ ॥ ते सव्वे पावाडया आइगरा धम्माण णाणापन्ना णाणाछंदा णाणासीला णाणादिठ्ठी णाणारुई णाणारंभा णाणाज्झवसाणसंजुत्ता एगं महं मंडलिबंधं किच्चा सव्वे एगओ चिठ्ठति ॥ २७ ॥ ६७७ ॥ पुरिसेय सागणियाणं इंगालाणं पाईं बहुपडिपुन्नं अओमएणं संडासएणं गहाय ते सव्वे पावाउए आइगरा धम्माणं णाणापन्ना जाव णाणाज्झवसाणसंजुत्ते एवं वयासी-हंभो पावाउया आइगरा धम्माणं णाणापन्ना जाव णाणाअज्झवसाणसंजुत्ता इमं ताव तुब्भे सागणियाणं इंगालाणं पाईं बहुपडिपुन्नं गहाय मुहुत्तयं २ पाणिणा धरेह णो बहुसंडा - सगं संसारियं कुज्जा, णो वहुअग्गियंभणियं कुजा णो बहु साहम्मियवेयावडियं कुजा णो बहु परधम्मियवेयावडियं कुज्जा, उज्जुया णियागपडिवन्ना अमायं कुव्वमाणा पाणि पसारेह इतिबुच्चा से पुरिसे तेसिं पावादुयाणं तं सागणियाणं इंगालाणं पाईं बहुपडिपुन्नं अउमएणं संडासएणं गहाय पाणिंसु णिसिरति तएणं ते पावादुया आइगरा धम्माणं णाणापन्ना जाव णाणाज्झवसाणसंजुत्ता पाणिं पडिसाहरंति तएणं से पुरिसे ते सव्वे पावाउए आइगरे धम्माणं जाव णाणाज्झवसाणसंजुत्ता एवं वयासी हंभो ! पावादुया आइगरा धम्माणं णाणापन्ना जाव णाणाज्झवसाणसंजुत्ता कम्हाणं तुब्भे पाणिं पडिसाहरह पाणिं णो डहिजा, दड्ढे किं भविस्सइ दुक्खं दुक्खं ति मण्णमाणा पडिसाहरह एस तुला एसप्पमाणे एस समोसरणे पत्तेयं तुला पत्तेयं पमाणे पत्तेयं समोसरणे तत्थणं जे ते समणा माहणा एवमाइक्खंति, जाव परूवेंति सव्वे पाणा जाव सत्ता हतव्या अजावेयव्वा परिघेतव्वा परियावेयव्वा किलामेयव्वा उडवेयव्वा ते आगंतु छेयाए ते आगंतु भेयाए जाव ते आगंतु जाइजरामरणजोणिजम्मणसंसारपुणन्भवगव्भवासभवपर्वचकलंकलीभागिणो भविस्संति, ते बहूणं दंडणाणं बहूणं मुंडगाणं तजगाणं तालणाणं अंदुबंधणाणं जाव घोलणाणं माइमरणाणं पिइमरणाणं १५८ Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० भ०३] सुत्तागमे १५९ भाइमरणाणं भगिणीमरणाणं भजापुत्तधूयासुण्हामरणाणं दारिदाणं दोहग्गाणं अप्पियसंवासाणं पियविप्पओगाणं वहणं दुक्खदोमणस्साणं आभागिणो भविस्संति अणादियं चणं अणवयग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं भुजो भुजो अणुपरियट्टिस्संति ते णो सिज्झिस्संति णो बुज्झिस्संति जाव णो सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति एस तुला एस पमाणे एस समोसरणे पत्तेयं तुला पत्तेयं पमाणे पत्तेयं समोसरणे । तत्थ णं जे ते समणा माहणा एवमाइक्खन्ति जाव परूवेन्ति । सव्वे पाणा सव्वे भूया सव्वे जीवा सव्वे सत्ता न हन्तव्वा न अजावेयव्वा न परिघेयव्वा न उद्दवेयव्वा ते नो आगन्तुच्छेयाए ते नो आगन्तुभेयाए जाव जाइजरामरणजोणिजम्मणसंसारपुणब्भवगब्भवासभवपवंचकलंकलीभागिणो भविस्सन्ति, जाव अणाइयं च णं अणवयग्गं दीहमद्धं चाउरन्तसंसारकन्तारं भुज्नो भुज्जो नो अणुपरियटिस्सन्ति, ते सिज्झिस्सन्ति जाव सव्वदुक्खाणं अन्तं करिस्सन्ति ॥ २८ ॥ ६७८ ॥ इच्चेएहिं बारसहि किरियाठाणेहिं वट्टमाणा जीवा नो सिज्झिसु नो बुज्झिसु नो मुच्चिसु नो परिणिव्वाइंसु जाव नो सव्वदुक्खाणं अन्तं करेंसु वा नो करेन्ति वा नो करिस्सन्ति वा । एयंसि चेव तेरसमे किरियाठाणे वट्टमाणा जीवा सिज्झिसु वुझिसु मुच्चिसु परिणिव्वाइंसु जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा करंति वा करिस्संति वा । एवं से भिक्खू आयट्ठी आयहिए आयगुत्ते आयजोगे आयपरक्कमे आयरक्खिए आयाणुकम्पए आयणिप्फेडए आयाणमेव पडिसाहरेजासि त्ति बेमि किरियाटाणज्झयणं बिइयं ॥२९॥६७९॥ आहारपरिन्नज्झयणे तइये सुयं मे आउसं! तेणं भगवया एवमक्खायं । इह खलु आहारपरिन्ना नामज्झयणे तस्स णं अयमढे । इह खलु पाईणं वा ४ सव्वओ सव्वावंति य णं लोगंसि चत्तारि बीयकाया एवमाहिति । तं जहा-अग्गबीया मूलबीया पोरवीया खंधवीया । तेसिं च णं अहाबीएणं अहावगासेणं इहेगइया सत्ता पुढवीजोणिया पुढवीसंभवा पुढवीवुकमा तज्जोणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोवगा कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा नाणाविहजोणियासु पुढवीसु रुक्खत्ताए विउद्देति ॥ ते जीवा तेसिं नाणाविहजोणियाणं पुढवीणं सिणेहमाहारेति । ते जीवा आहारेंति पुढवीसरीरं आउसरीरं तेउसरीरं वाउसरीरं वणस्सइसरीरं । नाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरं अचित्तं कुव्वंति परिविद्धत्यं । तं सरीरं पुवाहारियं तयाहारियं विपरिणयं सारूवियकडं संतं । अवरे वि य णं तेसिं पुढविजोणियाणं रुक्खाणं सरीरा नाणावण्णा नाणागंधा नाणारसा Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगर्ड नाणाफासा नाणासंठाणसंठिया नाणाविहसरीरपुग्गलविउव्विया ते जीवा कम्मोववनगा भवन्तीति मक्खायं ॥ १॥ ६८० ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता रुक्खजोणिया रुक्खसंभवा रुक्खवुकमा तज्जोणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोवगा कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा पुढवीजोणिएहिं रक्खेहि रुक्खत्ताए विउम॒ति । ते जीवा तेसि पुढवीजोणियाणं रुक्खाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा आहारेंति पुढवीसरीरं आउतेउवाउवणस्सइसरीरं नाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरं अचित्तं कुव्वंति परिविद्धत्यं । तं सरीरं पुवाहारियं तयाहारियं विप्परिणामियं सारूवियकडं सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं रुक्खजोणियाणं रुक्खाणं सरीरा नाणावण्णा नाणागन्धा नाणारसा नागाफासा नाणासंठाणसंठिया नाणाविहसरीरपुग्गलविउव्विया ते जीवा कम्मोववनगा भवन्तीति मक्खायं ॥ २ ॥ ६८१ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता रुक्खजोणिया रुक्खसंभवा रुक्खवुकमा तज्जोणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोवगा कम्मणियाणेणं तत्थवुकमा रुक्खजोणिएसु रुक्खत्ताए विउद्घति, ते जीवा तेसिं रुक्खजोणियाण रुक्खाणं सिणेहमाहारेंति ते जीवा आहारेंति, पुढवीसरीरं आउतेउवाउवणस्सइसरीरं तसथावराणं पाणाणं सरीरं अचित्तं कुव्वंति परिविद्धत्थं तं सरीरं पुव्वाहारियं तयाहारियं विपरिणामियं सारूवियकडं संतं अवरेवि य णं तेसिं रुक्खजोणियाणं रुक्खाणं सरीरा णाणावण्णा जाव ते जीवा कम्मोववन्नगा भवंति त्ति मक्खायं ॥ ३ ॥ ६८२ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता रुक्खजोणिया रुक्खसंभवा रुक्खवुकमा तज्जोणिया तस्संभवा तदुवक्कमा कम्मोवगा कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा रुक्खजोणिएसु रुक्खेसु मूलत्ताए कंदत्ताए, खंधत्ताए तयत्ताए सालत्ताए पवालत्ताए पत्तत्ताए पुप्फत्ताए फलत्ताए बीयत्ताए विउदंति ते जीवा तेसि रुक्खजाणियाणं रुक्खाणं सिणेहमाहारेति ते जीवा आहारेंति पुढवीसरीरं आउतेउवाउवणस्सई णाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरं अचित्तं कुव्वंति परिविद्धत्थं त सरीरगं जाव सारूवियकडं संतं अवरेवियणं तेसिं रुक्खजोणियाणं मूलाणं कदाण खंधाणं तयाणं सालाणं पवालाणं जाव बीयाणं सरीरी णाणावण्णा णांणागंधा जाव णाणाविहसरीरपुग्गलविउव्विया ते जीवा कम्मोववनगा भवंति त्ति मक्खाय ॥ ४ ॥ ६८३ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता रुक्खजोणिया रुक्खसंभवा रुक्वकमा तज्जोणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोववन्नगा कम्मनियाणेणं तत्थुवकमा रुक्सजोणिएहिं रुक्खेहिं अज्झारोहत्ताए विउद्देति ते जीवा तेसिं रुक्खजोणियाण रक्खागं सिणेहमाहारेति ते जीवा आहारेंति पुढवीसरीरं जाव सारूवियकर्ड सत अवरेवि य णं तेसिं खजोणियागं अज्झारुहाणं सरीराणाणावण्णा जाव मक्खाय Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० ३ ] सुत्तागमे 963 ॥ ५ ॥ ६८४ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता अज्झारोहजोणिया अज्झारोहसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्थ वुक्कमा रुक्खजोगिएसु अज्झारोहेसु अज्झारोहत्ताए विउति ते जीवा तेसिं रुक्खजोणियाणं अज्झारोहाणं सिणेहमाहारेंति ते जीवा आहारेंति पुढवीसरीरं जाव सारुवियकडं संतं अवरेवि य णं तेसि अज्झारोहजोणियाणं अज्झारोहाणं सरीरा णाणावण्णा जावमक्खायं ॥ ६ ॥ ६८५ ॥ अहावरं पुरखायं इहेगइया सत्ता अज्झारोहजोणिया अज्झारोहसंभवा जाव कम्मनियाणं तत्थ वुक्कमा अज्झारोहजोणिएसु अज्झारोहत्ताए विउति ते जीवा तेसिं अज्झारोहजोणियाणं अज्झारोहाणं सिणेहमाहारेति ते जीवा आहारेंति - पुढविसरीरं आउसरीरं जाव सारुवियकडे संतं अवरेवि य णं तेसि अज्झारोह जोणियाणं अज्झारोहाणं सरीरा णाणावण्णा जावमक्खायं ॥ ७ ॥ ६८६ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता अज्झारोहजोणिया अज्झारोहसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुक्कमा अज्झारोहजोणिएसु अज्झारोहेसु मूलत्ताए जाव बीयत्ताए विउति ते जीवा तेसिं अज्झारोहजोणियाणं - अज्झारोहाणं सिणेहमाहारेंति जाव अवरेवि य णं तेसिं अज्झारोहजोणियाणं मूलाणं जाव बीयाणं सरीरा णाणावण्णा जामखायं ॥ ८ ॥ ६८७ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता पुढविजोणिया पुढविसंभवा जाव णाणाविह जोणियासु पुढवीसु तणत्ताए विउति ते जीवा तेसिं णाणाविहजोणियाणं पुढवीणं सिणेहमाहारेंति जाव ते जीवा कम्मोववन्ना भवंति त्ति मक्खायं - एवं पुढविजोणिएसु तणेसु तणत्ताए विउट्टंति जाव मक्खायं - एवं तणजोणिएसु तणेसु तणत्ताए विउट्टंति तणजोणियं तणसरीरं च आहारेंति, जावमक्खायं - एवं तण जोणिएस तणेसु मूलत्ताए जाव बीयत्ताए विउट्टंति ते जीवा जाव एवमक्खायं - एवं ओसहीणं वि चत्तारि आलावगा - एवं हरियाणवि चत्तारि आलावगा ॥ ९-१० ॥ ६८८- ६८९ || अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता पुढवीजोणिया पुढविसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्यवुक्कमा नाणाविहजोणियासु पुढवीसु आयत्ताए वायत्ताए कायत्ताए कूहणत्ताए कन्दुकत्ताए उव्वेणियत्ताए निव्वेहणियत्ताए सछत्ताए छत्तगत्ताए वासाणियत्ताए कूरत्ताए विट्टन्ति । ते जीवा तेर्सि नाणाविहजोणियाणं पुढवीणं सिणेहमाहारेन्ति । ते वि जीवा आहारेन्ति पुढविसरीरं जावसन्तं । अवरे वि य णं तेसिं पुढविजोणियाणं आयत्ताणं जाव कुराणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं । एगो चेव आलावगो सेसा तिण्णि नत्थि । अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता उदगजोणिया उदगसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुक्कमा नाणाविह जोणिएस उदए रुक्खत्ताए विट्टन्ति । ते जीवा तेसिं नाणाविहजोणियाणं ११ सुत्ता० Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२ सुत्तागमे [ सूयगड उद्गाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढविसरीरं जाव सन्तं । अवरे वि य णं तेसि उदगजोणियाणं रुक्खाणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं । जहा पुढविजोणियाणं रुक्खाणं चत्तारि गमा अज्झारुहाण वि तहेव, तणाणं ओसहीणं हरियागं चत्तारि आलावगा भाणियव्वा एकेके, अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता उदगजोणिया उदगसम्भवा जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुक्कमा नाणाविहजोणिएसु उदएस उदगत्ताए अवगत्ताए पणगत्ताए सेवालत्ताए कलम्बुगत्ताए हडत्ताए कसेरुगत्ताए कच्छभाणियत्ताए उप्पलत्ताए पउमत्ताए कुमुयत्ताए नलिणत्ताए सुभगत्ताए सोगन्धियत्ताए पोण्डरीयमहापोण्डरीयत्ताए सयपत्तत्ताए सहस्सपत्तत्ताए एवं कल्हारकोकणयत्ताए अरविन्दत्ताए तामरसत्ताए भिसभिसमुणालपुक्खलत्ताए पुक्खलच्छिभगत्ताए विट्टन्ति । ते जीवा तेसि नाणाविहजोणियाणं उदगाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढवीसरीरं जाव सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं उदगजोणियाणं उदगाणं जाव पुक्खलच्छिभगाणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं । एगो चेव आलावगो ॥ ११ ॥ ६९० ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता तेसि चेव पुढवीजोणिएहिं रुक्खेहि रुक्खजोणिएहिं रुक्खेहि रुक्खजोणिएहिं मूलेहिं जाव बीएहिं, रुक्खजोणिएहि अज्झारोहेहिं अज्झारोहजोणिएहिं अज्झारोहेहिं अज्झारोहजोणिएहिं मूलेहि जाव वीएहिं, पुढविजोणिएहि तणेहिं तणजोणिएहिं तणेहि तणजोणिएहिं मूलेहिं जाव बीएहिं । एवं ओसहीहि वि तिणि आलावगा एवं हरिएहि वि तिगि आलावगा । पुढविजोणिएहि वि आएहिं काएहिं जाव कुरेहिं उदगजोणिएहि स्क्खेहिं रुक्खजोणिएहिं रुक्खेहिं रुक्खजोणिएहिं मूलेहिं जाव बीएहिं एवं अज्झारोहेहि वि तिण्णि । तणेहिं पि तिण्णि आलावंगा । ओसहीहिं पि तिण्णि, हरिएहिं पि तिण्णि, उदगजोणिएहिं, उदएहिं अवएहिं जाव पुक्खलच्छिभएहिं तसपाणत्ताए विउट्टन्ति ॥ ते जीवा तेसिं पुढवीजोणियाणं उदगजोणियाणं स्क्खजोणियाणं अज्झारोहजोणियाणं तणजोणियाणं ओसही जोणियाणं हरियजोणियाणं स्क्खाणं अज्यारोहाणं तणाणं ओसहीणं हरियाणं मूलाणं जाव बीयाणं आयाणं कायागं जाव कुरवागं [कुराणं] उदगाणं अवगाणं जाव पुक्खलच्छिभगाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढवीसरीरं जाव सन्तं। अवरे वि य णं तेसि रुक्खजोणियाणं अज्झारोहजोणियाणं तणजोणियाणं ओसहिजोणियाणं हरियजोणियाणं मूलजोणियाणं कन्दजोणियाणं जाव बीयजोणियाणं आयजोणियागं कायजोणियाणं जाव कूरजोणियाणं उदगजोणियाणं अवगजोणियाणं जाव पुक्खलच्छिभगजोणियाणं तसपाणाणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं ॥ १२ ॥ ६९१ ॥ अहावरं पुरक्खायं नाणाविहाणं मणुस्साणं । तं जहा- कम्मभूम Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० ३] सुत्तागमे १६३ गाणं अकम्मभूमगाणं अन्तरदीवगाणं आरियाणं मिलक्खुयाणं । तेसिं च णं अहाबीएगं अहावगासेणं इत्थीए पुरिसस्स य कम्मकडाए जोणिए एत्थ णं मेहुणवत्तियाए (व) नामं संजोगे समुप्पज्जइ । ते दुहओ वि सिणेहं संचिणन्ति । तत्थ णं जीवा इत्थि - त्ताए पुरिसत्ताए नपुंसगत्ताएं विउट्टन्ति, ते जीवा माओउयं पिउसुक्कं तं तदुभयं संस कटुसं किव्विसं तं पढमत्ताए आहारमाहारेंति तओ पच्छा जं से माया णाणाविहाओ रसविहीओ आहारमाहारेंति तओ एगदेसेणं ओयमाहारैति अणुपुव्वेण बुड्ढा पलिपागमणुपवना तओ कायाओ अभिनिवट्टमाणा इत्थि वेगया जणयंति पुरिसं वेगया जणयंति, णपुंसगं वेगया जगयंति, ते जीवा डहरा समाणा माउक्खीरं सप्पि आहारेंति आणुपुव्वेगं बुड्ढा ओयणं कुम्मासं तसथावरे य पाणे ते जीवा आहारैति पुढविसरीरं जाव सारुवियक संत अवरेवि य णं तेसिं णाणाविहाणं मणुस्सगाणं कम्मभूमगाणं अकम्मभूमगाणं अंतरदीवगाणं आरियाणं मिलक्खूणं सरीरा णाणावण्णा भवंति मक्खायं ॥ ६९२ ॥ अहावरं पुरक्खायं णाणाविहाणं जलचराणं पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं, तंजहा-मच्छाणं जाव सुंसुमाराणं तेसिं च णं अहावीएणं अहावगासेणं इत्थी पुरिसस्स य कम्मकडा तहेव जाव तओ पच्छा एगदेसेणं ओयमाहारेंति आणुपुव्वेणं चुड्ढा पलिपागमणुपवन्ना तओ कायाओ अभिनिवट्टमाणा अंडं वेगया जयंति पोयं वेगया जणयंति, से अडे उब्भिजमाणे इत्थि वेगया जणयंति, पुरिसं वेगया जगयंति, णपुंसगं वेगया जणयंति, तें जीवा डहरा समाणा आउसिणेहमाहारेति, आणुपुव्वेणं बुड्ढा वर्णस्सइकायं तसथावरे य पाणे ते जीवा आहारेंति पुढविसरीरं जाव संतं अवरेवि य णं तेसि णाणाविहाणं जलचरपंचिंदियति रिक्खजोणियाणं मच्छागं सुंसुमाराणं सरीरा णाणावण्णा जावमक्खायं ॥ ६९३ ॥ अहावरं, पुरक्खायं णाणाविहाणं चरप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं तंजहा एगखुराणं दुखुराणं गंडीपदाणं सणप्पयाणं तेसिं चणं अहाबीएणं अहावगासेणं इत्थिपुरिसस्स य कम्म जाव मेहुणवत्तिए णामं संजोगे समुप्पज्जइ ते दुहओ सिणेहं संचिणंति तत्थणं जीवा इत्यत्ताए पुरिसत्ताए जाव विउति ते जीवा माउओयं पिउक्कं एवं जहा माणुस्साणं इत्थि वेगया जणयंति पुरिसंपि नपुंसगंपि ते जीवा डहरा समाणा माउक्खीरं सप्पि आहारेंति आणुपुव्वेगं बुड्ढा वणस्सइकार्यं तस्थावरे य पाणे ते जीवा आहारैति पुढविसरीरं जाव संतं अवरेवि य णं. तेसिं णाणाविहाणं चउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं एगखुराणं जाव सणप्पयाणं सरीरा णाणावण्णा जावमक्खायं ॥ ६९४ ॥ अहावरं पुरक्खायं णाणाविहाणं उरपरिसप्पथलयरपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं तंजहा - अहीणं अयगराणं आसालियाणं महोरगाणं तेसिं च Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ सुत्तागमे [सूयगडं गं अहावीएणं अहावगासेणं इत्थीए पुरिसस्स जाव एत्थणं मेहुणे एवं तं चेव नाणत्तं अंडं वेगझ्या जणयंति पोयं वेगइया जणयंति से अंडे उब्भिजमाणे इस्थि वेगइया जणयंति पुरिसंपि णपुंसगंपि, ते जीवा डहरा समाणा वाउकायमाहारेंति आणुपुव्वेणं वुद्धा वणस्सइकायं तसथावरपाणे ते जीवा आहारेंति पुढविसरीरं जाव संतं अवरेवि य णं तेर्सि णाणाविहाणं उरपरिसप्पथलयरपंचिदियतिरिक्ख० अहीणं जाव महोरगाणं सरीरा णाणावग्णा जाणागंधा जावमक्खायं ॥ ६९५ ॥ अहावरं पुरक्खायं णाणाविहाणं भुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं, तंजहा-गोहाणं नउलाणं सिहाणं सरडाणं सल्लाणं सरघाणं खराणं घरकोइलियाणं विस्संभराणं मुसगाणं मंगुसाणं पयलाइयाणं विरालियाणं जोहाणं चउप्पाइयाणं तेसिं च णं अहावीएणं अहावगासेणं इथिए पुरिसस्स य जहा उरपरिसप्पाणं तहा भाणियव्वं जाव सारूवियकडं संतं अवरेवि य णं तेसि णाणाविहाणं भुयपरिसप्पपंचिदियथलयरतिरिकखाणं तं० गोहाणं जावमक्खायं ॥ ६९६ ॥ अहावरं पुरक्खायं णाणाविहाणं खहचरपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं, तंजहा-चम्मपक्खीणं लोमपक्खीणं समुग्गपक्खीणं विततपक्खीगं तेसिं च णं अहावीएणं अहावगासेणं इत्थीए जहा उरपरिसप्पाणं नाणत्तं ते जीवा डहरा समाणा माउगात्तसिणेहमाहारेंति आणुपुत्वेणं बुटा वणस्सइकायं नसथावरे य पाणे ते जीवा आहारेंति पुढविसरीरं जाव संतं अवरे वि य ग तेसिं नाणाविहाणं खहचरपश्चिन्दियतिरिक्खजोणियाणं चम्मपक्खीणं जाव मत्तायं ।। १३ ॥ ६९७ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता नाणाविहजोणिया नागाविहसंभवा नाणाविहबुकमा तज्जोणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोवगा कम्मनिगन नत्यबुमा नाणाविहाणं तसथावराणं पोग्गलाणं सरीरेसु वा सचित्तेसु वा अनिजन वा अणुसूयत्ताए विन्ति । ते जीवा तेसिं नाणाविहाणं तसथावराण पागाण निणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढविसरीरं जाव सन्तं । अवर गणं नगि तसथावरजोणियाणं अणुसयगाणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खाय। प तामवनाए। एवं तुरदुगत्ताए ॥ १४ ॥ ६९८ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहगाल मना नाणाविरजोणिया जाव कम्मनियाणेणं तत्थबुकमा नाणाविहाणं तसथा पना गरीरेनु गचित्तनु वा अचित्तेमु वा तं सरीरगं वायसंसिद्धं वा वाय* गदापारपारंगहि उवासु उहभागी भवइ, अहेवाएसु अहेभागी भव, M ; निग्य नागी भवः । तं जहा-ओसा हिमए महिया करए हरतणुए यानि नागायिहागं नमभावराणं पाणाणं तिणेहमाहारेन्ति । त गी: पुट गयी जाय मन्नं । अवरे वि यणं तेर्सि तसथावरजोणि Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० भ० ३] " सुत्तागमे १६५ याणं ओसाणं जाव सुद्धोदगाणं सरीरा नाणावण्णा जावमक्खायं । अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता उदगजोणिया उदगसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुक्कमा तसथावरजोणिएसु उदएसु उदगत्ताए विउद्दन्ति । ते जीवा तेसिं तसथावरजोणियाणं उदगाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढविसरीरं जाव सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं तसथावरजोणियाणं उदगाणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं । अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता उदगजोणियाणं जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा उदगजोणिएसु उदएसु उदगत्ताए विउद्दन्ति ते जीवा तेसिं उदगजोणियाणं उदगाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढविसरीरं जाव सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं उदगजोणियाणं उदगाणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं । अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता उदगजोणियाणं जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा उदगजोणिएमु उदएमु तसपाणत्ताए विउट्टन्ति । ते जीवा तेसिं उदगजोणियाणं उदगाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढविसरीरं जाव सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं उदगजोणियाणं तसपाणाणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं ॥ १५ ॥ ६९९ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता नाणाविहजोणिया जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा नाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरेसु सचित्तेसु वा अचित्तेसु वा अगणिकायत्ताए विउदृन्ति । ते जीवा तेसिं नाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढविसरीरं जाव सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं तसथावरजोणियाणं अगणीणं सरीरा नाणावण्णा जावमक्खायं । सेसा तिण्णि आलावगा जहा उदगाणं । अहावरं पुरक्खायं इहेगझ्या सत्ता नाणाविहजोणियाणं जाव कम्मनियाणेणं तत्थबुकमा नाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरेसु सचित्तेसु वा अचित्तेसु वा वाउकायत्ताए विउदृन्ति । जहा अगणीणं तहा भाणियव्वा चत्तारि गमा ॥ १६ ॥ ॥ ७०० ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता नाणाविहजोणिया जाव कम्मणियाणेणं तत्यवुकमा नाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरेसु सचित्तेसु वा अचित्तेसु वा पुढवित्ताए सक्करत्ताए वालुयत्ताए । इमाओ गाहाओ अणुगन्तव्वाओ-पुढवी य सकरा वालुया य.उवले सिला य लोणूसे । अय तउय तम्ब सीसग रुप्प सुवण्णेय वइरे य (१) हरियाले हिंगुलए, मणोसिला सासगंजणपवाले, अन्भपंडलब्भवालुय, वायरकाए मणिविहाणां (२) गोमेज्जए य रुयए, अंके फलिहे य लोहियक्खेय, मरगयमसारगल्ले भुयमोयगइंदनीले य (३) चंदणगेरुयहंसगन्भे, पुलए सोगंधिए य वोद्धव्वे, चंदप्पभवेरुलिए, जलकंते सूरकते य (४) एयाओ एएसु भाणियव्वाओ गाहाओ जाव सूरकंतत्ताए विउद्देति, ते जीवा तेसिं णाणाविहाणं तसथावराणं Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [सूयगडं पाणाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा आहारेंति पुढविसरीरं जाव संतं अवरे वि य णं तेसिं तसथावरजोणियाणं पुढवीणं जाव सूरकंतागं सरीरा णाणावण्णा जावमक्खायं, सेसं तिणि आलावगा जहा उदगागं ॥ ७०१॥ अहावरं पुरक्खायं सव्वे पाणा सव्वे भूया, सव्वे जीवा, सव्वे सत्ता, णाणाविहजोणिया, णाणाविहसंभवा, णाणाविहवुकमा, सरीरजोणिया, सरीरसंभवा, सरीरचुकमा, सरीराहारा, कम्मोवगा, कम्मनियाणा, कम्मगईया, कम्मठिईया, कम्मणा चेव विप्परियासमुवेंति ॥ ७०२॥ सेएवमायाणह से एवमायाणित्ता आहारगुत्ते सहिए समिए सयाजए त्ति बेमि ॥७०३॥ आहारपरिणयज्झयणं तइयं ॥ - पञ्चक्खाणकिरियज्झयणे चउत्थे सुयं मे आउस ! तेगं भगवया एवमक्खायं, इह खलु पञ्चक्खागकिरियाणामज्झयणे तस्सणं अयमठे पण्णत्ते, आया अपञ्चक्खाणीयावि भवइ, आया अकिरिया कुसलेयावि भवइ, आया मिच्छासंठिएयावि भवइ, आया एगंतदंडेयावि भवइ, आया एगंतवालेयावि भवइ, आया एगंतसुत्तेयावि भवइ, आया अवियारमणवयणकायवक्केयावि भवइ, आया अप्पडिहयअपञ्चक्खायपावकम्मेयावि भवइ, एस खलु भगवया अक्खाए, असंजए, अविरए, अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे, सकिरिए, असंवुडे, एगंतदंडे, एगंतवाले, एगंतसुत्ते से बाले, अवियारमणवयकायवक्के, सुविणमवि ण पस्सइ पावे य से कम्मे कजइ ॥ ७०४ ॥ तत्थ चोयए पन्नवर्ग एवं वयासी, असंतएणं मणेणं पावएणं असंतियाए वईए पावियाए, असंतएणं काएणं पावएणं अहगंतस्स अमणक्खस्स, अवियारमणवयकायवकस्स सुविणमवि अपस्सओ पावकम्मे णो कजइ कस्सणं तं हेउं चोयए एवं ववीइ अन्नयरेण मणेगं पावएणं मणवत्तिए पावे कम्मे कजइ, अन्नयरीए वईए पावियाए वतिवत्तिए पावे कम्मे कजइ, अन्नयरेणं काएगं पावएणं कायवत्तिए पावेकम्मे कजइ, हणंतस्स समणक्खस्स सवियारमणवयकायवक्कस्स सुविणमवि पासओं, एवं गुणजाईयस्स पावेकम्मे कजइ, पुणरवि चोयए, एव बवीइ तत्यणं जे ते एवमाहंसु असंतएणं मणेणं पावएणं असंतियाए वईए पावियाए, असंतएणं काएणं पावएणं अहणंतस्स अमणक्खस्स आवियारमणवयकायवक्कस्स सुविणमवि अपस्सओ पावे कम्मे कज्जइ, तत्थ णं जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एक्माहंसु ॥ ७०५ ॥ तत्थं पन्नवए चोयगं एवं वयासी-तं सम्मं जं मए पुव्वं वुत्तं असंतएणं मणेणं पावएणं, असंतियाए वईए पावियाए, असंतएणं कारण पावएगं, अहणंतस्स अमणक्खस्स अवियारमणवयकायवक्कस्स सुविणमवि अपस्सओं Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० ४] सुत्तागमे यावे कम्मे कजइ, तं सम्म कस्स णं तं हेउं? आयरिय आह, तत्थ खलु भगवया छज्जीवणिकायहेऊ पण्णत्ता, तंजहा पुढविकाइया जाव तसकाइया इच्चेएहिं छहिं जीवणिकाएहिं आया अप्पडिहयेपच्चक्खायपावकम्मे,निच्चं पसढविउवातचित्तदंडे, तंजहापाणाइवाए जाव परिग्गहे, कोहे जाव मिच्छादसणसल्ले ॥ ७०६ ॥ आयरिय आह तत्य खलु भगवया वहए दिट्ठन्ते पण्णत्ते । से जहानामए-वहए सिया गाहावइस्स वा गाहावइपुत्तस्स वा रण्णो वा रायपुरिसस्स वा खगं निहाय पविसिस्सामि खणं लणं वहिस्सामि संपहारेमाणे से किं नु हु नाम से वहए तस्स गाहावइस्स वा गाहावइपुत्तस्स वा रण्णो वा रायपुरिसस्स वा खणं निद्दाय पविसिस्सामि खणं लद्भू णं वहिस्सामि पहारेमाणे दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा अमित्तभूए मिच्छासंठिए निचं पसढविउवायचित्तदण्डे भवइ ? एवं वियागरेमाणे समियाए वियागरे चोयए-हंता भवइ । आयरिय आह-जहा से वहए तस्स गाहावइस्स वा तस्स गाहावइपुत्तस्स वा रण्णो वा रायपुरिसस्स वा खणं निद्दाय पविसिस्सामि खणं लभ्रूणं वहिस्सामि त्ति पहारेमाणे दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा अमितभूए मिच्छासंठिए निचं पसढ विउवायचित्तदण्डे, एवमेव बाले वि सव्वेसिं पाणाणं जाव सव्वेसि सत्ताणं दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा अमित्तभूए मिच्छासंठिए निच्चं पसढविउवायचित्तदण्डे । तं जहा-पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले । एवं खलु भगवया अक्खाए असंजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे सकि'रिए असंवुडे एगन्तदण्डे एगन्तवाले एगन्तसुत्ते यावि भवइ । से वाले अवियारमणवयणकायवक्ने सुविणमवि न पेस्सइ पावे य से कम्मे कजइ । जहा से वहए तस्स वा गाहावइस्स जाव तस्स वा रायपुरिसस्स पत्तयं पत्तेयं चित्तसमादाएं दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा अमित्तभूए मिच्छासंठिए निच्चं पसढविउवायचित्तदण्डे भवइ, एवमेव वाले सव्वेसिं पाणागं जाव सव्वेसिं सत्ताणं पत्तेयं पत्तेयं चित्तसमादाए दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा अमित्तभूए मिच्छासंठिए निचं पसँढविउवायचित्तदण्डे भवइ ॥२॥७०७॥ नो इणढे समढे [चोयए] । इह खलु वहवे पाणा जे इमेग सरीरसमुस्सएणं नो दिट्ठा वा सुया वा नाभिमया वा विनाया वा जेसिं नो पत्तेयं पत्तेय चित्तसमायाए दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा अमित्तभूए मिच्छासंठिए निच्चं पसढविउवायचित्तदण्डे । तं जहां पाणाईवाए जाव मिच्छादसणसल्ले ॥३॥७०८॥आयरिय आह-तत्थ खलु भगवया दुवे दिट्ठन्ता पण्णत्ता । तं जहा-सन्निदिढन्ते य असन्निदिठ्ठन्ते य । से किं तं सन्निदिट्ठन्ते ? जे इमे सन्निपंञ्चिन्दियो पजत्तगा एएसिं णं छजीवनिकाए पडुच्च, तं जहा-पुढवी Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६८ सुत्तागमे [सूयगडं कायं जाव तसकायं । से एगइओ पुढवीकाएणं किच्चं करेइ वि कारवेइ वि । तस्स णं एवं भवइ-एवं खलु अहं पुढवीकाएणं किच्चं करेमि वि कारवेमि वि, नो चेव णं से एवं भवइ-इमेण वा इमेण वा से एएणं पुढवीकाएणं किच्चं करेइ वि कारवेइ वि । से णं तओ पुढवीकायाओ असंजयअविरयअप्पडिहयपचक्खायपावकम्मे यावि भवइ । एवं जाव तसकाए त्ति भाणियव्वं । से एगइओ छजीवनिकाएहिं 'किच्चं करेइ वि कारवेइ वि । तस्स णं एवं भवइ-एवं खलु छजीवनिकाएहिं किच्चं करेमि वि कारवेमि वि। नो चेव णं से एवं भवइ-इमेहिं वा २, से य तेहिं छहिं जीवनिकाएहिं जाव कारवेइ वि । से य तेहिं छहिं जीवनिकाएहिं असंजयअविरयअप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे, तं जहा-पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले । एस खलु भगवया अक्खाए असंजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे सुविणमवि अपस्सओ। पावे य से कम्मे कजइ । से तं सन्निदिद्वन्ते ॥ से किं तं असन्निदिट्ठन्ते ? जे इमे असन्निणो पाणा, तं जहा-पुढवीकाइया जाव वणस्सइकाइया छट्ठा वेगइया तसा पाणा, जेसि नो तका इ वा सन्ना इ वा पन्ना इ वा मणा इ वा वई इ वा सयं वा करणाए अन्नेहि वा कारवेत्तए करन्तं वा समणुजाणित्तए, ते वि णं वाले सव्वेसिं पाणाणं जाव सव्वेसिं सत्ताणं दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा अमित्तभूया मिच्छासंठिया निच्चं पसढविउवायचित्तदंडा तं० पाणाइवाए जाच मिच्छादसणसल्ले । इच्चेव जाव नो चेव मणो नो चेव वई पाणाणं जाव सत्ताणं दुक्खणयाए सोयणयाए जूरणयाए तिप्पणयाए पिट्टणयाए परितप्पणयाए । ते दुक्खणसोयण जाव परितप्पणवहवन्धणपरिकिलेसाओ अप्पडिविरया भवन्ति । इति खलु से असन्निणो वि सत्ता अहोनिसिं पाणाइवाए उवक्खाइजन्ति जाव अहोनिसि परिग्गहे उवक्खाइजन्ति जाव मिच्छादसणसल्ले उवक्खाइजन्ति [एवं भूयवाई ] । सव्वजोणिया वि खलु सत्ता सन्निणो हुच्चा असन्निणो होन्ति असन्निणो हुचा सन्निणो होन्ति, होचा सन्नी अदुवा असन्नी, तत्थ से अविविचित्ता अविधूणित्ता-असमुच्छित्ता अणणुतावित्ता असन्निकायाओ वा सन्निकाए संकमन्ति सन्निकायाओ वा असन्निकार्य संकमन्ति, सन्निकायाओ वा सन्निकायंसंकमन्ति असन्निकायाओ वा असन्निकाय संकमन्ति । जे एए सन्नि वा असन्नि वा सव्वे ते मिच्छायारा निचं पसढविउवायचित्तदण्डा । तं जहा-पाणाइवाए जाव मिच्छादंसणसल्ले । एवं खलु भगवया अक्खाए असंजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे सकिरिए असंखुडे एगन्तदण्डे एगन्तवाले एगन्तसुत्ते से बाले अवियारमणवयणकायवक्के सुविणमवि न पासइ पावे य से कम्मे कजइ ॥ ४ ॥ ७०९ ॥ चोयए-से किं कुव्वं किं कारवं कह, संजयविर Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० म०५] सुत्तागमे गप्पडिहयपञ्चक्खायपावकम्मे भवइ ? आयरिय आह-तत्थ खलु भगवया छज्जीवनिकायहेऊ पन्नत्ता, तं जहा-पुढवीकाइया जाव तसकाइया । से जहानामए मम अस्सायं दण्डेण वा अट्ठीण वा मुट्ठीण वा लेलूण वा कवालेण वा आतोडिज्जमाणस्स वा जाव उवद्दविजमाणस्स वा जाव लोमुक्खणणमायमवि हिंसाकारं दुक्खं भयं पडिसंवेदेमि, इच्चेवं जाण सव्वे पाणा जाव सव्वे सत्ता दण्डेण वा जाव कवालेण वा आतोडिज्जमाणे वा हम्ममाणे वा तजिजमाणे वा तालिज्जमाणे जाव उवद्दविजमाणे वा जाव लोमुक्खणणमायमवि हिंसाकारं दुक्खं भयं पडिसंवेदेन्ति । एवं नच्चा सव्वे पाणा जाव सव्वे सत्ता न हन्तव्वा जाव न उद्दवेयव्वा । एस धम्मे धुवे निइए सासए समिच्च लोगं खेयन्नेहिं पवेइए । एवं से भिक्खू विरए पाणाइवायाओ जाव मिच्छादसणसल्लाओ। से भिक्खू नो दन्तपक्खालणेणं दन्ते पक्खालेजा, नो अक्षणं नो वमणं नो धूवणित्तं पि आइए । से भिक्खू अकिरिए अल्सए अकोहे जाव अलोभे उवसन्ते परिनिव्वुडे । एस खलु भगवया अक्खाए संजयविरयपडिहयपच्चक्खायपावकम्मे अकिरिए संचुडे एगन्तपण्डिए भवइ त्ति बेमि ॥५॥ ७१०॥ पञ्चक्खाणकिरियज्झयणं चउत्थं॥ आयारसुयज्झयणे पञ्चमे आदाय बम्भचेरं च आसुपन्ने इमं वइं । अस्सि धम्मे अणायारं नायरेज कयाइ वि ॥ १ ॥ ७११ ॥ अणाईयं परिन्नाय अणवदग्गे त्ति वा पुणो। सासयमसासए वा इइ दिहिं न धारए ॥ २ ॥ ७१२ ॥ एएहिं दोहिं ठाणेहिं ववहारो न विजई । एएहिं दोहि ठाणेहि अणायारं तु जाणए ॥ ३ ॥ ७१३ ॥ समुच्छिहिन्ति सत्यारो सव्वे पाणा अणेलिसा। गण्ठिगा वा भविस्सन्ति सासयं ति व नो वएं ॥ ४ ॥ ॥ ७१४ ॥ एएहिं दोहि ठाणेहिं ववहारो न विजई । एएहिं दोहि ठाणेहि अणायारं तु जाणए ॥ ५॥ ७१५ ॥ जे केइ खुद्दगा पाणा अदुवा सन्ति महालया। सरिसं तेहि वेर ति असरिसं ति य नो वएं ॥ ६॥ ७१६ ॥ एएहिं दोहि ठाणेहिं ववहारो न विजई । एएहिं दोहि ठाणेहिं अणायारं तु जाणए ॥ ७॥ ७१७ ॥ अहाकम्माणि भुञ्जन्ति, अन्नमन्ने सकम्मुणा । उवलित्ते त्ति जाणिज्जा अणुवलित्ते त्ति वा पुणो ॥ ८ ॥ ७१८ ॥ एएहिं दोहि ठाणेहिं ववहारो न विजई। एएहिं दोहि ठाणेहिं अणायारं तु जाणए ॥ ९ ॥ ७१९ ॥ जमिदं ओरालमाहारं कम्मगं च तहेव य । सव्वत्थ वीरियं अत्यि नत्थि सव्वत्थ वीरियं ॥१०॥७२० ।-एएहिं दोहि ठाणेहिं ववहारो न विजई । एएहिं दोहि ठाणेहि अणायारं तु जाणए ॥ ११॥ ७२१ ॥ Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे - [ सूयगड i नत्थ लोए अलोए वा नेवं सन्नं निवेसए । अत्थि लोए अलोए वा एवं सन्नं निवेसए ॥ १२ ॥ ७२२ ॥ नत्थि जीवा अजीवा वा नेवं सन्नं निवेसए । अत्थि जीवा 'अजीवा वा एवं सन्नं निवेस ॥ १३ ॥ ७२३ ॥ नत्थि धम्मे अधम्मे वा नेवं सन्नं निवेसए । अत्थि धम्मे अधम्मे वा एवं सन्नं निवेस ॥ १४ ॥ ७२४ ॥ नत्थि बन्धे व मोक्खे वा नेवं सन्नं निवेसए । अत्थि बन्धे व मोक्खे वा एवं सन्नं निवे - सए ॥ १५ ॥ ७२५ ॥ नत्थि पुण्णे व पावे वा नेवं सन्नं निवेसए । अत्थि पुण्णे व पावे वा एवं सन्नं निवेस ॥ १६ ॥ ७२६ ॥ नत्थि आसवे संवरे वा नेवं सन्नं निवेस | अत्थि आसवे संवरे वा एवं सन्नं निवेस ॥ १७ ॥ ७२७ ॥ नत्थि वेणा निजरा वा नेवं सन्नं निवेसए । अत्थि वेयणा निज्जरा वा एवं सन्नं निवेसए ॥ १८ ॥ ७२८ ॥ नत्थि किरिया अकिरिया वा नेवं सन्नं निवेसए । अत्थि किरिया अकिरिया वा एवं सन्नं निवेस ॥ १९ ॥ ७२९ ॥ नत्थि कोहे व माणे वा नेवं सन्नं निवेसए । अत्थि कोहे व माणे वा एवं सन्नं निवेस ॥ २० ॥ ७३० ॥ नत्थि माया व लोभे वा नेत्रं सन्नं निवेसए । अत्थि माया व लोभे वा एवं सन्नं निवेसए ॥ २१ ॥ ७३१ ॥ नत्थि पेजे व दोसे वा नेवं सन्नं निवेर्सए । अत्थि पेज़े व दोसे वा एवं सन्नं निवेसए ॥ २२ ॥ ७३२ ॥ नत्थि चाउरन्ते संसारे नेवं सन्नं निवेस ए । अत्थि चाउरन्ते संसारे एवं सन्न निवेसए ॥ २३ ॥ ७३३ ॥ नत्थि देवो व देवी वा नेवं सन्नं निवेसए । अत्थि देवो व देवी वा एवं सन्नं निवेस ॥ २४ ॥ ७३४ ॥ नत्थि सिद्धी असिद्धी वा नेवं सन्नं निवेसए । अत्थि सिद्धी असिद्धी वा एवं सन्नं निवेस ॥ २५ ॥ ७३५ ॥ नत्थि सिद्धी नियं ठाणं नेवं सन्नं निवेसए । अत्थि सिद्धी नियं ठाणं एवं सन्न निवेस ॥ २६ ॥ ७३६ ॥ नत्थि साहू असाहू वा नेवं सन्नं निवेसए | अत्थि साहू असाहू वा एवं सन्नं निवेस ॥ २७ ॥ ७३७ ॥ नंत्थि काण पावे वा नेवं सन्नं निवेसए । अस्थि कलाण पावे. वां एवं सन्नं निवेसए ॥ २८ ॥ ७३८ ॥ कलाणे पावए वा वि ववहारो न विज्जइ । जं वेरं तं न जाणन्ति समणा वालपण्डिया ॥ २९ ॥ ७३९ ॥ असेसं अक्खयं वावि सव्वदुक्खे इ वा पुगो । वज्झा पाणा न वज्झ त्ति इइ वायं न नीसरे ॥ ३० ॥ ७४० ॥ दीसन्ति समियायारा भिक्खुगो साहुजी विगो । एए मिच्छोवजीवन्ति इइ दिहिं न धारए ॥ ३१ ॥ ७४१ ॥ दक्खिणाए पडिलम्भो अस्थि वा नत्थि वा पुणो । न वियागरेज मेहावी सन्तिमग्गं च वूहए ॥ ३२ ॥ ७४२ ॥ इचेएहिं ठाणेहिं जिणदिट्ठेहिं संजए। धारयन्ते उ अप्पाणं आ मोक्खाएं परिव्वजासि ॥ ३३ ॥ ७४३ ॥ त्ति त्रेमि ॥ आयारसुयज्झयणं पञ्चमं ॥ १७० Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० म०६] सुत्तागमे . अद्दइजज्झयणे छठे पुराकडं अद्द इमं सुणेह मेगन्तयारी समणे पुरासी । से भिक्खुणो उवणेत्ता अणेगे आइक्खएम्हि पुढो वित्थरेणं ॥ १ ॥ ७४४ ॥ साऽऽजीविया पट्टवियाऽथिरेणं सभागओ गणओ भिक्खुमज्झे । आइक्खमाणो वहुजन्नमत्यं न संधयाई अवरेण पुव्वं ॥ २॥ ७४५ ॥ एगन्तमेवं अदुवा वि एहि दोऽवन्नमन्नं न समेइ जम्हा । पुचि च एण्हिं च अणागयं वा एगन्तमेवं पडिसंधयाइ ॥ ३ ॥ ७४६ ॥ समिच्च लोग तसथावराणं खेमंकरे समणे माहणे वा। आइक्खमाणो वि सहस्समज्झे एगन्तयं सारयई तहच्चे ॥ ४ ॥ ७४७ ॥ धम्मं कहन्तस्स उ नत्थि दोसो खन्तस्स दन्तस्स जिइन्दियस्स । भासाय दोसे य विवज्जगस्स गुणे य भासाय निसेवगस्स ॥५॥ ७४८ ॥ महव्वए पञ्च अणुव्वए य तहेव पञ्चासव संवरे य । विरइं इह स्सामणियम्मि पण्णे लवावसकी समणे त्ति बेमि ॥ ६ ॥ ७४९ ॥ सीओदगं सेवड बीयकायं आहायकम्मं तह इत्थियाओ। एगन्तचारिस्सिह अम्ह धम्मे तवस्सिणो नाभिसमेइ पावं ॥ ७ ॥ ७५० ॥ सीओदगं वा तह बीयकायं आहायकम्मं तह इत्थियाओ । एयाइ जाणं पडिसेवमाणा अगारिणो अस्समणा भवन्ति ॥ ८॥ ॥ ७५१ ॥ सिया य बीयोदगइत्थियाओ पडिसेवमाणा समणा भवन्तु' । अगारिणो वि समणा भवन्तु सेवन्ति ऊ ते पि तहप्पगारं ॥ ९ ॥ ७५२ ॥ 'जे यावि वीयोदगभोइ भिक्खू भिक्खं विहं जायइ जीवियट्ठी । ते नाइसंजोगमविप्पहाय कायोवगा नन्तकरा भवन्ति ॥ १० ॥ ७५३ ॥ इमं वयं तु तुम पाउकुव्वं पावाइगो गरिहसि सव्व एव । पावाइणो पुढो किट्टयन्ता सयं सयं दिट्ठि करेन्ति पाउ ॥ ११ ॥ ॥ ७५४ ॥ ते अन्नमन्नस्स उ गरहाणा अक्खन्ति भो समणा माहणा य । सओ य अत्थी असओ यं नत्थि गरहामु दिहिं न गरहामु किचि ॥ १२ ॥ ७५५ ॥ न किंचि रूवेगऽभिधारयामो सदिट्टिमग्गं तु करेनु पाउं । मग्गे इमे किट्टिएँ आरिएहिं अणुत्तरे सप्पुरिसेहिं अङ्ग ॥ १३ ॥ ७५६ ॥ उर्दू अहे यं तिरियं दिसासु तसा य जे थावर जे य पाणा । भूयाहिसंकाभिद्गुञ्छमाणा नो गरहइ बुर्सिमं किंचि लोए ॥ १४ ॥ ७५७ ॥ आगन्तगारे आरामगारे समणे उ भीए न उवेइ वास । दक्खा हु सन्ती वहवे मणुस्सा ऊणाइरित्ता य लवालवा य॥ १५॥ ७५८ ॥ मेहाविणो सिक्खिय वुद्धिमन्ता सुत्तेहि अत्थेहि य निच्छयन्ना । पुच्छिसु मा णे अणगार अन्ने इइ संकमागो न उवेइ तत्थ ॥ १६ ॥ ७५९ ॥ नों कामकिच्चा नं य' वालकिच्चा रायाभियोगेण कुओ भएणं । वियागरेज पंसिणं न वा वि सकामकिच्चेणिह आरियाणं ॥ १७ ॥ ७६० ॥ गन्ता च तत्था अदुवा अगन्ता वियागरेजा समियासुपन्ने । Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७२ सुत्तागमे [सूयगडं अणारिया दंसणओ परित्ता इइ संकमाणो न उवेइ तत्थ ॥ १८ ॥ ७६१ ॥ पण्णं जहा वणिए उदयट्ठी आयस्स हेउं पगरेइ सङ्गं । तयोवमे समणे नायपुत्ते इच्चेव मे होइ मई वियको ॥ १९ ॥ ७६२ ॥ नवं न कुज्जा विहुणे पुराणं चिच्चाऽमई ताइ य साह एवं । एयावया बम्भवइ त्ति वुत्ता तस्सोदयट्ठी समणे त्ति बेमि ॥ २० ॥ ॥ ७६३ ॥ समारभन्ते वणिया भूयगामं परिग्गहं चेव ममायमाणा । ते नाइसंजोगमविप्पहाय आयस्स हेडं पगरेन्ति सङ्गं ॥ २१ ॥ ७६४ ॥ वित्तेसिणो मेहुणसंपगाढा ते भोयणट्ठा वणिया वयन्ति । वयं तु कामेसु अज्झोववन्ना अणारिया पेमरसेसु गिद्धा ॥ २२ ॥ ७६५ ॥ आरम्भगं चेव परिग्गहं च अविउस्सिया निस्सिय आयदण्डा । तेसिं च से उदए जं वयासी चउरन्तणन्ताय दुहाय नेह ॥ २३ ॥ ७६६ ॥ नेगन्ति नचन्ति य ओदए सो वयन्ति ते दो वि गुणोदयम्मि। से उदए साइमणन्तपत्ते तमुदयं साहयइ ताइ नाई ॥ २४ ॥ ७६७ ॥ अहिंसयं सव्वपयाणुकम्पी धम्मे ठियं कम्मविवेगहेउं । तमायदण्डेहि समायरन्ता अबोहिए ते पडिरूवमेयं ॥ २५ ॥ ७६८ ॥ पिण्णागपिण्डीमवि विद्ध सूले केई पएजा पुरिसे इमे त्ति । अलाउयं वा वि कुमारए त्ति स लिप्पई पाणिवहेण अम्हं ॥२६॥ ७६९ ॥ अहवा वि विद्रूण मिलक्खु सूले पिण्णागबुद्धीइ नरं पएजा । कुमारगं वा.वि अलाचुयं ति न लिप्पई पाणिवहेण अम्हं ॥ २७ ॥ ७७० ॥ पुरिसं च विभ्रूण कुमारगं वा सूलंमि केई पएँ जायतेए । पिण्णागपिण्डं सइमारुहेत्ता बुद्धाण तं कप्पइ पारणाए ॥ २८ ॥ ७७१ ॥ सिणायगाणं तु दुवे सहस्से जे भोयए नियए भिक्खुयाणं । ते पुण्णखन्धं सुमहं जिणित्ता भवन्ति आरोप्प महन्त सत्ता ॥ २९ ॥ ७७२॥ अजोगत्वं इह संजयाणं पावं तु पाणा ण पसज्झ काउं । अबोहिए दोण्ह वि तं असाहु वयन्ति जे यावि पडिस्सुणन्ति ॥ ३० ॥ ७७३ ॥ उर्दू अहे यं तिरियं दिसासु विनाय लिङ्गं तसथावराणं । भूयाभिसंकाइ दुगुञ्छमाणे वए करेजा व कुओ विहऽत्यि ॥ ३१ ॥ ७७४ ॥ पुरिसे त्ति विन्नत्ति न एवमत्थि अणारिए से पुरिसे तहा हु । को संभवो पिण्णगपिण्डियाए वाया वि एसा बुइया असच्चा ॥ ३२॥ ७७५॥ वायाभियोगेण जमावहेजा नो तारिसं वायमुदाहरेजा। अट्ठाणमेयं वयणं गुणाण नो दिक्खिए वूयमुरालमेयं ॥ ३३ ॥ ७७६ ॥ लद्धे अढे अहो एव तुन्मे जीवागुभागे सुविचिन्तिए व । पुव्वं समुई अवरं च पुढे ओलोइए पाणितले ठिए वा ॥ ३४ ॥ ७७७ ॥ जीवाणुभागं सुविचिन्तयन्ता आहारिया अन्नविहीऍ सोहिं । न वियागरे छनपओपजीवी एसोऽणुधम्मो इह संजयाणं ॥ ३५ ॥ ७७८ ॥ सिणागगाणं तु दुवे सहस्से जे भोयए नियए भिक्खुयाणं । असंजए लोहियपाणि से ऊ Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० म०६] सुत्तागम १७३ नियच्छई गरिहमिहेव लोए ॥ ३६ ॥ ७७९ ॥ थूलं उरभं इह मारियाणं उद्दिट्टभत्तं च पगप्पएत्ता । तं लोणतेल्लेण उवक्खडेत्ता सपिप्पलीयं पगरन्ति मंसं ॥३७॥ .. ॥ ७८० ॥ तं भुञ्जमाणा पिसियं पभूयं नो ओवलिप्पामु वयं रएणं । इच्चेवमासु अणजधम्मा अणारिया बाल रसेसु गिद्धा ॥ ३८ ॥ ७८१ ॥ जे यावि भुञ्जन्ति तहप्पगारं सेवन्ति ते पावमजाणमाणा । मणं न एयं कुसला करेन्ति वाया वि एसा वुइया उ मिच्छा ॥ ३९ ॥ ७८२ ॥ सन्वेसि जीवाण दयट्ठयाए सावज्जदोसं परिवजयन्ता । तस्संकिणो इसिणो नायपुत्ता उद्दिट्ठभत्तं परिवजयन्ति ॥ ४० ॥ ॥ ७८३ ॥ भूयाभिसंकाए दुगुञ्छमाणा सव्वेसि पाणाण निहाय दण्डं । तम्हा न भुनन्ति तहप्पगारं एसोऽणुधम्मो इह संजयाणं ॥४१॥ ७८४ ॥ निग्गन्थधम्मम्मि इमं समाहिं अस्सि सुठिच्चा अणिहे चरेजा । वुद्धे मुणी सीलगुणोववेए अच्चत्थयं पाउणई सिलोगं ॥ ४२ ॥ ७८५ ॥ सिणायगाणं तु दुवे सहस्से जे भोयए नियए माहणाणं । ते पुण्णखन्धे सुमहऽजणित्ता भवन्ति देवा इई वेयवाओ ॥४३॥७८६॥ सिणायगाणं तु दुवे सहस्से जे भोयए नियए कुलालयाणं । से गच्छई लोलुवसंपगाढे तिव्वाभितावी नरगाभिसेवी ॥ ४४ ॥ ७८७ ॥ दयावरं धम्म दुगुञ्छमाणा वहावहं धम्म पसंसमाणा । एगं पि जे भोययई असीलं निवो निसं जाइ कुओऽसुरेहिं ॥ ४५ ॥ ७८८ ॥ दुहओ वि धम्मम्मि समुट्ठियामो अस्सि सुठिचा तह एसकालं । आयारसीले वुइएह नाणी न संपरायम्मि विसेसमत्थि ॥ ४६ ॥ ७८९ ॥ अव्वत्तरूवं पुरिसं महन्तं सणातणं अक्खयमव्वयं च । सव्वेसु, भूएसु वि सव्वओ से चन्दो व ताराहि समत्तरूवे ॥ ४७ ॥ ७९० ॥ एवं न मिजन्ति न संसरन्ति न माहणा खत्तिय वेस पेसा । कीडा य पक्खी य सरीसिवा य नरा य सव्वे तह देवलोगा ॥ ४८ ॥ ७९१ ॥ लोग अयाणित्तिह केवलेणं कहन्ति जे धम्ममजाणमाणा । नासन्ति अप्पाण परं च नट्ठा संसार घोरम्मि अणोरपारे ॥ ४९ ॥ ७९२॥ लोगं विजाणन्तिह केवलेणं पुण्णेण नाणेण समाहिजुत्ता । धम्म समत्तं च कहन्ति जे उ तारन्ति अप्पाण परं च तिण्णा ॥ ५० ॥ ७९३ ॥ जे गरहियं ठाणमिहावसन्ति जे यावि लोए चरणोववेया । उदाहडं तं तु समं मईए अहाउसो विप्परियासमेव ॥ ५१ ॥ ७९४ ॥ संवच्छरेणावि य एगमेगं वाणेण मारेउ महागयं तु । सेसाण जीवाण दयठ्याए वासं वयं वित्ति पकप्पयामो ॥ ५२ ॥ ७९५ ॥ संवच्छरेणावि य एगमेगं पाणं हणन्ता अणियत्तदोसा । सेसाण जीवाण वहेण लग्गा सिया य थोवं गिहिणो वि तम्हा ॥ ५३ ॥ ७९६ ॥ संवच्छरेणावि य एगमेगं पाणं हणन्ता समणव्वएसु । आयाहिए से पुरिसे अणज्जे न तारिसे केवलिणो भवन्ति Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७४ सुत्तागमे [ सूयगढ़ ॥ ५४ ॥ ७९७ ॥ बुद्धस्स आणाए इमं समाहिं अस्सि सुठिचा तिविहेण ताई। तरिउं समुदं व महाभवोघं आयाणवं धम्ममुदाहरेज ॥ ५५ ॥ ७९८॥ त्ति वेमि ।। अद्दइजज्झयणं छटुं॥ ___नालन्दइज्ज झयणे सत्तमे तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था रिद्धिस्थिमियसमिद्धे (वण्णओ) जाव पडिरूवे । तस्स णं रायगिहस्स नयरस्स वहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीमाए एत्थ णं नालन्दा नाम बाहिरिया होत्था अणेगभवणसयसंनिविट्ठा जाव पडिरूवा। तत्थ णं नालन्दाए बाहिरियाए लेवे नाम गाहावई होत्था अड्डे दित्ते वित्त वित्थिण्णविपुलभवणसयणासणजाणवाहणाइण्णे बहुधणवहुजायरूवरजए आओगपओगसंपउत्ते विच्छड्डियपउरभत्तपाणे बहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूए बहुजणस्स अपरिभूए यावि होत्था ॥ १ ॥ ७९९ ॥ से णं लेवे नाम गाहावई समणोवासए यावि होत्या अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ निग्गन्थे पावयणे निस्संकिए निकंखिए निव्विइगिच्छे लद्धढे गहियढे पुच्छियटे विणिच्छियढे अभिगहियढे अद्विमिजा पेमाणुरागरत्ते। अयमाउसो निग्गन्थे पावयणे, अयं अटे, अयं परमढे, सेसे अणटे, उस्सियफलिहे अप्पावयदुवारे चियत्तन्तेउरप्पवेसे चाउद्दसमुद्दिट्टपुण्णमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्मं अणुपालेमाणे समणे निग्गन्थे तहाविहेणं एसणिजेग असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलामेमाणे बहुहिं सीलव्वयगुणविरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणे एवं च णं विहरइ ॥ २ ॥ ८०० ॥ तस्स णं लेवस्स गाहावइस्स नालन्दाए बाहिरियाए उत्तरपुरथिमे दिसिभाए एत्थ णं सेसदविया नाम उदगसाला होत्था अणेगखम्भसयसंनिविट्ठा पासादीया जाव पडिरूवा । तीस णं सेसदवियाए उदगसालाए उत्तरपुरथिमे दिसिभाए एत्थ णं हत्थिजामे नाम वणसण्डे होत्या किण्हे ( वण्णओ वणसण्डस्स ) ॥ ३ ॥ ८०१॥ तस्सि च ण गिहपदेसम्मि भगवं गोयमे विहरइ, भगवं च णं अहे आरामंसि । अहे णं उदए पेढालपुत्ते भगवं पासावच्चिज्जे निग्गण्ठे मेयजे गोत्तेणं जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भगवं गोयम एवं वयासी-आउसंतो गोयमा, अत्थि खल मे केइ पदेसे पुच्छियव्वे, तं च आउसो अहासुयं अहादरिसियं मे वियागराह सवायं । भगवं गोयमे उदयं पेढालपुत्तं एवं वयासी-अवियाइ आउसो, सोचा निसम्म जाणिस्सामो सवायं । उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयम एवं वयासी ॥ ४ ॥ Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० ७ ] सुत्तागमे 1 || ८०२ ॥ आउसो गोयमा, अत्थि खलु कुमारपुत्तिया नाम समणा निग्गन्था तुम्हागं पवयणं पवयमाणा गाहावई समणोवासगं उवसंपन्न एवं पच्चक्खावेन्ति । नन्नत्थ अभिओएगं गाहावइचोरग्गहणविमोक्खणयाए तसेहिं पाणेहिं निहाय दण्डं । एवं हं पञ्चक्खन्ताणं दुप्पचक्खायं भवइ । एवं हं पञ्चक्खावेमाणाणं दुपचक्खावियव्वं भवइ । एवं ते परं पच्चक्खावेमाणा अइयरन्ति सयं पइण्णं । कस्स णं तं हेउं ? संसारिया खलु पाणा, थावरा वि पाणा तसत्ताए पच्चायन्ति, तसा विपाणा थावरत्ताए पच्चायन्ति, थावरकायाओ विप्पमुच्चमाणा तसकायंसि उववज्जन्ति, तसकायाओ विष्पमुच्चमाणा थावरकार्यंसि उववज्जन्ति । तेसिं च णं थावरकायंसि उववणाणं ठाणमेयं धत्तं ||५|| ८०३ || एवं हं पच्चक्खन्ताणं सुपच्चक्खाय भवइ । एवं हं पच्चक्खावेमाणाणं सुपच्चक्खावियं भवइ । एवं ते पर पच्चक्खावेमाणा नाइयरन्ति सयं पइणं नन्नत्थ अभियोगेणं गाहावइचोरग्गहणविमोक्खणयाए तसभूएहिं पाणेहिं निहाय दण्डं । एवमेव सइ भासाए परक्कमे विजमाणे जे ते कोहा वा लोहा वा परं पच्चक्खावेन्ति अयं पिनो उवएसे नो नेयाउए भवइ । अवियाइ आउसो गोयमा तुब्भं पि एवं रोयइ ? || ६ || ८०४ ॥ सवायं भगवं गोयमे उदयं पेढालपुत्तं एवं वयासी - आउसन्तो उदगा, नो खलु अम्हे एवं रोयइ । जे ते समणा वा माहणा वा एवमाइक्खन्ति जाव परूचेन्ति नो खलु ते समणा वा निग्गन्था भासं भासन्ति, अणुतावियं खलु ते भासं भासन्ति, अब्भाइक्खन्ति खलु ते समणे समणोवास ए वा जेहिं पि अन्नेहिं जीवेहिं पाणेहि भूएहिं सत्तेहिं संजमयन्ति ताण वि ते अभाइक्खन्ति । कस्स णं तं हेउं ? संसारिया खलु पाणा, तसा वि पाणा थावरत्ताए पञ्चायन्ति थावरा वि वा पाणा तसत्ताए पच्चायन्ति तसकायाओ विप्पमुच्चमाणा थावरकार्यंसि उववज्जन्ति, थावरकायाओ विप्पमुच्चमाणा तसकायंसि उववजन्ति, तेसिं च णं तसकार्यंसि उववन्नाणं ठाणमेयं अधत्तं ॥ ७ ॥ ८०५ ॥ सवायं उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयमं एवं वयासीकयरे खलु ते आउसन्तो गोयमा तुव्भे वयह तसा पाणा तसा आउ अन्नहा ? सवायं भगवं गोयमे उदयं पेढालपुत्तं एवं वयासी - आउसन्तो उदगा जे तुब्भे वयह तसभूया पाणा तसा ते वयं वयामो तसा पाणा, जे वयं वयामो तसा पाणा ते तुब्भे वयह तसभूया पाणा । एए सन्ति दुवे ठाणा तुल्ला एगट्ठा। किमाउसो इमे भे सुप्पणीयतराए भवइ तसभूया पाणा तसा, इमे भे दुप्पणीयतराए भवइ - तसा पाणा तसा । तओ एगमाउसो पडिकोसह एकं अभिनन्दह । अयं पि भेदो से नो नेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु-सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति, तेसिं च णं एवं वृत्तपुव्वं भवइ-नो खलु वयं संचाएमो मुण्डा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए । } १७५ Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७६ सुत्तागमे [सूयगडं सावयं ण्हं अणुपुत्वेणं गुत्तस्स लिसिस्सामो। ते एवं संखवेन्ति, ते एवं संखं ठवयन्ति ते एवं संखं ठावयन्ति नन्नत्थ अभिओएणं गाहावइचोरग्गहणविमोक्खणयाए तसेहिं पाणेहिं निहाय दण्डं । तं पि तेसिं कुसलमेव भवइ ॥८॥८०६॥ तसा वि वुचन्ति तसा तससंभारकडेणं कम्मुणा नामं च णं अब्भुवगयं भवइ, तसाउयं च णं पलिक्खीणं भवइ, तसकायट्टिइया ते तओ आउयं विप्पजहन्ति । ते तओ आउयं विप्पजहित्ता थावरत्ताए पञ्चायन्ति । थावरा वि बुच्चन्ति थावरा थावरसंभारकडेणं कम्मुणा नामं च णं अब्भुवगयं भवइ थावराउयं च णं पलिक्खीणं भवइ । थावरकायट्टिइया ते तओ आउयं विप्पजहन्ति तओ आउयं विप्पजहित्ता भुजो परलोइयत्ताए पञ्चायन्ति । ते पाणा वि वुचन्ति, ते तसा वि वुचन्ति, ते महाकाया ते चिरहिइया ॥ ९ ॥ ८०७ ॥ सवायं उदए पेढालपुत्ते भयवं गोयम एवं वयासीआउसन्तो गोयमा नत्थि णं से केइ परियाए जं णं समगोवासगरस एगपाणाइवायविरए वि दण्डे निक्खित्ते । कस्स णं तं हेउं ? संसारिया खलु पाणा, थावरा वि पाणा तसत्ताए पच्चायन्ति, तसा वि पाणा थावरत्ताए पञ्चायन्ति, थावरकायाओ विप्पमुच्चमाणा सव्वे तसकायंसि उववजन्ति, तसकायाओ विप्पमुच्चमाणा सव्वे थावरकायंसि उववजन्ति, तेसि च णं थावरकायंसि उववन्नागं ठाणमेयं धत्तं । सवायं भगवं गोयमे उदयं पेढालपुत्तं एवं वयासी-नो खलु आउसो अम्हाकं वत्तव्वएणं तुम्भं चेव अणुप्पवाएणं अत्थि णं से परियाए जे णं समणोवासगस्स सव्वपाणेहिं सव्वभूएहिं सव्वजीवहिं सव्वसत्तेहिं दण्डे निक्खित्ते भवइ । कस्स णं तं हेउं ? संसारिया खलु पाणा, तसा वि पाणा थावरत्ताए पञ्चायन्ति, थावरा वि पाणा तसत्ताए पच्चायन्ति, तसकायाओ विप्पमुच्चमाणा सव्वे थावरकायंसि उववजन्ति, थावरकायाओ विप्पमुच्चमाणा सव्वे तसकायंसि उववजन्ति, तेसिं च णं तसकायंसि उववन्नाणं ठाणमेयं अघत्तं । ते पाणा वि वुचन्ति, ते तसा वि वुच्चन्ति, ते महाकाया ते चिरहिझ्या । ते बहुयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ । ते अप्पयरगा पाणा जेहिं समगोवासगस्स अपञ्चक्खायं भवइ । से महया तसकायाओ उवसन्तस्स उवट्ठियस्स पडिविरयस्स जं गं तुब्भे वा अन्नो वा एव वयह-नत्थि णं से केइ परियाए जंसि समणोवासगस्स एगपाणाए वि दण्ड निक्खित्ते । अयं पि भेदे से नो नेयाउए भवइ ॥ १० ॥ ८०८ ॥ भगवं च णं उदाहु नियण्ठा खलु पुच्छियव्वा । आउसन्तो नियण्ठा इह खलु सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति । तेसिं च एवं वुत्तपुव्वं भवइ-जे इमे मुण्डे भवित्ता अगाराओ अणगारिय पव्वइए एसिं च णं आमरणन्ताए दण्डे निक्खित्ते । जे इमे अगारमावसन्ति एएसि Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० म०७] सुत्तागमे गं आमरणन्ताएं दण्डे नो निक्खित्ते । केई च णं समणा जाव वासाई चउपञ्चमाइं छठ्ठद्दसमाई अप्पयरो वा भुजयरो वा देसं दूइजित्ता अगारमावसेज्जा ? हतावसेज्जा । तस्स णं तं गारत्यं वहमाणस्स से पच्चक्खाणे भङ्गे भवइ ? नो इणढे समढे। एवमेव समणोवासगस्स वि तसेहिं पाणेहिं दण्डे निक्खित्ते, थावरेहिं पाणेहिं दण्डे नो निक्खित्ते । तस्स णं तं थावरकायं वहमाणस्स से पचक्खाणे नो भङ्गे भवइ । से एवमायाणह ? नियण्ठा । एवमायाणियव्वं ॥ भगवं च णं उदाहु नियष्ठा खलु पुच्छियव्वा-आउसन्तो नियण्ठा इह खलु गाहावई वा गाहावइपुत्तो वा तहप्पगारेहिं कुलेहिं आगम्म धम्मं सवणवत्तियं उवसंकमेजा ? हन्ता उवसंकमेजा। तेसिं च णं तहप्पगाराणं धम्म आइक्खियब्वे ? हन्ता आइक्खियव्वे । किं ते तहप्पगारं धम्मं सोचा निसम्म एवं वएजा इणमेव निग्गन्थं पावयणं सच्चं अणुत्तरं केवलियं पडिपुण्ण संसुद्धं नेयाउयं सल्लकत्तणं सिद्धिमग्गं मुत्तिमग्गं निजाणमग्गं निव्वाणमग्गं अवितहमसंदिद्धं सत्वदुक्खप्पहीणमग्गं । एत्थ ठिया जीवा सिज्झन्ति वुज्झन्ति मुच्चन्ति परिणिव्वायन्ति सव्वदुक्खाणमन्तं करेन्ति । तमाणाए तहा गच्छामो तहा चिट्ठामो तहा निसीयामो तहा तुयट्टामो तहा भुञ्जामो तहा भासामो तहा अब्भुट्ठामो तहा उठाए उढेमो त्ति पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं संजमेणं संजमामो त्ति वएना ? हन्ता वएजा । किं ते तहप्पगारा कप्पन्ति पव्वावित्तए ! हन्ता कप्पन्ति । किं ते तहप्पगारा कप्पन्ति मुण्डावित्तए ? हन्ता कप्पन्ति । किं ते तहप्पगारा कप्पन्ति सिक्खावित्तए ? हन्ता कप्पन्ति । किं ते तहप्पगारा कप्पन्ति उवठ्ठावित्तए ? हन्ता कप्पन्ति । तेर्सि च णं तहप्पगाराणं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं दण्डे निक्खित्ते ? हंता निक्खित्ते । से णं एयारवेणं विहारेणं विहरमाणा जाव वासाइं चउपञ्चमाइं छठ्ठड्समाइं वा अप्पयरो वा भुज्जयरो वा देसं दूइजेत्ता अगारं वएना ? हन्ता वएजा । तस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं दण्डे नो निक्खित्ते? नो इणद्वे समढे । से जे से जीवे जस्स परेणं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं दण्डे नो निक्खित्ते । से जे से जीवे जस्स आरेणं सव्वपाणेहिं जाव सत्तेहिं दण्डे निक्खित्ते । से जे से जीवे जस्स इयाणि सव्वपाणेहिं जाव सत्तेहि दण्डे नो निक्खित्ते भवइ, परेणं असंजए आरेणं संजए, इयाणिं असंजए, असंजयस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सत्तेहिं दण्डे नो निक्खित्ते भवइ । से एवमायाणह ? नियण्ठा से एवमायाणियव्वं ॥ भगवं च णं उदाहु नियण्ठा खलु पुच्छियव्वाआउसन्तो नियण्ठा इह खलु परिव्वाइया वा परिव्वाइयाओ वा अन्नयरेहितो तित्थाययणेहिंतो आगम्म धम्मं सवणवत्तियं उवसंकमेजा ? हन्ता उवसंकमज्जा । १२ सुत्ता० Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७० सुत्तागमे [सूबगर किं तेसिं तहप्पगारेणं धस्मे आइक्खियध्वे ? हन्ता आइक्सियव्वे । तं चेव उकहावित्तए जाव कप्पन्ति ? हन्ता कम्पन्ति । किं ते तहप्पगारा कम्पन्ति संभुजित्तए ! हन्ता कप्पति । तेणं एयारूवेणं विहारेगं विहरमाणा तं चेव जाव अगारं वएना? हन्ता वएज्जा । ते णं तहप्पगारा कप्पन्ति संभुक्षित्तए ? नो इणढे समझे । से जे से जीवे जे परेणं नो कप्पन्ति संभुजित्तए । से जे से जीवे आरेणं कम्पन्ति संभुतिए। से जे से जीवे जे इयाणि नो कप्पन्ति संभुसित्तए । परेणं अस्समणे आरेणं समणे, इयागि अस्समणे, अस्समणेणं सद्धिं नो कप्पन्ति समणाणं निग्गंथाणं संभुजित्तए । से एवमायाणह ? नियण्ठा से एक्मायाणियच्वं ॥ ११ ॥ ८०९ ॥ भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया समणोवासगा भवन्ति । तेसिं च णं एवं वृत्तपुव्वं भवइ-नो खलु वयं संचाएमो मुण्डा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए । वयं णं चाउद्दसठ्ठमुद्दिद्वपुणिमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्मं अणुपालेमाणा विहरिस्सामो । थूलगं पाणाइवायं पचक्खाइस्सामो, एवं थूलगं मुसावायं थूलगं अदिन्नादाणं थूलगं मेहुगं थूलगं परिग्गहं पच्चक्खाइस्सामो । इच्छापरिमाणं करिस्सामो, दुविहं तिविहेणं । मा खलु ममहाए किंचि करेह वा करावेह वा तत्थ वि पच्चक्खाइस्सामो । ते णं अभोच्चा अपिच्चा असिणाइत्ता आसन्दीपेढियाओ पञ्चोरुहित्ता, ते तहा कालगया किं वत्तव्वं सिया-सम्मं कालगय त्ति ? वत्तव्वं सिया । ते पाणा वि वुचन्ति ते तसा वि वुच्चन्ति ते महाकाया ते चिरहिइया । ते वहुयरगा पाणा जेहिं समणो. वासगस्स सुपचक्खायं भवइ । ते अप्पयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अपञ्चक्खायं भवइ । इति से महयाओ जं णं तुब्मे वयह तं चेव जाव अयं पि भेदे से नो नेयाउए भवइ ॥ भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया समणोवासगा भवन्ति । तेर्सि च णं एवं वृत्तपुव्वं भवइ-नो खलु वयं संचाएमो मुण्डा भवित्ता अगाराओ जाव पव्वइत्तए । नो खलु वयं संचाएमो चाउद्दसट्ठमुद्दिठ्ठपुण्णमासिणीसु जाव अणुपाल माणे विहरित्तए । वयं णं अपच्छिममारणन्तियं संलेहणाजूसणाजूसिया भत्तपाणं पडियाइक्खिया जाव कालं अणवकंखमाणा विहरिस्सामो। सव्वं पाणाइवायं पञ्च , क्खाइस्सामो जाव सव्वं परिग्गहं पच्चक्खाइस्सामो तिविहं तिविहेणं मा खलु ममः हाए किंचि वि जाव आसन्दीपेढियाओ पच्चोरुहित्ता एए तहा कालगया, किं वत्तव सिया सम्मं कालगय त्ति ? वत्तव्वं सिया। ते पाणा वि वुचन्ति जाव अयं पि भेदे से नो नेयाउए भवइ ॥ भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति । त जहा-महइच्छा महारम्भा महापरिग्गहा अहम्मिया जाव दुप्पडियाणंदा जान सव्वाओ परिग्गहाओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए जेहिं समणोवासगस्स आयाणसा Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे २ सु० म०७] आमरणंताए दंडे निखित्ते ते तओ आउगं विप्पजहंति तओ भुजो सगमादाए दुग्गइगामिणो भवंति, ते पाणावि वुच्चंति ते तसावि वुवंति ते महाकाया ते चिरठिझ्या ते बहुयरगा आयाणसो इति से महयाओ णं जण्णं तुन्भे वदह तं चेव अयंपि भेदे से णो णेयाउए भवइ-भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति । तं जहा-अणारम्भा अपरिगाहा धम्मिया धम्माणुया जाव सव्वाओ परिग्गहाओ पडिविरया जावज्जीवाए, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए दण्डे निक्खित्ते, ते तओ आउगं विप्पजहन्ति, ते तओ भुज्जो सगमायाए सोग्गइगामिणो भवन्ति । ते पाणा वि वुच्चन्ति जाव नो नेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति । तं जहा-अप्पिच्छा अप्पारम्भा अप्पपरिग्गहा धम्मिया धम्माणुया जाव एगच्चाओ परिग्गहाओ अप्पडिविरया, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए दण्डे निक्खित्ते । ते तओ आउगं विप्पजहन्ति, तओ भुजो सगमादाए सोग्गइगामिणो भवन्ति । ते पाणा वि वुचन्ति जाव नो नेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति । तं जहाआरणिया आवसहिया गामणियन्तिया कण्हुईरहस्सिया, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए दण्डे निक्खित्ते भवेत् । नो बहुसंजया नो वहुपडिविरया पाणभूयजीवसत्तेहिं अप्पणा सच्चामोसाइं एवं विप्पडिवेदेन्ति-अहं न हन्तवो अन्ने हन्तव्वा जाव कालमासे कालं किच्चा अन्नयराइं आसुरियाई किदिवसियाई जाव उववत्तारो भवन्ति, तओ विप्पमुच्चमाणा भुजो एलमुयत्ताए तमोरूवत्ताए पच्चायन्ति । ते पाणा वि बुच्चन्ति जाव नो नेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया पाणा दीहाउया जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए जाव दण्डे निक्खित्ते भवइ । ते पुवामेव कालं करेन्ति करित्ता पारलोइयत्ताए पञ्चायन्ति । ते पाणा वि वुचन्ति, ते तसा वि वुच्चन्ति । ते महाकाया ते चिरट्टिइया ते दीहाउया ते बहुयरगा, पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ, जाव नो नेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया पाणा समाउया, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए जाव दण्डे निक्खित्ते भवइ । ते सयमेव कालं करेन्ति, करित्ता पारलोइयत्ताए पच्चायन्ति । ते पाणा वि वुच्चन्ति, तसा वि वुचन्ति, ते महाकाया ते समाउया ते बहुयरगा जेहि समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ जाव नो नेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया पाणा अप्पाउया, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए जाव दण्डे निक्खित्ते भवइ । ते पुवामेव कालं करेन्ति, करेत्ता पारलोइयत्ताए पच्चायन्ति । ते पाणा वि वुचन्ति, ते तसा दि Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ सूयगड 1 वुच्चन्ति, ते महाकाया ते अप्पाउया ते बहुयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपचक्खायं भवइ, जाव नो नेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया समणोवासगा भवन्ति । तेसि च णं एवं वृत्तपुव्वं भवइ - नो खलु वयं संचाएमो मुण्डे भवित्ता जाव पव्वइत्तए । नो खलु वयं संचाएमो चाउद्दसमुद्दिपुण्णमा सिणीसु पडि पुण्णं पोसहं अणुपालित्तए । नो खलु वयं संचाएमो अपच्छिमं जाव विहरित्तए वयं च णं सामाइयं देसावगासियं पुरत्था पाईणं वा पडीणं वा दाहिणं वा उदीर्णं वा एयावया जाव सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं दण्डे निक्खिते सव्वपाणभूयजीवसत्तेहिं खेमंकरे अहमंसि । तत्थ आरेणं जे तसा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए दण्डे निक्खिते । तओ आउं विप्पजहंति, विप्पजहित्ता तत्थ आरेगं चेव जे तसा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो जाव तेसु पञ्चायन्ति, जेहि समगोवा सगस्स सुपचक्खायं भवइ । ते पाणा वि जाव अयं पि भेदे जाव नेयाउए भवइ ॥ ८१० ॥ तत्थ आरेणं जे तसा पाणा जेहिं समगोवासगस्स आयासो आमरणन्ताए दण्डे निक्खित्ते ते तओ आउं विप्पजहन्ति । विप्पजहित्ता तत्थ आरेणं चेव जाव थावरा पाणा जेहि समणोवासगस्स अट्ठाए दण्डे अनिक्खिते अट्ठाए दण्डे निक्खित्ते तेसु पच्चायन्ति । तेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दण्डे अनिक्खित्ते अणट्ठाए दण्डे निक्खित्ते, ते पाणा वि वुच्चन्ति ते तसा ते चिरट्ठिया जाव अयं पि भेदे से...। तत्थ जे आरेणं तसा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए... तओ आउं विप्पजहन्ति विप्पजहित्ता तत्थ परेणं जे तसा थावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए... तेसु पच्चायन्ति, तेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ, ते पाणा वि जाव अयं पि भेदे से...। तत्थ जे आरेणं थावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दण्डे अणिक्खित्ते अणट्ठाए निक्खित्ते ते तओ आउं विप्पजहन्ति, विप्पजहित्ता तत्थ आरेणं चेव जे तसा पाणा जेहि समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए.. तेसु पच्चायन्ति, तेसु समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ, ते पाणा वि जाव अयं पि भेदे से...। तत्थ जे ते आरेणं जे थावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दण्डे अणिक्खित्ते अणट्ठाए निक्खित्ते, ते तओ आउँ विप्पजहन्ति विप्पजहित्ता ते तत्थ आरेणं चेव जे थावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दण्डे अणिक्खित्ते अणट्टाए निक्खित्ते तेसु पच्चायन्ति । तेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए अगट्ठाए ते पाणा वि जाव अयं पि भेदे से नो...। तत्थ जे ते आरेणं थावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अट्टाए दण्डे अणिक्खित्ते, अणट्टाए निक्खित्ते तओ आउं विप्पज १८० Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ सु० अ० ७ ] सुत्तागमे हन्ति । विप्पजहित्ता तत्थ परेणं जे तसथावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आया सो आमरणन्ताए० तेसु पच्चायन्ति । तेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ । ते पाणा, वि जाव अयं पि भेदे से नो नेयाउए भवइ । तत्थ जे ते परेणं तसथावरा पाणा जेहिं समणोवास गस्स आयाणसो आमरणन्ताए• ते तओ आउं विप्पज - हन्ति, विप्पजहित्ता तत्थ आरेणं जे तसा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए...तेसु `पञ्चायन्ति । तेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ । पाणा वि जाव अयं पि भेदे से नो नेयाउए भवइ । तत्थ जे ते परेणं तसथावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए... ते तओ आउं विप्पजहन्ति विप्पजहित्ता तत्थ आरेणं जे थावरा पाणा जेहिं समणोवा सगस्स अट्टाए दण्डे अणिक्खित्ते अणट्टाए निक्खित्ते तेसु पञ्चायन्ति, जेहि समणोवासगस्स अट्ठाए अणिक्खित्ते, अणट्ठाए निक्खित्ते जाव ते पाणा वि जाव अयं पि भेदे से नो...। तत्थ जे ते परेणं तसथावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए.. ते तओ आउं विप्पजहन्ति । विप्पजहित्ता ते तत्थ परेणं चेव जे तसथावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए० तेसु पच्चायन्ति, जेहिं समणोवासगस सुपचक्खायं भवइ । ते पाणा वि जाव अयं पि भेदे से नो...। भगवं च णं उदाहुन एयं भूयं न एयं भव्वं न एयं भविस्सइ जं णं तसा पाणा वोच्छिज्जिहिन्ति थावरा पाणा भविस्सन्ति, थावरा पाणा वि वोच्छिज्जिहिन्ति तसा पाणा भवि - सन्ति । अवोच्छिन्नेहिं तसथावरेहिं पाणेहिं जं णं तुब्भे वा अन्नो वा एवं वदहनत्थि णं से केइ परियाए जाव नो नेयाउए भवइ ॥ ८११ ॥ भगवं च சு 'उदाहु आउसन्तो उदगा जे खलु समणं वा माहणं वा परिभासेइ मित्ति मन्नन्ति आगमित्ता नाणं आगमित्ता दंसणं आगमित्ता चरित्तं पावाणं कम्माणं अकरणयाए से खलु परलोगपलिमन्यत्ताए चिट्ठा, जे खलु समणं वा माहणं वा नो परिभासइ मित्ति मन्नन्ति आगमित्ता णाणं आगमित्ता दंसणं आगमित्ता चरितं पावाणं कम्माणं अकरणयाए से खलु परलोगविसुद्धीए चिट्ठइ । तए णं से उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयमं अणाढायमाणे जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पहारेत्थ गमणाए । भगवं च णं उदाहु आउसन्तो उदगा जे खलु तहाभूयस्स समणस्स वा माहणस्स वा अन्तिए एगमवि आरियं धम्मियं सुवयणं सोच्चा निसम्म अप्पणो चेव सुहुमाए पडिलेहाए अणुत्तरं जोगखेमपयं लम्भिए समाणे सो वि ताव तं आढाइ परिजाणेइ वन्दइ नम॑सइ सक्कारेइ सम्माणेइ जाव कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासइ । तए णं से उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयमं एवं वयासी - एएसिं णं भन्ते पदागं पुत्रि १८१ Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तांगमे १८२ [सूयगई अन्नाणयाए असंवेणयाए अवोहिए अणभिगमेणं अदिट्ठाणं असुयाणे अमुंयाण अविनायांणं अव्वोंगडाणे अविगूढाणं अविच्छिन्नाणं अणिसिट्ठाणं अणिवूढाणं अणुः वहारियाणं ऐयमंटुं नो सद्दहियं नो पत्तिये नो रोईयं । एएसि ग भन्ते पैदाणं एण्हेिं जाणयाए सवणयाए बोहिए जाव उवहारणयाए एयमढे सदहामि पत्तियामि रोएमि एवमेव से जहेयं तुब्मे वदह । तए णं भगवं गोयमे उदगं पेढालपुत्तं एवं वयासी सदहाहि णं अजो पत्तियाहि णं अज्जो रोएहि णं अजो एवमेयं जहा णं अम्हे वयामो । तए णं से उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयमं एवं क्यासी-इच्छामि णं भन्ते तुभं अन्तिए चाउज्जामाओ धम्माओ पञ्चमहव्वइयं सपडिकमणं धम्म उवसंपजित्ता णं विहरित्तए ॥ तए णं से भगवं गोयमे उदगं पेढालपुत्तं गहार्य जेणेवं समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छई, उवागच्छित्ता तए णं से उदए पेढालपुत्ते समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करित्ता वन्दइ नमसई वन्दित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भन्ते तुम्भं अन्तिए चाउजामाओ धम्माओ पञ्चमहव्वइयं सपडिकमणं धम्म उवसंपजित्ता णं विहरित्तए । तए णं समणे भगवं महावीरे उदगं एवं वयासी-अहासुई देवाणुप्पिया मा पडिबन्धं करेहि । तए णं से उदए पेढालपुत्ते समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए चाउजामाओ धम्माओ पंञ्चमहत्वइयं सपडिक्कमणं धम्म उवसंपजित्ता णं विहरइ तिं बेमि ॥ १४ ॥ ८१२॥ नालन्दइजज्झयणं सत्तमं ॥ खूयगडं संमत्त ॥ Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ०१] सुत्तागमे णमो त्थु णं समणस्स भगवओ णायपुत्त महावीरस्स ठाणे पढमं ठाण १६ ॥ एगा वई ॥ २२ ॥ सुयं में आसं ! तेण भगवया एव मक्खायं, एगे आया ॥ ॥ २ ॥ एगा किरिया ॥ ३ ॥ एगे लोए ॥ ४ ॥ एगे अलोए ॥ ६ ॥ एगे अहम्मे ॥ ७ ॥ एगे बंधे ॥ ८ ॥ एगे मोक्खे ॥ १० ॥ एगे पावे ॥ ११ ॥ एगे आसवे ॥ १२ ॥ एगे संवरे ॥ १३ ॥ एगा वेयणा ॥ १४ ॥ एगा निजरां ॥ १५ ॥ एगे जीवे पांडिकणं सरीरएणं एगो जीवाणं अपरिआइत्ता विगुव्वणां ॥ १७ ॥ एगे मणे ॥ १८ ॥ ॥ १९ ॥ एगे कायवायामे ॥ २० ॥ ऐगा उप्पा ॥ २१ ॥ एगा वियती एगा वियचा ॥ २३ ॥ एगा गंई ॥ २४ ॥ एगा आंगई ॥ २५ ॥ एगे चयंणे ॥ २६ ॥ एंगे उवैवीए ॥ २७ ॥ एगा तक्का ॥ २८ ॥ एगो सन्ना ॥ २९ ॥ एगा मन्ना ॥ ३० ॥ ऐगा 'विश्नू ॥ ३१ ॥ एंगा वेयणा ॥ ३२ ॥ एगी छेयणा ॥ ३३ ॥ ऍगा भेयणा ॥ ३४ ॥ एगे मरणे अंतिमसारीरियाणं ॥ ३५ ॥ एगे संसुद्धे अंहाभूते पत्ते ॥ ३६ ॥ एंगे दुक्खे जीवाणं ॥ ३७ ॥ एंगे भूएं ॥ ३८ ॥ एंगा अहम्मपडिमा जं से आया पडिकिलेसइ ॥ ३९ ॥ एगा धम्मंपडिमा जं से आया पंजवजाए ॥ ४० ॥ एगे मणे देवासुरमनुआणं तंसि तंसि समयंसि एगा वई देवासुरमणुयाणं तंसि तंसि समयंसि एंगे कायवायामे देवासुरमनुयाणं तंसि तंसि समयंसि एंगे उठा कम्मबलवी रियपुरिसंकारपरक मे देवासुरमनुयाणं तंसि तैसि समयसि ॥ ४१ ॥ एंगे नाणें ॥ ४२ ॥ एंगे दंसणे ॥ ४३ ॥ एंगे चरिते ॥ ४४ ॥ एंगे समए ॥ ४५ ॥ ऐँगे पएसे ॥ ४६ ॥ एंगे परमाणू ॥ ४७ ॥ एग सिद्धी ॥ ४४ ॥ एंगे सिद्धे ॥ ४९ ॥ ऐँगे परिनिव्वाणे ॥ ५० ॥ एंगे परिनिव्वुऍ ॥ ५१ ॥ एंगे सद्दे ॥ ५२ ॥ एंगे रूवें ॥ ५३ ॥ एँगे गंधे ॥ ५४ ॥ ऐँगे रसे ॥ ५५ ॥ एगे फासे ॥ ६६ ॥ एगे सुब्भिस, एंगे दुब्भिसद्दे ॥ ५७ ॥ ऐगे सुरुवे एंगे दुरूंवें ॥ ५८ ॥ एगे दीहे ऐगे हस्से ॥ ५९ ॥ एंगे वंट्टे-एंगे तसे- एगे चउरसे-एंगे पिहुले-एंगे परिमंडले ॥ ६० ॥ एंगे किण्हे-एंगे नीले एंगे लोहिए- एगे हालिदे-एगे सुकिले ॥ ६१ ॥ एंगे सुब्भिगंधे-एंगे दुब्भिगधे ॥ ६२ ॥ एंगे वित्त- एगे कडुए-एंगे कंसाए एंगे अंबिले-एंगे महुरे ॥ ६३ ॥ एगे कक्खडे जावं एंगे लुंक्खे ॥ ६४ ॥ एंगे ز १ ॥ ૧૨ ॥ ५ ॥ ॥ ९ ॥ एगे दंडे एगे धम्मे एंगे पुण्णे Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८४ सुत्तागमे [ ठाणे पाणाइवाए जाव एगे परिग्गहे ॥ एगे कोहे जाव लोहे, एगे पेजे, एगे दोसे, जाव एगे परपरिवार, एगा अरइरइ, एगे मायामोसे एगे मिच्छादंसणसले ॥ ६५ ॥ एगे पाणाइवायवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे, एगे कोहविवेगे, जाव मिच्छादंसणसल्लविवेगे ॥ ६६ ॥ एगा ओसप्पिणी एगा सुसमसुसमा जाव एगा दुसमदुसमा, एगा उस्सप्पिणी, एगा दुसमदुसमा जाव एगा सुसमसुसमा ॥ ६७ ॥ एगा णेरइयाणं वग्गणा, एंगा असुरकुमाराणं वग्गणा, चउवीसदंडओ जाव एगा वेमाणियाणं वग्गणा ॥ ६८ ॥ एगा भवसिद्धियाणं वग्गणा, एगा अभवसिद्धियाणं वग्गणा, एगा भवसिद्धियाणं णेरइयाणं वग्गणा, एगा अभवसिद्धियाणं णेरइयाणं वग्गणा, एवं जाव एगा भवसिद्धियाणं वेमाणियाणं वग्गणा एगा अभवसिद्धियागं वैमाणियाणं वग्गणा ॥ ६९ ॥ एगा सम्मदिठ्ठियाणं वग्गणा, एगा मिच्छदिट्ठियाणं वग्गणा, एगा सम्म - मिच्छदिट्ठियाणं वग्गणा, एगा सम्मदिठियाणं णेरइयाणं वग्गणा, एगा मिच्छदिठियाणं णेरइयाणं वग्गणा, एगा सम्ममिच्छादिठ्ठियाणं नेरइयाणं वग्गणा, एवं जाव थणियकुमाराणं, एगा मिच्छदिठियाणं पुढवीकाइयाणं वग्गणा, एवं जाव वणस्स - काइयाणं, एगासम्मदिठ्ठियाणं बेइंदियाणं वग्गणा, एगा मिच्छदिठ्ठियाणं बेइंदियाणं वग्गणा, एवं तेइंदियाणं चउरिंदियाणं वि सेसा जहा नेरइयो, जाव एगा सम्म - मिच्छदिठियाणं वेमाणियाणं वग्गणा ॥ ७० ॥ एगा कण्हपक्खियाणं वग्गणा, एगा सुक्कपक्खियाणं वग्गणा, एगा कण्हपक्खियाणं नेरइयाणं वग्गणा, एगा सुक्कपक्खियाणं णेरइयाणं वग्गणा, एवं चउवीसदंडओवि भाणियव्वो ॥ ७१ ॥ एगा कण्हलेस्साणं वग्गणा, एगा णीललेस्साणं वग्गणा, एवं जाव सुक्कलेस्साणं वग्गणा, एगा कण्हलेस्साणं नेरइयाणं वग्गणा, जाव काउलेस्साणं नेरइयाणं वग्गणा, एवं जस्स जति लेस्साओ, भवणवइवाणमंतरपुढविआउवणस्सइकाइयाणं च चत्तारि लेस्साओ तेऊवाउर्वेदियतेइंदियचउरिंदियाणं तिन्निलेस्साओ पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं छल्लेस्साओ, जोइसियाणं एगा तेउलेस्सा, वेमाणियाणं तिन्निज्वरिमलेस्साओ एगा कण्हलेस्साणं भवसिद्धियाणं वग्गणा, एगा कण्हलेस्सागं अभवसिद्धियागं वग्गणा, एवं छसु वि लेस्सासु दो दो पयाणि भाणियव्वाणि, एगा कण्हलेस्साणं भवसिद्धियाणं नेरइयाणं वग्गणा, एगा कण्हलेस्साणं अभवसिद्धियाणं नेरइयांणं वग्गणा, एवं जस्स जति लेस्साओ तस्स तति भाणियव्वाओ, जाव वेमाणियाणं । एगा कण्हलेस्सागं समदिट्ठिीयागं वग्गणा, एगा कण्हलेस्साणं मिच्छादिठ्ठियाणं वग्गणा, एगा कण्हलेस्साणं सम्ममिच्छदिठ्ठियाणं वग्गणा, एवं छसु वि लेस्सासु जाव वेमाणियाणं जेसिं जइ दिडीओ; एगा कण्हलेस्साणं कण्हपंक्खियाणं वग्गणा, एगा कण्हलेस्साणं सुक्कपक्खियाणं 1 Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भ०२ उ०१] सुत्तागमे १८५ वग्गणा, एवं जाव वेमाणियाणं, जस्स जइ लेस्साओ, एए अठ्ठ चउवीसदंडया ॥७२॥ एगा तित्यसिद्धाणं वग्गणा, एगा अतित्यसिद्धाणं वग्गणा, एवं जाव एगा एगसिद्धाणं वग्गणा, एगा अणेगसिद्धाणं वग्गणा, एगा पढमसमयसिद्धाणं वग्गणा, एवं जाव अगंतसमयसिद्धाणं वग्गणा ॥ ७३ ॥ एगा परमाणुपोग्गलाणं वग्गणा, एवं जाव एगा अणंतपएसियागं खंधाणं पोग्गलाणं वग्गणा, एगा एगपएसोगाढाणं पोग्गलाणं वगणा, जाव एगा असंखेजपएसोगाढाणं पोग्गलाणं वग्गणा, एगा एगसमयठिइयाणं पोग्गलाणं वग्गणा, जाव असंखेज्जसमयठिझ्याणं पोग्गलाणं वग्गणा, एगा एगगुणकालयागं पोग्गलाणं वग्गणा, जाव एगा असंखेज एगा अगंतगुणकालयाणं पोग्गलाणं वग्गणा, एवं वण्णगंधरसफासा भाणियव्वा जाव एगा अणंतगुणलुक्खाणं पोग्गलाणं वग्गणा, एगा जहन्नपएसियाणं खंधाणं वग्गणा, एगा उक्कोसपएसियाणं खंधाणं वग्गणा, एगा अजहन्नुक्कोसपएसियाणं खंधाणं वग्गणा, एवं जहन्नोगाहणगाणं, उकोसोगाहणगाणं, अजहन्नुक्कोसोगाहणगाणं, जहन्नठिइयाणं, उक्कोसठिझ्याणं, अजहन्नकोराठिझ्याणं, जहन्नगुणकालगाणं, उक्कोसगुणकालगाणं, अजहन्नुक्कोसगुणकालगाणं, एवं वण्णगंधरसफासाणं वग्गणा भाणियव्वा, जाव एगा अजहन्नकोसगुणलुक्खाणं पोग्गलाणं वग्गणा ॥ ७४ ॥ एगे, जंबुद्दीवे २ सव्वदीवसमुद्दाणं जाव अद्धंगुलगं च किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं ॥ ७५ ॥ एगे समणे भगवं महावीरे इमीसे ओसप्पिणीए चउवीसाए तित्थगराणं चरमतित्थयरे सिद्ध बुद्धे मुत्ते जाव सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ ७६ ॥ अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं एगा रयणी उर्दू उच्चत्तेणं पन्नत्ता ॥ ७७ ॥ अद्दानक्खत्ते एगतारे पन्नत्ते, चित्तानक्खत्ते एगतारे पन्नत्ते, साईनक्खत्ते एगतारे पन्नत्ते ॥ ७८ ॥ एगपएसोगाढा पोग्गला अणंता पन्नत्ता, एवमेगसमयठिझ्या, एगगुणकालगा पोग्गला अणंता पन्नत्ता, जाव एगगुणलुक्खा पोग्गला अणंता पन्नत्ता ॥ ७९ ॥ पढमं ठाणं समत्तं ॥ जदत्थि णं लोए तं सव्वं दुपडोआरं, तंजहा-जीवा चेव अजीवा चेव, तसे चेव थावरे चेव, सजोणिया चेव अजोणिया चेव, साउया चेव अणाउया चेव, सइंदिया चेव अणिदिया चेव, सवेयगा चेव अवेयगा चेव, सरूवि चेव अरूवि चेव, सपोगला चेव अपोग्गला चेव, संसारसमावन्नगा चेव असंसारसमावन्नगा चेव, सासया चेव असासया चेव, आगासे चेव नो आगासे चेव, धम्मे चेव अधम्मे चेव, वंधे चेव मोक्खे चेव, पुण्णे चेव पावे चेव, आसवे चेव संवरे चेव, वेयणा चेव, णिजरा चेव ॥ ८० ॥ दो किरियाओ प० तंजहा-जीवकिरिया चेव अजीवकिरिया चेव, जीवकिरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सम्मत्तकिरिया चेव मिच्छत्त Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८६ सुत्तागमे , [गणे किरिया चेव, अजीवकिरिया दुविहा पर्नत्ता, तंजहा-इरियावहिया चेव संपराइया चेव ॥ ८१॥ दो किरियाओ पं० तंजहा-काइया चेव अहिंगरणिया चेव, काइया किरिया दुविहा पन्नत्ता; तंजहा-अणुवरयकायकिरिया चेव, दुप्पउत्तकायकिरिया चेव, अहिगरणियाकिरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-संजोयणाहिगरणिया चेव णिवत्तणाहिगरणिया चेव ॥ ४२ ॥ दो किरियांओ प० तंजहा-पाउसिया चेव पारियावणिया चेव, पाउसियाँ किरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-जीवपाउसिया चेव अजीवपाउसिया चेव, पीरियावणियाकिरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सहत्थपारियावणिया चेव, परहत्थपारियावणिया चेव ॥ ८३ ॥ दो किरियाओ प० तंजहापाणाइवायकिरिया चेव, अपचक्खाणकिरिया चेव, पाणाइवायकिरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-संहत्थपाणाइवायकिरिया चेव, परहत्थपाणाइवायकिरिया चेव; अपच्चक्खाणकिरियां दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-जीवअपच्चक्खाणकिरिया चेव, अजीवअपञ्चक्खाणकिरियां चेव ॥ ८४ ॥ दो किरियाओ पं० तंजहा आरंभिया चेव परिग्गहिया चेव, आरंभियाकिरिया दुविहा पन्नत्ता; तजहा-जीवआरंमियी चेव अजीवआरंभिया चेवं, एवं परिग्गहियावि ॥ ४५ ॥ दो किरियाओ प० तंजहामायावत्तिआ चेव, मिच्छादसणवत्तिआ चेव, मायावत्तिआकिरिया दुविहीं पन्नत्ता, तंजहा-आयभाववंकणया चेव परभाववंकणया चेर्व, मिच्छादसणवत्तिआंकिरिया दुविहा पंन्नत्ता, तंजहा-ऊणाइरित्तमिच्छादसणवत्तिा चेव तव्वइरित्तमिच्छादसणवत्तिआ चेव ।। ८६ ॥ दो किरियाओ पं० तंजही-दिट्टिया चेवं पुटिया चेव, दिट्टियाकिरिया दुविहा प० तंजहा-जीवर्दिहिया चेव अंजीवदिद्रिया चेव, एवं पुट्ठियावि ॥ ८७ ॥ दो किरियाओ प० तंजहा-पांडुच्चियां चेव सामंतोंवणिवाइया चेव, पाडुचियांकिरिया दुविहां पंचत्ता, तंजही-जीवपाईचिया चेव अंजीवपाडुच्चिया चेव, एवं सामंतोंवणिवाइयावि ॥ ८८ ॥ दो किरियाओ पं० तंजहाँसाहत्यिया चेव, सत्थिया चेव, साहत्थियाकिरिया दुविहा पन्नत्ती, तजहा-जीवसाहत्थिया चेव, अजीवसहित्थियां चेव, एवं गैसत्थियावि ॥ ८९ ॥ दो किरियाआ प० तंजहां-आणवणियों चैव वेयारणियां चैवे, जहेव नेसत्थिया ।। ६०॥ दा किरियाओ प० तंजहां-अणाभोगवत्तिया चेव अणवखर्वतिया चेवे, अणाभोगवत्तियाकिरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा अणाउतआइयणया चेव, अणाउत्तपमजणया चेव, अणवखवंत्तिया किरिया दुविहा पत्नत्ता, तंजहा-आयसरीरअणवखवत्तिया चेव, परसरीरअणवखवत्तिया चेवें ॥ ९१॥ दो किरियाओ पठ तंजहा-पेजवत्तिया चेव, दोसवत्तिया चेव, पेजवत्तियाकिरिया दुविहा पैमत्ता, तंजहा-माया Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ० २४० १] सुत्तागमे वत्तिया चेव, लोहवत्तियां चेव, दोसवत्तिया किरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा- कोहे चेव माणे चेव ॥ ९२ ॥ दुविहा गरिहां पन्नत्ता, तंजहा - मणसावेगे गरिहइ वयसावेगे गरिes, अहवा गरिहां दुविहा प० दीहं एगे अद्धं गरिहइ, रहस्सं एगे अद्धं गरिहई ॥ ९३ ॥ दुविहे पंचक्खाणे, मणसावेगे पञ्चखाइ, वयसावेगे पच्चखाइ, अहवा पचक्खाणे दुविहे, दीहं एगे अद्धं पच्चक्खाइ, रहस्सं एगे अद्धं पञ्चक्खाइ ॥ ९४ ॥ दोहिं ठाणेहिं अणगारे संपन्ने अणाइयं अणवंदग्गं दीहमद्धं चाउरंत - संसारकंतारं वीइवएज्जा, तंजहा-विजाए चेव, चरणेण चेव ॥ ९५ ॥ दो ठाणाई अपरियाणित्ता आया णो केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए, तंजहा- आरंभे चेव परिग्गहे चेव, दो ठाणाई अपरिआणित्ता आया णो केवलं बोहिं वुज्झेजा तं० आरंभे चैव परिग्गहे चैव, दो ठाणाई अपरियाइत्ता आया णो केवलं मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारिअं पव्वइजा, तंजहा- आरंभे चेव परिग्गहे चेव, एवं णो केवलं भचेरवासमावसेजा णो केवलेणं संजमेणं संजमेजा, णो केवलेगं संवरेणं संवरेज्जा, णो केवलं आभिणिवोहियणाणं उप्पाडेजा, एवं सुअणाणं, ओहिणाणं, मणपज्जवणाणं, केवलणाणं ॥ ९६ ॥ दो ठाणाई परियाइत्ता आया केवलीपन्नत्तं धम्मं लभेज सवणयाए, तंजहा- आरंभे चैव परिग्गहे चेव, एवं जाव केंवलणाणमुप्पाडेजा ॥ ९७ ॥ दोहिं ठाणेहिं आया केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज सवणयाए तंजहा सोच्चा चेव, अभिसमेच्चा चेव, जाव केवलणागं उप्पाडेजा ॥ ९८ ॥ दो समाओ पनत्ताओ, तंजा - उस्सप्पिणिसमा चैव; ओसप्पिणिसमा चैव ॥ ९९ ॥ दुविहे उम्मापन्नत्ते, तंजहा - जक्खावेसे चेव मोहणिजस्स चेवं कम्मस्स उदपणं, तत्थणं जे से जक्खावेसे से णं सुहवेयतराए चैव सुहविमोयतराए चेवं, तत्थण जे से मोहणिजस्स कम्मस्स उदएणं, से णं दुहवेयंतराए चेव दुहविमोयतराए चेव ॥१००॥ दो डी पत्ता, तंजहा - अट्ठादंडे चेव, अणद्वादंडे चेव, नेरइयाणं दो दंडा पन्नत्ता तंजहा - अट्ठादंडे चेव अगट्ठादंडे य एवं चंउवीसदंडओ जाव वेमाणियाणं ॥ १०१ ॥ दुविहे दंसणे 6 सम्मदंसणे चेव, मिच्छदिंसणे चेव, सम्मदंसणे दुविहे ० णिसग्गसम्मदसणे चेव, अभिगमसम्मदंसणे चेव, णिसग्गसम्मदंसणे दुविहे ०, पडिवाई चेव, अपेंडिवाई चेव, अभिगमसम्मदंसणे दुविहे०, पडिवाई चेव, अपडिवाई चेव, मिच्छादंसणे दुविहे ० तं जहा अभिग्गहियमिच्छादंसणे चेव, अणभिग्गहियमिच्छादसणे चैव, अभिरंगहियमिच्छादंसणे दुविहेः सपर्जवसिए चैव, अपजवसिए चैव, एवमणभिग्गहियमिच्छादंसणेवि ॥ १०२ ॥ दुविहे नाणे पञ्चक्खे चेव, परोंक्खे चेवं, पचक्खनाणे दुर्विहे० केवलनाणे चेव, नो केवलनाणे चेव, केवलनाणे दुविहे ० १८७ Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८८ सुत्तागमे [गणे भवत्थकेवलनाणे चेव सिद्धकेवलनाणे चेव, भवत्थकेवलनाणे दुविहे. सजोगिभवत्यकेवलनाणे चेव अजोगिभवत्थकेवलनाणे चेव, सजोगिभवत्थकेवलनाणे दुविहे. पढमसमयसजोगिभवत्थकेवलनाणे चेव, अपढमसमयसजोगिभवत्थकेवलनाणे चेव, अहवा, चरिमसमयसजोगिभवत्थकेवलनाणे चेव, अचरिमसमयसजोगिभवत्थकेवलनाणे चेव, एवं अजोगिभवत्थकेवलनाणे वि, सिद्धकेवलनाणे दुविहे०, अणंतरसिद्धकेवलनाणे चेव, परंपरसिद्धकेवलनाणे चेव, अणंतरसिद्धकेवलनाणे दुविहे० एकाणंतरसिद्धकेवलनाणे चेव, अणेक्काणंतरसिद्धकेवलनाणे चेव, परंपरसिद्धकेवलनाणे दुविहे. एकपरंपरसिद्धकेवलनाणे चेव, अणेकपरंपरसिद्धकेवलनाणे चेव, णो केवलनाणे दुविहे. ओहिनाणे चेव, मणपज्जवनाणे चेव, ओहिनाणे दुविहे. भवपच्चइए चेव, खओवसमिए चेव, दोहं भवपञ्चइए० देवाणं चेव, णेरइयाणं चेव, दोण्हं खओवसमिए० मणुस्साणं चेव, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं चेव, मणपज्जवणाणे दुविहे. उज्जुमई चेव, विठलमई चेव, परोक्खणाणे दुविहे. आभिणिवोहियणाणे चेव, सुअणाणे चेव, आभिणिवोहियणाणे दुविहे. सुयनिस्सिए चेव, असुयनिस्सिए चेव, सुयनिस्सिए दुविहे. अत्योग्गहे चेव, वंजणोग्गहे चेव, असुयनिस्सिएवि एवमेव, सुयणाणे दुविहे. अंगपविढे चेव, अंगवाहिरे चेव, अंगवाहिरे दुविहे. आवस्सए चेव आवस्सयवइरित्ते चेव, आवस्सयवइरित्ते दुविहे. कालिए चेव, उकालिए चेव ॥ १०३ ॥ दुविहे धम्मे० सुअधम्मे चेव, चरित्तधम्मे चेव, सुअधम्मे दुविहे. सुत्तलुअधम्मे चेव, अत्थसुअधम्मे चेव, चरित्तधम्मे दुविहे. अगारचरित्तधम्मे चेव, अणगारचरित्तधम्मे चेव, संजमे दुविहे० सरागसंजमे चेव, वीयरागसंजमे चेव, सरागसंजमे दुविहे. सुहुमसंपरायसरागसंजमे चेव बादरसंपरायसरागसंजमे चेव, सुहुमसंपरायसरागसंजमे दुविहे. पढमसमयसुहुमसंपरायसरागसंजमे चेव, अपर्धामसमयसुहुमसंपरायसरागसंजमे चेव, अहवा चरिमसमयसुहुमसंपरायसरागसंजमे चेव, अचरिमसमयसुहमसंपरायसरागसंजमे चेव, अहवा सुहुमसंपरायसरांगसंजमे दुविहे. संकिलेसमाणए चेव, विसुज्झमाणए चेव, वादरसंपरायंसरागसंजमे दुविहे. पढमसमयवादरसंपरायसरांगसंजमे, अपढमसमयवादरसंपरायसरागसंजमे, अहवा चरिमसमयबादरसंपरायसरागसंजमे; अचरिमसमयवादरसंपरायसरांगसंजमे, अहवा बादरसंपरायसरांगसंजमे दुविहे. पडिवाइए चेव, अपडिवाइए चेव, वीयरांगसंजमे दुविहे० उवसंतकसायवीयरागसंजमे चेव, खीणकसायवीयरागसंजमे चेव, उवसंतकसायवीयरागसंजमे दुविहे. पढमसमयउवसंतकसायवीयरागसंजमे चेव, अपढमसमयउवसंतकसायवीयराग Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म० २ उ०१] सुत्तागमे १८९ संजमे चेव, अहवा चरिमसमयउवसंतकसायवीयरागसंजमे चेव, अचरिमसमयउवसंतकसायवीयरागसंजमे चेव, खीणकसायवीयरागसंजमे दुविहे० छउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे चेव, केवलिखीणकसायवीयरागसंजमे चेव, छउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे दुविहे० सयंयुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे, बुद्धवोहियछउमत्यखीगकसायवीयरागसंजमे, सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे दुविहे. पढमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे, अपढमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे, अहवा चरिमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे, अचरिमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे, बुद्धवोहियछउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे दुविहे० पढमसमयबुद्धवोहियछउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे, अपढमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे, अहवा चरिमसमयबुद्धवोहियछउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे अचरिमसमयबुद्धवोहियछउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे, केवलिखीणकसायवीयरागसंजमे दुविहे० सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसंजमे, अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसंजमे, सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसंजमे दुविहे० पढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसंजमे अपढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसंजमे, अहवा चरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसंजमे, अचरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसंजमे, अजोगिफेवलिखीगकसायवीयरागसंजमे दुविहे० पढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसंजमे, अपढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसंजमे, अहवा चरिमसमयअयोगिकेवलिखीणकसायवीयरायसंजमे, अचरिमसमयअयोगिकेवलिखीणकसायवीयरायसंजमे ॥ १०४ ॥ दुविहा पुढविकाइया पन्नत्ता, तंजहा-सुहुमा चेव, बायरा चेव, एवं जाव दुविहा वणस्सइकाइया पन्नत्ता तंजहा-सुहुमा चेव बायरा चेव, दुविहा पुटविकाइया पन्नत्ता तंजहा-पज्जत्तगा चेव, अपजत्तगा चेव, एवं जाव वणस्सइकाइया, दुविहा पुढविकाइया पन्नत्ता, तंजहा-परिणया चेव, अपरिणया चेव, जाव वणस्सइकाइया, दुविहा दव्वा० परिणया चेव अपरिणया चेव, दुविहा पुढविकाइया पन्नत्ता तंजहा-गइसमावन्नगा चेव अगइसमावन्नगा चेव, एवं जाव वणस्सइकाइया, दुविहा दव्वा पन्नत्ता तंजहा-गइसमावन्नगा चेव अगइसमावन्नगा चेव, दुविहा पुढविकाइया० अणंतरोगाढगा चेव परंपरोगाढगा चेव, जाव दव्वा ॥ १०५॥ दुविहे काले० ओसप्पिणीकाले चेव, उस्सप्पिणीकाले चेव ॥ १०६ ॥ दुविहे आगासे० लोगागासे चेव, अलोगागासे चेव ॥ १०७ ॥ रइयाणं दो सरीरगा० अभंतरगे चेव, बाहिरगे चेव, अभंतरए कम्मए, वाहिरए वेउविए, Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [गणे एवं देवाणं भाणियन्वं, पुढविकाइयाणं दो सरीरगा० अभंतरगे चेव, बाहिरगे चेव, अब्भंतरए कम्मए, बाहिरगे उरालिए, जाव वणस्सइकाइयाणं, बेइंदियागं दोसरीरगा० अभंतरए चेव बाहिरए चेव, अभंतरए कम्मए, अट्टिमंससोणितबद्धे बाहिरए उरालिए, जाव चउरिंदियागं, पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं दो सरीरगा० असंतरगे चेव, बाहिरगे चेव, अभंतरगे कम्मए, अट्ठिमंससोणियोहारुच्छिरावद्धे, वाहिरए उरालिए, मणुस्साणवि एवं चेव, विग्गहगतिसमावन्नगाणं णेरइयाणं दो सरीरगा० तेयए चेव कम्मए चेव, निरंतरं जाव वेमाणियागं, नेरइयाणं दोहिं ठाणेहिं सरीरुप्पत्ती सिया, तं० रागेणं चेव, दोसेणं चेव, जाव वेमाणियाणं, नेरइयागं दुठ्ठाणनिव्वत्तिए सरीरगे० रागनिव्वत्तिए चेव दोसनिव्वत्तिए चेव, जाव वेमाणियाणं ॥ १०८ ॥ दो काया० तसकाए चेव, थावरकाए चेक, तसकाए दुविहे पण्णत्ते० भवसिद्धिए चेव, अभवसिद्धिए चेव, एवं थावरकाए वि ॥ १०९ ॥ दो दिसाओ अभिगिज्झ कप्पइ णिग्गंथाणं वा, णिग्गंधीणं वा, पव्वावित्तए, पाईणं चेव, उदीणं चेव, एवं मुंडावित्तए सिक्खावित्तए, उवठ्ठावित्तए, संभुंजित्तए, संवसित्तए, सज्झायं उद्दिसित्तए, सज्झायं समुद्दिसित्तए, सज्झायमणुजाणित्तए, आलोइत्तए, पडिक्कमित्तए, निदित्तए, गरिहित्तए, विउहित्तए, विसोहित्तए, अकरणयाए अन्भुट्टित्तए, अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्म पडिवजित्तए, दो दिसाओ अभिगिज्झ कप्पइ णिग्गंथाणं वा णिग्गंथीणं वा, अपच्छिममारणंतिए-संलेहणाझुसणा झुसियाणं भत्तपाणपडियाइक्खियाणं पाओवगयाणं कालं अणवकंखमाणाण विहरित्तए, तंजहा-पाईणं चेव उदीणं चेव ॥ ११० ॥ बीयठाणस्स पढमोद्देलो लमन्तो॥ जे देवा उड्ढोववण्णगा कप्पोववण्णगा, विमाणोववण्णगा, चारोववण्णगा, चारद्विइया, गइरइया, गइसमावण्णगा, तेसिं देवाणं सयासमियं जे पावे कम्म कन्जइ तत्थगयावि एगइया वेयणं वेयंति अन्नत्थगयावि एगइया वेयणं वेयात नेरइयाणं सयासमियं जे पावे कम्मे कजइ तत्यगयावि एगइया वेयणं वेयात अन्नत्थगयावि एगइया वेयणं वेयंति, जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं, मणुस्साण सयासमियं जे पावे कम्मे कजइ, इहगयावि एगइया. वेयणं वेयंति अन्नत्थगयावि एगइया वेयणं वेयंति, मणुस्सवज्जा सेसा एक्कगमा ॥ १११ ॥ नेरइया दुगइया दुयागइया प० तं० नेरइए नेरइएसु उववजमाणे मणुस्सहिंतो वा पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो वा उववजेजा, से चेव णं से नेरइए नेरइयत्तं विप्पजहमाण मणुस्सत्ताए वा पंचिंदियतिरिक्खजोणियत्ताए वा गच्छेज्जा, एवं असुरकुमारावि, Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .२ उ०२] सुत्तागमे १९१ णवरं से चेवणं से असुरकुमारत्तं विप्पजहमाणे मणुस्सत्ताए वा तिरिक्खजोणियत्ताए वा गच्छेजा, एवं सव्वदेवा, पुढविकाइया दुगइया दुयागइया प० तं०-पुढविकाइए पुढविकाइएमु उववजमाणे पुढविकाइएहिंतो वा णो पुढविकाइएहिंतो वा उववजेजा, से चेवणं से पुढविकाइयत्तं विप्पजहमाणे पुढविकाइयत्ताए वा णो पुढविकाइयत्ताए वा गच्छेजा, एवं जाव मणुस्सा ॥ ११२ ॥ दुविहा णेरइया प० तं० भवसिद्धिया चैव, अभवसिद्धिया चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा गेरइया प० तं० अणंतरोववन्नगा चेव परंपरोववनगा चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा णेरइया प० तं० गइसमावन्नगा चेच, अगइसमावन्नगा चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा णेरड्या प० तं० पढमसमयउववन्नगा चेव अपढमसमयउववन्नगा चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा गेरइया प० त० आहारगा चेव अणाहारगा चेव, एवं जाव वेमाणिया, दुविहा णेरइया पन्नत्ता तं०, उस्सासगा चेव नोउस्सासगा चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा गैरइया प० तं० सइंदिया चेव, अणिंदिया चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा गैरइया प० तं० पज्जत्तगा चेव, अपजनगा चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा णेरड्या प० तं० सन्नी चेव असन्नी चेव, एवं जाव पंचिंदिया सव्वे विगलिंदियवज्जा, जाव वाणमंतरा। दुविहा गेरइया प० तं० भासगा चेव अभासगा चेव, एवमेगेंदियवज्जा सव्वे, दुविहा णेरइया प० तं० समदिट्ठिया चेव मिच्छदिद्विया चेव, एगिदियवजा सव्वे, दुविहा णेरइया प० तं० परित्तसंसारिया चेव, अणंतसंसारिया चेव, जाव वेमाणिया, दुविहाणेरड्या प० तं० संखेजकालसमयछिइया चेव असंखेजकालसमयछिइया चेव, एवं पंचिंदिया, एगिंदिया विगलिंदियवजा जाव वाणमंतरा, दुविहा णेरड्या प० तं० सुलभवोहिया य दुल्लभबोहिया य जाव वेमाणिया, दुविहा णेरइया प० तं० कण्हपक्खिया चेव सुक्कपक्खिया चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा णेरइया प० तं० चरिमा चेव अचरिमा चेव, जाव वेमाणिया ॥ ११३ ॥ दोहि ठाणेहि आया अह लोग जाणइ पासइ, तं० समोहएणं चेव अप्पाणेणं आया अहे लोगं जाणइ पासइ, असमोहएणं चेव अप्पाणेणं आया अहे लोगं जाणइ पासइ, आधोहि समोहया समोहएणं चेव अप्पाणेणं आया अहे लोगं जाणइ पासइ । एवं तिरियलोग उढलोगं केवलकप्पं लोगं । दोहिं ठाणेहिं आया अहे लोगं जाणइ पासइ, तंजहाविउव्विएणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोगं जाणइ पासइ, अविउव्विएणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोगं जाणइ पासइ, आहोहि विउव्वियाविउविएणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोगं जाणइ पासइ, एवंतिरियलोग उड्डलोगं केवलकप्पं लोगं ॥ ११४ ॥ दोहिं ठाणेहिं आया सहाई सुणेइ, तंजहा-देसेणवि आया सद्दाइं सुणेइ, Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [गणे १९२ सुत्तागमे सव्वेणवि आया सद्दाइं सुणेइ, एवं रूवाइं पासइ, गंधाइं आघायइ, रसाइं आसाएइ, फासाइं पडिसंवेएइ, दोहिं ठाणेहिं आया ओभासइ, तंजहा-देसेणवि आया ओभासइ, सव्वेण वि आया ओभासइ, एवं पभासइ, विउव्वइ, परियारेइ, भासं भासइ, आहारेइ, परिणामेइ, वेएइ, निजरेइ, दोहिं ठाणेहिं देवे सद्दाइं सुणेइ, तंजहादेसेणवि देवे सद्दाई सुणेइ, सव्वेण वि सद्दाई सुणेइ, जाव णिजरेइ ॥ ११५ ॥ मस्या देवा दुविहा प० तं० एगसरीरी चेव विसरीरी चेव, एवं किन्नरा, किंपुरिसा, गंधव्वा, णागकुमारा, सुवन्नकुमारा अग्गि कुमारा, वाउकुमारा देवा दुविहा प० तं० एगसरीरी चेव विसरीरी चेव ॥११६॥ बीयठाणस्स बीओद्देसो समत्तो॥ ___ दुविहे सद्दे प० तं० भासासद्दे चेव नोभासासद्दे चेव । भासासद्दे दुविहे प० तं० अक्खरसंबद्धे चेव, नोअक्खरसंबद्ध चेव । णोभासासद्दे दुविहे प० तं० आउज्जसद्दे चेव, णोआउजसद्दे चेव, आउजसद्दे दुविहे प० तं० तते चेव, वितते चेव, तते दुविहे प० तं० घणे चेव झुसिरे चेव, एवं विततेवि, णोआउज्जसद्दे दुविहे प० तं० भूसणसद्दे चेव, णोभूसणसद्दे. चेव, णोभूसणसद्दे दुविहे प० तं० तालसद्दे चेव लत्तियासद्दे चेव, दोहिं ठाणेहिं सद्दुप्पाए सिया तंजहा-साहन्नंताणं चेव, पुग्गलाणं सदुप्पाए सिया भिजंताणं चेव पोग्गलाणं सद्दुप्पाए सिया ॥ ११७ ॥ दोहिं ठाणेहि पोग्गला साहन्नति, तंजहा-सयं वा पोग्गला साहन्नंति परेण वा पोग्गला साहन्नति, दोहि ठाणेहिं पोग्गला भिजंति, तंजहा-सयं वा पोग्गला भिजंति, परेण वा पोग्गला भिति, दोहिं ठाणेहिं पोग्गला परिसडंति, सयं वा पोग्गला परिसडंति, परेण वा पोग्गला परिसाडिजंति, एवं परिपडंति, विद्धंसंति ॥११८॥ दुविहा पोग्गला प०तं? भिन्ना चेव अभिन्ना चेव, दुविहा पोग्गला पतं० भिउरधम्मा चेव नोभिउरधम्मा चेव, दुविहा पोग्गला प० तं०. परमाणुपोग्गला चेव नोपरमाणुपोग्गला चेव, दुविहा पोग्गला प० तं० सुहुमा चेव बायरा चेव, दुविहा पोग्गला प० त० बद्धपासपुट्ठा चेव नोबद्धपासपुछा चेव, दुविहा पोग्गला प० तं० परियादितचेव, अपरियादितच्चेव, दुविहा पोग्गला प० तं० अत्ताचेव अणत्ताचेव, दुविहा पोग्गला प० तं० इठ्ठा चेव अणिछा चेव, एवं कंता, पिया, मणुन्ना, मणामा । दुविहा सद्दा प० त० अत्ता चेव, अणत्ता चेव एवं इछा जाव मणामा, दुविहा रूवा प० तं० अत्ता चव अणत्ता चेव, जाव मणामा । एवं गंधा, रसा, फासा, एवमिक्किक्के छआलावगा भाणियव्वा ॥ ११९ ॥ दुविहे आयारे प० तं० णागायारे चेव णो णाणायार चेव, णोणाणायारे दुविहे प० तं० दसणायारे चेव, णोदसणायारे चेव, णोदसणायारे दुविहे पण्णत्ते, चरित्तायारे चेव, णो चरित्तायारे चेव, णो चरित्तायारे दुविह यारे दुविहे पायारे दुविहे प० आयारे प० त. फासा, एवमिकिक Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म. २ उ० ३] सुत्तागमे १९३ प० तं० तवायारे चेव, वीरियायारे चेव ॥ १२० ॥ दो पडिमाओ प० तं० समाहिपडिमा चेव, उवहाणपडिमा चेव, दो पडिमाओ प० तं० विवेगपडिमा चेव, विउसग्गपडिमा चेव, दोपडिमाओ प०० भद्दा चेव, सुभद्दा चेव, दो पडिमाओ प०तं० महाभद्दा चेव सव्वतोभद्दा चेव, दो पडिमाओ प० तं० खुड्डिया चेव मोयपडिमा महल्लिया चेव मोयपडिमा, दोपडिमाओ प० तं० जवमज्झे चेव चंदपडिमा वइरमज्झे चेव चंदपडिमा ॥ १२१ ॥ दुविहे सामाइए प० तं० आगारसामाइए चेव, अणगारसामाइए चेव ॥ १२२ ॥ दोहं उववाए प० तं० देवाणं चेव, नेरइयाणं चेव, दोण्हं उव्वट्टणा प० तं० नेरइयाणं चेव, भवणवासीणं चेव, दोण्हं चयणे प० तं० जोइसियाणं चेव, वेमाणियाणं चेव, दोण्हं गन्भवती प० तं० मणुस्साणं चेव, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं चेव । दोण्हं गन्भत्थाणं आहारे प० तं० मणुस्साणं चेव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं चेव दोण्हं गव्भत्थाणं वुड्डी प० तं० मणुस्साणं चेव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं चेव, एवं निव्वुड्डी विगुव्वणा गइपरियाए समुग्धाए कालसंजोगे आयाइ मरणे, दोण्हं छविपव्वा प० तं० मणुस्साणं चेव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं चेव, दो सुक्कसोणिअसंभवा, प० तं० मणुस्सा चेव पंचिंदियतिरिक्खजोणिया चेव, दुविहा ठिई, कायट्टिई चेव, भवठिई चेव, दोण्हं कायछिई, मणुस्साणं चेव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं चेव, दोण्हं भवट्ठिई, देवाणं चेव णेरइयाणं चेव, दुविहे आउए, अद्धाउए चेव, भवाउए चेव, दोण्हं अद्धाउए, मणुस्साणं चेव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं चेव, दोण्हं भवाउए देवाणं चेव, णेरइयाणं चेव, दुविहे कम्मे, पएसकम्मे चेव, अणुभावकम्मे चेव, दो अहाउयं पालेंति, देवच्चेव णेरइयच्चेव, दोण्हं आउयसंवट्टए प० तं० मणुस्साण चेव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाण चेव ॥ १२३ ॥ जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दोवासा वहुसमउल्ला अविसेसमणाणत्ता अन्नमण्णं णाइवर्ति, आयामविक्खंभसंठाणपरिणाहेणं, तंजहा-भरहे चेव, एरवए चेव, एवमेएणं अहिलावणं नेयव्वं, हेमवए चेव हेरण्णवए चेव, हरिवरिसे चेव, रम्मयवरिसे चेव ॥ १२४ ॥ जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं दो खित्ता, वहुसमउल्ला अविसेस जाव पुव्वविदेहे चेव अवरविदेहे चेव ॥१२५॥ जंवूमंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दोकुराओ, वहुसमउल्लाओ अविसेसा जाव देवकुरा चेव उत्तरकुरा चेव, तत्थ णं दो महइ महालया महादुमा, वहुसमउल्ला, अविसेसमणाणत्ता अन्नमन्नं णाइवदृति, आयामविक्खंभुच्चत्तोव्वेहसंठाणपरिणाहेण तजहा कूडसामली चेव, जंवू चेव सुदंसणा, तत्थणं दो देवा महिदिया जाव महासोक्खा, Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९४ सुत्तागमे ठाणे पलिओवमछिइया परिवसंति, तंजहा-गरुले चेव वेणुदेवे अणाढिए चेव जंबूदीवाहिवई ॥ १२६ ॥ जंवूमंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दोवासहरपव्वया, वहुसमउल्ला, अविसेसमणाणत्ता, अन्नमन्नं नाइवदंति, आयामविक्खंभुच्चत्तोव्वेहसंठाणपरिणाहेणं, तंजहा- चुल्लहिमवंते चेव सिहरी चेव एवं महाहिमवंते चेव, रुप्पी चेव, एवं णिसढे चेव, गीलवंते चेव ॥ १२७ ॥ जंवूमंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं हेमवएरन्नवएसु वासेसु दोवट्टवेयवपव्वया, वहुसमउल्ला, अविसेसमणाणत्ता जाव सद्दावाई चेव वियडावाई चेव, तत्थणं दो देवा महिड्डिया जाव पलिओवमछिइया परिवसंति, तंजहा-साई चेव पभासे चेव ॥ १२८ ॥ जंबूमंदरस्स उत्तरदाहिणेणं हरिवासरम्मएसु वासेसु दोवट्टवेयड्डपव्वया, बहुसमउल्ला, जाव गंधावाई चेव, मालवंतपरियाए चेव, तत्थणं दोदेवा महिड्डिया, जाव पलिओवमठिझ्या परिवसंति, तंजहा-अरुणे चेव, पउमे चेव ॥१२९॥ जंवूमंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं देवकुराए पुव्वावरे पासे, एत्थणं आसक्खंधगसरिसा, अद्धचंदसंठाणसंठिया दोवक्खारपव्वया, वहुसमउल्ला जाव, सोमणसे चेव विज्जुप्पभे चेव, जंवूमंदरस्स उत्तरेणं उत्तरकुराए पुव्वावरे पासे एत्थणं आसक्खंधगसरिसा अद्धचंदसंठाणसंठिया दो वक्खारपव्वया प० तं० बहु० जाव, गंधमायणे चेव, मालवंते चेव ॥ . जंवूमंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणे] दोदीहवेयड्डपव्वया, वहुसमउल्ला जाव भारहे चेव दीहवेयड्ढे एरावए चेव दीहवेयड्ढे, भारहेणं दीहवेयड्ढे दोगुहाओ, वहुसमउल्लाओ अविसेसमणाणत्ताओ अन्नमन्न णाइवटंति आयामविक्खंभुच्चत्तसंठाणपरिणाहेणं, तंजहा-तिमिसगुहा चेव, खंडगप्पवायगुहा चेव, तत्थणं दोदेवा महिड्डिया, जाव पलिओवमठिइया परिवसंति, तंजहा-कयमालए चेव, णट्टमालए चेव, एरावएणं दीहवेयड्ढे दोगुहा, जाव कयमाल. ए चेव णट्टमालए चेव ॥ १३० ॥ जंवूमंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं चुलहिमवत वासहरपव्वए दोकूडा, बहुसमउल्ला, जाव विक्खंभुच्चत्तसंठाणपरिणाहेणं, तंजहाचुल्लहिमवंतकूडे चेव वेसमणकूडे चेव, जंवूमंदरस्स दाहिणेणं महाहिमवंते वासहरपव्वए दोकूडा, बहुसमउल्ला जाव महाहिमवतकूडे चेव, वेरुलियकूडे चेव, एव निसढे वासहरपव्वए दोकूडा, वहुसमउल्ला जाव० निसढकूडे चेव, रुयगप्प चव, जंवूमंदरस्स उत्तरेणं नीलवंते वासहरपव्वए दोकूडा, बहुसमउल्ला जाव० नीलवतकूडे चेच, उवदंसणकूडे चेव, एवं रुप्पिम्मि वासहरपव्वए दोकूडा, बहुसमउल्ला जाव० तंजहा रुप्पिकूडे चेव, मणिकंचणकूडे चेव, एवं सिहरिम्मि वि वासहरपव्वए दोकूडा, बहुसमउल्ला तंजहा-सिहरिकूडे चेव, तिगिच्छिकूडे चेव ॥ १३१॥ जंवूमंदरस्स उत्तरदाहिणेणं चुलहिमवंतसिहरीसु वासहरपव्वएसु दो महद्दहा, बहुसम Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म० २ उ०३] सुत्तागमे १९५ उल्ला, अविसेसमणाणत्ता अण्णमण्ण नाइवदृति, आयामविक्खंभउव्वेहसंठाणपरिणाहेणं, तंजहा-पउमड़हे चेव, पुंडरीयदृहे चेव, तत्थणं दो देवयाओ महिड्डियाओ जाव पलिओवमढ़िइयाओ परिवसंति, तं० सिरी चेव लच्छी चेव, एवं महाहिमवंतरुप्पीसु वासहरपव्वएसु दो महदहा प० वहुसमउल्ला जाव महापउमट्टहे चेव, महापोंडरीयद्दहे चेव, देवताओ हिरिश्चेव बुद्धिच्चेव, एवं निसहनीलवंतेसु तिगिच्छिद्दहे चेव, केसरिद्दहे चेच, देवताओ धिई चेव कित्ति चेव ॥ १३२ ॥ जंबूमंदरदाहिणेणं महाहिमवंताओ वासहरपन्चयाओ महापउमद्दहाओ दो महाणईओ पवहति तंजहा रोहियचेव हरिकंतचेव, एवं निसहाओ वासहरपव्वयाओ तिगिच्छिदहाओ दोमहानईओ पवहति तंव्हरिच्चेव, सीतोअञ्चेव । जंवूमंदरस्स उत्तरेणं नीलवंताओ वासहरपन्चयाओ केसरिदहाओ दो महाणईओ पवहति तं० सीता चेव, नारिकंता चेव, एवं रुप्पिवासहरपव्वयाओ महापोंडरीयद्दहाओ दोमहाणईओ पवहंति, तंजहा हरकता चेव रुप्पकूला चेव । जंवूमंदरदाहिणेणं भारहेवासे दोपवायदहा प० तं. वहुसमउल्ला जाव गंगप्पवायदहे चेव सिंधुप्पवायहहे चेव । एवं हेमवएवासे दोपवायदहा प० वहुसमउल्ला तं० रोहियप्पवायद्दहे' चेव, रोहियंसप्पवायद्दहे चेव, जंवूमंदरदाहिणे णं हरिवासे वासे दोपवायदहा प०वहुसमउल्ला तंव्हरिप्पवायदहे चेव हरिकंतप्पवायद्दहे चेच, जंवूमंदरउत्तरदाहिणेणं महाविदेहे वासे दोपवायदहा प० तं० बहुसमउल्ला जाव० सीयप्पवायद्दहे चेव, सीओयप्पवायहहे चेव, जंवूमंदरउत्तरेणं रम्मएवासे दोपवायदहा प० वहुसमउल्ला जाव नरकंतप्पवायहहे चेव णारिकंतप्पवायदहे चेव, एवं हेरन्नवएवासे दोपवायदहा प० वहुसमउल्ला जाव० सुवन्नकूलप्पवायहहे चेव, रुप्पकूलप्पवायदहे चेव, जंबूमंदरउत्तरेणं एरवएवासे दोपवायदहा, प० वहुसमउल्ला जाव० रत्तप्पवायद्दहे चेव रत्तावइप्पवायदहे' चेव, जंवूमंदरदाहिणेणं भरहेवासे दोमहानईओ प० वहुसमउल्ला गंगा चेव, सिंधू चेव, एवं जहा प्पवायदहा एवं णईओ भाणियव्वाओ, जाव एरवए वासे दोमहानईओ प० बहुसमउल्लाओ जाव रत्ता चेव रत्तवई चेव ॥१३३॥ जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसुऽतीताए उस्सप्पिणीए सुसमदुसमाए समाए दो सागरोवमकोडाकोडीओ काले होत्था, एवमिमीसे ओसप्पिणीए जाव प० एवं आगमिस्साए उस्सप्पिणीए जाव भविस्सइ । जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीयाए उस्सप्पिणीए सुसमाए समाए मणुया दोगाउयाइं उड़े उच्चत्तेणं होत्था, दोण्णियपलिओवमाइं परमाउं पालइत्था एवमिमीसे ओसप्पिणीए जाव पालइत्था, एवमागमिस्साए उस्सप्पिणीए जाव पालइस्संति ॥ १३४ ॥ जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु एगसमए एगजुगे दो अरहंतवंसा उप्पज्जिसु वा उप्पज्जति वा उप्पन्जि Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ठाणे स्संति वा । एवं चक्कवट्टिवंसा, दसारवंसा, जंबूभरहेरवएसु एगसमए दोअरिहंता उप्पन्जिसु वा उप्पनंति वा उप्पजिस्संति वा, एवं चक्कवट्टिणो वलदेवा वासुदेवा, जाव उपज्जिस्संति वा ॥ १३५ ॥ जंबू० दोसु कुरासु मणुया सया सुसमसुसमुत्तममिड्डि पत्ता पच्चणुभवमाणा विहरंति, तंजहा-देवकुराए चेव, उत्तरकुराए चेव, जंबुद्दीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया सया सुसमुत्तममिढेि पत्ता पच्चणुभवमाणा विहरंति तंजहा-हरिवासे चेव रम्मगवासे चेव, जंतु० दोसु वासेसु मणुया सया सुसमदुसमुत्तममिड्डि पत्ता पच्चणुभवमाणा विहरंति, तंजहा-हेमवए चेव एरनवए चेव, जंबुदीवे दीवे दोसु खित्तेसु मणुया सया दुसमसुसमुत्तममिड्ढेि पत्ता पञ्चणुभवमाणा विहरंति, तंजहा-पुन्वविदेहे चेव अवरविदेहे चेव, जंबुद्दीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया छव्विहंपिकालं पचणुब्भवमाणा विहरंति, तंजहा-भरहे चेव, एरवए चेव ॥ १३६ ॥ जंबुद्दीवे २ दोचंदा पभासिंसु वा, पभासंति वा, पभासिस्संति वा, दोसूरिया तवइंसु वा, तवंति वा, तविस्संति वा, दो कत्तियाओ, दो रोहिणीओ दो मियसिराओ, दो अदाओ, एवं भाणियव्वं ॥ कत्तियरोहिणिमियसिर अद्दा य पुणव्वसू य पुस्सो य । तत्तोवि अस्सलेसा, महा य दो फग्गुणीओ य १ हत्थो चित्ता साई, विसाहा तह य होति अणुराहा, जेठा मूलो पुव्वा य, आसाढा उत्तरा चेव २ अभिई सवण धणिठा सयभिसया दो य होंति भद्दवया, रेवइ अस्सिणि भरणी, णेयव्वा आणुपुत्वीए ३ एवं गाहानुसारेण णायव्वं जाव दो भरणीओ, दो अग्गी दो पयावई दोसोमा दोरुद्दा दोअइई दोबहस्सई दोसप्पी दोपीई दोभगा दोअज्जमा दोसविया दोतछा दोवाऊ दोइंदग्गी दोमित्ता दोइंदा दोनिरई दोआऊ दोविस्सा दोबह्मा दोविण्हू दोवसू दोवरुणा दोअया दोविविद्धी दोपुस्सा दोअस्सा दोयमा दोइंगालगा दोवियालगा दोलोहियक्खा दोसणिच्चरा दोआहणिया दोपाहणिया दोकणा दोकणगा दोकणकणगा दोकणगवियाणगा दोकणगसंताणगा दोसोमा दोसहिया दोआसासणा दोकजावगा दोकब्बडगा दोअयकरगा दोदुंदुभगा दोसंखा दोसंखवन्ना दोसंखवन्नाभा दोकंसा दोकंसवन्ना दोकंसवन्नाभा दोरुप्पी दोरुप्पाभासा दोनीला दोनीलोभासा दोभासा दोभासरासी दोतिला दोतिलपुप्फवन्ना दोदगा दोदगपंचवन्ना दाकाका दोककंधा दोइंदग्गीवा दोधूमकेऊ दोहरी दोपिंगला दोबुहा दोसुक्का दोबहस्सइ दोराहू दोअगत्थी दोमाणवगा दोकासा दोफासा दोधुरा दोपमुहा दोवियडा दोविसंधा दोनियल्ला दोपइल्ला दोजडियाइलगा दोअरुणा दोअग्गिल्ला दोकाला दोमहाकालगा दोसोत्थिया दोसोवत्थिया दोवद्धमाणगा दोपूसमाणगा दोअंकुसा दोपलंबा दोनिच्चालोगा दोनिच्चुज्जोया दोसयंपभा दोओभासा दोसेयंकरा दोखेमंकरा दोआभंकरा Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म०२ उ०३] सुत्तागमे १९७ दोपभंकरा दोअपराजिता दोअरया दोअसोगा दोविगयसोगा दोविमला दोवितत्ता दोवितत्था दोविसाला दोसाला दोसुव्वया दोअणियट्टी दोएगजडी दोदुजडी दोकरकरिगा दोरायग्गला दोपुप्फकेऊ दोभावकेऊ ॥१३७॥ जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स वेइआ दोगाउआइं उर्दू उच्चत्तेणं प० लवणेणं समुद्दे दोजोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेण प० लवणस्सणं समुद्दस्स वेइया दोगाउआई उद्धं उच्चत्तेणं प० ॥१३८॥ धायईखंडेणं दीवे पुरथिमद्धेणं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दोवासा, वहुसमउल्ला जाव भरहे चेव, एरवए चेव, एवं जहा जंबूदीवे तहा एत्थ विभाणियन्वं, जाव दोसु वासेसु मणुया छव्विहंपि कालं पचणुभवमाणा विहरंति, तंजहा-भरहे चेव एरवए चेव, णवरं कूडसामली चेव, धायईरुक्खे चेव, देवा गरुले चेव वेणुदेवे सुदंसणेचेव, धायईखंडदीवपच्चच्छिमद्धेणं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दोवासा प० वहुसमउल्ला जाव भरहे चेव एरवए चेव, जाव छव्विहंपि कालं पञ्चणुभवमाणा विहरंति, णवरं कूडसामली चेव महाधायईरुक्खे चेव, देवा गरुले चेव वेणुदेवे पियदंसणे चेव, धायईखंडेणं दीवे दोभरहाई दोएरवयाइं दोहिमवंताई दो हेरण्णवयाइं दोहरिवासाइं दोरम्मगवासाई, दोपुव्वविदेहाई दोअवरविदेहाइं दोदेवकुराओ दोदेवकुरुमहादुमा, दोदेवकुरुमहादुमावासी देवा दोउत्तरकुराओ दोउत्तरकुस्महादुमा दोउत्तरकुरुमहादुमावासी देवा दोचुलहिमवंता दोमहाहिमवंता दोनिसहा दोनीलवंता दोरुप्पी दोसिहरी दोसद्दावाई दोसद्दावायवासी साई देवा, दोवियडावाई दोवियडावाईवासी पभासा देवा दोगंधावाई दोगंधावाईवासी अरुणादेवा दोमालवंतपरियागा दोमालवंतपरियागावासी पउमादेवा दोमालवंता दोचित्तकूडा दोपउमकूडा दोनलिनकूडा दोएगसेला दोतिकूडा दोवेसमणकूडा दोअंजणा दोमातंजणा दोसोमणसा दोविजुप्पभा दोअंकावई दोपम्हावई दोआसीविसा दोसुहावहा दोचंदपव्वया दोसूरपव्वया दोणागपव्वया दोदेवपव्वया दोगंधमायणा दोउसुगारपव्वया दोचुलहिमवंतकूडा दोवेसमणकूडा दोमहाहिमवंतकूडा दोवेरुलियकूडा दोनिसहकूडा दोख्यगकूडा दोनीलवंतकूडा दोउवदंसणकूडा दोरुप्पिकूडा दोमणिकंचणकूडा दोसिहरिकूडा दोतिगिच्छिकूडा दोपउमद्दहा, दोपउमद्दहवासिणीओ सिरीदेवीओ दोमहापउमद्दहा दोमहापउमद्दहवासिणीओ हिरीओ एवं जाव दोपुंडरीयदहा दोपुंडरीयद्दहवासिणीओ लच्छीओ देवीओ दोगंगप्पवायदहा जाव दोरत्तवईप्पवायदहा दोरोहियाओ जाव दोरुप्पकूलाओ दोगाहावईओ दोदहवईओ दोपंकवईओ दोतत्तजलाओ दोमत्तजलाओ दोउम्मत्तजलाओ दोखीरोयाओ दोसीहसोयाओ दोअंतोवाहिणीओ दोउम्मिमालिणीओ दोफेणमालिणीओ दोगभीरमालिणीओ दोक Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ ठाणे च्छा दोसुकच्छा दोमहाकच्छा दोकच्छगावई दोआवत्ता दोमंगलावत्ता दोपुक्खला दोपुक्खलावई दोवच्छा दोसुवच्छा दोमहावच्छा दोवच्छगावई दोरम्मा दोरम्मगा दोरमणिज्जा दोमंगलावई दोपम्हा दोसुपम्हा दोमहापम्हा दोपम्हगावई दोसंखा दोणलिणा दोकुमुया दोसलिलावई दोनलिणावई दोवप्पा दोसुवप्पा दोमहावप्पा दोवप्पगावई दोवग्गू दोसुवग्गू दोगंधिला दोगंधिलावई दोखेमाओ दोखेमपुरीओ दोरिठाओ दोरिट्ठपुरीओ दोखग्गीओ दोमंजूसाओ दोओसहीओ दोपुण्डरीगिणीओ दोसुसीमाओ दोकुंडलाओ दोअपराइआओ दोप्पभंकराओ दोअंकावईओ दोपम्हावईओ दोसुभाओ दोरयणसंचयाओ दोआसपुराओ दोसीहपुराओ दोमहापुराओ दोविजयपुराओ दोअवराजियाओ दोअवराओ दोअसोयाओ दोविगयसोयाओ दोविजयाओ दोवेजयंतीओ दोजयंतीओ दोअपराजियाओ दोचकपुराओ दोखरगपुराओ दोअवज्झाओ दोअओझाओ दोभद्दसालवणा दोणंदणवणा दोसोमणसवणा दोपंडगवणा दोपंडुकंवलसिलाओ दोअतिपंडुकंबलसिलाओ दोरत्तकंबलसिलाओ दोअइरत्तकंवलसिलाओ दोमंदरा दोमंदरचूलियाओ, धायइखंडस्सणं दीवस्स वेइया दोगाउयाइं उड़ें उच्चत्तेणं पन्नत्ता, कालोदस्सणं समुद्दस्स वेड्या दोगाउयाई उ8 उच्चत्तेणं पन्नत्ता पुक्खरवरदीवद्धपुरच्छिमद्धणं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणणं दोवासा प० बहुसमउल्ला जाव भरहे चेव एरवए चेव जाव दोकुराओ पण्णत्ताओ देवकुरा चेव उत्तरकुरा चेव । तत्थणं दोमहइमहालया महदुमा प० तं० कूडसामली चेव, पउमरखे चेव, देवा गरुले चेव वेणुदेवे पउमे चेव, जाव छन्विहंपि कालं पचणुब्भवमाणा विहरंति, पुक्खरवरदीवद्धपच्चत्थिमद्धेणं मंदरपव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दोवासा प०० तहेव णाणत्तं कूडसामली चेव, महापउमरुक्खे चेव, देवा गरुले चेव, वेणुदेव पुंडरीए चेव, पुक्खरवरदीवद्धणं दीवे दोभरहाई दोएरवयाइं जाव दोमंदरा दोमंदरचूलाओ, पुक्खरवरस्सणं दीवस्स वेइया दोगाउयाइं उर्दू उच्चत्तेणं प० सव्वेसि पि णं दीवसमुद्दाणं वेइयाओ दोगाउयाइं उर्दू उच्चत्तेणं पण्णत्ताओ ॥ १३९ ॥ दो असुरकुमारिंदा प० तं० चमरे चेव बली चेव, दोनागकुमारिंदा प० तं० धरणे चव भूयाणंदे चेव, दोसुवण्णकुमारिंदा प० तं. वेणुदेवे चेव वेणुदाली चेव, दोविज्ड कुमारिंदा पतं० हरी चेव हरिस्सहे चेव, दोअग्गिकुमारिंदा प०२० अग्गिसिहे चव अग्गिमाणवे चेव, दोदीवकुमारिंदा पतं-पुण्णे चेव, विसिटे चेव, दोउदधिकुमारिदा प० तं० जलकंते चेव जलप्पमे चेव, दोदिसाकुमारिंदा प० तं० अमियगई चेव, अमियवाहणे चेव, दोवाउकुमारिंदा प० तं० लंबे चेव पभंजणे चेव, दोणियः कुमारिंदा प० त० घोसे चेच महाघोसे चेव, दोपिसायइंदा प० तं० काले चेव महा Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे म० २ उ० ४] १९९ काले चेव, दोभूयइंदा प० तं० सुरूवे चेव पडिरूवे चेव, दोजक्खिदा प० तं० पुण्णभद्दे चेव माणिभद्दे चेव, दोरक्खसिंदा प० तं० भीमे चेव महाभीमे चेव, दोकिनरिंदा प० तं० किन्नरे चेव किंपुरिसे चेव, दोकिंपुरिसिंदा प० तं० सप्पुरिसे चेव महापुरिसे चेव, दोमहोरगिंदा प० तं० अइकाये चेव महाकाये चेव, दोगंधव्विदा प० तं० गीयरई चेव गीयजसे चेव, दोअणपण्णिदा प० तं० संनिहिए चेव, सामण्णे चेव, दोपणपनिंदा प० तं० धाए चेव विहाए चेव, दोइसिवाइंदा प० तं० इसि चेव इसिवालए चेव, दोभूयवाइंदा प० तं० ईसरे चेव महिस्सरे चेव, दोकंदिंदा प० तं० सुवच्छे चेव विसाले चेव, दोमहाकदिंदा प० तं० हासे चेव हासरई चेव, दोकुभंडिंदा प० तं० सेए चेव महासेए चेव,दोपयगिंदा प० तं० पयए चेव पयगवई चेव, जोइसियाणं देवाणं दोइंदा प० तं० चंदे चेव सूरे चेव, सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु दोइंदा प० तं० सक्ने चेव ईसाणे चेव, एवं सणंकुमारमहिंदेसु कप्पेसु दोइंदा प० तं० सणंकुमारे चेव माहिंदे चेव, बंभलोयलंतगेसु णं दोइंदा प० तं० वंभे चेव लंतए चेव, महासुक्कसहस्सारेसु णं कप्पेसु दोइंदा पन्नत्ता तंजहा-महासुक्के चेव सहस्सारे चेव, आणयपाणयारणञ्चुएसु णं कप्पेसु दोइंदा पतं० पाणए चेव, अचुए चेव ॥ १४० ॥ महासुक्कसहस्सारेसु णं कप्पेसु विमाणा दुवण्णा प० तं० हालिहा चेव सुकिला चेव, गेविजगाणं देवाणं दोरयणीओ उर्दू उच्चत्तेणं पन्नत्ता ॥१४१॥ वीयठाणस्स तइओदेसो समत्तो।। समयाइ वा आवलियाइ वा, जीवाइ वा अजीवाइ वा पवुच्चइ, आणापाणूइ वा, थोवाइ वा जीवाइ वा अजीवाइ वा पवुच्चइ, खणाइ वा लवाइ वा जीवाइ वा अजीवाइ वा पवुच्चइ, एवं मुहुत्ताइ वा, अहोरत्ताइ वा, पक्खाइ वा, मासाइ वा, उऊइ वा, अयणाइ वा, संवच्छराइ वा, जुगाइ वा, वाससयाइ वा, वाससहस्साइ वा, वाससयसहस्साइ वा, वासकोडीइ वा, पुव्वंगाइ वा, पुवाइ वा, तुडियंगाइ वा तुर्डियाइ वा अडडंगाइ वा, अडडाइ वा, अववंगाइ वा, अववाइ वा हुहूअंगाइ वा, हूहूयाइ वा, उप्पलंगाइ वा, उप्पलाइ वा, पउमंगाइ वा, पउमाइ वा, णलिणंगाइ वा, णलिणाइ वा, अच्छणिउरंगाइ वा, अच्छणिउराइ वा, अउअंगाइ वा अउआइवा, णउअंगाइ वा, णउआइ वा पउअंगाइ वा, पउयाइ वा, चूलिअंगाइ वा चूलियाइ वा, सीसप्पहेलिअंगाइ वा, सीसप्पहेलियाइ वा, पलिओवमाइ वा, सागरोवमाइ वा उस्सप्पिणीइ वा, ओसप्पिणीइ वा, जीवाइ वा अजीवाइ वा पवुच्चइ ॥ १४२ ॥ गामाइ वा, णगराइ वा, निगमाइ वा, रायहाणीइ वा, खेडाइ वा, कव्वडाइ वा, मडवाइ वा, दोणमुहाइ वा, पट्टणाइ वा, आगराइ वा, आस Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ठाणे २०० माइ वा, संवाहाइ वा, संनिवेसाइ वा, घोसाइ वा, आरामाइ वा, उज्जाणाइ वा, वणाइ वा, वणखंडाइ वा, वावीइ वा, पुक्खरणीइ वा, सराइ वा, सरपंतीइ वा, अगडाइ वा, तडागाई वा, दहाइ वा, णदीइ वा, पुढवीइ वा, उदहीइ वा, वातखंधाइ वा, उवासंतराइ वा, वलयाइ वा, विग्गहाइ वा, दीवाइ वा, समुद्दाइ वा, वेलाइ वा, वेइयाइ वा, दाराइ वा, तोरणाइ वा, णेरइयाइ वा, रइयावासाइ वा, जाव वेमाणियावासाइ वा, कप्पाइ वा, कप्पविमाणवासाइ वा, वासाइ वा, वासहरपव्वयाइ वा, कूडाइ वा, कूडागाराइ वा, विजयाइ वा, रायहाणीइ वा जीवाइ वा अजीवाइ वा पवुच्चइ ॥ १४३ ॥ छायाइ वा, आतवाइ वा, जोसिणाइ वा, अंधगाराइ वा, ओमाणाइ वा, पमाणाइ वा, उम्माणाइ वा, अतिताणगिहाइ वा, उजाणगिहाइ वा, अवलिम्बाइ वा, सणिप्पवायाइ वा जीवाइ वा अजीवाइ वा पवुच्चइ ॥ १४४ ॥ दोरासी प० तं० जीवरासी चेव, अजीवरासी चेव, दुविहे बंधे प० तं० पेजबंधे चेव, दोसवंधे चेव, जीवाणं दोहिं ठाणेहिं पावकम्मं बंधन्ति तं० रागेण चेव, दोसेण चेव, जीवाणं दोहिं ठाणेहिं पावकम्मं उदीरेन्ति तं० अब्भोवगमियाए चेव वेयणाए उवक्कमियाए चेव वेयणाए एवं वेदेति एवं णिज्जरेंति अब्भोवगमियाए चेव वेयणाए उवकमियाए चेव वेयणाए, दोहि ठाणेहिं आया सरीरं फुसित्ताणं णिज्जाति तं० देसेणवि आया सरीरं फुसित्ताणं णिज्जाति सव्वेणवि आया सरीरं फुसित्ताणं णिजाति, एवं फुरित्ताणं एवं फुडित्ताणं एवं संवट्टित्तागं निव्वट्टि त्ताणं, दोहिं ठाणेहिं आया केवलिपन्नत्तं धम्म लभेज्जा सवणयाए तंजहा-खएण चेव उवसमेण चेव, एवं जाव मणपज्जवणाणं उप्पाडेजा तं० खएण चेव उवसमेण चेव ॥ १४५ ॥ दुविहे अद्धोवमिए प० तं० पलिओवमे चेव सागरोवमे चेव । से किं तं पलिओवमे ? पलिओवमे जंजोयणविच्छिन्नं पल्लं एगाहियप्परूढाणं होज णिरतरणिचियं भरियं वालग्गकोडीणं १ वाससए वाससए एक्कक्के, अवहडंमि जो कालो; सो कालो बोद्धव्वो, उवमा एगस्स पल्लस्स २ एतेसि पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिया; तं सागरोवमस्स उ एगस्स भवे परीमाणं ३-॥ १४६ ॥ दुविह कोहे प० तं० आयपइट्ठिए चेव, परपइढ़िए चेव, एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाण, एवं जाव मिच्छादसणसल्ले ॥ १४७ ॥ दुविहा संसारसमावन्नगा जीवा प० त० तसा चेव, थावरा चेव, दुविहा सव्वजीवा प० तं० सिद्धा चेव असिद्धा चेव । दुविहा सव्वजीवा प० त० सइंदिया चेव, अणिदिया चेव, एवं एसा गाहा फासेयव्वा जाव ससरीरी चेव असरीरी चेव; सिद्धसइंदियकाए, जोगे वेए कसायलेसा य, णाणुवओगाहारे भासगचरिमे य ससरीरी (१) ॥ १४८ ॥ दोमरणाई समणेणं Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे भ० २ उ० ४] २०१ भगवया महावीरेणं समणाणं णिग्गंथाणं णो णिचं वण्णियाइं कित्तियाइं णो णिचं वुझ्याई णो णिचं पसत्थाई णो णिचं अव्भणुन्नायाइं भवंति तं० वलयमरणे चेव, वसट्टमरणे चेव, एवं णियाणमरणे चेव, तन्भवमरणे चेव, गिरिपडणे चेव, तरुपडणे चेव, जलप्पवेसे चेव, जलणप्पवेसे चेव, विसभक्खणे चेव, सत्थोवाडणे चेव, दोमरणाइं जाव णो णिचं अब्भणुन्नायाई भवंति, कारणेणं पुण अप्पडिकुठ्ठाइं तंजहावेहाणसे चेव गिद्धपिठे चेव ॥ १४९ ॥ दोमरणाइं समणेणं भगवया महावीरेणं समणाणं णिग्गंथाणं णिचं वणियाइं जाव अब्भगुन्नायाइं भवंति तं०पाओवगमणे चेव भत्तपच्चक्खाणे चेव, पाओवगमणे दुविहे प० तं० णीहारिमे चेव अणीहारिमे चेव, णियम अप्पडिक्कमे, भत्तपञ्चक्खाणे दुविहे प० तं० णीहारिमे चेव, अणीहा रिमे चेव, णियमं सप्पडिक्कमे ॥ १५० ॥ के अयं लोए ? जीवच्चेव अजीवच्चेव, के अणंतालोए? जीवच्चेव अजीवच्चेव, के सासया लोए ? जीवच्चेव अजीवच्छेव ॥ १५१॥ दुविहा वोही, णाणवोही चेव, दंसणवोही चेव । दुविहा बुद्धा-णाणवुद्धा चेव दसणवुद्धा चेव, एवं मोहे मूढा ॥ १५२ ॥ णाणावरणिज्जे कम्मे दुविहे पन्नत्ते तं० देसणाणावरणिज्जे चेव, सव्वणाणावरणिज्ने चेव, दंसणावरणिज्ने कम्मे एवं चेव वेयणिज्जे कम्मे दुविहे प० तं० सायावेयणिजे चेव असायावेयणिज्जे चेव मोहणिज्जे कम्मे दुविहे प० तं० दंसणमोहणिजे चेव चरित्तमोहणिजे चेव, आउकम्मे दुविहे प० तं० अद्धाउए चेव, भवाउए चेव, णामकम्मे दुविहे प० तं० सुभणामे चेव असुभणामे चेव, गोत्तकम्मे दुविहे प० तं० उच्चागोए चेव णीयागोए चेव, अंतराइएकम्मे दुविहे प० तं० पडुप्पण्णविणासिए चेव पिहियआगामिपहं ॥ १५३ ॥ दुविहा मुच्छा प० तं० पेजवत्तिया चेव, दोसवत्तिया चेव, पेजवत्तियामुच्छा दुविहा प० तं० माए चेव लोहे चेव, दोसवत्तियामुच्छा दुविहा प० तं० कोहे चेव माणे चेव ॥ १५४ ॥ दुविहा आराहणा प० तं० धम्मियाराहणा चेव केवलिआराहणा चेव, धम्मियाराहणा दुविहा प० तं० सुयधम्माराहणा चेव चरित्तधम्माराहणा चेव, केवलिआराहणा दुविहा प० तं० अंतकिरिया चेव कप्पविमाणोववत्तिया चेव ॥ १५५ ॥ दोतित्थयरा नीलुप्पलसमावन्नेणं प० तं० मुणिसुव्वए चेव, अरिठ्ठणेमी चेव, दोतित्थयरा पियंगुसमावन्नणं प० तं० मल्ली चेव पासे चेव, दोतित्थयरा पउमगोरा वण्णेणं, प० तं० पउमप्पहे चेव, वासुपुज्जे चेव, दोतित्थयरा चंदगोरा वण्णेणं प० तं० चंदप्पभे चेव पुप्फदंते चेव ॥ १५६ ॥ सच्चप्पवायपुव्वस्सणं दुवे वत्थू पन्नत्ता, पुत्वभवयानक्खत्ते दुतारे प० उत्तरभद्दवयानक्खत्ते दुतारे प०-एवं पुव्वफग्गुणी, उत्तरफग्गुणी ॥ १५७ ॥ अंतोणं मणुस्सखेत्तस्स दो Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०२ सुत्तागमे [गणे समुद्दा, प० तं० लवणे चेव कालोदे चेव, दोचकवट्टी अपरिचत्तकामभोगा कालमासे कालं किच्चा अहे सत्तमाए पुढवीए अप्पइठ्ठाणनरए नेरइयत्ताए उववन्ना तं० सुभूमे चेव बंभदत्ते चेव ॥ १५८ ॥ असुरिंदवज्जियाणं भवणवासीणं देवाणं देसूगाइं दोपलिओवमाइं ठिई प० सोहम्मे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं दोसागरोवमाइं ठिई प० ईसाणे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं साइरेगाइं दोसागरोवमाइं ठिई प० सणंकुमारे कप्पे देवाणं जहन्नेणं दोसागरोवमाइं ठिई प० माहिंदे कप्पे देवाणं जहन्नेणं साइरेगाई दोसागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता ॥ १५९ ॥ दोसु कप्पेसु कप्पत्थियाओ पण्णत्ताओ तं. सोहम्मे चेव ईसाणे चेव, दोसु कप्पेसु देवा तेउलेस्सा प० तं० सोहम्मे चेव ईसाणे चेव, दोसु कप्पेसु देवा कायपरियारगा प० तं० सोहम्मे चेव ईसाणे चेव, दोसु कप्पेसु देवा फासपरियारगा प० तं० सणंकुमारे चेव, माहिंदे चेव, दोसु कप्पेसु देवा रूवपरियारगा प० तं० बंभलोए चेव, लंतए चेव, दोसु कप्पेसु देवा सद्दपरियारगा प० तं० महासुक्के चेव, सहस्सारे चेव, दोइंदा मणपरियारगा, प० तं० पाणए चेव, अच्चुए चेव ॥ १६० ॥ जीवाणं दोठ्ठाणनिव्वत्तिए पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा तंजहा-तसकायनिव्वत्तिए चेव, थावरकायनिव्वत्तिए चेव, एवं उवचिणिसु वा, उवचिणंति वा, उवचिणिस्संति वा, बंधिंसु वा, बंधंति वा, बंधिस्संति वा, उदीरिसु वा, उदीरेंति वा, उदीरिस्संति वा, वेदिसु वा, वेदिति वा, वेदिस्संति वा, णिज्जरिंसु वा, णिजरेंति वा, णिजरिस्संति वा ॥ १६१ ॥ दुप्पएसिया खंधा अणंता प० दुपएसोगाढा पोग्गला अणंता प० एवं जाव दुगुणलुक्खा पोग्गला अणंता पण्णत्ता ॥ १६२॥ बीयठाणस्स चउत्थोद्देसो समत्तो, बीयं ठाणं समत्तं ॥ तइयाणं तओ इंदा प० तं० णामिंदे-दव्विदे-भाविदे ॥ तओ इंदा प० तं० णाणिदेदंसणिंदे-चरित्तिदे, तओ इंदा प० तं० देविंदे-असुरिंदे-मणुस्सिंदे ॥ १६३ ॥ तिविहा विउव्वणा प० तं० वाहिरए पोग्गलए परियाइत्ता एगा विउव्वणा, बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता एगाविउव्वणा, बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता वि अपरियाइत्ता वि एगा विउव्वणा तिविहा विउव्वणा, प० तं० अभंतरए पोग्गले परियाइत्ता एगा विउव्वणा अभंतरए पोग्गले अपरियाइत्ता एगाविउव्वणा अब्भंतरए पोग्गले परियाइत्तावि अपरियाइत्तावि एगा विउव्वणा, तिविहा विउव्वणा प० तं० बाहिरभंतरए पोग्गले परियाइत्ता एगा विउव्वणा वाहिरभंतरए पोग्गले अपरियाइत्ता Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भ० ३ उ० १] सुत्तागमे २०३ एगा विउव्वणा बाहिरव्अंतरए पोग्गले परियाइत्तावि अपरियाइत्तावि एगा विउव्वणा ॥ १६४ ॥ तिविहा नेरइया प० तं० कतिसंचिया, अकतिसंचिया अवत्तव्वगसंचिया एवमे गिंदियवज्जा जाव वेमाणिया ॥ १६५ ॥ तिविहा परियारणा प० तं० एगे देवे अन्ने देवे अन्नेसिं देवाणं देवीओ य अभिजुंजिय २ परियारेइ, अप्पणिजिआओ देवीओ अभिजुंजिय २ परियारेइ अप्पाणमेव अप्पणा विउव्विय २ परियारेइ एगे देवे णो अन्नेदेवे णो अन्नेसिं देवाणं देवीओ अभिजुंजिय २ परियारेइ अप्पणिजि - आओ देवीओ अभिजुंजिय २ परियारेइ अप्पाणमेव अप्पणा विउव्विय २ परियारेइ । एगे देवे णो अन्नेदेवे णो अन्नेसिं देवाणं देवीओ अभिजुंजिय २ परियारेइ, गो अप्पणिज्जियाओ देवीओ अभिजुंजिय २ परियारेइ अप्पाणमेव अप्पाणं विउव्विय २ परियारेइ ॥ १६६ ॥ तिविहे मेहुणे प० तं० दिव्वे माणुस्सए तिरिक्खजोणिए, तओ मेहुणं गच्छंति तं देवा मणुस्सा तिरिक्खजोणिया, तओ मेहुणं सेवंति तं० इत्थी पुरिसा णपुंसगा ॥ १६७ ॥ तिविहे जोगे प० तं० मणजोगे वयजोगे कायजोगे, एवं णेरइयाणं विगलिंदियवज्जाणं जाव वेमाणियाणं, तिविहे पओगे प० तं० मणपओगे, वयपओगे, कायपओगे; जहा जोगो विगलिंदियवज्जाणं जाव वेमाणि - याणं तहा पओगेवि । तिविहे करणे प० तं० मणकरणे, वयकरणे, कायकरणे, एवं रइयाणं विगलिंदियवजाणं जाव वैमाणियाणं । तिविहे करणे पन्नत्ते तं० आरंभकरणे, संरंभकरणे समारंभकरणे, णिरंतरं जाव वेमाणियाणं ॥ १६८ ॥ तिहिं ठाणेहिं जीवा अप्पाउअत्ताए कम्मं पगरेंति तं० पाणे अइवाइत्ता भवइ, मुसंवइत्ता भवइ, तहारूवं समणं वा, णिग्गंथं वा, अफासुएणं अणेसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभित्ता भवइ, इच्चेएहिं तिहिं ठाणेहिं जीवा अप्पाउअत्ताए कम्मं पगरेंति । तिहिं ठाणेहिं जीवा दीहाउअत्ताए कम्मं पगर्रेति तंजहा - णो पाणे अइवाइत्ता भवइ, णो मुसं वइत्ता भवइ, तहारूवं णं समणं णिग्गंथं वा फासुएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभेत्ता भवइ । इच्चेएहिं तिहिं ठाणेहिं जीवा दीहाउअत्ताए कम्मं पगति ॥ १६९ ॥ तिहिं ठाणेहिं जीवा असुभदीहाउअत्ताए कम्मं पगरेंति तं॰ पाणे अइवाइत्ता भवइ, मुसं वइत्ता भवइ, तहारूवं समणं णिग्गंथं वा हीलेत्ता निंदेत्ता खिसेत्ता गरिहित्ता अवमाणित्ता अन्नयरेणं अमणुन्नेणं अपीइकारएणं असणपाणखाइमसाइमेणं वा पडिला भेत्ता भवइ, इचेएहिं तिहि ठाणेहिं जीवा असुभदीहाउअत्ताए कम्मं पगरेंति, तिहिं ठाणेहिं जीवा सुभदीहाउअत्ताए कम्मं पगरेंति, तंजा - णो पाणे अइवाइत्ता भवइ, णो मुखं वइत्ता भवइ, तहारूवं समणं वा णिग्गंथं वा वंदित्ता नर्मसित्ता सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासेत्ता I Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०४ सुत्तागमे [ ठाणे मणुन्नेणं पीइकारएणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिला भेत्ता भवइ, इच्चेएहिं तिहिं ठाणेहिं जीवा सुहदीहाउअत्ताए कम्मं पगरेंति ॥ १७० ॥ तओ गुत्तीओ पन्नत्ताओ तं० मणगुत्ती, वयगुत्ती, कायगुत्ती, संजयमणुस्साणं तओ गुत्तीओ प० तं० मण, वय, काय० । तओ अगुत्तीओ प० तं० मणअगुत्ती, वयअगुत्ती, कायअगुत्ती, एवं णेरइयाणं जाव० थणियकुमाराणं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं असंजयमणुस्साणं वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाणं । तओ दंडा प० तं० मणदंडे, वयदंडे, कायदंडे, णेरइयाणं तभी दंडा प० मणदंडे, जाव कायदंडे विगलिंदियवज्जं जाव वेमाणियाणं ॥ १७१ ॥ तिविहा गरिहा प० तं० मणसावेगे गरहइ, वयसावेगे गरहइ, कायसावेगे गरहइ, पावाणं कम्माणं अकरणयाए । अहवा गरहा तिविहा प० तं० दीहंवेगे अद्धं गरहइ, रहस्तं वेगे अद्धं गरहइ, कार्यंवेगे पडिसाहरइ पावाणं कम्माणं अकरणयाए, तिविहे पञ्चक्खाणे प० तं० मणसावेगे पञ्चकखाइ, वयसावेगे पच्चक्खाइ, कायसावेगे पञ्चक्खाइ, एवं जहा गरहा तहा पचक्खाणेवि दो आलावगा भाणियव्वा ॥ १७२ ॥ तओ रुक्खा, प० तं० पत्तोवए, फलोवए, पुप्फोवए, एवामेव तओ पुरिसजाया प० तं० पत्तो वा स्क्खसमाणे, पुप्फो वा स्क्खसमाणे फलो वा रुक्खसमाणे ॥ तओ पुरिसजाया प० तं० णामपुरिसे, दव्वपुरिसे, भावपुरिसे, तओ पुरिसजाया प० तं० णाणपुरिसे, दंसणपुरिसे, चरित्तपुरिसे, तओ पुरिसजाया प० तं० वेदपुरिसे, चिंधपुरिसे, अभिलावपुरिसे ॥ १७३ ॥ तिविहा पुरिसा प० तं० उत्तमपुरिसा, मज्झिमपुरिसा जहन्नपुरिसा, उत्तमपुरिसा तिविहा प० तं० धम्मपुरिसा, भोगपुरिसा, कम्मपुरिसा, धम्मपुरिसा अरिहंता, भोगपुरिसा चकवट्टी, कम्मपुरिसा वासुदेवा, मज्झिमपुरिसा तिविहा- उग्गा भोगा राइण्णा, जहन्नपुरिसा तिविहा, प० तं० दासा, भयगा, भाइलगा ॥ १७४ ॥ तिविहा मच्छा प० तं० अंडया, पोयया, संमुच्छिमा, अंडया मच्छा तिविहा प० तं० इत्थी, पुरिसा, णपुंसगा पोयया मच्छा तिविहा प० तं० इत्थी, पुरिसा, णपुंसगा ॥ १७५ ॥ तिविहा पक्खी प० तं० अंडया, पोयया, संमुच्छिमा, अंडया पक्खी तिविहा प० तं० इत्थी पुरिसा, णपुंसगा, पोयया पक्खी तिविहा प० तं० इत्थी, पुरिसा, णपुंसगा, एवमेएणं अभिलावेणं उरपरिसप्पावि भाणियव्वा, भुजपॅरिसप्पा वि णेयव्वा, एवं चेव ॥ १७६ ॥ तिविहाओ इत्थीओ पन्नत्ताओ तं० तिरिक्खजोणित्थीओ, मणुस्सित्थीओ, देवित्थीओ, तिरिक्खजोणित्थीओ तिविहाओ प० तं० जलचरीओ, थलचरीओ, खहचरीओ, मणुस्सित्थीओ तिविहाओ पण्णत्ताओ, तं० कम्मभूमियाओ, अकम्मभूमियाओ, अंतरदीवियाओ ॥ १७७ ॥ तिविहा पुरिसा तिरिक्खजोणियपुरिसा, Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भ० ३ उ० १ ] सुत्तागमे मणुस्सपुरिसा, देवपुरिसा, तिरिक्खजोणियपुरिसा तिविहा प० तं० जलयरा, थलयरा, खहयरा, मणुस्सपुरिसा तिविहा प० तं० कम्मभूमिया, अकम्मभूमिया अंतरदीवया ॥१७८॥ तिविहा णपुंसगा, णेरइयणपुंसगा, तिरिक्खजोणियणपुंसगा मणुरसणपुंसगा, तिरिक्खजोणियणपुंसगा तिविहा- जलयरा थलयरा खहयरा ॥ १७९ ॥ मणुस्सणपुंसगा तिविहा प० तं० कम्मभूमिया अकम्मभूमिया अंतरदीवगा, तिविहा तिरिक्खजोणिया, इत्थी पुरिसा णपुंसगा ॥ १८० ॥ णेरइयाणं तओ लेस्साओ प० तं॰ कण्हलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा, असुरकुमाराणं तओ लेस्साओ संकिलिठ्ठाओ प० तं० कण्हलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा एवं जांव थणियकुमाराणं । एवं पुढविकाइयाणं आउवणस्सइकाइयाणं वि तेउवाउबेइंदियतेइंदियच उरिंदियाणं वि तओ लेस्सा जहा रइयाणं, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं तओ लेस्साओ संकिलिठ्ठाओ प० तं० कण्हनीलकाउलेस्सा, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं तओ लेस्साओ असंकिलिठ्ठाओ प० तं० तेउपम्हसुक्कलेस्सा एवं मणुस्साणवि वाणमंतराणं जहा असुरकुमाराणं, माणियाणं तओ लेस्साओ प० तं० तेउपम्हसुक्कलेस्सा ॥ १८१ ॥ तिहिं ठाणेहिं तारारूवे चलेजा तं० विकुव्वमाणे वा परियारेमाणे वा, ठाणाओ वा ठाणं संकममाणे तारारूवे चलेजा । तिहिं ठाणेहिं देवे विज्जुयारं करेज्जा तं० विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा तहारूवस्स समणस्स वा णिग्गंथस्स वा इड्डि जुईं जसं वलं वीरियं पुरिसक्कारपरक्कमं उवदंसेमाणे देवे विजुयारं करेजा, तिहिं ठाणेहिं देवे थणियस करेजा तं० विउव्वमाणे एवं जहा विजुयारं तहेव थणियसद्दपि ॥ १८२ ॥ तिहिं ठाणेहिं लोगंधयारे सिया तंजहा - अरिहंतेहिं वोच्छिजमाणेहि अरिहंतपण्णत्ते धम्मे वोच्छिज्जमाणे पुव्वगए वोच्छिजमाणे । तिहिं ठाणेहिं लोगुजोए सिया तं० अरिहंतेहिं जायमाणेहिं अरिहंतेसु पव्वयमाणेसु, अरिहंताणं णाणुप्पायमहिमासु । तिहिं ठाणेहिं देवंधयारे सिया तं० अरिहंतेहिं वोच्छिज्जमाणेहिं अरिहंतपण्णत्ते धम्मे वोच्छिज्जमाणे पुव्वगए वोच्छिज्जमाणे । तिहि ठाणेहिं देवज्जोए सिया तं० अरिहंतेहिं जायमाणेहि, अरिहंतेहिं पव्वयमाणेहिं, अरिहंताणं णाणुप्पायमहिमासु । तिहिं ठाणेहि देवसन्निवाए सिया तं० अरिहंतेहिं जायमाणेहिं अरिहंतेहिं पव्वयमाणेहिं अरिहंताणं णाणुप्पायमहिमासु । एवं देवकलिया, देवकहकहए, तिहिं ठाणेहिं देविंदा माणुसं लोगं हव्वमागच्छंति तं० अरिहंतेहि जायमाणेहि अरिहंतेहिं पव्वयमाणेहिं अरिहंताणं णाणुप्पायमहिमासु, एवं सामाणिया, तायत्तीसगा लोगपाला देवा अग्गमहिसीओ देवीओ परिसोववन्नगा देवा, अणियाहिवई देवा, आयरक्खा देवा माणुसं लोगं हव्वमागच्छंति, तिहिं ठाणेहिं देवा अब्भुठ्ठेजा तं० अरिहंतेहिं जायमाणेहिं २०५ Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [गणे २०६ सुत्तागमे जाव तं चेव । एवमासणाई चलेजा, सीहणायं करेजा, चेलुक्खेवं करेजा। तिहिं ठाणेहिं देवाणं रुक्खा चलेजा तं० अरिहंतेहिं जायमाणेहिं, जाव तं चेव । तिहिं ठाणेहिं लोगंतिया देवा माणुसं लोगं हव्वमागच्छेज्जा तं० अरिहंतेहिं जायमाणेहिं, अरिहंतेहिं पव्वयमाणेहिं, अरिहंताणं णाणुप्पायमहिमासु ॥ १८३ ॥ तिण्हं दुप्पडियारं समणाउसो तंजहा-अम्मापिउणो भट्टिस्स धम्मायरियस्स, संपाओवि य णं केइ पुरिसे अम्मापियरं सयपागसहस्सपागेहिं तिल्लेहिं अभंगेत्ता, सुरभिणा गंधट्टएणं उव्वट्टित्ता, तिहिं उदगेहिं मजावेत्ता, सव्वालंकारविभूसियं करेत्ता, मणुन्न थालीपागसुद्धं अठ्ठारसवंजणाउलं भोअणं भोआवेत्ता जावज्जीवं पिविडिसियाए परिवहेजा, तेणावि तस्स अम्मापिउस्स दुप्पडियार भवइ । अहेणं से तं अम्मापियरं केवलिपन्नत्ते धम्मे आघवइत्ता पन्नवइत्ता परूवइत्ता ठावइत्ता भवइ तेणामेव तस्स अम्मापिउस्स सुप्पडियारं भवइ । समणाउसो केइ महच्चे दरिदं समुक्कसेजा तएणं से दरिद्दे समुक्किठे समाणे पच्छा पुरं च णं विउलभोगसमिइसमण्णागए या वि विहरेजा, तएणं से महच्चे अन्नया कमाई दरिद्दी हूए समाणे तस्स दरिदस्स अंतिए हव्वमागच्छेज्जा तएणं से दरिदे तस्स भट्टिस्स सव्वस्समवि दलयमाणे तेणावि तस्स दुप्पडियारं भवइ, अहेणं से तं भट्टि केवलिपन्नत्ते धम्मे आघवइत्ता पण्णवइत्ता परूवइत्ता ठावइत्ता भवइ तेणामेव तस्स भट्टिस्स सुप्पडियारं भवइ । केइ तहारुवस्स समणस्स वा णिग्गंथस्स वा अंतियमेगमवि आरियं जिणभासियं धम्मं सुवयणं सोचा निसम्म कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववन्ने, तएणं से देवे तं धम्मायरियं दुब्भिक्खाओ वा देसाओ सुभिक्खं देसं साहरेजा, कंताराओ वा णिकंतारं करेजा, दीहकालिएणं वा रोआतंकेणं अभिभूयं समाणं विमोइजा, तेणावि तस्स धम्मायरियस्स दुप्पडियारं भवइ, अहेणं से तं धम्मायरियं केवलिपन्नत्ताओं धम्माओ भट्ठ समाणं भुजोवि केवलिपन्नत्ते धम्मे आघवइत्ता जाव ठावइत्ता भवइ तेणामेव तस्स धम्मायरियस्स सुप्पडियारं भवइ ॥ १८४ ॥ तिहिं ठाणेहिं संपन्न अणगारे अणाइयं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं वीइवएजा, तंजहाअणियाणयाए, दिद्विसंपन्नयाए, जोगवाहियाए ॥ १८५॥ तिविहा ओसप्पिणी प० तं० उक्कोसा मज्झिमा जहन्ना, एवं छप्पिसमाओ भाणियवाओ जाव दुसमदुसमा, तिविहा उस्सप्पिणी प० तं० उक्कोसा मज्झिमा जहन्ना एवं छप्पिसमाओ भाणिय नामाचा जाव ' व्वाओ, जाव सुसमसुसमा ॥ १८६॥ तिहिं ठाणेहिं अच्छिन्ने पोग्गले चलेजा त० आहारिजमाणे वा पोग्गले चलेजा, विउव्वमाणे वा पोग्गले चलेजा, ठाणाओ ठाण संकामेजमाणे वा पोग्गले चलेजा ॥ १८७ ॥ तिविहा उवही प० तं० कम्मोवहा Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म०३ उ०१] सुत्तागमे २०७ सरीरोवही वाहिरभंडमत्तोवही, एवं असुरकुमाराणं भाणियच्वं, एवं एगिदियनेरइयवजं जाव वेमाणियाणं । अहवा तिविहा उवही प० तं० सचित्ता अचित्ता मीसिया। एवं नेरझ्याणं निरंतरं जाव वेमाणियाणं, तिविहे परिग्गहे प० तं० कम्मपरिग्गहे सरीरपरिग्गहे वाहिरभंडमत्तपरिग्गहे, एवं असुरकुमाराणं, एवं एगिदियनेरइयवज्ज जाव वेमाणियाणं, अहवा तिविहे परिग्गहे प० तं० सचित्ते अचित्ते मीसए एवं गेरइयाणं निरंतरं जाव वेमाणियाणं ॥ १८८ ॥ तिविहे पणिहाणे प० तं० मणपणिहाणे वयपणिहाणे कायपणिहाणे एवं पंचिंदियाणं जाव वेमाणियाणं । तिविहे सुप्पणिहाणे प० तं० मणसुप्पणिहाणे वयमुप्पणिहाणे कायसुप्पणिहाणे, संजयमणुस्साणं तिविहे सुप्पणिहाणे प० तं० मणसुप्पणिहाणे वयसुप्पणिहाणे कायसुप्पणिहाणे, तिविहे दुप्पणिहाणे प० तं.० मणदुप्पणिहाणे वयदुप्पणिहाणे कायदुप्पणिहाणे, एवं पंचिंदियाणं जाव वेमाणियाणं ॥ १८९ ॥ तिविहा जोणी पण्णत्ता तंजहा-सीआ उसिणा सीओसिणा । एवमेगिंदियाणं विगलिंदियाणं तेउकाइयवज्जाणं संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं समुच्छिममणुस्साण य, तिविहा जोणी प० तं० सचित्ता अचित्ता मीसिया एवमेगिंदियाणं विगलिंदियाणं संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं संमुच्छिममणुस्साण य । तिविहा जोणी प० त० संवुडा, वियडा संवुडवियडा। तिविहा जोणी प० तं० कुम्मुन्नया संखावत्ता वंसीवत्तिया, कुम्मुन्नयाणं जोणी उत्तमपुरिसमाऊणं, कुम्मुन्नयाएणं जोणीए तिविहा उत्तमपुरिसा गन्भं वक्कमति तं० अरिहंता चक्कवट्टी वलदेववासुदेवा, संखावत्ता जोणी इत्थीरयणस्स संखावत्ताएणं जोणीए वहवे जीवा य पोग्गला य वक्कमति विउक्कमंति चयंति उववज्जति नो चेव णं णिप्पजति । वंसीपत्तियाणं जोणी पिहज्जणस्स वंसीवत्तियाएणं जोणीए वहवे पिहजणे गभं वकमंति ॥ १९० ॥ तिविहा तणवणस्सइकाइया प० तं० संखेजजीविया असंखेज्जजीविया अणंतजीविया ॥ १९१ ॥ जंबुद्दीवे दीवे भारहेवासे तओ तित्था प० तं० मागहे वरदामे पभासे एवं एरवएवि । जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहवासे एगमेगे चक्कवट्टिविजए तओ तित्था प० त० मागहे वरदामे पभासे । एवं धायइखंडे दीवे पुरच्छिमद्धेवि पञ्चत्थिमद्धेवि पुक्खरवदीवढपुरच्छिमद्धेवि पञ्चत्थिमद्धेवि ॥ १९२ ॥ जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीआए उस्सप्पिणीए सुसमाए समाए तिन्निसागरोवमकोडाकोडीओ कालो होत्था। एवं ओसप्पिणीए णवरं प० आगमेस्साए उस्सप्पिणीए भविस्सइ । एवं धायइखंडे पुरच्छिमद्धेवि पन्चत्थिमद्धेवि । एवं पुक्खरवरदीवड्डपुरत्थिमः पञ्चत्थिमद्धेवि कालो भाणियव्वो ॥ १९३ ॥ जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीयाए उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए मणुया तिन्नि गाउआई Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [गणे २०० सुत्तागमे उड़े उच्चत्तेणं तिणिपलिओवमाइं परमाउं पालइत्था एवं इमीसे ओसप्पिणीए आगमेस्साए उस्सप्पिणीए । जंबुद्दीवे दीवे देवकुरुउत्तरकुरासु मणुया तिन्नि गाउआई उहूं उच्चत्तेणं प० तिन्निपलिओवमाई परमाउं पालयंति । एवं जाव पुक्खरवरदीवडपचत्यिमद्धे ॥ १९४ ॥ जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएमु वासेसु एगमेगाए ओसप्पिणिउस्सप्पिणीए तओ वंसा उप्पजिसु वा उप्पजति वा उप्पजिस्संति वा तं० अरिहंतवंसे चकवधिवंसे दसारवंसे । एवं जाव पुक्खरवरदीवद्भुपञ्चत्थिमद्धे । जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएनु वासेसु एगमेगाए ओसप्पिणीउस्सप्पिणीए तओ उत्तमपुरिसा उप्पजिमु वा उप्पज्जति वा उप्पजिस्संति वा तं० अरिहंता वा चकवट्टी वा बलदेववासुदेवा । एवं जाव पुक्खरवरदीवड्डपचत्थिमद्धे । तओ अहाउयं पालेंति तं० अरिहंता चक्कवट्टी वलदेववासुदेवा, तओ मज्झिममाउयं पालयति तं० अरिहंता चकवट्टी बलदेववासुदेवा ॥ १९५ ॥ बायरतेऊकाइयाणं उक्कोसेणं तिन्नि राइंदियाई ठिई प० बायरवाउकाइयाणं उक्कोसेणं तिन्निवाससहस्साई ठिई पन्नत्ता ॥ १९६॥ अह भंते सालीणं वीहीणं गोधूमाणं जवाणं जवजवाणं एएसिणं धन्नाणं कोठाउत्ताणं पल्लाउत्ताणं मंचाउत्ताणं मालाउत्ताणं ओलित्तागं लित्ताणं लंछियाणं मुद्दियाणं पिहियाणं केवइयं कालं जोणी संचिठ्ठइ ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्निसंवच्छराइं तेण परं जोणी पमिलायइ पविद्धसइ विद्धंसइ तेण परं बीए अवीए भवइ तेण परं जोणी वोच्छेद प० ॥ १९७ ॥ दोच्चाएणं सकरप्पभाए पुढवीए नेरइयाणं उक्कोसेणं तिन्निसागरावमाई ठिई प० तच्चाएणं वालुयप्पभाए पुढवीए जहन्नेणं णेरइयाणं तिन्निसागरोवमाइं ठिई प० । पंचमाए णं धूमप्पभाए पुढवीए तिन्निनिरयावाससयसहस्सा ५० तिसु णं पुढवीसु णेरइया उसिणं वेयणं पच्चणुभवमाणा विहरंति तं० पढमाए दोच्चाए तच्चाए ॥ १९८ ॥ तओ लोगे समा सपक्खि सपडिदिसिं पतं० अप्पइठाणे णरए जंबुद्दीवे दीवे सव्वट्ठसिद्धे महाविमाणे । तओ लोगे समा सपक्खि सपडिदिसि प० तं० सीमंतएणं णरए समयक्खेत्ते ईसिपब्भारापुढवी ॥ १९९ ॥ तओ समुद्दा पगईए उदगरसेणं प० तं० कालोदे पुक्खरोदे सयंभुरमणे, तओ समुद्दा बहुमच्छकच्छभा इण्णा प० तं० लवणे कालोदे सयंभुरमणे ॥ २००॥ तओ लोगे णिस्सीला णिव्वया णिग्गुणा णिम्मेरा पिच्चक्खाणपोसहोववासा कालमासे कालं किच्चा अहे सत्तमाए पुढवीए अप्पइट्टाणे णरए णेरइयत्ताए उववजति तं० रायाणो मंडलिया जे य महा रंभा कोडंबी। तओ लोए सुसीला सुव्वया सगुणा सम्मेरा सपच्चक्खाणपोसहाववासा कालमासे कालं किच्चा सव्वट्ठसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववत्तारो भवात तं० रायाणो परिचत्तकामभोगा सेणावई पसत्थारो ॥ २०१॥ बंभलोगलंतएसुण Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - अ०३ उ० २] सुत्तागमे कप्पेसु विमाणा तिवन्ना पन्नत्ता तं० किण्हा नीला लोहिया । आणयपाणयारणञ्चुएसु णं कप्पेसु देवागं भवधारणिजसरीरगा उक्कोसेणं तिन्नि रयणीओ उर्दू उच्चत्तेणं प० ॥ २०२॥ तओ पन्नत्तीओ कालेणं अहिज्जन्ति तं० चंदपन्नत्ती सूरपन्नत्ती दीवसागरपन्नत्ती ॥ २०३ ॥ तइयाणस्स पढमोद्देसो समत्तो॥ तिविहे लोगे पन्नत्ते तं० णामलोगे ठवणलोगे दवलोगे, तिविहे लोगे प० तं० णाणलोगे दंसणलोगे चरित्तलोगे, तिविहे लोगे प० तं० उद्दलोगे अहोलोगे तिरियलोगे ॥ २०४॥ चमरस्सणं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो तओ परिसाओ पण्णताओ तं० समिया चंडा जाया अभितरिया समिया मज्झमिया चंडा वाहिरया जाया, चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सामाणियाणं देवाणं तओ परिसाओ पण्णत्ताओ तं० समिया जहेव चमरस्स । एवं तायत्तीसगाणवि लोगपालाणं तुंवा तुडिया पव्वा एवं अग्गमहिसीग वि । बलिस्स वि एवं चेव जाव अग्गमहिसीणं । धरणस्स य सामाणियतायत्तीसगाणं च समिया चंडा जाया, लोगपालाणं अग्गमहिसीणं ईसा तुडिया दढरहा, जहा धरणस्स तहा सेसाणं भवणवासीणं, कालस्सणं पिसाइंदस्स पिसायरन्नो तओ परिसाओ पन्नत्ताओ, तं० ईसा तुडिया दढरहा, एवं सामाणियअग्गमहिंसीणं वि एवं जाव गीयरइ गीयजसाणं चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरण्णो तओ परिसाओ, तुंवा तुडिया पव्वा, एवं सामाणियअग्गमहिसीणं, एव सूरस्स वि, सकस्स णं देविंदस्स देवरण्णो तओ परिसाओ पन्नत्ताओ तं० समिया चंडा जाया, एवं जहा चमरस्स जाव अग्गमहिसीणं, एवं जाव अच्चुयस्स लोगपालाणं ॥ २०५ ॥ तओ जामा प० तं० पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे, तिहिं जामेहिं आया केवलिपन्नत्तं धम्म लभेज सवणयाए तं० पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे, एवं जाव केवलनाणं उप्पाडेजा पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे । तओ वया प० तं० पढमे वए मज्झिमे वए पच्छिमे वए, तिहिं वएहिं आया केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज सवणयाए तं० पढमे वए मज्झिमे वए पच्छिमे वए, एसो चेव गमो णेयव्बो, जाव केवलनाणंति ॥ २०६ ॥ तिविहा वोही प० तं० णाणवोही दंसणवोही चरित्तवोही, तिविहा बुद्धा प० तं० णाणबुद्धा दसणबुद्धा चरित्तबुद्धा, एवं मोहे मूढा ॥ २०७ ॥ तिविहा पव्वज्जा प० तं० इहलोगपडिवद्धा, परलोगपड़िवद्धा, दुहओ पडिवद्धा, तिविहा पव्वजा प० तं० पुरओपडिबद्धा, मग्गओपंडिबद्धा, उभओपडिबद्धा, तिविहा पव्वज्जा प० तं० तुयावइत्ता पुयावइत्ता वुयावइत्ता, तिविहा पव्वजा पण्णत्ता तं० उवायपव्वेज्जा अक्खायपवजा संगारपव्वजा ॥ २०८ ॥ तओ णियंठा णोसण्णोवउत्ता प० तं० 'पुलाए १४ सुत्ता. Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे - [ठाणे २१० णियंठे सिणाए, तओ णियंठा सण्णणोसण्णोवउत्ता प० तं० वउसे पडिसेवणाकुसीले कसायकुसीले ॥ २०९ ॥ तओ सेहभूमीओ प० तं० उक्कोसा मज्झिमा जहण्णा उक्नोसा छम्मासा मज्झिमा चउमासा, जहन्ना सत्तराइंदिया ॥ २१० ॥ तओ थेरभूमीओ पन्नत्ताओ तं० जाइथेरे सुयथेरे परियायथेरे । सठिवासजाए समणे णिग्गंथे जाइथेरे, ठाणसमवायधरे णं समणे णिग्गंथे सुयथेरे, वीसवासपरियाए णं समणे णिग्गंथे परियायथेरे ॥ २११ ॥ तओ पुरिसजाया प० सुमणे दुम्मणे णोसुमणेणोदुम्मणे, तओ पुरिसजाया प० गंताणामेगे सुमणे भवइ गंताणामेगे दुम्मणे भवइ गंताणामेगे जोसुमणेगोदुम्मणे भवइ, तओ पुरिसजाया प० तं० जामि एगे सुमणे भवइ, जामि एगे दुम्मणे भवइ, जामि एगे जोसुमणेणोदुम्मणे भवइ, एवं जाइस्सामि एगे सुमणे भवइ (३) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता तं० अगंताणामेगे सुमणे भवइ (३) तओ पुरिसजाया प० तं० ण जामि एगे सुमणे भवइ (३) तओ पुरिसजाया प० तं० ण जाइस्सामि एगे सुमणे भवइ (३) एवं आगंताणामेगे सुमणे भवइ (३) एमि एगे सुमणे भवइ, एस्सामि एगे सुमणे भवइ (३) एवं एएणं अभिलावेणं गंता य अगंता य आगंता खलु तहा अणागंता । चिट्टित्तमचिट्ठित्ता, णिसिइत्ता चेव नो चेव 1 हंता य अहंता य छिदित्ता खलु तहा अछिंदित्ता, वूइत्ता अबूइत्ता, भासित्ता चेव णो चेव 2 दचा य अदच्चा य, भुंजित्ता खलु तहा अभुंजित्ता, लंभित्ता अलंभित्ता, पिइत्ता चेव - नो चेव 3 सुइत्ता असुइत्ता, जुज्झित्ता खलु तहा अजुज्झित्ता; जइत्ता अजइत्ता य, पराजिणित्ता चेव ना चेव 4 सहा रूवा गंधा, रसा य फासा तहेव ठाणा य; निस्सीलस्स गरहिया, पसत्या पुग सीलवंतस्स 5 एवमेकेके तिन्नितिन्निउ आलावगा भाणियव्वा । सह सुणेत्ताणामेगे सुसणे भवइ (३) एवं सुणेमित्ति ( ३ ) सुणेस्सामित्ति ३ एवं असुणत्ताणामेगे सुमणे भवइ (३) न सुणेमि त्ति ३ न सुणेस्सामित्ति ३ एवं रूवाई गधार रसाई फासाइं इलेके छछ आलावगा भाणियव्वा, एवं १२७ आलावगा भवात ॥ २१२॥ तओ ठाणा णिस्सीलस्स णिव्वयस्स णिग्गुणस्स णिम्मेरस्स णिप्प चक्खाणपोसहोववासस्स गरहिया भवंति तं० अस्सि लोगे गरहिए भवइ उववाए गरहिए भवइ आयाई गरहिया भवइ । तओ ठाणा सुसीलस्स सुव्वयस्स सगुणस्त समेरस्स सपचक्खाणपोसहोववासस्स पसत्था भवंति तं० अस्सि लोगे पसत्य भवइ उववाए पसत्थे भवइ आयाई पसत्था भवइ ॥ २१३ ॥ तिविहा संसारसमा वनगा जीवा प० तं० इत्थी पुरिसा णपुंसगा। तिविहा सव्वजीवा प० तं० सम्माद मिच्छदिछी सम्ममिच्छदिठी य । अहवा तिविहा सव्वजीवा प० तं० पजत्तगा Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ० ३ उ० ३] सुत्तागमे २११ अपजत्तगा नोपजत्तगानोअपजत्तगा । एवं सम्मद्दिछिपरित्तापजत्तगसुहुमसन्निभविया य ॥ २१४ ॥ तिविहा लोगठिई प० तं० आगासपइठिए वाए वायपइठिए उदही उदहीपइठिया पुढवी । तओ दिसाओ प० तं० उड्डा अहा तिरिया, तिहिं दिसाहिं जीवाणं गई पवत्तई तं० उडाए अहाए तिरियाए, एवं आगई वकंती आहारे वुड्डी णिवुडी गइपरियाए समुग्घाए कालसंजोगे दंसणाभिगमे णाणाभिगमे जीवाभिगमे । तिहिं दिसाहिं जीवाणं अज़ीवाभिगमे प० तं० उडाए अहाए तिरियाए, एवं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं । एवं मणुस्साणवि ॥ २१५ ॥ तिविहा तसा प० तं० तेउकाइया, वाउकाइया उराला तसा पाणा, तिविहा थावरा प० तं० पुढविकाइया आउकाइया वणस्सइकाइया ॥ २१६ ॥ तओ अच्छेज्जा प० तं० समए पएसे परमाणू ; एवमभेजा अडज्झा अगिज्झा अणवा अमज्झा अपएसा । तओ अविभाइमा प० तं० समए पएसे परमाणू ।। २१७ ॥ अज्जोत्ति समणे भगवं महावीरे गोयमाई समणे णिग्गंथे आमंतित्ता एवं वयासी! किं भया पाणा समणाउसो ? गोयमाई समणा णिग्गंथा समणं भगवं महावीरं उवसंकमंति, उवसंकमित्ता वंदंति नमसंति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी णो खलु वयं देवाणुप्पिया! एयमळं जाणामो वा पासामो वा तं जइणं देवाणुप्पिया ! एयमळु नो गिलायंति परिकहेत्तए तमिच्छामो णं देवाणुप्पियागं अंतिए एयमढे जाणित्तए, अज्जोत्ति समणे भगवं महावीरे गोयमाई समणे णिग्गंथे आमंतित्ता एवं वयासी, दुक्ख भया पाणा समणाउसो, से णं भंते दुक्खे केण कडे ? जीवेण कडे पमाएणं, से णं भंते दुक्खे कहं वेइज्जति ? अप्पमाएणं ॥ २१८ ॥ अण्णउत्थिया णं भंते एवमाइक्खन्ति, एवं भासेन्ति एवं परूवेन्ति कहण्णं समणाणं निग्गंथाणं किरिया कज्जइ तत्थ जासा कडा कजइ णो तं पुच्छंति, तत्थ जासा कडा नो कज्जइ णो तं पुच्छंति, तत्थ जासा अकडा नो कज्जइ णो तं पुच्छंति, तत्थ जासा अकडा कज्जइ तं पुच्छंति, से एवं वत्तव्वं सिया अकिच्चं दुक्खं अफुसं दुक्खं अकज्जमाणकडं दुक्खं अकट्ठ अक? पाणा भूया जीवा सत्ता वेयणं वेयंति त्ति वत्तव्वं जे ते एवमाहंसु ते मिच्छा, अहं पुण एवमाइक्खामि, एवं भासामि, एवं पन्नवेमि, एवं परूवेमि, किच्चं दुक्खं फुसं दुक्खं कज्जमाणं कडं दुक्खं कट्टु २ पाणा भूया जीवा सत्ता वेयणं वेयंति त्ति वत्तव्वं सिया ॥ २१९ ॥ तइयाणस्स वीओदेसो समत्तो॥ तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कटु णो आलोएज्जा णो पडिक्कमेज्जा, णो णिदिज्जा णो गरहेजा णो विउद्देजा णो विसोहेजा णो अकरणयाए अब्भुठेजा णो अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्म पडिवज्जिज्जा तं० अकरिंसु वाहं करेमि वाहं करिस्सामि वाहं ॥ २२० ।। Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ठाणे २१२ सुत्तागमे तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कट्ट णो आलोएज्जा णो पडिकमेजा जाव णो पंडिवजेज्जा तं. अकित्ती वा मे सिया अवन्ने वा मे सिया अविणए वा मे सिया, तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कटु णो आलोएज्जा जाव णो पडिवजेजा तं० कित्ती वा मे परिहाइस्सइ जसो वा मे परिहाइस्सइ पूयासक्कारे वा मे परिहाइस्सइ, तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कटु आलोएजा पडिक्कमेजा निदेजा जाव पडिवजेजा तंजहा मायिस्स णं अस्सि लोगे गरहिए भवइ उववाए गरहिए भवई आयाई गरहिया भवइ । तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कटु आलोएजा जाव पडिवजेजा तं० अमायिस्स णं अस्सि लोगे पसत्थे भवइ, उववाए पसत्थे भवइ आयाई पसत्या भवइ तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कटु आलोएना जाव पडिवज्जेजा तं० णाणट्ठयाए दंसणठ्याए चरित्तठ्ठयाए ॥२२१॥ तओ पुरिसजाया प० तं० सुत्तधरे अत्थधरे तदुभयधरे ॥२२२॥ कप्पइ निग्गंथाण वां निग्गंथीण वा तओ वत्थाइं धारित्तए वा परिहारत्तएँ वा तं० जंगिए साणिए खोमिए । कप्पइ निग्गंथाणं वा निग्गंथीणं वा तओ पायाइं धारित्तए वा परिहरित्तए वा तं० लाउयपाए वा दारुपाए वा मट्टियापाए वा, तिहिं ठाणेहिं वत्थं धरेज्जा तं० हिरिवत्तियं दुगुंछावत्तियं परीसहवत्तियं ॥२२३॥ तओ आयरक्खा प० तं० धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएत्ता भवइ तुसिणीए वा सिया उद्वित्ता वा आयाए एगंतमन्तमवक्कमेजा ॥ २२४ ॥ निग्गंथस्स णं गिलायमाणस्स कप्पंति तओ वियडदत्तीओ पडिगाहित्तए तं० उक्नोसा मज्झिमा जहन्ना ॥ २२५ ॥ तिहिं ठाणेहिं समणे निग्गंथे साहम्मियं संभोइयं विसंभोइयं करेमाणे णाइक्कमंइ तं० सयं वा दर्छ सङ्कस्स वा निसम्म तच्चं मोसं आउट्टइ चउत्थं नो आउट्टइ ॥ २२६ ॥ तिविहा अणुन्ना प० तं. आयरियत्ताए उवज्झायत्ताए गणित्ताए, तिविहा समणुन्ना पतं० आयरियत्ताए उवज्झायत्ताए गणित्ताए, एवं उवसंपया एवं विजहण्णा ॥ २२७ ॥ तिविहे वयण प० तं० तव्वयणे तदन्नवयणे णो अवयणे, तिविहे अवयणे प० तं० णो तव्वयण णो तदन्नवयणे अवयणे, तिविहे मणे प० त० तम्मणे तयन्नमणे णो अमणे; तिविहे अमणे णो तंमणे णो तयन्नमणे अमणे ॥ २२८ ॥ तिहिं ठाणेहि अप्पनुष्ठि काए सिया तं० तस्सि च णं देसंसि वा पएसंसि वा णो बहवे उदगजोणिया जीवा य पोग्गला य उदगत्ताए वक्कमंति विउक्कमंति चयंति उववजंति पडिलोमवाऊ समु. ठ्ठियं उदगपोग्गलं परिणयं वासिउकामं अण्णं देसं साहरइ, अब्भवद्दलग च णं समुठियं परिणयं वासिउकामं वाउकाए विहुणेइ इच्चएहिं तिहिं ठाणेहिं अप्पवुः ठिकाये सिया । तिहिं ठाणेहिं महावुठ्ठिकाए सिया तं० तंसि च णं देससि वा पएससि वा वहवे उदगजोणिया जीवा य पोग्गला य उदगत्ताए वक्कमंति विउक Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ० ३ उ० ३] सुत्तागमे २१ " ० मंति, चयंति उववजंति अणुलोमवाऊ समुट्ठियं उदगपोगलं परिणयं वासिउकामं तंदेसं साहरति अभवद्दलगं च णं समुठ्ठियं परिणयं वासिकामं णो वाउकाओ विहुति, इचेएहिं तिहिं ठाणेहिं महावुठ्ठिकाए सिया ॥ २२९ ॥ तिहिं ठाणेहिं अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु इच्छेजा माणुसं लोगं हव्वैमागच्छिंत्तए, णो चेवणं संचाएइ हव्वमागच्छित्तए तं० अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु दिव्वेसु कामभोगेसु मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने से णं माणुरसए कामभोगे णो आढाइ णो परियाणा णो अठ्ठे वंधड़ णो णियाणं पगरेइ, णो ठिइप्पकप्पं पकरेड, अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु दिव्वेसु कामभोगेसु मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने तस्सं माणुस्सए पेम्मे वोच्छिन्ने दिव्वे संकंते भवइ, अहुणोववन्ने देवे देवलोएसु दिव्वेसु कामभोगेसु मुच्छिए जाव अज्जोववन्ने तस्स णमेवं भवइ इयहिं न गच्छं मुहुत्तं गच्छं तेण कालेनमप्पाउया मणुस्सा कालधम्मुणा संजुत्ता भवंति इचेएहिं तिहिं ठाणेहिं अहुणोववन्ने देवे देवलोगेस इच्छेजा माणुस्सं लोगं हव्वमागच्छित्तए नो चेव णं संचाएइ हव्वमागच्छित्तए । तिहिं ठाणेहिं अहुणोववन्ने देवे देवलोएसु इच्छेजा माणुस्सलोगं हव्वमागच्छित्तए संचाएइ हव्वमागच्छित्तए तं • अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु दिव्वेसु कामभोगेषु अमुच्छिए अगिद्धे अगढिए अणज्झोववण्णे तस्स णं एवं भवइ अत्थि णं मम माणुस्सए भवे आयरिएइ वा, उवज्झाएइ वा पवत्तेइ वा थेरेइ वा, गणीइ वा गणहरेइ वा गणावच्छेएइ वा जेसिं पभावेणं मए इमा एया रुवा दिव्वा देविट्ठी दिव्वा देवजुई दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए तं गच्छामि णं ते भगवंते वंदामि णमंसामि सक्कारेमि सम्माणेमि कल्लाणं मंगलं देवयं जाव पज्जुवासामि अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु दिव्वेसु कामभोगेस अमुच्छिए जाव अणज्झोववन्ने तस्स णं एवं भवइ, एसण माणुस्सए भवे णाणीइ वा, तवस्सीइ वा अइदुकरदुक्करकार तं गच्छामि णं भगवंतं वंदामि णमसामि जाव पजुवासामि अहुणोववृष्णे देवे देवलोगेस जाव अणज्झोववन्ने तस्स णं एवं भवइ अत्थि णं मम माणुस्सए भवे मायाइ वा जाव सुण्हाइ वा तं गच्छामि णं तेसिमंतियं पाउन्भवामि, पासंतु ता मे इमं एयारुवं दिव्वं देविद्धिं दिव्वं देवजुई दिव्वं देवाणुभाव लद्धं पत्त अभिसमण्णागयं इचेएहिं तिहि ठाणेहिं अहुणोववन्ने देवे देवलोगेस इच्छेज माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए संचाएइ हव्वमागच्छित्तए ॥ २३० ॥ तओ ठाणाई देवे पीहेजा तं ० माणुस्सगं भवं, आरिए खेत्ते जम्मं, सुकुलपचायाई ॥ २३१ ॥ तिहिं ठाणेहिं देवे परितप्पेजा तं० अहो णं मए संते वले "संने वीरिए संते पुरिसक्कारपरक्कमे खेमसि सुभिक्खंसि आयरियउवज्झाएहिं विजमाणेहिं कसरीरेण णो बहुए ( 4 5 >" "" * For " " Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे २१४ [ठाणे सुए अहीए अहो णं सए इहलोगपडिबद्धणं परलोगपरंमुहेणं विसयतिसिएणं णो दीहे सामनपरियाए अणुपालिए । अहो णं मए इड्डिरससायगरुएणं भोगामिसगिद्धणं णो विसुद्धे चरित्ते फासिए इच्चेएहि ॥ २३२ ॥ तिहिं ठाणेहिं देवे चइस्सामीति जाणइ, तं० विमाणाभरणाई णिप्पभाई पासित्ता, कप्परुक्खगं मिलायमाणं पासित्ता अप्पणो तेयलेस्सं परिहायमाणि जाणित्ता, इच्चेएहि०, तिहिं ठाणेहिं देवे उव्वेगमागच्छेजा तं०-अहो णं मए इमाओ एयारूवाओ दिव्वाओ देविडीओ दिव्वाओ देवजुईओ, दिव्वाओ देवाणुभावाओ पत्ताओ लद्धाओ अभिसमण्णागयाओ चइयव्वं भविस्सइ । अहो णं मए माउओयं पिउसुझं तं तदुभयसंसिलु तप्पढमयाए आहारो आहारेयव्वो भविस्सइ । अहो णं मए कलमलजंबालाए असुईए उन्वेयणियाए भीमाए गब्भवसहीए वसियव्वं भविस्सइ । इच्चेएहि तिहिं ठाणेहिं० ॥ २३३ ॥ तिसंठिया विमाणा प० तं० वट्टा तंसा चउरंसा । तत्थ णं जे ते वट्टविमाणा ते णं पुक्खरकगिया संठाणसंठिया सव्वओ समंता पागारपरिक्खित्ता एगदुवारा प० । तत्थ णं जे ते तंसविमाणा ते सिंघाडगसंठाणसंठिया दुहओ पागारपरिक्खित्ता एगओ वेइया परिक्खित्ता तिदुवारा प० । तत्थ णं जे ते चउरंसविमाणा ते णं अक्खाडगसंठाणसंठिया सव्वओ समंता वेइया परिक्खित्ता चउदुवारा प० । तिपइठिया विमाणा प० तं० घणोदहिपइठिया, घणवायपइठिया, उवासंतरपइठिया । तिविहा विमाणा प० तं० अवठ्ठिया वेउव्विया परिजाणिया ॥ २३४ ॥ तिविहा रइया प० तं० सम्मदिछी मिच्छादिठ्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी । एवं विगलिदियवज जाव वेमाणियाणं । तओ दुग्गईओ पण्णत्ताओ तं० णेरइयदुग्गई, तिरिक्खजोणियदुग्गई मणुयदुग्गई । तओ सुगईओ प० तं० सिद्धिसोग्गई देवसोग्गई मणुस्ससोग्गई । तओ दुग्गया प० तं० णेरइयदुग्गया तिरिक्खजोणियदुग्गया, मणुस्सदुग्गया, तओ सुगया प० तं० सिद्धसुगया देवसुगया मणुस्ससुगया ॥ २३५॥ चउत्थभत्तियस्स णं भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाइं पडिगाहित्तए तं० उस्सइन संसेइमे चाउलधोवणे । छठभत्तियस्स णं भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाइं पडिः गाहित्तए, तंजहा-तिलोदए तुसोदए जवोदए, अठुमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पात तओ पाणगाइं पडिगाहित्तए तंजहा-आयामए सोवीरए सुद्धवियडे ॥ २३६ ॥ तिविहे उवहडे प० तं० फलिओवहडे सुद्धोवहडे संसठ्ठोवहडे, तिविहे ओगहिए ५० तं. जं च ओगिण्हइ जं च साहरइ जं च आसगंसि पक्खिवई ॥ २३७ ॥ तिविहा ओमोयरिया प० तं० उवगरणोमोयरिया, भत्तपाणोमोयरिया, भावोमोयरिया; उवगरणोमोयरिया तिविहा प० तं० एगे वत्थे. एगे पाये चियत्तोवहि Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ C → • 1 : } अ० ३ उ० ३ ] सुत्तागमे साइजणया ॥ २३८ ॥ तओ ठाणा णिग्गंथाणं वा णिग्गंथीणं वा अहियाए असुहाए अक्खमाए अणिस्तेयसाए अणाणुगामियत्ताए भवन्ति, तं० कूअणया, कक्करणया अवज्झाणया, तओ ठाणा णिग्गंथाणं वा णिग्गंथीणं वा हियाए सुहाए खमाए णिस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भवन्ति, तं० अकूअणया 'अक्क्करणया अणवज्झाणया ॥ २३९ ॥ तओ सल्ला प० तं० मायासले णियाणसले मिच्छादंसणसले ॥ २४० ॥ तिहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंथे संखित्तविउलतेउलेस्से भवइ तं० आयावणयाए खंतिखमाए अपाणगेणं तवोक्म्मेण ॥ २४१ ॥ तिमासियं णं भिक्खुपडिमं पडि - वन्नस्स अणगारस्स कप्पंति तओ दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहित्तए तओ पाणगस्त, गराइयं भिक्खुपडिमं सम्ममणणुपालेमाणस्स अणगारस्स इमे तओ ठाणा अहियाए असुभाए अखमाए अणिस्तेयसाए अणाणुगामियत्ताए भवंति तं० उम्मायं वा लभेजा, दीहकालियं वा रोयातकं पाउणेज्जा, केवलिपण्णत्ताओ धम्माओ भंसेजा । एगराइयं णं भिक्खुपडिमं सम्ममणुपालेमाणस्स - अणगारस्स तओ ठाणा हियाए सुभाए खमाए णिस्तेयसाए आणुगामियत्ताए भवंति तं० ओहिणाणे वा से समुप्पजेजा मणपज्जवणाणे वा से समुप्पज्जेज्जा, केवलणाणे वा से समुप्पज्जेज्जा ॥ २४२ ॥ जंबुद्दीवे दीवे तओ कम्मभूमीओ प० तं० भरहे, एरवए, महाविदेहे । एवं धायइखंडे दीवे पुरच्छिमद्धे जाव पुक्खर वर- दीवड - पन्चत्थिमद्धे ॥ २४३ ॥ तिविहे दंसणे सम्मदंसणे, मिच्छादंसणे, सम्ममिच्छादंसणे, तिविहा रुई प० तं० सम्मरुई, मिच्छरुई, सम्ममिच्छरुई, तिविहे पओगे प० तं० सम्मप्पओगे, मिच्छप्पओगे, सम्ममिच्छप्पओगे ॥ २४४ ॥ तिविहे ववसाए प० तं० धम्मिए ववसाए अहम्मिए ववसाए, धम्मियाधम्मिए ववसाए, अहवा तिविहे ववसाए, प० तं० पच्चक्खे, पञ्चइए, आणुगामिए, अहवा तिविहे ववसाए प० तं० इहलोइए, परलोइए, इहलोइयपरलोइए, इहलोइए ववसाए तिविहे प० तं० लोइए वेइए सामइए, लोइए वव॒साए तिविहे प० तं॰ अत्थे धम्मे कामे, वेइए ववसाए तिविहे प० तं० रिउव्वेए जजुव्वेए सामवेए, सामइए ववसाए तिविहे प० तं० णाणे दंसणे चरिते ॥ २४५ ॥ तिविहा अत्थजोणी प० तं० सामे दंडे भेए ॥ २४६ ॥ तिविहा पोग्गला प० तं० पओगपरिणया, मीसापरिणया, वीससापरिणया ॥ २४७ ॥ तिपइठ्ठिया परगा प० तं. पुढवीपइठिया आगासपइडिया आयपइंडिया, नेगमसंगहववहाराणं पुढवीपइठिया, उज्जुसुयस्स आगासपइट्ठिया तिन्ह" सद्दणयाणं आयपइट्टिया ॥ २४८ ॥ तिविहे मिच्छत्ते प० तं ० अकिरिया अविणए अण्णाणे, अकिरिया तिविहा प० तं० पओगकिरिया, समुदाणकिरिया अन्नाणकिरिया, पभोगकिरिया तिविहा प० - 2 २५५ Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१६ सुत्तागमे [ठाणे तं० मणपओगकिरिया वइपओगकिरिया कायपओगकिरिया, समुदाणकिरिया तिविहा प० तं० अणंतरसमुदाणकिरिया, परंपरसमुदाणकिरिया तदुभयसमुदाणकिरिया, अण्णाणकिरिया तिविहा स० तं० मइअण्णाणकिरिया, सुयअण्णाणकिरिया, विभंगअण्णाणकिरिया, अविणए तिविहे प० तं० देसच्चाई, णिरालंवणया, णाणापेजदोसे, अण्णाणे तिविहे प० तं० देसअण्णाणे, सव्वअण्णाणे, भावअण्णाणे ॥ २४९ ।। तिविहे धम्मे प० तं० सुयधम्मे, चरित्तधम्मे, अस्थिकायधम्मे, तिविहे उवकमे प० तं० धम्मिए उवक्कमे, अहम्मिए उवक्कमे, धम्मियाधम्मिए उवक्कमे, अहवा तिविहे उवकमे प० तं० आओवक्कमे, परोवकमे, तदुभयोवकमे, एवं वयावच्चे, अणुग्गहे, अणुसिठि, उवालंभं, एवमिकेके तिन्नि २ आलावगा जहेव उवक्कमे ॥ २५० ॥ तिविहा कहा प० तं० अत्थकहा, धम्मकहा, कामकहा, तिविहे विणिच्छए प० तं० अत्थविणिच्छए धम्मविणिच्छए कामविणिच्छए ॥ २५१ ॥ तहात्वं णं भंते समणं वा णिग्गंथं वा सेवमाणस्स किं फला सेवणया ? संवणफला, से णं भंते सवणे किं फले ? णाणफले, से णं भंते णाणे किं फले ? विण्णाण फले, एवमेएणं अभिलावेणं इमा गाहा अणुगंतव्वा-“सवणे णाणे य विण्णाणे, पञ्चक्खाणे य संजमे । अणम्हए तवे चेव, बोदाणे अकिरिय णिव्वाणे (१) जाव से णं भंते अकिरिया किं फला ? णिव्वाणफला, से णं भंते णिव्वाणे किं फले ? सिद्धिगइगमणपजवसाणंफले पण्णत्ते समणाउसो ! ॥ २५२ ॥ तइओद्देलो लमत्तो॥ ___ पडिमापडिवण्णस्स णं अणगारस्स कप्पंति तओ उवस्सया पडिलेहित्तए तं० अहे आगमणगिहंसि वा, अहे वियडगिहंसि वा, अहे रुक्खमूलगिहंसि वा, एवमणुन्नवेत्तए, उवाइणित्तए, पडिमापडिवन्नस्स णं अणगारस्स कप्पंति तओ संथारगा पडिलेहित्तए तं० पुढवीसिला, कठुसिला, अहासंथडमेव, एवमणुन्नवित्तए उवाइणित्तए ॥ २५३ ॥ तिविहे काले प० तं० तीए पडुप्पन्ने अणागए, तिविहे समए प. तं. तीए, पडुप्पन्ने, अणागए, एवं आवलिया, आणापाणू , थोवे लवे मुहुत्ते अहारत्ते, जावं वाससयसहस्से पुव्वंगे, पुत्वे, जाव ओसप्पिणी, तिविहे पोग्गलपरियट्ट प० तं० तीते पडुप्पन्ने अणागए ॥ २५४ ॥ तिविहे वयणे प० तं०-एगवयणे, दुवयणे, बहुवयणे, अहवा तिविहे वयणे प० त०' इत्थिवयंणे, पुंवयणे, णपुंसगवयणे, अहवा तिविहे वयणे प० त० तीतवयणे, पड्डुप्पण्णवयणे, अणागयवयण ॥ २५५ ॥ तिविहा पन्नवणा तं० णाणपण्णवणा, दसणपण्णवणा, चरित्तपण्णवणा, तिविहे सम्मे प० त० णाणसम्मे, दंसणसम्मे, चरित्तसम्मे ॥ २५६ ॥ तिविहे उवघाए प० तं० उग्गमोवघाए, उप्पायणोवघाए, एसणोवघाए, एवं विसोही Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म० ३ उ०४] सुत्तागमे ॥ २५७ ॥ तिविहा आराहणा प० तं० णाणाराहणा, दंसणाराहणा, चरित्ताराहणा, जाणाराहणा तिविहा प० तं० उकोसा, मज्झिमा, जहन्ना, एवं दसणाराहणावि, चरित्ताराहणावि, तिविहे संकिलेसे प० तं० णाणसंकिलेसे; दसणसंकिलेसे, चरित्तसंकिलेसे, एवं असंकिलेसेवि, एवं अइक्कमे वि, वइक्कमे वि, अइयारे वि, अणायारे वि, तिण्हमइकमाणं आलोएज्जा, पडिक्कमेजा, गिंदेजा, गरहिजा जाव पडिवज्जिजा, तं० णाणाइक्कमस्स, दंसणाइक्कमस्स, चरित्ताइक्कमस्स, एवं वइकमाणं, अइयाराणं, अणायाराणं ॥ २५८ ॥ तिविहे पायच्छित्ते प० तं० आलोयगारिहे, पडिक्कमणारिहे, तदुभयारिहे ॥ २५९ ॥ जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं तओ अकम्मभूमीओ प० त० हेमवए हरिवासे देवकुरा, जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं तओ अकम्मभूमीओ प० तं० उत्तरकुरा, रम्मगवासे, एरन्नवए, जंबुद्दीवे दीवे मंदरपव्वयस्स दाहिणेणं तओ वासा प० तं० भरहे, हेमवए, हरिवासे, जंवूमंदरस्स उत्तरेणं तओ वासा प० त० रम्मगवासे, हेरन्नवए, एरवए, जंवूमंदरस्स दाहिणेणं तओ वासहरपव्वया प० तं० चुल्लहिमवंते, महाहिमवंते, णिसढे, जंवूमंदरस्स उत्तरेणं तओ वासहरपव्वया प० तं० णीलवंते, रुप्पी, सिहरी, जंवूमंदरस्स दाहिणेगं तओ महादहा प० तं० पउमद्दहे, महापउमद्दहे, तिगिच्छिद्दहे, तत्थ णं तओ देवयाओ महिड्डियाओ जाव पलिओवमछिईयाओ परिवसंति तं० सिरी, हिरी, धिई । एवं उत्तरेण वि, णवरं केसरिद्दहे, महापोंडरीयद्दहे, पोंडरीयद्दहे, देवयाओ कित्ती, बुद्धी, लच्छी, जंबूमंदरस्स दाहिणेणं चुलाहिमवंताओ वासहरपव्वयाओ पउमदहाओ महादहाओ तओं महाणईओ पवहंति तं० गंगा सिन्धू रोहियंसा। जंवूमंदरस्स उत्तरेणं सिहरीओ वासहरपव्वयाओ पोंडरीयद्दहाओ महदहाओ तओ महाणदीओ पवहति तं० सुवन्नकूला रत्ता रत्तवई । जंवूमंदरस्स पुरच्छिमेणं सीयाए महाणईए उत्तरेणं तओ अंतरणईओ प० तं० गाहावई, दहवई, पूंकवई, जंबूमंदरस्स पुरत्थिमेणं सीयाए महाणईए दाहिणेणं तओ अंतरणईओ प० तं० तत्तजला, मत्तजला, उम्मत्तजला, जंवूमंदरस्स पचत्थिमेणं सीओदाए महाशईए दाहिणेणं तओ अंतरणईओ प०. तं० खीरोदा, सीहसोया, अंतोवाहिणी, 'जंवूमंदरस्स पच्चस्थिमेणं सीओदाएं महाणईए उत्तरेणं तओं अंतरणईओ प० तं० उम्मिमालिणी, फेमालिणी, गंभीरमालिणी, एवं धायईखड़े दीवे पुरच्छिमद्धेवि अम्मभूमीओ आढवेत्ता जाव अंतरणईओत्ति, 'णिरवसेसं भाणियव्वं, जाव पुक्खरवरदीवडपचत्थिमद्धे तहेव णिरवसेसं भाणियव्वं ॥ २६० ॥ तिहिं ठाणेहिं देसे पुढवीए चलेजा तंजहा-अहेणमिमीसे रयणप्पभाए पुढवीए Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ठाणे २१८ सुत्तागमे उराला पोग्गला णिवतेज्जा, तएणं ते उराला पोग्गला णिवयमाणा देसं पुढवीए चलेजा । महोरए वा महिड्डिए जाव महेसक्खे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे उम्मजणिमज्जियं करेमाणे देसं पुढवीए चलेजा । णागसुवण्णाण वा संगामंसि वट्टमागंसि देसं पुढवीए चलेजा, इच्चेएहिं तिहिं ठाणेहिं केवलकप्पा पुढवी चलेजा तं० अहेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणवाए गुप्पेज्जा, तएणं से घणवाए गुविए समाणे घणोदहिमेएज्जा, तएणं से घणोदही एइए समाणे केवलकप्पं पुढविं चालेज्जा । देवे वा महिड्डिए जाव महेसक्खे .तहारुवस्स समणस्स णिग्गंधस्स वा इडि जुइं जसं बलं वीरियं पुरिसक्कारपरकम उवदंसेमाणे केवलकप्पं पुढविं चालेजा। देवासुरसंगामंसि वा वट्टमाणंसि केवलकप्पा पुढवी चलेजा इच्चेएहिं तिहिं० ॥ २६१ ॥ तिविहा देवा किब्धिसिया प० तं० तिपलिओवमछिईया, तिसागरोवमछिईया, तेरससागरोवमछिईया, कहि णं भंते तिपलिओवमछिईया देवा किब्विसिया परिवसंति ? उप्पिं जोइसियाणं हिटिं सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु एत्थगं तिपलिओवमछिईया देवा 'किब्विसिया परिवसंति, कहि णं भंते तिसागरोवमछिईया देवा किब्विसिया परिवसंति ? उप्पिं सोहम्मीसाणाणं कप्पाणं, हेढ़ि सणकुमारमाहिंदकप्पेसु एत्थ णं तिसायरोवमछिईया देवा किदिवसिया परिवसंति । कहिं णं भंते तेरससागरोवमछिईया देवा किब्विसिया परिवसंति ? उप्पिं वंभलोयस्स कप्पस्स हिठिं लंतगे कप्पे एत्थ णं तेरससागरोवमट्रिईया देवा किब्लिसिया परिवसति ॥ २६२ ॥ सक्कस्स णं देविदस्स देवरण्गो बाहिरपरिसाए देवाणं तिन्निपलिओवमाइं ठिई प०-सकस्स णं देविदस्स देवरण्णो अभितरपरिसाए देवीगं तिन्निपलिओवमाइं ठिई प० ईसाणस्सणं देविंदस्स देवरण्णो बाहिरपरिसाए देवीण तिन्निपलिओक्माई ठिई प० ॥ २६३ ॥ तिविहे पायच्छित्ते प० तं० णाणपायच्छित्ते, दंसणपायच्छित्ते, चरित्तपायच्छित्ते । तओ अणुग्धाइमा प० तं० हत्थकम्मं करेमाणे, मेहुणं सेवेमाणे, राइभोयणं भुंजमाणे, तओ पारंचिया प० तं० दुष्ठ पारंचिए, पमत्ते पारंचिए, अण्णमण्णं करेमाणे पारंचिए, तओ अणवठ्ठप्पा प० त० साहम्मियाणं तेणं करेमाणे, अण्णधम्मियाणं तेणं करेमाणे, हत्थतालं दलयमाण, तओ णो कप्पंति पव्वावेत्तए, पंडए, वाइए, कीवे, एवं मुंडावेत्तए, सिक्खावेत्तए, उवठ्ठावेत्तए, संभुंजित्तए, संवासित्तए ॥ २६४ ॥ तओ अवायणिना प० त० अविणीए, विगइपडिवद्धे, अविओसियपाहुडे,। तओ कप्पंति वाइत्तए तं० विणाए अविगइपडिवः विओसियपाहुडे ॥ २६५ ॥ तओ दुसण्णप्पा प० तं? दुठे मूळ चुग्गाहिए, तओ सुसन्नप्पा प०' तं० अदुठे अमूढे अवुग्गाहिए ॥ २६६ ॥ तमा Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म० ३३० ४ ] सुत्तागमे मंडलियपव्वया प० तं० माणुसुत्तरे कुंडलवरे स्यगवरे, तभो महइमहालया प० तं. जंबुद्दीवे दीवे मंदरे मंदरेनु, सयंभुरमणसमुद्दे समुद्देसु, बंभलोए कप्पे कप्पेमु ॥ २६७ ॥ तिविहा कप्पठिई पं० तं० सामाइयकप्पठिई छेदोवठ्ठावणियकप्पठिई निव्त्रिसमाणकप्पठिई, अहवा तिविहा कप्पठिई प० तं० णिविठ्ठकप्पठिई, जिणकप्पठिई, थेरकप्पट्ठिई ॥ २६८ ॥ णेरइयाणं तओ सरीरगा प० तं० वेडव्विए, तेयए, कम्मर, असुरकुमारागं तओ सरीरगा, एवं चैव सव्वेसिं देवाणं, पुढवीकाइयाणं तओ सरीरगा प० तं० ओरालिए, तेयए, कम्मए, एवं वाउकाइयवजाणं जाव चउरिंदियाणं ॥ २६९ ॥ गुरुं पडुच तओ पडिणीया प० तं० आयरियपडिणीए, उवज्झायपडिणीए, थेरपडिणीए, गईं पडुच्च तओ पडिणीया प० तं० इहलोयपडिणीए, परलोयपडिणीएं, दुहओलोयपडिणीए । समूहं पहुच तओ पडिणीया प० तं० कुलपडिणीए, गणपडिणीए, संघपडिणीए, अणुकंप पहुच तभ पडिणीया प० तं० तबस्सिपडिणीए, गिलाणपडिणीए, सेहपडिणीए, भावं पडुच तभ पडिणीया प० त० णाणपडिणीए, दंसणपडिणीए, चरित्तपडिणीए, सुयं पहुच तभो पंडिणीया प० तं० सुत्तपडिणीए, अत्थपडिणीए, तदुभयपडिणीए ॥ २७० ॥ तओ पितियंगा प० तं० अठ्ठी, अट्ठिमिंजा, केसमंसुरोमनहे । तओ माउयंगा प० तं. मंसे, सोणिए, मत्थुलिंगे ॥ २७१ ॥ तिहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंथे महानिज्जरे महापजवसाणे भवइ तं० कया णं अहं अप्पं वा बहुं वा सुयं अहिजिस्सामि, कया णं अहं एकलविहारपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरिस्सामि, कया णं अहं अपच्छिममारणंतियसंदेहणाझूसणाझसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगए कालमणवर्कखमाणे विहरिस्सामि । एवं समणसा सवयसा सकायसा, पागडेमाणे निग्गंथे महांजिरे महापजवसाणे भवइ ॥ २७२ ॥ तिर्हि ठाणेहिं समणोवासए महानिजरे महापज्जवसाणे भवइ तं० कयाणमहमप्पं वा, बहुअं वा परिग्गहं परिचइस्सामि, कयाणमहं मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वइस्सामि, कयाणमपच्छिममारणंतियसंलेहणाझुसणाझसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगए कालमणवकंखमाणे विहरिस्सामि, एवं समणसा सवयसा सकायसां जागरंमाणे समणोवासए महा'णिज्जरे महापज्जवसाणे भवइ ॥ २७३ ॥ तिविहे पोग्गल पडिघाए प० तं० परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलं पप्प पडिहण्णिजा, लक्खत्ताए वा पडिहण्णिजा, लोगंते वा परिहणिजा ॥ २७४ ॥ तिविहे चक्खू प० त० एगचक्खू, बिचक्खू, तिचक्खू ; छउमत्थेणं मणुस्से एगचक्खू, देवें विचक्खू, तहारूवे समणे वा णिग्गंथे वा उप्पन्नणाणदंसणधरे से णं तिचक्खुत्ति वत्तव्वं सिया ॥ २७५ ॥ तिविहे अभि 1 "" 1 २१९ Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२० शुत्तागमे [ठाणे. समागमे प० तं० उर्दू अहं तिरियं, जया णं तहारूवस्स समणस्स वा णिगंथस्स वा अइसेसे णाणसणे समुप्पजइ सेणं तप्पढमयाए उद्यमभिसमेइ, तओ तिरियं तओ पच्छा अहे अहोलोगेणं दुरभिगमे प० समणाउसो ॥ २७६ ॥ तिविहा इड्डी प० तं० देविड्डी-राइड्डी-गणिट्टी, देविड्डी तिविहा प० तं० विमाणिट्टी, विगुम्विणिड्डी, परियारणिड्डी, अहवा देविड्डी तिविहा प० तं० सचित्ता, अचित्ता, मीसिया, राइड्डी तिविहा प० तं० रण्णो अइयाणिढी, रण्णो णिज्जाणिट्टी, रण्गो बलवाहणकोसकोठागारिड्डी, अहवा राइड्डी तिविहा प० तं० सचित्ता, अचित्ता, मीसिया, गणिड्डी तिविहा प० तं० णाणिड्डी, दंसणिद्धी, चरित्तिट्टी, अहवा गणिट्ठी तिविहा प० तं० सचित्ता अचित्ता मीसिया ॥ २७७ ।। तओ गारवा प० तं० इड्डीगारवे, रसगारवे, सायागारवे । करणे तिविहे प० तं० धम्मिए करणे, अधम्मिए करणे, धम्मियाधम्मिए करणे ॥ २७८ ॥ तिविहे भगवया धम्मे प० तं० सुअहिजिए, सुज्झाइए, सुतवस्सिए जया सुअहिजियं भवइ, तदा सुज्झाइयं भवइ, जया सुज्झाइयं भवइ तया सुतवस्सियं भवइ, से सुआहिजिए, सुज्झाइए, सुतवस्सिए, सुयक्खाएणं भगवया धम्मे पन्नत्ते ॥ २७९ ॥ तिविहां वावत्ती प० तं० जाणू, अजाणू, वितिगिच्छा, एवमझोववजणा परियावजणां ॥ २८० ॥ तिविहे अंते प० तं० लोगते, वेयंते, समयंते ॥ २८१ ॥ तओ जिणा प० तं० ओहिणाणजिणे, मणपजवणाणजिणे, केवलणाणजिणे, तओ केवली प० तं० ओहिनाणकेवली, मणपजवनाणकेवली, केवलनाणकेवली, तओ अरहा प० तं० ओहिनाणअरहा, मणपजवणाणअरहा, केवलनाणअरहा ॥ २८२ ॥ तओ लेस्साओ दुन्भिगंधाओ प० तं. कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा, तओ लेस्साओ सुब्भिगंधाओ प० ते. तेऊ पम्ह सुक्कलेस्सा । एवं तिदुग्गइगामिणीओ, तिसुगइग़ामिणीओ तआ संकिलिट्ठाओ, असंकिलिठ्ठाओ, अमणुनाओ, मणुनाओ, अविसुद्धाओ, विसुद्धाआ, अप्पसत्थाओ, पसत्थाओ, सीअलुक्खाओ, 'णिझुण्हाओ ॥ २८३ ॥ तिविहे मरण प० तं० बालमरणे, पंडियमरणे, बालपंडियमरणे, बालमरणे तिविहे प० त. ठिअलेस्से, संकिलिठ्ठलेस्से, पंजवजायलेस्से । पंडियमरणे तिविहे प० तं० ठि लेस्मे, असंकिलिठ्ठलेस्से, पजवजायलेस्से, बालपंडियमरणे तिविहे प० तं० दिन लेस्से असंकिलिठ्ठलेस्से अपज्जवजायलेस्से ॥ २८४ ॥ तओं ठाणा अव्ववसिअस्त अहियाएं, असुभाए, अखमाए, अणिस्सेसाए, अणाणुगामियत्ताए भवंति तं० से " मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए णिग्गंथे पावयणे संकिए कखिए विति गिच्छिए भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने णिगंथं पावयणं णो सद्दहइणो पत्तियइ, "" Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म०३ उ. ४] सुत्तागमे ૨૨૧ रोएइ, तं परीसहा अभिमुंजिय अभिमुंजिय अभिभवंति, नो से परीसहे अभिजुंजिय अभिमुंजिय अभिभवई, से णं मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वइए, पंचहिं महव्वएहिं संकिए जाव कलुससमावण्णे, पंचमहत्वयाइं णो सद्दहइ जाव नो से परीसहे अभिमुंजिय २ अभिभवइ, से णं मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वइए छहिं जीवनिकाएहिं जाव अभिभवइ, तओ ठाणा ववसिअस्स हियाए जाव आणुगामियत्ताए भवंति तं० से गं मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वइए णिग्गथे पावयणे णिस्संकिए णिकंखिए जाव णो कलुससमावण्णे णिग्गंथं पावयणं सद्दहइ पत्तियइ रोएइ से परीसहे अभिमुंजिय २ अभिभवइ, णों तं परीसहा अभिमुंजिय २ अभिभवंति, सेणं मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वइए समाणे पंचहि महत्वएहिं णिरसंकिए-णिकंखिए जाव, परीसहे अभिजुजिय २ अभिभवइ, णो तं परीसहा अभिमुंजिय २ अभिभवंति, से णं जाव छहिं जीवनिकाएहिं हिस्संकिए जाव परीसहे अभिमुंजिय २ अभिभवइ णो तं परीसहा अभिमुंजिय २ अभिभवंति ॥ २८५ ॥ एगमेगाणं पुढवी तिहिं वलएहिं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता तंजहा-घणोदहिवलएणं, घणवायवलएणं, तणुवायवलएणं ॥ २८६ ॥ णेरड्याणं उक्कोसेणं तिसमइएणं विग्गहेणं उववजति एगिंदियवजं जाव वेमाणियाणं ॥ २८७ ॥ खीगमोहस्सणं अरहओ तओ कम्मंसा जुगवं खिज्जति तं० णाणावरणिज्ज, दंसणावरणिज, अंतराइयं ॥ २८८ ॥ अभीईणक्खत्ते तितारे प० एवं सवणे अस्सिणी भरणी मगसिरे पूसे जेठा ॥ २८९ ॥ धम्माओ णं अरहाओ संती अरहा तिहिं सागरोवमेहिं तिचउभागं पलिओवमऊणएहिं वीइकंतेहिं समुप्पन्ने । समणस्स णं भगवओ महावीरस्स जाव तचाओ पुरिसजुगाओ जुगंतकडभूमी, मल्लीणं अरहा तिहिं पुरिससएहिं सद्धि मुंडे भवेत्ता जाव पव्वइए, एवं पासेवि, समणस्सणं भगवओ महावीरस्स तिन्निसया चोहसपुवीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सव्वक्खरंसन्निवाईणं जिण इव अवितहवागरमाणाणं उक्नोसिया चोहसपुन्विसंपया होत्था, तओ तित्ययरा चक्कवट्टी होत्था तं० संती कुंथू अरो ॥ २९० ॥ तओ गेविजविमाणपत्थडा. प० त० हिछिमगेविजविमाणपत्थडे, मज्झिमगेविजविमाणपत्थडे, उवरिमगेविजविमाणपत्थडे, हिछिमगेविजविमाणपत्थडे तिविहे प० तं० हिछिमहिछिमगेविजविमाणपत्थडे, हिटिममज्झिमगेविजविमाणपत्थडे हिछिमउवरिमगेविजविमाणपत्यडे, मज्झिमगेविजविमाणपत्थडे, तिविहे प० तं० मज्झिमहिछिमगेविजविमाणपत्थडे, मज्झिममज्झिमगेविजविमाणपत्थडे, मज्झिमउवरिमगेविजविमाणपत्थडे, उर्वरिमगेविजविमाणपत्थडे तिविहे ६० तं० उवरिमहिछिमगेविज Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२२ सुत्तागमे [ठाणे विमाणपत्यडे, उवरिममज्झिमगेविजविमाणपत्यडे, उवरिमउवरिमगेविजविमाणपत्थडे ॥ २९१ ॥ जीवाणं तिठाणणिव्वत्तिए पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिंसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा तंजहा-इस्थिणिव्वत्तिए, पुरिसणिव्वत्तिए, णपुंसगणिव्वत्तिए, एवं चिणउवचिणबंधउदीरवेय तह णिज्जरा चेव ॥ २९२ ॥ तिपएसिया खंधा अणंता पण्णत्ता, एवं जाव तिगुणलुक्खा पोग्गला अगंता पन्नत्ता ॥ २९३ ॥ तिठ्ठाणं समत्तं ॥ चउत्थठाणं चत्तारि अंतकिरियाओ प० तं० तत्य खलु इमा पढमा अंतकिरिया, अप्पकम्मपञ्चायाए यावि भवइ, से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिअं पव्वइए, संजमवहुले संवरबहुले समाहिबहुले लूहे तीरठ्ठी उवहाणवं दुक्खक्खवे तवस्सी तस्सणं णो तहप्पगारे तवे भवइ णो तहप्पगारा वेयणा भवइ, तहप्पगारे पुरिसजाए दीहेणं परियाएगं सिज्झइ, बुज्झइ मुच्चइ परिणिव्वाइ सव्वदुक्खाणमंतं करेइ, जहा से भरहे राया चाउरंतचक्कवट्टी पढमा अंतकिरिया, अहावरा दोचा अंत. किरिया, महाकम्मपञ्चायाए यावि भवइ से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिअं पव्वइए, संजमबहुले संवरबहुले....''जाव उवहाणवं दुक्खक्खवे तवस्सी तस्स ण तहप्पगारे तवे भवइ, तहप्पगारा वेयणा भवइ तहप्पगारे पुरिसजाए निरुद्धण परियाएणं सिज्झइ० जाव अंतं करेइ जहा से गजसमाले अणगारे, दोचा अंतकिरिया, अहावरा तच्चा अंतकिरिया, महाकम्मपच्चायाएयावि भवइ, से ण मुड भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए जहा दोच्चा, णवरं दीहेणं परियाएण सिज्झइ जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेइ, जहा से सणंकुमारे राया चाउरंतचकवधा तच्चा अंतकिरिया, अहावरा चउत्था अंतकिरिया. अप्पकम्मपञ्चायाएयाव भवइ, से णं मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए संजमबहुले जाव तस्स णं णो तहप्पगार तव भवइ नो तहप्पगारा वेयणा भवइ तहप्पगारे पुरिसजाए निरुद्धणं परियाएण सिज्झइ जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेइ जहा सा मरुदेवा भगवई, चउत्था अतः किरिया ॥ २९४ ॥ चत्तारि रुक्खा प० तं० उन्नए णाममेगे उन्नए, उन्नए णाममग पणए, पणए णाममेगे उन्नए, पणए णाममेगे पणए, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० उन्नए णाममेगे उन्नए, तहेव जाव पणए णाममेगे पणए । चत्तारि रुक्ला प० तं० उन्नए णाममेगे उन्नयपरिणए, उन्नए णाममेगे पणयपरिणए, पणए नाममेगे उन्नयपरिणए, पणए णाममेगे पणयपरिणए । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० उन्नए णाममेगे उन्नयपरिणए, चउभंगो। चत्तारि रुक्खा प० तं० उन्नए Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म० ४ उ..] सुत्तागमे २२३ णाममेगे उनए स्वे, तहेव चउभंगो, एवमेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० उन्नए णाम ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० उन्नए णाममेगे उन्नए मणे, उन्न० एवं संकप्पेपन्ने-दिठी-सीलाचारे-ववहारे-परक्कमे-एगे पुरिसजाए पडिवक्खो णत्थि ॥ २९५ ॥ चत्तारि रक्खा प० तं० उजूणाममेगे उज, उज्जूणाममेगे वंके, चउभंगो। एवमेव चत्तारि पुरिसजाया, प० तं० उज्जूणाममेगे उज्जू ४ एवं जहा उन्नयपणएहिं गमो तहा उजुर्वकेहिं वि भाणियव्वो, जाव परक्कमे ॥ २९६ ॥ पडिमापडिवनस्सणं अणगारस्स कप्पंति चत्तारि भासाओ भासित्तए तं० जायणी पुच्छणी अणुन्न वणी पुठ्ठस्स वागरणी । चत्तारिभासजाया प० तं० सच्चमेगं भासजायं, वीयं मोसं तइयं सचमोसं चउत्थं असच्चमोसं ॥ २९७ ॥ चत्तारि वत्था प० तं० मुद्धे णाममेगे सुद्धे, मुद्धे णाममेगे असुद्धे, असुद्धे णाममेगे सुद्धे, असुद्धे णाममेगे अमुद्धे । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० सुद्धे णाममेगे सुद्धे चउभंगो। एवं परिणयरूवे वत्या सपडिवक्खा ॥ २९८ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० सुद्धे णाममेगे सुद्धमणे चउभंगो, एवं संकप्पे जाव परक्कमे ॥ २९९ ॥ चत्तारि सुया प० त० अइजाए, अणुजाए, अवजाए, कुलिंगाले ॥ ३०० ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० सच्चे णाममेगे सन्चे, सच्चे णाममेगे असच्चे (४) एवं परिणए जाव परकमे ॥ ३०१ ॥ चत्तारि वत्था प० तं० सुई णाममेगे सुई, सुई णाममेगे असुई, चउभंगो, एवमेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० सुई णाममेगे सुई, चउभंगो। एवं जहेव मुद्धणं वत्थेणं भणियं, तहेव सुइणावि जाव परक्कमे ॥ ३०२ ॥ चत्तारि कोरवा प० तं० अंबपलंवकोरवे, तालपलंवकोरवे, वल्लिपलंवकोरवे, मिंढविसाणकोरवे, एवमेव चत्तारि पुरिस जाया प० तं० अंवपलंवकोरवसमाणे, तालपंलवकोत्वसमाणे, वल्लिपलंवकोरवसमाणे, मिंढविसाणकोरवसमाणे ॥. ३०३ ॥ चत्ताारे घुणा प० तं० तयक्खाए, छलिक्खाए, कठुक्खाए, सारक्खाए, एवमेव चत्तारि भिक्खायरा प० तं० तयक्खायसमाणे, जाव सारक्खायसमाणे, तयक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स सारक्खायसमाणे तवे प० सारक्खायसमाणस्सणं भिक्खागस्स तयक्खायसमाणे तवे पन्नत्ते, छल्लिक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स कठक्खायसमाणे तवे प० कठुक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स छलिक्खायसमाणे तवे प० ॥ ३०४ ॥ चउव्विहा तणवणस्सइकाइया प० तं० अग्गवीया मूलबीया पोरवीया खंधवीया ॥ ३०५ ॥ चउहि ठाणेहिं अहुणोववण्णे णेरइए णिरयलोगसि इच्छेज्जा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए णो चेवणं संचाएइ हव्दमागच्छित्तए, अहुणोववण्णे णेरइए णिरयलोगसि समुन्भूयं वेयणं वेयमाणे Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ठाणे २२४ सुत्तागमे इच्छेजा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए णो चेव णं संचाएइ हव्वमागच्छित्तए, अहुणोववन्ने णेरइए णिरयलोगंसि णिरयपालेहिं भुज्जो भुंज्जो अहिठ्ठिजमाणे इच्छेजा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए, नो चेव णं संचाएइ हव्वमागच्छित्तए, अहुणोववन्ने रइए णिरयवेयणिज्जंसि कम्मंसि अक्खीणंसि अवेइयंसि अणिजिणंसि इच्छेजा० नो चेवणं संचाएइ, हव्वमागच्छित्तए, एवं णिरयाउअंसि कम्मंसि अक्खीणंसि, जाव णो संचाएइ हव्वमागच्छित्तए इच्चे एहिं चउहिं ठाणेहिं अहुणोववन्ने नेरइए जाव णो चेव णं संचाएइ हव्वमागच्छित्तए ॥ ३०६ ॥ कप्पंति णिग्गंधीणं चत्तारि संघाडीओ धारित्तए वा परिहरित्तए वा तं ० एवं दुहत्यवित्थारं, दोतिहत्यवित्थाराओ, एगं चं उत्थवित्थारं ॥ ३०७ ॥ चत्तारि झाणा प० तं० अट्टे झाणे, रोद्दे झाणे, धम्मे झाणे, सुक्के झाणे, अट्टे झाणे चउव्विहे प० तं० अमणुन्नसंपओगसंपउत्ते तस्स विप्पओगसतिसमण्णागए यावि भवइ, मणुन्नसंपओगसंपत्ते तस्स अविप्पओगसतिसमण्णागए यावि भवइ, आयंकसंपओगसंपत्ते तस्स विप्पओगसतिसमण्णा यावि भवइ, परिजुसियकामभोगसंपओगसंपत्ते तस्स अविप्पओगसतिसमण्णागए यावि भवइ, अट्टस्सणं झाणस्स चत्तारि लक्खणा प० तं० कंदणया, सोयणया, तिप्पणया परिदेवणया, रोद्दे झाणे चउव्विहे प० तं० हिंसाणुबंधि, मोसाणुबंधि तेणाणुबंधि संरक्खणाणुबंधि । रोहस्स णं आणस्स चत्तारि लक्खणा प० तं० ओसन्नदोसे, बहुलदोसे, अन्नाणदोसे आमरणंतदोसे | धम्मे झाणे चउव्विहे चउपडोयारे प० तं० आणाविजए, अवायविजए, विवागविजए, संठाणविजए । धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खगा प० तं० आणारुई, णिसग्गरुई, सुत्तरुई, ओगाढरुई । धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि आलंबणा प० तं० वायणा, पडिपुच्छणा, परियट्टणा, अणुप्पेहा । धम्मस्सं णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाओ पं० तं॰ एगांणुप्पेहां, अणिचाणुप्पेहा, असरणाणुप्पेहा, संसाराणुप्पेहा । सुक्केझाणे चउब्विहे चउप्पडोयारे प० तं० पुहुत्तवियकेसवियारी, एगत्तवियक्ने अवियारी, सुहुमकिरिए अणियट्टी, समुच्छिन्नकिरिए अपडिवाई । सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा प० तं० अव्वहे असम्मोहे विवेगे विउस्सग्गे, सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि आलंबणा प० तं० खंती मुत्ती मद्दवे अजवे, सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाओ प० तं० अणतवत्तियाणुप्पेहा, विपरिणामाणुप्पेहा, असुभाणुप्पेहा, अवायाणुप्पेहा ॥ ३०८ ॥ चउव्विहा देवाण ठिई प० तं देवेगामेगे, देवसिणाए णामेगे, देवपुरोहिए णामेगे, देवपज्जलणे णामेगे ॥ ३०९ ॥ चउन्विहे संवासे प० तं॰ देवेणामेगे देवीए सद्धि संवासं गच्छेजा, देवेणामेगे छवीए सद्धिं संवासं Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भ० ४ उ० १] सुत्तागमे २२५ गच्छेजा, छवीणाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छेजा, छवीणाममेगे छवीए सद्धिं संवासं गच्छेजा ॥३१०॥ चत्तारि कसाया पतं० कोहकसाए माणकसाए मायाकसाए लोभकसाए, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, चउप्पइठिए कोहे प० तं० आयपइठिए, परपइठिए, तदुभयपइठिए, अपइठिए, एवं रइयाणं जाव वेमाणियाणं, एवं जाव लोभे वेमाणियाणं, चउहि ठाणेहिं कोधुप्पत्ती सिया तं० खेत्त पडुच्च, वत्थु पडुच्च, सरीरं पडुच्च, उवहिं पड्डुच्च, एवं नेरझ्याणं जाव वेमाणियाणं, एवं जाव लोहे वेमाणियाणं, चउन्बिहे कोहे प० तं० अणताणुवंधिकोहे, अपचक्खाणकोहे, पच्चक्खाणावरणे कोहे, संजलणे कोहे, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, एवं जाव लोभे वेमाणियाणं, चउन्विहे कोहे पण्णत्ते, आभोगनिव्वत्तिए, अणाभोगनिव्वत्तिए, उवसंते, अणुवसंते, एवं नेरइयाणं, जाव वेमाणियाणं, एवं जाव लोभे, जाव वेमाणियाणं ॥ ३११॥ जीवा णं चउहिं ठाणेहिं अठुकम्मपगडीओ चिणिंसु तं० कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं, एवं जाव वेमाणियाणं, एवं चिणंति एस दंडओ। एवं चिणिस्संति एस दंडओ, एवमेएणं तिन्नि दंडगा, एवं उवचिणिसु, उवचिणंति, उवचिणिस्संति, वंधिंसु ३ । उदीरिसु ३ । वेदेंसु ३ । णिजरेंसु णिजरेंति णिजरिस्संति, जाव माणियाणमेवमेक्निक्के पदे तिन्नि २ दंडगा भाणियव्वा, जाव निजरिस्सति ॥ ३१२ ॥ चत्तारि पडिमाओ प० तं० समाहिपडिमा, उवहाणपडिमा, विवेगपडिमा, विउस्सग्गपडिमा, चत्तारि पडिमाओ प० तं० भद्दा, सुभद्दा, महाभद्दा, सव्वओभद्दा, चत्तारि पडिमाओ प० तं० खुड्डियामोयपडिमा, महल्लियामोयपडिमा, जवमज्झा, वइरमज्झा ॥ ३१३ ॥ चत्तारि अस्थिकाया अजीवकाया प० तं० धम्मत्यिकाए, अधम्मत्थिकाए, आगासत्यिकाए, पोग्गलस्थिकाए, चत्तारि अस्थिकाया अरूविकाया प० तं० धम्मत्यिकाए, अधम्मत्यिकाए, आगासत्यिकाए, जीवस्थिकाए ॥ ३१४॥ चत्तारि फला पतं० आमेणाममेगे आममहुरे, आमेणाममेगे पक्कमहुरे, पक्केणाममेगे आममहुरे, पक्केणाममेगे पक्कमहुरे, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० आमेणाममेगे आममहुरफलसमाणे (४)॥ ३१५॥ चउबिहे सच्चे प० तं० काउजुयया, भासुजुयया, भावुजुयया, अविसंवायणाजोगे, चउविहे मोसे प० तं०-कायअणुजुयया, भासअणुजुयया, भावअणुज्जुयया, विसंवादणाजोगे ॥ ३१६ ॥ चउविहे पणिहाणे प० तं० मणपणिहाणे, वइपणिहाणे, कायपणिहाणे, उवगरणपणिहाणे । एवं नेरइयाणं पंचिंदियाणं जाव वेमाणियाणं, चउन्विहे सुप्पणिहाणे प० त० मणसुप्पणिहाणे जाव उवगरणसुप्पणिहाणे, एवं संजयमणुस्साणवि, चउबिहे दुप्पणिहाणे प० तं० मणदुप्पणिहाणे जाव उवगरण १५ सुत्ता. Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ठाणे २२६ सुत्तागमे दु० एवं पंचिदियाणं जाव वेमाणियाणं ॥ ३१७ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० आवायभद्दए णाममेगे णो संवासभद्दए, संवासभद्दए णाममेगे णो आवायभद्दए, एगे . आवायभद्दएवि संवासभद्दएवि, एगे णो आवायभद्दए णो संवासभद्दए, चत्तारि पुरिसजाया प० तं० अप्पगो णाममेगे वजं पासइ णो परस्स, परस्स णाममेगे वजं पासइ ४ । चत्तारि पुरिसजाया प०० अप्पगो णाममेगे वजं उदीरेति णो परस्स ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० अप्पगो णाममेगे वजं उवसामेइ णो परस्स ४ । चत्तारि पुरिसजाया पतं० अब्भुठेइ णाममेगे णो अब्भुठ्ठावेइ ४ । एवं वंदइ णाममेगे णो वंदावेइ ४ । एवं सकारेइ, सम्माणेइ ४ । पूएइ वाएइ पडिपुच्छइ पुच्छइ वागरेइ ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० सुत्तधरे णाममेगे णो अत्यधरे, अत्यधरे णाममेगे णो सुत्तधरे, एगे सुत्तधरेवि अत्थधरेवि, एगे गो सुत्तधरे णो अत्थधरे ॥ ३१८ ॥ चमरस्स णं असुरिदस्स असुरकुमाररन्नो चत्तारि लोगपाला प० तं० सोमे जमे वरुणे वेसमणे; एवं बलिस्सवि सोमे जमे वेसमणे वरुणे, धरणस्स कालवाले कोलवाले सेलवाले संखवाले। एवं भूतागंदस्स कालवाले कोलवाले संखवाले सेलवाले, वेणुदेवस्स चित्ते विचित्ते चित्तपक्खे विचित्तपक्खे, वेणुदालिस्स चित्ते विचित्ते विचित्तपक्खे चित्तपक्खे। हरिकंतस्स पभे सुप्पसे पभकंते सुप्पभकते; हरिसहस्स पभे सुप्पमे सुप्पभकते पभकंते; अग्गिसिहस्स तेऊ तेउसिहे तेउकंते तेउप्पभे, अग्गिमाणवस्स तेऊ तेउसिहे तेउप्पभे तेउकंते, पुन्नस्स रुए रुयंसे ख्यकंते स्यप्पभे, विसिठुस्स रुए रुयंसे रुयप्पभे रुयकते । जलकंतस्स जले जलरए जलकंते जलप्पभे । जलप्पभस्स जले जलरए जलप्पभे जलकंते । अमियगइस्स तुरियगई खिप्पगई सीहगई सीहविक्कमगई, अमियवाहणस्स तुरियगई खिप्पगई सीहविक्कमगई सीहगईं; वेलवस्स काले महाकाले अंजणे रिटे । पभंजणस्स काले महाकाले रिटे अंजणे । घोसस्स आवत्त वियावत्ते णंदियावत्त महाणंदियावत्ते । महाघोसस्स आवत्ते वियावत्त महाणंदियावत्ते णंदियावत्ते, सक्करस सोमे जमे वरुणे वेसमणे । ईसाणस्स सोमे जमें वेसमणे वरुणे, एवं एगंतरिया जाव अच्चुयस्स ॥ ३१९ ॥ चउन्विहा वाउकुमारा प० तं० काले महाकाले लंबे पभंजणे, चउव्विहा देवा प० तं० भवणवासा वाणमंतरा जोइसिया विमाणवासी ॥ ३२० ॥ चउव्विहे पमाणे प० तं० दव्वप्पमाणे खेत्तप्पमाणे कालप्पमाणे भावप्पमाणे ॥ ३२१ ॥ चत्तारि दिसाकुमारिमहत्तार याओ प० तं० रूवा रूवंसा सुरूवा रूवावई । चत्तारि विजुकुमारिमहत्तरियाओ प. तं० चित्ता चित्तकणगा सेयंसा सोयामणी ॥ ३२२ ॥ सक्कस्स णं देविदस्स देवरन्ना मज्झिमपरिसाए देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई प०; ईसाणस्स णं देविदस्स देव Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ० ४ उ० १] सुत्त गमे २२७ रन्नो मज्झिमपरिसाए देवीगं चनारि पलिओवमाइं ठिई प० ॥ ३२३ ॥ चउविहे संसारे दव्वसंसारे खेत्तसंसारे कालसंसारे भावसंसारे ॥ ३२४ ॥ चउविहे दिठिवाए प० तं० परिकम्मं सुत्ताइं पुव्वगए अणुजोगे ॥ ३२५ ॥ चउविहे पायच्छित्ते, णाणपायच्छित्ते दसणपायच्छित्ते चरित्तपायच्छित्ते वियत्तकिच्चपायच्छित्ते, च उव्विहे पायच्छित्ते, पडिसेवणापायच्छित्ते संजोयणापायच्छित्ते, आरोवणापायच्छित्ते, पलिउंचगापायच्छित्ते ॥३२६॥ चउबिहे क ले पमाणकाले अहाउयणिव्वत्तिकाले मरणकाले अद्धाकाले ॥ ३२७ ॥ चउविहे पोग्गलपरिणामे, वण्णपरि णामे गंधपरिणामे रसपरिगामे फासपरिणामे ॥ ३२८ ॥ भरहेरवएसु णं वासेसु पुरिमपच्छिमवजा मज्झिमगा बावीसं अरहंता भगवंता चाउज्जामं धम्मं पन्नविति तं० सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं, एवं मुसावायाओ, अदिन्नादाणाओ, सव्वाओ बहिद्धादाणाओ वेरमगं । सव्वेसु णं महाविदेहेसु अरहंता भगवंता चाउजामं धम्म पन्नवयंति तं० सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं जाव सव्वाओ वहिद्धादाणाओ वेरमगं ॥३२९॥ चत्तारि दुग्गईओ प० तं० णेरइयदुग्गई, तिरिक्खजोणियदुग्गई, मणुस्मदुग्गई, देवदुग्गई, चत्तारि सोग्गई प० तं० सिद्धसोग्गई, देवसोग्गई, मणुयसोगई, सुकुले पञ्चायाई, चत्तारि दुग्गया प० तं० रइयदु० जाव देवदुग्गया, चत्तारि सुगया प० तं० सिद्धगया जाव सुकुलपच्चायाया ॥ ३३० ॥ पढमसमयजिणस्स णं चत्तारि कम्मंसा खीणा भवंति तं० णाणावरणिजं, दरिसणावरणिज्ज, मोहणिजं, अंतराइयं । उप्पन्नणाणदंसणधरेणं अरहा जिणे केवली चत्तारि कम्मंसे वेदेति तं० वेयणिज्ज आउयं णामं गोयं । पढमसमयसिद्धस्स णं चत्तारि कम्मंसा जुगवं खिजति तं० वेयणिज्ज आउयं णामं गोयं ॥ ३३१॥ चउहि ठाणेहिं हालुप्पत्ती सिया तं० पासेत्ता भासेत्ता सुणेत्ता संभरेत्ता ॥ ३३२ ॥ चउव्विहे अंतरे प० तं० कळूतरे पम्हंतरे लोहतरे पत्थरंतरे । एवामेव इत्थीए वा पुरिसस्स वा, चउन्विहे अंतरे प० त० कठ्तरसमाणे, पम्हंतरसमाणे, लोहतरसमाणे, पत्थरंतरसमाणे ॥ ३३३ ॥ चत्तारि भयगा प० तं० दिवसभयए जत्ताभयए उच्चत्तभयए कब्बालभयए ॥ ३३४ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० त० संपागडपडिसेवी णाममेगे णो पच्छण्णपडिसेवी, पच्छण्णपडिसेवी णाममेगे णो संपागडपडिसेवी, एगे संपागडपडिसेवीवि पच्छण्णपडिसेवीवि, एगे णो संपागडपडिसेवी णो पच्छण्णपडिसेवी ॥ ३३५ ॥ चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सोमस्स महारग्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० कणगा कणगलया चित्तगुत्ता वसुंधरा, एवं जमस्स वरूणस्म वेसमणस्स, वलिस्स णं वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो, सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० मित्तगा सुभदा विजया असणी, एवं जमस्स वेस Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [गणे २२८ सणस्स वरुणस्स;धरणस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररण्णो कालवालस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिंसीओ प० त० असोगा विमला सुप्पभा सुदंसणा, एवं जाव संखवालस्स । भूयाणंदस्स णं णागकुमारिदस्स णागकुमाररण्णो कालवालस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० सुणंदा सुभद्दा सुजाया सुमणा । एवं जाव सेलवालस्स जहा धरणस्स, एवं सव्वेसिं दाहिणिंदलोगपालाणं जाव घोसस्स जहा भूयाणंदस्स एवं जाव महाघोसस्स लोगपालाणं । कालस्स णं पिसाइंदस्स पिसायरण्णो चत्तारि अग्गमहिंसीओ प० तं० कमला कमलप्पभा उप्पला सुदंसणा, एवं महाकालस्स वि । सुरूवस्स णं भूइंदस्स भूयरण्गो चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० रूववई बहुरूवा सुरूवा सुभगा । एवं पडिरूवस्स वि, पुण्णभद्दस्स णं जक्खिदस्स जक्खरण्णो चत्तारि. अगमहिसीओ प० तं० पुत्ता बहुपुत्तिया उत्तमा तारगा, एवं माणिभद्दस्स वि। भीमस्स णं रक्खसिंदस्स रक्खसरण्गो चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० पउमा वसुमई कणगा रयणप्पभा । एवं महाभीमस्स वि किन्नरस्स णं किन्नरिंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० वडिंसा केउमई रइसेणा रइप्पभा । एवं किंतुरिसस्स वि सुपुरिसस्स णं किंपुरिसिदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० रोहिगी णवमिया हिरी पुप्फवई । एवं महापुरिसस्स वि, अइक्रायस्स णं महोरगिंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ पतं० भुयगा भुयगवई महाकच्छा फुडा, एवं महाकायस्स वि, गीयरइस्स णं गंधव्विदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० सुघोसा विमला सुस्सरा सरस्सई, एवं गीयजसस्स वि, चंदस्स णं जोइसिदस्स जोइसरण्णो चत्तारि अगमहिसीओ प० तं० चंदप्पभा दोसिनाभा अम्चिमाली पभंकरा । एवं सूरस्स वि, णवरं सूरप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा। इंगालस्स णं महग्गहस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० विजया वेजयंती जयंती अपराजिता । एवं सव्वेसि महग्गहाणं जाव भावकेउस्स । सक्कस्स णं देविदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० रोहिणी मयणा चित्ता सोमा, एवं जाव वेसमणस्स ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ प० त० पुढवी राई रयणी विज , एवं जाव वरुणस्स ॥ ३३६ ॥ चत्तारि गोरसविगईआ प० तं० खीरं दहिं सप्पिं णवणीअं, चत्तारि सिणेहविगईओ प० तं० तेल्लं घय वसा णवणीअं, चत्तारि महाविगईओ वजणीयाओ तमहं मंसं मजणवर्णीय ॥ ३३७ ॥ चत्तारि कूडागारा प० तं० गुत्तेणाममेगे गुत्ते गुत्तेणाममेगे अगुत्ते अगुत्त णाममेगे गुत्ते,अगुत्ते णाममेगे अगुत्ते । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प०० गुत्तेणाममेग गुत्ते ४। चत्तारि कूडागारसालाओ प०० गुत्ता णाममेगा गुत्तदुवारा, गुत्ताणाममेगा Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भ० ४ उ० २ ] सुत्तागमे २२९ अगुत्तदुवारा, अगुत्ता णाममेगा गुत्तदुवारा, अगुत्ता णाममेगा अगुत्तदुवारा, एवामेव चत्तारित्थीओ प० तं० गुत्ता णाममेगा गुत्तिदिया, गुत्ता णाममेगा अगुत्तिंदिया ४ | ॥ ३३८ ॥ चउव्विहा ओगाहणा प० तं० दव्वोगाहणा खेत्तोगाहणा कालोगाहणा भावोगाहणा ॥ ३३९ ॥ चत्तारि पण्णत्तीओ अंगवाहिरियाओ प० तं० चंदपण्णत्ती सूरपण्णत्ती जंबुद्दीवपण्णत्ती, दीवसागरपण्णत्ती ॥ ३४० ॥ चाणस्स पढमोसो समत्तो ॥ 4 चत्तारि पडिसंलीणा प० तं० कोहपडिसंलीणे माणपडिसंलीणे मायापडिसंलीणे लोभ पडिलीणे, चत्तारि अपडिसंलीणा प० तं० कोहअपडिसंलीणे जाव लोभअपडिली । चत्तारि पडिसंलीणा प० तं० मणपडिसंलीणे, वइपडिसलीणे, कायपडिलीणे, इंदियपडिसंलीणे; चत्तारि अपडिसंलीणा प० तं० मणअपडिसंलीणे जाव इंदिय० ॥ ३४१ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० दीणे णाममेगे दीणे, दीणे णाममेगे अदीणे, अदीणे णाममेगे दीणे, अदीणे णाममेगे अदीणे । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० दीणे णाममेगे दीगपरिणए, दीणे णाममेगे अदीणपरिणए, अदीणे णाममेगे दीणपरिणए, अदीणे णाममेगे अदीणपरिणए, चत्तारि पुरिसजाया प० तं० दीणे णाममेगे दीणरूवे ४ । एवं दीणमणे दीणसंकप्पे दीणपणे दीणदिठ्ठी दीणसीलायारे दीणववहारे ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० दीणे णाममेगे दीणपरक्कमे, दीणे णाममेगे अदी परकमे ४ । एवं सव्वेसिं चउभंगो भाणिय्व्वो । चत्तारि पुरिसजाया प० तं ० दीणे णाममेगे दीणवित्ती ४ । एवं दीणजाई दीणभासी दीणोभासी, चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता प० तं० दीणे णाममेगे दीणसेवी ४ । एवं दीणे णाममेगे दीणपरियाए ४ एवं दीणे णाममेगे दीणपरियाले ४ । सव्वत्थ चउभंगो ॥ ३४२ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० अज्जे णाममेगे अज्जे ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० अज्जे णाममेगे अज्जपरिणए ४ । एवं अज्जरूवे ४ । अजमणे ४ । अजसंकप्पे ४ । अज्जपणे ४ । अजदिठ्ठी ४ । अज्जसीलायारे ४ । अज्जववहारे ४ । अज परक्कमे ४ । अजवित्ती ४ । अज्जजाई ४ । अजभासी ४ । अज्ज ओभासी ४ । अज्जसेवी ४ । एवं अज्जपरियाए ४ । अज्जपरियाले ४ । एवं सत्तरस आलावगा, जहा दीणेण भणिया तहा अजेणवि भाणियव्वा । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० अजे णाममेगे अजभावे, अजे णाममेगे अणजभावे, अणजे णाममेगे अजभावे, अणजे णाममेगे अणजभावे ॥ ३४३ ॥ चत्तारि उसभा प० तं० जाइसंपन्ने कुलसंपन्ने वलसंपन्ने रुवसंपण्णे, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० जाइसंपन्ने कुलसंपन्ने बलसंपन्ने स्वसंपन्ने, चत्तारि उसभा प० तं० जाइसंपन्ने णाममेगे णो कुलसंपन्ने, कुलसंपन्ने णाममेगे णो Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [गणे २३० सुत्तागमे जाइसंपन्ने, एगे कुलसंपन्नेवि जाइसंपन्नेवि, एगे णो जाइसंपन्ने णो कुलसंपण्णे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० जाइसंपन्ने णाममेगे णो कुलसंपन्ने ४ । चत्तारि उसभा प० तं० जाइसंपन्ने णाममेगे णो वलसंपन्ने ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० जाइसंपन्ने णाममेगे णो वलसपन्ने ४ । चत्तारि उसभा प० तं० जाइसंपन्ने णाममेगे नो रूवसंपन्ने ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० जाइसंपन्ने णाममेगे णो रूवसंपन्ने ४ । चत्तारि उसभा प० तं० कुलसंपन्ने णाममेगे णो वलसंपन्ने ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० कुलसंपन्ने णाममेगे णो बलसंपन्ने ४ । चत्तारि उसभा प० तं० कुलसंपन्ने णाममेगे णो रूवसंपन्ने ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० कुलसंपन्ने णाममेगे णो रूवसंपन्ने ४ । चत्तारि उसभा प० तं० वलसंपन्ने णाममेगे णो रूवसंपन्ने ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० बलसंपन्ने णाममेगे णो रूवसंपण्णे ४ ॥ ३४४ ॥ चत्तारि हत्थी प० तं० भद्दे मंदे मिए संकिण्णे, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० भद्दे मंदे मिए संकिण्णे, चत्तारि हत्थी प० तं० भद्दे णाममेगे भद्दमणे, भद्दे णाममेगे मंदमणे, भद्दे णाममेगे मियमणे, भद्दे णाममेगे संकिण्णमणे, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० भद्द णाममेगे भद्दमणे, भद्दे णाममेगे मंदमणे, भद्दे णाममेगे मियमणे, भद्दे णाममेगे संकिण्णमणे, चत्तारि हत्थी प० तं० मंदे णाममेगे भद्दमणे, मंदे णाममेगे मंदमणे मंदे णाममेगे मियमणे, मंदे णाममेगे संकिण्णमणे, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० संदे णासमेगे भद्दमणे, तं चेव । चत्तारि हत्थी प० तं० मिए णाममेगे भद्दमणे, सिए णाममेगे मंदमणे, मिए णाममेगे मियमणे, मिए णाममेगे संकिण्णमणे, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० मिए णाममेगे भद्दमणे, तं चेव। चत्तारि हत्थी प० तं० संकिण्णे णाममेगे भद्दमणे, संकिण्णे णाममेगे मंदमणे, संकिण्णे णाममेगे मियमणे, संकिण्णे णाममेगे संकिण्णमणे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० संकिण्णे णाममेगे भद्दमणे, तं चेव जाव संकिण्णे णाममंग संकिण्णमणे । गाथा-मधुगुलियपिगलक्खो, अणुपुव्वसुजायदीहलंगूलो; पुरा उदग्गधीरों, सव्वंगसमाहिओ भदो ॥ ३४५ ॥ (१) चलबहलविसमचम्मा थूलसिरो थूलएण पेएण; थूलणहदंतवालो, हरिपिंगललोयणो मंदो ॥ ३४६ ॥ (२) तणुओ तणुयग्गीवो, तणुयतओ तणुयदंतणहवालो; भीरू तत्थुविग्गा; तासीय भवे मिए णामं ॥ ३४७ ॥ (३) एएसिं हत्थीणं, थोवं थोवं तु जा अणुहरइ हत्थी; रूवेण व सीलेण व, सो संकिण्णो त्ति णायव्वो ॥ ३४८ ॥ (४) भद्दो मज्जइ सरए, मंदो उण मज्जए वसंतम्मि; मिउ मजइ हेमंते, संकिण्णो सव्व । Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे २३१ कालम्मि (५) ॥ ३४९ ॥ चत्तारि विकहाओ प० तं० इत्थिकहा भत्तकहा देसकहा रायकहा । इत्थिकहा चउब्विहा प० तं इत्थीणं जाइकहा, इत्थीणं कुलकहा, इत्थीणं रूवकहा, इत्थीणं नेवत्थकहा, भत्तकहा चउव्विहा प० तं० भत्तस्स आवावकहा, भत्तस्स निव्वावकहा, भत्तस्स आरंभकहा, भत्तस्स पिठ्ठाण - कहा। देसकहा चउव्विहा प० तं० देसविहिकहा, देसविकप्पकहा, देसच्छंद कहा, देसनेवत्थकहा, रायकहा चउव्विहा प० तं० रण्णो अइयाणकहा रण्णो निजाणकहा, रण्णो वलवाहणकहा, रण्णो कोसकोठ्ठागारकहा ॥ ३५० ॥ चउव्विहा धम्मकहा प० तं० अक्खेवणी विक्खेवणी संवेगणी णिव्वेगणी । अक्खेवणी कहा चडव्विहा प० तं० आयारक्खेवणी ववहारक्खेवणी पण्णत्तिक्खेवणी दिठिवायक्खेवणी | विक्खेवणी कहा चउव्विहा प० तं० ससमयं कहेइ, ससमयं कत्ता परसमयं कहेइ, परसमयं कहेत्ता ससमयं ठावित्ता भवइ, सम्मावायं कहे, सम्मावार्य कहेत्ता मिच्छावायं कहेड, मिच्छावायं कहेत्ता सम्मावार्य ठावइत्ता भवइ । संवेगणी कहा चउव्विहा प० तं० इहलोगसंवेगणी परलोगसंवेगणी आयसरीरसंवेगणी परसरीरसंवेगणी । णिव्वेगणी कहा चउव्विहा प० तं० इहलोगे दुचिण्णा कम्मा इहलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति, इहलोगे दुचिण्णा कम्मा परलोगे दुहफलविचागसंजुत्ता भवंति, परलोगे दुचिण्णा कम्मा इहलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति । परलोगे दुचिण्णा कम्मा परलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति । इहलोगे सुचिण्णाकम्मा इहलोगे सुह फलविवागसंजुत्ता भवंति, इहलोगे सुचिण्णा कम्मा परलोगे सुहफल विवागसंजुत्ता भवंति एवं चउभंगो तहेव ॥ ३५१ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० किसे णाममेगे किसे, किसे णाममेगे दढे, दढे णाममेगे किसे, दढे णाममेगे दढे । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० किसे णाममेगे किससरीरे, किसे नाममेगे दढसरीरे, दढे णाममेगे किससरीरे, दढे णाममेगे दढसरीरे । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० किससरीरस्य णाममेगस्स णाणदंसणे समुप्पज्जइ णो दढसरीरस्स, दढसरीरस्स णाममेगस्स णाणदंसणे समुप्पज्जइ णो किसमरीरस्स, एगस्स किससरीरस्स वि णाणदंसणे समुप्पज्जइ दढसरीरस्स वि, एगस्स णो किससरीरस्स णाणदंसणे समुप्पज्जइ णो दढसरीरस्स ॥ ३५२ ॥ चउहिं ठाणेहिं णिग्गंथाण वा, णिग्गंधीण वा अस्ति समयंसि अइसेसे णाणदंसणे समुपजिउकामेवि णो समुप्पज्जेज्जा तं ० अभिक्खणं अभिक्खण इत्थिकहं भत्तकहं देसकहं रायकहं कहेत्ता भवइ, विवेगेणं विउसग्गेणं णो सम्ममप्पाणं भावेत्ता भवइ, पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि णो धम्मजागरियं जागरिता भवइ, फास्यस्स एसणिज्जस्स उञ्छस्स सामुदाणियस्स णो सम्म अ० ४ उ० २ ] Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३२ सुत्तागमे [ ठाणे गवेसइत्ता भवइ, इच्चेएहिं चउहिं ठाणेहिं णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा जाव णो समुप्पजेजा, चउहिं ठाणेहिं णिग्गंथाण वा णिग्गंधीण वा अइसेसे णाणदंसणे समुप्पजिउकामे समुप्पजेजा तं० इत्थिकहं भत्तकहं देसकहं रायकहं णो कहेत्ता भवइ, विवेगेण विउसग्गेणं सम्ममप्पाणं भावेत्ता भवइ, पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरित्ता भवइ, फासुयस्स एसणिजस्स उञ्छस्स सामुदाणियस्स सम्मं गवेसइत्ता भवइ, इच्चेएहिं चउहि ठाणेहिं णिग्गंथाण वा णिग्गंधीण वा जाव समुप्पज्जेजा ॥ ३५३ ॥ णो कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा चउहिं महापाडिवएहिं सज्झायं करेत्तए तं० आसाढपाडिवए इंदमहपाडिवए कत्तियपाडिवए सुगिम्हपाडिवए, णो कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा चउहि संझाहिं सज्झायं करेत्तए तं० पडमाए पच्छिमाए मज्जण्हे अद्धरत्ते। कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गथीण वा चाउकालं सज्झायं करेत्तए तं० पुव्वण्हे अवरण्हे पओसे पञ्चूसे ॥ ३५४ ॥ चउव्विहा लोगठ्ठिई प० तं० आगासपइठिए वाए, वायपइठिए उदही, उदहिपइछिया पुढवी, पुढविपइठिया तसा थावरा पाणा ॥ ३५५ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० तहे णाममेगे णोतहे णाममेगे सोवत्थी णाममेगे पहाणे णाममेगे ॥ ३५६ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० आयंतकरे णाममेगे णो परंतकरे, परंतकरे णाममेगे णो आयंतकरे, एगे आयंतकरेवि परंतकरेवि, एगे णो आयंतकरे णो परंतकरे, चत्तार परिसजाया प० तं० आयंतमे णाममेगे णो परंतमे परंतमे णाममेगे णो आयंतमें ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० आयंदमे णाममेगे णो परंदमे. परंदमे णाममेगे णो आयंदमे, एगे आयंदमेवि परंदमेवि, एगे णो आयंदमे णो परंदमे ॥ ३५७ ॥ चउविवहा गरहा प० तं० उवसंपज्जामित्ति एगा गरहा, वितिगिच्छामित्ति एगा गरहा, जं किंचिमिच्छामित्ति एगा गरहा, एवंपि पण्णत्ते एगा गरहा ॥ ३५८ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० अप्पणो णाममेगे अलमंथू भवइ णो परस्स, परस्स णाममेगे अलमंथू भवइ णो अप्पगो, एगे अप्पणोवि अलमंथू भवइ परस्सवि, एगे णो अप्पणो अलमंथू भवइ णो परस्स ॥ ३५९ ॥ चत्तारि मग्गा प०० उज्ज णाममेग उज, उजू णाममेगे वंके, वंके णाममेगे उज, वंके णाममेगे वंके। एवामेव चत्तार पुरिसजाया प० तं० उजू णाममेगे उज्जू ४ । चत्तारि मग्गा प० तं० खेमे णाममेग खेमे, खेमे णाममेगे अखेमे ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प०० खेमे णाममेग खेमे ४ । चत्तारि मग्गा प० तं० खेमे णाममेगे खेमरूवे, खेमे णाममेगे अखेमरूव ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० खेमे णाममेगे खेमरूवे ४ ॥ ३६० ॥ चत्तारि संवुक्का प० तं० वामे णाममेगे वामावत्ते, वामे णाममेगे दाहिणावत्ते, Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे म. ४ उ. २ दाहिणे णाममेगे वामावत्ते, दाहिणे णाममेगे दाहिणावत्ते, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० त० वामे णाममेगे वामावत्ते ४ । चत्तारि धूमसिहाओ प० तं० वामा णाममेगा वामावत्ता ४ । एवामेव चत्तारित्थियाओ प० तं० वामा णाममेगा वामावत्ता ४ । चत्तारि अग्गिसिहाओ प० तं० वामा णाममेगा वामावत्ता ४ ॥ एवामेव चत्तारित्थियाओ प० त० वामा णाममेगा वामावत्ता ४ । चत्तारि वायमंडलिया, वामा णाममेगा वामावत्ता ४ । एवामेव चत्तारित्थियाओ प० तं० वामा णाममेगा वामावत्ता ४ । चत्तारि वणखंडा प० तं० वामे णाममेगे वामावत्ते ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० वामे णाममेगे वामावत्ते ४ ॥ ३६१॥ चउहि ठाणेहिं गिरगंथे णिगंथिं आलवमाणे वा संलवमाणे वा णाइक्कमइ, तं० पंथं पुच्छमाणे वा पंथं देसमाणे वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा दलयमाणे वा, दलावेमाणे वा ॥३६२॥ तमुक्कायस्स णं चत्तारि णामधेजा प० तं० तमेइ वा, तमुक्काएइ वा, अंधयारेइ वा, महंधयारेइ वा, तमुक्कायस्स णं चत्तारि णामधेजा प० तं० लोगंधयारेइ वा, लोगतमसेइ वा, देवंधयारे वा, देवतमसेइ वा, तमुकायस्स णं चत्तारि णामधेजा प० तं० वायफलिहेइ वा, वायफलिहखोभेइ वा, देवरण्णेइ वा, देववूहेइ वा, तमुक्काए णं चत्तारि कप्पे आवरित्ता चिठ्ठइ तं० सोहम्मीसाणं सर्णकुमारमाहिंदं ॥ ३६३ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० त० संपागडपडिसेवी णाममेगे, पच्छण्णपडिसेवी णाममेगे, पड्डुप्पण्णणंदी णाममेगे, णिस्सरणणंदी णाममेगे ॥ ३६४ ॥ चत्तारि सेणाओ प० तं० जइत्ता णाममेगा णो पराजिणित्ता, पराजिणित्ता णाममेगा णो जइत्ता, एगा जइत्ता वि पराजिणित्तावि, एगा णो जइत्ता णो पराजिणित्ता । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० जइत्ता णाममेगे णो पराजिणित्ता ४ । चत्तारि सेणाओ प० तं० जइत्ता णाममेगा जयइ, जइत्ता णाममेगा पराजिणइ, पराजिणित्ता णाममेगा जयइ, पराजिणित्ता णाममेगा पराजिणइ, एवा-- मेव चत्तारि पुरिसजाया प० त० जइत्ता णाममेगे जयइ ॥ ३६५ ॥ चत्तारि केअणा प० तं० वंसीमूलकेअणए, मेंढविसाणकेअणए, गोमुत्तिकेअणए, अवलेहणियके-- अणए । एवामेव चउन्विहा माया प० तं० बंसीमूलकेअणासमाणा जाव अवलेहणियाकेअणासमाणा, वंसीमूलकेअणासमाणं मायं अणुप्पविठे जीवे कालं करेइ णेरइएसु उववज्जइ, मेंढविसाणकेअणासमाण मायमणुप्पविठे जीवे कालं करेइ तिरिक्ख-. जोणिएसु उववज्जइ, गोमुत्तिरं जाव कालं करेइ मणुस्सेसु उववजइ, अवलेहणिया जाव देवेसु उववज्जइ ।। ३६६ ॥ चत्तारि थंभा प० तं० सेलथंभे अठ्ठथंभे दारूथंभे, तिणिसलयाथंभे; एवामेव चउविहे माणे प० त० सेलथंभसमाणे जाव तिणि Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३४ सुत्तागमे [ठाणे सलयाभसमाणे । सेलथंभसमाणं माणं अणुप्पविठू जीवे कालं करेइ णेरइएसु उववजइ, एवं जाव तिणिसलयार्थभसमाणं माणं अणुप्पविठू जीवे कालं करेइ देवेसु उववजइ ॥ ३६७ ॥ चत्तारि वत्था प० तं० किमिरागरत्ते कद्दमरागरत्ते खंजणरागरत्ते हलिद्दरागरत्ते एवामेव चउविहे लोभे प० तं० किमिरागरत्तवत्थसमाणे कद्दमरागरत्तवत्थसमाणे खंजणरागरत्तवत्थसमाणे हलिद्दरागरत्तवत्थसमाणे, किमिरागरत्तवत्यसमाण लोभमणुप्पविठे जीवे कालं करेइ नेरइएसु उववज्जइ, तहेव जाव हलिद्दरागरत्नवत्यसमाणं लोभमणुप्पविठे जीवे कालं करेइ देवेसु उववजइ ॥ ३६८ ॥ चउविहे संसारे प० तं० णेरइयसंसारे जाव देवसंसारे, चउन्विहे आउए प० तं० णेरइयआउए जाव देवाउए, चउविहे भवे प० तं० णेरइयभवे जाव देवभवे ॥ ३६९ ॥ चउविहे आहारे प० त० असणे पाणे खाइमे साइमे । चउविहे आहारे प० तं० उवक्खरसंपन्ने, उवक्खडसंपन्ने, सभावसंपन्ने, परिजुसियसंपन्ने ॥ ३७० ॥ चउविहे बंधे प० तं० पगइबंधे ठिइबंधे अणुभाववंधे पएसबंधे, चउबिहे उवक्कमे प० तं० बंधणोवक्कमे उदीरणोवक्कमे उवसमणोवक्कमे विप्परिणामणोवक्कमे, बंधणोवक्कमे चउबिहे प० तं० पगइवंधणोवक्कमे ठिइबंधणोवक्कमे अणुभावबंधणोवक्कमे पएसबंधणोक्कमे, उदीरणोवक्कमे चउव्विहे प० तं० पगइउदीरणोवक्कमे ठिइउदीरणोवक्कमे अणुभागउदीरणोवक्कमे पएसउदीरणोवक्कमे, उवसामणोवक्कमे चउबिहे प० तं० पगइउवसामणोवक्कमे ठिइअणुभावपएसउवसामणोवक्कमे । विपरिणामणोक्कमे चउन्विहे प० तं० पगइठिइअणुभावपएसविपरिणामणोवक्कमे । चउविहे अप्पाबहुए प० तं० पगइअप्पाबहुए ठिइअणुभावपएसअप्पाबहुए; चउबिहे संकमे, पगइसंकमे ठिइअणुभावपएससंकमे । चउविहे निधत्ते प० तं० पगइनिधत्ते, ठिइअणुभावपएसनिधत्ते । चउन्विहं निगाइए प० तं० पगइनिगाइए, ठिइनिगाइए, अणुभावनिगाइए, पएसनिगाइए ॥ ३७१ ॥ चत्तारि एका प० तं० दविए एक्कए माउएक्कए पज्जएएक्कए संगहएकए, चत्तारि कई प० तं० दवियकई माउयकई पज्जवकई संगहकई, चत्तारि सव्वा प० त० णामसव्वए ठवणसव्वए आएससव्वए निरवसेससव्वए ॥ ३७२ ॥ माणुसुत्तरस्स णं पव्वयस्स चउद्दिसि चत्तारि कूडा प० तं० रयणे रयणुच्चए सव्वरयणए रयणसंचए ॥ ३७३ ॥ जंबुद्दीवे २ भरहेरवएसु वासेसु तीयाए उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो होत्था, जंबुद्दीवे २ भरहेरवए इमीसे ओसप्पिणीए दुसमसुसमाए समाए जहण्णपएणं चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीआ कालो होत्था । जंबुद्दीवे दीवे जाव आगमिस्साए उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म०४ उ० २] सुत्तागमे चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो भविस्सइ, जंबुद्दीवे दीवे देवकुरुउत्तरकुरुवजाओ चत्तारि अकम्मभूमीओ प० तं० हेमवए एरण्णवए हरिवासे रम्मगवासे, चत्तारि वट्टवेयड्पव्वया प० त० सद्दावई वियडावई गंधावई मालवंतपरियाए । तत्य णं चत्तारि देवा महिड्डिया जाव पलिओवमठिइया परिवसंति तं० साई पभासे अरुणे पउमे, जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहेवासे चउबिहे प० तं० पुव्वविदेहे, अवरविदेहे, देवकुरा, उत्तरकुरा, सववि णं णिसढणीलवंतवासहरपव्वया चत्तारि जोयणसयाई उ8 उच्चत्तेणं, चत्तारि गाउयसयाई उव्वेहेणं प० । जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमेणं सीआए महाणईए उत्तरकूले चत्तारि वक्खारपव्वया प० तं० चित्तकूडे पम्हकूडे णलिणकूडे एगसेले, जंवूमंदरपुरथिमेणं सीआए महाणईए दाहिणकूले चत्तारि वक्खारपव्वया प० तं० तिकूडे वेसमणकूडे अंजणे मायंजणे, जंवूमंदरस्स पञ्चत्थिमेणं सीओआए महाणईए दाहिणकूले चत्तारि वक्खारपव्वया प० तं० अंकावई पम्हावई आसीविसे सुहावहे । जंवूमंदरस्स पञ्चत्थिमेणं सीओआए महाणईए उत्तरकूले चत्तारि वक्खारपव्वया प० तं० चंदपव्वए सूरपव्वए देवपव्वए णागपव्वए, जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स चउसु विदिसासु चत्तारि वक्खारपव्वया प० तं० सोमणसे विजुप्पभे गंधमायणे मालवंते, जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे जहण्णपए चत्तारि अरिहंता, चत्तारि चक्कवट्टी, चत्तारि बलदेवा, चत्तारि वासुदेवा, उप्पजिसु वा उप्पज्जति वा उप्पजिस्संति वा, जंबुद्दीवे दीवे मंदरे पव्वए चत्तारि वणा प० तं० भद्दसालवणे, णंदणवणे, सोमणसवणे, पंडगवणे, जंबूमंदरपव्वयपंडगवणे चत्तारि अभिसेगसिलाओ प० तं० पंड्डुकंबलसिला, अतिपंडुकंबलसिला, रत्तकंवलसिला, अइरत्तकंवलसिला, मंदरचूलिया णं उवरिं चनारि जोयणाई विक्खंभेणं पण्णत्ता, एवं धायइखंडदीवपुरच्छिमद्धति कालं आइं करित्ता जाव मंदरचूलियत्ति। एवं जाव पुक्खरवरदीवपञ्चत्थिमद्धे जाव मंदरचूलियत्ति, जंवूदीवगआवस्सगं तु कालाओ चूलिया जाव धायइखंडे पुक्खरवरे य पुव्वावरे पासे । जंवूदीवस्स णं दीवस्स चत्तारि दारा प० तं० विजये वेजयंते जयते अपराजिए, ते णं दारा चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं तावइयं चेव पवेसेणं प० तत्थ ण चत्तारि देवा महिद्भिया जाव पलिओवमठिइया परिवसंति तं० विजए वेजयते जयंते अपराजिए ॥ ३७४ ॥ जवुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं चुल्लाहमवतस्स वासहरपन्चयस्स चउसु विदिसासु लवणसमुद्द तिण्णि तिण्णि जोयणसयाई ओगाहेत्ता एत्थणं चत्तारि अंतरदीवा प० तं० एगरूयदीवे ओभासिअदीवे वेसाणियदीवे णंगोलियदीवे, तेसु णं दीवेसु चउन्विहा मणुस्सा परिवसंति, एगरूया Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ठाणे ओभासिया वेसाणिया णंगोलिया, तेसिणं दीवाणं चउसु वि दिसासु लवणसमुई चत्तारि चत्तारि जोयणसयाई ओगाहेत्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा प० तं० हयकण्णदीवे, गयकण्णदीवे गोकण्णदीवे सकुलिकण्णदीवे, तेसु णं दीवेसु चउचिहा मणुस्सा परिवसंति तं० हयकण्णा गयकण्णा गोकण्णा सक्कुलिकण्णा, तेसि णं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुदं पंच पंच जोयणसयाई ओगाहेत्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा प०० आयंसमुहदीवे मेंढगमुहदीवे अओमुहदीवे गोमुहदीवे। तेसु णं दीवेसु चउन्विहा मणुस्सा भाणियव्वा, तेसि णं दीवागं चउसु विदिसासु लवणसमुई छ छजोयणसयाई ओगाहेत्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा प० तं० आसमुहदीवे हत्यिमुहदीवे सीहमुहदीवे वग्धमुहदीवे, तेसु णं दीवेसु मणुस्सा भाणियव्वा तेसिं गं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुदं सत्तसत्तजोयणसयाई ओगाहित्ता एत्थ ण चत्तारि अंतरदीवा प० तं० आसकण्णदीवे हत्यिकण्णदीवे अकण्णदीवे कण्णपाउरणदीवे । तेसु णं दीवेसु मणुस्सा भाणियव्वा । तेसिं गं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुई अठ्ठ अठ्ठजोयणसयाई ओगाहित्ता एत्य णं चत्तारि अंतरदीवा प० तं० उकामुहदीवे मेहमुहदीवे विज्जुमुहदीवे विज्जुदंतदीवे तेसु णं दीवेसु मणुस्सा भाणियव्वा । तेसिं णं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुदं णव णव जोयणसयाइं ओगाहित्ता एत्यणं चत्तारि अंतरदीवा प० तं० घणदंतदीवे लठ्ठदंतदीवे गूढदंतदीवे सुद्धदंतदीने, तेसु णं दीवेसु चउव्हिा मणुस्सा परिवसंति तं० घणदंता लठ्ठदंता गूढदंता सुद्धदंता। जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं सिहरिस्स वासहरपव्वयस्स चउसु विदिसासु लवणसमुई तिण्णि तिण्णि जोयणसयाई ओगाहित्ता एत्थणं चत्तारि अंतरदीवा ५० तं० एगरूयदीवे सेसं तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव सुद्धदंता ॥ ३७५ ॥ जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स बाहिरिल्लाओ वेइयंताओ चउद्दिसि लवणसमुद्दे पंचाणउइजोयणसहस्साई ओगाहेत्ता एत्थणं महइमहालया महालिजरसंठाणसंठिया चत्तारि महापायाला प० तं० वलयामुहे केउए जूवए ईसरे, तत्थणं चत्तारि देवा महिड्डिया जाव पलिओवमठिझ्या परिवसंति तं० काले महाकाले लंबे पभंजणे ॥ ३७६ ॥ जंबुदीवस्स णं दीवस्स बाहिरिल्लाओ वेइयंताओ चउद्दिसिं लवणसमुदं वायालीसं २ जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थणं चउण्हं बेलंधरणागरायाणं चत्तारि आवासपव्वया पतं० गोथूमे उदयभासे संखे दगसीमे, तत्थ णं चत्तारि देवा महिद्भिया जाव परिवसंति तंगोथूभे सिवए जाव मगोसिलए । जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स बाहिरिल्लाओ वेइयन्ताओ चउसु विदिसासु लवणसमुई वायालीसं २ जोयणसहस्साइं ओगाहेत्ता एत्थणं चउण्ठं अणुवेलंधरणागराईणं चत्तारि आवासपन्चया प० त० कक्कोडए विजुप्पभे Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म०४ उ० २] सुत्तागमे २३७ केलासे अरुणप्पभे । तत्थ णं चत्तारि महिडिया जाव पलिओवमठिईया देवा परिवसंति तं० ककोडए कद्दमए केलासे अरुणप्पभे ॥३७७॥ लवणे णं समुद्दे चत्तारि चंदा पभासिसु वा पभासंति वा पभासिस्संति वा, चत्तारि सूरिया तविंसु वा तवंति वा तविस्संति वा, चत्तारि कत्तियाओ जाव चत्तारि भरणीओ, चत्तारि अग्गी जाव चत्तारि जमा, चत्तारि अंगारया जाव चत्तारि भावकेऊ ॥ ३७८ ॥ लवणस्स णं समुदस्स चत्तारि दारा प० तं० विजए वेजयंते जयंते अपराजिए, ते णं दारा णं चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं तावइयं चेव पवेसेगं पण्णत्ता, तत्थ णं चत्तारि देवा महिडिया जाव पलिओवमठिइया परिवसंति विजए जाव अपराजिए ॥३७९॥ धायइखंडे णं दीवे चत्तारि जोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं प० ॥ ३८० ॥ जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स वहिया चत्तारि भरहाइं चत्तारि एरवयाई, एवं जहा सदुद्देसए तहेव गिरवसेसं भाणियव्वं, जाव चत्तारि मंदरा चत्तारि मंदरचूलियाओ ॥ ३८१ ॥णंदीसखरस्स णं दीवस्स चकवालविक्खंभस्स बहुमज्झदेसभाए चउद्दिसिं चत्तारि अंजणगपव्वया प० तं० पुरच्छिमिल्ले अंजणगपव्वए दाहिणिल्ले अंजणगपव्वए, पञ्चत्थिमिल्ले अंजणगपव्वए उत्तरिल्ले अंजणगपव्वए, ते णं अंजणगपव्वया चउरासीइजोयणसहस्साइं उडे उच्चत्तेणं एगं जोयणसहस्सं उव्वेहेणं मूले दसजोयणसहस्साई विक्खंभेगं तदणंतरं च णं मायाए मायाए परिहाएमाणा परिहाएमाणा उवरिमेगं जोयणसहस्सं विक्खंभेणं प० मूले एकतीसं जोयणसहस्साइं छच्चतेवीसे जोयणसए परिक्खेवेणं उवरिं तिण्णि २ जोयणसहस्साई एगं च छावठं जोयणसयं परिक्खेवेणं मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुया गोपुच्छसंठाणसंठिया सव्वअंजणमया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसिणं अंजणगपव्वयाणं चउद्दिसि चत्तारि २ णंदाओ पुक्खरणीओ प० तासिणं पोक्खरणीणं पत्तेयं पत्तेयं चउद्दिसिं चत्तारि वणखंडा प० तं० पुरच्छिमेणं दाहिणेणं पचत्थिमेणं उत्तरेणं, पुव्वेणं असोगवणं दाहिणओ होति सत्तवण्णवणं, अवरेण चंपगवणं, अंबवणं उत्तरे पासे ॥ १ ॥ तत्थ णं जे से पुरच्छिमिल्ले अंजणगपव्वए तस्स णं चउद्दिसि चत्तारि णंदापोक्खरणीओ पण्णत्ताओ तं० णंदा णंदुत्तरा आणंदा णंदिवद्धणां, तासिणं पोक्खरणीणं पत्तेयं पत्तेयं चउद्दिसिं चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा प० तेसिणं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरओ चत्तारि तोरणा प० पुरच्छिमेगं दाहिणेणं पच्चत्थिमेणं उत्तरेणं, तासिणं पोक्खरणीणं पत्तेयं पत्तेयं चउद्दिसिं चत्तारि वणखंडा प० तं० पुरओ दाहिणओ पचत्थिमेणं उत्तरेणं, पुव्वेणं असोगवणं जाव अंबवणं उत्तरे पासे । तासिणं पुक्खरणीणं बहुमज्झदेसभाए चत्तारि दहिमुहगपन्वया प० ते णं दहिमुहगपव्वया चउसठिं जोयण Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३८ सुत्तागमे [ ठागे सहस्साईं उङ्घं उच्चत्तेणं एवं जोयणसहस्समुव्वेहेणं, सव्वत्यसमा पलगसंठाणसंठिया दसजोयणसहस्साईं विक्खंभेणं एकतीसं जोयणसहस्साईं छचतेवीसजोयणसए परिक्खेवेणं सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरुवा । सेसं जहेव अंजणगपव्वयाणं तहेव णिरवसेसं भाणियव्वं जाव अंत्रवर्ग उत्तरेपासे । तत्य णं जे से दाहिणिले अजगगपव्वए तस्सणं चउद्दिसि चत्तारि णंदाओ पुक्खरणीओ प० तं० भद्दा विसाला कुमुया पोडरीगिणी । सेसं तं चेव जाव दहिमुहगपव्वया जाव वणसंडा । तत्थणं जे से पच्चत्थिमिल्ले अंजगगपव्वए तस्स णं चउद्दिसि चत्तारि णंदाओ पोक्खरणीओ पण्णत्ताओ तं० णंदिसेणा अमोहा गोथूभा सुदंसणा, सेसं तं चेव, तहेव दहिमुहगपव्वया तव जाव वणखंडा । तत्यणं जे से उत्तरिल्ले अंजणगपव्वए तस्स णं चउद्दिसि चत्तारि णंदाओ पोक्खरणीओ प० तं विजया वेजयंती जयंती अपराजिया, तहेव दहिमुहगपव्वया, तहेत्र जाव वणखंडा गंदी सरवरस्स णं दीवस्स चक्कवालविक्खंभस्स बहुमज्झदेसभाए चउसु विदिसासु चत्तारि रतिकरगपव्वया प० तं० उत्तरपुरच्छिमिले रतिकरगपव्वए दाहिणपुरत्थिमिले रतिकरगपव्वए दाहिणपचत्थिमिले रतिकरगपव्वए उत्तरपचत्थिमिले रतिकरगपव्वए, ते णं रतिकरगपव्वया दसजोयगसयाई उड्ढ उच्चत्तेणं दसगाउयसयाई उव्वेहे गं, सव्वत्थसमा झल्लरिसंठाणसंठिया, दसजोयणसहस्साइं विक्खंभेणं, एकतीसं जोयणसहस्साईं छच्चतेवी से जोयणसए परिक्खेवेगं, सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरुवा । तत्थ णं जे से उत्तरपुरच्छिमिल रतिकरगपव्वए तस्सगं चउद्दिसिमीसाणस्स देविदस्स देवरण्णो चउण्हमग्गमहिसी गं जंबुद्दीवप्पमाणमेत्ताओ चत्तारि रायहाणीओ पण्णत्ताओ तं० नंदोत्तरा गंदा उत्तरकुरा देवकुरा । कण्हाए कण्हराईए कामाए कामरक्खियाए, तत्थ णं जे से दाहिणपुरच्छिमिले रतिकरगपव्वए तस्सगं चउद्दिसि सक्क्स्स देविंदस्स देवरणो चउण्हमग्गमहिसीणं जंबुद्दी वप्पमाणाओ चत्तारि रायहाणीओ प० तं० सुमणा सोमणसा अच्चिमाली मणोरमा । पउमाए सिवाए मईए अजूए । तत्थणं जे से दाहिणपच्चत्थिमिले 'रतिकरगपव्वए तस्स चउद्दिसि सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो चउन्हमग्गमहिसीणं जंबुद्दीवप्पमाणमेत्ताओ चत्तारि रायहाणीओ प० तं भूया भूयवर्डिसा गोथूभा सुदंसणा । अमलाए अच्छराए नवमियाए रोहिणीए । तत्थ णं जे से उत्तरपञ्चत्थिमिल्ले रतिक्ररगपव्वए तस्सणं चउदिसिमीसाणस्स चउण्हमग्गमर्हिसीणं जंबुद्दीवप्पमाणमेत्ताओ चत्तारि रायहाणीओ प० तं रयणा रयणोच्चया सव्वरयणा रयणसचया । वसूए वमुगुत्ताए वसुमित्ताए वसुंधरा ॥ ३८२ ॥ चउन्विहे सच्चे प० तं० णामसच्चे ठवणसच्चे दव्वसच्चे भावसच्चे ॥ ३८३ ॥ आजी ० Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ. ४ उ०३] सुत्तागसे २३९ वियाणं चउबिहे तचे प० तं० उग्गतवे घोरतवे रसनिजहणया जिभिदियपडिसंलीणया ॥ ३८४ ॥ चउन्विहे संजमे प० तं० मणसंजमे वइसंजमे कायसजमे उवगरणसंजमे । चरविहे चियाए प० तं० मणचियाए वइचियाए कायचियाए उवगरणचियाए, चटविहा अकिंचणया प० तं० मणअकिंचणया वइअकिचणया कायअकिंचणया उवगरणअकिचणया ॥ ३८५ ॥ चउत्थठाणस्ल बीओदेसो समत्तो॥ चत्तारि राईओ प० तं० पव्वयराई पुढविराई वालुयराई उदगराई। एवामेव चउबिहे कोहे प० तं० पव्वयराइसमाणे पुढविराइसमाणे वालुयराइसमाणे उदगराइसमाणे । पव्वयराइसमाणं कोहमणुपविठे जीवे कालं करेइ णेरइएसु उववजइ, पुढविराइसमाणं कोहमणुपविले जीवें कालं करेइ तिरिक्खजोणिएसु उववजइ, वालुयराइसमाणं कोहमणुपविठे जीवे कालं करेइ मणुस्सेसु उववज्जइ, उदगराइसमाणं कोहमणुपविठे जीवे कालं करेइ देवेसु उववज्जइ, चत्तारि उदगा प० त० कद्दमोदए खंजणोदए वालुओदए सेलोदए, एवामेव चउबिहे भावे प० तं० कद्दमोदगसमाणे खंजणोदगसमाणे वालुओदगसमाणे सेलोदगसमाणे । कद्दमोदगसमाणं भावमणुपविठे जीवे कालं करेइ णेरइएसु उववजइ एवं जाव सेलोदगसमाणं भावमणुपविले जीवे कालं करेइ देवेसु उववजय ॥ ३८६ ॥ चत्तारि पक्खी प० तं० रुयसंपन्ने णाममेगे णो रुवसंपन्ने, स्वसंपन्ने णाममेगे णो ख्यसंपन्ने, एगे रुयसंपन्ने वि स्वसंपन्ने वि, एगे णो स्यसंपण्णे णो रूवसंपन्ने, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० स्यसंपन्ने णाममेगे णो स्वसंपन्ने ४ ॥ ३८७ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० पत्तियं करेमित्ति एगे पत्तियं करेइ, पत्तियं करेमित्ति एगे अपत्तियं करेइ, अपत्तियं करेमित्ति एगे पत्तियं करेइ, अपनियं करेमित्ति एगे अपत्तियं करेइ, चत्तारि पुरिसजाया प० तं० अप्पगो णाममेगे पत्तियं करेइ णो परस्स, परस्स णाममेगे पत्तियं करेइ णो अप्पणो ४। चत्तारि पुरिसजाया प० तं० पत्तियं पवेसामित्ति एगे पत्तियं पवेसेइ, पत्तियं पवेसामित्ति एगे अपत्तियं पवेसेइ, अपत्तियं पवेसामित्ति एगे पत्तियं पवेसेइ, अपत्तियं पवेसामित्ति एगे अपत्तियं पवेसेइ, चत्तारि पुरिसजाया प० तं० अप्पणो णाममेगे पत्तियं पवेसेइ णो परस्स ४ ॥ ३८८ ॥ चत्तारि रुक्खा प० तं० पत्तोवए पुप्फोवए फलोवए छायोवए, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० पत्तो वा रुक्खसमाणे पुप्फो वा रुक्खसमाणे फलो वा रुक्खसमाणे छायो वा रुक्खसमाणे ॥ ३८९ ॥ भारं णं वहमाणस्स चत्तारि आसासा प० तं० जत्थ णं अंसाओ अंसं साहरइ तत्थ वि य से एगे आसासे पण्णत्ते, जत्थ वि य णं उच्चारं वा पासवणं Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागसे [गणे दिपुषिणमा य णं अपरिमाणे बिह २४० चा परिठावेति तत्थ वि य से एगे आसासे प० जत्य वि य णं णागकुमारावाससि चा सुवन्नकुमारावासंसि वा वासं उवेइ तत्य वि य से एगे आसासे प० जत्य वि य णं आवकहाए चिठ्इ जाच आसासे प०, एनामेव समणोवासगस्स चत्तारि आसासा प० त० जत्थ वि य णं सीलव्वयगुगन्वयवेरमणपचक्याणपोसहोववासाइं पडिवजइ तत्थ वि य से एगे आसासे प०, जत्य वि य णं सामाइयं देसाचगासियं सम्ममणुपालेइ तत्थ वि य से एगे आसासे प०, जत्थ वि य णं चाउद्दसमु. ठिपुण्णिमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्मं अणुपालेइ तत्य वि य से एगे आसासे प०, जत्थ वि य णं अपच्छिममारणंतियसंलेहणाजूसणाजूलिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगए कालमणवकंखमाणे विहरइ तत्य वि य से एगे आसासे प० ॥ ३९० ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० उदिओदिए णाममेगे, उदियत्थमिए णाममेगे, अत्थमिओदिए णाममेगे, अत्यमियत्यमिए णाममेगे । भरहे राया चाउरंतचक्कवट्टी णं उदिओदिए, वंभदत्ते णं राया चाउरंतचकवट्टी उदियत्थमिए, हरिएसवलेणमणगारे अत्थमिओदिए, काले णं सोयरिए अत्यमियत्यमिए ॥ ३९१॥ चत्तारि जुमा प० तं० कडजुम्मे तेयोए दावरजुम्मे कलिओए, णेरझ्याणं चत्तारि जुमा प० तं० कडजुमे जाव कलिओए, एवमसुरकुमाराणं जाव थणिय कुमाराणं, एवं पुढविकाइयाणं आउतेउवाउवणस्सइवेदियाणं तेइदियाणं चउरिंदियाणं पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं वाणमंतरजोइसियाणं वेमाणियाणं सन्वेसि जहा नेरइयाणं ॥ ३९२ ॥ चत्तारि सूरा प० तं० खंतिसूरे तवसूरे दाणसूरे जुद्धसूरे, खंतिसूरा अरिहंता तवसूरा अणगारा; दाणसूरे वेसमणे जुद्धसूरे वासुदेवे ॥ ३९३ ।। चत्तारि पुरिसजाया प० तं० उच्चे णासमेगे उच्चच्छंदे उच्चे णाममेगे णीयच्छंदे णीए णासमेगे उच्चच्छंदे णीए णाममेगे णीयच्छंदे ॥ ३९४ ॥ असुरकुमाराणं चत्तारि लेस्सा प० तं० कण्हलेस्सा णीललेस्सा काउलेस्सा तेउलेस्सा, एवं जाव थणियकुमाराणं एवं पुढविकाइयाणं आउवणस्सइकाइयाणं वाणमंतराणं सव्वेसि जहा असुरकुमाराणं ॥ ३९५॥ चत्तारि जाणा प० तं० जुत्ते णाममेगे जुत्ते जुत्ते णाममेगे अजुत्ते अजुत्ते णाममेगे जुत्ते अजुत्ते णाममेगे अजुत्ते, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० जुत्ते णाममेगे जुत्ते ४ । चत्तारि जाणा प० तं० जुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणए, जुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणए ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० त० जुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणए ४ । चत्तारि जाणा प० तं० जुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे जुत्ते णाममेगे अजुत्तत्त्वे ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० त० जुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे ४ । चत्तारि जाणा प० तं० जुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * ४ उ०३] सुत्तागमे २४१ प० तं० जुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे ४ । चत्तारि जुग्गा प० त० जुत्ते णाममेगे जुत्ते ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० त० जुत्ते णाममेगे जुत्ते ४ । एवं जहा जाणेण चत्तारि आलावगा तहा जुग्गेणवि पडिवक्खो तहेव पुरिसजाया जाव सोभत्ति, चत्तारि सारही प० तं० जोआवइत्ता णाममेगे णो विजोयावइत्ता, विजोयावइत्ता णाममेगे णो जोयावइत्तां, एगे जोयावइत्तावि विजोयावइत्तावि, एगे णो जोयावइत्ता णो विजोयावइत्ता, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया, चत्तारि हया प० तं० जुत्ते णाममेगे जुत्ते ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० जुत्ते णाममेगे जुत्ते ४ । एवं जुत्तपरिणए जुत्तत्वे जुत्तसोभे सव्वेसिं पडिवक्खो पुरिसजाया । चत्तारि गया प० तं० जुत्ते णाममेगे जुत्ते ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० जुत्ते णाममेगे जुत्ते ४ । एवं जहा हयाणं तहा गयाणवि भाणियव्वं । पडिवक्खो तहेव पुरिसजाया, चत्तारि जुग्गारिया प० त० पंथजाई णाममेगे णो उप्पहजाई उप्पहजाई णाममेगे णो पंथजाई एगे पंजाई वि उप्पहजाई वि एगे णो पंथनाई णो उप्पहजाई। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया ४ ॥ ३९६ ॥ चत्तारि पुप्फा प० तं० स्वसंपन्ने णाममेगे णो गंधसंपन्ने गंधसंपन्ने णाममेगे णो स्वसंपन्ने एगे स्वसंपन्नेवि गंधसंपन्नेवि एगे णो रूवसंपन्ने णो गंधसंपन्ने । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० रूवसंपन्ने णाममेगे णो सीलसंपन्ने ४ ॥ ३९७ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० जाइसंपन्ने णाममेगे णो कुलसंपन्ने कुलसंपन्ने णाममेगे णो जाइसंपन्ने ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० जाइसंपन्ने णाममेगे णो बलसंपन्ने बलसंपन्ने णाममेगे णो जाइसंपन्ने ४ । एवं जाईए रूवेण य चत्तारि आलावगा, एवं जाईए सुएण य ४ । एवं जाईए सीलेग ४ एवं जाईए चरित्तेण ४ । एवं कुलेण बलेग ४ । कुलेण स्वेण ४ । कुलेण सुएण ४ । कुलेण सीलेण ४ । कुलेण चरित्तण ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० त० वलसंपन्ने णाममेगे णो रूवसंपन्ने ४ । एवं वलेण सुएण ४ । एवं वलेण सीलेण ४ । एवं वलेण चरित्तेण ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० रूवसंपन्ने णाममेगे जो सुयसंपन्ने ४ । एवं रूवेण सीलेण ४ । रूवेण चरित्तेण ४। चत्तारि पुरिसजाया प० तं० सुयसंपन्ने णाममेगे णो सीलसंपन्ने ४ । एवं सुएण चरित्तेग य ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० सीलसंपन्ने णाममेगे णो चरित्तसंपन्ने ४। एए इक्कवीसं भंगा भाणियव्वा ॥ ३९८ ॥ चत्तारि फला प० तं० आमलगमहुरे मुद्दियामहुरे खीरमहुरे खंडमहुरे, एवामेव चत्तारि आयरिया प० तं० आमलगमहुरफलसमाणे जाव खंडमहुरफलसमाणे ॥ ३९९ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० त० आयवेयावचकरे णाममेगे णो परवेयावचकरे ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० त० १६ सुत्ता. Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागने [ठाणे २४२ करेइ णाममेगे वेयावचं णो पडिच्छइ पडिच्छइ णाममेगे वेयावचं णो करेइ ४ । ॥ ४०० ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० अठुकरे णाममेगे जो माणकरे माणकरे णाममेगे णो अठुकरे, एगे अठुकरेवि माणकरेवि एगे णो अठकरे णो माणकरे, चत्तारि पुरिसजाया प० तं० गणठुकरे णाममेगे णो माणकरे ४, च० पु० जा० प० तं० गणसंगहकरे णासमेगे णो माणकरे ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० गणसोभकरे णाममेगे णो माणकरे ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० गणसोहिकरे णासमेगे णो माणकरे ४ ॥ ४०१॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० स्वं गाममेगे जहइ णो धम्म धम्म णाममेगे जहइ णो रूवं एगे स्वपि जहइ धम्मपि जहइ, एगे णो रूवं जहइ णो धम्म, चत्तारि पुरिसजाया प० तं० धम्मं णाममेगे जहइ णो गणसंठिई ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० पियधम्मे णाममेगे णो दढधम्मे दढधम्मे णाममेगे णो पियधम्मे, एगे पियधम्मेवि दढधम्मेवि एगे णो पियधम्मे णो दढधम्मे ॥ ४०२ ॥ चत्तारि आयरिया प० तं० पवावणायरिए णाममेगे णो उवठ्ठावणायरिए उवठ्ठावणायरिए णाममेगे णो पन्वावणायरिए, एगे पन्वावणायरिएवि उवठ्ठावणायरिएवि, एगे णो पव्वावणायरिए णो उवठ्ठावणायरिए, चत्तारि आयरिया प० तं० उद्देसणायरिए णाममेगे णो वायणायरिए ४ धम्मायरिए सम्मत्तपओ णायव्वो ॥ ४०३ ॥ चत्तारि अंतेवासी प० तं० पव्वावणंतेवासी णाममेगे णो उवठ्ठावणंतेवासी ४ जाव धम्मंतेवासी, चत्तारि अंतेवासी प० तं० उद्देसणंतेवासी णाममेगे णो वायणंतेवासी ४॥४०४ ॥ चत्तारि णिग्गंथा प० तं० रायणिए समणे निरगंथे महाकम्मे महाकिरिए अणायावी असमिए धम्मस्स अणाराहए भवइ, रायणिए समणे निरगंथे अप्पकम्मे अप्पकिरिए आयावी समिए धम्मस्स आराहए भवइ, ओमराइणिए समणे णिग्गंथे महाकम्मे महाकिरिए अणायावी असमिए धम्मस्स अणाराहए भवइ, ओमराइणिए समणे णिग्गंथे अप्पकम्मे अप्पकिरिए आयावी समिए धम्मस्स आराहए भवइ, चत्तारि णिग्गंथीओ प० तं० राइणिया समणी णिग्गंथी ४ एवं चेव, चत्तारि समणोवासगा प० तं० रायणिए समणोवासए महाकम्मे ४ तहेव, चत्तारि समणोवासियाओ प० तं० रायणिया समणोवासिया महाकम्मा तहेव चत्तारि गमा ॥४०५॥ चत्तारि समणोवासगा प० तं० अम्मापिइससाणे भाइसमाणे मित्तसमाणे सवत्तिसमाणे । चत्तारि समणोवासगा प० तं० अद्दागसमाणे पडागसमाणे खाणुसमाणे खरकंटकसमाणे ॥ ४०६ ॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स समणोवासगाणं सोहम्मे कप्पे अरुणाभे विमाणे चत्तारि पलिओवमाइं ठिई प० ॥ ४०७ ॥ चउहि ठाणेहिं अहणोववन्ने देवे देवलोगेसु Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ० उ०३] सुत्तागमे २४३ इच्छेन्ना माणुसं लोगं हत्वमागच्छित्तए णो चेव णं संचाएइ हन्वमागच्छित्तए तं० अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु दिन्वेसु कामभोगेसु मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने से णं माणुस्सए कामभोगे णो आढाइ णो परियाणाइ णो अह्र बंधइ णो णियाणं पगरेइ, णो ठिइप्पगप्पं पगरेइ, अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु दिव्वेसु कामभोगेसु मुच्छिए ४ तस्स णं माणुस्सए पेमे वोच्छिण्णे दिव्वे पेमे संकंते भवइ, अहुणोववन्ने देवे देवलोएसु दिन्वेसु कामभोगेसु मुच्छिए ४ तस्स णं एवं भवइ, इयहि गच्छं मुहुत्तेण गच्छं तेणं कालेणमप्पाउआ मणुस्सा कालधम्मुणा संजुत्ता भवंति, अहुणोववन्ने देवे देवलोएसु दिव्वेसु कामभोगेसु मुच्छिए ४ तस्स णं माणुस्सए गंधे पडिकूले पडिलोमे यावि भवइ, उ8 पिय णं माणुस्सए गंधे जाव चत्तारिपंचजोयणसयाई हव्वमागच्छइ ४ इन्चेएहिं चउहि ठाणेहिं अहुणोववन्ने देवे देवलोएसु इच्छेजा माणुस लोगं हव्वमागच्छित्तए णो चेव णं संचाएइ हन्वमागच्छित्तए ॥४०८॥ चउहिं ठाणेहिं अहुगोववने देवे देवलोएसु इच्छेजा माणुसं लोग हव्वमागच्छित्तए संचाएइ हव्वमागच्छित्तए तं. अहुणोववण्णे देवे देवलोगेसु दिव्वेसु कामभोगेसु अमुच्छिए जाव अणज्झोववण्णे तस्स णं एवं भवइ अत्थि खलु मम माणुस्सए भवे आयरिएइ वा उवज्झाएइ वा पवत्तीइ वा थेरेइ वा गणीइ वा गणहरेइ वा गणावच्छेएइ वा जेसिं पभावेण मए इमा एयारूवा दिव्वा देविड्डी दिव्वा देवजुई लद्धा पत्ता अभिसमण्णागया तं गच्छामि गं ते भगवंते वंदामि जाव पजुवासामि, अहुणोववन्ने देवे देवलोएसु जाव अणज्झोववण्णे तस्स णं एवं भवइ एस णं माणुस्सए भवे णाणीइ वा तवस्सीइ वा अइदुक्करदुक्करकारए तं गच्छामि णं भगवन्तं वंदामि जाव पजुवासामि, अहुणोववन्ने देवे जाव अणज्झोववण्णे तस्स णं एवं भवइ अत्थि णं मम माणुस्सए भवे मायाइ वा जाव सुण्हाइ वा तं गच्छामि णं तेसिमंतियं पाउब्भवामि पासंतु ता मे इममेयारूत्रं दिव्वं देविढि दिव्वं देवजुई लद्धं पत्तं अभिसमण्णागयं, अहुणोववन्ने देवे देवलोएसु जाव अणझोववन्ने तस्स णं एवं भवइ अत्यि णं मम माणुस्सए भवे मित्तेइ वा सुहीइ वा सहीइ वा सहाएइ वा संगइए वा तेसिं च णं अम्हे अण्णमण्णस्स संगारे पडिसुए भवइ, जो मे पुन्विं चयइ से संवोहियव्वे इच्चेएहिं जाव संचाएइ हव्वमागच्छित्तए ॥ ४०९ ॥ चउहिं ठाणेहिं लोगंधगारे सिया तं० अरिहंतेहिं वोच्छिज्जमाणेहि, अरिहंतपण्णत्ते धम्मे वोच्छिज्जमाणे पुन्वगए वोच्छिजमाणे जायतेए वोच्छिन्नमाणे, चउहि ठाणेहिं लोउज्जोए सिया तं०अरिहंतेहि जायमाणेहिं, अरिहंतेहिं पन्वयमाणेहिं, अरिहंताणं णाणुप्पायमहिमासु, अरिहंताणं परिनिव्वाणमहिमासु, एवं देवंधगारे देवुजोए देवसन्निवाए देवुक्कलिया देवकहकहए, Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४४ सुत्तागसे [ ठाणे चउहि ठाणेहिं देविंदा माणुसं लोग हव्वमागच्छंति, एवं जहा तिठाणे जाव लोगतिया देवा माणुस्सं लोगं हव्वमागच्छेज्जा तं० अरिहंतेहिं जायमाणेहिं जाव अरिहंताणं परिनिव्वाणमहिमासु ॥ ४१० ॥ चत्तारि दुहसेज्जाओ प० तं० तत्थ खलु इमा पढमा दुहलेजा से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए निग्गंधे पावयणे संकिए कंखिए वितिगिच्छिए भेयसमावन्ने कलुससमावण्णे निग्गंथं पावयणं णो सद्दहइ णो पत्तियइ णो रोएइ, निग्गंथं पावयणं असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे मगं उच्चावयं नियच्छइ विणिघायमावज्जइ पढमा दुहसेज्जा, अहावरा दोचा दुहसेजा से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए सएणं लाभेणं णो तुस्सइ परस्स लाभमासाएइ पीहेइ पत्थेइ अभिलसइ परस्स लाभमासाएमाणे जाव अभिलसमाणे मणं उच्चावयं नियच्छइ विणिघायमावजइ दोचा दुहसेजा, अहावरा तच्चा दुहसेज्जा, से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए दिव्वे माणुस्सए कामभोगे आसाएइ जाव अभिलसइ दिव्वे माणुस्सए कामभोए आसाएमाणे जाव अभिलसमाणे मणं उच्चावयं णियच्छइ, विणिघायमावजइ तच्चा दुहसेजा, अहावरा चउत्था दुहसेजा से णं मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए तस्स णमेवं भवइ जया णं अहमगारवासमावसामि तया णमहं संवाहणपरिसद्दणगायभंगगाउच्छोलणाई लभामि जप्पभिइं च णं अहं मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए तप्पभिइंचणं अहं संवाहणं जाव गाउच्छोलणाई णो लभामि से णं संवाहणं जाव गाउच्छोलणाइं आसाएइ जाव अभिलसइ से णं संवाहणं जाव गाउच्छोलणाई आसाएमाणे जाव मणं उच्चावयं नियच्छइ विणिघायमावजइ चउत्था दुहसेज्जा ॥ ४११ ॥ चत्तारि सुहसेजाओ प० तं० तत्थ खलु इमा पढमा लुहसेजा से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए निग्गंथे पावयणे जिस्संकिए णिकंखिए, णिन्वितिगिच्छिए, णो भेयसमावण्णे णो कलुससमावण्णे णिग्गंथं पावयणं सद्दहइ पत्तियइ रोएइ णिग्गंथं पावयणं सद्दहमाणे पत्तियमाणे रोएमाणे णो मणं उच्चावयं नियच्छइ, णो विणिघायमावजइ पढमा सुहसेजा, अहावरा दोच्चा सुहसेज्जा से णं मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए सएणं लाभेग तुस्सइ, परस्स लाभं णो आसाएइ, णो पीहेइ, णो पत्थेइ, णो अभिलसइ, परस्स लाभमणासाएमाणे जाव अणभिलसमाणे णो मणं उच्चावयं णियच्छइ, णो विणिघायमावजइ, दोच्चा सुहसज्जा, अहावरा तच्चा सुहसेजा, से णं मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए दिव्वमाणुस्सए कामभोगे णो आसाएइ जाव णो अभिलसइ, दिव्वमाणुस्सए कामभोगे अणासाएमाणे जाव अणमिलसमाणे णो मणं उच्चावयं नियच्छइ णो विणिघायमावजइ, तच्चा सुहसेज्जा, Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म० ४ उ० ३] सुत्तागमे २४५ अहावरा चउत्था सुहसेज्जा, से णं मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए तस्स णमेवं भवइ जइ ताव अरिहंता भगवंता हठ्ठा आरोग्गा बलिया कल्लसरीरा अन्नयराई ओरालाई कल्लाणाई विउलाई पयत्ताई पग्गहियाई महाणुभागाई कम्मक्खयकारणाई तवोकम्माइं पडिवजति किमंगपुण अहं अब्भोवगमिओवकमियं वेयणं णो सम्म सहामि खमामि तितिक्लेमि अहियासेमि ममं च णं अब्भोवगमिओवकमियं सम्ममसहमाणस्स अखममाणस्स अतितिक्खमाणस्स अणहियासेमाणस्स किंमण्णे कजइ ? एगंतसो मे पावे कम्मे कज्जइ ममं च णं अब्भोवगमिओ जाव सम्म सहमाणस्स जाव अहियासेमाणस्स किंमण्णे कज्जइ ? एगंतसो मे णिज्जरा कज्जइ, चउत्था सुहसेज्जा ॥ ४१२ ॥ चत्तारि अवायणिज्जा प० तं० अविणीए, विगईपडिबद्ध, अविओसवियपाहुडे, मायी, चत्तारि वायणिज्जा प० तं० विणीए, अविगईपडिबद्धे, विओसवियपाहुडे, अमायी ॥ ४१३ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० आयंभरे णाममेगे णो परंभरे, परंभरे णाममेगे णो आयंभरे, एगे. आयंभरेवि परंभरेवि, एगे णो आयंभरे णो परंभरे ॥ ४१४ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० दुग्गए णाममेगे दुग्गए, दुग्गए णाममेगे सुग्गए, सुग्गए णाममेगे दुग्गए, सुग्गए णाममेगे सुग्गए, चत्तारि पुरिसजाया प० तं० दुग्गए णाममेगे दुव्वए, दुग्गए णाममेगे सुब्बए, सुग्गए णाममेगे दुव्वए, सुग्गए णाममेगे सुव्वए, चत्तारि पुरिसजाया प० तं. दुग्गए णाममेगे दुप्पडियागंदे, दुग्गए णाममेगे सुप्पडियाणंदे ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० दुग्गए णाममेगे दुग्गइगामी, दुग्गए णाममेगे सुगइगामी ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० दुग्गए णाममेगे दुग्गइं गए, दुग्गए णाममेगे सुगइं गए ॥ ४१५ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० तमे णाममेगे तमे, तमे णासमेगे जोई, जोई णाममेगे तमे, जोई णाममेगे जोई, चत्तारि पुरिसजाया प० तं० तमे णाममेगे तमवले, तमे णाममेगे जोईवले,जोई णाममेगे तमबले, जोई णाममेगे जोईवले, चत्तारि पुरिसजाया प० तं० तमे नाममेगे तमवलपलज्जणे, तसे नाममेगे जोईबलपलज्जणे, ४॥४१६॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० परिण्णायकम्मे णाममेगे णो परिणायसण्णे, परिण्णायसण्णे णाममेगे णो परिण्णायकम्मे, एगे परिण्णायकम्मेवि परिण्णायसण्णेवि, एगे णो परिण्णायकम्मे णो परिण्णायसण्णे, चत्तारि पुरिसजाया प० तं० परिण्णायकम्मे णाममेगे णो परिण्णायगिहावासे, परिण्णायगिहावासे णाममेगे णो परिण्णाय कम्मे ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० परिण्णायसण्णे णाममेगे णो परिण्णाय.. गिहावासे परिण्णायगिहावासे णाममेगे णो परिण्णायसण्णे ४ ॥ ४१७ ॥ चनारि रेसजाया प० त० इहत्थे णाममेगे णो परत्थे परत्थे णाममेगे णो इहत्थे ४ । चत्तारि Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४६ सुत्तागले [ठाणे पुरिसजाया प० त० एगेणं णासमेगे वड्डइ एगेणं हायइ, एगेणं णाममेगे वहइ दोहि हायइ, दोहिं णाममेगे वट्ठइ एगेण हायइ, दोहिं णाममेगे वड्डइ दोहिं हायइ ॥ ४१८ ॥ चत्तारि कंथका प० तं० आइन्ने णाममेगे आइन्ने, आइन्ने णाममेगे खलुंके, खलुंके णाममेगे आइन्ने, खलुंके णाममेगे खलुंके, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० आइने णाममेगे आइने, चउभंगो। चत्तारि कंथका प०२० आइन्ने णाममेगे आइन्नत्ताए विहरइ, आइन्ने णाममेगे खलुंकत्ताए विहरइ ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प०० आइने णाममेगे आइन्नत्ताए विहरइ, चउभंगो। चत्तारि पकंथका प०० जाइसंपन्ने णाममेगे णो कुलसंपन्ने ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० जाइसंपन्ने णाममेगे चउभंगो । चत्तारि कंथगा प० तं० जाइसंपन्ने णाममेगे णो वलसंपन्ने ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० जाइसंपन्ने णाममेगे नो बलसंपन्ने ४ । चत्तारि कंथगा प० तं० जाइसंपन्ने णाममेगे णो रुवसंपन्ने ४ ॥ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० जाइसंपन्ने णाममेगे णो रूवसंपन्ने ४ । चत्तारि कंथगा प० तं० जाइसंपन्ने णाममेगे णो जयसंपन्ने ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० जाइसंपन्ने ४ । एवं कुलसंपन्नेण य वलसंपन्नेण य ४ । कुलसंपन्नेण य रूवसंपन्नण य ४ । कुलसंपन्नेण य जयसंपन्नेण य ४ । एवं वलसंपन्नेण य रूवसंपन्नेण य ४ । वलसंपन्नेण य जयसंपन्नेण य ४ । सव्वत्थ पुरिसजाया पडिवक्खो, चत्तारि कंथगा प० तं० रूवसंपन्ने णाममेगे णो जयसंपन्ने ४ । एवामेव चत्तारि पुरिस० ॥ ४१९ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० सीहत्ताए णाममेगे णिक्खने सीहत्ताए विहरइ, सीहत्ताए णाममेगे णिक्खते सियालत्ताए विहरइ, सियालत्ताए णाममेगे णिक्खंते सीहत्ताए विहरइ, सियालत्ताए णाममेगे णिक्खंते सियालत्ताए विहरइ ॥ ४२० ॥ चत्तारि लोगे समा प० तं० अपइठ्ठाणे णरए, जंबुद्दीवे दीवे, पालए जाणविमाणे, सवठ्ठसिद्धे महाविमाणे, चत्तारि लोगे समा, सपक्खि सपडिदिसिं प० तं० सीमंतए णरए समयक्खेत्ते उड्डविमाणे ईसिंपन्भारा पुढवी ॥४२१॥ उड्डलोएणं चत्तारि विसरीरा प०तं. पुढविकाइया आउवणस्सइका० उराला तसा पाणा, अहे लोगेणं चत्तारि विसरीरा प०तं० एवं चेव, एवं तिरियलोएवि ४ ॥४२२॥ चत्तारि पुरिसजाया पतं० हिरिसत्ते हिरिमणसत्ते चलसत्ते थिरसत्ते ॥ ४२३ ॥ चत्तारि सेज्जपडिमाओ प० चत्तारि वत्थपडिमाओ प० चत्तारि पायपडिमाओ प० चत्तारि ठाणपडिमाओ प० ॥४२४॥ चत्तारि सरीरगा जीवफुडा प० तं० वेउत्रिए आहारगे तेयए कम्मए; चत्तारि सरीरगा कम्मुम्मीसगा प०२० ओरालिए वेउविए आहारए तेयए ॥४२५॥ चउहिं अत्यिकाएहि लोगे फुडे प० तं० धम्म रूवसंपनेण या कंयगा प० तारि पुरिसजायावते सिय Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - म०४ उ० ४] सुत्तागले २४७ त्यिकाएणं अधम्मस्थिकाएणं जीवत्यिकाएणं पोग्गलत्यिकाएणं । चउहि बायरकाएहि उववजमाणेहिं लोगे फुडे प००पुढविकाइएहिं आउकाइएहिं वाउवणस्सइकाइएहिं । चत्तारि पएसग्गेणं तुला पतं० धम्मत्यिकाए अधम्मत्थिकाए लोगागासे एगजीवे । चउण्हमेगसरीरं नो सुपस्सं भवइ तं० पुढविआउतेउवणस्सइकाइयाणं ॥ ४२६ ॥ चत्तारि इंदियत्या पुठा वेदेति तं० सोइंदियत्ये घाणिदियत्थे जिभिदियत्थे फासिदियत्थे ॥४२७॥ चउहि ठाणेहिं जीवा य पोग्गला य णो संचाएन्ति-वहिया लोगंतागमणयाए तं० गइअभावेणं निस्वग्गहयाए लुक्खत्ताए लोगाणुभावेणं ॥ ४२८ ॥ चउबिहे णाए प० तं० आहरणे आहरणतद्देसे आहरणतदोसे उवन्नासोवणए । आहरणे चउन्विहे प० तं० अवाए उवाए ठवणाकम्मे पडुप्पन्नविणासी । आहरणतईसे चउबिहे प० तं० अणुसिठ्ठी उवालंभे पुच्छा णिस्सावयणे । आहरणतहोसे चउविहे प० तं० अधम्मजुत्ते पडिलोमे अंतोवणीए दुरुवणीए । उवण्णासोवणए चउबिहे प० त० तव्वत्युए तदन्नवत्थुए पडिणिभे हेऊ ॥ ४२९ ॥ चउविहे हेऊ प० त० जावए थावए वंसए लूसए, अहवा हेऊ चउबिहे प० तं० पच्चक्खे अणुमाणे ओवम्मे आगमे अहवा हेऊ चउविहे प० अत्यित्तं अस्थि सो हेऊ अत्यित्तं णत्थि सो हेऊ णत्थित्तं अत्थि सो हेऊ णत्थितं णत्थि सो हेऊ ॥४३०॥ चउबिहे संखाणे प० तं० पडिकम्मं ववहारे रज्जू रासी ॥ ४३१ ॥ अहोलोगे णं चत्तारि अंधयारं करेंति तं० णरगा णेरइया पावाई कम्माइं असुभा पोग्गला, तिरियलोगे णं चत्तारि उज्जोयं करेंति तं० चंदा सूरा मणी जोई, उद्दलोगे णं चत्तारि उज्जोयं करेंति तं० देवा देवीओ विमाणा आभरणा ॥ ४३२ ॥ चउठाणस्स तइओद्देसो समत्तो॥ चत्तारि पसप्पगा प० तं० अणुप्पन्नाणं भोगाणं उप्पाएत्ता एगे पसप्पए, पुचुप्पन्नाणं भोगाणं अविप्पओगेणं एगे पसप्पए, अणुप्पण्णाणं सोक्खाणं उप्पाइत्ता एगे पसप्पए पुव्वुप्पण्णाणं सोक्खाणं अविप्पओगेणं एगे पसप्पए ॥ ४३३ ॥ णेरइयाणं चउविहे आहारे प० त० इंगालोवमे मुम्मुरोवमे सीयले हिमसीयले । तिरिक्खजोणियाणं चउविहे आहारे प० त० कंकोवमे विलोवमे पाणमंसोवमे पुत्तमंसोवमे । मणुस्साणं चउविहे आहारे, असणे पाणे खाइमे साइमे । देवाणं चउबिहे आहारे प० तं० वण्णमंते गंधमंते रसमंते फासमंते ॥ ४३४ ॥ चत्तारि जाइआसीविसा प० तं० विच्छुयजाइआसीविसे मंडुकजाइआसीविसे उरगजाइआसीविसे मणुस्सजाइआसीविसे । विच्छयजाइआसीविसस्सणं भंते केवइए विसए प० ? पभूणं विच्छुयजाइआसीविसे अद्धभरहप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ ठाणे विसपरिणयं विसट्टमाणि करेत्तए विसएसे विसट्टयाए नो चेव णं संपत्तीए करिंसु वा करेंति वा करिस्संति वा मंडुक्कजाइआसीविसस्स पुच्छा, पभूणं मंडुक्कजाइआसीविसे भरहप्पमाणमेत्तं बोंदिं विसेणं विसपरिणयं विसट्टमाणिं तं चेव जाव करिस्संति, उरगजाइ आसीविसस्स पुच्छा, पभूणं उरगजाइआसीविसे जंबुद्दीवप्पमाणमेत्तं वोंदिं विसेणं सेसं तं चेव जाव करिस्संति वा । मणुस्सजाइ आसीविसपुच्छा, पभूणं मणुस्सजाइआसीविसे समयक्खेत्तपमाणमेत्तं वोंदिं विसेणं विसपरिणयं विसट्टमाणि करेत्तए विसएसे विसट्टयाए नो चेव णं जाव करिस्संति वा ॥ ४३५ ॥ चउव्विहा वाही प्र० तं वाइए पित्तिए सिंभिए सन्निवाइए, चउव्विहा तिगिच्छा प० तं० विज्जो ओसहाई आउरे परियारए, चत्तारि तिगिच्छगा प० तं० आयतिगिच्छए णाममेगे णो परतिगिच्छए परतिगिच्छए णाममेगे णो आयतिगिच्छए जाव चउभंगो ॥ ४३६ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० वणकरे णाममेगे णो वणपरिमासी, वनपरिमासी णाममेगे णो वणकरे, एगे वणकरेवि वणपरिमासीवि, एगे णो वणकरे णो वणपरिमासी, चत्तारि पुरिसजाया पतं० वणकरे णाममेगे णो वणसारक्खी ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० वणकरे णाममेगे णो वणसंरोही ४ ॥ ४३७ ॥ चत्तारि वणा प० तं॰ अंतो सल्ले णाममेगे णो बाहिंसले ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० अंतो सल्ले णाममेगे णो वाहिँसले ४ । चत्तारि वणा प० तं० अंतो दुठ्ठे णाममेगे णो बाहिंदुठ्ठे, बाहिंदुठे णाममेगे णो अंतो दुठे ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० अंतो दुठे णाममेगे णो वाहिंदुठे ४ ॥ ४३८ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० सेयंसे णाममेगे सेयंसे, सेयंसे णाममेगे पावसे, पावंसे णाममेगे सेयंसे, पावंसे णाममेगे पावंसे। चत्तारि पुरिसजाया प०त० सेयंसे णाममेगे सेयंसेत्ति सालि - सए सेयंसे णाममेगे पावसेत्ति सालिसए ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० सेयंसेत्ति णाममेगे सेयंसेत्ति मण्णइ, सेयंसेत्ति णाममेगे पावसेत्ति मण्णइ ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० सेयंसे णाममेगे सेयंसेत्ति सालिसए मन्नइ सेयंसे णाममेगे पावसेत्ति सालिसए मन्नइ ४ ॥ ४३९ ॥ चत्तारि पु० प० तं० आघवइत्ता णाममेगे णो परिभावइत्ता, परिभावइत्ता णाममेगे णो आघवइत्ता ४ । चत्तारि पु० प० तं० आघवइत्ता नाममेगे णो उंछजीवियासंपन्ने, उंछजीवियासंपन्ने णाममेगे णो आघवइत्ता ४ ॥ ४४० ॥ चउन्विहा रुक्खविगुव्वणा प० तं० पवालत्ताए पत्तत्ताए पुष्फत्ताए फलत्ताए ॥४४१॥ चत्तारि वाइसमोसरणा प० तं० किरियाबाई अकिरियावाई अण्णाणियावाई वेणइयावाई, णेरइयाणं चत्तारि वाइसमोसरणा प्० तं० किरियावाई जाव वेणइयावाई, एवममुरकुमाराणवि जाव थणियकुमाराणं, एवं विगलिंदियवज्जं जाव वैमाणि २४८ Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म०४ उ० ४] सुत्तागमे २४९ याणं ॥ ४४२ ॥ चत्तारि मेहा प० तं० गजित्ता णाममेगे णो वासित्ता, वासित्ता णाममेगे णो गजित्ता, एगे गजित्तावि वासित्तावि, एगे णो गजित्ता णो वासित्ता, एवामेव चत्तारि पु० प० त० गजित्ता णाममेगे णो वासित्ता ४ । चत्तारि मेहा प० तं. गजित्ता-णाममेगे णो विजुयाइत्ता, विनुयाइत्ता णाममेगे णो गजित्ता ४ । एवामेव चत्तारि पु० प० तं० गज्जित्ता णाममेगे णो विजुयाइत्ता ४ । चत्तारि मेहा प० तं० वासित्ता णाममेगे णो विजुयाइत्ता ४ । एवामेव चत्तारि पु० प० तं० वासित्ता णाममेगे णो विजुयाइत्ता ४ । चत्तारि मेहा प० तं० कालवासी णाममेगे णो अकालवासी, अकालवासी णाममेगे णो कालवासी ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० त० कालवासी णाममेगे णो अकालवासी ४ । चत्तारि मेहा प० तं० खेत्तवासी णाममेगे णो अखेत्तवासी ४ । एवामेव चत्तारि पु० प० त० खेत्तवासी णाममेगे णो अखेत्तवासी ४। चत्तारि मेहा प० तं० जणइत्ता णाममेगे णो जिम्मवइत्ता, जिम्मवइत्ता णाममेगे णो जणइत्ता ४ । एवामेव चत्तारि अम्मापियरो प० तं० जणइत्ता णाममेगे णो णिम्मवइत्ता ४ । चत्तारि मेहा प० तं० देसवासी णाममेगे णो सव्ववासी ४ । एवामेव चत्तारि रायाणो प० तं० देसाहिवई णाममेगे णो सव्वाहिवई ४ । चत्तारि मेहा प० त० पुक्खलसंवट्टए पजुण्णे जीमूए जिम्हे । पोक्खलसंवट्टए णं महामेहे एगेणं वासेगं दसवाससहस्साई भावेइ, पजण्णे णं महामेहे एगेणं वासेणं दसवाससयाई भावेइ, जीमूए णं महामेहे एगेणं वासेणं दसवासाई भावेइ, जिम्हे णं महामेहे बहुवासेहिं एग वासं भावेइ वा ण भावेइ वा ॥ ४४३ ॥ चत्तारि करंडगा प० तं० सोवागकरंडए वेसियाकरंडए गाहावइकरंडए रायकरंडए, एवामेव चत्तारि आयरिया प०० सोवागकरंडगसमाणे, वेसियाकरंडगसमाणे, गाहावइकरंडगसमाणे, रायकरंडगसमाणे ॥ ४४४ ॥ चत्तारि रुक्खा प० तं० साले णाममेये सालपरियाए साले णाममेगे एरंडपरियाए ४ । एवामेव चत्तारि आयरिया प० तं० साले णाममेगे सालपरियाए साले णाममेगे एरंडपरियाए एरंडे णाममेगे० ४ । चत्तारि रुक्खा प० तं० साले णाममेगे सालपरिवारे ४ । एवामेव चत्तारि आयरिया प० तं० साले णाममेगे सालपरिवारे ४ । गाहा सालदुममज्झगारे जह साले णाम होइ दुमराया, इय सुंदरआयरिए सुंदरसीसे मुणेयव्वे (१) एरंडमज्झगारे जह साले णाम होइ दुमराया, इय सुंदरआयरिए मंगुलसीसे मुणेयव्वे (२) सालदुममज्झयारे एरंडे णाम होइ दुमराया, इय मंगुलआयरिए सुंदरसीसे मुणेयव्वे (३) एरंडमज्झयारे, एरंडे णाम होइ दुमराया, इय मंगुलआयरिए मंगुलसीसे मुणेयव्वे (४) ॥४४५॥ चत्तारि मच्छा प० तं० अणुसोयचारी पडिसोयचारी, अंतचारी Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [गणे २५० मज्झचारी, एवामेव चत्तारि भिक्खागा प० तं० अणुसोयचारी पडिसोयचारी अंतचारी मज्झचारी ॥ ४४६ ॥ चत्तारि गोला प० तं० मधुसित्वगोले जउगोले दारुगोले मट्टियागोले, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० मधुसित्थगोलसमाणे ४ । चत्तारि गोला प० तं० अयगोले तउगोले तंबगोले सीसगोले एवामेव चत्तारि पु० प० तं० अयगोलसमाणे जाव सीसगोलसमाणे ४ । चत्तारि गोला प० तं० हिरण्णगोले सुवण्णगोले रयणगोले वयरगोले एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० हिरण्णगोलसमाणे जाव वयरगोलसमाणे ॥ ४४७ ॥ चत्तारि पत्ता प० तं० असिपत्ते करपत्ते खुरपत्ते कलंबचीरियापत्ते, एवामेव चत्तारि पु० प० तं० असिपत्तसमाणे जाव कलंबचीरियापत्तसमाणे ॥ ४४८ ॥ चत्तारि कडा प० तं० मुंबकडे विदलकडे चम्मकडे कंवलकडे एवामेव चत्तारि पु० प० तं० सुंबकडसमाणे जाव कंबलकडसमाणे ॥ ४४९ ॥ चउब्विहा चउप्पया प० तं० एगखुरा दुखुरा गंडीपदा सणप्पदा, चउव्विहा पक्खी प० तं० चम्मपक्खी लोमपक्खी समुग्गपक्खी विययपक्खी । चउव्विहा खुद्दपाणा प० तं० बेइंदिया तेइंदिया चउरिंदिया संमुच्छिमपंचिदियतिरिक्खजोणिया ॥ ४५० ॥ चत्तारि पक्खी प० तं० णिवइत्ता णाममेगे णो परिवइत्ता परिवइत्ता णाममेगे णो णिवइत्ता एगे णिवइत्तावि परिवइत्तावि एगे णो णिवइत्ता णो परिवइत्ता एवामेव चत्तारि भिक्खागा प० तं० णिवइत्ता णाममेगे णो परिवइत्ता ४॥४५१॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० णिकठे णाममेगे णिक णिकले णाममेगे अणिकठे ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० णिकठे णाममेगे णिकठ्ठप्पा णिकठे णाममेगे अणिकठ्ठप्पा ४ । चत्तारि पु० प० तं० बुहे णाममेगे वुहे बुहे णाममेगे अबुहे ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० बुहे णाममेगे वुहहियए ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० आयाणुकंपए णाममेगे णो पराणुकंपए ४ ॥ ४५२ ॥ चउव्विहे संवासे प० तं० दिव्वे आसुरे रक्खसे माणुसे, चउविहे संवासे प० तं० देवे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छइ देवे णाममेगे असुरीए सद्धि संवासं गच्छइ असुरे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छइ असुरे णाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छइ, चउन्विहे संवासे प० तं० देवे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छइ, देवे णाममेगे रक्खसीए सद्धि संवासं गच्छइ, रक्खसे णाममेगे० ४ । चउन्विहे संवासे प० त० देवे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छइ, देवे णाममेगे मणुस्सीहिं सद्धिं संवासं गच्छइ ४ । चउविहे संवासे प० त० असुरे णाममेगे असुरीहिं सद्धिं संवासं गच्छइ, असुरे णासमेगे रक्खसीहिं सद्धिं संवासं गच्छइ ४ चउव्विहे संवासे प० त० असुरे णाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छइ, असुरे चउन्विह व संवासं गच्छइ, असुरेशाविहे संवासे प० त Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म. ४ उ०४] सुत्तागमे २५१ णाममेगे मणुस्सीए सद्धिं संवासं गच्छइ ४ । चउन्विहे संवासे प० तं० रक्खसे णाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छइ, रक्खसे णाममेगे माणुस्सीए सद्धिं संवासं गच्छइ ४ ॥ ४५३ ॥ चउविहे अवद्धंसे प० तं० आसुरे आभियोगे संमोहे देवकिब्बिसे, चउहि ठाणेहिं जीवा आसुरत्ताए कम्मं पकरेंति तं० कोहसीलयाए पाहुडसीलयाए संसत्ततवोकम्मेणं निमित्ताजीवयाए, चउहिं ठाणेहिं जीवा आभिओगत्ताए कम्मं पगरेंति तं० अत्तुक्कोसेणं परपरिवाएणं भूइकम्मेणं कोउयकरणेणं । चउहि ठाणेहिं जीवा सम्मोहत्ताए कम्मं पगरेंति तं० उम्मग्गदेसणाए मग्गंतराएणं कामासंसपओगेणं भिज्जानियाणकरणेणं । चउहि ठाणेहिं जीवा देवकिब्बिसियाए कम्मं पगरेंति तं० अरिहंताणं अवण्णं वयमाणे अरिहंतपण्णत्तस्स धम्मस्स अवण्णं वयमाणे, आयरियउवज्झायाणमवण्णं वयमाणे चाउवण्णस्स संघस्स अवणं वयमाणे ॥ ४५४ ॥ चउन्विहा पवजा प० तं० इहलोगपडिवद्धा परलोगपडिबद्धा दुहओ लोगपडिवद्धा अप्पडिबद्धा, चउव्विहा पवजा प० तं० पुरओपडिबद्धा मग्गओपडिवद्धा दुहओपडिवद्धा अप्पडिबद्धा, चउन्विहा पव्वजा प० तं० ओवायपवजा अक्खायपव्वजा संगारपत्वज्जा विहगगइपव्वजा चउन्विहा पव्वजा प० तं० तुयावइत्ता पुयावइत्ता मोयावइत्ता परिपूयावइत्ता, चउन्विहा पव्वज्जा प० तं० णडखइया भडखइया .सीहखइया सीयालक्खइया, चउव्विहा किसी पं० तं० वाविया परिवाविया गिंदिया परिणिंदिया एवामेव चउव्विहा पव्वजा प० तं० वाविया परिवाविया प्रिंदिया परिणिंदिया, चउन्विहा पव्वजा प० तं० धण्णपुंजियसमाणा धण्णविरल्लियसमाणा धण्णविक्खित्तसमाणा धण्णसंकट्टियसमाणा ॥ ४५५ ॥ चत्तारि सण्णाओ पण्णत्ताओ तं० आहारसण्णा भयसण्णा मेहुणसण्णा परिग्गहसण्णा चउहि ठाणेहिं आहारसण्णा समुप्पजई तं० ओमकोठयाए छुहावेयणिजस्स कम्मस्स उदएणं मईए तदठ्ठोवओगेणं, चउहि ठाणेहिं भयसण्णा समुप्पजइ तं० हीणसत्तयाए भयवेयणिजस्स कम्मस्स उदएणं मईए तदछोवओगेणं, चउहि ठाणेहिं मेहुणसण्णा समुप्पज्जइ तं० चियमंससोणिययाए मोहणिज्जस्स कम्मस्स उदएणं मईए तदठ्ठोवओगेणं, चउहि ठाणेहिं परिग्गहसण्णा समुप्पज्जइ तं० अविमुत्तयाए लोभवेयणिज्जस्स क्रम्मस्स उदएणं मईए तदछोवओगेणं ॥ ४५६॥ चउन्विहा कामा सिंगारा कलुणा वीभच्छा रोद्दा, सिंगारा कामा देवाणं, कलुणा कामा मणुयाणं, बीभच्छा कामा तिरिक्खजोणियाणं, रोदा कामा गेरइयाणं ॥ ४५७ ॥ चत्तारि उदगा प० तं० उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोदए उत्ताणे णाममेगे गंभीरोदए गभीरे णाममेगे उत्ताणोदए गंभीरे णाममेगे Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ठाणे રપુર गंभीरोदए, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० उत्ताणे णाममेगे उत्ताणहियए उत्ताणे णासमेगे गंभीरहियए ४ चत्तारि उदगा पतं० उत्ताणे णाममेगे उत्तागोभासी उत्ताणे णाममेगे गंभीरोभासी ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी, उत्ताणे णाममेगे गंभीरोभासी ४ । चत्तारि उदही प० तं० उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोदही, उत्ताणे णामसेगे गंभीरोदही ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प०० उत्ताणे णाममेगे उत्ताणहियए ४ । चत्तारि उदही प००उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी उत्ताणे णाममेगे गंभीरोभासी ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पतं० उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी ४ ॥४५८॥ चत्तारि तरगा पतं० समदं तरामित्ति एगे समुइं तरइ, समुहं तरामित्ति एगे गोप्पयं तरइ, गोप्पयं तरामित्ति एगे ४ । चत्तारि तरगा प० तं० समुदं तरित्ता णाममेगे समुद्दे विसीयइ, समुई तरित्ता णाममेगे गोप्पए विसीयइ ४ ॥ ४५९ ॥ चत्तारि कुंभा प० तं० पुण्णे णाममेगे पुण्णे पुण्णे णाममेगे तुच्छे, तुच्छे णाममेगे पुण्णे तुच्छे णाममेगे तुच्छे, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० पुण्णे णाममेगे पुण्णे ४ । चत्तारि कुंभा प० तं० पुण्णे णाममेगे पुण्णोभासी, पुण्णे णाममेगे तुच्छोभासी ४ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० पुण्णे णाममेगे पुण्णोभासी ४ । चत्तारि कुंभा प० तं. पुण्णे णाममेगे पुण्णरूवे पुण्णे णाममेगे तुच्छरूवे ४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० पुण्णे णाममेगे पुण्णरूवे ४ । चत्तारि कुंभा प०तं. पुण्णेवि एगे पियढे, पुण्णेवि एगे अवदले, तुच्छेवि एगे पियठे तुच्छेवि एगे अवदले, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० पुण्णेवि एगे पियठे ४। तहेव, चत्तारि कुंभा प०तं० पुण्णेवि एगे विस्संदइ, पुण्णेवि एगे णो विस्संदइ, तुच्छेवि एगे विस्संदइ, तुच्छेवि एगे णो विस्संदइ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० पुण्णेवि एगे विस्संदइ ४ तहेव । चत्तारि कुंभा प० तं० भिन्ने जजरिए परिस्साई अपरिस्साई । एवामेव चउन्विहे चरित्ते प० तं० भिन्ने जाव अपरिस्साई । चत्तारि कुंभा प० तं० महुकुंभे णाममेगे महुप्पिहाणे महुकुंभे णाममेगे विसपिहाणे विसकुंभे णाममेगे महप्पिहाणे विसकुंभे णाममेगे विसपिहाणे ४ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया ४ । हिययमपावमकलुसं जीहा वि य महुरभासिणी णिचं, जंमि पुरिसंमि विजइ से मधुकुंभे महुपिहाणे (१) हिययमपावमकलुस, जीहा वि य कडुयभासिणी णिच्चं; जंमि पुरिसंमि विज्जइ, से मधुकुंभे विसपिहाणे, (२)जं हिययं कलुसमयं जीहा वि य मधुरभासिणी णिचं, जंमि पुरिसंमि विजइ, से विसकुंभे मधुपिहाणे (३) जं हिययं कलुसमयं, जीहा वि य कडुयभासिणी णिचं, जंमि पुरिसंमि विजइ, से विसकुंभे विसपिहाणे (४)॥ ४६० ॥ चउ Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५३ ०४ उ० ४] सुत्तागमे विहा उवसग्गा प० तं० दिव्वा माणुसा तिरिक्खजोणिया आयसंवेयणिज्जा । दिव्वा उवसग्गा चउविहा प० तं० हासा पओसा वीमंसा पुढोवेमाया, माणुस्सा उवसग्गा चउम्विहा प० तं० हासा पाओसा वीमंसा कुसीलपंडिसेवणया, तिरिक्खजोणिया उवसग्गा चउव्विहा प० त० भया पदोसा आहारहेडं अवच्चलेणसारक्खणया, आयसंचयणिजा उवसग्गा चटविहा प० तं० घट्टणया पवडणया थंभणया लेसणया ॥ ४६१ ॥ चउन्विहे कम्मे प० तं० सुभे णाम एगे सुभे, सुभे णाममेगे असुभे, असुभे० ४ । चउविहे कम्मे प० तं० सुभे णाममेगे सुभविवागे, सुभे णाममेगे असुभविवागे, असुभे णाममेगे - सुभविवागे, असुभे णाममेगे असुभविवागे । चउविहे कम्मे प० तं० पगडीकम्मे, ठिइकम्मे, अणुभावकम्मे पदेसंकम्मे ॥ ४६२ ॥ चउविहे संघे प० तं० समणा समणीओ सावगा साविगाओ ॥ ४६३ ॥ चउन्विहा बुद्धी प० तं० उप्पत्तिया वेगइया कम्मिया, पारिणामिया, चउविहा मई प० तं० उग्गहमई ईहामई अवायमई धारणामई अहवा चउब्विहा मई, अरंजरोदगसमाणा, वियरोदगसमाणा सरोदगसमाणा सागरोदगसमाणा ॥ ४६४ ॥ चउन्विहा संसारसमावण्णगा जीवा प० तं० णेरड्या तिरिक्खजोणिया मणुस्सा देवा, चउन्विहा सव्वजीवा प० तं० मणजोगी वइजोगी कायजोगी अजोगी, अहवा चउन्विहा सव्वजीवा प० तं० इत्थिवेयगा पुरिसवेयगा णपुंसकवेयगा अवेयगा, अहवा चउन्विहा सव्वजीवा प० त० चक्खुदंसणी अचक्खुदंसणी ओहिदसणी केवलदसणी, अहवा चउविहा सव्वजीवा प० तं० संजया असंजया संजयासंजया णोसंजयाणोअसंजया ॥ ४६५ ॥ चत्तारि पुरिसजाया पतं० मित्ते णाममेगे मित्ते, मित्ते णाममेगे अमित्ते, अमित्ते णाममेगे मित्ते, अमित्ते णाममेगे अमित्ते, चत्तारि पुरिसजाया प० तं० मित्ते णाममेगे मित्तरूवे चउभंगो ॥ ४६६ ॥ चत्तारि पुरिसजाया प० तं० मुत्ते णाममेगे मुत्ते मुत्ते णाममेगे अमुत्ते ४ । चत्तारि पुरिसजाया प० तं० मुत्ते णाममेगे मुत्तरूवे ४ ॥ ४६७ ॥ पंचिंदियतिरिक्खजोणिया चउगइया चउआगइया प० तं० पंचिंदियतिरिक्खजोणिया पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजमाणा णेरइएहिंतो वा, तिरिक्खजोणिएहिंतो वा, मणुस्सेहिंतो वा, देवेहिंतो वा उववंज्जेजा, से चेव णं से पंचिंदियतिरिक्खजोणिए पंचिंदियतिरिक्खजोणियत्तं विप्पजहमाणे णेरइयत्ताए वा जाव देवत्ताए वा उवागच्छेजा, मणुस्सा चउगइया चउआगइया एवं चेव मणुस्सावि ॥ ४६८ ॥ बेइंदिया णं जीवा असमारंभमाणस्स चउन्विहे संजमे कजइ तं० जिन्भामयाओ सोक्खाओ अववरोवेत्ता भवइ, जिब्भामएणं दुक्खेणं असंजोगेत्ता भवइ, फासामयाओ Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५४ [ ठाणे सुतागमे सोक्खाओ अववरोवेत्ता भवइ, फासामयाओ दुक्खाओ असंजोगेता भवइ, बेइंदिया णं जीवा समारंभमाणस्स चउव्विहे असंजमे कजड़ तं० जिन्भामयाओ सोक्खाओ ववरोवित्ता भवइ जिन्भामरणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवइ फासामयाओ सोक्खाओ ववरोवित्ता भवइ फासामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवइ ॥ ४६९ ॥ समदिठियाणं णेरइयाणं चत्तारि किरियाओ पण्णत्ताओ तं० आरंभिया, परिग्गहिया मायाव त्तिया, अपञ्चक्खाण किरिया, सम्मदिठ्ठियाणमसुरकुमाराणं चत्तारि किरियाओ प० एवं चेव । एवं विगलिंदियवज्जं जाव वेमाणियागं ॥ ४७० ॥ चउहिं ठाणेहि संते गुणे णासेज्जा तं. कोहेणं पडिनिसेवेणं, अकयण्णुयाए, मिच्छत्ता हिणिवेसेणं । चउहिं ठाणेहिं संते गुणे दीवेजा तं० अन्भासवत्तियं, परछंदाणुवत्तियं, कज्जहेउं, कयपडिकइएइ वा; णेरइयाणं चउहिं ठाणेहिं सरीरुप्पत्ती सिया तं० कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं, एवं जाव वेमाणियाणं, णेरइयाणं चउठाणणिव्वत्तिए सरीरे तं कोहनिव्वत्तिए जाव लोभनिव्वत्तिए, एवं जाव वेमाणियाणं । चत्तारि धम्मदारा प० तं० खंती मुत्ती अजवे मद्दवे ॥ ४७१ ॥ चउहिं ठाणेहि जीवा णेरइयत्ताए कम्मं पगरेंति तं महारंभयाए, महापरिग्गयाए पंचिंदियवहेणं कुणिमाहारेणं, चउहि ठाणेहिं जीवा तिरिक्खजोणियत्ताए कम्मं पगरेंति तं० माइल्लयाए नियडिल्ल्याए अलियवयणेणं कूडतुलकूडमाणेणं, चउहिं ठाणेहिं जीवा मणुरसत्ताए कम्मं पगरेंति तं० पगइभद्दयाए पगइविणीययाए साणुक्कोसयाए अमच्छरियाए । चउहिं ठाणेहिं जीवा देवाउयत्ताए कम्मं पगरेंति तं० सरागसंजमेणं संजमासंजमेणं वालतवोकम्मेणं अकामणिजराए ॥४७२॥ चउव्विहे वजे पतं० तते वितते घणे झुसिरे, चउव्विहे णट्टे प。तं० अंचिए रिभिए आरभडे भिसोले, चउव्विहे गेये प० तं० उक्खित्तए पत्तए मंदए रोविंदए, चडव्विहे मल्ले प० तं० गंथिमे वेढिमे पूरिमे संघाइमे चउन्त्रिहे अलंकारे प० तं० 'केसालंकारे वत्थालंकारे मल्लालंकारे आभरणालंकारे, चउन्विहे अभिणए प० तं० दिठ्ठेतिए पाउंसुए सामंतोवायणिए लोगमव्भावसिए ॥ ४७३ ॥ सणकुमारमाहिंदेसु णं कप्पेसु विमाणा चउवण्णा प० तं ० णीला लोहिया हालिद्दा सुकिल्ला | महासुक्क सहस्सारेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिजा सरीरगा उक्कोसेणं चत्तारि रयणीओ उ उच्चत्तेणं पण्णत्ता ॥ ४७४ ॥ चत्तारि उद्गगब्भा प० तं० उस्सा महिया सीया उसिणा, चत्तारि उदगगव्भा प० तं० हेमगा अब्भसंथडा सीओसिणा पंचरूविया माहे उ हेमगा गव्भा फग्गुणे अब्भसंथडा, सीओसिणा उ चित्ते, वइसाहे पंचरुविया (१) चत्तारि माणुस्सीगब्भा प० तं इत्थित्ताए पुरिसत्ताए णपुंसगत्ताए विवत्ताए अप्पं सुकं बहुं ओयं इत्थी तत्थ पजायइ, अप्पं ओर्यं Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भ०५ उ०१] सुचागमे बहुं सुकं पुरिसो नत्थ पजायइ (१) दोन्हं पि रत्तसुक्काणं, तुल्लभावे नपुंसओ; इत्थीओतसमाओगे, विवं तत्थ पजायइ (२)॥ ४७५ ॥ उप्पायपुव्वस्स णं चत्तारि चूलियावत्थू प०, चउब्विहे कव्वे प० गज्जे पजे कत्थे गेए ॥४७६॥ गेरइयाणं चत्तारि समुग्घाया प० तं० वेयणासमुग्धाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउब्वियसमुग्घाए एवं वाउकाइयाणवि ॥ ४७७ ॥ अरहओ णं अरिठ्ठनेमिस्स चत्तारि सया चोद्दसपुवीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सव्वक्खरसंनिवाईणं जिणो इव अवितहवागरमाणाणं उक्नोसिया चोद्दसपुल्विसंपया होत्था, समणस्स णं भगवओ महावीरस्स चत्तारि सया वाईणं सदेवमणुयासुराए परिसाए अपराजियाणं उक्कोसिया वाइसंपया होत्था ॥ ४७८ ॥ हेछिल्ला चत्तारि कप्पा अद्धचंदसंठाणसंठिया प० तं० सोहम्मे ईसाणे सणकुमारे माहिदे, मज्झिला चत्तारि कप्पा पडिपुण्णचंदसंठाणसंठिया प० त० बंभलोगे लंतए महासुक्के सहस्सारे, उवरिल्ला चत्तारि कप्पा अद्धचंदसंठाणसंठिया प० तं० आणए पाणए आरणे अच्चुए ॥ ४७९ ॥ चत्तारि समुद्दा पत्तेयरसा प० तं० लवणोदए वरुणोदए खीरोदए घओदए, चत्तारि आवत्ता प० तं० खरावत्ते उन्नयावत्ते गूढावत्ते आमिसावत्ते, एवामेव चत्तारि कसाया पतं० खरावत्तसमाणे कोहे उन्नयावत्तसमाणे माणे, गूढावत्तसमाणा माया, आमिसावत्तसमाणे लोभे । खरावत्तसमाणं कोहमणुपविठे जीवे कालं करेइ णेरइएसु उववजइ, उन्नयावत्तसमाणं माणं एवं चेव गूढावत्तसमाणं मायमेवं चेव आमिसावत्तसमाणं लोभं अणुपविठे जीवे कालं करेइ रइएसु उववजइ ॥ ४८०॥ अणुराहा णक्खत्ते चउतारे प० पुव्वासाढे एवं चेव । उत्तरासाढे एवं चेव ।। ४८१॥ जीवा णं चउठाणनिव्वत्तिए पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा तं० जेरइयणिव्वत्तिए तिरिक्खजोणियणिव्वत्तिए मणुस्सणिव्वत्तिए देवणिव्वत्तिए। एवं उवचिणिंसु वा उवचिणंति वा उवचिणिस्संति वा एवं चिणउवचिणवंधोदीरवेय तह णिजरा चेव ॥ ४८२ ॥ चउप्पएसिया खंधा अणंता प० चउप्पएसोगाढा पोग्गला अणंता प० चउसमयठिईया पोग्गला अणंता प० चउगुणकालगा पोग्गला अगंता जाव चउगुणलुक्खा पोग्गला अगंता प० ॥४८३ ॥ चउठाणस्स चउत्थोद्देसो समत्तो ॥ चउठाणं समत्तं ॥ पंचमहाणं पंचमहत्वया प० तं० सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं, सव्वाओ मुसावायाओ वेरमणं, सव्वाओ अदिन्नादाणाओ वेरमणं, सव्वाओ मेहुणाओ वेरमणं, सव्वाओ परिग्गहाओ वेरमणं, पंचाणुव्वया प० तं० थूलाओ पाणाइवायाओ वेरमणं, थूलाओ मुसावायाओ वेरमणं, थूलाओ अदिन्नादाणाओ वेरमणं, थूलाओ Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [गणे २५६ मेहुणाओ वेरमगं (सदारसंतोसे ), इच्छापरिमाणे ॥ ४८४ ॥ पंच वण्णा प० त० किण्हा नीला लोहिया हालिद्दा सुकिल्ला, पंचरला प० तं० तित्ता कडुया कसाया अंबिला महुरा, पंचकामगुणा प० तं० सद्दा रूवा गंधा रसा फासा, पंचहिं ठाणेहिं जीवा सज्जति तं० सद्देहिं जाव फासेहिं, एवं रजति मुच्छंति गिज्झति अज्झोववज्जति, पंचहिं ठाणेहिं जीवा विणिघायमावर्जति तं० सद्देहिं जाव फासेहिं, पंच ठाणा अपरिणाया जीवाणं अहियाए असुभाए अखमाए अणिस्सेयसाए अणाणुगामियत्ताए भवंति तं० सद्दा जाव फासा, पंचठाणा सुपरिणाया जीवाणं हियाए सुभाए जाव आणुगामियत्ताए भवंति तं० सदा जाव फासा, पंच ठाणा अपरिण्णाया जीवाणं दुग्गइगमणाए भवंति तं० सदा जाव फासा, पंचठाणा परिण्णाया जीवाणं सुगइगमणाए भवंति तं० सदा जाव फासा ।। ४८५॥ पंचहिं ठाणेहिं जीवा दुग्गइं गच्छंति तं० पाणाइवाएणं जाव परिग्गहेणं, पंचहिं ठाणेहिं जीवा सोगई गच्छंति तं० पाणाइवायवेरमणेगं जाव परिग्गहवेरमणेणं ॥ ४८६ ।। पंच पडिमाओ प० तं० भद्दा सुभद्दा महाभद्दा सवओभद्दा भद्दुत्तरपडिमा ॥ ४८७ ॥ पंच थावरकाया प० तं० इंदे थावरकाए विबे थावरकाए सिप्पे थावरकाए संमई थावरकाए पायावच्चे थावरकाए, पंच थावरकायाहिवई प० तं० इंदे थावरकायाहिवई, जाव पायावच्चे थावरकायाहिवई ॥ ४८८ ॥ पंचहिं ठाणेहिं ओहिदंसणे समुप्पजिउकामेवि तप्पडमयाए खंभाएजा तं० अप्पभूयं वा पुढविं पासित्ता तप्पडमयाए खंभाएजा, कुंथुरासिभूयं वा पुढविं पासित्ता तप्पढमयाए खंभाएज्जा, महइमहालयं वा महोरगसरीरं पासित्ता तप्पढमयाए खंभाएजा, देवं वा महिड्डियं जाव महेसक्खं पासित्ता तप्पढमयाए खंभाएजा, पुरेसु वा पोराणाई महइमहालयाई महाणिहाणाइं पहीणसामियाई पहीणसेउयाइं पहीणगुत्तागाराइं उच्छिण्णसामियाइं उच्छिण्णसेउयाई उच्छिण्णगुत्तागाराइं जाई इमाई गामागरणगरखेडकब्बडमंडवदोणमुहपट्टणासमसंवाहसंनिवेसेसु सिंघाडगतिगचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु णगरणिद्धमणेसु सुसाणसुण्णागारगिरिकंदरसंतिसेलोवठ्ठावणभवणगिहेसु संनिक्खित्ताई चिठ्ठति ताई वा पासित्ता तप्पढमयाए खंभाएजा, इच्चेएहि पंचहिं ठाणेहिं ओहिदसणे समुप्पजिउकामे तप्पढमयाए खंभाएजा॥४८९॥ पंचहि ठाणेहिं केवलवरनाणदंसणे समुप्पजिउकामे तप्पढमयाए णो खंभाएजा तं० अप्पभूयं वा पुढवि पासित्ता तप्पढमयाए णो खंभाएजा सेसं तहेव जाव भवणगिहसु संनिक्खित्ताई चिठ्ठति ताई वा पासित्ता तप्पटमयाए णो खंभाएजा, सेसं तहेव, इनाएहिं पंचहिं ठाणेहिं जाव णो खंभाएजा॥ ४९० ॥णेरइयाणं सरीरगा पंचवण्णा Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म. ५ उ०० सुत्तागसे ર૭ पंचरसा प० तं० किण्हा जाव सुकिला तित्ता जाव मधुरा, एवं निरंतरं जाव वेमाणियाणं ॥ ४९१ ॥ पंच सरीरगा प० तं० ओरालिए वेउविए आहारए तेयए कम्मए, ओरालियसरीरे पंचवण्णे पंचरसे प० तं० किण्हे जाव सुकिल्ले, तित्ते जाव महुरे, एवं जाव कम्मगसरीरे, सव्वे विणं वादरवोंदिधरा कलेवरा पंचवण्णा पंचरसा दुगंधा अठ्ठफासा ॥ ४९२ ॥ पंचहि ठाणेहिं पुरिमपच्छिमगाणं जिणाणं दुग्गम भवइ तं० दुआइक्खं दुविभजं दुपस्सं दुतितिक्खं दुरणुचरं। पंचहिं ठाणेहिं मज्झिमगाणं जिणाणं सुगम भवइ तं० सुआइक्खं सुविभजं सुपस्सं सुतितिक्खं सुरणुचरं ।। ४९३ ॥ पंचठाणाई समणेणं भगवया महावीरेणं समणाणं निग्गंथाणं णिचं वणियाई णिच्चं कित्तियाई णिचं वुइयाई णिचं पसत्थाई णिञ्चमब्भणुण्णायाइं भवंति तं० खंती मुत्ती अजवे मद्दवे लाघवे, पंचठाणाइं समणाणं जाव अभणुण्णायाइं भवंति तं० सच्चे संजमे तवे चियाए वंभचेरवासे ॥ ४९४ ॥ पंचठागाइं समणाणं जाव अभणुण्णायाई भवंति तं० उक्वित्तचरए णिक्खित्तचरए अंतचरए पंतचरए लूहचरए, पंचठाणाइं जाव अब्भणुण्णायाई भवंति तं० अन्नायचरए अन्नवेलचरए मोणचरए संसठ्ठकप्पिए तज्जायसंसठ्ठकप्पिए, पंचठाणाई जाव अब्भणुण्णायाइं भवंति तं० उवनिहिए सुद्धसणिए संखादत्तिए 'दिठ्ठलाभिए पुठुलाभिए, पंचठाणाइं जाव अब्भणुण्णायाइं भवंति तं० आयंबिलिए निम्वियए पुरिमडिए परिमियपिंडवाइए भिन्नपिंडवाइए, पंचठाणाइं जाव अन्भणुण्णायाई भवंति तं० अरसाहारे विरसाहारे अंताहारे पंताहारे लूहाहारे, पंचठाणाइं जाव भवंति तं० अरसजीवी विरसजीवी अंतजीवी पंतजीवी लूहजीवी, पंचठाणाई जाव भवंति तंजहा-ठाणाइए उक्कुडआसणिए पडिमठाई वीरासणिए णेसज्जिए, पंचठाणाई जाव भवंति तं० दंडायइए लगंडसाई आयावए अवाउडए अकंडयए ॥ ४९५ ॥ पंचहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंथे महानिजरे महापज्जवसाणे भवइ तं० अगिलाए आयरियवेयावच्चं करेमाणे एवं उवज्झायवेयावच्चं थेरवेयावच्चं तवस्सिवेयावचं गिलाणवेयावच्चं करेमाणे, पंचहि ठाणेहिं समणे णिग्गंथे महानिजरे महापज्जवसाणे भवइ तं० अगिलाए सेहवेयावच्चं करेमाणे, अगिलाए कुलवेयावच्चं करेमाणे, अगिलाए गणवेयावच्चं करेमाणे, अगिलाए संघवेयावच्चं करेमाणे, अगिलाए साहम्मियवेयावच्चं करेमाणे ॥ ४९६ ॥ पंचहि ठाणेहि समणे निरगंथे साहम्मियं संभोइयं विसंभोइयं करेमाणे णाइकमइ तं० सकिरियठाणं पडिसेवित्ता भवति पडिसेवित्ता णो आलोएइ आलोएत्ता णो पठुवेइ पठ्ठवेत्ता णो णिव्विसइ जाई इमाइं थेराणं ठिइप्पकप्पाइं भवंति ताई अइयंचिय २ पडिसेवेइ से हंद हं पडिसेवामि १७ सुत्ता Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०१८ सुत्तागमे [ठाणे कि मे थेरा करिस्संति ? पंचहिं ठाणेहिं समणे निग्गंथे साहम्मियं पारंचियं करेमाणे णाइक्कमइ तं०सकुले वसइ कुलस्स भेयाए अब्भुठेत्ता भवइ, गणे वसइ गणस्स भेयाए अब्भुठेत्ता भवइ हिंसप्पेही छिद्दप्पेही अभिक्खणं अभिक्खणं पसिणायतणाइं पउंजित्ता भवइ, आयरियउवज्झायस्स णं गणंसि पंचवुग्गहठ्ठाणा प० तं० आयरियउवज्झाए णं गणंसि आणं वा धारणं वा नो सम्मं पउंजित्ता भवइ, आयरियउवज्झाए णं गणंसि आहाराइणियाए किइकम्मं णो सम्मं पउंजित्ता भवइ, आयरियउवज्झाए णं गणंसि जे सुयपजवजाए धारेन्ति ते काले २ णो सम्ममणुप्पवाएत्ता भवइ, आयरियउवज्झाए णं गणसिं गिलाणसेहवेयावचं णो सम्ममन्मुठेत्ता भवइ, आयरियउवज्झाए णं गणंसि अणापुच्छियचारी यावि भवइ, णो आपुच्छियचारी, आयरियउवज्झायस्स णं गणंसि पंच अबुग्गहठ्ठाणा पतं० आयरियउवज्झाए णं गणंसि आणं वा धारणं वा सम्म पउंजित्ता भवइ एवमहाराइणियाए सम्मं किइकम्मं पउंजित्ता भवइ, आयरियउवज्झाए शंगणंसि जे सुयपजवजाए धारेन्ति ते काले २ सम्ममणुपवाइत्ता एवं गिलाणसेहवेयावचं सम्मं अब्भुट्टित्ता भवइ, आयरियउवज्झाए णं गणसि आपुच्छियचारी यावि भवइ, णो अणापुच्छियचारी ॥४९॥ पंच निसिजाओ प० तं० उकुडया गोदोहिया समपायपुया पलियंका अद्धपलियंका।।४९८॥ पंच अजवठाणा प०तं० साहुअज्जवं साहुमद्दवं साहुलाघवं साहुखंती साहुमुत्ती ॥४९९॥ पंच विहा जोइसिया प० तं० चंदा सूरा गहा णक्खत्ता ताराओ॥ ५०० ॥ पंच विहा देवा प० तं० भवियव्वदेवा गरदेवा धम्मदेवा देवाइदेवा भावदेवा ॥ ५०१॥ पंचविहा परियारणा प० तं. कायपरियारणा फासपरियारणा रूवपरियारणा सहपरियारणा मणपरियारणा ॥ ५०२ ॥ चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो पंच अग्गमहिसीओ प० तं० काली राई रयणी विजू मेहा, वलिस्स णं वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो पंच अग्गमहिंसीओ प० तं० सुभा णिसुभा रंभा णिरंभा मयणा ॥५०३॥ चमरस्स णं असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो पंच संगामिया अणिया पंच संगामिया अणियाहिवई प० तं० पायत्ताणिए पीढाणिए कुंजराणिए महिंसाणिए रहाणिए, दुमे पायत्ताणियाहिवई सोदामे आसराया पीढाणियाहिवई कुंथू हत्थिराया कुंजराणियाहिवई लोहियक्खे महिसाणियाहिवई किण्णरे रहाणियाहिवई, बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो पंच संगामिया अणिया पंच संगामिया अणियाहिंवई प० तं० पायत्ताणिए जाव रहाणिए, महादुमे पायत्ताणियाहिवई महासोदामे आसराया पीढाणियाहिवई मालंकारे हत्थिराया कुंजराणियाहिवई महालोहिअक्खे महिसाणियाहिवई किंपुरिसे रहाणियाहिवई, धरणिदस्स णं णागिंदस्स नागकुमाररण्णो पंच संगामिया अणिया Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [०५३०१ ] सुत्तागमे २५९ पंच संगामिया अणियाहिवई प० तं० पायत्ताणिए जाव रहाणिए भद्दसेणे पायत्ताणियाहिवई जसोधरे आसराया पीढाणियाहिवई मुदंसणे हत्थिराया कुंजराणियाहिवई नीलकंठे महिसाणियाहिवई आणंदे रहाणिया हिवई । भूयाणंदस्स नागकुमारिंदरस नागकुमाररनो पंच संगामिया अणिया पंच संगामिया अणियाहिवई प० तं० पायत्ताणिए जाव रहाणिए, दक्खे पायत्ताणियाहिवई सुग्गीवे आसराया पीढाणियाहिवई सुविक्कमे हत्थराया कुंजराणियाहिवई सेयकंठे महिसाणियाहिवई दुत्तरे रहाणियाहिवई वेणुदेवस्स णं सुवणिदस्स सुवन्नकुमाररन्नो पंच संगामिया अणिया पंच संगामिया अणियाहिवई प० तं० पायत्ताणिए एवं जहा धरणस्स तहा वेणुदेवस्स वि । वेणुदालियस्य जहा भूयाणंदस्स, जहा धरणस्स तहा सव्वेसिं दाहिणिल्लाणं जाव घोसस्स जहा भूयानंदस्स तहा सव्वेसिं उत्तरिलाणं जाव महाघोसस्स, सक्कस्स णं देविंदरस देवरन्नो पंच संगामिया अणिया पंच संगामिया अणियाहिवई प०त० पायताणिए जाव उसभाणिए हरिणेगमेसी पायत्ताणियाहिवई वाऊ आसराया पीढाणियाहिवई एरावणे हत्थराया कुंजराणियाहिवई दामड्डी उसभाणियाहिवई माढरे रहाणियाहिवई ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो पंच संगामिया अणिया जाव पायत्ताणिए पीढाणिए कुंजराणिए उसभाणिए रहाणिए, लहुपरक्कमे पायत्ताणियाहिवई महावाऊ आसराया पीढाणियाहिवई पुप्फदंते हत्थिराया कुंजराणियाहिवई महादामड्डी उसभाणियाहिवई महामाढरे रहाणियाहिवई जहा सक्कस्स तहा सव्वेसिं दाहिणिल्लाणं जाव आरणस्स जहा ईसाणस्स तहा सव्वेसिं उत्तरिल्लाणं जाव अच्चुयस्स । सक्कस्स णं देविदस्स देवरन्नो अभितरपरिसाए देवाणं पंच पलिओवमाई ठिई प० ईसाणस्स णं देविंदस्स, देवरन्नो अभितरपरिसाए देवीणं पंच पओिवमाई ठिई प० ॥ ५०४ ॥ पंच विहा पडिहा प० तं० गइपडिहा ठिइपडिहा वंधणपडिहा भोगपडिहा बलवीरियपुरिसक्कारपरक्कमपडिहा ॥ ५०५ ॥ पंचविहे आजीवे प० तं० जाइआजीवे कुलाजीवे कम्माजीवे सिप्पाजीवे लिंगाजीवे ॥ ५०६ ॥ पंच रायककुहा प० तं० खग्गं छत्तं उप्फेसं उवाहणाओ वालवीयणी ॥ ५०७ ॥ पंचहिं ठाणेहिं छउमत्थे णं उदिष्णे परिसहोवसग्गे सम्मं सहेजा खमेजा तितिक्खेजा अहियासेज्जा तं ० उदिन्नकम्मे खलु अयं पुरिसे उम्मत्तगभूए तेण मे एस पुरिसे अक्कोसए वा अवहसइ वा णिच्छोढेइ वा णिन्भच्छेइ वा वंधइ वा रुंबइ वा छविच्छेयं करेइ वा पमारं वा णेइ उद्दवेइ वा वत्थं वा पडिग्गहं वा कंवलं वा पायपुच्छणमच्छिंदइ वा विच्छिंदइ वा भिंदइ वा अवहरड़ वा जक्खाइठे खलु अयं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे अक्कोसइ वा तव जाव अवहरइ वा ममं च णं तब्भववेयणिज्जे कम्मे उदिने भवइ तेण मे एस Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६० [ठाणे सुत्तागमे पुरिसे अकोसइ वा जाव अवहरइ वा ममं च णं सम्मं असहमाणस्स अखममाणस्स अतितिक्खमाणस्स अणहियासेमाणस्स किं मन्ने कज्जइ ? एगंतसो मे पावे कम्मे कजइ ममं च णं सम्मं सहमाणस्स जाव अहियासेमाणस्स कि भन्ने कज्जइ ? एगंतसो मे निजरा कज्जइ इच्चेएहिं पंचहिं ठाणेहिं छउमत्थे उदिने परिसहोवसरगे सम्मं सहेजा जाव अहियासेज्जा ॥ ५०८ ॥ पंचहिं ठाणेहिं केवली उदिन्ने परिसहोवसग्गे सम्म सहेजा जाव अहियासेज्जा तं० खित्तचित्ते खलु अयं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे अक्कोसइ वा तहेव जाव अवहरइ वा दित्तचित्ते खलु अयं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे जाव अवहरइ वा जक्खाइठे खलु अयं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे जाव अवहरइ वा ममं च णं तब्भववेयणिज्जे कम्मे उदिन्ने भवइ तेण मे एस पुरिसे जाव अवहरइ वा ममं च णं सम्मं सहमाणं खममाणं तितिक्खमाणं अहियासेमाणं पासित्ता बहवे अन्ने छउमत्था समणा निग्गंथा उदिन्ने परिसहोवसग्गे एवं सम्म सहिस्संति जाव अहियासिस्संति इच्चएहिं पंचहिं ठाणेहिं केवली उदिन्ने परिसहोवसग्गे सम्मं सहेजा जाव अहियासेज्जा ।। ५०९ ॥ पंच हेऊ प० तं० हेउं न जाणइ हेउं न पासति हेउं ण वुज्झइ हेउं नाभिगच्छइ हेउमण्णाणमरणं मरइ, पंच हेऊ प० त० हेउणा ण जाणइ जाव हेउणा अण्णाणमरणं मरइ, पंच हेऊ प० तं० हेउं जाणइ जाव हेउं छउमत्थमरणं मरइ, पंच हेऊ प० तं० हेउणा जाणइ जाव हेउणा छउमत्यमरणं मरइ, पंच अहेऊ प० तं० अहेउं न जाणइ जाव अहेउं छउमत्थमरणं मरइ, पंच अहेऊ प० तं० अहेउणा न जाणइ जाव अहेउणा छउमत्थमरणं मरइ, पंच अहेऊ प० तं० अहेउं जाणइ जाव अहेउं केवलिमरणं मरइ, पंच अहेऊ प० तं० अहेउणा ण जाणइ जाव अहेउणा केवलिमरणं मरइ ॥५१०॥ केवलिस्ल णं पंच अणुत्तरा प० तं० अणुत्तरे जाणे अणुत्तरे दसणे अणुत्तरे चरित्ते अणुत्तरे तवे अणुत्तरे वीरिए ॥ ५११ ॥ पउमप्पहे णं अरहा पंच चित्ते होत्था तं० चित्ताहिं चुए चइत्ता गन्भं वकंते चित्ताहि जाए चित्ताहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पन्वइए चित्ताहिं अणंते अणुत्तरे णिव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुन्ने केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने चित्ताहिं परिनिव्वुए। पुप्फदंते णं अरहा पंच मूले होत्था मूलेणं चुए चइत्ता गम्भं वकंते, एवं चेव एएणं अभिलावेणं इमाओ गाहाओ अणुगंतव्वाओ ॥ पउमप्पभस्स चित्ता मूले पुण होइ पुप्फदंतस्स; पुव्वाइं आसाढा सीयलस्सुत्तर विमलस्स भद्दवया (१)- रेवइया अणंतजिणो पूसो धम्मस्स संतिणो भरणी, कुंथुस्स कत्तियाओ अरस्स तह रेवईओ य (२) मुणिसुव्वयस्स सवणों आसिणि नमिणो य नेमिणो चित्ता, पासस्स विसाहाओ पंच य हत्थुत्तरे वीरो (३) सेसं जहा आयारे ॥ ५१२ ॥ पंचमठाणस्ल पढमोद्देसो समत्तो ॥ Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म०५ उ०२] सुत्तागमे २६१ नों कप्पइ निग्गंथाणं वा, निग्गथीणं वा इमाओ उद्दिष्ठाओ गणियाओ वियंजियाओ पंच महण्गवाओ महागईओ अंतो मासस्स दुखुत्तो वा, तिक्खुत्तो वा, उत्तरित्तए वा संतरित्तए वा तं० गंगा जउणा सरऊ एरावई मही, पंचहिं ठाणेहिं कप्पइ तं० भयसि वा, दुभिक्खंसि वा, पव्वहेज व णं कोई उदयोघंसि वा एजमाणंसि, महता वा अणारिएहि, णो कप्पइ णिग्गंथाणं वा णिग्गंधीणं वा पढमपाउसंसि गामाणुगामं दूइजित्तए, पंचहिं ठाणेहिं कप्पइ तं० भयंसि वा दुभिक्खंसि वा जाव महता वा अणारिएहि, वासावासं पज्जोसवियाणं णो कप्पइ णिग्गंथाणं वा निग्गंधीणं वा गामाणुगामं दूइजित्तए, पंचहि ठाणेहि कप्पइ तं० णाणठ्याए दंसणठ्याए चरित्तठ्याए आयरियउवझाया वा से वीसुंभेज्जा आयरियउवज्झायाणं वा वहिया वयावच्चं करणयाए ॥ ५१३ ॥ पंच अणुग्धाइमा प० तं० हत्थकम्मं करेमाणे मेहुणं पडिसेवेमाणे राइभोयणं भुंजमाणे सागारियपिंडं भुंजमाणे रायपिंडं भुंजमाणे, पंचहिं ठाणेहिं समणे निग्गंथे रायंतेउरमणुपविसमाणे नाइकमइ तं० णगरं सिया सव्वओ समंता गुत्ते गुत्तदुवारे वहवे समणा निग्गंथा णो संचाएन्ति भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा तेसिं विष्णवणठ्याए रायतेउरमणुपविसेज्जा पाडिहारियं वा पीढफलगसेज्जासंथारगं पञ्चप्पिणमाणे रायंतेउरमणुपविसेजा हयस्स वा गयस्स वा दुठुस्स आगच्छमाणस्स भीए रायंतेउरमणुपविसेज्जा परो वा गं सहसा वा वलसा वा वाहाए गहाय रायंतेउरमणुपविसेज्जा वहिया व णं आरामगयं वा उजाणगयं वा रायंतेउरजणो सव्वओ समंता संपरिक्खिवित्ता णं निविसेज्जा इच्चेएहिं पंचहिं ठाणेहि समणे निग्गंथे जाव णाइकमइ ॥५१४ ॥ पंचहिं ठाणेहिं इत्थी पुरिलेण सद्धिं असंवसमाणी वि गभं धरेजा तं० इत्थी दुम्वियडा दुन्निसन्ना सुक्कपोग्गले अहिछेजा, सुकपोग्गलसंसितु वा से वत्थे अंतो जोणीए अणुपविसेजा सयं वा सा सुक्पोग्गले अणुपविसेजा परो वा से सुक्कपोग्गले अणुपविसेज्जा सीओदगवियडेण वा से आयममाणीए सुक्कपोग्गले अणुपविसेज्जा, इच्चेएहि पंचहि ठाणेहिं जाव धरेजा, पंचहिं ठाणेहिं इत्थी पुरिसेण सद्धिं संवसमाणी वि गम्भ नो धरेजा तं० अप्पत्तजोवणा अइकंतजोवणा जाइवंझा गेलन्नपुठ्ठा दोमणसिया इच्चेएहिं पंचहि ठाणेहिं इत्थी पुरिसेण सद्धिं संवसमाणी वि गभं नो धरेजा, पंचहिं ठाणेहिं इत्थी पुरिसेण सद्धि संवसमाणी वि गभं नो धरेजा तं० निच्चोउआ अणोउआ वावन्नसोया वाविद्धसोया अणंगपडिसेविणी इच्चेएहिं पंचहिं ठाणेहिं इत्थी पुरिसेण सद्धिं संवसमाणी वि गन्भं नो धरेजा, पंचहिं ठाणेहिं इत्थी पुरिसेण सद्धिं संवसमाणी विगभं नो धरेजा तं० उदुंसि णो णिगाम Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागले [ठाणे २६२ पडिसेविणी यावि भवइ, समागया वा से सुकपोग्गला पडिविद्धसंति उदिन्ने वा से पित्तसोणिए पुरा वा देवकम्मुणा पुत्तफले वा नो निद्दिठे भवइ इच्चेएहिं जाव णो धरेजा ॥ ५१५ ॥ पंचहिं ठाणेहिं निग्गंथा निग्गंथीओ य एगयओ ठाणं वा सेज वा निसीहियं वा चेएमाणाणाइकमंति तं० अत्थेगइया निग्गंथा निग्गंथीओ य एगं महं अगामियं छिन्नावायं दीहमद्धं अडविमणुपविट्ठा तत्थेगयओ ठाणं वा सेजं वा निसीहियं वा चेएमाणा गाइकमंति अत्थेगइया णिग्गंथा २ गामंसि वा णगरंसि वा जाव रायहाणिसि वा वासं उवागया एगइया जत्थ उवस्सयं लभंति एगइया णो लभंति तत्थेगयओ ठाणं वा जाव णाइक्कमंति अत्थेगइया णिग्गंथा णिग्गंथीओ य णागकुमारावासंसि वा सुवन्नकुमारावासंसि वा वासं उवागया तत्थेगयओ ठाणं वा जाव णाइक्कमंति, आमोसगा दीसंति ते इच्छंति णिग्गंथीओ चीवरपडियाए पडिगाहेत्तए तत्थेगयओ ठाणं वा जाव णाइकमंति, जुवाणा दीसंति ते इच्छंति णिग्गंधीओ मेहुणपडियाए पडिगाहेत्तए तत्थेगयओ ठाणं वा जाव णाइक्कमंति, इच्चेएहिं पंचहि ठाणेहिं जाव णाइक्कमंति। पंचहिं ठाणेहि समणे णिग्गंथे अचेलए सचेलियाहिं णिग्गंथीहिं सद्धि संवसमाणे नाइकमइ तं० खित्तचित्ते समणे णिग्गंथे निग्गंथेहि अविजमाणेहिं अचेलओ सचेलियाहिं णिग्गंधीहिं सद्धिं संवसमाणे नाइकमइ एवमेएणं गमएणं दित्तचित्ते जक्खाइठे उम्मायपत्ते निग्गंथीपव्वावियए समणे निग्गंथेहिं अविजमाणेहिं अचेलए सचेलियाहिं निग्गंथीहिं सद्धिं संवसमाणे णाइक्कमइ ॥५१६॥ पंच आसवदारा प० तं० मिच्छत्तं अविरई पमाओ कसाया जोगा, पंच संवरदारा प० तं० सम्मत्तं विरई अपमाओ अकसाइत्तं पसत्थजोगित्तं, पंच दंडा प० तं० अट्ठादंडे अणट्ठादंडे हिंसादंडे अकम्हादंडे दिठिविपरियासियादंडे । पंच किरियाओ प० तं० आरंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अपञ्चक्खाणकिरिया मिच्छादसणवत्तिया, मिच्छदिछिनेरइयाणं पंच किरियाओ प० तं० आरंभिया जाव मिच्छादसणवत्तिया एवं सव्वेसिं निरंतरं जाव मिच्छादिठ्ठियाणं वेमाणियाणं । णवरं विगलेंदिया मिच्छादिठी न भन्नति सेसं तहेव पंच किरियाओ प० तं० काइया अहिंगरणिया पाओसिया पारियावणिया पाणाइवायकिरिया, नेरइयाणं पंच एवं चेव निरंतरं जाव वेमाणियाणं, पंच किरियाओ प० तं० आरंभिया जाव मिच्छादंसणवत्तिया णेरइयाणं पंच जाव वेमाणियाणं । पंच किरियाओ प० तं० दिठिया पुठ्ठिया पाडुच्चिया सामंतोवणिवाइया साहत्थिया एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं,पंच किरियाओ प० तं० णेसत्थिया आणवणिया वेयारणिया अणाभोगवत्तिया अणवकंखवत्तिया, एवं जाव वेमाणियाणं, पंच किरियाओ प० तं० पेजवत्तिया दोसवत्तिया पओगकिरिया समुदाणकिरिया इरियावहिया एवं मणुस्साण वि सेसाण Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे २६३ म० ५ उ० २] णत्यि ॥ ५१७ ॥ पंच विहा परिणा प० तं० उवहिपरिष्णा उवस्सयपरिना सायपरिण्णा जोगपरिना भत्तपाणपरिण्णा ॥ ५१८ ॥ पंच विहे ववहारे प० तं० आगमे सुए आणा धारणा जीए, जहा से तत्थ आगमे सिया आगमेणं ववहारं पठ्ठ. वेजा, णो से तत्थ आगमे सिया जहा से तत्थ सुए सिया सुएणं ववहारं पठ्ठवेज्जा णो से तत्थ सुए सिया एवं जाव जहा से तत्य जीए सिया जीएणं ववहारं पठ्ठवेजा इच्चएहिं पंचहिं ववहारं पठ्ठवेना, आगमेणं जाव जीएणं जहा २ से तत्थ आगमे जाव जीए तहा २ ववहारं पठ्ठवेजा से किमाहु भंते ! आगमवलिया सनणा णिग्गंथा ? इच्चेयं पंच विहं ववहारं जया जया जहिं जहिं तया तया तहिं तहिं अणिस्सिओवस्सियं सम्म ववहरमाणे समणे णिग्गंथे आणाए आराहए भवइ ।। ५१९ ॥ संजयमणुस्साणं सुत्ताणं पंच जागरा प० तं० सद्दा जाव फासा संजयमणुस्साणं जागराणं पंच सुत्ता प० तं० सदा जाव फासा असंजयमणुस्साणं सुत्ताणं वा जागराणं वा पंच जागरा प० तं० सद्दा जाव फासा ॥ ५२० ॥ पंचाहिं ठाणेहि जीवा रयं आइज्जति तं. पाणाइवाएणं जाव परिरगहेणं । पंचहिं ठाणेहिं जीवा रयं वमंति तं० पाणाइवायवेरमणेगं जाव परिग्गहवेरमणेणं । पंचमासियं णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स कप्पंति पंचदत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए पंचपाणगस्स ॥ ५२१ ॥ पंच विहे उवधाए प० तं० उग्गमोवघाए उप्पायणोवघाए एसणोवघाए परिकम्मोवघाए परिहरणोवधाए पंचविहा विसोही प० तं० उरगमविसोही उप्पायणविसोही एसणाविसोही परिकम्मविसोही परिहरणविसोही, पंचहिं ठाणेहिं जीवा दुल्लमबोहियत्ताए कम्म पगति तं० अरिहंताणमवण्णं वदमाणे अरिहंतपण्णत्तस्स धम्मस्स अवष्णं वदमाणे आयरियउवज्झायाणमवणं वदमाणे चाउवण्णस्स संघस्स अवगं वदमाणे विविकतववंभचेराणं देवाणं अवण्णं वदमाणे, पंचहि ठाणेहिं जीवा सुलभवोहियत्ताए कम्म पुगरेंति, अरिहंताणं वण्णं वदमाणे, जाव विविकतववंभचेरणं देवाणं वष्णं वदमाणे ॥ ५२२ ॥ पंच पडिसंलीणा प० तं० सोइंदियपडिसंलीणे जाव फासिंदियपडिसलीणे, पंच अपडिसंलीणा प० त० सोई-दियअपडिसलीणे जाव फासिदियअपडिसलीणे, पंच विहे संवरे प० त०सोइंदियसंवरे जाव फासिदियसंवरे पंचविहे असंवरे ५० त० सोइंदियअसंवरे जाव फासिंदियअसंवरे ।। ५२३ ॥ पंचाविहे संजमे प० तं० सामाइयसजमे छेदोवठ्ठावणियसंजमे परिहारविमुद्धियसंजमे सुहमसंपरायसंजमे अहक्खायचरित्तसंजमे, एगिदिया णं जीवा असमारंभमाणस्स पंचविहे संजमे कज्जइ तं० पुढविकाइयसंजमे जाव वणस्सइकाइयसंजमे, एगिदिया णं जीवो समारंभमाणस्स पंचविहे असंजमे Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६४ सुत्तागमे [ठाणे कज्जइ तं० पुढविकाइयअसंजमे जाव वणस्सइकाइयअसंजमे, पंचिंदिया णं जीवा असमारंभमाणस्स पंचविहे संजमे कजइ तं० सोइंदियसंजमे जाव फासिंदियसंजमे, पंचिंदिया णं जीवा समारंभमाणस्स पंचविहे असंजमे कज्जइ तं० सोइंदियअसंजमे जाव फासिंदियअसंजमे, सव्वपाणभूयजीवसत्ता णं असमारंभमाणस्स पंचविहे संजमे कजइ तं० एगिदियसंजमे जाव पंचिंदियसंजमे, सव्वपाणभूयजीवसत्ताणं समारंभमाणस्स पंचविहे असंजमे कज्जइ तं० एगिदियअसंजमे जाव पंचिंदियअसंजमे ॥५२४॥ पंच. विहा तणवणस्सइकाइया प० तं० अग्गवीया मूलवीया पोरवीया खंधवीया बीयरहा ॥ ५२५ ॥ पंचविहे आयारे प० तं० णाणायारे दंसणायारे चरित्तायारे तवायारे वीरियायारे, पंचविहे आयारपकप्पे प० तं० मासिए उग्घाइए मासिए अणुग्घाइए चउमासिए उग्घाइए चउमासिए अणुग्घाइए आरोवणा, आरोवणा पंचविहा प० तं० पछविया ठविया कसिणा अकसिणा हाडहडा ॥ ५२६ ॥ जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमे णं सीयाए महानईए उत्तरेणं पंचवक्खारपन्वया प० तं० मालवंते चित्तकूडे पम्हकूडे णलिणकूडे एगसेले, जंवूमंदरस्स पुरओ सीयाए महाणईए दाहिणेणं पंचवक्खारपव्वया प० तं० तिकूडे वेसमणकूडे अंजणे मायंजणे सोमणसे, जंबूमंदरपव्वयस्स पचत्थिमेणं सीओयाए महाणईए दाहिणेणं पंचवक्खारपव्वया प० तं० विजुप्पभे अंकावई पम्हावई आसीविसे सुहावहे, जंवूमंदरस्स पञ्चत्थिमेणं सीओयाए महाणईए उत्तरेणं पंच वक्खारपव्वया प० तं० चंदपव्वए सूरपन्वए णागपव्वए देवपव्वए गंधमायणे, जंवूमंदरस्स दाहिणेणं देवकुराए कुराए पंचमहदहा प० तं० निसहदहे देवकुरुदहे सूरदहे सुलसदहे विजुप्पहदहे, जंवूमंदरउत्तरेणं उत्तरकुराए कुराए पंचमहद्दहा प० तं० नीलवंतदहे उत्तरकुरुदहे चंददहे एरावणदहे मालवंतदहे, सव्वेवि णं वक्खारपव्वया सीयासीओयाओ महाणईओ मंदरं वा पव्वयंतेणं पंचजोयणसयाई उर्दू उच्चत्तेणं पंचगाउयसयाइं उव्वेहेणं, धायइसंडे दीवे पुरथिमद्धणं मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं सीयाए महाणईए उत्तरेणं पंचवक्खारपव्वया प० तं० मालवंते एवं जहा जंबुद्दीवे तहा जाव पोक्खरवरदीवड्नुपञ्चत्थिमद्धे वक्खारा दहा य वक्खारपव्वयाणं उच्चत्तं भाणियव्वं, समयक्खेत्ते णं पंच भरहाइं पंच एरवयाइं एवं जहा चउठाणे विइए उद्देसे तहा एत्थवि भाणियव्वं जाव पंच मंदरा पंचमंदरचूलियाओ णवरं उसुयारा णत्थि ॥ ५२७ ॥ उसभे णं अरहा कोसलिए पंचधणुसयाई उई उच्चत्तेणं होत्या भरहे' णं राया चाउरंतचकवट्टी पंचधणुसयाई उई उच्चत्तणं होत्था बाहुबली णं मणगारे एवं चेव । वभी णं अजा एवं चेव एवं सुंदरीवि, पंचहिं ठाणेहिं सुत्ते वि Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे म. ५ उ०३] २६५ बुझेजा तं० सद्देणं फासेणं भोयणपरिणामेणं णिहक्खएणं मुविणदसणेणं, पंचर्हि ठाणेहिं समणे णिग्गंथे णिग्गथिं गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा णाइक्कमइ तं० णिग्गथिं च णं अन्नयरे पसुजाइए वा पक्खीजाइए वा ओहाएजा तत्य णिग्गंथे णिगंथिं गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा णाइकमइ णिग्गंथे णिग्गंथि दुग्गसि वा विसमंसि वा पक्खलमाणि वा पवडमाणि वा गेण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा णाइकमइ णिग्गंथे णिग्गंथिं सेग्रंसि वा पंकसि वा पणगंसि वा उदगंसि वा उकस्समाथि वा उबुज्झमाणि वा गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा णाइकमइ णिग्गंथे णिगंथि णावं आरहमाणे वा ओल्हमाणे वा णाइक्कमइ खित्तइत्तं दित्तइत्तं जक्खाइट्ठ उम्मायपत्तं उवसरगपत्तं साहिंगरणं सपायच्छित्तं जाव भत्तपाणपडियाइक्खियं अठ्ठजायं वा निग्गंथे णिग्गंथि गिण्हमाणे वा अवलंवमाणे वा णाइक्कमइ ॥ ५२८ ॥ आयरियउवज्झायस्स गं गणंसि पंच अतिसेसा प० तं० आयरियउवज्झाए अंतोउवस्सयस्स पाए निगिज्झिय २ पप्फोडेमाणे वा पमज्जेमाणे वा णाइक्कमइ आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सयस्स उच्चारपासवणं विगिचमाणे वा विसोहेमाणे वा गाइकमइ आयरियउवज्झाए पभू इच्छा वेयावडियं करेजा इच्छा णो करेजा आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सयस्स एगराई वा दुराइं वा एगागी वसमाणे णाइकमइ । आयरियउवज्झाए वाहिं उवस्सयस्स एगराई वा दुराइं वा वसमाणे णाइकमइ । पंचहिं ठाणेहिं आयरियउवज्झायस्स गणावकमणे प० तं० आयरियउवज्झाए गणंसि आणं वा धारणं वा नो सम्मं परंजित्ता भवइ, आयरियउवज्याए गणंसि अहारायणियाए किइकम्मं वेणइयं नो सम्मं पउंजित्ता भवइ, आयरियउवज्झाए गणंसि जे सुयपज्जवजाए धारिंति ते काले णो सम्ममणुपवादेत्ता भवइ, आयरियउवज्झाए गणंसि सगणियाए वा परगणियाए वा निग्गंथीए वहिल्लेसे भवइ, मित्ते णाइगणे वा से गणाओ अवक्कमेजा तेसिं संगहोवग्गहठ्ठयाए गणावकमणे पण्णत्ते । पंच विहा इड्डिमंता मणुस्सा प० तं० अरहंता चकवट्टी वलदेवा वासुदेवा भावियप्पाणो अणगारा ।। ५२९ ॥ पंचमठाणस्स बिइओ उद्देसो समत्तो।। __ पंच अत्थिकाया प० तं० धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्यिकाए जीवत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए धम्मत्थिकाए अवन्ने अगंधे अरसे अफासे अस्वी अजीवे सासए अवठिए लोगदव्वे से समासओ पंचविहे प० तं० व्वओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ दवओ गं धम्मत्थिकाए एग दव्वं खेत्तओ लोगपमाणमेत्ते कालओ ण कयाइ णासी न कयाइ न भवइ न कयाइ न भविस्सइत्ति भुवि भवइ य भविस्सइ य धुवे णितिए सासए अक्खए अन्वए अवठिए णिच्चे, भावतो अवन्ने Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ठाणे २६६ अगंधे अरसे अफासे, गुणओ गमणगुणे य (१) अधम्मत्यिकाए अवन्ने एवं चेव नवरं गुणओ ठाणगुणे (२) आगासत्थिकाए अवन्ने एवं चेव णवरं खेत्तओ लोगालोगप्पमाणमित्ते गुणओ अवगाहणागुणे सेसं तं चेव (३) जीवस्थिकाए णं अवन्ने एवं चेव णवरं दव्वओणं जीवत्थिकाए अणंताई दव्वाइं, अस्वी जीवे सासए, गुणओ उवओगगुणे, सेसं तं चेव (४) पोग्गलत्थिकाए पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे अठ्ठफासे रूवी अजीवे सासए अवठ्ठिए जाव दव्वओ णं पोग्गलत्यिकाए अणंताई दव्वाई, खेत्तओ लोगपमाणमेत्ते, कालओ ण कयाइ णासी जाव णिचे भावओ वण्णमंते गंधमंते रसमंते फासमंते, गुणओ गहणगुणे ॥ ५३० ॥ पंच गईओ प० तं० निरयगई तिरियगई मणुयगई देवगई सिद्धिगई। पंच इंदियत्था प० तं० सोइं. दियत्थे जाव फासिदियत्थे पंच मुंडा प० तं०-सोइंदियमुंडे जाव फासिदियमुंडे, अहवा पंच मुंडा प० तं० कोहमुंडे, माणमुंडे, मायामुंडे, लोभमुंडे, सिरमुंडे ॥५३१ ॥ अहे लोगे णं पंच वायरा प० तं० पुढविकाइया आउ० वाउ० वणस्सइकाइया उराला तसा पाणा ॥ उद्दलोगे णं पंच वायरा, एए चेव, तिरियलोगे गं पंच वायरा प० तं० एगिदिया जाव पंचिदिया। पंच विहा वादरतेउकाइया प० तं० इंगाले जाला मुम्मुरे अच्ची अलाए, बादवाउकाइया पंचविहा प० तं० पाईणवाए पडीणवाए उदीगवाए दाहिणवाए विदिसिवाए पंचविहा अचित्ता वाडकाइया प० तं० अकंते धंते पीलिए सरीराणुगए संमुच्छिमे ॥ ५३२ ॥ पंच नियंठा प० तं० पुलाए बउसे कुसीले नियंठे सिणाए । धुलाए पंच विहे प० तं. गाणपुलाए दंसणपुलाए चरित्तपुलाए लिगपुलाए अहासहुमपुलाए नामं पंचमे । बउसे पंचविहे प० तं० आभोगबउसे अणाभोगवउसे संवुडवउसे असंवुडवउसे अहासुहुमवउसे णामं पंचमे । कुसीले पंचविहे प० तं० णाणकुसीले दंसणकुसीले चरित्तकुसीले लिंगकुसीले अहासुहुमकुसीले णामं पंचमे । नियंठे पंचविहे प० तं० पढमसमयनियंठे अपढमसमयनियंठे चरिमसमयनियंठे अचरिमसमयनियंठे अहासहुमनियंठे णामं पंचमे। लिणाए पंच विहे प० त० अच्छवी असबले अकमंसे संसुद्धणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली अपरिस्सावी ॥ ५३३ ॥ कप्पइ निगंथाणं वा निग्गंथीगं वा पंचवत्थाई धारेत्तए वा परिहरित्तए वा तं० जंगिए खोमिए साणए पोत्तिए तिरीडपट्टए णामं पंचमए। कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पंच रयहरणाइं धारित्तए वा परिहरित्तए वा, तंजहा-उण्णिए उट्टिए साणए पञ्चापिचियए मुंजापिच्चिए णामं पंचमे ॥ ५३४ ॥ धम्मं चरसाणस्ल पंच निस्साटाणा प० तं० छकाए गणो राया गिहवई सरीरं । पंच णिही प० तं० Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कार्य जीव असरीरपाल पासइ तं० धम्माथि पचठाणाई छउमा म०५ उ०३] सुत्तागसे २६७ पुत्तणिही मित्तणिही सिप्पणिही धणणिही धन्नणिही पंचविहे सोए प० तं० पुढविसोए आउसोए तेउसोए मंतसोए बंभसोए, पंचठाणाई छउमत्थे सव्वभावेणं ण जाणइण पासइ तं० धम्मस्थिकायं अधम्मत्थिकायं आगासत्थिकायं जीवं असरीरपडिवद्धं परमाणुपोग्गलं, एयाणि चेव उप्पण्णणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली सव्वभावेणं जाणइ पासइ धम्मत्थिकायं जाव परमाणुपोग्गलं । अहे लोगे णं पंच अणुत्तरा महइमहालया महाणिरया प० तं० काले महाकाले रोरुए महारोरुए अप्पइठाणे, उड्डलोगे णं पंच अणुत्तरा महइमहालया महाविमाणा प० तं० विजये वेजयंते जयंते अपराजिए सव्वठ्ठसिद्धे ॥ ५३५ ॥ पंच पुरिसजाया प० तं० हिरिसत्ते हिरिमणसत्ते चलसत्ते थिरसत्ते उदयणसत्ते पंच मच्छा प० त० अणुसोयचारी पडिसोयचारी अंतचारी मज्झचारी सव्वचारी, एवामेव पंच मिक्खागा प० तं० अणुसोयचारी जाव सव्वसोयचारी पंच वणीमगा प० तं० अतिहिवणीमए किवणवणीमए माहणवणीमए साणवणीमए समणवणीमए । पंचहिं ठाणेहिं अचेलए पसत्थे भवइ तं० अप्पा पडिलेहा लापविए पसत्थे रूवेवेसासिए तवे अणुण्णाए विउले इंदियनिग्गहे पंच उकला प० तं० दंडुक्कले रज्जुकले तेणुक्कले देसुक्कले सव्वुक्कले पंच समिईओ प० तं० इरियासमिई भासा जाव पारिठावणियासमिई ॥ ५३६ ॥ पंचविहा संसारसमावन्नगा जीवा प० तं० एगिदिया जाव पंचिंदिया, एगिदिया पंचगइया पंचागइया प० तं० एगिदिए एगिदिएसु उववजमाणे एगिदिएहिंतो वा जाव पंचिंदिएहितो वा उववज्जेज्जा से चेवणं से एगिदिए एगिदियत्तं विप्पजहमाणे एगिदियत्ताए वा जाव पंचिंदियत्ताए वा गच्छेजा, बेइंदिया पंचगइया पंचागइया एवं चेव, एवं जाव पंचिंदिया पंचगइया पंचागइया प० तं० पंचिंदिया जाव गच्छेजा ॥ ५३७ ॥ पंचविहा सव्वजीवा प० तं० कोहकसाई जाव लोभकसाई अकसाई, अहवा पंचविहा सव्वजीवा प० तं० नेरइया जाव देवा सिद्धा, अह भंते ! कलमसूरतिलमुग्गमासणिप्फावकुलत्थआलिसंदगसईणपलिमंथगाणं एएसि णं धन्नाणं कुछाउत्ताणं जहा सालीणं जाव केवइयं कालं जोणी संचिठ्ठइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पंच संवच्छराई, तेण परं जोणी पमिलायइ जाव तेण परं जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते ॥ ५३८ ॥ पंच संवच्छरा प० त० णक्खत्तसंवच्छरे जुगसंवच्छरे पमाणसंवच्छरे लक्खणसंवच्छरे सणिचरसंवच्छरे, जुगसंवच्छरे पंचविहे प० तं० चंदे चंदे अभिवडिए चंदे अभिवढिए चेव, पमाणसंवच्छरे पंचविहे प० तं० णक्खत्ते चंदे उऊ आइच्चे अभिवड़िए लक्खणसंवच्छरे पंचविहे प० तं० समगं नक्खत्ता जोगं Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६८ सुत्तागमे [ ठाणे जोयंति समगं उऊ परिणमंतिः णचन्हं णाइसीओ बहृदओ होइ णक्खत्ते ( १ ) ससिसगलपुण्णमासी जोएइ विसमचारिणक्खत्ते कडुओ बहूदओ या तमाहु संवच्छरं चंदं (२) विसमं पवालिगो परिणमंति, अणुदृसु देति पुप्फफलं; वासं ण सम्म वासइ तमाहु संवच्छरं कम्मं ( ३ ) पुढविदगाणं तु रसं पुप्फफलाणं तु देइ आदिचो; अप्पेण वि वासेणं सम्मं निप्फजए सस्सं ( ४ ) आइचतेयतविया खणलवदिवसा उऊ परिणमंति; पूरिति रेणुथलयाई, तमाहु अभिवड्ढियं जाण ५ ( ५३९ ) पंचविहे जीवस्स निजाणसग्गे प० तं० पाएहिं ऊरूहिं उरेणं सिरेणं सव्वंगेहिं पाएहिं निजाणमाणे णिरयंगामी भवइ ऊरुहिं णिजाणमाणे तिरियगामी भवइ उरेणं णिजाणमाणे मणुयगामी भवइ सिरेणं णिजाणमाणे देवगामी भवइ सव्वंगेहिं णिजाणमाणे सिद्धिगइपज्जवसाणे पण्णत्ते, पंचविहे छेयणे प० तं० उप्पायच्छेयणे वियच्छेयणे वंधच्छेयणे पएसच्छेयणे दोधारच्छेयणे, पंचविहे आणंतरिए प० तं० उप्पायणंतरिए वियणंतरिए पएसाणंतरिए समयाणंतरिए सामण्णाणंतरिए । पंचविहे अनंते प० तं णामणंतए ठवणानंतर दव्वाणंतए गणणाणंतए पएसाणंतए, अहवा पंचविहे अनंतए प० तं० एगओऽतए दुहओतए देसवित्थाराणंतए सव्ववित्थारानंतर सासयाणंतए ॥ ५४० ॥ पंचविहे णाणे प० तं० आभिणिवोहियणाणे सुयणाणे ओहिणाणे मणपजवगाणे केवलणाणे पंचविहे णाणावरणिजे कम्मे प० तं० अभिणिबोहियणाणावरणिजे जाव केवलणाणावरणिजे, पंचविहे सज्झाए पतं० वायणा पुच्छणा परियट्टणा अणुप्पेहा धम्मकहा, पंचविहे पञ्चकखाणे प० तं सद्दहणसुद्धे विणयसुद्धे अणुभासणासुद्धे अणुपालणासुद्धे भावसुद्धे पंचविहे पडिक्कमणे प० तं० आसवदार पडिक्कमणे मिच्छत्तपडिकमणे कसायपडिक्कमणे जोगपडिक्कमणे भावपडिक्कमणे पंचहिं ठाणेहिं सुत्तं वाएजा तं० संगहठ्ठयाए उवग्गहणठ्ठयाए निजरणठ्ठयाए सुत्ते वा मे पज्जवयाए भवि - रसइ सुत्तस्स वा अवोच्छित्तिणयठ्ठयाए पंचहि ठाणेहिं सुत्तं सिक्खिजा तं० णाणट्ट्याए दंसणठ्याए चरितठ्ठयाए बुग्गहविमोयणठ्ठयाए अहत्थे वा भावे जाणिस्सामीति कट्टु, सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु विमाणा पंचवण्णा प० तं० किण्हा जाव सुकिला (१) सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु विमाणा पंचजोयणसयाई उ उच्चत्ते प० (२) वंभलोगलंतएसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिजसरीरगा उक्कोसेणं पंचरयणीओ उर्दू उच्चत्तेनं प० (३) णेरइया णं पंचवण्णे पंचरसे पोग्गले बंधेसु वा बंधंति वा वंधिस्संति वा तं० किण्हे जाव सुकिल्ले, तित्ते जाव मधुरे, एवं जाव वेमाणिया ॥ ५४१ ॥ जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं गंगामहाणई पंचमहाणईओ Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म.६] सुत्तोगमे २६९ समप्पैति तं० जउणा सरऊ आदी कोसी मही (१) जंवूमंदरस्स दाहिणेणं सिधुमहाणइं पंचमहाणदीओ समप्पेंति तं० सय विभासा वितत्था एरावती चंदभागा (२) जंबूमंदरस्स उत्तरेणं रत्तामहानई पंचमहाणईओ समप्पेंति तं० किण्हा महाकिण्हा नीला महानीला-महातीरा (३) जंबूमंदरस्स उत्तरेणं रत्तावई महाणइं पंचमहाणईओ समप्पेंति तं० इंदा इंदसेणा सुसेणा वारिसेणा महाभोया (४) ॥ ५४२ ॥ पंच तित्थयरा कुमारवासमझे वसित्ता मुंडा जाव पवइया तं० वासुपुज्जे मल्ली अरिठ्ठनेमी पासे वीरे। चमरचंचाए णं रायहाणीए पंच सभा प० तं० सुहम्मासभा उववायसभा अभिसेयसभा अलंकारियसभा ववसायसभा, एगमेगे णं इंदठाणे णं पंच सभाओ प० तं० सुहम्मासभा जाव ववसायसभा। पंच मक्खत्ता पंच तारा प० तं० धणिठ्ठा रोहिणी पुणव्वसू हत्थो विमाहा, जीवा ण पंचठ्ठाणणिव्वत्तिए पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिंसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा तं० एगिदियनिव्वत्तिए जाव पंचिंदियनिव्वत्तिए एवं चिण उवचिण वंध उदीर वेद तह णिजरा चेव, पंचपएसिया खंधा अणंता प० पंचपएसोगाढा पोग्गला अणंता प० जाव पंच गुणलुक्खा पोग्गला अणंता पण्णत्ता ॥ ५४३ ॥ पंचसठाणस्स तइओ उद्देसो समत्तो, पंचमठाणं समत्तं ॥ छटाणं छहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहइ गणं धारित्तए तं० सड्डी पुरिसजाए, सच्चे पुरिसजाए, मेहावी पुरिसजाए, वहुस्सुए पुरिसजाए, सत्तिमं, अप्पाहिगरणे, छहिं ठाणेहिं निग्गंथे निग्गंथिं गिण्हमाणे वा अवलंवमाणे वा नाइकमइ, तं० खित्तचित्तं, दित्तचित्तं, जक्खाइठ्, उम्मायपत्तं, उवसग्गपत्तं, साहिगरणं ॥ ५४४ ॥ छहिं ठाणेहिं निग्गंथा निग्गंथीओ य साहम्मियं कालगयं समायरमाणा णाइक्कमन्ति तं० अंतोहिंतो वा वाहिं णीणेमाणा, वाहिहिंतो वा निब्वाहिं णीणेमाणा, उवेहमाणा वा, उवासमाणा वा, अणुन्नवेमाणा वा, तुसिणीए वा संपन्वयमाणा ॥ ५४५ ॥ छ ठाणाई छउमत्थे सव्वभावेणं ण जाणइ ण पासइ तं० धम्मत्थिकायमधम्मत्थिकायमागासं जीवमसरीरपडिवद्धं परमाणुपोग्गलं सई एयाणि चेव उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे जाव सव्वभावेणं जाणइ पासइ धम्मत्थिकायं जाव सदं ॥५४६॥ छहिं ठाणेहिं सव्वजीवाणं णत्यि इड्डीति वा जुत्तीति वा जसेइ वा वलेइ वा वीरिएइ वा पुरिसक्कार जाव परक्कमेति वा तं० जीवं वा अजीवं करणयाए,अजीवं वा जीवं करणयाए, एगसमएणं वा दो भासाओ भासित्तए, सयं कडं वा कम्मं वेएमि वा मा वा वेएमि, Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [अणे २७० परमाणुपोग्गलं वा छिदित्तए वा भिंदित्तए वा, अगणिकाएण वा समोदहिए, बहिया वा लोगंता गमणयाए ॥ ५४७ ॥ छज्जीवनिकाया प० त० पुढविकाइया जाव तसकाइया ॥ ५४८ ॥ छ तारग्गहा प० तं० नुके, बुहे, वहस्सई, अंगारए, सणिचरे, केऊ ॥ ५४९ ॥ छव्विहा संसारसमावन्नगा जीवा प० त० पुटविकाइया जाव तसकाइया ॥ ५५० ॥ पुढविकाइया छगइया छआगइया प० तं० पुढविकाइए पुढविकाइएसु उववजमाणे पुढविकाइएहिंतो वा जाव तसकाइएहितो वा उववजेना, सो चेव णं से पुढविकाइए पुढविकाइयत्तं विप्पजहमाणे पुढविकाइयत्ताए वा जाव तसकाइयत्ताए वा गच्छेज्जा, आउकाइयावि छगइया छआगइया, एवं चेव जाय तसकाइया ॥ ५५१ ॥ छव्विहा सव्वजीवा प० तं० आभिणिवोहियणाणी जाव केवलणाणी, अन्नाणी ॥ ५५२ ॥ अहवा छविहा सव्वजीवा ५० नं० एगिदिया जाव पचिदिया, अगिंदिया ॥ ५५३ ॥ अहवा छव्विहा सव्वजीवा प० तं० ओरालियसरीरी, वेउब्वियसरीरी, आहारगसरीरी, तेयगसरीरी, कम्मगसरीरी, असरीरी॥५५४ ॥ छबिहा तणवणस्सइकाइया प० तं० अग्गवीया मूलबीया पोरबीया खंधवीया बीयस्हा समुच्छिमा ॥ ५५५॥ छठाणाई सव्वजीवाणं णो सुलभाई भवंति, तं० माणुस्सए भवे, आयरिए खित्ते जम्मं, सुकुले पञ्चायाती, केवलिपन्नत्तस्स धम्मस्स सवणया सुयस्स वा सद्दहणया, सद्दहियरस वा पत्तियस्स वा रोझ्यस्स वा सम्मं काएगं फासणया ॥५५६॥ छ इंदियत्था प० त० सोइंदियत्थे जाव फासिंदियत्थे णोइंदियत्थे ॥ ५५७ ॥ छविहे संवरे प० त० सोइंदियसंवरे जाव फासिंदियसंवरे णोइंदियसंवरे ॥ ५५८ ॥ छविहे असंवरे प० तं० सोइंदियअसंवरे, जाव फासिंदिअअसंवरे, णोइंदिअअसंवरे ॥ ५५९ ॥ छव्विहे साए प० तं० सोइंदियसाए जाव नोइंदियसाए ॥ ५६० ॥ छविहे असाए प० तं० सोइंदियअसाए, जाव नोइंदियअसाए ॥ ५६१ ॥ छविहे पायच्छित्ते प० तं० आलोयणारिहे, पडिक्कमणारिहे, तदुभयारिहे, विवेगारिहे, विउस्स. ग्गारिहे, तवारिहे ॥ ५६२ ॥ छन्विहा मणुस्सा प० तं० जंबूदीवगा, धायइखंडदीवपुरच्छिमद्धगा, धायइखंडदीवपच्चत्थिमद्धगा, पुक्खरवरदीवद्धपुरथिमद्धगा, पुक्खरवरदीवद्भुपचत्यिमद्धगा, अंतरदीवगा, अहवा छव्विहा मणुस्सा प० तं० संमुच्छिममणुस्सा, कम्मभूमगा अकम्मभूमगा अंतरदीवगा, गब्भवक्त्रंतियमणुस्सा कम्मभूमिगा अकम्मभूमिगा अतरदीवगा ॥५६३ ॥ छव्विहा इद्धिमंता मणुस्सा प० तं० अरहंता, चक्कवट्टी, वलदेवा, वासुदेवा, चारणा, विजाहरा ॥५६४ ॥ छव्विहा अणिड्डिमंता मणुस्सा प० तं० हेमवंतगा हेरनवंतगा हरिवंसगा रम्मगवंसगा कुरु Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ० ६ ] सुत्तागने ૨૦૧ वासिणो अंतरदीवगा ॥ ५६५ ॥ छव्त्रिहा ओसप्पिणी प० तं० सुसमसुसमा जाव दुसमदुसमा, छव्विहा उस्सप्पिणी प० तं० दुसमदुसमा जाव सुसमसुसमा ॥५६६ ॥ जंबुद्दीचे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए मणुया छच्च वणुसहस्साइं उढमुच्चत्तेगं हुत्था, छच अद्धपलिओ माई परमाउं पालयित्था ॥५६७॥ जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएस वासेसु इमीसे ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए एवं चेव ॥ ५६८ ॥ जंबू० भरहेरवए आगमिस्साए उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए एवं चेव, जाव छच अद्धपलिओवमाईं परमाउं पालइस्संति ॥ ५६९ ॥ जंबुद्दीवे दीवे देवकुरुउत्तरकुरासु मणुया छधणुस्सहस्साई उद्धुं उच्चत्तेणं प० छच अद्धपलिओवमाई परमाउं पार्लेति ॥ ५७० ॥ एवं धायइसंडदीवपुरच्छिमद्धे चत्तारि आलावगा जाव पुक्खरवरदीवढपञ्चच्छिमद्धे चत्तारि आलावगा ॥ ५७१ ॥ छव्विहे संघयणे पतं० वइरोसभणारायसंघयणे, उसभणारायसंघयणे, नारायसंघयणे, अद्धनारायसंघयणे, कीलियासंघयणे, छेवट्ठसंघयणे ॥ ५७२ ॥ छव्विहे संठाणे पतं० समचउरंसे, णग्गोहपरिमंडले, साई, खुज्जे, वामणे, हुंडे ॥ ५७३ ॥ छठ्ठाणा अणत्तवओ अहियाए असुभाए जाव अणाणुगामियत्ताए भवति, तं० परियाए परियाले सुए तवे लाभ पूयासक्कारे ॥ ५७४ || छठ्ठाणा अत्तवतो हियाए जाव आगामि यत्ता भवंति तं परियाए परियाले जाव पूयासकारे ॥ ५७५ ॥ छन्विहा जाइअरिया मणुस्सा प० तं० अंबठ्ठा य कलंदा य वेदेहा वेदिगाइया; हरिता चुंचुणा चेव छप्पेया इन्भजाइओ ॥ ५७६ ॥ छव्विहा कुलारिया मणुस्सा प० तं० उग्गा भोगा राइन्ना इक्खागा णाया कोरवा ॥ ५७७ ॥ छव्विहा लोगठिई प० तं० आगासपइट्ठिए वाए वायपइट्ठिए उदही उदहिपठिया पुढवी पुढविपइठिया तसा थावरा पाणा अजीवा जीवपइठिया जीवा कम्मपइट्ठिया ॥ ५७८ ॥ छहिसाओ प० तं० पाईणा पडीणा दार्हिणा उईणा उड्ढा अहा ॥ ५७९ ॥ छहिं दिसाहिं जीवाणं गई पवत्तइ तं० पाईणाए जाव अहाए एवमागई वनंती आहारे वुट्टी निवडी विगुव्वणा गइपरियाए समुग्धाए कालसंजोगे दंसणाभिगमे णाणाभिगमे जीवाभिगमे अजीवाभिगमे एवं पंचिदियतिरिक्खजोणियाणवि मणुस्साणवि ॥ ५८० ॥ छहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंथे आहारमाहारेमाणे णाइक्कमइ तं० वेयणवेयावचे इरियठाए य संजमठ्ठाए, तह पाणवत्तियाए छठ्ठे पुण धम्मचिताए, छहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंथे आहारं वोच्छिदमाणे णाइकमा तं० आतंके उवसग्गे तितिक्खणे वंभचेरगुत्तीए पाणिदया तवहेउं सरीवुच्छेयणठ्ठाए ॥ ५८१ ॥ छहिं ठाणेहिं आया उम्मायं पाउणेजा तं० अरहंताणमवणं वदमाणे, अरहंतपन्नत्तस्स Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [टाणे २७२ धम्मस्स अवगं वदमाणे, आयरियउवज्ञायाणमवनं वदमाणे, चाउचानस्स संघस्स अवन्नं वदमाणे, जक्खावेसेण चेच मोहणिजस्स चेव कम्मस्म उदएणं ॥ ५८२ ॥ छविहे पमाए प० तं० मजपमाए, णिहपमाए, विसयपमाए, कसायपमाए, जूयपमाए, पडिलेहणापमाए ॥ ५८३ ॥ छव्विहा पमायपडिलेहणा प० तं० आरभडा संमद्दा, वजेयव्वा य मोसली तइया, पप्फोडगा चउत्थी विक्सित्ता वेइया छठी (१) छव्विहा अप्पमायपडिलेहणा प० तं० अणचावियं अवलितं, अणाणुबंधिं अमोसलिं चेव छप्पुरिमा णव खोडा पाणी पाणविसोहणी (२) ॥ ५८४ ॥ छ लेसाओ प० तं० कण्हलेसा जाव मुकलेसा, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाण छ लेसाओ प० त० कण्हलेसा जाव सुकलेसा, एवं मणुस्सदेवाण वि ॥ ५८५ ॥ सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो छ अगमहिसीओ प० ॥ ५८६ ॥ सकस्स णं देविंदस्स देवरगणो जमस्स महारन्नो छ अग्गमहिसीओ प० ॥ ५८७ ॥ ईसाणस्स णं देविंदस्स मज्झिमपरिसाए देवागं छ पलिओवमाइं ठिई प० ॥ ५८८ ॥ छ दिसिकुमारिमहत्तरियाओ प० त० रुवा स्तंसा सुरुवा रूववई रूवक्ता रूयप्पभा, छ विज्जुकुमारिमहत्तरियाओ प० तं० आला सका सतेरा सोयामणी इंदा घणविजया ॥ ५८९ ॥ धरणस्स गं नागकुमारिंदरस नागकुमाररनो छ अग्गमहिसीओ प० तं० आला सक्का सतेरा सोयामणी इंदा घणविजुया, भूयाणंदस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररण्णो छ अग्गमहिसीओ प० तं० रूवा रूवंसा सुरूवा रूववई रूवकंता रूयप्पभा, जहा धरणस्स तहा सव्वेसिं दाहिणिल्लाणं जाव घोसस्स, जहा भूयाणंदस्स तहा सव्वेसि उत्तरिल्लाणं जाव महाघोसस्स ॥ ५९० ॥ धरणस्स णं नागकुमारिदस्स नागकुमाररन्नो छसामाणियसाहस्सीओ पण्णत्ताओ, एवं भूयाणंदस्स वि जाव महाघोसस्स ॥ ५९१ ॥ छविहा उग्गहमई प० तं० खिप्पमोगिण्हइ बहुमोगिण्हइ बहुविधमोगिण्हइ धुवमोगिण्हइ अणिस्सियमोगिण्हइ असंदिद्धमोगिण्हइ ॥ ५९२ ॥ छव्विहा ईहामई प० तं० खिप्पमीहइ, वहुमीहइ, जाव असंदिद्धमीहइ ॥ ५९३ ॥ छव्विहा अवायमई प० तं० खिप्पमवेइ जाव असंदिद्धमवेइ छव्विहा धारणा प० तं० वहुं धारेइ बहुविहं धारेइ पोराणं धारेइ दुद्धरं धारेइ अणिस्सियं धारेइ असंदिद्धं धारेइ ॥ ५९४ ॥ छव्विहें वाहिरए तवे प० तं० अणसणं ओमोयरिया भिक्खायरिया रसपरिच्चाए कायकिलेसो पडिसंलीणया ॥ ५९५ ॥ छविहे अभंतरिए तवे प० तं० पायच्छित्तं विणओं वेयावच्चं तहेव सज्झाओ झाणं विउस्सग्गो ॥ ५९६ ॥ छविहे विवादे प० तं० ओसक्कइत्ता उस्सक्कइत्ता अणुलोमइत्ता पडिलोमइत्ता भइत्ता मेलइत्ता ॥ ५९७ ॥ Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म. सुत्तागमे २७३ ‘छव्विहा खुद्दा पाणा प० त० बेइंदिया तेइंदिया चउरिंदिया संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणिया तेउकाइया वाउकाइया ॥५९८॥ छव्विहा गोयरचरिया प० त० पेडा अद्धपेडा गोमुत्तिया पतंगवीहिया संवुकवटा गंतुंपञ्चागया ॥ ५९९ ॥ जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणमिमीसे रयणप्पभाए पुढवीए छ अवकंतमहानिरया प० तं० लोले लोलुए उद्दड्ढे निहल्ले जरए पजरए । ६००॥ चउत्थीए णं पंकप्पभाए पुढवीए छ अवकंता महानिरया प० तं० आरे वारे मारे रोरे रोरुए खाडखडे ॥६०१॥ वंभलोए णं कप्पे छ विमाणपत्थडा प० तं० अरए विरए नारए निम्मले वितिमिरे विसुद्धे ॥ ६०२ ॥ चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरनो छ णक्खत्ता पुन्वं भागा समखेत्ता तीसइमुहुत्ता प० तं० पुव्वाभद्दवया कत्तिया महा पुव्वाफग्गुणी भूलो पुव्वासाढा ॥६०३ ॥ चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरन्नो छ णक्खत्ता णतंभागा अवदुखेत्ता पन्नरसमुहुत्ता प० तं० सयभिसया भरणी अद्दा अस्सेसा साई जेठा ॥ ६०४ ॥ चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरन्नो छ णक्खत्ता उभयंभागा दिवड्डखेत्ता पणयालीसमुहुत्ता प० तं० रोहिणी पुणव्वसू उत्तराफरगुणी विसाहा उत्तरासाढा उत्तराभवया ॥ ६०५ ॥ अभिचंदे णं कुलकरे छ धणुसयाइं उर्दू उच्चतेणं हुत्था ॥६०६॥ भरहे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी छ पुन्वसयसहस्साई महाराया हुत्या ॥६०७॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणियस्स छस्सया वाईणं सदेवमणुयासुराए परिसाए अपराजियाणं संपया होत्था ॥६०८॥ वासुपुज्जे णं अरहा छहि पुरिससएहिं सद्धिं मुंडे जाव पव्वइए ॥६०९॥ चंदप्पभे णं अरहा छम्मासे छउमत्थे होत्था ॥६१०॥ तेइंदियाणं जीवाणं असमारभमाणस्स छविहे संजमे कज्जइ तं० घाणामाओ सोक्खाओ अववरोवेत्ता भवति घाणामएणं दुक्खेणं असंजोगेत्ता भवइ जिम्मामाओ सोक्खाओ अववरोवेत्ता भवइ एवं चेव फासामाओ वि ॥ ६११ ॥ तेइंदियाण जीवाणं समारभमाणस्स छविहे असंजमे कजइ तं० घाणामाओ सोक्खाओ ववरोवेत्ता भवइ घाणामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवइ जाव फासमएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवइ ॥ ६१२ ॥ जंबुद्दीवे दीवे छ अकम्मभूमीओ प० तं० हेमवए हेरण्णवए हरिवासे रम्मगवासे देवकुरा उत्तरकुरा ॥६१३॥ जंबुद्दीवे दीवे छव्वासा प० तं० भरहे एरवए हेमवए हेरण्णवए हरिवासे रम्मगवासे ॥ ६१४ ॥ जंबुद्दीवे दीवे छव्वासहरपव्वया प० तं० चुलर्हिमवंते महाहिमवंते निसढे नीलवंते रुप्पी सिहरी ।। ६१५ ॥ जंवूमंदरदाहिणे णं छ कूडा प० तं० चुलहिमवंतकूडे वेसमणकूडे महाहिमवंतकूडे वेरुलियकूडे निसंढकूडे रुयगकूडे ॥ ६१६ ॥ जंवूमंदरउत्तरेणं छकूडा प० तं० नीलवंतकूड़े उवदसणकूडे रुप्पिकूडे मणिकंचणकूडे सिहरिकूडे तिगिच्छकुडे ॥६१७॥ १८ सुत्ता. मंदरदार निसढकडे माकूडे मणिक Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ठाणे २७४ जंबुद्दीवे दीवे छ महद्दहा प० तं० पउमद्दहे महापउमद्दहे तिगिच्छदहे केसरिदहे महापोंडरीय(हे पुंडरीयहहे ॥ ६१८ ॥ तत्थ णं छ देवयाओ महड्डियाओ जाव पलिओवमछिईयाओ परिवसंति तं० सिरी हिरी धिई कित्ती बुद्धी लच्छी ॥ १९ ॥ जंबूमंदरदाहिणेणं छ महानईओ प० तं० गंगा सिधू रोहिया रोहियंसा हरी हरिकता ॥ ६२०॥ जंबूमंदरस्स उत्तरे णं छ महानईओ प० तं० णरकता णारिकता नुवण्णकूला रुप्पकूला रत्ता रत्तवई ॥ ६२१ ॥ जंवूमंदरपुरच्छिमे णं सीयाए महानईए उभयकूले छ अंतरनईओ प० तं० गाहावई दहावई पंकवई तत्तजला मत्तजला उम्मत्तजला ॥ ६२२ ॥ जंबूमंदरपञ्चत्थिमे णं सीओयाए महानईए उभयकूले छ अंतरनईओ प० तं० खीरोदा सीहसोया अंतोवाहिणी उम्मिमालिणी फेणमालिणी गंभीरमालिणी ॥ ६२३ ॥ धायइसंडदीवपुरच्छिमद्धेणं छ अकम्मभूमीओ प० तं० हेमवए एवं जहा जंबुद्दीवे २ तहा णई जाव अंतरणईओ जाव पुक्खरवरदीवद्रुपञ्चत्थिमद्धे भाणियव्वं ॥६२४॥ छ उऊ प० तं० पाउसे वरिसारत्ते सरए हेमंते वसंते गिम्हे ॥ ६२५ ॥ छ ओमरत्ता प० तं० तइए पव्वे सत्तमे पव्वे एकारसमे पव्वे पन्नरसमे पव्वे एगूणवीसइमे पव्वे तेवीसइमे पव्वे ॥ ६२६ ॥ छ अइरत्ता प० तं० चउत्थे पव्वे अठुमे पव्वे दुवालसमे पव्वे सोलसमे पव्वे वीसइमे पव्वे चउवीसइमे पन्वे ॥ ६२७ ॥ आभिणिवोहियणाणस्स णं छव्विहे अत्थोग्गहे प०तं. सोइंदियत्थोग्गहे जाव नोइंदियत्थोग्गहे ॥ ६२८ ॥ छविहे ओहिणाणे प० तं० आणुगामिए अणाणुगामिए वडमाणए हीयमाणए पडिवाई अपडिवाई ॥ ६२९ ॥ नो कप्पड़ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा इमाइं छअवयणाई वइत्तए तं० अलियवयणे हीलियवयणे खिसियवयणे फरुसवयणे गारत्थियवयणे विउसवियं वा पुणो उदीरित्तए ॥ ६३० ॥ छ कप्पस्स पत्थारा प० तं० पाणाइवायस्स वायं वयमाणे मुसावायस्स वायं वयमाणे अदिन्नादाणस्स वायं वयमाणे अविरइवायं वयमाणे अपुरिसवायं वयमाणे दासवायं वयमाणे इच्चेए छ कप्पस्स पत्थारे पत्थरेत्ता सम्ममपरिपूरेमाणे तछाणपत्ते ॥ ६३१ ॥छ कप्पस्स पलिमंथू प० तं० कोकुइए संजमस्स पलिमंथू मोहरिए सच्चवयणस्स पलिमंथू चक्खुलोलुए इरियावहियाए पलिमथू तितिणिए एसणागोयरस्स पलिमथू इच्छालोभिए मुत्तिमग्गस्स पलिमंथू भिजाणिदाणकरणे मोक्खमग्गस्स पलिमंथू सव्वत्थ भगवया अणिदाणता पसत्था ॥६३२॥ छविहा कप्पठिई प० त० सामाइयकप्पठिई छेओवठ्ठावणियकप्पठिई निव्विसमाणकप्पठिई णिविठ्ठकप्पठिई जिणकप्पठिई थिविरकप्पठिई ॥ ६३३ ॥ समणे भगव महावीरे छठेणं भत्तेणं अपाणएणं मुंडे जाव पव्वइए ॥ ६३४ ॥ समणस्स ण Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ० ६ ] सुत्तागमे २७५ भगवओ महावीरस्स छठ्ठणं भत्तेणं अपाणएणं अणते अणुत्तरे जाव समुप्पण्णे ॥ ६३५ ॥ समणे भगवं महावीरे छठ्ठणं भत्तेणं अपाणएणं सिद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ ६३६ ॥ सणकुमारमाहिदेसु णं कप्पेसु विमाणा छ जोयणसयाई उड्ढ उच्चतेगं प० ॥ ६३७ ॥ सणकुमारमाहिंदेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिजगा सरीरगा उक्कोसेणं छ रयणीओ उडूं उच्चत्तेणं पण्णत्ता ॥ ६३८ ॥ छन्विहे भोयणपरिणामे प० तं० मणुन्ने रसिए पीणणिजे विहणिजे [ मयणणिजे दीवणिजे ] दप्पणिजे ॥ ६३९ ॥ छवि विसपरिणामे प० तं० डक्के भुत्ते निवइए मंसाणुसारी सोणियानुसारी अठ्ठिमिंजाणुसारी ॥ ६४० ॥ छव्विहे पठ्ठे प० तं ० संसयपठ्ठे बुग्गहपठ्ठे अणुजोगी अणुलोमे तहणाणे अतहणाणे ॥ ६४१ ॥ चमरचंचा णं रायहाणी उक्कोसेणं छम्मासा विरहिया उववाएणं ॥ ६४२ ॥ एगमेगे णं इंदट्ठाणे उक्कोसेणं छम्मासा विरहिए उववाएणं ॥ ६४३ || अहेसत्तमा णं पुढवी उक्कोसेणं छम्मासा विरहिया उववाएणं ॥ ६४४॥ सिद्धिगई णं उक्नोसेणं छम्मासा विरहिया उववाएणं ॥ ६४५॥ छव्त्रिहे आउयवंधे प० तं० जाइणामनिधत्ताउएं गइणामणिधत्ताउए ठिइणामणिधताउए ओगाहणाणामणिधत्ताउए पएसणामणिवत्ताउए अणुभावणामणिवत्ताउए ॥ ६४६ ॥ णेरइयाणं छविहे आउयवंधे प० तं० जाइणामणिधत्ताउए जाव अणुभावणामणिवत्ताउए एवं जाव वेमाणियाणं ॥ ६४७ || पेरइया णियमा छम्मासावसेसाज्या परभवियाज्यं पगरेंति, एवामेव असुरकुमारावि जाव थणियकुमारा, असंखेज्जवासाडया सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिया नियमं छम्मासावसेसाउया परभवियाउयं पगरेंति, असंखेजवासाउया सन्निमणुस्सा नियमं जाव पगरेंति, वाणमंतरा जोइसवासिया वेमाणिया जहा णेरइया ॥ ६४८ ॥ छव्विहे भावे प० तं० ओदइए उवसमिए खइए खयोवसमिए पारिणामिए संनिवाइए ॥ ६४९ ॥ छव्विहे पडिक्कमणे प० तं० उच्चारपडिक्कमणे पासवणपडिक्कमणे इत्तरिए आवकहिए जंकिंचि - मिच्छा सोमणंतिए ॥ ६५० ॥ कत्तियाणक्खत्ते छतारे प० ॥ ६५१ ॥ असिलेसाणक्खत्ते छत्तारे प० ॥ ६५२ ॥ जीवा णं छठ्ठाणनिव्बत्तिए पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा तं० पुढविकाइयनिव्वत्तिए जाव तसकायनिव्वत्तिए एवं चिण उवचिण वंध उदीर वेय तह णिज्जरा चेव ॥ ६५३॥ छप्पएसिया णं खंधा अगंता प० ॥ ६५४ || छप्पएसोगाढा पोग्गला अनंता प० ॥ ६५५॥ छसमयठिईया पोग्गला अनंता प० ॥ ६५६ ॥ छगुणकालगा पोग्गला जाव छगुणलुक्खा पोग्गला अणंता पण्णत्ता ॥ ६५७ ॥ छठ्ठाणं छठ्ठमज्झयणं समत्तं ॥ Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे सत्तमहाणं सत्तविहे गणावक्कमणे प० तं सव्वधम्मा रोएमि एगइया रोएम एगइया णो रोएमि सव्वधम्मा वितिगिच्छामि एगइया वितिगिच्छामि एगइया नो वितिगिच्छामि सव्वधम्मा जुहुणामि एगइया जुहुणामि एगइया णो जुहणामि इच्छामिणं भंते । एगलविहारपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए || ६५८ ॥ सत्तविहे विभंगणाणे प० तं० एगदिसिलोगाभिगमे, पंचदि सिलोगाभिगमे, किरियावरणे जीवे, मुदग्गे जीवे, अमुदग्गे जीवे, रुवी जीवे, सव्वमिणं जीवा, तत्थ खलु इमे पढमे विभंगणाणे जया णं तहारूत्रस्स समणस्स वा माहणस्स वा विभंगणाणे समुप्पज्जइ से णं तेणं विभंगणाणेगं समुप्पन्नेगं पासइ पाईणं वा पडीगं वा दाहिणं वा उदीण वा उ वा जाव सोहम्मे कप्पे तस्स णमेवं भवइ अस्थि णं मम अइसेसे णाणदंसणे समुप्पन्न एगदिसिं लोगाभिगमे संतेगइया समणा वा माहणा वा एवमाहंसु पंचदिसिं लोगाभिगमे जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एव माहंसु पढमे विभंगणाणे, अहावरे दोचे विभंगगाणे जया णं तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा विभंगणाणे समुप्पज्जइ से णं तेणं विभंगणाणेणं समुप्पण्णेणं पासइ पाईणं वा पडीणं वा दाहिणं वा उदीगं वा उद्धुं जाव सोहम्मे कप्पे तस्स णं एवं भवइ अत्थि णं मम अइसेसे णाणदंसणे समुप्पण्णे पंचदिसिं लोगाभिगमे संतेगइया समणा वा माहणा वा एवमाहंतु एगदिसिं लोगाभिगमे जे ते एवमाहंतु मिच्छं ते एवमाहंनु दोचे विभंगणाणे । अहावरे तच्चे विभंगणाणे जया णं तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा विभंगणाणे समुप्पज्जइ, से णं तेणं विभंगणाणेणं समुप्पण्णेणं पास पाणे अइवाएमाणा, मुसं वएमाणे अदिन्नमादितमाणे मेहुणं पडिसेवमाणे परिग्गहं परिगिण्हमाणे, राइभोयणं भुंजमाणे वा पावं च णं कम्मं कीरमाणं णो पासइ तस्स णमेवं भवइ अत्थि णं मम अइसेसे णाणदंसणे समुप्पन्ने किरियावरणे जीवे संतेगइया समणा वा माहणा वा एवमाहंसु णो किरियावरणे जीवे जे ते एवमाहंतु मिच्छं ते एवमाहंसु तच्चे विभंगणाणे । अहावरे चउत्थे विभंगणाणे जया णं तहारुवस्स समणस्स वा माहणरस वा जाव समुप्पज्जइ से णं तेणं विभंगणाणेणं समुप्पन्नेणं देवामेव पासइ वाहिरव्भंतरए पोग्गले परियाइइत्ता पुढेगत्तं णाणत्तं फुसिया फुरित्ता फुट्टित्ता विकुव्वित्ता णं विकुव्वित्ता णं चिठ्ठित्तए तस्स णमेवं भवइ अत्थि णं मम अइसेसे णाणदंसणसमुप्पन्न मुदग्गे जीवे संतेगइया समणा वा माहणा वा एवमाहंसु अमुदग्गे जीवे, जे ते एबमाहंतु मिच्छं ते एवमाहंतु चउत्थे विभंगनाणे, अहावरे पंचमे विभंगणाणे जया णं तहारुवस्स समणस्स जाव समुप्पज्जइ, से णं तेणं २७६ [ ठाणे Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म०७] सुत्तागमे २७७ विभंगणाणेणं समुप्पन्नेणं देवामेव पासइ वाहिरम्भितरए पोग्गलए अपरियायिइत्ता पुढेगत्तं णाणत्तं जाव विउव्वित्ता णं चिठित्तए तस्स णमेवं भवइ अत्थि जाव समु. प्पन्ने अमुदग्गे जीवे, संतेगइया समणा वा माहणा वा एवमाहंसु मुदग्गे जीवे, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, पंचमे विभंगणाणे । अहावरे छठे विभंगणाणे, जया णं तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा जाव समुप्पज्जति, से गं तेणं विभंगणाणेणं समुप्पन्नेणं देवामेव पासइ बाहिरब्भंतरए पोग्गले परियाइत्ता वा, अपरियायिइत्ता वा पुढेगत्तं णाणत्तं फुसेत्ता जाव विकुव्वित्ता चिठ्ठित्तए तस्स ___णमेवं भवइ, अस्थि णं मम अइसेसे णाणदंसणे समुप्पन्ने रुवी जीवे संतेगइया समणा वा माहणा वा एचमाहंसु अरूवी जीवे जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु छठे विभंगणाणे । अहावरे सत्तमे विभंगणाणे जया णं तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा विभंगणाणे समुप्पज्जइ, से गं तेणं विभंगणाणेणं समुप्पन्नेणं पासइ सुहुमेणं वाउकाएणं फुडं पोग्गलकायं एयंतं वेयंतं चलंतं खुब्भं फंदंतं घट्टतं उदीरेतं तं तं भावं परिणमंतं तस्स णमेवं भवइ अस्थि णं मम अइसेसे णाणदंसणे समुप्पण्णे, सव्वमिणं जीवा संतेगइया समणा वा माहणा वा एवमाहंसु जीवा चेव अजीवा चेव जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु तस्स णमिमे चत्तारि जीवनिकाया णो सम्ममुवगया भवंति तंजहा पुढविकाइया आऊ तेऊ वाउकाइया, इच्चेएहिं चउहिं जीवनिकाएहि मिच्छादंडं पवत्तेइ, सत्तमे विभंगणाणे ॥ ६५९ ॥ सत्तविहे जोणिसंगहे प० तं० अंडया पोयया जराउया रसया संसेयया संमुच्छिमा उब्भिया, अंडगा सत्तगइया सत्तागइया प० त० अंडगे अंडगेसु उववजमाणे अंडएहिंतो वा पोयएहिंतो वा जाव उभिएहिंतो वा उववजेजा से चेव णं से अंडए अंडगत्तं विप्पजहमाणे अंडयत्ताए वा पोययत्ताए वा जाव उन्भियत्ताए वा गच्छेज्जा, पोयया सत्तगइया सत्तागइया, एवं चेव, सत्तण्हवि गइरागई भाणियव्वा जाव उभियत्ति ॥ ६६० ॥ आयरियउवज्झायस्स णं गणंसि सत्तसंगहठाणा प० तं० आयरियउवज्झाए गणंसि आणं वा धारणं वा सम्मं पउंजित्ता भवइ, एवं जहा पंचठ्ठाणे जाव आयरियउवज्झाए गणंसि आपुच्छियचारी यावि भवइ, नो अणापुच्छियचारी यावि भवइ आयरियउवज्झाए गणंसि अणुप्पन्नाइं उवगरणाई सम्मं उप्पाइत्ता भवइ, आयरियउवज्झाए गणंसि पुन्वुप्पन्नाई उवकरणाइं सम्मं सारक्खेत्ता संगोवइत्ता भवइ नो असम्म सारक्खेत्ता संगोवित्ता भवइ ॥ ६६१ ॥ आयरियउवज्झायस्स णं गणसि सत्त असंगहठाणा प० त० आयरियउवज्झाए गणसि आणं वा धारणं वा नो सम्म पउंजित्ता भवइ, एवं जाव उवगरणाणं नो सम्मं सारक्खेत्ता संगोवेत्ता Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ठाणे २७८ सुत्तागमे भवइ ॥ ६६२ ॥ सत्त पिंडेसणाओ प० ।। ६६३ ॥ सत्तपाणेसणाओ प० ॥६६४॥ सत्त उग्गहपडिमाओ प० ॥ ६६५ ॥ सत्त सत्तिक्कया प० ॥ ६६६ ॥ सत्त महज्झयणा प० ॥ ६६७ ॥ सत्तसत्तमिया णं भिक्खुपडिमा एगूणपन्नयाए राइदिएहिं एगेण य छण्णउएणं भिक्खासएणं अहासुत्तं ( अहा अत्यं) जाव आराहिया यावि भवइ ॥ ६६८ ॥ अहे लोगेणं सत्त पुडवीओ प० सत्त घणोदहीओ प० सत्त घणवाया प० सत्त तणुवाया प० सत्त उवासंतरा प० एएसु णं सत्तसु उवासंतरेमु सत्ततणुवाया पइछिया एएसु णं सत्तसु तणुवाएसु सत्त घणवाया पइछिया एएसु णं सत्तसु घणवाएसु सत्त घणोदधी पइछिया एतेसु णं सत्तसु घणोदहीसु पिंडलगपिहुणसंठाणसंठिआओ सत्त पुढवीओ प० तं० पढमा जाव सत्तमा, एयासि णं सत्तण्हं पुढवीणं सत्त णामधेना प० तं० घम्मा वंसा सेला अंजणा रिठ्ठा मघा माघवई, एयासि णं सत्तण्हं पुढवीणं सत्त गोत्ता प० तं० रयणप्पभा सकरप्पभा वालुअप्पभा पंकप्पमा धूमप्पभा तमा तमतमा ॥ ६६९ ॥ सत्तविहा वायरवाउकाइया प० तं० पाईणवाए पडीणवाए दाहिणवाए उदीणवाए उढवाए अहोवाए विदिसिवाए ॥ ६७० ॥ सत्त संठाणा प० तं० दीहे रहस्से वट्टे तंसे चउरंसे पिहुले परिमंडले ॥ ६७१ ॥ सत्त भयठाणा प० तं० इहलोगभए परलोगभए आदाणभए अकम्हाभए वेयणभए मरणभए असिलोगभए ॥ ६७२ ॥ सत्तहिं ठाणेहिं छउमत्थं जाणेजा तं० पाणे अइवाएत्ता भवड मुसं वइत्ता भवइ अदिन्नमाइत्ता भवइ सहफरिसरसरूवगंधे आसाएत्ता भवइ पूयासकारमणुवूहेत्ता भवइ इमं सावजति पण्णवेत्ता पडिसेवेत्ता भवइ णो जहावाई तहाकारी यावि भवइ ॥ ६७३ ॥ सत्तहिं ठाणेहि केवली जाणेजा तं० णो पाणे अइवाएत्ता भवइ जाव जहावाई तहाकारी यावि भवइ ॥ ६७४ ॥ सत्त मूलगोत्ता प० तं० कासवा गोयमा वच्छा कोच्छा कोसिया मंडवा वासिठ्ठा । जे कासवा ते सत्तविहा प० तं० ते कासवा ते संडेला ते गोल्ला ते वाला ते मुंजइणो ते पव्वपेच्छइणो ते वरिसकण्हा, जे गोयमा ते सत्त विहा प० तं० ते गोयमा ते गग्गा ते भारदा ते अंगिरसा ते सकराभा ते भक्खराभा ते उदगत्ताभा, जे वच्छा ते सत्त विहा प० त० ते वच्छा ते अग्गेया ते मित्तिया ते सामिलिणो ते सेलयया ते । अढ़िसेणा ते वीयकम्हा, जे कोच्छा ते सत्तविहा प० तं० ते कोच्छा ते मोग्गलायणा ते पिंगलायणा ते कोडीणा ते मंडलिणो ते हारिता ते सोमया, जे कोसिया ते सत्त विहा प० तं० ते कोसिया ते कच्चायणा ते सालंकायणा ते गोलिकायणा ते पक्खिकायणा ते अग्गिच्चा ते लोहिता, जे मंडवा ते सत्तविहा प० तं० ते मंडवा ते अरिठ्ठा ते समुता ते तेला ते एलावच्चा ते कंडिल्ला ते खारातणा, जे वासिठ्ठा ते Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ० ७] सुत्तागमे २७९ सत्तविहा प० तं ० ते वासिठ्ठा ते उंजायणा ते जारेकण्हा ते वग्धावच्चा ते कोडिन्ना ते सण्णी ते पारासरा ॥ ६७५ ॥ सत मूलणया प० तं० नेगमे संगहे ववहारे उज्जुसुए सद्दे समभिरूढे एवंभूते ॥ ६७६ ॥ सत सरा प० तं० सज्जे रिसभे गंधारे मज्झिमे पंचमे सरे, धेवते चैव पिसादे सरा सत्त वियाहिया ( १ ) एएसि णं सत्तहं सराणं सत्त सरठाणा प० तं ० स तु अग्गजिन्भाए उरेण रिसभं सरं, कण्ठुग्गएण गंधारं मज्झजिन्भाऍ मज्झिमं ( २ ) णासाए पंचमं वूया दंतोष्ठ्ठेण य धेवयं, मुद्धाणेण य णेसायं सरठाणा वियाहिया ( ३ ) सत्त सरा जीवनिस्सिया प० तं० सज्जं रवइ मयूरो कुक्कुडो रिसहं सरं, हंसो णदइ गंधारं मज्झिमं तु गवेलगा (४) अह कुसुमसंभवे काले कोइला पंचमं सरं, छठ्ठे च सारसा कोंचा णिसायं सत्तमं गया (५) सत्तसरा अजीवनिस्सिया प० तं० सर्ज रवइ सुइंगो गोमुही रिसर्भ सरं, संखो णदइ गंधारं मज्झिमं पुण झलरी ( ६ ) चउचलणपठ्ठाणा गोहिया पंचमं सरं, आडंबरो य रेवइयं महाभेरी य सत्तमं ( ७ ) एएसि णं सत्त सराणं सत्त सरलक्खणा प० तं० सज्जेण लभड़ वित्तिं कयं च ण विणस्सइ, गावो मित्ताय पुत्ता य णारीणं चेव वल्लभो (८) रिसभेण उ एसजं, सेणावच्चं धणाणि य; वत्थगंधमलंकारं इत्थीओ सयणाणि य ( ९ ) गंधारे गीयजुत्तिण्णा वज्जवित्ती कलाहिया, भवंति करणो पन्ना जे अन्ने सत्थपारगा (१०) मज्झिमसर संपन्ना भवंति सुहजीविणो, खायती पीयती देती, मज्झिमं सरमस्सिओ ( ११ ) पंचमसरसंपन्ना भवंति पुढवीपई, सूरा संगहकत्तारो अणेगगणणायगा ( १२ ) धेवयसरसंपन्ना भवंति कलहप्पिया; साउणिता वग्गुरिया सोयरिया मच्छवंधा य ( १३ ) चंडाला मुट्ठिया सेया, जे अन्ने पावकम्मिणो; गोघातगा य जे चोरा, णिसायं सरमस्सिता ( १४ ) एएसि णं सत्तहं सराणं तओ गामा प० तं० सज्जगामे मज्झिमगामे गंधारगामे, सज्जगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ प० तं० संगी कोरव्वीया हरी य रययणी य सारकंता य, छठ्ठी य सारसी णाम सुद्धसज्जा य सत्तमा (१५) मज्झिमगामस्स णं सत्तमुच्छणाओ प० तं० उत्तरमंदा रयणी उत्तरा उत्तरासमा; आसोकंता य सोवीरा, अभी हवइ सत्तमा (१६) गंधारगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ प० तं० नंदी य खुद्दिमा पूरिमा य चउत्थी य सुद्धगंधारा, उत्तरगंधारा वि य पंचमिया हवइ मुच्छा उ (१७) सुठुतरमायामा सा छठ्ठी नियमसो उ णायव्वा अह उत्तरायया कोडीमायसा सत्तमी मुच्छा (१८) सत्त सराओ कओ संभवंति गेयस्स का भवइ जोणी ? कइ समया उस्सासा कइ वा गेयस्स आगारा ? (१९) सत्त सरा णाभीओ भवंति, गीयं च रुयजोणीयं; पादसमा ऊसासा तिन्नि य गेयस्स आगारा ( २० ) आइमिउ Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ ठाणे आरभंता, समुव्वहंता य मज्झगारंमि; अवसाणे तज्जविंतो तिन्नि य गेयस्स आगारा (२१) छद्दोसे अठ्ठगुणे तिन्नि य वित्ताईं दो य भणिईओ जाणाहिति सो गाहिइ सुसिक्खिओ रंगमज्झम्सि (२२) भीतं दुतं रहस्सं गायंतो मा य गाहि उत्तालं, काकस्सरमणुणासं च होंति गेयस्स छद्दोसा ( २३ ) पुन्नं रत्तं च अलंकियं च वत्तं तहा अविघुट्ठं; मधुरं सम सुकुमारं अठ्ठ गुणा होंति गेयस्स (२४) उरकंठसिरपसत्थं च गेजंते मउरिभिअपदवर्द्धः समतालपडुक्खेवं सत्तसरसीहरं गीयं (२५) निद्दोसं सारवंतं च हेउजुत्तमलंकियं, उवणीय सोवयारं च मियं मधुरमेव य (२६) सममद्धसमं चैव सव्वत्थ विसमं च जं, तिन्नि वित्तप्पयाराई चउत्थं नोवलब्भइ (२७) सक्कया पागया चेव दुहा भणिईओ आहिया; सरमंडलम्मि गिजंते पसत्था इतिभासिया (२८) केसी गायइ महुरं केसी गाय खरं च रुक्खं च, केसी गायइ चउरं केसि विलंवं दुतं केसी (२९) विस्सरं पुण केरिसी ? सामा गायइ मधुरं काली गायइ खरं च रुक्खं च, गोरी गायइ चउरं, काण विलंबं दुतं अंधा (३०) विस्सरं पुण पिंगला, तंतिसमं तालसमं पादसमं लयसमं गहसमं च, नीससिऊससियसमं संचारसमा सरा सत्त ( ३१ ) सत्त सरा य तओ गामा मुच्छणा एगवीसई ताणा एगूणपण्णासा समत्तं सरमंडलं ( ३२ ) सरमंडलं समन्तं ॥ ६७७ ॥ ० सत्तविहे कायकिलेसे प० तं० ठाणाइए उक्कुडयासणिए पडिमठ्ठाई वीरास णिए सज्जिए दंडाइए लगंडसाई ॥ ६७८ ॥ जंबुद्दीवे दीवे सत्तवासा प० तं० भरहे एरवए हेमवए हेरन्नवए हरिवासे रम्मगवासे महाविदेहे ॥ ६७९ ॥ जंबुद्दीवे २ सत्त वासहरपव्वया प० तं० चुल्लहिमवंते महाहिमवंते निसहे नीलवंते रुप्पी सिहरी मंदरे ॥ ६८० ॥ जंबुद्दीवे २ सत्त महानईओ पुरत्याभिमुहीओ लवणसमुद्दं समप्पेंति तं० गंगा रोहिया हिरी सीया णरकंता सुवण्णकूला रत्ता ॥ ६८१ ॥ जंबुद्दीवे २ सत्त महानईओ पञ्चत्थाभिमुहीओ लवणसमुद्दं समप्पेति तं . सिंधू रोहियंसा हरिकंता सीतोदा णारिकंता रुप्पकूला रत्तवई ॥ ६८२ ॥ धायइसंडदीवपुरच्छिमद्धे णं सत्त वासा प० तं० भरहे जाव महाविदेहे, धायइसंडदीवपुरच्छिमे णं सत्त वासहरपव्वया प० तं० चुलहिमवंते जाव मंदरे धायइसंडदीवपुरत्थिमद्धे णं सत्त महानईओ पुरत्थाभिमुहीओ कालोयसमुद्दं समप्पेति तं० गंगा जाव रत्ता, धायइसंडदीवपुरत्थि - मद्धे णं सत्त महानईओ पचत्थाभिमुहीओ लवणसमुद्दे समप्पैति तं० सिधू जाव रत्तवई, धायइसंडदीवे पच्चत्थिमद्धे णं सत्त वासा एवं चेव णवरं पुरत्थाभिमुहीओ लवणसमुद्दं समप्र्ष्णेति पञ्चत्थाभिमुहीओ कालों सेसं तं चैव ॥ ६८३ ॥ पुक्खरवरदीवपुरच्छिम णं सत्त वासा तहेव णवरं पुरत्थाभिमुहीओ पुक्खरोदं समुई : २८० Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म०७] सुत्तागमे २८१ समप्येति पञ्चत्याभिमुहीओ कालोदं समुई समप्पेंति सेसं तं चेव एवं पचत्यिमद्धेवि णवरं पुरत्याभिमुहीओ कालोदं समुदं समप्पेति, पञ्चत्याभिमुहीओ पुक्खरोदं समप्पति, सव्वत्थ वासा वासहरपव्वया गईओ य भाणियव्वाणि ॥ ६८४ ॥ जंबुद्दीवे २ भारहे वासेऽतीयाए उस्सप्पिणीए सत्त कुलगरा होत्था, तंजहा-मित्तदामे सुदामे य मुपासे य सयंपभे; विमलघोसे मुघोसे य महाघोसे य सत्तमे ॥ ६८५ ॥ जंबुद्दीवे २ भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए सन कुलगरा होत्था तं० पढमित्थ विमलवाहण चक्खुम जसमं चउत्थमभिचंदे; तत्तो य पसेणइ पुण मरुदेवे चेव नाभी य (१) एएसि णं सत्नण्हं कुलगराणं सत्न भारियाओ हुत्था, तं० चंदजसा चंदकंता सुख्ख पडिरूव चक्खुकंता या सिरिकंता मरुदेवी, कुलकरइत्थीण नामाई (२)॥ ६८६ ॥ जंबुद्दीवे २ भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए सत्त कुलगरा भविस्संति तं० मित्तवाहण सुभोमे य नुप्पभे य सयंपभे; दत्ते मुहुमे [सुहे सुरुवे] सुबंधू य आगमेस्सिग होक्खइ ॥६८७॥ विमलवाहणे थे कुलगरे सत्तविहा रुक्खा उवभोगत्ताए हव्वमागच्छिनु तं० मत्तंगया य भिंगा चित्तंगा चेव होंति चित्तरसा; मणियंगा य अणियणा सत्तमगा कप्परक्खा य (1) ॥ ६८८ ॥ सत्तविहा दंडनीई प० तं० हकारे मक्कारे धिक्कारे परिभासे मंडलबंधे चारए छविच्छेदे ॥ ६८९ ॥ एगमेगस्स णं रन्नो चाउरंतचकवट्टिस्स गं सत्त एगिदियरयगा प० तं० चक्करयणे छत्तरयणे चम्मरयणे दंडरयणे असिरयणे मणिरयणे काकणिरयणे ॥ ६९० ॥ एगमेगस्स णं रन्नो चाउरंतचक्कवट्टिस्स सत्त पंचिंदियरयणा प० तं० सेणावइरयणे गाहावइरयणे वडतिरयणे पुरोहियरयणे इत्थिरयणे आसरयणे हत्थिरयणे ॥ ६९१ ॥ सत्तहिं ठाणेहिं ओगाढं दुस्समं जाणेज्जा, तं० अकाले वरिसइ काले ण वरिसइ असाधू पुजति साधू ण पुज्जति गुरूहि जणो मिच्छं पडिवन्नो मणोदुहया वइदुहया ॥६९२॥ सत्तहिं ठाणेहिं ओगाडं सुसमं जाणेज्जा तं० अकाले ण वरिसइ काले वरिसइ असाधू ण पुनन्ति साधू पुजन्ति गुरूहि जणो सम्मं पडिवन्नो मणोसुहया वइसुहया ॥६९३॥ सत्तविहा संसारसमावन्नगा जीवा प० त० नेरइया, तिरिक्खजोणिया, तिरिक्सजोणिणिओ, मणुस्सा, मणुस्सीओ, देवा, देवीओ ॥ ६९४ ॥ सत्तविहे आउभेदे प० तं० अज्झवसाणनिमित्ते, आहारे, वेयणा, पराघाए, फासे, आणापाणू , सत्तविहं मिज्जए आउं॥ ६९५॥ सत्तविहा सव्वजीवा प० तं० पुढविकाइया आउतेउ-वाउ-वणस्सइ० तसकाइया अकाइया, अहवा सत्तविहा सव्वजीवा प० तं० कण्हलेसा जाव सुक्कलेसा अलेसा ॥ ६९६ ॥ वंभदत्ते णं राया चाउरंतचकवट्टी सत्त धणूइं उर्दू उच्चत्तेणं सत्त य वाससयाई परमाउं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा अहे Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ठाणे ૨૮ર सुत्तागमे सत्तमाए पुढवीए अप्पइठ्ठाणे णरए गेरइयत्ताए उववण्णे ॥ ६९७ ॥ मल्ली गं अरहा अप्पसत्तमे मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए तं० मल्ली विदेहरायवरकण्णगा, पडिबुद्धी इक्खागराया, चंदच्छाए अंगराया, रुप्पी कुणालाहिवई, संखे कासीराया, अदीणसत्तू कुरुराया, जियसत्तू पंचालराया ॥ ६९८ ॥ सत्तविहे दंसणे प० तं० सम्मदंसणे मिच्छदसणे सम्ममिच्छदसणे चक्खुदंसणे अचक्खुदंसणे ओहिदंसणे केवलदंसणे ॥ ६९९ ॥ छउमत्थवीयरागे णं मोहणिजवजाओ सत्त कम्मपयडीओ वेएइ, तं० णाणावरणिजं, ईसणावरणिजं, वेयणियं, आउयं, नाम, गोयमंतराइयं ॥ ७०० ॥ सत्त ठाणाई छउमत्थे सव्वभावेणं न जाणइ न पासइ, तं० धम्मत्यिकाय, अधम्मत्थिकायं, आगासस्थिकायं, जीवं असरीरपडिबद्धं, परमाणुपोग्गलं, सई, गंधं ॥ ७०१॥ एयाणि चेव उप्पन्नणाणे जाव जाणइ पासइ, तं० धम्मत्थिकायं जाव गंधं ॥ ७०२ ॥ समणे भगवं महावीरे वयरोसभणारायसंघयणे समचउरंससंठाणसंठिए सत्त रयणीओ उड्ढे उच्चत्तेणं होत्था ॥ ७०३ ॥ सत्तचिकहाओ प० तं० इत्थिकहा, भत्तकहा, देसकहा, रायकहा, मिउकालणिया, दसणभेयणी, चरित्तभेयणी ॥७०४॥ आयरियउवज्झायस्स णं गणंसि सत्त अइसेसा प० तं० आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सयस्स पाए णिगिज्झिय २ पप्फोडेमाणे वा पमज्जेमाणे वा णाइकमइ एवं जहा पंचठ्ठाणे जाव बाहिं उवस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे णाइक्कमइ उवगरणाइसेसे भत्तपाणाइसेसे ॥ ७०५॥ सत्तविहे संजमे प० तं० पुढविकाइयसंजमे जाव तसकाइयसेंजमे अजीवकायसंजमे ॥७०६॥ सत्त विहे असंजमे प०तं. पुढविकाइयअसंजमे जाव तसकाइयअसंजमे, अजीवकायअसंजमे ॥ ७०७ ॥ सत्तविहे आरंभे प० तं. पुढविकाइयआरंभे जाव अजीवकायआरंभ एवमणारंभेवि एवं सारंभे वि एवमसारंभे वि एवं समारंभेवि एवं असमारंभेवि जाच अजीवकायअसमारभे ॥७०८॥ अह भंते ! अयसिकुसुंभकोदवकंगुरालग (वराकोदूसगा) सणसरिसवमूलगवीयाणं एएसि णं धन्नाणं कोठाउत्ताणं पल्लाउत्ताणं जाव पिहियाणं केवइयं कालं जोणी संचिठ्ठइ ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्त संवच्छराइं, तेण परं जोणी पमिलायइ जाव जोणीवोच्छेदे प० ॥ ७०९ ॥ वायरआउकाइयाणं उक्कोसेगं सत्त वाससहस्साई ठिई प० ॥ ७१० ॥ तच्चाए णं वालयप्पभाए पुढवीए उकोसेणं नेरइयाणं सत्त सागरोवमाई ठिती प० ॥ ७११॥ चउत्थीए णं पंकप्पभाए पुढवीए जहण्णेणं नेरइयाणं सत्तसागरोवमाई ठिती प० ॥ ७१२ ॥ सफस्स णं देविंदस्स देवरन्नो वरुणस्स महारन्नो सत्त अगमहिसीओ प० ॥ ७५३ ॥ ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो सत्त अग्ग Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म०७] सुत्तागमे २०३ महिसीओ प० ॥ ७१४ ॥ ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो सत्त अग्गमहिसीओ प० ॥ ७१५ ॥ ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अभितरपरिसाए देवाणं सत्त पलिओवमाइं ठिई प० ॥ ७१६ ॥ सकस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अन्भितरपरिसाए देवाणं सत्त पलिओवमाइं ठिई प०॥ ७१७ ॥ सक्कस्स णं देविदस्स देवरणो अग्गमहिसीणं देवीणं सत्त पलिओवमाई ठिई प० ॥ ७१८॥ सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं उकोसेणं सत्त पलिओवमाइं ठिई प० ॥७१९।। सारस्सयमाइचाणं सत्त देवा सन देवसया प० ॥ ७२० ॥ गद्दतोयतुसियाणं देवाणं सत्न देवा सत्त देवसहस्सा प०॥ ७२१॥ सणंकुमारे कप्पे उक्कोसेणं देवाणं सत्त सागरोवमाइं ठिई प० ॥ ७२२ ॥ माहिदे कप्पे उक्नोसेणं देवाणं साइरेगाई सत्तसागरोवमाई ठिई प० ॥ ७२३ ॥ बंभलोए कप्पे जहन्नेणं देवाणं सत्त सागरोवमाइं ठिई प० ॥ ७२४ ॥ वंभलोयलंतएसु णं कप्पेसु विमाणा सत्त जोयणसयाई उढे उच्चत्तेणं प०॥७२५॥ भवणवासीगं देवाणं भवधारणिज्जा सरीरगा उक्कोसेणं सत्त रयणीओ उर्दू उच्चत्तेणं प०, एवं वाणमंतराणं एवं जोइसियाणं सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिज्जगा सरीरा सत्त रयणीओ उड्ढे उच्चत्तणं प० ॥ ७२६॥ गंदीसरवरस्स णं दीवस्स अंतो सत्त दीवा प० तं० जंबुद्दीवे २ धायइसंडे दीवे पोक्खरवरे वरुणवरे खीरवरे घयवरे खोयवरे ॥ ७२७ ॥ गंदीसरवरस्स णं दीवस्स अंतो सत्त समुद्दा प० तं० लवणे कालोए पुक्खरोदे वरुणोए खीरोदे घओदे खोओए ॥ ७२८ ॥ सत्त सेढीओ प० तं० उजुआयया एगओवंका दुहओवंका एगओखुहा दुहओखुहा चक्कवाला अद्धचक्कवाला ॥ ७२९ ॥ चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई प० तं० पायत्ताणिए पीढाणिए कुंजराणिए महिसाणिए रहाणिए नट्टाणिए गंधव्वाणिए दुमे पायत्ताणियाहिवई एवं जहा पंचठ्ठाणे जाव किन्नरे रहाणियाहिवई रितु णट्टाणियाहिवई गीयरई गंधवाणियाहिवई वलिस्स णं वइरोयणिंदस्स वइरोयणरन्नो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई प० त० पायत्ताणिए जाव गंधवाणिए महबुमे पायत्ताणियाहिवई जाव किंपुरिसे रहाणियाहिवई महारिले पट्टाणियाहिवई गीयजसे गंधव्वाणियाहिवई, धरणस्स णं णागकुमारिदस्स णागकुमाररण्णो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई प० तं० पायत्ताणिए जाव गंधव्वाणिए रुइसेणे पायत्ताणियाहिवई जाव आणंदे रहाणियाहिवई नंदणे णट्टाणियाहिवई तेतली गंधवाणियाहिवई भूयाणंदस्स सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई प० तं० पायत्ताणिए जाव गंधव्वाणिए दक्खे पायत्ताणियाहिवई जाव णंदुत्तरे रहाणियाहिवई रई पट्टाणियाहिवई माणसे गंधव्वाणियाहिवई एवं Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे २८४ [ठाणे जाव घोसमहाघोसाणं णेयव्वं सक्कस्स णं देविदस्स देवरन्नो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई प० तं० पायत्ताणिए जाव गंधव्वाणिए हरिणेगमेसी पायत्ताणियाहिवई जाव माढरे रहाणियाहिवई सेए णट्टाणियाहिवई तुंवुरू गंधव्वाणियाहिवई ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवइणो प० तं० पायत्ताणिए जाव गंधव्वाणिए लहुपरक्कमे पायत्ताणियाहिंवई जाव महासेए णट्टाणियाहिवई रए गंधवाणियाहिवई सेसं जहा पंचठ्ठाणे एवं जाव अञ्चयस्स वि णेयव्वं ॥ ७३०७३१ ॥ चमरस्स णं असुरिदस्स असुरकुमाररन्नो दुमस्स पायत्ताणियाहिवइस्स सत्त कच्छाओ प० तं० पढमा कच्छा जाव सत्तमा कच्छा, चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो दुमस्स पायत्ताणियाहिवइस्स पढमाए कच्छाए चउसठि देवसहस्सा प० जावइया पढमा कच्छा तब्बिगुणा दोच्चा कच्छा तब्बिगुणा तच्चा कच्छा एवं जाव जावझ्या छठ्ठा कच्छा तब्बिगुणा सत्तमा कच्छा एवं बलिस्स वि णवरं महद्दुमे सठ्ठिदेवसाहस्सिओ सेसं तं चेव धरणस्स एवं चेव णवरं अठ्ठावीसं देवसहस्सा सेसं तं चेव जहा धरणस्स एवं जाव महाघोसस्स णवरं पायत्ताणियाहिंवई अन्ने ते पुव्वभणिता ॥ ७३२ ॥ सकस्स णं देविदस्स देवरण्णो हरिणेगमेसिस्स सत्त कच्छाओ प० तं० पढमा कच्छा एवं जहा चमररस तहा जाव अञ्चुयस्स, णाणत्तं पायत्ताणियाहिवईणं ते पुव्वभणिया देवपरिमाणमिमं सक्कस्स चउरासीइं देवसहस्सा ईसाणस्स असीई देवसहस्साइं देवा इमाए गाहाए अणुगंतव्वा, 'चउरासीइ असीइ वावत्तरि सत्तरी य सठ्ठीया; पन्ना चत्तालीसा तीसा वीसा दससहस्सा' (१) जाव अच्चुयस्स लहुपरकमस्स दसदेवसहस्सा जाव जावइया छठ्ठा कच्छा तब्बिगुणा सत्तमा कच्छा ॥ ७३३ ॥ सत्तविहे वयणविकप्पे प० तं० आलावे, अणालावे, उल्लावे, अणुलावे, संलाचे, पलावे, विप्पलावे ॥ ७३४ ॥ सत्तविहे विणए प० तं० णाणविणए, दंसणविणए, चरित्तविणए, मणविणए, वइविणए, कायविणए, लोगोवयारविणए । ७३५ ॥ पसत्थमणविणए सत्तविहे प० तं० अपावए असावजे अकिरिए निस्वकेसे अणण्हकरे अच्छविकरे अभूताभिसंकमणे ॥ ७३६ ॥ अपसत्यमणविणए सत्तविहे प० तं० पावए सावजे सकिरिए सउवकेसे अण्हकरे छविकरे भूयाभिसंकमणे ॥ ७३७ ॥ पसत्थवइविणए सत्तविहे प० तं० अपावए असावजे जाव अभूयाभिसंकमणे ॥ ७३८ ॥ अपसत्थवइविणए सत्तविहे प० तं० - पावए, जाव भूयाभिसंकमणे ॥ ७३९ ॥ पसत्थकायविणए सत्तविहे प० तं० आउत्तं गमणं आउत्तं ठाणं आउत्तं निसीयणं आउत्तं तुअट्टणं आउत्तं उल्लंघणं आउत्तं पल्लंघणं आउत्तं सम्विदियजोगजुंजणया ॥ ७४० ॥अपसत्थकायविणए सत्तविहे प० तं० Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म. ] सुत्तागसे २८५ अणाउत्तं गमणं, जाव अणाउत्तं सबिदियजोगजुंजणया ।। ७४१॥ लोगोवयारविणए सत्तविहे प० त० अब्भासवत्तियं परच्छंदाणुवत्तियं कजहेडं कयपडिकिइया अत्तगवेसणया देसकालण्णुया सव्वत्थेसु यापडिलोमया ॥ ७४२॥ सत्त समुग्धाया प० तं० वेयणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्धाए वेउब्वियसमुग्घाए तेजससमुग्धाए आहारगसमुग्धाए केवलिसमुग्याए, मणुस्साणं सत्त समुग्धाया प० एवं चेव ॥ ७४३ ॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स तित्यंति सत्त पवयणनिहगा प० तं० बहुरया जीवपएसिया अवत्तिया सामुच्छेइया दोकिरिया तेरासिया अवद्धिया, एएसि णं सत्तण्हं पवयणनिहगाणं सत्तऽधम्मायरिया होत्था तं० जमाली तीसगुत्ते आसाढे आसमित्त गंगे छलए गोठ्ठामाहिले, एएसि णं सत्तण्हं पवयणनिण्हगाणं सत्त उप्पत्तिनगरा होत्था तं० सावत्थी उसमपुर सेयविया मिहिलमुल्लगातीरं पुरिमंतरंजि दसपुर णिण्हगउप्पत्तिनगराई ॥ ७४४ ॥ सायावेयणिज्जस्स कम्मरस सत्तविहे अणुभावे प० तं० मणुन्ना सदा मणुण्णा रूवा जाव मणुन्ना फासा मणोनया वइमूहया ॥ ७४५ ॥ असायावेयणिजस्स णं कम्मस्स सत्तविहे अणुभावं प० तं० अमणुन्ना सद्दा जाव वइदुहया ॥ ७४६ ॥ महाणक्खत्ते सत्ततारे प० ॥ ७४७ ॥ अभिईयाझ्या सत्तनक्खत्ता पुव्वदारिया प० तं० अभिई सवणो धणिठ्ठा सयभिसया पुचाभवया उत्तराभवया रेवई, अस्सिणियाइया णं सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया प० तं० अस्सिणी भरिणी कत्तिया रोहिणी सिगसिरे अद्दा पुणव्वसू, पुस्साझ्या णं सत्त णक्खत्ता अवरदारिया प० तं० पुस्सो असिलेसा मघा पुव्वाफरगुणी उत्तराफरगुणी हन्यो चित्ता, साइयाइया णं सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया प० तं० साई दिसाहा अणुराहा जेठा मूलो पुव्वाआसाठा उत्तरासाढा ।। ७४८ ॥ जंबुद्दीवे दीवे सोमणसे वक्खारपव्वए सत्त कूडा प० तं० सिद्धे सोमणसे तह बोधव्चे मंगलावईकूडे, देवकुरु विमल कंचण विसिठ्ठडे य बोद्धव्वे ॥ ७४९ ॥ जंबुद्दीवे दीवे गंधमायणे वक्खारपव्वए सत्त कूडा प० तं० सिद्ध य गंधमायण वोद्धव्वे गंधिलावईकडे उत्तरकुरुफलिहे लोहियक्ख आगंदणे चेव ॥ ७५० ॥ निइंदियाणं सत्त जाइकुलकोडिजोणीपमुहसयसहस्सा प० ॥ ७५१ ॥ जीवा णं सत्तठाणनिव्वत्तिए पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिंसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा तं० नेरइयनिव्वत्तिए जाव देवनिव्वत्तिए एवं चिण जाव णिज्जरा चेव ॥ ७५२ ॥ सत्तपएसिया खंधा अणता प० ॥ ७५३ ॥ सत्त पएसोगाढा पोग्गला जाव सत्तगुणलुक्खा पोग्गला अगंता प० ॥ ७५४ ॥ सत्तमठ्ठाणं समन्तं, सत्तममज्झयणं समत्तं ॥ Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे २८६ [ठाणे अहमठाणं ___ अहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति एगलविहारपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए तं० सड्ढी पुरिसजाए सच्चे पुरिसजाए मेहावी पुरिसजाए बहुस्सुए पुरिसजाए सत्तिमं अप्पाहिगरणे धिइमं वीरियसंपन्ने ॥ ७५५ ॥ अठ्ठविहे जोणिसंगहे प० तं० अंडया पोयया जाव उब्भिया उववाइया, अंडया अठ्ठगइया अठ्ठागइया प० तं० अंडए अंडएसु उववजमाणे अंडएहिंतो वा जाव उववाइएहिंतो वा उववज्जेजा, से चेव णं से अंडए अंडगत्तं विप्पजहमाणे अंडगत्ताए वा पोयगत्ताए वा जाव उववाइयत्ताए वा गच्छेजा एवं पोययावि जराउयावि सेसाणं गइरागई णत्थि ॥ ७५६ ॥ जीवा णं अठ्ठ कम्मपयडीओ चिणिसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा तं० णाणावरणिज्जं दरिसणावरणिजं वेयणिज मोहणिज आउयं नामं गोतं अंतराइयं, नेरइया णं अठ्ठ कम्मपगडीओ चिणिसु वा ३ एवं चेव, एवं निरंतरं जाव वेमाणियाणं २४. जीवाणमठुकम्मपगडीओ उवचिणिसु वा ३ एवं चेव एवं चिण उवचिण बंध उदीर वेय तह णिजरा चेव, एए छ चउवीसा दंडगा भाणियव्वा ॥ ७५७ ॥ अहिं ठाणेहिं माई मायं कटु नो आलोएज्जा नो पडिक्कमेजा जाव नो पडिवजेजा, तं. करिंसु वाऽहं करेमि वाऽहं करिस्सामि वाऽहं अकित्ती वा मे सिया अवण्णे वा मे सिया अवणए वा मे सिया कित्ती वा मे परिहाइस्सइ जसो वा मे परिहाइस्सइ, अहिं ठाणेहि माई मायं कटु आलोएजा जाव पडिवजेजा तं० माइस्स णं अस्सि लोए गरहिए भवइ उववाए गरहिए भवइ आजाई गरहिया भवइ एगमवि माई मायं कट्टु नो आलोएजा जाव नो पडिवजेजा णत्यि तस्स आराहणा एगमवि माई माय कटु आलोएजा जाव पडिवजेजा अत्थि तस्स आराहणा बहुओवि माई मायं कटु नो आलोएजा जाव नो पडिवजेज्जा नत्थि तस्स आराहणा बहुओवि माई मायं कटु आलोएजा जाव अस्थि तस्स आराहणा आयरियउवज्झायस्स वा मे अइसेसे णाणदंसणे समुपजेना, से तं मममालोएजा माई णं एसे माई णं मायं कह से जहा नामए अयागरेइ वा तंबागरेइ वा तउआगरेइ वा सीसागरेइ वा रुप्पागरेइ वा सुवन्नागरेइ वा तिलागणीइ वा तुसागणीइ वा बुसागणीइ वा णलागणीइ वा दलागणीइ वा सोडियालिच्छाणिवा भंडियालिच्छाणि वा गोलियालिच्छाणि वा कुंभारावाएइ वा कवेल्लुयावाएइ वा इट्टावाएइ वा जंतवाडचुल्लीइ वा लोहारंवरिसाणि वा तत्ताणि समजोइभूयाणि किसुकफुल्लसमाणाणि उक्कासहस्साई विणिम्मुयमाणाइं २ जालासहस्साई पमुंचमाणाइं इंगालसहस्साई परिकिरमाणाई अतो २ झियायंति एवामेव माई मायं कटु अंतो २ झिया Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म०८] सुत्तागमे २८७ यइ जइवि य णं अण्णे केइ वदंति तं पि यणं माई जाणइ अहमेसे अभिसंकिजामि माई णं मायं कट्ठ अणालोइयपडिकते कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति तंजहा नो महिडिएसु जाव नो दूरंगइएसु नो चिरठिईएमु से णं तत्थ देव भवइ णो महिडिए जाव णो चिरठिईए जावि य से तत्थ वाहिरन्भतरिया परिसा भवइ साविय णं णो आढाइ णो परिजाणाइ णो महारिहेणमासणेणं उवनिमंतेइ भासंपि य से भासमाणस्स जाव चत्तारि पंच देवा अवुत्ता चेव अब्भुट्ठति मा वहुं देवे ! भासउ से गं तओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता इहेव माणुस्सए भवे जाइं इमाई कुलाई भवंति तं० अतकुलाणि वा पंतकुलाणि वा तुच्छकुलाणि वा दरिद्दकुलाणि वा भिक्खागकुलाणि वा किवणकुलाणि वा तहप्पगारेसु कुलेसु पुमत्ताए पञ्चायाइ से णं तत्य पुमे भवइ दुस्वे दुवण्णे दुग्गंधे दुरसे दुफासे अणिठे अकंते अप्पिए अमगुण्णे अमगामे हीणस्सरे दीणस्सरे अणिठुसरे अकंतसरे अपियस्सरे अमणुण्ण-- स्सरे अमणामस्सरे अणाएनवयणपञ्चायाए जाविय से तत्थ वाहिरव्भतरिया परिसा भवइ सावि य णं णो आढाइ णो परिजाणाइ णो महरिहेणं आसणेणं उवणिमंतेइ भासंपि य से भासमाणस्स जाव चत्तारि पंच जणा अवुत्ता चेव अब्भुठेति मा वहुं अजउत्तो! भासउ माई णं मायं कटु आलोइयपडिनंते कालमासे कालं किच्चा अण्णतरेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति तं० महिड्डिएसु जाव चिरठिईएसु से णं तत्थ देवे भवइ महिड्डिए जाव चिरठिईए हारविराइयवच्छे कडगतुडियर्थभियभुए अंगदकुंडलमउडगंडतलकन्नपीढधारी विचित्तहत्थाभरणे विचित्तवत्थाभरणे विचित्तमालामउली कल्लाणगपवरवत्थपरिहिए कल्याणगपवरगंधमल्लाणुलेवणधरे भासुरवोदी पलंबवणमालधरे दिवेणं वण्णेणं दिव्वेणं गंधेणं दिवेणं रसेणं दिव्वेगं फासेणं दिव्वेणं संघाएणं दिव्वेगं संठाणेणं दिवाए इड्डीए दिव्वाए जुईए दिव्वाए पभाए दिव्वाए छायाए दिव्वाए अच्चीए दिव्वेणं तेएणं दिव्वाए लेस्साए दसदिसाओ उज्जोएमाणे पभासेमाणे महयाऽहयणगीयवाइयतंतीतलतालतुडियघणमुइंगपडुप्पवाइयरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ, जावि य से तत्थ वाहिरभंतरिया परिसा भवइ, सावि य णं आढाइ परिजाणाइ महारिहेण आसणेणं उवनिमंतेइ भासंपि य से भासमाणस्स जाव चत्तारि पंच देवा अवुत्ता चेव अब्भुट्ठति बहुं देवे! भासउ से णं तओ देवलोगाओ आउक्खएणं ३ जाव चइत्ता इहेव माणुस्सए भवे जाई इमाइं कुलाई भवंति, इड्ढाई जाव बहुजणस्स अपरिभूयाइं तहप्पगारेसु कुलेसु पुमत्ताए पञ्चायाइ, से णं तत्थ पुमे भवइ Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૮૮ सुत्तागमे [ ठाणे सुरूवे सुवन्ने सुगंधे सुरसे सुफासे इठे कंते जाव मणामे अहीणस्सरे जाव मणामस्सरे आदेजवयणे पचायाए जाsविय से तत्थ वाहिरव्भंतरिया परिसा भवइ सावि य णं आढाइ जाव बहुमज्जउत्ते ! भास ॥ ७५८ ॥ अठ्ठविहे संवरे प० तं॰ सोइंदियसंवरे जाव फासिंदियसंवरे मणसंवरे वइसंवरे कायसंवरे, अठ्ठविहे असंवरे प० तं० सोइंदियअसंवरे जाव कायअसंवरे || ७५९ ॥ अठ्ठ फासा प० तं० कक्कडे मउए गरुए लहुए सीए उसिणे निद्धे लुक्खे ॥ ७६० ॥ अठ्ठविहा लोगठिई प० तं० आगासपइट्ठिए वाए वायपइट्ठिए उदही एवं जाव छठाणे जाव जीवा कम्मपट्ठिया अजीवा जीवसंगहीया जीवा कम्मसंगहीया ॥ ७६१ ॥ अठ्ठविहा गणिसंपया प० तं० आयारसंपया सुयसंपया सरीरसंपया वयणसंपया वायणासंपया मइसपया पयोगसंपया संगहपरिण्णाणाम अठ्ठमा ॥ ७६२ ॥ एगमेगे णं महानिही अठ्ठचक्कवालपठाणे अठ्ठठ्ठजोयणाई उ उच्चत्तेनं प० ॥ ७६३ ॥ अठ्ठसमिईओ प० तं० इरियासमिई भासासमिई एसणास मिई आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिई उच्चारपासवणखेलजलसिंघाणपारिठ्ठावणियासमिई मणसमिई वइसमिई कायस मिई ॥ ७६४ ॥ अठ्ठहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहइ आलोयणा पडिच्छित्तए तं० -आयारखं आहारखं ववहारवं ओवीलए पकुव्चए अपरिस्साई निज्जावए अवायदंसी ॥ ७६५ ॥ अठ्ठहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहइ अत्तदोसमालोइत्तए तं० जाइसपन्ने कुलसपन्ने विणयसंपन्ने णाणसंपन्ने दंसणसंपन्ने चरित्तसंपन्ने खंते दंते ॥७६६ ॥ अठ्ठविहे पायच्छित्ते प० तं० आलोयणारिहे पडिक्कमणारिहे तदुभयारिहे विवेगारिहे विउस्सग्गारिहे तवारिहे छेयारिहे मूलारिहे ॥ ७६७ ॥ अठ्ठ मयठाणा प० तं० जाइमए कुलमए वलमए स्वमए तवमए सुयमए लाभमए इस्सरियमए ॥ ७६८ ॥ अठ्ठ अकिरियावाई प० तं० एगावाई अणेगावाई सितवाई निम्मितवाई सायवाई समुच्छेदवाई णियावाई ण संति परलोगवाई ॥ ७६९ ॥ अठ्ठविहे महानिमित्ते प० तं० भोमे उप्पाए सुविणे अंतलिक्खे अगे सरे लक्खणे वंजणे ॥ ७७० ॥ अठ्ठविहा वयणविभत्ती प० तं ० निद्देसे पढसा होइ विइया उवएसणे; तइया करणंमि क्या चरत्थी संपयावणे ( १ ) पंचमी य अवायाणे छठ्ठी सस्सामिवायणे; सत्तमी सन्निहत्थे अठ्ठमी आमंतणी भवे ( २ ) तत्थ पढमा विभत्ती निद्देसे सो इमो अहं वत्ति १ - विझ्या उण उवएसे भण कुण व इमं व तं वत्ति ( ३ ) तइया करपांमि कया णीयं च कयं च तेण व मए वा, हंदि णमो साहाए हवइ चउत्थी पयामि (४) अवणे गिण्हसु तत्तो इत्तोत्ति व पंचमी अवादाणे; छठ्ठी तस्स टमस्ग व गयस्स वा सामिसंबंधे ( ५ ) हवइ पुण सत्तमीयं इमंमि आहारकाल Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म..] सुत्तागमे २८९ भावे य; आमंतणी भवे अठ्ठमी उजह हे जुवाणत्ति (६)॥७७१॥ अंठ ठाणाई छड़मत्थे णं सव्वभावणं ण जाणइ ण पासइ तं० धम्मत्थिकायं जाव गंधं वायं, एयाणि चेव उप्पण्णणागदंसणधरे अरहा जिंणे केवली जाणइ पासइ जाव गंधं वायं ।। ७७२ ॥ अठविहे आउवेए प० तं० कुमारभिच्चे, कायतिगिच्छा, सालाई, सहहत्ता, जंगोली, भूयवेजा, खारतंते, रसायणे ॥ ७७३ ॥ सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो अठ्ठग्गमहिसीओ प० तं० पउमा सिवा सई अंजू अमला अच्छरा णवमिया रोहिणी ॥ ७७४ ॥ ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो अगमहिसीओ प० तं० कण्हा कण्हराई सामा सामरक्खिया वसू वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा ॥ ७७५ ॥ सकस्स णं देविंदसा देवरन्नो सोमस्स महारन्नो अठ्ठग्गमहिसीओ प० ईसाणस्स णं देविदस्स देवरन्नो वेसमणस्स महारन्नो अठ्ठनगमहिसीओ प० ॥ ७७६-७७७ ॥ अठ्ठ महरगहा प० तं० चंदे सूरे सुक्के वुहे वहस्सई अंगारए सणिचरे केऊ ॥७७८॥ अविहा तणवणस्सइकाइया प० तं० मूले कंदे खंधे तया साले पवाले पत्ते पुप्फे ॥ ७७९ ॥ चउरिदिया णं जीवा असमारभमाणस्स अठविहे संजमे कन्नइ तं० चक्खुमाओ सोक्खाओ अववरोवेत्ता भवइ चक्खुमएणं दुक्खेणं असंजोएत्ता भवइ एवं जाव फासामाओ सोक्खाओ अववरोवेत्ता भवइ फासामएणं दुक्खेगं असंजोएत्ता भवइ ।। ७८० ॥ चरिंदिया णं जीवा समारभमागस्स अठविहे असंजमे कन्जइ तं० चक्खुमाओ सोक्खाओ ववरोवेत्ता भवइ चक्खुमएणं दुक्खेगं संजोएत्ता भवइ एवं जाव फासामाओ सोक्खाओ० ॥ ७८१॥ अठ्ठ सुहुमा प० तं० पाणसुहुमे यणगसुहुमे बीयसहमे हरियसहुमे पुप्फसहुमे अंडसुहुमे लेणसहमे सिणेहसुहुमे ॥ ७८२ ।। भरहस्स णं रण्णो चाउरंतचकवहिस्स अठ्ठपुरिसजुगाइं अणुवद्धं सिद्धाई जाव सव्वदुक्खप्पहीणाइं तं०-आइच्चजसे महाजसे अइवले महावले तेयवीरिए कित्तवीरिए दंडवीरिए जलवीरिए ॥ ७८३ ॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणियस्स अठ्ठ गणा अठ्ठ गणहरा होत्था तं० सुभे अजघोसे वसिठे वंभयारी सोमे सिरिधरे चीरिए भद्दजसे ॥ ७८४ ॥ अठविहे दंसणे प० तं० सम्मईसणे मिच्छदंसणे सम्मामिच्छदसणे चक्खुदंसणे जाव केवलदसणे सुविणदसणे ॥ ७८५ ॥ अठ्ठविहे अद्धोचमिए ६० तं० पलिओवमे सागरोवमे उस्सप्पिणी ओसप्पिणी पोग्गलपरियट्टे तीतद्धा अणागयद्धा सव्वद्धा ॥ ७८६ ।। अरहओ णं अरिठ्नेमिस्स जाव अठमाओ पुरिसजुगाओ जुगंतकरभूमी दुवासपरियाए अंतमकासी ॥ ७८७ ॥ समणेणं भगचया महावीरेणं अठ्ठ रायाणो मुंडे भवेत्ता अगाराओ अगगारि पव्वाविया तं० वीरंगय वीरजसे संजयए णिजए य रायरिसी, सेयसिवे उदायणे (तह संखे १९ सुत्ता० Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ाफे कासिवद्धणे)॥ ७८८ ॥ अठविहे आहारे प० तं० मणुण्णे असणे पाणे खाइमे साइसे अमणुण्णे जाव साइमे ॥ ७८९ ॥ उप्पिं सणंकुमारमाहिंदाणं कप्पाणं हेठिं बंभलोए कप्पे रिठे विमाणे पत्थडे एत्थ णमक्खाडगसमचउरंससंठाणसंठियाओ अठ्ठ कण्हराईओ प० तं० पुरच्छिमेणं दो कण्हराईओ दाहिणेणं दो कण्हराईओ पञ्चच्छिमेणं दो कण्हराईओ उत्तरेणं दो कण्हराईओ, पुरच्छिमा अब्भंतरा कण्हराई दाहिणं बाहिरं कण्हराई पुट्ठा, दाहिणा अन्भितरा कण्हराई पञ्चच्छिमगं वाहिरं कण्हराइं पुट्ठा, पञ्चच्छिमा अभंतरा कण्हराई उत्तरं बाहिरं कण्हराइं पुट्ठा, उत्तरा अभंतरा कण्हराई पुरच्छिमं बाहिरं कण्हराइं पुठ्ठा, पुरच्छिमपञ्चच्छिमिल्लाओ बाहिराओ दो कण्हराईओ छलंसाओ उत्तरदाहिणाओ वाहिराओ दो कण्हराईओ तंसाओ सव्वाओ वि णं अभंतरकण्हराईओ चउरंसाओ, एयासि णं अहं कण्हराईणं अठ्ठ नामधेजा प० तं० कण्हराईति वा मेहराईति वा मघाति वा माधवईति वा वातफलिहेति वा वातपलिक्खोभेति वा देवपलिहे वा देवपलिक्खोभेति वा, एयासि णं अट्ठण्हं कण्हराईणं असु उवासंतरेसु अठ्ठलोगंतियविमाणा प० तं० अची अच्चिमाली वइरोयणे पभंकरे चंदाभे सूराभे सुपइठ्ठाभे अग्गिच्चाभे, एएसु णं असु लोगंतियविमाणेसु अठविहा लोगंतिया देवा प० तं० सारस्सयमाइचा वण्ही वरुणा य गद्दतोया य, तुसिया अव्वावाहा अग्गिच्चा चेव बोधव्वा (१) एएसि णं अकृण्हं लोगंतियदेवाणं अजहण्णमणुक्कोसेणं अठ्ठ सागरोवमाइं ठिई प० ॥ ७९० ॥ अठ्ठ धम्मत्थिकायमज्झपएसा प० अठ्ठ अहम्मस्थिकायमज्मपएसा एवं चेव अठ्ठ आगासत्थिकायमज्झपएसा प० एवं चेव अठ्ठ जीवमज्झपएसा प० ॥७९१॥ अरहंता णं महापउमे अठ्ठ रायाणो मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारिय पवावेस्सति तं० पउमं पउमगुम्मं नलिणं नलिणगुम्मं पउमद्धयं धणुद्धयं कणगरहं सरहं ।। ७९२ ॥ कण्हस्स णं वासुदेवस्स अठ्ठ अग्गमहिसीओ अरहओणं अरिठनेमिस्स अतिए मुंडा भवेत्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइया सिद्धाओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणाओ तं० पउमावई य गोरी गंधारी लक्खणा सुसीमा य जंबवई सच्चभामा रुप्पिणी कण्हअग्गमहिसीओ ॥ ७९३ ॥ वीरियपुव्वस्स णं अठ्ठ वत्थू अठ्ठ चूलियावत्थू प० ॥ ७९४ ॥ अठ्ठ गईओ प० तं० णिरयगई तिरियगई जाव सिद्धिगई गुरुगई पणोलणगई पन्भारगई ॥ ७९५॥ गंगासिधुरत्तारत्तवइदेवीणं दीवा अठ्ठ २ जोयणाई आयामविक्खंभेणं प० ॥ ७९६ ॥ उक्कामुहमेहमुहविजुमुहविजुदंतदीवाणं दीवा अठ्ठ २ जोयणसयाई आयामविक्खंभेणं प० ॥ ७९७ ॥ कालोदे णं समुद्दे अठ्ठ जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं प० ॥ ७९८ ॥ Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८] सुत्तागमे २९, अभंतरपुक्वरद्धे गं अङ्क जोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं प० एवं वाहिरपुक्खरद्धेवि ।। ७९९ ॥ एगमेगस्स गं रन्नो चाउरंतचक्कवट्टिस्स अट्ट सोवन्निए काकिणिरयणे छत्तले दुवालसतिए अकण्णिए अधिकरणिसंठिए प० । ८०० ॥ मागधस्स णं जोयणस्स अट्ट धणुसहस्साइं निधत्ते प०॥ ८०१॥ जंबू णं सुदंसणा अठ्ठ जोयगाई उठें उच्चत्तेणं बहुमज्झदेसभाए अजोयणाई विक्खंभेणं साइरेगाई अठ्ठ जोयणाइं सव्वग्गेणं प० ॥ ८०२॥ कूडसामली णं अठ जोयणाई एवं चेव ॥ ८०३ ॥ तिमिसगुहा णमठ्ठ जोयणाई उ8 उच्चत्तेणं ॥ ८०४ ॥ खंडप्पवायगुहा णं अट्ट जोयणाई उढे उच्चत्तेणं एवं चेव ॥ ८०५ ॥ जंवूमंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं सीताए महानईए उभओ कूले अठ्ठ वक्खारपब्वया प० तं० चित्तकूडे पम्हकून्डे नलिणकूडे एगसेले तिकूडे वेसमणकूडे अंजणे मायंजणे ॥ ८०६॥ जंबूमंदरपञ्चच्छिमेणं सीओयाए महाणईए उभओकूले अठ्ठ वक्खारपव्वया प० तं० अकावई पम्हावई आसीविले नुहावहे चंदपव्वए सूरपव्वए णागपव्वए देवपव्वए ॥ ८०७ ॥ जंबूमंदरपुरच्छिमेणं सीआए महाणईए उत्तरेणं अठ्ठ चरवट्टिविजया प० तं० कच्छे सुकच्छे महाकच्छे कच्छगावई आवत्ते जाव पुक्ख__ लावई ।। ८०८ ॥ जंबूमंदरपुरच्छिमेणं सीयाए महाणईए दाहिणेणमठ्ठ चकवट्टिविजया प० तं० वच्छे सुवच्छे जाव मंगलावई ॥ ८०९ ॥ जंवूमंदरपच्चच्छिमेणं सीओयाए महाणईए दाहिणेणं अठ्ठ चकवट्टिविजया प० त० पम्हे जाव सलिलावई ॥८१० ॥ जंबूमंदरपञ्चत्थिमेणं सीओयाए महाणईए उत्तरेणं अठ्ठ चकवट्टिविजया प० तं० वप्पे सुवप्पे जाव गंधिलावई ॥ ८११॥ जंवूमंदरपुरच्छिमेणं सीताए महाणईए उत्तरेणमठ्ठ रायहाणीओ प० तं० खेमा खेमपुरी चेव जाव पुंडरीगिणी ॥ ८१२॥ जंवूमंदरपुरच्छिमेणं सीताए महाणईए दाहिणेणमठ्ठ रायहाणीओ प० तं० मुसीमा कुंडला चेव जाव रयणसंचया ॥ ८१३ ॥ जंवूमंदरपच्चच्छिमेणं सीओआए महाणईए दाहिणेणं अठ्ठ रायहाणीओ प० तं० आसपुरा जाव वीतसोगा ॥८१४॥ जंवूमंदरस्स पञ्चच्छिमेणं सीओआए महाणईए उत्तरेणं अठ्ठ रायहाणीओ प० तं० विजया वेजयंती जाव अउज्झा ।। ८१५ ॥ जंबूमंदरस्स पुरच्छिमेणं सीयाए महाणईए उत्तरेणं उनोसपए अठ्ठ अरिहंता अठ्ठ चक्कवट्टी अठ्ठ बलदेवा अठ्ठ वासुदेवा उप्पजिम वा उप्पज्जति वा उप्पजिस्संति वा ॥ ८१६ ॥ जंवूमंदरपुरच्छिमेणं सीयाए महाणईए दाहिणेणं उक्कोसपए एवं चेव ॥ ८१७ ॥ जंवूमंदरपञ्चत्थिमेणं सीओयाए महाणईए दाहिणेणं उक्कोसपए एवं चेव ॥ ८१८ ॥ एवं उत्तरेणवि जंवूमंदरपुरच्छिमेणं सीआए महाणईए उत्तरेणं अठ्ठ दीहवेयड्डा अठ्ठ तिमिसगुहाओ Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ठाणे अव कामालगाओ अ उसमकदीहवेयहा २९२ अठ्ठ खंडगप्पवायगुहाओ अठ्ठ कामालगा देवा अणमालगा देवा अठ्ठ गंगाकुंडा अठ्ठ सिंधुकुंडा अठ गंगाओ अठ्ठ सिंधूओ अठ्ठ उसभकूडपव्वया अठ्ठ उसभकूडा देवा प० जंबूमंदरपुरच्छिमेणं सीयाए महाणईए दाहिणेणं अठ्ठ दी हवेयड्डा एवं चेव जाव अठ्ठ उसभकूडा देवा प० णवरमेत्य रत्तारत्तावईओ तासिं चेव कुंडा ॥ ८१९ ॥ जंबूमंदरपञ्चत्थि० सीओआए महाणईए दाहिणेणं अठ्ठ दी हवेयड्ढा जाव अठ्ठ गंगाकुंडा अठ्ठ सिंधुकुंडा अठ्ठ गंगाओ अठ्ठ सिंधूओ जाव अढ उसमकूडा देवा प० जंवूमंदरपञ्चत्थिमेगं सीओआए महाणईए उत्तरेगं अठ्ठदीहवेयड्डा जाव अठ्ठ नट्टमालगा देवा अठ्ठ रत्तकुंडा अठ्ठ रत्तावइकुंडा अठ्ठ रत्ताओ जाव अठ्ठ उसभकूडा देवा प० ॥ ८२० ॥ मंदरचूलिया णं बहुमज्झदेसभाए अठ्ठ जोयणाई विक्खंभेणं प० ॥ ८२१ ॥ धायइसंडदीवे पुरत्यिमद्वेगं धायइकले अठ्ठ जोयगाइं उर्दू उच्चत्तेणं प. वहुमज्मदेसभाए अठ्ठ जोयगाइं विखंभेगं साइरेगाइं अजोय गाई सव्वग्गेणं प० एवं धायइक्खाओ आडवेत्ता सचेव जंबूदीववत्तव्वया भाणियन्वा जाव मंदरचूलियत्ति एवं पञ्चच्छिमद्धेवि महाधायइरुक्खाओ आढवेत्ता जाव मंदरचूलियत्ति ॥ ८२२ ॥ एवं पुक्खरवरदीवड्डपुरच्छिमद्धेवि पउमक्खाओ आढवेना जाव मंदरचूले यत्ति एवं पुक्खरवरदीवपचत्यिमद्धे महापउमरुक्खाओ जाव मंदरचूलियत्ति ॥ ८२३ ।। जंबुद्दीवे दीवे मंदरे पञ्चए भद्दसालवणे अठ्ठ दिसाहत्थिकूडा प० तं०पउमुत्तर नीलचंते सुहत्थी अंजगागिरी, कुमुए य पलासए वडिंसे अठ्ठमए रोयणागिरी ॥ ८२४ ॥ जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स जगई अछु जोयणाई उटुं उच्चत्तेणं वहुम प्रदेसभाए अठ्ठ जोयगाई विक्खंभेणं प० ॥ ८२५॥ जंबुद्दीवे दीवे मंदरपव्वयस्स दाहिगेण महाहिमवंते वासहरपव्वए अठ्ठ कूडा प० तं० सिद्धे महाहिमवंते हिमवंते रोहिता हरी फूडे, हरि कंना हरिवासे चेहलिए चेव कूडा उ ॥ ८२६ ॥ जंबूमंदरउत्तरेणं रुमिमि वासहरपव्वए अठ्ठ कूडा प० तं० सिद्ध य रुप्पी रम्मग नरकंता बुद्धि रुप्पफूडे या, हिरण्णत्रए मणिकंचगे य रुप्पिमि कूडा उ ॥ ८२७ ॥ जंवूमंदरपुरच्छिमेगं स्यगवरे पव्वए अठ्ठ कूडा प० तं०-रिठे तवणिज कंचण रयय दिसासोत्थिए पलंवे य; अंजणे अंजगपुलए रुयंगस्स पुरच्छिमे कूडा (१) तत्थ णं अठ्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महिड्डियाओ जाव पलिओवमठिईयाओ परिवसंति तं० णंदुत्तरा य णंदा य आगंदा णंदिवद्धगा, विजया य वेजयंती जयंती अपराजिया ॥ ८२८ ॥ जंवूमंदरदाहिणे गं रुयगवरे पव्वए अठ्ठ कूडा प० तं०-ऋणए कंचणे पउमे नलिणे ससि दिवायरे चेव, वेसमणे वेरुलिए रुयगस्स उ दाहिणे कूडा (१) तत्थ णं अठ्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महिड्डियाओ जाव पलिओवमर्छिईयाओ परिवसंति तं० समाहारा Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे म..] २९३ सुप्पइन्ना सुप्पबुद्धा जसोहरा; लच्छिवई सेसवई चित्तगुत्ता वसुंधरा ॥ ८२९ ।। जंबूमंदरपञ्चत्यिमेणं रुयगवरे पव्वए अठ्ठ कूडा प० तं० सोस्थिए य अमोहे य हिमवं मंदरे तहा, अगे रुयगुत्तमे चंदे अठुमे य सुदंसणे (१) तत्थ णं अठ्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महिड्डियाओ जाच पलिओवमट्टिईयाओ परिवसंति तं०इलादेवी मुरादेवी पुढवी पउमावई, एगनासा नचमिया सीया भहा, य अठ्ठमा ॥ ८३० ॥ जंवूमंदरउत्तररुअगवरे पव्वए अठ्ठकूडा प० तं० रयणे रयणुच्चए या सम्वरयणे रयणसंचए चेव, विजये य वेजयंते य जयंते अपराजिए (१) तत्थ णं अठ्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महडियाओ जाव पलिओवमछिईयाओ परिवसंति तं०-अलंबुसा मितकेसी पोडरी गीतवारुणी, आसा य सव्वगा चेव सिरी हिरी चेव उत्तरओ ॥ ८३१ ॥ अठ्ठ अहेलोगवत्यव्वाओ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ प० तं० भोगंकरा भोगवई सुभोगा भोगमालिणी; सुवच्छा वच्छमित्ता य, वारिसेणा बलाहगा (१) अठ्ठ उढलोगवत्यवाओ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ प० त०मेघंकरा मेघवई मुमेघा मेघमालिणी, तोयधारा विचित्ता य पुप्फमाला अणिंदिता २ ॥ ८३२ ॥ अठ्ठ कप्पा तिरियमिस्सोववनगा प० तं० सोहम्मे जाव सहस्सारे ॥ ८३३ ॥ एएनु णं अठ्ठमु कापेमु अठ्ठ इंदा प० तं० सक्ने जाव सहस्सारे ॥ ८३४ ॥ एएसि णं अठ्ठण्हं इंदाणं अठ्ठ परियाणिया विमाणा प० तं० पालए पुप्फए सोमणसे सिरिवच्छे गंदावत्ते कामकमे पीइमणे विमले ॥ ८३५॥ अठ्ठमिया णं भिक्खुपडिमा णं चउसठ्ठीए राइदिएहिं दोहि य अठ्ठासीएहिं भिक्खासएहिं अहासुत्ता जाव अणुपालियावि भवइ ॥ ८३६ ॥ अठविहा संसारसमावन्नगा जीवा प० तं० पढमसमयनेरइया अपढमसमयनेरइया एवं जाव अपढमसमयदेवा ॥८३७॥ अठ्ठविहा सव्वजीवा पन्त० नेरइया तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीओ मणुस्सा मणुस्सीओ देवा देवीओ सिद्धा ॥ ८३८ ॥ अहवा अट्टविहा सव्वजीवा प० तं० आभिणियोहियनाणी जाव केवलनाणी मइअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी ॥ ८३९ ॥ अठविहे संजमे प० तं० पढमसमयसुहुमसंपरायसरागसंजमे, अपढमसमयसहुमसंपरायसरागसंजमे, पढमसमयवादसंजमे, अपढमसमयवादरसंजमे, पढमसमयउवसंतकसायवीयरायसंजमे, अपढमसमयउवसंतकसायवीयरायसंजमे, पढमसमयखीणकसायवीयरायसंजमे, अपढमसमयखीणकसायवीयरायसंजमे ।। ८४० ॥ अठ्ठ पुढवीओ प० तं० रयणप्पभा जाव अहे सत्तमा ईसिपब्भारा ॥ ८४१-॥ इसिप्पन्भाराए णं पुढवीए वहुमज्झदेसभाए अठ्ठजोयणिए खेत्ते अष्ठ जोयणाई बाहल्लेणं प० ॥ ८४२ ॥ ईसिपन्भाराए णं पुढवीए-अठ्ठ नामधेजा प० Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९४ सुत्तागमे [ ठाणे तं० ईसीइ वा, ईसिप भाराइ वा, तणूइ वा, तणुतणूइ वा, सिद्धीति वा, सिद्धालएइ वा, मुत्तीइ वा, सुत्तालएइ वा ॥ ८४३ ॥ अठ्ठहिं ठाणेहिं सम्मं संघडियव्वं जइयव्वं परक्कमियव्वं अस्सि च णं अठ्ठे णो पसाएयव्वं भवइ, असुयाणं धम्माणं सम्मं सुणणयाए अब्भुठेयव्वं भवइ, सुयाणं धम्माणं ओगिण्हणयाए उवधारणयाए अन्भुठेयव्वं भवइ, पावाणं कम्माणं संजमेणमकरणयाए अन्सुठेयव्वं भवइ, पोराणाणं कम्माणं तवसा विगिंचणयाए विसोहणयाए अब्भुठेयव्वं भवइ, असंगिहीयपरियणस्स संगिण्हणयाए अब्भुठेयव्वं भवइ, सेहं आयारगोयरगहणयाए अब्भुठ्ठेयव्वं भवइ, गिलाणस्स अगिलाए वेयावच्चकरणयाए अब्भुठेयन्वं भवइ, साहम्मियाणमधिकरणंसि उप्पण्णंसि तत्थ अणिस्सिओस्सिओ अपक्खग्गाही मज्झत्थभावभूए कह णु साह - म्मिया अप्पसद्दा अप्पझंझा अप्पतुमतुमा उवसामणयाए अन्भुठ्ठेयव्वं भवइ ॥ ८४४ ॥ महासुक्कसहस्सारेख णं कप्पेसु विमाणा अठ्ठ जोयणसयाई उर्दू उच्चत्तेणं प० ॥ ८४५ ॥ अरहओ णं अरिठ्ठनेमिस्स अठ्ठसया वाईणं सदेवमणुयासुराए परिसाए बाए अपराजियाणं उक्कोसिया वाइसंपया होत्या ॥ ८४६ ॥ अठ्ठसामइए केवलिसमुग्धाए प० तं० पढमे समए दंड करेइ बीए समए कवाडं करेइ तइए समए मंथानं करेइ चउत्थे समए लोगं पूरेइ पंचमे समए लोगं पडिसाहरइ छठे समए मंथं पडिसाहरइ सत्तमे समए कवाडं पडिसाहरइ अठ्ठमे समए दंडं पडिसाहरइ ॥ ८४७ ॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स अठ्ठ सया अणुत्तरोववाइयाणं गइकल्लाणाणं जाव आगमेसिभद्दाणं उक्लोसिया अणुत्तरोववाइयसंपया होत्था ॥ ८४८ ॥ अठ्ठविहा वाणमंतरा देवा प० तं० - पिसाया भूया जक्खा रक्खसा किन्नरा किंपुरिसा महोरगा गंधव्वा ॥ ८४९ ॥ एएसि णं अठ्ठण्हं वाणमंतरदेवाणं अठ्ठरुक्खा प० तं०-कलंबो अ पिसायाणं वडो जक्खाणमेव य; तुलसी 'भूयाणं भवे रक्खसाणं च कंडओ ( १ ) असोओ किन्नराणं च किंपुरिसाण य चंपओ; नागरुक्खो भुयंगाणं गंधव्वाण य तेंदुओ ( २ ) ॥ ८५० ॥ इमीसे रयणप्पभाए पुढंवीए बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ अठ्ठजोयणसए उड्डवाहाए सूरविमाणे चारं चरइ ॥ ८५१ ॥ अठ नक्खत्ता चंदेणं सद्धिं पमद्दं जोगं जोएंति तं० कत्तिया रोहिणी पुणव्वसू महा चित्ता विसाहा अणुराहा जेठ्ठा ॥ ८५२ ॥ जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स दारा अठ्ठजोयणाई उ उचत्तेणं प० - सव्वेसिंपि दीवसमुद्दणं दारा अठ्ठजोयणाईं उट्टं उच्चत्तेणं प० ॥ ८५३ ॥ पुरिसवेयणिजस्स णं कम्मस्स जहणेणं अठ्ठसंवच्छराई बंधठिई प० ॥ ८५४ ॥ जसोकित्तीनांमएणं कम्मस्स जहन्नेणं अठ्ठ मुहुत्ताईं बंधठिई प० ॥ ८५५ ॥ उच्चगोयस्स णं कम्मस्स एवं चेव Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ०९] सुत्तागमे २९५ ॥ ८५६ ॥ तेइंदियाणमठ्ठ जाइकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा प० ॥ ८५७ ॥ नीवा णं अठ्ठठाणणिव्वत्तिए पोग्गले पावक्रम्मत्ताएं चिणिसु वा चिणंति वा चिणि संति वा तं०-पढमसमयनेरइयनिन्वत्तिए जाव अपढमसमयदेवनिव्वत्तिए एवं चिण उवचिण जाव णिज्जरा चेव- ।। ८५८ ॥ अठ्ठपएसिया खंधा अणंता प० ॥ ८५९ ॥ अट्ठ पएसोगाढा पोग्गला अणंता प० ॥ ८६०॥ जाव अगुणलुक्खा पोग्गला अणंता प० ॥ ८६१ ॥ अट्टमं ठाणं समत्तं ॥ नवमटाणं नवहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंथे संभोइयं विसंभोइयं करेमाणे णाइक्कमइ तं०आयरियपडिणीयं उवज्झायपडिणीयं थेरपडिणीयं कुल० गण० संघ० नाण० दंसण० चरित्तपडिणीयं ॥ ८६२ ॥ नव वंभचेरा प० तं० सत्थपरिन्ना लोगविजओ जाव उवहाणसुयं महापरिण्णा ॥ ८६३॥ नव वंभचेरगुत्तीओ प० तं० विवित्ताई सयणासणाइं सेवित्ता भवइ णो इत्थिसंसत्ताइं नो पसुसंसत्ताई नो पंडगसंसत्ताई १ नो इत्थीणं कहं कहेत्ता २ नो इत्थिठाणाई सेवित्ता भवइ ३ नो इत्थीणमिंदियाई मणोहराई मणोरमाइं आलोइत्ता निज्झाइत्ता भवइ. ४ नो पणीयरसभोई ५ नो पाणभोयणस्स अइमत्तं आहारए सया भवइ ६ नो पुव्वरयं पुश्वकीलियं समरेत्ता भवइ ७ णो सद्दाणुवाई णो रूवाणुवाई णो सिलोगाणुवाई ८ णो सायसोक्खपडिवः यावि भवइ ९ ॥ ८६४ ॥ नव वंभचेरअगुत्तीओ प० तं० नो विवित्ताई सयणासणाई सेवित्ता भवइ इत्थीसंसत्ताई पसुसंसत्ताई पंडगसंसत्ताई इत्थीणं कहं कहेत्ता भवइ इत्थीणं ठागाइं सेवित्ता भवइ इत्थीणं इंदियाइं जाव निज्झाइत्ता भवइ पणीयरसभोई पाणभोयणस्स अइमायमाहारए सया भवइ पुन्वरयं पुव्वकीलियं सरित्ता भवइ सहाणुवाई रुवाणुवाई सिलोगाणुवाई जाव सायासुक्खपडिवद्धे यावि भवइ ॥ ८६५॥ अभिगंदणाओ णं अरहओ सुमई अरहा नवहिं सागरोवमकोडिसयसहस्सेहिं विइक्रतेहिं समुप्पन्ने ॥ ८६६ ॥ नव सम्भावपयत्था प० तं० जीवा अजीवा पुणं पावो आसवो संवरो णिज्जरा वंधो मोक्खो ॥ ८६७ ॥ णवविहा संसारसमाबन्नगा जीवा प० तं० पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया वेइंदिया जाव पंचिंदियत्ति ॥ ८६८ ॥ पुढवीकाइया नवगइया नव आगइया प० तं० पुटवीकाइए पुढवीकाइएनु उववजमाणे पुढवीकाइएहितो वा जाव पंचिदिएहितो वा उववजेजा, से चेव णं से पुढवीकाइए पुटवीकायत्तं विप्पजहमाणे पुढविकाइयत्ताए जाव पंचिंदियत्ताए वा गच्छेजा, एवं आउकाइयावि जाव पंचिंदियत्ति ॥ ८६९ ॥ नवविहा सव्वजीचा प० तं० एगिदिया बेइंदिया तेइंदिया चउरिंदिया नेरच्या पंचिंदियति Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे २९६ [ठाणे रिक्खजोणिया मणुस्सा देवा सिद्धा ॥ ८७० ॥ अहवा नवविहा सव्वंजीवा प० तं० पढमसमयनेरझ्या अपढमसमयनेरइया जाव अपढमसमयदेवा सिद्धा ॥ ८७१ ॥ नवविहा सव्वजीवोगाहणा प० तं० पुढविकाइओगाहणा आउ० जाव वणस्सइकाइओगाहणा बेइंदियोगाहणा तेइंदियोगाहणा चउरिंदियोगाहणा पंचिंदियोगाहणा ॥ ८७२ ॥ जीवा णं नवहिं ठाणेहिं संसारं वत्तिंसु वा वत्तंति वा वत्तिस्संति वा तं० पुढविकाइयत्ताए जाव पंचिंदियत्ताए ॥ ८७३ ॥ नवहिं ठाणेहिं रोगुप्पत्ती सिया तं० अच्चासणाए अहियासणाए अइणिहाए अइजागरिएणं उच्चारनिरोहेणं पासवणनिरोहेणं अद्धाणगमणेणं भोयणपडिकूलयाए इंदियत्थविकोवणयाए ॥ ८७४ ॥ णवविहे दरिसणावरणिज्जे कम्मे प० तं०-निदा निद्दानिदा पयला पयलापयला थीणगिद्धी चक्खुदरिसणावरणे अचक्खुदरिसणावरणे ओहिदरिसणावरणे केवलदरिसणावरणे ॥ ८७५ ॥ अभीई णं णक्खत्ते साइरेगे नवमुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोगं जोएइ ॥८७६॥ अभिईआइआ णं णवनक्खत्ता णं चंदस्स उत्तरेणं जोगं जोएंति तं०, अभिई सवणो धणिछा जाव भरणी ॥ ८७७ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुटवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ णवजोअणसयाइं उर्दू अवाहाए उवरिल्ले तारारूवे चार चरति ॥ ८७८ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे णवजोअणिया मच्छा पविसिंसु वा पविसंति वा पविसिस्संति वा ॥ ८७९ ॥ जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए णव वलदेववासुदेवपियरो होत्था तं० पयावई य वंभे य रोद्दे सोमे सिवेइया, महासीहे अग्गिसीहे दसरह नवमे य वसुदेवे (१) इत्तो आढत्तं जहा समवाये निरवसेसं जाव एगा से गन्भवसही सिज्झिस्सति आगमिस्सेणं ॥ ८८० ॥ जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आगमेस्साए उस्सप्पिणीए नवबलदेववासुदेवपियरो भविस्संति नव बलदेववासुदेवमायरो भविस्संति, एवं जहा समवाए निरवसेसं जाव महाभीमसेणे य सुग्गीवे य अपच्छिमे; एए खलु पडिसत्तू कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं सव्वेवि चकजोही हम्मेहंती सचक्केहि ॥ ८८१॥ एगमेगे णं महानिही नवनव जोयणाई विक्खंभेणं प० एगमेगस्स णं रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स णव महानिहओ प० तं० "णेसप्पे पंडयए पिंगलए सव्वरयण महापउमे, काले य महाकाले माणवग महानिही संखे (१) नेसप्पमि निवेसा गामागरनगरपट्टणाणं च, दोणसुहमडंबाणं खंधाराणं गिहाणं च (२) गणियस्स य बीयाणं माणुम्माणस्स जं पमाणं च, धन्नस्स य बीयाणं उप्पत्ती पंड्डुए भणिया (३) सव्वा आभरणविही पुरिसाणं जा य होइ महिलाणं, आसाण य हत्थीण य पिंगलगनिहिम्मि सा भणिया (४) रयणाई सव्वरयणे चोद्दस पवराई चक्कवहिस्स, उप्पजति एगिदियाई पंचिंदि Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ब०९] सुत्तागमे २९७ याई च (५) वत्थाण य उप्पत्ती निप्पत्ती चेव सव्वभत्तीणं, रंगाण य धोयाण य सव्वा एसा महापउमे (६) काले कालण्णाणं भव्वपुराणं च तीसु वासेसु; सिप्पसर्य कम्माणि य, तिन्नि पयाए. हियकराई (७) लोहस्स य उप्पत्ती होइ महाकालि आगराणं च, रुप्पस्स सुवण्णस्स य मणिमोत्तिसिलप्पवालाणं (८) जोधाण य उप्पत्ती आवरणागं च पहरणाणं च, सव्वा य जुद्धनीई, माणवए दंडनीई य (९) नट्टविही नाडगविही, कव्वस्स चउव्विहस्स उप्पत्ती, संखे महानिहिम्मी, तुडियंगाणं च सव्वेसिं (१०) चकठ्ठपइठ्ठाणा अठुस्सेहा य नव य विक्खंभे, बारसदीहा मंजूससंठिया, जन्हवीइ मुहे (११) वेसलियमणिकवाडा कणगमया विविहरयणपडिपुन्ना, ससिसूरचक्कलक्खण अणुसमजुगवाहुवयणा य (१२) पलिओवमट्टिईया णिहिसरिणामा य तेसु खलु देवा; जेसि ते आवासा अकिजा आहिबच्चा वा (१३) एए ते नवनिहओ पभूयधणरयणसंचयसमिद्धा जे वसमुवगच्छंती सव्वेसिं चक्कवट्टीणं” (१४)॥ ८८२॥ नव विगईओ प० तं० खीरं दहिं णवणीयं सप्पिं तेलं गुलो महुं मज मंसं ॥ ८८३ ॥ नवसोयपरिस्सवा वोदी प० तं० दो सोत्ता दो णेत्ता दो घाणा मुहं पोसे पाऊ ॥ ८८४ ॥ णवविहे पुन्ने प० तं० अन्नपुग्ने पाणपुग्ने वत्थपुण्णे लेणपुन्ने सयणपुन्ने मणपुग्ने वइपुन्ने कायपुग्ने नमोकारपुन्ने ॥८८५॥ णव पावस्सायतणा प० तं० पाणाइवाए मुसावाए जाव परिग्गहे कोहे माणे माया लोहे ॥ ८८६ ॥ नवविहे पावस्सुयपसंगे प० तं० उप्पाए निमित्ते मंते आइक्खिए तिगिच्छए, कला आवरणे अन्नाणे मिच्छापावयणेति य ॥ ८८७ ॥ णव णेउणिया वत्यू प० तं० संखाणे निमित्ते काइए पोराणे पारिहत्थिए परपंडिए वाइए भूइकम्मे तिगिच्छए ।। ८८८ ॥ समणस्स णं भगवओ णायपुत्तमहावीरस्स नव गणा होत्था तं० गोदासगणे उत्तरवलिस्सहगणे उद्देहगणे चारणगणे उद्दवाइयगणे विस्सवाइयगणे कामड्डियगणे माणवगणे कोडियगणे ॥ ८८९ ॥ समणेणं भगवया महावीरेणं समणाणं णिग्गंथाणं णवकोडिपरिसुद्धे भिक्खे प० तं० ण हणइ ण हणावइ हणंतं णाणुजाणइ ण पयइ ण पयावेइ पयंतं गाणुजाणइ ण किणइ ण किणावेइ किणंतं णाणुजाणइ ।। ८९०॥ ईसाणस्स णं देविदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारन्नो णव अग्गमहिसीओ प० ॥ ८९१॥ ईसाणस्स णं देविदस्स देवरन्नो अग्गमहिसीणं णवपलिओवमाइं ठिई प० ॥ ८९२ ॥ ईसाणे कप्पे उक्कोसेणं देवीण णव पलिओ-- वमाई ठिई प० ॥ ८९३ ॥ नव देवनिकाया प० तं० "सारस्सयमाइच्चा वही वरुणा य गद्दतोया य तुसिया अव्वावाहा अग्गिचा चेव रिठ्ठा य" ॥ ८९४ ॥ अव्वावाहाणं 'देवाणं नव देवा नव देवसया प० एवं अग्गिच्चावि एवं रिठ्ठावि Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागसे २९० [ठाणे १॥ ८९५-६ ॥ णव गेवेजविमाणपत्थडा प० तं० हेछिमहेठिसगेविजविमाणपत्थडे हेछिममज्झिमगेविजविमाणपत्थडे हेछिमउवरिमगेविजविमाणपत्थडे मज्झिमहेछिमगेविजविमाणपत्थडे मज्झिममज्झिमगेविजविमाणपत्थडे मज्झिमउवरिमगेविजविमाणपत्थडे उवरिमहेछिमगेविजविमाणपत्थडे उपरिमसज्झिमगेविजविमाणपत्थडे उवरिमउवरिमगेविजविमाणपत्थडे ॥ ८९७ ॥ एएसि णं णवण्हं गेविजविमाणपत्थडाणं णव नामधिज्जा प० तं० भद्दे सुभद्दे सुजाए सोमणसे पियदरिसणे, सुदंसणे अमोहे य सुप्पबुद्धे जसोधरे ॥ ८९८ ॥ नवविहे आउपरिणामे प० तं० गइपरिणामे गइबंधणपरिणामे ठिइपरिणामे ठिइबंधणपरिणामे उढुंगारवपरिणामे अहेगारवपरिणामे तिरियंगारवपरिणामे दीहंगारवपरिणामे रहस्संगारवपरिणामे ॥८९९॥ नवनवमिया णं भिक्खुपडिमा एगासीए राइदिएहिं चउहि य पंचुत्तरेहिं भिक्खासएहिं अहासुत्ता जाव आराहिया यावि भवइ ।। ९०० ॥ नवविहे पायच्छित्ते प० तं. आलोयणारिहे जाव मूलारिहे अणवठ्ठप्पारिहे ॥ ९०१॥ जंबूमंदरदाहि'णेणं भरहे दीहवेयड्ढे नव कूडा प० तं० सिद्धे भरहे खंडग माणी वेयड्ड पुण्ण तिमिसगुहा, भरहे वेसमणे या भरहे कूडाण णामाई ॥ ९०२ ॥ जंबूमंदरदाहिणेणं निसभे वासहरपव्वए णवकूडा प० तं० सिद्धे निसहे हरिवास विदेह हरि धिइ अ सीओया, अवरविदेहे रुयगे निसभे कूडाण नामाणि ॥ ९०३ ॥ जंबूमंदरपव्वए णंदणवणे णव कूडा प० तं० णंदणे मंदरे चेव निसहे हेमवए रयय रुयए य, सागरचित्ते वइरे बलकूडे चेव बोद्धव्वे ॥ ९०४ ॥ जंवूमालवंतवक्खारपव्वए णव -कूडा प० तं० सिद्धे य मालवंते य उत्तरकुरु कच्छ सागरे रयए, सीया तह पुण्णणामे हरिस्सहकूडे य बोद्धव्वे ॥९०५ ॥ जंबू० कच्छे दीहवेयड्ढे नव कूडा प० तं० सिद्ध कच्छे खंडग माणी वेयड्ड पुण्ण तिमिसगुहा, कच्छे वेसमणे या कच्छे कूडाण 'णामाइं ॥९०६ ॥ जंबू० सुकच्छे दीहवेयड्ढे णव कूडा प० तं० सिद्धे सुकच्छे खंडग माणी वेयड पुण्ण तिमिसगुहा; सुकच्छे वेसमणे या सुकच्छि कूडाण णामाई ॥ ९०७ ॥ एवं जाव पोक्खलावइंमि दीहवेयड्ढे एवं वच्छे दीहवेयड्ढे एवं जाव मंगलावइंमि दीहवेयड्ढे ॥ ९०८ ॥ जंबू० विजुप्पभे वक्खारपव्वए नव कूडा प० तं०-सिद्धे अ विजुणामे देवकुरा पम्ह कणग सोवत्थी, सीओयाए सजले हरिकूडे चेव वोद्धव्वे ॥ ९०९ ॥ जंवू० पम्हे दीहवेयड्ढे नव कूडा प० तं०-सिद्धे पम्हे खंडग माणी वेयड एवं चेव जाव सलिलावइंमि दीहवेयले एवं वप्पे दीहवेयड्ढे एवं जाव गंधिलावइंमि दीहवेयड्ढे नव कूडा प० तं०-सिद्धे गंधिल खंडग माणी वेयड्ड पुन्न तिमिसगुहा; गंधिलावइ वेसमण कूडाणं होति णामाइं (१) एवं सव्वेसु दीहवेयड्ढेसु Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुवागमे ०९] २९९. दो कूडा सरिसणामगा सेसा ते चेव ॥ ९१० ॥ जंवूमंदरउत्तरेणं नीलवंते वासहरपव्वए गंव कूडा प० तं० सिद्धे नीलवन्त विदेहे सीया कित्ती य नारिकंता य, अवरविदेहे रम्मगकूडे उवदंसणे चेव ॥ ९११॥ जंवूमंदरउत्तरेणं एरवए दीहवेयड्ढे नव कूडा प० तं० सिद्धे रयणे खंडग माणी व्यड्ड पुण्ण तिमिसगुहा, एरवए वेसमणे एरवए कूडणामाई ।। ९१२ ।। पासे गं अरहा पुरिसादाणिए वजारसहणारायसंघयणे समचउरंससंठाणसंठिए नव रयणीओ उर्दू उच्चत्तणं होत्था ॥ ९१३ ॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स तित्थंसि णवहिं जीवेहिं तित्थगरणामगोत्ते कम्मे णिव्वत्तिए तं० सेणिएणं सुपासेणं उदाइणा पोट्टिलेणं अणगारेणं दढाउणा संखेणं सयएणं सुलसाए सावियाए रेवईए ॥ ९१४ ॥ एस णं अज्जो ! कण्हे वासुदेवे, रामे बलदेवे, उदए पेढालपुत्ते, पुट्टिले, सयये गाहावई, दारुए नियंठे, सच्चई नियंठीपुत्ते, सावियबुद्धे अंबडे परिव्वायए, अन्जाविणं सुपासा पासावच्चिजा, आगमेस्साए उस्सप्पिणीए चाउज्जामं धम्म पन्नवइत्ता सिज्झिहिंति जाव अंतं काहिंति ॥९१५॥ एस णं अज्जो ! सेणिए राया भिंभिसारे कालमासे कालं किंचा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए सीमंतए नरए चउरासीइवाससहस्सठियंसि निरयंसि गेरइयत्ताए उववजिहिति से णं तत्थ गेरइए भविस्सइ काले कालोभासे जाव परमकिण्हे वन्नेणं से णं तत्थ वयणं वेदिहिती उजलं जाव दुरहियासं से णं तओ नरयाओ उव्वदे॒त्ता आगमेस्साए उस्सप्पिणीए इहव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेयद्भुगिरिपायमूले पुंडेसु जणवएसु सयदुवारे णयरे संमुइस्स कुलगरस्स भद्दाए भारियाए कुच्छिसि पुमत्ताए पञ्चायाहिइ तए णं सा भद्दा भारिया नवण्ठं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अठ्ठमाण य राइंदियाणं वीइक्वंताणं सुकुमालपाणिपायं अहीणपडिपुन्नपंचिंदियसरीरं लक्खणवंजण० जाव सुरूवं दारगं पयाहिती जं रयणिं च णं से दारए पयाहिती तं रयणि च णं सयदुवारे णयरे सभंतरबाहिरए भारग्गसो य कुंभग्गसो य पउमवासे य रयणवासे य वासे वासिहिति तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो एकारसमे दिवसे वइक्कते जाव बारसाहे दिवसे अयमेयात्वं गोणं गुणनिप्फण्णं नामधिज काहिंति जम्हा णं अम्हं इमंसि दारगंसि जायंसि समाणंसि सयदुवारे नयरे सन्भितरवाहिरए भारगसो य कुंभग्गसो य पउमवासे य रयणवासे य वासे युढे तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधिज महापउमे तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधिज काहिति महापउमेत्ति, तए णं महापउमं दारगं अम्मापियरो साइरेगं अछवासजायगं जाणित्ता महया रायाभिसेएणं अभिसिंचिहिंति से णं तत्थ राया भविस्सइ महया हिमवंतमहंतमलयमंदररायवनओ जाव रज पसाहेमाणे विहरिस्सइ तए णं तस्स Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागर [ ठाणे महापउमस्स रन्नो अन्नया कयाइ दो देवा महिड्डिया जाव महेसक्खा सेणाकम्म काहिति तं० पुण्णभद्दए माणिभद्दए तए णं सयदुवारे णयरे वहवे राईसरतलबरमाडंबियकोडुंबियइब्भसेठिसेणावइसत्थवाहप्पभिइयो अन्नमन्नं सद्दावेहिंति एवं वइस्संति जम्हा णं देवाणुप्पिया! अम्हं महापउमस्स रन्नो दो देवा महिड्डिया जाव महेसक्खा सेणाकम्मं करेंति तं० पुन्नभद्दे य माणिभद्दे य तं होउ णं अम्हं देवाणुप्पिया! महापउमस्स रन्नो दोचेवि नामधेजे देवसेणे, तए णं तस्स महापउमस्स दोच्चेवि नामधेजे भविस्सइ देवसेणेति २ तए णं तस्स देवसेणस्स रण्णो अण्णया कयाइ सेयसंखतलविमलसन्निकासे चउदंते हत्थिरयणे समुप्पजिहिति तए णं से देवसेणे राया तं सेयसंखतलविमलसन्निकासं चउइंतं हत्थिरयणं दुरुढे समाणे सयदुवारं णगरंमज्झमज्झेणं अभिक्खणं २ अइजाहि य णिजाहि य, तए णं सयदुवारे णगरे वहवे राईसरतलवर जाव अन्नमन्नं सद्दावेहिंति २ एवं वइस्संति जम्हा णं देवाणुप्पिया ! अम्हं देवसेणस्स रन्नो सेयसंखतलविमलसन्निकासे चउदंते हत्थिरयणे समुप्पन्ने तं होउ णं अम्हं देवाणुप्पिया! देवसेणस्स रण्णो तच्चेवि णामधेजे विमलवाहणे तए णं तस्स देवसेणस्स रन्नो तच्चेवि णामधेजे भविस्सइ विमलवाहणे २ तए णं से विमलवाहणे राया तीसं वासाई अगारवासमज्झे वसित्ता अम्मापिईहिं देवत्तगएहिं गुरुमहत्तरएहिं अब्भणुन्नाए समाणे उर्बुमि सरए संबुद्धे अणुत्तरे मोक्खमग्गे पुणरवि लोगंतिएहिं जीयकप्पिएहिं देवेहि ताहिं इठ्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं धन्नाहिं सिवाहिं मंगल्लाहिं सस्सिरीआहिं वग्गूहि अभिणदिजमाणे अभियुवमाणे य बहिया सुभूमिभागे उजाणे एर्ग देवदूसमादाय मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वयाहिति तस्स णं भगवंतस्स साइरेगाई दुवालस वासाइं निच्चं वोसठुकाए चियत्तदेहे जे केई उवसग्गा उप्पज्जति तं० दिव्वा वा माणुसा वा तिरिक्खजोणिया वा ते उप्पन्ने सम्मं सहिस्सइ खमिस्सइ तितिक्खिस्सइ अहियासिस्सइ तए णं से भगवं इरियासमिए आसासमिए जाव गुत्तवंभयारी अममे अकिंचणे छिन्नगंथे निरुवलेवे कंसपाईव मुक्कतोए जहाभावणाए जाव सुहुययासणेइव तेयसा जलंते, कसे संखे जीवे गगणे वाए य सारए सलिले, पुक्खरपत्ते कुम्मे विहगे खग्गे य भारंडे (१) कुंजर वसहे सीहे नगराया चेव सागरमक्खोभे, चंदे सूरे कणगे वसुंधरा चेव सुहुयहुए (२) नत्थि णं तस्स भगवंतस्स कत्थइ पडिवंधे भवइ, से य पडिवंधे चरविहे प० तं०-अंडए वा पोय. एइ वा उग्गहेइ वा परगहिएइ वा जंणं जंणं दिसं इच्छइ तं गं तंणं दिसं अपडिबद्धे सुइभूए लहुभूए अणप्पगंथे संजमेणं अप्पाणं भावमाणे विहरिस्सइ, तस्स णं भगवंतस्स Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे म. ९] ३०३ अणुत्तरेग नाणेणं अपेत्तरेणं दसणेणं अगुत्तरेणं चरित्तेग एवं आलएणं विहारेणे अजवे मद्दवे लाघवे खंती मुत्ती गुत्ती सच्च संजम तवगुणसुचरियसोवचियफलपरिनिव्वाणमग्गेणं अप्पाणं भावमाणस्स झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अणंते अणुत्तरे निव्वाघाए जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पजिहिति, तए णं से भगवं अरहा जिणे भविस्सइ केवली सव्वन्नू सव्वदरिसी सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स परियागं जागई पासंइ सव्वलोए सव्वजीवाणं आगई गई ठिई चवणं उववायं तक मणोमाणसिय भुत्तं कडं परिसेवियं आवीकम्मं रहोकम्मं अरहा अरहस्स भागी तं तं कालं मणसवयसकाइए जोगे वट्टमाणाणं सव्वलोए सव्वजीवाणं सव्वभावे जाणमाणे पासमाणे विहरइ, तए णं से भगवं तेणं अणुत्तरेगं केवलवरनाणदंसणेणं सदेवमणुआसुरलोग 'अभिसमिच्चा समणाणं णिग्गंथाणं पंच महन्वयाई सभावणाई छच्च जीवनिकायधम्म देसेमाणे विहरिस्सइ से जहाणामए अज्जो! मए समणाणं णिग्गंथाणं एगे आरंभठाणे पण्णत्ते एवामेव महापउमेवि अरहा समणागं णिग्गंथाणं एगं आरंभठ्ठाणं पन्न'वेहिति, से जहाणामए अज्जो! मए समगाणं णिग्गंथाणं दुविहे वंधणे प० तं. पेजवंधणे, दोसवंधणे, एवामेव महापउमेवि अरहा समणाणं णिग्गंथाणं दुविहं बंधणं पन्नवेहिती तं० पेजवंधणं च दोसवंधणं च से जहानामए अजो! मए समणाणं णिग्गंथाणं तओ दंडा प० तं० मगदंडे ३ एवामेव महापउमेवि समणाणं णिग्गंथाणं तओ दंडे पण्णवेहिति तं० मणोदंडं ३ से जहानामए एएणं अभिलावेणं चत्तारि कसाया प० तं० कोहकसाए ४ पंच कामगुणे प० त० सद्दे ५ छज्जीवनिकाया प० तं० पुढविकाइया जाव तसकाइया एवामेव जाव तसकाइया से जहाणामए एएणं अभिलावणं सत्त भयठाणा प० तं० एवामेव महापउमेवि अरहा समणाणं णिग्गंथागं सत्त भयठाणा पन्नवेहिति, एवमठ्ठ मयठाणे, णव वंभचेरगुत्तीओ दसविहे समणधम्मे एवं जाव तेत्तीसमासायणाउनि से जहानामए अज्जो! मए समणाणं णिग्गंयागं थेरकप्पे जिणकप्पे मुंडभावे अण्हाणए अदंतवणे अच्छत्तए अणुवाहणए भूमिसेजा फलासेज्जा कठुसेजा के लोए वंभचेरवासे परघरपवेसे जाव लद्धावलद्धवित्तीओ प० एवामेव महापउमेवि अरहा समणाणं णिग्गंथाणं थेरकप्पं जिणकप्पं जाव लद्धावलद्धवित्ती पण्णवेहिती, से जहाणामए अजो ! मए समणागं णिग्गंथाणं आहाकम्मिएइ वा उद्देसिएइ वा मीसजाएइ वा अज्झोयरएइ वा पूइए कीए पामिच्चे अच्छेज्ने अणिसठे अभिहडेइ वा कंतारभत्तेइ वा दुब्भिक्खभत्तेइ वा गिलाणभत्ते वदलियाभत्तेइ वा पाहुणभत्तेइ वा मूलभोयणेइ वा कंद० फल० वीय० हरियभोयणेइ वा पडिसिद्धे एवामेव महापउमे वि अरहा समणाणं० Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ठाणे आहाकम्मियं वा जाव हरियभोयणं वा पडिसेहिस्सइ, से जहाणामए अज्जो ! मए समणाणं णिग्गंथाणं पंचमहव्वइए सपडिक्कमणे अचेलए धम्मे प० एवामेव महापउमेवि अरहा समणाणं णिग्गंथाणं पंचमहव्वइयं जाव अचेलगं धम्मं पण्णवेहिती, से जहाणामए अज्जो ! मए पंचाणुव्वइए सत्तसिक्खावइए दुवालसविहे सावगधम्मे प० एवामेव महापउमेवि अरहा पंचाणुव्वइयं जाव सावगधम्मं पण्णवेस्सइ, से जहाणामए अज्जो ! मए समणाणं णिग्गंथाणं सेज्जायरपिंडेइ वा रायपिंडेइ वा पडिसिद्ध एवामेव महापउमेवि अरहा समणाणं णिग्गंथाणं सेज्जायरपिंडेइ वा जाव पडिसेहिस्सइ, से जहाणामए अज्जो ! मम णव गणा इगारस गणहरा, एवामेव महापउमस्स वि अरहओ णव गणा इगारस गणहरा भविस्संति । से जहाणामए अज्जो ! अहं तीसं वासाइं अगारवासमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए दुवालस संवच्छराइं तेरस पक्खा छउमत्थपरियागं पाउणित्ता तेरसहिं पक्खेहिं ऊणगाई तीसं वासाइं केवलिपरियागं पाउणित्ता वायालीसं वासाइं सामग्णपरियागं पाउणित्ता वावत्तरि वासाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिज्झिस्सं जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेस्सं, एवामेव महापउमेवि अरहा तीसं वासाइं अगारवासमझे वसित्ता जाव पन्विहिति दुवालस संवच्छराइं जाव बावत्तरिवासाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिज्झिहिती जाव सव्वदुक्खाणमंतं काहिती, "जंसीलसमायारो अरहा तित्थंकरो महावीरो, तस्सीलसमायारो होइ उ अरहा महापउमे ॥ ९१६ ॥ महापउसचरिअं समत्तं ॥ णव णक्खत्ता चंदस्स पच्छंभागा प० तं० अभिई सवणो धणिछा रेवइ अस्सिणि सग्गसिर पूसो, हत्थो चित्ता य तहा पच्छंभागा णव हवंति ॥ ९१७ ॥ आणयपाणयआरणच्चुएसु कप्पेसु विमाणा णव जोयणसयाई उर्दू उच्चत्तेणं प० ॥९१८॥ विमलवाहणे णं कुलगरे णव धणुसयाइं उर्दू उच्चत्तेणं होत्था ॥ ९१९ ॥ उसमे णं अरहा कोसलिए णं इमीसे ओसप्पिणीए णवहिं सागरोवमकोडाकोडीहिं विईकंताहिं तित्थे पवत्तिए ॥ ९२० ॥ घणदंतलठ्ठदंतगूढदंतसुद्धदंतदीवा णं दीवा णवणवजोयणसयाई आयामविक्खंभेणं प० ॥ ९२१ ॥ सुक्कस्स णं महागहस्स णव वीहीओ प० त०-हयवीही गयवीही णागवीही वसहवीही गोवीही उरगवीही अयवीही मियवीही वेसाणरवीही ॥ ९२२ ॥ नवविहे नोकसायवेयणिजे कम्मे प० तं०इत्थिवेए पुरिसवेए णपुंसगवेए हासे रई अरई भये सोगे दुगुंछे ॥ ९२३ ॥ चउरिदियाणं णव जाइकुलकोडीजोणिपमुहसयसहस्सा प० ॥ ९२४ ॥ भुयगपरिसप्पथलयरपचिंदियतिरिक्खजोणियाणं नवजाइकुलकोडीजोणिपमुहसयसहस्सा प० ॥९२५।। जीवा णं णवठ्ठाणनिवत्तिए पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिंसु वा ३ ॥ ९२६ ॥ पुढवि Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. .] सुत्तागमे ३०३ काइयनिवत्तिए जाव पंचिंदियनिवत्तिए एवं चिण उवचिण जाव णिज्जरा चेक ॥ ९२७ ॥णव पएसिया खंधा अणंता प० ॥ ९२८ ॥ णव पएसोगाढा पोग्गला अणंता प० ॥ ९२९ ॥ जाव णव गुणलुक्खा पोग्गला अगंता प० ॥ ९३० ॥ नवमं ठाणं नवममज्झयणं समत्तं ।। दसमठाणं दसविहा लोगठिई प० तं० जण्णं जीवा उदाइत्ता २ तत्थेव २ भुजो २ पच्चायंति, एवं एगा लोगठिई प० १ जणं जीवाणं सया समियं पावे कम्मे कन्जइ एवं एगा लोगठिई प० २ जणं जीवा सया समियं मोहणिजे पावे कम्मे कज्जइ एवं एगा लोगछिई प० ३ ण एवं भूयं वा भव्वं वा भविस्सइ वा जं जीवा अजीवा भविस्संति अजीवा वा जीवा भविस्संति एवं एगा लोगठिई प० ४ ण एवं भूयं ३ जे तसा पाणा वोच्छिजिस्संति थावरा पाणा वोच्छिजिस्संति तसा पाणा भविस्संति वा एवं पि एगा लोगट्टिई प० ५ ण एवं भूयं वा ३ जं लोगे अलोगे भविस्सइ अलोगे वा लोगे भविस्सइ एवं एगा लोगठिई प० ६ ण एवं भूयं वा ३ जं लोए अलोए पविस्सइ अलोए वा लोए पविस्सइ एवं एगा लोगठिई प० ७ जाव ताव लोगे ताव ताव जीवा जाव ताव जीवा ताव ताव लोए एवं एगा लोगठिई प० ८ जाव ताव जीवाण य पोग्गलाण य गइपरियाए ताव ताव लोए जाव ताव लोए ताव ताव जीवाण य पोग्गलाण य गइपरियाए एवं एगा लोगठिई प० ९ सव्वेसु वि णं लोगतेसु अवद्धपासपुठ्ठा पोग्गला लुक्खत्ताए कज्जति जेणं जीवा य पोग्गला य नो संचायति बहिया लोगंता गमणयाए एवं एगा लोगठिई पण्णत्ता ॥ ९३१ ॥ दस विहे सद्दे प० तं० नीहारि पिडिमे लुक्खे भिन्ने जजरिए इय; दीहे रहस्से पुहत्ते य, काकणी खिंखिणिस्सरे ॥ ९३२ ॥ दस इंदियत्थातीता प० तं० देसेण वि एगे सदाइं सुणिसु सव्वेण वि एगे साइं सुणिंसु देसेण वि एगे रूवाइं पासिंसु सव्वेण वि एगे रुवाई पासिंसु एवं गंधाइं रसाइं फासाइं जाव सव्वेण वि एगे फासाइं पडिसंवेदेंसु ॥९३३ ॥ दस इंदियत्था पडुप्पन्ना प० तं०-देसेण वि एगे सहाइं सुणेति, सव्वेण वि एगे सद्दाइं सुणेति, एवं जाव फासाइं, दस इंदियत्था अणागया प० तं०-देसेण वि एगे सद्दाई सुणिस्संति सव्वेण वि एगे सद्दाइं सुणिस्संति एवं जाव सव्वेण वि एगे फासाई पडिसंवेदेस्संति ॥ ९३४ ॥ दसहि ठाणेहिं अच्छिन्ने पोग्गले चलेजा तं०-आहारिजमाणे वा चलेज्जा, परिणामेजमाणे वा चलेजा, उस्ससिज्जमाणे वा चलेना, निस्ससिज्जमाणे वा चलेजा, वेदेजमाणे वा चलेजा, णिज्जरिज्जमाणे का Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [गणे चलेजा, विउविजमाणे वा चलेजा, परियारिजमाणे वा चलेजा, जक्खाइठे वा चलेजा, वायपरिग्गहे वा चलेजा ॥ ९३५ ॥ दसहि ठाणेहिं कोहुप्पत्ती सिया तं० मणुनाई मे सद्दफरिसरसरूवगंधाइमवहरिंसु, अमणुन्नाई मे सफरिसरसरूवगंधाई उवहरिंसु, सणुन्नाइं मे सद्दफरिसरसरूवगंधाई अवहरइ, अमणुन्नाइं मे सद्दफरिसजावगंधाइं उवहरइ, मणुण्णाइं मे सद्द जाव अवहरिस्सइ, अमणुण्णाइं मे सद्द जाव उवहरिस्सइ, मणुण्णाइं मे सद्द जाव गंधाइं अवहरिंसु वा अवहरइ अवहरिस्सइ, अमणुण्णाइं मे सद्द जाव उवहरिंसु वा उवहरइ उवहरिरसइ, मणुण्णामणुण्णाई सद्द जाव अवहरिसु अवहरइ अवहरिस्सइ उवहरिंसु उवहरइ उवहरिरसइ अहं च णं आयरियउवज्झायाणं सम्मं वहामि ममं च णं आयरियउवज्झाया मिच्छं पडिवाना ॥ ९३६ ॥ दसविहे संजमे प० तं० पुढविकाइयसंजमे जाव वणस्सइकाइयसंजमे बेइंदियसंजमे तेइंदियसंजमे चउरिदियसंजमे पंचिंदियसंजमे अजीवकायसंजमे ॥ ९३७ ॥ दसविहे असंजमे प० तं० पुढविकाइयअसंजमे, आउ० तेउ० वाउ. वणस्सइ० जाव अजीवकायअसंजमे ॥ ९३८ ॥ दसविहे संवरे प० तं०-सोइंदियसंवरे जाव फासिंदियसंवरे मण० वय० काय० उवकरण० सूचीकुसग्गसंवरे ॥९३९॥ दसविहे असंवरे प० तं०-सोइंदियअसंवरे, जाव सूचीकुसग्गअसंवरे ॥ ९४०॥ दसहिं ठाणेहिं अहमंतीति थंभिजा तं०-जाइमएण वा कुलमएण वा जाव इस्सरियमएण वा णागसुवन्ना वा मे अंतियं हव्वमागच्छंति, पुरिसधम्माओ वा मे उत्तरिए अहोहिए नाणदंसणे समुप्पन्ने ॥ ९४१ ॥ दसविहा समाही प० तं०-पागाइवायवेरमणे, मुसा० अदिन्ना० मेहुण० परिग्गह०इरियासमिई भासा० एसणा० आयाण० उच्चारपासवणखेलजल्लसिघाणपारिठ्ठावणियासमिई ॥ ९४२ ॥ दसविहा असमाही प० तं० पाणाइवाए जाव परिरगहे, इरियाऽसमिई जाव उच्चार० ॥ ९४३ ॥ दसविहा पव्वज्जा प० तं०-छंदा रोसा परिजुन्ना सुविणा पडिस्सुआ चेव सारणिया रोगिणिया अणाढिया देवसन्नत्ती वच्छाणुवंधिया ॥ ९४४ ॥ दस विहे समणधम्मे प० तं० खंती मुत्ती अजवे मद्दवे लाघवे सच्चे संजमे तवे चियाए वंभचेरवासे ॥ ९४५ ॥ दसविहे वेयावच्चे प० तं० आयरियवेयावच्चे उवज्झायवेयावच्चे थेरवेयावच्चे तवस्सि० गिलाण० सेह० कुल० गण० संघवेयावच्चे साहम्मियवेयावच्चे ॥ ९४६ ॥ दसविहे जीवपरिणामे प० तं० गइपरिगामे इंदियपरिगामे कसायपरिगामे लेस्सा० जोग० उवओग० णाण० दंसण० चरित्त० वेयपरिणामे ॥९४७॥ दसविहे अजीवपरिणामे प० त० बंधणपरिणामे गइ० संठाण० भेद० वग० रस० गंध० फास० अगुरुलहु० सद्दपरिणामे ॥ ९४८ ॥ दसविहे अंतलिक्खिए असज्झाइए प० त० Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म० १०] सुत्तागमे ३०५ उक्कावाए दितिदाघे गजिए विजुए निग्धाए जूयए जक्खालित्ते धूमिया महिया रयउग्धाए ॥ ९४९ ॥ दसविहे ओरालिए असज्झाइए प० तं ० -अट्ठि मंसं सोणिए अनुइसामंते सुसाणसामंते चंदोबराए सूरोवरा पडणे राययुग्गहे उवस्सयस्स अंतो ओरालिए सरीरंगे ॥ ९५० ॥ पंचिदियाणं जीवाणं असमारभमाणस्स दसविहे संजमे कज्जइ तं० - सोयामयाओ सुक्खाओ अववरोवेत्ता भवइ, सोयामएणं दुक्खेणं असंजोगेत्ता भवइ, एवं जाव फासामएणं दुक्खेणं असंजोएत्ता भवइ, एवं असंजमोवि भाणियव्वो ॥ ९५१ ॥ दसमुहमा प० तं० - पाणसुहुमे, पणगसुहुमे जाव सिणेहमुहुमे, गणियहुमे, भंगहुमे ॥ ९५२ ॥ जंबूमंदरदाहिणेणं गंगासिधुमहाणईओ दसमहाणईओ समप्पेंति तं० जणा, सरऊ, आवी, कोसी, मही, सिंधू, विवच्छा, विभासा, एरावई, चंद्रभागा ॥ ९५३ ॥ जंबूमंदरउत्तरेणं रत्तारत्तवईओ महाओ दस महाणईओ समप्पेंति तं ० - किण्हा, महाकिण्हा, नीला, महानीला, तीरा, महातीरा, इंदा जाब महाभोगा ॥ ९५४ ॥ जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दस रायहाणीओ प० तं० चंपा, महुरा, वाणारसी य, सावत्थी, तह य साएयं, हत्थि - नाउर, कंपिल्लं, मिहिला, कोसंवि, रायगिहं ॥ ९५५ ॥ एयासु णं दस रायहाणीसु दस रायाणो मुंडा भवेत्ता जाव पव्वइया, तं० - भरहे, सगरो, मघवं, सणकुमारो, संती, कुंथू, अरे, महापउमे, हरिसेणो, जयणामे ॥ ९५६ ॥ जंबूमंदरपव्वए दस जोयणसयाई उव्वेहेणं धरणितले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं उवरि दसजोयसयाई विक्खभेणं दसदसाई जोयणसहस्साइं सव्वग्गं प० ॥ ९५७ ॥ जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स बहुमज्नदेसभाए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिमहेठ्ठिलेमु खड्गपयरेसु एत्थ णं अठ्ठ पएसिए स्यगे प० जओ णं इमाओ दस दिसाओ पवहंति तं पुरच्छिमा, पुरच्छिमदाहिणा, दाहिणा, दाहिणपच्चत्थिमा, पञ्चत्थिमा, पच्चत्थिमुत्तरा, उत्तरा, उत्तरपुरच्छिमा, उड्ढा, अहो ॥ ९५८ ॥ एएसि णं दसहं दिसाणं दस णामधिज्जा, प० तं० - इंदा अग्गीड़ जमा णेरई वारुणी य वायव्वा, सोमा ईसा - णावि य विमला य तमा य वोद्धव्वा ॥ ९५९ ॥ लवणस्स णं समुद्दस्स दस जोयणसहस्साइं गोतित्थविरहिए खेत्ते प० ॥ ९६० ॥ लवणस्स णं समुद्दस्स दस जोयणसहस्साईं उदगमाले पन्नत्ते ॥ ९६१ ॥ सव्वेवि णं महापायाला दसदसाईं जोयणसहस्साइं उव्वेहेणं प० मूळे दस जोयणसहस्साईं विक्खंभेणं प० बहुमज्झदेसभागे एगपएसियाए सेढीए दसदसाईं जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं प० उवरिं मुहमूले दस जोयणसहस्साईं विक्खंभेणं प० तेसिं णं महापायालाणं कुड्डा सव्ववइरामया सव्वत्यसमा दस जोयणसयाई वाहणं प० सव्वेति णं खुद्दा पायाला दस जोयणसयाईं २० सुत्ता० Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [गणे उन्वेहेणं प० मूले दसदसाइं जोयणाई विक्खंभेणं बहुमज्झदेसभाए एगपएसियाए सेढीए दस जोयणसयाई विक्खंभेणं प० उवरिं मुहमूले दसदसाइं जोयणाई विक्वंभेां प० तेसि णं खुड्डापायालाणं कुड्डा सव्ववइरामया सव्वस्थ समा दस जोयणाई वाहल्लेणं प० ॥ ९६२॥ धायइसंडगा णं मंदरा दस जोयणसयाई उव्वेहेणं धरणितले देसूणाई दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं उवरि दस जोयणसयाई विक्खंभेणं प० ॥ ९६३ ॥ पुक्खरवरदीवद्धगा णं मंदरा दस जोयण एवं चेव ॥९६४ ॥ सव्वेवि णं वट्टवेयड्डपव्वया दसजोयणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं दस गाउयसयाइं उव्वेहेणं सव्वत्थसमा पल्लगसंठाणसंठिया दसजोयणसयाई विक्खंभेणं प० ॥ ९६५ ॥ जंबुद्दीवे दीवे दस खेत्ता प० तं० भरहे एरवए हेमवए हेरनवए हरिवस्से रम्मगवस्से पुव्वविदेहे अवरविदेहे देवकुरा उत्तरकुरा ॥ ९६६ ॥ माणुसुत्तरे णं पव्वए मूले दस वावीसे जोयणसए विक्खंभेणं प० ॥ ९६७ ॥ सव्वेवि णं अंजणगपव्वया दस जोयणसयाइं उन्वेहेणं मूले दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं उवरि दस जोयणसयाई विक्खंभेणं प० ॥ ९६८ ॥ सव्वेवि णं दहिमुहपव्वया दस जोयणसयाइं उव्वेहेणं सव्वत्थसमा पल्लगसंठाणसंठिया दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं प० ॥ ९६९ ॥ सव्वेवि णं रइकरयपव्वया दस जोयणसयाई उर्दू उच्चत्तणं दस गाउयसयाइं उव्वेहेगं सव्वत्थसमा अलरिसंठाणसंठिया दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं प० ॥ ९७० ॥ रुयगवरे णं पव्वए दस जोयणसयाई उव्वेहेणं, मूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं उवरि दस जोयणसयाइं विक्खंभेणं प० एवं कुंडलवरेवि ॥ ९७१ ॥ दसविहे दवियाणुओगे प० तं० दवियाणुओगे माउयाणुओगे एगठियाणुओगे करणाणुओगे अप्पियणप्पिए भावियाभाविए बाहिरावाहिरे सासयासासए तहणाणे अतहणाणे ॥ ९७२ ॥ चमरस्सणं असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो तिगिच्छिकूडे उप्पायपव्वए मूले दसवावीसे जोयणसए विक्खंभेणं प० ॥ ९७३ ॥ चमरस्स णं असुरिदस्स असुरकुमाररन्नो सोमस्स महारन्नो सोमप्पभे उप्पायपव्वए दस जोयणसयाइं उर्दू उच्चत्तेणं दस गाउयसयाई उन्वेहेणं मूले दस जोयणसयाई विक्खंभेणं प० ॥ ९७४॥ चमरस्स णं असुरिदस्स असुरकुसाररण्णो जमस्स महारन्नो जमप्पभे उप्पायपव्वए एवं चेव, एवं वरुणस्सवि एवं वेसमणस्स वि ॥ ९७५ ॥ बलिस्स णं वइरोयणिदस्स वइरोयणरन्नो रुयगिदे उप्पायपव्वए मूले दसवावीसे जोयणसए विक्खंभेणं प० ॥ ९७६ ॥ बलिस्स णं वइरोयणिदस्स सोमस्स एवं चेव, जहा चमरस्स लोगपालाणं तं चेव बलिस्स वि ॥ ९७७ ॥ धरणस्स णं णागकुमारिदस्स णागकुमाररन्नो धरणप्पभे उप्पायपव्वए Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म. १.] सुत्तागमे दस जोयणसयाई उडे उच्चत्तेणं दस गाउयसयाई उव्वेहेणं मूले दस जोयणसयाइं विक्खंभेणं ॥ ९७८ ॥ धरणस्स नागकुमारिदस्स णं नागकुमाररण्णो कालवालस्स महारण्यो महाकालप्पभे उप्पायपव्वए दस जोयणसयाई टड्ढे उच्चत्तेणं एवं चेव, एवं जाव संखवालस्स, एवं भूयाणंदस्स वि, एवं लोगपालाणंपि से जहा धरणस्स, एवं जाव थणियकुमाराणं सलोगपालाणं भाणियव्वं, सव्वेसि उप्पायपव्वया भाणियचा सरिसणामगा ॥९७९॥ सक्कस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सक्कप्पभे उप्पायपव्वए दस जोयणसहस्साई उढे उच्चत्तणं दसगाउयसहस्साइं उब्वेहेणं मूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं प० ॥ ९८० ॥ सकस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारनो जहा सकस्स तहा सव्वेसिं लोगपालाणं सव्वेसि च इंदाणं जाव अचुयत्ति, सव्वेसि पमाणमेगं ॥९८१ ॥ वायरवणस्सइकाइयाणं उक्कोसेणं दस जोयणसयाई सरीरोगाहणा प०॥९८२ ॥ जलचरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं उक्कोसेणं दस जोयणसयाई सरीरोगाहणा प० उरपरिसप्पथलचरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं उक्कोसेणं एवं चेव ॥ ९८३ ॥ संभवाओ णं 'अरहाओ अभिनंदणे अरहा दसहि सागरोवमकोडिसयसहस्सेहिं वीइकंतेहिं समुप्पन्ने ॥९८४॥ दसविहे अणंतए प० तं० णामाणतए ठवणाणतए दव्वाणंतए गणणाणतए पएसाणंतए एगओणंतए दुहओणंतए देसवित्थाराणंतए सव्ववित्थाराणंतए सासयाणंतए ॥ ९८५ ॥ उप्पायपुव्वस्स णं दस वत्थू प० ॥९८६ ॥ अस्थिणत्थिप्पवायपुवस्स णं दस चूलवत्थू प०॥९८७॥ दसविहा पडिसेवणा प० तं०-दप्प पमाय णाभोगे आउरे आवईसु य, संकिए सहसक्कारे भय प्पयोसा य वीमंसा ॥९८८॥ दस आलोयणा दोसा प० तं० आकंपइत्ता अणुमाणइत्ता जंदिह्र बायरं च सुहुमं वा, छण्णं सद्दाउलगं बहुजण अव्वत्त तस्सेवी ॥९८९ ॥ दसहि ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहइ अत्तदोसमालोएत्तए तं०जाइसंपन्ने कुलसंपन्ने एवं जहा अठ्ठठाणे जाव खते दंते अमाई अपच्छाणुतावी ॥ ९९० ॥ दसहि ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहइ आलोयणं पडिच्छित्तए तं०आयारवं अवहारवं जाव अवायदंसी पियधम्मे दढधम्मे ॥ ९९१ ॥ दसविहे पायच्छित्ते प० तं०-आलोयणारिहे जाव अणवठ्ठप्पारिहे पारंचियारिहे ॥ ९९२ ॥ दसविहे मिच्छत्ते प० तं०-अधम्मे धम्मसण्णा धम्मे अधम्मसण्णा उम्मग्गे मंग्गसण्णा मागे उम्मॉगसण्णा अजीवेसु जीवसन्ना जीवेसु अजीवसण्णा असाहुसु साहुसण्णा साहुसु असाहुसण्णा अमुत्तेसु मुत्तसण्णा मुत्तेसु अमुत्तसण्णा ॥ ९९३ ॥ चंदप्पभे गं अरहा दस पुव्वसयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जावप्पहीणे ॥९९४ ॥ धम्मे णं अरहा दस वाससयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्ध जाव Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०० सुत्तागसे [ठाणे प्पहीणे ॥९९५॥ णमी णं अरहा दस वाससहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहीगे ॥ ९९६॥ पुरिससीहे णं वासुदेवे दसवाससयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता छठीए तमाए पुढवीए नेरइयत्ताए उववन्ने ॥ ९९७ ॥ णेमी गं अरहा दस धणूई उद्धं उच्चत्तेणं दस य वाससयाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जावप्पहीणे ॥ ९९८ ॥ कण्हे णं वासुदेवे दस धणूइं उर्दू उच्चत्तेणं दसवाससयाइं सव्वाउयं पालइत्ता तच्चाए वालुयप्पभाए पुढवीए नेरइयत्ताए उववने ॥ ९९९ ॥ दसविहा भवणवासी देवा प० तं०-असुरकुमारा जाव थणियकुमारा ॥ १००० ॥ एएसि णं दसविहाणं भवणवासीणं देवाणं दस रुक्खा प० तं०-आसत्थ सत्तिवण्णे सामलि उंबर सिरीस दहिवन्ने, वंजुल पलास वप्पे तए य कणियाररुक्खे ॥ १००१ ॥ दसविहे सोक्खे प० तं०-आरोग्ग दीहमाउं अड्डेज काम भोग संतोसे; अत्थि सुहभोग निक्खम्ममेव तत्तो अणाबाहे ॥१००२॥ दसविहे उवघाए प० तं०-उपगमोवघाए उप्पायणोवघाए जह पंचमे ठाणे जाव परिहरणोवघाए णाणोवधाए दसणोवघाए चरित्तोवघाए अचियत्तोवघाए सारक्खणोवघाए ॥ १००३ ॥ दसविहा विसोही प० तं०-उग्गमविसोही उप्पायणविसोही जाव सारक्खणविसोही ॥ १००४ ॥ दसविहे संकिलेसे प० तं०-उवहिसंकिलेसे उवस्सयसंकिलेसे कसायसंकिलेसे भत्तपाणसंकिलेसे मणसंकिलेसे वइसंकिलेसे कायसंकिलेसे णाणसंकिलेसे दसणसंकिलेसे चरित्तसंकिलेसे ॥ १००५ ॥ दसविहे असंकिलेसे प० तं० उवहिअसंकिलेसे जाव चरित्तअसंकिलेसे ॥ १००६ ॥ दसविहे बले प० तं०-सोइंदियवले जाव फासिंदियबले णाणबले दसणबले चरित्तबले तववले वीरियबले ॥ १००७ ॥ दसविहे सच्चे प० तं०-जणवय सम्सय ठवणा नामे रूवे पडुच्चसच्चे य, ववहार भाव जोगे दसमे ओवम्मसच्चे य ॥ १००८ ॥ दसविहे मोसे प० तं०-कोहे माणे माया लोभे पिजे तहेव दोसे य, हास भए अक्खाइय उवघायनिस्सिए दसमे ॥ १००९ ॥ दसविहे सच्चामोसे प० तं० उप्पन्नमीसए विगयमीसए उप्पन्नविगयमीसए जीवमीसए अजीवमीसए जीवाजीवमीसए अणंतमीसए परित्तमीसए अद्धामीसए अद्धद्धामीसए ॥ १०१० ॥ दिठिवायस्स णं दस नामधेजा प० तं० दिठिवाएइ वा हेउवाएइ वा भूयवाएइ वा तच्चावाएइ वा सम्मावाएइ वा धम्मावाएइ वा भासाविजएइ वा पुव्वगएइ वा अणुजोगगएइ वा सव्वपाणभूयजीवसत्तसुहावहेइ वा ॥ १०११॥ दसविहे सत्ये प० तं०-सत्थमग्गी विसं लोणं सिणेहो खार मंबिलं, दुप्पउत्तोमणो वाया काया भावो य अविरई ॥ १०१२ ॥ दसविहे दोसे प० त०-तज्जायदोसे मइभंगदोसे पसत्यारदोसे परिहरणदोसे, सलक्खण कारण हेउदोसे संकामणं निग्गह वत्युदोसे Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०] सुत्तागमे ॥१०१३॥ दसविहे विसेसे प० तं०-वत्थु तज्जायदोसे य दोसे एगठ्ठिएइ य, कारणे य पडप्पण्णे दोसे निव्वे हि अमे; अत्तणा उवणीए य विसेसेति य ते दस...॥१०१४॥ दसविहे सुद्धावायाणुओगे प० तं०-चंकारे मंकारे पिंकारे सेयंकारे सायंकारे एंगत्ते पुहुत्ते संजूहे संकामिए भिन्ने ॥ १०१५ ॥ दसविहे दाणे प० तं० अणुकंपा संगहे चेव भये कालुणिएइ य; लज्जाए गारवेणं च, अहम्मे पुण सत्तमे ॥ धम्मे य अठ्ठमे वुत्ते काहीइ य कयंति य ।। १०१६ ॥ दसविहा गई प० तं०निरयगई, निरयविरगहगई, तिरियगई, तिरियविग्गहगई, एवं जाव सिद्धिगई, सिद्धिविग्गहगई ॥१०१७ ॥ दसमुंडा प० तं०-सोइंदियमुंडे जाव फासिदियमुंडे, कोहमुंडे जाव लोभमुंडे दसमे सिरमुंडे ॥ १०१८ ॥ दसविहे संखाणे प० तं०-परिकम्मं ववहारो रज्जू रासी कलासवन्ने य, जावंतावइ वग्गो घणो य तह वग्गवग्गो वि, कप्पो य ।। १०१९ ॥ दसविहे पञ्चक्खाणे प० तं०-अणागयमइक्वंतं कोडीसहियं नियंटियं चेव, सागारमणागारं, परिमाणकडे, निरवसेसं, संकेयं चेव अद्धाए, पञ्चक्खाणं दसविहं तु ॥ १०२० ॥ दसंविहा सामायारी प० तं०-इच्छा मिच्छा तहकारो आवस्सिया निसीहिया, आपुच्छणा य पडिपुच्छा छंदणा य निमंतणा, उवसंपया य काले सामायारी भवे दसविहा उ ॥ १०२१॥ समणे भगवं महावीरे छउमत्थकालियाए अंतिमराइयंसि इमे दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे तं०-एगं च णं महाघोररूवदित्तधरं तालपिसायं सुमिणे पराजियं पासित्ता णं पडिबुद्धे १ एगं च णं महं सुकिलपक्खगं पुंसकोइलगं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे २ एगं च णं महं चित्तविचित्तपक्खगं पुंसकोइलगं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे ३ एगं च णं महं दामदुगं सव्वरयणामयं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे ४ एगं च णं महं सेयं गोवरगं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्ध ५ एगं च णं महं पउमसरं सव्वओ समंता कुसुमियं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे ६ एगं च णं महासागरं उम्मीवीचीसहस्सकलियं भुयाहि तिन्नं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे ७ एगं च णं महं दिणयरं तेयसा जलतं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे ८ एगं च णं महं हरिवेसलियवन्नामेण निययेणमंतेणं माणुसुत्तरं पव्वयं सव्वओ समंता आवेढियं परिवेढियं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे ९ एग चणं महं मंदरे पव्वए मंदरेचूलियाओ उवरिं सीहासणवरगयमत्ताणं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे १० जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं घोररूवदित्तधरं तालपिसायं सुमिणे पराजियं पासित्ता णं पडिबुद्धे तणं समणेणं भगवया महावीरेणं मोहणिजे कम्मे मूलाओ उग्घाइए १ जणं समणे भगवं महावीरे एग महं सुक्किलपक्खगं जाव पडिबुद्धे तंग समणे भगवं Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ ठाणे महावीरे सुक्कज्झाणोवगए विहरइ २ जण्णं समणे भगवं महावीरे एवं महं चित्त'विचित्तपक्खगं जाव पडिबुद्धे तं णं समणे भगवं महावीरे ससमयपरसमइयं चित्तविचित्तं दुवालसंगं गणिपिडगं आघवेइ पण्णवेइ परुवेइ दंसेइ निदंसेइ उवदंसेइ तं० आयारं जाव दिठ्ठिवायं ३ जण्णं समणे भगवं महावीरे एवं महं दामदुगं सव्वरयणा जाव पडिबुद्धे तं णं समणे भगवं महावीरे दुविहं धम्मं पण्णवेइ, तं०अगारधम्मं च अणगारधम्मं च ४ जं णं समणे भगवं महावीरे एवं महं सेयं गोवग्गं सुमिणे जाव पडिबुद्धे तं णं समणस्स भगवओ महावीरस्स चाउव्वण्णाइण्णे संघे तं०-समणा समणीओ सावगा सावियाओ ५ जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं पउमसरं जाव पडिवुद्धे तं णं समणे भगवं महावीरे चउव्विहे देवे पण्णवेइ, तं० भवणवासी वाणसंतरा जोइसवासी वेमाणवासी ६ जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं उम्मीवीची जाव पडिबुद्धे तं णं समणेणं भगवया महावीरेणं अणाईए अणवदग्गे दीहमद्धे चाउरंतसंसारकंतारे तिने ७ जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं दिणकरं जाव पडिवुद्धे तं णं समणस्स भगवओ महावीरस्स अणते अणुत्तरे जाव समुप्पन्ने ८ जण्णं समणे भगवं महावीरे एवं महं हरिवेरुलिय जान पडिबुद्धे तं णं समणस्स भगवओ महावीरस्स सदेवमणुयासुरे लोगे उराला किन्तिवन्नसद्द सिलोगा परिगुव्वंति इति खलु समणे भगवं महावीरे इइ० ९ जण्णं समणे भगवं महावीरे मंदरे पव्वए मंदरचूलियाए उवरिं जाव पडिबुद्धे तं णं समणे भगवं महावीरे सदेवमणुयासुराए परिसाए मज्झगए केवलिपन्नत्तं धम्मं आघवेइ पण्णवेइ जाव उवदंसेइ १० ॥ १०२२ ॥ दसविहे सरागसम्मदंसणे प० तं. - निसग्गुवएसरुई आणरुई सुत्तबीयरहमेव, अभिगम वित्थाररुई किरिया संखेव धम्मरुई ॥ १०२३ ॥ दससण्णाओ प० तं० - आहारसण्णा भयसण्णा मेहुणसण्णा परिग्गहसण्णा कोहसण्णा माणसण्णा मायासण्णा लोहसण्णा लोगसण्णा ओहसण्णा नेरइयाणं दस सण्णाओ एवं चेव एवं निरंतरं जाव वेमाणियाणं २४ ।। १०२४ ॥ नेरइया णं दसविहं वेयणं पचणुभवमाणा विहरंति तं० सीयं उतिणं खुहं पिवासं कंडुं परज्नं भयं सोगं जरं वाहिं ॥। १०२५ ॥ दस ठाणाईं छउमत्थे णं सव्वभावेणं, न जाणइ ण पासइ तं०-धम्मत्थिगायं जाव वायं अयं जिणे भविस्सइ वा ण वा भवि स्सइ अयं सव्वदुक्खाणमंतं करेस्सइ वा ण वा करेस्सइ एयाणि चेव उप्पण्णणाणदंसणघरे अरहा जाणइ पासइ जाव अयं सव्वदुक्खाणसंतं करेस्सइ वा ण वा करेस्सइ ॥ १०२६ ॥ दस दसाओ प० तं० - कम्मविवागदसाओ, उवासगदसाओ, अंतगडदसाओ, अणुत्तरोवत्रायदसाओ, आयारदसाओ, पण्हावागरणदसाओ, बंधदसाओ, २१० Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म. १०] सुत्तागमे दोगिद्धिदसाओ, दीहदसाओ, संखेवियदसाओ ॥ १०२७ ॥ कम्मविवागदसाणं दस अज्झयणा प० तं०-मियापुत्ते य गोत्तासे अंडे सगडेइ यावरे, माहणे णंदिसेणे य सोरियत्ति उदुंबरे १. सहसुद्दाहे आमलए कुमारे लेच्छई इइ २ ॥१०२८॥ उवासगदसाणं दस अज्झयणा प० तं०-आणंदे कामदेवे अ गाहावइ चूलणीपिया, सुरादेवे चुल्सयए गाहावइ कुंडकोलिए (१) सद्दालपुत्ते महासयए णंदिणीपिया सालइयापिया ॥१०२९ ।। अंतगडदसाणं दस अज्झयणा प० तं०-णमि मातंगे सोमिले रामगुत्ते सुदंसणे चेव, जमाली य भगाली य किंकमे पल्लएइ य (१) फाले अंबडपुत्ते य एमए दस आहिआ॥१०३०॥ अणुत्तरोववाइयदसाणं दस अज्झयणा प० तं०-इसिदासे य धण्णे य सुणक्खत्ते य काइए, सठाणे सालिभद्दे य आणंदे तेयली इय (१) दसण्णभद्दे अइमुत्ते एमए दस आहिआ ॥ १०३१ ॥ आयारदसाणं दस अज्झयणा प० तं० वीसं असमाहिठ्ठाणा एगवीसं सवला तेत्तीसं आसायणाओ अविहा गणिसंपया दस चित्तसमाहिठाणा एगारसउवासगपडिमाओ वारस भिक्खुपडिमाओ पज्जोसवणाकप्पो तीसं मोहणिजठाणा आजाइठ्ठाणं ॥१०३२ ॥ पण्हावागरणदसाणं दस अज्झयणा प० तं० उवमा संखा इसिभासियाई आयरियभासियाई महावीरभासियाइं खोमगपसिणाई कोमलपसिणाई अद्दागपसिणाई अंगुठपसिणाई बाहुपसिणाई ॥ १०३३ ॥ बंधदसाणं दस अज्झयणा प० तं०-वंधे य मोक्खे य देवद्धि दसारमंडलेवि य, आयरियविप्पडिवत्ती उवज्झायविप्पडिवत्ती भावणा विमुत्ती साओ कम्मे ॥ १०३४ ॥ दोगेहिदसाणं दस अज्झयणा प० तं० वाए 'विवाए उववाए सुक्खित्ते कसिणे बायालीसं सुमिणे तीसं महासुमिणा वावत्तरिं सव्वसुमिणा हारे रामे गुत्ते एमए दस आहिआ ॥ १०३५ ॥ दीहदसाणं दस अज्झयणा प० तं० चंदे सूरए सुक्के य सिरिदेवी पभावई दीवसमुद्दोववत्ती बहुपुत्ती मंदरेइ य थेरे संभूयविजए थेरे पम्ह ऊसासनीसासे ॥ १०३६ ॥ संखेवियदसाणं दस अज्झयणा. प० तं० खुड्डियाविमाणपविभत्ती महल्लियाविमाणपविभत्ती अंगचूलिया वग्गचूलिया विवाहचूलिया अरुणोववाए वरुणोववाए गस्लोववाए वेलंधरोववाए वेसमणोववाए ॥१०३७ ॥ दस सागरोवमकोंडाकोडीओ कालो उस्सप्पिणीए दस सागरोवमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणीए ॥ १०३८ ॥ दसविहा नेरइया प० त०-अणंतरोववन्ना परंपरोववन्ना अणंतरावगाढा परंपरावगाढा अणंतराहारगा परंपराहारगा अणंतरपजत्ता परंपरपजत्ता चरिमा अचरिमा एवं निरंतरं जाव चेमाणिया ॥. १०३९ ॥ चउत्थीए णं पंकप्पभाए पुढवीए दस निरयावाससयसहस्सा प० ॥ १०४० ॥ रयणप्पभाए पुढवीए जहन्नेणं नेरझ्याणं दसवाससहस्साई Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ठाणे ठिई प० ॥ १०४१॥ चउत्थीए णं पंकप्पभाए पुढवीए उक्कोसेणं नेरइयाणं दस सागरोवमाई ठिई प० ॥१०४२ ॥ पंचमाए णं धूमप्पभाए पुढवीए जहन्नेणं नेरइयाणं दस सागरोवमाइं ठिई प० ॥ १०४३ ॥ असुरकुमाराणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई ठिई प० ॥ १०४४ ॥ एवं जाव थणियकुमाराणं वायरवणस्सइकाइयाणं उकोसेणं दसवाससहस्साइं ठिई प० ॥ १०४५ ॥ वाणमंतराणं देवाणं जहण्णेणं दस वाससहस्साइं ठिई प० ॥ १०४६ ॥ वंभलोए कप्पे देवाणं उनोसेणं दस सागरोवमाइं ठिई प० ॥१०४७॥ लंतए कप्पे देवाणं जहण्णेणं दस सागरोवमाइं ठिई प० ॥ १०४८ ॥ दसहि ठाणेहिं जीवा आगमेसिभद्दत्ताए कम्मं पगरेंति तं०अणिदाणयाए, दिठ्ठिसंपन्नयाए, जोगवाहियत्ताए, खंतिखमणयाए, जिइंदिययाए,अमाइल्ल्याए, अपासत्थयाए, सुसामण्णयाए, पवयणवच्छल्लयाए, पवयणउब्भावणयाए ॥ १०४९ ॥ दसविहे आसंसप्पओगे प० तं०-इहलोगासंसप्पओगे, परलोगाससप्पओगे, दुहओलोगासंसप्पओगे, जीवियासंसप्पओगे, मरणासंसप्पओगे, कामासंसप्पओगे, भोगासंसप्पओगे, लाभासंसप्पओगे, पूयासंसप्पओगे, सकारासंसप्पओगे ॥ १०५० ॥ दस विहे धम्मे प० तं०-गामधम्मे, णगरधम्मे, रठधम्मे, पासंडधम्मे, कुलधम्मे, गणधम्मे, संघधम्मे, सुयधम्मे, चरित्तधस्मे, अस्थिकायधम्मे ॥१०५१॥ दसरा प० तं० गामथेर), णगरथेरा, रठथेरा, पसत्थारथेरा, कुलथेरा, गणथेरा, संघथेरा, जाइथेरा, सुअथेरा, परियायथेरा ॥ १०५२ ॥ दसपुत्ता प० तं०-अत्तए खेत्तए दिन्नए विनए उरसे मोहरे सोंडीरे संबुड्ढे उवयाइए धम्मंतेवासी ॥ १०५३ ॥ केवलिस्स णं दस अणुत्तरा प० तं० अणुत्तरे जाणे अणुत्तरे दसणे अणुत्तरे चरित्ते अणुत्तरे तवे अणुत्तरे वीरिए अणुत्तरा खंती अणुत्तरा मुत्ती अणुत्तरे अजवे अणुत्तरे महवे अणुत्तरे लाघवे ॥ १०५४ ॥ समयखेत्ते णं दस कुराओ प० तं०-पंच देवकुराओ पंच उत्तरकुराओ तत्थ णं दस महइमहालया महादुमा प० तं०-जंबू सुदंसणा धायइक्खे महाधायइरुक्खे पउमरक्खे महापउमरुक्खे पंच कूडसामलीओ तत्थ णं दस देवा महिड्डिया जाव परिवसंति तं० अणाढिए जंबुद्दीवाहिवई सुदंसणे पियदंसणे पोंडरीए महापोडरीए पंच गरुला वेणुदेवा ॥१०५५॥ दसहिं ठाणेहिं ओगाढं दुस्समं जाणेजा तं०-अकाले परिसइ काले ण वरिसइ असाहू पूइज्जति साहू ण पूइज्जति गुस्सु जणो मिच्छं पडिवन्नो अमणुण्णा सहा जाव फासा ॥ १०५६ ॥ दसहि ठाणेहिं ओगाढं सुसमं जाणेज्जा तं०-अकाले न वरिसइ तं चेव विवरीयं जाव मणुण्णा फासा ॥ १०५७ ॥ सुसमसुसमाए णं समाए दसविहा रुक्खा उवभोगत्ताए हव्वमागच्छंति तं०-मत्तंगया य भिगा तुडियंगा दीव Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म० १० ] सुत्तागमे ૨૨ जोइ चित्तंगा; चित्तरसा मणियंगा गेहागारा अणियणा य ॥ १०५८ ॥ जंबूदीवे २ भारहे वासे तीताए उस्सप्पिणीए दस कुलगरा होत्थां तं ० - सयजले सयाऊ य अणंतसेणे य अमितसेणे य, तकसेणे भीमसेणे महाभीमसेणे य सत्तमे ( १ ) दढरहे दसर हे सयरहे || १०५९ ॥ जंबुद्दीवे २ भारहे वासे आगमीसाए उस्सप्पिणीए दस कुलगरा भविस्संति तं ० - सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे विमलवाहणे संमुई पडिसुए दढवणू दसवणू सयधणू ॥ १०६० ॥ जंबुद्दीवे दीवे मंदरपव्वयस्स पुरच्छिमेणं सीयाए महानईए उभओ कूले दस वक्खारपव्वया प० तं ० - मालवंते चित्तकूडे विचित्तकूडे वंभकूडे जाव सोमणसे ॥ १०६१ ॥ जंबूमंदरपचत्थिमे णं सीओआए महाणईए उभओ कूले दस वक्खारपव्वया प० तं०विज्जुप्पभे जाव गंधमायणे एवं धायइसंडपुरच्छिमदेवि वक्खारा भाणियव्वा जाव पुक्खरवरदीवद्धपञ्चत्थिमद्धे ॥ १०६२ ॥ दसकप्पा इंदाहिठिया प० तं० सोहम्मे जाव सहस्सारे पाणए अच्चुए एएस णं दससु कप्पेसु दस इंदा प० तं०-सक्के ईसा जांच अच्चुए एएस णं दसहं इंदाणं दस परिजाणियविमाणा प० तं ० - पालए पुप्फए जाव विमलवरे सव्वओभद्दे ॥ १०६३ || दस दसमिया णं भिक्खुपडिमा णं एगेण राइदियस एणं अद्धछठेहिं य भिक्खासएहिं अहासुत्ता जांव आराहियावि भवइ ॥ १०६४ ॥ दसविहा संसारसमावन्नगा जीवा प० तं०- पढमसमयएगिंदिया अपढमसमयएगिंदिया एवं जाव अपढमसमयपंचिंदिया ॥ १०६५ ॥ दसविहा सव्वजीवा प० तं०- पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया वेदिया जाव पंचिंदिया अणिदिया ॥ १०६६ || अहवा दसविहा सव्वजीवा प० तं० पढमसमयनेरइया अपढमसमयनेरइया जाव अपढमसमयदेवा पढमसमयसिद्धा अपढमसमयसिद्धा ॥ १०६७ ॥ वाससयाउयस्स णं पुरिसस्स दस दसाओ प० तं ० - वाला किड्डा य मंदा य वला पन्ना य हायणी, पवंचा पव्भारा य मुंमुही सावणी तहा ॥ १०६८ ॥ दसविहा तणवणस्सइकाइया प० तं०-मूले कंदे जाव पुप्फे फले बीए सव्वओवि णं विजाहरसेढीओ दसदसजोयणाई विक्खंभेणं प० ॥ सव्वओवि णं - आभिओगसेढीओ दस दस जोयणाई विक्खंभेणं प० ॥ १०७१ ॥ गेविज्जगविमाणाणं दस जोयणसयाई उद्धुं उच्चत्तेणं प० ॥ १०७२ | दसहि ठाणेहिं सह तेयसा भासं कुज्जा, तं० केइ तहाख्वं समणं वा माहणं वा अच्चासाएजा, से य अच्चासाइए समाणे परिकुविए तस्स तेयं निसिरेजा से तं परितावे, से तं परितावित्ता तामेव सह तेयसा भासं कुज्जा, केइ तहारूवं समणं वा माहणं वा अच्चासाएजा से य अच्चासाइए समाणे देवे, परिकुविए तस्स तेयं निसिरेज्जा से तं परि ॥ १०६९ ॥ १०७० ॥ Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१४ सुत्तागमे [ ठाणे तावेइ से तं २ तमेव सह तेयसा भासं कुज्जा, केइ तहारूवं समणं वा माहणं वा अच्चासाएजा, से य अच्चासाइए समाणे परिकुविए देवे य परिकुविए दुहओ पडिण्णा तस्स तेयं निसिरेजा ते तं परिताविंति ते तं परियावेत्ता तमेव सह तेयसा भासं कुजा, केइ तहारूवं समणं माहणं वा अच्चासाएजा से य अच्चासाइए परिकुविए तस्स तेयं निसिरेजा तत्थ फोडा संमुच्छंति ते फोडा भिजंति ते फोडा भिन्ना समाणा तामेव सह तेयसा भासं कुज्जा, केइ तहारूवं समणं वा माहणं वा अच्चासाएजा से य अच्चासाइए देवे परिकुविए तस्स तेयं निसिरेजा, तत्थ फोडा संमुच्छंति ते -फोडा भिजंति, ते फोडा भिन्ना समाणा तमेव सह तेयसा भासं कुज्जा, केइ तहारूवं समणं वा माहणं वा अच्चासाएजा से य अच्चासाइए परिकुविए देवेवि य परिकुविएते दुहओ पडिण्णा ते तरस तेयं निसिरेज्जा, तत्थ फोडा संमुच्छंति, सेसं तहेव जाव भासं कुजा, केइ तहारूवं समणं वा माहणं वा अच्चासाएजा, सेय अच्चासाइए परिकुविए तस्स तेयं निसिरेजा, तत्थ फोडा संमुच्छंति ते फोडा भिजंति तत्थ पुला संमुच्छंति ते पुला भिजंति, ते पुला भिन्ना समाणा तामेव - सह तेयसा भासं कुज्जा, एए तिन्नि आलावगा भाणियव्वा केइ तहारूवं समणं वा माहणं वा अच्चासाएमाणे तेयं निसिरेज्जा से य तत्थ णो कम्मइ णो पकम्मइ अंचियं अंचियं करेइ करेत्ता आयाहिणपयाहिणं करेइ २ त्ता उड्ढे वेहासं उप्पयइ २ से गं तओ पडिए पडिणियत्तइ २ त्ता तमेव सरीरगमणुदहमाणे २ सह तेयसा भासं कुज्जा जहा वा गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवते ॥ १०७३ || दस अच्छेरगा प० तं०-उवसग्ग गन्भहरणं इत्थीतित्थं अभाविया परिसा, कण्हस्स अवरकंका उत्तरणं चंदसूराणं (१) हरिवंसकुलुप्पत्ती चमरुप्पाओ य अठ्ठसयसिद्धा, असंजएसु आ दसवि अनंतेण कालेन २ ॥ १०७४ | इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए रयणे कंडे दसजोयणसयाई बाहल्लेणं प० ॥१०७५ ॥ इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए वयरे कंडे दस जोयणसयाई बाहल्लेणं प० एवं वेरुलिए लोहितक्खे मसारगल्ले हंसगब्भे पुलए सोगंधिए जोइरसे अंजणे अंजणपुलए रयए जायरूवे अंके फलिहे रिठ्ठे जहा रयणे तहा सोलसविहा भाणियव्वा ॥ १०७६ ॥ सव्वेवि णं दीवसमुद्दा दसजोयणसयाई उब्वेहेणं प० ॥ १०७७ ॥ सव्वेदि णं महादहा दस जोयणाई उव्वेहेणं प० || १०७८ ॥ सव्वेवि णं सलिलकुंडा दसजोयणाई उव्वेहेणं प० ॥ १०७९ ॥ सीआसीओ या णं महानईओ मुहमूले दस दस जोयणाई उव्वेहेणं प० ॥१०८०॥ कत्तियाणक्खते सव्ववाहिराओ मंडलाओ दसमे मंडले चारं चरइ ॥ १०८१ ॥ अणुराहा पक्वते सव्वभंतराओ मंडलाओ दसमे मंडले चारं चरइ ॥ १०८२ ॥ Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१५ ...] मुत्तागमे दस णक्खता णाणस्स विद्धिकरा प० तं० मिगसिरमद्दा पुस्सो तिनिय पुव्वाइं मूलमस्सेसा, हत्यो चित्ता य तहा दस विद्धिकराई णाणस्स ॥ १०८३ ॥ चउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं दम जाइकुलकोडिजोणिपमुहसयसहस्सा ५० उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं दस जाइकुलकोडिजोणिपमुहसयसहस्सा प० ॥ १०८४ ॥ जीवा णं दसठाणनिव्वत्तिया पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिसु वा ३ तंजहा-पडमसमयएगिदियनिव्वत्तिए जाव फासिंदियनिव्वत्तिए, एवं चिण उवचिण बंध उदीर वेय तह णिज्जरा चेव ॥ १०८५ ॥ दसपएसिया खंधा अणंता प० ॥१०८६॥ दस पएसोगाढा पोग्गला अणंता प० ॥ १०८७ ॥ दससमयठिईया पोग्गला अणंता प० दसगुणकालगा पोग्गला अणंता प० ॥ १०८८ ॥ ॥ एवं वण्णेहिं गंधेहिं रसेहिं फासहिं दसगुणलुक्खा पोग्गला अणंता प० ॥ १०८९ ॥ दसमं ठाणं समत्तं ।। दसमं अज्झयणं समत्तं ॥ ग्रंथसंख्या ॥ ३७०० ॥ ठाणं समत्तं Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१६ [ समवा सुत्तागने णमोऽत्यु णं समणस्स भगवओ णायपुत्तमहावीरस्स समवाप सुयं से आउ ! ते भगवया एवमक्खायं ॥ १ ॥ [ इह खलु समणेणं भागवया महावीरेणं आइगरेणं तित्थगरेणं सयंसंबुद्धेणं पुरमुत्तमेणं पुरिससीहेणं पुरिसवरपुंडरीएणं पुरिसवरगंधहत्थिणा लोगुत्तमेणं लोगनाहेणं लोगहिएणं लोगपईवेगं लोगपज्जोअगरेणं अभयदपणं चवखुद एणं मग्गद्एणं सरणदएणं जीवदएणं धम्मदएणं धम्मदेसणं धम्मनायगेणं धम्मसारहिणा धम्मवरचाउरंतचकवट्टिणा अप्पडिहयवरनाणदंसणधरेणं वियट्टच्छउमेणं जिणेणं जावएणं तिन्नेणं तारएणं बुद्धेणं वोह - एणं मुत्तणं मोयगेणं सव्वन्नुणा सव्वदरिसिणा सिवमयलमस्यमणंतमक्सयमव्वाबाह मपुणरावित्तिसिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपाविउकामेणं इमे दुबालसंगे गणिपिडगे पत्ते, तं जहा - आयारे १ सूयगडे २ ठाणे ३ समवाए ४ विवाहपन्नत्ती ५ नायाधम्मकहाओ ६ उवासगदसाओ ७ अंतगडदसाओ ८ अणुत्तरोववाइयदसाओ ९ पण्हावागरणं १० विवागसुए ११ दिट्टिवाए १२ ॥ २ ॥ तत्थ णं जे से चउत्थे अंगे समवाए त्ति आहिते तस्स णं अयमट्ठे पन्नत्ते - तं जहा ] एगे आया, एगे अणाया, एगे दंडे, एगे अदंडे, एगा किरिआ, एगा अकिरिआ, एगे लोए, एगे अलोए, एगे धम्मे, एगे अधम्मे, एगे पुण्णे, एगे पावे, एगे बंधे, एगे मोक्खे, एगे आसवे, एगे संवरे, एगा वेयणा, एगा णिजरा ॥ ३ ॥ जंबुद्दीवे दीवे एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते । अप्पइट्टाणे नरए एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं पन्नत्ते । पालए जाणविमाणे एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं पन्नत्ते । सव्वट्ठसिद्धे महाविमाणे एगं जोयणसयसंहस्सं आयामविक्खंभेणं पन्नत्ते । अद्दानक्खत्ते एगतारे पन्नत्ते । चित्ताणक्खत्ते एगतारे पन्नत्ते । सातिनक्खत्ते एगतारे पन्नत्ते ॥४॥ इसे णं रणप्पा पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं एवं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता । इमीसे णं रयणप्पहाए पुढवीए नेरइआणं उक्कोसेणं एगं सागरोवमं ठिई पन्नत्ता । दोच्चार पुढवीए नेरइयाणं जहन्नेणं एगं सागरोवमं ठिई पन्नत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं एवं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं उक्कोसेणं एवं साहियं सागरोवमं ठिई पन्नत्ता । असुरकुमारिंदवज्जियाणं भोमिज्जाणं देवाणं अत्थेगइआणं एगं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता । असंखिजवासाउयस ण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं अत्थेगइआणं एगं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता । असंखिजवासाउयगव्भवक्कंतियसण्णिमणुयाणं अत्थेगइयाणं एवं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता । वाणमंतराणं Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स०२] सुत्तागमे ३१७ देवाणं उक्नोसेणं एग पलिओवमं ठिई पन्नत्ता। जोइसियाणं देवाणं उक्कोसेणं एगं पलिओवमं वाससयसहस्समभहियं ठिई पन्नत्ता। सोहम्मे कप्पे देवाणं जहन्नेणं एगं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता । सोहम्मे कप्पे देवाणं अत्थेगइआणं एगं सागरोवमं ठिई पन्नत्ता । ईसाणे कप्पे देवाणं जहन्नेगं साइरेगं एग पलिओवमं ठिई पन्नत्ता । ईसाणे कप्पे देवाणं अत्थेगइयाणं एगं सागरोवमं ठिई पन्नत्ता । जे देवा सागरं सुसागरं सागरकंतं भवं मणुं माणुसोत्तरं लोगहियं विमाणं देवत्ताए उववन्ना तेसि णं देवाणं उनोसेणं एगं सागरोवमं ठिई पनत्ता । ते णं देवा एगस्स अद्धमासस्स आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं एगस्स वाससहस्सस्स आहारट्टे समुप्पज्जइ। संतेगइया भवसिद्धिया जे जीवा ते एगेणं भवग्गहणेणं सिज्झिस्संति वुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ५॥ दो दंडा पन्नत्ता, तं जहा-अट्ठादंडे चेव, अणट्ठादंडे चेव । दुवे रासी पन्नत्ता, तं जहा-जीवरासी चेव, अजीवरासी चेव । दुविहे वंधणे पन्नत्ते, तं जहा-रागवंधणे चेव, दोसबंधणे चेव । पुव्वाफागुणी नक्खत्ते दुतारे पन्नत्ते । उत्तराफग्गुणी नक्खत्ते दुतारे पन्नत्ते । पुव्वाभद्दवया नक्खत्ते दुतारे पन्नत्ते । उत्तराभद्दवया नक्खत्ते दुतारे पन्नत्ते ॥ ६ ॥ इमीसे णं रयगप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाण नेरइयाणं दो पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता । दुचाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं दो सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं दोपलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। असुरकुमारिंदवजियाणं भोमिज्जाणं देवाणं उक्नोसेणं देसूणाई दो पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता । असंखिजवासाउयसण्णिपंचेंदियतिरिक्खजोणिआणं अत्येगइयाणं दोपलिओवमाई ठिई पन्नत्ता। असंखिज्जवासाउयगन्भवनंतियसन्निपंचिंदियमाणुस्साणं अत्थेगइयाणं दोपलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता । सोहम्मे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं दो पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता। ईसाणे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं दो पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता । सोहम्मे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं उक्नोसेणं दो सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता। ईसाणे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं साहियाइं दो सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता। सणंकुमारे कप्पे देवाणं जहण्णेणं दो सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। माहिंदे कप्पे देवाणं जहण्णेणं साहियाई दो सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता । जे देवा सुभं सुभकंतं सुभवण्णं सुभगंधं सुभलेसं सुभफासं सोहम्मवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्नोसेणं दो सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता ॥ ७ ॥ ते गं देवा दोण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा। तेसि णं देवाणं दोहिं वाससहस्सेहिं आहारटे समुप्पज्जइ । अत्थेगइया भवसिद्धिया Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૧૦ सुत्तागमे [ समवाप जीवा जे दोहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति वुज्झिस्संति मुचिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ८ ॥ तओ दंडा पन्नत्ता, तं जहा-मणदंडे, वइदंडे, कायदंडे । तओ गुत्तीओ पन्नत्ताओ, तं जहा - मणगुत्ती, वयगुत्ती, कायगुत्ती । तभ सल्ला पत्ता, तं जहा - मायासले णं, नियाणसल्ले णं, मिच्छादंसणसले णं । तओ गारवा पन्नत्ता, तं जहा - इडीगारवे णं, रसगारवे णं, सायागारचे णं । तओ विराहणा पत्ता, तं जहा - नाणविराहणा, दंसणविराहणा, चरित्तविराहणा । मिगतिरनक्खत्ते तितारे पन्नत्ते । पुस्सनक्खत्ते तितारे पन्नत्ते । जेहानक्खत्ते तितारे पन्नत्ते । अभीइनक्खत्ते तितारे पन्नत्ते । सवणनक्खत्ते तितारे पन्नत्ते । अस्सिणिनक्खत्ते तितारे पन्नत्ते। भरणीनक्खत्ते तितारे पन्नते ॥ ९ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं तिन्नि पलिओ माई ठिई पन्नत्ता । दोचाए णं पुढवीए नेरइयागं उक्लोसेणं तिण्णि सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता । तचाए णं पुढवीए नेरइयाणं जहणेणं तिण्णि सागरोवमाईं ठिई पन्नत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं तिष्णि पलि - ओवमाई ठिई पन्नत्ता । असंखिज्जवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं उनोसेणं तिण्णि पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता । असंखिज्जवासाउयसन्निगव्भवनंतियमणुस्साणं उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता | सोहम्मीसाणेसु अत्थेगइयाणं देवाणं तिणि पलिओ माई ठिई पन्नत्ता । सणकुमारमाहिंदेसु कप्पेमु अत्थेगइयाणं देवाण तिण्णि सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता । जे देवा आभंकरं पभंकरं आभंकरपभंकरं चंद चंदावत्तं चंदप्पभं चंदकंतं चंदवण्णं चंदलेसं चंदज्झयं चंदसिंगं चंदसिद्धं चंदकूड चंदुत्तरवडिसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्नोसेणं तिण्णि सागरो• माई ठिई पन्नत्ता ॥ १० ॥ ते णं देवा तिन्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊसंसंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं तिहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे तिहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुचिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ११ ॥ चत्तारि कसाया पन्नत्ता, तं जहा- कोहकसाए माणकसाए मायाकसाए लोभकसाए । चत्तारि झाणा पत्ता, तं जहा- अट्टज्झाणे रुद्दज्झाणे धम्मज्झाणे सुक्कज्झाणे । चत्तारि विगहाओ प०, तं जहा - इत्थिकहा भत्तकहा रायकहा देसकहा । चत्तारि सण्णा पन्नत्ता, तं जहा - आहारसण्णा भयसण्णा मेहुणसण्णा परिग्गहसण्णा । चउन्विहे बंधे पन्नत्ते, तं जहा - पइबंधे ठिइबंधे अणुभावबंधे पएसबंधे, चउगाउए जोयणे पत्ते ॥ १२ ॥ अणुराहानक्खत्ते चउतारे पन्नत्ते । पुव्वासाढानक्खत्ते उतारे पन्नत्ते । उत्तरासाढानक्खत्ते चउतारे पन्नत्ते ॥ १३ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थे Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स०५] सुत्तागमे गइयाणं नेरइयाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता । तच्चाए णं पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं चत्तारि सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पनत्ता । सणंकुमारमाहिंदेसु क्रप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता । जे देवा किडिं सुकिलुि किट्ठियावत्तं किट्टिप्पभं किद्विजुत्तं किट्ठिवणं किट्टिलेसं किट्ठिज्झयं किढिसिंग किट्ठिसिलु किटिकूडं किट्टत्तरवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्नोसेणं चत्तारि सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता ॥ १४ ॥ ते णं देवा चउण्हऽद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा. ऊससंति वा नीससंति वा । तेसिं देवाणं चउहि वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जा। अत्थेगइया भवसिद्धिया जीवा जे चाहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करिस्संति ॥ १५॥ पंच किरिया पन्नत्ता, तं जहा-काइया अहिंगरणिया पाउसिया पारितावणिया पाणाइवायकिरिया। पंचमहन्वया पन्नत्ता, तं जहासव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं, सव्वाओ मुसावायाओ वेरमणं, सव्वाओ अदत्तादाणाओ वेरमणं, सव्वाओ मेहुणाओ वेरमणं, सव्वाओ परिग्गहाओ वेरमणं । पंच कामगुणा पन्नत्ता, तं जहा-सद्दा रुवा रसा गंधा फासा। पंच आसवदारा पन्नत्ता, तं जहा-मिच्छत्तं अविरई पमाया कसाया जोगा। पंच संवरदारा पन्नत्ता, तं जहासम्मत्तं विरई अप्पमत्तया अकसाया अजोगया। पंच निजराणा पन्नत्ता, तं जहापाणाइवायाओ वेरमणं, मुसावायाओ वेरमणं, अदिन्नादाणाओ वेरमणं, मेहुणाओ वेरमणं, परिग्गहाओ वेरमणं । पंच समिईओ पन्नत्ताओ, तं जहा-इरियासमिई भासासमिई एसणासमिई आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिई उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिठावणियासमिई। पंच अत्थिकाया पन्नत्ता, तं जहा-धम्मत्थिकाए अधम्मत्यिकाए आगासत्थिकाए जीवत्यिकाए पोग्गलत्यिकाए ॥ १६ ॥ रोहिणी नक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते । पुणव्वसुनक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते । हत्थनक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते । विसाहानक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते । धणिहानक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते ॥ १७ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं पंच पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता । तच्चाए णं पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं पंचसागरोवमाई ठिई पन्नत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं पंचपलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु. अत्थेगइयाणं देवाणं पंचपलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता । सणंकुमारमाहिदेसु कप्पेतु अत्थेगइयाणं देवाणं पंच सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता । जे देवा वायं सुवायं वायावत्तं. वायप्पमं वायकंतं वायवष्णं वायलेसं वायज्झयं वायसिंगं वायसिटुं वायकूडं वाउत्त Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२० सुत्तागमे [समवाए रवडिंसगं सूरं सुसूरं सूरावत्तं सूरप्पमं सूरकंतं सूरवणं सूरलेसं सूरज्जयं सूरसिंग सूरसिटुं सूरकूडं सूरुत्तरवर्डिसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेति ण देवाणं उनोसेणं पंच सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता ॥ १८ ॥ ते णं देवा पंचण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं पंचहिं वाससहस्तेहिं आहारट्टे समुप्पजइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे पंचहिं भवग्गहणेहिं सिज्निस्संति जाव अंतं करिस्संति ॥ १९ ॥ छ लेसाओ पण्णत्ता, तं जहा-कण्हलेसा नीललेसा काउलेसा तेउलेसा पम्हलेसा सुकलेसा। छ जीवनिकाया पन्नत्ता, तं जहापुढविकाए आउकाए तेउकाए' वाउकाए वणस्सइकाए तसकाए। छबिहे वाहिरे तवोकम्मे पन्नत्ते, तं जहा-अणसणे ऊणोयरिया वित्तीसंखेवो रसपरिचाओ कायकिलेसो संलीणया । छविहे अभितरे तवोकम्मे पन्नते, तं जहा-पायच्छित्तं विणओ वेयावच्चं सज्झाओ आणं उस्सग्गो । छ छाउमत्थिया समुग्घाया पचत्ता, तं जहावैयणाससुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतिअसमुग्घाए देउव्वियसमुग्घाए तेयसमुरघाए आहारससुग्घाए । छविहे अत्युपगहै - पन्नत्ते, तं जहा-सोइंदियअत्युग्गहे चक्खुइदियअत्युग्गहे पाणिदिअअत्थुग्गहे जिभिदियअत्युग्गहे फासिंदियअत्युग्गहे नोइंदियअत्युग्गहे ॥ २०॥ कत्तियानक्खत्ते छतारे पन्नत्ते । असिलेसानक्खत्ते छतारे पन्नत्ते ॥ २१ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं छ पलि ओवमाइं ठिई पन्नत्ता । तच्चाए णं पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयागं छ सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं छ पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं छ पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता । सणंकुमारमाहिदेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं छ सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता । जे देवा सयं वाई सयंभु सयंभूरमणं घोसं सुघोसं महाघोसं किहिघोसं वीरं सुवीरं वीरगतं वीरसेणियं वीरावत्तं वीरप्पमं वीरकंतं वीरवण्णं वीरलेसं वीरज्झयं वीरसिगं वीरसिटुं वीरकूडं वीरुत्तरवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उकोसेणं छ सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता ॥ २२ ॥ ते णं देवा छण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं छहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे छहिं भवरगहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ २३ ॥ सत्त भयहाणा पन्नत्ता, तं जहाइहलोगभए परलोगभए आदाणभए अकम्हाभए आजीवभए मरणभए असिलोगभए । सत्त समुग्घाया पन्नत्ता, तं जहा-वेयणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्धाए वेउब्वियसमुग्धाए तेयसमुग्धाए आहारसमुग्धाए केवलिसमुग्याए । Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ से..] सुत्तागमे ३२१ समणे भगवं महावीरे सत्त रयणीओ उड्ढे उच्चत्तेणं होत्था । इहेव जंबुद्दीवे दीवे सत्त वासहरपव्वया पन्नता तं जहा-चुलहिमवंते महाहिमवंते निसढे नीलवंते रुप्पी सिहरी मंदरे । इहेव जंबुद्दीवे दीवे सत्त वासा पन्नत्ता, तं जहा-भरहे हेमवए हरिवासे महाविदेहे रम्मए एरण्णवए एरवए । खीणमोहेणं भगवया मोहणिज्जवजाओ सत्त कम्मपयडीओ वेए(ज)ई ॥ २४ ॥ महानक्खत्ते सत्ततारे पन्नत्ते । कत्तिआइआ सत्त नवखत्ता पुन्वदारिआ प० (अभियाइया सत्त नक्खत्ता) महाइआ सत्त नक्खत्ता दाहिणदारिआ प० । अणुराहाइआ सत्त नक्खत्ता अवरदारिआ प० । धणिट्ठाइआ सत्तं नक्खना उत्तरदारिआ प० ॥ २५ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयागं नेरइयाणं सत्त पलिओवमाइं ठिई प० । तचाए णं पुढवीए नेरइयाणं उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई ठिई प० । चउत्थीए णं पुढवीए नेरइयाणं जहण्णेणं सत्त सागरोवमाइं ठिई प० असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयागं सत्त पलिओवमाई ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्येगइयाणं देवाणं सत्त पलिओवमाई ठिई प० । सणकुमार कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई ठिई प० । माहिंदे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं साइरेगाइं सत्त सागरोवमाइं ठिई प० । वंभलोए कप्पे अत्येगइयाणं देवाणं सत्त साहिया सागरोवमाई ठिई प० । जे देवा समं समप्पमं महापमं पभासं भासुरं विमलं कंचणकूडं सणंकुमारवर्डिसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई ठिई प० ॥ २६ ॥ ते णं देवा सत्तण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं सत्तहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पजइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जेणं सत्तहि भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ २७ ॥ अट्ठ मयट्ठाणा पन्नत्ता, तं जहा-जातिमए कुलमए वलमए रूवमए तवमए मुयमए लाभमए इस्सरियमए । अट्ठ पवयणमायाओ प० तं जहा-इरियासमिई भासासमिई एसणासमिई आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिई उच्चारपासवणखेलजल्लसिंघाणपारिट्ठावणियासमिई मणगुत्ती वइगुत्ती कायगुत्ती । वाणमंतराण देवाणं रुक्खा अट्ठ जोयणाई उद्धं उच्चत्तेणं पन्नत्ता। जंवू णं सुदंसणां अट्ठ जोयणाई उद्धं उच्चत्तेणं प० । कूडसामली णं गरुलावासे अट्ठ जोयणाई उद्धं उच्चत्तेणं पन्नत्ता । जंबुद्दीवस्स णं जगई अट्ट जोयणाई उद्धं उच्चतेणं पन्नत्ता । असामइए केवलिसमुग्घाए पन्नत्ते तं जहा-पढमे समए दंडं करेइ, बीए समए कवाडं करेइ, तइए समए मंथं करेइ, चउत्थे समए मंथंतराइं पूरेइ, पंचमे समए मंथंतराई पडिसाहरइ, छठे समए मंथं पडिसाहरइ, सत्तमे समए कवाडं २१ सुत्ता. Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२२ सुत्तागमे [ समवाए पडसाहरइ, अट्टमे समए दंडं पडिसाहरइ, तओ पच्छा सरीरत्थे भवइ । पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणिअस्स अट्ठ गणा अट्ठ गणहरा होत्था, तं जहा - सुभे य सुभघोसे य, वसिट्ठे वंभयारि य । सोमे सिरिधरे चेव, वीरभद्दे जसे इय ॥ १ ॥ अट्ठ नक्खत्ता चंदेणं सद्धिं पमद्दं जोगं जोएंति, तं जहा - कत्तिया, रोहिणी, पुणव्वसू, महा, चित्ता, विसाहा, अणुराहा, जेट्ठा ॥ २८ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं अट्ठ पलिओ माई ठिई प० । चउत्थीए पुढवीए अत्थे - गइयाणं नेरइयाणं अट्ठ सागरोवमाई ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइया अट्ठ पलिओ माई ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं अट्ठ पलिओ माई ठिई प० । वंभलोए कप्पे अन्येगइयाणं देवाणं अट्ठ सागरोवसाईं ठिई प० । जे देवा अचि अचिमालिं वइरोयणं पभंकरं चंदाभं सूराभं सुपइट्टाभं अग्गिञ्चाभं रिट्ठाभं अरुणाभं अस्णुत्तरवडिसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्लोसेणं अट्ठ सागरोवमाईं ठिई प० ॥ २९ ॥ ते णं देवा अहं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं अट्ठहिं वाससहस्सेहि आहारट्ठे समुप्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे अट्ठहिं भवग्गहणेहि सिज्झिस्संति वुज्झिस्संति, जाव अंतं करिस्संति ॥ ३० ॥ नव वंभचेरगुत्तीओ पन्नत्ताओ, तं जहा - नो इत्थीपसुपंडगसंसत्ताणि सिज्जासणाणि सेवित्ता भवइ, नो इत्थीणं कहं कहित्ता भवइ, नो इत्थीणं गणाई सेवित्ता भवइ, नो इत्थीणं इंदियाणि मणोहराई मणोरमाई आलोइत्ता निज्झाइत्ता भवइ, नो पणीयरसभोई, नो पाणभोयणस्स अइमायाए आहारइत्ता, नो इत्थीणं पुव्वरयाई पुव्वकीलिआईं समरइत्ता भवइ, नो सद्दाणुवाई नो रूवाणुवाई नो गंधाणुवाई नो रसावाई नो फासाणुवाई नो सिलोगाणुवाई, नो सायासोक्खपडिबद्धे यावि भवइ । नव वंभचेरअगुत्तीओ पन्नत्ताओ तं जहा - इत्थी पसुपंडगसंसत्ताणं सिज्जासणाणं सेवगया जाव सायानुक्खपडिवद्धे यावि भवइ । नव वभचेरा पन्नत्ता, तं जहा - सत्थपरिण्गा लोगविजओ सीओसणिज सम्मत्तं । आवंति धुत विमोहा [यण] उवहाणमुयं महापरिण्णा । पासे णं अरहा पुरिसादाणीए नव रयणीओ उद्धं उच्चत्तेनं होत्था ॥ ३१ ॥ अभीजी नक्खत्ते साइरेगे नव मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोगं जोएइ । अभीजियाझ्या नव नक्खत्ता चंदस्त उत्तरेणं जोगं जोएंति, तं जहा - अभीजि सवणो जाव भरणी । इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ नव जोयणसए उद्धं आवाहाए उवरिले तारारूवे चारं चरइ ॥ ३२ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे नवजोयणिआ मच्छा पविसिंनु वा ३ । विजयस्त णं दारस्स एगमेगाए वाहाए नव Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स० १०] सुत्तागमे ३२३ नव भोमा पन्नत्ता । वाणमंतराणं देवाणं सभाओ सुहम्माओ नव जोयणाई उद्धं उच्चत्तेणं पन्नत्ता । दंसणावरणिज्जस्स णं कम्मस्स नव उत्तरपगडीओ प०, तं जहा-निद्दा पयला निहानिदा पयलापयला थीणद्धी चक्खुदंसणावरणे अचक्खुदंसगावरणे ओहिदंसणावरणे केवलदसणावरणे ॥ ३३ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्यंगइयाणं नेरझ्याणं नव पलिओवमाइं ठिई प० । चउत्थीए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरझ्याणं नव सागरोवमाइं ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगझ्याणं नव पलिओवमाइं ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं नव पलिओवमाई ठिई प० । वंभलोए कप्पे अत्थेगझ्याणं देवाणं नव सागरोवमाई ठिई प० । जे देवा पम्हं सुपम्हं पम्हावत्तं पम्हप्पभं पम्हकंतं पम्हवण्णं पम्हलेसं पम्हज्झयं पम्हसिंगं पम्हसिटुं ,पम्हकूड पम्हुत्तरवडिंसगं सुज सुसुजं सुजवित्तं सुजपमं मुज्जकंतं सुज्जवणं सुज्जलेसं सुजज्झयं सुज्जसिंगं सुज्जसिष्टुं सुजकूडं सुजुत्तरवडिसगं रुइल्लं रुइलावत्तं रुइल्लप्पभं रुइल्लकंतं रुइल्लवण्णं रुइल्ललेसं रुइहज्झयं रुइलसिंगं रुइल्लसिटुं रुइकूडं इल्लुत्तरवसिगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं नव सागरोवमाइं ठिई प० ॥ ३४ ॥ ते णं देवा नवण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं नवहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पजइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे नवहि भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ३५ ॥ दसविहे समणधम्मे पन्नत्ते, तं जहा-खंती मुत्ती अजवे मद्दवे लाघवे सच्चे संजमे तवे चियाए बंभचेरवासे । दस चित्तसमाहिहाणा पन्नता, तं जहा-धम्मचिता वा से असमुप्पण्णपुन्वा समुप्पजिजा सव्वं धम्मं जाणित्तए, सुमिणदंसणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पजिज्जा अहातचं सुमिणं पासित्तए, सण्णिनाणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पजिजा पुव्वभवे सुमरित्तए, देवदंसणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पज्जिज्जा दिव्वं देविद्धिं दिव्वं देवजुइं दिव्वं देवाणुभावं पासित्तए, ओहिनाणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पजिज्जा ओहिणा लोग जाणित्तए, ओहिदसणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पज्जिज्जा ओहिणा लोगं पासित्तए, मणपज्जवनाणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पजिजा जाव मणोगए भावे जाणित्तए, केवलनाणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पजिन्ना केवलं लोग जाणित्तए, केवलदसणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पजिज्जा केवलं लोयं पासित्तए, केवलिमरणं वा मरिजा सव्वदुक्खप्पहीणाए । मंदरे णं पन्चए मूले दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं प० । अरिहा णं अरिठ्ठनेमी दस धणूई उद्धं उच्चत्तेणं होत्था । कण्हे णं वासुदेवे दस धणूइं उर्दू उच्चत्तेणं होत्था । रामेणं Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२४ सुत्तागमे [ समवाए बलदेवे दस धणूईं उद्धं उच्चत्तेगं होत्था । दस नक्खत्ता नाणवुढिकरा प० तं जहा - " मिगसिर अद्दा पुस्सो, तिण्णि अ पुव्वा य मूलमस्सेसा । हत्यो चित्तो य तहा, दस वुढिकराई नाणस्स” अकम्मभूमियाणं मणुआणं दसविहा रुक्खा उवभोगत्ताए उवत्थिया प० तं जहा - " मत्तगया य भिगा, तुडिअंगा दीव जोड़ चित्तंगा | चित्तरसा मणिअंगा, गेहागारा अनिगिणा य ॥ १ ॥ ३६ ॥ इम + रयणप्पा पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं जहणेणं दस वाससहस्साईं ठिई प० । इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं दस पलिओ - वमाई ठिई प० । चउत्थीए पुढवीए दस निरयावाससयसहस्साइ प० । चउत्थीए पुढवीए नेरइयाणं अत्थेगइयाणं उक्कोसेणं दस सागरोवमाई ठिई प० । पंचमी पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं जहणेणं दस सागरोवमाई ठिई प० । असुरकुमाराणं देवागं अत्थेगइयाणं जहणेणं दस वाससहस्साइं ठिई प० । असुरिंदवजाणं भोमिज्जाणं देवाणं अत्थेगइआणं जहण्णेणं दस वाससहस्साईं ठिई पन्नत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं दस पलिओ माई ठिई प० । वायरवणस्सइकाइयाणं उक्कोसेणं दस वाससहस्साइं ठिई प० । वाणमंतराणं देवाणं अत्थेगइयाणं जहण्णेणं दस वाससहस्साइं ठिई प० सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं दस पलिओचमाई ठिई प० । वंभलोए कप्पे देवाणं उक्कोसेणं दस सागरोवमाई ठिई प० । लंतए कप्पे देवाणं अत्थेगइयाणं जहण्णेणं दस सागरोवमाई ठिई प० । जे देवा घोसं सुघोरं महाघोसं नंदिघोसं सुसरं मणोरमं रम्मं रम्मगं रमणिजं मंगलावत्तं वंभलोगवडिसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं दस सागरोवमाई ठिई प० ॥ ३७ ॥ ते णं देवा दसहं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंतवा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं दसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पजइ । संतेगइआ भवसिद्धिआ जीवा जे दसहि भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्सति ॥ ३८ ॥ एकारस उवासगपडिमाओ प० तं जहा - दंसणसावए, कयव्वयकम्मे, सामाइअकडे, पोसहोववासनिरए, दिया वंभयारी रत्ति परिमाणकडे, दिआ वि राओ वि बंभयारी असिणाई विअडभोई मोलिकडे, सचित्तपरिण्णाए, आरंभपरिण्णाए, पेसपरिण्णाए, उद्दिभत्तपरिण्णाए, समणभूए आवि भवइ समणाउसो ! लोगंताओ इक्कारसएहिं एक्कारेहि जोयणसएहि आवाहाए जोइसंते पण्णत्ते । जंबूदीवे दीवे मंदरस्स व्वयस् एकारसहि एक्कवीसेहि जोयणसएहिं अवाहाए जोइसे चारं चरइ । समणस्स णं भग Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स० [१२] सुत्तागमे ३२५ चओ महावीरस्स एकारस गणहरा होत्था, तं जहा - इंदभूई अग्गिभूई वायुभूई विअत्ते सोहम्मे मंडिए मोरियपुत्ते अकंपिए अयलभाए मेअजे पभासे । मूले नक्खत्ते एक्कारसतारे पत्ते । हेट्ठिमगेविजयाणं देवाणं एक्कारसमुत्तरं गेविजविमाणसतं भवइत्ति मक्खायं । मंदरे णं पव्वए धरणितलाओ सिहरतले एक्कारसभागपरिहीणे उच्चत्तेणं प० ॥ ३९ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं एक्कारस पलिओ माई ठिई प० । पंचमीए पुढवीए अत्येगइयाणं नेरइयाणं एक्कारस सागरोमाई ठिई प० । अमुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं एक्कारस पलिओ माई टिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं एक्कारस पलिओचमाई लिई प० । लंतए कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं एक्कारस सागरोवमाई ठिई प० । जे देवा वंभं सुवंभं वैभावत्तं वंभप्पभं वंभक्तं वंभवण्णं वंभलेसं वंभज्झयं वंभसिंगं वंभसिहं वंभकूडं वंभुत्तरवर्डिसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं ( उक्कोसेणं) एक्कारस सागरोवमाई ठिई प० ॥ ४० ॥ ते णं देवा एकारसहं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं एक्कारसहं वाससहस्साणं आहारट्ठे समुप्पज्जइ । संतेगइआ भवसिद्धिआ जीवा जे एकारसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति वुज्झिस्संति मुचिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ४१ ॥ वारस भिक्खुपडिमाओ पन्नत्ताओ, तं जहा - मासिआ भिक्खुपडिमा, दोमासिआ भिक्खुपडिमा, तिमासिआ भिक्खुपडिमा, चउमासिआ भिक्खुपडिमा, पंचमासिआ भिक्खुपडिमा छमासिआ भिक्खुपडिमा सत्तमासिआ भिक्खुपडिमा पढमा सत्त इंदिआ भिक्खुपडिमा दोच्चा सत्तरादिआ भिक्खुपडिमा तच्चा सत्तराइंदिआ भिक्खुपडिमा अहोराइआ भिक्खुपडिमा, एगराइआ भिक्खुपडिमा । दुवालसविहे संभोगे प० तं जहा - " उवहीसुअभत्तपाणे, अंजलीपग्गहे त्तिय । दायणे य निकाए अ अभुट्ठाणेति आवरे । कितिक्रम्मस्सय करणे, वैयावच्चकरणे इअ । समोसरणं संनिसिजा य, कहाए अ पवंधणे” । दुवाल - सावत्ते कितिकम्मे पन्नत्ते, तं जहा - "दुओणयं जहाजायं, कितिक्रम्मं वारसावयं । चउसिरं तिगुत्तं च, दुपवेसं एगनिक्खमणं" । विजया णं रायहाणी दुवालस जोयणसयसहस्साई आयामविक्खंभेणं प० । रामेणं वलदेवे दुवालस वासस्याईं सव्वाउयं पालित्ता देवत्तं गए । मंदरस्स णं पव्वयस्स चूलिआ मूले दुवालस जोयणाई विक्खंभेणं प० । जंबूदीवस्स णं दीवस्स वेइआ मूले दुवालस जोय-गाई विक्खंभेणं प० | सव्वजहणिया राई दुवालसमुहुत्तिआ प० । एवं दिवसोऽवि नायव्वो । सव्वट्टसिद्धस्स णं महाविमाणस्स उवरिल्लाओ चूलिअग्गाओ , 1 ލ , Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२६ सुत्तागमे [ समवाए दुवालस जोयणाईं उद्धं उप्पइआ ईसिपव्भारनामपुढवी पण्णत्ता । ईसिपव्भाराए णं पुढवीए दुवालस नामजा पण्णत्ता, तं जहा - ईसित्ति वा ईसिपव्भाराति वा तणूइ वा तणूयतरित्ति वा सिद्धित्ति वा सिद्धालए त्ति वा मुत्तीति वा मुत्तालए त्ति वा वंभे त्ति वा बंभवडिसए त्ति वा लोकपरिपूरणे त्ति वा लोगग्गचूलिआइ वा ॥ ४२ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइआणं नेरइयाणं वारस पलिओवमाई ठिई प० । पंचमी पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं वारस सागरो - वमाईं ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्येगइयाणं बारस पलिओ माई टिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं वारस पलिओ माई ठिई प० । लंतए कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं वारस सागरोवमाई ठिई प० । जे देवा महिंदं महिदज्झयं कंबुं कंबुग्गीवं पुंखं सुपुंखं महापुंखं पुंडं सुपुंडं महापुंडं नरिंद नरिदकंतं नरिदुत्तरवडिसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं वारस सागरोवमाइं ठिई प० ॥ ४३ ॥ ते णं देवा वारसहं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं वारसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिआ जीवा जे वारसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुचिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंत करिस्संति ॥ ४४॥ तेरस किरियाठाणा प० तं जहा - अट्ठादंडे अणट्टादंडे 'हिसादंडे अकम्हादंडे' दिट्ठिविपरिआसिआदंडे मुसावायवत्तिए अदिन्नादाणवत्तिए अज्झत्थिए माणवत्तिए मित्तदोसवत्तिए मायावत्तिए लोभवत्तिए इरिआवहिए नामं तेरस मे । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु तेरस 'विमाणपत्थडा प० । सोहम्मवडिसगे गं विमाणे णं अद्धतेरसजोयणसयसहस्साई आयामविक्खंभेणं प० । एवं ईसाणवडिसगे वि । जलयरपंचिदिअतिरिक्खजोणिआणं अद्धतेरसजाइकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्साई प० । पाणाउस्स णं पुव्वस्स तेरस वत्थू प० । गब्भवकंतिअपंचेदिअतिरिक्खजोणिआणं तेरसविहे पओगे प० तं जहा - सचमणपओगे मोसमणपओगे सच्चामोसमणपओगे असच्चामोसमणपओगे सच्चवइपओगे मोसवइपओगे सच्चामोसवइपओगे असच्चामोसवइपओगे ओरालिअसरीरका यपओगे ओरालि - अमीससरीरकायपओगे वेडव्विअसरीरकायपओगे वेडव्विअमीससरीरकायपओगे कम्मसरीरकायपभोगे । सूरमंडलं जोअणेणं तेरसे ( स ) हिं एगसट्टिभाग (गे) हिं जोयणस्स ऊणं पन्नत्तं ॥ ४५ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं तेरस पलिओवमाई ठिई प० । पंचमीए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं तेरस सागरोवमाई ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्येगइयाणं तेरस 1 Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स०१४] सुत्तागमे ३२७ पलिओवमाइं ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइआणं देवाणं तेरस पलिओवमाइं ठिई प० । लंतए कप्पे अत्थेगइआणं देवाणं तेरस सागरोवमाइं ठिई प० । जे देवा वजं सुवज वजावत्तं वजप्पभं वजकंतं वजवणं वजलेसं वजल्वं वाजसिंगं वज्जसिढे वजकूडं वजत्तरवडिंसगं वइरं वइरावत्तं वइरप्पभं वइरकंतं वइरवण्णं वइरलेसं वइररूवं वइरसिंग वइरसिटुं वइरकूडं वइरुत्तरवळिसगं लोगं लोगावत्तं लोगप्पमं लोगकंतं लोगवण्णं लोगलेसं लोगल्वं लोगसिंगं लोगसिहूँ लोगकूडं लोगुत्तरवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उनोसेगं तेरस सागरोवमाइं ठिई प० ॥ ४६ ॥ ते णं देवा तेरसहिं अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा । तेसिणं देवाणं तेरसहिं वाससहस्सेहिं आहारडे समुप्पज्जइ । संतेगइआ भवसिद्धिआ जीवा जे तेरसहिं भवग्गहणेहिं सिज्जिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ४७ ॥ चउद्दस भूअग्गामा पन्नत्ता, तं जहा-सहुमा अपज्जत्तआ सुहुमा पज्जत्तया बादरा अपजत्तया बादरा पज्जत्तया वेइंदिया अपज्जत्तया बेइंदिया पज्जत्तया तेदिया अपजत्तया तेंदिया पज्जत्तया चउरिदिआ अपजत्तया चउरिदिया पज्जत्तया पंचिंदिआ असन्निअपज्जत्तया पंचिंदिया असन्निपजत्तया पंचिंदिआ सन्निअपज्जत्तया पंचिंदिया सन्निपजत्तया । चउदस पुव्वा प० तं जहा-उप्पायपुव्वमग्गेणियं च तइयं च वीरियं पुव्वं । अत्थीनत्थि पवायं तत्तो नाणप्पवायं च ॥ १॥ सच्चप्पवायपुव्वं तत्तो आयप्पवायपुव्वं च । कम्मप्पवायपुव्वं पञ्चक्खाणं भवे नवमं ॥ २॥ विजाअणुप्पवायं अवंझ पाणाउ वारसं पुव्वं । तत्तो किरियविसालं पुव्वं तह बिंदुसारं च ॥३॥ अग्गेणीअस्स णं पुवस्स चउद्दस वत्थू पन्नत्ता । समणस्स णं भगवओ महावीरस्स चउद्दस समणसाहस्सीओ उक्नोसिआ समणसंपया होत्था । कम्मविसोहिमग्गणं पड्डुच चउदस जीवट्ठाणा पन्नत्ता, तं जहा-मिच्छदिट्टी सासायणसम्मद्दिट्टी सम्मामिच्छदिट्ठी अविरयसम्मट्टिी विरयाविरए पमत्तसंजए अप्पमत्तसंजए निअट्टिवायरे अनियट्टिवायरे सुहुमसंपराए उवसामए वा खवए वा उवसंतमोहे खीणमोहे सजोगीकेवली अजोगीकेवली । भरहेरवयाओ णं जीवाओ चउद्दस चउद्दस जोयणसहस्साइं चत्तारि अ एगुत्तरे जोयणसए छच्च एगूणवीसे भागे जोयणस्स आयामेणं पन्नत्ता । एगमेगस्स णं रन्नो चाउरंतचकवट्टिस्स चउद्दस रयणा पन्नत्ता, तं जहा-इत्थीरयणे सेणावइरयणे गाहावइरयणे पुरोहियरयणे वड्डइरयणे आसरयणे हत्थिरयणे असिरयणे दंडरयणे चक्करयणे छत्तरयणे चम्मरयणे मणिरयणे कागिणिरयणे । जंबुद्दीवे णं दीवे चउद्दस महानईओ पुव्वावरेण लवणसमुद्दे समप्पेति, तं जहा-गंगा सिंधू रोहिआ रोहिअंसा हरी Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૨૮ सुत्तागमे [ समवाए हरिकंता सीआ सीओदा नरकंता नारिकंता सुवण्णकूला रुप्पकूला रत्ता रत्तवई ॥ ४८ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्येगइयाणं नेरइयाणं चउदस पलिओ - वमाइं ठिई प० । पंचमीए णं पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं चउद्दस सागरोमाई ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं चउद्दस पलिओ माई टिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं चउद्दस पलिओ माई ठिई प० । लंतए कप्पे देवाणं उक्कोसेणं चउद्दस सागरोवमाई ठिई प० । महासुक्ने कप्पे देवाणं जहणेणं चउद्दस सागरोवमाई ठिई प० । जे देवा सिरिकंतं सिरिमहिअं सिरिसोमनसं लंतयं काविट्ठं महिंद महिदकंतं महिंदुत्तरवडिसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उनोसेणं चउद्दस सागरोवमाई टिई प० ॥ ४९ ॥ ते णं देवा चउद्दसहिं अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं चउद्दसहि वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिआ जीवा जे चउद्दसहिं भवग्गहणेहिं तिज्झिस्संति चुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ५० ॥ पन्नरस परमाहम्मिआ पन्नत्ता, तं जहा - अंबे अंवरिसी चेव, सामे सबले त्ति आवरे । रुद्दोवरुद्दकाले अ, महाकाले त्ति आवरे ॥ १ ॥ असिपत्ते धणु कुंभे, वालुए वेअरणीति अ । खरस्सरे महाघोसे, एते पन्नरसाहिआ ॥ २ ॥ णमी णं अरहा पन्नरस धणूइं उद्धुं उच्चत्तेणं होत्था । धुवराहू णं बहुलपक्खस्स पडिवए पन्नरसभागं पन्नरस - भागेणं चंदस्स लेसं आवरेत्ताणं चिट्ठति, तं जहा - पढमाए पढमं भागं बीआए दुभागं तइआए तिभागं चउत्थीए चउभागं पंचमीए पंचभागं छट्ठीए छभागं सत्तमीए सत्तभागं अट्ठमीए अट्ठभागं नवमीए नवभागं दसमीए दसभागं एक्कारसीए एक्कारसभागं वारसीए बारसभागं तेरसीए तेरसभागं चउद्दसीए चउद्दसभागं पन्नरसेसु पन्नरसभागं। तं चेव सुकपक्खस्स य उवदंसेमाणे २ चिट्ठति, तं जहा - पढमाए पढमं भागं जाव पन्नरसेसु पन्नरसभागं । छ णक्खत्ता पन्नरसमुहुत्तसंजुत्ता पन्नत्ता, तं जहा-सतभिसय भरणि अद्दा असलेसा साई तहा जेट्ठा । एते छण्णक्खत्ता पन्नरसमुहुत्तसंजुत्ता ॥ १ ॥ चेत्तासोएसु णं मासेसु पन्नरसमुहुत्तो दिवसो भवति, एवं चेत्तासोएसु णं मासेसु पन्नरसमुहुत्ता राई भवति । विज्जाअणुप्पवायस्स णं पुव्वस्स पन्नरस वत्थू पण्णत्ता । मणूसाणं पण्णरसविहे पओगे प० तं जहा - सच्चमणपओगे मोसमणपओगे सचमोसमणपओगे असभ्यामोसमणपओगे सच्चवइपओगे मोस - वइपओगे सच्चामोस वइपओगे असच्चामोसवइपओगे ओरालिअसरीरकायपओगे ओरालिअमीससरीरकायपओगे वेउव्वियसरीरकायपओगे वेडव्वियमीससरीरकायपओगे Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे स० १६] ३२९ आहारयसरीरकायपओगे आहारयमीससरीरकायप्पओगे कम्मयसरीरकायपओगे ॥५१॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइआणं नेरइआणं पण्णरस पलिओवमाइं ठिई प० । पंचमीए पुढवीए अत्थेगइआणं नेरइयाणं पण्णरस सागरोवमाइं ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं पण्णरस पलिओवमाई ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइआणं देवाणं पण्णरस पलिओवमाई ठिई प० । महासुने कप्पे अत्थेगइआणं देवाणं पण्णरस सागरोवमाइंठिई प० । जे देवा गंदं सुगंदं गंदावत्तं गंदप्पभं गंदकंतं गंदवणं णंदलेसं णंदज्नयं गंदसिंगं गंदसिटुं गंदकूडं णंदुत्तरवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उकोसेणं पण्णरस सागरोवमाइं ठिई प० ॥ ५२ ॥ ते णं देवा पण्णरसण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं पण्णरसहि वाससहस्सेहिं आहारढे समुप्पज्जइ । संतेगइआ भवसिद्धिआ जीवा जे पन्नरसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति वुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ५३॥ सोलस य गाहा सोलसगा पन्नत्ता, तं जहासमए वेयालिए उवसग्गपरिना इत्थीपरिण्णा निरयविभत्ती महावीरथुई कुसीलपरिभासिए वीरिए धम्मे समाही मग्गे समोसरणे आहातहिए गंथे जमईए गाहासोलसमे सोलसगे। सोलस कसाया पन्नत्ता, तं जहा-अणंताणुवंधी कोहे, अणंताणुवंधी माणे, अणंताणुबंधी माया, अणंताणुवंधी लोभे, अपच्चक्खाणकसाए कोहे, अपच्चक्खाणकसाए माणे, अपञ्चक्खाणकसाए माया, अपच्चक्खाणकसाए लोभे, पच्चक्खाणावरणे कोहे, पञ्चक्खाणावरणे माणे, पच्चक्खाणावरणा माया, पञ्चक्खाणावरणे लोभे, संजलणे कोहे, संजलणे माणे, संजलणे माया, संजलणे लोभे। मंदरस्स णं पव्वयस्स सोलस नामधेया पन्नत्ता, तं जहा-मंदर मेरु मणोरम, सुदसण सयंपभे य गिरिराया । रयणुच्चय पियदसण, मज्झे लोगस्स नामी य ॥ १॥ अत्थे अ सूरिआवत्ते, सूरिआवरणे त्ति अ । उत्तरे अ दिसाई अ, वडिंसे इअ सोलसमे ॥२॥ पासस्स णं अरहतो पुरिसादाणीयस्स सोलस समणसाहस्सीओ उक्कोसिआ समणसंपदा होत्था । आयप्पवायस्स णं पुवस्स णं सोलस वत्थू पन्नत्ता । चमरवलीणं ऊवारियालेणे सोलस जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं प० । लवणे णं समुद्दे सोलस जोयणसहस्साई उस्सेहपरिवुड्डीए पन्नत्ते ॥ ५४ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाण नेरझ्याणं सोलस पलिओवमाइं ठिई प० । पंचमीए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं सोलस सागरोवमाई ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं सोलस पलिओवमाई ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइ Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३० सुत्तागमे [समवाए याणं देवाणं सोलस पलिओवमाइं ठिई प० । महासुक्ने कप्पे देवाणं अत्थेगइयाणं सोलस सागरोवमाइं ठिई प० । जे देवा आवत्तं विआवत्तं नंदिआवत्तं महाणंदिआवत्तं अंकुसं अंकुसपलंवं भई सुभदं महाभई सव्वओभई भत्तरवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं सोलस सागरोवमाइं ठिई प० ॥५५॥ ते णं देवा सोलसहिं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं सोलसवाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जइ । संतेगइआ भवसिद्धिआ जीवा जे सोलसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति वुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥५६ ॥ सत्तरसविहे असंजमे पन्नत्ते, तं जहा-पुढविकायअसंजमे आउकायअसंजमे तेउकायअसंजमे वाउकायअसंजमे वणस्सइकायअसंजमे बेइंदिअअसंजमे तेइंदियअसंजमे चरिंदियअसंजमे पंचिदियअसंजमे अजीवकायअसंजमे पेहाअसंजमे उवेहाअसंजमे अवहट्ठअसंजमे अप्पमजणाअसंजमे मणअसंजमे वइअसजमे कायअसंजमे । सत्तरसविहे संजमे पन्नत्ते, तं जहा-पुढवीकायसंजमे आउकायसंजमे तेउकायसंजमे वाउकायसंजमे वणस्सइकायसंजमे बेइंदिअसंजमे तेइंदियसंजमे चउरिदिअसंजमे पंचिंदिअसंजमे अजीवकायसंजमे पेहासंजमे उवेहासंजमे अवहट्ठसंजमे पमजणासंजमे मणसंजमे वइसंजमे कायसंजमे । माणुसत्तरे णं पव्वए सत्तरस एकवीसे जोयणसए उर्दू उच्चत्तेणं पन्नत्ते । सव्वेसि पिणं वेलंधरअणुवेलंधरणागराईणं आवासपव्वया सत्तरस एकवीसाई जोयणसयाइं उद्धं उच्चत्तेणं पन्नत्ता । लवणे णं समुद्दे सत्तररा जोयणसहस्साइं सव्वग्गेणं पन्नत्ते । इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ सातिरेगाइं सत्तरस जोयणसहस्साइं उर्दू उप्पतित्ता ततो पच्छा चारणाणं तिरिआ गती पवत्तति । चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररण्णो तिगिछिकूडे उप्पायपव्वए सत्तरस एकवीसाइं जोयणसयाइं उर्दू उच्चत्तेणं पन्नत्ते । बलिस्स णं असुरिदस्स रुअगिदे उप्पायपव्वए सत्तरस एकवीसाइं जोयणसयाई उड्ढे उच्चत्तेणं पन्नत्ते । सत्तरसविहे मरणे पन्नत्ते, तं जहा-आवीईमरणे ओहिमरणे आयंतियमरणे वलायमरणे वसट्टमरणे अंतोसल्लमरणे तन्भवमरणे बालमरणे पंडितमरणे वालपंडितमरणे छउमत्थमरणे केवलिमरणे वेहासमरणे गिद्धपिट्ठमरणे भत्तपञ्चक्खाणमरणे इंगिणिमरणे पाओवगमणमरणे । सुहुमसंपराए णं भगवं सुहुमसंपरायभावे वट्टमाणे सत्तरस कम्मपगडीओ णिवंधति, तं जहा-आभिणिवोहिणाणावरणे सुयणाणावरणे ओहिणाणावरणे मणपजवणाणावरणे केवलणाणावणे चक्खुदंसणावरणे अचक्खुदंसणावरणे ओहिदसणावरणे केवलदसणावरणे सायावेयणिजं जसोकित्तिनामं उच्चागोयं दाणंतराय लाभतरायं Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स. १८] सुत्तागमे ३३३ भोगतरायं उवभोगतरायं वीरिअअंतरायं ॥ ५७ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्यैगइआणं नेरइयाणं सत्तरस पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता । पंचमीए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरझ्याणं उकोसेणं सत्तरस सागरोवमाइं ठिई प० । छट्ठीए पुढवीए अत्थेगझ्याणं नेरइयाणं जहण्णेणं सत्तरस सागरोवमाइं ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्येगइयाणं सत्तरस पलिओवमाई ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइआणं देवाणं सत्तरस पलिओवमाइं ठिई प० । महामुक्ने कप्पे देवाणं उक्कोसेणं सत्तरस सागरोवमाइं ठिई प० । सहस्सारे कप्पे देवाणं जहण्णेणं सत्तरस सागरोवमाई ठिई प० । जे देवा सामाणं मुसामाणं महासामाणं परमं महापउमं कुमुदं महाकुमुदं नलिणं महानलिणं पोंडरी महापोंडरीअं सुकं महामुक्तं सीहं सीहकंतं सीहवीअं भाविकं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि गं देवाणं उनोसेणं सत्तरस सागरोवमाई ठिई प० ॥ ५८ ॥ ते णं देवा सत्तरसहिं अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा । तसि णं देवाणं सत्तरसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ । संतेगझ्या भवसिद्धिआ जीवा जे सत्तरसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ५९॥ अट्टारसविहे वंभे पन्नत्ते, तं जहा-ओरालिए कामभोगे णेव सयं मणेणं सेवइ, नो वि अन्न मणेणं सेवावेड, मणेणं सेवंतं पि अण्णं न समणुजाणाइ ओरालिए कामभोगे णेव सयं वायाए सेवइ, नो वि अण्णं वायाए सेवावेइ, वायाए सेवंतं पि अण्णं न समणुजाणाइ, ओरालिए कामभोगे णेव सयं काएणं सेवइ, नो वि यऽण्णं काएणं सेवावेइ, काएणं सेवंतं पि अण्णं न समणुजाणाइ, दिव्वे कामभोगे णेव सयं मणेणं सेवइ, णो वि अण्णं मणेणं सेवावेइ, मणेणं सेवंतं पि अण्णं न समणुजाणाइ, दिव्वे कामभोगे व सयं वायाए सेवइ, णो वि अण्णं वायाए सेवावेइ, वायाए सेवंतं पि अण्णं न समणुजाणाइ, दिव्वे कामभोगे णेव सयं काएणं सेवइ, णो वि अण्णं काएणं सेवावेइ, काएणं सेवंतं पि अण्णं न समणुजाणाइ । अरहतो णं अरिहनेमिस्स अट्ठारस समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया होत्था । समणेणं भगवया महावीरेणं समणाणं णिग्गंथागं सखुट्टयविअत्ताणं अट्ठारस ठाणा पन्नत्ता, तं जहा-वयछक्नं कायछकं, अकप्पो गिहिभायणं, पलियंक निसिज्जा य, सिणाणं सोभवजणं ॥१॥ आयारस्स ण भगवतो सचूलिआगस्स अट्ठारस पयसहस्साई पयग्गेणं पन्नत्ताई । वंभीए णं लिवीए अट्टारसविहे लेखविहाणे पन्नत्ते, तं०-बंभी जवणी लियादोसा ऊरिया खरोट्टिया खरसाविया पहाराइआ उच्चत्तरिआ अक्खरपुट्टि(त्थि)या भोगवयता वेणतिया 'णिण्हइया अंकलिवि गणिअलिवी गंधव्वलिवी[भूयलिवि] Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [समवाए आदंसलिवी माहेसरीलिवी दामिलिवी बोलिंदिलिवी । अत्थिनत्थिप्पवायस्स णं पुव्वस्स णं अट्ठारस वत्थू प० । धूमप्पभाए णं पुढवीए अट्ठारसुत्तरं जोयणसयसहरसं वाहल्लेणं प० । पोसासाढेसु णं मासेसु सइ उक्कोसेणं अट्ठारस मुहुत्ते दिवसे भवइ सइ उक्नोसेणं अट्ठारस मुहुत्ता राती भवइ ॥ ६० ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाण नेरइयाणं अट्ठारस(पलिओवमाइं ठिई प० । छट्ठीए पुढवीए अत्यंगइयाणं नेरइयाणं अट्ठारस)सागरोवमाइं ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयागं अट्ठारस पलिओवमाइं ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगडयाणं देवाणं अट्ठारस पलिंओवमाइं ठिई प० । सहस्सारे कप्पे देवाणं उनोसेणं अट्ठारस सागरोवमाई ठिई प० । आणते कप्पे देवाणं अत्थेगइयाणं जहण्णेणं अट्ठारस सागरोवमाई ठिई प० । जे देवा कालं सुकालं महाकालं अंजणं रिठं सालं समाणं दुमं महादुमं विसालं सुसालं पउमं पउमगुम्मं कुमुदं कुमुदगुम्मं नलिणं नलिणगुम्मं पुंडरीअं पुंडरीयगुम्मं सहस्सारवडिसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं (उक्कोसेणं)अट्ठारस सागरोवमाइं ठिई प० ॥६१॥ ते णं देवा णं अट्ठारसेहिं अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं अट्ठारसवाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिया (जीवा)जे अट्ठारसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति वुज्झिस्संति मुचिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ६२ ॥ एगूणवीसं णायज्झयणा पन्नत्ता, तं जहा-उक्खित्तणाए संघाडे, अडे कुम्मे अ सेलए । तुंबे अ रोहिणी मल्ली, मागंदी चंदिमाति अ॥ १ ॥ दावद्दवे उदगणाए, मंडुक्के तेत्तली इअ । नंदिफले अवरकंका, आइण्णे सुसमा इअ ॥ २ ॥ अवरे अपोंडरीए, णाएं एगूणवीसमे । जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिआ उक्नोसेणं एगूणवीसं जोयणसयाई उडमहो तवयंति । सुक्के णं महग्गहे अवरे णं उदिए समाणे एगूणवीसं णक्खत्ताइं समं चारं चरित्ता अवरेणं अत्थमणं उवागच्छइ । जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स कलाओ एगूणवीसं छेअणाओ पन्नत्ता। एगूणवीसं तित्थयरा अगारवासमझे वसित्ता मुंडे भवित्ता णं अगाराओ अणगारि पव्वइआ ॥ ६३ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइआणं एगूणवीसं पलिओवमाइं ठिई प० । छट्ठीए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं एगूणवीसं सागरोवमाइं ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं एगूणवीसं पलिओवमाइं ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं एगूणवीस पलिओवमाइं ठिई प० । आणयकप्पे अत्थेगइयाणं] देवाणं उनोसेणं एगूणवीसं सागरोवमाइं ठिई प० । पाणए कप्पे अत्थेगइयाणं] Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे स. २०] ३३३ देवाणं जहण्णेणं एगूणवीसं सागरोवमाइं ठिई प० । जे देवा आणतं पाणतं णतं विणतं घणं सुसिरं इंदं इंदोकंतं इंदुत्तरवळिसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उनोसेणं एगूणवीसं सागरोवमाइं ठिई प० ॥६४ ॥ ते णं देवा एगूणवीसाए अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं एगूणवीसाए वाससहस्सेहिं आहारटे समुप्पज्जइ । संतेगइआ भवसिद्धिया जीवा जे एगणवीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति वुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणं अंतं करिस्संति ॥६५॥ वीसं असमाहिठाणा पन्नत्ता, तं जहादवदवचारि यावि भवइ, अपमजियचारि यावि भवइ, दुप्पमजियचारि आवि भवइ, अतिरित्तसेज्जासणिए, रातिणिअपरिभासी, थेरोवघाइए, भूओवघाइए, संजलणे कोहणे, पिट्टिमंसिए, अभिक्खणं अभिक्खणं ओहारइत्ता भवइ, णवाणं अधिकरणाणं अणुप्पण्णाणं उप्पाएत्ता भवइ, पोराणाणं अधिकरणाणं खामिअविउसविआणं पुणोदीरत्ता भवइ, ससरक्खपाणिपाए, अकालसज्झायकारए यावि भवइ, कलहकरे, सद्दकरे, झंझकरे, सूरप्पमाणभोई, एसणाऽसमिते यावि भवइ । मुणिसुव्वए णं अरहा वीसं धणूई उद्धं उच्चत्तेणं होत्था । सव्वेऽविअ णं घणोदही वीसं जोयणसहस्साइं वाहल्लेणं पन्नत्ता । पाणयस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वीसं सामाणिअसाहस्सीओ पन्नत्ताओ । णपुंसयवेयणिजस्स णं कम्मस्स वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ बंधओ वंधठिई प० । पच्चक्खाणस्स णं पुव्वस्स वीस वत्थू। उस्सप्पिणिओसप्पिणिमंडले वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ कालो पन्नत्तो ॥ ६६ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं वीसं पलिओवमाई ठिई प० । छट्ठीए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं वीसं सागरोवमाई ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं वीसं पलिओवमाइं ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं वीसं पलिओवमाइं ठिई प० । पाणते कप्पे देवाणं उनोसेणं वीसं सागरोवमाइं ठिई प० । आरणे कप्पे देवाणं जहण्णेणं वीसं सागरोवमाइं ठिई प० । जे देवा सायं विसायं सुविसायं सिद्धत्थं उप्पलं भित्तिलं तिगिच्छं दिसासोवत्यियं पलंवं रुइलं पुप्फं सुपुप्फ पुष्फावत्तं पुप्फपमं पुप्फकंतं पुप्फवण्णं पुप्फलेसं पुप्फज्झयं पुप्फसिंगं पुप्फसिद्धं पुप्फुत्तरवडिसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्नोसेणं वीसं सागरोवमाइं ठिई प० ॥ ६७ ॥ ते णं देवा वीसाए अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं वीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे वीसाए भवग्गणेहि सिज्झिस्संति Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [समवाए बुज्झिस्संति मुचिस्संति परिणिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ६८ ॥ एकवीसं सबला पण्णत्ता, तं जहा-हत्थकम्मं करेमाणे सवले, मेहुणं पडिसेवमाणे सवले, राइभोअणं भुंजमाणे सवले, आहाकम्मं भुंजमाणे सवले, सागारियं पिंडं भुंजमाणे सवले, उद्देसियं कीयं आहटु दिजमाणं भुंजमाणे सवले, अभिक्खणं अभिक्खणं पडियाइक्खेत्ता णं भुंजमाणे सवले, अंतो छण्हं मासाणं गणाओ गणं संकममाणे सवले, अंतो मासस्स तओ दगलेवे करेमाणे सवले, अंतो मासस्स तओ माईठाणे सेवमाणे सवले, रायपिंडं भुंजमाणे सवले, आउट्टिआए पाणाइवायं करेमाणे सवले, आउट्टिआए मुसावायं वदमाणे सवले, आउट्टिआए अदिण्णादाणं गिण्हमाणे सवले, आउट्टिआए अणंतरहिआए पुढवीए ठाणं वा निसीहियं वा चेतेमाणे सवले, एवं आउट्टिआ चित्तमंताए पुढवीए एवं आउट्टिआ चित्तमंताए सिलाए कोलावासंसि वा दारुए ठाणं वा सिजं वा निसीहियं वा चेतेमाणे सवले, जीवपइट्ठिए सपाणे सबीए सहरिए सउत्तिंगे पणगदगमट्टीमकडासंताणए तहप्पगारे ठाणं वा सिजं वा निसीहियं वा चेतेमाणे सवले, आउट्टिआए मूलभोअणं वा कंदभोअणं वा तयाभोयणं वा पवालभोयणं वा पुप्फभोयणं वा फलभोयणं वा हरियभोयणं वा भुंजमाणे सवले, अंतो संवच्छरस्स दस दगलेवे करेमाणे सवले, अंतो संवच्छरस्स दस माइठाणाइ सेवमाणे सवले, अभिक्खणं अभिक्खणं सीतोदयवियडवग्घारियपाणिणा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइम वा पडिगाहित्ता भुंजमाणे सबले ॥ ६९ ॥ णिअट्टिवादरस्स णं खवियसत्तयस्स मोहणिजस्स कम्मस्स एकवीस कम्मंसा संतकम्मा प० तं जहा-अपच्चक्खाणकसाए कोहे, अपचक्खाणकसाए माणे, अपच्चक्खाणकसाए माया, अपच्चक्खाणकसाए लोभे, पञ्चक्खाणावरणकसाए कोहे, पञ्चक्खाणावरणकसाए माणे, पच्चक्खाणावरणकसाए माया, पच्चक्खाणावरणकसाए लोभे, संजलणकसाए कोहे, संजलणकसाए माणे, संजलणकसाए माया, संजलणकसाए लोभे, इथिवेदे, पुंवेदे, णपुंवेदे, हासे, अरति, रति, भय, सोग, दुगुंछा। एकमेक्काए णं ओसप्पिणीए पंचमछट्ठाओ समाओ एकवीसं एकवीस वाससहस्साई कालेणं प० तं जहा-दूसमा दूसमदूसमा । एगमेगाए णं उस्सप्पिणीए पढमबितिआओ समाओ एकवीसं एकवीसं वाससहस्साइं कालेणं प० तं जहा-दूसमदूसमाए दूसमाए य ॥ ७० ॥ इमीसे- णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइआणं एकवीसपलिओवमाइं ठिई प० । छट्ठीए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं एकवीससागरोवमाइं ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं एगवीसपलिओवमाई ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइ Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स०२२] सुत्तागमे याणं देवाणं एकवीसं पलिओवमाई ठिई प० । आरणे कप्पे देवाणं उक्नोसेणं एकवीसं सागरोवमाइं ठिई प० । अञ्चते कप्पे देवाणं जहण्णेणं एकवीसं सागरोवमाई.ठिई प० । जे देवा सिरिवच्छं सिरिदामकंडं मलं कि चावोण्णतं अरण्णवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं एकवीसं सागरोवमाइं ठिई प० ॥ ७१ ॥ ते णं देवा एकवीसाए अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं एकवीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पजइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे एकवीसाए भवग्गहणेहिं सिनिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिन्चाइरसंति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ७२ ॥ वावीसं परीसहा प० तं जहा-दिगिंछापरीसहे, पिवासापरीसहे, सीतपरीसहे, उसिणपरीसहे, दंसमसगपरीसहे, अचेलपरीसहे, अरइपरीसहे, इत्थीपरीसहे, चरिआपरीसहे, निसीहिआपरीसहे, सिज्जापरीसहे, अक्नोसपरीसहे', वहपरीसहे, जायणापरीसहे, अलाभपरीसहे, रोगपरीसहे, तणफासपरीसहे, जल्लपरीसहे, सक्कारपुरकारपरीसहे, पण्णापरीसहे, अण्णाणपरीसहे, दंसणपरीसहे । दिट्ठिवायस्स णं वावीसं सुत्ताई छिन्नछेयणइयाई ससमयमुत्तपरिवाडीए वावीसं सुत्ताइं अछिन्नछेयणइयाइं आजीवियसुत्तपरिवाडीए । वावीसं सुत्ताइं तिकणइयाइं तेरासियसुत्तपरिवाडीए । बावीसं सुत्ताई चउक्कणइयाइं ससमयसुत्तपरिवाडीए । वावीसविहे पोग्गलपरिणामे पन्नत्ते, तं जहा-कालवण्णपरिणामे, नीलवण्णपरिणामे, लोहियवण्णपरिणामे, हालिइवण्णपरिणामे, सुकिल्लवण्णपरिणामे, सुब्भिगंधपरिणामे, दुन्भिगंधपरिणामे, तित्तरसपरिणामे, कडुयरसपरिणामे, कसायरसपरिणामे, अंबिलरसपरिणामे, महुररसपरिणामे, कक्खडफासपरिणामे, मउयफासपरिणामे, गुरुफासपरिणामे, लहुफासपरिणामे, सीतफासपरिणामे, उसिणफासपरिणामे, णिद्धफासपरिणामे, लुक्खफासपरिणामे, अगुरुलहुफासपरिणामे, गुरुलहुफासपरिणामे ॥ ७३ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं बावीस पलिओवमाइं ठिई प० । छट्ठीए पुढवीए (नेरइयाणं)उक्नोसेणं वावीसं सागरोवमाइं ठिई प० । अहेसत्तमाए पुढवीए [अत्यंगइयाणं]नेरइयाणं जहण्णेणं वावीसं सागरोवमाइं ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं वावीसं पलिओवमाइं ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं वावीसं पलिओवमाइं ठिई प० । अञ्चुते कप्पे देवाणं (उक्कोसेणं) बावीसं सागरोवमाइं ठिई प० । हेहिमहेडिमगेवेजगाणं देवाणं जहण्णेणं वावीसं सागरोवमाइं ठिई प० । जे देवा महियं विसूहियं विमलं पभासं वणमालं अचुतवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उनोसेणं, बावीसं साग Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [समवाए रोवमाई ठिई प० ॥ ७४ ॥ ते णं देवा वावीसाए अदमासएणं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा। तेसि णं देवाणं वावीमवाससहस्तेहिं आहारट्ठे समुप्पजइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे बावीसं भवग्गणेहिं सिज्झिस्संति वुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ७५ ॥ तेवीसं सुयगडज्झयणा पन्नत्ता, तं जहा-समए, वेतालिए, उवसग्गपरिण्णा, थीपरिण्णा, नरयविभत्ती, महावीरथुई, कुसीलपरिभासिए, वीरिए, धम्मे, समाही, मग्गे, समोसरणे, आहत्तहिए, गंथे, जमईए, गाथा, पुंडरीए, किरियाठाणा, आहारपरिण्णा, [अ]प्पञ्चक्खाणकिरिआ, अणगारसुयं, अद्दइज्ज, णालंदइज । जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे णं ओसप्पिणीए तेवीसाए जिणाणं सूरुग्गमणमुहुतसि केवलवरनाणदंसणे समुप्पण्णे । जंबुद्दीवे णं दीवे इमीसे णं ओसप्पिणीए तेवीस तित्थकरा पुत्वभवे एकारसंगिणो होत्था, तं जहा-अजित संभव अभिणंदण सुमई जाव पासो वद्धमाणो य, उसमे णं अरहा कोसलिए चोदसपुन्वी होत्था। जंबुद्दीवे णं दीवे इमीसे ओसप्पिणीए तेवीसं तित्यंकरा मुन्वभवे मंडलिरायाणो होत्था, तं जहा-अजित संभव अभिणंदण जाव पासो वद्धमाणो ये, उसमे णं अरहा कोसलिए पुव्वभवे चक्कवट्टी होत्था ॥ ७६ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं तेवीसं पलिओवमाइं ठिई प० । अहे सत्तमाए णं पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं तेवीसं सागरोवमाइं ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं तेवीसं पलिओवमाई ठिई प० । सोहम्मीसाणाणं देवाणं अत्थेगइयाणं तेवीसं पलिओवमाइं ठिई प० । हेहिममज्झिमगेविजाणं देवाणं जहण्णेणं तेवीसं सागरोवमाइं ठिई प० । जे देवा हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेजयविमाणेसु देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं तेवीसं सागरोवमाइं ठिई प० ॥ ७७ ॥ ते णं देवा तेवीसाए अद्धमासाणं (मासेहिं) आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं तेवीसाए वाससहस्सेहिं आहारढे समुप्पजइ । संतेगइआ भवसिद्धिया जीवा जे तेवीसाए भवग्गहणेहि सिज्झिस्संति वुझिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥७८॥ चउव्वीसं देवाहिदेवा प० तं जहा-उसभअजितसंभवअभिनंदणसुमइपउमप्पहसुपासचंदप्पहसुविधिसीअलसिजंसवासुपुजविमलअणंतधम्मसंतिकुंथुअरमल्लीमुणिसुव्वयनमिनेमीपासवद्धमाणा । चुल्लहिमवंतसिहरीणं वासहरपव्वयाणं जीवाओ चउव्वीसं चउव्वीसं जोयणसहस्साइं णववत्तीसे जोयणसए एगं अट्ठत्तीसइभागं जोयणस्स किंचि विसेसाहिआओ आयामेणं प० । चउवीसं देवठाणा सइंदया प० सेसा अहमिंदा अनिंदा अपुरोहिआ । Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स० २५ ] सुत्तागमे ३३७ उत्तरायणगते णं सूरिए चउवीसंगुलिए पोरिसीछायं णिव्वत्तइत्ता णं णिअट्टति । गंगासिंधूओ णं महाणदीओ पवाहे सातिरेगेणं चडवीसं कोसे वित्थारेणं प० । रतारत्तवतीओ णं महाणदीओ पवाहे सातिरेगे चडवीसं कोसे वित्थारेणं प० ॥७९॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं चउवीसं पलिओवमाई ठिई प० । अहे सत्तमा पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं चडवीसं सागरोवमाई ठिई प० । असुरकुमाराणं देवानं अत्येगइयाणं चउवीसं पलिओवमाई ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेतु अत्थेगइयाणं देवाणं चउवीसं पलिओ माई ठिई प० । हेट्टिमउवरिमगेविजाणं देवाणं जहण्णेणं चउवीसं सागरोवमाई ठिई प० । जे देवा हेडिममज्झिमगेवेज्जयविमाणेसु देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं चउवीसं सागरोवमाई ठिई प० ॥ ८० ॥ ते णं देवा चवीसाए अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं चउवीसांए वास सहस्सेहि आहारट्ठे समुप्पजइ । संतेगइआ भवसिद्धिया जीवा जे चउवीसाए भवग्गहहिं सिज्झिस्संति वुज्झिति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंत करिस्सति ॥ ८१ ॥ मुरिमपच्छिमगाणं तित्थगराणं पंचजामस्त पणवीसं भाव - गाओ प० तं जहा - इरियासमिई, मणगुत्ती, वयगुती, आलोयभायणभोयणं, आदाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिई, अणुवीतिभासणया, कोहविवेगे, लोभविवेगे, भयविचेंगे, हासविवेगे, उग्गहअणुण्णवणया, उग्गहसीमजाणणया, सयमेव उग्गहं अणुगिण्हणया, साहम्मियउग्गहं अणुण्णविय परिभुंजण्या, साहारणभत्तपाणं अणुण्णविय पडिभुंजणया, इत्थीपसुपंड गसंसत्तगसयणासणवज्जणया, इत्थी कह विवज्जणया, इत्थीणं इंदियाणमालोयणवजणया, पुव्वरयपुंव्वकीलिआणं अणणुसरणया, पणीताहारविवज्ज V या, सोइंदिरागोवरई, चक्खिदियरागोवरई, घार्णिदियरागोवरई, जिम्भिदियरागोवरई, फासिंदियरागोवरई । मल्ली णं अरहा पणवीसं धणु उ उच्चत्तेगं होत्था । सव्वे व दीवेयपव्वया पणवीसं जोयणाणि उडूं उच्चत्तेणं पन्नत्ता पणवीसं पणवीसं गाउआणि उव्विद्वेणं प० । दोचाए णं पुढवीए पणवीसं णिरयावाससयसहस्सा पत्ता । आयारस्स णं भगवओ सचूलिआयस्स पणवीसं अज्झयणा पन्नत्ता, तं जहा - सत्यपरिण्णा लोगविजओ सीओसणीअ सम्मत्तं । आवंति धुय विमोह उवहासुयं महपरिणा । पिंडेसण सिज्जिरिआ भासज्झयणा य वत्थ पाएसा । उग्गहपडिमा सत्तिकसत्तया भावण विमुक्त्ती । निसीहज्झयणं पणवीसइमं । मिच्छादिट्टि - विगलिंदिए णं अपज्जत्तए णं संकिलिट्ठपरिणामे णामस्स कम्मस्स पणवीसं उत्तरंपयडीओ णिबंधति - तिरियगतिनामं विगलिंदियजातिनामं ओरालियसरीरणामं तेअग२२ सुत्ता० Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अत्थेगइआणं नरयाणं पणवीसं पलिश २ ॥ इमोसे बात ३३८ सुत्तागमे [समवाए सरीरणामं कम्मणसरीरनामं हुंडगसंठाणनामं ओरालिअसरीरंगोवंगणामं छेवट्ठसंघयणनामं वण्णनामं गंधणामं रसणामं फासणामं तिरिआणुपुन्विनाम अगुरुलहुनामं उवधायनामं तसनामं वादरणाम अपज्जत्तयणामं पत्तेयसरीरणामं अथिरणाम अनुभणामं दुभगणामं अणादेजनामं अजसोकित्तिनाम निम्माणनामं । गंगासिंधूओ णं महाणदीओ पणवीसं गाउयाणि पुहुत्तेणं दुहओ घडमुहपवित्तिएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं पवातेण पडंति । रत्तारत्तवईओ णं महाणदीओ पणवीसं गाउयाणि पुहुत्तेणं मकर (घड) मुहपवित्तिएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं पवातेण पडंति । लोगविंदुसारस्स णं पुव्वस्स पणवीसं वत्थू प० ॥ ८२ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं पणवीसं पलिओवमाइं ठिई प० । अहे सत्तमाए पुढवीए अत्थेगइआणं नेरइयाणं पणवीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं पणवीसं पलिओवमाइं ठिई प० । सोहम्मीसाणे णं देवाणं अत्थेगइयाणं पणवीसं पलिओवमाइं ठिई प० । मज्झिमहेट्ठिमगेवेजाणं देवाणं जहण्णेणं पणवीसं सागरोवमाइं ठिई प० । जे देवा हेहिमउवरिमगेवेजगविमाणेसु देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं पणवीसं सागरोवमाइं ठिई प० ॥ ८३ ॥ ते णं देवा पणवीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं पणवीसं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पजइ । संतेगइया भवसिद्धिआ जीवा जे पणवीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुझिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ८४ ॥ छन्वीसं दसकप्पववहाराणं उद्देसणकाला पन्नत्ता, तं जहा-दस दसाणं छ कप्पस्स दस ववहाररस । अभव. सिद्धियाणं जीवाणं मोहणिजस्स कम्मस्स छव्वीसं कम्मंसा संतकम्मा पन्नत्ता, तं जहा-मिच्छत्तमोहणिजं सोलस कसाया इत्थीवेदे पुरिसवेदे नपुंसकवेदे हासं अरति रति भयं सोगं दुगुंछा ॥ ८५ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं छव्वीसं पलिओवमाइं ठिई प० । अहे सत्तमाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं छव्वीसं सागरोवमाई ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं छन्वीसं पलिओवमाई ठिई प०,। सोहम्मीसाणे णं देवाणं अत्थेगइयाणं छन्वीसं पलिओवमाइं ठिई प० । मज्झिममज्झिमगेवेजयाणं देवाणं जहण्णेणं छन्वीसं सागरोवमाइं ठिई प० । जे देवा मज्झिमहेडिमगेवेन्जयविमाणेसु देवत्ताए उववन! तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं छन्वीसं सागरोवमाइं ठिई प० ॥८६॥ ते णं देवा छन्वीसाए अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं छव्वीसं वाससहस्सेहिं आहारढे समुप्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिया Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स०-२८] सुत्तागमे ३३९ जीवा जे छव्वीसेहिं भवग्गहणेहि सिज्झिस्संति वुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिणिव्वाइ. स्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ८७ ॥ सत्तावीसं अणगारगुणा पन्नत्ता, तं जहा-पाणाइवायाओ वेरमणं, मुसावायाओ वेरमणं, अदिन्नादाणाओ वेरमणं, मेहुणाओ वेरमणं, परिग्गहाओ वेरमणं, सोइंदियनिग्गहे, चक्खिदियनिग्गहे,, घाणिं. दियनिग्गहे, जिभिदियनिग्गहे, फासिंदियनिग्गहे, कोहविवेगे, माणविवेगे, मायाविवेगे, लोभविवेगे, भावसच्चे, करणसच्चे, जोगसच्चे, खमा, विरागया, मणसमाहरणया, वयसमाहरणया, कायसमाहरणया, णाणसंपण्णया, दंसणसंपण्णया, चरित्तसंपण्णया, वेयणअहियासणया, मारणंतियअहियासणया । जंबुद्दीवे दीवे अभिइवज्जेहिं सत्तावीसाए णक्खत्तेहिं संववहारे वति । एगमेगे णं णक्खत्तमासे सत्तावीसाहिं राइंदियाहिं राइंदियग्गेणं पन्नत्ते । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु विमाणपुढवी सत्तावीसं जोयणसयाई वाहल्लेणं पन्नत्ता । वेयगसम्मत्तवंधोवरयस्स णं मोहणिजस्स कम्मस्स सत्तावीसं उत्तरपगडीओ संतकम्मंसा पन्नत्ता । सावणसुद्धसत्तमीसु णं सूरिए सत्तावीसंगुलियं पोरिसिच्छायं णिव्वत्तइत्ता णं दिवसखेत्तं नियट्टेमाणे रयणिखेत्तं अभिणिवट्टमाणे चार चरइ ॥ ८८ ॥ इमीसे गं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं सत्तावीसं पलिओवमाइं ठिई प० । अहे सत्तमाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं सत्तावीसं सागरोवमाई ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं सत्तावीसं पलिओवमाइं ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं सत्तावीसं पलिओवमाइं ठिई प० । मज्झिमउवरिमगेवेजयाणं देवाणं जहण्णेणं सत्तावीसं सागरोवमाइं ठिई प० । जे देवा मज्झिममज्झिमगेवेजयविमाणेसु देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्नोसेणं सत्तावीसं सागरोवमाइं ठिई प० ॥ ८९ ॥ ते णं देवा सत्तावीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं सत्तावीसवाससहस्सेहिं आहारटे समुप्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे ‘सत्तावीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति वुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ ९० ॥ अठ्ठावीसविहे आयारपकप्पे पन्नत्ते, तं जहा-मासिआ आरोवणा, सपंचराईमासिया आरोवणा, सदसराइमासिया आरोवणा, (सपण्णरसराइमासिआ आरोवणा, सवीसइराइमासिआ आरोवणा, सपंचवीसराइमासिआ आरोवणा) एवं चेव दोमासिआ आरोवणा, सपंचराईदोमासिआ आरोवणा, एवं तिमासिआ आरोवणा, चउमासिआ आरोवणा, उवघाइया आरोवणा, अणुवघाइया आरोवणा, कसिणा आरोवणा, अकसिणा आरोवणा, एतावता आयारपकप्पे एताव ताव आयरिअव्वे । भवसिद्धियाणं जीवाणं Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૪૦ सुत्तागमे [ समवायु अत्थेगइयाणं मोहणिजस्स कम्मस्स अट्ठावीसं कम्मंसा संतकम्मा पत्ता तं जहासम्मत्तवेअणिजं मिच्छत्तवेयणिजं सम्ममिच्छत्तवेयणिजं सोलस कसाया नव णोकसाया । आभिणिवोहियणाणे अट्ठावीसइविहे प० तं० सोइंदियअत्थावग्गहे, चक्सिदियअत्थावग्गहे, घाणिंदियअत्थावग्गहे, जिम्भिदियअत्थावग्गहे, फासिंदियअत्थावग्गहे, गोइंदियअत्थावग्गहे, सोइंदियवंजणोग्गहे, धार्मिदियवंजणोग्गहे, जिव्भिदियवंजणोग्गहे, फासिंदियवंजणोग्गहे, सोतिंदियईहा, चक्खिदियईहा, घाणिदियईहा, जिभिदियईहा, फासिंदियईहा, गोइंदियईहा, सोतिंदियावाए, चक्खिदियावाए, घार्णिदियावाए, जिव्भिदियावाए, फासिंदियावाए, गोइंदियावाए, सोइंदियधारणा, चक्खिदियधारणा, घार्णिदियधारणा, जिव्भिदियधारणा, फासिंदियधारणा, गोइंदियधारणा । ईसाणे णं कप्पे अट्टावीसं विमाणावासस्यसहस्सा प० । जीवे णं देवगइम्सि वंधमाणे नामस्स कम्सस्स अट्ठावीसं उत्तरपगडीओ णिबंधति, तं जहा - देवगतिनामं, पंचिदियजातिनामं, वेठव्वियसरीरनामं, तेयगसरीरनामं, कम्मणसरीरनामं, समचउरंससंठाणणामं, वेडव्वियसरीरंगोवंगणामं, वण्णणामं, गंधणामं, रसणामं, फासनामं, देवाणुपुव्विणामं, अगुरुलहुनामं, उवघायनामं, पराघायनामं, उस्सासनामं, पसत्यविहायोगइणामं, तसनामं, वायरणामं, पज्जत्तनामं, पत्तेयसरीरनामं, थिराथिराणं सुभासुभाणं ( सुभगनामं, सुस्सरनामं), आएजाणाएजाणं दोन्हं अणयरं एवं नामं णिबंधइ, जसोकित्तिनामं निम्माणनामं । एवं चेव नेरइया वि, णाणतं अप्पसत्थविहायोगइणामं, हुंडगसंठाणणामं, अयिरणामं, दुब्भगणामं, असुभनामं, दुस्सरनामं, अणादिज्जणामं, अजसोकित्तीणामं, णिम्माणणामं ॥ ९१ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं अट्ठावीसं पलिओवमाई ठिई प० । अहे सत्तमाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं अट्ठावीसं सागरोवमाई ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं अट्ठावीसं पलिओवमाई ठिई पत्ता | सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु देवाणं अत्थेगइयाणं अट्ठावीसं पलिओ माई ठिई प० । उवरिमहेट्ठिमगेवेजयाणं देवाणं जहण्णेणं अट्ठावीसं सागरोवमाई ठिई प० । जे देवा मज्झिमरवरिमगेवेज्जएसु विमाणेसु देवत्ताए उववण्णां तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं अट्ठावीसं सागरोवमाई ठिई प० ॥ ९२ ॥ ते णं देवा अट्ठावीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेति णं देवाणं अट्ठावीसाए वाससहस्सेहि आहारट्ठे समुप्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे अट्ठावीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति वुज्झिस्संति मुचिस्संति परिणिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्सति ॥ ९३ ॥ एगूणतीसइविहे पावसुयपसंगे , Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स० ३० ] सुत्तागमे ३४ १ णं प० तं० भोमे, उप्पाए, सुमिणे, अंतरिक्खे, अंगे, सरे, वंजणे, लक्खणे, भोमे तिविहे प० तं सुत्ते वित्ती वत्तिए, एवं एक्केकं तिविह, विकहाणुजोगे, विज्जाणुजोगे, मंताणुजोगे, जोगाणुजोगे, अण्णतित्थियपवत्ताणुजोगे । आसाढे णं मासे एगूणतीसराइंदिआई राईदियग्गेणं पन्नत्ताई । ( एवं चेव ) भद्दवए णं मासे । कत्तिए णं मासे । पोसे णं मासे । फग्गुणे णं मासे । वइसाहे णं मासे । चंददिणे णं एगूणतीसं मुहुत्ते सातिरेगे मुहुत्तग्गेणं प० । जीवेणं पसत्थऽज्झवसाणजुत्ते भविए सम्मदिट्ठी तित्थकरनामसहिआओ णामस्स णियमा एगूणतीसं उत्तरपगडीओ निबंधित्ता वेमाणिएसु देवेसु देवत्ताए उववज्जइ ॥ ९४ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं एगूणतीसं पलिओवमाई ठिई प० । अहे सत्तमाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं एगूणतीसं सागरोवमाई ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं एगूणतीसं पलिओचमाई ठिई प० । सोहम्मीसासु कप्पे देवाणं अत्येगइयाणं एगूणतीसं पलिओ माई ठिई प० । उवरिममज्झिमगेवेज्जयागं देवाणं जहणेगं एगूणतीसं सागरोवमाई ठिई प० । जे देवा उवरिमहेट्टिमगेवेज्जयविमाणेसु देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं एगूणतीसं सागरोवमाई ठिई प० ॥ ९५ ॥ ते णं देवा एगूणतीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं एगूणतीसं वास - सहस्सेहि आहारट्ठे समुप्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे एगूणतीसभवगणेहिं सिज्झिस्संति वुज्झिस्संति मुन्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंत करिस्संति ॥ ९६ ॥ तीसं मोहणीयठाणा प० तं० जे यावि तसे पाणे, वारिमज्झे विगाहिआ | उदएण कम्मा मारेई, महामोहं पकुव्व ॥ ११ ॥ सीसावेढेण जे केई, आवेढेइ अभिक्खणं । तिव्वासुभसमायारे, महामोहं पकुव्वइ ॥ २-२ ॥ पाणिणा संपिहित्ता णं, सोयमावरिय पाणिणं । अंतोनदंतं मारेई, महामोहं पकुब्वइ ॥ ३३ ॥ जायतेयं समारम्भ, वहुं ओरंभिया जणं, अंतोधूमेण मारेई (जा), महामोहं- पकुव्वइ ॥ ४-४ ॥ सिस्सम्मि जे पहणइ, उत्तमंगम्मि चेयसा । विभज्ज मत्थयं - फाले, महामोहं पकुव्वइ ॥ ५५ ॥ पुणो पुणो पणिधिए, हरित्ता उवहसे जणं । फलेणं अदुवा दंडेणं, महामोहं पकुव्व ॥ ६-६ ॥ गूढायारी निगूहिजा, मायं मायाए छायए । असच्चवाई णिण्हाई, महामोहं पकुव्व ॥ ७-७ ॥ धंसेइ जो अभूएणं, अक्रम्मं अत्तकम्मुणा । अदुवा तुम कासित्ति, महामोहं पक्कुव्वइ ॥ ८-८ ॥ जाणमाणो परिसओ, सच्चामोसाणि भासइ । अक्खीणझंझे पुरिसे, महामोहं पकुव्वइ ॥ ९-९ ॥ अणायगस्स नयवं, दारे तस्सेव धंसिया । विरलं विक्खोभत्ता Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४२ सुत्तागमे [समवाए णं, किच्चा णं पडिवाहिरं ॥ १० ॥ उवगसंतं पि झंपित्ता, पडिलोमाहिं वग्गुहिं । भोगभोगे वियारेई, महामोहं पकुव्वइ ॥ ११-१०॥ अकुमारभूए जे केई, कुमारभूए त्ति हं वए । इत्थीहिं गिद्धे वसए, महामोहं पकुव्वइ ।। १२-११॥ अवंभयारी जे केई, वंभयारी त्ति हं वए । गद्दहेव्व गवां मज्झे, विस्सरं नयई नदं ॥ १३ ॥ अप्पणो अहिए वाले, मायामोसं वहुं भसे । इत्थीविसयगेहीए, महामोहं पकुवइ ॥ १४-१२ ।। जं निस्सिए उव्वहइ, जससाहिगमेण वा । तस्स लुभइ वित्तम्मि, महामोहं पकुव्वइ ।। १५-१३ ॥ ईसरेण अदुवा गामेणं, अणिसरे ईसरीकए । तस्स संपयहीणस्स, सिरी अतुलमागया ॥ १६॥ ईसादोसेण आविटे, कलुसाविलचेयसे । जे अंतराअंचेएइ, महामोहं पकुव्वइ ॥ १७-१४ ॥ सप्पी जहा अंडरडं, भत्तारं जो विहिंसइ । सेणावई पसत्थारं, महामोहं पकुन्वइ ॥ १८-१५ ॥ जे नायगं च रहस्स, नेयारं निगमस्स वा । सेटिं बहुरवं हंता, महामोहं पकुव्वइ ॥ १९-१६ ॥ बहुजणस्स णेयारं, दीवं ताणं च पाणिणं । एयारिसं नरं हता, महामोहं पकुव्वइ ॥ २०-१७ ॥ उवट्ठियं पडिविरयं, संजयं सुतवस्सियं । वुकम्म धम्माओ भंसेइ, महामोहं पकुव्वइ ॥ २१-१८ ॥ तहेवाणतणागीणं, जिणाणं वरदंसिणं । तेसिं अवण्णवं वाले, महामोहं पकुव्वइ ॥ २२-१९ ॥ नेयाइअस्स मग्गस्स, दुढे अवयरई वहुं । तं तिप्पयंतो भावेइ, महामोहं पकुव्वइ ॥ २३-२० ॥ आयरियउवज्झाएहि, सुयं विणयं च गाहिए । ते चेव खिंसई वाले, महामोहं पकुव्वइ ॥ २४-२१॥ आयरियउवज्झायाणं, सम्मं नो पडितप्पइ । अप्पडिपूयए थद्धे, महामोहं पकुव्वइ ॥ २५-२२ ॥ अवहुस्सुए य जे केई, सुएणं पविकत्थई । सज्झायवायं वयइ, महामोहं पकुव्वइ ॥ २६-२३ ॥ अतवस्सीए य जे केई, तवेण पविकत्थइ । सव्वलोयपरे तेणे, महामोहं पकुव्वइ ॥ २७-२४ ॥ साहारणट्ठा जे केई, गिलाणम्मि उवट्ठिए । पभू ण कुणई किच्चं, मझं पि से न कुम्वइ ॥ २८ ॥ सढे नियडीपण्णाणे, कलुसाउलचेयसे । अप्पणो य अवोहीय, महामोहं पकुव्वइ ॥ २९-२५ ॥ जे कहाहिगरणाइं, संपउंजे पुणो पुणो । सव्वतित्थाण भेयाणं, महामोहं पकुव्वइ ॥ ३०-२६ ॥ जे अ आहम्मिए जोए, संपओजे पुणो पुणो । सहाहेडं सहीहेडं, महामोहं पकुव्वइ ॥ ३१-२७ ॥ जे अ माणुस्सए भोए, अदुवा पारलोइए । तेऽतिप्पयंतो आसयइ, महामोहं पकुव्वइ ॥ ३२-२८ ॥ इड्ढी जुई जसो वण्णो, देवाणं बलवीरिय । तेसिं अवण्णवं वाले, महामोहं पकुव्वइ ॥ ३३-२९ ॥ अपस्समाणो पस्सामि, देवे जक्खे य गुज्झगे । अण्णाणी जिणपूयट्ठी, महामोहं पकुव्वद ॥ ३४-३० ॥ ९७ ॥ थेरे णं Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स० ३१] सुत्तागमे मंडियपुत्ते तीसं वासाइं सामण्णपरियायं पाउणित्ता सिद्धे बुद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे । एगमेगे णं अहोरत्ते तीसमुहुत्ते मुहुत्तग्गेणं पनत्ते । एएसि णं तीसाए मुहुत्ताणं तीसं नामधेजा प०, तं जहा-रोदे, सत्ते, मित्ते, वाऊ, सुपीए, अभिचंदे, माहिदे, पलंबे, बंभे, सच्चे, आणंदे, विजए, विस्ससेणे, पायावच्चे, उवसमे, ईसाणे, तठे, भाविअप्पा, वेसमणे, वरुणे, सतरिसभे, गंधव्वे, अग्गिवेसायणे, आतवे, आवत्ते, तहवे, भूमहे, रिसभे, सव्वट्ठसिद्धे, रक्खसे । अरे णं अरहा तीसं धणु(णू)ई उर्ल्ड उच्चत्तेणं होत्था। सहस्सारस्स णं देविंदस्स देवरन्नो तीसं सामाणियसाहस्सीओ प० । पासे णं अरहा तीसं वासाइं अगारवासमज्झे वसित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए। समणे भगवं महावीरे तीसं वासाई अगारवासमज्झे वसित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए। रयणप्पभाए णं पुढवीए तीसं निरयावाससयसहस्सा प० ॥९८॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं तीसं पलिओचमाइं ठिई प० । अहे सत्तमाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं तीसं सागरोवमाइं ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं तीसं पलिओवमाइं ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु देवाणं अत्थेगइयाणं तीसं पलिओवमाइं ठिई प० । उवरिमउवरिमगेवेजयाणं देवाणं जहण्णेणं तीसं सागरोवमाइं ठिई प० । जे देवा उवरिममज्झिमगेवेजएसु विमाणेसु देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्नोसेणं तीसं सागरोवमाई ठिई प० ॥ ९९ ॥ तेणं देवा तीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं तीसाए वाससहस्सेहिं आहारढे समुप्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे तीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुचिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ १०० ॥ एकतीसं सिद्धाइगुणा पन्नत्ता, तं जहा-खीणे आभिणिवोहियणाणावरणे, खीणे सुयणाणावरणे, खीणे ओहिणाणावरणे, खीणे मणपज्जवणाणावरणे, खीणे केवलणाणावरणे, खीणे चक्खुदंसणावरणे, खीणे अचक्खुदसणावरणे, खीणे ओहिदसणावरणे, खीणे केवलदसणावरणे, खीणे निद्दा, खीणे णिहाणिद्दा, खीणे पयला, खीणे पयलापयला, खीणे थीणद्धी, खीणे सायावेयणिज्जे, खीणे असायावेयणिजे, खीणे दसणमोहणिजे, खीणे चरित्तमोहणिजे, खीणे नेरइआउए, खीणे तिरिआउए, खीणे मणुस्साउए, खीणे देवाउए, खीणे उच्चागोए, खीणे निच्चागोए, खीणे सुभणामे, खीणे असुभणामे, खीणे दाणंतराए, खीणे लाभंतराए, खीणे भोगंतराए, खीणे उवभोगंतराए, खीणे वीरिअंतराए ॥१०१॥ मंदरे णं पव्वए धरणितले एक्कतीसं जोयणसहस्साई छच्चेव तेवीसे जोयणसए किंचिदेसूणा परिक्खेवेणं पन्नत्ता। जया णं सूरिए Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [समवाए सव्वबाहिरियं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं इहगयस्स मणुस्सस्स एकतीसाए जोयणसहस्सेहिं अट्ठहि अ एकतीसेहिं जोयणसएहिं तीसाए सट्ठिभागे जोयणस्स सूरिए चक्खुप्फास हव्वमागच्छइ । अभिवडिए णं मासे एकतीसं सातिरेगाइं राइंदियाइं राइंदियग्गेणं पन्नत्ते । आइच्चे णं मासे एकतीसं राइंदियाइं किंचि विसेसूणाई राइंदियग्गेणं पन्नत्ते ॥१०२॥ इमीसे ण रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं 'एकतीसं पलिओवमाइं ठिई प० । अहे सत्तमाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं एकतीसं सागरोवमाइं ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं एकतीसं पलिओवमाइं ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं एकतीसं पलिओचमाइं ठिई प० । विजयवेजयंतजयंतअपराजिआणं देवाणं जहण्णेणं एकतीसं सागरोवमाइं ठिई प० । जे देवा उवरिमउवरिमगेवेजयविमाणेसु देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं एकतीसं सागरोवमाइं ठिई प० ॥ १०३ ॥ ते णं देवा एकतीसाए अद्धमासेहिं आणति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं एक्कतीसं(स)वाससहस्सेहिं आहारटे समुप्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे एकतीसेहि भवग्गहणेहि सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ १०४ ॥ बत्तीसं जोगसंगहा प०, तं जहा-आलोयण, निरवलावे, आवईसु दढधम्मया । अणिस्सिओवहाणे य, सिक्खा निप्पडिकम्मया ॥ १ ॥ अण्णायया, अलोभे य, तितिक्खा अजवे सुई। सम्मदिट्ठी समाही य, आयारे विणओवए ॥ २ ॥ धिईमई य संवेगे, पणिही सुविहि संवरे । अत्तदोसोवसंहारे, सव्वकामविरत्तया ॥ ३ ॥ पञ्चक्खाणे विउस्सग्गे, अप्पमादे लवालवे । झाणसंवरजोगे य, उदए मारणंतिए ॥ ४ ॥ संगाणं च परिण्णाया, पायच्छित्तकरणे वि य । आराहणा य मरणंते, बत्तीसं जोगसंगहा ॥ ५॥ १०५ ॥ बत्तीसं देविदा प०, तं जहा-चमरे बली धरणे भूआणंदे जाव घोसे महाघोसे चंदे सूरे सक्ने ईसाणे सर्णकुमारे जाव पाणए अचुए । कुंथुस्स णं अरहओ बत्तीसहिया बत्तीसं जिणसया होत्या । सोहम्मे कप्पे बत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा प० । रेवइणक्खत्ते वत्तीसइतारे पन्नत्ते । वत्तीसतिविहे णट्टे पन्नत्ते ॥ १०६ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाण नेरइयाणं बत्तीसं पलिओवमाइं ठिई प० । अहे सत्तमाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं बत्तीसं सागरोवमाई ठिई प० । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं वत्तीस पलिओवमाइं ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु देवाणं अत्थेगइयाणं वत्तीस पलिओवमाई ठिई प० । जे देवा विजयवेजयंतजयंतअपराजियविमाणेसु देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं अत्थेगइयाणं बत्तीसं सागरोवमाइं ठिई प० । Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ३४५ स० ३४] ते णं देवा बत्तीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा। तेसि णं देवाणं वत्तीसवाससहस्सेहिं आहारढे समुप्पजइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे बत्तीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति वुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्सति ॥ १०७ ॥ तेत्तीसं आसायणाओ पन्नत्ताओ, तं जहा-सेहे राइणियस्स आसन्नं गंता भवइ आसायणा सेहस्स, सेहे राइणियस्स पुरओ गंता भवइ आसायणा सेहस्स, सेहे राइणियस्स सपक्खं गंता भवइ आसायणा सेहस्स, सेहे राइणियस्स आसन्नं ठिचा भवइ आसायणा सेहस्स, जाव सेहे राइणियस्स आलवमाणस्स तत्थगए चेव पडिसुणित्ता भवइ आसायणा सेहस्स । चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररण्णो चमरचंचाए रायहाणीए एकमेकवाराए तेत्तीसं तेत्तीसं भोमा प० । महाविदेहे णं वासे तेत्तीसं जोयणसहस्साइं साइरेगाइं विक्खंभेणं प० । जया णं सूरिए वाहिराणंतरं तच्चं मंडलं उवसंकसित्ता णं चार चरइ तया गं इह गयस्स पुरिसस्स तेत्तीसाए जोयणसहस्सेहिं किंचिविसेसूणेहिं चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ ॥ १०८ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाण नेरइयाणं तेत्तीसं पलिओचमाइं ठिई प० । अहे सत्तमाए पुढवीए कालमहाकालरोख्यमहारोरुएसु नेरइयाणं उनोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई प० । अप्पइट्ठाणनरए नेरइयाणं अजहण्णमणुकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई प० । असुरकुमाराणं अत्थेगइयाणं देवाणं तेत्तीसं पलिओवमाइं ठिई प० । सोहम्मीसाणेसु अत्थेगइयाणं देवाणं तेत्तीसं पलि ओवमाई ठिई प० । विजयवेजयंतजयंतअपराजिएसु विमाणेसु उक्नोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई प० । जे देवा सव्वट्ठसिद्ध महाविमाणे देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं अजहण्णमणुकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई प० ॥ १०९॥ ते णं देवा तेत्तीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा निस्ससंति वा । तेसि णं देवाणं तेत्तीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पजइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे तेत्तीसं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुचिस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्सति ॥११०॥ चोत्तीसं जिणाइसेसा प० तं जहा-अवढिए केसमंसुरोमनहे, निरामया निरुवलेवा गायलट्ठी, गोक्खीरपंडुरे मंससोगिए, पउमुप्पलगंधिए उस्सासनिस्सासे, पच्छन्ने आहारनीहारे अदिस्से मंसचक्खुणा, आगासगयं चलं, आगासगयं छत्तं, आगासगयाओ सेयवरचामराओ, आगासफालिआमयं संपायपीढं सीहासणं, आगासगओ कुड़मीसहस्सपरिमंडिआभिरामो इंदज्झंओ पुरओ गच्छइ, जत्था जत्य वि य णं अरहंता भगवंतो चिट्ठति वा निसीयंति वा तत्थे तत्य वि य णं तक्खणादेव संछन्नपत्तपुप्फपल्लचसमाउलो सच्छत्तो सज्झओ सघंटो Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [समवाए सपडागो असोगवरपायवो अभिसंजायइ, ईसिं पिट्टओ मउडठाणमि तेयमंडलं अभिसंजायइ अंधकारे वि य णं दस दिसाओ पभासेड, बहुसमरमणिजे भूमिभागे, अहोसिरा कंटया जायंति, उऊ विवरीया सुहफासा भवंति, सीयलेणं सुहफासेणं मुरभिणा मारुएणं जोयणपरिमंडलं सन्वओ समंता संपमजिजइ, जुत्तफुलिएणं मेहेण च नियरयरेणूयं किजइ, जलथलयभासुरपभूतेणं विटट्टाइणा दसवण्णेणं कुसुमेणं जाणुस्सेहप्पमाणमित्ते (अचित्ते) पुप्फोवयारे किज्जइ, अमणुण्णाणं सद्दफरिसरसरूवगंधाणं अवकरिसो भवइ, मणुण्णाणं सद्दफरिसरसरूवगंधाणं पाउमाओ भवइ, पञ्चाहरओ वि य णं हिययगमणीओ जोयणनीहारी सरो, भगवं च णं अद्धमागहीए भासाए धम्म माइक्खइ, सा वि य णं अद्धमागही भासा भासिज्जमाणी तेसिं सव्वेसिं आरियमणारियाणं दुप्पयचउप्पअमियपसुपक्खिसरीसिवाणं अप्पणो हियसिवसुहयभासत्ताए परिणमइ, पुव्ववद्धवेरा वि य णं देवासुरनागसुवण्णजक्खरक्खसकिनरकिपुरिसगरुलगंधव्वमहोरगा अरहओ पायमूले पसंतचित्तमाणसा धम्म निसामंति, अण्णउत्यियपावयणिया वि य गमागया वंदंति, आगया समाणा अरहओ पायमूले निप्पलिवयणा हवंति, जओ जओ वि य णं अरहंतो भगवंतो विहरंति तओ तओ वि य णं जोयणपणवीसाए णं ईती न भवइ, मारी न भवइ, सचक्नं न भवइ, परचकं न भवइ, अइबुट्ठी न भवइ, अणावुठ्ठी न भवइ, दुन्भिक्खं न भवइ, पुव्वुप्पण्णा वि यणं उप्पाइया वाही खिप्पमिव उवसमंति ॥ १११॥ जंबुद्दीवेणं दीवे चउत्तीसं चक्कवट्टिविजया प० तं जहा-बत्तीसं महाविदेहे दो भरहे एरवए । जंबुद्दीवे गं दीवे चोत्तीसं दीहवेयना प० । जंबुद्दीवे णं दीवे उक्लोसपए चोत्तीसं तित्थंकरा समुप्पज्जति, चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररण्णो चोत्तीसं भवणावाससयसहस्सा प० । पढमपंचमछट्ठीसत्तमासु चउसु पुढवीसु चोत्तीसं निरयावाससयसहस्सा प० ॥ ११२ ॥ पणतीसं सञ्चवयणाइसेसा प० । कुंथू णं अरहा पणतीसं धणूई उद्धं उच्चत्तेणं होत्था । दत्ते णं वासुदेवे पणतीसं धणूइं उर्दू उच्चत्तेणं होत्था। नंदणे णं बलदेवे पणतीस धणूइं उड़े उच्चत्तेणं होत्था। बितियचउत्थीसु दोसु पुढवीसु पणतीसं निरयावाससयसहस्सा प० ॥११३॥ छत्तीसं उत्तरज्झयणा प० तं जहा-विणयसुयं, परीसहो, चाउरंगिजं, असंखयं, अकाममरणिजं, पुरिसविज्जा, उरभिज्ज, काविलियं, नमिपव्वज्जा, दुमपत्तयं, वहुसुयपूजा, हरिएसिज्जं, चित्तसंभूयं, उसुयारिजं, सभिक्खुगं, समाहिठाणाई, पावसमणिज्ज, संजइज, मियचारिया, अणाहपव्वजा, समुद्दपालिज, रहनेमिजं, गोयमके'सिज, समितिओ, जन्नतिजं, सामायारी, खलुकिजं, मोक्खमग्गगई, अप्पमाओ, तवोमग्गो, चरणविही, पमायठाणाई, कम्मपयडी, लेसज्झयणं, अणगारमग्गे, जीवा Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सं० ४२ ] सुत्तागमे ३४७ जीवविभत्ती य । चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररण्णो सभा सुहम्मा छत्तीसं जोयणाई उङ्कं उच्चत्तेणं होत्था । समणस्स णं भगवओ महावीरस्स छत्तीसं अजाणं साहस्सीओ होत्था | चेत्तासोएसु णं मासेसु सइ छत्तीसंगुलियं सृरिए पोरिसिछायं निव्वत्तइ ॥ ११४ ॥ कुंथुस्सणं अरहओ सत्ततीसं गणा सत्ततीसं गणहरा होत्था । हेमवयहेरण्णचयाओ णं जीवाओ सत्ततीसं जोयणसहस्साइं छच चउत्तरे जोयणसए सोलस यं एगूणवीसभाए जोयणस्स किचि विसेसूणाओ आयामेण पन्नत्ताओ । सव्वासु णं विजयवेजयंतजयंतअपराजिआसु रायहाणीसु पागारा सत्ततीसं सत्ततीसं जोयणाई उड्डुं उच्चत्तेणं प० । खुट्टियाए णं विमाणपविभत्तीए पढमे वग्गे सत्ततीसं उद्देसणकाला प० । कत्तियवहुलसत्तमीए णं सृरिए सत्ततीसंगुलियं पोरिसिछायं निव्वत्तइत्ता णं चारं चरइ ॥ ११५ ॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स अट्ठतीसं अजिआसाहस्सीओ उक्कोसिया अज्जियासंपया होत्था | हेमवयएरण्णवईयाणं जीवाणं धणूपिट्टे अट्ठतीसं जोयणसहस्साइं सत्त य चत्ताले जोयणसए दस एगूणवीसइभागे जोयणस्स किंचि विसेसूणा परिक्खेवेगं पन्नत्ता | अत्थस्स णं पव्वयरण्णो वितिए कंडे अट्ठतीस जोयणसहस्साई उद्धुं उच्चत्तेणं होत्था | खुड्डियाए णं विमाणपविभत्तीए वितिए वग्गे अट्टतीसं उद्देसणकाला प० ॥ ११६ ॥ नमिस्स णं अरहओ एगूणचत्तालीसं आहोहियसया होत्या । समयखेत्ते एगूणचत्तालीसं कुलपव्वया प०, तं जहा- तीसं वासहरा, पंच मंदरा, चत्तारि उसुकारा । दोचचउत्थपंचमछट्टसत्तमासु णं पंचसु पुढवीसु एगूचत्तालीसं निरयावाससयसहस्सा प० । नाणावरणिजस्स मोहणिजस्स गोत्तस्स आउयस्स एयासि णं चउन्हें कम्मपगडीणं एगूणचत्तालीसं उत्तरपगडीओ पन्नत्ताओ ॥ ११७ ॥ अरहओ णं अरिट्ठनेमिस्स चत्तालीसं अज्जियासाहस्सीओ होत्था । संदरचूलियाणं चत्तालीसं जोयणाई उड्ड उच्चत्तेगं पण्णत्ता । संती अरहा चत्तालीसं धणूई उ उच्चत्तेनं होत्था । भूयाणंदस्स णं नागकुमारस्स नागरन्नो चत्तालीसं भवणावाससयसहस्सा प० । खुड्डियाएं णं विमाणपविभत्तीए तइए वग्गे चत्तालीसं उद्देसणकाला प० । फग्गुणपुण्णिमासिणीए णं सूरिए चत्तालीसंगुलियं पोरिसीछायं निव्वट्टत्ता णं चारं चरइ । एवं कत्तियाए वि पुष्णिमाए । महामुके कप्पे चत्तालीसं विमाणावाससहस्सा प० ॥ ११८ ॥ नमिस्स णं अरहओ एगचत्तालीसं अज्जियासाहस्सीओ होत्था । चउसु पुढवीसु एक्कचत्तालीसं निरयावाससयसहस्सा प०, तं जहा - रयण भाए कप्पभाए तमाए तमतमाए । महालियाए णं विमाणपविभत्तीए पढमे वग्गे एकचत्तालीसं उद्देसणकाला प० ॥ ११९ ॥ समणे भगवं महावीरे बायालीसं वासाईं साहियाई सामण्णपरियागं पाउणित्ता सिद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे । जंबुद्दीवस्स णं Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४८ सुत्तागमे [समवाए दीवस्स पुरच्छिमिलाओ चरमंताओ गोथूभस्स णं आवासपव्वयस्स पचच्छिमिले चरमंते एस णं बायालीसं जोयणसहस्साई अवाहातो अंतरं पन्नत्तं । एवं चउद्दिसिं पि दोभासे संखोदयसीमे य । कालोए णं समुद्दे वायालीसं चंदा जोइंसु वा जोइंति वा जोइस्संति वा वायालीसं सूरिया पभासिंसु वा पभासिंति वा पभासिस्संति वा । संमुच्छिमभुयपरिसप्पाणं उक्नोसेणं वायालीसं वाससहस्साई ठिई प० । नामकम्मे बायालीसविहे पचत्ते, तं जहा-गइनामे, जाइनामे, सरीरनामे, सरीरंगोवंगनामे, सरीरबंधणनामे, सरीरसंघायणनामे, संघयणनामे, संठाणनामे, वण्णनामे, गंधनामे, रसनामे, फासनामे, अगुरुलहुयनामे, उवघायनामे, पराघायनामे, आणुपुव्वीनामे, उस्सासनामे, आयवनामे, उज्जोयनामे, विहगगइनामे, तसनामे, थावरनामे, सुहुमनामे, बायरनामे, पजत्तनामे, अपज्जत्तनामे, साहारणरारीरनामे, पत्तेयसरीरनामे, थिरनामे, अथिरनामे, सुभनामे, असुमनामे, सुभगनामे, दुभगनामे, सुसरनामे, दुस्सरनामे, आएजनामे, अणाएजनामे, जसोकित्तिनामे, अजसोकित्तिनामे, निम्माणनामे, तित्थकरनामे । लवणे णं समुद्दे वायालीसं नागसाहरसीओ अभितरियं वेलं धारंति । महालियाए णं विमाणपविभत्तीए बितिए वग्गे वायालीसं उद्देसणकाला प० । एगमेगाए ओसप्पिणीए पंचमछट्ठीओ समाओ वायालीसं वाससहस्साइं कालेणं पन्नत्ताई। एगमेगाए उस्सप्पिणीए पढमबीयाओ समाओ वायालीसं वाससहस्साई कालेणं पन्नत्ताई ॥ १२० ॥ तेयालीसं कम्मविवागज्झयणा प० । पढमचउत्थपंचमासु पुढवीसु तेयालीसं निरयावाससयसहस्सा प० । जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स पुरच्छिमिल्लाओ चरमंताओ गोथूसस्स णं आवासपव्वयस्स पुरच्छिमिल्ले चरमंते एस णं तेयालीसं जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे प० । एवं चउद्दिसि पि दगभागे संखे दयसीमे । महालियाए णं विमाणपविभत्तीए तइए वग्गे तेयालीसं उद्देसणकाला प० ॥ १२१ ॥ चोयालीसं अज्झयणा इसिभासिया दियलोगचुयाभासिया प० । विमलस्स णं अरहओ णं चउआलीसं पुरिसजुगाइं अणुपिढि सिद्धाइं जाव प्पहीणाई। धरणस्स णं नागिंदस्स नागरण्णो चोयालीसं भवणावाससयसहस्सा प० । महालियाए णं विमाणपविभत्तीए चउत्थे वग्गे चोयालीसं उद्देसणकाला प०॥ १२२ ॥ समयखेत्ते गं पणयालीसं जोयणसयसहस्साइं आयामविक्खंभेण प० । सीमंतए णं नरए पणयालीसं जोयणसयसहस्साइं आयामविक्खंभेणं प० । एवं उडविमाणे वि। ईसिपब्भारा णं पुढवी एवं चेव । धम्मे णं अरहा पणयालीसं धणूई उर्दू उच्चत्तेणं होत्था । मंदरस्स णं पव्वयस्स चउद्दिसि पि पणयालीसं पणयालीसं जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे प० । सव्वे वि णं दिवढूखेत्तिया नक्खत्ता पणयालीसं मुहुत्ते Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स० ५२ ] सुत्तागमे चंदेण सद्धि जोगं जोइँसु वा जोइंति वा जोइस्संति वा - तिन्नेव उत्तराई, पुणव्वसू रोहिणी विसाहा य । एए छ नक्खत्ता, पणयालमुहुत्तसंजोगा || महालियाए णं विमाणपविभत्तीए पंचमे वग्गे पणयालीसं उद्देसणकाला प० ॥ १२३ ॥ दिट्टिवायरस णं छायालीसं माउयापया प० । बंभीए णं लिवीए छायालीसं माउयक्खरा प० । पभंजणस्स णं वाउकुमारिंदस्स छायालीसं भवणावासस्यसहस्सा प० ॥ १२४ ॥ जया णं सूरिए सव्वभितरमंडलं उवसंकमित्ता णं चारं चरइ तया णं इहगयस्स मसस्ससंत्तचत्तालीस जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवद्वेहिं जोयणसएहिं एकवीसाए यसद्विभागेहिं जोयणस्स सृरिए चक्खुफासं हव्वमागच्छइ । थेरे णं अग्गिभूई सत्तचालीसं वासाई अगारमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए ॥ १२५ ॥ एगमेगस्स णं रन्नो चाउरंतचकवट्टिस्स अडयालीसं पट्टणसहस्सा प० । धम्मस्स णं अरहओ अडयालीसं गणा अडयालीसं गणहरा होत्या । सूरमंडले णं अयालीसं एकसट्टिभागे जोयणस्स विक्संभेणं प० ॥ १२६ ॥ सत्तसत्तमियाए णं भिक्खुपडिमाए एगूणपन्नाए राईदिएहि छन्न भिक्खासणं अहासुतं जाव आराहिया भवइ । देवकुरुउत्तरकुरुएस णं मणुया एगूणपन्ना राईदिएहि संपन्नजोव्वणा भवंति । तेइंदियाणं उक्कोसेणं एगूणपन्ना राइंदिया ठिई प० ॥ १२७ ॥ मुणिसुव्वयस्स णं अरहओ पंचासं अजियासाहस्सीओ होत्या । अणंते णं अरहा पन्नासं चण्डं उ उच्चत्तेणं होत्था । पुरिसुत्तमे णं वासुदेवे पन्नासं धणूई उद्धुं उच्चत्तेणं होत्या । सव्वे विणं दीहवेयड्ढा मूळे पन्नासं पन्नासं जोयणाणि विक्खंभेण प० । लंतए कप्पे पन्नासं विमाणावाससहस्सा प० । सव्वाओ णं तिमिस्सगुहाखंड गप्पवायगुहाओ पन्नासं पन्नासं जोयणाइं आयामेणं प० । सब्वे विणं कंचणगपव्वया सिहरतले पन्नासं पन्नासं जोयणाई विक्खभेणं प० ॥ १२८ ॥ नवहं वैभचेराणं एकावन्नं उद्देसणकाला प० । चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररन्नो सभा सुधम्मां एकावन्नखंभसंयसंनिविट्ठा प० । एवं चेव वलिस्स वि । सुप्पभे णं बलदेवे एकावन्नं चाससयसहस्साइं परमाउं पालइत्ता सिद्धे वुद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे । दंसणावरणनामाणं दोहं कम्माणं एकावन्नं उत्तरकम्मपगडीओ पन्नताओ ॥ १२९ ॥ मोहणिजस्स णं कम्मस्स बावन्नं नामघेज्जा प०, तं जहा- कोहे, कोवे, रोसे, दोसे, अखमा, संजलणे, कलहे, चंडिक्ने, भंडणे, विवाए, माणे, मदे, दप्पे, थंभे, अन्तुक्कोसे, गव्वे, परपरिवाए, अक्नोसे, अवक्कोसे (परिभवे), उन्नए, उन्नामे, माया, उवही, नियडी, चलए, गहणे, णूमे, कक्ने, कुरुए, दंभे, कूडे, जिम्हे, किव्विसे, अणायरणया, गूहणया, वंचणया, पलिकुंचणया, सातिजोगे, लोभे, इच्छा, मुच्छा, कंखा, गेही, ३४९ रा Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५० सुत्तागमे [समवाए तिण्हा, भिज्जा, अभिजा, कामासा, भोगासा, जीवियासा, मरणासा, नंदी, रागे । गोथूभस्स णं आवासपव्वयस्स पुरच्छिमिल्लाओ चरमंताओ वलयामुहस्स महापायालस्स पञ्चच्छिमिल्ले चरमंते एस णं वावन्नं जोयणसहरसाइं अवाहाए अंतरे प० । एवं दगभासस्स णं केउगस्स संखस्स जूयगस्स दगसीमस्स ईसरस्स । नाणावरणिजस्स नामस्स अंतरायस्स एतेसि णं तिण्हं कम्मपगढीणं बावन्नं उत्तरपयडीओ पन्ननाओ। सोहम्मसणंकुमारमाहिदेसु तिसु कप्पेस वावन्नं विमाणावाससयसहस्सा प० ॥१३०॥ देवकुरुउत्तरकुख्याओ णं जीवाओ तेवन्नं तेवन्नं जोयणसहस्साइं साइरेगाई आयामेणं पन्नत्ताओ। महाहिमवंतरुप्पीणं वासहरपन्वयाणं जीवाओ तेवनं तेवन्नं जोयणसहस्साइं नव य एगतीसे जोयणसए छच्च एगूणवीसइभाए जोयणस्स आयामेणं पन्नत्ताओ । समणस्स णं भगवओ महावीरस्स तेवनं अणगारा संवच्छरपरियाया पंचसु अणुत्तरेसु महइमहालएसु महाविमाणेसु देवत्ताए उववन्ना। समुच्छिमउरपरिसप्पाणं उक्नोसेणं तेवन्नं वाससहस्सा ठिई प० ॥ १३१ ॥ भरहेरवएसु णं वासेसु एगमेगाए उस्सप्पिणीए ओसप्पिणीए चउवन्नं चउवन्नं उत्तमपुरिसा उप्पजिलु वा उप्पज्जति वा उप्पजिस्संति वा, तं जहा-चउवीसं तित्थकरा वारस चकवट्टी नव बलदेवा नव वासुदेवा । अरहा णं अरिठ्ठनेमी चउवनं राइंदियाई छउमत्थपरियायं पाउणित्ता जिणे जाए केवली सव्वन्नू सव्वभावदरिसी । समणे भगवं महावीरे एगदिवसेणं एगनिसिजाए चउप्पन्नाइं वागरणाइं वागरित्था । अणंतस्स णं अरहओ चउपन्नं गणहरा होत्था ॥ १३२ ॥ मल्लिस्स णं अरहओ [मल्ली णं अरहा] पणपन्नं वाससहस्साई परमाउं पालइत्ता सिद्ध वुद्धे जाव प्पहीणे । मंदरस्स णं पव्वयस्स पञ्चच्छिमिल्लाओ चरमंताओ विजयदारस्स पञ्चच्छिमिल्ले चरमंते एस णं पणपन्नं जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे प० । एवं चउद्दिसि पि विजयवेजयंतजयंतअपराजियं ति । समणे भगवं महावीरे अंतिमराइयंसि पणपन्नं अज्झयणाई कल्लाणफलविवागाइं पणपन्नं अज्झयणाई पावफलविवागाई वागरित्ता सिद्ध बुद्धे जाव प्पहीणे । पढमबिइयासु दोसु पुढवीसु पणपन्नं निरयावाससयसहस्सा प० । दसणावरणिज्जनामाउयाणं तिण्हं कम्मपगडीणं पणपन्नं उत्तरपगडीओ प० ॥ १३३ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे छप्पन्नं नक्खत्ता चंदेण सद्धि जोगं जोइंसु वा जोइंति वा जोइस्संति वा । विमलस्स णं अरहओ छप्पन्नं गणा छप्पन्नं गणहरा होत्था ॥ १३४ ॥ तिण्हं गणिपिडगाणं आयारचूलियावज्जाण सत्तावन्नं अज्झयणा प० तं जहा-आयारे सूयगडे ठाणे । गोथूभस्स णं आवासपव्वयस्स पुरच्छिमिल्लाओ चरमंताओ वलयामुहस्स महापायालस्स बहुमज्झदेसभाए एस णं सत्तावन्नं जोयणसहस्साइं अबाहाए Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स० ६४ ] सुनागते ३५१ अंतरे प० । एवं दगभासस्स केउयस्स य संखस्स य जयस्त य दयसीमस्स ईसरस्स य । महिस्स णं अरहओ सत्तावन्नं मणपजवनाणिसया होत्या । महाहिमवंतरूप्पीणं वासहरपव्वयाणं जीवाणं धणुपिडं सत्तावन्नं सत्तावन्नं जोयणसहस्सा इं दोन्नि य तेणउए जोयणसए दस य एगूणवीसइभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं प० ॥ १३५ ॥ पढमदोच्चपंचमासु तिमु पुढवी अट्ठावन्नं निरयावाससयसहस्सा प० । नाणावरणिजस्स वैयणियआउयनामअंतराइयस्स एएसि णं पंचण्हं कम्मपगडीणं अट्ठावन्नं उत्तरपगडीओ पन्नत्ताओ । गोथूमस्स णं आवासपव्वयस्स पञ्चच्छिमिल्लाओ चरमंताओ वलयामुहस्स महापायालस्स बहुमज्प्रदेसभाए एस णं अट्ठावन्नं जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे प० । एवं चउदिसिं पि नेयव्वं ॥ १३६ ॥ चंदरस णं संवच्छरस्स एगमेगे उऊ एगूणसहिं राईदियाई राईदियग्गेणं प० । संभवे णं अरहा एगूणसहिं पुचसय सहस्साई अगारमज्झे वसित्ता मुंडे जाव पव्वइए । महिस्स णं अरहओ एगूणसद्धिं ओहिनाणिसया होत्था ॥ १३७ ॥ एगमेगे णं मंडले सूरिए सट्टिए सट्टिए मुहुत्तेहिं संघाइए । लवणस्स णं समुद्दस्स सहिं नागसाहस्सीओ अग्गोदयं धारंति । विमले णं अरहा सहिं धणू उर्दू उच्चत्तेणं होत्था । वलिस्स णं वइरोयणिंदस्स सहिं सामाणियसाहस्सीओ पन्नत्ताओ। वंभस्स णं देविंदस्स देवरण्गो सट्टि सामाणियसाहस्सीओ पन्नत्ताओ । सोहम्मीसाणेसु दोसु कप्पेसु सहि विमाणावासस्यसहस्सा प० ॥ १३८ ॥ पंचसंवच्छरियस्स णं जुगस्स रिउमासेणं मिजमाणस्स इगसद्धिं उऊमासा प० । मंदरस्स णं पव्वयस्स पढमे कंडे इगसट्टिजोयणसहस्साइं उर्दू उच्चत्तेणं प० । चंदमंडले णं एगसट्ठिविभागविभाइए समंसे प० । एवं सूरस्स वि ॥ १३९ ॥ पंचसंवच्छरिए णं जुगे वासहिं पुन्निमाओ वावट्ठि अमावसाओ पन्नत्ताओ । वासुपूज्जस्स अरहओ वासहिंगणा वासट्ठि गणहरा होत्था । सुक्कपक्खस्स णं चंदे वासट्ठि भागे दिवसे दिवसे परिवढइ, ते चेव बहुलपक्खे दिवसे दिवसे परिहायइ | सोहम्मीसासु कप्पे पढमे पत्थडे पढमावलियाए एगमेगाए दिसाए वासहिं वासहिं विमाणा प० । सव्वे वेमाणियाणं वासट्ठि विमाणपत्थडा पत्थडग्गेणं प० ॥ १४० ॥ उसमे अरहा कोसलिए तेसद्धिं पुव्वसयसहस्साई महारायमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए । हरिवासरम्मयवासेसु मणुस्सा तेसट्ठिए राइदिएहिं संपत्तजोव्वणा भवति । निसढे णं पव्वए तेसहिं सरोदया प० । एवं नीलवंते वि ॥ १४१ ॥ अट्टट्ठमिया णं भिक्खुपडिमा चउसट्टीए राइदिएहिं दोहि य अट्ठासी एहिं भिक्खासएहिं अहामुत्तं जाव भवइ । चउसट्ठि असुरकुमारावाससयसहस्सा प० । चमरस्स णं रन्नो चउसद्धिं सामाणियसाहस्सीओ पन्नत्ताओ । सव्वे वि दधि मुहाणं Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५२ सुत्तागमे [ समवाए पव्वया पल्लासंठाणसंठिया सव्वत्थ समा विक्खंभुस्सेहेगं चउसट्टि जोयण सहस्साई प० । सोहम्मीसाणेसु वंभलोए यतिसु कप्पेसु चउसडि विमाणावाससयसहस्सा प० । सव्वस्स वि य णं रन्नो चाउरंतचक्कवट्टिरस चउसट्टिलठ्ठीए महग्घे मुत्तामणि(मए) हारे प० ॥ १४२ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे पणसहिं सूरमंडला प० । थेरे णं मोरिपुत्ते पणसद्विवासाई अगारमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए । सोहम्मवडिसयस्स णं विमाणस्स एगमेगाए वाहाए पणसद्धि पणसट्टि भोमा प० ॥ १४३ ॥ दाहिणड्डूमाणुस्सखेत्ता णं छावहिं चंदा पभासिंसु वा पभासंति वा पभासिस्संति वा । छावट्ठि सूरिया तविंसु वा तवंति वा तविस्संति वा । उत्तरमाणुस्सखेत्ता णं छावहिं चंदा पभासिंसु वा पभासंति वा पभातिस्संति वा । छावहिं सूरिया तविसु वा तवंति वा तविस्संति वा । सेजंसस्स णं अरहओ छावहिं गणा छावहिं गहरा होत्था । आभिणिबोहियनाणस्स णं उक्कोसेणं छावहिं सागरोवमाई ठिई प० ॥ १४४ ॥ पंचसंवच्छरियस्स णं जुगरस नक्खत्तमासेणं मिजमाणस्स सत्तसद्धि नक्खत्तमांसा प० । हेमवयएरन्नवयाओ णं वाहाओ सत्तद्धिं सत्तट्ठि जोयणसयाई पणपन्नाई तिण्णि य भागा जोयणस्स आयामेणं प० | मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमिलाओ चरमंताओ गोयमदीवस्स पुरच्छिमिले चरमंते एस णं सत्तसद्धिं जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे प० । सव्वेसिं पिणं नक्खत्ताणं सीमाविक्खंभे णं सत्तहिं भागं भइए समंसे प० ॥ १४५ ॥ धायइसंडे णं दीवे अडसट्ठि चक्कवट्टिविजया अडसद्धिं रायहाणीओ प० । उक्कोसपए अडसट्ठि अरहंता समुप्पजिसु वा समुप्पजंति वा समुप्पजिस्संति वा । एवं चक्कवट्टी वलदेवा वासुदेवा ! पुक्खरवरदीवड्ढे णं अडसट्ठि विजया एवं चेव जाव वासुदेवा । विमलस्स णं अरहओ अडसड समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया होत्था ॥ १४६ ॥ समयखित्ते णं मंदरवज्जा एगूणसत्तरिं वासा वासधरपव्वया प० तं जहा - पणतीसं वासा तीसं वासहरा चत्तारि उसुयारा । मंदरस्स पव्वयस्स पञ्चच्छिमिल्लाओ चरमं - ताओ गोयमद्दीवस्स पच्चच्छिमिले चरमंते एस णं एगूणसत्तरिं जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे प० । मोहणिज्जवज्जाणं सत्तण्हं कम्मपगडीणं एगूणसत्तरि उत्तरपगडीओ पन्नत्ताओ ॥ १४७ ॥ समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे वइकंते सत्तरिएहिं रादिएहिं से सेहिं वासावासं पज्जोसवेइ । पासे णं अरहा पुरिसादाणीए सत्तरं वासाई बहुपडिपुन्नाई सामन्नपरियागं पाउणित्ता सिद्धे बुद्धे जाव प्पहीणे । वासुपुज्जेणं अरहा सत्तरि धणूई उड्डुं उच्चत्तेणं होत्था । मोहणिजस्स ‍ कम्मस्स सत्तरिं सागरोवमकोडाकोडीओ अबाहूणिया कम्मट्टिई कम्मनिसेगे प० । Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स० ७४] सुत्तागमे ३५३ माहिंदस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सत्तरि सामाणियसाहस्सीओ पन्नत्ताओ ॥ १४८॥ चउत्थस्स णं चंदसंवच्छरस्स हेमंताणं एकसत्तरीए राइदिएहिं वीइकंतेहिं सव्ववाहिराओ मंडलाओ सूरिए आउटिं करेइ । वीरियप्पवायस्स णं पुव्वस्स एकसत्तरिं पाहुडा प० । अजिते णं अरहा एकसत्तरि पुव्वसयसहस्साई अगारमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए। एवं सगरो वि राया चाउरंतचक्कवट्टी एकसत्तरि पुन्व जाव पव्वइए त्ति ॥ १४९ ॥ वावत्तरि सुवन्नकुमारावाससयसहस्सा प० । लवणस्स समुद्दस्त वायत्तरिं नागसाहस्सीओ बाहिरियं वेलं धारंति। समणे भगवं महावीरे वावत्तरि वासाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे जाव प्पहीणे। थेरे णं अयलभाया वायत्तरि वासाई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहीणे । अभितरपुक्खरद्धे गं चावत्तरि चंदा पभासिंसु वा पभासंति वा पभासिस्संति वा, बावत्तरिं सूरिया तविसु चा तवंति वा तविस्संति वा। एगमेगस्स णं रन्नो चाउरंतचक्कपट्टिस्स बावत्तरिपुरवरसाहस्सीओ पन्नत्ताओ । वावत्तरि कलाओ प० तं जहा-लेहं, गणियं, रूवं, नह, गीयं, वाइयं, सरगयं, पुक्खरगयं, समतालं, जूयं, जणवाय, पोक्खच्चं, अठ्ठावयं, दगमट्टियं, अन्नविहीं, पाणविहीं, वत्थविहीं, सयणविहीं, अजं, पहेलियं, मागहियं, गाहं, सिलोग, गंधजुत्तिं, मधुसित्यं, आभरणविहीं, तरुणीपडिकम्मं, इत्थीलक्खणं, पुरिसलक्खणं, हयलक्खगं, गयलक्खणं, गोणलक्खणं, कुकुडलक्खणं, मिंढयलक्खणं, चक्कलक्खणं, छत्तलक्खणं, दंडलक्खणं, असिलक्खणं, मणिलक्खणं, कागणिलक्खणं, चम्मलक्खणं, चंदलक्खणं, सूरचरियं, राहुचरियं, गहचरियं, सोभागकरं, दोभागकर, विजागयं, मंतगयं, रहस्सगयं, सभासं, चारं, पडिचारं, बूह, पडिवूह, खंधावारमागं, नगरमाणं, वत्युमाणं, खंधावारनिवेसं, वत्युनिसं, नगरनिवेसं, ईसत्यं, छरुप्पवायं, आससिक्खं, हत्थिसिक्खं, धणुव्वेयं, हिरण्णपागं सुक्न्नपागं मणिपागं धातुपागं, बाहुजुद्धं दंडजुद्धं मुट्ठिजुद्धं लट्ठिजुद्धं जुद्धं निजुद्धं जुद्धाइं जुद्धं, सुत्तखेडं नालियाखेडं वट्टखेडं धम्मखेडं चम्मखेडं, पत्तच्छेज कडगच्छेज, सजीवं निजीवं, सउणरुयं । संमुच्छिमखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं उक्कोसेणं वावत्तरि वाससहस्साइं ठिई प० ॥ १५० ॥ हरिवासरम्मयवासयाओ णं जीवाओ तेवत्तरिं तेवत्तरि जोयणसहस्साइं नव य एगुत्तरे जोयणसए सत्तरस य एगूणवीसहभागे जोयणस्स अद्धभागं च आयामेणं प० । विजए णं वलदेवे तेवत्तरि वाससयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहीणे ॥ १५१ ॥ थेरे णं अग्गिभूई गणहरे चोवत्तरि वासाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहीणे । निसहाओ णं वासहरपन्वयाओ तिगिच्छिओ णं दहाओ सीतोयामहानदीओ चोवत्तार २३ सुत्ता. Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५४ सुत्तागमे [समवाए जोयणसयाइं साहियाई उत्तराहिमुही पवहित्ता वइरामयाए जिभियाए चउजोयणायामाए पन्नासजोयणविक्खंभाए वइरतले कुंडे महया घडमुहपवत्तिएणं मुत्तावलिहारसंठाणसंठिएणं पवाएणं महया सद्देणं पवडइ। एवं सीता वि दक्खिणाहिमुही भाणियव्वा । चउत्थवज्जासु छसु पुडवीसु चोवत्तरं नरयावाससयसहस्सा प० ॥ १५२ ॥ सुविहिस्स णं पुप्फदंतस्स अरहओ पन्नत्तरि जिणसया होत्था । सीतले णं अरहा पन्नत्तरि पुव्वसहस्साइं अगारवासमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए। संती णं अरहा पनत्तरिवाससहस्साई अगारवासमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए ॥ १५३ ॥ छावत्तरि विजुकुमारावाससयसहस्सा प० । एवं-दीवदिसाउदहीणं, विजुकुमारिदथणियमग्गीणं । छण्हं पि जुगलयाणं, छावत्तरि सयसहस्साइं ॥ १५४ ॥ भरहे राया चाउरंतचक्कवट्टी सत्तहत्तरि पुव्वसयसहस्साइं कुमारवासमज्झे वसित्ता महारायाभिसेयं संपत्ते। अंगवंसाओ णं सत्तहत्तर रायाणो मुंडे जाव पव्वइया । गद्दतोयतुसियाणं देवाणं सत्तहत्तरि देवसहस्सपरिवारा प० । एगमेगे णं मुहुत्ते सत्तहत्तरि लवे लवग्गेणं प०॥१५५॥ सक्कस्साणं देविदस्स देवरन्नो वेसमणे महाराया अठ्ठहत्तरीए सुवन्नकुमारदीवकुमारावाससयसहस्साणं आहेबच्चं पोरेवचं सामित्तं भट्टित्तं महारायत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे विहरइ। थेरे णं अकंपिए अट्ठहत्तरि वासाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहीणे । उत्तरायणनियट्टे णं सूरिए पढमाओ मंडलाओ एगूणचत्तालीसइमे मंडले अट्ठहत्तर एगसद्विभाए दिवसखेत्तस्स निवुवेत्ता रयणिखेत्तस्स अभिनिवुड्वेत्ता णं चारं चरइ, एवं दक्षिणायणनियट्टे वि ॥ १५६ ॥ वलयामुहस्स णं पायालस्स हिडिल्लाओ चरमंताओ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए हेहिले चरमंते एस णं एगूणासि जोयणसहस्साई अवाहाए अतरे प० । एवं केउस्स वि जूयस्स वि ईसरस्स नि । छट्ठीए पुढवीए वहुमज्झदेसभायाओ छट्ठस्स घणोदहिस्स हेटिल्ले चरमंते एस णं एगूणासीति जोयणसहस्साइं अवाहाए अतरे प० । जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स बारस्स य वारस्स य एस णं एगूणासीई जोयणसहस्साइं साइरेगाइं अवाहाए अंतरे प० ॥ १५७ ॥ सेजसे णं अरहा असीइं धणूइं उडूं उच्चत्तेणं होत्था । तिविढे णं वासुदेवे असीइं धणूइं उढे उच्चत्तेणं होत्था । अयले णं वलदेवे असीइं धणूइं उर्दू उच्चतेणं होत्था । तिविट्टे णं वासुदेवे असीइवाससयसहस्साई महाराया होत्था । आउवहुले णं कंडे असीइ जोयणसहस्साई वाहल्लेणं प० । ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो असीई सामाणियसाहस्सीओ पन्नत्ताओ। जंबुद्दीवे णं दीवे असीउत्तरं जोयणसयं ओगाहेत्ता सरिए उत्तरकट्टोवगए पढमं उदयं करेइ ॥ १५८ ॥ नवनवमिया णं भिक्खु Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे स०८४] ३५५ पडिमा एक्कासीइ राइंदिएहिं चउहि य पंचुत्तरेहिं (भिक्खासएहिं ) अहासुत्तं जाव आराहिया । कुंथुस्स णं अरहओ एक्कासीति मणपजवनाणिसया होत्था । विवाहपन्नत्तीए एकासीति महाजुम्मसया प० ॥ १५९ ॥ जंबुद्दीवे दीवे वासीयं मंडलसयं जं सूरिए दुक्खुत्तो संक्रमित्ता णं चार चरइ, तं जहा-निक्खममाणे य पविसमाणे य । समणे भगवं महावीरे वासीए राइदिएहिं वीइकंतेहिं गन्भाओ गम्भं साहरिए । महाहिमवंतस्स णं वासहरपव्वयस्स उवरिल्लाओ चरमंताओ सोगंधियस्स कंडस्स हेहिले चरमंते एस णं वासीइं जोयणसयाइं अवाहाए अंतरे प०। एवं रुप्पिस्स वि ॥१६०॥ समणे भगवं महावीरे वासीइ राइंदिएहिं वीइकंतेहिं तेयासीइमे राइदिए वट्टमाणे गब्भाओ गम्भं साहरिए । सीयलस्स णं अरहओ तेसीई गणा तेसीई गणहरा होत्था । थेरे णं मंडियपुत्ते तेसीइं वासाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहीणे । उसमे णं अरहा कोसलिए तेसीई पुव्वसयसहस्साई अगारमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता णं जाव पव्वइए । भरहे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी तेसीइं पुव्वसयसहस्साई अगारमज्झे वसित्ता जिणे जाए केवली सव्वन्न सव्वभावदरिसी ॥ १६१ ॥ चउरासीइ निरयावाससयसहस्सा प० । उसमे गं अरहा कोसलिए चउरासीई पुन्वसयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे वुद्धे जाव प्पहीणे । एवं भरहो वाहुबली वंभी सुंदरी । सिजसे णं अरहा चउरासीई वाससयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहीणे । तिविढे णं वासुदेवे चउरासीई वाससयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता अप्पइट्ठाणे नरए नेरइयत्ताए उववन्नो । सक्कस्स णं देविंदस्स देवरन्नो चउरासीइ सामाणियसाहस्सीओ पन्नत्ताओ । सव्वे वि णं वाहिरया मंदरा चउरासीइं चउरासीइं जोयणसहस्साइं उउच्चत्तेणं प० । सव्वे वि णं अंजणगपव्वया चउरासीइं चउरासीइं जोयणसहस्साइं उर्दू उच्चत्तेणं प० । हरिवासरम्मयवासियाणं जीवाणं धणुपिट्ठा चउरासी जोयणसहस्साई सोलस जोयणाइं चत्तारि य भागा जोयणस्स परिक्खेवेणं प० । पंकवहुलस्स णं कंडस्स उवरिलाओ चरमंताओ हेहिले चरमंते एस णं चोरासीइ जोयणसयसहस्साई अवाहाए अंतरे प० । विवाहपन्नत्तीए णं भगवतीए चउरासीइं पयसहस्सा पदग्गेणं प० । चोरासीइ नागकुमारावाससयसहस्सा प० । चोरासीइ पइन्नगसहस्साइं पन्नत्ताइं । चोरासीइं जोणिप्पमुहसयसहस्सा प० । पुवाइयाणं सीसपहेलियापज्जवसाणाणं सहाणहाणंतराणं चोरासीए गुणकारे प० । उसभस्स णं अरहओ कोसलियस्स चउरासीइ गणा चउरासीइ गणहरा होत्था, उसभस्स णं अरहओ कोसलियस्स उसभसेणपामोक्खाओ चउरासीइ समणसाहस्सीओ होत्था । सव्वे वि चउरासीइ विमाणावाससयसहस्सा Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५६ सुत्तागमे [समवाए सत्ताणउई च सहस्सा तेवीसं च विमाणा भवंतीति मक्खायं ॥ १६२ ॥ आयारस्स णं भगवओ सचूलियागस्स पंचासीइ उद्देसणकाला प० । धायइसंडस्स ण मंदरा पंचासीइ जोयणसहस्साइं सव्वग्गेणं प० । रुयए णं मंडलियपव्वए पंचासीइ जोयणसहस्साइं सव्वग्गेणं प०। नंदणवणस्स णं हेहिल्लाओ चरमंताओ सोगंधियस्स कंडस्स हेहिले चरमंते एस णं पंचासीइ जोयणसयाइं अवाहाए अंतरे प० ॥ १६३ ॥ सुविहिस्स णं पुप्फदंतस्स अरहओ छलसीइ गणा छलसीइ गणहरा होत्था । सुपासस्स णं अरहओ छलसीइ वाइसया होत्था । दोच्चाए णं पुढवीए बहुमज्झदेसभागाओ दोच्चस्स घणोदहिस्स हेडिल्ले चरमंते एस णं छलसीइ जोयणसहस्साइं अवाहाए अंतरे प० ॥१६४ ॥ मंदरस्स णं पव्वयस्स पुरच्छिमिल्लाओ चरमंताओ गोथूभस्स आवासपव्वयस्स पञ्चच्छिमिल्ले चरमंते एस णं सत्तासीइं जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे प० । मंदरस्स णं पव्वयस्स दक्खिणिल्लाओ चरमंताओ दगभासस्स आवासपव्वयस्स उत्तरिल्ले चरमंते एस णं सत्तासीई जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे प० । एवं संदरस्स पञ्चच्छिमिल्लाओ चरमंताओ संखस्स आवासपव्वयस्स पुरच्छिमिल्ले चरमंते एस णं सत्तासीई जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे प० । एवं चेव मंदरस्स उत्तरिलाओ चरमंताओ दगसीमस्स आवासपव्वयस्स दाहिजिल्ले चरमंते एस णं सत्तासीई जोयणसहस्साइं अवाहाए अंतरे प० । छण्डं कम्मपगडीणं आइमउवरिलवजाणं सत्तासीई उत्तरपगडीओ पन्नत्ताओ। महाहिमवंतकूउस्स णं उवरिमंताओ सोगंधियस्स कंडस्स हेहिले चरमंते एस णं सत्तासीइ जोयणसयाई अवाहाए अंतरे प० । एवं रुप्पिकूडस्स वि ॥ १६५ ॥ एगमेगस्स णं चंदिमसूरियस्स अट्ठासीइ अट्ठासीइ महग्गहा परिवारो प० । दिठिवायस्स णं अट्ठासीइ सुत्ताइं पन्नत्ताई, तं जहा-उज्जुसुयं परिणयापरिणयं एवं अट्ठासीइ सुत्ताणि भाणियव्वाणि जहा नंदीए । मंदरस्स णं पव्वयस्स पुरच्छिमिल्लाओ चरमंताओ गोथूभस्स आवासपव्वयस्स पुरच्छिमिल्ले चरमंते एस णं अट्ठासीई जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे प० । एवं चउसु वि दिसासु नेयव्वं । वाहिराओ उत्तराओ णं कहाओ सूरिए पढ छम्मासं अयमाणे चोयालीसइमे मंडलगते अट्ठासीति एगसट्ठिभागे मुहुत्तस्स दिवसखेत्तस्त निवुवेत्ता रयणिखेत्तस्स अभिनिचुड्वेत्ता सूरिए चारं चरइ । दक्षिणकट्ठाओ णं सूरिए दोच्च छम्मासं अयमाणे चोयालीसतिमे मंडलगते अट्ठासीई एगसट्ठिभागे मुहुत्तस्स रयणिखेत्तस्स निवुड्वेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिनिवुद्धृित्ता णं सूरिए चारं चरइ ।। १६६ ।। उसमे णं अरहा कोसलिए इमीसे ओसप्पिणीए ततियाए सुसमदूसमाए (समाए) पच्छिमे भागे एगूणणउए अद्धमासेहिं सेसेहिं कालगए जाव सव्व Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स० ९७] सुत्तागमे ३५७ दुक्खप्पहीणे। समणे भगवं महावीरे इमीसे ओसप्पिणीए चउत्थाए दूसमसुसमाए समाए पच्छिमे भागे एगूणनउइए अद्धमासेहिं सेसेहि कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे । हरिसेणे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी एगणनउइं वाससयाई महाराया होत्था। संतिस्स णं अरहओ एगणनउई अज्जासाहस्सीओ उक्लोसिया अज्जियासंपया होत्था ॥१६७ ॥ सीयले णं अरहा नउइं धणूई उड्ढे उच्चत्तेणं होत्था । अजियस्स णं अरहओ नउई गणा नउई गणहरा होत्था । एवं संतिस्स वि । सयंभुस्स ण वासुदेवस्स णउइ वासाइं विजए होत्था । सव्वेसि णं वट्टवेयडपव्वयाणं उवरिल्लाओ सिहरतलाओ सोगंधियाण्डस्स हेहिले चरमंते एस णं नउइ जोयणसयाई अवाहाए अतरे प० ॥ १६८ ॥ एकाणउई परवेयावच्चकम्मपडिमाओ पन्नत्ताओ । कालोए णं समुद्दे एकाणउई जोयणसयसहस्साइं सहियाइं परिक्खेवेणं प० । कुंथुस्स णं अरहओ एकाणउई आहोहियसया होत्था । आउयगोयवज्जाणं छण्हं कम्मपगडीणं एकाणउई उत्तरपगडीओ पन्नत्ताओ ॥ १६९ ॥ वाणउई पडिमाओ पन्नत्ताओ । थेरेणं इंदभूती वाणउइ वासाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे युद्धे । मंदरस्स णं पव्वयस्स बहुमज्झदेसभागाओ गोथूमस्स आवासपव्वयस्स पञ्चच्छिमिल्ले चरमंते एस णं वाणउई जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे प० । एवं चउण्हं वि आवासपव्वयाणं ॥ १७०॥ चंदप्पहस्स णं अरहओ तेणउई गणा तेणउई गणहरा होत्था । संतिस्स णं अरहओ तेणउई चउद्दसपुचिसया होत्था । तेणउइमंडलगते णं सूरिए अतिवट्टमाणे वा निवमाणे वा समं अहोरत्तं विसमं करेइ ॥१७१॥ निसहनीलवंतियाओ णं जीवाओ चउणउइ जोयणसहस्साई एकं छप्पण्णं जोयणसयं दोन्नि य एगूणवीसइभागे जोयणस्स आयामेणं प० । अजियस्स णं अरहओ चउणउइ ओहिनाणिसया होत्या ॥ १७२ ॥ सुपासस्स णं अरहओ पंचाणउइ गणा पंचाणउइ गणहरा होत्था । जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स चरमंताओ चउद्दिसिं लवणसमुद्दे पंचाणउइ पंचाणउइ जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता चत्तारि महापायालकलसा पतं जहा-वलयामुहे केऊए जूयए ईसरे। लवणसमुदस्स उभओ पास पि पंचाणउयं पंचाणउयं पदेसाओ उव्वेहुस्सेहपरिहाणीए प० । कुंथू णं अरहा पंचाणउइ वाससहस्साइं परमाउयं पालइत्ता सिद्ध बुद्धे जाव प्पहीणे । थेरे' णं मोरियपुत्ते पंचाणउइ वासाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्ध बुद्धे जाव प्पहीणे ॥ १७३ ॥ एगमेगस्स णं रन्नो चाउरंतचक्कवट्टिस्स छण्णउई छण्णउई गामकोडीओ होत्था । वाउकुमाराणं छण्णउइ भवणावाससयसहस्सा प० । ववहारिए णं दंडे छण्णउइ अंगुलाई अंगुलमाणेणं । एवं धणू नालिया जुगे अक्खे मुसले वि हु । अन्भितरओ आइमुहुत्ते छण्णउइअंगुलछाए प० ॥ १७४ ॥ मंदरस्स णं पव्वयस्स पचच्छिमि Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागसे [समवाए लाओ चरमंताओ गोथूभस्स णं आवासपव्वयस्स पञ्चच्छिमिले चरमंते एस णं सत्ताणउइ जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पन्नत्ते । एवं चउदिसि पि । अढण्हं कम्मपगडीणं सत्ताणउइ उत्तरपगडीओ पन्नत्ताओ। हरिसेणे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी देसूणाई सत्ताणउइ वाससयाई अगारमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता णं जाव पवइए ॥ १७५ ॥ नंदणवणस्स णं उवरिलाओ चरमंताओ पंडुयवणस्स हेहिले चरमंते एस णं अट्ठाणउइ जोयणसहस्साइं अवाहाए अंतरे पन्नत्ते । मंदरस्स णं पव्वयस्स पचच्छिमिल्लाओ चरमंताओ गोथूभस्स आवासपव्वयस्स पुरच्छिमिल्ले चरमंते एस णं अट्ठाणउइ जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे प० । एवं चउदिसिं पि । दाहिणभरहवस्स णं धणुप्पिटे अट्ठाणउइ जोयणसयाइं किंचूणाई आयामेणं पन्नत्ते । उत्तराओ णं कट्ठाओ सूरिए पढम छम्मासं अयमाणे एगूणपन्नासतिमे मंडलगते अट्ठाणउइ एकसट्ठिभागे मुहुत्तस्स दिवसखेत्तस्स निवुवेत्ता रयणिखेत्तस्स अभिनिवुद्धित्ता गं सूरिए चारं चरइ । दक्षिणाओ णं कट्ठाओ सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे एगूणपन्नासइमे मंडलगते अट्ठाणउइ एकसट्ठिभाए मुहुत्तस्स रयणिखित्तस्स निवुवेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिनिवुड्डित्ता णं सूरिए चारं चरइ । रेवईपढमजेहापज्जवसाणाणं एगूणवीसाए नक्खत्ताणं अट्ठाणउइ ताराओ तारग्गेणं पन्नत्ताओ ॥ १७६ ॥ मंदरे णं पव्वए णवणउइ जोयणसहस्साइं उर्दू उच्चत्तेगं पत्नत्ते । नंदणवणस्स णं पुरच्छिमिलाओ चरमंताओ पञ्चच्छिमिल्ले चरमंते एस णं नवनउइ जोयणसयाई अवाहाए अंतरे पन्नत्ते । एवं दक्खिणिल्लाओ चरमंताओ उत्तरिल्ले चरमंते एस णं णवणउइ जोयणसयाइं अवाहाए अंतरे पन्नत्ते । उत्तरे पढमे सूरियमंडले नवनउइ जोयणसहस्साइं साइरेगाइं आयामविक्खंभेणं पन्नत्ते । दोचे सूरियमंडले नवनउइ जोयणसहस्साइं साहियाइं आयामविक्खंभेणं पन्नत्ते । तइए सूरियमंडले नवनउइ जोयणसहस्साइं साहियाई आयामविक्खंभेणं पन्नत्ते । इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अंजणस्स कंडस्स हेहिलाओ चरमंताओ वाणमंतरभोमेजविहाराणं उवरिमंते एस ण नवनउइ जोयणसयाई अवाहाए अंतरे पन्नत्ते ॥ १७७ ॥ दसदसमिया गं भिक्खुपडिमा एगेणं राइंदियसतेणं अद्धछठेहिं भिक्खासतेहिं अहासुत्तं जाव आरा. हिया वि भवइ । सयभिसया नक्खत्ते एकसयतारे पन्नत्ते । सुविही पुप्फदंते गं अरहा एग धणूसयं उर्दू उच्चत्तेणं होत्था । पासे गं अरहा पुरिसादाणीए एक वास. सयं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहीणे । एवं थेरे वि अजसुहम्मे । सव्वे वि णं दीहवेयड्डपव्वया एगमेगं गाउयसयं उर्दू उच्चत्तेणं प० । सव्वे वि णं चुल्लहिमवंतसिहरीवासहरपव्वया एगमेगं जोयणसयं उर्दू उच्चत्तेणं प० एगमेगं गाउयसयं Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स० ५००] सुत्तागमे ३५९ उव्वेहेणं प० । सव्वे वि णं कंचणगपव्वया एगमेगं जोयणसयं उर्दू उच्चत्तेणं प० एगमेगं गाउयसयं उव्वेहेणं प० एगमेगं जोयणसयं मूले विक्खंभेणं प० ॥१७॥ चंदप्पभे णं अरहा दिवढं धणुसयं उ8 उच्चत्तेणं होत्था । आरणे कप्पे दिवढे विमाणावाससयं प० । एवं अचुए वि ॥ १७९ ॥ सुपासे गं अरहा दो धणुसया उढे उच्चत्तेणं होत्था । सव्वे वि णं महाहिमवंतरुप्पीवासहरपव्वया दो दो जोयणसयाइं उर्दू उच्चत्तेणं प० दो दो गाउयसयाइं उन्हेणं प० । जंबुद्दीवे णं दीवे दो कंचणपव्वयसया प० ॥ १८० ॥ पउमप्पभे णं अरहा अड्डाइजाई धणुसयाइं उर्दू उच्चत्तेणं होत्था । अमुरकुमाराणं देवाणं पासायवडिंसगा अढाइजाई जोयणसयाई उर्ल्ड उच्चत्तेणं प० ॥ १८१ ॥ सुमई णं अरहा तिण्णि धणुसयाइं उर्दू उच्चत्तेणं होत्था । अरिठ्ठनेमी णं अरहा तिणि वाससयाइं कुमारवासमझे वसित्ता मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए। वेमाणियाणं देवाणं विमाणपागारा तिण्णि तिण्णि जोयणसयाई उर्दू उच्चत्तेणं प० । समणस्स भगवओ महावीरस्स तिन्नि सयाणि चोद्दसपुव्वीणं होत्या । पंचधणुसइयस्स णं अंतिमसारीरियस्स सिद्धिगयस्स सातिरेगाणि तिणि धणुसयाणि जीवप्पदेसोगाहणा प० ॥१८२॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स अद्भुट्ठसयाई चोइसपुवीणं संपया होत्था । अभिनंदणे णं अरहा अद्भुटाई धणुसयाइं उर्दू उच्चत्तेणं होत्था ॥ १८३ ॥ संभवे णं अरहा चत्तारि धणुसयाइं उड़े उच्चत्तेणं होत्था । सव्वे वि णं णिसढनीलवंता वासहरपन्वया चत्तारि चत्तारि जोयणसयाई उर्दू उच्चत्तेणं चत्तारि चत्तारि गाउयसयाइं उव्वेहेणं प० । सव्चे वि णं वक्खारपव्वया णिसढनीलवंतवासहरपन्चयए णं चत्तारि चत्तारि जोयणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं चत्तारि चत्तारि गाउयसयाइं उन्हेणं पन्नत्ते । आणयपाणएसु दोसु कप्पेसु चत्तारि विमाणसया प० । समणस्स णं भगवओ महावीरस्स चत्तारि सया वाईणं सदेवमणुयासुरंमि लोगमि वाए अपराजियाणं उक्नोसिया वाइसंपया होत्था ॥ १८४ ॥ अजिए णं अरहा अद्धपंचमाई धणुसयाई उद्धं उच्चत्तेणं होत्था । सगरे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी अद्धपंचमाई धणुसयाई उड्ढे उच्चत्तेणं होत्था ॥ १८५ ॥ सव्वे वि णं वक्खारपव्वया सीआसीओआओ महानईओ मैदरपव्ययंतेणं पंच पंच जोयणसयाई उर्दू उच्चत्तेणं पंच पंच गाउयसयाई उव्वेहेणं प० । सव्वे वि णं वासहरकूडा पंच पंच जोयणसंयाई उर्दू उच्चत्तणं होत्था, मूले पंच पंच जोयणसयाई विक्खंभेणं प० । उसमे गं अरहा कोसलिए पंच धणुसयाइं उर्दू उच्चत्तेणं होत्था । भरहे णं रामा चाउरंतचक्कवट्टी पंच धणुसयाई उई उच्चत्तेणं होत्था । सोमणसगंधमादणविजुप्पभमालवंताणं वक्खारपव्चयाणं मंदरपवयंतेणं पंच पंच जोयणसयाई उई Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [समवायु उच्चत्तेणं पंच पंच गाउयसयाइं उव्वेहेणं प० । सव्वे वि णं वक्खारपव्वयकूडा हरिहरिस्सहकूडवजा पंच पंच जोयणसयाइं उ8 उच्चत्तणं मूले पंच पंच जोयणसयाई आयामविक्खंभेणं प० । सव्वे वि णं नंदणकूडा वलकूडवजा पंच पंच जोयणसयाइं उड़े उच्चत्तेणं मूले पंच पंच जोयणसयाई आयामविक्खंभेणं प० । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु विमाणा पंच पंच जोयणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं प० ॥ १८६ ॥ सणंकुमारमाहिंदेसु कप्पेसु विमाणा छ जोयणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं प० । चुल्लहिमवंतकूडस्स उवरिल्लाओ चरमंताओ चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स समधरणितले एस ण छ जोयणसयाई अवाहाए अंतरे पन्नत्ते। एवं सिहरीकूडस्स वि । पासस्स णं अरहओ छ सया वाईणं सदेवमणुयासुरे लोए वाए अपराजियाणं उक्नोसिया वाईसंपया होत्था । अभिचंदे णं कुलगरे छ धणुसयाइं उर्से उच्चत्तेणं होत्था । वासुपुज्जे णं अरहा छहिं पुरिससएहिं सद्धि मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए ॥१८॥ वंभलंतएसु कप्पेसु विमाणा सत्त सत्त जोयणसयाइं उर्दू उच्चत्तेणं प० । समणस्स णं भगवओ महावीरस्स सत्त जिणसया होत्था । समणस्स भगवओ महावीरस्स सत्त वेउव्वियसया होत्था । अरिठ्ठनेमी णं अरहा सत्त वाससयाई देसूणाई केवलपरियागं पाउणित्ता सिद्ध बुद्धे जाव प्पहीणे । महाहिमवंतकूडस्स णं उवरिल्लाओ चरमंताओ महाहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स समधरणितले एस णं सत्त जोयणसयाइं अवाहाए अंतरे पन्नत्ते । एवं रुप्पिकूडस्स वि ॥ १८८ ॥ महासुक्कसहस्सारेसु दोसु कप्पेसु विमाणा अट्ट जोयणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं प० । इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए पढमे कंडे असु जोयणसएसु वाणमंतरभोमेजविहारा प० । समणस्स णं भगवओ महावीरस्स अट्ठसया अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं गइकल्लाणाणं ठिइकल्लाणाणं आगमेसिसद्दाणं उक्कोसिया अणुत्तरोववाइयसंपया होत्था। इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए वहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ अहिं जोयणसएहिं सूरिए चारं चरइ । अरहओ णं अरिहनेमिस्स अट्ठ सयाई वाईणं सदेवमणुयासुरंमि लोगंमि वाए अपराजियाणं उकोसिया वाईसंपया होत्था ॥ १८९ ॥ आणयपाणयआरणअच्चुएसु कप्पेसु विमाणा नव नव जोयणसयाई उहूं उच्चत्तेणं प० । निसटकूडस्स णं उवरिल्लाओ सिहरतलाओ णिसढस्स वासहरपव्वयस्स समे धरणितले एस णं नव जोयणसयाइं अवाहाए अंतरे पन्नने । एवं नीलवंतकूडस्स वि। विमलवाहणे णं कुलगरे णं नव धणुसयाई उर्ल्ड उच्चत्तेणं होत्था। इमीसे णं रयणप्पभाए वहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ नवहिं जोयणसएहिं सव्वुवरिमे तारारूवे चारं चरइ । निसढस्स णं वासहरपव्वयस्स उवरिल्लाओ सिहरतलाओ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए पढमस्स कंडस्स बहुमज्झदे Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे स० ४०००००] सभाए एस णं नव जोयणसयाई अवाहाए अंतरे पन्नत्ते । एवं नीलवंतस्स वि ॥ १९० ॥ सव्वे वि णं गेवेजविमाणे दस दस जोयणसयाई उर्दू उच्चत्तेणं पन्नत्ते । सव्वे वि णं जमगपव्वया दस दस जोयणसयाई उर्दू उच्चत्तेणं प०, दस दस गाउयसयाइं उव्वेहेणं प०, मूले दस दस जोयणसयाई आयामविक्खंभेणं प० । एवं चित्तविचित्तकूडा वि भाणियव्वा । सव्वे वि णं वट्टवेयडपव्वया दस दस जोयण-सयाइं उढे उच्चत्तेणं प०, दस दस गाउयसयाई उव्वेहेणं प० मूले दस दस जोयणसयाई विक्खंभेणं प०, सव्वत्थ समा पगसंठाणसंठिया प० । सव्वे वि णं हरिहरिस्सहकूडा वक्खारकूडवजा दस दस जोयणसयाई उद्धं उच्चत्तणं प०, मूले दस दस जोयणसयाई विक्खंभेणं प० । एवं बलकूडा वि नंदणकूडवज्जा । अरहा वि अरिवनेमी दस वाससयाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्ध बुद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे । पासस्स णं अरहओ दस सयाई जिणाणं होत्था । पासस्स णं अरहओ दस अंतेवासीसयाई कालगयाइं जाव सचदुक्खप्पहीणाई । परमद्दहपुंडरीयदहा य दस दस जोयणसयाइं आयामेणं प० ॥ १९१ ॥ अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं विमाणा एकारस जोयणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं प० । पासस्स णं अरहओ इक्कारस सयाइं वेउब्बियाणं होत्था ॥१९२॥ महापउममहापुंडरीयदहाणं दो दो जोयणसहस्साई आयामेणं प०॥१९३३ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए वइरकंडस्स उवरिल्लाओ चरमंताओ लोहियक्खकंडस्स हेहिल्ले चरमंते एस णं तिन्नि जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे प० ॥१९४॥ तिगिच्छिकेसरिदहाणं चत्तारि चत्तारि जोयणसहस्साइं आयामेणं पन्नत्ताई ॥ १९५॥ धरणितले मंदरस्स णं पव्वयस्स वहुमज्झदेसभाए स्यगनाभीओ चउदिसिं पंच पंच जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे मंदरपव्वए पन्नत्ते ॥ १९६ ॥ सहस्सारे णं कप्पे छ विमाणावाससहस्सा प०॥ १९७ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए रयणस्स कंडस्स उवरिलाओ चरमंताओ पुलगस्स कंडस्स हेहिल्ले चरमंते एस णं सत्त जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे पन्नत्ते ॥ १९८ ॥ हरिवासरम्मयाणं वासा अट्ठ जोयणसहस्साइं साइरेगाइं वित्थरेणं प० ॥ १९९ ॥ दाहिणड्डभरहस्स णं जीवा पाईणपडीणायया दुहओ समुई पुट्टा नव जोयणसहस्साई आयामेणं प० । अजियस्स णं अरहओ साइरेगाई नव ओहिंनाणसहस्साई होत्था, मंदरे णं पव्वए धरणितले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पन्नत्ते, जंवूदीवेणं दीवे एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं प०, लवणे णं समुद्दे दो जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं प० ॥ २०० ॥ पासस्स णं अरहओ तिन्नि सयसाहस्सीओ सत्तावीसं च सहस्साई उक्नोसिया सादियासंपया होत्था ॥ २०१॥ धाय Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६२ सुत्तागमे [समवाए इखंडे णं दीवे चत्तारि जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पन्नत्ते ॥ २०२॥ लवणस्स णं समुदस्स पुरच्छिमिल्लाओ चरमंताओ पचच्छिमिल्ले चरमंते एस णं पंच जोयणसयसहस्साइं अवाहाए अंतरे पन्नत्ते ॥ २०३ ॥ भरहे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी छ पुव्वसयसहस्साइं रायमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए ॥ २०४ ॥ जंवूदीवस्स णं दीवस्स पुरच्छिमिल्लाओ वेइयंताओ धायइखंडचकवालस्स पञ्चच्छिमिल्ले चरमंते एस णं सत्त जोयणसयसहस्साई अवाहाए अंतरे पन्नत्ते ॥ २०५॥ माहिदे णं कप्पे अट्ठ विमाणावाससयसहस्साइं पन्नत्ताई ॥२०६॥ अजियस्स णं अरहओ साइरेगाइं नव ओहिनाणिसहस्साइं होत्था ॥ २०७ ॥ पुरिससीहे णं वासुदेवे दस वाससयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता पंचमाए पुढवीए नेरइएसु नेरइयत्ताए उववन्ने ॥ २०८ ॥ समणे भगवं महावीरे तित्थगरभवग्गहणाओ छठे पोट्टिलभवग्गहणे एगं वासकोडि सामन्नपरियागं पाउणित्ता सहस्सारे कप्पे सव्वट्ठविमाणे देवत्ताए उववन्ने ॥ २०९ ॥ उसभसिरिस्स भगवओ चरिमस्स य महावीरवद्धमाणस्स एगा सागरोवमकोडाकोडी अवाहाए अंतरे पन्नत्ते ॥ २१० ।। दुवालसंगे गणिपिडगे पन्नत्ते, तं जहा-आयारे, सूयगडे, ठाणे, समवाए, विवाहपन्नत्ती, णायाधम्मकहाओ, उवासगदसाओ, अंतगडदसाओ, अणुत्तरोवचाइयदसाओ, पण्हावागरणाई, विवागसुए, दिद्विवाए । से किं तं आयारे ? आयारे णं समणाणं निग्गंथाणं आयारगोयरविणयवेणइयट्ठाणगमणचंकमणपमाणजोगजुंजणभासासमितिगुत्तीसेजोवहिभत्तपाणउग्गमउप्पायणएसणाविसोहिसुद्धासुद्धगहणवय णियमतवोवहाणसुप्पसत्थमाहिज्जइ । से समासओ पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा-णाणायारे, दंसणायारे, चरित्तायारे, तवायारे, विरियायारे । आयारस्स गं परित्ता वायणा, संखेजा अणुओगदारा, संखेजाओ पडिवत्तीओ, संखेज्जा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखेजाओ निजुत्तीओ । से णं अंगठ्ठयाए पढमे अंगे दो सुयक्खंधा, पणवीसं अज्झयणा, पंचासीइं उद्देसणकाला, पंचासीइं समुद्देसणकाला, अट्ठारस पदसहस्साई पदग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अगंता गमा, अगंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासया कडा निबद्धा णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविनंति पण्णविनंति परूविजंति दसिजति निदंसिर्जति उवदंसिज्जति । से एवं णाया एवं विण्णाया। एवं चरणकरणपरूवणया आघविनंति पण्णविनंति परूविजंति देसिज्जति निदंसिर्जति उवदंसिजति । से तं आयारे ॥ २११ ॥ से किं तं सूअगडे ? सूअगडे णं ससमया सूइज्जति, परसमया सूइजति, ससमयपरसमया सूइज्जति, जीवा सृइजति, अजीवा सूइज्जति, जीवाजीवा सूइज्जति, लोगो सूइज्जति, अलोगो Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 समवायसरुवं ] सुत्तागमे सूइजति, लोगालोगो सइज्जति । सुभगडे णं जीवाजीवपुण्गपावासवसंवरनिज्जरणचंधमोक्खावसाणा पयत्था सहजंति । समणाणं अचिरकालपव्वइयागं कुसमयमोहमोहमइमोहियाणं संदेहजायसहजबुद्धि परिणामसंसइयाणं पावकरमलिनमइगुणविसोहत्थं असीअस्स किरियाचाइयसयस्स चउरासीए अकिरियवाईणं सत्तट्ठीए अण्णाणियवाईण बत्तीसाए वेणइयवाईणं तिन्हं तेवद्वीणं अण्णदिट्टियसयागं वृहुं किचा ससमए ठाविज्जति णाणदिहंतचयणणिस्सारं मुटु दरिसयंता विविवित्थराणुगमपरमसम्भावगुणविसिद्धा मोक्खपहोयारगा उदारा अण्णाणतमंधकारदुग्गेमु दीवभूआ सोवाणा चेव सिद्धिमुगइगिहुत्तमस्स णिक्खोभनिप्पकंपा सुत्तस्था । नुयगडस्स परित्ता वायणा संखेज्जा अणुओगदारा संखेज्जाओ पडिवत्तीओ संखेज्जा वेढा संखेज्जा सिलोगा संखेज्जाओ निजुत्तीओ। से णं अंगट्टयाए दोघे अंगे दो नयक्खधा तेवीसं अज्झयणा तेत्तीस उद्देसगकाला तेत्तीसं समुद्देमणकाला छत्तीसं पदसहस्साई पय ३६३ पन्नत्ताई, संखेजा अक्खरा अणंता गमा अनंता पजवा परित्ता तसा अनंता थावरा सासया कडा णिवद्धा णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविजति पण्णविनंति परुविज्जति दंसिजंति निदंसिज्जंति उवदंसिज्जति । से एवं आया एवं णाया एवं विष्णाया एवं चरणकरणपरूवणया आघविज्जंति पण्णविनंति परुविज्जंति दंसिज्जंति निदंसिजंति वदंसिजंति । सेत्तं सूअगडे ॥ २१२ ॥ से किं तं ठाणे ? ठाणे ससमया ठाविजंति, परसमया ठाविनंति, ससमयपरसमया ठाविज्जंति, जीवा ठाविज्जति, अजीवा ठाविज्जंति, जीवाजीवा ठाविज्जंति, लोगा ठाविजंति, अलोगा ठाविजंति, लोगालोगा ठाविजंति, ठाणेगं दव्वगुणखेत्तकालपज्जवपयत्थाणं - सेला सलिला य समुद्दा, सूरभवणविमाणआगरणदीओ । णिहिओ पुरिसज्जाया, सरा य गोत्ता य जोइसंचाला ॥ १ ॥ एक्कविहवत्तव्वयं दुविह जाव दसविहवत्तव्वयं, जीवाण पोगलाण य लोगट्ठाईं च णं परूवणया आघविज्जति । ठाणस्स णं परित्ता वायणा, संखेजा अणुओगदारा, संखेजाओ पडिवत्तीओ, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ संगहणीओ । से णं अंगट्टयाए तइए अंगे, एगे सुयक्खंधे, दस अज्झयणा, एकवीसं उद्देसणकाला, ( एकवीसं समुद्दे सणकाला ), वावत्तरिं पयसहस्साईं पयग्गेणं पन्नत्ताईं । संखेजा अक्खरा, (अनंता गमा) अनंता पज्जवा, परित्ता त्तसा, अणंता थावरा, सासया कडा णिबद्धा णिकाइया जिणपन्नत्ता भावा आघविजंति पण्णविनंति परुविज्जंति ( दंसिज्जंति ) निदंसिजंति उवदंसिजंति । से एवं आया एवं गाया एवं विष्णाया एवं चरणकरणपरूवणया आघविनंति । सेत्तं ठाणे ॥ २१३ ॥ से किं तं समवाए ? समवाए णं ससमया सूइज्जति, परसमया सूइजंति, Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [समवाए ससमयपरसमया सूइज्जति, जाव लोगालोगा सूइज्जति । समवाए णं एकाइयाणं एगट्ठाणं एगुत्तरियपरिवुड्डीए, दुवालसंगरस य गणिपिडगस्स पल्लवग्गे समणुगाइजइ ठाणगसयरस, वारसविहवित्थरस्स सुयणाणस्स जगजीवहियरस भगवओ समासेणं समोयारे आहिज्जति । तत्थ य णाणाविहप्पगारा जीवाजीवा य वणिया वित्यरेण, अवरे वि अ वहुविहा विसेसा नरगतिरियमणुअमुरगणाणं आहारुस्सासलेसाआवाससंखआययप्पमाणउववायचवणओगाहणोवहिवेयण विहाणउवओगजोगइंदियकसाय, विविहा य जीवजोणी, विक्खंभुस्सेहपरिरयप्पमाणं विहिविसेसा य मंदरादीणं महीधराणं, कुलगरतित्थगरगणहराणं सम्मत्तभरहा हिवाण चक्कीणं चेव चक्कहरहलहराण य, वासाण य निगमा य समाए । एए अण्णे य एवमाइ एत्थ वित्थरेणं अत्था समाहिजति । समवायस्स णं परित्ता वायणा जाव से णं अंगठ्ठयाए चउत्थे अंगे एगे अज्झयणे एगे सुयक्खंधे एगे उद्देसणकाले एगे समुद्देसणकाले एगे चउयाले पदसतसहस्से पदग्गेणं पन्नत्ते । संखेज्जाणि अक्खराणि जाव चरणकरणपरूवणया आघविज्जति । से त्तं समवाए ॥ २१४ ॥ से किं तं वियाहे ? वियाहेणं ससमया विआहिंजंति परसमया विआहिजति ससमयपरसमया विआहिजंति, जीवा विआहिजति अजीवा विआहिजति जीवाजीवा विआहिज्जति, लोगे विआहिजइ अलोगे विआहिज्जइ लोगालोगे विआहिजइ । वियाहेणं नाणाविहसुरनरिंदरायरिसिविविहसंसइअपुच्छियाणं जिणेणं वित्थरेण भासियाणं दव्वगुणखेत्तकालपज्जवपदेसपरिणामजहच्छियभावअणुगमनिक्खेवणयप्पमाणसुनिउणोवक्कमविविहप्पकारपगडपयासियाणं लोगालोगपयासियाणं संसारसमुद्दरंदउत्तरणसमत्थाणं सुरवइसंपूजियाणं अवियजणपयहिययाभिनंदियाणं तमरयविद्धंसणाणं सुदिट्ठदीवभूयईहामतिबुद्धिवद्धणाणं छत्तीससहस्समणूणयाणं वागरणाणं दसणाओ सुयत्थवहुविहप्पगारा सीसहिंयत्था य गुणमहत्था। वियाहस्स णं परित्ता वायणा संखेज्जा अणुओगदारा संखेजाओ पडिवत्तीओ संखेज्जा वेढा संखेजा सिलोगा संखेजाओ निजत्तीओ। से णं अंगठ्ठयाए पंचमे अंगे एगे सुयक्खंधे एगे साइरेगे अज्झयणसते दस उद्देसगसहस्साई दस समुद्देसगसहस्साइं छत्तीसं वागरणसहस्साइं चउरासीई पयसहस्साइं पयग्गेणं प० । संखेजाइं अक्खराइं अणंता गमा अणंता पजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासया कडा णिवद्धा णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविनंति पण्णविनंति परूविजति दंसिर्जति निदंसिजति उवदंसिर्जति । से एवं आया से एवं णाया से एवं विण्णाया एवं चरणकरणपरूवणया आघविनंति । से तं वियाहे ॥से किं तं णायाधम्मकहाओ? णायाधम्मकहासु णं णायाणं णगराई उज्जाणाई वणखंडा रायाणो अम्मापियरो Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उवासगदसासरुवं सुत्तागमे समोसरणाई धम्मायरिया धम्मम्हाओ इहलोइयपरलोइअइलीविसेला भोगपरिचाया पवनाओ नुयपरिग्गहा तवोपहाणाई परियामा संल्हणाओ भत्तपञ्चक्खाणाइं पाओवगमगाई देवलोगगमगाई सुकुलपनायाबाई पुणवोहिलामा संतकिरियाओ य आघविनंति जाव नायाधम्मकहानु णं पव्वइयाणं विणयकरणजिणसामिलासणवरे संजमपइण्गपालगधिइमइववसायदुव्बलाणं तवनियमतवोवहागरणदुद्धरभरभरगयणिस्स यणिसिहाणं घोरपरीसहपराजियाणं सहपारद्धरुद्धसिद्धालयमग्गनिग्गयाणं विसयसुहतुच्छ आमावसदोसमुच्छियाणं विराहियचरित्तनाणदंसणजइगुणविविहप्पयारनिस्सारउन्नयाणं संसारअपारदुखदुग्गइभवविविहपरंपरापवंचा । धीराण य जियपरिसहकसायसेग्गविधणियसंजमउच्छाहनिच्छियाणं आराहियनाणदसणचरित्तजोगनिस्सहमुद्धसिद्धालयमरगमभिमुहाणं सुरभवणविमाणसुक्खाई अणोवमाइं भुत्तूण चिरं च भोगभोगाणि ताणि दिव्याणि महरिहाणि ततो य कालकमचुयाणं जह य पुणो लद्धसिद्धिमग्गाणं अंतकिरिया। चलियाण य सदेवमाणुस्सधीरकरणकारणानि बोधणअगुसासणाणि गुणदोसदरिसणाणि दिलुते पच्चये य सोऊण लोगमुणिणो जहट्ठियसासणम्मि जरमरणनासणकरे आराहिअसंजमा य सुरलोगपडिनियत्ता ओवेंति जह सासयं सिवं सव्वदुक्खमोक्खं । एए अण्णे य एवमाइअत्था वित्थरेण य । णायाधम्मकहामु णं परित्ता वायणा संखेना अणुओगदारा जाव संखेजाओ संगहणीओ। से णं अंगट्टयाए छठे अगे दो मुअक्खंधा एगूणवीसं अज्झयणा, ते समासओ दुविहा पन्नत्ता, तं जहा-चरिता य कप्पिया य, दस धम्मकहाणं वग्गा, तत्थ णं एगमेगाए धम्मकहाए पंच पंच अक्खाइयासयाई एगमेगाए अक्खाइयाए पंच पंच उवक्खाइयासयाइं, एगमेगाए उवक्खाइयाए पंच पंच अक्खाइयउवक्खाइयासयाई, एवमेव सपुव्वावरेणं अछुट्टाओ अक्खाइयाकोडीओ भवंतीति मक्खायाओ, एगूणतीसं उद्देसणकाला एगणतीसं समुद्देसणकाला संखेज्जाइं पयसहस्साई पयग्गेणं पन्नत्ता, संखेज्जा अक्खरा जाव चरणकरणपरूवणया आघविनंति । से तं णायाधम्मकहाओ ॥ २१५ ॥ से किं तं उवासगदसाओ ? उवासगदसासु णं उवासयाणं णगराई उजाणाई वणखंडा रायाणो अम्मापियरो समोसरणाई धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइयपरलोइयइढिविसेसा उवासयाणं सीलव्वयवेरमणगुणपचक्खाणपोसहोववासपडिवजणयाओ सुयपरिग्गहा तवोवहाणा पडिमाओ उवसग्गा संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाइं पाओवगमणाई देवलोगगमणाइं सुकुलपञ्चायाया पुणो वोहिलाभा अंतकिरियाओ आघविजंति । उवासगदसासु णं उवासयाणं रिद्धिविसेसा परिसा वित्थरधम्मसवणाणि वोहिलाभअभिगमसम्मत्तविसुद्धया Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [समवाए थिरत्तं मूलगुणउत्तरगुणाइयारा ठिईविसेसा य बहुविसेसा पडिमाभिग्गहरगहणपालणा उवसग्गाहियासणा णिरुवसग्गा य तवा य विचित्ता सीलव्वयगुणवेरमणपचक्खाणपोसहोववासा अपच्छिममारणंतिया य संलेहणाझोसणाहिं अप्पाणं जह य भावइत्ता वहृणि भत्ताणि अणसणाए य छेअइत्ता उववण्णा कप्पवरविमाणुत्तमेमु जह अणुभवंति सुरवरविमाणवरपोडरीएसु सोक्खाई अणोवमाइं कमेण भुत्तूण उत्तमाइं तओ आउक्खएणं चुया समाणा जह जिणमयंमि बोहिं लद्रूण य संजमुनमं तमरयोघविप्पमुक्का उति जह अक्खयं सव्वदुक्खमोक्खं । एते अन्ने य एवमाइअत्था वित्थरेण य । उवासयदसासु णं परित्ता वायणा संखेज्जा अणुओगदारा जाव संखेजाओ संगहणीओ । से णं अंगठ्याए सत्तमे अगे एगे सुयक्खंधे दस अज्झयणा दस उद्देसणकाला दस समुद्देसणकाला संखेजाइं पयसयसहस्साइं पयग्गेणं पण्णत्ता । संखेजाइं अक्खराई जाव एवं चरणकरणपरूवणया आधविनंति । से तं उवासगदसाओ ॥२१६॥ से किं तं अंतगडदसाओ? अंतगडदसासु णं अंतगडाणं णगराइं उज्जाणाई वणाइं राया अम्मापियरो समोसरणा धम्मायरिया धम्मकहा इहलोइयपरलोइयइविविसेसा भोगपरिचाया पव्वजाओ सुयपरिग्गहा तवोवहाणाई पडिमाओ बहुविहाओ खमा अज्जवं मद्दवं च सोअंच सच्चसहियं सत्तरसविहो य संजमो उत्तमं च वंभं आकिंचणया तवो चियाओ समिइगुत्तीओ चेव तह अप्पमायजोगो सज्जायज्झाणेण य उत्तमाणं दोण्हं पि लक्खणाइं पत्ताण य संजमुत्तमं जियपरीसहाणं चउबिहकम्मक्खयम्मि जह केवलस्स लंभो परियाओ जत्तिओ य जह पालिओ मुणिहिं पायोवगओ य जो जहिं जत्तियाणि भत्ताणि छेअइत्ता अंतगडो मुनिवरो तमरयोघविप्पमुक्को मोक्खसुहमणुत्तरं च पत्ता । एए अन्ने य एवमाइअत्था वित्थारेणं परवेई । अंतगडदसासु णं परित्ता वायणा संखेजा अणुओगदारा जाव संखेज्जाओ संगहणीओ, जाव से णं अंगठ्याए अट्ठमे अंगे एगे सुयक्खंधे दस अज्झयणा सत्त वग्गा दस उद्देसणकाला दस समुद्देसणकाला संखेजाइं पयसयसहस्साइं पयग्गेणं प० संखेज्जा अक्खरा जाव एवं चरणकरणपरूवणया आघविनंति । से तं अंतगडदसाओ ॥ २१७ ॥ से किं तं अणुत्तरोववाइयदसाओ ? अणुत्तरोववाइयदसासु णं अणुत्तरोववाइयाणं नगराइं उजाणाई वणखंडा रायाणो अम्मापियरो समोसरणाई धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोगपरलोगइविविसेसा भोगपरिचाया पव्वजाओ सुयपरिग्गहा तवोवहाणाइं परियागो पडिमाओ संलेहणाओ भत्तपाणपञ्चक्खाणाई पाओवगमणाई अणुत्तरोववाओ सुकुलपच्चायाया पुणो वोहिलाभो अंतकिरियाओ य आघविनंति । अणुत्तरोववाइयदसासु णं तित्थकरसमोसरणाइं परमंगलजगहियाणि Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे स० विवागसवं] ३६७ जिणातिसेसा य बहुविसेसा जिणसीसाणं चेव समणगणपवरगंधहत्यीणं विरजसाणं परिसहसेण्णरिउवलपमद्दणाणं तवदित्तचरित्तणाणसम्मत्तसारविविहप्पगारवित्वरपसत्यगुणसंजुयाणं अणगारमहरिसीणं अणगारगुणाण वण्णओ उत्तमवरतवविसिणाणजोगजुत्ताणं जह य जगहियं भगवओ जारिसा इद्धिविसेसा देवानरमाणुसाणं परिसाणं पाउभावा य जिणसमीदं जह य उवासंति जिणवरं जह य परिकहति धम्म लोगगुरु अमरनरसुरगणाणं सोऊण य तस्स भासियं अवसेसकम्मविसबविरत्ता नरा जहा अभुवंति धम्ममुरालं संजमं तवं चावि बहुविहप्पगारं जह बहणि वासाणि अणुचरित्ता आराहियनाणदंसणचरित्तजोगा जिणवयणमणुगयमहियभासिया जिणवराण हिययेणमणुण्णेत्ता जे य जहिं जत्तियाणि भत्ता णि छेअइत्ता लट्टण य समाहिमुत्तमज्झाणजोगजुत्ता उववन्ना मुणिवरोत्तमा जह अणुत्तरेस पावंति जह अणुत्तरं तत्थ विसयसोक्खं तओ य चुआ कमेण काहिंति संजया जहा य अंतकिरियं एए अन्ने य एवमाइअत्था वित्थरेण । अणुत्तरोववाझ्यदसामु णं परित्ता वायणा संखेजा अणुओगदारा संखेजाओ संगहणीओ । से णं अंगठ्याए नवमे अंगे एगे सुयक्खंधे दस अज्झयणा तिन्नि वग्गा दस उद्देसणकाला दस समुद्देसणकाला संखेनाइं पयसयसहस्साई पयग्गेणं प० । संखेजाणि अक्खराणि जाव एवं चरणकरणपरवणया आघविनंति । से तं अणुत्तरोववाइयदसाओ ॥ २१८ ॥ से कि तं पण्हावागरणाणि ? पाहावागरणेनु णं अकृत्तरं पसिणसयं अट्टत्तरं अपलिणसयं अद्भुत्तरं पसिणापसिणसयं विजाइसया नागसुबन्नेहिं सद्धिं दिव्वा सवाया आघविनंति । पण्हावागरणदसासु णं ससमयपरसमयपण्णवयपत्तेअवुद्धविविहत्यभासाभासियाणं अइसयगुणउवसमणाणप्पगारआयरियभासियाणं वित्थरेणं वीरमहेसीहि विविहवित्थरभासियाणं च जगहियाणं अदागंगुवाहुअसिमणिखोमआइचमाइयाणं विविहमहापसिणविजामणपसिण-- विजादेवयपयोगपहाणगुणप्पगासियागं समयदुगुणप्पभावनरगणमइविम्हयकराणं अईसयमईयकालसमयदमसमतित्थकरुत्तमस्स ठिइकरणकारणाणं दुरहिगमदुरवगाहस्स सव्वसम्वन्नुसम्मअस्स अवुहजणविवोहणकरस्स पच्चक्खयपचयकराणं पण्हाणं विविहगुणमहत्था जिणवरप्पणीया आघविनंति । पण्हावागरणेसु णं परित्ता वायणा संखेज्जा अणुओगदारा जाव संखेजाओ संगहणीओ। से गं अंगठ्याए दसमे अंगे एगे सुयखंधे पणयालीसं उद्देसणकाला पणयालीसं समुद्देसणकाला संखेजाणि पयसयसहस्साणि पयरगेणं पन्नत्ता । संखेना अक्खरा अणंता गमा जाव चरणकरण.. परवणया आधविनंति । से तं पण्हावागरणाई ॥ २१९ ॥ से कि तं विवागसुयं ? विवागसुए णं सुकडढुक्कडाणं कम्माणं फलविवागे आधविनंति से समासओ दुविहे Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६८ सुत्तागमे [ समवाए पन्नत्ते, तं जहा - दुह विवागे चेव सुहविवागे चेव । तत्थ णं दस दुहविवागाणि दस सुहविवागाणि । से किं तं दुहविवागाणि ? दुहविवागेसु णं दुहविवागाणं नगराई उज्जाणाई वणखंडा रायाणो अम्मापियरो समोसरणाई धम्मायरिया धम्मकहाओ नगरगमणाईं संसारपबंधे दुहपरंपराओ य आघविज्जंति । से त्तं दुहविवागाणि । से किं तं सुहविवागाईं ? सुहविवागेसु सुहविवागाणं णगराई उज्जाणाई वणखंडा रायाणो अम्मापियरो समोसरणाई धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइयपरलोइयइडिविसेसा भोगपरिचाया पव्वज्जाओ सुयपरिग्गहा तवोवहाणाई परियागा पडिमाओ संलेहगाओ भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमणाई देवलोगगमणाई सुकुलपच्चायाया पुण बोहिलाहा अंतकिरियाओ य आघविजंति । दुहविवागेसु णं पाणाइवाय अलियवयणचोरिककरणपरदारमेहुण ससंगयाए महतिव्वकसायइंदियप्पमायपावप्पओयअ सुहज्झवसाणसंचियाणं कम्माणं पावगाणं पावअणुभागफलविवागा णिरयगतितिरिक्खजोणि बहुविहवसणसय परंपरापबद्धाणं मणुयत्ते वि आगयाणं जहा पावकम्मसेसेण पावगा होति फलविवागा वहवसणविणासनासाकन्नुटुंगुडकरचरण नहच्छेयणजिन्भच्छेअणअंजणकडग्गिदाहंगयचलणमलणफालणउल्लंवणसूललयालउड लट्ठिभंजणतउसीसगतत्ततेल्लकलकलअहिसिंचन कुंभिपाग कंपणथिरवंधण वेहवज्झ कत्तणपतिभय करकरपल्ली- वणादिदारुणाणि दुक्खाणि अगोवमाणि । बहुविविहपरंपराणुबद्धा णमुचंति पावकम्मवल्लीए, अवेयइत्ता हु णत्थि मोक्खो तवेण धिइवणियवद्धकच्छेण सोहणं तस्स वावि हुजा । एत्तो य सुहविवागेषु णं सीलसंजमणियमगुणतवोवहाणेमु साहूसु सुविहि सु अणुकंपासयप्पओगतिकालमइविसुद्ध भत्तपाणाईं पययमणसा हियसुहनी से सतिव्वपरिणामनिच्छियमई पयच्छिऊणं पयोगसुद्धाई जह य निव्वतेति उ वोहिलाभं जह -य परित्तीकरेंति नरनरय तिरियसुरगमगविपुलपरियट्टअरतिभयविसाय सोगमिच्छत्तसेलसंकडं अन्नाणतमंधकारं चिक्खिल्लसुदुत्तारं जरमरणजोणिसंखुभियचक्कवालं सोल-सकसायसावयपयंडचंडं अणाइअं अणवदग्गं संसारसागरमिणं । जह य णिबंवंति आउगं सुरगणेसु जह य अणुभवंति सुरगणविमाणसोक्खाणि अगोवमाणि ततो य -कालंतरे चुआगं इहेव नरलोगमागयागं आउवपुपु (व) ण्णरूव जातिकुल जम्मआरोग्ग- बुद्धिमेहाविसेसा मित्तजणसयण वणवण्गविभव समिद्धसारसमुदयविसेसा बहुविहकाम भोगुब्भवाण सोक्खाण सुहविवागोत्तमेसु अणुवरयपरंपराणुवद्धा असुभाणं सुभाणं चे कम्माणं भासिआ बहुविहा विवागा विवागस्यम्मि भगवया जिगवरेण संवेगकार गत्था भन्ने विय एवमाझ्या बहुविहा वित्यरेणं अत्यपरूवणया आघविज्जति । विवा सुअरसणं परित्ता वायगा संखेज्जा अणुओगदारा जाव संखेज्जाओ संगहणीओ Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे पुवगयसरूवं] से गं अंगठ्ठयाए एक्कारसमे अंगे वीसं अज्झयणा वीसं उद्देसणकाला वीसं समुद्देसणकाला। संखेज्जाइं पयसयसहस्साई पयग्गेणं पन्नत्ता। संखेज्जाणि अक्खराणि अणंता गमा अणंता पज्जवा जाव एवं चरणकरणपरूवणया आघविनंति । से तं विवागसुए ॥ २२० ।। से किं तं दिठिवाए ? दिट्ठिवाए णं सव्वभावपरूवणया आघविनंति । से समासओ पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा-परिकम्म, सुत्ताई, पुव्वगयं, अणु ओगो, चूलिया । से किं तं परिकम्मे ? परिकम्मे सत्तविहे पन्नत्ते, तं जहा-सिद्धसेणियापरिकम्मे, मणुस्ससेणियापरिकम्मे, पुट्टसेणियापरिकम्मे, ओगाहणसेणियापरिकम्मे, उवसंपजसेणियापरिकम्मे, विप्पजहसेणियापरिकम्मे, चुआचुअसेणियापरिकम्मे । से कि तं सिद्धसेणियापरिकम्मे ? सिद्धसेणियापरिकम्मे चोद्दसविहे पन्नत्ते, तं जहा-माउयापयाणि, एगठ्ठियपयाणि, पादोट्ठपयाणि, आगासपयाणि, केउभूयं, रासिवद्धं, एगगुणं, दुगुणं, तिगुणं, केउभूयं, पडिग्गहो, संसारपडिग्गहो, नंदावत्तं, सिद्धवद्धं, से तं सिद्धसेणियापरिकम्मे । से किं तं मणुस्ससेणियापरिकम्मे ? मणुस्ससेणियापरिकम्मे चोड्सविहे पन्नत्ते, तं जहा-ताई चेव माउआपयाणि जाव नंदावत्तं मणुस्सवद्धं, से तं मणुस्ससेणियापरिकम्मे । अवसेसा परिकम्माई पुट्ठाइयाइं एकारसविहाई पन्नत्ताइं । इच्चेयाई सत्त परिकम्माई, छ ससमइयाइं सत्त आजीवियाई, छ चउक्कणइयाइं सत्त तेरासियाई, एवामेव सपुव्वावरेणं सत्त परिकम्माई तेसीति भवंतीति मक्खायाइं, से त्तं परिकम्माइं ॥ २२१ ॥ से किं तं सुत्ताइं? सुत्ताइं अट्ठासीति भवंतीति मक्खायाइं, तं जहा-उजुगं परिणयापरिणयं वहुभंगियं विप्पच्चइयं [विन (ज)यचरियं ] अगंतरं परंपरं समाणं संजूहं [मासाणं] संभिन्नं अहाचयं [ अहव्वायं नन्दीए] सोवत्थि(वत्तं) यं णंदावत्तं वहुलं पुट्ठापुढे वियावत्तं एवंभूय दुआवत्त वत्तमाणपयं समभिरुढं सव्वओभई पणाम[पस्सासं नन्दीए] दुपडिग्गहं इच्चेयाई वावीसं सुत्ताई छिण्णछेअणइआई ससमयसुत्तपरिवाडीए इच्चेयाई वावीसं सुत्ताई अछिन्नछेअणइयाइं आजीवियसुत्तपरिवाडीए, इच्चेआई वावीसं सुत्ताई तिकणइयाई तेरासियसुत्तपरिवाडीए, इच्चेआई वावीसं सुत्ताई चउकणइयाइं ससमयसुत्तपरिवाडीए, एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठासीति सुत्ताई भवंतीति मक्खायाइं, से तं सुत्ताई ॥२२२॥ से किं तं पुव्वगयं ? पुव्वगयं चउद्दसविहं पन्नत्तं, तं जहा-उप्पायपुव्वं, अग्गेणीयं, वीरिय, अस्थिणत्थिप्पवायं, नाणप्पवायं, सच्चप्पवायं, आयप्पवायं, कम्मप्पवायं, पच्चक्खाणप्पवायं, विजाणुप्पवायं, अवंझं, पाणाऊ, किरियाविसालं, लोगविंदुसारं । उप्पायपुव्वरस णं दसवत्थू पन्नत्ता, चत्तारि चूलियावत्थू पन्नत्ता । अग्गेणियस्स णं घुव्वस्स चोद्दसवत्थू प०, वारस चूलियावत्थू प० । वीरियप्पवायस्स णं पुव्वस्स २४ सुत्ता Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [समवाए अट्ठ वत्थू प०, अट्ठ चूलियावत्थू प० । अत्थिणत्थिप्पवायस्स णं पुव्वस्स अट्ठारस वत्थू प०, दस चूलियावत्थू प० । नाणप्पवायस्स णं पुव्वस्स वारस वत्थू प० । सच्चप्पवायस्स णं पुव्वस्स दो वत्थू प० । आयप्पवायस्स णं पुव्वस्स सोलस वत्थू प० । कम्मप्पवायपुव्वस्स णं तीसं वत्थू प० । पञ्चक्खाणस्स णं पुव्वस्स वीसं वत्थू प० । विजाणुप्पवायस्स णं पुव्वस्स पनरस वत्थू प० । अवंझस्स णं पुवस्स वारस वत्थू प० । पाणाउस्स णं पुवस्स तेरस वत्थू प० । किरियाविसालस्स णं पुव्वस्स तीसं वत्थू प० । लोगविदुसारस्स णं पुव्वस्स पणवीसं वत्थू प० । “दस चोइस अट्ठारसे व वारस दुवे य वत्थूणि । सोलस तीसा वीसा पन्नरस अणुप्पवायम्मि॥ बारस एक्कारसमे, वारसमे तेरसेव वत्थूणि । तीसा पुण तेरसमे चउदसमे पन्नवीसाओ। चत्तारि दुवालस अट्ठ चेव दस चेव चूलवत्थूणि । आतिल्लाण चउण्हं, सेसाणं चूलिया णत्यि" से तं पुव्वगयं ॥ २२३ ॥ से कि तं अणुओगे ? अणुओगे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा-मूलपढमाणुओगे य गंडियाणुओगे य । से किं तं मूलपढमाणुओगे ? एत्थ णं अरहंताणं भगवंताणं पुव्वभवा देवलोगगमणाणि आउं चवणाणि जम्मणाणि अ अभिसेया रायवरसिरीओ सीयाओ पव्वजाओ तवा य भत्ता केवलणाणुप्पाया अतित्थपवत्तणाणि अ संघयणं संठाणं उच्चत्तं आउं वनविभागो सीसा गणा गणहरा य अज्जा पवत्तणीओ संघस्स चउव्विहस्स जं वावि परिमाणं जिणमणपजवओहिनाणसम्मत्तसुयनाणिणो य वाई अणुत्तरगई य जत्तिया सिद्धा पाओवगया य जे जहिं जत्तियाई भत्ताइं छेअइत्ता अंतगडा मुणिवस्त्तमा तमरओघविप्पमुक्का सिद्धिपहमणुत्तरं च पत्ता, एए अन्ने य एवमाइया भावा मूलपढमाणुओगे कहिआ आघविनंति पण्णविनंति परूविजंति, से तं मूलपढमाणुओगे। से किं तं गंडियाणुओगे ? (गंडियाणुओगे) अणेगविहे पन्नत्ते, तं जहा-कुलगरगंडियाओ तित्थगरगंडियाओ गणहरगंडियाओ चक्कहरगंडियाओ दसारगंडियाओ वलदेवगंडियाओ वासुदेवगंडियाओ हरिवंसगंडियाओ भद्दवाहुगंडियाओ तवोकम्मगंडियाओ चित्तंतरगंडियाओ उस्सप्पिणीगंडियाओ ओसप्पिणीगंडियाओ अमरनरतिरियनिरयगइगमणविविहपरियट्टणाणुओगे, एवमाइयाओ गंडियाओ आघविनंति पण्णविनंति पहविनंति, से तं गंडियाणुओगे ॥ २२४ ॥ से कि तं चूलियाओ? जणं आइल्लाणं चउण्हं पुव्वाणं चूलियाओ सेसाई पुव्वाइं अचूलियाई, से त्तं चूलियाओ ॥ २२५ ॥ दिहिवायस्स णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा संखेज्जाओ पडिवत्तीओ संखेजाओ निजुत्तीओ संखेजा सिलोगा संखेनाओ संगहणीओ, से णं अंगठ्याए बारसमे अगे एगे सुयक्खंधे चउद्दस पुव्वाइं संज्जा वत्थू संखेज्जा चूलवत्थू संखेजा Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७१ णिरयावासवण्णणं] सुत्तागमे पाहुडा संखेज्जा पाहुडपाहुडा संखेजाओ पाहुडियाओ संखेजाओ पाहुडपाहुडियाओ संखेजाणि पयसयसहस्साणि पयग्गेणं पन्नत्ता, संखेजा अक्खरा अणंता गमा अणंता पज्जवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासया कडा णिवद्धा णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविनंति पण्णविनंति परूविजंति देसिज्जति निदंसिर्जति उवदंसिजति, एवं णाया एवं विण्णाया एवं चरणकरणपरूवणया आघविनंति, से तं दिठिवाए, से तं दुवालसंगे गणिपिडगे ॥ २२६ ॥ इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं अतीतकाले अणंता जीवा आणाए विराहित्ता चाउरंतसंसारकतारं अणुपरियटिंसु, इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं पडुप्पण्णे काले परित्ता जीवा आणाए विराहित्ता चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियति, इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं अणागए काले अणंता जीवा आणाए विराहित्ता चाउरंतसंसारकतारं अणुपरियहिस्संति, इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं अतीतकाले अणंता जीवा आणाए आराहित्ता चाउरंतसंसारकंतारं वीईवइंसु, एवं पडुप्पण्णेऽवि, एवं अणागएऽवि । दुवालसंगे णं गणिपिडगे ण कयावि णत्थि, ण कयाइ णासी, ण कयाइ ण भविस्सइ, भुविं च भवति य भविस्सति य (अयले) धुवे णितिए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिचे, से जहा णामए पंच अस्थिकाया ण कयाइ ण आसि, ण कयाइ णत्थि, ण कयाइ ण भविस्सति, भुविं च भवति य भविस्सति य, (अयला) धुवा णितिया सासया अक्खया अव्वया अवट्ठिया णिच्चा, एवामेव दुवालसंगे गणिपिडगे ण कयाइ ण आसि, ण कयाइ णत्थि, ण कयाइ ण भविस्सइ, भुविं च भवति य भविस्सइ य, (अयले) धुवे जाव अवट्ठिए णिच्चे । एत्थ णं दुवालसंगे गणिपिडगे अणंता भावा अणंता अभावा अणंता हेऊ अणंता अहेऊ अणंता कारणा अणंता अकारणा अणंता जीवा अणंता अजीवा अणंता भवसिद्धिया अणंता अभवसिद्धिया अणंता सिद्धा अणंता असिद्धा आघविनंति पण्णविजति परूविज्जति दंसिज्जति निदंसिज्जति उवदंसिजति । एवं दुवालसंगं गणिपिडगं इति ॥ २२७ ॥ दुवे रासी प० तं जहा-जीवरासी अजीवरासी य । अजीवरासी दुविहा प० तं जहा-रूवी अजीवरासी अरूवी अजीवरासी य । से किं तं अरूवी अजीवरासी ? अरूवी अजीवरासी दसविहा प० तं जहा-धम्मत्थिकाए जाव अद्धासमए । रूवी अजीवरासी अणेगविहा प० । जाव से कि तं अणुत्तरोववाइआ ? अणुत्तरोववाइआ पंचविहा प० तं जहा-विजयवेजयंतजयंतअपराजितसव्वट्ठसिद्धिआ, सेत्तं अणुत्तरोववाइआ, से तं पंचिंदियसंसारसमावण्णजीवरासी । दुविहा णेरइया प० तं जहापज्जत्ता य अपज्जत्ता य, एवं दंडओ भाणियन्वो जाव वेमाणिय त्ति । इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए केवइयं खेत्तं ओगाहेत्ता केवइया णिरयावासा प०?, गोयमा! इमीसे Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ समवाए रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसयसहस्सवाहलाए उवरि एगं जोयणसहस्सं ओगाहेत्ता हेट्ठा चेगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे अट्ठसत्तरि जोयणसयसहस्से एत्थ गं रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयाणं तीसं णिरयावाससयसहस्सा भवतीति मक्खाया । ते णं णिरयावासा अंतो वट्टा वाहिं चउरंसा जाच असुभा णिरया असुभाओ णिरएस वेयणाओ एवं सत्त वि भाणियव्वाओ जं जासु जुज्जइ-आसीयं वत्तीसं अट्ठावीसं तहेच वीसं च । अट्ठारस सोलसगं अट्टुत्तरमेव वाहलं ॥ १ ॥ तीसा य पण्णवीसा पन्नरस दसेव सयसहस्साईं । तिण्णेगं पंचूणं पंचेव अणुत्तरा नरगा ॥२॥ चउसकी असुराणं चउरासीइं च होइ नागाणं । वावत्तरि सुवन्नाण वाउकुमाराण छण्णउइ ॥ ३ ॥ दीवदिसा उदहीणं विज्जुकुमारिदथणियमग्गीणं । छण्हं पि जुवलयाणं वावत्तरिमो य सय सहसा (स्सा ) ॥ ४ ॥ वत्तीसट्टावीसा वारस अड चउरो य सयसहस्सा । पण्णा चत्तालीसा छच्च सहस्सा सहस्सारे ॥ ५ ॥ आणयपाणयकप्पे चत्तारि सयाssरणच्चुए तिनि । सत्त विमाणसयाई चउसु वि एएसु कप्पे ॥ ६ ॥ एकारसुत्तरं द्विमे सत्तुत्तरं च मज्झिमए । सयमेगं उवरिमए पंचेव अणुत्तरविमाणा ॥ ७ ॥ दोचाए णं पुढवीए तच्चाए णं पुढवीए चउत्थीए पुढवीए पंचमी पुढवीए छट्ठीए पुढवीए सत्तमीए पुढवीए गाहाहि भाणियव्वा । सत्तमाए पुढवीए पुच्छा, गोयमा ! सत्तमा पुढवीए अनुत्तरजोयणसयसहस्साईं बाहल्लाए उवरि अद्धतेवन्नं जोयणसहस्साइं ओगाहेत्ता हेट्ठा वि अद्धतेवन्नं जोयणसहस्साईं वज्जित्ता मज्झे तिसु जोयणसहस्सेसु एत्थ णं सत्तमाए पुढवीए नेरइयाणं पंच अणुत्तरा महइमहालया महानिरया प० तं जहा - काले महाकाले रोरुए महारोरुए अप्पइट्ठाणे नामं पंचमे । ते णं निरया वट्टे य तंसा य अहे खुरप्पसंठाणसंठिया जाव असुभा नरगा असुभाओ नरएस वेयणाओ ॥ २२८ ॥ केवइया णं भंते ! असुरकुमारावासा प० ? गोयमा । इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तर जोयणसयसहस्सबाहल्लाए उवरि एगं जोयणसहस्सं ओगाहेत्ता हेट्ठा चेगं जोयणसहस्सं वज्जित्ता मज्झे अट्ठहत्तर जोयणसयसहस्से एत्थ णं रयणप्पभाए पुढवीए चउसट्ठि असुरकुमारावाससयसहस्सा प० । ते णं भवणा वाहिं वट्टा अंतो चउरंसा अहे पोक्खरकण्णिआसंठाणसंठिया उक्किण्णंतरविडलगंभीरखायफलिहा अट्टालयच रियदारगोउरकवाडतोरणपडिदुवार देसभागा जंतमुसलमुसंढिसयग्घिपरिवारिया अउज्झा अडयालकोट्ठरइया अडयालकयवणमाला लाउलोइयमहिया गोसीससरसरत्तचंदणदददिष्णपंचंगुलितला कालागुरु पवरकुंदुरक्कतुस्कडज्अंतधूवमघमघेतगंधुद्ध्याभिरामा सुगंधवरगंधिया गंधवट्टिभूया अच्छा सण्हा लम्हा घट्टा मट्ठा नीरया णिम्मला वितिमिरा विसुद्धा सप्पभा समि ३७२ Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णेरइयठिइसरुवं] सुत्तागमे ३७३ रीया सउज्जोआ पासाईया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिलवा, एवं जं जस्स कमती तं तस्स जं जं गाहाहिं भणियं तह चेव वण्णओ ॥ २२९ ॥ केवइया णं भंते ! पुढविकाइयावासा प० गोयमा! असंखेज्जा पुढवीकाइयावासा प० एवं जाव मणुस्स त्ति । केवइया णं भंते ! वाणमंतरावासा प० गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए रयणामयस्स कंडस्स जोयणसहस्सवाहहस्स उवरि एगं जोयणसयं ओगाहेत्ता हेट्ठा चेगं जोयणसयं वज्जेत्ता मज्झे अट्ठसु जोयणसएसु एत्थ णं वाणमंतराणं देवाणं तिरियमसंखेज्जा भोमेजा नेगरावाससयसहस्सा पन्नत्ता, ते णं भोमेजा नगरा वाहिं वडा अंतो चउरंसा, एवं जहा भवणवासीणं तहेव णेयव्वा, णवरं पडागमालाउला सुरम्मा पासाईया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा ॥ २३० ॥ केवइया णं भंते ! जोइसियाणं विमाणावासा पन्नत्ता ? गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए वहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ सत्तनउयाई जोयणसयाइं उड़े उप्पइत्ता एत्थ णं दसुत्तरजोयणसयवाहल्ले तिरियं जोइस विसए जोइसियाणं देवाणं असंखेजा जोइसियविमाणावासा पन्नत्ता, ते णं जोइसियविमाणावासा अन्भुग्गयमूसियपहसिया विविहरमणिरयणभत्तिचित्ता वाउछुयविजयवेजयंतीपडागछत्ताइछत्तकलिया तुंगा गगणतलमणुलिहंतसिहरा जालंतररयणपञ्जसम्मिलियब्व मणिकणगथूभियागा वियसियसयपत्तपुंडरीयतिलयरयणद्धचंदचित्ता अंतो वाहिं च सण्हा तवणिजवालुआपत्थडा सुहफासा सस्सिरीयरुवा पासाईया दरिसणिज्जा ॥ २३१ ॥ केवइया णं भंते ! वेमाणियावासा पन्नत्ता ? गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ उड़े चंदिमसूरियगहगणनक्खत्ततारास्वाणं वीइवइत्ता वहूणि जोयणाणि वहूणि जोयणसयाणि वहूणि जोयणसहस्साणि वहूणि जोयणसयसहस्साणि बहुइओ जोयणकोडीओ वहुइओ जोयणकोडाकोडीओ असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ उढे दूरं वीइवइत्ता एथं णं विमाणियाणं 'देवाणं सोहम्मीसाणसणंकुमारमाहिंदवंभलंतगसुक्कसहस्सारआणयपाणयारणअचुएसु गेवेजगमणुत्तरेसु य चउरासीई विमाणावाससयसहस्सा सत्ताणउइं च सहस्सा तेवीसं च विमाणा भवंतीति मक्खाया, ते णं विमाणा अच्चिमालिप्पभा भासरासिवण्णाभा अरया नीरया हिम्मला वितिमिरा विसुद्धा सव्वरयणामया अच्छा सण्हा घट्टा मट्ठा णिप्पंका णिकंकडच्छाया सप्पभा समरीया सउज्जोया पासाईया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिसवा । सोहम्मे णं भंते ! कप्पे केवइया विमाणावासा प० ? गोयमा! वत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा प०, एवं ईसाणाइसु अट्ठावीस वारस अट्ठ चत्तारि एयाइं सयसहस्साइं पण्णासं चत्तालीसं छ एयाइं सहस्साइं आणए पाणए चत्तारि आरणचुए तिन्नि एयाणि सयाणि, एवं गाहाहि भाणियव्वं ॥ २३२॥ Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ३७४ [समवाए नेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ? गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्नोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई प० । अपज्जत्तगाणं नेरझ्याणं भंते ! केवइयं कालं ठिई प० ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं । पजत्तगाणं जहन्नेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई। उनोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई । इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए एवं जाव विजयवेजयंतजयंतअपराजियाणं देवाणं केवइयं कालं ठिई प० ? गोयमा! जहन्नेणं वत्तीसं सागरोवमाइं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं। सव्वढे अजहण्णमणुकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई प० ॥ २३३ ॥ कति णं भंते सरीरा पन्नत्ता ? गोयमा ! पंच सरीरा प०, तं जहा-ओरालिए वेउविए आहारए तेयए कम्मए । ओरालियसरीरे णं भंते! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा! पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा-एगिदियओरालियसरीरे जाव गन्भवकंतियमणुस्सपंचिंदियओरालियसरीरे य । ओरालियसरीरस्स णं भंते ! के महालिया सरीरोगाहणा प० ? गोयमा! जहन्नेणं अंगुलअसंखेज्जतिभागं उकोसेणं साइरेगं जोयणसहस्सं, एवं जहा ओगाहणसंठाणे ओरालियपमाणं तहा निरवसेसं, एवं जाव मणुस्से त्ति उक्नोसेणं तिण्णि गाउयाई । कइविहे णं भंते ! वेउब्वियसरीरे पन्नत्ते ? गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते-एगिदियवेउब्वियसरीरे य पंचिंदियवेउव्वियसरीरे य, एवं जाव सणकुमारे आढत्तं जाव अणुत्तराणं भवधारणिज्जा जाव तेसिं रयणी रयणी परिहायइ । आहारयसरीरे णं भंते ! कइविहे प० ? गोयमा ! एगाकारे प० । जइ एगाकारे प० किं मणुस्सआहारयसरीरे अमणुस्सआहारयसरीरे ? गोयमा ! मणुस्सआहारगसरीरे णो अमणुस्सआहारगसरीरे, एवं जइ मणुस्सआहारगसरीरे कि गन्मवनंतियमणुस्सआहारगसरीरे संमुच्छिममणुस्सआहारगसरीरे ? गोयमा ! गन्भवतियमणुस्सआहारगसरीरे नो समुच्छिममणुस्सआहारगसरीरे। जइ गब्भवक्त्रंतियमणुस्सआहारयसरीरे किं कम्मभूमिगा० अकम्मभूमिगा० ? गोयमा ! कम्मभूमिगा० नो अकम्मभूमिगा० । जइ कम्मभूमिगा० किं संखेज्जवासाउय० असंखेजवासाउय० ? गोयमा ! संखेजवासाउय० नो असंखेजवासाउय० । जइ संखेजवासाउय० किं पजत्तय० अपज्जत्तय० ? गोयमा ! पज्जत्तय० नो अपज्जत्तय० । जइ पज्जत्तय० किं सम्मदिट्टी० मिच्छदिट्ठी० सम्मामिच्छदिट्ठी० गोयमा ! सम्मदिट्रीनो मिच्छदिट्टी०नो सम्मामिच्छदिट्टी०। जइ सम्मदिट्ठी० किं संजय० असंजय० संजयासंजय० ? गोयमा! संजय० नो असंजय० नो संजयासंजय० । जइ संजय० किं पमत्तसंजय० अपमत्तसंजय० ? गोयमा ! पमत्तसंजय० नो अपमत्तसंजय० । जइ पमत्तसंजय० किं इडिपत्त० अणिडिपत्त० ? गोयमा! इडिपत्त० नो अणिड्डिपत्त० Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णिहत्ताउयागरिसपुच्छा] सुत्तागमे ३७५ चयगा विभाणियव्वा आहारयसरीरे समचउरंससंठाणसंठिए। आहारयसरीरस्स के महालिया सरीरोगाहणा प० ? गोयमा! जहन्नेणं देसूणा रयणी उक्नोसेणं पडिपुण्णा रयणी। तेआसरीरे णं भंते ! कतिविहे प० ? गोयमा ! पंचविहे पन्नत्तेएगिदियतेयसरीरे वितिचउपच० एवं जाव गेवेजस्स णं भंते! देवस्स णं मारगंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स समाणस्स के महालिया सरीरोगाहणा प० ? गोयमा ! सरीरप्पमाणमेत्ता विक्खंभवाहल्लेणं आयामेणं जहन्नेणं अहे जाव विज्जाहरसेढीओ उक्नोसेणं जाव अहोलोइयग्गामाओ, उर्दू जाव सयाई विमाणाई, तिरियं जाव मणुस्सखेत्तं, एवं जाव अणुत्तरोववाइया । एवं कम्मयसरीरं भाणियव्वं ॥ २३४ ॥ भेय विसयसंठाणे, अभितर बाहिरे य देसोही । ओहिस्स बुड्डिहाणी, पडिवाई चेव अपडिवाई ॥ १ ॥ २३५ ॥ कइविहे गं भंते ! ओही प० ? गोयमा ! दुविहा प०-भवपच्चइए य खओवसमिए य, एवं सव्वं ओहिपदं भाणियव्वं ॥ २३६ ॥ सीया य दव्व सारीर साता तह वेयणा भवे दुक्खा । अव्भुवगमुवकमिया णीयाए चेव अणियाए ॥ १ ॥नेरइया णं भंते ! किं सीतं वेयणं वेयंति उसिणं वेयणं चेयंति सीतोसिणं वेयणं वेयंति ? गोयमा ! नेरइया० एवं चेव वेयणापदं भाणियवं ॥ २३७ ॥ कइ णं भंते ! लेसाओ पन्नत्ताओ? गोयमा ! छ लेसाओ पन्नत्ताओ, तं जहा-किण्हा नीला काऊ तेऊ पम्हा सुक्का, एवं लेसापयं भाणियव्वं ॥ २३८ ॥ अणंतरा य आहारे, आहाराभोगणा इय । पोग्गला नेव जाणति, अज्झवसाणे य सम्मत्ते ॥ १॥ नेरइया णं भंते ! अणंतराहारा तओ निव्वत्तणया तओ परियाइयगया तओ परिणामणया तओ परियारणया तओ पच्छा विकुव्वणया ? हता गोयमा ! एवं आहारपदं भाणियव्वं ॥ २३९ ॥ कइविहे णं भंते ! आउगवंधे प० ? गोयमा ! छविहे आउगवंधे प०, तं जहा-जाइनामनिहत्ताउए गतिनाम'निहत्ताउए ठिइनामनिहत्ताउए पएसनामनिहत्ताउए अणुभागनामनिहत्ताउए ओगाहणानामनिहत्ताउए । नेरइयाणं भंते ! कइविहे आउगवंधे प० ? गोयमा ! छविहे प०, तं जहा-जातिनामनिहत्ताउए गइनामनिहत्ताउए ठिइनामनिहत्ताउए पएसनामनिहत्ताउए अणुभागनामनिहत्ताउए ओगाहणानामनिहत्ताउए। एवं जाव वेमाणियाणं ॥ २४० ॥ निरयगई णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं प०? गोयमा ! जहन्नेणं एक समयं उक्नोसेणं वारस मुहुत्ते, एवं तिरियगई मणुस्सगई देवगई। सिद्धिगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया सिज्झणयाए प० ? गोयमा! जहन्नणं एवं समयं उनोसेणं छम्मासे, एवं सिद्धिवजा उव्वट्टणा । इमीसे गं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया केवइयं कालं विरहिया उववाएणं ? एवं उववायदंडओ तरा य आहाया णं भंते ! अगया तओ पच्छा भंते ! आउ Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ३७६ [समवाए भाणियन्वो उव्वट्टणादंडओ य । नेरइया णं भंते ! जातिनामनिहत्ताउगं कति आगरिसेहिं पगरंति ? गोयमा ! सिय १ सिय २ सिय ३ सिय ४ सिय ५ सिय ६ सिय ७ सिय अहिं, नो चेव णं नवहिं । एवं सेसाण वि आउगाणि जाव वेमाणिय त्ति ॥ २४१ ॥ कइविहे णं भंते ! संघयणे पन्नत्ते ? गोयमा ! छबिहे संघयणे पन्नत्ते, तं जहा-वइरोसभनारायसंघयणे रिसभनारायसंघयणे नारायसंघयणे अद्धनारायसंघयणे कीलियासंघयणे छेवट्ठसंघयणे । नेरइया णं भंते ! किंसंघयणी ? गोयमा ! छण्हं संघयणाणं असंघयणी णेव अहिणेव छिरा व पहारू जे पोग्गला अणिठ्ठा अकंता अप्पिया अणाएजा असुभा अमणुण्णा अमणामा अमणाभिरामा ते तेसिं असंघयणत्ताए परिणमंति । असुरकुमाराणं भंते ! किंसंघयणा प० ? गोयमा! छण्हं संघयणाणं असंघयणी णेवट्ठी व छिरा णेव हारू जे पोग्गला इट्टा कंता पिया मणुण्णा मणामा मणाभिरामा ते तेसि असंघयणत्ताए परिणमंति, एवं जाव थणियकुमाराणं । पुढवीकाइया णं भंते ! किंसंघयणी प० ? गोयमा ! छेवट्ठसंघयणी प०, एवं जाव संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणिय त्ति । गब्भवतिया छव्विहसंघयणी, संमुच्छिममणुस्सा छेवट्ठसंघयणी, गम्भवनंतियमणुस्सा छव्विहे संघयणे प० । जहा असुरकुमारा तहा वाणमंतरजोइसियवेमाणिया य॥ २४२ ॥ कइविहे णं भंते ! संठाणे पन्नत्ते ? गोयमा छविहे संठाणे पन्नत्ते, तं जहा-समचउरंसे १ णिग्गोहपरिमंडले २ साइए ३ वामणे ४ खुजे ५ हुंडे ६ । रइया णं भंते ! किंसठाणी प० ? गोयमा ! हुंडसंठाणी-प० । असुरकुमारा णं भंते ! किंसंठाणी प० ? गोयमा ! समचउरंससंठाणसंठिया प०, एवं जाव थणियकुमारा । पुढवी मसूरसंठाणा प०, 'आऊ थिवुयसंठाणा प०, तेऊ सूइकलावसेठाणा प०, वाऊ पडागासंठाणा-प०, वणस्सई नाणासंठाणसंठिया प०, बेइंदियतेइंदियचउरिंदियसंमुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खा हुंडसंठाणा प०, गब्भवतिया छव्विहसंठाणा प०, संमुच्छिममणुस्सा हुंडसंठाणसंठिया प०, गम्भवक्त्रंतियाणं मणुस्साणं छव्विहा संठाणा प० । जहा असुरकुमारा तहा वाणमंतरजोइसियवेमाणिया वि ॥ २४३ ॥ कइविहे गं भंते ! वेए पन्नत्ते ? गोयमा ! तिविहे वेए प०, तं जहा-इत्थीवेए पुरिसवेए नपुंसवेए। नेरइया णं-भंते ! कि इत्थीवेया पुरिसवेया णपुंसगवेया प०? गोयमा ! णो इत्थीवेए णो पुंवेए णपुंसगवेया प० । असुरकुमारा णं भंते ! किं इत्थीवेया पुरिसवेया नपुंसगवेया 2 गोयमा! इत्थीवेया पुरिसवेया णो णपुंसगवेया, जाव थणियकुमारा, पुढवी आऊ तेऊ वाऊ वणस्सई बितिचउरिदियसमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खसंमुच्छिममणुस्सा णपुंसगवेया, गन्भवतियमणुस्सा पंचिंदियतिरिया Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तित्थयरपुच्चभवणामधेजा] सुत्तागमे य तिवेया, जहा असुरकुमारा तहा वाणमंतरा जोइसियवेमाणिया वि ॥ २४४ ॥ ते णं काले णं ते णं समए णं कप्पस्स समोसरणं णेयव्वं, जाव गणहरा सावचा निरवच्चा वोच्छिण्णा ॥ २४५ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे तीआए उस्सप्पिणीए सत्त कुलगरा होत्था, तं जहा-मित्तदामे सुदामे य, सुपासे य सयंपभे। विमलघोसे सुघोसे य, महाघोसे य सत्तमे ॥ १ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे तीयाए ओसप्पिणीए दस कुलगरा होत्था, तं जहा-सयंजले सयाऊ य, अजियसेणे अणंतसेणे य । कजसेणे भीमसेणे, महाभीमसेणे य सत्तमे ॥ २॥ दढरहे दसरहे सयरहे ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए समाए सत्त कुलगरा होत्था, तं जहा-पढमेत्थ विमलवाहण [चक्खुम जसमं चउत्थमभिचंदे । तत्तो य पसेणईए मरुदेवे चेव नाभी य ॥ ३ ॥] एतेसि णं सत्तण्हं कुलगराण सत्त भारिया होत्था, तं जहा-चंदजसा चंदकंता [सुरूव पडिरूव चक्खुकंता य । सिरिकंता मरुदेवी कुलगरपत्तीण णामाई ॥ ४ ॥] २४६ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे णं ओसप्पिणीए चउवीसं तित्थगराणं पियरो होत्था, तं जहा-णाभी य जियसत्तू य[जियारी संवरे इय । मेहे धरे पइटे य महसेणे यखत्तिए ॥ ५॥ सुग्गीवे दढरहे विण्हू वसुपुजे य खत्तिए । कयवम्मा सीहसेणे भाणू विस्ससेणे इय ॥ ६॥ सूरे सुदंसणे कुंभे, सुमित्तविजए समुद्दविजए य । राया य आससेणे य सिद्धत्थेच्चिय खत्तिए ॥ ७॥] उदितोदियकुलवंसा विसुद्धवंसा गुणेहि उववेया। तित्थप्पवत्तयाणं एए पियरो जिणवराणं ॥ ८॥ जंबुद्दीने णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए चउ. वीसं तित्थगराणं मायरो होत्था, तं जहा-मरुदेवी विजया सेणा [सिद्धत्था मंगला सुसीमा य । पुहवी लखणा रामा नंदा विण्हू जया सामा ॥ ९ ॥ सुजसा सुब्वय अइरा सिरिया देवी पभावई परमा। वप्पा सिवा य वामा तिसला देवी य जिणमाया ॥ १० ॥] २४७ ॥ जंबुद्दीवे णं दीव भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए चउवीसं तित्थगरा होत्था, तं जहा-उसभ अजिय सभव अभिनंदण सुमइ पउमप्पह सुपास चंदप्पभ सुविहि-पुप्फदंत सीयल सिजंस वासुपुज्ज विमल अणंत धम्म संति कुंथु अर मल्लि मुणिसुव्वय णमि मि पास वड्डमाणो य ॥ २४८ ।। एएसिं चउवीसाए तित्थगराणं चउव्वीसं पुत्वभवया णामधेया होत्था, तं जहा-पढमेत्थ वइरणाभे विमले तह विमलवाहणे चेव । तत्तो य धम्मसीहे, सुमित्त तह धम्ममित्ते य ॥ ११ ॥ सुंदरवाहु तह दीहवाहु जुगवाहू लट्ठवाह य । दिण्णे य इंददत्ते सुंदर माहिंदरे चेव ॥ १२ ॥ सीहरहे मेहरहे रुप्पी अ सुदंसणे य वोद्धव्वे । तत्तो य नंदणे खलु सीहगिरी चेव वीसइमे ॥ १३॥ अदीणसत्तु संखे सुदंसणे नंदणे य Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ समवाए ३७८ वोद्धव्वे । ओसप्पिणीए एए तित्थकराणं तु पुव्वभवा ॥ १४ ॥ २४९ ॥ एएसि णं चउव्वीसाए तित्थगराणं चउव्वीसं सीयाओ होत्था, तं जहा-सीया सुदंसणा सुप्पभा न्य सिद्धत्थ सुप्पसिद्धा य | विजया य वेजयंती जयंती अपराजिया चेव ॥ १५ ॥ अरुणप्पभ चंदप्पभ सूरप्पह अग्गि सुप्पभा चेव । विमला य पंचवण्णा सागरदत्ता य णागदत्ता य ॥ १६ ॥ अभयकर निव्वुइकरा मणोरमा तह मणोहरा चेव । देवकुरूत्तरकुरा विसाल चंदप्पभा सीया ॥ १७ ॥ एआओ सीआओ सव्वेसि चेव जिणवरिंदाणं । सव्वजगवच्छलाणं सव्वोउगसुभाए छायाए ॥ १८ ॥ पुि ओक्खित्ता माणुसेहिं साह (ड) रोमकूवेहिं । पच्छा वहति सीअं असुरिंदसुरिंदनागिंदा ॥ १९ ॥ चलचवलकुंडलधरा सच्छंदविउव्वियाभरणधारी । सुरअसुरवंदि - आणं वहंति सीअं जिणंदाणं ॥ २० ॥ पुरओ वहंति देवा नागा पुण दाहिणम्मि पासम्मि । पञ्चच्छिमेण असुरा गरुला पुण उत्तरे पासे ॥ २१ ॥ उभो अ विणीयाए बारवईए अरिट्ठवरणेमी । अवसेसा तित्थयरा निक्खंता जम्मभूमीसु ॥ २२ ॥ सव्वे वि एगदूसेण [णिग्गया जिणवरा चउव्वीसं । ण य णाम अण्णलिंगे ण य गिहिलिंगे कुलिंगे य ॥ २३ ॥ ] एको भगवं वीरो [ पासो मल्ली य तिहि तिहि सएहिं । भगवं पि वासुपुज्जो छहिं पुरिससएहिं निक्खतो ॥ २४ ॥ ] उग्गाणं भोगाणं राइण्णाणं [ च खत्तियाणं च । चउहि सहस्सेहिं उसभी सेसा उ सहस्सपरिवारा ॥ २५ ॥] सुमइत्थ णिच्चभत्तेण[णिग्गओ वासुपुज्ज चोत्थेगं । पासो मल्ली य अट्टमेण सेसा उछट्टेणं ॥ २६ ॥ ] एएसिं गं चउव्वीसाए तित्थगराण चउव्वीसं पढमभिक्खादायारो होत्था, तं जहा- सिजंस वंभदत्ते सुरिददत्ते य इंददत्ते य । परमे य सोमदेवे माहिंदे तह सोमदत्ते य । पुस्से पुणव्वसू पुण्णणंद सुणंदे जये य विजये य । तत्तो य धम्मसीहे सुमित्त तह वग्गसीहे अ ॥ २७ ॥ अपराजिय विस्ससेणे वीसइमे होइ उसभसेणे य । दिण्णे वरदत्ते धणे वहुले य आणुपुव्वीए ॥ २८ ॥ एए विसुद्धलेसा जिणवरभत्तीइ पंजलिउडा उ । तं कालं तं समयं पडिलाई जिणवरिंदे ॥ २९ ॥ संवच्छरेण भिक्खा लद्धा उसभेण लोयणाहेण । सेसेहि वीयदिवसे लद्धाओ पढमभिक्खाओ || ३० ॥ उसभस्स पढमभिक्खा खोयरसो आति लोगणाहस्स । सेसाणं परमण्णं अमियरसरसोवमं आसि ॥ ३१ ॥ सव्वेसिं पि जिणाणं जहियं लद्दाउ पढमभिक्खाउ । तहियं वसुधाराओ सरीरमेत्तीओ चुट्टाओ ॥ ३२ ॥ २५० ॥ एएसिं चउव्वीसाए तित्थगराणं चउवीसं चेइयरुक्खा [वद्धपीढरक्खा जेसिं अहे केवलाई उप्पण्णाई ति] होत्या, तं जहा-णग्गोह सत्तिवण्णे सारे पियएपियंगु छत्ताहे । तिरिसे य णागरुक्खे माली य पिलंक्खुरुक्खे य ॥३३॥ Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चकहर हलहरपियरनामाई ] सुत्तागमे ३७९ तिदुग पाडल जंबू आसत्ये खलु तहेव दहिवण्णे । गंदीरक्खे तिलए अंवयस्क्खे असोगे य ॥ ३४ ॥ चंपय वडले य तहा वेडसरुवखे य धामईस्क्खे | साठे य चमाणस्त चेइयरक्खा जिणवराणं ॥ ३५ ॥ बत्तीसं धणुयाई चेइयस्क्खो य चद्धमाणस्स । णिच्चोउगो असोगो ओच्छण्णो सालस्वखेणं ॥ ३६ ॥ तिण्णे व गाउआईं चेइयरुक्खो जिणस्स उसभस्स । सेसाणं पुण रुक्खा सरीरओ वारसगुणा उ ॥ ३७ ॥ सच्छत्ता सपडागा सवेइया तोरणेहिं उववेया । सुरअसुरगरुलमहिया चेइयरुक्खा जिणवराणं ॥ ३८ ॥ २५१ ॥ एएसिं चउवीसाए तित्थगराणं चउव्वीसं पदमसीसा होत्था, तं जहा- पढमेत्थ उसभसेणे बीइए पुण होइ सीहसेणे य । चारू य वज्जणाभे चमरे तह सुव्वय विदव्भे ॥ ३९ ॥ दिण्णेय वराहे पुण आणंदे गोभे सुहम्मे य । मंदर जसे अरिट्टे चक्काह सयंभु कुंभे य ॥ ४० ॥ इंदे कुंभे सुभे वरदत्ते दिष्ण इंदभूई य । उदितोदितकुलवंसा विसुद्धवंसा गुणेहि उववेया । तित्थप्पवत्तयाणं पढमा सिस्सा जिणवराणं ॥ ४१ ॥ २५२ ॥ एएसि णं चउवीसाए तित्थगराणं चउवीसं पढमसिस्सिणी होत्था, तं जहा - वंभी य फग्गु सामा अजिया कासवीरई सोमा । सुमणा वारुणि सुलसा धारणि धरणी य धरणिधरा ॥ ४२ ॥ परमा सिवासुयी तह अंजुया भावियप्पा य रक्खी य । वंधुवती पुप्फवती अजा अमिला य अहिया य ॥ ४३ ॥ जक्खिणी पुप्फचूला य चंदणऽज्जा य आहियाउ । उदितोदितकुलवंसा विसुद्धवंसा गुणेहिं उववेया । तित्थप्पवत्तयाणं पढमा सिस्सी जिणवराणं ॥ ४४ ॥ २५३ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए बारह चक्कवट्टिपियरो होत्था, तं जहा उसमे सुमित्ते विजए समुद्दविजए य आससेणे य | विस्ससेणे य सूरे सुदंसणे कत्तवीरिए चेव ॥ ४५ ॥ परमुत्तरे महाहरी विजए राया तव य । वंभे वारसमे उत्ते पिउनामा चक्कवट्टीगं ॥ ४६ ॥ २५४ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए वारस चक्कवट्टिमायरो होत्था, तं जहा - सुमंगला जसवती भद्दा सहदेवी अइरा सिरिदेवी । तारा जाला ( जाला तारा ) मेरा वप्पा चुहणि अपच्छिमा ॥ २५५ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इसे ओसप्पिणीए वारस चक्कवट्टी होत्था, तं जहा - भरहो सगरो मघवं [सणकुमारो -य रायस लो। संती कुंथू य अरो हवइ सुभूमो य कोरव्वो ॥ ४७ ॥ नवमो य महापउमो हरिसेणो चेव रायसधूलो । जयनामो य नरवई, वारसमो बंभदत्तो य ॥ ४८ ॥ ] एएसं वारसहं चक्कवट्टीणं वारस इत्थिरयणा होत्था, तं जहा - पढमा होइ सुभद्दा भद्द सुणंदा जया य विजया य। किण्हसिरी सूरसिरी पउमसिरी वसुंधरा देवी ॥ ४९ ॥ लच्छिमई कुस्मई इत्थिरयणाण नामाई ॥ २५६ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [समवाए भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए नववलदेवनववासुदेवपियरो होत्था, तं जहा-पया. वई य वंभो [सोमो रुद्दो सिवो महसिवो य । अग्गिसिहो य दसरहो नवमो भणिओ य वसुदेवो ॥५०॥] जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओस प्पिणीए णव वासुदेवमायरो होत्था, तं जहा-मियावई उमा चेव पुहवी सीया य अम्मया । लच्छिमई सेसमई केकई देवई तहा ॥ ५१ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए णवबलदेवमायरो होत्था, तं जहा-भद्दा तह सुभद्दा य सुप्पभा य सुदंसणा । विजया वेजयंती य जयंती अपराजिया ॥ ५२ ॥ णवमीया रोहिणी य बलदेवाण मायरो ॥ २५७ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए नव दसारमंडला होत्था, तं जहा-उत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी छायंसी कंता सोमा सुभगा पियदंसणा सुरुआ सुहसीलसुहाभिगमसव्वजणणयणकंता ओहबला अतिबला महावला अनिहता अपराइया सत्तुमद्दणा रिपुसहस्समाणमहणा साणुकोसा अमच्छरा अचवला अचंडा मियमंजुलपलावहसियगंभीरमधुरपडिपुण्णसञ्चवयणा अन्भुवगयवच्छला सरण्णा लक्खणवंजणगुणोववेआ माणुम्माणपमाणपडिपुण्णसुजायसव्वंगसुंदरंगा ससिसोमागारकंतपियदंसणा अमरिसणा पयंडदंडप्पयारा(र)गंभीरदर (रि)सणिज्जा तालद्धओव्विद्धगरुलकेऊ महाधणुविकट्टया महासत्तसाअरा दुद्धरा धणुद्धरा धीरपुरिसा जुद्धकित्तिपुरिसा विउलकुलसमुभवा महारयणविहाडगा अद्धभरहसामी सोमा रायकुलवंसतिलया अजिया अजियरहा हलमुसलकणकपाणी संखचक्कगयसत्तिनंदगधरा पवरुजलसुकंतविमलगोत्युभतिरीडधारी कुंडलउज्जोइयाणणा पुंडरीयणयणा एकावलिकंठलइयवच्छा सिरिवच्छसुलंछणा वरजसा सव्वोउयसुरभिकुसुमरचितपलंबसोमंतकंतविकसंतविचित्तवरमालरइयवच्छा अट्ठसयविभत्तलक्खणपसत्थसुंदरविरइयंगमंगा मत्तगयवरिंदललियविकमविलसियगई सारयनवथणियमहुरगंभीरकुंचनिग्घोसदुंदुभिसरा कडिसुत्तगनीलपीयकोसेजवाससा पवरदित्ततेया नरसीहा नरवई नरिंदा नरवसहा मस्यवसभकप्पा अब्भहियरायतेयलच्छीए दिप्पमाणा नीलगपीयगवसणा दुवे दुवे रामकेसवा भायरो होत्था, तं जहा-तिविट्ठ जाव कण्हे अयले जाव रामे यावि अपच्छिमे ॥५३॥२५८॥ एएसि णं णवण्हं वलदेववासुदेवाणं पुव्वभविया नव नामधेजा होत्था, तं जहाविस्सभूई पव्वयए धणदत्त समुद्ददत्त इसिवाले । पियमित्त ललियमित्ते पुणव्वसू गंगदत्ते य ॥ ५४ ॥ एयाइं नामाइं पुव्वभवे आसि वासुदेवाणं । एत्तो बलदेवाणं जहक्कम कित्तइस्सामि ॥ ५५ ॥ विसनंदी य सुबंधू सागरदत्ते असोगललिए य । वाराह धम्मसेणे अपराइय रायललिए य ॥५६ ॥ २५९ ॥ एएसि नवण्हं वलदेव Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भणागयतित्थयरणामधेजा] सुत्तागमे ३८१ वासुदेवाणं पुव्वभाविया नव धम्मायरिया होत्था, तं जहा-संभूय सुभद्द सुदंसणे य सेयंस कण्ह गंगदत्ते अ । सागरसमुद्दनामे दुमसेणे य णवमए ॥ ५७ ॥ एए धम्मायरिया कितपुरिसाण वासुदेवाणं । पुन्वभवे एआसिं जत्थ नियाणाई कासी य ॥ ५८ ॥ २६० ॥ एएसिं नवग्हं वासुदेवाणं पुत्वभवे नव नियाणभूमिओ होत्था, तं जहा-महुरा य० हत्थिणारं च ॥ ५९ ॥ २६१ ॥ एएसि णं नवण्हं वासुदेवाणं नव नियाणकारणा होत्था, तं जहा-गावी जुवे जाव माउआ ॥ ६० ॥ २६२ ॥ एएसिं नवण्हं वासुदेवाणं नव पडिसत्तू होत्था, तं जहा-अस्सग्गीवे जाव जरासंधे ॥ ६१ ॥ एए खलु पडिसत्तू जाव सचक्केहिं ॥ ६२ ॥ एक्लो य सत्तमीए पंच य छडीए पंचनी एको । एको य चरस्थीए कण्हो पुण तच्चपुढवीए ॥ ६३ ॥ अणिदाणकडा रामा [सव्वे वि य केसवा नियाणकडा । उडुंगामी रामा केसव सव्वे अहोगामी ॥ ६४ ॥] अटुंतकडा रामा एगो पुण बंभलोयकप्पम्मि । एका से गन्भवसही सिज्झिस्सइ आगमिस्सेणं ॥ ६५ ॥ २६३ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे एरवए वासे इमोसे ओसप्पिणीए चउव्वीसं तित्थयरा होत्था, तं जहा-चंदाणणं सुचंदं अग्गीसेणं च नंदिसेणं च । इसिदिण्णं वइ(व)हारिं वंदिमो सोमचंदं च ॥६६॥ वंदामि जुत्तिसेणं अजियसेणं तहेव सिवसेणं । बुद्धं च देवसम्म सययं निक्खित्तसत्यं च ॥ ६७ ॥ असंजलं जिणवसहं वंदे य अणतयं अमियणाणिं । उवसंतं च धुयरयं वंदे खलु गुत्तिसेणं च ॥ ६८ ॥ अतिपासं च सुपासं देवेसरवंदियं च मरुदेवं । निव्वाणगयं च ध(वोरं खीणदुहं सामकोट्टं च ॥६९॥ जियरागमग्गिसेणं वंदे खीणरायमग्गिउत्तं च । वोकसियपिज्जदोसं वारिसेणं गयं सिद्धिं ॥ ७० ॥ २६४ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए भारहे वासे सत्त कुलगरा भविस्संति, तं जहा-मियवाहणे सुभूमे य सुप्पभे य सयंपभे। दत्ते सुहुमे सुवंधू य आगमिस्साण होक्खति ॥ ७१ ॥ ॥ २६५ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए एरवए वासे दस कुलगरा भविस्संति, तं जहा-विमलवाहणे सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे दढधणू दसधणू सयधणू पडिसूई सुमइ त्ति ॥ २६६ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए चउवीसं तित्थगरा भविस्संति, तं जहा-महापउमे सूरदेवे, सुपासे य सयंपभे । सव्वाणुभूई अरहा, देवस्सुए य होक्खई ॥ ७२ ॥ उदए पेढालपुत्ते य, पोट्टिले सत(त्त)कित्ति य । मुणिसुव्वए य अरहा, सव्वभावविऊ जिण ॥ ७३ ॥ अममे णिकसाए य, निप्पुलाए य निम्ममे । चित्तउत्ते समाही य, आगमिस्सेण होक्खई ॥ ७४ ॥ संवरे (जसोहरे) अणियट्टी य, विजए विमलेति य । देवोववाए अरहा, अगंतविजए इय ॥ ७५ ॥ एए वुत्ता चउव्वीसं, भरहे वासम्मि Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૦૨ सुत्तागमे [ समवाए केवली । आगमिस्से होक्खंति, धम्मतित्यस्स देसगा ॥ ७६ ॥ २६७ ॥ एएसि णं चउव्वीसाए तित्थकराणं पुव्वभविया चउव्वीसं नामवेजा भविस्संति, तं जहासेणिय सुपास उदए पोट्टिल अणगार तह दढाऊ य । कत्तिय संखे य तहा नंद सुनंदे य सतए य ॥ ७७ ॥ वोद्धव्वा देवई य सच्चइ तह वासुदेव बलदेवे । रोहिणि सुलसा चेव तत्तो खलु रेवई चेव ॥ ७८ ॥ ततो हवइ सयाली वोद्धव्वे खलु तहा भयाली य । दीवायणे य कण्हे तत्तो खलु नारए चेव ॥ ७९ ॥ अंवड दारुमडे य साईवुद्धे य होइ वोद्धव्वे । भावीतित्थगराणं णामाई पुव्वभवियाई ॥ ८० ॥ २६८ ॥ एएसि णं चउव्वीसाए तित्थगराणं चउव्वीसं पियरो भवि - स्संति, चउव्वीसं मायरो भविस्संति, चउव्वीसं पढमसीसा भविस्संति, चउव्वीसं पढमसिस्सणीओ भविस्संति, चउव्वीसं पढमभिक्खादायगा भविस्संति, चउव्वीसं चेइयस्क्खा भविस्संति ॥ २६९ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए वारस चक्कवट्टिणो भविस्संति, तं जहा भरहे य दीहदंते गूढदंते य सुद्धदंतेय । सिरिउत्ते सिरिभूई सिरिसोमे य सत्तमे ॥ ८१ ॥ पउमे य महापउमे विमलवाहणे विपुलवाहणे चेव । वरिट्ठे वारसमे वृत्ते आगमिसा भरहाहिवा ॥ ८२ ॥ एएसि णं बारसहं चक्कवट्टीणं वारस पियरो भविस्संति बारस मायरो भविस्संति बारस इत्थीरयणा भविस्संति ॥ २७० ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे आगमि - स्साए उस्सप्पिणीए नव वलदेववासुदेवपियरो भविस्संति, नव वासुदेवमायरो भविस्संति, नव वलदेवमायरो भविस्संति, नव दसारमंडला भविस्संति, तं जहाउत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा ओयंसी तेयंसी एवं सो चेव वण्णओ भाणियव्वो जाव नीलगपीतगवसणा दुवे दुवे रामकेसवा भायरो भविस्संति, तं जहा - नंदे य नंदमित्ते दीहबाहू तहा महावाहू । अइवले महाबले बलभद्दे य सत्तमे ॥ ८३ ॥ दुविट्ठू यतिवि य आगमिस्साण विण्हुणो । जयंते विजये भद्दे सुप्पभे य सुदंसणे । आणंदे नंदणे पउमे संकरिसणे य अपच्छिमे ॥ ८४ ॥ २७१ ॥ एएसि णं नवहं वलदेव वासुदेवाणं पुव्वभविया णव नामवेज्जा भविस्संति, नव धम्मायरिया भविस्संति, नव नियाणभूमीओ भविस्संति, नव नियाणकारणा भविस्संति, नव पडिसत्तू भविस्संति, तं जहा - तिलए य लोहजंघे वइरजंघे य केसरी पहराए । अपराइए य भीमे महाभीमे य सुग्गीवे ॥ ८५ ॥ एए खलु पडिसत्तू कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं । सव्वे वि चक्कजोही हम्मिहिंति सचक्केहिं ॥ ८६ ॥ २७२ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे एरवए वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए चउव्वीसं तित्थगरा भविस्संति, तं जहा - सुमंगले अ सिद्धत्थे, निव्वाणे य महाजसे । धम्मज्झए य अरहा, आग -- 1 Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सेसं समवायस्स] सुत्तागमे ३८३ मिस्साण होक्खई ॥ ८७ ॥ सिरिवंदे पुप्फकेऊ, महाचंदे य केवली । सुयसायरे य अरहा, आगमिस्साण होक्खई ॥ ८८ ॥ सिद्धत्थे पुण्णघोले य, महाघोसे य केवली । सच्चसेणे य अरहा, आगमिस्साण होक्खई ॥ ८९ ॥ सूरसेणे य अरहा, महासेणे य केवली। सव्वागंदे य अरहा, देवउत्ते य होक्खई ॥ ९० ॥ सुपासे सुव्वए अरहा, अरहे य नुकोसले । अरहा अणंतविजए, आगमिस्साण होक्खई ॥ ९१ ॥ विमले उत्तरे अरहा, अरहा य महावले । देवाणंदे य अरहा, आगमिस्साण होक्खई ॥ ९२ ॥ एए वुत्ता चव्वीसं, एरवयंमि केवली । आगमिस्साण होक्खंति, धम्मतित्यस्स देसगा ॥ ९३ ॥ २७३ ॥ बारस चकवट्टिणो भविस्संति, वारस चक्कवष्टिपियरो भविस्संति, वारस चकवहिमायरो भविस्संति, वारस इत्थीरयणा भविस्संति ॥ नव वलदेववासुदेवपियरो भविस्संति, णव वासुदेवमायरो भविस्संति, णव बलदेवमायरो भविस्संति, णव दसारमंडला भविस्संति, तं जहा-- उत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा जाव दुवे दुवे रामकेसवा भायरो भविस्संति, णव पडिसत्तू भविस्तंति, नव पुत्वभवणामधेजा, नव धम्मायरिया, णव णियाणभूमीओ, णव णियाणकारणा, आयाए एरवए आगमिस्साए भाणियव्वा । एवं दोसु वि आगमिस्साए भाणियव्वा ॥ २७४ ॥ इचेयं एवमाहिनंति, तं जहाकुलगरवंसेइ य एवं तित्थगरवंसेइ य चकवटिवसेइ य दसारवंसेइ य गणधरवंसेइ य इसिवंसेइ य जइवंसेइ य मुणिवंसेइ य । नुएइ वा सुअंगेइ वा सुयसमासेइ वा सुयखंधेइ वा समवाएइ वा संखेइ वा सम्मत्तमंगमक्खायं अज्जयणं ति वेमि ॥२७॥ समवायं चउत्थमंगं समत्तं ॥ Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई . णमोऽत्यु णं समणस्स भगवओ णायपुत्तमहावीरस्स भगवई-विवाहपण्णत्ती णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्वसाहूणं ॥ १ ॥ णमो वंभीयस्स लिवीयस्स ॥ २ ॥ णमो मुयस्स ॥ ३॥ ते गं काले णं ते णं समए णं रायगिहे नामं णयरे होत्था, वण्णओ, तस्स णं रायगिहस्स णगरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए गुणसिलए णाम उज्जाणे होत्था, सेणिए राया, चिलणा देवी ॥ ४ ॥ ते णं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थगरे सहसंयुद्धे पुरिसुत्तमे पुरिससीहे पुरिसवरपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थीए लोगुत्तमे लोगनाहे लोगप्पदीवे लोगपज्जोयगरे अभयदए चक्खुदए मग्गदए सरणदए [ धम्मदए ] धम्मदेसए धम्मसारहीए धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी अप्पडियवरनाणदंसणधरे वियदृछउमे जिणे जाणए बुद्धे वोहए मुत्ते मोयए सव्वनू सव्वदरिसी सिवमयलमख्यमणंतमक्खयमव्वाबाहमपुणरावत्तयं सिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपाविउकामे जाव समोसरणं ॥५॥ परिसा निग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा 'पडिगया ॥ ६॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूती नामं अणगारे गोयमसगोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए वजरिसहनारायसंघयणे कणगपुलगणिघसपम्हगोरे उग्गतवे दित्ततवे तत्ततवे महातवे “ओराले घोरे घोरगुणे घोरतवस्सी घोरबंभचेरवासी उच्छूढसरीरे संखित्तविउलतेयलेसे चोदसपुव्वी चउनाणोवगए सव्वक्खरसन्निवाई समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते उद्बुजाणू अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ ७ ॥ तए णं से भगवं गोयमे जायसड्ढे जायसंसए जायकोउहल्ले उप्पन्न-सड्ढे उप्पन्नसंसए उप्पन्नकोउहल्ले संजायसड्ढे संजायसंसए संजायकोउहल्ले समुप्पन्नसड्ढे समुप्पन्नसंसए समुप्पन्नकोउहल्ले उठाए उठेइ उठाए उठेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आया"हिणपयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ २ त्ता णचासन्ने णाइदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पजुवासमाणे एवं वयासी-से नूणं भंते ! चलमाणे चलिए १, उदीरिजमाणे उदीरिए २, वेइंजमाणे वेइए ३, पहिज्जमाणे पहीणे १ रायगिह चलण दुक्खे कंखपओसे य पगइ पुढवीओ, जावंते नेरइए वाले -गुरुए य चलणाओ ॥ १ ॥ Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८५ वि०प० स० १ उ० १] सुत्तागमे ४, छिजमाणे छिन्ने ५, भिन्जमाणे भिन्ने , दड्ड (डज्झ) माणे दड्ढे ७, मिजमाणे मए ८, निजरिजमाणे निजिन्ने ९, हंता गोयमा ! चलमाणे चलिए जाव णिज्जरिज्जमाणे णिजिण्णे ॥ एए गं भंते ! नव पया किं एगट्ठा णाणाघोसा नाणावंजणा उदाहु नाणट्टा नाणाघोसा नाणावंजणा ?, गोयमा ! चलमाणे चलिए १ उदीरिजमाणे उदीरिए २ वेइज्जमाणे वेइए ३ पहिंजमाणे पहीणे ४ ते एए णं चत्तारि पया एगट्ठा नाणाघोसा नाणावंजणा उप्पन्नपक्खस्स, छिज्जमाणे छिन्ने भिज्जमाणे भिन्ने दड-(डज्झ)-माणे दड्ढे मिजमाणे मडे निजरिजमाणे निजिण्णे एए णं पंच पया णाणहा नाणाघोसा नाणावंजणा विगयपक्खस्स ॥ ८॥ नेरइयाणं भंते ! केवइकालं ठिई पन्नत्ता ? गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई प० १। नेरइयाण भंते ! केवइकालस्स आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा णीससंति वा ?, जहा ऊसासपए २ । नेरइया णं भंते आहारट्ठी ?, जहा पन्नवणाए पढमए आहारुद्देसए तहा भाणियव्वं ३ । ठिइ उस्सासाहारे किं वाऽऽहारेति ३६ सव्वओ वावि ३७ । कतिभागं ? ३८ सव्वाणि व ३९ कीस व भुजो परिणमंति? ४० ॥१॥९॥ नेरइयाणं भंते ! पुव्वाहारिया पोग्गला परिणया १? आहारिया आहारिजमाणा पोग्गला परिणया २१, अणाहारिया आहारिजिस्समाणा पोग्गला परिणया ३१, अणाहारिया अणाहारिजिस्समाणा पोग्गला परिणया ४१, गोयमा ! नेरइयाणं पुव्वाहारिया पोग्गला परिणया १, आहारिया आहारिजमाणा पोग्गला परिणया परिणमंति य २, अणाहारिया आहारिजिस्समाणा पोग्गला नो परिणया परिणमिस्संति ३, अणाहारिया अणाहारिजिस्समाणा पोग्गला नो परिणता णो परिणमिस्संति ४ ॥ १०॥ नेरइयाणं भंते ! पुव्वाहारिया पोग्गला चिया पुच्छा, जहा परिणया तहा चियावि, एवं चिया उवचिया उदीरिया वेइया निजिन्ना, गाहापरिणय चिया उवचिय उदीरिया वेइया य निजिन्ना। एकेकमि पदमि(मी) चटविहा पोग्गला होति ॥१॥ ११॥ नेरइयाण भंते ! कइविहा पोग्गला भिजति ?, गोयमा ! कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहा पोग्गला भिज्जति, तंजहा-अणू चेव बायरा चेव १ । नेरइयाणं भंते ! कतिविहा पोग्गला चिजति ?, गोयमा! आहारदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहा पोग्गला चिज्जति, तंजहा-अणूं चेव वायरा चेव २ । एवं उवचिजति ३ । नेर० क. पो. उदीरेंति ?, गोयमा ! कम्मदव्ववग्गणमहिकिच दुविहे पोग्गले उदीरेंति, तंजहा-अणूं चेव वायरा चेव, सेसावि एवं चेच भाणियन्वा, एवं वेदेति ५ निजरेंति ६ उयटिंसु ७ उव्वटेति ८ उव्वहिस्संति ९ संकामिमु १० संकामेति ११ संकामिस्संति १२ निहत्तिंसु १३ निहत्तेति १४ निह २५ सुत्ता. Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८६ सुत्तागमे [भगवई त्तिस्संति १५ निकायंसु १६ निकायंति १७ निकाइस्संति १८, सव्वेसुवि कम्मदव्ववग्गणमहिकिच गाहा-भेइयचिया उवचिया उदीरिया वेइया य निजिन्ना । उयट्टणसंकामणनिहत्तणनिकायणे तिविह कालो ॥ १ ॥ १२ ॥ नेरइयाणं भंते ! जे पोग्गले तेयाकम्मत्ताए गेहंति ते किं तीतकालसमए गेण्हंति ? पड्डुप्पन्नकालसमए गेहंति ? अणा० का० समए गेण्हंति ?, गोयमा ! नो तीयकालसमए गेण्हंति पडुप्पन्नकालसमए गेण्हंति नो अणा० समए गिण्हति १ । नेरइयाणं भंते ! जे पोग्गला तेयाकम्मत्ताए गहिए उदीरेंति ते किं तीयकालसमयगहिए पोग्गले उदीरेंति पडुप्पन्नकालसमए घेप्पमाणे पोग्गले उदीरेंति गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीरेंति ?, गोयमा ! अतीयकालसमयगहिए पोग्गले उदीरेंति नो पडप्पन्नकालसमए घेप्पमाणे पोग्गले उदीरेंति नो गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीरेंति २, एवं वेदेति ३ निजरेंति ॥ १३ ॥ नेरइयाणं भंते ! जीवाओ किं चलियं कम्मं बंधति अचलियं कम्सं वंधति ?, गोयमा ! नो चलियं कम्मं बंधति अचलियं कम्मं बंधति १ । नेरइयाणं भंते ! जीवाओ किं चलियं कम्मं उदीरेंति अचलियं कम्म उदीरेंति ?, गोयमा ! नो चलियं कम्मं उदीरेंति अचलियं कम्मं उदीरेंति २ । एवं वेदेति ३ उयटेंति ४ संकामेति ५ निहत्तेति ६ निकायेंति ७, सव्वेसु अचलियं नो चलियं । नेरइयाणं भंते ! जीवाओ किं चलियं कम्मं निजरेंति अचलियं कम्मं निजति ?, गोयमा! चलियं कम्मं निजरेंति नो अचलियं कम्मं निजरेंति ८, गाहा-बंधोदयवेदोयट्टसंकमे तह निहत्तणनिकाये । अचलियं कम्मं तु भवे चलियं जीवाउ निजरए ॥ १ ॥ १४ ॥ एवं ठिई आहारो य भाणियव्वो, ठिती-जहा ठितिपदे तहा भाणियव्वा, सव्वजीवाणं आहारोऽवि जहा पन्नवणाए पढमे आहारुद्देसए तहा भाणियव्वो, एत्तो आढत्तो-नेरइयाणं भंते ! आहारट्ठी ? जाव दुक्खत्ताए भुजो भुज्जो परिणमंति, गोयमा !० । असुरकुमाराणं भंते ! केवइयं कालं ठिई प०?, जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं सातिरेगं सागरोवमं, असुरकुमाराणं भंते । केवइयं कालस्स आणमंति वा पाणमंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं सत्तण्हं थोवाणं उनोसेणं साइरेगस्स पक्खस्स आणमंति वा पाणमंति वा, असुरकुमाराणं भंते ! आहारट्ठी?, हंता आहारट्ठी, असुरकुमाराणं भंते ! केवइकालस्स आहारटे समुप्पज्जइ ?, गोयमा ! असुरकुमाराणं दुविहे आहारे पन्नत्ते, तंजहा-आभोगनिव्वत्तिए य अणाभोगनिव्वत्तिए य, तत्थ णं जे से अणाभोगनिव्वत्तिए से अणुसमयं अविरहिए आहारट्टे समुप्पज्जइ, तत्थ णं जे से आभोगनिव्वत्तिए से जहन्नेणं चउत्थभत्तस्स उनोसेणं साइरेगस्स वाससहस्सस्स आहारटे समुप्पज्जइ, असुरकुमाराणं Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डी ?, हंता आहारा महत्तपत्तस्स आणमानात वा पा० १, गोयमा । वि० ५० स० १ उ०१] सुत्तागमे ३८७ भंते ! किमाहारमाहारेंति ?, गोयमा ! दव्वओ अणंतपएसियाई दव्वाइं खित्तकालभावपन्नवणागमेणं सेसं जहा नेरइयागं जाव तेणं तेसिं पोग्गला कीसत्ताए भुजो भुजो परिणमंति?, गोयमा। सोइंदियत्ताए सुरूवत्ताए सुवन्नत्ताए ४ इद्वत्ताए इच्छियत्ताए भिजियत्ताए उद्धृत्ताए णो अहत्ताए सुहत्ताए णो दुहत्ताए भुजो भुज्जो परिणमंति, असुरकुमारा गं पुवाहारिया पुग्गला परिणया असुरकुमाराभिलावेण जहा नेरइयाणं जाव नो अचलियं कम्मं निजरेंति । नागकुमाराणं भंते! केवइयं कालं ठिती प० ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्नोसेणं देसूणाई दो पलिओवमाइं, नागकुमाराणं भंते ! केवइकालस्स आणमंति वा पा०?, गोयमा ! जहन्नेणं सत्तण्हं थोवाणं उक्नोसेणं मुहुत्तपुहुत्तस्स आणमंति वा पा०, नागकुमाराणं आहारट्ठी ?, हंता आहारट्ठी, नागकुमाराणं भंते ! केवइकालस्स आहारढे समुप्पज्जइ ?, गोयमा! नागकुमाराणं दुविहे आहारे पन्नत्ते, तंजहा-आभोगनिव्वत्तिए य अणाभोगनिव्वत्तिए य, तत्थ णं जे से अणाभोगनिव्वत्तिए से अणुसमयमविरहिए आहारट्टे समुप्पजइ, तत्थ णं जे से आभोगनिव्वत्तिए से जहन्नेणं चउत्थभत्तस्स उक्नोसेणं दिवसपुहुत्तस्स आहारढे समुप्पज्जइ, सेसं जहा असुरकुमाराणं जाव नो अचलियं कम्मं निजरंति । एवं सुवनकुमारावि जाव थणियकुमाराणंति । पुढविक्काइयाणं भंते । केवइयं कालं ठिई प०?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वावीसं वाससहस्साइं, पुढविकाइया केवइकालस्स आणमंति वा पा० ?, गो० वेमाय० आणमंति वा पा० ? पुढविक्काइयाणं आहारट्ठी ?, हंता आहारट्ठी, पुढविक्काइयाणं केवइकालस्स आहारट्टे समुप्पज्जइ ?, गोयमा ! अणुसमयं अविरहिए आहारढे समुप्पज्जइ, पुढविक्काइया किमाहारेति !, गोयमा ! दव्वओ जहा नेरइयाणं जाव निव्वाघाएणं छदिसि वाघायं 'पडुच्च सिय तिदिसि सिय चउद्दिसि सिय पंचदिसि, वन्नओ कालनीलपीतलोहियहालिइसक्किल्लाणि, गंधओ सुरभिगंध २ रसओ तित्त ५ फासओ कक्खड ८ सेसं तहेव, णाणत्तं कइभागं आहारैति ? कइभागं फासाइंति ?, गोयमा ! असंखिज्जइभागं आहारेन्ति अणंतभागं फासाइंति जाव तेसि पोग्गला कीसत्ताए भुज्जो भुज्जो परिणमंति ?, गोयमा । फासिंदियवेमायत्ताए भुज्जो भुजो परिणमंति, सेसं जहा नेरइयाणं जाव नो अचलियं कम्मं निजरंति । एवं जाव वणस्सइकाइयाणं, नवरं ठिती वन्नेयव्वा जाव (इया) जस्स, उस्सासो वमायाए । बेइंदियाणं ठिई भाणियव्वा ऊसासो वेमायाए, बेइंदियाणं आहारे पुच्छा, गोयमा ! आभोगनिव्वत्तिए य अणाभोगनिव्वत्तिए य तहेव, तत्थ णं जे से आभोगनिव्वत्तिए से णं असंखेजसमए अंतोमुहुत्तिए वेमायाए आहारटे समु Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई अणासाइजमाणाणं अफासाइजमा सव्यत्योवा पुग्गला प्पजइ, सेसं तहेव जाव अणंतभागं आसायंति, बेइंदियाणं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हति ते किं सव्वे आहारेंति णो सव्वे आहारैति ?, गोयमा ! बेइंदियाणं दुविहे आहारे पन्नत्ते, तंजहा-लोमाहारे पक्खेवाहारे य, जे पोग्गले लोमाहारत्ताए गिण्हति ते सव्वे अपरिसेसिए आहारेंति, जे पोग्गले पक्खेवाहारत्ताए गिण्हंति तेसिणं पोग्गलाणं असंखिज्जइभागं आहारेंति अणेगाइं च णं भागसहस्साइं अणासाइजमाणाइं अफासिज्जमाणाइं विद्धंसमागच्छंति, एएसि णं भंते । पोग्गलाणं अणासाइजमाणाणं अफासाइजमाणाण य कयरे कयरे अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा! सव्वत्थोवा पुग्गला अणासाइजमाणा अफासाइजमाणा अगंतगुणा, बेइंदियाणं भंते ! जे पोग्गला आहारत्ताए गिण्हंति ते णं तेसिं पुग्गला कीसत्ताए भुज्जो भुजो परिणमंति ?, गोयमा! जिभिदियफासिदियवेमायत्ताए भुज्जो भुज्जो परिणमंति, बेइंदियाणं भंते ! पुन्वाहारिया पुग्गला परिणया तहेव जाव चलियं कम्मं निजरंति । तेइंदियचउरिंदियाणं णाणत्तं ठिइए जाव णेगाइं च णं भागसहस्साइं अणाघाइजमाणाइं अणासाइजमाणाई अफासाइज्जमाणाई विद्धंसमागच्छंति, एएसिणं भंते ! पोग्गलाणं अणाघाइज्जमाणाई ३ पुच्छा, गोयमा ! सव्वत्थोवा पोग्गला अणाघाइजमाणा अणासाइजमाणा अणंतगुणा अफासाइजमाणा अणंतगुणा, तेइंदियाणं घाणिदियजिभिदियफासिंदियवेमायाए भुजो २ परिणमंति, चउरिंदियाणं चक्खिदियघाणिदियजिभिदियफासिंदियत्ताए भुजो भुजो परिणमंति । पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं ठिई भणिऊणं ऊसासो वेमायाए,आहारो अणाभोगनिव्वत्तिए अणुसमयं अविरहिओ, आभोगनिव्वत्तओ जहन्नेणं अंतोमुहुत्तस्स उनोसेणं अठ्ठभत्तस्स, सेसं जहा चउरिंदियाणं जाव चलियं कम्मं निजरेंति । एवं मणुस्साणवि, नवरं आभोगनिव्वत्तिए जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्नोसेणं अट्ठमभत्तस्स सोइंदियवेमायत्ताए भुजो भुजो परिणमंति सेसं जहा चउरिंदियाणं, तहेव जाव निजरेंति । वाणमंतराणं ठिईए नाणत्तं, परिणमंति अवसेसं जहा नागकुमाराणं, एवं जोइसियाणवि, नवरं उस्सासो जहन्नेग मुहुत्तपुहुत्तस्स उक्कोसेणवि मुहत्तपुहुत्तस्स, आहारो जहन्नेणं दिवसपुहुत्तस्स उक्नोसेणवि दिवसपुहुत्तस्स सेसं तहेव । वेमाणियाणं ठिई भाणियव्वा ओहिया, ऊसासो जहन्नेणं मुहुत्तपुहुत्तस्स उक्कोसेणं तेत्तीसाए पक्खाणं, आहारो आभोगनिव्वत्तिओ जहन्नेणं दिवसपुहुत्तस्स उक्नोसेणं तेत्तीसाए वाससहस्साणं, सेसं चलियाइयं तहेव जाव निजरेंति ॥ १५ ॥ जीवा णं भंते ! किं आयारंभा परारंभा तदुभयारंभा अनारम्भा ?, गोयमा! अत्थेगइया जीवा आयारंभावि परारंभावि तदुभयारंभावि नो अणारंभा अत्थेगइया जीवा नो आयारंभा Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १० १] सुत्तागमे नो परारंभा नो तदुभयारंभा अणारंभा ॥ से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ-अत्थेगइया जीवा आयारंभावि ? एवं पडिउच्चारेयच्वं, गोयमा ! जीवा दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-संसारसमावनगा य असंसारसमावनगा य, तत्य णं जे ते असंसारसमावनगा ते णं सिद्धा, सिद्धा णं नो आयारंभा जाव अणारम्भा, तत्थ णं जे ते संसारसमावनगा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजा-संजया य असंजया य, तत्थ णं जे ते संजया ते दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-पमत्तसंजया य अप्पमत्तसंजया य, तत्य णं जे ते अप्पमत्तसंजया ते णं नो आयारंभा नो परारंभा जाव अणारंभा, तत्य णं जे ते पमत्तसंजया ते सुहं जोगं पडुच्च नो आयारंभा नो परारंभा जाव अणारंभा, असुभं जोगं पडुच्च आयारंभावि जाव नो अणारंभा, तत्थ णं जे ते असंजया ते अविरतिं पडुच्च आयारंभावि जाव नो अणारंभा, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइया जीवा जाव अणारंभा ॥ नेरइयाणं भंते ! किं आयारंभा परारंभा तदुभयारंभा अगारंभा ?, गोयमा! नेरइया आयारंभावि जाव नो अणारंभा, से केणटेणं भन्ते एवं बुच्चइ ?, गोयमा ! अविरतिं पड्डुच्च, से तेणटेणं जाव नो अणारंभा, एवं जाव असुरकुमाराणवि जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिया, मणुस्सा जहा जीवा, नवरं सिद्धविरहिया भाणियव्वा, वाणमंतरा जाव वेमाणिया जहा नेरइया । सलेस्सा जहा ओहिया, कण्हलेसस्स नीललेसस्स काउलेसस्स जहा ओहिया जीवा, नवरं पमत्तअप्पमत्ता न भाणियव्वा, तेउलेसस्स पम्हलेसस्स सुक्कलेसस्स जहा ओहिया जीवा, नवरं सिद्धा न भाणियव्वा ॥ १६ ॥ इहभविए भंते ! नाणे परभविए नाणे तदुभयभविए नाणे ?, गोयमा ! इहभविएवि नाणे परभविएवि नाणे तदुभयभविएवि णाणे । दसणंपि एवमेव । इहभविए भंते ! चरित्ते परभविए चरित्ते तदुभयभविए चरित्ते?, गोयमा ! इहभविए चरित्ते नो परभविए चरित्ते नो तदुभयभविए चरित्ते । एवं तवे संजमे ॥ १७ ॥ असंवुडे णं भंते ! अणगारे कि सिज्झइ बुज्झइ मुच्चइ परिनिव्वाइ सव्वदुक्खाणमंतं करेइ ?, गोयमा !, नो इणढे समढे । से केणढेणं जाव नो अंतं करेइ ?, गोयमा! असंवुडे अणगारे आउयवज्जाओ सत्त कम्मपगडीओ सिढिलवंधणवद्धाओ धणियवंधणबद्धाओ पकरेइ हस्सकालठिइयाओ दीहकालठ्ठिश्याओ पकरेइ मंदाणुभावाओ तिव्वाणुभावाओ पकरेइ अप्पपएसग्गाओ वहुप्पएसग्गाओ पकरेइ आउयं च णं कम्मं सिय वंधइ सिय नो वंधइ अस्सायावेयणिज्जं च णं कम्मं भुजो भुजो उवचिणाइ अणाइयं च णं-अणवदग्गं दीहमद्ध चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियट्टइ, से एएणठेणं गोयमा! असंबुडे अणगारे णो सिज्झइ ५। संखुडे भंते ! अणगारे सिज्झइ ५१, हंता सिज्झइ जाव अंतं Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९० सुत्तागमे [ भगवई करेइ, से केणट्टेणं ?, गोयमा । संवुडे अणगारे आउयवज्जाओ सत्त कम्मपगडीओ धणियबंधणवद्धाओ 'सिढिलबंधणबद्धाओ पकरेइ दीहकालठिईयाओ हस्सकालट्ठि - याओ पकरेइ तिव्वाणुभावाओ मंदाणुभावाओ पकरेइ बहुप्पएसग्गाओ अप्पपएसगाओ पकरेइ, आउयं च णं कम्मं न वंधइ, अस्सायावेयणिजं च णं कम्मं नो भुज्जो भुज्जो उवचिणाइ, अणाइयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं वीइवयइ, से एएणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - संवुडे अणगारे सिज्झइ जाव अंतं करेइ ॥ १८ ॥ जीवे णं भंते ! अस्संजए अविरए अप्पडिहयपञ्चक्खायपावकम्मे इओ चुए पेच्चा देवे सिया ?, गोयमा ! अत्थेगइए देवे सिया अत्थेगइए नो देवे सिया । से केणट्टेणं जाव इओ चुए पेचा अत्थेगइए देवे सिया अत्थेगइए नो देवे सिया ?, गोयमा ! जे इमे जीवा गामागरनगरनिगम रायहाणिखेड कब्वडमडंवदोणमुहपट्टणासमसन्निवेसे अकामतण्हाए अकामछुहाए अकामवंभचेरवासेणं अकामसीतातवदंसमसगअण्हाणगसेयजलमलपंकपरिदाहेणं अप्पतरं वा भुजतरं वा कालं अप्पाणं परिकिलेसंति अप्पार्णं परिकिलेसित्ता कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु वाणमंतरेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववत्तारो भवति ॥ केरिसाणं भंते ! तेसिं वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा पण्णत्ता ?, गोयमा । से जहानामए - इहं मणुस्सलोगंमि असोगवणे इ वा सत्तवन्नवणे इ वा चंपयवणे इ वा चूयवणे इ वा तिलगवणे इ वा लाउयवणे इ वा निग्गोहवणे इ वा छत्तोववणे इ वा असणवणे इ वा सणवणे इ वा अयसिवणे इ वा कुसुंभवणे इ वा सिद्धत्थवणे इ वा बंधुजीवगवणे इ वा णिचं कुसुमियमाइयलवइयथवइयगुलइयगुच्छियजमलियजुवलियविणमियपणमियसुविभत्तपिडिमंजरिवडेंसगधरे सिरीए अतीव अतीव उवसोभेमाणे उवसोभेमाणे चिट्ठइ, एवामेव तेसिं वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा जहन्नेणं दसवाससहस्सद्वितीएहिं उक्कोसेणं पलिओवमहितीएहिं वहूहिं वाणमंतरेहिं देवेहिं तद्देवीहि य आइण्णा वितिकिण्णा उवत्थंडा संथडा फुडाळे अवगाढगाढसिरीए अतीव अतीव उवसोभेमाणा चिद्वंति, एरिसगाणं गोयमा ! वेसिं वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा प०, से तेणद्वेणं गोयमा । एवं वुचईजीवे णं असंजए जाव देवे सिया । सेवं भंते! सेवं भंते । त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नम॑सति वंदइत्ता नर्मसत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति ॥ १९ ॥ पढमे सए पढमो उद्देसो समत्तो ॥ रायगिहे नगरे समोसरणं, परिसा निग्गया जाव एवं वयासी-जीवे णं भंते । सयंकडं दुक्खं वेदेइ ?, गोयमा ! अत्थेगइयं वेएइ अत्थेगइयं नो वेएइ, से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - अत्थेगइयं वेदेइ अत्थेगइयं नो वेएइ ?, गोयमा ! उदिनं वेएई Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० १ उ०२] सुत्तागमे अणुदिनं नो वेएइ, से तेणद्वेणं एवं बुच्चइ-अत्यंगइयं वेएइ अत्यंगतियं नो वेएइ, “एवं चउच्चीसदंडएणं जाव वेमाणिए ॥ जीवा गं भंते ! सयंकडं दुक्खं वेएन्ति ?, गोयमा! अत्धेगइयं वेयन्ति अत्येगइयं णो वेयन्ति, से केपट्टेणं?, गोयमा ! उदिन्नं वेयन्ति नो अणुदिन्नं वेयन्ति, से तेणडेणं, एवं जाव वेमाणिया ॥ जीवे णं भंते ! सयंकडं आउयं वेएइ ? गोयमा! अत्थेगइयं वेएइ अत्थेगइयं नो वेएइ जहा दुक्खेणं दो दंडगा तहा आउएणवि दो दंडगा एगत्तपुहुत्तिया, एगत्तेणं जाव वेमाणिया पुहुत्तेणवि तहेव ॥ २०॥ नेरझ्या णं भंते ! सव्वे समाहारा सव्वे समसरीरा सव्वे समुस्सासनीसासा ?, गोयमा । नो इणढे समढे । से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ नेरइया नो सव्वे समाहारा नो सव्वे समसरीरा नो सव्वे समुस्सासनिस्सासा ?, गोयमा ! नेरइया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-महासरीरा य अप्पसरीरा य, तत्थ णं जे ते महासरीरा ते बहुतराए पोग्गले आहारति बहुतराए पोग्गले परिणामेंति बहुतराए पोग्गले उस्ससंति बहुतराए पोग्गले नीससंति अभिक्खणं आहारेंति अभिक्खणं परिणामेंति अभिक्खणं ऊससंति अभिक्खणं नी०, तत्थ णं जे ते अप्पसरीरा ते णं अप्पतराए पुग्गले आहारेंति अप्पतराए पुग्गले परिणामेति अप्पतराए पोग्गले उस्ससंति अप्पतराए पोग्गले नीससंति आहच आहारेंति आहच परिणामति आहच्च उस्ससाते आहच नीससंति, से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समाहारा जाव नो सव्वे समुस्सासनिस्सासा ॥ नेरइया णं भंते ! सव्वे समकम्मा ?, गोयमा ! णो इणढे समढे, से केणटेणं ?, गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-पुन्वोववन्नगा य पच्छोववन्नगा य, तत्थ णं जे ते पुव्वोववन्नगा ते णं अप्पकम्मतरागा, तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं महाकम्मतरागा, से तेणढेणं गोयमा!० ॥ नेरझ्या णं भंते ! सव्वे समवन्ना ?, गोयमा ! नो इणढे समढे, से केण?णं तहेव ? गोयमा ! जे ते पुव्वोववन्नगा ते णं विसुद्धवन्नतरागा, तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं आविसुद्धवन्नतरागा तहेव से तेणद्वेणं एवं०॥ नेरइया णं भंते ! सव्चे समलेस्सा ?, गोयमा । नो इणढे समठे, से केणटेणं जाव नो सव्वे समलेस्सा ?, गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-पुन्बोववन्नगा य पच्छोववनगा य, तत्थ णं जे ते पुव्योववन्नगा ते णं विसुद्धलेस्सतरागा, तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते ण अविसुद्धलेस्सतरागा, से तेणटेणं० ॥ नेरइया णं भंते ! सव्वे समवेयणा ?, गोयमा ! नो इणढे समठे, से केणटेणं?, गोयमा ! नेरइया दुविहा पन्नत्ता, तंजहासन्निभूया य असन्निभूया य, तत्थ णं जे ते सन्निभूया ते णं महावेयणा, तत्थ णं जे ते असन्निभूया ते णं अप्पवेयणतरागा, से तेणटेणं गोयमा !० ॥ नेरइया . Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई सव्वे समकिरिया ?, गोयमा ! नो इणढे समझे, से केणटेणं ?, गोयमा ! नेरइया तिविहा प०, तंजहा-सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छदिट्ठी, तत्य णं जे ते सम्मेदिट्ठी तेसि णं चत्तारि किरियाओ पण्णत्ताओ, तंजहा--आरंभिया १ परि० २ माया० ३ अप्पच्च० ४, तत्थ णं जे ते मिच्छादिट्ठी तेसि णं पंच किरियाओ कन्जंति-आरंभिया जाव मिच्छादसणवत्तिया, एवं सम्मामिच्छादिट्टीणंपि, से तेणटेणं गोयमा!० ॥ नेरइया णं भंते । सव्वे समाउया सव्वे समोववन्नगा ?, गोयमा! नो इणढे समढे, से केणटेणं ?, गोयमा । नेरइया चउव्विहा प०, तंजहा-अत्येगइया समाउया समोववन्नंगा १ अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा २ अत्थेगइया विसमाउंया समोववन्नगा ३ अत्थेगइया विसमाउया विसमोववन्नगा ४ से तेणटेणं गोंयमा !० ॥ असुरकुमारा णं भंते । सव्वे समाहारा सव्वे समसरीरा, जहा नेरइया तहा भाणियव्वा, नवरं कम्मवन्नलेस्साओ परिवण्णेयवाओ, पुव्वोववन्नगा महाकम्मतरागा अविसुद्धवन्नतरागा अविसुद्धलेसतरागा, पच्छोववन्नगा पसत्था, सेसं तहेव, एवं जाव थणियकुमाराणं । पुढविक्काइयाणं आहारकम्मवन्नलेस्सा जहा नेरइयाणं ॥ पुढविकाइया णं भंते । सव्वे समवेयणा ?, हंता समवेयणा, से केणटेणं भंते । समवेयणा?, गोयमा ! पुढविकाइया सव्वे असन्नी असन्निभूया अणिदाए वेयणं वेदेति से तेणटेणं ॥ पुढविक्काइया णं भंते! सव्वे समकिरिया ? हंता समकिरिया, से केणढेणं ?, गोयमा! पुढविकाइया सव्वे माई मिच्छादिट्ठी ताणं णिययाओ पंच किरियाओ कन्जंति, तंजहा-आरंभिया जाव मिच्छादसणवत्तिया, से तेण?णं समाउया समोववन्नगा, जहा नेरइया तहा भाणियव्वा, जहा पुढविकाइया तहा जाव चउरिदिया । पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया नाणत किरियासु, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! सव्वे समकिरिया ?, गो०, णो ति०, से केणटेणं ? गो० पंचिंदियतिरिक्खजोणिया तिविहा प०, तंजहा-सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी, तत्थ णं जे ते सम्मट्टिी ते दुविहा प०, तंजहा-अस्संजया य संजयासंजया य, तत्थ णं जे ते संजयासंजया तेसिणं तिन्नि किरियाओ कजंति, तंजहा-आरंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया, असंजयाणं चत्तारि, मिच्छादिट्ठीणं पंच, सम्मामिच्छादिट्ठीणं पंच, मणुस्सा जहा नेरइया नाणत्तं जे महासरीरा ते बहुतराए पोग्गले आहारेंति आहच आहारैति जे अप्पसरीरा ते अप्पतराए आहारेंति अभिक्खणं आहारेंति सेसं जहा नेरइयाणं जान. वेयणा । मणुस्सा णं भंते ! सव्वे समकिरिया ?, गोयमा ! णो तिणढे समठे, से केणद्वेणं ?, गोयमा। मणुस्सा तिविहा प०, तंजहा-सम्मदिट्ठी मिच्छादिठ्ठी सम्मामिच्छादिछी, तत्थ णं Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १ उ०२ ] सुत्तागमे ३९३ जे ते सम्मदिट्टी ते तिविहा प०, तंजहा- संजया अस्संजया संजयासंजया य, तत्थ णं जे ते संजया ते दुविहा प०, तंजहा - सरागसंजया य वीयरागसंजया य, तत्थ णं जे ते वीयरागसंजया ते णं अकिरिया, तत्थ णं जे ते सरागसंजया ते दुविहा प०, तंजहा - पमत्तसंजया य अपमत्तसंजया य, तत्य णं जे ते अप्पमत्तसंजया तेसि ं एगा मायावत्तिया किरिया कज्जइ, तत्य णं जे ते पमत्तसंजया तेसिणं दो किरियाओ कांति, तं० - आरंभिया य मायावत्तिया य, तत्यणं जे ते संजयासंजया तेति णं आइकाओ तिनि किरियाओ कज्जति, तंजहा- आरंभिया १ परिग्गहिया २ मायावत्तियां ३, अस्संजयाणं चत्तारि किरियाओ कजंति - आरं० १ परि० २ मायावत्तिया ३ अप्पच० ४, मिच्छादिट्ठीगं पंच- आरंभि० १ परि० २ माया० ३ अप्पच्च० ४ मिच्छादंसण०५, सम्मामिच्छदिट्ठीगं पंच ५। वाणमंतरजोतिसवेमाणिया जहा असुरकुमारा, नवरं वेयणाए नाणत्तं मायिमिच्छादिट्टीउववन्नगा य अप्पवेदणतरा अमायिसम्मदिट्टीजववन्नगा य महावेयणतरागा भाणियव्वा, जोतिसवेमाणिया ॥ सलेस्सा णं भंते! नेरइया सव्वे समाहारगा ?, ओहिया णं सलेस्साणं सुक्कलेस्साणं, एएस तिह एको गमो, कण्हलेस्साणं नीललेस्साणंपि एक्को गमो नवरं वेदणाए मायिमिच्छादिट्ठीरववन्नगा य अमायिसम्म दिट्टीउवव० भाणियव्वा । मणुस्सा किरियामु सरागवीयराग पमत्तापमत्ता ण भाणियव्वा । काउलेसाएवि एसेव गमो, नवरं नेरइए जहा ओहिए दंड तहा भाणियव्वा, तेउलेस्सा पम्हलेस्सा जस्स अस्थि जहा ओहिओ दंडओ तहा भाणियव्वा नवरं मणुस्सा सरागा वीयरागा यं न भाणियव्वा, गाहादुक्खाउए उदिने आहारे कम्मवन्नलेस्सा य । समवेयणसमकिरिया समाउए चेक बोद्धव्वा ॥१॥२१॥ कइ णं भंते ! बेस्साओ पन्नत्ताओ ?, गोयमा ! छलेसाओ पन्नत्ता, तंजहा - साणं वीयओ उद्देसओ भाणियव्वो जाव इड्डी ॥ २२ ॥ जीवस्स णं भंते ! तीताए आदिस्स कइविहे संसारसंचिट्टणकाले पण्णत्ते ?, गोयमा ! चउव्विहे संसारचिणकाले पण्णत्ते, तंजहा - णेरइयसंसारसंचिट्टणकाले तिरिक्ख० मणुस्स० देवसंसारसंचिट्टणकाले य पण्णत्ते ॥ नेरइयसंसारसंचिट्ठणकाले णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?, गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तंजहा - सुन्नकाले असुन्नकाले मिस्सकाले ॥ तिरिक्खजोणियसंसार पुच्छा, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा असुन्नकाले य मिस्सकाले य, मणुरसाण य देवाण य जहा नेरइयाणं ॥ एयस्स णं भंते ! नेरइयसंसारसंचिट्ठणकालस्स सुन्नकालस्स असुन्नकालस्स मीसकालस्सं य कयरे२हिंतो अप्पा वा बहुए वा तुल्ले वा 'विसेसाहिए वा ?, गोयमा ! सव्व० असुन्नकाले मिस्सकाले अणंतगुणे सुन्नकाले अनंतगुणे ॥ तिरि० जो० भंते ! सव्व० असुन्नकाले मिस्सकाले अनंतगुणे, Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई अणुस्सदेवाण य जहा नेरइयाणं ॥ एयस्स णं भंते ! नेरइयस्स संसारसंचिट्ठणकालस्स जाव देवसंसारसंचिट्ठण जाव विसेसाहिए वा ?, गोयमा ! सव्वत्योचे मणुस्ससंसारसंचिठ्ठणकाले, नेरइयसंसारसंचिठ्ठणकाले असंखेजगुणे, देवसंसारसंचिट्ठणकाले असंखेजगुणे, तिरिक्खजोणिए अगंतगुणे ॥ २३ ॥ जीवे णं भंते ! अंतकिरियं करेजा ?, गोयमा! अत्थेगतिया करेजा अत्थेगतिया नो करेजा, अंतकिरियापयं नेयव्वं ॥ २४ ॥ अह भंते! असंजयभवियदव्वदेवाणं १ अविराहियसंजमाणं २ विराहियसं० ३ अविराहियसंजमासंज० ४ विराहियसंजमासं० ५ असन्नीणं ६ त्तावसाणं ७ कंदप्पियाणं ८ चरगपरिव्वायगाणं ९ किव्विसियाण १० तेरिच्छियाणं ११ आजीवियाणं १२ आभिओगियाणं १३ सलिंगीणं दंसणवावन्नगाणं १४ एएसि णं देवलोगेसु उववजमाणाणं कस्स कहिं उववाए पण्णत्ते ?, गोयमा ! अस्संजयभवियदव्वदेवाणं जहन्नेणं भवणवासीसु उक्नोसेणं उवरिमगेविजएसु १, अविराहियसंजमाणं जहन्नेणं सोहम्मे कप्पे उक्कोसेणं सव्वट्ठसिद्धे विमाणे २, विराहियसंजमाणं जहन्नेणं भवणवासीसु उक्कोसेणं सोहम्मे कप्पे ३, अविराहियसंजमा० २ णं जह. सोहम्मे कप्पे उक्नोसेणं अच्चुए कप्पे ४, विराहियसंजमासं० जहन्नेणं भवणवासीसु उक्कोसेणं जोतिसिएसु ५, असन्नीणं जहन्नेणं भवणवासीसु उक्नोसेणं वाणमंतरेसु ६, अवसेसा सव्वे जह० भवणवा० उक्कोसगं वोच्छामि-तावसाणं जोतिसिएसु, कंदप्पियाणं सोहम्मे, चरगपरिव्वायगाणं वंभलोए कप्पे, 'किदिवसियाणं लंतगे कप्पे, तेरिच्छियाणं सहस्सारे कप्पे, आजीवियाणं अञ्चुए कप्पे, आभिओगियाणं अच्चुए कप्पे, सलिंगीणं दंसणवावन्नगाणं उवरिमगेवेजएसु १४ ॥ २५॥ कतिविहे णं भंते! असन्निआउए पण्णत्ते ?, गोयमा ! चउविहे असन्निआउए पण्णत्ते, तंजहा-नेरइयअसन्निआउए तिरिक्ख० मणुस्स० देव० । असन्नी गं भंते ! जीवे कि नेरइयाउयं पकरेइ तिरि० मणु० देवाउयं पकरेइ ?, हंता गोयमा ! नेरइयाउयपि पकरेइ तिरि० मणु० देवाउयपि पकरेइ, नेरइयाउयं पकरेमाणे जहन्नेणं दसवाससहस्साइं उक्नोसेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागं परेति तिरिक्खजोणियाउयं पकरेमाणे जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्लोसेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागं पकरेइ, मणुस्साउएवि एवं चेव, देवाउयं जहा नेरइया ॥ एयस्स णं भंते ! नेरइयअसन्निआउयस्स तिरि० मणु० देवअसन्निआउयस्स कयरे कयरे जाव विसेसाहिए वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे देवअसन्निआउए, मणुस्स० असंखेजगुणे, तिरिय० असंखेजगुणे, नेरइए० असंखेजगुणे । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ २६ ॥ वितिओ उद्देसओ समत्तो॥ जीवाणं भंते ! कंखामोहणिजे कम्मे कडे , हता कडे ॥ से भंते ! किं देसेणं Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १ उ०३] सुत्तागमे ३९५ देसे कडे ? १ देसेणं सव्वे कडे ? २ सव्वेणं देसे कडे ? ३ सव्वेणं सव्वे कडे ? ४, गोयमा ! नो देसेणं देसे कडे १ नो देसेणं सव्वे कडे २ नो सव्वेणं देसे कडे ३ सव्वेणं सव्वे कडे ४ ॥ नेरइया णं भंते ! कंखामोहणिजे कम्मे कडे ?, हंता कडे, जाव सव्वेणं सव्वे कडे ४ । एवं जाव माणियाणं दंडओ भाणियन्वो ॥ २७ ॥ जीवा णं भंते ! कंखामोहणिज्ज कम्म करिंसु?, हंता करिंसु । तं भंते ! किं देसेणं देसं करिसु?, एएणं अभिलावेणं दंडओ भाणियव्वो जाव वेमाणियाणं, एवं करेंति एत्यवि दंडओ जाव वेमाणियाणं, एवं करेस्संति, एत्थवि दंडओ जाव वेमाणियाणं ॥ एवं चिए चिणिंसु चिणंति चिणिस्संति, उवचिए उवचिणिंसु उवचिणंति उवचिणिस्संति, उदीरेंसु उदीरेंति उदीरिस्संति, वेदिसु वेदंति वेदिस्संति, निजरेंसु निजरेंति निजरिस्संति, गाहा-कडचिया उवचिया उदीरिया वेदिया य निजिन्ना । आदितिए चउभेदा तियभेदा पच्छिमा तिन्नि ॥ १॥ २८ ॥ जीवा णं भंते । कंखामोहणिज कम्मं वेदेति ?, हंता वेदेति । कहन्नं भंते ! जीवा कंखामोहणिज कम्मं वेदेति ?, गोयमा ! तेहिं तेहिं कारणेहिं संकिया कंखिया वितिगिच्छिया भेदसमावन्ना कलुससमावन्ना, एवं खलु जीवा कंखामोहणिज्ज कम्मं वेदेति ॥ २९ ॥ से नूणं भंते ! तमेव सच्चं णीसंकं जं जिणेहिं पवेइयं ?, हंता गोयमा! तमेव सचं णीसंकं जं जिणेहिं पवेदितं ॥ ३० ॥ से नूणं भंते ! एवं मणं धारेमाणे एवं पकरेमाणे एवं चिट्टेमाणे एवं संवरेमाणे आणाए आराहए भवति ?, हंता गोयमा ! एवं मणं धारेमाणे जाव भवइ ॥ ३१॥ से नूणं भंते ! अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ ?, हंता गोयमा ! जाव परिणमइ ॥ जण्णं भंते ! अस्थित्त अस्थित्ते परिणमइ नत्यित्तं नत्थित्ते परिणमइ तं किं पयोगसा वीससा ?, गोयमा ! पयोगसावि तं वीससावि तं, जहा ते भंते ! अत्थित्तं अस्थित्ते परिणमइ तहा ते नत्थित्तं नस्थित्ते परिणमइ ? जहा ते नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ तहा ते अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ ?, हंता गोयमा ! जहा मे अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ तहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ, जहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ तहा मे अत्थित्तं अस्थित्ते परिणमइ ॥ से णूणं भंते ! अस्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्ज जहा परिणमइ दो आलावगा तहा ते इह गमणिजेणवि दो आलावगा भाणियव्वा जाव जहा मे अस्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्ज ॥३२॥ जहा ते भंते ! एत्य गमणिज तहा ते इहं गमणिजं जहा ते इहं गमणिज्ज तहा ते एत्यं गमणि , हंता! गोयमा !, जहा मे एत्थं गमणिज्जं जाव तहा मे एत्यं (इह) गमणि ॥३३॥ जीवाणं भंते ! कंखामोहणिजं कम्मं वंधति ?,हता! वधंति । कहं ण भंते ! जीवा कंखामोहणिज्ज कम्मं बंधंति ?, गोयमा ! पमादपचया Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९६ सुत्तागमे [ भगवई 1 जोगनिमित्तं च ॥ से णं भंते । पमाए किंपवहे ?, गोयमा ! जोगप्पवहे । से णं भंते ! जोए किंपवहे ?, गोयमा ! वीरियप्पवहे । से णं भंते वीरिए किपवहे ?, गोयमा ! सरीरप्पवहे । से णं भंते ! सरीरे किंपवहे ?, गोयमा ! जीवप्पवहे । एवं सति अस्थि उट्टा ति वा कम्मे ति वा वले इ वा वीरिए इ वा पुरिसकारपरक मे इ वा ॥ ३४ ॥ से णूणं भंते ! अप्पणा चेव उदीरेइ अप्पणा चेव गरहइ अप्पणा चेव संवरइ ?, हंता ! गोयमा | अप्पणा चेव तं चेव उच्चारेयव्वं ३ ॥ जं तं भंते ! अप्पणा चेव उदीरेइ अप्पणा चेव गरहेइ अप्पणा चेव संवरेइ तं कि उदिनं उदीरेइ १ अणुदिनं उदीरेइ २ अणुदिनं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेइ ३ उदयानंतरपच्छाकड कम्मं उदीरेइ ४ ?, गोयमा । नो उदिण्णं उदीरेइ १ नो अणुदिन्नं उदीरेइ २ अणुदिन्नं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेइ ३ णो उदयानंतर पच्छाकडं कम्मं उदीरेइ ४ ॥ जं तं भंते! अणुदिनं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेइ तं कि उट्टाणेणं कम्मेणं वलेणं वीरिएणं पुरिसक्कार परक्कमेणं अणुदिन्नं उदीरणाभवियं क० उदी० ? उदाहु तं अाणं अम्मेणं अवलेणं अवीरिएणं अपुरिसक्कारपरक्कमेणं अणुदिनं उदीरणाभवियं कम्मं उदी० ?, गोयमा ! तं० उट्ठाणेणवि कम्मे० वले० वीरिए० पुरिसक्कारपरक्कमेणवि अणुदिन्नं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेइ, णो तं अणुट्ठाणेणं अकम्मेणं अवलेगं अवीरिएणं अपुरिसक्कार • अणुदिन्नं उदी० भ० क० उदी०, एवं सति अत्थि उट्ठाणे इ वा कम्मे इ वा वले इ वा वीरिए इ वा पुरिसक्कारपरक्कमे इ वा ॥ से नूणं भंते ! अप्पणा चेव उवसामेइ अप्पणा चेव गरहइ अप्पणा चेव संवरइ ?, हंता गोयमा ! एत्थ वि तहेव भाणियव्वं, नवरं अणुदिन्नं उवसामेइ सेसा पडिसेहेयव्वा तिन्नि ॥ जं तं भंते ! अणुदिन्नं उवसामेइ तं कि उट्ठाणेणं जाव पुरिसक्कारपरक्कमेति वा, से नूणं भंते ! अप्पणा चेव वेदेइ अप्पणा चेव गरहइ ?, एत्थवि सच्चेव ं परिवाडी, नवरं उदिन्नं वेएइ नो अणुदिनं वेएइ, एवं जाव पुरिसक्कारपरिक्कमे इ वा । से नूणं भंते ! अप्पणा चेव निज्जरेति अप्पणा चैव गरहइ, एत्थवि सच्चेव परिवाडी नवरं उदयाणंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेइ एवं जाव परिकमेइ वा ॥ ३५ ॥ नेरइयाणं भंते ! कंखामोहणिज्जं कम्मं वेएन्ति ?, जहा ओहिया जीवा तहा नेरइया, जाव थणियकुमारा ॥ पुढविक्काइयाणं भंते ! कंखामोहणिज क्रम्मं वेइंति, हंता वेइंति, कहण्णं भंते ! पुढविक्का • कंखामोहणिजं कम्मं वेदेंति ?, गोयमा ! तेसिणं जीवाणं णो एवं तक्का इ वा सण्णा इ वा पण्णा इ वा मणे इ वा वइति वा अम्हे णं कंखामोहणिज्जं कम्मं वेएमो, वेति पुंण ते । से णूणं भंते ! तमेव सच्चं नीसंकं जं जिणेहिं पवेइयं, सेसं तं चेव, जाव पुरिसक्कारपरिक्कमेइ वा । Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १ उ० ४ ] सुत्तागमे ३९७ एवं जाव चउरिंदियाणं पंचिदियतिरिक्खजोणिया जाव वैमाणिया जहा ओहिया जीवा ॥ ३६ ॥ अस्थि णं भंते ! समणावि निग्गंथा कंखामोहणिजं कम्मं वेएन्ति ?, हंता अस्थि, कहां भंते! समणा निग्गंथा कंखामोहणिज्जं कम्मं वेएन्ति ?, गोयमा तेहि २ नाणंतरेहिं दंसणंतरेहिं चरितंतरेहिं लिंगंतरेहिं पवयणंतरेहिं पावयणंतरेहिं कप्पंतरेहिं मग्गंतरेहिं मतंतरेहिं भंगंतरेहिं णयंतरेहिं नियमंतरेहि पमाणंतरेहिं संकिया कंखिया वितिगिच्छिया भेयसमावन्ना क्लुससमावन्ना, एवं खलु समणा निग्गंथा कंखामोहणिज्जं कम्मं बेइंति, से नूणं भंते! तमेव सच्च नीसंकं जं जिणेहिं पवेइयं, हंता गोयमा ! तमेव सच्चं नीसंकं, जाव पुरिसक्कारपरक्कमेइ वा सेवं भंते ! सेवं भंते ! ॥ ३७ ॥ पढमसर ततिओ उद्देसन समत्तो ॥ कति णं भंते ! क्रम्म पगडीओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! अट्ट कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ, कम्मप्पगडीए पढमो उद्देसो नेयव्वो जाव अणुभागो सम्मत्तो । गाहा - कइ पडी कह इ कहि व ठाणेहि वंधई पयडी । कइ वेदेइ य पयडी अणुभागो कइविहो कस्स ? ॥ १ ॥ ३८ ॥ जीवे णं भंते ! मोहणिजेणं कडेणं कम्मेणं उदिन्नणं उवट्टाएजा ? हंता उवढाएजा । से भंते! किं वीरियत्ताए उवट्ठाएजा अवीरियत्ताए उवट्टाएजा ? गोयमा ! वीरियत्ताए उवट्टाएजा नो अवीरियत्ताए उवट्ठाएजा, जइ वीरित्ताए वहाएजा किं बालवीरियत्ताए उवट्टाएजा पंडियवीरियत्ताए उवट्ठाएजा वालपंडियवीरित्ताए उखट्ठाएजा ?, गोयमा ! वालवीरियत्ताए उवट्ठाएजा णो पंडि वीरित्ताए उवट्टाएजा णो वालपंडियवीरियत्ताए उवट्टाएजा । जीवे णं भंते ! मोहणिजे कडेणं कम्मेणं उदिनेणं अवकमेजा ? हंता अवकमेजा, से भंते! जाव बालपंडियवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ३१, गोयमा ! बालवीरियत्ताए अवकमेजा नो पंडिवीरित्ताए अवकमेजा, सिय बालपंडियवीरियत्ताए अवक्कमेजा । जहा उदिनेणं दो आलावगा तहा उवसंतेणवि दो आलावगा भाणियव्वा, नवरं उवट्ठाएजा पंडियवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा वालपंडियवीरियत्ताए ॥ से भंते । किं आयाए अवक्कमइ ? अणायाए अवक्कमइ ? गोयमा ! आयाए अवक्कमइ णो अणायाए अवक्कमइ, मोहणिजं कम्मं चेएमाणे से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! पुव्वि से एवं एवं रोयइ इयाणिं से एवं एवं नो रोयइ एवं खलु एवं ॥३९॥ से नूणं भंते ! नेरइयस्स वा तिरिक्खजोणियस्स वा मणूसस्स वा देवस्सं वा जे कडे पावे कम्मे नत्थि तस्स अवेइत्ता मोक्खो ?, हंता गोयमा ! नेरइयस्स वा तिरिक्ख० मणु० देवस्स वा जे कडे पावे कम्मे नत्थि तस्स अवेइत्ता मोक्खो । से केणट्टेणं भंते ! एवं वुञ्चति - नेरइयस्स वा जाव मोक्खो, एवं खलु मए गोयमा ! दुविहे कम्मे पण्णत्ते, तंजहा - पएसकम्मे य अणुभागकम्मे य, 1 Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९८ सुत्तागमे [ भगवई तत्थ णं जं तं पएसकम्मं तं नियमा वेएइ, तत्थ णं जं तं अणुभागकम्मं तं अत्येगइयं वेएइ अत्थेगइयं नो वेएइ । णायमेयं अरहया सुयमेयं अरहया विन्नायमेयं अरहया इमं कम्मं अयं जीवे अज्झोवगमियाए वेयणाए वेदिस्सइ इमं कम्मं अयं जीवे उवक्कमियाए वेदणाए वेदिस्सर, अहाकम्मं अहानिकरणं जहा जहा तं भगवया दिट्टं तहा तहा तं विप्परिणमिस्सतीति, से तेणट्टेणं गोयमा ! नेरइयस्स वा ४ जाव मोक्खो ॥ ४० ॥ एस णं भंते ! पोग्गले तीतमणतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्वं सिया ?, हंता गोयमा ! एस णं पोग्गले अतीतमणतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्वं सिया । एस णं भंते! पोग्गले पडुप्पन्नसासयं समयं भवतीति वक्त्तव्वं सिया ?, हंता गोयमा । तं चैव उच्चारेयव्वं । एस णं भंते! पोगले अणागयमतं सासयं समयं भविस्सतीति वत्तव्वं सिया ?, हन्ता गोयमा । तं चेव उच्चारेयव्वं । एवं संवेणवि तिन्नि आलावगा, एवं जीवेणवि तिन्नि आलावगा भाणियव्वा ॥ ४१ ॥ छउमत्थे णं भंते ! मणूसे अतीतमणतं सासयं समयं भुवीति केवलेणं संजमेणं केवलेगं संवरेणं केवलेणं वंभचेरवासेणं केवलाहिं पवयणमाईहिं सिज्झितु वुज्झिसु जाव सव्व दुक्खाणमंतं करिंतु ? गोयमा । नो इणट्टे समट्टे । से केणट्टेणं भंते ! एवं बुचइ तं चैव जाव अंतं करेंसु ? गोयमा ! जे केइ अंतकरा वा अंतिमसरीरिया वा सव्वदुक्खाणमंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा सव्वे ते उप्पन्ननाणदंसणधरा अरहा जि केवली भवित्ता तओ पच्छा सिज्यंति वुज्यंति मुचंति परिनिव्वायंति सव्वदुक्खाणमंत करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा, से तेणट्टेणं गोयमा ! जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेंसु०, पडुप्पन्नेऽवि एवं चेव नवरं सिज्यंति भाणियव्वं, अणागएवि एवं चेव, नवरं सिज्झिस्संति भाणियव्वं, जहा छउमत्थो तहा आहोहिओवि तहा परमाहो हिओवि तिन्नि तिन्नि आलावगा भाणियव्वा । केवली णं भंते । मणूसे तीतमणतं सासयं समयं जाव अंतं करें ? हंता सिज्झिसु जाव अंतं करेंसु, एते तिन्नि आलावगा भाणियव्वा छउमत्थस्स जहा नवरं सिज्झितु सिज्यंति सिज्निस्संति । से भंते ! तीतमणंतं सासयं समयं पडुप्पन्नं वा सासयं समयं अणागयमणंतं वा सासयं समयं जे केइ अंतकरा वा अंतिमसरीरिया वा सव्वदुक्खाणमंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा सव्वे ते उप्पन्ननाणदंसणधरी अरहा जिणे केवली भवित्ता तओ पच्छा सिज्यंति जाव अंतं करेस्संति वा ? हंता गोयमा ! तीतमणंतं सासयं समयं जाव अंतं करेस्संति वा । से नूणं भंते ! उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली अलमयुत्ति वत्तव्वं सिया ? हंता गोयमा ! उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली अलमव्युत्ति बत्तव्वं सिया । सेवं भंते 1 सेवं भंते! त्ति ॥४२॥ चउत्थो उद्देसो समत्तो ॥ Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १ उ०५] सुत्तागमे ३९९ • कति णं भंते ! पुढवीओ पनत्ताओ ?, गोयमा ! सत्त पुढवीओ पन्नत्ताओ, तंजहारयणप्पभा जाव तमतमा ॥ इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए कति निरयावाससयसहस्सा प०?, गोयमा! तीसं निरयावाससयसहस्सा प०, गाहा-तीसा य पनवीसा पन्नरस दसेव या सयसहस्सा । तिनेगं पंचूर्ण पंचेव अणुत्तरा. निरया ॥ १ ॥ केवइया णं भंते ? असुरकुमारावाससयसहस्सा प० ?, एवं-चउसट्ठी असुराणं चउरासीई य होइ नागाणं । वावत्तरि सुवन्नाण वाउकुमाराण छन्नई ॥१॥ दीवदिसाउदहीणं विजुकुमारिंदणियमग्गीणं । छण्हपि जुयलयाणं छावत्त. रिमो सयसहस्सा ॥ २ ॥ केवइया णं भंते ! पुढविकाइयावाससयसहस्सा प० ?, गोयमा! असंखेना पुढविक्काइयावाससयसहस्सा प०, गोयमा ! जाव असंखिजा जोतिसियविमाणावाससयसहस्सा प० । सोहम्मे णं भंते । कप्पे केवइया विमाणावाससयसहस्सा प०?, गोयमा ! वत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा प०, एवं-बत्ती सट्ठावीसा वारस अट्ट चउरो सयसहस्सा । पन्ना चत्तालीसा छच्च सहस्सा सहस्सारे ।। १ ।। आणयपाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरणञ्चुए तिन्नि । सत्त विमाणसयाई चउसुवि एएसु कप्पेसुं ॥ २ ॥ एकारमुत्तरं हेहिमेसु सत्तुत्तरं सयं च मज्झिमए । सयमेगं उवरिमए पंचेच अगुत्तरविमाणा ॥ ३ ॥ ४३ ॥ पुढवि द्विति ओगाहणसरीरसंघयणमेव संठाणे । लेस्सा दिट्ठी णाणे जोगुवओगे य दस ठाणा ॥ १ ॥ इमीसे णं भंते । रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि नेरइयाणं केवइया ठितिठाणा प० १, गोयमा! असंखेजा ठितिठाणा प०, तंजहाजहन्निया ठिती समयाहिया जहन्निया ठिई दुसमयाहिया जाद असंखेज्नसमयाहिया जहन्निया ठिई तप्पाउरगुकोसिया ठिती ॥ इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगसि निरयावाससि जहन्नियाए ठितीए वट्टमाणा नेरइया कि कोहोवउत्ता भाणोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ?, गोयमा! सव्वेवि ताव होजा कोहोवउत्ता १, अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य २, अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य ३, अह्वा कोहोवउत्ता य मायोवउत्ते य ४, अहवा कोहोवउत्ता य मायोवउत्ता य ५, अहवा कोहोवउत्ता य लोभोवउत्ते य ६, अहवा कोहोवउत्ता य लोभोवउत्ता य ७ । अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ते य १. कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ता य २, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य मायोवउत्ते य ३, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य मायोवउत्ता य ४ एवं कोहमाणलोभेणवि चउ ४, एवं कोहमायालोभणाचे च ४ एवं १२, पच्छा माणेण मायाए लोभेण य कोहो भइयव्वो, ते कोहं अमुंचता ८, Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई एवं सत्तावीस भंगा यव्वा ॥ इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि समयाहियाए जहन्नद्वितीए वट्टमाणा नेरइया किं कोहोवउत्ता माणोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ?, गोयमा ! कोहोवउत्ते य मागोवउत्ते य मायोवउत्ते य लोभोवउत्ते य, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य मायोवउत्ता य लोभोवडत्ता य, अहवा कोहोवउत्ते य माणोवउत्ते य अहवा कोहोवउत्ते य माणोवउत्ता य एवं असीति भंगा नेयव्वा, एवं जाव संखिज्ज - समयाहिया ठिई असंखेज्जसमयाहियाए ठिईए तप्पा उग्गुक्कोसियाए ठिईए सत्तावीसं भंगा भाणियव्वा ॥ ४४ ॥ इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयंसहस्तेसु एगमेगंसि निरयावासंसि नेरड्याणं केवइया ओगाहणाठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा ओगाहणाठाणा पन्नत्ता, तंजहा- जहन्निया ओगाहणा अंगुलस्स असंखेज्जइभागं जहण्णिया ओगाहणा एगपदेसाहिया जहन्निया ओगाहणा, दुप्पएसाहिया जहन्निया ओगाहणा, जाव असंखिजपएसाहिया जहन्निया ओगाहणा, तप्पारग्गुक्कोसिया ओगाहणा ॥ इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि जहन्नियाए ओगाहणाए वट्टमाणा नेरइया किं कोहोवउत्ता ?, असीइभंगा भाणियव्वा जाव संखिज्जपएसाहिया जहन्निया ओगाहणा, असंखेजप एसाहियाए जहन्नियाए ओगाहणाए वट्टमाणाणं तप्पाउग्गुक्कोसियाए ओगाहणाए वट्टमाणाणं नेरइयाणं दोसुवि सत्तावीसं भंगा ॥ इमीसे णं भंते ! रयण० जाव एगमेगंसि निरयावासंसि नेरइयाणं कइ सरीरया पण्णत्ता ?, गोयमा ! तिन्नि सरीरया पण्णत्ता, तंजहा- वेउव्विए तेयए कम्मए ॥ इमीसे णं भंते ! जाव वेउव्वियसरीरे वट्टमाणा नेरइया किं कोहोवउत्ता ? सत्तावीसं भंगा भाणियव्वा, एएणं गमएणं तिन्नि सरीरा भाणियव्वा ॥ इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए जाव नेरइयाणं सरीरया किं संघयणी पन्नत्ता ?, गोयमा ! छण्हं संघयणाणं अस्संघयणी, नेवट्ठी नेव छिरा नेव हारूणि जे पोग्गला अणिट्ठा अकंता अप्पिया असुहा अमणुन्ना अमणामा, एतेसिं सरीरसंघायत्ताए परिणमति ॥ इमीसे णं भंते ! जाव छहं संघयणाणं असंघयणे वट्टमाणाणं नेरइया किं कोहोवउत्ता ? सत्तावीसं भंगा ॥ इमीसे णं भंते! रयणप्पभा जाव सरीरिया किंसंठिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-भवधारणिजा य उत्तरविउव्विया य, तत्थ णं जे ते भवधारणिजा ते हुंडसंठिया पण्णत्ता, तत्थ णं जे ते उत्तरवेउन्विया तेवि हुंडसंठिया पण्णत्ता । इमीसे णं जाच हुंडसंठाणे वट्टमाणा नेरइया किं कोहोवउत्ता ? सत्तावीसं भंगा ॥ इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयाणं कति लेस्साओ पन्नत्ता ?, गोयमा ! ४०० Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० सुत्तागमे 7 'एगा काउलेस्सा पण्णत्ता । इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए जाव काउलेस्साए बट्टमाणा सत्तावीसं भंगा ॥ ४५ ॥ इमीसे णं जाव किं सम्मद्दिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्टी ?, तिन्निवि । इमीसे णं जाव सम्महंसणे वट्टमाणा नेरइया सत्तावीसं भंगा, एवं मिच्छादंसणेवि, सम्मामिच्छादंसणे असीति भंगा ॥ इमीसे णं भंते! जाव कि नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! णाणीवि अन्नाणीवि, तिन्नि नाणाईं नियमा, तिम्न्नि अन्नाणाई भयणाए । इमीसे णं भंते ! जाव आभिणिवोहियनाणे वट्टमाणा सत्तावीसं भंगा, एवं तिन्नि नाणारं तिन्नि अन्नाणाई भाणियव्वाई ॥ इमीसे णं जाव किं मणजोगी वइजोगी कायजोगी, ? तिन्निवि । इमीसे णं जाय मणजोए वट्टमाणा कोहोवउत्ता ?, सत्तावीसं भंगा । एवं वइजोए एवं कायजोए ॥ इमीसे णं जाव नेरइया किं सागारोवउत्ता अणागारोवडत्ता ?, गोयमा ! सागारोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि । इमीसेणं जाव सागारोवओगे वट्टमाणा किं कोहोवउत्ता ?, सत्तावीसं भंगा । एवं अगागारोवउत्तावि सत्तावीसं भंगा ॥ एवं सत्तवि पुढवीओ नेयव्वाओ, गाणत्तं लेसासु गाहा———काऊ य दोसु तइयाए मीसिया नीलिया चउत्थीए । पंचमियाए मीसा कहा तत्तो परमकण्हा ॥ १ ॥ ४६ ॥ चउसट्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावाससयसहस्त्रेसु एगमेगंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमाराणं केवइया ठिइठाणा प० ?, गोयमा ! 'असंखेजा ठितिठाणा प०, जहन्निया ठिई जहा नेरइया तहा, नवरं पडिलोमा भंगा भाणियव्वा सव्वेवि ताव होज लोभोवउत्ता, अहवा लोभोवउत्ता य मायोवउत्ते य, अहवा लोभोवउत्ता य मायोवउत्ता य, एएणं गमेणं नेयव्वं जाव थणियकुमाराणं, नवरं णाणत्तं जाणियव्वं ॥ ४७ ॥ असंखेज्जेषु णं भंते ! पुढ विकाइयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि पुढविकाइयावासंसि पुढविक्काइयाणं केवतिया ठितिठाणा प० १, गोयमा ! असंखेजा ठितिठाणा प०, तंजहा - जहन्निया ठिई जाव तप्पा उग्गुक्कोसिया ठिई । असंखेजेसु णं भंते ! पुढविक्काइयावाससयसहस्से एगमेगंसि पुढविकाइयावासंसि जहन्नियाए ठितीए वट्टमाणा पुढविकाइया किं कोहोवउत्ता मागोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ?, गोयमा ! कोहोवउत्तावि माणोउत्तावि मायोवउत्तावि लोभोवउत्तावि, एवं पुढविक्काइयाणं सव्वेमुवि ठाणेसु अभंगयं, नवरं तेउलेस्साए असीति भंगा, एवं आउकाइयावि, ते उक्काइयवाउक्काइयाणं सव्वेसुवि ठाणेसु अमंगयं ॥ वणस्सइकाइया जहा पुढविकाइया ॥ ४८ ॥ बेइंदियतेइंदियचउरिदियाणं जेहिं ठाणेहिं नेरइयाणं असीइभंगा तेहिं ठाणेहिं असीई चेव, नवरं अमहिया सम्मत्ते आभिणिवोहियनाणे सुयनाणे य, एएहिं असीइभंगा, जेहिं ठाणेहिं ने रइयाणं सत्तावीसं भंगा ते ठाणेसु सव्वे अभंगयं ॥ पंचिदिय२६ सुत्ता० [० प० स० १०५ ] ४०.१ Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई तिरिक्खजोणिया जहा नेरइया तहा भाणियव्वा, नवरं जेहिं सत्तावीसं भंगा तेहिं अभंगयं कायव्यं जत्थ असीति तत्थ असीतिं चैव ॥ मणुस्साणवि जेहि ठाणेहिं नेरइयाणं असीतिभंगा तेहिं ठाणेहिं मणुस्साणवि असीतिभंगा भाणियव्वा, जेन ठाणे सत्तावीसा ते अभंगयं, नवरं मणुस्साणं अव्भहियं जहन्निया ठिई आहारए य असीति भंगा ॥ वाणमंतर जोइसवेमाणिया जहा भवणवासी, नवरं णाणत्तं जाणियव्वं जं जस्स, जाव अणुत्तरा, सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति ॥ ४९ ॥ पढमसयस्स पंचमो उद्देसो समत्तो ॥ जावइयाओ य णं भंते । उवासंतराओ उदयंते सृरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति अत्थमंतेविय णं सूरिए तावइयाओ चेव उवासंतराओ चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति ?, हंता ! गोयमा ! जावइयाओ णं उवासंतराओ उदयंते सृरिए चक्खुष्फासं हव्वमागच्छति अत्थमंतेवि सूरिए जाव हव्यमागच्छति । जावइयण्णं भंते ! खित्तं उदयं सूरिए आतावेणं सव्वओ समंता ओभासेइ उज्जोएइ तवेइ पभासेइ, अत्थमंतेविय णं सूरिए तावइयं चेव खित्तं आयावेणं सव्वओ समंता ओभासेइ उज्जोएइ तवेइ पभासेइ ?, हंता गोयमा ! जावतियण्णं खेत्तं जाव पनासेइ ॥ तं भंते ! किं पुहुं ओभासेइ अपुढं ओभासेइ ?, जाव छद्दिसि ओभासेति, एवं रज्जोवेड् तवेइ पभासेइ जाव नियमा छद्दिसि ॥ से नूणं भंते ! सव्वंति सव्वावंति फुरमाणकालसमयंसि जावतियं खेत्तं फुसइ तावतियं फुसमाणे पुट्ठेत्ति वत्तव्वं सिया ?, हंता ! गोयमा ! सव्वंति जाव वत्तव्वं सिया ॥ तं भंते! किं पुढं फुसइ अपुढं फुसइ ? जाव नियमा छद्दिसि ॥ ५० ॥ लोयंते भंते ! अलोयंतं फुसइ अलोयंतेवि लोयंतं फुसइ ?, हंता गोयमा ! लोयंते अलोयंतं फुसइ अलोयंतेवि लोयंतं फुस ३ । तं भंते! किं पुढं फुसइ अपुढं फुसइ ? जाव नियमा छद्दिसि फुसइ । दीवंते भंते । सागरंतं फुसइ सागरंतेवि दीवंतं फुसइ ?, हंता जाव नियमा छद्दिसि फुसइ, एवं एएणं अभिलावेणं उदयंते पोयंतं फुसइ छिद्दते दूसंतं छायंते आयवंतं जाव नियमा छद्दिसिं फुसइ ॥ ५१ ॥ अत्थि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ ?, हंता अत्थि । सा भंते । किं पुट्ठा कज्जइ अपुट्ठा कज्जइ ?, जाव निव्वाघाएणं छद्दिसिं वाघायं पहुच सिय तिदिसिं सिय चउदिसि सिय पंचदिसि । सा भंते । किं कडा कज्जइ अकडा कज्जइ ?, गोयमा ! कडा कज्जइ नो अकडा कज्जइ । सा भंते । किं अत्तकडा कज्जइ परकडा कज्जइ तदुभयकड ( कज्जइ ?, गोयमा ! अत्तकडा कज्जइ णो परकडा कज्जइ णो तदुभयकडा कज्जइ । सा भंते । किं आणुपुव्वि कडा कज्जइ अणाणुपुव्विं कडा कज्जइ ?, गोयमा ! आणुपुव्वि कडा कज्जइ नो अणाणुपुव्वि कडा ४०२ Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १ उ०६] सुत्तागमे ४०३ कजइ, जा य कडा जा य कजइ जा य कजिस्सइ सव्वा सा आणूपुचि कडा नो अणाणुपुव्वि कडत्ति वत्तव्वं सिया। अत्थि णं भंते ! नेरइयाणं पाणाइवायकिरिया कन्नइ ?, हंता अत्यि । सा भंते ! किं पुट्ठा कजइ अपुट्ठा कज्जइ जाव नियमा छदिसिं कजइ, सा भंते ! किं कडा कजइ अकडा कज्जइ ?, तं चेव जाव नो अणाणुपुन्धि कडत्ति वत्तव्वं सिया, जहा नेरइया तहा एगिदियवजा भाणियव्वा, जाव वेमाणिया, एगिदिया जहा जीवा तहा भाणियव्वा, जहा पाणाइवाए तहा मुसावाए तहा अदिन्नादाणे मेहुणे परिग्गहे कोहे जाव मिच्छादसणसल्ले, एवं एए अट्ठारस, चउवीसं दंडगा भाणियव्वा, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं जाव विहरति ॥ ५२ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी रोहे नामं अणगारे पगइभद्दए पगइमउए पगइविणीए पगइउवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे भद्दए विणीए समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते उर्बुजाणू अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं से रोहे नामं अणगारे जायसढे जाव पजुवासमाणे एवं वदासी-पुब्धि भंते ! लोए पच्छा अलोए पुद्वि अलोए पच्छा लोए ?, रोहा ! लोए य अलोए य पुचिपेते पच्छापेते दोवि एए सासया भावा, अणाणुपुव्वी एसा रोहा । । पुचि भंते । जीवा पच्छा अजीवा पुन्नि अजीवा पच्छा जीवा ?, जहेव लोए य अलोए य तहेव जीवा य अजीवा य, एवं भवसिद्धिया य अभवसिद्धिया य सिद्धी असिद्धी सिद्धा असिद्धा, पुच्चि भंते ! अंडए पच्छा कुकुडी पुचि कुकुडी पच्छा अंडए ?, रोहा । से णं अंडए कओ ?, भयवं ! कुक्कुडीओ, सा गं कुक्कुडी कओ ?, भंते ! अंडयाओ, एवामेव रोहा! से य अंडए सा य कुकुडी, पुटिबपेते पच्छापेते दुवेते सासया भावा, अणाणुपुव्वी एसा रोहा ! । पुवि भंते ! लोयते पच्छा अलोयंते पुचि अलोयंते पच्छा लोयंते १, रोहा । लोयंते य अलोयंते य जाव अणाणुपुव्वी एसा रोहा!। पुन्वि भंते । लोयंते पच्छा सत्तमे उवासंतरे पुच्छा, रोहा ! लोयंते य सत्तमे उवासंतरे पुष्विपि दोवि एते जाच अणाणुपुवी एसा रोहा ! । एवं लोयंते य सत्तमे य तणुवाए, एवं घणवाए घणोदही सत्तमा पुढवी, एवं लोयंते एकेकेणं संजोएयव्वे इमेहिं ठाणेहि-तंजहा-ओवासवायघणउदहि पुढवी दीवा य सागरा वासा । नेरझ्याई अत्थिय समया कम्माइं लेस्साओ ॥१॥ दिट्ठी दसण णाणा सन्न सरीरा य जोग उवओगे । दव्वपएसा पज्जव अद्धा किं पुव्वि लोयते ॥ २ ॥ पुचि भंते ! लोयंते पच्छा सव्वद्धा? | जहा लोयंतेणं संजोइया सव्वे ठाणा एते एवं अलोयंतेणवि संजोएयव्वा सव्वे । पुट्विं भंते ! Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई १०४ सत्तमे उवासंतरे पच्छा सत्तमे तणुवाए ?, एवं सत्तमं उबानंतर सव्वहिं समं संजोएयव्वं जाव सव्वद्धाए । पुचि भंते ! सत्तमे तणुवाए पाछा सत्तमे घणवाए ?, एयपि तहेव नेयव्वं जाव सव्वद्धा, एवं उवरिष्ठं एक संजोयंतेणं जो जो हिटिन्टो तं तं छटुंतेणं नेयव्वं जाव अतीयअणागयद्धा पच्छा सव्वहा जाव अगाणुपुत्वी एसा रोहा! सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति ! जाव विहरइ ॥ ५३॥ भंतेत्ति भगवं गोयमें समण जाव एवं वयासी-कतिविहा णं भंते ! लोयहिती प० ?, गोयमा! अहविता लोयद्विती प०, तंजहा-आगासपइट्ठिए वाए १ वायपइहिए उदही २ उदहीपइडिया पुढवी ३ पुढविपइट्ठिया तसा थावरा पाणा ४ अजीवा जीवपइडिया ५ जीवा कम्मपइट्ठिया ६ अजीवा जीवसंगहिया ७ जीवा कम्मसंगहिया ८ । से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ ?-अट्ठविहा जाव जीया कम्मसंगहिया ?, गोयमा ! से जहानामएकेइ पुरिसे वत्थिमाडोवेइ वत्थिमाडोवित्ता उप्पिं सितं बंधइ २ मझेणं गठिं बंधइ २ उवरिल्लं गठिं मुयइ २ उवरिलं देसं वामेइ २ उवरिल्लं देसं वामेत्ता उवरिलं देसं आउयायस्स पूरेइ २ उप्पिसि तं बंधइ २ मज्झिलं गठिं मुथइ । से नूणं गोयमा ! से आउयाए तस्स वाउयायस्स उप्पिं उवरितले चिट्टइ ?, हंता चिट्ठइ, से तेगडेणं जाव जीवा कम्मसंगहिया, से जहा वा केइ पुरिसे वत्थिमाडोवेइ २ कडीए बंधइ २ अत्थाहमतारमपोरसियंसि उदगंसि ओगाहेज्जा, से नूणं गोयमा ! से पुरिसे तस्स आउयायस्स उचरिमतले चिट्ठइ ?, हंता चिट्ठइ, एवं वा अट्ठविहा लोयहिई पण्णत्ता जाव जीवा कम्मसंगहिया ॥५४॥ अत्थि णं भंते! जीवा य पोग्गला य अन्नमनवद्धा अन्नमन्नपुट्ठा अन्नमनमोगाढा अन्नमन्नसिणेहपडिवद्धा अन्नमन्नघडत्ताए चिट्ठति ?, हंता! अस्थि । से केपटेणं भंते ! जाव चिट्ठति ?, गोयमा ! से जहानामए-हरदे सिया पुण्णे पुण्णप्पमाणे वोलट्टमाणे वोसट्टमाणे समभरघडताए चिठ्ठइ, अहे णं केइ पुरिसे तंसि हरदसि एगं महं नावं सयासवं सयछिडे ओगाहेजा, से नूर्ण गोयमा ! सा णावा तेहिं आसवदारेहिं आपूरमाणी २ पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिट्ठइ ?, हंता चिटइ, से तेणढणं गोयमा! अत्थि णं जीवा य जाव चिट्ठति ॥ ५५ ॥ अस्थि णं भंते ! सया समियं सुहुमे सिणेहकाए पवडइ ?, हंता अस्थि । से भंते ! कि उड्डे पक्डइ अहे पवडइ तिरिए पवडइ ?, गोयमा ! उड्डेवि पवडइ अहे पवडइ तिरिएवि पवडइ, जहा से वादरे आउयाए अन्नमन्नसमाउत्ते चिरंपि दीहकालं चिट्ठइ तहा णं सेवि ?, नो इणढे समढे, से गं खिप्पामेव विद्धंसमागच्छइ । सेवं भंते । सेवं भंतेत्ति ! ॥ १॥ ५६ ॥ छडो उद्देसो समत्तो॥ . नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववजमाणे किं देसेणं देसं उववजइ देसेणं सव्वं Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १ उ० ७ ] सुत्तागमे उववज्जइ सव्वेणं देसं उववजह सव्वेणं सव्वं उववज्जइ ?, गोयमा ! नो देसेणं देतं नो देसेणं सव्वं उववज्जइ नो सव्वेण देसं उववज्जइ सव्वेणं सव्वं उव उववजइ १ वजर, जहा नेरइए एवं जाव वेमाजिए ॥ १ ॥ ५७ ॥ नेरइए णं भंते ! नेरइएस उववज्जमाणे कि देसेणं देतं आहारेइ देसेणं सव्वं आहारेइ २ सव्वेणं देसं आहारे ३ सव्वेणं सव्वं आहारेइ ? ४, गोयमा ! नो देसेणं देसं आहारेइ नो देसेणं सव्वं आहारेह सव्वेण वा देखें आहारेइ सव्वेण वा सव्वं आहारेड, एव जाव वैमाणिए २ | नेरइए णं भंते! नेरइएहिंतो उव्वट्टमाणे किं देसेणं देतं उववट्टइ ? जहा उववजमाणे तहेव उववट्टमाणेऽवि दंडगो भाणियव्वो ३ । नेरइए णं भंते! नेरइएहिंतो उववट्टमाणे कि देसेणं देर्स आहारेड़ तहेव जाव सव्वेण वा देसं आहारेइ ?, सव्र्वेण वा सव्वं आ० १, एवं जाव वेमाणिए ४ । नेरइ० भंते ! नेर० उववन्ने कि देसेणं देस उववन्ने, एसोऽवि तहेव जाव सव्वेणं सव्वं उववन्ने ?, जहा उववजमाणे उववट्टमाणे य चत्तारि दंडगा तहा उववन्नेणं उव्वट्टेणवि चत्तारि दंडगा भाणियव्वा, सव्वेणं सव्वं उववन्ने सव्वेण वा देसं आहारेइ सव्वेण वा सव्वं आहारेड, एएणं अभिलावेगं उववन्नेवि उव्वट्टणेचि नेयव्वं ८ ॥ नेरइए णं भंते ! नेरइएस उववज्जमाणे कि अद्वेणं अद्धं उववजइ ? १ अद्वेणं सव्वं उववज्जइ ? २ सव्वेणं अर्द्ध उववज्जइ ? ३ सव्वेणं सव्वं उववज्जइ० ? ४, जहा पढमिलेणं अट्ठ दंडगा तहा अद्वेणवि अट्ट दंडगा भाणियव्वा, नवरं जहिं देसेणं देसं उववज्जइ तर्हि अद्वेणं अद्धं उववज्जइ इति भाणियव्वं, एवं णाणत्तं, एते सव्वेवि सोलसदंडगा भाणियव्वा ॥ ५८ ॥ जीवे णं भंते ! किं विग्गहगतिसमावन्नए अविग्गहगतिसमावन्नए ?, गोयमा ! सिय विग्गहगइस मावन्नए सिय अविग्गहगतिसमावन्नगे, एवं जाव वेमाणिए । जीवा णं भंते! किं विग्गहगइसमावनया अविग्गहगइ समावन्नगा ?, गोयमा ! विग्गगइसमावन्नगावि अविग्गहगइसमावन्नगावि । नेरइया णं भंते । कि विग्गहगतिसमावन्नया अविग्गहगतिसमावन्नगा ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव होजा अविग्गहगतिसमावन्नगा १ | अहवा अविग्गहगतिसमावन्नगा य विग्गहगतिसमावन्ने य २ अहवा अविग्गहगतिसमावन्नगा य विग्गहगइसमावन्नगा य ३ ॥ एवं जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो ॥५९॥ देवे णं भंते | महिड्डिए महज्जुईए महब्बले महायसे महासुक्खे महाणुभाचे अविउक्कंतियं चयमाणे किचिविकालं हिरिवत्तियं दुगुंछावत्तियं परिसहवत्तिय आहारं नो आहारेड, अहे णं आहारेइ, आहारिजमाणे आहारिए परिणामिज्जमाणे परिणामिए पहीणे य आउए भवइ जत्थ उववज्जइ तमाउयं पडिसंवेएइ, तंजहा-तिरिक्खजोणियाउयं वा मणुस्साउयं वा ?, हंता गोयमा ! देवे णं महिड्डिए ४०५ Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । भगवई सुत्तागमे जाव मणुस्साउयं वा ॥६०॥ जीवे णं भंते गभं वक्कममाणे किं सइंदिए वक्कमइ अणिदिए वक्कमइ?, गोयमा ! सिय सइंदिए वक्कमइ सिय आणदिए वक्कमइ, से केणटेणं ?, गोयमा ! दविदियाइं पडुच्च अणिदिए वक्कमइ भाविंदियाइं पडुच्च सइंदिए वकमइ, से तेणटेणं० । जीवे णं भंते ! गन्भं वक्कममाणे किं ससरीरी वकमइ असरीरी वक्कमइ ?, गोयमा! सिय ससरीरी व० सिय असरीरी वक्कमइ, से केणटेणं ?, गोयमा! ओरालियवेउव्वियआहारयाइं पडुच्च असरीरी व० तेयाकम्मा०प० सस० वक्क० से तेणटेणं गोयमा!० । जीवे णं भंते ! गम्भं वकममाणे तप्पढमयाए किमाहारमाहारेइ ?, गोयमा ! माउओयं पिउसुक्नं तं तदुभयसंसिर्ल्ड कलुसं किविसं तप्पढमयाए आहारमाहारेइ । जीवे णं भंते ! गब्भगए समाणे किमाहारमाहारेइ ?, गोयमा ! जं से माया नाणाविहाओ रसविगईओ आहारमाहारेइ तदेकदेसेणं ओयमाहारेइ । जीवस्स णं भंते ! गब्भगयस्स समाणस्स अस्थि उच्चारेइ वा पासवणेइ वा खेलेइ वा सिंघाणेइ वा वंतेइ वा पित्तेइ वा ?, णो इणढे समढे, से केणटेणं ?, गोयमा! जीवे णं गब्भगए समाणे जमाहारेइ तं चिणाइ तं सोइंदियत्ताए जाव फासिदियत्ताए अद्विअद्विमिंजकेसमंसुरोमनहत्ताए, से तेणढेणं० । जीवे णं भंते ! गब्भगए समाणे पभू मुहेणं कावलियं आहारं आहारित्तए ?, गोयमा! णो इणद्वे समढे, से केणटेणं ?, गोयमा ! जीवे णं गभगए समाणे सव्वओ आहारेइ सव्वओ परिणामेइ सव्वओ उस्ससइ सव्वओ निस्ससइ अभिक्खणं आहारेइ अभिक्खणं परिणामेइ अभिक्खणं उस्ससइ अभिक्खणं निस्ससइ आहच आहारेइ आहच्च परिणामेइ आहच उस्ससइ आहच्च नीससइ ॥ माउजीवरसहरणी पुत्तजीवरसहरणी माउजीवपडिबद्धा पुत्तजीवं फुडा तम्हा आहारेइ तम्हा परिणामेइ, अवरावि य गं पुत्तजीवपडिबद्धा माउजीवफुडा तम्हा चिणाइ तम्हा उवचिणाइ से तेणटेणं० जाव नो पभू मुहेणं कावलियं आहारं आहारित्तए ॥ कइ णं भंते ! माइअंगा प० ?, गोयमा ! तओ माइयंगा प०, तंजहा-मंसे सोणिए मत्थुलुंगे । कइ णं भंते ! पिइयंगा प०?, गोयमा! तओ पिइयंगा प०, तंजहा-अट्ठि अद्विमिंजा केसमंसुरोमनहे। अम्मापिइए णं भंते ! सरीरए केवइयं कालं संचिठ्ठइ ?, गोयमा ! जावइयं से कालं भवधारणिजे सरीरए अव्वावन्ने भवइ एवतियं कालं संचिठ्ठइ, अहे णं समए समए वोकसिज्जमाणे २ चरमकालसमयंसि वोच्छिन्ने भवइ ।। ६१ ॥ जीवे णं भंते.! गभगए समाणे नेरइएसु उववज्जेज्जा ?, गोयमा! अत्यंगइए उववजेज्जा अत्थेगइए नो उववज्जेजा, से केपटेणं ?, गोयमा ! से णं सन्नी पंचिदिए सव्वाहिं पजत्तीहिं पज्जत्तए वीरियलद्धीए वेउब्वियलद्धीए पराणीएणं आगयं सोचा निसम्म पएसे Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० : उ०८] सुत्तागमे ४०७ निच्छुभइ नि० २ वउव्वियसमुग्याएणं समोहणइ समो० २ चाउरंगिणिं सेनं विउच्चइ चाउरंगिणीसेन्नं विउव्वेत्ता चाउरंगिणीए सेणाए पराणीएणं सद्धि संगाम संगामेइ, से ण जीवे अत्यकामए रजकामए भोगकामए कामकामए अत्थकंखिए रजकंखिए भोगकंखिए कामकंखिए अत्यपिवासिए रजपिवासिए भोगपिवासिए कामपिवासिए तच्चित्ते तम्मणे तसे तदज्यवसिए तत्तिव्वज्झवसाणे तदहोवउत्ते तदप्पियकरणे तव्भावणाभाविए एयंति णं अंतरंसि कालं करेज नेरइएसु उववनइ, से तेगटेणं गोयमा ' जाव अत्येगइए उववज्जेना अत्थेगइए नो उववज्जेजा । जीवे णं भंते ! गभगए समाणे देवलोगेमु उववजेना?, गोयमा ! अत्थेगइए उववजेजा अत्थेगइए नो उववज्जेजा, से केणटेणं ?, गोयमा ! से णं सन्नी पंचिंदिए सव्वाहिं पजत्तीहिं पज्जत्तए तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि आयरियं धम्मिय मुवयणं सोचा 'निसम्म तओ भवइ संवेगजायसड्ढे तिव्वधम्माणुरागरत्ते, से णं जीवे धम्मकामए पुण्णकामए सरंगकामए मोक्खकामए धम्मकंखिए पुण्णकंखिए सरगमोक्खकं० धम्मपिवासिए पुण्णसरगमोक्खपिवासिए तच्चित्ते तम्मणे तल्लेसे तदझवसिए तत्तिव्वज्झवसाणे तदट्ठोवउत्ते तदप्पियकरणे तव्भावणाभाविए एयसि गं अंतरंसि कालं करे० देवलो० उव०, से तेणटेणं गोयमा !० । जीवे णं भंते ! गभगए समाणे उत्ताणए वा पासिल्लए वा अंवखुज्जए वा अच्छेज वा चिटेज वा निसीएज वा तुयट्टेज वा माऊए मुयमाणीए सुवइ जागरमाणीए जागरइ मुहियाए सुहिए भवइ दुहियाए दुहिए भवइ , हंता गोयमा! जीवेणं गभगए समाणे जाव दुहियाए दुहिए भवइ, अहे णं पसवणकालसमयंसि सीसेण वा पाएहिं वा आगच्छइ सममागच्छइ तिरियमागच्छइ विणिहायमागच्छइ ॥ वण्णवज्झाणि य से कम्माई वद्धाइं पुट्ठाइं निहत्ताई कडाइं पट्टवियाइं अभिनिविट्ठाई अभिसमन्नागयाई उदिन्नाई नो उवसंताई भवंति तओ भवइ दुलवे दुव्वन्ने दुग्गंधे दुरसे दुप्फासे अणिढे अंकते अप्पिए असुभे अमणुन्ने अमणामे हीगस्सरे दीणसरे अणिट्ठस्सरे अकंतसरे अप्पियस्सरे असुभस्सरे अमणुन्नस्सरे अमणामस्सरे अणाएजवयणे पच्चायाए यावि भवइ, वन्नवज्झाणि य से कम्माई नो वधाई पसत्थं नेयव्वं जाव आदेजवयणं पञ्चायाए यावि भवइ, सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥६२॥ पढमसयस्स सत्तमो उद्देसो समत्तो॥ रायगिहे समोसरणं जाव एवं वयासी-एगंतवाले णं भंते ! मणूसे किं नेरइयाउयं पकरेइ तिरिक्ख० मगु० देवा० पक्र० १, नेरइयाउयं किच्चा नेरइएसु उव० तिरियाउयं कि० तिरिएसु उवव० मणुस्साउयं किच्चा मणुस्से० उव० देवाउ० कि० देव Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०० सुत्तागमे [भगवई लोएसु उववज्जइ ?, गोयमा ! एगंतवाले णं मणुरसे नेण्याच्यपि पर निकित मणु० देवाउयंपि पकरेइ, नेरड्याउयपि किचा नेरान उप निरि० म० वा. उयं किच्चा तिरि० मणु० देवलोएतु उववजह ॥ १३॥ पंडिा भने : मपुर में किं नेर० पकरेइ जाव देवाज्यं किन्या देवलोगर उवय ?, गोयना : गगनलिए णं मणुरसे आउयं सिय पकरेड सिय नो पकरे, जड पद नो नरसना पर नो तिरि० नो मणु० देवाउयं पकरेड, नो नेरइयाउ किना नर० उच को निरिक णो मणुस्स० देवाउयं किचा देवेनु उच०, से कंगडेणं जान देवा० किंगा देवा उववज्जइ ?, गोयमा ! एगंतपंडियस्स णं मणुस्सस्स केवलमेव दो गाओ पनाति, तंजहा-अंतकिरिया चेव कप्पोववत्तिया चेव, से तेणद्वेण गोयमा : जाय देवाऽयं किचा देवेसु उववज्जइ ॥ वालपंडिएणं भंते ! मणुरसे कि नरध्याउयं पकरे जाव देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जइ ?, गोयमा ! नो नेरट्याउपकरेट जाव देयाउनकिता देवेसु उववजड, से केणटेणं जाव देवाच्यं किच्चा देवेनु उववनर ?, गोयमा ! बालपंडिए णं मणुस्से तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एनमवि आयरियं धम्मियं सुवयणं सोचा निसम्म देसं उवरमइ देसं नो स्वरमद देसं पचवसाद देसं णो पञ्चक्खाइ, से तेणटेणं देसोवरमदेसपचक्खाणेणं नो नेरडयाज्यं पकन्द जाव देवाचं किच्चा देवेसु उववजइ, से तेणटेणं जाव देवेनु उववन्नद ।। ६४॥ पुरिसे णं भंते ! कच्छंसि वा १ दहंसि वा २ उदगंसि वा ३ दवियंसि वा ४ पलयंति वा ५ नूनंति वा ६ गहणंसि वा ७ गहणविदुग्गंसि वा ८ पच्वयंसि ९ पव्वयविदुग्गति वा १० वर्णसि वा ११ वणविदुग्गंसि वा १२ मियवित्तीए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता एए मिएत्तिकाउं अन्नयरस्स मियस्स वहाए कूडपासं उदाइ, ततो णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए पण्णत्ते ?, गोयमा! जावं च णं से पुरिसे कच्छंनि वा १० (१२) जाव कूडपासं उद्दाइ तावं च णं से पुरिसे तिय तिकि० सिय चउ० सिय पंच०, से केणटेणं सिय ति० सिय च० सिय पं० ?, गोयमा! जे भविए उद्दवणयाए णो बंधणयाए णो मारणयाए तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणियाए पाउसियाए तिहिं किरियाहि पुढे, जे भविए उद्दवणयाएवि वंधणयाएवि णो मारणयाए तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणियाए पाउसियाए पारियावणियाए चउहि किरियाहिं पुढे, जे भविए उद्दवणयाएवि वंधणयाएवि मारणयाएवि तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिंगरणियाए पाउसियाए जाव पंचहिं पुढे, से तेणटेणं जाव पंचकिरिए ॥६५॥ पुरिसे णं भंते ! कच्छंसि वा जाव वणविदुग्गंसि वा तणाई ऊसविय २ अगणिकायं निस्सरइ तावं च णं से भंते ! से पुरिसे कति Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० १ उ०८] सुसागमे ४०९ किरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकि० सिय पंच०, से केणटेणं ?, गोयमा ! जे भविए उस्सवणयाए तिहिं, उस्सवणयाएवि निस्सिरणयाएवि नो दहणयाए चउहि, जे भविए उस्सवणयाएवि निस्सिरणयाएवि दहणयाएवि तावं च पं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढे, से तेण० गोयमा ! ।। ६६ ॥ पुरिसे णं भंते ! कच्छंसि वा जाव वणविदुरगंसि वा मियवित्तीए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता एए मिएत्तिका अन्नयरस्स मियस्स वहाए उसु निसिरड, ततो णं भंते ! से पुरिसे कइकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए, से केणढेणं ?, गोयमा ! जे भविए निस्सिरणयाए नो विद्धसणयाएवि नो मारणयाए तिहि, जे भविए निस्सिरणयाएवि विद्धंसणयाएवि नो मारणयाए चउहि, जे भविए निस्सिरणयाएवि वि० मा० तावं च णं से पुरिसे जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे, से तेणढणं गोयमा। सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए ॥ ६७ ॥ पुरिसे णं भंते ! कच्छंसि वा जाध अन्नयरस्स मियस्स वहाए आययकनाययं उसुं आयामेत्ता चिट्ठिजा, अन्नयरे पुरिसे मग्गओ आगम्म सयपाणिणा असिणा सीसं छिंदेजा से य उसु ताए चेव पुवायामणयाए तं विधेजा से णं भंते ! पुरिसे किं मियवेरेणं पुढे पुरिसवेरेणं पुढे ?, गोयमा ! जे मियं मारेइ से मियवरेणं पुढे, जे पुरिसं मारेइ से पुरिसवेरेणं पुढे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव से पुरिसवेरेणं पुढे ?, से नृणं गोयमा ! कन्जमाणे कडे संविजमाणे संधिए निव्वत्तिज्जमाणे निव्वत्तिए निसिरिजमाणे निसिटेत्ति वत्तव्वं सिया ?, हंता भगवं ! कन्जमाणे कडे मार निसिटेत्ति वत्तव्वं सिया, से तेणटेणं गोयमा ! जे मियं मारेइ से मियवेरेणं पुट्टे, जे पुरिसं मारेइ से पुरिसवेरेणं पुढे ॥ अंतो छण्हं मासाणं मरइ काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे, वाहिं छण्हं मासाणं मरइ काइयाए जाव पारियावणियाए चाहिं किरियाहिं पुढे ॥ ६८ ॥ पुरिसे णं भंते ! पुरिसं सत्तीए समभिधंसेज्जा सयपाणिणा वा से असिणा सीसं छिंदेना तओ णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए १, गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तं पुरिसं सत्तीए अभिसंधेइ सयपाणिणा वा से असिणा सीसं. छिदइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणि० जाव पाणाइवायकिरियाए पंचहिं किरियाहिं पुढे, आसन्नवहएण य अणवकंखवत्तिएणं पुरिसवेरेणं पुढें ॥ ६९ ॥ दो भत ! पुरिसा सरिसया सरित्तया सरित्वया सरिसभंडमत्तोवगरणा अन्नमन्नणं सद्धि संगाम संगामेन्ति, तत्थ णं एगे पुरिसे पराइणइ एगे पुरिसे पराइज्जइ, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा! सवीरिए पराइणइ अवीरिए पराइज्जइ, से केणटेणं जाव पराइज्जइ ?, गोयमा ! जस्स णं वीरियवज्झाई कम्माई णो बद्धाइं णो पुट्टादं जाव Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [नगवई नो अभिसमन्नागयाइं नो उदिन्नाई उवसंताई भवंति से णं पराठणड, जस्स पं वीरियवज्झाई कम्माई वद्धाइं जाव उदिन्नाई नो उपसंताई भवंति से गं पुरिसे पराठजइ, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सवीरिए पराइणइ अवीरिए पराइजइ ॥ ७० ॥ जीवा णं भंते ! कि सवीरिया अवीरिया ?, गोयमा! सवीरियावि अवीरियावि, से केणट्टेणं ?, गोयमा! जीवा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-संसारसमावनगा य असंसारसमावन्नगा य, तत्थ णं जे ते असंसारसमावन्नगा ते णं सिद्धा, सिद्धा णं अवीरिया, तत्थ णं जे ते संसारसमावन्नगा ते दुविहा पन्नना, तंजहा-सेलेसिपटिवनगा य असेलेसिपडिवनगा य, तत्थ णं जे ते सेलेमिपडिवनगा ते णं लडिवीरिएणं सबीरिया करणवीरिएणं अवीरिया, तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवनगा ते णं लद्धिवीरिएणं सवीरिया करणवीरिएणं सवीरियावि अवीरियावि, से तेणटेणं गोयमा ! एवं चुच्चइ-जीवा दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-सवीरियावि अवीरियावि । नेरइया णं भंते ! कि सवीरिया अवीरिया ?, गोयमा ! नेरइया लद्धिवीरिएणं सवीरिया करणवीरिएणं सवीरियावि अवीरियावि, से केणटेणं ?, गोयमा ! जेसि णं नेरइयाणं अस्थि उहाणे कम्मे वले वीरिए पुरिसकारपरकमे ते णं नेरड्या लद्धिवीरिएणवि सीरिया करणवीरिएणवि सवीरिया, जेसि णं नेरइयाणं नत्थि उठाणे जाव परकमे ते णं नेरच्या लद्धिवीरिएणं सवीरिया करणवीरिएणं अवीरिया, से तेगडेणं०, जहा नरइया एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिया, मणुस्सा जहा ओहिया जीवा, नवरं सिद्धवज्जा भाणियव्वा, वाणमंतरजोइसवेमाणिया जहा नेरड्या, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ७१ ॥ पढमसए अमो उद्देसो समत्तो॥ __ कहन्नं भते ! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छन्ति ?, गोयमा ! पाणाइवाएणं मुसाचाएणं अदिन्ना० मेहुण० परि० कोह० माण० माया० लोभ० पे० दोस० कलह० अभक्खाण० पेसुन्न० रतिअरति० परपरिवाय० मायामोसमिच्छादसणसल्लेणं, एवं खलु गोयमा ! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छंति । कहन्नं भंते ! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छंति ?, गोयमा ! पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छादसणसल्वेरमणेणं एवं खलु गोयमा । जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छन्ति, एवं संसारं आउलीकरेंति एवं परित्तीकरेंति दीहीकरेंति हस्सीकरेंति एवं अणुपरियति एवं वीइवयंति-पसत्या चत्तारि अप्पसत्या चत्तारि ॥ ७२ ॥ सत्तमे णं भंते ओवासंतरे किं गुरुए लहुए गुरुयलहुए अगुरुयलहुए?, गोयमा ! नो गुरुए नो लहुए नो गुरुयलहुए अगुरुयलहुए । सत्तमे णं भंते ! तणुवाए किं गुरुए लहुए गुरुयलहुए अगुरुयलहुए ?, गोयमा ! नो गुरुए नो लहुए गुरुयलहुए नो अगुरुयलहुए । एवं सत्तमे घणवाए सत्तमे घणोदही सत्तमा Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० १ उ० ९ सुत्तागमे ४११ पुढवी, उवासंतराई सव्वाई जहा सत्तमे ओवासंतरे, (सेसा) जहा तणुवाए, एवंओवासवायघणउदहि पुढवी दीवा य सागरा वासा । नेरइया णं भंते ! किं गुरुया जाव अगुरुलहुया ?, गोयमा ! नो गुरुया नो लहुया गुरुयलहुयावि अगुरुलहुयावि, से केण्टेणं ?, गोयमा । वेउव्वियतेयाइं पडुच्च नो गुरुया नो लहुया गुरुयलहुआ नो अगुरुलहुया, जीवं च कम्मणं च पडुच्च नो गुरुया नो लहुया नो गुरुयलहुया अगुरुयलहुया, से तेणटेणं जाव वेमाणिया, नवरं णाणत्तं जाणियव्वं सरीरेहिं । धम्मत्यिकाए जाव जीवत्यिकाए चउत्थपएणं । पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! कि गुरुए लहुए गुरुयलहुए अगुख्यलहुए ?, गोयमा । णो गुरुए नो लहुए गुरुयलहुएवि अगुरुयलहुएवि, से केणटेणं ?, गोयमा । गुरुयलहुयदव्वाइं पडुच्च नो गुरुए नो लहुए गुरुयलहुए नो अगुरुयलहुए, अगुरुयलहुयदव्वाइं पडुच्च नो गुरुए नो लहुए नो गुरुयलहुए अगुरुयलहुए, समया कम्माणि य चउत्थपदेणं । कण्हलेसा णं भंते ! किं गुरुया जाव अगुरुयलहुया ?, गोयमा! नो गुरुया नो लहुया गुरुयलहुयावि अगुरुयलहुयावि, से केणटेणं ?, गोयमा ! दव्वलेसं पडुच्च ततियपदेणं भावलेसं पडुच्च चउत्थपदेणं, एवं जाव सुक्कलेसा, दिट्ठीदंसणनाणअन्नाणसण्णा चउत्थपदेणं णेय. व्वाओ, हेछिल्ला चत्तारि सरीरा नायव्वा ततियपदेणं, कम्मं य चउत्थयपएणं, मणजोगो वइजोगो चउत्थएणं पदेणं, कायजोगो ततिएणं पदेणं, सागारोवओगो अणागारोवओगो चउत्थपदेणं, सव्वपदेसा सव्वदव्वा सव्वपज्जवा जहा पोग्गलथिकाओ, तीतद्धा अणागयद्धा सव्वद्धा चउत्थएणं पदेणं ॥ ७३ ॥ से नूणं भंते ! लाघवियं अप्पिच्छा अमुच्छा अगेही अपडिबद्धया समणाणं णिग्गंथाणं पसत्यं ?, हंता गोयमा ! लाघवियं जाव पसत्थं ॥ से नूणं भंते ! अकोहत्तं अमाणत्तं अमायत्तं अलोभत्तं समणाणं निग्गथाणं- पसत्थं ?, हंता गोयमा ! अकोहत्तं अमाणत्तं जाव पसत्यं ॥ से नूणं भंते ! कंखापदोसे खीणे समणे निग्गंथे अंतकरे भवति अंतिमसारीरिए वा वहुमोहेवि य णं पुदि विहरित्ता अह पच्छा संवुडे कालं करेति तओ पच्छा सिज्झति ३ जाव अंतं करेइ ?, हंता गोयमा । कंखापदोसे खीणे जाव अंतं करेति ॥ ७४ ॥ अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति एवं भासेति एवं पण्णवेंति एवं परूवेंति-एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो आउयाइं पकरेति, तंजहाइहभवियाउयं च परभवियाउयं च, जं संमयं इहभवियाउयं पकरेति तं समयं परभवियाउयं पकरेति, जं समयं परभवियाउयं पकरेति तं समयं इहभवियाउयं पकरेति, इहभवियाउयस्त पकरणयाए परभवियाउयं पकरेइ, परभवियाउयस्स पकरणयाए इहभवियाउयं पकरेति, एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो आउयाई Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई पकरेति, तं०-इहभवियाउयं च परभवियाउयं च से कहमेवं भंते ! एवं ?, खलु गोयमा ! जणं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाव परभवियाज्यं च, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परुत्रेमिएवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एवं आउयं पकरेति, तं ० - इहभवियाज्यं वा परभवियालयं वा, जं समयं इहभवियाउयं पकरेति णो तं समत्रं परभवियाज्यं पकरेति, जं समयं परभवियाउयं पकरेइ णो तं समयं इहभवियाउयं पकरेड, इहभवियाउयस्स पकरणताए णो परभवियाउयं पकरेति, परभवियाउयस्स पकरणताए णो इहभवियाउयं पकरेति, एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एवं आउयं पकरेति, तं० - इहभवियाउयं वा परभवियाज्यं वा, सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति भगवं गोयमे जाव विहरति ॥ ७५ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावचिज्जे कालासवेसियपुत्ते णामं अणगारे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छति २ त्ता थेरे भगवंते एवं वयासी थेरा सामाइयं ण जाणंति थेरा सामाइयस्स अहं ण याणंति थेरा पचक्खाणं ण याति थेरा पच्चक्खाणस्स अहं ण याणंति घेरा संजमं ण याणंति थेरा संजमस्स अहं ण याणंति थेरा संवरं ण याणंति थेरा संवरस्स अहं ण याणंति थेरा विवेगं ण याणंति थेरा विवेगस्स अहं ण याणंति थेरा विउस्सग्गं ण याणंति थेरा विउस्सग्गस्स अट्ठं ण याणंति ६ । तए णं ते थेरा भगवंतो कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं वयासी-जाणामो णं अज्जो ! सामाइयं जाणामो णं अज्जो ! सामाइयस्स अट्टं जाव जाणामो णं अजो ! विउस्सग्गस्स अहं । तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते एवं वयासी–जति णं अजो ! तुम्भे जाणह सामाइयं जाणह सामाइयस्स अहं जाव जाणह विउस्सग्गस्स अहं कि भे अज्जो ! सामाइए किं भे अजो सामाइयस्स अट्ठे ? जाव किं भे विउस्सग्गस्स अट्ठे ?, तए णं ते थेरा भगवंतो कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं वयासी आया णे अज्जो ! सामाइए आया णे अज्जो ' सामाइयस्स अट्ठे जाव विउस्सग्गस्स अट्ठे । तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते एवं वयासी - 'जति भे अजो ! आया सामाइए आया सामाइयस्स अट्ठे एवं जाव आया विउस्सग्गस्स अट्ठे अवहट्टु को हमाणमायालोभे किमद्वं अज्जो ! गरहह ?, कालास ० संजमट्टयाए, से भंते ! किं गरहा संजमे अगरहा संजमे ?, कालास ० गरहा संजमे नो अगरहासंजमे, गरहावि य णं सव्वं दोसं पविणेति सव्वं बालियं परिण्णाए, एवं खुणे आया संजमे उवहिए भवति, एवं खुणे आया संजमे उवचिए भवति, एवं खु णे आया संजमे उवट्ठिए भवति, एत्थ णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे संबुद्धे थेरे भगवंते वंदति णमंसति २ एकं ! ४१२ Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१३ 'वि० ५० स० १ उ०९] सुत्तागमे वयासी-एएसि पं भंते ! पयाणं पुचि अण्णाणयाए असवणयाए अबोहियाए अणभिगमेणं अदिट्ठाणं अस्तुयाणं असुयाणं अविण्णायाणं अव्वोगडाणं अव्वोच्छिन्नाणं अणिजूढाणं अणुवधारियाणं एयमढ णो सद्दहिए णो पत्तिइए णो रोइए इयाणि भंते ! एतेसि पयाणं जाणणयाए सवणयाए वोहीए अभिगमेणं दिवाणं सुयाणं मुयाणं विण्णायाणं वोगडाणं वोच्छिन्नाणं णिज्जूढाणं उवधारियाणं एयमद्वं सद्दहामि पत्तिन्यामि रोएंमि एवमेयं से जहेयं तुन्भे वदह, तए णं ते थेरा भगवंतो कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं क्यासी-सहाहि अजो ! पत्तियाहि अज्जो ! रोएहि अज्जो ! से जहेयं अम्हे वदामो। तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंतो वंदइ नमंसइ २ एवं वदासी-इच्छामिण भंते ! तुम अंतिए चाउज्जामाओ धम्माओ पंचमहन्वइयं सपडिकमणं धम्म उवसंपजित्ता णं विहरित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिवंधं । तएणं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते वंदुइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता चाउज्जामाओ धम्माओ पंचमहत्वइयं सपडिक्कमणं धम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरइ। तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे वहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणइ जस्सहाए कीरइ थेरकप्पभावे जिणकप्पभावे मुंडभावे अण्हाणयं अदंतधुवणयं अच्छत्तयं अणोवाहणयं भूमिसेज्जा फलहसेजा कट्ठसेजा केसलोओ वंभचेरवासो परघरपवेसो लद्धावलद्धी उच्चावया गामकंटगा वावीसं परिसहोवसग्गा अहियासिज्जति तमढें आराहेइ २ चरिमेहिं उस्सासनीसासेहिं सिद्ध वुद्धे मुक्के परिनिव्वुडे सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ ७६ ॥ भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नर्मसति २ एवं वदासी-से नूणं भंते ! सेठियस्स य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य समं चेव अपच्चक्खाणकिरिया कजइ ?, हंता गोयमा ! सेट्ठियस्स य जाव अपञ्चक्खाणकिरिया कजइ, से केणटेणं भंते ! ?, गोयमा ! अविरतिं पड्डुच्च से तेण० गोयमा! एवं वुच्चइ-सेट्रियस्स य तणु० जाव कज्जइ ॥ ७७ ॥ आहाकम्म भुजमाणे समणे निग्गंथे किं बंधइ किं पकरेइ किं चिणाइ कि उवचिणाइ?, गोयमा। आहाकम्म णं भुंजमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीओ सिढिलवंधणबद्धाओ धणियवंधणवद्धाओ पकरेइ जाव अणुपरियट्टइ, से केणढेणं जाव अणुपरियट्टइ ?, गोयंमा ! आहाकम्मं णं भुंजमाणे आयाए धम्मं अइक्कमइ आयाए धम्मं अइक्कममाणे पुढविकायं णावकंखइ जाव तसकायं णावकंखइ, जेसिपि य णं जीवाणं सरीराइं आहारमाहारेइ तेवि जीवे नावकंखइ, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-आहाकम्मं णं भुंजमाणे आउयवनाओ सत्त कम्मपगडीओ जाव अणुपरियट्टइ ॥ फासुएसणिज भंते ! भुंजमाणे किं बंधइ जाव उवचिगाइ ?, गोयमा ! फासुएसणिज्ज णं Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ४१४ भुंजमाणे आउयवजाओ सत्त कम्मपयडीओ धणियवंधणवढाओ सिडिलवंधणबद्धाओ पकरेइ जहा संवुडे णं नवरं आउयं च णं कम्मं सिय बंधइ सिय नो बंधइ, सेसं तहेव जाव वीईवयइ, से केणटेणं जाव वीईचयइ ?, गोयमा ! फामुएसणिजं भुंजमाणे समणे निग्गंथे आयाए धम्म नो अइक्कमइ, आयाए धम्म अणइकममाणे पुढविक्काइयं अवकंखति जाव तसकायं अवकंखइ, जेसिपि य णं जीवाणं सरीराइं आहारेइ तेऽवि जीवे अवकंखति से तेणटेणं जाव वीईवयइ ॥ ७८ ॥ से नूगं भंते ! अथिरे पलोइ नो थिरे पलोद्दति अथिरे भज्जइ नो यिरे भज्जइ सासए वालए वालियत्तं असासयं सासए पंडिए पंडियत्तं असासयं ?, हंता गोयमा! अथिरे पलोट्टइ जाव पंडियत्तं असासयं सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति ॥७९॥ पढमसए, नवमो उद्देसो समत्तो॥ अन्नउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव एवं परुति-एवं खलु चलमाणे अचलिए जाव निजरिजमाणे अणिज्जिण्णे, दो परमाणुपोग्गला एगयओ न साहगंति, कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगततो न साहणंति ?, दोहं परमाणुपोग्गलाणं नत्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ न साहणंति, तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, कम्हा ? तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, तिण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ सा०, ते भिज्जमाणा दुहावि तिहावि कजति, दुहा कज्जमाणा एगयओ दिवड्डे परमाणुपोग्गले भवति एगयओवि दिवड्डे पर० पो० भवति, तिहा कजमाणा तिणि परमाणुपोग्गला भवंति, एवं जाव चत्तारि पंचपरमाणुपो० एगयओ साहणंति, एगयओ साहणित्ता दुक्खत्ताए कजंति, दुक्खेवि य णं से सासए सया समियं उवचिजइ य अवचिज्जइ य पुव्वि भासा भासा भासिज्जमाणी भासा अभासा भासासमयवीतिकंतं च णं भासिया भासा, जा सा पुट्विं भासा भासा भासिज्जमाणी भासा अभासा भासासमयवीतिनंतं च णं भासिया भासा सा किं भासओ भासा अभासओ भासा, अभासओ णं साभासा नो खलु सा भासओ भासा। पुचि किरिया दुक्खा कज्जमाणी किरिया अदुक्खा किरियासमयवीतिनंतं च णं कडा किरिया दुक्खा, जा सा पुग्वि किरिया दुक्खा कजमाणी किरिया अदुक्खा किरियासमयवीइक्वंतं च णं कडा किरिया दुक्खा सा कि करणओ दुक्खा अकरणओ दुक्खा ?, अकरणओ णं सा दुक्खा णो खलु सा करणओ दुक्खा, सेवं वत्तव्वं सिया-अकिच्चं दुक्खं अफुसं दुक्खं अकजमाणकडं दुक्खं अकट्ठ अकटु पाणभूयजीवसत्ता वेदणं वेदंतीति वत्तव्वं सिया ॥ से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जणं ते अण्णउत्थिया एवमातिक्खंति जाव वेदणं Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगायोगले भवंति, तिणि अस्थि सिणेहकाए, दहा वि०प० स० १ उ०१०] सुत्तागमे ४१५ वेदेति, वत्तव्वं सिया, जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमातिक्खामि, एवं खलु चलमाणे चलिए जाव निजरिजमाणे निजिण्णे, दो परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, कम्हा ? दो परमाणुपोग्गला एगयओ साहगंति ?, दोण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ सा०, ते भिज्जमाणा दुहा कजति, दुहा कज्जमाणे एगयओ पर० पोग्गले एगयओ प० पोग्गले भवंति, तिण्णि परमा० एगओ साह०, कम्हा ? तिनि परमाणुपोग्गले एग० सा० ?, तिण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, ते भिजमाणा दुहावि तिहावि कनंति, दुहा कज्जमाणा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपदेसिए खंधे भवति, तिहा कज्जमाणा तिण्णि परमाणुपोग्गला भवंति, एवं जाव चत्तारिपंचपरमाणुपो० एगओ साहणित्ता २ खंधत्ताए कज्जति, खंधेवि य णं से असासए सया समियं उवचिजइ य अवचिजइ य । पुचि भासा अभासा भासिज्जमाणी भासा २ भासासमयवीतिनंतं च णं भासिया भासा अभासा जा सा पुचि भासा अभासा भासिज्जमाणी भासा २ भासासमयवीतिकंतं च णं भासिया भासा अभासा सा किं भासओ भासा अभा• सओ भासा ?, भासओ णं भासा नो खलु सा अभासओ भासा । पुट्विं किरिया अदुक्खा जहा भासा तहा भाणियव्वा, किरियावि जाव करणओ णं सा दुक्खा नो खलु सा अकरणओ दुक्खा, सेवं वत्तव्वं सिया-किच्चं फुसं दुक्खं काजमाणकडं कट्ट २ पाणभूयजीवसत्ता वेदणं वेदेंतीति वत्तव्वं सिया ॥ ८०॥ अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव-एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियाओ पकरेइ, तंजहा-इरियावहियं च संपराइयं च, [जं समयं इरियावहियं पकरेइ तं समयं संपराइयं पकरेइ, जं समयं संपराइयं पकरेइ तं समयं इरियावहियं पकरेइ, इरियावहियाए पकरणताए संपराइयं पकरेइ संपराइयपकरणयाए इरियावहियं पकरेइ, एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियाओ पकरेति, तंजहा-इरियावहियं च संपराइयं च । से कहमेयं भंते एवं ?, गोयमा ! जं णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति तं चेव जाव जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि ४-एवं खलु एगे जीवे एगसमए एवं किरियं पकरेइ] परउत्थियवत्तव्वं णेयव्वं, ससमयवत्तव्वयाए नेयव्वं जाव इरियावहियं संपराइयं वा ॥ ८१ ॥ निरयगई णं भंते ! केवत्यिं कालं विरहिया उववाएणं प० ?, गोग्रमा । जहन्नेणं एवं समयं उक्कोसेणं वारस मुहुत्ता, एवं वनंतीपयं भाणियव्वं निरवसेसं, सेवं भंते ! सेवं भंते ति जाव विहरइ ॥ ८२॥ दसमो उद्देसओ। पढमं सयं समत्तं ॥ Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई . गाहा-ऊसासखंदए वि य १ समुग्घाय २ पुढवि ३ दिय ४ अन्नउत्यिभासा ५ य । देवा य ६ चमरचंचा ७ समय ८ खित्त ९ त्यिकाय १० बीयसए ॥१॥८॥ तेणं कालेगं तेणं समएणं रायगिहे नाम नगरे होत्या, वगओ, सामी समोसढे परिसा निग्गया धम्मो कहिओ पडिगया परिसा । तेणं कालेणं २ जेहे अंतेवासी जाव पजुवासमाणे एवं क्यासी-जे इमे भंते ! बेइंदिया तेइंदिया चउरिंदिया पंचेंदिया जीवा एएसिणं आणामं वा पागाम वा उस्सासं वा नीसासं वा आगामो पासामो, जे इमे पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया एगिदिया जीवा एएसि गं . आणामं वा पागामं वा उस्सासं वा निस्सासं वा ण यागामो ण-पासामो, एएति णं भंते ! जीवा आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा ? हंता गोयमा ! 'एएवि य णं जीवा आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा ॥ ८४ ॥ किण्णं भंते! जीवा आग० पा० उ० नी ?, गोग्रमा व्बओ णं अगंतपएसियाई दवाई खेत्तओ णं असंखपएसोगाढाइं कालओ अन्नयरद्वितीयाई भावओ वण्यमंताई गंधमंताई रसमंताई फासमंताई आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा, जाई भावओ वण्णमंताई आण० पाण० ऊस० नीस० ताई कि एगवण्णाई आणमंति पाणमंति ऊस० नीस०?, आहारगमो नेयम्वों जाव तिचउपंचदिसिं । किण्णं भंते ! नेरइया आ० पा० उ० नी० तं चेव जाव नियमा छद्दिसिं आ० पा० उ० नी० जीवा एगिदिया वाघाया य निव्वाचाया य भाणियबा, सेसा नियमा छदिसि ॥ वाउयाए णं भंते ! वाउयाए चेव आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा?, हंता गोयमा! वाउयाए णं जाव नीससंति वा ॥ ८५ ॥ वाउयाए णं भंते ! वाउयाए चेत्र अगेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता २ तत्थेव भुजो भुजो पञ्चायाति ?, हंता गोयमा ! जाव पञ्चायाति । से भंते किं पुढे उहाति अपुढे उहाति ?, गोयमा ! पुढे उद्दाइ नो अपुढे उद्दाइ । से भंते ! कि ससरोरी निक्खमइ असरीरी निक्खमइ ?, गोयमा! तिय ससरीरी निक्खमइ सिय असरीरी निश्खमइ । से केगटेणं भंते ! एवं वुचइ सिय ससरीरी निक्खमइ सिय असरीरी निक्खमइ ?, गोयमा ! वाउकायस्स णं चत्तारि सरीरया पन्नत्ता, तंजहाओरालिए वेउत्रिए तेयए कम्नए, ओरालियवेउबियाई विप्पनहाय तेयकम्मएहिं निक्खमति, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-सिय ससरीरी सिय असरीरी निक्खमइ ॥ ८६ ॥ सडाई णं भंते ! नियंठे नो निरुद्धभवे नो निरुद्धभवपवंचे णो पहीण. संसारे णो पहीणसंसारवेयणिजे णो वोच्छिग्गसंसारे णो वोच्छिग्गसंसारवेयणिजे नो निठियढे नो निहियहकरणिज्जे पुगरवि इत्यत्तं हव्वमागच्छति ?, हंता गोयमा ! Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स०२ उ०१] सुत्तागमे ४१७ . मडाई णं नियंठे जाव पुणरवि इत्थत्तं हव्वमागच्छइ ॥ ८७ ॥ से णं भंते ! किं वत्तव्वं सिया ? गोयमा ! पाणेति वत्तन्वं सिया भूतेति वत्तव्वं सिया जीवेत्ति वत्तव्वं० सत्तेत्ति वत्तव्वं० विन्नुत्ति वत्तव्वं० वेदेति वत्तव्वं सिया पाणे भूए जीवे. सत्ते विनू वेएति वत्तव्वं सिया, से केणटेणं भंते। पाणेत्ति वत्तव्वं सिया जाव वेदेति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! जम्हा आ० पा० उ० नी० तम्हा पाणेत्ति वत्तव्वं सिया, जम्हा भूते भवति भविस्सति य तम्हा भूएत्ति वत्तव्वं सिया, जम्हा जीवे जीवइ जीवत्तं आउयं च कम्म उवजीवइ तम्हा जीवेत्ति वत्तव्वं सिया, जम्हा सत्ते सुहासुहेहिं कम्मेहिं तम्हा सत्तेत्ति वत्तव्वं सिया, जम्हा तित्तकड्डयकसायअंविलमहुरे रसे जाणइ तम्हा विचत्ति वत्तव्वं सिया, वेदेइ य सुहदुक्खं तम्हा वेदेति वत्तव्वं सिया, से तेणटेणं जाव पाणेत्ति वत्तव्वं सिया जाव वेदेति वत्तव्वं सिया॥ ८८ ॥ मडाई णं भंते ! नियंठे निरुद्धभवे निरूद्धभवपवंचे जाव निट्ठियट्ठकरणिज्जे णो पुणरवि इत्यत्तं हव्वमागच्छति ?, हंता गोयमा ! मडाई णं नियंठे जाव नो पुणरवि इत्थत्तं हव्वमागच्छति से णं भंते ! किंति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! सिद्धेत्ति वत्तव्वं सिया बुद्धेत्ति वत्तव्वं सिया मुत्तेत्ति वत्तव्वं० पारगएत्ति व० परंपरगएत्ति व० सिद्धे बुद्धे मुत्ते परिनिव्वुडे ,अंतकडे सव्वदुक्खप्पहीणेत्ति वत्तव्वं सिया, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे समग भगवं महावीरं वंदइ नमसइ २ संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति ॥ ८९ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे रायगिहाओ नगराओ गुणसिलाओ उजाणाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ, तेणं कालेगं तेणं समएणं कयंगलानामं नगरी होत्था वण्णओ, तीसे णं कयंगलाए नगरीए वहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए छत्तपलासए नाम उजाणे होत्था वण्णओ, तए णं समणे भगवं महावीरे उप्पण्णनाणदंसणधरे जाव समोसरणं परिसा निग्गच्छति, तीसे णं कयंगलाए नगरीए अदूरसामंते सावत्थी नाम नयरी होत्था वण्णओ, तत्थ णं, सावत्थीए नयरीए गद्दभालिस्स अंतेवासी खंदए नाम कच्चायणस्संगोत्ते परिव्वायगे परिवसइ रिउव्वेदजजुव्वेदसामवेदअहव्वणवेदइतिहासपंचमाणं निग्घंटुछटाणं चउण्हं वेदाणं संगोवंगाणं सरहस्साणं सारए वारए धारए पारए सडंगवी सद्वितंतविसारए संखाणे सिक्खाकप्पे वागरणे छंदे निरुत्ते जोतिसामयणे अन्नेसु य वहसु वंभण्णएसु परिव्वायएसु य नयेसु सुपरिनिहिए यावि होत्या, 'तत्थ, णं सावत्थीए नयरीए पिंगलए नाम नियंठे वेसालियसावए परिवसइ, तए णं से पिंगलए णाम णियंठे वेसालियसावए अण्णया कयाइं जेणेव २७ सुत्ता. Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई खंदए कच्चायणस्सगोत्ते तेणेव स्वागच्छइ २ खंदगं कच्चायणस्सगोत्तं इणमक्खेवं पुच्छे -मागहा ! किं सअंते लोए अणते लोए १ सअंते जीवे अनंते जीवे २ सअता सिद्धी अणंता सिद्धी ३ सअंते सिद्धे अगते सिद्धे ४ केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे वड्ढति वा हायति वा ५१, एतावं ताव आयक्खाहि बुच्चमाणे एवं, तए णं से खंदए कच्चा० गोत्ते पिगलएणं नियंठेणं वेसालीसावएणं इणमक्खेवं पुच्छिए समाणे संकिए कँखिए वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने णो संचाएइ पिंगलयस्स नियंठस्स वेसालियसावयस्स किचिवि पमोक्खमक्खाइएं, तुसिणीए संचिट्ठ, तए णं से पिंगळे नियंठें वेसालीसावए खंदयं कच्चायणस्सगोत्तं दोचंपि तच्चपि इणमक्खेवं पुच्छे -मांगहा ! किं सअंते लोए जाव केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे बढइ वा हायति वा ? एतावं ताव आइक्खाहि बुचमाणे एवं, तते णं से खंदए कच्चा० गोत्ते पिंगलएणं नियंठेगं वेसालीसावरगं दोचंपि तच्चपि इणमक्खेवं पुच्छिए समाणे संकिए कँखिए वितिगिच्छिए भेदसमावण्णे कलुसमावण्णे नो संचाएइ पिंगलयस्स नियंठस्स वेसालिसावयस्स किंचिवि पमोक्खमक्खाउं तुसिणीए संचिट्ठई । तए णं सावत्थीए नयरीए सिंघाडग जाव महापहेसु महया जणसंमद्दे इ वा जणवूहे इ वा परिसा निंग्गच्छइ । तए णं तस्स खंदयस्स कच्चायणस्सगोत्तस्स बहुजणस्स अंतिए एयमहं सोच्चा निसम्म इमेयारूवे अन्भत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था - एवं खलु समणे भगवं महावीरे कयंगलाए नयरीए वहिया छत्तपलासए उज्जाणे संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरड, तं गच्छामि णं समगं भगवं महावीरं वंदामि नमसामि, सेयं खलु मे समणं भंगवं महावीरं वंदित्ता णमंसित्ता सकारेत्ता सम्माणित्ता कहाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासित्ता इमाई च णं एयारुवाईं अट्ठाई ऊ परिणाई कारण ई पुच्छित्तएत्ति कट्टु एवं संपेहेइ २ जेणेव परिव्वायावसहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता तिदंडं च कुंडियं च कंचणियं च करोडियं च भिसियं च केसरियं च छन्नालयं च अंकुसयं च पवित्तयं च गणेत्तियं च छत्तयं च वाहणाओ य़ पाउयाओ य धाउरत्ताओ य गेण्हइ गेण्हइत्ता परिव्वायावसहीओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमइत्ता तिदंडकुंडियकं चणिय करोडियभिसिय केसरियछन्नालय अंकुसयपवित्तगणेत्तियहत्थगए छत्तोवाहणसंजुत्ते धाउरत्तवत्थपरिहिए सावत्थीए नगरीए मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ निग्गच्छइत्ता जेणेव कयंगला नगरी जेणेव छत्तपलासए उज्जाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । गोयमाइ समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं व्यासी-दच्छिसि णं गोयमा ! पुव्वसंगतियं, कहं भंते 12, खंदयं नाम, से काहं वा किहं वा केवञ्चिरेण वा ?, एवं खलु गोयमा ! तेणं काळेणं ४१८ Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 1 वि० प० स० २०] सुत्तागमे . 1 २ सावत्थीनामं नगरी होत्था वन्नाओ, तत्थ णं सावत्थीए नगरीए गद्दभालिस्स अंतेवासी खंदए णानं कथायणस्सगोत्ते परिव्वायए परिवसइ तं चेव आव जेणेव मंसं अंतिए तेणेव पहारेत्थ गमणाए, से तं अदूरागते वहुसंपत्ते अद्धाणपडिवणे अंतरापहे वह । अजेव णं दच्छिसि गोयमा !, संतेत्ति भगवं गोयमे समण भगवं चंदर नमसइ २ एवं वदासी - पट्ट णं भंते ! खंदए कवायणस्सगोत्ते देवाणुप्पियाण अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पंव्वइत्तए ?, हंता पभू, जावं चणं समणे भगवं महावीरे भगवओ गोयमस्स एयमहं परिकहेइ तावं च णं से खंदए कचायणस्सगोत्ते तं देतं हव्वमागते, तए णं भगवं गोयमे खंदयं कच्चायणस्सगोत्तं अदूरआगयं जाणित्ता खिप्पामेव अभुट्टेति खिप्पामेव पशुवगच्छइ २ जेणैव खंदए कचायणस्सगोत्ते तेणेव उवागच्छइ २ त्ता खंदयं कच्चायणस्सगोत्तं एवं वयासी - हे खंदया ! सागयं खंदया ! सुसागयं संदया ! अणुरागयं खंदया ! सागयमणुरागयं संदया ! से नूणं तुमं संदया ! सावत्भीए नयरीए पिंगलएणं नियंठेणं वेसालियसावणं इणमक्खेवं पुच्छिएं—मागहा । किं सअंते लोगे अणते लोगे ? एवं तं चैव जेणेव इहं तेणेव हव्वमागए, से नूणं खंदया ! अट्ठे समट्ठे ?, हंता अस्थि, तए से खंदर कच्चा० भगवं गोयमं एवं वयासी से केणद्वेणं गोयमा ! तहारूवे नाणी वा तवस्सी वा जेणं तव एस अट्ठे मम ताव रहस्सकडे हव्वमक्खाए ? जओ तुमं जाणसि, तए णं से भगवं गोयमे खंदयं कच्चायणस्सगोत्तं एवं वयासी एवं खलु संदया ! मम धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरें - उप्पण्णणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली तीयपचुप्पन्नमणांगयवियाणए सव्वन्नू सव्वदरिसी जेणं ममं एस अट्ठे तव तीव रहस्सकडे हव्वमक्खाए जओ णं अहं जाणामि खंदया ! तए णं से खंदए कच्चायणस्सगोत्ते भगवं गोयमं एवं वयासी — गच्छामोणं गोयमा ! तव धम्मायरियं धम्मोवदेसयं समणं भगवं महावीरं वंदामो णर्मसामो जाव पज्जुवासामो, अहासुहं देवांणुप्पियां ! मा पडिबंधं, तए णं से भगवं गोयमे खंदणं कच्चायणस्सगोत्ते सद्धिं जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव पहारेत्थ गम याए । तेणं काळेणं २ समणे भगवं महावीरे वियडभोई यावि होत्था, तए णं समणस्स भगवओ महावीरस्स वियट्टभोइस्स सरीरं ओरालं सिंगारं कला सिव घण्णं मंगलं सस्सिरीयं अणलंकियविभूसियं लक्खणवंजणगुणोववेयं सिरीए अतीव २. उवसोभेमाणे, चिह्इ । तए णं से खंदए कच्चायणस्सगोत्ते समणस्स भगवओ महाचीरस्सं विग्रहभोइस्स सरीरं ओरालं जाव अतीव २ उवसोभेमाणं पासइ २ ता तु चित्तमाणदिए पीड़मणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए जेणेव ४१९ Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२२ सुत्तागमे [भगवई समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ ता समगं भगवं महावीरं तिक्युत्तो आयाहिणप्पयाहिणं करेइ जाव पजुवासइ । खंदयाति समणे भगवं महावीरे खंदयं कच्चाय० एवं वयासी-से नूणं तुम खंदया! सावत्थीए नयरीए पिगलएणं गियंठेणं वेसालियसावएणं इणमक्खेवं पुच्छिए मागहा ! किं सोते लोए अणते लोए एवं तं जेणेव मम अंतिए तेणेव हव्वमागए, से नूणं खंदया ! अयमढे समझे ?, हंता अत्थि, जेविय ते खंदया ! अयमेयालवे अब्भत्यिए चिंतिए पत्लिए भगोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-किं सअंते लोए अणंते लोए ? तस्सवि य णं अयमट्टे-एवं खल मए खंदया ! चउविहे लोए पन्नत्ते, तंजहा-दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ। दव्त्रओ गं एगे लोए सअंते १, खेत्तओ णं लोए असंखेजाओ जोयणकोडाकोडीओ आयामविक्खंभेणं असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ परिक्खेवेणं प० अस्थि पुण सअंते २, कालओ णं लोए ण कयावि न आसी न कयावि न भवति न कयावि न भविस्सति भविसु य भवति य भविस्सइ य धुवे णितिए सासते अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिचे, पत्थि पुण से अंते ३, भावओ णं लोए अणंता वण्णपज्जवा गंध० रस० फासपज्जवा अणंता संठाणपज्जवा अणंता गस्यलहुयपज्नवा अणंता अगस्यलहुयपज्जवा, नत्थि पुण से अंते ४, सेत्तं खंदगा! दवओ लोए सअंते खेत्तओ लोए सअंते कालतो लोए अणते भावओ लोए अगते । जेवि य ते खंदया! जाव सअंते जीवे अणंते जीवे, तस्सवि य णं अयमढे-एवं खलु जाव दव्वओ णं एगे जीवे सअंते, खेत्तओ णं जीवे असंखेजपएसिए असंखेजपदेसोगाढे अत्यि पुण से अंते, कालओ णं जीवे न कयावि न आति जाव निच्चे नत्थि पुण से अंते, भावओ णं जीवे अणंता णाणपजवा अणंता दसणप० अणंता चरित्तप० अणंता अगुरुलहुयप० नत्थि पुण से अंते, सेत्तं दवओ जीवे सअंते खेत्तओ जीवे सअंते कालओ जीवे अणंते.भावओ जीवे अणंते । जेवि य ते खंदया पुच्छा [इमेयाल्वे चिंतिए जाव सअंता सिद्धी अर्णता सिद्धी, तस्सवि य 'णं अयमढे खंदया !-मए एवं खलु चउविहा सिद्धी प०, तं०-दव्वओ४, दवओ णं एगा सिद्धी सअंता खेत्तओ णं सिद्धी पणयालीसं जोयणसयसहस्साई आयामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी वायालीसं च जोयणसयसहस्साइं तीसं च जोयणसहस्साइं दोन्नि य अउणापन्नजोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेण अत्थि पुण से अंते, कालओ णं सिद्धी न कयावि न आसि० भावओ य-जहा लोयस्स तहा भाणियव्वा, तत्थ व्वओ सिद्धी सअंता खे० सिद्धी सअंता का सिद्धी अणंता भावओ सिद्धी अणंता। जेवि य ते खंदया। जाव कि अणंते सिद्धे तं चेव जाव दव्वओ णं एगे सिद्धे सअंते, खे० सिद्धे असे Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२३ वि० प० स. २ उ० १] सुत्तागमे खेज्जपएसिए असंखेजपदेसोगाढे, अत्थि पुण से अंते, कालओ णं सिद्ध साइए अपज्जवसिए नत्यि पुण से अंते, भा० सिद्धे अणंता णाणपज्जवा अणंता दंसणपज्जवा जाव अणंता अगुरुलहुयप० नत्थि पुण से अंते, सेत्तं दव्वओ सिद्धे सअंते खेत्तओ सिद्ध सअंते का० सिद्धे अणते भा० सिद्ध अणंते । जेवि य ते खंदया ! इमेयारूवे अमथिए चिंतिए जाव समुप्पज्जित्था केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे वडति वा हायति वा ?, तस्सवि य णं अयमढे एवं खलु खंदया! मए दुविहे मरणे पण्णत्ते, तंजहा-बालमरणे य पंडियमरणे य, से किं तं वालमरणे ?, २ दुवालसविहे प०, तंवलयमरणे वसट्टमरणे अंतोसल्लमरणे तभवमरणे गिरिपडणे तस्पडणे जलप्पवेसे जलणप्प० विसभक्खणे सत्योवाडणे वेहाणसे गिद्धपढे । इच्चेतेणं खंदया! दुवालसविहेणं वालमरणेणं मरमाणे जीवे अणंतेहिं नेरइयभवग्गहणेहिं अप्पाणं संजोएइ तिरियमणुदेव० अणाइयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकतारं अणुपरियहइ, सेत्तं मरमाणे वड्डइ २, सेत्तं बालमरणे । से किं तं पंडियमरणे ?, २ दुविहे प०, तं० पाओवगमणे य भत्तपञ्चक्खाणे य । से किं तं पाओवगमणे ?, २ दुविहे प०, तं०-नीहारिमे य अनीहारिमे य नियमा अप्पडिकमे, सेत्तं पाओवगमणे । से किं तं भत्तपञ्चक्खाणे ?, २ दुविहे प०, तं०-नीहारिमे य अनीहारिमे य, नियमा सपडिकमे, सेत्तं भत्तपञ्चक्खाणे । इचेते खंदया! दुर्विहेणं पंडियमरणेणं मरमाणे जीवे अणंतेहिं नेरइयभवग्गहणेहिं अप्पाणं विसंजोएई जाद वीईवयति, सेत्तं मरमाणे हायइ, सेत्तं पंडियमरणे । इच्चेएणं खंदया ! दुविहेणं मरणेणं मरमाणे जीवे वड्डइ वा हायति वा ॥ ९० ॥ एत्थ णं से खंदए कंचायणस्स गोत्ते संयुद्धे समग भगवं महावीरं वंदई नमसइ २ एवं वदासी-इच्छामिणं भंते ! तुम्भं अंतिए केवलिपन्नत्तं धम्मं निसामेत्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिवंधं । तए णं. समणे भगवं महावीरे खंदयस्स कच्चायणस्सगोत्तस्स तीसे महतिमहालियाए परिसाए धम्म परिकहेइ, धम्मकहा भाणियंव्वा । तए णं से खंदए कच्चायणस्सगोत्ते समणस्स भगवओं महावीरस्सं अंतिए धम्म सोचा निसम्म हहतुढे जाव हियए उठाए उठेइ २ समग भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ एवं वदासी-सहामिणं भंतें। निग्गंध पावयणं, पत्तियामि णं भंते ! निग्गंथं पावयगं, रोएमि णं भंते । निरगंथं पावयणे, अन्भुटेमि णं भंते ! निग्गेयं पा०, एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते । इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छियपडिच्छियमेयं भैते 1 से जहेयं तुम्मे वदहत्ति कटु समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति २ उत्तर Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૪૨૨ सुत्तागमे [भगवई पुरच्छिमं दिसीभायं अवक्कमइ २ तिदंडं च कुंडियं च जाव धाउरत्ताओ य एगते एडेइ २ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ समणं भगवं महावीर तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ करेइत्ता जाव नमंसित्ता एवं वदासी-आलित्ते णं भंते ! लोए पलित्ते णं भंते ! लोए आ० प० भ० लो० जरामरणेण य, से जहानामए-केइ गाहावती आगारंसि झियायमाणंसि जे से तत्थ भंडे भवइ अप्पमारे मोल्लगरुए तं गहाय आयाए एगंतमंतं अवकमइत्ति, एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा पुरा हियाए सुहाए खमाए निस्सेसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ, एवामेव देवाणुप्पिया ! मज्झवि आया एगे भंडे इढे कंते पिए मणुन्ने मणामे थेजे वेसासिए संमए बहुमए अणुमए भंडकरंडगसमाणे मा णं सीयं मा णं उण्हं मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं चोरा मा णं वाला मा णं दंसा मा णं मसगा मा णं वाइयपित्तियसंभियसंनिवाइयविविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतुत्ति कडु एस मे नित्यारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए अणुगामियत्ताए भविस्सइ, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया! सयमेव पव्वावियं, सयमेव मुंडावियं सयमेव सेहावियं सयमेव सिक्खावियं सयमेव आयारगोयरं विणयवेणइयचरणकरणजायामायावत्तियं धम्ममाइक्खिों । तए णं समणे भगवं महावीरे खंदयं कच्चायणस्सगोत्तं सयमेव पव्वा वेइ जाव धम्ममातिक्खइ, एवं देवाणुप्पिया! गंतव्वं एवं चिट्ठियव्वं एवं निसीति- यव्वं एवं तुयट्टियव्वं एवं भुंजियव्वं एवं भासियव्वं एवं उठाए पाणेहिं भूएहि जीवेहि सत्तेहि संजमेणं संजमियव्वं; अस्सि च णं अढे णो किचिवि पाइयब्वं । तए णं से खंदए कच्चायणस्सगोत्ते समणस्स भगवओ महावीरस्स इमं एयारूवं धम्मियं उवएसं सम्मं संपडिवजति तमाणाए तह गच्छइ तंह चिट्ठइ तह निसीयति तह तुयट्टइ तह भुंजइ तह भासइ तह उठाए २ पाणेहिं भूएहिं जीवेहि सत्तेहिं संजमेणं संजमियन्वमिति, अस्सि च णं अटेणोपमायइ। तए णं से खंदए कच्चायकअणगारे जाते इरियासमिए -भासासमिए ऐसणासमिए आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिठ्ठावणियासमिए मणसमिए वयसमिए कायसमिए मणगुत्ते वइगुत्ते कायगुत्ते गुत्ते गुत्तिदिए गुत्तबंभयारी चाई लजू धण्णे खंति: खमे जिइंदिए सोहिए अणियाणे अप्पुस्सुए अवहिल्लेस्से सुसामण्णरए दंते इणमेव. णिग्गथं पावयणं पुरओ काउं विहरइ ॥ ९१ ॥ तए णं समणे, भगवं- महावीरेकयंगलाओ नयरीओ छत्तपलासयाओं उजाणाओ पडिनिक्खमइ २ बहिया जणवयविहारं विहरति । तए णं से खंदए अणेगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एकारस अंगाई अहिज्जइ, जेणेव समणे Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स०२ उ० १] सुत्तागमे ४२३ भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ २ एवं वयासी-इच्छामि णं भंते। तुम्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ता णं विहरित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया । मा पडिबंधं । तए णं से खंदए अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अव्मणुण्णाए , समाणे हढे जाव नमंसित्ता मातियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ता णं विहरइ, तए णं से खंदए अणगारे मासियभिक्खुपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातचं अहासम्मं काएण फासेति पालेति सोभेति तीरेति पूरेति किति अणुपालेड आणाए आराहेइ संमं काएण फासित्ता जाव आराहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ समणं भगवं जाव नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुम्भेहि अन्भणुण्णाए समाणे दोमासियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ता णं विहरित्तए अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिवधं, तं चेव, एवं तेमासियं चाउम्मासियं पंचछसत्तमा०, पढमं सत्तराइंदियं दोच्चं सत्तराइंदियं तच्च सनरातिंदियं अहोरातिंदियं एगरा०, तए णं से खंदुए अणगारे एगराइंदियं भिक्खुपडिमं अहासुत्तं जाव आराहेत्ता जेणेव समणे० तेणेव उवागच्छति २ समणं भगवं म० जाव नमंसित्ता एवं वदासी-इच्छामि णं भंते ! तुम्भेहिं अभणुण्णाए समाणे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं उवसंपजित्ता णं विहरित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिबंधं । तए णं से खंदए अणगारे समणेणं ..भगवया महावीरेणं अव्भणुण्णाए समाणे जाव नमंसित्ता गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं उपसंपजित्ता णं विहरति, तं०-पढम मासं चउत्थंचउत्थेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणंदिया ठाणुकुड्डए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे रत्तिं वीरासणेणं अवाउडेण य । एवं दोचं मासं छठंछटेणं एवं तच्चं मासं अट्ठमंअट्टमेणं चउत्थं मासं दसमंदसमेणं पंचमं मासं वारसमंवारसमेणं छ8 मासं चोद्दसमंचोद्दसमेणं सत्तम मासं सोलसमं २ अट्ठमं मासं अट्ठारसमं २ नवमं मासं वीसतिम २ दसम मासं वावीसं २ एकारसमं मासं चउव्वीसतिमं २ वारसमं मासं छव्वीसतिम २ तेरसमं मासं अट्ठावीसतिमं २ चोदसमं मासं तीसइमं २ पन्नरसमं मासं वत्तीसतिमं २ सोलसमं मासं चोत्तीसइमं, २ अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुकुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे रत्तिं वीरासणेणं अवाउडेणं, तए णं से खंदए अणगारे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं अहासुत्तं अहाकप्पं जाव आराहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ.२ समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ.२ वहूहिं.चउत्यछट्टहमदसमदुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरति । तए णं से खंदए अणगारे तेणं ओरालेणं विउलेणं पयत्तेणं, पग्ग Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ४२४ [भगवई हिएणं कल्लाणेणं सिवेणं धन्नेणं मंगल्लेणं सस्सिरीएणं उदग्गेणं उदत्तेणं उत्तमेणं उदारेणं महाणुभागेणं तवोकम्मेणं सुक्ने लुक्खे निम्मंसे अद्विचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाते यावि होत्था, जीवंजीवेण गच्छइ जीवंजीवेण चिट्ठइ भासे भासित्तावि गिलाइ भासं भासमाणे गिलाति भासं भासिस्सामीति गिलायति, से जहा नामए-कट्ठसगडिया इ वा पत्तसगडिया इ वा पत्ततिलभंडगसगडिया इ वा एरंडकट्ठसगडिया इ वा इंगालसगडिया इ वा उण्हे दिण्णा सुक्का समाणी ससई गच्छइ ससई चिट्ठइ एवामेव खंदएवि अणगारे ससई गच्छइ ससई चिट्ठइ उवचिते तवेणं अवचिए मंससोणिएणं हुयासणेविव भासरासिपडिच्छन्ने तवेणं तेएणं तवतेयसिरीए अतीव २ उवसोभेमाणे २ चिठ्ठइ ॥ ९२ ॥ तेणं कालेणं २ रायगिहे नगरे जाव समोसरणं जाव परिसा पडिगया, तए णं तस्स खंदयस्स अण० अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अन्भथिए चिंतिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं इमेणं एयारवेणं ओरालेणं जाव किसे धमणिसंतए जाते जीवंजीवेणं गच्छामि जीवंजीवेणं चिट्ठामि जाव गिलामि जाव एवामेव अहंपि ससइं गच्छामि ससई चिट्ठामि तं अत्थि ता मे उट्ठाणे कम्मे वले वीरिए पुरिसक्कारपरक्कमे तं जाव ता मे अत्थि उट्ठाणे कम्मे वले वीरिए पुरिसकारपरक्कमे जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरइ ताव ता मे सेयं कलं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पलकमलकोमलुम्मिल्लि. -यमि अहापांडुरे पभाए रत्तासोयप्पकासकिंसुयसुयमुहगुंजद्धरागसरिसे कमलागरसंडवोहए उठ्ठियंमि सूरे सहस्सरस्सिमि दिणयरे तेयसा जलंते समणं भगवं महावीर वंदित्ता जाव पजुवासित्ता समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे सयमेव पंच महव्वयाणि आरोवेत्ता समणा य समणीओ य खामेत्ता तहारूवेहि थेरेहिं कडाईहिं सद्धिं विपुल पव्वयं सणियं २ दुरूहित्ता मेघघणसन्निगासं देवसन्निवातं पुढवीसिलावट्यं पडिलेहित्ता दन्भसंथारयं संथरित्ता दब्भसंथारोवगयस्स संलेहणाजोसणाजूसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स पाओवंगयस्स कालं अणवकंखमाणस्स विहरित्तएत्ति कटु एवं संपेहेइ २ त्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलंते जेणेव समणे भग० जाव पन्जुवासति, खंदयाइ समणे भगवं महावीरे खंदयं अणगारं एवं वयासी-से नूणं तव खंदया ! पुव्वरत्तावरत्तकालस० जाव जागरमाणस्स इमेयासवे अभत्थिए जाव समुप्पज्जित्था--एवं खलु अहं इनेणं एयारूवेणं तवेणं ओरालेणं विपुलेणं तं चेव जाव कालं अणवकंखमाणस्स विहरित्तएत्ति कट्ट एवं संपेहेति २ कटं पाउप्पभाए जाव जलंते जेणेव मम अंतिए तेणेव हव्वमागए, से नूणं खंदया! Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २ उ०] सुत्तागमे ४२५ अढे समढे १, हंता अत्थि, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिवंधं ॥ ९३ ॥ तए णं से खंदए अणगारे समणगं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे हद्वतुट्ठ जाव हयहियए उठाए उठेइ २ समणं भगवं महा० तिक्खुत्तो आयाहिगं पयाहिणं करेइ २ जाव नमंसित्ता सयमेव पंच महव्वयाइं आरुहेइ २ त्ता समणे य समणीओ य खामेइ २ त्ता तहाल्वेहि थेरेहिं कडाइहि सद्धिं विपुलं पव्वयं सणियं २ दुल्हेइ मेहघणसन्निगासं देवसन्निवायं पुढविसिलावट्यं पडिलेहेइ २ उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ २ दमसंथारयं संथरइ २ ता पुरत्थाभिमुहे संपलियंकनिसन्ने करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अजलिं कट्ट एवं वदासी-नमोऽत्यु णं अरहंताणं भगवंताणं जाव संपत्ताणं, नमोऽत्यु णं समणस्स भगवओ म० जाव संपाविउकामस्स, वंदामि णं भगवंतं तत्थ गयं इहगते, पासउ मे भयवं तत्थगए इहगयंति कट्ट वदइ नमंसति २ एवं वदासी-पुट्विपि मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सव्वे पाणाइवाए पञ्चक्खाए जावज्जीवाए जाव मिच्छादसणसल्ले पञ्चक्खाए जावजीवाए इयाणिपि य णं समणस्स भ० म० अंतिए सव्वं पाणाइवायं पञ्चक्खामि जावज्जीवाए जाव मिच्छादसणसल्लं पञ्चक्खामि, एवं सव्वं असणं पाणं खा० सा० चउबिहंपि आहारं पञ्चक्खामि जावज्जीवाए, जंपि य इमं सरीरं इ8 कंतं पियं जाव फुसंतुत्तिकद्दु एयंपि णं चरिमेहिं उस्सासनीसासेहिं वोसिरामित्तिक? संलेहणाजूसणाजूसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगए कालं अणवकंखमाणे विहरति । तए णं से खंदए अण० समणस्स भ० म० तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं इक्कारस अगाइं अहिज्जित्ता वहुपडिपुण्णाई दुवालसवासाई सामन्नपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता सट्ठि भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडिकंते समाहिपत्ते आणुपुव्वीए कालगए ॥ ९४ ॥ तए णं ते येरा भगवंतो खंदयं अण० कालगयं जाणित्ता परिनिव्वाणवत्तियं काउस्सग्गं करेंति २ पत्तचीवराणि गिण्हंति २ विपुलाओ पचयाओ सणियं २ पच्चोरहति २ जेणेव समणे भगवं म० तेणेव उवा० समणं भगवं म० वंदंति नमसंति २ ‘एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी खंदए नामं अणगारे पगइभद्दए पगतिविणीए पगतिउवसंते पगतिपयणुकोहमाणमायालोमे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे भद्दए विणीए, से णं देवाणुप्पिएहिं अब्भणुण्णाए समाणे सयमेव पंच महव्वयाणि आरोवित्ता समणे य समणीओ य खामेत्ता अम्हहिं सद्धि विपुलं पव्वयं तं चेव निरवसेसं जाव आणुपुव्वीए कालगए इमे य से आयारभंडए। भंते त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं म० वंदति नमंसति २ एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई ४२६ खंदए नामं अण० कालमासे कालं किच्चा कहिं गए ? कहिं उववण्णे ?, गोयमाइ समणे भगवं महा० भगवं गोयमं एवं वयासी एवं खलु गोयमा ! मम अंतेवासी खंदए नामं अणगारे पगतिभ० जाव से णं मए अब्भणुण्णाए समाणे सयमेव पंच महव्वयाई आरुहेत्ता तं चेव सव्वं अविंसेसियं नेयव्वं जाव आलोइयपडिते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववण्णे, तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं वावीसं सागरोवमाई ठिती प०, तस्स णं खंदयस्सवि देवरस बावीसं सागरोवमा ठिती प० । से णं भंते खंदए देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएग भवक्खएर्गं ठिइक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति वुज्झिहिति मुचिहिति परिनिव्वाहिति सव्वदुक्खाणमंतं करेहिति ॥ ९५ ॥ खंदओ समन्तो ॥ वितीयसयस्स पढमो ॥ 1 कति णं भंते ! समुग्धाया पण्णत्ता ?, गोयमा ! सत्त समुग्धाया पण्णत्ता, तंजहा - वेदणासमुग्धाए एवं समुग्धायपदं छाउमत्थियसमुग्धायवजं भाणियव्वं, जाव वेमा - णियाणं कसायसमुग्धाया अप्पावहुयं । अणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो केवलि - समुग्धाय जाव सासयमणागयद्धं चिद्वंति, समुग्धायपदं नेयव्वं ॥ ९६ ॥ बितीयसए वितीयोसो भाणियव्वो ॥ कति णं भंते ! पुढवीओ पन्नत्ताओ ?, जीवाभिगमे नेरइयाणं जो बितिओ उद्देसो सो नेयव्वो, पुढविं ओगाहित्ता निरया संठाणमेव वाहलं । [विक्खंभपरिक्खेवो वण्णो गंधो य फासो य ॥ १ ॥] जाव किं सव्वपाणा उववण्णपुव्वा ?, हंता गोयमा ! असतिं अदुवा अणंतखुत्तो ॥ ९७ ॥ पुढवी उद्देसो तइओ ॥ कति णं भंते! इंदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचिंदिया पन्नत्ता, तंजहा - पढमिल्लो इंदियउद्देसो नेयव्वो, संठाणं वाहलं पोहत्तं जाव अलोगो ॥ ९८ ॥ इंदियउद्देसो ॥ अण्णउत्थिया णं भंते! एवमाइक्खंति भासंति पन्नवेंति परूवेंति, तंजहा - एवं खलु नियंठे कालगए समाणे देवव्भूएणं अप्पाणेणं से णं तत्थ णो अन्ने देवे नो अन्नेसिं देवाणं देवीओ अहिजुंजिय २ परियारेइ १ णो अप्पणचियाओ देवीओ अभिजुंजिय २ परियारेइ २ अप्पणामेव अप्पाणं विउब्बिय २ परियारेइ ३. एगेवि यणं जीव एगेणं समएणं दो वेदे वेदेइ, तंजहा - इत्थिवेदं च पुरिसवेदं च एवं परउत्यियवत्तव्वया नेयव्वा जाव इत्यिवेदं च पुरिसवेदं च । से कहमेयं भंतें 1 एवं ?, गोयमा ! जण्णं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति जाव इत्थिवेदं च पुरिसवेदं च, जे ते एवमाहंनु मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमातिक्खामि भा० प० परू०-एवं खलु नियंठे कालगए समाणे अन्नयरेसु देवलोएस देवत्ताए उववत्तारो Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे भवन्ति महिड्डिएतु जाव महाणुभागेसु दूरगतीसु चिरद्वितीएस, से णं तत्थ देवे भवति महिड्डिए जाव दस दिसाओ उज्जोवेमाणे पभासेमाणे जाव पडिवे । से णं तत्थ अन्ने देवे अन्नेसि देवाणं देवीओ अंभिजुंजिय २ परियारेइ १ अप्पणचियाओ देवीओ अभिजुंजिय २ परियारेइ २ नो अप्पणामेव अप्पाणं विउव्विय २ परियारेइ ३, एगेविय गं जीवे एगेणं समएणं एवं वेदं वेदेइ, तंजहा - इत्थिवेदं वा पुरिस वेदं वा, जं समयं इत्थवेदं वेदेइ णो तं समयं पुरुसवेयं वेएइ जं समयं पुरिसंवयं वेएइ नो त समयं इथिवेयं वेदेइ, इत्थिवेयस्स उदएणं नो पुरिसवेदं वेएइ, पुरिसवेयंस्स उद नो इत्यिवेयं वेएइ, एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एवं वेदं वेदेइ, तंजहा- इत्थीवेयं वा पुरिसवेयं वा, इत्थी इत्यिवेएणं उदिनेणं पुरिसं पत्थेइ, पुरिसो पुरिसवेएणं उदिन्नेणं, इथि पत्थे, दोवि ते अन्नमन्नं पत्येति, तंजहा - इत्थी वा पुरिसं पुरिसे वा इथि ॥९९॥ उद्गगव्भे णं भंते ! उद्गगव्भेत्ति कालतो केवच्चिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एकं समयं उक्कोसेणं छम्मासा ॥ तिरिक्खजोणियगव्भे णं भंते! तिरिक्खजोणिय - गव्भेत्ति कालओ केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहनेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अट्ठ संव च्छराई ॥ मणुस्सीग णं भंते । मणुस्सीगव्भेत्ति कालओ केवन्चिरं होइ ?, गोयमा जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वारस संवच्छराई ॥ १०० ॥ कायभवत्थे णं भंते! कायभवत्थेत्ति कालओ केवच्चिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं चउव्वीसं संवच्छराई ॥ १०१ ॥ मणुस्तुपंचेंदियतिरिक्खजोणियवीए णं भंते ! जोणियम्भूए केवतियं कालं संचिवइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वारस मुहुता ॥ १०२ ॥ एगजीवे णं भंते! जोणिए बीयम्भूए केवतियाणं पुत्तत्ताए हव्व-मागच्छइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं इकस्स वा दोन्हं वा तिन्हं वा, उक्कोसेणं सयपुहुत्तस्स जीवाणं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छति ॥ १०३ ॥ एगजीवस्स णं भंते ! एगभवग्गहणणं केवइया जीवा पुत्तत्ताए हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! जहन्नेणं इक्को वा दो वा तन्नि वा, उक्कोसेणं सयसहस्सपुहत्तं जीवा णं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छंति, से केणट्टेणं भंते ! एवं चुच्चइ - जाव हव्वमागच्छइ ?, गोयमा ! इत्थीए य पुरिसस्स य कम्मकडाए जोणीए मेहुणवत्तिए नामं संजोए समुप्पज्जइ, ते दुहओ सिणेहं संचिति २ तत्थ णं, जहन्नेणं एको वा दो वा विण्णि वा उक्कोसेणं सयसहस्सपुहत्तं जीवाणं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छंति, से तेणट्टेणं जाव हव्वमागच्छंइ ॥ १०४ ॥ मेहुणे णं भंते ! सेवमाणस्स केरिसिए असंजमे कज्जइ ?, गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे रूयनालियं वा. वरनालियं वा तत्तेणं कणएणं समभिवंसेजा एरिसए णं गोयमा ! मेहुणं सेवमा-स्स असंजमे कज्जइ, सेवं भंते । सेवं भंते ! जाव विहरति ॥ १०५ ॥ तए वि० १० प० स० २ उ०५ ] ४२७ Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई है समणे भगवं महावीरे रायगिहाओ नगराओ गुणसिलाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमइ २ बहिया जणवयविहारं विहरति । तेणं कालेणं २ तुंगिया नामं नगरी होत्था वण्णओ, तीसे णं तुंगियाए नगरीए वहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए पुप्फवतिए नामं उज्जाणे होत्था, वण्णओ, तत्थ णं तुंगियाए नयरीए वहवे समणोवासया परिवसंति अड्डा दित्ता विच्छिण्णविपुलभवणसयणासण जाणवाहणाइण्णा बहुधणवहुजायरूवरयया आओगपओगसंपत्ता विच्छड्डियविपुलभतपाणा बहुदासीदासगोमहिंसगवेलयप्पभूया बहुजणस्स अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा उवलद्वपुण्णपावा आसवसंवरनिज्जरकिरियाहिकरणवं मोक्खकुसला असहेजदेवासुरनागसुवण्णजक्खरक्खसकिंनरकिंपुरिसगरुलगंधव्वमहोरगाइएहिं देवगणेहिं निम्गंथाओ पावयणाओ अणतिक्कमणिजा णिग्गंथे पावयणे निस्संक्रिया निक्कखिया निव्वितिगिच्छा लट्ठा गहियद्वा पुच्छियट्ठा अभिगयट्ठा विणिच्छियट्ठा अट्ठिमिजपेम्माणुरागरत्ता अथमाउसो ! निग्गंथे पावयणे अट्ठे अयं परमट्ठे सेसे ॲणट्ठे ऊसियफलिहा अवगुयदुवारा चियत्तंते उरघरप्पवेसा बहूहिं सीलव्वयगुणवेरमणपचक्खाणपोसहोववासेहिं, चाउद्दसमुद्दिद्वपुण्णमासिणीसु पडिपुन्नं पोसहं सम्मं अणुपालेमाणा समणे निग्गंथे फासुएसणिजेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थपडिग्गहकंबलपायपुंछणेणं पीढफलगसेज्जासंथारएणं ओसहभेसजेण य पडि - , लाभमाणा अहापडि गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणा विहरंति ॥ १०६॥ तेणं काले २ पासावच्चिज्जा थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना कुलसंपन्ना बलसंपन्ना स्वसंपन्ना विणयसंपन्ना णाणसंपन्ना दंसणसंपन्ना चरित्तसंपन्ना लज्जासंपन्ना लाघवसंपन्ना ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहा जियमाणा जियलोभा जियनिद्दा जितिदिया जियपरीसहा जीवियासमरणभयविप्पमुक्का जाव कुत्तियावणभूता बहुस्तुया बहुपरिवारा पंचहिं अणगारसएहिं सद्धि संपरिवुडा अहाणुपुत्रि चरमाणा गामाणुगामं दूइजमाणा' सुहंसुहेणं विहरमाणा जेणेव तुंगिया नगरी जेणेव पुप्फवतीए उज्जाणे तेणेव उवागच्छति २ अहापडिरूवं उग्गहं उगिव्हित्ता णं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति ॥ १०७ ॥ तए णं तुंगियाए नगरीए सिघाडगतिगचउक्कचच्चरमहापहपहेसु जाव एगदिसाभिमुहा णिजायंति, तए णं ते समणोवासया इमीसे कहाए लखट्ठा समाणा हट्ठतुट्ठा जाव सद्दावेंति २ एवं वदासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! पासावच्चेज्जा थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना जाव अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता णं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति, तं महाफलं खलु देवाणुप्पिया ! तहारुवाणं थेराणं भगवंताणं णामगोयस्सवि सवणयाए किमंग पुण अभिगमणवंदणनमंसणपडिपुच्छण पज्जुवासणयाए ? जाव गहणयाए ?, तं J ! ४२८ Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० १० स० २-उ० ५] सुत्तागमे ૪ ૨૨ गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! धेरे भगवंते वंदामो नमंसामो जाव पञ्जुवासामो, एयं णं इह भवे वा परभवे वा जाव अणुगामियत्ताए भविस्सतीतिकटु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमह पडिनुणेति २ जेणेव सयाई २ गिहाइं तेणेव उवागच्छंति २ ण्हाया सुद्धप्पावेसाई मंगलाई पत्याई पवराइं परिहिया अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा सएहिं २ गेहेहितो पडिनिक्खमंति २ त्ता एगयओ मेलायति २ पायविहारचारेणं तुंगियाए नगरीए मझमज्झेणं णिग्गच्छंति २ जेणेव पुप्फवतीए उज्जाणे तेणेव उवागच्छंति २ धेरे भगवंते पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छंति, तंजहा-सचित्ताणं दवाणं विसरणयाए १ अचित्ताणं दवाणं अनिउसरणयाए २ एगसाडिएणं उत्तरासंगकरणेणं ३ चक्युप्फासे अंजलिप्परगहेणं ४ मणसो एगत्तीकरणेणं ५ जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छंति २ तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेन्ति २ जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पजुवासंति ॥ १०८ ॥ तए णं ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं तीसे य महतिमहालियाए चाउज्जामं धम्म परिकहेंति जहा केसिसामिस्त जाव समणोवासियत्ताए आणाए आराहगे भवति जाव धम्मो कहिओ । • तए णं ते समणोवासया राणं भगवंताणं अतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्ट तुठ्ठ जाव हयहियया तिक्खुत्तो आयाहिणप्पयाहिणं करेंति २ जाव तिविहाए पजुवासणाए पजुवासंति २ एवं वदासी-संजमे णं भंते ! किफले ? तवे णं भंते ! किफले ?, तए ण त थेरा भगवंतो ते समणोवासए एवं वदासी-संजमे णं अनो! अणण्हयफले तवे वोदाणफले, तए णं ते समणोवासया थेरे भगवंते एवं वदासी-जति णं भंते ! संजमे अणण्हयफले तवे वोदाणफले किंपत्तियं णं भंते ! देवा देवलोएसु उववज्जति, तत्य गं कालियपुत्ते नाम थेरे ते समणोवासए एवं वदासी-पुव्वतवेणं अजो! देवा देवलोएनु उववज्जति, तत्थ ण मेहिले नाम थेरे ते समणोवासए एवं वदासी-पुव्वसंजमेणं अजो! देवा देवलोएसु उववजंति, तत्थ णं आणंदरक्खिए णाम थेरे ते समणोवासए एवं वदासी-कम्मियाए अज्जो ! देवा देवलोएमु उववज्जति, तत्थ णं कासवे णाम थेरे ते समणोवासए एवं वदासी-संगियाए अज्जो। देवा देवलोएम उववजंति, पुव्वतवेणं पुन्वसंजमेणं कम्मियाए संगियाए अज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति, सच्चे णं एस अढे नो चेव णं आयभाववत्तव्वयाए, तए णं ते समणोवासया थेरेहिं भगवंतेहि इमाइं एयारूवाई वागरणाई वांगरिया समांणा हट्टतुट्टा थेरे भगवंते वंदंति नमसंति २ पसिणाई पुच्छंति २ अट्ठाई उवादियंति २ उट्ठाइ उठेति २ थेरे भगवंते तिक्खुत्तो वंदंति णमंसंति २ थेराणं भगवं० अंतियाओ पुप्फवतियाओ उज्जाणाओ पंडिनिक्खमंति २ जामेव दिसिं Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३० सुत्तागमे [ भगवई पाउब्भूया तामेव दिसि पडिगया ॥ तएं णं ते येरा अन्नया कयाई तुंगियाओ पुप्फवतिउज्जाणाओ पडिनिग्गच्छन्ति २ वहिया जगवयविहारं विहरन्ति ॥ १०९ ॥ तेणं काले २ रायगिहे नामं नगरे जाव परिसा पडिगया, तेगं कालेणं २ सम'णस्स भगवओ महावीरस्स जेट्ठे अंतेवासी इंदभूतीनामं अणगारे जाव संखित्तविउलतेयलेस्से छछट्टेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणें जाव विहरति । तए णं से भगवं गोयमे छट्ठक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करे बीयाए पोरिसीए झाणं झियाय तझ्याए पोरिसीए अतुरियमचवलंमसंभंते मुहपोत्तियं पडिलेहेइ २ भायणाई वत्थाई पडिलेहेइ २ भायणाई पमजइ २ भायणाई उग्गाहेइ २ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ २ एवं वदासी - इच्छामि णं भंते! तुमेहिं अन्भणुन्नाए छट्ठक्खमंगपारणगंसि रायगिहे नगरे उच्चनीयमज्झिमाई कुलाई घरससुदास भिक्खायरियाए अडित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया । मा पडिबंधं, तए णं भगवं गोयमे समणेण भगवया महावीरेणं अब्भणुन्नाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ गुणसिलाओ उज्जाणाओ पडि निक्खमइ २ अतुरियमचवल-मसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरओ रियं सोहेमाणे २ जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छइ २ रायगिहे नगरे उच्चनीयमज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियं अडइ । तए णं से भगवं गोयमे रायगिहे नं० जाव अडमाणे बहुजणसद्दं निसामेइ - एवं खलु देवाणुप्पिया ! तुझियाए नगरीए बहिया पुप्फवतीए उज्जाणे पासावचिज्जा थेरा भगवंतो समणोवासएहिं इमाई एयारूवाई वागरणाई पुच्छिया - संजमे णं भंते! किफले ? तवे णं भंते । किफले ?, तए णं ते रा भगतो ते समगोवासए एवं वदासी - संजमे णं अजो ! अणण्यफले तवे वोदाणंफले तं चैव जाव पुव्वतवेणं पुव्वसंजमेणं कंम्मियाए संगियाए अज्जो ! देवा देवलोएस उववज्जंति, सच्चे णं एसमट्ठे णो चेव णं - आयभाववृत्तव्वयाए ॥ से कहमेयं मण्णे एवं ?, तए णं समणे० गोयमे इमीसे कहाए लट्ठे समाणे जायसड्ढे जाव समुप्पनको उहले अहापज्जत्तं समुदागं गेण्हइ २ रायगिहाओ नगराओ पडिनिक्खमइ २ अतुरियं जाव सोहेमाणे जेणेव ' गुणसिलए उज्जाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवा० सम० भ० महावीरस्स अंदूरसामंते गंमणागमणएं पडिक्कमइ एस - मणेसणं आलोएइ २ भत्तप्राणं पडिदंसेइ २ समणं भ० महावीरं जाव एवं वयासी - एवं खलु भंते! अहं तु भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे रायगिहे नगरे उच्चनीयमंज्झिमाणि कुलाणि घरसमुदाणस्स भिक्खिायरियाए अंडमाणे बहुजणसद्दं निसामेति (मि); Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २ उ० ५] सुत्तागमे एवं खलु देवा तुंगियाए नगरीए वहिया पुप्फेवईए उजाणे पासावञ्चिजा थेरा भगवंतो समणोवासएहिं इमाइं एयारूवाइं वागरणाई पुच्छिया-संजमे णं भंते ! किंफले ? तवे किफले ? तं चेव जाव सच्चे णं एसमढे णो चेव णं आयभाववत्तव्वयाए, तं पभू णं भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं इमाइं एयारूवाइं वागरणाई चागरिनए उदाहु अप्पभू?, समिया णं भंते । ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयागं इमाइं एयारुवाई वागरणाइं वागरित्तए उदाहु असमिया ? आउजिया णं भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं इमाइं एयारवाई वागरणाइं वागरित्तए ? उदाहु अणाउजिया ? पलिउजिया णं भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं इमाई एयाख्वाइं वागरणाई वागरित्तए उदाहु अपलिउजिया ?, पुव्वतवेणं अज्जो !' देवा देवलोएसु उववनंति पुव्वसंजमेणं कम्मियाए संगियाए अजो ! देवा देवलोएलु उववज्जति, सच्चे णं एसमढे णो चेव णं आयभाववत्तव्वयाए, पभू णं गोयमा ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं इमाई एयाख्वाइं वागरणाइं वागरेत्तए, णो चेव णं अप्पभू , तह चेव नेयव्वं अवसेसियं जाव पभू समियं आउजिया पलिउजिया जाव सच्चे णं एसमढे णो चेव णं आयभाववत्तव्वयाए, अहंपिणं गोयमा ! एवमाइक्खामि भासेमि पण्णवेमि परूवेमि पुव्वतवेणं देवा देवलोएसु उववजंति पुव्वसंजमेण देवा देवलोएतु उववनंति कम्मियाए देवा देवलोएसु उववजंति संगियाए देवा देवलोएसु उववज्जति, पुवतवेणं पुव्वसंजमेणं कम्मियाए संगियाए अजो! देवा देवलोएसु उववजंति, सच्चे णं एसमढे णो चेव णं आयभाववत्तव्वयाए ॥११०॥ तहास्वं भंते! समणं वा माहणं वा पजुवासमाणस्स किफला पजुवासणा ?, गोयमा। सवणफला, से णं भंते! सवणे किफले ?, णाणफले, से णं भंते ! नाणे किफले ?, विण्णाणफले, से णं भंते ! विन्नाणे किफले १, पञ्चक्खाणफले, से णं भंते ! पञ्चक्खाणे किफले ?, संजमफले, से णं भंते ! संजमे किफले ?, अणण्हयफले, एवं अणण्हए तवफले, तवे वोदाणफले, वोदाणे अकिरियाफले, से णं भंते ! अकिरिया कि फला ?, सिद्धिपज्जवसाणफला पण्णत्ता गोयमा), गाहा-सवणे णाणे य विण्णाणे पच्चक्खाणे य संजमे । अगण्हए तवे चेव वोदाणे अकिरिया सिद्धी ॥१॥ १११॥ अण्णउत्यिया णं भंते ! एवमातिक्खंति भासंति पण्णवेंति परवेति-एवं खलु रायगिहस्स नगरस्स बहिया वेभारस्स पव्वयस्स अहे एत्थ णं महं एगे हरए अघे पन्नत्ते अणेगाई जोयणाई आयामविक्खमेणं नाणादुमसंडमंडितउद्देसे सस्सिरीए जाव पडिलवे, तत्थ ण वहवे ओराला बलाहया संसेयंति सम्मुच्छिति वासंति तव्वतिरित्ते य ण सया समिओ उसिणे २ आउकाए अभिनिस्सवइ । से कहमेयं Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ४३२ [भगवई भंते ! एवं ?, गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमातिक्खंति जाव जे ते एवं पलवेंति मिच्छं ते एवमातिक्खंति जाव सव्वं नेयव्वं, जाव अहं पुण गोयमा ! एवमातिक्खामि भा० प० प० एवं खलु रायगिहस्स नगरस्स बहिया वेभारपव्वयस्स अदूरसामंते, एत्थ णं महातवोवतीरप्पभवे नाम पासवणे पन्नत्ते पंचधणुसयाणि आयामविक्खंभेणं नाणादुमसंडमंडिउद्देसे सस्सिरीए पासाइए दरिसणिज्जे अभिलवे पडिरूवे तत्थ णं वहवे उसिणजोणिया जीवा य पोग्गला य उदगत्ताए वकमंति विउक्कमति चयंति उववजंति तव्वतिरित्तेवि य णं सया समियं उसिणे २ आउयाए अभिनिस्सवइ, एस णं गोयमा ! महातवोवतीरप्पभवे पासवणं एस णं गोयमा ! महातवोवतीरप्पभवस्स पासवणस्स अट्ठे पन्नत्ते, सेवं भंते २ त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति ॥ ११२ ॥ वीएसए पंचमो उद्देसो॥ से णूणं भंते ! मण्णामीति ओहारिणी भासा, एवं भासापदं भाणियव्वं ॥११३॥ वीए सए छट्ठो उद्देसो समत्तो । ___ कतिविहा णं भंते ! देवा प० १, गोयमा ! चउव्विहा देवा प०, तंजहा-भवणवइवाणमंतरजोतिसवेमाणिया । कहि णं भंते! भवणवासीणं देवाणं ठाणा प०१, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जहा ठाणपदे देवाणं वत्तव्वया सा भाणियन्वा, नवरं भवणा प०, उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, एवं सव्वं भाणियव्वं जाव सिद्धगंडिया समत्ता-कप्पाण पइहाणं वाहुल्चत्तमेव संठाणं । जीवाभिगमे जाव वेमाणियउद्देसो भाणियव्वो सव्वो ॥ ११४ ॥ वीए सए सत्तमो उद्देसो॥ __ कहि णं भंते ! चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररन्नो सभा सुहम्मा प०१, गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीईवइत्ता अरुणवरस्स दीवस्स वाहिरिल्लाओ वेइयंताओ अरुणोदयं समुदं वायालीसं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो तिगिच्छियकूडे नाम उप्पायपव्वए पण्णत्ते, सत्तरसएकवीसे जोयणसए उड़े उच्चत्तेणं चत्तारि तीसे जोयणसए कोसं च उव्वेहेणं गोथूभस्स आवासपव्वयस्स पमाणेणं णेयव्वं नवरं उवरिल्लं पमाणं मज्झे भाणियव्वं [ मूले दसवावीसे जोयणसए विक्खंभेणं मज्झे चत्तारि चउवीसे जोयणसते विक्खंभेणं उवरि सत्ततेवीसे जोयणसते विक्खंभेणं मूले तिणि जोयणसहस्साइं दोण्णि य वत्तीसुत्तरे जोयणसते किचिविसेसूणे परिक्खेवेणं मज्झे एग जोयणसहस्सं तिण्णि य इगयाले जोयणसते किचिविसेसूणे परिक्खेवेणं उवरिं दोणि य जोयणसहस्साई दोणि य छलसीते जोयणसते किचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं] जाव मूले वित्थडे मज्झे संखित्ते उप्पि Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २ उ० १०] सुत्तागमे विसाले मज्झे वरवइरविग्गहिए महामउंदसंठाणसंलिए सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे, से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेणं वणसंडेण य सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, पउमवरवेइयाए वणसंडस्सं य वण्णओ, तस्स णं तिगिच्छिकूडस्स उप्पायपव्वयस्स उप्पिं बहुसनरमणिजे भूमिभागे पण्णत्ते, वण्णओ, तस्स णं वहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे एस्थ महं एगे पासायवडिसए पन्नत्ते, अढाइज्जाइं जोयणसयाई उ8 उच्चत्तेणं पणवीसं जोयणसयाई विक्खंभेगं, पासायवग्णओ उल्लोयभूमिवन्नओ अट्ठ जोयणाई मणिपेढिया चमरस्स सीहासणं सपरिवार भाणियचं, तस्स णं तिगिच्छिकूडस्स दाहिणेणं छक्कोडिसए पर्णपन्नं च कोडीओ पणतीसं. च सयसहस्साइं पण्णासं च सहस्साइं अरुणोदे समुद्दे तिरियं वीइवइत्ता अहे रयणप्पभाए पुढवीए चत्तालीसं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो चमरचंचा नामं रायहाणी पं० एग जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं जंबुद्दीवप्पमाणं, पागारो दिवई जोयणसयं उर्दू उच्चत्तणं मूले पन्नासं जोयगाइं विक्खंभेणं उवरिं अद्धतेरसजोयणा कविसीसगा अद्धजोयणआयामं कोसं विक्खंभेणं देसूर्ण अद्धजोयणं उर्दू उच्चत्तेणं एगमेगाए वाहाए पंच २ दारसया अड्डाइंजाइं जोयणसयाइं २५० उढे उच्चत्तेणं १२५ अद्धं विक्खंभेणं उवरियलेणं सोलंसजोयणसंहस्साई आयामविक्खंभेणं पन्नासं जोयणसहस्साइं पंच य सत्ताणउयजोयणसए किंचिविसेसूणे. परिक्खेवेणं सव्वप्पमाणे वेमाणियप्पमाणस्स अद्धं नेयव्वं, सभा सुहम्मा, तओ उववायसभा हरओ' अभिसेय. अलंकारो जहा विजयस्स अभिसेयविभूसणा य ववसाओ । चमरपरिवार इहत्तं ॥ ११५ ॥ बीयसए अठ्ठमो उद्देसमो समत्तो॥ किमिदं भंते ! समयखेत्तेत्ति पवुच्चति , गोयमा ! अड्डाइजा दीवा दो य समुद्दा एस णं एवइए समयखेत्तेति पवुञ्चति, तत्थ णं अयं जंबुद्दीवे २ सव्वदीवसमुद्दाणं संवन्भतरे एवं जीवाभिगमवत्तव्वया (जोइसविहूणं ) नेयव्वा जावं अभितर्र पुक्खरद्धं जोइसविहूणं (इमा गाहा) ॥ ११६ ॥ वितीयस्स नवमो उद्देसो॥ कति भंते ! अस्थिकाया प० १, गोयमा ! पंच अस्थिकाया प०, तंजहाधम्मत्थिकाए अधम्मत्यिकाए आगासस्थिकाए जीवत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए ॥ धम्मत्यिकाए णं भंते ! कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे ?, गोयमा ! अण्णे अगंधे अरसे अफासे अस्वी अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदन्वे, से समासओ पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ, दव्वओ णं धम्मत्यिकाए एगे दव्वे, खेत्तओ ण लोगप्पमाणमेत्ते, कालओ न कयावि न आसि न कयाइ २८ सुत्ता० . Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३४ सुत्तागमे [ भगवई " नत्थि जाव निच्चे, भावओ अवण्णे अगंधे अरसे अफासे, गुणओ गमणगुणे । अहम्मत्थिकाएवि एवं चेव, नवरं गुणओ ठाणगुणे, आगासत्थिकाएवि एवं चेव, नवरं खेत्तओ णं आगासत्थिकाए लोयांलोयप्पमाणमेत्ते अणंते चेव जाव गुणओ अवगाहणागुणे । जीवत्थिकाए णं भंते! कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कइफासे ?, गोयमा ! अवण्णे जाव अरुवी जीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे, से समासओ पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा - दव्वओ जाव गुणओ, दव्वओ णं जीवत्थिकाए अनंताई जीवदव्वाई, खेत्तओ लोगप्पमाणमेत्ते कालओ न कयाइ न आसि जाव निचे, भावओ पुण अवणे अगंधे अरसे अफासे, गुणओ उवओगगुणे । पोग्गलत्थिकाए णं भंते 1 कतिवण्णे कतिगंधे ० रसे० फासे ?, गोयमा ! पंचवण्णे पंचरसे दुगंधे अट्ठफासे रूवी अजीवे सासए अवट्टिए लोगदव्वे, से समासओ पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा - दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ, दव्वओ णं पोग्गलत्थिकाए अणंताई दव्वाई, खेत्तओ लोयप्पमाणमेत्ते, कालओ न कयाइ न आसि जाव निच्चे, भावओ वणमंते गंध० रस० फासमंते, गुणओ गहणगुणे ॥ ११७ ॥ एगे भंते । धम्मत्थिकायपदेसे धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे, एवं दोन्निवि तिन्निवि चत्तारि पंच छ सत्त अट्ठ नव दस संखेज्जा, असंखेज्जा भंते ! धम्मत्थिकायप्पएसा धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे, एगपदेसूणेवि यणं भंते ! धम्मत्थिकाए २ त्ति वत्तव्वं सिया ? णो तिणट्ठे समट्ठे, से केणद्वेगं भंते 1 एवं बुच्चइ ? - एगे धम्मत्थिकायपदेसे नो धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया जाव एगपदेसूणेवि य णं धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकाएत्ति, वत्तव्वं सिया ?, से नूगं गोयमा ! खंडे चक्ने सगळे चक्ने ?, भगवं ! नो खंडे चक्के सकले चक्के, एवं छत्ते चम्मे दंडे दूसे आउ पहे मोयए, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - एगे धम्मत्थिकायपदेसे नो धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया जाव एगपदेसूणेवि य णं धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थि - कात्ति वत्तव्वं सिया ॥ से किंखातिए णं भंते ! धम्मत्थिकाए त्ति वत्तं सिया ?, गोयमा ! असंखेज्जा धम्मत्थिकायपएसा ते सव्वे कसिणा पडिपुण्णा निरवसेसा एगगहणगहिया एस णं गोयमा ! धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया, एवं अहम्मत्थिकावि, आगासत्थिकाएवि, जीवत्थिकायपोग्गलत्थिकायावि एवं चेव, नवरं तिण्हंपि पदेसा अनंता भाणियव्वा, सेसं तं चेव ॥ ११८ ॥ जीवे णं भंते! सट्टा सकम्मे सवले सवीरिए सपुरिसक्कारपरक्कमे आयभावेण जीवभावं उवदंसेतीति वत्तव्वं सिया ?, हंता गोयमा ! जीवे णं सउट्ठाणे जाव उवदंसेतीति वत्तव्त्रं सिया । से केणद्वेगं जाव वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! जीवे णं अणं + 1 Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २ उ० १०] सुनागमे ४३५ ताणं आभिणिवोहियनाणपज्जवागं एवं सुयनाणपज्जवाणं ओहिनाणपज्जवाणं मणपज्जवनाणप० केवलनाणप० मइअन्नाणप० सुयअन्नाणप० विभंगणाणपजवाणं चक्खुदंसणप० अचक्खुदंसर्णप० ओहिंदसणप० केवलदसणप० उवओगं गच्छइ, उवओगलक्खणे णं जीवे, से तेणढेणं एवं वुच्चइ-गोयमा! जीवे णं सउठाणे जाय वत्तव्वं सिया ॥ ११९ ॥ कतिविहे णं भंते ! आगासे पण्णत्ते ?, गोयमा ! दुविहे आगासे प०, तंजहा-लोयागासे य अलोयागासे य ॥ लोयागासे गं भंते ! कि जीवा जीवदेसा जीवपदेसा अजीवा अजीवदेसा अजीवपएसा ?, गोयमा ! जीवावि जीवदेसावि जीवपदेसावि अजीवावि अजीवदेसावि अजीवपदेसावि जे जीवा ते. नियमा एगिदिया वेंदिया तेइंदिया चउरिंदिया पंचेंदिया अणिंदिया, जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा जाव आणिंदियदेसा, जे जीवपदेसा ते नियमा एगिदियपदेसा जाव अणिदियपदेसा, जे.अजीवा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-रूवी य अरूवी य, जे रूवी ते चउव्विहा पण्णत्ता, तंजहा-खंधा खंधदेसा 'खंधपदेसा परमाणुपोग्गला, जे असवी ते पंचविहा पण्णत्ता, तंजहा-धम्मत्यिकाए नो धम्मस्थिकायस्स देसे धम्मत्थिकायस्स पदेसा अधम्मत्थिकाए नो अधम्मत्यिकायस्स देसे अधम्मत्यिकायस्स पदेसा अद्धासमए ॥ १२० ॥ अलोगागासे णं भंते ! कि जीवा ? पुच्छा तह चेव, गोयमा ! नो जीवा जाव नो अजीवप्पएसा एगे अजीवदव्वदेसे अगुख्यलहुए अणंतेहिं अगुरुयलहुयगुणेहिं संजुत्ते सव्वागासे अणंतभागूणे ॥ १२१ ॥ धम्मत्यिकाए णं भंते ! कि (के) महालए पण्णत्ते ?, गोयमा । लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव फुसित्ता णं चिट्ठइ, एवं अहम्मत्यिकाए लोयागासे जीवत्थिकाए पोग्गलत्यिकाए पंचवि एकाभिलावा ॥ १२२ ॥ अहेलोए णं भंते ! धम्मत्थिकायस्स केवइयं फुसति ?, गोयमा ! सातिरेगं अद्धं फुसति । तिरियलोए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! असंखेज्जइभागं फुसइ । उडुलोए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! देसूर्ण अद्ध फुसइ ॥ १२३ ॥ इमा णं भंते ! रयणप्पभापुढवी धम्मत्थिकायस्स किं संखेजइ. भार्ग फुसति ? असंखेजइभागं फुसइ ? संखिन भागे फुसति ? असंखेजे भागे फुसति ? सव्वं फुसति ?, गोयमा ! णो संखेज्जइभागं फुसति असंखेजइभागं फुसइ णो संखेजे णो असंखेजे नो सव्वं फुसति । इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए उवासंतरे घणोदही धम्मत्थिकायस्स पुच्छा, किं संखेजइभागं फुसति ? जहा रयणप्पभा तहा घणोदहिघणवायतणुवाया । इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए उवासंतरे धम्मत्यिकायस्स किं संखेजतिभागं फुसति असंखेजइभागं फुसइ जाव सव्वं फुसइ ?, गोयमा ! संखेजइभागं फुसइ णो असंखेजइभागं फुसई नो संखेने० Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३६ सुत्तागने [भगवई नो असंखेजे० नो सव्वं फुसइ, उवासंतराइं सव्वाइं जहा रयणप्पभाए पुढवीए वत्तव्वया भणिया, एवं जाव अहेसत्तमाए, जंबुद्दीवाइया दीवा लवणसमुद्दाइया समुद्दा, एवं सोहम्मे कप्पे जाव ईसिपब्भारापुढवीए, एते सव्वेऽवि असंखेजतिभागं फुसति, सेसा पडिसेहेयव्वा । एवं अधम्मत्थिकाए, एवं लोयागासेवि, गाहा-- पुढचोदहीषणतणुकप्पा गेवेजणुत्तरा सिद्धी । संखेजतिभागं अंतरेसु सेसा असंखेजा ॥ १ ॥ १२४ ॥ दसमो उद्देसो, वितियं सयं समत्तं ।। गाहा-केरिसविउव्वणा चमर किरिय जाणित्थि नगर पाला य । अहिवइ इंदियपरिसा ततियम्मि सए दसुद्देसा ॥ १॥ तेणं कालेगं तेणं समएणं मोया नाम नगरी होत्था, वण्णओ, तीसे णं मोयाए नगरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभागे णं नंदणे नामं उजाणे होत्था, वण्णओ, तेगं कालेणं २ सामी समोसढे, परिसा निग्गच्छइ पडिगया परिसा, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स दोचे अंतेवासी अग्गिभूती नामं अणगारे गोयमगोत्तणं सत्तुस्सेहे जाव पनुवासमागे एवं वदासी-चमरे णं भंते ! असुरिंदे असुरराया केमहिडिए ? केमहानुईए ? केमहाबले ? केमहायसे ? केमहासोक्खे ? केमहाणुभागे ? केवइयं च णं पभू विउवित्तए ?, गोयमा! चमरे णं असुरिदे असुरराया महिड्दिए जाव महाणुभागे से णं तत्थ चोत्तीसाए भवणावाससयसहस्साणं चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीगं तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं जाव विहरइ, एवंमहिड्डिए जाव महाणुभागे, एवतियं च णं पभू विउवित्तए से जहानामए-जुवई जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेजा चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया, एवामेव गोयमा ! चमरे असुरिदे असुरराया वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहणइ २ सखेजाई जोयणाई उद्धं दंडं निसिरइ, तंजहा-रयणाणं जाव रिटागं अहाबायरे पोग्गले परिसाडेइ २ अहासुहुमे पोग्गले परियाएति २ दोच्चंपि वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणति २, पभूणं गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया केवलकप्पं जवुद्दीवं २ वहहिं असुर. कुमारेहिं देवेहिं देवीहि य आइण्णं वितिकिण्णं उवत्थडं संबडं फुडं अवगाढाऽवगाढं करेत्तए। अदुत्तरं च णं गोयमा ! पभू चमरे असुरिदे असुरराया तिरियमसंखेजे दीवसमुद्दे वहहि असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य-आइण्णे वितिकिण्णे उवत्थडे संथडे फुडे अवगाढावगाढे करेत्तए, एस-णं गोयमा! चमरस्स असुरिदस्स असुररण्णो अय-- मेयारूवे विसए विसयमेत्ते वुइए णो चेव णं संपत्तीए विकुव्विसु वा विकुव्वति वा विकुन्विस्सति वा ॥ १२५ ॥ जति णं भंते ! चमरे असुरिंदे असुरराया एमहिड्डिए जाव एवइयं च - णं पभू विकुवित्तए, चमरस्स णं-भंते! असुरिंदस्स असुररन्नो, Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ३ उ० ] . सुत्तागमे १३७ सामाणिया देवा केमहिड्डिया जाव केवतियं च णं पभू विकुवित्तए ?, गोयमा ! चमरस्स असुरिदस्स असुररन्नो सामाणिया देवा महिड्डिया जाव महाणुभागा, ते णं तत्थ साणं २ भवणाणं साणं २' सामाणियाणं साणं २ 'अग्गमहिसीणं जाव दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजाणा विहरंति, एवंमहिड्डिया 'जाव एवइयं च ण पभू विकुवित्तए, से जहानामए-जुवतिं जुवाणे हत्थेणे हत्थे गेण्हेजा चक्कस्स वो नाभी अरयाउत्ता सिया एवामेव गोयमा ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो एगमेगे सामाणिए देवे वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणइ २ जाव दोच्चंपि वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहणति २ पभू णं गोयमा । चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो एगमेगे सामाणिए देवे केवलकप्पं जंबुद्दीवं २ बहुहिं असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य आइन्न वितिक्रिन्न उवत्थडं संथडं फुडं अवगाढावगाढं करेत्तए, अदुत्तरं च णं गोयमा ! पभू चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो एगमेगे सामाणियदेवे तिरियमसंखेजे दीवसमुद्दे वहहिं असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य आइण्णे वितिकिण्णे उवत्थडे संयडे फुडे अवगाढावगाढे करेत्तए, एस णं गोयमा ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो एगमेगस्स सामाणिय. देवस्स अयमेयासवे विसए विसयमेत्ते वुइए णो चेव णं संपत्तीए विकुब्बिसु वा विकुव्वति वा विकुन्विस्सति वा । जति णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो सामाणिया देवा एवंमहिड्डिया जाव एवतियं च णं पभू विकुन्वित्तए चमरस्स णं भंते ! असुरिदस्स असुररन्नो तायत्तीसिया देवा केमहिड्डिया , तायत्तीसिया देवा जहा सामाणिया तहा नेयव्वा, लोयपाला तहेव, नवरं सखेजा दीवसमुदा भाणियव्वा, वहूहिं असुरकुमारेहिं २ आइन्ने जाव विउव्विस्संति वा । जति णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो लोगपाला देवा एवंमहिड्डियां जाव एवतियं च णं पभू विउवित्तए चमरस्स णं भंते। असुरिंदस्स असुररन्नो अग्गमहिसीओ देवीओ केमहिड्डियाओ जाव केवंतियं च णं पभू विकुवित्तए १, गोयमा । चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररन्नो अग्गमहिसीओ महिड्डियाओ जाव महाणुभागाओ, ताओ णं तत्य साणं २ भवणाणं साणं २ सामाणियसाहस्सीणं साणं २ महत्तरियाणं साणं २ परिसाणं जाव- एमहिड्डियाओ अन्नं जहा लोगपालाणं अपरिसेसं । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ १२६ ॥ भगवं दोचे गोयमे समणं अगवं महावीरं वंदइ नमसइ २ जेणेव तच्चे गोयमे वायुभूतिअणगारे तेणेव उवागच्छति २ तचं गोयमं वायुभूति अणगारं एवं वदासी-एवं खलु गोयमा! चमरे असुरिंदे असुरराया एवंम हिड्डिए तं चेव एवं सव्वं अपुट्ठवागरणं नेयव्वं अपरिसेसियं जाव अग्गमहिसीणं वत्तव्वया समत्ता। तए णं से तच्चे गोयमे वायुभूती अणगारे दोच्चस्स गोयमस्स अग्गिभूइस्स अणगा Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई रस्स एवमाइक्खमाणस्स भा० प० परू० एयमद्वं नो सद्दहइ नो पत्तियइ नो रोयइ एयमढें असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे उठाए उठेइ २ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ जाव पजुवासमाणे एवं वयासी-एवं खलु भंते ! दोच्चे गोयमे अग्गिभूतिअणगारे मम एवमातिक्खइ भासइ पनवेइ परवेइ-एवं खलु गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया महिदिए जाव महाणुभावे से णं तत्थ चोत्तीसाए भवणावाससयसहस्साणं एवं तं चेव सव्वं अपरिसेसं भाणियव्वं जाव अग्गमहिंसीणं वत्तव्वया समत्ता, से कहमेयं भंते !, एवं ? गोयमादि समणे भगवं महाचीरे तचं गोयमं वाउभूतिं अणगारं एवं वदासी-जण्णं गोयमा ! दोन्चे गो० अग्गिभूइअणगारे तव एवमातिक्खइ ४-एवं खलु गोयमा ! चमरे ३ महिड्डिए एवं तं चेव सव्वं जाव अग्गमहिसीणं वत्तव्वया समत्ता, सच्चे णं एसमटे, अहंपि णं गोयमा! एवमातिक्खामि भा० प० परू०, एवं खलु गोयमा !-चमरे ३ जाव महिड्डिए सो चेव वितिओ गमो भाणियव्चो जाव अग्गमहिसीओ, सच्चे णं एसमढे, सेवं भंते २, तच्चे गोयमे ! वायुभूती अणगारे समगं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ २ जेणेव दोचे गोयमे अग्गिभूती अणगारे तेणेव उवागच्छइ २ दोचं गो० अग्गिभूतिं अणगारं वंदइ नमसति-२ एयमढें सम्मं विणएणं भुज्जो २ खामेति ॥ १२७ ॥ तए णं से तच्चे गोयमे वाउभूती अणगारे दोघेणं गोयमेणं अग्गिभूतीणामेणं अणगारेणं सद्धिं जेणेव समणे भगवं महावीरे जाव पजुवासमाणे एवं वयासी-जति णं भंते ! चमरे असुरिंदे असुरराया एवंमहिदिए जाव एवतियं च णं-पभू विकुन्वित्तए वली णं भंते ! वइरोयणिंदे वइरोयणराया केमहिड्डिए जाव केवइयं च णं पभू विकुन्वित्तए ?, गोयमा ! बली णं वइरोयणिंदे वइरोयणराया महिड्डिए जाव महाणुभागे, से णं तत्थ तीसाए भवणावाससयसहस्साणं सट्ठीए सामाणियसाहस्सीणं सेसं जहा चमरस्स तहा वलियस्सवि णेयव्वं, णवरं सातिरेगं केवलकप्पं जवुद्दीवंति भाणियव्वं, सेसं तं चेव गिरवसेसं णेयव्वं, णवरं णाणत्तं जाणियव्वं भवहिं सामा• णिएहिं, सेवं भंते २ त्ति तच्चे गोयमे वायुभूती जाव विहरति । भंते त्ति भगवं दोचे गोयमे अग्गिभूती अणगारे -समणं भगवं महावीरं वंदइ २ एवं वदासी-जइ णं भंते ! वली वइरोयणिंदे वइरोयणराया एमहिड्डिए जाव एवइयं च णं पभू विकु. वित्तए धरणे णं भंते ! नागकुमारिंदे नागकुमारराया केमहिड्डिए जाव केवतियं च णं पभू विकुवित्तए ?, गोयमा! धरणे णं नागकुमारिंदे नागकुमारराया एमहिड्डिए जाव से णं तत्थ चोयालीसाए भवणावाससयसहस्सागं छण्हं सामाणियसाहस्सीणं तायत्तीसाए- तायत्तीसगाणं चउण्हं लोगपालाणं छण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'वि० प० स० ३ उ० १] सुत्तागमे ४३९ तिण्हं परिसाणं सत्तण्हं अणियाणं सत्तण्हं अणियाहिवईगं चउवीसाए आयरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसि च जाव विहरइ, एवतियं च णं पभू विउवित्तए से जहानामए-जुवतिं जुवाणे जाव पभू केवलकप्पं जंबुद्दीवं २ जाव तिरियं संखेजे दीवसमुद्दे बहूहिं नागकुमारेहिं २ जाव विउव्विस्संति वा, सामाणिया तायत्तीसलोगपालगा महिसीओ य तहेव, जहा चमरस्स एवं धरणे णं नांगकुमारराया महिड्डिए जाव एवतियं जहा चमरे तहा धरणेणवि, नवरं संखेने दीवसमुद्दे भाणियव्वं, एवं जाव थणियकुमारा वाणमंतरा जोइसियावि, नवरं दाहिणिल्ले सव्वे अग्गिभूती पुच्छति, उत्तरिल्ले सव्वे वाउभूती पुच्छइ, भंतेत्ति भगवं दोच्चे गोयमे अग्गिभूती अणगारे समणं भगवं म० : वंदति नमसति:२ एवं वयासी-जति णं भंते ! जोइसिदे जोतिसराया एवंमहिड्डिए जाव एवतियं च णं पभू विकुवित्तए सके णं भंते ! देविंदे देवराया केमहिड्डिए जाव केवतियं च णं पभू विउवित्तए ?, गोयमा । सक्के णं देविंदे देवराया महिड्डिए जाव. महाणुभागे, से णं तत्थ बत्तीसाए विमाणावाससयसहस्साणं चउरासीए सामाणियसाहस्सीणं जाव चउण्हं चउरासीणं आयरक्ख (देव) साहस्सीणं अन्नेसि च जाव विहरइ, एवंमहिड्डिए जाव एवतियं च ण पभू विकुव्वित्तए, एवं जहेव चमरस्स तहेव भाणियव्वं, नवरं दो केवलकप्पे जंबुद्दीवे २. अवसेसं तं चेव, एस णं गोयमा । सक्कस्स देविंदस्स देवरणो इमेयारूवे विसए विसयमेत्ते णं 'बुइए नो चेव णं संपत्तीए विउव्विसु वा विउव्वति वा विउव्विस्सति वा ॥ १२८॥ जइ णं भंते ! सक्ने देविंदे देवराया एमहिड्डिए. जाव एवतियं च णं पभू विकुट्वित्तए ॥ एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी तीसए णामं अणगारे पंगतिभद्दए जाव विणीए छटुंछठेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे वहुपडिपुण्णाइं अट्ठ संवच्छराइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता सटिं भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडिकंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे सयंसि विमाणसि उववायसभाए देवसयणिज्जसि देवदूसंतरिए अंगुलस्स असंखेजइभागमेत्ताए ओगाहणाए सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो सामाणियदेव-त्ताए उववण्णे, तए णं तीसए देवे अहुणोववन्नमेत्ते समाणे पंचविहाए पजत्तीए पज्जत्तिभावं गच्छइ, तंजहा-आहारपजत्तीए सरीर० इंदिय० आणुपाणुपजत्तीए भासामणपज्जत्तीए, तए णं तं तीसयं देवं पंचविहाए पजत्तीए पज्जत्तिभावं गयं -समाणं सामाणियपरिसोववन्नया देवा करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं. कल जएणं विजएण वद्धाविंति २ एवं वदासी-अहो णं देवाणुप्पिए ! दिव्वा देविड्डी दिव्वा देवजुई दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागते, जारिसिया णं Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १४० [भगवई देवाणुप्पिएहिं दिव्वा देविड्डी दिव्वा देवजुई दिव्चे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागते तारिसिया णं सक्नेणं देविदेणं देवरना दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमन्नागया, जारिसिया णं (सक्वेणं देविदेणं देवरण्णा दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमण्णागया तारिसिया णं) देवाणुप्पिएहिं दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमन्नागया । से णं भंते ! तीसए देवे केमहिड्डिए जाव केवतियं च णं पभू विउवित्तए ?, गोयमा ! महिड्डिए जाव महाणुभागे, से गं तत्थ सयस्स विमाणस्स चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं चउण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिण्हं परिसाणं सत्तण्हं अणियाणं सत्तण्हं अणियाहिवईणं सोलसण्हं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसिं च बहूणं वेमाणियागं देवाण य देवीण य जाव विहरति, एवंमहिड्डिए जाव एवइयं च णं पभू विउवित्तए, से जहाणामए जुवतिं जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेजा जहेव सकस्स तहेव जाव एस णं गोयमा ! तीसयस्स देवस्स अयमेयारूवे विसए विसयमेत्ते वुइए नो चेव णं संपत्तीए विउव्विसु वा ३ । जति णं भंते! तीसए देवे महिड्डिए जाव एवइयं च णं पभू विउवित्तए सक्कस्स णं भंते ! देविदस्स देवरन्नो अवसेसा सामाणिया देवा केमहिड्डिया तहेव सव्वं जाव एस गंगोयमा ! सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो एगमेगस्स सामाणियस्स देवस्स इमेयालवे विसए विसयमेत्ते वुइए नो चेव णं संपत्तीए विउव्विसु वा विउव्विति वा विउव्विस्संति वा तायत्तीसा य,लोगपालअग्गमहिसीणं जहेव चमरस्स नवरं दो केवलकप्पे जंबुद्दीवे २ अण्णं तं चेव, सेवं भंते २ त्ति दोचे गोयमे जाव विहरति ॥ १२९ ॥ भंतेत्ति भगवं तच्चे गोयमे वाउभूती अणमारे समणं भगवं जाव एवं' वदासी-जति णं भंते ! सक्ने देविंदे देवराया एमहिड्दिए जाव एवइयं च णं पभू विउव्वित्तए ईसाणे णं भंते ! देविंदे देवराया केमहिड्डिए ? एवं तहेव, नवरं साहिए दो केवलकप्पे जंवूदीवे २ अवसेसं तहेव ॥१३०॥ जति णं भंते ! ईसाणे देविंदे देवराया एमहिड्डिए जाव एवतियं च णं पभू विउवित्तए ॥ एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कुरुदत्तपुत्ते नाम पगतिभद्दए जाव विणीए अट्ठमंअट्टमेणं अणिक्खित्तणं पारणए. आयंबिलपरिग्गहिएणं तवोकम्मेणं उर्दू बाहाओ पमिज्झिय २ सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे बहुपडिपुन्ने छम्मासे सामण्णपरियागं पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्तागं झोसित्ता तीसं भत्ताइं अणसणाए छेदित्ता आलोइयपडिक्तते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे सयंसि विमाणसि जा चेव तीसए वनव्वया ता सव्वेव : अपरितेसा कुरुदत्तपुत्तेवि, नवरं सातिरेगे दो केवलकप्पे जंबुद्दीचे २, अवसेसं तं चेव, एवं सामाणियतायत्तीसलोगपालअग्गमहिसीणं जाव एस गं गोयमा ! ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो एवं एगमेगाए अग्गमहिसीए देवीए Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ३. उ०१] सुत्तागमं ४४१ अयमेयारूचे विसए विसयमेत्ते बुइए नो चेव णं संपत्तीए विउव्विसु वा ३ ॥१३॥ एवं सणंकुमारेवि, नवरं चत्तारि केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे अदुत्तरं च णं तिरियमसंखेने, एवं सामाणियतायत्तीसलोगपालअगमहिसीगं असंखेज्जे दीवसमुद्दे सव्वे विउच्वंति, सणंकुमाराओ आरद्धा उवरिल्ला लोगपाला सव्वेवि असंखेने दीवसमुद्दे विउविति, एवं माहिदवि, नवरं सातिरेगे चत्तारि केवलकप्पे जंबुद्दीवे २, एवं बंभलोएवि, नवरं अट्ट केवलकप्पे, एवं लंतएवि, नवरं सातिरेगे अट्ठ केवलकप्पे, महासुने सोलस केवलकप्पे, सहस्सारे सातिरेगे सोलस, एवं पाणएवि, नवरं वत्तीसं केवल०, एव अचुएवि नवरं सातिरेगे वत्तीसं केवलकप्पे जंबुद्दीवे २ अन्नं तं चेव; सेवं भंते २ ति तच्चे गोयमे वायुभृती अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसति जाव विहरति । तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ मोयाओ नगरीओ नंदणाओ उजाणाओ पडिनिक्खमइ २ वह्यिा जणवयविहारं विहरइ ॥ १३२॥ तेणं कालेणं तेणं० रायगिहे नामं नगरे होत्था, वन्नओ, जाव परिसा पजुवासइ । तेणं कालेगं २ ईसाणे देविंदे देवराया सूलपाणी वसभवाहणे उत्तरडलोगाहिबई अट्ठावीसविमाणावाससयसहस्साहिवई अयरंबरवत्थधरे आलइयमालमउडे नवहेमचारुचित्तचंचलकुंडलविलिहिज्जमाणगंडे जाव दस दिसाओ उज्जोवेमाणे पभा. सेमाणे ईसाणे कप्पे ईसाणवडिसए विमाणे जहेव रायप्पसेणइज्जे जाव दिव्वं देविलि जाव जामेव दिसिं पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए। भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीर वंदति णमंसति २ एवं वदासी-अहो णं भंते ! ईसाणे देविंदे देवराया महिडिए ईसाणस्स णं भंते ! सा दिव्वा देविड्डी कहिं गता कहिं अणुपविट्ठो, गोयमा ! सरीरं गता २, से केपट्टेगं भंते ! एवं वुञ्चति सरीरं गता ? २, गोयमा ! से जहानामए-कूडागारसाला सिया दुहओ लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा णिवाया णिवायगंभीरा तीसे णं कूडागारे जाव कूडागारसालादिलुतो भाणियव्यो । ईसाणेणं भंते ! देविंदेणं देवरण्णा सा दिव्वा देविड्डी दिव्वा देवजुई दिव्वे देवाणुभागे किण्णा लद्धे किन्ना पत्ते किण्णा अभिसमन्नागए के वा एस आसि पुन्वभवे किण्णामए वा किंगोत्ते वा कयरंसि वा गामंसि वा नगरंसि वा जाव संनिवेसंसि वा किं वा सुच्चा कि वा दचा कि वा भोचा कि वा किया कि वा समायरित्ता कस्स वा तहाख्वस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि आयरियं धम्मियं सुवयेणं सोचा 'निसम्म [जण्णं] ईसाणेणं देविदेणं देवरण्णा सा दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमन्नागया ?, एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं २ इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे तामलित्ती नाम नगरी होत्था, वन्नओ, तत्थ णं तामलित्तीए नगरीए तामली नाम मोरियपुत्ते गाहावती Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४२ सुत्तागमे । - [भगवई होत्था, अड्डे दित्ते जाव बहुजणस्स अपरिभूए यावि होत्था, तए णं तस्स मोरियपुत्तस्स तामलित्तस्स गाहावइयस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुटुंबजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-अस्थि ता मे पुरा पोराणाणं सुचिन्नाणं सुपरिवंताणं सुभाणं कल्लाणाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणफलं. वित्तिविसेसो जेणाहं हिरण्णेणं वड्ढामि सुवनेणं वड्डामि धणेणं वड्डामि धन्नेणं वड्डामि पुत्तेहिं वडामि पसूहि वड्ढामि विउलधणकणगरयणमणिमोत्तियसंखसिलप्पवालरत्तरयणसंतसारसावएजेणं अतीव २ अभिवड्ढामि, तं किण्णं अहं पुण पोराणाणं सुचिनाणं जाव कडाणं कम्माणं एगंतसोक्खयं उवेहेमाणे विहरामि ?, तं जाव ताव अहं हिरण्णेणं वड्डामि जाव अतीव २ अभिवड्डामि जावं च णं मे मित्तनातिनियंगसंवंधिपरियणो आढाति परियाणाइ सक्कारेइ सम्माणेइ कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं विणएणं 'पज्जुवासइ ताव ता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलंते सयमेव दारुमयं पडिग्गहियं करेत्ता विउलं असणं पाणं खातिमं सातिमं उवक्खडावेत्ता मित्तणातिनियगसयणसंबंधिपरियणं आमंतेत्ता तं मित्तनाइनियगसंबंधिपरियणं विउलेणं असणपाणखातिमसातिमेणं वत्थगंधमलालंकारेण य सकारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्तणाइनियंगसंबंधिपरियणस्स पुरतो जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठावेत्ता तं मित्तणातिणियगसंबंधिपरियणं जेट्टपुत्तं च आपुच्छित्ता सयमेव दारुमयं पडिग्गहं गहाय मुंडे भवित्ता पाणामाए पव्वजाएं पव्वइत्तए, पव्वइएऽवि य णं समाणे इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिहिस्सामि-कप्पइ मे जावज्जीवाए छटुंछटेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड़ेबाहाओ पगिज्झिय २ सूराभिमुहस्स आयावणभूमीए आयावेमाणस्स विहरित्तए, छट्ठस्सवि य णं पारणयंसि आयावणभूमीतो पचोरुभित्ता सयमेव दास्मयं पडिग्गहयं गहाय तामलित्तीए नगरीए उच्चनीयमज्झिमाइं कुलाइं घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्ता सुद्धोदणं पडिग्गाहेत्ता तं तिसत्तखुत्तो उदएणं पक्खालेत्ता तओ पच्छा आहारं आहारित्तएत्तिकटु एवं संपेहेइ २ कल्लं पाउप्पभायाए जाव जलंते सयमेव दास्मयं पडिग्गहयं करेइ २ विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेइ २ तओ पच्छा व्हाए सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं वत्थाइंपवरपरिहिए अप्पमहग्घाभरणालकियसरीरे भोयणवेलाए भोयणमंडवंसि सुहासणवरगए तए णं मित्तणाइनियगस• यणसंबंधिपरिजणेणं सद्धिं तं विउलं असणं पाणं खातिमं साइमं आसादेमाणे वीसाएमाणे परिभाएमाणे परिभुजेमाणे विहरइ । जिमियभुत्तुत्तरागएऽवि य णं समाणे आयंते चोक्खे परमसुइभूए तं मित्तं जाव परियणं विउलेणं असणपाण ४-पुप्फवत्यगंधमल्लालंकारेण य सकारेइ २ तस्सेव मित्तणाइ जाव परियणस्स पुरओ Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ३ उ०१] सुत्तागमे ४४३ जेई पुत्तं कुटुंबे ठावे २ त्ता तस्सेव तं मित्तनाइणियगसयण संबंधिपरिजणं जेट्टपुत्तं 'च आपुच्छइ २ मुंडे भवित्ता पाणामाए पव्वजाए पव्चइए, पव्वइएवि य णं समाणे इमं एयास्वं अभिग्राहं अभिगिन्हड़ - कप्पड़ मे जावजीवाए छटुंछट्टेणं जाव आहारतत्तिकट्टु इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ २ त्ता जावजीवाए छछट्टेणं अणिक्खित्तेणं, तवोकम्मेणं उ वाहाओ परिज्मिय २ सूराभिमुद्दे आयावणभूमीए आयावेमाणे विहरs, छट्टस्सवि य णं पारणयंसि आयावणभूमीओ पचोरहर २ सयमेव दारुमयं पडिग्गहं गहाय तामलित्तीए नगरीए उच्चनीयमज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडइ २ सुद्धोयणं पडिग्गाहेइ २ तित्तखुत्तो दणं पक्खा, तओ पच्छा आहारं आहारेइ । से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइपाणामा पव्वज्जा २१, गोयमा ! पाणामाए णं पव्वज्जाए पव्वइए समाणे जं जत्थ पासइ इंदं वा खंदे वा रद्दं वा सिवं वा वेसमणं वा अजं वा कोट्टकिरियं वा रायं वा जाव सत्यवाहं वा कागं वा साणं वा पाणं वा उच्च पांसह उच्चं पणामं करेड़ नीयं पासइ नीयं पणामं करेइ, जं जहा पासति तस्स तहा पणामं करेइ, से तेण गोयमा ! एवं चुच्चइ - पाणामा जाव पव्वज्जा ॥ १३३ ॥ तए णं से तामली मोरियपुत्ते तेणं ओरालेणं विपुलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं वालतवोकम्मेणं सुके भुक्खे जाव धमणिसंतए जाए यावि होत्या, तए णं तस्स तामलित्तस्स वालतवस्सिस्स अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अणिच्चजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे - अज्नत्थिए चिंतिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं इमेणं ओरालेणं विपुलेणं जाव उदग्गेणं उदत्तेणं उत्तमेणं महाणुभागेणं तवोक्रम्मेणं सुके भुक्खे जाव धमणिसंतए जाए, तं अस्थि जा मे उट्ठाणे कम्मे चले वीरिए पुरिसक्कारपरक्कमे ताव ता - सेयं कलं जाव जलते तामलित्तीए नगरीए दिट्टाभट्टे य पासंडत्थे य पुव्वसंगतिए -य गिहत्थे य पच्छासंगतिए य परियाय संगतिए य आपुच्छित्ता तामलित्तीए नगरीए मज्यंमज्झेणं निग्गच्छित्ता पाउग्गं कुंडियमादीयं उवकरणं दास्मयं च पडिग्गाहियं एते [ एडेड् ] एडित्ता तामलित्तीए नगरीए उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए णियत्तणियमंडलं [आलिहड] आलिहित्ता संदेहणाझूसणाझसियस्स भत्तपाणपडियाइ क्खियरस पाओवयस्स का अणवकखमाणस्स विहरित्तएत्तिकट्टु एवं संपेहेइ एवं संपेहेत्ता कलं जाव जलते जाव आपुच्छइ २ तामलित्तीए [एगंते एडेइ] जाव जलते जाव भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगमणं निवन्ने । तेणं काले २ वलिचंच रायहाणी अदा अपुरोहिया 'यावि होत्था । तए णं ते वलिचंचारायहाणिवत्थव्वया वहवे असुरकुमारा देवाय देवीओ य तामलिं बालतवस्सि ओहिणा आहोयंति २ अन्नमन्नं Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई सहावेंत २ एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! वलिचंचा रायहाणी अणिदा अपुरोहिया अम्हे णं देवाणुप्पिया ! इंदाहीणा इंदाधिट्टिया इंदाहीणकज्जा अयं चणं देवाणुप्पिया 1.. तामली बालतवस्सी तामलित्तीए नगरीए वहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए नियत्तणियमंडलं आलिहित्ता संलेहणाझूसणाझसिए, भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगमणं निवन्ने, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं तामलिं वालतवस्सि वलिचंचाए रायहाणीए 'ठितिपकप्पं पकरावेत्तएत्तिकट्टु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमहं पडि'सुर्णेति २ बलिचंचाए रायहाणीए मज्यंमज्झेणं निग्गच्छन्ति २ जेणेव स्यगिंदे उप्पायपव्वए तेणेव उवागच्छन्ति २ वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहणंति जाव उत्तर- वेडवियाई रुवाई विकुव्वंति, ताए उक्तिट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए 'छेयाए सीहाए सिघाए दिव्वाए उयाए देवगतीए तिरियमसंखेज्जाणं दीवसमुद्दाणं 'मज्झमज्झेणं जेणेव जंबुद्दीवे २ जेणेव भारहे वासे जेणेव तामलित्ती[ए] नगरी [ए]जेणेव तामलित्ती मोरियपुत्ते तेणेव उवागच्छंत २ त्ता तामलिस्स वालतवस्सिस्स उप्पिं पक्खि सपडिदिसिं ठिचा दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवज्जुई दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं बत्तीसविहं नट्टविहिं उवदंसंति २ तामलिं बालतवस्सि तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेंति वदंति नमंसंति २ एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीओ य देवाणुप्पियं वंदामो नर्मसामो जाव पज्जुवासामो, अम्हाणं देवाणुप्पिया ! बलिचंचा रायहाणी अणिदा अपुरोहिया अम्हेऽवि य णं देवाणुपिया | इंदाहीणा इंदाहिडिया इंदाहीणकज्जा तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया । वलिचंचारायहाणिं आढाह परियाजह सुमरह अहं बंधह निदानं पकरेह ठितिपकप्पं पकरेह, तते णं तुब्भे कालमासे कालं किच्चा वलिचंचारायहाणीए उचवजिस्सह, तते गं तुब्भे अम्हं इंदा भविस्सह, तए णं तुभे अम्हेहिं सद्धिं दिव्वाईं भोगभोगाई भुंजमाणा विहरिस्संह । तएं णं से तामली वालतवस्सी तेहिं वलिचंचारायहाणिवत्थव्वेहिं वहूहि असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य एवं वृत्ते समाणे एयमहं नो आढाइ नो परियाणेइ तुसिणीए संचिट्ठइ, तए णं ते वलिचंचारायहा णिवत्थव्वया बहवें असुरकुमारा देवा य देवीओ य तामलि मोरियपुत्तं दोघंपि तच्चपि तिक्खुतो आयाहिणप्पया हिणं करेंति २ जाव अम्हं च णं देवाणुप्पिया ! बलिचंचारायहाणी अणिंदा जाव ठितिपकप्पं पकरेह जाव दोच्चपि तच्चपि, एवं वुत्ते समाणे जाव तुसिणीए संचिट्ठा, तए णं ते वलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीओ य तामलिणा बालतवस्सिणा अणाढाइज्जमाणा अपरियाणिजमाणा जामेव दिसिं पाउन्भूया तामेव ४४४ Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ३ उ० १ ] सुत्तागमे दिसिं पडिगया ॥ १३४ ॥ तेगं कालेणं २ ईसाणे कंप्पे अणिंदे अपुरोहिए या वि होत्या, तत्ते णं से तामली बालतवस्सी बहुपडिपुन्नाई सहिँ वाससहस्साइं परियागं पाडणित्ता दोमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता सवीसं भत्तसयं अणसणाए छेदित्ता कालमासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे ईसाणवर्डिसए विभाणे उववायसभाए देवसयणिज्जंसि देवदूतरिए अंगुलस्स असंखेज्जभागमेत्ताए ओगाहणाए ईसाणदेविंद - विरहकालसमयंसि ईसाणदेविदत्ताए उववण्णे, तए णं से ईसाणे देविंदे देवराया अहुणोववने पंचविहाए पजत्तीए पजत्तिभावं गच्छति, तंजहा- आहारप० जाव भासामणपजत्तीए, तए णं ते बलिचंचांरायहाणिवत्यव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीओ य तामलिं बालतवस्सि कालगयं जाणित्ता ईसाणे य कप्पे देविंदत्ताए उववण्णं पासित्ता आसुस्ता कुविया चंडिक्किया मिसिमिसेमाणा वलिचंचाराय ० मज्ज्ञंमज्झेणं निग्गच्छंति २ ताए उक्किट्ठाए जाव जेणेव भारहे वासे जेणेव ताम- लित्ती [ए] नयरी [ए] जेणेव तामलिस्स बालतवस्सिस्स सरीरए तेणेव उवागच्छति २ वामे पाए सुवेणं वंधति २ तिक्खुत्तो मुहे उद्धति २ नामलित्तीए नगरीए सिंघाडगतिगचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु आकडविकडि करेमाणा महया २ सद्देणं उग्घोसेमाणा २ एवं क्यासी - केस णं भो से तामली बालतव० सयंगहियलिगे 'पाणामाए पंव्वजाए पव्वइए ? केस णं भते ( भो ) ! ईसाणे कप्पे ईसाणे देविंदे देवरायाइतिकडु तामलिस्स वालतव० सरीरयं हीलंति निंदंति खिंसति गरिहिंति अवमन्नंति तजंति ताल॑ति परिवर्हेति पव्वर्हेति आकड्ढविकड्ढि करेंति हीलेत्ता जावं. आकड्डविकढि करेत्ता एगंते एडेंति २ जामेव दिसिं पाउन्भूया तामेव दिसिं पडि -- गयां ॥ १३५ ॥ तए णं ते ईसाणकप्पवासी वहवे वैमाणिया देवा य देवीओ य बलिचंचारायहाणिवत्यव्वएहि असुरकुमारेहि देवेहिं देवीहि य तामलिस्स बालतव - स्सिस्स सरीरयं हीलिजमाणं निंदिजमाणं जाव आकड्डविकड्डि कीरमाणं पासंति २ आसुरुत्ता जाव मिसिमिसेमाणा जेणेव ईसाणे देविंदे देवराया तेणेव उवागच्छंति २ करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कद्रु जएणं विजएणं वद्धावेंति । २ एवं वदासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! वलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुर-, कुमारा देवा य देवीओ-या देवाणुम्पिए कालगए जाणित्ता ईसाणे कप्पे इंदत्ताए 'उववन्ने पासेत्ता, आता जाव एगते एर्डेति २ जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव " दिसिं पडिगया । तए पं से ईसाणे देविंदे देवराया तेसि ईसाणकप्पवासीगं वहूणं. वेमाणियाणं देवाग य देवीण य अंतिए एयमहं सोचा निसम्म आसुरुते जाव, - मिसिमिसेमाणे तत्थेव स्यणिजवरगए तिवलियं भिउडिं निडाले साहहुं बलिचंचा- ४४५ Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [भगवई सुत्तागमे ४४६ राग्रहाणि अहे सपक्खि सपडिदिसि समभिलोएइ, तए णं सा वलिचंचारायहाणी ईसाणेणं देविदेणं देवरन्ना अहे सपक्खि सपडिदिसिं समभिलोइया समाणी तेणं दिव्वप्पभावेणं इंगालब्भूया मुम्मुरभूया छारियन्भूया तत्तकवेचकन्भूया तत्ता समजोइभूया जाया यावि होत्या, तए णं ते वलिचंचारायहाणिवत्यव्चया बहवे अनुर्-. कुमारा देवा य देवीओ य तं वलिचंचं रायहाणि इंगालन्भूयं जाव समजोतिन्भूयं पासंति २ भीया तत्था तसिया उव्विग्गा संजायभया सव्वओ समंता आधावेति परिधावेंति २ अन्नमन्नस्स कायं समतुरंगेमाणा २ चिट्ठति, तए णं ते वलिचंचारायहाणि.. वस्थव्वया वहवे असुरकुमारा देवा य. देवीओ य ईसागं देविंदं देवरायं परिकुवियं जाणित्ता ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो तं दिव्वं देविद्धि दिव्वं देवजई दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं तेयलेस्सं असहमाणाः सव्वे सपक्खि सपडिदिसिं ठिचा करयलपरि-. ग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्यए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धाविति २ एवं वयासी-अहोणं देवाणुप्पिएहिं दिव्या देविड्वी जाव अभिसमन्नागता तं दिव्वा णं देवाणुप्पियाणं दिव्वा देविड्डी जाव लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया तं खामेमि णं देवाणुप्पिया ! खमंतु णं देवाणुप्पिया! [ खमंतु] मरिहंतु णं देवाणुप्पिया ! गाइ भुजो' २ एवंकरणयाएत्तिकट्ट एयमढे सम्म विणएणं भुजो २ खामेंति, तते णं से ईसाणे देविदे देवराया तेहिं वलिचंचारायहाणिवत्यव्वेहिं वहहिं असुरकुमारेहि देवेहिं देवीहि य एयमé सम्मं विणएणं भुजों २ खामिए समाणे तं दिव्वं देविड्डि जाव तेयलेस्सं पडिसाहरइ, तप्पभिति च णं गोयमा!, ते वलिचंचारायहाणिवत्यव्वया वहवे असुरकुमारा देवा य.देवीओ य ईसाणं देविंदं देवरायं आढ़ति जाव पजुवासंति, ईसाणरस देविदस्स देवरन्नो आणाउववायवयणनिद्देसे चिटंति, एवं खलु गोयमा ! ईसाणेणं देविदेणं देवरन्ना सा दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमन्नागया। ईसाणस्स णं भंते ! देविदस्स देवरन्नो केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ?, गोयमा! सातिरेगाइं दो सागरोवमाई ठिती पन्नत्ता ईसाणे णं भंते ! देविंदे देवराया ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं जाव कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति ?, गो० ! लहाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं काहेति ॥ १३६ ॥ सकस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो विमाणेहिंतो ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो विमाणा ईसिं उच्चयरा चेव ईसिं उन्नयतरा चेव ईसाणस्स वा देविंदस्स देवरन्नो विमाणेहिंतो सक्कस्स देविदस्स देवरन्नो विमाणा णीययरा चेव ईसिं निन्नयरा चेव ?, हंता ! गोयमा! सक्कस्स तं चेव सव्वं नेयव्वं । से केणटेणं ?, गोयमा ! से जहा-- नामए-करयले सिया देसे उच्चे देसे उन्नए देसे णीए देसे निन्ने, से तेणटेणं Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ३ ० ५] सुत्तागमे ४४७ गोयमा ! सक्कस्स दविंदस्स देवरन्नो जाव ईसि निण्णतरा चेव ॥ १३७ ॥ पभू णं, भंते ! सके देविदे देवराया ईसाणस्स देत्रिंदस्स देवरन्नो अंतियं पाउभवित्तए ?, हंता पभू , से णं भंते ! किं आढायमाणे पभू अणाढायमाणे पभू?, गोयमा ! आढायमाणे पभू नो अणाढायमाणे पभू , पभू णं भंते ! ईसाणे देविंदे देवराया सकस्स देविंदस्स देवरन्नो अंतियं पाउब्भवित्तए ?, हंता पभू , से भंते-! किं आढायमाणे पभू अगाढायमाणे पभृ?, गोयमा ! आढायमाणेवि पभू अणाढाय., माणेवि पभू । पभू णं भंते ! सक्ने देविंदे देवराया ईसाणं देविदं देवरायं सपक्खि सपडिदिसि समभिलोएत्तए जहा पादुन्भवणा तहा दोवि आलावगा नेयव्वा । पभू णं भंते ! सक्ने देविदे देवराया ईसाणेणं देविदेणं देवरन्ना सद्धि आलावं वा संला वा करेत्तए ?, हता! पभू जहा पादुन्भवणा। अत्थि णं भंते ! तेसि सक्रीसाणाणं देविदाणं देवराईणं किच्चाई करणिज्जाइं समुप्पज्जति ?, हंता ! अत्थि; से कहामिदाणिं पकरेंति ?, गोयमा ! ताहे चेव णं से सक्ने देविंदे देवराया ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो अंतियं पाउन्भवति, ईसाणे णं देविदे देवराया सक्कस्स देविदस्स देवरायस्स अंतियं पाउन्भवइ, इति भो ! सक्का देविंदा देवराया दाहिणड्डलोगाहिवई, इति भो ! ईसाणा देविंदा देवराया उत्तरडुलोगाहिवई, इति भो ! इति भो त्ति ते अन्नमन्नस्स किच्चाई करणिज्जाइं पचणुभवमाणा विहरंति ॥ १३८ ॥ अस्थि णं भंते ! तेसि सक्रीसाणाणं देविदाणं देवराईणं विवादा समुप्पजति ?, हंता ! अत्थि । से कहमिदाणिं पकरेंति ?, गोयमा! ताहे चेव णं ते सक्कीसाणा देविंदा देवरायाणो सणकुमारं देविंदं देवरायं मणसीकरेंति, तए णं से सणंकुमारे देविंदे देवराया तेहिं सक्क्रीसाणेहिं देविदेहिं देवराईहि मणसीकए समाणे खिप्पामेव सक्रीसाणाणं देविंदाणं देवराईणं अंतिय पाउब्भवति, जं से वदइ तस्स आणाउववायवयणनिद्देसे चिट्ठति ॥ १३९ ॥ सर्णकुमारे णं भंते ! देविदे देवराया किं भवसिद्धिए अभवमिद्धिए सम्मदिट्टी मिच्छदिट्टी परित्तसंसारए अणंतससारए सुलभवोहिए दुलभवोहिए आराहए विराहए चरिमे अचरिमे १, गोयमा ! सणंकुमारे ण देविंद' देवराया भवसिद्धिए नो अभवसिद्धिए, एवं सम्मदिट्टी परित्तसंसारए सुलभवोहिए आराहए चरिमे पसत्यं नेयव्वं । से केणटेणं भंते ! ?, गोयमा ! सणकुमारे देविंदे देवराया वहग समणाणं वहणं समणीणं वहणं सावयागं वहणं सावियाणं हियकामए मुहकामए पत्थकामए आणुकंपिए निस्सेयसिए हियसुहनिस्सेसकामए, से तेणटेणं गोयमा । सगंकुमारे णं भवसिद्धिए जाव नो अचरिमे । सणंकुमारस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता ?, गोयमा ! Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई ४४८ सत्त सागरोवमाणि ठिती पन्नत्ता । से णं भंते । ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं जाव कहिं उववजिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं करेहिति, सेवं भंते ! सेवं भंते ! २ । गाहाओ-छहट्टममासो अद्धमासो वासाई अट्ठः छम्मासा । तीसगकुरुदत्तागं तवभत्तपरिण्णपरियाओ॥ १ ॥ उच्चत्तविमाणाणं पाउन्भव पेच्छणा य संलावे। किंचि विवादुप्पत्ती सगंकुमारे य भवियव्यं (तं) ॥ २ ॥.१४० ॥ मोया समत्ता । तईयसए पढमो उद्देसो समत्तो।। । तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे होत्था जाव परिसा पजुवासइ, तेणं कालेणं तेणं समएणं चमरे असुरिंदे असुरराया चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीहिं जाव नट्टविहिं उवदंसेत्ता जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए । भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति २ एवं वदासी-अस्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे असुरकुमारा देवा परिवसंति ?, गोयमा! नो इणढे समढे, जाव अहेसत्तमाए पुढवीए, सोहम्मस्स कप्पस्स अहे जाव अत्थि णं भंते ! ईसिपन्भाराए पुढवीए अहे असुरकुमारा देवा परिवसंति , णो इणढे समढे । से कहिं खाइ णं भंते ! असुरकुमारा देवा परिवसंति ?, गोयमा! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसयसहस्सवाहल्लाए, एवं असुरकुमारदेववत्तव्वया जावं. दिव्वाई भोगभोगाइं भुंजमाणा विहरति । अत्थि णं भंते. ! असुरकुमाराणं देवाणं. अहे गतिविसए ?, हंता अत्थि, केवतियं च णं पभू ! ते असुरकुमाराणं देवाणं अहे गतिविसए पन्नत्ते ?, गोयमा ! जाव अहेसत्तमाए पुढवीए तच्च पुण पुढवि गया य गमिस्संति य । किं पत्तियन्नं भंते ! असुरकुमारा देवा तचं पुढविं गया य गमिस्संति य?, गोयमा । पुव्ववेरियस्स वा वेदणउदीरणयाए पुव्वसंगइयस्स वा वेदणउवसामणयाए, एवं खलु असुरकुमारा देवा तच्चं पुढवि गया य गमिस्संति य । अत्थि णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं तिरियं गतिविसए पन्नत्ते ?, हंता अस्थि, केवतियं च णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं तिरियं गइविसए पन्नत्ते ?, गोयमा ! जाव असंखेजा दीवसमुद्दा नंदिस्सरवरं पुण दीवं गया य गमिस्संति य । किं पत्तियन्नं भंते ! असुरकुमारा देवा नंदीसरवरदीवं गया य गमिस्संति य ?, गोयमा जे इमे अरिहंता भगवंता एएसि णं जम्मणमहेसु वा निक्खमणमहेसु वा णाणुप्पायमहिमासु वा परिनिव्यागमहिमासु वा, एवं खलु असुरकुमारा देवा नंदीसरवरदीवं गया य गमिस्संति य। अत्थि णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं उद्धं गतिविसए?, हता! अत्थि । केवतियं च णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं उर्छ गतिविसए ?, गोयमा ! जावऽचुए Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स०३ उ०२] सुत्तागमे ४४९ खणाई गहाणणाई १, हात ते अशाई भुजमाणावर जति कप्पे सोहम्मं पुण कप्पं गया य गमिस्संति य । कि पत्तियण्णं भंते ! असुरकुमारा देवा सोहम्मं कप्पं गया य गमिस्संति य?, गोयमा ! तेसि णं देवाणं भवपच्चइयवेराणुबंधे, ते ण देवा विकुब्वेमाणा परियारेमाणा वा आयरक्खे देवे वित्तासेंति अहालहुस्सगाई रयणाई गहाय आयाए एगंतमंतं अवकमंति । अंत्थि णं भंते ! तेसिं देवाणं अहालहुस्सगाई रयणाई ?, हंता अलि । से कहमियाणि पकरेंति ?, तओ से पच्छा कायं पन्वहति । पभू णं भंते ! ते असुरकुमारा देवा तत्थ गया चेव समाणा ताहि अच्छराहिं सद्धि दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणा विहरित्तए ?, णो तिण समहे, ते णं तओ पडिनियत्तंति २ त्ता इहमागच्छंति २ जति णं ताओ अच्छराओ आढायंति परियागंति । पभू णं ते असुरकुमारा देवा ताहि अच्छराहिं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणा विहरित्तए,अहन्नं ताओ अच्छराओ नो आढायति नो परियाणंति णो णं पभू ते असुरकुमारा देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धिं दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणा विहरित्तए, एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारा देवा सोहम्मं कप्पं गया यं गमिस्संति य ॥ १४१ ॥ केवइकालस्स णं भंते ! असुरकुमारा देवा उर्दू उप्पयंति जाव सोहम्मं कप्पं गया य गमिस्संति य?, गोयमा ! अगंताहिं उस्सप्पिणीहिं अणंताहिं अवसप्पिणीहि समइकंताहिं, अत्यि णं एस भावे लोयच्छेरयभूए समुप्पजइ जन्नं असुरकुमारा देवा,उर्दू उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो, कि निस्साए णं भंते ! असुरकुमारा देवा उ8 उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो ?, गोयमा! से जहानामए-इह सवरा इ वा वव्बरा इ वा टंकणा इ वा भुत्तुया इ वा पल्हया इ वा पुलिंदा इ वा एगं महं गहुँ वा खड्टुं वा दुग्गं वा दरि वा विसमं वा पव्वयं वा णीसाए सुमहलमवि आसवलं वा हत्थिवलं वा जोहवलं वा घणुवलं वा आगलंति, एवामेव असुरकुमारावि देवा, णण्णत्थ अरिहंत वा, अणगारे वा भावियप्पणो निस्साए उ« उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो । सव्वेवि णं भंते ! असुरकुमारा देवा उर्दू उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो ?, गोयमा ! णो इणढे समढे, महिड्डिया णं असुरकुमारा देवा उर्दू उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्यो । एसवि णं भंते ! चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया उर्दू उप्पइयपुट्विं जाव सोहम्मो कप्पो ?, हंता गीयमा ! २ । अहो णं भंते ! चमरे असुरिदे असुरकुमारराया महिड्डिए महजुईए जाव कहिं पविट्ठा ?, कूडागारसालादिलुतो भाणियव्वो ॥ १४२ ॥ चमरेणं भंते ! असुरिंदेणं असुररन्ना सा दिव्वा देविड्डी तं चैव जाव किन्ना लद्धा पत्ता- अभिसमन्नागया, एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे विंझगिरिपायमूले वेमेले नामं संनिवेसे होत्था, वन्नओ, २९ सुत्ता० Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई तत्थ णं बेमेले संनिवेसे पूरणे नामं गाहावई परिवसति अड्डे दित्ते जहा तामलिस्स वत्तव्वया तहा नेयव्वा, नवरं चउप्पुडयं दास्मयं पडिग्गहयं करेत्ता जाव विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं जाव सयमेव चटप्पुडयं दास्मयं पडिग्गहयं गहाय मुंडे भवित्ता दाणामाए पव्वजाए पव्वइत्तए पव्वइएऽवि य णं समाणे तं चेव, जाव आयावणभूमीओ पच्चोरुभइ २ त्ता सयमेव चउप्पुडयं दास्मयं पडिग्गहियं गहाय बेमेले सन्निवेसे उच्चनीयमज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडेत्ता जं मे पढमे पुडए पडइ कप्पइ मे तं पंथे पहियाणं दलइत्तए ज मे दोच पुडए पडइ कप्पइ मे तं कागसुणयाणं दलइत्तए जं मे तच्चे पुडए पडइ कप्पड़ मे तं मच्छकच्छभाणं दलइत्तए जं मे चउत्थे पुडए पडइ कप्पइ मे तं अप्पणा आहारित्तएत्तिकटु एवं संपेहेइ २ कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए तं चेव निरवसेसं जाव जं मे (से) चउत्थे पुडए पडइ तं अप्पणा आहारं आहारेइ, तए णं से पूरणे वालत-. वस्सी तेणं ओरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं वालतवोकम्मेणं तं चेव जाव बेभेलस्स सन्निवेसस्स मज्झंमज्झेणं निग्गच्छति २ पाउयं कुंडियमादीयं उवगरणं चउप्पुडयं च दारुमयं पडिग्गहियं एगंतमंते एडेइ २ बेमेलस्स सन्निवेसस्स दाहिणपुरच्छिमे दिसीभागे अद्धनियत्तणियमंडलं आलिहित्ता संलेहणाझूसणाझूसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगमणं निवण्णे । तेणं कालेणं तेणं समएणं अहं गोयमा! छउमत्थकालियाए एकारसवासपरियाए छटुंछटेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे पुव्वाणुपुट्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव सुंसमारपुरे नगरे जेणेव असोयवणसंडे उजाणे जेणेच असोयवरपायवे जेणेव पुढविसिलापट्टए तेणेव. उवागच्छामि २ असोगवरपायवस्स हेट्ठा पुढविसिलापट्टयंसि अट्ठमभत्तं परिगिण्हामि, दोवि पाए साहड वग्धारियपाणी एगपोग्गलनिविठ्ठदिट्ठी अणिमिसनयणे ईसिंपन्भारगएणं काएणं अहापणिहिएहिं गत्तेहिं सव्विदिएहि गुत्तेहिं एगराइयं महापडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरामि । तेणं कालेणं तेणं समएणं चमरचंचारायहाणी अणिदा अपुरोहिया यावि होत्था, तए णं से पूरणे वालतवस्सी बहुपडिपुन्नाई दुवालसवासाइं परियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता सहि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता कालमासे कालं किच्चा' चमरचंचाए रायहाणीए उचवायसभाए जाव इंदत्ताए उववन्ने, तए णं से चमरे असुरिदे असुरराया अहुणोववन्ने पंचविहाए पजत्तीए पज्जत्तिभावं गच्छइ, तंजहा-आहारपजत्तीए जाव भासामणपज्जत्तीए, तए ण से चमरे असुरिंदे असुरराया पंचविहाए पजत्तीए पजत्तिभावं गए समाणे उट्ठे वीससाए ओहिणा आभोएइ जाव सोहम्मो कप्पो, पासइ य तत्थ Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ३ उ० २] सुत्तागमे सकं देविंद देवरायं मघवं पाकसासणं सयक्कतुं सहस्सक्खं वज्जपाणि पुरंदरं जाव दस दिसाओ उज्जोवेमाणं पभासेमाणं सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेंसए विमाणे सक्कसि सीहासणंसि जाव दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणं पासइ २ इमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था - केस णं एस अपत्थियपत्थए दुरंत'पंतलक्खणे हिरिसिरिपरिवज्जिए हीणपुन्नचाउद्दसे जन्नं ममं इमाए एयारुवाए दिव्वाए देवडी जाव दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागए उप्पि अप्पुस्सुए दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ, एवं संपेहेइ २ सामाणियपरिसोववन्नए देवे सहावेइ २ एवं वयासी - केसणं एस देवाणुप्पिया अपत्थियपत्थए जाव भुंजमाणे विहरइ ?, तए णं ते सामाणियपरिसोववन्नगा देवा चमरेणं असुरिंदेणं असुररन्ना एवं वृत्ता समाणा हट्ठतुट्टा जाव हयहियया करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अजलिं कट्टु जएणं विजएणं वद्धावेंति २ एवं वयासी - एस णं देवाणुप्पिया ! सक्ने देविंदे देवराया जाव विहरड़, तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया तेसिं सामाणि - परिसोववन्नगाणं देवाणं अंतिए एयमहं सोचा निसम्म आसुरुते रुट्ठे कुविए चंडि - क्किए मिसिमिसेमाणे ते सामाणियपरिसोववन्नए देवे एवं वयासी - अन्ने खलु भो ! (से) सके देविंदे देवराया अन्ने खलु भो ! से चमरे असुरिंदे असुरराया, महिड्डिए खलु भो ! से सक्ने देविंदे देवराया, अप्पढिए खलु भो ! से चमरे असुरिंदे असुरराया, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! सक्कं देविंदं देवरायं सयमेव अच्चासादेत्तएत्तिकट्टु उसिने उसिणव्भूए जाए यावि होत्या, तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया ओहिं परंजइ २ ममं ओहिणा आभोएइ २ इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था - एवं खलु -समणे भगवं महावीरे जंबुद्दीवे २ भारहे वासे सुंसमारपुरे नगरे असोगवणसंडे उज्जाणे असोगवर पायवस्स अहे पुढविसिलापट्ट्यंसि अट्ठमभत्तं पडिगिव्हित्ता एगराइयं महापडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरति, तं सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरं नीसाए सक्कं देविंदं देवरायं सयमेव अच्चासादेत्तएत्तिकट्टु एवं संपेहेइ २ सयणिज्जाओ अब्भुट्ठेइ २त्ता देवदसं परिहेइ २ उववायसभाए पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं णिग्गच्छइ, जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव चोप्पाले पहरणकोसे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता फलिहरयणं परामुसइ २ एगे अबीए फलिहरयणमायाए महया अमरिसं वहमाणे चमरचंचाए रायहाणीए मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ २ जेणेव तिगिच्छिकूडे उप्पायपव्वए तेणामेव उवागच्छइ २त्ता वेडव्वियसमुग्धाएणं समोहणइ २ त्ता संखेजाई जोयणाई जाव उत्तरवेउव्वियस्वं विउव्वइ २ त्ता ताए उक्किट्ठाए जाव जेणेव पुढविसिलापट्टए जेणेव मम अंतिए तेणेव उवागच्छति २ मम तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेति जाव ४५१ Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५२ सुत्तागमे [भगवई नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुझ नीसाए सक्नं देविदं देवरायं सयमेव अचासादित्तएत्तिकट्ठ उत्तरपुरच्छिमे दिसीभागे अवक्कमइ २ वउव्वियसमुग्याएणं समोहणइ २ जाव दोच्चपि वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहणइ २ एग महं घोरं घोरागारं भीमं भीमागारं भासुरं भयाणीयं गंभीरं उत्तासणयं कालड्रत्तमासरासिसंकासं जोय. णसयसाहस्सीयं महाबोंदि विउव्वइ २ अप्फोडेइ २ वग्गइ २ गज्जइ २ हयहेसियं' करेड २ हत्थिगुलगुलाइयं करेइ २ रहघणघणाइयं करेइ २ पायदद्दरगं करेइ २ भमिचवेडयं दलयइ २ सीहणादं नदइ २ उच्छोलेइ २ पच्छोलेइ २ तिपइं छिदइ २ वामं भुयं ऊसवेइ २ दाहिणहत्थपदेसिणीए य अंगुट्ठणहेण य वितिरिच्छमुहं विडंबेइ २ महया २ सद्देणं कलकलरवं करेइ, एगे अबीए फलिहरयणमायाए उड़ वेहासं उप्पइए, खोभते चेव अहेलोयं कंपेमाणे च मेयणितलं आकर्ट (साकडं) तेव तिरियलोयं फोडेमाणेव अबरतलं कत्थइ गजंतो कत्थइ विजुयायंते कत्थइ वासं वासमाणे कत्थइ रउग्घायं पकरेमाणे कत्थइ तमुक्कायं पकरेमाणे वाणमंतरदेवे वित्तासेमाणे जोइसिए देवे दुहा विभयमाणे २ आयरक्खे देवे विपलायमाणे २ फलिहरयणं अंबरतलंसि वियट्टमाणे २ विउज्झाएमाणे २ ताए उनिहाए जाव तिरियमसंखेजाणं दीवसमुदाणं मज्झमज्झेणं वीइवयमाणे २ जेणेव सोहम्मे कप्पे जेणेव सोहम्मवडेसए विमाणे जेणेव सभा सुधम्सा तेणेव उवागच्छइ २ एगं पायं पउमवरवेइयाए करेइ एगं पायं सभाए सुहम्माए करेइ फलिहरयणेणं महया २ सद्देणं तिक्खुत्तो इंदकीलं आउडेइ २ एवं वयासी-कहि णं भो! सक्के देविदे देवराया ? कहि ण ताओ चउरासीइ सामाणियसाहस्सीओ ? जाव कहि णं ताओ चत्तारि चउरासीओ आयरक्खदेवसाहस्सीओ ? कहि णं ताओ अणेगाओ अच्छराकोडीओ ? अज हणामि अन्न महेमि अज वहेमि अज ममं अवसाओ अच्छराओ वसमुवणमंतुत्तिकट्ठ तं अणिठं अकंतं अप्पियं असुभ अमणुण्णं अमणामं फरुसं गिरं निसिरइ, तए णं से सक्ने देविदे देवराया तं अणिढे जाव अमणामं अस्सुयपुव्वं फरसं गिरं सोचा निसम्म आसुस्ते जाव मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडि निडाले साहट्ट चमरं अनुरिंदं असुररायं एवं वदासी-हं भो चमरा ! असुरिंदा ! असुरराया ! अपत्थियपत्यया! जाव हीणपुन्नचाउद्दसा.! अजं न भवसि नाहि ते सुहमत्थीतिकट्ट तत्थेद सीहासणवरगए वजं परामुसइ २ तं जलंतं फुडतं तडतडतं उक्कासहस्साई विणिम्मुयमाणं जालासहस्साई पमुंचमाणं इंगालसहस्साइं पविक्खिरमाणं २ फुलिगजालामालासहस्सेहि चक्खुविक्खेवदिद्विपडिघायं पकरेमाणं हुयवहअइरेगतेयदिप्पंतं जडणवेगं फुत्रकिसुयसमाणं महब्भयं भयंकरं चमरस्स असुरिदस्स असुररन्नो वहाए Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ३ उ० २] सुत्तागमे ४५३ वज निसिरइ । तते णं से चमरे असुरिंढे असुरराया तं जलंतं जाव भयंकरं वजमभिमुहं आवयमाणं पासइ पासइत्ता ‘झियाति पिहाइ झियाइत्ता पिहाइत्ता तहेव संभग्गमउडविडए सालंवत्थाभरणे उद्धृपाए अहोसिरे कक्खागयसेयपि व विणिम्मुयमाणे २ ताए उकिटाए जाव तिरियमसंखेजाणं दीवसमुद्दाणं मझमज्झेणं वीईवयमाणे २ जेणेव जंबुद्दीवे २ जाव जेणेव असोगवरपायवे जेणेव मम अंतिए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता मीए भयगग्गरसरे भगवं सरणमिति बुयमाणे ममं दोण्हवि पायाण अंतरंसि अत्तिवेगेण समोवडिए ॥१४३॥ तए णं. तस्स सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो इमेयारूवे अज्झत्यिए जाव समुप्पज्जित्था-नो खलु · पभू चमरे असुरिदे असुरराया नो खलु समत्थे चमरे असुरिंदे असुरराया नो खलु विसए चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो अप्पणो निस्साए उर्दू उप्पइत्ता जाव सोहम्मो कप्पो णण्णत्थ अरिहंते वा अणगारे वा भावियप्पणो णीसाए उर्दू उप्पयति जाव सोहम्मो कप्पो, तं महादुक्खं खलु तहारुवाणं अरहंताणं भगवंताणं अणगाराण य अच्चासायणाएत्तिकद्दु मोहिं पउंजति २ ममं ओहिणा आभोएति २ हा हा अहो हतोऽहमंसित्तिकटु ताए उनिहाए जाव दिव्वाए देवगतीए वजस्स वीहिं अणुगच्छमाणे २ तिरियमसंखेजाणं दीवसमुदाणं मज्झमज्झेणं जाव जेणेव असोगवरपायवे जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छंइ २ ममं चउरंगुलमसंपत्तं वजं पडिसाहरइ ॥ १४४ ॥ अवियाई मे गोयमा ! मुट्ठिवाएणं केसग्गे वीइत्था, तए णं से सक्के देविदे देवराया वज पडिसाहरित्ता ममं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ वंदइ नमसइ २ एवं वयासी-एवं खलु भंते ! अहं तुम्भं नीसाए चमरेणं असुरिंदेणं असुररन्ना सयमेव अचासाइए, तए णं मए परिकुविएणं समाणेणं चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो चहाए वजे निसिट्टे, तए णं मे इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-नो खलु पभू चमरे असुरिंदे असुरराया तहेव जाव ओहिं पउंजामि देवाणुप्पिए ओहिणा आभोएमि हा हा अहो हतोमीतिकटु ताए उनिहाए जाव जेणेव देवाणुप्पिए तेणेव उवागच्छामि देवाणुप्पियाणं चउरंगुलमसंपत्तं वजं पडिसाहरामि वजपडिसाहरपट्टयाए णं इहमागए'इह समोसढे इह संपत्ते इहेव अन्ज उवसंपज्जित्ता णं विहरामि, तं खामेमि णं देवाणुप्पिया ! खमंतु ण देवाणुप्पिया! [खमंतु] मरहंतु णं देवाणुप्पिया! णाइभुजो एवं पकरणयाएतिकट्ठ ममं वंदइ नमसइ २ उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमइ २ वामेणं पादेणं तिक्खुत्तो भूमि दलेइ २.चमरं असुरिंदं असुररायं एवं वदासी-मुक्कोऽसि णं भो चमरा! असुरिंदा असुरराया ! समणस्स भगवओ महावीरस्स पभावेणं नाहि ते दाणिं ममाओ भयमत्थीतिकट्ठ जामेव दिसिं पाउ Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुत्तागमे [भगाई ४५४ ब्भूए तामेव दिसि पडिगए ॥ १४५ ॥ भंतेत्ति भगवं गोगमे समगं भगन महावीर वंदति २ एवं वदासी-देवे णं भंते ! महिदिए महतीए जाब महागुभाग पुल्लामेव पोग्गलं खिवित्ता पभू तमेव अणुपरियहित्ता णं गिपिाए ?, ना पम् ॥ केणद्वेणं भंते ! जाव गिण्हित्तए ?, गोयमा ! पोग्गले निमित्ते नमाणे पुण्यामेव सिग्धगती भवित्ता ततो पच्छा मंदगती भवति, देवे णं माहिडिए पुलिपिय पच्छावि सीहे सीहगती चेव तुरिए तुरियगती चेव, से तेणटेणं जाव पभू गेण्टिनाए। जान णं भंते ! देवे महिड्डिए जाव अणुपरियट्टित्ता णं गेण्हित्तार कम्हा णं भंते ! गोण देविंदेणं देवरन्ना (राया) चमरे अनुरिदे असुरराया नो नंचाएनि साहतित गेण्हित्तए ?, गोयमा ! असुरकुमाराणं देवाणं अहे गतिविसए सीहे २ व तरिए २ चेव उद्वं गतिविसए अप्पे २ चेव मंद मंद चेव वेमाणियाणं देवाणं उर्दू गतिविसए सीहे २ चेव तुरिए २ चेव अहे गतिविसए अप्पे २ चेव मंदे २ नंब, जावतियं खेत्तं सक्ने देविदे देवराया उड्ढे उप्पयति एक्केणं समएणं तं वजे दोहि, जं वजे दोहिं तं चमरे तिहिं, सव्वत्थोवे सकस्स देविंदस्स देवरन्नो उगुलीयकंडए अहेलोयकंडए संखेजगुणे, जावतियं खेत्तं चमरे असुरिंदे अनुरराया अहे ओवयति एकेणं समएणं तं सक्के दोहिं जं सके दोहि तं वजे तिहिं, सव्वत्थोवे चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो अहेलोयकंडएं उडलोयकंडए संखेजगुणे । एवं खलु गोयमा ! सक्केणं देविदेणं देवरण्णा चमरे असुरिंदे असुरराया नो संचाएति साहत्थि गेहित्तए ॥ सक्कस्स णं भंते ! देविदस्स देवरन्नो उर्दू अहे तिरियं च गतिविसयस्त कयरे २ हिंतो अप्पे वा वहुए वा तुल्ले वा विसेसाहिए वा ?, गोयमा ! सव्वत्योवं खेत्तं सक्ने देविंदे देवराया अहे ओवयइ एक्केणं संमएणं तिरियं संखेजे भागे गच्छइ उ« संखेजे भागे गच्छइ । चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुररन्नो उहूं अहे तिरियं च गतिविसयस्स कयरे २ हिंतो अप्पे वा वहुए वा तुले वा विसेसाहिए वा?, गोयमा! सव्वत्थोवं खेत्तं चमरे असुरिदे असुरराया उर्दू उप्पयति एक्लेणं समएणं तिरियं संखेजे भागे गच्छइ अहे संखेज्जे भागे गच्छइ, वजं जहा सकस्स देविदस्स तहेव नवरं विसेसाहियं कायव्वं ॥ सक्कस्स णं भंते ! देविदस्स देवरन्नो ओवयणकालस्स य उप्पयणकालस्स य कयरे २ हिंतो अप्पे वा वहुए वा तुल्ले वा विसेसाहिए वा ?, गोयमा! सव्वत्थोवे सक्कस्स देविदस्स देवरन्नो उद्धं उप्पयणकाले ओवयणकाले संखेजगुणे ॥ चमरस्सवि जहा सक्कस्स णवरं सव्वत्थोवे ओवयणकाले उप्पयणकाले संखेजगुणे, ॥ वजस्स पुच्छा, गोयमा! सव्वत्योवे उप्पयणकाले ओवयणकाले विसेसाहिए ॥ एयस्स णं भंते ! वजस्स वजाहिवइस्स चमरस्स य Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स०३ उ०२] सुत्तागमे ४५५ अमुरिंदस्स असुररन्नो ओवयणकालस्त य उप्पयणकालस्स य कयरे २ हितो अप्पे वा ४?, गोयमा ! सक्कस्स य उप्पयणकाले चमरस्स य ओवयणकाले एए णं दोनिवि तुल्ला सव्वत्थोवा, सकस्स य ओवयणकाले वजस्स य उप्पयणकाळे एस णं दोण्हवि तुल्ले.संखेजगुणे चमरस्स य उप्पयणकाले वजस्स य ओवयणकाले ऐसे गं दोण्हवि तुल्ले विसेसाहिए ॥ १४६॥ तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया वजभयविप्पमुक्ने सक्केणं देविदेणं देवरन्ना महया अवमाणेणं अवमाणिए समाणे चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि ओहंयमणसंकप्पे चितासोयसागरसंपविढे करयलपल्हत्यमुहे अट्टज्झाणोवगए भूमिगयदिट्ठीए- झियाति, तते णं तं चमरं असुरिंदं असुररायं सामाणियपरिसोववनया. देवा ओहयमणसंकप्पं जाव झियायमागं पासंति २ करयल जाव एवं वयासी-किण्णं देवाणुप्पिया! ओहयमणसंकप्पा जाव झियायह ?, तए णं से चमरे असुरिंदे असुर० ते सामाणियपरिसोववन्नए देवे एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए समगं भगवं महावीरं नीसाए सक्के देविदे देवराया सयमेव अच्चासादिए, तए णं तेणं परिकुविएणं समाणेणं ममं वहाए वन्ने निसिढे तं भद्दण्णं भवतु देवाणुप्पिया! समणस्स भगवओ महावीरस्स जस्स मम्मिनुपभावेण अक्रिटे अव्वहिए अपरिताविए इहमागए इह समोसढे इह संपत्ते इहेव अजं उवसंपजित्ता णं विहरामि, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया! समणं भगवं महावीरं वंदामो णमंसामो' जाव पन्जुवासामोत्तिक चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीहिं जाव सव्विड्डीए जाव जेणेव असोगवरपायवे जेणेव मम अंतिए तेणेव उवागच्छइ २ ममं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं जाव नमंसित्ता एवं वदासी-एवं खलु भंते ! मए तुम नीसाए सक्ने देविंदे देवरायां सयमेव अच्चासादिए जाव तं भई णं भवतु देवाणुप्पियाणं मम्हि जस्स अणुपभावेणं अनिढे जाव विहरामि तं खामेमि णं देवाणुप्पिया ! जाव उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमइ २त्ता जाव बत्तीसइवद्धं नट्टविहिं उवदंसेइ २ जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए, एवं खलु गोयमा! चमरेणं असुरिदेणं असुररन्ना सा दिव्वा देविड्डी लद्धा पत्ता जाव अभिसमन्नागया, ठिती सागरोवमं, महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं काहिति ॥ १४७ ॥ किं पत्तिए णं भंते । असुरकुमारा देवा उर्दू उप्पयंति जाव' सोहम्मो कप्पो 2, गोयमा! तेसि णं देवाणं अहुणोववनगाण वा चरिमभवत्थाण वा इमेयारुवे अज्झथिए जाव समुप्पजइ-अहो, णं अम्हेहिं दिव्वा देविड्डी लद्धा पत्ता:जाव अभिसमन्नागया जारिसिया णं अम्हहिं दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमन्नागया तारिसिया णं सक्नेणं, देविंदेणं देवरना दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमन्नागया जारिसिया Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ४५६ णं सक्केणं देविदेणं देवरन्ना जाव अभिसमन्नागया तारिसिया णं अम्हेहिवि जाव अभिसमन्नागया तं गच्छामो, णं सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो अंतियं पाउब्भवामो पासामो ताव सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो दिव्वं देविड्ढेि जाव अभिसमन्नागयं पासतु ताव अम्हवि सके देविदे देवराया दिव्वं देविड्डि जाव अभिसमण्णागयं, तं जाणामो ताव सकस्स देविदस्स देवरन्नो दिव्वं देविड्विं जाव अभिसमन्नागयं जाणउ ताव अम्हवि सक्के देविंदे देवराया दिव्वं देविढिं जाव अभिसमण्णागयं, एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारा देवा. उर्दू उम्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो । सेवं भंते ! सेवं भंत ! त्ति ॥ १४८ ॥ चमरो समत्तो ॥ तइयसए वीओ उद्देसओ समत्तो॥ ---तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे' नाम नगरे.होत्था जाव परिसा पडिगया । तेणं कालेणं तेणं समएणं' जाव अतेवासी मंडियपुत्ते णाम अणगारे पगतिभद्दए जाव पजुवासमाणे एवं वदासी-कति णं भंते ! 'किरियाओ पण्णत्ताओ?, मंडियपुत्ता ! पंच किरियाओ पण्णत्ताओ, तंजहां-काइयाअ हिगरणिया पाओसिया पारियावणिया पाणाइवायकिरिया। काइया णं भंते ! किरिया कतिविहा पण्णत्ता ?, मंडियपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-अणुवरयकांयकिरिया य दुप्पउत्तकायकिरिया य। अहिंगरणिया णं भंते ! किरिया कतिविहा पण्णत्ता ?, मंडियपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-संजोयणाहिगरणकिरिया यं निव्वत्तणाहिगरणकिरिया य । पाओसिया णं भंते ! किरिया कतिविहा पण्णत्ता ?, मंडियपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-जीवपा ओसिया य अजीवपाओसिया य । पारियावणिया णं भंते ! किरिया कइदिहा प०१, मंडियपुत्ता! दुविहा प०, तंजहा-सहत्थपारियावणिया य । परंहत्थपारियावणिया य। पाणाइवायकिरिया णं भंते ! पुच्छा, पाणीइवायकिरिया कइविहा प० १, मंडियपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-सहत्थपा० परहत्थपा० किरिया य ॥ १४९ ॥ पुचि भंते ! किरिया पच्छा वेदणा पुट्विं वेदणा पच्छा किरिया ?, मंडियपुत्ता! पुन्वि किरिया पच्छा वेदणा, णो पुल्वि वेदणा पच्छा किरिया ॥ १५० ॥ अत्थि णं भंते ! समणाणं निग्गंथाणं किरिया कज्जइ ?, हंता! अस्थि । कहं णं भंते ! समणाणं निग्गंथाणं किरिया कज्जइ ?, मंडियपुत्ता! पमायपचया जोगनिमित्तं च, एवं खलु समणाणं निग्गंथाणं किरिया कज्जति ॥ १५१ ॥ जीवे णं भंते ! सया समियं एयति, वेयति चलति फंदइ घट्टइ खुब्भइ उदीरइ तं तं भावं परिणमति ?" हन्ता । मंडियपुत्ता! जीवे णं सया समियं एयति जाव तं तं भावं परिणमइ । जावं च णं भंते ! से जीवे सया समितं जाव परिणमइ तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया भवति ?, णो तिणढे समढे, से केणटेणं भंते ! एवं त्रुच्चइ-जावं च णं Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स०३ उ०३] सुत्तागमे ४५७ से - जीवे सया समितं जाव अंते अंतकिरिया न भवति ?, मंडियपुत्ता ! जावं च णं से जीवे सया समितं जाव परिणमति तावं च णं से जीवे आरंभइ सारंभइ समारंभइ आरंभे वट्टई सारंभे वइ. समारंभे वट्टइ आरंभमाणे सारंभमाणे समारंभमाणे आरंभे वट्टमाणे सारंभे वट्टमाणे समारंभे वट्टमाणे वहणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं दुक्खावणयाए सोयावणयाए जूरावणयाए तिप्पावणयाए पिट्टावणयाए परियांवणयाए वट्टइ, से तेणटेणं मंडियपुत्ता ! एवं वुच्चइ-जावं च णं से जीवे सया समियं एयति जाव परिणमति तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया न भवइ ॥ जीवे ण मंते ! सया समियं णो एयइ जाव नो तं तं भावं परिणमइ ?, हंता मंडियपुत्ता ! जीवे णं सया समियं जाव नो परिणमति । जावं च ण भंते ! से जीवे नो एयति जाव नो तं तं भावं परिणमति. तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया भवइ ? हंता! जाव भवति । से केणढेणाभते । जाव भवति ?, मंडियपुत्ता ! जावं च णं से जीवे सया समियं णो एयति जाव णो परिणमइ तावं च णं से जीवे नो आरंभइ नो सारंभइ नो समारंभइ नो, आरंभे वट्टइ जो सारंभे वट्टइ णो समारंभे वट्टइ. अणारंभमाणे असारंभमाणे असमारंभमाणे आरंभे अवमाणे सारंभे अवट्टमाणे समारंभे, अवट्टमाणे वहणं पाणाणं ४ अदुक्खावणयाएं जाव अपरियावणयाए वट्टइ । से जहानामए केइ पुरिसे सुन तणहत्थयं जायतेयंसि पक्खिवेजा, से नूणं मंडियपुत्ता.! से सुक्के तणहत्थए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जइ? हंता! मसमसाविनइ, से जहानामए-केइ पुरिसे तत्तंसि अयकवलंसि उदयविंदू पक्खिवेज्जा; से नूणं मंडियपुत्ता! से उदयविंदू तत्तसि अयकवल्लंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धंसमागच्छइ ?, हंता! विद्धंसमागच्छइ, से जहानामए हरए सिया पुण्णे पुण्णप्पमाणे वोलट्टमाणे वोसट्टमाणे समभरंघडत्ताए चिट्ठति ?, हंता! चिट्ठति, अहे णं केइ पुरिसे तंसि हरयसि एगं महं णावं सतासवं सयच्छिदं ओगाहेजा से नूणं मंडियपुत्ता ! सा नावा तेहि आसवदारेहिं-आपूरेमाणी २ पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिट्ठति ? हंता । चिट्ठति, अहे णं केइ पुरिसे तीसे नावाए सव्वतो समंता आसवदाराई पिहेइ २ नावाउसिंचणएणं उदयं उस्सिचिजा से नूणं मंडियपुत्ता ! सा नावा तंसि उदयसि उस्सिचिजसि-समाणसि खिप्पामेव उर्दू उदाइ ?; हंता! उदाइज्वा, एवामेव मंडियपुत्ता ! अत्तत्तासंवुडस्स अणगारस्स इरियासमियस्स जाव गुत्तवंभयारिस्स आउत्तं गच्छमाणस्स चिट्ठमाणस्स निसीयमाणस्स तुयट्टमाणस्स आउत्तं वत्थपडिग्गहकंवलपायपुंछणं गेण्हमाणस्स णिक्खिवमाणस्स जाव चक्खुपम्हनिवाय Page #510 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५८ सुत्तागमे [भगवई मवि वेमाया सुहुमा इरियावहिया किरिया कन्नइ, सा पढमसमयवद्धपुट्ठा वितियसमयवेइया तइयसमयनिजरिया सा बद्धा पुट्टा उदीरिया बेदिया निजिण्णा सेयकाले अकम्मं वावि भवति, से तेणटेणं मंडियपुत्ता ! एवं बुचाते-जावं च णं से जीवे सया समियं नो एयति जाव अंते अंतकिरिया भवति ॥ १५२ ॥ प्रमत्तनंजयस्त णं भंते ! पमत्तसंजमे वट्टमाणस्स सव्वावि य णं पमत्तद्धा कालओ केवचिरं होइ ?, मंडियपुत्ता ! एगजीवं पडुच्च जहन्नेणं एवं समयं उक्कोसेणं देसूणा पुन्चकोडी, णाणाजीवे पडुच्च सव्वद्धा ॥ अप्पमत्तसंजयस्स णं भंते ! अप्पमत्तरांजमे वट्टमाणस्न सव्वावि य णं अप्पमत्तद्धा कालओ केवचिरं होइ ?, मंडियपुना ! एगजीवं पडुन जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्लो० पुव्वकोडी देसूणा, णाणाजीवे पड्डुच सव्वद्धं, सेवं भंते ! २ त्ति भयवं मंडियपुत्ते अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ २ सजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ ॥ १५३ ॥ भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ २ त्ता एवं वयासी-कम्हा णं भंते । लवणसमुद्दे चाउद्दसट्टमुट्टिपुन्नमासिणीसु अतिरेयं वद्भुति वा हायति वा ?, जहा जीवाभिगमे लवणसमुद्दवत्तव्वया नेयव्वा जाव लोयद्विती, जणं लवणसमुद्दे जंबुद्दीवं २ णो उप्पीलेति णो चेव णं एगोदगं करेइ (लोयट्टिई) लोयाणुभावे । सेवं भंते ! २ ति जाव विहरति । किरिया समत्ता ॥ १५४ ॥ तइयस्स सयरस तइओ उद्देसो समत्तो॥ __ अणगारेणं भंते ! भावियप्पा देवं वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहयं जाणस्वेणं जायमाणं जाणइ पासइ ? गोयमा ! अत्थेगइए देवं पासइ णो जाणं पासइ १ अत्यगइए जाणं पासइ नो देवं पासई २ अत्थेगइए देवपि पासइ जाणंपि पासइ ३ अत्येगइए नो देवं पासइ नो जाणं पासइ ४ ॥अणगारे णं भंते ! भावियप्पा देविं वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहयं जाणरूवेणं जायमाणं जाणइ पासइ ?,गोयमा! एवं चेव ॥ अणगारे णं भंते ! भावियप्पा देवं सदेवीयं वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहयं जाणरूवेणं जायमाणं जाणइ पासइ ?, गोयमा ! अत्थेगइए देवं सदेवीयं पासइ नो जाणं पासइ, एएणं अभिलावेणं चत्तारि भंगा ॥ अणगारे णं भंते ! भावियप्पा रुक्खस्स किं अंतो पासइ बाहिं पासइ ? चउभंगो। एवं किं मूलं पासइ कंदं पा० ?, चउभंगो, मूलं पा० खंधं पा०? चउभंगों, एवं मूलेणं बीजं संजोएयव्वं, एवं कंदेणवि समं संजोएयव्वं जाव वीय, एवं जाव पुप्फेण समं बीयं संजोएयव्वं ॥ अणगारे णं भंते ! भावियप्पा रुक्खस्स किं फलं पा०बीयं पा०, चउभंगो ॥१५५॥ पभूणं भंते ! वाउकाए एगं महं इत्थिरूवं वा पुरिसरुवं वा हत्थिरूवं वा जाणरूवं वा एवं जुग्गगिल्लिथिल्लिसीयसंदमाणियत्वं वा विउवित्तए ?, गोयमा ! णो तिणढे समहे, वाउकाए णं विकुव्वमाणे एर्ग Page #511 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स०३ उ०४] सुत्तागमे ४५९ महं पडागासंठियं स्वं विकुव्वइ । पभू णं भंते ! वाउकाए एग महं पडागासंठियं त्वं विउव्वित्ता अणेगाइं जोयणाइं गमित्तए ?, हंता ! प्रभू'। से भंते !-कि आयडीए गच्छइ परिड्डीए गच्छइ ?, गोयमा ! आयड्डीए ग० णो परिड्डीए ग० जहा आयड्डीए एवं चेव आयकम्मुणावि आयप्पओगेणवि भाणियव्वं । से भंते ! किं ऊसिओदगं गच्छइ पयोदगं ग० ?, गोयमा ! ऊसिओदयंपि ग० पयोदयंपि ग०, से भंते ! किं एगओपडागं गच्छइ दुहओपडागं गच्छइ ?, गोयमा ! एगओपडागं गच्छइ नो दुहओपडागं गच्छइ, से णं भंते ! कि वाउकाए पडागा?, गोयमा! वाउकाए णं से नो खलु सा पडागा ॥१५६॥ पभू णं भंते ! वलाहगे एग मह इत्थिरुवं वा जाव संदमाणियरूवं वा परिणामेत्तए ?, हंता! पभू । पभू णं भंते ! बलाहए एग महं इत्थित्वं परिणामेत्ता अणेगाई जोयणाई गमित्तए ?, हंता! पभू, से भंते ! कि आयड्डीए गच्छइ परिडीए गच्छइ ?, गोयमा! नो आयड्डीए गच्छति, परिड्डीए ग० एवं नो आयकम्मुणा परकम्मुणा नो आयपओगेणं परप्पओगेणं ऊसितोदयं , वा गच्छइ पयोदयं वा गच्छइ, से भंते! किं वलाहए इत्थी ?, गोयमा ! बलाहए णं से णो खलु सा इत्थी, एवं पुरिसे आसे हत्थी ॥ पभू णं भंते ! वलाहए एगं महं जाणरूवं परिणामेत्ता अणेगाइं जोयणाई गमित्तए ? जहा इत्थिरूवं तहा भाणियव्वं, णवरं एगओचक्कवालंपि दुहओचकवालंपि गच्छइ (त्ति) भाणियव्वं, जुग्गगिल्लिथिल्लिसीयासंदमाणियाणं तहेव ॥ १५७ ॥ जीवे णं भंते ! जे भविए नेरेइएसु उववजित्तए से णं भंते ! किंलेसेसु उववज्जति ?, गोयमा ! जल्लेसाई दव्वाइं परियाइत्ता कालं करेइ तल्लेसेसु उववज्जइ, तं०-कण्हलेसेसु वा नीललेसेसु वा काउलेसेसु- वा, एवं जस्स जा लेस्सा सा तस्स भाणियव्वा जाव जीवे णं भंते ! जे भविए जोतिसिएसु उववजित्तए ? पुच्छा,, गोयमा! जलेसाइं दव्वाइं “परियाइत्ता कालं करेइ तल्लेसेसु उववजइ, तं०-तेउलेस्सेसु । जीवे णं भंते ! जे भविए वेमाणिएसु उववजित्तए से गं भंते ! किंलेस्सेसु उववजइ ?, गोयमा ! जल्लेस्साइं दव्वाइं परियाइत्ता कालं करेइ तल्लेसेसु उववजइ, तं०-तेउलेस्सेसु वा पम्हलेसेसु वा सुकलेसेसु वा ॥ १५८ ॥ अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू वेभारं पव्वयं उल्लंघेत्तए वा पलंघेत्तए वा ?, गोयमा ! णो तिणढे समढे । अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले परियांइत्ता. पभू-वेभारं पव्वयं उल्लंघेत्तए वा पलंघेत्तए वा ?, हंता! पभू । अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता जावइयाइं रायगिहे नगरे स्वाइं एवइयाई विकुश्वित्ता वेभारं पव्वयं अंतो अणुप्पविसित्ता पभू समं वा विसमं करेत्तए विसमं वा समं करेत्तए ?, गोयमा ! से बार पव्वयं उथप्पा बाहिर अणगारे में एवल्याई । Page #512 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागर्म { গা; णो इणढे समढे, एवं चेव वितिओsवि आलायगो परिवार में भंते ! किं माई विकुव्वति समाई विकुन्चर ?, गोवमा : मानो विकुम्वति, से केणटेणं भंते ! एवं चुनाइ जाव नो अगाईन , गोमा ! माइए पणीयं पाणभोयणं भोचा २ वामेति तरन ने पm गया अहि अद्विमिंजा बहलीभवंति पयणुए गंसगोणिए गर्वान, गिग मे पोग्गला तेविय से परिणमंति, तं जहा-सोनिंदियनाए जान माटियनार ह. अद्विमिजकेसमनुरोमनहत्ताए नुकत्ताए सोणियत्ताए, अमाई नागोर २ णो वामेइ, तस्स णं तेणं लहणं पाणभोयणेणं अदि ट्रिमिनार मा गनि वहले मंससोणिए, जेविय से अहावादरा पोगगला तेविर में परिगनि, नंगाउच्चारत्ताए पासवणत्ताए जाव सोणियत्ताए, से तंगडेणं जाब नो अमा. विजय ॥ माई णं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिते कालं करेद नलि तम आया । अमाई णं तस्स ठाणस्स आलोइयपडित कालं करेइ गालि नस्सारा गा । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ १५९ ॥ तझ्यसए चउत्थो उद्देसो समत्तो ॥ __ अणगारे णं भंते ! भावियप्पा वाहिरए पोग्गले अपरियाइना पम् एम इत्थिरुवं वा जाव संदमाणियस्वं वा विउवित्तए ? णो ति०, अणगारे ते! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एग महं इत्थित्वं या जाव नंदनागिनरूवं वा विउवित्तए ?, हंता । पभू, अणगारे णं भंते ! भावि० केवतिया पर्न इत्थिरूवाइं विकुवित्तए ?, गोयमा ! से जहानामए जुवई जुवाणे हत्येणं हत्ये गेण्हेज्जा चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया एवामेव अणगारेवि भावियप्पा ये:व्वियसमुग्घाएणं समोहणइ जाव पभू णं गोयमा ! अणगारेणं भावियप्पा केवलकप्पं जंबुद्दीवं वहूहिं इत्थिरूवहिं आइन्नं वितिकिन्नं जाव एस णं गोयमा! अणगारस्स भावि० अयमेयारूवे विसए विसयमेत्ते वुच्चइ नो चेव णं संपत्तीए विकुन्वितु वा ३, एवं परिवाडीए नेयन्वं जाव संदमाणिया। से जहानामए केइ पुरिसे अतिचम्मपायं गहाय गच्छेजा एवामेव भावियप्पा अणगारेवि असिचम्मपायहत्थकिनागएणं अप्पाणेणं उर्दू वेहासं उप्पइज्जा ?, हंता! उप्पइजा, अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाइं पभू असिचम्मपायहत्थकिच्चगयाइं स्वाइं विउवित्तए ?, गोयमा ! से जहानामए-जुवतिं जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा तं चेव जाव विउविनु वा ३ । से जहानामए केइ पुरिसे एगओपडागं काउं गच्छेज्जा, एवामेव अणगारेवि भावियप्पा एगओपडागाहत्थकिञ्चगएणं अप्पाणेणं उर्दू वेहासं उप्पएज्जा ? हंता गोयमा! उप्पएजा, अणगारे णं भंते ! भाषियप्पा केवतियाइं पभू एगओपडागाहत्यकिञ्चग. Page #513 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ० प० स० ३ उ० ६ ] सुत्तागमे • ४६१ याई रुवाई विउव्वित्तए ! एवं चेव जाव विकुव्विसु वा ३ । एवं दुहओपडागपि । से जहानामए - as पुरिसे एगओजण्णोवइयं काउं गच्छेजा, एवामेव अण० भा० एनओजण्णोवइय किञ्चगएणं अप्पाणेणं उड्डुं वेहासं उप्पएजा ? हंता ! उप्पएजा, अणगारे णं भंते! भावियप्पा केवतियाई पभू एगओजण्णोवइयकिञ्चगयाई रुवाई विकुव्वित्तए ? तं चैव जाव विकुव्विसु वा ३, एवं दुहओजण्णोवइयंपि । से जहानामएकेइ पुरिसे एगओपल्हत्थियं काउं चिट्ठेजा, एवामेव अणगारेवि भावियप्पा एवं चेव जाव विकुव्विसु वा ३ एवं दुहओपलियंकं पि । अणगारे णं भंते । भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एवं महं आसरूवं वा हत्थिरुवं वा सीहरूवं वा वग्धवादीवियअच्छतरच्छपरासरख्वं वा अभिजुंजित्तए ?, णो तिणट्ठे समट्ठे, अणगारे णं एवं बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू । अणगारे णं भंते । भा० एवं महं आसवं वा अभिजुंजित्ता अणेगाई जोयणाईं गमित्तए ? हंता ! पभू, से भंते ! किं . आयडीए गच्छति परिड्डीए गच्छति ?, गोयमा । आयडीए गच्छइ नो परिडीए, एवं आयकम्मुणा नो परकम्मुणा आयप्पओगेणं नो परम्पओगेणं उस्सिओदयं वा गच्छइ पयोदगं वा गच्छइ । से णं भंते ! किं अणगारे आसे ?, गोयमा ! अणगारे णं से नो खलु से आसे, एवं जाव परासररूवं वा । से भंते! किं माई विकुव्वति अमाई विकुव्वति ?, गोयमा ! माई विकुव्वति नो अमाई विकुव्वति, माईणं भंते! तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिते कालं करेइ कहिं उववजति ?, गोयमा ! अन्नयरेसु आभियोगेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववज्जइ, अमाई णं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिक्कंते कालं करेइ कहिं उववज्जति ?, गोयमा ! अन्नयरेसु अणाभिओगेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववज्जइ, सेवं भंते २ त्ति, गाहा - इत्थी असी पडागा auriase य होइ वोद्धव्वे । पल्हत्थियपलियंके अभिओगविकुब्वणा माई ॥ १ ॥ ॥ १६० ॥ तइए सए पंचमो उद्देसो समत्तो ॥ अणगारे णं भंते! भावियप्पा माई मिच्छद्दिट्टी वीरियलद्धीए वेडव्वियलद्धीए विभंगनाणलद्धीए वाणारसिं नगरिं समोहए समोहणित्ता, रायगिहे नगरे रुवाई जाणति पासति ?, हंता ! जाणइ पासइ । से भंते ! कि तहाभावं जाणइ पासइ अन्नहाभावं जा० पा० ?, गोयमा ! णो तहाभावं जाणइ पा० अण्णहाभावं जा० पा० 1 से केणद्वेगं भंते ! एवं बुच्चइ नो तहाभावं जा० पा० अन्नहभाव जाणइ पा० ?, गोयमा । तस्स णं एवं भवति एवं खलु अहं रायगिहे नगरे समोहए समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रुवाई जाणामि पासामि, से से दंसणे विवच्चासे भवति, से तेणद्वेणं जाव पासति । अणगारे णं भंते । भावियप्पा माई मिच्छदिट्टी Page #514 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई ४६२ जाव रायगिहे नगरे समोहए समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रुवार जाणइ पामइ ?, हंता । जाणइ पासइ, तं चेव जाव तस्स णं एवं होइ-एवं सल अहं बाणारसीए नगए समोहए २ रायगिहे नगरे स्वाइं जाणामि पासामि, से से दंसणे विवधासे भवति, से तेणटेणं जाव अन्नहाभावं जागइ पासइ ॥ अणगारे गं भंते ! भात्रियप्पा माई मिच्छदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउब्बियलद्धीए विभंगणाणलद्धीए वाणारनि नगरि रामनिहं च नगर अंतरा एगं महं जणवयवरगं समोहए २ वागारसिं नगरि रायगिह च नगरं अंतरा एगं महं जणवयवग्गं जाणति पासति ? हंता ! जाणइ पाराइ, से मंत! किं तहाभावं जाणइ पासइ अन्नहाभावं जाणइ पा०?, गोयमा जो नहाभावं जागति पासइ अन्नहाभावं जाणइ पासइ, से केगट्टेणं जाव पासइ ?, गोयमा : नस्स बल एवं भवति एस खलु वाणारसी [ए] नगरी एस खलु रायगिहे नगरे एस खल अंतरा एगे महं जगवयवग्गे नो खलु एस महं वीरियलद्वी वेउबियलद्धी विभंगनागली इड्ढी जुई जसे वले वीरिए पुरिसकारपरक्कमे लढे पत्ते अभिसमण्णागए, से से ईसणे. विवच्चासे भवति, से तेणद्वेणं जाव पासति । अणगारे णं भंते ! भावियप्पा अमाई सम्मदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउबियलद्धीए ओहिनाणलद्धीए रायगिहे नगरे नमोहए २ वाणारसीए नगरीए रूवाइं जाणइ पासइ ?, हता!, से भंते ! कि तहाभावं जागइ , पासइ अन्नहाभावं जाणति पासति ?, गोयमा ! तहाभावं जाणति पासति नो अन्नहाभावं जाणति पासति, से केणतुणं भंते ! एवं बुच्चइ ?, गोयमा ! तस्त णं एवं भवति-एवं खलु अहं रायगिहे नगरे समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रुवाई जाणामि पासामि, से से दसणे अविवञ्चासे भवति, से तेण?णं गोयमा! एवं बुचति, वीओ आलावगो एवं चेव नवरं वाणारसीए नगरीए समोहणा नेयव्वा रायगिहे नगरे स्वाइं जाणइ पासइ । अणगारे णं भंते । भावियप्पा अमाई सम्मदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए ओहिनाणलद्धीए रायगिहं नगरं वाणारसि नगरिं च अंतरा एगं महं जणवयवरगं समोहए २ रायगिहं नगरं वाणारसिं च नगरिं तं च अंतरा एगं महं जणवयवरगं जाणइ पासइ ?, हंता ! जा०पा०, से भंते ! कि तहाभावं जाणइ पासइ अन्नहाभावं जाणइ पासइ ?, गोयमा ! तहाभावं जाणइ पा०, णो अन्नहाभावं जा० 'पा०, से केणटेणं ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवति-नो खलु एस रायगिहे णगरे णो खलु एस वाणारसी नगरी नो खलु एस अंतरा एगे जणवयवग्गे एस खलु ममं वीरियलद्धी वेउव्वियलेद्धी ओहिणाणलद्धी इट्टी जुई जसे वले वीरिए पुरिसक्कारपरकमे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागए से से दसणे अविवञ्चासे भवति से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चति तहाभावं जाणति पासति नो अन्नहाभाव Page #515 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ३ उ०७] सुत्तागमे ४६३ जाणति पासति । अणगारे णं भंते ! भावियप्पा वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगं महं गामरूवं वा नगररुवं वा जाच सन्निवेसरुवं वा : विकुवित्तए ?, णो तिणढे समढे, एवं वितिओवि आलावगो, णवरं वाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू । अगगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाइं पभू गामख्वाइं विकुव्वित्तए ?, गोयमा ! से जहानामए जुवतिं जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा तं चेव जाव विकुट्विसु वा ३ एवं जाव सन्निवसत्वं वा ॥ १६१ ॥ चमरस्स णं भंते ! असुरिदस्स असुररन्नो कति आयरक्खदेवसाहस्सीओ पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि चउसट्ठीओ आयरक्खदेवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ, ते णं आयरक्खा वण्णओ जहा रायप्पसेणइज्जे, एवं सव्वेसिं इंदाणं जस्स जत्तिया आयरक्खा भाणियव्वा । सेवं भंते २ त्ति ॥ १६२ ॥ तइयसए छटो उद्देसो समत्तो ॥ __ रायगिहे नगरे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी-सक्कस्स णं 'भंते ! देविदस्स देवरन्नो कति लोगपाला पण्णत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि लोगपाला पण्णत्ता, तंजहासोमे जमे वरुणे वेसमणे । एएसि णं भंते ! चउण्डं लोगपालाणं कति विमाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि विमाणा प०, तंजहा-संझप्पभे वरसिटे सयंजले वग्गू। कहिं णं भंते ! सकस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारन्नो संझप्पमे णामं महाविमाणे पण्णत्ते ?, गोयमा । जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए वहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ उद्धं चंदिमसूरियगहगणणक्खत्ततारारुवाणं वहूइं जोयणाई जाव पंच वडिसया पण्णत्ता, तंजहा-असोयवडेसए सत्तवनवडिसए चंपयवडिसए अंववडिंसए मज्झे सोहम्मवडिंसए, तस्स णं सोहम्मवडेंसयस्स महाविमाणस्स पुरच्छिमेणं सोहम्मे कप्पे असंखेज्जाई जोयणाई वीइवइत्ता एत्थ णं सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो संझप्पभे नामं महाविमाणे पण्णत्ते अद्धतेरस जोयणसयसहस्साइं आयामविक्खमेणं उयालीसं जोयणसयसहस्साई वावन्नं च सहस्साइं अट्ठ य अडयाले जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं प० जा सृरियाभविमाणस्स वत्तव्वया सा अपरिसेसा भाणियन्वा जाव अभिसेओ नवरं सोमे देवे ॥ संझप्पभस्स णं महाविमाणस्स अहे सपक्खि सपडिदिसि असंखेज्जाई जोयणसयसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं सक्कस्स देविदस्स देवरनो सोमस्स महारन्नो सोमा नाम रायहाणी पण्णत्ता एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं जंबुद्दीवपमाणे (ण) वेमाणियाणं पमाणस्स अद्धं नेयव्वं जाव उवरियलेणं सोलस जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं पन्नासं जोयणसहस्साई पंच य सत्ताणउए जोयणसते किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं पण्णत्ते, पासायाणं चत्तारि परि Page #516 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई वाडीओ नेयव्वाओ, सेसा नत्थि । सक्कस्स णं देविदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो इमे देवा आणाउववायवयणनिद्देसे चिट्ठति, तंजहा-सोमकाइयाइ वा सोमदेवकाइयाइ वा विजुकुमारा विज्जुकुमारीओ अग्गिकुमारा अग्गिकुमारीओ वाउकुमारा वाउकुमारीओ चंदा सूरा गहा णक्खत्ता तारारूवा जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते तब्भत्तिया तप्पक्खिया तब्भारिया सकस्से देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो आणाउववायवयणनि से चिट्ठति । जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं जाई इमाइं समुप्पजंति, तं जहा-गहदंडाइ वा गहमुसलाइ वा गहगजियाइ वा, एवं गहजुद्धाइ वा गहसिघाडगाइ वा गहावसव्वाइ वा अन्भाइ वा अव्भरुक्खाइ वा संझाइ वा गंधव्वनगराइ वा उक्कापायाइ वा दिसीदाहाइ वा गजियाइ वा विज्जुयाइ वा पंसुवुट्ठीइ वा जूवेत्ति वा जक्खालित्तयत्ति वा धूमियाइ वा महियाइ वा रउग्घायाइ वा चंदोवरागाइ वा सूरोवरागाइ वा चंदपरिवेसाइ वा सूरपरिवेसाइ वा पडिचंदाइ वा पडिसूराइ वा इंदधणूइ वा उदगमच्छकपिहसियअमोहापाईणवायाइ वा पडीणवीताइ वा जाव संवट्टयवाताइ वा गामदाहाइ वा जाव सन्निवे सदाहाइ वा पाणक्खया जणक्खया धणक्खया कुलक्खया वसणब्भूया अणारिया जे यावन्ने तहप्पगारा ण ते सकस्स देविदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो अण्णाया अदिट्ठा असुया अमुया अविण्णाया तेसि वा सोमकाइयाणं देवाणं, सक्कस्स णं देविदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो इमे अहावच्चा देवा अभिन्नाया होत्या, तं जहाइंगालए वियालए लोहियक्खे सणिचरे चंदे सूरे सुक्ने बुहे वहस्सती राहू ॥ सक्कस्स णं देविदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो सत्तिभागं पलिओवमं ठिती पण्णत्ता, अहावचाभिन्नायाणं देवाणं एगं पलिओवमं ठिई पण्णत्ता, एवंमहिड्डिए जाव महाणुभागे सोमे महाराया ॥ १६३ ॥ कहिणं भंते । सक्कस्स देविदस्स देवरन्नो जमस्स महारन्नो वरसिढे णामं महाविमाणे पग्णत्ते ?, गोयमा ! सोहम्मवडिसयस्स महाविमाणस्स दाहिणेणं सोहम्मे कप्पे असंखेजाइं जोयणसहस्साइं वीइवइत्ता एत्थ गं सकस्स देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारन्नो वरसिढे णामं महाविमाणे पण्णत्ते अद्धतेरस जोयणसयसहस्साइं जहा सोमस्स विमाणे तहा जावं अभिसेओ रायहाणी तहेव जाव पासायपंतीओ ॥ सकस्स णं देविदस्स देवरन्नो जमस्स महारन्नो इमे देवा आणा० जाव चिट्ठति, तं जहा-जमकाइयाइ वा जमदेवकाइयाइ वा पेयकाइयाइ वा पेयदेवकाइबाइ वा असुरकुमारा असुरकुमारीओ कंदप्पा निरयवाला आभिओगा जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते तब्भत्तिगा तप्पक्खिया तब्भारिया सकस्स देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारन्नो आणाए जाव चिट्ठति ॥ जंवुद्दीवे २ मंदरस्स Page #517 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ३ ३०७ ] सुत्तागमे ४६५ ० पव्वयस्स दाहिणेणं जाईं इमाई समुप्पजंति, तंजहा - डिवाइ वा डमराइ वा कुलहाइ वा वोलाइ वा खाराइ वा महाजुद्धाइ वा महासंगामाइ वां महासत्थनिवडाइ वा एवं पुरिसनिवडणाइ वा महारुधिरनिवडणाइ वा दुब्भूयाइ वा कुलरोगाइ वा गामरोगाइ वा मंडलरोगाइ वा नगररोगाइ वा सीसवेयणाइ वा अच्छिवेयणाइ वा कन्ननहदंतवेयणाइ वा ईदगाहाइ वा खंदगाहाइ वा कुमारगाह जक्खगाहा० भूयगाहा • एगाहियाइ वा बेआहियाइ वा तेयाहियाइ वा चाडत्थहियाइ वा उव्वेयगाइ वा कासा० सासाइ वा सोसेइ वा जराइ वा दाहा० कच्छकोहाइ वा अजीरया पंडुरगा हरिसाइ वा भगंदराइ वा हिययसूलाइ वा मत्थयसू० जोणिसृ० पाससू० कुच्छिसू० गाममारीइ वा नगर० खेड० कब्बड • दोणमुह० मडंव ० पट्टण ० आसम० संवाह० संनिवेसमारीइ वा पाणक्खया धणक्खया जणक्खया कुलक्खया वसणभूयमणारिया जे यावन्ने तहप्पगारा न ते सकस्स देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारन्नो अण्णाया०५ तेर्सि वा जमकाइयाणं देवाणं ॥ १६४ ॥ सक्क्स्स णं देविंदस्स देवरण्गो जमस्स महारन्नो इमे देवा अहावच्चा अभिण्णाया होत्या, तंजहा - अंबे १ अंबरिसे चेव २, सांमे ३ सवलेत्ति यावरे ४ । रुद्दो ५-वरुद्द ६ काले ७ य, महाकालेत्ति यावरे ८ ॥ १ ॥ असिपत्ते ९ धणू १० कुंभे ११ (असी य असिपत्ते कुंभे) वालू १२ वेयरणीति य १३ । खरस्सरे १४ महाघोसे १५, एए पन्नरसाहिया ॥ २ ॥ सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारन्नो सत्तिभागं पलिओवमं ठिई प०, अहावच्चाभिण्णायाणं देवाणं एवं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता, एवंमहिड्डिए जाव जमे महाराया २ ॥१६५॥ कहि णं भंते ! सक्क्स्स देविंदस्स देवरन्नो वरुणस्स महारन्नो सयंजले नामं महाविमाणे पन्नत्ते ? गोयमा । तस्स णं सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स पञ्चत्थिमेणं सोहम्मे कप्पे असंखेजाईं जहा सोमस्स तहा विमाणरायहा ओ भाणियव्वा जाव पासायवडिसया नवरं नामणाणत्तं । सक्क्स्स णं ३ वरुणस्स महारनो इमे देवा आणा० जाव चिह्नंति, तं० - वरुणकाइयाइ वा वरुणदेवकाइयाइ वा नागकुमारा नागकुमारीओ उदहिकुमारा उदहिकुमारीओ थणियकुमारा थणियकुमारीओ जे यावणे तहप्पगारा सव्वे ते तव्भत्तिया जाव चिट्ठति ॥ जंबूदीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं जाई इमाई समुप्पजंति, तंजहा - अइवासाइ वा मंदवासाइ वा सुवुट्टीइ वा दुव्वुट्टीइ वा उदवमेयाई वा उदप्पीलाइ वा उदवाहाइ वा पव्वाहाइवा गामवाहाइ वा जाव सन्निवेसवाहाइ वा पाणक्खया जाव तेसिं वा वरुणकाइयाणं देवाणं, सकस्स णं देविदस्स देवरन्नो वरुणस्स महारन्नो जाव अहावच्चाभिन्नाया होत्था, तंजहा - ककोडए कद्दमए अंजणे संखवालए पुंडे पलासे ३० सुत्ता० Page #518 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६६ सुत्तागमे [भगवई मोएजए दहिमुहे अयंपुले कायरिए । सक्कस्स णं देविंदरस देवरन्नो वरुणस्स महारण्णो देसूणाई दो पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता, अहावचाभिन्नायाणं देवाणं एग पलिओवमं ठिई पण्णत्ता, एवंमहिड्डिए जाव वरुणे महाराया ३॥ १६६ ॥ कहि णं भंते ! सक्कस्स देविदस्स देवरन्नो वेसमणस्स महारनो वग्गूणामं महाविमाणे पणते, गोयमा ! तस्स णं सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स उत्तरेणं जहा सोमस्स विमाणरायहाणिवत्तव्वया तहा नेयन्वा जाव पासायवसिया । सकस्म णं देविंदरस देवरन्नो वेसमणस्स महारन्नो इमे देवा आणाउववायवयणनिद्दे से चिट्ठति, तंजहावेसमणकाइयाइ वा वेसमणदेवकाइयाइ वा सुवनकुमारा नुवनकुमारीओ दीवकुमारा दीवकुसारीओ दिसाकुमारा दिसाकुमारीओ वाणमंतरा वाणमंतरीओ जे यावने तहप्पगारा सव्वे ते तन्मत्तिया जाब चिट्ठति ॥ जंबूदीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं जाइं इमाई समुप्पजति, तंजहा-अयागराइ वा तरयागराइ वा तंवयागराइ वा एवं सीसागराइ वा हिरन्न० सुवन्न० रयण० वयरागराइ वा वसुहाराइ वा हिरनवासाइ वा सुवन्नवासाइ वा रयण० वइर० आभरण० पत्त० पुप्फ० फल० बीय० मल्ल० वण्ण० चुन्न० गंध० वत्थवासाइ वा हिरन्नट्टीइ वा नु० २० व० आ० प० पु० फ० बी० व० चुन० गंधवुट्ठी० वत्थवुट्ठीइ वा भायणबुट्टीइ वा खीखुट्ठीइ वा सुयालाइ वा दुक्कालाइ वा अप्परघाइ वा महरघाइ वा सुभिक्खाइ वा दुभिक्खाइ वा कयविकयाइ वा सन्निहियाइ वा संनिचयाइ वा निहीइ वा णिहाणाइ वा चिरपोराणाई पहीणसामियाइ वा पहीणसेउयाइ वा [ पहीणमग्गाणि चा] पहीणगोत्तागाराइ वा उच्छिन्नसामियाइ वा उच्छिन्नसेउयाइ वा उच्छिन्नगोत्तागाराइ वा सिघाडगतिगचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु नगरनिद्धमणेतु वा सुसाणगिरिकंदरसंतिसेलोवट्ठाणभवणगिहेसु संनिक्खित्ताई चिट्ठति, एयाई सकस्स देविंदस्स देवरन्नो वेसमणस्स महारन्नो ण अण्णायाई अदिट्ठाई असुयाइं अविनायाई तेसिं वा वेसमणकाइयाणं देवाणं, सक्कस्स णं देविदस्स देवरन्नो वेसमणस्स महारन्नो इमे देवा अहावचाभिन्नाया होत्या, तंजहा-पुन्नभद्दे माणिभद्दे सालिभद्दे सुमणभद्दे चक्के रक्खे पुन्नरक्खे सव्वाणे [पव्वाणे] सव्वजसे सव्वकामे समिद्धे अमोहे असंगे, सकस्स णं देविदस्स देवरन्नो वेसमणस्स महारन्नो दो पलिओवमाणि ठिई पण्णत्ता, अहावच्चाभिण्णायाणं देवाणं एग पलिओवमं ठिई पण्णत्ता, एमहिड्डिए जाव वेसमणे महाराया सेवं भंते ! २ त्ति ॥१६॥ तइए सए सत्तमो उद्देसओ समत्तो॥ रायगिहे नगरे जाव पज्जुवासमाणे एवं वदासी-असुरकुमाराणं भंते ! देवाणं कइ देवा आहेचच्चं जाव विहरंति ?, गोयमा ! दस देवा आहेवच्चं जाव विहरंति, Page #519 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० ३ ० १०] सुत्तागमे ४६७ तंजहा-चमरे अनुरिंदे असुररायां सोमे जमे वरुणे वेसमणे वली वइरोयणिंदे चइरोयणराया सोमे जमे वरुणे वेसमणे । नागळुमारणं भंते ! पुच्छा, गोयमा! दस देवा आहेवचं जाव विहरंति, तंजहा-धरणे नागकुमारिंदे नागकुमारराया कालवाले कोलवाले सेलवाले संखवाले भूयाणंदे नागकुमारिंदे णागकुमारराया कालवाले कोलवाले संखवाले सेलवाले, जहा नागकुमारिंदाणं एयाए वत्तवृयाए णेयव्वं एवं इमाणं नेयव्वं, सुवन्नकुमाराणं वेणुदेवे वेणुदाली चित्ते विचित्ते चित्तपक्खे विचित्तपक्खे, विजुकुमाराणं हरिनंते हरिस्सहे पभे १ सुप्पभे २ पभकते ३ मुप्पभकते ४, अग्गिकुमाराणं अग्गिसीहे अग्गिमाणवे तेऊ तेउसीहे तेउकते.तेउप्पभे, दीवकुमाराणं पुण्णविसिट्ठरूयसुरूयल्यकंत(ख्यंस, ख्यसीह)ख्यप्पभा, उदहिकुमाराणं जलकंतजलप्पभजलजलख्यजलकंतजलप्पभा, दिसाकुमाराणं अमियगई अमियवाहणे तुरियगई खिप्पगई सीहगई सीहविक्कमगई, वाउकुमाराणं वेलवपभंजणकालमहाकालअंजणरिट्टा, थणियकुमाराणं घोसमहाघोसआवत्तवियावत्तनंदियावत्तमहानंदियावत्ता, एवं भाणियव्वं जहा असुरकुमाराणं । सो० १ का० २ चि० ३ प०४ ते ५ रु० ६ ज० ७ तु०८'का० ९ आ० १० सोमे य महाकाले, 'चित्तप्पभ'तेउ तह रुए चेव । जल तहं तुरियगई व काले आउत्त पढमा उ । पिसांयकुमाराणं पुच्छा, गोयमा ! दो देवा आहेबच्चं जाव विहरति, तंजहा-काले य महाकाले सुरूवपडिरूव पुन्नभद्दे य । अमरवइ माणिभद्दे भीमे य तहा महाभीमे ॥१॥ किंनरंकिंपुरिसे खलु संप्पुरिसें खलु तहा महापुरिसे । अइकाय महाकाए गीयरई चेव गीयजसे ॥ २॥ एए वाणमंतराणं देवाणं । जोइसियाणं देवाणं दो देवा आहेवच्चं जाव विहरति, तंजहा-चंदे य सूरे या सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु कइ देवा आहेवचं जाव विहरति ? गोयमा ! दस, देवा. जाव' विहरंति, तंजहा-सक्ने देवि देवराया सोमे-जमे वरुणे वेसमणे, ईसाणे देविंदे देवराया सोमे जमे वरुणे वेसमणे, एसा वत्तव्वया सव्वेसुवि कप्पेसु, एए चेव भाणियव्वा, जे य इंदा ते.या भाणियव्वा सेवं भंते ! २ त्ति ॥ १६८ ॥ तइएसए अमो उद्देसओ समत्तो॥ - - - - - - , - रायगिहे जाव ' एवं, वदासी-कविहे णं भंते ! इंदियविसए पण्णत्ते?, गोयमा! पंचविहे', इंदियविसए.पण्णत्ते, तं०-सोतिंदियविसए० जीवाभिगमे जोइसियउद्देसो नेयचो अपरिसेसो, से०२त्ति ॥१६९॥ तइएसए नवमो.उद्देसओ संमत्तो । ., रायगिहे. जाव एवं वयासी-चमरस्सणं. भंते । असुरिंदस्त . असुररन्नो कइ परिसाओ पण्णत्ताओ?, गोयमा! तो परिसाओ पण्णत्ताओ, तंजहा-समिया चंडा जाया, एवं जहाणुपुव्वीए जावंचुओं कप्पो, सेभंते!२ त्ति ॥१७०॥ तइयसए दसमो उद्देसो समत्तो, तइयं संयं समत्तं ।। Page #520 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई , चत्तारि विमाणेहिं चत्तारि य होंति रायहाणीहिं । नेरइए लेस्साहि य दस उद्देसा चउत्थसए ॥ १॥ रायगिहे नगरे जाव एवं वयासी-ईसाणस्स णं भंते ! देविदस्स देवरण्णो कइ लोगपाला प० १, गोयमा! चत्तारि लोगपाला प०, तंजहा-सोमे जमे वेसमणे वरुणे । एएसि णं भंते ! लोगपालाणं कइ विमाणा प०, गोयमा ! चत्तारि विमाणा प०, तंजहा-सुमणे सव्वओभद्दे वग्गू सुवग्गू । कहि णं भंते ! ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो सुमणे नामं महाविमाणे पण्णत्ते ?, गोयमा! जंवूदीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव ईसाणे णामं कप्पे पण्णत्ते, तत्थ णं जाव पंचवडेंसया प०, तंजहा-अंकवडेंसए फलिहवडिसए रयणवडेंसए जायरूववाडिसए मज्झे य तत्थ ईसाणवडेंसए, तस्स णं ईसाणवडेसयस्स महाविमाणसं पुरच्छिमेणं तिरियमसंखेज्जाई जोयणसहस्साई. वीइवइत्ता एत्थ णं ईसाणस्स .३ सोमस्स २. सुमणे नामं महाविमाणे पण्णत्ते अद्धतेरसजोयण जहा सक्कस्स वत्तव्वया तइयसए तहा ईसाणस्सवि । चउण्हवि लोगपालाणं विमाणे २ उद्देसओ, चउसु विमाणेसु चत्तारि उद्दसा अपरिसेसा, नवरं ठिईए नाणत्त-आदिदुय तिभागूणा पलिया धणयस्स होति. दो चेव । दो सतिभागा वरुणे पलियमहावच्चदेवाणं १॥ १७१॥ चउत्थे सए पढ़मबिइयतइयचउत्था उद्देसा समत्ता॥ . रायहाणीसुवि चत्तारि उद्देसा भाणियव्वा जाव एवंमहिड्डिए जाव वरुणे महाराया ॥१७२ ॥ चउत्थे सए पंचमछ?सत्तमट्ठमा उद्देसा समत्ता॥ . ' नेरइए णं भंते । नेरइएसु उववजइ अनेरइए नेरइएसु उववजइ ? पन्नवणाए लेस्सापए तइओ - उद्देसओ भाणियव्वों जावं नाणाई.॥ १७३ ॥चउत्थसए नवमो उद्देसो समत्तो ॥-:. , ... . से नूर्ण भंते ! कण्हलेस्सी नीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए,तावण्णत्ताएं एवं चउत्यो उद्देसओ पन्नवणाए चेव लेस्सापदे नेयम्बो, जाव-परिणामवाणरसगंधसुद्धअपसत्थसंकिलिकुण्हा | गइपरिणामपदेसोगाहणवग्गणाठाणमप्पबहुं ॥१॥सेवं भंते ! २ त्ति ॥ १७४ ॥ चउत्थसए दसमो उद्देसो समत्तो ॥ चउत्थं सयं समत्तं ॥ चंप(चंपाए)रवि १ अनिल २ गंठिय:३ सद्दे ४ छउमाउ ५-६ एयण ७ णियंठे ८ ॥ रायगिहं ९ चंपाचंदिमा १० य दस पंचमंमि सए ॥१॥ तेणं कालेग २ चंपा नामं नगरी होत्था, वन्नओ, तीसे णं चंपाए णगरीए पुण्णभद्दे नाम उजाणे होत्था, वण्णओ, सामी समोसढे जाव परिसा पडिगया । तेणं,कालेणं,२ समणस्स भगवओ महावीरस्स जेढे अंतेवासी इंदभूई णाम अणगारे गोयमगोत्तेणं जाव एवं वदासी-जंबून Page #521 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स०५ उ०१] सुत्तागमे ४६९ दीवे गं भंते ! दीवे सूरिया उदीणपाईणमुग्गच्छ पाईणदाहिणमागच्छंति, पाईणदाहिणमुन्गच्छ दाहिणपडीणमागच्छंति, दाहिणपडीणमुग्गच्छ पडीणउदीणमागच्छति पढीणउदीगं उग्गच्छ उदीचिपाईणमागच्छंति ?, हंता गोयमा! जंवूदीवेणं दीवे सूरिया. उदीचिपाईणमुरगच्छ जाव उदीचिपाईणमागच्छति ॥ १७५ ।। जया णं भंते ! जंबूदीवे २ दाहिणड्ढे दिवसे भवइ तदा णं उत्तरड्ढे दिवसे भवई जदा णं उत्तरडेवि दिवसे भवइ-तदा णं जंवूदीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपञ्चत्यिमेणं राई भवइ, हंता गोयमा-! जया णं जंबूदीवे ₹ दाहिणड्डेवि दिवसे जाव राई भवइ । जदा गं भंते ! जंबु० मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं दिवसे भवइ तदाणं पञ्चत्यिमेणवि दिवसे भवइ जया णं पच्चंत्थिमेणं दिवसे भवइ तदा ण जंवूदीवे. २ मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं राई भवई?, हंता गोयमा । जदा णं जंबू० मंदरपुरच्छिमेणं दिवसे जाव राई भवइ, जदा णं भंते ! जंबूर्दीवें २ दाहिणड्ढे उक्नोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तदा णं उत्तरडेवि उकोसएं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जदा णं उत्तरद्धे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवई तदा णं जंबूदीवे २ मंदरस्स पुरच्छिंमपञ्चत्यिमणं जहनिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ?, हंता गोयमा जदा णं जंवू जाव दुवालसमुहुत्ता राई-भवइ । जदा णं जंबू० मैदरस्स पुरच्छिमेणं उनोसए अट्ठारस जाव तदा ण जवूदीवे २ पञ्चत्थिमेणवि उको अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जया ण पचत्थिमेणं उनोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तदा ण भंते ! जंबुद्दीवे २ उत्तर० दुवालसमुहुत्ता जावे राई भवइ?, हंता गोयमा ! जाव भवई । जया ण भंते! जंबू० दाहिगड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे. दिवसे भवइ तदाणं उत्तरे अट्ठारसमुहुत्तागंतरे. दिवसे भवइ जदा णं उत्तरे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तदा णं जंवू० मदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपञ्चस्थिमेणं सातिरेगा दुवालसमुहुत्ता राई भवइ?, हंता गोयमा ! जदा णं जंवू० जाव 'राई भवइ । जदा ग भंते ! जवूदीवे २ पुरच्छिमेणं अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ तदा णं पञ्चत्यिमेणं अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ जदा णं पचत्थिमेणं अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवई तदा ण जवू० २ मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं साइरेगा टुवालसमुहुत्ता राई भवइ, हता गोयमा ! जाव भवइ ॥ एवं एएण कमेणं उच्चारेयव्वं सत्तरसमुहुत्ते दिवसे तेरसमुहत्ता राई भवई सत्तरसमुहुत्ताणतरे दिवसें सातिरेगा तेरसमुहुत्ता राईसोलसमुहुत्ते. दिवसे चोद्दसंमुहुत्ता राई सोलसमुहुत्ताणतरे दिवसे सातिरेगचोद्दसमुहुत्ता राई पन्नरसमुहुत्ते दिवसे पन्नरसमुहुत्ता राई भवई: पन्नर समुहुत्ताणतरे दिवसे 'सातिरेगा पन्नरसमुहुत्ता राई चोइसमुहुत्ते Page #522 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ., [भगवई दिवसे सोलसमुहत्ता राई चोद्दसमुहुत्ताणतरे दिवसे सातिरेगा सोलसमुहत्ता राई तेरसमुहुत्ते. दिवसे सत्तरसमुहुत्ता - राई तेरसमुहुत्ताणतरे दिवसे सातिरेगा सत्तरसमुहुत्ता राई । जया ण जंबू० दाहिणड्ढे जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरदेवि, जया ण उत्तरेड्डे तया णं जंबूदीचे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं उक्कोसिया - अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ ?, हंता गोयमा ! एवं चेव उन्चारेयव्वं जाव राई भवइ । जया णं भंते ! जंबू० मंदरस्स पन्वयस्स पुरच्छिमेणं जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे, भवइ तया णं पचंत्यिमेणवि० तया णं जंबू० मंदरस्स उत्तरदाहिणेणं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ १, हंता गोयमा ! जाव राई-भवइ ॥,१७६ ॥ जया णं भंते ! जंवू० दाहिणड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवजइ तया -णं उत्तरडेवि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ जया णं उत्तरद्वेवि वासाणं पढमे समए पडिवजइ तया णं जंवूदीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपञ्चत्यिमेणं अणंतरपुरक्खडसमयंसि वासाणं प० स० ५०?, हंता गोयमा ! जया णं जंबू० २ दाहिणड्ढे वासाणं प० स पडिवजइ तह चेव जाव पडिवजइ । जया णं भंते! जंबू० मंदरस्स० पुरच्छिमेणं वासाणं पढमे स० पडिवजइ तयाणं पञ्चत्थिमेणवि वासाणं पढमे समए पडिवजइ, जया णं पञ्चत्थिमेणवि वासाणं पढमे समए पडिवजइ तया णं जाव मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं अणंतरपच्छाकडसमयसि वासाणं प० स०. पडिवन्चे भवइ ?, - हंता गोयमा ! जयाःणं जंवू० मंदरस्स पव्व: यस्स पुरच्छिमेणं, एवं चेव उच्चारेयव्वं जाव पडिवो भव ॥ एवं जहा, समएणं अभिलावो भणिओ. वासाणं तहा आवलियाएवि २ भाणियचो, आणापाणुणवि ३ थोवेणवि ४ लवेणावि ५ मुहुत्तेणवि.६, अहोरत्तेणवि ७ पक्खेणवि ८ मासेणवि ९ उउणावि-१०, एएसिं सव्वेसि जहा समयस्स अभिलावो तहा भाणियव्यो । जया णं, भंते ! जंबू० दाहिणड्ढे हेमंताणं पढमे समए, पडिवजइ जहेव वासाणं अभिलावो तहेव हेमंताणवि २० गिम्हाणवि-३० भाणियन्वो जाव उऊ, एवं एए तिनिवि, एएसिं तीसं, आलावगा माणियव्वा । जया णं, भंते ! जंबू० मंदरस्स पव्वयस्स- दाहिणड्डे-पढमे अयणे पडिवज तया णं उत्तरड्डेवि पंढमे अयणे, पडिवजइ, जहा समएणं अभिलावो तहेव अयणेणवि भाणियत्वो जाव अणंतरपच्छाकडसमयंसि पढमे अयणे पडिबन्ने भवइ, जहा अयणेणं अभिलावो तहा संवच्छरेणवि भाणियव्वो जुएणवि वाससएणवि वाससहस्सेणवि वाससयसहस्सेणवि, पुव्वंगेणवि पुन्वेणवि तुडियंगेणवि तुडिएणवि, एवं पुव्वे २ तुडिए २ अडड़े-२ अववे २. हुहुए २ उप्पले २ पउमे २ नलिणे २ अच्छ(अत्यि)णिउरे २ अउए २ णउए २ पउए २चूलिया Page #523 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ५ उ०.] सुत्तागमे ४७१ २.सीसपहेलिया २ पलिओवमेणवि सागरोवमेणवि भाणियव्वो। जया णं भंते ! जंबूदीवे २ दाहिणड्डे पढमा ओसप्पिणी पडिवजइ तया णं उत्तरडेवि पढमा ओसप्पिणी पडिवजइ, जया णं उत्तरडेवि पडिवजइ तदा णं जंवूदीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपच्चत्थिमेणवि वत्थि ओसप्पिणी नेवत्यि उस्सप्पिणी अवट्ठिए णं तत्थ काले पन्नत्ते ? समणाउसो !, हंता गोयमा ! तं चेव उच्चारेयव्वं जाव समणाउसो!, जहा ओसप्पिणीए आलांवओ भणिओ एवं उस्सप्पिणीएवि भाणियन्वो ॥ १७७ ॥ लवणे णं भंते ! समुद्दे सूरिया उदीचिपाईणमुग्गच्छ जच्चेव जंबूदीवस्स वत्तव्वया भणिया सच्चेव सव्वा अपरिसेसिया लवणसमुदस्सवि भाणियव्वा, नवरं अभिलावो इमो णेयव्यो-जया णं भंते ! लवणे समुद्दे दाहिगड्ढे दिवसे भवइ तं चेव जाव तदा णं लवणे समुद्दे पुरच्छिमपञ्चत्यिमेणं राई भवइ, एएणं अभिलावेणं नेयव्वं । जदा णं भंते ! लवणसमुद्दे दाहिगड्ढे पढमा ओसप्पिणी पडिवज्जइ तदा णं उत्तरदेवि पढमा ओसप्पिणी पडिवजइ, जदा णं उत्तरड्ढे पढमा ओसप्पिणी पडिवज्जइ तदा णं लवणसमुद्दे पुरच्छिमपचत्थिमेणं नेवत्थि ओसप्पिणी २ समणाउसो ! ?, हंता गोयमा ! जाव समणाउसो ! ॥ धायइसंडे णं भंते ! दीवे सूरिया उदीचिपाईणमुग्गच्छ जहेव जंबूदीवस्स वत्तव्वया भणिया सच्चेव धायइसंडस्स.वि भाणियन्वा, नवरं इमेणं अभिलावणं सव्वे आलावगा भाणियन्वा । जया णं भंते ! धायइसंडे दीवे दाहिणड्डे दिवसे भवइ तदा णं उत्तरडेवि जया णं उत्तरदेवि तदा णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं राई भवइ ?, हंता गोयमा! एवं चेव जाव राई भवइ । जदा णं भंते! धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं पुरच्छिमेण दिवसे भवइ तदा णं पञ्चत्यिमेणवि, जदा णं पञ्चत्थिमेणवि तदा णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं उत्तरेणं दाहिणेणं राई भवइ ?, हता. गोयमा ! जाव भवइ, एवं एएणं अभिलावेणं नेयव्वं जाव जया णं भंते ! दाहिणड्ढे पढमा ओस० तया ग उत्तरढे जया णं उत्तरढे तया णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं नत्यि ओस० जाव समणाउसो!, ? हंता गोयमा ! जाव समणाउसो!, जहा लवणसमुदस्स वत्तव्वया तहा कालोदस्सवि भाणियव्वा, नवरं कालोदस्स नाम भाणियव्वं । अभितरपुक्खरद्धे णं भंते ! सूरिया उदीचिपाईणमुग्गच्छ जहेव धायइसंडस्स वत्तव्वया तहेव अन्भितरपुक्खरद्धस्सवि भाणियचा नवरं अभिलावो जाव जाणेयव्वो जाव तया णं अभितरपुक्खरद्धे मंदराणं पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं नेवत्थि ओस० नेवत्थि उस्सप्पिणी अवहिए णं तत्थ काले पन्नत्ते समणाउसो ! सेवं भंते ! २ त्ति ॥ १७८ ॥ पंचमसए पढमो उद्देसो समत्तो॥ Page #524 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे - [भगवई १७२ रायगिहे नगरे जाव एवं वदासी-अत्यि णं भंते ! ईसिं पुरेवाया पत्यावाया मंदावाया महावाया वायंति ? हता! अत्यि, अत्यि णं भंते ! पुरच्छिमेणं ईसिं पुरेवाया पत्थावाया मंदावाया भहावाया वायंति ? हंता ! अत्यि । एवं पञ्चत्यिमेणं दाहिणणं उत्तरेणं उत्तरपुरच्छिमेणं पुरच्छिमदाहिणेणं दाहिणपञ्चत्यिमेणं पच्छिमउत्तरेणं ॥ जया णं भंते! पुरच्छिमेणं ईसिं पुरेवाया पत्थावाया मंदावाया महावाया वायंति तया णं पञ्चत्थिमेणवि ईसिं पुरेवाया जया णं पचत्थिमेणं ईसिं पुरेवाया तया णं पुरच्छिमेणवि ?, हंता गोयमा ! जया णं पुरच्छिमेणं तया णं पञ्चत्यिमेणवि ईसिं जया णं पंचत्थिमेणवि ईसिं तया णं पुरच्छिमेणवि ईसिं, एवं दिसासु विदिसासु ॥ अत्थि णं भंते ! दीविच्चया ईसिं?, हंता! अत्यि । अस्थि णं भंते ! सामुद्दया ईसिं ?, हंता! अत्थि । जया णं भंते ! दीविच्चया ईसिं तया णं सामुद्दयावि ईसिं जया णं, सामुद्दया ईसिं तया णं दीविचयावि ईसिं ?, णो इणढे समझे। से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जया णं दीविचया ईसिं णो णं तया सामुद्दया ईसिं जया णं सामुद्दया इसिं णो णं तया दीविच्चया ईसि ?, गोयमा! तेसि णं वायाणं अन्नमन्नस्स विवच्चासेणं लवणे समुद्दे वेलं नाइकमइ से तेणटेणं जाव वाया वायंति ॥ अत्थि णं भंते ! ईसिं पुरेवाया पत्थावाया मंदावाया महावाया वायंति ?, हता! अत्थि । कया णं भंते ! ईसि जाव वायंति , गोयमा ! जया णं वाउयाए अहारियं रियति तया णं ईसिं जाव वायंति । अत्थि णं भंते ! ईसि० ? हंता! अत्थि, कया णं भंते ! ईसिं पुरेवाया पत्था० ?, गोयमा । जया णं वाउयाए उत्तरकिरियं रियइ तया णं ईसि जाव वायंति । अत्थि णं भंते ! ईसि०?, हता! अत्थि, कया णं भंते ! ईसिं पुरेवाया पत्था० ?, गोयमा ! जया णं वाउकुमारा वाउकुमारीओ वा अप्पणो वा परस्स वा तदुभयस्स वा अहाए वाउकायं उदीरेति तया णं ईसिं पुरेवाया जाव वायंति ॥ वाउकाए णं भंते ! वाउकायं चेव आणमंति पाण० जहा खंदए तहा चत्तारि आलावगा नेयव्वा अणेगसयसहस्स० पुढे उदाइ वा, ससरीरी निक्खमइ ॥ १७९ ॥ अह भंते ! ओदणे कुम्मासे सुरा एए-णं किंसरीराति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा । ओदणे कुम्मासे सुराए य जे घणे दव्वे एए णं पुव्वभावपन्नवणं पडुच्च वणस्सइजीवसरीरा तओ पच्छा सत्थातीया सत्थपरिणामिआ अगणिज्झामिया अगणिज्यूसिया अगणिसेविया अगणिपरिणामिया अगणिजीवसरीराति वत्तव्व सिया, सुराए य जे दवे दव्वे एए णं पुव्वभावपन्नवणं पडच आउजीवसरीरा, तओ पच्छा सत्यातीया जाव अगणिकायसरीराति वत्तव्वं सिया । अहन्नं भंते ! अए तंबे तउए सीसए उवले कसट्टिया एए णं किंसरीराइ वृत्तव्वं सिया? गोयमा ! अए-तंबे तउए. Page #525 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अहिज्ज्ञामे चाया जाव अगणिक पुब्वभावपन वि०५० स. ५ उ०३] सुत्तागमे ४७३ सीसए उवले कसट्टिया, एए णं पुव्वभावपन्नवणं पडुच्च पुढविजीवसरीरा तओ पच्छा सत्यातीया जाव अगणिजीवसरीराति वत्तव्वं सिया । अहण्णं भंते ! अट्ठी अट्ठिज्झामे चम्मे चम्मज्झामे रोमे २ सिंगे २ खुरे २ नखे २ एए णं किंसरीराति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! अट्ठी चम्मे रोमे सिगे खुरे नहे एएणं तसपाणजीवसरीरा अहिज्झामे चम्मज्यामे रोमज्यामे सिग० खुर० णहज्झामे एए णं पुन्वभावपण्णवणं पडुच्च तसपाणजीवसरीरा तओ पच्छा सत्यातीया जाव अगणिजीव. त्ति वत्तव्वं सिया। अह भंते ! इंगाले छारिए भुसे गोमए एए णं किंसरीराइ वत्तव्यं सिया ?, गोयमा! इंगाले छारिए भुसे गोमए एए णं पुव्वभावपण्णवणं पड्डुच्च एगिदियजीवसरीरप्पओगपरिणामियावि जाव पंचिंदियजीवसरीरप्पओगपरिणामियावि तओ पच्छा सस्थातीया जाव अगणिजीवसरीराति वत्तव्वं सिया ॥ १८० ॥ लवणे णं भंते ! समुद्दे केव इयं चकवालविक्खंभेणं पन्नत्ते ?, एवं नेयव्वं जाव लोगढ़िई लोगाणुभावे, ,सेवं भंते ! २ त्ति भगवं जाव विहरइ ॥ १८१॥ पंचमे सए बीओ उद्देसो समत्तो॥ . । अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति भा० प० एवं प० से जहानामए जालगंठिया सिया आणुपुग्विंगढिया अणंतरगढिया परंपरगढिया अन्नमन्नगढिया अन्नमन्नगुरुयत्ताए अन्नमन्नभारियत्ताए अन्नमन्नगुरुयसंभारियत्ताए अण्णमण्णघडत्ताए जाव चिट्ठति, एवामेव वहणं जीवाणं वहूसु आंजाइसयसहस्सेसु बहूई आउयसहस्साई आणुपुट्विंगढियाई- जाव चिट्ठति, एगेऽविय णं जीवे एगेणं समएणं। दो आउयाई पडिसंवेदेइ, तंजहा-इहभवियाउयं च परभवियाउयं च, जं समयं इहभवियाउयं पडिसंवेदेइ तं समयं परभवियाउयं पडिसंवेदेइ जावे से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जन्नं ते अन्नउत्थिया तं चेव जाव परभवियाउयं च, जे ते एवमाहंसु तं मिच्छा, अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि जाव अन्नमनघडताए चिट्ठति, एवामेव एगमेगस्स जीवस्स वहूहि आजाइसहस्सेहिं बहूइं आउयसहस्साई आणुपुचिगढियाई जाव चिट्ठति, एगेऽविय णं जीवे एगेगं समएणं एंगं आउयं पडिसंवेदेइ, तंजहा-इहभवियाउयं वा परभवियाउयं वा, जं समयं इहभावियाउयं पडिसंवेदेइ नो'तं समयं पर० पडिसंवेदेइ जं समयं प० नो तं समयं इहभवियाउयं प०, इहभवियाउयस्स पडिसंवेयणाए नो परभवियाउयं पडिसंवेदेइ परभवियाउयस्स पडिसंवेयणाए नो इहभवियाउयं पडिसंवेदेइ, एवं खलु एगे ‘जीवे एगेणं समएणं एग आउयं प० तंजहा-इहभ० वा परभ० वा ॥ १८२ ॥ जीवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उंववज्जित्तए से णं भंते ! किं साउए संकमइ निराउए संकमइ ?, Page #526 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७४ सुत्तागमे [भगवई गोयमा ! साउए संकमइ नो निराउए संकमइ । से णं भते ! आउए कहिं कडे कहिं समाइण्णे ?, गोयमा ! पुरिमे भवे कडे पुरिने भवे समाइण्णे, एवं जाव वेमाणियाणं दंडओ । से नूणं भंते ! जे जंभविए जोणि उववजित्तए से तमाउयं पकरेइ, तंजहा-नेरइयाउयं वा जाव देवाउयं वा ?, हंता गोयमा! जे जंभविए जोणि उववजित्तए से तमाउयं पकरेइ, तंजहा-नेरइयाउयं वा तिरि० मणु० देवाउयं वा, नेरइयाउयं पकरेमाणे सत्तविहं पकरेइ, तंजहा-रयणप्पभापुढविनेरइयाउयं वा जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयाउयं वा, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेमाणे पंचविहं पकरेइ, तंजहा-एगिदियतिरिक्खजोणियाउयं वा, भेदो सम्बो भाणियव्वो, मणुस्साउयं दुविहं, देवाउयं चउव्विह, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ १८३॥ पंचमे सए तइओ उद्देसो समत्तो ॥ .. __छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से आउडिजमाणाई सद्दाइं सुणेइ, तंजहा-संखसहाणि वा सिगस० संखियस० खरमुहिस० पोयास० परिपिरियास० पणवस० पडहस० भंभास० होरंभस० भेरिसदाणि वा झलरिस० दुंदुहिस० तयाणि वा वितयाणि वा घणाणि वा झुसिराणि वा ?, हंता गोयमा । छउमत्थे णं मणूसे आउडिजमाणाई सद्दाइं सुणेइ, तंजहा-संखसदाणि वा जाव झुसिराणि वा । ताई भंते ! किं पुट्ठाई सुणेइ अपुट्ठाई सुणेइ ?, गोयमा ! पुट्ठाइं सुणेइ नो अपुट्ठाई सुणेइ, जाव नियमा छद्दिसिं सुणेडू । छउमत्थे णं मणुस्से कि आरगयाइं सहाई सुणेइ पारगयाइं सद्दाई सुणेइ ?, गोयमा । आरगयाइं सद्दाइं सुणेइ नो पारगयाइं सहाई सुणेइ । जहा णं भंते ! छउमत्थे मणुस्से आरगयाई सद्दाई सुणेइ नो पारगयाई सद्दाई.सुणेइ तहा ण भंते ! केवली मणुस्से किं आरगयाइं सद्दाइं सुणेइ पारगयाइं सद्दाइं सुणेइ ?, गोयमा। केवली गं आरगयं वा पारगयं वा सव्वदूरमूलमणतियं सई जाणेइ पासेइ, से केणटेणं तं चेव केवली णं आरगयं वा पारगयं वा जाव पासइ ?, गोयमा ! केवली णं पुरच्छिमेणं मियंपि जाणइ अमियंपि जा० एवं दाहिणेणं पचत्थिमेणं उत्तरेणं उर्दू अहे मियंपि जाणइ अमियंपि जा० सव्वं जाणइ केवली सव्वं पासइ केवली सव्वओ, जाणइ पासइ.सव्वकालं जा० पा० सव्वभावे जाणइ केवली सव्वभावे पासइ केवली ॥ अणंते नाणे केवलिस्स अणंते दंसणे केवलिस्स निव्वुढे नाणे केवलिस्स निव्वुडे दंसणे केवलिस्स से तेणटेणं जाव पासइ ।। १८४ ॥ छउमत्ये गं भंते ! मणुस्से हसेज वा उस्सुयाएज वा ?, हता! हसेज वा उस्सुयाएज'वा, जहा णं भंते ! छउमत्थे मणुस्से हसेज जाव उस्सु० तहा णं केवलीवि हसेज वा उस्सुयाएज वा ?, गोयमा ! नो इणढे समढे, से केणटेणं भंते ! जाव Page #527 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे 1 नो णं तहा केवली हसेज वा जाव उस्स्याएजे वा ?, गोयमा | जण्णं जीवा चरितमोहणिजस्स कम्मस्स उदएणं हसंति वा उस्यायंति वा से णं केवलिस्स नत्थि, से तेणट्टेणं जाव नों णं तहा केवली हसेज वा उस्सुयाएज्ज वा । जीवेण भंते ! हंसमाणे वा उस्तुयमाणे वा कइ कम्मपयडीओ बंधइ ?, गोयमा ! - सत्तविहवंधए वा अविहवंध वा, पेरइएणं भंते ! हसमाणे वा उस्सुयमाणे वा कइ कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा, जीवा णं भंते ! हसमाणा वा उस्सुयार्यमाणा वा कइ कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा ! सत्तविहवंधगा वा अट्ठविहबंधगा वा, रइयाणं पुच्छा, गोयमा ! सव्वे वि ताव होजा सत्तविहबंधगा अहवा सत्तविहवंधगावि अट्ठविहबंधगावि, अदुवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य । एवं जाव वेमाणिए, पोहत्तिएहिं जीवेगिदियवज्जों तियभंगो ॥ छउमत्थे णं भंते! मणूसे निद्दाएज वा पयलाएज वा ? हंता ! निद्दाएज वा पयलाएज वा, जहा हसेज वां तहा नवरं दरिसणावरणिजस्स कम्मस्स उदएणं निद्दार्यंति वा पयलायंति वा, से णं केवलिस्स नत्थि, अन्नं तं चेव । जीवे णं भंते ! निद्दायमाणे वा पयलायमाणे वा कइ कम्मपयडीओ बंधइ ?, गोयमा ! सत्तविहवंधए वा अट्ठविहवंधए वा, एवं जाव वैमाणिए, पोहत्तिएसु जीवेगिदियवज्जो तियभंगो ॥ १८५ ॥ हरी णं भंते । हरिणेगमेसी सकदूए इत्थीगन्धं संहरणमाणे किं गन्भाओ गब्भं साहरइ १ गब्भाओ जोणि साहरइ २ जोणीओ गंब्भं साहरइ ३ जोणीओ जोणि साहरइ ४१, गोयमा ! नो गब्भाओ गन्धं साहरइ नो गभाओ जोणि साहरइ नो जोणीओ जोगिं साहरइ परामुसिय २ अव्वा - वाहेणं अव्वाबाहं जोणीओ गन्धं साहरइ ॥ पभू णं भंते !! हरिणेगमेसी सकस्स णं दूए इत्थंींगन्भं नहसिरंसि वा रोमकूवंसि वा साहरितए वा नीहरितए वा ?, हंता ! पभू, नो चेवणं तस्स गब्भस्स किंचिवि आवाहं वा विवाह वा उप्पाएजा छविच्छेदं पुण. करेजा, एसुहुमं च णं साहरिज वा नीहरिज वा ॥ १८६॥ तेणं कालेणं तेणं समर्पणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अइमुत्ते णामं कुमारसमणे पगइभद्दए, जांव विणीए, तए णं से अइमुत्ते कुमारसमणे अण्णया कयाइ महावुट्टिकायंसि निवयमाणंसि कक्खपडिग्गहर यहरणमायाए बहिया संपट्ठिए विहाराएं, तए णं से अइमुत्ते कुमारसमंणे वाहयं वहमाणं पासइ २ मट्टियाए पालि बंधइ २ णाविया मे २ नाविओविव णावमयं पडिग्गहगं उदगंसि कटु पव्वाहमाणे २ अभिरमइ, तं च थेरा अद्दक्खु, जेणेव संमणे भगवं० तेणेव उवागच्छति २ एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी अइमुत्ते णामं कुमारसमणे से णं भंते ! " वि. • १० स० ५ उ० ४ ] ४७५ Page #528 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई अइमुत्ते कुमारसमणे काहिं भवग्गहणेहि सिज्झिहिइ जाव अंतं करेहिइ ?, अजोत्ति समणे भगवं महावीरे ते थेरे एवं वयासी-एवं खलु अज्जो ! मम अंतेवासी अइमुत्ते णाम कुमारसमणे पगइभद्दए जाव विणीए से णं अइमुत्ते कुमारसमणे इमेणं चेव भवरगहणेणं सिज्झिहिइ-जाव अंतं करेहिइ, तं मा णं अज्जो ! तुन्भे अइमुत्तं कुमारसमणं हीलेह निदह खिंसह गरहह अवमन्नह, तुम्भे णं देवाणुप्पिया! अइ. मुत्तं कुमारसमणं अगिलाए संगिण्हह अगिलाए उवगिण्हह अगिलाए भत्तेणं पाणेणं विणएणं वेयावडियं करेह, अइमुत्ते णं कुमारसमणे अंतकरे चेव अंतिमसरीरिए चेव, तए णं ते थेरा भगवंतो समणेणं भगवया म० एवं वुत्ता समाणा-समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति अइमुत्तं कुमारसमणं अगिलाए संगिण्हंति जाव वेयावडियं करेंति ॥ १८७ ॥ तेणं कालेणं. २ महासुक्काओ कप्पाओ महासग्गाओ महाविमागाओ दो देवा महिड्डिया जाव महाणुभागा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं पाउब्भूया, तए गं ते देवा समणं भगवं महावीरं मणसा चेव वंदति नमसंति सणसा चेव इमं एयारूवं वागरणं पुच्छंति-कइ णं भंते! देवाणुप्पियाणं अंतेवासिसयाई सिज्झिहिंति:जाव अंतं करेहिंति ?, तए णं समणे भगवं महावीरे तेहिं देवेहिं मणसा 'पुढे तेसि देवाणं मणसा चेव इमं एयास्त्रं वागरणं वागरेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया! मम. सत्त अंतेवासिंसयाई सिज्झिहिंति जाव अंतं करोहिंति, तए णं ते देवा समणेणं भगवया महावीरेणं मणसां पुढेणं मणसा चेव इमं एयावं वागरणं वागरिया समाणा हद्वतुट्ठा.जाव हयहियया समणं भगवं महावीरं वंदंति णमंसंति २ त्तां मणसा चेव सुस्सूसमाणा णमंसमाणा अभिमुझ जावं पजुवासंति । तेणं कालेणं २ सम'णस्स भगवओ महावीरस्सं जेटे अंतेवासी इंदभूई णाम अणगारे जाव अदूरसामंते उजाणू जाव- विहरइ, तए, णं तस्स भगवओ गोयमस्स झाणंतरियाए वट्टमागस्स इमेयारूवे अज्झथिए.जाव समुप्पज्जित्था, एवं खलु दो देवा महिडिया जाव .महाणुभागा:समणस्स भगवओ महावीरस्स 'अंतियं पाउन्सूया तं नो खलु अहं ते देवे जाणामि कयराओ कप्पाओ वा सग्गाओ,वा विमाणाओ वा कस्स.वा अत्थस्स अट्ठाए इहं हव्वमागया?, तं गच्छामि णं भगवं. महावीरं वदामि णमंसामि जाव पज्जुवासामि 'इमाई. च णं एयारूवाइं वागरणाई 'पुच्छिस्सामित्ति कट्ट एवं संप्रेहेई २ उठाए उढेइ २. जेणेव समणे भगवं, महा० जाव: पजवांसइ, गोयमादि समणे भगवं म० भगवं गोयमं एवं वदासी से णूणं तव गोयमा!, झाणंतरियाए वमाणस्से इमेयारूवे अज्झस्थिए जाव जेणेव मम अंतिए तेणेव हव्वमागए से शृंगं गोयमा! अत्थे समत्थे ?, हता! अत्थि, तं गच्छाहि ण गोयमा ! 'एए चेव देवा Page #529 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि. ५० स० ५ उ० ४] सुत्तागमे ४७७ इमाई एयाख्वाइं वागरणाई वागरेहिति, तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुनाए समाणे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ २ जेणेव ते. देवा तेणेव पहारेत्य गमणाए, तए गं ते देवा भगवं गोयम एजमाणं पासंति २ हट्टा जाव हयहियया खिप्पामेव अब्भुट्ठति २. खिप्पामेव पञ्चुवागच्छंति २ जेणेक भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छंति २ ता जाव णमंसित्ता एवं वयासी-एवं खलु भैते । अम्हे महासुकाओ कप्पाओ महासग्गाओ महाविमाणाओ दो देवा महिड्डिया जाव पाउन्भूआ तए णं अम्हे समणं भगवं महावीरं वंदामो णमंसामो २ मणसा चेव इमाइं एयारुवाई वागरणाई पुच्छामो-कइ णं भंते! देवाणुप्पियाणं अंतेवासिसयाई सिज्झिहिंति जाव अंतं करेहिति ?, तए णं समणे भगवं महावीरे अम्हेहिं मणसा पुढे अम्हं मणसा चैव इमं .एयावं वागरणं वागरेइ-एवं खलु देवाणु० मम सत्त अतेवासिसयाइं जाव अंतं करोहिंति, तए ण- अम्हें समणेणं भगवया महावीरेणं मणसा चेव पुढेणं मणसा चेव इमं एयास्वं वागरणं वांगरिया समाणा समण भगवं महावीरं वंदामो नमसामो २ जाव पजुवासामोत्तिकट्ठ भगवं गोयमं वंदति नमसंति २ . जामेव दिसि पाउ० तामेव दिसि प० ॥ १८८ ॥ भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं जाव एवं वदासी-देवा णं भंते ! संजयाति वत्तव्व सिया ?, ग्रोयमा। णो तिणढे समढे, अब्भक्खाणमेयं, देवा गं भंते ! असंजयाइ वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! णों तिणद्वे०, गिट्ठरवयणमेयं, देवा णं भंते ! संजयासंजयाति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! णो तिणढे समझे, असन्भूयमेयं देवाणं, से कि खाइ णं भंते! देवाति वत्तव्ळ सिया?, . गोयमा! देवा गं नोसंजयाति वत्तव्वं सिया ॥ १८९ ॥ देवा गं भंते !- कयराए -भासाए भासंति ?, कयरा वा भासा भासिज्जमाणी विसिस्सइ?, गोयमा! देवा णं अद्धमागहाए भासाए भासंति, सावि यणं अद्धमागहा भासा भासिज्जमाणी विसिस्सइ ॥ १९० ॥ केवली णं भंते ! अंतकरं वा अंतिमसरीरियं वा जाणइ पासइ ?, हंता! गोयमा.! जाणइ पासइ। जहा णं भंते ! केवली अंतकरं वा अंतिमसरीरियं वा जाणति पासति तहा णं छडमत्थेवि. अंतकरं वा अंतिमसरीरियं वा जाणइ पासइ ?, गोयमा ! णो तिणढे समठे, सोचा जाणइ पासइ, पमाणओ वा, से किं तं सोचा ?, सोचा णं केवलिस्स वा केवलिसावयस्स वा केवलिसावियाए वा. केवलिउवासगस्स वा केवलिउवासियाए वा तप्पक्खियस्स वा तप्पक्खियसावगस्स वा तप्पक्खियसावियाए वा तप्पक्खियउवासगस्स वा, तप्पक्खियउवासियाए ‘वा से तं सोचा ॥ १९१ ॥ से किं तं पमाणे ?, पमाणे बउबिहे 'प० तंजहा-पच्चक्खे अणुमाणे ओवम्मे आगमे, जहा Page #530 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई अणुओगदारे तहा यव्वं पमाणं जाव तेण परं नो अत्तागमे नो अनंतरागमे परंपरागमे ॥ १९२॥ केवली णं भंते ! चरिमक्रम्मं वा चरिमणिजरं वा जाणइ पासइ ?, हंता गोयमा ! जाणइ पासइ । जहा णं भंते । केवली चरिमकम्मं वा जहा णं अंतकरेणं आलावगो तहा चरिमकम्मेणवि अपरिसेसिओ णेयव्वो ॥१९३॥ केवली णं भंते! पणीयं मणं वा वई वा धारेजा ?, हंता ! धारेजा, जहा णं भंते । केवली पणीयं मणं वा वरं वा धारेजा ते णं वेमाणिया देवा जाणंति पासंति ?, गोयमा ! अत्थेगइया जाणंति पा० अत्थेगइया न जाणंति न पा०; से केणद्वेणं जाव ण जाणंति ण पासंति ?, गोयमा ! वेमाणिया देवा दुविहा पण्णत्ता, तंजहामाइमिच्छादिट्टिउववन्नगा ये अमाइसम्मदिट्टिउववन्नगा य, तत्थ णं जे ते माइमिच्छादिट्ठिउववन्नगा तें न जाणंति न पासंति, तत्थ णं जे ते अमाइसम्मदिट्टिउव• • वन्नगा ते णं जाणंति पासंति, से केणद्वेणं एवं बु० अमाई सम्मदिट्ठी जाव पा० गोमा ! अमाई सम्मदिट्टी दुविहा पण्णत्तां - अणंतरोववन्नगा य परंपरोववन्नगा य तत्थ अणंतरोववन्नगा न जा० परंपरोववन्नगा जाणंति, से केणट्टेणं भते । एवं० परंपरोववन्नगा जाव जाणंति ?, गोयमा ! परंपरोववन्नगा दुंविहा पण्णत्ता-पजत्तेगा य अपजत्तगा य, पजत्ता जा० अपजत्तो न जा०, एवं अणंतरपरंपरपज्जत्तअपजत्ता य उवउत्ता अणुवउत्ता, तत्थे णं जे ते उवत्ता ते जा० पा० से. तेणद्वेणं तं चैव ॥ १९४ ॥ पर्भू णं भंते ! अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा इहगए केवलिणां सद्धिं आलावं वा संलावं वा करेत्तए ?, हंता ! पभू से केणट्टेण जाद पभू णं अणुत्तरोववाइया देवा जाव करेत्तएं ?, गोयमा ! जण्णं अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा अहं वा हेउ वा पसिणं वा वागरणं वा कारणं वा पुच्छंति तण्णं इहगए केवली अहं वा जाव वागरणं वा बागरेइ से तेणद्वेणं । जन्नं भंते ! इहगए चेव केवली अहं वा जाव वागरेइ तण्णं अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव संमाणा जा० पा० ?, हंता ! 'जाणंति पासंति, से केणट्टेर्ण जाव पासंति ?, गोयमा । तेसि णं देवानं अनंताओ मणोदव्ववग्गणाओ लद्धाओ पत्ताओं अभिसमन्नागयाओं भवंति से तेणद्वेगं जण्णं इहगए केवली जाव पा० ॥ १९५ ॥ अणुत्तरोववाइया णं भंते! देवा किं उदिन्नमोहा उवसंतमोहा खीणमोहा ?, गोयमा ! नो उदिन्नमोहा उवसंतमोहा णो खीणमोहा ॥ १९६ ॥ केवली णं भंते! आयाहिं जा० पा० ?, गोयमा । णो तिणट्ठे स०, से केणट्टेणं जाव केवली णं आयाहिं न जाणइ न पासइ ?, गोयमा । केवली णं पुरच्छिमेणं मियंपि जाणइ अमियंपि जा० जाव निव्वुडे दंसणे केवलिस्स से तेण० ॥ १९७ ॥ केवली णं ४७८ Page #531 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ५० ५] सुत्तागमे ४७९ भंते ! असि समयसि जेतु आगासपदेसेसु हत्यं वा पायं वा बाई वा ऊरं वा ओगाहित्ता णं चिट्ठइ पभू णं भंते ! केवली सेयकालंसिवि तेसु चेव आगासपदेसेनु हत्यं वा जाव ओगाहित्ता णं चिट्टित्तए ?, गोयमा ! णो ति०; से केणटेणं भंते ! जाव केवली णं अस्सि समयसि जेतु आगासपदेसेसु हत्थं वा जाव चिट्ठइ णो णं पभू केवली सेयकालंसिवि तेसु चेव, आगासपएसेसु हत्यं वा जाव चिट्ठित्तए ?, गो०! केवलिस्स णं वीरियसजोगसव्वयाए चलाई उवगरणाई भवंति, चलोवगरणट्ठयाए य णं केवली अस्सि समयसि जेसु आगासपदेसेसु हत्यं वा जाव चिठ्ठइ णो णं पभू कंवली सेयकालंसिवि तेसु चेव जाव चिद्वित्तए, से तेणटेणं जाव वुच्चइकेवली णं अस्सि समयंसि जाव चिट्टित्तए ॥ १९८ ॥ पभू णं भंते ! चोद्दसपुव्वी घडाओ घडसहस्सं पड़ाओ पडसहस्सं कडाओ २ रहाओ २ छत्ताओ छत्तसहस्सं दंडाओ दंडसहस्सं; अभिनिटेत्ता. उवदंसेत्तए ?,, हंता ! पभू, से केणढेणं पभू चोद्दसपुव्वी जाव उवदंसेत्तए ? गोयमा ! चउद्दसपुब्बिस्स गं अगंताई दवाई उक्करियामेएणं भिजमाणाई लद्धाइं पत्ताई अभिसमन्नागयाइं भवंति, से तेणटेणं जाव उवदंसित्तए । सेवं. भंते ! सेवं भंते !त्ति ॥१९९॥ पंचमे सए चउत्थो उद्देसो।। छउमत्थे पं. भंते ! मणूसे तीयमगंतं.सासयं समयं केवलेणं संजमेणं जहा पढमसए चउत्युद्देसे आलावगा तहा नेयव्वा जाव अलमत्युत्ति वत्तव्वं सिया ॥२००॥ अन्नउत्यिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव ,परवेति सव्वे पाणा सव्वे भूया सव्वे जीवा सव्वे सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जणं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति जाव वेदेति जे ते. एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता अणेवभूयं वेदणं वेदेति, से केणद्वेणं अत्थेगइया ? तं चेव उच्चारेयव्वं; गोंयमा । जे णं पाणा भूया जीवा सत्ता जहा कडा कम्मा.तहा वेदणं वेदेति ते णं पाणा भूया जीवा सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति, जे णं पाणा भूया जीवा सत्ता जहा कडा कम्मा नोंतहा वेदणं वेदेति ते णं पाणा भूया जीवा सत्ता अणेवंभूयं वेदणं वेदेति, से तेणटेणं तहेव । : नेरइया णं भंते ! किं एवंभूयं वेदणं वेदेति अणेवंभूयं वेदणं वेदंति ?, गोयमा ! नेर इया णं एवंभूयं वेदणं वेदेति अणेवंभ्यपि वेदगं वेदति । से केपट्टेणं तं चेव ? गोयमा! जे णं नेरइया जहा कडा कम्मा तहा वेयणं वेदेति ते ण नेरइया एवंभूयं वेदणं वेदेति जे ण नेरझ्या जहा कडा कम्मा णो तहा वेदणं वेदेति ते णं नेरइया अणेवभूयं वेदगं वेदेति, से तेणटेणं, एवं जावं वेमाणिया ससारमंडलं नेयव्वं Page #532 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ॥ २०१॥ जंबुद्दीवे णं भंते ! भारहे वासे इमीसे ओस० कइ कुलगरा होत्था ?, गोयमा ! सत्त एवं तित्ययरा तित्थयरमायरो पियरो पढमा सिस्सिणीओ चवट्टीमायरो पियरो इत्थिरयणं बलदेवा वासुदेवा वासुदेवमायरो पियरो, एएसिं पडिसत्तू जहा समवाए णामपरिवाडी तहा णेयव्वा, सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥२०२॥ पंचमसए पंचमो उद्देसओ समत्तो॥ ___ कहण्णं भंते ! जीवा अप्पाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ?, गोयमा! तिहिं ठाणेहिं, तंजहा-पाणे अइवाएत्ता मुसं वइत्ता तहालवं समणं वा माहणं वा अफासुएणं अणे. सणिजेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभेत्ता, एवं खलु जीवा अप्पाउयत्ताए कम्मं पकरेन्ति ॥ कहणं भंते ! जीवा दीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ?, गोयमा ! तिहिं ठाणेहि-नो पाणे अइवाइत्ता नो मुसं वइत्ता तहारूवं समणं वा माहणं वा फासुए. सणिजेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभत्ता एवं खलु जीवा दीहाउयत्ताए कम्म पकरेंति ॥ कहन्नं भंते ! जीवा असुभदीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ?, गोयमा! पाणे अइवाइत्ता मुसं वइत्ता तहारूवं समणं वा माहणं वा हीलित्ता निंदित्ता खिसित्ता गरहित्ता अवमन्नित्ता अन्नयरेणं अमणुन्नेणं अपीइकारएणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभत्ता एवं खलु जीवा असुभदीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ॥ कहन्नं भंते ! जीवा सुभदीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ?, गोयमा ! नो पाणे अइवाइत्ता नो मुसं वइत्ता तहारूवं समणं वा माहणं वा वंदित्ता नमंसित्ता जाव पजवासित्ता अन्नयरेणं मणुन्नेणं पीइकारएणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभत्ता एवं खलु जीवा सुभ• दीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ॥ २०३ ॥ गाहावइस्सणं भंते ! भंडं विक्रिणमाणस्स केइ भंडं अवहरेजा तस्स ण भंते । तं भंडं अणुगवेसमाणस्स कि आरंभिया किरिया कन्जइ परिग्गहिया० माया० अप० मिच्छा० ?, गोयमा! आरंभिया किरिया कजइ परि० माया० अपच मिच्छादसणकिरिया सिय कन्जइसिय नो कन्जइ ॥ अह से भंडे अभिसमन्नागए भवइ, तओ से पच्छा सव्वाओ ताओं पयणुईभवंति ॥ गाहावइस्स णं भंते ! तं भंडं विक्किणमाणस्स कइए भंडं साइनेजा भंडे य से अणुवणीए सिया, गाहावइस्स णं भंते ! ताओ भंडाओ किं आरंभिया किरिया कजइ जाव मिच्छादसणकिरिया कन्नइ ? कइयस्स वा ताओ । भंडाओ कि आरंभिया किरिया कजइ जाव मिच्छादसणकिरिया कन्नइ ?, गोयमा! गाहावइस्स ताओ भंडाओ आरंभिया किरिया कज्जइ जाव अपच्चक्खाणिया मिच्छा. दसणवत्तिया किरिया सियं कजइ सिय नो कन्जइ, कइयस्स णं ताओ संव्वाओं पयणुईभवंति । गाहावइस्स णं भंते! भंडं विक्किणमाणस्स जाव भंडे से उवणाए जेजा भडव गाहावइस्स भनागए भवइ, तोरिया सिय कजइ सि Page #533 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ५ उ०६] सुत्तागमे सिया कइयस्स णं भंते ! ताओ भंडाओ किं आरंभिया किरिया कज्जइ ?, गाहावइस्स वा ताओ भंडाओ किं आरंभिया किरिया कज्जइ ?, गोयमा ! कइयस्स ताओ भंडाओ हेछिल्लाओ चत्तारि किरियाओ कनंति मिच्छादंसणकिरिया भयणाए गाहावइस्स गं ताओ, सव्वाओ पयणुईभवंति । गाहावइस्स णं भंते ! भंडं जाव धणे य से अणुवणीए सिया एवंपि जहा भंडे उवणीए तहा नेयत्वं चउत्थो आलावगो, धणे से उवणीए सिया जहा पढमो आलावगो भंडे य से अणुवणीए सिया तहा नेयव्वो पढमचउत्थाणं एनो गमो विइयतइयाणं एको गमो ॥ अगणिकाए णं भंते ! अहुणोजलिए समाणे महाकम्मतराए चेव महाकिरियतराए चेव महासवतराए चेव महावेयणतराए चेव भवइ, अहे णं समए २ वोकासिज्जमाणे २ चरिमकालसमयंसि इंगालभूए मुम्मुरभूए छारियभूए तओ पच्छा अप्पकम्मतराए चेव अप्पकिरियतराए चेव अप्पासवतराए चेव अप्पवेयणतराए चेव भवइ-१, हंता गोयमा ! अगणिकाए णं अहुणोजलिए समाणे तं चेव ॥ २०४ ॥ पुरिसे णं भंते !- धणुं परामुसइ धणुं परामुसित्ता उसुं परामुसइ २ ठाणं ठाइ ठाणं ठिचा आययकण्णाययं उसुं करेइ आययकनाययं उसु करेत्ता उर्दू वेहासं उसु उन्विहइ २ तओ णं से उसु उ8 वेहासं उविहिए समाणे जाई तत्थ पाणाइं भूयाइं जीवाई सत्ताई अभिहणइ वत्तेइ लेस्सेइ संघाएइ संघट्टेइ परियावेइ किलामेइ ठाणाओ ठाण संकामेइ जीवियाओ ववरोवेइ तए णं भंते ! से पुरिसे कइकिरिए ?, गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे धणुं परामुसइ २ जाव उविहइ तावं च णं से पुरिसे काइ. याए जाव पाणाइवायकिरियाए पंचहिं किरियाहिं पुढे, जेसिपि य णं जीवाणं सरीरेहिं धणू निव्वत्तिए तेऽवि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे(हा) एवं धणुपुढे पंचहिं किरियाहिं, जीवा पंचहि, .पहारू पंचहिं, उसू पंचहिं, सरे पत्तणे फले प्रहारू पंचहिं ॥ २०५॥ अहे णं से उसुं अप्पगो गुरुयत्ताए भारियत्ताए गुरुयसंभारियत्ताए अहे वीससाए पञ्चोवयमाणे जाइं तत्थ पाणाइं जाव जीवियाओ ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे कइकिरिए ?, गोयमा ! जावं च णं से उसु अप्पणो गुल्यत्ताए जाव ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुढे, जेसिपि य णं जीवाणं सरीरेहिं धणू निव्वत्तिए तेवि जीवा चउहि किरियाहिं, धणुपुढे चउहि, जीवा चउहि, हारू चउहिं, उसू पंचहिं, सरे-पत्तणे फले हारू पंचहिं, जेवि य से जीवा अहे पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे चिट्ठति तेवि य णं जीवा काइयाए जाव, पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा ॥'२०६ ॥ अण्णउत्थिया णं भंते ! एव. माइक्खंति जाव - परुति से जहानामए-जुवई जुवाणे हत्थेण हत्थे गेण्हेना ३१ सुत्ता० Page #534 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया एवामेव जाव चत्तारि पंच जोयणसयाई बहुसमाइने मणुयलोए मणुस्सेहिं से कहमेयं भंते! एवं !, गोयमा । जण्णं ते अण्णउत्थिया जाव मणुस्सेहिं जे ते एवमाहंसु मिच्छा०, अहं पुण गोयमा । एवमाहक्खामि जाव एवामेव चत्तारि पंच जोयणसयाई बहुलमाइण्णे निरयलोए नेइएहिं ॥ २०७ ॥ नेरइया णं भंते! किं एगत्तं पभू विडव्वित्तए पुहुत्तं पभू विउव्वित्तए ?, जहा जीवाभिगमे आलावगो तहा नेयव्वो जाव दुरहियासे ॥ २०८ ॥ आहाक्रम्मं अणवजेत्ति मण पहारेत्ता भवइ, से णं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिते कालं करेइ नत्थि तस्स आराहणा, से णं तस्स ठाणस्स आलोइयपडितं कालं करेइ अत्थि तस्स आराहणा, एएणं गमेणं नेयव्वं-कीयगडं ठवियं रइयं कंतारभत्तं दुब्भिक्खभत्तं वद्दलियाभतं गिलाणभत्तं सेजायरपिंडं रायपिंडं । आहाकम्मं अणवज्जेत्ति बहुजणमज्झे भासित्ता सयमेव परिभुंजित्ता भवइ से णं तस्स ठाणस्स जाव अत्थि तस्स आराहणा, एयंपि तह चेव जाव रायपिंडं । आहाकम्मं अणवजेत्ति सयं अन्नमन्नस्स अणुप्पदावेत्ता भवइ, से णं तस्स एवं तह चेव जाव रायपिंडं । आहाकम्मं णं अणवजेत्ति बहुजणमज्झे पन्नवइत्ता भवड़ से णं तस्स जाव अत्थि आराहणा जाव रायपिंडं ॥ २०९ ॥ आयरियउवज्झाए णं भंत ! सविसयसि गणं अगिलाए संगिण्हमाणे अगिलाए उवगिण्हमाणे करहिं भवग्गहणेहि सिज्झइ जाव अंतं करेइ ?, गोयमा । अत्थेगइए तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झइ अत्थेगइए दोच्चैर्णं भवग्गहणेणं सिज्म तच पुण भवग्गहणं णाइकमइ ॥ २१० ॥ जे र्णं भंते ! परं अलिएणं असम्भूएणं अब्भक्खाणेणं अव्भक्खाइ तस्स णं कहप्पगारा कम्मा कजंति ?, गोयमा ! जे णं परं अलिएणं असंत (एणं) वयणेणं अभक्खाणेणं अब्भक्खाइ तस्स णं तहप्पगारा चैव कम्मा कजंति, जत्थेव णं अभिसमागच्छंति तत्थेव णं पडिसंवेदेति तओ से पच्छा वेदेति सेवं भंते । २ त्ति ॥२११॥ पंचमसए छट्टो उद्देसो समत्तो ॥ परमाणुपोग्गले णं भंते! एयइ वेयइ जाव तं तं भावं परिणमइ ?, गोयमा ! सिय एयइ वेयइ जाव परिणमइ सिय णो एयइ जाव णो परिणमइ । दुपदेसिए णं भंते ! खंधे एयइ जाव परिणमइ ?, गोयमा ! सिय एयइ जाव परिणमइ सिय णो एयइ जाव णो परिणमइ, सिय देसे एयर देसे नो एयइ. । `तिपएसिए-णं भंते ! खंधे एयइ० ?, गोयमा । सिय एयइ सिय नो एयइ, सिय देसे एयइ नो देते एयर लिय देसे एयइ नो देसा एयंति तिय देसा एयंति नो देते एयई । चउप्पएसिए णं भंते ! खंधे एयइ० -१, गोयमा ! सिय एयइ सिय नो एयइ सिय देते ४८२ Page #535 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ५ उ०७] सुत्तागमे एयइ णो देसे एयइ सिय देसे एयइ णो देसा एयंति सिय देसा एयति नो देसे एयइ सिय देसा एयंति नो देसा एयंति जहा चउप्पदेसिओ तहा पंचपदेसिओ तहा जाव अगंतपदेसिओ ॥ २१२ ॥ परमाणुपोग्गले गं भंते ! असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेजा ?, हंता! ओगाहेजा ! से णं भंते ! तत्थ छिज्जेज वा भिजेज वा?, गोयमा ! णो तिणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्यं कमइ, एवं जाव असंखेजपएसिओ। अणंतपदेसिए णं भंते ! खंधे असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेजा ?, हंता! ओगाहेज्जा, सेणं तत्थ छिजेज वा भिज्जेज वा ?, गोयमा! अत्थेगइए छिजेज वा भिजेज वा अत्थेगइए नो छिजेज वा नो भिजेज वा, एवं अगणिकायस्स मज्झमझेणं तहिं णवरं झियाएजा भाणियव्वं, एवं पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमज्झेणं तहिं उल्ले सिया, एवं गंगाए महाणईए पडिसोयं हव्वमा. गच्छेजा, तहिं विणिहायमावजेजा, उदगावत्तं वा उदगविंदु वा ओगाहेजा से णं तत्य परियावजेजा ॥ २१३ ॥ परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं सअड्डे समज्झे सपएसे ? उदाहु अणड्ढे अमज्झे अपएसे ?, गोयमा ! अणड्ढे अमज्झे अपएसे नो सअड्डे नो समझे नो सपएसे । दुपदेसिए णं भंते ! खंधे किं सअद्धे समज्झे सपदेसे उदाहु अगद्धे अमज्झे अपदेसे ?, गोयमा ! सअद्धे अमज्झे सपदेसे णो अणद्ध णो समझे णो अपदेसे । तिपदेसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! अणद्धे समज्झे सपदेसे नो सअद्धे णो अमज्झे णो अपदेसे, जहा दुपदेसिओ तहा जे समा ते भाणियव्वा, जे विसमा ते जहा तिपएसिओ तहा भाणियव्वा । संखेजपदेसिए णं भंते ! खंधे किं सअड्डे ६ ? पुच्छा, गोयमा ! सिय सअद्धे अमज्झे सपदेसे सिय अणड्ढे समज्झे सपदेसे जहा संखेजपदेसिओ तहा असंखेनपदेसिओऽवि अणंतपदेसिओऽवि ॥२१४॥ परमाणुपोग्गले णं भंते ! परमाणुपोग्गलं फुसमाणे किं देसेणं देसं फुसइ १ देसेणं देसे फुसइ २ देसेणं सव्वं फुसइ ३ देसेहिं देसं फुसइ ४ देसेहिं देसे फुसइ ५ देसेहिं सव्वं फुसइ ६ सव्वेणं देसं फुसइ ७ सव्वेणं देसे फुसइ ८ सव्वेणं सर्व फुसइ ९ ?, गोयमा ! णो देसेणं देसं फुसइ णो देसेणं देसे फुसइ णो देसेणं सव्वं फुसइ णो देसेहिं देसं फुसइ नो देसेहिं देसे फुसइ नो देसेहिं सव्वं फुसइ णो सम्वेणं, देसं फुसइ णो सव्वेणं देसे फुसइ सव्वेणं सव्वं फुसइ, एवं परमाणुपोग्गले दुपदेसियं फुसमाणे सत्तमणवमेहिं फुसइ, · परमाणुपोग्गले तिपएसियं फुसमाणे णिप्पच्छिमएहिं तिहिं फु०, जहा परमाणुपोग्गले तिपएसियं फुसाविओ एवं फुसावे. ग्रव्वो जाव अणतपएसिओ ॥ दुपएसिए णं भंते ! खंधे परमाणुपोग्गलं फुसमाणे पुच्छा, तइयनवमेहिं फुसइ, दुपदेसियं फुसमाणो पढमतइयसत्तमणवमेहिं फुसइ, Page #536 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८४ सुत्तागमे [भगवई दुपेदेसिओ तिपदेसियं फुसमाणो आदिल्लएहि य पच्छिल्लएहि य तिहिं फुसइ, मज्मिमएहिं तिहिं विपडिसेहेयव्वं, दुपदेसिओ जहा तिपदेसियं फुसाविओ एवं फुसावेयव्वो जाव अणंतपएसियं । तिपएसिए णं भंते ! खंधे परमाणुपोग्गलं फुसमाणे पुच्छा, तइयछट्टणवमेहिं फुसइ, तिपएसिओ दुपएसियं फुसमाणो पढमएणं तइएणं चउत्थछट्ठसत्तमणवमेहिं फुसइ, तिपएसिओ तिपएसियं फुसमाणो सव्वेसुवि ठाणेनु फुसइ, जहा तिपएसिओ तिपदेसियं फुसाविओ एवं तिपदेसिओ जाव अणंतपएसिएणं संजोएयव्वो, जहा तिपएसिओ एवं जाव अणंतपएसिओ भाणियव्वो ॥२१५॥ परमाणुपोग्गले णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ ?, गोयमा! जहन्नेणं एग समय उक्कोसे गं असंखेनं कालं, एवं जाव अगंतपएसिओ । एगपदेसोगाढे णं भंते ! पोग्गले सेए तम्मि वा ठाणे अन्नमि वा ठाणे कालओ केवचिरं होइ ?, गोयमा ! 'जह० एग समयं उक्को० आवलियाए असंखेजइभागं, एवं जाव असंखेजपदेसो. गाढे । एगपदेसोगाढे णं भंते ! पोग्गले निरेए कालओ केवचिरं होइ ?, गोयमा ! 'जहन्नेणं एग समयं उक्नोसेणं असंखेजं कालं, एवं जाव असंखेजपदेसोगाढे । एगगुणकालए णं भंते ! पोग्गले कालओ केवच्चिरं होइ ?, गोयमा ! जह० एगं समयं उ० असंखेनं कालं एवं जाव अगंतगुणकालए, एवं वन्नगंधरंसफास० जाव अगंतगुणलुक्खे, एवं सुहुमपरिणए पोग्गले एवं वायरपरिगए पोग्गले । सहपरिणए णं भंते ! पोग्गले कालओ केवच्चिरं होइ ?, गोयमा ! ज० एगं समयं उ० आवलियाए असंखेज्जइभागं, असद्दपरिणए जहा एगगुणकालए ॥ परमाणुपोग्गलस्स णं भंते ! अंतरं कालओ केवच्चिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेनं कालं, दुपएसियस्स णं भंते ! खंधस्स अंतरं कालओ केवच्चिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्नोसेगं अणंतं कालं, एवं जाव अगंतपएसिओ । एगपएसोगाढस्स णं भंते ! पोग्गलस्स सेयस्स अंतरं कालओ केवचिर्र होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्नोसेणं असंखेनं कालं, एवं जाव असंखेजपएसोगाढे । एगपएसोगाढस्स णं भंते ! पोग्गलस्स निरेयस्स अंतरं कालओ केवच्चिरं होइ ?, गोयमा । जहन्नेणं एगं समयं उक्नोसेणं आवंलियाए असंखेजइभागं, एवं जाव असं. खेजपएसोगाढे । वन्नगंधरसफाससुहुमपरिणयबायरपरिणयागं एएसिं जं चेव संचिछणा तं चेव अंतरंपि भाणियव्वं । सहपरिणयस्स णं भंते ! पोग्गलस्स अंतरं कालओ केवच्चिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एग समयं उनोसेणं असंखेनं कालं । असद्दपरिणयस्स ण भंते! पोग्गलस्स अंतरं कालओ केवच्चिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एग समयं उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं ॥ २१६ ॥ एयस्स ग - Page #537 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स०५ उ०.] सुत्तागमे ४८५ भंते। दवट्ठाणाउयस्स खेत्तट्ठाणाउयस्स ओगाहणट्ठांणाउयस्स, भावहाणाउयस्स कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे खेत्तट्टाणाउए ओगाहणट्ठाणाउए असंखेजगुणे दवट्ठाणाउए असंखेजगुणे भावहाणाउए. असंखेजगुणेखेत्तोगाहणदव्वे भावहाणाउयं च अप्पवहुं । खेत्ते सव्वत्थोवे सेसा ठाणा असंखेजा ॥ १ ॥ २१७॥ नेरझ्या णं भंते ! किं सारंभा सपरिग्गहा उदाहु अणारंभा अपरिगहा ?, गोयमा ! नेरइया सारंभा सपरिग्गहा नो अणारंभा णो अपरिगहा । से केणटेणं जाव अपरिग्गहा ?, गोयमा ! नेरझ्या णं पुढविकायं समारंभंति जाव तसकायं समारंभंति सरीरा परिग्गहिया भवंति कम्मा परिग्गहिया भवंति सचित्ताचित्तमीसयाई दव्वाई परि० भ०, से तेणटेणं तं चेव । असुरकुमारा णं भंते! किं सारंभा ४ ? पुच्छा, गोयमा ! असुरकुमारा सारंभा सपरिग्गहा नो अणारंभा अप० । से केणटेणं ?, गोयमा ! असुरकुमारा णं पुढविकायं समारंभंति जाव तसकायं समारंभंति सरीरा परिग्गहिया भवंति कम्मा परिग्गहिया भवंति भवणा परि० भवंति देवा देवीओ मणुस्सा मणुस्सीओ तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीओ परिग्गहियाओ भवंति आसणसयणभंडमत्तोवगरणा परिग्गहिया भवंति सचित्ताचित्तमीसयाई दव्वाइं परिग्गहियाई भवंति से तेणटेणं तहेव एवं जाव थणियकुमारा। एगिदिया जहा नेरइया । बेइंदिया णं भंते.! किं सारंभा सपरिगहा तं चेव जाव सरीरा परिग्गहिया भवंति वाहिरिया भंडमत्तोवगरणा परि० भवंति सचित्ताचित्त० जाव भवंति एवं जाव चउरिदिया। पंचेदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! तं चेव जाव क्रम्मा परि० भवन्ति टंका कूडा सेला सिहरी, पन्भारा परिग्गहिया भवंति जलथलविलगुहालेणा परिग्गहिया भवंति उज्झरनिझरचिल्ललपल्ललवप्पिणा परिग्गहिया भवंति अगडतडागदहनईओ , वाविपुक्खरिणीदीहिया गुंजालिया सरा सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ विलपंतियाओ परिग्गहियाओ भवंति आरामुज्जाणा काणणा वणाई वर्णसंडाई वणराईओ परिग्गहियाओ भवन्ति देवउलसभापंवाथूभाखाइयपरिखाओ परिग्गहियाओ भवंति पागारट्टालगचरियदारगोपुरा परिग्गहिया भवंति पासायघरंसरणलेगआवणा परिग्गहिया भवंति सिंघाडगतिगचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहा परिग्गहिया भवंति सगडरहजाणजुग्गगिल्लिथिलिसीयसंदमाणियाओ परिग्गहियाओ , भवंति लोहीलोहकडाहकडच्छुया परिग्गहिया भवंति भवणा परिग्गहिया भवंति देवा देवीओ मणुस्सा मणुस्सीओ तिरिक्खजोणिआतिरिक्खजोणिणीओ आसणसयणखंभभंडसचित्ताचित्तमीसयाइं दव्वाइं परिग्गहियाई भवंति से तेणटेणं०,, (जहाँ) तिरिक्खजोणिया तहा मणुस्सावि Page #538 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८६ सुत्तागमे [ भगवई भाणियव्वा, वाणमंतर जोइसवेमाणिया जहा भवणवासी तहा नेयव्वा ॥ २१८ ॥ पंच हेऊ पण्णत्ता, तंजहा - हेरं जाणइ हेउं पासइ हेरं वुज्झर हेरं अभिसमागच्छइ हेउं छउमत्थमरणं मरइ ॥ पंच हेऊ प०, तंजहा - हेउणा जागड़ जाव हेउणा छउमत्थमरणं मरइ ॥ पंच हेऊ पण्णत्ता, तंजहा - हेउ न जाणइ जाव हेउ अन्नाणमरणं मरइ ॥ पंच हेऊ पन्नत्ता, तंजहा- हेउणा ण जाणइ जाव हेउणा अण्णाणमरणं मरइ ॥ पंच अहेऊ पण्णत्ता, तंजहा - अहेडं जाणइ जाव अहेउं केवलिमरणं मरइ ॥ पंच अहेऊ पण्णत्ता, तंजहा - अहेउणा जाणइ जाव अहेउणा केवलिमरणं मरइ ॥ पंच अहेऊ पण्णत्ता, तंजहा - अहेडं न जाणइ जाव अहेडं छउमत्थमरण मरइ ॥ पंच अहेऊ पण्णत्ता, तंजहा - अहेउणा न जाणइ जाव अहेउणा छउमत्थमरणं मरइ | सेवं भंते ! २ त्ति ॥ २१९ ॥ पंचमे सए सत्तमो उद्देसो समत्तो ॥ 1 तेणं काळेणं २ जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेगं २ समणस्स ३ जाव अंतेवासी नारयपुत्ते नामं अणगारे पगइभद्दए जाव विहरइ, तेणं कालेणं २ समणस्स ३ जाव अंतेवासी नियंठिपुत्ते णामं अण० पगइभहए जाव विहरइ, तए णं से नियंठिपुत्ते अण० जेणामेव नारयपुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छइ २ नारयपुत्तं अण० एवं वयासी-सव्वा पोग्गला ते अज्जो ! किं सअड्डा समज्झा सपएसा उदाहु अणड्ढा अमज्झा अपएसा ?, अजोत्ति नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं एवं वयासी- सव्वपोग्गला मे अज्जो ! सअड्ढा समज्झा सपदेसा नो अणड्ढा अमज्झा अपएस, तएं णं से नियंठिपुत्ते अणगारे नारयपुत्तं अ० एवं वदासी - जइ णं ते अज्जो ! सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपदेसा नो अणड्ढा अमज्झा अपदेसा किं दव्वादेसेणं अजो! सव्वपोग्गला सअड्डा समज्झा सपदेसा नो अणड्ढा अमज्झा अपदेसा ? खेत्तादेसेणं अजो । सव्वपोग्गला सअड्डा समज्झा सपएसा तहेव चेव, कालादेसेणं' तं चेव, भावादेसेणं अज्जो । तं चेव, तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं एवं वदासी - दव्वादेसेणवि मे अजो । सव्वपोग्गला सअड्डा समज्जा संपदेसा" नो अणड्ढा अमज्झा अपदेसा खेत्ता एसेणवि सव्वे पोग्गला सअड्ढा तह चेव कालादेसेणवि, तं चेव भावादेसेण वि । तए णं से नियंठिपुत्ते अण० नारयपुत्तं अणगारं एवं व्यासी-जइ णं अजो! दव्वादेसेणं सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्या सपएसा नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा, एवं ते परमाणुपोग्गलेवि सअड्ढे समज्ज्ञे सपएसे णो अगड्ढे 'अमज्झे अपएसे, जइ णं अज्जो ! खेत्ता देसेणवि सव्यपोग्गला सअ० ३ जाव एवं ते एगपएसोगाढेवि पोग्गले सअड्डे समज्झे सपएसे, जइ णं अज्जो ! काला देसेणं सव्र्व्वपोग्गला सअड्डा समज्झा सपएसा, एवं Page #539 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ५ उ०८] सुत्तागमे ४८७ ते एगसमयठिईएवि पोग्गले ३ तं चेव, जइ णं अज्जो! भावादेसेणं सव्वपोग्गला सअड्डा समज्झा सपएसा, एवं ते एगगुणकालएवि पोग्गले सअ० ३ तं चेव, अह ते एवं न भवइ तो जं वयसि दव्यादेसेणवि सव्वपोग्गला,सअ० ३ नो अणड्डा अमज्झा अपदेसा एवं खेत्तादेसेणवि काला० भावादेसेणवि तन्नं मिच्छा, तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अ० एवं वयासी-नो खलु वयं देवा. एयमहं जाणामो पासामो, जइ णं देवा० नो गिलायंति परिकहित्तए तं इच्छामि गं देवा० अंतिए एयमढे सोचा निसम्म जाणित्तए, तए णं से नियंठिपुत्ते अणगारे नारयपुत्तं अणगारं एवं वयासी-दव्वादेसेणवि मे अज्जो सव्वे पोग्गला सपदेसावि अपदेसावि अणंता खेत्तादेसेणवि एवं चेव कालादेसेणवि भावादेसेणवि एवं चेच ॥ जे दव्वओ अपदेसे से खेत्तओ नियमा अपदेसे कालओ सिय सपदेसे सिय अपदेसे भावओ सिय सपदेसे सिय अपदेसे । जे खेत्तओ अपदेसे से दव्वओ सिय सपढेसे सिय अपदेसे कालओ भयणाए भावओ भयणाए । जहा खेत्तओ एवं कालओ भावओ ॥ जे व्वओ सपदेसे से खेत्तओ सिय सपदेसे सिय अपदेसे; एवं कालओ भावओवि, जे खेत्तओ सपदेसे से दव्वओ नियमा सपदेसे कालओ भयणाए भावओ भयणाए जहा व्वओ तहा कालओ भावओवि ॥ एएसि णं भंते ! पोग्गलाणं दव्वादेसेणं खेत्तादेसेणं कालादेसेणं भावादेसेगं सपदेसाण य अपदेसाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा?, नारयपुत्ता ! सव्वत्योवा पोग्गला भावादेसेणं अपदेसा कालादेसेणं अपदेसा असंखेजगुणा दव्वादेसेणं अपदेसा असंखेनगुणा खेत्तादेसेणं अपडेसा असंखेजगुणा खेत्तादेसेणं चेव सपदेसा असंखेज्जगुणा दन्वादेसेणं सपदेसा विसेसाहिया कालादेसेणं सपदेसा विसेसाहिया भाचादेसेणं सपदेसा विसेसाहिया । तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं वंदइ नमसइ नियंठिपुत्तं अणगारं वंदित्ता णमंसित्ता एयमद्वं सम्मं 'विणएणं भुज्जो २ खामेइ २ त्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ २२० ॥ भन्तेत्ति भगवं गोयमे जाव एवं वयासी-जीवा णं भंते ! कि वदति हायंति अवट्ठिया ?, गोयमा ! जीवा णो वट्ठति नो हायंति अवट्ठिया । नेरइया णं भंते ! किं वर्ल्डति हायंति अवट्टिया ?, गोयमा ! नरड्या वढंतिवि हायंतिवि अवट्ठियावि, जहा नेरइया एवं जाव वेमाणिया । सिद्धा णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सिद्धा वढति नो हायति अवट्ठियावि ॥ जीवा णं भंते ! केवइयं कालं अवट्ठिया [वि] ?, सव्वद्धं । नेरइया णं भंते ! केवइयं कालं वर्ल्डति ?, गोयमा ! ज० एगं -समयं उक्नो० आवलियाए असंखेजइमागं, एवं हायंति, नेरझ्या गं भंते ! केवइयं कालं अवट्ठिया ?, Page #540 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ૪૮૮ [ भगवई गोयमा ! जहन्नेणं एग समयं उक्को० चउव्वीसं मुहुत्ता, एवं सत्तसुवि पुढवीतु वखंति हायंति भाणियव्वं, नवरं अवट्ठिएसु इमं नाणत्तं, तंजहा-रयणप्पभाए पुढवीए अडतालीसं मुहुत्ता सक्कर० चोदस राइंदियाई वाल० मासं पंक० दो मासा धूम० चत्तारि मासा तमाए अट्ठ मासा तमतमाए बारस मासा । असुरकुमारावि वैखंति हायंति जहा नेरइया, अवट्ठिया जह० एगं समयं उक्को० अठ्ठचत्तालीसं मुहुत्ता, एवं दसविहावि, एगिदिया वखंतिवि हायंतिवि अवट्ठियावि, एएहिं तिहिंवि जहन्नेणं एवं समयं उक्नो० आवलियाए असंखेजइभागं, बेइंदिया वटुंति हायंति तहेव, अवट्ठिया ज० एकं समयं उक्को० दो अंतोमुहुत्ता, एवं जाव चउरिंदिया, अवसेसा सव्वे वखंति हायति तहेव, अवट्ठियाणं णाणत्तं इम, तं०-समुच्छिमपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं दो अंतोमुहुत्ता, गब्भवनंतियाणं चउव्वीसं मुहुत्ता, संमु. च्छिममणुस्साणं अट्ठचत्तालीसं मुहुत्ता, गभवतियमणुस्साणं चउव्वीसं मुहुत्ता, वाणमंतरजोइससोहम्मीसाणेसु अठ्ठचत्तालीसं मुहुत्ता, सणंकुमारे अट्ठारस राईदियाइं चत्तालीस य मुहुत्ता, माहिदे चउवीसं राइंदियाइं वीस य मु०, बंभलोए पंचचत्तालीसं राईदियाइं, लंतए नउइ राइंदियाई, महासुक्के सट्टि राइंदियसयं, सहस्सारे दो राइंदियसयाई, आणयपाणयाणं संखेजा मासा, आरणचुयाण संखेजाई वासाई, एवं गेवेजदेवाणं विजयवेजयंतजयंतअपराजियाणं असंखेजाइं वाससंहस्साइं, सव्वट्ठसिद्ध य पलिओवमस्स असंखेजइभागो, एवं भाणियव्वं, वखंति हायति जह० एवं समयं उ० आवलियाए असंखेजहभागं, अवट्ठियाणं जं भणियं । सिद्धा णं भंते ! केवइयं कालं वखंति ?, गोयमा ! जह० एक समयं उक्को० अट्ठ समया, केवइयं कालं अवट्ठिया ?, गोयमा! जह० एकसमयं उक्को० छम्मासा ॥ जीवा णं भंते ! किं सोवचया सावचया सोवचयसावचया निरुवचयनिरवचया?, गोयमा! जीवा णो सोवचया नो सावचया णो सोवचयसावचया निरुवचयनिरवचया । एगिंदिया तइयपए, सेसा जीवा चउहिंवि पएहिंवि भाणियव्वा; सिद्धा णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सिद्धा सोवचया णो सावचया णो सोवचयसावचया निरुवचयनिरवचया । जीवा णं भंते ! केवइयं कालं निरुवचयनिरवचया ?, गोयमा! सव्वद्धं, नेरइया णं भंते ! केवइयं कालं सोवचया ?, गोयमा! जह० एक समयं उ० आवलियाए असंखेजइभागं । केवइयं कालं सावचया ? एवं चेव । केवइयं कालं सोवचयसावचया ?, एवं चेव । केवइयं कालं निरुवचयनिरवचया ?, गोयमा! ज० एवं समयं उक्नो० बारसमु० एगिंदिया सव्वे सोवचयसावचया सव्वद्धं सेसा सव्वे सोवचयावि सावचयावि सोवचयसावचयावि निरुवचयनिरवचयावि जहन्ने] Page #541 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ५ उ०९] सुत्तागमे ४८९ एगं समय उनोसेणं आवलियाए असंखेजइभार्ग अवढिएहिं वक्त्रंतियकालो भाणियव्वो सिद्धा णं भंते ! केवइयं कालं सोवचया ?, गोयमा ! जहे. एकं समयं उक्को० अट्ठ समया, केवइयं कालं निरुवचयनिरवचया ?, जह० एवं समयं उ० छम्मासा । सेवं भंते ! २त्ति ॥ २२१ ॥ पंचमसए अठ्ठमो उद्देसो समत्तो ॥ .. तेणं कालेग तेणं समएणं जाव एवं वयासी-किमिदं भंते.! नगरं रायगिहति पवुच्चइ ?, किं पुढवी- नगरं रायगिहति पवुचइ, आऊ नगरं रायगिहति पवुच्चइ ? जाव वणस्सइ ?, जहा एयणुद्देसए पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं वत्तत्वया तहा भाणियव्वं जाव सचित्ताचित्तमीसयाई व्वाइं नगरं रायगिहंति पवुचइ ?, गोयमा ! पुढवीवि नगरं रायगिहंति पत्रुच्चइ जाव सचित्ताचित्तमीसियाई दवाई नगरं रायगिहति पवुच्चइ । से केणटेणं ?, गोयमा ! पुढवी जीवाइय अजीवाइय नगर रायगिहति पत्रुच्चइ जाव सचित्ताचित्तमीसियाई दव्वाइं जीवाइय अजीवाइय नगरं रायगिहंति पवुच्चइ से तेणट्टेणं तं चेव ॥ २२२ ॥ से नूणं भंते ! दिया उज्जोए राई अंधयारे ?, हंता गोयमा ! जाव अंधयारे । से केणटेणं० १, गोयमा! दिया सुभा पोग्गला सुभे पोग्गलपरिणामे राइं असुभा पोग्गला असुभे. पोग्गलपरिणामे से तेणटेणं ० । नेरइयाणं भंते ! कि उज्जोए अधयारे ?, गोयमा ! नेरइयाणं नो उज्जोए अंधयारे, से केणटेणं० ?, गोयमा ! नेरइयाणं असुहा पोग्गला असुभे पोग्गलपरिणामे से तेणढेणं० । असुरकुमाराणं भंते ! किं उज्जोए अंधयारे?,, गोयमा ! असुरकुमाराणं उज्जोए नो अंधयारे । से केणटेणं ?, गोयमा! असुरकुमाराणं सुभा पोग्गला सुभे पोग्गलपरिणामे, से तेणटेणं एवं वुच्चइ, , एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढविकाइया जाव तेइंदिया जहा नेरइया । चउरिंदियाणं भंते ! किं उज्जोए अंधयारे ?, गोयेमा ! उज्जोएवि अंधयारेवि, से,तेणटेणं० १, गोयमा ! चउरिंदियाणं सुभासुभा पोग्गला सुभासुभे पोग्गलपरिणामे, से तेणटेणं एवं जाव मणुस्साणं । वाणमंतरजोइसवेमाणिया जहा असुरकुमारा ॥ २२३ ॥ अत्थि णं भंते नेरइयाणं तत्थगयाणं एवं पन्नायइ-समयाइ, वा आवलियाइ वा जाव ओसप्पिणीइ,वा उस्सप्पिणीइ वा ?, णो तिणढे समढे । से, केणढेणं जाव समयाइ वा आवलियाइ वा ओसप्पिणीइ वा उस्सप्पिणीइ वा ?, गोयमा ! इहं तेसिं माणं इहं तेसि पमाणं इहं तेसि पण्णायइ, तंजहा-समयाइ वा जाव उस्सप्पिणीइ वा, से तेणटेणं जाव नो एवं पण्णायए, तंजहा-समयाइ वा जाव उस्सप्पिणीइ वा, एवं जाव पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं, अत्थि ण भंते ! “मणुस्साणं इहगयाणं एवं पन्नायइ, तंजहासमयाइ वा जाव उस्सप्पिणीइ वा ?, हंता,! अत्थिः । से केणटेणं ? गोयमा ! Page #542 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९० सुत्तागमे [भगवई इहं तेसिं माणं इहं चेव तेसि एवं पण्णायइ, तंजहा-समयाइ वा जाव उस्सप्पिगीइ वा से तेण वाणमंतरजोइसवेमाणियाणं जहा नेरइयाणं ॥ २२४ ॥ तेणं कालेणं २ पासावञ्चिज्जा [ते थेरा भगवंतो जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति २ .समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते ठिच्चा एवं वदासी-से नूणं भंते ! असंखेजे लोए अणंता राइंदिया उप्पज्जिसु वा उप्पज्जति वा उप्पजि. स्संति वा विगच्छिसु वा विगच्छंति वा विगच्छिस्संति वा परित्ता राइंदिया उप्पजिंसु वा ३ विगच्छिसु वा ३१, हंता अजो! असंखेज्जे लोए अणंता राइंदिया तं चेव, से केणढेणं जाव विगच्छिस्संति वा ?, से नूणं भंते ! अज्जो ! पासेणं अरहया पुरिसादाणिएणं सासए लोए वुइए अणाइए अणवदग्गे परित्ते परिखुडे हेट्ठा विच्छिण्णे मज्झे संखित्ते उप्पिं विसाले अहे पलियंकसंठिए मज्झे वरवइरविग्गहिए उप्पिं उद्धमुइंगाकारसंठिए तेसिं च णं सासयंसि लोगंसि अणादियंसि अगवदग्गंसि परित्तंसि परिवुडंसि हेट्ठा विच्छिन्नसि मज्झे संखित्तंसि उप्पिं विसालंसि अहे पलियंकसंठियंसि मज्झे वरवइरविग्गहियंसि उप्पि उद्धमुइंगाकारसंठियंसि अणंता जीव'घणा उप्पजित्ता २ निलीयंति परित्ता जीवघणा उप्पज्जित्ता २ निलीयंति से नूणं भूए उप्पन्ने विगए परिणए अजीवेहिं लोकद पलोकइ, जे लोकह से लोए ?, हंता भगवं [ ते ] !, से तेणढ़ेगं अजो ! एवं वुच्चइ असंखेजे तं चेव । तप्पभियं च णं ते पासावच्चेजा थेरा भगवंतो समणं भगवं महावीरं पञ्चभिजाणंति सव्वन्नु सव्वदरिर्सि तए णं ते थेरा भगवंतो समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति २ एवं वदासीइच्छामि णं भंते । तुम्भं अंतिए चाउजामाओ धम्माओ पंचमहन्वइयं सप्पडिकमण धम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिवंधं करेह, तए णं ते पासावचिज्जा थेरा भगवंतो जाव चरिमेहि उस्सासनिस्सासेहिं सिद्धा जाव सव्वदुक्खप्पहीणा अत्थेगइया देवा देवलोएसु उववन्ना ॥ २२५ ॥ कइविहा गं भंते ! देवलोगा पण्णत्ता ?, गोयमा ! चउबिहा देवलोगा पण्णत्ता, तंजहां-भवणवासिवागमंतरजोइसियवेमाणियभेएण, भवणवासी दसविहा वाणमंतरा अट्ठविहा जोइसिया पंचविहा वेमाणिया दुविहा । गाहा-किमियं रायगिहंति य उज्जोए अंधयार समए य । पासंतिवासि पुच्छा राइंदिय देवलोगा य ॥१॥ सेवं भंते! २ त्ति ॥ २२६॥ पंचमे सए नवमो उद्देसो समत्तो॥-- तेगं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नयरी जहा पढमिल्लो उद्देसओ तहा नेयम्वो एसोवि, नवरं चंदिमा भाणियव्वा ॥ २२७ ॥ पंचसे सए दसमो उद्देसो समत्तो ॥ पंचमं सयं समत्तं ॥ Page #543 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ६ उ०१] सुत्तागमे, ४९१ गाहा-यण १ आहार २ महस्सवे य ३ सपएस ४ तमुए य ५ भविए। ६ साली ७ पुढवी ८ कम्म ९ -अन्नउत्थि १० दस छट्टगंमि सए ॥ १ ॥ से नूणं भंते ! जे महावेयणे से महानिजरे जे महानिजरे से महावेदणे, महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्यनिज्जराए ?, हंता गोयमा! जे महावेदणे एवं चेव । छठ्ठसत्तमासु णं भंते ! पुढवीसु नेरइया महावेयणा ?, हता! महावेयणा, ते ण भंते । समणेहितो निरगंथेहितो महानिजरतरा ?, गोयमा ! णो तिणढे समढे, से केणटेण भंते ! एवं बुच्चइ जे महावेदणे जाव पसत्थनिजराए ?, गोयमा ! से जहानामए-दुवे वत्था सिया, एगे वत्थे कमरागरत्ते एगे वत्थे खंजगरागरत्ते एएसि गं गोयमा ! दोण्हं वत्थाणं कयरे वत्थे दुधोयतराए चेव दुवामतराए चेव दुपरिकम्मतराए चेव कयरे वा वत्थे सुधोयतराए चेव-सुवामतराए चेव सुपरिकम्मतराए चेव, जे वा से वत्थे कद्दमरागरत्ते, जे वा से वत्थे खंजणरागरते ?, भगवं । तत्थ णं जे से वत्थे कद्दमरागरत्ते से णं वत्थे दुधोयतराए चेव दुवामतराए चेव दुप्परिकम्मतराए चेव, एवामेव गोयमा ! नेरइयागं पावाइं कम्माई गाढीकयाई चिकणीकयाइं (अ) सिढिलीकयाइं खिलीभूयाई भवंति संपगादपि य णं ते वेयणं वेदेमाणा णो महानिजरा णो 'महापज्जवसाणा भवति, से जहा वा केइ पुरिसे अहिगरणं आउडेमाणे महया २ सद्देणं महया २ घोसेणं महया २ परंपराघाएणं णो संचाएइ तीसे अहिगरणीए अहावायरे पोग्गले परिसाडित्तए एवामेव गोयमा ! नेरइ. याणं पावाई कम्माई गाढीकयाइं जाव नो महापज्जवसाणा भवंति, भगवं ! तत्थे जे से वत्थे खंजणरागरत्ते से गं वत्थे सुधोयतराए चेव 'सुवामतराए चेव सुपरिकम्मतराए चेव, एवामेव गोयमा! ;समाणं निगंथाणं अहाबायराइं कम्माई सिढिलीकयाइं निट्ठियाई कडाई 'विप्परिणामियाई खिप्पामेव' विद्धत्थाई भवंति, जावइयं तावइयंपिणं ते वेयणं वेदेमाणा महानिजरा महापज्जवसाणा भवंति, से जहानामए-केइ पुरिसे सुकतणहत्थयं' जायतेयंसि पक्खिवेजा से नूणं गोयमा ! से सुक्ने तणहत्यए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जइ ?, हंता ! मसमसाविजइ, एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहावायराइं कम्माइं जाव महापज्जवसाणा भवंति, से जहानामए केइ पुरिसे तत्तसि अयकवलंसि उदगविदू जाव हंता! विद्धसमागच्छइ, एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं जाव महापज्जवसाणा भवंति, से तेणटेणं जे'महावेदणे से महानिजरे जाव निजराए ॥ २२८ ॥ कइविहे णं भंते ! करणे पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउबिहे करणे पन्नत्ते, तंजहा-मणकरणे वइकरणे कायकरणे कम्मकरणे । णेरइयाणं भंते! कइविहे करणे पन्नत्ते ?, गोयमा ! Page #544 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे । [भगवई चउबिहे पन्नत्ते, तंजहा-मणकरणे वइकरणे कायकरणे कम्मकरणे ४ [चउ० ], एवं पंचिदियाणं सव्वेसि चउविहे करणे पन्नत्ते । एगिदियाणं दुविहे-कायकरणे य । कम्मकरणे य, विगलेंदियाणं -३-वइकरणे कायकरणे कम्मकरणे । नेरइयाणं भंते ! कि करणओ असायं वेयणं वेयंति अकरण) असायं वेयणं वेदेति ?, गोयमा ! नेरइयाणं करणओ असायं वेयणं वेयंति नो अकरणओ असायं वेयणं वेयंति, से केणटेणं०,? गोयमा! नेरइयाणं चउविहे करणे पन्नत्ते, तंजहा-मणकरणे वइकरणे कायकरणे कम्मकरणे; इच्चेएणं चउम्विहेणं असुमेणं करणेणं नेरइया करणओ असायं वेयणं वेयंति नो अकरणओ, से तेणटेणं० । अतुरकुमाराणं कि करणओ अकरणओ.१, गोयमा ! करणओ नो अकरणओ, से केणटेणं० १, गोयमा ! असुरकुमाराणं चउबिहे करणे पण्णत्ते, तंजहा-मणकरणे वइकरणे कायकरणे कम्मकरणे, इच्चेएणं सुभेणं करणेणं असुरकुमाराणं करणओ सायं वेयणं वेयंति नो अकरणओ, एवं जाव थणियकुमारणं । पुढविकाइयाणं एवामेव पुच्छा, नवरं इच्चेएणं सुभासुभेणं करणेणं पुढविकाइया करणओ वेमायाए वेयणं वेयंति नो अकरणओ, ओरालियसरीरा सव्वे सुभासुभेणं वेमायाए । देवा सुभेणं सायं वेयणं वेयन्ति ॥ २२९ ॥ जीवा णं भंते ! किं,महावेयणा महानिजरा १ महावेदणा अप्पनिज्जरा २ अप्पवेदणा महानिजरा ३-अप्पवेदणा अप्पनिजरा ४१, गोयमा ! अत्थेगइया जीवा महावेदणा महानिजरा १ अत्थेगइया जीवा महावेयणा. अप्पनिजरा २ अत्थेगइया जीवा अप्पवेदणा महानिजरा .३ अत्थेगइया जीवा अप्पवेदणा अप्पनिजरा ४ । से केणढ़ेगं० ?, गोयमा! पडिमापडिवन्नए अणगारे महावेदणे ‘महानिजरे छट्ठसत्तमासु पुढवीसु नेरइया महावेदणा अप्पनिजरा सेलेसिं पडिवन्नए अणगारे अप्पवेदणे महानिजरे अणुत्तरोववाइया देवा अप्पवेदणा,अप्पनिजरा, सेवं भंते.! २ त्ति ॥-महवेदणे य वत्थे कद्दमखंजणमए य अहिगरणी । तणहत्थे य कवल्ले करण महावेदणा जीवा ॥१॥ ॥२३०॥ सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥छ?सयस पढमो उद्देसो समत्तो। , रायगिहं नगरं जाव एवं वयासी-आहारुद्देसो जो पन्नवणाए सो सव्वो निरवसेसो नेयव्वो । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥२३१॥ छठे सए बीओ उद्देसोसमत्तो॥ . वहुकम्मवत्थपोग्गलपयोगसावीससां य साईए । कम्मट्टिईत्थिसंजय सम्मठ्ठिी य सन्नी य ॥ १ ॥ भविए दंसण पज्जत्ते भासअपरित्त नाणजोगे य । उवओगाहारगसुहुमचरिमवंधी य अप्पवहुं ॥ २ ॥ से नूणं भंते ! महाकम्मस्स महाकिरियस्स महासवस्स महावेदणस्स सव्वओ पोग्गला वझंति सव्वओ पोग्गला चिजति सव्वओ पोग्गला उवचिजति सया समियं च णं पोग्गला बझंति सया Page #545 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "१९३ वि०प० स० ६ उ०३] सुत्तागमे समियं पोग्गला चिज्जति सया समियं पोग्गला उवचिजति सया समियं च णं तस्स आया दुरूवत्ताए दुवन्नत्ताए दुगंधत्ताए दुरसत्ताए दुफासत्ताए अणिद्वत्ताए अकंत० अप्पिय असुभ० अमणुन्न० अमणामत्ताए अणिच्छियत्ताए अभिज्झियत्ताए अहत्ताए नो उदृत्ताए दुक्खत्ताए नो सुहत्ताए भुज्जो . २ परिणमंति ?, हंता गोयमा.! महाकम्मस्स तं चेव । से के गट्टेणं० ?, गोयमा ! से जहानामए-वत्थस्स अहयस्स वा. धोयस्स वा तंतुगयस्स वा आणुपुव्वीए परिभुजमाणस्स सव्वओं पोग्गला वज्झंति, सव्वओ पोग्गला चिजति जाव परिणमंति से तेणटेणं० । से नूणं भंते! अप्पासवस्स अप्पकम्मस्स अप्पकिरियस्स अप्पवेदणस्स सव्वओ पोग्गला भिजति सव्वओ घोग्गला छिज्जति सव्वओ पोग्गला विद्धंसंति सव्वओ पोग्गला परिविद्धंसंति सया समियं पोगला भिज्जति सव्वओ पोग्गला 'छिज्जति विद्धंसंति परिविद्धंसंति सया समियं च "णं तस्स आया सुरूवत्ताए पसत्थं नेयव्वं जाव सुहत्ताए नो दुक्खताए भुजो २ परिणमंति ?, हंता गोयमा!, जाव परिणमंति ।। सेकेणद्वेणं०?, गोयमा ! से जहानामए-वत्थस्स जल्लियस्स वा पंकियस्स वा मइल्लियस्स वा रइल्लियस्स वा आणुपुवीए परिकम्मिन्जमाणस्स सुद्धेणं वारिणा धोवेमाणस्स पोग्गला भिजति जाव परिणमंति से तेणढेणं० ॥ २३२ ॥ वत्थस्स णं भंते ! पोग्गलोवचए किं पयोगसा वीससा ?, गोयमा ! पओगंसावि वीससावि । जहा णं भंते ! वयस्स णं पोग्गलोवचए पओगसावि वीससावि तहा णं जीवाणं कम्मोवचए किं पओगसा वीससा ?, गोयमा! पओगसा नो वीससा, से केणटेणं० १, ‘गोयमा ! जीवाणं तिविहे पओगे पण्गत्ते, तंजहा-मणप्पओगे वइ० - का०, इच्चेएणं तिविहेणं पओगेणं जीवाणं कम्मोवचए पओगसा. नो वीसंसा, एवं सव्वेर्सि पंचेदियाणं तिविहे पओगे भाणियव्वे, पुढविकाइयाणं, एगविहेणं पओगेणं एवं जीव वणस्सइकाइयाणं, विगलिंदियाणं दुविहे पओगे पण्णत्ते, तंजहा-वइपओगे य कायप्पओगे य, इच्चेएणं दुविहेणं पओगेणं कम्मोवचए पओगसा नो वीससा, से एएणद्वेणं जाव नों वीससा एवं जस्स जो पओगो जाव वेमाणियाणं ॥ २३ ॥ वत्थस्स, णं भंते ! पोग्गेलोवचए कि साइए सपजवसिए १ साइए अपज्जवसिए २ अणाइए सपज०३ अणा० अप० ४?, गोयमा ! वत्थस्स णं पोग्गलोववएं साइए सपज्जवसिए नो साइए अप० नो अणा० स० नो अणा० अप० । जहा ,णं भंते । वत्थस्स पोग्गलोवचएं साइए सपज० - नो साइए अप० नो अणा सप० नो अणा० अप० तहा णं जीवाणं कम्मोवचए पुच्छा, गोयमा । अत्थेगइयाणं जीवाणं कम्मोवचए साइए सपज्जवसिए अत्थे० अणाइए. सपजवसिए अंत्थे० अणांइए अप Page #546 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९४ सुत्तागमे - [भगवई जवसिए नो चेव णं जीवाणं कम्मोवचए साइए अप० । से केण ?, गोयमा ! इरियावहियाबंधयस्स कम्मोवचए साइए सप० भवसिद्धियस्स कम्मोवचए अणाइए सपज्जवसिए अभवसिद्धियस्स कम्मोवचए अणाइए अपज्जवसिए, से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ अत्थे० जीवाणं कम्मोवचए साइए नो चेव णं जीवाणं कम्मोवचए साइए अपजवसिए, वत्थे णं भंते! किं साइए सपजवसिए चउभंगो, गोयमा! वत्थे साइए सपजवसिए अवसेसा तिन्निवि पडिसेहेयन्वा । जहा णं भंते ! वित्थे साइए सपजवसिए नो साइए अपज० नो अणाइए सप० नो अणाइए अपज्जवसिए तहाणं जीवाणं किं साइया सपज्जवसिया? चउभंगो पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइया साइया सपज्जवसिया चत्तारिवि भाणियव्वा । से केणठेणं० ?, गोयमा! नेरइया तिरिक्खजोणिया मणुस्सा देवा गइरागइं पडुच्च साइया सप. जवसिया सिद्धि (द्धा) गई पडुच्च साइया अपज्जवसिया, भवसिद्धिया लद्धिं पडुच्च अणाइया सपज्जवसिया अभवसिद्धिया संसारं पडुच अणाइया अपज्जवसिया, से तेगटेणं० ॥ २३४ ॥ कइ णं भंते ! कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ?, गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ प०, तंजहा-णाणावरणिजं दरिसणावरणिज्जं जाव अंतराइयं । नाणावरणिजस्स णं भंते! कम्मस्स केवइयं कालं वंधठिई प.०?, गोयमा ! जह० अंतोमुहत्तं उक्लो. तीसं सांगरोवमकोडाकोडीओ तिन्नि य वाससहस्साई अवाहा अवाहणिया कम्मट्टिई कम्मनिसेओ, एवं दरिसणावरणिजंपि, वेदणिज्ज जह० दी समया उक्लो० जहा नाणावरणिज, मोहणिज जह० अंतोमुहुत्तं उक्नो० सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीओ, सत्त य वाससहस्साणि अबाहा, अवाहूणिया कम्मठिई कम्मानसेगो, आउगं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उदो० तेत्तीसं सांगरोवमाणि पुवकोडितिभागमभहियाणि, (पुवकोडितिभागो अवाहा, अबाहूणिया) कम्मढ़िई कम्मनिसेओ, नामगोयाणं जह० अट्ठ मुहुत्ता उक्नो० वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ दोणि य वाससहस्साणि अवाहा, अवाहूणिया कम्मेट्टिई कम्मनिसेओ, अंतराइयं जहा नाणावरणिज्ज ॥ २३५ ॥ नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्मं किं इत्थी बंधइ पुरिसो बंधइ नपुंसओ बंधइ ? णोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसओ वंधइ ? गोयमा! इत्थीवि बंधइ पुरिसोवि बंधइ नपुंसओवि बंधइ नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसओ सिय बंधइ सिय नो बंधड एवं आउगवजाओ सत्त कम्मप्पगडीओ ॥ आउगं णं भंते ! कम्मं किं इत्थी बंधइ पुरिसो बंधइ नपुंसओ वंधइ० ? पुच्छा, गोयमा! इत्थी सिय बंधइ सिय नो बंधइ, एवं तिन्निवि भाणियव्वा, नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसओ न वंधइ॥ णाणावरणिज्नं गं भंते ! कम्मं किं संजए वंधइ असंजए० एवं संजयासंजए बंधई Page #547 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पिं० प० स० ६ उ० ३ ] सुत्तागमे नोसंजएनो असंजएनोसंजया संजए बंधइ ?, गोयमा ! संजएं सिय बंधड़ सिय नो बंध असंजए बंधइ संजया संजएवि बंधइ नोसंजएनोंअसंजएनोसंजयासंजए न as, एवं आउगवजाओ संत्तवि, आउगे हेडिला तिन्नि भयणाए उवरिले ण वंधइ ॥ णाणावरणिज्जं णं भंते ! कम्मं किं सम्मदिट्ठी बंधइ मिच्छादिट्ठी बंधइ सम्मामिच्छदिट्ठी बंधइ ?, गोयमा ! सम्मद्दिट्टी सिय बंधइ सिय नो बंधइ, मिच्छदिट्ठी बंधइ सम्मामिच्छेदिट्ठी बंधई, एवं आउगवजाओ सत्तवि, आउए हेडिंला दो भयणाए सम्मामिच्छदिडी न बंधइ ॥ णाणावरणिजं किं सण्णी बंधई असन्नी वंधइ नोसण्णीनोअसण्णी बंधइ ?, गोयमा ! सन्नी सिय बंधइ सिय नो बंधइ असन्नी बंधइ नोसन्नीनो असन्नी न वंधइ, एवं वेदणिजाउगवजाओं छ कम्मप्पगडीओ, वेदणिज्जं हेडिया दो बंधति, उवारले भयणाए, आउगं हेहिला दो भयणाए, उवरिलो न वंधइ ॥ णाणावरणिज्जं कम्मं किं भवसिद्धिए बंधइ अभवसिद्धिएं बंधइ नोभवसिद्धिएनोअभवसिद्धिए वंधइ ?, गोयमा ! भवसिद्धिए भयणाए अभवसिद्धिए बंधइ नोभवसिद्धिएनोअभवसिद्धिए न बंबइ, एवं आउगवजाओ सत्तवि, आउगं हेडिलां दो भयणाए उवरिल्लो न वंधइ ॥ णाणावरणिजं किं चक्खुदंसणी बंध अचक्खु - दंस • ओहिदंस • केवलदं० ?, गोयमा ! हे हिला तिन्नि भयणाए उवरिले ण वंधइ, एवं वेदणिज्जवज्जाओ सत्तवि, वेदणिजं हेडिला तिन्नि बंधति केवलदंसणी भयणाए ॥ णाणावरणिज्जं कम्मं किं पजत्तओ बंधड़ अपज्जत्तओ बंधइ नोपजत्तएनो अपजत्तए बंधई ?, गोयमा । पजत्तए भयणाए, अपजत्तए बंधइ, नोपजत्तएनोअपज्जत्तए न ० 4 , एवं आउगवजाओ, आउगं हे हिला दो भयणाए उवरिल्ले ण वंधइ ॥ नाणावरणिजं किं भासए बंधइ अभासए० ?, गोयमा ! दोवि भयणाए, एवं वेयणिज्ज - वज्जाओ सत्त, वेदणिज्जं भासए बंधइ अभासए भयणाए ॥ णाणावरणिजं किं परित् बंध अपरिते बंधइ नोपरित्तेनोअपरित्ते वंधइ ?, गोयमा ! परित्ते भयणाए अपरि बंधइ नोपरित्तेनोअपारत्ते न बंधइ, एवं आउगवजाओ सत्त कम्मप्पगडीओ, आउए परित्तोवि अपरित्तोवि भयणाए, नोपरित्तोनोअपरित्तो न वंधइ ॥ णाणावरणिज्जं कम्मं किं आभिणिवोहियनाणी बंधइ सुयनाणी ओहिनाणी मणपजवनाणी केवलनाणी वं० ?, गोयमा ! हेडिला चत्तारि भयणाए केवलनाणी न बंधइ, एवं वेदणिज - वज्जाओ सत्तवि, वेदणिजं हेट्ठिल्ला चत्तारि वंधति केवलनाणी भयणाए । णाणावरणिजं किं मइअन्नाणी बंधइ सुय० विभंग० ?, गोयमा ! (सव्वेवि ) आउगवजाओ सत्तवि वंधंति, आउगं भयणाए ॥ णाणावरणिजं किं मणजोगी बंधइ वय० काय० अजोगी वंधइ ?, गोयमा ! हेडिका तिन्नि भयणाए अजोगी न वंधइ, एवं वेदणिज f ४९५ Page #548 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९६ . सुत्तागमे .. . [भगवई वंजाओ, वेदणिज्ज हेछिल्ला बंधति अजोगी न बंधइ ॥ णाणावरणिजं किंसागारो. ,वउत्ते बंधइ अणागारोवउत्ते वंधइ ?, गोयमा ! असुवि भयणाए ॥णाणावरणिज्ज किं आहारए वंधइ अणाहारए बंधइ ?, गोयमा ! दोवि भयणाए, एवं वेदणिजा. उगवजाणं छण्हं, वेदणिज्ज आहारए बंधइ अणाहारए भयणाए, आउए आहारए, भयणाए, अणाहारए न वंधइ ॥णाणावरणिजं किं सुहुमे बंधइ वायरे बंधइ नोसहुमेनोवादरे बंधइ ?, गोयमा ! सुहुमे बंधइ बायरे भयणाए नोसहुमेनोबादरे न वंधइ, एवं आउगवजाओ संत्तवि, आउए सहमे वायरे भयणाए नोसहुमेनोबायरे ण वंधइ॥णाणावरणिनं किं चरिमे अचरिमे वं० १, गोयमा ! अट्ठवि भयणाए ॥२३६॥ एएसि णं भंते ! जीवाणं इत्थिवेदगाणं पुरिसवेदगाणं नपुंसगवेदगाणं अवेयगाण य कयरे, २ अप्पा वा ४?, गोयमा । सव्वत्थोवा जीवा पुरिसवेदगा इत्थिवेदगा संखेजगुणा अवेदगा अणंतगुणा नपुंसगवेदगा अणंतगुणा ॥ एएसिं सव्वेसि पदाणं अप्पबहुगाई उच्चारेयव्वाइं जाव सव्वत्थोवा जीवा अचरिमा चरिमा अणंतगुणा । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ २३७ ॥ छट्टसए तइओ उद्देसो समत्तो॥ ___ जीवे णं भंते । कालाएसेणं कि सपदेसे अपदेसे ?, गोयमा! नियमा सपदेसे । नेरइए णं भंते ! कालादेसेगं कि सपदेसे अपदेसे ?, गोयमा ! सिय सपदेसे सिय अपदेसे, एवं जाव सिद्धे । जीवा णं भंते ! कालादेसेणं किं सपदेसा अपदेसा?, गोयमा ! नियमा सपदेसा । नेरइया णं भंते ! कालादेसेणं किं सपदेसा-अपदेसा?, गोयमा !सव्वेवि ताव होजा सपदेसा १ अहवा सपएसा. य अपदेसे य २ अहवा सपदेसा य अपंदेसा य ३, एवं जाव थणियकुमारा ॥ पुढविकाइया णं भंते ! किं सपदेसा अपदेसा?, गोयमा! सपदेसावि अपदेसावि, एवं जाव वणप्फइकाइया; सेसा जहा नेरइया तहा जाव सिद्धा ॥ आहारगाणं जीवेगेंदियवजो तियभंगो, अणाहारगाणं जीवेगिंदियवज्जा छब्भंगा एवं भाणियव्वा-सपदेसा वा १ अपएसा वा २ अहवा सपदेसे य अपदेसे य ३ अहवा सपदेसे-य अपदेसा य ४ अहवा सपदेसा थ अपदेसे य ५ अहवा सपदेसा य अपदेसा य ६, सिद्धेहिं तियभंगो, भवरिद्धिया अभवसिद्धिया [ भवसिद्धिया] जहा ओहिया, नोभवसिद्धियनोअभवसिद्धियां जीवसिद्धेहिं तियभंगो, सण्णीहिं जीवादिओ तियभंगो, असण्णीहिं एगिदियवज्जो तियभंगो, नेरइयदेवमणुएहिं छन्भंगो, नोसन्निनोअसन्निजीवमणुयसिद्धहिं तियभंगो सलेसा जहा ओहिया ॥ कण्हलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा जहा आहारओ नवरं जस्स अस्थि एयाओ, तेउलेस्साए जीवादिओ तियभंगो, नवरं पुढविकाइएसु आउवणप्फईसु छन्भंगा, पम्हलेसमुक्कलेस्साए जीवादिओ तियभंगो, अलेसीहि Page #549 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ६ उ० ४ ] सुत्तागमे जीवसिद्धेहिं तियभंगो मणुस्से (तु) छन्भंगा, सम्सद्दिट्ठीहिं जीवाइ (य) तियभंगो, विर्गलिंदिएसु छभंगा, मिच्छदिट्ठीहिं एगिदियवज्जो तियभंगो, सम्मा मिच्छदिट्ठीहिं छब्भंगा, संजएहि जीवाइओ तियभंगो, असंजएहिं एगिदियवज्जो तियभंगो, संजया संजएहिं तियभंगो जीवादिओ, नोसंजयनोअसंजयनोसंजयासंजयजीवसिद्धेहिं तियभंगो, सकसाईहिं जीवादिओ तियभंगो, एगिदिए अभंगयं, कोहकसाईहिं जीवएगिदियवज्जो तियभंगो, देवेहिं छब्भंगा, माणकसाई माया कसाई जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो, नेरइयदेवेहिं छभंगा, लोभकसाईहिं जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो, नेरइएसु छन्भंगा, अक्साईजी - वमणुएहिं सिद्धेहिं तियभंगो, ओहियनाणे आभिणिवोहियनाणे सुयनाणे जीवादिओ तियभंगो, विगलिदिएहिं छन्भंगा, ओहिनाणे मण० केवलनाणे जीवादिओ तियभंगो, ओहिए अन्नाणे मइअण्णाणे सुयअण्णाणे एगिंदियवज्जो तियभंगो, विभंगनाणे जीवादिओ तियभंगो, सजोगी जहा ओहिओ, मणजोगी वयजोगी कायजोगी जीवादिओ तियभंगो नवरं कायजोगी एगिंदिया तेसु अभंगयं, अजोगी जहा अलेसा, सागारोवउत्ते अणागारोवउत्ते जीवएगिंदियवज्जो तियभंगो, सवेयगा य जहा सकसाई, इत्थवेयगपुरिसवेयगनपुंसगवेयगेसु जीवादिओ तियभंगो, नवरं नपुंसगवेदे एगिदिएस अभंगयं, अवेयगा जहा अकसाई, ससरीरी जहा ओहिओ, ओरालियवेउव्वियसरीराणं जीवएगिंदियवज्जो तियभंगो, आहारगसरीरे जीवमणुएसु छन्भंगा, तेयगकम्मगाणं जहा ओहिया, असरीरेहिं जीवसिद्धेहिं तियभंगो, आहारपजत्तीए सरीरपज्जत्तीए इंदियपज्जत्तीए आणापाणुपज्जत्तीए जीवएगिंदियवज्जो तियभंगो, भासा - मणपजत्तीए जहा सण्णी, आहारअपजत्तीए जहा अणाहारगा, सरीरअपजत्तीए इंदिय अपज्जत्ती आणापाणअपजत्तीए जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो, नेरइयदेवमणुए हिं छव्भंगा, भासामणअपज्जत्तीए जीवादिओ तियभंगो, णेरइयदेवमणुएहिं छन्संगा ॥ गाहा-सपदेसा आहारगभवियसन्निलेस्सा दिट्ठी संजयकसाए । णाणे जोगुवओगे वेढे य सरीरपजत्ती ॥ १ ॥ २३८ ॥ जीवा णं भंते! कि पञ्चक्खाणी अपचक्खाणी पञ्चक्खाणापच्चक्खाणी ?, गोयमा ! जीवा पचक्खाणीवि अपच्चक्खाणीवि पच्चक्खाणापच्चक्खाणीवि । सव्वजीवाणं एवं पुच्छा, गोयमा ! नेरइया अपच्चक्खाणी जाव चउरिंदिया, सेसा दो डिसेहेयव्वा, पंचेंदियतिरिक्खजोणिया नो पञ्चक्खाणी अपच्चक्खाणीवि पच्चक्खाणापच्चक्खाणीवि, मणुस्सा तिन्निवि, सेसा जहा नेरइया ॥ जीवाणं भंते! कि पच्चक्खाणं जाणंति अपचक्खाणं जाणंति पच्चक्खाणापच्चक्खाणं जाति ?, गोयमा ! जे पंचेंदिया ते तिन्निवि जाणंति अवसेसा पच्चक्खाणं न जाणंति ३ ॥ जीवाणं भंते ! कि पञ्चक्खाणं कुव्वंति अपच्चक्खाणं कुव्वंति पच्चक्खाणापच्चक्खाणं ३२ सुत्ता० ४९७ Page #550 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९८ सुत्तागमे [भगवई कुवंति ?, जहा ओहिया तहा कुव्वणा ॥ जीवा णं भंते ! किं पञ्चक्खाणनिध्वत्तियाउया अपञ्चक्खाणणि० पञ्चक्खाणापञ्चक्खाणनि० १, गोयमा ! जीवा य वैमाणिया य पच्चक्खाणणिन्वत्तियाउया तिन्निवि अवसेसा अपञ्चक्वाणनिव्वत्तियाउया । पचक्खाणं १ जाणइ २ कुव्वंति ३ तिन्न(तेणे)व आउनिव्वत्ती ४ । सपदेमुद्देसंमि य एमेए दंडगा चउरो ॥ १ ॥ २३९ ॥ सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ छट्टे सए चउत्थो उद्देसो समत्तो॥ किमियं भंते ! तमुक्काएत्ति पवुच्चइ कि पुढवी तमुकाएत्ति पवुनड आऊ तमुक्काएत्ति पवुच्चइ ? गोयमा । नो पुढवी तमुक्काएत्ति पचुच्चइ आऊ तमुक्काएत्ति पबुच्चइ । से केणटेणं ?, गोयमा! पुढविकाए णं अत्थेगइए नुमे देसं पकासेइ अत्थेगइए देसं नो पकासेइ, से तेणढेगं० । तमुकाए णं भंते ! कहिं समुहिए कहिं संनिहिए., गोयमा ! जंबुद्दीवस्स २ वहिया तिरियमसंखेजे दीवसमुद्दे वीईवइत्ता अरुणवरस्स दीवस्स वाहिरिल्लाओ वेइयन्ताओ अरुणोदयं समुई वायालीसं जोयणसहस्साणि ओगाहित्ता उवरिल्लाओ जलंताओ एगपदेसियाए सेढीए इत्थ णं तमुक्काए समुहिए, सत्तरस एकवीसे जोयणसए उर्दू उप्पइत्ता तओ पच्छा तिरियं पवित्थरमाणे २ सोहम्मीसाणसणंकुमारमाहिदे चत्तारिवि कप्पे आवरित्ता णं उर्द्धपि य णं जाव बंभलोगे कप्पे रिट्ठविमाणपत्थडं संपत्ते एत्थ णं तमुक्काए णं संनिहिए ॥ तमुक्काए णं भंते ! किसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा! अहे मल्लगमूलसंठिए उप्पि कुकडगपंजरगसंठिए पग्णत्ते ॥ तमुकाए णं भंते ! केवइयं विक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पण्णत्ते , गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-संखेजवित्थडे य असंखेजवित्थडे य, तत्थ णं जे से संखेजवित्थडे से णं संखेजाइं जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं प०, तत्थ णं जे से असंखेजवित्थडे से णं असंखेजाइं जोयणसहस्साई विक्खंभेणं असंखेजाइं जोयणसहस्साइं परिक्खेवेणं प० । तमुक्काए णं भंते ! केमहालए प० ?, गोयमा ! अयं णं जंबुद्दीवे २ सव्वदीवसमुदाणं सव्वमंतराए जाव परिक्खेवेणं पण्णत्ते ॥ देवे णं महिड्डिए जाव महाणुभावे इणामेव २ त्तिकट्ठ केवलकप्पं जंबुद्दीवं २ तिहिं अच्छरानिवाएहि तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छिज्जा से णं देवे ताए उकिट्ठाए तुरियाए जाव देवगईए वीईवयमाणे २ जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा उक्नोसेणं छम्मासे वीईवएजा अत्थेगइए(य) तमुक्कायं वीईवएजा अत्थेगइए नो तमुकायं वीईवएजा, एमहालए णं गोयमा ! तमुक्काए पन्नत्ते । अत्थि णं भंते ! तमुक्काए गेहाइ वा गेहावणाइ वा ?, णो तिण? समढे, अत्थि णं भंते ! तमुक्काए गामाइ वा जाव संनिवेसाइ वा ?, णो तिण? Page #551 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० ६ उ०५] सुत्तागमे . ४९९ समहे । अत्थि णं भंते ! तमुक्काए ओराला वलाहया संसेयंति संमुच्छंति वासं वासंति वा?, हंता ! अत्थि, तं भंते ! किं देवो पकरेइ असुरो पकरेइ नागो पकरेइ ?, गोयमा ! देवोवि पकरेइ असुरोचि पकरेइ णागोवि पकरेइ । अस्थि णं भंते ! तमुक्काए वादरे थणियसद्दे वायरे विजए ?, हंता ! अत्थि, तंभंते ! किं देवो पकरेइ ३१, तिन्निवि पकरेन्ति, अत्थि णं भंते ! तमुक्काए वायरे पुढविकाए वादरे अगणिकाए ?, णो तिणढे समढे णण्णत्य विग्गहगइसमावन्नएणं । अत्यि णं भंते । तमुक्काए चंदिमसूरियगहगणणक्खत्ततारारुवा ?, णो तिर्णद्वे समढे, पलियस्सतो पुण अस्थि । अत्थि णं भंते ! तमुक्काए चंदाभाइ वा सूराभाइ वा ?, णो तिणढे समढे, काइसणिया पुण सा । तमुकाए णं भंते । केरिसए वन्नेणं पण्णत्ते ?, गोयमा ! काले कालावभासे गंभीरलोमहरिसजणणे भीमे उत्तासणए परमकिण्हे वन्नेणं पण्णत्ते, देवेवि णं अत्थेगइए जेणं तप्पढमयाए पासित्ता णं खुभाएजा अहे णं अभिसमागच्छेज्जा तओ पच्छा सीहं २ तुरियं २ खिप्पामेव वीईवएज्जा ॥ तमुक्कायस्स णं भंते ! कइ नामधेना पण्णत्ता ?, गोयमा! तेरस नामधेजा पण्णत्ता, तंजहातमेइ वा तमुक्काएइ वा अंधकारेइ वा महंधकारेइ वा लोगंधकारेइ वा लोगतमिस्सेइ वा देवंधकारेइ वा देवतमिस्सेइ वा देवारनेइ वा देववूहेइ वा देवफलिहेइ वा देवपडिक्खोभेइ वा अरुणोदएइ वा समुद्दे ॥ तमुक्काए णं भंते ! किं पुढविपरिणामे आउपरिणामे जीवपरिणामे पोग्गलपरिणामे ?, गोयमा ! नो पुढविपरिणामे आउपरिणामेवि जीवपरिणामेवि पोग्गलपरिणामेवि । तमुक्काए णं भंते ! सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता पुढविकाइयत्ताए जाव तसकाइयत्ताए उववन्नपुव्वा ?, हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो णो चेव णं बादरपुडविकाइयत्ताए वादरअगणिकाइयत्ताए वा ॥ २४० ॥ कइ णं भंते ! कण्हराईओ पण्णत्ताओ?, गोयमा अट्ठ कण्हराईओ पण्णत्ताओ। कहि णं भंते ! एयाओ अट्ठ कण्हराईओ पण्णत्ताओ, गोयमा ! उप्पि सणकुमारमाहिंदाणं कप्पाणं हिहिं वंभलोए कप्पे रिठे विमाणे पत्थडे, एत्थ णं अक्खाडगसमचउरंससंठाणसंठियाओ अट्ठ कण्हराईओ पण्णत्ताओ, तंजहापुरच्छिमेणं दो पञ्चत्थिमेणं दो दाहिणेणं दो उत्तरेणं दो, पुरच्छिमभंतरा कण्हराई दाहिणं वाहिरं कण्हराइं पुट्ठा दाहिणमंतरा कण्हराई पचत्थिमवाहिरं कण्हराइं पुट्ठा पञ्चत्यिमभंतरा कण्हराई उत्तरवाहिरं कण्हराइं पुट्ठा उत्तरमभंतरा कण्हराई पुरच्छिमवाहिरं कण्हराइं पुट्ठा, दो पुरच्छिमपञ्चत्थिमाओ वाहिराओ कण्हराईओ छलंसाओ दो उत्तरदाहिणवाहिराओ कण्हराईओ तंसाओ दो पुरच्छिमपञ्चत्थिमाओ अभितराओ कण्हराईओ चउरंसाओ दो उत्तरदाहिणाओ अभितराओ कण्हरा Page #552 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई T ईओ चउरंसाओ 'पुव्वावरा छलंसा तसा पुण दाहिणुत्तरा वज्झा । अभंतर ( अवसेसा) चउरंसा सव्वावि य कण्हराईओ ॥ १ ॥ कण्हराईओ णं भंते! केवइयं आयामेणं केवइयं विक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेजाई जोयणसहस्साईं आया मेणं असंखेज्जाई जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं असंखेजाई जोयणसहस्साइं परिक्खेवेणं पण्णत्ताओ । कण्हराईओ णं भंते! केमहालियाओ पण्णत्ता ? गोयमा ! अयण्णं जंबुद्दीवे २ जाव अ ( g ) मासं वीईवएजा अत्थेगइयं कण्हराईं वीईवएज्जा अत्थेगइयं कण्हराई णो वीईवएज्जा, एमहालियाओ णं गोयमा ! कण्हराईओ पण्णत्ताओ । अस्थि णं भंते ! कण्हराईसु गेहाइ वा गेहावणाइ वा ?, नो तिणट्टे समट्ठे । अत्थि णं भंते ! कण्हराईसु गामाइ वा० ?, णो तिणट्ठे समट्ठे । अत्थि णं भंते । कण्ह० ओराला बलाहया संमुच्छंति ३ ?, हंता ! अत्थि, तं भंते ! किं देवो प० ३१, गो० देवो पकरेइ नो सुरो नो नागो य । अत्थि णं भंते ! कण्हराईसु बादरे थणियसद्दे जहा ओराला तहा । अत्थि णं भंते ! कण्हराईए बादरे आउकाए बादरे अगणिकाए वायरे वणप्फइकाए ?, णो तिणट्ठे समट्ठे, णण्णत्थ विग्गहगइसमावन्नएणं । अत्थि णं० चंदिमसूरिय ४ प० ?, णो तिण० । अस्थि णं कण्ह० चंदाभाइ वा २ १, णो तिणट्ठे समट्ठे । कण्हराईओ णं भंते! केरिसियाओ वन्नेणं पन्नत्ताओ ?, गोयमा ! कालाओ जाव खिप्पामेव वीईवएजा । कण्हराईओ णं भंते! कइ नामधेज्जा पण्णत्ता ? गोयसा ! अट्ठ नामधेजा पण्णत्ता, तंजहाकण्हराइत्ति वा मेहराईइ वा मघावई ( घे) इ वा माघवईइ वा वायफलिहेइ वा वायपलिक्खोभेइ वा देवफलिहेइ वा देवपलिक्खोभेइ वा, कण्हराईओ णं भंते ! किं पुढविपरिणामाओ आउपरिणामाओ जीवपरिणामाओ पोग्गलपरिणामाओ ?, गोयमा ! पुढविपरिणामाओ नो आउपरिणामाओ जीवपरिणामाओवि पोग्गलपरिणामाओवि । कण्हराईसु णं भंते ! सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता उववन्नपुव्वा ?, हंता गोयमा ! असई अदुवा अनंतखत्तो नो चेव णं बादरआउकाइयत्ताए बादरअगणिकाइयत्ताए वा बादरवणप्फइकाइयत्ताए वा ॥ २४१ ॥ एएसि णं अट्टहं कण्हराईणं अट्ठसु उवासंतरेसु अट्ठ लोगंतियविमाणा पण्णत्ता, तंजहा - १ अच्ची २ अचिमाली ३ वइरोयणे - ४ पभंकरे ५ चंदाभे ६ सूराभे ७ सुक्काभे ८ सुपइट्टाभे ९ मज्झे रिट्ठा । कहि णं भंते ! अच्चिविमाणे प० ?, गोयमा ! उत्तरपुरच्छिमेणं, कहि णं भंते ! अचिमालिविमाणे प० ?; गोयमा ! पुरच्छिमेणं, एवं परिवाडीए नेयव्वं जाव कहि णं भंते ! रिट्ठे विमाणे पण्णत्ते ?, गोयमा ! बहुमज्झदेसभागे । एएसु णं अट्ठसु लोगंति - यविमाणेसु अट्ठविहा लोगंतियदेवा परिवसंति, तंजहा - सारस्सयमाइच्चा व‍ही वरुणा ५०० Page #553 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ६ उ० ६] । सुत्तागमे य गद्दतोया य । तुसिया अव्वाबाहा अग्गिचा चेव रिहा य ॥१॥ कहि णं भंते ! सारस्सया देवा परिवसंति ?, गोयमा ! अन्चिविमाणे परिवसंति, कहि णं भंते! आइचा देवा परिवसंति ?, गोयमा! अच्चिमालिविमाणे, एवं नेयव्वं जहाणुपुवीए जाव कहि णं भंते ! रिहा देवा परिवसंति ?, गोयमा! रिट्ठविमाणे ॥ सारस्सयमाइच्चाणं भंते ! देवाणं कइ देवा कइ देवसया पण्णत्ता ?, गोयमा ! सत्त देवा सत्त देवसया परिवारो पण्णत्तो, वण्हीवरुणाणं देवाणं चउद्दस देवा चउद्दस देवसहस्सा परिवारो पण्णत्तो, गद्दतोयतुसियाणं देवाणं सत्त देवा सत्त देवसहस्सा पण्णत्ता, अवसेसाणं नव देवा नव देवसया पण्णत्ता-'पढमजुगलम्मि सत्त उ सयाणि वीयमि चोइससहस्सा। तइए सत्तसहस्सा नव चेव सयाणि सेसेसु ॥ १॥' लोगंतियविमाणा णं भंते ! किपइट्ठिया पण्णत्ता ?, गोयमा ! वाउपइट्ठिया तदुभयपइट्ठिया प०, एवं नेयव्वं-"विमाणाणं पइहाणं वाहल्लुच्चत्तमेव संठाणं ।' वंभलोयवत्तव्वया नेयव्वा [जहा जीवाभिगमे देवुद्देसए] जाव हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो । नो चेवणं देवित्ताए। लोगंतियविमाणेसु णं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?, गोयमा ! अट्ठ सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता । लोगंतियविमाणेहिंतो णं भंते ! केवइयं अवाहाए लोगंते पण्णत्ते ?, गोयमा! असंखेजाइं जोयणसहस्साई अवाहाए लोगंते पण्णत्ते । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ २४२ ॥ छहसए पंचमो उद्देसओ समत्तो। कइ णं भंते ! पुढवीओ पण्णत्ताओ?, गोयमा! सत्त पुढवीओ पण्णत्ताओ, तंजहा-रयणप्पभा जाव तमतमा, रयणप्पभाईणं आवासा भाणियव्वा (जाव) अहेसत्तमाए, एवं जे जत्तिया आवासा ते भाणियव्वा जाव कइ णं भंते ! अणुत्तरविमाणा पण्णत्ता ?, गोयमा! पंच अणुत्तरविमाणा पण्णत्ता, तंजहा-विजए जाव सव्वट्ठसिद्धे ॥ २४३ ॥ जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहए समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु अन्नयरंसि 'निरयावासंसि नेरइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते ! तत्थगए चेव आहारेज वा परिणामेज वा सरीरं वा वंधेजा ?, गोयमा ! अत्थेगइए तत्थगए चेव आहारेज वा परिणामेज वा सरीरं वा बंधेजा अत्थेगइए तओ पडिनियत्तइ, तओ पडिनियत्तित्ता इहमागच्छइ २ दोचपि मारणंतियसमुग्धाएणं समोहणइ २ इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु अन्नयरंसि निरयावासंसि नेरइयत्ताए उववजित्तए, तओ पच्छा आहारेज वा परिणामेज वा सरीरं वा बंधेजा एवं जाव अहेसत्तमा पुढवी । जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहए २ जे भविए चउसट्ठीए असुरकुमारावाससयसहस्सेसु अन्नयरंसि असुरकुमारावासंसि असु. Page #554 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे. ५०२ - [ भगवई रकुमारत्ताए उववज्जित्तए जहा नेरइया तहा भाणियव्वा जाव थणियकुमारा । जीवे गं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहए २ जे भविए असंखेजेसु पुढविकाइयावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि पुढविकाइयावासंसि पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते ! मंदरस्स पव्वयरस पुरच्छिमेणं केवइयं गच्छेजा केवइयं पाउणेजा ?, गोयमा ! लोयंतं गच्छेज्जा लोयंतं पाउणिज्जा, से णं भंते ! तत्थगए चेव आहारेज्ज वा परिणामेज वा सरीरं वा बंधेज्जा ?, गोयमा! अत्थेगइए तत्थगए चेव आहारेज वा परिणामेज वा सरीरं वा बंधेजा अत्थेगइए तओ पडिनियत्तइ २ त्ता इह हव्वमागच्छइ २ त्ता दोचंपि मारणंतियसमुग्धाएणं समोहणइ २ त्ता मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेगं अंगुलस्स असंखेजभागमेत्तं वा संखेज्जइभागमेत्तं वा वालग्गं वा वालग्गपुहुत्तं वा एवं लिक्खं जूयं जवं अंगुलं जाव जोयणकोडि वा जोयणकोडाकोडिं वा संखेजेसु वा असंखेज्जेसु वा जोयणसहस्सेसु लोगते वा एगपदेसियं सेटिं मोत्तूण असंखेज्जेसु पुढविकाइयावाससयसहस्सेसु अन्नयरंसि पुढविकाइयावासंसि पुढविकाइयत्ताए उववजेत्ता तओ पच्छा आहारेज वा परिणामेज वा सरीरं वा वंधेजा, जहा पुरच्छिमेणं मंदरस्स पव्वयस्स आलावओ भणिओ एवं दाहिणेणं पचत्थिमेणं उत्तरेण उड्ने अहे, जहा पुढविकाइया तहा एगिदियाणं सव्वेसि, एक्केकस्स छ आलावया भाणियव्वा । जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहए २ त्ता जे भविए असंखेज्जेसु वेदियावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि बेदियावासंसि बेइंदियत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! तत्यगए चेव जहा नेरइया, एवं जाव अणुत्तरोववाइया । जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहए २ जे भविए एवं पंचसु अणुत्तरेसु महइमहालएसु महाविमाणेसु अन्नयरंसि अणुत्तरविमाणंसि अणुत्तरोववाइयदेवत्ताए उववज्जित्तए; से णं भंते ! तत्यगए चेव जाव आहारेज वा परिणामेज वा सरीरं वा बंधेजा ?० । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥२४४॥ पढविउद्देसो समत्तो। छठसए छट्टो उद्देसो समत्तो॥ अह णं भंते ! सालीणं वीहीणं गोधूमाणं जवाणं जवजवाणं एएसि णं धन्नाणं कोहाउत्ताणं पल्लाउत्ताणं मंचाउत्ताणं मालाउत्ताणं उल्लित्तागं लित्ताणं पिहियाणं मुद्दियाणं लंछियाणं केवइयं कालं जोणी संचिठ्ठइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उनोसेणं तिन्नि संवच्छराइं तेण परं जोणी पमिलायइ तेण परं जोणी पविद्धंसइ तेण परं बीए अबीए भवइ तेण परं जोणीवोच्छेदे पन्नत्ते समणाउसो! । अह भंते ! कलायमसूरतिलमुग्गमासनिप्फावकुलत्थआलिसंदगसतीणपलिमंथगमाईणं एएसि णं धन्नाणं जहा सालीणं तहा एयाणिवि, नवरं पंच संवच्छराई, सेसं तं चेव । अह Page #555 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ६ उ० ७ ] सुत्तागमे ५०३ भंते ! अयसिकुसुंभगकोदवकंगुवरगरालगकोदूसगसणसरिसवमूलगवीयमाईणं एएसि णं धन्नाणं, एयाणिवि तहेव,, नवरं सन संवच्छराई, सेसं तं चेव ॥ २४५ ॥ एगमेगस्स णं भंते ! मुहुत्तस्स केवइया ऊसासद्धा वियाहिया ?, गोयमा ! असंखेजाणं समयाणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा आवलियत्ति पवुच्चइ, संखेज्जा आवलिया ऊसासो संखेज्जा आवलिया निस्तासो-हवस्स अणवगल्लस्स, निरुवकिट्ठस्स जंतुणो । एगे ऊसासनीसासे, एस पाणुत्ति बुचइ ॥ १ ॥ सत्त पाणूणि से थोवे, सत्त थोवाइं से लवे । लवाणं सत्तहत्तरिए, एस मुहुत्ते वियाहिए ॥ २ ॥ तिन्नि सहस्सा सत्त य सयाई तेवत्तरिं च ऊसासा । एस मुहुत्तो दिवो सव्वेहि अणंतनाणीहि ॥ ३ ॥ एएणं मुहुत्तपमाणेणं तीसमुहुत्तो अहोरत्तो, पन्नरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासे, दो मासा उऊ, तिन्नि उउए अयणे, दो अयणे संवच्छरे, पंचसंवच्छरिए जुगे, वीसं जुगाई वाससयं, दस वाससयाई वाससहस्सं, सयं वाससहस्साई वाससयसहस्सं, चउरासीइ वाससयसहस्साणि से एगे पुव्वंगे, चउरासीइ पुव्वंगसयसहस्साई से एगे पुव्वे, [ एवं पुव्वे ] २ तुडिए २ अडडे २ अववे २ हुहुए २ उप्पले २ पउमे २ नलिणे २ अच्छणिउरे २ अउए २ पउए य २ नउए य २ चूलिया २ सीसपहेलिया २ एताव ताव गणिए एताव ताव गणियस्स विसए, तेण परं ? ओवमिए । से किं तं ओवमिए ?, २ दुविहे पण्णत्ते तंजहा पलिओवमे य सागरोवमे य, से किं तं पलिओवमे ? से किं तं सागरोवमे ? ॥ सत्येण सुतिक्षेणवि छेत्तुं भेत्तुं च जं न किरं सका । तं परमाणु सिद्धा वयंति आई पमाणाणं ॥ १ ॥ अणंताणं परमाणुपोग्गलाणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा उस्सण्हसहियाइ वा सण्हसण्हियाइ वा उढरेणूइ वा तसरेणूइ वा रहरेणूइ वा वालरगेइ वा लिक्खाइ वा जूयाइ वा जवमज्झेइ वा अंगुलेइ वा, अट्ठ उस्सण्हसण्हियाओ सा एगा सहसण्हिया, अट्ठ सहसण्हियाओ सा एगा उढरेणू, अट्ठ उडरेणूओ सा एगा तसरेणू, अट्ठ तसरेणूओ सा एगा रहरेणू , अट्ठ रहरेणूओ से एगे देवकुरुउत्तरकुरुगाणं मणूसाणं वालग्गे, एवं हरिवासरम्मगहेमवएरन्नवयाणं पुव्वविदेहाणं मणूसाणं अट्ठ वालग्गा सा एगा लिक्खा, अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूया, अट्ठ जूयाओ से एगे जवमज्झे, अट्ठ जवमज्झाओ से एगे अंगुले, एएणं अंगुलपमाणेण छ अंगुलाणि पाओ, वारस अंगुलाई विहत्थी, चउव्वीसं अंगुलाई रयणी, अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी, छन्नडइ अंगुलाणि से एगे दडेइ वा धणूइ वा जूएइ वा नालियाइ वा अक्खेइ वा मुसलेइ वा, एएणं धणुप्पमाणेणं दो धणुसहस्साई गाउयं, चत्तारि गाउयाई जोयणं, एएणं जोयणप्पमाणेणं जे पल्ले जोयणं आयाम Page #556 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई विक्खंभेणं जोयणं उ8 उच्चत्तेणं तं तिउणं सविसेसं परिरएणं, से णं एगाहियवेयाहियतेयाहिंय उक्कोसं सत्तरत्तप्परूढाणं संमढे संनिचिए भरिए वालग्गकोडीणं [ते], से णं वालग्गे नो अग्गी दहेजा नो वाऊ हरेजा नो कुत्थेजा नो परिविद्धंसेज्जा नो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा, तओ णं वाससए २ एगमेगं वालग्गं अवहाय जाव. इएणं कालेणं से पल्ले ख्रीणे नीरए - निम्मले निट्ठिए निल्लेवे अवहडे विसुद्धे भवइ, से तं पलिओवमे । गाहा-एएसि पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिया । तं सागरोवमस्स उ एक्कस्स भवे परिमाणं ॥१॥ एएणं सागरोवमपमाणेणं चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमसुसमा १ तिन्नि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमा २ दो सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमदुसमा ३ एगा सागरोवमकोडाकोडी वायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिया कालो दुसमसुसमा ४ एकवीसं वाससहस्साई कालो दुसमा ५ एकवीसं वाससहस्साई कालो दुसमदुसमा ६ । पुणरवि ओसप्पिणीए एकवीसं वाससहस्साई कालो दुसमदुसमा १ एकवीसं वाससहस्साई जाव चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमसुसमा, दस सागरोवमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणी दस सागरोवमकोडाकोडीओ कालो उस्सप्पिणी वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणी य उस्सप्पिणी य ॥ २४६ ॥ जंबुद्दीवेणं भंते 1 दीवे इमीसे ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए उत्तमठ्ठपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे होत्था १, गोयमा! वहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था, से जहानामए-आलिंगपुक्खरेइ वा एवं उत्तरकुरुवत्तव्वया नेयव्वा जाव आसयंति सयंति, तीसे णं समाए भारहे वासे तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे ओराला कुद्दाला जाव कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला जाव छव्विहा मणुस्सा अणुसजित्था प०, तं०-पम्हगंधा १ मियगंधा २ अममा ३ तेयली ४ सहा ५ सणिचारी ६ । सेवं भंते ! सेवं भंते ! तिं ॥ २४७ ॥ छठसए सत्तमो उद्देसओ समत्तो॥ कइ णं भंते ! पुढवीओ पन्नत्ताओ?, गोयमा! अट्ठ पुढवीओ पणत्ताओ, तंजहा-रयणप्पभा जाव ईसिप्पव्भारा । अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे गेहाइ वा गेहावणाई वा ?, गोयमा ! णो तिणढे समढे। अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए अहे गामाइ वा जाव संनिवेसाइ वा ? नो तिणहे समढे। अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे उराला वलाहया संसेयंति संमुच्छंति वासं वासंति ?, हंता! अत्थि, तिन्निवि पकरेंति देवोवि पकरेइ असुरोवि प० नागोवि प० । अत्थि णं भंते ! इमीसे रयण० वादरे थणियसद्दे ?; हता! अस्थि, तिन्निति पकरेन्ति । अत्थि ण भंते ! इमीसे रयण० अहे वादरे अगणिकाए?, गोयमा! नो Page #557 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०५ वि०प० स० ६ उ०८] सुत्तागमे तिणढे समढे, नन्नत्य विरगहगडसमावन्नएणं । अस्थि गं भंते ! इमीसे रयण अहे चंदिम जाव तारारूवा?, नो तिगढे समढे । अत्यि गं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए चंदाभाइ वा २ ?, णो इगट्टे समतु, एवं दोच्चाएवि पुढवीए भाणियव्वं, एवं तच्चाएवि भाणियव्वं, नवरं देवोवि पकरेइ असुरोवि पकरेइ णो णागो पकरेइ, चउत्थाएवि एवं नवरं देवो एको पकरेइ नो असुरो० नो नागो पकरेइ, एवं हेछिल्लासु सव्वासु देवो एको पकरेइ । अत्थि णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं कप्पाणं अहे गेहाइ वा २ ? नो इणढे समढे। अत्यि णं भंते ! उसला वलाया ? हंता! अत्थि, देवो पकरेइ असुरोवि पकरेइ नो नाओ पकरेइ, एवं थणियसद्देवि । अत्यि णं भंते ! वायरे पुढविकाए वादरे अगणिकाए ?, णो इणढे समढे, नण्णत्व विग्गहगइसमावन्नएणं । अत्यि णं भंते ! चंदिम० १, णो तिणढे समहे । अत्थि णं भंते ! गामाइ वा० १, णो तिणहे स० । अत्यि णं भंते ! चंदाभाइ वा २१, गोयमा ! णो तिणढे समढे । एवं सणंकुमारमाहिदेसु नवरं देवो एगो पकरेइ । एवं वंभलोएविः। एवं वंभलोगस्स उवरि सव्वहिं देवो पकरेइ, पुच्छियव्वो य, वायरे आउकाए वायरे अगणिकाए वायरे वणस्सइकाए अन्नं तं चेव ॥ गाहा--तमुकाए कप्पपणए अगणी पुढवी य अगणि पुढवीसु । आऊतेउवणस्सइ कप्पुवरिमकण्हराईसु ॥ १॥ ॥ २४८ ।। कइविहे गं भंते ! आउयवंधए पन्नत्ते ?, गोयमा! छव्विहा आउयवंधा पन्नत्ता, तंजहा-जाइनामनिहत्ताउए १ गइनामनिहत्ताउए २ ठिइनामनिहत्ताउए ३ ओगाहणानामनिहत्ताउए ४ पएसनामनिहत्ताउए ५ अणुभागनामनिहत्ताउए ६ दंडओ जाव वेमाणियाणं ॥ जीवा गं भंते ! किं जाइनामनिहत्ता जाव अणुभागनामनिहत्ता ?, गोयमा ! जाइनामनिहत्तावि जाव अणुभागनामनिहत्तावि, दंडओ जाव वेमाणियाणं । जीवा णं भंते ! किं जाइनामनिहत्ताउया जाव अणुभागनामनिहत्ताउया ?, गोयमा ! जाइनामनिहत्ताउयावि जाव अणुभागनामनिहत्ताउयावि, दंडओ जाव वेमाणियाणं । एवं एए दुवालस दंडगा भाणियव्वा । जीवा णं भंते ! किं जाइनामनिहत्ता १ जाइनामनिहत्ताउया २१, १२ । जीवा णं भंते ! किं जाइनामनिउत्ता ३ जाइनामनिउत्ताउया ४ जाइगोयनिहत्ता ५ जाइगोयनिहत्ताउया ६ जाइगोयनिउत्ता ७ जाइगोयनिउत्ताउया ८ जाइणामगोयनिहत्ता ९ जाइणामगोयनिहत्ताउया १० जाइणामगोयनिउत्ता ११? जीवा णं भंते ! किं जाइनामगोयनिउत्ताउया १२ जाव अणुभागनामगोयनिउत्ताउया ?, गोयमा ! जाइनामगोयनिउत्ताउयावि जाव अणुभागनामंगोयनिउत्ताउयावि दंडओ जाव माणियाणं ॥ २४९ ॥ लवणे ण भंते ! संमुद्दे कि उस्सिओदए पत्थडोदए खुभियजले अखु Page #558 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०६ सुत्तागमे [भगवई भियजले ?, गोयमा ! लवणे णं समुद्दे ऊसिओदए नो पत्थडोदए खुभियजले नो अखुभियजले एत्तो आढत्तं जहा जीवाभिगमे जाव से तेण० गोयमा ! वाहिरया णं दीवसमुद्दा पुन्ना पुन्नप्पसाणा वोलट्टलाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिट्ठति संठाणओ एगविहिविहाणा वित्थारओ अणेगविहिविहाणा दुगुणादुगुणप्पमाणओ जाव अस्सि तिरियलोए असंखेज्जा दीवसमुद्दा सयंभुरमणपज्जवसाणा पन्नत्ता समणाउसो!! दीवसमुद्दा णं भंते ! केवइया नामधेजेहिं पन्नत्ता ?, गोयमा! जावड्या लोए सुभा नामा सुभा रूवा सुभा गंधा सुभा रसा सुभा फासा एवझ्या णं दीवसमुद्दा नामधेजेहिं पन्नत्ता, एवं नेयव्वा सुभा नामा उद्धारो परिणामो सव्वजीवाणं । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ २५० ॥ छसयस्त अट्टमो उदेसो समत्तो॥ जीवे णं भंते ! णाणावरणिज कम्मं बंधमाणे कइ कम्मप्पगडीओ बंधइ ?, गोयमा ! सत्तविहवंधए वा अट्ठविहवंधए वा छव्विहवंधए वा, वंधुद्देसो पन्नवणाए नेयन्वो ॥ २५१ ॥ देवे णं भंते । महिड्डिए जाव महाणुभागे वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगवन्नं एगरूवं विउवित्तए ?, गोयमा ! नो तिण8० । देवेणं भंते ! वाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू ? हंता ! पभू, से णं भंते ! किं इहगए पोग्गले 'परियाइत्ता विउव्वइ तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ अन्नत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ ?, गोयमा! नो इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ, तत्थगए 'पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ, नो अन्नत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ, एवं एएणं गमेणं जाव एगवन्नं एगरूवं १ एगवणं अणेगरूवं २ अणेगवन्नं एगरूवं ३ अणेगवन्नं अणेगरूवं ४ चउभंगो । देवे णं भंते ! महिड्डिए जाव महाणुभागे वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू कालयं पोग्गलं नीलगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए नीलगं 'पोग्गलं वा कालगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ?, गोयमा! नो तिणटे समढे, परियाइत्ता पy । से णं भंते ! कि इहगए पोग्गले तं चेव नवरं परिणामेइत्ति भाणियव्वं, एवं कालगपोग्गलं लोहियपोग्गलत्ताए, एवं कालएणं जाव सुनिलं, एवं णीलएणं जाव सुनिलं, एवं लोहियपोग्गलं जाव सुकिलत्ताए, एवं हालिहएणं जाव सुक्किलं, तंजहा-एवं एयाए परिवाडीए गंधरसफास० कक्खडफासपोग्गलं मउयफासपोग्गलताए २ एवं दो दो गल्यलहुय २ सीयउसिण २ णिलुक्ख २, वन्नाइ सव्वत्थ परिणामेइ, आलावगा य दो दो पोग्गले अपरियाइत्ता परियाइत्ता ॥२५२॥ अविसुद्धलेसे णं भंते ! देवे असमोहएणं अप्पाणएणं अविसुद्धलेसं देवं देवि - अन्नयरं जाणइ पासइ १? णो तिणटे समटे, एवं अविसुद्धलेसे देवे असमोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेस देवं ३, २ । अविसुद्धलेसे समोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं ३, ३ । अवि Page #559 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जाणइ ४ महिएणं विसुद्धलेखापाड पासइ । सेवं वि०प० स० ६ उ०१०] सुत्तागमे ५०७ मुद्धलेसे देवे समोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं ३, ४ । अविसुद्धलेसे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेस देवं ३,५ । अविसुद्धलेसे समोहया० विसुद्धलेसं देवं ३, ६ ॥ विसुद्धलेसे असमो० अविमुद्धलेसं देवं ३, १। विसुद्धलेसे असमोहएणं विमुद्धलेसं देवं ३, २ । विसुद्धलेसे णं भंते ! देवे समोहएणं अविमुद्धलेसं देवं ३ जाणइ०१, हंता ! जाणइ०, एवं विसुद्ध० समो० विसुद्धलेसं देवं ३ जाणइ ?, हंता! जाणइ ४ । विमुद्धलेसे समोहयासमोहएणं अविसुद्धलेसं देवं ३, ५ । विसुद्धलेसे समोहयासमोहएणं विसुद्धलेसं देवं ३, ६ । एवं हेलिएहिं अट्ठहिं न जाणइन' पासइ उवरिल्लएहि चउहिं जाणइ पासइ । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ २५३ ॥ छठसए नवमो उद्देसो समत्तो॥ अन्नउत्थिया णं भंते! एवमाइक्खंति जाव परुति जावइया रायगिहे नयरे जीवा एवइयाणं जीवाणं नो चक्किया केइ सुहं वा दुहं वा जाव कोलट्ठिगमायमवि निप्फावमायमवि कलममायमवि मासमायमवि मुग्गमायमवि जूयामायमवि लिक्खामायमवि अभिनिवहेत्ता उवदंसित्तए, से कहमेयं भंते ! एवं १, गोयमा । जन्नं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति जाव मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा । एवमाइक्खामि जाव परवेमि सव्वलोएवि य णं सव्वजीवाणं णो चकिया कोई सुहं वा तं चेव जाव उवदंसित्तए । से केणढेणं?, गोयमा! अयन्नं जंबुद्दीवे २ जाव विसेसाहिए परिक्खेवेगं पन्नत्ते, देवे णं महिड्डिए जाव महाणुभागे एग महं सविलेवणं गंधसमुग्गगं गहाय तं अवहालेइ तं अवद्दालेत्ता जाव इणामेव कट्टु केवलकप्पं जंबुद्दीवं २ तिहिं अच्छरानिवाएहिं तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छेज्जा, से नूगं गोयमा ! से केवलकप्पे जवुद्दीवे २ तेहिं घाणपोग्गलेहि फुडे?, हंता! फुडे, चक्किया णं गोयमा ! केइ तेसिं घाणपोग्गलाण कोलट्ठियामायमवि जाव उवदंसित्तए ?, णो तिणढे समझे, से तेणटेणं जाव उवदंसेत्तए ॥ २५४ ॥ जीवे णं भंते ! जीवे २ जीवे ?, गोयमा ! जीवे ताव नियमा जीवे जीवेवि नियमा जीवे । जीवे णं भंते ! नेरइए नेरइए जीवे , गोयमा ! नेरइए ताव नियमा जीव जीवे पुण सिय नेरइए सिय अनेरइए, जीवे णं भंते ! अमुरकुमारे असुरकुमारे जीवे ?, गोयमा ! असुरकुमारे नाव नियमा जीवे जीवे पुण सिय असुरकुमारे सिय णो असुरकुमारे, एवं दंडओ भाणियव्वो जाव वेमाणियाणं। जीवइ भते! जीवे 'जीवे जीवइ ?, गोयमा ! जीवइ ताव नियमा जीवे जीवे पुण सिय जीवइ सिय नो जीवइ, जीवइ भंते ! नेरइए २ जीवइ ?, गोयमा ! नेरइए ताच नियमा जीवइ २ पुण सिय नेरइए सिय : अनेरइए, एवं दंडओ नेयव्वो जाव वेमाणियाणं । भवसिद्धिए णं भंते ! नेरइए २ भवसिद्धिए ?, गोयमा ! भवसिद्धिए Page #560 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ५०८ सिय नेरइए सिय अनेरइए नेइएऽविय सिय भवसिद्धिए सिय अभवसिद्धिए, एवं दंडओ जाव वेमाणियाणं ॥ २५५ ॥ अन्नउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव परूति एवं खलु सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता एगंतदुक्खं वेयणं वेयंति, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा! जन्नं ते अन्नउत्थिया जाव मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एगतदुक्खं वेयणं वेयंति आहच सायं, अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एगंतसायं वेयणं वेयंति आहच असायं, अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता वेमायाए वेयणं वेयंति आहच सायमसायं । से केणटेणं० ?, गोयमा! नेरइया एगंतदुक्खं वेयणं वेयंति [आहच सायमसायं] आहच सायं, भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिया एगंतसायं वेयणं वेयंति आहच्च असायं, पुढविकाइया जाव मणुस्सा मायाए वेयणं वेयंति आहच्च सायमसायं, से तेणढेणं० ॥ २५६ ॥ नेरइया णं भंते ! जे पोग्गले अत्तमायाए आहारैति ते कि आयसरीरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेंति अणंतरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेंति परंपरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेंति ?, गोयमा! आयसरीरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेति नो अणंतरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेति नो परंपरखेत्तोगाढे, जहा नेरझ्या तहा जाव वेमाणियाणं दंडओ ॥ २५७ ॥ केवली गं भंते ! आया हिं जाणइ पासइ १, गोयमा ! नो तिणद्वे० । से केणद्वेणं १, गोयमा! केवली णं पुरच्छिमेणं मियंपि जाणइ अमियंपि जाणइ जाव निव्वुडे दंसणे केवलिस्स से तेणटेणं० । गाहा-जीवाण सुहं दुक्खं जीवे जीवइ तहेव भविया य । एगंतदुक्खवेयण अत्तमाया य केवली ॥१॥ सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति॥२५८॥ छटुं सयं समत्तं॥ गाहा-आहार १ विरइ २ थावर ३ जीवा ४ पक्खी य ५ आउ ६ अणगारे ७ । छउमत्थ ८ असंवुड ९ अन्नउत्थि १० दस सत्तमंमि सए ॥ १॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव एवं वयासी-जीवे णं भंते ! कं समयमणाहारए भवइ, गोयमा ! पढमे समए सिय आहारए सिय अणाहारए बिइए समए सिय आहारए तिय अणाहारए तइए समए सिय आहारए सिय अणाहारए चउत्थे समए नियमा आहारए, एवं दंडओ, जीवा य एगिदिया य चउत्थे समए सेसा तइए समए । जीवे णं भंते! कं समयं सन्वप्पाहारए भवइ ?, गोयमा! पढमसमयोववन्नए वा चरमसमए भवत्थे वा एत्थ णं जीवे णं सव्वप्पाहारए भवइ, दंडओ भाणियन्वो जाव वैमाणियाणं ॥ २५९ ॥ किंसंठिए णं भते ! लोए पन्नत्ते ?, गोयमा! सुपइठ्ठगसंठिएलोए पन्नत्ते, हेट्ठा विच्छिन्ने जाव उप्पि उद्धृमुइंगागारसंठिए, तेसि च णं Page #561 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० सुत्तागमे सासयसि लोगंसि हेट्ठा विच्छिन्नंसि जाव उप्पि उड्ढमुइंगागारसंठियंसि उप्पन्ननाणदंसणवरे अरहा जिणे केवली जीवेवि जाणइ पासइ अजीवेवि जाणइ पासइ तओ पच्छा सिज्झइ जाव अंतं करेइ ॥ २६० ॥ समणोवासगस्स णं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवासए अच्छमाणस्स तस्स णं संते ! कि इरियावहिया किरिया कज्जइ संपराइया किरिया कजइ ?, गोयमा । समणोवासयस्स णं सामाइयकडस्स समणोवासए अच्छमाणस्स आया अहिगरणीभवइ आयाहिगरणवत्तियं चणं तस्स नो इरियावहिया किरिया कजइ संपराइया किरिया कजइ, से तेणट्टेणं जाव संपराइया० ॥ २६१ ॥ समणोवासगस्स णं भंते ! पुव्वामेव तसपाणसमारंभे पच्चक्खाए भवइ पुढविसमारंभे अपचक्खाए भवइ से य पुढविं खणमाणेऽण्णयरं तसं पाणं विहिंसेजा से णं भंते ! तं वयं अइचरइ ?, णो तिणट्ठे समट्ठे, नो खलु से तस्स अइवायाए आउट्टइ । समणोवासयस्स णं भंते! पुव्वामेव वणस्स समारंभे पच्चक्खाए से य पुढविं खणमाणे अन्नयरस्स रुक्खस्स मूलं छिंदेजा से णं भंते ! तं वयं अइचरइ ?, णो तिणडे समट्ठे, नो खलु तस्स अइवायाए आउट्टइ ॥ २६२ ॥ समणोवासए णं भंते! तहारूवं समणं वा माहणं वा फासुएसणिज्जेगं असणपाणखाइमसाइमेगं पडिलाभेमाणे किं लव्भइ ?, गोयमा ! समगोवासए णं तहारुवं समणं वा जाव पडिलाभेमाणे तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा समाहिं उप्पाएइ, समाहिकारएणं तमेव समाहिं पडिलभइ । समणोवासए णं भंते ! तहारूवं समणं वा जाव प्रडिलाभेमाणे किं चयइ ?, गोयमा ! जीवियं चयइ दुच्चयं चयइ दुक्करं करेइ दुलहं लहइ वोहिं वुज्झइ तओ पच्छा सिज्झइ जाव अंतं करेइ ॥ २६३ ॥ अस्थि णं भंते! अम्मस्स गई पन्नाय ?, हंता ! अस्थि ॥ कहन्नं भंते! अकम्मस्स गई पन्नाय ?, गोयमा । निस्संगयाए निरंगणयाए गइपरिणामेणं वंधण - छेयणयाए निरंधणयाए पुव्चप्पओगेणं अकम्मस्स गई प० ॥ कहन्नं भंते ! निस्संगयाए निरंगणयाए गइपरिणामेणं बंधणछेयणयाए निरंधणयाए पुव्वप्पओगेणं अकम्मस्स गई पन्नायइ ?, से जहानामए - केइ पुरिसे सुक्कं तुवं निच्छिङ्कं निस्वहयंति आणुपुथ्वी परिकम्मेमाणे २ दव्भेहि य कुसेहि य वेढेइ २ अट्टहिं मट्टियालेवेहिं लिंपइ २ उण्हे दलयइ भूई २ सुकं समाणं अत्थाहमतारमपोरसियंसि उदगंसि पक्खिवेज्जा, से नूणं गोयमा ! से तुंबे तेसि अट्ठण्हं मट्टियालेवेणं गुरुयत्ताए भारियताए गुरुसंभारि यत्ताए सलिलतलमइवइत्ता अहे धरणितलपट्टाणे भवइ ?, हंता ! भवइ, अहे गं से तुंबे अट्टहं मट्टियालेवेणं परिक्खएणं धरणितलमइवइत्ता उप्पि सलिलतलपइट्ठाणे भवइ ?, हंता ! भवइ, एवं खलु गोयमा ! निस्संगयाए निरंगण - [० प० स० ७ उ०१] ५०९ Page #562 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [भगवई ५१० सुत्तागमे याए गइपरिणामेणं अकम्मस्स गई पन्नायइ । कहन्नं भंते ! बंधणछेयणयाए अकम्मस्स गई प० ?, गोयमा ! से जहानामए-कलसिवलियाइ वा मुग्गसिंवलियाइ वा माससिंबलियाइ वा सिबलिसिंबलियाइ वा एरंडमिंजियाइ वा उण्हे दिन्ना नुकासेमाणी फुडित्ता णं एगंतमंतं गच्छइ, एवं खलु गोयमा ! ० । कहन्नं भंते ! निरंधणयाए अकम्मस्स गई प० ?, गोयमा ! से जहानामए-धूमस्स इंधणविप्पमुक्कस्स उड़े वीससाए निव्वाघाएणं गई पवत्तइ, एवं खलु गोयमा ! ० । कहन्नं भंते ! पुव्वप्पओगेणं अकम्मस्स गई प० १, गोयमा ! से जहानामए कंडस्स कोदंडविप्पर मुक्कस्स लक्खाभिमुही निव्वाघाएणं गई पवत्तइ, एवं खलु गोयमा ! नीसंगयाए निरंगणयाए जाव पुव्वप्पओगेणं अकम्मस्स गई प० ॥ २६४ ॥ दुक्खी भंते ! दुक्खेणं फुडे अदुक्खी दुक्खेणं फुडे ?, गोयमा ! दुक्खी दुक्खेणं फुडे नो अदुक्खी दुक्खेणं फुडे । दुक्खी णं भंते ! नेरइए दुक्खेणं फुडे अदुक्खी नेरइए दुक्खेणं फुडे ?, गोयमा ! दुक्खी नेरइए दुक्खेगं फुडे नो अदुक्खी नेरइए दुक्खेणं फुडे, एवं दंडओ जाव वेमाणियाणं, एवं पंच दंडगा नेयव्वा-दुक्खी दुक्खेणं फुडे १ दुक्खी दुक्खं परियायइ २ दुक्खी दुक्खं उदीरेइ ३ दुक्खी दुक्खं वेदेइ ४ दुक्खी दुक्खं निजरेइ ५ ॥ २६५ ॥ अणगारस्स णं भंते ! अणाउत्तं गच्छमाणस्स वा चिट्ठमाणस्स वा निसीयमाणस्स (वा) तुयट्टमाणस्स वा अणाउत्तं वत्यं पडिग्गह कंवलं पायपुंछणं गेण्हमाणस्स वा निक्खिवमाणस्स वा तस्स णं भंते । किं इरियावहिया किरिया कजइ ? संपराइया किरिया कजइ ?, गो० नो इरियावहिंया किरिया कजइ संपराइया किरिया कजइ । से केणटेणं० १, गोयमा ! जस्स णं कोहमाणमायालोमा वोच्छिन्ना भवंति तस्स णं इरियावहिया किरिया कजइ नो संपराइया किरिया कज्जइ, जस्स णं कोहमाणमायालोमा अवोच्छिन्ना भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कजइ नो इरियावहिया, अहासुत्तं रीयमागस्स इरियावहिंया किरिया कज्जइ उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ, से णं उस्सुत्तमेव रियइ, से तेणटेणं० ॥ २६६ ॥ अह भंते ! सइंगालस्स सधूमस्स संजोयणादोसदुट्ठस्स पाणभोयणस्स के अटे पण्णत्ते?, गोयमा ! जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासुएसणिज असणपाण ४ पडिगाहित्ता मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने आहारं आहारेइ एस णं गोयमा ! सइंगाले पाणभोयणे,जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासुएसणिजं असणपाण ४ पडिगाहित्ता महया २ अप्पत्तियकोहकिलामं करेमाणे आहारमाहारेइ एस ण गोयमा ! सधूमे पाणभोयणे, जे णं निग्गथे वा २ जाव पडिगाहेत्ता गुणुपाप्यणहेउं अन्नदव्वेण सद्धिं संजोएत्ता आहारमाहारेइ एस णं गोयमा ! संजोयणा Page #563 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ७ उ० ५] सुत्तागमे दोसढुढे पाणभोयणे, एस णं गोयमा ! सइंगालस्स सधूमस्स संजोयणादोसदुद्रुस्स पागभोयगस्स अट्ठे पन्नत्ते । अह भंते ! वीतिगालस्स वीयधूमस्स संजोयणादोसविप्पमुक्कस्स पाणभोयणस्स के अढे पन्नत्ते ?, गोयमा ! जे णं णिग्गंथे वा जाव पडिगाहेत्ता अमुच्छिए जाव आहारेइ एस णं गोयमा! वीतिंगाले पाणभोयणे, जे णं निरगंथे वा निग्गंथी वा जाव पडिगाहेत्ता णो महया अप्पत्तियं जाव आहारेइ, एस णं गोयमा! वीयधूमे पाणभोयणे, जेणं निग्गंथे वा निग्गंथी वा जाव पडिगाहेत्ता जहालद्धं तहा आहारमाहारेइ एस णं गोयमा ! संजोयणादोसविप्पमुक्के पाणभोयणे, एस णं गोयमा ! वीतिगालस्स वीयधूमस्स संजोयणादोसविप्पमुक्कस्स पाणभोयणस्स अट्टे पन्नत्ते ॥ २६७ ॥ अह भंते ! खेत्ताइक्कंतस्स कालाइकंतस्स मरगाइनंतस्स पमाणाइनंतस्स पाणभोयणस्स के अहे पन्नत्ते ?, गो० जेणं निग्गंथे वा निग्गंधी वा फासुएसणिणं असणं ४ अणुग्गए सूरिए पडिगाहित्ता उग्गए सूरिए आहारमाहारेइ एस णं गोयमा ! खेत्ताइक्रते पाणभोयणे, जेणं निग्गंथो वा २ जाव साइमं पढमाए पोरिसीए पडिगाहेत्ता पच्छिमं पोरिसिं उवायणावेत्ता आहारं आहारेइ एस णं गोयमा ! कालाइनंते पाणभोयणे, जेणं निग्गंथो वा २ जाव साइमं पडिगाहित्ता परं अद्धजोयणमेराए वीइकमावइत्ता आहारमाहारेइ एस ण गोयमा ! मग्गाइकते पाणभोयणे, जे णं निरगंथो वा निग्गंथीं वा फासुएसणिज्ज जाव साइमं पडिगाहित्ता परं वत्तीसाए पमाणमेत्ताणं कवलाणं आहारमाहारेइ.एस णं गोयमा ! पमाणाइते पाणभोयणे, अट्ठपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अप्पाहारे दुवालसपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अवडोमोयरिया सोलसपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे दुभागपत्ते चउव्वीसं पमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे ओमोयरिए बत्तीसं पमाणमेत्ते कवले (जत्तिओ जस्म पुरिसस्स आहारो तस्साहारस्स वत्तीसइमो भागो तप्पुरिसावेक्खाए कवले, इणमेव 'कवल' पमाणं ति,) आहारमाहारेमाणे पमाणपत्ते, एत्तो एक्केणवि गासेणं ऊणगं आहारमाहारेमाणे समणे निग्गंथे नो पकामरसभोईति वत्तव्वं सिया, एस गं गोयमा ! खेत्ताइकंतस्स कालाइक्वंतस्स मग्गाइकंतस्स पमाणाइक्ततस्स पाणभोयणस्स अट्ठे पन्नत्ते ॥ २६८ ॥ अह भंते ! सत्थाईयस्स सत्थपरिणामियस्स एसियस्स वेसियस्स समुदाणियस्स पाणभोयणस्स के अढे पन्नत्ते , गोयमा! जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा निक्खित्तसत्थमुसले ववंगयमालावन्नगविलेवणे ववगयचुयचइयचत्तदेहं जीवविप्पजढं अकयमकारियमसंकप्पियमणाहूयमकीयकडमणुद्दिटुं नवकोडीपरिसुद्धं दसदोसविप्पमुक्त उग्गमुप्पायणेसणासुपरिसुद्धं वीतिगालं वीयधूमं संजोयणादोसविप्पमुक्कं असुरसुरं Page #564 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई अचवचवं अदुयमविलंबियं अपरिसाडि अक्खोवंजणवणाणुलेवणभूयं संजमजायामायावत्तियं संजमभारवहणट्टयाए विलमिव पन्नगभूएणं अप्पाणेणं आहारमाहारेइ एस णं गोयमा ! सत्थाईयस्स सत्थपरिणामियस्स जाव पाणभोयणस्स अयमढे पन्नत्ते । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ २६९ ॥ सत्तमसए पढमो उद्देसो समत्तो।। . से नूणं भंते ! सव्वपाणेहिं सव्वभूएहि सव्वजीवहिं सव्वसत्तेहिं पञ्चक्खायमिति वयमाणस्स सुपञ्चक्खायं भवइ दुपञ्चक्खायं भवइ १, गोयमा ! सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पञ्चक्खायमिति वयमाणस्स सिय सुपचक्खायं भवइ सिय दुपचक्खायं भवइ, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चई सव्वपाणेहिं जाव सिय दुपञ्चक्खायं भवइ ?, गोयमा ! जस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पञ्चक्खायमिति वयमाणस्स णो एवं अभिसमन्नागयं भवइ इमे जीवा इमे अजीवा इमे तसा इमे थावरा तस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पञ्चक्खायमिति वयमाणस्स नो सुपञ्चक्खायं भवइ दुपञ्चक्खायं भवइ, एवं खलु से दुपञ्चक्खाई सव्वपाणेहि जाव सव्वसत्तेहिं पञ्चस्खायमिति वयमाणो नो सचं भासं भासइ मोसं भासं भासइ, एवं खलु से मुसावाई सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं तिविहं तिविहेणं असंजयविरयपडिहयपचक्खायपावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगंतदंडे एगंतवाले यावि भवइ, जस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पञ्चक्खायमिति वयमाणस्स एवं अभिसमन्नागयं भवइ-इमे जीवा इमे अजीवा इमे तसा इमे थावरा, तस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पच्चक्खायमिति वयमाणस्स सुपञ्चक्खायं भवइ नो दुपच्चक्खायं भवइ, एवं खलु से सुपच्चक्खाई सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पञ्चक्खायमिति वयमाणे सञ्चं भासं भासइ नो मोसं भासं भासइ, एवं खलु से सच्चवाई सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं तिविहं तिविहेणं संजयविरयपडिहयपचक्खायपावकम्मे अकिरिए संवुडे एगंतपंडिए यावि भवइ, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ जाव सिय दुपञ्चक्खायं भवइ ॥ २७० ॥ कइविहे णं भंते ! पच्चक्खाणे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पञ्चक्खाणे पन्नत्ते, तंजहा-मूलगुणपञ्चक्खाणे य उत्तरगुणपञ्चक्खाणे य । मूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सव्वमूलगुणपञ्चक्खाणे य देसमूलगुणपञ्चक्खाणे 'य, सव्वमूलगुणपञ्चक्खाणे णं संते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं जाच सव्वाओ परिग्गहाओ वेरमणं । देसमूलगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-थूलाओ पाणाइवायाओ वेरमणं जाव थूलाओ परिग्गहाओ वेरमणं । उत्तरगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, Page #565 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स०७ उ० २] सुत्तागमे तंजहा-सव्वुत्तरगुणपचक्खाणे य देसुत्तरगुणपच्चक्खाणे य, सव्वुत्तरगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दसविहे पन्नत्ते, तंजहा-अणागय १ मइक्वंतं २ कोडीसहियं ३ नियंटियं ४ चेव । सागार ५ मणागारं ६ परिमाणकडं ७ निरवसेसं ८ ॥ १ ॥ सा(सं)केयं ९ चेव अद्धाए १० पञ्चक्खाणं भवे दसहा । देसुत्तरगुणपचक्खाणे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! सत्तविहे पन्नत्ते, तंजहादितिव्वयं १ उवभोगपरिभोगपरिमाणं २ अणत्यदंडवेरमणं ३ सामाइयं ४ देसावगासियं ५ पोसहोववासो ६ अतिहिसंविभागो ७ अपच्छिममारणंतियसलेहणाझसणाराहणया ॥ २७१ ॥ जीवा णं भंते ! कि मूलगुणपञ्चक्खाणी उत्तरगुणपञ्चक्खाणी अपञ्चक्खाणी ?, गोयमा ! जीवा मूलगुणपञ्चक्खाणीवि उत्तरगुणपञ्चक्खाणीवि अपचक्खाणीवि । नेरइया णं भंते ! किं मूलगुणपञ्चक्खाणी० पुच्छा, गोयमा ! नेरइया नो मूलगुणपञ्चक्खाणी नो उत्तरगुणपञ्चक्खाणी अपञ्चक्खाणी, एवं जाव चउरिंदिया, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा य जहा जीवा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया ॥ एएसि णं भंते । जीवाणं मूलगुणपञ्चक्खाणीणं उत्तरगुणपञ्चक्खाणीणं अपचक्खाणीण य कयरे २ हितो जाव विमेसाहिंया वा ?, गोयमा ! सव्वत्योवा जीवा मूलगुणपञ्चक्खाणी उत्तरगुणपचक्खाणी असंखेजगुणा अपञ्चक्खाणी अणंतगुणा । एएसि णं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मूलगुणपञ्चक्खाणी उत्तरगुणपच्चक्खाणी असंखेनगुणा अपञ्चक्खाणी असंखेजगुणा । एएसि णं भंते ! मणुस्साणं मूलगुणपञ्चक्खाणीण ० पुच्छा, गोयमा! सव्वत्थोवा मणुस्सा मूलगुणपञ्चक्खाणी उत्तरगुणपञ्चक्खाणी संखेजगुणा अपञ्चक्खाणी असंखेजगुणा । जीवा णं भंते ! किं सव्वमूलगुणपञ्चक्खाणी देसमूलगुणपञ्चक्खाणी अपचक्खाणी?, गोयमा ! जीवा सव्वमूलगुणपञ्चक्खाणीवि देसमूलगुणपञ्चक्खाणीवि अपञ्चक्खाणीवि । नेरइयाणं पुच्छा, गोयमा । नेरइया नो सव्वमूलगुणपञ्चक्खाणी नो देसमूलगुणपच्चक्खाणी अपञ्चक्खाणी, एवं जाव चउरिंदिया। पंचिंदियतिरिक्ख० पुच्छा, गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्ख० नो सव्वमूलगुणपचक्खाणी देसमूलगुणपञ्चक्खाणीवि अपचक्खाणीवि, मणुस्सा जहा जीवा, वाणमंतरजोइसवेमाणिया जहा नेरइया । एएसि णं भंते । जीवाणं सव्वमूलगुणपञ्चक्खाणीणं देसमूलगुणपञ्चक्खाणीणं अपच्चक्खाणीण य कयरे २ हितो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्योवा जीवा सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी देसमूलगुणपच्चक्खाणी असंखेजगुणा अपञ्चक्खाणी अणंतगुणा । एवं अप्पावहुगाणि तिन्निवि जहा पढमिल्लए दंडए, नवरं सव्वत्थोवा पंचिंदियतिरिक्खजोणिया देसमूलगुणपञ्चक्खाणी अपञ्चक्खाणी ३३ सुत्ता० Page #566 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [भगवई सुत्तागमे ५१४ असंखेजगुणा । जीवा णं भंते ! किं सव्वुत्तरगुणपञ्चक्खाणी देसुत्तरगुणपचक्ताणी अपचक्खाणी 2, गोयमा ! जीवा सव्वुत्तरगुणपञ्चक्खाणीवि तिन्निवि, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा य एवं चेव, सेसा अपचक्खाणी जाव वेमाणिया । एएसिणं मंते ! जीवाणं सव्वुत्तरगुणपञ्चक्खाणीणं० अप्पाबहुगाणि, तिन्निवि जहा पढमे दंडए जाव मणूसागं ॥ जीवा णं भंते ! कि संजया असंजया संजयासंजया ? गोयमा ! जीवा संजयावि असंजयावि संजयासंजयावि, एवं जहेव पन्नवणाए तहेव भाणियव्वं जाव वेमाणिया, अप्पाबहुगं तहेव तिण्हवि भाणियव्वं ॥ जीवा णं भंते! किं पच्चक्खाणी अपचक्खाणी पञ्चक्खाणापञ्चक्खाणी ?, गोयमा ! जीवा पच्चक्खाणीवि एवं तिन्निवि, एवं मणुस्सावि तिन्निवि, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया आइल्लविरहिया सेसा सव्वे अपञ्चक्खाणी जाव वेमाणिया । एएसि णं भंते ! जीवाणं पञ्चक्खाणीणं जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा पञ्चक्खागी पच्चक्खाणापच्चक्खाणी असंखेजगुणा अपञ्चक्खाणी अणंतगुणा, पंचेंदियतिरिक्खजोणिया सव्वत्थोवा पञ्चक्खाणापञ्चक्खाणी अपच्चक्खाणी असंखेजगुणा, मणुस्सा सव्वत्योवा पच्चक्खाणी पञ्चक्खाणापच्चक्खाणी संखेनगुणा अपञ्चक्खाणी असंखेज्जगुणा ॥२७२॥ जीवा णं भंते ! किं सासया असासया ?, गोयमा ! जीवा सिय सासया सिय असासया । से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जीवा सिय सासया सिय असासया ?, गोयमा । दन्वट्ठयाए सासया भावट्टयाए असासया, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-जाव सिय असासया । नेरइया णं भंते ! किं सासया असासया ?, एवं जहा जीवा तहा नेरइयावि, एवं जाव वेमाणिया जाव सिय सासया सिय असासया । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ २७३ ॥ सत्तमस्ल बिइओ उद्देसो समत्तो॥ वणस्सइकाइया णं भंते ! किंकालं सव्वप्पाहारगा वा सव्वमहाहारगा वा भवंति , गोयमा! पाउसवरिसारत्तेसु णं एत्य णं वणस्सइकाइया सव्वमहाहारगा भवंति तयाणंतरं च णं सरए, तयाणंतरं च णं हेमंते, तयाणंतरं च णं वसंते, तयाणंतरं च णं गिम्हे, गिम्हासु णं वणस्सइकाइया सव्वप्पाहारगा भवंति, जइ णं भंते ! गिम्हासु वणस्सइकाइया सव्वप्पाहारगा भवंति, कम्हा णं भंते ! गिम्हासु बहवे वगरसइकाइया पत्तिया पुप्फिया फलिया हरियगरेरिजमाणा सिरीए अईव अईव उवसोभेमाणा उवसोभेमाणा चिट्ठति ?, गोयमा! गिम्हासु णं बहवे उसिणजोणिया जीवा य पोग्गला य वणस्सइकाइयत्ताए वकमंति विउक्कमंति चयंति उववजंति, एवं खलु गोयमा ! गिम्हासु बहवे वणस्सइकाइया पत्तिया पुप्फिया जाव चिट्ठति ॥ २७४ ॥ से नूणं भंते ! मूला मूलजीवफुडा कंदा कंदजीवफुडा जाव बीया बीय. Page #567 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ७ उ०३] सुत्तागमे जीवफुडा?, हंता गोयमा ! मूला मूलजीवफुडा जाव बीया वीयजीवफुडा । जइ ण भंते ! मूला मूलजीवफुडा जाव बीया बीयजीवफुडा कम्हा णं भंते ! वणस्सइकाइया आहारेंति कम्हा परिणामेति ?, गोयमा! मूला मूलजीवफुडा पुढविजीवपडिवद्धा तम्हा आहारेंति तम्हा परिणामेंति, कंदा कंदजीवफुडा मूलजीवपडिवद्धा तम्हा आहारेन्ति तम्हा परिणामेन्ति, एवं जाव बीया वीयजीवफुडा फलजीवपडिवद्धा तम्हा आहारेन्ति तम्हा परिणामेन्ति ॥ २७५ ॥ अह भंते ! आलुए मूलए सिंगबेरे हिरिली सिरिली सिस्सिरिली किट्ठिया छिरिया छीरिविरालिया कण्हकंदे वजकंदे सूरणकंदे खेलूडे अद्दए भद्दमुत्या पिंडहलिद्दा लोही णीह थीह थिरूगा मुग्गकनी अस्सकन्नी सीहकण्णी मुसुंडी जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते अणंतजीवा विविहसत्ता ?, हंता गोयमा! आलए मूलए जाव अणंतजीवा विविहसत्ता ॥ २७६ ॥ सिय भंते ! कण्हलेसे नेरइए अप्पकम्मतराए नीललेसे नेरइए महाकम्मतराए ?, हंता! सिया, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-कण्हलेसे नेरइए अप्पकम्मतराए नीललेसे नेरइए महाकम्मतराए , गोयमा ! ठिइं पडुच्च, से तेणढेणं गोयमा ! जाव महाकम्मतराए । सिय भंते ! नीललेसे नेरइए, अप्पकम्मतराए काउलेसे नेरइए महाकम्मतराए ? हता! सिया, से केपटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नीललेसे नेरइए अप्पकम्मतराए काउलेसे नेरइए महाकम्मतराए ?, गोयमा! ठिइं पड्डुच्च, से तेणढेणं गोयमा ! जाव महाकम्मतराए । एवं असुरकुमारेवि, नवरं तेउलेसा अब्भहिया एवं जाव वेमाणिया, जस्स जइ लेसाओ तस्स तत्तिया भाणियवाओ, जोइसियस्स न भन्नइ, जाव सिय भंते ! पम्हलेसे वेमाणिए अप्पकम्मतराए सुकलेसे वेमाणिए महाकम्मतराए, हंता | सिया, से केणटेणं० ? सेसं जहा नेरइयस्स जाव महाकम्मतराए ॥ २७७ ॥ से नूणं भंते ! जा वेयणा सा निजरा जा निजरा सा वेयणा ?, गोयमा ! णो तिणढे समढे, से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ जा वेयणा न सा निजरा जा निजरा न सा वेयणा ?, गोयमा ! कम्म वेयणा णोकम्म निजरा, से तेणटेणं गोयमा ! जाव न सा वेयणा । नेरइयाणं भंते ! जा वेयणा सा निजरा जा निजरा सा वेयणा ?, गोयमा ! णो तिणढे समढे, से केणढेणं भंते! एवं वुच्चइ नेरइयागं जा वेयणा न सा निजरा जा निजरा न सा वेयणा?, गोयमा ! नेरइयाणं कम्म वेयणां णोकम्म निजरा, से तेणटेणं गोयमा ! जाव न सा वेयणा, एवं जाव वेमाणियाणं । से नूगं भंते ! जं वेदेंसु तं निजरिंसु जं निजरिंसु तं वेदेंसु?, णो तिणढे समढे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जं वेदेंसु नो तं निजरेंसु जं निजरेंसु नो तं वेदेंसु?, गोयमा ! कम्म वेदेंसु नोकम्मं निजरिंसु, से तेणटेणं गोयमा! जाव नो तं वेदेंसु, नेरइया णं भंते ! Page #568 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ५१६ जं वेदेंसु तं निजरिंसु ? एवं नेरइयावि एवं जाच वेमाणिया । सेनृणं भंते! जे वेदेति तं निजरेंति जं निजरिति तं वेदेति ?, गोयमा ! णो निणंटे सगटे, में कंगटेणं भंते ! एवं वुचइ जाव नो तं वेटेंति ?, गोयमा ! कम्मं वदति नोकमननरेंति, से तेणटेणं गोयमा ! जाव नो तं वेदेति, एवं नेरझ्यापि जान दमानिया में नूणं भंते ! ज वेदिस्संति तं निजरिस्संति जं निजरिस्संति तं वेदिस्तंति, गोगमा: णो तिणढे समढे, से केपट्टेणं जाव णो तं वैदिरसंति ?, गोयमा ! कम्मो बस्तिति नोकम्मं निजरिस्संति, से तेणढेणं जाव नो तं निजरिस्संति, एवं नरप्यारि जान वेमाणिया । से पूर्ण भंते ! जे चेयणासमए से निजरानमा जे निजराजमए में वेयणासमए ?, नो तिणढे समढे, से केगडेणं भने ! एवं बुगड जे चेयगासमए न से निजरासमए जे निजरासमए न से वैयणासमए ?, गोयमा ! जं नमनं वदति नो तं समयं निजरेंति जं समयं निजरेंति नो तं ममनं वदंति, अनम्मि राना वेदेति अन्नम्मि समए निजरेंति अन्ने से वेयणासमए अने से निजरासमए, में तेणटेणं जाव न से वेयणासमए न से निजरासमए । नेरइयाणं भंत! जे वयणासमए से निजरासमए जे निजरासमए से वेयणासमए ?, गोयमा! णो तिमले समढे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ नेरइयाणं जे चेयणासमए न से निजरासमए जे निजरासमए न से वेयणासमए ?, गोयमा ! नेरड्या णं जं समयं वेदेति णोतं समयं निजरेंति जं समयं 'निजरेंति नो तं समयं वेदेति अन्नम्मि समए वेदेति अन्नम्मि समए निजरेंति अन्ने से वेयणासमए अन्ने से निजरासमए, से तेणटेणं जाव न से वेयणासमए एवं जाव वेमाणिया ॥ २७८ ॥ नेरड्या णं भंते । कि सासया असासया ?, गोयमा ! सिय सासया सिय असासया, से केगट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ नेरइया सिय सासया सिय असासया ?, गोयमा ! अव्बोच्छित्तिणयट्याए सासया वोच्छित्तिणयट्टयाए असासया, से तेणटेणं जाव सिय सासया सिय असासया, एवं जाव वेमाणिया जाव सिय असासया। सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥२७९॥ सत्तसे सए तइओ उद्देसो समत्तो॥ रायगिहे नगरे जाव एवं वयासी-कइविहा णं भंते ! संसारसमावन्नगा जीवा पन्नत्ता ?, गोयमा! छव्विहा संसारसमावन्नगा जीवा पन्नत्ता, तंजहा-पुढविकाइया एवं जहा जीवाभिगमे जाव सम्मत्तकिरियं वा मिच्छत्तकिरियं वा ॥ जीवा छविह पुढवी जीवाण ठिई भवट्टिई काए । निल्लेवण अणगारे किरिया सम्मत्तमिच्छत्ता ॥१॥ सेवं भते ! सेवं भंते ! त्ति ॥२८०॥ सत्तसए चउत्थो उद्देसो समत्तो॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-खहयरपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं भंते। कइविहे Page #569 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१७ वि०प० स० ७ उ० ६] सुत्तागमे णं जोणीसंगहे पण्णत्ते ?, गोयमा ! तिविहे जोणीसंगहे पण्णत्ते, तंजहा-अंडया पोयया संमुच्छिमा, एवं जहा जीवाभिगमे जाव नो चेव णं ते विमाणे वीईवएजा । एवंमहालयाणं गोयमा ! ते विमाणा पन्नत्ता ॥ 'जोणीसंगह लेसा दिट्ठी नाणे य जोग उवओगे । उववायठिइसमुग्घायचवणजाईकुलविहीओ' ॥१॥ सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ २८१ ॥ सत्तमे सए पंचमो उद्देसो समत्तो॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-जीवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! कि इहगए नेरइयाउयं पकरेइ उववज्जमाणे नेरइयाउयं पकरेइ उववन्ने नेरइयाउयं पकरेइ ?, गोयमा ! इहगए नेरईयाउयं पकरेइ नो उववजमाणे नेरइयाउयं पकरेइ नो उववन्ने नेरइयाउयं पकरेइ, एवं असुरकुमारेसुवि एवं जाव वेमाणिएसु । जीवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! किं इहगए नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ उववजमाणे नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ उववन्ने नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ ?, गोयमा! णो इहगए नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ उववजमाणे नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ उववन्नेवि नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ, एवं जाव वेमाणिएसु । जीवे णं भंते ! जे भविए नरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! किं इहगए महावेयणे उववजमाणे महावेयणे उववन्ने महावेयणे ?, गोयमा ! इहगए सिय महावेयणे सिय अप्पवेयणे उववजमाणे सिय महावेयणे सिय अप्पवेयणे अहे णं उववन्ने भवइ तओ पच्छा एगंतदुक्खं वेयणं वेयइ आहच्च सायं । जीवे णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववजित्तए पुच्छा, गोयमा ! इहगए सिय महावेयणे सिय अप्पवेयणे उववजमाणे सिय महावेयणे सिय अप्पवेयणे अहे णं उववन्ने भवइ तओ पच्छा एगंतसायं वेयणं वेदेइ आहच असायं, एवं जाव थणियकुमारेसु । जीवे णं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु उववज्जित्तए पुच्छा, गोयमा ! इहगए सिय महावेयणे सिय अप्पवेयणे, एवं उववज्जमाणेवि, अहे णं उववन्ने भवइ तओ पच्छा वेमायाए वेयणं वेयइ, एवं जाव मणुस्सेसु, वाणमंतरजोइसियवेमाणिएसु जहा असुरकुमारेसु ॥२८२॥ जीवा णं भंते ! कि आभोगनिव्वत्तियाउया अणाभोगनिव्वत्तियाउया ?, गोयमा! नो आभोगनिव्वत्तियाउया अणाभोगनिव्वत्तियाउया, एवं नेरइयावि, एवं जाव वेमाणिया ॥ २८३ ॥ अत्थि णं भंते ! जीवाणं कक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ?, [गोयमा !] हंता । अस्थि, कहन्नं भंते ! जीवाणं ककसवेयणिज्जा कम्मा कजति ?, गोयमा! पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं, एवं खलु गोयमा ! जीवाणं ककसवेयणिज्जा कम्मा कजंति । अत्थि णं भंते ! नेरइयाणं कक्कसवेयणिज्जा कम्मा कति ?, [ एवं चेव ] एवं जाव वेमाणियाणं । अत्थि णं भंते ! जीवाणं अकक्कसवेयणिज्जा Page #570 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई कम्मा कजति ?, हन्ता! अत्थि, कहन्नं भंते ! जीवाणं अकक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ?, गोयमा । पाणाइवायवेरमणेणं जाव परिग्गहवेरमणेणं कोहविवेगेणं जाव मिच्छादसणसल्लविवेगेणं, एवं खलु गोयमा! जीवाणं अकक्कसवेयणिज्जा कम्मा कजति । अत्थि णं भंते ! नेरइयाणं अकक्कसवेयणिजा कम्मा कजति ?, गोयमा ! णो तिणढे समढे, एवं जाव वेमाणिया, नवरं मणुस्साणं जहा जीवाणं ॥ २८४ ॥ अस्थि णं भंते ! जीवाणं सायावेयणिज्जा कम्मा कति ?,हंता ! अत्थि, कहन्नं भंते ! जीवाणं सायावेयणिज्जा कम्मा कजति ?, गोयमा! पाणाणुकंपाए भूयाणुकंपाए जीवाणुकंपाए सत्ताणुकंपाए वहणं पाणाणं जाव सत्ताणं अदुक्खणयाए असोयणयाएं अजूरणयाए अतिप्पणयाए अपिट्टणयाए अपरियावणयाए एवं खलु गोयमा ! जीवाणं सायावेयणिजा कम्मा कजंति, एवं नेरइयाणवि, एवं जाव वेमाणियाणं । अत्थि णं भंते ! जीवाणं असायावेयणिज्जा कम्मा कज्जति ?, हंता ! अस्थि । कहन्नं भंते ! जीवाणं असायावेयणिजा कम्मा कति ?, गोयमा ! परदुक्वणयाए परसोयणयाए परजूरणयाए परतिप्पणयाए परपिट्टणयाए परपरियावणयाए बहूणं पाणाणं जाव सत्ताणं दुक्खणयाए सोयणयाए जाव परियावणयाए एवं खलु गोयमा ! जीवाणं असायावेयणिजा कम्मा कजंति, एवं नेरइयाणवि, एवं जाव वेमाणियाणं ॥२८५॥ जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए दुसमदुसमाए समाए उत्तमकट्टपत्ताए भारहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ ?, गोयमा! कालो भविस्सइ हाहाभूए भंभाभूए कोलाहलभूए समयाणुभावेण य णं खरफरसधूलिमइला दुन्विसहा वाउला भयंकरा वाया संवट्टगा य वाहिति, इंह अभिक्खं २ धूमाहिति य दिसा सव्वओ समंता रउस्सला रेणुकलुसतमपडलनिरालोगा समयलुक्खयाए यण अहियं चंदा सीयं मोच्छंति अहियं सूरिया तवइस्संति अदुत्तरं च णं अभिक्खणं वहवे अरसमेहा विरसमेहा खारमेहा खट्टमेहा अग्गिमेहा विज्जुमेहा विसमेहा असणिमेहा अप्पवणिज्जोदगा (अजवणिजोदया) वाहिरोगवेयणोदीरणापरिणामसलिला अमणुनपाणियगा चंडानिलपहयतिक्खधारानिवायपउरवासं वासिहिति । जेणं भारहे वासे गामागरनगरखेडकब्बडमडंवदोणमुहपट्टणासमगयं जणवयं चउम्पयगवेलगए खहयरे य पक्खिसंघे गामारनपयारनिरए तसे य पाणे बहुप्पगारे रुक्खगुच्छगुम्मलयवलितणपव्वगहरियोसहिपवालंकुरमाइए य तणवणस्सइकाइए विद्धंसेहिति, पव्वयगिरिडोंगरउच्छ(त्थ)लभट्ठिमाइए य वेयबुगिरिरले चिरावेहिंति सलिलबिलगड्डदुग्गविसमं निण्णुनयाई च गंगासिंधुवजाइं समीकराहति ।। तीसे णं भंते ! समाए भरहवासस्स भूमीए केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ?, गोयमा! भूमी भविस्सइ Page #571 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ७ उ० ६ ] सुत्तागमे इंगालभूया मुम्मुरभूया छारियभूया तत्तकवेल्लयभूया तत्तसमजोइभूया धूलिबहुला रेणुबहुला पंकबहुला पणगबहुला चलणिबहुला वहूणं धरणिगोयराणं सत्ताणं दुन्निक्कमा यावि भविस्सइ ॥ २८६ ॥ तीसे णं भंते ! समाए भारहे वासे मणुयाणं केरिसए आगारभाव पडोयारे भविस्सइ ?, गोयमा ! मणुया भविस्संति दुरूवा दुवन्ना दुर्गंधा दुरसा दुफासा अणिट्ठा अकंता जाव अमणामा हीणस्सरा दीणस्सरा अणिट्ठस्सरा जाव अमणामस्सरा अणादेजवयणपच्चायाया निल्लज्जा कूडकवडकलह वहबंधवेरनिरया मज्जायाइकमप्पहाणा अकजनिच्चुज्जया गुरुनियोयविणयरहिया य विकलरूवा परूढनहकेसमंसुरोमा काला खरफरुसझामवन्ना फुट्टसिरा कविलपलियकेसा बहुण्हारु [णि]संपिणद्धदुद्दसणिजरूवा संकुडियवलितरंगपरिवेढियंगमंगा जरापरिणयव्व थेरगनरा पविरलपरिसडियदंतसेढी उब्भडघडमुहा विसमनयणा वकनासा वंगवलिविगयभेसणमुहा कच्छुकसराभिभूया खरतिक्खनहकंडूइयविक्खयतणू दद्दुकिडिभसिंझफुडियफरुसच्छवी चित्तलंगा टोलागइविसमसंधिबंधणउकुडुअट्टिगविभत्तदुब्बलकु संघयणर्कुप्पमाणकुसंठिया कुरूवा कुठाणासणकुसेजकुभोइणो असुइणों अणेगवाहिपरिपीलियंगमंगा खलंतविब्भलगई निरुच्छाहा सत्तपरिवज्जिया विगयचिट्ठा नट्टतेया अभिक्खणं, सीयउण्हखरफरुसवायविज्झडिया मलिणपंसुरयगुंडियंगमंगा बहुकोह - माणमाया बहुलोभा असुहदुक्खभोगी ओसन्नं धम्मसण्णसम्मत्तपरिब्भट्टा उक्कोसेणं रयणिप्पमाणमेत्ता सोलसवीसइवासपरमाउसो पुत्तनत्तुपरियालपणयबहुला गंगासिंधूओ महानईओ वेयङ्कं च पव्वयं निस्साए वावत्तरिं निओदा बीर्यं बीयामेत्ता विलवासिणो भविस्संति ॥ ते णं भंते ! मणुया किमाहारमाहा रेहिंति ?, गोयमा ! ते णं काले णं ते णं समए णं गंगासिंधूओ महानईओ रहपहवित्थराओ अक्खसोयप्पमाणमेत्तं जलं वोज्झिहिंति सेवि य णं जले वहुमच्छकच्छभाइन्ने णो चेवणं आउवहुले भविस्सइ, तए णं ते मणुया सूरुग्गमणमुहुत्तंसि य सूरत्थमणमुहुत्तंसि य बिलेहितो निद्धार्हिति निद्धाइत्ता मच्छकच्छभे थलाई गाहेहिति सीयायवतत्तएहिं मच्छकच्छएहिं एक्कवीसं वाससहस्साइं वित्तिं कप्पेमाणा विहरिस्संति ॥ ते णं भंते ! मणुया निस्सीला निग्गुणा निम्मेरा निप्पञ्चक्खाणपोसहोववासा ओसण्णं मंसाहारा मच्छाहारा खोद्दाहारा कुणिमाहारा कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिंति कहिं उववज्जि - हिंते ?, गोयमा । ओसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववजिहिंति, ते णं भंते । सीहा वग्घा वगा दीविया अच्छा तरच्छा परस्सरा निस्सीला तहेव जाव कहिं उववज्जिहिंति ?, गोयमा ! ओसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिंति, ते णं भंते! ढंका कंका विलका मद्दुगा सिही निस्सीला तहेव जाव ओसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उवचज्जिहिंति । सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति ॥२८७॥ सत्तमस्स छट्टो उद्देसओ ॥ ५१९ Page #572 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ફ૨૦ सुत्तागमे [भगवई संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स आउत्तं गच्छमाणस्स जाव आउत्तं तुयट्टमाणस्स आउत्तं वत्थं पडिग्गहं कंवलं पायपुंछणं गेण्हमाणस्स वा निक्खिवमाणस्स वा तस्स णं भंते ! किं इरियावहिया किरिया कन्नइ संपराइया किरिया कज्जइ ?, गोयमा ! संवुडस्स णं अणगारस्स जाव तस्स णं इरियावहिया किरिया कजइ णो संपराइया किरिया कजइ । से केपट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-संवुडस्स णं जाव संपराइया किरिया कजइ ?, गोयमा! जस्स णं कोहमाणमायालोमा वोच्छिन्ना भवंति तस्स णं इरियावहिया किरिया कजइ, तहेव जाव उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ, से णं अहासुत्तमेव रीयइ, से तेणटेणं गोयमा ! जाव नो संपराइया किरिया कज्जइ ॥ २८८ ॥ रूवी भंते ! कामा अरूवी कामा ? गोयमा ! रूवी कामा समणाउसो! नो अरूवी कामा । सचित्ता भंते ! कामा अचित्ता कामा ?, गोयमा ! सचित्तावि कामा अचित्तावि कामा । जीवा भंते ! कामा अजीवा कामा ?, गोयमा ! जीवावि कामा अजीवावि कामा । जीवाणं भंते ! कामा अजीवाणं कामा ?, गोयमा! जीवाणं कामा नो अजीवाणं कामा, कइविहा णं भंते ! कामा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा कामा पन्नत्ता, तंजहा-सद्दा य रूवा य, रूवी भंते ! भोगा अरूवी भोगा?, गोयमा! रूवी भोगा नो अरूवी भोगा, सचित्ता भंते ! भोगा अचित्ता भोगा?, गोयमा । सचित्तावि भोगा अचित्तावि भोगा, जीवा भंते ! भोगा अजीवा भोगा?, गोयमा ! जीवावि भोगा अजीवावि भोगा, जीवाणं भंते ! भोगा अजीवाणं भोगा, गोयमा ! जीवाणं भोगा नो अजीवाणं भोगा, कइविहा णं भंते ! भोगा पन्नत्ता ?, गोयमा! तिविहा भोगा पन्नत्ता तंजहा-गंधा रसा फासा। कइविहा णं भंते ! कामभोगा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा कामभोगा पन्नत्ता, तंजहा-सदा रूवा गंधा रसा फासा। जीवा णं भंते ! किं कामी भोगी १, गोयमा ! जीवा कामीवि भोगीवि। से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जीवा कामीवि भोगीवि ?, गोयमा! सोइंदियचक्खिदियाइं पडुच्च कामी घाणिदियजिभिदियफासिंदियाई पडुच्च भोगी, से तेणटेणं गोयमा ! जाव भोगीवि । नेरइया ण भंते ! किं कामी भोगी ?, एवं चेव एवं जाव थणियकुमारा। पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! पुढविकाइया नो कामी भोगी, से केणटेणं जाव भोगी ?, गोयमा ! फासिदियं पडुच्च से तेणट्ठणं जाव भोगी, एवं जाव वणस्सइकाइया, बेइंदिया एवं चेव नवरं जिभिदियफासिंदियाइं पडुच्च भोगी, तेइंदियावि एवं चेव नवरं घाणिदियजिभिदियफासिंदियाइं पडुच्च भोगी चउरिंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! चउरिंदिया कामीवि भोगीवि, से केणटेणं जाव भोगीवि ?, गोयमा! चक्खिदियं पड्डुच्च कामी घाणिदियजिभिदियफासिंदियाई पडुच्च भोगी, Page #573 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स०७ उ०७] सुत्तागमे ५२१ से तेणद्वेणं जाव भोगीवि, अवसेसा जहा जीवा जाव वेमाणिया। एएसि ण भंते ! जीवाणं कामभोगीणं नोकामीणं नोभोगीणं भोगीण य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्योवा जीवा कामभोगी नोकामीनोभोगी अणंतगुणा भोगी अगंतगुणा ॥ २८९ ॥ छउमत्थे णं भंते ! मणूसे जे भविए अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववजित्तए, से नूणं भंते ! से खीणभोगी नो पभू उठाणेणं कम्मेणं बलेणं वीरिएणं पुरिसकारपरक्कमेण विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरित्तए, से नूणं भंते ! एयमढे एवं वयह ?, गोयमा ! णो इणढे समढे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ ? गोयमा । पभू णं से उट्ठाणेणवि कम्मेणवि बलेणवि वीरिएणवि पुरिसक्कारपरकमेणवि अन्नयराइं विपुलाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी भोगे परिचयमाणे महानिजरे महापजवसाणे भवइ । आहोहिए णं भंते ! मणुस्से जे भविए अन्नयरेसु देवलोएसु एवं चेव जहा छउमत्थे जाव महापज्जवसाणे भवइ । परमाहोहिए णं भंते ! मणुस्से जे भविए तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झित्तए जाव अंतं करेत्तए, से नूणं भंते ! से खीणभोगी सेसं जहा छउमत्थस्स । केवली णं भंते ! मणुस्से जे भविए तेणेव भवग्गणेणं एवं जहा परमाहोहिए जाव महापजवसाणे भवइ ॥ २९०॥ जे इमे भंते ! असन्निणो पाणा, तंजहा-पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया छट्ठा य एगइया तसा, एए णं अंधा मूढा तमंपविठ्ठा तमपडलमोहजालपडिच्छण्णा अकामनिकरणं वेयणं वेदंतीति वत्तव्वं सिया ?, हंता गोयमा ! जे इमे असन्निणो पाणा पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया छटा य जाव वेयणं वेदेंतीति वत्तव्वं सिया॥ अत्थि णं भंते ! पभूवि अकामनिकरणं वेयणं वेएइ ?, हंता गोयमा ! अत्थि, कहन्नं भंते ! पभूवि अकामनिकरणं वेयणं वेदेइ ?, गोयमा ! जे णं णो पभू विणा दीवेणं अंधकारंसि रूवाइं पासित्तए जे णं नो पभू पुरओ स्वाइं अणिज्झाइत्ता णं पासित्तए जेणं नो पभू मग्गओ रूवाई अणवयक्खित्ता णं पासित्तए [जे णं नो पभू पासओ रूवाई अणुलोइत्ता णं पासित्तए जे णं नो पभू उर्ल्ड रूवाई अणालोएत्ता गं पासित्तए जेणं नो पभू अहे रूवाइं अणालोएत्ता णं पासित्तए] एस णं गोयमा! पभूवि अकामनिकरणं वेयणं वेदेइ ॥ अत्थि णं भंते ! पभूवि पकामनिकरणं वेयणं वेदेइ ?, हंता ! अत्थि, कहन्नं भंते ! पभूवि पकामनिकरणं वेयणं वेदेइ ?, गोयमा ! जे णं नो पभू समुदस्स पारं गमित्तए जे णं नो पभू समुदस्स पारगयाइं रूवाइं पासित्तए जेणं नो पभू देवलोगं गमित्तए जेणं नो पभू देवलोगगयाइं रुवाइं पासित्तए एस णं गोयमा ! पभूवि पकामनिकरणं वेयणं वेदेइ । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ २९१ ॥ सत्तमस्स सयरस सत्तमो उद्देसओ समत्तो॥ Page #574 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ५२२ छउमत्थे णं भंते ! मणूसे तीयमणंतं सासयं समयं केवलेणं संजमेणं एवं जहा पढमसए चउत्थे उद्देसए तहा भाणियव्वं जाव अलमत्थु० ॥२९२॥ से णूणं भंते ! हत्थिस्त य कुंथुस्स य समे चेव जीवे ?, हंता गोयमा ! हथिस्स य कुंथुस्स य एवं जहा रायप्पसेणइज्जे जाव खुड्डियं वा महालियं वा से तेणटेणं गोयमा! जाव समे चेव जीवे ॥ २९३ ॥ नेरइयाणं भंते ! पावे कम्मे जे य कडे जे य कजइ जे य कजिस्सइ सव्वे से दुक्खे जे निजिन्ने से सुहे ?, हंता गोयमा ! नेरइयाणं पावे कम्मे जाव सुहे, एवं जाव वेमाणियाणं ॥ २९४ ॥ कइ णं भंते ! सन्नाओ पन्नत्ताओ?, गोयमा! दस सन्नाओ पन्नत्ताओ, तंजहा-आहारसन्ना १ भयसन्ना २ मेहुणसन्ना ३ परिग्गहसन्ना ४ कोहसन्ना ५ माणसन्ना ६ मायासन्ना ७ लोभसन्ना ८ लोगसन्ना ९ ओहसन्ना १०, एवं जाव वेमाणियाणं । नेरझ्या दसविहं वेयणिज्जं पञ्चणुभवमाणा विहरंति, तंजहा-सीयं उसिणं खुहं पिवासं कंडं परज्झं जरं दाहं भयं सोगं ॥२९५॥ से नूणं भंते ! हथिस्स य कुंथुस्स य समा चेव अपञ्चक्खाणकिरिया कजइ ?, हंता गोयमा ! हत्यिस्स य कुंथुस्स य जाव कजइ । से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव कन्जइ ?, गोयमा ! अविरइं पडुच्च, से तेणटेणं जाव कजइ ॥२९६ ॥ आहाकम्मण्णं भंते ! भुंजमाणे किं बंधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? एवं जहा पढमे सए नवमे उद्देसए तहा भाणियव्वं जाव सासए पंडिए पंडियत्तं असासयं, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥२९७॥ सत्तमसयस्स अट्टमो उद्देसो॥ असंवुडे णं भंते ! अणगारे वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगवन्नं एगरूवं विउवित्तए ?, णो तिणढे समढे। असंवुडे णं भंते ! अणगारे वाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एगवन्नं एगरूवं जाव हंता! पभू । से भंते ! कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ अन्नत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ ?, गोयमा ! इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ नो तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ नो अन्नत्थगए पोग्गले जाव विउव्वइ, एवं एगवन्नं अणेगरूवं चउभंगो जहा छट्ठसए नवमे उद्देसए तहा इहावि भाणियव्वं, नवरं अणगारे इहगए चेव पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ, सेसं तं चेव जाव लुक्खपोग्गलं निद्धपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ?, हंता। पभू, से भंते । किं इहगए पोग्गले परियाइत्ता जाव नो अन्नत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ ॥ २९८ ॥ णायमेयं अरहया नुयमेयं अरहया विनायमेयं अरहया महासिलाकंटए संगामे ॥ महासिलाकंटए गं भंते ! संगामे वट्टमाणे के जइत्था के पराजइत्था ?, गोयमा ! वजी विदेहपुत्ते जइत्या, नवमलई नवलेच्छई कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो पराजइत्था ॥ Page #575 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ० प० स०७ उ०९] सुत्तागमे तए णं से कोणिए राया महासिलाकंटगं संगामं उवट्ठियं जाणित्ता कोडुंवियपुरिसे सद्दावेइ २ एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! उदाई हत्थिरायं पडिकप्पेह हयगयरहजोहकलियं चाउरंगिणिं सेणं सन्नाहेह २ त्ता मम एयमाणत्तियं खिप्पामेव पचप्पिह । तए णं ते कोहुंबियपुरिसा कोणिएणं रन्ना एवं वृत्ता समाणा हट्ट - तुट्ठ जाव अंजलिं कट्टु एवं सामी ! तहत्ति आणाए विणणं वयणं पडिनुणंति २ खिप्पामेव छेयायरियोवएसमइ कप्पणाविकप्पेहिं सुनिउणेहिं एवं जहा उववाइए जाव भीमं संगामियं अउज्झं उदाईं हत्थिरायं पडिकप्पेंति हयगय जाव सन्नाहेति २ जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागच्छन्ति तेणेव उवागच्छित्ता करयल ० कूणियस्स रन्नो तमाणत्तियं पचप्पिणंति, तए णं से कूणिए राया जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसइ मज्जणघरं अणुपविसित्ता हाए सव्वालंकारविभूसिए सन्नद्धबद्धवम्मियकवए उप्पी लियस रासणपट्टिए, पिगद्धगेवेजे विमलवरवद्धचिंधपट्टे गहियाउहप्पहरणे सकोरिंटमलदामेणं छत्तेणं धरिजमा - गेणं चउचामरवालवीइयंगे मंगलजयसद्दकयालोए. एवं जहा उववाइए जाव उवागच्छित्ता उदाई हत्थरायं दुरूढे, तए णं से कूणिए राया हारोत्थयसुकयरइयवच्छे जहा उववाइए जाव सेयवरचामराहिं उदुव्वमाणीहिं उडुव्वमाणीहिं हयगयरहप - वरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे महया भडचडगरविदपरिक्खित्ते जेणेव महासिलाकंटए संगामे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता महासिलाकंटयं संगामं ओयाए, पुरओ य से सक्ने देविदे देवराया एवं महं अभेThai वइरपडरुवगं विउव्वित्ता णं चिट्ठा, एवं खलु दो इंदा संगामं संग मेंति, तंजा - देविंदे य मणुईदे य, एगहत्यिणावि णं पभू कूणिए राया पराजिणित्तए, तणं से कूणिए राया महासिलाकंटयं संगामं संगामेमाणे नव मलई नव लेच्छई कासीको लगा अट्ठारसवि गणरायाणो हयमहिय पवरवीरघांइयवियडियचिंधद्धयपडागे किच्छपाणगए दिसो दिसिं पडिसेहित्था || से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ महासिलाकंटए संगामे ?, गोयमा ! महासिलाकंटए णं संगामे वट्टमाणे जे तत्थ आसे वाहत्थी वा जोहे वा सारही वा तणेण वा पत्तेण वा कट्टेण वा सक्कराए वा अभिहम्मइ सव्वे से जाणइ महासिलाए अहं अभिहए म० २, से तेणट्टेणं गोयमा ! महासिलाकंटए संगामे । महासिला कंटए णं भंते! संगामे वट्टमाणे कइ जणसयसाहसीओ वहियाओ ?, गोयमाः । चउरासीइं जणसयसाहस्सीओ वहियाओ । ते णं भंते ! मणुया निस्सीला जाव निप्पच्चक्खाणपोसहोववासा रुट्ठा परिकुविया समवहिया अणुवसंता कालमासे कालं किच्चा कहिं गया कहिं उववन्ना ?, गोयमा ! ५२३ Page #576 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२४ सुत्तागमे [ भगवड़े ओसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववन्ना ॥ २९९ ॥ णायमेयं अरया सुयमेयं अरहया विन्नायमेयं अरहया रहमुसले संगामे, रहमुसले णं भंते । संगामेमाणे के जइत्था के पराजइत्था ?, गोयमा । वज्जी विदेहपुत्ते चमरे अमुरिंदे असुरकुमारराया जइत्था नव मलई नव लेच्छई पराजइत्था, तए णं से कूणिए राया रहमुसलं संगामं उचट्ठियं सेसं जहा महासिलाकंटए नवरं भूयाणंदे हत्थिराया जाव रहमुसलं संगामं ओयाए, पुरओ य से सक्ने देविंदे देवराया, एवं तहेव जाव चिह्नंति, मग्गओ य से चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया एवं महं आयसं किढिणपडित्वगं विउन्चित्ताणं चिgs, एवं खलु तओ इंदा संगामं संगामेंति, तंजहा- देविंदे य मणुइदे य अनुरिंदे य, एगहत्यिणाविणं पभू कूणिए राया जइत्तए तहेव जाव दिसो दिसिं पडिसेहित्था | से केद्वे भंते । एवं वुचइ रहमुसले संगामे ?, गोयमा ! रहमुसले णं संगामे वट्टमाणे एगे रहे अणासए असारहिए अणारोहए समुसळे महया जगक्त्रयं जणवहं जणप्पमद्दं जणसंवट्टकप्पं रुहिरकद्दमं करेमाणे सव्वओ समंता परिधावित्या से तेणट्टेणं जाव रहमुसले संगामे । रहमुसले णं भंते ! संगामे वट्टमाणे कइ जणसयसाहस्सीओ वहियाओ !, गोयमा ! छन्नउई जणसय साहस्सीओ वहियाओ । ते णं भंते | मणुया निस्सीला जाव उववन्ना ?, गोयमा ! तत्थ णं दस साहस्सीओ एगाए मच्छीए कुच्छिसि उववन्नाओ, एगे देवलोगेसु उववन्ने, एगे सुकुले पच्चायाए, अवसेसा ओसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववन्ना ॥ ३०० ॥ कम्हा णं भंते ! सक्ने देविंदे देवराया चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया कूणियस्स रन्नो साहेज्जं दलइत्था ?, गोयमा ! सक्ने देविंदे देवराया पुव्वसंगइए चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया परियायसंगइए, एवं खलु गोयमा ! सक्के देविदे देवराया चमरे य असुरिंदे असुरकु मारराया कूणियस्स रन्नो साहिजं दलइत्था ॥ ३०१ ॥ बहुजणे णं भंते । अन्नमन्नस्स एवमाइक्खर जाव परूवेइ एवं खलु वहवे मणुस्सा अन्नयरेसु उच्चावएसु संगामे अभिमुहा चेव पहया समाणा कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जण्णं से बहुजगो अन्नमन्नस्स एवं आइक्खइ जाव उववत्तारो भवंति जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परुवेमि एवं खलु गोयमा । तेणं कालेणं तेणं समएणं वेसाली नामं नगरी होत्था, वण्णओ, तत्थ णं वेसालीए णगरीए वरुणे नाम णागनत्तुए परिवसइ अड्ढे जाव अपरिभूए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलाभेमाणे छटुंछद्वेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे ' विहरइ, तए णं से वरुणे णागनत्तुए अन्नया कयाइ रायाभिओगेणं गणाभिओगेणं वलाभि Page #577 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ७ उ० ९] सुत्तागमे ओगेणं रहमुसले संगामे आणत्ते समाणे छट्ठभत्तिए अट्ठमभत्तं अणुवट्टे (ड्डे)इ अट्ठमभत्तं अणुवढेत्ता कोडंवियपुरिसे सद्दावेइ , २ एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउरघंटं आसरहं जुत्तामेव उवट्ठावेह हयगयरहपवर जाव सन्नाहेत्ता मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तए णं ते कोडंवियपुरिसा जाव पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सच्छत्तं सज्झयं जाव उवट्ठावेंति हयगयरह जाव सन्नाति २ जेणेव वरुणे नागनत्तुए जाव पञ्चप्पिणंति, तए णं से वरुणे नागनत्तुए जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ जहा कूणिओ सव्वालंकारविभूसिए सन्नद्धवद्धे सकोरेंटमल्लदामेणं जाव धरिजमाणेणं अणेगगणनायग जाव दूयसंधिवालसद्धिं संपरिवुडे मजणघराओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता जेणेव वाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव चाउरघंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता चाउरघंटं आसरहं दुरूहइ २ हयगयरह जाव संपरिकुडे महया भडचडगर० जाव परिक्खित्ते जेणेव रहमुसले संगामे तेणेव उवागच्छइ २ ता रहमुसलं संगामं ओयाए, तए णं से वरुणे णागणत्तुए रहमुसलं संगामं ओयाए समाणे अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ-कप्पइ मे रहमुसलं संगामं संगामेमाणस्स जे पुब्बिं पहणइ से पडिहणित्तए अवसेसे नो कप्पइ त्ति, अयमेयास्त्रं अभिग्गहं अभिगेण्हइ अभिगेण्हित्ता रहमुसलं संगाम संगामेइ, तए णं तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स रहमुसलं संगाम संगामेमाणस्स एगे पुरिसे सरिसए सरिसत्तए सरिसव्वए सरिसभंडमत्तोवगरणे रहेणं पडिरहं हव्वमागए, तए णं से पुरिसे वरुणं णागणत्तुयं एवं वयासी-पहण भो वरुणा ! णागणत्तुया ! प० २, तए णं से वरुणे णागणत्तुए तं पुरिसं एवं वयासी-नो खलु मे कप्पइ देवाणुप्पिया ! पुचि अहयस्स पहणित्तए, तुमं चेव णं पुटिव पहणाहि, तए णं से पुरिसे वरुणेणं णागणत्तुएणं एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे धणुं परामुसइ २ उसुं परामुसइ उसुं परामुसित्ता ठाणं ठाइ ठाणं ठिच्चा आययकन्नाययं उसुं करेइ आययकन्नाययं उसुं करेत्ता वरुणं णागणत्तुयं गाढप्पहारी करेइ, तए णं से वरुणे णागनत्तुए तेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे धणुं परामुसइ धणुं परामुसित्ता उसु परामुसइ उसुं परामुसित्ता आययकन्नाययं उसुं करेइ आययकन्नाययं० २ तं पुरिसं एगाहचं कूडाहचं जीवियाओ ववरोवेइ, तए णं से वरुणे णागणत्तुए तेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे अत्थामे अवले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे अधारणिजमितिकट्ट तुरए निगिण्हइ तुरए निगिहित्ता रहं परावत्तेइ रहं परावत्तित्ता रहमुसलाओ संगामाओ पडिनिक्खमइ २ एगंतमंतं अवक्कमइ एगंतमंतं अवकमित्ता तुरए निगिण्हइ २ रहं ठवेइ २ त्ता रहाओ पच्चोरुहइ रहाओ २ रहाओ तुरए मोएइ Page #578 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ५२६ तुरए मोएत्ता तुरए विसज्जेइ २ त्ता भसंधारगं संयरइ २ ता [पुरच्छा. भिमुहे दुरूहइ दब्भसं० २] पुरच्छाभिमुहे संपलियंकनिसन्ने करयल जाव कटु एवं वयासी-नमोत्थु णं अरिहंताणं जाव संपत्ताणं नमोऽत्यु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स आइगरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोवएसगस्स वंदामि गं भगवन्तं तत्थगयं इहगए पासउ मे से भगवं तत्थगए जाव वंदइ नमसइ २ एवं वयासी-पुबिपि णं मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए थूलए पाणाइवाए पञ्चक्खाए जावज्जीवाए एवं जाव थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावनीवाए, इयाणिपिणं अहं तस्सेव अरिहंतस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं सव्वं पाणाइवायं पञ्चक्खामि जावजीवाए एवं जहा खंदओ जाव एयंपिणं चरमेहिं ऊसासनीसासेहि वोसिरामित्तिकटु सन्नाहपढें मुयइ सन्चाहपर्ट मुइत्ता सल्लुद्धरणं करेइ सल्छुद्धरणं करेत्ता आलोइयपडिनंते समाहिपत्ते आणुपुवीए कालगए, तए णं तस्स वरुणस्स णागनत्तुयस्स एगे पियवालवयंसए रहमुसलं संगाम संगामेमाणे एगेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे अत्यामे अबले जाव अधारणिज्जमितिकटु वरुणं णागनत्तुयं रहमुसलाओ संगामाओ पडिनिक्खममाणं पासइ पासित्ता तुरए निगेण्हइ तुरए निगेण्हित्ता जहा वरुणे जाव तुरए विसज्जेइ पडिसंयारगं दुरूहइ पडिसंथारगं दुरूहित्ता पुरत्याभिमुहे जाव अंजलि कट्टु एवं वयासी-जाइं णं मम पियवालवयस्सस्स वरुणस्स नागनन्तुयस्स सीलाई वयाइं गुणाई वेरमणाई पचक्खाणपोसहोववासाइं ताई णं ममंपि भवंतुत्तिकटु सन्नाहपी मुयइ २ सल्लुद्धरणं करेइ सल्लुद्धरणं करेत्ता आणुपुव्वीए कालगए, तए णं तं वरुणं णागणन्तुयं कालगयं जाणित्ता अहासन्निहिएहिं वाणमंतरेहिं देवेहिं दिव्वे सुरभिगंधोदगवासे वुढे दसद्धवन्ने कुसुमे निवाडिए दिव्वे य गीयगंधवनिनाए कए यावि होत्था, तए णं तस्स वरुणस्स णागनत्तुयस्स तं दिव्वं देविड्डि दिव्वं देवजुई दिव्वं देवाणुभागं सुणित्ता य पासित्ता य बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया! वहवे मणुस्सा जाव उववत्तारो भवंति ॥ ३०२ ॥ वरुणे णं भंते ! नागनत्तुए कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववन्ने ?, गोयमा! सोहम्मे कप्पे अरुणामे विमाणे देवत्ताए उववन्ने, तत्थ णं अत्थेगईयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाणि ठिई पन्नत्ता, तत्थ णं वरुणस्सवि देवस्स चत्तारि पलिओवमाई ठिई पनत्ता । से णं भंते ! वरुणे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं करेहिंइ । वरुणस्स णं भंते ! णागणत्तुयस्स पियबालवयंसए कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववन्ने ?, गोयमा ! सुकुले पच्चायाए । Page #579 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ७ उ० १०] सुत्तागमे ५२७ से णं भंते ! तओहिंतो अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववजिहिइ ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्ञिहिइ जाव अंतं करेहिइ । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ३०३ ॥ सत्तमस्स सयस्स णवमो उद्देसो समत्तो॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नाम नगरे होत्था वन्नओ, गुणसिलए उजाणे वन्नओ, जाव पुढविसिलापट्टए वण्णओ, तस्स णं गुणसिलयस्स उजाणस्स अदूरसामंते वहवे अन्नउत्थिया परिवसंति, तंजहा-कालोदाई सेलोदाई सेवालोदाई उदए नामुदए नमुदए अन्नवालए सेलवालए संखवालए सुहत्थी गाहावई, तए णं तेसि अन्नउत्थियाणं अन्नया कयाइं एगयओ समुवागयाणं सन्निविट्ठाणं सन्निसन्नाणं अयमेयारूवे मिहो कहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था-एवं खलु समणे नायपुत्ते पंच अस्थिकाए पन्नवेइ, तंजहा-धम्मत्थिकायं जाव आगासत्थिकायं, तत्थ णं समणे नायपुत्ते चत्तारि अस्थिकाए अजीवकाए पन्नवेइ, तंजहा-धम्मत्थिकायं अधम्मत्थिकायं आगासत्थिकायं पोग्गलत्थिकायं, एगं च णं समणे णायपुत्ते जीवत्थिकायं अरूविकायं जीवकायं पन्नवेइ, तत्थ णं समणे नायपुत्ते चत्तारि अस्थिकाए अरूविकाए पन्नवेइ, तंजहा-धम्मत्थिकायं अधम्मत्थिकायं आगासत्थिकायं जीवत्थिकायं, एगं च णं समणे णायपुत्ते पोग्गलत्थिकायं रूविकायं अजीवकायं पन्नवेइ, से कहमेयं मन्ने एवं ?, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव गुणसिलए उजाणे समोसढे जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूई णामं अणगारे गोयमगोत्तेणं एवं जहा बिइयसए नियंठुद्देसए जाव भिक्खायरियाए अडमाणे अहापजत्तं भत्तपाणं पडिगाहित्ता रायगिहाओ जाव अतुरियमचवलमसंभंतं जाव रियं सोहेमाणे सोहेमाणे तेसि अन्नउत्थियाणं अदूरसामंतेणं वीइवयइ, तए णं ते अन्नउत्थिया भगवं गोयमं अदूरसामंतेणं वीइवयमाणं पासंति पासेत्ता अन्नमन्नं सद्दावेंति अन्नमन्नं सदावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमा कहा अविप्पकडा अयं च णं गोयमे अम्हं अदूरसामंतेणं वीइवयइ तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं गोयमं एयमढें पुच्छित्तएत्तिकटु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमढे पडिसुणेति २ त्ता जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छंति तेणेव उवागच्छित्ता ते भगवं गोयमं एवं वयासी-एवं खलु गोयमा! तव धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे णायपुत्ते पंच अत्थिकाए पन्नवेइ, तंजहा-धम्मत्थिकायं जाव आगास त्थिकायं, तं चेव जाव रूविकायं अजीवकायं पन्नवेइ से कहमेयं भंते ! गोयमा! एवं ?, तए णं से भगवं गोयमे ते अन्नउत्थिए एवं वयासी-नो खलु वयं देवाणुप्पिया! अस्थिभावं नत्थित्ति वयामो नत्थिभावं Page #580 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ५२८ अत्यित्ति वयामो, अम्हे' णं देवाणुप्पिया! सव्वं अत्यिभावं अत्यित्ति वयामो सव्वं नत्थिभावं नस्थित्ति वयामो, तं चेयसा खलु तुम्भे देवाणुप्पियाँ ! एयमढे सयमेव पञ्चुवेक्खहत्तिकट्ट ते अन्नउत्यिए एवं वयासी-एवं २, जेणेव गुणसिलए उजाणे जेणेव समणे अगवं महावीरे एवं जहा नियंठद्देसए जाव भत्तपाणं पडिदंसेइ भन्नपाणं पडिदंसेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ २ नचासन्ने जाच पनुवासइ । तेगं कालेगं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे महाकहापडिबन्ने यावि होन्था, कालोदाई य तं देसं हव्वमागए, कालोदाईति समणे भगवं महावीरे कालोदाई एवं वयासी-से नूणं कालोदाई ! अन्नया कयाइ एगयओ सहियाणं समुवागयाणं सन्निविट्ठाणं तहेव जाव से कहमेयं मन्ने एवं ?, से नूणं कालोदाई ! अढे समढे ?, हंता! अत्थि, तं सच्चे णं एसमढे कालोदाई ! अहं पंचत्यिकायं पन्नवेमि, तंजहा-धम्मत्थिकायं जाव पोग्गलत्थिकायं, तत्थ णं अहं चत्तारि अत्यिकाए अजीवत्यिकाए अजीवत्ताए पण्णवेमि तहेव जाव एगं च णं अहं पोग्गलत्यिकायं रूविकायं पण्णवेमि, तए णं से कालोदाई समगं भगवं महावीरं एवं वयासी -एयंसि णं भंते ! धम्मत्थिकायंसि अधम्मत्थिकायंसि आगासत्थिकायंसि अरूविकायंसि अजीवकायसि चकिया केइ आसइत्तए वा १ सइत्तए वा २ चिठ्ठइत्तए वा ३ निसीइत्तए वा ४ तुयहित्तए वा ५१, णो तिणढे०, कालोदाई ! एगंसि णं पोग्गलत्थिकायंसि रूविक्रायसि अजीवकायंसि चक्किया केइ आसइत्तए वा सइत्तए वा जाव तुयत्तिए वा, एयंति णं भंते ! पोग्गलत्यिकायसि रूविकायंसि अजीवकायंसि जीवाणं पावा कम्मा पावकम्मफलविवागसंजुत्ता कति ?, णो इणढे समढे कालोदाई !, एयंसि णं जीवत्थिकार्यसि अरूविकायंसि जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कति ?, हंता! कजंति, एत्थ णं से कालोदाई संबुद्धे ससणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुब्भं अंतियं धम्म निसामेत्तए एवं जहा खंदए तहेव पव्वइए तहेव एकारस अंगाई जाव विहरइ ॥ ३०४ ॥ तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ रायगिहाओ नगराओ गुणसिलयाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमइ २ बहिया जणवयविहारं विहरइ, तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे गुणसिलए णास उजाणे होत्था, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ जाव समोसढे० परिसा पडिगया, तए णं से कालोदाई अणगारे अन्नया कयाइ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी अत्थि णं भंते ! जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कति ?, हंता! अत्थि । कहणं भंते ! जीवाणं पावा कम्मा पावफ Page #581 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ७ उ०१०] सुत्तागमे ५२९ अटार तो पच्छा परिणाम कालोदाईमा परिणममा लविवागसंजुत्ता कति ?, कालोदाई ! से जहानामए केइ पुरिसे मणुन्न थालीपागसुद्ध अट्ठारसवंजणाउलं विससंमिस्स भोयणं भुजेज्जा, तस्स णं भोयणस्स आवाए भद्दए भवइ, तओ पच्छा परिणममाणे परि० दुरूवत्ताए दुगंधत्ताए जहा महासवए जाव भुजो २ परिणमइ, एवामेव कालोदाई ! जीवाणं पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले तस्स णं आवाए भद्दए भवइ तओ पच्छा परिणममाणे २ दुरूवत्ताए जाव भुज्जो २ परिणमइ, एवं खलु कालोदाई ! जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कंजंति । अत्यि णं भंते । जीवाणं कन्द्राणा कम्मा कलाणफलविवागसंजुत्ता कजति ?, हंता! अस्थि, कहन्नं भंते ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा जाव कज्जति ?, कालोदाई । से जहानामए केइ पुरिसे मणुनं थालीपागसुद्धं. अट्ठारसवंजणाउलं ओसहमिस्सं भोयणं भुंजेजा, तस्स णं भोयणस्स आवाए नो भद्दए भवइ, तओ पच्छा परिणममाणे २ सुरुवत्ताए सुवन्नत्ताए जाव सुहत्ताए नो टुक्खत्ताए भुज्जो २ . परिणमइ, एवामेव कालोदाई ! जीवाणं पाणाइवायवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे कोहविवेगे,जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे तस्स णं आवाए नो भद्दए भवइ,तओ, पच्छा. परिणममाणे २,सुरूवत्ताए जाव नो दुक्खत्ताए भुजो २ परिणमई, एवं खलु कालोदाई ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा जाव कंजंति ॥ ३०५ ॥ दो भंते ! पुरिसा सरिसया जाव सरिसभंडमत्तोवगरणा अन्नमन्नणं सद्धिं अगणिकायं समारंभंति तत्थ णं एगे पुरिसे अगणिकायं उज्जालेइ एगे पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ, एएसि णं भंते ! दोण्हं पुरिसाणं-कयरे 'पुरिसे महाकम्मतराए चेव महाकिरियतराए चेव महासवतराए चेव महावेयणतराए चेव कयरे वा पुरिसे अप्पकम्मतराए -चेव जांव अप्पवेयणतराए चेव, जे वा से पुरिसे अगणिकायं 'उज्जालेइ जे वा से -पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ ?, कालोदाई ! तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकार्य उज्जालेइ से णं पुरिसे महाकम्मतराए चेव जाव महावैयणतराए चेव, तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ से णं पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए चेव । सेकेणतुणं भंते ! एवं बुच्चैइ-तत्थ णं जे से पुरिसे जाव अप्पवेयणतंराए चेव ?, कालोदाई ! तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं उज्जालेइ से णं पुरिसे बहुतरागं पुढविकायं समारंभइ वहुतराग आउक्कार्य समारंभइ अप्पतरायं तेउकार्य संमारंभइ बहुतरागं वाउकायं समारंभइ बहुतरायं वणस्सइकायं समारंभइ,' वहुतरागं तसकायं समारंभइ, तत्थ गंजे से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ.से णं-पुरिसे अप्पतरायं पुंढविकायं समारंभइ अप्पतरागं आउकार्य समारंभइ बहुतरागं तेउक्कायं समारंभई अप्पतराग वाउंकार्य समारंभइ अप्पतरागवणस्सइकार्य समारंभइ अप्पतरागं तसकायं समारंभइ, ३४ सुत्ता० Page #582 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई से तेणटेणं कालोदाई ! जाव अप्पवेयणतराए चेव ॥ ३०६ ॥ अयि णं भंते। अचित्तावि पोरगला ओभासंति उज्जोति तवेंति पभासंति ?, हता! अन्थि । कयरे गं भंते ! अचित्तावि पोग्गला ओभासंति जाव पभासेंति ?, कालोदाई ! कुद्धस्स अण. गारस्स तेयलेस्सा निसट्टा समाणी दूर गंता दूरं निवयइ देसं गंता देसं निवयइ जहिं जहिं च णं सा निवयइ तहिं तहिं च णं ते अचित्तावि पोग्गला ओभासंति जाव पभासंति, एएणं कालोदाई ! ते अचित्तावि पोग्गला ओभासंति जाव पभासेंति, तए णं से कालोदाई अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ २ वहहिं चउत्थछट्ठम जाव अप्पाणं भावेमाणे जहा पढमसए कालासवेसियपुत्ते जाव सव्वदुक्खप्पहीणे । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ३०७ ॥ सत्तमं सयं समत्तं ।।। गाहा-पोग्गल १ आसीविस २ रुक्ख ३ किरिय ४ आजीव ५ फानुग ६ मदत्ते ७ । पडिणीय ८ बंध ९ आराहणा यं १० दस अट्ठमंमि सए ॥१॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-कंइविहा णं भंते ! पोग्गला पन्नत्ता ?, गोयमा! तिविहा पोग्गला पन्नत्ता, तंजहा-पओगपरिणया भीससापरिणया वीससापरिणया ॥३०८॥ पओगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पन्नत्ता ?, गोयमा! पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-एगिंदियपओगपरिणया बेइंदियपओगपरिणया जाव पंचिंदियपओगपरिणया। एगिंदियपओगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा प० तंजहा-पुढविकाइयएगिदियपओगपरिणया जाव वणस्सइकाइयएगिदियपओगपरिगया | पुढविकाइयएगिदियपओगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुहुमपुढविक्काइयएगिंदियपओगपरिणया वायरपुढविकाइयएगिदियपओगपरिणया, आउक्काइयएगिदियपओगपरिणया एवं चेव, एवं टुयओ मेओ जाव वणेस्सइकाइयएगिदियपओगपरिणया। बेइंदियपओगपरिणयाणं पुच्छा, गोयमा। अणेगविहा पन्नत्ता, एवं तेइंदियचउरिंदियपओगपरिणयावि। पंचिंदियपओगपरिणयाणं पुच्छा, गोयमा ! चउन्विहा पन्नत्ता,तंजहा-नेरइयपंचिंदियपओगपरिणया तिरिक्ख० एवं मणुस्स० देवपंचिंदिय०, नेरइयपंचिंदियपओगपरिणयाणं पुच्छा, गोयमा ! सत्तविहा पन्नत्ता, तंजहा-रयणप्पभापुढविनेरइयपंचिंदियपओगपरिणया य जाव अहेसत्तमपुढविनेरइयपंचिंदियपओगपरिणया य, तिरिक्खजोणियपांचदियपओगपरिणयाणं पुच्छा, गोयमा ! तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-जलयरतिरिक्खजोणियपचिदिय० थलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदिय० खहयरतिरिक्खजोणियपंचिंदिय०,जलंयरतिरिक्खजोणियपंचिंदियपओगपरिणयाणं पुच्छा, गोयमा.! दुविहा प०,तंजहा-समुच्छिमजलयर०, गन्भवतंतियजलयर०, थलयरतिरिक्ख० पुच्छा, गोयमा । दुविहा प०, Page #583 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ८ उ० १] सुत्तागमे तंजहा-चउप्पयथलयर०परिसप्पथलयर०, चउप्पयथलयर०पुच्छा, गोयमा ! दुविहा य०, तंजहा-समुच्छिमचउप्पयथलयर० गन्भवनंतियचउप्पयथलयर०, एवं एएणं अभिलावेणं परिसप्प० दुर्विहा प०, तंजहा-उरपरिसप्प० य भुयपरिसप्प० य, उरपरिसप्प० दुविहा प०, तंजहा-समुच्छिम० य गम्भवनंतिय० य, एवं भुयपरिसप्प० वि, एवं खहयर वि । मणुस्सपंचिंदियपओग० पुच्छा, गोयमा ! दुविहा प०, तंजहासंमुच्छिममणुस्स० गम्भवनंतियमणुस्स। देवपंचिंदियपओग०पुच्छा, गोयमा ! चविहा पन्नत्ता, तंजहा-भवणवासिदेवपचिंदियपओग० एवं जाव वेमाणिय० । . भवणवासिदेवपंचिंदिय पुच्छा, गोयमा ! दसविहा प०; तंजहा-असुरकुमार० जाव थणियकुमार०, एवं एएणं अभिलावेणं अट्ठविहा वाणमंतर० पिसाय० जाव गंधव्व०, जोइसिय० पंचविहा प०, तंजहा-चंदविमाणजोइसिय० जाव ताराविमाणजोइसियदेव०, वेमाणिय० दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-कप्पोववन्न० कप्पाईयगवेमाणिय०, कप्पोववन्नग० दुवालसविहा पण्णत्ता, तंजहा-सोहम्मकप्पोववण्णग० जाव अचुयकप्पोववण्णगवेमाणिय० । कप्पाईय० . दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-गेवेजकप्पातीयवे० अणुत्तरोववाइयकप्पाईयवे०, गेवेजकप्पातीयग० नवविहा पण्णत्ता, तंजहा-हेटिम २ गेवेजगकप्पातीयगं० जाव उवरिम २ गेविनगंकप्पाईय० । अणुत्तरोववाइयकप्पाईयगवेमाणियदेवपंचिदियपओगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा प०, गोयमा! पंचविहा पण्णत्ता, तंजहा-विजयअणुत्तरोववाइय जाव परिणया जाव सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय० देवपंचिंदियपओगपरिणया ॥ सुहुमपुटविकाइयएगिदियपओगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, [केइ अपजत्तगं पढमं भणंति पच्छा पज्जत्तगं] पजत्तगसुहुमपुढविकाइय जाव परिणया य अपज्जत्तमहुमपुढविकाइय जाव-परिणया य, वायरपुढविकाइयएगिदिय० वि एवं चेव, एवं जाव वणस्सइकाइय०, एनेका दुविहा पोग्गला-सुहुँमा य वायरा य, पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य भांणियव्वा । वेदियपओगपरिणयाणं पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता तंजहा-पज्जत्तगवेदियपओगपरिणया य अपनत्तग जाव परिणया य, एवं तेइंदिय०वि एवं चउरिदिय०वि । रयणप्पभापुढविनेरइय० पुच्छा, गोयमा ! दुविहा प०, तंजहापज्जत्तगरयणप्पभापुढवि जाव परिणया य अपज्जत्तग जाव परिणया य, एवं जावं अहेसत्तम० । संमुच्छिमजलयरतिरिक्ख०पुच्छा, गोयमा ! दुविहा प०, तंजहा-पज्जत्तग० अपज्जत्तग०,एवं गभवनंतिय०वि, संमुच्छिमचउप्पयथलयर०वि एवं चेव, एवं गव्भवनंतिय वि, एवं जाव संमुच्छिमखहयरगन्भवतिय य, एकक्ने पज्जत्तगा य अपजत्तगा य भाणियव्वा । संमुच्छिममणुस्सपांचंदियःपुच्छा, गोयमा ! एगविहा प०, Page #584 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई अपजत्तग० चेव । गन्भवतियमणुस्सपंचिंदिय० पुच्छा, गोयमा! दुविहा प०, तंजहा-पजत्तगगब्भवतिय०अपजत्तगगब्भवकंतिय० । असुरकुमारभवणवासिदेव० पुच्छा, गोयमा ! दुविहा प०, तंजहा-पजत्तगअसुरकुमार० अपज्जत्तगअसुर०, एवं जाव पजत्तगणियकुमार एवं अपजत्तग० य, एवं एएणं अभिलावेणं दुयएणं भेएणं पिसाय० य जाव गंधव्व०, चंद० जाव ताराविमाण०, सोहम्मकप्पोववण्णग० जाव अच्चुय०, हिट्ठिमहिट्ठिमगेविजकप्पाईय० जाव उवरिमउवरिमगेविज०, एवं विजयअणुत्तरो० जाव अपराजिय०, सव्वट्ठसिद्धकप्पाईय० पुच्छा, गोयमा ! दुविहा प०, तंजहा-पजत्तगसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरो० अपज्जत्तगसव्वट्ठ जाव परिणया य, २ दंडगा ।। जे अपजत्ता सुहुमपुढविकाइयएगिदियपओगपरिणया ते ओरालियतेयाकम्मासरीरप्पओगपरिणया जे पजत्ता सुहुम० जाव परिणया ते ओरालियतेयाकम्मासरीरप्पओगपरिणया एवं जाव पजत्तगचउरिंदिय०, नवरं जे पजत्तवायरवाउकाइयएगिदियपओगपरिणया ते ओरालियवेउव्वियतेयाकम्मासरीरपओगपरिणया, सेसं तं चेव, जे अपजत्तरयणप्पभापुढविनेरइयपंचिंदियपओगपरिणया ते वेउव्वियतेयाकम्मासरीरप्पओगपरिणया,एवं पजत्तय० वि, एवं जाव अहेसत्तम । जे अपज्जत्तगसंमुच्छिमजलयर जाव परिणया ते ओरालियतेयाकम्मासरीरप्पओगपरिणया एवं पज्जत्तग० वि, अपजत्तगगब्भवक्त्रंतिय० वि एवं चेव, पज्जत्तय० वि एवं चेव नवरं सरीरगाणि चत्तारि जहा बायरवाउकाइयाणं पजत्तगाणं, एवं जहा जलयरेसु चत्तारि आलावगा भणिया एवं चउप्पयउरपरिसप्पभुयपरिसप्पखहयरेसुवि चत्तारि आलावगा भाणियव्वा । जे संमुच्छिममणुस्सपंचिदियपओगपरिणया ते ओरालियतेयाकम्मासरीरप्पओगपरिणया, एवं गब्भवक्त्रंतियावि अपजत्तगा, पज्जत्तगावि एवं चेव, नवरं सरीरगाणि पंच भाणियव्वाणि, जे अपजत्ता असुरकुमारभवणवासि० जहा नेरइय तहेव, एवं पजत्तगावि, एवं दुयएणं भेएणं जाव थणियकुमार०, एवं पिसाय० जाव गंधव्व०, चंद० जाव ताराविमाण०, एवं सोहम्मकप्पो० जाव अच्चुअ०, हेट्ठिम २ गेवेज.जाव उवरिम गेवेज०,विजयअणुत्तरोववाइयजाव सव्वट्ठसिद्धअणु०,एक्लेकेणं दुयओ भेओ भाणियव्वो जाव जे पज्जत्तसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोवेवाइय जाव - परिणया ते वेउव्वियतेयाकम्मासरीरपओगपरिणया, दंडगा ३ ॥ जे अपज्जत्ता सुहमपुढविकाइयएगिदियपओगपरिणया ते फासिदियपओगपरिणया जे पजत्ता सुहमपुढविकाइय० एवं चेव, जे अपजत्ता वादरपुढविक्काइय० एवं चेव, एवं पजत्तगावि, एवं चउक्कएणं भएणं जाव वणस्सइकाइय०, जे अपजत्ता बेइंदियपओगपरिणया ते जिभिदियफ़ासिदियपओगपरिणया जे पज्जत्ता बेइंदिय० एवं चेव, एवं जाव चउरिदिय० नवरं एकेनं इंदियं वड्डे Page #585 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ८ उ०१] सुत्तागमे यव्वं । जे अपज्जत्ता रयणप्पभापुढविनेरइयपंचिंदियपओगपरिणया ते सोइंदियचक्खिदियघाणिदियजिभिदियफासिंदियपओगपरिणया, एवं पज्जत्तगावि, एवं सव्वे भाणियव्वा, तिरिक्खजोणिय०मणुस्स०देव० जाव जे पजत्ता सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव परिणया ते सोइंदियचक्खिदिय जाव परिणया४ ॥ जे अपजत्ता सुहुमपुढविकाइयएगिदियओरालियतेयाकम्मासरीरप्पओगपरिणया ते फासिंदियपओगपरिणया जे पज्जत्ता सुहु० एवं चेव,अपज्जत्तवायर० एवं चेब, एवं पज्जत्तगावि, एवं एएणं अभिलावणं जस्स जंइ इंदियाणि सरीराणि य ताणि भाणियव्वाणि जाव जे य पजत्ता सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिंदियवेउब्वियतेयाकम्मासरीरपओगपरिणया ते सोइंदियचक्खिदिय जाव फासिंदियपओगपरिणया ५॥ जे अपज्जत्ता सुहुमपुटविकाइयएगिदियपओगपरिणया ते वनओ कालवनपरिणयावि नील० लोहिय० हालिद्द० सुकिल्ल, गंधओ सुन्भिगंधपरिणयावि दुन्भिगंधपरिणयावि, रसओ तित्तरसपरिणयावि कड्डयरसपरिणयावि कसायरसप० अंविलरसप० महुररसप०, फासओ कक्खडफासपरि० जाव लुक्खफासपरि०, संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणयावि वट्ट० तंस० चउरंस० आययसंठाणपरिणयावि, जे पजत्ता सुहुमपुडवि० एवं चेव, एवं जहाणपुवीए नेयव्वं जाव जे पज्जत्ता सव्वदृसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव परिणया ते. वन्नओ कालवन्नपरिणयावि जाव 'आययसंठाणपरिणयावि ६ ॥ जे अपज्जत्ता सुहुमपुढवि० एगिदियओरालियतेयांकम्मासरीरपओगपरिणया ते वनओ कालवनपरि० जाव आय. यसंठाणपरि०, जे पज्जत्ता सुहुमपुढवि० एवं चेव, एवं जहाणुपुव्वीए नेयव्वं जस्स जई सरीराणि जाव जे पजत्ता सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय० देवपंचिंदियवेउन्वियतेयाक्रम्मासरीरप्पओगपरिणया ते वन्नओ कालवनपरिणयावि जाव आययसंठाणपरिणयावि ७ ॥ जे अपजत्ता सुहुमपुढविकाइयएगिदियफासिंदियपओगपरिणया ते वन्नओ कालवनपरिणयावि जाव आययसंठाणपरिणयावि, जे पज्जत्ता सुहुमपुढवि० एवं चेव, एवं जहाणुपुवीए जस्स जइ इंदियाणि तस्स तत्तियाणि भाणियव्वाणि जाव जे पज्जत्ता सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरो० देवपंचिंदियसोइंदिय जाव फासिंदियपओगपरिणया ते वन्नओ कालवनपरिणयावि जाव आययसंठाणपरिणयावि ८ ॥ जे अपजत्ता मुहुमपुढविकाइयएगिदियओरालियतेयाकम्मासरीरफार्सिदियपओगपरिणया ते वन्नओ कालवनपरिणयावि जाव आययसंठाणप०, जे पजत्ता सुहुमपुढवि० एवं चेव, एवं जहाणुपुव्वीए जस्स जइ सरीराणि इंदियाणि य तस्स तइ भाणियव्याणि जाव जे पज्जत्ता सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिदियवेउव्वियतेयाकम्मासरीरसोइंदिय जाव फासिंदियपओगपरि० ते वन्नओ कालवन्नपरि० जाव आययसंठा Page #586 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे { भगवई णपरिणयावि, एवं एए नवे दंडगा ९ ॥ ३०९ ॥ मीसापरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तंजहा-एगिदियमीसापरिणया जाव पंचिदियमीसापरिणया, एगिदियमीसापरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता ?, एवं जहा पओगपरिणएहिं नव दंडगा भणिया एवं मीसापरिणएहिवि नव दंडगा भाणियव्वा, तहेव सव्वं निरवसेसं, नवरं अभिलावो भीसापरिणया भागियव्वो, सेसं तं चेव, जाव जे पजत्ता सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरो० जाव आययसंठागपरिणयावि ॥ ३१० ॥. वीससापरिणया णं भंते! पोग्गला कइविहा पन्नत्ता ?, गोयमा! पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-वनपरिणया गंधपरिणया रसपरिणया फासपरिणया संठाणपरिणया, जे वनपरिणया ते पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-कालवनपरिणया जाव सुकिलवनपरिणया, जे गंधपरिणया ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुभिगंधपरिणयावि दुन्भिगंधपरिणयावि, एवं जहा पन्नवणापए तहेव निरवसेसं जाव जे संठाणओ आययसंठाणपरिणया.ते वन्नओ कालवनपरिणयावि जाव लुक्खफासपरिणयावि ॥ ३११ ॥ एगे भंते ! दव्वे किं पओगपरिणए मीसापरिणए वीससापरिणए ?, गोयमा! पओगपरिणए वा मीसापरिणए वा वीससापरिणए वा । जइ पओगपरिणए कि मणप्पओगपरिणए वइप्पओगपरिणए कायप्पओगपरिणए , गोयमा ! मणप्पओगपरिणए वा वइप्पओगपरिणए वा कायप्पओगपरिणए वा, जइ मणप्पओगपरिणए किं सच्चमणप्पओगपरिणए मोसमणप्पओग० संञ्चामोसमणप्पओ० असच्चामोसमणप्पओ० ?, गोयमा । सच्चमणप्पओगपरिणए वा मोसमणप्पओग० सच्चामोसमणप्प० असञ्चामोसमणप्प०, जइ सच्चमणप्पओगप० किं आरंभसचमणप्पओ० अणारंभसचमणप्पओगपरि० सारंभसच्चमणप्पओग० असारंभसच्चमण समारंभसच्चमणप्पओगपरि असमारंभसच्चमणप्पओगपरिणए ?, गोयमा । आरंभसच्चमणप्पओगपरिणए वा जाव असमारंभसच्चमणप्पओगपरिणए वा, जइ मोसमणप्पओगपरिणए कि आरंभमोसमणप्पओगपरिणए० ? एवं जहा सच्चेणं तहा मोसेणवि, एवं सञ्चामोसमणप्पओगपरिणएवि, एवं असच्चामोसमणप्पओगेणवि । जंइ वइपओगपरिणए किं सच्चवइप्पओगपरिणए मोसवइप्पओगपरिणए ? एवं जहा मणप्पओगपरिणए तहा वइप्पओगपरिणएवि जाव असमारंभवइप्पओगपरिणए वा । जइ कायप्पओगपरिणए कि ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए ओरालियमीसासरीरकायप्पओ० वेउव्वियसरीरकायप्प० वेउव्वियमीसासरीरकायप्पओगपरिणए आहारगसरीरकायप्पओगपरिणए आहारगमीसासरीरकायप्पओगपरिणए कम्मासरीरकायप्पओगपरिणए ?, गोयमा! ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए वा जाव कम्मासरीरकायप्पओगपरिणए वा, जइ Page #587 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ८ उ०१] सुत्तागमे ५३५ ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए कि एगिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए एवं जाव पंचिंदियओरालिय जावं परि०?, गोयमा ! एगिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए वा बेदिय जाव परिणए वा जाव पंचिंदिय जाव परिणए वा, जइ एगिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए किं पुढविक्काइयएगिदिय जाव परिणए जाव वणस्सइकाइयएगिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए ?, गोयमा ! पुढविकाइयएगिदिय जाव परिणए वा जाव वणस्सइकाइयएगिदिय जाव परिणए, वा, जइ पुडविकाइयएगिदियओरालियसरीर जाव परिणए कि सुहुमपुढविकाइय जाव परिणए वायरपुढविकाइयएगिदिय जाव परिणए ?, गोयमा ! सुहुमपुढविक्काइयएगिदिय जाव परिणए वा वायरपुढविकाइय जीव परिणए वा, जइ सुहुमपुढविकाइय जाव परिणए कि पज्जत्तसुहुमपुढवि जाव परिणए अपज्जत्तंसहुमपुढवि जाव परिणए ?, गोयमा! पजत्तसहुमपुढविकाइय जाव परिणए वा अपजत्तसहुमंपुढविकाइय जाव परिणए वा, एवं वायरावि, एवं जाव वणस्सइकाइयागं चउक्कओ भेओ, बेइंदियतइंदियचउरिंदियाण दुयओ मेओ पज्जत्तगा य अपजत्तगा य । जइ पंचिंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए किं तिरिक्खेजोणियपंचिंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए मणुस्सपंचिंदिय जावं परिणए ?, गोयमा ! तिरिक्खजोणिय जाव परिणए वा मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणएँ वा, जइ तिरिक्खजोणिय जाव परिणए किं जलयरतिरिक्खजोणिय जाव परिणए थलयरखहयर०? एवं चउक्कओ मेओ जाव खहयराणं । जइ मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए कि समुच्छिममणुस्सपंचिदिय जाव परिणए गम्भवनंतियमणुस्सजाव परिणए ?, गोयमा ! दोसुवि, जइ गन्भवतियमणुस्स जाव परिणए किं पजत्तगब्भवकंतिय जाच परिणए अपजत्तगभवतियमणुस्सपंचिंदियओरालियंसरीरंकायप्पओगपरिणएं ?, गोयमा ! पज्जत्तगव्भवनंतिय जाव परिणए वो अपेजत्तगभवनंतिय जाव परिणए वा १ । जइ ओरालियमीसासरीरकायप्पओगपरिणए कि एगिंदियओरालियमीसासरीरकायप्पओगपरिणए वेइंदिय जाव परिणए जाव पंचेंदियओरालिय जाव परिणए , गोयमा ! एगिंदियओरालिय जाव परिणए एवं जहा ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणएणं आलावगो भणिओ तहा ओरालियमीसासरीरकायप्पओगपरिणएवि आलोवंगो भाणियव्वो, नवरं वायरवाउकाइयगव्भवतंतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियगन्भवतियमणुस्साणं एएसि णं पज्जत्तापजत्तगाणं सेसाणं अपजत्तगाणं २ । जइ वेउव्वियसरीरकायप्पओगपरिणए कि एगिदियवेउबियसरीरकायप्पओगपरिणए जाव पंचिंदियवेउव्वियसरीर जाव परिणए ?, गोयमा ! एगिदिय जाव परिणए वा पंचिंदिय जाव परिणए वा, जइ एगिदिय Page #588 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई जाव परिणए किं वाउकाइयएगिदिय जाव परिणए अवाउकाइयएगिदिय जाव परिणए ?, गोयमा ! वाउक्काइयएगिदिय जाव परिणए नो-अवाउक्काइय जाव परिणए, एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओगाहणसंठाणे वेउव्वियसरीरं भणियं तहा इहवि भाणियव्वं जाव पजत्तसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइयकप्पाईयवेमाणियदेवपंचिदियवेउव्वियसरीरकायप्पओगपरिणए वा अपज्जत्तसव्वट्ठसिद्ध०कायप्पओगपरिणए वा ३ । जइ वेउव्वियमीसासरीरकायप्पओगपरिणए किं एगिदियमीसासरीरकायप्पओगपरिणए जाव पंचिंदियमीसासरीरकायप्पओगपरिणए ?, एवं जहा वेउव्वियं तहा वेउव्वियमीसगंपि, नवरं देवनेरइयाणं अपज्जत्तगाणं सेसाणं पज्जत्तगाणं तहेव जाव नो पज्जत्तसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरो० जाव पओग० अपज्जत्तसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइयदेवपंचिदियवेउन्वियमीसासरीरकायप्पओगपरिणए ४ । जइ आहारगसरीरकायप्पओगपरिगए किं मणुस्साहारगसरीरकायप्पओगपरिणए अमणुस्साहारग जाव प०१, एवं जहां ओगाहणसंठाणे जाव इड्डिपत्तपमत्तसंजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेजवासाउय जाव परिणए नो अणिढिपत्तपमत्तसंजयसम्मद्दिछिपज्जत्तसंखेजवासाउय जाव प० ५। जइ आहारगमीसासरीरकायप्पओगप० कि मणुस्साहारगमीसासरीर? एवं जहा आहारगं तहेव मीसगंपि निरवसेसं भाणियव्वं ६ । जइ कम्मासरीरकायप्पओगप० कि एगिंदियकम्मासरीरकायप्पओगप० जाव पंचिंदियकम्मासरीर जाव प० ?, गोयमा! एगिदियकम्मासरीरकायप्पओ० एवं जहा ओगाहणसंठाणे कम्मगस्स भेओ तहेव इहावि जाव पज्जत्तसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिंदियकम्मासरीरकायप्पओगपरिणए वा अपजत्तसव्वट्ठसिद्धअणु० जाव परिणए वा ७ ॥ जइ मीसापरिणए किं मणमीसापरिणए वइमीसापरिणए कायमीसापरिणए ?, गोयमा ! मणमीसापरिणए वा वइमीसा० वा कायमीसापरिणए वा, जइ मशमीसापरिणए किं सच्चमणमीसापरिणए मोसमणमीसापरिणए ? जहा पओगपरिणए तहा मीसापरिणएवि भाणियव्वं निरवसेसं जाव पज्जत्तसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिंदियकम्मासरीरमीसापरिणए वा अपज्जत्तसव्वट्ठसिद्धअणु० जाव कम्मासरीरमीसापरिणए वा । जइ वीससापरिणए कि वनपरिणए गंधपरिणए रसपरिणए , फासपरिणए संठाणपरिणए ?, गोयमा ! वनपरिणए वा गंधपरिणए वा रसपरिणए वा- फासपरिणए वा संठाणपरिणए वा, जइ वनपरिणए कि कालवन्नपरिणए नील जाव सुकिल्लवनपरिणए ?, गोयमा ! कालवन्नपरिणए वा जाव सुकिल्लवनपरिणए वा, जइ गंधपरिणए किं सुब्भिगंघपरिणए दुन्भिगंधपरिणए ?, गोयमा ! सुन्मिगंधपरिणए वा दुन्मिगंधपरिणए वा,जइ रसपरिणए किं तित्तरसपरिणए ५, पुच्छा, गोयमा ! तित्तरसपरिणए वा जाव महुर Page #589 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ८ उ०१] सुत्तागमे रसपरिणए वा, जइ फासपरिणए कि कक्खडफासपरिणए जाच, लुक्खफासपरिणए ?, गोयमा कक्खडफासपरिणए वा जाव लुक्खफासपरिणए वा,जइ संठाणपरिणए पुच्छा, गोयमा ! परिमंडलसंठाणपरिणए वा जाव आययसंठाणपरिणए वा ॥३१२॥ दो भंते ! दव्वा किं पओगपरिणया मीसापरिणया वीससापरिणया ?, गोयमा ! पओगपरिणया चा १ मीसापरिणया वा २ वीससापरिणया वा ३ अहवा एगे पओगपरिणए एगे-मीसापरिगए ४ अहलेगे पओगप० एगे वीससापरि० ५ अहवा एगे मीसापरिणए एगे वीससापरिणए एवं ६ । जइ पओगपरिणया कि मणप्पओगपरिणया वइप्पओग० कायप्पओगपरिणया?, गोयमा ! मणप्पओ० वइप्पओगप० कायप्पओगपरिणया वा अहवेगे मणप्पओगप० एगे वइप्पओगप०, अहवेगे मणप्पओगपरिणए एगे कायप०, अहवेगे वइप्पआगप० एगे कायप्पओगपरि०, जइ मणप्पओगप० किं, सच्चमणप्प ओगप०४ ?, गोयमा ! सच्चमणप्पओगपरिणया वा जाव असच्चामोसमणप्पओगप० चा १ अहवा एगे सच्चमणप्पओगपरिणए एगे मोसमणप्पओगपरिणए १ अहवा-एगे सच्चमणप्पओगप० एगे सच्चामोसमणप्पओगपरिणए २ अहवा एगे सच्चमणप्पओगपरिणए एगे असच्चामोसमणप्पओगपरिणए ३. अहवा एगे मोसमणप्पओगप० एगे सच्चामोसमणप्पओगप० ४ अहवा एगे मोसमणप्पओगप० एगे असच्चामोसमणप्पओगप० ५ अहवा एगे सच्चामोसमणप्पओगप० एगे असच्चामोसमणप्पओगप०६ । जइ सच्चमणप्पओगप० किं आरंभसच्चमणप्पओगपरिणया जाव असमारंभसच्चमणप्पओगप०१, गोयमा ! आरंभसच्चमणप्पओगपरिणया वा जाव असमारंभसच्चमणस्पओगपरिणया वा, अहवा एगे आरंभसच्चमणप्पओगप० एगे अणारंभसच्चमणप्प ओगप० एवं एएणं गमएणं दुयसंजोएणं नेयव्वं, सव्वे संजोगा जत्थ जत्तिया उठेति ते भाणियन्वा जाव सव्वट्ठसिद्धगत्ति । जइ-मीसाप०किं मणमीसापरि०? एवं मीसापरि० वि । जइ वीससापरिणया किं वनपरिणया गंधप० ? एवं वीससापरिणयावि जाव अहवा एगे चउरंससंठाणपरि० एगे आययसंठाणपरिणए वा ॥ तिन्नि भंते ! व्वा किं पओगपरिणया मीसाप० वीससाप ?, गोयमा ! पओगपरिणया वा मीसापरिणया वा वीससापरिणया वा। अहवा एगे पओगपरिणए दो मीसाप० १ अहवेगे पओगपरिणए दो वीससाप०२ अहवा दो पओगपरिणया एगे मीससापरिणए ३ अहवा दो पीगप० एगे वीससाप० ४ अहवा एगे मीसापरिणए दो वीससाप० ५ अहवा दो मीससाप० एगे वीससाप०.६ अहवा एगे पओगप० एगे मीसापरि० एगे वीससाप० ७ । जइ पओगप० कि मणप्पओगपरिणया वइप्पओगप० कायप्पओगप०?, गोयमा ! मणप्पओगपरिणंया वा एवं एकगसंजोगो दुयासंजोगो तियासंजोगो भाणि Page #590 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३८ सुत्तागमे [ भगवई 1 यव्वो, जइ मणप्पओगपरि ० किं सचमणप्पओगपरिणया ४ ?, गोयमा । सचमणप्पओगपरिणया वा जाव असच्चामोसमणप्पओगपरिणया वा ४, अहवा एगे सचमणप्पओगपरिणए दो मोसमणप्पओगपरिणया, एवं दुयासंजोगो तियासंजोगो भाणि - यव्वो, एत्थवि तहेव जाव अहवा एगे तंससंठाणपरिणए वा एगे चउरंसठाणपरिणए वा. एगे आययसंठीणपरिणए वा ॥ चत्तारि भंते ! दव्वा कि पओगपरिणया ३ १, गोयमा ! पओगपरिणया वा मीसापरिणया वा वीससापरिणया वा, अहत्रा एंगे पओगपरिणए तिन्नि मीसापरिणया १ अहवा एगे पओगपरिणए तिन्नि वीससापरिगया २ अहवा दो पओगपरिणया दो मीसापरिणया ३ अहवा दो पओगपरिणया दो वीससापरिणया ४ अहवा तिनि पओगपरिणया एगे मीससापरिणए ५ अहवा तिन्नि पओगपरिणया एगे वीससापरिणए ६ अहवा एगे मीससापरिणए तिन्नि वीससापरिणया ७ अहवा दो मीसापरिणया दो वीससापरिणया ८ अहवा तिन्नि मीसापरिणया एगें वीससापरिणए ९ अहंवा एगे पओगपरिणए दो वीससापरिणया ( एगे मीसापरिणए) १ अहवा एगे पओगपरिणए दो मीसापरिणया एगे वीससा - परिणए २ अहवा दो पओगपरिणयां एगे मीसापरिणए एगे वीससापरिणए ३ । जइ पओगपरिणयां किं मणप्पओगपरिणया ३१ ॥ एवं एएणं कमेणं पंच छ सत्त जाव दस संखेज्जा असंखेज्जा अणता य दव्वा भाणियव्वा ( एकगसंजोगेणं ) दुयासंजोएणं तियासंजोएणं जावं दससंजोएणं बारससंजोएणं उवजुंजिऊणं जत्थ जत्तिया संजोगा उट्ठेतिं ते सव्वे भाणियव्वा, एए पुण जहा नवमसए पवेसणए भणिहामि तहा उवजुञ्जिऊण भाणियव्वा जाव असंखेजा अनंता एवं चेव, नवरं एवं पर्यं अग्भहियं, जाव अहवा अनंता परिमंडलसंठाणपरिणया जाव अणंता आययसंठाणपरिणया ॥ ३१३ ॥ एएसि णं भंते ! पोग्गलाणं पओगपरिणयाणं मीसापरिणयाणं वीससापरिणयाणं य कंयरे २ हिंतो जाव विसेसाहियां वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पोग्गला पंओगपरिणया सीसापरिणया अणतगुणा वीससापरिणयां अणन्तगुणा । सेवं भंते 1 सेवं भंतें ! त्तिं ॥ ३१४ ॥ अट्टमसयस्स पढमो उद्देसो समत्तों ॥ • कइविहा णं भंते! आसीविसा पन्नत्ता ?, गोयंमा ! दुविहा आसी विसा पन्नत्ता, तंजहा- जाइओसीविसा य कम्मऔसीविसाय, जोइओसीविसा णं भंते! कइविहाँ प० ?, गोयमा ! चउव्विहा पं० तंजहा - विच्छुयजाइआ सीविसे मंडुकजाइआसीविसे उरगंजाइआसीविसे मणुस्सजाइ आसीविसे, विच्छुयजाइआसीविसस्स णं भंते ! केवइए विसए पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंभू णं विच्छुयजाइओसीविसे अभरहप्पमाणमेत्तं बोंदिं विसेणं' विसपरिगयं विसट्टमाणं पकरेत्तए, विसए से विसट्टयाए नो चेवणं " · Page #591 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ८ उ० २] सुत्तागमे संपत्तीए करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा १, मडक्कजाइआसीविसपुच्छा, गोयमा ! पभू णं मंडुक्कजाइआसीविसे भरहप्पमाणमेत्तं वोदि विसेणं विसपरिगयं सेसं तं चेव जाव करेस्संति वा २, एवं उरंगजाइआसीविसस्सवि नवरं जंबुद्दीवप्पमाणमेत्तं वोदि विसेणं विसपरिगयं सेसं तं चेव जाव करेस्संति वा ३, मणुस्सजाइआसीविसस्सवि एवं चेव नवरं समयखेत्तप्पमाणमेत्तं वोदि विसेणं विसपरिगयं सेसं तं चेव जाव करेस्संति वा ४ ।,जइ कम्मआसीविसे कि नेरइयकम्मआसीविसे तिरिक्खजोणियकम्म आसीविसे मणुस्सकम्मआसीविसे. देवक्रम्मासीविसे ?, गोयमा । नो नेरइयकम्मासीविसे तिरिक्खजोणियकम्मासीविसेवि मणुस्सकम्मा० देवकम्मासी०, जइ तिरिक्खजोणियकम्मासीविसे कि एगिंदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे जाव पंचिंदियतिरिक्खजो-- णियकम्मासीविसे ?, गोयमा! नो एगिंदियंतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे जाव नो चउरिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे, पंचिंदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे, जइ पंचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे कि संमुच्छिमपंचेदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे गन्भवतियपंचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे ?, एवं जहा वेउब्वियसरीरस्स भेओ जाव , पज्जत्तासंखेजवासाउयगम्भवत्रंतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे नो अपज्जत्तासंखेजवासाउय जाव कम्मासीविसे । जइ मणुस्सकम्मासीविसे किं समुच्छिममणुस्सकम्मासीविसे गन्भवतियमणुस्सकम्मासीविसे ?, गोयमा ! णो संमुंच्छिममणुस्सकम्मासीविसे गन्भवतियमणुस्सकम्मासीविसे एवं जहा वेटवियसरीरं जाव पजत्तासंखेजवासाउयकम्मभूमियगन्भवतियमणूसकम्मासीविसे नो अपजत्ता जाव कम्मासीविसे । जइ देवकम्मासीविसे कि भवणवासिदेवकम्मासीविसें जाव वेमाणियदेवकम्मासीविसे ?, गोयमा भवणवासि देवकम्मासीविसेविवाणमंतर जोइसिय० वेमाणियदेवकम्मासीविसेवि, जइ भवणवासिदेवकम्मासीविसे कि असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे जाव थणियकुमार जाव कम्मासीविसे ?, गोयमा ! असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसेवि जीव थंणियकुमार० आसीविसेवि,जई असुर-- कुमार जोव कम्मासीविसे किं पज्जत्तअसुरकुमार जाव कम्मासीविसे अपजत्तंअसुरकुमारभवर्णवासिदेवकम्मांसीविसे ? गोयमा ! नो पजत्तअसुरकुमार जावं कम्मासीविसे अपजत्तअंसुरकुंमारभर्वणवासिदेवकम्मासीविसे, एवं थणियकुमारणं, जई वाणमंतरदेवकम्मासीविसे किं पिसायवाणमंतर एवं सव्वेसिपि अपजतंगाणं, जोइसियाणं सव्वेसिं अपज्जत्तगाणं, जई वेमाणियदेवकम्मासीविसे किं कप्पोववण्णगंवेमाणियदेवकम्मासीविसे कप्पाईयवेमाणियदेवकम्मासीविसे ?, गोयमा! कप्पोववण्णगवेमाणियदेवकम्मासीविसे नों कप्पांतीयवेमाणियदेवक्रम्मासीविसे, जई कप्पोववग्णगवे Page #592 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ५४० माणियदेवकम्मासीविसे किं सोहम्मकप्पोव० जाव कम्मासीविसे जाव अच्चुयकप्पोवग जाव कम्मासीविसे ?, गोयमा ! सोहम्मकप्पोववण्णगवेमाणियदेवकम्मासीविसेवि जाव सहस्सारकप्पोववण्णगवेमाणियदेवकम्मासीविसेवि, नो आणयकप्पोचवण्णग० जाव नो अञ्चयकंप्पोववण्णगवेमाणियदेव०, जइ सोहम्मकप्पोववण्णग जाच कम्मासीविसे किं पजत्तसोहम्मकप्पोववण्णगवेमाणिय० अपज्जत्तगसोहम्मक० ?, गोयमा! नो - पजत्तसोहम्मकप्पोक्वण्णगवेमाणिय० अपज्जत्तसोहम्मकप्पोववण्णगवेमाणियदेवकम्मासीविसे, एवं जावं नो पजत्तसहस्सारकप्पोववण्णगवेमाणियदेवकम्मासीविसे, अपज्जत्तसहस्सारकप्पोववण्णग जाव कम्मासीविसे ॥ ३१५ ॥ दस ठाणाई छउमत्थे सवभावेणं न जाणइ न पासइ, तंजहा-धम्मत्यिकायं १ अधम्मत्यिकायं-२ आगासत्थिकायं ३ जीवं असरीरंपडिवद्धं ,४. परमाणुपोग्गलं ५ सई ६-गंधं ७ वायं - ८ अयं जिणे भविस्सइ ण वा भविस्सइ ९ अयं सव्वदुक्खाणं अंतं. करिस्सइन वा करेस्सइ १० ॥. एयाणि चेव उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली सव्वभावेणं जाणइ पासइ, 'तंजहा-धम्मत्थिकायं जाव करेस्सइ न वा करेस्सइ॥ ३१६ ॥ कइविहे णं भंते ! नाणे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे नाणे पन्नत्ते, तंजहा-आभिणिवोहियनाणे सुयनाणे ओहिनाणे मणपजवनाणे केवलनाणे; से कि, - आभिणिवोहियनाणे ?, आभिणिवोहियनाणे चउविहे पन्नत्ते, तंजहा-उग्गहो-ईहा अवाओ धारणा, एवं जहा रायप्पसेणीए णाणाणं भेओ तहेव इहावि भाणियव्वो जाव सेत्तं केवलनाणे ॥ अन्नाणे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते, गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तंजहा-मइअन्नाणे सुयअन्नाणे विभंगणाणे । से किं तं मइअन्नाणे ?, २ चउन्विहे पण्णत्ते, तंजहा-उग्गहो जाव धारणा । से किं तं उग्गहे ?, २ दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-अत्थोग्गहे य वंजणोग्गहे य, एवं ,जहेव आभिणिबोहियनाणं तहेव, नवरं एगट्ठियवजं जाव नोइंदियधारणा, सेत्तं, धारणा, सेत्तं मइअन्नाणे । से किं तं सुयअन्नाणे ?, २ जं इमं अन्नाणिएहि मिच्छद्दिहिएहिं जहा नंदीए जाव चत्तारि वेया संगोवंगा, सेत्तं सुयअन्नाणे । -से कि तं-विभंगनाणे १, २ अणेगविहे पण्णत्ते, तंजहा-गामसंठिए नगरसंठिए जाव संनिवेससंठिए दीवसंठिए समुद्दसंठिए वाससंठिए वासहरसंठिए पव्वयसंठिए रुक्खसंठिए थूभसंठिए हयसंठिए गयसंठिए नरसंठिए किनरसंठिए किपुरिससंठिए महोरगसंठिए गंधदसंठिए उसभसंठिए पसुपसयविहगवानरणाणासंठागसंठिए पण्णत्ते ॥ जीवा णं भंते किं नाणी अन्नाणी, गोयमा ! जीवा नाणीवि अन्नाणीवि, जे नाणी ते अत्थेगईंया दुन्नाणी अत्थेगइया तिन्माणी - अत्थेगइया चउनाणी अत्थेगइया एगनाणी, जे-दुन्नाणी ते आभिणि Page #593 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ० प०, स० ८ उ०२ ] सुत्तागमे O बोहियनाणी य- सुयनाणी य, जे तिन्नाणी ते आभिणिवोहियनाणी सुयनाणी ओहि नाणी अहवां : आभिणिवोहियनाणी सुयनाणी मणपजवनाणी, जे चउनाणी ते आभिणिवोहियनांणी सुयनाणी ओहिनाणी मणपजवनाणी, जे एगनाणी ते नियमा केवलनाणी, जे अन्नाणी ते अत्येगइया दुअन्नाणी अत्थेगइया तिअन्नाणी, जे दुअनाणी ते मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य, जे तियअन्नाणी ते मइअन्नाणी सुयअंन्नाणी विभंगनाणी । नेरइया णं भंते । किं नाणी अन्नाणी ? गोयमा ! नाणीव अन्नाणीवि, जे नाणी ते नियमातिन्नाणी, तंजहा - आभिणिवोहि सुयनाणी ओहिनाणी, जे अन्नाणी ते अत्येगइया दुअन्नाणी अत्थेगईया तिअन्नाणी, एवं तिन्नि अन्नाणाणि भयणाए । असुरकुमारा णं भंते ! कि नाणी अन्नाणी ?, जहेव नेरइया तहेव तिन्नि नाणाणि नियमा, तिन्नि अन्नाणाणि भेयणाएं, एवं जाव थणियकुमारा । पुढविकाइया णं भंते! कि नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नो नाणी अन्नाणी, जे अन्नाणी ते नियमा दुअन्नाणी - मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य, एवं जाव वणस्संइकाइया । वेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा । णाणीव अन्नाणीवि, जे नाणी ते नियमा दुन्नाणी, तंजहा - आभिणिवोहियनाणी व सुयनाणी य, जे अन्नाणी ते नियमा दुअन्नाणी तं० आभिणिवोहियअन्नाणी सुयअन्नाणी, एवं तेइंदियचडरिंदियावि, पंचिंदियतिरिक्खजो० पुच्छा, गोयमा ! नाणीव अन्नाणीवि, जे नाणी ते अत्थे • दुन्नाणी अत्थे तिन्नाणी एवं तिन्नि नाणाणि तिन्नि अन्नाणाणि र्य भयणाए । मणुस्सा जहा जीवा तहेव पंच नाणाणि तिन्नि अन्नाणाणि भयणाए । वाणमंतरा जहा ने०, जोइ - सियवेमाणियाणं तिन्नि नाणाई तिन्नि अन्नाणारं नियमा । सिद्धा णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! णाणी नो अन्नाणी, नियमा एंगनाणी केवलनाणी ॥ ३१७ ॥ निरयगइया णं भंते! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमां ! नाणीव अन्नाणीवि, तिन्नि नाणाई नियमा तिन्नि अन्नाणाई भयणाए । तिरियगइयां णं भंते ! जीवा कि नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! दो नाणाई दो अन्नाणाई निर्यमा । मणुस्सगइया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा 1 तिन्नि नाणाई भयणाए दो अन्नाणाईं नियमां, देवगइया जहा निरयगइया । सिद्धगड्या णं भंते ! जहा सिद्धा ॥ सइंदिया णं भंते! जीवा किं नाणी अन्नोणी ?, गोयमा ! चत्तारि नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए । एगिंदिया णं भंते ! जीवा कि नाणी० ?, जहां पुढविकाइया, बेइंदियतेइंदियचउरिदियाणं दो नाणाई दो अन्नाणाई नियमां । पंचिंदिया जहा सइंदियां । आणिदिया णं भंते ! जीवा किं नाणी० ?, जहा सिद्धा ॥ सकाइया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! पंच नाणाणि तिन्नि अन्नाणाई भयणाए । पुढविकाइया O 4 ५४१ Page #594 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४२ सुत्तागमे .. [भगवई जांव वणस्सइकाइया नो नाणी अन्नाणी नियमा दुअन्नाणी, तंजहा-मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य; तसकाइया जहा सकाइया । अकाइया गं भंते ! जीवा कि नाणी०?, जहा सिद्धा ३ ॥ सुहुमा णं भंते ! जीवा किं नाणी० ? जहा पुढविकाइया । वायरा गं भंते ! जीवा किं नाणी ? जहा सकाइया । नोसहुमानोवायरा णं भंते ! जीवा० जहा सिद्धा ४॥ पजत्ताणं भंते-! जीका किं नाणी, जहा सकाइया । पजत्ता णं भंते । नेरइया कि नाणी० ?, तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा नियमा जहा नेरइआ एवं जाव थणियकुमारा। पुढविकाइया जहा एगिंदिया, एवं जाव चउरिंदिया। पज्जत्ता-णं भंते ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया कि नाणी अन्नाणी?, तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा भयणाए । मणुस्सा जहा सकाइया। वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया जहा नेरइया । अपज्जत्ता णं भंते ! जीवा किं नाणी० १, तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा भयणाए। अपज्जत्ताणं भंते ! नेरइया किं नाणी अन्नाणी ?, तिन्नि नाणा नियमा तिन्नि अन्नाणा भयणाए, एवं जाव थणियकुमारा । पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया जहा एगिदिया । वेदियाणं पुच्छा, दो नाणा दो अन्नाणा णियमा, एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं । अपजत्तगा गं भंते ! मणुस्सा किं नाणी अन्नाणी?, तिन्नि नाणाई भयणाए दो अन्नाणाई नियमा, वाणमंतरा जहा नेरइया, अपज्जत्तगा जोइसियवेमाणियागं तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा नियमा । नोपजत्तगनोअपजत्तगा गं भंते-!-जीवा किं नाणी०?; जहा सिद्धा ५ । निरयभवत्था णे भंते ! जीवा कि नाणी-अन्नाणी ?, जहा निरयगइया । तिरियभवत्था णं भंते ! जीवा कि नाणी अन्नाणी ?, तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा भयणाए । मणुस्सभवत्था. णं० जहा सकाइया । देवभवत्था णं भंते! जहा निरयभवत्था । अभवत्था जहा सिद्धा ६॥ भवसिद्धिया णं भंते ! जीवा कि नाणी०?, जहा सकाइया, अभवसिद्धियाणं पुच्छा, गोयमा! नो नाणी अन्नाणी तिन्नि अन्नाणाई भयणाए । नो भवसिद्धियानोअभवसिद्धिया णं भंते ! जीवा. जहा सिद्धा ७ ॥ सन्नीणं पुच्छा जहा सइंदिया, असन्नी जहा बेइंदिया, नोसन्नीनोअसन्नी जहा सिद्धा ८ ॥ ३१८ ।। कइविहा णं भंते! लद्धी पण्णत्ता ?, गोयमा ! दसविहा लद्धी प०, तंजहा-नाणलद्धी ५ देसणलद्धी २ चरित्तलद्धी ३ चरित्ताचरित्तलद्धी ४ दाणलद्धी ५ लाभलद्धी ६ भोगलद्धी ७ उवभोगलद्धी ८ वीरियलद्धी ९ - इंदियलद्धी १० । णाणलद्धी गं भंते ! काविहा प०?, गोयमा! पंचविहा प०, तंजहा-आभिणिवोहियणाणलद्धी जाव केवलणाणलद्धी ॥ अन्नाणलद्धी णं भंते! कइविहा प०?, गोयमा! तिविहा ५०, तंजा-मइअन्नाणलद्धी नुयअन्नाणलद्धी विभंगनाणलद्धी ॥ दसणलद्धी णं भंते! Page #595 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ८ उ० २ ] सुत्तागमे 7 I 4 कइ विहा प० ?, गोयमा ! तिविहा प०, तंज़हा - सम्मद्दंसणलद्धी मिच्छादंसणलद्धी सम्मामिच्छादंसणलद्धी ॥ चरितलद्धी णं भंते ! कइविहा प०१, गोयमा ! पंचविहा प०, तंजहा- सामाइयचरित्तलद्धी छेदोवट्ठावणियलद्धी परिहारविद्धचरित्तद्धी सहुमसंपरायचरित्तलद्धी अहक्खायचरितलद्धी ॥ चरित्ताच रित्तलद्धी णं - भंते ! कइविहा प०, गोयमा ! एगागारा प०, एवं जाव उवभोगलद्धी एगागारा प० ॥ वीरियलद्धी णं भंते ! कइविहा प० ?, गोयमा ! तिविहा प०, तंजहा - बालवीरियलद्धी पंडियवीरियलद्धी वालपंडियवीरियलद्धी । इंदियलद्धी णं भंते । कविहा प० १, गोयमा ! पंचविहा प०, तंजहा- सोइंदियलद्धी जाव फासिंदियलद्धी ॥ नाणलडिया णं भंते । जीवा कि नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणी नो अन्नाणी, अत्थेगइया दुन्नाणी, एवं पंच नाणाईं भयणाए । - तस्स, अलद्धिया णं भंते । जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नो नाणी अन्नाणी, अत्येगइया दुअन्नाणी तिन्नि अन्नाणाणि भयणाए । आभिणिवोहियणाणलद्धिया णं- भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणी नो अन्नाणी, अत्येगइया दुन्नाणी तिनाणी, चत्तारि नाणाई भयणाए । तस्स अलद्धिया णं भंते! जीवा कि नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणीव अन्नाणीवि, जे नाणी ते नियमा- एगनाणी- केवलनाणी, जे अन्नाणी ते अत्थेगइया दुअन्नाणी तिन्नि अन्नाणाई भयणाए । एवं सुयनाणलद्धियावि, तस्स अलद्धियावि जहा आभिणिवोहियनाणस्स-लद्धिया । 'ओहिनाणलद्धियाणं पुच्छा, गोयमा ! नाणी तो अन्नाणी, अत्थेगइया तिन्नाणी:अत्येगइया चउनाणी, जे तिन्नाणी ते आभिणिवोहियनाणी सुयनाणी ओहिनाणी, जे चउनाणी ते आभिणिवोहियनाणी सुय० ओहि ० मणपज्जवनाणी । तस्स अलद्धिया णं भंते! जीवा कि नाणी ०१, गोयमा ! नाणीवि अन्नागीवि । एवं ओहिनाणवजाईं चत्तारि नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए । मणपज्जवनाणलद्धियाणं पुच्छा, गोयमा ! णाणी णो अन्नाणी, अत्येगइया तिन्नाणी अत्येगइया चडनाणी, जे तिन्नाणी ते आभिणिवोहियनाणी सुयणाणी मणपज्जवणाणी, जे चउनाणी ते आभिणिबोहियनाणी सुयनाणी ओहिनाणी मणपजवनाणी, तस्स अलद्धियाणं पुच्छा, गोयमा ! णाणीवि अन्नाणीवि, मणपज्जवणाणवज्जाई चत्तारि णाणाई, तिन्नि, अन्नाणाई भयणाए । केवलनाणलद्धिया - णं भंते । जीवा कि नाणी - अन्नाणी. 2, गोयमा ! नाणी नो अन्नाणी, नियमा एगणाणी केवलनाणी, तस्स अलद्धियाणं पुच्छा, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि, केवलनाणवज्जाई चत्तारि गाणाईं तिन्नि अन्नाणाई भयणाए ! अन्नाणलद्धियाणं पुच्छा, गोयमा ! नो नाणी अन्नाणी, तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पुच्छा, गोयमा ! नाणी नो " 1 ५४३ Page #596 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ५४४ अन्नाणी, पंच नाणाई भयणाए जहा अन्नाणरस लद्धिया अलद्धिया य भणिया एवं मइअन्नाणस्स सुयअन्नाणस्स यलद्धिया अलद्धिया य भाणियचा । विभंगनाणलद्धियाणं तिन्नि अन्नाणाई नियमा, तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए दो अन्नाणाई नियमा ॥ दंसणलद्धिया णं भंते ! जीचा कि नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि, पंच नाणाई तिन्नि अन्नाणाइं भयणाए, तस्स अलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी , गोयमा ! तस्स अलद्धिया नत्थि । सम्मईसणलडियागं पंच नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं तिन्नि अन्नाणाइं भयणाए, मिच्छादसणलद्धिया णं भंते ! पुच्छा, णो नाणी अण्णाणी, तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई तिन्नि य अन्नाणाई भयणाए, सम्मामिच्छादसणलद्धिया अलद्धिया य जहा मिच्छादसणलद्धिया अलद्धिया तहेव भाणियव्वा ॥ चरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणी नो अग्णाणी पंच नाणाइ भयणाए, तस्स अलद्धियाणं मणपज्जवणाणवज्जाइं चत्तारि नाणाइं तिन्नि य अन्नाणाई भयणाए, सामाइयचरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा! नाणी० केवलवजाई चत्तारि नाणाई भयणाए,तस्स अलद्धियाण पंच नाणाई तिन्नि य अन्नाणाई भयणाए,एवं जहा सामाइयचरित्तलद्धिया अलद्धिया य भणिया एवं जाव अहक्खायचरित्तलद्धिया अलद्धिया य भाणियव्वा, नवरं अहक्खायचरित्तलद्धियाणं पंच नाणाइं भ०, चरित्ताचरित्तलद्धिया ण भंते ! जीवा कि नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणी नो अन्नाणी, अत्थेगइया दुण्णाणी अत्थेगइया तिन्नाणी, 'जे दुन्नाणी ते आभिणिवोहियनाणी य सुयनाणी य, जे तिन्नाणी ते आभि० सुयनाणी ओहिनाणी, तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए ४ ॥ दालद्धियाणं पंच नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, तस्स अ० पुच्छा, गोयमा ! नाणी नो अन्नाणी, 'नियमा एगनाणी केवलनाणी। एवं जाव वीरियलद्धिया अलद्धिया य भाणियन्वा ॥ बालवीरियलद्धियाणं तिन्नि नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए । पंडियवीरियलद्धियाणं पंच नाणाइं भयणाए, तस्स अलद्धियाणं मणपजवनांणवजाई णाणाई अन्नाणाणि तिन्नि य भयणाए । बालपंडियवीरियलद्धिया णं भंते। जीवा० तिन्नि नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए ॥ इंदियलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी?, गोयमा! चत्तारि णाणाई तिन्नि य अन्नाणाइं भयणाएं, तस्स अलद्धियाणं पुच्छा, गोयमा! नाणी नो अन्नाणी नियमा एगनाणी केवलनाणी, सोइंदियलद्धियाणं जहा इंदियलद्धिया, तस्स अलद्धियाणं पुच्छा, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि जे नाणी ते अत्थे Page #597 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० सुत्तागमे गंड्या दुन्नाणी अत्येगइया एगणाणी जे दुन्नाणी ते आभिणिवोहियनाणी सुयनाणी, जे एगनाणी ते केवलनाणी, जे अन्नाणी ते नियमा दुअन्नाणी, तंजहा - मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य, चक्खिदियघाणिंदियलद्वियाणं अलद्धियाण य जहेव सोइदियलडिया अलद्धिया य, जिब्भिंदियलद्वियाणं चत्तारि णाणाई तिन्निय अन्नाणाणि भयपाए, तस्स अलद्धियाणं पुच्छा, गोयमा ! नाणीव अन्नाणीवि, जे नाणी ते नियमा एगनाणी केवलनाणी, जे अन्नाणी ते नियमा दुअन्नाणी, तंजहा - मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य, फासिंदियलद्धियाणं अलद्धियाणं जहा इंदियलद्धिया य अलद्धियां य ॥ ३१९ ॥ सागारोवउत्ता णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ? पंच नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए || 'आभिणिवोहियनाणसागारोवउत्ता णं भंते । चत्तारि गाणाई भयणाएं । एवं सुयनाणसागारोवउत्तावि । ओहिनाणसागारोवउत्ता जहा ओहिनाणलद्धिया, मणपज्जवनाणसागारोवउत्ता जहा मणपजवनाणलद्धिया, केवलनाणसागारोवउत्ता जहा केवलनाणलडिया, मइअन्नाणसागारोवउत्ताणं तिन्नि अन्नााई भयाए, एवं सुयअन्नाणसागारोवउत्तावि, विभंगनाणसागारोवउत्ताणं तिन्नि अन्नाणाई नियमा ॥ अणागारोवउत्ता णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ? पंच नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए । एवं चक्खुदंसणअचक्खुदंसणअणागारोवउत्तावि, नवरं चत्तारि 'णाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, ओहिदंसणअणागारोवरत्ताणं पुच्छा, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि, जे नाणी ते अत्येगइयां तिन्नाणी अत्थेगइया चउनाणी, जे तिन्नाणी ते आभिणिवो हियनाणी सुयनाणी ओहिनाणी, जे चउणाणी आभिणिवोहियनाणी जाव मणपजवनाणी, जे अन्नाणी ते नियमा तिअन्नाणी, तंजा - मइअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी, केवलदंसणअणागारोवउत्ता जहा केवल-नाणलद्धिया ॥ सजोगी णं भंते! जीवा किं नाणी ० ? जहा सकाइया, एवं मणजोगी चइजोगी कायजोगीवि, अजोगी जहा सिद्धा ॥ सलेंस्सा णं भंते । जीवा कि णाणी० ? जहा संकाइया, कण्हलेस्सा में भंते ! जहा सकाईया सइंदिया, एवं जाव पम्हलेसा, सुकलेस्सा जहा सॅलेस्सा, अलेस्सा जहा सिद्धा ॥ सकसाई णं भंते । जहा संइंदिया, एव जीव लोहकसाई, अकसाई णं भंते 10 पंच नाणाई भयणाए ॥ सवेयगा णं भंते ! जहा सइंदिया, एवं इत्यिवेयगावि, एवं पुरिसवेयगावि, एवं नपुंसगेवे०, अवेयगा जहा अकसाई || आहारगा णं भंते ! जीवा ०? जहा सकसाई नवरं केवलनापि, अणांहारगाणं भंते! जीवा, किं नाणी अन्नाणी ? मणपजवनाणवज्जाई नाणाई अन्नाणि य तिन्निं भयणाए ॥ ३२० ॥ ॥ आभिणिवोहियनाणस्स णं भंते ! केवइए विसए पन्नत्ते ? गोयमा ! से समासओ चउव्विहे प०, तंजहा - दव्वओ खेत्तओ ३५ सुत्ता० * T ० प० स० ८ उ०२ ] J ५४५ Page #598 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४६' सुत्तागमे भगवई · कालओ भावओ, दव्वओ णं आभिणिवोहियनाणी आएसेणं सव्वदव्वाईं जाणइ पासइ, खेत्तओ णं आभिणिवोहियणाणी आएसेणं सव्वखेत्तं जाणइ पासइ, एवं कालओवि, एवं भावओवि । सुयनाणस्स णं भंते ! केवइए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से समासओ चउव्विहे पण्णत्ते, तंजहा - दव्वओ ४, दव्वओ णं मुयनाणी स्वउत्ते सव्वदव्वाईं जाणइ पासइ, एवं खेत्तओवि कालओवि, भावओ णं सुयनाणी उवउत्ते सव्वभावे जाणइ पासइ । ओहिनाणस्स णं भंते । केवइए विसए पन्नत्ते ? गोयमा ! से समासओ चविहे पण्णत्ते, तंजहा- दव्वओ ४, दव्वओ णं ओहिनाणी रुविद - व्वाईं जाणइ पासइ जहा नंदीए जाव भावओ । मणपजवनाणस्स णं भंते ! केवइए विसए - पण्णत्ते ? गोयमा से समासओ चउबिहे पण्णत्ते, तंजहा- दव्वओ ४, दव्वओ णं उज्जुमई अणंते अनंतपएसिए जहा नंदीए जात्र भावओ । केवलनाणस्स 1 भंते! केवइए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से समासओ चउन्त्रिहे पन्नत्ते, तंजहादव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ, दव्वओ णं केवलनाणी सव्वदव्वाईं जाणइ पासइ एवं जाव भावओ ॥ मइअन्नाणस्स णं भंते ! केवइए विसए पन्नत्ते ? गोयमा ! से समासओ चउव्विहे पन्नत्ते, तंजहा- दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ, दव्वओ णं मइअन्नाणी मइअन्नाणपरिगयाई दव्वाई जाणइ पासइ, एवं जाव भावओ मइअन्नाणी. मइअन्नाणपरिगए भावे जाणइ पासइ । सुयअन्नाणस्स णं भंते ! केवइए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से समासओ चउव्विहे पण्णत्ते, तंजहा- दव्वओ ४, दव्वओ णं सुयअन्नाणी सुयअन्नाणपरिगयाईं दव्वाईं आघवेइ पन्नवेइ परूवेइ, एवं खेत्तओ कालओ, भावओ णं सुयअन्नाणी सुयअन्नाणपरिगए भावे आघवेइ तं चेव । विभंगणाणस्स णं भंते । केवइए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से समासओ चउन्विहे पण्णत्ते, तंजहा- दव्वओ ४, दव्वओ णं विभंगनाणी विभंगनाणपरिगयाई दव्वाईं जाणइ पासइ, एवं जाव भावओ णं विभंगनाणी विभंगनाणपरिगए भावे जाणइ पासइ ॥ ३२१ ॥ णाणी णं भंते ! णाणीति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! नाणी विहे पण्णत्ते, तंजहा - साइए वा अपज्जवसिए साइए वा सपज्जवसिए, तत्थ णं जे से साइए सपज्जवसिए से जहनेणं अंतोमुहुत्तं उक्नोसेणं छावट्टि सागरोवमाईं साइरेगाईं। आभिणिवोहियणाणी णं भंते! आभिणिवोहिय० एवं नाणी आभिणिवोहियनाणी जाव केवलनाणी । अन्नाणी मइअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी, एएसिं दसण्हवि संचिट्टणा जहा कायठिईए ॥ अंतरं सव्वं जहा जीवाभिगमे ॥ अप्पाबहुगाणि तिन्नि जहा बहुवत्तव्वयाए ॥ केवइया णं भंते ! आभिणिवोहियणाणपज्जव पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता आभिणिवोहियणाणपज्जवा पण्णत्ता । केवइया णं भंते ! Page #599 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० सुत्तागमे + सुयनाणपज्जवा प० ? एवं चेव एवं जाव केवलनाणस्स । एवं मइअन्नाणस्स सुयअन्नाणस, केवइया णं भंते ! विभंगनागपज्जवा प० ? गोयमा ! अणंता विभंगनाणपजवा प०, एएसि णं भंते! आभिणिवोहियनाणपज्जवाणं सुयनाण० ओहिनाण० मणपजवनाण० केवलनाणपज्जवाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा मणपज्जवनाणपज्जवा ओहिनाणपज्जवा अनंतगुणा सुयनाणपजवा अणतगुणा आभिणिवोहियनाणपज्जवा अनंतगुणा केवलणाणपजवा अनंतगुणा || एएसि णं भंते ! मइअन्नाणपजवाणं सुयअन्नाण० विभंगनाणपज्जवाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्योवा विभंगनाणपज्जवा सुयअन्नाणपज्जवा अनंतगुणा मइअन्नाणपज्जवा अनंतगुणा ॥ एएसि णं भंते! आभिणिवोहियगाणपजवाणं जाव केवलनाणप० मइअन्नाणप० सुयअन्नाणप० विभंगनाणप० कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा मणपज्जवनाणपज्जवा विभंग - नाणपजवा अनंतगुणा ओहिणाणपज्जवा अणतगुणा सुयअन्नाणपजवा अनंतगुणा सुयनाणपज्जवा विसेसाहिया मइअन्नाणपजवा अनंतगुणा आभिणिवोहियनाणपज्जवा विसेसाहिया केवलणाणपज्जवा अनंतगुणा । सेवं भंते ! सेवं भंते । त्ति ॥ ३२२ ॥ अट्टमस्स सस्स विइओ उद्देसो समत्तो ॥ 1 कइविहाणं भंते! रुक्खा पन्नत्ता ? गोयमा ! तिविहा रुक्खा प०, तंजहासंखेज्जजीविया असंखेज्जजीविया अनंतजीविया । से किं तं संखेज्जजीविया ? संखेज • अणेगविहा प०, तंजहा - ताले तमाले तक्कलि तेतलि जहा पन्नवणाए जाव नालि - एरी, जे यावन्ने तहप्पगारा, सेत्तं संखेज्जजीविया । से किं तं असंखेज्जजीविया ? असंखेज्जजीविया दुविहा प०, तंजहा - एगट्टिया य बहुबीयगा य । से किं तं एगहिया ? २ अणेगविहा प०, तंजहा - निवंबजंबू० एवं जहा पन्नवणापए जाव फला बहुबीयगा, सेत्तं बहुवीयगा, सेत्तं असंखेजजीविया । से कि तं अनंतजीविया ? अणंतजीविया अणेगविहा प०, तंजहा - आलुए मूलए सिंगबेरे, एवं जहा सत्तमसए जाव सीउन्हे सिउंढी मुसुंढी, जे यावन्ने त०, सेत्तं अगंतजीविया ॥ ३२३ ॥ अह भंते! कुम्मे कुम्माचलिया गोहे गोहावलिया गोणे गोणावलिया मणुस्से मणुस्सावलिया महिसे महिसावलिया एएसि णं दुहा वा तिहा वा संखेज्जहा वा छिन्नाणं जे अंतरा तेवि णं तेहिं जीवपएसेहिं फुडा ? हंता ! फुडा । पुरिसे णं भंते । (जं अंतरं) ते अंतरे हत्थेण वा पाएण वा अंगुलियाए वा सलागाए वा कट्टेण वा कलिंचेण वा आमुसमाणे वा संमुसमाणे वा आलिहमाणे वा विलिहमाणे वा अन्नयरेण वा तिक्खेणं सत्थजाएणं आच्छिदमाणे वा विच्छिदमाणे वा अगणिकाएणं वा समोड ० प० स० ० उ० ३] - ५४७ Page #600 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'सुत्तागमे [ भगवई हमाणे तेसिं जीवपएसाणं किंचि आबाहं वा विबाहं वा उप्पायइ छविच्छेदं वा करेइ ? णो तिणट्ठे समट्ठे, नो खलु तत्थ सत्थं संक्रमई ॥ ३२४ ॥ कइ णं भंते ! पुढवीओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! अट्ठ पुढवीओ पन्नत्ताओ, तंजहा - रयणप्पभा जाव अहे सत्तमा पुढविईसिपव्भारां । इमा णं भंते! रयणप्पभापुढवी कि चरिमा अचरिमा ? चरिमपयं निरवसेसं भाणियव्वं जाव वैमाणिया णं भंते! फासचारमेण कि चरिमा अचरिमा ? गोयमा ! चरिमावि अचरिमावि । सेवं भंते ! २त्ति भगवं गो० ॥ ३२५ ॥ अटूमसए तइओ उद्देसो समत्तो ॥ रायगिहे जाव एवं वयासी कइ णं भंते । किरियाओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! पंच किरियाओ पन्नत्ताओ, तंजहा - काइया अहिगरणिया, एवं किरियापयं निरवसेसं भाणियव्वं जाव मायावत्तियाओ किरियाओ विसेसाहियाओ, सेवं भंते! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे० ॥ ३२६ ॥ अट्ठमसए चउत्थो उद्देसो समत्तो ॥ " रायगिहे जाव एवं वयासी - आजीविया णं भंते ! थेरे भगवंते एवं वयासीसमणोवासगस्स णं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केइ भंड अवहरेजा से णं भंते । तं भंड अणुगवेसमाणे किं सयं भंड अणुगवेसइ परायगं भंडं अणुगवेसइ ? गोयमा ! सयं भंडं अणुगवेसइ नो परायगं भंड अणुगवेसेइ, तस्स णं भंते! तेहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं से भंडे अभंडे भवइ ? हंता ! भवइ ॥ से केणं खाइ णं अट्ठेणं भंते ! एवं बुच्चइ सयं भंड अणुगवेसइ नो परायगं भंड अणुगवेसइ ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ - णो मे हिरन्ने नो मे सुवन्नेनो मे कंसे नो मे दूसे नो मे विउलघणकणगरयणमणिमोत्तियसंखसिलप्पवालरत्तरयणमाइए संतसारसावएजे, ममत्तभावे पुण से अपरिण्णाए भवई, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ सयं भंडं अणुगवेसइ नो परायगं भंड अणुगवेसइ ॥ समणोवासगस्स णं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केइ जायं चरेज्जा से णं भंते ! कि जायं चरइ अजायं चरइ ? गोयमा ! जायं चरइ नो अजायं चरइ, तस्स णं भंते । तेहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं सा जाया अजाया भवइ ? हंता ! भवइ, से केणं खाइ णं अट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइजायं चरइ नो अजायं चरइ? गोयमा । तस्स णं एवं भवइ - णो मे माया णो मे पिया णो मे भाया णो से भगिणी णो मे भज्जा णो मे पुत्ता णो मे धूया नो मे गुन्हा, पेजवंधणे पुण से अवोच्छिन्ने भवइ, से तेणद्वेणं गोयमा ! जाव नो अजाय नए ॥ ३२७ ॥ समणोवासगस्स णं भंते ! पुव्वामेव थूलए पाणाइवाए अपच्चए भवइ से णं भंते । पच्छा पचाइक्लमाणे कि करेइ ? गोयमा ! तीयं पडिक्क ५४८ Page #601 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ८ उ०५] सुत्तागमे ५४९ मइ पडुप्पन्नं संवरेड अणागयं पञ्चक्खाइ ॥ तीयं पडिक्कममाणे किं तिविहं तिविहेणं पडिकमइ १तिविहं दुविहेणं पडिक्कमइ २ तिविहं एगविहेणं पडिक्कमइ ३ दुविहं तिविहेणं पडिकमइ ४ दुविहं दुविहेणं पडिक्कमइ ५ दुविहं एगविहेणं पडिक्कमइ ६ एक्कविहं तिविहेणं पडिक्कमइ ७ एकविहं दुविहेणं पडिक्कमइ ८ एकविहं एगविहेणं पडिक्कमइ ९? गोयमा ! तिविहं तिविहेणं पडिक्कमइ तिविहं दुविहेण वा पडिक्कमइ तं चेव जाव एकविहं वा एकविहेणं पडिक्कमइ, तिविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ न कारवेइ करेंतं गाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा १, तिविहं दुविहेणं पडि० न क० न का० करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा २, अहवा न करेइ न का० करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा ३, अहवा न करेइ ३ वयसा कायसा ४, तिविहं एगविहेणं पडि० न करेइ ३ मणसा ५, अहवा न करेइ ३ वयसा ६, अहवा न करेइ ३ कायसा ७, दुविहं ति० प० न करेइ न का० मणसा वयसा कायसा ८, अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा ९, अहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा १०, दु० दु०प० न क० न का० म०व० ११, अहवा न क० न का० म० कायसा १२, अहवा न क० न का० वयसा कायसा १३, अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा १४, अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा १५, अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा १६, अहवा न कारवेइ. करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा १७, अहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा १८, अहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा १९, दुविहं एक्कविहेणं पडिकममाणे न करेइ न कारवेइ मणसा २०, अहवा न करेइ न कारवेइ वयसा-२१, अहवा न करेइ न कारवेइ कायसा २२, अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा २३, अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा ,२४, अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ कायसा, २५, अहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा २६, अहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा २७, अहवा न, कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ कायसा २८, एगविहं तिविहेणं पडि. न करेइ मणसा वयसा कायसा २९, अहवा न कारवेइ मणसा वयसा कायसा ३०, अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा ३।३१, एकविहं दुविहेणं पडिकममाणे न करेइ मणसा वयसा ३२, अहवा न करेइ मणसा कायसा ३३, अहवा न करेइ वयसा कायसा ३४, अहंवा न कारवेइ मणसा वयसा ३५, अहवा न कारवेइ मणसा कायसा ३६, अहवा न कारवेइ वयसा कायसा ३७, अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा ३८, अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा ३९,अहवा करतं नाणुजाणइ Page #602 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ५५० वयसा कायसा ४०, एक्कविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ मणसा ४१, अहवा न करेइ वयसा ४२, अहवा न करेइ कायसा ४३, अहवा न कारवेइ मणसा ४४, अहवा न कारवेइ वयसा ४५, अहवा न कारवेइ कायसा ४६, अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा ४७, अहवा करेंतं नाणुजाणइ वयसा ४८, अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा ४९ । पडुप्पन्नं संवरेमाणे किं विविहं तिविहेणं संवरेइ ? एवं जहा पडिकममाणेणं एगूणपन्नं भंगा भणिया एवं संवरमाणेणवि एगणपन्नं भंगा भाणियव्वा । अणागयं पच्चक्खमाणे किं तिविहं तिविहेणं पञ्चक्खाइ ? एवं ते चेव भंगा एगूण. पण्णं भाणियन्वा जाव अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा ॥ समणोवासगस्स णं भंते ! पुव्वामेव थूलए मुसावाए अपञ्चक्खाए भवइ से णं भंते ! पच्छा पञ्चाइक्खमाणे एवं जहा पाणाइवायस्स सीयालं भंगसयं भणियं तहा मुसावायस्सवि भाणियव्वं । एवं अदिन्नादाणस्सवि, एवं थूलगस्स मेहुणस्सवि थूलगस्स परिग्गहस्सवि जाव अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा ॥ एए खलु एरिसगा समणोवासगा भवंति, नो खलु एरिसगा आजीवियोवासगा भवंति ॥ ३२८ ॥ आजीवियसमयस्स णं अयमढे पण्णत्ते अक्खीणपडिभोइणो सव्वे सत्ता से हंता छेत्ता भेत्ता लुपित्ता विलंपित्ता उहवइत्ता आहारमाहारेंति, तत्थ खलु इमे दुवालस आजीवियोवासगा भवंति, तंजहा-ताले, १ तालपलंबे, २ उविहे, ३ संविहे, ४ अवविहे, ५ उदए, ६ नामुदए, ७ णमुदए, ८ अणुवालए, ९ संखवालए, १० अयंपुले, ११ कायरिए, १२, इच्चेए दुवालस आजीवियोवासगाअरिहंतदेवयागा अम्मापिउसुस्सूसगा पंचफलपडिकंता तंजहा उंबरेहि, वडेहि, बोरेहि, सतरेहि, पिलंखूहि, पलंडुल्हस(सु)णकंदमूलविवजगा अणिलंछिएहिं अणकभिन्नेहिं गोणेहि तसपाणविवजिएहिं चि(वि)त्तेहिं वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति एएवि ताव एवं इच्छंति, किमंग पुण जे इमे समणोवासगा भवंति जेसिं नो कप्पंति इमाइं पन्नरस कम्मादाणाइं सयं करेत्तए वा कारवेत्तए वा करेंतं वा अन्नं समणुजाणेत्तए तंजहा-इंगालकम्मे, वणकम्मे, साडीकम्मे, भाडीकम्मे, फोडीकम्मे, दंतवाणिज्जे, लक्खवाणिज्जे, केसवाणिजे, रसवाणिजे, विसवाणिज्जे, जंतपीलणकम्मे, निलंछणकम्मे, दवग्गिदावणया, सरदहतलायपरिसोसणया, असईपोसणया, इच्चेए समणोवासगा सुक्का सुक्काभिजाइया भविया भवित्ता कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति ॥ ३२९ ॥ कइविहा णं भंते ! [देवा] देवलोगा पण्णत्ता ? गोयमा ! चउन्विहा देवलोगा प०, तंजहाभवणवासिवाणमंतरजोइसवेमाणिया, सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ३३० ॥अट्टमसयस्स पंचमो उद्देसो समत्तो॥ Page #603 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ८ उ०६] सुत्तागमे समणोवासगस्स णं भंते ! तहास्वं समणं वा माहणं वा फासुएसणिजेणं असगपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभमाणस्स किं कज्जइ ? गोयमा। एगंतसो 'निजरा कज्जइ नत्थि 'य से पावे कम्मे कज्जइ । समणोवासगस्स णं भंते ! तहारूवं समणं वा माहणं वा अफासुएणं अणेसणिज्जेणं असणपाण जाव पडिलाभमाणस्स किं कज्जइ ? गोयमा ! बहुतरिया से निजरा कज्जइ अप्पतराए से पावे कम्मे कज्जई । समणोवासगस्स णं मंते! तहालवं असंजयअविरयअपडिहयपञ्चक्खायपावकम्मं फासुएण वा अफासुएण वा एसणिजेण वा अणेसणिजेण वा असणपाण जाव कि कजइ ? गोयमा ! एगंतसो से पावे कम्मे कजइ नत्यि से काइ निजरा कन्नइ, [मोक्खत्यं जं दाणं, तं पइ एसो विही समक्खाओ। अणुकंपादाणं पुण, जिणेहिं न कयाइ पडिसिद्ध]॥३३१॥ निगंयं च णं गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविलु केइ दोहिं पिंडेहिं उवनिमंते जा-एग आउसो ! अप्पणा भुंजाहि एग थेराणं दलयाहि,से य तं पिण्डं पडिग्गाहेजा, थेरा य से अणुगवेसियव्वा लिया जत्थेव अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्ज तत्थेव अणुप्पदायव्वे सिया नो चेवणं अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा तं नोअप्पणा भुंजेजा नो अन्नेसिं दावए एगते अणावाए अचित्त वहुफासुए थंडिल्ले पडिलेहेत्ता पमज्जित्ता परिहावेयव्वे सिया । निग्गंथं च णं गाहावइकुलं पिडवायपडियाए अणुप्पविलु केइ तिहिं पिंडेहिं उवनिमंतेजा-एगं आउसो ! अप्पणा भुंजाहि दो थेराणं दलयाहि, से य तं पडिग्गाहेज्जा, थेरा य से अणुगवेसेयवा सेसं तं चेव जाव परिहावेयव्वे सिया, एवं जाव दसहिं पिंडेहिं उवनिमंतेजा नवरं एगं आउसो ! अप्पणा भुंजाहि नव थेराणं दलयाहि सेसं तं चेव जाव परिहावेयव्वे सिया। निग्गंथं च णं गाहावइकुलं जाव केइ दोहिं पडिग्गहेहिं उवनिमंतेजा एगं आउसो ! अप्पणा पडिभुंजाहि एग थेराणं दलयाहि, से य तं पडिग्गाहेजा, तहेव जाव तं नो अप्पणा पडिभुजेजा नो अन्नेसि दावए सेसं तं चेव जाव परिहावेयव्वे सिया, एवं जाव दसहिं पडिग्गहेहिं, एवं जहा पडिग्गहवत्तव्वया भणिया एवं गोच्छगरयहरणचोलपट्टगकंवललट्ठिसंथारगवत्तव्वया य भाणियन्वा जाव दसहि संथारएहिं उवनिमंतेजा जाव परिहावेयव्वे सिया ॥ ३३२ ॥ निग्गंण य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविटेणं अन्नयरे अकिञ्चट्ठाणे पडिसेविए, तस्स णं एवं भवइ-इहेव ताव अहं एयस्स ठाणस्स आलोएमि पडिकमामि निंदामि गरिहामि विठट्टामि विसोहेमि अकरणयाए' अब्भुटेमि अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्म पडिवज्जामि, तओ पच्छा थेराणं 'अंतियं आलोएस्सामि जाव तवोकम्म पडिवज्जिस्सामि, से य संपट्ठिए असंपत्ते थेरा य पुवामेव अमुहा सिया से णं भंते ! किं आराहए विराहए ? गोयमा ! आराहए नो विरा Page #604 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५२ सुत्तागमे - [भगवई हए १ । से य संपढ़िए असंपत्ते अप्पणा य पुत्वामेव अमुहे सिया से णं भंते ! कि आराहए विराहए ? गोयमा! आराहए नो विराहए २, से य संपट्टिए असंपत्ते थेरा य कालं करेना से णं भंते ! किं आराहए विराहए ? गोयमा! आराहए नो विराहए ३, से य संपट्टिए असंपत्ते अप्पणा य पुत्वामेव कालं करेजा से णं भंते ! कि आराहए विराहए ? गोयमा! आराहए नो विराहए ४, से य संपट्ठिए संपत्ते थेरा य अमुहा सिया से णं भंते ! किं आराहए विराहए ? गोयमा ! आराहए नो विराहए, से य संपट्ठिए संपत्ते अप्पणा य० एवं संपतेणवि चत्तारि आलावगा भाणियव्वा जहेव असंपत्तेणं ।, निग्गंथेण य पहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निक्खंतेणं अन्नयरे अकिञ्चट्ठाणे पडिसेविए तस्स णं एवं भवइ-इहेव ताव अहं० एवं एत्यवि एए चेव अट्ठ आलावगा भाणियव्वा जाव नो विराहए । निग्गंथेण य गामाणुगास दूंहुज्जमाणेणं अन्नयरे अकिञ्चट्ठाणे पडिसेविए तस्स णं एवं भवइ इहेव ताव अहं० एत्थवि ते चेव अट्ट आलावगा भाणियव्वा जाव नो विराहए ॥ निग्गंधीए य गाहावडकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविठ्ठाए अन्नयरे अकिञ्चट्ठाणे पडिसेविए. तीसे णं एवं भवइ इहेवं ताव अहं एयस्स ठाणस्स आलोएमि जाव तवोकम्म पडिवजामि तओ पच्छा पवत्तिणीए अंतियं आलोएस्सामि जाव पडिवजिस्सामि, सा य संपडिया असंपत्ता पवत्तिणी य अमुहा सिया साणं भंते ! कि आराहिया विराहिया?; गोयमा ! आराहिया नो विराहिया, सा य संपदिया जहा निग्गंथस्स तिन्निगमा भणिया एवं निग्गंथीएवि तिन्नि आलावगा भाणियव्वा जाव आराहिया नो विराहिया ॥ से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ-आराहए नो विराहए ?. गोयमा ! से जहा, नामए-केइ पुरिसे एग महं उन्नालोमं वा गयलोम. वा सणलोमं वा कैप्पासलोमं वा तणसूयं वा दुहा वा तिहा वा संखेजहा वा छिदित्ता अगणिकायति पक्खिवेजा से नूणं गोयमा! छिनमाणे छिन्ने पक्खिप्पमाणे पक्खित्ते दज्जमाणे दड्डेत्ति वत्तव्वं सिया ? हंता भगवं! छिजसाणे छिन्ने जाव दड्वेत्ति वत्तव्वं सिया, से जहा वा केइ पुरिसे वत्यं अहयं वा धोयं वा तंतुम्गयं - वा मंजिहादोणीए पक्खिवेना से नूर्ण गोयमा! उक्खिप्पमाणे उक्खित्ते पक्खिप्पमाणे पक्खित्ते रजमाणे रत्तेत्ति वत्तव्वं सिया ? हंता भगवं! उक्खिप्पमाणे उक्खित्ते जाव रत्तेत्ति वत्तव्वं सिया, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-आराहए नों विराहए ।। ३३३ ॥ पईवस्स णं भंते ! झियायमाणसं किं पईवे झियाइ लट्ठी झियाइ वनी झियाइ तेढ़े झियाइ पईवचंपए झियाई जोई झियाइ ? गोयमा! नो पईवे झियाइ जाव नो पईवचंपए झियाइ, जोई झियाइ । अंगारस्स णं भंते ! झियाय. Page #605 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ८ उ०७] "सुत्तागमे ५५३ माणस्स किं अगारे झियाइ कुटा झियाइ कडणा झि धारणा झि० वलहरणे झि० वंसा० मला झि० वग्गा झियाइ छित्तरा झियाइ छाणे झियाइ जोई झियाइ? गोयमा! नो अगारे झियाइ नो कुट्टा झियाइ जाव नो छाणे झियाइ, जोई झियाइ ॥ ३३४ ॥ जीवे णं भंते ! ओरालियसरीराओ कइकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए लिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए सिय अकिरिए । नेरइए णं भंते ! ओरालियसरीराओ कइकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए नित्र पंचकिरिए । अनुरकुमारे णं भंते ! ओरालियसरीराओ कइकिरिए ? एव चेव, एवं जाव वेमाणिए, नवरं मणुस्से जहा जीवे । जीवे णं भंते ! ओरालियसरीरेहितो कइकिरिए ? गोयमा ! लिय तिकिरिए जाव सिय अकिरिए। 'नेरइए णं भंते ! ओरालियसरीरेहितो कइकिरिए ? एवं एसो जहा पढमो दंडओ तहा इमोवि अपरिसेसो भाणियन्वो जाव वेमाणिए, नवरं मणुस्से जहा जीवे । जीवा णं भंते ! ओरालियसरीराओ कइकिरिया ? गोयमा ! सिय-तिकिरिया जाव सिय अकिरिया, नेरइया णं भंते ! ओरालियसरीराओ कइकिरिया ? एवं एसोवि जहा पढंमो दंडओ तहा माणियव्वो, जाव वेमाणिया, नवरं मणुस्सा जहा जीवा । जीवा णं भंते ! ओरालियसरीरोहितो कइकिरिया ? गोयमा ! तिकिरियावि चउकिरियावि पंचकिरियावि अकिरियात्रि, नेरड्या णं भंते । ओरालियसरीरेहितो कइकिरिया ? गोयमा ! तिकिरियावि चसकिरियावि पंचकिरियावि एवं जाव वेमाणिया, नवरं मणुस्सा जहा जीवा ॥ जीवे ण भंते ! वेरवियसरीराओ कइकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए लिय अकिरिए, नेरइए णं भंते ! वेउव्वियसरीराओ कइकिरिए ? गोयमा । सिय तिकिरिए सिय, चउकिरिए एवं जाव वेमाणिए, नवरं मणुस्से, जहा जीवे, एवं जहा ओरालियसरीरेणं चत्तारि दंडगा तहा वेउव्वियसरीरेणवि चत्तारि दंडगा भाणियन्वा, नवरं पंचमकिरिया न भन्नइ, सेसं तं चेव, एवं जहा वेब्वियं तहा आहारगंपि तेयगंपि कम्मगपि भाणियव्वं, एलेके चत्तारि दंडगा भाणियत्वा जाव वेमाणिया णं भंत ! कम्मगसरीरेहितो कइकिरिया ? गोयमा ! तिकिरियावि चउकिरियावि । सेवं भंते । सेवं भंते !,त्ति ॥ ३३५ ॥ अटमसयस्त छठो उद्देलओ लमत्तो॥ तेणं कालेणं २, रायगिहे नगरे वन्नओ, गुणसिलए उजाणे वन्नओ, जाव पुढविसिलापट्टए, तस्स णं गुणसिलयस्स उजाणस्स अदूरसामंते वहवे. अन्नउत्थिया परिवसति, तेणं कालेणं २ समणे भगवं महावीरे आइगरे जाव समोसढे जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेणं २ - समणस्स भगवओ महावीरस्स-वहवे अंतेवासी घेरा भगवंतो जाइसंपन्ना कुलसंपन्ना जहा विइयसए जाव जीवियासामरणभयविप्पमुक्का Page #606 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई 7 समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते उडुंजाणू अहोसिरा झाणकोट्टोवगया संजमेण तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति, तए णं ते अन्नउत्थिया जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छंति २ त्ता ते थेरे भगवंते एवं वयासी - तुभे णं अजो । तिविहं तिविहेणं असंजयअविरयअप्पडिहय जहा सत्तमसए विइए उद्देसए जाव एगंतवाला यावि भवह, तए णं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउत्थिए एवं वयासीकेण कारणेणं अज्जो ! अम्हे तिविहं तिविहेणं असंजयअविरय जाव एगंतवाला यावि भवामो ?, तए णं ते अन्नउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी - तुब्भे णं अजो ! अदिन्नं गेण्हह अदिन्नं भुंजह अदिन्नं साइज्जह, तए णं ते तुम्भे अदिन्नं गेहमाणा अदिन्नं भुंजमाणा अदिन्नं साइजमाणा तिविहं तिविहेणं असंजयअविरय जाव एगंतबाला यावि भवह, तए णं ते थेरा भगवतो ते अन्नउत्थिए एवं वयासी-केण कारगेणं अजो ! अम्हे अदिन्नं गेण्हामो अदिन्नं भुंजामो अदिन्नं साइजामो, जएणं अम्हे अदिन्नं गेहमाणा जाव अदिन्नं साइजमाणा तिविहं तिविहेणं असंजय जाव 'एगँतवाला यावि भवामो ?, तए णं ते अन्नउत्थिया ते धेरे भगवंते एवं वयासीतुम्हे अजो ! दिजमाणे अदिन्ने पडिग्गाहेज्जमाणे अपडिग्गहिए निस्सिरिजमाणे अणिसिट्ठे, तुव्भेणं अज्जो ! दिजमाणं पडिग्गहगं असंपत्तं एत्थ णं अंतरा के अवहरिजा, गाहावइस्स णं तं भंते । नो खलु तं तुब्भं तए णं तुझे अदिन्नं गेण्हह जाव अदिन्नं साइज्जह, तए णं तुज्झे अदिन्नं गेण्हमाणा जाव एगंतवाला यावि भवह, तणं ते रा भगवंतो ते अन्नउत्थिए एवं वयासी - नो खलु अज्जो ! अम्हे अदिन्नं गिण्हासो अदिन्नं भुंजामो अदिन्नं साइज्जामो अम्हे णं अजो ! दिन्नं गेण्हामो दिन्नं भुंजामो दिन्नं साइनामो, तएणं अम्हे दिन्नं गेण्हमाणा दिन्नं भुंजमाणा दिन्नं साइजमाणा तिविहं तिविहेणं संजयविरयपडिहय जहा सत्तमसए जाव एगंतपंडिया यावि भवामो, तएणं ते अन्नउत्थिया ते येरे भगवंते एवं वयासी - केण कारणेणं अजो ! तुम्हे दिन्नं हह जाव दिन्नं साइजह, जएणं तुज्झे दिन्नं गेण्हमाणा जाव एगंतपंडिया यावि भवह ?, तएणं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउत्थिए एवं वयासी - अम्हे णं अज्जो ! दिज्जमाणे दिने पडिग्गाहेज्जमाणे पडिग्गहिए निसिरिज्जमाणे निसिट्ठे । अम्हे णं अजो ! दिजमार्ग पडिग्गहगं असंपत्तं एत्थ णं अंतरा केइ अवहरेजा अम्हाणं तं णो खलु तं गाहावइस्स, जएणं अम्हे दिन्नं गेण्हामो दिन्नं भुंजामो दिन्नं साइजामो तएणं अम्हे दिनं गेण्हमाणा जाव दिन्नं साइजमाणा तिविहं तिविहेणं संजय जाव एगंतपंडिया यावि भवामो, तुझे णं अजो ! अप्पणा चेव तिविहं तिविद्देणं असंजय जाव एगंतवाला यावि भवह, तए णं ते अन्नउत्थिया ते थेरे ५५४ Page #607 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि सुत्तागमे w भगवंते एवं वयासी- केण कारणेणं अजो ! अम्हे तिविहं जाव एगंतवाला यावि भवामो ?, तए णं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउत्थिए एवं वयासी - तुज्झे णं अजो ! अदिन्नं हह ३, तए णं तु अजो ! तुम्भे अदिन्नं गे० जाव एगंत०, तए णं ते अन्नउत्थिया ते घेरे भगवंते एवं वयासी केण कारणेणं अजो ! अम्हे अदिन्नं हामो जाव एतवा ० ?, तए णं ते येरा भगवंतो ते अन्नउत्थिंए एवं वयासी - तुज्झे अजो | दिजमाणे अदिन्न तं चेव जाव गाहावइस्स णं णो खलु तं तुज्झे, तए णं तुझे अदिन्नं हह, तं चैव जाव एगंतवाला यावि भवह, तए णं ते अन्नउत्थिया ते येरे भ० एवं व० - तुझे णं अजो ! तिविहं तिविहेणं असंजय जाव एगंतवा ० भवह, तए णं ते थेरा भ० ते अन्नउत्थिए एवं वयासी - केण कारणेणं अम्हे तिविहं तिविहेणं जाव एगंतवाला यावि भवामो ?, तए णं ते अन्नउत्थिया ते घेरे भगवंते एवं वयासी तुझे णं अजो ! रीयं रीयमाणा पुढवि पेचेह अभिहणह वत्तेह लेसेह संघाएह संघट्टेह परियावेह किलामेह उवद्दवेह तएणं तुझे पुढविं पेच्चमाणा जाव उवद्द्वेमाणा तिविहं तिविहेणं असंजयअविरय जाव एगंतवाला यावि भवह, तए णं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउत्थिए एवं वयासी - नो खलु अज्जो ! अम्हे रीयं रीयमाणा पुढविं पेच्चेमो अभिहणामो जाव उवद्दवेमो अम्हे णं अज्जो ! रीयं रीयमाणा कार्य वा जोगं वा रीयं वा पडुच देसं देसेणं वयामो पएसं पएसेणं वयामो तेणं अम्हे देसं देसेणं वयमाणा पएसं पएसेणं वयमाणा नो पुढविं पेचेमो अभिहणामो जाव उद्दवेमो, तणं अम्हे पुढविं अपेचमाणा अणभिहणेमाणा जाव अणुवद्द वेमाणा तिविहं तिविहेणं संजय जाव एगंतपंडिया यावि भवामो, तुझे णं अज्जो ! अप्पणा चेव तिविहं तिविहेणं असंजय जाव एगंत वाला यावि भवह, तए णं ते अन्नउत्थिया थेरे भगवंते एवं वयासी-केण कारणेणं अजो ! अम्हे तिविहं तिविहेणं जाव एगंतवाला यावि भवामो ?, तए णं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउत्थिए एवं वयासीतुझे णं अजो ! रीयं रीयमाणा पुढविं पेचेह जाव उवद्दवेह, तए णं तुज्झे पुढवि पेच्चमाणा जाव उवद्दवेमाणा तिविहं तिविहेणं जाव एगंतवाला यावि भवह, तए णं ते अन्नउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी - तुझे णं अज्जो ! गममाणे अगए वीइकमिजमाणे अवीइक्ते रायगिहं नगरं संपाविउकामे असंपत्ते, तए ण ते थेरा भगवंतो ते अन्नउत्थिए एवं वयासी - नो खलु अज्जो ! अम्हे गममाणे अगए वी - कमिजमाणे अवीइकंते रायगिहं नगरं जाव असंपत्ते, अम्हे णं अज्जो ! गममाणे गए वीइकमिजमाणे वीइकंते रायगिहं नगरं संपाविउकामे संपत्ते, तुझे णं अप्पणा चेव गममाणे अगए वीइकमिजमाणे अवीइक्ते रायगिहं नगरं जाव असंपत्ते, तए ० प० स० ८ उ०७ ] ५५५ Page #608 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ५५६ [भगवई णं ते थेरा भगवतो अन्नउत्थिए एवं पडिहणेन्ति पडिहणित्ता गइप्पवायनामं अज्झयणं पन्नवइंसु ॥ ३३६ ॥ कइविहे णं भंते ! गइप्पवाए पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे गइप्पवाए पण्णत्ते, तंजहा-पओगगई, ततगई, वंधणछेयणगई, उववायगई, विहायगई, एत्तो आरब्भ पओगपयं निरवसेसं भाणियव्वं, जाव सेत्तं विहायगई । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ३३७ ॥ अट्टमसयस्स सत्तमो उद्देसो समत्तो॥ ___ रायगिहे नयरे जाव एवं वयासी-गुरूणं भंते! पडुच्च कइ पडिणीयापण्णत्ता ? गोयमा ! तओ पडिणीया पण्णत्ता, तंजहा-आयरियपडिणीए, उवज्झायपडिणीए, थेरपडिणीए ॥ गई णं भंते ! पडुच्च कइ पडिणीया पण्णत्ता ? गोयमा ! तओ पडिणीया पण्णत्ता, तंजहा-इहलोगपडिणीए, परलोगपडिणीए, दुहओलोगपडिणीए ॥ समूहणं भंते ! पडुच कइ पडिणीया पण्णत्ता? गोयमा! तओ पडिणीया पण्णत्ता, तंजहा-कुलपडिणीए, गणपडिणीए, संघपडिणीए ॥,अणुकंपं भंते! पडुच्च० पुच्छा, गोयमा ! तओ पडिणीया पण्णत्ता, तंजहा-तवस्सिपडिणीए, गिलाणपडिणीए, सेहपडिणीए ॥ सुयण्णं भते ! पडुच्च पुच्छा, गोयमा! तओ पडिणीया पण्णत्ता, तंजहा-सुत्तपडिणीए, अत्थपडिणीए, तदुभयपड़िणीए । भावं णं भंते ! पडुच्च पुच्छा, गोयमा ! तओ पडिणीया पन्नत्ता, तंजहा-नाणपडिणीए, दंसणपडिणीए, चरित्तपडिणीए ॥३३८॥ कइविहे णं भंते ! 'ववहारे पन्नत्ते ? गोयमा । पंचविहे. ववहारे पन्नत्ते, तंजहाआगमे, सुए, आणा, धारणा, जीए, जहा से तत्थ आगमे सिया आगमेणं ववहारं पट्ठवेजा, णो य से तत्थ आगमे सिया जहा से तत्थ सुए सिया सुएणं ववहारं पट्ठवेज्जा, णो य से तत्थ सुए सिया जहा से तत्थ आणा सिया आणाए ववहारं पटवेजा, णो य- से तत्थ आणा सिया जहा से तत्थ धारणा सिया धारणाए ववहारं पट्टवेजा, णो य से तत्थ धारणा सिया जहा से तत्थ जीए सिया जीएण ववहारं पढ़वेजा, इच्चेएहि पंचहिं ववहारं पट्ठवेजा, तंजहा-आगमेणं, सुएणं, आणाए, धारणाए; जीएणं, जहा २ से आगमे सुए आणा धारणा जीए तहा २ ववहार पट्टवेजा ॥ से किमाहु भंते ! आगमबलिया समणा निग्गंथा इच्चयं पंचविहं ववहार जहा २ जहि २ तहा २ तहिं २ अणिस्सिओवसियं सम्मं ववहरमाणे समणे निग्गर्थ आणाए आराहए भवइ ॥ ३३९ ॥ कइविहेणं भंते । बंधे पण्णत्ते ? गोयमा! दुविहे वंधे पन्नत्ते, तंजहा-इरियावहियवंधे य संपराइयवंधे य । इरियावहियण्ण भंते । कम्म कि नेरइओ वंधइ तिरिक्खजोणिओ वंधइ तिरिक्खजोणिणी बंधइ मणुस्सो बंधइ मणुस्सी बंधइ देवो वंधइ देवी वंधइ ? गोयमा ! नो नेरइओ वंधइ नो तिरिक्खजोणिओ बंधइ नो तिरिक्खजोणिणी वंधइ नो- देवो वंधइ नो देवी बंधइ, Page #609 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ८ उ०८] सुत्तागमे. ५५७ पुचपडिवन्नए पडुच मणुस्सा य मणुस्सीओ य बंधति, पडिवजमाणए पडुच्च मणुस्सो वा वंधइ १ मणुस्सी वा वंधइ २ मणुस्सा वा बंधति ३. मणुस्सीओ वा बंधति ४ अहवा मणुस्सो य मणुस्सी य बंधई ५ अहवा मणुस्सो य मणुस्सीओ य बंधन्ति ६ अहवा मणुस्सा य मणुस्सी य बंधइ ७ अहवा मणुस्सा य मणुस्सीओ य बंधंति ॥ तं भंते! किं इत्थी वंधइ पुरिसो बंधइ नपुंसगो बंधइ, इत्थीओ वंधन्ति पुरिसा बंधति नपुंसगा वंधन्ति, नोइत्थीनोपुरिसोनोनपुंसओ वंधइ ? गोयमा ! नो इत्थी बंधइ नो पुरिसो बंधइ जाव नो नपुंसगा वंधन्ति, पुवपडिवन्नए पडुच्च अवगयवेया वंधति, पडिवजमाणए य पडुच्च अवगयवेओ वा वंधई अवगयवेया वा बंधति ॥ जइ भंते ! अवगयवेओ वा बंधइ अवगयवेया वा वंधति तं भंते ! किं इत्थीपच्छाकडो बंधइ १ पुरिसपच्छाकडो वंधइ २ नपुंसगपच्छाकडो बंधइ ३ इत्थीपच्छाकडा बंधति ४ पुरिसपच्छाकडा वंधति ५ नपुंसगपच्छाकडा बंधति ६ उदाहु इत्थिपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य बंधइ, उदाहु इत्थिपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडा य वंधति, उदाहु इत्थिपच्छाकडा यं पुरिसपच्छाकडो य वंधइ, उदाहु इस्थिपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य वंधति, उदाहु इत्थीपच्छाकडो य गपुंसगपच्छाकडो य बंधइ.-४ उदाहु पुरिसपच्छाकडो य णपुंसगपच्छाकडो य बंधइ ४ उदाहु इत्थिपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य णपुंसगपच्छाकडो य(वंधइ)भाणियव्वं ८, एवं एए छव्वीसं भंगा २६ जाव उदाहुँ इत्थीपच्छाकडा ये पुरिसप० नपुंसगप० बंधति ? गोयमा ! इत्थिपच्छाकडोवि वंधइ १ पुरिसपच्छाकडोवि बंधइ २ नपुंसगपच्छाकडोवि बंधइ ३ इत्थीपच्छाकडावि वधति ४ पुरिसपच्छाकडावि वंधति ५ नपुंसगपच्छाकडावि बंधति ६ अहवां इत्थीपच्छाकडो पुरिसपच्छाकडो य वंधई ७ एवं एंए चेव छव्वीसं भंगा भाणियव्वा, जाव अहवा इत्थिपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाक्रडा य वंधति ॥ तं भंते ! किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ १ बंधी बंधइ न बंधिस्सइ २ बंधी न वंधइ बंधिस्सइ ३ बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ४ न बंधी बंधइ बंधिस्सइ ५ न वंधी वंधइ न वंधिस्सइ ६ . न वंधी न वंधइ बंधिस्सइ ७ न वंधी न बंधइ न वंधिस्सइ ८ ? गोयमा ! भवागरिसं पडुच्च अत्थेगइए वंधी वंधइ वंधिस्सइ अत्थेगइए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, एवं तं चेव सव्वं जाव अत्येगइए न वंधी न बंधइ न वंधिस्सइ, गहणागरिसं पडुच्च अत्थेगइए वंधी वंधड़ बंधिस्सइ एवं जाव अत्थेगइए न बंधी बंधइ बंधिस्सइ, णो चेव णं न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, अत्थेगइए न वंधी न बंधइ बंधिस्सइ अत्थेगइए न बंधी नबंधइ न बंधिस्सइ ॥ तं भंते ! कि साइयं सपजवसियं बंधइ साइयं अपज्जवसियं Page #610 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई वंधइ अणाइयं सपज्जवसियं वंधइ अणाइयं अपज्जवसियं बंधइ ? गोयमा ! साइयं सपजवसियं बंधइ नो साइयं अपज्जवसियं वंधइ नो अणाइयं सपज्जवसियं बंधइ नो अणाइयं अपज्जवसियं वंधइ ॥ तं भंते ! किं देसेणं देसं बंधइ देसेणं सव्वं बंधइ सव्वेणं देसं वंधइ सव्वेणं सव्वं वंधइ ? गोयमा ! नो देसेणं देसं बंधइ णो देसेणं सव्वं बंधइ नो सव्वेणं देसं बंधइ सव्वेणं सव्वं बंधइ ॥ ३४० ॥ संपराइयण्णं भंते ! कम्मं किं नेस्इओ बंधइ तिरिक्खजोणिओ बंधड़ जाव देवी वंधइ ? गोयमा ! नेरइओवि वंधइ तिरिक्खजोणिओवि बंधइ तिरिक्खजोणिणीवि वंधइ मणुस्सोवि बंधइ मणुस्सीवि बंधइ देवोवि बंधइ देवीवि वंधइ ॥ तं भंते । कि इत्थी वंधइ पुरिसो वंधइ तहेव जाव नोइत्थीनोपुरिसोनोनपुंसओ बंधइ ? गोयमा! इत्थीवि वंधइ पुरिसोवि बंधइजाव नपुंसगावि वंधन्ति अहवेए य अवगयवेओ य वंधइ अहवेए य अवगयया य वंधन्ति । जइ भंते ! अवगयवेओ य बंधइ अवगयवेया य वंधन्ति तं भंते ! कि इत्थीपच्छाकडो बंधइ पुरिसपच्छाकडो वंधइ? एवं जहेव इरियावहियाबंधगस्स तहेव निरवसेसं जाव अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य [बंधइ] नपुंसगपच्छाकडा य बंधंति ॥ तं भंते ! कि बंधी वधइ वंधिस्सइ १ वंधी वंधइ न वंधिस्सइ २ वंधी न वंधइ वंधिस्सइ ३ वंधी न बंधइ न वंधिस्सइ ४ ? गोयमा! अत्थेगइए वंधी बंधइ बंधिस्सइ १ अत्थेगइए बंधी वंधइ न वंधिस्सइ २ अत्थेगइए बंधी न वंधइ वंधिस्सइ ३ अत्थेगइए बंधी न वंधइ न वंधिस्सइ ॥ तं भंते! किं साइयं सपज्जवसियं वंधइ ? पुच्छा तहेव, गोयमा ! साइयं वा सपज्जवसियं वंधइ अणाइयं वा सपज्जवसियं वंधइ अणाइयं वा अपज्जवसियं बंधइ णो चेव णं साइयं अपज्जवसियं वंधइ। तं भंते ! किं देसेणं देसं वंधइ० एवं जहेव इरियावहियाबंधगस्स जाव सव्वेणं सव्वं वंधइ ॥३४१॥ कइ णं भंते ! कम्मपयडीओ पन्नत्ताओ? गोयमा ! अट्ठ कम्मपयडीओ पन्नत्ताओ?, तंजहाणाणावरणिज जाव अंतराइयं ॥ कइ णं भंते ! परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा! बावीसं परीसहा प०, तंजहा-दिगिंछापरीसहे, पिवासापरीसहे, जाव दंसणपरीसहे । एए णं भंते ! वावीसं परीसंहा कइसु कम्मपगडीसु समोयरंति ? गोयमा ! चउसु कम्मपयडीसु समोयरंति, तंजहा-नाणावरणिज्जे, वेयणिज्जे, मोहणिज्जे, अंतराइए । नाणावरणिज्जे णं भंते ! कम्मे कइ परीसहा समोयरंति ? गोयमा ! दो परीसहा समोयरंति, तं०पन्नापरीसहे अण्णाणपरीसहे य, वेयणिज्जे णं भंते ! कम्मे कइ परीसहा समोयरंति ? गोयमा ! एक्कारस परीसहा समोयरंति, तंजहा-पंचेव आणुपुव्वी चरिया सेजा वह य रोगे य । तणफास जल्लमेव य एकारस वेयणिजमि ॥१॥दसणमोहणिजे ण Page #611 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५९ वि० ५० स० ० उ०८] सुत्तागमे भंते ! कम्मे कइ परीसहा समोयरंति ? गोयमा! एगे दंसणपरीसहे समोयरइ, चरित्तमोहणिजे णं भंते ! कम्मे कइ परीसहा समोयरंति ? गोयमा ! सत्त परीसहा समोयरंति, तंजहा-अरई अचेल इत्थी निसीहिया जायणा य अक्कोसे । सक्कारपुरकारे चरित्तमोहमि सत्तेए ॥ १ ॥ अंतराइए णं भंते ! कम्मे कइ परीसहा समोयति ? गोयमा ! एगे अलाभपरीसहे समोयरइ ॥ सत्तविहबंधगस्स णं भंते ! कइरं परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा! वावीसं परीसहा पण्णत्ता, वीसं पुण वेदेइ, जं समयं सीयपरीसहं वेदेइ णो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ णो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ, जं समयं चरियापरीसहं वेदेइ णोतं समयं निसीहियापरीसहं वेदेइ जं समयं निसीहियापरीसहं वेदेइ णो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ । अढविहवंधगस्स णं भंते ! कइ परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा! वावीसं परीसहा पण्णत्ता, तंजहा-छुहापरीसहे, पिवासापरीसहे, सीयप०, दंसमसगप० जाव अलाभप०, एवं अट्ठविहवंधगस्सवि सत्तविहवंधगस्सवि । छविहबंधगस्स ण भंते ! सरागछउमत्थस्स कइ परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा ! चोद्दस परीसहा पण्णत्ता बारस पुण वेदेइ, जं समयं सीयपरीसहं वेदेइ णो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ, जं समय चरियापरीसहं वेदेइ णो तं समयं सेजापरीसहं वेदेइ जं समय सेज्जापरीसहं वेदेइ णो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ । एकविहवंधगस्त णं भंते ! वीयरागछउमत्थस्स कइ परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा ! एवं चेव जहेव छविहवंधगस्स । एगविहवंधगस्स णं भंते ! सजोगिभवत्थकेवलिस्स कइ परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा! एकारस परीसहा पण्णत्ता, नव पुण वेदेइ, सेसं जहा छव्विहवंधगस्स । अवंधगस्स णं भंते ! अजोगिभवत्थकेवलिस्स कइ परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा ! एक्कारस परीसहा पण्णत्ता, नव पुण वेदेइ, जं समयं सीयपरीसहं वेदेइ नो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ, जंसमयं चरियापरीसहं वेदेइ नो तं समयं सेजापरीसहं वेदेइ जं समयं सेज्जापरीसहं वेदेइ नो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ ॥३४२॥ जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तसि दूरे य मूले य दीसंति मज्झंतियमुहुत्तसि मूले य दूरे य दीसंति अत्थमणमुहत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति ? हता गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहत्तंसि दूरे य तं चेव जाव अत्थमणमुहुत्तसि दूरे य मूले य दीसंति, जंवूदीवे णं भंते ! दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि मज्झंतियमुहुत्तसि य अत्थमणमुहुत्तसि य सव्वत्थ समा उच्चत्तेणं ? हंता गोयमा! जंबुद्दीवे णं, दीवे सूरिया उग्गमण जाव उच्चत्तेगं । जइ णं Page #612 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई ५६० ० भंते! जंबुद्दीवें २ सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि य मज्यंतिय • अत्थमणमुहुत्तसि मूले जाव उच्चत्ते से केणं खाइणं अद्वेणं भंते ! एवं बुचइ जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति जाव अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति ? 'गोयमा ! लेसापडिघाएणं उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति लेसाभितावेणं मज्यंतियमुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति लेसापडिधाएणं अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसन्ति जाव अत्थमण जाव दीसंति । जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं गच्छंत पडुप्पन्नं खेत्तं गच्छंति अणागये खेत्तं गच्छति ? गोयमा ! णो तीयं खेत्तं गच्छति पडुप्पन्नं खेत्तं गच्छेति णो अणायं खेत्तं गच्छति, जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं ओभासंति पडुप्पन्नं खेत्तं ओभासंति अणागयं खेत्तं ओभासंति ? गोयमा । नो तीयं खेत्तं ओभासंति पडुप्पन्नं खेत्तं ओभासंति नो अणागयं खेत्तं ओभासंति, तं भंते! किं पुढं ओभासंति अपु ओभासेति ? गोयमा ! पुढं ओभासंति नो अपुढं ओभासंति जाव नियमा छद्दिसिं । जंबूदीवे णं भंते ! दीवे सूरिया कि तीयं खेत्तं उज्जोवेंति एवं चेव जाव नियमा छद्दिसि एवं तवेंति एवं भासेंति जाव नियमा छद्दिसिं ॥ जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरियाणं कितीए खेत्ते किरिया कज्जइ पडुप्पन्ने खेत्ते किरिया कज्जइ अगागए खेत्ते किरिया कज्जइ ? गोयमा । नो तीए खेत्ते किरिया कज्जइ पडुप्पन्ने खेत्ते किरिया कज्जइ णो अणागए खेत्ते किरिया कज्जइ, सा भंते! किं पुट्ठा कज्जइ अपुट्ठा कज्जइ ? गोयमा ! पुट्ठा कजइ नो अपुट्ठा कज्जइ जाव नियमा छद्दिसिं । जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया केवइयं खेत्तं उङ्कं तवेंति केवइयं खेत्तं आहे तवेंति केवइयं खेत्तं तिरियं तवेंति ? ' गोयमा ! एगं जोयणसयं उतवेंति अट्ठारस जोयणसयाइं अहे तवेंति सीयालीसं जोयणसहस्साइं दोन्नि य तेवढे जोयणसए एक्कवीसं च सट्टिभाए जोयणस्स तिरियं तवेंति ॥ अंतो णं भंते ! माणुसुत्तरस्स पव्वयस्स जे चंदिमसूरियगहगणणक्खत्तताराख्वा ते णं भंते! देवा किं उड्डोववन्नगा जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं जाव उक्कोसेणं छम्मासा | बहिया णं भते ! माणुसुत्तरस्स नहा जीवाभिगमे जाव इंदट्ठाणे णं भंते! केवइयं कालं उववाएणं विरहिए पन्नत्ते ? गोयमा । जह नेणं एक्कं समयं उक्नोसेणं छम्मासा । सेवं भंते । सेवं भंते ! ति ॥ ३४३ ॥ अट्ठमसए अट्टमो उद्देसो समत्तो ॥ 1 - कविहे णं भंते! बंधे पण्णत्ते ? गोयमा । दुविहे बंधे पण्णत्ते, तंजहा - पगचंधे य वीससाबंधे य ॥ ३४४॥ वीससावंधे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! Page #613 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ८ उ०९] सुत्तागमे ५६५ दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-साइयवीससावंधे य अणाइयवीससावंधे य । अणाइयवीससाबंधे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तंजहा-धम्मत्थिकायअन्नमन्नअणाइयवीससावंधे, अधम्मत्थिकायअन्नमन्नअणाइयवीससावंधे, आगासत्थिकायअन्नमन्नअणाइयवीससावंधे । धम्मत्यिकायअन्नमन्नअणाइयवीससावंधे णं भंते ! कि देसवंधे सव्ववंधे ? गोयमा ! देसवंधे नो सव्ववंधे, एवं अधम्मत्थिकायअन्नमन्नअणाइयवीससावंधेवि, एवमागास स्थिकायअन्नमन्नअणाइयवीससाबंधेवि । धम्मत्यिकायअन्नमन्नअणाइयवीससाबंधे णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा । सव्वद्धं, एवं अधम्मत्थिकाए, एवं आगासत्यिकाए। साइयवीससावंधे णं भंते । कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा । तिविहे पण्णत्ते, तंजहा-बंधणपच्चइए, भायणपञ्चइए, परिणामपच्चइए। से कि तं बंधणपञ्चइए ? २ जन्नं परमाणुपोग्गला दुपएसिया तिपएसिया जाव दसपएसिया संखेजपएसिया असंखेजपएसिया, अणंतपएसियाणं खंधाणं वेमायनिद्धयाए वेमायलुक्खयाए वेमायनिद्धलुक्खयाए एवं वंधणपच्चइए णं बंधे समुप्पजइ जहन्नेणं एवं समयं उनोसेणं असंखेनं कालं, सेत्तं वंधणपच्चइए। से कि तं भायणपच्चइए ? भायणपञ्चइए जन्नं जुन्नसुराजुन्नगुलजुन्नतंदुलाणं भायणपच्चइएणं बंधे समुप्पजइ जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्नोसेणं संखेनं कालं, सेत्तं भायणपञ्चइए । से किं तं परिणामपच्चइए ? परिणामपच्चइए जन्नं अन्भाणं अव्भरुक्खागं जहा तइयसए जाव अमोहाणं परिणामपञ्चइए णं बंधे समुप्पज्जइ जहण्णेगं एवं समयं उक्नोसेणं छम्मासा, सेत्तं परिणामपच्चइए, सेत्तं साइयवीससावंधे, सेत्तं वीससावंधे ॥ ३४५ ॥ से किं तं पओग्वंधे ? पओगवंधे तिविहे पण्णत्ते, तंजहा-अणाइए वा अपज्जवसिए, साइए वा अपज्जवसिए, साइए वा सपज्जवसिए, तत्थ णं जे से अणाइए अपज्जवसिए से णं अट्टण्हं जीवमज्मपएसाणं ॥ तत्थवि णं तिण्हं २ अणाइए अपज्जवसिए सेसाणं साइए, तत्थ णं जे से साइए अपज्जवसिए से णं सिद्धाणं, तत्थ णं जे से साइए सपज्जवसिए से णं चउबिहे पन्नत्ते, तंजहा-आलावणवंधे, अल्लियावणवंधे, सरीरबंधे, सरीरप्पओगवंधे ॥ से कि तं आलावणवंधे, आलावणवंधे, जणं तणभाराण वा कढभाराण वा पत्तभाराण वा पलालभाराण वा वेल्लभाराण वा वेत्तलयावागवरत्तरज्जवल्लिकुसदभमाइएहिं आलावणवंधे समुप्पजइ जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं संखेजं कालं, सेत्तं आलावणवंधे । से किं तं अल्लियावणबंधे ? अल्लियावणवधे चरबिहे पन्नत्ते, तंजहा-लेसणावंधे, उच्चयवंधे, समुच्चयवंधे, साहणणावंधे, से कि त लेसणावंधे ? लेसणावंधे जन्नं कुट्टा(ट्ठा)णं कोटिमाणं खंभाणं पासायाणं कट्ठाणं चम्माण घडाणं पडाणं कडाणं छुहाचिक्खिल्लसिलेसलक्खमहुसित्थमाइएहिं लेसणएहिं ३६ सुत्ता० Page #614 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ५६२ [भगवई वंधे समुप्पज्जइ जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्नोसेणं संखेनं कालं, सेत्तं लेसणावंधे, से किं तं उच्चयबंधे ? उच्चयबंधे जन्नं तणरासीण वा कट्टरासीण वा पत्तरासीण वा तुसरासीण वा भुसरासीण वा गोमयरासीण वा अवगररासीण वा उच्चएणं बंधे समुप्पज्जइ जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्नोसेणं संखेनं कालं, सेत्तं उच्चयबंधे, से किं तं समुचयवंधे ? समुच्चयबंधे जन्नं अगडतडागनईदहवावीपुक्खरिणीदी हियाणं गुंजालियाणं सराणं सरपंतिआणं सरसरपंतियाणं बिलपंतियाणं देवकुलसभापव्वथूभखाइयाणं फरिहाणं पागारट्टालगचरियदारगोपुरतोरणाणं पासायघरसरणलेणआवणाणं सिघाडगतियचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहमाईणं छुहाचिक्खिल्लसिलेससमुच्चएणं बंधे समुप्पज्जइ जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्नोसेणं संखेनं कालं, सेत्तं समुच्चयवंधे, से किं तं साहणणाबंधे ? साहणणावंधे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-देससाहणणाबंधे य सव्वसाहणणाबंधे य, से कि तं देससाहणणावंधे ? देससाहणणावंधे जन्नं सगडरहजाणजुग्गगिल्लिथिल्लिसीयसंदमाणियलोहीलोहकडाहकडुच्छुयआसणसयणखंभभंडमत्तोवगरणमाईणं देससाहणणाबंधे समुप्पजइ जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्नोसेणं संखेनं कालं, सेत्तं देससाहणणाबंधे, से कि तं सव्वसाहणणावंधे ? सव्वसाहणणावंधे से णं खीरोदगमाईणं, सेत्तं सव्वसाहणणावंधे, सेत्तं साहणणाबंधे, सेत्तं अल्लियावणवंधे ॥३४६॥ से किं तं सरीरवंधे ? सरीरवंधे दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-पुव्वप्पओगपच्चइए य पडुप्पन्नपओगपच्चइए य, से किं तं पुव्वप्पओगपञ्चइए ? पुव्वपओगपञ्चइए जन्नं नेरइयाणं संसारत्थाणं सव्वजीवाणं तत्थ २ तेसु २ कारणेसु समोहणमाणाणं जीवप्पएसाणं बंधे समुप्पज्जइ सेत्तं पुव्वप्पओगपच्चइए, से किं तं पड्डुप्पन्नप्पओगपञ्चइए ? २ जन्नं केवलनाणिस्स अणगारस्स केवलिसमुग्घाएणं समोहयस्स ताओ समुग्घायाओ पडिनियत्तेमाणस्स अंतरा मंथे वट्टमाणस्स तेयाकम्माणं बंधे समुप्पजइ, कि कारणं ? ताहे से पएसा एगत्तीगया भवंतित्ति, सेत्तं पडुप्पन्नप्पओगपञ्चइए, सेत्तं सरीरबंधे ॥ से कि तं सरीरप्पओगवंधे ? सरीरप्पओगवंधे पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-ओरालियसरीरप्पओगबंधे, वेउव्वियसरीरप्पओगबंधे, आहारगसरीरप्पओगवंधे,तेयासरीरप्पओगबंधे,कम्मासरीरप्पओगबंधे । ओरालियसरीरप्पओगबंधे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-एगिदियओरालियसरीरप्पओगवंधे वेदियओ० जाव पंचिदियओरालियसरीरप्पओगवंधे । एगिदियओरालियसरीरप्पओगबंधे णं भंते । कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-पुढविकाइयएगिदिय० एवं एएणं अभिलावणं भेओ जहा ओगाहणसंठाणे ओरालियसरीरस्स तहा भाणियव्वो जाव पजत्तगब्भवनंतियमणुस्सपंचिंदियओरा Page #615 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ८ उ० ९] सुत्तागमे ५६३ लियसरीरप्पओगवंधे य अपज्जत्तगभवनंतियमणुस्स जाव वंधे य ॥ ओरालिय. सरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा! वीरियसजोगसद्दव्वयाए पमादपच्चया कम्मं च जोगं च भवं च आउयं च पडच ओरालियसरीरप्प ओगनामाए कम्मस्स उदएणं ओरालियसरीरप्पओगवंधे ॥ एगिदियओरालियसरीरप्पओगवंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं ? एवं चेव, पुढविकाझ्यएगिदियओरालियसरीरप्पओगवंधेवि एवं चेव, एवं जाव वणस्सइकाइया,एवं बेइंदिया,एवं तेइंदिया, एवं चरिंदिया, तिरिक्खजोणियपंचिंदियओरालियसरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? एवं चेव, मणुस्सपंचिंदियओरालियसरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा! वीरियसजोगसहव्वयाए पमादपचया जाव आउयं च पड्डुच्च मणुस्सपंचिंदियओरालियसरीरप्पओगनामाए कम्मस्स उदएणं ॥ ओरालियसरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कि देसवंधे सव्ववंधे ? गोयमा! देसवंधेवि सव्ववंधेवि, एगिदियओरालियसरीरप्पओगवंधे णं भंते ! किं देसवंधे सव्ववंधे ? एवं चेव, एवं पुढविक्राइया, एवं जाव मणुस्सपंचिंदियओरालियसरीरप्पओगवंधे ण भंते! कि देसवंधे सव्वबंधे ? गोयमा ! देसबंधेवि सव्ववंधेवि ॥ ओरालियसरीरप्पओगबंधे णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सव्ववंधे एक्नं समयं, देसवंधे जहन्नेणं एवं समयं, उनोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं समयऊणाई, एगिदियओरालियसरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सव्ववंधे एवं समयं देसबंधे जहन्नेणं एवं समयं,उक्कोसेणं वावीसं वाससहस्साइं समयऊणाइं,पुढविकाइयएगिदियपुच्छा, गोयमा ! सव्ववंधे एवं समयं,देसवंधे जहन्नेणं खुड्डागभवग्गहणं तिसमयऊणं, उनोसेणं वावीसं वाससहस्साइं समयऊणाई, एवं सव्वेसि सव्ववंधो एक समयं, देसवंधो जेसि नत्यि वेउब्वियसरीरं तेसिं जहन्नेणं खुडागं भवग्गहणं तिसमयऊणं, उकोसेणं जा जस्स उक्नोसिया ठिई सा समयऊणा कायव्वा, जेसिं पुण अत्यि वेउब्वियसरीरं तेसिं देसवंधो जहन्नेणं एवं समय, उक्कोसेणं जा जस्स ठिई सा समयऊणा कायव्वा जाव मणुस्साणं देसवंधे जहन्नेणं एक्कं समयं,उकोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं समयऊणाइं ॥ ओरालियसरीरप्पओगवंधंतरे णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा! सव्ववंधंतरं जहन्नेणं खुदागं भवग्गहणं तिसमयऊणं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सांगरोवमाइं पुन्चकोडिसमयाहियाई, देसवंधंतरं जहन्नेणं एवं समयं, उक्नोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं तिसमयाहियाई, एगिदियओरालियपुच्छा, गोयमा । सव्ववंधंतरं जहनेणं खुहागं भवग्गहणं तिसमयऊणं, उक्कोसेणं वावीसं वाससहस्साई समयाहियाई, देसवंधंतरं जहन्नेणं एवं समयं, उनोसेणं अंतोमुहुत्तं, पुढविकाइयएगिदियपुच्छा Page #616 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६४ सुत्तागमे [ भगवई गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहेव एगिंदियस्स तहेव भाणियव्वं, देसवंवंतरं जहन्नेणं एक समयं, उक्लोसेणं तिन्नि समया, जहा पुढविक्काइयाणं एवं जाव चउरिंदियाणं वारकाइयचज्जाणं, नवरं सव्ववंधंतरं उक्कोसेणं जा जस्स ठिई सा समयाहिया कायव्वा, वाउकाइयागं सव्ववंधंतरं जहन्नेणं खुड्डागभवग्गहणं तिसमयऊणं, उक्कोसेणं तिन्निवास सहस्साईं समग्राहियाई, देसवंधंतरं जहनेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं, पंचिदियतिरिक्खजोणिय ओरालियपुच्छा, गोयमा । सव्वबंधंतरं जहन्नेणं खुट्टागभवग्गहणं तिसमयऊणं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी समयाहिया, देसवंधंतरं जहा एगिंदियाणं तहा पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं, एवं मणुस्साणवि निरवसेसं भाणियव्वं जाव उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ॥ जीवस्स णं भंते! एगिंदियत्ते णोएगिंदियत्ते पुणरवि एगिंदियत्ते एगिंदियओरालियमरीरप्पओगवंधंतरं कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा । सव्वबंधंतरं जहन्त्रेणं दोनगभवग्गहणाईं तिसमयऊणाई, उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साइं संखेज्जवासमव्भहियाइं, देसवंवंतरं जहन्नेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं, उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साईं संखेज्जवासमब्भहियाई, जीवस्स णं भंते! पुढविकाइयत्ते नोपुढविकाइयत्ते पुणरवि पुढविकाइयत्ते पुढविकाइयए गिंदियओरालि यसरीरप्पओगवंवंतरं कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! सव्वर्वधंतरं जहन्नेणं दो खुड्डागभवग्गहणारं तिसमयऊणाई, उक्कणं अणतं कालं अणंताओ उस्सप्पिणिओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अनंता लोगा असंखेजा पोग्गल परियट्टा ते णं पोग्गलपरियट्टा आवलियाए असंखेजइभागो, देसचंधंतरं जहन्नेणं खुड्डागभवग्गणं समयाहियं, उक्नोसेणं अणतं कालं जाव आवलियाए असंखेज्जइभागो, जहा पुढविक्काइयाणं एवं वणस्सइकाइयवज्जागं जाव मणुस्साणं, वणस्सइकाइयाणं दोन्नि खुट्टाई, एवं चेव उक्कोसेणं असंखेजं कालं असंखेजाओ उस्सप्पिणिओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ असंखेज्जा लोगा, एवं देसवंवंतरंपि उक्कोसेणं पुढविकालो ॥ एएसि णं भंते ! जीवाणं ओरालियसरीरस्स देसवंधगाणं सव्वबंधगाणं अवंधगाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवा जीवा ओरालियसरीरस्स सव्वबंधगा, अवंधगा विसेसाहिया, देसवंधगा असंखेज्जगुणा ॥ ३४७॥ वेडव्वियसरीरप्पओगबंधे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहाएगिंदियवेडव्वियसरीरप्पओगबंधे य पंचिंदियवेउव्वियसरीरप्पओगबंधे य । जइ एगिंदियवेउब्वियसरीरप्पओगवंधे कि वाउक्काइयांग दियवेडव्वियसरीरप्पओगवंधे अवाउक्काइयएगिंदिय० एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओगाहणसंठाणे वेडव्वियसरीरमेओ तहा भाणियव्वो जाव पज्जत्तसव्वद्ध सिद्ध अणुत्तरोववाइयकप्पाई यवेमाणियदेव - चँचिदियवेउब्वियसरीरप्पओगबंधे य अपजत्तसव्वद्धसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव पओ 4 Page #617 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ८ उ० ९ ] • सुत्तागमे 1 गधे य । वेउव्वियसरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा ! वीरियसजोगसद्दव्वयाए जाव आउयं वा लद्धिं वा पहुच वेडव्वियसरीरप्पओगनामाए कम्मस्स उदएणं वेउव्वियसरीरप्पओगवंधे । वाउक्काइयएगिदियवेउव्वियसरीरप्पओग ० पुच्छा, गोयमा ! वीरियस जोगसद्दव्वयाए एवं चेव जाव लद्धिं च पडुच जाव वाउकाइय एगिंदियवेडव्विय जाव बंधे। रयणप्पभापुढविनेरइयपंचिदियवेडव्वियसरीरप्पओगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा । वीरियसजोगसद्दव्वयाए जाव आउयं वा पडुच्च रयणप्पभापुढवि जाव बंधे, एवं जाव अहेसत्तमाए । तिरिक्खजोणियपंचिंदियवेउव्वियसरीरपुच्छा, गोयमा ! वीरिय० जाव जहा वाउक्वाइयाणं, मणुस्स• पंचिदियवेडव्वियसरीरप्पओग० पुच्छा, एवं चेव, असुरकुमारभवणवासिदेवपंचि - दियवेउव्विय जाव बंधे, जहा रयणप्पभापुढविनेरइयाणं एवं जाव थणियकुमारा, एवं वाणमंतरा, एवं जोइसिया, एवं सोहम्सकप्पोवगया वैमाणिया एवं जाव अच्चुयगेवेज्जगकप्पाईयवमाणिया णेयव्वा, अणुत्तरोववाइयकप्पाईयवेमाणिया एवं चेव । वेउन्वियसरीरप्पओगवंधे णं भंते ! किं देसबंध सव्वबंधे ? गोयमा ! देसवंधेवि सव्ववंधेवि, वाउक्काइयएगिंदिय० एवं चेव, रयणप्पभापुढविनेरइया एवं चेव, एवं जाव अणुत्तरोववाइया ॥ वेउब्विंयसरीरप्पओगबंधे णं भंते! कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सव्वबंधे जहन्नेणं एवं समयं उक्कोसेणं दो समया, देसवंधे जहन्त्रेणं एवं समयं, उक्कोसेणं तेत्तीस सागरोवमाईं समयऊणाई | वाउक्काइयएगिंदियवेडब्बियपुच्छा, गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं, देसबंधे जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ॥ रयणप्पभापुढविनेरइयपुच्छा, गोमा । सव्वबंधे एक्कं समयं, देसवंधे जहनेणं दसवाससहस्साई तिसमयऊणाई, उक्कोसेणं सागरोवमं समयऊणं, एवं जाव आहेसत्तमाए, नवरं देसबंधे जस्स जा जहन्निया ठिई सा तिसमयऊणा कायव्वा जाव उक्कोसा समयऊणा ॥ पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साण य जहा वाउक्काइयाणं । असुरकुमारनागकुमार जाव अणुत्तरोववाइयाणं जहा नेरइयाणं नवरं जस्स जा ठिई सा भाणि - यव्वा जाव अणुत्तरोववाइयाणं सव्वबंधे एकं समयं, देसवंधे जहन्त्रेण एकतीसं सागरोवमाई तिसमयऊणाईं, उनोसेणं तेत्तीस सागरोवमाई समयऊणाई ॥ वेडव्वियसरी - रम्पओगवंतरे णं भंते! कालओ केवश्चिरं होइ ? गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहन्नेणं एकं समयं, उक्नोसेणं अणंतं कालं अनंताओ जाव आवलियाए असंखेज्जइभागो, एवं देसबंधंतरंपि ॥ वाउक्काइयवेडन्विंयसरीरपुच्छा, गोयमा ! सव्वर्वधंतरं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्नोसेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागं, एवं देसवंधंतरंपि॥ तिरिक्खजोणियपंचिंदियवेउव्वियसरीरप्पओगवंवंतरं पुच्छा, गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहन्नेणं ५६५ Page #618 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे - [भगवई ५६६ अंतोमुहुत्तं, उनोसेणं पुव्वकोडिपुहत्तं, एवं देसबंधंतरंपि, एवं मणुस्रामावि ।। जीवन णं भंते ! वाउकाइयत्ते नोवाउकाइयत्ते पुणरवि वाउकादयत्ते बाउकादगएगिदियवेडव्वियपुच्छा, गोयमा ! सव्ववंधंतरं जहन्नेणं अंतोमुहुन, उनोसणं अणनं काले वणस्सइकालो, एवं देसवंधंतरंपि ॥ जीवस्म णं भंते ! रयणप्पभापुटाविनर ने शोरयणप्पभापुढवि० पुच्छा, गोयमा ! सव्ववंधतरं जहन्नेणं दस वानराहस्ताः अनामुहुत्तमब्भहियाई, उनोसेणं वणस्सइकालो, देसबंधंतरं जहनेणं अंतोमुहा, मोमणं अणंतं कालं वणस्सइकालो, एवं जाव अहेसत्तमाए, नवरं जा जरा ठि जामिया सा सव्ववंधंतरं जहन्नेणं अंतोमुत्तमम्भहिया कायव्या, सेसं तं चंच, पंचिदितिरिक्खजोणियमणुस्साण य जहा वाउचाइयाणं । अनुरकुमारनागकुमार जाव महस्तारदेवाणं एएसिं जहा रयणप्पभापुडविनेरइयागं नवरं सव्वबंधंतर जस्न जा टिई जहन्निया सा अंतोमुहुत्तमभहिया कायव्वा, सेसं तं चेव ॥ जीवरस गंभंत ! आण. यदेवत्ते नोआणयदेवत्तेपुच्छा, गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहनेणं अहारस सागरोपमाई वासपुहुत्तमन्भहियाइं, उनोसेणं अणंतं कालं वणस्सइकालो, दसबंधंतरं जहणं वासपुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं वणस्सइकालो, एवं जाव अचुए नवरं जस्त जा ठिई सा सव्ववंधंतरं जहण्णेणं वासपुहुत्तमव्भहिया कायव्वा सेसं तं चैव । वनकप्पातीयपुच्छा, गोयमा ! सव्ववंधंतरं जहन्नेणं वावीसं सागरोवमाइं वासपुहत्तमन्भहियाई, उकोसेणं अणंतं कालं वणस्सइकालो, देसवंतरं जहन्नेणं वानपुहुक्तं उकोसेणं वणस्सइकालो ॥ जीवस्स णं भंते ! अणुत्तरोववाइयपुच्छा, गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहन्नेणं एकतीसं सागरोवमाइं वासपुहुत्तमभहियाई, उझोसेणं संखेजाइं सागरोवमाई, देसवंधंतरं जहन्नेगं वासपुहुत्तं, उनोसेणं संखेजाइं सागरो. वमाइं ॥ एएसि णं भंते ! जीवाणं वेउव्वियसरीरस्स देसबंधगाणं सव्ववंधगाणं अवंधगाण य कयरे२हितो जाव विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्योवा जीवा वेउब्वियसरीरस्स सव्वबंधगा, देसवंधगा असंखेजगुणा, अवंधगा अणंतगुणा ॥ आहारगसरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा! एगागारे पण्णत्ते । जइ एगागारे पण्णत्ते किं मणुस्साहारगसरीरप्पओगवंधे अमणुस्साहारगसरीरप्पओगवंधे ? गोयमा ! मणुस्साहारगसरीरप्पओगवंधे नो अमणुस्साहारगसरीरप्पओगवंधे, एवं एएणं अभिलावेण जहा ओगाहणसंठाणे जाव इडिपत्तपमत्तसंजयसम्मद्दिटिपज्जत्तसंखेज्जवासाउयकम्मभूमियगमवक्त्रंतियमणुस्साहारगसरीरप्पओगवंधे, णो अणिड्डिपत्तपमत्त जाव आहारगसरीरप्पओगबंधे । आहारगसरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा ! वीरियसजोगसद्दव्वयाए जाव लद्धिं वा Page #619 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स. ८ उ० ९] सुत्तागमे पडुच्छ आहारगसरीरप्पओगणामाए कम्मस्स उदएणं आहारगसरीरप्पओगवंधे । आहारगसरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कि देसवंधे सव्ववंधे ? गोयमा ! देसबंधेवि सव्वबंधेवि । आहारगसरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा! सव्वबंधे एवं समयं, देसवंधे जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्लोसेणवि अंतोमुहुत्तं ॥ आहारगसरीरप्पओगवंधंतरे णं भंते! कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सव्ववंधतरं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उनोसेणं अगंतं कालं अणंताओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अणंता लोया अवढं पोग्गलपरियé देसूणं, एवं देसवंधंतरंपि ॥ एएसि णं भंते ! जीवाणं आहारगसरीरस्स देसवंधगाणं सव्ववंधगाणं अवंधगाण य कयरे २ हिंतो जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा आहारगसरीरस्स सव्ववंधगा, देसवंधगा संखेजगुणा, अबंधगा अणंतगुणा ३ ॥३४८॥ तेयासरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-एगिदियतेयासरीरप्पओगवंधे य बेइंदिय० तेइंदिय० जाव पंचिंदियतेयासरीरप्पओगवंधे य। एगिदियतेयासरीरप्पओगवधे णं भंते ! काविहे पण्णत्ते ? एवं एएणं अभिलावेणं भेओ जहा ओगाहणसंठाणे जाव पजत्तसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइयकप्पातीयवमाणियदेवपंचिंदियतेयासरीरप्पओगवंधे य अपज्जत्तसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव बंधे य। तेयासरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा ! वीरियसजोगसद्दव्वयाए जाव आउयं च पडुच्च तेयासरीरप्पओगनामाए कम्मस्स उदएणं तेयासरीरप्पओगबंधे । तेयासरीरप्पओगवंधे णं, भंते ! किं देसवंधे सव्ववंधे ? गोयमा ! देसवंधे नो सव्ववंधे ॥ तेयासरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कालओ केवचिरं हाइ ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-अणाइए वा अपज्जवसिए अणाइए वा सपजवसिए ॥ तेयासरीरप्पओगवंधंतरे णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! अणाइयस्स अपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं, अणाइयस्स सपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं॥ एएसि णं भंते ! जीवाणं तेयासरीरस्स देसवंधगाणं अवंधगाण य कयरे २ हिंतो जाव विसेसाहिया वा? गोयमा ! सम्वत्थोवा जीवा तेयासरीरस्स अवंधगा, देसवंधगा अणेतगुणा ४ ॥३४९ ॥ कम्मासरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा । अट्टविहे पण्णत्ते, तंजहा-नाणावरणिज्नकम्मासरीरप्पओगवंधे जाव अंतराइयकम्मासरीरप्पओगवंधे। णाणावरणिजम्मासरीरप्पओगबंधे णं भंते । कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! नाणपडिणीययाए.णाणणिण्हवणयाए, णाणंतराएणं, णाणप्पओसेणं, णाणचासायणाए, णाणविसंवायणाजोगेणं, णाणावरणिजकम्मासरीरप्पओगनामाए कम्मस्स उदएणं णाणावरणिजकम्मासरीरप्पओगवंधे । दरिसणावरणिज्जक Page #620 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे । [भगवई म्मासरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं 2 गोयमा ! दसणपडिणीययाए एवं जहा णाणावरणिज नवरं सणनाम घेत्तव्यं जाव दंसणविसंवायणाजोगेणं दरिसणावरणिजकम्मासरीरप्पओगनामाए कम्मस्स उदएणं जाव पओगवंधे । सायावेयणिजकम्मासरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा ! पाणाणुकंपयाए भूयाणुकंपयाए एवं जहा सत्तमसए दसमोद्देसए जाव अपरियावणयाए सायावेयणिजकम्मासरीरप्पओगनामाए कम्मस्स उदएणं सायावेयणिनकम्मा जाव वंधे। असायावेयणिज्जपुच्छा, गोयमा ! परदुक्खणयाए परसोयणयाए जहा सत्तमसए दसमोद्देसए जाव परियावणयाए असायावेयणिजकम्मा जाव पओगबंधे। मोहणिजकम्मासरीरप्पओगपुच्छा, गोयमा! तिव्वकोहयाए, तिव्वमाणयाए, तिव्वमाययाए, तिव्वलोहयाए, तिव्वदंसणमोहणिज्जयाए, तिव्वचरित्तमोहणिजयाए,मोहणिजकम्मासरीरप्पओग जाव पओगवंधे । नेरइयाउयकम्मासरीरप्पओगवंधे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! महारंभयाए, महापरिग्गहयाए, कुणिमाहारेणं, पंचिंदियवहेणं, नेरझ्याउयकम्मासरीरप्पओगनामाए कम्मस्स उदएणं नेरइयाउयकम्मासरीर जाव पओगबंधे । तिरिक्खजोणियाउयक्रम्मासरीरप्पओगपुच्छा, गोयमा ! माइल्याए, नियडिल्ल्याए, अलियवयणेणं, कूडतुलकूडमाणेणं, तिरिक्खजोणियाउयकम्मासरीर जाव पओगवंधे। मणुस्सआउयकम्मासरीरपुच्छा, गोयमा ! पगइभद्दयाए, पगइविणीययाए, साणुकोसयाए, अमच्छरियाए, मणुस्साउयकम्मा जाव पओगवंधे । देवाउयकम्मासरीरपुच्छा, गोयमा ! सरागसंजमेणं, संजमासंजमेणं, वालतवोकम्मेणं, अकामनिजराए, देवाउयकम्मासरीर जाव पओगवंधे ॥ सुभनामकम्मासरीरपुच्छा, गोयमा ! कायउजुययाए, भावुज्जुययाए, भासुजुययाए, अविसंवायणाजोगेणं, सुभनामकम्मासरीर जाव पओगवंधे ॥ असुभनामकम्मासरीरपुच्छा, गोयमा! कायअणुज्जुययाए, भावअणुज्जुययाए, भासअणुज्जुययाए, विसंवायणाजोगेणं, असुभनामकम्मा जाव पओगवंधे। उच्चागोयकम्मासरीरपुच्छा, गोयमा ! जाइअमएणं, कुलअमएणं, बलअमएणं, रूवअमएणं, तवअमएणं, सुयअमएणं, लाभअमएणं, इस्सरियअमएणं, उच्चागोयकम्मासरीर जाव पओगबंधे, नीयागोयकम्मासरीरपुच्छा, गोयमा! जाइमएणं, कुलमएणं, बलमएणं, जाव इस्सरियमएणं, णीयागोयकम्मासरीर जाव पओगवंधे । अंतराइयकम्मासरीरपुच्छा, गोयमा! दाणंतराएणं, लाभंतराएणं, भोगंतराएणं, उवभोगंतराएणं, वीरियंतराएणं, अंतराइयकम्मासरीरप्पओगनासाए कम्मस्स उदएणं अंतराइयकम्मासरीरप्पओगबंधे ॥ णाणावरणिजकम्मासरीरप्पओगवंधे णं भंते! कि देसवंधे सव्ववंधे ? गोयमा ! देसवंधे णो सव्वबंधे, एवं जाव मणुस मच्छरियाए, संजमासंजमेण, सरीरपुच्छा Page #621 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ८ उ०९] सुत्तागमे ५६९ अंतराइयकम्मा० । णाणावरणिज्नकम्मासरीरप्पओगबंधे णं भंते ! कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! णाणा० दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-अणाइए सपजवसिए अणाइए अपजवलिए, एवं जहा तेयगस्स संचिट्ठणा तहेव एवं जाव अंतराइयकम्मस्स । णाणावरणिजम्मासरीरप्पओगवंधंतरे णं भंते ! कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! अणाइयस्स एवं जहा तेयगसरीरस्स अंतरं तहेव एवं जाव अंतराइयस्स । एएनि णं भंते ! जीवाणं नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स देसवंधगाणं अबंधगाण य कयरे२ जाव अप्पाबहुगं जहा तेयगस्त, एवं आउयवजं जाव अंतराइयं ॥ आउयस्स पुच्छा, गोयमा! सव्यत्योवा जीवा आउयस्स कम्मस्स देसवंधगा, अवंधगा संखेज्जगुणा ५ ॥३५०|| जस्स णं भंते ! ओरालियसरीरस्स सव्ववंधे से णं भंते ! वेउव्वियसरीरस्स किं बंधए अबंधए ? गोयमा! नो बंधए अबंधए, आहारगसरीरस्स किं बंधए अवंधए ? गोयमा ! नो वंधए अवंधए, तेयासरीरस्स किं वंधए अवंधए 2 गोयमा ! बंधए नो अवंधए, जइ बंधए कि देसवंधए सव्ववंधए ? गोयमा ! देसवंधए नो सव्वबंधए, कम्मासरीरस्स कि बंधए अवंधए ? जहेव तेयगस्स जाव देसवंधए नो सव्वबंधए ॥ जस्स णं भंते ! ओरालियसरीरस्स देसवंधे से णं भंते ! वेउव्वियसरीरस्स किं बंधए अवंधए ? गोयमा ! नो वंधए अवंधए, एवं जहेव सव्ववंधेणं भणियं तहेव देसवंधेणवि भाणियन्वं जाव कम्मगस्स । जस्स णं भंते ! वेउवियसरीरस्स सव्ववंधे से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स कि बंधए अवंधए ? गोयमा! नो बंधए अबंधए, आहारगसरीरस्स एवं चेव, तेयगस्स कम्मगस्स य जहेव ओरालिएणं समं भणियं तहेव भाणियव्वं जाव देसवंधए नो सव्ववंधए। जस्स णं भंते। वेउब्वियसरीरस्स देसवंधे से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स कि बंधए अवंधए ? गोयमा! नो बंधए अवंधए, एवं जहा सव्ववंधेणं भणियं तहेव देसबंधेणवि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स । जस्स णं भंते ! आहारगसरीरस्स सव्वपषस ण भते ! ओरालियसरीरस्स किं वंधए अवंधए? गोयमा ! नो बंधए अवधए, एवं वेउव्वियस्सवि, तेयाकम्माणं जहेव ओरालिएणं समं भणियं तहेव भाणियव्वं । जस्स णं भंते ! आहारगसरीरस्स देसवंधे से णं भंते ! ओरालियसरारस्स एवं जहा आहारगसरीरस्स सव्ववंधेणं भणियं तहा देसवंधेणवि भाणियव्व जाव कम्मगस्स । जस्सणं भंते ! तेयासरीरस्स देसवंधे से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स किं बंधए अवंधए? गोयमा! वंधए वा अबंधए वा, जइ बंधए किं देसवंधए.सव्ववंधए ? गोयमा! देसवंधए वा सव्ववंधए वा, वेउब्वियसरीरस्स कि वधए अवैधए? एवं चेव, एवं आहारगसरीरस्सवि, कम्मगसरीरस्स कि बंधए Page #622 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ५७० अबंधए ? गोयमा ! वंधए नो अबंधए, जइ बंधए किं देसबंधए सव्ववंधए ? गोयमा ! देसवंधए नो सव्ववंधए । जस्स णं भंते ! कम्सगसरीरस्स देसबंधे से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स जहा तेयगस्स वत्तव्वया भणिया तहा कम्मगस्सवि भाणियव्वा जाव तेयासरीरस्स जाव देसवंधए नो सव्वबंधए ॥ ३५१॥ एएसि णं भंते ! सव्वजीवाणं ओरालियवेउव्वियआहारगतेयाकम्मासरीरगाणं देसवंधगाणं सव्ववंधगाणं अवंधगाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा आहारगसरीरस्स सव्ववंधगा १ तस्स चेव देसवंधगा संखेनगुणा २ वेउव्वियसरीरस्स सव्वबंधगा असंखेज्जगुणा ३ तस्स चेव देसवंधगा असंखेजगुणा ४ तेयाकम्मगाणं दुण्हवि तुल्ला अवंधगा अणंतगुणा ५ ओरालियसरीरस्स सव्ववंधगा अणंतगुणा ६ तस्स चेव अवंधगा विसेसाहिया ७ तस्स चेव देसवंधगा असंखेज्जगुणा ८ तेयाकम्मगाणं देसवंधगा विसेसाहिया ९ वेउव्वियसरीरस्स अवंधगा विसेसाहिया १० आहारगसरीरस्स अवंधगा विसेसाहिया ११ । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ३५२ ॥ अट्टमसयरूस नवसो उद्देसओ समत्तो॥ रायगिहे नगरे जाव एवं वयासी-अन्नउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव एवं परुति-एवं खलु सील सेयं, सुयं सेयं, सुयं सेयं सीलं सेयं, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! जन्नं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति जाव जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि जाव परुवेसि, एवं खलु मए चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तंजहा-सीलसंपन्ने णाम एगे णो सुयसंपन्ने १ सुयसंपन्ने नामं एगे नो सीलसंपन्ने २ एगे सीलसंपन्नेवि सुयसंपन्नेवि ३ एगे णो सीलसंपन्ने नो सुयसपन्ने ४, तत्थ णं जे से पढमे पुरिसजाए से णं पुरिसे सीलवं असुयवं, उवरए अविनायधम्मे, एस णं गोयमा ! मए पुरिसे देसाराहए पण्णत्ते, तत्थ णं जे से दोचे पुरिसजाए से णं पुरिसे असीलवं सुयवं, अणुवरए विनायधम्मे, एस णं गोयमा ! मए पुरिसे देसविराहए पण्णत्ते, तत्थ णं जे से तच्चे पुरिसजाए से णं पुरिसे सीलवं सुयवं, उवरए विन्नायधम्मे, एस णं गोयमा ! मए पुरिसे सव्वाराहए पन्नत्ते, तत्थ णं जे से चउत्थे पुरिसजाए से णं पुरिसे असीलवं असुयवं, अणुवरए अविण्णायधम्मे, एस णं गोयमा ! मए पुरिसे सव्वविराहए पन्नत्ते ॥ ३५३ ॥ कइविहा णं भंते ! आराहणा पण्णत्ता ? गोयमा! तिविहा आराहणा पण्णत्ता, तंजहा-नाणाराहणा दंसणाराहणा चरित्ताराहणा। णाणाराहणा णं भंते ! कइविहा पण्णत्ता? गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तंजहा-उक्कोसिया मज्झिमा जहन्ना। दंसणाराहणा णं भंते ! कइविहा प० ? एवं चेव तिविहावि । एवं चरित्ताराहणावि । जस्स णं भंते ! Page #623 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७१ वि०प० स० ८ उ० १०] सुत्तागमे उकोसिया णाणाराहणा तस्स उन्कोसिया दसणाराहणा जस्स उक्नोसिया दंसणाराहणा तस्स उक्नोसिया णागाराहणा ? गोयमा ! जस्स उलोसिया णाणाराहणा तस्स दसणाराणा उक्रोसिया वा अजहन्न उक्लोसिया वा, जस्स पुण उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स नाणाराणा उनोसा वा जहन्ना वा अजहन्नमणुकोसा वा । जस्स णं भंते ! उकोसिया गाणाराहणा तस्स उघोसिया चरित्ताराहणा जस्सुकोसिया चरित्ताराहणा नस्लुकोसिया णाणाराहणा? जहा उन्लोसिया णाणाराहणा य दंसणाराहणा य भणिया तहा उक्रोसिया नाणाराहणा य चरिताराणा य भाणियव्वा ॥ जस्स णं भंते ! उड़ोसिया दंसगाराहणा तस्सुलोसिया चरित्ताराहणा जस्सुक्नोसिया चरित्ताराहणा तस्सुकोसिया दंसणाराहणा? गोयमा! जस्स उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स चरित्ताराणा उकोसा वा जहन्ना वा अजहन्नमणुकोसा वा जस्स पुण उक्नोसिया चरित्ताराहणा तस्स दसणाराणा नियमा उनोसा ॥ उक्नोसियं णं भंते ! णाणाराहणं आराहेत्ता कहिं भवग्गहणेहि सिज्वइ जाव अंतं करेइ ? गोयमा । अत्थेगइए तेणेव भवग्गहणणं सिज्झइ जाव अंतं करेइ अत्थेगइए दोघेणं भवरगहणेणं सिज्झइ जाव अंतं करेइ, अत्धेगइए कप्पोवएमु वा कप्पातीयएसु वा उववजइ, उक्नोसियं णं भंते ! दंसणाराहणं आराहेत्ता काहिं भवग्गहणेहिं० एवं चेव, उक्नोसियण्णं भंते ! चरिनाराहणं आराहेत्ता० एवं चेव, नवरं अत्यंगइए कप्पातीयएसु उववज्जइ । मज्झि. मियं गं भंते ! णाणाराहणं आराहेत्ता कइहिं भवरगहणेहि सिज्झइ जाव अतं करेइ ? गोयमा ! अत्यंगइए दोचणं भवग्गहणेणं सिज्झइ जाव अंतं करेइ तचं पुण भवग्गहणं नाइक्कमइ, मज्झिन्मियं णं भंते ! दसणाराहणं आराहेत्ता० एवं चेव, एवं मज्झिमियं चरित्ताराहणंपि । जहन्नियन्न मंते । नाणाराहणं आराहेत्ता कइहि भवग्गहणेहिं सिज्मइ जाव अंतं करेइ ? गोयमा ! अत्थेगइए तच्चेणं भवग्गहणेणं सिज्झइ जाव अतं करेइ सत्तभवग्गहणाई पुण नाइकमई, एवं दसणाराहणंपि, एवं चरित्ताराहणंपि ॥३५४॥ कइविह णं भंते ! पोग्गलपरिणामे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पोग्गलपरिणामे पण्णत्ते, तंजहा-वनपरिणामे १ गंधप० २ रसप० ३ फासप० ४ संठाणप० ५, वनपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते,तंजहा-कालवन्नपरिणाम जाव सुकिदवनपरिणामे, एवं एएणं अभिलावेण गंधपरिणामे दुविहे, रसपरिणामे पचावह, फासपरिणामे अट्ठविहे, संठाणपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पचावह पण्णत्ते,तंजहा-परिमंडलंसंठाणपरिणामे जाव आययसंठाणपरिणामे ॥३५५॥ एगे भंते ! पोग्गलत्यिकायपएसे कि दवं १ दव्वदेसे २ दव्वाई ३ दव्वदेसा ४ उदाहु दव्वं च दव्वदेसे य ५ उदाहु दव्वं च दव्वदेसा य ६ उदाहु दंव्वाइं च Page #624 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ૭૨ दव्वदेसे य ७ उदाहु दव्वाइं च दव्वदेसा य ८ ? गोयमा ! सिय दव्वं सिय दव्वदेसे नो दवाइं नो दव्वदेसा नो दव्वं च दव्वदेसे य जाव नो दव्वाइं च दव्वदेसा य ॥ दो भंते ! पोग्गलत्थिकायपएसा किं दव्वं दव्वदेसे ? पुच्छा तहेव, गोयमा । सिय दव्वं १ सिय दव्वदेसे २ सिय दव्वाइं ३ सिय दव्वदेसा ४ सिय दव्वं च दव्वदेसे य ५ नो दव्वं च दव्वदेसा य ६ सेसा पडिसेहेयव्वा ॥ तिन्नि भंते ! पोग्गलत्थिकायपएसा किं दव्वं दव्वदेसे० ? पुच्छा, गोयमा ! सिय दव्वं १ सिय दव्वदेसे २ एवं सत्त भंगा भाणियव्वा जाव सिय दव्वाइं च दव्वदेसे य नो दव्वाइं च दव्वदेसा य । चत्तारि भंते । पोग्गलत्थिकायपएसा किं दव्वं? पुच्छा, गोयमा ! सिय दव्वं १ सिय दव्वदेसे २ अट्ठवि भंगा भाणियव्वा जाव सिय दवाइं च दव्वदेसा य ८ । जहा चत्तारि भणिया एवं पंच छ सत्त जाव संखेज्जा असंखेजा। अगंता भंते ! पोग्गलत्थिकायपएसा किं दव्वं० ? एवं चेव जाव सिय दव्वाइं च दव्वदेसा य॥३५६॥ केवइया णं भंते ! लोयागासपएसा प० ? गोयमा ! असंखेज्जा लोयागासपएसा प० ॥ एगमेगस्स णं भंते ! जीवस्स केवइया जीवपएसा प० ? गोयमा! जावइया लोगागासपएसा एगमेगस्स णं जीवस्स एवइया जीवपएसा पण्णत्ता ॥३५७॥ कइ णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, तंजहा-नाणावरणिजं जाव अंतराइयं, नेरइयाणं भंते! कइ कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! अट्ट, एवं सव्वजीवाणं अट्ठ कम्मपगडीओ ठावेयव्वाओ जाव वेमाणियाणं । नाणावरणिजस्स णं भंते ! कम्मस्स केवइया अविभागपलिच्छेया प०? गोयमा ! अणंता अविभागपलिच्छेया प०, नेरइयाणं भंते ! णाणावरणिजस्स कम्सस्स केवइया अविभागपलिच्छेया प०? गोयमा! अणंता अविभागपलिच्छेया प०, एवं सव्वजीवाणं जाव वेमाणियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता अविभागपलिच्छेया प०, एवं जहा णाणावरणिज्जस्स' अविभागपलिच्छेया भणिया तहा अट्ठण्हवि कम्मपगडीणं भाणियव्वा जाव वेमाणियाणं अंतराइयस्स ।- एगमेगस्स णं भंते ! जीवस्स एगमेगे जीवपएसे णाणावरणिज्जस्स कम्मस्स केवइएहिं अविभागपलिच्छेएहिं आवेढिए परिवेढ़िए ? गोयमा! सिय ; आवेढियपरिवेढिए सिय नो आवेढियपरिवेढिए, जइ आवेढियपरिवेढिए-नियमा अणंतेहिं, एगमेगस्स णं -भंते ! नेरइयस्स एगमेगे जीवपएसे णाणावरणिजस्स कम्मस्स केवइएहिं अविभागपलिच्छेएहिं आवेढिए परिवेढिए ? गोयमा ! - नियमा अणंतेहिं, जहा नेरइयस्स एवं जाव वेमाणियस्स, नवरं मणूसस्स जहा जीवस्स । एगमेगस्स णं भंते ! जीवस्स एगमेगे जीवपएसे दरिसणावरणिजस्स कम्मस्स केवइएहिं० एवं जहेव नाणावरणिजस्स Page #625 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७३ वि०प० स०८ उ०:०] सुत्तागसे तहेव दंडगो भाणियव्यो जाव वेमाणियस्स, एवं जाव अंतराइयस्स भाणियव्वं, नवरं चेयणिज्जस्स आउयस्स णामस्स गोयस्स एएसिं चउण्हवि कम्माण मणूसस्स जहा नेरइयस्स तहा भाणियव्वं सेसं तं चेव ॥ ३५८ ॥ जस्स णं भंते ! नाणावरणिज्ज तस्स दरिसणावरणिजं जस्स दंसणावरणिजं तस्स नाणावरणिज ? गोयमा! जस्स नाणावरणिज तस्स दसणावरणिजं नियमा अस्थि, जस्स दरिसणावरणिज्ज तस्सवि नाणावरणिज नियमा अस्थि । जस्स णं भंते ! णाणावरणिजं तस्स वेयणिज जस्स वेयणिज्जं तस्स णाणावरणि ? गोयमा! जस्स नाणावरणिजं तस्स वेयणिज्जं नियमा अत्यि, जस्स पुण वेयणिज्ज तस्स णाणावरणिज्जं सिय अस्थि सिय नत्यि । जस्स णं भंते ! नाणावरणिज्ज 'तस्स मोहणिज्ज जस्स मोहणिज्नं तस्स नाणावरणिनं ? गोयमा! जस्स नाणावरणिज्ज तस्स मोहणिजे सिय अस्थि सिय नत्यि, जस्स पुण मोहणिज तस्स नाणावरणिज्जं नियमा अस्थि । जस्स णं भंते !, णाणावरणिज्जं तस्स आउयं०? एवं जहा वेयणिजेण समं भणियं तहा आउएणवि समं भाणियच्वं, एवं नामेणवि एवं गोएणवि समं, अंतराइएण समं जहा दरिसणावरणिज्जेण समं तहेव नियमा परोप्परं भाणियव्वाणि १ ॥ जस्स णं भंते ! दरिसणावरणिज्जं तस्स वेयणिजं जरस वेयणिज तस्स दरिसणावरणिज्जं ? जहा नाणाचरणिज्ज उवरिमेहिं सत्तहिं कम्मेहि सम भणियं तहा दरिसणावरणिज्जपि उवरिमेहि छहि कम्महिं समं भाणियव्वं जाव अंतराइएणं २ । जस्स णं भंते ! वेयणिज्ज तस्स मोहणिज्जं जस्स मोहणिजं तस्स चेयणिज्ज ? गोयमा । जस्स वेयणिज तस्स माहणिज सिय अस्थि सिय नत्यि, जस्स पुण मोहणिजं तस्स वेयणिज्ज नियमा मात्य । जस्स णं भंते ! वेयणिज्ज तस्स आउयं०? एवं एयाणि परोप्परं नियमा, जहा आउएण समं एवं नामेणवि गोएणवि समं भाणियव्वं । जस्स णं भंते ! वेयपणज तस्स अंतराइयं० ? पुच्छा, गोयमा ! जस्स वेयणिज्जं तस्स अंतराइयं सिय भात्य सिय नत्यि, जस्स पुण अंतराइयं तस्स वेयणिज नियमा अत्थि ३ । जस्स ण भत । मोहणिज्न तस्स आउयं जस्स आउयं तस्स मोहणिज्ज ? गोयमा ! जस्स माहाणज्ज तस्स आउयं नियमा अत्यि, जस्स पुण आउयं तस्स मोहणिज सिय मात्य सिय नत्यि, एवं नाम गोयं अंतराइयं च भाणियव्वं ४, जस्स णं भंत ! आख्य तस्स नामं० ? पुच्छा, गोयमा ! दोवि परोप्परं नियम, एवं गोत्तेणवि समं भाणियव्वं, जस्स णं भंते ! आउयं तस्स अंतराइयं० पुच्छा, गोयमा ! जस्स आउयं तस्स अंतराइयं सिय अत्यि सिय नत्थि, जस्स पुण अंतराइयं तस्स आउयं नियमा अत्थि ५। 'जस्स णं भंते। नामं तस्स गोयं जस्स गोयं तस्स नाम? Page #626 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ५७४ गोयमा ! जस्स णामं तस्स नियमा गोयं, जस्स गोयं तस्स नियमा नाम, गोयमा ! दोवि एए परोप्परं नियमा, जस्स णं भंते ! णाम तस्स अंतराइयं० ? पुच्छा, गोयमा ! जस्स नामं तस्स अंतराइयं सिय अस्थि सिय नत्यि, जस्स पुण अंतराइयं तस्स नामं नियमा अत्यि ६ । जस्स णं भंते ! गोयं तस्त अंतराइयं० ? पुच्छा, गोयमा ! जस्स गोयं तस्स अंतराइयं सिय अस्थि सिय नत्यि, जस्स पुण अंतराइयं तस्स गोयं नियमा अत्थि ७ ॥ ३५९ ॥ जीवे गं भंते ! कि पोग्गली पोग्गले ? गोयमा ! जीवे पोग्गलीवि पोग्गलेवि, से केपट्टेणं भंते ! एवं वुचाइ जीवे पोग्गलीवि पोग्गलेवि ? गोयमा! से जहानासए छत्तेणं छत्ती, दंडेगं दंडी, घडेणं घडी, पडेणं पडी, करेणं करी, एवामेव गोयमा! जीवेवि सोइंदियचक्खिदियघागिंदियजिभिदियफासिंदियाइं पडुच्च पोग्गली, जीवं पडुच्च पोग्गले, से तेणट्टेणं गोयमा! एवं वुचइ जीवे पोग्गलीवि पोग्गलेवि । नेरइए णं भंते ! किं पोग्गली. ? एवं चेव, एवं जाव वेमाणिए नवरं जस्स जइ इदियाइं तस्स तइ भाणियव्वाइं । सिद्धे णं भंते! कि पोग्गली पोग्गले ? गोयमा! नो पोग्गली पोग्गले, से केणढेणं भंते ! एवं बुचड़ जाव पोग्गले ? गोयमा! जीवं पडुच्च, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ सिद्धे नो पोग्गली पोग्गले। सेवं भंते । सेवं भंते ! त्ति ॥ ३६० ॥ अट्ठमसए दसमो उद्देसो समत्तो, अट्टमं सयं ससत्तं ॥ : जंबुद्दीवे १ जोइस २ अंतरदीवा ३० असोच्च ३१ गंगेय ३२ । कुंडग्गामे ३३ पुरिसे ३४ नवमंमि'सए चउत्तीसा ॥ १॥ तेणं कालेगं तेणं समएणं मिहिला नाम नगरी होत्था वन्नओ, माणिभद्दे उजाणे वन्नओ, सामी तमोसढे परिसा निग्गया जाव भगवं गोयमे पन्जुवासमाणे एवं वयासी-कहिं णं मंते ! जंबुद्दीवे दीवे ? किसंठिए णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे ? एवं जंबुद्दीवपन्नत्ती भाणियव्वा जाव एवामेव सपुत्वावरेणं जंबुद्दीवे २ चोदस सलिला सयसहस्सा छप्पन्नं च सहस्सा भवंतीतिमक्खाया। सेव भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ३६१ ॥ नवमसए पढनो उद्देसो समत्तो॥ . रायगिहे जाव एवं वयासी-जम्बुद्दीवे गं भंते ! दीवे केवइया चंदा पभासिंसु व पभासेति वा पभासिस्संति वा ? एवं जहा जीवाभिगमे जाव-'एगं च सयसहस्स • तेत्तीसं खलु भवे सहस्साइं। नव य सया पन्नासा तारागणकोडिकोडीणं ॥ १ ॥ सोमं सोभिंसु सोभिंति सोभिस्संति ॥ लवणे णं भंते ! समुद्दे केवइया चंदा पभासिंवा पभासिंति वा पभासिस्संति वा ३ एवं जहा जीवाभिगमे जाव ताराओ॥धाय संडे कालोदे-पुक्खरवरे अभितरपुक्खरद्धे भणुस्सखेत्ते, एएसु सव्वेसु जहा जीव भिगमे जाव-“एगससीपरिवारो तारागणकोडा(कोडि)कोडीण-।' पुक्खरद्धे णं भंते Page #627 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चे० प० स० ९ उ० ३१] सुत्तागमे ५७५ नमुद्दे केवइया चंदा पभासिंसु वा ३ ? एवं सव्वेसु दीवसमुद्देसु जोइसियाणं भाणियव्वं नाव सयंभुरमणे जाव सोभं सोभिंसु वा सोभंति वा सोभिस्संति वा । सेवं भंते ! क्षेवं भंते ! त्ति ॥ ३६२ ॥ नवमलए बीओ उद्देसो समत्तो॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-कहि णं भंते ! दाहिणिल्लाणं एगो(गू )रुयमणुस्साणं एगोस्यदीवे णामं दीवे पन्नत्ते ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं चुल्लाहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरपुरच्छिमिल्लाओ चरिमंताओ लवणसमुदं उत्तरपुरच्छिमे णं तिन्नि जोयणसयाई ओगाहित्ता एत्थ णं दाहिणिल्लाणं एगोरुयमणुस्साणं एगोरुयदीवे नामं दीवे पण्णत्ते, तं गोयमा ! तिन्नि जोयणसयाई आयामविक्खंभेणं णवएगूणवण्णे जोयणसए किंचिविसे (साहिए)सूणे परिक्खेवेणं पन्नत्ते, से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेगं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते दोण्हवि पमाणं वन्नओ य, एवं एएणं कमेणं जहा जीवाभिगमे जाव सुद्धदंतदीवे जाव देवलोगपरिगहिया णं ते मण्या पण्णत्ता समणाउसो! 1 एवं अट्ठावीसं अंतरदीवा सएणं २ आयामविक्खंभेणं भाणियव्वा, नवरं दीवे २ उद्देसओ, एवं सव्वेवि अट्ठावीसं उद्देसगा भाणियव्वा । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ३६३ ॥ नवमस्स सयस्स तइयाइआ तीसंता उद्देसा समत्ता, तीसइमो उद्देसो समत्तो॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा केवलिसावगस्स वा केवलिसावियाए वा केवलिउवासगस्स वा केवलिउवासियाए वा तप्पक्खियस्स वा तप्पक्खियसावगस्स वा तप्पक्खियसावियाए वा तप्पक्खियउवासगस्स वा तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज सवणयाए ? गोयमा ! असोच्चा ण कवालस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगइए केवलिपन्नत्तं धम्म लमज सवणयाए, अत्धेगइए केवलिपन्नत्तं धम्मं नो लभेज-सवणयाए ॥ से केणठण भते ! एवं बुच्चइ-असोचा णं जाव नो लभेज्न सवणयाए ? गोयमा ! जस्सणं नाणावराणज्जाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव तप्पाक्खयउवासियाए वा केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज सवणयाए, जस्स णं नाणावर जाण कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ से णं असोचा णं केवलिस्स वा जाव सपाक्खयउवासियाए वा केवलिपन्नत्तं धम्मं नो लभेज सवणयाए,से तेणटेणं गोयमा ! एव बुच्चइ-तं चेव जाव'नो लभेज सवणयाए । असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं बोहि वुज्झेजा? गोयमा ! असोचा णं केवसस वा जाव अत्थेगइए केवलं बोहि बुज्झेजा, अत्थेगइए केवलं वोहि णो वुज्झेजा ॥ से केणट्रेणं भंते ! जाव नो वुज्झज्जा ? गोयमा! जस्स ग दरिसणाव Page #628 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई रणिजाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ से णं असोचा केवलिरस वा जाव केवलं वोहिं वुज्झेजा, जस्स णं दरिसणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे णो कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव केवलं वोहि णो वुज्झेजा, से तेणद्वेगं जाव णो बुज्झेजा ॥ असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वएजा? गोयमा ! असोचा णं केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा अत्थेगइए केवलं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइजा, अत्थेगइए केवलं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं नो पन्वएज्जा, से केणटेणं जाव नो पव्वएजा ? गोयमा । जस्स णं धम्मंतराइयाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव केवलं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वएजा, जस्स णं धम्मंतराइयाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव मुंडे भवित्ता जाव णो पव्वएज्जा, से तेणटेणं गोयमा ! जाव नो पव्वएजा। असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा केवलं वंभचेरवासं आवसेज्जा ? गोयमा ! असोचा णं केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा अत्थेगइए केवलं वंभरवासं आवसेज्जा, अत्थेगइए केवलं वंभचेरवातं नो आवसेज्जा, से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव नो आवसेजा ? गोयमा ! जरस णं चरित्तावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव केवलं बंभचेरवासं आवसेज्जा, जस्स णं चरित्तावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव नो आवसेज्जा, से तेणटेणं जाव नो आवसेज्जा । असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव केवलेणं संजमेणं संजमेजा ? गोयमा ! असोचा णं केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा जाव अत्थेगइए केवलेणं संजमेणं संजमेजा, अत्थेगइए केवलेणं संजमेणं नो संजमेजा, से केणढेणं जाव नो संजमेजा ? गोयमा । जस्स णं जयणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ से णं असोचा णं केवलिस्स वा जाव केवलेणं संजमेणं संजमेजा, जस्स णं जयणावरणिजाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव नो संजमेजा, से तेणढेणं गोयमा ! जाव अत्थेगइए नो संजमेजा । असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा केवलेगं संवरेणं संवरेजा ? गोयमा ! असोचाणं केवलिस्स वा जाव अत्थेगइए केवलेणं संवरेणं संवरेजा,अत्थेगइए केवलेणं जाव नो संवरेजा, से केणटेणं जाव नो संवरेजा ? गोयमा! जस्स णं अज्झर्वसाणावरणिजाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव केवलेणं संवरेणं संवरेजा. जस्स णं अज्झवसाणावरणिजाणं कम्माणं खओवसमे Page #629 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० पं०म० ९उ० ३१ ] सुत्तागमे णो कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव नो संवरेजा, से तेणट्टेणं जाव नो संवरेजा । असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव केवलं आभिणिवोहियनाणं उप्पाडेजा ? गोयमा ! असोचा णं केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा अत्येगइए केवलं आभिणिवोहियनाणं उप्पाडेजा, अत्थेगइए केवलं आभिणिवोहियनाणं नो उप्पाडेजा, से केणट्टेणं जाव नो उप्पाडेजा ? गोयमा । जस्स णं आभिणिवोहियनाणावरणिजाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाब केवलं आभिणिवो हियनाणं उप्पाडेजा, जस्स णं आभिणिवोहियनाणावरणिजाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव केवलं आभिणिबोहियनाणं नो उप्पाडेजा, से तेणट्टेणं जाव नो उप्पाडेजा, असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव केवलं सुयनाणं उप्पाडेजा ? एवं जहा आभिणिवोहियनाणस्स वत्तव्वया भणिया तहा सुयमाणस्सवि भाणियव्वा, नवरं सुयनाणावर णिज्जाणं कम्मार्ण खओवः समे भाणियव्वे । एवं चेव केवलं ओहिनाणं भाणियव्वं, नवरं ओहिणाणावरणिजाणं कम्माणं खओवसमे भाणियव्वे, एवं केवलं मणपजवनाणं उप्पाडेजा, नवरं मणपजवणाणावरणिजाणं कम्माणं खओवसमे भाणियव्वे, असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलनाणं उप्पाडेज्जा ? एवं चेव नवरं केवल - नाणावरणिजाणं कम्माणं खए भाणियव्वे, सेसं तं चेव, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव केवलनाणं नो उप्पाडेजा । असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज सवणयाए केवलं वोहिं बुज्झेजा केवलं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वएजा केवलं वंभचेरवास आवसेज्जा केवलेणं संजमेणं संजमेजा केवलेणं संवरेणं संवरेज्जा केवलं आभिणिवोर्हियनाणं उप्पाडेज्जा जाव केवलं मणपजवनाणं उप्पाडेजा केवलनाणं उप्पाडेजा ? गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा अत्थेगइए केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज सवर्णयाए, अत्येगइए केवलिपन्नत्तं धम्मं नो लभेज सर्वणयाए, अत्थेगइए केवलं बोहिं वुज्झेजा, अत्थेगइए केवलं वोहिं णो वुज्झेजा, अत्थेगइए केवलं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पब्वएजा, अत्थेगइए जाव नो पव्वएज्जा, अत्थेगइए केवलं बंभचेरवासं आवसेज्जा, अत्थेगइए केवलं बंभचेरवासं नो आवसेजा, अत्थेगइए केवलेणं संजमेणं संजमेजा, अत्थेगइए केवलेणं संजमेणं नो संजमेज्जा, एवं संवरेणवि, अत्थेगइए केवलं आभिणिवोहियनाणं उप्पाडेजा, अत्येगइए जाव नो उप्पाडेजा, एवं जाव मणपज्जवनाणं, अत्थेगइए केवलनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगइए केवलनाणं नो.उप्पाडेजा । से केणद्वेणं भंते । एवं बुच्चइ असोचा णं तं चेव जाव अत्थेगइए ३७ सुत्ता० ५७७ Page #630 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे . [भगवई केवलनाणं नो उप्पाडेजा ? गोयमा ! जस्स णं नाणावरणिजाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ १ जस्स णं दरिसणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ २ जस्स णं धम्मंतराइयाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ ३ एवं चरित्तावरणिज्जागं ४ जयणावरणिजाणं ५ अज्झवसाणावरणिज्जाणं ६ आभिणियोहियनाणावरणिज्जाणं ७ जाव मणपज्जवनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ १० जम्स णं केवलनाणावरणिजाणं जाव खए नो कडे भवइ ११ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव केवलिपन्नत्तं धम्मं नो लभेज सवणयाए केवलं बोहि नो बुज्झेना जाव केवल. नाणं नो उप्पाडेजा, जस्स णं नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ जस्स णं दरिसणावरणिजाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ जस्स णं धम्मंतराइयाणं एवं जाव जस्स णं केवलनाणावरणिजाणं कम्माणं खए कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज सवणयाए केवलं बोहिं बुज्झेजा जाव केवलणाणं उप्पाडेजा ॥ ३६४ ॥ तस्स णं भंते ! छटुंछठेगं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उद्धं वाहाओ पगिज्झिय पगिज्झिय सूराभिमुहस्स आयावणभूमीए आयावेमाणस्स पगइभद्दयाए पगइउवसंतयाए पगइपयेणुकोहमाणमायालोभयाए मिउमद्दवसंपन्नयाए अल्लीवणयाए भद्दयाए विणीययाए अन्नया कयाइ सुभेणं अज्यवसाणेणं मुभेणं परिणामेणं लेस्साहिं विसुज्झमाणीहिं २ तयावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं ईहापोहमग्गणगवेसणं करेमाणस्स विभंगे नामं अन्नाणे समुप्पज्जइ, से : तेणं विभंगनाणेणं समुप्पन्नेणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उल्झोसेणं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं जाणइ पासइ, से णं तेणं विभंगनागेण समुप्पन्नेणं जीवेवि जाणइ अजीवेवि जाणइ पासंडत्थे सारंभे सपरिग्गहे संकिलिस्समाणेवि जाणइ विसुज्झमाणेवि जाणइ से णं पुत्वामेव सम्मत्तं पडिवजइ सम्मत्तं पडिवज्जित्ता समणधम्म रोएइ समणधम्मं रोएत्ता चरित्तं पडिवजइ चरित्तं पडिवज्जित्ता लिंगं पडिवजइ, तस्स णं तेहिं मिच्छत्तपज्जवेहि परिहायमाणेहिं २ सम्मइंसणपज्जवेहिं परिवडमाणेहिं २ से विभंगे अन्नाणे सम्मत्तपरिग्गहिए खिप्पामेव ओही परावत्तइ ॥ ३६५ ॥ से णं भंते ! कइसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा ! तिसु विसुद्धलेस्सासु होजा, तंजहा-तेउलेस्साए पम्हलेस्साए सुकलेस्साए । से णं भंते । कइसु णाणेसु होजा ? गोयमा ! तिसु आभिणिवोहियनाणसुयनाणओहिनाणेसु होजा । से णं भंते ! किं सजोगी होजा अजोगी होजा ? गोयमा ! सजोगी होजा नो अजोगी होजा, जइ सजोगी होजा कि मणजोगी होजा वइजोगी होज्जा कायजोगी होजा? गोयमा! मणजोगी वा होजा वइजोगी वा होज्जा कायजोगी वा होज्जा । से णं भंते ! किं सागारोवउत्ते Page #631 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७९ वि० ५० स० ९ उ० ३१] सुत्तागमे होज्जा अणागारोवउत्ते होना ? गोयमा ! सागारोवउत्ते वा होजा अणागारोवउत्ते वा होजा । से णं भंते ! कयरंमि संघयणे होज्जा ? गोयमा! वइरोसभनारायसंघयणे होजा । से णं भंते ! कयरंमि संठाणे होज्जा ? गोयमा ! छम्ह संठाणाणं अन्नयरे संठाणे होना 1 से णं भंते ! कयरमि उच्चत्ते होज्जा ? गोयमा! जहन्नेणं सत्त रयणी उकोसेगं पंचधणुसइए होना । से णं भंते ! कयरंमि आउए होजा? गोयमा ! जहन्नेणं साइरेगठ्ठवासाउए उक्कोसेणं पुवकोडिआउए होज्जा । से णं भंते ! किं सवेदए होज्जा अवेदए होज्जा ? गोयमा ! सवेदए होजा नो अवेदए होजा, जड़ सवेदए होजा किं इत्यिवेयए होजा पुरिसवेदए होज्जा नपुंसगवेदए होज्जा पुरिसनपुंसगवेदए होजा? गोयमा ! नो इत्थिवेदए होज्जा पुरिसवेदए वा होज्जा नो नपुंसगवेदए होजा पुरिसनपुंसगवेदए वा होज्जा । से णं भंते ! कि सकसाई होजा अंकसाई होजा? गोयमा । सकसाई होजा नो अकसाई होजा, जइ सकसाई होजा से भंते ! कइतु कसाएसु होजा? गोयमा! चउसु संजलणकोहमाणमायालोभेसु होजा । तस्स णं भंते ! केवइया अज्झवसाणा प० ? गोयमा ! असंखेज्जा अज्झवसाणा प०, तेणं भंते ! किं पसत्था अप्पसत्था ? गोयमा ! पसत्था नो अप्पसत्था, से णं भंते ! तेहिं पसत्थेहिं अज्झवसाणेहिं वदमाणेहिं अणंतेहिं नेरइयभवग्गहणेहिंतो अप्पाणं विसंजोएइ अणंतेहिं तिरिक्खजोणिय जाव विसंजोएइ अणंतेहिं मणुस्सभवग्गहणेहिंतो अप्पाणं विसंजोएइ अणंतेहिं देवभवग्गहणेहिंतो अप्पाणं विसंजोएइ,जाओवि य से इमाओ नेरइयतिरिक्खजोणियमणुस्सदेवगइनामाओ चत्तारि उत्तरपयडीओ तासिं च णं उवग्गहिए अणंताणुवंधी कोहमाणमायालोभे खवेइ अणं० २त्ता अपञ्चक्खाणकसाए कोहमाणमायालोमे खवेइ अप० २ त्ता पच्चक्खाणावरणकोहमाणमायालोमे खवेइ पच्च०२ त्ता संजलणकोहमाणमायालोमे खवेइ संज०२त्ता पंचविहं नाणावरणिज्जं नवविहं दरिसणावरणिज पंचविहमंतराइयं तालमत्थकडं च णं मोहणिज्ज कटु कम्मरयविकरणकरं अपुव्वकरणं अणुपविट्ठस्स अणंते अणुत्तरे निव्वाघाए निरावरण कासणे पडिपुन्ने केवलवरनाणदंसणे समुप्पज्जइ ॥३६६॥ से णं भंते ! केवलिपनत्त धर्म आघवेज वा पन्नवेज वा परूवेज वा ? नो तिणहे समठे, णण्णत्थ एगथाएण वा एगवागरणेण वा, से णं भंते ! पवावेज वा मुंडावेज वा ? णो तिणद्वे सम?, उवएस पुण करेजा.से णं भंते ! कि सिज्झइ जाव अंतं करेइ ? हंता सिज्झइ जाव अंतं करेइ ॥ ३६७ ॥ से णं भंते ! किं उर्दू होज्जा अहो होजा तिरिय होजा? गायमा ! उ8 वा होज्जा अहे वा होजा तिरियं वा होज्जा, उर्दु होजमाणे सद्दावइ, वियडावइगंधावइमालवंतपरियाएसु वट्टवेयपव्वएसु होजा, साहरणं पडुच्च सोम Page #632 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८० सुत्तागमे [भगवई णसवणे वा पंडगवणे वा होज्जा, अहे होजमाणे गट्ठाए वा दरीए वा होजा, साहरणं पडुच पायाले वा भवणे वा होजा, तिरिय होज्जमाणे पन्नरसतु कम्मभूमीनु होजा, साहरणं पडुच्च अड्डाइजे दीवसमुद्दे तदेकदेसभाए होजा, ते णं भंते ! एगसमएणं केवइया होज्जा ? गोयमा ! जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उनोसेणं दस, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ असोचा णं केवलिस्स वा जाव अत्थेगइए केवलि. पन्नत्तं धम्म लभेज सवणयाए, अत्धेगइए असोचा णं केवलिस्स वा जाव नो लभेज सवणयाए जाव अत्थेगइए केवलनाणं उप्पाडेजा, अत्थेगइए केवलनाणं नो उप्पाडेजा ॥३६८॥ सोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपन्नत्तं धम्म लभेज सवणयाए ? गोयमा ! सोचा णं केवलिस्स वा जाव अत्यगइए केवलिपन्नत्तं धम्म एवं जा चेव असोचाए वत्तव्वया सा चेव सोचाएवि भाणियव्वा, नवरं अभिलावो सोचत्ति, सेसं तं चेव निरवसेसं जाव जस्स णं मणपज्जवनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ जस्स णं केवलनाणावरणिजाणं कम्माणं खए कडे भवइ से णं सोचा केवलिस वा जाव उवासियाए वा केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज सवणयाए केवलं वोहिं वुझेजा जाव केवलनाणं उप्पाडेजा, तस्स णं अट्ठमंअट्टमेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावमाणस्स पगइभद्दयाए तहेव जाव गवेसणं करेमाणस्स ओहिणाणे समुप्पजइ, से णं तेणं ओहिनाणेणं समुप्पन्नेणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेन्नइभागं. उकोसेणं असंखेजाइं अलोए लोयप्पमाणमेत्ताई खण्डाई जाणइ पासइ ॥ से णं भंते । कइसु लेस्सासु होजा ? गोयमा ! छसु लेस्सासु होजा, तंजहा-कण्हलेसाए जाव सुक्कलेसाए । से णं भंते ! कइसु णाणेसु होला ? गोयमा ! तिसु वा चउसु वा होजा, तिसु होजमाणे तिसु आभिणिवोहियनाणसुयनाणओहिनाणेसु होजा, चउसु होजमाणे आभि० सुय० ओहि० मणपज्जवणाणेसु होज्जा । से णं भंते ! किं सजोगी होज्जा अजोगी होज्जा ? एवं जोगोवओगो संघयणं संठाणं उच्चत्तं आउयं च, एयाणि सव्वाणि जहा असोचाए तहेव भाणियव्वाणि । से णं भंते ! किं सवेदए० ? पुच्छा, गोयमा ! सवेदए वा होज्जा अवेदए वा होज्जा, जइ अबेदए होज्जा किं उवसंतवेयए होजा खीणवेयए होज्जा ? गोयमा! नो उवसंतवेदए होजा खीणवेदए होजा, जइ सवेदए होजा किं इत्थिवेदए होजा पुरिसवेदए होजा नपुंसगवेदए होज्जा पुरिसनपुंसगवेदए होजा ? पुच्छा, गोयमा! इत्थिवेदए वा होजा पुरिसवेदए वा होज्जा पुरिसनपुंसगवेदए वा होज्जा । से णं भंते. कि सकसाई होजा अकसाई होजा? गोयमा! सकसाई वा होज्जा अकसाई वा होजा, जइ अकसाई होजा किं उवसंतकसाई होजा खीणकसाई होजा ? गोयमा । Page #633 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० ९ उ०३२] सुत्तागमे ५८१ नो उवसंतकसाई होजा खीणकसाई होजा, जइ सकसाई होजा से णं भंते ! कइसु कसाएनु होजा ? गोयमा! चउसु वा तिसु वा दोसु वा एक्वंमि वा होज्जा, चउनु होजमाणे चउसु संजलणकोहमाणमायालोमेसु होजा, तिसु होजमाणे तिसु संजलणमाणमायालोभेसु होजा, दोसु होजमाणे दोसु संजलणमायालोमेसु होज्जा, एगंमि होजमाणे एगमि संजलणे लोभे होजा । तस्स णं भंते ! केवइया अज्झवसाणा पण्णत्ता? गोयमा ! असंखेज्जा, एवं जहा असोच्चाए तहेव जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पज्जइ, से णं भंते ! केवलिपन्नत्तं धम्मं आघवेज वा पनवेज वा परवेज वा ? हंता गोयमा ! आघवेज वा पन्नवेज वा परवेज वा । से णं भंते ! पव्वावेज वा मुंडावेज वा ? हंता गोयमा ! पव्वावेज वा मुंडावेज वा, तस्स णं भंते ! सिस्सावि पवावेज वा मुंडावेज वा ? हंता पवावेज वा मुण्डावेज वा, तस्स णं भंते ! पसिस्तावि पवावेज वा मुंडावेज वा ? हंता पव्वावेज वा मुंडावेज वा । से णं भंते ! सिज्झइ बुज्जइ जाव अंतं करेइ ? हंता सिज्मइ जाव अंतं करेइ, तस्स णं भंते ! सिस्सावि सिझंति जाव अंतं करेन्ति ? हंता सिझंति जाव अंतं करेन्ति, तस्स णं भंते ! पसिस्सावि सिझंति जाव अंतं करेन्ति ? एवं चेव जाव अंतं करेन्ति । से णं भंते ! किं उर्दु होजा जहेव असोचाए जाव तदेकदेसभाए होजा । ते णं भंते ! एगसमएणं केवइया होज्जा ? गोयमा ! जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं अट्ठसयं १०८, से तेणटेणं गोयमा एवं वुच्चइसोचा णं केवलिस्स वा जाव केवलिउवासियाए वा जाव अत्थेगइए, केवलनाणं उप्पाडेजा अत्थेगइए केवलनाणं नो उप्पाडेजा । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ३६९ ॥ नवमसयस्स इगतीसहमो उद्देसो समत्तो॥ । तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नगरे होत्था वन्नओ, दूइपलासे उज्जाणे सामी समोसढे, परिसा निग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया, तेणं कालेणं तेण समएणं पासावञ्चिज्जे गंगेए नामं अणगारे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छइत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते म्चिा समग भगवं महावीरं एवं वयासी-संतरं भंते ! नेरइया उववजंति निरंतरं 'नेरइया उचवजति ? गंगेया ! संतरंपि नेरइया उववज्जति निरंतरंपि नेरइया उववज्जति, संतरं मत ! असुरकुमारा उववनंति निरंतरं असुरकुमारा उववजति ? गंगेया! संतरंपि अमुरकुमारा उववज्जति निरंतरंपि असुरकुमारा उववनंति, एवं जाव थणियकुमारा, सतर भते ! पुढविकाइया उववज्जति निरंतरं पुढविकाइया उववज्जति ? गंगेया 1 नो संतरं पुढविकाइया उववजति निरंतरं पुढविकाइया उववज्जति, एवं जाव वणस्सइ Page #634 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८२ सुत्तागमे [ भगवई ० काइया, बेइंदिया जाव वेमाणिया एए जहा णेरइया ॥ ३७० ॥ संतरं भंते ! नेरइया उववट्टंति निरंतरं नेरइया उववट्टंति ? गंगेया ! संतरंपि नेरइया उववति निरंतरंपि नेरइया उववति, एवं जाव थणियकुमारा, संतरं भंते ! पुढविकाइया उववहंति • ? पुच्छा, गंगेया ! णो संतरं पुढविकाइया उव्वति निरंतरं पुढविक्काइया उव्वति, एवं जावं वणस्सइकाइया नो संतरं निरंतरं उव्वदृंति, संतरं भंते । बेइंदिया उव्वति निरंतरं बेदिया उव्वति ? गंगेया ! संतरंपि बेइंदिया उव्वति निरंतरंपि बेइंदिया उव्वट्टंति, एवं जाव वाणमंतरा, संतरं भंते ! जोइसिया चयंति० ? पुच्छा, गंगेया ! संतरंपि जोइसिया चयंति निरंतरंपि जोइसिया चयंति, एवं जाव वैमाणिया ॥ ३७१ ॥ कइविहे णं भंते ! पवेसणए प० ? गंगेया । चउव्विहे पवेसणए पन्नत्ते तंजहा - नेरइयपवेसणए, तिरिक्खजोणियपवेसणए, मणुस्सर्पवेसणए, देवपवेसणए । नेरइयपवेसणए णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गंगेया ! सत्तविहे पन्नत्ते, तंजहा - रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणए जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणए || एगे णं भंते ! नेरइए नेरइयपवेसणएणं पविसमाणे किं रयणप्पभाए होजा सक्करप्पभाए होजा एवं जाव अहेसत्तमाए होजां ? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव आहेसत्तमाए वां होजा । दो भंते! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा जाव आहेसत्तमाए होजा ! गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा जाव एगे रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा, अहवा एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एग्रे असत्तमाए होज्जा, अहवा एगे, वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, एवं एक्केका पुढवी छड्डेयव्वा जाव अहवा एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ॥ तिन्नि भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा जाव अहेसत्तमाए होजा ?, गंगेया 1 रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होजा, अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होजा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो अहेसत्तमाए होजा ६- अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होजा जाव अहवा दो रयणप्पभाए एंगे अहेसत्तमाए होजा ́ १२ अहवा एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होजा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होजा १७ अहवा दो सकरप्पभाए एगे वालुम प्पभाए होज्जा जाव अहवा दो सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा २२ एवं जहा सक्करप्पभाए वत्तृव्वया' भणिया तहा, सव्वपुढवीणं भाणियव्वा जाव अहवा दो J t र 1 Page #635 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ९ ३० ३२] सुत्तागमे ५८३ तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा, ४-४-३-३-२-२-१-१ (४२) अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा १ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा २ जाव ' अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ५ अहवां एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा ६ अहवा एगे' रयणेप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा ७ एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा ९,'अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा १० जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एरो अहेसत्तमाए होज्जा १२ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा १३ अहवा' एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १४ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा १५ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा १६ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा १७ जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा १९ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा २० जाव अहवा एगे सक्कर० एगे पंक० एगे अहेसत्तमाए होजा २२ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा २३ अहवा एगे सकरप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा २४ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा २५ अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा २६ अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा २७ अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा २८ अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा २९ अहवा एगे वालयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३० अहवा एग वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३१ अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होना ३२ अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहसत्तमाए होज्जा ३३ अहवा एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा २४ अहवा एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३५॥ चत्तारि भंते ! नरइया नरइयपवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होजा० ? पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा ७, अहवा एगे रयणप्पभाए तिन्नि सकरप्पभाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए तिन्नि वालुयप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए तिन्नि अहेसत्तमाए होजा ६ अहवा दो रयणप्पभाए दो सकरप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा १२, Page #636 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८४ सुत्तागमे [भगवई अहवा तिन्नि' रयगप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होजा, एवं जाव अहवा तिन्नि रयणपभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १८, अहवा एगे सकरप्पभाए तिन्नि वालुयप्पभाए होजा, एवं जहेव रयणप्पभाए उवरिमाहिं समं संचारियं तहा सकरप्पभाएवि उच. रिमाहिं समं संचारेयव्वं ५, एवं एकेकाए समं संचारियव्वं जाव अहवा तिन्नि तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १२-६-३-(६३) अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए दो वालुयप्पभाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकर० दो पंक० होजा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकर० दो अहेसत्तमाए होना ५ अहवा एगे रयण० दो सक्कर० एगे वालुयप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयण० दो सकर. एगे अहेसत्तमाए होज्जा १० अहवा दो रयण० एगे सक्कर० एगे चालुयप्पभाए होजा, एवं जाव अहवा दो रयण० एगे सकर० एगे अहेसत्तमाए होना १५ अहवा एगे रयण० एगे वालुय० दो पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे स्यणप्पभाए एगे वालुय० दो अहेसत्तमाए होजा ४ एवं एएणं गमएणं जहा तिण्हं तियसंजोगे तहा भाणियन्वो जाव अहवा दो धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १०५ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होजा. १ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्कर० एगे वालय० एगे धूमप्पभाए होज्जा २ अहवा एगे रयण० एगे सकर० एगे वालुय० एगे तमाए होना ३ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ४ अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगे पंक० एगे धूमप्पभाए होजा ५ अहवा एगे रयण० एगे सकर० एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होजा ६ अहवा एगे यण० एगे सकर० एगे पंक० एगे अहेसत्तमाए होजा ७ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्कर० एगे धूम० एगे तमाए होज्जा ८ अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगे धूम० एगे अहेसत्तमाए होज्जा ९ अहवा एगे रयण० एगे सकरप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा १० अहवा एगे रयण ० . एगे वालुय० एगे पंक० एगे धूमप्पभाए होज्जा ११ अहवा एगे रयण० एगे वालुय० एगे पंक० एगे तमाए होजा १२ अहवा एगे रयण. एगे वालुय० एगे पंक० एगे अहेसत्तमाए , होजा १३ अहवा एगे रयण० एगे वालुय० एगे धूम० एगे तमाए होजा १४ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुय० एगे धूम० एगे अहेसत्तमाए होना १५ अहवा एगे रयण० एगे वालय० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १६ अहवा एगे रयण० एगे पंक० एगे धूम० एगे तमाए होजा. १७ अहवा एगे रयण एगे,पंक० एगे घूम० एगे अहेसत्तमाए होज्जा १८ अहवा एगे रयण० एगे पंक० एगे तमाए एगे Page #637 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ९ उ० ३२] सुत्तागमे अहेसत्तमाए होज्जा १९ अहवा एगे रयण० एगे- धूम० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा २० अहवा एगे सक्कर० एगे वालय० एगे पंक० एगे धूमप्पभाए होजा २१ एवं जहा रयणप्पभाए उवरिमाओ पुंढवीओ संचारियाओ तहा सक्करप्पभाएवि उवरिमाओ चा(उच्चा)रियव्वाओ जाव अहवा एगे सकर० एगे धूम० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३० अहवा एगे चालुय० एगे पंक० एगे धूम० एगे तमाए होज्जा ३१ अहवा एगे वालय० एगे पंक० एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा-३२ अहवा एगे वालुय० एगे पंक० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ३३ अहवा एगे चालुय० एगे धूम० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३४ अहवा एगे पंक० एगे धूम० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ३५ ॥ पंच भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा० ? पुच्छा, गंगेया! रयणप्पभाए चा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा अहवा एगे रयण० चत्तारि सक्करप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयण चत्तारि अहेसत्तमाए होजा अहवा दो रयण तिन्नि सकरप्पभाए होजा एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए तिन्नि अहेसत्तमाए होज्जा अहवा तिन्नि रयण० दो सकरप्पभाए होजा एवं जाव अहवा तिणि रयणप्पभाए दोण्णि अहेसत्तमाए होजा अहवा चत्तारि रयण० एगे सकरप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा चत्तारि रयण० एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे सक्कर० चत्तारि वालुयप्पभाए होजा एवं जहा रयणप्पभाए समं उवरिमपुढवीओ संचारियाओ तहा सक्करप्पभाएवि समं चा(उच्चा)रेयव्वाओ जाव अहवा चत्तारि सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा एवं एक्लेकाए समं चा(उच्चा)रेयव्वाओ जाव अहवा चत्तारि तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० तिन्नि वालुयप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० तिन्नि अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण० दो सक्कर० दी वालुयप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयण० दो सक्कर० दो अहेसत्तमाए हाज्जा अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालयप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयण० तान्न सक्कर० एगे चालुयप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा एको रयण तिन्नि सक्कर एग अहेसत्तमाए होज्जा अहवा दो रयण० दो सक्कर० एगे वालुयप्पभाए होज्जा एवं जाव दो रयण ० दो सक्कर० एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा तिन्नि रयण० एगे सक्कर० एग वालयप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा तिन्नि रयण० एगे सक्कर एगे अहेसतमाए होज्जा अहवा एगे रयण० एगे वालुय० तिन्नि पंकप्पभाए होजा, एवं एएणं क्रमण जहा चटण्हं तियासंजोगो भणिओ तहा पंचण्हवि तियासंजोगो भाणियव्वो Page #638 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८६ सुत्तागमे [भगवई नवरं तत्थं एगो संचारिजइ इह दोन्नि सेसं तं चेव जाव अहवा तिन्नि धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयण० एगे सकर० एगे वालुय दो पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयण० एगे सकर० एगे वालुय० दो अहेसत्तमाए होज्जा ४ अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० दो वालुय० एगे पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० दो वालुय० एगे अहेसत्तमाए होजा ८, अहवा एगे रयण० दो सक्करप्पभाए एगे वालुय० एगे पंकप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा एगे रयण० दो सक्कर० एगे वालय० एगे अहेसत्तमाए होजा. १२ अहवा दो रयण० एगे सकर० एगे वालुय० 'एगे पंकप्पभाएं होजा एवं जाव अहवा दो रयण० एगे सक्कर० एगे वालुय० एगे अहेसत्तमाए होजा १६ अहवा, एगे रयण० एगे सक्कर० एगे पंक० दो धूमप्पभाए होजा एवं जहा चउण्हं चउकसंजोगो भणि तहा पंचण्हवि चउक्कसंजोगो भाणियव्वो, नवरं अब्भहियं एगो संचारेयव्वो, एवं जाव अहवा दो पंक० एगे धूम० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयण० एगे सकर, एगे वालुय० एगे पंक० एगे धूमप्पभाए होजा १ अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगे 'वालय० एगे पंक० एगे तमाए होजा २ अहवा एगे रयण० जाव एगे पंक० एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३ अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा ४ अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगे वालुय० एगे धूमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ५ अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगे वालुय० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ६ अहवा एगे रयण० एगे सकर एगे पंक० एगे धूम० एगे तमाए होजा ७ अहवा एगे रयण० एगे सक्कर०ा एगे पंक० एगे धूम० एगे अहेसत्तमाएं होजा ८ अहवा एगे रयण० एगे सकर० एगे पंक० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ९ अहवा एगे रयण० एगे सकर० एगे धूम० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा १० अहवा एगे रयण० एगे वालुय० एगे पंक० एगे धूम० एगे तमाए होजा ११ अहवा एगे रयण० एगे वालुय० एगे पंक० एगे धूम० एगे अहेसत्तमाए होजा.१२ अहवा एगे रयण० एगे वालुय० एगे पंक० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा १३ अहवा एगे रयण० एगे वालुय० एगे धूम० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा १४ अहवा एगे रयण० एगे पंक० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा १५ अहवा एगे सकरं० एगे वालुय० जाव एगे तमाए होजा. १६ अहवा एगे सकर० जाव एगे पंक० एगें धूम० एगे अहेसत्तमाए होजा १७ 'अहवा एगे सकर० जाव एगे पंक० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १८ अहवा एगे सकर० एगे वालुय० एगे धूम० एगे बालय अहेसत्तमाए होजा १८ अहवा एगे सक्कर Page #639 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ९ उ० ३२] सुत्तागमे ५८७ एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १९ अहवा एगे सकर० एगे पंक० जाव एगे अहेसत्तमाए होजा २० अहवा एगे वालय० जान एगे अहे सत्तमाए होज्जा २१ ।। छन्भंते ! नेरड्या नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा? पुच्छा, गंगेया! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा ७ अहवा एगे रंयण. पंच सकरप्पभाए होजा अहवा एगे रयण० पंच वालुयप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयण पंच अहेसत्तमाए होज्जा अहवा दो रयण० चत्तारि सकरप्पभाए होजा एवं जाव अहवा दो रयण चनारि अहेसत्तमाए होजा अहवा तिन्नि रयण तिन्नि सकरप्पभाए होजा, एवं एएणं कमेणं जहा पंचण्हं दुयासंजोगो तहा छण्हवि भाणियव्वो नवरं एको अन्भहिओ संचारेयव्वो जाव अहवा पंच तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा, अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० चत्तारि वालुयप्पभाए होज्जा अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० चत्तारि पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयण० एगे सकर० चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण० दो सक्कर० तिन्नि वालयप्पभाए होजा, एवं एएणं कमेणं जहा पंचण्हं तियासंजोगो भणिओ तहा छण्हवि भाणियन्वो णवरं एको अन्भहिओ उच्चारेयन्वो, सेसं तं चेव ३४, चउक्कसंजोगोवि तहेव, पंचगसंजोगोवि तहेव, नवरं एल्को अभहिओ संचारेयव्वो जाव पच्छिमो भंगो अहंवा दो वालुय० एगे पंक० एगे धूम० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण० एगे सकर० जाव एगे तमाए होजा १ अहवा एगे' रयण जाव एगे धूम० एगे अहेसत्तमाए होजा -२ अहवा एगे रयण० जाव एगे पंक एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ३ अहवा एगे. रयण० जाव एगे वालुय० एगे धूम० जाव एगे अहेसत्तमाए होजा ४ अहवा एगे रयण एगे सक्कर० एगे पंक० "जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा ५ अहवा एगे रयण एगे वालय० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा ६ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जीव एगे अहेसत्तमाएं हाजा.७॥ सत्त भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा० पुच्छा, गंगेयो ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहे सनमाए वा होज्जा ७, अंहवा एगे रयणप्पभाए छ सकरप्पभाए होजा एवं एएणं कमेण जहा छण्हं दुयासंजोगो तहा सत्तण्हवि भॉणिकव नवरं एगो अब्भहिओ संचारिजइ, सेसं तं चेव, तियासंजोगो चउक्कसंजोगो पचसजागा छकसंजोगो य छण्हं जहा तहा सत्तण्हवि भाणियव्वं, नवरं एकको अब्भाओ,संचारेयव्वो जाव छक्कगसंजोगो अहवा दो सक्कर० एगे वालुय० जाव एगे अहंसत्तमाए होजा अवा एगे रयण एगे सक्कर- जाव एगे अहेसत्तमाए होना ॥ अट्ठ भते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणापुच्छा, गंगेयों! रयणप्पभाए Page #640 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई चा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा अहवा एगे रयण सत्त सकरम्पभाए होज्जा एवं दुयासंजोगो जाव छक्कसंजोगो य जहा सत्तण्हं भणि (य)ओ तहा अट्टाहवि भाणियव्वं नवरं एनेको अन्भहिओ संचारेयव्वो सेसं तं चेव जाव छबसंजोगस्स अहवा तिन्नि सक्कर० एगे वालुय० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण जाव एगे तमाए दो अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण० जाव दो तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा एवं संचारेयव्वं जाव अहवा दो रयण० एगे सक्कर० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥ नव भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होजा? पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा अहवा एगे रयण० अट्ठ सक्करप्पभाए होज्जा एवं दुयासंजोगो जाव सत्तगसंजोगो य जहा अहं भणियं तहा नवण्हंपि भाणियव्वं नवर एकेको अव्भहिओ संचारेयव्वो, सेसं तं चेव पच्छिमो आलांवगो अहवा तिन्नि रयण० एगे सक्कर० एगे वालय० जाव एगे अहेसत्तमाए होजा ॥ दस भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा०पुच्छा, गंगेया! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा ७ अहवा एगे रयणप्पभाए नव सकरप्पभाए होजा.एवं दुयासंजोगो जाव सत्तसंजोगो य जहा नवण्हं नवरं एकेको अब्भहिओ संचारेयव्वो सेंसं तं चेव पच्छिमो आलावगो अहवा चत्तारि रयण. एगे सक्करप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥ संखेज्जा भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा० पुच्छा, गंगेया! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा ७ अहवा एगे रयण० संखेज्जा सकरप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयण० संखेज्जा अहेसत्तमाए होजा अहवा दो रयण० संखेज्जा सकरप्पभाए होजा एवं जाव अहवा दो रयण० संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा तिन्नि रयण० संखेजा सकरप्पभाए होजा एवं एएणं कमेणं एकेको संचारेयव्वो जाव अहवा दस रयण० संखेजा सकरप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा दस रयण० संखेजा अहेसत्तमाए होजा अहवा संखेजा रयण० संखेजा सक्करप्पभाए होजा जाव अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेजा-अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे सकर० संखेना वालुयप्पभाए होजा एवं जहा- रयणप्पभा उवरिमपुढवी(ए)हिं समं चारिया एवं सक्करप्पभा(ए)वि उवरिमपुढवीहिं समं चारेयव्वा, एवं एक्नेका पुढवी उवरिमपुढवी(ए)हि समं चारेयव्वा जाव अहवा संखेजा तमाए संखेना. अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयण०--एगे सकर० संखेजा वालुयप्पभाए होजा-अहवा एगे रयण० एगे सकर० संखेजा- पंकप्पंभाए होजा जाव अहवा एगे रयण० एगे-संकर० संखेजा अहेसत्तमाए होजा अहवा- एगे रयण० - दो सक्कर० संखेज्जा वालुयप्पभाए होजा Page #641 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८९ वि० प० सं० ९उ० ३२ ] सुत्तागमे जाव अहवा एगे रयण० दो सक्कर० संखेजा अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयण० तिन्नि सक्कर० संखेज्जा वालुयप्पभाए होजा, एवं एएणं कमेणं एक्रेको संचारेयव्वो जाव अहवा एगे रयण ० संखेज्जा सक्कर० संखेज्जा वालुयप्पभाए होजा जाव अहवा एगे रयण० संखेजा सक्कर० संखेजा अहेसत्तमाए होजा अहवा दो' रयण ० संखेज्जा सक्कर० संखेज्जा वालुयप्पभाए होजा जाव अहवा दो रयण० संखेज्जा संक्कर संखेज्जा असत्तमाए होजा अहवा तिन्नि रयण० संखेज्जा सक्कर • संखेज्जा वालुयप्पभाए होजा, एवं एएणं कमेणं एक्वेक्को रयणप्पभाएं संचारेयव्वो जाव अहवा संखेज्जा रयण - संखेजा सकर० संखेजा वालुयप्पभाए होजा जाव अहवा संखेजा रयण० संखेज्जा सक्कर० संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण ० एगे वालुय० संखेजा पंकप्पभाए होजा जाव अहवा एगे रयण० एगे वालुय० संखेज्जा असत्तमाए होजा अहवा एगे रयण० दो वालुय० संखेज्जा पंकप्पभाए होजा, एवं एएणं कमेणं तियासंजोगो चउक्कसंजोगो जाव सत्तग़संजोगो य जहा दसहं तहेव भाणियन्त्रो पच्छिमो आलावगो, सत्तसंजोगस्स अहवा संखेजा रयण० संखेजा सकर० जाव संखेजा अहेसत्तमाए होजा ॥ असंखेजा भंते । नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमांणा०, पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहे - सत्तमाए वा होजा, अहवा एगे रयण० असंखेजा सकरप्पभाए होजा, एवं दुयासंजोगो जात्र सत्तंगसंजोगो य जहा संखेज्जाणं भणिओ तहा असंखेजाणवि भाणि - यव्वो, नवरं असंखेजाओ अव्महिओ भाणियब्वो, सेसं तं चैव जाव सत्तगसंजोगस्स पच्छिमो ऑलावगो अहंवा असंखेजा रयण० असंखेज्जा सक्कर० जाव असंखेज्जा' असत्तमाएं होजा ॥ उक्कोसेगं भंते! नेरइया नेरइयपवेसणएणं० पुच्छा, गंगेया । सव्वेवि ताव रयणप्पभाए होजा अहवां रयणप्पभाए य सकरप्पभाए य होजा अहवा रयणप्पभाएं य. वालुयप्पभाए य होजा जाव अहवा रयणप्पभाए य अहेसत्तमाए य. होजा अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य वालुयप्पभाए य होजा एवं जाव अहवा रयण० य सक्करप्पभाए य अहेसत्तमाए य. होजा ५ अहवा रयण ० य वालुय० य पंकप्पभाए य होजा जाव अहवा रयण० य वालुय० य अहेसत्तमाए य होजा ४ अहवा रयण० य पंकप्पभाए य धूमाए य होज्जा एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा तिण्हं तियासंजोगो भणिओ तहा भाणियव्वं जाव अहवा रयण० य तमाए य असत्तमाए य होजा १५. अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य वालुय० य पंकप्पभाए 'य होजा अहवा रयणप्पभाए य सकरप्पभाए य वालुय० य धूमप्पभाए य होजा जाव अहवा रयणप्पभाए य सकरप्पभाए य वालुय० य अहेसत्तमाए य Page #642 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९० सुत्तागमे भगवई होजा ४ अहवा रयण० य सकर० य पंक० य धूमप्पभाए य होजा एवं रयगप्पभं अमुयंतेसु जहा चउण्हं चउक्कसंजोगो तहा भाणियव्वं जाव अहवा रयण० य धूम य तमाए य अहेसत्तमाए य होज्जा अहवा रयग० य सकर० य वालुय० य पंक० य धूमप्पभाए य होज्जा १ अहवा रयणप्पभाए य जाव पंक० य तमाए य होज्जा २. अहवा रयण० य जाव पंकप्पभाए य.अहेसत्तमाए य होज्जा ३ अहवा रयण० य सक्कर. ' य वालुय० य धूम० य तमाए य होजा ४ एवं रयणप्पमं अमुयंतेनु जहा पंचण्हं पञ्चगसंजोगो तहा भाणियव्वं जाव अहवा रयणव्य पंकप्पभाए य जाव अहेसत्तमाए य होजा अहवा रयण० य सकर० य जाव धूमप्पभाए य तमाए य होजा १ अहवा रयण०य जाव धूम० य अंहेसत्तमाए य होजा २ अहवा रयण० य सकर० य जाव पंक०-य तमाए य अहेसत्तमाए य होजा ३ अहवा रयण य सकर० य वालुय० य धूमप्पभाए य तमाए य अहेसत्तमाए य होजा ४ अहवा रयण० य सकर० यं पंक० य जाव अहेसत्तमाए य होजा ५ अहवा रंयण० य वालुय० य जाव अहेसत्तमाए य होजा ६ अहवा रयणप्पभाए य सकर० य जाव अहेसत्तमाए य होजा ७ ॥ एयस्सणं भंते ! रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणगस्स सक्करप्पभापुढवि० जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणगस्स य क्रयरे.२:जाव विसेसाहिया वा ? गंगेया ! सव्वत्योवे अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणए, तमापुढविनेरइयपवेसणए असंखेजगुणे, एवं पडिलोमगं जाव रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणए असंखेजगुणे ॥ ३७२ ।। तिरिक्खजोणियपवेसणए, णं भंते ! - काविहे पन्नत्ते ? गंगेया ! पंचविहे पनत्ते, तंजहा-एगिदियतिरिक्खजोणियपवेसणए जाव पंचेदियतिरिक्खजोणियपवेसणए । एगे भंते ! , तिरिक्खजोणिए तिरिक्खजोणियपवेसणएणं 'पविसमाणे कि एगिदिएसु होज्जा जाव पंचिंदिएसु होजा ? गंगेया ! एगिदिएसु वा होज्जा जाव पचिदिएसु वा होज्जा । दो भंते ! तिरिक्खजोणिया० पुच्छा, गंगेया! एगिदिएतु वा होजा जाव पंचिंदिएसु वा होजा, अहवा एगे एगिदिएसु होजा एगे बेइंदिएसु होजा एवं जहा नेरइयपवेसणए तहा तिरिक्खजोणियपवेसणएवि भाणियव्वे जाव असंखेजा । उकोसा भंते ! तिरिक्खजोणिया० पुच्छा, गंगेया ! सव्वेवि ताव एगिदिएसु होजा अहवा एगिदिएसु य बेइंदिएसु य होजा, एवं जहा नेरइया संचारिया तहा तिरिक्खजोणियावि संचारेयव्वा, एगिदिया अमुयंतेसु यासंजोगोतियासंजोगों चउकसंजोगो पंचसंजोगो उव(उजि)उंजिऊण भाणियन्वो जाव अहवा एगिदिएसु य बेइंदिएसु य जाव पंचिदिएसु य होज्जा ॥ एयस्स णं भते । एगिदियतिरिक्खजोणियपवेसण: गस्स जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियपवेसणयस्स कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? Page #643 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ९ उ० ३२ ] सुत्तागमे + 1 गंगेया ।' सव्वत्थोवे पंचिंदियतिरिक्ख जोणिय पवेसण ए, चउरिदियतिरिक्खजोणिय ० विसेसाहिए, तेइंदिय० विसेसाहिए, बेइंदिय० विसेसाहिए, एगिंदियतिरिक्ख ० विसेसाहिए ॥ ३७३ ॥ मणुस्सपवेसणए णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गंगेया ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा - संमुच्छिममणुस्तपवेसणए य गव्भवक्कंतियमणुस्सपवेसणए य । एगे भंते ! मणुस्से मणुस्तपवेसणएणं पविसमाणे कि संमुच्छिममणुस्तेसु होजा गन्भचक्रंतियमणुस्से होजा ?- गंगेया ! संमुच्छिममणुस्सेसु वा होजा गन्भवनंतियमणुसेवा होज्जा | दो भंते । मगुस्सा • पुच्छा, गंगेया !, संमुच्छिममणुस्सेसु, वा होजा गव्भवक्क्रंतियमणुस्सेलु वा होज्जा अहवा एगे संमुच्छिम मणुस्सेस- होजा, एगे गव्भचक्रंतियमणुस्सेसु होज्जा, एवं एएणं कमेणं जहा नेरइयपवेसणए तहा मणुस्सपवेसणएवि भाणियव्वे एवं जाव दस ॥ संखेज्जा भंते! मणुस्सा० पुच्छा, गंगेया ! संमुच्छिममणुस्सेसु वा होजा गन्भवतियमणुस्सेसु वा होजा अहवा एगे संमुच्छि-, ममणुस्सेसु होज्जा संखेज्जा गन्भवनांतेयमणुस्सेसु होजा अहवा दो संमुच्छिममणुस्सेतु होजा संखेजा गव्भवतियमणुस्सेसु होजा एवं एक्के उस्सारिते (रिए) सु जाव अहवा संखेज्जा - संमुच्छिममणुस्सेसु होजा संखेज्जा गव्भवतियमणुस्सेसु होजा ॥ असंखेजा भंते! मणुस्सा० पुच्छा, गंगेया ! सव्वेवि ताव संमुच्छिममणुस्सेसु - होजा अहवा असंखेजा संमुच्छिममणुस्से एगे गव्भवतियमणुस्से होजा अहवा, असं खेज्जा समुच्छिममणुस्सेसु दो गव्भवतियमणुस्सेसु होजा एवं जाव असंखेजा संमुच्छिममणुस्सेस- होजा संखेज्जा गन्भवनंतियमणुस्सेसु होजा ॥ उक्कोसा भंते ! मणुस्सा० पुच्छा, गंगेया ! सव्वेवि ताव संमुच्छिममणुस्सेसु होजा अहवा संमुच्छि - ममणुस्सेसु य गव्भवक्रंतियमणुस्सेसु य होजा । एयस्स णं भंते । संमुच्छिममणुस्सपवेसणगस्स गव्भवक्कँतियमणुस्स पवेसणगस्स य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गंगेया ! सव्वत्थोवे गब्भवतियमणुरसपवेसणए, संमुच्छिममणुस्सपवेसणए असंखेज्जगुणे ॥ ३७४ ॥ देवपवेसणए णं भंते! कइविहे पत्ते ? गंगेया ! चउब्विहे पन्नत्ते, तंजहा-भवणवांसिदेवपवेसणए जाव वैमाणियदेवपवेसणए । एगे भंते ! देवे देवपवेसणएणं - पविसमाणे किं भवणवासी होजा वाणमंतरजोइसियवेमाणिएस होजा ? गंगेया । भवणवासीसु वा होजा वाणमंतरजोइसियवेमाणिएस वा होजा । दो भंते ! देवा देवपवेसणएणं० पुच्छा, गंगेया ! भवणवासीसु वा होजा - वाणमंतर - जोइसियवेमाणिएसु वा होज्जा अहवा एगे भवणवासीसु एगे वाणमंतरेसु होज्जा एवं जहा तिरिक्खजोणियपवेसणए तहा देवपवेसणएवि भाणियव्वे जाव असंखेजत्ति । उक्कोसा भंते !० पुच्छा, गंगेया ! सव्वेवि ताव जोइसिएस होजा अहवा जोइसियभ ५९१ 1 Page #644 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९२ , सुत्तागमे [भगवई वणवासीसु य होज्जा अहवा जोइसियवाणमंतरेसु य होजा अहवा जोइसियवेमाणिएसु य होज्जा अहवा जोइसिएसु य भवणवासीसु य वाणमंतरेसु य होजा अहवा जोइसिएसु य भवणवासीसु य वेमाणिएसु य होजा अहवा जोइसिएसु य वाणमंतरेसुय वेमाणिएसु य होजा अहवा जोइसिएसु य भवणवासीसु य वाणमंतरेसु य वेमाणिएसु य होजा। एयस्स णं भंते ! भवणवासिदेवपवेसणगस्स वाणमंतरदेवपवेसणगस्स जोइसियदेवपवेसणगस्स वेमाणियदेवपवेसणगस्स य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा? गंगेया! सव्वस्थोवे वेमाणियदेवपवेसणए,भवणवासिदेवपवेसणए असंखेजगुणे, वाणमंतरदेवपवेसणए असंखेजगुणे, जोइसियदेवपवेसणए संखेजगुणे ॥ ३७५ ॥ एयस्सणं भंते ! नेरइयपवेसणगस्स तिरिक्ख० मणुस्स० देवपवेसणगस्स कयरे कयरे जांव विसेसाहियों वा ? गंगेया! सव्वत्थोवे मणुस्सपवेसणए, नेरइयपवेसणए असंखे. जगुणे, देवपवेसणए असंखेजगुणे, तिरिक्खजोणियपवेसणए असंखेजगुणे ॥३७६॥ संतरं भंते ! नेरइया- उववजति निरंतरं नेरइया उववजति संतरं असुरकुमारा उववनंति निरंतरं असुरकुमारा उववनंति जाव संतरं वेमाणिया उववजति निरंतरं वेमाणिया उववज्जति संतरं नेरइया उववदंति निरंतरं नेरइया उववटंति जाव संतरं वाणमंतरा उववति निरंतरं वाणमंतरा उववदृति संतरं जोइसिया चयति निरंतरं जोइसिया चयंति संतरं वेमाणिया चयंति निरंतरं वेमाणिया चयंति ? गंगेया ! संतरंपि नेरइया उववज्जति निरंतरंपि नेरइया उववज्जति जावं संतरंपि थणियकुमारा उववनंति निरंतरंपि थणियकुमारा उववजति नो संतरं पुढविकाइया उववजति निरंतरं पुढविकाइया उववनंति एवं जाव वणस्सइकाइया सेसा जहा नेरइया जाव संतरंपि वेमाणिया उववज्जति निरतरंपि वेमाणिया उववजंति, संतरंपि नेरइया उववढंति निरंतरंपि नेरइया उववछंति एवं जाव थणियकुमारा नो संतरं पुढविक्काइया उववटंति निरंतर पुढविकाइया उववद्वृति एवं जाव वणस्सइकाइया सेसा जहा नेरइया, नवरं जोइसियवेमाणिया चयंति अभिलावो, जाव संतरंपि वेमाणिया चयंति निरंतरपि वेमाणिया चयंति ॥ सओ भंते ! नेरइया उववजंति असओ भंते ! नेरइया उववजति ? गंगेया! सओ नेरइया उववजति नो असओ नेरइया उववजंति, एवं जाव वेमाणिया, सओ भंते ! नेरइया उववटृति असओ नेरइया उववति ? गंगेया! सओ नेरइया उववर्सेति नो असओ नेरइया उववति, एवं जाव वेमाणिया, नवरं जोइसियवेमाणिएसु चयंति भाणियव्वं । सओ भंते ! नेरइया उववनंति असओ भंते ! नेरइया उववजति सओ असुरकुमारा उववजति जाव सओ वेमाणिया उववजति असओ वेमाणिया उववजति सओ नेरइया उववति असओ नेरइया उववति Page #645 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० ९ उ० ३२] सुत्तागमे सओ अमुरकुमारा उववति जाव सओ वेमाणिया चयंति असओ,वेमाणिया चयंति ? गंगेया ! सओ नेरड्या उववज्जति नो असओ नेरइया उववज्नति सओ असुरकुमारा उववजति नो असओ अनुरकुमारा उववनंति जाव सओ वेमाणिया उववनंति नो असओ वेमाणिया उववजंति, सओ नेरइया-उचवटंति नो असओ नेरइया उववटंति जाव सओ वेमाणिया चयंति नो असओ वेमाणिया चयंति, से केगटेणं मंते । एवं वुचइ सओ नेरइया उचचजति नो असओ नेरइयां उववज्जति जाव सओ वेमाणिया चयंति नो असओ वेमाणिया चयंति ? से नूणं भो! गंगेया! पासेणं अरहया पुरिसादाणिएणं सासए लोए वुइए अगाइए अणवयग्गे जहा पंचमसए जाव जे लोकइ से लोए, से तेणद्वेणं गंगेया ! एवं बुच्चइ जाव सओ वेमाणिया चयंति नो असओ वेमाणिया चयति ॥ सयं भंते एए एवं जाणह उदाहु असयं, असोचा एए एवं जाणह उदाहु सोचा, सओ नेरइया उक्वनंति नो असओ नेरड्या उववज्जति जाव सओ वेमाणिया चयंति नो असओ वेमाणिया चयंति ? गंगेया। सयं एए एक जाणामि नो असचं, असोचा एए एवं जाणामि नो सोचा सओ नेरड्या उववज्जति नो, असओ नेरझ्या उववज्जति जाव सओ वेमाणिया चयंति नो असओ-वेमाणिया चयंति, से केगटेणं मंते । एवं बुच्चइ तं चेव जाव नो असओ वेमाणिया चयंति ? गंगेया ! केवली णं पुरच्छिमेणं मियंपि जाणइ अनियंपि जाणइ दाहिणेणं एवं जहा स(इ)गडुद्देसए जाव निव्वुड़े नाणे केवलिस्स, से तेणटेणं गंगेया ! एवं बुच्चइ तं चेक जाव नो असओ वेमाणिया ययंति ॥ सयं भंते ! नेरइया नेरइएसु उववजन्ति असय नेरझ्या नेरइएमु उववज्जति ? गंगेयाः! सयं नेरइया नेरइएसु उववज्जति ‘नो असय नरइया नेरइएसु उववज्जति; से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चइ जाव उववजति ? गगया, कम्मोदएणं कम्मगुरुयत्ताए कम्मभारियत्ताए कम्मगुरुयसंभारियत्ताए असुभाण कम्माण उदएणं असुभाणं कम्माणं विवागणं असुभाणं कम्माणं फलविवागेणं सयं नरइया नेरइएमु उववनंति नो असयं नेरइया नेरइएसु उववजंति, से तेणटेणं गगया। जाव-उववति ॥ सयं भंते ! असुरकुमारा० पुच्छा, गंगेया ! सयं असुरकुमारा,जाव उचवज्जति नो असयं असुरकुमारा जाव उववनंति, से केणटेणं तं पवजाव उववजति ? गंगेया ! कम्मोदएणं कम्मोवसमेणं कम्मविगईए कम्मविसोहाए, कम्मविसुद्धीए सुभाणं-- कम्माणं उदएणं सुभाणं कम्माणं विवागणं सुभाण मा फलाववागणं सयं असुरकुमारा असुरकुमारत्ताए जाव उववजति नो असयं असुरकुमारा, अमुरकुमारत्ताए जाव उववज्जति, से तेणटेणं जाव उववनंति, एवं जाव पणयकुमारा.॥ सयं भंते ! पुढविक्काइया० पुच्छा, गंगेया! सयं,पुढविकाइया जाव ३८ सुत्ता० Page #646 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९४ सुत्तागमे [भगवई उववजंति नो असर्य जाव उववजंति, से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ जावं उववजति ? गंगेया ! कम्मोदएणं कम्मगुरुयत्ताए कम्मभारियत्ताए कम्मगुल्यसंभारियत्ताए सुभासुभाणं कम्माणं उदएणं सुभासुभाणं कम्माणं विवागेणं सुभासुभाणं कम्माणं फलविवागेणं सयं पुढविकाइया जाव उपजति नो असयं पुढविकाइया जाव उववजंति, से तेणटेणं जाव उववजंति, एवं जाव मणुस्सा, वाणमंतरजोइसियवमाणिया जहा असुरकुमारा, से तेणटेणं गंगेया! एवं वुच्चइ सयं वेमाणिया जाव उववजति नो असयं वेमाणिया जाव उववज्जति ॥ ३७७ ॥ तप्पभिई च णं से गंगेए अणगारे समणं भगवं महावीरं पञ्चभिजाणइ सव्वण्णू सव्वदरिसी, तए णं से गंगेए अणगारे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ करेत्ता बंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुज्झं अंतियं चाउज्जामाओ धम्माओ पंचमहव्वइयं एवं जहा कालासवेसियपुत्ते अणगारे तहेव भाणियव्वं जाव सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥३७८॥ गंगेयो समत्तो ॥९॥३२॥ । तेणं कालेणं तेणं समएणं माहणकुंडग्गामे णामं नयरे होत्था वन्नओ, बहुसालए उजाणे वन्नओ, तत्थ णं माहणकुंडग्गामे नयरे उसभदत्ते नामं माहणे परिवसइ अड्डे दित्ते वित्ते जाव अपरिभूए रिउव्वेयजर्जुव्वेयसामवेयअथव्वणवेय जहा खन्दओ जाव अन्नेसु य बहुसु बंभन्नएसु नएसु सुपरिनिट्ठिए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे उवलद्धपुण्णपावे जाव अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तस्स णं उसभदत्तस्स माहणस्स देवागंदा नाम माहणी होत्था, सुकुमालपाणिपाया जाव पियदसणा सुरुवा समणोवासिया अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुन्नपावा जाव विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे, परिसा जाव पज्जुवासंइ, तए णं से उसभदत्ते माहणे इमीसे कहाए लढे समाणे हट्ठ जाव हियए जेणेव देवाणंदा माहणी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता देवाणंदं माहणिं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिए ! समणे भगवं महावीरे आइगरे जाव सव्वन्न सव्वदरिसी आगासगएणं चनेणं-जाव सुहंसुहेणं विहरमाणे वहसालए उजाणे अहापडिरूवं उग्गहं जाव विहरइ, तं महाफलं खलु देवाणुप्पिए ! जाव तहारूवाणं अरिहंताणं भगवंताणं नामगोयस्सवि सवणयाएं किमंग पुणे अभिगमणवंदणनमंसण-। पडिपुच्छणपज्जुवासणयाए, एंगस्सवि आ(य)रियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए, ते गच्छामो णं देवाणुप्पिएं ! समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो जाव पजुवासामो, एयण्णं इहभवे य परभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ । तए णं सा देवाणंदा महिणी उसभदत्तेणं माहणेणं एवं वुत्ता समाणी हट्ट जाव हियया करयल जाव कट्ठ Page #647 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० ९ उ० ३३] सुत्तागमे ५९५ उसभदत्तस्स माहणस्स एयमÉ विणएणं पडिसुणेइ, तए णं से उसभदत्ते माहणे कोडंवियपुरिसे सद्दावेइ कोडंबियपुरिसे सहावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया । लहुकरणजुत्तजोइयसमखुरवालिहाणसमलिहियसिंगेहिं जंवूणयामयकलावजुत्तपरिविसिटेहिं रययामयघंटसुत्तरजुयपवरकंचणनत्थपग्गहोग्गहियएहिं नीलुप्पलकयामेलएहिं पवरगोणजुवाणएहिं नाणामणि (मय)रयणघंटियाजालपरिगयं सुजायजुग्गजोत्तरजुयजुगपसत्यसुविरइयनिम्मिय पवरलक्खणोववेयं धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवहवेह २ ता मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तए णं ते कोडंबियपुरिसा उसभदत्तेणं माहणेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ट जाव हियया करयल जाव एवं सामी ! तहत्ति आणाए विणएणं वयणं जाव पडिसुणेत्ता खिप्पामेव लहुकरणजुत्त जाव धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेत्ता जाव तमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति, तए णं से उसभदत्ते माहणे व्हाए जाव अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरे साओ गिहाओ पडिनिक्खमइ साओ गिहाओ पडिनिक्खमित्ता जेणेव वाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता धम्मियं जाणप्पवरं दुरुढे । तए णं सा देवाणंदा माही अंतो अंतेउरंसि व्हाया किच वरपायपत्तनेउरमणिमेहलाहारविरइयउचियकडगखुड्डा(इ)यएगावलीकंठसुत्तउरत्थगेवेजसोणिसुत्तगनाणामणिरयणभूसणविराइयंगी चीणंसुयवस्थपवरपरिहिया दुगुलसुकुमालउत्तरिजा सव्वोउयसुरभिकुसुमव(ध)रियसिरया वरचंदणवंदिया वरा(भूसण)भरणभूसियंगी कालागु(ग)रुधूवधूविया सिरिसमाणवेसा जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा वहहिं खुजाहिं चिलाइयाहि वामणियाहिं वडहियाहि बब्बरियाहिं पओसियाहिं ईसिगणियाहिं जोण्हियाहिं चारु(वास)गणियाहि पल्हवियाहि ल्हासियाहिं लउसियाहिं आरवीहिं दमिलाहिं सिंघलीहिं पुलिंदीहिं पुक्खली(पक्कणी)हि वहलीहिं मुरुंडीहिं सवरीहिं पारसीहि नाणादेसीहिं विदेसपरिपिडियाहिं गयाचतियपत्थियवियाणियाहि सदेसनेवत्थगहियवेसाहिं कुसलाहिं विणीयाहि य चाडयाचकवालवरिसधरथेरकंचइज्जमहत्तरगविंदपरिक्खित्ता अंतेउराओ निग्गच्छइ अतउराओ निग्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तणव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता जाव धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढा ॥ तए णं से उसभदत्ते माहणे देवाणंदाए माहणीए सद्धिं धम्मियं जाणप्पवरं दुरुढे समाणे णियगपरियालसंपरिबुडे माहणकुंडग्गामं नगरं मझमज्झेणं निग्गच्छइ निग्गच्छइत्ता जेणेव बहुसालए उजाणे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छइत्ता छत्ताइए तित्थयराइसए पासइ छ०२त्ता धम्मियं जाणप्पवरं ठवेइ २त्ता धम्मियाओ जाणप्पवराओ पचोरहइध० २त्ता समणं भगवंमहावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभि(समा)गच्छइ, तंजहा-सचित्ताणं Page #648 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ५९६ दव्वाणं विसरणयाए एवं जहा विइयसए जाव तिविहाए पज्जुवासणयाए पज्जुवासइ, तए णं सा देवाणंदा माहणी धम्मियाओ जाणप्पवराओ पच्चोल्हइ धम्मियाओ जाणप्पवराओ पचोरुहित्ता बहूहिं खुजाहिं जाव महत्तरगवंदपरिक्खित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छई, तंजहा-सचित्ताणं दवाणं विउसरणयाए, अचिंत्ताणं दव्वाणं अविमोयणयाए, विणयोणयाए गायलट्ठीए, चक्षुप्फासे अंजलिपरगहेणं, मणस्स एगत्तीभावकरणेगं जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागेच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता उसभदत्तं माहणं पुरओ कटु ठिया चेव सपरिवारा सुस्सूसमाणी णमंसमाणी अभिमुहा विणएणं पंजलिउडा जाव पजुवासई ॥३७९॥ तए णं सा देवाणंदा माहणी आगयपण्हया पप्फुयलोयणा संवरियवलयवाहा कंचुयपरिक्खित्तिया धाराहयकलंवपुप्फगंपिव स (मुस्ससिय)मूसवियरोमकूवा समणं भगवं महावीरं अणिमिसाए दिट्ठीए देहमाणी २ चिट्ठइ॥ भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-किण्णं भंते ! एसा देवाणंदा माहणी आगयपण्हया तं चेव जाव रोमकूवा देवाणुप्पिए अणिमिसाए दिट्ठीए देहमाणी २ चिठ्ठइ ? गोयमाइ समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! देवाणंदा माहणी मम अम्मगा, अहन्नं देवाणंदाए माहणीए अत्तए, तए गं सा देवाणंदा माहणी तेणं पुत्वपुत्तसिणेहाणुराएणं आगयपण्हया जाव समूसवियरोमकूवा ममं अणिमिसाए दिट्ठीए देहमाणी २ चिट्ठइ ॥ ३८० ॥ तए णं समणे भगवं महावीरे उसभदत्तस्स माहणस्स देवाणंदाए माहणीए तीसे य महइमहालियाए इसिपरिसाए जाव परिसा पडिगया। तए णं से उसमदत्ते साहणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हट्ठतु? उहाए उठेइ उहाए उठेत्ता समर्ण भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता एवं वयासी-एवमेयं भंते! तहमेयं भंते ! जहा खंदओ जाव से जहेयं तुब्भे वदहत्ति कट्ठ उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमइ उत्तरपु० २ त्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुयइ सयमे० २ ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ सयमे० २.त्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समण भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं जाव नमंसित्ता एवं वयासी-आलित्ते णं भंते ! लोए, पलित्ते णं भंते ! लोए, आलित्तपलित्ते णं भंते ! लोए जराए मरणेण य, एवं एएणं कमेणं जहा खंदओ तहेव पव्वइओ जाव सामाइयमाझ्याई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ जाव वहूहिं चउत्थछट्ठमदसमजाव विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावमाणे वहूई वासाई सामन्नपरियागं पाउणइ २ त्तो मासियाए संलेहणाए Page #649 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ० स०९ ३० ३३] . “सुत्तागमे अत्ताणं झुसेइ मासि० २ त्ता सहि भत्ताइं अणसणाए छेदेइ सडिं. २ त्ता जस्सट्टाए कीरइ जिणकप्पभावे धेरकप्पभावे जाव 'तम8 आराहेइ तमढं आराहेत्ता तए णं सो जाव सव्वदुक्खप्पहीणे । तए णं सा देवाणंदा माहणी समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हद्वतुट्टा समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं जाव नमंसित्ता एवं वयासी-एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! एवं जहां उसभदत्तो तहेव जाव धम्ममाइ(क्खइ)क्खियं । तए णं समणे भगवं महावीरे देवागंदं माहणि सयमेव पवावेइ सय० २ त्ता सयमेव अज्जचंदणाए अजाए सीसिणित्ताए दलयइ ॥ तए णं सा अजचंदणा अज्जा देवाणंदं माहणिं सयमेव मुंडावेइ सयमेव सेहावेइ एवं जहेच उसमदत्तो तहेव अजचंदणाए अजाए इमं एयॉरुवं धम्मियं उवएसं सम्मं संपडिवज्जइ तमाणाए तह गच्छइ जाव संजमेणं संजमेइ, तए णं सा देवाणंदा अजा अनचंदणाए अजाए अंतियं सामाइयमाइयाइं एकारस अंगाई अहिजइ सेसं तं चेव जाव'सव्वदुक्खप्पहीणा ॥ ३८१॥ तस्स णं माहणकुंडग्गामस्स नगरस्स पचत्थिमेणं एत्थ णं खत्तियकुंडग्गामे नाम नगरे होत्था वन्नओ, 'तत्य णं, खत्तियकुंडग्गामे नयरे जमाली नाम खत्तियकुमारे परिवसइ अढे दित्ते जाव अपरिभूए उप्पि पासायवरगए फुट्टमाणेहि मुइंगमत्थएहिं बत्तीसइबद्धेहिं नाडएहिं णाणाविहवरतरुणीसंपउत्तेहिं उवनच्चिज्जमाणे उवनचिजमाणे उगिज्जमाणे २ उवलालिजमाणे २ पाउसवासारत्तसरयहेमंतसिसिरवसंतगिम्हपजते छप्पिउऊ जहर विभवेणं माणमाणे २ कालं गालेमाणे इढे सफरिसरसख्वगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पचणुब्भवमाणे विहरइ । तए णं खत्तियकुंडग्गामे नगरे सिंघाडगतियचउक्कचच्चर जाव बहुजणसइ वा जहा उववाइए जाव एवं पनवेइ एवं परूवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे आइगरे जाव सव्वन्नू सव्वदारसी माहणकुंडग्गामस्स नगरस्स वहिया बहुसालए उजाणे अहापडिरूवं जाव विहरइ, तं महप्फलं खलु देवाणुप्पिया! तहारुवाणं अरहंताणं भगवंताणं जहा उववाइए जावः एगाभिमुहे खत्तियकुंडग्गामं नगरं मझंमज्झेणं निरगच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुंडग्गामे नगरे जेणेव बहसालए उज्जाणे एवं जहा उववाइए 'जाव तिविहाए पजुवासणाए पज्जवासइ । तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स 'तं महया जणसई वा जाव जणसन्निवायं वा सुणमाणस्स वा पासमाणस्स वा अयमेयारूचे अज्झथिए जाव समप्पजिस्था-किन्नं अज खत्तियकुंडग्गामे नगरे इंदमहइ वा खंदमहेइ वा मुगुंदमहेइ वा णागमहेइ वा जक्खमहेइ वा भूयमहेइ वा "कूवमहेइ वा तडागमहेइ वा नइमहेइ वा दहमहेइ वा पन्वयमहेइ वा रुक्खमहेइ वा Page #650 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई थूभमइ वा जणं एए बहवे उग्गा भोगा राइन्ना इक्खागा णाया कोरव्वा खत्तिया खत्तियपुत्ता भडा भडपुत्ता० जहा उववाइए जाव सत्थवाहप्पभिइ (य) ओ व्हाया जहा उववाइए जाव निग्गच्छंति ? एवं संपेहेइ एवं संपेहित्ता कंचुइज्जपुरिसं सहावे कंचु० २ त्ता एवं वयासी - किण्णं देवाणुप्पिया ! अज्ज खत्तियकुंडग्गामे नगरे इंदमहेह वा जाव निग्गच्छंति ?, तए णं से कंचुइजपुरिसे जमालिणा खत्तियकुमारेणं एवं वृत्ते समाणे तुट्टे समणस्स भगवओ महावीरस्स आगमणगहियविणिच्छए करयल० जमालिं खत्तियकुमारं जएणं विजएणं वद्धावेइ वद्धावेत्ता एवं व्यासी- जो खलु देवा. णुप्पिया ! अज्ज खत्तियकुंडग्गामे नयरे इंदमहेइ वा जाव निग्गच्छन्ति, एवं खलु देवाप्पिया ! अज्ज समणे भगवं महावीरे जाव सव्वन्नू सव्वदरिसी माहणकुंडरगामस्स नयरस बहिया बहुसालए उज्जाणे अहापडिरूवं उग्गहं जाव विहरइ, तए णं एए बहवे उग्गा भोगा जाव अप्पेगइया वंदणवत्तियं जाव निग्गच्छंति । तए णं से जमाली खत्तियकुमारे कंचुइज्जपुरिसस्स अंतिए एयमहं सोचा निसम्म हट्टतुट्ट० कोडुंबियपुरिसे सहावेइ कोडुंबियपुरिसे सद्दावइत्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउम्घटं आसरहं जुत्तामेव उवद्ववेह उववेत्ता मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पि ग्रह, तए णं ते कोडुंबियपुरिसा जमालिणा खत्तियकुमारेणं एवं वृत्ता समाणा जाव पञ्च्चप्पिणंति, तए णं से जमाली खत्तियकुमारे जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता ण्हाए जहा उर्ववाइए परिसावन्नओ तहा भाणियव्वं जाव चंद (णुक्खित्त)णाकिन्नगायसरीरे सव्वालंकारविभूसिए मज्जणघराओ पडिनिक्खमइ मज्जणघराओ पडिनिक्खमित्ता जेणेव वाहिरिया उवट्टाणसाला जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता चाउग्घंटं आसरहं दुरुहेइ चाउ० २ त्ता सकोरंटमलदा मेणं - छत्तेणं धरिज्जमाणेणं महया भडचडगरपहकरवंदपरिक्खित्ते खत्तियकुंडग्गामं नगरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुंडग्गामे नगरे 'जेणेव वहुसालए उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता तुरए निगिण्हेइ २ त्ता रहं ठवेइ रहं ठवेत्ता रहाओ पञ्च्चोरुहइ रहा० २ त्ता पुप्फतंबोला उहमाइयं वा(णहा)हणाओ य विसज्जेइ २ त्ता एगसाडियं उत्तरासंग करेइ उत्तरासंगं करेत्ता आर्यंते चोक्खे परमसुइब्भूए अंजलिमउलियहत्थे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव ' उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ त्ता जाव तिविहाए पज्जुवासणाए जुवासइ । तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स खत्तियकुमारस्स तीसे य महइमहालियाए इसि० जाव -धम्मकहा जाव परिसा पडिगया, तए णं से जमाली खत्तियकुमारे समणस्स भग ५९८ r Page #651 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ९ उ० ३३] सुचागमे ५९९ वओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हट्ठ जाव हियए उठाए उठेइ उट्ठाए उठेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता एवं वयासी-सहहामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, पत्तियामि णं भंते । निग्गंथं पावयगं, रोएमि णं भंते ! निग्गथं पावयणं, अब्भुटेमि णं भंते ! निरगंथं पावयणं, एवमेयं भंतें.! तहमेयं भंते। अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते 1 जाव से जहेयं तुन्भे वदह, जे नवरं देवाणुप्पिया । अम्मापियरो आपुच्छामि । तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतियं मुंडे भवित्ता । अंगाराओ अणगारियं पव्वयामि, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा प्रडिबंधं ॥ ३८२ ॥ तए णं से जमाली खत्तियकुमारे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुढे जाव समगं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता तमेव चाउपघंटं आंसरह दुरूहेइ दुरूहित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ वहुसालाओ उजाणाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता सकोरंट० जाव धरिजमाणेणं महया भडचडगर जाव परिक्खित्ते जेणेव खत्तियकुंडग्गामे नयरे । तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता खतियकुंडग्गामं नगरं मझंमज्झेणं जेणेव सए गिहे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइतेणेव उवागच्छित्ता तुरए निगिण्हइ तुरए निगिण्हित्ता रहं ठवेइ रहं 'ठवेत्ता रहाओ पचोरुहइ रहाओ पच्चोरुहित्ता जेणेव अभितरिया उवट्ठाणसाला जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता अम्मापियरो जएणं विजएणं वद्धावेइ वद्धावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु अम्मताओ! मए समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं धम्मे निसंते, सेवि, य मे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए, तए णं तं जमालिं खत्तियकुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-धन्नेसि णं तुम जाया ! कयत्थेसि णं तुम जाया ! कयपुन्नेसि णं तुम जाया ! कयलक्खणेसि णं तुमं जाया! जन्नं तुमे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मे निसंते सेवि य धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए, तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो दीचपि एवं वयासी-एवं खलु मए अम्मताओ। समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मे निसंते जाव अभिरुइए, तए णं अहं अम्मताओ! संसारभयउविग्गे भीए जम्मजरामरणेणं तं इच्छामि णं अम्म ! ताओ ! तुन्भेहिं अब्भणुनाए समाणे समगस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए । तए ण सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया'तं अणिढं अकंतं अप्पियं अमगुन्नं अमणाम असुयपुव्वं गिरं सोचा निसम्म सेयागयरोमकूवपगलंतविलीणगत्ता सोगंभरपवियंगमंगी नित्तेया दीणविमणवयणा करयलमलियव्व कमलमाला तक्खणओलुग्गदुब्बलसरीरलायन्नसुन्ननिच्छाया गयसिरीया पसिढिलभूसणप(डिय)डंतखुण्णियसंचु. Page #652 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तिए मुंडे भाइयकलवंसतंतुकजाम तओ पच्छा अह सुत्तागमे - [भगवई नियधवलंबलयपन्भउत्तरिजा मुच्छावसणट्टचेयगु(ग)ई सुकुमालविकिनकेसहत्या परसुणियत्तव्यं चंपगलया निव्वत्तमहे व्व इंदलट्ठी विमुक्कसंधिबंधणा कोट्टिमतलंसि धसत्ति सव्वंगेहिं संनिवडिया, तए ण सा जमालिस्त खत्तियकुमारस्स माया ससंभमोयत्तियाए तुरियं कंचणभिंगारमुहविणिग्गयसीयलविमलजलधारपरिसिंचमाणनिब्वावियगायलट्ठी उक्खेवयतालियंटवीयणगजणियवाएणं सफुसिएणं अतेडरपरिजणेणं आसासिया समाणी रोयमाणी कंदमाणी सोयमाणी विलवमाणी जमालि खत्तियकुमारं एवं वयासी-तुमंसि णं जाया ! अम्हं एगे पुत्ते इढे कंते पिए मणुन्ने मगामे थेजे वेसासिए संमए वहुमए अणुमए भंडकरंडगसमाणे रयणे रयणभूए जीविऊस. विए हिययानंदिजणणे उंवरपुप्फमिव दुलहे सवणयाएं किमंग पुण पासणयाए, तं नो खलु जाया !, अम्हे इच्छामो तुझं खणमवि विप्पओगं, तं अच्छाहि ताव जाया ! - जाव ताव अम्हे जीवामो, तओ पच्छा अम्हेहिं कालगएहिं समाणेहिं परिणयवए वड्डियकुलवंसतंतुकमि निरवंयक्खें समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइहिसि । तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-तहाविणं तं अम्म ! ताओ ! जणं तुभे ममं एवं वदह तुमंसि णं जाया! अम्हं एगे पुत्ते इढे कंते तं चेव जाव पव्वइहिसि, एवं खलु अम्म ! ताओ ! माणुस्सए भवे अणेगजाइजरामरणरोगसारीरमाणसपकामदुक्खवेयणवसणसओवद्दवाभिभूए अधुवे अणिइए असासए संझम्भरागसरिसे जलवुब्बुयसमाणे कुसग्गजलविंदुसन्निभे सुविणगदसणोवमे विजुलयाचंचले अणिच्चे सडणपडणविद्धंसणधम्मे पुल्वि वा पच्छा वा अवस्सं विप्पजहियव्वे भविस्सइ, से केस णं जाणइ अम्म ! ताओ! के पुव्वि गमणयाए के पच्छा गमणयाए, तं इच्छामि णं अम्मताओ! तुन्भेहिं अन्भणुन्नाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव पव्वइत्तए । तए णं तं जमालि खत्तियकुमार अम्मापियरो एवं वयासी-इमं च णं ते जाया! सरीरगं पविसिट्ठरूवलक्खणवंजणगुणोववेयं उत्तमवलवीरियसत्तजुत्तं विण्णाणवियक्खणं ससोहग्गगुणसमुस्सियं अभिजायमहक्खमं विविहवाहिरोगरहियं निरुवहयउदत्तलटुं पंचिंदियप/पढमजोवणत्थं अणेगउत्तमगुणेहिं संजुत्तं तं अणुहोहि ताव जाव जाया ! नियगसरीररूवसोहग्गजोव्वणगुणे, तओ पच्छा अणुभूयनियगसरीररूवसोहग्गजोव्वणगुणे अम्हेहिं कालगएहिं समाणेहिं परिणयवए वड्डियकुलवंसतंतुकजमि - निरसयक्खे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइहिसि, तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-तहावि णं तं अम्मताओ! जन्नं तुभे ममं एवं Page #653 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ९ ३० ३३] सुत्तागमे वदह-इमं च णं ते जाया ! सरीरगं तं चेव जाव पव्वइहिसि, एवं खलु अम्मताओ ! माणुस्सगं सरीरं दुक्खाययणं विविहवाहिसयसंनिकेयं अट्ठियकट्टट्ठियं छिराम्हारुजालओणद्धसपिणद्धं मट्टियभंडं व दुव्वलं असुइसंकिलिटुं अणिद्ववियसव्वकालसंठप्पयं जराकुणिमजजरघरं व सडणपडणविद्धंसणधम्मं पुद्धि वा पच्छा वा अवस्सं विप्पजहियव्वं भविस्सइ, से केस णं जाणड, अम्मताओ ! के पुच्चि तं चेव जाव पव्वइत्तए । तए णं तं जमालिं खत्तियकुमारं अम्मापियरो एवं वयासीइमाओ य ते जाया । विलकुलवालियाओ सरिसयाओ सरित्तयाओ सरिव्वयाओ सरिसलावन्नस्वजोव्वणगुणोक्वेयाओ सरिसएहितो अ कुलेहितो आणिएल्लियाओ कलाकुसलसव्वकाललालियनुहोचियाओ मद्दवगुणजुत्तनिउणविणओवयारपंडियवियक्खणाओ मंजुलमियमहरभणियविहसियविप्पेक्खियगइविलासचिट्ठियविसारयाओ अविकलकुलसीलसालिणीओ विसुद्धकुलवंससंताणतंतुवद्धणप्पग(ब्भु)भव(य)प्प-भाविणीओ मणाणुकूलहियइच्छियाओ अट्ट तुज्झ गुणवल्हहाओ उत्तमाओ निच्चं भावाणु(रत्त)त्तरसव्वंगसुंदरीओ भारियाओ, तं भुंजाहि ताव जाव जाया! एयाहिं सद्धि विउले माणुस्सए कामभोगे, तओ पच्छा भुत्तभोगी विसयविगयवोच्छिन्नकोउहल्ले अम्हेहिं कालगएहिं जाव पव्वइहिसि । तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-तहावि णं तं अम्म ! ताओ! जन्नं तुझे मम एवं वयह इमाओ य ते जाया ! विउलकुल जाव पव्वइहिसि, एवं खलु अम्म ! ताओ ! माणुस्सया कामभोगा असुई असासया वंतासवा पित्तासवा खेलासवा सुक्कांसवा सोणियासवा उच्चारपासवणखे. लसिंघाणगवंतपित्तपूयतुक्कसोणियसमुद्भवा अमणुन्नदुरूवमुत्तपूइयपुरीसपुन्ना मयगंधुस्सासअसुभनिस्सासउव्वेयणगा बीभच्छा अप्पकालिया लहूसगा कलमलाहिया सदुक्खवहुजणसाहारणा परिकिलेस किच्छदुक्खसज्झा, अवुहजणणिसेविया सया साहुगरहणिज्जा अणंतसंसारवद्धणा कडयफलविवागा चु(ड)डलिव्व अमुच्चमाणदुक्खाणुवाधणो सिद्धिगमणविग्धा, से केस णं जाणइ अम्मताओ । के पुट्विं गमणयाए के । पच्छा, गमणयाए, तं इच्छामि णं अम्मताओ ! जाव पव्वइत्तए । तए णं तं जमालिं खात्तयकुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-इमे य ते जाया । अज्जयपज्जयपिउपजयागए वहु हिरन्ने य सुवन्ने य कसे य दूसे ये विउलधणकणग जाव-संतसारंसावएजे अलााह जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पकामं दाउं पकामं भोत्तुं पकामं परिभाएर तं अणुहोहि ताव जाया ! विउले माणुस्सए इसिक्कारसमुदए, तओ पच्छा अणुभूयकल्लाणे वडियकुलवंसतंतु जाव पव्वइहिसि । तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-तहावि णं तं अम्मताओ! जन्नं तुज्झे ममं एवं वदह-इमं Page #654 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ६०२ च ते जाया ! अजयपजय जाव पव्वइहिसि, एवं खलु अम्मताओ! हिरन य सुवन्ने य जाव सावएजे अग्गिसाहिए चोरसाहिए रायसाहिए मचुसाहिए दाइयसाहिए अग्गिसामन्ने जाव दाइयसामन्ने अधुवे अणिइए असासए पुचि वा पच्छा वा अवस्सं विप्पजहियव्वे भविस्सइ, से केस णं जाणइ तं चेव जाव पव्वइत्तए । तए णं तं जमालिं खत्तियकुमारं अम्मताओ जाहे नों संचाएन्ति विसयाणुलोमाहिं वहहिं , आघवणाहि य पन्नवणाहि य सन्नवणाहिं य विनवणाहि य आघवेत्तए वा पन्नवेत्तए वा सन्नवेत्तए वा विनवेत्तए वा ताहे विसयपडिकूलाहि संजमभयउव्वेयणकराहिं पन्नवणाहिं पनवेमाणा एवं वयासी-एवं खलु जाया ! निग्गंथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवले जहा आवस्सए जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेंति अहीव एगंतदिट्टीए खुरो इव एगंतधाराए लोहमया जवा चावेयव्वा वालुयाकवले इव निस्सा(रे)ए गंगा वा महानई पडिसोयगमणयाए महासमुद्दोव्व भुयाहि दुत्तरो तिक्खं कमियव्वं ग(गु)त्यं लंबेयव्वं असिधारगं वयं चरियव्वं, नो खल कप्पड़ जाया । समणाणं निग्गंथाणं आहाकम्मिएइ वा उद्देसिएइ वा मिस्सजाएइ वा अज्झोयरएइ वा पूइएइ वा कीएइ वा पामिच्चेइ वा अच्छेनेइ वा अणिसिढेई वा अभिहडेइ वा कंतारभत्तेइ वा दुभिक्खभत्तेई वा गिलाणभत्तेइ वा वलियाभत्तेइ वा पाहुणगभत्तेइ वा सेज्जायरपिंडेइ वा रायपिंडेइ वा मूलभोयणेइ वा कंदभोयणेइ वा फलभोयणेइ वा वीयभोयणेइ वा हरियभोयणेइ वा भुत्तए वा पायए वा, तुमं च णं जाया ! सुहसमुचिए णो चेव ण दुहसमुचिए नालं सीयं नालं उण्हं नालं खुहा नालं पिवासा नालं चोरा नालं वाला नालं दंसा नालं मसगा नालं वाइयपित्तियसेंभियसन्निवाइए विविहे रोगायंके परीसहोवसग्गे उदिन्ने अहियासेत्तए; तं नो खलु जाया ! अम्हे इच्छामो तुझं खणमवि विप्पओगं तं अच्छाहि ताव जाया! जाव ताव अम्हे जीवामो, तओ पच्छा अम्हेहि कालगएहिं जाव पव्वइहिसि । तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासीतहावि णं तं अम्म ! ताओ । जन्नं तुज्झे ममं एवं वयह-एवं खलु जाया ! निग्गंथे पोवयणे सच्चे अणुत्तरे केवले तं चेव जाव पव्वइहिसि, एवं खलु अम्मताओ! निग्गंथे पावयणे कीवाणं कायराणं कापुरिसाणं इहलोगपडिवद्धाणं परलोगपरंमुहागं विसयतिसियाणं दुरणुचरे पागयजणस्स, धीरस्स निच्छियस्स ववसियस्स नो खलु एत्थं किचिवि दुक्करं करणयाए, तं इच्छामि णं अम्म ! ताओ ! तुब्भेहिं अब्भणुनाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव पव्वइत्तए । तए णं तं जमालिं खत्तियकुमारं अम्मापियरो जाहे नो संचाएंति विसयाणुलोमाहि य विसयपडिकूलाहि य बहूहिं आघवणाहि य पन्नवणाहि य ४ आघवेत्तए वा जाव विन्नवेत्तए वा ताहे अकामए Page #655 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स०९३०३३ ] सुत्तागमे ६०३ वेव जमालिस सत्तियकुमारस्त निक्खमणं अणुमन्नित्था ॥ ३८३ ॥ तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडुंवियपुरिसे सहावे सहावेत्ता एवं वयासीविप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! खत्तियकुंडग्गामं नगरं सभितरवाहिरियं आसिय संमज्जिवलितं जहा उववाइए जाव पञ्चपिणंति, तए णं से जमालिस्स खत्तिय - कुमारस्स पिया दोचंपि कोईवियपुरिसे सहावे सावइत्ता एवं व्यासी - खिप्पामेव भो देवापिया ! जमालिस्स खत्तियकुमारस्स महत्यं महग्धं महरिहं विपुलं निक्खमणाभिसेयं उवहवेह, तए णं ते कोडंवियपुरिसा तहेव जाव पञ्चप्पियंति, तए णं तं जमालिं खत्तियकुमारं अम्मापियरो सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहं निसीयावेंति निसीयावेत्ता असणं सोवन्नियाणं कलसाणं एवं जहा रायप्पसेणइज्जे जाव अट्ठसएणं भोमेज्जाणं कलसाणं सव्विड्डीए जाव रवेणं महया महया निक्खमणाभिसेगेणं अभिसिंचन्ति निक्खमणाभिसेगेणं अभिसिंचित्ता करयल जाव जएणं विजएणं वद्धावेन्ति, जएणं विजएणं वद्धावेत्ता एवं व्यासी भण जाया । कि देमो कि पयच्छामो किणा वा ते अहो !, तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी - इच्छामि अम्म ! ताओ ! कुत्तियाचणाओ स्यहरणं च पडिग्गहं च आणि कासवगं च सहाविडं, तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडुंवियपुरिसे सहावेइ सहावेत्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सिरिघराओ तिन्नि सयसहस्साई गहाय दोहिं सयसहस्सेहिं कुत्तिया वणाओ रयहरणं च पडिग्गहं च आणेह सय सहस्सेणं कासवर्गं च सद्दावेह, तए णं ते कोडुंवियपुरिसा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एवं चुत्ता समाणा हट्टा करयल जाव पडिमुणेत्ता खिप्पामेव सिरिघराओ तिन्नि सयसहस्साई तहेव जाव कासवर्ग सहावेंति । तए णं से कासवए जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा कोडुंवियपुरिसेहिं सहाविए समाणे- हट्ठे तुट्ठे पहाए जाव सरीरे जेणेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता करयल० जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पियरं जएणं विजएणं वद्धावेइ जाएणं विजएणं वद्धावित्ता एवं वयासी - संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! जं मए करणिज्जं, तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तं कासवर्ग एवं वयासी - तुमं देवाणुप्पिया ! जमालिस्स खत्तियकुमारस्स परेणं जत्तेणं चउरंगुलवज्जे निक्खमणपओगे अग्गकेसे (कप्पेह) पडिकप्पेहि, तए णं से कासवए जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एवं चुत्ते समाणे हट्टतुट्टे करयल जाव एवं सामी । तहत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ २ त्ता सुरभिणा गंधोदएणं हत्थपाए पक्खालेइ सुरभिणा० २ त्ता सुद्धाए अट्ठपडलाए पोतीए मुहं बंधइ मुहं वंधत्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स परेण जत्तेणं उ Page #656 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई रंगुलवज निक्खमणपओगे अग्गकेसे कप्पेइ । तए णं सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया हंसलक्खणेणं पडसाडएणं अग्गकेसे पडिच्छइ अग्गकेसे पडिच्छित्ता सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेइ सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेत्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहिं मल्लेहिं अच्चेइ २ त्ता सुद्धवत्येणं बंधेइ सुद्धवत्थेणं बंधित्ता रयणकरंदगंसि पक्खिवइ २ त्ता हारवारिधारसिंदुवारछिन्नमुत्तावलिप्पगासाइं नुयविओगदूसहाई अंसई विणिम्मुयमाणी २ एवं वयासी-एस णं अम्हं जमालिस्त खत्तियकुमारस्त वहसु तिहीसु य पव्वणीसु य उस्सवेसु य जन्नेसु य छणेसु य अपच्छिमे दरिसणे भविस्सतीतिकट्ठ ओसीसगमूले ठवेइ, तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स अम्मापियरो दोच्चपि उत्तरावकमणं सीहासणं रयाति २ त्ता दोचपि जमालि खत्तियकुमारं सीयापीयएहिं कलसेहिं पहाणेति सीयापीयएहिं कलसेहि व्हावेत्ता पम्हलमुकुमालाए सुरभिएणं गंधकासाइएणं गायाइं लूहेंति सुरभिएणं गंधकासाइएणं गायाई ल्हेत्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाइं अणुलिंपन्ति गायाइं अणुलिंपित्ता नासानिस्सासवायवोज्नं चक्खुहरं वन्नफरिसजुत्तं हयलालापेलवाइरेगं धवलं कणगखचियंतकम्म महरिहं हंसलक्खणपडसाडगं परिहिंति २ त्ता हारं पिणद्वेति २ त्ता अद्धहारं पिणद्धति २ त्ता० एवं जहा सूरियाभस्स अलंकारो तहेव जाव चित्तं रयणसंकडुकडं मउड पिणद्धेति, कि वहुणा गंथिमवेढिमपूरिमसंघाइमेणं चउव्विहेणं मल्लेणं कप्परुक्खगं पिव अलंकियविभूसियं करेंति । तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ सदावेत्ता एवं वंयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अणेगखंभसयसन्निविटं लीलट्ठियसालिभंजियागं जहा रायप्पसेणइजे विमाणवन्नओ जाव मणिरयणघंटियाजालपरिक्खित्तं पुरिससहस्सवाहिणीयं सीयं उवट्ठवेह उवट्ठवेत्ता मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तए णं ते कोडंवियपुरिसा जाव पञ्चप्पिणति । तए णं से जमाली खत्तियकुमारे केसालंकारेणं वत्थालंकारेणं मलालंकारेणं आभरणालंकारेणं चउनिहेणं अलंकारेणं अलंकारिए समाणे पडिपुन्नालंकारे सीहासंणाओ अब्भुढेइ सीहासणाओ अब्भुढेत्ता सीयं अणुप्पयाहिणीकरेमाणे सीयं दुल्हइ २ त्ता सीहासणवरंसि पुरत्याभिमुहे सन्निसण्णे । तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया ण्हाया जाव सरीरा हंसलक्खणं पडसाडगं गहाय सीयं अणुप्पयाहिणीकरेमाणी सीयं दुरूहइ सीयं दुरूहित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स दाहिणे पासे भद्दासणवरंसि संनिसन्ना, तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स अम्मधाई व्हाया जाव सरीरा रयहरणं च पडिग्गहं च गहाय सीयं अणुप्पयाहिणी करेमाणी सीयं दुरूहइ सीयं दुरूहित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स वामे पासे भद्दासणवरंसि संनिसन्ना । तए णं Page #657 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ९ उ० ३३] मुत्तागमे ६०५ तस्स जमालिस्त खत्नियकुमारस्स पिट्टओ एगा वरतरुणी सिंगारागारचारुवेसा संगयगय जाव न्वजोव्वणविलासकालया सुंदरथण. हिमरययकुमुयकुंदेदुप्पगासं सकोरेंटमलदामं धयलं आयवत्तं गहाय सलील उवरिं धारेमाणी २ चिट्ठइ, तए णं तस्न जमालिस उनओपासिं दुवे वरतरुणीओ सिंगारागारचारु जाव कलियाओ नागामणिकगगरयगावमलमरिहतवाणिजुजलविचिनदडाओ चिल्ल्यिाओ संखंककुंददगरयसनयमहियपेणपुंजननिगालाओ धवलाओ चामराओ गहाय सलीलं वीवमाणी वीयनाणीगे निति, तए गं तस्म जमालिस्स खत्तियकुमारस्स उत्तरपुरच्छिनेणं एगा वरती निगारागार जाव कलिया सेयरययामयं विमलसलिलपुण्णं मत्तगयमहानुहाकिडनमाज भिंगार गहाय चिट्ठइ । तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स दाहिमपुस्टिमेणं एगा वरतरुपी सिंगारागार जाव कलिया चित्तकणगदंड तालवेटं गहार निद, नए गं तस्स जमालिस्त सत्तियकुमारस्स पिया कोडंबियपुरित महावः को० २ ता एवं क्यासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सरिसयं सरितयं मरिव्यवं नलिलावन्नन्वजोव्वणगुणोववेयं एगाभरणवसणगहियनिज्जोयं कोटुंपियवगतरूणसहस्तं सदावह, तए णं ते कोडंबियपुरिसा जाव पडिसुणेत्ता विप्पामेव मरिसयं मरिन जाय सहावति, तए णं ते कोडुबियपुरिसा जमालिस्स खत्तियकुमारस्त पिया कोडंबियपुरिसेहिं सहाविया समाणा हतुव० व्हाया एगाभरणवसणगहिनिज्जोया जेणेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तणेव उवागच्छन्ति ते० २ ता करयल जाव वद्वावेत्ता एवं वयासी-सदिसंतुणं देवाणुपिया! ज अम्हेहिं करणिनं, नए से जमालिस्स सत्तियकुमारस्स पिया तं कोडंबियवरतरुणसहस्तंपि एवं वयासी-नुन्भे ण देवाणप्पिया ! व्हाया जाव गहियनिज्जोगा जमालिस ग्यत्तियकुमारस्स सीयं परिवहह । तए णं ते कोडंबियपुरिसा जमालिस्स खात्तयकुमारस्स जाब पडिनुणेना बहाया जाव गहियनिज्जोगा जमालिस्स खत्तिय. कुमारस्स सीयं परिवहति । तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरिससहस्सपाहाण सीयं दुरुटस्त समाणस्स तप्पटमयाए इमे अद्धमंगलगा पुरओ अहाणुपुवाए संपट्टिया, त०-सोत्यिय सिरिवच्छ जाव दप्पणं, तयाणंतरं च णं पुन्नकलसामगार जहा उववाइए जाव गगणतलमणुलिहंती पुरओ अहाणुपुव्वीए सपट्ठिया, एव जहा उववाइए तहेव भाणियव्वं जाव आलोयं वा करेमाणा, जय २ सह च पउजमाणा पुरओ अहाणपुव्वीए संपट्ठिया। तयाणंतरं च णं वहवे उग्गा भोगा जहा उपवाइए जाव महापुरिसवग्गुरापरिक्खित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरओ य मग्गओ य पासओ य अहागुपुवीए संपट्टिया । तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमा Page #658 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०६ सुत्तागमे [भगवई रस्स पिया हाए जाव विभूसिए हत्थिखंधवरगए सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं सेयवरचामराहिँ उद्धुव्वमाणे २ हयगयरहपवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धि संपरिचुडे महया भडचंडगर जाव परिक्खित्ते जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिट्टओ २ अणुगच्छइ । तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरओ महं आसा आसवरा उभओ पासिं णागा णागवरा पिट्ठओ रहा रहसंगेल्ली । तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अब्भुरगयभिंगारे परिग्गहियतालियंटे ऊसवियसेयछत्ते पबीइयसेयचामरवालवीयणीए सव्विदीए जाव णाइयरवेणं । तयाणंतरं च णं बहवे लट्ठिग्गाहा कुंतग्गाहा जाव पुत्थयग्गाहा जाव वीणग्गाहा, तयाणंतरं च णं अट्ठसयं गयाणं अट्ठसयं तुरयाणं अट्ठसयं रहाणं, तयाणंतरं च णं लउडअसिकोतहत्थाणं वहूर्ण पायत्ताणीणं पुरओ संपढ़ियं, तयाणंतरं च णं बहवे राईसरतलवर जाव सत्यवाहप्पभिइओ पुरओ संपट्ठिया जाव णाइयरवेणं खत्तियकुंडग्गाम नगरं मज्झमज्झेगं जेणेव माहणकुंडग्गामे नयरे जेणेव बहुसालए उजाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स खत्तियकुंडग्गामं नगरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छमाणस्स सिंघाडगतियचउक जाव पहेसु बहवे अत्यत्थिया जहा उचवाइए जाव अभिनंदता य अभित्थुगंता य एवं वयासी-जय जय गंदा धम्मेणं, जय जय गंदा तवेणं, जय जय गंदा । भदं ते अभग्गेहिं णाणदसणचरित्तमुत्तमेहिं अजियाइं जिणाहि इंदियाई जियं च पालेहि समणधम्मं जियविरघोऽवि य वसाहितं देव । सिद्धिमज्झे णिहणाहि य रागदोसमल्ले तवेण धिइधणियवद्धकच्छे मद्दाहि अट्ठकम्मसत्तू झाणेणं उत्तमेणं सुक्केणं अप्पमत्तो हराहि आराहणपडागं च धीर ! तेलो. करंगमज्झे पावय वितिमिरमणुत्तरं च केवलणाणं गच्छय मोक्खं परं पयं जिणवरोवइटेणं सिद्धिमग्गेण अकुडिलेगं हंता परीसहचमू अभिभविय गामकंटगोवसग्गाणं धम्मे ते अविग्धमत्युत्तिकट्ठ अभिनंदति य अभिथुगंति य । तए णं से जमाली खत्तियकुमारे नयणमालासहस्सेहिं पिच्छिजमाणे २ एवं जहा उववाइए कूणिओ जाव णिग्गच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुंडग्गामे नयरे जेणेव बहुसालए उजाणे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता छत्ताइए तित्थगराइसए पासइ पासित्ता पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं ठवेइ २ त्ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ पचोरुहइ, तए णं तं' जमालिं खत्तियकुमारं अम्मापियरो पुरओ काउं जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति तेणेव उवागच्छित्ता समणं भगवं महोवीरं तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता एवं वयासी-एवं खलु भंते ! जमाली खत्तियकुमारे अम्हं एगे पुत्ते इट्टे कंते जाव किमंग पुण पासणयाए, से जहानामए-उप्पलेइ वा परमेइ वा जाव सहस्संपत्तेइ वा पंके Page #659 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स. ९ उ० ३३] सुत्तागमे ६०७ जाए जले संयुट्टे णोवलिप्पइ पंकरएणं णोवलिप्पइ जलरएणं एवामेव जमालीवि खत्तियकुमारे कामेहि जाए भोगेहिं संयुढे णोवलिप्पइ कामरएणं णोवलिप्पइ भोगरएणं गोवलिप्पइ मित्तणाइनियनसयणसंबंधिपरिजणेणे, एस देवाणुप्पिया ! संसारभयउविग्गे भीए जम्मजरामरणेणं इच्छइ देवाणुपियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए, तं एयन्नं देवाणुप्पियाणं अम्हे सीसभिक्खं दलयामो, पडिच्छंतु गं देवाणुप्पिया! सीसभिक्खं, तए णं समणे० ३ तं जमालिं खत्तियकुमारं एवं वयासी-अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिवंधं । तए णं से जमाली खत्तियकुमारे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्त समाणे हहत समणं भगवं महावीरं तिक्युत्तो जाव नमंसित्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमइ २ त्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुयइ, तए णं सा जमालिस्न खत्तियकमारस्त माया हंसलक्खणेणं पडसाडएणं आभरणमहालंकारं पडिच्छइ पडिच्छित्ता हारवारि जाव विणिम्मुयमाणी २ जमालिं खत्तियकुमार एवं वयासी-घडियव्वं जाया । जइयव्वं जाया ! परकमियन्वं जाया ! असि च णं अटे णो पमायेयवंति कट्ट जमालिस्स खत्तियकुमारस्स अम्मापियरो समर्ण भगवं महावीरं वंदन्ति णमंसन्ति वंदित्ता णमंसित्ता जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया। तए णं से जमाली खत्तियकुमारे सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ २ त्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता एवं जहा उसमदत्तो तहेव पच्वइओ नवरं पंचहिं पुरिससएहिं सद्धिं तहेव जाव सव्वं सामाइयमाझ्याई एकारस अंगाई अहिजइ अहिजेत्ता वहहिं चउत्थछट्ठम जाव मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहि तवोकम्मेहि अप्पाणं भावमाणे विहरइ ॥ ३८४ ॥ तए णं से जमाली अणगारे अन्नया कयाई जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ तेणव उवागच्छइत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं पयासी इच्छामि णं भंते ! तुन्भेहिं अन्भणुनाए समाणे पंचहिं अणगारसएहिं साद वाया जणवयविहारं विहरित्तए, तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स अणगारस्स एयमझु णो आढाइ णो परिजाणाइ तुसिणीए संचिट्ठइ । तए णं से माला अणगारे समणं भगवं महावीरं दोचंपि तच्चपि एवं वयासी-इच्छामि णं मत! तुभाई अभणुनाए समाणे पंचहि अणगारसएहिं सद्धि जाव विहरित्तए, तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स अणगारस्स दोचंपि तच्चपि एयमढें णो भाडाइजावतुसिणीए संचिठ्ठइ । तए णं से जमाली अणगारे समणं भगवं महावीरं वदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ बहुसालाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता पंचहिं अणगारसएहिं सद्धि वहिया , Page #660 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे भगवई जणवयविहारं विहरइ, तेणं कालेगं तेणं समएणं सावत्थी नामं णयरी होत्या वन्नओ कोट्टए उज्जाणे वन्नओ जाव वणसंडस्स, तेणं कालेगं तेगं समएणं चंपा नाम नयरी होत्था वन्नओ, पुन्नभद्दे उज्जाणे वन्नओ जाव पुढविसिलापट्टए । तए णं से जमाली अणगारे अन्नया कयाइ पंचहि अणगारसएहिं मद्धि संपरिबुडे पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे जेणेव सावत्थी नयरी जेणेव कोट्टए उज्जाणे तेणेव उवागच्छन् तेणेव उवागच्छित्ता अहापडिरूवं उग्गहं उग्गण्ड्इ अहापडिवं उग्गहं उग्गहित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरन् । तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ पुव्वाणुपुवि चरमाणे जाव सुहं हेणं विहरमाणे जेणेव चंपानगरी जेणेव पुन्नभद्दे उज्जाणे तेणेव उवागच्छर तेणेव उवागच्छित्ता अहापडि - रूवं उग्गहं उग्गिण्हइ अहा० २ त्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स तेहिं अरसेहि य विरसेहिं य अंतेहि य पंतेहि य हेहि य तुच्छे हिय कालाइतेहि य पमाणाइतेहि य सीयएहि य पाणभोयणेहि अन्नया कयाइ सरीरगंसि विउले रोगायंके पाउच्भूए उज्जले विउठे पगाढे कक्कसे कडुए चंडे दुक्खे दुग्गे तिब्वे दुरहियासे पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवतिए यावि विहरन् । तए गं से जमाली अणगारे वेयगाए अभिभूए समाणे समणे णिग्गंथे सहावेड़ सद्दावेत्ता एवं वयासी-तुब्भे णं देवागुप्रिया ! मम सेज्जासंथारगं संथरेह, तए णं ते समणा णिग्गंथा जमालिस्स अणगारस्स एयमहं विणएणं पडिसुणेति पडिसुणेत्ता जमालिस्स अणगारस्स सेज्जासंथारगं संयरेंति, तए णं से जमाली अणगारे वलियतरं वेयणाए अभिभूए समाणे दोचंपि समणे निग्गंथे सहावेइ २ त्ता दोचंपि एवं वयासी-ममण्णं देवाणुप्पिया ! सेज्जासंथारए किं कडे कज्जइ ? ( एवं वृत्ते समाणे समणा निग्गंथा वित्ति - भो सामी ! कीरइ ) तए णं ते समणा निग्गंधा जमालि अणगारं एवं वयासी - णो खलु देवाणुपियाणं सेजासंथारए कडे कज्जइ, तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पजित्था - जन्नं समणे भगवं महावीरे एवं आइक्खइ जाव एवं परुवेइ एवं खलु चलमाणे चलिए उदीरिज्जमा उदीरिए जाव निजरिजमाणे णिजिने तं णं मिच्छा इमं चणं पञ्चक्खमेव दीसइ सेजासंथारए कजमाणे अकडे संथरिजमाणे असंथरिए जम्हा णं सेजासंथारए कर्जमाणे अकडे संथरिज्जमाणे, असंथरिए तम्हा चलमाणेवि अचलिए जाव निजरिज्जमाणेवि अणिज्जिन्ने, एत्रं संपेहेइ एवं संपेहेत्ता समणे निग्गंथे सद्दावेइ समणे नि सद्दावेत्ता एवं व्यासी-जन्नं देवाणुप्पिया 1 समणे भगवं महावीरे एवं आइक्खर जाव परुवेइ एवं खलु चलमाणे चलिए तं चैव सव्वं जाव णिजरिजमाणे अणिजिन्ने । तए ६०८ A ww Page #661 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ६०९ णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स एवं आइक्खमाणस्स जाव परुवेमाणस्स अत्येगइया समणा निग्गंथा एयमहं सहंति पत्तियंति रोयंति, अत्येगइया समणा निग्गंथा एयमहं णो सहहंति ३, तत्थ णं जे ते समणा निग्गंथा जमालिस्स अणगारस्स एयमहं सहंति ३ ते णं जमालिं चेव अगगारं उवसंपजित्ता णं विहरंति, तत्थ णं जे ते समणा णिग्गंथा जमालिरस अणगारस्स एयमहं णो सद्दति णो पत्तियंति णो रोति ते णं जमालिस्स अणगारस्स अंतियाओ कोट्टयाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमंति२ ता पुव्वाणुपुवि चरमाणा गामाणुगामं दूइजमाणा जेणेव चंपानयरी जेणेव पुन्नभद्दे उज्जाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छन्ति २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेंति २ त्ता बंदंति णर्मसंति २ त्ता समणं भगवं महावीरं उवसंपज्जित्ता णं विहरति ॥ ३८५ ॥ तए णं से जमाली अणगारे अन्नया कयाइ ताओ रोगायंकाओ विप्पमुक्ते हट्टे तुट्ठे जाए अरोए वलियसरीरे सावत्थीओ नयरीओ कोट्टयाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगामं दृइज्नमाणे जेणेव चंपानयरी जेणेव पुन्नभद्दे उज्जाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी - जहा णं देवाणुप्पियाणं वहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्था भवेत्ता छउमत्थावक्कमणेणं अवकता णो खलु अहं तहा चेव छउ - 'मत्थे भवित्ता छउमत्थावकमणेणं अवक्कमिए, अहन्नं उप्पन्नणाणदंसणवरे अरहा जिणे केवली भवित्ता, केवलिअवक्मणेणं अवक्कमिए, तए णं भगवं गोयमे जमालिं अणगारं एवं वयासी - णो खल जमाली ! केवलिस्स णाणे वा दंसणे वा सेलंसि वा थंभंसि वा थूभंसि वा आवरिज्जइ वा णिवारिजइ वा, जइ णं तुमं जमाली ! उप्पन्नणाणदंसणवरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिअवक्कमणेणं अवते तो णं इमाई दो वागरणाई वागरेहि-सासए लोए जमाली ! असासए लोए जमाली ? सासए जीवे जमाली ! असासए जीवे जमाली ? तए णं से जमाली अणगारे भगवया गोयमेणं एवं वृत्ते समाणे संकिए कंखिए जाव कलुससमावन्ने जाए यावि होत्था, णो संचाएइ भगवओ गोयमस्स किचिवि पमोक्खमाइक्खित्तए तुसिणीए संचिट्ठइ, जमालीति समणे भगवं महावीरे जमालिं अणगारं एवं वयासी-अत्थि णं जमाली ! ममं बहवे अंतेचासी समणा निग्गंथा छउमत्था जेणं पभू एवं वागरणं वागरित्तए जहा णं अहं, नो चेव णं एयप्पगारं भासं भासित्तए जहा णं तुमं, सासए लोए जमाली ! जन्न कयाइ णासि ण कयाइ ण भवइ ण कयाइ ण भविस्सइ भुविं च भवइ य भविस्सइ य धुवे णिइए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए, णिचे, असासए लोए जमाली ! जओ ३९ सुत्ता० वि० ० प० स० ९उ० ३३ ] Page #662 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१० सुत्तागमे [भगवई ओस प्पिणी भवित्ता उस्सप्पिणी भवइ उस्सप्पिणी भवित्ता ओसप्पिणी भवइ, सासए जीवे जमाली ! जं न कयाइ णासि जाव णिचे, असासए जीवे जमाली ! जन्नं नेरइए भवित्ता तिरिक्खजोणिए भवइ तिरिक्खजोणिए भवित्ता मणुस्से भवइ मणुस्ते भवित्ता देवे भवइ । तए णं से जमाली अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव एवं परूवेमाणस्स एयमढे णो सद्दहइ णो पत्तियइ णो रोएइ एयमढें असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे दोचंपि समगस्स भगवओ महावीरस्स अतियाओ आयाए अवक्कमइ दोचंपि आयाए अवकमित्ता वहहिं असम्भावुभावणाहिं मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयं च बुग्गाहमाणे वुप्पाएमाणे बहुइं वासाइं सामनपरियागं पाउणइ २ त्ताअद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं असेइ अ०२त्ता तीसं भत्ताइं अणसणाए छेदेइ २ त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकते कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे तेरससागरोवमठिइएसु देवकिन्विसिएसु देवेसु देवकिन्विसियत्ताए उववन्ने ॥३८६॥ तए णं से भगवं गोयमे जमालि अणगारं कालगयं जाणित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ ते० २ त्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कुसिस्से जमाली णामं अणगारे से णं भंते ! जमाली अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववन्ने ? गोयमाइ समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-एवं खलु गोयमा! ममं अंतेवासी कुसिम्से जमाली नामं अणगारे से णं तया मम एवं आइक्खमाणस्स ४ एयमटुंणो सद्दहइ ३ एयमढे असद्दहमाणे ३ दोच्चपि ममं अंतियाओ आयाए अवक्कमइ २ त्ता वहूहिं असम्भावुब्भावणाहि तं चेव जाव देवकिन्विसियत्ताए उववन्ने ॥ ३८७ ॥ कइविहा णं भंते ! देवकिव्विसिया प० ? गोयमा ! तिविहा.देवकिग्विसिया प०, तंजहातिपलिओवमट्टिइया तिसागरोवमट्ठिइया तेरससागरोवमट्टिइया, कहि णं भंते ! तिपलिओवमट्टिइया देवकिव्विसिया परिवसंति ? गोयमा! उप्पि जोइसियाणं हिट्टि सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु एत्थ णं तिपलिओवमहिइया देवकिदिवसिया परिवसंति । कहि णं भंते ! तिसागरोवमट्टिइया देवकिवि सिया परिवसंति ? गोयमा ! उप्पि सोहम्मीसाणाणं कप्पाणं हिडिं सणकुमारमाहिदेसु कप्पेसु एत्थ णं तिसागरोवमट्ठिः इया देवकिव्विसिया परिवसंति, कहि णं भंते ! तेरससागरोवमढ़िइया देवकिव्विसिया देवा परिवसंति ? गोयमा । उप्पिं वंभलोगस्स कप्पस्स हिडिं लंतए कप्पे एत्थ णं तेरससागरोवमट्ठिइया देवकिव्विसिया देवा परिवसंति । देवकिन्विसिया णं भंते । केसु कम्मादाणेसु देवकिव्विसियत्ताए उववत्तारो भवंति ? गोयमा! जे इमे जीवा आयरियपडिणीया उवज्झायपडिणीया कुलपडिणीया गणपडिणीया संघ Page #663 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ९ उ० ३४] सुत्तागमे पडिणीया आयरियउवज्झायाणं अयसकरा अवन्नकरा अकित्तिकरा वहूहि अस भानुभावणाहिं मिच्छत्ताभिनिवेसेहि य अप्पाणं च ३ बुग्गाहेमाणा चुप्पाएमाणा बहुई वासाइं सामनपरियागं पाउणंति २ त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकंता कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवकिदिवसिएसु देवकिन्विसियत्ताए उववत्तारो भवंति, तंजहा-तिपलिओवमट्ठिइएसु वा तिसागरोवमट्ठिइएसु वा तेरससागरोवमट्टिइएसु वा । देवकिन्विसिया णं भंते ! ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छंति कहिं उववनंति ? गोयमा ! जाव चत्तारि पंच नेरइयतिरिक्खजोणियमणुस्सदेवभवग्गहणाई संसारं अणुपरियट्टित्ता तओ पच्छा सियति बुझंति जाव अंतं करेंति, अत्थेगइया अणाइयं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियटृति ॥ जमाली गं भंते ! अणगारे अरसाहारे विरसाहारे अंताहारे पंताहारे लहाहारे तुच्छाहारे अरसजीवी विरसजीवी जाव तुच्छजीवी उवसंतजीवी पसंतजीवी विवित्तजीवी ? हंता गोयमा ! जमाली णं अणगारे अरसाहारे विरसाहारे जाव विवित्तजीवी । जइ णं भंते ! जमाली अणगारे अरसाहारे विरसाहारे जाव विवित्तजीवी कम्हा णं भंते ! जमाली अणगारे कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे तेरससागरोवमट्टिइएसु देवकिग्विसिएसु देवेसु देवकिव्विसियत्ताए उववन्ने ? गोयमा ! जमाली णं अणगारे आयरियपडिणीए उवज्झायपडिणीए आयरियउवज्झायाणं अयसकारए जाव वुप्पाएमाणे वहूई वासाइं सामन्नपारयागं पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेइ तीसं० २ त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिनंते कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे जाव उपवने ॥ ३८८ ॥ जमाली णं भंते ! देवे ताओ देवलोयाओ आउक्खएणं जाव काह उववजिहिइ ? गोयमा! चत्तारि पंच तिरिक्खजोणियमणुस्सदेवभवग्गहणाई ससार अणुपरियट्टित्ता तो पच्छा 'सिज्झिहिइ जाव अंतं काहिइ । सेवं भंते ! त॥३८९॥ जमाली समत्तो॥ नवमसए ३३ इमो उद्देसो समत्तो॥ तण कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव एवं वयासी-पुरिसे णं भंते ! पुरिसं हणमाण कि पुरिसं हणइ नोपुरिसं हणइ ? गोयमा ! पुरिसंपि हणइ नोपुरि (सेवि)संपि हणई, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ पुरिसंपि हणइ नोपुरिसंपि हणइ ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ एवं खलु अहं एगं पुरिसं हणामि से णं एगं पुरिसं हणमाणे अणे. जाचा हणइ, से तेणट्रेणं गोयमा! एवं वच्चइ पुरिसंपि हणइ नोपुरिसंपि हणइ । पारस णं भंते ! आसं हणमाणे किं आसं हणइ नोआसे हणइ ? गोयमा । आसंपि हणइ नोआसेवि हणइ, से केणटेणं अट्ठो तहेव, एवं हत्थिं सीहं वग्धं जाव चिल्ल Page #664 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ६१२ [भगवई । लगं । पुरिसे णं भंते ! अन्नयरं तसपाणं हणमाणे किं अन्नयरं तसपाणं हणइ नोअ. नयरे तसपाणे हणइ ? गोयमा ! अन्नयरंपि तसपाणं हणइ नोअन्नयरेवि तसे पाणे हणइ, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ अन्नयरंपि तसं पाणं हणइ नोअन्नयरेवि तसे पाणे हणइ ? गोयमा! तस्स णं एवं भवइ एवं खलु अहं एगं अन्नयरं तसं पाणं हणामि से णं एग अन्नयरं तसं पाणं हणमाणे अणेगे जीवे हणइ, से तेणटेणं गोयमा ! तं चेव, एए सव्वेवि एक्कगमा । पुरिसे णं भंते । इसि हणमाणे कि इसिं हणइ नोइसिं हणइ ? गोयमा ! इसिपि हणइ नोइसिंपि हणइ, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव नोइसिपि हणइ ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ एवं खलु अहं एगं इसिं हणामि, से ण एगं इसि हणमाणे अणंते जीवे हणइ, से तेणद्वेणं निक्खेवओ। पुरिसे णं भंते ! पुरिसं हणमाणे किं पुरिसवेरेणं पुढे नोपुरिसवेरेणं पुढे ? गोयमा ! नियमा ताव पुरिसवेरेणं पुढे, अहवा पुरिसवेरेण य णोपुरिसवेरेण य पुढे अहवा पुरिसवेरेण य नोपुरिसवेरेहि य पुढे, एवं आसं एवं जाव चिल्ललगं जाव अहवा चिल्ललगवेरेण यणोचिल्ललगवेरेहि य पुढे, पुरिसे गंभंते ! इसि हणमाणे कि इसिवेरेणं पुढे नोइसिवेरेणं पुढे ? गोयमा ! नियमा इसिवेरेण य नोइसिवेरेहि य पुढे॥३९०॥ पुढविकाइया णं भंते ! पुढविकाइयं चेव आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा ? हंता गोयमा ! पुढविकाइया पुढविक्काइयं चेव आणमंति वा जाव नीससंति वा । पुढविक्काइया णं भंते ! आउक्काइयं आणमंति वा जाव नीससंति वा ? हंता गोयमा ! पुढविक्काइया आउक्काइयं आणमंति वा जाव नीससंति वा, एवं तेउकाइयं वाउकाइयं एवं वणस्सइकाइयं । आउक्काइया णं भंते ! पुढविक्काइयं आणमंति वा पाणमंति वा० ? एवं चेव, आउकाइया णं भंते ! आउक्काइयं चेव आणमंति वा० ? एवं चेव, एवं तेउवाउवणस्सइ. काइयं । तेउकाइया णं भंते । पुढविक्काइयं आणमंति वा० ? एवं जाव वणस्सइकाइया णं भंते ! वणस्सइकाइयं चेव आणमंति वा०८ तहेव । पुढविक्काइए णं भंते ! पुढविकाइयं चेव आणममाणे वा पाणममाणे वा ऊससमाणे वा नीससमाणे वा कइकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए, पुढविक्काइए णं भंते । आउ• काइय आणममाणे वा०? एवं चेव, एवं जाव वणस्सइकाइयं, एवं आउकाइएणवि सव्वे भाणियव्वा, एवं तेउक्काइएणवि, एवं वाउकाइएणवि, जाव वणस्सइकाइए णं भत। वणस्सइकाइयं चेव आणममाणे वा० ? पुच्छा, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउ किरिए सिय पंचकिरिए ॥३९१॥ वाउकाइए णं भंते ! रुक्खस्स मूलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कइकिरिए ? गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए। एवं कंदं एवं जाव मूलं, बीयं पचाळेमाणे वा० पुच्छा, गोयमा ! सिय तिकिरिए Page #665 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १० उ० १ ] ६१३ सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए । सेवं भंते । सेवं भंते ! ति ॥ ३९२ ॥ नवमसर चउत्तीसमो उद्देसो समत्तो ॥ नवमं सयं समत्तं ॥ गाहा—-दिसि १ संवुडअणगारे २ आइड्ढी ३ सामहत्थि ४ देवि ५ सभा ६ । उत्तरअंतरदीवा २८ दसमंमि सयंमि चोत्तीसा ॥ ३४ ॥ रायगिहे जाव एवं व्यासीकिमियं भंते! पाईणति पञ्चइ ? गोयमा ! जीवा चेव अजीवा चेव, किमियं भंते ! पडीणत्ति पच्चइ ? गोयमा । एवं चेव, एवं दाहिणा, एवं उदीणा, एवं उड्ढा, एवं अहोवि । कइ णं भंते । दिसाओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! दस दिसाओ पण्णत्ताओ, तंजहा - पुरच्छिमा १ पुरच्छिमदाहिणा २ दाहिणा ३ दाहिणपच्चत्थिमा ४ पच्चत्थिमा ५ पच्चत्थिमुत्तरा ६ उत्तरा ७ उत्तरपुरच्छिमा ८ उड्ढा ९ अहो १० । एयासि णं भंते! दसहं दिसणं कड़ णामधेज्जा पण्णत्ता ? गोयमा ! दस नामधेजा पण्णत्ता, तंजहा - इंदा १ अग्गेई २ जमा य ३ नेरई ४ वारुणी य ५ वायव्वा ६, सोमा ७ ईसाणी य ८ विमला य ९ तमा य १० बोद्धव्वा । इंदा णं भंते ! दिसा किं जीवा जीवदेसा जीवपएसा अजीवा अजीव देसा अजीवपएसा ? गोयमा ! जीवावि ३ तं चेव जाव अजीव एसावि, जे जीवा ते नियमा एगिंदिया बेइंदिया जाव पंचिंदिया अणिदिया, जे जीवदेसा ते नियमा एगिंदियदेसा जाव अनिंदियदेसा, जे जीवपएसा ते नियमा एगिंदियपएसा बेइंदियपएसा जाव अनिंदियपएसा, जे अजीवा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा - रुवी अजीवा य अरुवी अजीवा य, जे रुवी अजीवा ते चउव्विहा पन्नत्ता, तंजा - खंधा १ खंदेसा २ खंधपएसा ३ परमाणुपोग्गला ४, जे अरुवी अजीवा ते सत्तविहा पत्ता, तंजहा - नोधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मत्थिकायस्स पएसा, नोअधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसे, अधम्मत्थिकायस्स पएसा, नोआगासत्थिकाए आगासत्थिकायस्स देसे, आगासत्थिकायस्स पएसा, अद्धासमए ॥ अग्गेई णं भंते ! दिसा किं जीवा जीवदेसा जीवपएसा० ? पुच्छा, गोयमा ! णोजीवा जीवदेसावि १ जीवपएसाबि २ अजीवावि १ अजीवदेसावि २ अजीवपएसावि ३, जे जीवदेसा ते नियमा एगिंदियदेसा अहवा एगिंदियदेसा य बेइंदि - यस्स देसे १ अहवा एगिदियदेसा य वेइंदियस्स देसा २ अहवा एगिंदियदेसा य बेइंदियाण य देसा ३ अहवा एगिंदियदेसा तेइंदियस्स देसे एवं चेव तियभंगो भाणियचो एवं जाव अणिदियाणं तियभंगो, जे जीवपएसा ते नियमा एगिंदियपएसा अहवा एगिदियपएसा य बेइंदियस्स पएसा अहवा एगिदियपएसा य बेइंदियाण य पएसा एवं आइलविरहिओ जाव अनिंदियाणं, जे अजीवा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा - रुवी अजीवा य अरूवी अजीवा य, जे रूवी अजीवा ते चउव्विहा सुत्तागमे P 1 Page #666 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१४ सुत्तागमे [भगवई पन्नत्ता, तंजहा-खंधा जाव परमाणुपोग्गला ४, जे अस्वी अजीवा ते सत्तविहा पन्नत्ता, तंजहा-नोधम्मत्थिकाए धम्मत्यिकायस्स देसे धम्मत्यिकायस्स पएसा एव अधम्मत्यिकायस्सवि जाव आगासत्यिकायस्स पएसा अद्धासमए । विदिसामु नत्यि जीवा देसे भंगो य होइ सव्वत्थ । जमा णं भंते ! दिसा किं जीवा० ? जहा इंदा तहेव निरवसेसा, नेरई य जहा अग्गेई, वारुणी जहा इंदा, वायव्वा जहा अग्गेई, सोमा जहा इंदा, ईसाणी जहा अग्गेई, विमलाए जीवा जहा अग्गेई, अजीचा जहा इंदा, एवं तमाएवि, नवरं अरूवी छव्विहा अद्धासमओ न भन्नइ ॥ ३९३ ॥ कइ णं भंते ! सरीरा पन्नत्ता ? गोयमा! पंच सरीरा पन्नत्ता, तंजहा-ओरालिए जाव कम्मए । ओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? एवं ओगाहणसंठाणं निरवसेसं भाणियव्वं जाव अप्पावहुगंति । सेवं भंते ! सेवं भंते । ति ॥ ३९४ ॥ दसमे सए पढमो उद्देसो समत्तो॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स वीइपंथे ठिचा पुरओ रूवाइं निज्झायमाणस्स मग्गओ रूवाइं अवयक्खमाणस्स पासओ रूवाई अवलोएमाणस्स उई रूवाइं ओलोएमाणस्स अहे रूवाई आलोएमाणस्स तस्स णं भंते ! किं इरियावहिया किरिया कजइ संपराइया किरिया कजइ ? गोयमा ! संवुडस्स णं अणगारस्स वीइपंथे ठिच्चा जाव तस्स णं णो इरियावहिया किरिया कज्जइ संपराइया किरिया कजइ, से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ संवुडस्स जाव संपराइया किरिया कन्जइ ? गोयमा ! जस्स णं कोहमाणमायालोभा एवं जहा सत्तमसए पढमोद्देसए जाव से णं उस्सुत्तमेव रीयइ, से तेणढेणं जाव संपराइया किरिया कजइ । संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स अवीइपंथे ठिचा पुरओ रूवाइं निज्झायमाणस्स जाव तस्स णं भंते ! किं इरियावहिया किरिया कज्जइ० ? पुच्छा, गोयमा ! संवुड० जाव तस्स गं इरियावहिया किरिया कजइ नो संपराइया किरिया कज्जइ, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जहा सत्तमे सए पढमोद्देसए जाव से णं अहासुत्तमेव रीयइ से तेणटेणं जाव नो संपराइया किरिया कजइ ॥ ३९५ ॥ कइविहा णं भंते ! जोणी प०? गोयमा ! तिविहा जोणी प०, तंजहा-सीया उसिणा सीओसिणा, एवं जोणीपयं निरवसेसं भाणियव्वं ॥ ३९६ ॥ कइविहा णं भंते ! वेयणा प० ? गोयमा । तिविहा वेयणा प०, तंजहा-सीया उसिणा सीओसिणा, एवं वेयणापयं निरवसेसं भाणियव्वं जाव नेरइया णं भंते ! किं दुक्खं वेयणं वेदेति सुहं वेयणं वेयंति अदुक्खमसुहं वेयणं वेयंति? गोयमा! दुक्खंपि वेयणं वेयंति सुहपि वेयणं वेयंति अदुक्खमसुहंपि वेयणं वेयंति ॥ ३९७ ॥ मासियण्णं भंते । भिक्खुपडिम पडिवन्नस्स अणगारस्स Page #667 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १० उ० ३] सुत्तागमे निचं वोसट्टकाए चियत्तदेहे, एवं मासिया भिक्खुपडिमा निरवसेसा भाणियव्वा [जहा दसाहिं ] जाव आराहिया भवइ ।। ३९८ ॥ भिक्खू य अन्नयर अकिच्चट्ठाणं पडिसेवित्ता से णं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडितते कालं करेइ नत्थि तस्स आराहणा, से णं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिक्वंते कालं करेइ अस्थि तस्स आराहणा, भिक्खू य अन्नयरं अकिञ्चट्ठाणं पडिसेवित्ता तरस णं एवं भवइ पच्छावि णं अहं च(रि)रमकालसमयंति एयस्स ठाणस्स आलोएस्सामि जाव पडिवज्जिस्सामि, से णं तस्स ठाणस्स अणालोझ्यपडिइंते जाव नत्थि तस्स आराहणा, से णं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिक्वंते कालं करेइ अस्थि तस्स अराहणा, भिक्खू य अन्नयरं अकिञ्चट्ठाणं पडिसेवित्ता तस्स णं एवं भवइ-जइ ताव समणोवासगावि कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेनु देवलोए देवत्ताए उववत्तारो भवंति किमंग पुण अहं अन्नपन्नियदेवत्तणंपि नो लभिस्सामित्ति कट्ट सेणं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिते,कालं करेइ नत्थि तस्स आराहणा, से णं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिकंते कालं करेइ अस्थि तस्स आराहणा। सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ३९९ ॥ दसमसयस्स वीओ उद्देसो समत्तो॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-आइवीए णं भंते ! देवे जाव चत्तारि पंच देवावासंतराइं वीइते तेण परं परिड्डीए ? हंता गोयमा! आइड्डीए णं तं चेव, एवं असुरकुमारेवि, नवरं असुरकुमारावासंतराई सेसं तं चेव, एवं एएणं कमेणं जाव थणियकुमारे, एवं वाणमंतरजोइसियवेमाणिए जाव तेण परं परिडीए । अप्पिड्किए णं भंते ! देवे से महिड्डियस्स देवस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएजा ? गोयमा ! णो इणढे समटे । समिडिए णं भंते ! देवे समिड्ढियस्स देवस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा ? णो इणढे . समढे, पमत्तं पुण वीइवएज्जा, से णं भंते ! कि विमोहित्ता पभू अविमोहित्ता पभू ? गायमा ! विमोहेत्ता पभू नो अविमोहेत्ता पभू । से भंते ! किं पुचि विमोहेत्ता पच्छा वीइवएज्जा पुचि वीइवएत्ता पच्छा विमोहेज्जा ? गोयमा ! पुट्विं विमोहेत्ता पच्छा वीइवएज्जा णो पुचि वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा । महिड्डिए णं भंते ! देवे आप्पट्टियस्स देवस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएजा ? हंता वीइवएज्जा, से णं भंते ! कि विमाहित्ता पभू अविमोहेत्ता पभू ? गोयमा ! विमोहेत्तावि पभू अविमोहेत्तावि पभू , स भत! कि पुट्विं विमोहेत्ता पच्छा वीइवइजा पुनि वीइवइत्ता पच्छा विमोहेजा ? गायमा ! पुट्विं वा विमोहेत्ता पच्छा वीइवएना पुवि वा वीइवएत्ता पच्छा विमोहज्जा । अप्पिडिए णं भंते ! असुरकुमारे महिड्डियस्स असुरकुमारस्स मज्झंमज्झेणं वाइवएज्जा ? णो इणढे समढे, एवं असुरकुमारेणवि तिन्नि आलावगा भाणियव्वा जहा ओहिएणं देवेणं भणिया, एवं जाव थणियकुमा(रा)रेणं, वाणमंतरजोइसियवेमाणिएण Page #668 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई एवं चेव । अप्पिडिए णं भंते ! देवे महिड्डियाए देवीए मअंमज्झेणं वीइवएज्जा ? णो इणढे समढे, समिड्डिए णं भंते ! देवे समिड्डियाए देवीए मज्जमज्झेणं ०; एवं तहेव देवेण य देवी(ण)ए य दंडओ भाणियब्बो जाव वेमाणि (या)ए । अप्पिड्डिया णं भंते । देवी महिड्डियस्स देवस्स मज्झंमज्झेणं एवं एसोवि तइओ दंडओ भाणियव्यो जाव महिड्डिया वेमाणिणी अप्पिड्डियस्स वेमाणियरस मज्जंमज्झेणं वीइवएज्जा ? हता वीइवएज्जा । अप्पिड्डिया णं भंते । देवी महिड्डियाए देवीए मज्झमज्झेणं वीइवएजा? णो इणढे समढे, एवं समिडिया देवी समिड्डियाए देवीए तहेव, महिलियावि देवी अप्पिड्डियाए देवीए तहेव, एवं एक्नेक्ने तिन्नि २ आलावगा भाणियव्वा जाव महिड्डिया णं भंते ! वेमाणिणी अप्पिड्डियाए वेमाणिणीए मज्झंमज्झेणं बीइवएजा ? हंता वीइवएज्जा, सा भंते ! किं विमोहित्ता पभू तहेव जाव पुचि वा वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा एए चत्तारि दंडगा ॥ ४०० ॥ आसस्स णं भंते! धावमाणस्स किं खुखुत्ति करेइ ? गोयमा । आसस्स णं धावमाणस्स हिययस्स य जगयस्स य अंतरा एत्थ णं क(क)ब्बडए नाम वाए संमुच्छइ जे णं आसस्स धावमाणस्स खुखुत्ति करेइ ॥ ४०१॥ अह भंते ! आसइस्सामो सइस्सामो चिहिस्सामो निसीइस्सामो तुयट्टिस्सामो, आमंतणि आणवणी जायणी तह पुच्छणी य पण्णवणी । पच्चवखाणी भासा भासा इच्छाणुलोमा य ॥१॥ अणभिग्गहिया भासा भासा य अभिग्गहमि वोद्धव्वा । संसयकरणी भासा वोयडमव्वोयडा चेव ॥ २ ॥ पन्नवणी णं एसा भासा न एसा भासा मोसा ? हंता गोयमा ! आसइस्सामो तं चेव जाव न एसा भासा मोसा । सेवं भंते । सेवं भंते ! त्ति ॥४०२॥ दसमे सए तइयो उद्देसो समत्तो॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नामं नयरे होत्था वन्नओ, दूइपलासए उज्जाणे, सामी समोसढे जाव परिसा पडिगया । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूई नाम अणगारे जाव उजाणू जाव विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी सामहत्थी नामं अणगारे पगइभद्दए जहा रोहे जाव उर्दूजाणू जाव विहरइ, तए णं से सामहत्थी अणगारे जायसड्ढे जाव उठाए उद्वेत्ता जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता भगवं गोयमं तिक्खुत्तो जाव पजवासमाणे एवं वयासी-अत्थि णं भंते ! चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो तायत्तीसगा देवा: हंता अत्थि, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो तायत्तीसगा देवा २ ? एवं खलु सामहत्थी। तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे कायंदी नामं नयरी होत्था वन्नओ, तत्थ णं कायंदीए नय Page #669 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १० उ०४] सुत्तागमे रीए तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा परिवसन्ति अड्डा जाव अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुण्णपावा जाव विहरन्ति, तए णं ते तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा पुचि उग्गा उग्गविहारी संविग्गा संविग्गविहारी भवित्ता तओ · पच्छा पासत्था पासत्थविहारी ओसन्ना ओसन्नविहारी कुसीला कुसीलविहारी अहाछंदा अहाँछंदविहारी बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणंति २ त्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेंति अत्ताणं झूसेत्ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेति २त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकंता कालमासे कालं किच्चा चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो तायत्तीसगदेवत्ताए उववन्ना, जप्पभिई च णं भंते । कायंदगा तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररन्नो तायत्तीसगदेवत्ताए उववन्ना तप्पभिइं च णं भंते । एवं बुच्चइ चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो तायत्तीसगा देवा २ ? (तत्थ)तए थे भगवं गोयमे सामहत्थिणा अणगारेणं एवं वुत्ते समाणे संकिए कंखिए वितिगिच्छिए उठाए उठेइ उठाए उठूत्ता सामहस्थिणा अणगारेणं सद्धिं जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासीअत्थि णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो तायत्तीसगा देवा २? हंता अत्थि, से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चइ ? एवं तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव तप्पभिई च णं एवं वुच्चइ चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररन्नो तायत्तीसगा देवा २ ? णो इणहे समटे, एवं खलु गोयमा ! चमरस्स णं असुरिदस्स असुरकुमाररन्नो तायत्तीसगाणं देवाणं सासए नामधेजे पण्णत्ते, जं न कयाइ नासी न कयाइ न भवइ ण कयाइ ण भावस्सइ जाच निचे अव्वोच्छित्तिनयट्ठयाए अन्ने चयति अन्ने उववज्जति । अत्थि णं भत ! बलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयणरन्नो तायत्तीसगा देवा २ ? हंता अत्थि, से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ बलिस्स वइरोयणिंदस्स जाव तायत्तीसगा देवा २ ? एवं खलु गोयमा । तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे विभेले णाम संनिवेसे होत्था वन्नओ, तत्थं णं विभेले संनिवेसे जहा चमरस्स जाव उववन्ना, जप्पभिई च णं भंते ! ते विभेलगा तायत्तीसं सहीया गाहावई समणोवासगा वलिस्स वइरोयणिदस्स सेसं तं चेव जाव निच्चे अव्वोच्छित्तिणयट्ठयाए अन्ने चयति अन्ने उववज्जति । अत्थि ण भंते ! धरणस्स णागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो तायत्तीसगा देवा २ ? हंता अत्थि, से केणटेणं जाव तायत्तीसगा देवा २ ? गोयमा ! धरणस्स नागकुमारिंदस्स नांगकुमाररन्नो तायत्तीसगाणं देवाणं सासए नामधेजे पन्नत्ते ज न कयाइ नासी जाव अन्ने चयंति अन्ने उववजंति, एवं भूयाणंदस्सवि, Page #670 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१८ सुत्तागमे [ भगवई एवं जाव महाघोसस्स । अस्थि णं भंते ! सक्करस देविंदस्स देवरन्नो० पुच्छा, हंता अत्थि, से केणट्टेणं भंते ! जाव तायत्तीसगा देवा २ ? एवं खलु गोयमा ! तेगं कालेग तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पालासए (बालाए) नामं संनिवेसे होत्या वन्नओ, तत्थ णं पालासए सन्निवेसे तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा जहा चमरस्स जाव विहरंति, तए णं ते तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा पुत्रिपि पच्छावि उग्गा उग्गविहारी संविग्गा संविग्गविहारी बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणति पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झुसेन्ति इतित्ता सहिं भत्ताई अणसणाए छेदेंति २ त्ता आलोइयपडिता समाहिपत्ता कालमासे कालं किया जाव उववन्ना, जप्पभिईं च णं भंते । पालासिगा तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा सेसं जहा चमरस्स जाव अण्णे उववज्जंति । अस्थि णं भंते ! ईसाणस्स ३ एवं जहा सक्कस्स नवरं चंपाए नयरीए जाव उववन्ना, जप्पभिरं च णं भंते ! चंपिज्जा तायत्तीसं सहाया• सेसं तं चेव जाव अन्ने उववज्जंति । अस्थि णं भंत ! सणकुमारस्स देविंदस्स देवरन्नो० पुच्छा, हंता अत्थि, से केणट्टेणं जहा धरणस्स तहेव एवं जाव प्राणयस्स एवं अच्चुयस्स जाव अन्ने उववज्जंति । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ४०३ ॥ दसमस्स सयस्स चउत्थो उद्देसओ समत्तो ॥ ते कोलेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे गुणसिलए उज्जाणे जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स वहवे अतेवासी थेरा भगवंतो जाइसंपन्ना जहा अट्टमे सए सत्तमुद्देसए जाव विहरंति । तए णं ते थेरा भगवंतो जायसड्ढा जाव संसया जहा गोयमसामी जाव पज्जुवासमाणा एवं वयासी - चमरस्त णं भंते! असुरिंदस्स असुरकुमाररनो कइ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ ? अजो ! पंच अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा - काली राई रयणी विजू मेहा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए अट्ठट्ठ देविसहस्सा परिवारो पन्नत्तो, पभू णं भंते ! ताओ एगमेगा देवी अन्नाईं अट्ठट्ठदेवी सहस्साईं परि (या) वारं विव्वित्तए ? एवामेव सपुव्वावरेणं चत्तालीसं देवीसहस्सा, से त्तं तुडिए, पभू णं भंते । चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सहम्माए चमरंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धि दिव्वाइं भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए ? नो इणट्ठे समट्ठे । पभू णं अज्जो ! चमरे असुरिदे असुरकुमारराया चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहास - णंसि चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीहिं तायत्तीसाए जाव अन्नेहिं च बहूहिं असुरकुमारेहिं देवेहि य देवीहि य सद्धिं संपरिवुड़े महयाहय जाव भुंजमाणे विहरित्तए० केवलं परियारिड्ढीए नो चेव णं, मेहुणवत्तियं ॥ ४०४ ॥ चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुर / Page #671 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० १० उ० ५] सुत्तागमे ६१९ कुमाररन्नो सोमस्स महारन्नो कइ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ ? अजो! चत्तारि अग्गमहिंसीओ पन्नत्ताओ, तंज़हा-कणंगा कणगलया चित्तगुत्ता वसुंधरा, तत्थं णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देविसहस्सं परिवारो पन्नत्तो, पभू णं ताओ एगमेगा(ए) देवी(ए) अन्नं एगमेगं देविसहस्सं परियारं विउवित्तए, एवामेव सपुव्वावरेणं चत्तारि देविसहस्सा, सेत्तं तुडिए, पभू णं भंते । चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररन्नो सोमे महाराया सोमाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए सोमंसि सीहासणंसि तुडिएणं अवसेसं जहा चमरस्स, नवरं परियारो जहा सूरियाभस्स, सेसं तं चेव, जाव णो चेव णं मेहुणवत्तियं । चमरस्स णे भंते । जाव रन्नो जमस्स महारन्नो कइ अग्गमहिसीओ ? एवं चेव नवरं जमाए रायहाणीए सेसं जहा सोमस्स, एवं वरुणस्सवि, नवरं वरुणाए रायहाणीए, एवं वेसमणस्सवि नवरं वेसमणाए रायहाणीए सेसं तं चेव जाव मेहुणवत्तियं । वलिस्स णं भंते ! वइरोयणिदस्स पुच्छा, अजो! पंच अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-सुभा निसुंभा रंभा निरंभा मयणा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए अट्ट सेसं जहा चमरस्स, नवरं बलिचंचाए रायहाणीए परिया(वा)रो जहा मोउद्देसए; सेसं तं चेव जाव मेहुणवत्तियं । वलिस्स णं भंते ! वइरोयणिदस्स वइरोयपरन्नो सोमस्स महारन्नो कइ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ? अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-मीणगा सुभद्दा वि(जु)जया असणी, तत्थ णं एगमेगाए देवीए सेसं जहा चमर(सोम)स्स, एवं जाव वेसमणस्स ॥ धरणस्स गं भंते ! नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो कइ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ ? अज्जो!छ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-इ(अ)ला सु(स)का स(ते)दारा सोयामणी इंदा घणविजया,तत्थ णं एगमेगाए देवीए छ छ देविसहस्सा परिवारो पन्नत्तो, पभू णं भंते ! ताओ एगमेगा(ए) देवी(ए) अन्नाई छ छ देविसहस्साइं परियार विउवित्तए एवामेव सपुन्वावरेणं छत्तीसं देविसहस्साई, सेत्तं तुडिए । पभू णं भंते ! धरणे सेसं तं चेव, नवरं धरणाए रायहाणीए धरणंसि सीहासणंसि सओ परिवारो सेसं तं चेव । धरणस्स णं भंते ! नागकुमारिदस्स कालवालस्स लोगवालस्स महारन्नो कइ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ? अजो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-असोगा विमला सुप्पभा सुदंसणा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए अवसेसं जहा चमरस्स लोगपालाणं, एवं सेसाणं तिण्हवि । भूयाणदस्स णं भंते ! पुच्छा, अज्जो 1-छ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-रूया रूयंसा सुरूया रु(रू)यगावई रुयकता रुयप्पभा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए अवसेसं जहा धरणस्स, भूयाणंदस्स णं भंते ! नागकुमारस्स वि(चि)त्तस्स पुच्छा, अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तंजहा-सुणंदा सुभद्दा सुजाया सुमणा, तत्थ णं एगमेगाए Page #672 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई देवीए अवसेसं जहा चमरलोगपालाणं एवं सेसागं तिण्हवि लोगपालाणं, जे दाहिणिलाणिदा तेसि जहा धरणिंदस्स, लोगपालाणंपि तेसिं जहा धरणम्स लोगपालाणं, उत्तरिल्लाणं इंदाणं जहा भूयाणंदरस, लोगपालाणवि तेसिं जहा भयाणंदस्रा लोगपालाणं, नवरं इंदाणं सव्वेसि रायहाणीओ सीहासणाणि य सरिसणामगाणि, परिवारो जहा तइयसए पढमे उद्देसए, लोगपालाणं सव्वेसिं रायहाणीओ सीहाराणाणि व सरिसनामगाणि, परिवारो जहा चमरस्स लोगपालाणं । कालस्स णं भंते । पिसाइदस्स पिसायरनो कइ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ ? अजो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पनत्ताओ, तंजहा- कमला कमलप्पभा उप्पला सुदंसणा, तत्थ णे एगभेगाए देवीए एगमेगं देविसहस्तं सेसं जहा चमरलोगपालाणं, परिवारो तहेव, नवरं कालाए रायहाणीए कालंसि सीहासणंसि, सेसं तं चेव, एवं महाकालस्तवि । नुवस्स णं भंते । भूइँदस्स भूयरन्नो पुच्छा, अजो । चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहारूववई बहुरूवा सुरूवा सुभगा, तत्य णं एगमेगा (ए) सेसं जहा कालस्स, एवं पडि - स्वस्सवि । पुन्नभद्दस्स णं भंते । जक्खिदस्स पुच्छा, अजो ! चत्तारि अग्गमहितीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-पुन्ना बहुपुत्तिया उत्तमा तारया, तत्थ णं एगमेगाए सेसं जहा कालस्स, एवं माणिभद्दस्सवि । भीमस्स णं भंते । रक्खसिंदस्स पुच्छा, अजो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा - परमा पउमावई कणगा रयणप्पभा, तत्थ ६२० एगमेगा देवी सेसं जहा कालस्स । एवं महाभीमस्सवि । किन्नरस्स णं भंते ! पुच्छा, अजो । चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा - वडेंसा के मई रइसेणा रइप्पिया, तत्थ णं सेसं तं चेव, एवं किंपुरिसस्सवि । स (सु) प्पुरिसस्स णं पुच्छा, अज्जो 1 चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा - रोहिणी नवमिया हिरी पुप्फवई, तत्थ णं एगमेगा देवी सेसं तं चेव, एवं महापुरिसस्सवि । अइकायस्स णं पुच्छा, अज्जो । चत्तारि अग्गमहिसीओ प०, तंजहा - भु (य) यंगा भुयंगवई महाकच्छा फुडा, तत्थ णं०, सेसं तं चेव, एवं महाकायस्सवि । गीयरइस्स णं भंते ! पुच्छा, अजो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ प०, तंजहा - सुघोसा विमला सुस्सरा सरस्सई, तत्य णं०, सेसं तं चेव, एवं गीयजसस्सवि, सव्वेसिं एएसि जहा कालस्स, नवरं सरिसना (मगा) मियाओ रायहाणीओ सीहासणाणि य, सेस तं चेव । चंदस्स णं भंते! जोइसिदस्स जोइसरन्नो पुच्छा, अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा - चंदप्पभा दोसिणाभा अचिमाली पभंकरा, एवं जहा जीवाभिगमे जोइसियउद्देसए तहेव, सूरस्सवि सूरप्पभा आ (इचा)यवाभा अच्चिमाली पर्यंकरा, सेसं तं चेव, जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं । इंगालस्स णं भंते ! महग्गहस्स कइ अग्गमहिसीओ पुच्छा, अजो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ Page #673 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १० उ० ६ ] सुत्तागमे ६२१ पन्नत्ताओ, तंजहा - विजया वेजयंती जयंती अपराजिया, तत्थ णं एग़मेगाए देवीए सेसं तं चेव जहा चंदस्स, नवरं इंगालवडेंसए विमाणे इंगालगंसि सीहासणंसि सेसं तं चेव, एवं वियालगस्सवि, एवं अट्ठासी (ई) एवि महागहाणं भाणियव्वं - जाव भावकेउस्स, नवरं वडेसगा सीहासणाणि य सरिसनामगाणि, सेसं तं चेव । सक्क णं भंते! देविंदस्स देवरन्नो पुच्छा, अजो ! अट्ठ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहापउमा सिवा से (वा) या अंजू अमला अच्छरा नवमिया रोहिणी, तत्थं णं एगमेगाए देवीए सोलस, सोलस देविसहस्सा परिवारो पन्नत्तो, पभू णं ताओ एगमेगा देवी अन्नाई सोलस २ देविसहस्स परियारं विउव्वित्तए, एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठावीसुत्तरं देविसयसहस्सं परियारं विउव्वित्तए, सेत्तं तुडिए । पभू णं भंते! सक्ने देविदे देवराया सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेसए विमाणे सभाए सुहम्माए सक्कसि सीहास - णंसि तुडिएणं सद्धिं सेसं जहां चमरस्स नवरं परिवारो जहा मोउद्देसए । सक्कस्स णं भंते! देविदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो कइ अग्गमहिसीओ पुच्छा, अजो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा - रोहिणी मयणा चित्ता सोमा, तत्थ णं एगमेगा॰ सेसं जहा चमरलोगपालाणं, नवरं सयंपभे विमाणे सभाए सुहम्माए सोमंसि सीहासणंसि, सेसं तं चेव, एवं जाव वेसमणस्स, नवरं विमाणाईं जहा तइयसए । ईसाणस्स णं भंते ! पुच्छा, अज्जो । अट्ठ अग्गमहिसीओ प०, तंजहा - कण्हा कण्हराई रामा रामरक्खिया वसू वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा, तत्थ णं एगमेगाए० सेसं जहा सक्क्स्स । ईसाणस्स णं भंते ! देविदस्त देवरण्गो, सोमस्स महारण्णो कइ अग्गमहिसीओ पुच्छा, अज्जो । चत्तारि अग्गमहिसीओ प०, तंजहा - पुढवी राई रयणी विज्जू, तत्थ णं०, सेसं जहा सक्क्स्स लोगपालाणं, एवं जाव वरुणस्स, नवरं विमाणा जहा चउत्थसए, सेसं तं चैव, जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं । सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ ॥४०५॥ दसमसर पंचमो उद्देसो समत्तो ॥ क्रहि णं भंते! सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो सभा सुहम्मा पन्नत्ता ? गोयमा ! जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एवं जहा रायप्पसेणइज्जे जांव पंच वडेंसगा पन्नत्ता, तंजहा - असोगवडेंसए जाव मज्झे सोहम्मवडेंसए, से णं सोहम्मवडेंसए महाविमाणे अद्धतेरस जोयणसयसहस्साइं आयामविक्खंमेणं, एवं जह सूरियाभे तहेब माणं तहेब उबवाओ । सक्कस्स य अभिसेओ तहेव जह सूरियाभस्स ॥ १ ॥ अलंकारो तहेव जाव आयरक्खदेवत्ति, दो सागरोवमाई ठिई। सक्के णं भंते ! देविदे देवराया केमहिडिए जाव केम (हेस) हासोक्खे ? ग़ोयमा ! महिडिए जाव महासोक्खे, से णं तत्थ बत्तीसार विमाणावाससयसहस्ताणं Page #674 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ६२२ जाव विहरइ, एवंमहिड्डिए जाव महासोक्खे सक्ने देविदे देवराया । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥४०६॥ दसमसए छट्ठो उद्देसो समत्तो॥ ___ कहिन्नं भंते । उत्तरिल्लाणं एगोख्यमणुस्साणं एगोरुयदीवे नाम दीवे पन्नत्ते? एवं जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं जाव सुद्धदंतदीवोत्ति, एए अट्ठावीसं उद्देसगा भाणियव्वा । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरइ ॥ ४०७ ॥ दसमसए चउत्तीसइमो उद्देसो समत्तो॥ दस सयं समत्तं ॥ ___ उप्पल १ सालु २ पलासे ३ कुंभी ४ नाली य ५ पउम ६ कन्नी ७ य । नलिण ८ सिव ९ लोग १० काला ११ लंभिय १२ दस दो य एकारे ॥ १॥ उववाओ १ परिमाणं २ अवहारु ३ चत्त ४ बंध ५ वेए ६ य । उदए ७ उदीरणाए ८ लेसा ९ दिट्ठी १० य नाणे ११ य ॥ १॥ जोगु १२ वओगे १३ वन्न १४ ररामाई १५ ऊसासगे १६ य आहारे १७ । विरई १८ किरिया १९ बंधे २० सन्न २१ कसायि २२ त्थि २३ वंधे २४ य ॥ २ ॥ सन्निं २५ दिय २६ अणुबंधे २७ संवेहा २८ हार २९ ठिइ ३० समुग्घाए ३१ । चयणं ३२ मूलाईसु य उववाओ ३३ सव्वजीवाणं ॥ ३॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव पजुवासमाणे एवं वयासी-उप्पले णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे अणेगजीवे ? गोयमा ! एगजीवे नो अणेगजीवे, तेण परं जे अन्ने जीवा उववजति ते णं णो एगजीवा अणेगजीवा। ते णं भंते । जीवा कओहिंतो उववजति किं नेरइएहितो उववजंति तिरिक्खमणुस्सदेवेहिंतो उववनंति ? गोयमा ! नो नेरइएहिंतो उचवज्जति तिरिक्खजोणिएहितोवि उववजन्ति मणुस्सेहिंतोवि उववजति देवेहितोवि उववनंति, एवं उववाओ भाणियन्वो जहा वकंतीए वणस्सइकाइयाणं जाव ईसाणेत्ति १। तेण भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जति ? गोयमा! जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं सखेजा वा असंखेजा वा उववज्जति २। ते णं भंते ! जीवा समए २ अवहीरमाणा २ केवइयकालेणं अवहीरंति ? गोयमा! ते णं असंखेजा समए २ अवहीरमाणा २ असंखेजाहिं उस्सप्पिणिओसप्पिणीहि अवहीरति नो चेव णं अवहिया सिया ३ । तेसिण भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता? गोयमा! जहनेणं अगुलस्स असंखेजहभागं उक्नोसेणं साइरेगं जोयणसहस्सं ४ । तेणं भंते ! जीवा णाणावरणिजस्स कम्मस्स किं बंधगा अवंधगा ? गोयमा! नो अबंधगा बंधए वा वंधगा वा एवं जाव अंतराइयस्स, नवरं आउयस्स पुच्छा, गोयमा! बंधए वा अवंधए वा बंधगा वा अवंधगा चा अहवा बंधए य अवंधए य अहवा वंधए य अवंधगाय अहवा बंधगा य अवंधए य अहवा बंधगा य अबंधगा य ८ एए अट्ठ Page #675 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ११ उ० १] सुत्तागमे ६२३ भंगा ५। ते णं भंते ! जीवा णाणावरणिजस्स कम्मस्स किं वेयगा अवेयगा? गोयमा! नो अवेयगा वेदए वा वेयगा वा एवं जाव अंतराइयस्स, ते णं भंते ! जीवा किं सायावेयगा असायावेयगा? गोयमा ! सायावेयए वा असायावेयए वा अट्ठ भंगा ६ । ते णं भंते ! जीवा णाणावरणिजस्स कम्मस्स किं उदई अणुदई ? गोयमा! नो अणुदई उदई वा उदइणो वा, एवं जाव अंतराइयस्स ७ ॥ ते णं भंते ! जीवा णाणावरणिज्जस्स कम्मरस किं उदीरगा० ? गोयमा ! नो अणुदीरगा उदीरए वा उदीरगा वा, एवं जाव अंतराइयस्स, नवरं वेयणिजाउएसु अट्ठ भंगा ८। ते णं भंते ! जीवा किं कण्हलेसा नीललेसा काउलेसा तेउलेसा ? गोयमा । कण्हलेसे वा जाव तेउलेसे वा कण्हलेस्सा वा नीललेस्सा वा काउलेस्सा वा तेउलेसा वा अहवा कण्हलेसे य नीललेस्से य एवं एए दुयासंजोगतियासंजोगचउक्कसंजोगेणं असीइ भंगा भवंति ९ ॥ ते णं भंते ! जीवा किं सम्मद्दिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी ? गोयमा । नो सम्मदिट्ठी नो सम्मामिच्छादिट्ठी मिच्छादिट्ठी वा मिच्छादिहिणो वा १० । ते णं भंते । जीवा किं नाणी अन्नाणी ? गोयमा ! नो नाणी अण्णाणी वा अन्नाणिणो वा ११ । तेणं भंते ! जीवा किं मणजोगी वइजोगी कावजोगी ? गोयमा ! नो मणजोगी णो वइजोगी कायजोगी वा कायजोगिणो वा १२ । ते णं भंते ! जीवा किं सांगारोवउत्ता अणागारोवउत्ता ? गोयमा । सागारोवउत्ते वा अणागारोवउत्ते वो अट्ठ भंगा १३ । तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा कइवन्ना कइगंधा कइरसा कइफासा प० ? गोयमा । पंचवन्ना पंचरसा दुगंधा अठ्ठफासा प०, ते पुण अप्पणा अवन्ना अगंधा अरसा अफासा प० १४-१५ ॥ ते ण भते ! जीवा किं उस्सासा निस्सासा नो उस्सासनिस्सासा ? गोयमा ! उस्सासए वा १ निस्सासए वा २ नो उस्सासनिस्सासए वा ३ उस्सासगा वा ४ निस्सासगा पा ५ नो उस्सासनीसासगा वा ६, अहवा उस्सासए य निस्सासए य ४ अहवा उस्सासए य नो उस्सासनिस्सासए य ४ अहवा निस्सासए य नो उस्सासनीसासए य ४, अहवा ऊसासए य नीसासए य नो उस्सासनिस्सासए य अट्ठ भंगा, एए छव्वीस भंगा भवंति ॥१६॥ तेणं भंते ! जीवा कि आहारगा अणाहारगा ? गोयमा ! ना अणाहारगा आहारए वा अणाहारए वा एवं अट्ठ भंगा १७ । ते णं भंते । जीवा कि विरया अविरया विरयाविरया ? गोयमा ! नो विरया नो विरयाविरया अविरए . वा आवरया वा १८ । ते णं भंते ! जीवा किं सकिरिया अकिरिया ? गोयमा! नो आकरिया सकिरिए वा सकिरिया वा १९ । ते णं भंते । जीवा किं सत्तविहवंधगा अट्ठविहवंधगा? गोयमा! सत्तविहवंधए वा अट्टविहवंधए वा अट्ठ भंगा २० । ते Page #676 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२४ सुत्तागमे [भगवई णं भंते ! जीवा किं आहारसन्नोवउत्ता भयसन्नोवउत्ता मेहुणसन्नोवउत्ता परिनगहसन्नीवउत्ता ? गोयमा ! आहारसन्नोवर(त्ते)त्ता वा असीइ भंगा २१ । ते ण भंते! जीवा किं कोहकसाई माणकसाई मायाकसाई लोभकसाई ? गोयमा! कोहकलाई बा असीइ भंगा २२ । ते णं भंते ! जीवा किं इथिवेदगा पुरिसवेदगा नपुंसगवेदगा ? गोयमा ! नो इत्यिवेदगा नो पुरिसवेदगा नपुंसगवेदए वा नपुंसगवेदगा वा २३ । तेणं भंते ! जीवा कि इत्यिवेदवंधगा पुरिसवेदबंधगा नपुंसगवेदबंधगा? गोचमा ! इत्यिवेदबंधए वा पुरिसवेदबंधए वा नपुंसगवेयबंधए वा, छव्वीसं भंगा २४ । ने णं भंते । जीवा कि सन्नी असन्नी ? गोयमा! नो सन्नी असन्नी वा असन्निणो वा २५ । ते णं भंते ! जीवा कि सइंदिया अणिदिया ? गोयमा! नो अणिदिया नईदिए वा सइंदिया वा २६ । से णं भंते ! उप्पलजीवेति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेनं कालं २७ । से णं भंते ! उप्पलजीवे पुढविजीवे पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवइयं कालं सेवेजा केवइयं कालं गड़रागइं करेजा ? गोयमा ! भवादेसेणं जहन्नेण दो भवग्गहणाई उकोसेणं असंखेजाई भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नणं दो अंतोमुहुत्ता उनोसेणं असंखेनं कालं, एवडयं कालं सेवेजा एवइयं कालं गइरागई करेजा, से णं भंते ! उप्पलजीवे आउजीवे एवं चेव एवं जहा पुढविजीवे भणिए तहा जाव वाउजीवे भाणियन्वे, से णं भंते ! उप्पलजीवे से वणस्सइजीवे से पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवइयं कालं सेवेजा केवइयं कालं गइरागइं करेजा ? गोयमा ! भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्लोसेगं अणंताई भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं अगंतं कालं तरुकालं एवइयं कालं सेवेजा एवइयं कालं गइरागई करेजा, से णं भंते ! उप्पलजीवे बेइंदियजीवे पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवइयं कालं सेवेज्जा केवइयं कालं गइरागइं करेजा ? गोयमा! भवादेसेणं जहन्नेगं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं संखेनाई भवरगहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उनोसेणं संखेनं कालं एवइय कालं सेवेजा एवइयं कालं गइरागई करेजा, एवं तेइंदियजीवि, एवं चउरिंदियजीवेवि, से णं भंते ! उप्पलजीवे पंचेंदियतिरिक्खजोणियजीवे पुणरवि उप्पलजीवेत्ति पुच्छा, गोयमा ! भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्नोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुत्ताई उक्नोसेणं पुव्वकोडिपुहुत्ताइं एवइयं काल सेवेजा एवइयं कालं गइरागइं करेजा, एवं मणुस्सेणवि समं जाव एवइयं कालं गइरागई करेजा २८ | ते णं भंते ! जीवा किमाहारमाहारेंति ? गोयमा ! दव्वओ अणतपएसियाई दवाई एवं जहा आहारुद्देसए वगस्सइकाइयाणं आहारो तहेव जाव Page #677 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० ११ उ० ८] सुत्तागमे सव्वप्पणयाए आहारमाहारेति नवरं निय(म)मा छद्दिसि सेसं तं चेव-२९ । तेसि णं भंते ! जीवाणं केवइयं कालं ठिई प०? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दस वाससहस्साई ३० । तेसि णं भंते ! जीवाणं कइ समुग्घाया प०? गोयमा ! तओ समुग्घाया प०, तंजहा-वेयणासमुरघाए, कसायसमुग्घाए, मारणंतियसमुग्धाए ३१ । ते णं भंते ! जीवा मारणंतियसमुग्घाएणं कि समोहया मरति असमोहया मरंति ? गोयमा ! समोहयावि मरंति असमोहयावि मरंति ३२ । ते णं भंते ! जीवा अणतरं उव्वहिता कहिं गच्छंति कहिं उववज्जति किं नेरइएसु उववज्जति तिरिक्खजोणिएसु उववजति एवं जहा वनंतीए उबट्टणाए वणस्सइकाइयाणं तहा भाणियव्वं । अह भंते ! सव्वपाणा सव्वभूया सव्वजीवा सव्वसत्ता उप्पलमूलत्ताएं उप्पलकंदत्ताए उप्पलनालताए उप्पलपत्तत्ताए उप्पलकेसरत्ताए उप्पलकन्नियत्ताए उप्पलथिभुगत्ताए उववन्नपुव्वा ? हंता गोयमा! असई अदुवा अणंतखुत्तो। सेवं भंते ! सेवं भंते । त्ति ३३ ॥ ४०८ ॥ एकारसमस्त सयस्स पढमो उप्पलुद्देसओ समत्तो ।। सालए णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे अणेगजीवे ? गोयमा ! एगजीवे, एवं उप्पलुइसगवत्तव्वया अपरिसेसा भाणियव्या जाव अणंतखुत्तो, नवरं सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं, उकोसेणं धणुपुहुत्तं, सेसं तं चेव । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥४०९॥११-२॥ पलासे णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे अणेगजीवे ? एवं उप्पलुद्देसगवत्तव्वया अपरिसेसा भाणियव्वा, नवरं सरीरोगाहणा जह. नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्नोसेणं गाउयपुहु(त)त्ता, देवा एएसु न उववजति । लेसासु ते णं भंते । जीवा कि कण्हलेसा नीललेसा काउलेसा० ? गोयमा! कण्हलेस्से वा नीललेस्से वा काउलेस्से वा छन्वीसं भंगा, सेसं तं चेव । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ४१० ।। ११-३ ॥ कुंभिए णं भंते एगपत्तए कि एगजीवे अणेगजीवे ? एवं जहा पलासुद्देसए तहा भाणियवे, नवरं ठिई जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वासपुहुत्तं, सेसं तं चेव । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४११ ॥ ११-४ ॥ नालिए णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे अणेगीवे ? एवं कुंभिउद्देसगवत्तव्दया निरवसेसा भाणियव्वा । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥४१२॥११-५ ॥ पउमे णं मत। एगपत्तए किं एगजीवे अणेगजीवे ? एवं उप्पलुद्देसगवत्तव्वया निरवसेसा भाणियव्वा। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४१३ ॥ ११-६ ॥ कन्निए.णं भंते। एगपत्तए किं एगजीवे ? एवं चेव निरवसेसं भाणियव्वं । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति॥ ४१४ ॥ ११-७ ॥ नलिणे णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे अणेगजीवे ? एवं चव निरवसेसं जाव अणंतखुत्तो ॥ सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ४१५ ॥ एयारहमे सप अट्रमो उदेसो समत्तो॥ . . . . . . . ४० सुत्ता. Page #678 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२६ सुत्तागमे [ भगवई स तेणं काळेणं तेगं समएवं हरिणापुरे नाम नगरे दोन्याचओ, तम्म णं हत्थिणापुरस्म नवरस्स वहिया उत्तरपुरच्छिदिमाग णामं उज्जाणे होत्या सव्वा ज्यपुष्पफलसमित्र रमेदगखेनिया राहसी याए मणोरमे साउफले अकंटए पासाईए जाव परिसचे तत्व में हलियापुरं नयरे विवे नामं या होत्था महया हिमवंत वन्नाओ, तरस तिवर रजो धारिणी नाम देवी होत्या सुकुमालपाणिपाया वन्नओ, तरसणं विनस्य रजपुते भारी अनए शिवभद्दए नामं कुमारे होत्या सुकुमाल जहा सूरियकने जात्रामा विहरइ, तए णं तरस निवस्स रन्नो अनया कयाइ पुव्वतावरतालसमति रजधुरं चिंतेमाणस्स अयमेयारुवे अम्मत्थिए जाव समुप्पजित्था अलि ना मे पुरा पोराणाये जहा तामलिस्स जाव पुत्तहिं वद्यामि पहिं वद्यामि जे हामि एवं रहे लेणं वाहणेगं कोसेण कोट्टागारेणं पुरेणं अतउरेणं वनामि विपुलधणकणगर जाव संतसारसावएज्जेणं अईव २ अभिवामि, तं किन्नं अहं पुरा पोराणा जाव एवंतसोक्खयं उव्वेहमाणे विहरामि ? तं जाव ताव अहं हिरणं वामि तं नेत्र जाव अभिवद्द्वामि जाब मे सामंतरायाणोवि वसे वति ताव ता मे सेयं करें पाउप्पभावाए जाव जलते सुबहुं लोहीलोहकडाहकडुच्छ्रयं तंत्रियं तावसमंडगं घटावेना विभ कुमारं रज्जे ठावेत्ता तं सुबहु लोहीलोहकडाहकडुच्छुयं तंत्रियं तावसमंडगं गाय जे इमे गंगाकूले वाणत्या तावसा भवंति, तं०- होत्तिया पोतिया को (सो) तिया जन्नई सढई थालई हुंबरट्ठा दंतुक्खलिया उम्मजगा संमजगा निम्मागा संपखाला उद्धकंड्यगा अहोकंड्यगा दाहिणकूलगा उत्तरकृलगा संखधमगा कूलधनगा मियलु ० या हत्थितावसा जलाभिसेयक (कि) ढिणगाया अंबुवासिणो वाडवासिणो जलवासिणो वे (चे) लवांसिणो अंवुभक्खिणो वाउभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कंदाहारा पत्ताहारा तयाहारा पुप्फाहारा फलाहारा वीयाहारा परिसडियकंदमूलतय पंडुपत्तपुप्फफलाहारा उद्दंडगा रक्खमूलिया विलवासिणो वक्क (ल) वासिणो दिसापोक्खिणो आयावणाहिं पंचग्गितावेहि इंगालसोल्लियं पिव कडुसोल्लियं पिव कटुसोलियपिव जाव अप्पाणं करेमाणा विहरंति ॥ तत्थ णं जे ते दिसापोक्खियतावसा तेसिं अंतियं मुंडे भवित्ता दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइत्तए, पव्वइएवि य णं समाणे अयमेयास्वं अभिग्गहं अभिगिहिस्सा मि- कंप्पई मे जावजीवाएं छछट्टेणं अनिक्खित्तेगं दिसाचकवालेगं तवोकम्मेणं उट्टं बाहाओं पगिज्झिय २ जाव विहरित्तएत्तिकट्टु, एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं जाब जलते सुबहुं लोहीलोह जाव घडावेत्ता कोचियपुरिसे सहावे सहावेत्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया । हत्थिणाउरं नयरं सम्भितरबाहिरियं J Page #679 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प, स० ११ उ० ९] सुत्तागमे દ૨૭ आसिय जावं तमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति, तए णं से सिवे राया दोच्चपि कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुंप्पिया ! सिवभहस्स कुमारस्स महत्थं ३ विउलं रायाभिसेयं उवट्ठवेह, तए णं ते कोडुंबियपुरिसा तहेव जाव उवठ्ठवेंति, तए णं से सिवे राया अणेगगणनायगदंडनायग जाव संधिवाल सद्धिं संपरिबुडे सिवभई कुमारं सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहं निसीयावे(न्ति)इरत्ता अट्ठसएणं सोवन्नियाणं कलसाणं जाव अट्ठसएणं भोमेजाणं कलसाणं सव्विड्डीए जाव रवेणं महयार रायाभिसेएणं अभिासंच(न्ति)इ २ त्ता पम्हलसुकुमालांए सुरभिए गंधकासाईए गायाई ल्हे (न्ति)इ पम्ह० २ त्ता सरसेणं गोसीसेणं एवं जहेव जमालिस्स अलंकारो तहेव जाव कप्परक्खगंपिव अलंकियविभूसियं करेंति २ त्ता करयल जाव कट्टु सिवभई कुमारं जएणं विजएणं वद्धावति जएणं विजएणं वद्धावेत्ता ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं एवं जहा उववाइए कोणियस्स जाव परमाउं पालयाहि इट्ठजणसंपरिचुडे हत्थिणापुरस्स नयरस्स अन्नेसिं च वहणं गामागरनगर जाव विहराहित्तिकगु जयजयस पउंजंति, तए णं से सिवभद्दे कुमारे राया जाए महया हिमवंत० वन्नओ जाव विहरइ, तएणं से सिवे राया अन्नया कयाई सोहणंसि तिहिकरणदिवसमुहुत्तनक्खत्तसि विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेइ उवक्खडावेत्ता मित्तणाइनियग जाव परिजणं रायाणो खत्तिए यं आमंतेइ आमंतेत्ता तओ पच्छा ण्हाए जाव सरीरे भोयणवेलाए भोयणमंडवंसि सुहासणवरगए तेणं मित्तणाइनियगसयण जाव परिजणेणं राएहि य खत्तिएहि य सद्धिं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं एवं जहा तामली जाव सकारेइ'सम्माणेइ सकारेत्ता सम्माणत्ता त मित्तणाइणियग जाव परिजणं रायाणो य खत्तिए य सिवभई च रायाणं आपुच्छइ आपुच्छित्ता सुवह लोहीलोहकडाहकडच्छयं जाव-भंडगं गहाय जे इमे गंगाकूलगा वाणपत्या तावसा भवंति तं चेव जाव तेसि अंतियं मुंडे भवित्ता दिसापोक्खि. यतावसत्ताए पव्वइए, पव्वइएऽविय णं समाणे अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइकप्पड़ में जावजीवाए छटुं तं चेव जाव अभिग्गहं अभिगिण्हइ २ त्ता पढमं छहक्खमण उवसंपज्जित्ता णं विहरइ । तए णं से सिवे रायरिसी पढमछक्खमणपारणगंसि जापावणभूमीए पच्चोल्हइ आयावणभूमीए पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छई तेणेव उवागच्छित्ता किढिणसंकाइयगं गिण्हइ गिण्हित्ता पुर. पच्छम दिास पोक्खेइ' पुरच्छिमाए दिसाए सोमे महाराया पत्थाणे पत्थिय अभिरक्खउ सिवं रायरिसि अभि० २, जाणि य तत्थ कंदाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणिं य पुप्फाणि य फलाणि य वीयाणि य हरियाणि य ताणि अणुजाणउत्ति कटु पुरच्छिमं दिसं पसरइ पुर० २ 'त्ता जाणि य तत्थे कंदाणि य जाव हरियाणि य ताई Page #680 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 7 ૬૮ सुत्तागमे [ भगवई गेहइ २ ता किठिणसंकाइयं भरेइ किढि ० २ त्ता दव्भे य कुसे य समिहाओ य पत्तामोड च गेण्इ २ ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ २ ता किढिणसंकाइयगं ठवे किढि ० ०२त्ता वेई वड्डेइ २ त्ता उवलेवणसंमजणं करेइ उ० २ ता दव्भसगव्भकलसाहत्थगए जेणेव गंगा महानई तेणेव उवागच्छइ गंगामहानई ओगाहेइ २ त्ता जलमजणं करेइ २ त्ता जलकीडं करेइ २ त्ता जलाभिसेयं करेइ २ त्ता आयंते चोक्खे परमसुइभूए देवयपिइकयकज्जे दग्भसगन्भकलसाहत्थगए गंगाओ महानईओ पचत्तर २ त्ता जेणेवं सए उडए तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता दब्भेहि य कुसेहि य वालुयाए य वेई रएइ वेई रएत्ता सरएणं अरणिं महेड सर० २ ता अरिंग पाडेइ २ त्ताअरिंग संयुक्रे २ ता समिहाकट्टाई पक्खिवइ समिहाकाई पक्खिवित्ता अरिंग उज्जाले अरिंग उज्जालेत्ता - 'अग्गिस्स दाहिणे पासे, सत्तंगाई समादद्दे । तं० - सकहं वक्कलं ठाणं, सिज्जाभंड कमंडलुं ॥ १॥ दंडदारुं त ( हप्पा ) हा पाणं अहेताई समादहे ॥ महुणा य घएण य तंदुलेहि य अरिंग हुणइ, अरिंग हुणित्ता चरुं साहेइ, चरुं साहेत्ता बलिं वइस्सदेवं करेइ बलिं वइस्स देवं करेत्ता अतिहिपूयं करेइ अति हिपूयं करेत्ता तओ पच्छा अप्पणा आहारमाहारेइ, तए णं से सिवे रायरिसी दोचं छट्ठक्खमण उवसंप जित्ताणं विहरइ, तए णं से सिवे रायरिसी दोचे छट्ठक्खमणपारणगंसि आयावणभूमीओ पचोरहर आयावण० २ त्ता एवं जहा पढमपारणगं नवरं दाहिणं दिसं पोक्खेइ २ ता दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्थियं सेसं तं चेव जाव आहारमाहारेइ, तए णं से सिवरायरिसी तच्च छट्ठक्खमणं उवसंपजित्ता णं विहरइ, तए णं से सिवे रायरिसी सेसं तं चेव नवरं पचत्थिमं दिसिं पोक्खेइ पचत्थिमाए दिसाए वरुणे महाराया पत्थाणे पत्थियं सेसं तं चेव जाव आहारमाहारेइ, तए णं से सिवे रायरिसी चउत्थं छट्ठक्खमणं उबसंपजित्ता णं विहरड, तए णं से सिवे रायरसी उत्क्खमण एवं तं चैव नवरं उत्तरं दिसं पोक्खेइ उत्तराए दिसाए वेसमणे- महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सिवं० सेसं तं चैव जाव तओ पच्छा अप्पणा आहारमाहारेइ ॥ ४१६ ॥ तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स छटुंछट्ठेणं अनिक्खित्तेणं दिसाचक्कवालेणं जाव आयावेमाणस्स पगइभद्दयाए जाव विणीययाए अन्नया कयाइ तयावरणिजाणं कम्माणं खओवसमेणं ईहापोहभग्गणगवेसणं करेमाणस्स विभंगे नामं अन्नाणे समुप्पन्ने, से णं तेणं विभंगनाणेणं समुप्पन्नेणं पासइ अस्सि लोए सत्त दीवे सत्त समुद्दे तेण परं न जाणइ न पासइ, तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अयमेयारुवे अब्भत्थिए जाव समुप्पज्जित्था - अस्थि णं ममं अइसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने एवं खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा तेण परं Page #681 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १६ उ० ९ ] सुत्तागमे ६२९ वोच्छिन्ना दीवा य समुझ य, एवं संपेहेइ २त्ता आयावणभूमीओ पचोरह आ० २त्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सुबहु लोहीलोह कडाहकडुच्छ्रयं जाव भंडगं किढिणसंकाइयं च गेण्हइ २ त्ता जेणेव हस्थिणापुरे नयरे जेणेव तावसावसहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता भंडनिक्खेवं करेइ २ ता हरियणापुरे नयरे सिंघाटगतिग जाब पहेसु बहुजणस्स एवमाइक्खड़ जाव एवं परूवेइ- अत्थि णं देवाणुप्पिया । ममं अइसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि लोए जाव दीवा य समुद्दा य, तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अंतियं एयमहं सोचा निसम्म हत्थिणापुरे नयरे सिंघाडगतिग जाव पहेंसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवम इक्खर जाव पवेइ एवं खलु देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसी एवं आइक्खइ जाव परुवे - अस्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं अइसेसे नाणदंसणे समुप्पण्णे जाव तेण --- 1 परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य, से कहमेयं मन्ने एवं ? । तेणं कालेणं तेणं समएवं सामी समोसढे परिसा जाव पडिगया । तेणं काळेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी जहा विश्यसए नियंउद्देसए जाव अडमाणे बहुजणसद्दं निसामेइ बहुजणो अन्नमन्नस्स एवं आइक्खई जाव एवं परुवेइ - एवं खलु देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसी एवं आइक्खर जाव परूवेइ - अत्थि णं देवाणु - प्पिया ! तं चैव जाव वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य, से कहमेयं मन्ने एवं ? तए णं भगवं गोयमे बहुजणस्स अंतियं एयमहं सोचा निसम्म जायसढे जहा नियंउद्देसए जाव तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमादि समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-जन्नं गोयमा ! से बहुजणे अन्नमन्नस्स एवमाइक्खड़ तं चैव सव्वं भाणियव्वं जाव भंडनिक्खेवं करेइ हत्थि - णापुरे नयरे सिंघाडग० तं चैव जाव वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य, तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अंतिए एयमहं सोचा निसम्म तं चैव सव्वं भाणियव्वं जाव तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य तण्णं सिच्छा, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव ं परूवेमि-एवं खल जंबुद्दीवाईया दीवा लवणाईया समुद्दा संठाणओ एगविहिविहाणा वित्थारओ अणेगविहिविहाणा एवं जहा जीवाभिगमे जाव सयंभूरमणसमुद्दपज्जवसाणा अस्सि तिरियलोए असंखेजा दीवसमुद्दा पन्नत्ता समणाउसो ! ॥ अत्थि भंते! जंबुद्दीवे दीवे दव्वाईं सवन्नापि अवन्नाईपि सगंधाईपि अगंधाइंपि सरसाईपि अरसाईपि सफासाईपि अफासाईपि अन्नमन्नबद्धाई अन्नमन्नपुहाई जाव घडत्ताए चिट्ठति ? हंता अस्थि । अत्थि णं भंते ! लवणसमुद्दे दव्वाईं सवन्नाइंपि अवन्नाईपि सगँधाईपि अगंधाईपि सरसाईपि अरसाईपि सफासाइंपि अफासाइंपि Page #682 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई ; · अन्नमन्नबद्धाई अन्नमन्नपुट्ठाई जाव घडत्ताएं चिद्वंति ? हंता अत्थि । अत्थि र्ण भंते ! धायइसंडे दीवे दव्वाईं सवन्नाइंपि० एवं चेव, एवं जाव सयंभूरमणसमुद्दे जाव हंता अस्थि । तए णं सा महइमहालिया महच्चपरिसा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं एयमहं सोचा निसम्म हट्ठट्ठा समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ वंदित्ता नर्मसित्ता जामेव दिसिं पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया, तए णं हरियणापुरे नयरे सिंघाडग जाव पहेतु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खड़ जाव परूवेइ-जन्नं देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसी एवमाइक्खर जाव परूवेइ- अस्थि देवाणुप्पिया ! ममं अइसेसे नाणदंसणे जाव समुद्दा य, तं नो इणट्ठे समट्ठे, समणे भगवं महावीरे एवमाक्खर जाव परुवेइ एवं खलु एयस्स सिवस्स रायरिसिस्स छटुंछट्टेण तं चेव जाव भंडनिक्खेवं करेइ भंडनिक्खेवं करेत्ता हत्यिणापुरे नयरे सिंघाडग जाव समुद्दा य, तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अंतियं एयमहं सोचा निसम्म जाव समुद्दा य, तणं मिच्छा, समणे भगवं महावीरे एवमांइक्खइ० - एवं खलु जंबुद्दीवाईया दीवा लवणाईया समुद्दां तं चेव जाव असंखेज्जा दीवसमुद्दा पन्नत्ता समणाउसो ! । तएं णं से सिवे रायरिसी बहुजणस्स अंतियं एयमहं सोच्चा निसम्म संकिए कंखिए वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने जाए यावि होत्या, तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स संकियस्स कंखियस्स जांव कलुससमावन्नस्स से विभंगे अन्नाणे खिप्पामेव परिवडिए, तए णं तस्स सिवस्स रॉयरिसिस्स अयमेयारुवे अब्भथिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थंगरे जाव सव्वन्नू सव्वदरिसी आगासगएणं चक्त्रेणं जाव सहसंववणे उज्जाणे अहापंडिरूवं जाव विहरइ, तं महाफलं खलु तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स जहा उववाइए जाव गहणयाएं, तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वंदामि जाव पज्जुवासामि, एयं णे इहभवे य परभवे य जाव भविस्सइत्तिकट्टु एवं संपेहेइ एवं संपेहित्ता जेणेव तावसावसहे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता तावसावसह अणुप्पविसइ २ त्ता सुबहुं लोहीलोहकडाह जाव किढिणसंकाइगं च गेण्हइ गेण्हित्ता तावसावसहाओ पडिनिक्खुमइ ताव० २ त्ता परिवडियविभंगे हत्यिणापुरं नयरं मज्यंमज्झेणं निग्गच्छंइ निग्गच्छित्ता जेणेव सहसंववणे उज्जाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागंच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ वंदइ नर्मसइ वंदित्ता नमसित्ता नच्चासन्ने नाइदूरे जाव पंजलिउडे पज्जुवासर, तए णं समणे भगवं महावीरे सिवस्स रायरिसिस्स तीसे य महइमहालियाए जाव आणाए आराहए भवई, तए णं से सिवे रायरिसी समणस्स ६३० 4 Page #683 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ११ उं० १०] सुत्तागमे ६३१ भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म जहा खंदओ जाव उत्तरपुरच्छिमं दिसीभार्ग अवकमइ २ त्तानुवहुं लोहीलोहकडाह जाव किढिणसंकाइगं च एगंते एडेइ एडित्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ सयमे०.२ त्ता समणं भगवं महावीरं एवं जहेव उसभदत्तो तहेव पव्वइओ तहेव एकारस अंगाई अहिजइ तहेव सव्वं जाव सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ ४१७ ॥ भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-जीवाणं भंते । सिज्झमाणा कयरम्मि संघयणे सिझंति 2 गोयमा! वइरोसभणारायसंघयणे सिझंति, एवं जहेव उववाइए तहेव संघयणं संठाण उच्चत्तं आउयं च परिवसणा, एवं सिद्धिगंडिया निरवसेसा भाणियव्वा जाव अव्वाबाहं सोक्खं अणुहवं (हुंती) ति सास (य)या सिद्धा । सेवं भंते ! २ ति ॥ ॥ ४१८सिवो समत्तो ।। एक्कारसमे सए नवमो उद्देसो समत्तो ॥ - रायगिहे जाव एवं वयासी-ऋइविहे गं भंते ! लोए पन्नत्ते ? गोयमा ! चउबिहे लोए पन्नने, तंजहा-दव्वलोए, खेत्तलोए, काललोए, भावलोए । खेनलोए णं भंते ! कविहे पण्गत्ते ? गोयमा ! तिविहे पन्नत्ते, तंजहा-अहोलोयखेत्तलोए १ तिरियलोयखेत्तलोए २ उड्डलोयखेत्तलोए ३ । अहोलोयखेत्तलोए णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा सत्तविहे पन्नत्ते, तंजहा-रयणप्पभापुढविअहेलोयखेत्तलोए जाव अहेसत्तमापुढविअहोलोयखेत्तलोए । तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा! असंखेजविहें पन्नत्ते, तंजहा-जंबुद्दीवे २ तिरियलोयखेत्तलोए जाव सयंभूरमणसमुद्दे तिरियलोयखेत्तलोए । उङ्कलोयखेत्तलोए णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा ! पन्नर-- सविहे पनत्त, तंजहा-सोहम्मकप्पउद्धृलोयखेत्तलोए जाव अञ्चुय कप्पउडलोयखेत्तलोए गेवेजविमाणउड्डलोयखेत्तलोए अणुत्तरविमाणउडलोयखेत्तलोए ईसिंपन्भारपुढविउनुलोयखेत्तलोए। अहोलोयखेत्तलोए णं मंते ! किंसंठिए पन्नत्ते ? गोयमा । तप्पागारसंठिए पन्नत्ते । तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते । किंसंठिए पन्नत्ते? गोयमा ! झलरिसंठिए पन्नत्ते । उडलोयखेत्तलोय० पुच्छा, गोयमा ! उडमुइंगागारसंठिए पन्नत्ते। लोए णं भंते । किसाठए पन्नत्ते? गोयमा! सुपइटगसंठिए लोए पन्नत्ते, तंजहा-हेट्ठा विच्छिन्ने मज्झे संखित्ते जहा -सत्तमसए पढमोद्देसए जाव अंतं करेति । अलोए णं भंते ! किसंठिए पन्नत्ते ? गोयमा ! झुसिरगोलसंठिए पन्नत्ते॥ अहेलोयखेत्तलोए णं भंते ! कि जीवा जीवदेसाजीव-- पएसा०.? एवं जहा इंदा दिसा तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव अद्धासमए । तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! किं जीवा०? एवं चेव, एवं उद्दलोयखेत्तलोएवि, नवरं अरूवी छव्विहा अद्धासमओ नत्थि ॥ लोए णं भंते ! किं जीवा०? जहा विइयसए अत्थिउद्देसए लोगागासे, नवरं असवी सत्तविहा जाव अहम्मत्यिकायस्स पएसा नो आगासत्यिकाए Page #684 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * सुत्तागमे [ भगवई आगासत्थिकायस्स देते आगासत्थिकायस्स पएसा अद्धासमए, सेसं तं चैव ॥ अलोए णं भंते! किं जीवा ० ? एवं जहा अत्थिकायउदेसए अलोगागासे तद्देव निरवसेस जाव अगं भागणे ॥ अहेलोगखेत्तलोगस्स णं भंते । एगंमि आगासपएसे कि जीवा जीवढेसा जीवप्पएसा अजीवा अजीवदेसा अजीवपएसा ? गोयमा ! नो जीवा जीवदेसावि जीव एसावि अजीवावि अजीव देसावि अजीवपएसावि, जे जीवढेसा ते नियमा एगिदियदेसा १ अहवा एगिंदियदेसा य बेइंद्रियस्त देसे २ अहवा एगिंदियदेसा य वेइंदियाण य देसा ३ एवं मज्जिहविरहिओ जाव अणिदिएन जाव अहवा एगिंदिय देसाय अणिंदियाणयडेसा, जे जीवपएसा ते नियमा एगिंदियपएसा अहवा एंगिंदियपएसा य वेदियस्स पएसा २ अहवा एगिंदियपएसा य बेइंदियाण य एसा ३ एवं आइलविरहिओ जाव पंचिदिएनु अणिदिएउ तियमंगो, जे अजीवा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा - रुवी अजीवा य अरूवी अजीवा य, रुवी तहेव, जे अव अजीचा ते पंचविहा पण्णत्ता, तंजहा - नो धम्मत्थिकाए धम्मत्यिकायस्स देसे १ धम्मत्थिकायस्स पएसे २ एवं अहम्मत्थिकायस्सवि ४ अद्धा समए ५ । तिरियलोग खेत्तलोगस्स णं भंते ! एगंमि आगासपएसे किं जीवा० ? एवं जहा अहोलोगखेत्तलोगस्स तहेव, एवं उड्ढलोगखेत्तलोगस्सवि, नवरं अद्धासमओ नत्थि, अरुत्री चउव्विहा लोगस्स जहा अहेलोग खेत्तलोगस्स एगंमि आगासपएसे || अलोगस्स णं भंते । एगंमि आगासपएसे० पुच्छा, गोयमा ! नो जीवा नो जीवदेसा तं चैव जाव अनंतेहिं अगुरुयलहुयगुणेहिं संजुत्ते सव्वागासस्स अनंतभागूणे ॥ दव्वओ णं अहेलोयखेत्तलोए अनंताई जीवदव्वाईं अनंताई अजीवदव्वाई अणता जीवाजीवदव्वा एवं तिरियलोयखेत्तलोएवि एवं लोयखेत्तलोएवि, दव्वओ गं अलोए णेवत्थि जीवदव्वा नेवत्थि अजीवदव्वा नेवत्यि जीवाजीवदव्वा एगे अजीवदव्वदेसे जाव सव्वागासस्स अनंतभागूणे । कालओ णं अहेलोयखेत्तलोए न कयाइ नासि जाव निच्चे एवं जाव अलोए । भावओ णं अहेलोयखेत्तलोए अनंता वन्नपजवा जहा खंदए जाव अणंता अगुरुयलहुयपज्जवा एवं जाव लोए, भावओ णं अलोए नेवत्थि वन्नपज्जवा जाव नेवत्थि अगुरुयलहुयपज्जवा एगे अजीवदव्वदेसे जाव अणंतभागणे ॥ ४१९ ॥ लोए णं भंते । केमहालए पन्नत्ते ? गोयमा ! अयन्नं जंबुद्दीवे २ सच्चदीव॰ जाव परिक्खेवेणं, तेणं कालेणं तेणं समएणं छ 'देवा महिड्डिया जाव महेसक्खा जंबुद्दीवे २ मंदरे पव्वए मंदरचूलियं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्ठेजा, अहे णं चत्तारि दिसा कुमारीओ महत्तरियाओ चत्तारि बलिपिंडे गहाय जंबुद्दीवस्स २ चउसुविदिसासु वहियाभिमुहीओ ठिच्चा ते चत्तारि बलिपिंडे जमगसमगं Page #685 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० म० ११ उ० १०] सुत्तागमे ६३३ बहियाभिमुहे पक्खिवेजा, पभू णं गोयमा ! तओ एगमेगे देवे ते चत्तारि बलिपिंडे धरणितलमसंपत्ते खिप्पामेव पडिसाहरित्तए, ते णं गोयमा ! देवा.ताए उकिटाए जाव, देवगईएं एगे देवे पुरच्छाभिमुहे पयाए एवं दाहिणाभिमुहे एवं पच्चत्थाभिमुहे एवं उत्तराभिमुहे एवं उड्डाभिमुहे एगे देवे अहोभिमुहे पयाए, तेणं कालेणं तेणं समएणं वाससहस्साउए दारए पयाए, 'तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पहीणा भवंति णो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति, तए णं तस्स दारगस्स आउए पहीणे भवइ णो चेव णं जाव संपाउणंति, तए णं तस्स दारगस्स अद्विमिंजा पहीणा भवंति णो. चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति, तए णं तस्स दारगस्स आसत्तमेवि कुलवंसे पहीणे भवइ.णो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति,तए णं तस्स दारगस्स नामगोएवि पहीणे भवइ णो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति, तेसि णं भंते ! देवाणं किं गए वहुए अगए वहुए ? गोयमा ! गए बहुए-नो अगए बहुए, गया(ओ)उ से अगए असंखेजइभागे अगयाउ से गए असंखेजगुणे, लोए णं गोयमा ! एमहालए पन्चत्ते । अलोए णं भंते ! केमहालए पन्नत्ते ? गोयमा ! अयन्नं समयखेत्ते पणयालीस जोयणसयसहस्साई आयामविक्खंभेणं जहा खंदए जाव परिक्खेवेणं, तेणं कालेणं तेणं समएणं दस देवा महिड्डिया तहेव जाव संपरिक्खित्ताणं संचिढेजा, अहे णं अट्ठ दिसाकुमा रीओ महत्तरियाओ अट्ठ वलिपिंडे गहाय माणुसुत्तरस्स पव्वयरस चउसुवि दिसासु चंउसुवि विदिसासु वहियाभिमुहीओ ठिच्चा अट्ठ बलिपिंडे जमगसमगं वहियाभिमुहीओ पक्खिवेज्जा, पभू णं गोयमा! तओ एगमेगे देवे ते अट्ठ वलिपिंडे धरणितलमसंपत्ते खिप्पामेव पडिसाहरित्तए, ते णं गोयमा ! देवा ताए उक्किट्ठाए जाव देवगईए लोगते ठिच्चा असम्भावपट्ठवणाए एगे देवे-पुरच्छाभिमुहे पयाए एगे देवे दाहिणपुरच्छाभिमुहे पयाए एवं जाव उत्तरपुरच्छाभिमुहे पयाए एगे देवे उड्डाभिमुहे एगे देवे अहोभिमुहे पयाए, तेणं कालेणं तेणं समएणं वाससयसहस्साउए दारए पयाए, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरोपहीणा भवंति नो चेवणं ते देवा अलोयंतं सपाउणति, तं चेव जाव तेसि णं भंते ! देवाणं कि गए वहुए अगए वहुए ? गोयमा । नागए बहुए अगए वहुए, गयाउ से अगए अणंतगुणे अगयाउ से गए अणंतभागे, जलाए ण गोयमा ! एमहालए पन्नत्ते ॥४२०॥ लोगस्स णं भंते ! एगंमि आगासपएस ज एगिदियपएसा जाव पंचिंदियपएसा अगिंदियपएसा अन्नमन्नवद्धा अन्नमन्नपुडा जाव अन्नमन्नसमभरघडत्ताए चिट्ठति, अत्थि णं भंते ! अन्नमन्नस्स किचि आगहं वा चावाहं वा उप्पायति छविच्छेदं वा करेंति ? णो इणढे समढे, से केपट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ लोगस्स णं एगमि आगासपएसे जे एगिदियपएसा जाब चिट्ठति णत्यि Page #686 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३४ सुत्तागमे [ भगवई * णं अन्नमन्नस्स किंचि आवाहं वा जावं करेंति ? गोयमा ! से जहानामए नट्टिया सिया सिगारागारचारुवेसा जाब कलियां रंगहाणंनि जगस्याउसि जणसयसहस्सा उलंसि बत्तीस इविहस्स नट्टस्स अन्नयरं नट्टविहि उवसेना से नृणं गोयमा ! ते पेच्छंगा तं नट्टियं अणिमिसाए दिट्टीए सव्वओ समता समभिलोएंति ? हंता भंते । समभिलोएंति, ताओ णं गोयमा ! दिडीओ तंनि नट्टियंति सवओ समंता संणिपडियाओ ? हंता सन्नि (घ) पडियाओ, अत्थि णं गोयना ! ताओ दिडीओ ती ट्टिया किचिवि आवाहं वा वावाहं वा उपपाति छविच्छेदं वा करेति ? णो इण्डे समट्ठे, अहवा सा नट्टिया तासि दिट्टीणं किचि आवाहं वा वाचाहं वा उप्पाएइ छविच्छेदं वा करेइ ? जो इगट्टे समट्टे, ताओ वा दिट्टीओ अन्नमन्नाए दिडीए किंचि आवाहं वा वावाहं वा उप्पाएंति छविच्छेदं वा करेन्ति ? णो इण्डे समहे, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ तं चैव जाव छविच्छेदं वा करेंति ॥ ४२१ || लोगस्स णं भंते! एगंमि आगांसपएसे जहन्नपए जीवपएसाणं उको सपए जीवपएसाणं सव्वजीवाण ये कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा लोगस्स एमि आगासपएसे जहन्नपए जीवपएसा, सव्वजीवा असंखेज्जगुणा, उक्कोसपए जीवपएसा विसेसाहियां । सेवं भंते ! सेवं भंते । ति ॥ ४२२ ॥ एक्कारसमस्स सयस्स दसमो उद्देसो समत्तो ॥ ते काले ते समएणं वाणियगामे नामं नयरे होत्या वन्नओ, दूइपलासे उजाणे वन्नओ जाव पुढविसिलापट्टओ, तत्य णं वाणियगामे नयरे सुदंसणे नामं सेट्ठी परिवसइ. अड्ढे जाव अपरिभूए समणोवासए अभिगयजीवाजीने जाव विहरड़, सामी समोसढे जाव परिसा पज्जुवासइ, तए णं से सुदंसणे सेट्टी इमीसे कहाएं लद्धडे समाणे हद्वंतुडे पहाए सव्वालंकारविभूसिए साओ गिहाओ पडिनिक्खमइ साओ गिहाओ पंडिनिक्खमित्ता सकोरेंटमलदा मेणं छत्तेणं धरिजमाणेगं पायविहारचारेणं महया पुरिसवग्गुरापरिक्खित्ते वाणियगामं नयरं मज्यंमज्झेणं निग्गच्छन् निग्गच्छित्ता जेणेव दूइपलासे उज्जाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छन् तेणेव उवागच्छित्तां समगं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छइ, तं०संचित्ताणं दव्वाणं जहा उसभदत्तो जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवांसइ । तए णं समणे भगवं महावीरे सुदंसणस्स सेट्ठिस्स तीसे य महइमहालियाए जाव आराहए भवई । तए णं से सुदंसणे सेट्ठी समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म उठाए उट्ठेइ २ त्तां समणं भगवं महावीर तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता एवं वयांसी -कइविहे णं भंते । काले पत्ते ? सुदंसणा ! चउन्विहे काले Page #687 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ११ उ० ११] सुत्तागमे ६३५ पन्नत्ते, तंजहा-पमाणकाले १ अहाउनिव्वत्तिकाले २ मरणकाले ३ अद्धाकाले ४, से किं तं पमाणकाले ? २ दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-दिवसप्पमाणकाले य १ राइप्पमाणकाले य २, चउपोरिसिए' दिवसे चउपोरिसिया राई भवइ ॥ ४२३ ॥ उक्नोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसंस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, जहन्नियां तिमुहुत्ता दिवसंस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, जया णं भंते ! उक्नोसिया अर्द्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ तया णं कईभागमुहुत्तभागेणं परिहायमाणी २ जहन्निया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ तया णं कइभागमुहुत्तभागेणं परिवडमाणी २ उक्लोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिंसी भवइ ? सुदंसणा! जया णं उलोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवई तयाणं वावीससयभागमुहुत्तभागेणं परिहायमाणी २ जहन्निया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, जया णं जहन्निया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ तया णं वावीससयभागमुहुत्तभागेणं परिवड्डमाणी परिवड्डमाणी उक्नोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ । कया णं भंते ! उक्नोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ कया वा जहन्निया तिमुहुना दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ? सुदंसणा । जया णं उकोसेए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ तया णं उकोसिया अपंचममुहत्ता दिवसस्स पोरिसी भवई जहन्निया तिमुहुत्ता राईए पोरिसी भवई, जयाणे उक्नोसिया अट्ठारसमुहुत्तिया राई भवइ जहन्निए दुवालसमुहुत्त दिवसे भवइ. तया णं उक्नोसिया अद्धपंचममुहुत्ता राईए पोरिसी भवई जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ । कया णं भंते ! उक्नोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवस भवइ जहन्नियो दुवालसमुहुत्ता राई भवइ कया वा उकोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ ? सुदंसणा! आसाढपुन्निमाए णं उक्लोसेए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ 'जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवई, पोसस्स पुन्निमाए ण.उकोसिया अट्ठारसमुहत्ता राई भवइ जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ ॥ अस्थि ण भते ! दिवसा य राईओ य समा चेव भवन्ति ? हंता ! अत्थि, कया णं भंते ! दिवसा य राईओय समा चेव भवन्ति ? सुदंसणा! चित्तासोयपुन्निमासु णं, एत्थ ण दिवसा य राईओ य समा चेव भवन्ति, पन्नरसमुहुत्ते दिवसे पन्नरसमुहुत्ता राई भवइ चउभागमुहुत्तभागूणा चउमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवड, सत्त पमाणकाले ॥ ४२४ ॥ से कि तं अहाउनिव्वत्तिकाले ? अहाउनिव्वत्तिकाले जन्नं जेणं नेरइएण वा तिरिक्खजोणिएण वा मणुस्सेण वा देवेण वा अहाउयं Page #688 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई निव्वत्तियं सेत्तं पालेमाणे अहाउनिव्वत्तिकाले । से कि तं मरणकाले ? २ जीवो वा सरीराओ सरीर वा जीवाओ, सेत्तं मरणकाले ॥ से किं तं अद्धाकाले ? अद्धाकाले अणेगविहे पन्नत्ते, तं० समयठ्याए आवलिययाए जाव उस्सप्पिणीयाए। एस णं सुदंसणा! अद्धा दोहारच्छेयणेणं छिज्जमाणी जाहे विभागं नो हन्वमागच्छइ सेतं समए, समयट्टयाए असंखेज्जाणं समयाणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा आवलि. यत्ति पवुच्चइ, संखेजाओ आवलियाओ जहा सालिउद्देसए जाव तं सागरोक्मस्स उ एगस्स भवे परिमाणं । एएहि णं भंते ! पलिओवमसागरोवमेहि कि पओयणं ? सुदसणा ! एएहिं पलिओवमसागरोवमेहि नेरइयतिरिक्खजोणियमणुस्स देवाणं आउयाई माविनंति ॥ ४२५ ॥ नेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ? एवं ठिइपयं निरवसेसं भाणियव्वं जाव अजहन्नमणुकोसणं तेत्तीसं सागरोक्माई ठिई पन्नत्ता ॥ ४२६॥ अस्थि णं भंते ! एएसिं पलिओवमसागरोवमाणं खएइ वा अवचएइ वा ? हंता अत्थि, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ अस्थि गं एएसि णं पलिओवमसागरोवमाणं जाव अवचएइ वा ? । एवं खलु सुदंसणा! तेणं कालेणं तेणं समएणं हत्थिणापुरे नामं नयरे होत्था वन्नओ, सहसंबवणे उज्जाणे वन्नओ, तत्थ णं हत्यिणापुरे नयरे बले नाम राया होत्था वन्नओ, तस्स णं वलस्स रन्नो पभावई नामं देवी होत्था- सुकुमाल० वन्नओ जाव विहरइ । तए णं सा पभावई देवी अन्नया कयाइ तंसि तारिसगंसि वासघरंसि अभितरओ सचित्तकम्मे वाहिरओ दूमियघट्ठमढे विचित्तउल्लोगचिल्लियतले मणिरयणपणासियंधयारे बहुसमसुविभत्तदेसभाए पंचवन्नसरससुरभिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलिए कालागुरुपवरकुंदुरुकतुरुकधूवमघमघंतगंधुद्ध याभिरामे सुगंधिवरगंधिए गंधवट्टिभूए तंसि तारिसगंसि सयणिजंसि सालिंगणवट्टिए उभओ विव्वोयणे दुहओ उन्नए मज्झेणयगंभीरे गंगापुलिणवालुयउद्दालसालिसए उवचियखोमियदुगुल्लपट्टपडिच्छायणे सुविरइयरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुडे सुरम्मे आइणगरू यबूरणवणीयतूलफासे सुगंधवरकुसुमचुन्नसयणोवयारकलिए अद्धरत्तकालसमयंसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी २ अयमेयारूवं ओरालं कल्लाणं सिवं धन्नं मंगलं सस्सिरीयं महासुविणं पासित्ताणं पडिबुद्धा तं० हाररययखीरसागरससंककिरणदगरयरययमहासेलपडुरतरोरुरमणिजपेच्छणिज्ज थिरलट्ठपउट्ठवट्टपीवरसुसिलिट्ठविसिद्धतिक्खदाढाविडंबियमुहं परिकम्मियजच्चकमलकोमलमाइयसोहंतलट्ठउ8 रत्तुप्पलपत्तमउयसुकुमालतालुजीहं सूमागयपत्ररकगगतावियआवत्तायंतवट्टतडिविमलसरिसनयणं विसालपीवरोरु पडिपुन्नविउलखंधं मिउविसयसुहुमलक्खणपसत्यविच्छिन्नकेसरसडोवसोहियं ऊसियसुनिम्मियसुजायअप्फोडियलंगूलं सोमं सोमाकारं लीलायतं जंभायंतं नहयलाओ Page #689 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० १० स० ११ उ० ११] सुत्तागमे ६३७ ओवयमाणं निययवयणमइवयंत सीहं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धा । तए णं सा पभावई देवी अयमेयारूवं ओरालं जाव सस्सिरीयं महासुविणं पासित्ता णं पडिबुद्धा समाणी हट्टतुट्ठ जाव हियया धाराहयकलंवपुप्फगंपिव समूससियरोमकूवा तं सुविण ओगिण्हइ ओगिण्हित्ता सयणिज्जाओ अब्भुट्टेइ सयणिज्जाओ अब्भुढेत्ता अतुरियमचवलमसंभताए अविलंवियाए रायहंससरिसीए गईए जेणेव बलस्स रन्नो सयणिजे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवाग़च्छित्ता बलं रायं ताहिं इटाहिं कंताहिं पियाहि मणुन्नाहिं मणामाहिं ओरालाहिं कलाणाहिं सिवाहि धन्नाहिं मंगल्लाहिं सस्सिरीयाहिं मिउमहुरमंजुलाहिं गिराहिं संलवमाणी संलवमाणी पडिवोहेइ पडिवोहेत्ता वलेणं रना अव्भणुन्नाया समाणी नाणामणिरयणभत्तिचित्तंसि भद्दासणंसि णिसीयइ णिसीइत्ता आसत्था वीसत्था सुहासणवरगया वलं रायं ताहिं इटाहिं कंताहिं जाव संलव. माणी २ एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणुपिया ! अज तंसि तारिसगंसि सयणिजंसि सालिंगण० तं चेव जाव नियगवयणमइवयंतं सीहं सुविणे पासित्ता णं पडि. बुद्धा, तण्णं देवाणुप्पिया! एयस्सः ओरालस्स जाव महासुविणस्स के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ? तए णं से बले राया पभावईए देवीए अंतियं एयमढे सोचा निसम्म हट्ट जाव हयहियए धाराहयनीवसुरभिकुसुमचंचुमालइयतणुयऊसवियरोमकूवे तं सुविणं ओगिण्हइ ओगिण्हित्ता ईहं पविसई ईहं पविसित्ता अप्पणो साभाविएणं मइपुव्वएणं वुद्धिविन्नाणेणं तस्स सुविणस्स अत्थोग्गहणं करेइ तस्स० २त्ता पभावइं देविं ताहिं इटाहिं कंताहिं जाव मंगल्लाहिं मिउमहुरसस्सिरीयाहिं संलवमाणे २ एवं वयासी-ओराले णं तुमे देवी! सुविणे दिढे, कल्लाणे णं तुमे देवी ! सुमिणे दिढे जावं सस्सिरीए णं तुमे देवी! सुविणे दिटे, आरोग्गतुहिदीहाउकल्लाणमंगलकारए णं तुमे देवी ! सुविणे दिवे, अत्थलाभो देवाणुप्पिए ! भोगलाभो देवाणुप्पिए । पुत्तलाभो देवाणुप्पिए ! रजलाभो देवाणुप्पिए !, एवं खलु तुमं देवाणुप्पिए । णवण्हें मासाणं वहुपडिपुन्नागं अट्ठमाण राइंदियाणं वीइक्वंताणं अम्हं कुलके कुलदीव कुलपव्वयं कुलवडेंसयं कुलतिलगं कुलकित्तिकरं कुलनंदिकरं कुलजसकरं कुलाधारं कुलपायवं कुलविवद्धणकरं सुकुमालपाणिपायं अहीणपडिपुण्णपंचिदियसरार जाव ससिसोमाकारं कंतं पियर्टसणं सुरूवं देवकुमारसमप्पभं दारगं पयाहिसि । सेऽवि य णं दारए उम्मुक्कवालभावे विन्नायपरिणयमित्ते जोव्वणगमणुप्पत्ते सूर वीर विक्रेते वित्थिन्नविउलवलवाहणे रजवई राया भविस्सइ, तं उराले णं तुमे देवी! सुमिणे दिट्रे जाव. आरोग्गतट्रि जाव मंगलकारए णं तुमे देवी! सुविणे दिट्ठत्तिकटु पभावइं देविं ताहि इटाहिं जाव वग्गूहिं दोच्चंपि तच्चपि अणुवूहइ। तए Page #690 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुनागमे णं सा पभावई देवी बलरस रनी अंतियं एमगढ़ गोना निममा करपल जाव एवं वयासी-एवगेर देवापिया! तहगेयं देगापियानोवा पिया ! असंदिद्धमेयं देवाणुपिया ! इन्डियनं बना ! गनियम देवाणुप्पिया! इच्छियपडिन्छिगमेग देवाणुपिया! से दो हनन नं मुविणं सम पडिच्छड पटिन्छित्ता बलगरना अच्गणुनाना मगासी मायामानायगभत्तिचित्ताओ भदासणाओ अब्भुटेइ अगुडगा अनुरियमन्चल जायगय नए सयणिजे तेणेव उवागच्छद तेणेव उवान्छिता सगिनि निसी नमी एवं चयासी-मा मे से उत्तमे पहाणे मंगो, मनिणे अनिहिं पापमुनि पसिना देवगुरुजणसंबद्धाहि पसत्याहिं मंगाहि धम्मियाह कला मनारियं पटिया गरमाणी २ विहरइ । तए णं से बल राया कोईविपुरिने नायः नाचना एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुपिया। अज सविससं बाहिरियं महापनालं गंयो । दयसित्तसुइयसंमजिओवलितं सुगंधपवरपंचनपुप्पोववारकरिनालागापरवंदुग्ध जाव गंधवहिभूयं करेह य करावह य करता करावेत्ता सीहासणं न्यावेनीराम रयावेत्ता ममेयं जाव पञ्चप्पिणह, तए गं ते कोडुबियपुरिसा जाय परिना विपामेव सविसेसं वाहिरियं उवट्ठाणसालं जाव पचपिणंति, तए णं से बले रागा पास. कालसमयंसि सयणिजाओ अब्भुट्टेइ सयणिजाओ अमुना पायपीटाको पगोड पायपीढाओ पच्चोसहित्ता जेणेव अदृणसाला तणेव उवागन्छता अगनालं अणुपविसइ जहा उववाइए तहेव अट्टणसाला तहेव जजगघरे जाव नसिव्य पियर्टसणे नरवई सज गघराओ पडिनिक्तमइ पटिनिक्समिना जेणेव वाहिरिया उपट्टाणसाला तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता सीहासगवरंसि पुरन्छामिन निसीया निसीइत्ता अप्पणो उत्तरपुरच्छिमे दिसीमाए अहमदासणाई सेयवस्थपञ्चत्युमाई सिद्धत्यगकयमंगलोवयाराइं रयावेइ रयावेत्ता अप्पणो अदूरसामंते जाणामणिरयणमंडियं अहियपेच्छणिजं महाघवरपट्टणुग्गयं सहपध्वहुभत्तिसयचिनताणं ईहामियउसम जाव भत्तिचित्तं अन्भितरियं जवणियं अछावेइ अंगावेत्ता नाणामणिरयणभत्तिचित्त अत्थरयमउयमसूरगोच्छगं सेयवस्थपञ्चुत्युयं अंगहफासयं सुमऽयं पभावईए देवीए भासणं रयावेइ रयावेत्ता कोडुवियपुरिसे सद्दावेइ सदावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामव भो देवाणुप्पिया! अढंगमहानिमित्तसुत्तत्थधारए विविहसत्यकुसले नुविणलक्खणपाढए सद्दावेह, तए णं ते कोडंवियपुरिसा जाव पडिसुणेत्ता वलस्स रन्नो अतियाओ पडिनिक्खमन्ति पडिनिक्खमित्ता सिग्धं तुरियं चवलं चंडं वेइयं हत्थिगापुरं नयरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छंति २ त्ता जेणेव तेसिं सुविणलक्खणपाढगाणं निहाइं तेणेव उवाग Page #691 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ११ उ० ११ ] सुत्तागमे ६३९ च्छन्ति तेणेव उवागच्छित्ता ते सुविणलक्खणपाढए सहावेति । तए णं ते सुविण - लक्खणपाढा बस्स रन्नो कोडुंवियपुरिसेहिं सहाविया समागा हडतुडा पहाया, जाव सरीरा सिद्धत्यगहरियालियाकयमंगलमुद्धाणां सएहिं २ गिहितो निग्गच्छेति स० २ त्ता हत्यिणापुर नयरं मज्यंमज्झेणं जेणेव वलस्स रन्नो भवणवरवडेंसए - तेणेव उवागच्छन्ति तेणेव उवागच्छित्ता भवणवरवडेंसगपडिदुवारसि एगओ मिलति एगओ मिलित्ता जेणेव बाहिरिया उवद्वाणसाला जेणेव वळे राया तेणेव उवागच्छन्ति तेणेव स्वागच्छित्ता कर्यल० वलं रायं जएणं विजएणं वद्धावेति । तए णं ते सुविणलक्खणपाटगा वगं रन्ना वंदिनइयसका रियसम्माणिया समाणा पत्तेयं २ पुव्वन्नत्थेसु महासणेन निसीयंति, तए में से वले राया प्रभावई देविं जवणियंतरियं ठावेइ ठावेत्ता पुप्फफलपन्निहत्थे परेगं विणएणं ते सुविणलेक्खणपाढए एवं व्यासी एवं खलु देवाप्पिया । पभावई देवी अज तंति तारिसगंति वासघरंति जाव सीहं सुविणे पातित्ता णं पडिवुद्धा, तणं देवाणुपिया । एयस्स ओरालस्स जाव के मन्ने का फलवित्तिविससे भविस्सइ ? तए णं ते सुविणलक्खणपाढगा वलस्स रन्नो अंतियं एयमहं सोचा निसम्म ह० तं सुविणं ओगिण्हन्ति २ ता ईहं अणुप्पविसन्ति अणुप्पवितित्ता तस्स विणम्स अत्योग्गहणं करेन्ति तस्स ० २ त्ता अन्नमन्नेणं सद्धिं संचालेंति २ त्ता तस्स सुविणस्स लट्टा गहिया पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्टा अभिगयट्ठा वलस्स रनो पुरओ सुविणसत्थाई उच्चारेमाणा २ एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया 1 अम्हं सुविण सत्यंसि वायालीसं सुविगा तीसं महासुविणा वावत्तरिं सव्वसुविणा दिट्ठा, तत्थणं देवापिया | तित्वगरमायरो वा चक्कवट्टिमायरो वा तित्यगरंति वा चक्कवहिंसि वा गव्भं वकममार्णति एएसिं तीसाए महामुविणाणं इमे चोट्स महानुविणे पासित्ता णं पडिबुज्यंति, जहा-गयवसह सीह अभिसेयदामस सिदिणयरं यं कुंभं । पउमसरसागरविमाणभवगरयणुच्चयसिहिं च १४ ॥ १ ॥ वासुदेवमायरो वा वासुदेवंसि गमं चक्कममाणंति एएसिं चोहसण्हं महासुविणाणं अन्नयरे सत्त महासुविणे पासित्ता णं पडिवुज्अंति, बलदेवमायरो वा वलदेवसि गन्भं वकममार्णसि एएसिं चोद्दसहं महासुविणाणं अन्नयरे चत्तारि महासुविणे पासित्ता णं पडिवुज्नति, मंडलियमायरो चा मंडलियंसि गर्भं वक्कममाणंति एएसि णं चउदसण्हं महासुविणां अन्नयरं, एगं महानुर्विणं पासित्ता णं पडिवुज्झन्ति, इमे य णं देवाणुप्पिया ! पभावईए देवीए एगे महासुविणे दिट्टे, तं ओराले णं देवाणुप्पिया ! पभावईए देवीए सुविणे दिले जाव आरोग्गतुट्टि जाब मंगलकारए णं देवाणुप्पिया ! पभावईए देवीए सुविणे, दिछे, अत्थलाभो देवाप्पिया ! भोग० पुत्त० रजलाभो देवाणुप्पिया ! एवं खलु देवाणु Page #692 -------------------------------------------------------------------------- ________________ • ६४० सुत्तागमे [ भगवई 'पिया | पभावई देवी नवहं मासाणं बहुपटिपुन्नाणं जाब वीडकंनाणं तुम्हें कुलके जावदार पाहिs, सेsविय णं दारए उम्मुक्कवालभावे जाव रजवई राया भविस्मर अणगारे वा भावियप्पा, तं ओराले णं देवाणुपिया ! पभावईए देवीए मुविणे दिवे 'जांव आरोग्गतुद्विदीहाउयकहाण जाव दिट्टे । तए णं से वले राया सुविणलक्खणपाढगाणं अंतियं एयमहं सोचा निसम्म हट्ट करयल जाव क ते सुविलक्खणपाढगे एवं वयासी- एवमेयं देवाणुपिया | जाव से जहेयं तुन्भे वदहत्तिकछु -तं सुविणं सम्मं पडिच्छर तं० २ त्ता सुविणलक्खणपाइए विउलेणं अनणपाणखाइम साइमपुष्पवत्थगंधमहालंकारेण सकारेड सम्माणेड सकारेत्ता सम्माना विरलं जीवि यारिहं पीइदाणं दलयइ २ त्ता पडिविसजेइ पडिविसजेना सीहासणाओ अब्भुटेर अब्भुट्टेत्ता जेणेव पभावई देवी तेणेव उवागच्छंड़ तेणेव उवागच्छित्ता पभावई देविं ताहि इद्वाहिं कंताहिं जाव संलवमाणे संलवमाणे एवं व्यासी एवं खलु देवाणुप्पिए । सुविणसत्यंति वायालीसं सुविणा तीसं महासुविणा वावत्तरिं सव्वनुविणा दिडा, तल - देवाणुम्पिए ! तित्थगरमायरो वा चक्कवट्टिमायरो वा तं चैव जाव अन्नयरं एवं महासुविणं पासित्ता णं पडिवुज्यंति, इमे य णं तुमे देवाणुप्पिए ! एगे महानुविणे दिट्ठे, तं ओराले णं तुमे देवी । सुविणे दिले जाव रजवई राया भविस्मन् अणगारे वा भावियप्पा, तं ओराले णं तुमे देवी! सुविणे दिट्ठे जाव दिनेत्तिकट्टु पभावई देविं ताहिं इट्ठाहि कंताहि जाव दोचंपि तच्चपि अणुवूहइ, तए णं सा पभावई देवी बलस्स रन्नो अंतियं एयमहं सोचा निसम्म हट्टतुट्ठ० करयल जाव एवं व्यासी- एवमेयं देवाणु"प्पिया ! जाव तं सुविणं सम्मं पडिच्छइ तं सुविणं सम्मं पडिच्छित्ता वलेणं रन्ना अन्भणुन्नाया समाणी नाणामणिरयणभत्तिचित्त जाव अभुट्टे अतुरियमचवल जाव -गईए जेणेव सए भवणे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता सयं भवणमणुपविट्ठा । तणं सा पभावई देवी व्हाया सव्वालंकारविभूतिया तं गव्भं णाइसीएहिं नाइ उण्हेहिं नाइतित्तेहि नाइक्रड्डु एहि नाइकसाएहि नाइअविलेहिं नाइमहुरेहिं उउभय'माणसुहेहिं भोयणच्छायणगंधमहेहिं जं तस्स गव्भस्स हियं मियं पत्थं गव्भपोसगं तं देते ये काले य आहारमाहारेमाणी विवित्तमउएहि सयणासणेहिं परिक्कसुहाए 'मँणाणुकूलाए विहारभूमीए पसत्थदोहला संपुन्नदोहला सम्माणियदोहला अवमाणियदोहला वोच्छिन्नदोहला विणीयदोहला ववगयरोगसोगमोहभयपरित्तासा तं गर्भ हंसगं परिवहइ । तए णं सा पभावई देवी नवहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्ट माण रईिदियाणं वीइकंताणं सुकुमालपाणिपायं अहीगपडिपुन्नपंचिदियसरीरं लक्खणवंजणगुणोववेयं जाव " समिसोमाकारं कंतं पियदंसणं सुरूवं दारयं पयाया । तए Page #693 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ११०११] सुत्तांगमे ६४१ - तीसे पभावईए देवीए अंगपडियारियाओ पभावई देवि पसूर्य जाणेत्ता जेणेव बलें राया तेणेव उवागच्छन्ति तेणेव उवागच्छित्ता करयल जाव वलं रायं जएणं विजएणं = चद्धावेति जएगं विजएणं वद्धावेत्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! पभावईदेवी णवण्हं मासागं बहुपडिपुण्णाणं जाव दारगं पयाया तं एयण्णं देवाणुप्पियाणं पिया पियं निवेदेमो पियं मे भवउ । तए णं से बले राया अंगपडियारियाणं अंतियं एयमहं सोचा निसम्म हट्ट जाव धाराहयणीव जाव रोमकूवे तासिं अंगपडियारियाणं मउडवजं जहामालियं ओमोयं दलयइ २ त्ता सेयं रययामयं विमलसलिलपुन्नं भिंगारं च गिण्हइ गिण्हित्ता, मत्थए धोवइ मत्थए धोवित्ता विटलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयर पीइदाणं दलइत्ता सकारेइ सम्माणेइ स० २ तापडिविसजइ ॥ ४२७ ॥ तए णं से वले राया कोईवियपुरिसें सद्दावेइ सहावेत्ता एवं वयासी - त्रिप्पामेव भो देवाणुपिया ! हत्यिणापुरे नयरे चारगसोहणं करेह चारग० २ तां माणुम्माण ( प्पमाण ) वढणं करेह मा० २त्ता हत्यिणापुरं नयरं सब्भितरवाहिरियं आसियसंमजिओवलित्तं जाव करेह य कारवेह य करेत्ता य कारवेत्ता य जूत्रसहस्सं वा चक्कसहस्सं वा पूयामहामहिमसक्कारं वा उस्सवेह २ त्ता ममेयमाणत्तियं पचपण, तए णं ते कोडुंचियपुरिसा वलेणं रन्ना एवं वृत्ता समाणा जाव पञ्चप्पि ति । तए णं से वळे राया जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता तं चैव जाव मजगघराओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता उस्मुक्कं उक्करं उनि अदिजं अमिजं अमडप्पवेसं अदंडकोदंडिमं अधरिमं गणियावरनाडइजकलियं अणगतालाचराणुचरियं अणुद्धयमुइंग अमिलायमहृदामं पमुइयपक्कीलियं सपुरजणजाणवयं दसदिवसे ठिइवडियं करेइ, तए णं से बळे राया दसाहियाए विडियाए वट्टमाणीए सइए य साहस्सिए य सयसाहस्सिए य जाए य दाए य भाए य दलमाणे य दवावेमाणे य सइए य साहस्सिए य सयसाहस्सिए य लंभे - पडिच्छमाणे य पडिच्छावेमाणे य एवं विहरइ । तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरोपढमे दिवसे ठिइवडियं करेन्ति, तइए दिवसे चंदसूरदंसणियं करेन्ति, छडे दिवसे जागरियं करेन्ति, एक्कारसमे दिवसे वीइते निव्वत्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसाहदिवसे विउलं असणं पागं खाइमं साइमं उवक्खडावेति २ ता जहा सिवो. जावं खत्तिए य आमति २ त्ता तओ पच्छा ण्हाया तं चेव जाव सक्कारेंति सम्मार्णेति स०२ त्ता तस्सेव मित्तणाइ जाव राईण य खत्तियाण य पुरओ अज्जयपज्जयपिउपज्जयागयं बहुपुरिसपरंपरम्परूढं कुलाणुरुवं कुलसरिसं कुलसंताणतंतुविवद्धणकरं अयमेयारूवं गोणं गुणनिष्पन्नं नामधेर्ज करेंति - जम्हा णं अम्हं इमे दारए बलस्स ४१ सुत्ता० Page #694 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४२ सुत्तागमे - : : - [भगवई रन्नो पुत्ते :पभावईए देवीए अत्तए तं. होउ णं अम्हं एयस्स दारगस्स नामधेनं महव्वले, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधे करेंति महब्बलेत्ति । तए णं से महब्बले दारए पंचधाईपरिग्गहिए, तंजहा-खीरधाईए एवं जहा दढपइन्ने जाव निवायनिव्वाघायंसि सुहंसुहेणं परिवड्डइ । तए णं तस्स महब्बलस्स दारगस्स अम्मापियरो अणुपुग्वेणं ठिइवडियं वा चंदसूरदंसावणियं वा जागरियं वा नामकरणं वा. परंगामणं वा पयचंकामणं वा जेमा(मोवणं वा पिडवद्धणं वा पजपावणं वा कण्णवेहणं वा संवच्छरपडिलेहणं वा चोलोयणगं च उवणयणं च अन्नाणि य वहणि गन्भाहाणजम्मणमाइयाइं कोउयाई करेंति । तए णं तं महब्बलं कुमारं अम्मापियरो साइरेगढ़वासगं जाणित्ता सोभणंसि तिहिकरणमुहुत्तसि एवं जहा दढप्पइन्ने जाव अलं भोगसमत्थे जाए यावि होत्था । तए णं तं. महव्बलं कुमारं उम्मुकवालभावं जाव अलं भोगसमत्थं विजाणित्ता - अम्मापियरो अट्ठ पासायवडेंसए कारेंति अब्भुग्गयमूसियपहसिए इव वन्नओ जहा रायप्पसेणइजे जाव पडिरूवे, तेसि णं : पासायवडेंसगाणं वहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महेगं भवणं कारेंति अणेगखंभसयसंनिविहं वन्नओ जंहा रायप्पसेणइजे पेच्छाघरमंडवंसि जाव पडिलवे ॥ ४२८ ॥ तए णं तं महब्वलं कुमारं अम्मापियरो अन्नया कयाइ सोभणंसि तिहिकरणदिवसनक्खत्तमुहुर्तसि पहायं सव्वालंकारविभूसियं पमक्खणगण्हाणगीयवाइयपसाहणटुंगतिलगकंकणअविहववहुउवणीयं मंगलसुजंपिएहि य वरकोउयमंगलोवयारकयसंतिकम्मं सरिसियाण सरित्तयाणं सरिव्वयाण सरिसलावन्नरूवजोव्वगगुणोववेयाणं विणीयाणं सरिसएहिं रायकुलेहितो आणिलियाणं अट्ठण्हं रायवरकन्नाणं एगदिवसेणं पाणि गिण्हाविसु । तए णं तस्स महाबलस्स कुमारस्स अम्मापियरो अयमेयारूवं पीइदाणं दलयंति तं०-अट्ठ हिरन्नकोडीओ अट्ट सुवन्नकोडीओ अट्ट सउडे मउडप्पवरे अट्ट कुंडलजोए कुंडलजोयप्पवरे अट्ट हारे हारप्पवरे अह अद्धहारे अद्धहारप्पवरे अट्ठ एगावलीओ एगावलिप्पवराओ एवं मुत्तावलीओ एवं कणगावलीओ एवं रयणावलीओ अट्ठ कडगजोए कंडगजोयप्पवरे एवं तुडियजोए अट्ठ खोमजुयलाइं खोमजुयलप्पवराई एवं वडंगजुयलाई एवं पट्टजुयलाई एवं दुगुलजुयलाई अट्ठ सिरीओ अट्ठ हिरीओ एवं धिईओ कित्तीओ वुद्धीओ लच्छीओ अट्ठ नंदाई अट्ठ भद्दाइं अट्ठ तले तलप्पवरे सव्वरयणामए णियगवरभवणकेऊ अट्ट झए झयप्पवरे अट्ठ वए वयप्पवरे दसगोसाहस्सिएणं वएणं अट्ठ नाडगाइं नाडगप्पवराई वत्तीसवद्धणं नाडएणं अट्ठ आसे आसप्पवरे सव्वरयणामए सिरिघरपडिरूवए अट्ट हत्थी हत्थिप्पवरे सव्वरयणामएसिरिघरपडिरूवए अट्ट जाणाई जाणप्पवराइं अह जुग्गाइं जुग्गप्पवराई एवं सिवियाओ Page #695 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ११ उ० ११] सुत्तागमे ઘરૂ एवं संदमाणीओ एवं गिल्लीओ थिल्लीओ अट्ट वियडजाणाई वियडजाणप्पवराइं अट्ठ रहे पारिजाणिए अट्ट रहे संगामिए अट्ट आसे आसप्पवरे अट्ट हत्थी हत्थिप्पवरे अट्ट गामे गामय्पवरे दसकुलसाहस्सिएणं गामेणं अट्ठ दासे दासप्पवरे एवं दासीओ एवं किंकरे एवं कंचुइजे एवं वरिसधरे एवं महत्तरए अट्ठ सोवन्निए ओलंवणदीवे अट्ट रुप्पमए ओलंबगदीवे अट्ट सुवन्नरुप्पमए ओलंबणदीवे अट्ट सोवन्निए उकंचणदीवे एवं चेव तिन्निवि, अट्ठ सोवण्णिए पंजरदीवे एवं चेव तिण्णिवि, अट्ट सोवण्णिए थाले अट्ट रुप्पमए थाले अट्ट सुवन्नरुप्पमए थाले अट्ठ सोवन्नियाओ पत्तीओ ३ अट्ठ सोवन्नियाई थासयाई ३ अट्ट सोवन्नियाई मंगला(मल्दगा)इं ३ अट्ट सोवन्नियाओ तलि-. याओ ३ अट्ट सोवन्चियाओ क्रविचियाओ ३ अट्ट सोवन्निए अवएडए अट्ठ सोवन्नियाओ अवयकाओ ३ अट्ट सोवण्णिए पायपीढए ३ अट्ट सोवन्नियाओ भिसियाओ ३ अट्ट सोवन्नियाओ करोडियाओ ३ अह सोवन्निए पलंके ३ अह सोवन्नियाओ पडिसेजाओ ३ अट्ट हंसासणाई अट्ट कोचासणाई एवं गमलासणाई उन्नयासणाइं पणयासणाई दीहासणाई महासणाई पक्वासणाई मगरासणाई अट्ठ पउमासणाइं अट्ठ दिसासोवत्थियासणाई अह तबसमुग्गे जहा रायप्पसेगइज्जे जाव अट्ट सरिसवसमुग्गे अट्ट न्युज्जाओ जहा उववाइए जाव अट्ट पारिसीओ अट्ट छत्ते अट्ट छत्तधारीओ चडीओ अट्ट चामराओ अट्ट चामरधारीओ चेडीओ अट्ठ तालियंटे अट्ट तालियंटधारीओ चेडीओ अ करोडियाधारीओ चेडीओ अट्ठ खीरधाईओ जाव अट्ठ अकघाइओ अ अंगमहियाओ अट्ट उम्सद्दियाओ अढे पहावियाओ अट्ठ पसाहियाओ अट्ठ वनग(चंदण)पेसीओ अट्ठ चुन्नगपेसीओ अट्ट कोडागारीओ अट्ठ दवकारीओ अट्ट उवत्याणियाओ अह नाडइनाओ अढ कोडंविणीओ अट्ठ महाणसिणीओ अट्ठ भंडा-- गारिणीओ अट्ट अ(भा)ज्झाधारिणीओ अट्ठ पुप्फधारिणीओ अट्ठ पाणिधारिणीओ अट्ठ वलिकारीओ अट्ट'सेनाकारीओ अट्ठ अभितरियाओ पडिहारीओ अट्ठ वाहिरियाओ पडिहारीओ अट्ठ मालाकारीओ अट्ठ पेसणकारीओ अन्नं च सुवहुं हिरन्नं. वा सुवन्नं वा कंसं वा दूसं वा विउलधणकणग जाव संतसारसावएजं अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पकामं दाउं पकामं भोत्तुं पकामं परिभाएउ । तए णं से महब्बले कुमारे एगमेगाए भज्जाए एगमेगं हिरन्नकोडि दलयइ एगमेगं सुवन्नकोर्डि दलयइ एगमेगं मउडं मउडप्पवरं दलयइ एवं तं चेव सव्वं जाव एगमेगं पेसणकारि दलयई अन्नं च सुवहुं हिरन्नं वा सुवणं वा जाव परिभाएउं, तए णं से महव्वले कुमारे उप्पि पासायवरगए जहा जमाली जाव विहरइ ॥ ४२९ ॥ तेणं कालेणं तेण समएणं विमलस्स अरहओ पओप्पए धम्मघोसे नाम अणगारे जाइसंपन्ने, Page #696 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४४ सुत्तागमे - [भगवई घन्नओ जहा केसिसामिस्स जाव पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिखुडे पुव्वाणुपुट्वि चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे जेणेव हत्थिणापुरे नयरे जेणेव सहसंववणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अहापडिरूवं उग्गहं ओगिण्हइ २ त्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं हत्थिणापुरे नयरे सिंघाडगतिय जाव परिसा पज्जुवासइ । तए णं तस्स महब्बलस्स कुमारस्स तं महया जणसई वा जणवूहं वा एवं जहा जमाली तहेव चिंता तहेव कंचुइज्जपुरिसं सद्दावेइ, कंचुइज्जपुरिसोवि तहेव अक्खाइ, नवरं धम्मघोसस्स अणगारस्स आगमणगहियविणिच्छए करयल जाव. निग्गच्छइ, एवं खलु देवाणुप्पिया! विमलस्स अरहओ पउप्पए धम्मघोसे नाम अणगारे सेसं तं चेव जाव सोवि तहेव रहवरेणं निग्गच्छइ, धम्मकहा जहा केसिसामिस्स, सोवि तहेव अम्मापियरो आपुच्छइ, नवरं धम्मघोसस्स अणगारस्स अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए तहेव वृत्तपडिवुत्तया नवरं इमाओ य ते जाया विउलरायकुलवालियाओ कला० सेसं तं चेव जाव ताहे अकामाई चेव महब्बलकुमारं एवं वयासी-तं इच्छामो ते जाया! एगदिवसमवि रजसिरिं पासित्तए, तए णं से महब्वले कुमारे अम्मापियराण वयणमणुयत्तमाणे तुसिणीए संचिठ्ठइ । तए णं से वले राया कोडंवियपुरिसे सद्दावेइ एवं जहा सिवभहस्स तहेव रायाभिसेओ भाणियव्वो जाव अभिसिंचइ २ त्ता करयलपरिग्गहियं महब्वलं कुमारं जएणं विजएणं वद्धावेंति जएगं विजएणं वद्धावित्ता एवं वयासीभण जाया ! किं देमो किं पयच्छामो सेसं जहा जमालिस्स तहेव जाव तए णं से महब्वले अणगारे धम्मघोसरस अणगारस्स अंतियं सामाइयमाइयाइं चोद्दस पुवाई अहिज्जइ २ त्ता वहूहिं चउत्य जाव विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे वहपडिपुन्नाइं दुवालस वासाइं सामनपरियागं पाउणइ २ त्ता मासियाए सलेहणाए सटिं भत्ताइं अणसणाए छेदेइ २ त्ता आलोइयपडिकंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा उद्धं चंदिमसरिय जहा अम्मडो जाव वंभलोए कप्पे देवत्ताए उववन्ने, तत्थ णं अत्थगइयाणं देवाणं दस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता, तत्थ णं महब्बलस्सवि देवस्स दस सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता, से गं तुमं सुदंसणा! वंभलोए कप्पे दस सागरोवमाई दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरित्ता ताओ चेव देवलोगाओ आउक्खएणं ३ अगंतरं चयं चइत्ता इहेव वाणियगामे नयरे सेट्टिकुलंसि पुत्तत्ताए पच्चायाए ॥४३०॥ तए णं तुमे सुदंसणा! उम्मुक्कवालभावेणं विनायपरिणयमेत्तणं जोव्वणगमणुप्पत्तेणं तहारुवाणं थेराणं अंतियं केवलिपन्नत्ते धम्मे निसंते, सेऽविय धम्मे इच्छिए पडि. च्छिए अभिरुइए तं सुटु ण तुमं सुदंसणा! इदाणिं पकरेसि । से तेणटेणं सुदंसणा! Page #697 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ११ उ० १२] सुत्तागमे .६४५ एवं वुच्चइ-अस्थि णं एएसिं पलिओवमसागरोवमाणं खएइ वा अवचएइ वा, तए णं , तस्स सुदंसणस्स सेहिस्स समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं एयमढे सोचा निसम्म सुभेणं अज्झवसाणेणं सुभेणं परिणामेणं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं तयावरणिजाणं कम्माणं खओवसमेणं ईहापोहह्मग्गणगवेसणं करेमाणस्स सन्नीपुत्रजाईसरणे समुप्पन्ने एयम8 सम्म अभिसमेइ, तए णं से सुदंसणे सेट्ठी समणेणं भगवया महावीरेणं संभारियपुव्वभवे दुगुणाणीयसद्धसंवेगे आणंदंसुपुन्ननयणे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आ० २ वंदइ नमसइवं० २ त्ता एवं वयासी-एवमेयं भंते ! जाव से जहेयं तुम्भे वदहत्तिकट्ठ उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमइ सेसं जहा उसभदत्तस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणे, नवरं चोद्दस पुत्वाइं अहिज्जइ, बहुपडिपुन्नाई दुवालस वासाइं सामनपरियागं पाउणइ, सेसं तं चेव । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥४३१॥ महब्बलो समत्तो॥ एगारसमे सए एगारसमो उद्देसो समत्तो ।। तेणं कालेणं तेण समएणं आलंभिया नाम नयरी होत्था वन्नओ, संखवणे उज्नाणे वन्नओ, तत्थ णं आलंभियाए नयरीए वहवे इसिभद्दपुत्तपामोक्खा समणोवासगा परिवसंति, अड्डा जाव अपरिभूया अभिगयजीवाजीचा जाव विहरति । तए णं तेसि समणोवासयाणं अन्नया कयाइ एगयओ सहियाणं समुवागयाणं संनि(समु)विट्ठाणं सन्निसन्नाणं अयमेयालवे मिहो कहासमुल्लावे, समुप्पज्जित्था-देवलोगेसु णं अजो! देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? तए णं से इसिभद्दपुत्ते समणोवासए देवढ़िइगहियद्वे ते समणोवासए एवं वयासी-देवलोएसु णं अज्जो ! देवाणं जहण्णेणं दसवाससहस्साई ठिई पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया दुसमयाहिया जाव दससमयाहिंया संखेजसमयाहिया असंखेजसमयाहिया उनोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता, तेण परं वोच्छिन्ना देवा य देवलोगा य । तए णं ते समणोवासगा इसिभद्दपुत्तस्स समणोवासगस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव एवं परूवेमाणस्स एयमद्वं नो सद्दहति नो पत्तियति नो रोयंति एयमद्रं असहहमाणा अपत्तियमाणा अरोएमाणा जामेव दिसिं पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया ॥ ४३२ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे 'भगवं महावीरे जाव समोसढे जाव परिसा पज्जुवासइ । तए णं ते समणोवासगा . इमीसे कहाए लट्ठा समाणा हतुट्ठा एवं जहा तुंगिउद्देसए जाव पजुवासंति । तए ण समणे भगवं महावीरे तेसिं समणोवासगाणं तीसे य महइ० धम्मकहा जाव 'आणाए आराहए भवइ । तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हट्ठा उठाए उठेन्ति उ०.२ त्ता समणं भगवं महावीरं • वंदन्ति नमंसन्ति वं० २ ता एवं वयासी-एवं खल भंते । इसिभद्दपुत्ते समणोवासए Page #698 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४६ सुत्तागमे [ भगवई अम्हें एवं आइक्खर जाव परवेश्-देवलोएमु णं अजो ! देवाणं जहनेणं दस वारानहस्साई ठिई पत्ता तेण परं समयाहिया जाव तेण परं बच्चिया देवा न ठेवलीगा य, से कहमेयं भंते! एवं ? अज्जोत्ति समणे भगवं महावीरे ने नमोवासए एवं घयासी-जन्नं अजो ! इसिभद्दपुत्ते समणोवासए तु एवं आइस नाव परवेशदेवलोगेसु णं अजो ! देवाणं जहनेणं दस वाससहस्रााई ठि पत्रना नेण परं समयाहिया जावे ते परं वोच्छिन्ना देवा य देवलोगा य, सचे णं एसमट्टे, अहं पुण अजो। एवमाइक्खामि जाव पवेमि-देवलोगेमु ण अजो प्रयाणं जस वाससहस्साइं तं चैव जाव तेण परं वोच्छिन्ना देवाय देवलगाव, सणं एसमहे । तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवओ महावीरस्स अतियं एवमहं मोमा निसम्म समणं भगवं महावीरं वंदन्ति नमसन्ति वं० २त्ता जेणेव भिवपुत्ते समो वासए तेणेव उवागच्छन्ति २ त्ता इसिभद्दपुत्तं समणोवासगं वदति नमनंति ०२ ता एयमहं सम्मं विणएणं भुज्जो २ खामेति । तए णं ते समणोवासभा परिणाएं पुच्छंति २त्ता अट्ठाई परियादियंति अ० २ त्ता समणं भगवं महावीरं वंदति नर्मसति ० २त्ता जामेव दिसिं पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया ॥ ४३३ ॥ भवेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ वं० २ त्ता एवं व्यासी- पभू णं भंत ! इसिभद्दपुत्ते समणोवासए देवाणुप्पियाणं अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराओ अगगारिय पव्वइत्तए ? गोयमा ! णो इणट्ठे समहे, गोयमा ! इतिभद्दपुत्ते णं समणोवासए बहूहिं सीलन्वयगुणवयवेरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासेहिं अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मे हिं अप्पाणं भावेमाणे बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणहि ० २ त्ता मातियाए संदेहणाए अत्ताणं झूसेहिइ मा० २ त्ता सहिं भत्ताई अणसणाए छेदेहिइ २ ता आलोइयपडिते समाहिपत्ते कालमासे कालं किचा सोहम्मे कप्पे अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववज्जिहिइ, तत्यं णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई प०, तत्थ णं इसिभद्दपुत्तस्सवि देवस्स चत्तारि पलिओवमाई ठिई भविरसइ । से णं भंते ! इसिभद्दपुत्ते देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं जाव कहि उववज्जिहिइ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं काहि । सेवं भंते! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे जाव अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥४३४॥ तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ आलंभियाओ नयरीओ संखवणाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता वहिया जणवयविहारं विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं आलंभिया नामं नयरी होत्था वन्नाओ, तत्थ णं संखवणे णामं उज्जाणे होत्या वन्नओ, तस्सं णं संखवणस्स उज्जाणस्स अदूरसामंते पोग्गले नामं परिव्वायए परिवसइ रिउ - 1 I 1 Page #699 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० ११ उ० १२] सुत्तागमे ६४७ च्वेयजजुन्वेय जाव नएसु'सुपरिनिट्ठिए छठंछठेणं अणिक्खित्तेण तवोकम्मेणं उद्धं बाहाओ जाव आयावेमाणे विहरइ । तए णं तस्स पोग्गलस्स छटुंछटेणं जाव "आयावेमाणस्स पगइभद्दयाए-जहा सिवस्स जाव विभंगे नामं अन्नाणे समुप्पन्ने; से ‘णं तेणं विभंगेणं अण्णाणेणं समुप्पन्नेणं वंभलोए कप्पे देवाणं ठिइं जाणइ पासइ । तए णं तस्स पोग्गलस्स परिव्वायगस्स अंयमेयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्थाअस्थि णं ममं अइसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, देवलोएसु णं देवाणं जहन्नेणं दसवास. “संहस्साई ठिई प०, तेण परं समयाहिंया दुसमयाहिंया जाव असंखेजसमयाहिया उकोसेणं दससागरोवमाइं ठिई प०, तेण परं वोच्छिन्ना देवा य देवलोगा य, एवं 'संपेहेइ २ त्ता आयावणभूमीओ पच्चोरुहइ आ० २ ता तिदंडकुंडिया जाव धाउरत्ताओं ये गेण्हइ २ त्ता जेणेव आलंभिया णयरी जेणेव परिव्वायगावसहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता भंडनिक्खेवं करेइ भं० २ त्ता आलंभियाए नयरीए सिंघाडग जाव पहेमु अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव परुवेइ-अत्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं अइसेसे नाणदसणे समुप्पन्ने, देवलोएसु णं देवाणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई तहेव जाव वोच्छिन्ना देवा य देवलोगा य । तए णं आलंभियाए नयरीए एएणं अभिलावेणं जहा सिवस्स तं चेव जाव से कहमेयं मन्ने एवं ? सामी समोसढे जाव परिसा पडिगया, भगवं गोयमे तहेव भिक्खायरियाए तहेव वहुजणसई निसामेइ तहेव वहुजणसई निसामेत्ता तहेव सव्वं भाणियव्वं जाव अहं पुण गोयमा ! एवं आइक्खामि एवं भासामि जाव परूवेमि-देवलोएसु णं देवाणं जहन्नेणं दस वाससहस्साई ठिई पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया दुसमयाहिया जाव उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता, तेण परं वोच्छिन्ना देवा य देवलोगा य । अत्थि णं भंते ! सोहम्मे कप्पे दव्वाइं सवन्नाइंपि अवन्नाइंपि तहेव जाव हंता अत्यि, एवं ईसाणेवि, एवं जाव अञ्चुए, एवं गेवेजविमाणेसु अणुत्तरविमाणेसुवि, ईसिपव्भाराएवि, जाव हंता अस्थि, तए णं सा महइमहालिया जाव पडिगया, तए णं आलंभियाएं नयरीए सिंघाडगतिय० अवसेसं जहा सिवस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणे नवरं तिदंडकुडियं जाव धाउरत्तवत्थपरिहिए परिवडियविभंगे आलंभियं नयरं मज्झंमज्झेणं -निग्गच्छइ जाव उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमइ २ त्ता तिदंडं कुंडियं च जहा खंदओ जाव पव्वइओ सेसं जहा सिवस्स जाव अव्वाबाहं सोक्खं अणुभवंति सासयं सिद्धा । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ४३५ ॥ एक्कारसमे सए वारहमो उद्देसो समत्तो, एकारसमं सयं समत्तं ।। Page #700 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे -६४८ [ भगवई संखे १ जयंति २ पुढवी ३ पोग्गल ४ अइवाय ५ राहु ६ लोगे य ७ । नागे य ८ देव ९ आया १० वारसमसए दसुद्देसा ॥ १ ॥ तेणं कालेगं तेणं समएणं सावत्थी नाम नयरी होत्या वनओ. कोट्टए उजाणे वन्नओ, तत्य णं सावत्थीए नयरीए वहवे संखप्पामोक्खा समणोवासगा परिवसंति, अन्डा जाव अपरिभूया -अभिगयजीवाजीवा जाव विहरंति, तस्स णं संखस्स समणोवासगस्स उप्पला नाम भारिया होत्या, सुकुमाल जाव सुरुवा समणोवासिया अभिगयजीवाजीवा जाव विहरह. तत्थ णं सावत्थीए नयरीए पोक्खली नाम समणोवासए परिवसइ अहे अभिगय जाव विहरइ, तेणं कालेणं तेणं समएणं सानी समोसढे परिसा निग्गया जाव पजवासइ, तए णं ते समणोचासगा इमीसे कहाए जहा आलंभियाए जाव पब्रु. वासन्ति, तए णं समणे भगवं महावीरे तेर्सि समणोवासगाणं तीसे य महइ० धम्मकहा जाव परिसा पडिगया, तए णं ते समणोवासगा समणस्त भगवओ महावीरस्स अंतियं धर्म सोच्चा निसम्म हट्टतुट्टा समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति वं० २ त्ता पसिणाई पुच्छंति २ त्ता अट्ठाइं परियादियंति अ० २ त्ता उठाए उट्रेति उ० २ त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ कोठ्याओ उजाणाओ पडिनिक्खमन्ति २ त्ता जेणेव सावत्थी नयरी तेणेव पहारेत्य गमणाए । ४३६ ॥ तए णं से संखे समणोवासए ते समणोवासए एवं वयासी-तुम्भे गं देवाणुप्पिया! विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खंडावेह, तए णं अम्हे तं विपुलं असणं 'पाणं खाइमं साइमं आसाएमाणा विस्साएमाणा परि जेमाणा परिभाएमाणा पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणा विहरिस्सामो, तए णं ते समणोवासगा संखस्स समणोवासगस्स एयम8 विणएणं पडिसुगंति, तए णं तस्स संखस्स समणोवासगस्स अयमेयासवे सन्भत्थिए जाव समुप्पज्जित्या-नो खलु मे सेयं तं विउलं असणं जाव साइमं आसाएमाणस्स ४ पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणस्स विहरित्तए, सय खल मे पोसहसालाए पोसहियस्स वंभयारिस्स उम्मुक्कमणिसुवन्नस्स ववगयमालावन्नगविलेवणस्स निक्खित्तसत्थमुसलस्स एगस्स अविइयस्स दव्भसंथारोवगयस्स पाक्खय .पोसहं पडिजागरमाणस्स विहरित्तएत्तिकट्ठ एवं संपेहेइ २ त्ता जेणेव सावत्थी नयरा जेणेव सए गिहे जेणेव उप्पला समणोवासिया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता उप्पल समणोवासियं आपुच्छइ २ त्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पोसहसालं अणुपविसइ २ त्ता पोसहसालं पमज्जइ पो० २ त्ता उच्चारपासवणभूमि पडि• लेहेइ उ० २ ता दन्भसंथारगं संथरइ दब्भ० २ त्ता दब्भसंथारगं दुरूहइ २ त्ता पोसहसालाए पोसहिए वंभयारी जाव पक्खियं पोसह पंडिजागरमाणे विहरइ, तए Page #701 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १२० १ ] सुत्तागमे ६४९ 7 णं ते समणोवासगा जेणेव सावत्थी नयरी जेणेव साई २ गिहाई तेणेव उवागच्छंति २ ता विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेंति २ त्ता अन्नमन्ने सहावेंति अ०- २ त्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हेहिं से विउले असणपाणखाइमसाइमे उवक्खडाविए, संखे य णं समणोवासए नो हव्वमागच्छइ, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं संखं समणोवासगं सद्दावेत्तए । तए गं से पोक्खली समणोवासं ते समणोवासए एवं वयासी -अच्छह णं तुभे देवाणुप्पिया ! सुनिव्युया वीसत्था अहन्नं संखं समणोवासगं सहावेमित्तिकट्टु तेसिं समणोवासगाणं अंतियाओ पडिनिक्खमड २ ता सावत्थीए नयरीए मज्ममज्झेणं जेणेव संखस्स समणोवासगस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता संखस्स समणोवासगस्स गिहं अणुपविट्ठे । तए णं सा उप्पला समणोवासिया पोक्खलिं समणोवासगं एजमाणं पासइ २ ता हट्ठा आसणाओ अभुट्टे २ ता सत्तट्टपयाई अणुगच्छइ २ त्ता पोक्खलिं समणोवासगं वंदइ नम॑सइ वं० २ त्ता आसणेणं उवनिमंतेइ आ० २ त्ता एवं क्यासीसंदिसंतु णं देवाणुप्पिया । किमागमणप्पओयणं ? तए णं से पोक्खली समणोवासए उप्पलं समणोवासियं एवं व्यासी - कहिनं देवाणुप्पिए । संखे समणोवासए ? तए णं सा उप्पला समणोवासिया पोक्खलिं समणोवासयं एवं वयासी एवं खलु - देवाणुप्पिया । संखे समणोवासए पोसहसालाए पोसहिए वंभयारी जाव विहरइ । तए णं से पोक्खली समणोवासए जेणेव पोसहसाला जेणेव संखे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ २ त्तागमणागमणाए पडिक्कमइ ग० २ त्ता संखं समणोवासगं वंदइ नमसइ वं० २-त्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हेहिं से विउले असण जाव साइमे उवक्खडाविए तं गच्छामो णं देवाणुपिया ! तं विडलं असणं जाव साइमं आसाएमाणा जाव पडिजागरमाणा विहरामो, तए णं से संखे समणोवासए पोक्खलिं. समणोवासगं एवं वयासी - णो खलु कप्पइ मे देवाणु - प्पिया 1 तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं आसाएमाणस्स जाव पडिजागरमाणस्स विरित्तए, कप्पड़ मे पोसहसालाए पोसहियस्स जाव विहरितए, तं छंदेणं देवाणुप्रिया ! तु तं विडलं असणं पाणं खाइमं साइमं आसाएमाणा जाव विहरह, तसे पोक्खली समणोवासए संखस्स, समणोवासगस्स अतियाओ • पोस हसालाओ, पंडिनिक्खमइ २ त्ता सावत्थि नयरि मज्मज्झेणं जेणेव ते समणोवासगा तेणेव उवागच्छइ २ त्ता ते समणोवासए एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! . संखे समणोवासए पोसहसालाए पोसहिए जाव विहरड, तं छंदेणं देवाणुप्पिया । : तुभे विउलं असणपाणखाइमसाइमं जाव विहरह, संखे णं समणोवासए नो - " J Page #702 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५० सुत्तांगमे [भगवई हव्वमागच्छइ । तए णं ते समणोवासमा तं विउलं असणं ४ आसाएमाणा जाव विहरति । तए णं तस्स संखस्स समणोवासगस्स' पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयमेयास्वे जाव समुप्पज्जित्था-सेयं खलु मे कल्ल जाव जलंते समणं भगवं महावीरं वंदित्ता नमंसित्ता जाव पज्जुवासित्ता तओ पडिनियत्तस्स पक्खियं पोसहं पारित्तएत्तिकटु एवं संपेहेइ २ त्ता कलं जाव जलंते पोसहसालाओ पंडिनिक्खमइ २ त्ता सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिए संयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमित्ता पायविहारचारेणं सावत्थि नयरि मज्झमज्झेणं जाव पज्जुवासइ, अभिगमो नत्थि । तए णं ते समणोवासगा कल्लं पाउप्पभायाए जाव जलंते व्हाया जाव सरीरा सएहिं सएहिं गेहेहितो पडिनिक्खमंति २ त्ता एगयओ मिलायंति २ त्ता सेसं जहा पढमं जाव पज्जवासंति । तए णं समणे भगवं महावीरे तेसि समणोवासगाणं तीसे य धम्मकहा जाव आणाए आराहए भवइ । तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हट्टतुट्ठा उठाए उ?ति २त्ता समेणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति वं० २ त्ता जेणेव संखे समणोवासेंए तेणेव 'उवागच्छन्ति २ त्ता संखं समणोवासगं एवं वयासी-तुमं देवाणुप्पिया! हिजो अम्हे अप्पणा चेव एवं वयासीतुम्हे णं देवाणुप्पिया ! विउलं असणं जाव विहरिस्सामो, तए णं तुमं पोसहसालाए • जाव विहरिए तं सुटु णं तुमं देवाणुप्पिया! अहं हीलसि, अज्जोत्ति समणे भगवं महावीरे ते समणोवासए एवं वयासी-मा णं अज्जो ! तुब्भे संखं समणोवासगं हीलह निंदह खिंसह गरहह अवमन्नह, संखें णं समणोवासए पियधम्मे चेव दढधम्मे चेव सुदक्खुजागरियं जागरिए ॥४३७॥ भंतेत्ति भगवं सोयमे समणं भंगवं महावीरं वंदइ नमंसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-कइविहीं णं भंते! जागरिया प०? गोयमा ! तिविहा जागरिया प०, तंजहा-बुद्धजागरिया, अवुद्धजागरिया, सुदक्खुजागरिया, से कणठण भंते । एवं वुच्चइ तिविहा जागरिया प० तंजहा-बुद्धजागरिया १ अवुद्धजागरिया २ सुदक्खुजागरिया ३ ? गोयमा । जे इमे अरिहंता भगवंतो उप्पन्नणाणदंसगधरा जहा खंदए जाव सव्वन्नू सव्वदरिसी एए णं बुद्धा बुद्धजागरियं जागरंति, जे इमे अणगारा भगवंतो इरियासमिया भासासमिया जीव गुत्तबंभयारी एए णं अबुद्धा अबुद्धजागरिय जागरंति, जे इमे समणोवासगा अभिगयजीवाजीवा जाव विहरन्ति एए णं सुदक्खुजागरियं जागरंति,से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ तिविही जागरिया जाव सुदक्खु. जागरिया ॥४३८॥ तएणं से संखे समणोवोसए समण भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-कोहवसट्टे णं भंते ! जीवे कि बंधइ किं पकरेइ किं चिणाइ Page #703 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० १२ २०२] सुत्तागमे ६५१ कि उवचिणाइ? संखा! कोहवस हे णं जीवे आउयवज्जाआ सत्त कम्मपगडीओ सिढिलवंधणवद्धाओ एवं जहा पढमसए असंवुडस्स अणगारेस्स जीव अणुपरियट्टइ । माणवसट्टे णं भंते ! जीवे एवं चेव । एवं मायावसट्टेवि, एवं लोभवसट्टेवि जाव अणुपरियइ । तए णं ने समणोवासगा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं एयमहें सोचा निसम्म भीया तत्था तसिया संसारभउव्विग्गा समणं भगवं महावीरं वंदति नमैंसंति वं० २ त्ता जेणेव संखे समणोवासए तेणेव उंचागच्छंति २ त्ता संखं समगोवासंगं चंदंति नमसंति वं० २ त्ता एयमढे सम्मं विणएणं भुजो २ खामेति । तएं णं ते समगोवासगा सेसं जहा आलंभियाएं जाव पडिगया, भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वैदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-पभू णं भंते ! संखे समणोवासए देवाणुप्पियाणं संनियं सेसं जहा इसिमपुत्तस्स जाव अंतं काहिइ । सेवं भंते ! सेवं 'भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ ४३९ ॥ वारहमे सए पढमो उद्देसो लमत्तो॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं कोसंबी नामं नयरी होत्था वन्नओ, चंदो(त्तराय)वतरणे उजाणे वन्नओ, तत्थ णं कोसंवीए नयरीए सहस्साणीयस्स रन्नो पोत्ते सयाणीयस्स रन्नो पुत्ते चेडगस्स रन्नो नत्तुए मिगावईए देवीए अत्तए जयंतीए समणोवासियाए भत्तिजए उदायणे नामं राया होत्या वन्नओ, तत्थ णं कोसंबीए नयरीए सहस्साणीयस्स रन्नो मुण्हा सयाणीयस्स रन्नो भज्जा चेडगस्त रन्नो धूया उदायणस्स रन्नो माया जयंतीए समणोवासियाए भाउजा मियावई नामं देवी होत्था वन्नओ सुकुमाल जाव सुरुवा समणोवासिया जाव विहरइ, तत्थ णं कोसंबीए नयरीए सहस्साणीयस्स रन्नो धूया सयाणीयस्स रन्नो भगिणी उदायणस्स रन्नो पिउच्छा मिगावईए देवीए नणंदा वेसालीसावयाणं अरहंताणं पुव्वसिजायरी जयंती नाम समणोवासिया होत्था सुकुमाल जाव सुरूवा अभिगय जाव विहरइ ॥४४०॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे जाव परिसा पज्जवासइ । तए णं से उदायणे 'राया इमीसे कहाए लढे समाणे हद्वतुढे कोडंवियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! कोसंवि नयरिं सभितरवाहिरियं एवं जहा कूणिओ तहेव सव्वं जाव पजुवार्सइ । तए णं सा जयंती समणोवासिया इमीसे कहाए लट्ठा समाणी हट्ठट्ठा जेणेव मिगावई देवी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता मियावइं देवि एवं वयासी-एवं जहा नवमसए उसभदत्तो जाव भविस्सइ । तए णं सा मियावई देवी जयंतीए समणोवासियाए जहा देवाणंदा जाव पडिसुणेइ । तए णं सा मियावई देवी कोडंवियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! लहुकरणजुत्तजोइय जाव धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव उवट्ठति जाव पच्चप्पिणंति । तए णं सा मियावई देवी Page #704 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६५२ सुत्तागमे [ भगवई जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं व्हाया जाव सरीरा वहूहिं खुज्जाहिं जाव अंतेउराओ निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव वाहिरिया उवद्वाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता जाव दुरूढा । तए णं सा मियावई देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढा समाणी नियगपरियालगा जहा उसभदत्तो जाव धम्मयाओ जाणप्पवराओ पच्चोरुहइ । तए णं सा मियावई देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धि वहूहिं खुजाहिं जहा देवाणंदा, जाव वंदइ नमसइ उदायणं रायं पुरओ कद्रु - ठिइया चेव जाव पज्जुवासइ । तए णं समणे भगवं महावीरे उदायणस्स रन्नो मियावईए देवीए जयंतीए समणोवासियाए तीसे य महइ० जाव धम्मं परिकहेइ जाव परिसा पडिगया उदायणे पडिगए मियावई - देवीवि पडिगया ॥ ४४१ ॥ तए णं सा जयंती समणोवासिया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हट्ठतुट्ठा समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी - कहन्नं भंते ! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छन्ति ? जयंती ! पाणाइवाएणं जाव मिच्छादंसणसणं, एवं खलु जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छंति एवं जहा पढमसए जाव वीईवयंति । भवसिद्धियत्तणं भंते ! जीवाणं किं सभावओ परिणामओ ? जयंती ! सभावओ तो परिणामओ । सव्वेविणं भंते ! भवसिद्धियां जीवा सिज्झिस्संति ? हंता जयंती ! सव्वेविणं भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्संति । जइ णं भंते । सव्वेवि भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्संति तम्हा णं भवसिद्धियविरहिए लोए भविस्सइ ? णों इणट्टे समट्ठे से केणं खाइएणं अद्वेणं भंते ! एवं च सव्वेवि णं भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्संति नो चेव णं भवसिद्धियविर - हिए लोए भविस्सइ ? जयंती ! से जहानामए सव्वागा| ससेढी सिया अणाइया अणवदग्गा परित्ता परिवुडा सा णं परमाणुपोग्गलमेत्तेहि खंडेहिं समए २ अवहीर - माणी २ अनंताहिं. उस्सप्पिणीओसग्पिणीहि अवहीर नो चेव णं अवहिया _ सिया, से तेणद्वेणं जयंती ! एवं वुच्चइ सव्वेवि णं भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्संति नो चेवः णं भवसिद्धियविरहिए लोए भविस्सइ ॥ सुत्तत्तं भंते! साहू जागरियत्तं साहू ? जयंती ! अत्थेगइयाणं जीवाणं सुत्तत्तं साहू अत्थेगइयाणं जीवाणं जागरियत्तं साहू, से केणट्टेणं भंते । एवं बुच्चइ अत्थेगइयाणं जाव साहू 2 जयंती ! जे इमे जीवा अहम्मिया अहम्माणुया अहम्मिट्ठा अहम्मक्खाई अहम्मपलोई अहम्मपलजमाणां अहम्मसमुदायारा अहम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरंति एएसि - जीवाणं सुत्तत्तं साहू, एए णं जीवा सुंत्ता- समाणा नो बहूणं पाणभूयजीवसत्ताणं दुक्खणयाए सोयणयाए जाव परियावणयाए वति, एए णं जीवा सुत्ता समाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा नो वहूहिं अहम्मियाहि संजोयणाहि संजोएत्तारो = 43 · Page #705 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १२ उ०३] सुत्तागमे भवंति, एएसिं जीवाणं सुत्तत्तं साहू, जयंती ! जे इमे जीवा धम्मिया धम्माणुया ' जाव धम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति एएसि णं जीवागं जागरियत्तं साहू, एए गं जीवा जागरा समाणा वहणं पाणाणं जाव सत्ताणं अदुक्खणयाए जाव अपरियावणयाए वदंति, ते णं जीवा जागरमाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा वहहिं धम्मियाहिं संजोयणाहिं संजोएत्तारो भवंति, एए णं जीवा जागरमाणा धम्मजागरियाए अप्पागं जागरइत्तारो भवंति, एएसिणं जीवाणं जागरियत्तं साहू, से तेणटेणं जयंती ! एवं बुच्चइ अत्येगझ्याणं जीवाणं सुत्तत्तं साहू अत्थेगइयाणं जीवाणं जागरियन साहू ॥ चलियत्तं भंते ! साहू दुव्बलियत्तं साहू ? जयंती! अत्यंगइयाणं जीवाणं वलियत्तं साहू अत्यगइयाणं जीवाणं दुव्बलियत्तं साहू, से केणटेणं भंते ! - एवं वुच्चइ जाव साहू ? जयंती ! जे इमे जीवा अहम्मिया जाव विहरंति एएसि णं जीवाणं दुबलियत्तं साहू , एए णं जीवा एवं जहा सुत्तस्स तहा दुबलियस्स वत्तव्वया भाणियव्वा, वलियस्स जहा जागरस्स तहा भाणियव्वं जाव संजोएत्तारो भवति, एएसि,णं जीवाणं वलियत्तं साहू, से तेणटेणं जयंती ! एवं वुच्चइ तं चेव जाव साहू ॥ दक्खत्तं भंते ! साहू आलसियत्तं साहू ? जयंती ! अत्थेगइयाणं जीवाणं दक्खत्तं साहू अत्थेगइयाणं जीवाणं आलसियत्तं साहू', से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ तं चेव जाव साहू ? जयंती ! जे इमे जीवा अहम्मिया जाव विहरंति एएसि णं जीवाणं आलसियत्तं साहू, एए णं जीवा आलसा समाणा नो वहूणं जहा सुत्ता तहा आलसा भाणियव्वा, जहा जागरा तहा दक्खा भाणियव्वा जाव संजोएत्तारा भवंति, एए णं जीवा दक्खा समाणा वहहिं आयरियवेयावच्चेहिं उवज्झाय थर० तवस्सि० गिलाणवेयावच्चेहिं सेहवेयावचेहिं कुलवेयावच्चेहिं गणवेयावच्चेहिं संघवेयावचेहिं साहम्मियवेयावच्चेहिं अत्ताणं संजोएत्तारो भवंति, एएसि णं जीवाणं दक्खत्तं साहू, से तेणट्टेणं तं चेव जाव साहू ॥ सोइंदियवसट्टे णं भंते ! जीवे कि वधइ ? एवं जहा कोहवसट्टे तहेव जाव अणुपरियट्टइ । एवं चक्खिदियवसट्टेवि, एवं जाव फासिंदियवसट्टेवि जाव अणुपरियट्टइ । तए णं सा जयंती समणोवासिया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं एयमढं सोचा निसम्म हट्ठा सेसं जहा' देवागंदाए तहेव पव्वइया जाव सव्वदुक्खप्पहीणा । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ४४२ ॥ वारहमे सए वीओ उद्देसो समत्तो॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-कइ णं भंते ! पुढवीओ पन्नत्ताओ? गोयमा ! सत्त पुढवीओ पण्णत्ताओ, तंजहा-पढमा दोच्चा जाव सत्तमा । पढमाणं भंते ! पुढवी. किनामा किगोत्ता पण्णत्ता ? गोयमा! घम्मा नामेणं रयणप्पभा गोत्तेगं, एवं जहा Page #706 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे - [भगवई जीवाभिगमे पढमो नेरइयउद्देसओ सो चेव निरवसेसो भाणियन्त्रो जाव अप्पाबहु-. गति । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥४४३॥ वारहमे सए तइओ उद्देसोसमत्तो॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-दो भंते ! परमाणुपोगला एगयओ साहन्नति एगयओ साहगित्ता कि भवइ ? गोयमा । दुप्पएसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहा कजइ एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ परमाणुपोग्गले भवइ । तिन्नि भंते । परमागुपोग्गला एगयओ साहन्नंति २ ता किं भवइ ? गोयमा ! तिपएसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहावि तिहावि कज्जइ, दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ, तिहा कज्जमाणे तिण्णि परमाणुपोग्गला भवंति । चत्तारि भंते । परमाणुपोग्गला एगयओ साहन्नति० पुच्छा, गोयमा ! चउपएसिए खंधे भवइ, से भिज्जमाणे दुहावि तिहावि चउहावि कजइ, दुहा कजमाणे एगयओ परमाणुपोगले एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, अहवा दो दुपएसिया खंधा भवंति, तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ दुप्पएसिए खंधे भवइ, चउहा कजमाणे चत्तारि परमाणुपोग्गला भवति । पंच भंते ! परमाणुपोग्गला० पुच्छा, गोयमा! पंचपएसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहावि तिहावि चउहावि पंचहावि कजइ, दुहा कजमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ अहवा 'एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ-तिप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति, चउहा कन्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ दुप्पएसिए खंधे भवइ, पंचहा कन्जमाणे पंच परमाणुपोग्गला भवंति । छन्भंते !, परमाणुपोग्गला० पुच्छा, गोयमा ! छप्पएसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहावि तिहावि जाव छव्विहावि कजइ, दुहा कजमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दुप्पएसिए खंधे एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ अहवा दो तिपएसिया खंवा भवन्ति, तिहा कजमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा तिन्नि दुपएसिया खंधा भवन्ति, चउहा कजमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयआ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला भवंति एगयओ दो दुप्प. एसिया खंधा भवंति, पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला -एगयओं दुपएसिए खंधे भवइ, छहा कजमाणे छ परमाणुपोग्गला भवंति । सत्त भंते ! परमाणुपोग्गला० पुच्छा, गोयमा ! सत्तपएसिए खधे भवइ, से भिज्जमाणे दुहावि जाव , Page #707 -------------------------------------------------------------------------- ________________ = वि० प० स० १२ उ० ४ ] सुत्तागमे ६५५ सत्तहावि कज्जइ, दुहा कंजमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ छाप एसिए धे भवर अहवा एगयओ दुप्पएलिए खंधे भवइ एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ तिप्पएतिए संधे एगयओ चउपएतिए बंधे भवई, तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहह्वा एगयओ परमाणुपोग्गले एगय-ओ दुपएसिए खंधे एगयओ चउपएसिए संधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले - एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ दो दुपएसिया संधा भवंति एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, चउहा कजमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ - चउप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ तिपएतिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओं तिन्नि दुपएसिया खंधा भवंति, पंचहा कजमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ तिपएसिए संवे भवइ अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ दो दुपएसिया, खंधा भवति, छहा कजमाणे एगयओ पंच परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ, सत्तहा कज्जमाणे सत्त परमाणुपोग्गला भवंति । अट्ठ भंते ! परमाणुपोग्गला० पुच्छा, गोयमा ! अट्ठपएसिए खंधे भवइ जाव दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ सत्तपएलिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ तिपएसिए खंधे एगयओ पंचपए सिए खंधे भवइ अहवा दो चउप्पएसिया खंधा भवंति, तिहा कजमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ छप्पएलिए संधे भवइ अहंवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुप्पएसिए खंधे एगयओ पंचपएनिए खंधे भवइ अहवा. एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ तिपएसिए खंधे एगयओ चउपएलिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो दुपएसिया खंधा एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ दो तिपएसिया, संधा भवति, चउहा कज्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दोन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए संधे एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दो दुपएसिया खंधा० एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा चत्तारि-, दुपएसिया खंधा भवंति, पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ - चउप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुप्रोग्गला एगयओ - तिन्नि दुपएसिया खंधा भवंति, छहा कजमाणे एगयओ पंच परमाणुपोग्गला एगयओ तिपए -- F " Page #708 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५६ सुत्तागमे [ भगवई , सिए खंधे भवइ अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ दो दुपए सिया संधा भवन्ति, सत्तहा कज्जमाणे एगयओ छ परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ अट्ठहा कज्जमाणे अट्ठ परमाणुपोग्गला भवंति ॥ नव भंते ! परमाणुपोग्गला० पुच्छा, गोयमा ! जाव नवविहा कज्जति, दुहा कज्जमाणे एगयओं परमाणुपोग्गले एगयओ अट्ठपएसिए खंधे भवइ,एवं एक्क्कं संचा (रिए) रेंतेहि जाव अहवा एगयओ चउप्पएसिए खंधे एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ, तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ सत्तपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपए सिए खंधे एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुमोग्गले एगयओ तिपएसिए खंधे एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहंवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दो चउप्पएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ तिपएसिए खंधे एगयओ चडपएसिए खंधे भवइ अहवा तिन्नि तिपएसिया खंधा भवंति चउहा कज्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ तिपएसिए खधे एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दो दुपएसिया खंधा एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोगले एगयओ दुपए लिए खंधे एगयओ दो तिपएसिया खधा भवंति अहवा एगयओ तिन्नि दुप्पएसिया खंधा एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, पंचहा कजमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ दो दुपएसिया खंधा एंगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोगले एगयओ चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति, छहा कजमाणे एगयओ पंच परमाणुपोग्गला एगयओ चउप्प एसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ दुप्पएलिए खंधे एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओं तिन्नि दुप्पएसिया खंधा भवंति, सत्तहा कज्जमाणे एगयओ छ परमाणुपोग्गला एगयओ तिप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ पंच परमाणुपोग्गला एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति, अट्टहा कजमाणे एगयओ सत्त परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए संधे भवइ, नवहा कज्जमाणे नव परमाणुपोग्गला भवंति ॥ दस भंते! परमाणु-मोग्गला • पुच्छा, गोयमा ! जांव दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ f Page #709 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स. १२ उ० ४] सुत्तागमे ६५७ नवपएसिए खंधे भवइ - अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ अट्ठपएसिए खधे भवइ एवं एक्वेनं संचारेयब्बति जाव अहवा दो पंचपएसिया खंधा भवंति, तिहा कजमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ अट्टपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपएंसिए खंधे , एगयओ सत्तपएंसिए बंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ-एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले.एगयओ च उप्पएसिए० एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ सिपएसिए खंधे एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ दो चउप्पएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ दो तिपएसिया खंधा० एगयओ- चउप्पएसिए खंधे भवइ, चउहा कज्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ सत्तपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए०एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ तिप्पएसिए खंधे एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एंगयओ दो चउप्पएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपएसिए० एगयओ तिपएसिए० एगयओ चउप्पएसिए खंधे.भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ तिन्नि तिपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ तिन्नि दुपएसिया खंधा० एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो दुपएसिया खंधा एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति, पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ छपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ पंचपएसिए खंथे भवइ अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ तिपएसिए खंधे एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणु० एग० दो दुपएसिया खंधा एग० च उप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए खंधे० एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओं तिन्नि दुपएसिया० एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा पंच दुपएसिया खंधा भवंति, छहा कन्जमाणे एगमओ पंच परमाणुपोग्गला एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए० एगयओ चउपएसिए खधे भवइ अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गल। एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ दो दुपएसिया खंधा० एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति, सत्तहा कज्जमाणे एगयओं छ परमाणुपोग्गला एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ पंच परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए. ४२ सुत्ता. Page #710 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भगवई सुतागमे ६५८ एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ तिन्नि दुपएसिया खंधा भवंति अट्ठहा कजमाणे एगयओ सत्त परमाणुपोग्गला एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ छ परमाणुपोग्गला एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवति, नवहा कज्जमाणे एगयओ अट्ठ परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ दसहा कज्जमाणे दस परमाणुपोग्गला भवंति । संखेज्जा णं भंते । परमाणुपोग्गला एगयओ साहन्नंति एगयओ साहण्णित्ता किं भवइ ? गोयमा ! संखेजपएसिए खंधे भवई से भिज्जमाणे दुहावि जाव दसहावि संखेज्जहावि कजइ, दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ संखेजपए सिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ तिपएसिए खंधे एगयओ संखेज्जप एसिए खंधे भवइ एवं जाव अहवा एगयओ दसपएसिए खंधे एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवइ अहवा दो संखेजपएसिया खंधा भवंति, तिहा कजमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ संखेजपए सिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ संखेजपएतिए खंधे भवइ अहवा एगयंओ परमाणुपोग्गले एगयओ तिपएसिए खंधे एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवइ एवं जाव अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दसपएसिए खंधे एगयओ संखेज्जप एसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोगले एगयओ दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ दुपएसिए संधे एगयओ दो सखेजपएसिया खंधा भवंति एवं जाव अहवा एगयओ दसपएसिए खंधे एगयओ दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति अहवा तिन्नि संसेज्जपएसिया खंधा भवंति चउहा कज्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ संखेज्जपए सिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ संखेज्जपए सिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ तिप्पएसिए एगयओ संखेज - पएसिए खंधे भवइ एवं जाव अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ दसपएसिए० एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति एवं जाव अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दसपएसिए खंधे एगयओ दो संखेजपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ तिन्नि संखेजपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ तिन्नि संखेज्जपएसिया खंधा भवंति एवं जाव अहवा एगयओ दसपएसिए खंधे एगयओ तिन्नि संखेजपएसिया खंधा भवंति अहवा ० " Page #711 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० सुत्तागमे ६५९ चत्तारि संखेज्जपएसिया खंधा भवंति एवं एएणं कमेणं पंचगसंजोगोवि भाणियव्वो जाव नवगसंजोगो, दसहा कजमाणे एगयओ नव परमाणुपोग्गला एगयओ संखेजयएसिए संधे भवइ अहवा एगयओ अट्ठ परमाणुपोग्गला एगयओ दुपए सिए० एगयओ संखेजंपएसिए खंधे भवइ, एवं एएणं कमेणं एक्केको पूरेयव्वो जाव अहवा एगयओ दसपएसिए खंधे एगयओ नव संखेजपए सिया संधा भवंति अहवा दस संखेज एसिया संधा भवंति, संखेज्जहा कजमाणे संखेज्जा परमाणुपोग्गला भवति । असंखेजा णं भंते! परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति एगयओ साहणित्ता किं भवइ ? गोयमा ! असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ, से भिज्जमाणे दुहावि जाव दसहावि संखेजहावि असंखेजहावि कज्जइ, दुहा कजमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ एवं जाव अहवा एगयओ दसपएसिए• एगयओ असंखेज्जपएलिए खंधे भवइ अहवा एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे एगयओ असंखेजपएसिए खंधे भवइ अहवा दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति, तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमापोग्गला एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गळे एगयओ दुपएसिए० एगयओ असंखेजपएसिए खंधे भवइ जाव अहवा एगयओ परमापोग्गले एगयओ दसपएसिए एगयओ असंखेजपए सिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ संखेजपए सिए एगयओ असंखेजपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ दुपएसिए• एगयओं दो असंखेजपएसिया खंधा भवंति एवं जाव अहवा एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवइ एगयओ दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति अहंवा तिन्नि असंखेजपए सिंया खंधा भवंति चउहा कज्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ असंखेज एसिए खंबे भवइ एवं चउक्कगसंजोगो जाव दसगसंजोगो ए (वं) ए जहेव संखेज्जपएसियस्स नवरं असखेज्जयं एवं अहिगं भाणियव्वं जाव अहवा दस असंखेजपएसिया संधा भवंति, संखेजहा कजमाणे एगयओ संखेजा परमाणु पोग्गला एगयओ असंखेज्जप एसिए संधे भवई अहवा एगयओ संखेज्जा दुपएसिया खंधा एगयओ असंखेज एसिए खंधे भवइ एवं जाव अहवा एगयओ संखेजा दसपएसिया खंधा एगयओ असंखेजपए सिए खंधे भवइ अहवा एगयओ संखेजा संखेजएसिया खंधा एगयओ असंखेजपएसिए खंधे भवइ अहवा संखेज्जा असंखेजपएसिया खंधा भवंति, असंखेजहा कजमाणे असंखेजा परमाणुपोग्गला भवंति । अनंता णं भंते! परमाणुपोग्गला जाव किं भवंति ? गोयमा ! अणतपएसिए खंधे भवइ, से भिज्नमाणे दुहावि तहावि जाव दसहावि संखेजहा असंखेज्जहा अणंतहावि कज्जइ, ० प० स० १२ उ० ४ ] ० " Page #712 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६० "सुत्तागमे [भगवई दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ एवं जाव अहवा दो अणंतपएसिया खंधा भवंति, तिहा कन्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ अगंतपएसिएँ खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपएसिए. एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ जाव अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ असंखेजपएसिए० एगयओ अगंतपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दो अणंतपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ दुपएसिए० एगयओ दो अणंतपएसिया खंधा भवंति एवं जीव अहवा एगयओ दसपएसिए० एगयओ दो अणंतपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ संखेजपएसिए० एगयओ दो अगंतपएसिया खंधा भवंति अहवाएंगयओ असंखेजपएसिएं खंधे एगयओ दो अणंतपएसिया खंधा भवंति अहवा तिन्नि अणंतपएसिया खंधा भवंति, चउहा कजमाणे एगयओ तिन्नि परमागुपोग्गला एगयओ अणंतपएसिए खंधे. भवइ एवं चउक्कसंजोगो जाव असंखेजगसंजोगो, एए सव्वे जहेव असंखेज्जाणं भणिया तहेव अणंताणवि भाणियव्वा नवरं एक अणंतगं अब्भहियं भाणियव्वं जाव अहवा एगयओ संखेजा संखेजपएसिया खंधा एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ संखेजा असंखेजपएसिया खंधा एगयओ अणंतपंएसिए खंधे भवइ अहवा संखेज्जा अणंतपएसिया खंधा भवंति, असंखेजहा कज़माणे एगयओ असंखेजा परमाणुपोग्गला एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवई अहवा एगयओ असंखेज्जा दुपएसिया खंधा एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ जाव अहवा एगयओ असंखेजा संखेजपएसिया खंधा एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ असंखेजा असंखेजपएसिया खंधा एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवई अहवा असंखेज्जा अणंतपएसिया खंधा भवंति, अणंतहा कज्जमाणे अणता परमाणुपोग्गला भवंति ॥ ४४४ ॥ एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं साहणणाभेदाणुवाएणं अणंताणं .पोग्गलपरियट्टाणं अणताणता पोग्गलपरियट्टा समगुगंतव्वा भवंतीति मक्खाया ? हंता गोयमा ! एएसि.णं परमाणुपोग्गलाणं साहणणाभेदाणु जाव मक्खाया ॥ कइविहे णं भंते ! पोग्गलपरियहे पण्णत्ते ? गोंयमा ! सत्तविहे पोग्गलपरियहे पण्णत्ते, तंजहा-ओरालियपोग्गलपरियट्टे वेउव्विय० तेयापोगलपरियटे कम्मापोग्गलपरिय? मणपोग्गलपरियहे वइपोग्गलपरियट्टे आणापाणुपोग्गलपरिय? । नेरइयाणं भंते ! कइविहे पोग्गलपरिय? पण्णत्ते? गोयमा! सत्तविहे पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते, तंजहा-ओरालियपोग्गलपरियट्टे वेउब्बियपोग्गलपरियडे जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टे, एवं जाव वेमाणियाणं । एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्त केवइया ओरालियपोग्गलपरियट्टा अतीया ? गोयमा ! अणता, केवइया पुरक्खडा Page #713 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १२ उ० ४] सुत्तागमे गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्संइ नत्थि जस्सऽत्थिं जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेजा वा अणंता वा । एंगमेगस्स ,णं मंते! असुरकुमारस्स केवइया ओरालियपोग्गलपरियट्टा ? एवं चेव; एवं जाव वेमाणियस्स। एंगमेगस्सणं भंते ! नेरंइयस्स केवइया वेउव्वियपोग्गलपरिया अतीया ?. गोयमा ! अणंता, एवं जहेव ओरालियपोग्गलपरियट्टा तहेव वेउबियपोग्गलेपरियट्टावि भाषिणयव्वा, एवं जाव वेमाणियस्स एवं जाव आणापाणुपोग्गलंपरियट्टा,एए एगत्ति(इ)या सत्त दंडगा भवंति। नेरइयाणं भंते ! केवइया ओरालियपोग्गलपरियहा अतीया? गोयमा ! अणंता, केवइया पुरक्खडा ? 'अणंता, एवं जाव वेमाणियाणं, एवं वेवियपोग्गलपरियट्टावि एवं जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टावि जाव वेमाणियाण, एवं एए पोहत्तियां सत्तचउव्वीसइ दंडगा॥ एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवइया ओरालियपोग्गलपरियट्टा अतीया ? गोयमा ! नत्थ एकोवि, केवंइया पुरक्खडा ? नत्थि एकोवि, एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स असुरकुमारत्ते केवइया ओरालियपोग्गलंपरियट्टा० ? एवं चेव, एवं जाव थणियकुमारत्ते जहाँ असुरकुमारत्ते। एंगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स पुढविक्काइयत्ते केवइया ओरालियपोग्गलपरियट्टा अतीयां ? अणंता, केवइया पुरक्खडा ? कस्सइ अत्थि- कस्सइ नत्थि जस्सत्थि तस्स जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा एवं जाव मणुस्सत्ते, वाणमंतरजोइसियवेमाणियत्ते जहा असुरकुमारत्ते । एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स नेरइयत्ते केवइया अतीया ओरालियपोग्गलपरियट्टा एवं जहा नेरइयस्स वत्तब्वया भणिया तहा असुरकुमारस्सवि भाणियव्वा जाव वेमाणियत्ते, एवं जाव थणियकुमारस्स, एवं पुढविकाइयस्सवि, एवं जाव -वेमाणियस्स, सव्वेसिं एक्को गमो। एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवइया वेउव्वियपोग्गलपरियट्टा अतीया ? अणंता, केवडया पुरक्खडा ? एगुत्तरिया,जाव अणंता, एवं जाव थणियकुमारत्ते, पुढविकाइयत्ते पुच्छा, नत्थि. एकोवि, केवइया पुरक्खडा ? नत्थि एकोवि, एवं जत्थ वेउव्वियसरीरं अत्थि तत्थ एगुत्तरि(या)ओ जत्थ नत्थि तत्थ जहा पुढविकाइयत्ते तहा भाणियव्वं, जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते । तेयापोग्गलंपरिया कम्मापोग्गलपरियट्टा य सव्वत्थ एगुत्तरिया भाणियव्वा, मणपोग्गलपरियहा सव्वेसु पंचिदिएसु एगुत्तरिया,, विगलिंदिएसु नत्थि, वइपोग्गलपरियट्टा एवं- चेव, नवरं एगिदिएसु नत्थि भाणियव्वा । आणापाणुपोग्गलपरिया सव्वत्थ एगुत्तरिया एवं जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते । नेरइयाणं भंते ! नेरइयत्ते केवइया, ओरालियपोग्गलपरियहा अतीया ? नत्थि एकोवि, केवइया पुरक्खडा ? नल्यि एकोवि, एवं जा थणि Page #714 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई यकुमारत्ते, पुढविकाइयत्ते पुच्छा, गोयमा ! अणता, केवइया पुरक्खडा ? अणंता, एवं जाव मणुस्सत्ते, वाणमंतरजोइसियवेमाणियत्ते जहा नेरइयत्ते एवं जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते, एवं सत्तवि पोग्गलपरियट्टा भाणियव्वा, जत्थ अस्थि तत्थ अतीयावि पुरक्खडावि अणंता भाणियव्वा, जत्थ नत्थि तत्थ दोवि नत्थि भाणियन्चा जाव वेमाणियाणं वेमाणियत्ते केवइया आणापाणुपोग्गलपरियट्टा अतीया ? अणंता, केवइया पुरक्खडा ? अगंता ॥ ४४५ ॥ से केगटेणं भंते! एवं बुच्चइ-ओरालियपोग्गलपरियट्टे २ ? गोयमा ! जणं जीवेणं ओरालियसरीरे वट्टमाणेणं ओरालियसरीरपाउग्गाई दव्वाइं ओरालियसरीरत्ताए गहियाइं वद्धाइं पुट्टाई कडाई पट्टवियाई 'निविट्ठाई अभिनिविट्ठाइं अभिसमन्नागयाइं परिया(ग)इयाई परिणामियाइं निजिन्नाई निसिरियाई निसिट्ठाई भवंति, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ ओरालियपोग्गलपरियद्दे २, एवं वेउव्वियपोग्गलपरियझेवि, नवरं वेउव्वियसरीरे वट्टमाणेणं वेउब्वियसरीरप्पाउग्गाइं सेसं तं चेव सव्वं एनं जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टे, नवरं आणापाणुपाउग्गाई सव्वदव्वाइं आणापाणुत्ताए सेसं तं चेव ॥ ओरालियपोग्गलपरियहे णं भंते ! केवइकालस्स निव्वत्तिजइ ? गोयमा । अणंताहि उरसप्पिणिओसप्पिणीहिं एवइकालस्स निव्वत्तिजइ, एवं वेउव्वियपोग्गलपरियझेवि,एवं जाव आणापाणुपोग्गलपरियझेवि ॥ एयस्स णं भंते ! ओरालियपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकालस्स वेउब्बियपोग्गल. जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकालस्स कयरे कयरेहितो जीव विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवे कम्मगपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले, तेयापोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, ओरालियपोग्गलपरियट्ट० अणंतगुणे, आणापाणुपोग्गल० अणंतगुणे, मणपोग्गल० अणतगुणे, वइपोग्गल० अगंतगुणे, वेउव्वियपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अणंतगुणे ॥ ४४६ ॥ एएसि णं भंते ! ओरालियपोग्गलपरियट्टाणं जाव आणापाणुपोग्गलपरियहाण य कयरे २ हिंतो जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा वेउव्वियपोग्गलपरिया, वइपोग्गलपरियहा अणंतगुणा, मणपोग्गलपरियट्टा अणतगुणा, आणापाणुपोग्गल० अणंतगुणा, ओरालियपो. गल० अणतगुणा, तेयापोग्गल० अणंतगुणा, कम्मगपोग्गल० अणंतगुणा । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं जाव विहरइ ॥ ४४७ ॥ वारहमे सए चउत्थो उद्देसो समत्तो॥ , रायगिहे जाव एवं वयासी-अह भंते ! पाणाइवाए मुसावाए अदिण्णादाणे मेहुणे परिग्गहे, एस णं कइवन्ने कइगंधे कइरसे कइफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे चउफासे पण्णत्ते ॥ अह भंते ! कोहे १ कोवे २ रोसे ३ दोसे ४ अख(मा)मे ५ संजलणे ६ कलहे ७ चंडिक्ले ८ भंडणे ९ विवाए १०, एस णं कइवन्ने जाव कइफासे Page #715 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० १२ उ० ५] सुत्तागमे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे चउफासे पण्णत्ते ॥ अह भंते ! माणे मदे दप्पे थंभे गव्वे अ(णु)त्तुक्कोसे परपरिवाए उक्कासे अवकासे उन्नए उन्नामे दुन्नामे १२, एस णं कइवन्ने ४ प० ? गोयमा ! पंचवन्ने जहा कोहे तहेव । अह भंते ! माया उवही नियडी वलए गहणे णूमे कके कुरूए जिम्हे किब्बिसे १० आयरणया गृहणया वंचणया पलिउंचणया साइजोगे य १५, एस णं कइवन्ने ४ प० ? गोयमा.! पंचवन्ने जहेव कोहे ॥ अह भंते ! लोभे इच्छा मुच्छा कंखा गेही तण्हा भिज्झा अभिज्झा आसासणया पत्थगया १० लालप्पणया कामासा भोगासा जीवियासा मरणासा नंदिरागे १६, एस णं कइवन्ने ४ प०१ गोयमा ! जहेव कोहे । अह भंते ! पेजे दोसे कलहे जाव मिच्छादसणसल्ले एस णं कइवन्ने ४ प०? जहेव कोहे तहेव जाव चउफासे ॥४४८॥ अह भंते ! पाणाइवायवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे, कोहविवेगे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे एस णं कइवन्ने जाव कइफासे पण्गत्ते ? गोयमा ! अवन्ने अगंधे अरसे अफासे पण्णत्ते ॥ अह भंते ! उप्पत्तिया वेणइया कम्मिया परिणामिया एस णं कइवन्ना-४ प०? तं चेच जाव अफासा पन्नत्ता ॥ अह भंते ! उग्गहे ईहा अवाए धारणा एस णं कइवन्ना ४ प० ? एवं चेव जाव अफासा पन्नत्ता ॥ अह भंते ! उठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसकारपरक्कमे एस णं कइवन्ने ४ प० १ तं चेव जाव अफासे पन्नत्ते । सत्तमे णं भंते । उवासंतरे कइवन्ने ४ प० ? एवं चेव जाव अफासे पन्नत्ते । सत्तमे णं भंते ! तणुवाए कावन्ने ४ प० ? जहा पाणाइवाए, नवरं अट्ठफासे पण्णत्ते, एवं जहा सत्तमे,तणुवाए तहा सत्तमे घणवाए घणोदही पुढवी, छठे उवासंतरे अवन्ने, तणुवाए जाव छठ्ठी पुढवी एयाइं अट्ठ फासाई, एवं जहा सत्तमाए पुढवीए वत्तव्वया भणिया तहा जाव पढमाए पुढवीए भाणियव्वं, जंबुद्दीवे २ जाव सयंभुरमणे समुद्दे, सोहम्मे कप्पे जाव ईसिपव्भारा पुढवी, नेरइयावासा जाव वेमाणियावासा एयाणि सव्वाणि अट्ठफासाणि । नेरइया णं भंते ! कइवन्ना जाव कइफासा पन्नत्ता 2 गोयमा । वेउब्बियतेयाई पड्डुच्च पंचवन्ना पंचरसा दुगंधा अहफासा.पण्णत्ता, कम्मगं पडुच्च पंचवन्ना पंचरसा दुगंधा चउफासा पण्णत्ता, जीवं पडुच्च अवन्ना जावं अफासा पण्णत्ता, एवं जाव थंणियकुमारा, पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! ओरालियतेयगाई पड्डुच्च पंचवन्ना जाव अट्ठफासा पण्णत्ता, कम्मगं पडुच्च जहा नेरइयाणं, जीवं पडुच्च तहेव, एवं जाव चउरिदिया, नवरं वाउकाइया ओरालियवेउव्वियतेयगाइं पडुच्चः पंचवन्ना जावं अट्ठफासा पण्णत्ता, सेसं जहा नेरइयाणं, पंचिदियतिरिक्खजोणिया जहां वाउकाइया, मणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! ओरालियवेउव्वियआहारगतेयगाइं पडुच्च पंचवन्ना जाव अहफासा पण्णत्ता, कम्मगं जीवं च पडुच्च जहा नेरइयाणं,वाणमंतरजोइसियवेमाणिया Page #716 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे भगवई जहा नेरइया, धम्मत्थिकाए जाव पोग्गलत्थिकाए एए सव्वे अवन्ना जाव अफासा, नवरं पोग्गलत्यिकाए पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे अट्ठफासे पण्णत्ते, णाणावरणिज्जे जाव अंतराइए एयाणि जाव चउफासाणि, कण्हलेसा णं भंते ! कइवन्ना ४ प० ? गोयमा! दवलेसं पडुच्च पंचवन्ना जाव अट्ठफासा पण्णत्ता, भावलेसं पडुच्च अवन्ना ४, एवं जाव सुक्कलेस्सा, सम्मदिट्ठी ३ चक्खुइंसणे ४ आभिणिवोहियणाणे ५ जाव विभंगणाणे आहारसन्ना जाव परिग्गहसन्ना एयाणि अवन्नाणि ४, ओरालियसरीरे जाव तेयगसरीरे एयाणि अट्ठफासाणि, कम्मगसरीरे चउफासे, मणजोगे य वइजोगे य चउफासे, कायजोगे अट्ठफासे, सागारोवओगे य अणागारोवओगे य अवन्ना । सव्वदव्वा णं भंते ! कइवन्ना० पुच्छा, गोयमा! अत्थेगइया सव्वदव्वा पंचवन्ना जाव अट्ठन फासा पण्णत्ता, अत्थेगइया सव्वव्वा पंचवन्ना जाव चउफासा पण्णत्ता, अत्थेगइया सव्वदव्वा एगगंधा एगवण्णा एगरसा दुफासा पन्नत्ता, अत्थेगइया सव्वदव्वा अवन्ना जाव अफासा पन्नत्ता, एवं सव्वपएसावि सव्वपज्जवावि, तीयद्धा अवन्ना जाव अफासा पण्णत्ता, एवं जाव अणागयद्धावि, एवं सव्वद्धावि ॥ ४४९ ॥ जीवे णं भंते ! गभं वकममाणे कइवनं कइगंधं कइरसं कइफासं परिणाम परिणमइ ? गोयमा ! पंचवन्नं पंचरसं दुगंधं अट्ठफासं परिणामं परिणमइ ॥ ४५० ॥ कम्मओ णं भंते ! जीवे नो अकम्मओ विभत्तिभावं परिणमइ कम्मओ णं जए नो अकम्मओ विभत्तिभावं परिणमइ ? हंता गोयमा । कम्मओ णं तं चेव जाव परिणमइ नो अकम्मओ विभत्तिभावं परिणमइ, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४५१ ॥ बारहमे सए पञ्चमो उद्देलो समत्तो॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-बहुजणे णं भंते ! अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परवेइ-एवं खलु राहू चंदं गेण्हइ एवं० २, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! जन्नं से बहुजणे णं अन्नमन्नस्स जाव मिच्छं ते एव माहंसु, अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि जाव एवं परूवेमि-एवं खलु राहू देवे महिदिए जाव महेसक्खे वरवत्थधरे वरमल्लधरे वरगंधधरे वराभरणधारी, राहुस्स णं देवस्स नव नामधेज्जा प०, तंजहा-सिंघाडए १ जडिलए २ खंभए [खत्तए] ३ खरए ४ ददुरे ५ मगरे ६ मच्छे ७ कच्छभे ८ कण्हसप्पे ९, राहुस्स णं देवस्स विमाणा पंचवन्ना पण्णत्ता, तंजहा-किण्हा नीला लोहिया हालिद्दा सुकिल्ला, अत्थि कालए राहुविमाणे खंजणवन्नाभे पण्णत्ते, अत्थि नीलए राहुविमाणे लाउयवन्नामे प०, अत्थि लोहिए राहुविमाणे मंजिवन्नाभे प०, अत्थि पीयए राहुविमाणे हालिद्दवन्नाभे पन्नत्ते, अस्थि सुकिल्लए राहुविमाणे भासरासिवन्नाभे पन्नत्ते ॥ जया णं राहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे Page #717 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १२ उ०६] सुत्तागमे ६६५ वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस्सं पुरच्छिमेणं आवरेत्ता णं पञ्चच्छिमेणं चीईवयइ, तया णं पुरच्छिमेणं चंदे उवदंसेइ पञ्चच्छिमेणं राहू, जया णं राहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस्सं पञ्चच्छिमेणं आवरेत्ताणं पुरच्छिमेणं वीईवयइ, तयाणं पञ्चच्छिमेणं चंदे उवदंसेइ पुरच्छिमेणं राहू, एवं जहा पुरच्छिमेणं पञ्चच्छिमेण य दो आलावगा भणिया नहा दाहिणेणं उत्तरेण य दो आलावगा भाणियव्वा, एवं उत्तरपुरच्छिमेणं दाहिणपञ्चच्छिमेण य दो आलावगा भाणियव्वा, एवं दाहिणपुरच्छिमेणं उत्तरपञ्चच्छिमेण य दो आलावगा भाणियव्वा एवं चेव जाव तया णं उत्तरपञ्चच्छिमेणं चंदे उवदंसेइ दाहिणपुरच्छिमेणं राहू, जया णं राहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस्सं आवरेमाणे २ चिठ्ठइ, तया णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति-एवं खलु राहू चंदं गेण्हइ एवं०, जया णं राहू आगच्छमाणे वा ४ चंदस्स लेस्सं. आवरेत्ताणं पासेणं वीईवयइ तया णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति-एवं खलु चंदेणं राहुस्स कुच्छी भिन्ना एवं०, जया णं राहू आगच्छमाणे वा ४ चंदस्स लेसं आवरेत्ताणं पच्चोसक्का तया णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति-एवं खलु राहुणा चंदे वंते एवं०, जया णं, राहू आगच्छमाणे वा जाव परियारेमाणे वा चंदलेस्सं अहे सपक्खि सपडिदिसिं आवरेत्ताणं चिट्ठइ, तया णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति-एवं खलु राहुणा चंदे घत्थे एवं० ॥ कइविहे णं भंते । राहू पन्नत्ते ? गोयमा ! दुविहे राहू पन्नत्ते, तंजहा-धुवराहू य पव्वराहू य, तत्थ णं जे से धुवराहू से गं बहुलपक्खस्स पाडिवए पन्नरसतिभागेणं पन्नरसभागं चंदस्स लेस्सं आवरेमाणे २ चिट्ठइ, तंजहा-पढमाए पढमं भागं विइयाए विइयं भागं जाव पन्नरसेसु पन्नरसमं भागं, चरिमसमए चंदे रत्ते भवइ अवसेसे समए चंदे रत्ते वा विरत्ते वा भवइ, तमेव सुक्कपक्खस्स उवदंसेमाणे २ चिट्ठइ तं० पढमाए पढमं भागं जाव पन्नरसेसु पन्चारसमं भागं, चरिमसमए चंदे विरत्ते भवइ अवसेसे समए चंदे रत्ते वा विरत्ते वा भवइ, तत्थ णं जे से पव्वराहू से जहन्नेगं छह मासाणं उकोसेणं वायालीसाए मासाणं चंदस्स, अडयालीसाए संवच्छराणं सूरस्स ॥४५२॥ से केणटेणं भंते । एवं बुच्चइ-चंदे ससी २ ? गोयमा ! चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरन्नो मियंके विमाणे कंता देवा कंताओ देवीओ कंताई आसणसयणखंभभंडमत्तोवगरणाई अप्पणोवि य ण चंदे जोइसिंदे जोइसराया सोमे कंते सुभगे पियदंसणे सुरूवे से तेणटेणं जावं ससी ॥४५३ ॥ से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-सूरे आइच्चे सूरे० २ ? गोयमा । सूराइया णं समयाइ वा आवलियाइ वा जाव उस्सप्पिगीइ वा अवस प्पिणीइ वा से तेणटेणं गोयमा । जाव आइच्चे० २ ॥४५४॥ चंदस्स णं Page #718 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६६ सुत्तागमे [भगवई भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरन्नो कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ? जहा दसमसए जाव णो चेव ण मेहुणवत्तियं । सूरस्सवि तहेव । चंदिमसूरिया णं भंते : जोडमिंदा जोडसरायाणो केरिसएं कामभोगे पचणुब्भवमाणा विहरंति ? गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे पढमजोव्वणहाणबलत्थे पढमजोव्वणुढाणवलत्याए भारियाए साई अचिरवत्तविवाहकजे अस्थगवेसणयाए सोलसवासविप्पवासिए से णं तओ लढे कयकजे अणहसम(ए)ग्गे पुणरवि नियगगिहं हव्वमागए ण्हाए सव्वालंकारविभूसिए मन्नं थालीपागसुद्धं अट्ठारसवंजगाउलं भोयणं भुत्ते समाणे तंसि तारिसगंसि वासघरंसि वन्नओ महब्बले जाव सयणोवयारकलिए ताए तारिसियाए भारियाए सिंगारागारचारुवेसाए जाव कलियाए अणुरत्ताए अविरत्ताए मणाणुकूलाए सहिं इठे सद्दे फरिसे जाव पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पञ्चणुब्भवमाणे विहरइ, ना से णं गोयमा ! पुरिसे विउसमणकालसमयसि केरिसयं सायासोक्खं पञ्चणुव्भवमाणे विहरइ ? ओरालं समणाउसो!, तस्स णं गोयमा ! पुरिसस्स कामभोगेहिंतो वाणमंतराणं देवाणं एत्तो अणंतगुणविसिट्टतरा चेव कामभोगा, वाणमंतराग देवाणं कामभोगेहितो असुरिंदवज्जियाणं भवणवासीणं देवाणं एत्तो अणंतगुणविसिढ़तरा चेव कामभोगा, असुरिंदवजियाणं भवणवासियाणं देवागं कामभोगेहितो अनुरकुमाराणं देवाणं एत्तो अणंतगुणविसिट्ठतरा चेव कामभोगा, असुरकुमाराणं देवाणं कामभोगेहितो गहगणनक्खत्ततारारूवाणं जोइसियाणं देवाणं एत्तो अणंतगुणविसितरा चेव कामभोगा, गहगणनक्खत्त० जाव कामभोगेहिंतो चंदिमसूरियाणं जोइसियाणं जोइसराईगं एत्तो अणंतगुणविसिढ़तरा चेव कामभोगा, चंदिमसूरिया णं गोयमा ! जोइसिंदा जोइसरायाणो एरिसए कामभोगे पञ्चणुब्भवमाणा विहरति । सेवं भंते । सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं जाव विहरइ ॥ ४५५ ॥ वारहमे सए छट्टो उद्देसो समत्तो ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव एवं वयासी-केमहालए णं भंते ! लोए पन्नत्ते ? गोयमा । महइमहालए लोए पन्नत्ते, पुरच्छिमेणं असंखेजाओ जोयणकोडाकोडीओ दाहिणणं असंखेजाओ एवं चेव, एवं पञ्चच्छिमेणवि, एवं उत्तरेणवि, एवं उद्वंपि, अहे असंखेजाओ जोयणकोडाकोडीओ आयामविक्खंभेणं । एयंसिणं भंते ! एमहालयंति लोगंसि अत्थि केइ परमाणुपोग्गलमेत्तेवि पएसे जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा न मए वावि ? गोयमा ! नो इणढे समतु. से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चइ एयंसि णं एमहालयंसि लोगंसि नत्थि केइ परमाणुपोग्गलमेत्तेवि पएसे जत्य णं अयं जीवे ण जाए वा न मए वावि ? गोयमा ! से जहानामए-केइ पुरिसे अयासयस्स एगं महं Page #719 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १२ उ० ७ ] सुत्तागर्म ६६७ " अयावयं करेजा, से णं तत्थ जहन्नेणं एगं वा दो वा तिन्नि वा उक्लोसेणं अयासहस्सं पक्खिवेजा, ताओ णं तत्थ पउरगोयराओ पउरपाणियाओ जहनेणं एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा उक्कोसेगं छम्मासे परिवसेज्जा, अत्थि णं गोयमा ! तस्स अयावयस्स केइ परमाणुपोग्गलमेत्तेवि पएसे जे णं तासिं अयागं उच्चारेण वा पासवणेण वा खेलेण वा सिंघाणएण वा वंतेण वा पित्तेण वा पूएण वा सुक्केण वा सोणिएण वा चम्मेहिं वा रोमेहिं वा सिंगेहि वा खुरेहिं वा नहेहिं वा अणाकंतपुव्वे भवइ ? भगवं ! णो इणट्ठे समट्ठे, होजावि णं गोयमा ! तस्स अयावयस्स केइ परमाणुपोग्गलमेत्तेवि पएसे जे णं तासिं अयाणं उच्चारेण वा जाव णहेहि वा अणतपुव्वे णो चेव णं एयंसि एमहालयंसि लोगंति लोगस्स सासयं भाव संसारस्स य अणाइभावं जीवस्स य णिचभावं कम्मवहुत्तं जम्मणमरणवाहुल्लं च पडुच्च नंत्थि केइ परमाणुपोग्गलमेत्तेवि पएसे जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा न मए वावि, से तेणट्टेणं तं चेव जाव न मए वावि ॥ ४५६ ॥ कइ णं भंते । पुढवीओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! सत्त पुढवीओ पण्णत्ताओ जहा पढमसए पंचमउद्देसए तहेव आवासा ठावेयव्वा जाव अणुत्तरविमाणेत्ति जाव अपराजिए सव्वट्टसिद्धे । अयन्नं भंते ! जीवे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एग़मेगंसि निरयावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए नरगत्ताए नेरइयत्ताए उववनपव्वे ? हंता गोयमा । असई अदुवा अणतखुत्तो, अयन्नं भंते! जीवे सक्कपभाए पुढवी पणवीसाए एवं जहा रयणप्पभाए तहेव दो आलावगा भाणियव्वा, एवं जाव धूमप्पभाए । अयन्नं भंते । जीवे तमाए पुढवीए पंचूणे निरयावाससयसहस्से एगमेगंसि सेसं तं चेव, अयन्नं भंते! जीवे 'अहेसत्तमाएं पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु महइमहालएसु महानिरएस एगमेगंसि निरयावाससि सेसं जहा रयणप्पभाए, अयन्नं भंते ! जीवे चोसट्ठीए असुरकुमारावाससय सहस्सेमु एगमेगंसि असुर - कुमारावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वर्णस्सइकाइयत्ताए देवत्ताए देवित्ताए आसणसयणभंडमत्तोवगरणत्ताए उववन्नपुव्वे ! हंता गोयमा ! जाव अनंतखुत्तो, सव्वजीवावि णं भंते । एवं चैव एवं जाव थणियकुमारेसु, नाणत्तं आवासेस, आवासा पुंव्वभणिया, अयन्नं भंते! जीवे असंखेजेषु पुढविकाइयावाससयसहरसेसु एगमेगंसि पुढविकाइयावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए उववन्नपुव्वे 2 हंता गोयमा ! जाव अनंतखुत्तो, एवं सव्वजीवावि, एवं जाव वणस्सइकाइएसु, अयण्णं भंते ! जीवे असंखेज्जेसु, वेंदियावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि वेंदियावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए बेइंदियत्ताए उववन्नपुव्वे ? हंता गोयमा ! जाव अनंतखुत्तो, सव्वजी Page #720 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६८ सुत्तागमे [ भगवई वावि णं एवं चेव, एवं जाव मणुस्सेसु, नवरं तेईदिएसु जाव वणस्सइकाइयत्ताए तेइंदियत्ताए चउरिदिएसु चउरिंदियत्ताए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएतु पंचिदियतिरिक्खजोणियत्ताए मणुस्सेसुं मणुस्सत्ताए सेसं जहा बेंदियाणं, वाणमंतरजोइसियसोहम्मीसासु य जहा असुरकुमाराणं, अयणं भंते ! जीवे सणकुमारे कप्पे वारससु विमाणावाससयसंहस्सेसु एगमेगंसि वेमाणियावासंसि पुढविका इयत्ताए सेसं जहा असुरकुमाराणं जाव अणंतखुत्तो, नो चेव णं देवित्ताए, एवं सव्वजीवावि, एवं जाव आणयपाणएसु, एवं आरणच्चएसुवि, अयन्नं भंते ! जीवे तिसुवि अट्ठारसुत्तरेसु गेविज्जविमाणावाससएस एवं चेव, अयन्नं भंते! जीवे पंचसु अणुत्तरविमाणेसु एगमेगंसि अणुत्तरविमाणस पुढवि तहेव जाव अणतखुत्तो, नो चेव णं देवत्ताए वा देवित्ताए चां एवं सव्वजीवावि । अयन्नं भंते । जीवे सव्वजीवाणं माइत्ताए पियत्ताए भाइत्ताए भगिणित्ताए भज्जत्ताए पुत्तत्ताए श्रूयत्ताए सुन्हत्ताए उववन्नपुव्वे ? हंता गोयमा ! असई अदुवा अगंतखुत्तो, सव्वजीवावि णं भंते । इमस्स जीवस्स माइत्ताए जाव स्ववन्नपुव्वा ! हंता गोयमा ! जाव अणंतखुत्तो, अयण्णं भंते! जीवे सव्वजीवाणं अरित्ताए वेरियत्ताए घायगत्ताए वहगत्ताए पडिणीयत्ताए पच्चामित्तत्ताए उववन्नपुव्वे ? हंता गोयमा । जाव अनंतखुत्तो, सव्वजीवावि णं भंते ! एवं चेव, अयन्नं भंते ! जीवे सव्जीवाणं यत्ताए जुवरायत्ताए जाव सत्थवाहत्ताए उववन्नपुव्वे ? हंता गोमा ! असई जाव अनंतखुत्तो, सव्वजीवाणं एवं चेव । अयन्नं भंते ! जीवे संव्वजीवाणं दासत्ताए पेसत्ताए भयगत्ताए भाइलगत्ताए भोगपुरिसत्ताए सीसत्ताए सत्ताए उववन्नपुव्वे ? हंता गोयमा ! जाव अनंतखुत्तो, एवं सव्वजीवावि जाव अणंतखुत्तो । सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ ॥ ४५७ ॥ वारहमे सप सत्तमो उद्देसो समत्तो ॥ ते काळेणं तेणं समएणं जाव एवं वयासी- देवे णं भंते ! महिट्टिए जाव महेसक्खे अणंतरं चयं चइत्ता विसरीरेसु नागेसु उववज्जेज्जा ? हंता गोयमा ! उववजेजा, से णं तत्थ अच्चियवंदियपूइयसकारियसम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए संनिहियपाडिहेरे यावि भवेज्जा ? हंता भवेज्जा, से णं भंते । तओहिंतो अनंतरं उव्वट्टित्ता सिज्झेजा वुज्झेजा जाव अंतं करेज्जा ? हंता सिज्झेजा जाव अंत करेजा, देवे णं भंते ! महिड्डिए एवं चेव जाव विसरीरेस मणीसु उववजेजा, एवं 'चेव जहा नागाणं, देवे णं भंते । महिड्डिए जाव विसरीरेसु रुक्खेसु उववज्जेजा ? हूंना उववज्जेज्जा, एवं चेव, नवरं इमं नाणत्तं जाव सन्निहियपाडिहेरे लाउलोइयमहिए यावि भवेज्जा ? हंता भवेज्जा, सेसं तं चेव जाव अंतं करेजा ॥ ४५८ ॥ अह Page #721 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १२ उ०९] सुत्तागमे ६६६ भंते ! गोलंगूलवसभे कुकुडवसभे मंडुकवसभे एए णं निस्सीला निव्वया निरगुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाणपोसहोववासा कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्नोसेणं सागरोवमट्टिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववजेजा ? समणे भगवं महावीरे वागरेइ-उववज्जमाणे उववन्नेत्ति वत्तन्वं सिया । अह भंते ! सीहे वग्छ जहा उस्तप्पिणीउद्देयए जाव परस्सरे एए णं निस्तीला एवं चेव जाव वत्तव्वं सिया, अह भंते ! ढंके कंके विलए मग्गुए सिखीए, एए णं निस्सीला० सेसं तं चेव जाव वत्तव्वं सिया । सेवं भंते । सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ ४५९ ।। वारहमे सए अहमो उद्देसो समत्तो ।। — कइविहा णं भंते ! देवा पण्णत्ता ? मोयमा ! पंचविहा देवा पण्णत्ता, तंजहाभवियदव्वदेवा १ नरदेवा २ धम्मदेवा ३ देवा(इ)हिदेवा ४ भावदेवा ५, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ भवियदव्वदेवा भवियदव्वदेवा ? गोयमा । जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोगिए. वा मणुस्से वा देवेसु उववज्जित्तए से तेणटेणं गोयमा .! एवं वुचइ भवियदव्वदेवा २, से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ नरदेवा नरदेवा ? गोयमा ! जे इमे रायाणो चाउरंतचकवट्टी उप्पन्नसमत्तचकरयणप्पहाणा नवनिहिपइणो समिद्धकोसा वत्तीस रायवरसहस्साणुजायमग्गा सागरवरमेहलाहिवइणो मणुस्सिदा से तेणटेणं जाव नरदेवा २, से केणटेणं भंते । एवं वुच्चइ धम्मदेवा धम्मदेवा ? गोयमा ! जे इमे अणगारा भगवंतो इरियासमिया जाव गुत्तवंभयारी से तेणटेणं जाव धम्मदेवा २, से केण?णं संते । एवं वुच्चइ देवाहिदेवा देवाहिदेवा ? गोयमा ! जे इमे अरिहंता भगवंतो उप्पन्ननाणदंसणधरा जाव सव्वदरिसी से तेणटेणं जाव देवाहिदेवा २, से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइभावदेवा भावदेवा ? गोयमा! जे इमे भवणवइवाणमंतरजोइसियवेमाणिया देवा देवगइनामगोयाई कम्माई वेदेति से तेणटेणं जाव भावदेवा ॥ ४६० ॥ भवियदव्वदेवा णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति किं नेरइएहितो. उववज्जति तिरिक्ख० मणुस्स० देवेहिंतो उववज्जति ? गोयमा ! नेरइएहिंतो उववज्जति तिरि० मणु० देवेहितोवि उववजति, भेओ जहा वनंतीए सव्वेसु उववाएयव्वा जाव अणुत्तरोववाइयत्ति, नवरं असंखेजवासाउयअकम्मभूमियअंतरदीवगसव्वट्ठसिद्धवजं जाव अपराजियदेवेहिंतोवि उववजति, णो सव्वट्ठसिद्धदेवहितो उववजति । नरदेवा गं भंते ! कओहिंतो उववजति कि नेरडए. पुच्छा, गोयमा ! नरइएाहता उव वजति नो तिरि० नो मणु० देवेहिंतोवि उववज्जति, जइ नेरइएहिंतो उववज्जति कि रयणप्पभापुढविनेरइएहितो उववनंति जाव अहेसत्तमापुढविनेरइएहितो उववजति ? Page #722 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७० सुत्तागमे । [भगवई गोयमा! रयणप्पभापुढविनेरइएहिंतो उववजति नो सक्कर जाव नो अहेसत्तमा. पुढविनेरइएहितो उववजंति, जइ देवेहिंतो उववनंति किं भवणवासिदेवहितो उवचजति वाणमंतर० जोइसिय० वेमाणियदेवेहिंतो उववजति ? गोयमा ! भवणवासिदेवेहिंतोवि उववजति वाणमंतर एवं सव्वदेवेसु उववाएयव्वा वनंतीभेएणं जाव सव्वदसिद्धत्ति, धम्मदेवा णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति किं नेरइएहिंतो०? एवं वनंतीभेएणं सव्वेसु उववाएयव्वा जाव सव्वट्ठसिद्धत्ति, नवरं तमा अहेसत्तमाए तेउवाउअसंखेजवासाउयअकम्मभूमियअंतरदीवगवजेसु, देवाहिदेवा णं भंते ! कओहिंतो उववजति किं नेरइएहिंतो उववजति पुच्छा, गोयमा! नेरइएहितो उववजति नो तिरि० नो मणु० देवेहिंतोवि उववजंति, जइ नेरइएहितो एवं तिसु पुढवीसु उववजति सेसाओ खोडेयव्वाओ, जइ देवेहिंतो० वेमाणिएसु सम्वेसु उववजति जाव सव्वट्ठसिद्धत्ति, सेसा खोडेयव्वा, भावदेवा णं भंते ! कओहितो उववजंति ? एवं जहा वनंतीए भवणवासीणं उववाओ तहा भाणियव्वं ॥ ४६१ ॥ भवियदव्वदेवाणं भंते ! केवइये कालं ठिई प० ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिन्नि पलिओवमाई, नरदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं सत्त वाससयाई उक्लोसेणं चउरासीइ पुव्वसयसहस्साइं, धम्मदेवाणं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहनेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुत्वकोडी, देवाहिदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं वावत्तरिं वासाडं उक्नोसेणं चउरासीइं पुव्वसयसहस्साई,भावदेवाणं पुच्छा, गोयमा! जहन्नेणं दस वाससहस्साइं उक्नोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ॥ ४६२ ॥ भवियदव्वदेवा णं भंते ! किं एगत्तं पभू विउव्वित्तए पुहुत्तं पभू विउवित्तए ? गोयमा ! एगतंपि पभू विउवित्तए पुहुत्तपि पभू विउवित्तए, एगत्तं विउव्वमाणे एगिदियरूवं वा जाव पंचिंदियरूवं वा पुहुत्तं विउव्वमाणे एगिं दियख्वाणि वा जाव पंचिंदियरूवाणि वा ताइं सखेजाणि वा असंखेजाणि वा संवद्धाणि वा असंवद्धाणि वा सरिसाणि वा असरिसाणि वा विउव्वंति विउव्वित्ता तओ पच्छा अप्पणो जहिच्छियाई कजाई करेति, एवं नरदेवावि, एवं धम्मदेवावि, देवाहिदेवाणं पुच्छा, गोयमा! एगत्तंपि 'पभू विउल्चित्तए पुहुत्तपि पभू विउवित्तए, नो चेव णं संपत्तीए विउव्विसु वा विउट्विति वा विउव्विस्संति वा । भावदेवाणं पुच्छा, जहा भवियदव्वदेवा ॥ ४६३ ॥ भवियदव्वदेवाणं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति कहिं उववज्जति -किं नेरइएसु उववजति जाव देवेसु उववजति ? गोयमा ! नो नेरइएसु उववजंति नो तिरि० नो मणु० देवेसु उववजंति, जइ देवेसु उववजति सव्वदेवेसु उववज्जति जाव सव्वसिद्धत्ति । नरदेवा णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता पुच्छा, गोयमा ! नेरइ. Page #723 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १२ उ० १० सुत्तागमे ६७१ एमु उववनंति नो तिरि० नो मणु० णो देवेसु उववज्जति, जइ नेरइएसु उववज्जति० सत्तसुवि पुढवीतु उववज्जति। धम्मदेवा गं भंते ! अणंतरं उव्वत्तिा पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइएतु उववनंति नो तिरि० नो मणु० देवेसु उववनंति, जइ देवेसु उववज्जति कि भवगवाति० पुच्छा, गोयमा ! नो भवणवासिदेवेसु उववज्जति नो वाणमंतर० नो जोइतिय० वेमाणियदेवेनु उववनंति, सव्वेसु वेमाणिएसु उववज्जति जाव सचह्रसिद्धअणुनरोक्वाइएतु उववजंति, अत्थेगइया सिझंति जाव अंतं करेंति । देवाहिदेवा गंभंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति कहिं उववज्जति ? गोयमा ! सिझंति जाव अंतं करेंति । भावदेवा णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता पुच्छा, जहा वनंतीए असुरकुमारागं उव्वट्टणा तहा भाणियव्वा ॥ भवियदव्वदेवे णं भंते ! भवियदव्वदेवेत्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं, एवं जहेव ठिई सच्चेव संचिट्ठणावि जाव भावदेवस्स, नवरं धम्मदेवस्स जहण्णेणं एवं समयं उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी ॥ भवियदव्वदेवस्स णं भंते ! केवइयं कालं अंतर होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्साई अतोमुहुत्तमभहियाई उकोसेणं अणंतं कालं वगस्सइकालो। नरदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं साइरेगं सागरोवमं उनोसेणं अणतं कालं अव पोग्गलपरियह देसूर्ण । धम्मदेवस्स णं पुच्छा, गोयमा । जहन्नेणं पलिओवमपुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं जाव अवर्ल्ड पोग्गलपरियट देसूणं । देवाहिदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! नत्यि अंतरं । भावदेवस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्नोसेणं अणंतं कालं वणस्सइकालो ॥ एएसि णं भंते ! भवियव्वदेवाणं नरदेवाणं जाव भावदेवाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा? गोयमा । सव्वत्योवा नरदेवा, देवाहिदेवा संखेजगुणा, धम्मदेवा संखेज्जगुणा, भवियदव्वदेवा असंखेजगुणा, भावदेवा असंखेजगुणा ॥ ४६४ ॥ एएसि णं भते ! भावदेवागं भवणवासीणं वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाणं सोहम्मगाणं जाव अच्चुयगाणं गेवेजगाणं अणुत्तरोववाइयाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवा अणुत्तरोववाइया भावदेवा, उवरिमगेवेज्जा भावदेवा संखेनगुणा, मज्झिमगेवेज्जा संखेजगुणा, हेट्ठिमगेवेज्जा संखेजगुणा, अच्चुए कप्पे देवा संखेनगुणा जाव आणयकप्पे भावदेवा संखेजगुणा एवं जहा जीवाभिगमे तिविहे देवपुरिसे अप्पावहुयं जाव जोइसिया भावदेवा असंखेनगुणा । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ४६५ ॥ बारहमस्स सयरस नवमो उद्देसो समत्तो॥ कइविहा णं भंते । आया पण्णत्ता ? गोयमा ! अट्ठविहा आया पण्णत्ता, तंजहादवियाया कसायाया जोगाया उवओगाया णाणाया दंसणाया चरित्ताया वीरियाया ॥ Page #724 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७२ सुत्तागमे. [ भगवई जस्स णं भंते! दवियाया तस्स कसायाया जस्स कसायाया तस्स दवियाया ? गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स कसायाया सिय अस्थि सिय नत्थि, जस्स पुण कसायाया तस्स दवियाया नियमं अस्थि । जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स जोगाया ? एवं जहा दवियाया कसायाया भणिया तहा दवियाया जोगीयावि भाणि - यव्वा । जस्स - णं भंते! दवियाया तस्स उवओगाया एवं सव्वत्थ पुच्छा भाणि - यव्वा, गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स उवओगाया 'नियमं अत्थि, जस्सवि उवओगाया तस्सवि दवियाया नियमं अस्थि, जस्स दवियाया तस्स णाणाया भयणाए, जस्त पुण णाणाया तस्स दवियाया नियमं अस्थि, जस्स दवियाया तस्स दंसणाया नियमं अत्थि, जस्सवि दंसणाया तस्स दवियाया नियमं अत्थि, जस्स दवियाया तस्स चरित्ताया भयणाएं, जस्स पुण चरित्ताया तस्स दवियाया नियमं अस्थि, एवं वीरियाया एवि समं । जस्स णं भंते ! कसायाया तस्स जोगांया पुच्छा, गोयमा ! जस्स कसायाया तस्स जोगाया नियम अत्थि, जस्स पुण जोगाया तस्स कसायाया सिय अत्थि सिय नत्थि, एवं उवओगायाएव समं कंसायाया नेयव्वा, कसायायां य णाणाया य परोप्परं दोवि भइयव्वाओ, जहा कसायाया य उवओगाया य तहा कसायाया य दंसणाया य कसायाया य चरिताया य दोवि परोप्परं भइयव्वाओ, जहा कसायाया - य जोगाया य तहा कसायाया य वीरियाया य भाणियव्वाओ, एवं जहा कसायायाएँ वत्तव्वया भणिया तहा जोगायाएव उवरिमाहिं समं भाणि - यव्वा । जहा दवियायाए चत्तव्वया भणिया तहा उवओगायाएव उवरिल्लाहिं समं भाणियव्वा । जस्स नाणाया तस्स दंसणाया नियमं अत्थि, जस्स पुण दंसणाया तस्स णाणाया भयणाए, जस्स नाणाया तस्स चरिताया सिय अस्थि सिय नत्थि, जस्स पुण चरिताया तस्स नाणाया नियमं अस्थि, णाणाया वीरियाया दोवि परोप्परं भयगाए । जस्स दंसणाया तस्स उवरिमाओ दोवि भयगाए, जस्स पुण ताओ तस्स दंसणाया नियमं अत्थि । जस्स चरित्ताया तस्स वीरियाया नियमं अत्थि, जस्स पुण वीरियाया तस्स चरित्ताया सिय अत्थि सिय नत्थि ॥ एयासि णं भंते । दवियायाणं कसायायागं जाव वीरियायाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवाओ चरित्तायाओ, नाणायाओ अनंतगुणाओ, कसायायाओ अगंतगुणाओ, जोगायाओ विसेसाहियाओ, वीरियायाओ विसेसाहियाओ; उवओगदवियदसणायाओ तिन्निवि तुलाओ विसेसाहियाओ ॥ ४६६ ॥ आया भंते ! नाणे अन्नाणे ? गोयमा ! आया सिय नाणे सिय अन्नाणे, णाणे पुण नियमं आया ॥ आया भंते | नेरइयाणं नाणे अन्ने नेरइयाणं नाणे ? गोयमा । - आया नेरइयाणं Page #725 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १२ उ० १०] सुत्तागमे 1 सिय नाणे सिय अन्नाणे, नाणे पुण से नियम आया, एवं जाव थणियकुमाराणं, आया भंते! पुढविकाइयाणं अन्नाणे अने पुढविकाइयाणं अन्नाणे ? गोयमा ! आया पुढविकाइयाणं नियमं अन्नाणे अन्नाणेवि नियमं आया, एवं जाव वणस्सइकाइयाणं, वेइंदियतेइंदिय जांव वैमाणियाणं जहा नेरइयाणं । आया भंते ! दंसणे अन्ने दंसणे ? गोयमा ! आया नियमं दंसणे दंसणेवि नियमं आया । आया भंते! नेरइयाणं दंसणे अण्णे नेरइयाणं दंसणे ? गोयमा ! आया नेरइयाणं नियमं दंसणे दंसणेवि से नियमं आया, एवं जाव वेमाणियाणं निरंतरं दंडओ ॥४६७॥ आया भंते । रयणप्पभांपुढवी अन्ना रयणप्पभापुढवी ? गोयमा ! रयणप्पभापुढवी सिय आया सिय नो आया सिय अवत्तव्वं आयाइ य नो आयाइ य, से केणद्वेणं भंते ! एवं चुच्चेइ रयणप्पभापुढवी सिय आया सिय नो आया सिय अवत्तव्वं आयाइ य नो आयाइ य ? गोयमा ! अप्पणी आइडे आया, परस्स आइट्ठे नो आया, तदुभयस्स आइट्ठे अवत्तव्वं रयणप्पभापुढवी आयाइ य नो आयाइ य, से तेणट्टेणं तं चेव जाव नो आयाइ य । आया भंतें ! सक्करप्पभापुढवी जहा रयणप्पभापुढवी तहा सक्करप्पभा(ए) वि एवं जाव अहे सत्तमा (ए) । आया भंते ! सोहम्मकप्पे पुच्छा, गोयमा ! सोहम्मे कप्पे सिय आया सिय नो आया जाव नो आयाइ य, से केणद्वेणं भंते ! जाव नो आयाइ य ? गोयमा ! अप्पणो आइडे आया, परस्स आइट्टे नो आया, तदुभयस्स आइडे अवत्तव्यं आयाइ य नो आयाइ य, से तेणट्टेणं गोयमा ! तं चेव जाव नो आयाइ य, एवं जाव अच्चुए कप्पे । आया भंते ! गेविज्जविमाणे अन्ने गेविज्जविमाणे ? एवं जहा रयणप्पभापुढवी तहेव, एवं अणुत्तरविमाणावि, एवं ईसिपव्भारावि । आया भंते । परमाणुपोग्गले अन्ने परमाणुपोग्गले ? एवं जहा सोहम्मे कप्पे तहा परमाणु`योग्गलेवि भाणियव्वे ॥ आया भंते ! दुपएसिए खंधे अन्ने दुपएसिए खंधे ? गोयमा ! दुपएसिए खंधे सिय आया १ सिय नो आया २ सिय अवत्तव्यं आयाइ य नो नो याइ य ३ सय आया ये तो आया य ४ सिये आया य अवत्तव्वं आयाइ आयाइ य ५ सिय नो आया य अवत्तव्यं आयाइ य नो आयाइ य ६, से केणट्टेणं भंते । एवं तं चैव जाव नो आया य अवतव्यं आयाइय नो आयाइ य ? गोयमा ! अप्पणो आइट्टे आया १ परस्स आइडे नो आया २ तदुभयस्स आइट्ठे अवत्तव्वं दुपएसिए खंबे आयाइ य नो आयाइ य ३ देसे आइट्टे सव्भावपजवे देसे आउट्ठे असंव्भावपज्जवे दुप्पएसिए - खंबे आया य नो आया य ४ देसे आइट्ठे सम्भावपज्जवे देसे आइट्ठे तदुभयपज्जवे दुपएसिए संधे आया य अवत्तव्वं आयाइ य नो आंयाइ य ५ देसे आइट्टे असम्भावपज्जवे देसे आइट्टे तदुभयपज्जवे दुपएसिए खंधे ४३ सुत्ता० ६७३ Page #726 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भगव ६७४ सुनागमे यो , नो आया य अवत्तव्त्रं आया य नो जाया न ६ आयाइ य ॥ आया भंते । तिपएसिए गंधे अपना निप एसिए संधे सिय आया १ सिय नो आया यि वाया न नो भाषा य ३ सिय आया य नो आया ग ४ सि आया यो आनाओं यय आयाओ य नो आया य ६ सिय आया य अ आ नो आ सिय आया य अवत्तव्वाई आया (ई) ओय नो आयाशी यम आगजन अवत्तव्व आयाइ य नो आयाइ य ९ यि नो आया यो आयाइ य १० सिय(नो) आया य अवतव्वा आवाओ यो भाग ११ निय नो आयाओ य अवतव्वं आयाइ य नो आयार व १२ चि आया व नो आया य अवत्तनं आयाइ य नो आयाइ य १३, से गं ! एवं नए खंधे सिय आया एवं चेव उच्चारेयन्वं जाव गिय आया व नो आया व आयाइ य नो आयाइ य ? गोयमा ! अप्पणो आइडे आया १ पररस आहे नो आया २ तदुभयस्स आइट्ठे अवत्तन्वं आगाइ य नो आयाह य ३ देसे आहे सन्भावपज्जवे देसे आइट्टे असम्भावपजवे तिपएसिए संधे आया य नो आया य ४ देसे आइट्टे सम्भावपज्जवे देसा आइट्ठा असन्भावपजवा तिपएलिए पे आया य नो आयाओ य ५ देसा आइट्टा सम्भावपजवा देसे आइडे अभावपनवे तिपएसिए खंधे आयाओ य नो आया य ६ देते आइडे सम्भावनवे देसे आ तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे आया य अवत्तव्वं आयाइ य नो आयाइ न देखे आइट्टे सब्भावपज्जवे 'देसा आइट्ठा तदुभयपजवा तिपएसिए संत्रे आया व वनव्वाईं आयाओ य नो आयाओ य ८ देसा आउट्ठा सम्भावपजवा देते आहे तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे आयाओ य अवत्तव्वं आयाइ य नो आयाइ य ९, एए तिन्नि भंगा, देसे आइट्टे असम्भावपजवे देसे आट्टे तदुभयपजचे तिपएसिए गंधे नो आया य अवत्तव्वं आयाइ य नो आयाइ य १० देसे आइडे असम्भावपजवे देसा आइट्ठा तदुभयपज़वा तिपएसिए खंधे नो आया य अवत्तन्वाईं आयाओ य नो आयाओ य ११ देसा आइट्ठा असम्भावपजवा देसे आइट्ठे तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे नो आयाओ य अवत्तव्वं आयाइ य नो- आयाइ य १२ ढेसे आइट्टे सब्भावपज्जवे देसे आइट्ठे असम्भावपज्जवे देसे आइट्टे तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे आया य नो आया य अवत्तव्यं आयाइ य नो आयाइ य १३, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं चुच्चइ तिपएसिए खंधे सिय आया तं चेव जाव नो आयाइ य ॥ आया भंते! चउप्पएसिए खंधे अन्ने पुच्छा, गोयमा ! चउप्पएसिए खंधे सिय ० Page #727 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १३ उ० सुत्तागमे ६७५ 1 T आया १ सिय नो आया २ सिय, अवत्तव्त्रं आयाइ य नो आयाइ य ३ सिय आया य नो आया य ४ सिय आया य अवत्तव्वं ४ सिय नो आया य अवत्तव्यं ४ सिय आया य नो आया य अवत्तव्वं आयाइ य, नो आयाइ य १६ सिय आया य नो आया य अवनव्वाइं आयाओ य नो आयाओ य १७ सिय आया य़ नो आयाओ य अवत्तव्वं आयाइ य नो आयाइ य १८ - सिय आयाओ य नो आया य अवत्तव्यं आयाइ य नो आयाइ य १९ । से केणद्वेगं भंते ! एवं बुच्चइ, चउप्पएसिए संधे सिय आया य नो आया य अवत्तव्वं तं चेव अट्ठे पडिउच्चारेयव्वं, गोमा ! अप्पणी आट्ठे आया १ परस्स आइट्ठे नो आया २- तदुभयस्स आइट्ठे अवत्तव्यं आयाइ य नो आयाइ य ३ देसे आईने सम्भावपज्जवे देसे आइट्ठे-असव्भावपज्जवे चउभंगो, सम्भावपज्जवेणं तदुभएण य चउभंगो. असब्भावेगं तदुभए य च भंगो, देसे आइडे सम्भावपजवे देसे आइहे असम्भावपज्जवे देसे आइ तदुभयपजवे चम्पएसिए खंधे आया य नो आया य अवत्तव्वं आयाइ य नो आयाइ य, देसे आइडे सम्भावपजवे देसे आइडे असम्भावपज़वे देसा आइहा तदुभयपजवा चउप्पएसिए खंधे आया य नो आया य अवत्तव्वाइं आयाओ य नो आयाओ य - १७- देसे आइडे सम्भावपजवे देसा आइट्ठा असम्भावपज्जवा देसे आहे - तदुभयपजवे चउप्पएसिए खंधे आया यः नो आयाओ य अवत्त आयाइ य नोआयाइ य १८ देसा आइट्ठा सम्भावपजवा देसे आइट्ठे असब्भावपजवे देसे आइट्ठे तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे आयाओ य नोआया य अवत्तन्वं आयाइ य नो आयाइ य १९, से तेणट्टेणं गोयमा । एवं बुच्चइ चउप्पएसिए संधे सिय आया सिय नो आया - सिय, अवत्तव्वं निक्खेवे ते चेव-भंगा उच्चारेयव्वा जाव नो आयाइ य ॥ आया भंते! पंचपएसिए खंबे अन्ने - पंचप एसिए संधे ? गोयमा । पंचपएसिए खंधे सिय,आया- १ सिय नो आया- २ सिय अवत्तव्वं आयाइ य नो आयाइ य ३ सिय आया य-नो आया य. सिय अवृत्तव्वं (४) आयाय नो आया य ४ ( नोआया य अवत्तव्वेण य ४) तियगसंजोगे एक्कोण पडइ, से केणद्वेणं भंते ! तं चेव पडिउच्चारेयव्वं-?-गोयमा ! अप्पणी आइडे आया १ परस्स, आइट्ठे नो आया २ तदुभयस्स-आइट्ठे अवत्त॒व्वं ३ देसे आइट्ठे सब्भावपजवे देसे आइट्ठे असब्भावप्रजवे एवं दुयगसंजोगे सव्वे पडंति तियगसजोगे एक्कोण पडइ । छप्पएसियस्स सब्वे पडंति; जहा छप्पएसिए एवं जाव अनंतपएसिए । सेवं भंते ! सेवं भंते ! 'त्ति जाव विहरइ ॥ ४६८ ॥ दसमो उद्देसो समत्तो, वारसमं सयं समत्तं ॥ - 1 ! पुढवी - १ देव २ मणंतर ३ - पुढवी- ४ आहारमेव ५ उववाए ६ । भासा ७ ] Page #728 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ६७६ [ भगवई कम्म ८ अणगारे केयाघडिया ९ समुग्घाए १०॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-कइ णं भंते ! पुढवीओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! सत्त पुढवीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-रयणप्पभा जाव अहेसत्तमा । इमीसे गं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए केवइया निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा! तीसं निरयावाससयसहस्सा पन्नना, ते णं भंते । किं संखेजवित्थडा असंखेजवित्थडा? गोयमा ! संखेजवित्थडावि असंखजवित्थडावि, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुटवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेतु संखेजवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं केवइया नेरइया उववज्जति १ ? केवइया काउलेस्सा उववज्जति २? केवइया कण्हपक्खिया उववनंति ३ ? केवइया लुक्कपक्खिया उववज्जति ४ ? केवइया सन्नी उववति ५ ? केवइया असन्नी उववजति ६ ? केवइया भवसिद्धिया जीवा उववनंति ७ ? केवइया अभवसिद्धिया जीवा उववज्जति ८ ? केवइया आभिणिवोहियनाणी उववजति ९ ? केवइया सुयनाणी उववजंति १०? केवइया ओहिनाणी उववजति ११? केवइया मइअन्नाणी उववज्जति १२ ? केवइया सुयअन्नाणी उववजति १३ ? केवइया विभंगनाणी उववनंति १४ ? केवइया चक्खुदंसणी उववजति १५? केवइया अचक्खुदंसणी उववज्जति १६? केवइया ओहिदसणी उववनंति १७ ? केवइया आहारसन्नोवउत्ता उववज्जति १८ ? केवइया भयसन्नोवउत्ता उववजंति १९ ? केवइया मेहुणसन्नोवउत्ता उववज्जति २०? केवइया परिग्गहसन्नोवउत्ता उववजति २१ ? केवइया इत्थिवेयगा उववज्जति २२ ? केवइया पुरिसवेयगा उववनंति २३ ? केवइया नपुंसगवेयगा उववज्जति २४ ? केवइया कोहकसाई उववजति २५ जाव केवइया लोभकसाई उववनंति २८ ? केवइया सोइदियउवउत्ता उववजति २९ जाव केवइया फासिंदियोवउत्ता उववज्जति ३३ ? केवइया नोइंदियोवउत्ता उववजंति ३४ १ केवईया सणजोगी उववजंति ३५? केवइया वइजोगी उववजति ३६ ? केवइया कायजोगी उववजति ३७ ? केवइया सागारोवउत्ता उववजति ३८ ? केवइया' अणागारोवउत्ता उववजति ३९? गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु नरएसु जहन्नणं एको वा' दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा नेरइया उववजंति, जहन्नेण एको वा दो वा तिन्नि वा उक्नोसेणं संखज्जा काउलेस्सा उववनंति, जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्नोसेणं संखेजा कण्हपक्खिया उववज्जति, एवं सुक्कपक्खियावि, एवं सन्नीवि एवं असन्नीवि, एवं भवसिद्धिया एवं अभवसिद्धिया; आभिणिवोहियनाणी सुयनाणी ओहिनाणी मईअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी एवं चेव, चक्खुदसणी ण उववज्जति, जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्लोसेणं संखेजा अचक्खु Page #729 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुताग़मे ६७७ " दंसणी उववजंति, एवं ओहिदंसणीवि, एवं आहारसन्नोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोव - उत्तावि, इत्थीवेयगा न उववज्र्जति पुरिसवेयगावि न उववजंति, जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा नपुंसगवेयगा उववजंति, एवं कोहकसाई जाव लोभकसाई, सोइंदियउवउत्तान उववजंति एवं जाव फासिंदिओवउत्तान उववजंति, जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा नोइंदिओवउत्ता उववज्जंति, मणजोगी ण उववज्जंति, एवं वइजोगीवि, जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेण संखेजा कायजोगी उववजंति, एवं सागारोवउत्तावि एवं अणागारोवउत्तावि ॥ इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं केवइया नेरइया उववहंति, केवइया काउलेस्सा उववहंति जाव केवइया अणागारोवउत्ता उव्वहंति ? गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु 'संखेज्ज वित्थडेसु नरएस वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा नेरइया उववहृति, एवं जाव सन्नी, असन्नी उव्वहंति, जहन्नेणं - एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा भवसिद्धिया उव्वति एवं जाव सुयअन्नाणी विभंगनाणी ण उववर्हति, चक्खुदंसणी ण उव्वट्टंति, जहनेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा, अचक्खुदंसणी उव्वट्टंति, एवं जाव लोभकसाई, सोइंदियउवउत्ताण, उव्वति एवं जाव - फ़ासिंदियोवउत्ता न उव्वति, जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिंन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा नोइंदियोवउत्ता उव्वति, मणजोगी न उब्वति एवं वइजोगीवि, जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्निवा उक्नोसेणं संखेज्जा कायजोगी उव्वहंति, एवं सागारोवउत्तावि अणा गारोवउत्तावि ॥ इमीसे एगसमएगं- जहन्नेणं एको भंते 1 रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास सयसहस्सेसु संखेज़वित्थडेसु नरएसु केवइया नेरइया पन्नत्ता ? केवइया काउलेस्सा प० जाव केवइया अणांगारोवउत्ता पन्नत्ता ? केवइया, अणंतरोववन्नगा पन्नत्ता - १ ? केवइया परंपरोववन्नगा पन्नत्ता २ केवइया अणंतरोगाढा पन्नत्ता ३ ? केवइया परंपरोगाढा प० ४ ? केवइया अनंतराहारा - प० ५ ? केवइया परंपराहारा प० ६ ? केवइया अणंतरपजत्ता प० ७ १ केवइया परंपरपज़त्ता - पन्नत्ता ८ ? केवइया चरिमा प० ९ ? केवइया अचरिमा प० १० ? गोयमा ! इमीसे- रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास सय सहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएस संखेजा नेरइया प०, संखेजा काउलेस्सा प०, एवं जाव संखेजा सन्नी प०, असन्नी सिय-अत्थि सिय नत्थि जइ अत्थि जहन्नेणं एक्लो वा दो वा तिन्नि, वा टक्कोसेणं संखेज्जा प०, संखेजा भवसिद्धिया प०, एवं जाव संखेज्जा परिग्गहसन्नो उत्ता प०, इत्थवेयगा नत्थि पुरिसवेयगा तत्थि, संखेजा नपुंसगवेयगा प०, एवं कोहकसा वि० ० प्र० स० १३ उ० १ ] - 1 Page #730 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७८ सुत्तागमे [भगवई ईवि, माणकसाई जहा असन्नी, एवं जाव लोभकसाई, संखेज्जा सोइंदियोवउत्ताप०, एवं जाव फासिंदियोवउत्ता, नोइंदियोवउत्ता जहा असन्नी, संखेज्जा मणजोगी प०, एवं जाव अणागारोवउत्ता, अणंतरोववनगा सिय अत्थि सिय नत्थि जइ अस्थि जहा असन्नी, संखेजा परंपरोववन्नगा प०, एवं जहा अणंतरोववनगा तहा अणंतरोगाढगा अणंतराहारगा अणंतरपजत्तगा चरिमा, परंपरोगाढगा जाव अचरिमा जहा परंपरोववन्नगा॥ इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेनु असंखेजवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं केवइया नेरइया उववजंति जाव केवइया अणागारोवउत्ता उववजेति? गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाएं पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहरसेसु असंखेजवित्थडेसु नरएसु एंगसमएणं जहण्णेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्नोसेणं असंखेज्जाः नेरइया उववजंति, एवं जहेव संखेनवित्थडेमु तिन्नि गमगा तहा असंखेजवित्थडेसुवि तिन्नि गमगा, नवरं असंखेजा भाणियव्वा सेसं तं चेव जाव असंखेजा अचरिमा पे० नाणत्तं लेस्सासु लेसाओ जहा पढमसए नवरं संखेजवित्यडेसुवि असंखेजवित्थडेसुवि ओहिनाणी ओहिदसणी य संखेजा उन्चट्टावेयव्वा, सेस तं चेव ।। सकरप्पभाए णं भंते ! पुढवीए केवइया निरयावास० पुच्छा, गोयमा ! पणवीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्तो, ते णं भंते ! किं संखेजवित्थडा असंखेजवित्थडा? एवं जहा रयणप्पभाए तहां सकरप्पभाएंवि, नवरं-असन्नी तिसुवि गमएसु न भन्नइ, सेसं तं चैव । वालुयप्पभाए णं पुच्छा, गोयमा ! पन्नरस निरयावाससयसहरसा पं० सेसं जहां सकरप्पभाए णाणत्तं लेसासु लेसाओ जहा पढमसए॥ पंकप्पभाए ण पुच्छा, गोयमा । दस निरयावाससयसहस्सा पं०, एवं जहा सकरप्पभाए नवरं ओहिनाणी ओहिदंसणी य न उव्वदंति, सेसं तं चेवं ॥ धूमप्पभाए णं पुच्छा, गोयमा ! तिनि निरयावाससयसहस्सा एवं जहा पंकप्पभाए॥तमाए णं भंते ! पुढवीएं केवइया निरयावास० 'पुच्छा, गोयमा! एगे पंचूणे 'निरयावासंसयसहस्से पण्णत्ते, सेसं जहा पंकप्पभाए ॥ अहेसत्तमाए णं भंते 1 पुढेवीए कइ अणुत्तरा महइमहालया महानिरया पन्नत्ता ? गोयमा! पंच अणुत्तरा जाव अपइटाणे, ते ण भंते । किं संखेजवित्थडा असंखेजवित्थडा ?' गोयमों! संखेजवित्थडे य असंखेजवित्थडा य, अहेसत्तमाए 'ण भंते पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु महइमहालया जाव महानिरएसु संखेजवित्थडे नरए एगसमएणं केवइया उववति ? एवं जहा पंकप्पभाए नवरं तिसु नाणेसु न उववज्जति न उव्वदृति, पनत्तएंसु तहेव अत्थि; एवं असंखेजवित्थडेसुवि नवरं असंखेजा भाणियव्वा ॥४६९॥ इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु नरएसु किं सम्मट्टिी नेरइया उववेजति मिच्छ Page #731 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० पं० स० १३ उ० २] सुत्ताग ६७९ दिट्ठी नेरइया उववज्जंति सम्मामिच्छदिट्ठी नेरइया उववजति ? गोयमा ! सम्मदिट्ठी वि नेरइया उववजंति, मिच्छादिट्ठीवि नेरइया उबवजंति, नो सम्मामिच्छदिट्टी नेरइया उववज्र्ज्जति । इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाएं निरयावाससयस हस्सेस संखेज्जवित्थडेसु नरएसु किं सम्मदिट्ठी नेरइया उव्वति ? एवं चेव । इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाएं पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेजवित्थडा नरगी किं सम्मद्दिट्ठीहिं नेरइएहिं अविरहिया मिच्छादिट्ठीहिं नेरइएहिं अविरहिया सम्मामिच्छदिट्ठीहिं नेरइएहिं अविरहिया ? गोयमा ! सम्मद्द्द्विीहिवि नेरइएहिं अविरहिया मिच्छादिहीहिवि 'नेरइएहिं अविरहिया, सम्मामिच्छादिट्ठीहिं नेरइएहिं अविरहिया विरहिया वां, एवं असंखेजवित्थडेसुवि तिन्नि गमगा भाणियंव्वा, एवं सक्करप्प भावि, एवं जाव तमाएवि । अहेसत्तमाएं णं भंते ! पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु जाव संखेजवित्थडे नरए किं सम्मद्दिट्ठी नेरइया पुच्छा; गोयमा ! सम्मद्दिट्ठी नेरइया न उववज्जंति, मिच्छदिट्ठी नेरइया उववज्र्जति, सम्मामिच्छदिट्ठी नेरइया न उववज्जंति, एवं उव्वट्टंतिवि, अविरहिए जहेव रयणप्पभाए; एवं असंखेज्जवित्थडेसुवि तिन्नि गमगा ॥ ४७० ॥ से नूणं भंते । कण्हलेस्से नीललेस्से जाव सुक्कलेस्से भवित्ता कण्हलेस्से सु नेरइएस उववजति ? हंता गोयमा । कण्हलेस्से जाव उववजंति, से केणटुणं भंते । एवं च कण्हलेस्से जाव उववज्जति ? गोयमा । लेस्सहाणेसु संकि लिस्समाणेसु २ कण्हलेसं परिणमंड २ त्ता कण्हलेसेसु नेरइएस उववर्जति, से तेणट्टेणं जावं उववजंति । से नूणं भते ॥ कण्हलेस्से जाव सुकलेसे भवित्ता नीललेस्सेसु नेरइएसु उववजंति ? हंता गोयमा ! जांव उववजंति से केणट्टेणं जाव उत्रवज्जंति ? गोयमा ! लेस्सद्वासु किलिस्समाणेसु वा विसुज्झमाणेसु नीलेलेरसं परिणमंइ २ त्ता नीललेस्से नेरइएस उववज्र्जति से तेणट्टेणं गोयमा । जाव उववर्जंति, से नूणं भंते । कण्हले से नीललेस्से जावं भवित्ता काउलेस्लेसु नेरइएस उववर्जति ? एवं जहा नीललेस्साए तहा काउलेस्सा(ए)वि भाणियव्वा जाव से तेणद्वेणं जाव उववज्जंति । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ४७१ ॥ तेरह मे सें पंढमो उद्देसो समत्तो ॥ , 2 कइविहा णं भंते! देवा पण्णत्ता ? गोयमा ! चउव्विहा देवा पन्नत्ता, तंजहाभवणवासी वाणमंतरा जोइसिया वेमाणियां । भवणवासी णं भंते! देवा कइविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दसंविहा पण्णत्ता, तंजहा - असुरकुमारा एवं भेओ जहा विइयसए देवुद्देसए जाव अपराजिया सव्वट्टसिद्धगा । केवइयां णं भंते ! असुरकुमारावासस्यसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा ! चोसट्ठि असुरकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता, ते णं भंते! कि संखेजवित्थडा असंखेज्जवित्थडा ? गोयमा ! संखेजवित्वावि Page #732 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ६८० असंखेजवित्थडावि, चोसठ्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावाससयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु असुरकुमारावासेसु एगसमएणं केवइया असुरकुमारा उववज्जति केवइया तेउलेसा उववजंति केवइया कण्हपक्खिया उववनंति एवं जहा रयणप्पभाए तहेव पुच्छा, तहेव वागरणं, नवरं दोहिं घेदेहिं उववजंति, नपुंसगवेयगा न उववजंति, सेसं तं चेव, उव्वदृतगावि तहेव नवरं असन्नी उव्वटंति, ओहिनाणी ओहिदसणी य ण उव्वदृति, सेसं तं चेव, पन्नत्तएसु तहेव नवरं संखेज्जगा इत्थिवेदगा पण्णत्ता, एवं पुरिसवेदगावि, नपुंसगवेदगा नत्थि, कोहकसाई सिय अत्थि सिय नत्थि जइ अस्थि जहण्णेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्नोसेणं संखेज्जा पण्णत्ता, एवं माण माया संखेजा लोभकसाई पण्णत्ता, सेसं तं चेव तिसुवि गमएसु संखेजवित्यडेसु चत्तारि लेस्साओ भाणियवाओ, एवं असंखेजवित्थडेसुवि नवरं तिसुवि गमएसु असंखेज्ना भाणियव्वा जाव असंखेजा अचरिमा पण्णत्ता। केवइया णं भंते! नागकुमारावास० एवं जाव थणियकुमारावास नवरं जत्थ जत्तिया भवणा ॥ केवइया णं भंते! वाणमंतरावाससयसहस्सा पन्नत्ता? गोयमा ! असंखेज्जा वाणमंतरावाससयसहस्सा पन्नत्ता, ते णं भंते । किं संखेन्जावित्थडा असंखेजवित्थडा? गोयमा! संखेजवित्थडा नो असंखेजवित्यडा, संखेजेसु णं भंते ! वाणमंतरावाससयसहस्सेसु एगसमएणं केवइया वाणमंतरा उववजति ? एवं जहा असुरकुमाराणं संखेजवित्थडेसु तिन्नि गमगा तहेव भाणियव्वा वाणमंतराणवि तिन्नि गमगा। केवइया णं भंते! जोइसियविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा। असंखेजा जोइसियविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता, ते णं भंते! किं संखेजवित्थडा०? एवं जहा वाणमंतराण तहा जोइसियाणवि तिन्नि गमगा भाणियव्वा नवरं एगा तेउलेस्सा, उववजंतेसु पन्नत्तेसु य असन्नी नत्थि, सेसं तं चेव ॥ सोहम्मे णं भंते! कप्पे केवइया विमाणावाससयसहस्सा पन्नत्ता ? गोयमा! बत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता, ते णं भंते ! किं संखजवित्थडा असंखेजवित्थडा ? गोयमा ! संखेजवित्थडावि असंखेजवित्यडावि, सोहम्मे णं भंते! कप्पे बत्तीसाए विमाणावाससयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु विमाणेसु एगसमएणं केवइया सोहम्मगा देवा - उववजतिः केवइया तेउलेसा उववजंति एवं जहा जोइसियाणं तिन्नि गमगा तहेव तिन्नि गमगा भाणियत्वा नवरं तिसुवि संखेज्जा भाणियव्वा, ओहिनाणी ओहिदसणी य चयावेयव्वा, सेसं तं चेव । असंखेजवित्थडेसु एवं चेव तिन्नि गमगा णवरं तिसुवि गमएसु असंखेजा भाणियव्वा, ओहिनाणी य ओहिदसणी य संखेजा चयंति,-सेसं तं चेव, एवं जहा सोहम्मे वत्तव्वया भणिया तहा ईसाणेवि छ गमगा भाणियव्वा, सणंकुमारेवि एवं Page #733 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० १३ उ०२] सुत्तागमे ६०१ चेव नवरं इत्थीवेयगा न उववनंति पन्नत्तेसु य न भण्णंति, असन्नी तिसुवि गमएसु न भण्णंति, सेसं तं चेव, एवं जाव सहस्सारे, नाणत्तं विमाणेसु लेस्सासु य, सेसं तं चेव॥ आणयपाणएसु णं भंते! कप्पेसु केवइया विमाणावाससया पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि विमाणावाससया पण्णत्ता, ते णं भंते !, किं संखेजवित्थडा असंखेजवित्थडा? गोयमा । संखेजवित्थडावि असंखेजवित्थडावि,एवं संखेजवित्थडेसु तिन्नि गमगा जहा सहस्सारे असंखेजवित्थडेसु उववजतेसु य चयंतेसु य एवं चेव संखेज्जा भाणियव्वा पन्नत्तेसु असंखेजा नवरं नोइंदियोवउत्ता अणंतरोववन्नगा अणंतरोगाढगा अणंतराहारगा- अणंतरपजत्तगा य एएसिं-जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं. संखेजा प०, सेसा असंखेजा भाणियव्वा। आरणञ्चुएसु एवं चेव जहा आणयपाणएसु नाणत्तं विमाणेसु, एवं गेवेजगावि । कइ णं भंते ! अणुत्तरविमाणा पन्नत्ता ? गोयमा ! पंच अणुत्तरविमाणा पन्नत्ता, ते णं भंते ! किं संखेजवित्थडा असंखेजवित्थड़ा ? गोयमा! संखेजवित्थडे य असंखेज्जावित्थडा य, पंचसु णं भंते ! अणुत्तरविमाणेसु संखेजवित्थडे विमाणे एगसमएणं केवइया अणुत्तरोववाइया देवा उववजंति केवइया- सुक्कलेस्सा उववजंति पुच्छा तहेव, गोयमा! पंचसु णं अणुत्तरविमाणेसु संखेजवित्थडे अणुत्तरविमाणे एगसमएणं जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा-उक्कोसेणं संखेज्जा अणुत्तरोववाइया देवा उववज्जति, एवं जहा गेवेजवि. माणेसु संखेजवित्थडेसु नवरं किण्हपक्खिया अभवसिद्धिया तिसु अन्नाणेसु एए न उववनंति न चयंति नवि पन्नत्तएसु भाणियव्वा अचरिमावि खोडिजति जाव संखेजा चरिमा प०, सेसं तं चेव, असंखेजवित्थडेसुवि एए न भन्नति नवरं अचरिमा अत्थि, सेसं जहा गेवेजएसु असंखेजवित्थडेसु जाव असंखेज्जा अचरिमा प० । चोसट्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावाससयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु असुरकुमारावासेसु किं सम्महिट्ठी असुरकुमारा उववज्जति मिच्छादिट्ठी - एवं जहा रयणप्पभाए तिन्नि आलावगा भणिया तहा भाणियव्वा, एवं असंखेजवित्थडेसुवि तिन्नि गमगा, एवं जाव गेवेजविमाणेसु अणुत्तरविमाणेसु एवं चेव, नवरं तिसुविआलावएसु मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्टी य.न भन्नति, सेसं तं चेव । से नूणं भंते । कण्हलेस्से नील जाव सुक्कलेस्से 'भवित्ता कहलेस्सेसु देवेसु उववज्जति ? हंता गोयमा । एवं जहेव नेरइएसु पढमे उद्देसए तहेव भाणियव्वं, नीललेसाएवि जहेव नेरइयाणं, जहा नीललेस्साए एवं जाव पम्हलेस्सेसु सुक्कलेस्सेसु एवं चेव, नवरं लेस्सहाणेसु विसुज्झमाणेसु २ सुक्कलेस्सं परिणमइ २त्ता सुक्कलेस्सेसु देवेसु उववजति, से तेणटेणं जाव उववति । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥४७२॥ तेरहमे सए बीओ उद्देसो समत्तो।। Page #734 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૬૮૨ सुत्तागमे [ भगवई नेरइया णं भंते । अनंतराहारा तओ निव्वत्तणया एवं परियारणापर्यं निरवसेसं भाणियव्वं । सेवं भंते ! सेवं भंते । ति ॥ ४७३ || तेरहमे सए तइओ उद्देस समत्तो ॥ इणं भंते! पुढवीओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! सत्त पुढवीओ पण्णत्ताओ, तंजहा- रयणप्पभा जाव अंहेसत्तमा, अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए पंच अणुत्तरा महइमहांलया जावळ अपट्ठाणे, ते णं णरगा छट्टीए तमाएं पुढवीए नरएहितो महंततरा चेव १ महाविच्छिन्नंतरा चेव २ महावासतरा चेव ३ महापइरिकतरा चेव ४, णो तहाळमहापवेसणतरा चेव १ नो आइन्नतरा चेव २ नो आउलतरा चेव ३ नो अणो(मा)यणतरा चेव ४, तेसु णं नरएस नेरइया छुट्टीए तमाए पुढवीए नेरइएहिंतो महाकम्मतरा चेब १ महाकिरियतरा चेव २ महासवतरा चेव ३ महावेयणतरा चेव ४ नो तहा अप्पकम्मतरा चेव १ नो अप्पकिरियतरा चेव २ नो अप्प|सवंतरा चेव ३ नो अप्पवेयणतरां चेव ४ अप्पिड्डियतरां चेव १ अप्पजुइयतरा चेव २ नो तहां महिड्डियतरा चेव १ नो-महाजुइयतरा चेव २ । छट्टीए णं तमाएं पुढवीए एगे पंचूणे निरयावास सय सहस्से पण्णत्ते, ते णं नरगा आहेसत्तमाए पुढवीए नरएहिंतोनों तहा महंत्तरां चैव महाविच्छिन्नतरा चेव ४, महम्पवेसणतरा चैव आइन्नतरा चैव ४, तेसु णं नरएंड नेरइया अहेसत्तमाए पुढवीए नेरइहिंतो अप्पकम्मतरा चेव अप्पकिरियतरा चेव ४ नो तहा महाकम्मतरा चेवं महाकिरियतरा चेव ४ महिड्डियतरा चेवं महाजुइयतरा चेव, नो तहा अप्पिड्ढियंतरा चेव अप्पजुइयतरां चेव । छंट्ठीए णं तमाए पुढवीए नरगां पंचमाए धूमप्पभाएं पुढवीए नरहितो महत्तरा चेव ४ नो तहा महप्पवेसणतरा चेव ४, तेसु णं नरएसु नेरइया पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नेरइएहिंतो महांकम्मतरा चेव ४ नो तहा अप्पकम्मतरा चेव ४ अप्पिड्डियतरा चेव २ नो तहा महिड्डियंतरा चेव २, पंचमाए णं धूमप्पभाए पुढवीए तिन्नि निरयांवासंसयसहस्सा पन्नत्ता, एवं जहा छट्ठीए भणिया एवं सत्तवि पुढवीओ परोप्परं भण्णंति जाव रयणप्पभत्ति जाव नो तहा महिड्डियतरा चेव अप्पजुइयतरा चेव ॥ ४७४ ॥ रयणप्पभापुढविनेरइया णं भंते ! क्रेरिसयं पुढविफांसं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति ? गोयमा ! अणि जाव अमणामं, जाव अहेसंत्तमापुढविनेरइया, एवं आउफास एवं जॉव वणस्सइफासं ॥ ४७५ ॥ इमां एवं णं भंते! रयणप्पभापुढवी दोच्च सक्करम्प पुढवि पणिहाय सव्वमहतिया बाहल्लेणं सव्र्व्वखुड्डिया सव्वंतेसु एवं जहा जीवाभिगमे बिइए नेरइयउद्देसए ॥ ४७६ ॥ इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए णिरयपरिसामंतेसु जे पुढविकाइया एवं जहाँ नेरइ Page #735 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० १३ उ० ४] सुत्तागमे ६८३ यउद्देसए जाव अहेसत्तमाए ॥४७७॥ कहि णं भंते ! लोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते ? गोयमा । इमीसे णं रयणप्पभाए उवासंतरस्स असंखेजइभाग ओगाहेत्ता एत्थ णं लोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते । कहि णं भंते ! अहेलोगस्स आयाममज्झे पण्णेत्ते ? गोयमा! चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए उवासंतरस्स साइरेगं अद्धं ओगाहित्ता एत्थ णं अहेलोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते, कहि णं भंते ! उडलोगस्स आयाममज्झें पण्णत्ते? गोयमा ! उप्पिं सणंकुमारमाहिंदाणं कप्पाणं हेडिं वंभलोए कप्पे रिहविमाणे पत्यडे एत्य णं उद्धृलोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते । कहिन भंते ! तिरियलोगस्स आयाममज्झे पण्गत्ते ? गोयमा ! जंबूदीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स बहुमज्झदेसभाए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिमहेटिलेमु खुट्टगपयरेसु एत्थं णं तिरियलोगस्स मज्झे अट्टपएलिए रुयए पण्णत्ते, जओ णं इमाओ दस दिसाओ पवहंति, तंजहा-पुरच्छिमा पुरच्छिमदाहिणा एवं जहा दसमसए नामधेज्जति ॥ ४७८ ॥ इंदा णं भंते ! दिसा किमाइया किपवहा कईपएसाइया कइपएसुत्तरा कइपएसिया किंपज्जवसिया किसंठिया पन्नत्ता ? गोयमा ! इंदा णं दिसा रुयगाइया रुयगप्पवहा दुपएसाइया दुपएमुत्तरा लोगं पडुच्च असंखेजपएसिया, अलोगं पडुच्च अणंतपएसिया, लोग पडुच्च साइया सपज्जवसिया, अलोगं पडुच्चं साइया अपज्जवसिया, लोगं पडुच्च मुरजसंठिया, अलोगं पडुच्च - सगडद्धिसंठियां पन्नत्ता । अग्गेई णं भंते ! दिसा किमाइया किपवहा कइपएसाइया कइपएसविच्छिन्ना कइपएसिया किपज्जवसिया किमंठिया पन्नत्ता ? गोयमा ! अग्गेई णं दिसा रुयगाइया ख्यगप्पवहा एगपएसाइयो एगपएस विच्छिन्ना अणुत्तरा लोगं पडुच्च असंखेजपएसिया अलोगं पड्डुच्च अणंतपएसिया, लोगं पडुच्च साइयां सपज्जवसिया अलोग पडुच्च साइया अपजवसिया, छिन्नमुत्तावलिसंठिया पण्णत्ता । जमा जहां इंदा, नेरई जहा अग्गेई, एवं जहा इंदा तहां दिसाओ चत्तारि, जहा अग्गेई तहा चत्तारिवि विदिसाओ। विमला णं भंते ! दिसा किमाइयाँ० पुच्छा जहा अॅग्गेईए, गोयमा! विमला णं दिसा ख्यगाइया ख्यगेप्पर्वहा चउप्पएसाइया दुपएसविच्छिन्ना अणुत्तरा लोग पंडुच्च 'सेसं जहा अग्गेईएँ नवरं रुयंगसंठिया पण्णत्ता, एवं तमावि ॥ ४७९ ॥ किमियं भंते ! लोएत्ति पवुच्चइ ? गोयंमा ! पंचत्थिंकाया, एस णं एवइए लोएत्ति पवुच्चई, तंजहां-धम्मथिकाए अहम्मत्थिकाए जाव पोग्गलत्यिकाए । धम्मत्थिकाएणं भंते ! जीवाणं कि पंवत्तइ ? गोयमा ! धम्मत्यिकाएणं जीवाणं आगमणगमणभासुम्मेसमणजोगा वइजोगा कायजोगा जे यावन्ने तहप्पगोरा चला भावा सव्वे ते धम्मत्थिकाए पवत्तंति, गइलक्खणे णं धम्मत्यिकाए । अहंम्मस्थिकाएणं भंते ! जीवाणं कि पवत्तइ ? गोयमा! Page #736 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ६८४ [भगवई अहम्मत्थिकाएणं जीवाणं ठाणनिसीयणतुयट्टण मणस्स य एगत्तीभावकरणया जे यावन्ने तहप्पगारा थिरा भावा सव्वे ते अहम्मत्थिकाए पवत्तंति, ठाणलक्खणे णं अहम्मत्थिकाए ॥.आगासत्थिकाएणं भंते !' जीवाणं अजीवाण य किं पवत्तइ ? गोयमा ! आगासत्थिकाएक जीवदव्वाण य अजीवदव्वाण य भायणभूए-एगेणवि से पुन्ने दोहिवि पुन्ने सयंपि माएजा। कोडिसएणवि पुन्ने कोडिसहस्सपि माएजा ॥१॥ अवगाहणालक्खणे णं-आगासत्थिकाए ॥ जीवत्थिकाएणं भंते ! जीवाणं कि पवत्तइ ? गोयमा ! जीवत्थिकाएणं जीवे अणंताणं, आभिणिवोहियनाणपजवाणं अणंताणं सुयनाणपजवाणं एवं जहा- बिइयसए अत्थिकायउद्देसए जाव उवओगं गच्छइ, उवओगलक्खणे णं जीवे ॥ पोग्गलत्थिकाए -णं पुच्छा, गोयमा !. पोग्गलत्थिकाएणं जीवाणं ओरालियवेउव्वियआहारगतेयाकम्मा सोइंदियचक्खिदियघाणिंदियजिभिदियफासिंदियमणजोगवइजोगकायजोगआणापाणूणं च गहणं, पवत्तइ, गहणलक्खणे णं पोग्गलत्थिकाए॥ ४८०॥ एगे भंते ! धम्मत्थिकायपएसे केवइएहि धम्मत्थिकायपएसेहिं पुढे ? गोयमा ! जहन्नपए तिहिं, उक्नोसपए छहिं । केवइएहिं अहम्मत्थिकायपएसेहिं पुढे ? गोयमा! जहन्नपए चरहिं उक्कोसपए सत्तहिं । केवइएहिं - आगासत्थिकायपएसेहिं पुढे ? गोयमा !- सत्तहिं । केवइएहिं जीवत्थिकायपएसेहिं पुढे ? गोयमा ! अणंतेहिं । केवइएहिं पोग्गलस्थिकायपएसेहिं पुढे? गोयमा ! अणंतेहिं । केवइएहिं अद्धासमएहिं पुढे ? सिय पुढे सिय नो पुढे जइ पुढे नियम अणंतेहिं ॥ एगे भंते ! अहम्मत्थिकायपएसे केवइएहिं धम्मत्थिकायपएसेहिं पुढे ? गोयमा ! जहन्नपए चउहिं उक्नोसपए सत्तहिं । केवइएहिं अहम्मत्थिकायपएसेहिं पुढे ? गोयमा ! जहन्नपए तिहिं उक्नोसपए छहिं, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स ॥ एगे भंते ! आगासत्थिकायपएसे केवइएहि धम्मत्थिकायपएसेहिं पुढे ? गोयमा! सिय पुढे सिय नो पुढे, जइ पुढे जहन्नपए एकेण वा दोहिं वा तिहिं वा चउहि वा उक्कोसपए सत्तहिं, एवं अहम्मत्थिकायप्पएसेहिंवि। केवइएहिं आगासत्थिकाय ? गोयमा ! छहिं, केवइएहिं जीवत्थिकायपएसेहिं पुढे ? सिय पुढे सिय नो पुढे, जइ पुढे नियम-अणंतेहि । एवं पोग्गलत्थिकायपएसेहिवि अद्धासमएहिवि ॥ ४८१ ॥ एगे भंते ! जीवत्थिकायपएसे केवइएहिं धम्मत्थिकाय० पुच्छा, जहन्नपए चउहिं उक्कोसपए सत्तहिं, एवं अहम्मत्थिकायपएसेहिंवि। केवइएहिँ आगासत्यिकाय? सत्तहिं । केवइएहिं जीवत्थि.?, सेसं-जहा धम्मत्थिकायस्स ।। एगे भंते । पोग्गलत्थिकायपएसे केवइएहि धम्मत्थिकायपएसेहिं ? एवं जहेव जीवत्यिकायस्स.॥ दो भंते ! पोग्गलत्यिकायप्पएसा केवइएहिं धम्मत्थिकायपएसेहिं पुट्ठा, जन्नपए छहिं उक्कोसपए वारसहि, एवं अहम्मत्यिकायप्पएसेहिवि । केवइएहिं आगा Page #737 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८५ वि० ५० स० १३ उ० ४] सुत्तागमे संत्यिकाय ? वारसहिं, सेसं जहा धम्मत्यिकायस्स ॥ तिन्नि भंते । पोग्गलत्थिकायपएसा केवइएहिं धम्मत्यिकाय ? जहन्नपए अट्टहिं उक्कोसपए सत्तरसहिं । एवं अहम्मत्यिकायपएसेहिवि । केवइएहिं आगासत्यि० ? सत्तरसहिं, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स । एवं एएणं गमेणं भाणियव्वं जाव दस, नवरं जहन्नपए दोन्नि पक्खिवि. यव्वा उक्कोसपए पंच ।' चत्तारि पोग्गलत्यिकायपएसे० जहन्नपए दसहिं उक्कोसपए वावीसाए, पंच पोग्गलत्थिकाय० जहण्णपए वारसहिं उक्नोसपए सत्तावीसाए, छ पोग्गल० जहण्णपए चोदसहि उक्नोसेणं वत्तीसाए, सत्त पोग्गल० जहन्नेणं सोलसहिं उकोसपए सत्ततीसाए, अट्ट पोग्गल० जहन्नपए अट्ठारसहिं उनोसेगं वायालीसाए, नव पोग्गल० जहन्नपए वीसाए उक्लोसपए सीयालीसाए, दस पोग्गल० जहण्णपए वावीसाए उक्नोसपए वावन्नाए । आगासत्यिकायस्स सव्वत्थ उक्लोसगं भाणियव्वं ॥ संखज्जा णं भंते ! पोग्गलत्यिकायपएसा केवइएहि धम्मत्यिकायपएसेहिं पुट्ठा ? जहन्नपए तेणेव संखेजएणं दुगुणेणं दुरूवाहिएणं, उक्कोसपए तेणेव संखेज्जएणं पंचगुणेणं दुरूवाहिएणं, केवइएहिं अधम्मत्थिकाएहिं ? एवं चेव, केवइएहिं आगासत्थिकाय० तेणेव संखेज्जएणं पंचगुणेणं दुरूवाहिएणं, केवइएंहिं जीवत्यिकाय० अणंतेहिं, केवइएहि पोग्गलत्थिकाय ? अणंतेहि, केवइएहि अद्धासमएहिं ? सिय पुढे सिय नो पुढे जाव अगंतेहिं । असंखेजा भंते ! पोग्गलत्यिकायप्पएसा केवइएहिं धम्मत्यिकाय ? जहन्नपए तेणेव असंखेजएणं दुगुणेणं दुरूवाहिएणं, उक्कोसपए तेणेव असंखेजएणं पंचगुणेणं दुरूवाहिएणं, सेसं जहा संखेजाणं जाव नियमं अगंतेहिं ॥ अणंता भंते ! पोग्गलत्थिकायपएसा केवइएहि धम्मत्थिकाय० एवं जहा असंखेज्जा तहा अणंतावि निरवसेसं ॥ एगे भंते! अद्धासमए केवइएहिं धम्मत्थिकायपएसेहिं पुढे ? सत्तहि, केवइएहिं अहम्मत्थि० ? एवं चेव, एवं आगासत्थिकोयपेएसेहिंवि, केवइएहिं जीवथिकाय ? अणंतेहिं, एवं जावं अद्धासमएहिं ॥ धम्मत्थिकाएं णं भंते ! केवइएहिं धम्मत्थिकायप्पएसेहिं पुढे ? नत्यि एकेणवि, केवइएहि अधम्मत्थिकायप्पएसेहिं ? असंखेजेहिं, केवइएहिं आगासस्थिकायप० ? असंखेजेहिं, केवईएहिं जीवत्थिकायपएसेहिं ? अगंतेहिं, केवइएहिं पोग्गलत्थिकायपएसेहिं० ? अणंतेहिं, केवइएहिं अद्धासमएहि ? सिय पुढे सिय 'नो पुढे, जइ पुढे नियमा अणंतेहिं । अहम्मत्थिकाए णं भंते ! केवइएहिं धम्मत्थिकाय? असंखेजेहिं, केवईएहिं अहम्मत्थि.? णत्थि एक्नेणवि, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स, एवं एएणं गमएणं सव्वेवि सट्ठाणए नत्थि एक्नेणवि पुट्ठा, परहाणए आइल्लएहिं तिहिं असंखेजेहिं भाणियव्वं, पच्छिल्लएसु तिसु अणंता भाणियव्वा जाव अद्धासमओत्ति जाव केवइएहिं अद्धासमएहिं पुढे ? नत्थि Page #738 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८६ सुत्तागमे [ भगवई ० O ० एक्केणवि ॥ जत्थ णं भंते । एगे धम्मत्थिकायपएसे ओगाढे तत्थ केवइया धम्मत्थिकायप्पएसा ओगाढा ? नत्थि एक्कोवि, केवइया अहम्मत्थिकायप्पएसा ओगाढा ? एक्को, केवइया आगासत्थिकाय ? एक्को, केवइया जीवत्थिकाय ? अणता, केवइया पोग्गलत्थिकाय ? अनंता, केवड्या अद्धासमया ? सिय ओगाढा सिय नो ओगाढा जइ ओगाढा, अनंता । जत्थ णं भंते! एगे अहम्मत्थि कायपएसे ओगाढे तत्थ केवइया धम्मत्थिकाय ? एक्को, केवइया अहम्मत्थि ० ? नत्थि एक्कोवि, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स । जत्थ णं भंते । एगे आगासत्थिकायपरसे ओगाढे तत्थ केवइया धम्मत्थिकाय० ? सिय- ओगाढा सिय नो ओगाढा, जइ ओगाढा, एक्को, एवं अहम्मत्थिकायपएसावि, केवइया आगासत्थिकाय ० ? नत्थि एक्कोवि, केवइया जीवत्थि ? सिय ओगाढा सिय नो ओगाढा, जइ ओगाढा - अनंता, एवं जाव अद्धासमया जत्थ णं भंते । एगे जीवत्थिकायपएसे ओगाढे, तत्थ केवइया धम्मत्थिकाय ० 2 एको, एवं अहम्मत्थिकायपएसावि, एवं आगासत्थिकायपएसावि, केवइया जीवत्थिकाय • ? अनंता, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स । जत्थ णं भंते । - एगे पोग्गलस्थिकाय एसे ओगाढे तत्थ केवइया धम्मत्थिकाय ? एवं जहा जीवत्थिकायपएसे तहेव निरवसेसं । जत्थ णं भंते ! दो पोग्गलत्थिकायपएसा ओगाढा तत्थ केवइया धम्म - थिकाय ? सिय एक्को सिय दोन्नि, एवं अहम्मत्थिकायस्सवि, एवं आगासत्थिकायस्सवि, सेसं जहा धम्मत्थि कायस्स । जत्थ णं भंते! तिन्नि पोग्गलत्थिकायपएसा ओगाढा तत्थ केवइया धम्मत्थिकाय ० ? सिय एक्को सिय दोन्नि सिय- तिन्नि, एवं अहम्मत्थिकायस्सवि, एवं आगासत्थिकायस्सवि, सेसं जहेव दोन्हं, एवं एकेको वडियो एसो आइएहिं तिहि अत्थिकाएहिं, सेसं जहेव दोन्हं जाव दसहं सिय एक्को सिय दोन्नि सिय तिन्नि जाव सिय दस, संखेज्जाणं सिय एको सिय दोन्नि जाव सिय दस सिय, संखेज्जा, असंखेज्जाणं सिय एक्को जाव सिय संखेज्जा सिय असंखेजा, जहा असंखेज्जा एवं अण॒तावि । जत्थ ण भंते ! एगे अद्धासमए ओगाढे--तत्थ केवइया धम्मत्थिकाय ० ? एक्को, केवइया अहम्मत्थिकाय ? एक्को, केवइया आगासत्थिकाय० ? एक्को, केवइया जीवत्थि० ? अनंता, एवं जाव अद्धासमया । जत्थ णं भंते ! धम्मत्थिकाए ओगाढे तत्थ केवइया धम्मत्थिकायपएसा ओगाढा ? नत्थि एक्लोवि, केवइया अहम्मत्थिकाय ? असंखेजा, केवइया आगासत्थि० ? असंखेजा, ० ० " ० ० 7 " केवझ्या जीवत्थिकाय० ? अगंता, एवं जाव अद्धासमया । - जत्थ णं भंते ! अहम्म् 1 त्थिकाए ओगाढे, तत्थ केवइया धम्मत्थिकाय ? असंखेजा, केवइया अहम्मत्थिकाय० ? नत्थि एक्लोवि, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स, एवं सव्वे सट्टाणे, नत्थि एकोवि i Page #739 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८७ वि०प० स० १३ उ०५] सुत्तागमे भाणियवं, परहाणे आइलगा तिन्नि असंखेजा भाणियव्वा, पच्छिल्लगा तिन्नि अणंता भाणियव्वा जाव अद्धासमओत्ति जाव केवइया अद्धासमया ओगाढा ? नत्थि एकोकि ॥४८२॥ जत्थ णं भंते ! एगे पुढविकाइए ओगाढे तत्थ णं केवइया पुढविक्काइया ओगाढा ? असंखेजा, केवइया-आउकाइया ओगाढा ? असंखेजा, केवइया तेउकाइया ओगाढा? असंखेजा, केवइया वाउकाइया ओगाढा ? असंखेज्जा, केवइया वणस्सइकाइया ओगाढा ? अणंता, जत्थ णं भंते ! एगे आउकाइए, ओगाढे तत्थ णं केवइया पुढवि० ? असंखेज्जा, केवइया आउ० ? असंखेज्जा, एवं जहेव पुढविकाइयाणं वत्तव्वया तहेव सव्वेसि निरवसेसं भाणियव्वं जाव वणस्सइकाइयाणं जाव केवड्या वणस्सइकाइया ओगाढा? अणंता,॥४८३॥ एयंसि णं भंते ! धम्मत्थिकाय० अधम्मत्थिकाय० आगासत्थिकार्यसि चकिया केइ आसइत्तए वा सुइत्तए वा चिट्ठित्तए वा निसीइत्तए वा तुयट्टित्तए वा ? नो इणडे समठे, अणंता पुण तत्थ जीवा ओगाढा, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ एयंसि णं धम्मत्थि० जाव आगासत्थिकायंसि णो चकिया केइ आसइत्तए वा जाव ओगाढा. गोयमा ! से जहा नामए-कूडागारसाला सिया दुहओ लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा जहा रायप्पसेणइजे जाव दुवारवयणाई पिहेइ दु० २ त्ता तीसे कूडागारसालाए बहुमझदेसभाए जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उनोसेणं पईवसहस्सं पलीवेजा, से नूणं गोयमा ! ताओ पईवलेस्साओ अन्नमनसंवद्धाओ अन्नमन्नपुट्ठाओ जाव अन्नमनघडत्ताए चिट्ठति ? हंता चिटुंति, चकिया गं गोयमा ! केइ तासु पईवलेस्सासु आसइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए वा ? भगवं! णो इणढे समढे, अणंता पुण तत्य जीवा ओगाढा; से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव ओगाढा ।। ४८४ ॥ कहि णं भंते ! लोए वहुसमे, कहिणं भंते ! लोए सव्वविग्गहिए पण्णत्ते ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए- उवरिमहेहिलेसु खुड्डगपयरेसु एत्थ णं लोए वहुसमे एत्थ णं लोए सव्वविग्गहिए पण्णत्ते । कहिणं भंते ! विग्गहविग्गहिए लोए पण्णत्ते ? गोयमान- विग्गहकंडए-एत्थ णं विग्गहविग्गहिए लोए पण्णत्ते ॥४८५॥ किंसंठिए णं भंते ! लोए पण्णत्ते ? गोयमा ! सुपइट्ठियसंठिए लोए पण्णत्ते, हट्ठा विच्छिन्ने मज्झे संखित जहा सत्तमसए पढमुद्देसए-जाव अतं करेइ-॥ एयस्सणं भंते ! अहेलोगस्स तिरियलोगस्स उद्धृलोगस्स य कयरे २- हिंतो जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे तिरियलोए, उद्धृलोए असंखेजगुणे, अहेलोए विसेसाहिए। सव भत । सव भते-! त्ति ॥४८६॥ तेरहमे सए चउत्थो उद्देसो समतो॥ नेरइया णं भंते ! कि सचित्ताहारा अचित्ताहारा मीसाहारा ? गोयमा! नो सचित्ताहारा अचित्ताहारा नो-मीसाहारा, एवं असुरकुमारा पढमो नेरइयउद्देसओ Page #740 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૬૦ सुत्तागमे [ भगवई निरवसेसो भाणियव्वो ॥ सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति ॥ ४८७ ॥ तेरहमे सपं पञ्चमो उद्देसो समत्तो ॥ 首 रायगिहे जाव एवं व्यासी- संतरं भंते । नेरइया उववजंति, निरंतरं नेरइया उववज्जंति ? गोयमा ! संतरंपि नेरइया उववज्जति, निरंतरंपि नेरइया उववज्जंति, एवं असुरकुमारावि, एवं जहा गंगेए तहेव दो दंडगा जाव संतरंपि वैमाणिया चयंति निरंतरंपि वेमाणिया चयंति ॥ ४८८ ॥ कहिन्नं भंते ! चमरस्स असुरिदस्स असुररन्नो चमरचंचा नामं आवासें पण्णत्ते ? गोयमा ! जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं तिरियमसंखेजे दीवसमुद्दे एवं जहा बिइयसए सभाए उद्देसए चत्तव्वया सच्चेव अपरिसेसा नेयव्वा, नवरं इमं नाणत्तं जाव तिगिच्छिकूडस्स उप्पायपव्वयस्स चमरस्चंचाए रायहाणीए चमरचंचस्स आवासपव्वयस्स अन्नेसिं च बहूणं सेसं तं चैव जाव तेरस य अंगुलाई अर्द्धगुलं च किंचिविसेसाहिया परिक्खेवेणं, तीसें णं चमरचंचाए रायहाणीए दाहिणपञ्चच्छिमेणं छक्कोडिसए पणपन्न च कोडीओ पणतीस चं सय सहस्साई पन्नासं च सहस्साईं अरुणोद्गसमुहं तिरियं वीईवत्ता एत्थ णं चमरस्स असुरिंदस्स "असुरकुमाररन्नो चमरचंचे नाम आवासे पण्णत्ते, चउरासीइं जोयणसहस्साई आयामविक्खमेण दो जोयणसय सहस्सा पट्टि च सहस्साई छच्चबत्तीसे जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, से णं एगेणं पागारेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, से णं पागारे दिवढे जोयणसयं उड्ड उच्चत्तेणं, एवं चमरचंचाएं रायहाणीए वत्तव्वया भाणियव्वा सभाविहूणा जाव - चत्तारि पासायांतीओ । चमरे णं भंते! असुरिंदे असुरकुमारराया चमरचंचे आवासे सहि उवे ? नो इट्ठे समट्ठे, से केगं खाइ णं अद्वेणं भंते! एवं बुचइ चमरचंचे आवासे २ ? गोयमा ! से जहानामए - इहं मणुस्सलोगंसि उवगारियलेणाइ वा उजाणियलेणाई वाणिजाणियलेणांइ वा वारिधारिवलेणाई वा तत्थ णं बहवे मणुस्सा य मणुस्सीओ य आसयति सयंति जहा रायप्पसेणइज्जे जाव कल्लाणफलवित्तिविसेसं पञ्चणुब्भवमाणा विहरंति, अन्नत्थ पुण वसहिं उवेंति, एवामेव गोयमा ! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो चमरचंचे आवासे केवलं किड्डारइपत्तियं अन्नत्थ पुण वसहिं उवेइ, से तेण्टुर्णं जाव आवासे, सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ ॥४८९ ॥ तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कंयाइ रायगिहाओ नयराओ गुणसिलाओ जाब विहरइ । तेणं काळेणं तेणं समएणं चंपा नामं नयरी होत्था वन्नओ, पुन्नभद्दे उज्जाणे वन्नओ, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे जाव विहरमाणे जेणेव चंपा नयरी जेणेव पुन्नभद्दे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ २ ता 0 Page #741 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १३ उ० ६] सुत्तागमे ६८९ जाव विहरइ, तेणं कालेणं तेणं समएणं सिंधुसोवीरेसु जणवएसु वीइभए नाम नयरे होत्था वन्नओ, तस्स णं वीइभयस्स नयरस्स वहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थ __णं मियवणे नामं उज्जाणे होत्था सव्वोउय० वन्नओ; तत्थ णं वीइभए नयरे उदायणे नामं राया होत्या महया वनओ, तस्स णं उदायणस्स रन्नो प(उमा)भावई नामं देवी होत्था सुकुमाल० वन्नओ, तस्स णं उदायणस्स रन्नो पुत्ते पभावईए देवीए अत्तए अभीइनामं कुमारे होत्या सुकुमाल जहा सिवभद्दे जाव पचुवेक्खमाणे विहरइ, तस्स णं उदायणस्त रन्नो नियए भायणेजे केसीनामें कुमारे होत्था सुकुमाल जाव सुरूवे, से णं उदायणे- राया सिंधुसोवीरप्पामोक्खाणं सोलसण्हं जणवयाणं, वीइभयप्पामोक्खाणं तिण्हं तेसट्ठीणं नगरागरसयाणं, महसेणप्पामोक्खाणं दसण्हं राईणं बद्धमउडाणं विइन्नछत्तचामरवालवीयणाणं अन्नेसिं च बहूणं राईसरतलवर जाव सत्थवाहप्पभिईणं आहेवच्चं पोरेवच्चं जाव कारेमाणे पालेमाणे समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ । तए णं से उदायणे राया अन्नया कयाइ जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ २ त्ता जहा संखे जाव विहरइ। तए णं तस्स उदायणस्स रन्नो पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-धन्ना णं ते गामागरनगरखेडकब्बडमडंवदोणमुहपट्टणासमसंवाहसन्निवेसा जत्य णं समणे भंगवं महावीरे विहरइ, धन्ना णं ते राईसरतलवर जाव सत्थवाहप्पभिइओ जे णं समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति जाव पज्जुवासंति, जइ णं समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुद्वि चरमाणे गामाणुगामं जाव विहरमाणे इहमागच्छेजा इह समोसरेजा, इहेव वीइभयस्स नयरस्स बहिया मियवणे उजाणे अहापडिरूवं उरगहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा जाव विहरेजा, तो णं अहं समणं भगवं महावीरं वंदेजा नमसेजा जाव पजवासेना, तए णं समणे भगवं महावीरे उदायणस्स रन्नो अयमेयारूवं अज्झत्थियं जावं समुप्पन्नं विजाणित्ता चंपाओ नयरीओ पुन्नभद्दाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमइ २त्ता पुव्वाणुपुट्विं चरमाणे गामाणुगामं जाव विहरमाणे जेणेव सिंधुसोवीरे जणवए जेणेव वीइभए णयरे जेणेव मियवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता जाव विहरइ । तए णं वीइभए नयरे सिंघाडग जाव परिसा पज्जुवासइ । तए णं से उदायणे राया इमीसे कंहाए लढे समाणे हद्वतुट्ठ० कोडंवियपुरिसे सहावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! वीईभयं नयरं सन्भितरबाहिरियं जहा कृणिओ उववाइए जाव पज्जवासइ, पभावईपामोक्खाओ देवीओ तहेव जाव वज्जवासंति, धम्मकहा। तए णं से उदायणे राया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा निसम्म हतुढे उठाए उढेइ २ त्ता समणं ४४ सुत्ता. Page #742 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९० सुत्तागमे [ भगवई भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता एवं वयासी - एवमेयं भंते । तहमेयं भंते ! जाव से जहेयं तुब्भे वदहत्तिकल जं नवरं देवाणुप्पिया ! अभीइकुमारं रजे ठावेमि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता जाव पव्वयामि, अहामुहं देवाणपिया ! मा पडिवं । तए णं से उदायणे राया समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वृत्ते समाणे तुट्ठे समणं भगवं महावीरं बंदइ नमसइ वं० २ त्ता तमेव आभिसेकं हथि दुरूह २त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ मियवणाओ उज्जाणांओ पडिनिक्खमइ २ त्ता जेणेव वीइभए नयरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं तस्स उदायणस्स रन्नो अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था - एवं खलु अभीकुमारे ममं एगे पुत्ते इट्ठे कंते जाव किमंग पुण पासणयाए, तं जड़ णं अहं अभीइकुमारं रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता जाव पव्वयामि तो णं अभीइकुमारे रज्जे य रट्टे य जाव जणवए य माणुस्सएसु य कामभोगेसु मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने अणाइयं अणवद्ग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियहिस्सइ, तं नो खलु मे सेयं अभीइकुमारं रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगचओ महावीरस्स जाव पव्वइत्तए, सेयं खलु मे णियगं भाइणेज्जं केसिकुमारं रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव पव्वइत्तए, एवं संपेहेइ २ त्ता जेणेव वीइभए नयरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता वीरभयं नयरं मज्झमज्झेणं जेणेव सए गेहे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छन् २ त्ता अभिसेक्कं हल्थि ठवे आभि० ० २ त्ता अभिसेक्काओ हत्थीओ पचोरुहइ २ त्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सीहासणवरंसि पुरत्या भिमुहे निसीयइ २ त्ता कोडुंवियपुरिसे सहावेइ २त्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! वीड्भयं नयरं सभितरवा हिरियं जाव पचप्पिति, तए णं से उदायणे राया दोचंपि कोडुवियपुरिसे सहावेइ २ ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया । केसिस्स कुमारस्त महत्यं ३ एवं रायाभिसेओ जहा सिवभद्दस्स कुमारस्स तहेव भाणियव्वो जाव परमाउं पालयाहि इट्ठजणसंपरिवुडे सिधुसोवीरपामोक्खाणं सोलसण्हं जणवयाणं, वीरभयपामोक्खाणं तिण्णि तेसट्टीणं नगरागरसयाणं, महसेणपामोक्खाणं दसहं राईणं अन्नेसि च वहूणं राईसर जाव कारेमाणे पालेमाणे विहराहित्तिकटु जयजयसद्दं परंजंति । तए णं से केसीकुमारे राया जाए महया जाव विहरइ । तए णं से उदायणे राया केसिं रायाणं आपुच्छइ, तए णं से केसीराया कोटुंबियपुरिसे सहावेइ एवं जहा जमालिस्स तहेव सब्भितरबाहिरियं तहेव जाव निक्खमणाभिसेयं उबडवे, तए णं से केसीराया अणेगगणणायग जाव संपरिवुडे उदायण रायं सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे निसी - े. Page #743 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १३ उ० ६] सुत्तागमे ६९१ यावेइ २ त्ता अट्ठसएणं सोवन्नियाणं एवं जहा जमालिस्स जाव एवं वयासी-भण सामी ! कि देमो कि पयच्छामो किणा वा ते अट्ठो? तए णं से उदायणे राया केसि राय एवं वयासी-इच्छामि णं देवाणुप्पिया! कुत्तियावणाओ एवं जहा जमालिस्स णवरं घउमावई अग्गकेसे पडिच्छइ पियविप्पओगदूस (णा)हा, तए णं से केसी राया ढोचपि उत्तरावकमणं सीहासणं रयावेइ दो० २ त्ता उदायण रायं सेयापीयएहिं कलसेहि सेसं जहा जमालिस्स जाव सन्निसन्ने, तहेव अम्मधाई नवरं पउमावई हंसलक्खणं पडसाडगं गहाय सेसं तं चेव जाव सीयाओ पच्चोरुहइ २ ना जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमइ २ त्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं तं चेव जाव पउमावई पडिच्छइ जाव घडियव्वं सामी ! जाव नो पमाएयव्वंतिकट्ठ केसी राया पउमावई य समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति वं० २ त्ता जाव पडिगया । तए णं से उदायणे राया सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं सेसं जहा उसभदत्तस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ ४९० ॥ तए णं तस्स अभीइकुमारस्स अन्नया कयाइ पुन्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुर्वावजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं उदायणस्स पुत्ते पभावईए देवीए अत्तए, तए णं से उदायणे राया ममं अवहाय नियगं भायणिज्ज केसिकुमारं रजे ठावेत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव पन्वइए, इमेणं एयारवेणं महया अप्पत्तिएणं मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूए समाणे अंतेउरपरियालसंपरिवुडे सभंडमत्तोवगरणमायाए बीइभयाओ नयराओ निग्गच्छइ २ त्ता पुव्वाणुपुचि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव चंपा नयरी जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता कूणियं रायं उवसंपजित्ताणं. विहरइ, तत्यवि णं से विउलभोगसमिइसमन्नागए यावि होत्था, तए णं से अभीइकुमारे समणोवासए यावि होत्या, अभिगय जाव विहरइ, उदायणमि रायरिसिमि समणुवद्धवेरे यावि होत्था, तेणं कालेणं तेणं समएणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए निरंयपरिसामंतेसु चो(योसद्धिं असुरकुमारावाससयसहस्सा पन्नत्ता, तए णं से अभीइकुमारे वहई वासाइंसमणोवासगपरियागं पाउणइ २ त्ता अद्धमासियाए संलेहणाए तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेइ २ त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्तते कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयपरिसामंतेसु चोयट्ठीए आयावा जाव सहस्सेसु अन्नयरंसि आयावा असुरकुमारा(आया)वाससि असुरकुमारदेवत्ताए उववण्णे, तत्थ णं अत्थेगइयाणं आयावगाणं असुरकुमाराणं देवाणं एग पलिओवमं ठिई प०, तस्स णं अभीइस्सवि देवस्स एग पलिओवमं ठिई पण्णत्ता । से णं भंते ! अभीइदेवे Page #744 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९२ सुत्तागमे [ भगवई ? ताओ देवलगाओ आउक्खणं ३ अनंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छिहि कहिं उबवज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिर जाव अंतं काहिर, सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ४९१ ॥ तेरहमे सए छट्टो उद्देसो समत्तो ॥ रायगिहे जाव एवं वयासी - आया भंते ! भासा अन्ना भासा गोयमा ! नो आया भासा अन्ना भासां, रु (वि) वी भंते ! भासा अरूवी भासा ? गोयमा ! स्वी भासा नो अरूवी भासा, सचित्ता भंते ! भासा अचित्ता भासा ? गोयमा ! नो सचित्ता भासा अचित्ता भासा, जीवा भंते! भासा अजीवा भासा ? गोयमा ! नो जीवा भासा अजीवा भासा जीवाणं भंते ! भासा अजीवाणं भासा ! गोयमा ! जीवाणं भासा नो अजीवाणं भासा, पुत्रि भंते! भासा भासिजमाणी भासा भासासमयवीकंता भासा ? गोयमा । नो पुदि भासा भासिजमाणी भासा णो भासासमयवीकंता भासा, पुव्विं भंते! भासा भिजइ, भासिजमाणी भासा भिजइ, भासासमयवीइकंता भासा भिजइ ? गोयमा ! नो पुत्र भासा भिज्जइ, भासिजमाणी भासा भिज्जइ, नो भासासमयवीइकंता भासा भिज्जइ । कइविहा णं भंते ! भासा पण्णत्ता ? गोयमा ! चउव्विहा भासा पण्णत्ता, तंजहा - सच्चा, मोसा, सच्चामोसा, असच्चामोसा ॥ ४९२ ॥ आया भंते ! मणे अन्न मणे ? गोयमा । नो आया मणे अन्ने मणे, जहा भासा तहा मणेवि जाव नो अजीवाणं मणे, पुव्विं भंते ! मणे मणिज्जमाणे मणे० ? एवं जहेव भासा, पुव्वि भंते ! मणे भिज्जइ, मणिज्जंमाणे मणे भिजड़, सणसमयवीइते मणे भिज्जइ ? एवं जहेव भासा | कवि णं भंते । मणे पण्णत्ते ? गोयमा । चउव्विहे मणे पन्नत्ते, तंजहासच्चे जाव असच्चामोसे ॥ ४९३ ॥ आया भंते ! काए अन्ने काए ? गोयमा ! आयावि काए अन्नेवि काए, रूवी भंते ! काए अरूवी काए ? गोयमा ! रुवीवि काए अरूवीवि काए, एवं एक्वेक्वे पुच्छा, गोयमा । सचित्तेविकाए अचित्तेविकाए, जीवेवि काए अजीवेवि काए, जीवाणवि काए अजीवाणवि काए, पुव्वि भंते । काए पुच्छा, गोयमा ! पुव्विपि काए काइजमाणेवि काए कायसमयवीइतेवि काए, पुवि भंते ! काए भिज्जइ पुच्छा, गोयमा ! पुव्विपि काए भिजइ काइजमाणेवि काए भिज्जइ, कायसमयवीइक्कंतेविकाए भिज्जइ ॥ कइविहे णं भंते ! काए, पन्नत्ते ? गोयमा ! सत्तविहे काए पन्नत्ते, तंजहा-ओरालिए ओरालियमीसए वेउन्त्रिए वेडव्वियमीसए आहारए आहारगमीसए कम्मए ॥ ४९४ ॥ कइविहे णं भंते । मरणे पन्नत्ते ? गोयमा ! पंचविहे मरणे पण्णत्ते, तंजहा—आवीचियमरणे ओहिमरणे आईंतियमरणे वालमरणे पंडियमरणे । आवीचियमरणे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा - दव्वा - Page #745 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १३ उ० ७] सुत्तागमे ६९३ वीचियमरणे खेत्तावीचियमरणे कालावीचियमरणे भवावीचियमरणे भावावीचियमरणे, दवावीचियमरणे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते, तंजहा-नेरइयदन्वावीचियमरणे, तिरिक्खजोणियदव्वावीचियमरणे, मणुस्सव्वावीचियमरणे, देवदवावीचियमरणे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ नेरइयदव्वावीचियमरणे नेरइबव्वावीचियमरणे ? गोयमा! जण्णं नेरइया नेरइयदव्वे वट्टमाणा जाई दव्वाइं नेरइयाउयत्ताए गहियाई बद्धाइं पुट्ठाई कडाइं पट्टवियाई निविट्ठाई अभिनिविट्ठाइं अभिसमन्नागयाइं भवंति ताइं दव्वाइं आवी(चियं)ची अणुसमयं निरंतरं मरंतित्तिकट्ट से तेणढेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ नेरइयंदवावीचियमरणे, एवं जाव देवदव्यावीचियमरणे । खेत्तावीचियमरणे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउबिहे पण्णत्ते, तंजहा-नेरइयखेत्तावीचियमरणे जाव देवखेत्तावीचियमरणे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ नेरइयखेत्तावीचियमरणे २? गोयमा ! जण्णं नेरइया नेरइयखेत्ते वट्टमाणा जाई दवाइं नेरइयाउयत्ताए एवं जहेव दवावीचियमरणे तहेव खेत्तावीचियमरणेवि, एवं जाव भावावीचियमरणे, 1 ओहिमरणे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा । पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-दव्वोहिमरणे खेत्तोहिमरणे जाव.भावोहिमरणे । दव्वोहिमरणे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते, तंजहा-नेरइयदव्वोहिमरणे, जाव, देवदव्वोहिमरणे, से केणटेणं भंते ! एव वुचइ नेरइयदव्वोहिमरणे २ ? गोयमा! जणं नेरइया नेरइयदव्वे वट्टमाणा जाइं दव्वाइं संपयं मरंति जणं, नेरझ्या ताई दव्वाइं अणागए काले पुणोवि मरिस्संति, से तेणटेणं गोयमा । जाव व्वोहिमरणे, एवं तिरिक्खजोणिय० मणुस्स० देवदव्वोहिमरणेवि, एवं एएणं गमेगं खेत्तोहिमरणेवि कालोहिमरणेवि भवोहिमरणेवि भावोहिमरणेवि । आइंतियमरणे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! पंचविहे पंन्नत्ते, तं०-दव्वाइंतियमरणे खेत्ताइंतियमरणे जाव भावाइंतियमरणे, दव्वाइंतियमरणे णं भंते ! कइविहे प० गोयमा! चउबिहे प० तं०-नेरइयदव्वाइंतियमरणे जाव देवदव्वाइंतियमरणे, से केगटेणं भंते ! एवं वुच्चई नेरइयदव्वाइंतियमरणे २ ? गोयमा.! जणं नेरइया नेरइयदव्वे वट्टमाणा जाइं दव्वाइं संपयं मरंति-जे णं नेरइया ताई दव्वाइ अणागए काले नो पुणोवि मरिस्संति, से तेणटेणं जाव मरणे, एवं तिरिक्ख० मणुस्स०.देवाइंतियमरणे, एवं खेत्ताईतियमरणेवि, एवं जाव भावाइंतियमरणेवि । वालमरणे णं. भंते ! कइविहे प० ? गोयमा ! दुवालसविहे प० तं०-वलयमरणे जहा खंदए जाव गिद्धपिढे ॥ पंडियमरणे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा! दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-पाओवगमणे य भत्तपच्चक्खाणे य । पाओवगमणे णं भंते ! कइविहे प० ? गोयमा ! दुविहे Page #746 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे . .' [ भगवई प०, तं०-णीहारिमे य अनीहारिमे य जाव नियमं अपडि(कमे)कम्मे । भत्तपञ्चक्खाणे णं भंते ! कइविहे प० ? एवं तं चेव नवरं नियमं सपडिकम्मे । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ४९५ ॥ तेरहमे सए सत्तमो उद्देसो समत्तो॥ __ कइ णं भंते! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, एवं वंधट्ठिइउद्देसो भाणियव्वो निरवसेसो जहा पन्नवणाए । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४९६ ॥ तेरहमे सए अटमो उद्देसो समत्तो । रायगिहे जाव एवं वयासी-से जहानामए-केइ पुरिसे केयाघडियं गहाय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारेवि भावियप्पा केयाघडियाकिच्चहत्थगएणं अप्पाणेणं उर्दु वेहासं उप्पएजा ? हंता गोयमा ! जाव समुप्पएजा, अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवइयाइं पभू केयाघडियाकिचहत्थगयाइं रूवाइं विउवित्तए ? गोयमा । से जहानामएजुवई जुवाणे हत्थेणं हत्थे एवं जहा तइयसए पंचमुद्देसए जाव नो चेव णं संपत्तीए विउव्विसु वा विउव्विति वा विउविस्संति वा, से जहानामए-केइ पुरिसे हिरन्नपे(डि)लं गहाय गच्छेजा, एवामेव अणगारेवि भावियप्पा हिरण्णपेलहत्थकिच्चगएणं अप्पाणेणं सेसं तं चेव, एवं सुवन्नपेलं, एवं रयणपेलं वइ(योरपेलं वत्थपेलं आभरणपेलं, एवं वियलकि(ड)सुवकिट्टे चम्मकिडं कंबलकिडं, एवं अयभारं तंबभारं तउयभारं सीसंगभारं हिरन्नभारं सुवन्नभारं वईरभारं, से जहानामए-वग्गुली सिया दोवि पाए उल्लंबिय २ उट्ठेपाया अहोसिरा चिट्ठेजा, एवामेव अणगारेवि ,भावियप्पा वग्गुलीकिचगएणं अप्पाणेणं उद्धं वेहासं एवं जन्नोवइयवत्तव्वया भाणियन्वा जाव विउव्विस्संति वा, से जहानामए-जलोया सिया उदगंसि कायं उव्विहिय २ गच्छेजा, एवामेव सेसं जहा वग्गुलीए, से जंहाणामए-बीयंबीयगसउणे सिया दोवि पाए समतुरंगेमाणे २. गच्छेजा, एवामेव अणगारे सेस तं चेव, से जहाणामए-पक्खिविरालए सिया रुक्खाओ रुक्खं डेवेमाणे गच्छेजा, एवामेव अणगारे सेसं तं चेव, से जहानामएजीवंजीवगसउणे सिया दोवि पाए समतुरंगेमाणे २ गच्छेजा, एवामेव अणगारे सेसं तं चेव, से जहाणामए-हंसे सिया तीराओ तीरं अभिरममाणे २ गच्छेजा, एवामेव अणगारे हंसकिञ्चगएणं अप्पाणेणं सेसं तं चेव; से जहानामए-समुद्दवायसए सिया वीईओ वीइं- डेवेमाणे गच्छेज्जा, एवामेव तहेव, से जहानामए-केइ पुरिसे चनं गहाय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारेवि भावियप्पा चक्ककिच्चहत्थगएणं अप्पाणेणं सेसं जहा केयाघडियाँए, एवं छत्तं, एवं चामरं, से जहानामए-केइँ पुरिसे रयणं गहाय गच्छेजा, एवं चेव, एवं वरिं" वेरुलियं जाव रिटुं, एवं उप्पलहत्थगं पउमहत्थगं कुमुदहत्थगं, “एवं जाव से जहानामए-केइ पुरिसे -सहस्सपत्तगं Page #747 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १४ उ० १] सुत्तागमे ६९५ गहाय गच्छेज्जा, एवं चेव, से जहानामए-केइ पुरिसे भिसं अवदालिय २ गच्छेजा, एवामेव अणगारेवि - भिसकिच्चगएणं अप्पाणेणं तं चेव, से जहानामए-मुणालिया सिया उदगंसि कायं उम्मजिय २ चिट्ठिजा, एवामेव सेसं जहा वग्गुलीए, से जहानामए-वण(ख)संडे सिया किण्हे किण्होभासे जाव निकुरुंवभूए पासादीए ४, एवामेव अणगारेवि भावियप्पा वगसंडकिच्चगएणं अप्पाणेणं उर्दू वेहासं उप्पएज्जा, सेसं तं चेव,से जहानामए-पुक्खरिणी सिया चउकोणा समतीरा अणुपुव्वसुजाय जावसहनइयमहुरसरणाझ्या पासाईया ४, एवामेव अणगारेवि भावियप्पा पोक्खरिणीकिच्चगएणं अप्पाणेणं उर्दू वेहासं उप्पएजा? हंतां उप्पएज्जा, अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवइयाइं पभू पोक्खरिणीकिञ्चगयाइं रूवाइं विउव्वित्तए, सेसं तं चेव जाव विउव्विस्संति वा । से भंते ! किं माई विउव्वइ अमाई विउव्वइ ? गोयमा ! माई विउव्वइ नो अमाई विउव्वई, माई णं तस्स ठाणस्स अणालोइय० एवं जहा तइयसए चउत्थुद्देसए जावं अत्थि तस्स आराहणा । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्तिजाव विहरइ ॥ ४९७ ॥ तेरहमे सए नवमो उद्देसो समत्तो ॥ . .. कइ णं भंते-! छाउमत्थियसमुग्धाया पन्नत्ता ? गोयमा ! छ छाउमस्थिया समु. ग्घाया पन्नत्ता, तंजहा-वेयणासमुग्धाए एवं छाउमत्थियसमुग्धापा नेयव्वा जहा पन्नवणाए जाव आहारगसमुग्घाएत्ति । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरइ ॥ ४९८ ॥ तेरहमे सए दसमो उद्देसो समत्तो, तेरसमं सयं समत्तं ।। चर १ उम्माय' २ सरीरे ३ पोग्गल ४ अगणी ५ तहा किमाहारे ६ । संसिट्ठ ७ मंतरे खलु ८ अणगारे ९ केवली चेव १०॥१॥ रायगिहे जाव एवं वयासीअणगारे णे भंते ! भावियप्पा चरमं देवावासं वीइक्ते परमं देवावासमसंपत्ते एत्थ णं अंतरा कालं करेजा, तस्स गं भंते ! कहिं गई कहि उववाए पन्नत्ते ? गोयमा ! जे से तत्थ परि(योस्सओ तल्लेसा देवावासा तहिं तस्स गई तहिं तस्स उववाए पन्नत्ते, से य तत्थंगए विराहेजा कम्मलेस्सामेव पडि(म)वडइ, से य तत्थ गए नो विराहेज्जा तामेव लेस्सं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ ॥ अणगारे णं भंते ! भावियप्पा चरमं असुरकुमारावासं वीइक्कते परमं असुरकुमारा० एवं चेव, एवं जाव थणियकुमारावासं जोइसियावासं, एवं वेमाणियावासं जाव विहरइ ॥ ४९९ ॥ नेरइयाणं भंते ! कहं सीहा गई कहं सीहे. गइविसए पण्णत्ते? गोयमा ! से जहानामए-केई पुरिसे तरुणे वलवं जुगवं जाव निउणसिप्पोवगए आउंटिय वाहं पसारेजा पसारियं वा वाहं आउंटेजा, विक्खिण्णं वा मुढिं साहरेजा साहरियं वा मुर्हि विक्खिरेजा, उम्मिसियं वा अच्छि निम्मिसेज्जा-निम्मिसियं वा अच्छि उम्मिसेज्जा; भवे एयारूवे ? णो इणहे Page #748 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९६ सुत्तागमे [ भगवई समट्ठे, नेरइयाणं एगसमएणं वा दुसमएण वा तिसमएण वा विग्गहेणं स्ववजंति, नेरइयाणं गोयमा ! तहा सीहा गई तहा सीहे गइविसए पण्णत्ते, एवं जाव वैमाणि - याणं, नवरं एगिदियाणं चउसमइए विग्गहे भाणियव्वे, सेसं तं चेव ॥ ५०० ॥ नेरइयाणं भंते । किं अतरोववन्नगा परंपरोववन्नगां अनंतरपरंपरंअणुववन्नगा ? गोयमा ! नेरइयाणं अगंत रोववन्नगावि परंपरोववन्नगावि अनंतरपरंपरअणुववन्नगावि, सेकेणट्टे भंते! एवं वुच्चइ जाव अतरपरंपरअणुववन्नगाव ? गोयमा ! जेणं नेरइया पुढमसमयोववन्नगा ते णं नेरइया अणंतरोववन्नगा, जेणं नेरइया अपढमसमयोववन्नगा ते णं नेरइया परंपरोववन्नगा, जेणं नेरइया विग्गहगइसमावन्नगा ते नेरइया अनंतर परंपरअणुववन्नगा, से तेणद्वेणं जाव अणुववन्नगावि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया १ । अणतरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्ख० मणुस्स० देवाउयं पकरेंति ? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति । परंपरोववन्नगा णं भंते !. नेरइया कि नेरइयाउयं पकरेंति जाव देवाउयं पकरेंति ? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयंपि पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । अणंतर परंपरअणुर्ववन्नगा णं भंते ! नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेंतिः पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेन्ति, एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं पंचिदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा य परंपरोववन्नगा चत्तारिवि आउयाई पकरें (वंधं) ति, सेसं तं चैव २ ॥ नेरइया णं भंते! किं अनंतर निग्या परंपरंनिग्गया अणंतरपरंपरअणिग्गया ? गोयमा ! नेरइया णं अजंतरनिग्गयावि जाव अणंतरपरंपरअणिग्गयावि, से केणद्वेणं भंते ! जाव अणिग्गयावि ? गोयमा ! जेणं नेरइया पढमसमयणिग्गया ते णं नेरइया अणंतरणिग्गया, जेणं नेरइया अपढमसमयणिग्गया ते णं- नेरइया परंपरणिग्गया, जे णं नेरइया विग्गहगइसमावन्नगा ते णं नेरइया अणंतर परंपरअणिग्गया, से तेणट्टेणं गोयमा ! जाव अणिग्गयावि, एवं जाव वेमाणिया ३ ॥ अणंतरणिग्गया णं भंते ! नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेंति जाव देवाउयं पकरेंति ? गोयमा 'नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति । परंपरणिग्गया णं भंते! नेरइया किं नैरइयाउयं० पुच्छा, गोयमा | नेरइयाउयंपि परेंत जाव देवाउयंपि पंकरेंति । अणंतरपरंपरअणिग्गया णं भंते! नेरइया पुच्छा, गोयमा । नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति, एवं निरवसेसं जाव वैमाणिया ४ ॥ नेरइया णं भंते । कि अनंतर खेदोववन्नगा परंपरखेदोववन्नगां अनंतर परंपरखेदाणुववन्नगा ? गोयमा ! नेरइया ० एवं एएणं अभिलावेण तं चैव चत्तारि दंडगा भाणियव्वा । सेवं भंते । सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ ॥५०१ ॥ चोदसमसयस्स पढमो उद्देसो समत्तो ॥ 3 Page #749 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १४ उ० २] सुत्तागमे ६९७ 1 C कवि णं भंते! उम्माए पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे उम्माए पण्णत्ते, तंजहाजक्खावेसे य मोहणिजस्स य कम्मस्स उदएणं, तत्थ णं जे से जक्खावेसे से मुहवेयणतराए चेव सुहविमोयणतराए चेवं, तत्थ णं जे से मोहणिजस्स कम्मस्स उदएण से णं दुहवेयणतराए चेव दुहविमोयणतराए चेव ॥ नेरइयाणं भंते ! कवि उम्माए पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे उम्माए पण्णत्ते, तंजहा- जक्खावेसे य मोहणिजस्स य कम्मस्स उदएणं, से केणट्टेणं भंते । एवं बुच्चइ नेरइयाणं दुविहे उम्माए पण्णत्ते, तंजहा - जक्खावेसे य मोहणिज्जस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा ! देवे वा से असुभे पोग्गले पक्खिवेजा, से णं तेसिं असुभाणं पोग्गलाणं पक्खिवणयाए जक्खावेतं उम्मायं पाउणेजा, मोहणिज्जस्स वा कम्मस्स उदएणं मोहणिज्जं उम्मायं पाउणेजा, से तेणट्टेणं 'जाव उदएणं । असुरकुमाराणं भंते ! कइ विहे उम्माए पण्णत्ते ? एवं जहेव नेरइयाणं नवरं देवे वा से महिढियतराए चेव असुभे पोग्गले पक्खिवेजा, से णं तेसिं असुभाणं पोग्गलाणं पक्खिवणयाए जक्खा (ए) वेसं उम्मायं पाउणेज्जा, मोहणिजस्स वा सेसं तं चैव से तेणट्टेणं जाव उदएणं, एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढविकाइयाणं जाव मणुस्साणं एएसिं जहा नेरइयाणं, वाणमंतरजोइसियवेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं ॥ ५०२ ॥ अत्थि णं भंते ! पजन्ने कालवासी वुट्टिकायं पकरेइ ? हंता अस्थि || जाहे णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया वुद्धिकार्य काउंकामे भवइ से कहमियाणिं पकरेइ ? गोयमा । ताहे चेवणं से सक्ने देविंदे देवराया अभितरपरि (सा) सए देवे सद्दावेइ, तए णं ते अब्भितरपरिसगा देवा साविया समाणा मज्झिमपरिसए देवे सहावेंति, तए णं ते मज्झिमप'रिसगा देवा सद्दाविया समाणा बाहिरंपरिसए देवे सद्दावेंति, तए णं ते बाहिरपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा वाहिरबाहिरगा देवा सहावेंति, तए णं ते वाहिरवा हिरंगा देवा सद्दाविया समाणा आभिओगिए देवे सद्दावेंति, तए णं ते जाव सद्दाविया समाणा वुट्टिकाइए देवे सद्दावेंति, तए णं ते वुट्टिकाइया देवा सद्दाविया समाणा चुट्ठिकार्यं पकरेंति, एवं खलु गोयमा ! सक्के देविंदे देवराया वुट्टिकायं पकरेइ ॥ अस्थि भंते! असुरकुमारावि देवा वुट्टिकायं पकरेंति ? हंता अस्थि, किं पत्तियन्न भंते ! असुरकुमारा देवा वुद्धिकार्यं पकरेंति ? गोयमा । जे इमे अरहंता भगवंता एएसि णं जम्मणमहिमासु वा निक्खमणमहिमासु वा णाणुष्पायमहिमासु वा, परिनिव्वाणमहिमासु वा, एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारावि देवा वुद्धिकार्यं पकरेंति, एवं नागकुमारावि, एवं जाव थणियकुमारा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया एवं चेव ॥ ५०३ ॥ जाहे णं भंते ! ईसाणे देविंदे देवराया तमुक्कायं काउंकामे भवइ से · Page #750 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९८ सुत्तागमे ' [भगवई कहमियाणि पकरेइ ? गोयमा ! ताहे चेव णं से ईसाणे देविंदे देवराया अभितरपरिसए देवे सद्दावेइ, तए णं ते अभितरपरिसगा देवा सहाविया समाणा एवं जहेव सकस्स जाव तए णं ते आभिओगिया देवा सदाविया समाणा तमुक्काइए देवे सद्दावेंति, तए णं ते तमुक्काइया देवा सद्दाविया समाणा तमुक्कायं पकरेंति, एवं खलु गोयमा ! ईसाणे देविदे देवराया तमुक्कायं पकरेइ ॥ अत्थि णं भंते ! असुरकुमारावि देवा तमुक्कायं पकरेंति ? हंता अस्थि । किं पत्तियन्नं भंते ! असुरकुमारा देवा तमुक्कायं पकरेंति ? गोयमा ! किड्डारइपत्तियं वा पडिणीयविमोहणट्टयाए वा गुत्तीसंरक्खणहेडं वा अप्पणो वा सरीरपच्छायणट्ठयाए, एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारावि देवा तमुक्कायं पकरेंति, एवं जाव वेमाणिया । सेवं भंते । २ त्ति जाव विहरइ ॥ ५०४ ॥ चोदसमसयस्स बीओ उद्देसो समत्तो॥ ।। देवे णं भंते ! महाकाए महासरीरे अणगारस्स भावियप्पणो मज्झंमज्झेगं वीईवएजा ? गोयमा ! अत्थेगइए वीईवएजा अत्थेगइए नो वीईवएजा, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ अत्थेगइए वीईवएजा अत्थेगइए नो वीईवएजा ? गोयमा! देवा दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-माइमिच्छादिट्ठिउववन्नगा य अमाइसम्मदिट्ठिउववन्नगा य, तत्थ णं जे से माइमिच्छदिट्ठिउववन्नए देवे से णं अणगारं भावियप्पाणं पासइ २ त्ता नो वंदइ नो नमसइ नो सकारेइ नो सम्माणेइ नो कल्लाणं मंगलं देवयं जाव पन्जवासइ,से णं अणगारस्स भावियप्पणो मज्झंमज्झेणं वीईवएजा, तत्थ णं जे से अमाइ सम्मद्दिट्ठिउववन्नए देवे से णं अणगारं भावियप्पाणं पासइ पासित्ता वंदइ नमसइ जाव पज्जुवासइ, से णं अणगारस्स भावियप्पणो मज्झंमज्झेगं नो वीईवएजा, से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ जाव नो वीईवएजा। असुरकुमारे णं भंते ! महाकाएं महासरीरे एवं चेव, एवं देवदंडओ भाणियन्वो जाव वेमाणिए ॥ ५०५ ॥ अत्थि णं भंते ! नेरइयाणं सकारेइ वा सम्माणेइ वा किइकम्मेइ वा अन्मुट्ठाणेइ वा अंजलिपग्गहेइ वा आसणाभिग्गहेइ वा आसणाणुप्पदाणेइ वा इंतस्स पञ्चुग्गच्छणया ठियस्स पजुवासणया- गच्छंतस्स पडिसंसाहणया ? नो इणढे संमढे । अत्थि ण भंते! असुरकुमाराणं सकारेइ वा सम्माणेइ वा जाव, पडिसंसाहणया ? हंता अत्थि, एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढविकाइयाणं जाव चउरिंदियाणं एएसि जहा नेरइयाणं, अत्थि णं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं सकारेइ वा जाव पडिसंसाहणया ? हंता अत्थि, नो चेव णं आसणाभिग्गहेइ वा आसणाणुप्पदाणेइ वा, मणुस्साणं जाव वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं. ॥ ५०६ ॥ अप्पिड्डिए णं भंते ! देवे महिड्डियस्स देवस्स मज्झंमज्झेणं वीईवएजा ? नो , इणढे समढे, समिड्डिए Page #751 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १४ उ० ४] सुत्तागमे ६९९ गंभंते ! देवे समिडियस्स देवस्स मज्झमझेणं वीईवएज्जा ? णो इणढे समढे, पमत्तं पुण वीईवएजा, से णं भंते ! कि सत्येणं अकमित्ता पभू अणकमित्ता पभू ? गोयमा! अक्कमित्ता पभू नो अणकमित्ता पभू ; से णं भंते ! किं पुच्चि सत्येणं अक्कमित्ता पच्छा वीईवएज्जा, पुब्बि वीईवएजा पच्छा सत्थेणं अक्कमेजा ? एवं ,एएणं अभिलावेणं जहा दसमसए आइडिउद्देसए तहेव निरवसेसं चत्तारि दंडगा भाणियव्वा जाव महिड्डिया वेमाणिणी अप्पिट्टियाए वेमाणिणीए ॥५०७॥ रयणप्पभापुढविनेर. इया णं भते। केरिसयं पोग्गलपरिणामं पचणुभवमाणा विहरंति ? गोयमा ! अणिढे जाव अमणाम, एवं जाव अहेसत्तमापुढविनेरइया, एवं वेयणापरिणाम, एव जहा जीवाभिगमे विइए नरड्यउद्देसए जाव अहेसत्तमापुढविनेरइया णं भंत । केरिसयं परिग्गहसन्नापरिणाम पञ्चणुभवमाणा विहरंति ? गोयमा ! अणिलं जाव अमणामं । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ५०८ ॥ चोदसमसयस्स तइओ उद्देसो समत्तो ॥ एस णं भंते ! पोग्गले तीतमणंतं सासयं समयं लुक्खी समयं अलुक्खी समयं लुक्खी वा अलुक्खी वा, पुचि च णं करणेणं अणेगवन्नं अणेगरूवं परिणाम परिणमइ, अह से परिणामे निजिन्ने भवइ तओ पच्छा एगवन्ने एगरूवे सिया ? हंता गोयमा! एस णं पोग्गले तीतं तं चव जाव. एगरूवे सिया ॥ एस णं भंते ! पोग्गले पडुप्पन्नं सासयं समयं० ? एवं चेव, एवं अणागयमणतंपि ॥ एस णं भंते ! खंधे तीतमणतं० ? एवं चेव, खंधेवि जहा पोग्गले ॥ ५०९ ॥ एस णं भंते ! जीव तीतमगंतं सासयं समयं दुक्खी समयं अदुक्खी समयं दुक्खी वा अदुक्खी वा, पुचि चणं करणेणं अणेगभावं अणेगभूयं परिणाम परिणमड, अह से वेयणिज्जे निजिन्ने भवइ तओ पच्छा एगभावे एगभूए सिया ? हंता गोयमा ! एस णं जीवे जाव एगभूए सिया, एवं पडप्पन्नं सासयं समयं, एवं अणागयमणतं सासयं समयं ॥ ५१० ॥ परमाणुपोग्गले णं भंते। किं सासए असासए ? गोयमा ! सिय 'सासए सिय असासए, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ सिय सासए सिय असासए ? गोयमा ! दव्वट्ठयाए सासए, वन्नपज्जवेहिं जाव फासपजवेहिं असासए, से तेणटेणं जाव सिय सासए सिय असासए ॥ ५११ ॥ परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं चरिमे अचरिमे ? गोयमा ! दयादेसेणं नो चरिमे अचरिमे, 'खेत्तादेसेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे, कालादेसेण सिय चरिमे सिय अचरिमे, भावादेसेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे ॥ ५१२ ॥ कइविहे' णं भंते ! परिणामे पण्णत्ते ? गोयमा! दुविहे परिणामे पण्णत्ते,- तंजहा-जीवपरिणामे य अजीवपरिणामे य एवं परिणामपयं निरवसेसं भाणियन्वं । सेवं भंते ! २ त्ति, जाव विहरइ ॥ ५१३ ॥ चोदसमसयस्स चउत्थो उद्देसो समत्तो ॥ .. Page #752 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाईवएजा ? गोयमा य, तत्थ णं जमा, से णं तत्थ सुत्तागमे .. [भगवई नेरइए णं भंते ! अगणिकायस्स मज्झंमज्झेणं वीईवएज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए वीईवएज्जा अत्थेगइए नो वीईवएजा, से केपट्टेणं भंते । एवं वुच्चइ अत्थेगइए वीईवएज्जा अत्थेगइए नो वीईवएज्जा ? गोयमा! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तंजहाविग्गहगइसमावनगा य अविग्गहगइसमावनगा य, तत्थ णं जे से विग्गहगइसमावन्नए नेरइए से णं अगणिकायस्स मज्झंमज्झेणं वीईवएजा, से णं तत्य 'झियाएजा ? णो इणढे समढे, नो खलु तत्थ · सत्यं कमइ, तत्थ णं जे से अविग्गहगइसमावन्नए नेरइए से णं अगणिकायस्स मज्झंमज्झेणं णो वीईवएजा, से तेणढेणं जाव नो वीईवएजा ॥ असुरकुमारे णं भंते ! अगणिकायस्स० पुच्छा, गोयमा । अत्थेगइए वीईवएजा अत्थेगइए नो वीईवएज्जा से केणटेणं जाव नो वीईवएजा ? गोयमा! असुरकुमारा दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-विग्गहगइसमावन्नगा य अविग्गहगइसमावन्नगा य, तत्थ णं जे से विग्गहगइसमावन्नए असुरकुमारे से णं एवं जहेव' नेरइए जाव कमइ, . तत्थ णं जे से अविग्गहगइसमावन्नए असुरकुमारे से णं अत्थेगइए अगणिकायस्स मझमझेणं वीईवएजा, अत्थेगइए नो वीईवएजा, जे णं वीईवएज्जा से णं तत्थ झियाएज्जा ? नो इणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्यं कमइ, से तेणढेणं एवं जाव थणियकुमारे, एगिदिया जहा नेरइया। 'बेईदिए णं भंते ! अगणिकायस्स -मझमज्झेणं जहा असुरकुमारे तहा बेइंदिएवि, नवरं जे णं वीईवएज्जा से णं तत्थ 'झियाएजा ? हंता झियाएजा, सेसं तं चेव एवं जाव चउरिदिए । पंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! अगणिकाय० पुच्छा, गोयमा । अत्थेगइए वीईवएजा अत्थेगइए नो वीईवएजा, से केणटेणं० ? गोयमा! पंचिदियतिरिक्खजोणिया दुविहा -- पण्णत्ता, तंजहा-विग्गहगइसमावन्नगा' य अविग्गहगइसमावनगा य, विग्गहगइसमावन्नए जहेव नेरइए जाव नो खलु तत्थ सत्थं कमइ, अविग्गहगइसमावनगा पंचिदियतिरिक्खजोणिया, दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-इडिप्पत्ता य अणिढिप्पत्ता य, तत्थ णं-जे से इशिप्पत्ते पंचिदियतिरिक्खजोणिए से णं अत्थेगइए अगणिकायस्स मज्झंमज्झेणं वीईवएजा अत्थेगइए नो वीईवएजा, जे णं वीईवएज्जा से णं तत्थ झियाएज्जा ? नो इणढे समढे, नो खलु "तत्थ सत्थं कमई, तत्थ णं जे से अणिशिप्पत्ते ,पंचिदियतिरिक्खजोणिए से णं अत्थेगइए अगणिकायस्स मज्झंमज्झेणं वीईवएज्जा अत्थेगइए नो वीईवएज्जा, जेणं वीईवएज्जा से ण तत्थ झियाएज्जा ? हंता झियाएजा, से तेणटेणं जाव नो वीईव(झिया)एज्जा, एवं मणुस्सेवि, वाणमंतरजोइसियवेमाणिए जहा असुरकुमारे ॥५१४॥ नेरइया दस ठाणाई पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तंजहा-अणिहा सदा अणिट्ठा रूवा Page #753 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १४ उ०६] सुत्तागमे अणिट्ठा गंधा अणिठ्ठा रसा अणिट्ठा फासा अणिहा गई अणिट्ठा ठिई अणिढे लायन्ने अणिढे जसोकित्ती अणिढे उट्ठाणकम्मवलवीरियपुरिसकारपरक्कमें । असुरकुमारा दस ठाणाई पचणुव्भवमाणा विहरंति, तंजहा-इट्ठा सद्दा, इट्ठा रूवा जाव इठे उठाणकम्मवलवीरियपुरिसक्कारपरकमे, एवं जाव थणियकुमारा ॥ पुढविकाइया छट्ठाणाई पचणुव्भवमाणा विहरंति, तं०-इट्टाणिट्ठा फासा इट्टाणिट्ठा गई एवं जाव परकमे, एवं जाव वणस्सइकाइया । वेइंदिया सत्तट्ठाणाई पचणुब्भवमाणा विहरंति, तंजहा-इटाणिहा रसा सेसं जहा एगिदियाणं, तेइंदिया णं अट्टहाणाई पचणुब्भवमाणा विहरंति, तं०-इट्ठाणिट्टा गंधा सेसं जहा बेइंदियाणं, चउरिंदिया णं नवट्ठाणाई पचणुभवमाणा विहरंति, तं०-इटाणिहा रूवा सेस जहा तेइंदियाणं, पंचिदियतिरिक्खजोणिया दस ठाणाइं पचणुभवमाणा विहरंति, तंजहा-इट्ठाणिट्ठा सदा जाव परक्कमे, एवं मणुस्सावि, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा ॥ ५१५ ।। देवे णं भंते । 'महिड्डिए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू तिरियपव्वयं वा तिरियभित्तिं वा उल्लंघेत्तए वा पल्लंघेत्तए वा ? गोयमा ! णो इणद्वे समटे । देवे णं भंते ! महिड्डिए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू तिरिय जाव पल्लंघेत्तए वा ? हंता पभू । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ५१६ ॥ चोदसमे सए पञ्चमो उद्देसो समत्तो।। - रायगिहे जाव एवं वयासी-नेरइया णं भंते ! किमाहारा किपरिणामा किंजोणिया किठिईया पण्णत्ता ? गोयमा नेरइया णं पोग्गलाहारा पोग्गलपरिणामा पोग्गलजोणिया पोग्गलट्ठिईया कम्मोवगा कम्मनियाणा कम्मट्टिईया कम्मुणा(चे)मेव विप्परियासमेंति, एवं जाव वेमाणिया ॥५१७॥ नेरइया णं भंते ! कि वीचिदव्वाई आहारेति अवीचिदव्वाइं आहारैति ? गोयमा ! नेरड्या वीचिव्वाइंपि आहारेति अवीचिदव्वाइंपि आहारैति, से केणटेणं भंते । एवं वुच्चइ नेरड्या वीचि० तं चेव जाव आहारेंति ? गोयमा ! जे णं नेरइया एगपएसूणाईपि दव्वाइं आहारेंति ते णं नेरइया वीचिदव्वाई आहारैति, जेणं नेरइया पडिपुन्नाइं दव्वाइं आहारेति ते णं नेरइया अवीचिदव्वाइं आहारेंति, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव आहारेंति, एवं जाव वेमाणिया आहारेति ॥ ५१८ ॥ जाहे णं भंते ! सक्ने देविंदे देवराया दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजिउंक्रामे भवइ से कहमियाणि पकरेइ ? गोयमा ! ताहे चेव णं से सक्के देविंदे देवराया एग मह नेमिपडिस्वर्ग विउव्वइ, एग जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिन्नि जोयणसयसहस्साइं जाव अद्धंगुलं च किचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं, तस्स णं नेमिपडिहवस्स उवरि वहुसमरमणिज्ने भूमिभागे पन्नत्ते Page #754 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई 0 जाव मणीणं फासे, तस्स णं नेमिपडिरूवगस्स वहुमज्झदेसभागे तत्थ णं महं एगं पासायवर्डिसगं विउव्वर पंच जोयणसयाई उडूं उच्चत्तेणं, अड्डाइजाइं जोयणसयाई विक्खंभेणं, अब्भुग्गयमूसियवन्नओ जाव पडिरूवं, तस्स णं पासायवडिसगस्स उल्लोए पउमलयभत्तिचित्ते जाव पडिरूवे, तस्स णं पासायवडिसगस्स अंतो बहुसमरमणिजे भूमिभाए जाव मणीणं फासो, मणिपेढिया अट्ठजोयणिया जहा वेमाणियाणं, तीसे गं मणिपेढियाए उवरि महं एगे देवसयणिजे विउव्वइ सयणिज्जवन्नओ जाव पडिरूवे, तत्थ णं. से सक्ने देविंदे देवराया अहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं दोहि य अणिएहिं तं ० - नट्टाणिएण य गंधव्वाणिएण य सद्धिं महयाहयनट्ट जाव दिव्वाईं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ ॥ जाहे णं ईसाणे देविंदे देवराया दिव्वाई जहा सक्ने तहा ईसाणेवि निरवसेसं, एवं सणकुमारेवि, नवरं पासायवर्डिसओ छ जोयणसयाई उड्ड उच्चत्तेणं तिन्नि जोयणसयाई विक्खंभेणं, मणिपेढिया तहेव अट्ठजोयणिया, तीसे गं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ णं महेगं सीहासणं विउव्वइ सपरिवारं भाणियव्वं, तत्थ णं सणकुमारें देविंदे देवराया वावत्तरीए सामाणियसाहस्सीहिं जाव चउहिं चावत्तरीहिं आयरक्खदेव साहस्सीहि य बहूहि सणकुमारकप्पवासीहिं वेमाणिएहि देवेहि य देवीहि य-सद्धिं संपरिवुडे महया जाव विहरइ । एवं जहा सणकुमारे तहा जाव पाणओ अच्चुओ, नवरं जो जस्स परिवारो सो तस्स भाणियव्वो, पासा - यउच्चत्तं जं सएस २ कप्पेसु विमाणाणं उच्चत्तं अद्धद्धं वित्थारो जाव अच्चुयस्स नवजोयणसयाई उ उच्चत्तेणं अद्धपंचमाई जोयणसयाई विक्खंभेणं, तत्थ णं गोमा । अच्चुए देविदे देवराया दसहिं सामाणियसाहस्सीहि जाव विहरइ, सेवं भंते | २ त्ति ॥ ५१९ ॥ चोदसमे सए छठ्ठो उद्देसो समत्तो ॥ 1 रायगिहे जाव परिसा पडिगया, गोयमाइ समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं आमंतेत्ता एवं वयासी - चिरसंसिद्धोऽसि मे गोयमा । चिरसंधुओऽसि मे गोयमा ! चिरपरिचिओऽसि मे गोयमा । चिरजुसिओऽसि मे गोयमा । चिराणुगओऽसि मे गोयमा ! चिराणुवत्तीसि मे गोयमा । अनंतरं देवलोए अनंतरं माणुस्सए भवे किं परं मरणा कायस्स भेदा इओ चुया दोवि तुला एगट्ठा अविसेसमणाणत्ता भवि - स्लामो ॥ ५२० ॥ जहा णं भंते ! वयं एयमहं जाणामो पासामो तहा णं अणुत्तरोचवाइया देवावि एयमहं जाणंति पासंति ? हंता गोयमी 1 जहा णं वयं एयमहं जाणामो पासामो तहा णं अणुत्तरोववाइया देवावि एयमहं जाणंति पासंति, - से केणट्टेणं जाव पासंति ? गोयमा । अणुत्तरोववाइयाणं अनंताओ मणोदव्ववग्गणाओ लद्धाओ पत्ताओ अभिसमन्नागयाओ भवंति से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं चुच्चइ जाव 3 १७०२ Page #755 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०३ वि० प० स० १४ उ०७] सुत्तागमे पासंति ॥ ५२१ ॥ कविहे गं भंते ! तुल्लए पण्णत्ते ? गोयमा ! छव्विहे तुल्लए पण्णने, तंजहा-व्यतुल्लए, खेत्ततुलए, कालतुहए, भवतुल्हए, भावतुल्लए, संठाणतुल्लए, से केगटेणं भंते ! एवं चुनाइ व्वतुलए २ ? गोयमा ! परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलस्स दव्वओ तुन्द्र, परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलवइरित्तस्स दव्वओ णो तुल्ले, दुपएसिए खंधे दुपएसिया बंधस्स व्वओ तुढे, दुपएसिए संधे दुपएसियवइरित्तस्स खंधस्स दव्वओ णो तुडे, एवं जाप दसपएसिए, तुसंखेजपएसिए खंधे तुलसंखेजपएसियस्स गंधस्स दव्यओ तु, तुसंखेनपएतिए खंधे तुम्हसंखेजपएसियवइरित्तस्स खंधस्स दव्वओ णो तुडे, एवं तुलअसंग्वेजपएसिएवि, एवं तुहअणंतपएसिएवि, से तेणटेणं गोयमा! एवं युवइ दन्वतुल्लए । से केगणं भंते ! एवं वुचइ खेत्ततुल्लए २ ? गोयमा । एगपएसोगाः पोग्गले एगपएसोगाटस्स पोग्गलस्स खेत्तओ तुल्ले, एगपएसोगाढे पोन्गले एगपएसोगाइवडरित्तस्स पोग्गलस्न खेत्तओ णो तुल्ले, एव जाव दसपएसोगाटे, तुसंखेजपएसोगाडेवि एवं चंच, एवं तुल्हअसंखेजपएसोगादेवि, से तेणटेणं जाव खेचतुहए । से केगटेणं भंते ! एवं बुचा कालतुल्लए २ ? गोयमा ! एगसमयठिईए पोग्गले एगसमयठिईयस्स पोग्गलस्न कालओ तुल्ले, एगसमयठिईए पोग्गले एगसमयठिई यवइरित्तस्स पोग्गलस्स कालओ णो तुले, एवं जाव दससमयट्टिइए, तुहसंखेनसमयठिईए एवं चेव, एवं तुल्लअसंखेजसमयट्टिईएवि, से तेणटेणं जाव कालतुम्हए। से के गट्टेणं भंते । एवं बुचइ भवतुल्लए २१ गोयमा ! नेरइए नेरइयस्स भवठ्ठयाए तुले, नेरइए नेरझ्यवइरित्तस्स भवठ्ठयाए नो तुले, तिरिक्खजोणिए एवं चेव, एवं मणुस्सेवि, एवं देवेवि, से तेणढेणं जाव भवतुल्लए । से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ भावतुल्लए भावतुहए ? गोयमा! एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालयस्स पोग्गलस्स भावओ तुले, एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालगवइरित्तस्स पोग्गलस्स भावओ णो तुल्ले, एवं जाव दसगुणकालए, एवं तुलसंखेनगुणकालए पोग्गले, एवं तुल्लअसंखेजगुणकालएवि, एवं तुलअणंतगुणकालएवि, जहा कालए एवं नीलए लोहियए हालिद्दए सुकिल्लए, एवं सुभिगंध, एवं दुन्भिगंधे, एवं तित्ते जाव महुरे, एवं कक्खडे जाव लुक्खे, उदइए भावे उदइयस्स भावस्स भावओ तुल्ले, उदइए भावे उदइयभाववइरित्तस्स भावस्स भावओ नो तुल्ले, एवं उवसमिएवि, खइए० खओवसमिए० पारिणामिए० संनिवाइए भावे संनिवाइयरस भावस्स, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ भावतुल्लए २ । से केणटेणं भंते । एवं बुच्चइ संठाणतुल्लए २ ? गोयमा ! परिमंडले, संठाणे परिमंडलस्स संठाणस्स संठाणओ तुल्ले, परिमंडलसंठाणे परिमंडलसंठाणवइरित्तस्स संठाणस्स संठाणओ नो तुल्ले, एवं, वट्टे तंसे चउरंसे आयए, समचउरंससंठाणे सम Page #756 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई " चउंरंसस्स संठाणस्स संठाणओ तुल्ले, समचउरंसे संठाणे समचउरंस संठाणवइरित्तस्स संठाणस्स संठाणओ नो तुल्ले, एवं परिमंडले, एवं जाव हुंडे, से तेणद्वेणं जाव संठाणतुल्लए २ ॥ ५२२ ॥ भत्तपच्चक्खायए णं भंते ! अणगारे मुच्छिए जाव अज्मोववन्ने आहारमाहारेइं अहे णं वीससाए कालं करेइ तओ पच्छा अमुच्छिए अगिद्धे जाव अणज्झोववन्ने आहारमाहारेइ ? हता गोयमा ! भत्तपच्चक्खायए णं अणगारे तं चेव, से केणद्वेणं भन्ते ! एवं बुच्च भत्तपच्चक्खायए णं तं चेव, गोयमा ! भत्तपञ्चक्खायए णं अणगारे मुच्छिए जाव अज्झोववन्ने आहारे भवइ, अहे णं वीससाए कालं करेइ तओ पच्छा अमुच्छिए जाव आहारे भवइ, से तेणट्टेणं गोयमा । जाव आहारमाहारेइ ॥.५२३ ॥ अस्थि णं भंते ! लवसत्तमा देवा २ ? हंता अस्थि, से केणद्वेणं भन्ते ! एवं वुच्चइ लवसत्तमा देवा २ ? गोयमा 1 से जहानामए - केइ पुरिसे तरुणे जाव ं निउणसिप्पोवगए सालीण वा वीहीण वा गोधूमाण वा जवाण वा जवजवाण वा प (पि)क्काणं परियाताणं हरियाणं हरियकंडाणं तिक्खेणं णवपजणणं असिअएणं पडिसाहरिया २ पडिसंखिविया २ जाव इणामेव (२) तिकट्टु सत्तलवए लुएंजा, जइ णं गोयमा ! तेसिं देवाणं एवइयं कालं आउए पहुप्पए तो णं ते देवा तेणं चेव भवग्गणेणं सिज्झ (ता) ति जाव अंत करेंति, से तेगठ्ठेणं जाव लवसत्तमा देवा लवसत्तमा देवा ॥ ५२४॥ अत्थि णं भंते । अणुत्तरोववाइया देवा २ ? हंता अत्थि, सेकेणणं भंते! एवं वुचई अणुत्तरोववाइया देवा २१ गोयमा ! अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं अणुत्तरा सद्दा अणुत्तरा रूवा जाव अणुत्तरा फासा, से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं बुच जाव अणुत्तरोववाइया देवा २ अणुत्तरोववांइया णं भंते । देवा केवइएणं कम्मावसेसेणं अणुत्तरोववाइय देवत्ताए उववन्ना ? गोयमा । जावइयं छट्टभत्तिए समणे निग्गंथे कम्मं निजरेइ एवइएणं कम्मावसेसेणं अणुत्तरोववाइया देवा देवत्ताए उववन्ना । सेवं भंते ! २त्ति ॥ ५२५॥ चोइसमे सर्प सत्तमो उद्देसो समत्तो ॥ इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए सक्करप्पभाए य पुढवीए केवइयं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ? गोयमा ! असंखेज्जाई जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते, सक्करप्पभाए णं भंते ! पुढवीए वालुयप्पभाए य पुढवीए केवइयं ० ? एवं चेव, एवं जाव तमाए अहेसत्तमाए य, अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए अलोगस्स य केवइयं अवाहाए अंतरे पण्णत्ते ? गोयमा ! असंखेजाई जोयणसहस्साइं अवाहाए अंतरे पण्णत्ते । इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए जोइसियस्स य केवइयं पुच्छा, गोयमा ! सत्तनउए जोयणसए अवाहाए अंतरे पण्णत्ते, जोइसियस्स णं भंते ! सोहम्मीसाणाण य कप्पाणं केवइयं पुच्छा, गोयमा ! असंखेज्जाई जोयण जाव ७०४ Page #757 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० १४ उ०८] सुत्तागमे ७०५ अंतरे पण्णत्ते, सोहम्मीसाणाणं भंते ! संर्णकुमारमाहिंदाण य केवइयं० ? एवं चेव, सणंकुमारमाहिंदाणं भंते ! वंभलोगस्स य कप्पस्सं केवइयं० ? एवं चेव, वंभलोगस्स गं भंते ! लंतगस्स य कप्पस्स केवइंयं० ? एवं चेव, लंतगस्स णं भंते ! महासकस्स य कप्पस्स केवइयं०? एवं चेव, एवं महासुक्कस्स य कप्पस्स सहस्सारस्स य, एवं सहस्सारस्स आणयपाणयकप्पाणं, एवं आणयपाणयाण य कप्पाणं आरणचुयाण य कप्पाणं, एवं आरणचुयाणं गेविजविमाणाण य, एवं गेविजविमाणाणं अणुत्तरविमाणाण य । अणुत्तरविमाणाणं भंते ! ईसिप्पन्भाराए य पुढवीए केवइयं० पुच्छा, गोयमा ! दुवालसजोयणे अवाहाए अंतरे पण्णत्ते, ईसिप्पन्भाराए णं भंते ! पुटवीए अलोगस्स य केवइए अवाहाए० पुच्छा; गोयमा ! देसूणं जोयणं अवाहाए अंतरे पण्णत्ते ॥५२६॥ एस णं भंते ! सालक्खे उपहाभिहए तण्हाभिहए दवग्गिजा. लाभिहए कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिइ कहिं उववजिहिइ ? गोंयमा ! इहेव रायगिहे नयरे साल रुक्खत्ताए पञ्चायाहिइ, से णं तत्थ अच्चियवंदियपूइयसकारियसम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सन्निहियपाडिहेरे लाउल्लोइयमहिए यावि भविस्सइ, से णं भंते ! तओहिंतो अणंतरं उव्वत्तिा कहिं गमिहिइ कहिं उववजिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं काहिई। एसणं भंते ! साललट्ठिया उण्हाभिहया तण्हाभिहया दवग्गिजालाभिहया कालमासे कालं किच्चा जाव कहिं उववजिहिइ ? गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे विझगिरिपायमूले महेस्सरीए नयरीए सामलिक्खत्ताए पञ्चायाहिइ, साणं तत्थ अच्चियवंदियपूइय जाव लाउल्लोइयमहिया यावि भविस्सइ, से णं भंते ! तओहिंतो अणंतरं उव्वटित्ता सेसं जहा सालरुक्खस्स जाव अंतं काहिई। एसणं भंते ! उंवरलट्ठिया उण्हाभिहया ३ कालमासे कालं किच्चा जाव कहिं उववजिहिंइ ? गोयमा! इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे पाडलिपुत्ते नयरे पाडलिरुक्खत्ताए पञ्चायाहिंइ, से णं तत्थ अच्चियवंदिय जाव भविस्सइ, से णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता सेसं तं - चेव जाव ' अंर्त काहिइ ॥ ५२७ ॥ तेणं कालेणं तेणे' समएणं अम्मडस्स परिव्वायगस्स सत्त अंतेवासीसया गिम्हकालसमयंसि एवं जहा उववाइए जावं आरांहगा ॥ ५२८ ॥ बहुजणे णं भंते ! अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ ४ एवं खलु अम्मडे परिवायगे कंपिल्लपुरे नयरे घरसए एवं जहा उववाइए अम्मेडस्स वत्तव्वया जावं दढप्पइण्णो अंतं काहिइ ॥ ५२९ ॥ अत्यिं णं भंते ! अव्वावाहा देवा अव्वावाहा देवा? हता अस्थि, से केणटेणं भंते ! एवं बुचंइ अव्वाबाहा देवा २? गोयमा ! पभूःणं छुगर्मगे अव्वाबाहे देवे एगमेगस्स पुरिसस्स एगमेगंसि अच्छिपत्तंसि दिव्वं ४५ सुत्ता. Page #758 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०६ सुत्तागमे [ भगवई देव " दिव्वं देवजुई दिव्वं देवाणुभा (वं ) गं दिव्वं बत्तीसइविहं नट्टविहिं उवदंसेत्तए, णो चेवणं तस्स पुरिसस्स किंचि आवाहं वा बाबाहं वा उप्पाएड़ छविच्छेदं वा करेइ, एसुहुमं च णं उवदंसेज्जा, से तेणद्वेणं जाव अव्वावाहा देवा २ ॥५३०॥ पभू णं भंते! सक्के देविंदे देवराया पुरिसस्स सीसं सपाणिणा असिणा छिंदित्ता कमंडलुंमि पक्खिवित्तए ? हंता पभू से कहमिदाणिं पकरेइ ? गोयमा ! छिंदिया छिंदिया चणं वा पक्खिवेज्जा, भिंदिया भिंदिया चणं वा पक्खिवेजा, कुट्टिया कुट्टिया चणं वा पक्खिवेज्जा, चुन्निया चुन्निया च णं वा पक्खिवेजा, तओ पच्छा खिप्पामेव पडिसंघाएजा, नो चेव णं तस्स पुरिसस्स किंचिवि आवाहं वा वावाहं वा उप्पाएजा, छविच्छेदं पुण करेइ, एहुमं च णं पक्खिवेजा ॥ ५३१ ॥ अस्थि णं भंते ! जंभया देवा जंभया देवा ?, हंता अत्थि, से केणट्टेणं भंते ! एवं चुच्चइ जंभया देवा जंभया देवा ? गोयमा ! जंभगा णं देवा निचं पमुझ्यपक्कीलिया कंदप्परइमोहणसीला जेणं - ते देवे कुद्धे पासेज्जा से गं पुरिसे महंतं अयसं पाउणिज्जा, जे णं ते देवे तुट्ठे पासेज्जा से णं महंतं जसं पाउणेजा, से, तेणट्टेणं गोयमा ! जंभगा देवा २ ॥ कइविहा णं भंते ! जंभगा देवा पण्णत्ता ? गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता, तंजहा - अन्नजंभगा पाणजंभगा वत्थजंभगा ले जंभगा सयणजंभगा पुप्फजंभगा फलजंभगा--पुप्फफलजंभगा विजाजंभगा अवियत्तजंभगा, जंभगा णं भंते । देवा कहिं वसहिं उवेंति ? गोयमा ! सव्वेसु चेव दीहवेयसु चित्तविचित्तजमगपव्वएस कुंचणपव्वएस य एत्थ णं जंभगा देवा वसहिं उवेंति । जंभगाणं भंते! देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! एगं पलिओवमं ठिई पण्णत्ता । सेवं भंते 1 सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ ५३२ ॥ चोइसमे सए अट्टमो उद्देसो समत्तो ॥ } अणगारे णं भंते! भावियप्पा अप्पणो कम्मलेस्सं न जाणइ न पासइ तं पुण जीवं सरूविं सकम्मग्रेस्सं जाणइ पासइ ? हंता गोयमा ! अणगारे णं भावियप्पा अप्पणो जाव पासइ ॥ अत्थि णं भंते । सरु (वी) वि सकम्मलेस्सा पोग्गला ओभासंति ४ ? हंता अत्थि ॥ कयरे णं भंते ! सरूवी सकम्मलेस्सा पोग्गला ओभासंति जावपभार्सेति ? ग्रोयमा ! - जाओ इमाओ चंदिमसूरियाणं देवानं विमाणेहिंतो लेस्साओ बहिया अभिनिस्सडाओ ताओ ओभासेंति जाव पभासेति एवं एएणं- गोयमा ! - ते सरूवी सकम्मलेस्सा-प्रोग्गला ओभासेति ४ ॥ ५३३ ॥ नेरइयाणं भंते! किं अत्ता पोग्गला अणत्ता पोगला ? गोयमा । नो - अत्ता-पोग्गला अणत्ता पोग्गला, असुरकुमारार्ण भंते ! किं अत्ता पोग्गला - अणत्ता- पोग्गला ? गोयमा ! अत्ता पोग्गला णो अणत्ता पोग्गला, एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! अत्तावि पोग्गला Page #759 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०७ 'वि० ५० स० १४ उ० १०] सुत्तागमे अणत्तावि पोग्गला, एवं जाव मणुस्साणं, वाणमंतरजोइसियवेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं, नेरइयाणं भंते ! किं इट्टा पोग्गला अणिट्ठा पोग्गला ? गोयमा! नो इट्टा पोग्गला अणिट्ठा पोग्गली, जहा अत्ता भणिया एवं इट्ठावि कंतावि पियावि मणुनावि भाणियव्वा ए(व)ए पंच दंडगा ॥ देवे णं भंते ! महिड्डिए जाव महेसक्खे स्वसहस्सं विउवित्ता पभू भासासहस्सं भासित्तए ? हंता पभू, सा णं भंते ! किं एगा भासा भासासहस्सं ? गोयमा ! एगा णं सा भासा णो खलु तं भासासहस्सं ॥ ५३४ ॥ तेणं कालेणं तेगं समएणं भगवं गोयमे अचिरुग्गयं, वालसूरियं जासुमणाकुसुमपुंजप्पगासं लोहितगं पासइ पासित्ता जायसढे जाव समुप्पन्नकोउहल्ले जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता जाव नमंसित्ता एवं वयासी-किमिदं भंते ! सूरिए किमिदं भंते ! सूरियस्स अट्ठे ? गोयमा ! सुभे सूरिए सुभे सूरियस्स अट्टे । किमिदं भंते ! सूरिए किमिदं भंते ! सूरियस्स पभा ? एवं चेव, एवं छाया, एवं लेस्सा ॥५३५॥ जे इमे भंते ! अजत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति एए णं कस्स ते(उ)यलेस्सं वीईवयंति ? गोयमा! मासपरियाए समणे निग्गंथे वाणमंतराणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयइ, दुमासपरियाए समणे निग्गंथें असुरिंदवज्जियाणं भवणवासीणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयइ, एवं एएणं अभिलावेणं तिमासंपरियाए समणे निग्गंथे असुरकुमाराणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयइ, चउम्मासपरियाए समणे निग्गंथे गहगणनक्खत्ततारारूवाणं जोइसियाणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयइ.पंचमासपरियाए समणे निग्गंथे चंदिमसूरियाणं जोइसिंदाणं जोइसरांयाणं तेयलेस्सं वीइवयइ, छम्मासपरियाए समणे निग्गंथे सोहम्मीसाणाणं देवाणं०सत्तमासपरियाए० सणंकुमारमाहिंदाणं देवाणं० अट्टमासपरियाएं समणे निग्गंथे वैभलोगलंतगाणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयइ, नवमासपरियाए समणे निग्गंथे महासुक्कसहस्सोराणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयइ,दसमासपरियाए समणे निग्गंथे आणयपाणयआरणचुयाणं देवाणं० एक्कारसमासपरियाए समणे निग्गंथे गेवेज्जगाणं देवाणं० वारसमासपरियाए समणे निग्गंथे अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयइ, तेण परं सुक्ने सुक्काभिजाए भवित्ता तओ पच्छा सिज्झइ जाव अंतं करेइ । सेवं भंते ! सेवं भंते !:त्ति जाव विहरइ ॥५३६॥ चोदसमे सए नवमो उद्देसो समत्तो॥ केवली णं भंते । छउमत्थं जाणइ पासइ ? हंता जाणइ पासइ, जहा णं भंते ! केवली छउमत्थं जाणइ. पासइ तहा णं सिद्धेवि छउमत्थं जाणइ पासइ ? हता जाणइ पासइ, केवली णं भंते ! आहोहियं जाणइ पासइ ? एवं चेव, एवं परमाहो. हियं, एवं केवलिं एवं सिद्धं जावं जहा णं भैते ! केवली सिद्धं जाणइ पासइ तहाँ णं सिद्धवि सिद्धं जाणइ पासइ? हंता जाणइ पासइ । केवली णं भंते ! भासेज वा Page #760 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ७०८ [भगवई वागरेज वा ? हेता भासेज वा वागरेज वा, जहा णं भंते ! केवली भासेज वा वागरेज वा तहा णं सिद्धेवि भासेज वा वागरेज वा? णो इणढे समढे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जहा णं केवली भासेज वा वागरेज वा णो तहा णं सिद्ध भासेज वा वागरेज वा ? गोयमा ! केवली णं सउट्ठाणे सकम्मे सवले सवीरिए सपुरिसक्कारपरक्कमे, सिद्धे णं अट्ठाणे जाव अपुरिसकारपरकमे, से तेणटेणं जाव नो वागरेज वा, केवली णं भंते ! उम्मिसेज वा निम्मिसेज वा ? हंता गोयमा ! उम्मिसेज वा निम्मिसेज्ज वा एवं चेव, एवं आउद्देज वा पसारेज वा, एवं ठाणं वा सेज्ज वा निसीहियं वा चेएजा, केवली णं भंते ! इमं रयणप्पभं पुढवि रयणप्पभापुढवीति जाणइ पासइ ? हंता गोयमा ! जाणइ पासइ, जहा णं भंते ! केवली इमं रयणप्पभं पुढविं रयणप्पभापुढवीति जाणइ पासइ तहा णं सिद्धेवि इमं रयणप्पभं पुढवि रयणप्पभापुढवीति जाणइ पासइ ? हंता जाणइ पासइ, केवली णं भंते ! सक्करप्पभं पुढवि सकरप्पभापुढवीति जाणइ पासइ ? एवं चेव, एवं जाव अहेसत्तमं, केवली णं भंते ! सोहम्मं कप्पं सोहम्मकप्पेति जाणइ ‘पासइ ? हंता जाणइ पासइ, एवं ईसाणं एवं जाव अच्चुयं, केवली णं भंते ! गेवेजविमाण गेवेजविमाणेति जाणइ पासइ ? एवं चेव, एवं अणुत्तरविमाणेवि, केवली णं भंते ! ईसिप्पन्भारं पुढवि ईसिप्पन्भारपुढवीति जाणइ पासइ ? एवं चेव, केवली णं भंते ! परमाणुपोग्गलं परमाणुपोग्गलेत्ति जाणइ पासइ ? एवं चेव, एवं दुपएसियं खधं एवं जाव जहा णं भंते ! केवली अणंतपएसियं खंधं अणंतपएसिए खंधेत्ति जाणइ पासइ तहाँ णं सिद्धेवि अणंतपएसियं खधं जाव पासइ ? हंता जाणइ पासइ । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ५३७ ॥ चोदसमे सए दसमो उद्देसो संमत्तो ॥ चोदसमं सयं समत्तं ॥" नमो सुयदेवयाए भगवईए। तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नाम नयरी होत्था वन्नओ, तीसे णं सावत्थीए नयरीए वहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए तत्थ णं कोहए नाम उजाणे होत्था , वन्नओ, तत्थ णं सावत्थीए नयरीए हालाहला नाम कुंभकारी आर्जीवियोवासिया परिवसइ, अड्डा जाव अपरिभूया आजीविय. समयंसि लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा अद्विमिंजपेम्माणुरागरत्ता अयमाउसो ! आजीवियसमए अढे अयं परमटे सेसे अणटेत्ति आजीवियंसमएणं अप्पाण भावेमाणी विहरइ । तेणं कालेणं तेणं संमएणं गोसाले मंखलिपुत्ते चउव्वीसवासपरियाए हालाहलाए' कुंभकारीए कुंभकारावर्णसि आजीवियसंघसंपरिवुडे आजीचियसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्सं अन्नया कयाइ इमे छ दिसाचरा अंतियं पाउब्भवित्था, तंजहा-साणे करणं)लंदे Page #761 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ७०९ कणियारे अच्छिदे अग्गिवेसायणे अज्जुणे गोमायुपुत्ते, तए णं ते छ दिसाचरा अट्टविहं पुव्वगयं मग्गदसमं सएहिं २ मइदंसणेहिं निज्जूहंति स० २त्ता गोसालं मंखलिपुत्तं उवट्टाइंस, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तेणं अहंगस्स महानिमित्तस्स केइ उल्लोयमेत्तेणं सव्वेसिं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं इमाई छ अइकमणिजाई वागरणाई वांगरे, तं० - लाभं अलाभं सुहं दुक्खं जीवियं मरणं तहा । तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तेणं अडंगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेत्तेणं सावत्थीए नयरीए अजिणे जिणप्पलावी अणरहा अरहप्पलावी अकेवली केवलि - प्पलावी असव्वन्नृ सव्वन्नुप्पलावी अजिणे जिणसद्दं पगासेमाणे विहरइ ॥ ५३८ ॥ तए णं सावत्थीए नए सिंघाडग जाव पहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परुवेइ - एवं खलु देवाणुप्पिया । गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे विहरइ, से कहमेयं मन्ने एवं ?, तेणं कालेणं तेगं समएणं सामी समोसढे जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूई णामं अणगारे गोयमगोत्तणं जाव छछट्ठे गं एवं जहा. विइयसए नियंकुमए जाव अडमाणे बहुजणसद्दं निसामेइ, बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ ४ - एवं खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे विहरइ, से कहमेयं मन्ने एवं ?, तए णं भगवं गोयमे बहुजणस्स अंतियं एयमहं सोचा निसम्म जाव जायसढे जाव भत्तपाणं पडिदंसेइ जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी एवं खलु अहं भंते ! छहं तं चेव जाव जिणसद्दं पगासेमाणे विहरइ, से कहमेयं भंते । एवं ? तं इच्छामि णं भंते ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स. उद्वाणपरियाणियं परिकहियं, गोयमादि समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी - जण्णं गोयमा' से बहुजणे अन्नमन्नस्स एवमाइक्खड़ ४ - एवं खलुं गोसाले, मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे विहरइ तण्णं मिच्छा, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि - एवं खलु एयस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तरस, मंखलिनामं मंखे पिया होत्था, तस्स णं मंखलिस्स मंखस्स भद्दा नामं भारिया होत्या सुकुमाल जाव पडिवा, तए णं सा भद्दा भारिया अन्नया कयाइ गुव्विणी यावि होत्या, तेण कालेणं तेणं समएणं सरवणे नामं सन्निवेसे होत्था रिद्धत्थिमिय जाव सन्निभप्पगासे प्रासाईए ४, तत्थ णं सरवणे सन्निवेसे गोवहुले नामं माहणे परिवसइ, अड्ढे जाव, अपरिभृए रिउव्वेय जाव सुपरिनिट्ठिए यावि होत्था, तस्स णं गोवहुलस्स माहणस्स गोसाला यावि होत्था, तए णं से मंखलीमखे नामं अन्नया क्याइ भद्दाए भारियाएं गुव्विणीए सद्धिं चित्तफलगहत्थगए मंखत्तणेणं अप्पाण w त्रि ० प० स०१५ ] ' Page #762 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई भावेमाणे पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगामं दूईजमाणे जेणेव सरवणे सन्निवेसे जेणेव गोबहुलस्स माहणस्स गोसाला तेणेव उवागच्छइ २ त्ता गोबहुलस्स माहणस्स गोसालाए एगदेसंसि भंडनिक्खेवं करेइ भंड० २ त्ता सरवणे सन्निवेसे उच्चनीयमज्झिमाईं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे वसहीए सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेइ, वसहीए सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेमाणे अन्नत्य चसहि अलभमाणे तस्सेव गोवहुलस्स माहणस्स गोसालाए एगदेसंति वासावातं उवागए, तए णं सा भद्दा भारिया नवहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्टमाण राइंदियाणं वीइक्कंताणं सुकुमाल जाव पडिरूवं दारगं पयाया, तए णं तस्स दारगस्त अम्मापियरो एकारसमे दिवसे बीइक्कं ते जाव वारसाहे दिवसे अयमेयारुवं गोण्णं गुणनिप्फन्नं नामधेज्जं करेंति - जम्हा णं अम्हं इमे दारए गोवहुलस्स माहणस्स गोसालाए जाए, तं होउ णं अहं इमस्स दारगस्स नामवेजं गोसाले गोसालेत्ति, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेजं करैति गोसाळेति, तए णं से गोसाले दारए उम्मुक्कवालभावे विण्णायपरिणयमेत्ते जोव्वणगमणुप्पत्ते सयमेव पाडिएकं चित्तफलगं करेइ २ त्ता चित्तफलगहत्थगए मंखत्तणेणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ ५३९ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं अहं गोयमा ! तीसं वासाई अगारवासमज्झे वसित्ता अम्मापिईहिं देवत्तगएहिं एवं जहा भावणाए जाव एगं देवदूतमादाय मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए, तए णं अहं गोयमा ! पढमं वासं अद्धमासंअद्धमासेणं खममाणे अट्ठियगामं निस्साए पढमं अंतरावासं वासावासं उवागए, दोच्चं वासं मासंमासेणं खममाणे पुव्वाणुपुव्वि चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे जेणेव रायगिहे नयरे जेणेव नालिंदा बाहिरिया जेणेव तंतुवायसाला तेणेव उवागच्छामि ते ० २ त्ता अहापडिरूवं उग्गहं ओगिण्हामि अहा० २ ता तंतुवायसालाए एगदेसंसि वासावासं उवागए, तए णं अहं गोयमा ! पढमं मासखमण उवसंपजित्ताणं विहरामि । तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते चित्तफलगहत्थगए मंखत्तणेणं अप्पाणं भावेमाणे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे जाव दूइजमाणे जेणेव रायगिहे नयरे जेणेव नालिंदा बाहिरिया जेणेव तंतुवायसाला तेणेव उवागच्छइ ते० २ त्तां तंतुवायसालाए एगंदेसंसि भंडनिक्खेवं करेइ भं० २ ता रायगिहे नयरे उच्चनीय जाव अन्नत्थ कंत्थवि वसहि अलभमाणे तीसे य तंतुवायसालाए एगदेसंसि वासावासं उवागए जत्थेव णं अहं गोयमा !, तए णं अहं गोयमा ! - पढममासक्खमणपारणगंसि तंतुवायसालाओ पडिनिक्खमामि तंतु० २ त्ता णालिदाबाहिरियं मज्झंमज्झेणं जेणेव रायगिहे नयरे तेणेव उवागच्छामि २ त्ता रायगिहे नयरे ७१० Page #763 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स०१५] सुत्तागमे उच्चनीय जाव अडमाणे विजयस्स गाहावइस्स गिह अणुप्पविटे, तएणं से विजए गाहावई ममं एजमाणं पासइ २ त्ता हतुह० खिप्पामेव आसणाओ अब्भुढेइ खि० २त्ता पायपीढाओ पच्चोल्हइ २ त्ता पाउयाओ ओमुयइ पा० २ त्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ २ त्ता अंजलिमउलियहत्थे ममं सत्तकृपयाइं अणुगच्छइ २ त्ता मम तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ त्ता ममं वंदइ नमसइ वं०२ त्ता ममं विउलेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभिस्सामित्तिकट्ठ तुढे पडिलामेमाणेवि तुढे पडिलाभिएवि नुट्टे, तए णं तस्स विजयस्स गाहावइस्स तेणं दन्वसुद्धेणं दायगसुद्धेणं [तवस्सिविसुद्धणं तिकरणसुद्धणं] पडिगाहगसुद्धेणं तिविहेणं तिकरणसुद्धणं दाणेणं मए पडिलाभिए समाणे देवाउए निवद्धे संसारे परित्तीकए गिर्हसि य से इमाइं पंच दिव्वाई पाउन्भूयाइं, तंजहा-वसुहारा चुट्ठा १ दसद्धवन्ने कुसुमे निवाइए २ चेलुक्खेवे कए ३ आहयाओ देवदुंदुभीओ ४ अंतरावि य णं आगासे अहो दाणे २ त्ति घुढे ५, तए णं रायगिहे नयरे सिंघाडग जाव पहेसु वहुजणो अन्नमन्नस्स एवेमाइक्खइ जाव एवं पत्वेइ-धन्ने णं देवाणुप्पिया! विजए गाहावई, क्रयत्थे णं देवाणुप्पिया ! विजए गाहावई, कयपुन्ने णं देवाणुप्पिया । विजए गाहावई, कयलक्खणे णं देवाणुप्पिया ! विजए गाहावई, कया णं लोया देवाणुप्पिया ! विजयस्स गाहावइस्स, सुलद्धे णं देवाणुप्पिया ! माणुस्सए जम्मजीवियफले विजयस्स गाहावइस्स जस्स णं गिहंसि तहारूवे साहू साहुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाइं पंच दिव्वाई पाउभूयाई, तंजहा-वसुहारा वुट्टा जाव अहो दाणे २ घुटे, तं धन्नेण० कयत्थे० कयपुन्ने० कयलक्खणे० कया णं लोया० सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफले विजयस्स गाहावइस्स विजय० २ । तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते बहुजणस्स अतिए एयमढे सोचा निसम्म समुप्पन्नसंसए समुप्पन्नकोउहल्ले जेणेव विजयस्स गाहावइस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पासइ विजयस्स गाहावइस्स गिर्हसि वसुहारं वुटुं दसद्धवन्न कुसुमं निवडियं ममं च णं-विजयस्स गाहावइस्स गिहाओ पडिनिक्खममाणं पासई २ त्ता हट्टतुट्ट० जेणेव मम अंतिएं तेणेव उवागच्छइ २ त्ता ममं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ त्ता ममं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता ममं एवं वयासी-तुन्भेणं भंते ! ममें धम्मायरिया अहन्नं तुन्भं धम्मंतेवासी, तए ण अहं गोयमा । गोसालस्स मखंलिपुत्तस्स एयमद्वं नो आढामि नो परिजाणामि तुसिणीए सचिट्ठामि, तए ‘णं अहं गोयमा! रायगिहाओ नयराओं पर्डिनिक्खमामि २त्ता णांलंदं वाहिरियं मझमज्झेणं जेणेव तंतुवायसाला तेणेव उवागच्छामि २त्ता दोचं मासक्खमणं उवसंपज्जित्ताणं विहरामि, तए णं अहं गोयमा! दोच्च मासक्खमपारणगंसि Page #764 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई तंतुवायसालाओ पडिनिक्खमामि तं० २ ता नालंदं वाहिरियं मझमझेणं जेणेव रायगिहे नयरे जाव अडमाणे आणंदस्स गाहावइस्स गिह अणुप्पविटे, तए णं से आणंदे गाहावई ममं एजमाणं पासइ २ ता एवं जहेव विजयस्स, नवरं ममं विउलाए खज्जगविहीए पडिलाभेस्सामीति तुटे सेसं तं चेव जाव तचं मासक्खमणं उवसंपजित्ताणं विहरामि, तए णं अहं गोयमा ! तच्चं मासक्खमणपारणगंसि तंतुवायसालाओ पडिनिक्खमामि तं० २ त्ता तहेव जाव अडमाणे सुणंदस्स गाहावइस्स गिहं अणुप्पविटे, तए णं से सु(दंसणे)णंदे गाहावई एवं जहेव विजयगाहावई, नवरं ममं सव्वकामगुणिएणं भोयणेणं पडिलाभेइ सेसं तं चेत्र जाव च उत्थं मासक्खमणं उवसंपजिताणं विहरामि, तीसे णं नालंदाए वाहिरियाए अदूरसामंते एत्य णं कोल्लाए नाम सन्निवेसे होत्था सन्निवेस० वनओ, तत्थ णं कोलाए- संनिवेसे वहुले नामं माहणे परिवसइ, अड्डे जाव अपरिभूए रिउव्वेय जाव सुपरिनिहिए यावि होत्या, तए णं से वहुले माहणे- कत्तियचाउम्मासियपाडिवयंसि विउलेणं महुघयसंजुत्तेणं परमण्णेणं माहणे आयामेत्था, तए णं अहं गोयमा! चउत्थमासक्खमणपारणगंसि तंतुवायसालाओ पडिनिक्खमामि २ त्ता णालंदं वाहिरियं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छामि २ त्ता जेणेव कोलाए संनिवेसे तेणेव उवागच्छामि २ त्ता कोलाए सन्निवेसे उच्चनीय जाव अडमाणे बहुलस्स माहणस्स गिहं अणुप्पविढे, तए णं से बहुले माहणे मम एजमाण तहेव जाव ममं विउलेणं महुघयसंजुत्तेणं परमन्नेणं पडिलाभेस्सामीति तुढे सेसं जहा विजयस्स जाव बहुले माहणे बहु०२ । तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं तंतुवायसालाए अपासमाणे रायगिहे नयरे सभितरवाहिरियाए ममं सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं- करेइ, ममं कत्यवि सुइं वा खुई वा पवित्तिं वा अलभमाणे जेणेव तंतुवायसाला तेणेव उवागच्छइ २त्ता साडियाओ य पाडियाओ य कुंडियाओ य पाहणा(वाणहा)ओ य चित्तफलगं च माहणे आयामेइ आयामेत्ता सउत्तरोठं मुंडं करेइ-स० २ ता, तंतुवायसालाओ पडिनिक्खमइ तं० २ ता णालंद वाहिरिय मझमज्झेणं निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव · कोल्लागसन्निवेसे तेणेव उवागच्छइ, तए-णं तस्स कोल्लागस्स · संनिवेसस्स वहिया वहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-धन्ने णं देवाणुप्पिया! बहुले माहणे तं चेव जाव जीवियफले बहुलस्स माहणस्स व० २, तए-णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स बहुजणस्स अंतियं, एयमढं सोचा निसम्म अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-जारिसिया णं मम धम्मायरियस्स धम्मोवएसगस्स समणस्स भगवओ महावीरस्स इड्डी जु(त्ती)ई जसे बले वीरिए पुरिसक्कारपरकमे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागए, नो खलु अत्थि Page #765 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ७१३ तारिसिया णं अनस्स कस्स (वि) इ तहास्वस्स समणस्स वा माहणस्स वा इड्ढी जुई जाव परकमे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागए, तं निस्संदिद्धं च णं एत्थ ममं धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे भविस्सतीतिकट्टु कोल्हागसन्निवेसे सभितरवाहिरिए ममं सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेइ, ममं सव्वओ जाव करेमाणे कोल्लागसंनिवेसस्स वहिया पणियभूमीए मए सद्धिं अभिसमन्नागए, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते हट्टतुट्टे ममं तिक्खुत्तो आयाहिणं पंयाहिणं जाव नमंसित्ता एवं वयासी - तुमे णं भंते । ममं धम्मायरिया अहन्नं तुब्भं अंतेवासी, तए णं अहं गोयमा । गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमहं पडिसुणेमि तए णं अहं गोयमा ! गोसा लेणं मंखलिपुत्तेणं सद्धिं पणियभूमीए छव्वासाई लाभं अलाभ मुहं दुक्खं सक्कारमसक्कारं पचणुव्भवमाणे अणिच्चजागरियं विहरित्था ॥ ५४० ॥ तए णं अहं गोयमा ! अन्नया कयाइ पढमसरदकालसमयंसि अप्पवुद्धिकार्यंसि ர் गोसाळेगं मंखलिपुत्तेणं सद्धि सिद्धत्थगामाओ नयराओ कुम्मारगामं नयरं संपट्टिए विहाराए, तस्स णं सिद्धत्थगामस्स नयरस्स कु ( म्म ) म्मारगामस्स नयरस्स य अंतरा एत्थ णं महं एगे तिलथंभए पत्तिए पुष्फिए हरियगरेरिजमाणे सिरीए अईव २ उवसोभेमाणे २ चिह्न, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तं तिलथंभगं पासइ २ ता ममं वंदइ नम॑सड़ वं० २ ता एवं व्यासी एस णं भंते । तिलथंभए कि निम्फजिएसइ नो निप्फज्जिस्सड, एए य सत्तं तिलपुप्फजीवां उद्दाइत्ता २ कहि गच्छिहिंति कहिं उववज्जिहिंति ?, तए णं अहं गोयमा ! गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासीगोसाला ! एस णं तिलथंभए निप्फज्जिस्सर नो न निप्फजिंस्सइ, एएं य सत्त तिलपुप्फंजीवा उद्दाइत्ता २ एयस्स चेव तिलथंभगस्स एगाए तिलसं (गु) गलियाएं सत्त तिला पच्चायाइरसंति, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एवं आइक्खमाणस्स एयमहं नो सद्दह नो पत्तियई नो रोएइ, एयमहं असंद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे ममं पणिहाय अयण्णं मिच्छावाई भवरत्तिकंट्टु ममं अंतियाओ सणियं २ पच्चीसकर २ त्ता जेणेव से तिलथंभए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता तं तिथं भगं सनुयायं चेव उप्पाडे २ त्ता एगंते एडेड, तक्खणमेत्तं च णं गोयमा ! दिव्वे अब्भवद्दलए पाउव्भूए, तए णं से दिव्वे अब्भवद्दलए खिप्पामेव पतणतणा (य) ए-इ २ त्ता खिप्पामेव पविज्जुयाइ २ त्ता खिप्पामेव नन्च्चोदगं णाइमट्टियं पविरलपप्फुसियं रयरेणुविणासणं दिव्वं सलिलोदगं वासं वासइ, जेणं से तिलथं भएं आसत्ये वीसत्थए पञ्चायाए तत्थेव वद्धमूले तत्थेव पइट्ठिए, ते य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता २ तस्सेव तिलथंभगस्सएगाए तिलसंग लियाए सत्त तिला पच्चायाया || ५४१ ॥ तए णं 1 वि० ० प० स० १५ ] A * 4 Y Page #766 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १४ [भगवई अहं गोयमा ! गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं सद्धि जेणेव कुंडग्गामे नयरे तेणेव उवागच्छामि, तए णं तस्स कुंडग्गामस्स नयरस्स बहिया वेसियायणे नामं वालतवस्सी छटुंछटेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उ वाहाओ पगिझिंय २ सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे विहरइ, आइच्चतेयतवियाओ य से छप्पदीओ सव्वओ समंता अभिनिस्सवंति पाणभूयजीवसत्तदयट्ठयाए च णं पडियाओ २ तत्धेव २ भुजो २ पञ्चोरुहेइ, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते वेसियायणं बालतवस्सि पासइ २ ता ममं अंतियांओ सणियं २ पच्चोसक्कइ ममं० २ त्ता जेणेव वेसियायणे वालतवस्सी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता वेसियायणं चालतवस्सि एवं वयासी--किं भवं मुणी मुणिए उदाहु जूयासेजायरए ?, तए णं से वेसियायणे वालतवस्सी गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमढे णो आढाइ नो परिजाणाइ तुसिणीए संचिट्टइ, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते वेसियायणं वालतवस्ति दोचंपि तचंपि एवं वयासी-कि भवं मुणी मुणिए जाव सेज्जायरए ?, तए णं से वेसियायणे चालतवस्सी गोसालेणं मखलि. पुत्तेणं दोच्चपि तचपि एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते जाच मिसिमिसेमाणे आयावणभूमीओ 'पच्चोरुहइ आ० २ त्ता तेयासमुग्घाएणं समोहणइ तेयासमुग्घाएणं समोहणित्ता सत्तकृपयाई पच्चोसक्कइ स० २ त्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स वहाए सरीरगसि तेयं निसिरइ,तए णं अहं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अणुकंपणयाए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्स सीओसिणतेयलेस्सा-(तेय)पडिसाहरणट्ठयाए एत्थ णं अंतरा अहं सीयलियं तेयलेस्सं निसिरामि, जाए सा ममं सीयलियाए तेयलेस्साए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्स सीओ(सा-उ)सिणा तेयलेस्सा पडिहया, तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी ममं सीयलियाए तेयलेस्साए सीओसिणं तेयलेस्सं पडिहयं जाणित्ता गोसालस्स य मंखलिपुत्तस्स सरीरगस्स किंचि आवाहं वा वावाहं वा छविच्छेदं वा अकीरमाणं 'पासित्ता सीओसिणं तेयलेस्सं पडिसाहरइ सीओ० २ त्ता ममं एवं वयासी-से गयमेयं भगवं! गयगयमेयं भगवं!, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते मम एवं वयासी'किण्णं भंते ! एस जूयासिजायरए तुन्भे एवं वयासी-से गयमेयं भगवं! गयगयमेयं भगवं!; तए णं अहं गोयमा ! गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी-तुमं णं गोसाला! वेसियायणं बालतवस्सि पास(इ)सि पासित्ता ममं अंतियाओ सणियं २ पच्चोसकसि जेणेव वेसियायणे बालतवस्सी तेणेव उवागच्छसि ते०, २ ता वेसियायणं बालतवस्सि एवं वयासी-कि भवं मुणी मुणिए उदाहु जूयासेज्जायरए ?, तए णं से वेसियायणे वालतवस्सी तव एयम नो आढाइ नो परिजाणाइ तुसिणीए संचिठ्ठइ, तए णं तुमं गोसाला! वेसियायणं बालतवस्सि दोच्चंपि तच्चपि एवं वयासी-किं भवं Page #767 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे वि० ५० स० १५] मुणी मुणिए जाव' जयासेजायरए ?, तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी तुम दोचंपि तपि एवं कुत्ते समाणे आसुरुत्ते जाव पच्चोसकइ २ त्ता तव वहाए सरीरगं(सि) तेयलेस्सं निस्सिरइ, तए णं अहं गोसाला! तव अणुकंपणठ्ठयाए वेसियायणस्स वालतवस्सिस्स सीयतेयलेस्सापडिसाहरणठ्याए एत्थ णं अंतरा सीयलियं तेयलेस्सं निसिरामि जाव पडिहयं जाणित्ता तव य सरीरगरस किचि आवाहं वा वावाहं वा छविच्छेदं वा अकीरमाणं पासित्ता सीओसिणं तेयलेस्सं पडिसाहरइ सी० २ त्ता ममं एवं क्यासी-से गयमेयं भगवं! गयगयमेयं भगवं!, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं अंतियाओ एयमढे सोचा निसम्म भीए जाव संजायभए ममं वंदइ नमसइ मनं वं० २ ता एवं वयासी-कहन्नं भंते ! संखित्तविउलतेयलेस्से भवइ ?, तए णं अहं गोयमा! गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी-जे णं गोसाला! एगाए सणहाए कुम्मासपिंडियाए एगेण य वियडासएणं छठंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड़े बाहाओ पगिज्झिय २ जाव विहरइ, से णं अंतो छण्हं मासाणं संखित्तविउलतेयलेस्से भवइ, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एयमद्वं सम्मं विणएणं पडिसुणेइ ॥ ५४२ ॥ तए णं अहं गोयमा ! अन्नया कयाइ गोसालेग मंखलिपुत्तेणं सद्धिं कुम्मगामाओ नयराओ सिद्धत्थगाम नयरं संपढ़िए विहाराए, जाहे य मो तं देसं हव्वमागया जत्य णं से तिलथंभए, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एवं वयासी-तु(ज्ञ)न्भे गं भंते ! तया ममं एवं आइक्खह जाव एवं परूवेह-गोसाला ! एस णं तिलथंभए निप्फज्जिस्सइ नो नो निप्पजिस्सइ तं चेव जाव पञ्चायाइस्संति तण्ण मिच्छा, इमं चणं पञ्चक्खमेव दीसइ एस णं से तिलथंभए णो निप्फन्ने अनिप्फनमेव ते य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता २ नो एयस्स चेव तिलथंभगस्स एगाए तिलसंगलियांए सत्त तिला पञ्चायाया, तए णं अहं गोयमा ! गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासीतुम णं गोसाला! तदा ममं एवं आइक्खमाणस्स जाव एवं परूवेमाणस्स एयमढे नो सद्दहसि नो पत्तियसि नो रोयसि, एयमढें असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे मम पणिहा(ए)य अयन्नं मिच्छावाई भवउत्तिकट्ठ ममं अतियाओ सणियं २ पच्चोसकसि २त्ता जेणेवे से तिलथंभए तेणेव उवागच्छसि २ त्ता जाव एगंतमंते एडेसि, तक्खणमेत्तं गोसाला ! 'दिव्वे अब्भवद्दलए पउिन्भूए, तए-णं से दिव्वे अब्भवद्दलए खिप्पामेव तं चेव जाव तस्स चेव तिलथंभगस्स एगाए तिलसंगलियाए सत्त तिला पञ्चायाया, तं एसणं गोसाला ! से तिलथंभए निप्फन्ने णो अनिप्फन्नमेव, ते य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता २ एयस्स चेव तिलथंभगस्स ऐगाए तिलसंगलियाए सत्त तिला पञ्चायाया, एवं खलु गोसाला! वणस्सइकाइया पउट्टपरिहारं परिहरंति, Page #768 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५६ सुत्तागमे [ भगवई तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एवमाक्समाणस जान पारस एयमहं नो सह ३ एयम अमद्दहमाणे जाव अरोएमाणे जेणेव ने विलयंभए नेणेव उवागच्छइ २ ता ताओ तिलथंभयाओ तं तिलसंगलियं राइ सुरिता करत सत तिले पप्फोडेइ, तए णं तस्स गोमालस्य मंखलिपुत्तस ते सत्त तिले गणमाणस अयमेयारूवे अज्जत्थिए जाव समुग्पजित्था एवं स सव्वजीवादि परिहारं परिहरंति, एस णं गोयमा । गोसालस्य मंचलित पट्टे, एस णं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स ममं अंतियाओ आया (ओ) ए अवक्रमणे प० ॥ ५४३ ॥ तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते एगाए सणहाए कुम्मासपिंडियाए एंग व निवडासएणं छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मे उ बाहाओ परिप्रिय २ जाव विहर, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते अंतो छं मासाणं संवित्तविउलतेयले जाए ॥ ५४४ ॥ तए णं तस्स गोसालस्य मंखलिपुत्तस्य अन्नना क्या इसे छद्दिसाचरा अंतियं पाउ भवित्था तं०-साणे तं चैव सव्वं जात्र भजिणे जिणसद्दं पगातेमाणे विहरइ, तं नो खलु गोयमा ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव जिणन पगासेमाणे विहरइ, गोसाले णं मंखलिपुत्ते अजिणे जिगप्पलावी जाव पगासेमाणे विहरइ, तए णं सा महइमहालिया महचपरिसा जहा सिवे जाव पडिनयां । तए णं सावत्थीए नयरीए सिंघाडग जावं बहुजणो अन्नमन्नस्स जाव परुवे जन्नं देवाणुप्पिया | गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलाची जाव विहरड़ तं णं मिच्छा, समणे भगवं महावीरे एवं आइक्खइ जाव परवेइ एवं खलु तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स मंखली मामं मंखे पिया होत्था, तए णं तस्स मंखलिस्म एवं तं चेत्र सव्वं भाणियव्वं जाव अजिणे जिणप्पलावी जिणसद्द पगासेमाणे विहरइ, तं नो खलु गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरह, गोसाले गं मंखलिपुत्ते अजिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ, समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव जिणसद्दं पगासेमाणे विहरइ, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते बहुजणस्स अंतियं एयमहं सोचा निसम्म आसुरुत्ते जाव मितिमिसेमाणे आयावणभूमीओ पचोस्ट आयावणभूमीओ पञ्च्चोरुहइत्ता सावत्थि नयरिं मज्झमज्झेणं जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावर्णसि आजीविय संघसंपरिवुडे महया अमरिसं वहमाणे एवं वावि विहरइ ॥ ५४५ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी आणंदे नामं थेरे पगइभद्दए जाव विणीए छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोक्म्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे बिहरइ, तणं से आणंदे धेरे छट्ठक्खमणपारणगंति पढमाए पोरिसीए एवं जहा --- Page #769 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १५] सुत्तागमे गोयमसामी तहेव आपुच्छइ, तहेव जाव उच्चनीयमझिम जाव अडमाणे हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकोरावणस्स अदूरसामंतेणं बीईवयइ, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते आणंदं थेरं हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स अदूरसामंतेणें वीईवयमाणं पासइ २ त्ता एवं वयासी-एहि ताव आगंदा! इओ एग महं उवमियं- निसामेहि तए णं से आणंदे थेरे गोसालेग मंखलिपुत्तेणे एवं बुत्ते समाणे जेणेव, हालाहलाएं कुंभकारीए कुंभकारावणे जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छई, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते आणंद थेरं एवं वयासी-एवं खलु आणंदा ! इओ चिरा(ती)ईयाए अद्धाए केई उच्चावया वणिया अत्यत्थी अत्थलुद्धा अत्थगवेसी अत्यकंखिया अत्थपिवासिया अत्थगवेसणयाए णाणाविहर्विरलपणियभंडमायाय सगडीसागडेणं सुवहुं भत्तपाणपत्ययणं गहाय एगं महं अगामियं अणोहियं छिन्नावायं दीमद्धं अडविं अणुप्पविट्ठा, तएं णं तेसिं वणियाणं तीसे अगामियाए अणोहियाए छिन्नावायाए दीहमद्धाए अडवीए किचि देसं अणुप्पत्ताणं समाणाणं से पुवगहिए उदए अणुपुव्वेणं परि(भुञ्ज) जेमाणे २ खीणे, तए णं ते वणिया खीणोदगा समाणा तण्हाए परिव्भवमाणा अन्नमन्ने सद्दावेंति अन्न. २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया । अम्हं इमीसे अगामियाए जाव अडवीए किंचि देसं अपप्पत्ताणं समाणाणं से पुव्वगहिए उदए अणुपुव्वेणं परिभुजेमाणे २ खीणे, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया | अम्हं इमीसे अगामियाए जाव अडवीए उदगस्स सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेत्तएत्तिक? अन्नमन्नस्स अंतिए एयमg पडिसुणेति अन्न० २ ता तीसे "अंगामियाए जाव अडवीए उदगस्स सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेंति, उदगस्स सव्वओ समंता मरगणगवेसणं करेमाणा एग महं वणसंडं आसादेंति, किण्हं किण्होभासं जाव निकुरं(रु)वभूयं पासाईयं जाव पडिहवं, तस्स णं वणसंडस्स वहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महेगं वम्मीयं आसादेति, तस्स णं वम्मीयस्स-चत्तारि वप्पुओ अन्भुग्गयाओ अभिनिस (डा)ढाओ तिरियं सुसंपग्गहियाओ अहे पन्नगद्धरुवाओ पन्नगद्धसंठाणसंठियाओ पासाईयाओ जाव पडिरुवाओ, तए णं ते वृणिया, हतुहा अन्नमन्नं सद्दावेंति अ० २ त्ता एवं क्यासी-एवं खलु देवाणुप्पिया!: अम्हं इमीसे अगामियाए जाव सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेमाणेहिं इमे वणसंडे आसा दिए किण्हें किण्होभासे० इमस्स णं वणसंडस्स बहुमज्झदेसभाए इमे वम्मीए आसादिए, इमस्स णं.वम्मीयस्स चत्तारि वप्पुओ अभुग्गयाओ जाव पडिरुवाओ, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमस्स वम्मीयस्स पढमं वप्पि भिन्दित्तए, अवियाई ओरालं उदगरंयणं अस्सादेसामो, तए णं ते वणिया अन्नमन्नस्स अंतियं एयमढे पडिसुणेति २ त्ता तस्स Page #770 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१८ सुत्तागमे [भगवई वम्मीयस्स पढमं वप्पि भिदंति, ते णं तत्थ अच्छं पत्थं जच्चं तणुयं फालियवन्नाभ उरालं उदगरयणं आसादेंति, तए णं ते वणिया हतुहा पाणियं पिवंति २ त्ता वाहणाइं पजेति वा० २ त्ता भायणाई भरेंति भा० २ त्ता दोचपि अन्नमन्नं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! अम्हेहिं इमस्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पाए भिण्णाए ओराले उदगरयणे अस्सादिए, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमस्स वम्मीयस्स दोच्चंपि. वप्पि भिंदित्तए, अवि याइं एत्थ ओरालं सुवन्नरयणं अस्सादेस्सामो, तए णं ते वणिया अन्नमन्नस्स अंतियं एयमढे पडिसुणेति अ० २ त्ता तस्स वम्मीयस्स दोचपि वप्पिं भिंदंति, ते णं तत्य अच्छं जचं तावणिज महत्थं महग्धं महरिहं ओरालं सुवन्नरयणं अस्सादेंति, तए णं ते वणिया हट्टतुट्टा भायणाई भरेंति २ त्ता पवहणाई भरेंति २ त्ता तच्चपि अन्नमन्नं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमस्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पाए भिन्नाए ओराले उदगरयणे अस्सादिए, दोच्चाए वप्पाए भिन्नाए ओराले सुवन्नरयणे अस्सादिए, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं इमस्स वम्मीयस्स तच्चपि व(प्प)प्पिं भिदित्तए, अवि याइं एन्थं ओरालं मणिरयणं अस्सादेस्सामो, तए णं ते वणिया अन्नमन्नस्स अंतियं एयमढें पडिसुणेति अं० २ त्ता तस्स वम्मीयस्स तच्चपि वप्पि भिदंति, ते णं तत्थ विमलं निम्मलं नित्तलं निकले महत्थं महग्धं महरिहं ओरालं मणिरयणं अस्सादेंति, तए णं ते वणिया हद्वतुट्ठा भायणाई भरेंति भा० २ त्ता पवहणाइं भरेंति २ त्ता चउत्थंपि अन्नमन्नं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमस्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पाए भिन्नाए ओराले उदगरयणे अस्सादिए, दोच्चाए वप्पाए भिन्नाए ओराले सुवगरयणे अस्सादिए, तच्चाए वप्पाए भिन्नाए ओराले मणिरयणे अस्सादिए, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं इमस्स वम्मीयस्स चउत्थंपि वप्पि भिंदित्तए, आदि याई इत्थं उत्तमं महग्धं महत्थं महरिहं ओरालं वइररयणं अस्सादेस्सामो, तए ण तेसिं वणियाणं एगे वणिए हियकामए सुहकामए पत्थकामए आणुकंपिए निस्सेयसिए हिंयसुहनिस्सेसकामए ते वणिए एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! अम्हे इमस्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पाए भिन्नाए आराले उदगरयणे जाव तच्चाए वप्पाए भिन्नाए ओराले मणिरयणे अस्सादिए, तं होउ अलाहि पज्जत्तं णे एसा च उत्थी वप्पा मा भिजउ, च उत्थी णं वप्पा सउवसग्गा यावि हो(त्या)जा, तए णं ते वणिया तस्स वणियस्स हियकामगस्स सुहकामगस्स जाव हियसुहनिस्सेसकामगस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव परूवेमाणस्स एयमढें नो सद्दहति जाव नो रोयंति, एयमढें असद्दहमाणा जाव अरोएमाणा तरस वम्मीयस्स चउत्थंपि वप्पिं भिंदंति, ते णं तत्थ उग्गविसं Page #771 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० १० प० स० १५ ] सुत्तागमे ४ चंडविसं घोरविसं महाविसं अइकायमहाकायं मसिमूसा कालगं नयणविसरोसपुन्नं अंजणपुंजनिगरप्पगासं रत्तच्छं जमलजुयलचंचलचलंतजीहं धरणितलवेणिभूयं उक्कडफुडकुडिलजडुलकक्खड विकड फडाडोवकरणदच्छं लोहागरधम्ममाणधमधमेंतघोसं अणागलियचंडतिव्वरोसं समुहिं तुरियं चवलं धर्मतं दिद्विविसं सप्पं संघर्हेति, तणं से दिट्टिविसे सप्पे तेहिं वणिएहिं संघट्टिए समाणे आतुरुते जाव मिसिमिसे - माणे सणियं २ उट्टे २ त्ता सरसरसरस्स वम्मीयस्स सिहरतलं दुरूहइ सि० २ त्ता आइचं णिज्झाइ आ० २ ता ते वणिए अणिमिसाए दिट्ठीए सव्वओ समंता समभिलोएइ, तए णं ते वणिया तेणं दिट्टिविसेणं सप्पेणं अणिमिसाए दिट्ठीए सव्वओ समंता समभिलोइया समाणा खिप्पामेव सभंडमत्तोवगरणमायाए एगाहचं कूडाहचं भासरासी कया यावि होत्या, तत्थ णं जे से वणिए तेसिं वणियाणं हियकामए जाव हियसुहनिस्सेसकामए से णं अणुकं ( प ) पियाए देवयाए सभंडमत्तोवगर-णमायाए नियगं नयरं साहिए, एवामेव आणंदा ! तववि धम्मायरिएणं धम्मोवएसएणं समणेणं नायपुत्तेणं ओराले परियाए, अस्सादिए, ओराला कित्तिवन्नसद्दसि लोगा सदेवमणुयासुरे लोए पुव्वंति गुवंति थुवंति इति खलु समणे भगवं महावीरे इति ० २, तं जइ मे से अज किंचिवि बदइ, तो णं तवेणं तेएणं एगाहचं कूडाहचं भासरासिं करेमि जहा वा वालेणं ते वणिया, तुमं च णं आणंदा ! सारक्खामि संगोवयामि जहा वा से वणिए तेसिं वणियाणं हियकामए जाव निस्सेसकामए अणुकंपियाए देवयाए सभंडमत्तोव० जाव साहिए; तं गच्छह णं तुम आणंदा ! तव धम्मायरियस्स धम्मोवएसगस्स समणस्स नायपुत्तस्स एयमहं परिकहि । तए णं से आगंदे थेरे गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं एवं वृत्ते समाणे भीए जाव, संजाय भए गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अंतियाओ हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणाओ, पडिनिक्खमइ २-त्ता सिग्धं तुरियं सार्वत्थि नयरिं, मज्यंमज्झेणं निग्गच्छइ २त्ता जेणेव कोट्टए उज्जाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिगं पयाहिण करेइ २ ता वंदइ नमंसइ वं० २ त्ता एवं वयासी एवं खलु अहं भंते ! छट्ठक्खमणपारणगंसि तुब्भेहिं अब्भणुन्नाए समाणे सावत्थीए नयरीए उच्चनीय जाव अडमाणे हालाहलाए कुंभकारीए जाव वीईवयामि, तए णं गोसाले : मंखलिपुत्ते ममं हॉलाहलाए जाव. पासित्ता एवं वयासी - एहि ताव आणंदा -!, इओ एवं महं उवमियं निसामेहि, तए णं अहं गोसा लेणं मंखलिपुत्तेणं एवं वृत्ते समाणे जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते, तेणेव उवागच्छामि, तए णं से गोसाले 1 L ७१९ Page #772 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२० सुत्तागमे [भगवई मंखलिपुत्ते ममं एवं वयासी-एवं खलु आणंदा ! इओ चिराईयाए अद्धाए केइ उच्चावया वणिया एवं तं चेव सव्वं निरवसेसं भाणियव्वं जाव नियगं नयरं साहिए तं गच्छह गं तुमं आणंदा! तव धम्मायरियस्स धम्मोवएसगस्स जाव परिकहेहि ॥ ५४६ ॥ तं पभू णं भंते ! गोसाले मंखलिपुत्ते तवेणं तेएणं एगाहचं कूडाहचं भासरासिं करेत्तए, विसए णं भंते ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स जाव करेत्तए; समत्थे णं भंते ! गोसाले मंखलिपुत्ते तवेणं जाव करेत्तए ? पभू णं आणंदा ! गोसाले मंखलिपुत्ते तवेणं जाव करेत्तए, विसए णं आणंदा ! गोसाले जाव करेत्तए, समत्थे णं आणंदा ! गोसाले जाव करेत्तए, नो चेवणं. अरिहंते भगवंते, परियावणियं पुण करेजा, जावइएणं आणंदा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवतेए एत्तो अणतगुणविसिट्टतराए चेव तवतेए अणगाराणं भगवंताणं, खंतिखमा पुण अणगारा भगवंतो, जावइएणं आणंदा ! अणगाराणं भगवंताणं तवतेए एत्तो अणंतगुणविसिट्ठतराए चेव तवतेए थेराणं भगवंतागं, खंतिखमा पुण थेरा भगवंतो, जावईएणं आणंदा! थेराणं भगवंताणं तवतेए एत्तो अणंतगुणविसिद्वितराए चेव तवतेए अरिहंताणं भगवंताणं, खंतिखमा पुण अरहंता भगवंतो, तं पभू णं आणंदा! गोसाले मंखलिपुत्ते तवेणं तेएणं जावं करेत्तए, विसए णं आगंदा ! जाव करेत्तए, समत्थे णं आणंदा ! जाव करेत्तए, नो चेव णे अरिहंते भगवंते, पारियावणियं पुण करेजा ॥ ५४७ ॥ तं गच्छ णं तुमं आणंदा ! गोयमाईणं समणाणं निग्गंथाणं एयमद्वं परिकहेहि-मा णं अजो! तुभं केइ गोसालं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएउ, धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारेउ, धम्मिएणं पडोयारेणं पडोयारेउ, गोसाले णं मंखलिपुत्ते समणेहिं निग्गंथेहि मिच्छ विप्पडिवन्ने, तए णं से आणंदे थेरे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता जेणेव गोयमाइसमणा निग्गंथा तेणेव उवागच्छइ २ त्ता गोयमाइसमेणे निग्गथे आमंतेइ २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु अज्जो! छटुक्खमणपारणगंसि समणेणं भगवया महावीरेणं अब्मणुन्नाए- समाणे सावत्थीए नयरीए उच्चनीय तं चेव सव्वं जाव णायपुत्तस्स एयमट्ठ परिकहेहि, तं माणं अजो! तुम्भ केइ गोसालं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएउजावे मिच्छं विप्पडिवन्ने ॥ ५४८ ॥ जावं च णं आणंदे थेरे गोयमाईणं समणाणं निग्गंथाणं एयमद्वं परिकहेइ तावं च णं से -गोसाले मंखलिपुत्ते हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता आजीवियसंघसंपरिबुडे महया अमरिसं वहमाणे सिग्धं तुरियं जाव सावत्थि नयरिं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव कोट्ठए उजाणे जेणेव समणे भगवं Page #773 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुचागमे वि०५० स० १५] ७२१ महावीरे तेणेव उवागच्छइ ते०.२ त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते ठिचा समण भगवं महावीरं एवं वयासी-सुगु णं आउसो ! कासवा ! ममं एवं चयासी साहु णं आउसो! कासवा !, मम एवं वयासी-गोसाले मंखलिपुत्ते मम धम्मंतेवासी गोसाले० २, जेणं गोसाले मंखलिपुत्ते तव धम्मंतेवासी से णं सुक्ने सुक्काभिजाइए भवित्ता कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववन्ने, अहण्णं उदाई नामं कुंडियायणीए अजुणस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं विप्पजहामि अं० २ त्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं अणुप्पविसामि गो० २ ता इमं सत्तम पउट्टपरिहारं परिहरामि, जेवि आ(या)ई आउसो! कासवा! अम्हं समयंसि केइ सिज्झिसु वा सिझंति वा सिज्झिस्संति वा सव्वे ते चउरासीइ महाफप्पसयसहस्साई सत्त दिव्वे सत्त-संजूहे सत्त सण्णिगन्भे सत्त पउट्टपरिहारे पंच कम्मणिसयसहस्साइं सहि च सहस्साई छच्चसए तिन्नि य कम्मंसे अणुपुव्वेणं खवइत्ता तओ पच्छा सिझंति बुझंति मुच्चंति परिनिव्वाइंति सव्वदुक्खाणमंतं करिंसु वा करेंति वा करिस्संति वा, से जहाँ वा गंगा महानई जओ पवूढा जहिं वा पज्जवत्थिया एस णं अद्धपंचजोयणसयोइं आयामेणं अद्धजोयणं विक्खंभेणं पंच धणुहसयाई उन्वेहेगं एएणं गंगापमाणेणं सत्त गंगाओ सा एगा महागंगा, सत्त महागंगाओ सा एगा साईणगंगा, सत्त साईणगंगाओ सा एगा मच्चुगंगा, सत्त मधुगंगाओ सा एगा लोहियगंगा, सत्त लोहियगंगाओ सा एगा आवईगंगा, सत्त आवईगंगाओ सा एगा 'परमावई, एवामेव सपुत्वावरेणं एगं गंगासयसहस्सं सत्तरस य सहस्सा छच्चगुणपन्नगंगासया भवंतीति.मक्खाया, तासिं दुविहे उद्धारे पण्णत्ते, तंजहा-सुहुमवोंदिकलेवरे चेव वायरवोंदिकलेवरे चेव, तत्थ णं जे से सुहुमबोंदिकलेवरे से ठप्पे, तत्थ णं जे से वायरवोंदिकलेवरे तओ णं वाससए २ गए २ एगमेगं गंगावालयं अवहाय जावइएणं कालेणं से कोटे खीणे णी(र)रेए निल्लेवे निट्ठिए भवइ, सेत्तं सरे सरप्पमाणे, एएण, सरप्पमाणेणं तिन्नि सरसयसाहस्सीओ से एगे महाकप्पे, चउरासीइ महीकप्पं. सयसहस्साई से एगे महामाणसे, अणंताओ संजूहाओ जीवे चयं चइत्ता उवरिल्ले माणसे संजूहे देवे उववज्जई, से णं तत्थ दिवाई भोगभोगाइं भुंजमाणे. विहरइ विहारत्ता ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता पढमे सन्निगन्भे जीवे पञ्चायाइ, से णं तओहिंतो अणंतरं उव्वट्टित्ता मज्झिल्ले माणसे संजूहे देवे उववज्जई, से णं तत्य दिव्वाइं भोगभोगाइं जाव विहरित्ता ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं ३ जाव चइत्ता दोच्चे सन्निगन्भे जीवे पञ्चायाइ, से णं तओहिंतो अगंतरं उवट्टित्ता हेहिले माणसे संजूहे देवे उववजइ, से णं तत्थ ४६ सुत्ता. Page #774 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२२ सुत्तागमे [भगवई दिव्वाइं जाव चइत्ता तचे सजिगन्भे जीवे पयायाइ, से णं तओहितो जाव उच्च. ट्टित्ता उवरिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उपवनइ, से णं तत्य दिवा भोग जाव चइत्ता चउत्थे सन्निगन्भे जीवे पचायाइ, से ण तओदिनो अगंतरं उचहिना मज्झिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववजन, से णं तत्य दिवा भोग जाब चदना पंचमे सन्निगन्भे जीवे पनायाइ, से णं तओहिंतो अणंतरं उच्चहिता लिहि मारसुत्तरे संजूहे देवे उववजइ, से णं तत्थ दिव्वाई भोग जाव बदना छ सन्निगन्ने जीवे पञ्चायाइ, से णं तओहिंतो अणंतरं उव्वसित्ता संभलोगे नाग ने कप्पे पलते, पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिन्ने जहा ठाणपए जाव पंच बसगा प०, तंजहा-असोगवडेंसए जाव पडिरूवा, से णं तत्य देवे उववजह, से णं तत्य दस साग़रोवमाइं दिव्वाइं भोग जाव चइत्ता सप्तमे सन्निगन्भे जीवे पगायाइ, से ण तत्थ नवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्ठमाण जाव वीइक्रताणं सुकुमालगभलए मिउकुंडलकुंचियकेसए मट्टगंडतलकनपीढए देवकुमारस(म)प्पभए दारए पया(ए)यइ, से णं अहं कासवा! ते (तए)णं अहं आउसो ! कासवा ! कोमारियाए पन्चजाए कोमारएणं बंभचेरवासेणं अविद्धकन्नए चेव संखाणं पडिलभामि सं० २ ता इमे सन पउट्टपरिहारे परिहरामि, तंजहा-एणेज्जगस्स, मछरामस्स, मंडियस्स, रोहा, भारदाइस्स, अज्जुणस्स गोयमपुत्तस्स, गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स, तत्व णं जे से पढमे पउट्टपरिहारे से णं रायगिहस्स नयरस्स वहिया मंडियकुञ्छिसि उजाणंसि उदा(यण)इस्स कुंडियायणस्स सरीरं विप्पजहामि उदा० २ त्ता एणेज्जगस्स सरीरगं अणुप्पविसामि एणे० २ त्ता वावीसं वासाइं पढमं पउपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से दोच्चे पउट्टपरिहारे से णं उदंडपुरस्स नयरस्स बहिया चंदोयरणंति उजाणति एणेजगस्स सरीरगं विप्पजहामि २ त्ता मल्लरामस्स सरीरगं अणुप्पविसामि मल्ल० २ त्ता एगवीसं वासाई दोच्चं पउट्टपरिहारं परिहरामि, तत्य णं जे से तन्चे पउट्टपरिहारे से णं चंपाए नयरीए बहिया अंगमंदिरंमि उजाणंसि मलरामस्स सरीरगं विप्पजहामि मल्ल० २ त्ता मंडियस्स सरीरगं अणुप्पविसामि मंडि० २ त्ता वीसं वासाइं तच्च पउट्टपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से चउत्थे पउट्टपरिहारे से -णं-वाणारसीए नयरीए वहिया काममहावर्णसि उजाणंसि मंडियस्स सरीरगं विप्पजहामि मंडि०-२ त्ता रोहस्स सरीरगं अणुप्पविसामि रोह० २ त्ता एगूणवीसं वासाई चउत्थं -पउपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से पंचमे पउट्टपरिहारे से -णं आलंभियाए नयरीए बहिया पत्तकालगंसि उजाणंसि रोहस्स सरीरगं विप्पजहामि - रोह०-२ त्ता भारद्दाइस्स सरीरगं अणुप्पविसामि भा० २ त्ता अट्ठारस Page #775 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ७२३ 1 4 वासाईं पंचमं पउट्टपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से छट्ठे पउट्टपरिहारे से णं वेसालीए नयरीए बहिया कों (कं)डियायणंसि उज्जाणंसि भारद्दाइस्स सरीरगं विप्पज - हामि भा० २ ता अजुणगंस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं अणुप्पविसामि अ० २ ता सत्तरस वासाई छटुं पउट्टपरिहारं परिहरामि तत्थ णं जे से सत्तमे पउट्टपरिहारे से - इहेव सावत्थीए नयरीए हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि अजुणगस्स गोयमपुत्तस्स सरीरंगं विप्पजहामि अज्जुणगस्स० २ त्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं अलं थिरं धुवं धारणिजं सीयसहं उण्हसहं खुहासहं विविहदसमसग - परीस होवसग्गसहं थिरसंघयणंतिकट्टु तं अणुप्पविसामि २ त्ता तं सोलस वासाई इमं सत्तमं पउट्टपरिहार परिहरामि एवामेव आउसो ! कासवा ! एगेण तेत्तीसेणं वाससएणं सत्त पउट्टपरिहारा परिहरिया भवतीति मक्खाया, तं आउसो ! कासवा ! ममं एवं वयासी साहु णं आउसो ! कासवा ! ममं एवं वयासी - गोसाले मंखलिपुत्ते ममं धम्मंतेवासित्ति गोसाले ० २ ॥ ५४९ ॥ तए णं समणे भगवं महावीरे गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी - गोसाला ! से जहानाम तेणए सिया गामेलएहि परब्भ (व) माणे २ कत्थ (वि)इ ग (त्तं) वा दरिं वा दुग्गं वा निन्नं वा पव्वयं वा विसमं वा अणस्सादेमाणे एगेण महं उन्नालोमेण वा सणलोमेण वा कप्पासपम्हेण वा तणसूएण वा अत्ताणं आवरेत्ताणं चिट्ठेजा, से णं अणावरिए आवरियमिति अप्पाणं मन्नइ, अपच्छण्णे य पच्छण्णमिति अप्पाणं मन्नइ, अ (ण) णिलुक्के णिलुक्कमिति अप्पाणं मन्नइ, अंपलायए पलायमिति अप्पाणं मन्नइ, एवामेव तुमंपि गोसाला' ! अणन्ने संते अन्नमिति अप्पाणं उपलभसि, तं मा एवं गोसाला ! नारिहसि 'गोसाला ! सच्चेव ते सा छाया नो अन्ना ॥ ५५० ॥ तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते समणेणं भंगवया · महावीरेणं एवं वृत्ते समाणे, आसुरुते ५ समणं भगवं महावीरं उच्चावयाहिं आउसणाहिं आउसइ उच्चा० २ त्ता उच्चावयाहिं उद्धसणाहिं उद्धंसेइ उद्धंसेत्ता उच्चावयाहिं निव्भंछणाहिं निब्भंछेइ उ० २ ता उच्चावयाहिं निच्छोडणाहिं निच्छोडेर उ० २ त्ता एवं वयासी - नट्ठेसि कयाइ, विणट्ठेसि कयाइ, भट्ठेसि कयाइ, विभसिकाइ, अज न भवसि नाहि ते ममाहिंतो सहमत्थि ।। ५५१ ॥ ते काणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी पाईणजाणवए सव्वाणुभूई णामं अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए धम्मायरियाणुरागेणं एयमट्ठ `असद्दहमाणे उट्ठाए उट्ठेइ उ० २ त्ता जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ २ त्ता गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी- जेवि ताव गोसाला ! तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतियं एगमवि आ (य) रियं धम्मियं सुवयगं निसामेइ सेवि ताव लं "वि० ० प० स०१५ ] Page #776 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .२४ सुत्तागमे [भगवई वंदइ नमसइ जाव कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पञ्जुवासद, किमंग पुण तुमं गोसाला । भगवया चेव पव्वाविए, भगवया चेव मुंडाविए, भगवया चेव सेहाविए, भगवया चेव सिक्खाविए, भगवया चेव बहुस्सुईकए, भगवओ चेच मिच्छ विप्पडिवन्ने, तं मा एवं गोसाला ! नारिहसि गोसाला ! सन्येव ते सा छाया नो अन्ना, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सव्वाणुभूइणामेणं अणगारेणं एवं युक्तं समाणे आमुरुत्ते ५ सव्वाणुभूई अणगारं तवेणं तेएणं एगाहचं कूडाचं जाव भासरासिं करेड, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सव्वाणुभूई अणगारं तवेणं तेएणं एगाहा कृाहा जाव भासरासिं करेत्ता दोच्चपि समणं भगवं महावीरं उन्यावयाहिं आउराणाहिं आउसइ जाव सुहं नत्यि । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी कोसलजाणवए मुणक्खत्ते णामं अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए धम्मायरियाणुरागेगं जहा सव्वाणुभूई तहेव जाव सच्चेव ते सा छाया नो अन्ना । तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सुणक्खत्तेणं अणगारेणं एवं बुत्ते समाणे आसुरुत्ते ५ सुनक्वतं अणगारं तवेणं तेएणं परितावेइ, तए णं से सुनक्खत्ते अणगारे गोसालेणं मंखलि. पुत्तेणं तवेणं तेएणं परिताविए समाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छा २ ता समग भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता सयमेव पंच महव्वयाइं आरुहेइ स० २ त्ता समणा य समणीओ य खामेइ सम० २ त्ता आलोइयपडिनंते समाहिपत्ते आणुपुव्वीए कालगए। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सुनक्खत्तं अणगारं तवेणं तेएणं परितावेत्ता तचंपि समणं भगवं महावीरं उच्चावयाहिं आउसणाहिं आउसइ सव्वं तं चेव जाव सुहं नत्यि । तए णं समणे भगवं महावीरे गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी-जेवि ताव गोसाला। तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा तं चेव जाव पजवासइ, किमंग पुण गोसाला! तुमं मए चेव पव्वाविए जाव मए चेव वहस्सुईकए ममं चेव मिच्छ विप्पडिवन्ने, तं मा एवं गोसाला! जाव नो अन्ना, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्त समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते ५ तेयासमुग्धाएणं समोहणइ तेया० २ त्ता सत्तठ्ठपयाई पच्चोसक्कइ २ त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स वहाए सरीरगंसि तेयं निसिरइ, से जहानामए वाउकलियाइ वा वायमंडलियाइ वा सेलेसि वा कुटुंसि वा थंभंसि वा थूभंसि वा आवरिजमा(णा)णी वा निवारिजमाणी वा सा णं तत्थ णो कमइ नो पक्कमई, एवामेव गोसालस्सवि मंखलिपुत्तस्स तवे तेए समणस्स भगवओ महावीरस्स वहाए संरीरगसि निसिढे समाणे से णं तत्थ नो कमइ नो पक्कमई, अंचियंचिं करेइ अंचि० २ त्ता आयाहिगं पयाहिणं करेइ आ० Page #777 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १५] सुत्तागमे ७२५ २ ता उर्ल्ड वेहासं उप्पइए, से णं तओ पडिहए पडिनियत्ते समाणे त(स्से)मेव गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं अणुडहमाणे २ अंतो २ अणुप्पविटे, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सएणं तेएणं अन्नाइटे समाणे समणं भगवं महावीरं एवं वयासीतुमं णं आउसो! कासवा ! ममं तवेणं तेएणं अन्नाइटे समाणे अंतो छण्हं मासाणं पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवनंतीए छउमत्थे चेव कालं करिस्सासि, तए णं समणे भगवं महावीरे गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी-नो खलु अहं गोसाला! तव तवेणं तेएणं अन्नाइटे समाणे अंतो छण्हं मासाणं जाव कालं करिस्सामि, अहन्नं अन्नाई सोल. सवासाइं जिणे सुहत्थी विहरिस्सामि, तुम णं गोसाला! अप्पणा चेव सएणं तवेणं तेएणं अन्नाइढे समाणे अंतो सत्तरत्तस्स पित्तज्जरपरिगयसरीरे जाव छउमत्थे चेव कालं करिस्ससि, तए णं सावत्थीए नयरीए सिंघाडग जाव पहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया! सावत्थीए नयरीए वहिया कोट्ठए उजाणे दुवे जिणा संलवंति, एगे एवं वदंति-तुमं पुब्बि कालं करिस्ससि एगे एवं वदति तुमं पुचि कालं करिस्ससि, तत्थ णं के पुण सम्मावाई के पुण मिच्छावाई ? तत्थ णं जे से अहप्पहाणे जणे से वदइ-समणे भगवं महावीरे सम्मावाई गोसाले मंखलिपुत्ते मिच्छावाई, अज्जोत्ति समणे भगवं महावीरे समणे निग्गंथे आमंतेत्ता एवं वयासी-अज्जो ! से जहानामए तणरासीइ वा कट्टरासीइ वा पत्तरासीइ वा तयारासीइ वा तुसरासीइ वा भुसरासीइ वा गोमयरासीइ वा अवकररासीइ वा अगणिज्झामिए अगणिज्यूसिए अगणिपरिणामिए हयतेए गयतेए नट्ठतेए भट्टतेए लुत्ततेए विणकृतेए जाव एवामेव गोसाले मंखलिपुत्ते ममं वहाए सरीरगंसि तेयं निसिरित्ता हयतेए गयतेए जाव विणट्ठतेए जाए, तं छदेणं अज्जो ! तुम्भे गोसालं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएह धम्मि० २ त्ता धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारेह धम्मि० २ ता धम्मिए पडोयारेणं पडोयारेह धम्मि० २ त्ता अटेहि य हेऊहि य पसिणेहि य वागरणे हि य. कारणेहि य निप्पट्ठपसिणवागरणं करेह, तए णं ते समणा निग्गंथा समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ता समाणा समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छंति तेणेव उवागच्छित्ता गोसालं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएंति ध० २- त्ता धम्मियाए पडिसा(ह)रणाए पडिसारेंति ध० २ त्ता धम्मिएणं पडोयारेणं पडोयारेति ध० २ त्ता अढेहि य हेऊहि य कारणेहि य जाव वागरणं क(वाग)रेति । तए ण से गोसाले मंखलिपुत्ते समणेहिं निग्गंथेहिं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोइज्जमाणे जाव निप्पट्टपसिणवागरणे कीरमाणे आसुरुत्ते जाव Page #778 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२६ सुत्तागमे ___.. [भगवई मिसिमिसेमाणे नो संचाएइ समणाणं निग्गंथाणं सरीरगस्स किंचि आवाहं वा वाबाहं वा उप्पाएत्तए छविच्छेदं वा करेत्तए, तए णं ते आजीविया थेरा गोसालं मंखलिपुत्तं समणेहिं निग्गंथेहिं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएजमाणं धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारिजमाणं धम्मिएणं, पडोयारेणं पडोयारिजमाणं अडेहिं य हेहि य जाव कीरमाणं आसुरुत्तं जाव मिसिमिसेमाणं समणागं निग्गंथाणं सरीरगस्स किंचि आबाहं वा वाबाहं वा छविच्छेदं वा अकरेमाणं पासंति २ ता गोसा. लस्स मंखलिपुत्तस्स . अंतियाओ आयाए अवकमंति आयाए अवकमित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति ते० २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं० वंदति नमसंति वं० २ ता समणं भगवं महावीरं उवसंपज्जित्ताणं विहरते, अत्थेगइया आजीविया थेरा गोसालं चेव मंखलिपुत्तं उवसंपज्जित्ताणं विहरति । तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते जस्सट्टाए हव्वमागए तमझु असाहेमाणे रुंदाइं पलोएमाणे दीहुण्हाइं नी(स)सासमाणे दाढियाए लोमा(ई)ए लुंचमाणे अवडं कंड्यमाणे पुयलिं पप्फोडेमाणे हत्थे विणिद्भुणमाणे दोहिवि पाएहिं भूमि कोट्टेमाणे हाहा अहो! हओऽहमस्सीतिकट्ठ समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ कोट्ठयाओ उजाणाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता जेणेव सावत्थी नयरी जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे तेणेव उवागच्छइ ते० २ त्ता हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणसि अंबकूणगहत्थगए मजपाणगं पियमाणे अभिक्खणं गायमाणे अभिक्खणं नच्चमाणे अभिक्खणं हालाहलाए कुंभकारीए अंजलिकम्मं करेमाणे सीयलएणं मट्टियापाणएणं आयंचणिउदएणं गायाइं परिसिंचमाणे विहरइ ॥ ५५२ ॥ अजोत्ति समणे भगवं महावीरे समणे निग्गंथे आमंतेत्ता एवं वयासी-जावइएणं अजो! गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं ममं वहाए सरीरगंसि तेए-निसटे से णं अलाहि पजते सोलसण्हं जणवयाणं, तं०-अंगाणं वंगाणं मगहाणं मलयाणं मालवगाणं अ(च्छा)त्थाणं वत्थाणं कोत्थाणं पाढाणं लाढाणं वजीणं मोलीणं कासीण कोसलगाणं अवाहाणं सुभुत्तराणं घायाए वहाए उच्छादणठ्ठयाए भासीकरणयाए, जंपि य अज्जो ! गोसाले मंखलिपुत्तें हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि अंबकूणगहत्थगए मजपाणं पियमाणे अभिक्खणं जाव अंजलिकम्मं करेमाणे विहरइ, तस्सवि य णं, वजस्स पच्छादणट्टयाए इमाइं अट्ठ' चरिमाइं पन्नवेइ, तंजहा-चरिमे पाणे, चरिमे गेए, चरिमे नहे, चरिमे अंजलिकम्मे, चरिमे पोक्खलसंवट्टए महामेहे, चरिमे सेयणए. गंधहत्थी, चरिमे महासिलाकंटए संगामे, अहं च णं इमीसे ओसप्पिणीए चउवीसाए तित्थंकराणं चरिमे तित्थंकरे सिज्झिस्सं जाव अंतं करेस्सं ति, जंपि य अजो! - Page #779 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १५] सुत्तागमे ७२७ गोसाले मंखलिपुत्ते सीयलएणं मट्टियापाणएणं आयंचणिउदएणं गायाइं परिसिंचमाणे विहरइ, तस्सवि य णं वजस्स पच्छादणट्टयाए इमाइं चत्तारि पाणगाई चत्तारि अपाणगाइं पनवेइ, से किं तं पाणए ? पाणए चउविहे पन्नत्ते, तंजहा-गोपुट्ठए, हत्थमद्दियए, आयवतत्तए, सिलापब्भट्टए, सेत्तं पाणए, से किं तं अपाणए ? अपाणए चउविहे पण्णत्ते, तंजहा-थालपाणए, तयापाणए, सिंबलिपाणए, सुद्धपाणए, से किं तं थालपाणए ? २ जण्णं (जेणं) दाथालगं वा दावारगं वा दाकुंभगं वा दाकलसं वा सीयलगं (वा) उल्लगे हत्थेहिं परामुसइ न य पाणियं पियइ, सेत्तं थालपाणए, से किं तं तयापाणए ? २ जणं अंबं वा अंबाडगं वा जहा पओगपए जाव बोरं वा तिंदुस्यं वा [तस्यं] वा तरुणगं वा आमगं वा आसगंसि आवीलेइ वा पवीलेइ वा न य पाणियं पियइ, सेत्तं तयापाणए, से किं तं सिंवलिपाणए ? २ जणं कलसंगलियं वा मुग्गसंगलियं वा माससंगलियं वा सिंवलिसंगलियं वा तरुणियं आमियं आसगंसि आवीलेइ वा पवीलेइ वा ण य पाणियं पिवइ, सेत्तं सिंबलिपाणए, से कि तं सुद्धपाणए ? सुद्धपाणए जण्णं छम्मासे सुद्धखाइमं खाइ दो मासे पुढविसंथारोवगए दो मासे कट्ठसंथारोवगए दो मासे- दन्भसंथारोवगए, तस्स णं बहुपडिपुन्नाणं छण्हं मासाणं • अंतिमराइए इमे दो देवा महिड्डिया जाव महेसक्खा अंतियं पाउब्भवंति, तं० पुन्नभद्दे य माणिभद्दे य, तए णं ते देवा सीयलएहिं उल्लएहिं हत्थेहिं गायाइं परामुसंति, जे णं ते देवे साइजइ से णं आसीविसत्ताए कम्म पकरेइ, जे णं ते देवे नो साइजइ तस्स णं संसि सरीरगंसि अगणिकाए संभवइ, से णं सएणं तेएणं सरीरगं झामेइ स० २ त्ता तओ पच्छा सिज्झइ जाव अंतं करेइ, सेत्तं सुद्धपाणए । तत्थ णं सावत्थीए नयरीए अयंपुले णामं आजीवियोवासए परिवसइ अड्ढे जावे अंपरिभूए जहा हालाहला जाव आजीवियसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं तस्स अयंपुलस्स आजीवियोवासगस्स अन्नया कयाइ पुन्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडंवजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-किंसठिया हल्ला ' पण्णत्ता ?, तए णं तस्स अयंपुलस्स आजी-- योवासंगस्स दोच्चपि अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु मम धम्मायरिए धम्मोवएसए “गोसाले मंखलिपुत्ते उप्पन्ननाणदसणधरे जाव सव्वन्न सव्वदरिसी इहेव सावत्थीए नयरीए हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावर्णसि आजीवियसंघसंपरिघुडे आजीवियसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तं सेयं खलु मे कलं जाव जलंते गोसालं मंखलिपुत्तं वंदित्ता जाव पजुवासित्ता इमं एया(णु)रुवं वागरणं- वागरित्तएत्तिकट्ठ एवं संपेहेइ संपेहित्ता कल्लं जाव जलंते पहाए जाव Page #780 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२८ सुत्तागमे [भगवई अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरे साओ गिहाओ पडिनिक्खमइ सा० २ ता पायविहारचारेणं सावत्थिं नयरिं मझमज्झेणं जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पासइ गोसालं मंखलिपुत्तं हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि अंबकूणगहत्थगयं जाव अंजलिकम्मं करेमाणं सीयलयाएणं मट्टिया जाव गायाई परिसिंचमाणं पासइ २ त्ता लज्जिए विलिए विड्डे सणियं २ पच्चोसकइ, तए णं ते आजीविया थेरा अयंपुलं आजीवियोवासगं लज्जियं जाव पच्चोसकमाणं पासेंति २ ता एवं वयासी-एहि ताव अंयंपुला! . एत्त(इ)ओ, तए णं से अयंपुले आजीवियोवासए आजीवियथेरेहिं एवं वुत्ते समाणे जेणेव आजीविया थेरा तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता आजीविए थेरे वंदइनमंसइ वं० २ त्ता नच्चासन्ने जाव पजुवासइ, अयंपुलाइ आजीविया थेरा अयंपुलं आजीवियोवासगं एवं वयासी-से नूणं ते(भे) अयंपुला ! पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि जाव किंसंठिया हल्ला पण्णत्ता ?, तए णं तव अयंपुला! दोच्चपि अयमेया० तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव सावत्थि नयरिं मज्झमज्झेणं जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे जेणेव इहं तेणेव हव्वमागए, से नूणं ते अयंपुला ! अढे समढे ? हंता अत्थि, जंपि य अयंपुला ! तव धम्मायरिए धम्मोवएसए गोसाले मंखलिपुत्ते हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि अंवकूणगहत्थगए जाव अंजलिं करेमाणे विहरइ, तत्यवि णं भगवं इमाइं अट्ठ चरिमाइं पन्नवेइ, तं०-चरिमे पाणे जाव अंतं करेस्सइ, जेवि य अयंपुला! तव धम्मायरिए धम्मोवएसए गोसाले मंखलिपुत्ते सीयलयाएणं मट्टिया जाव विहरइ, तत्थवि णं भगवं इमाइं चत्तारि पाणगाइं चत्तारि अपाणगाइं पन्नवेइ,से किं तं पाणए ? पाणए जाव तओ पच्छा सिज्झ(न्ति)इ जाव अंतं करे(न्ति)इ,तं गच्छह णं तुमं अयंपुला! एस चेव तव धम्मायरिए धम्मोवएसए गोसाले मंखलिपुत्ते इमं एयारूवं वागरणं वाग(रेही)रित्तएत्ति, तए णं से अयंपुले आजीवियोवासए आजीविएहिं थेरेहिं एवं वुत्ते समाणे हद्वतुट्ठ० उठाए उठूइ उ०.२ त्ता जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तए णं ते आजीविया थेरा गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स. अंबकूणगप(ए)डावणट्टयाए एगंतमंते संगारं कुव्वंति, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते आजीवियाणं थेराणं संगारं पडिच्छइ २ ता अंबकूणगं एगंतमंते एडेइ, तए णं से. अयंपुले आजीवियोवासए जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता गोसालं मंखलिपुत्तं तिक्खुत्तो जाव पज्जुवासइ, अयंपुलाइ गोसाले मंखलिपुत्ते अयंपुलं आजीवियोवासगं एवं वयासी-से नूणं अयंपुला ! पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि, जाव जेणेव ममं अंतियं तेणेव हव्वमागए, से, नूणं अयंपुला ! अढे समढे?' हंता Page #781 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १५] सुत्तागमे .७३३ . अस्थि, तं नो खलु एस अंबकूणएं अंवचोयए णं एसे, किंसंठिया हल्ला पन्ना वंसीमूलसंठिया हल्ला पण्णत्ता, वीणं वाएहि रे वीरगा वी० २, तए णं से अयंपुले आजीवियोवासए गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं इमं एयारूवं वागरणं वागरिए समाणे हतुट्ठ जाव हियए गोसालं मंखलिपुत्तं वंदइ नमसइ वं०.२ त्ता पसिणाई पुच्छइ २ त्ता अट्ठाई परियादियइ अ० २ त्ता उठाए उठेइ उ० २ त्ता गोसालं मंखलिपुत्तं वंदइ नमंसइ वं० २ त्ता जाव पडिगए। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते अप्पणो मरणं आभोएइ २ त्ता आजीविए थेरे सद्दावेइ आ० २ त्ता एवं वयासी-तुन्भे णं देवाणुप्पिया ! ममं कालगयं जाणित्ता सुरभिणा गंधोदएणं ण्हाणेह सु० २ त्ता पम्हलसुकुमालाए गंधकासाईए गायाइं लहेह गा० २ त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाइं अणुलिंपह स० २ त्ता महरिहं हंसलक्खणं पाडसाडगं नियंसेह मह० २ त्ता सव्वालंकारविभूसियं करेह स० २ ता पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं दुरूहेह पुरि० २ त्ता सावत्थीए नयरीए सिंघाडग जाव पहेसु महया महया सद्देणं उग्घोसेमाणा २ एवं वदह-एवं खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव जिणसई पगासेमाणे विहरित्ता इमीसे ओसप्पिणीए चउवीसाए तित्थयराणं चरिमे तित्थयरे सिद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे, इड्डीसकारसमुदएणं ममं सरीरगस्स णीहरणं करेह, तएणं,ते आजीविया थेरा गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमढे विणएणं पडिसुणेति ॥ ५५३ ॥ तए णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सत्तरत्तसि परिणममाणंसि पडिलद्धसम्मत्तस्स अयमेयारूवे अज्झथिए, जाव समुप्पजित्था-णो खलु अहं जिणे जिणप्पलावी, जाव जिणसई पगासेमाणे विहरइ, अहं णं गोसाले चेव मंखलिपुत्ते समणघायए समणमारए समणपडिणीए आयरियउवज्झायाणं अयसकारए अवन्नकारए अकित्तिकारए वहूहिं असम्भावुव्भावणाहिं - मिच्छत्ताभिनिवेसेहिय अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा बुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे विहरित्ता सएणं तेएणं अन्नाइटे समाणे अंतो सत्तरत्तस्स पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवनंतीए छउमत्थे चेव कालं करेस्सं, समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव जिणसई पगासेमाणे विहरइ, एवं संपेहेइ एवं संपेहित्ता आजीविए थेरे सद्दावेइ आ० २-त्ता उच्चावयसवहसाविए करेइ 'उच्चा० २ त्ता एवं वयासी-नो खलु- अहं जिणे जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे विहरइ, अहन्नं गोसाले मंखलिपुत्ते समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालं करेस्सं, समणे भगवं महावीरे जिणे जिण-पलावी जाव जिणसई पगासेमाणे विहरइ, तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया! ममं कालगयं जाणित्ता वामे पाए सुंबेणं बंधह वा० २ त्ता तिक्खुत्तो मुहे उट्ठभह ति० २ त्ता सावत्थीए नयरीए सिंघाडग Page #782 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई अप्पपहे आकड्ढविकड्डि करेंमाणा महया २ संदेणं उग्घोसेमाणा २ एवं वदह-नो खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विह (रइ) रिए, एस गोसाले चैव मंखलिपुत्ते समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए, समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ, अणिड्ढीअसक्कारसमुदएणं ममं सरीरगस्स नीहरणं करेजाह, एवं वदित्ता कालगए ||५५४ ॥ तए णं ते आजीविया -थेरा गोसालं मंखलिपुत्तं कालगयं जाणित्ता हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स दुबारा पिति दु० २ त्ता हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स बहुमज्झदेसभाए सावत्थि नयरिं आलिहंति सा० २ त्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं वामे पाए सुंबेणं बंधंति वा० २ ता तिक्खुत्तो मुहे उभंति २त्ता सावत्थीए नयरीए सिंघाडग जाव पहेसु आकड्ढविकड्ढि करेमाणा णीयं २ सद्देणं उग्घोसेमाणा २ एवं वयासी - नो खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरिए, एस णं गोसाले चेव मंखलिपुत्ते समणधायए जावं छउमत्थे चेव कालगए, समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ, सवहपडिमोक्खणर्ग करेंति स० २ त्ता दोचंपि पूयासक्कारथिरीकरणट्टयाएं गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स -वामाओ पायाओं सुंबं मुयंति सु० २त्ता हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स दुवारवयणाई अवगुणति २ त्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं सुरभिणा गंधोदएणं ण्हाणेंति तं चेव जाव महंया २ इड्डीसक्कारसमुदएणं गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगस्स नीहरणं करेंति ॥ ५५५ ॥ तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ सावत्थीओ नयरीओ कोट्टयाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं मिंढियगामे नामं नयरे होत्था -वन्नओ, तस्स णं मेंढियगामस्स नयरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थ णं सालकोट्ठए नामं उज्जाणे होत्था वन्नओ जाव पुढविसिलापट्टओ, तस्स णं सालकोट्ठगस्स उज्जाणस्स अदूरसामंते एत्थ णं महेगे मालुयाकच्छए यावि होत्था किन्हे किन्होभासे जाव निकुरंबभूए पत्तिए पुप्फिए फलिए हरियगरेरिजमाणे सिरीए अईव २ उवसोभेमाणे २ चिट्ठइ, तत्थ णं मेंढियेगामे नयरे रेवई नाम गाहावइणी परिवसर अड्ढा जाव अपरिभूया, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ पुव्वाणुपुवि चरमाणे जाव जेणेव मेंढियगामे नयरे जेणेव सांण (ल) कोट्ठएउज्जाणे जाव परिसा पडिगया । तएं णं समणस्स भगवओ महावीरस्स सरीरगं विउले रोगायंके पाउ भूए उजले जाव दुरहियासे पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवती यावि विहरइ, अवियाई लोहियवच्चापि पंकरेइ, चाउब्वन्नं वागरेइ एवं खलुं ७२८ Page #783 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० [० प० स०१५ ] सुत्ताग़मे समणे भगवं महावीरे गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवेणं तेएणं अन्नाइट्ठे अंतो छण्हं मासाणं पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवनंतीए छउमत्थे चेव कालं करि-स्सइ । तेणं काले तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी सीहे नामं अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए माल्याकच्छगस्स अदूरसामंते छटुंछट्टेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्भेणं उद्धुं वाहाओ जाव विहरइ, तए णं तस्स सीहस्स अणगारस्स झाणंतरिया वट्टमाणस्स अयमेयारूवे जाव समुप्पजित्था एवं खलु मम धम्मायरियस धम्मोवएसगस्स समणस्स भगवओ महावीरस्स सरीरगंसि विउले रोगायंके पाउ भूए उजले जाव छउमत्थे चेव कालं करेस्सइ, वदिस्संति य णं अन्नउत्थिया छउमत्थे चेव कालगए, इमेणं एयारूवेणं महया मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूए समाणे आयावणभूमीओ पचोरुहइ आया० २ त्ता जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता मालुयाकच्छयं अंतो २ अणुप्पविसइ मालुया० २ त्ता महया - २ सद्देणं कुहुकुहुस्स परुन्ने । अजोत्ति समणे भगवं महावीरे समणे निग्र्गथे आमंतेइ २त्ता एवं व्यासी एवं खलु अजो ! ममं अंतेवासी सीहे नामं अणगारे पगइभहए तं चैव सव्वं भाणियव्वं जाव परन्ने, तं गच्छह णं अजो ! तुम्भे सीहं अणगारं सद्दह, तए णं ते समणा निग्गंथा समणेण भगवया महावीरेणं एवं वृत्ता समाणा समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति वं० २ त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ सालकोट्टयाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमंति सा० २ त्ता जेणेव माझ्या कच्छए जेणेव सीहे अणगारे तेणेव उवागच्छन्ति २ त्ता सीहं अणगारं एवं वयासी- सीहा ! तव धम्मायरिया सहावेंति, तए णं से सीहे अणगारे समणेहिं निग्गथेहिं सद्धिं मालुयाकच्छयाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता जेणेव सालकोट्ठए उज्जाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं २ जाव पज्जुवासर, सीहादि समणे भगवं महावीरे सीहं अणगारं एवं वयासी-से नूणं ते सीहा ! झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अयमेयारूवे जाव - 'परुन्ने, से नूणं ते सीहा ! अट्ठे समट्ठे ? हंता अत्थि, तं नो खलु अहं सीहा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवेणं तेएणं अन्नाइट्ठे समाणे अंतो छण्हं मासाणं जाव कालं करेस्सं, अहन्नं अन्नाइं अद्धसोलसवासाईं जिणे सुहत्थी विहरिस्सामि, तं गच्छह णं तुमं सीहा ! मेंढियगामं नयरं रेवईए गाहावइणीए गिहे, तत्थ णं रेवईए गाहावइणीए -ममं अट्ठाए दुवे (कोहंडफला ) उवक्खडिया तेहिं नो अट्टो, अत्थि से अन्ने पारियासिए [फासुए बीयऊरए] तमाहराहि तेणं अट्ठो, तए णं से सीहे अणगारे समणेण भगवया महावीरेणं एवं वृत्ते समाणे हद्वतुट्ट जाव हियए समणं भगवं महावीरं वंदइ नम॑सइ वंदित्ता -७३३. Page #784 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे • ७२८ [भगवई मसंभंतं मुहपोत्तियं पडिलेहेइ मु० २ त्ता जहा गोयमसामी नण भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं १३ नमसइ वं० २ त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ सालकोट्टयाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमंइ २त्ता अतुरिय जाव जेणेव मेंढियगामे नयरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता मेंढियगामं नयरं मझमज्झेणं जेणेव रेवईए गाहावइणीए गिहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता रेवईए गाहावइणीए गिहं अणुप्पविटे, तए णं सा रेवई गाहावइणी- सीहं अणगारं एजमागं पासइ २ त्ता हट्टतुट्ठ० खिप्पामेव आसणाओ अन्भुठेइ २ त्ता सीहं अणगारं सत्तट्ठपयाई अणुगच्छइ स० २ त्ता तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं० वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणुप्पिया! किमागमणप्पओयणं ?, तए णं से सीहे अणगारे रेवई गाहावइणिं एवं वयासी-एवं खलु तुमे देवाणुप्पिए ! समणस्स भगवओ महावीरस्स अट्ठाए दुवे [कोहंडफला] उवक्खडिया तेहिं नो अट्ठो, अत्थि ते अन्ने पारियासिए (फासुए बीयऊरए) तमाहराहि तेणं अट्ठो, तए णं सा रेवई गाहावइणी सीहं अणगारं एवं वयासी-केस णं सीहा ! से णाणी वा तवस्सी वा जेणं तव एस अढे मम ताव रहस्सकडे हव्वमक्खाए जओ णं तुम जाणासि ? एवं जहा खंदए जाव जओ णं अहं जाणामि, तए णं सा रेवई गाहावइणी सीहस्स अणगारस्स अंतियं एयमद्वं सोचा निसम्म हट्टतुट्ठा जेणेव भत्तघरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पत्तगं मोएइपत्तगं मोएत्ता जेणेव सीहे अणगारे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सीहस्स अणगारस्स पडिग्गहगंसि तं सव्वं सम्म निस्सिरइ, तए णं तीए रेवईए गाहावइणीए तेणं दव्वसुद्धेणं जाव दाणेणं सीहे अणगारे पडिलाभिए समाणे देवाउए निवद्धे जहा विजयस्स जाव जम्मजीवियफले रेवईए गाहावइणीए रेवईए गाहावणीए, तए णं से सीहे अणगारे रेवईए गाहावइणीए गिहाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता मेंढियगामं नयरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ निग्गच्छइत्ता जहा गोयमसामी जाव भत्तपाणं पडिदंसेइ २ त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स पाणिसि तं सव्वं सम्म निस्सिरइ, तए णं समणे भगवं महावीरे अमुच्छिए जाव अणज्झोववन्ने विलमिव. पन्नगभूएणं अप्पाणेणं तमाहारं सरीरकोट्टगंसि पक्खिवइ, तए णं समणस्स भगवओ महावीरस्स तमाहारं आहारियस्स समाणस्स से विउले रोगायंके खिप्पामेव उवसमं पत्ते हढे जाए आरोग्गे बलियसरीरे तुट्ठा समणा तुट्ठाओ समणीओ तुट्ठा सावया तुट्टाओ सावियाओ तुट्टा देवा तुट्ठाओ देवीओ सदेवमणुयासुरे लोए तुढे हढे जाए समणे भगवं महावीरे हटे० २॥ ५५६ ॥ भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं. Page #785 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'वि० प० स० १५] सुत्तागमे महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-एवं, खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी पाईणजागवए सव्वाणुभूई नाम अंणगारे पगइभद्दए जाव विणीए, से णं भंते ! तया गोसालेणं - मंखलिपुत्तेणं तवेणं तेएणं- भासरासीकए समाणे कहिं गए कहिं उववन्ने ? एवं खलु गोयमा! ममं अतेवासी पाईणजाणवए सव्वाणुभूई नामं अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए,से णं तया गोसालेणं मंखलिपुत्तगं तवेणं तेएणं भासारसीकए समाणे उडे चंदिमसूरिय जाव वंभलंतगमहामुक्के कप्पे वीईवइत्ता सहस्सारे कप्पे देवत्ताए उववन्ने, तत्य णं अत्थेगइयाणं देवाणं अट्ठारस सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता, तत्थ णं सव्वाणुभूइस्सवि देवस्स अट्ठारस सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता, से णं सव्वाणुभूई देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं करेहिइ। एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कोसलजाणवए सुनक्खत्ते नामं अणगारे पगइभइए- जाव विणीए, से गं भंते ! तया गोसालेणं मंखलिपुत्तेण तवेणं तेएणं परिताविए समाणे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववन्ने ? एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी सुनक्खत्ते नामं 'अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए, से णं तया गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं तेएणं 'परिताविए समाणे जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता सयमेव पंच महन्वयाई आरुहेइ सयमेव पंच महव्वयाइं आरुहेत्ता समणा न्य समणीओ य खामेइ २ ता आलोइयपडिनंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा उड़े चंदिमसूरिय जाव आणयपाणयारणकप्पे वीईवइत्ता-अञ्चुए कप्पे देवत्ताए उववन्ने, तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं वावीसं-सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता, नत्थ ण सुनक्खत्तस्सवि देवस्स वावीसं सागरोवमाइं सेसं जहा सव्वाणुभूइस्स जाव अंतं “काहिइ ॥ ५५७ ॥ एवं खलु देवाणुप्पियाणं- अंतेवासी कुसिस्से गोसाले नाम मखलिपुत्ते से णं भंते ! गोसाले मंखलिपुत्ते कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववन्ने ? एवं खलु गोयमा! ममं अतेवासी कुसिस्से गोसाले नामं मंखलिपुत्ते समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालमासे कालं किच्चा उड़े चंदिमसूरिय जाव अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववन्ने, तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं वावीसं सागरोवमाई ठिई प०, तत्थ णं गोसालस्सवि देवस्स वावीस सागरोवमाई ठिई प० । से णं भंते ! गोसाले देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं ३ जाव कहिं उववजिहिइ ? गोयमा! इहेव जंबूदीवे २ भारहे वासे विंझगिरिपायमूले पुंडेसु जणवएसु सयदुवारे नयरे समु(सुम)इस्स रन्नो भद्दाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए पञ्चायाहिइ, से णं तत्थ नवण्हं मासाणं वहुपडिपुन्नाणं जाव वीइक्वंताणं जाव सुरूवे दारए पयाहिइ, रयणिं च णं से Page #786 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई दारए जाइ(पया)हिइ तं रयणिं च णं सयदुवारे नयरे सभितरवाहिरिए भारग्गसो य कुंभग्गसो य पउमवासे य रयणवासे य वासे वासिहिइ, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो एकारसमे दिवसे वीइक्वंते जाव संपत्ते वारसाहदिवसे अयमेयारूवं गोणं गुणनिप्फन्नं नामधेनं काहिति-जम्हा णं अम्हं इमंसि दारगंसि जायंसि समाणंसि सयदुवारे नयरे सम्भितरवाहिरिए जाव रयणवासे य वासे बुट्टे,तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधेनं महापउमे महापउमे, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेनं करेहिति महापउमेत्ति, तए णं तं महापउमं दारगं अम्मापियरो साइरेगढ़वासजायगं जाणित्ता सोहणंसि तिहिकरणदिवसनक्खत्तमुहुत्तसि महया २ रायाभिसेगेणं अभिसिंचेहिंति, से णं तत्थ राया भविस्सइ महया हिमवंतमहंत० वन्नओ जाव विहरिस्सइ, तए णं तस्स महापउमस्स रन्नो अन्नया कयाइ दो देवा महिड्डिया जाव महेसक्खा सेणाकम्मं काहिति, तं०-पुन्नभद्दे य माणिभद्दे य, तए णं सयदुवारे नयरे वहवे राईसरतलवर जाव सत्थवाहप्पभिईओ अन्नमन्नं सद्दावेहिति अ० २ 'त्ता एवं वदेहिति-जम्हा णं देवाणुप्पियां! अम्हं महापउमस्स रन्नो दो देवा महिड्डिया जाव सेणाकम्मं करेंति तं०-पुन्नभद्दे य माणिभद्दे ये, तं होउ' णं देवाणुप्पिया! अम्हं महापउमस्स रन्नो दोचेवि नामधेजे देवसेणे २, तए णं तस्स महापउमस्स रन्नो दोच्चेवि नामधेजे भविस्सइ देवसेणेति, तए णं तस्स देवसेणस्स रन्नो अन्नया कयाइ सेए संखतलविमलसन्निगासे चउड़ते हत्थिरयणे समुप्पजिस्सइ, तए णं से देवसेणे राया तं सेयं संखतलविमलसन्निगासं चउद्देतं हत्थिरयणं दुरूढे समाणे सयदुवारं नयरं मझमज्झेणं अभिक्खणं २ अ(भि)इजाहिइ य निजाहिइ य, तए णं सयदुवारे नयरे बहवे राईसर जाव पभिईओ अन्नमन्नं सदावेहिति अ० २ ता वदेहिंति-जम्हा ण देवाणुप्पिया! अम्हं देवसेणस्स रन्नो सेए संखतलसन्निगासे चउड़ते हत्थिरयणे समुप्पन्ने, तं होउ णं देवाणुप्पिया! अम्हं देवसेणस्स रन्नो तच्चवि नामधेजे विमलवाहणे २, तए णं तस्स देवसेणस्स रन्नो तच्चेवि नामधेजे भविस्सई विमलवाहणेत्ति । तए णं से विमलवाहणे राया अन्नया कयाइ समणेहिं निग्गंथेहिं मिच्छे विप्पडिवजिहिइ, अ(स्थे)प्पेगइए आउसेहिइ, अप्पेगइए अ(उ)वहसि हिइ, अप्पेगइए निच्छोडेहिइ, अप्पेगइए निब्भच्छेहिइ,अप्पेगइए बंधेहिइ,अप्पेगइए णिरुंभेहिइ,अप्पेगइयाणं छविच्छेदं करेहिंइ, अप्पेगइएपमारेहिइ,अप्पेगइयाणं उद्दवेहिइ, अप्पेगइयाण वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं आच्छिदिहिइ विच्छेिदिहिइ भिंदिहिइ अवहरिहिइ, 'अप्पेगइयाणं भत्तपाणं वोच्छिदिहिइ, अप्पेगइ(याणं)ए णिन्नगरे करेहिंइ, अप्पेगइए यणे समुप्पारस रनो अभयानो दोचेवि नाम रनो Page #787 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १५] सुत्तागमे निविसए करेहि(न्ति)इ, तए णं सयदुवारे नयरे वहवे राईसर जाव वदिहिति-एवं खलु देवाणुप्पिया! विमलवाहणे राया समणेहिं निग्गंथेहि मिच्छं विप्पडिवन्ने,अप्पेगइए आउसइ जाव निविसए करेइ, तं नो खलु देवाणुप्पिया ! एवं अम्हं सेयं, नो खलु एवं विमलवाहणस्स रन्नो सेयं, नो खलु एयं रजस्स वा रहस्स वा वलस्स वा वाहणस्स वा पुरस्स वा अंतेउरस्स वा जणवयस्स वा सेयं जण्णं विमलवाहणे -राया समणेहिं निग्गंथेहि मिच्छं विप्पडिवन्ने, तं .सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं विमलवाहणं रायं एयमढे विनवित्तएत्तिकट्ट अन्नमन्नस्स अंतियं एयमढे पडिसुणेति अ० २ ता जेणेव विमलवाहणे राया तेणेव उवागच्छंति २ त्ता करयलपरिग्गहियं विमलवाहणं रायं जंएणं विजएणं वद्धावेंति ज० २ ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुपिया! समणेहिं निरगंथेहि मिच्छं विप्पडिवन्ना, अप्पेगइए आउस्संति जाव अप्पेगइए निव्विसए करेंति, तं नो खलु एयं देवाणुप्पियाण सेयं, नो खलु एवं अम्हं सेयं, नो खलु एयं रजस्स वा जाव जणवयस्स वा सेयं जं णं देवाणुप्पिया ! समणेहिं निग्गंथेहि मिच्छं विप्पडिवन्ना, तं विरमंतु णं देवाणुप्पिया। एयस्स अट्ठस्स अकरणयाए, तए णं से विमलवाहणे राया तेहिं वहहिं राईसर जाव सत्यवाहप्प-- भिईहिं एयमढे विनत्ते समाणे नो धम्मोत्ति नो तवोत्ति मिच्छाविणएणं एयमहें पडिसुणेहिइ, तस्स’ णं सयदुवारस्स नयरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्य णं सुभूमिभागे नाम उज्जाणे भविस्सइ सव्वोउय० वन्नओ । तेणं कालेणं तेणं समएणं विमलंस्स अरहओ परप्पए सुमंगले नाम अणगारे जाइसंपन्ने जहा धम्म घोसस्स वन्नओ जाव संखित्तविउलतेयलेस्से तिन्नाणोवगए सुभूमिभागस्स उजाणस्स अदूरसामंते छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं जाव आयावेमाणे विहरिस्सइ । तए णं से विमलवाहणे राया अन्नया कयाइ रहचरियं काउं निजाहिइ, तए णं से विमलवाहणे राया सुभूमिभागस्स उजाणस्स अदूरसामंते रहचरियं करेमाणे सुमंगल अणगारं छटुंछट्टेगं जाव आयावेमाणं पासि हिइ २ त्ता आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे सुमंगलं 'अणगारं रहसिरेणं णोलावेहिइ, तए णं से सुमंगले अणगारे विमलवाहणेणं रन्ना रहसिरेणं णोल्लाविए समाणे सणियं २ उठेहिंइ २ ता दोच्चपि उर्दू वाहाओ पगिज्झिय २ जाव आयावेमाणे विहरिस्सइ, तए ण से विमलवाहणे राया सुमंगलं अणगारं दोचंपि रहसिरेणं णोल्लावेहिइ, तए णं से सुमंगले अणगारे विमलवाहणेण रना दोच्चपि रहसिरेणं णोलाविए समाणे सणियं २ उठेहिइ २ त्ता ओहिं पउंजेहिइ २ ता विमलवाहणस्स रण्णो तीतद्धं ओहिणा आभोएहिइ २. त्ता विमलवाहणं रायं एवं वदिहिंइ-नो खलु तुमं विमलवाहणे राया, नो खलु तुमं देवसेणे राया, नो खलु Page #788 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई तुमं महापउमे राया, 'तुमण्णं इओ तच्चे भवग्गहणे गोसाले नामं मंखलिपुत्ते होत्था, समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए, तं जइ ते तया सव्वाणुभूइगा अणगारेणं पभुणावि होऊणं सम्मं सहियं खमियं तितिक्खियं अहियासियं, जइ ते तया सुनक्ख. त्तेगं अगगारेणं पभुणावि होऊणं जाव अहियासियं, जइ ते तया समणेणं भगवया महावीरेणं पभुणावि जाव अहियासियं, तं नो खलु अहं ते तहा सम्म सहिस्सं जाव अहियासिस्सं, अहं ते नवरं सहयं सरहं ससारहियं तवेणं तेएणं एगाहचं कूडाहचं भासरासिं करेजामि, तए णं से विमलवाहणे राया सुमंगलेण अणगारेणं एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे सुमंगलं अंगगारं तच्चपि रहसिरेणं णोल्लावेहिइ, तए णं से सुमंगले अणगारे विमलवाहणेणं रण्णा तच्चपि रहसिरेणं णोल्लाविए समाणे आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे आयावणभूमीओ पच्चोरुहइ आ० २ ता तेयासमु. रघाएणं समोहणिहिइ तेया० २ त्ता सत्तट्ठपयाई पच्चोसक्निहिइ सत्तट्ट० २ ता विमलवाहण रायं सहयं सरहं ससारहियं तवेणं तेएणं जाव भासरासिं करेहिइ । सुमंगले णं भंते ! अणगारे विमलवाहणं रायं सहयं जाव भासरासिं करेत्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववजिहिइ ? गोयमा ! सुमंगले णं अणगारे विमलवाहणं रायं सहयं जाव भासरासे करेत्ता बहूहिं चउत्थछदृहमदसमदुवालस जाव विचित्तेहि तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणे बहूई वासाइं सामनपरियागं पाउणिहिइ बहू० २त्ता मासियाए संलेहणाए सहि भत्ताई अणसणाए जाव छेदेत्ता आलोइयपडिकंते समाहिपत्ते उड़े चंदिमसूरिय जाव गेविजविमाणावाससयं वीईवइत्ता सव्वट्ठसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववजिहिइ, तत्थ णं देवाणं अजहन्नमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोक्माइं ठिई प०, तत्थ णं सुमंगलस्सवि देवस्स अजहन्नमणुकोसेणं तेत्तीसं सागरोवंमाइं ठिई प० । से णं भंते ! सुमंगले देवे ताओ देवलोगाओ.जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं करेहिइ ॥५५८॥ विमलवाहणे णं भंते ! राया सुमंगलेणं अणगारेणं सहए जाव भासरासीकए समाणे कहिं गच्छिहिइ कहिं उववन्जिहिइ ? गोयमा ! विमलवाहणे 'णं राया सुमंगलेणं अणगारेणं सहए जाव भासरासीकए समाणे,अहे सत्तमाए पुढवीए उकोसकालट्ठिइयंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उववजिहिइ, से णं तओ अणंतरं उव्वहित्ता मच्छेसु उववजिहिइ, तत्थवि णं सत्थवज्झे दाहवनंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चपि अहे सत्तमाए पुढवीए उक्कोसकालठ्ठिइयंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उववजिहिइ, से णं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता दोचंपि मच्छेतु उववजिहिइ, तत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा छट्ठीए तमाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि, नरयसि नेरइयत्ताए उववजिहिइ, से णं तओहिंतो जाव उव्वहित्ता इत्थियासु उववजिहिइ, तत्थवि णं Page #789 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्थवज्झे दाह जाव दोच्चपि छट्ठीए तमाए पुढवीए उक्कोसकाल जाव उव्वट्टित्ता दोच्चपि इत्थियासु उववजिहिइ, तत्यवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए उक्नोसकालहिइयंसि जाव उव्वहित्ता उरएसु उववजिहिइ, तत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा दोच्चंपि पंचमाए जाव उव्वट्टित्ता दोच्चपि उरएसु उववजिहिइ जाव किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए उक्नोसकालठ्ठिइयंसि जाव उव्वहित्ता सीहेसु उववजिहिइ, तत्थवि णं सत्थवज्झे तहेव जाव कालं किच्चा दोच्चपि चउत्थीए पंकप्पमाए जाव उव्वट्टित्ता दोचपि सीहेसु उववजिहिंइ जाव किच्चा तच्चाए वालुयप्पभाए पुढवीए उक्कोसकाल जाव उव्वट्टित्ता पक्खीसु उववज्जिहिइ, तत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा दोचपि तच्चाए वालय० जाव उव्वट्टित्ता दोच्चपि पक्खीसु उववजिहिइ जाव किच्चा दोच्चाए सक्करप्पभाए जाव उव्वट्टित्ता सिरीसवेसु उववजिहिइ, तत्थवि णं सत्यवज्झे जाव किच्चा दोचपि दोचाए सक्करप्पभाए जाव उव्वहिता दोच्चंपि सिरीसवेसु उववन्जिहिइ जाव किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्नोसकालट्ठिइयंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उववन्जिहिइ जाव उव्वट्टित्ता सण्णीसु उववजिहिइ, तत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा असन्नीसु उववजिहिइ, तत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा दोचंपि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पलिओवमस्स असंखेजइभागट्टिइयंसि णरयंसि नेरइयत्ताए उववजिहिंइ, से णं तओ जाव उव्वट्टित्ता जाइं इमाइं खहचरविहाणाई भवंति, तं०चम्मपक्खीणं,लोमपक्खीणं, समुग्गपक्खीणं, विययपक्खीणं, तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता २ तत्थेव २ भुजो २ पञ्चायाहिइ, सव्वत्थविणं सत्थवज्झे दाहवनंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाई भुयपरिसप्पविहाणाई भवंति, तंजहा-गोहाणं नउलाणं जहा पन्नवणापए जाव जाहगाणं, तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो सेसं जहा 'खहचराणं जाव किच्चा जाइं इमाइं उरपरिसप्पविहाणाई भवंति, तं०-अहीणं अयगराणं आसालियाणं महोरगाणं, तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो जाव किच्चा जाइं इमाइं चउप्पयविहागाई भवंति, तं०-एगखुराणं दुखुराणं गंडीपयाणं सणहपयाणं, तेसु अणेगसयसहस्स जाव किच्चा जाइं इमाइं जलचरविहाणाइं भवंति, तं०-मच्छाणं कच्छभाणं जाव सुसुमाराणं, तेसु अणेगसयसहस्स जाव किच्चा जाइं इमाइं चउरिंदियविहाणाई भवंति, तं०-अंधियाणं पोत्तियाणं जहा पन्नवणापए जाव गोमयकीडाणं, तेसु अणेगसयसहस्स जाव किच्चा जाइं इमाइं तेइंदियविहाणाइं भवंति, तं०-उ(ओ)वचियाणं जाव हत्यिसोंडाणं, तेसु अणेग जाव किच्चा जाइं इमाइं वेइंदियविहाणाइं भवंति, तं०-पुलाकिमियाणं जाव समुद्दलिक्खाणं, तेसु अणेगसय जाव किच्चा जाइं इमाइं वणस्सइविहाणाइंभवंति,तं.-रुक्खाणं गुच्छाणं जाव कुह(हु)णाणं, ४७ सुत्ता. Page #790 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३८ सुत्तागमे [ भगवई तेसु, अणेगसय जाव पच्चायाइस्सइ, उस्सन्नं च णं कडुयस्क्खेसु कडुयवह्रीसु सव्वत्थवि णं सत्यवज्झे जाव किच्चा जाई इमाई वाउक्का इयविहाणाई भवति, तंजहापाईणवायाणं जाव सुद्धवायाणं, तेसु अणेगसयसहस्स जाव किच्चा जाई इमाई तेउकाइयविहाणाईं भवंति, तं ० - इंगालाणं जाव सृरियकंतमणिनिस्सियाणं, तेसु अणेगसयसहस्स जाव किच्चा जाईं इमाई आउक्काइयविहाणारं भवति, तं० - उस्साणं जाव खातोदगाणं, तेसु अणेगसयसहस्स जाव पच्चायाइस्सर, उस्सण्णं च णं खारोदसु खातोदएड, सव्वत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किया जाई इमाई पुढविक्काइयविहाणाईं भवति, तं०- पुढवीणं सक्कराणं जाव सूरकंताणं, तेसु अणेगसय जाव पच्चायाहिइ, उत्सन्नं च णं खरवायरपुढविक्काइएस, सव्वत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा रायगिहे नयरे वाहिं खरियत्ताए उववज्जिहिइ, तत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा दोचंपि रायगिहे नयरे अंतो खरियत्ताए उववजिहिड, तत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा इहेव जंबुद्दीचे दीवे भारहे वासे विंझगिरिपायमूले विभेले सन्निवेसे माहणकुलंसि दारियत्ताए पचायाहि । तए णं तं दारियं अम्मापियरो उम्मुक्कवालभावं जोव्वणगमणुप्पत्तं पडिरुवएणं सुक्केणं पडिरूवएणं विणएणं पsि - रूवियस्स भत्तारस्स भारियत्ताए दलइस्संति, सा णं तस्स भारिया भविस्सर इट्ठा कंता जाव अणुमया भंडकरंडगसमाणा तेल्लकेला इव सुसंगोविया चेलपे (ला) डा इव सुसं परिग्गहिया रयणकरंडओविव सुसारक्खिया सुसंगोविया मा णं सीयं मा णं उन्हं जाव परिस्सहोवसग्गा फुसंतु । तए णं सा दारिया अन्नया कयाइ गुव्विणी ससुर कुलाओ कुलघरं निजमाणी अंतरा दवग्गिजालाभिहया कालमासे कालं किच्चा दाहिणिसु अग्गिकुमारेसु देवेषु देवत्ताए उववज्जिहिर, से णं तओहिंतो अनंतरं उच्चट्टित्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिइ माणुस्सं० २ त्ता केवलं बोहिं बुज्झिहिइ के० २ त्ता केवलं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइहिइ, तत्थविय णं विराहियसामन्ने कालमासे कालं किच्चा दाहिणिल्लेसु असुरकुमारेसु देवेषु देवत्ताए उववजिहिड, से णं तओहितो जाव उव्वट्टित्ता माणुस्सं विग्गहं तं चेव जाव तत्थवि णं विराहियसामने कालमासे कालं किच्चा दाहिणिल्लेसु नागकुमारेसु देवेषु देवत्ताए उववजिहिर, से णं तओहिंतो अगंतरं उव्वट्टित्ता एवं एएणं अभिलावेणं दाहिणिल्लेसु सुवन्नकुमारेसु एवं विज्जुकुमा रेसु एवं अग्गिकुमारवजं जाव दाहिणिल्लेसु थणियकुमारेसु से णं तओ जाव उव्वट्टित्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिइ जाव विराहियसामन्ने जोइसिएस देवेतु उववज्जिहिइ, से णं तओ अनंतरं चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिइ जाव अविराहियसामन्ने कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिर, से णं तओहिंतो अनंतरं Page #791 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिइ, केवलं वोहिं बुज्झिहिइ, तत्थवि णं अविराहियसामन्ने कालमासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे देवत्ताए उववजिहिइ, से णं तओ० चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिइ० तत्थवि णं अविराहियसामन्ने कालमासे कालं किच्चा सणंकुमारे कप्पे देवत्ताए उववजिहिइ, से णं तओहिंतो एवं जहा सणकुमारे तहा वंभलोए महासुक्ने आणए आरणे, से णं तओ जाव अविराहियसामन्ने कालमासे कालं किच्चा सव्वट्ठसिद्ध महाविमाणे देवत्ताए उववजिहिइ, से णं तओहितो अणंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे जाइं इमाई कुलाई भवंति-अड्डाइं जाव अपरिभूयाई, तहप्पगारेसु कुलेसु पुत्तत्ताए पच्चायाहिइ, एवं जहा उववाइए दढ़प्पइन्नवनव्वया सच्चेव वत्तव्वया निरवसेसा भाणियव्वा जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पजिहिइ, तए णं से दढप्पइन्ने केवली अप्पणो तीतद्धं आभोएहिइ अप्प० २ ता समणे निग्गंथे सद्दावेहिइ सम० २ त्ता एवं वदिहिइ-एवं खलु अहं अज्जो ! इओ चिरातीयाए अद्धाए गोसाले नाम मंखलिपुत्ते होत्था समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए, तम्मूलगं च णं अहं अजो । अणादीयं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियट्टिए, तं मा णं अजो ! तुम्भंपि केइ भवउ आयरियपडिणीए उवज्झायपडिणीए आयरियउवज्झायाणं अयसकारए अवनकारए अकित्तिकारए, मा णं सेऽवि एवं चेव अणादीयं अणवदग्गं जाव संसारकंतारं अणुपरियट्टिहिइ जहा णं अहं । तए णं ते समगा निग्गंथा दढप्पइन्नस्स केवलिस्स अंतियं एयमहें सोच्चा निसम्म भीया तत्था तसिया संसारभयउबिग्गा दढप्पइन्नं केवलिं वंदिहिंति नमंसिहिंति वं० २ त्ता तस्स ठाणस्स आलोइएहिति निंदिहिंति जाव पडिवजिहिंति, तए णं से दढप्पइन्ने केवली वहूइं वासाइं केवलपरियागं पाउणिहिइ वहूइं० २ त्ता अप्पणो आउसेसं जाणित्ता भत्तं पञ्चक्खाहिइ, एवं जहा उववाईए जाव सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ५५९ ॥ तेयनिसग्गो समत्तो (अद्धणं) ॥ समत्तं च पन्नरसमं सयं एकसरयं ॥ अहिगरणि जरा कम्मे जावइयं गंगदत्त सुमिणे य । उवओग लोग बलि ओहि दीव उदही दिसा थणिया ॥१॥ चउद्दस० सोलसमे ॥ तेणं कालेणं .तेणं समएणं रायगिहे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी-अत्थि णं भंते ! अहिगरणिंसि वाउयाए वक्कमइ ? हता अस्थि, से भंते ! किं पुढे उद्दाइ,अपुढे उद्दाइ ? गोयमा ! पुढे उद्दाइ नो अपुढे उद्दाइ, से भंते ! किससरीरी निक्खमइ असरीरी निक्खमइ ?,एवं जहा खंदए जाव से तेणटेणं-जाव नो असरीरी निक्खमइ ॥५६०॥ इंगालकारियाए णं भंते ! अगणिकाए केवइयं कालं संचिठ्ठइ ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्नोसेणं तिन्नि राइंदियाई, Page #792 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४० सुत्तागमे [भगवई अन्नवि तत्थ वाउयाए वक्कमइ, न विणा वाउयाएणं अगणिकाए उजलइ ॥ ५६१ ॥ पुरिसे णं भंते ! अयं अयकोढुसि अयोमएणं संडासएणं उव्विहमाणे वा पविहमाणे वा कइकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे अयं अयकोटुंसि अयोमएणं संडासएणं उव्विहिइ वा पव्विहिइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए पंचहिं किरियाहिं पुढे, जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहितो अए निव्वत्तिए अयकोढे निव्वत्तिए संडासए निव्वत्तिए इंगाला निव्वत्तिया इंगालकडिणी निव्वत्तिया भत्था निव्वत्तिया तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा। पुरिसे णं भते ! अयं अयकोट्ठाओ अयोमएणं संडासएणं गहाय अहिगरणिसि उक्खिवमाणे वा निक्खिवमाणे वा कइकिरिए ? गोयमा! जावं च णं से पुरिसे अयं अयकोटाओ जाव 'निक्खिवइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए पंचहि किरियाहिं पुढे, जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहितो अए निव्वत्तिए संडासए निव्वत्तिए चम्मेढे निव्वत्तिए मुट्ठिए निव्वत्तिए अहिगरणी निव्वत्ति(ए)या अहिंगरणिखोडी णिव्वत्तिया उदगदोणी णिव्वत्तिया अहिगरणसाला निव्वत्तिया तेविय णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा ॥५६२॥ जीवे णं भंते ! कि अहिगरणी अहिगरणं ? गोयमा ! जीवे अहिगरणीवि अहिंगरणंपि, से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ जीवे अहिगरणीवि अहिंगरणंपि ? गोयमा ! अविरई पडुच्च, से तेणटेणं जाव अहिंगरणंपि ॥ नेरइए णं भंते ! कि अधिगरणी अधिगरणं ? गोयमा ! अहिगरणीवि अहिगरणंपि, एवं जहेव जीवे तहेव नेरइएवि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिए ॥ जीवे णं भंते ! किं साहिगरणी निरहिगरणी ? गोयमा ! साहिगरणी नो निरहिगरणी, से केणटेणं पुच्छा, गोयमा ! अविरइं पडुच्च, से तेणटेणं जाव नो निरहिगरणी, एवं जाव वेमाणिए ॥ जीवे णं भंते ! कि आयाहिगरणी पराहिगरणी तदुभयाहिगरणी ? गोयमा ! आयाहिगरणीवि पराहिगरणीवि तदुभयाहिगरणीवि, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ जाव तदुभयाहिगरणीवि ? गोयमा ! अविरई पडुच्च, से तेणढेणं जाव तदुभयाहिगरणीवि, एवं जाव वेमाणिए ॥ जीवाणं भंते ! अहिगरणे किं आयप्पओगनिव्वत्तिए परप्पओगनिव्वत्तिए तदुभयप्पओगनिव्वत्तिए ? गोयमा! आयप्पओगनिव्वत्तिएवि परप्पओगनिव्वत्तिएवि तदुभयप्पओगनिव्वत्तिएवि, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ० ? गोयमा ! अविरई पडुच्च, से तेणटेणं जाव तदुभयप्पओगनिव्वत्तिएचि, एवं जाव वेमाणियाणं ॥५६३॥ कइ णं भंते ! सरीरगा पण्णत्ता ? गोयमा । पंच सरीरगा पण्णत्ता, तंजहा-ओरालिए जाव कम्मए । कइ णं भंते ! इंदिया पण्णत्ता? गोयमा ! पंच इंदिया पण्णत्ता, Page #793 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० १६ उ०२] सुत्तागमे ७४१ तंजहा-सोइंदिए जाव फासिदिए, कइविहे णं भंते ! जोए पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे जोए पण्णत्ते, तंजहा-मणजोए वइजोए कायजोए ॥ जीवे णं भंते ! ओरालियसरीरं निव्वत्तेमाणे कि अहिगरणी अहिगरणं ? गोयमा ! अहिगरणीवि अहिगरणंपि, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ अहिगरणीवि अहिगरणंपि ? गोयमा! अविरइं पडुच्च, से तेणटेणं जाव अहिगरणंपि, पुढविकाइए णं भंते ! ओरालियसरीरं निव्वत्तेमाणे किं अहिंगरणी अहिगरणं ? एवं चेव, एवं जाव मणुस्से । एवं वेउव्वियसरीरंपि, नवरं जस्स अत्थि । जीवे णं भंते ! आहारगसरीरं निव्वत्तेमाणे किं अहिगरणी० पुच्छा, गोयमा ! अहिगरणीवि अहिगरणंपि, से केणटेणं जाव अहिगरणंपि? गोयमा ! पमायं पडुच्च, से तेणटेणं जाव अहिंगरणपि, एवं मणुस्सेवि, तेयासरीरं जहा ओरालियं, नवरं सव्वजीवाणं भाणियव्वं, एवं कम्मगसरीरंपि । जीवे णं भंते ! सोईदियं निव्वत्तेमाणे किं अहिगरणी अहिगरणं? एवं जहेव ओरालियसरीरं तहेव सोइंदियंपि भाणियव्वं, नवरं जस्स अत्यि सोइंदियं, एवं चक्खिदियघाणिदियजिभिदियफासिंदियाणवि, नवरं जाणियव्वं जस्स जं अस्थि । जीवे गं भंते ! मणजोगं निव्वत्तेमाणे किं अहिगरणी अहिंगरणं ? एवं जहेव सोइंदियं तहेव निरवसेसं, वइजोगो एवं चेव, नवरं एगिदियवज्जाणं, एवं कायजोगोवि, नवरं सव्वजीवाणं जाव वेमाणिए । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ५६४ ॥ सोलसमस्त सयस्स पढमो उद्देसो समत्तो।। रायगिहे जाव एवं वयासी-जीवाणं भंते! कि जरा सोगे ? गोयमा ! जीवाणं जरावि सोगेवि, से केणढेणं भंते ! एवं बुच्चइ जाव सोगेवि ? गोयमा ! जे णं जीवा सारीरं वेयणं वेदेति तेसि णं जीवाणं जरा, जे णं जीवा माणसं वेयणं वेदेति तेसि णं जीवाणं सोगे, से तेणटेणं जाव सोगेवि, एवं नेरइयाणवि, एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढविकाइयाणं भंते! किं जरा सोगे ? गोयमा ! पुढविकाइयाणं जरा नो सोगे, से केणटेणं जाव नो सोगे ? गोयमा ! पुढविकाइया णं सारीरं वेयणं वेति नो माणसं वेयणं वेदेति, से तेणटेणं जाव नो सोगे, एवं जाव चउरिंदियाणं, सेसाणं जहा जीवाणं जाव वेमाणियाणं, सेवं भंते ! २ त्ति जाव पजुवासइ ॥ ५६५ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्ने देविंदे देवराया वजपाणी पुरंदरे जाव भुंजमाणे विहरइ, इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं २ विउलेणं ओहिणा आभोएमाणे २ पासइ समणं भगवं महावीरं जंबुद्दीवे दीवे एवं जहा ईसाणे तइयसए तहेव सनोवि नवरं आभिओगे ण सद्दावेइ हरी पायत्ताणियाहिवई, सुघोसा घंटा, पालओ विमाणकारी पालगं विमाणं, उत्तरिल्ले निजाणमग्गे, दाहिणपुरच्छिमिल्ले रइकरगपव्वए सेसं तं चेव Page #794 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४२ सुत्तागमे [भगवई जाव नामगं सावेत्ता पजुवासइ, धम्मकहा जाव परिसा पडिगया, तए णं से सक्ने देविंदे देवराया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा 'निसम्म हट्ठतुट्ठ० समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-कइविहे णं भंते ! उग्गहे पन्नत्ते ? सका। पंचविहे उग्गहे पण्णत्ते, तंजहा-देविंदोग्गहे, रायोग्गहे, गाहावइउग्गहे, सागारियउग्गहे, साहम्मियउग्गहे ।। जे इमे भंते ! अजत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति, एएसि णं अहं उग्गहं अणुजाणामीतिकटु समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता तमेव दिव्वं जाणविमाणं दुरूहइ २ त्ता जामेव दिसिं पाउन्भूए तामेव दिसि पडिगए । भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-जं णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया तुन्भे एवं वदइ सच्चे णं एसमठे ? हंता सच्चे ॥ ५६६ ॥ सक्ने णं भंते ! देविदे देवराया किं सम्मावाई मिच्छावाई ? गोयमा ! सम्मावाई नो मिच्छावाई ॥ सके णं भंते ! देविदे देवराया किं सच्चं भासं भासइ, मोसं भासं भासइ, सच्चामोसं भासं भासइ, असच्चामोसं भासं भासइ ? गोयमा । सचंपि भासं भासइ जाव असच्चामोसंपि भासं भासइ ॥ सके णं भंते ! देविंदे देवराया कि सावजं भासं भासइ अणवजं भासं भासइ? गोयमा ! सावजपि भासं भासइ अणवजपि भासं भासइ, से केणटेणं भंते ! एवं चुच्चइ-सावजंपि जाव अणवजपि भासं भासइ ? गोयमा ! जाहे णं सक्ने देविंदे देवराया सुहुमकायं अणिजूहित्ताणे भासं भासइ ताहे णं सक्ने देविंदे देवराया सावज भासं भासइ, जाहे णं सक्ने देविंदे देवराया सुहमकायं निहित्ताणं भासं भासइ ताहे णं सक्ने देविंदे देवराया अणवजं भासं भासइ, से तेणटेणं जाव भासइ, सक्ने णं भंते ! देविदे देवराया कि भवसिद्धिए अभवसिद्धिए सम्मद्दिहिए मिच्छादिहिए एवं जहा मोउद्देसए सणंकुमारे जाव नोअचरिमे ॥५६७॥ जीवाणं भंते ! कि चेयकडा कम्मा कजति अचेयकडा कम्मा कजंति ? गोयमा ! जीवाणं चेयकडा कम्मा कजंति नो अचेयकडा कम्मा कजति, से केणटेणं भंते ! एवं वुचई जाव कति ? गोयमा । जीवाण आहारोवचिया पोग्गलां, बोदिचिया पोग्गला, क(डे)लेवरचिया पोग्गला तहा २ णं ते पोग्गला परिणमंति नत्थि अचेयकडा कम्मा समणाउसो !, दुट्टाणेसु दुसेज्जासु दुन्निसीहियासु तहा २ णं ते पोग्गला परिणमंति नत्थि अचेयकडा कम्मा समणाउसो !, आयंके से वहाए होइ संकप्पे से वहाए होइ मरगंते से वहाए होइ तहा २ णं ते पोग्गला परिणमंति नत्थि अचेयकडा कम्मा समणाउसो!, से तेणढेणं जाव कम्मा कजति, एवं नेरइयाणवि एवं जाव वेमाणियाणं । सेवं भंते । सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ ५६८ ॥ सोलसमस्स सयस्स बीओ उद्दसो संमत्तो ॥ Page #795 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १६ उ० ४] सुत्तागमे ७४३ रायगिहे जाव एवं वयासी-कइ णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, तंजहा-नाणावरणिज जाव अंतराइयं, एवं जाव वेमाणियाणं । जीवे णं भंते! नाणावरणिज्ज कम्मं वेदेमाणे कइ कम्मपगडीओ वेदेइ ? गोयमा! अट्ठ कम्मपगडीओ, एवं जहा पन्नवणाए वेयावेउद्देसओ सो चेव निरवसेसो भाणियव्वो, वेदावंधोवि तहेव, बंधावेदोवि तहेव, वंधाबंधोवि तहेव भाणियव्यो जाव वेमाणियाणंति । सेवं भंते । २ त्ति जाव विहरइ ॥ ५६९ ॥ तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ रायगिहाओ नयराओ गुणसिलाओ उजाणाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ, तेणं कालेणं तेणं समएणं उल्ल्यातीरे नामं नयरे होत्था वन्नओ, तस्स णं उल्लुयातीरस्स नयरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थ.णं एगजंबुए नाम उजाणे होत्था वन्नओ, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ पुव्वाणुपुट्विं चरमाणे जाव एगजंबुए समोसढे जाव परिसा पडिगया, भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीर वंदइ नमंसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-अणगारस्स पं भंते ! भावियप्पणो छटुंछटेणं अणिक्खित्तेणं जाव आयावेमाणस्स तस्स णं पुरच्छिमेणं अवढे दिवसं नो कप्पइ हत्यं वा पायं वा वाहं वा ऊरं वा आउंटावेत्तए वा पसारेत्तए वा, पञ्चच्छिमेणं से अवढे दिवसं कप्पइ हत्थं वा पायं वा जाव ऊरं वा आउंटावेत्तए वा पसारेत्तए वा, तस्स णं अंसियाओ लंवंति, तं च वेजे अदक्खु इ(ई)सिं पाडेइ २ त्ता अंसियाओ छिदेजा, से नूर्ण भंते ! जे छिंदइ तस्स किरिया कजइ, जस्स छिज्जइ नो तस्स किरिया कज्जइ णण्णत्थेगेणं धम्मंतराइएणं ? हंता गोयमा ! जे छिंदइ जाव धम्मंतराइएणं । सेवं, मंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥५७०॥ सोलसमस्स मयस्स तइओ उद्देसो समत्तो॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-जावइयन्नं भंते ! अन्नगिलायए समणे निग्गंथे कम्म निजरेइ एवइयं कम्मं नरएसु नेरइयागं वासेण वा वासेहिं वा वाससए(ण)हिं वा खविंति ? णो इणढे समठे, जावइयण्णं भंते ! चउत्थभत्तिए समणे निग्गंथे कम्म निजरेइ एवइयं कम्मं नरएसु नेरइया वाससएण वा वाससएहि वा वाससहस्से (ण)हिं वा वाससयसहस्से (ण)हिं वा खवयंति 2 णो इणढे समढे, जावइयन्नं भंते ! छहभत्तिए समणे निग्गंथे कम्मं निजरेइ एवइयं कम्मं नरएसु नेरइया वाससहस्सेण वा वाससहस्सेहिं वा वाससयसहस्से(हि)ण वा खवयंति ? णो इणढे समठे, जावड्यन्नं भंते ! अट्ठमभत्तिए समणे निग्गंथे कम्मं निजरेइ एवइयं कम्मं नरएसु नेरइया वाससयसहस्सेण वा वाससयसहस्सेहिं वा वाँसकोडीए वा खवयंति ? नो Page #796 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४४ सुत्तागमे [भगवई इणढे समढे, जावइयन्नं भंते ! दसमभत्तिए समणे निग्गंथे कम्मं निजरेड् एवइयं कम्म नरएसु नेरइया वासकोडीए वा वासकोडीहिं वा वासकोडाकोडीए वा खवयंति ? नो इणढे समढे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जावइयं अन्न(इ)गिलायए समणे निग्गथे कम्मं निजरेइ एवइयं कम्मं नरएसु नेरइया वासेण वा वासेहिं वा वाससएण वा (जाव) वास-(सय) सहस्सेण वा नो खवयंति, जावइयं चउत्थभत्तिए एवं तं चेव पुव्वभणियं उच्चारेयव्वं जाव वासकोडाकोडीए वा नो खवयंति ? गोयमा ! से जहानामए-केइ पुरिसे जुन्ने जराजजरियदेहे सिढिलतयावलितरंगसंपिणद्धगत्ते पविरलपरिसडियदंतसेढी उण्हाभिहए तण्हाभिहए आउरे झुझिए पिवासिए दुबले किलंते एगं महं कोसंवगंडियं सुक्नं जडिलं गठिलं चिक्कण वाइद्धं अपत्तियं मुंडेण परसुणा अक्कमेज्जा, तए णं से पुरिसे महंताई २ सद्दाइं करेइ नो महंताई २. दलाई अवद्दालेइ, एवामेव गोयमा! नेरइयाणं पावाइं कम्माइं गाढीकयाइं चिकणीकयाइं एवं जहा छट्ठसए जाव नो महापजवसाणा भवंति, से जहानामए-केइ पुरिसे अहिंगरणिं आउडेमाणे महया जाव नो महापज्जवसाणा भवंति, से जहानामए-केइ पुरिसे तरुणे वलवं जाव मेहावी निउणसिप्पोवगए एगं महं सामलिगंडियं उल्लं अजडिलं अगंठिलं अचिक्कणं अवाइद्धं सपत्तियं अइतिक्खेण परसुणा अकमेजा, तए णं से पुरिसे नो महंताई २ सदाइं करेइ, महंताई २ दलाइं अवदालेइ, एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहावायराई कम्माइं सिढिलीकयाई णिट्ठियाई कयाइं जाव खिप्पामेव परिविद्धत्थाई भवंति, जावइयं तावइयं जाव महापजवसाणा भवंति, से जहा वा केइ पुरिसे सुक्कतणहत्थगं जायतेयंसि पक्खिवेजा, एवं जहा छट्ठसए तहा अयोकवल्लेवि जाव महापज्जवसाणा भवंति, से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ जावइयं अन्नगिलायए समणे निग्गंथे कम्मं निजरेइ तं चेव जाव वासकोडाकोडीए वा नो खवयंति ॥ सेवं भंते । सेवं भंते ! ति जाव विहरइ ॥ ५७१ ।। सोलसमस्त सयस्स चउत्थो उद्देसो समत्तो॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं उल्ल्यातीरे नामं नयरे होत्था वन्नओ, एगजंबुए उज्जाणे वन्नओ, तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे जाव परिसा पन्जुवासइ, तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्ने देविंदे देवराया वजपाणी एवं जहेव बिइए उद्देसए तहेव दिवेणं जाणविमाणेणं आगओ जाव जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छई.२ त्ता जाव नमंसित्ता एवं वयासी-देवे णं भंते ! महिड्डिए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू आगमित्तए ? नो इणढे समढे, देवे णं भंते ! महिडिए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू आग Page #797 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । ७४५ वि० प० स० १६ उ० ५] सुत्तागमे मित्तए ? हंता पभू, देवे णं भंते ! महिड्डिए एवं एएणं अभिलावेणं गमित्तए २, एवं भासित्तए वा वा(विया)गरित्तए वा ३, उम्मिसावेत्तए वा निम्मिसावेत्तए वा ४, आउंटावेत्तए वा पसारेत्तए वा ५, ठाणं वा सेजं वा निसीहियं वा चेइत्तए वा ६, एवं विउव्वित्तए वा ७, एवं परियारावेत्तए वा ८ जाव हंता पभू, इमाइं अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाइं पुच्छइ इमाइं० २ त्ता संभंतियवंदणएणं वंदइ संभंतिय० २ त्ता तमेव दिव्वं जाणविमाणं दुरूहइ २ त्ता जामेव दिसिं पाउन्भूए तामेव दिसि पडिगए ॥५७२॥ भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं०२ त्ता एवं वयासी-अन्नया णं भंते ! सके देविंदे देवराया देवाणुप्पियं वंदइ नमसइ सकारेइ जाव पजुवासइ, किणं भंते ! अज सक्ने देविंदे देवराया देवाणुप्पियं अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाइं पुच्छइ २ त्ता संभंतियवंदणएणं वंदइ णमंसइ वं० २ त्ता जाव पडिगए ? गोयमादि समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं महासक्ने कप्पे महासामाणे विमाणे दो देवा महिड्डिया जाव महेसक्खा एगविमाणंसि देवत्ताए उववन्ना, तं०-माइमिच्छद्दिट्ठिउववन्नए य अमाइसम्मद्दिटिउववन्नए य, तए णं से माइमिच्छादिट्ठिउववन्नए देवे तं अमाइसम्मदिट्ठिउववन्नगं देवं एवं वयासी-परिणममाणा पोग्गला नो परिणया अपरिणया, परिणमंतीति पोग्गला नो परिणया अपरिणया, तए णं से अमाइसम्मद्दिहिउववन्नए देवे तं माइमिच्छद्दिविउववन्नगं देवं एवं वयासी-परिणममाणा पोग्गला परिणया नो अपरिणया, परिणमंतीति पोग्गला परिणया नो अपरिणया,तं माइमिच्छदिहिउववन्नगं देवं एवं पडिहणइ २ त्ता ओहिं पउंजइ २ त्ता ममं ओहिणा आभोएइ ममं० २ त्ता अयमेयारवे जाव समुप्पजित्था-एवं खलु समणे भगवं महावीरे जंबुद्दीवे २ जेणेव भारहे वासे जेणेव उल्लयातीरे नयरे जेणेव एगजंतुए उजाणे अहापडिरूवं जाव विहरइ, तं सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरं वंदित्ता जाव पज्जुवासित्ता इमं एयारूवं वागरणं पुच्छित्तएत्तिकट्ठ एवं संपेहेइ एवं संपेहित्ता चउहिवि सामाणियसाहस्सीहि परियारो जहा सूरियाभस्स जाव निग्घोसनाइयरवेणं जेणेव जंबुद्दीवे २ जेणेव भारहे वासे जेणेव उल्लुयातीरे नयरे जेणेव एगजंबुए उजाणे जेणेव ममं अंतिए तेणेव पहारेत्य गमणाए, तए णं से सक्के देविदे देवराया तस्स देवस्स तं दिव्वं देविड्डि दिव्वं देवजुइं दिव्वं देवाणुभा(वं)गं दिव्वं तेयलेस्स असहमाणे ममं अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाइं पुच्छइ २ त्ता संभंतिय जाव पडिगए॥५७३॥ जावं च णं समणे भगवं महावीरे भगवओ गोयमस्स एयमलु परिकहेइ तावं च णं से देवे तं देसं हन्वमागए, तए णं से देवे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वंदइ Page #798 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४६ सुत्तागमे [ भगवई नमंसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु भंते ! महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे एगे माइमिच्छादिट्ठिउववन्नए देवे ममं एवं वयासी-परिणममाणा पोग्गला नो परिणया अपरिणया, परिणमंतीति पोग्गला नो परिणया अपरिणया, तए णं अहं तं माइमिच्छद्दिट्ठिउववन्नगं देवं एवं वयासी-परिणममाणा पोग्गला परिणया नो अपरिणया, परिणमंतीति पोग्गला परिणया णो अपरिणया, से कहमेयं भंते । एवं ? गंगदत्तादि समणे भगवं महावीरे गंगदत्तं देवं एवं वयासी-अहंपि णं गंगदत्ता ! एवमाइक्खामि ४-परिणममाणा पोग्गला जाव नो अपरिणया सच्चमेसे अटे, तए णं से गंगदत्ते देवे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं एयमढे सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठ० समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता नचासन्ने जाव पन्जुवासइ, तएणं समणे भगवं महावीरे गंगदत्तस्स देवस्स तीसे य जाव धम्म परिकहेइ जाव आराहए भवइ, तए णं से गंगदत्ते देवे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा 'निसम्म हद्वतुढे उठाए उठेइ उ० २ त्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-अहण्णं भंते ! गंगदत्ते देवे कि भवसिद्धिए अभवसिद्धिए ? एवं जहा सूरियाभो जाव बत्तीसइविहं नट्टविहं उवदंसेइ २ त्ता जाव तामेव दिसिं पडिगए ॥ ५७४ ॥ भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं जाव एवं वयासी-गंगदत्तस्स णं भंते! देवस्स सा दिव्वा देविड्डी दिव्वा देवजुई जाव अणुप्पविट्ठा ? गोयमा! सरीरं गया सरीरं अणुप्पविठ्ठा कूडागारसालादिटुंतो जाव सरीरं अणुप्पविठ्ठा । अहो णं भंते ! गंगदत्ते देवे महिड्डिए जाव महेसक्खे, गंगदत्तेणं भंते ! देवेणं सा दिव्वा देविड्डी दिव्वा देवजुई किण्णा लद्धा जाव जं णं गंगदत्तेणं देवेणं सा दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमन्नागया ? गोयमादि समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-एवं खलु गोयमा । तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे हत्थिणापुरे नामं नयरे होत्था वन्नओ, सहसंववणे उजाणे वन्नओ, तत्थ णं हत्थिणापुरे नयरे गंगदत्ते नामं गाहावई परिवसइ अड्डे जाव अपरिभूए, तेणं कालेणं तेणं समएणं मुणिसुव्वए अरहा आइगरे जाव सव्वन्नू सव्वदरिसी आगासगएणं चक्केणं जाव पकड्डिजमाणेणं २ सीसगणसंपरिखुडे पुव्वाणुपुव्वि चरमाणे गामाणुगामं जाव जेणेव सहसंववणे उजाणे जाव विहरइ, परिसा निग्गया जाव पजुवासइ, तए णं से गंगदत्ते गाहावई इमीसे कहाए लढे समाणे हद्वतु जाव सरीरे साओ गिहाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता पायविहारचारेणं हत्थिणारं नयरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ २त्ता जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे जेणेव मुणिसुव्वए अरहा तेणेव उवागच्छइ २ त्तामुणिसुव्वयं अरहं तिक्खुत्तो Page #799 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १६ उ०६] सुत्तागमे ७४७ आयाहिणं पयाहिणं जाव तिविहाए पजुवासणाए पज्जुवासइ, तए णं मुणिसुव्वए अरहा गंगदत्तस्स गाहावइस्स तीसे य महइ जाव परिसा पडिगया, तए णं से गंगदत्ते गाहावई मुणिसुव्वयस्स अरहओ अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हट्टतुट्ठ० उहाए उठेइ २ त्ता मुणिसुव्वयं अरहं चंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-सदहामि णं भंते ! निग्गथं पावयणं जाव से जहेयं तुम्भे वदह, जं नवरं देवाणुप्पिया ! जेट्टपुत्त कुटुंबे ठावेमि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतियं मुंडे जाव पव्वयामि, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिवंधं, तए णं से गंगदत्ते गाहावई मुणिसुव्वएणं अरहयां एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्ठ० मुणिसुव्वयं अरहं वंदइ नमंसइ वं० २ त्ता मुणिसुव्वयस्स अरहओ अंतियाओ सहसंववणाओ उजाणाओ पडिनिक्खमइ २ ता जेणेव हत्थिणापुरे नयरे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छड २ त्ता विउलं असणं पाणं जाव उवक्खडावेइ २ त्ता मित्तणाइणियग जाव आमंतेइ आमंतेत्ता तओ पच्छा पहाए जहा पूरणे जाव नेट्टपुत्तं कुडुंवे ठावेइ, तं मित्तणाइ जाव जेट्टपुत्तं च आपुच्छइ २ त्ता पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं दुलहइ पुरिससह० २ त्ता मित्तणाइनियग जाव परिजणेणं जेट्टपुत्तेण य समणुगम्ममाणमग्गे सव्विड्डीए जाव णाइयरवेणं हत्थिणापुरं नयरं मज़मज्झेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव सहसंववणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता छत्ताइए तित्थगराइसए पासइ एवं जहा उदायणे जाव सयमेव आभरणं उमुयइ स० २ त्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ स० २ ता जेणेव मुणिसुव्वए अरहा एवं जहेव उदायणे तहेव पव्वइए, तहेव एकारस अंगाइं अहिजइ जाव मासियाए संलेहणाए सढि भत्ताइं अणसणाए (जाव) छेदेइ सद्धिं भत्ताइं० २ त्ता आलोइयपडिक्तते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे उववायसभाए देवसयणिजंसि जाव गंगदत्तदेवत्ताए उववन्ने, तए णं से गंगदत्ते देवे अहुणोववन्नमेत्तए समाणे पंचविहाए पज्जत्तीए पजत्तिभावं गच्छइ, तंजहा-आहारपजत्तीए जाव भासामणपज्जत्तीए, एवं खलु गोयमा! गंगदत्तेणं देवेणं सा दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमन्नागया । गंगदत्तस्स णं भंते ! देवस्स केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ? गोयमा ! सत्तर ससागरोवमाइं ठिई प०, गंगदत्ते णं भंते । देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अतं काहिइ ॥ सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ५७५ ॥ सोलसमस्ल सयस्स पञ्चमो उद्देसो समन्तो । ___ कइविहे णं भंते ! सुविणदंसणे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे सुविणदसणे पण्णत्ते, तंजहा-अहातच्चे पयाणे चिंतासुविणे तविवरीए अव्वत्तदंसणे ॥ सुत्ते णं भंते ! सुविणं पासइ, जागरे सुविणं पासइ, सुत्तजागरे सुविणं पासइ ? गोयमा । नो सुत्ते सुविणं पासइ, Page #800 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४८ सुत्सागमे [भगवई नो जागरे सुविणं पासइ, सुत्तजागरे सुविणं पासइ ।। जीवाणं भंते ! कि मुत्ता जागरा सुत्तजागरा ? गोयमा ! जीवा सुत्तावि जागरावि मुनजागरावि, नेरदया ग भने! किं सुत्ता० पुच्छा, गोयमा। नेरइया नुत्ता नो जागरा नो सुनजागरा, एवं जाव बड़रिंदिया, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! किं नुत्ता० पुच्छा, गोयमा ! युत्ता नो जागरा सुत्तजागरावि, मणुस्सा जहा जीवा, वाणमंतरजोइसिययमाणिया जहा नेरच्या ॥५७६ ॥ संवुडे णं, भंते । सुविणं पासड, असंयुडे सुविणं पासइ, संखुवासंबुटे नविणं पासइ ? गोयमा ! संवुडेवि सुविणं पासइ, असंबुडेवि सुविणं पासइ,संवुटासंबुडेवि नविगं पासइ, संवुडे सुविणं पासइ अहातचं पासइ, असंवुडे सुविणं पासड तहा वा तं होजा अन्नहा वा तं होजा, संवुडासंवुडे मुविणं पासइ एवं चेव ॥ जीवा णं भंते ! कि संवुडा असंवुडा संवुडासंवुडा? गोयमा! जीवा संबुडावि असंबुगवि संबुडासंयु. डावि, एवं जहेव सुत्ताणं दंडओ तहेव भाणियचो । कइ णं भंते ! नविणा पण्णता? गोयमा । बायालीसं सुविणा पन्नत्ता, कइ णं भंते ! महानुविणा पण्यत्ता? गोयमा ! तीसं महासुविणा पण्णत्ता, कइ णं भंते ! सव्वनुविणा पण्णत्ता ? गोयमा ! बावत्तरि सव्वसुविणा पण्णत्ता । तित्थगरमायरो णं भंते ! तित्यगरंसि गम्भं वफममाणंसि कइ महासुविणे पासित्ताणं पडिवुझंति ? गोयमा! तित्यगरमायरो णं तित्यगरंसि गभं वक्कममाणसि एएसिं तीसाए महासुविणाणं इमे चोदस महासुविणे पासित्ताणं पडिवुझंति, तं०-गयउसभसीहअभिसेय जाव सिहि च । चकवट्टिमायरो णं भंते ! चक्कवट्टिसि गम्भं वक्कममाणसि कइ महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुझंति ? गोयमा! चकवट्टिमायरो चक्कवटिसि जाव वकममाणंसि एएसिं तीसाए महासुविणाणं एवं जहा तित्थगरमायरो जाव सिहि च । वासुदेवमायरो णं पुच्छा, गोयमा ! वासुदेवमायरो जाव वक्कममाणसि एएसिं चोद्दसण्हं महासुविणाणं अन्नयरे सत्त महामविणे पासित्ताणं पडिबुझंति । वलदेवमायरो णं पुच्छा, गोयमा! वलदेवमायरो जाव एएसिं चोद्दसण्हं महासुविणाणं अन्नयरे चत्तारि महासुविण पासित्ताणं पडिवुझंति । मंडलियमायरो णं भंते! पुच्छा, गोयमा! मंडलियमायरो जाव एएसिं चोदसण्हं महासुविणागं अन्नयरं एग महासुविणं जाव पडिबुज्झंति ॥५७७ ॥ समणे भगवं महावीरे छउमत्थकालियाए अंतिमराइयंसि इमे दस महासुविणे पासित्ताणं पडिबुद्धे, तं०-एगं च णं महं घोररूवदित्तधरं तालपिसायं सुविणे पराजियं पासित्ताणं पडिबुद्ध १, एगं च णं महं सुकिल्लपक्खगं पुंसकोइलं सुविणे पासित्ताणं पडिबुद्धे २, एगं च णं महं चित्तविचित्तपक्खगं पुंसकोइलगं सुविणे पासित्ताणं पडिबुद्धे ३, एगं च णं महं दामदुगं सव्वरयणामयं सुविणे पासित्ताणं Page #801 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १६ उ०६] सुत्तागमे ७४९ पडिबुद्धे ४, एगं च णं महं सेयं गोवग्गं सुविणे पासित्ताणं पडिवुद्ध ५, एगं च णं महं पउमसरं सव्वओ समंता कुसुमियं सुविणे पासित्ताणं पडिवुद्धे ६, एगं च णं महं सागरं उम्मीवीईसहस्सकलियं भुयाहिं तिनं सुविणे पासित्ताणं पडिवुद्ध ७, एगं च णं महं दिणयरं तेयसा जलंतं सुविणे पासित्ताणं पडिबुद्धे ८, एगं च णं महं हरिवेरुलियवन्नाभेणं नियगेणं अतेणं माणुसुत्तरं पव्वयं सव्वओ समंता आवेढियं परिवेढियं सुविणे पासित्ताणं पडिवुद्धे ९, एगं च णं महं मंदरे पव्वए मंदरचूलियाए उवरिं सीहासणवरगयं अप्पाणं सुविणे पासित्ताणं पडिवुद्धे १० । जण्ण समणे भगवं महावीरे एगं महं घोररूवदित्तधरं तालपिसायं सुविणे पराजियं पासित्ताणं पडिवुद्धे, तण्णं समणेणं भगवया महावीरेणं मोहणिजे कम्मे मूलाओ उग्घाइए १, जन्नं समणे भगवं महावीरे एगं महं सुकिल जाव पडिवुद्धे, तण्णं समणे भगवं महावीरे सुक्कज्झाणोवगए विहरइ २, जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं चित्तविचित्त जाव पडिबुद्धे, तण्णं समणे भगवं महावीरे विचित्तं ससमयपरसमइयं दुवालसंगं गणिपिडगं आघवेइ पनवेइ परुवेइ सेइ निदंसेइ उवदंसेइ, तंजहा-आयारं सूयगडं जाव दिहिवायं ३, जणं समणे भगवं महावीरे एगं महं दामदुगं सव्वरयणामयं सुविणे पासित्ताणं पडिबुद्धे, तण्णं समणे भगवं महावीरे दुविहं धम्मं पन्नवेइ, तं०-आगारधम्म वा अणागारधम्म वा ४, जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं सेयगोवरगं जाव पडिबुद्धे, तण्णं समणस्स भगवओ महावीरस्स चाउव्वण्णाइन्ने समणसंघे प०, तं०-समणा समणीओ सावया सावियाओ ५, जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं पउमसरं जाव पडिवुद्धे, तण्णं समणे भगवं महावीरे चउविहे देवे पन्नवेइ, तं०-भवणवासी वाणमंतरे जोइसिए वेमाणिए ६, जन्नं समणे भगवं महावीरे एगं महं सागरं जाव. पडिवुद्धे, तन्नं समणेणं भगवया महावीरेणं अणादीए अणवदग्गे जाव संसारकंतारे तिन्ने ७, जन्नं समणे भगवं महावीरे एग महं दिणयरं जाव पडिबुद्धे, तन्नं समणस भगवओ महावीरस्स अणंते अणुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुन्ने केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने ८, जण्णं समणे जाव वीरे एगं महं हरिवेरुलिय जाव पडिबुद्धे,तण्णं समणस्स भगवओमहावीरस्स ओराला कित्तिवन्नसद्दसिलोया सदेवमणुयासुरे लोगे परिभ(व)मंति-इति खलु समणे भगवं महावीरे इति खलु समणे भगवं महावीरे ९,जन्नं समणे भगवं महावीरे मंदरे पव्वए मंदरचूलियाए जाव पडिवुद्धे, तण्णं समणे भगवं महावीरे सदेवमणुयासुराए परिसाए मज्झगए केवलीपन्नत्तं धम्म आघवेइ जाव उवदंसेइ ॥५७८॥ इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एग महं हयपतिं वा गयपंति वा जवि उसभपतिं वा पासमाणे पासइ, दुरूहमाणे दुरूहइ, दुरूढमिति अप्पाणं मन्नइ, Page #802 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५० सुत्तागमे [भगवई तक्खणामेव बुज्झइ, तेणेव भवग्गहणेणं सिज्मइ जाव अंतं करेइ । इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं दामिणि पाईणपडीणाययं दुहओ समुद्दे पुढे पासमाणे पासइ,संवद्रमाणे संवेल्लेइ, संवेल्लियमिति अप्पाणं मन्नइ, तक्खणामेव बुज्यइ, तेणेव भवरगहणेणं जाव अंतं करेइ । इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं रज्जु पाईणपढीणाययं दुहओ लोगते पुढे पासमाणे पासइ, छिंदमाणे छिंदइ, छिन्नमिति अप्पाणं मन्नइ, तक्तणागेव जाव अंतं करेइ । इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं किण्हमुत्तगं वा जाव नुक्किन्दमुत्तगं वा पासमाणे पासइ, उग्गोवेमाणे उग्गोवेइ, उग्गोवियमिति अप्पाणं मन्नड, तक्षणामेव जाव अंतं करेइ । इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं अयरासिं वा नंबरासिं वा तउयरासिं वा सीसगरासिं वा पासमाणे पासइ, दुरूहमाणे दुरुहइ, दुरूडमिति अप्पाणं मन्नइ, तक्खणामेव वुज्झइ, दोचेणं भवग्गहणेणं सिज्झइ जाव अंतं करेइ । इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं हिरन्नरासिं वा सुवन्नरासिं वा रयणरासिं वा वइररासिं वा पासमाणे पासइ, दुरूहमाणे दुरूहइ, दुरूडमिति अप्पागं मन्नइ, तक्खणामेव बुज्झइ, तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झइ जाव अंतं करेइ । इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं तणरासि वा जहा तेयनिसग्गे जाव अवकररासिं वा पासमाणे पासइ, विक्खिरमाणे विक्खिरइ, विकिण्णमिति अप्पाणं मन्नइ, तक्त्रणामेव वुज्झइ, तेणेव जाव अंतं करेइ । इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं सरथंभं वा वीरिणथंभं वा वंसीमूलथंभं वा वल्लीमूलथंभं वा पासमाणे पासइ, उम्मूलेमाणे उम्मूलेइ, उम्मूलियामिति अप्पाणं मन्नइ, तक्खणामेव वुज्झइ, तेणेव जाव अंतं करेइ । इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं खीरकुंभं वा दहिकुंभं वा घयकुंभं वा महुकुंभं वा पासमाणे पासइ, उप्पाडेमाणे उप्पाडेइ, उप्पाडियमिति अप्पाणं मन्नइ, तक्खणामेव बुज्झइ, तेणेव जाव अतं करेइ । इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं सुरावियडकुंभं वा सोवीरवियडकुंभं वा तेल्लकुंभं वा वसाकुंभं वा पासमाणे पासइ, भिदमाणे भिदइ, भिन्नमिति अप्पाणं मन्नइ, तक्खणामेव वुज्झइ, दोचणं भवग्गहणेणं जाव अंतं करेइ । इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं पउमसरं कुसुमियं पासमाणे पासइ, ओगाहेमाणे ओगाहेइ, ओगाडमिति अप्पाणं मन्नइ, तक्खणामेव बुज्झइ, तेणेव जाव अंतं करेइ । इत्थी वा जाव सुविणंते एगं महं सागरं उम्मीवीई जाव कलियं पासमाणे पासइ, तरमाणे तरइ, तिन्नमिति अप्पाणं मन्नइ, तक्खणामेव वुज्झइ, तेणेव जाव अतं करेइ । इत्थी वा जाव सुविणंते एगं महं भवणं सव्वरयणामयं पासमाणे पासइ, [दुरूहमाणे दुरूहइ, दुरूढमिति अप्पाणं मण्णइ, ] अणुप्पविसमाणे अणुप्पविसइ, अणुप्पविट्ठमिति अप्पाणं मन्नइ, तक्खणामेव वुज्झइ, तेणेव जाव अंतं करेइ । इत्थी वा पुरिसे वा Page #803 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५१ वि० ५० स० १६ उ० ८] सुत्तागमे सुविणंते एगं महं विमाणं सव्वरयणामयं पासमाणे पासइ, दुरूहमाणे दुरूहइ, दुरूढमिति अप्पाणं मन्नइ, तक्खणामेव वुज्झइ, तेणेव जाव अंतं करेइ ॥ ५७९ ॥ अह भंते । कोटपुडाण वा जाव केयईपुडाण वा अणुवायंसि उभिजमाणाण वा जाव ठाणाओ वा ठाणं संकामिज्जमाणाणं कि कोटे वाइ जाव केयई वाइ ? गोयमा ! नो को? वाइ जाव नो केयई वाइ, घाणसहगया पोग्गला वाइ । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ५८० ॥ सोलसमस्स सयस्त छट्ठो उद्देसो ससत्तो । कइविहे गं भंते ! उवओगे पन्नत्ते ? गोयमा ! दुविहे उवओगे पन्नत्ते, एवं जहा उवओगपयं पनवणाए तहेव निरवसेसं भाणियव्वं, पासणयापयं च निरवसेसं नेयव्व । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥५८१॥ सोलसमस्स सयरस सत्तमो उद्देसो समत्तो॥ __ केमहालए णं भंते ! लोए पन्नत्ते ? गोयमा । महइमहालए जहा वारसमसए तहेव जाव असंखेजाओ जोयणकोडाकोडीओ परिक्खेवेणं, लोगस्स णं भंते ! पुरच्छिमिले चरिमंते कि ,जीवा जीवडेसा जीवप्पएसा अजीवा अजीवदेसा अजीवप्पएसा ? गोयमा! नो जीवा जीवदेसावि जीवपएसावि अजीवावि अजीवदेसावि अजीवपएसावि ॥ जे जीवदेसा ते नियमं एगिदियदेसा अहवा एगिदियदेसा य वेइंदियस्स य देसे एवं जहा दसमसए अग्गेई दिसा तहेव, नवरं देसेसु अणिंदियाणं आइलविरहिओ । जे अस्तवी अजीवा ते छविहा, अद्धासमओ नत्थि, सेसं तं चेव सव्वं निरवसेसं । लोगस्स णं भंते ! दाहिणिल्ले चरिमंते कि जीवा० ? एवं चेव, एवं पञ्चच्छिमिल्लेवि, एवं उत्तरिल्लेवि, लोगस्स णं भंते ! उवरिल्ले चरिमंते किं जीवा० पुच्छा, गोयमा! नो जीवा जीवदेसावि जीवप्पएसावि जाव अजीवप्पएसावि । जे जीवदेसा ते नियमं एगिदियदेसा य अणिंदियदेसा य अहवा एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य वेइंदियस्स य देसे, अहवा एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य वेइंदियाण य देसा, एवं मज्झिल्लविरहिओ जाव पंचिंदियाणं, जे जीवप्पएसा ते नियमं एगिंदियप्पएसा य अणिंदियप्पएसा य अहवा एगिदियप्पएसा य अणिंदियप्पएसा य बेइंदियस्स पएसा य अहवा एगिदियप्पएसा य अणिदियप्पएसा य बेइंदियाण य पएसा, एवं आइल्लविरहिओ जाव पंचिंदियाणं, अजीवा जहा दसमसए तमाए तहेव निरवसेसं भाणियव्वं ॥ लोगस्स णं भंते । हेडिल्ले चरिमंते किं जीवा० पुच्छा, गोयमा! नो जीवा जीवदेसावि जीवप्पएसावि जाव अजीवप्पएसावि, जे जीवदेसा ते नियमं एगिदियदेसा अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियस्स देसे अहवा एगिदियदेसा वेइंदियाण य देसा, एवं मज्झिल्लविरहिओ जाव अणिदियाण पएसा, Page #804 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ७५२ [भगवई आइल्लविरहिओ सव्वेसि जहा पुरच्छिमिल्ले चरिमंते तहेव, अजीवा जहेव उवरिते चरिमंते तहेव ॥ इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिन्छे चरिमंते किं जीवा० पुच्छा, गोयमा ! नो जीवा एवं जहेव लोगस्स तहेव चत्तारिवि चरिमंता जाव उत्तरिल्ले, उवरिल्ले तहेव जहा दसमसए विमला दिसा तहेव निरवसेसं, हेहिले चरिमंते जहेव लोगस्स हेहिले चरिमंते तहेव, नवरं देसे पंचिंदिएसु तियनंगोत्ति सेसं तं चेव, एवं जहा रयणप्पभाए चत्तारि चरिमंता भणिया एवं सकरप्पभाएवि उवरिमहेडिल्ला जहा रयणप्पभाए हेहिले, एवं जाव अहे सत्तमाए, एवं सोहम्मस्सवि जाव अच्चुयस्स, गेविजविमाणाणं एवं चेव, नवरं उपरिमहेहिदेसु चरिमंतेनु देसेनु पंचिंदियाणवि मज्झिल्लविरहिओ सेसं तहेव, एवं जहा गेवेज विमाणा तहा अणुत्तरविमाणावि, ईसिप्पन्भारावि ॥५८२॥ परमाणुपोग्गले णं भंते ! लोगसा पुरच्छिमिटाओ चरिमंताओ पञ्चच्छिमिलं चरिमंतं एगसमएणं गच्छइ, पञ्चच्छिमिल्लाओ चरिमंताओ पुरच्छिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छइ, दाहिणिलाओ चरिमंताओ उत्तरिलं जाव गच्छइ, उत्तरिल्लाओ चरिमंताओ दाहिणिलं चरिमतं जाव गच्छड, उवरिटाओ चरिमंताओ हेहिलं चरिमंतं जाव गच्छइ, हेहिलाओ चरिमंताओ उवरिलं चरिमंतं एगसमएणं गच्छइ ? हंता गोयमा! परमाणुपोग्गले णं लोगस्स पुरच्छिमिलं तं चेव जाव उवरिल्लं चरिमंतं गच्छइ ॥ ५८३ ॥ पुरिसे णं भंते ! वासं वासइ नो वासइत्ति हत्यं वा पायं वा बाहुं वा ऊरुं वा आउंटावेमाणे वा पसारेमाणे वा कइकिरिए ? गोयमा!। जावं च णं से पुरिसे वासं वासइ वासं नो वासतीति हत्थं वा जाव ऊरुं वा आउंटावेइ वा पसारेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं। पुढे ॥५८४॥ देवे णं भंते ! महिड्डिए जाव महेसक्खे लोगंते ठिच्चा पभू अलोगंरित हत्थं वा जाव ऊरं वा आउंटावेत्तए वा पसारेत्तए वा ? णो इणढे समठे, से केणभंते ! एवं वुचइ देवे णं महिड्डिए जाव महेसक्खे लोगंते ठिच्चा णो पभू अलोग. हत्थं वा जाव पसारेत्तए वा ? गोयमा! जीवाणं आहारोवचिया पोग्गला वोदिचियां पोग्गला कलेवरचिया पोग्गला पोग्गला(चे)मेव पप्प जीवाण य अजीवाण य गइपरियाए आहिज्जइ, अलोए णं नेवत्थि जीवा नेवत्थि पोग्गला से तेणटेणं जाव पसारेत्तए' वा ॥ सेवं भंते ! २ त्ति ॥५८५॥ सोलसमे सए अट्टमो उद्देसो समत्तो। कहिन्नं भंते ! बलिस्स वइरोयणिंदस्स वइरोयणरन्नो सभा सुहम्मा प० ? गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं तिरियमसंखेजे जहेव चमरस्स - जाव बायालीसं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एस्थ णं वलिस्स वइरोयणिंदस्स वइ रोयणरन्नो रुयगिंदे नाम उप्पायपव्वए पन्नत्ते, सत्तरस एकवीसे जोयणसए एवं Page #805 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १७ उ०१] सुत्तागमे ७५३ परिमाणं जहेव तिगिच्छिकूडस्त पासायवडिसगस्सवि तं चेव पमाणं सीहासणं सपरिवार वलिस्स परि(वा)यारेणं अट्ठो तहेव, नवरं रुयगिदप्पभाई ३ सेसं तं चेव जाव बलिचंचाए रायहाणीए अन्लेसिं च जाव (णिचे) त्यगिदस्स णं उप्पायपव्वयस्स उत्तरेणं छकोडिसए तहेव जाव चत्तालीसं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं वलिस्स वइरोयणिंदस्स वइरोयणरचो बलिचंचा नामं रायहाणी प० एगं जोयणसयसहस्सं पमाणं तहेव उववाओ जाव आयरक्खा सव्वं तहेव निरवसेसं, नवरं साइरेगं सागरोवमं ठिई प०, सेसं तं चेव जाव वली वइरोयाणिदे वली, २॥ सेवं भंते ! २ त्ति जाब विहरइ ॥५८॥ सोलससस्स सयरस नवमो उद्देसो समत्तो॥ कइविहे गं भंते ! ओही पन्नत्ते ? गोयमा ! दुविहा ओही प०,तं०-ओहीपयं निरवसेसं भाणियव्वं ॥ सेवं भंते ! सेवं भंते! ति जाव विहरइ ॥ ५८७ ॥ सोलसमस्स सयरल दसमो उद्देसो समत्तो॥ . दीवकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा सव्वे समुस्सासनिस्सासा ? णो इणद्वे समढे, एवं जहा पडमसए विइयउद्देसए दीवकुमाराणं वत्तव्वया तहेव जाव समाउया समुस्सासनिस्सासा। एवं नागावि, दीवकुमाराणं भंते ! कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ? गोयमा! चत्तारि लेस्साओ पन्नत्ताओ, तंजहा-कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा । एएसि णं भंते! दीवकुमाराणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा दीवकुमारा तेउलेस्सा, काउलेस्सा असंखेजगुणा, नीललेस्सा विसेसाहिया,कण्हलेस्सा विसेसाहिया। एएसि णं भंते । दीवकुमाराणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पिड्डियां वा महिड्डिया वा ? गोयमा ! कण्हलेस्साहितो नीललेस्सा महिड्डिया जाव सव्वमहिंडिया तेउलेस्सा । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ १६ ॥ ११ ॥ उदहिकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा० एवं चेव, सेवं भंते !,२ त्ति ॥ १६ ॥ १२॥ एवं दिसाकुमारावि सेवं भंते ! २त्ति ॥ १६ ॥ १३॥ एवं थणियकुमारावि, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव - विहरइ ॥ ५८८ ॥ सोलसमस्स सयस्स चउद्दसमो उद्देसो समत्तो॥,सोलसमं सयं समत्तं ॥ नमो मुयदेवयाए भगवईए ॥ कुंजर १ संजय २ सेलेसि ३ किरिय ४ ईसाण ५ पुढवि ६-७ दग ८-९ वाऊ १०-११ । एगिदिय १२ नाग १३ सुवन्न १४ विजु -१५ वाउ १६ -ऽग्गि १५- सत्तरसे ॥ १॥ रायगिहे जाव एवं वयासीउदाई णं भंते !, हत्थिराया - कओहिंतो अणंतरं उव्वट्टित्ता उदाइहत्थिरायत्ताए। उववन्ने ? गोयमा ! असुरकुमारेहितो देवहितो, अणंतरं उव्वट्टित्ता उदाइहत्थिरा ४८ सुत्ता Page #806 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५४ सुत्तागमे [भगवई यत्ताए उववन्ने, उदाई णं भंते । हस्थिराया कालमासे कालं किया कहिं गच्छिहिइ कहिं उववजिहिइ ? गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए उकोससागरोवमट्टिइयंसि निरयावासंसि नेरइयत्ताए उववजिहिड, से णं भंते ! तओहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववजिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्मिहिइ जाव अंतं काहिइ ॥ भूयाणंदे णं भंते ! हत्थिराया कओहिंतो अणंतरं उच्चट्टित्ता भूयाणंदे हत्थिरायत्ताए एवं जहेव उदाई जाव अंतं काहिइ ॥ ५८९ ॥ पुरिसे गं भंते ! तालमारुहइ ता० २ त्ता तालाओ तालफलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कइकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तालमारुहइ तालमारहित्ता तालाओ तालफलं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढे, जेसिपिय णं जीवाणं सरीरेहितो तले निव्वत्तिए तालफले निव्वत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ।। अहे णं भंते ! से तालफले अप्पणो गत्यत्ताए जाव पच्चोवयमाणे जाई तत्थ पाणाई जाव जीवियाओ ववरोवेइ तए णं भंते ! से पुरिसे कइकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तालप्फले अप्पणो ग(गु)रुयत्ताए जाव जीवियाओ ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुढे, जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहिंतो तले निव्वत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुट्ठा, जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहिंतो तालप्फले निव्वत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुठ्ठा, जेविय से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उचग्गहे वहति तेविय णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ॥ पुरिसे णं भंते ! रुक्खस्त मूलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कइकिरिए ? गोयमा! जावं च णं से पुरिसे रुक्खस्स मूलं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढे, जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए तेविय णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहि पुट्ठा, अहे णं भंते । से मूले अप्पणो गुरुयत्ताए जाव जीवियाओ ववरोवेइ तओ णं भंते ! से पुरिसे कइकिरिए ? गोयमा! जावं च णं से मूले अप्पणो जाव ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहि पुढे, जेसिपिय णं जीवाणं सरीरेहिंतो कंदे निव्वत्तिए'जाव बीए निव्वत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुट्ठा, जेसिपिय णं जीवाणे सरीरेहितो मूले 'निव्वत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा, जेविय णं से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वटंति तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ॥ पुरिसे णं भंते ! रुक्खस्स पहिं किरियाहिं से पुरिसे कइका काइयाए Page #807 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० १७ उ०२] सुत्तागमे ७५५ कंदं पचाले० ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे जाव पंचहि किरियाहिं पुढे, जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहिंतो मूले निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए तेवि णं जीवा जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा, अहे णं भंते ! से कंदे अप्पणो जाव चउहि किरियाहिं पुढे, जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहिंतो मूले निव्वत्तिए खंधे निव्वत्तिए जाव चरहिं पुट्ठा, जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहितो कंदे निव्वत्तिए तेवि णं जीवा जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा, जेवि य से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स जाव पंचहिं पुट्ठा जहा (कंदे) खंधो एवं जाव वीयं ॥५९०॥ कइ णं भंते ! सरीरगा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच सरीरगा पन्नत्ता, तंजहा-ओरालिए जाव कम्मए । कइ णं भंते ! इंदिया प० ? गोयमा ! पंच इंदिया प०, तं०-सोइंदिए जाव फासिंदिए । कइविहे णं भंते ! जोए प० ?' गोयमा ! तिविहे जोए प०, तं०-मणजोए वइजोए कायजोए। जीवे णं भंते ! ओरालियसरीरं निव्वत्तेमाणे कइकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए, एवं पुढविक्काइएवि, एवं जाव मणुस्से । जीवा णं भंते । ओरालि-' यसरीरं निव्वत्तेमाणा कइकिरिया ? गोयमा ! तिकिरियावि चउकिरियावि पंचकिरियावि, एवं पुडविकाइयावि, एवं जाव मणुस्सा, एवं वेउव्वियसरीरेणवि दो दंडगा नवरं जस्स अस्थि वेउव्वियं, एवं जाव कम्मगसरीरं, एवं सोइंदियं जाव फासिंदियं, एवं मणजोगं वइजोगं कायजोगं जस्स जं अत्थि तं भाणियव्वं, एए एगत्तपुहुत्तेणं छव्वीसं दंडगा ॥ ५९१॥ कइविहे णं भंते ! भावे पण्णत्ते ? गोयमा ! छविहे भावे प०, तं०-उदइए उवसमिए जाव सन्निवाइए, से किं तं उदइए भावे ? उदइए भावे दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-उदइए य उदयनिप्पन्ने य, एवं एएणं अभिलावणं जहा अणुओगदारे छन्नामं तहेव निरवसेसं भाणियन्वं जावे से तं सन्निवाइए भावे ॥ सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥५९२॥ सत्तरसमे सए पढमो उद्देसो समत्तो॥ से नृणं भंते । संजयविरयपडिहयपच्चक्खायपावकम्मे धम्मे ठिए, असंजयअविरयअपडिहयपच्चक्खायपावकम्मे अहम्मे ठिए, संजयासंजए धम्माधम्मे ठिए ? हता गोयमा ! संजयविरय जाव धम्माधम्मे ठिए, एएसि णं भंते ! धम्मंसि वा अहम्मसि वा धम्माधम्मंसि वा चक्किया केइ आसइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए वा? गोयमा! णो इणट्टे समटे से केणं खाइ अटेणं भंते! एवं वुच्चइ जाव धम्माधम्मे ठिएं ? गोयमा ! संजयविरय जाव पावकम्मे धम्मे ठिए धम्मं चेव उवसंपजित्ताणं विहरइ, असंजय जाव पावकम्मे अहम्मे ठिए अहम्मं चेव उवसंपजित्ताणं विहरइ, संजयासंजए धम्माधम्मे ठिए धम्माधम्मं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ,से तेणटेणं गोयमा! जाव ठिएं ॥ जीवा णं भंते ! किं धम्मे ठिया अहम्मे ठिया धम्माधम्मे ठिया ? Page #808 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५६ सुत्तागमे [ भगवई - गोमा | जीवा धम्मेवि ठिया अहम्मेवि ठिया धम्माधम्मेवि ठिया, नेरइयाणं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! णेरइया णो धम्मे ठिया, अहम्मे ठिया, णो धम्माधम्मे ठिया, एवं जाव चउरिंदियाणं, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया नो धम्मे ठिया, अहम्मे ठिया, धम्माधम्मेवि ठिया, मणुस्सा जहा जीवा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया ॥ ५९३ ॥ अन्नउलिया णं भंते ! एवमाइक्खति जाव परूवेंति एवं खलु समणा पंडिया समणोवासगा बालपंडिया, जस्स णं एगपाणाएवि दंडे अणिक्खित्ते से णं एगंतवालेत्ति वृत्तव्वं तिया, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! जण्णं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्सति जाव वतन्त्रं सिया, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि - एवं खलु समणा पंडिया, समणोवासगा वालपंडिया, जस्स णं एगपाणा एवि दंडे निक्खित्ते से णं नो एगंतवालेत्ति वत्तव्वं सिया ॥ जीवा णं भंते ! किं बाला पंडिया वालपंडिया ? गोयमा । जीवा वालावि पंडियावि वालपंडियावि, नेरइयाणं पुच्छा, गोयमा । नेरइया वाला नो पंडिया नो वालपंडिया, एवं जाव चउरिंदियाणं । पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा | पंचिदियतिरिक्खजोणिया बाला नो पंडिया बालपंडियावि, मणुस्सा जहा जीवा, वाणगीतरजोइतियवेमाणिया जहा नेरइया ॥ ५९४ ॥ अन्नउत्थिया णं भंते । एवम इक्लति जाव परूवेंति - एवं खलु पाणाइवाए मुसावाए जाब मिच्छादंसणस वराणस्त अने जीवे अन्ने जीवाया, पाणाइवायवैरमणे जाव परिग्गहवेरमणे को विवेगे जाव मिच्छादंसणसलविवेगे वट्टमाणस्स अन्ने जीचे अन्ने जीवाया, उप्पत्तियाए जाव धारिणामियाए वट्टमाणस्स अन्ने जीवे अन्ने जीवाया, उग्गहे ईहा अवाए धारणाए वट्टमाणस्स जाव जीवाया, उट्ठाणे जाव परक्कमे वट्टमाणस्स जाव जीवाया, नेरइयत्ते तिरिक्खमणुस्स देवत्ते वट्टमाणस्स जाव जीवाया, नाणावरणिजे जाव अंतराइए वमाणस्स जाव जीवाया, एवं कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए, सम्मद्दिट्ठीए ३, एवं चक्खुदंसणे ४, आभिणिबोहियनाणे ५, मइअन्नाणे ३, आहारसन्नाए ४, एवं ओरालियसरीरे ५, एवं मणजोए ३, सागारोवओगे अणागारोवओगे वट्टमाणस्सअण्णे जीवे अन्ने जीवाया, से कहमेयं भंते ! एवं ? - गोयमा ! जण्णं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खति जाव मिच्छं ते एवमाहंस, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-एवं खलु पाणाइवाए जाव मिच्छादंसण सल्ले वट्टमाणस्स सच्चेव जीवे सच्चेव जीवाया जाव अणागारोवओगे वट्टमाणस्स सच्चैव जीवे सच्चैव जीवाया ॥ ५९५ ॥ देवे णं भंते । महिड्डिए जाव महेसक्खे पुव्वामेव रूवी भवित्ता पभू अरुवि वि Page #809 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १७ उ०३] सुत्तागमे ७५७ वित्ताणं चिहित्तए ? णो इणटे समढे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ देवे णं जाव नो पभू अलविं विउव्वित्ताणं चिहित्तए? गोयमा! अहमेयं जाणामि, अहमेयं पासामि. अहमेयं वुज्झामि, अंहमेयं अभिसमन्नांगच्छामि, मए एयं नायं, मए एयं दिद, मए एयं वुद्धं, मए एवं अभिसमन्नागयं-जण्णं तहागयस्स जीवस्स सरूविस्स सकम्सस्स सरागस्स सवेयस्स समोहस्स सलेसस्स ससरीरस्स ताओ सरीराओ अविप्पमुक्कस्स एवं पन्चायइ, तंजहा-कालत्ते वा जाव सुकिल्लत्ते वा, सुन्मिगंधत्ते वा दुन्भिगंधत्ते वा, तित्तत्ते वा जाव महुरत्ते वा, कक्खडत्ते वा जाव लुक्खत्ते वा, से तेणटेणं गोयमा ! जाव चिद्वित्तए ॥ सच्चव णं भंते ! से जीवे पुवामेव अरूवी भवित्ता पभू सविं विउन्विताणं चिद्वित्तए ? णो इणढे समढे, से केणढेणं जाव चिट्ठित्तए ? गोयमा! अहमेयं जाणामि जाव जन्नं तहागयरस जीवस्स अलविस्स अकम्मस्स अरागस्स अवेयस्स अमोहस्स अलेसस्स असरीरस्स ताओ सरीराओ विप्पमुकस्स णो एवं पन्नायइ, तं०-कालत्ते वा जाव लुक्खत्ते वा, से तेणढेणं जाव चिट्ठित्तए वा ॥ सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ५९६ ॥ सत्तरसमस सयरल वीओ उद्देसो समन्तो॥ ___ सेलेसिं पडिवन्नए णं भंते ! अणगारे सया समियं एयइ वेयइ जाव तं तं भावं परिणसइ ? णो इगढे समढे, गण्णत्थेगेणं परप्पओगेणं ॥ कइविहा गं भंते !. एयणा प० ? गोयमा! पंचविहा एयणा प०, तंजहा-दव्वेयणा खेत्तयणा कालेयणा भवेयणा भावेयणा, व्वेयणा णं भंते ! कइविहा प० ? गोयमा ! चरब्बिहा प०, तंजहा-नेरझ्यदव्वेयणा,तिरिक्खदव्वेयणा,मणुस्सदव्वेयणा,देवव्वेयणा, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ-नेरइयदव्वेयणा २ ? गोयमा ! जन्नं नेरइया नेरझ्यदव्वे वटिंसु वा वटुंति वा वहिस्संति वा ते णं तत्थ नेरड्या नेरइयव्वे वट्टमाणा नेरइयदव्वेयणं एइंसु वा एयंति वा एइस्संति वा, से तेणटेणं जाव दव्वेयणा, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ तिरिक्खजोणियदव्वेयणा २? एवं चेव, नवरं तिरिक्खजोणियदव्वे० भाणियव्वं, सेसं तं चेव, एवं जाव देवव्वेयणा । खेत्तेयणा णं भंते ! कइविहा प० ? गोयमा ! चउव्विहा प०, तं०-नेरझ्यखेत्तेयणा जाव देवखेत्तेयणा, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ नेरड्यखेत्तयणा २ ? एवं चेव, नवरं नेरइयखेत्तेयणा भाणियव्वा, एवं जाव देवखेत्तयणा, एवं कालेयणावि, एवं भवेयणावि, एवं जाव देवभावेयणावि ॥ ५९७ ॥ कइविहा णं भंते ! चलणा प० ? गोयमा ! तिविहा चलणा प०, तं०-सरीरचलणा इंदियचलणा जोगचलणा, सरीरचलणा णं भंते ! कइविहा प० ? गोयमा! पंचविहा प०, तं०-ओरालियसरीरचलणा जाव कम्मगसरीरचलणा, इंदियचलणा णं भंते ! कइविहा प० ? गोयमा ! पंचविहा प०, तंजहा Page #810 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई सोइंदियचलणा जाव फासिंदियचलणा, जोगचलणा णं भंते! कइविहा प० गोयमा । तिविहा प०, तं० मणजोगचलणा वइजोगचलणा कायजोगचलणा, सेकेणट्टे भंते! एवं चुच्चइ ओरालियसरीरचलणा २ ? गोयमा ! जं णं जीवा ओरालियासरीरे वट्टमाणा ओरालियसरीरप्पाओगाईं दव्वाईं ओरालियसरीरत्ताए परिणामेमाणा ओरालियसरीरचलणं चलिंसु वा चलंति वा चलिस्संति वा से तेणट्टेणं जाव ओरालि यसरीरचलणा २, से केणट्टेणं भंते । एवं वृचइ वेडव्वियसरीरचलणा २१ एवं चेव, नवरं वेडव्वियसरीरे वट्टमाणा एवं जाव कम्मगसरीरचलणा, से केणट्टेर्ण भंते! एवं वुच्चइ सोइंदियचलणा २ ? गोयमा ! जन्नं जीवा सोइंदिए वट्टमाणा सोइंदियप्पा ओगाईं दव्वाईं सोइंदियत्ताए परिणामेमाणा सोइंदियचलणं चलिंसु वा चलंति वा चलिस्संति वा से तेणट्टेणं जाव सोइंदियचलणा २, एवं जाव फासिंदियचलणा, से केणट्टेणं भंते । एवं वृच्चइ मणजोगचलणा २१ गोयमा ! जण्णं जीवा सणजोए वट्टमाणा मणजोगप्पा ओगाईं दव्वाईं मणजोगत्ताए परिणामेमाणा मणजोगचलणं चलिसु वा चलंति वा चलिस्संति वा से तेणट्टेणं जाव मणजोगचलणा २, एवं वइजोगचलणावि, एवं कायजोगचलणावि ॥ ५९८ ॥ अह भंते ! संवेगे निव्वे (गे)ए गुरुसाहम्मियसुस्सूसणया आलोयणया निदणया गरहणया खमावण्या सुयसहायया विउसमणया भावे अप्पडिबद्धया विणिवट्टणया विवित्तसयणासणसेवया सोइंदियसंवरे जाव फासिंदियसंवरे जोगपच्चक्खाणे सरीरपच्चक्खाणे कसाय - पच्चक्खाणे संभोगपच्चक्खाणे उवहिपचक्खाणे भत्तपच्चक्खाणे खमा विरागया भावसच्चे जोगसच्चे करणसच्चे मणसमण्णाहरणया वइसमन्नाहरणया कायसमन्नाहरणया कोहविवेगे जाव मिच्छादंसण सल्लविवेगे णाणसंपन्नया दंसणसंपन्नया चरित्तसंपन्नया वेयणअहियासणया मारणंतियअहियासणया एए णं भन्ते ! पया किंपजवसाणफला पण्णत्ता ? समणाउसो ! गोयमा । संवेगे निव्वेए जाव मारणंतियअहियासणचा एए णं सिद्धिपज्जवसाणफला प० समणाउसो ! ॥ सेवं भंते ! २त्ति जाव विहरइ ॥ ५९९ ॥ सन्तरसमस्स लयस्स तइओ उद्देस्रो समत्तो ॥ तेणं काळेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे जाव एवं वयासी - अत्थि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ ? हंता अस्थि, सा भंते । किं पुट्ठा कजइ अपुट्ठा कज्जइ ? गोयमा ! पुट्ठा कज्जइ नो अपुट्ठा कज्जइ, एवं जहा पढमसए छद्देस जाव नो अणाणुपुव्विकडत्ति वत्तव्वं सिया, एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं जीवाणं एगिदियाण य निव्वाघाएणं छद्दिसि वाघायं पहुन्च सिय तिदिसि सिय चउदिसिं सिय पंचदिसि सेसाणं नियमं छद्दिसिं । अत्थि णं भंते ! जीवाणं मुसा ७५८ Page #811 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १७ उ० ६] सुत्तागमे वाएणं किरिया कज्जइ ? हंता अस्थि, सा भंते ! कि पुट्ठा कज्जइ अपुट्ठा कजइ ? जहा पाणाइवाएणं दंडओ एवं मुसावाएणवि, एवं अदिन्नादाणेणाचे मेहुणेणवि परिग्गहेणवि, एवं एए पंच दंडगा ५ । जैसमयन्नं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कजइ सा भंते ! कि पुट्ठा कज्जइ अपुट्ठा कज्जइ ? एवं तहेव जाव वत्तव्वं सिया जाव वेमाणियाणं, एवं जाव परिग्गहेणं, एवं एएवि पंच दंडगा १० । जदेसेणं भंते ! जीवाण पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ एवं चेव जाव परिग्गहेगं, एवं एएवि पंच दंडगा १५ । जंपएसन्नं भंते! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ सा भंते! किं पुट्ठा कजइ एवं तहेव दण्डओ, एवं जाव परिग्गहेणं २०, एवं एए वीसं दंडगा ॥ ६०० ॥ जीवाणं भंते ! किं अत्तकडे दुक्खे, परकडे दुक्खे, तदुभयकडे दुक्खे ? गोयमा ! अत्तकडे दुक्खे, नो परकडे दुक्खे, नो तदुभयकडे दुक्खे, एवं जाव वेमाणियाणं, जीवा णं भंते ! किं अत्तकडं दुक्खं वेदेंति, परकड दुक्खं वेदेंति, तदुभयकडे दुक्खं वेदैति ? गोयमा ! अत्तकडं दुक्खं वेदेंति, नो परकड दुक्ख वेदेंति, नो तदुभयक दुक्खं वेदेंति, एवं जाव वेमाणियाणं | जीवाण संते ! कि अत्तकडा वेयणा, परकडा वेयणा, तदुभयकडा वेयणा ? गोयमा ! अत्तका वैयगा, णो परकडा वेयणा, गो तदुभयकडा वेयणा, एवं जाव वेमाणियाणं, जीवा णं मंते ! कि अत्तकडं वेयणं वेदेंति, परकडं वेयणं वेदेति, तदुभयकडं वेयणं वेदेति ? गोयमा ! जीवा अत्तकडं वेयणं वेदेंति, नो परकडं वेयणं वेदेंति, नो तदुभयकडं वैयगं वेदेति, एवं जाव वैमाणियागं । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ६०१ ॥ सत्तरसमे सर चउत्थो उद्देसो समत्तो ॥ कहि णं भंते 1 ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो सभा तुहम्मा पण्णत्ता ? गोयमा ! जंवुहीवे २ मंदरस्स पव्वयरस उत्तरेणं इमीसे णं स्याम्पमाए पुढवीए बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ उर्दू चंदिमसूरिय जहा ठाणपए जाब मज्झे ईनाणवडिसए महाविमाणे से णं ईसाणवर्डिस महाविमाणे अद्धतेरसजीयणनयमहरुमाई एवं जहा दसमसए सक्कविमाणवत्तव्वया सा इहवि ईमाणरस निरवसेमा माणियव्वा जाव आयरक्खत्ति, ठिई साइरेगाई दो सागरोवमाई, सेस तं चैव जाव इपाणे देविंदे देवराया २, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ६०२|| सत्तरसमे स पंचमो उद्देसो समत्तो ॥ ० पुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुटवीए समोहए २ त्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उववज्जिनए से नंत। कि पुव्वि उववजित्ता पच्छा संपारणेजा, पुत्रि वा संपाउणित्ता पच्छा उववजेजा ? गोयमा ! पुव्वि वा उववजित्ता पच्छा संपाउणेजा, पुव्वि वा सपाउणित्ता पच्छा उववजेज्जा, से केणट्टेणं जाव पच्छा उववज्जेजा ? गोयमा ! पुढविकाश्याणं तओ - समुग्धाया प०, तं ० ७५९ Page #812 -------------------------------------------------------------------------- ________________ '७६० सुत्तागमे [भगवई वेयणासमुग्घाए कसायससुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए, मारणंतियसमुंग्याएणं समोहणमाणे देसेणं वा समोहणइ सव्वेण वा समोहणइ, देसेणं समोहणमाणे पुचि संपाउणित्ता पच्छा उववजिज्जा, सव्वेणं समोहणमाणे पुव्वि उववजित्ता पच्छा संपाउणेजा, से तेणढेणं जाव उर्ववजेज्जा । पुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पं. भाए पुढवीए जाव समोहए २ त्ता जे भविए ईसाणे कप्पे पुढवि० एवं चेव ईसाणेवि, एवं जाव अचुयगेविजविमाणे, अणुत्तरविमाणे ईसिप्पन्भाराएं य एवं चेव । पुढविकाइए णं भंते ! सक्करप्पभाए पुढवीए समोहए २ ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढवि० एवं जहा रयणप्पभाए पुढविकाइओ उववाइओ एवं सकरप्पभाएवि पुढविकाइओ उववाएयव्वो जाव ईसिप्पन्भाराए, एवं जहा रयणप्पभाए वत्तव्वया भणिया एवं जाव अहे सत्तमाए समोहए ईसिप्पन्भाराए उववाएयव्वो। सेवं भंते ! २त्ति (१७-६)॥६०३॥ पुढविकाइए णं भंते ! सोहम्मे कप्पे समोहए समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कि पुव्वि सेस तं चेव जहा रयणप्पभाए पुढविकाइओ सव्वकप्पेसु जावईसिप्पन्साराएं ताव उववाइओं एवं सोहम्मपुढविकाइओवि सत्तसुवि पुढवीसु उववाएयव्वो जाव अहे सत्तमाए, एवं जहा सोहम्मपुढविकाइओ सव्वपुढवीसु उववाइओ एवं जाव ईसिप्पन्भारापुढविकाइओ सव्वपुढवीसु उववाएयवो जाव अहे सत्तमाए, सेवं संते ! २ त्ति (१७-७) ॥६०४॥ आउकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोहए २ त्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे आउकाइयत्ताए उववजित्तए एवं जहा पुढविकाइओ तहा आउकाइओवि सव्वकप्पेसु जाव ईसिप्पन्भाराए तहेव उववाएयव्वो, एवं जहा रयणप्पभाआउकाइओ उववाइओ तहा जाव अहेसत्तमापुडविआउकाइओ उववाएयव्वो जाव ईसिप्पव्भाराए, सेवं भंते ! २ त्ति (१७-८)॥६०५॥ आउकाइए णं भंते ! सोहम्मे कप्पे समोहए समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणोदहिवलएसु आउकाइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते ! सेसं तं चेव एवं जाव अहे सत्तमाए जहा सोहम्मआउकाइओ एवं जाव ईसिप्पन्भाराआउक्काइओ जाव अहे सत्तमाए उववाएयव्वो, सेवं भंते ! २ त्ति (१७-९)॥६०६॥ वाउकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव जे भविए सोहम्मे कप्पे वाउकाइयत्ताए उववजित्तए से णं जहा पुढविकाइओ तहा वाउकाइओवि नवरं वाउक्काइयाणं चत्तारि समुग्धाया प०, तं०-वेयणासमुग्घाए जाव वेउब्वियसमुरघाए, मारणंतियसमुग्घाएणं समोहणमाणे देसेण वा समो० सेसं तं चेच जाव अहे सत्तमाए समोहओ ईसिप्पन्भाराए उववाएयव्वो, सेवं भंते ! २ त्ति (१७-१०) ॥६०७ ॥ वाउकाइए णं भंते ! सोहम्मे कप्पे समोहए २ त्ता जे Page #813 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . वि० प० स० १८ उ० १] सुत्तागमे ७६३ . भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणवाए तणुवाए घणवायवलएसु तणुवायवलएसु वाउकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंत ! ससं तं चैव एवं जहा सोहम्मकप्पवाउकाइओ संत्तसुवि पुढवीसु उववाइओ एवं जाव ईसिप्पभाराए वाउकाइओ अहे सत्तमाए जाव उववाएयव्वो, सेवं भंते ! २ त्ति (१७-११) ॥६०८ ॥ एगिदिया ण भंते ! सव्वे 'समाहारा सव्वे (समसरीरा) समुस्सासणीसासा एवं जहा पढमसए विइयउद्देसए पुढविकाइयाणं वत्तव्वया भणिया सा चेव एगिदियाणं इह भाणियव्वा जाव समाउया समोववन्नगा। एगिदियाणं भंते ! कइ लेस्लाओ प० ? गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ प०, तं०-कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा । एएसि णं भंते ! एगिदियाणं कण्हलेस्साणं जाव विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा एगिदियाणं तेउलेस्सा, काउलेस्सा अणंतगुणा, णीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया। एएसि णं भंते ! एगिदियाण कण्हलेस्सा इड्ढी जहेव दीवकुमाराणं, सेवं भंते! २ त्ति (१७-१२) ॥ ६०९ ॥ नागकुमाराणं मंत! सव्वे समाहारा जहा सोलसमसए दीवकुमारुदेसए तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाब इड्डीति, सेवं अंते ! २ त्ति जाव विहरइ (१७-१३) ॥ ६१० ॥ सुवन्नकुमारा णं भंत ! सव्वे समाहारा० एवं चेव, सेवं भंते । २ त्ति ( १७-१४ ) ॥ ६११॥ विज्जुकुमारा णं मंते ! सव्वे समाहारा० एवं चेव, सेवं भंते ! २ त्ति (१७-१५) ॥ ६१२ ॥ वाउकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा० एवं चेव, सेवं भंते ! २ त्ति ( १७-१६) ॥ ६१३॥ अग्गिकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा० एवं चेव, सेवं भंते ! २ त्ति ॥६१४॥ लत्तरसमसमा सयरल सत्तरसमो 'उदेसो समत्तो॥ सत्तरसम खयं ससत्तं ॥ पढमे १ विसाह २ मायंदिए य ३ पाणाइवाय ४ असुरे य५ । गुल ६ केवलि ७ अणगारे ८ भविए ९ तह सोमिलऽद्वारसे १० ॥१॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव एवं वयासी-जीवे णं भंते ! जीवभावेणं किं पढमे अपढमे ? गोयमा! नो पढमे अपढमे, एवं नेरइए जाव वेमाणिए । सिद्धे णं भंते ! सिद्धभावेणं किं पढमे अपढमे ? गोयमा ! पढमे नो अपढमे, जीवा णं भंते ! जीवभावेणं किं पढमा अपढमा ? गोयमा। नो पढमा अपढमा, एवं जाव वेमाणियाणं १॥ सिद्धाणं पुच्छा, गोयमा ! पढमा नो अपढमा ॥ आहारए णं भंते ! जीवे आहारभावेणं किं पढमे अपढमे ? गोयमा! नो पढमे अपढमे, एवं जाव माणिए, पोहत्तिएवि एवं चेव । अणाहारए णं भंते ! जीवे अणाहारभावेणं पुच्छा, गोयमा ! सिय पढमे सिय अपढमे । नेरइए णं भंते ! एवं नेरइए जाव वेमाणिए नो पढमे अपढमे, सिद्धे पढमे नो अपढमे । अणाहारगाणं भंते ! जीवा अणाहारभावेणं Page #814 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६२ सुत्तागमे [ भगवई पुच्छा, गोयमा ! पढमावि अपढमावि, नेरइया जाव वेमाणिया णो पढमा अपढमा, सिद्धा पढमा नो अपढमा, एक्कक्ने पुच्छा भाणियव्वा २ ॥ भवसिद्धिए एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारए, एवं अभवसिद्धिएवि, नोभवसिद्धियनोअभवसिद्धिए णं भंते ! जीवे नोभव० पुच्छा, गोयमा ! पढमे नो अपढमे, णोभवसिद्धिय नोअभवसिद्धिया णं भंते ! सिद्धा नोभ० अभव०, एवं चेव पुहुत्तेणवि दोण्हवि ॥ सन्नी णं भंते ! जीवे सण्णिभावेणं किं पढमे पुच्छा, गोयमा ! नो पढमे अपढमे, एवं विगलिंदियवज्जं जाव वेमाणिए, एवं पुहुत्तेणवि ३ ॥ असन्नी एवं चेव एगत्तपुहुत्तेणं नवरं जाव वाणमंतरा, नोसन्नीनोअसन्नी जीवे मणुस्से सिद्धे पढमे नो अपडमे, एवं पुहुत्तेणवि ४ ॥ सलेस्से णं भंते । पुच्छा, गोयमा ! जहा आहारए एवं पुहुत्तेणवि, कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा एवं चेव नवरं जस्स जा लेस्सा अस्थि । अलेस्से णं जीवमणुस्ससिद्ध जहा नोसन्नीनोअसन्नी ५ ॥ सम्मदिहिए णं भंते ! जीवे सम्महिट्ठिभावेणं किं पढमे पुच्छा, गोयमा ! सिय पढमे सिय अपढमे, एवं एगिदियवजं जाव वेमाणिए, सिद्धे पढमे नो अपढमे, पुहुत्तिया जीवा पढमावि अपढमावि, एवं जाव माणिया, सिद्धा पढमा नो अपढमा, मिच्छादिट्ठिए एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारगा, सम्मामिच्छादिहिए एगत्तपुहुत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी, नवरं जस्स अत्थि सम्मामिच्छत्तं ६ ॥ संजए जीवे मणुस्से य एगत्तपुहुत्तेणं जहा सम्मट्टिी, असंजए जहा आहारए, संजयासंजए जीवे पंचिदियतिरिक्खजोणियमणुस्सा एगत्तपुहुत्तेणं जहा सम्सद्दिट्टी, नोसंजएनोअसंजएनोसंजयासंजए जीवे सिद्ध य एगत्तपुहुत्तेणं पढमे नो अपढमे ७ ॥ सकसाई कोहकसाई जाव लोभकसाई एए एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारए, अकसाई जीवे सिय पढमे सिय अपढमे, एवं मणुस्सेवि, सिद्धे पढमे नो अपढमे, पुहुत्तेणं जीवा मणुस्सा पढमावि अपढमावि, सिद्धा पढमा नो अपढमा ८ ॥ णाणी एगत्तपुहुत्तेणं जहा सम्मट्ठिी, आभिणिबोहियनाणी जाव मणपज्जवनाणी एगत्तपुहुत्तेणं एवं चेव, नवरं जस्स जं अत्थि, केवलनाणी जीवे मणुस्से सिद्ध य एगत्तपुहुत्तेणं पढसा नो अपढमा । अन्नाणी मइअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारए ९ ॥ सजोगी सणजोगी वइजोगी कायजोगी एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारए, नवरं जस्स जो जोगो अत्थि, अजोगी जीवमणुस्ससिद्धा एगत्तपुहुत्तेणं पढसा नो अपढमा १० ॥ सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता एगत्तपुहुत्तेणं जहा अणाहारए ११. ॥ सवेदगो जाव नपुंसगवेदगो एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारए नवरं जस्स जो वेदो अत्थि, अवेदओ एगत्तपुहुत्तेणं तितुवि पएसु जहा अकसाई १२ ॥ ससरीरी जहा आहारए, एवं जाव कम्मगसरीरी जस्स जं अस्थि Page #815 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० १८ उ०१] सुत्तागमे ७६३. सरीरं, नवरं आहारगसरीरी एगत्तपुहुत्तेणं जहा सम्मट्टिी, असरीरी जीवो सिद्धो एगत्तपुहुत्तेणं पढमो नो अपढमो १३ ॥ पंचहिं पज्जत्तीहि पंचहिं अपज्जत्तीहिं एगतपुहुत्तेण जहा आहारए, नवरं जस्स जा अत्थि जाव वेमाणिया नो पढमा अपढमा १४ ॥ इमा लक्खणगाहा–जो जेण पत्तपुव्वो भावो सो तेण अपढसो होइ । सेसेसु होइ पढमो अपत्तपुव्वेसु भावेसु ॥ १ ॥ जीवे णं भंते ! जीवभावेणं किं चरिमे अचरिमे? गोयमा ! नो चरिमे अचरिमे । नेरइएणं भंते ! नेरइयभावेणं पुच्छा, गोयमा ! सिय चरिमे सिय अचरिमे, एवं जाव वेमाणिए, सिद्धे जहा जीवे । जीवाणं पुच्छा, गोयमा! जीवा नो चरिमा अचरिमा, नेरइया चरिमावि अचरिमावि, एवं जाव वेमाणिया, सिद्धा जहा जीवा १॥ आहारए सव्वत्थ एगत्तेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे, पुहुत्तेणं चरिमावि अचरिमावि, अणाहारओ जीवो सिद्धो य एगत्तेणवि पुहत्तणवि नो चरिमो अचरिमो, सेसट्टाणेसु एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारओ २ ॥ भवसिद्धीओ जीवपए एगत्तपुहुत्तेणं चरिमे नो अचरिमे, सेसहाणेसु जहा आहारओ । अभवसिद्धीओ सव्वत्थ एगत्तपुहुत्तेणं नो चरिमे अचरिमे, नोभवसिद्धीयनोअभवसिद्धीय जीवा सिद्धा य एगत्तपुहुत्तेणं जहा अभवसिद्धीओ ३ ॥ सन्नी जहा आहारओ, एवं असन्नीवि, नोसन्नीनोअसन्नी जीवपए सिद्धपए य अचरिमो, मणुस्सपए चरिमो एगत्तपुहुत्तेणं ४ ॥ सलेस्सो जाव सुकलेस्सो जहा आहारओ नवरं जस्स जा अत्थि, अलेस्सो जहा नोसन्नीनोअसन्नी ५ ॥ सम्मट्ठिी जहा अणाहारओ, मिच्छादिट्ठी जहा आहारओ, सम्मामिच्छादिट्ठी एगिदियविगलि दियवज्ज सिय चरिमे सिय अचरिमे, पुहुत्तेणं चरिमावि अचरिमावि ६ ॥ संजओ जीवो मणुस्सो य जहा आहारओ, असंजओवि तहेव, सजयासजओवि तहेव, नवरं जस्स जं अस्थि, नोसंजयनोअसंजयनोसंजयासंजय जहा नोभवसिद्धीयनोअभवसिद्धीओ ७ ॥ सकसाई जाव लोसकसाई सव्वट्ठाणेसु जहा आहारओ, अकसाई जीवपए सिद्धपए य नो चरिमो अचरिसो, सणुस्सपए सिय चरिमो सिय अचरिमो ८॥णाणी जहा सम्मट्टिी सव्वत्थ आभिणिवोहियनाणी जाव मणप नवनाणी जहा आहारओ नवरं जस्स जं अत्थि, केवलनाणी जहा नोसन्नीनोअसली, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा आहारओ ९ ॥ सजोगी जाव कायजोगी जहा आहारओ जस्स जो जोगो अस्थि, अजोगी, जहा नोसन्नीनोअसन्नी १० ॥ सागारोवउत्तो अणागारोवउत्तो य जहा अणाहारओ ११ ॥ सवेदओ जाव नपुंसगवेदओ जहा आहारओ, अवेदओ जहा अकसाई १२ ॥ ससरीरी जाव कम्मगसरीरी जहा आहारओ नवर जस्स जं अत्थि, असरीरी जहा नोभवसिद्धीयनोअभवसिद्धीय १३ ॥ पचहि पज्जत्तीहि पंचहि Page #816 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६४ युत्तागमे [भगवई अपजत्तीहिं जहा आहारओ सव्वत्य एगगपुहुनेणं दंगा भाणियदा १४ ॥ उमा लक्खणगाहा-जो जं पाविहिद पुणो भावं लो तंण अग्गेि बोट । अगंगाविओगो जस्स जेण भावेण सो चरिमो ॥ १ ॥ सेवं भंते ! २ ति जाब किरा १५॥ अद्वारसमस्त सयस्स पढमो उद्देग्मो सन्मत्तो॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं विसाहा नामं नयरी होत्या बनो, अनिए उजाणे वनओ, सामी समोसढे जाव पजुवासद, तेगं कालेणं तेणं नगा रा देविंदे देवराया वज्जपाणी पुरंदरे एवं जहा सोलनमसग बिटाउगए नत्र दिव्येणं जाणविमाणेणं आगओ नवरं एत्य आभिजोगा(वि) अस्थि जाब बत्तीराविहं नविहि उवदंसेइ २ त्ता जाव पडिगए । भंते । ति भगवं गोयगे नमगं भगवं नहावीर जाव एवं वयाी-जहा तइयसए माणस्स तहेब कागारमालाविहतो तहेन गुव्यभवपुच्छा जाव अभिसमन्नागया ? गोयमादि सगणे गगवं गहावीरे गगवं गोरगं एवं वयासी-एवं खलु गोयसा । तेणं कालेणं तेण समएणं टहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे हत्यिणाउरे नामं नयरे होत्था वन्नओ, सहसंबवणे उजाणे वनओ, तत्व णं हत्थिणाउरे नयरे कत्तिए नामं सेट्ठी परिवसइ अहे जाव अपरिभूए णेगमपडमासणिए णेगमट्टसहस्सस्स बहुतु कज्जेनु य कारणेनु य कार्युवेनु य एवं जहा रायप्पसेणइज्जे चित्ते जाव चक्खुभूए णेगमसहस्सस्त स(सी)यरस य कुटुंबस्स आहेनचं जाव कारेमाणे पालेमाणे य समणोवासए अभिगग्रजीवाजीवे जाव विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं मुणिमुव्वए अरहा आइगरे जहा सोलसमसए तहेव जाव समोसढे जाव परिसा पनुवासइ, तए णं से कत्तिए सेट्ठी इमीसे कहाए लढे समाणे हट्टतुट्ठ० एवं जहा एकारसमसए सुदंसणे तहेव निग्गओ जाव पज्जुवासइ, तए णं मुणिसुव्वए अरहा कत्तियरस सेहिस्स धम्मकहा जाव परिसा पडिगया, लए णं से कत्तिए सेट्ठी मुणिसुव्वयस्स जाव निसम्म हट्टतुट्ट० उठाए उठेइ उ० २ ता मुणिसुव्वयं जाव एवं वयासी-एवमेयं भंते ! जाव से जहेयं तुज्झे वदह, जं नवरं देवाणुप्पिया ! नेगसठ्ठसहस्सं आपुच्छामि जेठपुत्तं च कुटुंबे ठावेमि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतियं पव्वयामि, अहासुहं जाव मा पडिवंधं, तए णं से कत्तिए सेट्ठी जाव पडिनिक्खमइ २ ता जेणेव हत्थिणापुरे नयरे जेणेव सए गेहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता णेगमट्ठसहस्सं सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! मए मुणिसुव्वयस्स अरहओ अंतियं धम्मे 'निसन्ते सेविय मे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए, तएणं अहं देवाणुप्पिया । संसारभयउविग्गे जाव पव्वयामि, तं तुन्भे णं देवाणुप्पिया। किं करेह किं ववसह कि भे हियइच्छिए किं भे सामत्थे ?, तए णं Page #817 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 वि० प० स० १८ उ० २] सुत्तागमे ७६५ 1 तं गमद्वसहस्तंपि तं कत्तियं सेहिं एवं व्यासी- जइ णं देवाणुप्पिया ! संसारभयउन्विग्ग्रा भीया जाव पव्वइस्संति अम्हं देवाणुप्पिया ! कि अन्ने आलंवणे वा आहारे वा पडिवं वा ? अम्हेविणं देवाणुप्पिया ! संसारभयउव्विग्गा भीया जम्मणमरणाणं देवाणुप्पिएहिं सद्धिं मुणिसुव्वयस्स अरहओ अंतियं मुं ( डे ) डा भवित्ता अगाराओ जाव पव्वयामो, तए णं से कत्तिए सेट्ठी तं नेगमट्टसहस्सं एवं वयासी - जइ णं देवाणुप्पिया ! संसारभउव्विग्गा भीया जम्मणमरणाणं मए सद्धिं मुणिसुव्वय जाव पव्वयह तं गच्छहणं तुभे देवाणुप्पिया । सएस २ गिहेसु विउलं असणं जाव उवक्खडावेह मित्तणा जाव पुरओ जेट्टपुत्ते कुटुंबे ठावेह जेट्ट० २ त्ता तं मित्तणाइ जाव जेट्टपुत्ते आपुच्छह २ ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ दुरूहह पु० २ त्ता मित्तनाइ जाव परिजणेणं जेपुतेहि य समणुगम्यमाणमग्गा सव्विड्ढीए जाव रवेणं अकालपरिहीणं चेव ममं अंतियं पाउब्भवह, तए णं ते नेगमट्टसहस्संपि कत्तियस्स सेट्ठिस्स एयमहं विणणं पडिमुति २ त्ता जेणेव साईं साईं गिहाई तेणेव उवागच्छंत २ ता 'विपुलं असणं जाव उवक्खडावेति २ त्ता मित्तणाइ जाव तस्सेव मित्तणाइ जाव पुरओ जेपुते कुटुंबे ठावेंति जेवपुत्ते ० २ त्ता तं मित्तणाइ जाव जेट्ठपुत्ते य आपुच्छंति जे० २ त्ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ दुरुहंति २ त्ता मित्तणाइ जाव परिजणेणं जेट्टपुत्तेहि य समणुगम्यमाणमग्गा सव्विड्ढीए जाव रवेण अकालपरिहीणं चैव कत्तियस्स सेट्ठिस्स अंतियं पाउन्भवंति, तए णं से कत्तिए सेट्ठी विपुलं असणं ४ जहा गंगदत्तो जाव मित्तणाइ जाव परिजणेणं जेट्टपुत्तेणं णेगमट्टसहस्सेण य समणुगम्यमाणमग्गे सब्बिडीए जाव रवेणं हत्थिणापुरं नयरं मज्झमज्झेणं जहा गंगदत्तो जाव आलित्ते णं भंते ! लोए पलित्ते णं भंते ! लोए आलित्तपलित्ते णं भंते ! - लोए जाव आणुगामियत्ताए भविस्सइ, तं इच्छामि णं भंते । णेगमद्वसहस्सेणं सद्धिं सयमेव पव्वावियं सयमेव मुंडावियं जाव धम्ममाइक्खियं, तए णं मुनिसुव्वए अरहा कत्तियं सेहिं णेगमट्टसहस्सेणं सद्धिं सयमेव पव्वावेइ जाव धम्ममाइक्खइ, एवं देवाणुपिया | गंतव्वं एवं चिट्ठियव्वं जाव संजमियव्वं, तए णं से कत्तिए सेट्ठी नेगम सहस्वेणं सद्धिं मुणिसुव्वयस्स अरहओ इमं एयारुवं धम्मियं उवएसं सम्मं संपडिवज्जइ, तमाणाए तहा गच्छइ जाव संजमेइ, तए णं से कत्तिए सेट्ठी णेगमट्टसहस्सेणं सद्धिं अणगारे जाए इरियासमिए जाव गुत्तवंभयारी, तए णं से कत्तिए अणगारे मुणिसुव्वयस्स - अरहओ तहारुवाणं थेराणं अंतियं सामाइयमाइयाईं चोद्दस पुव्वाई अहिज्जइ सा० २ ता वहूहि चउत्थछट्ठट्ठम जाव अप्पाणं भावेमाणे बहुपड़िपुन्नाई, दुवालसवासाईं सामन्नपरियागं पाडणइ २ त्ता मासियाए-संलेहणाए, अत्ताणं झोसे 2 Page #818 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई मा० २ त्ता सहि भत्ताइं अणसणाए छेदेइ स० २ त्ता आलोइयपडिळते जाव कालं किचा सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिसए विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जसि जाव सक्के देविंदत्ताए उववन्ने, तए णं से सक्ने देविंदे देवराया अहुणोववणे सेसं जहा गंगदत्तस्स जाव अंतं काहिइ, नवरं ठिई दो सागरोवमाई प० सेसं तं चेव । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ६१६ ॥ अट्ठारसमस्स सयस्स वीओ उद्देसो समत्तो। तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था वन्नओ, गुणसिलए उजाणे वन्नओ जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव अंतेवासी मागंदियपुत्ते नाम अणगारे पगइभदए जहा मंडियपुत्ते जाव पजुवासमाणे एवं वयासी-से नूणं भंते ! काउलेस्से पुढविकाइए काउलेस्सेहिंतो पुढविकाइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता माणुसं विग्गहं लभइ मा० २ त्ता केवलं बोहिं बुज्झइ के० २ त्ता तओ पच्छा सिज्झइ जाव अंतं करेइ ? हंता मागंदियपुत्ता । काउलेस्से पुढविकाइए जाव अंतं करेइ । से नूणं भंते ! काउलेस्से आउकाइए काउलेस्सेहितो आउकाइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता माणुसं विग्गहं लभइ मा० २ त्ता केवलं वोहिं वुज्झइ जाव अंतं करेइ ? हंता मागंदियपुत्ता ! जाव अंतं करेइ । से नूणं भंते ! काउलेस्ले वणस्सइकाइए एवं चेव जाव अंतं करेइ, सेवं भंते ! २ त्ति मागंदियपुत्ते अणगारे समणं भगवं महावीरं जाव नमंसित्ता जेणेव समणे निरगंथे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणे निग्गंथे एवं वयासी-एवं खलु अजो ! काउलेस्से पुढविकाइए तहेव जाव अंतं करेइ, एवं खलु अन्जो ! काउलेस्से आउक्काइए जाव अंतं करेइ, एवं खलु अजो | काउलेस्से वणस्सइकाइए जाव अंतं करेइ, तए णं ते समणा निग्गंथा मा(क)गंदियपुत्तस्स अणगारस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव एवं परूवेमाणस्स एयमद्वं नो सद्दहति ३ एयमढे असहमाणा ३ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति २त्ता समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति वं० २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु भंते ! मागंदियपुत्ते अणगारे अम्हं एवमाइक्खइ जाव परुवेइएवं खलु अजो ! काउलेस्से पुढविकाइए जाव अंतं करेइ, एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से आउकाइए जाव अंतं करेइ, एवं खलु० वणस्सइकाइएवि जाव अंतं करेइ, से कहा मेयं भंते! एवं? अज्जोत्ति समणे भगवं महावीरे ते समणे निग्गंथे आमंतेत्ता एवं वयासी-जण्णं अजो ! मागंदियपुत्ते अणगारे तुज्झे एवं आइक्खइ जाव परूवेइएवं खलु अज्जो ! काउलेस्से पुढवीकाइए जाव अंतं करेइ, एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से आउकाइए जाव अंतं करेइ, एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से वणस्सइकाइएवि जाव अंतं करेइ, सच्चे णं एसमढे, अहंपि णं अज्जो ! एवमाइक्खामि ४-एवं खलु' Page #819 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६७ । वि०५० स० १८ उ० ३] सुत्तागमे अज्जो ! कण्हलेस्ते पुढविकाइए कण्हलेस्सेहितो पुढविकाइएहितो जाव अंत करेइ, एवं खलु अज्जो ! नीललेस्से पुढविकाइए जाव अंतं करेइ, एवं काउलेस्सेवि जहा पुढविकाइए जाव अंतं करेइ, एवं आउकाइएवि, एवं वणस्सइकाइएवि, सच्चे णं एसमढे॥ सेवं भंते ! २त्ति समणा निग्गथा समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति वं० २त्ता जेणेव मागंदियपुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता मागंदियपुत्तं अणगारं वंदति नमसंति वं० २ त्ता एयमझु सम्मं विणएणं भुजो २ खामेति ॥६१७॥ तए णं से मार्गदियपुत्ते अणगारे उठाए उठेइ २ त्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ ते० २ त्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ ता एवं वयासी-अणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो सव्वं कम्मं वेदेसाणस्स सव्वं कम्मं निजरेमाणस्स सव्वं मारं मरमाणस्स सव्वं सरीरं विप्पजहमाणस्स चरिमं कम्मं वेदेमाणस्स चरिमं कर्म निजरेमाणस्स चरिमं मार मरमाणस्स चरिमं सरीरं विप्पजहमाणस्स मारणंतियं कम्मं वेदेमाणस्स मारणंतियं कम्मं निजरेमाणस्स मारणंतियं मारं' मरमाणस्स मारणंतियं सरीरं विप्पजहमाणस्स जे चरिमा निजरापोग्गला सुहुमा णं ते पोग्गला प०, समणाउसो! सव्वं लोगंपिणं ते उग्गाहित्ताणं चिट्ठति ? हंता मागंदियपुत्ता! अणगारस्स णं भावियप्पणो जाव ओगाहित्ताणं चिट्ठति, छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से तेसिं निजरापोग्गलाणं किचि आणत्तं वा णाणत्तं वा एवं जहा इंदियउद्देसए पढमे जाव वेमाणिया जाव तत्थ णं जे ते उवउत्ता ते जाणति पासंति आहारेंति, से तेणटेणं निक्खेवो भाणियव्वोत्ति न पासंति आहारेंति, नेरइया णं भंते! निजरापोग्गला न जाणंति न पासंति आहारेंति, एवं जाव पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं, मणुस्सा णं भंते ! निजरापोग्गले कि जाणति पासंति आहारेंति उदाहु नं जाणंति न पासंति न आहारेंति ? गोयमा ! अत्थेगइया जाणंति ३ अत्थेगइया न जाणंति न पासंति आहारेंति, से केणढेणं भंते ! एवं बुच्चइ अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारेंति, अत्थेगइया न जाणंति न पासंति आहारेंति ? गोयमा ! मणुस्सा दुविहा प०, तंजहा-सन्निभूया य असन्निभूया य, तत्थ णं जे"ते' असन्निभूया ते न जाणंति न पांसंति आहारेंति, तत्थ णं जे ते सन्निभूया ते दुविहा प०, तं०उवउत्ता य अणुवउत्ता य, तत्थ णं जे ते अणुवउत्ता ते न जाणंति न पासंति आहारेंति, तत्थ णं जे ते उवउत्ताते जाणंति ३, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ अंत्थेगइया न जाणंति २ आहारेंति, अत्थेगइया जाणंति ३, वाणमंतरजोइसिया जहा नेरइया । वेमाणियाणं भंते! ते निजरापोग्गले कि जाणंति ६ ? गोयमा । जहा मणुस्सा नवरं वेमाणिया दुविहा प०, तं०-माइमिच्छद्दिटिउववनगा य अमा Page #820 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे - 1 ० " ↓ 4 [ भगवई इसम्मद्दिट्ठिउववन्नगा य, तत्थ णं जे ते माइमिच्छद्दिट्टिउववन्नगा ते णं न जाणंतिन. पासंति आहारेंति, तत्थ णं जे ते अमाइसम्मद्दिहिउववन्नगा ते दुविहा प०, ०अतरोववन्नगा य परंपरोववन्नगा य, तत्थ णं जे ते अनंतरोववन्नगा ते णं नजाणंति न पासंति आहारेंति, तत्थ णं जे ते परंपरोववन्नगा ते दुविहा प०, पज़त्तगा य अपज़त्तगा य, तत्थ णं जे ते अपज्जत्तगा ते णं न जाणंति न पासंति आहारेंति, तत्थ णं, जे ते पज़त्तगा ते दुविहा प०, तं० - उवउत्ता य अणुवउत्ता - य, तत्थ णं जे ते अणुवत्ता ते णं न जाणंति २ आहारेंति ॥ ६१८ ॥ कइविहे णं, भन्ते ! बंधे प्० ? मागंदियपुत्ता ! दुविहे बंधे प०, तं० - दव्वबंधे य भावबंधे य दव्वबंधे णं भंते! कइविहे प ० १ मार्गदियपुत्ता ! दुविहे प०, तं०-पओगबंधे य वीससाबंधे य, वीससाबंधे णं भंते ! कइविहे प० ? मागंदियपुत्ता ! दुविहे प०, तं०-साईय़वीससाबंधे य अणाईयवीससाबंधे य, पओगवंधे णं भंते ! कइविहे प० ? मागंदियपुत्ता !, दुविहे प०, तं० - सिढिलबंधणवन्धे य धणियबंधणबन्धे य, भावबंधे णं भंते! कइ विहे प ? मार्गदियपुत्ता ! दुविहे प०, तं० - मूलपगडिबंधे य उत्तरपगडिबंधे य, नेरइयाणं भंते! कइविहे भावबंधे प० ? मागंदियपुत्ता ! दुविहे : भावबंधे प०, तं०- मूलपगडिबंधे य उत्तरपगडिबंधे य, एवं जाव वेमाणियाणं,नाणावरणिज्जस्स णं भंते । कम्मस्स कइविहे भावबंधे प० ? मार्गदियपुत्ता ! दुविहे भावबंधे प०, तं० - मूलपग़डिबंधे य उत्तरपगडिबंधे य, नेरइयाणं भंते! नाणावर-'णिज्जस्स कम्मस्स कइविहे भावबंधे प० ? मागंदियपुत्ता। दुविहे भावबंधे प०, तं०मूलपगडिबंधे य, उत्तरपगड़िबंधे य, एवं जाव वेमाणियाणं, जहा नाणावरणिजेणं, दंडओ भणिओ एवं जाव अंतराइएणं भाणियव्वो ॥ ६१९ ॥ जीवाणं भंते! पावे कम्मे जे य़ कडे जाव. जे य कजिस्सइ अत्थि याइ तस्स केइ णाणत्ते ? हंता अस्थि, सेकेणणं भंते ! एवं वुच्चइ जीवाणं पावे कम्मे जे य कडे जाव जे ये कज्जिस्सइ अत्थि याइ तस्स, णाणते ? मार्गदियपुत्ता ! से जहानामए - केइ पुरिसे धणुं परामुसइ २त्ता उसुं परामुखंइ २ त्ता ठाणं ठाइ २ त्ता आययकन्नाययं उसुं करेइ आ० २ ता उड्नुं वेहासं उव्विहइ से नूणं मागंदियपुत्ता! तस्स उस्स्स उङ्कं वेहासं उव्वीदस्स समाणस्स . एयइवि - णाणत्तं जाव तं तं भावं परिणमइवि णाणत्तं ? हंता भगवं !एयइवि णाणत्तं जाव परिणमइवि णाणत्तं, से, तेणट्टेणं मागंदियपुत्ता ! एवं चुच्चइ जाव: तं तं भाव परिणमइविणाणत्तं, नेरइयाणं भंते! पावे कम्मे जे य कड़े एवं चैव एवं= जाव वेमाणियाणं ॥ ६२० ॥ नेरइया णं भंते । जे पोरगले आहारत्ताए गेण्हंति तेसि णं. भ्रंते । पोग्गलाणं सेयकालंसि कुइभागं आहारेंति, कडूभागं निज्जुरेति " F ७६८, " Page #821 -------------------------------------------------------------------------- ________________ } वि० प० स० १८ उ० ४ ] सुत्तागमे ७६९ मागंदियत्ता | असंखेजइभागं आहारंति अनंतभागं निजरेंति, चंक्रिया णं भंते ! केइ तेसु निज्जरापोग्गले आसइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए वा ? णो इणट्ठे समहे, अणाहरणमेयं वुइयं समणाउसो ! एवं जाव वेमाणियाणं । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ६२१ ॥ अट्टारसमस्स सयस्स तइओ उद्देसो समत्तो ॥ तेणं काळेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव भगवं गोयमे एवं वयासी - अह भंते ! पाणाइवाए मुसावाए जाव मिच्छादंसणसले, पाणाइवायवेरमणे मुसावाय० जाव मिच्छादंसणसवेरमणे, पुढविक्का इए जाव वणस्सइकाइए, धम्मत्थिकाए अधम्मत्थि - काए आगासत्थिकाए जीवे असरीरपडिवद्धे परमाणुपोग्गले सेलेसिं पडिवन्नए अणगारे सव्वे य वायरवोदिधरा कलेवरा एए णं दुविहा जीवदव्वा य अजीवदव्वा य जीवाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! पाणाइवाए जाव एए णं दुविहा जीवदव्वा य अजीवदव्वा य अत्येगइया जीवाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति, अत्थेगइया जीवाणं जाव नो हव्वमागच्छंति, से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चर पाणाइवाए जाव नो हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! पाणाइवाए जाव मिच्छादंसणसले, पुढविकाइए जाव वणस्सइकाइए, सव्वे य वायरवोंदिधरा कलेवरा एए णं दुविहा जीवदव्वा य अजीवदव्वा य जीवाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति, पाणाइवायवेरमणे जाव मिच्छादंसण सहविवेगे, धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए जाव परमाणुपोग्गले सेलेसिं पडिवन्नए अणगारे एए णं दुविहा जीवदव्वा य अजीवदव्वा य जीवाणं परिभोगत्ताए नो हव्वमागच्छन्ति, से तेणद्वेणं जाव नो हव्वमागच्छति ॥ ६२२ ॥ कइ णं भंते ! कसाया पन्नत्ता ? गोयमा ! चत्तारि कसाया प०, तं० - कसायपयं निरवसेसं भाणि - यव्वं जाव निज्जरिस्संति लोमेणं ॥ कइ णं भंते ! जुम्मा पन्नत्ता ? गोयमा ! चत्तारि जुम्मा पन्नत्ता, तं०- कडजुम्मे तेओगे दावरजुम्मे कलिओगे, से केणद्वेगं भंते ! एवं चुच्चइ जाव कलिओगे ? गोयमा ! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए सेत्तं कडजुम्मे, जेणं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए सेत्तं तेओगे, जेणं रासी चउकएणं अवहारेणं अवहीरमाणे (२) दुपज्जव - सिए सेत्तं दावरजुम्मे, जेणं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपजवसिए सेत्तं कलिओगे, से तेणट्टेणं गोयमा । एवं बुच्चई जाव कलिओगे || नेरइया णं भंते ! कि कडजुम्मा तेओगा दावरजुम्मा कलिओगा ? गोयमा ! जहन्नपए कडजुम्मा, उक्नोसपएं तेओगा, अजहण्णमणुक्कोसपए सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, एवं जाव थणियकुमारा । वणस्सइकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नपए अपया उक्लोस - पए य अपया अजहण्णमणुकोसपए सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा । बेइंदि४९ सुत्ता० Page #822 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ७७० दिया जहालय कडजुम्मा जावा कडजुम्मा, उनोसपा याणं पुच्छा, गोयमा! जहन्नपए कडजुम्मा, उक्नोसपए दावरजुम्मा, अजहन्नमणुकोसपए सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, एवं जाव चउरिंदिया, सेसा एगिंदिया जहा बेइंदिया, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया, सिद्धा जहा वणस्सइकाइया। इत्थीओ णं भंते ! किं कडजुम्माओ० पुच्छा, गोयमा! जहन्नपए कडजुम्माओ, उक्कोसपए कडजुम्माओ, अजहन्नमणुनोसपए सिय कडजुम्माओ जाव सिय कलिओगाओ, एवं असुरकुमारइत्थीओवि जाव थणियकुमारइत्थीओवि, एवं तिरिक्खजोणियइत्थीओवि, एवं मणुस्सइत्थीओवि, एवं वाणमंतरजोइसियवेमाणियदेवइत्थीओवि ॥ ६२३ ॥ जावइयाणं भंते ! वरा अंधगवण्हिणो जीवा तावइया परा अंधगवण्हिणो जीवा ? हंता गोयमा ! जावइया वरा अंधगवहिणो जीवा तावइया परा अंधगवण्हिणो.जीवा । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ६२४ ॥ अट्ठारसमस्स सयस्स चउत्थो उद्देसो समत्तो॥ दो भंते ! असुरकुमारा एगसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमारदेवत्ताए उववन्ना, तत्य णं एगे असुरकुमारे देवे पासादीए दरिसणिजे अभिरूवे पडिस्वे, एगे असुरकुमारे देवे से णं नो पासादीए नो दरिसणिजे नो अभिरुवे नो पडिरूवे, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा! असुरकुमारा देवा दुविहा प०, तं०-वेउव्वियसरीरा य अवेउव्वियसरीरा य, तत्थ णं जे से वेउव्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से णं पासादीए जाव पडिरूवे, तत्थ णं जे से अवेउव्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से णं नो पासादीए जाव नो पडिरूवे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-तत्थ णं जे से वेउव्वियसरीरे तं चेव जाव णो पडिरूवे ? गोयमा! से जहानामए-इहं मणुस्सलोगंसि दुवे पुरिसा भवंति, एगे पुरिसे अलंकियविभूसिए, एगे पुरिसे अणलंकियविभूसिए, एएसिणं गोयमा। दोण्हं पुरिसाणं कयरे पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे, कयरे पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिरूवे, जे वा से पुरिसे अलंकियविभूसिए जे वा से पुरिसे अगलंकियविभूसिए ? भगवं! तत्य जे से पुरिसे अलंकियविभूसिए से णं पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे, तत्थ णं जे से पुरिसे अणलंकियविभूसिए से णं पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिलवे, से तेगडेणं जाव नो पडिरूवे । दो भंते ! नागकुमारा देवा एगंसि नागकुमारावासंसि एवं चेव, एवं जाव थणियकुमारा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया एवं चेव ।। ६२५ ॥ दो भंते ! नेरइया एगंसि नेरइयावासंसि नेरइयत्ताए उववन्ना, तत्थ णं एगे नेरइए महाकम्मतराए चेव जाव महावेयणतराए चेव, एगे नेरइए अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए चेव, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा! नेरइया दुविहा प०, तं०-माइमिच्छादिहिउववन्नगा य अमाइसम्मद्दिट्ठि Page #823 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प०.स. १८ उ०६] सुत्तागमे ७७१ उववन्नगा य, तत्थ णं जे से माइमिच्छादिहिउववन्नए नेरइए से णं महाकम्मतराए चेव जाव महावयणतराए चेव, तत्थ णं जे से अमाइसम्मद्दिट्ठिउववन्नए नेरइए से गं अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए चेव, दो भंते ! असुरकुमारा एवं चेव, एवं एगिदियविगलिंदियवज जाव वेमाणिया ॥ ६२६ ॥ नेरइ(या)एणं भंते ! अणंतरं उच्चट्टित्ता जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजित्तए, से णं भंते ! कयरं आउंयं पडिसंवेदेइ ? गोयमा ! नेरड्याउयं पडिसंवेदेइ, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाउए से पुरओ कडे चिट्ठइ, एवं मणुस्सेवि, नवरं मणुस्साउए से पुरओ कडे चिठ्ठइ । असुरकुमारा णं भंते ! अणंतरं उव्वटित्ता जे भविए पुढविकाइएसु उववज्जित्तए पुच्छा, गोयमा ! असुरकुमाराउयं पडिसंवेदेइ, पुढविकाइयाउए से उरओ कडे चिठ्ठइ, एवं जो जहिं भविओ उववजित्तए तस्स तं पुरओ कडं चिट्ठइ, जत्थ ठिओ तं पडिसंवेदेइ जाव चेमाणिए, नवरं पुढविकाइए पुढविकाइएसु उववजइ पुढविकाइयाउयं पडिसंवेदेइ, अन्ने य से पुढविक्काइयाउए पुरओ कडे चिट्ठइ, एवं जाव मणुस्सो सट्टाणे उववाएयव्वो परहाणे तहेव ॥ ६२७ ॥ दो भंते ! असुरकुमारा एगंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमारदेवत्ताए उववन्ना, तत्थ णं एगे असुरकुमारे देवे उज्जुयं विउव्विस्सामित्ति उज्जुयं विउव्वइ, वकं विउव्विस्सामित्ति वंक विउव्वइ, जं जहा इच्छइ तं तहा विउव्वइ, एगे असुरकुमारे देवे उजुयं विउव्विस्मामित्ति वक्र विउव्वइ, वंकं विउविस्सामित्ति उजुयं विउव्वइ, जं जहा इच्छइ णो तं तहा विउव्वइ, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! असुरकुमारा देवा दुविहा प०, तं०-माइमिच्छद्दिहिउववन्नगा य अमाइसम्मद्दिट्ठिउववन्नगा य, तत्थ णं जे से माइसमच्छादिट्ठिउववन्नए असुरकुमारे देवे से गं उज्जुयं विउबिस्सामित्तिं वंकं विउव्वइ जाव णो तं तहा विउव्वइ, तत्य णं जे से अमाइसम्मद्दिहिउववन्नए असुरकुमारे देवे से णं उजुयं विउव्विस्सामीति उज्जुयं विउव्वइ जाव तं तहा विउव्वइ । दो भंते ! नागकुमारा एवं चेव, एवं जाव थणियकुमारा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया एवं चेव ॥ सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ६२८ ॥ अट्ठारसमस्स सयरस पंचमो उद्देसो समत्तो। फाणियगुले णं भंते ! कइवन्ने कइगंधे कइरसे कइफासे पण्णत्ते ? गोयमा! एत्थ ण दो नया भवंति, तं०-निच्छइयनए य वावहारियनए य, वावहारियनयस्स गोटे फाणियंगुले, नेच्छइयनयस्स पंचवन्ने दुगंधे पंचरसे अट्ठफासे प० । भमरे णं भंते ! कइवन्ने० पुच्छा, गोयमा । एत्थ णं दो नया भवंति, तं०-निच्छइयनए य वाचहारियनए य, वावहारियनयस्स कालए भमरे, नेच्छइयनयस्स पंचवन्ने जाव अट्ठकासे प० । सुयपिच्छे णं भंते ! कइवन्ने० प०? एवं चेव, नवरं वावहारियनयस्स Page #824 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७२ सुत्तागमे [भगवई नीलए सुयपिच्छे, नेच्छइयनयस्स पंचवण्णे सेसं तं चेव, एवं एएणं अभिलावेणं लोहि(ति)या मंजिट्ठिया, पीतिया हालिद्दा, सुकिल्लए संखे, सुन्भिगंधे कोटे, दुन्भिगंधे मियगसरीरे, तित्ते निबे, कडुया सुंठी, कसाए कविटे, अंवा अंबिलिया, महुरे खंडे, कक्खडे वइरे, मउए नवणीए, गुरुए अए, लहुए उलुयपत्ते, सीए हिमे, उसिणे अगणिकाए, णिद्धे तेल्ले । छारिया णं भंते ! पुच्छा, गोयमा! एत्थ णं दो नया भवंति, तं०-निच्छइयनए य वावहारियनए य, वावहारियनयस्स लुक्खा छारिया, नेच्छइयनयस्स पंचवन्ना जाव अट्ठफासा प० ॥ ६२९ ॥ परमाणुपोग्गले णं भंते ! कइवन्ने जाव कइफासे पन्नत्ते ? गोयमा! एगवन्ने एगगंधे एगरसे दुफासे पन्नत्ते ॥ दुपएसिए णं भंते ! खंधे कइवन्ने० पुच्छा, गोयमा ! सिय एगवन्ने सिय दुवने, सिय एगगंधे सिय दुगंधे, सिय एगरसे सिय दुरसे, सिय दुफासे सिय तिफासे सिय चउफासे पन्नत्ते, एवं तिपएसिएवि, नवरं सिय एगवन्ने सिय दुवन्ने सिय तिवन्ने, एवं रसेसुवि, सेसं जहा दुपएसियस्स, एवं चउप्पएसिएवि, नवरं सिय एगवन्ने जाव सिय चउवन्ने, एवं रसे- . सुवि, सेसं तं चेव, एवं पंचपएसिएवि, नवरं सिय एगवन्ने जाव सिय पंचवन्ने, एवं रसेसुवि, गंधफासा तहेव, जहा पंचपएसिओ एवं जाव असंखेजपएसिओ ॥ सुहुमपरिणए णं भंते ! अणंतपएसिए खंधे कइवन्ने ? जहा पंचपएसिए तहेव निरवसेसं, वायरपरिणए णं भंते ! अणंतपएसिए खंधे कइवन्ने० पुच्छा, गोयमा ! सिय एगवन्ने जाव सिय पंचवन्ने, सिय एगगंधे सिय दुगंधे, सिय एगरसे जाव सिय पंचरसे, सिय चउफासे जाव सिय अठ्ठफासे प० ॥ सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ६३० । अट्ठारसमस्स सयरस छट्ठो उद्देसो समत्तो॥ __ रायगिहे जाव एवं वयासी-अन्नउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव परूनैति-एवं खलु केवली जक्खाएसेणं आइस्सइ, एवं खलु केवली जक्खाएसेणं आइडे समाणे आहच्च दो भासाओ भासइ, तं०-मोसं वा सञ्चामोसं वा, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! जण्णं ते अन्नउत्थिया जाव जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा । एवमाइक्खामि ४-नो खलु केवली जक्खाएसेणं आइस्सइ, नो खलु केवली जक्खाएसेणं आइढे समाणे आहच्च दो भासाओ भासइ, तं०-मोसं वा सच्चामोसं वा, केवली णं असावजाओ अपरोवघाइयाओ आहच दो भासाओ भासइ, तं०-सच्चं वा असच्चामोसं वा ॥ ६३१॥ कइविहे णं भंते ! उवही पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे उवही प०, तं०-कम्मोवही, सरीरोवही, वाहिरभंडमत्तोवगरणोवही, नेरइयाणं भंते ! पुच्छा, गोयमा । दुविहे उवही प०, तं०-कम्मोवही य सरीरोवही य, सेसाणं तिविहे उवही एगिदियवजाणं जाव वेमाणियाणं, एगिदियाणं Page #825 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १८ उ० ७ ] सुत्तागमे ७७३ 1 दुविहे वही प०, तंजहा - कम्मोवही य सरीरोवही य, कइविहे णं भंते ! उवही प० ? गोयमा ! तिविहे उवही प०, तंजहा - सचित्ते, अचित्ते, मीसए, एवं नेरइयाणवि, एवं निरवसे (सा) सं जाव वैमाणियाणं । कइविहे णं भंते । परिग्गहे प ० ? गोयमा ! तिविहे परिग्गहे प०, तं०- कम्मपरिग्गहे, सरीरपरिग्गहे, बाहिरभंडमत्तोवगरणपरिग्गहे, नेरइयाणं भंते । एवं जहा उबहिणा दो दंडगा भणियां तहेच परिग्गहेणवि दो दंडगा भाणियव्वा, कइविहे णं भंते । पणिहाणे प० ? गोयमा ! तिविहे पणिहाणे प०, तं०-मणपणिहाणे, वमणिहाणे, कायपणिहाणे, नेरइयाणं भंते ! इविहे पणिहाणे प० ? एवं चैव, एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! एगे कायपणिहाणे प०, एवं जाव वणस्सइकाइयाणं, वेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! दुविहे पणिहाणे प०, तं० - वइपणिहाणे य कायपणिहाणे य, एवं जाव चउरिदियाणं, सेमाणं तिविहेवि जाव वेमाणियाणं । कइविहे णं भंते । दुप्पणिहाणे प० ? गोयमा ! तिविहे दुप्पणिहाणे प०, तं० - मणदुप्पणिहाणे, वइदुप्पणिहाणे, कांयदुप्पणिहाणे, जव पणिहाणेणं दंडगो भणिओ तहेव दुप्पणिहाणेणवि भाणियव्वो । कवि भंते ! सुप्पणिहाणे प० ? गोयमा ! तिविहे सुप्पणिहाणे प०, तंजहा - मणसुप्पणिहाणे, वसुप्पणिहाणे, कायमुप्पणिहाणे, मणुस्साणं भंते । कइविहे सुप्पणिहाणे प० ! एवं चेव जाव वेमाणियाणं, सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ तए समणे भगवं महावीरे जाव वहिया जणवयविहारं विहरइ ॥ ६३२ ॥ तेणं काळेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे गुणसिलए उज्जाणे वन्नओ जाव पुढवि सिलापट्टओ, तस्स णं गुणसिलयस्स उज्जाणस्स अदूरसामंते वहवे अन्नउत्थिया परिवसति, तं०- कालोदाई सेलोदाई एवं जहा सत्तमसए अन्नउत्थिउद्देसए जाब से कहमेयं मन्न एवं ? तत्थ णं रायगिहे नयरे महुए नामं समणोवासए परिवसइ, अड्ढे जाव अपरिभूए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ पुव्वाणुपुचि चरमाणे जाव समोसढे, परिसा जाव पज्जुवासइ, तए णं म (हु)हुए समणोवासए इमीसे कहाए लद्धट्ठे समाणे हट्टतुट्ठ जाव हियए हाए जाव सरीरे सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ स० २ त्ता पायविहारचारेणं रायगिहं नयरं जाव निग्गच्छइ २ त्ता तेसिं अन्नउत्थियाणं अदूरसामंतेणं वीईवयंइ, तए णं ते अन्नउत्थिया मद्दुयं समणोवासयं अदूरसामंतेणं वीईवयमाणं पासंति २ तो अन्नमन्नं सद्दावेंति २ त्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमा कहा अविउप्पकडा इमं चणं महुए समणोवासए अम्हं अदूरसामंतेणं वीईवयइ, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं मद्दुयं समणोवासगं एयमहं पुच्छित्तएत्तिकद्रु अन्नमन्नस्स अंतियं Page #826 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७४ सुत्तागमे [भगवई एयमहूँ पडिसुणेति अन्नमन्नस्स० २ त्ता जेणेव मढुए समणोवासए तेणेव उवागच्छंति २ त्ता मदुयं समणोवासगं एवं वयासी-एवं खलु मदु(मंड)या! तव धम्मायरिए. धम्मोवएसए समणे णायपुत्ते पंच अत्यिकाए पनवेइ जहा सत्तमे सए अन्नउन्थियउद्देसए जाव से कहमेयं मढुया ! एवं ?, तए णं से महुए समणोवासए ते अन्नउथिए एवं वयासी-जइ कजं कजइ जाणामो पासामो, अह कजं न कज्जइ न जाणामो न पासामो, तए णं ते अन्नउत्थिया मदुयं समणोवासयं एवं वयासी-केस णं तुम मडुया !' समणोवासगाणं भवसि, जे णं तुम एयमद्वं न जाणसि न पाससि ?, तए णं से मद्दए समणोवासए ते अन्नउत्थिए एवं वयासी-अस्थि णं आउसो ! वारयाए चाइ ? हंता मदुया! वाइ, तु(ज्झे)न्भे णं आउसो ! वाउयायस्स वायमाणस्स लवं पासह ? णो इणढे समढे, अत्थि णं आउसो ! घाणसहगया पोग्गला ? हंता अस्थि, तुब्भे णं आउसो! घाणसहगयाणं पोग्गलाणं रूवं पासह ? णो इणढे समठे, अस्थि णं आउसो ! अरणिसहगए अगणिकाए ? हंता अत्थि, तुम्भे णं आउसो ! अरणिसहगयस्स अगणिकायस्स रूवं पासह ?णो इणढे समढे, अत्थि णं आउसो ! समुदस्स पारगयाई रुवाइं? हंता अत्थि, तुन्भे णं आउसो ! समुहस्स पारगवाई रूवाइं पासह ? णो इणढे समढे, अत्थि णं आउसो! देवलोगगयाइं सवाई हंता अत्थि, तुब्भे णं आउसो ! देवलोगगयाई रूवाई पासह ? णो इणढे समढे, एवामेव आउसो ! अहं वा तुब्भे वा अन्नो वा छउमत्यो जइ जो जं न जाणइ न पासइ तं सव्वं न भवइ एवं मे सुवहुए लोए ण भविस्सतीतिकट्ट ते अन्नउत्थिए एवं पडिहणइ एवं पडिहणित्ता जेणेव गुणसिलए उजाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ-२ त्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभि० जाव पजुवासइ । मयादि ! समणे भगवं महावीरे मद्दुयं समणोवासयं एवं वयासी-सुणं मढुया ! तुमं ते अन्नउत्थिए एवं वयासी, साहु णं मया ! तुमं ते अन्नउत्थिए एवं वयासी, जे णं मदुया ! अह्र वा हेउं वा पसिणं वा वागरणं वा अन्नायं अदिहें अस्सुयं अमयं अविण्णायं बहुजणमज्झे आघवेइ पन्नवेइ जाव उवदंसेइ, से णं अरिहंताणं आसायणाए वट्टइ, अरिहंतपन्नत्तस्स धम्मस्स आसायणाए वट्टइ, केवलीणं आसायणाए वट्टइ, केवलिपन्नत्तस्स धम्मस्स आसायणाए वट्टइ, तं सुटुणं तुमं मढुया ! ते अन्नउत्थिए एवं क्यासी, साहु णं तुमं मया ! जाव एवं वयासी, तए णं मढुए समणोवासए समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हद्वतुढे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता णचासन्ने जाव पज्जुवासइ, तए णं समणे भगवं महावीरे मढुयस्स समणोवासगस्स तीसे य जाव परिसा पडिगया, तए णं मदुए Page #827 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १८ उ०७] सुत्तागमे ওওও समणोवासए समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव निसग्म हट्टतुढे पसिणाई (वागरणाइं) पुच्छइ प० २ त्ता अट्ठाई परियादियइ २ त्ता उठाए उठेइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ बं० २ त्ता जाव पडिगए । भंते । त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-पभू णं भंते ! महुए समणोवासए देवाणुप्पियाणं अंतियं जाव पव्वइत्तए ? णो इणढे समढे, एवं जहेव संखे तहेव अरुणाभे जाव अंतं करे(का)हिइ ॥ ६३३ ॥ देवेणं भंते ! महिड्डिए जाव महेसक्खे स्वसहस्स विउव्वित्ता पभू अन्नमनेणं सद्धिं संगामं संगामेत्तए ? हंता पभू । ताओ णं भंते ! वोंदीओ कि एगीवफुडाओ अणेगजीवफुडाओ? गोयमा ! एगजीवफुडाओ णो अणेगीवफुडाओ, तेसि णं भंते । वोदीणं अंतरा किं एगजीवफुडा अणेगीवफुडा? गोयमा । एगजीवफुडा नो अणेगजीवफुडा । पुरिसे णं भंते ! अंतरेणं हत्थेण वा एवं जहा अट्टमसए तइए उद्देसए जाव नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ॥ ६३४ ॥ अस्थि णं भंते ! देवासुराणं संगामे २ ? हंता अस्थि, देवासुरैसु णं भंते ! संगामेनु वट्टमाणेसु किन्नं तेसिं देवाणं पहरणरयणत्ताए परिणमइ ? गोयमा! जन्नं ते देवा तणं वा कलु वा पत्तं वा सक्करं वा परामुसंति तं (ग) तं तेसि देवाणं पहरणरयणत्ताए परिणमइ, जहेव देवाणं तहेव असुरकुमाराणं ? णो इणढे समठे, असुरकुमाराणं देवाणं निच्चं विउव्विया पहरणरयणा प० ॥ ६३५॥ देवे णं भंते ! महिट्टिए जाव महेसक्खे पभू लवणसमुई अणुपरियट्टित्ताणं हव्वमागच्छित्तए ? हंता पभू , देवे णं भंते ! महिड्डिए एवं धायइसंडं दीवं जाव हंता पभू, एवं जाव स्यगवरं दीवं जाव हंता पभू, ते णं पर वीईवएना नो चेव णं अणुपरियट्टेजा ॥ ६३६ ॥ अत्थि णं भंते ! देवा जे अणते कम्मंसे जहन्नेणं एक्केण वा दोहि वा तिहिं वा उकोसेणं पंचहिं वाससएहि खवयंति ? हंता अत्थि, अत्थि णं भंते ! देवा जे अणंते कम्मंसे जहन्नेणं एक्केण वा दोहि वा तिहि वा उक्कोसेणं पंचहिं वास सहस्सेहि खवयंति ? हंता अस्थि, अस्थि णं भंते ! ते देवा जे अणंते कम्मंसे जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तिहि वा उक्कोसेणं पंचहि वाससयसहस्सेहि खवयंति ? हंता अत्थि, कयरे णं भंते ! ते देवा जे अणंते कम्मसे जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तिहि वा जाव पंचहि वाससएहिं खवयंति, कयरे णं भंते । ते देवा जाव पंचहिं वाससहस्सेहिं खवयंति, कयरे णं भंते ! ते देवा जाव पंचहिं वाससयसहस्सेहि खवयंति ? गोयमा ! वाणमंतरा देवा अणंते कम्मंसे, एगेणं वाससएणं खवयंति, असुरिदवजिया णं भवणवासी देवा अणंते कम्मंसे दोहि वाससएहि खवयति, असुरकुमारा णं देवा अणंते कम्मसे ति(ती) हिं वाससएहि खवयंति, गहगणनक्खत्ततारारुवा जोइसिय असुरकुमाराण महसले पभू लाल Page #828 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७६ सुत्तागमे [भगवई मसे तिहिं वासलात आणयपाणयआर कम्मसे एगेण बालवयंति, देवा अणते कम्मंसे चउहि वास जाव खवयंति, चंदिमसूरिया जोइसिंदा जोइसरायाणो अणंते कम्मंसे पंचहिं वाससएहिं खवयंति, सोहम्मीसाणगा देवा अणंते कम्मंसे एगेणं वाससहस्सेणं (जाव) खवयंति, सणंकुमारमाहिंदगा देवा अणंते कम्मसे दोहिं वाससहस्सेहिं खवयंति, एवं एएणं अभिलावेणं बंभलोगलंतगा देवा अणंते कम्मंसे तिहिं वाससहस्सेहिं खवयंति, महासुक्कसहस्सारगा देवा अणंते कम्मंसे चउहिं वाससहस्सेहिं खवयंति, आणयपाणयआरणअच्चुयगा देवा अणंते कम्मंसे पंचहिं वाससहस्सेहिं खवयंति, हेहिमगेवेजगा देवा अणंते कम्मंसे एगेणं वाससयसहस्सेगं खवयंति, मज्झिमगेवेजगा देवा अणंते कम्मंसे दोहिं वाससयसहस्सेहिं खवयंति, उवरिमगेवेजगा देवा अगंते कम्मंसे तिहिं वाससयसहस्सेहिं खवयंति, विजयवेजयंतजयंतअपराजियगा देवा अणंते कम्मंसे चउहिं वाससयसहस्सेहिं खवयंति, सव्वट्ठसिद्धगा देवा अणंते कम्मंसे पंचहिं वाससयसहस्सेहिं खवयंति, एएणं गोयमा ! ते देवा जे अणंते कम्मसे जहन्नेण एक्केण वा दोहिं वा तिहिं वा उक्कोसेणं पंचहिं वाससएहिं खवयंति, एएणं गोयमा! ते देवा जाव पंचहिं वाससहस्सेहिं खवयंति, एएणटेणं गोयमा ! ते देवा जाव पंचहिं वाससयसहस्सेहिं खवयंति । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ६३७ ॥ अट्ठारसमस्स सयस्स सत्तमो उद्देसो समत्तो॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-अणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो पुरओ दुहओ जुगमायाए पेहाए रीयं रीयमाणस्स पायस्स अहे कुकुडपोए वा वट्टापोए वा कुलिंगच्छाए वा परियावजेज्जा, तस्स णं भंते ! कि इरियावहिया किरिया कजइ, संपराइया किरिया कजइ ? गोयमा ! अणगारस्स णं भावियप्पणो जाव तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जइ, नो संपराइया किरिया कज्जइ, से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ०? जहा सत्तमसए संवुडुद्देसए जाव अट्ठो निक्खित्तो। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ तए णं समणे भगवं महावीरे बहिया जाव विहरइ ॥ ६३८ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव पुढविसिलापट्टए, तस्स णं गुणसिलयस्स उजाणस्स अदूरसामंते बहवे अन्नउत्थिया परिवसंति, तए णं समणे भगवं महावीरे जाव समोसढे जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूई नामं अणगारे जाव उ© जाणू जाव विहरइ, तए णं ते अन्नउत्थिया जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छन्ति उवागच्छइत्ता भगवं गोयम एवं वयासी-तुब्भे णं अज्जो ! तिविहं तिविहेणं असंजय जाव एगंतबाला यावि भवह, तए णं भगवं गोयमे ते अन्नउत्थिए एवं वयासी-से केणं कारणेणं अजो! अम्हे तिविहं तिविहेणं असंजय जाव एगंतबाला यावि भवामो ?, तए णं ते अन्न Page #829 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० १८ उ०८] सुत्तागमे ওওও उत्थिया भगवं गोयमं एवं वयासी-तुव्भे णं अजो ! रीयं रीयमाणा पाणे पेञ्चेह अभिहणह जाव उ(व)हवेह, तए णं तुम्भे पाणे पेञ्चेमाणा जाव उद्दवेमाणा तिविहं तिविहेणं जाव एगंतवाला यावि भवह, तए णं भगवं गोयमे ते अन्नउत्थिए एवं वयासी-नो खलु अजो ! अम्हे रीयं रीयमाणा पाणे पेच्चेमो जाव उहवेमो, अम्हे 'णं अज्जो ! रीयं रीयमाणा कायं च जोयं च रीयं च पड्डच्च दिस्सा २ पदिस्सा २ बयामो, तए णं अम्हे दिस्सा दिस्सा वयमाणा पदिस्सा पदिस्सा वयमाणा णो पाणे पेञ्चेमो जाव णो उद्दवेमो, तए णं अम्हे पाणे अपेच्चेमाणा जाव अणोद्दवेमाणा तिविहं तिविहेणं जाव एगंतपंडिया यावि भवामो, तुब्भे गं अज्जो! अप्पणा चेव तिविहं तिविहेणं जाव एगंतवाला यावि भवह, तए णं ते अन्नउत्थिया भगवं गोयम एवं बयासी-केणं कारणेणं अज्जो! अम्हे तिविहं तिविहेगं जाव भवामो ?, तए णं भगवं गोयमे ते अन्नउत्थिए एवं वयासी-तु(ज्झे)भे णं अज्जो ! रीयं रीयमाणा पाणे पेचेह जाव उद्दवेह, तए णं तुन्भे पाणे पेच्चमाणा जाव उद्दवेमाणा तिविहं जाव एगंतवाला यावि भवह, तए णं भगवं गोयमे ते अन्नउत्थिए एवं पडिहणइ एवं पडिहणित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता णच्चासन्ने जाव पजुवासइ, गोयमादि । समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-सुट्टणं तुमं गोयमा! ते अन्नउत्थिए एवं वयासी, साहु णं तुमं गोयमा ! ते अन्नउत्थिए एवं वयासी, अत्थि णं गोयमा ! ममं वहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्था जे णं नो पभू एयं वागरणं वागरेत्तए जहा णं तुमं, तं सुटु णं तुमं गोयमा! ते अन्नउत्थिए एवं वयासी, साहुणं तुमं गोयमा ! ते अन्नउत्थिए एवं वयासी ॥ ६३९ ॥ तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हद्वतुढ० समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से परमाणुपोग्गलं कि जाणइ पासइ उदाहु न जाणइ न.पासइ ? गोयमा! अत्थेगइए जाणइ पासइ, अत्थेगइए न जाणइ न पासइ, छउमत्थे णं भंते ! मणूसे दुपएसियं खंध किं जाणइ पासइ ? एवं चेव, एवं जाव असंखेजपएसियं, छउमत्थे णं भंते ! मणूसे अणंतपएसियं खंधं किं पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए जाणइ पासइ १, अत्थेगइए जाणइ न पासइ २, अत्यंगइए न जाणइ " पासइ ३, अत्थेगइए न जाणइ न पासइ ४, आहोहिए णं भंते । मणुस्से परमाणुपोग्गलं जहा छउमत्थे एवं आहोहिएवि जाव अणंतपएसियं, परमाहोहिए णं भंते! मणूसे परमाणुपोग्गलं जं समयं जाणइ तं समयं पासइ, जं समयं पासइ तं समय जाणइ ? णो इणढे समठे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ परमाहोहिए णं मणूसे पर Page #830 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७८ सुत्तागमे -[ भगवा माणुपोग्गलं जं समयं जाणइ नो तं समयं पासइ, जं समयं पासइ नो तं समर्ट जाणइ ? गोयमा! सागारे से नाणे भवइ, अणागारे से दंसणे भवइ, से तेण?" जाव नो तं समयं जाणइ, एवं जाव अणंतपएसियं । केवली णं भंते ! मणुस्से पर. माणुपोग्गलं जहा परमाहोहिए तहा केवलीवि जाव अणंतपएसियं ॥ सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ६४० ॥ अट्ठारसमस्स सयरस अट्ठमो उद्देसो समत्तो॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-अस्थि णं भंते ! भवियदव्वनेरइया २ ? हंता अत्थि, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ भवियदव्वनेरइया २ ? गोयमा ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा नेरइएसु उववज्जित्तए से तेणटेणं, एवं जाव थणियकुमारा, अस्थि णं भंते ! भवियदव्वपुढविकाइया २ ? हंता अस्थि, से केणढेणं भंते ! एवं० १ गोयमा ! जे भविए तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा देवे वा पुढविकाइएसु उववज्जित्तए से तेणटेणं, आउक्काइयवणस्सइकाइयाणं एवं चेव उववाओ, तेउवाउबेइंदियतेइंदियचउरिदियाण य जे भविए तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं जे भविए नेरइए वा तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा देवे वा पंचिंदियतिरिक्खा जोणिए(वा)सु उववजित्तए एवं मणुस्सावि, वाणमंतरजोइसियवेमाणियाणं जहा नेरइ. याणं ॥ भवियदव्वनेरइयस्स णं भंते ! केवइयं कालं ठिई प० ? गोयमा ! जहन्नेगं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी, भवियदव्वअसुरकुमारस्स णं भंते! केवइयं कालं ठिई प०? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाई, एवं जाव थणियकुमारस्स । भवियदव्वपुढविकाइयस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुक्तं उकोसेणं साइरेगाइं दो सागरोवमाई, एवं आउकाइयस्सवि, तेउवाऊ जहा नेरइ. यस्स, वणस्सइकाइयस्स जहा पुढविकाइयस्स, बेइंदियस्स तेइंदियस्स चउरिदियस्स जहा नेरइयरस, पंचिंदियतिरिक्खज़ोणियस्स - जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं, एवं मणुस्सावि, वाणमंतरजोइसियवेमाणियस्स जहा असुरकुमारस्स ॥ सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ६४१ ॥ अट्ठारसमस्स सयरस नवमो उद्देसो समत्तो॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-अणगारे णं भंते ! भावियप्पा असिधारं वा खुर• धारं वा ओगाहेजा ? हंता ओगाहेजा, से णं तत्थ छिज्जेज वा भिजेज वा ? णो इणद्वे समढे, णो खलु तत्थ सत्थं कमइ, एवं जहा पंचमसए परमाणुपोग्गलवत्तव्वया जाव अणगारे णं भंते ! भावियप्पा उदावत्तं वा जाव नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ॥६४२ ॥ परमाणुपोग्गले णं भंते ! वाउयाएणं फुडे वाउयाए वा परमाणुपोग्गलेणं फुडे ? गोयमा! परमाणुपोग्गले वाउयाएणं फुडे नो वाउयाए परमाणुपोग्गलेणं. Page #831 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३० प० स० १८ उ० १०] सुत्तागमे कुडे । दुपएसिए णं भंते! खंधे वाउयाएणं एवं चेव, एवं जाव असंखेजपएसिए । अणंतपएसिए णं भंते ! खंधे वाउयाए० पुच्छा, गोयमा ! अणंतपएसिए खंधे वाउयाएणं फुडे वाउयाए अणंतपएसिएणं खंधेणं सिय फुडे सिय नो फुडे ॥ वत्थी णं भंते ! वाउयाएणं फुडे वाउयाए वत्थिणा फुडे ? गोयमा । वत्थी वाउयाएणं फुडे नो वाउयाए वत्थिणा फुडे ॥६४३॥ अस्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे. दव्वाइं वन्नओ कालनीललोहियहालिद्दसुकिल्लाई, गंधओ सुन्भिगंधाई दुन्भिगंधाई, रसओ तित्तकडुयकसायअंविलमहुराइं, फासओ कक्खडमउयगुरुयलहुयसीयउसिणनिद्धलुक्खाई, अन्नमन्नवद्धाइं अन्नमन्नपुट्ठाई जाच अन्नमन्नघडत्ताए चिट्ठति ? हंता अत्थि, एवं जाव अहेसत्तमाए। अत्थि णं भंते । सोहम्मस्स कप्पस्स अहे. एवं चेव, एवं जाव ईसिप्पन्भाराए पुढवीए । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ । तए णं समणे भगवं महावीरे जाव बहिया जणवयविहारं विहरइ ॥६४४॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नाम नयरे होत्था वन्नओ, दूइपलासए उजाणे वन्नओ, तत्थ णं वाणियगामे नयरे सोमिले नामं माहणे परिवसइ, अड्डे जाव अपरिभूए, रिउव्वेय जाव सुपरिनिट्ठिए पंचण्हं खंडियसयाणं सयस्स कुडुवस्स आहेवच्चं जाव विहरइ, तए णं समणे भगवं महावीरे जाव समोसढे जाव परिसा पज्जुवासइ, तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स इमीसे कहाए लट्ठस्स समाणस्स अयमेयासवे जाव समुप्पजित्था-एवं खलु समणे णायपुत्ते पुव्वाणुपुद्वि चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे सुहंसुहेणं जाव इहमागए जाव दूइपलासए उज्जाणे अहापडिरूवं जाव विहरइ, तं गच्छामि णं समणस्स नायपुत्तस्स अंतियं पाउन्भवामि, इमाइं च णं एयारवाई अट्ठाई जाव वागरणाई पुच्छिस्सामि, तं जइ मे से इमाइं एयारूवाइं अट्ठाई जाव वागर-. णाइं वागरेहिंइ तओ णं वं(दी)दिहामि नम(सी)सिहामि जाव पजुवासिहामि, अहमेयं से इमाइं अट्ठाई जाव वागरणाइं नो वागरेहिइ तो णं एएहि चेव अटेहि य जाव वागरणेहि य निप्पट्टपसिणवागरणं करेस्सामित्तिकट्ट एवं सपेहेइ २ ता हाए जाव सरीरे साओ गिहाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता पायविहारचारेणं एगेणं खंडियसएग सद्धिं संपरिवुडे वाणियगाम नयरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव दूइपलासए उजाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी-जत्ता ते भंते ! जवणिज ते भंते । अव्वावाहं ते भंते ! फासुयविहारं ते भंते । ? सोमिला! जत्तावि मे, जवणिजंपि मे,अव्वावाहपि मे, फासुयविहारंपि मे, कि ते भंते ! जत्ता? सोमिला ! -जं मे तवनियमसंजमसज्झायज्झाणावस्सयमाइएसु जोगेसु जयणा सेत्तं जत्ता, कि ते Page #832 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८० सुत्तागमे [ भगवई भंते ! जवणिज ? सोमिला ! जबणिजे दुविहे प०, तं०-इंदियजवणिजे य नोइंदिय. जवणिजे य, से कि तं इंदियनवणिजे ? इंदियजवणिज्जे जं मे सोइंदियचक्खिदियघाणिं"दियजिभिदियफासिदियाई निरुवहयाई वसे वदृति सेत्तं इंदियजवणिज्जे, से किं तं नोइंदियजवणिज्जे ? २ जं मे कोहमाणमायालोभा वोच्छिन्ना नो उदीरेंति सेत्तं नोइंदियजवणिजे, सेत्त जवणिजे, से किं ते भते ! अव्यावाहं ? सोमिला जं मे वाइयपित्तियसिंभियसन्निवाइया विविहा रोगायंका सरीरगया दोसा उवसंता नो उदीरेति सेत्तं अव्वावाहं, किं ते भंते ! फासुयविहारं ? सोमिला ! जन्नं आरामेनु उजाणेलु देवकुलेसु सभासु पवासु इत्थीपसुपंडगविवज्जियासु वसहीसु फासुएसणिज पीढफलगसेज्जासंथारगं उवसंपजित्ताणं विहरामि सेत्तं फासुयविहारं ॥ सरिसवा ते भंते ! कि भक्खया अभक्खेया ? सोमिला। सरिसवा भक्खेयावि अभक्खेयावि, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ सरिसवा भक्खेयावि अभक्खेयावि ? से नूणं ते सोमिला ! वंभन्नएसु नएसु दुविहा सरिसवा पन्नत्ता, तंजहा-मित्तस रिसवा य धन्नसरिसवा य, तत्य णं जे ते मित्तसरिसवा ते तिविहा प०, तं०-सहजायया सहवड्डि(य)या सहपंमुकीलि(य)या, ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया, तत्थ णं जे ते धन्नसरिसवा ते दुविहा प०, तं०-सत्थपरिणया य असत्थपरिणया य, तत्थ णं जे ते असत्यपरिगया ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया, तत्य णं जे ते सत्यपरिणया ते दुविहा प०, तं०-एसणिज्जा य अगेसणिजा य, तत्थ णं जे ते अणेसणिज्जा ते समगाणं निग्गंथाणं अभक्खेया, तत्थ णं जे ते एसणिजा ते दुविहा प०, तं०जाइया य अजाइया य, तत्य णं जे ते अजाइया ते णं समणागं निग्गंथाणं अभक्खेया, तत्य णं जे ते जाइया ते दुविहा प०, तं०-लद्धा य अलद्धा य, तत्थ णं जे ते अलद्धा ते णं समगाणं निग्गंथाणं अभक्खेया, तत्थ णं जे ते लद्धा ते णं समणाणं निग्गंथाणं भक्खेया, से तेणटेणं सोमिला ! एवं चुच्चइ जाव अभक्खे. यावि ।मासा ते भंते ! कि भक्खेया अभक्खेया ? सोमिला! मासा मे भक्खेयावि अभक्खेयावि, से केणटेणं भंते ! जाव अभक्खेयावि? से नूणं ते सोमिला! बंभन्नएसु नएसु दुविहा मासा प०, तं०-दव्वमासा य कालमासा य, तत्य णं जेते कालमासा ते णं सावणादीया आसाढपज्जवसाणा दुवालस प०, तं०-सावणे भद्दवए आसोए कत्तिए मग्गसिरे पोसे माहे फागुणे चेत्ते वइसाहे जेट्टामूले आसाढे, ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया, तत्य णं जे ते दव्वमासा ते दुविहा प०, तं०अत्यमासा य धण्णमासा य, तत्थ णं जे ते अत्थमासा ते दुविहा प०, तं०मुवन्नमासा य रुप्पमासा य, ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया, तत्य णं जे ते Page #833 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि. प० स० १९ उ०२] सुत्तागमे ७८३ धन्नमासा ते दुविहा प०, तं०-सत्थपरिणया य अर्सत्थपरिणया य, एवं जहा धन्न-- सरिसवा जाव से तेणटेणं जाव अभक्खेयावि । कुलत्था ते भंते ! किं भक्खेया अभक्खेया ? सोमिला! कुलत्था मे भक्खेयावि अभक्खेयावि, से केणटेणं जाद अभक्खेयावि ? से नूणं ते सोमिला ! वंभन्नएसु नएसु दुविहा कुलत्था प०, तं०-- इत्थिकुलत्था य धन्नकुलत्था य, तत्थ गंजे ते इत्थिकुलत्था ते तिविहा प०, तंजहाकुलकन्नयाइ वा कुलवहू(धू)याइ वा कुलमाउयाइ वा, ते णं समणाणं निग्गं-- थाणं अभक्खया, तत्थ णं जे ते धन्नकुलत्था एवं जहा धन्नसरिसवा, से तेणटेणं जाव अभक्खेयावि ॥ ६४५ ॥ एगे भवं दुवे भवं अक्खए भवं अव्वए भवं अव०. ट्ठिए भवं अणेगभूयभावभविए भवं? सोमिला | एगेवि अहं जाव अणेगभूयभावःभविएवि अहं, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव भविएवि अहं ? सोमिला ! दव्व-- याए एगे अहं, नाणदसणठ्ठयाए दुविहे अहं, पएसठ्ठयाए अक्खएवि अहं अव्वएकिअहं अवट्ठिएवि अहं, उवओगट्टयाए अणेगभूयभावभविएवि अहं, से तेणद्वेणं जाव भविएवि अहं, एत्थ णं से सोमिले माहणे संबुद्धे, तए णं से समणं भगवं महावीरं जहा खंदओ जाव से जहेयं तुझे वदह जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतियं वहवे राईसर एवं जहा रायप्पसेणइज्जे चित्तो जाव दुवालसविहं सावगधम्म पडिवजइ पडिवज्जित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता जाव पडिगए, तए णं से सोमिले माहणे समणोवासए जाए अभिगयजीवा जाव विहरइ। भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ ता एवं वयासी-पभू णं भंते ! सोमिले माहणे. देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता जहेव संखे तहेव निरवसेसं जाव अतं काहिइ । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ६४६ ॥ अट्ठारसमस्स सयस्स दसमो. उद्देसो समत्तो ॥ अट्ठारसमं सयं समत्तं ॥ __ लेस्सा य १ गब्भ २ पुढवी ३ महासवा ४ चरम ५ दीव ६ भवणा ७ य । निव्वत्ति ८ करण ९ वणचरसुरा य १० एगूणवीसइमे ॥ १॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-कइ णं भंते ! लेस्साओ पन्नत्ताओ? गोयमा! छल्लेसाओ पन्नत्ताओ, तंजहा-- एवं जहा पन्नवणाए चउत्यो लेसुद्देसओ भाणियव्बो निरवसेसो । सेवं भंते ! २ त्ति. ॥ ६४७ ॥ एगूणवीसइमस्स सयस्स पढमो उद्देसो समत्तो । ___ कइ ण भंते ! लेस्साओ प०? एवं जहा पन्नवणाए गब्भुइँसो सो चेव निरवसेसो भाणियन्वो । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति (१९-२) ॥ ६४८ ॥ रायगिहे जाव एवं। वयासी-सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच पुढविकाइया एगयओ साहारणसरीरं बंधतिः एग० २ त्ता तओ पच्छा आहारेति वा परिणामेंति वा सरीरं वा वंधति ? नो इणद्वे, Page #834 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७८२ सुत्तागमे [भगवई न्समढे, पुढविक्काइयाणं पत्तेयाहारा पत्तेयपरिणामा पत्तेयं सरीरं बंधंति प० २ त्ता तओ पच्छा आहारेति वा परिगामेंति वा सरीरं वा बंधंति १, तेसि णं भंते ! जीवाणं कइ लेस्साओ प० ? गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ प०, तं०-कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा, तेउलेस्सा २, ते णं भंते ! जीवा किं सम्मट्टिी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी ? गोयमा ! मिच्छादिट्ठी नो सम्मपिट्ठी नो सम्मामिच्छादिट्ठी ३, ते णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ? गोयमा ! नो नाणी अन्नाणी, नियमा दुअन्नाणी, तं०-मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य ४, ते णं भंते ! जीवा किं मणजोगी चइजोगी कायजोगी ? गोयमा ! नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी ५, ते गं भंते ! जीवा कि सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता? गोयमा! सागारोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि ६, ते णं भंते ! जीवा किमाहारमाहारेंति ? गोयमा ! व्वओ गं अगंतपएसियाइं दव्वाइं एवं जहा पन्नवणाए पढमे आहारुद्देसए जाव सव्वप्पणयाए आहारमाहारेति ७, ते णं भन्ते ! जीवा जमाहारेति तं चिजति, जं नो आहारैति तं नो चिजंति, चिन्ने वा से उद्दाइ पलिसप्पइ वा ? हंता गोयमा! ते णं जीवा जमाहारेति तं चिति, जं नो जाव पलिसप्पइ वा ८, तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सन्नाइ वा पन्नाइ वा मणोइ वा वईइ वा अम्हे णं आहारमाहारेमो ? णो इणढे समढे, आहारेंति पुण ते ९, तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सन्नाइ वा जाव वईइ वा 'अम्हे ण इटाणिढे फासेयरे वेदेमो पडिसंवेदेमो ? णो इणढे समढे, पडिसंवेदेति पुण ते १०, ते णं भंते ! जीवा कि पाणाइवाए उवक्खाइजति, मुसावाए अदिन्नादाणे जाव मिच्छादसणसल्ले उवक्खाइजति ? गोयमा ! पाणाइवाएवि उवक्खाइजति जाव मिच्छादसणसल्लेवि उवक्खाइजति, जेसिपिय णं जीवाणं ते जीवा एवमाहिजति तेसिंपिय णं जीवाणं नो वि(ण्णा)जाए नाणत्ते ११ ॥ तेणं भंते ! जीवा कओहितो -उववज्जति किं नेरइएहिंतो उववजंति? एवं जहा वक्रतीए पुढविकाइयाणं उववाओ तहा भाणियव्वो १२ । तेसि णं भंते । जीवाणं केवइयं कालं ठिई प०? गोयमा! जहनेणं अतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वावीसं वाससहस्साइं १३ ॥ तेसि णं भंते ! जीवाणं कइ समुग्घाया प० ? गोयमा ! तओ समुग्धाया प०, तं०-वेयणासमुग्घाए, कसायसमु. घाए, मारणंतियसमुग्घाए । ते णं भंते ! जीवा मारणंतियसमुग्धाएणं किं समोहया मरंति असमोहया मरंति ? गोयमा ! समोहयावि मरंति, असमोहयावि मरंति ॥ ते गं भंते ! जीवा अणंतरं उव्वहित्ता कहिं गच्छंति कहिं उववज्जति ? एवं उव्वट्टणा जहा वकंतीए १४ । सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच आउकाइया एगयओ साहारणं सरीरं वंधति २ ता तओ पच्छा आहारेंति एवं जो पुढविकाइयाणं गमो Page #835 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० १९ उ०३] सुत्तागमे ७८३ सो चेव भाणियव्यो जाव उव्वदृति, नवरं ठिई सत्तवाससहस्साइं उकोसेणं सेसं तं चेव । सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच तेउकाइया एवं चेव नवरं उववाओ ठिई उवट्टणा य जहा पन्नवणाए सेसं तं चेव । वाउकाइयाणं एवं चेव नाणत्तं नवरं चत्तारि समुग्घाया। सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच वणस्सइकाइया पुच्छा, गोयमा! णो इणढे समढे, अणंता वणस्सइकाइया एगयओ साहारणसरीरं वंधति एग० २ त्ता तओ पच्छा आहारेति वा परिणामेति वा सेसं जहा तेउकाइयाणं जाव उन्वइंति, नवरं आहारो नियम छद्दिसिं, ठिई जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, सेसं तं चेव ॥ ६४९ ॥ एएसि णं भंते | पुढविक्राइयाणं आउतेउवाउवणस्सइ. काइयाणं सुहुमाणं वायराणं पजत्तगाणं अपज्जत्तगाणं जाव जहन्नुकोसियाए ओगाहणाए कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमनिगोयस्स अपजरागस्स जहन्निया ओगाहणा १, सुहुमवाउकाइयस्स अपजत्तगस्स जहनिया ओगाहणा असंखेजगुणा २, सुहुमतेउअपनत्तगस्स जहणिया ओगाहणां असंखेजगुणा ३, नहुमआउअपजत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेजगुणा ४, सुहुमपुढविअपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेजगुणा ५, वायरवाउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहनिया ओगाहणा असंखेनगुणा ६, वायरतेउअपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेजगुणा ७, वायरआउअपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ८, गयरपुढविकाइयअपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेजगुणा ९, पत्तेयसरीरगयरवणस्सइकाइयस्स वायरनिगोयस्स एएसि णं पज्जत्तगाणं एएसि णं अपजत्तगागं जहन्निया ओगाहणा दोण्हवि तुल्ला असंखेजगुणा १०-११, सुहुमनिओयस्स पजत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेजगुणा १२, तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया १३, तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया १४, सुहुमवाउकाइयस्स पज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेजगुणा १५, तस्स चेव अपजत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणो विसेसाहिया १६, तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया १७, एवं सुहुमतेउकाइयस्स विसे० १८।१९।२०। एवं सहुमआउक्काइयस्सवि २१।२२।२३। एवं सुहुमपुढविकाइयस्स विसेसाहिया २४।२५।२६। एवं वायरवाउकाइयस्स विसेसाहिया २७।२८। २९। एवं वायरतेउकाइयस्स विसेसाहिया ३०।३१।३२। एवं वायरआउकाइयस्स विसेसाहिया ३३॥३४॥३५। एवं वायरपुढ विकाइयस्स विसेसाहिया ३६।३७१३८ सव्वेसिं तिविहेणं गमेणं भाणियव्वं, बायरनिगोयस्स पजत्तगस्स जहनिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ३९, तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसा Page #836 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई हिया ४०, तस्स चेव पजत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया ४१, पत्तेयसरीरवायरवणस्सक। इयरस पज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ४२, तस्स चेव अपजत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा असंखेजगुणा ४३, तस्स चेव पजत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा असंखेजगुग्गा ४४ ॥ ६५० ॥ एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स आउक्काइयस्स तेउकाइयस्स चाउकाइयस्स वणस्सइकाइयस्स कयरे काए सव्वसुहुमे कयरे काए सव्वसुहुमतराए ? गोयमा ! वणस्सकाइए सव्वसुहुमे वणस्सइकाइए सव्वसुहुमतराए १, एयस्स णं भंते! पुढविकाइयस्स आउकाइयस्स ते उकाइयस्स वाउक्काइयस्स कयरे काए सव्वसुहुमे कयरे काए सव्वसुहुमतराए ? गोयमा ! वाउकाइए सव्वसुहुमे वाउक्काइए सव्वमुहुमतराए २, एयरस णं भंते ! पुढविकाइयस्स आउक्काइयस्स तेउकाइयस्स करे काए सव्वसुहुमे कयरे काए सबहुमतराए ? गोयमा ! उक्काए सव्वतुहुमे तेउक्काए सव्वसुहुमतराए ३, एयस्स णं भंते । पुढविकाइयस्स आउकाइयस्स कयरे काए सव्वसुहुमे कयरे काए सव्व सुहुमतराए ? गोयमा ! आउक्काए सव्वसुहुमे आउकाए सव्वसुहुमतराए ४॥ एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स आउक्काइयस्स ते काइयस्स वाउक्काइयस्स वणस्सइकाइयस्स कयरे काए सव्ववादरे कयरे काए सव्ववादरतराए ? गोयमा ! वणस्सइकाइए सव्ववादरे वगरसइकाइए सव्ववादरतराए १, एयस्स णं भंते! पुढविकाइयस्स आउकाइयस्स ते उक्काइयस्स वाउक्काइयस्स कयरे का सव्वबादरे कयरे काए सव्ववादरतराए ? गोयमा ! पुढविकाए सव्ववादरे पुढविकाए सव्ववादरतराए २, एयस्स णं भंते । आउकाइयस्स तेडकाइयस्स वाउक्काइयस्स कयरे काए सव्वबादरे कयरे काए सव्ववादरतराए ? गोयमा ! आउक्काए सव्ववादरे आउक्काए सव्वबादरतराए ३, एयस्स णं भंते ! तेउकाइयस्स वाउक्वाइयस्स करे काए सव्ववादरे कयरे काए सव्ववादरतराए ? गोयमा ! तेडक्काए सव्ववादरे तेउक्काए सव्वबादरतराए ४ ॥ केमहालए णं भंते ! पुढविसरीरे पन्नत्ते ? गोयमा ! अनंताणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं जावइया सरीरा से एगे सुहुमवाउसरीरे, असंखेज्जाणं सुहुमवाउसरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहुमतेउसरीरे, असंखेजाणं सुहुमते उकाइयसरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहुम आउसरीरे, असंखेजाणं सुहुमआउक्काइय सरीराणं जावइया सरीरा से एगे सहुमपुढविसरीरे, असंखेजाणं सुहुमपुढविकाइयसरीराणं जावइया सरीरा से एगे वायरवाउसरीरे, असंखेजाणं वायरवाउक्काइयाणं जावइया सरीरा से एगे बायर उसरीरे, असंखेजाणं बायरते उकाइयाणं जावइया सरीरा से एगे बायरआउसरीरे, असंखेज्जाणं वायरआउक्काइयाणं जावइया सरीरा ७८४ Page #837 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० १९ उ० ४ ] सुत्तागमे से एगे वायरपुढविसरीरे, एमहालए णं गोयमा | पुढविसरीरे पन्नत्ते ॥ ६५१ ॥ पुढविकाइयस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा प० ? गोयमा ! से जहानामए रनो चाउरंतचचट्टिस्स वन्नगपेसिया तरुणी वलवं जुगवं जुवाणी अप्पायंका वन्नओ जाव निउणतिप्पोवगया नवरं चम्मेदुहणमुट्ठियसमाहय णिचियगत्तकाया न भण्इ सेसं तं चैव जात्र निउणसिप्पोवगया तिक्खाए वइरामईए सहकरणीए तिक्वेगं वइरामणं वावरणं एवं महं पुढविकाइयं जउगोलासमाणं गहाय पडि - साहरिय २ पडिसंखिविय २ जाव इणामेवत्तिक तिसत्तखुत्तो उप्पीसेज्जा, तत्थ णं गोमा ! त्येगइया पुढविकाइया आलिद्धा, अत्थेगइया पुढविक्काइया नो आलिद्धा, अत्येगइया सघट्टि (ट्ठि)या, अत्येगइया नो संघट्टि (ट्ठि) या, अत्येगइया परियाविया, अत्येगइया नो परियाबिया, अत्थेगइया उद्द्विया, अत्थेगइया नो उद्देविया, अत्येगइया पिट्ठा, अत्येगइया नो पिट्टा, पुढविकाइयरस णं गोयमा ! एमहालिया सरीरोगाहणा प० ॥ पुढविकाइए णं भंते ! अनंते समाणे केरिसियं वेयणं पञ्चणुब्भवमाणे विहरइ ? गोयमा ! से जहानामए - केइ पुरिसे तरुणे वलवं जाव निउणसिप्पोवगए एगं पुरिसं जुनं जराजजरियदेहं जाव दुब्बलं किलंतं जमलपाणिणा सुद्धाणंति अभिहगिजा, सेणं गोयमा ! पुरिसे तेणं पुरिसेणं जमलपाणिणा मुद्धाणंसि अभिहए समाणे केरिसियं वेयणं पञ्चणुव्भवमाणे विहरइ ? अणिट्टं समणाउसो !, तस्स णं गोयमा ! पुरिसस्स वेयणाहिंतो पुढविकाइए अनंते समाणे एत्तो अणितरियं चेव अकंततरियं चेव जाव अमणामतरियं चेव वेयणं पञ्चणुग्भवमाणे विहरइ । आउयाए णं भंते ! संघट्टिए समाणे केरिसियं वेयणं पचणुब्भवमाणे विहरइ ? गोयमा ! जहा पुढविकाइए एवं आकाएवि एवं तेडकाएवि एवं वाउका एवि, एवं वणस्सइकाएवि जाव विहरइ, सेवं भंते । २ त्ति ॥ ६५२ ॥ एगूणवीसइमे सए तइओ उद्देसो समत्तो ॥ सिय भंते ! नेरइया महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? गोयमा ! णो इगडे समट्टे १, सिय भंते । नेरइया महासवा महाकिरिया महावेयणा अप्प - निज्जरा ? हंता सिया २, सिय भंते । नेरइया महासवा महाकिरिया अप्पवेयणा महानिजरा ? गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे ३, सिय भंते ! नेरइया महासवा महाकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिज्जरा ? गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे ४, सिय भंते । नेरइया महासवा अप्पकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे ५, सिय भंते ! नेरइया महासवा अप्पकिरिया महावेयणा अप्पनिजरा ? गोयमा ! नो इट्टे समट्ठे ६, सिय भंते ! नेरइया महासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा महानिजरा ? नो इणट्ठे समट्ठे ७, सिय भंते! नेरइया महासवा अप्प किरिया ५० सुत्ता० *७८५ Page #838 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८६ सुत्तागमे - [भगवई अप्पवेयणा अप्पनिजरा ? णो इणढे समढे ८, सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया महावेयणा महानिजरा ? नो इणढे समढे ९, सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया महावेयणा अप्पनिजरा ? नो इणढे समढे १०, सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया अप्पवेयणा महानिजरा ? नो इणढे समढे ११, सिय भंते । नेरइया अप्पासवा महाकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिजरा ? णो इणढे समढे १२, सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? नो इणढे समढे १३, सिय भंते! नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया महावेयणा अप्पनिजरा ? नो इणढे समढे १४, सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा महानिजरा ? नो इणढे समढे १५, सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिजरा ? णो इणढे समढे १६, एए सोलस भंगा। सिय भंते ! असुरकुमारा महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? णो इणढे समढे, एवं चउत्थो भंगो भाणियव्वो, सेसा पन्नरस भंगा खोडेयव्वा, एवं जाव थणियकुमारा, सिय भंते ! पुढविकाइया महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिजरा ? हंता सिया, एवं जाव सिय भंते ! पुढविकाइया अप्पासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिजरा ? हंता सिया, एवं जाव मणुस्सा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा, सेवं भंते ! सेवं भंते! ति ॥ ६५३॥ एगूणवी. सइमस्स सयस्स चउत्थो उद्देसो समत्तो॥ अत्थि णं भंते ! चरिमावि नैरइया परमावि नेरइया ? हंता अस्थि, से नूगं भते! चरिमेहितो नेरइएहितो परमा नेरइया महाकम्मतराए चेव महाकिरियतराए चेव महासवतराए चेव महावेयणतराए चेव, परमेहिंतो वा नेरइएहिंतो चरमा नेरइया अप्पकम्मतराए चेव अप्पकिरियतराए चेव अप्पासवतराए चेव अप्पवेयणतराए चेव ? हेता गोयमा! चरमेहितो नेरइएहितो परमा जाव महावेयगतराए चेव, परमेहितो नेरइएहिंतो चरमा नेरइया जाव अप्पवेयणतरा चेव, से केणढ़ेगं भंते ! एवं वुच्चइ जाव अप्पवेयणतरा चेव ? गोयमा ! ठिइं पडुच्च, से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं बुचइ जाव अप्पवेयणतरा चेव । अत्थि णं भंते ! चरमावि असुरकुमारा परमावि असुरकुमारा? एवं चेव, नवरं विवरीयं भाणियव्वं, परमा अप्पकम्मा, चरमा महाकम्मा, सेसं तं चेव जाव थणियकुमारा ताव एवमेव, पुढविकाइया जाव मणुस्सा एए जहा नेरइया, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा ॥६५४॥ कइविहा णं भंते ! वेयणा प०? गोयमा ! दुविहा वेयणा प०, तं०-निदा य अनिदा य । नेरइया णं भंते ! किं निदायं वेयणं वेदेति अनिदायं वेयणं वेदेति ? जहा पन्न Page #839 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८७ वि० प० स० १९ उ०८] सुत्तागमे वणाए जाव वेमाणियत्ति । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ६५५ ॥ एगूणवीसइमस्स सयरस पंचमो उद्देसो समत्तो ।। कहिं णं भंते ! दीवसमुद्दा, केवइया णं भंते ! दीवसमुद्दा, किंसंठिया णं भंते ! दीवसमुद्दा ? एवं जहा जीवाभिगमे दीवसमुदुद्देसो सो चेव इहवि जोइसियमंडिउद्देसगवज्जो भाणियव्वो जाव परिणामो जीवउववाओ जाव अणंतखुत्तो, सेवं भंते ! २त्ति ॥ ६५६ ॥ एगृणवीसइमस्स सयस्स छहो उद्देसो समत्तो॥ __ केवइया णं भंते ! असुरकुमारभवणावाससयसहस्सा प० ? गोयमा ! चउसडिं अनुरकुमारभवणावाससयसहस्सा प०, ते णं भंते ! किंमया प०? गोयमा ! सव्वरयणामया अच्छा सण्हा जाव पडिहवा, तत्थ णं वहवे जीवा य पोग्गला य वक्रमति विउकमंति चयंति उववजंति, सासया णं ते भवणा दव्वट्ठयाए, वन्नपज्जवेहिं जाव फासपज्जवेहिं असासया, एवं जाव थणियकुमारावासा, केवइया णं भंते ! चाणमंतरभोमेज्जनयरावाससयसहस्सा प०? गोयमा! असंखेजा वाणमंतरभोमेज्जनयरावाससयसहस्सा प०, ते णं भंते ! किमया प० ? सेसं तं चेव, केवइया णं भंते ! जोइसियविमाणावाससयसहस्सा पुच्छा, गोयमा! असंखेज्जा जोइसियविमाणावाससयसहस्सा प०, ते णं भंते ! किमया प० ? गोयमा ! सचफालिहा. मया अच्छा सेसं तं चेव, सोहम्मे णं भंते ! कप्पे केवइया विमाणावाससयसहस्सा प० ? गोयमा । वत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा प०, ते णं भंते ! किंमया प० ? गोयमा । सव्वरयणामया अच्छा सेसं तं चेव, एवं जाव अणुत्तरविमाणा, नवरं जाणियव्वा जत्थ जत्तिया भवणा विमाणा वा । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ६५७ ।। एगूणवीसइमस्स सयरस सत्तमो उद्देसो समत्तो ॥ __कइविहा णं भंते ! जीवनिव्वत्ती प० ? गोयमा ! पंचविहा जीवनिव्वत्ती प०, तं०-एगिदियजीवनिव्वत्ती जाव पंचिंदियजीवनिव्वत्ती, एगिदियजीवनिव्वत्ती णं भंते ! कइविहा प० ? गोयमा ! पंचविहा प०, तं०-पुढविक्काइयएगिदियजीवनिव्वत्ती जाव चणस्सइकाइयएगिदियजीवनिव्वत्ती, पुढविकाइयएगिदियजीवनिव्वत्ती णं भंते ! कइ. विहा प० ? गोयमा! दुविहा प०, तं०-सुहुमपुढविकाइयएगिदियजीवनिव्वत्ती य वायरपुढवीकाइयएगिदियजीवनिव्वत्ती य, एवं एएणं अभिलावेणं भेओ जहा वडगवंधो तेयगसरीरस्स जाव सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइयकप्पातीतवेमाणियदेवपंचिंदियजीव- . निव्वत्तीणं भंते ! कइविहा प० ? गोयमा ! दुविहा प०, तं०-पज्जत्तगसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिंदियजीवनिव्वत्ती य अपजत्तगसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिंदियजीवनिव्वत्ती या कइविहा णं भंते! कम्मनिव्वत्ती प० ? गोयमा ! Page #840 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई अविहा कम्मनिव्वत्ती प०, तं ० - नाणावर णिज्जकम्मनिव्वत्ती जाव अंतराइयकम्मनिव्वत्ती, नेरइयाणं भंते ! कइविहा कम्मनिव्वत्ती प० ? गोयमा ! अट्ठविहा कम्मनिव्वत्ती प०, तं० - नाणावर णिज्जकम्म निव्वत्ती जाव अंतराइयकम्मनिव्वत्ती, एवं जाव वेमाणियाणं । कइविहा णं भंते ! सरीरनिव्वत्ती प० ? गोयमा ! पंचविहा सरीरनिव्वत्ती प०, तं०-ओरालियसरीरनिव्वत्ती जाव कम्मगसरीरनिव्वत्ती । नेरइयाणं भंते ! एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं नायव्त्रं जस्स जइ सरीराणि । कइविहा णं भंते । सव्विदियनिव्वत्ती प० १ गोयमा ! पंचविहा सव्विदियनिव्वत्ती प०, तं०-सोइंदिय निव्वत्ती जाव फासिदियनिव्वत्ती, एवं (जाव) नेरइया जाव थणियकुमारा णं, पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! एगा फासिंदियनिव्वत्ती प०, एवं जस्स जड़ इंदियाणि जाव वेमाणियाणं । कइविहा णं भंते ! भासानि - वृत्ती प० ? गोयमा ! चउव्विहा भासानिव्वत्ती प०, तं० - सच्चाभासानिव्वत्ती, मोसाभासानिव्वत्ती, सच्चामोसभासा निव्वत्ती, असच्चामोसभासानिव्वत्ती, एवं एगिंदियवज्जं जस्स जा भासा जाव वैमाणियाणं, कइविहा णं भंते ! मणनिव्वत्ती प० ? गोयमा ! चउव्विहा मणनिव्वत्ती प०, तं० - सचमणनिव्वत्ती जाव असच्चामोसमणनिव्वत्ती, एवं एगिंदियविगलिंदियवज्जं जाव वेमाणियाणं । कइविहा णं भंते ! कसायनिव्वत्ती प० ? गोयमा ! चउव्विहा कसायनिव्वत्ती प०, तं० - कोहकसायनिव्वत्ती जाव लोभकसायनिव्वत्ती, एवं जाव वेमाणियाणं । कइविहा णं भंते ! वृन्ननिव्यत्ती प० ? गोयमा ! पंचविहा वन्ननिव्वत्ती प०, तं० - कालवन्ननिव्वत्ती जाव सुक्किलवन्ननिव्वत्ती, एवं निरवसेसं जाव वेमाणियाणं, एवं गंधनिव्वत्ती दुविहा जाव वैमाणियाणं, रसनिव्वत्ती पंचविहा जाव वैमाणियाणं, फासनिव्वत्ती अद्भुविहा जाव वेमाणियाणं । कइविहा णं भंते । संठाणनिव्वत्ती प० ? गोयमा ! छव्विहा संठाणनिव्वत्ती प०, तं० - समचउरंस संठाणनिव्वत्ती जाव हुंडठाणनिव्वत्ती, नेरइयाणं पुच्छा, गोयमा ! एगा हुंडसंठाणनिव्वत्ती प०, असुरकुमाराणं पुच्छा, गोयमा ! एगा समचउरंस संठाणनिव्वत्ती प०, एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! एगा मसूरचंदसंठाणनिव्वत्ती प०, एवं जस्स जं संठाणं जाव वेमाणियाणं, कइविहा णं भंते ! सन्नानिव्वत्ती प० ? गोयमा । चउव्विहा सन्ना निव्वत्ती प०, तं० - आहारसन्नानिव्वत्ती जाव परिग्गहसन्नानिव्वत्ती, एवं जाव वैमाणियाणं, कइविहा णं भंते । लेस्सानिव्वत्ती प० १ गोयमा ! छन्विहा लेस्सानिव्वत्ती प०, तं० - कण्हलेस्सा निव्वत्ती जाव सुक्कलेस्सानिव्वत्ती, एवं जाव वैमाणियाणं जस्स जइ लेस्साओ तस्स तत्तिया भाणियव्वा । कविहाणं भंते । दिद्विनिव्वत्ती ७८८ Page #841 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८९ वि० प० स० १९ उ० ९] सुत्तागमे प० ? गोयमा ! तिविहा दिविनिव्वत्ती प०,तंजहा-सम्मादिविनिव्वत्ती,मिच्छादिट्ठिनिव्वत्ती,सम्मामिच्छादिहिनिव्वत्ती,एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जइविहा दिट्ठी। कइविहा गं भंते ! णाणनिव्वत्ती पन्नत्ता ? गोयमा ! पंचविहा णागनिव्वत्ती प०, तं०-आभिणिवोहियणाणनिव्वत्ती जाव केवलनाणनिव्वत्ती, एवं एगिदियवजं जाव वेमाणियाणं जस्स जइ णाणाई। कइविहा णं भंते ! अन्नाणनिव्वत्ती प० ? गोयमा ! तिविहा अन्नाणनिव्वत्तीप०,तं०-मइअन्नाणनिव्वत्ती,सुयअण्णाणनिव्वत्ती, विभंगनाणनिव्वत्ती, एवं जस्स जइ अन्नाणा जाव वेमाणियाणं । कइविहा णं भंते ! जोगनिव्वत्ती प०? गोयमा ! तिविहा जोगनिव्वत्ती प०,तं०-मणजोगनिव्वत्ती, वइजोगनिव्वत्ती, कायजोगनिव्वत्ती, एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जइविहो जोगो। कइविहा णं भंते । उवओगनिव्वत्ती प० ? गोयमा! दुविहा उवओगनिव्वत्ती प०, तं०-सागारोवओगनिव्वत्ती अणागारोवओगनिव्वत्ती, एवं जाव वेमाणियाणं, संगहगाहा-जीवाणं निव्वत्ती कम्मप्पगडी सरीरनिव्वत्ती । सबिंदियनिव्वत्ती भासा य मणे कसाया य ॥१॥ वन्ने गंधे रसे फासे संठाणविही य होइ वोद्धव्यो । लेस्सा दिट्ठी णाणे उवओगे चेव जोगे य॥ २ ॥ सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥६५८॥ एगूणवीसइमस्स सयस्स अट्ठसो उद्देसो समत्तो ॥ __कइविहे णं भंते ! करणे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे करणे पन्नत्ते, तंजहादव्वकरणे, खेत्तकरणे, कालकरणे, भवकरणे, भावकरणे, नेरइयाणं मंते ! कइविहे करणे प० ? गोयमा ! पंचविहे करणे प०, तं०-दव्वकरणे, जाव भावकरणे, एवं जाव वैमाणियाणं, कइविहे णं भंते ! सरीरकरणे प० ? गोयमा ! पंचविहे सरीरकरणे पन्नत्ते, तंजहा-ओरालियसरीरकरणे जाव कम्मगसरीरकरणे, एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जइ सरीराणि । कइविहे णं भंते ! इंदियकरणे प० ? गोयमा ! पंचविहे इंदियकरणे प०, तंजहा-सोइंदियकरणे जाव फासिंदियकरणे, एवं जाव वेमाणियागं जस्स जइ इंदियाई, एवं एएणं कमेणं भासाकरणे चउविहे, मणकरणे चउबिहे, कसायकरणे चउविहे, समुग्घायकरणे सत्तविहे, सन्नाकरणे चउविहे, लेस्साकरणे छविहे, दिहिकरणे तिविहे, वेयकरणे तिविहे पन्नत्ते, तंजहा-इत्थिवेयकरणे, पुरिसवेवकरणे, नपुंसगवेयकरणे, एए सव्वे नेरइयादिदंडगा जाव वेमाणियाणं जस्स जं अस्थि तं तस्स सव्वं भाणियव्वं । कइविहे णं भंते ! पाणाइवायकरणे प०? गोयमा ! पंचविहे पाणाइवायकरणे प०, तं०-एगिदियपाणाइवायकरणे जाव पंचिंदियपाणाइवायकरणे, एवं निरवसेसं जाव वेमाणियाणं । कइविहे गं भंते ! योग्गलकरणे प० ? गोयमा ! पंचविहे पोग्गलकरणे प०, तं०-वन्नकरणे, गंधकरणे, Page #842 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९० सुत्तागमे [भगवई रसकरणे, फासकरणे, संठाणकरणे, वन्नकरणे णं भंते ! कइविहे प० ? गोयमा ! पंचविहे प०, तंजहा-कालवन्नकरणे जाव सुकिल्लवन्नकरणे, एवं भेदो, गंधकरणे दुविहे, रसकरणे पंचविहे, फासकरणे अट्टविहे, संठाणकरणे णं भंते ! कइविहे प० ? गोयमा ! पंचविहे प०, तंजहा-परिमंडलसंठाणकरणे जाव आययसंठाणकरणे, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ ६५९ ॥ एगूणवीसइमस्स सयस्स नवमो उद्देसो समत्तो॥ वाणमंतराणं भंते ! सव्वे समाहारा एवं जहा सोलसमसए दीवकुमारदेसए जाव अप्पिड्डियत्ति, सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ६६० ॥ एगूणवीसइमे सए दसमो उद्देसो समत्तो॥ एगूणवीसइमं सयं समत्तं ॥ १९ ॥ बेइंदिय १ मागासे २ पाणवहे ३ उवचए ४ य परमाणू ५ । अंतर ६ वंधे ७ भूमी ८ चारण ९ सोवकमा जीवा १० ॥ १॥ रायगिहे जाव एवं वयासीसिय भंते ! जाव चत्तारि पंच बेइंदिया एगयओ साहारणसरीरं बंधंति २ त्ता तओ पच्छा आहारेति वा परिणामेंति वा सरीरं वा वंधंति ? णो इणढे समढे, वेइंदिया णं पत्तेयाहारा पत्तयपरिणामा पत्तेयसरीरं वंधति प० २ त्ता तओ पच्छा आहारेंति वा परिणामेति वा सरीरं वा बंधंति, तेसिणं भंते ! जीवाणं कइ लेरसाओ प० ? गोयमा ! तओ लेस्साओ प०, तं०-कण्हलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा, एवं जहा एगूणवीसइमे सए तेउकाइयाणं जाव उव्वदंति, नवरं सम्महिटीवि मिच्छद्दिट्ठीवि, नो सम्मामिच्छादिट्ठी, दो नाणा दो अन्नाणा नियम, नो मणजोगी, वइजोगीवि कायजोगीवि, आहारो नियमं छद्दिसि, तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सन्नाइ वा पन्नाइ वा मणेइ वा वईइ वा अम्हे णं इट्ठाणिढे रसे इटाणिढे फासे पडिसंवेदेमो ? णो इणढे समढे, पडिसंवेदेति पुण ते, ठिई जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेगं वारससंवच्छराइं, सेसं तं चेव, एवं तेइंदिया(ण)वि, एवं चउरिदियावि, नाणत्तं इंदिएतु ठिईए य सेसं तं चेव ठिई जहा पन्नवणाए। सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच पंचिदिया एगयओ साहारणसरीरं एवं जहा बेइंदियाणं नवरं छल्लेस्साओ, दिट्ठी तिविहावि, चत्तारि नाणा, तिन्नि अन्नाणा भयणाए, तिविहा जोगा, तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सन्नाइ वा पन्नाइ वा जाव वईइ वा अम्हे' णं आहारमाहारेमो ? गोयमा! अत्थेगइयाणं एवं सन्नाइ वा पन्नाइ वा मणोइ वा वईइ वा अम्हे णं आहारमाहारेमो, अत्थेगइयाणं नो एवं सन्नाइ वा जाव वईइ वा अम्हे णं आहारमाहारेमो, आहारेंति पुण ते, तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सन्नाइ वा जाव वईइ वा अम्हे णं इटाणिढे सद्दे, इटाणिढे रूवे, इटाणिढे गंधे, इट्टाणिद्वे रसे, इट्ठाणिढे फासे पडिसं Page #843 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २० उ०२] सुत्तागमे ७९१ वेदेमो ? गोयमा! अत्थेगइयाणं एवं सन्नाइ वा जाव वईइ वा अम्हे णं इटाणिद्वे सद्दे जाव इट्टाणिढे फासे पडिसंवेदेमो, अत्थेगइयाणं नो एवं सन्नाइ वा पण्णाइ वा जाव वईइ वा अम्हे णं इटाणिढे सद्दे जाव इटाणिढे फासे पडिसंवेदेमो, पडिसंवेदेति पुण ते, ते णं भंते ! जीवा किं पाणाइवाए उवक्खाइज्जति ? गोयमा! अत्थेगइया पाणाइवाएवि उवक्खाइज्जति जाव मिच्छादसणसल्लेवि उवक्खाइनति, अत्थेगइया नो पाणाइवाए उवक्खाइजंति नो मुसावाए उवक्खाइज्जति जाव नो मिच्छादसणसले उवक्खाइज्जति, जेसिंपिय णं जीवाणं ते जीवा एवमाहिज्जति तेसिपि णं जीवाणं अत्थेगइयाणं विन्नाए नाणत्ते, अत्थेगइयाणं नो विण्णाए नाणत्ते, उववाओ सव्वओ जाव सव्वट्ठसिद्धाओ, ठिई जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई, छस्समुग्धाया केवलिवज्जा, उव्वट्टणा सव्वत्थ गच्छंति जाव सव्वट्ठसिद्धति, सेसं जहा बेइंदियाणं । एएसि णं भंते ! बेइंदियाणं जाव पंचिदियाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचिंदिया, चउरिंदिया विसेसाहिया, तेइंदिया विसेसाहिया, वेइंदिया विसेसाहिया । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरइ ॥ ६६१ ॥ वीसइमस्स सयरस पढमो उद्देसो समत्तो। ___कइविहे णं भंते ! आगासे प० ? गोयमा! दुविहे आगासे प०, तं०-लोयागासे य अलोयागासे य, लोयागासे णं भंते ! किं जीवा जीवदेसा०? एवं जहा विइयसए अत्थिउद्देसए तह चेव इहवि भाणियव्वं, नवरं अभिलावो जाव धम्मत्यिकाए णं भंते ! केमहालए प० ? गोयमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव ओगाहित्ताणं चिट्ठइ, एवं जाव पोग्गलत्यिकाए । अहेलोए णं भंते । धम्मत्यिकायस्स केवइयं ओगाढे ? गोयमा । साइरेगं अद्धं ओगाढे, एवं एएणं अभिलावेणं जहा विइयसए जाव ईसिप्पन्भारा णं भंते । पुढवी लोयागासस्स कि संखेजइभागं ओगाढा० पुच्छा, गोयमा । नो संखेजइभाग ओगाढा, असंखेज्जइभागं ओगाढा, नो संखेजे भागे ओगाढा, नो असंखेज्जे भागे ओगाढा, नो सव्वलोयं ओगाढा, सेसं तं चेव ॥ ६६२ ॥ धम्मत्थिकायस्स णं भंते ! केवइया अभिवयणा प०? गोयमा। अणेगा अभिवयणा प०, तंजहा-धम्मेइ वा धम्मत्थिकाएइ वा पाणाइवायवेरमणेइ वा मुसावायवेरमणेइ वा एवं जाव परिग्गहवेरमणेइ वा कोहविवेगेइ वा जाव मिच्छादसणसल्लविवेगेइ वा इरियासमि(ए)ईइ वा भासासमिईइ वा एसणासमिईइ वा आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिईइ वा उच्चारपासवणखेलजल्लसिंघाणपारिट्ठावणियासमिईइ वा मणगुत्तीइ वा वइगुत्तीइ वा कायगुत्तीइ वा जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते धम्मथिकायस्स अभिवयणा, अहम्मत्थिकायस्स णं भंते ! केवइया अभिवयणा प० ? Page #844 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९२ सुत्तागमे [भगवई गोयमा ! अणेगा अभिवयणा प०, तं०-अवम्मेइ वा अधम्मत्थिकाएइ वा पाणाइवाएइ वा जाब मिच्छादसणसल्लेइ वा इरियाअसमिईइ वा जाव उच्चारपासवण जाव पारिट्ठावणियाअसमिईइ वा मणअगुत्तीइ वा वइअगुत्तीइ वा कायअगुत्तीइ वा जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते अहम्मत्यिकायस्स अभिवयणा, आगास स्थिकायस्स णं पुच्छा, गोयमा ! अणेगा अभिवयणा प०, तं०-आगासेइ वा आगासस्थिकाएइ वा गगणेइ वा नभेइ वा समेइ वा विसमेइ वा खहेइ वा विहेइ वा वीईइ वा विवरेइ वा अंबरेड वा अंबरसेइ वा छिड्डेइ वा झुसिरेइ वा मग्गेइ वा विमुहेइ वा अ(है)द्देइ वा विय(ह)द्देइ वा आधारेइ वा वोमेइ वा भायणेइ वा अंतरिक्खेइ वा सामेइ वा उवासंतरेइ वा अगमेइ वा फलिहेइ वा अणंतेइ वा जे यावन्ने तहाप्पगारा सव्वे ते आगासत्थिकायस्स अभिवयणा प०। जीवत्थिकायस्स णं भंते ! केवइया अभिवयणा प० ? गोयमा ! अणेगा अभिवयणा प०, तं०-जीवेइ वा जीवत्यिकाएइ वा पाणेइ वा भूएइ वा सत्तेइ वा विनइ वा चेयाइ वा जेयाइ वा आयाइ वा रंगणेइ वा हिंडएइ वा पोग्गलेइ वा माणवेइ वा कत्ताइ वा विकत्ताइ वा जएइ वा जंतूइ वा जोणीइ वा सयंभूइ वा ससरीरीइ वा नायएइ वा अंतरप्पाइ वा जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते जीवअभिवयणा प० । पोग्गलत्थिकायस्स णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! अणेगा अभिवयणा प०, तं०-पोग्गलेइ वा पोग्गलत्थिकाएइ वा परमाणुपोग्गलेइ वा दुपएसिएइ वा तिपएसिएइ वा जाव असंखेजपएसिएइ वा अगंतपएसिएइ वा (खंधे ) जे.यावन्ने तहप्पगारा सत्वे ते पोग्गलत्थिकायस्स अभिवयणा प० । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ६६३ ॥ वीसइमस्स सयरस वीओ उद्देलो लमत्तो॥ ___ अह भंते ! पाणाइवाए मुसावाए जाव मिच्छादसणसल्ले, पाणाइवायवेरमणे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे, उप्पत्तिया जाव पारिणामिया, उग्गहे जाव धारणा, उट्ठाणे कम्मे वले वीरिए पुरिसक्कारपरक्कमे, नेरइयत्ते असुरकुमारत्ते जाव वेमाणियत्ते, नाणावरणिजे जाव अंतराइए, कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा, सम्मद्दिट्टी ३, चक्खुदंसणे ४, आभिणिबोहियणाणे जाव विभंगनाणे, आहारसन्ना ४, ओरालियसरीरे ५, सणजोगे ३, सागारोवओगे अणागारोवओगे जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते णपणत्य आयाए परिणमंति ? हंता गोयमा ! पाणाइवाए जाव सव्वे ते णण्णत्थ आयाए परिणमंति ॥ ६६४ ॥ जीवे णं भंते ! गन्भं वक्कममाणे कइवन्नं कइगंध एवं जहा वारसमसए पंचमुद्देसए जाव कम्मओ णं जए णो अकम्मओ विभत्तिभावं परिणमइ । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ६६५ ॥ वीसइमे संए तइओ उद्देसो समत्तो॥ कइविहे णं भंते ! इंदियउवचए पन्नत्ते ? गोयमा ! पंचविहे इंदियउवचए प०, Page #845 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९३ वि०५० स० २० उ० ५] सुत्तागमे तं०-सोइंदियउवचए एवं विइओ इंदियउद्देसओ निरवसेसो भाणियव्यो जहा पन्नवगाए। सेवं भंते ! सेवं भंते। त्ति भगवं गोयमे जाव विहरइ ॥ ६६६ ॥ वीसइमस्स सयस्स चउत्थो उद्देसो समन्तो ॥ __ परमाणुपोग्गले णं भंते ! कइवन्ने कइगंधे कइरसे कइफासे पन्नत्ते ? गोयमा ! एगवन्ने एगगंधे एगरसे दुफासे पन्नत्ते, तंजहा-जइ एगवन्ने सिय कालए सिय नीलए सिय लोहिए सिय हालिद्दए सिय सुकिल्लए, जइ एगगंधे तिय सुभिगंधे सिय दुन्भिगंधे, जइ एगरसे सिय तित्ते सिय कड्डए सिय कसाए सिय अंविले सिय महुरे, जइ दुफासे सिय सीए य निद्धे य १, सिय सीए य लुक्खे य २, सिय उसिणे य निद्धे य ३, सिय उसिणे य लुक्खे य.४ ॥ दुपएसिए णं भंते! खंधे कइवन्ने ? एवं जहा अट्ठारसमसए छहुद्देसए जाव सिय चउफासे पन्चत्ते । जइ एगवन्ने सिय कालए जाव सिय सुकिल्लए, जइ दुवन्ने सिय कालए य नीलए य १, सिय कालए य लोहिए य २, सिय कालए य हालिद्दए य ३, सिय कालए य सुकिल्लए य ४, सिय नीलए य लोहियए य ५, सिय नीलए य हालिद्दए य ६, सिय नीलए य सुकिल्लए य ७, सिय लोहियए य हालिद्दए य ८, सिय लोहियए य सुकिलए य ९, सिय हालिद्दए य सुछिए य १०, एवं एए दुयासंजोगे दस भंगा। जइ एगगंधे सिय सुभिगंधे सिय दुभिगंधे । जइ दुगंधे सुव्मिगंधे य दुभिगंधे य, रसेसु जहा वन्नेसु, जइ दुफासे सिय सीए य निद्धे य एवं जहेव परमाणुपोग्गले ४, जइ तिफासे सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे १, सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे २, राव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे ३, सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे ४, जइ चउफासे देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे १, एए नव भंगा फासेसु ॥ तिपएसिए णं भंते ! खंबे कइवन्ने० जहा अट्ठारसमसए छट्ठद्देसे जाव चउफासे प०, जइ एगवन्ने लिय कालए जाव लुकिलए ५, जइ दुवन्ने सिय कालए य सिय नीलए य १, सिय कालए, य नीलगा य २, सिय कालगा य नीलए य ३, सिय कालए य लोहियए य १, सिय कालए य लोहियगा य २, सिय कालगा य लोहियए य ३, एवं हालिद्दएणवि समं भंगा ३, एवं सुक्किएणवि समं ३, सिय नीलए य लोहियए य एत्थंपि भंगा ३, एवं हालिद्दएणवि समं भंगा ३, एवं सुकिल्लएणवि समं भंगा ३, सिय लोहियए य हालिद्दए य भङ्गा ३, एवं सुनिन्छएणवि समं भंगा ३, सिय हालिद्दए य सुकिल्लए य भंगा ३, एवं सव्वेते दस दुयासंजोगा भंगा तीस भवंति, जइ तिवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य १, सिय कालए य नीलए य हालिद्दए य २, सिय कालए य नीलए य सुकिल्लए य २, सिय कालए य लोहियए य हालिद्दए य ४, सिय कालए य लोहियए य सुनिलए य ५, सिय कालए Page #846 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९४ सुत्तागमे [भगवई य हालिद्दए य सुकिल्लए य ६, सिय नीलए य लोहियए य हालिइए य ७, सिय नीलए य लोहियए य सुनिलए य ८, सिय नीलए य हालिद्दए य सुकिल्लए य ९, सिय लोहि: यए य हालिद्दए य सुकिल्लए य १०, एवं एए दस तियासंजोगा। जइ एगगंधे सिय सुब्भिगंधे सिय दुन्मिगंधे, जइ दुगंधे सुभिगंधे य दुन्भिगंधे य भंगा ३ । रसा जहा वन्ना । जइ दुफासे सिय सीए य निद्धे य एवं जहेव दुपएसियस्स तहेव चत्तारि भंगा, जइ तिफासे सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे १, सव्वे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा २, सव्वे सीए देसा निद्धा देसे लुक्खे ३, सव्वे उसिणे देसे निद्ध देसे लुक्खे एत्थवि भंगा तिन्नि ६, सव्वे निद्ध देसे सीए देसे उसिणे भंगा तिन्नि ९, सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे भंगा तिन्नि एवं १२, जइ चउफासे देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्ध देसे लुक्खे १, देसे सीए देसे उतिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा २, देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसे लुक्खे ३, देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, देसे सीए. देसा उसिणा देसे निद्धे देसा लुक्खा ५, देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसे लुक्खे ६, देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ७, देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्ध देसा लुक्खा ८, देसा सीया देसे उसिणे देसा निद्धा देसे लुक्खे ९, एवं एए तिपएसिए फासेसु पणवीसं भंगा॥ चउप्पएसिए णं भंते ! खंधे कइवन्ने जहा अट्ठारसमसए जाव सिय चउफासे पन्नत्ते, जइ एगवन्ने सिय कालए य जाव सुनिलए य ५, जइ दुवन्ने सिय कालए य नीलए य १, सिय कालए य नीलगा य २, सिय कालगा य नीलए य ३, सिय कालगा य नीलगा य ४, सिय कालए य लोहियए य एत्थवि चत्तारि भंगा ४, सिय कालए य हालिदए य ४, सिय कालए य सुकिल्लए य ४, सिय नीलए य लोहियए य ४, सिय नीलए य हालिद्दए य ४, सिय नीलए य सुकिल्लए य ४, सिय लोहियए य हालिद्दए य ४, सिय लोहियए य सुक्किलए य ४, सिय हालिहए य सुकिल्लए य ४, एवं एए दस दुयासंजोगा भंगा पुण चत्तालीसं ४०, जइ तिवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य १, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य २, सिय काल(ए)गा य नीलगा य लोहियए य ३, सिय कालगा य नीलए य लोहियए य, एए णं चत्तारि भंगा, एवं कालनीलहालिद्दएहिं भंगा ४, कालनीलसुकिल्ल०४, काललोहियहालिद्द० ४, काललोहियसुनिल० ४, कालहालिहसुकिल्ल० ४, नीललोहियहालिद्दगाणं भंगा ४, नीललोहियसुकिल्ल०४,नीलहालिहसुकिल्ल०४, लोहियहालिद्दसुकिल्लगाणं भंगा ४, एवं एए दसतियासंजोगा एक्के संजोए चत्तारि भंगा सव्वे ते चत्तालीसं भंगा ४०, जइ चउवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए Page #847 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० २० उ० ५ ] सुत्तागमे य १, सिय कालए य नीलए य लोहियए य सुक्तिल्लए य २, सिय कालए य नीलए य हालिए य लिए य ३, सिय कालए य लोहियए य हालिए य सुक्किलए य ४, सिय नीलए य लोहियए य हालिए य सुकिल्लए य ५, एवमेए चउक्कगसंजोए पंच भंगा, एए सव्वे नउइभंगा, जइ एगगंधे लिय सुब्भिगंधे सिय दुब्भिगंधे, जइ दुगंधे सुभगंधे यदुभिगंधे य । रसा जहा वन्ना । जइ दुफासे जहेव परमाणुपोग्गले ४, जइ तिफासे सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे १, सव्वे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा २, सव्वे सीए देसा निद्वा देसे लक्खे ३, सव्वे सीए देसा निद्धा देसा लुक्खा ४, सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे एवं भंगा ४, सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे ४, सव्वे लक्खे देसे सीए देसे उसिणे ४, एए तिफासे सोलस भंगा, जइ चउफासे देखे सीए देते उसिणे देसे निद्धे ढेसे लुक्खे १, देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा २, देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसे लुक्खे ३, देसे सीए देसे उसिने देसा निद्धा देसा लुक्खा ४, देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे ५, दे सीए देसा उतिणा देसे निद्धे देसा लुक्खा ६, देसे सीए देसा उसिणा देसा निवा देसे लक्खे ७, देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा ८, देसा सीया देसे उति देसे निद्धे देसे लक्खे ९ एवं एए चडफासे सोलस भंगा भाणियव्वा जाव देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा, सव्वे एए फासेसु छत्तीसं भंगा ॥ पंचपएलिए णं भंते ! खंधे कइवन्ने० जहा अट्ठारसमसए जाव सिय चरफा प०, जइ एगवन्ने एगवन्नदुवन्ना जहेव चउप्पएसिए, जइ तिवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियएय १, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य २, सिय कालए य नीलगाय लोहियए य ३, सिय कालए य नीलगाय लोहियगा य ४, सिय काल (गा) ए य नीलए य लोहियए य ५, सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य ६, सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य ७, सिय कालए य नीलए य हालिद्दए य एत्थवि सत्त भंगा ७, एवं कालगनीलगसुलिएसु सत्त भंगा ७, कालगलोहियहालिद्देसु ७, कालगलोहियमुनिले ७, कालगहालिद्दसुनिहेसु ७, नीलगलोहियहा लिद्देसु ७, नीलगलो हियसुकिल्लेसु सत्त भंगा ७, नीलगहालिद्दसुकिल्लेस ७, लोहियहा लिद्दसुकिल्लेसु वि सत्त भंगा ७, एवमेए तियासंजोएणं सत्तरि भंगा, जइ चउवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य १, सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिगा य २, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिहगे य ३, सिय कालए य नीलगा य लोहियगे य हालिद्दगे य सिय कालगा य नीलए य लोहियगे य हालिद्दगे य ५, एए पंच भंगा, सिय कालए य नीलए य लोहियए य सुकिल्लए य एत्थवि पंच भंगा, एवं कालगनीलग ४, ७९५० Page #848 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९६ सुत्तागमे [भगवई हालिहसुकिल्लएसुवि पंच भंगा, कालगलोहियहालिहसुकिलएमुवि पंच भंगा५, नीलगलोहियहालिसुकिल्लएसुवि पंच भंगा, एवमेए चउक्गसंजोएगं पणवीसं भंगा, जइपंचवन्ने कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुबिल्लए य सव्यमेए एकागदुयगतियगचउक्कपंचगसंजोगेणं ईयालं भंगसयं भवइ । गंधा जहा च उप्पएसियरस । रसा जहा चना । फासा जहा चउप्पएसियस्स ॥ छप्पएसिए णं भंते ! खंध कइवले? एवं जहा पंचपएसिए जाव सिय चउफासे पन्नत्ते, जइ एगवन्ने एगवन्नदुवना जहा पंचपएसियस्स, जइ तिवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य एवं जहेव 'पंचपएसियरस सत्त भंगा जाव सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य ५, सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य ८, एए अट्ट भङ्गा, एवमेए दस तियासंजोगा एकेकए संजोगे अट्ठ भंगा, एवं सव्वेवि तियगसंजोगे असीइ भंगा, जइ चउवने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य १, सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य २, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिइए य ३, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिहगा य ४, सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिइए य ५, सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिहंगा य ६, सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य ७, सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य ८, सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिगा य ९, सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य १०, सिय कालगाय नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य ११, एए एक्कारस भंगा, एवमेए पंचचउकासंजोगा कायव्वा, एक्ककसंजोए एकारस भंगा, सव्वेते चउक्कगसंजोगेणं पणपन्नं भंगा, जइ पंचवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लए य १, सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लगा य २, सिय कालए य नीलए य लोहियगे य हालिद्दगा य सुकिल्लगे य ३, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य सुकिल्लए य ४, सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लए य ५, सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लए य ६, एवं एए छब्भंगा माणियव्वा, एवमेए सव्वेवि एक्कगदुयगतियगचउक्कगपंचगसंजोगेसु छासीयं भंगसयं भवइ । गंधा जहा पंचपएसियस्स । रसा जहा एयस्स चेव वन्ना, फासा जहा चउप्पएसियस्स ॥ सत्तपएसिए णं भंते ! खंधे कइवन्ने० ? जहा पंचपएसिए जाव सिय चउफासे प०, जइ एगवन्ने एवं एगवन्नदुवण्णतिवन्ना जहा छप्पएसियस्स, जइ चउवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य १, सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य २, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए यः Page #849 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २० उ० ५] सुत्तागमे ७९७ ३, एवमेते चउक्गसंजोगेणं पन्नरस भंगा भाणियव्वा जाव सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिहए य १५, एवमेए पंचचउक्कसंजोगा नेयव्वा एक्कक्ने संजोए पन्नरस भंगा, सव्वमेए पंचसत्तरि भंगग भवंति । जइ पंचवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिइए य सुकिल्लए य १, सिय कालए य नीलए यः लोहियए य हालिद्दए य मुक्किडगा य २, सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य मुक्किन्दए य ३, सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य मुकिल्लगा य४, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिइए य सुकिल्लए य ५, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिहए य सुकिल्लगा य ६, सिय कालए य, नीलए य लोहियगा य हालिहगा य सुकिल्लए य ७, सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुनिन्दए य ८, सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिहए य नुकिल्लगा य ९, सिय कालगे य नीलगा य लोहियए य हालिद्दगा य सुनिन्द्रगे य १०, सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिइए य सुकिल्लए य ११, सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लए य १२, सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लगा य १३, सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिगा य सुकिल्लए य १४, सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य हालिहए य सुकिल्लए य १५, सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य हालिए य मुक्किए य १६, एए सोलस भंगा, एवं सव्वमेए एकगद्यगतियगचउकगपंचगसंजोगेणं दो सोलस भंगसया भवंति, गंधा जहा च उप्पएसियस्स, रसा जहा एयस्स चेव वन्ना, फासा जहा चउप्पएसियस्स ॥ अट्ठपएसिए णं भंते ! खंधे० पुच्छा, गोयमा ! सिय एगवन्ने जहा सत्तपएसियरस जाव सिय चउफासे प०, जइ एगवन्ने एवं एगवन्नदुवन्नतिवन्ना जहेव सत्तपएसिए, जइ चउवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिहए य १, सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य २, एवं जहेव सत्तपएसिए जाव सिय कालगा य नीलगा य लो हियगा य हालिहंगे य १५, सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दगा य १६, एए सोलस भंगा, एवमेए पंच चउकसंजोगा, एवमेए असीइ भंगा ८०, जइ पंचवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लए य १, सिय । कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लगा य २, एवं एएणं कमेणं भंगा. चा(उच्चा)रेयव्वा जाव सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दगा य सुकिहए य १५, एसो पन्नरसमो भंगो, सिय कालगा य नीलगे य लोहियए य हालिद्दए य सुल्लिए य १६, सिय कालगा य नीलगे य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लगा य Page #850 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई १७, सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिगा य सुक्तिगे य १८, सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिगा य सुक्किलगाय १९, सिय कालगाय नीलगे य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्तिलए य २०, सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिए य सुक्तिलगा य २१, सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिगा य सुलिगे य २२, सिय कालगा य नीलगाय लोहियए य हालिए य मुक्तिक्लए य २३, सिय कालगा य नीलगाय लोहियगे य हालिए य सुक्तिलगाय २४, सिय कालगा य नीलगा य लोहियगे य हालिगा य सुक्किलए य २५, सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिए य सुक्किलए य २६, एए पंचसंजोएणं छव्वीसं भंगा भवंति, एवामेव सपुव्वावरेणं एकगदुयगतियगच उक्क गपंचगसंजोगेहिं दो एकतीसं भंगसया भवंति, गंधा जहा सत्तपएसियस्स, रसा जहा एयस्स चेव `वन्ना, फासा जहा चउप्पएसियस्स | नवपए सियस्स पुच्छा, गोयमा ! सिय एगवन्ने 'जहा अट्ठपएसिए जाव सिय चउफासे प०, जइ एगवन्ने एगवन्नदुवन्नतिवन्नचडवन्ना जहेव अट्ठपएसियस्स, जइ पंचवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्तिक्लए य १, सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्तिलगाय २, एवं परिवाडीए एकतीसं भंगा भाणियव्वा जाव सिय कालगा य णीलगाय लोहियगा य हालिगा य सुकिलए य ३१, एवं एक्कगदुयगतियगच उक्कगपंचगसंजोगेहिं दो छत्तीसा भंगसया भवंति, गंधा जहा अट्ठपएसियस्स, रसा जहा एयस्स चेव वन्ना, फासा जहा चउपएसियस्स | दसपएसिए णं भंते! संवे० पुच्छा, गोयमा ! सिय एगवन्ने जहा नवपएसिए जाव सिय चउफासे पन्नत्ते, जइ एगवन्ने एगवन्नदुवन्नतिवन्नचउवन्ना जहेव नवपएसियस्स, पंचवन्नेवि तहेव नवरं वत्ती सइमोवि भंगो भन्नइ, एवमेए एक्कगदुयगतियगच उक्कगपंचगसंजोए दोन्नि सत्तती (सं) सा भंगसया भवंति, गंधा जहा नवपएसियस्स, रसा जहा एयस्स चेव वन्ना, फासा जहा चउप्पएसियस्स । जहा दसपएसिओ एवं संखेज एसिओवि, एवं असंखेजपएसिओवि, हुमपरिणओवि अणतपएसिओवि एवं चेव ॥ ६६७ ॥ वायरपरिणए णं भंते 1 अणतपएसिए खंधे कइवन्ने ? एवं जहा अट्ठारसमसए जाव सिय अट्ठफासे पन्नत्ते, बन्नगंधरसा जहा दसपएसियस्स, जइ चउकासे सव्वे कक्खडे सव्वे गुरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे १, सव्वे कक्खडे सव्वे गुरुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे २, सव्वे कक्खडे सव्वे गुरुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे ३, सव्वे कक्खडे सव्वे गुरुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे ४, सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे णिद्धे ५, सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे ६, सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे ० १७९८ Page #851 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स. २० उ. ५] सुत्तागमे ७९९ उसिणे सव्वे निद्धे ७, सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे ८, सव्वे मउए सव्वे गुरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे ९, सव्वे मउए सव्वे गुरुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे १०, सव्वे मउए सव्वे गुरुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे ११, सचे मउए सव्वे गुरुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे १२, सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे १३, सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे १४, सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे १५, सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे १६, एए सोलस भंगा ॥ जइ पंचफासे सव्वे कक्खडे सव्वे गुरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे १, सव्वे कक्खडे सव्वे गुरुए सव्वे सीए देसे निद्ध देसा लुक्खा २, सव्वे कक्खडे सव्वे गुरुए सव्वे सीए देसा निद्धा दे(सा)से लुक्खे ३, सव्वे कक्खडे सव्वे गुरुए सव्वे सीए देसा निद्धा देसा लुक्खा ४, सव्वे कक्खडे सव्वे गुरुए सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे । ४ । एवं एए कक्खडेणं सोलस भंगा। सव्वे मउए सव्वे गुरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, एवं मउएणवि समं सोलस भंगा, एवं वत्तीसं भंगा। सव्वे कक्खडे सव्वे गुरुए सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे ४, सव्वे कक्खडे सव्वे गुरुए सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे ४, एए बत्तीसं भंगा, सव्वे कक्खडे सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे गुरुए देसे लहुए ४, एत्थवि वत्तीसं भंगा, सव्वे गुरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए ४, एत्यवि वत्तीसं भंगा, एवं सव्वेते पंचफासे अट्ठावीसं भंगसयं भवइ । जइ छप्फासे सव्वे ऋक्खडे सव्वे गुरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे १, सव्वे कक्खडे सव्वे गुरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा २, एवं जाव सव्वे कक्खडे सव्वे गुरुए देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा १६, एए सोलस भंगा। सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एत्थवि सोलस भंगा, सव्वे मउए सव्वे गुरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे णिद्धे देसे लुक्खे एत्यवि सोलस भंगा, सव्वे मउए सव्वे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एत्यवि सोलस मंगा, एए च उसद्धिं भंगा, सव्वे कक्खडे सव्वे सीए देसे गुरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे एवं जाव सव्वे मउए सव्वे उसिणे देसा गुरुया देसा लहया देसा णिद्धा देसा लुक्खा एत्थवि चउसडिं भंगा, सव्वे कक्खडे सव्वे निद्धे देसे गुरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे जाव सव्वे मउए सव्वे लुक्खे देसा गुरुया देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा Page #852 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ८०० [भगवई १६, एए चउसद्धिं भंगा, सव्वे गुरुए सव्वे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे निद्धे देसे लुक्खे एवं जाव सव्वे लहुए सव्वे उसिणे देसा कक्खडा देसा निद्धा देसा मउया देसा लुक्खा, एए चउसद्धिं भंगा, सव्वे गुरुए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे जाव सव्वे लहुए सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा सीया देसा उसिणा, एए चउसद्धिं भंगा, सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गुरुए देसे लहुए जाव सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा गुरुया देसा लहुया, एवमेए चउसट्ठि भंगा, सव्वे ते छप्फासे ति निचउरासीया भंगसया भवंति ३८४ । जइ सत्तफासे सव्वे कक्खडे देसे गुरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे १, सव्वे कक्खडे देसे गुरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसा लुक्खा ४, सव्वे कक्खडे देसे गुरुए देसे लहुए देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे दे(से)सा लुक्खा ४, सव्वे कक्खडे देसे गुरुए देसे लहुए देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, सव्वे कक्खडे देसे गुरुए देसे लहुए देसा सीया देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे, सव्वेए सोलस भंगा भाणियव्वा, सव्वे कक्खडे देसे गुरुए देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं गुरुएगं एगत्तेगं लहुएणं पुहुत्तेगं एएवि सोलस भंगा, सव्वे कक्खडे देसा गुरुया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एएवि सोलस भंगा भाणियव्वा, सव्वे कक्खडे देसा गुरुया देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एएवि सोलस भंगा भाणियव्वा, एवमेए चउसहि भंगा कक्खडेण समं, सव्वे मउए देसे गुरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे । एवं मउएणवि समं चउसहि भंगा भाणियव्वा, सव्वे गुरुए देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एवं गुरुएणवि समं चउसहि भंगा कायव्वा, सव्वे लहुए देसे कक्खडे देसे मंउए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एवं लहुएणवि समं चउसहि भंगा कायव्वा, सव्वे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे गुरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे एवं सीएणवि समं चउसहि भंगा कायव्वा, सव्वे उसिणे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गुरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे एवं उसिणेणवि समं चउसहि भंगा कायव्वा, सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गुरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे एवं निःणवि समं चउसट्ठि भंगा कायव्वा, सव्वे .लुक्खे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गुरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे एवं लुक्खेणवि समं चउसद्धिं भंगा कायव्वा जाव सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा Page #853 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २० उ०६] सुत्तागमे मउया देसा गुल्या देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा, एवं सत्तफासे पंचवारमुत्तरा भंगसया भवंति । जइ अट्ठफासे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गुरुए देसे. लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गुरुए देसे लहुए देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गुरुए देसे लहुए देसा सीया दे(सा)से उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गुरुए देसे लहुए देसा सीया देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, एए चत्तारि चउका सोलस भंगा, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गुरुए देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं एए गुरुएणं एगत्तएणं लहुएणं पोहत्तएणं सोलस भंगा कायव्वा, देसे कक्खडे देसे मउए देसा गुरुया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे 'निद्धे देसे लुक्खे एएवि सोलस भंगा कायव्वा, देसे कक्खडे देसे मउए देसा गुरुया देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एएवि सोलस भंगा कायव्वा, सव्वेऽवि ते चउसद्धिं भंगा कक्खडमउएहिं एगत्तएहि, ताहे कक्खडेणं एगत्तएणं मउएणं पुहत्तेणं एए चेव चउसद्धिं भंगा कायव्वा, ताहे कक्खडेणं पुहत्तएणं मजएणं एगत्तएणं चउसद्धिं भंगा कायव्वा, ताहे एएहिं चेव दोहिवि पुहुत्तेहि चउसद्धिं भंगा कायव्वा जाव देसा कक्खडा देसा मउया देसा गुख्या देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा एसो अपच्छिमो भंगो, सव्वेते अट्ठफासे दो छप्पन्ना भंगसया भवंति । एवं एए वायरपरिणए अणंतपएसिए खंधे सव्वेसु संजोएसु वारस छन्नउया भंगसया भवंति ॥ ६६८ ॥ कइविहे णं भंते ! परमाणू प० ? गोयमा ! चउविहे परमाणू प०, तं०-दव्वपरमाणू , खेत्तपरमाणू , कालपरमाणू, भावपरमाणू , दव्वपरमाणू णं भंते , कइविहे प० ? गोयमा ! चउविहे प०, तं०-अच्छेजे, अभेजे, अडज्झे, अगेज्झे, खेत्तपरमाणू णं भंते ! कइविहे प० ? गोयमा! चउविहे प०, तं०-अणड्ढे, अमज्झे, अपएसे, अविभाइमे, कालपरमाणू पुच्छा, गोयमा ! चउविहे प०, तं०-अवन्ने, अगंधे, अरसे, अफासे, भावपरमाणू णं भंते ! कइविहे प०? गोयमा ! चउव्विहे प०, तं०-वन्नमंते, गंधमंते, रसमंते, फासमंते । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ६६९ ॥ वीसइमस्ल सयरस पंचमो उद्देसो समत्तो।। पुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए य सकरप्पभाए य अतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कि पुट्विं उववजित्ता पच्छा आहारेजा पुचि आहारित्ता पच्छा उववज्जेज्जा ? गोयमा ! पुवि वा उववजित्ता एवं जहा सत्तरसमसए छबुद्देसए जाव से तेणटेणं गोयमा ! ५१ सुत्ता० Page #854 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०२ सुत्तागमे [भगवई एवं वुच्चइ पुलिं वा जाव उववजेजा नवरं तहिं संपाउणेजा इमेहिं आहारो भन्नइ सेसं तं चेव। पुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुडवीए सक्करप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहए जे भविए ईसाणे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए उववजित्तए एवं चेव, एवं जाव ईसिप्पन्भाराए उववाएयव्वो । पुडविकाइए णं भंते ! सक्करप्पभाए पुढवीए वालुयप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहए २ त्ता जे भविए सोहम्मे जाव ईसिप्पन्भाराए, एवं एएणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए २ ता जे भविए सोहम्मे कप्पे जाव ईसिप्पन्भाराए उववाएयव्वो । पुढविकाइए णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं सणंकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए २ त्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! पुचि उववजित्ता पच्छा आहारेजा सेसं तं चेव जाव से तेणटेणं जाव णिक्खेवओ। पुढविकाइए णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं सणंकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए २ त्ता जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए एव चेव, एवं जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो, एवं सणंकुमारमाहिंदाणं बंभलोगस्स कप्पस्स अंतरा समोहए समोहणित्ता पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो, एवं वंभलोगस्स लंतगस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं लंतगस्से महासुक्कस्स कप्पस्स य अंतरा समोहए पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं महासुक्कस्स सहस्सारस्स य कप्पस्स अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं सहस्सारस्स आणयपाणयकप्पाणं अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं आणयपाणयाणं आरणअच्चुयाण य कप्पाणं अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं आरणअच्चुयाणं गेवेजविमाणाण य अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं गेवेजविमाणाणं अणुत्तरविमाणाण य अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं अणुत्तरविमाणाणं ईसिप्पन्भाराए य पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो ॥ ६७० ॥ आउक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे आउक्काइयत्ताए उववजित्तए सेसं जहा पुढविकाइयस्स जाव से तेणटेणं, एवं पढमादोचाणं अंतरा समोहओ जाव ईसिप्पन्भाराए उववाएयव्वो, एवं एएणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए २ त्ता जाव ईसिप्पन्भाराए उववाएयव्वो आउकाइयत्ताए, आउक्काइए णं भते ! सोहम्मीसाणाणं सगंकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणोदहि(२)-वलएसु आउकाइयत्ताए उववजित्तए सेसं तं चेव एवं एएहिं चेव अंतरा समोहए जाव अहेसत्तमाए पुढवीए घणोदहिवलएसु Page #855 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २० उ०७] सुत्तागमे आउकाइयत्ताए उववाएयव्वो, एवं जाव अणुत्तरविमाणाणं ईसिप्पन्भाराए पुढवीए अंतरा समोहए जाव अहेसत्तमाए घणोदहिवलएसु उववाएयव्वो ॥ ६७१ ॥ बाउकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए सक्करप्पभाए पुटवीए अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे वाउक्काइयत्ताए उववजित्तए एवं जहा सत्तरसमस ए वाउकाइयउद्देसए तहा इहवि, नवरं अंतरेसु समोहणा नेयव्वा सेसं तं चेव जाव अणुत्तरविमाणाणं इसिप्प भाराए य पुढवीए अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए घणवायतणुवाए घणवायतणुवायवलएसु वाउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए सेसं तं चेव जाव से तेणटेणं जाव उववजेजा। सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ६७२ ॥ वीसइमस्स सयस्स छहो उद्देसो समत्तो॥ ___कइविहे णं भंते! बंधे प०? गोयमा ! तिविहे वंधे प०, तं०-जीवप्पओगवंधे, अणंतरवंधे, परंपरवंधे । नेरइयाणं भंते ! कइविहे वंधे प० ? एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाणं । नाणावरणिज्जस्स णं भंते! कम्मस्स कइविहे बंधे प० ? गोयमा ! तिविहे वधे प०, त०-जीवप्पओगवंधे, अणंतरवंधे, परपरवंधे, नेरइयाणं मंते! नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स कइविहे बंधे प० ? एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाणं, एवं जाव अंतराइयस्स । णाणावरणिज्जोदयस्स णं भंते ! कम्मस्स कइविहे वंवे प० ? गोयमा ! तिविहे वंधे प० एवं चेव, एवं नेरइयाणवि एवं जाव वेमाणियाणं, एवं जाव अतराइयउदयस्स, इत्थीवेयस्स णं भंते ! कइविहे बंधे प० ? गोयमा ! तिविहे बंधे प० एवं चेव, असुरकुमाराणं भंते ! इत्थीवेयस्स कइविहे वंधे प० ? गोयमा ! तिविहे वधे प० एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं जस्स इत्थिवेदो अस्थि, एवं पुरिसवेयस्स वि, एवं नपुंसगवेयस्सवि जाव वेमाणियाण, नवरं जस्स जो अस्थि वेदो, दंसणमोहणिज्जस्स णं भंते ! कम्मस्स कइविहे वंधे प० ? एवं चेव निरंतरं जाव वेमाणियाणं, एवं चरित्तमोहणिज्जस्सवि जाव वेमाणियाणं, एवं एएणं कमेणं ओरालियसरीरस्स जाव कम्मगसरीरस्स, आहारसन्नाए जाव परिग्गहसण्णाए, कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए, सम्मदिट्ठीए मिच्छादिट्ठीए सम्मामिच्छादिट्ठीए, आभिणिवोहियणाणस्स जाव केवलनाणस्स, मइअन्नाणस्स सुयअन्नाणस्स विभंगनाणस्स, एवं आभिणिवोहियणाणविसयस्स णं भंते ! कइविहे वंधे प० जाव केवलनाणविसयस्स मइअन्नाणविसयरस सुयअन्नाणविसयस्स विभंगणाणविसयस्स एएसिं सव्वेसिं पयागं तिविहे बंधे प०, सव्वेते चउव्वीस दंडगा भाणियव्वा, नवर जाणियन्व जस्स नइ अत्थि जाव वेमाणियाणं भंते ! विभंगणाणविसयस्स कइविहे वंधे प० ? गोयमा! तिविहे वंधे प०, तं०-जीवप्पओगवंधे, अणंतरवंधे, परंपरवंधे, सेवं भंते । २ त्ति जाव विहरइ ।। ६७३ ॥ वीसइमस्स सयस्स सत्तमो उद्देसो समत्तो॥ Page #856 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०४ सुत्तागमे [ भगवई कइ णं भंते ! कम्मभूमीओ प० ? गोयमा ! पन्नरस कम्मभूमीओ प०, तं०-पंच भरहाई, पंच एरवयाई, पंच महाविदेहाइं, कइ णं भंते ! अकम्मभूमीओ प० गोयमा ! तीसं अकम्मभूमीओ प०,०-पंच हेमवयाई,पंच हे(ए)रन्नवयाई,पंच हरिवासाई, पंच रम्मगवासाई, पंच देवकुराई, पंच उत्तरकुराइं, एयासु णंभंते ! तीसामु अकम्मभूमीसु अत्थि उस्सप्पिणीइ वा ओसप्पिणीइ वा ? णो इणढे समढे, एएम णं भंते ! पंचसु भरहेसु पंचसु एरवएसु अत्थि उस्सप्पिणीइ वा ओसप्पिणीइ वा ? हंता अस्थि, एएसु णं पंचसु महाविदेहेसु०, णेवत्थि उस्सप्पिणी नेवत्थि ओसप्पिणी अवट्ठिए णं तत्य काले प० समणाउसो ! ॥ ६७४ ॥ एएसु णं भंते ! पंचसु महाविदेहेसु अरिहंता भगवंतो पंचमहव्वइयं सपडिक्कमणं धम्मं पन्नवयंति ? णो इणढे समढे, एएसु णं पंचसु भरहेसु पंचसु एरवएसु पु(रिम)रच्छिमप(च)च्छिमगा दुवे अरिहंता भगवंतो पंचमहव्वइयं पंचाणुव्वइयं सपडिक्कमणं धम्म पन्न(वें)वयंति, अवसेसा णं अरिहंता भगवंतो चाउज्जामं धम्मं पन्नवयंति, एएसु णं पंचसु महावि. देहेसु अरहंता भगवंतो चाउज्जामं धम्म पन्नवयंति । जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए कइ तित्थगरा पन्नत्ता? गोयमा ! चउव्वीसं तित्यगरा पन्नत्ता, तंजहा-उसमअजियसंभवअभिनंदणसुमइसुप्पभसुपासससिपुप्फदंतसीयलसेजंसवासुपुजविमलअणंतधम्मसंतिकुंथुअरमल्लिमुणिसुव्वयन मिनेमिपासवद्धमाणा २४ ॥ ६७५ ॥ एएसि णं भंते ! चउवीसाए तित्थगराणं कइ जिणंतरा प०? गोयमा। तेवीसं जिणंतरा प० । एएसु णं भंते ! तेवीसाए जिणंतरेसु कस्स कहिं कालियसुयस्स वोच्छेदे प०? गोयमा ! एएसु णं तेवीसाए जिणंतरेसु पुरिमपच्छिमएसु अट्ठसु २ जिणंतरेसु एत्थ णं कालियसुयस्स अवोच्छेदे प०, मज्झिमएसु सत्तसु जिणंतरेसु एत्थ णं कालियसुयस्स वोच्छेदे प०, सव्वत्थवि णं वोच्छिन्ने दिद्विवाए ॥ ६७६ ॥ जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं केवइयं कालं पुव्वगए अणु(सि)सज्जिस्सइ ? गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए ममं एग वाससहस्सं पुव्वगए अणुसजिस्सइ, जहा णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं एगं वाससहस्सं पुव्वगए अणुसज्जिस्सइ तहा णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए अवसेसाणं तित्थगराणं केवइयं कालं पुव्वगए अणुसजित्या ? गोयमा ! अत्थेगइयाणं संखेनं कालं अत्थेगइयाणं असंखेनं कालं ॥६७७ ॥ जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं केवइयं कालं तित्थे अणुसजिस्सइ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए ममं एगवीसं वाससहस्साई Page #857 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० २० उ०९] सुत्तागमे ८०५ तित्थे अणुसज्जिस्सइ ॥ ६७८ ॥ जहा णं भंते । जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं एकवीसं वाससहस्साइं तित्थे अणुसिजिस्सइ तहा णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आगमेस्साणं चरिमतित्थगरस्स केवइयं कालं तित्थे अणुसज्जिस्सइ ? गोयमा ! जावइए णं उसभस्स अरहओ कोसलियस्स जिणपरियाए एवइयाई संखेजाइं आगमेस्साणं चरिमतित्थगरस्स तित्थे अणुसज्जिस्सइ ॥६७९॥ तित्थं भंते ! ति(त्थे)त्यं तित्वगरे तित्थं ? गोयमा! अरहा ताव नियमं तित्थगरे, तित्यं पुण चाउवन्नाइन्ने समणसघे, तं०-समणा समणीओ सावगा सावियाओ ॥६८०॥ पवयणं भंते ! पवयणं पावयणी पवयणं ? गोयमा ! अरहा ताव नियम पावयणी, पवयणं पुण दुवालसंगे गणिपिडगे, तं०-आयारो जाव दिहिवाओ ॥ जे इमे भंते ! उग्गा भोगा राइन्ना इक्खागा नाया कोरव्वा एए णं अस्सिं धम्मे ओगाहंति अस्सि० २त्ता अट्टविहं कम्मरयमलं पवाहेति पवाहित्ता तओ पच्छा सिझंति जाव अंतं करेंति ? हंता गोयमा ! जे इमे उग्गा भोगा तं चेव जाव अंतं करेंति, अत्थेगइया अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति । कइविहा णं भंते ! देवलोया प० ? गोयमा! चउबिहा देवलोया प०, तं०-भवणवासी, वाणमंतरा, जोइसिया, वेमाणिया । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ६८१ ॥ वीसइमे सए अट्ठमो उद्देसो समत्तो । ___ कइविहा णं भंते ! चारणा प० ? गोयमा । दुविहा चारणा प०, तंजहा-विजाचारणा य जंघाचारणा य, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ विजाचारणा विजाचारणा ? गोयमा! तस्स णं छटुंछट्टेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं विजाए उत्तरगुणलद्धिं खममाणस्स विजाचारणलद्धी नाम लद्धी समुप्पज्जइ, से तेणटेणं जाव विजाचारणा २, विजाचारणस्स णं भंते ! कहं सीहा गई कहं सीहे गइविसए पण्णत्ते ? गोयमा ! अयन्नं जंबूदीवे दीवे जाव किचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं देवे णं महिड्डिए जाव महेसक्खे जाव इणामेवत्तिकट्ठ केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं तिहिं अच्छरानिवाएहि तिक्खुत्तो अशुपरियट्टित्ताणं हव्वमागच्छेजा, विज्जाचारणस्स णं गोयमा ! तहा सीहा गई तहा सीहे गइविसए पण्णत्ते । विजाचारणस्स णं भंते ! तिरियं केवइए गइविसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से णं इओ एगेणं उप्पाएणं माणुसुत्तरे पव्वए समोसरणं करेइ करेत्ता बिइएणं उप्पाएणं नंदीसरवरे दीवे समोसरणं करेइ करेत्ता तओ पडिनियत्तइ २ त्ता इहमागच्छइ, विज्जाचारणस्स णं गोयमा ! तिरियं एवइए गइविसए पण्णत्ते, विज्जाचारणस्स णं भंते । उर्दू केवइए गइविसए पण्णत्ते ? गोयमा । से णं इओ एगेणं उप्पाएणं नंदणवणे समोसरणं करेइ करेत्ता विइएणं उप्पाएणं पंडगवणे समोसरणं करेइ करेत्ता तओ पडिनियत्तइ २ त्ता इहमागच्छइ, Page #858 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०६ सुत्तागमे [भगवई विजाचारणस्स णं गोयमा ! उर्दू एवइए गइविसए पण्णत्ते, से णं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकंते कालं करेइ नत्थि तस्स आराहणा, से णं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिक्कते कालं करेइ अत्थि तस्स आराहणा ॥६८२॥ से केगटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जंघाचार(णे)गा २ ? गोयमा! तस्स णं अट्ठमंअट्ठमेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावमाणस्स जंघाचारणलद्धी नामं लद्धी समुप्पजड, से तेणढेणं जाव जंघाचारणा २, जंघाचारणस्स णं भंते ! कहं सीहा गई कहं सीहे गइविसए पण्णत्ते ? गोयमा ! अयन्नं जंबुद्दीवे दीवे एवं जहेव विजाचारणस्स नवरं तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टित्ताणं हव्वमागच्छेजा, जंघाचारणस्स णं गोयमा! तहा सीहा गई तहा सीहे गइविसए पण्णत्ते सेसं तं चेव । जंघाचारणस्स णं भंते ! तिरियं केवइए गइविसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से णं इओ एगेगं उप्पाएणं रुयगवरे दीवे समोसरणं करेइ करेत्ता तओ पडिनियत्तमाणे बिइएणं उप्पाएणं नंदीसरवरदीवे समोसरणं करेइ करेत्ता इह(हव्व)मागच्छइ । जंघाचारणस्स णं गोयमा ! तिरिय एवइए गइविसए पण्णत्ते, जंघाचारणस्स णं भंते ! उर्दू केवइए गइविसए पन्नत्ते ? गोयमा ! से णं इओ एगेणं उप्पाएणं पंडगवणे समोसरणं करेइ करेत्ता तओ पडिनियत्तमाणे विइएणं उप्पाएणं नंदणवणे समोसरणं करेइ २ त्ता इहमागच्छइ, जंघाचारणस्स णं गोयमा ! उर्दू एवइए गइविसए पण्णत्ते, से णं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडितते कालं करेइ नत्थि तस्स आराहणा, से णं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिकते कालं करेइ अस्थि तस्स आराहणा, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ ६८३ ॥ वीसइमे सए नवमो उद्देसो समत्तो॥ ___ जीवा णं भंते ! किं सोवकमाउया निरुवक्रमाउया ? गोयमा ! जीवा सोवक्कमाउयावि निरुवकमाउयावि, नेरइयाणं पुच्छा, गोयमा ! नेरइया नो सोवकमाउया निरुवकमाउया, एवं जाव थणियकुमारा, पुढविकाइया जहा जीवा, एवं जाव मगुस्सा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया ॥६८४॥ नेरइया णं भंते ! कि आओवक्कमेणं उववजंति, परोवकमेणं उववजति, निरुवक्कमेणं उववजति ? गोयमा ! आओवक्कमेणवि उववनंति, परोवक्कमेणवि उववज्जति, निरुवक्कमेगवि उववजंति, एवं जाव वेमाणिया णं । नेरड्या णं भंते ! किं आओवकमेणं उववदृति, परोवक्कमेण उववति, निरुवक्रमेणं उववति ? गोयमा! नो आओवकमेणं उव्वद्वंति, नो परोक्कमेणं उववटृति, निरुवकमेणं उबट्टति, एवं जाव थणियकुमारा, पुढविकाइया जाब मगुस्सा तितु उव्वट्ठति, सेसा जहा नेरझ्या नवरं जोइसियवेमाणिया चयंति॥ नया णं भंत ! कि आ(य)इड्डीए उववज्जति परिड्डीए उववनंति ? गोयमा ! आइड्डीए Page #859 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० २० उ० १०] सुत्तागमे उववजति नो परिडीए उववनंति, एवं जाव वैमाणिया णं । नेरइया णं भंते ! किं आइड्डीए उववति परिडीए उववति ? गोयमा ! आइड्डीए उव्वति नो परिडीए उववदंति, एवं जाव वेमाणिया, नवरं जोइसियवेमाणिया चयंतीति अभिलावो । नेरइया णं भंते । कि आयकम्मुणा उववनंति परकम्मुणा उववजति ? गोयमा ! आयकम्मुणा उववनंति नो परकम्मुणा उववज्जति, एवं जाव वेमाणिया, एवं उव्वदृशादडओवि । नेरइया णं भंते ! कि आयप्पओगेणं उववज्जति परप्पओगेणं उववजति ? गोयमा ! आयप्पओगेणं उववज्जति नो परप्पओगेणं उववजंति, एवं जाव वेमाणिया, एवं उव्वट्टणादंडओवि ॥ ६८५॥ नेरइया णं भंते ! कि कइसंचिया अकइसंचिया अव्वत्त(व)गसंचिया ? गोयमा ! नेरइया कइसंचियावि अकइसंचियावि अव्यत्तगसंचियावि, से केणटेणं जाव अव्वत्तगसंचियावि? गोयमा ! जेणं नेरइया संखेजएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया कइसंचिया, जेणं नेरइया असंखेजएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया अकइसंचिया, जे णं नेरझ्या एकएणं पवेसणएणं पविसंति ते ण नेरइया अव्वत्तगसंचिया, से तेणढेणं गोयमा ! जाव अव्वत्तगसंचियावि, एवं जाव थणियकुमारा, पुढविक्काइयाणं पुच्छा, गोयमा ! पुढविकाइया नो कइसंचिया अकइसचिया नो अव्वत्तगसंचिया, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाक नो अव्वत्तगसंचिया ? गोयमा ! पुढविकाइया असंखेज्जएणं पवेसणएणं पविसंति से तेणटेणं जाव नो अव्वत्तगसंचिया, एवं जाव वणस्सइकाइया, बेइंदिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया, सिद्धाणं पुच्छा, गोयमा ! सिद्धा कइसंचिया नो अकइसंचिया अव्वत्त(व्व)गसंचियावि, से केणद्वेणं भंते ! जाव अव्वत्तगसंचियावि ? गोयमा ! जे ण सिद्धा संखेजएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा कइसंचिया, जेणं सिद्धा एकएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा अव्वत्तगसंचिया, से तेणटेणं गोयमा ! जाव अव्वत्तगसंचियावि ॥ एएसि णं भंते ! नेरइयाणं कइसंचियाणं अकइसंचियाणं अव्वत्तगसंचियाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया अव्वत्तगसंचिया, कइसंचिया संखेजगुणा, अकइसंचिया असंखेजगुणा, एवं एगिदियवज्जाणं जाव वेमाणियागं अप्पावहुगं, एगिदियाणं नत्यि अप्पावहुगं । एएसि णं भंते ! सिद्धाणं कइसंचियाणं अव्वत्तगसचियाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सिद्धा कइसंचिया, अव्वत्तगसंचिया सखेजगुणा ॥ नेरइया णं भंते 1 कि छक्कसमज्जिया १, नोछक्कसमजिया २, छक्केण य नोछक्केण य समजिया ३, छक्केहि य समज्जिया ४, छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया ५ ? गोयमा | नेरइया छक्कसमज्जियावि १, नोछक्कसमज्जियावि २, छक्केण य नोछक्केण य समज्जियावि ३, Page #860 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०८ सुत्तागमे [भगवई छक्केहि समज्जियावि ४, छक्केहि य नोछक्केण य समज्जियावि ५, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ नेरइया छक्कसमज्जियावि जाव छक्केहि य नोछक्केण य समजियावि ? गोयमा । जे णं नेरइया छक्कएणं पवेसणएणं पविसंति ते ण नेरझ्या छकसमजिया १, जे ण नेरइया जहन्नेणं एकेण वा दोहिं वा ति(ती)हिं वा उनोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया नोछक्कसमजिया २, जे णं नरइया एगेणं छकएणं अन्नेण य जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तिहिं वा उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएगं पविसंति ते णं नेरइया छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया ३, जे णं नेरड्या अणेगेहि छक्केहिं पवे. सणएणं पविसंति ते णं नेरइया छक्नेहिं समजिया ४, जे णं नेरइया अणेगेहि छक्केहिं अण्णेण य जहन्नेणं एक्केण वा दोहि वा तिहि वा उक्नोसेणं पंचएणं पर्वसणएगं पविसंति ते णं नेरइया छक्नेहि य नोछक्नेग य समजिया ५, से तेणढेणं तं चेव जाव समज्जियावि, एवं जाव थपियकुमारा । पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! पुढविकाइया नो छक्कसमजिया १, नो नोछक्कसमज्जिया २, णो छक्केण य नोछक्केण य समजिया ३, छक्केहिं समज्जियावि ४, छक्केहि य नोछक्केण य समज्जियावि ५, से केणटेणं भंते ! जाव समजियावि ? गोयमा! जे णं पुढविकाइया णेगेहिं छक्कएहिं पवेसणगं पविसंति ते णं पुढविकाइया छक्केहि समज्जिया, जे णं पुढविकाइया णेगेहिं छक्कएहिं अन्नेण य जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तिहिं वा उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं पुढविक्काइया छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया, से तेणटेणं जाव समजियावि, एवं जाव वणस्सइकाइया, बेइंदिया जाव वेमाणिया सिद्धा एए जहा नेरइया । एएसि णं भंते ! नेरइयाणं छक्कसमज्जियाणं नोछक्कसमजियाणं छक्केण य नोछक्केण य समज्जियाणं छक्केहि य समजियाणं छक्केहि य नोछक्केण य समजि. याण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया छक्कसमजिया, नोछक्कसमजिया संखेजगुणा, छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया संखेजगुणा, छक्केहि य समज्जिया असंखेजगुणा, छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया संखेजगुणा, एवं जाव थणियकुमारा। एएसि णं भंते | पुढविकाइयाणं छक्नेहिं समजियाणं छक्केहि य नोछक्केण य समजियाणं कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्योवा 'पदविकाइया छक्केहि समज्जिया, छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया संखेजगुणा, एवं जाव वणस्सइकाइयाणं, बेइंदियाणं जाव वेमाणियाणं जहा नेरइयाणं । एएसिणं भंते ! सिद्धाणं छक्कसमजियाणं नोछक्कसमज्जियाणं जाव छक्केहि य नोछक्केण य समजियाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सिद्धा छक्केहि य लोछक्केण य समज्जिया, छक्केहि समजिया संखेजगुणा, छक्केण य नोछक्केण य सम Page #861 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २० उ० १०] सुत्तागमे जिया संखेजगुणा, छक्कसमज्जिया संखेजगुणा, नोछक्कसमज्जिया संखेजगुणा । नेरइया णं भंते ! कि वारससमज्जिया १, नोवारससमज्जिया २, वारसएण य नोवारसएण य समज्जिया ३, वारसएहिं समजिया ४, वारसएहि य नोवारसएण य समजिया ५? गोयमा! नेरइया वारससमजियावि जाव वारसएहि य नोवारसएण य समजियावि, से केणटेणं भंते ! एवं जाव समज्जियावि ? गोयमा ! जेणं नेरइया वारसएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया वारससमज्जिया १, जे णं नेरइया जहनेणं एक्केण वा दोहिं वा तिहिं वा उक्कोसेणं एकारसएणं पवेसणएणं पविसंति तेणं नेरइया नोवारससमज्जिया २, जे ण नेरइया वारसएणं पवेसणएणं अन्नेण य जहनेणं एक्केण वा दोहि वा तिहिं वा उक्नोसेणं एकारसएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया वारसएण य नोवारसएण य समज्जिया ३, जे णं नेरइया णेगेहिं बारसएहिं पवेसणगं पविसंति ते णं नेरइया वारसएहिं समज्जिया ४, जे णं नेरइया णेगेहिं वारसएहिं अन्नेण य जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तिहिं वा उक्कोसेणं एकारसएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया वारसएहि य नोवारसएण य समज्जिया ५, से तेणटेणं जाव समज्जियावि, एवं जाव थणियकुमारा, पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! पुढविकाइया नो वारससमज्जिया १, नो नोवारससमज्जिया २, नो वारसएण य नोवारसएण य समज्जिया ३, वारसएहिं समजिया ४, वारसएहि य नो वार. सएण य समजियावि ५, से केणढेणं भंते ! जाव समज्जियावि ? गोयमा ! जे णं पुढविकाइया णेगेहि वारसएहिं पवेसणगं पविसंति ते णं पुढविकाइया वारसएहि समजिया, जे णं पुढविकाइया णेगेहिं वारसएहिं अन्नेण य जहन्नेणं एकेण वा दोहिं वा तिहिं वा उक्नोसेणं एकारसएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं पुढविकाइया बारसएहि य नोवारसएण य समज्जिया, से तेणटेणं जाव समज्जियावि, एवं जाव वणस्सइकाइया, वेइंदिया जाव सिद्धा जहा नेरइया। एएसि णं भंते ! नेरइयाणं वारससमज्जियाणं० सव्वेसिं अप्पावहुगं जहा छक्कसमजियाणं नवरं वारसाभिलावो सेसं तं चेव । नेरइया णं भंते ! कि चुलसीइसमज्जिया १, नोचुलसीइसमज्जिया २, चुलसीईए य नोचुलसीईए य समज्जिया ३, चुलसीईहि समज्जिया ४, चुलसीईहि य नोचुलसीईए य समजिया ५? गोयमा । नेरइया चुलसीइसमज्जियावि जाव चुलसीईहि य नोचुलसीईए य समजियावि, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव समजियावि ? गोयमा ! जे णं नेरइया चुलसी(ई)इएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया चुलसीइसमजिया १, जे णं नेरइया जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तिहिं वा उक्कोसेणं तेसीइपवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया नोचुलसीइसमज्जिया २, जे णं नेरइया चुलसी Page #862 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१० सुत्तागमे [भगवई इएणं अन्नेण य जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तिहिं वा उनोसेणं तेसीइएणं पवे. सणएणं पविसंति ते णं नेरइया चुलसीईए य नोचुलसीईए य समजिया ३, जेणं नेरइया णेगेहिं चुलसीइएहिं पवेसणगं पविसंति ते णं नेरइया चुलसीई(ए)हिं समजिया ४, जे णं नेरइया णेगेहिं चुलसीइएहिं अन्नेण य जहन्नेणं एक्केण वा जाव उकोसेणं तेसीइएणं जाव पविसंति ते ण नेरइया चुलसीईहि य नोचुलसीईए य समजिया ५, से तेणढेणं जाव समजियावि, एवं जाव थणियकुमारा, पुढविक्काइया तहेव पच्छिल्लएहिं दोहि २ नवरं अभिलावो चुलसीइओ भंगो एवं जाव वणस्सइकाइया, बेइंदिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया । सिद्धाणं पुच्छा, गोयमा ! सिद्धा चुलसीइसमजियावि १, नोचुलसीइसमजियावि २, चुलसीईए य नोचुलसीईए य समजियावि ३, नो चुलसीईहिं समजिया ४, नो चुलसीईहि य नोचुलसीईए य सम. जिया ५, से केणटेणं भंते ! जाव समजिया ? गोयमा ! जे णं सिद्धा चुलसीइएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा चुलसीइसमजिया, जे णं सिद्धा जहन्नेणं एकेण वा दोहिं वा तिहिं वा उक्कोसेणं तेसीइएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा नोचुलसीइसमज्जिया, जे णं सिद्धा चुलसीइएणं अन्नेण य जहण्णेणं एकेण वा दोहिं वा तिहिं वा उक्नोसेणं तेसीइएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा चुलसीईए य नोचुलसीईए य समजिया, से तेणटेणं जाव समजिया। एएसि णं भंते । नेरइयाणं चुलसीइसमजियाणं नोचुलसीइसमज्जियाणं० सव्वेसि अप्पाबहगं जहा छक्कसमजियाणं जाव वेमाणियाणं, नवरं अभिलावो चुलसीइओ। एएसि णं भंते ! सिद्धाणं चुलसीइसमजियाणं नोचुलसीइसमजियाणं चुलसीईए य नोचुलसीईए य समज्जियाणं कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सिद्धा चुलसीईए य नोचुलसीईए य समजिया, चुलसीइसमज्जिया अणंतगुणा, नोचुलसीइसमज्जिया अणंतगुणा । सेवं भंते १२ त्ति जाव विहरइ ।। ६८६॥ वीसइमस्ल सयस्स दसमो उद्देसो समत्तो ॥ वीसइमं सयं समत्तं ॥ २० ॥ सालि कल अयसि वंसे इक्खू दब्भे य अब्भ तुलसी य । अट्ठए दस वग्गा असीइं पुण होति उद्देसा ॥१॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-अह भंते ! साली वीही गोधूम जाव जवजवाणं एएसि णं भंते ! जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति ते णं भंते ! जीवा कओहितो उववजंति किं नेरइएहितो उववजति तिरि० मणु० देवेहिंतो० जहा वनंतीए तहेव उववाओ नवरं देववजं, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववजति ? गोयमा ! जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेजा वा उववज्जंति, अवहारो जहा उप्पलुद्देसए, तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरी Page #863 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि. प० स० २१ व० ३] सुत्तागमे ८११ रोगाहणा प० ? गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं धणुहपुहुत्तं, ते णं भंते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स किं बंधगा अवंधगा? तहेव जहा उप्पलुद्देसए, एवं वेदेवि उदएवि उदीरणाएवि । ते णं भंते ! जीवा किं कण्हलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा छब्बीसं भंगा, दिट्ठी जाव इंदिया जहा उप्पलुद्देसए, ते णं भंते ! साली वीही गोधूम जाव जवजवगमूलगीवे कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेनं कालं ॥ से णं भंते ! साली वीही गोधूम जाव जवजवगमूलगजीवे पुढवीजीवे पुणरवि साली वीही जाव जवजवगमूलगजीवेत्ति केवइयं कालं सेवेज्जा केवइयं कालं गइरागइ करेजा ? एवं जहा उप्पलुईसए, एएणं अभिलावेणं जाव मणुस्सजीवे, आहारो जहा उप्पलुइसे ठिई जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वासपुहुत्तं, समुग्घायसमोहया उव्वट्टणा य जहा उप्पलुद्देसे । अह भते । सव्वपाणा जाव सव्वसत्ता साली वीही जाव जवजवगमूलगजीवत्ताए उववन्नपुव्वा ? हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो। सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ६८७ ॥ एगवीसइमे सए पढमवग्गस्स पढमो उद्देसो समत्तो ॥२१-१-१॥ __ अह भंते ! साली वीही जाव जवजवाणं एएसि णं जे जीवा कंदत्ताए वक्कमंति ते णं भंते ! जीवा कओहितो उववजंति एवं कंदाहिगारेण सो चेव मूलुद्देसो अपरिसेसो भाणियन्वो जाव असइं अदुवा अणंतखुत्तो, सेवं भंते ! २ त्ति (२१-१-२) एवं खधेवि उद्देसओ णेयव्वो (२१-१.३) एवं तयाएवि उद्देसो भाणियव्वो (२१-१-४) सालेवि उद्देसो भाणियव्वो (२१-१-५) पवालेवि उद्देसो भाणियव्वो (२१-१-६) पत्तेवि रद्देसो भाणियव्वो (२१-१-७) एए सत्तवि उद्देसगा अपरिसेसं जहा मूले तहा णेयव्वा । एवं पुप्फेवि उद्देसओ णवरं देवो उववजइ जहा उप्पलुद्देसे चत्तारि लेस्साओ असीइ भंगा ओगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभार्ग उकोसेणं अंगुलपुहुत्तं सेसं तं चेव, सेवं भंते ! २ त्ति (२१-१-८) जहा पुप्फे एवं फलेवि उद्देसओ अपरिसेसो भाणियव्वो (२१-१-९ ) एवं बीएवि उद्देसओ (२१-१-१०) एए दस उद्देसगा ॥ पढमो वग्गो समत्तो ॥ २१.१ ॥ अह भंते ! कलायमसूरतिलमुग्गमासनिप्फावकुलत्थआलिसंदगसइणपलिमंथगाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति ते णं भंते ! जीवा कओहितो उववनंति ? एवं मूलादीया दस उद्देसगा भाणियव्वा जहेव सालीणं णिरवसेसं तहेव ॥ विइओ वग्गो समत्तो। ॥ २१-२॥ अह भंते ! अयसिकुसुंभकोदवकंगुरालगतुवरीकोदूसासणसरिसवमूलगवीयाणं एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति ते णं भंते ! जीवा कओहिंतो उववजंति ? एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा जहेव सालीणं णिरवसेसं तहेव भाणि Page #864 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१२ सुत्तागमे । भगवई यव्वं ॥ तइओ वग्गो समत्तो ॥ २१-३॥ अह भंते ! वंसवेणुकणगककावंसवारुवंसदंडाकुडाविमाचंडावेणुयाकल्लाणीणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा जहेव सालीणं, णवरं देवो सव्वत्थवि न उववजइ, तिण्णि लेस्साओ, सम्वत्थवि छव्वीसं भंगा सेसं तं चेव ॥ चउत्यो वग्गो समत्तो ॥२१-४॥ अह भंते ! उक्खुइक्खुवाडियावीरणाइक्कडभमासमुंठिसत्तवेत्ततिमिरसयपोरगनलाण एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति एवं जहेव वंसवग्गो तहेव एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा,णवरं खंधुद्देसे देवा उववज्जति, चत्तारि लेस्साओ प०,सेसं तं चेव ॥ पंचमो वग्गो समत्तो ॥ २१.५ ॥ अह भंते ! सेडियभंडियदब्भकोतियदभकुसदभगयोइदलअंजुलआसाढगरोहियंसमुतवखीरभुसएरिंडकुरुभकुंदकरवरसुंठविभंगुमहुवयणथुरगसिप्पियसुंकलितणाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं एत्थवि दस उद्दे. सगा निरवसेसं जहेव वंस (वग्गो)स्स ॥छट्ठो वग्गो समत्तो॥२१-६॥ अह भंते । अन्भरुहवोयाणहरितगतंदुलेजगतणवत्थुलचोरगमज्जारयाईचिल्लियालकदगपिप्पलियदव्विसोत्थिकसायमंडुक्किमूलगसरिसवअंबिलसागजिवंतगाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति एवं एत्थवि दस उद्देसगा जहेव वंसस्स ॥ सत्तमो वग्गो समत्तो ॥ २१-७ ॥ अह भंते ! तुलसीकण्हदलफणेज्जाअजाचूयणाचोराजीरादमणामरुयाइंदीवरसयपुप्फाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एत्थवि दस उद्देसगा निरवसेसं जहा वंसाणं ॥ अट्ठमो वग्गो समत्तो ॥ २१-८ ॥ एवं एएसु अट्ठसु वग्गेसु असीइं उद्देसगा भवंति ॥ ६८८ ॥ एकवीसइमं सयं समत्तं ॥ तालेगट्ठियबहुबीयगा य गुच्छा य गुम्म वल्ली य । छद्दस वग्गा एए सढिं पुण होंति उद्देसा ॥ १॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-अह-भंते ! तालतमालतकलितेतलिसालसरलासारगल्लाणं जाव केयतिकदलचम्मरुक्खगुंतरुक्खहिंगुरुक्खलवंगरुक्ख'पूयफलखजूरिनालिएरीणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति ते णं भंते ! जीवा कओहिंतो उववजंति ? एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा जहेव सालीणंणवरं इमं णाणत्तं मूले कंदे खंधे तयाए साले य एएसु पंचसु उद्देसएसु देवो न उववजइ, तिणि लेस्साओ, ठिई जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दसवाससहस्साइं, उव, रिलेसु पंचसु उद्देसएसु देवो उववजइ, चत्तारि लेस्साओ, ठिई जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वासपुहुत्तं, ओगाहणा मूले कंदे धणुहपुहुत्तं, खंधे तयाय साले य गाउय'पुहुत्तं, पवाले पत्ते धणुहपुहुत्तं, पुप्फे हत्थपुहुत्तं, फले बीए य अंगुलपुहुत्तं, सव्वेसिं जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं सेसं - जहा सालीणं, एवं एए दस उद्देसगा ॥ 'पढमो वग्गो समत्तो ॥ २२-१ ॥ अह भंते ! निबंबजंबुकोसंबतालअंकोल्लपीलुसेलुस Page #865 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१३ वि० प० स० २३ व० १] सुत्तागमे लइमोयइमालुयचउलपलासकरंजपुत्तंजीवगरिट्ठवहेडगहरियगभल्लायउंबरियखीरणिधायइपियालपूइयणिवायगसेण्हयपासियसीसवअयसिपुण्णागनागरुक्खसीवण्णअसोगाणं एएसि णं जे. जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा निरवसेसं जहा तालवग्गो ॥ बिइओ वग्गो समत्तो ॥ २२-२ ॥ अह भंते ! अत्थियातिदुयवोरकविठ्ठअंबाडगमाउलिंगबिल्लआमलगफणसदाडिमआसत्थउंबरवडणग्गोहनंदिरुक्खपिप्पलिसतरपिलक्खुरुक्खकाउंबरियकुच्छंभरियदेवदालितिलगलउयछत्तोहसिरीससत्तवण्णदहिवण्णलोद्धधवचंदणअजुणणीवकुडुगकलंवाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति ते णं भंते ! एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा तालवग्गसरिसा णेयव्वा जाव वीयं ॥ तइओ वग्गो समत्तो ॥ २२-३ ॥ अह भंते ! वाइंगणिअल्लइपोडइ एवं जहा पण्णवणाए गाहाणुसारेणं णेयव्वं जाव गंजपाडलावासिअंकोल्लाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा तालवग्गसरिसा णेयव्वा जाव बीयंति निरवसेसं जहा वंसवग्गो ॥ चउत्यो वग्गो समत्तो ॥ २२-४ ॥ अह भंते ! सिरियकाणवनालियकोरंटगवंधुजीवगमणोजा जहा पण्णवणाए पढमपए गाहागुसारेणं जाव नलणी य कुंदमहाजाईणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा निरवसेसं जहा सालीणं ॥ पंचमो वग्गो समत्तो ॥ ॥२२-५॥ अह भंते । पूसफलिकालिंगीतुंबीतउसीएलावालुंकी एवं पयाणि छिदियव्वाणि पण्णवणागाहाणुसारेणं जहा तालवग्गे जाव दधिफोलइकाकलिसोक्कलिअक्कवोंदीणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा जहा तालवग्गो, णवरं फलउद्देसे ओगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्नोसेणं धणुहपुहुत्तं, ठिई सव्वत्थ जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्नोसेणं वासपुहुत्तं सेसं तं चेव ॥ छट्ठो वग्गो समत्तो ॥ २२-६ ॥ एवं छसुवि वग्गेसु सहि उद्देसगा भवंति ॥ ६८९ ॥ बावीसइमं सयं समत्तं ॥ णमो सुयदेवयाए भगवईए। आलुयलोही अवया पाढी तह मासवण्णिवल्ली य । पंचेते दसवग्गा पण्णासं होति उद्देसा ॥१॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-अह भंते ! आलुयमूलगसिंगबेरहालिहरुक्खकंडरियजारुच्छीरविरालिकिढिकुंदुकण्हकडडसुमहुपयलइमहुसिंगिणिरुहासप्पसुगंधाछिण्णरुहावीयरहाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा वंसवग्गसरिसा णवरं परिमाणं जहण्णेणं एको वा दो वा तिण्णि वा उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेजा वा अणंता वा उववजंति, अवहारो गोयमा ! ते णं अणंता समए २ अवहीरमाणा २ अणंताहि ओसप्पिणीहिं उस्सप्पिणीहि एवइयकालेणं अवहीरंति णो चेव णं अवहरिया सिया, Page #866 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ८१४ [भगवई ठिई जहण्णेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, सेसं तं चेव ॥ पढमो वग्गो समत्तो ॥ २३.१ ॥ अह भंते! लोहीणीहूथीहूथिवगाअस्सकण्णीसीहकण्णीसीउंढीमुसंढीणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति एवं एत्थवि दस उद्देसगा जहेव आलुयवग्गे, णवरं ओगाहणा तालवग्गसरिसा, सेसं तं चेव, सेवं भंते ! २ त्ति ॥ बिइओ वग्गो समत्तो ॥ २३-२ ॥ अह भंते ! आयकायकुहुणकुंदुरुक्कउव्वेहलियासफासज्जाछत्तावं. साणियकुमाराणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए एवं एथवि मूलादीया दस उद्देसगा निरवसेसं जहा आलुवग्गो णवरं ओगाहणा तालवग्गसरिसा, सेसं तं चेव, सेवं भंते ! २ त्ति ॥ तइओ वग्गो समत्तो ॥ २३-३ ॥ अह भंते ! पाढामियवालंकिमहुररसारावल्लिपउमामोढरिइंतिचंडीणं एएसि णं जे जीवा मूल० एवं एत्यवि मूलादीया दस उद्देसगा आलयवग्गसरिसा णवरं ओगाहणा जहा वल्लीणं, सेसं तं चेव, सेवं भंते ! २ त्ति ॥ चउत्थो वग्गो समत्तो ॥ २३-४ ॥ अह भंते ! मासपण्णीमुग्गपण्णीजीवसरिसवकएणुयकाओलिखीरकाकोलिभंगिणहिकिमिरासिमद्दमुच्छणंगलइपओयकिंणापउलपाढेहरेणुयालोहीणं एएसि णं जे जीवा मूल० एवं एत्यवि दस उद्देसगा णिरवसेसं आलुयवग्गसरिसा ॥ पंचमो वग्गो समत्तो ॥ २३-५ ॥ ___ एवं एत्थ पंचसुवि वग्गेसु पन्नासं उद्देसगा भाणियव्वा सव्वत्थ देवा ण उववति, तिन्नि लेस्साओ । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ६९० ॥ तेवीसइमं सयं समत्तं ॥ उववायपरीमाणं संघयणुञ्चत्तमेव संठाणं । लेस्सा दिट्ठी णाणे अन्नाणे जोग उवओगे ॥ १॥ सन्नाकसायइंदियसमुग्घाया वेयणा य वेदे य । आउं अज्झवसाणा अणुवंधो कायसंवेहो ॥ २ ॥ जीवपदे जीवपदे जीवाणं दंडगंमि उद्देसो । चउवीसइमंमि सए चउवीसं होंति उद्देसा ॥ ३॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-णेरइया णं भंते। कओहितो उववज्जति, कि नेरइएहिंतो उववति, तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति, मणुस्सेहिंतो उववजंति, देवेहिंतो उववज्जति ? गोयमा ! णो नेरइएहिंतो उववज्जति, तिरिक्खजोणिएहिंतोवि उववजंति, मणुस्सेहितोवि उववजंति, णो देवेहितो उववजंति, जइ तिरिक्खजोणिएहितो उववति कि एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, बेइंदियतिरिक्खजोणिएहितो० तेइंदियतिरिक्खजोणिएहितो० चउरिदियतिरिक्खजोणिएहितो० पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति ? गोयमा ! नो एगिदियतिरिक्खजो. णिएहितो उववजंति, णो बेइंदिय० णो तेइंदिय० णो चउरिदिय० पंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजति, जइ पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति कि सण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति असण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्ति? गोयमा ! सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजति असन्निपंचिदियतिरिक्खजोणि Page #867 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० २४ उ० १ ] सुत्तागमे एहितोवि उववजंति, जइ सन्निपचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति कि जलचरेहितो उववज्जंति थलचरेहिंतो उववज्जति खहचरेहिंतो उववजंति ? गोयमा ! जलचरेहितो उववज्जंति, थलचरेहिंतोवि उववजंति, खहचरेहितोवि उववज्जंति, जइ जलचरे० थलचरे० खहचरेहितो उववज्जंति कि पज्जत्तएहिंतो उववजंति अपजत्तएहिंतो उववर्जति ? गोयमा ! पज्जत्तएहिंतो उववज्जंति णो अपजत्तएहिंतो उववजंति, पजत्तअसन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए नेरइएस उववजित्तए से णं भंते । क्रइसु पुढवीसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! एगाए रयणप्पभाए पुढवीए उववजेजा, पज्जत्तअसन्निपचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभाए पुढवीए नेरइएस उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकालट्ठिईएस उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्सट्ठिईएस उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागट्टिईएसु उववज्जेज्जा १, ते णं भंते! जीवा एगसमएणं केवइया उववजंति ? गोयमा ! जहन्ने एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेजा वा उववज्र्ज्जति २, तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किसंघयणी पन्नत्ता ? गोयमा ! छेवट्ठसंघयणी प० ३, तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ? गोयमा ! जहन्त्रेण अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं जोयणसहस्सं ४, तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किंसंठिया पन्नत्ता ? गोयमा ! हुंडसठाणसठिया पन्नत्ता ५, तेसि णं भंते ! जीवाणं कइ लेस्साओ प०? गोयमा ! तिन्नि लेस्साओ प०, तं० - कण्हलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा ६, ते णं भंते ! जीवा किं सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी ? गोयमा ! णो सम्मदिट्टी मिच्छादिट्टी णो सम्मामिच्छादिट्टी ७, ते णं भंते ! जीवा कि णाणी अन्नाणी ? गोयमा ! णो णाणी अन्नाणी नियमा दुअन्नाणी तं ० - मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य ८- ९, ते णं भंते । जीवा कि मणजोगी वइजोगी कायजोगी ? गोयमा । णो सणजोगी व जोगीवि कायजोगीवि १०, ते भंते ! जीवा किं सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता ? गोयमा ! सागारोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि ११, तेसि णं भंते! जीवाणं कइ सन्नाओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! चत्तारि सन्नाओ प०, तं ० - आहारसन्ना भयसन्ना मेहुणसन्ना परिग्गहसन्ना १२, तेसि णं भंते! जीवाणं कइ कसाया प० ? गोयमा ! चत्तारि कसाया प०, तं०- कोहकसाए माणकसाए मायाकसाए लोभकसाए १३, तेसि णं भंते ! जीवाणं कइ इंदिया प० ? गोयमा ! पंचिंदिया प०, तं० - सोइदिए चक्खिदिए जाव फार्सिदिए १४, तेसि णं भंते ! जीवाणं कइ समुग्धाया प० ? गोयमा ! तओ समुग्धाया प०, तं० - वेयणासमुग्धाए कसायसमुग्धाए मारणंतियसमुग्धाए १५, ८१५ Page #868 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई ते णं भंते ! जीवा किं सायावेयगा आसायावेयगा? गोयमा ! सायावेयगावि असायावेयगावि १६, ते णं भंते। जीवा किं इत्थीवेयगा पुरिसवेयगा नपुंसगवेयगा? गोयमा ! णो इत्थीवेयगा णो पुरिसवेयगा नपुंसगवेयगा १७, तेसि णं भंते ! जीवाणं केवइयं कालं ठिई प० ? गोयमा ! जहन्नण अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुव्वक्रोडी १८, तेसि णं भंते ! जीवाणं केवइया अज्झवसाणा प० ? गोयमा ! असंखेजा अज्झवसाणा प०, ते णं भंते ! किं पसत्था अप्पसत्था ? गोयमा! पसत्थावि अप्पसत्थावि १९, से णं भंते ! पजत्तअसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएत्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहन्नेण अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी २०, से णं भंते ! पजत्तअसण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिए रयणप्पभापुढवीणेरइए पुणरवि पजत्तअसन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिएत्ति केवइयं कालं सेवेज्जा केवइयं कालं गइरागई करेजा ? गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमन्भहियाई उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभार्ग पुवकोडिमभहियं एवइयं कालं सेवेजा एवइयं कालं गइरागई करेजा २१ । पजत्तअसन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए जहन्नकालट्ठिईएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकालट्ठिईएसु उववजेजा ? गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्सट्ठिईएसु उक्नोसेणवि दसवाससहस्सट्ठिईएसु उववजेजा, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववजति ? एवं सच्चेव वत्तव्वया निरवसेसा भाणियव्वा जाव अणुबंधोत्ति, से णं भंते ! पज्जत्तअसन्निपचिदियतिरिक्खजोणिए जहन्नकालट्ठिईयरयणप्पभापुढविणेरइए जहन्नकाल० २ पुणरवि पज्जत्तअसन्नि जाव गइरागई करेजा ? गोयमा! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमन्भहियाई उक्कोसेणं पुत्वकोडी दसहिं वाससहस्सेहिं अन्भहिया एवइयं कालं सेवेजा एवइयं कालं गइरागई करेजा २ । पजत्तअसन्निपचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए उक्नोसकालट्ठिईएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकालढिईएसु उववजेजा ? गोयमा ! जहन्नेगं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागट्टिईएसु उववजेज्जा, उक्कोसेणवि पलिओवमस्स असंखेज्जइभागट्टिईएसु उववज्जेजा, ते णं भंते । जीवा अवसेसं तं चेव जाव अणुबंधो। से णं भंते ! पजत्तअसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए उक्नोसकालठ्ठिईयरयणप्पभापुढविनेरइए उक्कोस पुणरवि पज्जत्त जाव करेजा? गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागं अंतोमुहुत्तमब्भहिय उनोसेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागं पुत्वकोडिअब्भहियं एवइयं कालं सेवेजा। Page #869 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० २४ उ० १] सुत्तागमे ८१७ एवइयं कालं गइरागई करेजा ३ । जहन्नकालट्ठिईयपजत्तअसंन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकालटिईएसु उववजेजा ? गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्सट्ठिईएसु उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागट्टिईएसु उववजेजा, ते णं भंते । जीवा एगसमएणं केवइया अवसेसं तं चेव णवरं इमाइं तिन्नि णाणत्ताई आउं अज्झवसाणा अणुवंधो य, जहन्नेणं ठिई अंतोमुहुत्तं उक्नोसेणवि अंतोमुहुत्तं, तेसि णं भंते । जीवाणं केवइया अज्झवसाणा प०? गोयमा! असंखेज्जा अज्झवसाणा प०, ते णं भंते । कि पसत्था अप्पसत्था ? गोयमा ! णो पसत्था अप्पसत्था, अणुबंधो अंतोमुहुत्तं सेसं तं चेव । से णं भंते ! जहन्नकालढिईयपज्जत्तअसन्निपंचिंदिय० रयणप्पभा जाव करेजा ? गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाइं उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेनइभागं अतोमुहुत्तमभहियं एवइयं कालं सेवेजा जाव गइरागई करेजा ४ । जहन्नकालट्ठिईयपजत्तअसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए जहन्नकालठ्ठिईएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए से णं भंते ! केवइयकालट्ठिईएसु उववजेजा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सट्टिईएसु उक्कोसेणवि दसवाससहस्सट्ठिईएसु उववजेज्जा, ते णं भंते ! जीवा सेसं तं चेव ताई चेव तिन्नि णाणत्ताई जाव से णं भंते ! जहन्नकालढिईयपज्जत्त जाव जोणिए जहन्नकालट्ठिईयरयणप्पभा पुणरवि जाव गोयमा । भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमन्भहियाइं उक्कोसेणवि दसवाससहस्साइं अंतोमुत्तमब्भहियाइं एवइयं कालं सेवेजा जाव करेजा ५ । जहन्नकालट्ठिईयपज्जत्त जाव तिरिक्खजोणियाणं भंते ! जे भविए उक्कोसकालट्ठिईएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए से णं भंते ! केवइयकालट्टिईएसु उववज्जेजा ? गोयमा! जहन्नेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागट्ठिईएसु उक्कोसेणवि पलिओवमस्स असंखेज्जइभागट्ठि(इ)ईएसु उववज्जेजा, ते णं भंते ! जीवा अवसेसं तं चेव ताई चेव तिन्नि णाणत्ताइं जाव से णं भंते ! जहनकालट्ठिईयपज्जत जाव तिरिक्खजोणिए उक्कोसकालट्ठिईयरयणप्पभा जाव करेजा ? गोयमा । भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागं अंतोमुहुत्तमब्भहियं उक्कोसेणवि पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं अतोमुहुत्तमव्भहियं एवइयं कालं जाव करेजा ६ । उकोसकालट्ठिईयपजत्तअसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकाल(डिई)स्स जाव उववज्जेजा? गोयमा । जहन्नेणं दसवाससहस्सट्ठि ५२ सुत्ता० Page #870 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ८१८ [भगवई ईएसु उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेजडभागढ़िईएमु उववजेजा, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं अवसेसं जहेव ओहियगमएणं तहेव अणुगंतव्वं, नवरं (जान) इमाई दोन्नि नाणत्ताई-ठिई जहन्नेणं पुव्वकोडी उकोसेणवि पुचकोडी, एवं अणुबंधोवि, अवसेसं तं चेव, से णं भंते ! उक्कोराकालढिईयपज्जत्तअसन्नि जाव तिरिक्सजोणिए रयणप्पभा जाव गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं पुव्वकोडी दसहिं वाससहस्सेहि अब्भहिया उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागं पुव्वकोडीए अब्भहियं एवइयं जाव करेजा ७ । उकोसकालढ़िईयपजत्ततिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए जहन्नकालढिईएनु रयणप्पभा जाव उववजित्तए से णं भंते ! केवइ जाव उववजेज्जा ? गोयमा ! जहण्णणं दसवामसहस्तढिईएसु उक्कोसेणवि दसवाससहस्सटिईएसु उववज्जेज्जा, ते णं भंते । सेसं तं चेव जहा सत्तमगमए जाव से णं भंते । उक्कोसकालटिई जाव तिरिक्खजोणिए जहन्नकालट्ठिईयरयणप्पभा जाव करेजा ? गोयमा । भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेण जहण्णेणं पुवकोडी दसहिं वाससहरसेहिं अन्भहिया उकोसेणवि पुवकोडी दसहिं वाससहस्सेहिं अब्भहिया एवइयं जाव करेजा ८ । उकोसकालट्टिईयपजत्त जाव तिरिक्खजोणिए णं भंते । जे भविए उक्कोसकालदिईएसु रयणप्पभा जाव उववजित्तए से णं भंते । केवइयकाल जाच उववजेजा ? गोयमा! जहन्नेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागट्ठिईएसु उक्कोसेणवि पलिओवमस्स असंखेजइभागट्टिईएसु उववजेजा, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं सेसं जहा सत्तमगमए जाव से णं भंते ! उक्कोसकालट्ठिईयपजत्त जाव तिरिक्खजोणिए उक्कोसकालट्ठिईयरयणप्पभा जाव करेजा ? गोयमा! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेण जहन्नेणं पलिओवमस्स असंखेजइमागं पुव्वकोडीए अब्भहियं उक्कोसेणवि पलिओवमस्स असंखेजइभागं पुष्वकोडीए अब्भहियं एवइयं कालं सेवेजा जाव गइरागइं करेजा ९ । एवं एए ओहिया तिन्नि गमगा ३, जहन्नकालट्ठिईएसु तिन्नि गमगा ६, उक्कोसकालट्ठिईएसु तिन्नि गमगा ९, सव्वेते णव गमगा भवंति ॥ ६९१-२॥ जइ सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति कि संखेजवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति असंखेजवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्ख जाव उववजंति ? गोयमा ! संखेजवासाउयसन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति णो असंखेज्जवासाउयसन्निपंचिदिय जाव उववजंति, जइ संखेज्जवासाउयंसन्निपंचिंदिय जाव उववजांते किं जलचरेहिंतो उववजंति पुच्छा, गोयमा ! जलचरेहिंतो उववजंति जहा असन्नी जाव पज्जत्तएहितो उववज्जति णो अपजत्तएहिंतो उववजंति, Page #871 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० २४ उ० १] सुत्तागमे पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसन्निपचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए णेरइएसु उववज्जित्तए से णं भंते ! कइसु पुढवीसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! सत्तसु पुढवीसु उववज्जेजा, तंजहा-रयणप्पभाए जाव अहेसत्तमाए, पज्जत्तसंखेजवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए से णं भंते ! केवइयकालट्ठिईएसु उववजेजा ? गोयमा । जहन्नेणं दसवाससहस्सट्ठिई. एसु उक्कोसेणं सागरोवमट्टिईएसु उववजेज्जा, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववजति ? जहेव असन्नी, तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किंसंघयणी प० ? गोयमा ! छविहसंघयणी प०, तं०-वइरोसभनारायसंघयणी उसभनारायसंघयणी जाव छेवट्ठसंघयणी, सरीरोगाहणा जहेव असन्नीणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्नोसेणं जोयणसहस्सं, तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किंसंठिया प०? गोयमा ! छव्विहसंठिया प०, तंजहा-समचउरंस० णग्गोह० जाव हुंड०, तेसि णं भंते ! जीवाणं कइ लेस्साओ प० ? गोयमा ! छल्लेस्साओ पन्नत्ताओ, तंजहाकण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा, दिट्ठी तिविहावि, तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा भयणाए, जोगो तिविहोवि सेसं जहा असन्नीणं जाव अणुवंधो, नवरं पंच समुग्धाया प० आइल्लगा, वेदो तिविहोवि, अवसेसं तं चेव जाव से णं भंते ! पज्जत्तसंखेज्जवासाउय जाव तिरिक्खजोणिए रयणप्पभा जाव करेजा ? गोयमा ! भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाइं उक्नोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमम्भहियाइं उक्कोसेण चत्तारि सागरोवमाइं चउहि पुव्वकोडीहि अन्भहियाइं एवइयं कालं सेवेजा जाव करेजा १ । पजत्तसंखेजवासाउय जाव जे भविए जहन्नकाल जाव से णं भंते ! केवइयकालट्ठिईएसु उववज्जेजा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सट्टिईएसु उक्कोसेणवि दसवाससहस्सट्ठिईएसु उववज्जेज्जा, ते णं भंते ! जीवा एवं सो चेव पढमो गमओ निरवसेसो भाणियव्वो जाव कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाइं उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीओ चत्तालीसाए वाससहस्सेहिं अव्भहियाओ एवइयं काल सेवेजा एवइयं कालं गइरागइं करेजा २, सो चेव उक्कोसकालढिईएसु उववन्नो जहन्नेणं सागरोवमट्टिईएसु उकोसेणवि सागरोवमट्टिईएसु उववज्जेजा, अवसेसो परि(णामा)माणादीओ भवादेसपजवसाणो सो चेव पढमगमगोणेयव्वो जाव कालादेसेणं जहन्नेणं सागरोवमं अतोमुहुत्तमभहियं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहि पुव्वकोडीहि अब्भहियाई एवइयं कालं सेवेजा जाव करेजा ३, जहन्नकालढिईयपज्जत्तसंखेन्जवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभापुढवि जाव उववजित्तए से णं भंते ! Page #872 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२० सुत्तागमें [भगवई केवइयकालट्ठिईएसु उववजेज्जा ? गोयमा । जहन्नणं दसवाससहस्सट्टिईएसु उक्कोसेणं सागरोवमट्टिईएसु उववजेजा, ते णं भंते ! जीवा अवसेसो सो चेव गमओ नवरं इमाइं अट्ठ णाणत्ताइं-सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं धणुहपुहुत्तं, लेस्साओ तिन्नि आदिल्लाओ, णो सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी णो सम्मामिच्छादिट्ठी, णो णाणी दो अन्नाणा णियम, समुग्घाया आदिल्ला तिन्नि, आउं अज्झवसाणा अणुबंधो य जहेव असन्नीणं अवसेसं जहा पढमगमए जाव कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियाइं एवइयं कालं जाव करेजा ४, सो चेव जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो जहन्नेणं दसवाससहस्सट्टिईएसु उक्कोसेणवि दसवाससहस्सट्ठिईएसु उववज्जेज्जा, ते णं भंते ! एवं सो चेव चउत्यो गमओ निरवसेसो भाणियव्वो जाव कालादेसेणं जहन्नणं दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमन्भहियाई उक्कोसेणं चत्तालीसं वाससहस्साइं चउहि अंतोमुहत्तेहिं अब्भहियाइं एवइयं जाव करेजा ५ । सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएसु उववन्नो जहन्नेणं सागरोवमट्ठिईएसु उक्कोसेणवि सागरोवमट्टिईएसु उववजेजा, ते ण भंते! एवं सो चेव चउत्थो गमओ निरवसेसो भाणियव्वो जाव कालादेसेणं जहन्नेणं सागरोवमं अंतोमुहुत्तमब्भहियं उक्नोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहिं अंतोमुहुत्तेहि अब्भहियाइं एवंइयं जाव करेजा ६ । उक्कोसकालट्ठिईयपज्जत्तसंखेजवासाउय जाव तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकालट्ठिईएसु उववजेज्जा ? गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्सट्ठिईएसु उक्कोसेणं सागरोवमट्टिईएसु उववजेजा, ते णं भंते ! जीवा अवसेसो परिमाणादीओ भवादेसपज्जवसाणो एएसि चेव पढमो गमओ णेयव्वो नवरं ठिई जहन्नेणं पुव्वकोडी उक्कोसेणवि पुव्वकोडी, एवं अणुबंधोवि, सेसं तं चेव, कालादेसेणं जहन्नेणं पुवकोडी दसहिं वाससहस्सेहिं अब्भहिया उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहिं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाइं एवइयं कालं जाव करेजा ७ । सो चेव जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो जहन्नेणं दसवाससहस्सहिईएसु उक्कोसेणवि दसवाससहस्सट्ठिईएसु उववजेज्जा, ते णं भंते ! जीवा सो चेव सत्तमो गमओ निरवसेसो भाणियव्वो जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं पुवकोडी दसहिं वाससहस्सेहिं अब्भहिया उक्कोसेणं चत्तारि पुन्चकोडीओ चत्तालीसाए वाससहस्सेहिं अन्भहियाओ एवइयं जाव करेजा ८, उक्कोसकालढिईयपज्जत्त जाव तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए उक्कोसकालट्ठिईय जाव उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकालट्ठिईएसु उववजेजा ? गोयमा ! जहन्नेण Page #873 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २४ उ०१] सुत्तागमे ८२१ सागरोवमट्टिईएसु उक्कोसेणवि सागरोवमट्टिईएसु उववजेजा, ते णं भंते ! जीवा सो चेव सत्तमो गमओ निरवसेसो भाणियन्वो जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं सागरोवमं पुवकोडीए अभहियं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहिं पुव्वकोडीहिं अन्भहियाई एवइयं जाव करेजा ९ । एवं एए णव गमगा उक्खेवनिक्खेवओ नवसुवि जहेव असन्नीणं ॥ ६९३ ॥ पजत्तसंखेजवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते । जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए णेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकालट्ठिईएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमहिईएसु उववज्जेजा, उक्कोसेणं तिसागरोत्रमट्टिईएसु उववजेजा, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं एवं जहेव रयणप्पभाए उववजंत(गम)गस्स लद्धी सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं सागरोवमं अंतोमुहुत्तमब्भहियं उक्कोसेणं बारससागरोवमाइं चउहि पुत्वकोडीहिं अब्भहियाइं एवइयं जाव करेजा १, एवं रयणप्पभापुढविगमगसरिसा णववि गमगा भाणियव्वा नवरं सव्वगमएसुवि नेरइयढिई(य)संवेहेसु सागरोवमा भाणियव्वा एवं जाव छट्ठीपुढवित्ति, णवरं नेरइयठिई जा जत्थ पुढवीए जहन्नुक्कोसिया सा तेणं चेव कमेणं चउरगुणा कायव्वा, वालुयप्पभाए पुढवीए अट्ठावीसं सागरोवमा चउगुणिया भवंति, पंकप्पभाए चत्तालीसं, धूमप्पभाए अट्ठसडिं, तमाए अट्ठासीई, संघयणाई वालुयप्पभाए पंचविहसंघयणी तं०-वइरोसभनारायसंघयणी जाव कीलियासंघयणी, पंकप्पभाए चउव्विहसंघयणी, धूमप्पभाए तिविहसंघयणी, तमाए दुविहसंघयणी तं०-वइरोसभनारायसंघयणी य उसभनारायसंघयणी य, सेसं तं चेव ॥ पज्जत्तसंखेजवासाउय जाव तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए अहेसत्तमाए पुढवीए नेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकालट्ठिईएसु उववजेजा ? गोयमा ! जहन्नेणं वावीससागरोवमट्टिईएसु उक्को. सेणं तेत्तीससागरोवमट्टिईएसु उववजेजा, ते णं भंते ! जीवा एवं जहेव रयणप्पभाए णव गमगा लद्धीवि सच्चेव णवरं वइरोसभणारायसंघयणी, इत्थिवेदगा न उववज्जति सेसं तं चेव जाव अणुवंधोत्ति, संवेहो भवादेसेणं जहन्नेणं तिन्नि भवग्गहणाई उक्कोसेणं सत्त भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाई दोहिं अतोमुहुत्तेहि अन्भहियाई उक्कोसेणं छावहिँ सागरोवमाइं चउहि पुत्वकोडीहि अब्भहियाइं एवइयं जाव करेजा १, सो चेव जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो सच्चेव वत्तव्वया जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं कालादेसोवि तहेव जाव चउहिं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाई एवइयं जाव करेजा २, सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएसु उववण्णो सच्चेव लद्धी जाव अणुबंधोत्ति, भवादेसेणं जहन्नेणं तिन्नि भवग्गहणाई Page #874 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई उक्कोसेणं पंच भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं तेत्तीसं सागरोवमाई दोहिं अंतोमुहुत्तेहि अन्भहियाइं उक्कोसेणं छावहिँ सागरोवमाइं तिहिं पुवकोडीहिं अव्भहियाई एवइयं जाव करेजा ३, सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ सच्चेव रयणप्पभापुढविजहन्नकालट्ठिईयवत्तव्वया भाणियव्वा जाव भवादेसोत्ति, नवरं पढमसंघयणं णो इत्थिवेदगा, भवादेसेणं जहन्नेणं तिन्नि भवग्गहणाई उक्कोसेणं सत्त भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाइं दोहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियाई उक्कोसेणं छावडिं सागरोवमाइं चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियाइं एवइय जाव करेजा- ४ । सो चेव जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो एवं सो चेव चउत्थो गमओ निरवसेसो भाणियन्वो जाव कालादेसोत्ति ५ । सो चेव उक्कोसकालहिईएसु उववन्नो सच्चेव लद्धी जाव अणुबंधोत्ति, भवादेसेगं जहन्नेणं तिन्नि भवग्गहणाइं उक्कोसेणं पंच भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं दोहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियाई उक्कोसेणं छावहि सागरोवमाइं तिहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियाइं एवइयं कालं जाव करेजा ६ । सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिईओ जाओ जहन्नेणं वावीससागरोवमट्टिईएसु उक्कोसेणं तेत्तीससागरोवमट्ठिईएसु उववजेजा, ते णं भते ! अवसेसा सच्चेव सत्तमपुढविपढमगमगवत्तव्वया भाणियव्वा जाव भवादेसोत्ति, नवरं ठिई अणुवंधो य जहन्नेणं पुवकोडी उक्कोसेणवि पुव्वकोडी सेसं तं चेव, कालादेसेणं जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाई दोहिं पुव्वकोडीहि अब्भहियाइं उक्कोसेणं छावट्टि सागरोवमाइं चउहिं पुत्वकोडीहि अब्भहियाइं एवइयं जाव करेजा ७ । सो चेव जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो सच्चेव लद्धी संवेहोवि तहेव सत्तमगमगसरिसो ८ । सो चेव उक्कोसकालदिईएसु उववन्नो सच्चेव लद्धी जाव अणुबंधोत्ति, भवादेसेणं जहन्नेणं तिन्नि भवग्गहणाई उक्कोसेणं पंच भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं दोहिं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाइं उक्कोसेणं छावट्ठि सागरोवमाइं तिहि पुत्वकोडीहिं अब्भहियाई एवइयं कालं सेवेजा जाव करेजा ॥ ६९४ ॥ जइ मणुस्सेहितो उववजति किं सन्निमणुस्सेहिंतो उववजति असण्णिमणुस्सेहिंतो उववनंति ? गोयमा ! सन्निमणुस्सेहिंतो उववजति णो असण्णिमणुस्से हितो उववजंति, जइ सन्निमणुस्सेहितो उववजन्ति किं संखेजवासाउयसन्निमणुस्सहिंतो उववजति असंखेजवासाउय जाव उववनंति ? गोयमा । संखेजवासाउयसन्निमणुस्से हिंतो उ० णो असंखेजवासाउय जाव उववजन्ति, जइ संखेजवासाउय जाव उववजन्ति किं पजत्तसंखेजवासाउय जाव उववज्जति अपजत्त जाव उववजति ? गोयमा! पज्जत्तसंखेजवासाउय जाव उववजंति नो अपजत्तसंखेजवासाउय जाव उववजंति, पजत्तसंखेजवासाउयसन्नि Page #875 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० २० २४ उ..] सुत्तागमे ८२३ मणुस्से णं भंते! जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए से णं भंते ! कइसु पुढवीसु उववजेजा ? गोयमा ! सत्तनु पुढवीसु उववजेजा, तं०-रयणप्पभाए जाव अहेसत्तमाए, पजनसंखेजवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते! जे भविए रयणप्पभाए पुढवीए नेरइएमु उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकालढिईएस उववजेज्जा ? गोयमा ! जहगेणं दसवाससहस्सटिईएनु उनोसेणं सागरोवमट्टिईएसु उववजेज्जा, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जति ? गोयमा ! जहन्नेणं एक्लो वा दो वा तिन्नि वा उनोसेणं सखेजा (वा) उववजंति, संघयणा छ, सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलपुहुत्तं उनोसेणं पंचवणुहसयाई,एवं सेसं जहा सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव भवादेसोत्ति, नवरं चत्तारि णाणा तिन्नि अन्नाणा भयणाए, छ समुग्धाया केवलिवज्जा, ठिई अणुबंधो य जहन्नेणं मासपुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी सेसं तं चेव, कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहरसाई मासपुहुत्तममहियाइं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चउहि पुचकोडीहिं अन्भहियाइं एवइयं जाव करेजा १, सो चेव जहन्न कालट्ठिईएलु उववन्नो सा चेव वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई मासपुहुत्तममहियाइं उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीओ चत्तालीसाए वाससहस्सेहिं अव्भहियाओ एवइयं जाव करेजा २, सो चेव उनोसकालठिईएसु उववन्नो एस चेव बत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहणणेणं सागरोवमं मासपुहुत्तमम्भहियं उनोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहि पुवकोडीहिं अमहियाई एवइयं जाव करेजा ३, सो चेव अप्पणा जहन्नकालढिईओ जाओ एस चेव वत्तव्वया नवरं इमाइं पंच नाणत्ताईसरीरोगाहणा जहन्नेगं अंगुलपुहुत्तं उक्कोसेणवि अंगुलपुहुत्तं, तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा भयणाए, पंच समुग्घाया आइला, ठिई अणुबंधो य जहन्नेगं मासपुहुत्तं उक्कोसेणवि मासपुहुत्तं सेसं तं चेव जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेण जहन्नेगं दसवाससहस्साई मासपुहुत्तमभहियाई उकोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहिं मासपुहुत्तेहि अन्भहियाइं एवइयं जाव करेजा ४ । सो चेव जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया चउत्यगमगसरिसा णेयवा नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई मासपुहुत्तममहियाई उकोसेणं चत्तीलीसं वाससहस्साई चउहिं मासपुहुत्तेहिं अभहियाई एवइयं जाव करेजा ५ । सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएसु उववन्नो एस चेव गमगो नवरं कालादेसेणं जहन्नेगं सागरोवमं मासपुहुत्तमम्भहियं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चउहिं मासपुहुत्तेहिं अन्भहियाइं एवइयं जाव करेजा ६ । सो चेव अप्पणा उक्कोसकालढिईओ जाओ सो चेव पढमगमओ णेयव्वो नवरं सरीरोगाहणा जहन्नणं पंचधणुहसयाई उक्कोसेणवि पंचधणुहसयाई, ठिई जहन्नेणं Page #876 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२४ सुत्तागमे [ भगवई पुचक्रोबी उन्कोसेणवि पुव्वक्रोडी, एवं अणुवंधोवि, कालादेसेणं जहन्नण पुचकोडी दसहिं वाससहस्तेहिं अन्भहिया उनोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चरहिं पुन्चकोडीहिं अमहियाइं एवइयं कालं जाव करेजा ७ । सो वेव जहन्नकालटिईएनु उववन्नो सच्चेव सत्तमगमगवत्तव्बया नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं पुव्वकोडी दसहि वाससहस्सेहिं अमहिया उकोसेणं चत्तारि पुन्चकोडीओ चत्नालीसाए वाससहस्सेहिं अन्भहियाओ एवइयं कालं जाव करेजा ८ 1 सो चेव उकोसकालढिईएसु उववन्नो सा वेद सत्तमगमगवत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं एगं सागरोवमं पुचकोडीए अमहियं उकोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चढहिं पुवकोडीहिं अमहियाइं एवइयं कालं जाव करेजा ९ ॥ ६९५॥ पजनसंखेजवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए सकरप्पभाए पुढवीए नेरइएसु जाव उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकाल जाव उववजेजा? गोयमा ! जहन्नेणं सागरोवमट्टिईएलु उकोसेणं तिसागरोवमहिईएन उववजेजा, ते णं भंते ! एवं सो चेव रयणप्पभापुढविगमओ णेयत्रो नवरं सरीरोगाहणा जहन्नेगं स्यणिपुहुत्तं उकोसेणं पंचवणुहसयाई,ठिई जहन्नेणं वासपुहुत्तं उकोसेणं पुव्बकोडी, एवं अणुवंधोत्रि, सेसं तं चेव जावभवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं सागरोवमं वासपुहुत्तमन्भहियं उक्कोसेणं वारस सागरोवमाइं चरहिं पुव्वकोडीहिं अमहियाई एवइयं जाव करेजा १, एवं एसा ओहिएन तिनु गमएमु मणूसस्स लद्धी नाणनं नेरझ्याई कालादेसेणं संवेहं च जाणेजा ३, सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ तिसुवि गमएनु एस चेव लद्धी नवरं सरीरोगाहणा जहन्नेणं रयणिपुहुत्तं उकोसेणवि रयणिपुहत्तं, ठिई जहन्नेणं वासपुहत्तं उकोसेणवि वासपुहुत्तं एवं अणुवंधोवि, सेसं जहा ओहियाणं सवेहो सब्बो उव(जुजि)मुंजिऊण भाणियन्वो ४-५-६,सो चेव अप्पणा उबोलकालहिईओ जाओ तस्सवि तिमुवि गमएन इमं णाणत्तं-सरीरोगाहणा जहन्नेणं पंचवणुहसयाई उकासेगाव पंचवणुहसयाई,ठिई जहन्नेणं पुचकोडी उकोसेणवि पुचकोडी एवं अणुबंधोत्रि, सेसं जहा पढमगमए नवरं नेरझ्यठि(इ) इंकायसंवेहं च जाणेजा ९, एवं जाव छठपुढवी नवर तचाए आढवेत्ता एवं संघयणं परिहायइ जहेव तिरिक्खजोणियाणं कालादेसोवि तहेव नवस्मणुस्सहिई भाणियव्वा ॥ पज्जत्तसंखेजवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए अहेसत्तमापुडविनेरइएनु उववजितए से णं भंते ! केवइयकालठ्ठिईएस उववजेजा ? गोयमा ! जहन्नेगं वावीसं सागरोवमहि ईएनु उकोसेणं तत्ती सागरोवमट्टिईएमु उववजेजा, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं अक्सेसो सो चेव सकरप्पभापुढविगमओ णेयव्वो नवरं पढम संघयणं इत्थिवेयगा न उववनंति सेसं तं चेव जाव अणुवंघोत्ति, भवादेलेणं दो भवरगहणाई Page #877 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० २४ उ० २] सुत्तागमे ८२५ कालादेसेणं जहन्नेणं वावीसं सागरोवमाई वासपुहुत्तमब्भहियाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई पुव्वकोडीए अब्भहियाइ एवइयं जाव करेजा १, सो चेव जहन्नकालढिईएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं नेरइयट्टिइं संवेहं च जाणेज्जा २, सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं संवेहं च जाणेजा ३, सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ तस्सवि तिसुवि गमएसु एस चेव वत्तव्वया नवरं सरीरोगाहणा जहन्नेणं रयणिपुहुत्तं उक्कोसेणवि रयणिपुहुत्तं, ठिई जहन्नेणं वासपुहुत्तं उक्कोसेणवि वासपुहुत्तं एवं अणुवंधोवि, संवेहो उवउंजिऊण भाणियव्वो ६ । सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिईओ जाओ तस्सवि तिसुवि गमएसु एस चेव वत्तव्वया नवरं सरीरोगाहणा जहन्नेणं पंचधणुहसयाई उक्कोसेणवि पंचधणुहसयाई, ठिई जहन्नेणं पुत्वकोडी उक्कोसेणवि पुव्वकोडी एवं अणुवंधोवि णवसुवि एएसु गमएसु नेरइयट्टि(इं)ई संवेहं च जाणेजा, सव्वत्थ भवग्गहणाइं दोन्नि जाव णवमगमए कालादेसेणं जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाई पुव्वकोडीए अब्भहियाई उक्कोसेणवि तेत्तीसं सागरोवमाइं पुन्चकोडीए अब्भहियाइं एवइयं कालं सेवेजा एवइयं कालं गइरागई करेजा ९ । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ६९६ ॥ चउवीसइमस्स सयस्स पढमो उद्देसो समत्तो॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-असुरकुमारा णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति किं नेरइएहिंतो उववनति तिरिक्ख० मणुस्से० देवेहितो उववनंति ? गोयमा ! णो णेरइएहितो उववज्जति तिरिक्ख० मणुस्सेहिंतो उववज्जति नो देवेहितो उववज्जति, एवं जहेव नेरइयउद्देसए जाव पज्जत्तअसनिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए से णं भंते ! केवइयकालट्ठिईएसु उववजेजा ? गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्सट्ठिईएसु उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागट्टिईएसु उववजेजा, तेणं भंते ! जीवा एवं रयणप्पभागमगसरिसा णववि गमा भाणियव्वा नवरं जाहे अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ भवइ ताहे अज्झवसाणा पसत्था णो अप्पसत्था तिसुवि गमएसु अवसेसं तं चेव ९॥ जइ सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति कि संखेज्जवासाउयसन्निपंचिंदिय जाव उववजति असंखेजवासाउय जाव उववजति ? गोयमा ! संखेज्जवासाउय जाव उववनंति असंखेजवासाउय जाव उववज्जति, असंखेज्जवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववजित्तए से णं भते ! केवइयकालट्ठिईएसु उववजेजा ? गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्सढिईएसु उववजेज्जा उक्नोसेणं तिपलिओवमट्टिईएसु उववजेजा, ते णं भंते । जीवा एगसमएणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा Page #878 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२६ सुन्तागमे [ भगवई उववज्नति, वइरोसभनारायसंघयणी, ओगाहणा जहण्णेणं धणुहपुहुत्तं उकोसेणं छ गाउयाई, समचउरंससंठाणसंठिया प०, चनारि लेस्साओ आइलाओ, णो सम्मट्टिी मिच्छादिट्ठी णो सम्मामिच्छादिट्टी, णो णाणी अन्नाणी नियम दुअन्नाणी मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य, जोगो तिविहोवि, उवओगो दुविहोवि, चत्तारि सन्नाओ, चत्तारि कसाया, पंच इंदिया, तिन्नि समुग्घाया आइटगा, समोहयावि मरंति असमोहयात्रि मरंति, वेयणा दुविहावि सायावेयगावि असायावेयगावि, वेदो दुविहोवि इत्यिवेयगावि पुरिसवेयगावि णो नपुंसगवेयगा, ठिई जहन्नेणं साइरेगा पुव्वकोडी उकोसेण तिन्नि पलिओवमाई,अज्यवसाणा पसत्यावि अप्पसत्यावि, अणुबंधो अहेव ठिई, कायसंवेहो भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं साइरेगा पुचकोडी दसहिं वाससहस्सेहिं अमहिया उकोसेणं छप्पलिओवमाइं एवइयं जाव करेजा १, सो चेव जहन्नकालट्टिईएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं अमुरकुमारठि(इं)ई संवेहं च जाणेजा २, सो चेव उक्कोसकालटिईएसु उववन्नो जहन्नेणं तिपलिओवमट्टिईएम उकोसेणवि तिपलिओवमढ़िईएसु उववजेना एस चव वनव्वया नवरं ठिई से जहन्नेणं तिन्नि पलिओत्रमाइं उक्कोसेणवि तिन्नि पलिओवमाई एवं अणुबंधोबि, कालादेसेणं जहण्णेणं छप्पलिओवमाइं उक्कोसणवि छप्पलिओवमाइं एवइयं सेसं तं चेव ३, सो चेव अप्पणा जहन्नकालहिईओ जाओ जहन्नेणं दसवाससहस्सटिईएनु उक्कोसेणं साइरेगं पुवकोडीआरएमु उववज्जेना, ते णं भंते ! अवसेसं तं चेव जाव भवादेसोत्ति, नवरं ओगाहणा जहन्नेणं धणुहपुहुत्तं उकोसेणं माडरेगं धणुहसहस्सं, ठिई जहन्नणं साइरेगा पुचकोडी उक्कोसेणवि साइरेगा पुचकोडी एवं अणुवंधोवि, कालादेसेणं जहन्नेणं साइरेगा पुचकोडी दसहिं वाससहस्सेहिं अव्भहिया उकोसेणं साइरेगाओ दो पुचकोडीओ एवइयं०४, सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईएसु उववण्गो एस चेव वत्तव्या नवरं असुरकुमारढिई संवेहं च जाणेजा ५, सो चेत्र उक्कोसकालट्टिईएसु उववण्णो जहण्णेणं साइरेगपुन्वक्रोडिआउएमु उक्कोसेणवि साइरेगपुव्वक्रोडीआरएसु उववजेना सेसं तं चेव, नवरं कालादेसेणं जहण्णेगं साइरेगाओ दो पुवकोडीओ उक्कोसेणवि साइरेगाओ दो पुत्वकोडीओ एवइयं कालं सेवेजा० ६, सो चेव अप्पणा उक्कोसकालहिईओ जाओ सो चेव पढमगमगो भाणियचो नवरं ठिई जहन्नेणं तिन्नि पलिओवमाइं उक्कोसेणवि तिन्नि पलिओवमाइं एवं अणुवंधोवि, कालादेसेणं जहण्णेणं तिन्नि पलिओवमाइं दसहिं वाससहस्सेहिं अमहियाई उको. सेणं छ पलिओवमाइं एवइयं० ७, सो चेव जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं अनुरकुमारढ़िई संवेहं च जाणेजा ८, सो चेव उक्कोसकालदिईएमु उववन्नो Page #879 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० २४ उ०२] सुत्तागमे ८२७ जहण्णेणं तिपलिओव० उक्कोसेणवि तिपलिओव० एस चेव वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहण्णेणं छप्पलिओवमाइं उक्कोसेणवि छप्पलिओवमाई एवइयं० ९ ॥ जइ संखेजवासाउयसन्निपंचिंदिय जाव उववजति किं जलचर० एवं जाव पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकालढ़िईएसु उववजेजा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सट्ठिईएसु उक्कोसेणं साइरेगसागरोवमट्टिईएसु उववजेजा, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं एवं एएसिं रयगप्पभपुढविगमगसरिसा नव गमगा णेयव्वा, नवरं जाहे अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ भवइ ताहे तिसुवि गमएसु इमं णाणत्तं चत्तारि लेस्साओ अज्झवसाणा पसत्था नो अप्पसत्था सेसं तं चेव संवेहो साइरेगेण सागरोवमेण कायव्वो ९ ॥ जइ मणुस्सेहितो उववजंति किं सन्निमणुस्सेहितो उ० अस न्निमणुस्से हितो उ० ? गोयमा ! सन्निमणुस्सेहिंतो उ० नो असन्निमणुस्सेहिंतो उववजंति, जइ सन्निमणुस्सेहितो उववजति किं संखेजवासाउयसन्निमणुस्सहिंतो उववजति असंखेजवासाउयसन्निमणुस्सेहितो उववजति ? गोयमा ! संखेज्जवासाउय जाव उववजति असंखेज्जवासाउय जाव उववजंति, असंखेजवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकालठ्ठिईएसु उववजेजा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सहिईएसु उक्कोसेणं तिपलिओवमट्टिईएसु उववजेजा, एवं असंखेजवासाउयतिरिक्खजोणियसरिसा आइला तिन्नि गमगा नेयव्वा, नवरं सरीरोगाहणा पढमविइएसु गमएसु जहन्नेणं साइरेगाइं पंचधणुहसयाइं उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई सेसं तं चेव, तइयगमे ओगाहणा जहन्नेणं तिन्नि गाउयाई उक्कोसेणवि तिन्नि गाउयाइं सेसं जहेव तिरिक्खजोणियाणं ३, सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ तस्सवि जहन्नकालट्ठिईयतिरिक्खजोणियसरिसा तिन्नि गमगा भाणियव्वा, नवरं सरीरोगाहणा तिसुवि गमएसु जहण्णेणं साइरेगाई पंचधणुहसयाई उक्कोसेणवि साइरेगाई पंचवणुहसयाई सेसं तं चेव ६, सो चेव अप्पणा उक्कोसकालढिईओ जाओ तस्सवि ते चेव पच्छिल्लगा तिन्नि गमगा भाणियव्वा नवरं सरीरोगाहणा तिसुवि गमएसु जहन्नेणं तिन्नि गाउयाई उक्कोसेणवि तिन्नि गाउयाई अवसेसं तं चेव ९ ॥ जइ संखेजवासाउयसन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जति कि पजत्तसंखेजवासाउय० अपजत्तसंखेज जाव उववजति ? गोयमा ! पजत्तसखेज० णो अपज्जत्तसंखेज०, पज्जत्तसंखेनवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेनु उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकालट्ठिईएसु उववजेजा? गोयमा । जहन्नेणं दसवाससहस्सटिईएसु उक्कोसेणं साइरेगसागरोवमट्ठिईएसु उववजेजा, ते णं भंते ! जीवा एवं जहेव Page #880 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२८ सुत्तागमे [ भगवई एएसिं रयणप्पभाए उववज्जमाणाणं णव गमगा तहेव इहवि णव गमगा भाणियव्वा णवरं संवेहो साइरेगेण सागरोवमेण कायव्वो सेसं तं चैव ९, सेवं भंते । २त्ति ॥ ६९७ ॥ चडवीसइमे सए बीओ उद्देसो समत्तो ॥ ० रायगिहे जाव एवं वयासी - नागकुमारा णं भंते । कओहिंतो उववजंति कि नेरइएहितो उववज्जंति तिरि० मणु० देवेहिंतो उववज्जंति ? गोयमा ! णो णेरइएर्हितो उववजंति तिरिक्खजोणिएहिंतो उ० मणुस्सेहिंतो उववजंति नो देवेहिंतो उववज्जंति, जइतिरिक्खजोणि० एवं जहा असुरकुमाराणं वत्तव्वया तहा एएसिंपि जाव असण्णित्ति, जइ सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उ० किं संखेज्जवासांउय० असंखेजवासाउय • ? गोयमा ! संखेज्जवासाउय ० असंखेज्जवासाज्य जाव उववज्जंति, असंखेज्जवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए नागकुमारेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइकालट्टिई • ? गोयमा ! जहन्नणंदस वाससहस्सट्ठिईएस उक्कोसेणं देणदुपलिओवमट्टिईएस उववजेजा, ते णं भंते । जीवा अवसेसो सो चेव अतुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स गमगो भाणियव्वो जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेगं साइरेगा पुव्वकोडी दसहिं वाससहस्सेहि अम्भहिया उक्कोसेगं देसूणाई पंच पालिओवमाई एवइयं जाव करेज्जा १, सो चेव जहन्नकालट्ठिईएमु उववन्नो एस चैव वत्तव्वया नवरं णागकुमारट्टिई संबेहं च जाणेज्जा २, सो चेव उक्कोसकालट्टिईएस उवबन्नो तस्सवि एस चैव वत्तव्वया नवरं ठिई जहन्नेणं देसूणाई दो पलिओ माई उक्कोसेणं तिन्नि पलिओ माई सेसं तं चैव जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं देसूणाईं चत्तारि पलिओवमाइं उक्कोसेणं देसूणाई पंच पलिओवमाई एवइयं कालं ० ३, सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ तस्सवि तिसुवि गमएसु जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स जहन्नकालट्ठियस्स तहेव निरवसेसं ६, सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिईओ जाओ तस्सवि तहेव तिन्नि गमगा जहा असुरकुमारेसु उववजमाणस्स नवरं नागकुमारट्टिई संवेहं च जाणेजा सेसं तं चैव ९ ॥ जइ संखेजवासाउयसन्निपचिंदिय जाव किं पज्जत्तसंखेज्जवासारय • अपज्जत्तसंखेज • ? गोयमा ! पज्जत्तसंखेजवासाउय • णो अपजत्तसंखेज्जवासाउय०, पजत्तसंखेजवासाउय जाव जे भविए नागकुमारेसु उववज्जित्तए से णं भंते ! केवइयकालट्ठिईएमु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सट्टि॰ उक्नोसेणं देसूणदोपलिओवमट्टि० एवं जहेव असुरकुमारेसु उववजमाणस्स वत्तव्वया तहेव इहवि णवसुवि गमएसु, णवरं नागकुमारहिं संवेहं च जाणेजा, सेसं तं चेव ९ ॥ जइ मणुस्सेहिंतो उववज्जंति कि सन्निमणु० असण्णिमणु० ? गोयमा ! सन्निमणु० णो असन्निमणुस्से ० जहा असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स जाव असंखेजवा Page #881 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२९ वि० ५० स० २४ उ०१२] सुत्तागमे साउयसन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए णागकुमारेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकालट्ठिईएसु उववजइ ? गोयमा । जहन्नेणं दसवाससहस्सढ़िईएसु उक्कोसेणं देसूणदोपलिओवमट्ठिईएसु एवं जहेव असंखेज्जवासाउयाणं तिरिक्खजोणियाणं नागकुमारेसु आइल्ला तिन्नि गमगा तहेव इमस्सवि, नवरं पढमविइएसु गमएसु सरीरोगाहणा जहन्नेणं साइरेगाइं पंचधणुहसयाइं उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई, तइयगमे ओगाहणा जहन्नेणं देसूणाई दो गाउयाई उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई सेसं तं चेव ३, सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ तस्स तिसुवि गमएसु जहा तस्स चेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स तहेव निरवसेसं ६, सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिईओ जाओ तस्स तिसुवि गमएसु जहा तस्स चेव उक्कोसकालटिईयस्स असुरकुमारेसु उववजमाणस्स नवरं णागकुमारट्टिई संवेहं च जाणेज्जा, सेसं तं चेव ९ ॥ जइ संखेजवासाउयसनिमणु० किं पजत्तसंखेज० अपजत्तसंखेज० १ गोयमा! पजत्तसंखेज० णो अपजत्तसंखेज०, पजत्तसंखेजवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए णागकुमारेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइ० ? गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्सट्ठिईएसु उकोसेणं देसूणदोपलिओवमट्टिईएसु उ० एवं जहेव असुरकुमारेसु उववजमाणस्स सच्चेव लद्धी 'निरवसेसा नवसु गमएसु णवरं णागकुमारठ्ठिई संवेहं च जाणेजा, सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ६९८ ॥ चउवीसइमस्स सयस्स तइओ उद्देसो समत्तो॥ अवसेसा सुवन्नकुमाराई जाव थणियकुमारा एएवि अट्ठ उद्देसगा जहेव नागकुमाराणं तहेव निरवसेसा भाणियव्वा, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ६९९ ॥ चउवीसइमस्स सयस्स एक्कारसमो उद्देसो समत्तो ।। पुढविकाइया णं भंते ! कओहितो उववति कि नेरइएहितो उववजति तिरि. क्ख० मणु० देवेहिंतो उववजंति ? गोयमा ! णो णेरइएहिंतो उववनंति तिरिक्ख० मणु० देवेहितोवि उववजंति, जइ तिरिक्खजोणिएहिंतो उ० कि एगिदियतिरिक्खजोणिए० एवं जहा वकंतीए उववाओ जाव जइ वायरपुढविक्काइयएगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजति कि पजत्तवादर जाव उववजति अपज्जत्तवादरपुढवि जाव उ० ? गोयमा! पजत्तवादरपुढवि० अपजत्तबादरपुढवि जाव उववज्जति, पुढविकाइए ण भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए से णं भंते ! केवइयकालढिईएसु उववजेजा ? गोयमा! जहन्नेणं अतोमुत्तढिईएसु उक्कोसेणं वावीसवाससहस्सट्टिईएसु उववजेजा, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं पुच्छा, गोयमा ! अणुसमयं अविरहिया असंखेज्जा उववन्नति, छेवट्ठसंघयणी, सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, मसूरचंदसंठिया, चत्तारि लेस्साओ, णो Page #882 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 ८३० सुत्तागमे [ भगवई सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्टी णो सम्मामिच्छादिट्ठी, णो णाणी अन्नाणी दो अन्नाणा नियम, णो मणजोगी णो वइजोगी कायजोगी, उवओगो दुविहोवि, चत्तारि सन्नाओ, चत्तारि कसाया, एगे फार्सिदिए पन्नत्ते, तिन्नि समुग्धाया, वेयणा दुविहा, णो इत्थिवेदगा णो पुरिसवेदगा नपुंसगवेदगा, ठिई जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वावीसं वाससहस्साईं, अज्झवसाणा पसत्थावि अप्पसत्थावि अणुबंधो जहा ठिई १, से णं भंते! पुढविकाइए पुणरवि पुढविकाइएत्ति केवइयं कालं सेवेजा केवइयं कालं गइराई करेजा ? गोयमा ! भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं असंखेज्जाईं भवग्गहणाईं, कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता रक्कोसेणं असंखेजं कालं एवइयं जाव करेजा १, सो चेव जहन्नकाल डिईएस उववन्नो जहन्नेणं अंतोमुहुत्तट्ठिईएसु उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तट्ठिईएस एवं चैव वत्तव्वया निरवसेसा २, सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएसु उववन्नो जहन्नेणं बावीसवाससहस्सट्टिईएस उक्कोसेणवि वावीसवाससहस्सट्ठिईएसु सेसं तं चेव जाव अणुवंधोत्ति, णवरं जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा वा असंखेजा वा उववज्जेज्जा, भवादेसेणं जहणेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहणेणं वावीसं वाससहस्साईं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई उक्कोसेणं छावत्तरं वाससहस्तुत्तरं सयसहस्सं एवइयं कालं जाव करेजा ३, सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ सो चेव पढमिलओ गमओ भाणियन्त्रो नवरं लेस्साओ तिन्नि, ठिई जहनेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, अप्पसत्था अज्झवसाणा, अणुबंधो जहा ठिई सेसं तं चेत्र ४, सो चेव जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो सच्चैव चरत्थगमगवत्तव्वया भाणियव्वा ५, सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएस उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा जाव भवादेसेणं जहन्नेगं दो भवग्गहणाईं उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहनेणं वावीसं वाससहस्ताई अंतोमुहुत्तमन्महियाई उक्कोसेणं अट्ठासी वाससहस्साई चउहिं अंतोमुहुत्तेहि अमहियाई एवइयं ० ६, सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिईओ जाओ एवं तइयगमगसरिसो निरवसेसो भाणियव्त्रो नवरं अप्पणा से ठिई जहन्नेगं वावीसं वाससहस्साईं उक्कोसेगांव बावीसं वाससहस्साई ७, सो चेव जहन्नकालट्टिईएस उववन्नो जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेगवि अंतोमुहुत्तं, एव जहा सत्तमगमगो जाव भवादेसो, काला देसेणं जहन्नेण वावीस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमम्भहियाई उक्कोसेणं अट्ठासीइं वाससहस्साइं चउहि अंतोमुहुत्तेहिं अन्भहियाई एवइयं ० ८, सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएस उववन्नो जहन्त्रेण बावीस वाससहस्सडिईएस उक्कोसेणवि वावीसं वाससहस्सट्टिईएस एस Page #883 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० २४ उ० १२] सुत्तागमे चेव सत्तमगमगवत्तव्वया जाणियव्वा जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहण्णेणं चोयालीसं वाससहस्साई उक्कोसेणं छावत्तरिवाससहस्सुत्तरं सयसहस्सं एवइयं० ९ ॥ जइ आउक्काइयएगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं सुहुमआउ० बादरआउ० एवं चउकओ भेदो भाणियव्वो जहा पुढविक्काइयाणं, आउक्काइयाणं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकालट्ठिईएसु उववज्जेजा ? गोयमा । जहन्नेणं अतोमुहुत्तट्टिईएसु उक्नोसेणं वावीसं वाससहस्सट्ठिईएसु उववजेजा, एवं पुढविकाइयगमगसरिसा नव गमगा भाणियव्वा ९, नवरं थिबुगबिंदुसंठिए, ठिई जहन्नेण अंतोमुहुत्तं उक्नोसेणं सत्त वाससहस्साइं, एवं अणुबंधोवि एवं तिसुवि गमएसु, ठिई संवेहो तइयछट्ठसत्तमट्ठमणवमगमएसु भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई, सेसेसु चउसु गमएसु जहण्णेणं दो भवग्गहणाइं उक्नोसेणं असंखेजाइं भवग्गहणाई, तइयगमए कालादेसेण जहन्नेणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमन्भहियाई उक्कोसेणं सोलसुत्तर वाससयसहस्सं एवइयं०, छठे गमए कालादेसेणं जहन्नणं वावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई उक्कोसेणं अट्ठासीई वाससहस्साई चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियाइं एवइयं०, सत्तमे गमए कालादेसेण जहन्नेणं सत्त वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्नोसेणं सोलसुत्तवाससयसहस्सं एवइयं०, अट्ठमे गमए कालादेसेणं जहन्नेगं सत्त वाससहस्साई अंतोमुहुत्तम महियाई उक्कोसेणं अट्ठावीसं वाससहस्साई चउहि अंतोमुहुत्तेहिं अन्भहियाई एवइयं०, णवमे गमए भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं एगूगतीस वाससहस्साई उक्नोसेणं सोलसुत्तरं वाससयसहस्सं एवइयं०, एवं णवसुवि गमएसु आउक्काइय ठिई जाणियव्वा ९ ॥ जइ तेउकाइएहिंतो उववज्जति तेउक्काइयाणवि एस चेव वत्तव्वया नवरं नवसुवि गमएसु तिन्नि लेस्साओ तेउक्काइयाणं सु(सू)ईकलावसंठिया ठिई जाणियव्वा तइयगमए कालादेसेणं जहण्णेणं बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई उक्नोसेणं अट्ठासीइं वाससहस्साई वारसहिं राइंदिएहिं अब्भहियाई एवइयं एवं संवेहो उवजंजिऊण भाणियव्यो ९॥ जइ वाउक्काइएहिंतो उववजति वाउक्काइयाणवि एवं चेव णव गमगा जहेव तेउक्काइयाणं णवरं पडागासंठिया प० संवेहो वाससहस्सेहि कायव्वो तइयगमए कालादेसेणं जहण्णेणं वावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई उकोसेणं एगं वाससयसहस्सं एवं संवेहो उवजुंजिऊण भाणियव्वो ॥ जइ वणस्सइकाइएहितो उववजति वणस्सइकाइयाणं आउकाइयगमगसरिसा णव गमगा भाणियव्वा नवरं णाणासंठिया सरीरोगाहणा प० पढमएसु पच्छिल्लएसु Page #884 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૩૨ सुत्तागमे [ भगवई य तिनु गमएस जहणेणं अंगुलस्त असंखेजइभागं उक्कोसेणं साइरेगं जोयणसहस् मनि ति तहेव जहा पुढविकाइयाणं संवेहो ठिई य जाणियव्वा तइयगमए कालादेसेणं जहन्नेणं वावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमम्भहियाई उक्कोसेणं अट्ठावीसुत्तरं वाससयसहस्सं एवइयं एवं संवेहो उवजुंजिऊण भाणियन्वो ॥ ७०० ॥ जइ वेइंदिएहिंतो उववज्र्जति किं पजत्तत्रेईदिए हिंतो उववजंति अपजत्तवेईदिएहिंतो उववज्जति ? गोयमा ! पजत्तवेइंदिएहिंतो उववजंति अपजत्तत्रेईदिएहिंतोवि उववजंति, वेइदिए णं भंते ! जे भविए पुढविकाइएस उववजित्तए से णं भंते ! केवइकाल० ? गोयमा । जहण्णेगं अंतोमुहुत्तट्ठिएस उक्कोसेगं वावीसं वाससहस्सडिईएन, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं० ? गोयमा ! जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा वा असंखेजा वा उववजंति, छेवट्ठसंघयणी, ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं वारस जोयणाई, हुंडसंठिया, तिन्नि लेस्साओ, सम्मदिट्ठीवि मिच्छादिट्ठीवि नो सम्मामिच्छादिट्ठी, दो णाणा दो अन्नाणा नियमं णो मणजोगी व जोगीवि कायजोगीवि, उवओगो दुविहोवि, चत्तारि सन्नाओ, चत्तारि कसाया, दो इंदिया प०, तं०- जिब्भिदिए य फार्सिदिए य, तिन्नि समुग्धाया सेसं जहा पुढविकाइयाणं णवरं ठिई जहन्त्रेण अंतोमुहुत्तं उद्योसेणं वारस संवच्छराई एवं अणुबंधोवि, सेसं तं चेव, भवादेसेणं जहणेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेगं संग्खेज्जाई भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं संखेजं कालं एवइयं ० १, सो चेव जहन्नकालट्ठिईएनु उववन्नो एस चैव वत्तव्वया सव्वा २, सो चैव उबोसकालईिएनु उववन्नो एसा चैव वेइंदियस्स लद्वी नवरं भवादेसेणं जह णेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेगं अट्ठ भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं वावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमन्महियाई उक्कोसेगं अट्ठासीइं वाससहस्साई अडयालीसाए संवच्छरेहिं अव्महियाई एवइयं ० ३, सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ तस्सव एस चेव वत्तव्वया तिमुवि गमएतु नवरं इमाई सत्त णागत्ताई सरीरोगाहगा जहा पुढविकाइयाणं, णो सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्टी णो सम्मामिच्छादिट्ठी, दो अन्नाणा नियमं णो मणजोगी णो वइजोगी कायजोगी, ठिई जहनेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेगवि अंतोमुहुत्तं, अज्नवसाणा अप्पसत्या, अणुबंधो जहा ठिई, संवेहो तहेव आइन दोन गमएन तइयगमए भवाढेसो तहेव अट्ठ भवरगहणाईं कालादेसेणं जहन्नेणं वावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमन्महियाई उद्योसेणं अट्ठासी वाससहस्साई चउहिं अनोमुहृतेहिं अमहियाई ६, सो चैव अप्पा उक्कोसकालट्टिईओ जाओ एयस्सवि ओहियगमगसरिसा तिन्नि गमगा भाणियव्वा नवरं तिनुवि गमएतु ठिई जहन्नेणं , Page #885 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २४ उ० १२] सुत्तागमे बारस संवच्छराइं उक्कोसेणविवारस संवच्छराई, एवं अणुवंधोवि, भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेगं अट्ठ भवरगहणाई, कालादेसेगं उवमुंजिऊण भाणियव्वं जाव णवमे गमए जहन्नेगं वावीसं वाससहस्साई वारसहिं संवच्छरेहिं अब्भहियाई उक्कोसेणं अट्ठासीइ वाससहस्साई अडयालीसाए संवच्छरेहिं अभहियाइं एवइयं० ९ ॥ जइ तेइंदिएहितो पुढविकाइएसु उववजन्ति एवं चेव नव गमगा भाणियव्वा नवरं आइल्लेसु तिमुवि गमएसु सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं -उकोसेणं तिन्नि गाउयाई, तिन्नि इंदियाई, ठिई जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं एगूण'पन्नं राइंदियाई, तइयगमए कालादेसेणं जहन्नेणं बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमन्भहियाइं उक्कोसेणं अट्ठासीई वाससहस्साई छन्नडइं राइंदियसयमन्भहियाई एवइयं०, मज्झिमगा तिन्नि गमगा तहेव पच्छिमगावि तिन्नि गमगा तहेव नवरं ठिई जहन्नेणं एगूगपनं राइंदियाइं उक्कोसेगवि एगूणपन्नं राईदियाई संवेहो उवजुंजिऊण भाणियन्वो ९ ।। जइ चउरिदिएहितो उववजन्ति एवं चेव चरिंदियाणवि नव गमगा भाणियन्वा नवरं एएसु चेव ठाणेसु नाणत्ता भाणियव्वा सरीरोगाहणा जहन्नणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं चत्तारि गाउयाई, ठिई जहन्नेगं अंतोमुंहुत्तं -उकोसेणं छम्मासा एवं अणुवंधोवि, चत्तारि इंदियाई सेसं तं चेव जाव नवमगमए कालादेसेणं जहण्णेणं वावीसं वाससहस्साइंछहिं मासेहिं अब्भहियाइं उक्कोसेगं अट्ठासीइं वाससहस्साई चउवीसाए मासेहिं अब्भहियाइं एवइयं० ९॥ जइ पांचंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववति कि सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति असन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए०१ गोयमा ! सन्निपचिंदिय०, असण्णिपंचिंदिय०,जइ असण्णिपचिंदिय जाव उ० किं जलचरेहितो उववजति जाव कि पजत्तएहितो उववनंति अपजत्तएहिंतो उववजति ? गोयमा! पजत्तएहितोवि उववजति अपजत्तएहितोवि उववजंति, असन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु उववजित्तए से गं भंते ! केवइ० ? गोयमा ! जहन्नेगं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वावीसं वाससहस्साइं, ते णं भंते ! जीवा एवं जहेव वेइंदियस्स ओहियगमए लद्धी तहेव नवरं सरीरोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेण जोयणसहस्सं, पंचिंदिया, ठिई अणुवंधो यजहण्णेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी सेसं तं चेव, भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवगहणाई उकोसेगं अट्ठ भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीओ अट्ठासीईए वाससहस्सेहिं अब्भहियाओ एवइयं० णवसुवि गमएसु कायसंवेहो भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेगं अट्ठ भवग्गहणाई कालादेसेणं उवजुंजिऊण भाणियव्वं, नवरं मज्झिमएसु तिसु गमएसु जहेव बेइंदियस्स ५३ सुत्ता० Page #886 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३४ सुत्तागमे [ भगवई मज्झिमएसु तिसु गमएसु पच्छिल्लएसु तिसु गमएसु जहा एयस्स चेव पढमगमए, - नवरं ठिई अणुबंधो जहन्नेणं पुव्वकोडी उकोसेणवि पुचकोडी, सेसं तं चेव जाव नवम गमए जहण्णेणं पुवकोडी वावीसाए वाससहस्सेहि अन्भहिया उकोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीओ अट्ठासीईए वाससहस्सेहिं अमहियाओ एवइयं कालं सेवेजा० ९॥जइ सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणि जाव उ० किं संखेजवासाउय० असंखेनवासाउय०? गोयमा ! संखेजवासाउय० णो असंखेनवासाउय जाव उ०, जइ संखेजवासाउय जाव उ० किं जलचरेहिंतो सेसं जहा असन्नीणं जाव ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जति एवं जहा रयणप्पभाए उववजमाणस्स सन्निपंचिंदियस्स तहेव इहवि, नवरं ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं जोयणसहस्सं सेसं तहेव जाव कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं चत्तारि पुन्वकोडीओ अट्ठासीईए वाससहस्सेहि, अमहियाओ एवइयं०, एवं संवेहो णवसुवि गमएसु जहा असन्नीणं तहेव निरवसेसं लद्धी से आइल्लएसु तिसुवि गमएसु एस चेव मज्झिलएसुवि तिसु गमएसु एस चेव नवरं इमाइं नव णाणत्ताइं ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजाभाग उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं, तिन्नि लेस्साओ, मिच्छादिट्टी, दो अन्नाणा, कायजोगी, तिन्नि समुग्घायो, ठिई जहन्नणं- अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं, अप्पसत्या अज्झवसाणा, अणुवंधो जहा ठिई सेसं तं चेव, पच्छिल्लएसु तिसुवि गमएसु जहेव पढमगमए णवरं ठिई अणुवंधो जहन्नेणं पुवकोडी उकोसेणवि पुत्वकोडी, सेसं तं चेव ९ ॥७०१॥ जइ मणुस्सेहिंतो उववज्जति कि सण्णिमणुस्सहिंतो उववज्जति असण्णिमणुस्सेहितो उ० ? गोयमा ! सण्णिमणुस्सहिंतो उववज्जति असण्णिमणुस्सेहिंतोवि उववजंति, असन्निमणुस्सेणं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु० से णं भंते! -केवइयकालट्ठिईएसु एवं जहा असण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स जहन्नकालढिईयस्स तिन्नि गमगा तहा एयस्सवि ओहिया तिन्नि गमगा भाणियव्वा तहेव निरवसेसा सेसा छ न भण्णति १॥ जइ सन्निमणुस्सेहिंतो उववजति किं संखेजवासाउय० असंखेजवासाउय जाव उ० 2 गोयमा ! संखेजवासाउय० णो असंखेजवासाउय जाव उ०, जइ संखेजवासाउय जाव उ० किं पज्जत्त० अपजत्त० ? गोयमा । पजत्तसंखेजवासाउय० अपज्जत्तसंखेज्जवासा जाव उ०, सन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइकाल० ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उनोसेणं वावीसं वाससहस्सट्ठिईएसु, ते णं भंते ! जीवा एवं जहेक रयणप्पभाए उववजमाणस्स तहेव तिनुवि गमएसु लद्धी नवरं ओगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उनोसेणं पंचधणुहसयाई, ठिई जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उको ' Page #887 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २४ उ० १२] सुत्तागमे ८३५ सेणं पुन्वकोडी एवं अणुवंधोवि, संवेहो नवसु गमएसु जहेव सन्निपंचिंदियस्स मज्झिलएसु तिसु गमएसु लद्धी जहेव सन्निपंचिदियस्स म० सेसं तं चेव निरवसेसं, पच्छिल्ला तिन्नि गमगा जहा एयस्स चेव ओहिया गमगा नवरं ओगाहणा जहण्णेणं पंचधणुहसयाइं उक्कोसेणवि पंच धणुहसयाई, ठिई अणुवंधो जहण्णेणं पुवकोडी उक्कोसेणवि पुव्वकोडी सेसं तहेव नवरं पच्छिल्लएसु गमएसु संखेज्जा उववजति नो असंखेजा उववजति ॥ जइ देवेहितो उववति कि भवणवासिदेवेहिंतो उववज्जति वाणमंतर० जोइसियदेवहितो उववजति वेमाणियदेवेहिंतो उववजंति ? गोयमा ! भवणवासिदेवहितोवि उववनंति जाव वेमाणियदेवहितोवि उववनंति, जइ भवणवासिदेवेहिंतो उववज्जति कि असुरकुमारभवणवासिदेवेहितो उववजंति जाव थणियकुमारभवणवासिदेवेहिंतो उ० ? गोयमा ! असुरकुमारभवणवासिदेवेहितो उववज्जति जाव थणियकुमारभवणवासिदेवेहिंतो उववति, असुरकुमारे णं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइ० ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई ठिई, ते णं भंते ! जीवा पुच्छा, गोयमा ! जहण्णेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्नोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववजंति, तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किसंघयणी प० ? गोयमा । छण्हं संघयणाणं असंघयणी जाव परिणमंति, तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा ? गोयमा । दुविहा प०, तं०-भवधारणिजा य उत्तरवेउव्विया य, तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्नोसेणं सत्त रयणीओ, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउविया सा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं जोयणसयसहस्सं, तेसि णं मंते ! जीवाणं सरीरगा किंसंठिया प० ? गोयमा! दुविहा प०, तं०भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य, तत्थ णं जे ते भवधारणिज्जा ते समचउरंससंठाणसंठिया प०, तत्थ णं जे ते उत्तरवेउव्विया ते णाणासंठाणसंठिया प०, लेस्साओ चत्तारि, दिट्ठी तिविहावि, तिन्निणाणा नियम, तिन्नि अन्नाणा भयणाए, जोगो तिविहोवि, उवओगो दुविहोवि, चत्तारि सन्नाओ, चत्तारि कसाया, पंच इंदिया, पंच समुग्घाया, वेयणा दुविहावि, इत्थिवेदगावि पुरिसवेदगावि णो णपुंसगवेदगा, ठिई जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं साइरेगं सागरोवमं, अज्झवसाणा असंखेजा पसत्थावि अप्पसत्थावि, अणुवंधो जहा ठिई,भवादेसेणं दो भवग्ग्रहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुत्तमब्भहियाई उक्कोसेणं साइरेगं सागरोवमं वावीसाए वाससहस्सेहिं अव्भहियं एवइयं०, एवं णववि गमा णेयव्वा नवरं मज्झिल्लएसु पच्छिल्लएसु तिसु गमएसु असुरकुमाराणं ठिइविसेसो जाणियव्वो सेसा ओहिया चेव Page #888 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ८३६ [भगवई लद्धी कायसंवेहं च जाणेजा, सनत्य दो भवरगहणाई जाव णवमगमए कालादेसणं जहण्णेणं साइरेगं सागरोवमं वावीसाए वाससहस्सेहिं अभहियं उनोसेणवि साइरेगं सागरोवमं वावीसाए वाससहस्सेहिं अन्भहियं एवइयं० ९ ॥ णागकुमारा णं भंते ! जे भविए पुढविकाइए एस चेव वत्तव्वया जाव भवादेसोत्ति, णवरं ठिई जहण्णेणं दसवाससहस्साई उक्नोसेणं देसूणाई दो पलिओवमाई, एवं अणुबंधोवि, कालादेसेणं जहण्णेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाइं उक्नोसेणं देसूणाई दो पलि. ओवमाई वावीसाए वाससहस्सेहिं अमहियाई, एवं णववि गमगा असुरकुमारगमगसरिसा नवरं ठिइं कालादेसं च नाणेजा, एवं जाव थणियकुमाराणं ॥ जइ वाणमंतरदेवेहिंतो उववज्जति किं पिसायवाणमंतर जाव गंधव्ववाणमंतर० ? गोयमा! पिसायवाणमंतर० जाव गंधव्ववाणमंतर०, वाणमंतरदेवे णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइए एएसिपि असुरकुमारगमगसरिसा नव गमगा भाणियव्वा, नवरं ठिइं कालादेसं च जाणेजा, ठिई जहन्नेणं दसवाससहस्साई उनोसेणं पलिओवमं सेसं तहेव ॥ जइ जोइसियदेवहितो उववजंति कि चंदविमाणजोइसियदेवेहितो उववति जाव ताराविमाणजोइसियदेवेहिंतो उ० ? गोयमा ! चंदविमाण जाव उ० जाव ताराविमाण जाव उ०,जोइसियदेवे णं भंते! जे भविए पुढविकाइए लद्धी जहा असुरकुमाराणं णवरं एगा तेउलेस्सा प०, तिन्नि णाणा तिन्नि अन्नाणा णियमं, ठिई जहन्नेणं अट्ठभागपलिओवमं उक्नोसेणं पलिओवमं वाससयसहस्समभहियं एवं अणुवंधोवि, कालादेसेणं जहण्णेणं अट्ठभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तमभहियं उक्कोसेणं पलिओवमं वाससयसहस्सेगं वावीसाए वाससहस्सेहिं अमहियं एवइयं०, एवं सेसावि अट्ठ गमगा भाणियबा नवरं ठिई कालादेसं च जाणेजा। जइ वेमाणिवदेवेहिंतो उववजति कि कप्पोववण्गगवेमाणिय० कप्पातीयवेमाणिएहितो उ० ? गोयमा ! कप्पोववण्णगवेमाणिय जाव उ० णो कप्पातीतवमाणिय जाव उ०, जइ कप्पोववन्नग जाव उ० कि सोहम्मकप्पोववण्णगवेमाणिय० जाव अचुयकप्पोववग्णगवेमाणिय जावउ० ? गोयमा ! सोहम्मकप्पोववन्नगवेमाणिय० ईसाणकप्पोवचन्नगवेमाणिय जाव उ०, णो सणंकुमार जावणो अचुयक्रप्पोववण्णगवेमाणिय जाव उ०, सोहम्मगदेवे णं भंते ! जे भविए पुडविकाइएनु उववजित्तए से णं भने ! केवइय० एवं जहा जोइसिवस्स गमगो णवरं ठिई अणुबंधो य जहन्नेणं पलि ओवमं उसोसेगं दो सागरोवमाई, कालादेसेणं जहण्णेणं पलिओवमं अंतोमुहुत्तमन्मदिवं उसोसेणं दो सागरोवमाइं बावीसाए वाससहस्तेहिं अभहियाई एवइयं कालं०, एवं नेनावि अट्ट गमगा भाणियव्वा, णवरं ठिइंकालादेसं च जाणेजा । ईसाणदेवे गं भंते जे भविए एवं ईसाणदेवेणविणव गमगा भाणियव्वा नवरं ठिई अणुवंधो जहन्नेणं Page #889 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि. ५० स० २४ उ० १८] सुत्तागमे साइरेग पलिओवमं उक्लोसेणं साइरेगाइं दो सागरोवमाई सेसं तं चैव । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ७०२ ॥ चउवीसइमे सए वारहमो उद्देसो समत्तो॥ ___ आउकाइया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति ? एवं जहेव पुढविकाइयउद्देसए जाव पुढविक्काइए णं भंते ! जे भविए आउक्काइएसु उववजित्तए से ण भंते ! केवइ० ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्तवाससहस्सट्टिईएसु उववजेजा, एवं पुढविक्काइयउद्देसगसरिसो भाणियव्वो णवरं ठिई संवेहं च जाणेजा, सेसं तहेव, सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ७०३ ॥ चउवीसइमे सए तेरहमो उद्देसो समत्तो॥ तेउक्काइया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति ? एवं (णवरं) पुढविक्काइयउद्देसगसरिसो उद्देसो भाणियव्वो नवरं ठिई संवेहं च जाणेजा, देवेहितो ण उववजति, सेसं तं चेव । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ७०४ ॥ चउवीसइमस्स सयरस चउद्दसमो उद्देसो समत्तो॥ चाउकाइया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति ? एवं जहेव तेउकाइयउद्देसओ तहेव नवरं ठिई संवेहं च जाणेज्जा । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ७०५ ॥ चउवीसइमे सए पण्णरहमो उद्देसो समत्तो॥ __ वणस्सइकाइयाणं भंते ! कओहितो उववज्जति ? एवं पुढविकाइयसरिसो उद्देसो नवरं जाहे वणस्सइकाइया वणस्सइकाइएसु उववजन्ति ताहे पढमविइयचउत्थपंचमेसु गमएसु परिमाणं अणुसमयं अविरहियं अणंता उववजंति, भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई उकोसेणं अणंताई भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता उकोसेणं अणंतं कालं एवइयं०, सेसा पंच गमा अट्ठभवग्गहणिया तहेव नवरं ठिई संवेहं च जाणेजा । सेवं भंते ! २ त्ति ॥७०६॥ चवीसइमस्स सयरस सोलहमो उद्देसो समत्तो।। _वेइंदिया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति जाव पुढविकाइए णं भंते ! जे भविए 'वेइंदिएसु उववज्जित्तए से णं भंते। केवइ० सच्चेव पुढविकाइयस्स लद्धी जाव कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं संखेज्जाइं भवग्गहणाई एवइयं०, एवं तेसु चेव चउसु गमएसु संवेहो सेसेसु पंचसु गमएसु तहेव अट्ठ भवा । एवं जाव चरिदिएणं समं चउसु संखेजा भवा, पंचसु अट्ठ भवा, पांचंदियतिरिक्खजोणियमणुस्सेसु समं तहेव अट्ठ भवा, देवे चेव न उववजंति, ठिई संवेहं च जाणेजा। सेवं भंते ! २त्ति ॥ ७०७ ॥२४-१७॥ तेइंदिया णं भंते ! कओहिंतो उववजति ? एवं तेइंदियाणं जहेव वेइंदियाणं उद्देसो नवरं ठिई संवेहं च जाणेजा, तेउक्काइएसु समं तइयगमो उकोसेणं अट्टत्तराई वेराइंदियसयाई वेइंदिएहि समं तइयगमे Page #890 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ८३८ [भगवई उकोसेणं अडयालीसं संवच्छराई छन्नउयराइंदियसयमन्भहियाई तेइंदिएहिं समं तइयगमे उक्कोसेणं वाणउयाइं तिन्नि राइंदियसयाई एवं सव्वत्थ जाणेजा जाव सन्निमणुस्सत्ति, सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ७०८ ॥ २४-१८ ॥ चरिंदिया णं भंते ! कओहिंतो उववजति ? जहा तेइंदियाणं उद्देसओ तहेव चरिंदियाणवि नवरं ठिई संवेहं च जाणेज्जा । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ७०९ ॥ २४-१९ ॥ पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति कि नेरइ० तिरिक्ख० मणु० देवेहितो उववजंति ? गोयमा ! नेरइएहितोवि उववनंति तिरिक्ख० मणुस्सेहिंतोवि उ० देवेहितोवि उववजंति, जइ नेरइएहितो उववज्जति किं रयणप्पभापुढविनेरइएहितो उववजति जाव अहेसत्तमापुढविनेरइएहिंतो उववनंति ? गोयमा! रयणप्पभापुढविनेरइएहिंतो उववज्जति जाव अहेसत्तमापुढविनेरइएहितोवि उववनंति, रयणप्पभापुढविनेरइए णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोगिएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइकालट्ठिईएसु उववजेजा ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तट्टिईएसु उकोसेणं पुव्वकोडिआउएसु उववज्जेजा, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववर्जति ? एवं जहा असुरकुमाराणं वत्तव्वया नवरं संघयणे पोग्गला अणिट्ठा अकंता जाव परिणमंति, ओगाहणा दुविहा प०, तं०-भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य, तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं सत्त धणूइं तिन्नि रयणीओ छच्चंगुलाई, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउव्विया सा जहन्नणं अंगुलस्स संखेजइभागं उकोसेणं पन्नरस धणूई अड्डाइजाओ रयणीओ, तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किंसंठिया प० ? गोयमा ! दुविहा प०, तं०-भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य, तत्थ णं जे ते भवधारणिज्जा ते हुंडसंठिया प०, तत्थ णं जे ते उत्तरवेउव्विया तेवि हुंडसंठिया प०, एगा काउलेस्सा प०, समुग्घाया चत्तारि, णो इत्यिवेदगा णो पुरिसवेदगा णपुंसगवेदगा, ठिई जहन्नेणं दसवाससहस्साई उकोसेणं सागरोवमं एवं अणुवंधोवि, सेसं तहेव, भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाइं, कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमन्भहियाइं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहि पुन्चकोडीहिं अब्भहियाई एवइयं०, सो चेव जहन्नकालट्टिईएसु उववन्नो जहन्नणं अंतोमुहुत्तट्टिईएसु उववजेजा, उकोसेणवि अंतोमुहुत्तट्टिईएसु अवसेसं तहेव, नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं तहेव उकोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अभहियाइं एवइयं कालं० २, एवं सेसावि सत्त गमगा भाणियव्वा जहेव नेरइयउद्देसए सन्निपंचिंदिए(ण)हिं समं णेरइयाणं मज्झिमएमु य तिसुवि गमएसु पच्छिमएसु तिसुवि गमएसु ठिइणाणत्तं Page #891 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० २४ उ० २०] सुत्तागमे मवइ, सेसं तं चेव सव्वत्य ठिइं संवेहं च जाणेजा ९ ॥ सकरप्पभापुढविनेरइएणं भंते! जे भविए एवं जहा रयणप्पभाए णव गमगा तहेव सक्करप्पभाएवि, नवरं सरीरोगाहणा जहा ओगाहणासंठाणे, तिनि णाणा तिन्नि अन्नाणा नियम, ठिई अणुबंधो यं पुत्वभणिया, एवं णववि गमगा उवजुजिऊग भाणियव्वा, एवं जाव छट्टपुढेवी, नवरं ओगाहणा लेस्सा ठिई अणुवंधो संवेहो य जाणियब्वा, अहेसत्तमापुढवीनेरइए णं भंते ! जे भविए एवं चेव णव गमगा, णवरं ओगाहणा लेस्सा ठिई अणुबंधा जाणियन्वा, संवेहो भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं छन्भवरगहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं वावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई उकोसेणं छावढि सागरोवमाइं तिहिं पुव्वकोडीहिं अमहियाई एवइयं०, आइल्लएसु छसुवि गमएसु जहन्नेणं दो भवरगहणाई उक्कोसेणं छ भवग्गहणाई, पच्छिलएसु तिसुगमएसु जहनेणं दो भवग्गहणाई उक्लोसेणं चत्तारि भवग्गहणाई, लद्धी नवसुवि गमएसु जहा पढमगमए नवरं ठिई विसेसो कालादे(सेणं)सो य विइयगमए जहन्नेणं वावीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमम हियाई उक्कोसेणं छावडिं सागरोबमाइं तिहिं अंतोमुहुत्तेहिं अमहियाइं एवइयं कालं०, तइयगमए जहन्नेगं बाबीसं सागरोबमाइं पुवकोडीए अमहियाइं उकोसेणं छावहिँ सागरोवमाइं तिहिं पुव्वकोडीहि अन्भहियाइं, चउत्यगमए जहन्नेणं वावीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तमब्भहियाई उकोसेणं छावडिं सागरोवमाइं तिहि पुवकोडीहि अब्भहियाई,पंचमगमए जहन्नेणं वावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं छावहिं सागरोवमाइं तिहिं अंतोमुहुत्तेहिं अमहियाई, छट्ठगमए जहन्नेगं वावीसं सागरोवमाइं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाई उकोसेणं छावाहिँ सागरोवमाइं तिहिं पुव्वकोडीहिं अव्भहियाइं, सत्तमगमए जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोसुहुत्तमव्भहियाई उक्कोसेणं छावडैि सागरोवमाई दोहिं (अंतोमुहुत्तेहिं) पुचकोडीहिं अन्भहियाई, अट्ठमगमए जहण्णेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुत्तमम्भहियाइं उकोसेणं छावडिं सागरोवमाइं दोहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियाई, णवमगमए जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाई पुवकोडीए अब्भहियाइं उनोसेणं छावडिं सागरोवमाइं दोहिं पुवकोडीहिं अब्भहियाइं एवइयं० ९॥ जइ तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं एगिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उ० एवं उववाओ जहा पुढविक्राइयउद्देसए जाव पुढविकाइए णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइ० ? गोयमा ! जहन्ने गं अंतोमुहुत्तढ़िईएसु उकोसेणं पुवकोडीआउएसु उववजेजा, ते णं भंते ! जीवा एवं परिमाणादीया अणुवंधपजवसाणा जचेव व्यप्पणो सहाणे वत्तव्वया सच्चेव पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसुवि उववजमाणस्स Page #892 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई भाणियव्वा णवरं णवसुवि गमएसु परिमाणो जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं संखेज्जा वा असंखेना वा उववज्जति, भवादेसेणवि णवमुवि गमएसु जहनेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाइं, सेसं तं चेव, कालादेसेणं उभओ ठि(इं)ई पकरेजा । जइ आउकाइएहितो उववजन्ति एवं आउकाइ(ए)याणवि एवं जाव चउरिंदिया उववाएयव्वा, नवरं सव्वत्थ अप्पणो लद्धी भाणियवा, णवसुावे गमएसु भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवरगहणाई उकोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई, कालादेसेणं उभओ ठिई करेजा सव्वेसि सव्वगमएसु, जहेव पुढविकाइएस उववज्जमाणाणं लद्धी तहेव सव्वत्य ठिई संवेहं च जाणेज्जा ॥ जइ पंचिंदियतिरिक्खजोगिएहितो उववजति किं सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजति असन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा! सन्निपंचिंदिय० असन्निपंचिंदिय०, भेदो जहेव पुढविकाइएसु उववजमाणस्स जाव असन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएमु उववजित्तए से णं भंते ! केवइकाल. ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोसुहत्तं उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागहि एमु उवव०, ते णं भंते | अवसेसं जहेव पुढविकाइएन उववजमाणस्स असन्निस्स तहेव निरवसेसं जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागं पुवकोडिपुहुत्तममहियं एवइयं० १, विइयगमए एस चेव लद्धी नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उकोसेणं चत्तारि पुवकोडीओ चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अमहियाओ एवइयं० २, सो चेव उदोसकालढ़िईएनु उववन्नो जहन्नेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागढ़िईएनु उकोसेणवि पलिओवमस्स असंखेन्नइभागट्टिईएनु उववजइ, ते णं भंते ! जीवा एवं जहा रयणप्पभाए उववजमाणस्स असन्निस्स तहेव निरवसेसंजाव कालादेसोत्ति, नवरं परिमाणं जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं संखेज्जा उववनंति, सेसं तं चेव ३, सो चेव अप्पणा जहन्नकालहिईओ जाओ जहनणं अंतोमुहुत्तट्टिईएसु उक्कोसेणं पुव्वकोडिआरएनु उववजेजा, ते णं भंते ! अवसेसं जहा एयस्स पुढविक्काइएसु उववजमाणस्स मज्निमेनु तिसुगमएन तहाइहविमग्निमेनु तितु गमएनु जाव अणुबंधोत्ति, भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाइं उकोसेणं अह भव. गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता उकोसेणं चत्तारि पुवकोडीओ चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अमहियाओ ४, सो चेव जहन्नकालढिईएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं अट्ठ अंतोमुहुत्ता एवइयं० ५,सो चेव उछोसकालट्ठिईएमु उववण्णो जहण्णेणं पुव्वकोडिआउएनु उकोलेणवि पुव्वकोडिआइएमु उववजेजा, एस चेव वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जाणेज्ना ६, सो चेक Page #893 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० २४ उ० २०] सुत्तागमे ८४॥ अप्पणा उकोसकालढ़िईओ जाओ सच्चेव पढमगमगवत्तव्वया नवरं ठिई जहण्णेणं पुन्चकोडी उकोसेणवि पुच्चकोडी सेसं तं चेव, कालादेसेणं जहण्णेणं पुन्वकोडी अंतोमुत्तममहिया उकोसेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागं पुवकोडिपुहुत्तमन्भहियं एवइयं० ७, सो चेव जहन्नकालढिईएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया जहा सत्तमगमए नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं पुवकोडी अंतोमुहुत्तममहिया उकोसेणं चत्तारि पुवकोडीओ चरहिं अंतोमुहुत्तेहिं अन्भहियाओ एवइयं० ८, सो चेव उकोसकालटिईएतु उववन्नो जहन्नेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागं उकोसेणवि पलिओवमस्स असंखेजइभागं, एवं जहा रयणप्पभाए उववजमाणस्स असन्निस्स नवमगमए तहेव निरवसेसं जाव कालादेसोत्ति, नवरं परिमाणं जहा एयरसेव तइयगमे सेसं तं चेव ९॥ जइ सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति कि संखेजवासा० असंखेजवासा.? गोयमा ! संखेज० णो असंखेज०, जइ संखेजवासाउंय जाव कि पजत्तसंखेज० अपजत्तसंखेज० ? दोसुवि, संखेनवासाउयसन्निपंचिदियतिरिक्ख-- जोणिए णं भंते ! जे भविए पांचंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइ० ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिपलिओवमट्टिईएसु उववजेजा, तेणं भंते ! अवसेसं जहा एयस्स चेव सन्निस्स रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स पढमगमए, नवरं ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभाग उकोसेणं जोअणसहस्सं सेसं तं चेव जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं पुव्वकोडीपुहुत्तमभहियाई एवइयं० १, सो चेव जहन्नकालटिईएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं चत्तारि पुचकोडीओ चाहिं अंतोमुत्तेहिं अन्भहियाओ २, सो चेव उक्कोसकालहिईएसु उववण्णो जहण्णेणं तिपलिओवमट्टिईएसु उक्कोसेणवि तिपलिओवमहिईएसु उववज्जेजा, एस चेव वत्तव्वया नवरं परिमाणं जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं संखेजा उववज्जति, ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं जोयपासहस्सं सेसं तं चेव जाव अणुवंधोत्ति, भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नण तिन्नि पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाइं उक्नोसेणं तिन्नि पलिओवमाई पुवकोडीए अन्भहियाई ३, सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ जहण्णेणं अंतोमुहुत्त उक्कोसेणं पुवकोडिआउएसु उववज्जेजा, लद्धी से जहा एयस्स चेव सन्निपंचिंदियस्स पुढविकाइएसु उववजमाणस्स मज्झिलएसु तिसु गमएसु सञ्चेव इहवि मज्झिमेसु तिसु गमएसु कायव्वा, संवेहो जहेव एत्थ चेव असन्निस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु, सो चेव अप्पणा उक्नोसकालहिईओ जाओ जहा पढमगमए णवरं मनिपचिंदियस्स पुढावका कायव्वा, संवेहो जाओ जहा Page #894 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४२ सुत्तागमे [ भगवई ठिई अणुबंधो जहन्त्रेणं पुव्वकोडी उक्कोसेगवि पुव्वक्रोडी, कालादेसेणं जहन्त्रेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तमव्भहिया उक्कोसेगं तिन्नि पलिओवमाईं पुव्वकोडी पुहुत्तमभहियाई ७, सो चेव जहन्नकालट्ठिईएस उववन्नो एस चेव वत्तव्त्रया नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तमव्भहिया उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीओ चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अव्महियाओ ८, सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएस उववन्नो जहन्नेणं तिपलिओवमट्ठिईएमु उक्कोसे गवि तिपलिओवमट्टिई एस अवसेसं तं चेत्र, नवरं परिमाणं ओगाहणा य जहा एयस्सेव तइयगमए, भवादेसेगं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेगं तिन्नि पलिओ माई पुव्यकोडीए अमहियाई उक्कोसेगवि तिन्नि पलिओ माई पुव्वकोडीए अमहियाई एवइयं ० ९॥ जइ मगुस्सेहिंतो उववजंति किं सन्निमणु० असन्निमणु० ? गोयमा । सन्निमणु० अतन्निमगु०, असन्निमणुस्से णं भंते । जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएस उववजित्तए से णं भंते ! केवकाल० ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुव्त्रकोडी आउएड उववजंति, लद्दी से तिमुवि गमएमु जहा पुढविकाइएसु उववज्जमाणस्स संवेहो जहा एत्य चेव असन्निपंचिंदियस्स मज्झिमेसु तिस्रु गमएमु तहेव निरवसेसो भाणियव्त्रो, जइ सन्निनणुस्स० किं संखेजचासाउयसन्निभणुस्स० असंखेजवासाज्यसण्णिमनुस्स० ? गोयना ! संखेजवासाउय ० नो असंखेज्जवासाज्य०, जइ संखेज ० कि पजत• अपजत्त ०? गोयमा ! पजत्त० अपजत्तसंखेजवासाज्य०, सन्निमणुस्ते णं भंते! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोजिएनु उववज्जित्तए से णं भंते ! केवइ० ? गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहृत्तं उकोसेणं तिपलिओ मट्टिईएस उबवजेजा, ते णं भंते! लद्वी से जहा एयस्सेव सन्निमणुस्सस्स पुढविकाइएस उववजमाणस्स पढभगमए जाव भवासोत्ति, कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं तिन्नि पलिओ माई पुव्वकोडिपुहुत्तममहियाई १, सो चेव जहन्नकालट्ठिएयु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया णवरं कालादेसेणं जहण्गेणं दो अंतोमुहुना उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीओ चउहिं अतोमुहुत्तेहि अमहियाओ २, सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएसु उववन्नो जहन्नेणं ति (णि) पलिओवमट्ठिईएस उक्कोसे गवि तिपलिओवमट्ठिईएनु सच्चेव वत्तव्वया नवरं ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलपुहुत्तं उक्नोसेणं पंच धणुहसयाई, ठिई जहन्नेणं मासपुहुतं उक्कोसेणं पुव्वकोडी एवं अणुवंधोवि, भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं तिन्नि पछिओवनाई मासपुहुत्तमम्भहियाई उक्कोसेणं तिन्नि पलिओ माई पुव्वकोडीए अब्भहियाई एवइयं० ३, सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्टिईओ जाओ जहा सन्निपचिदियतिरिक्खजोणियस्स पंचिदियतिरिक्नजोणिएनु उवबजमाणस्स मज्झिमेनु तिनु गमएल वतव्वया भणिया सच्चेव Page #895 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० २४ उ०२०] सुत्तागमे ८४३ एयस्सवि मज्झिमेसु तिसु गमएसु निरवसेसा भाणियव्वा, नवरं परिमाणं उनोसेणं संखेजा उववज्नति, सेसं तं चेव ६, सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिईओ जाओ सच्चेव पढमगमगवत्तव्वया नवरं ओगाहणा जहण्णेणं पंच धणुहसयाई उकोसेंणवि पंच धणुहसयाई, ठिई अणुवंधो जहण्णेणं पुव्वकोडी उक्नोसेणवि पुव्वकोडी, सेसं तहेव जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहण्णेणं पुव्वकोडी अंतोमुत्तमन्भहिया उक्कोसेणं तिनि पलिओवमाइं पुव्वकोडिपुहुत्तममहियाइं एवइयं० ७, सो चेव जहन्नकालटिईएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहण्णेणं पुत्वकोडी अंतोमुहुत्तमभहिया उकोसेणं चत्तारि पुचकोडीओ चउहि अंतोमुहुत्तेहिं अन्भहियाओ ८, सो चेव उकोसकालढिईएसु उववन्नो जहण्णेणं तिन्नि पलिओवमाइं उक्कोसेणवि तिन्नि पलिओवमाई, एस चेव लद्धी जहेव सत्तमगमए, भवादेसेगं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं तिन्नि पलिओवमाइं पुचकोडीए अन्भहियाइं उकोसेणवि तिन्नि पलिओवमाई पुन्चकोडीए अमहियाइं एवइयं० ९ ॥ जइ देवेहिंतो उववज्जति किं भवणवासिदेवेहिंतो उववति वाणमंतर० जोइसिय० वेमाणियदेवेहितो उ० ? गोयमा ! भवणयासिदेवेहिंतो उ० जाव वेमाणियदेवेहिंतोवि उ०, जइ भवणवासि जाव उ० किं असुरकुमारभवण जाव थणियकुमारभवण ? गोयमा ! असुरकुमार० जाव थणियकुमारभवण०, असुरकुमारे णं भंते । जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइय० ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तट्ठिईएसु उक्कोसेणं पुव्वकोडिआउएसु उववजेजा, असुरकुमाराणं लद्धी णवसुवि गमएसु जहा पुढविकाइएसु उववजमाणस्स एवं जाव ईसाणदेवस्स तहेव लद्धी भवादेसेणं सव्वत्थ अट्ठ भवग्गहणाई उकोसेणं जहण्णेणं दोन्नि, भवट्टिई सवेहं च सव्वत्थ जाणेज्जा ९॥ नागकुमारा णं भंते ! जे भविए एस चेव वत्तव्वया नवरं ठिई संवेहं च जाणेजा, एवं जाव थणियकुमारे ९॥ जइ वाणमंतरेहितो उ० किं पिसाय० तहेव जाव वाणमंतरे णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्ख० एवं चेव नवर ठिइं संवेहं च जाणेजा ९, जइ जोइसिय० उववाओ तहेव जाव जोइसिए णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्ख० एस चेव वत्तव्वया जहा पुढविक्काइयउद्देसए भवग्गहणाई णवसुवि गमएसु अट्ठ जाव कालादेसेणं जहन्नेणं अट्ठ. भागपलिओवमं अंतोमुत्तमभहियं उक्कोसेणं चत्तारि पलिओवमाई चउहि पुवकोडीहिं चउहि य वाससयसहस्सेहिं अब्भहियाई एवइयं०, एवं नवसुवि गमएसु नवरं ठिई संवेहं च जाणेजा ९॥ जइ वेमाणियदेवे० किं कप्पोववन्नग० कप्पातीतवमाणिय० ? गोयमा ! कप्पोववण्णगवेमाणिय० नो कप्पातीतवेमाणिय०, जइ कप्पोववण्णग० जाव सहस्सारकप्पोववण्णगवेमाणियदेवेहिंतोवि उववज्जति, नो आणय जाव णो Page #896 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४४ सुत्तागमे [भगवई अचुयकप्पोववण्णगत्रेमाणिय०, सोहम्मगदेवे णं भंते ! जे भविए पंचिंर्दियतिरिक्सजोणिएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइ० ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्त० उकोसेणं पुव्वकोडिआउएसु सेसं जहेव पुढविकाइयउद्देसए नवसुवि गमएसु नवरं नवसुवि गमएसु जहन्नणं दो भवग्गहणाइं उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई, ठिइं कालादेसं च जाणेजा, एवं ईसाणदेवेवि, एवं एएणं कमेणं अवसेसावि जाव सहस्सारदेवेसु उववाएयव्वा नवरं ओगाहणा जहा ओगाहणासंठाणे, लेस्सा सणकुमारमाहिंदवंभलोएसु एगा पम्हलेस्सा सेसाणं एगा सुकलेस्सा, वेदे नो इत्थिवेदगा पुरिसवेदगा णो नपुंसगवेदगा, आउअणुवंधा जहा ठिइपदे सेसं जहेव ईसाणगाणं कायसंवेहं च जाणेजा। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ७१०॥ चउवीसइमे सए वीसइमो उद्देसो समत्तो॥ मणुस्सा णं भंते ! कओहिंतो उववजति किं नेरइएहितो उववनंति जाव देवहितो उववनंति ? गोयमा! णेरइएहितोवि उववनंति जाव देवेहितोवि उववजंति, एवं उववाओ जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणियउसए जाव तमापुढविनेरइएहिंतोवि उववज्जति णो अहेसत्तमापुडविनेरइएहितो उववजंति, रयणप्पभापुढविनेरइए णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववजित्तए से णं भंते! केवइकाल० ? गोयमा ! जहण्णेणं मासपुहुत्तहिईएसु उकोसेणं पुव्वकोडीआउएसु अवसेसा वत्तव्वया जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणिए उववजंतस्स तहेव नवरं परिमाणे जहण्णेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं संखेज्जा उववज्जति, जहा तहि अंतोमुहुत्तेहिं तहा इहं मासपुहुत्तहि संवेहं करेजा सेसं तं चेव ९ ॥ जहा रयणप्पभाए वत्तव्वया तहा सक्करप्पभाएवि वत्तव्वया नवरं जहन्नेणं वासपुहुत्तट्ठिईएसु उकोसेणं पुवकोडि०, ओगाहणालेस्साणाणट्ठिइअणुवंधसंवेहं णाणत्तं च जाणेजा जहेव तिरिक्खजोणियउद्देसए एवं जाव तमापुढविनेरइए ९ ॥ जइ तिरिक्खजोणिएहिंतो उववनंति कि एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति ? गोयमा ! एगिदियतिरिक्खजोगिए. मेदो जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणियउद्देसए नवरं तेउवाऊ पडिसेहेयव्वा, सेसं तं चेव जाव पुढविक्काइए णं भंते ! जे भविए मणुस्सेनु उववजित्तए से णं भंते ! केवइ० ? गोयमा! जहन्नेगं अंतोमुत्तट्टिईएसु उकोसेणं पुव्वकोडीआउएन उववज्जेज्जा, ते णं भंते ! जीवा एवं जच्चेव पंचिंदियतिरिक्खजोणिएनु उववजमाणस्स पुडविकाइयस्स वत्तव्वया सा चेव इहवि-उववजमाणस्स भाणियन्वा णवमुवि गमएतु, नवरं तइयछट्टणवमेसु गमएसु परिमाणं जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उनोसेणं संखेजा उववनंति, जाहे अप्पणा Page #897 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० २४ उ० २१ ] सुत्तागमे जन्नकालओ भवइ ताहे पढमगमए अज्झवसाणा पसत्थावि अप्पसत्थावि, विश्यगमए अप्पसत्था, तइयगमए पसत्था भवंति सेसं तं चेव निरवसेसं ९ ॥ जइ आउकाइए एवं आउकाइयाणवि एवं वणस्सइकाइयाणवि एवं जाव चउरिंदियाणवि, असन्निपंचिदियतिरिक्खजोगिया सन्निपचिदियतिरिक्खजोणिया असन्निमणुस्सा सन्निमस्सा य एए सव्वेवि जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणियउद्देसए तहेव भाणि - यव्वा, नवरं एयाणि चेव परिमाणअज्झवसाणणाणत्ताणि जाणिज्जा, पुढविकाइयस्स एत्य चेव उद्देसए भणियाण सेसं तहेव निरवसेसं ॥ जइ देवेहिंतो उववजंति किं भवणवासिदेवेहिंतो उववजंति वाणमंतर जोइसिय० वेमाणियदेवेहिंतो उववजंति ? गोयमा ! भवणवासि० जाव वेमाणिय जाव उ०, जइ भवण० किं असुर० जाव थणिय० ? गोयमा ! अमुर० जाव थणिय ०, अमुरकुमारे णं भंते ! जे भविए मस्से उववजित्तए से णं भंते । केवइ० ? गोयमा ! जहणेणं मासपुहुत्तट्ठिईएस उक्नोसेणं पुव्चकोडिआउएसु उववज्जेज्जा, एवं जच्चैव पंचिंदियतिरिक्खजोणियउद्देसए वत्तव्वया सच्चैव एत्थवि भाणियव्वा, नवरं जहा तहिं जहन्नगं अंतोमुहुत्तट्ठिईएस तहाइ मासपुत्तईएस, परिमाणं जहन्त्रेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा उववजंति, सेसं तं चेव, एवं जाव ईसाणदेवोत्ति, एयाणि चेव णाणत्ताणि सर्णकुमारादीया जाव सहस्सारोति जहेव पंचिदियतिरिक्खजोणियउद्देसए, नवरं परिमाणं जहणेणं एको वा दो वा तिनि वा उक्कोसेणं संखेजा उववजंति, उववाओ जहन्नेणं बासपुहुत्तट्ठिईएमु उक्कोसेणं पुव्वकोडिआउएस उववज्र्जति, सेसं तं चेव संवेहं वा (मा) सपुहुत्तपुव्यकोडीसु करेजा ॥ सणकुमारे ठिई चउगुणिया अट्ठावीसं सागरोवमा भवंति, माहिंदे ताणि चेव साइरेगाणि, वंभलोए चत्तालीस, लंतए छप्पन्नं, महासुके अट्ठसट्ठि, सहस्सारे वावत्तरिं सागरोवमाईं एसा उक्कोसा ठिई भाणियव्वा जहन्नट्ठिइंपि चर गुणेजा ९ ॥ आणयदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जि - तसे भंते! केवइ० ? गोयमा ! जहन्नेणं वासपुहुत्तट्ठिईएस उववज्जेजा उक्कोसेणं पुव्चकोडिटिईएसु, ते णं भंते ! एवं जहेव सहस्सारदेवाणं वत्तव्वया नवरं ओगाहणां ठिई अणुवंधो य जाणेज्जा, सेसं तं चेव, भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्नोसेणं छ भवग्गहणाईं, कालादेसेणं जहनेगं अट्ठारस 'सागरोवमाई वासपुहुत्तमम्भहियाई उक्कोसेणं सत्तावन्नं सागरोवमाइँ तिहि पुव्वकोडीहिं अब्भहियाई एवइयं कालं०, एवं णववि गमगा, नवरं ठिई अणुबंध संवेहं च जाणेजा, एवं जाव अचुयदेवो, नवरं ठिईं अणुबंध संवेह च जाणेजा, पाणयदेवस्स ठिई तिगुणिया -सहिँ सागरोवमाई, आरणगस्स तेवहिं सागरोवमाई, अच्चुयदेवस्स छावहिं सागरो ० ८४५ Page #898 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MARA TAP १८४६ सुत्तागमे [भगवई वमाइं ॥ जइ कप्पातीतवेमाणियदेवेहिंतो उववजंति किं गेवेजकप्पातीत० अणुत्तरोववाइयक्रप्पातीत जाव उ० ? गोयमा ! गेवेज० अणुत्तरोववाइय०, जइ गेवेज० किं हेट्ठिम २ गेविजगकप्पातीत० जाव उवरिम २ गेवेज ? गोयमा हेहिम २ गेवेन. जाव उवरिम २ गेवेनं०, गेवेज्जगदेवे गंभंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइकाल० १ गोयमा !जहण्णेणं वासपुहुनहिईएमु उक्लोसेणं पुव्वक्रोडिआउएनु उ० अवसेसं जहा आणयदेवस्स वत्तव्वया नवरं ओगाहणा० गोयमा ! एगे भवधारणिजे सरीरए से जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उनोसेणं दो रयणीओ, संठाणं, गोयमा ! एगे भवधारणिज्जे सरीरए से समचउरंससंठाणसंठिए प०, पंच समुग्धाया प०, तं०- वेयणासमुग्घाए जाव तेयगसमुग्धाए णो चेव णं वेउव्वियतेयगसमुग्धाएहितो समोहणिंसु वा समोहणंति वा समोहणिस्संति वा, ठिई अणुवंधो जहन्ने] वावीसं सागरोवमाइं उक्नोसेणं एकतीसं सागरोवमाई,सेसं तं चेव, कालादेसेणं जहण्णेणं वावीसं सागरोवमाइं वासपुहुत्तमभहियाइं उक्कोसेणं तेणउइंसागरोवमाइं तिहिं पुव्वकोडीहिं अव्भहियाइं एवइयं०, एवं सेसेसुवि अट्टगमएसु नवरं ठिई संवेहं च जाणेजा ९॥ जइ अणुत्तरोववाइयक्रप्पातीतवेमाणिय जाव उ० किं विजयअणुत्तरोववाइय० वेजयंतअणुत्तरोववाइय० जाव सव्वट्ठसिद्ध० ? गोयमा! विजयअणुत्तरोववाइय० जाव सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय०, विजयवेजयंतजयंतअपराजियदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइ० ? एवं जहेव गेवेजगदेवाणं नवरं ओगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं एगा रयणी, सम्मट्टिी णो मिच्छादिट्ठी णो सम्मामिच्छादिट्टी, णाणी णो अन्नाणी नियमं तिन्नाणी तं०आभिणिवोहियनाणी सुयनाणी ओहिणाणी, ठिई जहन्नेणं एकतीसं सागरोवमाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं, सेसं तहेव, भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई उनोसेणं चत्तारि भवग्गहणाइं, कालादेसेणं जहण्णेणं एकतीसं सागरोवमाइं वासपुहुत्तमभहियाई उक्नोसेणं छावहिँ सागरोवमाइं दोहिं पुव्वकोडीहिं अव्भहियाई एवइयं०, एवं सेसावि अट्ठ गमगा भाणियव्वा नवरं ठिइं अणुबंध संवेहं च जाणेजा सेसं तं चेव ॥ सव्वट्ठसिद्धगदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए सा चेव विजयादिदेववत्तव्वया भाणियव्वा णवरं ठिई अजहन्नमणुकोसेगं तेत्तीसं सागरोवमाइं एवं अणुवंधोवि, सेसं तं चेव, भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाई वासपुहुत्तमभहियाई उक्नोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं पुवकोडीए अभहियाई एवइयं०१। सो चेव जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाई वासपुहुत्तमभहियाई Page #899 -------------------------------------------------------------------------- ________________ + 7 वि० प० स० २४ उ० २३] सुत्तागमे उकोसेणावे तेत्तीसं सागरोवमाई वासपुहुत्तमव्भहियाई एवइयं ० २ । सो चेक उक्कोसकाल हिईएस उववन्नो एस चेव वक्तव्वया, नवरं कालादेसेणं जहण्णेणं तेत्तीसं सागरोवमाई पुव्यकोडीए अमहियाई उक्कोसेणवि तेत्तीसं सागरोवमाई पुव्वकोडीए अमहियाई एवइयं ०३, एए चेव तिन्नि गमगा सेसा न भण्णंति । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ७११ ॥ चडवीसइमे सए एक्कवीसइमो उद्देसो समत्तो ॥ ८४ वाणमन्तराणं भंते ! ओहिंतो उववज्जंति किं नेरइएहिंतो उववज्र्जति तिरिक्ख० एवं जहेव नागकुमार उद्देसए असन्नी तहेव निरवसेसं । जइ सन्निपचिदिय० जाव असंखेज्जवासाज्यसन्निपंचिदिय० जे भविए वाणमंतर० से णं भंते ! केवइ० ? गोयमा ! जहनेणं दसवास सहस्सट्ठिईएस उक्कोसेणं पलिओवमट्ठिईएस सेसं तं चैव. जहा नागकुमारउद्देसए जाव कालादेसेणं जणेणं साइरेगा पुव्वकोडी दसहिं वासराहरसेहि अब्भहिया उक्कोसेणं चत्तारि पलिओ माई एवइयं०, सो चेव जहन्नकालट्ठिएस उववन्नो जहेव णागकुमाराणं विइयगमे वत्तव्वया २, सो चेव उक्कोस - कालईिएस स्ववप्णो जहण्णेणं पलिओवमट्टिईएस उक्कोसेणवि पलिओवमट्टिईएनु एस चैव वत्तव्वया नवरं ठिई से जहणेणं पलिओवमं उक्कोसेणं तिन्नि पलिओ - माई, संवेहो जहणेणं दो पलिओवमा उक्कोसेणं चत्तारि पलिओ माई एवइयं ० ३, मज्झिमगमगा तिन्निवि जहेव नागकुमारेसु पच्छिमेसु तिसु गमएस तं चेव जहा नाग• कुमारुद्देसए नवरं ठिई संवेहं च जाणेजा, संखेजवासाउय तहेव नवरं ठिई अणुबंधो संवेहं च उभओ ठिईएस जाणेजा, जइ मणुस्स० असंखेजवासाउयाणं जहेव नागकुमाराणं उद्देसए तहेव वत्तव्वया नवरं तइयगमए ठिई जहन्त्रेण पलिओवमं उक्कोसेणं तिनि पलिओ माई, ओगाहणा जहण्णेणं गाउयं उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई सेसं तं चेव, संवेहो से जहा एत्थ चेव उद्देसए असंखेजवासाज्यसन्निपंचिदियाणं, संखेज्जवा - साउयसन्निमस्से जहेव नागकुमार द्देसए नवरं वाणमंतरे ठिरं संवेहं च जाणेज्जा ! सेवं भंते । २ त्ति ॥ ७१२ ॥ चउवीसइमे सए वावीसइमो उद्देसो समत्तो ॥ a जोइसियाणं भंते । कओहिंतो उववज्जंति कि नेरइए० भेदो जाव सन्निपंचिदियति-रिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति नो असन्निपंचिदियतिरिक्ख०, जइ सन्नि ० किं संखेज व असंखेज • ? गोयमा । संखेज्जवासाउय० असंखेजवासाउय जाव उ०, असंखेज्ज • वासाउयसन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते! जे भविए जोइसिएस उववजित्तएसे णं भंते! केवइ० ? गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठभागपलिओवमट्ठिईएस उक्कोसेणं पलिओ' चमवाससयसहस्समव्भहियद्विईएस उववजेजा, अवसेसं जहा असुरकुमारुहेसए नवरं ठिई जहनेणं अट्ठभागपलिओवमं उक्कोसेणं तिन्नि पलिओ माई एवं अणुबंधोवि सेसं h Page #900 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१८ सुत्तागमे [भगवई तहेव, नवरं कालादेसेणं जहण्णेणं दो अट्ठभागपलिओवमाई उकोसेणं चत्तारि पलिओवमाइं वाससयसहस्समभहियाइं एवइयं० १, सो चेव जहन्नकालढिईएसु उववन्नो जहण्णेणं अट्ठभागपलिओवमट्टिईएसु उक्कोसेणवि अट्ठभागपलिओवमट्टिईएसु उ०, एस चेव वत्तव्चया नवरं कालादेसं जाणेजा २, सो चेव उक्कोसकालढ़िईएसु उववण्णो एस चेव वत्तव्वया णवरं ठिई जहण्णेणं पलिओवमं वाससयसहस्समभाहियं उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाई,एवं अणुवंधोवि, कालादेसेणं जहण्णेणं दो पलिओवमाइंदोहिं वाससयसहस्सेहिं अमहियाई उक्कोसेणं चत्तारि पलिओवमाइं वाससयसहस्समभहियाई ३, सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्टिईओ जाओ जहन्नणं अट्ठभागपलिओवमट्टिईएसु उववज्जेजा उक्कोसेणवि अट्ठभागपलिओवमटिईएसु उववजेजा, ते णं भंते ! जीवा ‘एगसमए एस चेव वत्तव्वया नवरं ओगाहणा जहन्नेणं धणुहपुहुत्तं उनोसेणं साइरेगाई अट्टारसधणुहसयाई, ठिई जहन्नेगं अट्ठभागपलिओवम उक्कोसेणवि अट्ठभागपलि. ओवमं, एवं अणुबंधोवि सेसं तहेव, कालादेसेणं जहण्णेणं दो अट्ठभागपलिओवमाइं उनोसेणवि दो अट्ठभागपलिओवमाई एवइयं० जहन्नकोलठ्ठिईयस्स एस चेव एक्को गमो ६, सो चेव अप्पणा उनोसकालट्ठिईओ जाओ सा चेव ओहिया वत्तव्वया नवरं ठिई जहन्नेणं तिन्नि पलिओवमाई उकोसेगवि तिन्नि पलिओवमाइं एवं अणुवंधोवि, सेसं तं चेव, एवं पच्छिमा तिन्नि गमगा णेयव्वा नवरं ठिई संवेहं च जाणेज्जा, एए सत्त गमगा । जइ संखेनवासाउयसन्निपंचिंदिय० संखेनवासाउयाणं जहेच असुरकुमारेसु उपवजमाणाणं तहेव नववि गमा भाणियव्वा नवरं जोइसियठिइं संवेहं च जाणेना, सेस तहेव निरवसेसं भाणियवं. जइ मणुस्सेहिंतो उववति भेदो तहेव जाव असंखेजवासाउयसन्निमगुस्से भंते! जे भविए जोइसिएलु उववजित्तए से पं भंत! एवं जहा असखेजवासाउयसन्निपंचिंदियस्स जोइसिएसु चेव उववजमाणम्स सत्त गमगा तहेव मणुस्साणवि नवरं ओगाहगाविसेसो पढमेसु तिसु गमएसु भोगाहणा जहन्नेणं साइरेगाई नव धणुहसयाई उकोसेगं तिन्नि गाउयाई, मज्झिमगमए जहणेणं माइरेगादं नव धणुहसयाई उकासेगवि साइरेगाइं नव धणुहसयाई, पच्चिनेनु तिमवि गमएमु जहण्णेगं तिन्नि गाउयाइ उकोसेणवि तिन्नि गाउयाई, सेसं तहेव निरवनेनं जाव संवेहोत्ति, जड संग्वेजत्रासाउयसन्निमणुस्से० संखेजवासाउमाण नहेब अनुरसुमारेनु उववनमाणाणं तहेव नव गमगा भाणियव्वा, नवरं जोरनिया नवहं च जाणजा, नेसं तं चंब निरवसेस । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ७१३॥ चवीसहमे सुध. तेवीसइमो उद्देसो समत्तो॥ मोहम्मगंध्या पं भंते ! कओहिंतो उपवनंति कि नेरइएहिंतो उववजति ? भेदो Page #901 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ई ; वि० ० प० स० २४ उ० २४ ] सुत्तागमे ८४९ जहा जोइसियउद्देसए, असंखेज्जवासाउयसन्निपचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते! जे भविए सोहम्मगदेवेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइकाल० ? गोयमा ! जहणणेणं पलिओवमट्टिईएस उ० उक्कोसेणं तिपलिओवमट्टिईएस उववज्जेजा, ते णं भंते ! अवसेसं जहा जोइसिएस उववज्जमाणस्स नवरं सम्मद्द्द्विीवि मिच्छादिट्ठीवि णो सम्मामि - च्छादिट्ठी, णाणीव अन्नाणीवि दो णाणा दो अन्नाणा नियमं, ठिई जहण्णेणं पलिओवमं उक्कोसेणं तिगि पलिओ माई एवं अणुबंधोवि सेसं तहेव, कालादेसेणं जहण्णेणं दो पलिओ माई उक्कोसेणं छप्पलिओवमाईं एवइयं ० १, सो चेव जहन्नकालट्ठिईएस उववन्नो एस चैव वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं दो पलिओवमाई उकासेणं चत्तारि पलिओ माई एवइयं ० २, सो चेव उक्कोसकालट्टिईएसु उववन्नो जहन्त्रेणं तिपलिओ - व० उक्कोसेणवि तिपलिओव० एस चेव वत्तव्वया नवरं ठिई जहन्नेणं तिन्नि पलिओ - वमाईं उक्कोसेणवि तिन्नि पलिओवमाई सेसं तं चेव, कालादेसेणं जहण्णेणं छप्पलिओवमाईं उक्कोसेणवि छप्पलिओचमाई एवइयं ० ३, सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ जहणेण पओिवमट्ठिईएस उक्कोसेणवि पलिओवमट्ठिईएस एस चैव वत्तव्वया नवरं ओगाहणा जहणं धणुहपुहुत्तं उक्कोसेणं दो गाउयाई, ठिई जहनेणं पलिओवमं उक्कोसेणवि पलिओवमं सेसं तहेव, कालादेसेणं जहणेणं दो पलिओवमाई उक्कोसेणंपि दो पलिओवमाईं एवइयं ० ६, सो चेव अप्पणा उक्कोसका लट्ठिईओ जाओ आइल्लगमगसरिसा तिनि गमगा णेयव्वा नवरं ठिईं कालादेसं च जाणेजा ९ ॥ जइ संखेज्जवा - साउयसन्निपंचिदिय० संखेजवासाउयस्स जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स तहेव नववि गमगा, नवरं ठिईं संवेहं च जाणेजा, जाहे य अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ भवइ तातिवि गमसु सम्मद्दिट्टीवि मिच्छादिट्टीवि णो सम्मामिच्छादिट्टी, दो नाणा दो अन्नाणा नियमं सेसं तं चेच ॥ जइ मणुस्सेहिंतो उववज्जति भेदो जहेव जोइसिएस उववज्जमाणस्स जाव असंखेज्जवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववजित्तए एवं जहेब असंखेजवासाउयस्स सन्निपंचिंदियति रिक्खजोणियस्स सोहम्मे कप्पे उववज्जमाणस्स तहेव सत्त गमगा नवरं आइएस दोसु गमएस ओगाहणा जहन्त्रेणं गाउयं उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई, तइयगमे जहन्नेणं तिन्नि गाउयाई उक्कोसेणवि तिन्नि गाउयाई, चउत्थगमए जहन्नेणं गाउयं उक्कोसेणवि गाउयं, पच्छिमसु तिसु गमएस जहण्णेणं तिन्नि गाउयाई उक्कोसेणवि तिन्नि गाउयाई सेसं तहेव निरवसेसं ९ ॥ जइ संखेजवासाउयसन्निमणुरसेहितो ० एवं संखेज्जवासाउयसन्निमणुस्साणं जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणाणं तहेव णव गमगा भाणियव्वा नवरं सोहमग देव संवेहं च जाणेज्जा, सेसं तं चेव ९ ॥ ईसाणदेवा णं भंते । कओहितो ५४ सुत्ता० Page #902 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५० सुत्तागमे । [भगवई उववजंति० ईसाणदेवाणं एस चेव सोहम्मगदेवसरिसा वत्तव्वया नवरं असंखेजवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स जेसु ठाणेसु सोहम्मे उववजमाणस्स पलिओवमट्टिई तेसु ठाणेसु इहं साइरेगं पलिओवमं कायव्वं, चउत्थगमे ओगाहणा जहन्नेणं धणुहपुहुत्तं उक्कोसेणं साइरेगाइं दो गाउयाइं सेसं तं चेव ९॥ असंखेजवासाउयसनिमणुस्सस्सवि तहेव ठिई जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स असंखेजवासाउयस्स ओगाहणावि जेसु ठाणेसु.गाउयं तेसु ठाणेसु इहं साइरेगं गाउयं सेसं तहेव ९॥ संखेजवासाउयाणं तिरिक्खजोणियाणं मणुस्साण य जहेव सोहम्मेसु उववजमाणाणं तहेव निरवसेसं णववि गमगा नवरं ईसाणट्टिई संवेहं च जाणेजा ९ ॥ सणंकुमारगदेवा णं भंते ! कओहिंतो उववजंति० उववाओ जहा सकरप्पभापुढविनेरइयाणं जाव पज्जत्तसंखेजवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए सणंकुमारगदेवेसु उववजित्तए अवसेसा परिमाणादीया भवादेसपजवसाणा सच्चेव वत्तव्वया भाणियव्वा जहा सोहम्मे उववजमाणस्स नवरं सणंकुमारठ्ठिइं संवेहं च जाणेजा, जाहे य अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ भवइ ताहे तिसुवि गमएसु पंच लेस्साओ आइलाओ कायव्वाओ सेसं तं चेव ९ ॥ जइ मणुस्सेहिंतो उववजति मणुस्साणं जहेव सकरप्पभाए उववजमाणाणं तहेव णववि गमा भाणियव्वा नवरं सणंकुमारठिइं संवेहं च जाणेजा ९ ॥ माहिंदगदेवा णं भंते ! कओहिंतो उववजंति० जहा सणंकुमारदेवाणं वत्तव्वया तहा माहिंदगदेवाणवि भाणियव्वा, नवरं माहिंदगदेवाणं ठिई साइरेगा जा(भा)णियव्वा सा चेव, एवं बंभलोगदेवाणवि वत्तव्वया नवरं बंभलोगट्टिई संवेहं च जाणेज्जा, एवं जाव सहस्सारो, णवरं ठिई संवेहं च जाणेजा, लंतगाईणं जहन्नकालट्ठिईयस्स तिरिक्खजोणियस्स तिसुवि गमएसु छप्पि लेस्साओ कायव्वाओ, संघयणाई वंभलोगलंतएसु पंच आइल्लगाणि, महासुक्कसहस्सारेसु चत्तारि, तिरिक्खजोणियाणवि मणुस्साणवि, सेसं तं चेव ९ ॥ आणयदेवा णं भंते ! कओहिंतो उववजति उववाओ जहा सहस्सारे देवाणं णवरं तिरिक्खजोणिया खोडेयव्वा जाव पजत्तसंखेजवासाउयसन्निमणु(स्सा)स्से णं भंते ! जे भविए आणयदेवेसु उववजित्तए मणुस्साणं वत्तव्वया जहेव सहस्सारेसु उववजमाणाणं णवरं तिन्नि संघयणाणि सेसं तहेव जाव अणुवंधो भवादेसेणं जहन्नेणं तिन्नि भवग्गहणाइं उक्कोसेणं सत्त भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं अट्ठारस सागरोवमाइं दोहिं वासपुहुत्तेहिं अब्भहियाई उक्कोसेणं सत्तावन्नं सागरोवमाइं चउहि पुव्वकोडीहिं अब्भहियाइं एवइयं०, एवं सेसावि अट्ट गमगा भाणियव्वा नवरं ठिई संवेहं च जाणेजा, सेसं तहेव ९ ॥ एवं जाव अञ्चयदेवा, नवरं ठिई संवेहं च जाणेजा ९ ॥ चउसुवि संघयणा तिन्नि Page #903 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० २५ उ०१] सुत्तागमे ८५१ आणयाईसु । गेवेजगदेवा णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति० एस चेव वत्तव्वया नवरं दो संघयणा, ठिई संवेहं च जाणेजा। विजयवेजयंतजयंतअपराजियदेवा णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति० एस चेव वत्तव्वया निरवसेसा जाव अणुबंधोत्ति, नवरं पढ़मं संघयणं, सेसं तहेव, भवादेसेणं जहन्नेणं तिन्नि भवरगहणाइं उक्कोसेणं पंच भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं एकतीसं सागरोवमाइं दोहिं वासपुहुत्तेहिं अन्भहियाई उनोसेणं छावहिं सागरोवमाइं तिहिं पुव्वकोडीहिं अन्भहियाइं एवइयं०, एवं सेसावि अट्ठ गमगा भाणियन्वा, नवरं ठिई संवेहं च जाणेजा, मणूसे लद्धी णवसुवि गमएसु जहा गेवेज्जेसु उववजमाणस्स नवरं पढम संघयणं । सव्वट्ठसिद्धगदेवा णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति० उववाओ जहेव विजयाईणं जाव से णं भंते ! केवइयकालट्ठिईएसु उववजेजा गोयमा ! जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमट्टिईएसु उक्कोसेणवि तेत्तीसं सागरोवमट्ठिईएसु उववज्जेजा, अवसेसा जहा विजयाईसु उववजंताणं नवरं भवादेसेगं तिन्नि भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं दोहिं वासपुहुत्तेहिं अव्भहियाइं उक्नोसेगवि तेत्तीसं सागरोवमाइं दोहिं पुत्वकोडीहिं अब्भहियाई एवइयं० ९ ॥ सो चेव अप्पणा जहन्नकालढिईओ जाओ एस चेव वत्तव्वया नवरं ओगाहणाठिईओ रयणिपुहुत्तवासपुहुत्ताणि सेसं तहेव संवेहं च जाणेजा ९॥ सो चेव अप्पणा उक्नोसकालट्ठिईओ जाओ एस चेव वत्तव्वया नवरं ओगाहणा जहण्णेणं पंच घणुहसयाइं उक्कोसेणवि पंचवणुहसयाई, ठिई जहण्णेणं पुत्वकोडी उक्कोसेणवि पुव्वकोडी, सेसं तहेव जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहण्णेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं दोहिं पुर्वकोडीहिं अव्भहियाइं उकोसेगवि तेत्तीसं सागरोवमाई दोहिं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाई एवइयं कालं सेवेजा एवइयं कालं गइरागइं करेजा, एए तिन्नि गमगा सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं । सेवं भंते ! २त्ति भगवं गोयमे जाव विहरइ॥७१४॥ चउवीसइमस्स सयस्स चउवीसइमो उद्देसो समत्तो ॥ चउवीसइमं सयं समत्तं ।। लेस्सा य १ दव्व २ संठाण ३ जुम्म ४ पज्जव ५ नियंठ ६ समणा य ७ ओहे ८ भविया ९ भविए १० सम्मा ११ मिच्छे य १२ उद्देसा ॥१॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव एवं वयासी-कइणं भंते ! लेस्साओ प०? गोयमा । छल्लेस्साओ प०,०-कण्हलेस्सा जहा पढमसए विइए उद्देसए तहेव लेस्साविभागो अप्पावहुगं च जाव चउव्विहाणं देवाणं चउव्विहाणं देवीणं मीसगं अप्पावहुगंति ॥ ७१५ ॥ कइविहा णं भंते ! संसारसमावनगा जीवा पन्नत्ता ? गोयमा ! चउद्दसविहा संसारसमावनगा जीवा प०, तं०-सुहुमअपज्जत्तगा १, सुहुमपजत्तगा २, बायरअपज्जत्तगा २, वायरपज्जत्तगा ४, बेइंदिया अपजत्तगा ५, बेइंदिया पज्जत्तगा ६, एवं तेई. Page #904 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई दिया ८, एवं चयरिंदिया १०, असन्निपंचिंदिया अपजत्तगा ११, असन्निपंचिंदिया पजत्तगा १२, सन्निपंचिंदिया अपज्जत्तगा १३, सन्निपंचिंदिया पज्जत्तगा १४ । एएसि णं भंते ! चउद्दसविहाणं संसारसमावन्नगाणं जीवाणं जहन्नुकोसगस्त जोगस्त कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे मुहुमस्स अपज्जत्तगस्स जह नए जोए १, वायरस्स अपज्जत्तगस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे २, बेइंदिगुस्स अपज्जत्तगस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे ३, एवं तेइंदियस्स ४, एवं चउरिंदियस्त ५, असन्निपचिंदियस्स अपज्जत्तगस्स जहन्नए जोए असंखेनगुणे ६, सन्निपंचिंदियस्स अपज्जत्तगस्स जहन्नए जोए असंखेनगुणे ७, नुहुमस्स पज्जत्तगस्स जहन्नए जोए असंखेज्जगुणे ८, वायरस्स पजत्तगस्स जहन्नए जोए असंखेज्जगुणे ९, सुहुमस्स अपज्जत्तगस्स उनोसए जोए असंखेजगुणे १०, वायरस्स अपज्जत्तगस्स उक्रोसए जोए असंखेज्जगुणे ११, सुहुमस्स पजत्तगस्स उनोसए जोए असंखेनगुणे १२, वायरस्स पज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेजगुणे १३, वेइंदियस्स पजनगस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे १४, एवं तेइंदियस्सवि १५, एवं जाव सन्निपंचिंदियस्स पजत्तगस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे १८, वेइंदियस्स अपज्जत्तगस्त उकोसए जोए असंखेज्जगुणे १९, एवं तेइंदियस्सवि २०, एवं चरिंदियस्सत्रि २१, एवं जाव सन्निपंचिंदियस्स अपजत्तगस्स उनोसए जोए असंखेनगुणे २३, वेइंदियस्स पज्जत्तगस्स उकोसए जोए असंखेजगुणे २४, एवं तेइंदियस्सदि पजत्तगस्स उकोसए जोए असंखेजगुणे २५, चउरिंदियस्स पजत्तगस्स उकोसए जोए असंखेजगुणे २६, असन्निपंचिंदियपज्जत्तगस्स उकोसए जोए असंखेजगुणे २७, एवं सन्निपचिंदियस्स पचत्तगस्स उकोसए जोए असंखेजगुणे ॥ २८ ॥ ७१६ ॥ दो भंते ! नेरझ्या पढमसमयोववन्नगा किं समजोगी किं विसमजोगी ? गोयमा । सिय समजोगी सिय विसमजोगी, से केणढेणं भंते! एवं वुचइ सिय समजोगी सिय विसमजोगी ? गोयमा ! आहारयाओ वा से अणाहारए अणाहारयाओ वा से आहारए सिय होणे सिय तुल्ले सिय अन्भहिए, जइ हीणे असंखेजइभागहीणे वा संखेज्जइभागहीणे वा संखेजगुणहीणे वा असंखेनगुणहीणे वा, अहं अभहिए असंखेज्जइभागमभहिए वा संखेजइभागमभहिए वा संखेजगुणमभहिए वा असंखेज्जगुणमन्महिए वा,से तेणटेणं जाव सिय समजोगी सिय विसमजोगी, एवं जाव वेमाणियाणं ॥ ७१७ ॥ कइविहे णं भंते ! जोए प० ? गोयमा ! पन्नरसविहे जोए प०, तं०सच्चमणजोए मोसमणजोए सच्चामोसमणजोए असच्चामोसमणजोए सञ्चवइजोए मोसवडजोए सच्चामोसवइजोए असच्चामोसवइजोए ओरालियसरीरकायजोए ओरालि Page #905 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० २५ उ०२] सुत्तागमे यमीसासरीरकायजोए वेउब्वियसरीरकायजोए वेउव्वियमीसासरीरकायजोए आहारगसरीरकायजोए आहारगमीसासरीरकायजोए कम्मासरीरकायजोए १५॥ एयस्सणं भंते ! पन्नरसविहस्स जहन्नुकोसगस्स कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्योवे कम्मगसरीरस्स जहन्नए जोए १, ओरालियमीसगस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे २, वेउन्वियमीसगस्स जहन्नए जोए असंखेज्जगुणे ३, ओरालियसरीरस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे ४, वेउब्वियसरीरस्स जहन्नए जाए असंखेज्जगुणे ५, कम्मगसरीरस्स उकोसए जोए असंखेज्जगुणे ६, आहारगमीसगस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे ७, आहारगमीसगस्स उकोसए जोए असंखेज्जगुणे ८, ओरालियमीसगस्स वेउब्वियमी. सगस्स एएसि णं उकोसए जोए दोण्हवि तुल्ले असंखेजगुणे ९-१०, असच्चामोसमणजोगस्स जहन्नए जोए असंखेनगुणे ११, आहारगसरीरस्स जहन्नए जोए असंखेज्जगुणे १२, तिविहस्स मणजोगस्स चउब्विहस्स वइजोगस्स एएसि णं सत्तण्हवि तुल्ले जहन्नए जोए असंखेजगुणे १९, आहारगसरीरस्स उकोसए जोए असंखेजगुणे २०, ओरालियसरीरस्स वेउब्वियसरीरस्स चउव्विहस्स य मणजोगस्स चउम्विहस्स य वइजोगस्स एएसि णं दसण्हवि तुल्ले उक्कोसए जोए असंखेजगुणे ३०, सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ७१८॥ पणवीसइमस्स सयस्स पढमो उद्देसो समत्तो॥ ___ कइविहा णं भंते ! दव्वा पन्नत्ता ? गोयमा ! दुविहा दव्वा प०, तं०-जीवदव्वा य अजीवदव्वा य, अजीवव्वा णं भंते ! कइविहा प०? गोयमा ! दुविहा प०, तंजहा-रूविअजीचव्वा य अरूविअजीवदव्वा य, एवं एएणं अभिलावेणं जहा अजीवपजवा जाव से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ ते णं नो संखेजा नो असंखेज्जा अणंता । जीवव्वा णं भंते ! कि संखेज्जा असंखेजा अणंता ? गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेना अणंता, से केपटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जीवदव्वा णं नो संखेजा नो असंखेज्जा अणंता ? गोयमा ! असंखेजा नेरइया जाव असंखेजा वाउकाइया, वणस्सइकाइया अणंता, असंखेज्जा वेइंदिया एवं जाव वेमाणिया, अणंता सिद्धा, से तेणटेणं जाव अणंता ॥ ७१९॥ जीवदव्वाणं भंते ! अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति अजीवदव्वाणं जीवदव्या परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ? गोयमा! जीवदव्वाणं अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति नो अजीवदव्वाणं जीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! जीवदव्वा णं अजीवदव्वे परियादियंति अजीव० २त्ता ओरालियं वेउव्वियं आहारगं तेयगं कम्मगं सोइंदियं जाव फासिंदियं मणजोगं वइजोगं कायजोगं आणापाणुत्तं च निव्व(त)त्तियंति, से तेणढेणं जाव हव्वमागच्छंति, नेरइयाणं भंते ! अजीवदव्वा परिभोग Page #906 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई त्ताए हव्वमागच्छंति अजीवदव्वाणं नेरइया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ? गोयमा 1 नेरइयाणं अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति नो अजीवदव्वाणं नेरइया जाव हव्वमागच्छंति, से केणट्टेणं • ? गोयमा ! नेरइया णं अजीवदव्वे परियादियंति अ० २ त्ता वेरव्त्रियं तेयगं कम्मगं सोईदियं जाव फासिंदियं आणापाणुत्तं च निव्वत्तियंति, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ०, एवं जाव वेमाणिया नवरं सरीरइंदियजोगा भाणियव्वा जस्स जे अत्थि ॥ ७२० ॥ से नूणं भंते ! असंखेजे लोए अनंताई दव्वाई आगासे भइयव्वाई ? हंता गोयमा ! असंखेजे लोए जाव भइयव्वाई | लोगस्स णं भंते ! एगंमि आगासपए से कइदिसिं पोग्गला चिज्जंति ? गोयमा ! निव्वाघाएं छद्दिसिं वाघायं पच सिय तिदिसिं सिय चउदिसिं सिय पंचदिसिं लोगस्स भंते! एगंमि आगासपएसे कइदिसिं पोग्गला छिजंति ? एवं चेव, एवं उवचिज्जति एवं अवचिज्जति ॥ ७२१ ॥ जीवे णं भंते ! जाई दव्बाई ओरालियसरीरत्ताएगेहइ ताई कि ठियाई गेण्हइ अठियाई गेण्हइ ? गोयमा ! ठियाइंपि गेहइ अटियाइंपि गेण्ड, ताई भंते! कि दव्वओ गेण्हइ खेत्तओ गेण्हड़ कालओ गेण्हर भावओ गेण्हइ ? गोयमा ! दव्वओवि गेण्हड् खेत्तओवि गेण्हइ कालओवि गेण्हइ भावओवि गेण्हइ, ताईं दव्वओ अनंतपएसियाई दव्वाई खेत्तओ असंखेज्जपएसोगाढाई एवं जहा पन्नवणाए पढमे आहारुद्देसए जाव निव्वाघाएणं छद्दिसिं वाघायं पहुच सिय तिदिसिं सिय चउदिसिं सिय पंचदिसिं ॥ जीवे गं भंते ! जाई दव्वाइं वेडव्वियसरीरत्ताए गेण्हइ ताइं कि ठियाई गेण्हड़ अठियाई गेण्हइ ? एवं चैव नवरं नियमं छद्दिसि, एवं आहारगसरीरत्ताएवि ॥ जीवे णं भंते ! जाई दव्वाई यनसरीरत्ताए गिण्हइ पुच्छा, गोयमा ! ठियाई गेण्हइ नो अठियाई गेण्हइ सेसं जहा ओरालियसरीरस्स कम्मगसरीरे एवं चेव एवं जाव भावओवि गेण्हड, जाई दव्वाई दव्वओ गेण्हइ ताई कि एगपए सियाई गेण्हइ दुपएसियाई गेण्हइ ? एवं जहा भासाप जाव आणुपुवि गेण्हइ नो अणाणुपुव्विं गेण्हह, ताई भंते । कइदिसिं गेण्हइ ? गोयमा ! निव्वाघाएणं जहा ओरालियस्स ॥ जीवे णं भंते ! जाई दव्वाई सोइंदियत्ताए गेण्हड् जहा वेडव्वियसरीरं एवं जाव जिव्भिदियत्ताए फासिंदियत्ताए जहा ओरालियसरीरं मणजोगत्ताए जहा कम्मगसरीरं नवरं नियमं छद्दिसिं एवं वइजोगत्ताएवि कायजोगत्ताएवि जहा ओरालियसरीरस्स | जीवे णं भंते ! जाई दव्वाईं आणापाणुत्ताए गेण्हइ जहेव ओराल्यिसरीरत्ताए जाव सिय पंचदितिं । सेवं भंते ! २ त्ति । केइ चउवीसदंडएणं एयाणि पयाणि भन्नंति जस्स जं अस्थि ॥७२२|| पणवीसइमस्स सयस्स बीओ उद्देसो समन्तो ॥ 1 ८५४ Page #907 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० २५ उ० ३] सुत्तागमे करणं ते! संठाणा प० ? गोयमा ! छ संठाणा प०, तं० - परिमंडले वट्टे तंसे चउरंसे आयए अणित्यंधे, परिमंडला णं भंते! संठाणा दव्वट्टयाए किं संखेजा असंखेजा अनंता ? गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता, वट्टा णं भंते! संठाणा० एवं चेव, एवं जाव अणित्थंथा, एवं पएसट्टयाएवि, एवं दव्वद्वप सट्टयाएवि, एएसि णं भंते ! परिमंडलवट्टतंसचउरंसआययअणित्थंथाणं संठाणाणं दव्वद्वयाए पएसट्टयाए दव्वहपसट्टयाए कयरे २ हिंतो जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा परिमंडला संठाणा दव्वट्टयाए, वट्टा संठाणा दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, चउरंसा संठाणा दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, तसा संठाणा दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, आययसंठाणा दव्वट्टयाए संखेज्ज - गुणा, अणित्थंथा संठाणां दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा, पएसइयाए - सव्वत्थोवा परिमंडला संठाणा पएसट्टयाए, वट्टा संठाणा पएसध्याए संखेज्जगुणा, जहा दव्वट्टयाए तहा पएसडयाएवि जाव अणित्थंथा संठाणा पएसट्टयाए असंखेजगुणा, दव्वट्ठपएसट्टयाए सव्वत्थोवा परिमंडला संठाणा दव्वट्टयाए सो चेव गमओ भाणियव्वो जाव अणित्थंथा सठाणा दव्वट्टयाए असंखेजगुणा, अणित्थंथेहिंतो संठाणेहिंतो दव्वट्टयाए (हिंतो ) परिमंडला संठाणा पएसट्टयाए असंखेजगुणा, वट्टा संठाणा पएसट्टयाए संजगुणा, सो चेव एसट्टयाए गमओ भाणियव्वो जाव अणित्थंथा संठाणा पएसयाए असंखेजगुणा ॥ ७२३ ॥ कइ णं भंते | संठाणा पन्नत्ता ? गोयमा ! पंच संठाणा प०, तं० - परिमंडले जाव आयए । परिमंडला णं भंते ! संठाणा किं संखेज्जा असंखेजा अनंता ? गोयमा ! नो संखेज्जा नो असंखेजा अनंता, वट्टा णं भंते ! संठाणा किं संखेजा ० ? एवं चेव, एवं जाव आयया । इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए परिमंडला संठाणा किं संखेजा असंखेजा अणंता ? गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणता, वट्टा णं भंते! संठाणा किं संखेज्जा असंखेज्जा ०? एवं चेव, एवं जाव आयया । सकरप्पभाए णं भंते ! पुढवीए परिमंडला संठाणा एवं चेव, एवं जाव आयया, एवं जाव असत्तमाए । सोहम्मे णं भंते ! कप्पे परिमंडला संठाणा एवं चेव, एवं जाव अच्चुए, गेवेज्जगविमाणाणं भंते ! परिमंडलसंठाणा एवं चेव, एवं अणुत्तरविमाणेसुवि, एवं ईसिप्पब्भाराएवि ॥ जत्थ णं भंते ! एगे परिमंडले संठाणे जवमज्झे तत्थ परिमंडला संठाणा कि संखेज्जा असंखेज्जा अनंता ? गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेज्जा अनंता । वाणं भंते! संठाणा किं संखेजा असंखेजा अनंता ? एवं चेव, एवं जाव आयया । जत्थ णं भंते । एगे वट्टे संठाणे जवमज्झे तत्थ परिमंडला संठाणा एवं चेव, वट्टा संठाणा एवं चैव, एवं जाव आयया, एवं एक्केकेणं संठाणेणं पंचवि चारेयव्वा, जत्थ णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे परिमंडले संठाणे जवमज्झे तत्थ ८५५ Page #908 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ८५६ [भगवई णं परिमंडलसंठाणा किं सखेजा० पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता, वट्टा णं भंते ! संठाणा किं संखेना० पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता, एवं (चेव) जाव आयया, जत्थ णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे वहे संठाणे जवमज्झे तत्थ णं परिमंडला संठाणा किं संखेजा० पुच्छा, गोयमा! नों संखेजा नो असंखेजा अणंता, वट्टा संठाणा एवं चेव, एवं जाव आयया, एवं पुणरवि एक्लेकेणं संठाणेणं पंचवि चारेयव्वा जहेव हेहिल्या जाव आय(ए)याणं, एवं जाव अहेसत्तमाए, एवं कप्पेसुवि जाव इसिप्पन्भाराए पुटवीए ॥ ७२४ ॥ वट्टे णं भंते ! संठाणे कइपएसिए कइपएसोगाढे प० ? गोयमा ! वट्टे संठाणे दुविहे प०,तं०-घणवठे य पयरवट्टे य, तत्य णं जे से पयरवटे से दुविहे प०, तं०-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य, तत्थ ण जे से ओयपएसिए पयरवटे से जहन्नेगं पंचपएसिए पंचपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे, तत्थ णं ने से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं वारसपएसिए वारसपएसोगाढे उकोसेणं अगंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे, तत्थ णं जे से घणवट्टे से दुविहे प०, तं०-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य, तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहण्णेणं सत्तपएसिए सत्तपएसोगाढे प०, उक्नोसेणं अणंतपएसिए असंखेज्जपएसोगाढे प०, तत्य णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं वत्तीसपएसिए बत्तीसपएसोगाढे प०, उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे प०॥ तंसे णं भंते ! संठाणे कइपएसिए कइपएसोगाढे प० ? गोयमा ! तसे णं संठाणे दुविहे प०, तं०-घणतंसे य पयरतंसे य, तत्य णं जे से पयरतंसे से दुविहे प०, तं०-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य, तत्य णं जे से ओयपएसिए से जहण्णेणं तिपएसिए तिपएसोगाढे प०, उक्नोसेगं अगंतपएलिए असंखेजपएसोगाढे प०, तत्य णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं छप्पएसिए छप्पएसोगाढे प०, उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे प०, तत्य णं जे से घणतंसे से दुविहे प०, तं०-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य, तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं पणतीसपएसिए पणतीसपएसोगाढे प०, उक्कोसेणं अणंतपएसिए तं चेव, तत्य णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं चउप्पएसिए चउप्पएसोगाढे प०, उनोसेणं अणंतपएसिए तं चेव ॥ चउरंसे णं भंते ! संठाणे कइपएसिए० पुच्छा, गोयमा ! चउरंसे संठाणे दुविहे प०, भेदो जहेव वट्टस्स जाव तत्य णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं नवपएसिए नवपएसोगाढे प०, उझोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे प०, तत्य णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नणं चउप्पएसिए चउप्पएसोगाढे प०, उनोसेणं अगंतपएसिए तं चेव, तत्थ ण जे से घणचउरंसे से दुविहे प०, तंजहा-ओयपएतिए Page #909 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २५ उ०३] सुत्तागमे य जुम्मपएसिए य, तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं सत्तावीसइपएसिए सत्तावीसइपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए तहेव, तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहनेणं अट्ठपएसिए अट्ठपएसोगाढे प०, उक्कोसेणं अणंतपएसिए तहेव ॥ आयए णं भंते ! संठाणे कइपएसिए कइपएसोगाढे ५०? गोयमा । आयए णं संठाणे तिविहे प०, तं०-सेढिआयए पयरायए घणायए, तत्थ णं जे से सेढिआयए से दुविहे प०, तं०-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य, तत्थ गं जेसे ओयपएसिए से जहण्णेणं तिपएसिए तिपएसोगाढे उक्नोसेणं अणंतपएसिए तं चेव, तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहण्णेणं दुपएसिए दुपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए तं चेव, तत्थ णं जे से पयरा. यए से दुविहे प०, तं०--ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य, तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं पन्नरसपएसिए पन्नरसपएसोगाढे उक्नोसेणं अणंत० तहेव, तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं छप्पएसिए छप्पएसोगाढे उक्नोसेणं अणंत० तहेव, तत्थ णं जे से घणायए से दुविहे प०, तं०-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य, तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं पणयालीसपएसिए पणयालीसपएसोगाढे प०, उक्कोसेणं अणंत० तहेव, तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहण्णेण बारसपएसिए वारसपएसोगाढे प०, उक्कोसेणं अणंत० तहेव ॥ परिमंडले णं भंते! संठाणे कइपएसिए० पुच्छा, गोयमा ! परिमंडले णं संठाणे दुविहे प०, तं०-घणपरिमंडले य पयरपरिमंडले य, तत्थ णं जे से पयरपरिमंडले से जहन्नेणं वीसइपएसिए वीसइपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए तहेव, तत्थ णं जे से घणपरिमंडले से जहन्नेणं चत्तालीसपएसिए चत्तालीसपएसोगाढे १०, उक्लोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे पनत्ते ॥ ७२५ ॥ परिमंडले णं भंते ! संठाणे दव्वट्ठयाए किं कडजुम्मे तेओए दावरजुम्मे कलिओए ? गोयमा ! नो कडजुम्मे णो तेओए णो दावरजुम्मे कलिओए, वट्टे णं भंते ! संठाणे दवट्ठयाए एवं चेव, एवं जाव आयए ॥ परिमंडला णं भंते ! संठाणा दव्वठ्ठयाए किं कडजुम्मा तेओगा दावरजुम्मा कलिओगा पुच्छा, गोयमा । ओघादेसेणं 'सिय कडजुम्मा सिय तेओगा सिय दावरजुम्मा सिय कलिओगा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा नो तेओगा नो दावरजुम्मा कलिओगा, एवं जाव आयया ॥ परिमंडले गं भंते ! संठाणे पएसठ्ठयाए किं कडजुम्मे० पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मे सिय तेओगे सिय दावरजुम्मे सिय कलिओगे, एवं जाव आयए, परिमंडला णं भंते ! संठाणा पएसट्टयाए कि कडजुम्मा० पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, विहाणादेसेणं कडजुम्मावि तेओगावि दावरजुम्मावि कलिओगावि, एवं जाव आयया ॥ परिमंडले णं Page #910 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई भंते ! संठाणे किं ऋडजुम्मपएसोगाढे जाव कलिओगपएसोगाढे ? गोयमा ! कडजुम्मपएसोगाढे णो तेओगपएसोगाढे नो दावरजुम्मपएसोगाढे नो कलियोगपएसोगाढे ।। वढे णं भंते ! संठाणे किं कडजुम्म० पुच्छा, गोयमा ! तिय कडजुम्मपएसोगाढे सिय तेओगपएसोगाढे नो दावरजुम्मपएसोगाढे सिय कलिओगपएसोगाढे ॥ तंसे णं भंते ! संठाणे पुच्छा, गोयमा ! तिय ऋडजुम्मपएसोगाढे सिय तेओगपएसोगाढे सिय दावरजुम्मपएसोगाढे नो कलिओगपएसोगाढे । चटरंसे णं भंते ! संठाणे जहा बट्टे तहा चउरसेवि । आयए ण मंते ! पुच्छा, गोयमा ! तिय कडजुम्मपएसोगाढे जाव सिय कलिओगपएसोगाढे । परिमंडला णं भंते ! नंठाणा किं कडजुम्मपएसोगाडा तेओगपएसोगाढा० पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेगवि विहाणादेसेणवि कडजुम्मपएसोगाढा जो तेओगपएसोगाढा नो दावरजुम्मपएसोगाडा नो कलिओगपएसोगाढा । वडा णं मंते ! संठाणा किं कडजुम्मपएसोगाढा० पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा नो तेओग० नो दांवरजुम्म० नो कलिओग०, विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाडावि तेओगपएसोगाडावि णो दावरजुम्मपएसोगाढा कलिओगपएसोगाडावि, तंसा गंभंते ! संठाणा किं कडजुम्मा० पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा नो तेसोग० नो दावरजुम्म० नो कलिओगपएसोगाढा, विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढावि तेओगपएसोगाडावि (नो) दावरजुम्मपएसोगाडा नो कलिओगपएसोगाढा । चउरंसा जहा वा, आयया ण भंते ! संठाणा पुच्छा, गोयमा ! ओघादेलेणं कडजुम्मपएसोगाढा नो तेओगपएसोगाढा नो दावरजुम्मपएसोगाढा नो ऋलिओगपएसोगाढा, विहाणादेखणं कडजुम्मपएसोगाढावि जाव कलिओगपएसोगाबावि ॥ परिमंडले ण भंते ! संठाणे किं काजुम्मसमयठिईए तेओगसमयठिईए दावरजुम्मसमयठिईए कलिओगसमयहिईए ? गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयठिईए जाव लिय कलिओगसमयठिईए, एवं जाव आयए । परिमंडला णं भंते ! संठाणा किंकडजुम्मसमयठिईया० पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं लिय कडजुम्मसमयढ़िईया जाब सिय कलिओगसमयाठिईया, विहाणादेसेणं कजुम्मसमयठियात्रि जाव कलिओगसमयठिईयावि, एवं जाव आयया ॥ परिमंडले णं भंते ! संठाणे कालवन्नपजवेहिं किं कडजुम्मे जाव कलियोगे? गोयमा ! सिय कडजुम्मे एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ठिईए एवं नीलवन्नपज्जवेहि, एवं पंचहिं वन्नेहि, दोहिं गंवेहि,पंचहिं रसेहि, अहिं फारोहिं जाव लुक्खफासपनवेहिं ॥ ७२६ ॥ नडीयो णं भंते ! वयाए कि संखेजाओ असंखेजाओ अगंताओ? गोयमा ! नो संरेजाओ नो असंखेजाओ अणंताओ, पाइणपडीणाययाओणं मंते ! Page #911 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० २५ उ० ३] सुत्तागमे ४५९ सेढीओ दव्वळुयाए कि संखेजाओ ३ एवं चेव, एवं दाहिणुत्तराययाओवि, एवं उद्यमहाययाओवि । लोगागाससेढीओ णं भंते ! दवट्ठयाए कि संखेजाओ असंखेजाओ अणंताओ? गोयमा! नो संखेजाओ असंखेजाओ नो अणंताओ, पाईणपडीणाययाओ णं भंते ! लोगागाससेढीओ दव्वट्ठयाए कि संखेज्जाओ० एवं चेव, एवं दाहिणुत्तराययाओवि, एवं उद्दमहाययाओवि । अलोगागाससेढीओ णं भंते ! दव्वट्ठयाए किं संखेजाओ असंखेज्जाओ अणंताओ? गोयमा ! नो संखेज्जाओ नो असंखेज्जाओ अणंताओ, एवं पाईणपडीणाययाओवि, एवं दाहिणुत्तराययाओवि, एवं उद्धृमहाययाओवि । सेढीओ णं भंते ! पएसठ्ठयाए कि संखेजाओ० जहा दवट्ठयाए तहा पएसट्टयाएवि जाव उडमहाययाओवि सव्वाओ अणंताओ। लोगागाससेढीओ णं भंते ! पएसट्टयाए कि सखेजाओ० पुच्छा, गोयमा । सिय संखेज्जाओ सिय असं. खेजाओ नो अणंताओ, एवं पाईणपडीणाययाओवि, एवं दाहिणुत्तराययाओवि, एवं चेव उड्डमहाययाओवि नो संखेजाओ असंखेजाओ नो अणंताओ॥ अलोगागाससेढीओ णं भंते ! पएसट्टयाए पुच्छा, गोयमा ! सिय संखेजाओ सिय असंखेजाओ सिय अणंताओ, पाईणपडीणाययाओ णं भंते ! अलोया० पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजाओ नो असंखेजाओ अणंताओ, एवं दाहिणुत्तराययाओवि, उद्धृमहाययाओ पुच्छा, गोयमा! सिय संखेजाओ सिय असंखेजाओ सिय अणंताओ ॥ ७२७ ॥ सेढीओ णं भंते ! किं साइयाओ सपज्जवसियाओ १, साइयाओ अपज्जवसियाओ २, अणाइयाओ सपजवसियाओ ३, अणाइयाओ अपजवसियाओ ४ ? गोयमा! नो साइयाओ सपज्जवसियाओ, नो साइयाओ अपज्जवसियाओ, णो अणाइयाओ सपज्जवसियाओ, अणाइयाओ अपज्जवसियाओ, एवं जाव उड्डमहाययाओ, लोगागाससेढीओ णं भंते । किं साइयाओ सपज्जवसियाओ० पुच्छा, गोयमा ! साइयाओ सपज्जवसियाओ, नो साइयाओ अपजवसियाओ, नो अणाइयाओ सपज्जवसियाओ, नो अणाइयाओ अपज्जवसियाओ, एवं जाव उड्डमहाययाओ । अलोगागाससेढीओ णं भंते । कि साइयाओ सपज्जवसियाओ० पुच्छा, गोयमा ! सिय साइयाओ सपज्जवसियाओ १, सिय साइयाओ अपज्जवसियाओ २, सिय अणाइयाओ सपज्जवसियाओ ३, सिय अणाइयाओ अपज्जवसियाओ ४, पाईणपडीणाययाओ दाहिणुत्तराययाओ य एवं चेव, नवरं नो साइयाओ सपज्जवसियाओ सिय साइयाओ अपज्जवसियाओ सेसं तं चेव, उडमहाययाओ जहा ओहियाओ तहेव चउभंगो । सेढीओ णं भंते ! दव्वट्ठयाए कि कडजुम्माओ तेओयाओ० पुच्छा, गोयमा ! कडजुम्माओ नो तेओगाओ नो दावरजुम्माओ नो कलिओगाओ, एवं जाव उडमहाययाओ, लोगागासलेढीओ Page #912 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई एवं चेव, एवं अलोगागाससेढीओवि।सेढीओ णं भंते ! पएसठ्याए कि कडजुम्माओ० पुच्छा, एवं चेव, एवं जाव उद्धृमहाययाओ । लोगागाससेढीओ णं भंते ! पएसट्टयाए पुच्छा, गोयमा! सिय कडजुम्माओ नो तेओगाओ सिय दावरजुम्माओ नो कलिओगाओ, एवं पाईगपडीगाययाओवि दाहिणुत्तराययाओवि, उद्धृमहाययाओ णं पुच्छा, गोयमा! कडजुम्माओ नो तेओगाओ नो दावरजुम्माओ नो कलिओगाओ। अलोगागाससेढीओ णं भंते ! पएसठ्याए पुच्छा, गोयमा! सिय कडजुम्माओ जाव सिय कलिओगाओ, एवं पाईगपडीणाययाओवि, एवं दाहिणुनरावयाओवि, उद्धृसहाययाओवि एवं चेव, नवरं नो कलिओगाओ सेसं तं चेव ॥ ७२८ ॥ का गं भंते ! सेढीओ प० ? गोयमा ! सत्त सेढीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-उजुआयया एगओवंका दुहओवंका एगओखहा दुहओखहा चकवाला अद्धचकवाला ॥ परमाणुपोग्गलाणं भंते! किं अणुसेटिं(डी) गई पवत्तइ विसेडिं गई पवत्तइ ? गोयमा! अणुसेढिं गई पवत्तइ नो विसेदि गई पवत्तइ । दुपएतियाणं भंते ! खंधाण अणुसेढिं गई पवत्तइ विसेढिं गई पवत्तइ ? एवं चेव, एवं जाव अगंतपएसियाणं खंधाणं । नेरझ्याणं भंते ! कि अणुसेटिं गई पवत्तइ बिसेडिं गई पवत्तइ ? एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाणं ॥ ७२९ ॥ इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए केवइया निरयावाससयसहस्सा प० ? गोयमा ! तीसं निरयावाससयसहस्सा ५०, एवं जहा पढमसए पंचमुद्देसए जाव अणुत्तरविमाणत्ति ॥ ७३० ॥ कइविहे णं भंते ! गणिपिडए प० ? गोयमा ! दुवालसंगे गणिपिडए प०, तं०-आयारो जाव दिठिवाओ, से कि तं आयारो ? आयारे णं समणाणं निग्गंथाणं आयारगोयर० एवं अंगपल्वणा भाणियव्वा जहा नंदीए जाव सुत्तत्यो खलु पढमो बीओ निजुत्तिमीसिओ भणिओ । तइओ य निरचसेसो एस विही होइ अणुओगे ॥ १ ॥ ७३१ ॥ एएसि णं भंते ! नेरझ्याणं जाव देवाणं सिद्धाण य पंचगइसमासेणं कयरे २ हितो० पुच्छा, गोयमा ! अप्पावहुयं जहा वहुवत्तव्वयाए अट्ठगइसमासअप्पावहुगं च । एएति णं भंते ! सइंदियाणं एगिंदियाणं जाव अणिदियाण य कयरे० ? एयपि जहा वहुवत्तव्वयाए तहेव ओहियं पर्य भागियव्वं, सकाइयअप्पावहुगं तहेव ओहियं भाणियव्वं ॥ एएसि णं भंते ! जीवाणं पोरगलाणं जाव सव्वपजवाण य कयरे २ जाव वहुवत्तव्वयाए एएति गं भंते ! जीवाणं आउयस्स कम्मस्स बंधगाणं अवंधगाणं जहा बहुवत्तव्वयाए जाव आउयस्स कम्मस्स अवंवगा विसेसाहिया । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ७३२ ॥ पणवीसइमस्स सयरस तइओ उद्देसो समत्तो॥ कइ णं मंते ! जुम्मा पन्नत्ता ? गोयमा ! चत्तारि जुम्मा प०, तं०-ऋजुम्मे जाव S AN Page #913 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६७ वि०प० स० २५ उ०४] सुत्तागमे कलिओगे, से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ चत्तारि जुम्मा प० कडजुम्मे जाव कलिओगे एवं जहा अट्ठारसमसए चउत्थे उद्देसए तहेव जाव से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ। नेरइयाणं भंते ! कइ जुम्मा प० १ गोयमा ! चत्तारि जुम्मा प०, तंजहा-कडजुम्मे जाव कलिओगे, से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चइ नेरइयाणं चत्तारि जुम्मा प०, तं०-कडजुम्मे अट्ठो तहेव, एवं जाव वाउकाइयाणं, वणस्सइकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! वणस्सइकाइया सिय कडजुम्मा सिय तेओया सिय दावरजुम्मा सिय कलिओया, से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ वणस्सइकाइया जाव कलिओगा ? गोयमा ! उववायं पडुच्च, से तेणटेणं तं चेव, बेइंदियाणं जहा नेरइयाणं, एवं जाव वेमाणियाणं, सिद्धाणं जहा वणस्सइकाइयाणं । कइविहा णं भंते ! सव्वदव्वा प० ? गोयमा ! छव्विहा सव्वदव्वा प०, तंजहा-धम्मत्यिकाए अधम्मत्थिकाए जाव अद्धासमए । धम्मत्थिकाए णं भंते ! दव्वट्ठयाए किं कडजुम्मे जाव कलिओगे ? गोयमा ! नो कडजुम्मे नो तेओगे नो दावरजुम्मे कलिओगे, एवं अहम्मत्थिकाएवि, एवं आगासत्थिकाएवि, जीवत्यिकाए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा! कडजुम्मे नो तेओए नो दावरजुम्मे नो कलिओए, पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलिओगे, अद्धासमए जहा जीवत्थिकाए ॥ धम्मत्यिकाए णं भंते ! पएसट्ठयाए किं कडजुम्मे० पुच्छा, गोयमा ! कडजुम्मे नो तेओए नो दावरजुम्मे नो कलिओए, एवं जाव अद्धासमए ॥ एएसि णं भंते ! धम्मत्थिकायअहम्मत्थिकाय जाव अद्धासमयाणं दव्वट्ठयाए० एएसि णं अप्पाबहुगं जहा बहुवत्तव्वयाए तहेव निरवसेसं ॥ धम्मथिकाए णं भंते ! कि ओगाढे अणोगाढे ? गोयमा ! ओगाढे नो अणोगाढे, जइ ओगाढे कि संखेजपएसोगाढे असंखेजपएसोगाढे अणंतपएसोगाढे ? गोयमा ! नो संखेजपएसोगाढे असंखेजपएसोगाढे नो अणंतपएसोगाढे, जइ असंखेजपएसोगाढे किं कडजुम्मपएसोगाढे० पुच्छा, गोयमा ! कडजुम्मपएसोगाढ़े नो तेओग० नो दावरजुम्म० नो कलिओगपएसोगाढे, एवं अहम्मत्थिकाएवि, एवं आगासत्यिकाएवि, जीवत्थिकाए पोग्गलस्थिकाए अद्धासमए एवं चेव ॥ इमा णं भंते ! रयणप्पभ पुढवी कि ओगाढा अणोगाढा जहेव धम्मत्थिकाए एवं जाव अहेसत्तमा, सोहम्मे एवं चेव, एवं जाव ईसिप्पन्भारापुढवी ॥ ७३३ ॥ जीवे णं भंते ! दव्वठ्ठयाए कि कडजुम्मे० पुच्छा, गोयमा ! नो कडजुम्मे नो तेओगे नो दावरजुम्मे कलिओगे, एवं नेरइएवि, एवं जाव सिद्ध । जीवा णं भंते ! दवट्ठयाए कि कडजुम्मा० पुच्छा गोयमा ! ओघादेसेणं क्डज्म्मा नो तेोगा नो दावरजुरमा नो कलिओगा, विहाणा देसेणं नो क्डजुम्मा नो तेओगा नो दावरजुम्मा कलिओगा, नेरइया णं भंते Page #914 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई दन्वठ्ठयाए पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, विहाणादेसेणं णो कडजुम्मा णो तेओगा णो दावरजुम्मा कलिओगा, एवं जाव सिद्धा ॥ जीवे णं भंते ! पएसठ्ठयाए कि कडजुम्मे० पुच्छा, गोयमा! जीवपएसे पडुच कडजुम्मे नो तेओगे नो दावरजुम्मे नो. कलिओगे, सरीरपएसे पडुच्च सिय कडजुम्मे जाव सिय कलिओगे, एवं जाव वेमाणिए । सिद्ध णं भंते! पएसठ्ठयाए कि कडजुम्मे० पुच्छा, गोयमा ! कडजुम्मे नो तेओगे नो दावरजुम्मे नो कलिओगे । जीवा णं भंते ! पएसठ्याए कि कडजुम्मा० पुच्छा, गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च ओघादेसेणवि विहाणादेसेणवि कडजुम्मा नो तेओगा नो दावरजुम्मा नो कलिओगा, सरीरपएसे पडुच्च ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, विहाणादेसेणं कडजुम्मावि जाव कलिओगावि, एवं नेरझ्यावि, एवं जाव वेमाणिया । सिद्धा णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणवि विहाणादेसेणवि कडजुम्मा नो तेओगा नो दावरजुम्मा नो कलिओगा ॥ ७३४ ॥ जीवे णं भंते ! किं कडजुम्मपएसोगाढे० पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मपएसोगाढे जाव सिय कलिओगपएसोगाडे, एवं जाव सिद्ध । जीवा णं भंते ! किं कडजुम्मपएसोगाढा० पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा नो तेओग० नो दावर० नो कलिओगपएसोगाढा, विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढावि जाव कलि ओगपएसोगाढावि, नेरझ्या णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं तिय कडजुम्मपएसोगाढा जाव सिय कलिओगपएसोगाढा, विहाणादेसेगं कडजुम्मपएसोगाढावि जाव कलिओगपएसोगाढावि, एवं एगिदियसिद्धवजा (जाव वेमाणिया) सव्वेवि, सिद्धा एगिंदिया य जहा जीवा । जीवे णं भंते ! कि कडजुम्मसमयढिईए० पुच्छा, गोयमा! कडजुम्मसमयहिईए नो तेओग० नो दावर० नो कलिओगसमयहिए। नेरइए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयढ़िईए जाव लिय ऋलिओगसमयट्टिईए, एवं जाव वेमाणिए, सिद्धे जहा जीवे । जीवा णं भंते ! अच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणवि विहाणादेसेणवि कडजुम्मसमयठिया नो तेओग० नो दावरजुम्म० नो कलिओगसमयहिईया, नेरझ्याणं पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयढिइया जाव सिय कलिओगसमयडिईया, विहाणादेसेणं कडजुम्मसमयट्टिईयावि जाव कलिओगसमयट्टिईयावि, एवं जाव वेमाणिया, सिद्धा जहा जीवा ॥ ७३५ ॥ जीवे णं भंते ! कालवन्नपज्जवेहिं किं कडजुम्मे० पुच्छा, गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च णो कडजुम्मे जाव णो कलिओगे, सरीरपएसे पडुच्च सिय कडजुम्मे जाव तिय कलिओने, एवं जाव वेमाणिए, सिद्धो चेव न पुच्छिनइ। Page #915 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०१० स० २५ उ० ४] सुत्तागमे ८६३ जीवा णं भंते ! कालवनपजवेहिं० पुच्छा, गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च ओघादेसेणवि विहाणादेसेणवि णो कडजुम्मा जाव णो कलिओगा, सरिरपएसे पडुच्च ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, विहाणादेसेणं कडजुम्मावि जाव कलिओगावि, एवं जाव वेमाणिया, एवं नीलवन्नपनवेहिं दंडओ भाणियव्वो एगत्तपुहत्तेणं एवं जाव लुक्खफासपजवेहिं ॥ जीवे णं भंते ! आभिणिबोहियणाणपज्जवेहिं कि कडजुम्मे० पुच्छा, गोयमा! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलिओगे, एवं एगिदियवंजं जाव वेमाणिए । जीवा णं भंते ! आभिणिबोहियणाणपजवेहिं० पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, विहाणादेसेणं कडजुम्मावि जाव कलिओगावि, एवं एगिदियवजं जाव वेमाणिया, एवं सुयणाणपजवेहिवि, ओहिणाणपनवेहिवि एवं चेव, नवरं विगलिंदियाणं नत्थि ओहिनाणं, मणपजवनाणंपि एवं चेव, नवरं जीवाणं मणुस्साण य, सेसाणं नत्थि, जीवे णं भंते ! केवलनाणपज्जवेहि किं कडजुम्मे० पुच्छा, गोयमा! कडजुम्मे णो तेओगे णो दावरजुम्मे णो कलिओगे, एवं मणुस्सेवि, एवं सिद्धेवि, जीवा णं भंते ! केवलनाणपुच्छा, गोयमा! ओघादेसेणवि विहाणादेसेणवि कडजुम्मा नो तेओगा नो दावरजुम्मा णो कलिओगा, एवं मणुस्सावि, एवं सिद्धावि । जीवे णं भंते ! मइअन्नाणपजवेहिं किं कडजुम्मे० ? जहा आभिणिवोहियणाणपजवेहिं तहेव दो दंडगा, एवं सुयअन्नाणपजवेहिवि, एवं विभंगनाणपनवेहिवि । चक्खुदंसणअचक्खुदंसणओहिदंसणपजवेहिवि एवं चेव, नवरं जस्स जं अत्थि तस्स तं भाणियव्वं, केवलदसणपज्जवेहिं जहा केवलनाणपज्जवेहि ।। ७३६॥ कइ ण भंते ! सरीरगा प० ? गोयमा ! पंच सरीरगा प०, तं०-ओरालिए जाव कम्मए, एत्थं सरीरपदं निरवसेसं भाणियव्वं जहा पन्नवणाए ॥ ७३७ ॥ जीवा णं भंते ! कि सेया णिरेया ? गोयमा ! जीवा सेयावि निरेयावि, से केणटेणं भंते ! एवं चुच्चइ जीवा सेयावि निरेयावि ? गोयमा! जीवा दुविहा प०, तंजहासंसारसमावन्नगा य असंसारसमावनगा य, तत्थ णं जे ते असंसारसमावनगा ते णं सिद्धा, सिद्धा णं दुविहा प०. तंजहा-अणंतरसिद्धा य परंपरसिद्धा य, तत्थ ण जे ते परंपरसिद्धा ते णं निरेया. तत्थ णं जे ते अणंतरसिद्धा तेण सेया. तेणं भंते । किं देसेया सव्वेया? गोयमा! णो देसेया सव्वेया, तत्य णं जे ते संसारसमावन्नगा ते दविहा प०. तंजहा-सेलेसिपडिवनगा य असेलेसिपडिवनगा य, तत्थ णं जे ते सेलेसीपडिवन्नगा ते णं निरेया, तत्थ णं जे ते असेलेसीपडिवनगा ते णं सेया, ते णं भंते ! कि देसेया सव्वेया? गोयमा! देसेयावि सम्वेयावि, से तेणढेणं जाव निरेयावि । नेरइया णं भंते ! किं देसेया सव्वेया ? गोयमा ! देसे Page #916 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૬૪ सुत्तागमे [ भगवई यावि सव्वेयावि, से केणद्वेगं जाव सव्वेयावि ? गोयमा ! नेरड्या दुविहा प०, तं०-विग्गहगइसमावन्नगा य अविग्गहगड समावन्नगा य, तत्य णं जे ते विग्गहगइसमावन्नगा ते णं सव्वैया, तत्य णं जे ते अविग्गहगइसमावन्नगा ते णं देया, सेट्टे जाव सव्वेयावि, एवं जाव वेमाणिया ॥ ७३८ ॥ परमाणुपोग्गला गं भंते! कि संखेज्जा असंखेजा अनंता ? गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अनंता, एवं जाव अणतपएसिया खंधा । एगपएसोगाडा णं भंते! मोग्गला कि संखेजा असंखेजा अगंता ? एवं चेव, एवं जाव असंखेजपएसोगाढा । एग्समयट्ठिया ं भंते ! पोग्गला किं संखेज्जा ० ? एवं चेव, एवं जाव असंखेजसमयद्विईया । एगगुगकालगा णं भंते ! पोग्गला किं संखेजा० ? एवं चेव, एवं जाव अनंतगुणकालना, एवं अवसेसावि वण्णगंधरसफासा णेयव्वा जाव अनंतगुणलुक्खत्ति । एएति णं भंते! परमाणुपोग्गलाणं दुपएसियाण य संधाणं दव्वव्याए कयरे २ हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! दुपएतिएहिंतो संधेहितो परमाणुपोग्गला दव्वट्टयाए वहुया, एएसि णं भंते ! दुपए सियाणं तिपए सियाण य खंधाणं दव्वन्याए कयरेर हिंतो बहुया ? गोयमा ! तिपएसिएहितो खंधेहिंतो दुपएसिया संधा दव्वट्टयाएं बहुया, एवं एएणं गमएणं जाव दसपए सिएहितो संवेहितो नवपएसिया संधा दव्वट्टयाए बहुया । एएसि णं भंते ! दसपएति० पुच्छा, गोयमा ! दसपएतिएहितो संधेहितो संखेजपएसिया खंधा दव्वट्टयाए बहुया, एएनि गं भंते! संग्वेज • पुच्छा, गोयमा । संखेज• पएतिएहितो खंधेहितो असंखेजपएत्तिया संथा दव्वट्टयाए बहुया, एएति णं भंते! असंखेजपएसि० पुच्छा, गोयमा ! अ ( संखेज) गंतपएसिएहिंतो संवेहितो अ (णंत) संखेज्जपएतिया खंधा दव्वट्टयाए बहुया, एएसि णं संते ! परमाणुपोग्गलाणं दुपएसियाण य संधाणं पएसटुयाए कयरे२हितो बहुया ? गोयमा ! परमाणुपोग्गलेहिंतो दुपएसिया संवा पएस या ए वहुया, एवं एएणं गमएणं जाव नत्रपएतिएहिंतो संवेहिंतो दसपएसिया खंधा पएसट्टयाए बहुया, एवं सव्वत्य पुच्छियव्वं, दसपएतिएहिंतो खंधेहितो संखेजपएसिया खंवा पएसझ्याए बहुया संखेजपएसिए हितो खंधेहितो असंखेजपएसिया खंधा पएसट्टयाए वहुया, एएसि णं भंते । असंखेजपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणतपएतिएहितो संवेहितो असंखेज्जपएसिया खंदा पएसइयाए बहुया ॥ एएति णं भंते ! एगपएसो गाढाणं दुपएसोगाडाण य पोग्गलाणं दव्वट्ट्याए कयरे२हितो जाव विसेसाहिया वा ? गोयना ! दुपएसोगाडेहिंतो पोग्गलेहिंतो एगपएसोगाडा पोग्गला दव्वट्टयाए बिसेसाहिया, एवं एएणं गमएणं तिपएसोगाढेहितो पोग्गलेहिंतो दुपएसोगाडा पोरगंला दव्वछ्याए विसेसाहिया जाव दसपए ० Page #917 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० २५ उ०४] सुत्तागमे ८६५ सोगाढेहितो पोग्गलेहिंतो नवपएसोगाढा पोग्गला दवट्टयाए विसेसाहिया, एएसि गंभंते ! दसपए.पुच्छा, गोयमा! दसपएसोगादेहितो पोग्गलेहितो संखेजपएसोगाढा पोग्गला दव्वट्ठयाए बहुया, संखेजपएसोगाढेहिंतो पोग्गलहितो असंखेजपएसोगाढा पोग्गला दव्वठ्याए बहुया, पुच्छा सव्वत्थ भाणियन्वा । एएसि णं भंते ! एगपएसोगाढाणं दुपएसोगाठाण य पोग्गलाणं पएसट्टयाए कयरेशहितोजाव विसेसाहिया वा? गोयमा । एगपएसोगाढेहितो पोग्गलेहिंतो दुपएसोगाढा पोग्गला पएसठ्ठयाए विसेसाहिया, एवं जाव नवपएसोगादेहितो पोग्गलेहितो दसपएसोगाढा पोग्गला पएसट्टयाए विसेसाहिया, दसपएसोगाढेहिंतो पोग्गलेहितो संखेजपएसोगाढा पोग्गला पएसयाए चहुया, संखेजपएसोगाढेहिंतो पोग्गलेहितो असंखेजपएसोगाढा पोग्गला पएसट्ठयाए बहुया । एएसि णं भंते ! एगसमयट्टिईयाणं दुसमयढिईयाण य पोग्गलाणं दवट्ठचाए जहा ओगाहणाए वत्तव्वया एवं ठिईएवि । एएसि णं भंते ! एगगुणकालयाणं दुगुणकालयाण य पोग्गलाणं दवट्ठयाए एएसि णं जहा परमाणुपोग्गलाईणं तहेव चत्तव्वया निरवसेसा, एवं सव्वेसिं वन्नगंधरसाणं, एएसि णं भंते ! एगगुणकक्खडाणं दुगुणकक्खडाण य पोग्गलाणं दव्वट्ठयाए कयरे २ हितो जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! एगगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहितो दुगुणकक्खडा पोग्गला दवट्ठयाए विसेसाहिया, एवं जाव नवगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहिंतो दसगुणकक्खडा पोग्गला दवट्ठयाए विसेसाहिया, दसगुणकक्खडेहिंतो पोग्गलेहितो संखेजगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए वहुया, संखेज्जगुणकक्खडेहिंतो पोग्गलहितो असंखेजगुणक. क्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए बहुया, असंखेनगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहितो अणंतगुणकक्खडा पोग्गला व्वयाए वहुया, एवं पएसट्टयाए सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा, जहा कक्खडा एवं मउयगुरुयलहुयावि, सीयउसिणनिद्धलुक्खा जहा चन्ना ॥ ७३९ ॥ एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं सखेजपएसियाणं असंखेजपएसियाणं अणंतपएसियाण य खंधाणं दव्वठ्ठयाए पएसठ्ठयाए दव्वट्ठपएसट्टयाए कयरे २ जाव विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा दव्वट्टयाए, परमाणुपोग्गला दव्वट्ठयाए अणंतगुणा, संखेज्जपएसिया खंधा दव्वट्ठयाए सखेज्जगुणा, असंखेजपएसिया खंधा दव्वट्ठयाए असखेजगुणा, पएसट्टयाए-सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा पएसट्टयाए, परमाणुपोग्गला अपएसट्टयाए अणंतगुणा, संखेजपएसिया खंधा पएसठ्ठयाए सखेजगुणा, असंखेजपएसिया खंधा पएसट्टयाए असंखेनगुणा, दचट्ठपएसट्टयाए-सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा दवठयाए ते चेव पएसट्टयाए अणंतगुणा, परमाणुपोग्गला दवट्टयाए अपएसट्टयाए ५५ सुत्ता. Page #918 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागने ४२९ [भगवई अणंतगुणा, संखेजपएसिया खंधा दव्वळ्याए संखेनगुणा ते चेव पएसट्टयाए संखेनगुणा, असंखेजपएसिया खंधा दव्वळ्याए असंखेजगुणा ते चेव पएसट्ठयाए असंखेजगुणा । एएसि णं भंते! एगपएसोगाढाणं संखेजपएसोगाढाणं असंखेजपएसोगाढाण य पोग्गलाणं दव्वट्ठयाए पएसयाए दवट्ठपएसट्टयाए कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा एगपएसोगाटा पोग्गला दव्वळुयाए, संखेजपएसोगाढा पोग्गला दवट्ठयाए संखेजगुणा, असंखेजपएसोगाढा पोग्गला दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा, पएसट्टयाए-सव्वत्थोवा एगपएसोगाढा पोग्गला(अ)पएसट्टयाए, संखेजपएसोगाढा पोग्गला पएसट्टयाए(अ)संखेनगुणा,असंखेजपएसोगाटा पोग्गला पएसठ्ठयाए असंखेजगुणा, दवट्ठपएसट्टयाए-सव्वत्योवा एगपएसोगाढा पोग्गला दवट्ठपएसठ्ठयाए, संखेजपएसोगाढा पोग्गला दव्वठ्याए संखेजगुणा ते चेव पएसठ्ठयाए संखेज्जगुणा, असंखेजपएसोगाढा पोग्गला दवट्टयाए असंखेजगुणा ते चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणा । एएसि णं भंते ! एगसमयट्टिईयाण संखेजसमयट्टिईयाणं असंखेज्जसमयट्टिईयाण य पोग्गलाणं जहा ओगाहणाए तहा ठिईएवि भाणियव्वं अप्पाबहुगं । एएसि णं भंते ! एगगुणकालगाणं संखेजगुणकालगाणं असंखेजगुणकालगाणं अणंतगुणकालगाण य पोग्गलाणं दव्वळ्याए पए सट्टयाए दव्वट्ठपएंसठ्ठयाए एएति णं जहा परमाणुपोग्गलाणं अप्पावहुगं तहा एएसिपि अप्पावहुगं, एवं सेसाणवि वन्नगंधरसाणं । एएति णं भंते ! एगगुणकक्खडाणं संखेजगुणकक्खडाणं असंखेजगुणकक्खडाणं अणंतगुणकक्खडाण य पोग्गलाणं दव्वट्ठयाए पएसठ्ठयाए दव्वठ्ठपएसट्टयाए कयरे २ जाव विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोग्गला दवट्ठयाए, संखेजगुणकक्खडा पोग्गला दव्वठ्याए संखेजगुणा, असंखेजगुणकक्खडा पोग्गला दव्वठ्याए असंखेजगुणा, अणंतगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए अणंतगुणा, पएसठ्ठयाए एवं चेव नवरं संखेनगुणकक्खडा पोग्गला पएसट्टयाए असंखेजगुणा सेसं तं चेव, व्वठ्ठपएसठ्ठयाए सव्वत्योवा एगगुणकक्खडा पोग्गला वठ्ठपएसठ्याए, संखेजगुणकक्खडा पोग्गला दव्वळ्याए संखेजगुणा ते चेव पएसठ्ठयाए संखेजगुणा, असंखेजगुणकक्खडा पो० दव्वठ्याए असंखेजगुणा ते चेव पएसठ्ठयाए असंखेजगुणा, अणंतगुणकक्खडा पो० दव्वयाए अणंतगुणा ते चेव पएसठ्ठयाए अ(संखेज्ज) गंतगुणा, एवं मउयगुरुय. लहुयाणवि अप्पाबहुगं, सीयउसिणनिद्धलुक्खाणं जहा वन्नाणं तहेव ॥ ७४० ॥ परमाणुपोग्गले णं भंते ! व्वयाए कि कडजुम्मे तेओए दावरजुम्मे कलिओए! गोयमा ! नो कडजुम्मे नो तेओए नो दावरजुम्मे कलिओए, एवं जाव अणंतपएसिए Page #919 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६७ वि० प० स० २५ उ० ४] सुत्तागमे खंथे । परमाणुपोग्गला गं भंते ! दवट्ठयाए कि कडजुम्मा० पुच्छा, गोयमा! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा नो तेओगा नो दावरजुम्मा कलिओगा, एवं जाव अणंतपएसिया खंधा। परमाणुपोग्गले णं भंते ! पएसट्टयाए कि कडजुम्मे० पुच्छा, गोयमा! नो कडजुम्मे नो तेओए नो दावरजुम्मे कलिओए, दुपएसिए पुच्छा, गोयमा! नो कडजुम्मे नो तेओए दावरजुम्मे नो कलिओए, तिपएसिए पुच्छा, गोयमा ! नो कडजुम्मे तेओए नो दावरजुम्मे नो कलिओए, चउप्पएसिए पुच्छा, गोयमा ! कडजुम्मे नो तेओए नो दावरजुम्मे नो कलिओए, पंचपएसिए जहा परमाणुपोग्गले, छप्पएसिए जहा दुपएसिए, सत्तपएसिए जहा तिपएसिए, अट्ठपएसिए जहा चउप्पएसिए, नवपएसिए जहा परमाणुपोग्गले, दसपएसिए जहा दुपएसिए, संखेजपएसिए णं भंते ! पोग्गले पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलिओगे, एवं असंखेजपएसिएवि, एवं अणंतपएसिएवि । परमाणुपोग्गला णं भंते ! पएसट्टयाए कि कडजुम्मा० पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा नो तेओगा नो दावरजुम्मा कलिओगा, दुपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा नो तेओगा सिय दावरजुम्मा नो कलिओगा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा नो तेओगा दावरजुम्मा नो कलिओगा, तिपएसियाणं पुच्छा, गोयमा! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा तेओगा नो दावरजुम्मा नो कलिओगा, चउप्पएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणवि विहाणादेसेणवि कडजुम्मा नो तेओगा नो दावरजुम्मा नो कलिओगा, पंचपएसिया जहा परमाणुपोग्गला, छप्पएसिया जहा दुपएसिया, सत्तपएसिया जहा तिपएसिया, अट्टपएसिया जहा चउप्पएसिया, नवपएसिया जहा परमाणुपोग्गला, दसपएसिया जहा दुपएसिया, संखेजपएसियाणं पुच्छा, गोयमा! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, विहाणादेसेणं कडजुम्मावि जाव कलिओगावि, एवं असंखेजपएसियावि अणंतपएसियावि ॥ परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं कडजुम्मपएसोगाढे० पुच्छा, गोयमा ! (णो)कडजुम्मपएसोगाढे नो तेओग० नो दावरजुम्म० कलिओगपएसोगाढे । दुपएसिए णं पुच्छा, गोयमा ! नो कडजुम्मपएसोगाढे णो तेओग० सिय दावरजुम्मपएसोगाढे सिय कलिओगपएसोगाढे । तिपएसिए णं पुच्छा, गोयमा ! णो कडजुम्मपएसोगाढे सिय तेओगपएसोगाढे सिय दावरजुम्मपएसोगाढे सिय कलिओगपएसोगाढे ३ । चउप्पएसिए णं पुच्छा, गोयमा । सिय कडजुम्मपएसोगाढे जाव सिय कलिओगपएसोगाढे ४, एवं जाव Page #920 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई अगंतपएसिए ॥ परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि कडजुम्मपएसोगाटा० पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा णो तेओग० नो दावर० नो कलिओग०, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपएसोगाढा णो तेओग० नो दावर० कलिओगपएसोगाढा । दुपएसियाण पुच्छा, गोयमा ! भोघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा नो तेओग० नो दावर० नो कलिओगपएसोगाढा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपएसोगाढा नो तेओगपएसोगाढा दावरजुम्मपएसोगाढात्रि कलिओगपएसोगाढावि । तिपएसियागं पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाटा नो तेओग० नो दावर० नो कलिओगपएसोगाढा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपएसोगाढा तेओगपएसोगाढावि दावरजुम्मपएसोगाढावि कलिओगपएसोगाढावि ३। चउम्पएसियाणं पुच्छा, गोयमा! ओघादेसेगं कडजुम्मपएसोगाढा नो तेओग० नो दावर० नो कलिओगपएसोगाढा, विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढावि जाव कलिओगपए सोगाढावि, एवं जाव अगंतपएसिया ॥ परमाणुपोग्गले गं भंते ! कि कडजुम्मसमयट्टिईए० पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयट्टिईए जाव सिय कलिओगसमयढ़िईए, एवं जाव अणंतपएसिए। परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि कडजुम्म• समयठिईया० पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयट्टिईया जाव सिय कलिओगसमयट्टिईया ४, विहाणादेसे गं कडजुम्मसमयट्टिईयावि जाव कलिओग• समयट्टिईयावि ४, एवं जाव अगंतपएसिया। परमाणुपोग्गले णं भंते ! कालवन्नपनवेहिं किं कडजुम्मे तेओगे. जहा ठिईए वत्तव्वया एवं वन्नेवि सव्वेसु गधेसुवि एवं चेव रसेसुवि जाव महुरो रसोत्ति, अणंतपएसिए णं भंते ! खंधे कक्खडफासपज्जवेहिं कि कडजुम्मे० पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलिओगे। अगंतयएसिया णं भंते ! खंवा कक्खडकासपज्जवेहिं कि कडजुम्मा० पुच्छा,गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा ४, विहाणादेसेणं कडजुम्मावि जाव कलिओगावि ४, एवं मउयगुरुयलहुयावि भाणियव्वा, सीयउसिणनिद्धलुक्खा जहा वन्ना ॥ ७४१ ॥ परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि स(अ)ड्ढे अगड्ढे ? गोयमा ! नो सड्ढे अगड्ढे। दुपएसिए णं पुच्छा, गोयमा ! सड्ढे नो अणड्डे, तिपएसिए जहा परमाणुगोग्गले, च उप्पएसिए जहा दुपएसिए, पंचपएसिए जहा तिपएसिए, छप्पएसिए जहा दुपएसिए, सत्तपएसिए जहा तिपएसिए, अट्ठपएसिए जहा दुपएसिए, नवपएसिए जहा तिपएसिए, दसपएसिए जहा दुपएसिए, संखेज्जपएसिए ण भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! सिय सड्ढे सिय अगड्ढे, एवं असंखेजपएसिएवि, एवं अगंतपएसिएवि । परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि सड्डा अगड्ढा ? Page #921 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६९ वि०प० स० २५ उ० ४] सुत्तागमे गोयमा! सट्टा वा अणड्डा वा, एवं जाव अणंतपएसिया ॥ ७४२ ॥ परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि सेए निरेए ? गोयमा ! सिय सेए सिय निरेए, एवं जाव अगंतपएसिए । परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि सेया निरेया ? गोयमा! सेयावि निरेयावि, एवं जाव अणंतपएसिया ॥ परमाणुपोग्गले णं भंते ! सेए कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं एवं समयं उक्कोसेणं आवलियाए असंखेजइभार्ग, परमाणुपोग्गले णं भंते ! निरेए कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा! जहण्णेणं एकं समयं उक्कोसेणं असंखेनं कालं, एवं जाव अणंतपएसिए, परमाणुपोग्गला गं भंते ! सेया कालओ केवच्चिरं हो(इ)न्ति ? गोयमा! सव्वद्धं, परमाणुपोग्गलाणं भंते ! निरेया कालओ केवच्चिरं होन्ति ? गोयमा ! सव्वद्धं, एवं जाव अणंतपएसिया ॥ परमाणुपोग्गलस्स णं भंते ! सेयस्स केवइयं कालं अंतरं होइ ? गोयमा ! सहाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक समयं उकोसेणं असंखेनं कालं, परहाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक समयं उनोसेणं असंखेनं कालं । निरेयस्स केवइयं कालं अंतर होइ ? गोयमा ! सहाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एवं समयं उक्कोसेणं आवलियाए असंखेजइभागं, परहाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक समयं उनोसेणं असंखे(जइ)ज कालं । दुपएसियस्स णं भंते। खंधस्स सेयस्स पुच्छा, गोयमा ! सट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक समयं उक्नोसेणं असंखेनं कालं, परहाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एकं समयं उनोसेणं अणंतं कालं। निरेयस्स केवइयं कालं अंतरं होइ ? गोयमा ! सट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नणं एवं समयं उकोसेणं आवलियाए असंखेनइभागं, परहाणंतरं पडच्च जहन्नेणं एवं समयं उक्नोसेणं अणंतं कालं, एवं जाव अणंतपएसियस्स । परमाणुपोग्गलाणं भंते ! सेयाणं केवइयं कालं अंतरं होइ ? गोयमा! नत्थि अंतरं, निरेयाणं केवइयं कालं अंतरं होइ ? गोयमा ! नत्थ अंतरं, एवं जाव अणंतपएसियाणं खंधाणं ॥ एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं सेयाणं निरेयाण य कयरे २ हितो जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा परमाणुपोग्गला सेया, निरेया असंखेजगुणा एवं जाव असंखेजपएसियाणं खंधाणं । एएसि णं भंते ! अणंतपएसियाणं खंधाणं सेयाणं निरेयाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा निरेया, सेया अणंतगुणा ॥ एएसि गं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं संखेजपएसियाणं असंखेजपएसियाणं अणंतपएसियाण य खंधाणं सेयाणं निरेयाण य दव्वट्ठयाए पएसट्टयाए दवट्ठपएसठ्ठयाए कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा निरेया दवट्ठयाए १, अणंतपएसिया खंधा सेया दवट्ठयाए अणंतगुणा २, परमाणुपोग्गला सेया दव्व Page #922 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जुत्तागमे [भगवई ठ्याए अणंतगुणा ३, संखेजपएसिया खंधा सेया दव्वयाए असंखेजगुणा ४, असंखेजपएसिया खंधा सेया दन्वयाए असंखेज्जगुणा ५, परमाणुपोग्गला निरेया दवट्ठयाए असंखेजगुणा ६, संखेज्जपएसिया खंधा निरेया दवट्ठयाए संखेजगुणा ७, असंखेजपएसिया खंधा निरेया व्वट्ठयाए असंखेजगुणा ८, पएसट्टयाए एवं चेव नवरं परमाणुपोग्गला अपएसठ्ठयाए भाणियव्वा, संखेजपएसिया खंधा निरेया पएसठ्ठयाए असंखेज्जगुणा सेसं तं चेव, दवट्ठपएसठ्याए-सव्वत्योवा अणंतपएसिया खंधा निरेया दव्वट्ठयाए १, ते चेव पएसट्टयाए अगंतगुणा २, अणंतपएसिया खंधा सेया दव्वट्ठयाए अणंतगुणा ३, ते चेव पएसट्टयाए अणंतगुणा ४, परमाणुपोग्गला सेया दव्वट्ठयाए अपएसट्टयाए अणंतगुणा ५, संखेजपएसिया खंधा सेया दचट्ठयाए असंखेनगुणा ६, ते चेव पएसठ्ठयाए (अ)संखेनगुणा ७, असंखेजपएसिया खंधा सेया दवट्ठयाए असंखेजगुणा ८, ते चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणा ९, परमाणुपोग्गला निरेया दवट्ठयाए अपएसठ्ठयाए असंखेजगुणा १०, संखेजपएसिया खंधा निरेया दवट्ठयाए असंखेनगुणा ११, ते चेव पएसठ्ठयाए (अ)संखेजगुणा १२, असंखेजपएसिया खंधा निरेया दवट्ठयाए असंखेनगुणा १३, ते चेव पएसट्ठयाए असंखेजगुणा १४ । परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं देसेए सव्वेए निरेए ? गोयमा! नो देसेए सिय सव्वेए सिय निरेए, दुपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! सिय देसेए सिय सव्वेए सिय निरेए, एवं जाव अणंतपएसिए । परमाणुपोग्गला गं मंते ! कि देसेया सव्वेया निरेया ? गोयमा! नो देसेया सव्वेयावि निरेयावि, दुपएसिया णं भंते ! खंधा पुच्छा, गोयमा! देसेयावि सव्वेयावि निरेयावि, एवं जाव अणंतपएसिया। परमाणुपोग्गले णं भंते ! सन्वेए कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहन्नेणं एक समयं उनोसेणं आवलियाए असंखेजइभागं, निरेए कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहन्नेणं एवं समयं उनोसेणं असंखेनं कालं । दुपएसिए णं भंते ! खंवे देसेए कालओ केव(चि)चिरं होइ ? गोयमा! जहन्नेणं एवं समयं उकोसेणं आवलियाए असंखेजइभाग, सव्वेए कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा! जहन्नेणं एकं समयं उकोसेणं आवलियाए असंखेजइभागं, निरेए कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहन्नेणं एकं समयं उनोसेणं असंखेनं कालं, एवं जाव अगंतपएसिए । परमाणुपोग्गला गंभंते ! सव्वेया कालओ केवचिरं होति ? गोयमा सव्वद्धं, निरेया कालओ केवचिरं हो(न्ति)इ ? गोयमा ! सव्वद्धं । दुपएसिया णं भंते ! खंधा देसेया कालओ केवच्चिर होति ? गोयमा ! सन्वद्ध, सव्वेया कालओ केवच्चिरं होति ? सव्वद्ध, निरेया कालओ केवचिरं होंति ? सव्बद्धं, एवं जाव अणंतपएसिया । परमाणुपोग्ग Page #923 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २५ उ० ४] सुत्तागमे लस्स णं भंते ! सव्वेयस्स केवइयं कालं अंतर होइ ? गोयमा ! सट्ठाणंतरं पडच्च जहमेणं एवं समयं उक्कोसेणं असंखेनं कालं, परहाणंतरं पडच्च जहन्नेणं एक समय उक्कोसेणं असंखेज कालं । निरेयस्स केवइयं कालं अंतर होइ ? सट्टाणंतरं पडुच्च जहाणेणं एक समयं उकोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं, परहाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एवं समयं उकोसेणं असंखेजं कालं । दुपएसियस्स गं भंते ! खंधस्स देसेयस्स केवइयं कालं अंतरं होइ ? गोयमा ! सट्टाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एकं समयं उक्कोसेणं असंखेनं कालं, परठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एवं समयं उक्कोसेणं अणंतं कालं, सव्वेयस्स केवइयं कालं? एवं चेव जहा देसेयस्स, निरेयस्स केवइयं कालं० ? सट्टाणंतरं पडच्च जहन्नेणं एक समयं उकोसेणं आवलियाए असंखेजइभागं, परट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एवं समयं उनोसेणं अणंतं कालं, एवं जाव अणंतपएसियस्स ॥ परमाणुपोग्गलाणं भंते ! सव्वेयाणं केवइयं कालं अंतरं होइ ? गोयमा ! नत्थि अंतरं, निरेयाणं केवइयं०? नत्थि अंतरं, दुपएसियाणं भंते ! खंधाणं देसेयाणं केवइयं कालं.? नत्थि अंतरं, सव्वेयाणं केवइयं कालं० ? नत्थि अतरं, निरेयाणं केवइयं कालं० ? नत्थि अंतरं, एवं जाव अणंतपएसियाणं । एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं सव्वेयाणं निरेयाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा परमाणुपोग्गला सव्वेया, निरेया असंखेजगुणा । एएसि णं भंते ! दुपएसियाणं खंधाणं देसेयाणं सव्वेयाणं निरेयाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा दुपएसिया खंधा सम्वेया, देसेया असंखेजगुणा, निरेया असंखेजगुणा, एवं जाव असंखेजपएसियागं खंधाणं । एएसि णं भंते ! अणंतपएसियाणं खंधाणं देसेयाणं सव्वे. याणं निरेयाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा सव्वेया, निरेया अगंतगुणा, देसेया अणंतगुणा । एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं संखेजपएसियाणं असंखेजपएसियाणं अणंतपएसियाण य खंधाणं देसेयाणं सव्वेयाणं निरेयाणं दव्वठ्ठयाए पएसठ्ठयाए दवट्ठपएसट्टयाए कयरे २ जाव विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा सव्वेया दव्वट्ठयाए १, अणंतपएसिया खंधा निरेया दव्वठ्ठयाए अणंतगुणा २, अणंतपएसिया खंधा देसेया दव्वट्ठयाए अणंतगुणा ३,असंखेजपएसिया खंधा सव्वेया दव्वट्ठयाए अ(णंत)संखेनगुणा ४, संखेजपएसिया खंधा सव्वेया दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा ५, परमाणुपोग्गला सव्वेया दव्वट्ठयाए असंखेनगुणा ६, संखेजपएसिया खंधा देसेया दव्वयाए असंखेनगुणा ७, असंखेजपएसिया खंधा देसेया दवट्ठयाए असंखेजगुणा ८, परमाणुपोग्गला निरेया दवट्टयाए असंखेनगुणा ९, संखेजपएसिया खंधा निरेया दव्व Page #924 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७२ सुत्तागमे -[भगवई ठ्याए संखेजगुणा १०, असंखेजपएसिया खंधा निरेया दव्वठ्ठयाए असंखेजगुणा ११, पएसठ्ठयाए-सव्वत्योवा अणंतपएसिया खंधा पएसट्टयाए एवं पएसट्टयाएवि नवरं परमाणुपोग्गला अपएसट्टयाए भाणियव्वा, संखेजपएसिया खंधा निरेया पएसट्टयाए असंखेजगुणा सेसं तं चेव, दवट्ठपएसयाए सव्वत्योवा अणंतपएसिया खंधा सव्वेया दवट्ठयाए १, ते चेव पएसठ्याए अणंतगुणा २, अणंतपएसिया खंधा निरेया व्वयाए अणंतगुणा ३, ते चेव पएसट्टयाए अणतगुणा ४, अणंत. पएसिया खंधा देसेया दव्वळुयाए अणंतगुणा ५, ते चेव पएसट्टयाए अणंतगुणा । ६, असंखेजपएसिया खंधा सव्वेया दवठ्याए अणंतगुणा ५, ते चेव पएसट्टयाए असंखेनगुणा ८, संखेजपएसिया खंधा सव्वेया दव्वळ्याए असंखेनगुणा ९, ते चेव पएसठ्ठयाए (अ)संखेनगुणा १०, परमाणुपोग्गला सव्वेया दवट्ठअपएसठ्ठगए असंखेजगुणा ११, संखेजपएसिया खंधा देसेया दव्वट्ठयाए असंखेनगुणा १२, ते चेव पएसट्टयाए (अ)संखेनगुणा १३, असंखेजपएसिया खंधा देसेया दब्बठ्ठगए असंखेजगुणा १४, ते चेव पएसठ्ठयाए असंखेनगुणा १५, परमाणुपोग्गला निरेया दव्वठ्ठअपएसट्टयाए असंखेजगुणा १६, संतेजपएसिया खंधा निरेया दवठ्ठयाए संखेजगुणा १७, ते चेव पएसठ्ठयाए संखेजगुणा १८, असंखेजपएतिया निरेया दव्वठ्ठयाए असंखेनगुणा १९, ते चेव पएसठ्ठयाए असंखेजगुणा २० ॥ ७४३ ॥ कइ णं भंते ! धम्मत्यिकायस्स मज्झपएसा प०? गोयमा ! अट्ट धम्मत्यिकायस्स मज्झपएसा प० । कइ णं भंते ! अहम्मत्यिकायस्स मज्झपएसा प० ? गोयमा! एवं चेव, कइ णं भंते ! आगासत्थिकायस्त मज्झपएसा प० ? एवं चेव । कइ णं भंत! जीवत्यिकायस्त मज्झपएसा प०? गोयमा ! अट्ठ जीवत्यिकायस्स मज्झपएसा प०, एए णं भंते ! अठ्ठ जीवत्थिकायस्स मज्झपएसा कइनु आगासपएसेतु ओगाहंति ? गोयमा ! जहन्नेणं एकसि वा दोहिं वा तिहिं वा चउहि वा पंचहि वा छर्हि वा उकोसेणं अट्ठसु, नो चेव णं सत्ततु । सेवं भंते ! २ ति ॥ ७४४ ॥ पणवीसइमस्स सयस्स चउत्थो उद्देसो समत्तो॥ ___ कइविहा णं भंते ! पज्जवा पन्नत्ता ? गोयमा! दुविहा पजवा प०, तं०-जीवपजवा य अजीवपजवा य, पज्जवपयं निरवसेसं भाणियव्वं जहा पन्नवणाए ॥ ७४५॥ आवलियाणं भंते ! कि संखेजा समया असंखेजा समया अणंता समया? गोयमा ! नो संखेजा समया असंखेजा समया नो अणंता समया, आणापाणूणं भंते ! कि संखेना.? एवं चेव, थोवे गं भंते ! कि संखेना.? एवं चेत्र, एवं लवेवि मुहुत्तेवि, एवं अहोरत्तेवि, एवं पक्खे मासे उ(ऊ) अयणे संवच्छरे जुगे वाससए Page #925 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० २५ उ०५] सुत्तागमे ८७३ वाससहस्से वाससयसहस्से पुव्वंगे पुव्वे तुडियंगे तुडिए अडडंगे अडडे अववंगे अववे हुहुअंगे हुहुए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे नलिगंगे नलिणे अच्छिणि(उ). पूरंगे अच्छिणि (उ)पूरे अउयंगे अउए नउयंगे नउए पउयंगे पउए चूलियंगे चूलि(या)ए सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया पलिओवमे सागरोवमे ओसप्पिणी एवं उस्सप्पिणीवि, पोग्गलपरियट्टे णं भंते ! किं संखेजा समया असंखेजा समया अणंता समया? गोयमा! नो संखेज्जा समया नो असंखेजा समया अणंता समया, एवं तीयद्धा अणागयद्धा सव्वद्धा ॥ आवलियाओ णं भंते ! कि संखेजा समया० पुच्छा, गोयमा! नो संखेजा समया सिय असंखेजा समया सिय अणंता समया, आणापापूर्ण भंते । कि संखेजा समया० पुच्छा, एवं चेव, थोवाणं भंते ! किं संखेज्जा समया ३ ? एवं चेव एवं जाव उस्सप्पिणीओत्ति, पोग्गलपरियट्टाणं भंते ! किं संखेजा समया० पुच्छा, गोयमा । णो सखेजा समया णो असंखेज्जा समया अणंता समया, आणापाणूणं भंते ! कि संखेजाओ आवलियाओ० पुच्छा, गोयमा ! संखेजाओ आवलियाओ णो असंखेजाओ आवलियाओ नो अणंताओ आवलियाओ, एवं थोवेवि, एवं जाव सीसप्पहेलियत्ति। पलिओवमे णं भंते ! कि संखेजा० पुच्छा, गोयमा ! णो संखेजाओ आवलियाओ असंखेज्जाओ आवलियाओ नो अणंताओ आवलियाओ, एवं सागरोवमेवि, एवं ओसप्पिणीवि उस्सप्पिणीवि, पोग्गलपरियट्टे पुच्छा, गोयमा! नो सखेजाओ आवलियाओ णो असंखेजाओं आवलियाओ अणंताओ आवलियाओ, एवं जाव सव्वद्धा। आणापाणूणं भंते ! किं संखेजाओ आवलियाओ० पुच्छा, गोयमा ! सिय सखेजाओ आवलियाओं सिय असंखेजाओ सिय अणंताओ, एवं जाव सीसप्पहेलियाओ, पलिओवमाणं पुच्छा, गोयमा । णो संखेज्जाओ आवलियाओ सिय असंखेजाओ आवलियाओ सिय अणंताओ आवलियाओ, एवं जाव उस्सप्पिणीओत्ति, पोग्गलपरियट्टाणं पुच्छा, गोयमा । णो संखेजाओ आवलियाओ णो असंखेजाओ आवलियाओ अणंताओ आवलियाओ। थोवे णं भंते ! किं सखेजाओ आणापाणूओ असंखेज्जाओ जहा आवलियाए वत्तव्वया एवं आणापाणूओवि निरवसेसा, एवं एएणं गमएणं जाव सीसप्पहे. लिया भाणियव्वा । सागरोवमे णं भंते ! कि संखेजा पलिओवमा० पुच्छा, गोयमा ! संखेजा पलिओवमा णो असंखेजा पलिओवमा णो अणंता पलिओवमा, एवं ओसप्पिणीएवि उस्सप्पिणीएवि, पोग्गलपरियट्टे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! णो संखेज्जा पलिओवमा णो असंखेज्जा पलिओवमा अणंता पलिओवमा, एवं जाव सव्वद्धा । सागरोवमाणं भंते ! किं संखेज्जा पलिओवमा० पुच्छा, गोयमा ! सिय संखेजा Page #926 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७४ सुत्तागमे [ भगवई पलिओवमा सिय असंखेजा पलिओवमा तिय अणंता पलिओवमा, एवं जाव ओसप्पिणी(ओ)वि उस्सप्पिणीवि । पोग्गलपरियहाणं पुच्छा, गोयमा ! णो संखेजा पलिओवमा णो असंखेज्जा पलिओवमा अणंता पलिओवमा । ओसप्पिणी णं भंते! किं संखेज्जा सागरोवमा जहा पलिओवमस्स वत्तव्वया तहा सागरोवमस्सवि, पोग्गलपरियट्टे णं भंते ! कि संखेज्जाओओसप्पिणीओ० पुच्छा, गोयमा ! णो संखेजाओ ओसप्पिणीओ णो असंखेजाओ अणंताओ ओसप्पिणीओ, पोग्गलपरियाणं भंते ! कि संखेजाओ ओसप्पिणीओ० पुच्छा, गोयमा । नो संखेजाओ नो असंखे. जाओ अणंताओ, पोग्गलपरियट्टे णंभंते ! कि संखेज्जाओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ० पुच्छा, गोयमा ! णो संखेज्जाओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ णो असंखेज्जाओ अणंताओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ, एवं जाव सव्वद्धा, पोग्गलपरियहाणं भंते ! किं संखेज्जाओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ० पुच्छा, गोयमा ! णो संखेज्जाओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ णो असंखेजाओ अणंताओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ । तीतद्धाण भंते ! कि संखेजा पोग्गलपरियट्टा० पुच्छा, गोयमा! नो संखेज्जा पोग्गलपरियट्टा नो असंखेज्जा अगंता पोग्गलपरियट्टा, एवं अणागयद्धावि, एवं सव्वद्धावि ॥७४६॥ अणागयद्धाण भंते ! कि संजाओ तीतद्धाओअसंखेन्जाओ० अणंताओ०? गोयमा! णो संखेजाओ तीतद्धाओ णो असंखेनाओ तीतद्धाओ णो अणंताओ तीतद्धाओं, अणागयद्धा णं तीतद्धाओ समयाहिया, तीतद्धा णं अणागयद्धाओ समयऊणा । सव्वद्धाणं भंते ! कि संखेज्जाओ तीतद्धाओ० पुच्छा, गोयमा ! णो संखेजाओ तीतद्धाओ णो असंखेजाओ तीतद्धाओ णो अणंताओ तीतद्धाओ, सव्वद्धा णं तीतद्धाओ साइरेगढुगुणा तीतद्धा णं सव्वद्धाओ थोबूणए अद्धे, सव्वद्धाणं भन्ते ! कि संखेजाओ अणागयद्धाओ० पुच्छा, गोयमा! णो संखेज्जाओ अणागयद्धाओ णो असंखेजाओ अणागयद्धाओ णो अणंताओ अणागयद्धाओ, सव्वद्धा णं अणागयद्धाओ थोत्रूणगढुगुणा अणागयद्धा णं सव्वद्धाओ साइरेगे अद्धे ॥ ७४७ ॥ कइविहा णं भंते ! णिओदा प० ? गोयमा ! दुविहा णिओदा प०, तं०-णिओ(य)गा य णिओयजीवा य, णिओदा णं भंते ! कइविहा प० ? गोयमा ! दुविहा प०, तंजहा-सुहुमनिओदा य वायरनिओ(दा)गा य, एवं निओदा भाणियव्वा जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं ॥ ७४८ ॥ कइविहे णं मंते ! णामे पन्नत्ते ? गोयना! छबिहे गामे पन्नत्ते, तंजहा-उदइए जाव सन्निवाइए। से कि तं उदइए णामे ? उदइए णामे दुविहे प०, तं०-उद(ड)ए य उदयनिप्फन्ने य, एवं जहा सत्तरसमसए पटमे उद्देसए भावो तहेव इहवि, नवरं इमं नामणाणत्तं, सेसं तहेव जाव सन्निवाइए । सेवं भंते ! २त्ति ॥ ७४९ ॥ पणवीसइमे सए पंचमो उद्देसो समत्तो ।। Page #927 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० म० २५ उ०६] सुत्तागमे ८७५ पन्नवण १ वेय २ रागे ३ कप्प ४ चरित्त ५ पडिसेवणा ६ णाणे ७ । तित्थे - लिंग ९ सरीरे १० खेत्ते ११ काले १२ गइ १३ संजम १४ निगासे १५ ॥ १॥ जोगु १६ वओग १७ कसाए १८ लेसा १९ परिणाम २० बंध २१ वेदे य २२ । कम्मोदीरण २३ उपसंपजहन्न २४ सन्ना य २५ आहारे २६ ॥ २॥ भव २७ आगरिसे २८ कालं २९ तरे य ३० समुग्धाय ३१ स्खेत्त ३२ फुसणा य ३३ । भावे ३४ परि(माणे)णामे ३५ (खलु)विय अप्पाबहुयं ३६ नियंठाणं ३७ ॥३॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-ऋइ णं भंते ! णियंठा पन्नत्ता ? गोयमा ! पंच णियंठा पन्नत्ता, तंजहा-पुलाए वउसे कुसीले णियंठे सिणाए ॥ पुलाए णं भंते ! कइविहे पत्नत्ते ? गोयमा ! पंचविहे प०, तं०-नाणपुलाए दसणपुलाए चरित्तपुलाए लिंगपुलाए अहासुहुमपुलाए णामं पंचमे । बउसे णं भंते । कइविहे ५० ? गोयमा ! पंचविहे प०, तं०-आभोगवउसे अणाभोगवउसे संवुडवउसे असंवुडवउसे अहामुहुमबउसे णामं पंचमे । कुसीले णं भंते ! कइविहे प० ? गोयमा ! दुविहे प०, तं०-पडिसेवणाकुसीले य कसायकुसीले य, पडिसेवणाकुसीले गं भंते । काविहे पन्नत्ते ? गोयमा! पंचविहे प०, तंजहा-नाणपडिसेवणाकुसीले दसणपडिसेवणाकुसीले चरित्तपडिसेवणाकुसीले लिंगपडिसेवणाकुसीले अहासहुमपडिसेवणाकुसीले णामं पंचमें, कसायकुसीले णं भंते ! काविहे पन्नत्ते ? गोयमा ! पंचविहे प०, तं०नाणकसायकुसीले दसणकसायकुसीले चरित्तकसायकुसीले लिंगकसायकुसीले अहासुहुमकसायकुसीले णामं पंचमे । नियंठे णं भंते ! कइविहे प० ? गोयमा ! पंचविहे प०, तंजहा-पढमसमयनियंठे अपढमसमयनियंठे चरिमसमयनियंठे अचरिमसमयनियंठे अहासुहुमनियंठे णामं पंचमे । सिणाए गं भंते ! कइविहे प० ? गोयमा ! पंचविहे प०,तं०-अच्छवी १, असवले २, अकम्मंसे ३, संसुद्धणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली ४, अपरिस्सावी ५।१। पुलाए णं भंते ! कि सवेयए होजा अवेयए । होजा ? गोयमा । सवेयए होज्जा णो अवेयए होज्जा, जइ सवेयए होज्जा कि इत्थिवेयए होज्जा पुरिसवेयए होजा पुरिसनपुंसगवेयए होजा ? गोयमा ! नो इथिवेयए होजा पुरिसवेयए होजा पुरिसनपुंसगवेयए वा होज्जा । वउसे णं भंते ! किं सवेयए होज्जा अवेयए होज्जा ? गोयमा ! सवेयए होजा णो अवेयए होज्जा, जइ सवेयए होज्जा कि इत्थिवेयए होजा पुरिसवेयए होना पुरिसनपुंसगवेयए होज्जा ? गोयमा ! इस्थिवेयए वा होजा पुरिसवेयए वा होजा पुरिसनपुंसगवेयए वा होज्जा, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, कसायकुसीलेणं भंते ! किं सवेयए होजा० पुच्छा, गोयमा ! -सवेयए वा होज्जा अवेयए वा होज्जा, जइ अवेदए होज्जा कि उवसंतत्रेदए होजा Page #928 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ८७६ [भगवई खीणवेदए होजा ? गोयमा! उवसंतवेदए वा होजा खीणवेदए वा होजा, जइ सवेदए होजा किं इथिवेदए होजा० पुच्छा, गोयमा ! तिमुवि जहा बउसे। गियंठे णं भंते ! किं सवेदए. पुच्छा, गोयमा ! णो सवेदए होजा अवेदए होना, जड़ अवेदए होजा कि उवसंत० पुच्छा, गोयमा ! उवसंतवेदए वा होजा खीणवेदए वा होजा । सिणाए णं भंते ! किं सवेयए होजा०? जहा नियंठे तहा सिणाएवि, नवरं णो उवसंतवेयए होजा खीणवेयए होजा २ ॥ ७५० ॥ पुलाए णं भंते ! कि सरागे होजा वीयरागे होजा ? गोयमा ! सरागे होजा णो वीयरागे होजा, एवं जाव कसायकुसीले। णियंठे णं भंते ! किं सरागे होजा० पुच्छा, गोयमा ! णो सरागे होजा वीयरागे होजा, जइ वीयरागे होजा कि उवसंतकसायवीयरागे होजा खीणकसायवीयरागे होज्जा ? गोयमा! उवसंतकसायवीयरागे वा होजा खीणकसायवीयरागे वा होज्जा, सिणाए एवं चेव, नवरंणो उवसंतकसायवीयरागे होजा खीणकसायवीयरागे होजा ३ ॥ ७५१ ॥ पुलाए णं भंते ! कि ठियकप्पे होजा अठ्ठियकप्पे होजा? गोयमा ! ठियकप्पे वा होज्जा अठियकप्पे वा होजा, एवं जाव सिणाए । पुलाए णं भंते ! किं जिणकप्पे होजा थेरकप्पे होजा कप्पातीते होज्जा ? गोयमा ! नो जिणकप्पे होजा थेरकप्पे होजा णो कप्पातीते होज्जा । वउसे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जिणकप्पे वा होजा थेरकप्पे वा होजा नो कप्पातीते होजा, एवं पर्डिसेवणाकुसीलेवि । कसायकुसीले णं पुच्छा, गोयमा ! जिणकप्पे वा होजा बेरकप्पे वा होजा कप्पातीते वा होजा । नियंठ णं पुच्छा, गोयमा ! नो जिणकप्पे होजा नो बेरकप्पे होजा कप्पातीते होजा, एवं सिणाएवि ४ ॥ ७५२ ॥ पुलाए णं भंते ! किं सामाइयसंजमे होजा छेओवट्ठावणियसंजमे होज्जा परिहारविसुद्धिग्रसंजमे होजा नुहमसंपराय- . संजमे होज्जा अहक्खायसंजमे होज्जा ? गोयमा ! सामाझ्यसंजमे वा होजा छेओवट्ठावणियसंजमे वा होजा णो परिहारविसुद्धियसंजमे होजा णो मुहुमसंपरायसंजमे होजा णो अहक्खायसंजमे होजा, एवं वउसेवि, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, कसायकुसीले णं पुच्छा, गोयमा ! सामाझ्यसंजमे वा होजा जाव सुहमसंपराय. संजमे वा होज्जा णो अहक्खायसंजमे होजा । नियंठे णं पुच्छा, गोयमा ! णो सामाइयसंजमे होजा जाव णो नुहुमसंपरायसंजमे होजा अहक्खायसंजमे होना, एवं सिणाएवि ५ ॥ ७५३ ॥ पुलाए णं भंते ! कि पडिसेवए होजा अपडिसेवए होजा? गोयमा! पडिसेवए होजा णो अपडिसेवए होजा, जइ पडिसेवए होजा कि मूलगुणपडिसेवए होना उत्तरगुणपडिसेवए होजा? गोयमा ! मूलगुणपडिसेवए वा होजा उत्तरगुणपडिलेवए वा होजा, मूलगुणपडिसेवमाणे पंचहं अणासवाणं Page #929 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० २५ उ०६] सुत्तागमे ८७७ अन्नयरं पडिसेवेजा, उत्तरगुणपडिसेवमाणे दसविहस्स पच्चक्खाणस्स अन्नयरं पडिसेवेज्जा । वउसे णं पुच्छा, गोयमा ! पडिसेवए होज्जा णो अपडिसेवए होजा, जइ पडिसेवए होज्जा कि मूलगुणपडिसेवए होजा उत्तरगुणपडिसेवए होजा? गोयमा ! णो मूलगुणपडिसेवए होजा उत्तरगुणपडिसेवए होजा, उत्तरगुणपडिसेवमाणे दसविहस्स पच्चक्खाणस्स अन्नयरं पडिसेवेजा, पडिसेवणाकुसीले जहा पुलाए। कसायकुसीले णं पुच्छा, गोयमा । णो पडिसेवए होजा अपडिसेवए होजा, एवं नियंठेवि, एवं सिणाएवि ६ ॥ ७५४ ॥ पुलाए णं भंते! कइसु नाणेसु होजा? गोयमा ! दोसु वा तिस वा होजा, दोसु होजमाणे दोमु आभिणिचोहियनाणे सुअनाणे होजा, तिसु होजमाणे तिसु आभिणिवोहियनाणे सुयनाणे ओहिनाणे होजा, एवं वउसेवि, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, कसायकुसीले णं पुच्छा, गोयमा ! दोसु वा तिसु वा चउसु वा होजा, दोसु होजमाणे दोसु आभिणिवोहियनाणे सुयनाणे होजा, तिसु होजमाणे तिसु आभिणिवोहियनाणसुयनाणओहिनाणेसु होजा अहवा तिसु होजमाणे आभिणिवोहियनाणसुयनाणमणपजवनाणेसु होजा, चउसु होजमाणे चउसु आभिणिवोहियनाणसुयनाणओहिनाणमणपजवनाणेसु होजा, एवं नियंठेवि । सिणाए णं पुच्छा, गोयमा ! एगंमि केवलनाणे होज्जा ।। ७५५ ॥ पुलाए णं भंते ! केवइयं सुयं अहिज्जेजा ? गोयमा! जहन्नेणं नवमस्स पुवस्स तइयं आयारवत्थु, उक्नोसेणं नव पुव्वाइं अहिजेजा । वउसे णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठ पवयणमायाओ उकोसेगं दस पुव्वाइं अहिजेजा । एवं पडिसेवगाकुसीलेवि । कसायकुसीले णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नणं अट्ठ पवयणमायाओ उक्नोसेणं चउद्दस पुव्वाई अहिजेजा, एवं नियंठेवि । सिणाए णं पुच्छा, गोयमा ! सुयवइरित्ते होजा ७॥७५६॥ पुलाए णं भंते ! किं तित्थे होजा अतित्थे होजा? गोयमा ! तित्थे होजा णो अतित्थे होजा, एवं वउसेवि, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि । कसायकुसीले पुच्छा, गोयमा ! तित्थे वा होजा अतित्थे वा होजा, जइ अतित्थे होजा किं नित्थयरे होज्जा पत्तेयबुद्धे होजा ? गोयमा ! तित्यगरे वा होजा पत्तेयबुद्धे वा होजा, एवं नियंठेवि, एवं सिणाएवि ८॥७५७॥ पुलाए णं भंते ! किं सलिगे होजा अन्नलिंगे होजा गिहिलिंगे होज्जा ? गोयमा! दव्वलिंगं पड़च्च सलिंगे वा होजा अन्नलिंगे वा होजा गिहिलिंगे वा होजा, भावलिगं पडुच्च निय(म)मा सलिंगे होजा, एवं जाव सिणाए ९॥७५८॥ पुलाए णं भंते! कइसु सरीरेसु होजा? गोयमा ! तिसु ओरालियतेयाकम्मएसु होज्जा, बउसे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा! तिसु वा चउसु वा होजा, तिलु होजमाणे तिसु ओरालियतेयाकम्मएपु होजा, चउसु होजमाणे चउसु ओरालिय Page #930 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई वेडन्वियतेयाक्रम्मएतु होजा, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि । कसायकुसीले पुच्छा, गोयमा ! तिसु वा चरसु वा पंचसु वा होजा, तिनु होजमाणे तिनु ओरालियतेयाकम्मएस होजा, चउसु होजमाणे चउसु ओरालियवेडन्वियतेयाकम्म एस होजा, पंचतु होजमाणे पंचसु ओरालियवेडन्वियआहार गतेयाकम्मएनु होजा, णियंटो सिणाओ य जहा पुलाओ ॥१०॥ ७५९ ॥ पुलाए णं भंते ! किं कम्मभूमी (तु) ए होजा अकम्मभूमी होजा ? गोयमा ! जम्मणसंतिभावं पडुच्च कम्मभूमीए होजा णो अकम्मभूमीए होजा, बरसे णं पुच्छा, गोयमा ! जम्मणसंतिभावं पडुच कम्मभूमीए होजा ो अम्मभूमीए होजा, साहरणं पडुच्च कम्मभूमीए वा होजा अकम्मभूमीए चा होजा, एवं जाव सिणा ॥ ११ ॥ ७६० ॥ पुंलाए णं भंते ! कि ओसप्पिणिकाले होजा उस्सप्पिणिकाले होजा णोओसप्पिणिणोउस्सप्पिणिकाले होजा ? गोयमा 1 ओसप्पिणिकाले वा होजा उस्सप्पिणिकाले वा होजा नोओसप्पिणिनोउस्सप्पिणिकाले वा होजा, जइ ओसप्पिणिकाले होजा कि सुसमतुसमाकाले होजा १, सुसमाकाले होजा २, सुसमदूसमाकाले होजा ३, दूसमसुसमाकाले होजा ४, दूसमाकाले होजा ५, दूसमसमाकाले होजा ६ ? गोयमा ! जम्मणं पडुच णो सुसमसुसमाकाले होजा १, जो सुसमाकाले होजा २, सुसमदूसमाकाले वा होजा ३, दूसमसुसमाकाले वा होजा ४, णो दूसमाकाले होजा ५, णो दूसमसमाका ले होजा ६, संतिभावं पडुच्च णो सुसमनुसमाकाले होजा णो सुसमाकाले होजा सुसमदूसमाकाले वा होजा दुसमनुसमाकाले वा होजा दूसमाकाले वा होजा णो दूसमदूतमाकाले होजा, जइ उस्सप्पिणिकाले होजा कि दूसमदूसमाकाले होजा इसमाकाले होजा दूसमसुसमाकाले होज्जा सुसमदूसमाकाले होजा मुसमाकाले होजा मुसमनुसमाकाले होजा ? गोयमा ! जम्मणं पडुच णो दूसमदूसमाकाले होजा १, दूसमाकाले वा होजा २, दूसमसुसमाकाले वा होजा ३, मुसमदूसमाकाले वा होजा ४, णो सुसमाकाले होजा ५, णो नुसमनुसमाकाले होजा ६, संतिभावं पहुच णो दूसमदूसमाकाले होजा १, (नो) दुसमाकाले होजा २, दुसमनुसमाकाले वा होजा ३, सुसमदूसभाकाले वा होजा ४, गो मुसमाकाले होजा ५, णो मुसमनुसमाकाले होजा ६ । जड़ गोओसप्पिणिनोउस्सप्पिणिकाले होजा कि सुसमनुसमापलिभागे होजा नुसमापलिभागे होजा नुसमद्समापलिभागे होजा दूसमनुसमापलिभागे होजा ? गोयमा ! जम्मणं संतिभावं च पच णो मुसमनुसमापलिभागे होजा णो सुसमापलिभागे होजा णो दू (सु) समदूसमापलिभागे होजा दूसमतुसमापलिभागे होजा । वरसे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! ओसप्पिणिकाले वा होजा उस्सप्पिणिकाले वा होजा नोओसप्पिणिनोउस्स ८७८ Page #931 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७९ वि० ५० स० २५ उ०६] सुत्तागमे प्पिणिकाले वा होजा, जइ ओस प्पिणिकाले होजा कि सुसमसुसमाकाले० पुच्छा, गोयमा! जम्मणं संतिभावं च पड्डुच्च णो नुसममुसमाकाले होजा णो सुसमाकाले होजा मुसमटूसमाकाले वा होजा दुस्सममुसमाकाले वा होजा दूसमाकाले वा होजा णो दृसमदूसमाकाले होजा, साहरणं पहुच्च अन्नयरे समाकाले होजा । जइ उस्सप्पिणिकाले होजा कि दूसमदूसमाकाले होज्जा ६ पुच्छा, गोयमा ! जम्मणं पडुच्छ णो दुस्समदुस्समाकाले होजा जहेव पुलाए, संतिभावं पडुच्च णो दूसमसमाकाले होजा णो दूसमाकाले होजा एवं संतिभावेणवि जहा पुलाए जाव णो सुसमतुसमाकाले होजा, साहरणं पडुच्च अन्नयरे समाकाले होजा । जइ नोओसप्पिणिनोउस्सप्पिणिकाले होजा० पुच्छा, गोयमा ! जम्मणसंतिभावं पडच णो सुसमसुसमापलिभागे होजा जहेव पुलाए जाव दूसममुसमापलिभागे होजा, साहरणं पडुच्छ अन्नयरे पलिभागे होजा, जहा बउसे एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, एवं कसायकुसीलेवि, नियंठो सिगाओ य जहा पुलाओ, नवरं एएसिं अब्भहियं साहरणं भाणियव्वं, सेसं तं चेव १२॥ ७६१ ॥ पुलाए णं भंते ! कालगए समाणे (कि)कं गई गच्छइ १ गोयमा! देवगइं गच्छइ, देवगई गच्छमाणे कि भवणवासीसु उववजेजा वाणमंतरेमु उववजेजा जोइसियवेमाणिएसु उववजेज्जा ? गोयमा ! णो भवणवासीसु उ० णो वाणमंतरेतु उ० णो जोइसिएमु उ० वेमाणिएसु उववजेजा, वेमाणिएमु उववजमाणे जहण्णेणं सोहम्मे कप्पे उक्कोसेणं सहस्सारे कप्पे उववजेजा, वउसे णं एवं चेव नवरं उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे, पडिसेवणाकुसीले जहा वउसे, कसायकुसीले जहा पुलाए, नवरं उक्कोसेणं अणुत्तरविमाणेसु उववजेजा, णियंठे णं भंते । एवं चेव, एवं जाव वेमाणिएसु उववज्जमाणे अजहन्नमणुकोसेणं अणुनरविमाणेसु उववजेजा, सिणाए णं भंते ! कालगए समाणे कं गई गच्छइ ? गोयमा ! सिद्धिगई गच्छइ । पुलाए णं भंते! देवेमु उववज्जमाणे कि इंदत्ताए उववजेजा सामाणियत्नाए उववजेजा तायत्तीसगत्ताए उववज्जेजा लोगपालत्ताए उववज्जेजा अहमिदत्ताए उववज्जेज्जा? गोयमा । अविराहणं पडुच्च इंदत्ताए उववजेजा सामाणियत्ताए उववजेजा लोगपालत्ताए वा उववजेजा तायत्ती. सगत्ताए वा उववज्जेजां नो अहमिंदत्ताए उववजेजा, विराहणं पडुच्च अन्नयरेसु उववजेजा, एवं वडसेवि, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, कसायकुसीले पुच्छा, गोयमा ! अविराहणं पडुच्च इंदत्ताए वा उक्वज्जेजा जाव अहमिदत्ताए उववज्जेज्जा, विराहणं पडुच्च अन्नयरेसु उववजेजा, नियंठे पुच्छा, गोयमा अविराहणं पडुच्च णो इंदत्ताए उववज्जेजा जाव णो लोगपालत्ताए उववजेजा अहमिंदत्ताए उववज्जेजा, विराहणं पडुच्च अन्नयरेसु उववज्जेजा ॥ पुलागस्स णं भंते! देवलोगेसु उववजमाणस्स Page #932 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८० सुत्तागमे [भगवई केवइयं कालं ठिई प०? गोयमा ! जहन्नेणं पलिओवमपुहुत्तं उनोसेणं अट्ठारससागरोवमाई, वउसस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलिओवमपुहुत्तं उनोसेणं बावीसं सागरोवमाई, एवं पडिसेवणाकुसीलस्सवि, कसायकुसीलस्स पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलिओवमपुहुत्तं उनोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई, णियंठस्स पुच्छा, गोयमा ! अजहन्नमणुकोसेणं तेत्तीसं सागरोबमाई १३ ॥ ७६२ ॥ पुलागस्स णं भंते ! केवइया संजमट्ठाणा प० ? गोयमा! असंखेजा संजमट्ठाणा प०, एवं जावे कसाय. कुसीलस्स । नियंठस्स णं भंते ! केवड्या संजमट्ठाणा प० ? गोयमा ! एगे अजहन्नमशुक्रोसए संजमट्ठाणे प०, एवं सिणायस्सवि, एएसि णं भंते ! पुलागवउसपडिसेवणाक. सायकुसीलनियंठसिणायाणं संजमट्ठाणाणं कयरे २ जाव विसेसाहिया वा? गोयमा! सम्वत्थोवे नियंठस्स सिणायस्स य एगे अजहन्नमणुकोसए संजमट्ठाणे, पुलागस्स संजमठ्ठाणा असंखेजगुणा, वडसस्स संजमठाणा असंखेनगुणा, पडिसेवणाकुसीलस्स संजमट्ठाणा असंखेनगुणा, कसायकुसीलस्स संजमठाणा असंखेनगुणा १४ ॥७६३॥ पुलागस्स णं भंते ! केवझ्या चरित्तपज्जवा प० ? गोयमा ! अगंता चरित्तपन्नवा प०, एवं जाव सिणायस्स । पुलाए णं भंते ! पुलागस्स सट्ठाणसन्निगासेण चरित्तपजवेहिं कि हीणे तुले अव्भहिए ? गोयमा ! सिय होणे १, सिय तुल्ले २, सिय अमहिए ३, जइ हीणे अणंतभागहीणे वा असंखेज्जइभागहीणे वा संखेनइभागहीणे वा संखेजगुणहीणे वा असखेजगुणहीणे वा अणंतगुणहीणे वा, अह अभहिए अणतभागमभहिए वा असंखेज्जइभागमभहिए वा संखेज्नइभागमभहिए वा संखेनगुणमन्भहिए वा असंखेजगुणमभहिए वा अणंतगुणमभहिए वा ॥ पुलाए णं भंते ! वउसस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपजवेहिं कि हीणे तुल्ले अभहिए ? गोयमा! हीणे नो तुले नो अभहिए, अणंतगुणहीणे, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, कसायकुसीलेश समं छठाणवडिए जहेव सहाणे, नियंठस्स जहा वउसस्स, एवं सिणायस्सवि ॥ वउसे गं भंते ! पुलागस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपनवेहिं कि हीणे तुले अव्भहिए ? गोयमा ! णो हीणे णो तुल्ले अन्महिए अणंतगुणमभहिए । वउसे णं भंते ! वउसस्स सट्टाणसन्निगासेगं चरित्तपज्जवेहिं० पुच्छा, गोयमा ! सिंय हीणे लिय तुल्ले सिय अभहिए, जड़ हीणे छहाणवडिए । वउसे णं भंते ! पडिसेवणाकुसीलस्स परट्ठाणसनिगासेणं चरित्तपज्जवेहिं कि हीणे० ? छट्ठाणवडिए, एवं कसायकुसीलस्सवि ।। वउसे णं भंते ! नियंठस्स परहाणसन्निगासेणं चरित्तपनवेहिं० पुच्छा, गोयमा ! हीणे णो तुन्छे णो अब्भहिए, अणंतगुणहीणे, एवं सिणायस्सवि, पडिसेवणाकुसीलस्स एस चेव व उसवत्तव्त्रया भाणियचा, ऋसायकुसीलस्त सप्णिगासेणं एस वेव Page #933 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २५ उ०६] सुत्तागमे बउसवत्तव्वया नवरं पुलाएणवि समं छट्ठाणवडिए । णियंठे णं भंते ! पुलागस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपनवेहिं० पुच्छा, गोयमा ! णो हीणे णो तुल्ले अब्भहिए अणंतगुणमन्भहिए, एवं जाव कसायकुसीलस्स । णियंठे णं भंते! णियंठस्स सट्टाणसन्निगासेणं पुच्छा, गोयमा! नो हीणे तुल्ले णो अन्भहिए, एवं सिणायस्सवि । सिणाए णं भंते ! पुलागस्स परट्ठाणसण्णिगासेणं एवं जहा नियंठस्स वत्तन्वया तहा सिणायस्सवि भाणियन्वा जाव सिणाए णं भंते ! सिणायस्स सट्ठाणसन्निगासेणं पुच्छा, गोयमा! णो हीणे तुल्ले णो अन्भहिए ॥ एएसि णं भंते ! पुलागबउसपडिसेवणाकुसीलकसायकुसीलनियंठसिणायाणं जहनुक्कोसगाणं चरित्तपजवाणं कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! पुलागस्स कसायकुसीलस्स य एएसि णं जहन्नगा चरित्तपजवा दोण्हवि तुला सव्वत्थोवा, पुलागस्स उनोसगा चरित्तपजवा अणंतगुणा, बउसस्स पडिसेवणाकुसीलस्स य एएसि णं जहन्नगा चरित्तपज्जवा दोण्हवि तुल्ला अणंतगुणा, वउसस्स उक्कोसगा चरित्तपजवा अणंतगुणा, पडिसेवणाकुसीलस्स उनोसगा चरित्तपजवा अणंतगुणा, कसायकुसीलस्स उक्कोसगा चरित्तपजवा अणंतगुणा, णियंठस्स सिणायस्स य एएसि णं अजहन्नमणुकोसगा चरित्तपजवा दोण्हवि तुल्ला अणंतगुणा १५॥ ७६४ ॥ पुलाए णं भंते ! किं सजोगी होजा अजोगी होजा? गोयमा! सजोगी होजा नो अजोगी होजा, जइ सजोगी होजा किं मणजोगी होजा वइजोगी होजा कायजोगी होजा? गोयमा ! मणजोगी वा होजा वइजोगी वा होजा कायजोगी वा होजा, एवं जाव नियंठे। सिणाएणभंते ! पुच्छा, गोयमा ! सजोगी वा होजा अजोगी वा होजा, जइ सजोगी होजा कि मणजोगी होज्जा सेसं जहा पुलागस्स १६ ॥ ७६५ ॥ पुलाए णं भंते ! किं सागारोवउत्ते होजा अणागारोवउत्ते होजा? गोयमा ! सागारोवउत्ते वा होजा अणागारोवउत्ते वा होज्जा, एवं जाव सिणाए १७ ॥ ७६६ ॥ पुलाए णं भंते ! किं सकसाई होज्जा अकसाई होजा? गोयमा ! सकसाई होजा णो अकसाई होजा, जइ सकसाई होजा से ण भंते ! कइसु कसाएसु होज्जा ? गोयमा ! चउसु कोहमाणमायालोमेसु होजा, एवं वउसेवि, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, कसायकुसीले णं पुच्छा, गोयमा ! सकसाई होना णो अकसाई होजा, जइ सकसाई होजा से णं भंते ! कइसु कसाएसु होजा? गोयमा! चउसु वा तिसु वा दोसु वा एगम्मि वा होजा, चउसु होजमाणे चउसु संजलणकोहमाणमायालोमेसु होजा, तिसु होजमाणे तिसु संजलणमाणमायालोमेसु होजा, दोसु होजमाणे दोसु संजलणमायालोभेसु होजा, एगम्मि होजमाणे एगम्मि संजलणलोभे होजा, नियंठे णं पुच्छा, गोयमा! णो सकसाई ५६ सुत्ता० Page #934 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૦૨ सुत्तागमे [ भगवई होजा अकसाई होजा, जइ अकसाई होजा किं उवसंतकसाई होजा खीणकसाई होजा ! गोयमा ! उवसंतकसाई वा होजा खीणकसाई वा होजा, सिणाए एवं चेव, नवरं णो उवसंतकसाई होजा, खीणकसाई होज्जा १८ ॥ ७६७॥ पुलाए भंते! किं ससे होजा अलेस्से होजा ? गोयमा । सलेस्से होजा णो अलेस्से होज्जा, जइ सलेस्से होजा से णं भंते ! कइस लेस्सान होजा ? गोयमा । तिमु विसुद्धलेस्सासु होजा, तं० तेउलेस्साए पम्हलेस्साए सुक्कलेस्साए एवं बउसस्तवि, एवं पडिसेवणाकुसीले वि, कसायकुसीले पुच्छा, गोयमा ! सलेस्से होजा णो अलेस्से होज्जा, जइ सलेस्से होजा से णं भंते ! कइसु लेस्सासु होजा ? गोयमा ! छसु बेस्सानु 1 होजा, तं ० - कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए, नियंठे णं भंते । पुच्छा, गोयमा ! सस्से होजा णो अलेस्से होजा, जइ सलेस्से होज्जा से णं भंते । कइनु लेस्सामु होजा ? गोयमा ! एगाए सुकलेस्साए होज्जा, सिणाए पुच्छा, गोयमा ! सलेस्से वा होजा अलेस्से वा होजा, जइ सलेस्से होजा से णं भंते! कइसु लेस्सासु होजा ? गोयमा ! एगाए परमसुकलेस्साए होजा १९ ॥ ७६८ ॥ पुलाए णं भंते ! किं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ही (हा ) यमाणपरिणामे होजा अवद्वियपरिणामे होज्जा ? गोयमा ! वढमाणपरिणामे वा होजा हीयमाणपरिणामे वा होजा अवट्टियपरिणामे वा होजा, एवं जाव कसायकुसीले । णियंठे णं पुच्छा, गोयमा ! वढमाणपरिणामे होज्जा, णो हीयमाणपरिणामे होजा, अवद्वियपरिणामे वा होजा, एवं तिणाएव ॥ पुलाए णं भंते ! केवइयं कालं वड्ढमाणपरिणामे होजा ? गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उक्क सेणं अंतोमुहुत्तं, केवइयं कालं हीयमाणपरिणामे होजा ? गोयमा ! जहणणेगं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं, केवइयं कालं अवट्टियपरिणामे होज्जा ? गोयमा । जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं सत्त समया, एवं जाव कसायकुसीले । नियंठे णं भंते ! केवइयं कालं वमाणपरिणामे होजा ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्को सेणवि अंतोमुहुत्तं, केवइयं कालं अवद्वियपरिणामे होजा ? गोयंमा ! जहन्नेणं एवं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं । सिणाए णं भंते! केवइयं कालं वढ्ढमाणपरिणामे होजा ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, केवइयं कालं अवट्ठियपरिणामे होजा ? गोयमा ! जहणेगं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी २० ॥ ७६९ ॥ पुलाए णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ वंवइ ? गोयमा ! आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीओ वंधइ । वउसे पुच्छा, गोयमा ! सत्तविहवंधए वा अट्ठविहवंधए वा, सत्त बंधमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीओ वंधइ, अट्ठ वैधमाणे पडिपुन्नाओ अट्ठ कम्मप्पगडीओ वंधइ, एवं पडिसेवणाकुसीले वि, कसायकुसीले णं पुच्छा, गोयमा ! Page #935 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० २५ उ०६] सुत्तागमे ८८३. सत्तविहवंधए वा अट्टविहबंधए वा छविहवंधए वा, सत्त बंधमाणे आउयवनाओ सत्त कम्मप्पगडीओ बंधइ, अट्ठ बंधमाणे पडिपुन्नाओ अठ्ठ कम्मप्पगडीओ बंध, छ बंधमाणे आउयमोहणिज्जवजाओ छक्कम्मप्पगडीओ वंधइ । नियंठे ण पुच्छा, गोयमा ! एगं वेयणिज कम्मं वंधइ । सिगाए णं पुच्छा, गोयमा ! एगविहवंधए वा अबंधए वा, एगं बंधमाणे एग वेयणिज कम्मं बंधइ २१ ॥ ७७० ॥ पुलाए ण भंते कइ कम्मप्पगडीओ वेदेइ ? गोयमा ! नियमं अट्ठ कम्मप्पगडीओ वेदेइ, एवं जाव कसायकुसीले, नियंठे णं पुच्छा, गोयमा ! मोहणिज्जवजाओ सत्त कम्मप्पगडीओ वेदेइ । सिणाए णं पुच्छा, गोयमा । वेयणिजआउयनामगोयाओ चत्तारि कम्मप्पगडीओ वेदेइ २२ ॥ ७७१ ॥ पुलाए णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ उदीरेइ ? गोयमा ! आउयवेयणिजवजाओ छ कम्मप्पगडीओ उदीरेइ । वउसे णं पुच्छा, गोयमा ! सत्तविहउदीरए वा अट्टविहउदीरए वा छव्विहउदीरए वा, सत्त उदीरेमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीओ उदीरेइ, अट्ठ उदीरेमाणे पडिपुन्नाओ अठ्ठ कम्मप्पगडीओ उदीरेइ, छ उदीरेमाणे आउयवेयणिजवजाओ छ कम्मप्पगडीओ उदीरेइ, पडिसेवणाकुसीले एवं चेव, कसायकुसीले णं पुच्छा, गोयमा ! सत्तविहउदीरए वा अविहउदीरए वा छविहउदीरए वा पंचविहउदीरए वा, सत्त उदीरेमाणे आउयवजाओ सत्त कम्मप्पगडीओ उदीरेइ, अट्ठ उदीरेमाणे पडिपुन्नाओ अह कम्मप्पगडीओ उदीरेइ, छ उदीरेमाणे आउयवेयणिजवजाओ छ कम्मप्पगखीओ उदीरेइ, पंच उदीरेमाणे आउयवेयणिजमोहणिजवजाओ पंच कम्मप्पगडीओ उदीरेइ । नियंठे णं पुच्छा, गोयमा ! पंचविहउदीरए वा दुविहउदीरए वा, पंच उदीरेमाणे आउयवेयणिजमोहणिजवजाओ पंच कम्मप्पगडीओ उदीरेइ, दो उदीरेमाणे णामं च गोयं च उदीरेइ । सिणाए णं पुच्छा, गोयमा ! दुविहउदीरए वा अणुदीरए वा, दो उदीरेमाणे णामं च गोयं च उदीरेइ २३ ॥ ७७२ ॥ पुलाए णं भंते ! पुलायत्तं जहमाणे किं जहइ किं उवसंपन्जइ ? गोयमा ! पुलायत्तं जहइ कसायकुसीलं वा अरसंजमं वा उवसंपज्जइ, वउसे णं भंते ! बउसत्तं जहमाणे किं जहइ कि उवसंपजइ ? गोयमा ! वउसत्तं जहइ पडिसेवणाकुसीलं वा कसायकुसीलं वा अस्संजमं वा संजमासंजमं वा उवसंपजइ, पडिसेवणाकुसीले णं भंते । पडिसेवणाकुसीलतं० पुच्छा, गोयमा ! पडिसेवणाकुसीलत्तं जहइ बउसं वा कसायकुसीलं चा अस्संजमं वा संजमासंजमं वा उपसंपजइ, कसायकुसीले पुच्छा, गोयमा ! कसायकुसीलत्तं जहइ पुलायं वा वउसं वा पडिसेवणाकुसीलं वा णियंठं वा अस्संजर्म चा संजमासंजमं वा उवसंपजइ, णियंठे णं पुच्छा, गोयमा ! नियंठत्त जहइ कसाय Page #936 -------------------------------------------------------------------------- ________________ kee सुत्तागमे [भगवई कुसीलं वा सिणायं वा अस्संजमं वा उवसंपज्जइ । सिणाए णं पुच्छा, गोयमा ! सिणायत्तं जहइ सिद्धिगई उवसंपजइ २४ ॥ ७७३ ॥ पुलाए णं भंते ! किं सन्नोवउत्ते होजा नोसन्नोवउत्ते होजा ? गोयमा ! णो सन्नोवउत्ते होजा नोसन्नोवउत्ते होजा। वउसे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सन्नोवउत्ते वा होजा नोसन्नोवउत्ते वा होना, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, एवं कसायकुसीलेवि, नियंठे सिणाए य जहा पुलाए २५ ॥ ७७४ ॥ पुलाए णं भंते ! किं आहारए होज्जा अणाहारए होजा? गोयमा! आहारए होजा णो अणाहारए होजा, एवं जाव नियंठे। सिणाए णं पुच्छा, गोयमा ! आहारए वा होजा अणाहारए वा होज्जा २६ ॥ ७७५ ॥ पुलाए गं भंते ! कइ भवग्गहणाई होजा? गोयमा! जहन्नेणं एवं उक्नोसेणं तिन्नि । वउसे णं पुच्छा, गोयमा ! जहण्णेणं एकं उक्कोसेणं अट्ठ, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, एवं कसायकुसीलेवि, नियंठे जहा पुलाए । सिणाए णं पुच्छा, गोयमा! एकं २७ ॥ ७७६ ॥ पुलागस्स णं भंते ! एगभवग्गहणिया केवइया आगरिसा प० ? गोयमा ! जहन्ने] एको उकोसेणं तिन्नि । वउसस्स ण पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एको उनोसेणं सयग्गसो, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, कसायकुसीले एवं चेव । णियंठस्स णं पुच्छा, गोयमा । जहन्नेणं एको उनोसेणं दोन्नि । सिणायस्स णं पुच्छा, गोयमा! एक्को ॥ पुलागस्स णं भंते! नाणाभवग्गहणिया केवइया आगरिसा प०? गोयमा! जहन्नेणं दोन्नि उकोसेणं सत्त। वउसस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दोन्नि उक्रोसेणं सहस्सग्गसो, एवं जाव कसायकुसीलस्स । नियंठस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दोन्नि उकोसेणं पंच । सिणायस्स णं पुच्छा, गोयमा ! नत्यि एकोवि २८ ॥ ७७७ ॥ पुलाए णं भंते! कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्लोसेणवि अंतोमुहुत्तं । वउसे णं पुच्छा, गोयमा ! जहण्णेणं एवं समयं उकोसेणं देसूणा पुवकोडी, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, कसायकुसीलेवि एवं चेव । नियंठे णं पुच्छा, गोयमा! जहण्णेणं एवं समयं उकोसेणं अंतोमुहुत्तं । सिणाए णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उनोसेणं देसूणा पुवकोडी ॥ पुलागा णं भंते ! कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहन्नेणं एवं समयं उकोसेणं अंतोमुहुत्तं । वउसा णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सव्वद्धं, एवं जाव कसायकुसीला, नियंठा जहा पुलागा, सिणाया जहा वसा २९ ॥ ७७८ ॥ पुलागस्स गं भंते ! केवइयं कालं अंतरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं अणंतं कालं अणंताओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अवढे पोग्गलपरियह देसूणं, एवं जाव नियंठस्स । सिणायस्स णं पुच्छा, गोयमा ! नत्यि अंतरं ॥ पुलागाणं भंते ! केवयं कालं अंतरं होइ ? गोयमा ! जहणेणं एवं समयं उकोसेणं संखे Page #937 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २५ उ०६] सुत्तागमे ८८५ जाई वासाई । वउसाणं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! नथि अंतरं, एवं जाव कसायकुसीलाणं । नियंठाणं पुच्छा, गोयमा ! जहण्णेणं एवं समयं उक्नोस्रणं छम्मासा, सिणायाणं जहा बउसाणं ३० ॥ ७७९ ॥ पुलागस्स णं भंते ! कइ समुग्घाया प० ? गोयमा ! तिन्नि समुग्घाया प०, तं०-वेयणासमुग्घाए कसायसमुग्धाए मारणंतियसमुग्घाए, वउसस्स णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! पंच समुग्घाया प०, तं०वेयणासमुग्धाए जाव तेयासमुग्घाए, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, कसायकुसीलस्स पुच्छा, गोयमा! छ समुग्धाया प०, तं०-वेयणासमुग्धाए जाव आहारगसमुग्याए, नियंठस्स णं पुच्छा, गोयमा ! नत्थि एकोवि, सिणायस्स णं पुच्छा, गोयमा ! एगे केवलिसमुग्धाए प० ३१ ॥ ७८० ॥ पुलाए णं भंते ! लोगस्स कि संखेजइभागे होजा १, असंखेजइभागे होजा २, संखेजेसु भागेसु होजा ३, असंखेनेसु भागेसु होजा ४, सव्वलोए होज्जा ५? गोयमा ! णो संखेज्जइभागे होजा, असंखेज्जइभागे होजा, णो संखेजेसु भागेसु होजा, (णो) असंखेजेसु भागेसु होजा, णो सव्वलोए होजा, एवं जाव नियंठे । सिणाए णं पुच्छा, गोयमा! णो संखेजइभागे होजा असंखेजइभागे होजा णो संखेजेसु भागेसु होजा असंखेजेसु भागेसु होजा सचलोए वा होजा ३२ ॥ ७८१ ॥ पुलाए णं भंते ! लोगस्स किं संखेजइभागं फुसइ असंखेजइभागं फुसइ० ? एवं जहा ओगाहणा भणिया तहा फुसणावि भाणियव्वा जाव सिणाए ३३ ॥ ७८२ ॥ पुलाए णं भंते ! कयरम्मि भावे होजा? गोयमा ! खओवसमिए भावे होजा, एवं जाव कसायकुसीले । नियंठे पुच्छा, गोयमा ! उवसमिए वा भावे होजा खइए वा भावे होजा। सिणाए पुच्छा, गोयमा! खइए भावे होजा ३४ ॥ ७८३ ॥ पुलाया णं भंते ! एगसमएणं केवइया होजा? गोयमा ! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अत्थि सिय नस्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्नोसेणं सयपुहुत्तं, पुव्वपडिवन्नए पड्डुच्च सिय अत्थि सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं सहस्सपुहुत्तं । वउसा णं भंते ! एगसमएणं० पुच्छा, गोयमा ! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अत्यि सिय नत्थि, जइ अत्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं सयपुहुत्तं, पुव्वपडिचन्नए पड्डुच्च जहन्नेणं कोडिसयपुहुत्त उन्कोसेणवि कोडिसयपुहुत्तं, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि । कसायकुसीलाणं पुच्छा, गोयमा ! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अस्थि सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्नोसेणं (कोडि)सहस्सपुहुत्तं, पुव्वपडिवनए पडुच्च जहन्नेणं कोडिसहस्सपुहुत्तं उक्नोसेणवि कोडिसहस्सपुहुत्तं । नियंठाणं पुच्छा, गोयमा! पडिबजमाणए पडुच्च सिय अस्थि सिय नत्यि, जइ Page #938 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८६ सुत्तागमे [भगवई अत्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उनोसेणं वावडं सयं, अट्ठसय खवगाणं चउप्पन्न उव(स)सामगाणं, पुव्वपडिवन्नए पडुच्च सिय अत्यि सिय नत्यि, जइ अत्यि नहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं सयपुहुत्तं । सिणायाणं पुच्छा, गोयमा! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अत्यि सिय नत्थि, जइ अत्यि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं अट्ठसयं, पुव्वपडिवन्नए पडुच जहन्नेणं कोडिपुहुत्तं उक्कोसेणवि कोडिपुहुत्तं ॥ एएसि णं भंते ! पुलागवउसपडिसेवणाकुसीलकसायकुसीलनियंटसिणायाणं कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा नियंठा, पुलागा संखेनगुणा, सिणाया संखेजगुणा, वउसा संखेज्जगुणा, पडिसेवणाकुसीला संखेनगुणा, कसायकुसीला संखेनगुणा । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ ७८४ ॥ पणवीसइमस्स सयस्स छहो उद्देसो समत्तो॥ कइ णं भंते ! संजया प० ? गोयमा ! पंच संजया प०, तं०-सामाइयसंजए छेओवट्ठावणियसंजए परिहारविसुद्धियसंजए सुहुमसंपरायसंजए अहक्खायसंजए, सामाइयसंजए णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-इत्तरिए य आवकहिए य, छेओवट्ठावणियसंजए णं पुच्छा, गोयमा ! दुविहे प०, तं०साइयारे य निरइयारे य, परिहारविसुद्धियसंजए पुच्छा, गोयमा ! दुविहे प०, तं०-णिव्विसमाणए य निविठ्ठकाइए य, सुहुमसंपराय० पुच्छा, गोयमा ! दुविहे प०, तं०-संकिलिस्समाणए य विसुद्धमाणए य, अहक्खायसंजए पुच्छा, गोयमा! दुविहे प०, तं०-छउमत्थे य केवली य ॥ गाहाओ-सामाइयंमि उकए चाउज्जामं अणुत्तरं धम्मं । तिविहेण फासयंतो सामाइयसंजओ स खलु ॥ १ ॥ छेतण उ परियागं पोराणं जो ठवेइ अप्पाणं । धम्ममि पंचजामे छेदोवठ्ठावणो स खलु ॥ २॥ परिहरइ जो विसुद्धं तु पंचजामं अणुत्तरं धम्मं । तिविहेण फासयंतो परिहारियसंजओ स खलु ॥ ३ ॥ लोभाणु वेययंतो जो खलु उवसामओ व खवओ वा । सो सुहुमसंपराओ अहखाया ऊणओ किचि ॥ ४ ॥ उवसंते खीणमि व जो खलु कम्ममि मोहणिजमि । छउमत्थो व जिणो वा अहखाओ संजओ स खलु ॥ ५॥ ७८५ ॥ सामाइयसंजए णं भंते ! कि सवेदए होजा अवेदए होजा ? गोयमा ! सवेदए वा होजा अवेदए वा होजा, जइ सवेदए होजा० एवं जहा कसायकुसीले तहेव निरवसेसं, एवं छेदोवट्ठावणियसंजएवि, परिहारविसुद्धियसंजओ जहा पुलाओ, सुहुमसंपरायसंजओ अहक्खायसंजओ य जहा नियंठो २ । सामाइयसंजए णं भंते ! कि सरागे होजा वीयरागे होज्जा ? गोयमा ! सरागे होजा नो वीयरागे होजा, एवं जाव सहुमसंपरायसंजए, अहक्खायसंजए जहा नियंठे ३ ॥ सामाइयसंजए णं भंते ! किं. Page #939 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० २५ उ०७] सुत्तागमे ८८७ ठियकप्पे होना अट्ठियकप्पे होजा? गोयमा ! ठियकप्पे वा होजा अट्रियकप्पे वा होजा, छेदोवट्ठावणियसंजए पुच्छा, गोयमा ! ठियकप्पे होजा नो अद्वियकप्पे होजा, एवं परिहारविसुद्धियसंजएवि, सेसा जहा सामाइयसजए । सामाइयसंजए णं भंते ! किं जिणकप्पे होजा थेरकप्पे होज्जा कप्पातीते होजा ? गोयमा! जिणकप्पे वा होजा जहा कसायकुसीले तहेव निरवसेसं, छेदोवट्ठावणिओ परिहारविसुद्धिओ य जहा वउसो, सेसा जहा नियंठे ४ ॥ ७८६ ॥ सामाइयसंजए भंते ! कि पुलाए होजा बउसे जाव सिणाए होजा ? गोयमा ! पुलाए वा होना बउसे जाव कसायकुसीले वा होज्जा, नो नियंठे होज्जा नो सिणाए होजा, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, परिहारविसुद्धियसंजए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! नो पलाए नो वउसे नो पडिसेवणाकुसीले होजा, कसायकुसीले होजा, नो नियंठे होजा नो सिणाए होजा, एवं सुहुमसंपराएवि, अहक्खायसंजए पुच्छा, गोयमा! नो पुलाए होजा जाव नो कसायकुसीले होजा, नियंठे वा होजा सिणाए वा होजा ५॥ सामाइयसंजए णं भंते ! कि पडिसेवए होजा अपडिसेवए होजा? गोयमा ! पडिसेवए वा होजा अपडिसेवए वा होजा, जइ पडि सेवए होजा किं मूलगुणपडिसेवए होजा. सेसं जहा पुलागस्स, जहा सामाइयसंजए एवं छेदोवठ्ठावणिएवि, परिहारविसुद्धियसंजए पुच्छा, गोयमा ! नो पडिसेवए होजा अपडिसेवए होजा, एवं जाव अह. क्खायसंजए ६ ॥ सामाइयसंजए णं भंते ! कइसु नाणेसु होज्जा ? गोयमा ! दोसु वा तिसु वा चउसु वा नाणेसु होजा, एवं जहा कसायकुसीलस्स तहेव चत्तारि नाणाई भयणाए, एवं जाव सुहुमसंपरा(इ)ए, अहक्खायसंजयस्स पंच नाणाई भयणाए जहा नाणुहेसए । सामाइयसंजए णं भंते ! केवइयं सुयं अहिज्जेज्जा ? गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठ पचयणमायाओ जहा कसायकुसीले, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, परिहारविसुद्धियसंजए पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं नवमस्स पुव्वस्स तइयं आयारवत्थु उक्कोसेणं असंपुन्नाई दस पुव्वाइं अहिज्जेज्जा, सुहुमसंपरायसंजए जहा सामाइयसंजए, अहक्खायसंजए पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठ पवयणमायाओ उक्कोसेणं चउद्दस पुव्वाइं अहिज्जेजा सुयवइरित्ते वा होज्जा ७ । सामाइयसंजए णं भंते ! किं तित्थे होजा अतित्थे होज्जा 2 गोयमा ! तित्थे वा होना अतित्थे वा होजा जहा कसायकुसीले, छेदोवट्ठावणिए परिहारविसुद्धिए (सुहुमसंपराए) य जहा पुलाए, सेसा जहा सामाइयसंजए ८ । सामाइयसंजए णं भंते ! कि सलिंगे होज्जा अन्नलिंगे होजा गिहिलिंगे होजा? जहा पुलाए, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, परिहारविसुद्धियसंजए णं भंते ! किं० पुच्छा, गोयमा ! दवलिंगपि भावलिंगपि पड्डुच्च सलिंगे होजा नो अन्नलिगे Page #940 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८८ सुत्तागमे [भगवई होज्जा नो गिहिलिंगे होजा, सेसा जहा सामाइयसंजए ९ । सामाइयसंजए गंभंते ! कइसु सरीरेसु होजा? गोयमा! तिसु वा चउसु वा पंचसु वा होजा जहा कसायकुसीले, एवं छेओवट्ठावणिएवि, सेसा जहा पुलाए १० । सामाइयसंजए णं भंते ! किं कम्मभूमीए होजा अकम्मभूमीए होज्जा ? गोयमा ! जम्मणं संतिभावं च पडुछ कम्मभूमीए होजा नो अकम्मभूमीए जहा वउसे, एवं छेओवट्ठावणिएवि, परिहारविसुद्धिए य जहा पुलाए, सेसा जहा सामाइयसंजए ११ ॥ ७८७ ॥ सामाइयसंजए णं भंते ! किं ओसप्पिणीकाले होजा उस्सप्पिणीकाले होज्जा नोओसप्पिणिनोउस्सप्पिणिकाले होजा? गोयमा! ओसप्पिणीकाले जहा बउसे, एवं छेओवट्ठावणिएवि, नवर जम्मणं संतिभावं (च) पड्डुच्च चउसुवि पलिभागेसु नत्यि, साहरणं पडुच्च अन्नयरे पलिभागे होज्जा, सेसं तं चेव, परिहारविसुद्धिए पुच्छा, गोयमा ! ओसप्पिणिकाले वा होज्जा उस्सप्पिणिकाले वा होजा नोओसप्पिणिनोउस्सप्पिणिकाले वा होजा, जइ ओसप्पिणिकाले होज्जा जहा पुलाओ, उस्सप्पिणिकालेवि जहा पुलाओ, सुहुमसंपरा(इ)ओ जहा नियंठो, एवं अहक्खाओवि १२॥ ७८८ ॥ सामाइयसंजए णं भंते ! कालगए समाणे किं गई गच्छइ ? गोयमा! देवगई गच्छइ, देवगई गच्छमाणे कि भवणवासीसु उववजेजा वाणमंतरेसु उववज्जेजा जोइसिएसु उववजेना वेमाणिएतु उववजेजा? गोयमा ! णो भवणवासीसु उववजेजा जहा कसायकुसीले, एवं छेओवट्ठावणिएवि, परिहारविसुद्धिए जहा पुलाए, सुहुमसंपराए जहा नियंठे, अहक्खाए पुच्छा, गोयमा ! एवं अहक्खायसंजएवि जाव अजहन्नमगुनोसेणं अणुत्तरविमाणेसु उववजेज्जा, अत्थेगइ(या)ए सिज्झन्ति)इ जाव अंतं करे(न्ति)इ॥ सामाइयसंजए णं भंते! देवलोगेसु उववजमाणे कि इंदत्ताए उववजइ पुच्छा, गोयमा । अविराहणं पडुच्च एवं जहा कसायकुसीले, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, परिहारविसुद्धिए जहा पुलाए, सेसा जहा नियंठे । सामाइयसंजयस्स णं भंते ! देवलोगेसु उववजमाणस्स केवइयं कालं ठिई प० ? गोयमा! जहन्नेणं दो पलिओवमाई उकोसेणं तेत्तीस सागरोवमाइं, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, परिहारविसुद्धियस्स पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दो पलिओवमाई उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमाइं, सेसाणं जहा नियंठस्स १३ ॥ ७८९ ॥ सामाइयसंजयस्स णं भंते । केवइया संजमट्ठाणा प०? गोयमा! असंखेजा संजमट्ठाणा प०, एवं जाव परिहारविसुद्धियस्स, सुहमसंपरायसंजयस्स पुच्छा, गोयमा! असंखेज्जा अंतोमुहुत्तिया संजमट्ठाणा प०, अहक्खायसंजयस्स पुच्छा, गोयमा ! एगे अजहन्नमणुकोसए संजमठ्ठाणे प० । एएसि णं भंते ! सामाइयछेदोवद्यावणियपरिहारविसुद्धियसुहुमसंपरायअहक्खायसंजयाणं संजमठाणाणं नियंठस असंखजा मा असो Page #941 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० २५ उ०७] सुत्तागमे ८८९ कयरे २ जाव विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवे अहक्खायसंजयस्स एगे अजहन्नमणुक्कोसए संजमट्ठाणे, सुहुमसंपरायसंजयस्स अंतोमुहुत्तिया संजमट्ठाणा असंखेजगुणा, परिहारविसुद्धियसंजयस्स संजमहाणा असंखेनगुणा, सामाइयसंजयस्स छेदोवट्ठावणियसंजयस्स य एएसि णं संजमट्ठाणा दोण्हवि तुल्ला असंखेजगुणा १४ ॥ ७९० ॥ सामाइयसंजयस्स णं भंते ! केवइया चरित्तपजवा प०? गोयमा ! अणंता चरित्तपजवा प०, एवं जाव अहक्खायसंजयस्स ॥ सामाइयसंजए णं भंते ! सामाइयसंजयस्स सट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपजवेहिं किं हीणे तुल्ले अन्भहिए? गोयमा ! सिय हीणे छट्ठाणवडिए, सामाइयसंजए णं भंते ! छेदोवट्ठावणियसंजयस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपनवेहिं० पुच्छा, गोयमा ! सिय हीणे छट्ठाणवडिए, एवं परिहारविसुद्धियस्सवि, सामाइयसंजए णं भंते । सुहुमसंपरायसंजयस्स परहाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवे० पुच्छा, गोयमा ! हीणे नो तुल्ले नो अब्भहिए, अणंतगुणहीणे, एवं अहक्खायसंजयस्सवि, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, हेहिलेसु तिसुवि समं छट्ठाणवडिए, उवरिल्लेसु दोसुवि तहेव हीणे, जहा छेदोवट्ठावणिए तहा परिहारविसुद्धिएवि, सुहुमसंपरागसंजए णं भंते ! सामाइयसंजयस्स परहाण० पुच्छा, गोयमा ! नो हीणे नो तुले अन्भहिए अणंतगुणमन्महिए, एवं छेदोवद्यावणियपरिहारविसुद्धिएसुवि समं सट्टाणे सिय हीणे नो (सिय)तुल्ले सिय अब्भहिए, जइ होणे अगतगुणहीणे, अह (जइ) अन्भहिए अणंतगुणमन्भहिए, सुहुमसंपरायसंजयस्स अहक्खायसंजयस्स परहाण० पुच्छा, गोयमा! हीणे नो तुल्ले नो अब्भहिए, अणंतगुणहीणे, अहक्खाए हेट्ठिलाणं चउण्हवि नो हीणे नो तुल्ले अन्भहिए अणंतगुणमन्भहिए, सट्टाणे नो हीणे तुल्ले नो अब्भहिए। एएसि णं भंते ! सामाइयछेदोवठ्ठावणियपरिहारविसुद्धियसुहुमसंपरायअहक्खायसंजयाणं जहन्नुक्कोसगाणं चरित्तपजवाणं कयरे २ जाव विसेसाहिया चा? गोयमा ! सामाइयसंजयस्स छेदोवट्ठावणियसंजयस्स य एएसि णं जहन्नगा चरित्तपज्जवा दोण्हवि तुल्ला सव्वत्थोवा, परिहारविसुद्धियसंजयस्स जहन्नगा चरित्तपजवा अणंतगुणा तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपजवा अणंतगुणा, सामाइयसंजयस्स छेदोवठ्ठावणियसंजयस्स य एएसिणं उक्कोसगा चरित्तपजवा दोण्हवि तुल्ला अणंतगुणा, सुहुमसंपरायसंजयस्स जहन्नगा चरित्तपजवा अणंतगुणा तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा, अहक्खायसंजयस्स अजहन्नमणुकोसगा चरित्तपजवा अणंतगुणा १५ ॥ सामाइयसंजए णं भंते ! कि सजोगी होजा अजोगी होजा? गोयमा! सजोगी जहा पुलाए, एवं जाव सुहुमसंपरायसंजए, अहक्खाए जहा सिणाए १६ ॥ सामाइयसंजए णं भंते! किं सागारोवउत्ते होजा अगागारोवउत्ते Page #942 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई होजा : गोयमा ! सागारोवउत्ते जहा पुलाए, एवं जाव अहक्खाए, नवरं नुहुमसं. पराए सागारोवउत्ते होजा नो अणागारोवउत्ते होज्जा १७॥ सामाइयसंजए णं भंते! किं सकसाई होजा अकसाई होजा ? गोयमा! सकसाई होज्जा नो अकसाई होजा, जहा कसायकुसीले, एवं छेदोवठ्ठावणिएवि, परिहारविसद्धिए जहा पुलाए, सुहुमसंपरायसंजए पुच्छा, गोयमा ! सकसाई होज्जा नो अकसाई होजा, जइ सकसाई होना से णं भंते ! कइसु कसाएसु होज्जा ? गोयमा ! एगम्मि संजलणलोभे होजा, अहक्खायसंजए जहा नियंठ १८ ॥ सामाझ्यसंजए णं भंते ! कि सलेस्से होजा अलेस्से होज्जा ? गोयमा! सलेस्से होज्जा जहा कसायकुसीले, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, परिहारविमुद्धिए जहा पुलाए, सुहुमसंपराए जहा नियंठे, अहक्खाए जहा सिणाए, नवरं जइ सलेस्से होजा एगाए सुकलेस्साए होजा १९ ॥ ७९१ ॥ सामाझ्यसंजए गं भंते ! किं वड्डमाणपरिणामे होजा हीयमाणपरिणामे होजा अवट्ठियपरिणामे होज्जा ? गोयमा ! वडमाणपरिणामे होज्जा जहा पुलाए, एवं जाव परिहारविसुद्धिए, सुहुमसं. पराय० पुच्छा, गोयमा ! वढमाणपरिणामे वा होजा हीयमाणपरिणामे वा होजा नो अवट्ठियपरिणामे होज्जा, अहक्खाए जहा नियंठे । सामाइयसंजए णं भंते ! केवइयं कालं वड्डमाणपरिणामे होज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं एक समयं जहा पुलाए, एवं जाव परिहारविसुद्धिए, सुहुमसंपरायसंजए णं भंते ! केवइयं कालं वठ्माणपरिणामे होजा? गोयमा ! जहन्नेणं एक समयं उकोसेणं अंतोमुहत्तं, केवइयं कालं हीयमाणपरिणामे होजा एवं चेव, अहक्खायसंजए णं भंते ! केवइयं कालं वद्धृमाणपरिणामे होजा? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उनोसेणवि अंतोमुहुक्तं, केवइयं कालं अवढियपरिणामे होजा ? गोयमा ! जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेगं देसूणा पुवकोडी २० ॥ ७९२॥ सामाइयसंजए णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ वंधइ ? गोयमा ! सत्तविहवंधए वा अविहवंधए वा एवं जहा वउते, एवं जाव परिहारविमुद्धिए, सुहुमसंपरायसंजए पुच्छा, गोयमा! आउयमोहणिजवजाओ छ कम्मप्पगडीओ वंधइ, अहक्वायसंजए जहा सिणाए २१ ॥ सामाइयसंजए णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ वेदेइ ? गोयमा ! नियम अट्ठ कम्मप्पगडीओ वेदेइ, एवं जाव सुहुमसंपराए, अहक्खाए पुच्छा, गोयमा! सत्तविहवेदए वा चरविहवेदए वा, सत्त वेदेमाणे मोहणिज्जवजाओ सत्त कम्मप्पगडीओ वेटेइ, चत्तारि वेदेमाणे वेयणिजआउयनामगोयाओ चत्तारि कम्मप्पगडीओ वेदेइ २२ ॥ सामाइयसंजए णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ उदीरेइ? गोयमा ! सत्तविह० जहा वउसे, एवं जाव परिहारविसुद्धिए, सुहमसंपराए पुच्छा, गोयमा ! छव्विहउदीरए वा पंचविहउदीरए वा, छ उदीरेमाणे आउयवेयणिज्जव होजा ? गोयहोणं अंतोसुहात लजए ण भने तहतं, बावडमाणपारणा Page #943 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० २५ उ० ७] सुत्तागमे जाओ छ कम्मप्पगडीओ उदीरेइ, पंच उदीरेमाणे आउयवेयणिजमोहणिजवजाओ पंच कम्मप्पगडीओ उदीरेइ, अहक्खायसंजए पुच्छा, गोयमा ! पंचविहउदीरए का दुविहउदीरए वा अणुदीरए वा, पंच उदीरेमाणे आउय० सेसं जहा नियंठस्स २३ ॥ ७९३ ॥ सामाइयसंजए णं भंते ! सामाइयसंजयत्तं जहमाणे किं जहइ कि उवसं. पन्जइ ? गोयमा । सामाइयसंजयत्तं जहइ छेदोवठ्ठावणियसंज(य)मं वा सुहुमसंपरायसंज(योमं वा असंजमं वा संजमासंजमं वा उवसंपजइ, छेदोवट्ठावणिय० पुच्छा, गोयमा ! छेदोवद्यावणियसंजयत्तं जहइ सामाइयसंजमं वा परिहारविसुद्धियसंजमं का सुहमसंपरायसंजमं वा असंजमं वा संजमासंजमं वा उपसंपज्जइ, परिहारविसुद्धिए पुच्छा, गोयमा ! परिहारविसुद्धियसंजयत्तं जहइ छेदोवद्वावणियसंज(य)मं वा असंजर्म वा उवसंपन्जइ, सुहुमसंपराए पुच्छा, गोयमा ! सुहुमसंपरायसंजयत्तं जहइ सामाइयसंज(योमं वा छेदोवट्ठावणियसंज(योमं वा अहक्खायसंज(य)मं वा असंजमंवा उवसंपजइ, अहक्खायसंजए णं पुच्छा, गोयमा ! अहक्खायसंजयत्तं जहइ सहुमसंपरायसंज(योमं वा असंजमं वा सिद्धिगई वा उवसंपन्नइ २४ ॥ ७९४ ॥ सामाइयसंजए पं. भंते ! किं सन्नोवउत्ते होजा नोसन्नोवउत्ते होज्जा ? गोयमा! सन्नोवउत्ते होजा जहा बउसे, एवं जाव परिहारविसुद्धिए, सहुमसंपराए अहक्खाए य जहा पुलाए २५ ॥ सामाझ्यसंजए णं भंते ! किं आहारए होजा अणाहारए होजा? जहा पुलाए, एवं जान सुहमसंपराए,अहक्खायसंजए जहा सिणाए २६॥ सामाइयसंजए णं भंते ! कइ भवग्गहणाई होजा ? गोयमा ! जहण्णेणं एवं (समयं) उकोसेणं अट्ठ, एवं छेदोवठ्ठावणिएवि, परिहारविसद्धिए पुच्छा, गोयमा ! जहण्णेणं एकं उकोसेणं तिन्नि, एवं जाव अहक्खाए २७ ॥ ७९५॥ सामाइयसंजयस्स णं भंते ! एगभवग्गहणिया केवइया आगरिसा प० ? गोयमा । जहन्नेणं जहा वउसस्स, छेदोवठ्ठावणियस्स पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एकं उकोसेणं वीसपुहत्तं, परिहारविसुद्धियस्स पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एवं उकोसेणं तिन्नि, सुहुमसंपरायस्स पुच्छा, गोयमा! जहनेणं ए(को)कं उक्कोसेणं चत्तारि, अहक्खायस्स पुच्छा, गोयमा! जहन्नेणं एकं उकोसेणं दोन्नि । सामाइयसंजयस्स णं भंते ! नाणाभवग्गह णिया केवइया आगरिसा प० ? गोयमा ! जहा वडसे, छेदोवट्ठावणियस्स पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दोन्नि उक्कोसेणं उचरिं नवण्हं सयाणं अंतो सहस्सरस, परिहारविमुद्धियस्स जहन्नेणं दोन्नि उक्कोसेणं सत्त, सुहुमसंपरायरस जहनणं दोन्नि उक्कोसेणं नव, अहक्खायरस जहन्नेणं दोन्नि उकोसेणं पंच २८ ॥७९६॥ सामाइयसंजए णं भंते ! कालओ केवच्चिर होइ ? गोयमा ! जहनेणं एवं समयं उक्कोसेणं देसूणएहिं नवहिं वासेहिं अणिया पुवकोडी, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, Page #944 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई परिहारविसुद्धिए जहन्नेणं एक समयं उनोसेणं देसूणएहिं एगूगतीसाए वासेहि ऊणिया पुवकोडी, सुहुमसंपराए जहा नियंठे, अहक्खाए जहा सामाझ्यसंजए। सामाइयसंजया ण भंते ! कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा । सव्व(द)द्धा, छेदोवट्ठावणिय० पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठाइजाइं वाससयाई उफोसेणं पन्नासं सागरोबमकोडिसयसहस्साई, परिहारविसुद्धिए पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं देसूणाई दो वाससयाई उक्कोसेणं देसूणाओ दो पुव्वकोडीओ, सुहुमसंपरायसंजया णं भंते ! पुच्छा, गोयमा! जहण्णेणं एवं समयं उक्लोसेणं अंतोमुहत्तं, अहक्खायसंजया जहा सामाइ. यसंजया २९ ॥ सामाइयसंजयस्स णं भंते ! केवइयं कालं अंतर होइ ? गोयमा! जहन्नेणं जहा पुलागस्स एवं जाव अहक्खायसंजयस्स, सामाइयसंजयाणं भंते ! 'पुच्छा, गोयमा ! नत्थि अंतरं, छेदोवद्यावणिय० पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं तेवहिँ चाससहस्साई उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीओ, परिहारविसुद्धियस्स पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउरासीई वाससहस्साइं उनोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीओ, सुहुमसंपरायाणं जहा नियंठाणं, अहक्खायाणं जहा सामाइयसंजयाण ३०॥ सामाइयसंजयस्स णं भंते ! कइ समुग्धाया पन्नत्ता ? गोयमा! छ समुग्धाया पन्नत्ता, जहा कसायकुसीलस्स, एवं छेदोवद्यावणियस्सवि, परिहारविसुद्धियस्स जहा पुलागस्स, सुहुमसंपरायस्स जहा नियंठस्स, अहक्खायस्स जहा सिणायस्स ३१॥ सामाइयसंजए णं भंते ! लोगस्स कि संखेजइभागे होजा असंखेजइभागे० पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजइ० जहा पुलाए, एवं जाव सहुमसंपराए । अहक्खायसंजए जहा सिणाए ३२ ॥ सामाइयसंजए णं भंते ! लोगस्स किं संखेजइभार्ग फुसइ जहेव होजा तहेव फुसइ ३३ ॥ सामाइयसंजए णं भंते ! कयरम्मि भावे होजा ? गोयमा ! उ(खओ)वसमिए भावे होजा, एवं जाव सुहुमसंपराए, अहक्खायसंजए पुच्छा, गोयमा! उवसमिए वा खइए वा भावे होना ३४ । सामाइयसंजया णं भंते ! एगसमएणं केवइया होजा ? गोयमा! पडिवज्जमाणए पडुच जहा कसायकुसीला तहेव निरवसेसं, छेदोवट्ठावणिया पुच्छा, गोयमा ! पडिवजमाणए 'पडुच्च सिय अस्थि सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्नोसेणं सयपुहुत्तं, पुव्वपडिवन्नए पड्डुच्च सिय अत्यि सिय नत्थि, जइ अत्थि जहन्नेणं कोडिसयपुहुत्तं उक्कोसेणवि कोडिसयपुहुत्तं, परिहारविसुद्धिया जहा पुलागा, सुहमसंपराया जहा नियंठा, अहक्खायसंजयाणं पुच्छा, गोयमा ! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अत्थि सिय नत्थि, जइ अत्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं वावठ्ठसयं अट्टत्तरसयं खवगाणं चउप्पन्नं उवसामगाणं, पुव्वपडिवन्नए पडुच जहन्ने] कोडिपुहुत्तं बायसंजयाण पुदी वा तिन्नि वा उन्नण कोडिपुड Page #945 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । - वि०प० स० २५ उ०७] सुत्तागमे उकोसेणवि कोडिपुहुत्तं ॥ एएसि णं भंते ! सामाइयछेदोवठ्ठावणियपरिहारविसुद्धियसु. हुमसंपरायअहक्खायसंजयाणं कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्योवा सहुमसंपरायसंजया, परिहारविसुद्धियसंजया संखेजगुणा, अहक्खायसंजया संखेजगुणा, छेदोवट्ठावणियसंजया संखेजगुणा, सामाइयसंजया संखेजगुणा ३६ ॥७९॥ पडिसेवण दोसालोयणा य आलोयणारिहे चेन । तत्तो सामायारी पायच्छित्ते तवे चेक ॥१॥ कइविहा ण भंते ! पडिसेवणा प० ? गोयमा । दसविहा पडिसेवणा प०,तं०दम्प १ प्पमाद २ ऽणाभोगे ३, आउरे ४ आवती ५ ति य । संकिन्ने ६ सहसकारे, ७ भय ८ प्पओसा ९ य वीमंसा १० ॥१॥ दस आलोयणादोसा प०, तंजहाआकंपइत्ता १ अणुमाणइत्ता २ ज दिढे ३ वायरं च ४ सहुमं (च) वा ५। छन्नं ६ सद्दाउलयं ७ बहुजण ८ अव्वत्त ९ तस्सेवी १०॥ २ ॥ दसहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहइ अत्तदोसं आलोइत्तए, तंजहा-जाइसंपन्ने १, कुलसंपन्ने २, विणयसंपन्ने ३, णाणसंपन्ने ४, सणसंपन्ने ५, चरित्तसंपन्ने ६, खंते ७, दंते ८, अमाई ९,अपच्छा. गुतावी १० । अहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहइ आलोयणं पडिच्छित्तए, तंजहाआयारवं १,आहारवं २, ववहारवं ३, उव्वीलए ४, पकुव्वए ५, अपरिस्सावी ६, निजवए ७, अवायदंसी ८॥ ७९८ ॥ दसविहा सामायारी प०, तं०-इच्छा १ मिच्छा २ तहकारे ३,आवस्सिया य ४ निसीहिया ५ । आपुच्छणा य ६ पडिपुच्छा ७,छंदणा य ८ निमंतणा ९॥१॥ उवसंपया १० य काले, सामायारी भवे दसहा ॥ ७९९ ॥ दसविहे पायच्छित्ते प०, तं०-आलोयणारिहे पडिक्कमणारिहे तदुभयारिहे विवेगारिहे विउसग्गारिहे तवारिहे छेदारिहे मूलारिहे अणवठ्ठप्पारिहे पारंचियारिहे ॥ ८००॥ दुविहे तवे पन्नत्ते, तंजहा-वाहि(रि)रए य अभितरए य, से किं तं वाहिरए तवे ? वाहिरए तवे छव्विहे प०, तं०-अणसण ऊणोयरिया भिक्खायरिया य रसपरिचाओ । कायकिलेसो पडिसंलीणया (वज्झो तवो होइ) ॥१॥ से किं तं अणसणे ? अणसणे दुविहे प०, तं०-इत्तरिए य आवकहिए य, से कि तं इत्तरिए? इत्तरिए अणेगविहे पन्नत्ते, तंजहा-चउत्थे भत्ते छठे भत्ते अट्ठमे भत्ते दसमे भत्ते दुवालसमे भत्ते चउद्दसमे भत्ते अद्धमासिए भत्ते मासिए भत्ते दोमासिए भत्ते ते(ति)मासिए भत्ते जाव छम्मासिए भत्ते, सेत्तं इत्तरिए । से किं तं आवकहिए ? आवकहिए दुविहे प०,०-पाओवगमणे य भत्तपञ्चक्खाणे य,से कि तं पाओवगमणे ?' पाओवगमणे दुविहे प०, तं०-नीहारिमे य अणीहारिमे य निय(मा)मं अपडिक्कमे, से तं पाओवगमणे, से किं तं भत्तपच्चक्खाणे ? भत्तपञ्चक्खाणे दुविहे प०, तं०-नीहारिमे य अनीहारिमे य नियमं सपडिकमे, सेत्तं भत्तपन्चक्खाणे, सेत्तं आवकहिए, सेतं Page #946 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई अणसणे । से कितं ओमोयरिया ? ओमोयरिया दुविहा प०, तं०-दव्योमोयरिया य भावोमोयरिया य, से कि तं दव्योमोयरिया ? दव्वोमोयरिया दुविहा प०, तं०उवगरणदव्योमोयरिया य मत्तपाणदव्वोमोयरिया य, से कि तं उवगरगदव्योमोयरिया ? उवगरणदव्वोमोयरिया एगे वत्थे एगे पाए चियत्तोवगरणसाइजगया, सेत्तं उवगरणदव्वोमोयरिया, से कि तं भत्तपाणदवोमोयरिया ? भत्तपाणदबोमोयरिया अट्ठकवले आहारं आहारेमाणे)णस्स अप्पाहारे दुवालस० जहा सत्तमसए पढमोहेसए जाव नो पकामरसभोईति वत्तव्वं लिया, सेत्तं भत्नपाणदबोमोयरिया, सेत्तं दन्बोसोयरिया, से किं तं भावोमोयरिया ? भावोमोयरिया अणेगविहा प०, तं०-अप्पकोहे बाव अप्पलोभे अप्पसद्दे अप्पझञ्झे अप्पतुमंतुमे, सेत्तं भावोमोयरिया, सेत्तं ओमोयरिया । से किं तं भिक्खायरिया ? भिक्खायरिया अणेगविहा प०, तं०-दव्वामिरगहचरए जहा उववाइए जाव सुद्धेसणिए संखादत्तिए, सेत्तं मिक्वायरिया । से किं रसपरिचाए ? रसपरिचाए अगेगविहे प०, तं०-निविगइए पगीयरसविवज्जए जहा उववाइए जाव लहाहारे, सेत्तं रसपरिचाए। से किं तं कायकिलेसे ? कायकिलेसे अणेगविहे प०, तं०-ठाणाईए उकुडयासणिए जहा उववाइए जाव सव्वगायपडिकम्मविप्पमुके,सेत्तं कायकिलेसे । से कितं पडिंसंलोणया? पडिसलीगया चउबिहा प०, तं०इंदियपडिसलीणया कसायपडिसलीगया जोगपडिसंलीणया विवित्तसयणासणसेवपाया।से किं तं इंदियपडिसंलीगया? इंदियपडिसलीगया पंचविहा प०, तं०-सोइंदियविसयप्पयारणिरोहोवा सोइंदियविसयप्पत्तनु वा अत्थे सुरागदोसविणिग्नहो चक्खिदि. यविसय० एवं जाव फासिदियविसयप्पयारणिरोहो वा फासिंदियविसयप्पत्तेसु वा अत्येसु रागदोसविणिग्गहो, सेत्तं इंदियपडिसलीगया, से कि तं कसायपडिसंलीगया? कसायपडिसलीणया चउव्विहा प०, तंजहा-कोहोदयनिरोहो वा उद्यप्पत्तस्स वा कोहस्स विफलीकरणं एवं जाव लोभोदयनिरोहो वा उदयप्पत्तस्स वा लोभस्स विफलीकरणं, सेत्तं कसायपडिसंलीणया, से कि तं जोगपडिसंलीगया ? जोगपडिसलीगया तिविहा प०, तं०-सणजोगप० वइजोगप० काय जोगपडितलीणया, से कि तं सणजोगपडिसंलीगया ? २ तिविहा प०,०-अकुसलमगनिरोहो वा कुसलमगउदीरणं वा मणस्स वा एगत्तीभावकरणं, से किं तं वइजोगपडिसलीगया ? २ तिविहा प०, तं०-अकुसलवइनिरोहो वा कुसलवइउदीरणं वा वईए वा एगत्तीभावकरणं, से किं तं कायपडिसलीणया ? कायपडिसलीगया जन्नं तुसमाहियपसंतसाहरियपाणिपाए कुम्नो इव गुत्तिदिए अहीणे पल्लीणे चिठ्ठइ, सेत्तं कायपडिसंलीगया, सेत्तं जोगपडिसलीणया, से किं तं विवित्तसयगालगतेवणया? विवित्तसयगासणसेवगया जन्नं आरामेसु Page #947 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २५ उ० ७] सुत्तागमे चा उज्जाणेसु वा जहा सोमिलुद्देसए जाव सेजासंथारगं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ, सेत्तं विवित्तसयणासणसेवणया, सेत्तं पडिसंलीणया, सेत्तं वाहिरए तवे १ ॥ से किं तं अन्भितरए त ? अभितरए तवे छविहे प०, तं०-पायच्छित्तं विणओ वेयावचं तहेव सज्झाओ। झाणं विउसग्गो । से कि तं पायच्छित्ते ? पायच्छित्ते दसविहे प०, तं०-आलोयणारिहे जाव पारंचियारिहे, सेत्तं पायच्छित्ते । से किं तं विणए ? विणए सत्तविहे पन्नत्ते, तंजहा-नाणविणए दंसणविणए चरित्तविणए मणविणए वइविणए कायविणए लोगोवयारविणए, से किं तं नाणविणए ? नागविणए पंचविहे प०, तं०आभिणिवोहियनाणविणए जाव केवलनाणविणए, सेत्तं नाणविणए, से कि तं दसगविणए ? दंसणविणए दुविहे प०, तं०-सुस्सूसणाविणए य अणञ्चासायणाविणए य, से किं तं सुस्सूसणाविणए ? सुस्सूसणाविणए अणेगविहे प०, तं०-सक्कारेइ वा सम्माऐइ वा जहा चउद्दसमसए तइए उद्देसए जाव पडिसंसाह(र)णया, सेत्तं सुस्सूसणारविणए, से किं तं अणच्चासायणाविणए ? अणच्चासायणाविणए पणयालीसइविहे प०, तं०-अरिहंताणं अणचासायणया अरिहंतपन्नत्तस्स धम्मस्स अणच्चासायणया आयरियाणं अणचासायणया उवज्झायाणं अणच्चासायणया थेराणं अणचासायणया कुलस्स अणञ्चासायणया गणस्स अणचासायणया संघस्स अणच्चासायणया किरियाए अणच्चासायणया संभोगस्स अणचासायणया आभिणिवोहियनाणस्स अणञ्चासायणया जाव केवलनाणस्स अणञ्चासायणया १५, एएसिं चेव भत्तिवहुमाणेणं एएसिं चेव वन्नसंजलणया, सेत्तं अणचासायणयाविणए, सेत्तं दसणविणए, से किं तं चरित्तविणए ? चरित्तविणए पंचविहे प०, तं०-सामाइयचरित्तविणए जाव अहक्खायचरित्तविणए, सेत्तं चरित्तविणए, से किं तं मणविणए ? मणविणए दुविहे प०, तं०-पसत्थमणविणए य अपसत्थमणविणए य, से किं तं पसत्थमणविणए ? पसत्थमणविगए सत्तविहे ५०, तंजहा-अपावए असावजे अकिरिए निरुवनेसे अणण्हयकरे अच्छविकरे अभूयाभिसंकणे, सेत्तं पसत्यमणविणए, से किं तं अपसत्थमणविणए ? अप्पसत्थमणविगए सत्तविहे प०, तं०-पावए सावजे सकिरिए सउवक्नेसे अण्हयकरे छविकरे भूयाभिसंकणे, सेत्तं अप्पसत्थमणविणए, सेत्तं मणविणए, से कि तं वइविणए ? वइविणए दुविहे प०, तं०-पसत्थवइविणए य अप्पसत्थवइविणए य, से किं तं पसत्थवइविणए? पसत्थवइविणए सत्तविहे प०, तं०-अपावए जाव अभूयाभिसंकणे, सेत्तं पसत्थवइविणए, से किं तं अप्पसत्थवइविणए ? अप्पसत्यवइविणए सत्तविहे प०, तं०-पावए सावजे जाव भूयाभिसंकणे, सेत्त अप्पसत्यवइविणए, से तं वइविणए, से किं त कायविणए ? कायविणए दुविहे प०, तं०-पसत्थकायविणए य अप्पसत्यकायविणए Page #948 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई सत्यकायविणए आउत्तं तुय से किं तं य, से किं तं पसत्थकायविणए ? पसत्यकायविणए सत्तविहे प०, तंजहा-आउत्तं गमणं आउत्तं ठाणं आउत्तं निसीयणं आउत्तं तुयट्टणं आउत्तं उल्लंघणं आउत्तं पढ़धणं आउत्तं सञ्चिदियजोगजुंजणया, सेत्तं पसत्थकायविणए, से किं तं अप्पसत्य. कायविणए ? अप्पसत्थकायविणए सत्तविहे पन्नत्ते, तंजहा-अणाउत्तं गमणं जाव अणाउत्तं सव्विदियजोगजुजणया, सेत्तं अप्पसत्थकायविणए, सेत्तं कायविणए, से किं तं लोगोवयारविणए ? लोगोवयारविणए सत्तविहे प०, तं०-अन्भासवत्तियं परच्छं. दाणुवत्तियं कजहेऊं कयपडिकिइया अत्तगवेसणया देसकालण्णया सव्वत्थेसु अप्पडिलोमया, सेत्तं लोगोवयारविणए, सेत्तं विणए । से कि तं वेयावच्चे ? वेयावच्चे दसविहे प०, तं०-आयरियवेयावच्चे उवज्झायवेयावचे थेरवेयावच्चे तवस्सिवेयावचे गिलाणवेयावच्चे सेहवेयावच्चे कुलवेयावचे गणवेयावचे संघवेयावच्चे साहम्मियवेयावच्चे, सेत्तं वेयावच्चे । से कि तं सज्झाए ? सज्झाए पंचविहे पन्नत्ते, तं०-वायणा पडिपुच्छणा परियणा अणुप्पेहा धम्मकहा, सेत्तं सज्झाए ॥ ८०१॥ से किं तं झाणे ? झाणे चउबिहे पन्नत्ते, तंजहा-अट्टे झाणे रोहे झाणे धम्मे झाणे सुक्ने झाणे, अहे झाणे चउबिहे पन्नत्ते, तंजहा-अमणुन्नसंपओगसंपउत्ते तस्स विप्पओगसइ. समन्नागए यावि भवइ १, मणुन्नसंपओगसंपउत्ते तस्स अविप्पओगसइसमन्नागए यावि भवइ २, आयंकसंपओगसंपउत्ते तस्स विप्पओगसइसमन्नागए यावि भवइ ३, परिजुसियकामभोगसंपओगसंपउत्ते तस्स अविप्पओगसइसमन्नागए यावि भवइ ४, अट्टस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा प०, तं०-कंदणया सोयणया तिप्पणया परिदेवणया १ । रोद्दज्झाणे चउबिहे प०, तं०-हिंसाणुबंधी मोसाणुबंधी तेयाणुवंधी सारक्खणाणुवंधी, रोदस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा प०, तं०-ओसन्नदोसे बहुलदोसे अण्णाणदोसे आमरणांतदोसे २ । धम्मे झाणे चउन्विहे चउप्पडोयारे प०,तं०-आणाविजए अवायविजए विवागविजए संठाणविजए, धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा प०, तं०-आणाई निसग्गरुई सुत्तरुई ओगाढरई, धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि आलंवगा प०, तं०-वायणा पडिपुच्छणा परियट्टणा धम्मकहा, धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाओ प०, तं०-एगत्ताणुप्पेहा अणिचाणुप्पेहा असरणाणुप्पेहा संसाराणुप्पेहा ३ । सुक्के झाणे चउविहे चउप्पडोयारे प०, तं०-पुहुत्तवियके सवियारी १, एगंतवियले अवियारी २, सुहुमकिरिए अनियट्टी ३, समुच्छिन्नकिरिए अप्पडिवाई ४, सुकस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा प०, तं०-खंती मुत्ती अजवे मद्दवे, सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि आलंवणा प०, तं०-अव्वहे असंमोहे विवेगे विउसग्गे, सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि Page #949 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० २५ उ०.] सुत्तागमे ८९७ अणुप्पेहाओ प०, तं०-अणंतवत्तियाणुप्पेहा विप्परिणामाणुप्पेहा असुभाणुप्पेहा अवायाणुप्पेहा ४, सेत्तं झाणे ॥ ८०२ ॥ से किं तं विउसग्गे ? विउसग्गे दुविहे प०, तं०-दव्वविउसग्गे य भावविउसग्गे य, से किं तं दव्वविउसग्गे ? दवविउसग्गे चउविहे प०, तं०-गणविउसग्गे सरीरविउसग्गे उवहिविउसग्गे भत्तपाणविउसग्गे, सेत्तं दवविउसग्गे, से किं तं भावविउसग्गे ? भावविउसग्गे तिविहे प०, तं०-कसायविउसग्गे संसारविउसग्गे कम्मविउसग्गे, से किं तं कसायविउसग्गे ? कसायविउसग्गे चउन्विहे प०, तंजहा-कोहविउसग्गे माणविउसग्गे मायाविउसग्गे लोभविउसग्गे, सेत्तं कसायविउसग्गे, से किं तं संसारविउसग्गे ? संसारविउसग्गे चउब्विहे पन्नत्ते, तंजहा-नेरइयसंसारविउसग्गे जाव देवसंसारविउसग्गे, सेत्तं संसारविउसग्गे, से किं तं कम्मविउसग्गे ? कम्मविउसग्गे अट्ठविहे प०, तंजहा-णाणावरणिजकम्मविउसग्गे जाव अंतराइयकम्मविउसग्गे, सेत्तं कम्मविउसग्गे, सेत्तं भावविउसग्गे, सेत्तं अभित(र)रिए तवे । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ८०३ ॥ पणवीसइमस्स सयरस सत्तमो उद्देसो समत्तो। रायगिहे जाव एवं वयासी-नेरइया णं भंते ! कहं उववनंति ? गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे अज्झवसाणनिव्वत्तिएणं करणोवाएणं सेयकाले तं ठाणं विप्पजहित्ता पुरिमं ठाणं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ एवामेव एए(ते)वि जीवा पवओविव पवमाणा अज्झवसाणनिव्वत्तिएणं करणोवाएणं सेयकाले तं भवं विप्पजहित्ता पुरिमं भवं उपसंपजित्ताणं विहरन्ति । तेसि णं भंते ! जीवाणं कहं सीहा गई कहं सीहे गइविसए प० ? गोयमा ! से जहानामए-केइ पुरिसे तरुणे बलवं एवं जहा चउद्दसम. सए पढमुद्देसए जाव तिसमएण वा विग्गहेणं उववति, तेसि णं जीवाणं तहा सीहा गई तहा सीहे गइविसए प० । तेणं भंते ! जीवा कहं परभवियाउयं पकरैति ? गोयमा ! अज्झवसाण(जोग)निव्वत्तिएणं करणोवाएणं एवं खलु ते जीवा परभवियाउयं पकरेन्ति, तेसि णं भंते ! जीवाणं कहं गई पवत्तइ ? गोयमा ! आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं, एवं खलु तेर्सि जीवाणं गई पवत्तइ, ते णं भंते ! जीवा कि आइडीए उववजति परिड्डीए उववजति ? गोयमा । आइवीए उववज्जति नो परिड्डीए उववजंति । ते णं भंते ! जीवा कि आयकम्मुणा उववनंति परकम्मुणा उववजति ? गोयमा ! आयकम्मुणा उववज्जति नो परकम्मुणा उववति, ते णं भंते। जीवा किं आयप्पओगेणं उववजंति परप्पओगेणं उववज्जति ? गोयमा ! आयप्पओगेणं उववजंति नो परप्पओगेणं उववजति । असुरकुमारा णं भंते ! कह उववजंति ? जहा नेरइया तहेव निरवसेसं जाव नो परप्पओगेणं उववनंति, एवं ५७ सुत्ता. Page #950 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ८९८ [ भगवई एगिंदियवज्जा' जाव वैमाणियां, एगिंदिया तं ( एवं ) चेव नवरं चउसमइओ विग्गहो, सेयं तं चेव, सेवं भंते । २ त्ति जाव विहरइ || ८०४ ।। २५ । ८ ॥ भवसिद्धियनेरइया णं भंते ! कहं उववज्जंति ? गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे अवसेसं तं चैव जाव वैमाणिए, सेवं भंते । २त्ति ॥ ८०५ ।। २५ । ९ ॥ अभवसिद्धियनेरइया णं भंते ! कहं उववज्जंति ? गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे अवसेसं तं चैव एवं जाव वैमाणि (ए) या, सेवं भंते । २ त्ति ॥ ८०६ ।। २५ । १० ॥ सम्मद्दिट्ठिनेरइया णं भंते ! कहं उववजंति ? गोयमा । से जहानामए पवए पवमाणे अवसेसं तं चैव एवं एगिंदियवजं जाव वेमाणि (ए) या, सेवं भंते । २ ति ॥ ८०७ ॥ २५।११ ॥ मिच्छादिट्टिनेरइया णं भंते ! कहं उववजंति ? गोयमा ! से जहानामए - पव ए पवमाणे अवसेसं तं चेव एवं जाव वेमाणिए, सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ८०८ ॥ -२५।१२ ॥ पणवीसइमस्स सयस्स वारहमो उद्देसो समत्तो ॥ पणवीसइमं सयं समत्तं ॥ नमो सुयदेवयाए भगवईए । जीवा १ य लेस्स२ पक्खिय ३ दिट्ठी ४ अन्नाण ५ नाण ६ सन्नाओ ७। वेय ८ कसा (य) ए९ उवओ (गे) ग १० जोग ११ एक्कार ( स ) वि ठाणा ॥ १ ॥ तेणं काळेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव एवं वयासी - जीवे णं भंते ! पावं कम्मं किं वंधी बंधड़ वैधिस्सइ १, बंधी वंधइ ण वंधिस्सइ २, वंधी न बंधइ बंधिस्स ३, वंधी न वंधइ न बंधिस्सइ ४ ? गोयमा ! अत्थेगइए (जीवे) वंधी बंधइ बंधिस्सइ १, अत्थेगइए वंधी वंधइ ण वैधिस्सइ २, अत्थेगइए वंधी ण बंधइ वंधिस्तइ ३, अत्थेगइए बंधी णं बंधइ ण बंधिस्सइ ४-१ ॥ सलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी बंधइ वंधिस्सइ, वंधी वंधइ ण वंधिस्सइ० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए बंधी बंधइ बंधिस्तइ, अत्थेगइए एवं चउभंगो । कण्हलेस्से णं भंते! जीवे पावं कम्मं किं बंधी ० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए वंधी वंधइ वंधिसइ अत्येगइए बंधी बंधइ न वंधिस्सइ एवं जाव पम्हलेस्से सव्वत्थ पढमविइया भंगा, सुक्कलेस्से जहा सलेस्से तहेव चउभंगो । अलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं वंधी० पुच्छा, गोयमा ! वंधी न वंधइ न वंधिस्सइ २ ॥ कण्हपक्खिए गं भंते ! जीवे "पावं कम्मं० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए वंधी पढमबिइया भंगा । सुक्कपक्खिए णं भंते ! जीवे पुच्छा, गोयमा ! चउभंगो भाणियव्वो ॥ ८०९ ॥ सम्मद्दिट्ठीगं चत्तारि भंगा, मिच्छादिट्ठीणं पढमविइया भंगा, सम्मामिच्छादिट्ठीणं एवं चेव । नाणीणं चत्तारि भंगा, आभिणिवोहियणाणीणं जाव मगपज्जवणाणीणं चत्तारि भंगा, केवलनाणीणं चरिमो भंगां जहा अलेस्साणं ५ अन्नाणीणं पढमविइया, 63 Page #951 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २६ उ० १] सुत्तागमे ८९९ एवं मइअन्नाणीणं सुयअन्नाणीणं विभंगणाणीणवि ६ । आहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिग्गहसन्नोवउत्ताणं पढमविइया नोसन्नोवउत्ताणं चत्तारि ७ । सवेदगाणं पढम बिइया,एवं इत्थिवेदगाणं पुरिसवेदगाणं नपुंसगवेदगाणवि, अवेदगाणं चत्तारिभंगा। सकसाईणं चत्तारि, कोहकसाईणं पढमविइया भंगा, एवं माणकसा(य)इस्सवि माया कसाइस्सवि लोभकसाइस्सवि चत्तारि भंगा, अकसाई णं भंते ! जीवे पावं कम्म किं बंधी० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए वंधी न बंधइ बंधिस्सइ ३, अत्थेगइए वंधी ण बंधइ ण वंधिस्सइ ४ । सजोगिस्स चउभंगो, एवं मणजो(ग)गिस्सवि वइजोगिस्सवि कायजोगिस्सवि, अजोगिस्स चरिमो, सागारोवउत्ते चत्तारि, अणागारोवउत्तवि चत्तारि भंगा ११॥ ८१० ॥ नेरइए णं भंते ! पावं कम्मं किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए बंधी पढमबिइया १, सलेस्से णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं० एवं चेव, एवं कण्हलेस्सेविं नीललेस्सेवि काउलेस्सेवि, एवं कण्हपक्खिए(वि) सुक्कपक्खिए(वि), सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी, णाणी आभिणिवोहियनाणी सुयनाणी ओहिणाणी अन्नाणी मइअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी आहारसन्नोवउत्ते जाव परिग्गहसन्नोवउत्ते, सवेदए जाव नपुंसगवेदए, सकसाई जाव लोभकसाई, सजोगी मणजोगी वइजोगी कायजोगी, सागारोवउत्ते अणागारोवउत्ते, एएसु सव्वेसु पएसु पढमविइया भंगा भाणियव्वा, एवं असुरकुमारस्सवि वत्तव्वया भाणियव्वा नवरं तेउलेस्सा इत्थिवेयगा पुरिसवेयगा य अब्भहिया नपुंसगवेदगा न भन्नति सेसं तं चेव सव्वत्य पढमविइया भंगा, एवं जाव थणियकुमारस्स, एवं पुढविकाइयस्सवि आउकाइयस्सवि जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्सवि सव्वत्थवि पढमबिइया भंगा नवरं जस्स जा लेस्सा दिट्ठी गाणं अन्नाणं वेदो जोगो य जं जस्स अत्थि तं तस्स भाणियव्यं सेसं तहेव, मणूसस्स जच्चेव जीवपदे वत्तव्वया सचेव निरवसेसा भाणियव्वा, वाणमंतरस्स जहा असुरकुमारस्स, जोइसियस्स माणियस्स एवं चेव नवरं लेस्साओ जाणियव्वाओ, सेसं तहेव भाणियव्वं ॥ ८११ ॥ जीवे णं भंते ! नाणावरणिज्जं कम्मं किं बंधी बंधइ वंधिस्सइ एवं जहेव पावकम्मस्स वत्तव्वया भणिया तहेव नाणावरणिजस्सवि वत्तव्वया भाणियन्वा नवरं जीवपदे मणुस्सपदे य सकसाई जाव लोभकसाइंमि य पढमविइया भंगा अवसेसं तं चेव जाव वेमाणिए, एवं दरिसणावरणिज्जेगाव दंडगो भाणियव्वो निरवसेसो ॥ जीवे णं भंते ! वेयणिज कम्मं किं बंधी० पुच्छा, गोयमा! अत्थेगइए बंधी बंधइ वंधिस्सइ १, अत्थेगइए वंधी बंधइ न बंधिस्सइ २, अत्थेगइए बंधी न बंधइ न वंधिस्सइ ४, सलेस्सेवि एवं चेव तइयविहणा भंगा, कण्हलेस्से जाव पम्हलेस्से पढम Page #952 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई विइया भंगा, सुकलेस्से तइयविहूणा भंगा, अलेस्से चरिमो भंगो, कण्हपक्खिए पढमविइया भंगा, सुक्कपक्खिया तइयविहूणा, एवं सम्मद्दिस्सिवि, मिच्छादिट्ठिस्स सम्मामिच्छादिट्ठिस्स य पढमविया, णा (ण) णिस्स तइयविहूणा, आभिणिवोहियनाणी जाव मणपज्जवणाणी पढमविइया, केवलनाणी तइयविहूणा, एवं नोसन्नोवउत्ते अवे. दए अकसाई सागारोवउत्ते अणागारोवउत्ते एएसु तइयविहूणा, अजोगिम्मि य चरिमो, सेसेसु पढमविइया | नेरइए णं भंते । वेयणिज्जं कम्मं किं बंधी बंधइ वंधिस्सइ० एवं नेरइया (दीया) जाव वेमाणियत्ति जस्स जं अत्थि सव्वत्यवि पढमविड्या, नवरं मणुस्से (सु) जहा जीवे, जीवे णं भंते! मोहणिजं कम्मं किं बंधी बंधड़ जहेव पावं कम्म तहेव मोहणिजंपि निरवसेसं जाव वेमाणिए ॥ ८१२ ॥ जीवे णं भंते ! आउयं क्रम्मं किं बंधी बंधइ० पुच्छा, गोयमा ! अत्येगइए बंधी चड़भंगो, सबेस्से जाव लुकलेस्से चत्तारि भंगा, अलेस्से चरिमो भंगो । कण्हपक्खिए णं पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए वंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्थेगइए बंधी न वंधइ बंधिस्सइ, एकपक्खिए सम्मद्दिट्ठी मिच्छादिट्ठी चत्तारि भंगा, सम्मामिच्छादिट्ठी पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए बंधी न वंध बंधिस्सइ अत्येगइए वंधी न वंधइ न वंधिस्सइ, नाणी जाव ओहिनाणी चत्तारि भंगा, मणपज्जवनाणी पुच्छा, गोयमा ! अत्येगइए वंधी बंध‍ चंविस्सइ, अत्येगइए वंधी न वंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगइए बंधी न वंधइ न बंधिस्तइ, केवलना ( णी णे चरिमो भंगो, एवं एएणं कमेणं नोसन्नोवउत्ते विश्यविहूणा जहेव मणपजवनाणे, अवेदए अकसाई य तइयचउत्था जहेव सम्मामिच्छंत्ते, अजोगिम्मि चरिमो, सेसेसु पदेसु चत्तारि भंगा जाव अणागारोवउत्ते ॥ नेरइए णं भंते । आउ कम्मं किं वंधी० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए चत्तारि भंगा एवं सव्वत्थवि नेरइयाणं चत्तारि भंगा नवरं कण्हलेस्से कण्हपक्खिए य पढमतइया भंगा, सम्मामिच्छत्ते तइयचउत्था, असुरकुमारे एवं चेव, नवरं कण्हलेस्से (सु) वि चत्तारि भंगा भाणियव्वा सेसं जहा नेरइयाणं एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढविकाइयाणं सव्वत्यवि चत्तारि भंगा, नवरं कण्हपक्खिए पढमतझ्या भंगा, तेउलेस्से पुच्छा, गोयमा ! बंधी न चंवर बंधिस्सइ, सेसेसु सव्वत्य चत्तारि भंगा, एवं आउकाइयवणस्सइकाइयाणवि निरवसेसं, तेङक्काइयवाउक्काइयाणं सव्वत्थवि पढमतझ्या भंगा, वेइंदियतेइंदियचउरिंदियाणंपि सव्वत्थवि पढमतइया भंगा, नवरं सम्मत्ते नाणे आभिणिवोहियनाणे. सुयनाणे तइओ भंगो । पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हपक्खिए पढमतझ्या भंगा, सम्मामिच्छत्ते तइयचउत्था भंगा, सम्मत्ते नाणे आभिणिवोहियनाणे सुयनाणे ओहिनाणे एएन पंचवि पढेसु विइयविहूणा भंगा, सेसेसु चत्तारि भंगा, मणुस्साणं Page #953 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० २६ उ०५] सुत्तागमे नहा जीवाणं, नवरं सम्मत्ते ओहिए नाणे आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे ओहिनाणे एएसु बिइयविहूणा भंगा, सेसं तं चेव, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा, नाम गोयं अंतरा(इ)यं च एयाणि जहा नाणावरणिज । सेवं भंते ! २ क्ति जावं विहरइ ॥ ८१३ ॥ बंधिसयस्स पढमो उद्देसो समत्तो।। __ अणंतरोववन्नए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा तहेव, गोयमा! अत्थेगइए बंधी पढमविइया भंगा। सलेस्से णं भंते ! अणंतरोववन्नए नेरइए पार्व कम्मं किं बंधी० पुच्छा, गोयमा ! पढमबिझ्या भंगा, एवं खलु सव्वत्थ पढमविइया भंगा, नवरं सम्मामिच्छत्तं मणजोगो वइजोगो य न पुच्छिज्जइ, एवं जाव थणियकुमाराणं, बेइंदियतेइंदियचउरिंदियाणं वइजोगो न भन्नइ, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणपि सम्मामिच्छत्तं ओहिनाणं विभंगनाणं मणजोगो वइजोगो एयाणि पंच पदाणि ण भन्नति । मणुस्साणं अलेस्ससम्मामिच्छत्तमणपजवणाणकेवलनाणविभंगनाणनोसन्नोवउत्तअवेदगअकसाईमणजो(गि)गवइजोगअजोगी एयाणि एकारस पयाणि ण भन्नति, वाणमंतरजोइसियवेमाणियाणं जहा नेरइयाणं तहेव ते तिन्नि न भन्नति सव्वेसिं, जाणि सेसाणि ठाणाणि सव्वस्थ पढमविइया भंगा, एगिदियाणं सव्वत्थ पढमविइया भंगा, जहा पावे एवं नाणावरणिजेगवि दंडओ, एवं आउयवजेसु जाव अंतराइए दंडओ ॥ अणंतरोववन्नए णं भंते ! नेरइए आउयं कम्मं कि वंधी० पुच्छा, गोयमा ! बंधी न वंवइ बंधिस्सइ । सलेस्से णं भंते ! अणंतरोववन्नए नेरइए आउयं कम्मं कि बंधी० ? एवं चेव तइओ भंगो, एवं जाव अणागारोवउत्ते, सव्वत्थवि तइओ भंगो, एवं मणुस्सवजं जाव वेमाणियाणं, मणुस्साणं सव्वत्य त्तइयचउत्था भंगा, नवरं कण्हपक्खिएसु तइओ भंगो सब्वेसि नाणत्ताई ताई चेव। सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ८१४ ॥ बंधिसयस्स विइओ उद्देसो समत्तो ॥ परंपरोववन्नए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा, गोयमा ! अत्यंगइए पढमबिइया, एवं जहेव पढमो उद्देसओ तहेव परंपरोववन्नएहिवि उद्देसओ भाणियव्वो नेरइयाइओ तहेव नवदंडगसंगहिओ, अट्ठण्हवि कम्मप्पगडीणं जा जस्स कम्मस्स वत्तव्वया सा तस्स अहीणमइरित्ता नेयव्वा जाव वेमाणिया अणागारोचउत्ता । सेवं भंते! २ त्ति ॥ ८१५॥ वधिसयस्स तइओ उद्देसो समत्तो।। ___अणंतरोगाढए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए० एवं जहेव अणंतरोववन्नएहिं नवदंडगसंगहिओ उद्देसओ भणिओ तहेव अणंतरोगाढएहिवि अहीणमइरित्तो भाणियव्वो नेरझ्याईए जाव वेमाणिए । सेवं भंते! २ त्ति ॥ २६-४॥ परंपरोगाढए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी० जहेव Page #954 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९०२ सुत्तागमे [भगवई परंपरोववन्नएहि उद्देसो सो चेव निरवसेसो भाणियन्वो । सेवं भंते ! २ त्ति ॥२६-५॥ अणंतराहारए णं भंते! नेरइए पावं कम्मं किं वंधी० पुच्छा, गोयमा! एवं जहेव अणंतरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव निरवसे (सो)सं । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ २६-६ ॥ परंपराहारए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा, गोयमा! एवं जहेव परंपरोववन्नएहि उद्देसो तहेव निरवसेसो भाणियव्यो । सेवं भंते । सेवं भंते ! त्ति ॥ २६-७ ॥ अणंतरपजत्तए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा, गोयमा ! एवं जहेव अणंतरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव निरवसेसं । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ २६-८ ॥ परंपरपजत्तए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा, गोयमा ! एवं जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव निरवसेसो भाणियब्वो । सेवं मंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ २६-९ ॥ चरिमे णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा, गोयमा! एवं जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव चरिमेहिं निरवसे(सं)सो। सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ २६-१०॥ अचरिमे णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए एवं जहेव पढमोद्देसए तहेव पढमविइया भंगा भाणियव्वा सव्वत्थ जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं । अचरिमे णं मंते ! मणुस्से पावं कम्मं किं वंधी० पुच्छा, गोयमा! अत्थेगइए वंधी वंधइ वैधिस्सइ, अत्थेगइए वंधी वंधइ न वंधिस्सइ, अत्थेगइए वंधी न बंधइ(न) बंधिस्सइ। सलेस्से णं भंते ! अचरिमे मणुस्से पावं कम्मं कि वंधी० ? एवं चेव तिन्नि भंगा चरिमविहणा भाणियव्वा एवं जहेव पढमुद्देसे, नवरं जेसु तत्थ वीससु पदेसु चत्तारि भंगा तेसु इह आदिल्ला तिन्नि भंगा भाणियव्वा चरिमभंगवजा, अलेस्से केवलनाणी य अजोगी य एए तिन्निवि न पुच्छिज्जति, सेसं तहेव, वाणमंतरजोइसियवेमाणि(ए)या जहा नेरइए । अचरिमे णं भंते ! नेरइए नाणावरणिज कम्मं कि बंधी० पुच्छा; गोयमा ! एवं जहेव पावं नवरं मणुस्सेसु सकसाईसु लोभकसाईसु य पढमविइया भंगा, सेसा अट्ठारस चरिमविहूणा सेसं तहेव जाव वेमाणियाणं, दरिसणावरणिजंपि एवं चेव निरवसेसं, वेयणिज्जे सव्वत्थवि पढमविइया भंगा जाव वेमाणियाणं नवरं मणुस्सेसु अलेस्से केवली अजोगी य नत्थि । अचरिमे णं भंते ! नेरइए मोहणिज कम्मं कि वंधी० पुच्छा, गोयमा! जहेव पावं तहेव निरवसेसं जाव वेमाणिए । अचरिमे णं भंते ! नेरइए आउयं कम्मं किं वंधी० पुच्छा, गोयमा! पढमवि(त)इया भंगा, एवं सव्वपदेसुवि, नेरइयाणं पढमतइया भंगा नवरं सम्मामिच्छत्ते तइओ भंगो, एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढविक्काइयआउकाइयवणस्सइकाइयाणं तेउलेस्साए तइओ भंगो सेसेसु पदेसु सव्वत्थ पढमतइया भंगा, तेउकाइयवाउक्काइयाणं सव्वत्य एवं चेव निखान केवली गायमा Page #955 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९०३ वि०प० स० २८ उ० २] सुत्तागमे पढमतइया भंगा, बेइंदियतेइंदियचउरिंदियाणं एवं चेव नवरं सम्मत्ते ओहिनाणे आभिणिवोहियनाणे सुयनाणे एएसु चउसुवि ठाणेसु तइओ भंगो, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं सम्मामिच्छत्ते तइओ भंगो, सेसेसु पदेसु सव्वत्थ पढमतइया भंगा, मणुस्साणं सम्मामिच्छत्ते अवेदए अकसाइम्मि य तइओ भंगो, अलेस्स केवलनाण अजोगी य न पुच्छिति, सेसपदेसु सव्वत्थ पढमतइया भंगा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया । नाम गोयं अंतराइयं च जहेव नाणावरणिज तहेव निरवसेसं । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ८१६ ॥ छव्वीसइमे बंधिसए एयारहमो उद्देसो समत्तो ॥ छब्बीसइमं वधिसयं समत्तं ॥ जीवा णं भंते! पावं कम्मं किं करिंसु करेन्ति करिस्संति १, करिंसु करेंति न करिस्संति २, करिंसु न करेंति करिस्संति ३, करिसु न करेंति न करिस्संति ४ ? गोयमा ! अत्थेगइए करिंसु करेंति करिस्संति १, अत्थेगइए करिंसु करेंति न करिस्संति २, अत्थेगइए करिंसु न करेंति करिस्संति ३, अत्थेगइए करिंसु न करेंति न करिस्संति ४ । सलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं एवं एएणं अभिलावणं जच्चेव बंधिसए वत्तव्वया सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा, तहेव नवदंडगसंगहिया एकारस उद्देसगा भाणियव्वा ॥ ८१७ ॥ सत्तावीसइम कारसुगसयं समत्तं ।। जीवा णं भंते ! पावं कम्मं कहिं समजिणिंसु कहिं समायरिंसु ? गोयमा ! सव्वेवि ताव तिरिक्खजोणिएसु होजा १ अहवा तिरिक्खजोणिएसु य नेरइएसु य होजा २ अहवा तिरिक्खजोणिएसु य मणुस्सेसु य होजा ३ अहवा तिरिक्खजोणिएसु य देवेसु य होजा ४ अहवा तिरिक्खजोणिएसु य नेरइएसु य मणुस्सेसु य होजा ५ अहवा तिरिक्खजोणिएसु य नेरइएसु य देवेसु य होज्जा ६ अहवा तिरिक्खजोणिएसु य मणुस्सेसु य देवेसु य होज्जा ७ अहवा तिरिक्खजोणिएसु य नेरइएसु य मणुस्सेसु य देवेसु य होजा ८ । सलेस्सा णं भंते ! जीवा पावं कम्म कहिं समन्जिणिसु कहिं समायरिसु ? एवं चेव, एवं कण्हलेस्सा जाव अलेस्सा, कण्हपक्खिया सुक्कपक्खिया एवं जाव अणागारोवउत्ता । नेरइया णं भंते ! पावं कम्म कहिं समन्जिणिंसु कहिं समायरिंसु ? गोयमा ! सव्वेवि ताव तिरिक्खजोणिएसु होजत्ति एवं चेव अट्ट भंगा भाणियव्वा, एवं सव्वत्थ अट्ठ भंगा, एवं जाव अणागारोवउत्तावि, एवं जाव वेमाणियाणं, एवं नाणावरणिजेणवि दंडओ; एवं जाव अंतराइएणं, एवं एए जीवादीयां वेमाणियपज्जवसाणा नव दंडगा भवंति । सेवं भंते ! २ ति जाव विहरइ ॥ ८१८ ॥ २८११॥ अणंतरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया पावं कम्मं कहि समन्जिणिंसु कहिं समायरिंसु ? गोयमा! सव्वेवि ताव तिरिक्खजोणिएसु होजा, Page #956 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९०४ सुत्तागमे [भगवई एवं एत्यवि अट्ठ भंगा, एवं अणंतरोववन्नगाण नेरझ्याईगं जस्स जं अत्यि लेस्सा. दीयं अणागारोवओगपज्जवसाणं तं सव्वं एयाए भयणाए भाणियव्वं जाव वेमाणियाणं, नवरं अगंतरेतु जे परिहरियव्वा ते जहा बंधिसए तहा इहपि, एवं नाणावरणिजेणवि दंडओ एवं जाव अंतराइएणं निरवसेसं एसोवि नवदंडगसंगहिओ उद्देसओ भाणियचो । सेवं भते! २ त्ति ॥ ८१९ ॥ २८॥२ ॥ एवं एएणं कमेणं जहेव वंधिसए उद्देसगाणं परिवाडी तहेव इहपि अठ्ठतु मंगेनु नेयवा नवरं जाणियव्वं जं जस्स अत्यि तं तस्स भाणियव्वं जाव (अ)चरिमुद्देसो । सव्वेवि एए एक्कारस उद्देसगा। सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरड् ॥ ८२० ॥ अट्ठावीसइम कम्मसमजणणसय समत्तं ॥ __ जीवा णं भंते ! पावं कम्मं किं समायं पट्टवितु समायं निविंसु १, समायं पट्टविंसु विसमायं निर्विसु २, विसमायं पट्टविसु समायं निवितु ३, विसमायं पट्टविसु विसमायं निवितु ४ ? गोयमा ! अत्येगइया समायं पट्ठविंसु समायं निट्ठविंतु जाव अत्वेगझ्या विसमायं पठ्ठविंसु विसमायं निविसु, से केणटेणं भंते ! एवं वुचइ अत्यंगइया समायं पट्ठविसु समायं निवितु ? तं चेव, गोयमा ! जीवा चउविहा पन्नत्ता, तंजहा-अत्येगइया समाउया समोववन्नगा १, अत्यंगझ्या समाउया विसमोववन्नगा २, अत्यंगइया विसमाउया समोववन्नगा ३, अत्थेगइया विसमाउया विसमोववन्नगा ४, तत्य णं जे ते समाउया समोववन्नगा ते णं पावं कम्मं समायं पट्टविसु समायं निवितु, तत्य गं जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते णं पावं कम्म समायं पट्टर्विसु विसमायं निर्विसु, तत्य णं जे ते विसमाउया समोववन्नगा ते णं पावं कम्मं विसमायं पट्ठवितु समायं निविंसु, तत्य णं जे ते विसमाउया विसमोववन्नगा ते णं पावं कम्मं विसमायं पट्टविसु विसमायं णिट्ठविंनु, से तेणद्वेगं गोयमा! तं चेव । सलेस्सा णं भंते ! जीवा पावं कम्मं एवं चेव, एवं सव्वट्ठाणेसुवि जाव अगागारोवउत्ता, एए सब्वेवि पया एयाए वत्तव्वयाए भाणियव्वा । नेरइया ण भंते ! पावं कम्मं किं समायं पट्टविसु समायं निविंसु० पुच्छा, गोयमा ! अत्येगइया समायं पठ्ठविंसु एवं जहेव जीवाणं तहेव भाणियव्वं जाव अणागारोवलत्ता, एवं जाव। वेमाणियाणं जस्स जं अत्यि तं एएणं चेव कमेणं भाणियध्वं जहा पावेण कम्मेण . दंडओ, एवं एएणं कमेणं अनुवि कम्मप्पगडीतु अट्ट दंडगा भाणियन्वा जीवादीया वेमाणियपजवसाणा एसो नवदंडगसंगहिओ पढमो उद्देसओ भाणियन्त्रो । सेवं भंते! . २त्ति ॥ ८२१ ॥ एगूणतीसइमे सए पढमो उद्देसो समतो॥ मणेतरोववन्नगा गं भंते ! नेरइया पावं कम्मं किं समायं पट्टविसु समायं Page #957 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९०५ वि० ५० स० ३० उ० १] सुत्तागमे निविंसु० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइया समायं पट्टविंसु समायं निट्ठविंसु अत्थेगइया समायं पट्टविंसु विसमायं निट्ठविंसु, से केणटेणं भंते ! एवं चुच्चइ अत्थेगइया समायं पट्ठविंसु तं चेव, गोयमा ! अगंतरोववन्नगा नेरइया दुविहा प०, तं०अत्थेगइया समाउया समोववन्नगा अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा, तत्थ णं जे ते समाउया समोववन्नगा ते णं पावं कम्मं समायं पट्टविसु समायं निट्ठविसु, तत्य गंजे ते समाउया विसमोववन्नगा ते णं पावं कम्मं समायं पट्टविंसु विसमायं निट्ठविसु, से तेणटेणं तं चेव । सलेस्सा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया पावं कम्म एवं चेव, एवं जाव अणागारोवउत्ता, एवं असुरकुमारावि एवं जाव वेमाणिया नवरं जं जस्स अस्थि तं तस्स भाणियव्वं, एवं नाणावरणिजेणवि दंडओ, एवं निरवसेसं जाव अंतराइएणं । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ २९॥२ ॥ एवं एएणं गमएणं जच्चेव वंधिसए उद्देसगपरिवाडी सच्चेव इहवि भाणियचा जाव अचरिमोत्ति, अणंतरउद्देसगाणं चउण्हवि एका वत्तव्वया सेसाणं सत्तण्हं एका वत्तव्वया ॥ ८२२ ॥ एगूणतीसइमं कम्मपट्ठवणसयं समत्तं ।। __ कइ णं भंते ! समोसरणा प० ? गोयमा ! चत्तारि (चउव्विहा) समोसरणा प०, तंजहा-किरियावाई अकिरियावाई अन्नाणियवाई वेणइयवाई, जीवा णं भंते ! किं 'किरियावाई अकिरियावाई अन्नाणियवाई वेणइयवाई ? गोयमा ! जीवा किरियावाईवि 'अकिरियावाईवि अन्नाणियवाईवि वेणइयवाईवि, सलेस्सा णं भंते ! जीवा किं किरियावाई० पुच्छा, गोयमा ! किरियावाईवि अकिरियावाईवि अन्नाणियवाईवि वेणइयवाईवि, एवं जाव सुक्कलेस्सा, अलेस्सा णं भंते ! जीवा पुच्छा, गोयमा ! किरियावाई नो अकिरियावाई नो अन्नाणियवाई नो वेणइयवाई । कण्हपक्खिया णं भंते ! जीवा किं किरियावाई० पुच्छा, गोयमा । नो किरियावाई अकिरियावाई अन्नाणियवाईवि वेणइयवाईवि, सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा, सम्मट्टिी जहा अलेस्सा, मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया, सम्मामिच्छादिट्ठीणं पुच्छा, गोयमा ! नो किरियावाई नो अकिरियावाई अन्नाणियवाईवि वेणइयवाईवि, णाणी जाव केवलनाणी जहा अलेस्सा, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया, आहारसन्नोवउत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता जहा सलेस्सा, नोसन्नोवउत्ता जहा अलेस्सा, सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा, अवेदगा जहा अलेस्सा, सकसाई जाव लोभकसाई जहा सलेस्सा, अकसाई जहा अलेस्सा, सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा, अजोगी जहा अलेस्सा, सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता जहा सलेस्सा । नेरइया णं भंते। किं किरियावाई० पुच्छा, गोयमा ! किरियावाईवि Page #958 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९०६ सुत्तागमे [भगवई जाव वेणइयवाईवि, सलेस्सा णं भंते ! नेरइया किं किरियावाई० ? एवं चेव, एवं जाव काउलेस्सा, कण्हपक्खिया किरियाविवज्जिया, एवं एएणं कमेणं जच्चेव जीवाणं वत्तव्वया सच्चेव नेरइयाणवि वत्तव्वया जाव अणागारोवउत्ता नवरं जं अस्थि तं भाणियव्वं सेसं न भण्णइ, जहा नेरइया एवं जाव थणियकुमारा | पुढाविकाइया ण भंते! किं किरियावाई० पुच्छा, गोयमा ! नो किरियावाई अकिरियावाईवि अन्नाणियवाईवि नो वेणइयवाई, एवं पुढविकाइयाणं जं अत्थि तत्य सव्वत्थति एयाई दो मज्झिलाई समोसरणाई जाव अणागारोवउत्तावि, एवं जाव चउरिंदियाणं सवटाणेसु एयाई चेव मज्झिल्लगाइं दो समोसरणाइं, सम्मत्तनाणेहिवि एयाणि चेव मज्झिल्लगाई दो समोसरणाइं, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा जीवा नवरं जं अस्थि तं भाणियव्वं, मणुस्सा जहा जीवा तहेव निरवसेसं, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा ॥ किरियावाई णं भंते ! जीवा किं नेरइयाउयं पकरेन्ति तिरिक्खजोणियाउयं पकरेन्ति मणुस्साउयं पकरेन्ति देवाउयं पकरेन्ति ? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेन्ति नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेन्ति मणुस्साउयंपि पकरेन्ति देवाउयंपि पकरेन्ति, जइ देवाउयं पकरेन्ति कि भवणवासिदेवाउयं पकरेन्ति जाव वेमाणियदेवाउयं पकरेन्ति ? गोयमा ! नोभवणवासिदेवाउयं पकरेन्ति नो वाणमंतरदेवाउयं पकरेन्ति नो जोइसियदेवाउयं पकरेन्ति वेमाणियदेवाउयं पकरेन्ति । अकिरियावाई णं भंते ! जीवा किं नेरइयाउयं पकरेन्ति तिरिक्ख० पुच्छा, गोयमा ! नेरइयाउयपि पकरेन्ति जाव देवाउयंपि पकरेन्ति, एवं अन्नाणियवाईवि वेणइयवाईवि । सलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई कि नेरइयाउयं पकरेन्ति० पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं एवं जहेव जीवा तहेव सलेस्सावि चउहिवि समोसरणेहिं भाणियव्वा, कण्हलेस्सा गं भंते ! जीवा किरियावाई कि नेरइयाउयं पकरेन्ति० पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेन्ति नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेन्ति मणुस्सायं पकरेन्ति नो देवाउयं पकरेन्ति, अकिरियावाई अन्नाणियवाई वेणइयवाई य चत्तारिवि आउयाइं पकरेन्ति, एवं नीललेस्सावि काउलेस्सावि, तेउलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई कि नेरइयाउयं पकरेन्ति० पुच्छा, गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेन्ति नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति मणुस्साउयंपि पकरेन्ति देवाउयंपि पकरेन्ति, जइ देवाउयं पकरेन्ति तहेव, तेउलेस्सा णं भंते ! जीवा अकिरियावाई कि नेरइयाउयं० पुच्छा, गोयमा ! नो नैरइयाउयं पकरेन्ति तिरिक्खजोणियाउयपि पकरेन्ति मणुस्साउयपि पकरेंति देवाऽयंपि पकरेन्ति, एवं अन्नाणियवाईवि वेणइयवाईवि, जहा तेउलेस्सा एवं पम्दलेस्सावि सुकलेस्सावि नेग्रव्वा । अलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई किं Page #959 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प०, स० ३० उ० १ ] सुत्तागमे ९०७ गैरइयाउयं पकरेंति० पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति नो तिरिक्ख० नो मणुस्स० नो देवाउयं पकरेंति, कण्हपक्खिया णं भंते ! जीवा अकिरियावाई किं नेरइयाउयं ० पुच्छा, गोयमा ! नेरइयाउयंपि पकरेन्ति एवं चउव्विपि एवं अन्नाणियवाईवि वेणइयवाईवि, सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा, सम्मद्दिट्ठी णं भंते ! जीवर किरियावा किं नेरइयाउयं० पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेन्ति नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेन्ति मणुस्साउयंपि पकरेन्ति देवाउयंपि पकरेन्ति, मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया, सम्मामिच्छादिट्ठी णं भंते ! जीवा अन्नाणियवाई किं नेरइयाउयं ० जहा अलेस्सा, एवं वेणइयवाईवि, णाणी आभिणिवोहियनाणी य सुयनाणी य ओहि • नाणी य जहा सम्मद्दिट्ठी, मणपज्जवणाणी णं भंते! किं० पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेन्ति नो तिरिक्ख० नो मणुस्साउयं पकरेंति देवाउयं पकरेन्ति, जइ देवाउयं पकरेति किं भवणवासि० पुच्छा, गोयमा ! नो भवणवासि देवाउयं पकरेन्ति नो वाणमंतर० नो जोइसिय० वेमाणिय देवाउयं पकरेन्ति, केवलनाणी जहा अलेस्सा, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया, सन्नासु चउसुवि जहा सलेस्सा, नोसन्नोवउत्ता जहा मणपज्जवनाणी, सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा, अवेदगा जहा अलेस्सा, सकसाई जाव लोभकसाई जहा सलेस्सा, अकसाई जहा अलेस्सा, सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा, अजोगी जहा अलेस्सा, सागारोवउत्ता य अणागा - रोवउत्ता य जहा सलेस्सा ॥ ८२३ ॥ किरियावाई णं भंते ! नेरइया किं नेरइयाउयं • पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरे (इ) न्ति नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति मणुरसाउयं पकरेन्ति नो देवाउयं पकरेन्ति, अकिरियावाई णं भंते ! नेरइया पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरे (इ) न्ति तिरिक्खजोणियाउयंपि पकरेन्ति मणुस्साउयंपि पकरेन्ति नो देवाउयं पकरेन्ति, एवं अन्नाणियवाईवि वेणइयवाईवि । सलेस्सा णं भंते ! नेरइया किरियावा किं नेरइयाउयं • एवं सव्वेवि नेरइया जे किरियाबाई ते मणुस्साउयं एगं पकरेन्ति, जे अकिरियावाई अन्नाणियवाई वेणइयवाई ते सव्वट्ठाणेसुविनो नेरइयाउयं पकरेति तिरिक्खजोणियाउयंपि पकरेन्ति मणुस्सा उयंपि पकरेन्ति नो देवाउयं पकरेन्ति, नवरं सम्मामिच्छत्ते उवरिल्लेहिं दोहिवि समोसरणेहिं न किंचिवि पकरेति जहेव जीवपए, एवं जाव थणियकुमारा जहेब नेरइया । अकिरियावाई भंते! पुढविकाइया पुच्छा, गोयमा । नो नेरइयाउयं पकरे (इ) ति तिरिक्खजोणियाउयं प्रकरेन्ति मणुस्साउयं पकरेन्ति नो देवाउयं पकरेन्ति, एवं अन्नाणियवाईवि । सलेस्सा णं भंते । एवं जं जं पदं अत्थि पुढविकाइयाणं तहिं २ मज्झिमेयु दो समोसरणेसु एवं चैव दुविहं आउयं पकरेन्ति नवरं तेउलेस्साए न किपि पकरेन्ति, Page #960 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई एवं आउकाइयाणवि, एवं वणस्सइकाइयाणवि, तेउकाइया वाउकाइया सव्वट्ठाणेखें मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु नो नेरइयाउयं पकरे(इ)न्ति तिरिक्खजोणियाउयं पकरेन्ति नो मणुस्साउयं पकरेंति नो देवाउयं पकरेन्ति, वेइंदियतेइंदियचउरिंदियाणं जहा पुढविकाइयाणं नवरं सम्मत्तनाणेसु न एकंपि आउयं पकरेन्ति । किरियावाई णं भंते! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया किं नेरइयाउयं पकरेन्ति० पुच्छा, गोयमा ! जहा मणपजचनाणी, अकिरियावाई अन्नाणियवाई वेणइयवाई य चउन्विहंपि पकरेन्ति, जहा ओहिया तहा सलेस्सावि । कण्हलेस्सा णं भंते ! किरियावाई पंचिंदियतिरिक्खजोणिया कि नेरइयाउयं० पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेन्ति णो तिरिक्ख० नो मणुस्साउयं पकरेंति नो देवाउयं पकरेन्ति, अकिरियावाई अन्नाणियवाई वेणइयवाई चउन्विहंपि पकरेन्ति, जहा कण्हलेस्सा एवं नीललेस्सावि काउलेस्सावि, तेउलेस्सा जहा सलेस्सा, नवरं अकिरियावाई अन्नाणियवाई वेणइयवाई य णो नेरइयाउयं पकरेन्ति तिरिक्खजोणियाउयंपि पकरेन्ति मणुस्साउयपि पकरेन्ति देवाउयंपि पकरेंति, एवं पम्हलेस्सावि, एवं सुक्कलेस्सावि भाणियब्वा, कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउन्विहंपि आउयं पकरेन्ति, सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा, सम्मट्टिी जहा मणपजवनाणी तहेव वेमाणियाज्यं पकरेन्ति, मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया, सम्मामिच्छादिट्ठी ण य एकंपि आउयं पकरेन्ति जहेव नेरड्या, णाणी जाव ओहिनाणी जहा सम्मदिट्टी, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया, सेसा जाव अणागारोवडत्ता सव्वे जहा सलेस्सा तहा चेव भाणियन्वा, जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं वत्तव्वया भणिया एवं मणुस्साणवि वत्तव्बया भाणियव्वा, नवरं मणपजवनाणी नोसन्नोवउत्ता य जहा सम्मविट्ठी तिरिक्खजोणिया तहेव भाणियव्वा, अलेस्सा केवलनाणी अवेदगा अकसाई अजोगी य एए एकंपि आउयं न पकरेन्ति जहा ओहिया जीवा सेसं तं चेव, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा ॥ किरियावाई णं भंते ! जीवा किं भवसिद्धिया अभवसिद्धिया ? गोयमा! भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया । अकिरियावाई णं भंते ! जीवा कि भवसिद्धिया पुच्छा, गोयमा! भवसिद्धियावि अभवसिद्धियावि, एवं अन्नाणियवाईवि, वेणइयवाईवि । सलेस्सा णं मंते ! जीवा किरियावाई किं भवसिद्धिया पुच्छा, गोयमा! भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया। सलेस्सा णं भंते ! जीवा अकिरियावाई किं भवसिद्धिया पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धियावि अभवसिद्धियावि, एवं अन्नाणियवाईवि वेणइयवाईवि जहा सलेस्सा, एवं जाव मुकलेस्सा, अलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई किं भवसिद्धिया पुच्छा, गोयमा! भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया, एवं एएणं अभिलावेणं कण्हपक्खिया Page #961 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ३० उ० २] सुत्तागमे तिसुवि समोसरणेसु भयणाए, सुक्कपक्खिया चउसुवि समोसरणेसु भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया, सम्मट्टिी जहा अलेस्सा, मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया, सम्मामिच्छादिट्ठी दोसुवि समोसरणेसु जहा अलेस्सा, नाणी जाव केवलनाणी भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया, सन्नासु चउसुवि जहा सलेस्सा, नोसन्नोवउत्ता जहा सम्मट्ठिी, सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा, अवेदगा जहा सम्मट्ठिी, सकसाई जाव लोभकसाई जहा सलेस्सा, अकसाई जहा सम्मट्टिी, सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा, अजोगी जहा सम्मदिट्टी, सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता जहा सलेस्सा, एवं नेरइयावि भाणियव्वा नवरं नायव्वं जं अस्थि, एवं असुरकुमारावि जाव थणियकुमारा, पुढविकाइया सव्वट्ठाणेसुवि मज्झिल्लेसु दोसुवि समोसरणेसु भवसिद्धियावि अभवसिद्धियावि एवं जाव वणस्सइकाइया, बेइंदियतेइंदियचउरिंदिया एवं चेव नवरं सम्मत्ते ओहिनाणे आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे एएसु चेव दोसु मज्झिमेसु समोसरणेसु भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया, सेसं तं चेव, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया नवरं नायव्वं जं अस्थि, मणुस्सा जहा ओहिया जीवा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ८२४ ॥ तीसइमस्स सयस्स पढो उद्देसो समत्तो॥ अणंतरोववनगाणं भंते ! नेरइया किं किरियावाई० पुच्छा, गोयमा ! किरियावाईवि जाव वेणइयवाईवि, सलेस्सा णं भंते ! अगंतरोववन्नगा नेरइया कि किरियावाई० एवं चेव, एवं जहेव पढमुद्देसे नेरइयाणं वत्तव्वया तहेव इहवि भाणियव्वा, नवरं जं जस्स अस्थि अणंतरोववन्नगाणं नेरइयाणं तं तस्स भाणियव्वं, एवं सव्वजीवाणं जाव वेमाणियाणं, नवरं अणंतरोववन्नगाणं जं जहिं अत्थि तं तहिं भाणियव्वं । किरियावाई णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेन्ति० पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति नो तिरि० नो मणु० नो देवाउयं पकरेन्ति, एवं अकिरियावाईवि अन्नाणियवाईवि वेणइयवाईवि । सलेस्सा णं भंते ! किरियावाई अणंतरोववन्नगा नेरइया किं नेरइयाउयं० पुच्छा, गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेन्ति जाव नो देवाउयं पकरेन्ति, एवं जाव वेमाणिया, एवं सव्वट्ठाणेसुवि अणंतरोववन्नगा नेरइया न किचिवि आउयं पकरेन्ति जाव अणागारोवउत्तत्ति, एवं जाव वेमाणिया नवरं जं जस्स अत्थि तं तस्स भाणियव्वं । किरियावाई णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया. कि भवसिद्धिया अभवसिद्धिया ? गोयमा ! भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया । अकिरियावाईणं पुच्छा, गोयमा! भवसिद्धियाकि Page #962 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई ११० अभवसिद्धियावि, एवं अन्नाणियवाईवि वेणइयवाईवि । सलेस्सा णं भंते। किरियावाई अणंतरोववन्नगा नेरइया किं भवसिद्धिया अभवसिद्धिया ? गोयमा! भक्मिदिया नो अभवसिद्धिया, एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिए उद्देसए नेरइयाणं वत्तन्वया भणिया तहेव इहवि भाणियव्वा जाव अणागारोवउत्तत्ति, एवं जाव वेमाणियाण नवरं जं जस्स अत्थि तं तस्स भाणियव्वं, इमं से लक्खणं-जे किरियावाई सुक्कपक्खिया सम्मामिच्छादिट्ठिया एए सव्वे भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया, सेसा सव्वे भवसिद्धियावि अभवसिद्धियावि । सेवं भंते ! २ त्ति ॥८२५॥ ॥३०॥२॥ परंपरोववन्नगाणं भंते ! नेरइया कि किरियावाई० एवं जहेव ओहिओ उद्देसओ तहेव परंपरोववन्नएसुवि नेरइयाईओ तहेव निरवसेसं भाणियव्वं तहेव तियदंडगसंगहिओ । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ८२६ ॥ ३०१३ ॥ एवं एएणं कमेणं जच्चेव बंधिसए उद्देसगाणं परिवाडी सच्चेव इहपि जाव अचरिमो उद्देसओ, नवरं अणंतरा चत्तारिवि एकगमगा, परंपरा चत्तारिवि एक्कगमएणं, एवं चरिमावि, अचरिमावि एवं चेव नवरं अलेस्सो केवली अजोगी न भन्नइ, सेसं तहेव । सेवं भंते ! २ ति । एए एकारसवि उद्देसगा ॥ ८२७ ॥ तीसइमं समो. सरणसयं समत्तं ॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-कइ णं भंते ! खुड्डा(ग) जुम्मा प० ? गोयमा ! चत्तारि खुड्डा(ग) जुम्मा प०, तं०-कडजुम्मे १, तेओगे २, दावरजुम्मे ३, कलिओगे ४, से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चइ चत्तारि खुड्डा(ग) जुम्मा प० तं०-कडजुम्मे जाव कलिओगे ? गोयमा! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए सेत्तं खुड्डागकडजुम्मे, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए सेत्तं खुड्डागतेओगे, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपज्जवसिए सेत्तं खुडांगदावरजुम्मे, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपज्जवसिए सेत्तं खुड्डागकलिओगे, से तेणढेणं जाव कलिओगे । खुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववजंति किं नेरइएहितो उववज्जति तिरिक्ख० पुच्छा, गोयमा! नो नेरइएहिंतो उववजंति एवं नेरइयाणं उववाओ जहा वकंतीए तहा भाणियन्वो । तेणं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववनंति ? गोयमा! चत्तारि वा अट्ठ वा वारस वा सोलस वा संखेजा वा असंखेजा वा उववजति । ते णं भंते ! जीवा कह उववज्जति ? गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे अज्झवसाण एवं जहा पंचवीसइमे सए अट्ठमुद्देसए नेरइयाणं वत्तव्वया तहेव इहवि भाणियव्वा जाव आयप्पओगेणं उववनंति नो परप्पओगेणं उववति । रयणप्पभापुढविखुट्टागकडजुम्मू Page #963 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० ३१ उ० ४] सुंतागमे नेरइया णं भंते ! कओ उववनंति० ? एवं जहा ओहियनेरइयाणं वत्तव्वया सच्चेव रयणप्पभाएवि भाणियव्वा जाव नो परप्पओगेणं उववनंति, एवं सकरप्पभाएवि, एवं जाव अहेसत्तमाए, एवं उववाओ जहा वनंतीए, असन्नी खलु पढमं दोचं व सरीसवा तइय पक्खी । गाहाए उववाएयव्वा, सेसं तहेव । खुड्डागतेओगनेरइया णं भंते ! कओ उववजति किं नेरइएहितो० ? उववाओ जहा वनंतीए, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववजति ? गोयमा ! तिन्नि वा सत्त वा एकारस वा पन्नरस वा संखेजा वा असंखेजा वा उववति, सेसं जहा कडजुम्मस्स, एवं जाव अहेसत्तमाए । खुड्डागदावरजुम्मनेरइया णं भंते ! कओं उववजति ? एवं जहेव खुड्डागकडजुम्मे नवरं परिमाणं दो वा छ वा दस वा चउद्दस वा संखेजा वा असंखेजा वा सेसं तं चेव, एवं जाव अहेसत्तमाए । खुड्डागकलिओगनेरइया णं भंते ! कओ उववजति ? एवं जहेव खुड्डागकडजुम्मे नवरं परिमाणं एक्को वा पंच वा नव वा तेरस वा संखेज्जा वा असंखेजा वा उववजंति, सेसं तं चेव, एवं जाव अहेसत्तमाए । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ८२८ ॥ ३१॥१॥ कण्हलेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववजति ? एवं चेव जहा ओहियगमो जाव नो परप्पओगेणं उववजंति, नवरं उववाओ जहा वकंतीए, धूमप्पभापुढविनेरइया णं सेसं तहेव, धूमप्पभापुढविकण्हलेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया गं भंते ! कओ उववनंति ? एवं चेव निरवसेसं, एवं तमाएवि एवं अहेसत्तमाएवि, नवरं उववाओ सव्वत्थ जहा वकंतीए। कण्हलेस्सखुड्डागतेओगनेरइया णं भंते । कओ उववज्जति ? एवं चेव नवरं तिन्नि वा सत्त वा एकारस वा पन्नरस वा संखेजा वा असंखेजा वा सेसं तहेत्र एवं जाव अहेसत्तमाएवि । कण्हलेस्सखुड्डागदावरजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववजति०? एवं चेव नवरं दो वा छ वा दस वा चउद्दस वा सेसं तं चेव, एवं धूमप्पभाएवि जाव अहेसत्तमाएवि । कण्हलेस्सखुड्डागकलिओगनेरझ्या णं भंते ! कओ उववजति ? एवं चेव नवरं एको वा पंच वा नव वा तेरस वा संखेज्जा वा असंखेजा वा सेसं तं चेव, एवं धूमप्पभाएवि तमाएवि अहेसत्तमाएवि । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ८२९ ॥ ३१॥२॥ नीललेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववजति० एवं जहेव कण्हलेस्सखुड्डागकडजुम्मा नवरं उववाओ जो वालुयप्पभाए सेसं तं चेव, वालुयप्पभापुढविनीललेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया एवं चेव, एवं पंकप्पभाएवि, एवं धूमप्पभाएवि, एवं चउसुवि जुम्मेसु नवरं परिमाणं जाणियव्वं, परिमाणं जहा कण्हलेस्सउद्देसए । सेसं तहेव । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ८३० ॥ ३१॥३॥ काउलेस्सखुडागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववजति ? Page #964 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९१२ सुत्तागमे [ भगवई एवं जहेव कण्हलेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया नवरं स्ववाओ जो रयणप्पभाए सेसं तहेव । रयणप्पभापुढविकाउलेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरड्या णं भंते! कओ रववज्वंति॰ ? एवं चेव, एवं सकरप्पभाएवि, एवं वालुयप्पभाएवि, एवं चरमुवि जुम्मेसु, नवरं परिमाणं जाणियव्वं, परिमाणं जहा कण्हलेस्स उद्देसए सेसं तं चेव, सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ८३१ ॥ ३१।४ ॥ भवसिद्धियखुड्डागकडजुम्मनेरड्या णं भंते ! कओ उववजंति किं नेरइए० ? एवं जहेव ओहिओ गमओ तहेव निरवसेसं जाव नो परप्पओगेणं उववजंति । रयणप्पभापुढविभवसिद्धियखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते । एवं चेव निरवसेसं, एवं जाव अहेसत्तमाए, एवं भवसिद्धियखड्डागते ओगनेरइयावि एवं जाव कलिओगत्ति, नवरं परिमाणं जाणियव्वं, परिमाणं पुव्वभणियं जहा पढमुद्देसए । सेवं भंते ! २त्ति ॥ ८३२ ॥ ३१५ ॥ कण्हलेस्सभवसिद्धियखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उववनंति • ? एवं जहेव ओहिओ कण्हलेस्सउद्देसओ तहेच निरवसेसं चउसुवि जुम्मेसु भाणियव्वो जाव अहेसत्तमपुढविकण्हलेस्सभवसिद्धियखुड्डागकलिओगनेरइया णं भंते ! कओ उववज्जंति • ? तहेव । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ८३३ ॥ ३१६ ॥ नीललेस्सभवसिद्धिया चउसुवि जुम्मेसु तहेव भाणियव्वा जहा ओहिए नीललेस्स उद्देसए । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ ८३४ ॥ ३१॥७ ॥ काउलेस्सभवसिद्धिया चउवि जुम्मेसु तहेव उववाएयव्वा जहेव ओहिंए काउलेस्सउद्देसए । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ८३५ ॥ ॥ ३१८ ॥ जहा भवसिद्धिएहिं चत्तारि उद्देसगा भणिया एवं अभवसिद्धिएहिवि चत्तारि उद्देसगा भाणियव्वा जाव काउलेस्सा उद्देसओत्ति । सेवं भंते ! २त्ति ॥ ८३६॥ ॥ ३१।१२ ॥ एवं सम्मद्दिट्ठीहिवि लेस्सासंजुत्तेहिं चत्तारि उद्देसगा कायव्वा, नवरं सम्मद्दिट्ठी पढमविइएस दोमुवि उद्देसएस अहेसत्तमापुढवीए न उववाएयव्वो, सेसं तं चेव । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ८३७ ॥ ३१।१६ ॥ मिच्छादिट्ठीहिवि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा जहा भवसिद्धियाणं । सेवं भंते ! २त्ति ॥ ८३८ ॥ ॥ ३१।२० ॥ एवं कण्हपक्खिए हिवि लेस्सासंजुत्तेहिं चत्तारि उद्देसगा कायव्वा जहेव भवसिद्धिएहिं । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ८३९ ॥ ३१।२४ ॥ सुक्कपक्खिएहिं एवं चेव चत्तारि उद्देसमा भाणियव्वा जाव वालुयप्पभापुढविकाउलेस्ससुकपक्खियखुड्डागकलिओगनेरड्या णं भंते ! कओ उववजंति • ? तहेव जाव नो परप्पओगेणं उववज्र्ज्जति । सेवं भंते ! २ ति ॥ ८४० ॥ ३१ ॥ २८ ॥ सव्वेवि एए अट्ठावीसं उद्देसगा || एकतीसइमं उववायसयं समत्तं ॥ खुट्टागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! अनंतरं उव्वट्टिता कहिं गच्छेति कहिं उवव Page #965 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० १० प० स०३३-१ उ० १] सुत्तागमे ९१३ जंति कि नेरइएस उववज्जंति तिरिक्खजोणिएसु उववजंति० उव्वट्टणा जहा वक्ती । ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उव्वट्टंति ? गोयमा ! चत्तारि वा अट्ठ वा वारस वा सोलस वा सखेजा वा असंखेजा वा उव्वदृंति, ते णं भंते! जीवा कहं उव्वति ? गोयमा ! से जहानामए पवए एवं तहेव, एवं सो चेव गमओ जाव आयप्पओगेण उव्वहंति नो परम्पओगेणं उब्वति, रयणप्पभापुढवि(नेरइए) खुट्टागड जुम्म० एव रयणप्पभाएवि एवं जाव असत्तमाएवि, एवं खुड्डागतेओगखुट्टागदावरजुम्मखुड्डागकलिओगा नवरं परिमाणं जाणियव्वं, सेसं तं चेव । सेवं भते ! २ति ॥ ८४१ ||३२|१ ॥ कण्हलेस्सकडजुम्मनेरइया एव एएणं क्रमेण जहेव उववायसए अट्ठावीसं उद्देगा भणिया तहेव उव्वट्टणास एवि अट्ठावीसं उद्देसगा भाणियव्वा निरवसेसा नवरं उव्वट्टतित्ति अभिलावो भाणियव्वो, सेसं तं चेव । सेवं भंते । २ त्ति जाव विहरइ ॥ ८४२ ॥ बत्तीसइमं उववट्टणासयं समत्तं ॥ विहा णं भंते ! एगिंदिया प० ? गोयमा । पंचविहा एगिंदिया प०, तं०पुढविकाइया जाव वणरसइकाइया, पुढविकाइया णं भंते । कइविहा प० ? गोयमा ! दुविहा प०, तं ० - सुहुमपुढविकाइया य वायरपुढविकाइया य, सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कइविहा प० ? गोयमा ! दुविहा प०, तंजहा - पज्जत्तसुहुमपुढविकाइया य अपजत्तसुमपुढविकाइया य, बायरपुढविकाइया णं भंते । कइविहा प० ? गोयमा ! एवं चेव, एवं आउकाइयावि चउकएणं भेदेणं भाणियव्वा एवं जाव वणस्सइकाइया (णं)। अपजत्तसुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ प० ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ प०, तं०- नाणावरणिजं जाव अंतराइयं, पज्जत्तसुहुम पुढविकाइयाणं भंते 1 कइ कम्मप्पगडीओ प० ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ प०, तंजहा - नाणावर णिज्जं जाव अंतराइयं । अपजत्तबायरपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ प० ? गोयमा । एवं चेव ८, पजत्तवायरपुढविकाइयाणं भंते । कइ कम्मप्पगडीओ प० ? एवं चेव ८, एवं एएणं कमेण जाव बायरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तगाणंति । अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइया णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ वंधंति ? गोयमा ! सत्तविहवंधगावि अट्ठविहवंधगावि सत्त वंधमाणा आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीओ वंधति अट्ठ वंधमाणा पडिपुन्नाओ अट्ठ कम्मप्पगडीओ बंधति, पज्जत्तसुहुमपुढविकाइया णं भंते । कइ कम्मप्पगडीओ वंधंति ? एवं चेव, एवं सव्वे जाव पज्जत्तवायरवणस्सइकाइया णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ वंधंति ? एवं चेव । अपज्जत्तसुहुमपुढविक्राइया णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ वेदेंति ? गोयमा । चउद्दस कम्मप्पगडीओ वेदेंति, तं० - नाणावरणिजं जाव अंतराइयं, सोइंदियवज्झं चक्खि 1 ५८ सुत्ता० Page #966 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९१४ . सुत्तागमे [ भगवई दियवज्झं घाणिंदियवज्झं जिभिदियवज्ज्ञं इत्थिवेयवचं पुरिसवेयवझं, एवं चउक्कएणं- मेदेणं जाव पज्जत्तवायरवणस्सइकाइया णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ वेदेति ? गोयमा! एवं चेव च उद्दस कम्मप्पगडीओ वेदंति । सेवं भंते! २ त्ति ॥ ८४३॥३३-१-१॥ कइविहाणं भंते ! अणंनरोववन्नगा एगिदिया प० ? गोयमा ! पंचविहा अणंतरोववन्नगा एगिदिया प०, तं०-पुढविकाझ्या जाव वगस्सइकाइया, अणंतरोववन्नगा णं भंते ! पुढविक्काइया कइविहा प०१ गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुहुमपुटविकाइया य वायरपुडविकाइया य, एवं दुपएणं भेदेणं जाव वणस्सइकाइया । अणंतरोववन्नगसुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ प० ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ प०, तं०-नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं, अणंतरोववन्नगवायरपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ प० ? गोयमा ! अट्ठ क्रम्मप्पगडीओ प०, तं-नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं, एवं(चेव) जाव अगंतरोववन्नगवायरवणस्सइकाइयाणति, अणंतरोववन्नगसुहुमपुढविकाइया णं भंते! कइ कम्मप्पगडीओ वधंति ? गोयमा! आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीओ वंति, एवं जाव अर्णतरोववन्नगवायरव गस्सइकाइयत्ति । अणंतरोववन्नगनुहुमपुढविकाइया णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ वेदेति ? गोयमा ! चउद्दस कम्मप्पगडीओ वेदेति, तं०-नाणावरणिजं तहेव जाव पुरिसवेयवज्झं, एवं जाव अणंतरोववन्नगवायरवणस्सइकाइयत्ति । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥८४४॥३३-१-२॥ कइविहा गं भंते! परंपरोक्वन्नगा एगिंदिया प० ? गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा एगिदिया प०, तं०-पुढविकाइया एवं चउकओ भेदो जहा ओहि (य)उद्देसए । परंपरोववन्नगअपज्जत्तसहुमपुडविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ प०? एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओहि(य)उद्देसए तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव चउद्दस वेदेति । सेवं भंते ! २ ति ॥ ८४५ ॥ ॥ ३३-१-३॥ अणंतरोगाढा जहा अणंतरोववन्नगा ४॥ परंपरोगाढा जहा परंपरोववन्नगा ५॥ अणंतराहारगा जहा अणंतरोववन्नगा ६ ॥ परंपराहारगा जहा परंपरोववन्नगा ७॥ अणंतरपज्जत्तगा जहा अणंतरोववन्नगा ८ ॥ परंपरपजत्तगा जहा परंपरोववन्नगा ९ ॥ चरिमावि जहा परंपरोववन्नगा तहेव १० ॥ एवं अचरिमावि ११॥ एवं एए एकारस उद्देसगा । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ८४६॥ पढम एगिदियसयं समत्तं ॥१॥ कइविहा णं भंते ! कण्हलेस्सा एगिदिया प० ? गोयमा! पंचविहा कण्हलेस्सा एगिंदिया प०, तं०-पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया । करहलेस्सा णं भंते ! पुटविकाइया कइविहा प० ? गोयमा ! दुविहा प०, तं०-हुमपुढविकाइया य वायरपुढविकाझ्या य, कण्हलेस्सा णं भंते ! सुहुमपुडविकाझ्या कविहा Page #967 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ३३-६] सुत्तागमे ९१५ प०? गोयमा ! एवं एएणं अभिलावेणं चउक्कभेदो जहेव ओहिए उद्देसए जाव वणस्सइकाइयत्ति, (अणंतरोववन्नग) कण्हलेस्सअपज्जत्तसुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ प० ? एवं चेव एएणं अभिलावणं जहेव ओहि (ओ अणंतरोववण्णग) उद्देस (ओ)ए तहेव पन्नत्ताओ तहेव बंधति तहेव वेदेति । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ कइविहा गं भंते । अणतरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिदिया पन्नत्ता ? गोयमा ! पंचविहा अणंतरोववनगा कण्हलेस्सा एगिंदिया एवं एएणं अभिलावेणं तहेव दुपओ भेदो जाव वगस्सइकाइयत्ति, अणतरोववन्नगकण्हलेस्ससहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्प. गडीओ प० ? एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओहिओ अणतरोववनगाणं उद्देसओ तहेव जाव वेदेति । सेवं भंते । सेवं भंते ! ति ॥ कइविहा णं भंते ! परंपरोवव. नगा कण्हलेस्सा एगिदिया प० ? गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिदिया पत्नत्ता, तंजहा-पुढविकाइया एवं एएणं अभिलावेणं तहेव चउक्कओ भेदो जाव वगरसइकाइयत्ति, परपरोववन्नगकण्हलेस्सअपजत्तसहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ प० ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिओ परंपरोववन्नगउद्देसओ तहेव जाव वेदेति, एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिएगिदियसए एकारस उद्देसगा भणिया तहेव कण्हलेस्ससएवि भाणियव्वा जाव अचरिमचरिमकण्हलेस्सा एगिदिया ।। ८४७ ॥ विइयं एगिदियसयं समत्तं ॥ २ ॥ जहा कण्हलेस्सेहि भणियं एवं नीललेस्सेहिवि सयं भाणियव्वं । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ तइयं एगिदियसयं समत्तं ॥ ३ ॥ एवं काउलेस्सेहिवि सयं भाणियव्वं नवरं काउलेस्सेत्ति अभिलावो भाणियव्वो ॥ चउत्थं एगिदियसयं समत्तं ॥ ४ ॥ कइविहा णं भंते । भवसिद्धिया एगिदिया प०? गोयमा । पंचविहा भवसिद्धिया एगिदिया प०, तं०पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया मेदो चउक्कओ जाव वणस्सइकाइयत्ति । भवसिद्धियअपज्जत्तसुहुमपुढविकाइयाणं भंते । कइ कम्मप्पगडीओ प० ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव पढमिल्लगं एगिदियसयं तहेव भवसिद्धियसयंपि भाणियव्वं, उद्दसगपरिवाडी तहेव जाव अचरिमोत्ति । सेवं भंते । २ त्ति ॥ पंचम एगिदियसयं समत्तं ॥ ५ ॥ कइविहा गं भंते ! कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया प० ? गोयमा! पंचविहा कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिंदिया प०, तं०-पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया, कण्हलेस्सभवसिद्धियपुढविकाइया णं भंते ! कइविहा प० ? गोयमा । दुविहा प०, तं०-सुहुमपुढविकाइया य वायरपुढविकाइया य, कण्हलेस्सभवसिद्धियसुहुमपुढविकाइया णं भंते ! कइविहा प० ? गोयमा ! दुविहा प०, तंजहा-पजत्तगा • य अपज्जत्तगा य, एवं वायरावि, एवं एएगं अभिलावेणं तहेव चउक्कओ भेदो भाणि Page #968 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ९१६ .. [भगवई यन्वो, कण्हलेस्सभवसिद्धियअपज्जत्तसहमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ प० ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिउद्देसए तहेव जाव वेदेति । कइविहा गं भंते ! अणंतरोववन्नगा कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया प० ? गोयमा! पंचविहा अणंतरोववन्नगा जाव वणस्सइकाइया, अणंतरोववन्नगकण्हलेस्सभवसिद्धियपुढवि. काइया णं भते । कइविहा प० ? गोयमा ! दुविहा प०, तं०-सुहुमपुटविकाइया (य वायरपुटविकाइया य)एवं दुपओ भेदो। अणंतरोववन्नगकण्हलेस्सभवसिद्धियसुहमपुटविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मपगडीओ प० ? एवं एएणं अभिलावणं जहेव ओहिओ अणंतरोववन्नगउद्देसओ तहेव जाव वेदेति, एवं एएणं अभिलावेणं एक्कारसवि उद्दे सगा तहेव भाणियव्वा जहा ओहियसए जाव अचरिमोत्ति॥ छठें एगिदियसयं समत्तं ॥६॥ जहा कण्हलेस्सभवसिद्धिएहिं सयं भणियं एवं नीललेस्सभवसिद्धिएहिवि सयं भाणियव्वं ॥ सत्तमं एगिदियसयं समत्तं ॥ ७॥ एवं काउलेस्सभवसिद्धिएहिवि सयं ॥ अट्ठमं एगिदियसयं समत्तं ॥ ८॥ कइविहा णं भंते ! अभवसिद्धिया एगिंदिया प०? गोयमा | पंचविहा अभवसिद्धिया एगिदिया प०, तं०-पुढविकाइया जाव वणस्सइ. काइया एवं जहेव भवसिद्धियसयं भणियं नवरं नव उद्देसगा चरिमअचरिमउद्देसगवज्जा सेसं तहेव ॥ नवमं एगिदियसयं समत्तं ॥ ९ ॥ एवं कण्हलेस्सअभवसिद्धियएगिदियसयंपि ॥ दसमं एगिदियसयं समत्तं ॥ १० ॥ नीललेस्सअभवसिद्धियएगिदिएहिवि सयं ।। ११ ॥ काउलेस्सअभवसिद्धियसयं, एवं चत्तारिवि अभवसिद्धि. यसयाणि णव २ उद्देसगा भवंति, एवं एयाणि वारस एगिदियसयाणि भवंति ॥ ८४८ ॥ तेत्तीसइमं सयं समत्तं ॥ ____ कइविहा णं भंते । एगिंदिया प० ? गोयमा ! पंचविहा एगिंदिया प०, तं०पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया, एवं एएणं चेव चउक्कएगं भेदेणं भाणियव्वा जाव वणस्सइकाइया, अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए समोहइत्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते अपजत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा ? गोयमा । एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिस-. मइएण वा विग्गहेणं उववजेजा, से केगटेणं भंते ! एवं वुच्चइ एगसमइएण वा दुसमइएण वा जाव उववनेजा ? एवं खलु गोयमा! मए सत्त सेढीओ प०, तं०उज्जुआयया सेढी एगओवंका दुहओवंका एगओखहा दुहओखहा चकवाला अद्धचकवाला ७, उजुआययाए सेढीए उववज्जमाणे एगसमइएणं विरगहेणं उववजेजा, एगओवंकाए सेढीए उववजमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा, दुहओवंकाए Page #969 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ० प० स० ३४- १ उ० १] सुत्तागमे ९१७ सेढीए उववज्जंमाणे तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा, से तेणद्वेणं गोयमा । जाव उववज्जेजा । अपजत्तसुहुमपुढविकाइए ण भंते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिले चरिमंते समोहए २ ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चच्छिमिल्ले चरिमंते पंजत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेण उववज्जेज्जा ? गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा सेसं तं चेव जाव से तेद्वेणं जाव विग्गगं उववज्जेजा, एवं अपजत्तसुहुम पुढ विकाइओ पुर (त्थि ) च्छिमिले चरिमंते समोहणावेत्ता पचच्छिमिले चरिमंते वायरपुढ विकाइएस अपजत्तएसु उववाएव्वो, ताहे. तेसु चेव पजत्तए ४, एवं आउक्काइएसुवि चत्तारि आलावगा सुहुमेहिं अपजत्तएहिं ताहे पज्जत्तएहिं वायरेहिं अपजत्तएहिं ताहे पज्जत्तएहि उववाएयव्वो ४, एवं चेव सुहुमते काइएहिवि अपजत्तएहिं १ ताहे पज्जत्तएहिं उववाएयव्वो २, अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइए णं भंते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिले चरिते समोह समोहइत्ता जे भविए मणुस्सखेत्ते अपजत्तवायर तेउका इयत्ताए उववजित्त से णं भंते! इसमइएणं विग्गणं उववज्जेज्जा ? सेसं तं चेव, एवं पज्जत्तवायर उक्काइयत्ताए उववाएयव्वो ४, वाउक्काइए (सु) सुहुमवायरेसु जहा आउक्काइएसु उववाइओ तहा उववाएयव्वो ४, एवं वणस्सइकाइए सुवि २०, पज्जत्तसुहुम पुढविकाइए णं भंते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एवं पज्जत्तसुहुमपुढविकाइओवि पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहणावेत्ता एएणं चेव कमेणं एएस चेव वी (साए) ससु ठाणेसु स्ववाएयव्वो जाव वायरवणस्सइकाइएस पज्जत्त एसुवि ४०, एवं अपजत्तवायरपुढविकाइओवि ६०, एवं पजत्तबायरपुढविकाइओवि ८०, एवं आउकाइओवि चउसुवि गमएसु पुरच्छिमिले चरिमंते समोहए एयाए चेव वत्तव्वयाए एएस चेव वीसइठाणेसु उववाएयन्त्रो १६०, सहुमते उकाइओवि अपजत्तओ पजत्तओ य एएसु चेव वीससु ठाणेसु उववाएयव्वो, अपजत्तवायरते उक्काइए णं भंते ! मणुस्सखेत्ते समोहए २ त्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पञ्चच्छिमिले चरिमंते अपजनसुहुमपुढचिकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा सेसं तहेव जाव से तेणट्टेणं० एवं पुढचिकाइएस चउव्विसुवि उववा - एयन्वो, एवं आउकाइएसु चउन्विमुत्रि, ते काइएस सहुमेसु अपजत्तएसु पज्जत्तएड य एवं चेव उववाएयव्वो, अपज्जत्तवायर तेडक्काइए णं भंते । मणुस्सखेत्ते समोहए २त्ता जे भविए मणुस्खेत्ते अपजत्तवायरतेडक्काइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते । * इस मइएणं • सेसं तं चेव, एवं पज्जत्तवायरते उक्काइयत्ताएवि उववाएयव्वो, वाउकाइयत्ताए य वणस्स इकाइयत्ताए य जहा पुढविकाइएस तहेव चउक्कएणं भेदेणं Page #970 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९१८ सुत्तागमे [भगवई उववाएयव्वो, एवं पज्जत्तवायरतेउकाइओवि समयखेत्ते समोहणावेत्ता एएट चेव वीसाए ठाणेसु उववाएयब्बो जहेब अपज्जनओ उववाइओ, एवं सव्वत्यवि वायरतेउकाइया अपजत्तगा य पज्जत्तगा य समयखेत्ते उववाएयव्वा समोहणावेयव्वावि २४०, वाउकाइया वणस्सइकाइया य जहा पुढविकाइया तहेव चउबएग मेदेणं उववाएयव्वा जाव पजत्ता ४०० ॥ वायरवणस्सइकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिले चरिमंते समोहए समोहएता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते पजनवायरवणस्सइकाइयत्नाए उववजित्तए से णं भंते ! कइसमइएणं० सेसं तहेव जाव से तेणटेणं०, अपजत्तनुहुमघुडविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पञ्चच्छिमिले चरिमंते समोहए २ त्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिले चरिमते अपज्जत्तनुहुमनुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कइसम(इ)एणं० सेसं तहेव निरवसेसं, एवं जहेब पुरच्छिमिले चरिमंते सव्वपएसुवि समोहया पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य उववाइया जे य समयखेत्ते समोहया पञ्चच्छिमिल्ले चरिमते समयखेत्ते य उववाइया एवं एएणं चेव कमेणं पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य समोहया पुरच्छिमिले चरिमंत समयखेत्ते य उववाएयव्वा तेणेव गमएणं, एवं एएणं गमएणं दाहिणिले चरिमंते (समयखेत्ते य) समोहयाणं उत्तरिले चरिमंते समयखेत्ते य उववाओ एव चेव उत्तरिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य समोहया दाहिणिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य उववाएयव्या तेणेव गमएणं, अपजत्तसुहुमपुढविकाइए णं भंते ! सक्करप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए २ त्ता जे भविए सकरप्पमाए पुढवीए पचच्छिमिल्ले चरिते अपज्जत्तनुहुमपुटविकाइयत्ताए उववजिनए एवं जहेव रयणप्पभाए जाव से तेणटेण० एवं एएणं कमेणं जाव पजत्तएतु सुहुमतेउकाइएसु, अपज्जनहुमपुढविकाइए णं भंते ! सक्करप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए समोहइत्ता जे भविए समयखेत्ते अपज्जनवायरतेउकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कइसमइएणं पुच्छा, गोयमा ! दुसमइएण वा तिसमइएण वा बिग्गहेणं उववजेजा, से केणहेणं भंते !०पुच्छा, एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीओ प०, तं०-उज्जआयया जाव अद्धचकवाला, एगओवंकाए सेढीए उववजमाणे दुसमइएगं विग्गहेणं उववजेजा दुहओवंक्राए सेढीए उववज्जमाणे तिसमइएणं विगहेणं उववजेज्जा से तेणद्वेणं०, एवं पजत्तएनुवि वायरतेउकाइएनु, सेसं जहा रयणप्पभाए, जेऽवि वायरतेउकाइया अपजत्तगा य पजतगा य समयखेत्ते समोहणित्ता दोचाए पुढवीए पञ्चच्छिमिले चरिमंते पुढविक्राइएमु चउबिहेनु आउकाइएसु चउव्विहेसु तेउकाइएमु दुविहेसु Page #971 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ३४-१ उ० १] सुत्तागमे ९१९ वाउकाइएसु चउबिहेसु वणस्सइकाइएसु चउबिहेसु उववजंति तेऽवि एवं चेव दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववाएयव्वा, बायरतेउकाइया अपजत्तगा य पजत्तगा य जाहे तेसु चेव उववनंति ताहे जहेव रयणप्पभाए तहेव एगसमश्यदुसमइयतिसमइयविग्गहा भाणियव्वा सेसं जहा रयणप्पभाए तहेव निरवसेसं, जहा सक्करप्पभाए वत्तव्वया भणिया एवं जाव अहेसत्तमाए भाणियव्वा ॥ ८४९ ॥ अपजत्तसुहुमपुढविकाइए णं भंते । अहोलोयखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते समोहए २ त्ता जे भविए उडलोयखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताए उववजितए से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहे गं उववजेजा ? गोयमा! तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववजेजा, से केणट्टेणं भंते! एवं वुच्चइ तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेगं उववज्जेजा ? गोयमा ! अपजत्तसुहुमपुढविकाइए णं अहोलोयखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते समोहए २ ता जे भविए उडलोयखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते अपजत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताए एगपयरंसि अणुसेढीए उववज्जित्तए से णं तिसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा जे भविए विसेढीए उववजित्तए से णं चउसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा, से तेणटेणं जाव उववजेजा, एवं पजत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताएवि, एवं जाव पजत्तसुहुमतेउकाइयत्ताए, अपजत्तसुहुमपुडविकाइए णं भंते ! अहोलोग जाव समोहणित्ता जे भविए समयखेत्ते अपजत्तवायरतेउकाइय. त्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववजेज्जा ? गोयमा ! दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेगं उववजेजा, से केणढेणं० ? एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीओ प०, तं०-उजुआयया जाव अद्धचक्कवाला, एगओवंकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा दुहओवंकाए सेढीए उववजमाणे तिसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा से तेणढेणं०, एवं पज्जत्तएसुवि वायरतेउकाइएसुवि उववाएयव्वो, वाउकाइयवणस्सइकाइयत्ताए चउक्कएणं भेदेणं जहा आउकाइयत्ताए तहेव उववाएयव्बो २०, एवं जहा अपजत्तसुहुमपुढविकाइयस्स गमओ भणिओ एवं पज्जत्तसुहमपुढविकाइयस्सवि भाणियचो तहेव वीसाए ठाणेस उववाएयब्वो ४०, अहोलोयखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते समोहए समोहएत्ता एवं वायरपुढविकाइयस्सवि अपज्जत्तगस्स पज्जत्तगस्स य भाणियव्वं ८०, एवं आउकाइयस्स चउव्विहस्सवि भाणियव्वं १६०, सुहुमतेउक्काइयस्स दुविहस्सवि एवं चेव २००, अपजत्तबायरतेउकाइए णं भंते । समयखेत्ते समोहए २ त्ता जे भविए उड्डलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से गं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा ? गोयमा ! दुसमइएण वा तिसमइएण Page #972 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९२० सुत्तागमे [ भगवई वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेजा, से केणट्टेणं० अट्ठो जहेव रयणप्पभाए तहेव सत्त सेढीओ एवं जाव अपज्जत्तवाय रतेउकाइए णं भंते ! समयखेत्ते समोहए २ त्ता जे भविए उड्ढलोयखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते ( अ ) - पजत्तमुहुम तेरका इयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते । सेसं तं चेव, अपज्जत्तवायरते उक्काइए णं भंते ! समयखेत्ते समोहए २ त्ता जे भविए समयखेत्ते अपजत्तवायरते उक्काइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते! कइसमइएणं विग्गणं उववजेजा ? गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववजेज्जा, से केणट्टेणं० अट्ठो जहेव रयगप्पभाए तहेव सत्त सेढीओ, एवं पज्जत्तवायर तेरका इयत्ताएवि, वाउकाइएड वणस्सइकाइएस य जहा पुढविक्राइएसु उववाइओ तहेव चउक्कएणं भेदेणं उवदाएयव्वो, एवं पज्जत्तवायर तेउकाइओवि एएसु चेव ठाणेसु उववाएयव्वो, वाउक्वाइयवणस्सइकाइयाणं जहेव पुढविकाइ (ओ) यत्ते उववा (इ) ओ तहेव भाणियव्वो । अपजत्तसुहुमपुढ विकाइए णं भंते ! उड्डलोगखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेते समोहए समोहणित्ता जे भविए अहे - लोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते अपजत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए सेणं भंते ! कइसमइएणं० ? एवं उड्ढलो गखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते समोहयाणं अहेलोगखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते उववज्जयाणं सो चेव गमओ निरवसेसो भाणियव्वो जाव वायरवणस्सइकाइओ पज्जत्तओ बायरवणस्स इकाइएस पज्जत्तएसु उववाइओ । अपजत्तमपुढ विकाइए णं भंते ! लोगस्स पुरच्छिमिले चरिमंते समोहए २ त्ता जे भविए लोगस्स पुरच्छिमिले चेव चरिमंते अपजत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताए उववजि - त्त से णं भंते! कइसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा ? गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गणं उववजेज्जा, से केणट्टेभंते ! एवं चुच्चइ एगसमइएण वा जाव उववज्जेजा ? एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीओ प०, तंजहा — उज्जुआयया जाव अद्धचक्कवाला, उज्जुआययाए सेढीए उववज्जमाणे एगसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा, एगओवंकाए सेढीए उववजमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा, दुहओवंकाए सेढीए उववजमाणे जे भविए एगपयरसि अणुसेढी(ए) उववज्जित्तए से णं तिसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा जे भविए विसे(ढीए)ढि उववज्जित्तए से णं चउसमइएणं विग्गहे गं उववज्जेजा, से तेगद्वेणं जाव उववज्जेजा, एवं अपजत्तनुहुमपुढविकाइओ लोगस्स पुरच्छिमिले चरिमंते समोह २ त्ता लोगस्स पुरच्छिमिले चेव चरिमंते अपजत्तए पजत्तएसु य सुहुमपुढविका-इएतु सुहुमआउकाइएसु अपज्जत्तएसु पज्जत्तएस य सुहुमतेरक्काइएस अपजत्तएसु पज्ज-तासु य सुहुमवाउकाइएस अपजत्तएसु पज्जत्तएषु य वायरवाउंकाइएस अपजत्तएस Page #973 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० प० स० ३४-१ उ० १] सुत्तागमे ९२१ पजत्तएसु य सुहुमवणस्सइकाइएसु अपज्जत्तएसु पजत्तएसु य वारससुवि ठाणेसु एएणं चेव कमेणं भाणियव्यो, सुहुमपुडविकाइओ (अ)पज्जत्तओ एवं चेव निरवसेसो वारसमुवि ठाणेसु उववाएयचो २४, एवं एएगं गमएणं जाव सुहुमवणस्सइकाइओ पजत्तओ सुहुमवणस्सइकाइएमु पज्जत्तएसु चेव भाणियव्वो ॥ अपजत्तसुहमपुढविकाइए णं भंते ! लोगस्स पुरच्छिमिल्ले चरिमते समोहए २ ता जे भविए लोगस्स दाहिणिल्ले चरिमंते अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइएसु उववजित्तए से णं भंते | कइसमइएणं विग्गहेणं उववजेज्जा ? गोयमा ! दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववजेजा, से केणतुणं भते ! एवं वुच्चइ० ? एवं खलु गोयमा । मए सत्त सेढीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-उजुआयया जाव अद्धचक्कवाला, एगओवंकाए सेढीए उववजमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा दुहओवकाए सेढीए उववजमाणे जे भविए एगपयरंसि अणुसेढी(ए)ओ उववजित्तए से णं तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा जे भविए विसे (ढीओ)ढिं उववजित्तए से णं चउसमइएणं विग्गहेगं उववजेजा से तेणटेणं गोयमा!०, एवं एएण गमएणं पुरच्छिमिल्ले चरिमते समोहए दाहिणिल्ले चरिमंते उववाएयव्बो जाव सुहुमवणस्सइकाइओ पज्जत्तओ सुहुमवणस्सइकाइएसु पजत्तएसु चेव, सव्वेसिं दुसमइओ तिसमइओ चउसमइओ विग्गहो भाणियव्वो। अपजत्तमुहमपुढविकाइए णं भंते ! लोगस्स पुरच्छिमिल्ले चरिमते समोहए २ ता जे भविए लोगस्स पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा ? गोयमा । एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववजेज्जा, से केणटेणं० ? एवं जहेव पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहया पुरच्छिमिल्ले चेव चरिमंते उववाइया तहेव पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहया पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते उववाएयव्वा सव्वे, अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइए णं भंते ! लोगस्स पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए २ त्ता जे भविए लोगस्स उत्तरिल्ले चरिमंते अपजत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! एवं जहा पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहओ दाहिणिल्ले चरिमंते उववाइओ तहा पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहओ उत्तरिल्ले चरिमंते उववाएयव्वो, अपजत्तसुहुमपुढविकाइए णं भंते ! लोगस्स दाहिणिल्ले चरिमते समोहए समोहणित्ता जे भविए लोगस्स दाहिणिल्ले चेव चरिमंते अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताए उववजित्तए एवं जहा पुरच्छिमिल्ले समोहओ पुरच्छिमिल्ले चेव उववाइओ तहेव दाहिणिल्ले समोहओ दाहिणिल्ले चेव उववाएयव्वो, तहेव निरवसेसं जाव सुहुमवणस्सइकाइओ पजत्तओ सुहुमवणस्सइकाइएसु चेव पजत्तएसु दाहिणिल्ले चरिमंते उववाइओ एवं दाहिणिल्ले Page #974 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९२२ सुत्तागमे . . [भगवई समोहओ पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते उववाएयव्वो नवरं दुसमइयतिसमझ्यचउसमइयविग्गहो सेसं तहेव, दाहिणिल्ले समोहओ उत्तरिले चरिमंते उववाएयवो जहेव सट्ठाणे तहेव एगसमझ्यदुसमइयतिसमइयचउसमइयविरगहो, पुरच्छिमिल्ले जहा पञ्चच्छिमिल्ले तहेव दुसमइयतिसमइयचउसमइयविग्गहो, पच्चच्छिमिल्ले चरिमंते समोहयागं पञ्चच्छिमिल्ले चेव उववज्जमाणाणं जहा सट्ठाणे, उत्तरिले उववजमाणाणं एगसमइओ विग्गहो नत्थि, सेसं तहेव, पुरच्छिमिल्ले जहा सहाणे, दाहिणिल्ले एगसमइओ विग्गहो नत्थि, सेसं तहेव, उत्तरिल्ले स मोहयाणं उत्तरिल्ले चेव उववजमाणाणं जहेव सट्ठाणे, उत्तरिल्ले समोयाणं पुरच्छिमिल्ले उववज्जमाणाणं एवं चेव, नवरं एगसमइओ विग्गहो नत्थि, उत्तरिल्ले समोहयाणं दाहिणिले उववजमाणाणं जहा सट्ठाणे, उत्तरिल्ले समोहयाणं पञ्चच्छिमिल्ले उववजमाणागं एगसमइओ विग्गहो नत्थि, सेसं तहेव जाव सुहुमवणस्सइकाइओ पजत्तओ सुहुमवणस्सइकाइएसु पज्जत्तएसु चेव ॥ कहिन्नं भंते ! वायरपुढविकाइयागं पज्जत्तगाणं ठाणा प०? गोयमा । सहाणेणं अट्ठसु पुढवीसु जहा ठाणपए जाव सुहुमवणस्सइकाइया जे य पज्जत्तगा जे य अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसमगाणत्ता सव्वलोगपरियावन्ना प० समगाउसो!। अपजत्तमुहुमपुढविकाइयागं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ प०, तं०-नाणावरणिजं जाव अंतराइयं, एवं चउक्कएणं भेदेण जहेब एगिदियसएसु जाव वायरवणस्स इकाइयाणं पज्जत्तगाण, अपज्जत्तसहुमपुढविकाइया णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ वंधति ? गोयमा ! सत्तविलंवगावि अट्ठविहवंधगावि जहा एगिदियमएसु जाव पज्जत्ता वायरवणस्सइकाइया । अपजत्तसुहुमपुढविकाइया णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ वेदेति ? गोयमा ! च उद्दस कम्मप्पगडीओ वेदेति, तंजहा-नाणावरणिज जहा एगिदियसएसु जाब पुरिस वेयवलं एवं जाव वायरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तगाणं, एगिदिया णं भंते ! कओ उववज्जति कि नेरइएहितो उववज्जति० १ जहा वक्कतीए पुढविकाइयाणं उववाओ, एगिंदियाणं भंते ! कइ समुग्घाया प० ? गोयमा ! चत्तारि समुग्धाया प०, तंजहावेयणासमुग्घाए जाव वेउब्वियसमुग्वाए ॥ एगिंदिया णं भंते ! किं नुट्टिईया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति तुट्टिईया वेमायविसेसाहियं कम्म पकरेंति वेमायट्टिईया तुद्रविसेसाहियं कम्मं पकरेति वेमायहिईया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ? गोयमा! अत्येगइया तुल्लट्टिईया तुलविसेसाहियं कम्मं पकरेंति अत्धेगव्या तुहिईया वेमायविसेसाहियं कम्मं परेंति अत्थेगइया वेमायद्विईया तु निगेनाहिवं कम्मं परति अत्वेगइया वेमायट्टिईया वेमायविसेसाहियं कम्म Page #975 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ३४-१ उ०२] सुत्तागमे ९२३ पकरेंति, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ अत्थेगइया तुलढिईया जाव वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ? गोयमा ! एगिंदिया चउव्विहा पन्नत्ता, तंजहा-अत्थेगइया समाउया समोववनगा १, अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा २, अत्थेगइया विसमाउया समोववन्नगा ३, अत्थेगइया विसमाउया विसमोववन्नगा ४ । तत्थ णं जे ते समाउया समोववनगा ते गं तुलढ़िईया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति १, तत्थ णं जे ते समाउया विसगोववन्नगा ते णं तुलट्ठिईया वेमायविसेसाहियं कम्म पकरेंति २, तत्थ णं जे ते विसमाउया समोववन्नगा ते णं वेमायट्टिईया तुलविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ३, तत्थ णं जे ते विसमाउया विसमोववन्नगा ते णं वेमायढिईया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ४ । से तेणढेणं गोयमा ! जाव वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेति ॥ सेवं भंते । २ त्ति जाव विहरइ ॥ ८५० ॥ ३४-१-१॥ कइविहा णं भंते ! अगंतरोववन्नगा एगिदिया प० ? गोयमा ! पंचविहा अणं. तरोववन्नगा एगिदिया प०, तंजहा-पुढविकाइया दुयाभेदो जहा एगिदियसएसु जाव वायरवणस्सइकाइया य, कहिन्नं मंते ! अणंतरोववनगाणं वायरपुढविकाइयाणं ठाणा प० ? गोयमा ! सट्टाणेणं अट्ठमु पुढवीसु, तं०-रयणप्पभाए जहा ठाणपए जाच दीवेसु समुद्देसु एत्य णं अणतरोववन्नगाणं वायरपुढविकाइयाणं ठाणा प०, उववाएणं सव्वलोए समुग्धाएणं सव्वलोए सट्ठाणेणं लोगस्स असंखेजइभागे, अणंतरोववन्नगसहुमपुढविकाइया णं एगविहा अविसेसमणाणत्ता सव्वलोए परियावन्ना प० समणाउसो!, एवं एएणं कमेणं सव्चे एगिदिया भाणियव्वा, सट्ठा(णेणं)णाई सव्वेसि जहा ठाणपए तेसिं पजत्तगाणं वायराणं उववायसमुग्घायसहाणाणि जहा तेसिं चेव अपज्जत्तगाणं, बायराणं सुहुमाणं सव्वेसि जहा पुढविकाइयाणं भणिया तहेव भाणियव्वा जाव वणस्सइकाइयत्ति । -अणंतरोववन्नगसुहुमपुढविकाइयाणं भते ! कइ कम्मप्पगडीओ प० ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ पन्नत्ताओ एवं जहा एगिदियसएसु अणंतरोववन्नगउद्देसए तहेव पन्नत्ताओ तहेव वंधति तहेव वेदेति जाव अणतरोववनगा वायरवणस्सइकाइया । अणंतरोववन्नगएगिंदिया णं भंते । कओ उववज्जति० ? जहेव ओहिए उद्देसओ भणिओ तहेव । अणंतरोववन्नगएगिदियाणं भंते ! कइ समुग्घाया प० ? गोयमा ! दोन्नि समुग्घाया प०, तं०-यणासमुग्घाए य कसायसमुग्घाए य । अणंतरोववन्नगएगिदिया णं भंते ! कि तुल्लढ़िईया तुलविसेसाहियं कम्मं पकरेंति पुच्छा तहेव, गोयमा । अत्थेगइया तुलहिईया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेति अत्थेगइया तुल्लट्ठिया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेति, से केणटेणं भंते ! जाव वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ? गोयमा ! अणंतरोववन्नगा एगि Page #976 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९२४ सुत्तागमे [भगवई दिया दुविहा प०, तं०-अत्थेगइया समाउया समोववन्नगा अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा, तत्थ णं जे ते समाउया समोववन्नगा ते णं तुल्लट्ठिईया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, तत्थ णं जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते णं तुलट्ठिईया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, से तेणटेणं जाव वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति। सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ८५१॥ ३४-१-२॥ कइविहा णं भंते ! परंपरोववनगा एगि. दिया प० ? गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा एगिंदिया प०, तं०-पुढविक्काइया भेदो चउक्कओ जाव वणस्सइकाइयत्ति । परंपरोववन्नगअपजत्तसुहुमपुडविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए २ त्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते अपजत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए एवं एएणं अभिलावेगं जहेव पढमो उद्देसओ जाप लोगचरिमंतोत्ति । कहिन्नं भंते ! परंपरोववन्नगपजत्तगवायरपुढविकाइयाणं ठाणा प०१ गोयमा ! सट्टाणेणं अट्ठसु पुढवीसु एवं एएणं अभिलावेण जहा पढमे उद्देसए जाव तुल्लट्ठिई यत्ति । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ३४-१-३॥ एवं सेसावि अट्ठ उद्देसगा जाव अचरिमोत्ति, नवरं अणंतरा अणंतरसरिसा परंपरा परंपरसरिसा चरिमा य अचरिमा य एवं चेव, एवं एए एकारस उद्देसगा ॥ ८५२ ॥ ३४-१-११॥ पढमं एगिदियसे ढिसयं समत्तं॥ कइविहा णं भंते ! कण्हलेस्सा एगिदिया प०? गोयमा । पंचविहा कण्हलेस्सा एगिदिया प० भेदो चउक्कओ जहा कण्हलेस्सएगिदियसए जाव वणस्सइकाइयत्ति । कण्हलेस्सअपजत्तसुहुमपुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छि. मिल्ले एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिउद्देसओ जाव लोगच रिमंतेत्ति सव्वत्थ कण्हले. स्सेसु चेव उववाएयव्यो । कहिन्नं भंते ! कण्हलेस्सअपजत्तगवायरपुडविकाइयागं ठाणा प०? गोयमा ! एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओहि(य)उद्देसओ जाव तुलहिईयत्ति । सेवं भंते ! २ ति ॥ एवं एएणं अभिलावेणं जहेव पढम सेढिसय तहेव एक्कारस उद्दे. सगा भाणियव्वा ॥३४-२-११॥ विइयं एगिदियसे ढिसयं समत्तं ॥ एवं नीललेस्सेहिवि तइयं सयं । काउलेस्सेहिवि सयं, एवं चेव चउत्थं सय । भविसिद्धियएगिदिएहिवि सयं पंचमं समत्तं ॥ कइविहा णं भंते । कण्हलेस्सभवसिद्धियएगिदिया प०? एवं जहेव ओहियउद्देसओ, कइविहा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया प० जहेव अगंतरोववन्नगउद्देसओ ओहिओ तहेव ।। कइविहा णं भंते ! परंपरोववन्नगकरलेस्स भवसिद्धिया एगिदिया प०? गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगकरहलेस्सभवसिद्धियएगिदिया प० ओहिओ भेदो चउकओ जाव वणस्सइकाइयत्ति । , परंपरोक्वन्नगकण्हलेस्सभवसिद्धियअपज्जत्तसुहुमपुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्प Page #977 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० स० ३५-१ उ०१] सुत्तागमे ९२५ भाए पुढवीए एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिओ उद्देसओ जाव लोयचंरिमंतेत्ति, सव्वत्थ कण्हलेस्सेसु भवसिद्धिएसु उववाएयन्वो । कहिन्नं भंते । परंपरोववन्नगकण्हलेस्सभवसिद्धियपजत्तवायरपुढविकाइयाणं ठाणा प० एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिओ उद्देसओ जाव तुल्लट्ठिईयत्ति, एवं एएणं अभिलावेणं कण्हलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहिवि तहेव एकारसउद्देसगसंजुत्त सयं, छठें सयं समत्तं ॥ नीललेस्सभवसिद्धियएगिदिएसु सत्तमं सयं समत्तं । एवं काउलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहिवि सयं अट्ठमं सयं । जहा भवसिद्धिएहिं चत्तारि सयाणि भणियाणि एव अभवसिद्धिएहिवि चत्तारि सयाणि भाणियव्वाणि, नवरं चरिमअचरिमवजा नव उद्देसगा भाणियव्वा, सेसं तं चेव, एवं एयाई वारस एगिंदियसेढीसयाई भाणियव्वाइं । सेवं भंते । २ त्ति जाव विहरइ ॥ ८५३ ॥ एगिदियसेढीसयाई समत्ताई ॥ एगिदियसेढिसयं चउत्तीसइमं समत्तं ॥ ___ कइ ण भंते ! महाजुम्मा पन्नत्ता ? गोयमा ! सोलस महाजुम्मा प०, तं०कडजुम्मकडजुम्मे १, कडजुम्मतेओगे २, कडजुम्मदावरजुम्मे ३, कडजुम्मकलिओगे ४, तेओगकडजुम्मे ५, तेओगतेओगे ६, तेओगदावरजुम्मे ५, तेओगकलिओगे ८, दावरजुम्मकडजुम्मे ९, दावरजुम्मतेओगे १०, दावरजुम्मदावरजुम्मे ११, दावरजुम्मकलिओगे १२, कलिओगकडजुम्मे १३, कलिओगतेओगे १४, कलिओगदावरजुम्मे १५, कलिओगकलिओगे १६ । से केगटेणं भंते ! एवं वुच्चइ सोलस महाजुम्मा प० तं०-कडजुम्मकडजुम्मे जाव कलिओगकलिओगे ? गोयमा! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपजवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेऽवि कडजुम्मा सेत्तं कडजुम्मकडजुम्मे १, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपजवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा सेत्तं कडजुम्मतेओगे २, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपजवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा सेत्तं कडजुम्मदावरजुम्मे ३, जे णं रासी चउकएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपज्जवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा सेत्तं कडजुम्मकलिओगे ४, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहारमाणे चउपज्जवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेओगा सेत्तं तेओगकडजुम्मे ५, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेओगा सेत्तं तेओगतेओगे ६, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपजवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेओगा सेत्तं तेओगदावरजुम्मे ७, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे Page #978 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९२६ सुत्तागमे [भगवई एगपजवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेओगा सेत्तं तेओगकलिओगे ८, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा सेत्तं दावरजुम्मकडजुम्मे ९, जे णं रासी चउकएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपजवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा सेत्तं दावरजुम्मतेओगे १०, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपज्जवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा सेत्तं दावरजुम्मदावरजुम्मे ११, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपज्जवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा सेत्तं दावरजुम्मकलिओगे १२, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपजवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कलिओगा सेत्तं कलिओगकडजुम्मे १३, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कलिओगा सेत्तं कलिओगतेओगे १४, जेणं रासी चउक्कएग अवहारेणं अवहीरमाणे दुपज्जवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कलिओगा सेत्तं कलिओगदावरजुम्मे १५, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपज्जवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कलिओगा सेत्तं कलिओगकलिओगे १६ । से तेणढेणं जाव कलिओगकलिओगे ॥८५४॥ कडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! कओ उववजति कि नेरइएहितो जहा उप्पलुद्देसए तहा उववाओ।ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववजति ? गोयमा ! सोलस वा संखेजा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति, ते णं भंते ! जीवा समए समए० पुच्छा, गोयमा । ते णं अणंता समए समए अवहीरमाणा २ अणताहिं ओसप्पिणीउस्सप्पिणीहिं अवहीरति णो चेव णं अवहिरिया सिया, उच्चत्तं जहा उप्पलुईसए, ते णं भंते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स कि वंधगा अववगा ? गोयमा ! वंधगा नो अवंधगा, एवं सव्वेसिं आउयवज्जाणं, आउयस्स वंधगा वा अवंधगा वा, ते णं भंते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्म वेदगा पुच्छा, गोयमा ! वेदगा नो अवेदगा, एवं सव्वेसिं, ते णं भंते ! जीवा कि सायावेदगा असायावेदगा पुच्छा, गोयमा ! सायावेदगा वा असायावेदगा वा, एवं (खलु) उप्पलुद्देसगपरिवाडी, सव्वेसिं कम्माणं उदई नो अणुदई, छगह कम्माणं उदीरगा नो अणुदीरगा, वेयणिज्जाउयाणं उदीरगा वा अणुदीरगा वा, ते णं भंते ! जीवा कि कण्हलेस्सा पुच्छा, गोयमा ! कण्हलेस्सा वा नीललेस्सा वा काउलेस्सा वा तेउलेस्सा वा, नो सम्मट्ठिी नो सम्मामिच्छादिट्ठी मिच्छादिट्ठी, नो नाणी अन्नाणी निय(मा)मं दुअन्नाणी तं०-मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य, नो मणजोगी नो वइजोगी Page #979 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ३५-१ उ०१] सुत्तागमे ९२७ कायजोगी, सागारोवउत्ता वा अणागारोवउत्ता वा, तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरा कइवण्णा जहा उप्पलुद्दसए सव्वत्थ पुच्छा, गोयमा! जहा उप्पलुईसए ऊसासगा वा नीसासगा वा नो उस्सासनीसासगा वा, आहारगा वा अणाहारगा वा, नो विरया अविरया नो विरयाविरया, सकिरिया नो अकिरिया, सत्तविहवंधगा वा अट्ठविहवंधगा वा, आहारसन्नोवउत्ता वा जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता वा, कोहकसाई वा जाव लोभकसाई वा, नो इत्थिवेदगा नो पुरिसवेदगा नपुंसगवेदगा, इत्थिवेदवंधगा वा पुरिसवेदवंधगा वा नपुंसगवेदवन्धगा वा, नो सन्नी असन्नी, सइंदिया नो अणिदिया, ते णं भंते ! कडजुम्मकडजुम्मएगिदियत्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेणं अणंतं कालं अणंताओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ वणस्सइकाइयकालो, संवेहो न भन्नइ, आहारो जहा उप्पलुद्देसए नवरं निव्वाधाएणं छद्दिसिं वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि सिय चउदिर्सि सिय पंचदिसि सेसं तहेव, ठिई जहन्नेणं (एकं समयं) अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वावीसं वाससहस्साई, समुग्धाया आइल्ला चत्तारि, मारणंतियसमुग्धाएणं समोहयावि मरंति असमोहयावि मरंति, उव्वट्टणा जहा उप्पलुद्देसए, अह भंते ! सव्वपाणा जाव सव्वसत्ता कडजुम्म २एगिदियत्ताए उववन्नपुव्वा ? हंता गोयमा ! असइं अदुवा अणंतखुत्तो, कडजुम्मतेओगएगिंदिया णं भंते ! कओ उववनंति ? उववाओ तहेव, ते णं भंते ! जीवा एगसमए० पुच्छा, गोयमा ! एगूणवीसा वा संखेजा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति, सेसं जहा कडजुम्मकडजुम्माणं जाव अणतखुत्तो, कडजुम्मदावरजुम्मएगिदिया णं भंते ! कओ उववजंति ? उववाओ तहेव, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं पुच्छा, गोयमा ! अट्ठारस वा संखेजा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववनंति सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो, कडजुम्मकलिओगएगिंदिया णं भंते । कओ उववज्जति० ? उववाओ तहेव परिमाणं सत्तरस वा संखेजा वा असखेजा वा अणता वा सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो, तेओगकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! कओ उववजति० ? उववाओ तहेव परिमाणं वारस वा संखेजा वा असखेजा वा अणंता वा उववज्जति सेसं तहेव जाच अणंतखुत्तो, तेओगतेओगएगिदिया णं भंते ! कओ उववजंति०? उववाओ तहेव परिमाणं पन्नरस वा संखेज्जा वा असखेज्जा वा अणंता वा सेस तहेव जाव अणंतखुत्तो, एव एएसु सोलसमु महाजुम्मेसु एको गमओ नवरं परिमाणे नाणत्तं तेओगदावरजुम्मेसु परिमाणं चउद्दस वा सखेज्जा वा असखेजा वा अणंता वा उववजंति, तेओगकलिओगेसु तेरस वा सखेजा वा असखेजा वा अणता वा उववजति, दावरजुम्मकडजुम्मेसु अट्ठ वा सखेजा वा असखेजा वा Page #980 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९२८ सुत्तागमे [भगवई अणता वा उववजंति, दावरजुम्मतेओगेसु एकारस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा उववजंति, दावरजुम्मदावरजुम्मेसु दस वा संखेज्जा वा असंखेजा वा अणंता वा उववजंति, दावरजुम्मकलिओगेसु नव वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अगंता वा उववजंति, कलिओगकडजुम्मेसु चत्तारि वा संखेजा वा असंखेज्जा वा अणता वा उववनंति, कलिओगतेओगेसु सत्त वा संखेजा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववजति, कलिओगदावरजुम्मेसु छ वा संखेजा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववजति, झलिओगकलिओगएगिदिया णं भंते ! कओ उववजति ? उववाओ तहेव परिमाणं पंच वा संखेजा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववनंति सेस तहेव जाव अणंतखुत्तो । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ८५५ ॥ ३५-१-१॥ पढमसमयकडजुम्म २ एगिदिया णं भंते ! कओ उववज्जति० ? गोयमा ! तहेव एवं जहेव पढमो उद्देसओ तहेव सोलसखुत्तो विइओवि भाणियव्वो, तहेव. सव्वं, नवरं इमाणि दस नाणत्ताणि-ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइ भागं उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, आउयक्रम्मस्स नो वंधगा अवंधगा आउयस्स नो उदीरगा अणुदीरगा, नो उस्सासगा नो निस्सासगा नो उस्सासनिस्सासगा, सत्तविहबंधगा नो अट्ठविवंधगा। तेणं भंते ! पढमसमयकडजुम्म २एगिंदियत्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! एकं समयं, एवं ठिईएवि, समुग्घाया आइला दोन्नि, समोहया न पुच्छिति उव्वट्टणा न पुच्छिज्जइ, सेसं तहेव सव्वं निरवसेसं, सोलससुवि गमएसु जाव अणंतखुत्तो । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ८५६ ॥ ३५-१-२॥ अपढमसमयकडजुम्म २ एगिदिया णं भंते ! कओ उववज्जति०? एसो जहा पढमुद्देसो सोलसहिवि जुम्मेसु तहेव नेयम्बो जाव कलिओगकलिओगत्ताए जाव अणंतखुत्तो। सेवं भंते! २ ति॥३५-१-३॥ चरिमसमयकडजुम्म २ एगिंदिया णं भंते ! कओ उववजंति ? एवं जहेव पढमसमयउद्देसओ नवरं देवा न उववजति तेउलेस्सा न पुच्छिजति, सेसं तहेव । सेवं भंते ! सेवं भंते । त्ति ॥ ३५-१-४ ॥ अचरिमसमयकडजुम्म २ एगिंदिया णं भंते ! कओ उववजंति०? जहा (अ)पढमसमयउद्देसो तहेव निरवसेसो भाणियव्वो। सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ३५-१-५॥ पढमपढमसमयकडजुम्म २ एगिदिया णं भंते ! कओ उववजति० ? जहा पढमसमयउद्देसओ तहेव निरवसेसं । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ३५-१-६॥ पढमअपढमसमयकडजुम्म २ एगिदिया णं भंते ! कओ उववति? जहा पढमसमयउद्देसओ तहेव भाणियव्यो । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ३५-१-७ ॥ पढमचरिमसमयकडजुम्म २ एगिंदिया णं भंते ! कओ Page #981 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० ३५-६ } सुत्तागमे ९२९ उववति? जहा चरिमुद्देसओ तहेव निरवसेसं । सेवं भंते ! २ त्ति ॥३५-१-८॥ पढमअचरिमसमयकडजुम्म २ एगिदिया णं भंते ! कओ उववनंति ? जहा (पढमुद्देमओ) बीओ उद्देमओ तहेव निरवसेसं । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥३५-१-९॥ चरिम२समयकडजुम्म २ एगिदिया णं भते ! कओ उववजंति०? जहा चउत्थो उद्दसओ तहेव । सेवं भंते ! सेव भंते ! ति ॥३५-१-१०॥ चरिमअचरिमसमयकडजुम्मर एगिदिया ण संते ! कओ उववजति० ? जहा पढमसमयउद्देसओ तहेव निरवसेसं । सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ३५-१-११॥ एवं एएणं कमेणं एकारस उद्देसगा, पढमो तइओ पंचमओ य सरिसगमगा सेसा अट्ठ सरिसगमगा, नवरं च उत्थे छठे अट्ठमे दसमे य देवा न उववजति तेउलेस्सा नत्थि ॥ ८५७ ॥ पणतीसइमे सए पढम एगिदियमहाजुम्मसयं समत्तं ॥१॥ ___ कण्हलेस्सकडजुम्म २ एगिदिया णं भंते ! कओ उववजति०१ गोयमा ! उववाओ तहेव एवं जहा ओहियउद्देसए नवरं इमं नाणत्तं ते णं भंते ! जीवा कण्हलेस्सा ? हंता कण्हलेस्सा, ते णं भंते ! कण्हलेस्सकडजुम्म २ एगिदियत्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा । जहन्नणं एवं समयं उनोसेगं अंतोमुहुत्तं, एवं ठिईएवि, सेस तहेच जाव अणंतखुत्तो, एवं सोलसवि जुम्मा भाणियव्वा । सेवं भंते ! २ त्ति ॥३५-२-१॥ पढमसमयकण्हलेस्सकडजुम्म २ एगिदिया णं भंते ! कओ उववजंति०१ जहा पढमसमयउद्देसओ नवर ते ण भंते ! जीवा कण्हलेस्सा ? हता कण्हलेस्सा, सेस तहेव । सेवं भंते ! सेव भंते ! त्ति ॥ ३५-२-२ ॥ एवं जहा ओहियसए एकारस उद्देसगा भणिया तहा कण्हलेस्सस एवि एकारस उद्देसगा भाणियव्वा, पढमो तइओ पंचमो य सरिसगमगा सेसा अट्ठवि सरिसगमगा नवरं चउत्थछट्टअट्ठमदसमेसु उववाओ नत्थि देवस्म । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ३५ इमे सए बिइयं एगिदियमहाजुम्मसयं समत्तं ॥२॥ एवं नीललेस्सेहिवि सयं कण्हलेस्ससयसरिसं एक्कारस उद्देसगा तहेव । सेवं भंते ! २ त्ति॥ नइयं एगिंदियमहाजुम्मसयं समत्तं ॥३॥ एवं काउलेस्सेहिवि सयं कण्हलेस्ससयसरिसं । सेवं भंते ! २ ति॥ चउत्थं एगिदियमहाजुम्मसयं ॥४॥ भवसिद्धियकडजुम्म २ एगिदिया णं भंते ! कओ उववजति ? जहा ओहियसयं तहेव नवरं एकारमसुवि उद्देसएसु, अह भंते ! सव्वपाणा जाव सव्वसत्ता भवसिद्धियकडजुम्म२. एगिदियत्ताए उववन्नपुवा ? गोयमा ! णो इणढे समढे, सेस तहेव । सेवं भते । २ त्ति ।। पंचम एगिदियमहाजुम्मसयं समत्तं ॥ ५॥ कण्हलेस्सभवसिद्धियकडजुम्म२एगिदिया णं भंते ! कओ उववनंति० १ एवं कण्हलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहिवि सयं विइयसयकण्हलेस्ससरिसं भाणियव्वं । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ छठं ५९ सुत्ता० Page #982 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ भगवई । एगिदियमहाजुम्म सयं समत्तं ॥ ६ ॥ एवं नीलस्य भवसिडियएनिदिए सेवं भंते । सेवं भंते । त्ति | सत्तनं एगिंदिवमातुम्मनयं रागनं ॥ ७ ॥ एवं काउलेरसभवसिद्धियएगिंदिएहिवि नव एकार उंदरागमं सर्य एवं एयागि चत्तारि भवसिद्धियसचाणि चडमुनि सगु सव्वपाणा जाय उपवनपुत्रा ? नी इट्टे समट्टे । सेवं भंते! रोवं भते ! ति ॥ अनं एगदियमहाम्ममयं नमत्तं ॥ ८ ॥ जहा भवसिद्धिएहिं चत्तारि नयाई गणियाई एवं अभवसिद्विवि चत्तारि सयाणि लेरसासंजुत्ताणि भाणियव्वाणि सव्वपाणा नहेब नोट सम एवं एयाई वारस एगिदियमहाजुम्मनयाई भवति । सेवं भंते । सेवं भंते ! नि ॥ ८५८ ॥ पणतीसइमं सयं समत्तं ॥ , ९३० ť कडजुम्म २ वेदिया णं मंते ! कओ उवत्रजंति ०? उपवाओ जहा वतीए, परिमाणं सोलस वा संखेजा वा अससेजा वा उववनंति, अवहारो जहा उप्पलद्देसए, ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेनाभागं उकोसेणं वारस जोगाई, एवं जहा एगिंदियमहाजुम्माणं पढमुद्देसए तहेव नवरं तिन्नि लेस्साओ देवा न उववज्जति सम्मद्दिट्टी वा मिच्छादिट्टी वा नो सम्मामिच्छादिट्टी नाणी वा अन्नाणी वा नो मणजोगी वडजोगी वा कायजोगी वा, ते णं भंते ! कउजुम्म२ वेई दिया कालओ केवच्चिर होइ ? गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं संखेज्जं कालं, ठिई . जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं वारस संवछराई, आहारो नियमं छहिसिं, तिनि समुग्धाया सेसं तहेव जाव अनंतखुत्तो, एवं सोलसमुवि जुम्मेतु । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ वेइदियमहाजुम्मसए पढमो उद्देसो समत्तो ॥ ३६- १ - १॥ पढमसमय कडजुम्म२बेइदिया णं भंते! कओ उववजंति ? एवं जहा एगिंदियमहाजुम्माणं पढमसमयउद्देसए दस नाणत्ताई ताईं चेव दस इहवि, एक्कारसमं इमं नाणत्तं नो मणजोगी नो वइजोगी कायजोगी सेसं जहा बेइंदियाणं चेव पढमुद्देसए । सेव भंते । २ ति ॥ एवं एएवि जहा एगिंदिय महाजुम्मेसु एक्कारस उद्देसगा तहेव भाणियव्वा नवरं च उत्यछट्टअट्ठमदसमेसु सम्मत्तनाणाणि न भण्णंति, जहेव एगिदिएस पढमो तइओ पंचमो य एक्कगमा सेसा अट्ठ एक्कगमा ॥ ३६ इमे सए पढमं बेइंदियमहाजुम्म सयं समत्तं ॥१॥ कण्हलेस्सकडजुम्म २ बेइंदिया णं भंते । कओ उववज्जति ० १ एव चैव कण्हलेस्से सुवि एक्कारसउद्देसगसंजुत्तं सयं, नवरं लेस्सा संचिट्टणा ठिई जहा एगिंदियकण्हलेस्साणं ॥ विइयं बेइदियसयं समत्तं ॥ २॥ एवं नीललेस्सेहिवि सयं ॥ तइय सयं समत्तं ॥३॥ एवं काउलेस्सेहिवि, सयं चत्यं समत्तं ॥ ४ ॥ भवसिद्धिय कडजुम्म २ वेइंदिया णं भंते ! एवं भवसिद्धियसयावि चत्तारि तेणेव पुव्वगमएणं नेयव्वा नवरं सव्वे पाणा० णो O 2 Page #983 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ४०-१ उ०१] सुत्तारामे ९३१ इणटे समढे, सेसं तहेव ओहियसयाणि चत्तारि । सेवं भंते । सेवं भंते ! त्ति ।। छत्तीसइमे सए अट्टमं सयं समत्तं ॥ ८ ॥ जहा भवसिद्धियसयाणि चत्तारि एवं अभवसिद्धियसयाणि चत्तारि भाणियव्वाणि नवरं सम्मत्तनाणाणि (सव्वहा) नत्थि, सेसं तं चेव, एवं एयाणि वारस बेइंदियमहाजुम्मसयाणि भवंति । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ८५९ ॥ बेइंदियमहाजुम्मसया समत्ता ॥ १२ ॥ छत्तीसइमं सयं समत्तं ॥ कडजुम्मरतेइंदिया णं भंते ! कओ उववजंति० ? एवं तेइंदिएसुवि बारस सया कायव्वा बेइंदियसयस रिसा नवरं ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असखेजइभार्ग उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई, ठिई जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेणं एगूणपन्नं राइंदियाई सेसं तहेव । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ८६० ॥ तेइंदियमहाजुम्मसया समत्ता ॥ १२ ॥ सत्ततीसइमं सयं समत्तं ॥ __चउरिदिएहिवि एवं चेव वारस सया कायव्वा नवरं ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजडभागं उक्नोसेणं चत्तारि गाउयाइं, ठिई जहन्नेणं एकं समयं उक्कोसेणं छम्मासा सेस जहा बेइंदियाणं । सेवं भंते । २ त्ति ॥ ८६१ ॥ चउरिदियमहाजुम्मसया समत्ता ॥ १२ ॥ अटुतीसइमं सयं समत्तं ॥ ___कडजुम्मरअसन्निपंचिंदिया ण भंते । कओ उववज्जति०? जहा बेइन्दियाणं तहेव असण्णिसुवि वारस सया कायव्वा नवरं ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइ. भागं उबोसेणं जोयणसहस्सं सचिट्ठगा जहन्नेग एक्कं समयं उक्कोसेणं पुवकोडिपुहुत्तं ठिई जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेणं पुव्वकोडी सेसं जहा बेइंदियाणं । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ८६२ ॥ असण्णिपंचिदियमहाजुम्मसया समत्ता ॥ १२॥ एगूणयालीसइमं सयं समत्तं ॥ कडजुम्मरसन्निपंचिंदिया णं भंते ! कओ उववजन्ति० ? उवचाओ चउसुवि गईसु, संखेजवासाउयअसंखेजवासाउयपजत्तअपजत्तएसु य न कओवि पडिसेहो जाव अणुत्तरविमाणत्ति, परिमाणं अवहारो ओगाहणा य जहा असन्निपंचिंदियाणं, चेयणिज्जवजाणं सत्तण्हं कम्मपगडीगं बधगा वा अबंधगा वा, वेयणिजस्स बंधगा नो अवंधगा, मोहणिजस्स वेदगा वा अवेदगा वा सेसाणं सत्तण्हवि वेदगा नो अवेदगा, सायावेदगा वा असायावेदगा वा, मोह णिज्जस्स उदई वा अणुदई वा सेसाणं सत्तण्ड वि उदई नो अणुदई, नामस्स गोयस्स य उदीरगा नो अणुदीरगा सेसाणं छण्हवि उदीरगा वा अणुदीरगा वा, कण्हलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा, सम्मट्टिी वा मिच्छादिट्ठी वा सम्मामिन्छादिट्ठी वा, णाणी वा अन्नाणी वा, मणजोगी(वा) वइजोगी कायजोगी, उवओगो वन्नमाई उस्सासगा Page #984 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९३२ सुत्तागमे [भगवई (वा नीमासगावा) आहारगा य जहा एगिदियाग, विरया य अविरया य विरयाविरया य, सकिरिया नो अकिरिया। तेणं भंते ! जीवा कि सत्तविहवंवगा अविहबंधगा(वा) छन्विहवंवगा एगविहवंधगा ? गोयमा ! सत्तविह्ववगा वा जाब एगविहबधगा वा, तं णं भंते ! जीवा कि आहारसन्नोवउत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता नोसन्नोवउत्ता ? गोयमा ! आहारसन्नोवउत्ता वा जाव नोसन्नोवउत्ता वा, सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा कोहकसाई वा जाव लोभकसाई वा अकसाई वा, इत्थीवेदगा वा पुरिसवेदगा वा नपुंसगवेदगा वा अवेदगा वा, इत्थीवेदवंधगा वा पुरिसवेदवंधगा वा नपुंसगवेदबंधगा वा अवंधगा वा, सन्नी नो असन्नी, सइंदिया नो अणिंदिया, सचिट्ठणा जहन्नगं एकं समयं उकोसेणं सागरोवमसयपुहुत्तं साइरेगं, आहारो तहेव जाव नियम छद्दिसिं, ठिई जहन्नेगं एवं समय उनोसेण तेत्तीस सागरोवमाइं, छ समुग्घाया आइल्गा मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयावि मरंति असमोयावि मरति, उव्वट्टणा जहेव उववाओ न कत्यइ पडिसेहो जाव अणुत्तरविमाणत्ति, अह भंते ! सव्वपाणा जाव अणंतखुत्तो, एवं सोलसमुवि जुम्मेसु भाणियव्वं जाव अणंतखुत्तो, नवरं परिमाणं जहा बेइंदियाणं सेसं तहेव । सेवं भंते ! २ त्ति ।। ४०-१-१ ॥ पढमसमयकडजुम्मरसन्निपंचिंदिया णं भंते ! कओ उववजन्ति ? उववाओ परिमागं आहारो जहा एएसिं चेव पढमोदेसए ओगाहणा बंधो वेदो वेयणा उदई उदीरगा य जहा वेइन्दियाणं पढमसमइयाणं तहेव करहलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा, सेस जहा बेइन्द्रियाणं पढमसमइयाणं जाव अणंतखुत्तो नवरं इत्यिवेदगा वा पुरिसवेदगा वा नपुसगवेदगा वा सन्निणो असणिणो सेस तहेव एवं सोलसुवि जुम्मेसु परिमाण तहेव सव्वं । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ४०-१-२ ॥ एवं एत्यवि एक्कारस उद्देसगा तहेव, पढमो तइओ पंचमो य सरिसगमगा सेसा अट्ठवि सरिसगमगा, चरत्यछट्टअट्ठमदसमेसु नत्थि विसेसो (कोइवि) कायव्बो । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ८६३ ॥ चत्तालीसइमे सए पढमं सन्निपंचिंदियमहाजुम्मसयं समत्तं ॥१॥ करहलेस्सकडजुम्म २ सन्निपचिंदिया णं भंते ! कओ उववजति०? तहेव जहा पढमुद्दमओ सन्नीगं, नवर बन्धो वेओ उदई उदीरणा लेस्सा वन्धगसन्ना कसायवेयवंरगा य एयाणि जहा वेइदियाणं, करहलेस्साण वेदो तिविहो अवेदगा नत्थि संचिट्ठणा जहन्नेण एवं समयं उकोसेगं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमम्भहियाई एवं ठिईएवि नवरं ठिईए अंतोमुहुत्तमभहियाई न भन्नंति सेसं जहा एएसिं चेव पढमे उद्देमए जाव अगंतखुत्तो । एवं सोलससुवि जुम्मेसु । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ पडमसमयकण्हलेस्सकडम्मरसन्निपचिंदिया ण भते ! कओ उववजन्ति० ? जहा Page #985 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९३३ वि०५० स० ४०-१५] सुत्तागमे सन्निपंचिंदियपढमसमयउद्दसए तहेव निरवसेसं नवरं ते णं भंते ! जीवा कण्ह. लेस्सा ? हंता कण्हलेस्सा सेसं तहेव, एवं सोलससुवि जुम्मेसु । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ एवं एएवि एकारस उद्देसगा कण्हलेस्सासए, पढमतइयपंचमा सरिसगमगा सेसा अट्ठवि एक्क(सरिस)गमगा। सेव भंते । २ त्ति ॥ विइयं सयं समत्तं ॥ २ ॥ एवं नीललेस्सेसुवि सयं, नवरं संचिठ्ठणा जहन्नेणं एवं समयं उक्कोसेणं दस सागरोवमाइं पलिओवमस्स असंखेजइभागमब्भहियाई, एवं ठिईएवि, एवं तिसु उद्देसएसु, सेसं तहेव । सेवं भंते ! सेवं भंते | त्ति ॥ तइयं सयं समत्तं ॥ ३ ॥ एवं काउलेस्ससयंपि, नवरं संचिठ्ठणा जहण्णेगं एक समयं उक्कोसेणं तिन्नि सागरोवमाइं पलिओवमस्स असखेजइभागमभहियाई, एवं ठिईएवि, एवं तिसुवि उद्देसएसु, सेसं तहेव । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ चउत्थं सयं ॥ ४ ॥ एवं तेउलेस्सेसुवि सयं, नवरं संचिट्ठणा जहण्णेणं एकं समयं उक्कोसेणं दो सागरोवमाई पलिओवमस्स असंखेजइभागमभहियाइ एवं ठिईएवि नवरं नोसन्नोव उत्ता वा, एवं तिसुवि(गमएसु) उद्देमएमु सेसं तं चेव । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ पंचमं सयं ॥ ५ ॥ जहा तेउलेस्सासयं तहा पम्हलेस्सासयपि नवरं संचिठ्ठणा जहन्नेणं एकं समयं उक्नोसेणं दस सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, एवं ठिईएवि, नवरं अंतोमुहुत्तं न भन्नइ सेसं तहेव, एवं एएसु पंचसु सएसु जहा कण्हलेस्सासए गमओ तहा नेयम्बो जाव अणंतखुत्तो । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ छठे सयं समत्तं ॥ ६ ॥ सुक्कलेस्ससयं जहा ओहियसयं नवरं संचिठ्ठया ठिई य जहा कण्हलेस्ससए सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो। सेवं भंते ! २ त्ति ॥ सत्तमं सय समत्तं ॥ ७ ॥ भवसिद्धियकडजुम्म २ सन्निपंचिंदिया णं भंते ! कओ उववजन्ति ? जहा पढमं सन्निसयं तहा णेयव्वं भवसिद्धियाभिलावेगं नवरं सव्वपाणा० ? णो इणढे समढे, सेसं तं चेव, सेवं भंते ! २ त्ति ॥ अट्ठमं सयं समत्तं ॥ ८॥ कण्हलेस्सभवसिद्धियकडजुम्म २ सन्निपंचिंदिया णं भंते ! कओ उववजन्ति ? एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओहियकण्हलेस्ससयं । सेवं भंते ! २ त्ति । नवमं सयं ॥ ९ ॥ एवं नीललेस्सभवसिद्धिएवि सयं । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ दसमं सयं ॥१०॥ एव जहा ओहियाणि सन्निपंचिंदियाणं सत्त सयाणि भणियाणि एवं भवसिद्धिएहिवि सत्त सयाणि कायव्वाणि, नवरं सत्तसुवि सएसु सव्वपाणा जाव णो इणढे समढे, सेसं तं चेव । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ भवसिद्धियसया समत्ता ॥ चउद्दसमं सयं समत्तं ॥ १४ ॥ अभवसिद्धियकडजुम्म २ सन्निपंचिंदिया गं भंते ! कओ उववन्ति०? उववाओ तहेव अणुत्तरविमाणवज्जो परिमाणं अव(आ)हारो उच्चत्तं वंधो वेदो वेदणं उदओ उदीरणा य जहा कण्हलेस्ससए कण्हलेस्सा वा जाव Page #986 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [भगवई सुक्कलेस्सा वा नो सम्मट्टिी मिच्छादिट्ठी नो सम्मामिच्छादिट्ठी नो नाणी अन्नाणी एवं जहा काहलेस्ससए नवरं नो विरया अविरया नो विरयाविरया संचिट्टणा ठिई य जहा ओहियउद्देसए समुग्घाया आइलगा पंच उव्वट्टणा तहेव अणुत्तरविमाणवज्ज सव्वपाणा० णो इणढे समठे सेसं जहा कण्हलेस्ससए जाव अणंतग्युत्तो, एवं मोलससुवि जुम्मसु । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ पढमसमयअभवसिद्धियकडजुम्म २ सन्निपंचिंदिया णं भंते ! कओ उववजन्ति ? जहा सन्नीणं पढमसमयउद्देसए तहेव नवरं सम्मत्तं सम्मामिच्छत्तं नाणं च सव्वत्थ नत्यि सेसं तहेव । सेवं भंते ! २ नि ॥ एवं एत्थवि एकारस उद्देसगा कायव्चा पढमनइयपंचमा एकगमा सेसा अट्टवि एक्कगमा । सेवं भंते ! • त्ति ॥ पढमं अभवसिद्धियमहाजुम्मसयं समत्तं ॥ चत्तालीसइमे सए पन्नरसमं सयं समत्तं ॥ १५ ॥ कण्हलेस्सअभवसिद्धियक्रडजुम्म२सन्निपंचिदिया णं भंते ! कओ उववजन्ति ? जहा एएसिं चेव ओहियसयं तहा कण्हलेस्ससयंपि नवरं ते णं भंते ! जीवा कण्हलेस्सा ? हंता कण्हलेस्सा, ठिई संचिट्ठणा य जहा कण्हलेस्ससए सेसं तं चेव । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ विइयं अभवसिद्धियमहाजुम्मसयं ॥ चत्तालीसइमे सए सोलसमं सयं समत्तं ॥ १६ ॥ एवं छहिवि लेस्साहिं छ सया कायव्वा जहा कण्हलेस्ससयं नवरं संचिट्ठणा ठिई य जहेव ओहियपए तहेव भाणियव्वा, नवरं सुक्कलेस्साए उक्लोसेणं एकतीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमन्भहियाई, ठिई एवं चेव नवरं अतोमुहुत्तं नत्थि जहन्नगं तहेव सव्वत्थ सम्मत्तनाणाणि नत्थि विरई विरयाविरई अणुत्तरविमाणोववत्ति एयाणि नत्यि, सव्वपाणा० णो इणढे समढे । सेत्रं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ एवं एयाणि सत्त अभवसिद्धियमहाजुम्मसयाणि भवन्ति । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ एवं एयाणि एकवीसं सन्निमहाजुम्मसयाणि । सव्वाणिवि एक्कासीइमहाजुम्मसया समत्ता ॥ ८६४ ॥ चत्तालीसइमं सयं समत्तं ॥ __ कइ णं भंते । रासीजुम्मा पन्नत्ता ? गोयमा । चत्तारि रासीजुम्मा पन्नत्ता, तंजहा-कडजुम्मे जाव कलिओगे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ चत्तारि रासीजुम्मा पन्नत्ता तंजहा-कडजुम्मे जाव कलिओगे? गोयमा ! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए सेत्तं रासीजुम्मकडजुम्मे, एवं जाव जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपज्जवसिए सेत्तं रासीजुम्मकलिओगे, से तेणढेगं जाव कलिओगे । रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववजन्ति०? इववाओ जहा वकंतीए, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववजन्ति ? गोयमा ! चत्तारि वा अट्ठ वा Page #987 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि० ५० स० ४१ उ०१] सुत्तागमे ९३५ वारस वा सोलस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति, ते णं भंते ! जीवा कि संतरं उववजन्ति निरंतरं उववजन्ति ? गोयमा ! संतरंपि उववजन्ति निरंतरंपि उववजंति, संतरं उवव जमाणा जहन्नेगं एकं समयं उक्नोसेणं असंखेजा समया अंतरं कटु उववजन्ति, निरंतरं उववज्जमाणा जहन्नेणं दो समया उक्कोसेणं असंखेज्जा समया अणुसमयं अविरहियं निरंतरं उववजन्ति, ते णं भते ! जीवा जंसमयं कडजुम्मा तंसमयं तेओगा जममयं तेओगा तंसमयं कडजुम्मा ? गोयमा ! णो इणढे समढे, जंसमयं कडजुम्मा तंसमय दावरजुम्मा जंसमयं दावरजुम्मा तंसमयं कडजुम्मा ? नो इणढे समढे, समयं कडजुम्मा तंसमयं कलिओगा जंसमयं कलिओगा तंसमयं कडजुम्मा ? णो इणढे समढे । ते णं भंते ! जीवा कहं उववजन्ति ? गोयमा । से जहानामए पवए पवमाणे एवं जहा उववायसए जाव नो परप्पओगेणं उववजन्ति । ते णं भंते ! जीवा किं आयजसे गं उववजन्ति आयअजसेणं उववजन्ति ? गोयमा! नो आय जसेणं उववज्जति आयअजसेणं उववजन्ति, जइ आयअजसेगं उववजन्ति किं आयजसं उवजीवंति आयअजसं उवजीवंति ? गोयमा ! नो आयजसं उवजीवंति आयअजसं उवजीवंति, जइ आयअजसं उवजीवंति किं सलेस्मा अलेस्सा ? गोयमा ! सलेस्सा नो अलेस्सा, जइ सलेस्सा किं सकिरिया अकिरिया ? गोयमा ! सकिरिया नो अकिरिया, जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति जाव अंतं करेंति ? णो इणढे समढे । रासीजुम्मकडजुम्मअसुरकुमारा णं भंते । कओ उववजन्ति ? जहेव नेरइया तहेव निरवसेसं एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिया नवरं वगस्सइकाइया जाव असखेज्जा वा अगंता वा उववनंति सेसं तं चेव, मणुस्सावि एवं चेव जाव नो आयजसेणं उववजन्ति आयअजसेगं उववजंति, जइ आयअजसेणं उववजन्ति कि आयजस उवजीवंति आयअजसं उवजीवंति ? गोयमा ! आयजसपि उवजीवंति आयअजसपि उवजीवंति, जइ आयजसं उवजीवंति किं सलेस्सा अलेस्सा ? गोयमा । सलेस्सावि अलेस्सावि, जइ अलेस्सा किं सकिरिया अकिरिया ? गोयमा ! नो सकिरिया अकिरिया, जइ अकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति जाव अंतं करेंति ? हंता सिझंति जाव अंतं करेन्ति, जइ सलेस्सा किं सकिरिया अकिरिया १ गोयमा ! सकिरिया नो अकिरिया, जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति जाव अंतं करेन्ति ? गोयमा ! अत्थेगइया तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति जाव अंतं करेन्ति अत्थेगइया नो तेणेव भवग्गणेणं सिझंति जाव अंतं करेन्ति, जइ आयअजसं उवजीवंति कि सलेस्सा अलेस्सा ? गोयमा ! सलेस्सा नो अलेस्सा, जइ सलेस्सा Page #988 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९३६ सुत्तागमे [ भगवई ० कि सकिरिया अकिरिया ? गोयमा ! सकिरिया नो अकिरिया, जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणं सिज्यंति जाव अंनं करें ति ? गोयमा ! नो इगट्ठे समट्ठे । वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया । सेवं भंते ! सेवं भंते । त्ति ॥ इचत्तालीसइमे रासीजुम्मसए पडमो उद्देसो ॥ ४१|१ || रासीजुम्मनेओगनेरइया णं भंते । कओ उववजंति० ? एवं चेत्र उद्देसओ भाणियन्त्रो नवरं परिमाणं तिन्नि वा सत्त वा एक्कारस वा पन्नरस वा संखेजा वा असंखेजा वा उववज्जति संतरं तहेव, ते णं भंते ! जीवा जैसमयं तेओगा तंसमयं कडजुम्मा जैसमयं कडजुम्मा तंसमयं तेओगा ? गोयमा ! णो इण्डे समट्टे, जंसमयं तेओगा तसमयं दावरजुम्मा जंगमयं दावरजुम्मा तंसमयं तेओगा ? गोयमा ! णो इणट्टे सम, एवं कलिओगेणवि समं, सेसं तं चैव जाव वेमाणिया नवरं रववाओ सव्वेसिं जहा वक्रंतीए । सेवं भंते । सेवं भंते ! ति ॥ ४१|२ || रासीजुम्मदावर - जुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववजन्ति • ? एवं चेव उद्देसओ नवरं परिमाणं दो वा छवा दस वा संखेज्जा वा असंखेजा वा उववज्जंति संवेहो, ते णं भते ! जीवा जंसमयं दावरजुम्मा तंसमयं कडजुम्मा जंसमयं कडजुम्मा तंसमयं दावरजुम्मा ? णो इणट्ठे समट्ठे, एवं तेओएणवि समं, एवं कलिओगेणवि समं, सेसं जहा पढमुद्दे - सए जाव वेमाणिया । सेवं भंते ! २त्ति ॥ ४१।३ ॥ रासीजुम्म कलिओ गनेरइया णं भंते ! कओ उववज्जंति ० ? एव चेव नवरं परिमाणं एक्को वा पंच वा नव वा तेरस वा संखेज्जा वा असंखेजा वा उववज्जन्ति संवेहो, ते णं भंते ! जीवा जसमयं कलिओगा तंसमयं कडजुम्मा जंसमयं कडजुम्मा तंसमयं कलिओगा ? नो इणट्ठे समट्ठे, एवं तेओगेणवि समं, एवं दावरजुम्मेणवि समं, सेसं जहा पढमुद्देसए एवं जाव वेमाणिया । सेत्र भंते ! २ति ॥४१॥४॥ कम्हलेस्सरा सीजुम्मकडजुम्मनेरड्या णं भते ! कओ उववज्जन्ति ० ? उववाओ जहा धूमप्पभाए सेसं जहा पढमुद्देसए, असुरकुमाराणं तहेव एवं जात्र वागमतराणं मणुस्साणवि जहेव नेरइयागं आयअजस उवजीवंति अलेस्सा अकिरिया तेणेव भवग्गहणेग सिज्झति एवं (न) भाणि - यव्वं सेसं जहा पढमुद्देसए । सेवं भंते । सेव भंते । त्ति ॥ ४१॥ ५ ॥ कण्हलेस्सतेओगेहिवि एवं चेत्र उद्देसओ, सेवं भंते ! २ति ॥ ४१| ६ || कण्हलेस्सदावरजुम्मेहिवि एवं चेव उद्देओ । सेवं भंते ! २ति ॥ ४१।७ ॥ कण्हलेस्सकलिओगेहिवि एवं चेव उद्देसओ परिमाणं संवेहो य जहा ओहिएसु उद्देसएसु । सेवं भंते । २ ति ॥ ४१1८ ॥ जहा कण्हलेस्सेहिं एवं नीललेस्सेहिवि चत्तारि उद्देमगा भाणियव्वा निरवसेसा, नवरं नेरइयाणं उववाओ जहा वालुयप्पभाए सेसं तं चेव । सेवं भंते ! I 1 Page #989 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०५० स० ४१] सुत्तागमे सेवं भंते । ति ॥ ४॥१२॥ काउलेस्सेहिवि एवं चेव चत्तारि उद्देसगा कायव्वा नवर नेरइयाणं उववाओ जहा रयणप्पभाए, सेसं तं चेव । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४१।१६ ॥ तेउलेस्सरासीजुम्मकडजुम्मअसुरकुमारा णं भंते ! कओ उववजन्ति ? एवं चेव नवरं जेसु तेउलेस्सा अस्थि तेसु भाणियव्व, एवं एएवि कण्हलेस्ससरिसा चनारि उद्देमगा कायव्वा । सेवं भते ! २ त्ति ॥ ४१।२०॥ एवं पम्हलेस्साएवि चत्तारि उद्देसगा कायन्वा पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं वेमाणिय'ण य एएसिं पम्हलेस्सा सेसाणं नत्थि । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ४१।२४ ॥ जहा पम्हलेस्साए एवं सुक्कलेस्साएवि चत्तारि उद्दसगा कायव्वा नवरं मणुस्साणं गमओ जहा ओहियउद्देसएसु सेस तं चेव, एव एए छसु लेस्सासु चउव्वीसं उद्देसगा ओहिया चत्तारि, सव्वेते अट्ठावीस उद्दसगा भवंति । सेवं भंते ! २ त्ति ॥४१॥२८॥ भवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भते ! कओ उववजति० ? जहा ओहिया पढमगा चनारि उद्दमगा तहेव निरवसेसं एए चत्तारि उद्देसगा। सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ४१।३२ ॥ कण्हलेस्सभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते !- कओ उववजति ? जहा कण्हलेस्साए चत्तारि उद्देसगा भवंति तहा इमेवि भवसिद्धियकण्हलेस्सेहि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा ॥ ४१:३६ ॥ एवं नीललेस्सभवसिद्धिएहिवि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा ॥४१॥४०॥ एवं काउलेस्से हिवि चत्तारि उद्दमगा ॥४१॥४४॥ तेउलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसगा ओहियसरिसा ॥ ४१।४८ ॥ पम्हलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसगा ॥ ४१।५२ ॥ सुक्कलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देमगा ओहियस रिसा, एवं एएवि भवसिद्धिएहिवि अट्ठावीसं उद्दसगा भवति । सेव भंते ! सेवं भते । त्ति ॥ ४१।५६ ॥ अभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववजन्ति ? जहा पढमो उद्देसओ नवरं मणुस्सा नेरइया य सरिसा भाणियब्वा, सेस तहेव । सेव भंते ! २ त्ति। एवं चउसुवि जुम्मेसु चत्तारि उद्देसगा । कण्हलेस्सअभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरझ्या णं भंते ! कओ उववनंति० ? एवं चेव चत्तारि उद्देसगा, एवं नीललेस्सअभव. सिद्धिएहिवि चत्तारि उद्देसगा एवं काउलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसगा एवं तेउलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसगा पम्हलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसगा सुक्कलेस्मअभवसिद्धिएहिवि चत्तारि उद्देसगा, एवं एएसु अट्ठावीसाएवि अभवसिद्धियउद्देस एसु मणुस्सा नेरइयगमेणं नेयव्वा । सेव भंते ! २ त्ति । एवं एएवि अट्ठावीसं उद्देसगा ॥ ४१।८४ ॥ सम्मद्दिट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववजंति ? एवं जहा पढमो उद्दसओ एवं चउसुवि जुम्मेसु चत्तारि उद्देसगा भवसिद्धियसरिसा कायव्वा । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ कण्हलेस्ससम्मविट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते । कओ Page #990 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९३८ सुत्तागमे [भगवई उववजति ? एएवि कण्हलेस्ममरिसा चत्तारिवि उद्देसगा कायव्वा, एवं सम्मट्टिीसुवि भवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा क्रायव्वा । सेवं भंते । सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ ४१।११२ ॥ मिच्छादिट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! क्रओ उववज्जति ? एवं एत्थवि मिच्छादिट्ठिअभिलावेणं अभवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा कायव्वा । सेवं भंते ! सेव भंते ! त्ति॥ ४१११४० ॥ कण्हपक्खियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भते ! कओ उववज्जति० ? एवं एत्थवि अभवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा कायव्वा । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ४१।१६८ ॥ मुक्कपक्खियरासीजुम्मकडजुम्मनेरड्या णं भंते ! कओ उववज्जति० ? एवं एत्यवि भवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा भवंति, एवं एए सव्वेवि छन्नउयं उद्देसगसयं भवन्ति रासीजुम्मसयं ॥ ४१।१९६ ॥ जाव सुक्कलेस्सा सुक्कपक्खियरासीजुम्मकलिओगवेमाणिया जाव जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिद्मति जाव अंतं करेंति ? णो इशद्वे समढे, सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ८६५ ॥ भगवं गोयमे समण भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छियपडिच्छियमेयं भंते ! सच्चे णं एसमढे जे णं तुम्मे वदहत्तिक? अपूइवयणा खलु अरिहंता भगवंतो, समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ ८६६ ॥ इकचत्तालीसइमं रासीजुम्मसयं समत्तं ॥ सव्वाए भगवईए अद्वतीसं सयं सयाणं १३८ उद्देसगाणं १९२५ ॥ चुलसीयसयसहस्सा पयाण पवरवरणाणदसीहिं । भावाभावमणता पन्नत्ता एत्यमंगंमि ॥ १ ॥ तवनियमविणयवेलो जयइ सया नाणविमलविउलजलो । हेउसयविउलवेगो संघसमुद्दो गुणविसालो ॥ २ ॥णमो गोयमाईगं गणहराण, णमो भगवईए विवाहपन्नत्तीए, णमो दुवालसंगस्स गणिपिडगस्स ॥गाहा[कुसुम ] कुम्मसुसंठियचलणा, अमलियकोरंटवेटसंकासा । सुयदेवया भगवई मम मडतिमिरं पणासेउ ॥ १ ॥ पन्नत्तीए आइमाणं अट्ठण्हं सयाणं दो दो उद्देमगा उद्दिसिजन्ति णवरं च उत्थे सए पढमदिवसे अट्ठ विइयदिवसे दो उद्देसगा उद्दिसिज्जति, (नवरं) नवमाओ सयाओ आरद्धं जावइयं जावइयं एइ तावइयं तावइयं एगदिवसेणं उद्दिसिज्जइ उक्लोसेणं सयंपि एगदिवसेणं मज्झिमेणं दोहिं दिवसेहिं सयं जहन्नेणं तिहिं दिवसेहिं सयं एवं जाव वीसइमं सयं, णवरं गोसालो एगदिवसेणं उद्दिसिज्जइ जइ ठिओ एगेण चेव आयंबिलेग अणुन्न(विजइ)जिहीइ अह ण ठिओ आयंविलेणं छटेणं अणुण्णवइ, एकवीसवावीसतेवीसइमाई सयाई एकेकदिवसेणं उद्दिसिजन्ति, चउ Page #991 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि०प० उवसंहारो] सुत्तागमे ९३९ वीसइमं सयं दोहिं दिवसेहिं छ छ उद्देसगा, पंचवीसइमं दोहिं दिवसेहिं छ छ उद्देसगा, बधिसयाइ अट्ठसयाई एगेण दिवसेणं सेढिसयाई बारस एगेणं एगिदियमहाजुम्मसयाई बारस एगेणं एवं बेइंदियाणं बारस तेइंदियाणं वारस चउरिंदियाणं वारस एगेण असन्निपंचिंदियाणं वारस सन्निपंचिंदियमहाजुम्मसयाई एकवीसं एगदिवसेणं उद्दिसिजन्ति रासीजुम्मसयं एगदिवसेणं उद्दिसिज्जइ ॥ गाहामओ-वियसियअरविंदकरा नासियतिमिरा सुयाहि (वा)या देवी । मज्झपि देउ मेह बुहविबुहणमंसिया णिचं ॥ १ ॥ सुयदेवयाए पणमिमो जीए पसाएण सिक्खियं नाणं । अण्णं पवयणदे(वि)वी संतिक(रि)री तं (ह)नमंसामि ॥२॥ सुयदेवया य जक्खो कुंभधरो वंभसंति वेरोट्टा । विज्जा य अंतहुंडी देउ अविरघं लिहंतस्स ॥ ३ ॥ ८६७ ॥ सिरिविवाहपन्नत्ती समत्ता, पंचमं अंगं समत्तं ॥ Page #992 -------------------------------------------------------------------------- ________________ : Page #993 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ९४१ णमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ णायपुत्त-महावीरस्स सुत्तागमे तत्थ णं ॥ नायाधम्मकहाओ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नयरी होत्था । वण्णओ ॥ १॥ तीसे णं चंपाए नयरीए वहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए (एत्य णं) पुण्णभद्दे नाम उजाणे होत्या। वण्णओ ॥ २॥ तत्थ णं चंपाए नयरीए कोणिए नाम राया होत्या । वण्णओ ॥३॥ तेणं कालेण तेगं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अजसुहम्मे नाम थेरे जाइसंपन्ने कुलसंपन्ने वलस्वविणयनाणदसणचरित्तलाघवसंपन्ने ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहे जियमाणे जियमाए जियलोहे जिइंदिए जियनिद्दे जियपरीसहे जीवियासामरणभयविप्पमुक्ने तवप्पहाणे गुणप्पहाणे एवं करणचरणनिग्गहनिच्छयअजवमद्दवलाघवखंतिगुत्तिमुत्तिविजामंतबंभ(चेर)वयनयनियमसञ्चसोयनाणदंसणचारित्तप्पहाणे उ(ओ)राले घोरे घोरव्वए घोरतवस्सी घोरबंभचेरवासी उन्छूढसरीरे सखित्तविउलते(य)उलेसे चोइसपुव्वी च उनाणोवगए पंचहि अणगारसएहि सद्धि संपरिचुडे पुव्वाणुपुचि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव चंपा नयरी जेणेव पुण्णभद्दे उजाणे तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता अहापडिरूवं उग्गहं अगिण्हइ ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पागं भावेमाणे विहरइ ॥ ४ ॥ तए णं चंपाए नयरीए परिसा निग्गया । कोणिओ निग्गओ । धम्मो कहिओ । परिसा जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया । तेणं कालेणं तेणं समएणं अज्जसुहम्मस्स अणगारस्स जेहे अंतेवासी अजजंवू नाम अणगारे कासवगोत्तेगं सत्तुस्सेहे जाव अज्जमुहम्मस्स थेरस्स अदूरसामंते उर्बुजाणू अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं से अजजंबूनामे जायसड्ढे जायसंसए जायको उहल्ले संजायसड्ड सजायससए संजायकोउहल्ले उत्पन्नसड्ढे उप्पन्नसंसए उप्पन्नको उहल्ले समुप्पन्नसड्ढे समुप्पन्नसंसए समुप्पन्नकोउहल्ले उहाए उढेइ उट्टाए उट्टित्ता जेणामेव अजसुहम्मे थेरे तेणामेव उवागच्छइ २त्ता अजसुहम्मे थेरे तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता अजसुहम्मस्स थेरस्स Page #994 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९४२ सुत्तागमे [नायाधम्मकहाओ नच्चासन्ने नाइदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे पंजलिउडे विणएणं पलुवासमाणे एवं वयासी-जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं तित्थगरेणं सयंसंबुद्धणं पुरिसुत्तमेणं पुरिससीहेगं पुरिस (वरपुंडरीएणं)वग्घेणं पुरिसवरगंधहस्थिणा लोगुत्तमेणं लोगनाहेण लोगहिएणं लोगपईवेणं लोगपज्जोयगरेणं अभयदएणं सरणदएणं चक्खुदएणं मग्गदएणं बोहिदएणं धम्मदएणं धम्मदेसएणं धम्मनायगेणं धम्मसारहिणा धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टिणा अप्पडिहयवरनाणदंसणधरेणं वियदृछउमेणं जिणेणं जा(व)णएणं तिण्णेणं तारएणं वुद्धेणं बोहएणं मुत्तेणं मोयगेणं सव्वण्णेणं सव्वदरिसिणा सिवमयलमख्यमगंतमक्खयमव्वावाहमपुणरावित्तियं सासयं ठाणमुवगएणं पंचमस्स अंगरस अयमढे पन्नत्ते, छट्ठस्स णं अंगस्स भंते ! नायाधम्मकहाणं के अढे पन्नत्ते ? जवुत्ति अजसुहम्मे थेरे अजजंबूनामं अणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंवू! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तणं छहस्स अंगस्स दो सुयक्खंधा पन्नत्ता, तंजहानायाणि य धम्मक्रहाओ य । जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं छट्ठस्स अंगस्स दो सुयक्खंधा पन्नत्ता तंजहा-नायाणि य धम्मकहाओ य, पढमस्स णे भंते ! सुयक्खंधस्स समणेणं जाव संपत्तेगं नायाणं कइ अज्झयणा पन्नत्ता ? एवं खलु जंवू ! समणेणं जाव संपत्तेण नायाणं एगूणवीसं अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-उक्खित्तणाए सघाडे अडे कुम्मे य सेलगे। तुंवे य रोहिणी मल्ली मायंदी चंदिमाइय ॥ १ ॥ दावद्दवे उदगणाए मंडुक्के तेयली वि य । नंदीफले अवरकंका आइन्ने सुसुमाइय ॥ २ ॥ अवरे य पुंडरीए नायए एगूणवीसइमे ॥५॥ जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं नायाणं एगूणवीसं अज्झयणा पन्नत्ता तंजहाउक्खित्तणाए जाव पुंडरीए (त्ति) य, पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स के अहे पन्नत्ते? एवं खलु जंवू ! तेणं कालेगं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणभरहे रायगिहे नामं नयरे होत्था । वण्णओ । गुणसिलए उजाणे । वण्णओ। तत्थ णं रायगिहे नयरे सेणिए नाम राया होत्था । महया हिमवंत० वण्णओ। तस्स णं सेणियस्स रन्नो नंदा नाम देवी होत्था सुकुमालपाणिपाया वण्णओ ॥ ६ ॥ तस्स णं सेणियस्स पुत्ते नंदाए देवीए अत्तए अभए नाम कुमारे होत्या अहीणपचिदियसरीरे जाव सुरूवे सामदंडभेयउवप्पयाणनीइसुप्पउत्तनयविहिन्नू ईहापोहमग्गणगवसणअत्यसत्थमइवि. सारए उप्पत्तियाए वेणइयाए कम्मियाए पारिणामियाए चउविहाए बुद्धीए उववेए सेणियस्स रन्नो वहुसु कजेमु य कुटुंबेसु य मतेसु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य निच्छएसु य आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिजे मेढी पमाणं आहारे आलंवणं चक्खू मेढीभूए पमाणभूए आहारभूए आलंबणभूए चक्खुभूए सव्वकनेसु सव्वभूमियासु लद्धपच्चए Page #995 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु. १ अ० १] सुत्तागमे ९४३ विइण्णवियारे रजधुरचितए यावि होत्था । सेणियस्स रन्नो रजं च रटुं च कोसं च कोट्ठागारं च वलं च वाहणं च पुरं च अतेउरं च सयमेव समु(वे)पेक्खमाणे २ विहरइ ॥७॥ तस्स णं सेणि यस्स रन्नो धारिणी नामं देवी होत्था जाव सेणियस्स रन्नो इट्ठा जाव विहरइ ॥ ८ ॥ तए णं सा धारिणी देवी अन्नया कयाइ तंसि तारिसगंसि छक्कट्टगलट्ठमट्ठसंठियखंमुग्गयपवरवरसालभंजियउजलमणिकणगरयणथूभियविडंकजालद्धचंदनिजहर्कतरकणयालिचंदसालियाविभत्तिकलिए सरसच्छधाऊवलवण्णरइए वाहिरओ दूमियघट्टमढे अभितरओ पसत्तसुविलिहियचित्तकम्मे नाणाविहपंचवण्णमणिरयणकोट्टिमतले पउमलयाफुल्लवल्लिवरपुप्फजाइउल्लोयचित्तियतले चं (व). दणवरकणगकलससु(वि)णिम्मियपडिपुजियसरसपउमसोहंतदारभाए पयरग्गलंवंतमणिमुत्तदामसुविरइयदारसोहे सुगंधवरकुसुममउयपम्हलसयणोवयारमणहिययनिव्वुइयरे कप्पूरलगमलयचंदणकालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कधूवडज्झंतसुरभिमघमघंतगंधुद्धया भिरामे सुगंधवरगंधिए गंधवट्टिभूए मणिकिरणपणा सियंधयारे किं बहुणा ? जुइगुणेहि सुरवरविमाणवेलं (विय)ववरघरए तंसि तारिसगंसि सयणिज्जसि सालिंगणवट्टिए उभओ विव्वोयणे दुहओ उन्नए मज्झे णयगंभीरे गंगापुलिणवालुयाउद्दालसालिसए उयचियखोमदुगुल्लपट्टपडि(च्छण्णे)च्छायणे अत्थरयमलयनवतयकुसत्तलिंबसीहकेसरपञ्चुत्यए सुविरइयरयत्ताणे रत्तंसुयसंत्रुए सुरम्मे आइणगरूयवूरनवणीयतुल्लफासे पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी ओहीरमाणी एगं महं सत्तुस्सेहं रययाडसन्निहं नहयलंसि सोमं सोमागारं लीलायंत भा(यंत)यमाणं मुहमइगयं गयं पासित्ता णं पडिवुद्धा । तए णं सा धारिणी देवी अयमेयारूवं उरालं कल्लाण सिवं धन्न मंगल सस्सिरीयं महासुमिणं पासित्ता णं पडिवुद्धा समाणी हट्ठा चित्तमाणंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाणहियया धाराहयकलंवपुप्फगं पिव समूससियरोमकूवा तं सुमिण ओगिण्हइ २ तासयणिजाओ उढेइ २ त्ता पायपीढाओ पच्चोसहइ २ त्ता अतुरियमचवलमसंभंताए अविलंवियाए रायहंससरिसीए गईए जेणामेव से सेणिए राया तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता सेणियं रायं ताहि इट्ठाहि कंताहि पियाहि मणुन्नाहिं मणामाहिं उरालाहिं कल्लाणाहि सिवाहिं धन्नाहि मंगल्लाहि सस्सिरीयाहि हिययगमणिजाहिं हिययपल्हायणिजाहिं मियमहुररिभियगंभीरसस्सिरीयाहिं गिराहिं सलवमाणी २ पडिवोहेइ २ त्ता सेणिएणं रन्ना अब्भणुन्नाया समाणी नाणामणिकणगरयगभत्तिचित्तसि भद्दासणंसि निसीयइ २ त्ता आसत्था वीसत्था सुहासणवरगया करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु सेणियं रायं एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया । अज तंसि तारिसगंसि सयणिज्जसि Page #996 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९४४ सुत्तागमे [नायाधम्मकहाओ सालिंगगवट्टिए जाव नियगवयणमइवयंतं गयं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा । तं एयस्स णं देवाणुप्पिया । उरालस्स जाव सुमिणस्स के मन्ने कन्द्राणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ? ॥ ९ ॥ तए णं से सेणिए राया धारिणीए देवीए अंतिए एयमढं सोचा निसम्म हट्टतुट्ठ जाव हियए धाराहयनीवसुरभिकुसुमचंचुमालइयतणू ऊस(सि)वियरो. मकवे तं सुमिणं उग्गिण्हइ २ त्ता ईंहं पविसइ २ त्ता अप्पणो साभाविएणं मइपुश्वएणं बुद्धिविनाणेणं तस्म सुमिगस्स अत्थोग्गहं करेइ २ ता धारिणि डेविं ताहिं जाव हिययपल्हायणिजाहि मि(उ)यमहुररिभियगंभीरसस्सिरीयाहिं वग्गूहिं अणुवूहेमाणे २ एवं वयासी-उराले णं तुमे देवाणुप्पिए! सुमिणे दिवे, कल्लाणे णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणे दिटे, सिवे धन्ने मंगल्ले सस्सिरीए ण तुसे देवाणुप्पिए ! सुमिणे दिद्वे, आरोग्गतुहिदीहाउयकल्लाणमंगलकारए णं तुमे देवी ! सुमिणे दिडे, अत्यलाभो ते देवाणुप्पिए ! पुत्तलाभो ते देवाणुप्पिए ! रज्जलाभो भोगलाभो सोक्खलाभो ते देवाणुप्पिए । एवं खलु तुमं देवाणुप्पिए ! नवग्हं मासाणं वहुपडिपुण्णाण अट्ठमाण य राइदियाणं वीइकंताणं अम्हं कुलकेउं कुलदीव कुलपव्वयं कुलवडिंसयं कुलतिलय कुलकित्तिकरं कुलवित्तिकरं कुलनंदिकरं कुलजसकरं कुलाधारं कुलपायव कुलविवद्धणकरं सुकुमालपाणिपायं जाव दारयं पाहिति । से वि य णं दारए उम्मकबालभावे विन्नायपरिणयमेत्ते जोव्वगगमणुप्पत्ते सूरे वीरे विनंते वित्थिगविमुल. वलवाहणे रज्जवई राया भविस्सइ । तं उराले णं तुमे देवी ! सुमिणे दिढे जाव आरोग्गतुहिदीहाउकल्लाणकारए णं तुमे देवी ! सुमिणे दिढे त्ति कट्ठ भुजो २ अणुव्हेइ ॥१०॥ तएणं सा धारिणी देवी सेणिएणं रन्ना एवं वुत्ता समाणी हहनुट्ठा जाव हियया करयलपरिग्गहियं जाव अंजलिं कटु एवं वयासी-एवमेयं देवाणुप्पिया | तहमेयं देवाणुप्पिया ! आवितहमेयं असदिद्धमेयं इच्छियमेय (देवाणुप्पिया !) पडिच्छियमेयं इच्छियपडिच्छियमेयं सच्चे णं एसमढे जं णं तुम्भे वयह त्ति कट्ठ तं सुमिण सम्म पडिच्छइ २ ता सेणिएणं रन्ना अव्मणुन्नाया समाणी नाणामणिकणगरयणभत्तिचित्ताओ भदासगाओ अब्भुढेइ २ त्ता जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सयसि मयणिजसि निसीयइ २ त्ता एवं वयासी-मा मे से उत्तमे पहाणे मंगल्ले सुमिणे अन्नेहि पावसुमिणेहि पडिहम्मिहित्ति कटु देवयगुरुजणसंबद्धाहि पमत्याहिं धम्मियाहिं कहाहि सुमिणजागरियं पडिजागरमाणी (२)विहरइ ॥ ११॥ तए णं से सेणिए राया पञ्चसकालसमयंसि कोडवियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! बाहिरियं उवट्ठाणसाल अज सविसेसं परमरम्मं गंधोदगसित्तसुइयसम्मजिओवलितं पचवण्णसरससुरभिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलियं कालागरुपवरकुंदुरुक्क Page #997 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ अ० १]. सुत्तागमे ९४५ तुरुकधूवडज्झंतमघमघंतगंधु याभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं करेह य कारवेह य करिता य कारवित्ता य ए(व)यमाणत्तियं पञ्चप्पिणह । तए णं ते कोडुबियपुरिसा सेणिएणं रन्ना एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठा जाव पञ्चप्पिणंति । तए णं से सेणिए राया कलं पाउम्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पलकमलकोमलुम्मिलियंमि अहापंडुरे पभाए रत्तासोगप्पगास किसुयसुयमुहगुंजद्ध(राग)वंधुजीवगपारावयचलणनयणपरहुयसुरत्तलोयणजासुमणकुसुमजलियजलणतवणिजकलसहिगुलयनिगररूवाइरेगरेहन्तसस्सिरीए दिवा(ग)यरे अहकमेण उदिए तस्स दिण(कर)करपरंपरावयारपारद्धमि अधयारे बालायवकुकुमेण खइयव्व जीवलोए लोयणविसयाणुयासविगसंतविसददंसियंमि लोए कमलागरसडवोहए उठ्ठियंमि सूरे सहस्सरसिमि दिणयरे तेयसा जलंते सयणिज्जाओ उठेइ २ त्ता जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अट्टणसालं अणुपविसइ २ त्ता अणेगवायामजोगवग्गणवामद्दणमल्लजुद्धकरणेहिं संते परिस्संते सयपागसहस्सपागेहिं सुगंधवरतेल्लमाइएहि पीणणिजेहिं दीवणिजेहिं दप्पणिजेहि मयणिजेहि विहणिजेहिं सम्विदियगायपल्हायणिजेहिं अन्भंगएहिं अभंगिए समाणे तेल्लचम्मंसि पडिपुण्णपाणिपायसुकुमालकोमलतलेहिं पुरिसेहिं छेएहिं दक्खेहि पढेहि कुसलेहिं मेहावीहिं निउणेहिं निउणसिप्पोवगएहि जियपरिरसमेहिं अभंगणपरिमद्दणुव्वलणकरणगुणनिम्माएहिं अद्विसुहाए मंससुहाए तयासुहाए रोमसुहाए चउन्विहाए सं(वा)वाहणाए संवाहिए समाणे अवगयपरिस्समे नरिंदे अट्टणसालाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता मजणघरं अणुपविसइ २ त्ता स(मु)म(न्त)त्तजालाभिरामे विचित्तमणिरयणकोट्टिमतले रमणिज्जे हाणमंडबंसि नाणामणिरयणभत्तिचित्तंसि ण्हाणपीढंसि सुहनिसण्णे सुहोदगेहिं पुप्फोदएहिं गंधोदएहिं सुद्धोदएहि य पुणो पुणो कलाणगपवरमजणविहीए मजिए तत्थ कोउयसएहिं बहुविहेहिं कल्लाणगपवरमजणावसाणे पम्हलसुकुमालगंधकासा(ई)यलहियंगे अहयसुमहग्घदूसरयणसुसंवुए सरससुरभिगोसीसचंदणाणुलित्तगत्ते सुइमालावण्णगविलेवणे आविद्धमणिसुवण्णे कप्पियहारद्धहारतिसरयपालंवपलंबमाणकडिसुत्तसुकयसोहे पि(ण)णिद्धगेविज्जे अंगुलेजगललियंग(य)ललियकयाभरणे नाणामणिकडगतुडियथंभियभुए अहियरूवसस्सिरीए कुंडलुज्जोइयाणणे मउडदित्तसिरए हारोत्थयसुकयरइयवच्छे पालंबपलंबमाणसुकयपडउत्तरिजे मुद्दियापिंगलंगुलीए नाणामणिकणगरयणविमलमहरिहनिउणोवियमिसिमिसंतविरइयसुसिलिट्ठविसिट्ठलट्ठसंठियपसत्थआविद्धवीरवलए, कि बहुणा ? कप्परुक्खए चेव सुअलंकियविभूसिए नरिंदे सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं (उभओ)चउचामरबालवीइयंगे मंगलजयसहकयालोए अणेगगणनायगदंडनायगराईसरतलवरमाडविय ६. सुत्ता० Page #998 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९४६ सुत्तागमे [ णायाधम्मकाओ कोडुंवियमंतिमहामंतिगणगदोवा रियअमच्चचेडपीढमद्दनगरनिगमसेट्ठितेणावइसत्यवाहदूयसंधिवालसद्धिं संपरिवुडे धवलमहामेहनिग्गए विव गहगणदिप्पंतरिक्खतारागणाण मज्झे सति व्व पियदंसणे नरवई मज्जणघराओ पडिनिक्खमइ २ त्ता जेणेव बाहिरिया उवद्वाणसाला तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे सन्निसणे । तए णं से सेणिए राया अप्पणो अदूरसामंते उत्तरपुरच्छिमे दिखीभाए अट्ठ भद्दासणाई सेयवत्यपच्चत्थुयाई सिद्धत्यमंगलोवयारकयसंतिक्रम्माई रयावेइ २ ता ( अप्पणो अदूरसामंते) नाणामणिरयणमंडियं अहियपेच्छणिजरूवं महग्घवरपट्टणुग्गयं सहबहुभत्तिसयचित्त (ट्ठा ) ठाणं ईहामियउसभतुरयनरमगरविहगवालगकिन्नररुल्सरभचमरकुंजरवणलयपउमलयभत्तिचित्तं सुखचियवरकणगपवरपेरंतदेसभागं अभितरियं जवणियं अंछावेइ २ त्ता अ (च्छ ) त्थरगमउ अमसूरगउच्छइयं धवलवत्थपचत्थुयं विसिहं अंगसुहफासयं सुमय्यं धारिणीए देवीए भद्दासणं यावेइ २ ता कोवियपुरिसे सहावेइ २ ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अहंगमहानिमित्तसुत्तत्थपाढए विविहसत्यकुसले सुमिणपाढए सद्दावेह २ त्ता एयमाणत्तिय खिप्पामेव पचप्पिह । तए णं ते कोडुंवियपुरिसा सेणिएणं रन्ना एवं चुत्ता संमाणा हट्ठतुट्ठ जाव हियया करयलपरिग्गहिय दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं देवो तहत्ति आणाए विणणं वयणं पडिसुर्णेति २ त्ता सेणियस्स रन्नो अंतियाओ पडिनिक्खमंत २ त्ता रायगिहस्स नयरस्स मज्यंमज्झेणं जेणेव सुमिणपाढगगिहाणि तेणेव उवागच्छंति २ त्ता सुमिणपाढए सद्दावेति । तए णं ते सुमिणपाढगा सेणियस्स रन्नो कोडुंवियपुरिसेहिं सच्ाविया समाणा हट्टतुट्ठ जाव हियया व्हाया अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा हरिया लियसिद्धत्थयकयमुद्धाणा सएहिं सएहिं गिहेहिंतो पडिनिक्खमंत २त्ता रायगिहस्स नयरस्स मज्झमज्झेणं जेणेव सेणियम्स रण्णो भवणव (डे) डिंसगदुवारे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता एगयओ मि (ल) लायंति २ त्ता सेणियस्स रन्नो भवणवडिंसगदुवारेणं अणुपविसंति २त्ता जेणेव बाहिरिया उवाणसाला जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छति २ त्ता सेणियं रायं जएणं विजएणं वद्धावेति, सेणिएणं रन्ना अच्चियवंदियपूइयमाणिय सक्कारियसम्माणिया समाणा पत्तेयं २ पुव्वन्नत्थेनु भद्दासणेसु निसीयंति । तए णं सेणिए राया जवणियंतरियं धारिणि देवि ठवे २ त्ता पुप्फफलपडिपुण्णहत्थे परेणं विणएणं ते सुमिणपाढए एवं वयासी - एवं खल देवाणुप्पिया ! धारिणी देवी अज्ज तंति तारिसगंसि सयणिज्जति जाव महासुमिणं पाक्षित्ता णं पडिबुद्धा, तं एवस्स णं देवाणुप्पिया ! उरालस्स जाव सस्सिरीयस्स महानुमिणस्स के मन्ने कहाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ? । तए णं ते सुमिणपाढगा Page #999 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ० १ ] सुत्तागमे सेणियस्स रन्नो अंतिए एयमहं सोचा निसम्म हट्ठतुट्ठ जाव हियया तं सुमिणं सम्म ओगित २ ता ईहं अणुपविसंति २ त्ता अन्नमन्त्रेण सद्धि संचालैति २ त्ता तस्स सुमिणस्स लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा अभिगयट्ठा सेणियस्स रन्नो पुरओ सुमिणसत्थाई उच्चारेमाणा (२) एवं वयासी एवं खलु अम्हं सामी । सुमिसत्यंसि वायालीसं सुमिणा तीसं महासुमिणा वावत्तरि सव्वसुमिणा दिट्ठा । तत्थ णं सामी | अरहंतमायरो वा चक्कवट्टिमायरो वा अरहंतंसि वा चक्कवट्टिसि वा गब्भं वक्कममाणंसि एएसिं तीसाए महासुमिणाणं इमे चउद्दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुज्यंति तं जहा - गयवस हसीहअभिसेयदामस सिदिणयरं झयं कुंभं । पउमसरसागरविमाणभवणरयणुच्चय-सिहि च ॥ १ ॥ वासुदेवमायरो वा वासुदेवंसि गब्र्भ वक्कममाणंसि एएसिं चउद्दसहं महासुमिणाणं अन्नयरे सत्त महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुज्झति । वलदेवमायरो वा बलदेवंसि गव्भं वक्कममाणंसि एएसिं चउद्दसह महासुमिणाणं अन्नयरे चत्तारि महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुज्झति । मंडलियमायरो वा मंडलियंसि गव्भं वक्कममाणंसि एएसिं चोद्दसहं महासुमिणाणं अन्नयरं एवं महासुमिणं पासित्ताणं पडिवुज्झति । इमे य (णं) सामी । धारिणीए देवीए एगे महासुमिणे दिट्टे । तं उराले णं सामी | धारिणीए देवीए सुमिणे दिट्ठे जाव आरोग्गतुट्ठिदीहाउकलाणमंगलकारएणं सामी । धारिणीए देवीए सुमिणे दिट्ठे । अत्थलाभो सामी ! सोक्खलाभो सामी ! भोगलाभो सामी । पुत्तलाभो रज्जलाभो, एवं खलु सामी ! धारिणी देवी नवहं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं जाव दारगं पया हि (सि) इ । से वियणं दारए उम्मुक्कबालभावे विन्नायपरिणयमित्ते जोव्वणगमणुप्पत्ते सूरे वीरे विकंते वित्थिष्णविउलवलवाहणे रज्जवई राया भविस्सइ अणगारे वा भावियप्पा । तं उराले णं सामी ! धारिणीए देवीए सुमिणे दिट्ठे जाव आरोग्गतुट्टि जाव दिट्ठे-तिकड भुजो २ अणु (वू) वूर्हेति । तए णं सेणिए राया तेसिं सुमिणपाढगाणं अंतिए एयमहं सोचा निसम्म हट्ट जाव हियए करयल जाव एवं वयासी — एवमेयं देवाणुपिया ! जाव जं णं तु मे वयह-त्तिकट्टु तं सुमिणं सम्मं पडिच्छइ २ त्ता ते सुमिणपाढए विउलेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थगंधमलालंकारेण य सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारित्ता सम्माणित्ता विउलं जीवियारिह पीइदाणं दलयइ २ त्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से से लिए राया सीहासणाओ अब्भुट्ठेइ २ त्ता जेणेव धारिणी देवी तेणेव उवागच्छइ २ ता धारि (णीदेवीं) णि देवि एवं वयासी - एवं खलु देवाणुप्पिए । सुमिणसत्यंसि बायालीसं सुमिणा तीस महासुमिणा जाव एवं महासुमिणं जाव भुज्जो २ अणुवूहेइ । तए णं सा धारिणी देवी सेणियस्स रन्नो अंतिए एयमहं सोचा निसम्म हट्ठ जाव हियया । ९४७ Page #1000 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९४८ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ तं सुमिणं सम्म पडिच्छइ २ ता जेणेव सए वासघरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता ण्हाया अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा विपुलाइं जाव विहरइ ।। १२ ।। तए णं तीसे धारिणीए देवीए दोसु मासेसु वीइनंतेनु तइए मासे वट्टमाणे तस्स गभस्स दोहलकाल. समयंसि अयमेयालवे अकालमेहेमु दोहले पाउभवित्या-धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ सपुण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ कयत्याओ (णं ताओ०) कयपुण्णाओ कन्यलक्खगाओ कयविहवाओ सुलद्धे णं तासिं माणुस्सए जम्मजीवियफले जाओ गं मेहेतु अभुग्गएसु अन्मुज्जएसु अब्भुन्नएसु अन्मुट्ठिएमु सगजिएसु सविजुएट सफुलिएनु सथणिएसु धंतधोयरुप्पपट्टअंकसंखचंदकुंदसालिपिट्ठरातिसमप्पमेनु चिउरहरिबालभेयचंपगसणकोरंटसरिस(य)वपउमरयसमप्पमेसु लक्खारससरसरत्तकिमयजामुमणरत्तवंधुजीवगजाइहिंगुलयसरसकुंकुसउरव्भससरुहिरइंदगोवगसमप्पभेट वरहिणनीलगु. लियासुगचासपिच्छभिंगपनसासगनीलुप्पलनियरनवसिरीसकुनुमनवसद्दलसमप्पमेनु जच्चजणभिंगमेयरिट्ठगभमरावलिगवलगुलियकजलसमप्पमेसु फुरंतविजुयसगजिएतु वायवसविपुलगगणचवलपरिसकिरेसु निम्मलवरवारिधाराप(ग)यलियपयंडमाल्यसमाहयसमोत्यरंतउवरिउवरितुरियवासं पवासिएसु धारापहकरनिवायनिव्वावि(योयं मेइणितले हरिय(ग)गणकंचुए पल्लविय पायवगणेसु वल्लिवियाणेनु पसरिएलु उन्नएनु सोहग्गमुवागएसु (नगेसु नएमु वा) वेभारगिरिप्पवायतडकडगविमुळेनु उज्झरेतु तुरियपहावियपल्लोहफेणाउलं सकलुसं जलं वहंतीसु गिरिनईमु सजज्जुणनीवकुडयकंदलसिलिंधकलिए उववणेसु मेहरसियहद्वतुट्टचिठ्ठियहरिमवसपमुकंठकेकारवं मुयंतेसु वरहिणेसु उउवसमयजणियतरुगसहयरिपणचिएसु नवसुरभिसिलिंधकुडयकंदलकलंवगंधद्धगि मुयंतेनु उववणेनु परहुयल्यरिभियसंकुलेनु उहा(य)इतरत्तइंदगोवयथोत्रयकारुण्णाविलविएसु उन्न(ओग)यतणमंडिएमु दुरपयंपिएनु सपिडियदरियभमरमहुयरिपहकरपरिलिंतमत्तछप्पचकुसुमासवलोलमहुरगुंजंतदेसभाएनु उवदणेसु परिसामियबदसूरगहगणपण?नक्खत्ततारगपहे इंदाउहबद्धचिंधपट्टसि अंवरतले उट्ठीणवलागपंतिसोहंतमेहविन्दे कारंडगचकवायकलहंसउस्सुयकरे संपत्ते पाउसंमि काले पहायाओ कि ते वरपायपननेउरमणिमेहलहाररइयर(व)चियकडगखुड्यविचित्तवरवलयर्थभियभुयाओ कुडलउजोवियाणणाओ रयणभूतियं(गा)गीओ नासानीसासवायवोझं चक्खुहरं वगफरिससंजुत्तं हयलालापेलवाइरेयं धवलकणयखचियंतकम्म आगासफलिहसरिसप्पभं अनुयं पवरपरिहियाओ दुगुलनुकुमाल- उत्तरिजाओ सव्वोउयसुरभिकुसुमपवरमन्सोहियसिराओ कालागरु(पवर)धूनधूवियाओ सिरीसमागवेखाओ सेयणयगंधहत्यिरयगं दुरूढाओ समाणीओ सकोरंटमदामेणं Page #1001 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९४९ सु० १ म० १] सुत्तागमे छत्तेण धरिजमाणेणं चंदप्पभवइरवेरुलियविमलदंडसंखकुंददगरयअमयमहियफेणपुंजसन्निगासचउचामरवालवीजियंगीओ सेणिएणं रन्ना सद्धिं हत्थिखंधवरगएणं पिट्टओ (२) समणुगच्छमाणीओ चाउरंगिणीए सेणाए महया हयाणीएणं गयाणीएणं रहाणीएणं पायत्ताणीएणं सब्बिड्डीए सव्वजुईए जाव निग्घोसनाइयरवेणं रायगिहं नयरं सिंघाडगति(योगचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु आसित्तसित्तसु(चि)इयसंमजिओवलितं जाव सुगंधवरगंधियं गंधवटिभूयं अवलोएमाणीओ नागरजणेणं अभिनंदिजमाणीओ गुच्छलयारुक्खगुम्सवल्लिगुच्छओच्छाइयं सुरम्मं वेभारगिरिकडगपायमूलं सव्वओ समंता आहिडेमाणीओ २ दोहलं वि(णि)णयंति । तं जइ णं अहमवि मेहेमु अब्भु(व)ग्गएसु जाव दोहलं विणिजामि ॥१३॥ तए णं सा धारिणी देवी तंसि डोहलंसि अविणिजमाणं सि असंप(ण)त्तदोहला असंपुण्णदोहला असंमाणियदोहला सुक्का भुक्खा निम्मंसा ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा पमइलदुब्वला किलंता ओमंथियवयणनयणकमला पंडुइयमुही करयलमलियव्व चंपगमाला नित्तेया दीणविवण्णवयणा जहोचियपुप्फगंवमलालंकारहारं अणभिलसमाणी कीडारमण किरियं च परिहावेमाणी दीणा दुम्मणा निराणंदा भूमिगयदिट्ठीया ओहयमणसंकप्पा जाव झिया(य)इ । तए णं तीसे धारिणीए देवीए अंगपडियारियाओ अभितरियाओ दासचेडियाओ धारिणिं देवि ओलग्गं जाव झियायमाणि पासंति २ त्ता एवं वयासी-किन्नं तुमे देवाणुप्पिए। ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा जाव झियायसि ?, तए णं सा धारिणी देवी ताहि अंगपडियारियाहिं अभितरियाहिं दासचेडियाहि(य) एवं वुत्ता समाणी ताओ (दास)-चेडियाओ नो आढाइ नो(य) परियाणाइ अणाढायमाणी अपरियाणमाणी तुसिणीया संचिठ्ठइ।तएणं ताओ अंगपडियारियाओ अभितरियाओ दासचे(डी)डियाओ धारिणिं देविं दोचंपि तचंपि एवं वयासी-किन्नं तुमे देवाणुप्पिए! ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा जाव झियायसि ?, तए णं सा धारिणी देवी ताहिं अंगपडियारियाहिं अभितरियाहिं (य) दासचे(डी)डियाहिं दोच्चपि तच्चपि एवं वुत्ता समाणी नो आढाइ नो परियाणाइ अणाढायमाणी अपरियाणमाणी तुसिणीया संचिठ्ठइ । तए णं ताओ अंगपडियारियाओ अभितरियाओ दासचेडियाओ (य)धारिणीए देवीए अणाढाइज्जमाणीओ अपरि(याण)जा. णिजमाणीओ तहेव संभंताओ समाणीओ धारिणीए देवीए अंतियाओपडिनिक्खमंति २ ता जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छंति २ ता करयलपरिग्गहियं जाव कटु जएणं विजएणं वद्धावेंति २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु सामी! किपि अज्ज धारिणी देवी ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा जाव अट्टज्झाणोवगया झियायइ। तए णं से सेणिए राया तासिं अंगपडियारियाणं अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म तहेव संभंते समाणे सिग्धं तुरियं Page #1002 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ णायाधम्मकहाओ GIVE चवल वेइयं जेणेव धारिणी देवी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता धारिणि देवि ओलुग्गं ओलुग्गसरीरं जाव अट्टज्झाणोवगयं झियायमाणि पासइ २ त्ता एवं व्यासी- किन्नं तु (मे) मं देवाणुप्पिए ! ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा जाव अट्टज्याणोवगया झियायसि ?, तए णंसा धारिणी देवी सेणिएगं रन्ना एवं वुत्ता समाणी नो आढाइ जाव तुसिणीया संचिवइ । तएणं से सेणिए राया धारि (णीं) णिं दे (वी) विं दोपि तच्चपि एवं वयासी - किन्नं तुमं देवाप्पिए! ओलुग्गा जाव झियायति ?, तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रन्ना दोच्चंपि तच्चपि एवं वृत्ता समाणी नो आढाइ नो परिजाणाइ तुतिणीया संचिट्ठइ । तए णं से सेणिए राया धारिणि देविं सवहसावियं करेड़ २ त्ता एवं वयासी - कि गं तुमं देवाणुप्पिए ! अहमेयस्स अट्ठस्स अणरिहे सचणयाए ता णं तुमं ममं अयमेयारुवं मणोमाणसियं दुक्खं रहस्सीकरेसि ? । तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रन्ना सवहसाविया समाणी सेणियं रायं एवं वयासी एवं खलु सामी 1 मम तस्स उरालस्स जाव महासुमिणस्स तिन्हं मासाणं बहुपडिपुण्गाणं अयमेयारूवे अकालमे हेतु डोहले पाउव्भूए—धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ कयत्थाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव वैभारगिरिपायमूलं आहिडमाणीओ दोहलं विर्णिति, तं जइ णं अहमवि जाव दोहलं विणिजामि । तए णं हं सामी ! अयमेयारुवंति अकालदोहलंति अविणिजमार्गति ओलुग्गा जाव अट्टज्नाणोवगया झियायामि । एएणं अहं कारणेणं सामी 1 ओलुग्गा जाव अट्टज्झाणोवगया झियायामि । तए णं से सेणिए राया धारिणीए देवीए अंतिए एयमट्टं सोच्चा निसम्म धारिणिं देविं एवं वयासी - मा णं तुमं देवाणुप्पिए । ओलुग्गा जाव झियाहि, अहं णं तहा करिस्सामि जहा णं तुब्भं अयमेयारुवस्स अकालदोहलस्स मणोरहसंपत्ती भविस्सइ-त्तिकद्रु धारिणि देविं इट्ठाहि कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं वग्गूहिं समासासेइ २ त्ता जेणेव बाहिरिया उवद्वाणसाला तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमुद्दे सन्निसणे धारिणीए देवीए एयं अकालदोहलं वहूहि आएहि य उवाएहि य उप्पत्तियाहि य वेणझ्याहि य कम्मि याहि य पा(प)रिणामियाहि य चउव्विहाहिं वुद्धीहिं अणुचिंतेमाणे २ तस्स दोहलस्स आयं वा उवायं वा ठिई वा उप्पत्तिं वा अविंदमाणे ओहयमणसंकप्पे जाव झियायइ ॥ १४॥ तयाणंतरं च णं अभए कुमारे ण्हाए सव्वालंकारविभूसिए पायवंदए पहारेत्थ गमणाए। तए णंसे अभयकुमारे जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सेणियं रायं ओहयमणसंकप्पं जाव झियायमाणं पासइ २त्ता अयमेयारूवे अ (व्भ) ज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था - अन्नया (य) ममं सेणिए राया एजमाणं पासइ पासित्ता आढाइ परिजाणाइ सक्कारेइ सम्माणेइ आलवइ संलवइ अद्धासणेणं ९५० Page #1003 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ अ० १] सुत्तागमे ९५१ उवनिमंतेइ मत्थयंसि अग्धाइ । इयाणि ममं सेणिए राया नो आढाइ नो परियाणइ नो सकारेइ नो सम्माणेइ नो इटाहिं कंताहिं पियाहि मणुनाहिं ओरालाहिं वग्गूहिं आलवइ संलवइ नो अद्धासणेणं उवनिमतेइ नो मत्ययंसि अग्घा(य)इ(य) किपि ओहयमणसंकप्पे झियायइ । तं भवियव्वं णं एत्थ कारणेणं । तं सेयं खलु (मे) ममं सेणियं रायं एयमहूं पुच्छित्तए । एवं संपेहेइ २ त्ता जेणामेव सेणिए राया तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अजलिं कटु जएणं विजएणं वद्धावेइ २ त्ता एवं वयासी-तुन्भे णं ताओ ! अन्नया ममं एजमाणं पासित्ता आढाह परिजाणह जाव मत्थयंसि अग्धायह आसणेणं उवनिमंतेह, इयाणि ताओ ! तुन्भे ममं नो आढाह जाव नो आसणेणं उवनिमंतेह किंपि ओहयमणसंकप्पा जाव झियायह, तं भवियव्वं ताओ! एत्थ कारणेणं, तओ तुन्भे म(म)मंताओ! एयं कारणं अगृहेमाणा असंकेमाणा अनिण्हवेमाणा अपच्छाएमाणा जहाभूयमवितहमसंदिद्ध एयमढें आइक्खह । तए णं हं तस्स कारणस्स अंतगमणं गमिस्सामि । तए णं से सेणिए राया अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ते समाणे अभयकुमारं एवं वयासी-एवं खलु पुत्ता ! तव चुलमाउयाए धारिणीए देवीए तस्स गन्भस्स दोसु मासेसु अइकंतेसु तइयमासे वट्टमाणे दोहलकालसमयंसि अयमेयारूवे दोहले पाउन्भवित्था-धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव विणिति । तए णं अहं पुत्ता ! धारिणीए देवीए तस्स अकालदोहलस्स वहूहि आएहि य उवाएहि जाव उप्पत्तिं अविंदमाणे ओहयमणसंकप्पे जाव झियायामि तुमं आगयंपि न याणामि, तं एएणं कारणेणं अहं पुत्ता ! ओहयमणसंकप्पे जाव झियामि । तए णं से अभए कुमारे सेणियस्स रण्णो अंतिए एयमहूँ सोचा निसम्म हट्ठ जाव हियए सेणियं रायं एवं चयासी-मा'णं तुम्भे ताओ! ओहयमणसंकप्पा जाव झियायह । अहं णं तहा करिस्सामि जहा णं मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवस्स अकालडोहलस्स मणोरहसंपत्ती भविस्सइ-त्तिकटु सेणियं रायं ताहि इट्टाहि कंताहि जाव समासासेइ । तए णं सेणिए राया अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ते समाणे हद्वतुढे जाव अभयं कुमारं सकारेइ सम्माणेइ सक्कारिता सम्माणित्ता पडिविसज्जेइ ॥ १५॥ तए णं से अभए कुमारे सकारिए सम्माणिए पडिविसज्जिए समाणे सेणियस्स रण्णो अंतियाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता जेणामेव सए भवणे तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता सीहासणे निसण्णे । तए णं तस्स अभयकुमारस्स अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्या-नो खलु सका माणुस्सएणं उवाएणं मम चुल्माउयाए धारिणीए देवीए अकालडोहलमणोरहसंपत्तिं करित्तए नन्नत्य दिव्वेणं उवाएणं । अस्थि णं Page #1004 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यस्स अट्ठमभस निक्खित्तसारस्स उम्मुक्की ९५२ सुत्तागमे [गायाधम्मकहाओ मज्झ सोहम्मकप्पवासी पुव्वसंगइए देवे महिड्डिए जाव महासोक्खे । तं सेयं खलु मम पोसहसालाए पोसहियस्स बंभयारिस्स उम्मुक्कमणिसुवण्णस्स ववगयमालावण्णगविठेवणस्स निक्खित्तसत्थमुसलस्स एगस्स अबीयस्स दम्भसंथारोवगयस्स अट्ठमभत्तं प(रि)गिण्हित्ता पुव्वसंगइयं देवं मण(सि)सीकरेमाणस्स विहरित्तए । तए णं पुव्वसंगइए देवे मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारू(वे)वं अकालमेहेसु डोहलं विणेहिइ । एवं संपेहेइ २ त्ता जेणेव पोसहसाला तेणामेव उवागच्छा २ त्ता पोसहसालं पमज्जइ २ त्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ २ त्ता भसंथारगं पडिलेहेइ २ ता दव्भसंथारगं दुलहइ २ त्ता अट्ठमभत्तं पगिण्हइ २ त्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जाव पुन्वसंगइयं देवं मणसीकरेमाणे २ चिट्ठइ । तए णं तस्स अभयकुमारस्स अट्ठमभत्ते परिणममाणे पुन्वसंगइयस्स देवस्स आसणं चलइ । तए णं पुव्वसंगइए सोहम्मकप्पवासी देवे आसणं चलियं पासइ २ त्ता ओहिं पउंजइ । तए णं तस्स पुव्वसंगइयस्स देवस्स अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्या-एवं खलु मम पुव्वसंगइए जंबुद्दीवे २ भारहे वासे दाहिगड्ढभरहे रायगिहे नयरे पोसहसालाए पोसहिए अभए नाम कुमारे अट्ठमभत्तं पगिण्हित्ता णं मम मणसीकरेमाणे २ चिट्ठइ । तं सेयं खलु मम अभयस्स कुमारस्स अंतिए पाउन्भवित्तए। एवं संपेहेइ २ त्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमइ २ त्त वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणइ २ त्ता संखेजाई जोयणाई दंडं निसिरइ । तंजहारयणाणं वयराणं वेरुलियाणं लोहियक्खाणं मसारगलाणं हंसगव्भाणं पुलगाणं सोगंधियाणं जोइरसाणं अंकाणं अंजणाणं रयणाणं जायल्वाणं अंजणपुलगाणं फलिहाणं रिहाणं अहावायरे पोग्गले परिसाडेइ २ त्ता अहासुहुमे पोग्गले परिगिण्हइ २ त्ता अभयकुमारमणुकंपमाणे देवे पुन्वभवजणियनेहपीइवहुमाणजायसोर्गे तओ विमाणवरपुंडरीयाओ रयणुत्तमाओ धरणियलगमणतुरियसंजणियगमणपया(रो)रे वाघुण्णियविमलकणगपयरगवडिंसगमउडउक्कडाडोवदंसणि(जो)जे अणेगमणिकणगरयणपहकरपरिमंडियभत्तिचित्तविणिउत्त(मणुगुण)गमणगजणियहरिसे पेंखोलमाणवरललियकुंडलुजलियवयणगुणजणियसोमरुवे उदिओ विव कोमुदीनिसाए सणिच्छरंगारकुज्जलियमज्झभागत्थे नयणाण (दो)दे सरयचंदे दिव्वोसहिपज्जलुजलियदंसणाभिरा(मो)मे उउलच्छिसमत्तजायसोहे पइट्ठगंधुडुयाभिरामे मेरुरिव नगव(रो)रे विउव्वियविचित्तवेसे दीवसमुदाणं असंखपरिमाणनामधेजाणं मज्झयारेणं वीइवयमा(णो)णे उज्जोयंतो पभाए विमलाए जीवलोयं रायगिहं पुरवरं च अभयस्स (य तस्स) पास ओवयइ दिव्वस्त्रधारी ॥ १६ ॥ तए णं से देवे अंतलिक्खपडिवन्ने दसवण्णाई सखिं Page #1005 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ० १ ] सुत्तागमे ९५३ - 1 खिणियाई पवरवत्थाई परिहिए । एक्को ताव एसो गमो । अन्नोऽवि गमो - ताए उनिहाए तुरियाए चवलाए चंडाए सीहाए उद्भूयाए ज (इ) यणाए छेयाए दिव्वाए देवगईए जेणामेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे जेणामेव दाहिणद्धभरहे रायगिहे नयरे पोसहसालाए अभए कुमारे तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता अंत (रि) लिक्खपडिवन्ने दसवण्णाई सखिखिणियाई पवरवत्थाई परिहिए अभयं कुमारं एवं वयासी - अहं णं देवाणुप्पिया ! पुव्वसंगइए सोहम्मकप्पवासी देवे महड्डिए जं जं तुमं पोसहसालाए अट्टमभन्तं पगिहित्ता णं ममं मणसीकरेमाणे चिट्ठसि तं एस णं देवाप्पिया ! अहं इहं हव्वमागए । संदिसाहि णं देवाणुप्पिया ! किं करेमि किं दलामि कि पयच्छामि कि वा ते हियइच्छियं ? । तए णं से अभए कुमारे तं पुव्वसंगइयं देवं अंतलिक्खपडिवन्नं पासइ २त्ता हट्टतुट्ठे पोसहं पारेइ २ त्ता करयल जाव अंजलि कट्ट एवं बयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम चुहमा उयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवे अकालडोहले पाउब्भूए-धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ तहेव पुव्वगमेणं जाव विणिज्जामि । तं णं तुमं देवाणुप्पिया ! मम चुलमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयात्वं अकालडोहलं विणेहि । तए णं से देवे अभएणं कुमारेणं एवं वृत्ते समाणे हद्रुतुट्टे अभयं कुमारं एवं वयासी - तुमं णं देवाणुप्पिया ! सुनिव्युयवीसत्थे अच्छाहि, अहं णं तव चुलमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवं डोहल विणेमि - त्तिकट्टु अभयस्स कुमारस्स अंतियाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता उत्तरपुरच्छिमे णं वेभारपव्वए वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहण्णइ २ त्ता संखेज्जाई जोयणाई दंड निस्सरइ जाव दोपि वेडव्वियसमुग्धाएणं समोहणइ २ त्ता खिप्पामेव सगज्जइयं सविजुयं सफुसिय (i) पंचवण्णमेहणिणाओवसोहियं दिव्वं पाउससिरि विउव्वइ २ त्ता जेणेव अभए कुमारे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अभयं कुमारं एवं वयासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए तव पियट्टयाए सगजिया सफुसिया सविज्जुया दिव्वा पाउससिरी विउन्विया, तं विणेउ णं देवाणुप्पिया । तव चुलमाया धारिणी देवी अयमेयारूवं अकाल (मेह) डोहलं । तए णं से अभए कुमारे तस्स पुव्वसंगइयस्स सोहम्म कप्पवासिस्स देवस्स अतिए एयमहं सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठे सयाओ भवणाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता जेणामेव सेणिए राया तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता करयल जाव अंजलि कट्टु एवं वयासी - एवं खलु ताओ । मम पुव्वसंगइएण सोहम्मकप्पवासिणा देवेगं खिप्पामेव सगज्जियसविजय(सफुसिय) पंचवण्णमेहनिणाओवसोभिया दिव्वा पाउससिरी विउब्विया । तं विउ णं मम चुलमाउया धारिणी देवी अकालदोहलं । तए णं से सेणिए राया अभय कुमारस्स अंतिए एयमहं सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठ जाव कोडुंवियपुरिसे सद्दावेइ Page #1006 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९५४ , सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ २त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! रायगिहं नयरं सिंघाडगतिगचउक्कचच्चर०आसित्तसित्त जाव सुगंधवरगंधियं गंधवधिभूयं करेह य कारवेह य करित्ता य करावित्ता य मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह । तए णं ते कोडवियपुरिसा जाव पञ्चप्पिणति । तए णं से सेणिए राया दोचंपि कोथुवियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! हयगयरहजोहपवरकलियं चाउरंगिणिं से(णं सन्नाह सेयणयं च गंधहत्थिं परिकप्पेह । तेवि तहेव जाव पचप्पिणंति । तए णं से सेणिए राया जेणेव धारिणी देवी तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता धारिणि देवि एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिए ! सगजिया जाव पाउससिरी पाउन्भूया, तं गं तुमं देवाणुप्पिए! एवं अकालदोहलं विणेहि । तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रन्ना एवं वुत्ता समाणी हट्टतुट्ठा जेणामेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता मजणधरं अणुप्पविसइ २ त्ता अंतो अंतेउरंसि व्हाया कि ते वरपायपत्तनेउर जाव आगासफालियसमप्पभं अंसुयं नियत्था सेयणयं गंधहत्थि दुरूढा समाणी अमयमहिंयफेणपुंजसन्निगासाहिं सेयचामरवालवीयणीहिं वीइज्जमाणी २ संपत्थिया। तए णं से सेणिए राया पहाए सस्सिरीए हत्यिखंधवरगए सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तणं धरिजमाणेणं चउचामराहिं वीइज्जमाणे धारिणीदेवी पिट्ठओ अणुगच्छइ । तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रन्ना हत्थिखधवरगएणं पिट्ठओ २ समणुगम्ममाणमग्गा हयगयरहजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवु(ए)डा महया भडचडगरवंदपरिक्खित्ता सविड्ढीए सव्वज्जुईए जाव दुंदुभिनिग्घोसनाइयरवेणं रायगिहे नयरे सिंघाडगतिगचउक्कचच्चर जाव महापहेसु नागरजणेणं अभिनंदिज्जमा(णा)णी २ जेणामेव वेभारगिरिपव्वए तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता वेभारगिरिकडगतडपायमूले आरामेसु य उज्नाणेसु य काणणेसु य वणेसु य वणसंडेसु य रुक्खेसु य गुच्छेसु य गुम्मेसु य लयासु य वल्लीसु य कंदरासु य दरीसु य चुण्ढीसु य दहेसु य कच्छेतु य नईसु य संगमेसु य विवरएसु य अच्छमाणी य पेच्छमाणी य मजमाणी य पत्ताणि य पुप्फाणि य फलाणि य पल्लवाणि य गिण्हमाणी य माणेमाणी य अग्घायमाणी य परिभुजमाणी य परिभाएमाणी य वेभारगिरिपायमूले दोहलं विणेमाणी सव्वओ समंता आहिंडइ । तए णं सा धारिणी देवी (तंसि अकालदोहलंसि विणीयंसि सम्माणियदोहला) विणीयदोहला संपुण्गदोहला संपन्नदोहला जाया यावि होत्था । तए णं सा धारिणी देवी सेयणयगंधहत्थि दूरुढा समाणी सेणिएणं हत्यिखंधवरगएणं पिढओ २ समणुगम्ममाणमग्गा हयगय जाव र(हे)वेणं जेणेव रायगिहे नयरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता Page #1007 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे सु० १ ० १] ९५५ रायगिहं नयरं मझमज्झेणं जेणामेव सए भवणे तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता विउलाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं जाव विहरइ ॥ १७ ॥ तए णं से अभए कुमारे जेणामेव पोसहसाला तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता पुन्वसंगइय देवं सकारेइ सम्माणेइ स० २ त्ता पडिविसजेइ । तए णं से देवे सगज्जियं पंचवण्णमेहोवसोहियं दिव्वं पाउससिरिं पडिसाहरइ २ त्ता जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए ॥ १८ ॥ तए णं सा धारिणी देवी तंसि अकालदोहलंसि विणीयंसि सम्माणियडोहला तस्स गब्भस्स अणुकंपणट्ठाए जयं चिट्ठइ जयं आस(य)इ जयं सुवइ आहारं पि य णं आहारेमाणी नाइतित्तं नाइकडुयं नाइकसायं नाइअंविलं नाइमहुरं जं तस्स गन्भस्स हियं मियं पत्थयं देसे य काले य आहारं आहारेमाणी नाइचितं नाइसोगं (णाइदेण्णं)नाइमोहं नाइभयं नाइपरित्तासं ववगयचिंतासोयमोहभयपरित्तासा उउभयमाणसुहेहिं भोयणच्छायणगंधमलालंकारेहिं तं गम्भं सुहंसुहेणं परिवहइ ॥ १९ ॥ तए णं सा धारिणी देवी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाण य राइंदियाणं वीइक्कंताणं अद्धरत्तकालसमयंसि सुकुमालपाणिपायं जाव सव्वंगसुंदरं(गं) दारगं पयाया । तए ण ताओ अगपडियारियाओ धारिणिं देविं नवण्हं मासाणं जाव दारगं पयायं पासंति २ त्ता सिग्घं तुरियं चवलं वेइयं जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छंति २ त्ता सेणियं रायं जएणं विजएणं वद्धावेंति २ त्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! धारिणी देवी 'नवण्हं मासाणं जाव दारगं पयाया, तं णं अम्हे देवाणुप्पियाणं पियं निवेएमो पियं भे भवउ । तए ण से सेणिए राया तासि अगपडियारियाणं अंतिए एयमढं सोचा निसम्म हद्वतुट्ठ० ताओ अंगपडियारियाओ महुरेहिं वयणेहिं विउलेण य पुप्फगंधमलालंकारेणं सकारेइ सम्माणेइ स० २ त्ता मत्थयधोयाओ करेइ पुत्ताणुपुत्तियं वित्तिं कप्पेइ २ त्ता पडिविसजेइ । तए णं से सेणिए राया (पञ्चूसकालसमयंसि) कोडंवियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! रायगिह नयरं आसिय जाव परिगीयं करेह २ त्ता चारगपरिसोहणं करेह २ ता माणुम्माणवद्धणं करेह २ त्ता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह जाव पञ्चप्पिणंति । तए णं से सेणिए राया अट्ठारससेणिप्पसेणीओ सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! रायगिहे नयरे अभितरबाहिरिए उस्सुक्क उक्करं अभडप्पवेसं अ(डं)दंडिमकुदंडिमं अधरिमं अधारणिज्ज अणुद्धयमुइंग अमिलायमल्लदामं गणियावरनाडइजकलियं अणेगतालायराणुचरियं पमुइयपत्रीलियाभिरामं जहारिहं ठिइवडियं दसदिवसियं करेह २ त्ता एयमाणत्तिय पञ्चप्पिणह तेवि करेंति (२) तहेव पच्चप्पिणंति । तए णं से सेणिए राया बाहिरियाए Page #1008 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९५६ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ उवट्ठाणसालाए सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे सन्निसण्णे स(य)इएहि य साहस्सिएहि य सयसाहस्सिएहि य जाए(हिं) हि य दाएहि य भाएहि य दलयमाणे २ पडिच्छेमाणे २ एवं च णं विहरइ । तए णं तस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे जायकम्मं करेंति २ त्ता बिइयदिवसे जागरियं करेति २ त्ता तइए दिवसे चंदसूरदसणियं करेंति २ त्ता एवामेव . निव्वत्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते वारसाहदिवसे विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं .. उक्खडावेंति २ त्ता मित्तनाइनियगसयणसंबंधिपरिजणं वलं च बहवे गणनायगदंडनायग जाव आमंतेंति तओ पच्छा व्हाया सव्वालंकारविभूसिया महइमहालयंसि भोयणमंडवंसि तं विपुलं असणं पाण खाइमं साइमं मित्तनाइ० गणनायग जाव सद्धिं आसाएमाणा विसाएमाणा परिभाएमाणा परिभुजेमाणा एवं च णं विहरंति जिमियभुत्तुत्तरागयावि य णं समाणा आयंता चोक्खा परमसुइभूया तं मित्तनाइनियगसयणसंबंधिपरियणं वलं च बहवे गणनायग जाव विपुलेणं पुप्फवत्थगंधमलालंकारेणं सक्कारेंति सम्माणेति स० २ त्ता एवं वयासी-जम्हा णं अम्हं इमस्स दारगस्स गव्भत्थस्स चेव समाणस्स अकालमेहेसु डोहले पाउन्भूए तं होउ णं अम्हं दारए मेहे नामेणं मे(हकुमारे)हे। तस्स दारगस्स अम्मापियरो अयमेयात्वं गोगं गुणनिप्फण्णं नामधेजं करेंति मेहेइ। तए णं से मेहे कुमारे पंचधाईपरिग्गहिए तंजहा-खीरधाईए मंडणधाईए मजणधाईए कीलावणधाईए अंकधाईए अन्नाहि य वहूहि खुजाहिं चिलाइयाहिं वामणिवडभिवबरिवउसिजोणि (याहिं)यपल्हवियईसिणि(य)धोर(णि)गिणिलासियलउसियदमिलिसिंहलिआरविपुलिंदिपकणिवहलिमुरुंडिसवरिपारसीहिं नानादेसीहिं विदेसपरिमंडियाहिं इंगियचिंतियपत्थियवियाणियाहि सदेसनेवत्थगहियवेसाहिं निउणकुसलाहि विणीयाहि चेडियाचकवालवरिसधरकंचुइजमहयरगवंदपरिक्खित्ते हत्याओ हत्थं सा(सं)हरिजमाणे अंकाओ अंकं परिभुज्जमाणे परिगिजमाणे उवला(चा)लिज्जमाणे रम्मंसि मणिकोट्टिमतलंसि परिमिजमाणे २ निव्वायनिव्वाघायंसि गिरिकंदरमल्लीणेव चंपगपायवे सुहंसुहेणं वड्डइ । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो अणुपुव्वेगं नामकरणं च पजेमणगं च एवं चंकमणगं च चोलोवणयं च महया २ इड्ढीसकारसमुदएणं करिसु । तए णं तं मेहं कुमारं अम्मापियरो साइरेगट्ठवासजायगं चेव गभट्ठमे वासे सोहणंसि तिहिकरणमुहुर्तसि कलायरियस्स उवणेति । तए णं से कलायरिए मेहं कुमारं लेहाइयाओ गणियप्पहाणाओ सउणस्यपजवसाणाओ वावत्तरिं कलाओ सुत्तओ य अत्यओ य करणओ य सेहावेइ सिक्खावेइ तंजहा-लेहं गणियं रूवं नट्टै गीयं वाइयं सरगयं पोक्खरगयं समतालं जूयं जणवायं पासयं अट्टावयं पोरेकच्चं दगमट्टियं अन्नविहि पाणविहिं वत्यविहिं विलेवणविहि सयणविहिं Page #1009 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ० १] सुत्तागमे ९५७ अजं पहेलियं मागहियं गाहं गीइयं सिलोयं हिरण्णजुत्तिं सुवण्णजुत्तिं चुण्णजुत्तिं आभरणविहि तरुणीपडिकम्मं इत्थिलक्खणं पुरिसलक्खणं हयलक्खणं गयलक्खणं गोणलक्खणं कुकुडलक्खणं छत्तलक्खणं दंडलक्खणं असिलक्खणं मणिलक्खणं का(ग)गि. णिलक्खणं वत्युविज खंधारमाणं नगरमाणं वूह पडिवूहं चार पडिचारं चकवूहं गरुलवूह सगडवूह जुद्ध निजुद्धं जुद्धाइजुद्धं लट्ठिजुद्धं मुट्ठिजुद्धं वाहुजुद्धं लयाजुद्धं ईसत्थं छरुप्पवायं धणुव्वेयं हिरण्णपागं सुवण्णपागं सुत्तखेडं वट्टखेडं नालियाखेडं पत्तच्छेज्ज कड(ग)च्छेनं सज्जीवं निजीव सउणस्यं ति ॥ २०॥ तए णं से कलायरिए मेहं कुमारं लेहाइयाओ गणियप्पहाणाओ सउणज्यपजवसाणाओ वावत्तरि कलाओ सुत्तओ य अत्यओ य करणओ य सेहावेइ सिक्खावेइ सेहावित्ता सिक्खावित्ता अम्मापिऊणं उवणेइ । तए णं मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो तं कलायरियं महुरेहि वयणेहिं विउलेणं वत्थगंधमल्लालंकारेणं सकारेंति सम्माणेति स० २ त्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयंति २ त्ता पडिविसज्जेति ॥२१॥ तए णं से मेहे कुमारे वावत्तरिकलापंडिए नवंगसुत्तपडिवोहिए अट्ठारसविहिप्पगारदेसीभासाविसारए गी(इरई)यरइयगंधव्वनट्टकुसले हयजोही गयजोही रहजोही वाहुजोही वाहुप्पमद्दी अलंभोगसमत्थे साहसिए वियालचारी जाए यावि होत्था॥२२॥ तएणं तस्स मेहकुमारस्स अम्मापियरो मेहं कुमार वावत्तरिकलापंडियं जाव वियालचारिं जायं पासंति २ त्ता अट्ठ पासायवडिसए का (क)रेति अव्भुग्गयमूसियपहसिए विव मणिकणगरयणभत्तिचित्ते वाउछ्यविजयवेजयंतीपडागाछत्ताइच्छत्तकलिए तुंगे गगणतलमभिलंघमाणसिहरे जालंतर. रयणपंजरुम्मिल्लि(य)एव्व मणिकणगथूभियाए वियसियसयपत्तपुंडरीए तिलयरयणद्ध(य)चंदच्चिए नानामणिमयदामालंकिए अतो वहिं च सण्हे तवणिज्जरुइलवालुयापत्थरे सुहफासे सस्सिरीयरूवे पासाईए जाव पडिस्वे। एगं च णं महं भवणं कारेति अणेगखंभसयसन्निविट्ठ लीलट्ठियसालभंजियागं अब्भुग्गयसुकयवइरवेइयातोरणवररइयसालभंजियासुसिलिट्ठविसिट्ठलट्ठसंठियपसत्यवेरुलियखंभनाणामणिकणगरयणखचियरजलं वहुसमसुविभत्तनिचियरमणिजभूमिभागं ईहामिय जाव भत्तिचित्तं खंभुग्गयवयरवेइयापरिगयाभिरामं विजाहरजमलजुयलजंतजुत्तंपिव अच्चीसहस्समालणीयं रूवगसहस्सकलियं भिसमाणं भिब्भिसमाणं चक्खुल्लोयणलेसं सुहफासं सस्सिरीयरूवं कंच णमणिरयणथूभियागं नाणाविहपंचवण्णघंटापडागपरिमंडियग्गसिहरं धवलमि(म)रीचिकवयं विणिम्मुयंत लाउल्लोइयमहियं जाव गंधवट्टिभूयं पासाईयं दरिसणिज अभिरूवं पडिरूवं ॥ २३ ॥ तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो मेहं कुमारं सोहणसि तिहिकरणनक्खत्तमुहुत्तंसि सरिसियाणं सरि(स)व्वयाणं सरि(स)त्तयाणं सरिस Page #1010 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ णायाधम्मकहाओ लावण्णरुवजोव्वणगुणोववेयाणं सरिस एहितो रायकुलेहिंतो आणि (अ) हियाणं पसाहअविवहुभव यणमंगलसुजपिएहिं अहिं रायवरकन्नाहिं सद्धिं एगदिवसेणं पाणि गिण्हाविंसु । तए णं तस्स मेहस्स अम्मापियरो इमं एयास्वं पीइदाणं दल्यंतिअट्ट हिरणको डीओ अट्ट सुवण्णकोडीओ गाहाणुसारेण भा (वि)णियव्व जाव पेसणकारियाओ अन्नं च विपुलं धणकणगरयण मणिमोत्तिय संख सिलप्पवालरत्तरयणसंतसारसावएवं अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पकामं दाउ पकामं भोक्तुं पकामं परिभाएउं । तए णं से मेहे कुमारे एगमेगाए भारियाए एगमेगं हिरण्गकोडिं दलय एगमेगं सुवणकोर्ड दलयइ जाव एगमेगं पेसणकारिं दलयइ अन्नं च विडलं धणकणग जाव परिभाएउं दलयइ । तए णं से मेहे कुमारे उपि पासायवरगए फुट्टमाहिं मुइंगमत्थएहिं वरतरुणिसंपउत्तेहि बत्तीसइवद्धएहिं नाडएहिं स्वगिजमाणे २ उवलालिज्जमाणे २ सद्दफरिसर सरुवगंध विउले माणुस्सए कामभोगे पञ्चणुभवमाणे विहरइ ॥ २४ ॥ तेणं काळेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुत्रि चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे सुहं हेणं विहरमाणे जेणामेव रायगिहे नयरे गुण सिलए उज्जाणे जाव विहरइ । तए णं (से) रायगिहे नयरे सिंघाडगतिगचरक्कचच्चर० महया बहुजणसद्देइ वा जाव वहवे उग्गा भोगा जाव रायगिहस्स नयरस्स मज्यंमज्झेणं एगदिसिं एगाभिमुहा निग्गच्छंति, इमं च णं मेहे कुमारे उप्पि पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुयंगमत्थएहिं जाव माणुस्मए कामभोगे भुंजमाणे रायमग्गं च आलोएमाणे २ एवं च णं विहरइ । तए णं (से) मेहे कुमारे ते बहवे उग्गे भोगे जाव एगदिसाभिमुहे निग्गच्छमाणे पासइ २ त्ता कंचुइजपुरिसं सहावे २ त्ता एवं वयासी - किन्नं भो देवाणुप्पिया ! अज रायगिहे नयरे इंदमहेइ वा खंदमहेइ वा एवं रुद्दसिववेस मणनागजक्खभूय नईतलायरुक्खपव्वयउज्जाणगिरिजत्ताइ वा जओ णं बहवे उग्गा भोगा जाव एगदिसिं एगाभिमुहा निग्गच्छेति । तए णं से कंचुइज्जपुरिसे समणस्स भगवओ महावीरस्स गहियागमणपवित्तीए मेहं कुमारं एवं वयासी - नो खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज रायगिहे नयरे इंदमहेइ वा जाव गिरिजत्ताइ वा जं णं एए उग्गा जाव एगदिसिं एगाभिमुहा निग्गच्छंति, एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थगरे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इह चेत्र रायगिहे नयरे गुणसिलए उज्जाणे अहापडिस्वं जाव विहरइ ॥ २५ ॥ तएण से मेहे कुमारे कंचुइजपुरिसस्स अतिए एयमहं सोचा निसम्म हटुतुट्ठे कोडुंवियपुरिसे सहावेइ २ त्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउग्घटं आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह (तहत्ति) जाव उवर्णेति । तए णं से ९५८ Page #1011 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ० १] सुत्तागमे मेहे पहाए सव्वालंकारविभूसिए चाउरघंटं आसरहं दुरूढे समाणे सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं महया भडचडगरविंदपरियालसंपरिवुडे रायगिहस्स नयरस्स मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ २ ता जेणामेव गुणसिलए उजाणे तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता समणस्त भगवओ महावीरस्स छत्ताइच्छत्तं पडागाइपडागं विजाहरचारणे जंभए य देवे ओवयमाणे उप्पयमाणे पासइ २ त्ता चाउरघंटाओ आसरहाओ पच्चोल्हइ २ ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छइ तंजहा-सचित्ताणं दव्वाणं विउसरणयाए, अचित्ताणं दव्वाणं अविउसरणयाए, एगसाडियं उत्तरासंगकरणेणं, चक्खुप्फासे अंजलिपग्गहेणं, मणसो एगत्तीकरणेणं । जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स नच्चासन्ने नाइदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे पं(अं). जलि (य)उडे अभिमुहे विणएणं पन्जुवासइ । तए णं समणे भगवं महावीरे मेहस्स कुमारस्स तीसे य महइमहालियाए (महन्च)परिसाए मज्झगए विचित्तं धम्ममाइक्खइ जहा जीवा वज्झंति मुचंति जह य संकिलिस्संति, धम्मकहा भाणियव्वा जाव परिसा पडिगया ॥ २६ ॥ तए णं से मेहे कुमारे समणस्स भगवओ महा. वीरस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्टतुटे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ ता एवं वयासी-सदहामि गं भंते ! निग्गंथं पावयणं एवं पत्तियामि गं रोएमि णं अब्भुटेमि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, एवमेयं भंते ! तहमेयं अवितहमेयं इच्छियमेयं पडिच्छियमेयं भते! इच्छियपडिच्छियमेय भंते ! से जहेव तं तुम्मे वयह जं नवरं देवाणुप्पिया! अम्मापियरो आपुच्छामि तओ पच्छा मुंडे भवित्ता णं पव्वइस्सामि । अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिवंध करेह । तए णं से मेहे कुमारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता जेणामेव चाउग्घंटे आसरहे तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता चाउग्घंटं आसरहं दुरुहइ २त्ता महया भडचडगरपहकरेणं रायगिहस्स नगरस्स मज्झमज्झेणं जेणामेव सए भवणे तेणामेव उवागच्छइ २त्ता चाउरघंटाओ आसरहाओ पचोरुहइ २ त्ता जेणामेव अम्मापियरो तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता अम्मापिऊणं पायवडणं करेइ २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु अम्मयाओ। मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अतिए धम्मे निसंते से वि य मे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए । तए णं तस्स मेहस्स अम्मापियरो एवं वयासी-धन्नोसि तुमं जाया ! संपुण्णोसि० कयत्थोसि० कयलक्खणोसि तुमं जाया! जन्नं तुमे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मे निसंते, से वि Page #1012 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ णायाधम्मकहाओ य ते धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए । तए णं से मेहे कुमारे अम्मापियरो दोपि तचंपि एवं वयासी एवं खलु अम्मयाओ । मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मे निसंते, से वि य मे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए, तं इच्छामि णं अम्मयाओ ! तुमेहिं अब्भणुन्नाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए मुंडे भवित्ता णं अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए । तए णं सा धारिणी देवी तं अणि अकंतं अप्पियं अमणुन्नं अमणामं असुयपुत्रं फरुसं गिरं सोच्चा निसम्म इमेणं एयारूवेणं मणोमाणसिएणं महया पुत्तदुक्खेणं अभिभूया समाणी सेयागयरोमकूपगलंतविलीणगाया सोयभरपवेवियंगी नित्तेया दीणविमणवयणा करयलमलियव्व कमलमाला तक्खणओलुग्गदुब्वलसरीरा लावण्णसुन्ननिच्छायगय सिरीया पसिढिलभूसणपर्यंतखुम्मियसंचुण्णियधवलवलयपव्भट्ठउत्तरिज्जा सूमाल विकिण्णकेसहत्था मुच्छावसनट्ठचेयगरुई परसुनियत्तव्व चंपगलया निव्वत्तम (हिमव्व) हे व इंदली विमुक्कसधिवंधणा कोट्टिमतलंसि सव्वंगेहिं वसत्ति पडिया । तए णं सा धारिणी देवी ससंभमोवत्तियाए तुरियं कंचगभिंगारमुह विणिग्गय सी यलजलविमलधाराए परिसिंचमाणा निव्वावियगायलट्ठी उक्खेवणतालविटवीयणगजणियवाएणं सफुसिएणं अंतेउरपरियणेणं आसासिया समाणी मुत्तावलिसन्निगासपवडंत अंसुधाराहि सिंचमाणी पओहरे कलुणविमणदीणा रोयमाणी कंदमाणी तिप्पमाणी सोयमाणी विलवमाणी मेहं कुमारं एवं वयासी तुमं सि णं जाया ! अम्हं एगे पुत्ते इट्टे कंते पिए मणुन्ने मणामे थेजे वेसासिए सम्मए बहुमए अणुमए भंडकरंङगसमाणे रयणे रयणभूए जीवियउस्सासए हिययाणंदजणणे उंवरपुप् पिव दुल्लहे सवणयाए किमंग पुण पासगयाए, नो खलु जाया ! अम्हे इच्छामो खणमवि विप्पओगं सहित्तए, तं भुंजाहि ताव जाया ! विपुले माणुस्सए कामभोगे जाव ताव वयं जीवामो, तओ पच्छा अम्हेहिं कालगएहि परिणयवए वड्ढियकुलवंसतंतुकर्जमि निरावयक्खे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइस्ससि ॥ २७ ॥ तए से मेहे कुमारे अम्मापिऊहिं एवं वृत्ते समाणे अम्मापियरो एवं वयासी - तहेव तं अ (म्मो !) म्मताओ ! जहेव णं तुम्हे ममं एवं वयह तुमं सि णं जाया ! अम्हं एगे पुत्ते तं चैव जाव निरावयक्खे समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव पव्वइस्ससि, एवं खलु अम्मयाओ ! माणुस्सए भवे अधुवे अणियए असासए वसणस उवद्दवाभिभूए विजुलयाचंचले अणिच्चे जलबुब्बुयसमाणे कुसग्गजलविदुसन्निभे संझन्भरागसरिसे सुविणदंसणोवमे सडणपडणविद्धंसणधम्मे पच्छा पुर चणं अवस्सविप्पजहणिजे, से के णं जाणइ अम्मयाओ । के पुत्रि गमणाए के पच्छा गमणाए ? ९६० Page #1013 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु. १ म०.] सुत्तागमे तं इच्छामि णं अम्मयाओ! तुन्भेहिं अब्भणुन्नाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव पव्वइनए । तए णं तं मेहं कुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-इमाओ ते जाया ! सरिसियाओ सरि(स)त्तयाओ सरि(स)व्वयाओ सरिसलावण्णरूवजोव्वणगुगोववेयाओ सरिसेहितो रायकुलेहितो आणियल्लियाओ भारियाओ, तं भुंजाहि णं जाया ! एयाहिं सद्धिं विउले माणुस्सए कामभोगे, तओ पच्छा भुत्तभोगे समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव पव्वइस्ससि । तए णं से मेहे कुमारे अम्मापियरं एवं वयासी-तहेव णं अम्मयाओ! ज णं तुन्भे ममं एवं वयह-इमाओ ते जाया ! सरिसियाओ जाव पव्वइस्ससि, एवं खलु अम्मयाओ! माणुस्सगा कामभोगा असुई असासया वंतासवा पित्तासवा खेलासवा सुक्कासवा सोणियासवा दुरुस्सासनीसा(सवा)सा दुरू(य)वमुत्तपुरीसपूयबहुपडिपुण्णा उच्चारपासवगखेलजल्लसिंघाणगवंतपित्तसुक्कसोणियसंभवा अधुवा अणि(इ)यया असासया सडणपडणविद्धसणधम्मा पच्छा पुरं च णं अवस्सविप्पजहणिज्जा, से के णं अम्मयाओ ! जाण(न्ति)इ के पुन्वि गमणाए के पच्छा गमणाए? त इच्छामि णं अम्मयाओ। जाव पव्वइत्तए । तए णं तं मेहं कुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-इमे(य) ते जाया ! अजयपजयपिउपजयागए सुबहु हिरण्णे य सुवण्णे य कंसे य दूसे य मणिमोत्ति(ए योयसंखसिलप्पवालरत्तरयणसंतसारसावएजे य अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पगाम दाउं पगाम भोत्तुं पगामं परिभाएउं, तं अणुहोहि ताव (जाव) जाया ! विपुलं माणुस्सगं इड्डिमकारसमुदयं, तओ पच्छा अणुभूयकल्लाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए जाव पव्वइस्ससि । तए णं से मेहे कुमारे अम्मापियरं एवं वयासी-तहेव णं अम्मयाओ ! ज णं तं वयहइमे ते जाया! अजगपज्जगपिउपजयागए जाव तओ पच्छा अणुभूयकल्लाणे जाव पव्वइस्ससि, एवं खलु अम्मयाओ ! हिरण्णे य सुवण्णे य जाव सावएजे अग्गिसाहिए चोरसाहिए रायसाहिए दाइयसाहिए मञ्चुसाहिए अग्गिसामन्ने जाव मचुसामन्ने सडणपडणविद्धंसणधम्मे पच्छा पुर च णं अवस्सविप्पजहणिज्जे, से के णं जाणइ अम्मयाओ ! के पुट्विं जाव गमणाए ? तं इच्छामि णं जाव पव्वइत्तए । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो जाहे नो संचाइंति मेहं कुमारं वहूहि विसयाणुलोमाहिं आघवणाहि य पन्नवणाहि य सन्नवणाहि य विनवणाहि य आघवित्तए वा पन्नवित्तए वा सन्नवित्तए वा विनवित्तए वा ताहे विसयपडिकूलाहि संजमभउव्वेयकारियाहि पन्नवणाहि पनवेमाणा एवं वयासी-एस णं जाया ! निग्गंथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवलिए पडिपुण्णे नेयाउए ससुद्धे सल्लगत्तणे सिद्धिमग्गे मुत्तिमग्गे निजाणमग्गे निव्वाणमग्गे सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे अहीव एगंतदि ६१ सुत्ता० Page #1014 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६२ सुत्तागमे [णायाधम्ममहाभा हीए खुरो इव एगंतधाराए लोहमया इन जवा नायच्या वाट्याकवले एक निर: रसाए गंगा इव महानई पडिमोयगामणाए गहासमुदो दर गुयादिगारे निक नं. मियव्वं गरुअ लंबेयव्वं अगिधारव्ययं (सं)चरियव्वं । नो (ग) वापर जाया ! समणाणं निग्गंथाणं आहाकम्मिए वा उलिए वा की गगटे बा भीगा नायए वा दुभिक्खभत्ते वा कंतारभत्ते वा बद्दलियामते वा गिलागते वा गटगोयणे वा कंदभोयणे वा फलभोयणे वा वीयभोयणे वा हरियमायगे वा भोगावा पायाए वा । तुमं च णं जाया महसमुचिए नो चेव णं दुहम मुनिए नालं सीयं नालं , नालं बुह नालं पिवासं नालं वाइयपित्तियानभियनि मादयविनिह रोगाय के उनावए गामकंटए बावीसं परीसहोवसग्गे उदिग्ण सम्म अहियानि नए । मुंजाहि ताय जाया । माणुस्मए कामभोगे, तओ पच्छा भुनभोगी समगम भगवओ महावीररस जाव पव्वइस्ससि । तए णं से मेहे कुमारे अम्मापिऊहिं एवं बुत्ते समाणे अम्मापियरं एवं वयासी-तहेव णं तं अम्मयाओ! ज णं तुम्मे ममं एवं वयह-एम णं जाया। निग्गथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे पुणरवि तं चेव जाव नओ पन्छा भुत्तभोगी तमणस्य भगवओ महावीरस्स जाव पव्वइस्मति, एवं खलु अम्मयाओ। निग्गथे पावयणे की(वा)वाणं कायराणं कापुरिसाणं इहलोगपडिबद्धार्ग परलोगनिम्पिवासाण दुरणुचरे पाययजगस्त नो चेवणं धीररस निच्छियस्म ववसियस्स एत्य कि दुधार करणयाए ? तं इच्छामि गं अम्मयाओ। तुब्भेहि अव्भगुन्नाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स जाब पच्चइत्तए ॥ २८ ॥ तए णं तं मेहं कुमार अम्मापियरो जाहे नो सचाइति वहहि विसयाणुलोमाहि य विसयपडिकूलाहि य आघवणाहि य पन्नवणाहि य सन्नवणाहि य विन्नवणाहि य आघवित्तए वा पन्नवित्तए वा सन्नवित्तए वा विनवित्तए वा ताहे अका(मए). माइं चेव मेह कुमार एवं वयासी-इच्छामो ताव जाया! एगदिवसमवि ते रायसिरिं पासित्तए । तए णं से मेहे कुमारे अम्मापियरमणुवत्तमाणे तुसिणीए सचिट्ठइ । तए णं से सेणिए राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! मेहस्स कुमारस्स महत्यं महग्धं महरिहं विउलं रायाभिसेय उववेह । तए ण ते कोथुवियपुरिसा जाव तेवि तहेव उवट्ठवेंति । तए णं से सेणिए राया वहूहि गणनायगदडनायगेहि य जाव संपरिखुडे मेहं कुमारं अट्ठसएणं सोवणियाणं कलसाणं एवं रुप्पमयाणं कलसाणं सुवण्णरुप्पमयाणं कलसाणं मणिमयाणं कलसाणं सुवण्णमणिमयाणं कलसाणं रुप्पमणिमयाण कलसाणं सुवण्णरुप्पमणिमयाणं कलसाणं भोमेजाणं कलसाणं सव्वोदएहि सव्वमट्टियाहिं सव्वपुप्फेहि सव्वगंधेहि सव्वमल्लेहिं सव्वोसहीहि य सिद्धत्थएहि य सव्विढीए सव्वज्जुईए सव्ववलेणं जाव दुंदुभिनिग्घो Page #1015 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुं० १ १०:१] सुत्तागमे सणाइयरवेणं महया २ रायाभिसेएणं अभिसिंचइ २ त्ता करयल 'जाव कट्ठ एवं वयासी-जय २ नंदा-! जय २ भद्दा! जय-नंदा! भई ते अजियं जि(णे)णाहि जियं पालयाहि जियमज्झे वसाहि अजियं जिणेहि सत्तुपक्खं जियं च पालेहि मित्तपक्खं जाव भरहो, इव मणुयागं रायगिहस्स नगरस्स अन्नसिं च वहूर्ण गामागरनगर जाव सन्निवेसागं आहेवच्चं जाव विहराहि तिकडे जयजयसई पउंति । तए णं से मेहे राया जाए महया जाव विहरइ । तए णं तस्स मेहस्स.रन्नो अम्मापियरो एवं वयासीभण जाया । किं दलयामो कि पयच्छामो कि वा ते हियइच्छिए सामत्थे(मंते) ?, तए णं से मेहे राया अम्मापियरो एवं वयासी-इच्छामि णं अम्मयाओ ! कुत्तियावणाओ रयहरणं पडिग्ग(हगं)हं च (आणियं) उवणेह कासवयं च सद्दा(विडं)वेह । तए णं से सेणिए राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं , वयासी-गच्छह णं तुन्भे देवाणुप्पिया। सिरिघराओ तिन्नि सयसहस्साइं गहाय दोहिं सयसहस्सेहिं कुत्तियावणाओ रयहरणं पडिग्गहं च उवणेह सयसहस्सेणं कासवयं सद्दावेह । तए णं ते कोडुवियपुरिसा सेणिएणं रन्ना एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठा सिरिघराओ तिन्नि सयसहस्साइं गहाय कुत्तियावगाओ दोहि सयसहस्सेहि रयहरणं पडिग्गहं च उवणेति सयसहस्सेगं कासवयं सहावेंति । तए णं से कासवए तेहिं कोडंबियपुरिसेहि सद्दाविए समाणे हद्वतु जाव (हय)हियए हाए सुद्धप्पावेसाई (मंगलाई)वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरे जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सेणियं रायं करयलमजलि कटु एवं वयासी-संदिसह णं देवाणुप्पिया ! जं मए करणिज्ज । तए णं से सेणिए राया कासवयं एवं वयासी-गच्छाहि णं तुमं देवाणुप्पिया ! सुरभिणा गंधोदएणं निके हत्थपाए पक्खालेहि सेयाए चउप्फालाए पोत्तीए मुहं वधित्ता मेहस्स कुमारस्स चउरंगुलवजे निक्खमणपाउग्गे अग्गकेसे कप्पेहि । तए णं से कासवए सेणिएणं रन्ना एवं वुत्ते समाणे हद्वतु जाव हियए जाव पडिसुणेइ २ त्ता सुरभिणा गंधोदएणं हत्यपाए पक्खालेइ २ त्ता सुद्धवत्थेणं मुह वंवइ २ त्ता परेण जत्तण मेहस्स कुमारस्स चउरंगुलवजे निक्खमणपाउग्गे अग्गकेसे कप्पइ । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स माया महरिहेणं हंसलक्खणेणं पडसाडएणं अग्गकेसे पडिच्छइ २ त्ता सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेइ २ त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चाओ दलयइ २ त्ता सेयाए पोत्तीए वंधइ २ ता रयणसमुग्गयंसि पक्खिवइ २त्ता मंजूमाए पक्खिवइ २ त्ता हारवारिधारसिंदुवारछिन्नमुत्तावलिप्पगासाई अंसूइ विणिम्मुयमाणी २ रोयमाणी २ कदमाणी २ विलवमाणी २ एवं वयासी-एस णं अम्हं मेहस्स कुमारस्स अब्भुदएसु य उस्सवेसु य पसवेसु य तिहीसु य छणेसु य जन्नेसु य पव्वणीसु य अपच्छिमे Page #1016 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६४ सुत्तागमे [ णायाधम्मकहाभो दरिसणे भविस्सइ-त्तिकट्ट उस्सीसामूले ठवेड। तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो उत्तरावक्कमणं सीहासणं रयावैति मेहं कुमारं दोचापि तचंपि सेग्रापीयएहिं कलसेहिं व्हावेंति २त्ता पम्हलसुकुमालाए गंधकासाइयाए गायाई व्हेति २ ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाई अणुलिंपति २ त्ता नासानीसासवायवोज्न जाव हंसलक्खणं पड (ग) साडगं नियंसेति २ ना हारं पिद्धेति २ त्ता अद्धहारं पिगद्धेति २त्ता (एव) गावलिं (२) मुत्तावलिं (२) कणगावलिं (२) रयणावलिं (२) पालव (२) पायपलंबं कडगाई (२) तुडिगाई (२) केऊराई (२) अंगयाई (२) दसमुद्दियार्णतयं कडिसुत्तयं (२) कुंडलाइ चूडामणि रयणुक्कडं मउडं पिणद्वैति २ त्ता दिव्वं सुमणदामं पिणद्धेति २ ता दद्दरमलयसुगंधिए गंधे पिणद्धेति । तए णं तं मेहं कुमारं गंठिमवेढिमपूरिमसंघाइमेण चउव्विहेणं महणं कप्परक्खगं पिव अलंकिय विभूतियं करेंति । तए णं से सेणिए राया कोडुंवियपुरिसे सद्दावेइ २ ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया । अणेगखंभसयसन्निविद्धं लीलट्ठियसालभंजियागं ईहामियउसभतुरयनरमगर विहगवालग किन्नररुरुसरभचमरकुंजरवणलयपउमलयभत्तिचित्तं घंटावलिमहुरमणहरसरं सुभकंतदरिसणिजं निउणो ( चि) वियमिसिमिर्सितमणिरयणघंटियाजालपरिक्खित्तं खं ( अ ) भुग्गयव इरवेश्यापरिगयाभिरामं विजाहर • जमलजंतजुत्तं पिव अच्चीसहस्स मालणीयं रूवगसहस्सकलियं भिमाणं भिब्भिसमाणं चक्खुलोयणलेस्सं सुहफासं सस्सिरीयरूवं सिग्धं तुरियं चवलं वेइयं पुरिससहस्सवाहि (णीयं णीं सीयं उवद्ववेह । तए णं ते कोडुंवियपुरिसा हट्टतुट्ट जाव उवठ्ठवेति । तए णं से मेहे कुमारे सीयं दुरूहइ २ त्ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे सन्निसण्णे । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स माया व्हाया अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरा सीयं दुरूहइ २ त्ता मेहस्स कुमारस्स दाहिणे पासे भद्दासणंसि निसीयइ । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अंवधाई रयहरणं च पडिग्गहगं च गहाय सीयं दु (रु) रूहइ २ त्ता मेहस्स कुमारस्स वामे पासे भद्दासणंसि निसीयइ । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स पिट्ठओ एगा वरतरुणी सिंगारागारचारुवेसा संगयगयहसियभणियचेट्ठियविलाससंलावुल्लावनिउणजुत्तोव यारकुसला आमेलगजमलजुयलवट्टियअब्भुन्नय पीणरइयसंठियपओहरा हिमरययकुंदेंदुपगासं सकोरेंटमलदामधवलं आयवत्तं गहाय सलीलं ओहारेमाणी २ चिट्ठर । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स दुवे वरतरुणीओ सिंगारागार चारुवेसाओ जाव कुसलाओ सीयं दुरुर्हति २ त्ता मेहस्स कुमारस्स उभओ पा (सिं) सं नानामणिकणगरयणमहरिहतवणिज उज्जल विचित्तदंडाओ चिल्हियाओ सुहुमवरदीहवालाओ संखकुंददगरयअमयमहिय फेणपुंजसन्निगासाओ · Page #1017 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ म०.] सुत्तागमे चामराओ गहाय सलीलं ओहारेमाणीओ २ चिट्ठति । तए णं तस्स मेहकुमारस्स एगा वरतरुणी सिगारा जाव कुसला सीयं जाव दुरूहइ २. त्ता मेहस्स कुमारस्स पुरओ पुरत्यिमेणं चंदप्पभवइरवेरुलियविमलदंडं ता(लविं)लियंट गहाय चिट्ठइ । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स एगा वरतरुणी जाव सुरूवा सीयं दुरूहइ २ त्ता मेहस्स कुमारस्स पुव्वदक्खिणेण सेयं रययामयं विमलसलिलपुण्णं मत्तगयमहामुहाकिइसमाणं भिंगारं गहाय चिट्ठइ । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स पिया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ २त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सरिसयाणं सरि(स)त्तयाणं सरि(स). व्वयाणं एगाभरणगहियनिजोयाणं कोडंवियवरतरुणाणं सहस्सं सद्दावेह जाव सदावेति । तए णं (ते) कोडुवियवरतरुणपुरिसा सेणियस्स रन्नो कोडुवियपुरिसेहिं सद्दाविया समाणा हट्ठा व्हाया एगाभरणगहियणिजोया जेणामेव सेणिए राया तेणामेव उवागच्छंति २ त्ता सेणियं रायं एवं वयासी-संदिसह णं देवाणुप्पिया ! जं णं अम्हे हिं करणिजं । तए णं से सेणिए राया तं कोडंवियवरतरुणसहस्सं एवं वयासी-गच्छह णं (तुन्भे)देवाणुप्पिया! मेहस्स कुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं परिव(हे)हह । तए गं तं कोडंबियवरतरुणसहस्सं सेणिएणं रन्ना एवं वुत्तं संतं हडं तुट्ठ तस्स मेहस्स कुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणि सीयं परिवहइ। तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं दुरूढस्स समाणस्स इमे अट्ठमंगलया तप्पढमयाए पुरओ अहाणुपुवीए संपट्ठिया, तंजहा-सोत्थिय सिरिवच्छ नंदियावन वद्धमाणग भद्दासण कलस मच्छ दप्पण जाव बहवे अत्यत्थिया जाव ताहि इट्ठाहिं जाव अणवरयं अभिनंदंता य अभिथुणता य एवं क्यासी-जय २ नंदा ! जय २ भद्दा ! जयनंदा ! भई ते अजि(य)याई जिणाहि इंदियाई जियं च पालेहि समणधम्म जियविग्घोऽविय वसाहि तं देव ! सिद्धिमज्झे निहणाहि रागदोसमल्ले तवेणं धिइधणियबद्धकच्छे महाहि य अट्ठकम्मसत्तू झाणेणं उत्तमेणं सुक्नेणं अप्पमत्तो पावय वितिमिरमणुत्तरं केवलं नाणं गच्छ य मोक्खं परमं पयं सासयं च अयलं हंता परीसहच(मुं)मूणं अभीओ परीसहोवसग्गाणं धम्मे ते अविग्घ भवउ-त्तिकट्ठ पुणो २ मंगलजयरसई पउंति । तए णं से मेहे कुमारे रायगिहस्स नयरस्स मझमज्झेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव गुणसिलए उजाणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ पच्चोरुहइ ॥ २९ ॥ तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो मेहं कुमारं पुरओ कटु जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छंति २त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिण करेंति २ त्ता वंदति नमसंति वं० २ त्ता एवं वयासी-एस ण देवाणुप्पिया ! मेहे कुमारे अम्हं एगे Page #1018 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Paaye ९६६ सुत्तागमे [ णायामकहान पुत्ते इट्टे कंते जाव जीवियऊसासए हिययनंदिजणए उबरपुरकं पित्र दुल्हे सवगयाए किमंग पुण दरिस गयाए ? से जहानामए उप्पलेइ वा परमेइ वा कुमुदेव वा पंके जाए जले संबढिए नोवलिप्पड़ पंकरएण नोवलिप्पर जलरएणं एवानेव मेहं कुमारे कामे जाए भोगे संबुड्ढे नोत्रलिप्पड़ कामरएगं नोवलिप्पड़ भोगरए, एल जं देवाप्पिया ! संसारभब्बिग्गे भीए जन्मण ( जर ) मरणाणं इच्छइ देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भविता अगाराओ अगगारिय पव्चनए । अम्हे गं देवाणुपिया तिस्सभिक्खं दयामो । पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! तिस्सभिक् त णं ने समणे भगवं महावीरे मेहस्स कुमारस्त अम्मा पिऊहिं एवं वृत्तं समाणे एयमहं सम्मं पडिइ । तए णं से मेहे कुनारे समगस्त भगवओ महावीरस्स अंनियाओ उत्तरपुरच्छिमं दिखीभागं अवक्कनइ २ त्ता सयमेव आभरगमकालंकारं ओनुयई । तए - णं (से) तस्स मेहकुमारस्त माया हंसलक्खणं पडसाइएणं आभरणमलालंकारं पडिच्छड़ २त्ता हारवारिधारसिंदुवार छिन्नमुत्तावलिप्पगालाई अंणि विजिम्मुयमाणी २ रोयमाणी २ कंदमाणी २ विलवमाणी २ एवं व्यासी-जइयवं जाया ! घडियव्वं जाया ! परक्कमियव्वं जाया ! असि च णं अट्ठे नो पमाएवव्वं, अम्हंपि णं ए(मे)मेव मग्गे भवउ - तिकट्टु मेहस्स कुमारस्त अम्मापियरो समणं भगवं महावीरं वदंति नमसंति वं० २ त्ता जामेव दिसिं पाडव्या तामेव दिसिं पडिगया ॥ ३० ॥ तए णं से- मेहे कुमारे सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ २ ता जेगानेव समणे भगवं महावीरे तेगामेव उवागच्छइ २ ता समणं भगवं महावीरं तिखुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ ० २ ता एवं व्यासी- आठित्ते णं भंते ! लोए, पलित्ते णं भंते ! लोए, आलित्तपलित्ते णं भंवे 1 लोए जराए मरणेग य । से जहानामए केइ गाहावई अगारंति झियायमाणंसि जे तत्य भडे भवइ अप्पभारे मोन्र्गुरुए तं गहाय आयाए एगंतं अवकमइ - एस मे नित्यारिए समाणे पच्छा पुरा (लोए) हियाए सुहाए खे ( ख ) माए निस्साए आणुगामियत्ताए भविस्सइएवामेत्र ममवि एगे आयाभंडे इट्ठे कंते पिए मणुन्ने सणामे एस मे नित्थारिए समाणे संसारवोच्छेयकरे भविस्सड, तं इच्छामि णं देवापि (या) एहिं सयमेव पव्वावियं सयमेव मुंडावियं सेहावियं सिक्खावियं सयमेव आयारगोयरविणयवेणइयचरणकरणजायामायावत्तियं वम्ममाइक्खियं । तए णं समणे भगवं महावीरे मेहं कुमारं सयमेव पव्वावेइ सयमेव आयार जाव धम्मनाइक्खड़ एवं देवाणुप्पिया ! गंतव्वं चिट्ठियव्वं निसीयवं तुयट्टियत्वं भुंजियध्वं भातियव्वं एवं उट्ठाए उद्वाय पाणेहिं भूएहिं. जीवेहिं सत्तेहिं संजमेणं संजमियन्वं अस्ति च णं अड्डे नो Page #1019 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे । ९६७ सु० १ अ..] पमाएयव्वं । तए णं से मेहे कुमारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए इमं एयारूवं धम्मियं उवएसं निसम्म सम्म पडिवज्जइ तमाणाए तह गच्छइ तह चिठ्ठड् जाव उठाए उट्ठाय पाणेहिं भूएहिं जीवहिं सत्तेहि संजमइ ॥ ३१ ॥ जं दिवसं च णं मेहे कुमारे मुडे भवित्ता अ(आ)गाराओ अणगारियं पव्वइए तस्स णं दिवसस्स पच्चावरण्हकालसमयंसि समणाणं निग्गंथाणं अहाराइणियाए सेज्जासंथारएसु विभज्जमाणेसु मेहकुमारस्स दारमूले सेजासंथारए जाए यावि होत्था । तए गं समणा निग्गंथा पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्माणुजोगचिंताए । उच्चारस्स य पासवणस्स य अइगच्छमाणा य निग्गच्छमाणा य अप्पेगइया मेहं कुमारं हत्थेहिं संघटुंति एवं पाएहि सीसे पोट्टे कायंसि अप्पेगइया ओलंडेंति , अप्पेगइया पोलडेंति अप्पेगइया पायरयरेणुगुंडियं करेति । एवं महालियं च णं रयणि मेहे कुमारे नो संचाएइ खणमवि अ(च्छि)च्छी निमीलित्तए । न्तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं सेणियस्स रन्नो पुत्ते धारिणीए देवीए अत्तए मेहे जाव सवणयाए, तं जया णं अहं अगारमज्झे वसामि तया णं मम समणा निग्गंथा आढायंति परिजाणंति सकारेंति सम्माणेति अट्ठाई हेऊई पसिणाई कारणाई वागरणाई आइक्खंति इट्टाहि कंताहिं वग्गूहि आलवेंति संलवेंति, जप्पभिइं च णं अहं मुडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए तप्पभिई च णं म(म)मं समणा नो आढायंति जाव नो संलवेंति, अदुत्तरं च णं ममं समणी निग्गंथा राओ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि वायणाए पुच्छणाए जाव महालियं च णं रत्तिं नो संचाएमि अच्छि निमि(ला)लावेत्तए, तं सेयं खलु मज्झ कलं पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेयसा जलंते समणं भगवं महावीरं आपुच्छित्ता पुणरवि अगारमझे वसित्तए-त्तिकटु एवं संपेहेइ २ त्ता अदुहवसट्टमाणसगए निरयपडिरूवियं च णं तं रयणि खवेइ २ त्ता कलं पाउप्पभायाए सुविमलाए रयणीए जाव तेयसा जलंते जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छड २ त्ता तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता जाव पज्जवासइ ॥ ३२ ॥ तए णं मेहाइ समणे भगवं महावीरे मेहं कुमारं एवं वयासी-से नूणं तुम मेहा ! राओ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि समणेहि निग्गंथेहिं वायणाए पुच्छणाए जाव महालियं चणं राइं नो संचाए(मि)सि मुहुत्तमवि अच्छि निमिल्लावेत्तए, तए ण तु(भ)न्मे मेहा ! इमे एयालवे अज्झत्यिए जाव समुप्पजित्था-जया णं अहं अगारमझे वसामि तया णं मम समणा निग्गंया आढायति जाव संलवेंति, जप्पभियं च णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वयामि Page #1020 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६८ सुत्तागमे [ णायाधम्मकहाओ तप्पभिईं च णं मम समणा नो आढायंति जाव नो ( परियाणंति) संलवेंति अदुतरं च णं मम समणा निग्गंथा राओ अप्पेगड्या वायणाए जाव पायरवरेणुगुंडियं करेंति, तं सेयं खलु मम कलं पाउप्पभायाए समणं भगवं महावीरं आपुच्छित्ता पुणरवि अगारमज्झे आवसितए -त्तिकट्टु एवं संपेहेसि २ ता अट्टदुहट्टवसट्टमाणसे जाव रयणि खवेसि २ त्ता जेणामेव अहं तेणामेव हव्वमागए, से नूगं मेहा ! एस अट्ठे समट्ठे ? हंता अट्ठे समट्ठे । एवं खलु मेहा ! तुमं इओ तचे अईए भवग्गहणे वेयढगिरिपायमूले वणयरेहिं निव्वत्तियनामधेजे सेए संखदलउजलविमलनिम्मलदहिघणगोखीरफेणरयणि यर (दगरयरययनियर ) प्यासे सत्तुस्सेहे नवायए दस परिणाहे सत्तंगपट्ठिए सोमे समिए सुरुवे पुरओ उदग्गे समूसियसिरे मुहासणे पिट्ठओ वराहे अइयाकुच्छी अच्छिद्दकुच्छी अलंब कुच्छी पलंबलंबोदराहरकरे धणुपागि विसिपुढे अल्लीणपमाणजुनवट्टियपीवरगत्तावरे अलीणपमाणजुत्तपुच्छे पडिपुण्णसुचारुकुम्मचलणे पंडुरसुविसुद्धनिद्धनिरुवहयविंसतिनहे छद्दंते सुमेरुप्पभे नामं हत्थिराया होत्या । तत्थ णं तुमं मेहा । बहूहि हत्थीहि य हत्थिणियाहि य लोट्टएहि य लोट्टियाहि य कलमे हि य कलभियाहि य सद्धिं संपरिवुडे हत्थिसहस्सनायए देसए पागट्टी पट्टवए जूहवई बंदपरियहए अन्नेसि च बहूगं एकलाणं हत्यिकलभाणं आहेवचं जाव विहरसि । तए णं तुमं मेहा ! निचप्पमत्ते सई पललिए कंदप्परई मोहणसीले अवित कामभोगतिसिए बहूहि हन्थीहि य जाव संपरिवुडे वेयगिरिपायमूळे गिरीतु य दरीसु य कुहरेसु य कंदरासु य उज्झरेषु य निज्झरेषु य वियर एसु य गद्दातु य पल्ललेसु य चिल्ललेसु य कडगेसु य कडयपल्ललेसु य तडीसु य विग्रडीतु य टंकेसु य कूडेसु य सिहरेसु य पब्भारेसु य मंचेतु य मालेसु य काणणेसु य वणेसु य वणसंडेसु य वणराईसु य नई य नईकच्छेसु य जूहेसु य संगमेसु य वावीसु य पोक्खरिणीतु य दीहियासु य’गुंजालियासु य सरेसु य सरपंतियासु य सरसरपंतियासु य वणयरेहिं दिन्नवियारे वहूहिं हत्थीहि य जाव सद्धिं संपरिवुडे बहुविहतरुपल्लवपउरपाणियतणे निब्भए निरुव्विग्गे सुहंसुहेणं विहरसि । तए णं तुमं मेहा ! अन्नया कयाइ पाउसवरिसारत्तसरयहेमंतवसंते कमेण पंचसु उऊ समझतेसु गिम्हकालसमयंति जेट्ठामूलमासे पायवघंससमुट्ठिएणं सुक्कतणपत्तकयवरमास्यसंजोगदी विएणं महाभयंकरेणं हुयवहेणं वणदव जालासंपलित्तेसु वर्णते धूमाउलासु दिसासु महावायवगेणं संघट्टिएसु छिन्नजालेसु आवयमाणेसु पोलस्क्खेसु अंनो अंतो झियायमाणेसु मयकुहियवि (णिवि)णट्टकिमियकद्दमनईवियरग (जिण्ण) ज्झीणपाणीयतेसु वर्णतेतु भिंगारकदीणकंदियरवेसु खरफरुसअणिट्टरिट्ठवाहि (त) त्तविद्दुमग्गेसु दुमेसु तण्हावसमुक्कपक्खपयडियजिब्भ Page #1021 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ०१] . सुत्तागमे ९६९ तालुयअसपुडियतुंडपक्खिसंघेसु ससंतेसु गिम्हउम्हउण्हवायखरफरुसचंडमारुय. सुक्कतणपत्तकयवरवाउलिभमंतदि(तन्नसंभंतसावयाउलमिगतण्हाबद्धचिंधपट्टेसु गिरिवरेसु संवट्टिएसु तत्थमियपस(व)यमरीसिवेसु अवदालियवयणविवरनिल्लालियग्गजीहे महंततुंवइयपुण्णकण्णे संकुचियथोरपीवरकरे ऊसियनं(लं)गूले पीणाइयविरसरडिय. सद्देश फोडयतेव अंबरतलं पायदद्दरएणं कंपयंतेव मेइणितलं विणिम्मुयमाणे य सीयारं सव्वओ समंता वल्लिवियाणाई छिंदमाणे रुक्खसहस्साई तत्थ सुबहूणि नो(ला)लयंते विणट्टरटेव्व नरवरिंदे वायाइद्धेव्व पोए मंडलवाएव्व परिब्भमंते अभिक्खण २ लिंडनियरं पमुंचमाणे २ बहुहिं हत्थीहि य जाव सद्धिं दिसोदिसिं विप्पलाइत्था । तत्य णं तुमं मेहा! जुण्णे जराजजरियदेहे आउरे झंझिए पिवासिए दुब्बले किलंते नट्ठसुइए मूढदिसाए सयाओ जूहाओ विप्पहूणे वणदवजालापारद्धे उण्हेण य तण्हाए य छुहाए य परब्भाहए समाणे भीए तत्थे तसिए उन्विग्गे संजायभए सव्वओ समंता आधावमाणे परिधावमाणे एगं च णं महं सरं अप्पोदयं पंकबहुलं अति(त्थित्थेणं पाणियपाए (उइण्णो) ओइण्णे। तत्थ णं तुम मेहा ! तीरमइगए पाणियं असंपत्ते अतरा चेव सेयंसि विसण्णे । तत्थ णं तुमं मेहा ! पाणियं पाइस्सामि-त्तिक? हत्थं पसारेसि, से वि य ते हत्थे उदगं न पावइ । तए णं तुमं मेहा ! पुणरवि कायं पञ्चुद्धरिस्सामि-त्तिक? बलियतरायं पंकसि खुत्ते । तए णं तुमं मेहा ! अन्नया कयाइ एगे चिरनिजढे गयवरजुवाणए सगाओ जूहाओ करचरणदंतमुसलप्पहारेहि विप्परद्धे समाणे तं चेव महद्दहं पाणी(यं पाएउं)यपाए समोयरइ । तए णं से कलभए तुमं पासइ २ त्तातं पुव्ववेरं समरइ २ त्ता आसुरुत्ते रुठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे जेणेव तुमं तेणेव उवागच्छइ २ त्ता तुमं तिक्खेहिं दंतमुसलेहिं तिक्खुत्तो पिट्टओ उच्छुभइ २ त्ता पुव्ववेरं निजाएइ २ त्ता हतुढे पाणियं पियइ २ त्ता ज.मेव दिसें पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए। तए णं तव मेहा ! सरीरगंसि वेयणा पाउब्भवित्था उजला विउला (तिउला) कक्खडा जाव दुरहियासा पित्तज्जरपरिगय. सरीरे दाहवकंतीए यावि विहरित्या। तए ण तुमं मेहा! तं उज्जलं जाव दुरहियासं सत्तराइंदियं वेयगं वेदेसि सवीसं वाससयं परमाउं पालइत्ता अट्टवसदृदुहट्टे कालमासे कालं किच्चा इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे दाहिणड्डभरहे गंगाए महानईए दाहिणे कूले विंझगिरिपायमूले एगेणं मत्तवरगंधहत्थिणा एगाए गयवरकरेणूए कुच्छिसि गयकलभए जणिए । तए णं सा गयकलभिया नवण्हं मासाणं वसंतमासम्मि तुम पयाया। तए णं तुम मेहा ! गन्भवासाओ विप्पमुक्के समाणे गेयकलभए यावि होत्था रत्तुप्पलरत्तसूमालए जासुमणारत्तपारिजत्तय Page #1022 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७० सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ लक्खारससरसकुंकुमसंझभरागवण्णे इडे नियगस्स जूहवडगो गणि(या)यारको कोत्यहत्थी अणेगहत्यिसयसंपरिबुडे रम्मेनु गिरिकागणेमु मुहंमुहेणं विहरति । तए णं नुमं मेहा ! उम्मुक्कबालभावे जोवणगमगुप्पत्ते जहवइणा कालधम्मुणा संजुत्तणं तं जूहं सयमेव पडिवजलि । तए णं तुम मेहा ! वयरेहि निव्वत्तियनामधेजे जाव चउदंते मेरुप्पभे हत्यिरयणे होत्या । तत्य णं तुमं मेहा ! सत्तंगपइट्ठिए तहेब जाव पडिल्वे । तत्य णं तुमं मेहा ! सत्तसझ्यस्म हस्त आहेबच जाव अभिरमेत्या । तए णं तुम अन्नया कयाइ गिम्हकालसमयसि जेवामूले वगवजालापलित्तेसु वगंतेमु(सु)धूमाउलामु दिसासु जाव मंडलवाएव्च परिभमंते भीए तत्थे जाव संजायभए बहहिं हत्थीहि य जाव कलभियाहि य सद्धिं संपरिबुडे सव्वओ समंना दिसोदिसि विप्पलाइत्या । तए णं तव मेहा! तं वणदवं पासित्ता अयमेयासवे अज्झत्यिए जाव समुप्पजित्था-कहिं णं मले नए अयमेयात्वे अग्गिसंभवे अणुभूयपुब्वे ?, तए णं तव मेहा! लेस्लाहिं विलुज्जमाणीहिं अज्मवसाणेणं सोहणेणं नुमेणं परिणामेगं तयावरणिजाणं कम्माणं खओवसमेगं ईहापोहमरगणगवेसणं करेमाणस्स सन्निपुव्वे जा(ई)इसरणे समुप्पजित्था । तए णं तुम मेहा! एयमहं सम्म अभिसमेसि-एवं खलु मया अईए दोचे भवग्गहणे इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे वेयट्ठगिरिपायमूले जाव (मुहनुहेणं विहरइ)तत्य गं महया अयमेयालवे अग्गिसंभवे समणुभूए । तए णं तुमं मेहा ! तरसेव दिवसस्स पच्चावरोहकालसमयंति नियएणं जूहेणं सद्धिं समन्नागए यावि होत्या । तए णं तुम मेहा ! सत्तुस्सेहे जाव सन्निजाइस्सरणे चईते मेरुप्पभे नामं हत्थी (राया) होत्या । तए णं तुझं मेहा ! अयमेयात्वे अज्झत्यिए जाव समुप्पजिया-तिसेयं खलु मम इयागिं गंगाए महानइए दाहिणिलंसि कूलंनि विंझगिरिपायमूले दवरिंगसं(ताण)जायकारणहा सएणं हेणं (महइ)महालयं मंडलं घाइत्तए-तिकडु एवं संपेहेसि २ त्ता सुहंसुहेणं : विहरति । तए णं तुमं मेहा ! अन्नया कयाई पडमपासंति महात्रुट्टिकायंति सन्निवइयंति गंगाए महानईए अदूरसानंते वहहिं हत्थीहि- जाव कलमियाहि य सत्तहि य हत्यिसएहिं संपरिबुडे एगं महं जोयणपरिमंडलं महइमहालयं मंडलं बाएसि जं तत्थ् तणं वा पत्तं वा कई वा कंटए वा लया वा वल्ली वा खाणुं वा रुक्खे वा खु.वे)वं वा तं सव्वं तिक्खुत्तो आहणिय २ पाएणं उछवे 'रेसि हत्येणं गेण्हसि एगंते ए(पा)डेसि । तए णं तुम मेहा ! तस्सेव मंडलस्स अदूरसामंते गंगाए महानईए दाहिणिले कूले विझगिरिपायमूले गिरीनु य जाव विहरति । तए णं तुमं मेहा ! अन्नया कयाइ मज्झिमए वरिसारत्तंति Page #1023 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ०१ सुत्तागमे ९७१ महाबुट्टिकायंसि सन्निवइयंसि जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि २ त्ता दोच्चपि मंडलं घाएसि, एव चरिमवासारत्तसि महावुट्टिकायंसि सन्निव (इ)यमाणं सि जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि २ त्ता तच्चपि मंडलघायं करेसि जं तत्थ तणं वा जाव सुहंसुहेणं विह. रसि । अह मेहा! तुमं गइंदभावम्मि वट्टमा(णे)णो कमेणं नलिणिवणवि(वह)हवणगरे हेमंते कुंदलोद्धउद्धुयनुसारपउरम्मि अइते अहिगवे गिम्हसमयंसि पत्ते वियट्टमा(णे). णो वणेसु वगकरेणुविविहदिन्नकयपसवधाओ तुमं उउयकुसुमकयचामरकण्णपूरपरिमंडियाभिरामो मयत्रसविगसंतकडतडकिलिनगंधमदवारिणा सुरभिजणियगंधो करेणुपरिवारिओ उउसमत्तजणियसोहो काले दिणयरकरपयडे परिसोसियतस्वरसि (रि)हरभीमतरदंसणिजे भिंगाररवंतभेरवरवे नागाविहपत्तकठ्ठतणकयवरुद्ध) यपइमारुयाइद्धनहयलदुमंगणे वाउलि(या)दारुणतरे तण्हावसदोसदूसियभमंतविविहसावयसमाउले भीमदरिसणिजे वट्टते दारुणम्मि गिम्हे मारुयवसपसरपसरियवियंभिएणं अब्भहियभीमभेरवरवप्पगारेणं महुधारापडियसित्तउद्धायमाण(धग)धगधगेंतसद्दु(छ)द्धएणं दित्ततरसफुलिंगेणं धूममालाउलेगं सावयसयंतकरणेणं (अब्भहिये)वणदवेणं जालालोवियनिरुद्धधूमंधकारभीओ आयवालोयमहंततुंबइयपुण्णकण्णो आकुंचियथोरपीवरकरो भयवसभयंतदित्तनयणो वेगेणं महामेहोव्व वाय(पव)णोलियमहल्लरूवो जे(णेवण कओ ते(ण) पुरा दवग्गिभयभीरहियएगं अवगग्रतणप्पएसरुक्खो रुक्खोसो दवग्गिसंताणकारणट्ठा (ए) जेणेव मंडले तेणेव पहारेत्थ गमगाए । एको ताव एस गमो। तए णं तुम मेहा ! अन्नया कयाइं कमेणं पंचसु उऊसु समइनंतेसु गिम्हकालसमयंसि जेहामूले मासे पायवसंघससमुहिएणं जाव संवट्टिएसु मियपसुपक्खिसरीसिवे(सु) दिसोदिसि विप्पलायमाणेसु तेहिं वहहिं हत्थीहि य सद्धिं जेणेव (से) मंडले तेणेव पहारेत्य गमणाए । तत्थ णं अन्ने वहवे सीहा य वग्धा या विगा ये दीविया अच्छा य तरच्छा य पारासराय सरभा य सियाला विराला सुणहा कोला ससा कोकतिया चित्ता चिल्लला पुचपविट्ठा अग्गिभयभिड्या एगयओ विलंधम्मेणं चिट्ठति । तए गं तुमं मेहा जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि २ त्ता तेहिं वहहिं सीहेहिं जाव चिल्ललेहि यः एगयओ बिलधम्मेणं चिट्ठसि । तए णं'तुम मेहा! पाएणं गत्तं कंडुइस्सामीतिकट्ठ पाए उक्खित्ते, तंसि च' णं अंतरंसि अन्नेहिं बलवंतेहिं सत्तेहिं पणो (लि)बिजमाणे २ ससए अणुप्पविढे । तए णं तुमं मेहा ! गायं कंडुइत्ता पुणरवि पायं पडिनि(क्खमिक्खेविस्सा मि-त्तिकट्ठ तं ससयं अणुपविढे पाससि २ ता पाणाणुकंपयाए भूयाणुकंपयाए जीवाणुकंपयाए सत्ताणुकंपयोए से पाए अंतरा चेव संधारिए नो चेव णं निक्खित्ते । तए णं तुम मेहा | ताए पाणाणुकंपयाए जाव सत्ताणुकंपयाए Page #1024 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७२ सुत्तागमे [ णायाधस्मकहाओ संसारे परित्ती कए माणुस्साउए निबद्धे । तए णं से वणदवे अड्डा जाई राईदियाई तं वर्ण झामेइ २ त्ता निट्टिए उवरए उवसंते विज्झाए यावि होत्या । तए णं ते बहवे सीहा य जाव चिह्नला य तं वणदवं निट्ठियं जाव विज्झायं पाति २ ता अग्गिभयविप्पमुक्का तम्हाए यं छुहाए य परब्भाहया समाणा त ओ) मंडलाओ पडिनिक्खमंत २ त्ता सव्वओ समंता विप्पसरित्या । तए णं ते वहवे हत्थी जाव छुहाए य परब्भाहया समाणा तओ मंडलाओ पडिनिक्खमति २ त्ता दिसोदिसिं विप्पसरित्था । तए णं तुमं मेहा | जुण्णे जराजजरियदेहे सिढिलवलितयापिणिद्धगत्ते दुब्बले किलंते जुंजिए पिवासिए अत्यामे अवले अपरक्कमे अचकमणो वा ठाणुखडे वेगेण विप्पसरिस्सामि त्तिकट्टु पाए पसारेमाणे विज्जुहए विव रययगिरिपभारे धरणितलंसि सव्वगेहि सन्निवंइए । तए ण तव मेहा । सरीरगति वेयणा पाउब्भूया उज्जला जाव दाहवक्कतिए यावि विहरसि । तए णं तुमं मेहा ! तं उज्जलं जाव दुरहियासं तिन्नि राइंदियाई वेयणं वेएमाणे विहरित्ता एवं वासस्यं परमाउं पालइत्ता इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे रायगिहे नयरे सेणियस्स रन्नो धारिणीए देवीए कुच्छिसि कुमारत्ताए पच्चायाए ॥ ३३ ॥ तए णं तुमं मेहा ! आ (अ) णुपुव्वेणं गव्भवासाओ निक्खते समाणे उम्मुक्कवालभावे जोव्वणगमणुप्पत्ते मम अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए। तं जड़ ता ( जा ) व तुमे मेहा | तिरिक्खजोणियभावमुवगएणं अपडिलद्धसम्मत्तरयणलंभेणं से पाए पाणाणुकंपयाए जाव अंतरा चेव संधारिए नो चेव णं निक्खित्ते किमंग पुण तुमं मेहा ! इयाणि विपुल - कुलसमुब्भवेणं निरुवहयसरीर (दंत) पत्तलद्वपंचिदिएणं एव उट्ठाणवलवीरियपुरिस(क्का) गारपरक्कम संजुत्तेण म (म) मं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए समाणे समणाणं निग्गंथाणं राओ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि वायणाए जाव धम्माणुओगचिंताए य उच्चारस्स वा पासवणस्स वा अइगच्छमाणाण य निग्गच्छमाणाण य हत्थसंघट्टणाणि य पायसंघट्टणाणि य जाव रयरेणुगुंडणाणि य नो सम्मं सहसि खमसि तितिक्खसि -अहियासेसि ?, तए णं तस्स मेहस्स अणगारस्स समणस्स भगवओ महावीरस्सं अंतिए एयमहं सोच्चा निसम्म सुभेहिं परिणामेहिं पसत्येहिं अज्झमाणेहिं लेस्साहिं विलुज्झमाणीहि तयावरणिजाणं कम्माणं खओवस मेणं ईहापोहमग्गणगवेसणं करेमाणस्स सन्निपुव्वे जाईसरणे समुप्पन्ने एयमहं सम्म अभिसमेइ । तए णं से मेहे कुमारे समणेण भगवया महावीरेगं संभारियपुण्वजाईसरणे दुगुणाणीयसंवेगे आगंदर्यं सुपुण्णमुहे हरिसवसेणं धाराहयकयंवर्क पिव समूससियरोमकूवे -समणं भगवं महावीरं वंदड् नमंसइ वं० २त्ता एवं वयासी Page #1025 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७३ सु० १ ० १] सुत्तागमे अजप्पभिई णं भंते ! मम दो अच्छीणि मोत्तूणं अवसेसे काए समणाणं निग्गंथाणं निसट्ठ-त्तिकट्ठ पुणरवि समण भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! इयाणि दोच्चपि सयमेव पव्वावियं सयमेव मुडावियं जाव सयमेव आयारगोयरं जायामायावत्तियं धम्ममाइक्ख (ह)न्तु । तए णं समणे भगवं महावीरे मेहं कुमारं सयमेव पवावेइ जाव जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खइ-एवं देवाणुप्पिया ! गंतव्वं एवं चिट्ठियव्वं एवं णिसीयव्वं एवं तुयट्टियव्वं एवं भुंजियन्वं एवं भासियव्वं उट्ठाय २ पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं संजमेणं संजमियव्वं । तए णं से मेहे समणस्स भगवओ महावीरस्स अयमेयारूवं धम्मियं उवएसं सम्म पडि. (च्छइ)वजइ २ ता तह (चिठ्ठइ) गच्छइ जाव संजमेणं संजमइ । तए णं से मेहे अणगारे जाए इरियासमिए अणगारवण्णओ भाणियव्वो । तए णं से मेहे अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए तहा(एया)रूवाणं थेराणं सामाइयमाइयाणि एक्कारस अंगाई अहिजइ २ त्ता बहूहि चउत्थछट्टमदसमदुवालसेहि मासद्धमासखमणेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं समणे भगवं महावीरे रायगिहाओ नयराओ गुणसिलयाओ उजाणाओ पडि निक्खमइ २ त्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ॥ ३४ ॥ तए णं से मेहे अणगारे अन्नया कयाइ समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुन्भेहि अब्भणुन्नाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिवंधं करेह । तए णं से मेहे अणगारे समणेण भगवया महावीरेणं अब्भणुन्नाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरड, मासियं भिक्खुपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं सम्मं काएणं फासेइ पालेइ सोभेइ तीरेइ किट्टेइ सम्मं काएण फासेत्ता पालित्ता सोभत्ता तीरेत्ता किट्टेत्ता पुणरवि समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-इच्छामि ण भंते ! तुन्भेहि अब्भणुनाए समाणे दोमासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह । जहा पढमाए अभिलावो तहा दोच्चाए तच्चाए चउत्थाए पंचमाए छम्मासियाए सत्तमासियाए पढमसत्तरा(य)इंदियाए दोच्चं सत्तराइदियाए तइयं सत्तराइंदियाए अहोराइंदियाएवि एगराइंदियाएवि । तए णं से मेहे अणगारे वारस भिक्खुपडिमाओ सम्मं काएणं फासेत्ता पालेता सोभत्ता तीरेत्ता किट्टेत्ता पुणरवि वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुन्भेहिं अब्भणुनाए समाणे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्म उवसंपजित्ताणं विहरित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिबंधं करेह । तए णं से मेहे अणगारे पढमं मासं चउत्थंचउत्थेणं.अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुक्कडुए सूराभिमुहे Page #1026 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७४ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाभा आयावणभूमीए आयावेमाणे रत्ति वीरासणेणं अवाउडेणं । दो माम छोडेगं० । तचं मासं अट्ठमंअट्टमेणं० १ च उत्यं मासं दनमंदसमग अणिक्वितणं तबोकम्मेणं दिया ठाणुबडुए सराभिमुहे आयावगभूनीए आयावेमाणे रनि वीरानणणं अचानडेणं । पंचमं मासं दुवालसमंदुवालममेणं अणिक्वित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुवा सूराभिमुहे आयावणभृमीए आयावेमाणे रत्तिं वीरासणेगं अवाउणं । एनंगाल एएणं अभिलावेणं छट्टे चोद्दगमं २ सत्तमे सोलसमं २ अट्टमे अट्ठारसमं २ नवमे वीसइमं २ दसमे वावीसइमं २ एकारसमे च उव्वीयइमं २ वारसमे छन्वीसटमं २ तेरसमें अट्ठावीसइमं २ चोद्दसमे तीमइमं २ पन्नर(पंचद)गमे वत्तीयइमं २ सोलसमे(मासे), चउत्तीसइमं २ अणिक्खितगं तवो कम्मेणं दिया ठाणुकाए (ण) सराभिमुहे आयांवणभूमीए आयावेमाणे रत्तिं चीरासणेग य अबाउदएण य । ताणं से मेहे अणगारे गुणरयणसंवच्छरं तवोकममं अहानुत्तं जाव सम्मं कापणं फासेड पालेइ सोभेइ तीरेइ किट्टेड अहात्त अहाकप्पं जाव किट्टेना समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ ता वहहिं छहमदसमदुवालसेहिं मामद्धमासखमणहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरड ॥ ३५ ॥ तए णं से मेहे अणगारे तेणं उरालेणं विपुलेणं सस्सिरीएणं पयत्तणं परगाहएणं ऋल्लाणेणं सिवेणं धन्नगं मगढ़ेग उदग्गेणं उदारएणं उत्तमेणं महाणुभावणं तबो कम्मेणं सुके भुक्खे लुऋग्वे निम्मंसे निरसोणिए किडि किड़ियाभृए अहिचम्मावणद्धे क्रिसे धमणिसंतए जाए यावि होत्या, जीवंजीवेणं गच्छइ जीवंजीवेणं चिट्ठइ भासं भासित्ता गिला(य)इ भासं भासमाणे गिलायइ भासं भासिस्सामित्ति गिलायइ । से जहानामए इंगालमगडियाइ वा कट्टसगडियाइ वा पत्तसगडियाइ वा तिलसगडियाइ वा एरंड कहनगडियाइ वा उण्हे दिन्ना, सुका समाणी ससई गच्छड ससई चिट्ठ एवामेव मेहे अणगारे ससद्द गच्छइ ससई चिइ उवचिए तवेणं अवचिए मंससोणिएणं हुयासणे इव भासरासिपरिच्छन्ने तवेण तेएणं तवतेयसिरीए अईव २ उपसोभेमाणे २ चिट्ठइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगव महावीरे आइगरे तित्यगरे जाव पुव्वाणुपुट्विं चरमाणे गामाणुगामं दृइजमाणे मुहमुहेण विहरमाणे जेणामेव रायगिहे नगरे जेणामेव गुणसिलए उजाणे तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता अहापडिसवं उग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं तस्स मेहस्स अणगारस्स राओ पुव्वरत्तावरत्त. कालसमयं सि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयमेयासवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-एव खलु अह इमेणं उरालेगं तहेव जाव भास भासिस्सामित्ति गिलामि, तं अत्थि ता मे उहाणे कम्मे वले वीरिए पुरिसकारपरक्कमेसद्धा घिई संवेगे तं जाव Page #1027 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ भ० ] 'सुत्तागमे ९७५ ता मे अस्थि उठाणे कम्मे वले वीरिए पुरिसक्कारपरकमे सद्धा धिई संवेगे जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरइ ताव(ताव)मे सेयं कलं पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेयसा जलंते (सूरे)समण भगवं महावीरं वंदित्ता नमंसित्ता समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुन्नायस्स समाणस्स सयमेव पंच महन्वयाई आ(रु)राहित्ता गोयमाइए समणे निग्गथे निग्गंधीओ य‘खामेत्ता तहारूवेहिं कडाईहि थेरेहिं सद्धि विउलं पव्वयं सणियं २ दुरूहित्ता सयमेव मेहघणसन्निगासं पुढविसिलापट्टयं पडिलेहित्ता संलेहणाझूसणा(ए झसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स पाओवगयस्स कालं अणवकखमाणस्स विहरित्तए । एवं सपेहेइ २' त्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलते जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता नचासन्ने नाइदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पजुवासइ । मे(हेत्ति)हाइ समणे - भगवं महावीरे मेहं अणगार एवं वयासी-से नूणं तव मेहा ! राओ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरिय जागर. माणस्स अयमेयासवे अज्झथिए जाव रामुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं इमेणं उरालेणं जाव जेणेव अ(इ)हं तेणेव हव्वमागए। से नूणं मेहा ! अढे समटे ? हंता अत्थि। अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह । तए णं से मेहे अणगारे समणेणं भगवया महावीरेगं अब्भणुनाए समाणे हळू जाव हियए उहाए उढेइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ ३ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता सयमेव पंच महव्वयाई आरुहेइ २ त्ता गोयमाइ समणे निग्गंथे निग्गंथीओ य खामेइ २ त्ता तहारूवेहि कडाईहिं थेरेहि. सद्धिं विपुलं पव्वयं सणियं २ दुरूहइ २ त्ता सयमेव मेहघणसन्निगास पुढविसिलापट्टयं पडिलेहेइ २ त्ता उच्चार पासवणभूमि पडिलेहेइ २ .त्ता दब्भसंथारगं संथरइ २ त्ता व्भसंथारगं दुरूहइ २ त्ता पुरत्याभिमुहे सपलियंकनिसण्णे करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्यए अजलिं कट्ठ एवं वयासीनमोत्यु णं अरिहंताणं भगवंतागं जाव संपत्ताणं, नमोत्यु ण समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स । वंदामि णं भगवंतं तत्य. गयं इहगए पासउ मे भगवं तत्थगए इहगयं-तिकट्ट वंदइ नमसइ वं० २ ता एवं वयासी-पुट्विं पि(य) णं मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सव्वे पाणाइवाए पञ्चक्खाए मुसावाए अदिन्नादाणे मेहुणे परिग्गहे कोहे माणे माया लोहे पेजे दोसे कलहे अब्भक्खाणे पेसुन्ने परपरिवाए अरइरइ मायामोसे मिच्छादसणसल्ले पच्चक्खाए। इयाणिं पि णं अहं तस्सेव अंतिए सव्वं पाणाइवायं पञ्चक्खामि जाव मिच्छा Page #1028 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७६ सुत्तागमे [णायाधम्मकहानी दसणसलं पच्चक्खामि सव्वं असणपाणखाइमसाइमं चउविहपि आहारं पञ्चक्खामि जावज्जीवाए । जंपि य इमं सरीरं इठें कंतं पियं जाव विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतीतिकटु एयं पि य णं चरमेहिं ऊसासनीमासेहिं वोसिरामि-त्तिकट्टसंलेहणाझूसणाझसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगए कालं अणवक्रंखमाणे विहरइ । तए णं ते थेरा भगवतो मेहस्स अणगारस्स अगिलाए वेयावडियं करेंति । तए णं से मेहे अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाझ्याइं एकारस अंगाई अहिज्जित्ता वहुपडिपुण्गाई दुवालसवरिसाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झोसेत्ता सहि भत्ताइ अणसणाए छेएत्ता आलोइयपडिक्कते उद्धियसले समाहिपत्ते आणुपुव्वेणं कालगए । तए णं(ते) येरा भगवंतो मेहं अणगारं आणुपुव्वेणं कालगयं पासेंति २ त्ता परिनिव्वाणवत्तियं काउस्सग्गं करेंति २ त्ता मेहस्स आयारभंडगं गेण्हंति २ त्ता विउलाओ पव्वयाओ सणियं २ पच्चोहंति २ ता जेणामेव गुणसिलए उज्जाणे जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छंति २ त्ता समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति वं० २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी मेहे नामं अणगारे पगइभदए जाव विणीए । से ण देवाणुप्पिएहि अन्भणुन्नाए समाणे गोयमाइए समणे निग्गंथे निग्गंथीओ य खामेत्ता अम्हेहिं सद्धिं विपुलं पव्वयं सणियं २ दुलहइ २ त्ता सयमेव मेघघणसन्निगासं पुढविसिलं (पट्टयोपडिलेहेइ २ त्ता भत्तपाणपडियाइक्खिए अणुपुत्वेणं कालगए । एस णं देवाणुप्पिया ! मेहस्स अणगारस्स आयारभंडए ॥ ३६ ॥ भंते! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी मेहे नामं अणगारे, से णं भंते ! मेहे अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववन्ने ? गोयमाइ समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! मम अंतेवासी मेहे नामं अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए, से णं तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाझ्यमाइयाइं एकारस अंगाई अहिज्जइ २ त्ता वारस भिक्खुपडिमाओ गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्म काएणं फासेत्ता जाव किटेत्ता मए अव्भणुन्नाए समाणे गोयमाइ धेरे खामेइ २ त्ता तहारूवेहिं जाव विरलं पव्वयं दुलहइ २ त्ता दव्भसंथारगं संथरइ २ त्ता दव्भसथारोवगए सयमेव पंचमहव्वए उच्चारेइ वारस वासाई सामग्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए सलेहणाए अप्पाण झुसित्ता सहि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडितते उद्धियसल्ले समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा उद्धं चंदिमसूरगहगणनक्खत्तताराख्वाणं वहुई जोयणाई वहुई जोयणसयाई वहूई जोयणसहस्साई Page #1029 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ अ० २] सुत्तागमे ९७७ बहूई जोयणसयसहस्साई बहू(ई)इ जोयणकोडीओ वहूइ जोयणकोडाकोडीओ उर्दु दूरं उप्पइत्ता सोहम्मीसाणसणंकुमारमाहिंदवंभलंतगमहामुक्कसहस्साराणयपाणयारणच्चुए तिण्णि य अट्ठारसुत्तरे गेवेजविमा(ण)णावाससए वीइवइत्ता विजए महाविमाणे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं ते(ब)त्तीसं सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता । “तत्थ णं मेहस्सवि देवस्स तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पनत्ता । एस गं भंते ! मेहे देवे ताओ देवलोयाओ आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववजिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ मुच्चिहिइ परिनिव्वाहिइ सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ । एवं खलु जंवू ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं तित्थगरेणं जाव संपत्तेणं अप्पोपालंभनिमित्तं पढमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते त्तिबेमि ॥ ३७ ॥ गाहा-महुरेहि 'निउणेहिं वयणेहिं चोययंति आयरिया। सीसे कहिंचि खलिए जह मेहमुणिं महावीरो ॥१॥ पढमं अज्झयणं समत्तं ॥ ___ जइ णं भंते ! समणेगं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते बिइयस्स णं भंते ! नायज्झयणस्स के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था वण्णओ। [तत्थ णं रायगिहे नयरे सेणिए नाम राया होत्था महया वण्णओ] त(त्थ)स्स णं रायगिहस्स नयरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए गुणसिलए नाम उजाणे होत्था वण्णओ। तस्स णं गुणसिलयस्स उजाणस्स अदूरसामंते एत्थ णं महं एगे (पडिय) जिण्णुज्जाणे यावि होत्था विणट्ठदेवउले परिसडियतोरणघरे नाणा विहगुच्छगुम्मलयावल्लिवच्छच्छाइए अणेगवालसयसंकणिजे यावि होत्था । तस्स णं जिण्णुजाणस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थणं महं एगे भग्गकूवए यावि होत्या। तस्स णं भग्गकूवस्स अदूरसामंते एत्थ णं महं एगे मालुयाकच्छए यावि होत्था किण्हे किण्होभासे जाव रम्मे महामेहनिउरंवभूए बहूहिं रुक्खेहि य गुच्छेहि य गुम्मे हि य लयाहि य वल्लीहि य (तणेहि य) कुसेहि य खाणुएहि य संछन्ने पलिच्छन्ने अंतो झुसिरे वाहिं गंभीरे अणेगवालसयसंकणिज्जे यावि होत्था ॥ ३८ ॥ तत्थ ण रायगिहे नयरे ध(णे)ण्णे नामं सत्थवाहे अड्ढे दित्ते जाव विउलभत्तपाणे। तस्स णं धण्णस्म सत्थवाहस्स भद्दा नामं भारिया होत्था सुकुमालपाणिपाया अहीणपडिपुण्णपंचिंदियसरीरा लक्खणवंजणगुणोववेया माणुम्माणप्पमाणपडिपुण्णसुजायसव्वंगसुंदरंगी ससिसोमागारा कंता पियदसणा सुरुवा करयलपरिमियतिवलियमज्झा कुंडलुल्लिहियगंडलेहा कोमुइ(योरयणियरपडिपुण्णसोमवयणा सिगारागारचारुवेसा जाव पडिरूवा पंझा अवियाउरी जाणुकोप्परमाया ६२ सुत्ता० Page #1030 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७८ सुत्तागमे [णायाधम्मकहामो यावि होत्था ॥३९॥ तस्स णं धण्णस्स सत्थवाहस्स पंथए ना(म)मं दासचेडे होत्या सव्वंगसुंदरंगे मंसोवचिए वालकीलावणकुसले यावि होत्या । तए णं से धण्णे सत्यवाहे रायगिहे नयरे वहूर्ण नगरनिगमसेट्ठिसत्थवाहाणं अट्ठारसण्ह य सेणिप्पसेणीणं व(हु)हसु कज्जेसु य कुटुंबेसु य (मंतेसु य) जाव चक्खुभूए यावि होत्था नियगस्स वि य णं कुर्युवस्स बहसु(य) कजेसु जाव चक्खुभूए यावि होत्था ॥४०॥ तत्थ णं रायगिहे नयरे विजए नामं तकरे होत्या पावे चंडाललवे भीमतररुद्दकम्मे आरुसियदित्तरत्तनयणे खरफरुसमहल्लविगयबीभ(त्थ)च्छदाढिए असंपुडियउढे उद्धृयपइण्णलंवंतमुद्धए भमरराहुवण्णे निरणुनोसे निरणुतावे दारुणे पइभए निसंसइए निरणुकंपे अ(हिब्व)हीव एगंतदि(हि)ट्ठीए खुरेव एगंतधाराए गिद्धेव आमिसतलिच्छे अग्गिमिव सव्वभ(क्खे)क्खी जलमिव सव्व(गा)ग्गाही उकंचगवंचणमायानियडिकूडकवडसाइसंपओगबहुले चिरनगरविणदुट्ठसीलायारचरित्ते जूय(प)प्पसंगी मजप्पसंगी भोजप्पसंगी मंसप्पसंगी दारुणे हिययदारए साहसिए संविच्छेयए उवहिए विस्संभधाई आलीयगतित्थभेयलहुहत्थसंपउत्ते परस्स दव्वहरणमि निच्च अणुबद्ध तिव्ववेरे रायगिहस्स नगरस्स बहूणि अइगमणाणि य निग्गमणाणि य बा(दा)राणि य अववाराणि य छि(डि)डीओ य खंडीओ य नगरनिद्धमणाणि य संवट्टणाणि य निव्वट्टणाणि य जू(व)यखलयाणि य पाणागाराणि य वेसागाराणि य (तदारढाणाणि य) तकरहागाणि य तक्करघराणि य सिं(गा)वाडगाणि य ति(या)गाणि य चउक्काणि य चच्चराणि य नागघराणि य भूयघराणि य जक्खदेउलाणि य सभाणि य पवाणि य पणियसालाणि य सुन्नघराणि य आभोएमाणे (२) मग्गमाणे गवेसमाणे बहुजणस्स छिद्देसु य विसमेसु य विहुरेसु य वसणेसु य अन्भुदएसु य उस्सवेसु य पसवेसु य तिही य छणेसु य जन्नेसु य पव्वणीसु य मत्तपमत्तस्स य वक्खित्तस्स य वाउलस्स य सुहियस्स य दु(क्खि)हियस्स य विदेसत्थस्स य विप्पवसियस्स य मग्गं च छिदं च विरहं च अंतरं च मग्गमाणे गवेसमाणे एवं च णं विहरइ, वहिया वि य णं रायगिहस्स नगरस्स आरामेसु य उजाणेसु य वाविपोक्खरणीदीहियागुंजालिया(सरेसु य)सरपंति(सु य)यसरसरपंतियासु य जिण्णुजाणेसु य भग्गकूवएसु यमालुयाकच्छएसु य सुसाणेसु य गिरिकंदरलेणउवट्ठाणेसु य बहुजणस्स छिद्देसु य जाव एवं च णं विहरइ ॥४१॥ तए णं तीसे भदाए भारियाए अन्नया कयाइं पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुंवजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-अहं धण्णेणं सत्यवाहेगं सद्धिं वहूणि वासाणि सद्दफरिसरस (गंध)रुवाणि माणुस्सगाई कामभोगाई पच्चणुब्भवमाणी विहरामि नो चेवणं अहं दारगंवा दारि(ग)यं वा- प(या)यामि। तं धन्नाओ णं ताओ. Page #1031 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १-०२] सुत्तागमे ९७९ अम्मयाओ जाव सुलद्धे णं माणुस्सए जम्मजीवियफले तासिं अम्मयाणं जासिं मन्ने नियगकुच्छिसंभूयाइं थणदुद्धलुद्धयाइं महुरसमुल्लावगाइं मम्मणपयंपियाइं थणमूल)ला कक्खदेसभागं अभिसरमाणाई मुद्धयाइं थणयं पि(वं)यंति तओ.य कोमलकमलोवमेहिं हत्थेहिं गिहिऊणं उच्छंगे निवेसियाई देंति समुल्लावए पिए सुमहुरे पुणो २ मंजुलप्पणिए । (तं) अहंणं अधन्ना अपुण्णा अकय]लक्खणा (अकयपुग्णा) एत्तो एगमवि न पत्ता । तं सेयं मम कल्लं पाउप्पभायाए जाव जलंते धणं सत्थवाहं आपुच्छित्ता धण्णेणं सत्थवाहेणं अव्भणुनाया समाणी सुबहुं विपुलं असणं ४ उवक्खडावेत्ता सुबहुं पुप्फ(वत्थ)गंधमलालंकारं गहाय बहूहिं मित्तनाइनियगसयणसंबंधिपरिजणमहिलाहिं सद्धि संपरिखुडा जाई इमाइं रायगिहस्स नयरस्स बहिया नागाणि य भूयाणि य जक्खाणि य इंदाणि य खंदाणि य रुदाणि य सि(से)वाणि य वेसमणाणि य तत्थ णं वहूणं नागपडिमाण य जाव वेसमणपडिमाण य महरिहं पुप्फच्चणियं करेत्ता जन्नु(जाणु)पायपडियाए एवं वइत्तए-जइ णं अहं देवाणुप्पिया ! दारगं वा दारिगं वा पयायामि तो णं अहं तुन्भं जायं च दायं च भायं च अक्खयणिहिं च अणुवड्डेमि त्तिकटु उवाइयं उवाइत्तए। एवं संपेहेइ २ त्ता कल्लं जाव जलंते जेणामेव धण्णे सत्थवाहे तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया! तुब्भेहिं सद्धिं बहूई वासाइं जाव देति समुल्लावए सुमहुरे पुणो २ मंजुलप्पभणिए, तं णं अहं अहन्ना अपुण्णा अकयलक्खणा एत्तो एगमवि न पत्ता, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहिं अब्भणुन्नाया समाणी विपुलं असणं ४ जाव अणुवबेमि उवाइयं क(रे)रित्तए । तए णं धण्णे सत्थवाहे भई भारियं एवं वयासीममं पि य णं (खलु)देवाणुप्पिए! एस चेव मणोरहे-कहं णं तुमं दारगं वा दारियं वा पयाए(ज)जासि (2) भदाए सत्थवाहीए एयमहूँ अणुजाणइ । तए णं सा भद्दा सत्थवाही धण्णेणं सत्थवाहेणं अब्भणुनाया समाणी हट्टतुट्ठ जाव हयहियया विपुलं असणं ४ उवक्खडावेइ २ त्ता सुबहुं पुप्फगंध(वत्थ)मल्लालंकारं गेण्हइ २ त्ता सयाओ गिहाओ निग्गच्छइ २ त्ता रायगिहं नयरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव पोक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पुक्खरिणीए तीरे सुबहुं पुप्फ जाव मल्लालंकारं ठवेइ २ त्ता पुक्खरिणिं ओगाहेइ २ ता जलमजणं करेइ जल(कीडं)किडं करेइ २ त्ता ण्हाया उल्लपडसाडिगा जाई तत्थ उप्पलाई जाव सहस्सपत्ताई ताइं गिण्हइ २ त्ता पुक्खरिणीओ पच्चोरुहइ २ ता तं सुबहुं पुप्फ[वत्थ] गंधमलं गेण्हइ २ त्ता जेणामेव नागघरए (य) जाव वेसमणघरए य तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता तत्थ ण नागपडिमाण य जाव वेसमणपडिमाण य आलोए पणामं करेइ ईसिं पञ्चुन्नमइ Page #1032 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९८० सुत्तागमे [णायाधम्मकहामो २ ता लोमहत्थगं परामुसइ २ त्ता नागपडिमाओ य जाव वेसमणपडिमाओ य लोमहत्थेणं पमज्जइ उदगधाराए अब्भुक्खेइ २ त्ता पम्हलसुकुमालाए गंधकासा(ई)इए गायाई लहेइ २ त्ता महरिहं वत्थारुहणं च मल्लारुहणं च गंधारुहणं च चुण्णाहणं च वण्णाहणं च करेइ २ त्ता (जाव) धूवं डहइ २ त्ता जन्नुपायपडिया पंजलिउडा एवं वयासी-जइ णं अहं दारगं वा दारियं वा प(या)यामि तो णं अहं जायं च जाव अणुववेमि त्तिक उवाइयं करेइ २ त्ता जेणेव पोक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता विपुलं असणं ४ आसाएमाणी जाव विहरइ जिमि(या)य जाव सुइभूया जेणेव सए गिहे तेणेव उवागया। अदुत्तरं च णं भद्दा सत्यवाही चाउद्दसट्टमुद्दिद्वपुण्णमासिणीसु विपुलं असणं ४ उवक्खडेइ २ त्ता वहवे नागा (यणे) य जाव वेसमणा य उवायमाणी नमसमाणी जाव एवं च णं विहरइ ॥ ४२ ॥ तए णं सा भद्दा सत्यवाही अन्नया कयाइ केणइ कालंतरेणं आवन्नसत्ता जाया यावि होत्था। तएणं तीसे भद्दाए सत्यवाहीए दोसु मासेसु वीइक्कतेसु त(इ)ईए मासे वट्टमाणे इमेयासवे दोहले पाउन्भूए-धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव कयलक्खणाओ (ण) ताओ अम्मयाओ जाओ णं विउलं असणं ४ सुवहुयं पुष्फ(वत्थ)गंधमल्लालंकारं गहाय मित्तनाइनियगसयणसंबंधिपरियणमहिलियाहि य सद्धिं संपरिखुडाओ रायगिहं नयरं मझंमज्झेणं निग्गच्छंति २त्ता जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छंति २ त्ता पोक्खरिणीं ओगाहेति २ त्ता ण्हायाओ सव्वालंकारविभूसियाओ विपुलं असणं ४ आसाएमाणीओ जाव पडिभुजेमाणीओ दोहलं विणेति । एवं संपेहेइ २ त्ता कलं जाव जलते जेणेव धण्णे सत्यवाहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता धणं सत्थवाहं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! मम तस्स गब्भस्स जाव विणेंति, तं इच्छामि गं देवाणुप्पिया! तुन्भेहि अन्भणुन्नाया समाणी जाव विहरित्तए । अहासुहं देवाणुप्पि(ए)या । मा पडिवंधं करेह । तए णं सा भद्दा सत्यवाही धण्णेणं सत्थवाहेणं अव्भणुन्नाया समाणी ह(तु हा जाव विपुलं असणं ४ जाव ण्हाया उल्लपडसाडगा जेणेव नागघरए जाव धूवं ड(द)हइ २ त्ता पणामं करेइ २ त्ता जेणेव पोक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ । तए णं ताओ मित्तनाइ जाव नगरमहिलाओ भई सत्थवाहिं सव्वालंकारविभूसियं करेंति । तए णं सा भद्दा सत्यवाही ताहि मित्तनाइनियगसयणसंबंधिपरिजणनगरमहिलियाहिं सद्धिं तं विपुलं असणं ४ जाव परि (ज)जेमाणी (य) दोहलं विणेइ २ त्ता जामेव दिसिं पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया । तए णं सा भद्दा सत्थवाही संपुण्ण(डो)दोहला जाव तं गन्भं सुहंसुहेणं परिवहइ । तए णं सा भद्दा सत्यवाही नवण्हं मासाणं वहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाण य राइंदियाणं सुकुमालपाणिपायं जाव दारगं पयाया। तए णं तस्स Page #1033 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० अ०२] सुत्तागमे ९८१ दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे जायकम्मं करेंति २ त्ता तहेव जाव विपुलं असणं ४ उवक्खडावेंति २ त्ता तहेव मित्तनाइनियग० भोयावेत्ता अयमेयारूवं गोणं गुणनिप्फन्नं नामधेनं करेंति-जम्हा णं अम्हं इमे दारए बहूणं नागपडिमाण य जाव वेसमणपडिमाण य उवाइयलद्धे (णं) तं होउ णं अम्हं इमे दारए देवदिने नामेणं । तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेज करेंति देवदिन्नेत्ति । तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो जायं च दायं च भायं च अक्खयनिहिं च अणुवड्देति ॥ ४३ ॥ तए णं से पंथए दासचेडए देवदिन्नस्स दारगस्स वालग्गाही जाए, देवदिन्नं दार(यं)गं कडीए गेण्हइ २ त्ता बहूहिं डिभएहि य डिभियाहि य दारएहि य दारियाहि य कुमारएहि य कुमारियाहि य सद्धि संपरिखुडे (अभिरममाणे) अभिरमइ । तए णं सा भद्दा सत्यवाही अन्नया कयाइं देवदिन्नं दारयं व्हायं सव्वालंकारविभूसियं करेइ २ त्ता पंथयस्स दासचेडयस्स हत्थयंसि दलयइ । तए णं से पंथए दासचेडए भद्दाए सत्थवाहीए हत्थाओ देवदिन्नं दारगं कडीए गेण्हइ २ ता सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता वहहिं डिभएहि य डिभियाहि य जाव कुमारियाहि य सद्धि संपरिखुडे जेणेव रायमग्गे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता देवदिन्नं दारगं एगंते ठावेइ २ त्ता वहूहिं डिभएहि य जाव कुमारियाहि य सद्धिं संपरिवुडे पमत्त यावि (होत्था) विहरइ । इमं च णं विजए तकरे रायगिहस्स नयरस्स वहूणि वाराणि य अववाराणि य तहेव जाव आभोएमाणे मग्गेमाणे गवेसमाणे जेणेव देवदिन्ने दारए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता देवदिन्नं दारगं सव्वालंकारविभूसियं पासइ २ ता देवदिन्नस्स दारगस्स आभरणालंकारेसु मुच्छिए गढिए गिद्धे अज्झोववन्ने पंथ(य)गं दासचेडं पमत्तं पासइ २ ता दिसालोयं करेइ २ त्ता देवदिन्नं दारगं गेण्हइ २ त्ता कक्खंसि अलियावेइ २ त्ता उत्तरिजेणं पिहेइ २ त्ता सिग्घं तुरियं चवलं वेइयं रायगिहस्स नगरस्स अवदारेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव जिण्णुजाणे जेणेव भग्गकूवए तेणेव उवागच्छइ २त्ता देवदिन्नं दारयं जीवियाओ ववरोवेइ २ त्ता आभरणालंकारं गेण्हइ २त्ता देवदिन्नस्स दारगस्स सरी(रंग)रं निप्पाणं निच्चेझैं जी(विय)वविप्पजढं भग्गकूवए 'पक्खिवइ २ त्ता जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता मालयाकच्छयं अणुप्पविसइ २ ता निच्चले निप्फंदे तुसिणीए दिवसं ख(खि)वेमाणे चिठ्ठइ ॥४४॥ तए णं से पंथए दासचेडे तओ मुहुत्तंतरस्स जेणेव देवदिन्ने दारए ठविए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता देवदिन्नं दारगं तंसि ठाणंसि अपासमाणे रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे देवदिन्नस्स दारगस्स सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेइ २ त्ता देवदिन्नस्स दारगस्स कत्थइ सुइं वा खुइं वा पउत्ति वा अलभमाणे जेणेव सए गिहे जेणेव धण्णे सत्थवाहे तेणेव Page #1034 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९८२ सुत्तागमे [णायाधम्मकहामो उवागच्छइ २ त्ता धणं सत्थवाहं एवं वयासी-एवं खलु सामी ! भद्दा सत्यवाही देवदिन्नं दारयं ण्हायं स० मम हत्यसि)त्थे दलयइ । तए णं अहं देवदिन्नं दारयं कडीए गिण्हामि जाव मग्गणगवेसणं करेमि । तं न नजइ णं सा(मि)मी ! देवदिन्ने दारए केणइ ह(णी)ए वा अवहिए वा अ(वखि)क्खित्ते वा पायवडिए धण्णस्स सन्यवाहस्स एयमढें निवेदेइ । तए णं से धण्णे सत्यवाहे पंथयस्स दासचेडयस्स एयमढं सोचा निसम्म तेण य महया पुत्तसोएणाभिभूए समाणे फ(प)रसुणियत्ते व चंपगपायवे वसत्ति धरणीयलंसि सव्वंगेहिं सन्निवइए । तए णं से धणे सत्यवाहे तओ मुहुत्तेतरस्स आसत्ये प(च्छा)चागयपाणे देवदिन्नस्स दारगस्स सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेइ देवदिन्नस्स दारगस्स कत्थइ सुई वा खुइं वा प(उ)वत्तिं वा अलभमाणे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता महत्यं पाहुडं गेण्हइ २ त्ता जेणेव नगरगुत्तिया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता तं महत्थं पाहुडं उवणेइ २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम पुत्ते भद्दाए भारियाए अत्तए देवदिन्ने नामं दारए इढे जाव उंवरपुष्फंपिव दुल्हे सवणयाए किमंग पुण पासणयाए (?) । तएणं सा भवा [भारिया] देवदिन्नं दारगं] व्हायं सव्वालंकारविभूसियं पंथगस्स हत्थे दलाइ जाव पायवडिए तं मम निवेदेइ । तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया! देवदिन्नस्स दारगस्स सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं कयं । तए णं ते नगरगोत्तिया धण्णेणं सत्यवाहेणं एवं वुत्ता समाणा सन्नद्धवद्ध(वम्मिय)कवया उप्पीलियसरासण(व)पट्टिया जाव गहियाउहपहरणा धण्णेणं सत्यवाहेणं सद्धिं रायगिहस्स नगरस्स वहूणि अइगमणाणि य जाव पवानु य मग्गणगवेसणं करेमाणा रायगिहाओ नगराओ पडिनिक्खमंति २ त्ता जेणेव जिण्णुजाणे जेणेव भग्गकूवए तेणेव उवागच्छंति २ त्ता देवदिन्नस्स दारगस्स सरीरगं निप्पाणं निचेटु जीवविप्पजढं पासंति २ त्ता हा हा अहो अकजमितिकट्ट देवदिन्नं दारगं भग्गकूवाओ उत्तारेंति २ त्ता धण्णस्स सत्यवाहस्स हत्ये(ण) दलयंति ॥४॥ तए णं ते नगरगुत्तिया विजयस्स तकरस्स पयमरगमणुगच्छमाणा (२) जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छति २ त्ता मालुयाकच्छ(योगं अणुप्पविसंति २ त्ता विजयं तकरं ससक्खं सहोढं सगेवेनं जीवग्गाहं गेण्हंति २ त्ता अद्विमुद्रिजाणुकोप्परपहारसंभग्गमहिंयगत्तं करेंति २ ता अव(उडा)ओडगवंधणं करेंति २त्ता देवदिन्न(ग)स्स दारगस्स [सव्वं] आभरणं गेहंति २त्ता विजयस्स तकरस्स गीवाए वंधति २ त्ता मालयाकच्छगाओ पडिनिक्खमंति २ त्ता जेणेव रायगिहे नयरे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता रायगिहं नयरं अणुप्पविसंति २ त्ता रायगिहे नयरे सिंघाडगतिगचउक्कचच्चरमहापहपहेसु कसप्पहारे य लयापहारे य छिवापहारे य गिहं नजात २ तास रस्स जीव Page #1035 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे सु. १ अ० २] . ९८३ निवा(ए)यमाणा २ छारं च धूलि च कयवरं च उवरि पकिरमाणा २ महया २ सद्देणं उग्धोसेमाणा एवं वयंति-एस णं देवाणुप्पिया! विजए नामं तकरे जाव गिद्धे विव आमिसभक्खी वालघायए बालमारए, तं नो खलु देवाणुप्पिया ! एयस्स केइ राया वा (रायपुत्ते वा) रायमचे वा अवरज्झइ (एत्थ?) नन्नत्थ अप्पणो सयाई कम्माई अवरज्झंति-त्तिक, जेणामेव चारगसाला तेणामेव उवागच्छंति २ त्ता हडिवंधणं करेंति २ त्ता भत्तपाणनिरोहं करेंति २ त्ता तिसंझं कसप्पहारे य जाव निवाएमाणा २. विहरति । तए णं से धण्णे सत्थवाहे मित्तनाइनियगसयणसंबंधिपरियणेणं सद्धिं रोयमाणे जाव विलवमाणे देवदिन्नस्स दारगस्स सरीरस्स महया इड्डीसक्कारसमुदएणं नी(नि)हरणं करे(न्ति)इ २ त्ता वहूई लोइयाइं मय(ग) किच्चाई करेइ २ त्ता केणइ कालंतरेणं अवगयसोए जाए यावि होत्था ॥ ४६ ॥ तए णं से धण्णे सत्यवाहे अन्नया कयाई ल(हू)हुसयेसि रायावराहसि संपलत्ते जाए यावि होत्था। तए णं ते नगरगुत्तिया धणं सत्थवाहं गेण्हति २ त्ता जेणेव चार(गे)ए तेणेव उवागच्छंति २ त्ता चारगं अणुपवेसंति २ त्ता विजएणं तकरेणं सद्धिं एगयओ हडिवंधणं करेंति । तए णं सा भद्दा भारिया कल्लं जाव जलंते विपुलं असणं ४ उवक्खडेइ २ त्ता भोयणपिंडए करेइ २ त्ता भो(भा)यणाई पक्खिवइ २ त्ता लंछियमुद्दियं करेइ २ त्ता एगं च सुरभिवारिपडिपुण्णं दगवारयं करेइ २ त्ता पंथयं दासचेडं सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छ(ह) णं तुम देवाणुप्पिया ! इमं विपुलं असणं ४ गहाय चारगसालाए धण्णस्स सत्थवाहस्स उवणेहि । तए णं से पंथए भद्दाए सत्यवाहीए एवं वुत्ते समाणे हद्वतुढे तं भोयणपिड (य)गं तं च सुरभिवरवारिपडिपुण्णं दगवारयं गेण्हइ २ त्ता सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ २ ता रायगिह नगरं मज्झमज्झेणं जेणेव चारगसाला जेणेव धण्णे सत्यवाहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता भोयणपि(डि)डयं ठावेइ २ त्ता उल्लंछेइ २ त्ता (भायणाई) भोयणं गेण्हइ २ त्ता भायणाई धोवेइ २ त्ता हत्थसोयं दलयइ २ ता धणं सत्थवाहं तेणं विपुलेणं असणेणं ४ परिवेसेइ। तए णं से विजए तकरे धणं सत्थवाह एवं वयासी-तु(म)भे णं देवाणुप्पिया! म(म)मं एयाओ विपुलाओ असणाओ ४ संविभागं करेहि। तए णं से धण्णे सत्थवाहे विजयं तकरं एवं वयासी-अवियाइं अहं विजया ! एयं विपुलं असणं ४ का(या)गाणं वा सुणगाणं वा दलएज्जा उकुरुडियाए वा णं छहेजा नो चेव णं तव पुत्तघायगस्स पुत्तमारगस्स अरिस्स वेरियस्स पडिणीयस्स पञ्चामित्तस्स एत्तो विपुलाओ असणाओ ४ संविभागं करेजामि । तए णं से धण्णे सत्यवाहे तं विपुलं असणं ४ आहारेइ २ त्ता तं पंथगं पडिविसज्जेइ । तए णं से पंथए दासचे Page #1036 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९८४ सुत्तागमे [णायाधम्मकहामो डे'तं भोयणपिडगं गिण्हइ २ ता जामेव दिसिं पाउन्भूए तामेव दिसि पडिगए । तए णं तस्स धण्णस्स सत्यवाहस्स तं विपुलं असणं ४ आहारियस्स समाणस्स उच्चारपासवणे णं उव्वाहित्या। तए णं से धणे सत्यवाहे विजयं तकरं एवं वयासी-एहि ताव विजया ! एगंतमवकमामो जेणं अहं उगारपासवणं परिद्ववेमि । तए णं से विजए तकरे धण्णं सत्यवाहं एवं वयासी-तुमं देवाणुप्पिया! विपुलं असणं ४ आहारियस्स अत्थि उच्चारे वा पासवणे वा, ममं णं देवाणुप्पिया ! उमेहि बहहिं कसप्पहारेहि य जाव लयापहारेहि य तण्हाए य छुहाए य परब्भवमाणस्स नत्य केइ उच्चारे वा पासवणे वा, तं छदेणं तुमं देवाणुप्पिया ! एगते अवकामित्ता उच्चारपासवणं परिवेहि । तए णं से धण्णे सत्यवाहे विजएणं तकरेणं एवं वुत्ते समाणे तुसिणीए संचिठ्ठइ । तए णं से धण्णे सत्यवाहे मुहुत्तरस्स बलियतरागं उच्चारपासवणेणं उन्वाहिज्जमाणे विजयं तफरं एवं वयासी-एहि ताव विजया ! जाव अवकमामो । तए णं से विजए धणं सत्थवाहं एवं वयासी-जइ णं तुम देवाणुप्पिया! ता(त)ओ विपुलाओ असणाओ ४ संविभागं करेहि तओ हं तु(मे)भेहिं सद्धिं एगंतं अवकमामि । तए णं से धण्णे सत्यवाहे विजयं एवं वयासी-अहं णं तुभं ताओ विपुलाओ असणाओ ४ संविभागं करिस्सामि । तए णं से विजए धण्णस्स सत्यवाहस्स एयमझु पडिसुणेइ । तए णं से विजए धण्णेणं सद्धिं एगंते अवक्क(मे)मइ उच्चारपासवणं परिहवेइ आयंते चोक्खे परमसुइभूए तमेव ठाणं उवसंकमित्ताणं विहरइ । तए णं सा भद्दा कलं जाव जलंते विपुलं असणं ४ जाव परिवेसेइ । तए णं से धण्णे , सत्थवाहे विजयस्स तकरस्स ताओ विपुलाओ असणाओ ४ संविभागं करेइ । तए णं से धण्णे सत्यवाहे पंथगं दासचेडं विसज्जेइ। तए णं से पंथए भोयणपिडयं गहाय चार(गा)गसालाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता रायगिह नयरं मज्झमज्झेणं जेणेव सए गि(गे)हे जेणेव भद्दा (भारिया) सत्यवाही तेणेव उवागच्छइ २त्ता भई सत्थवाहिणि एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिए ! धण्णे सत्यवाहे तव पुत्तघायगस्स जाव पञ्चामित्तस्स ताओ विपुलाओ असणाओ ४ संविभागं करेइ ॥ ४७ ॥ तए णं सा भद्दा सत्थवाही पंथगस्स दासचेडगस्स अंतिए एयमढे सोचा आसुरुत्ता रुट्ठा जाव मिसिमिसेमा(णाणी घण्णस्स सत्यवाहस्स पओसमावजइ । तए णं से धण्णे सत्थवाहे अन्नया कयाइं मित्तनाइनियगसयणसंबंधिपरियणेणं सएण य अत्थसारेणं रायकज्जाओ अप्पाणं मोयावेइ २त्ता चारगसालाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता जेणेव अलंकारियसभा तेणेव उवागच्छइ २ ता अलंकारियकम्मं क(२)रावेइ २ त्ता जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता Page #1037 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - -- - - - - - -no- y wearner n ma सुः १४०२] सुत्तागमे ९८५ अह धोयमट्टियं गेण्हइ २ त्ता पोक्खरिणी ओगाहइ २ त्ता,जलमजणं करेइ २ ता पहाए रायगिहं नगरं अणुप्पविसइ - २ ता रायगिहस्स- नगरस्स मज्झमझेणं जेणेव सए गिहे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं (तं) धणं सत्थवाहं एजमाणं पासित्ता रायगिहे नयरे बहवे नियगसेट्ठिसत्थवाहपभि(त)इओ आढंति परिजाणंति सकारेंति सम्माणेति अब्भुटेति सरीरकुस(लं)लोदंतं सं-पुच्छंति । तए णं से धण्णे सत्थवाहे] जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ । जावि य से तत्थ बाहिरिया परिसा भवइ तंजहा-दासाइ वा पेस्साइ वा भियगाइ वा भाइल्लगाइ वा (से) सा वि य णं धणं सत्थवाहं एज्ज(न्त)माणं पासइ २ त्ता पायवडिया(ए) खेमकुसलं पुच्छ(न्ति)इ । जावि य से तत्थ अन्भितरिया परिसा भवइ तंजहा-मायाइ वा पियाइ बा भायाइ वा भइणीइ वा सावि य णं धणं सत्थवाहं एजमाणं पासइ २ त्ता आसणाओ अब्भुटेइ २ ता कंठाकंठियं अवयासिय बाहप्पमोक्खणं करेइ । तए णं से धण्णे सत्यवाहे जेणेव भद्दा भारिया तेणेव उवागच्छइ । तए णं सा भद्दा धणं सत्थवाहं एजमाणं पासइ २ ता नो आढाइ नो परियाणाइ अणाढायमाणी अपरियाणमाणी तुसिणीया परम्मुही संचिट्टइ। तए णं से धण्णे सत्थवाहे भई भारियं एवं वयासी-कि णं तुब्भं देवाणुप्पिए । न तुट्ठी वा न हरिसे वा नाणंदे वा जं मए सएणं अत्थसारेणं रायकज्जाओ अप्पाणं विमोइए। तए णं सा भद्दा धण्णं सत्थवाहं एवं वयासी-कहं णं देवाणुप्पिया! मम तुट्ठी वा जाव आणंदे वा भविस्सइ जेणं तुमं मम पुत्तघायगस्स जाव पच्चामित्तस्स ताओ विपुलाओ असणाओ ४ संविभागं करेसि । तए णं से धण्णे भदं [भारियं] एवं वयासी-नो खलु देवाणुप्पिए ! धम्मोत्ति वा तवोत्ति वा कयपडिकइयाइ वा लोगजत्ताइ वा नायएइ वा [स]घाडिएइ वा सहाएइ वा सुहित्ति वा ताओ विपुलाओ असणाओ ४ संविभागे कए नन्नत्थ सरीरचिंताए। तए णं सा भद्दा धण्णेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणी ह(हतु)हा जाव आसणाओ अब्भुटेइ २ त्ता कंठाकंठिं अवयासेइ खेमकुसलं पुच्छइ २ त्ता बहाया विपुलाइं भोगभोगाइं भुंजमाणी विहरइ । तए णं से विजए तक्करे चारगसालाए तेहि बंधेहिं वहेहिं कसप्पहारेहि य जाव तण्हाए य छुहाए य परब्भवमाणे कालमासे कालं किच्चा नरएसु नेरइयत्ताए उववन्ने । से णं तत्थ नेरइए जाए काले कालोभासे जाव वेयणं पचणुब्भवमाणे विहरइ । से णं तओ उव्वट्टित्ता अणादीयं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियटिस्सइ । एवामेव जंवू ! जे णं अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा आयरियउवज्झायाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए समाणे विपुलमणि (मु)मोत्तियधणकणगरयणसारेणं लुब्भइ से वि(य) एवं चेव Page #1038 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ ॥ ४८ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं धम्मघोसा नाम थेरा भगवंतो जाइसंपन्ना कुलसंपन्ना जाव पुव्वाणुपुचि चरमाणा जाव जेणेव रायगिहे नयरे जेणेव गुणसिलए उजाणे जाव अहापडिरूवं उग्गहं उरिगण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरति । परिसा निग्गया धम्मो कहिओ । तए णं तस्स धण्णस्स सत्यवाहस्स वहुजणस्स अंतिए एयमढे सोचा निसम्म इमेयालवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्थाएवं खलु थेरा भगवंतो जाइसंपन्ना इहमागया इह-संपत्ता, तं इच्छामि णं थेरे भगवंते वंदामि नमसामि पहाए सुद्धप्पावेसाइं मङ्गलाई वत्थाई पवरपरिहिए पायविहारचारेणं जेणेव गुणसिलए उजाणे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छइ २ त्ता वंदइ नमसइ । तए णं थेरा धण्णस्स विचित्तं धम्ममाइक्खंति । तए णं से घण्णे सत्यवाहे धम्म सोचा एवं वयासी-सहामि णं भंते ! निग्गंथे पावयणे जाव पव्वइए जाव वहणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता भत्तं पचक्खाइत्ता मासियाए संले. हणाए सर्हि भत्ताइं अणसणाए छेदेइ २ त्ता कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववन्ने । तत्य णं अत्यंगइयाणं देवागं चत्तारि पलिओवमाइं ठिई प० । तत्थ णं धण्णस्सवि देवस्स चत्तारि पलिओवमाइं ठिई प० 1 से णं धणे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे सिनिहिइ जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेहिइ ॥ ४९ ॥ जहा णं जंबू ! धण्णेणं सत्यवाहेणं नो धम्मोत्ति वा जाव विजयस्स तकरस्स ताओ विपुलाओ असणाओ ४ संविभागे कए नन्नत्य सरीरसारक्खणट्ठाए एवामेव जंवू ! जे णं अम्हें निरगंथे वा २ जाव पव्वइए समाणे ववग्यण्हाण(उम्म)हणपुप्फगंधमन्त्रालंकारविभूसे इमस्स ओरालियसरीरस्स नो वण्णहेउं वा रूवहउँ वा (वल)विसयहेडं वा [तं विपुलं] असणं ४ आहारमाहारेइ नन्नत्य नाणदंसणचरित्ताणं वहण(ह)याए से णं इहलोए चेव वहणं समणाणं (वहणं) समणीणं (वहूर्ण) सावगाण य सावियाण य अचणिज्जे जाव पजुवासणिज्जे भवइ । परलोए वि य णं नो (आगच्छइ) वहणि हत्यच्छेयणाणि य कग्गच्छेयणाणि य नासाछेयणाणि य एवं हिय(योउप्पायणाणि य वसणुप्पा(ड)यणाणि य उलंबणाणि य पाविहिइ अणाईयं च णं अगवदग्गं दीहमद्धं जाव वीईवइस्सइ जहा व से घण्णे सत्यवाहे । एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेण दोच्चस्स नायज्जयणस्स अयमढे पन्नत्ते त्तिवेमि ॥ ५० ॥ गाहा-सिवसाहणेमु आहारविरहिओ जन वट्टए देहो। तम्हा घण्णोव्ब विजयं साह तं तेण पोसेना ॥१॥ वीयं अज्झयणं समत्तं ॥ जइ ण भंते ! समणेणं ३ जाव संपत्तेणं दोचस्स अज्झयणस्स नायाधम्मकहाणं Page #1039 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु. १ अ०३] सुत्तागमे अयमढे पन्नत्ते तइअस्स अज्झयणस्स के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंवू । तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नयरी होत्था वण्णओ। तीसे ण चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए सुभूमिमाए नामं उजाणे होत्था स(वो)व्वउयपुप्फफलसमिद्धे सुरम्मे नंदणवणे इव सुहसुरभिसीयलच्छायाए समणुवः । तस्स णं सुभूमिभागस्स उन्नाणस्स उत्तर(ओ)पुरस्थिमे एगदेसंमि मालुयाकच्छए होत्था वण्णओ । तत्थ णं एगाव(र)णम(यू)ऊरी दो पुढे परियागए पिटुंडीपंडुरे निव्वणे निरुवहए भिन्नमुट्ठिप्प. माणे मऊरी-अंडए पसवइ २ त्ता सएणं पक्खवाएणं सारक्खमाणी संगोवेमाणी सं(वि)चिट्ठमाणी विहरइ । तत्थ णं चंपाए नयरीए दुवे सत्यवाहदारगा परिवसंति तंजहा-जिणदत्तपुत्ते य सागरदत्तपुत्ते य सहजायया सहवड्डियया सहपंसुकीलियया सहदारदरिसी अन्नमन्नमणुर(त्तया)त्ता अन्नमन्नमणुव्व(य)या अन्नमन्नच्छंदाणुवत्तया अन्नमन्नाहियइच्छियकारया अन्नमन्नेसु गिहेसु(किच्चाई) कम्माइं करणिजाई पचणुब्भवमाणा विहरंति ॥ ५१ ॥ तए णं तेसिं सत्थवाहदारगाणं अन्नया कयाई एगयओ सहियाणं समुवागयाण सन्निसण्णाणं सन्निविट्ठाणं इमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पजित्था-जन्नं देवाणुप्पिया ! अम्हं सुहं वा दु(क्खं)हं वा पव्वजा वा विदेसगमणं वा समुप्पज्जइ तं णं अम्हेहिं एगयओ समेचा नित्थरियव्वं-तिकटु अन्नमन्नमेयारूवं संगारं पडिसुणेति २ त्ता सकम्मसंपउत्ता जाया यावि होत्था ॥५२॥ तत्थ णं चंपाए नयरीए देवदत्ता नामं गणिया परिवसइ अड्डा जाव भत्तपाणा चउसट्ठिकलापंडिया चउसहिगणियागुणोववेया अउणत्ती(सं)सविसेसे रममाणी एकवीसरइगुणप्पहाणा बत्तीसपुरिसोवयारकुसला नवंगसुत्तपडिवोहिया अट्ठारसदेसीभासाविसारया सिंगारागारचारुवेसा संगयगयहसिय जाव ऊसिय(झ)ज्झया सहस्सलंभा विदिन्नछत्तचामर• बाल(वि)वीयणिया कण्णीरहप्पयाया(या) वि होत्था बहूणं गणियासहस्साणं आहेवचं जाव विहरइ। तए णं तेसिं सत्थवाहदारगाणं अन्नया कयाई पु(व्वरत्तावरत्त)व्वावरण्हकालसमयंसि जिमियभुत्तुत्तरागयाणं समाणाणं आयन्ताणं चोक्खाणं परमसुइभूयाणं सुहासणवरगयाणं इमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पजित्या-(त) सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! कल्लं जाव जलंते विपुलं असणं ४ उवक्खडावेत्ता तं विपुलं असणं ४ धूवपुप्फगंधवत्थं गहाय देवदत्ताए गणियाए सद्धिं सुभूमिभागस्स (उजाणस्स) उज्जाणसिरिं पचणुब्भवमाणाणं विहरित्तए-त्तिकट्ठ अन्नमन्नस्स एयमद्वं पडिसुणेति २ त्ता कलं पाउ(भूए)प्पभायाए कोडंबियपुरिसे सदाति २ त्ता एवं वयासी-गच्छहणे देवाणुप्पिया ! विपुलं असणं ४ उवक्ख(डे)डावेह र त्तातं विपुलं असणं ४ धूवपुप्फंगहाय जेणेव सुभूमिभागे उजाणे जेणेव नंदापुक्खरिणी तेणामेव उवागच्छह २ त्ता नंदाए Page #1040 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९८८ सुत्तागमे [णायाधरमकहामो पोक्खरिणीए अदूरसामंते थूगामंडवं आहणह २ त्ता आसियसम्मजिओवलित्तं सुगंध जाव कलियं करेह २ त्ता अ(म्हे)म्हं पडिवालेमाणा २ चिट्ठह जाव चिट्ठति । तएणं इते] सत्यवाहदारगा दोचंपि कोडुवियपुरिसे सदाति २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव लहुकरणजुत्तजोइयं समखुरवालिहाणं समलिहियतिक्खग्गसिंगएहिं रययामयघंटसुत्तरजुपवरकंचणखचियनत्थपग्गहोवग्गहिएहिं नीलुप्पलकयामेलएहिं पवरगोणजुवाणएहिं नानामणिरयणकंचणघंटियाजालपरिक्खित्तं पवरलक्खगोववेयं जु(त्त)त्तामेव पवहणं उवणेह । ते वि तहेव उवणेति । तए णं ते सत्यवाहदारगा ण्हाया अप्पमहग्घाभरजालंकिय सरीरा पवहणं दुहंति २ त्ता जेणेव देवदत्ताए गणियाए गिहे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता पवहणाओ पञ्चोरहति २ ता देवदत्ताए गणियाए गिहं अणुप्पविसंति । तए णं सा देवदत्ता गणिया [ते] सत्यवाहदारए एजमाणे पासइ २ त्ता हतुहा आसणाओ अन्भुढेइ २ त्ता सत्तट्ट पयाई अणुगच्छइ २ ता ते सत्यवाहदारए एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! किमिहागमणप्पओयणं । तए णं ते सत्यवाहदारगा देवदत्तं गणियं एवं वयासी-इच्छामो णं देवाणुप्पिए ! तु(म्हे)न्मेहिं साई सुभूमिभागस्स (उन्नागस्स) उजाणसिरिं पञ्चणुव्भवमाणा विहरित्तए । तए णं सा देवदत्ता तेसिं सत्यवाहदारगाणं एयमढे पडिसुणेइ २ त्ता ण्हाया कि ते पवर जाव सिरिसमाणवेसा जेणेव सत्यवाहदारगा तेणेव उवा(समा)गया। तए णं ते सत्यचाहदारगा देवदत्ताए गणियाए सद्धिं जाणं दुरुहंति २ ता चंपाए नयरीए मज्जमज्झेगं जेणेव सुभूमिभागे उजाणे जेणेव नंदापोक्खरिणी तेणेव उवागच्छंति २ ता पदहणाओ पच्चोल्हति २ त्ता नंदापोक्खरिणी ओगाहेति २त्ता जलमजणं करेंति जलकिड करेंति व्हाया देवदत्ताए सद्धिं पञ्चुत्तरंति जेणेव थूणामंडवे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता थूणामंडवं अणुप्पविसंति २ त्ता सव्वालंकार(वि)भूसिया आसत्था वीसत्या सुहासणवरगया देवदत्ताए सद्धिं तं विपुलं असणं ४ धूवपुप्फगंधवत्थं आसाएमाणा वि(वी)साएमाणा (परिभाएमाणा) परिभुजेमाणा एवं च णं विहरंति जिसियभुत्तुत्तरागया वि य णं समाणा (आयंता) देवदत्ताए सद्धिं विपुलाई माणुस्सगाई कामभोगाई मुंजमाणा विहरंति ॥५३॥ तए णं ते सत्यवाहदारगा पुव्वावरण्हकालसमयंसि देवदत्ताए गणियाए सद्धिं थूणामंडवाओ पडिनिक्खमंति २ त्ता हत्थसंगेल्लीए सुभूमिभागे बहसु आलिघरएसु य कयलीघरएसु य लयाघरएसु य अच्छणधरएसु य पेच्छगघरएसु य पसाहणघरएसु य मोहणघरएसु य सालघरएसु य जालघरएसु य कुसुमघरएतु य उजाणसिरिं पञ्चणुव्भवमाणा विहरंति ॥ ५४ ॥ तए णं ते सत्यवाहदारया जेणेव से मालुयाकच्छए तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं सा व्रणमऊरी ते सत्यवाहदारए Page #1041 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ०३] सुत्तागमे एजमाणे पासइ २ ता भीया तत्था० महया २ सद्देणं केकारवं विणिम्मुयमाणी २ मालुयाकच्छाओ पडिनिक्खमइ २ ता एगंसि रुक्खडालयंसि ठिच्चा ते सत्थवाहदारए मालुयाकच्छं च अणिमिसाए दिट्ठीए पेहमाणी २ चिठ्ठइ । तए णं ते सत्थवाहदारगा अन्नमन्नं सदावेंति २ त्ता एवं वयासी-जहा णं देवाणुप्पिया ! एसा वणमऊरी अम्हे एजमा(णा)णे पासित्ता भीया तत्था तसिया उबिग्गा पलाया महया २ सद्देणं जाव अ(म्हे)म्हमालयाकच्छयं च पेच्छमाणी २ चिट्ठइ तं भवियव्वमेत्थ कारणेणं-तिक? मालुयाकच्छयं अंतो अणुप्पविसंति २ त्ता तत्थ णं दो पुढे परियागए जाव पासित्ता अन्नमन्नं सदावेंति २ त्ता एवं वयासी-सेयं खलु देवाणुप्पिया । अम्हं इमे वणमऊरीअंडए साणं जाइमंताणं कुक्कुडियाणं अंडएसु (अ)पक्खिवावित्तए । तए णं ताओ जाइमताओ कुक्कुडियाओ ए(ता)ए अंडए सए य अंडएसएणं पक्खवाएणं सारक्खमाणीओ संगोवेमाणीओ विहरिस्संति । तए णं अम्हं ए(त्थं)त्थ दो कीलावणगा मऊरपोयगा भविस्संति-त्तिक? अन्नमन्नस्स एयमढें पडिसुणेति २ त्ता सए सए दासचेडए सद्दावेंति २त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया! इमे अंडए गहाय सगाणं जाइमंताणं कुक्कुडीणं अंडएसु पक्खिवह जाव ते (वि) पक्खिवेंति। तएणं ते सत्थवाहदारगा देवदत्ताए गणियाए सद्धिं सुभूमिभागस्स(उजाणस्स)उज्जाणसिरिं पचणुब्भवमाणा विहरित्ता तमेव जाणं दुरूढा समाणा जेणेव चंपा नयरी जेणेव देवदत्ताए गणियाए गिहे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता देवदत्ताए गिहं अणुप्पविसंति २ त्ता देवदत्ताए गणियाए विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयंति २ त्ता सकारेंति सम्माणेति स० २ त्ता देवदत्ताए गिहाओ पडिनिक्खमंति २ ताजेणेव सयाई २ गिहाई तेणेव उवागच्छंति २त्ता सकम्मसंपउत्ता जाया यावि होत्था ॥५५॥ त(ए)त्थ णं जे से सागरदत्तपुत्ते सत्यवाहदारए सेणं कलं जाव जलंते जेणेव से वणमऊरीअंडए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता तसि मऊरीअंडयंसि संकिए कंखिए विइगिच्छसमावन्ने भेयसमावन्ने कलुससमावन्ने किन्नं ममं एत्थ कीलावणए मऊ(री)रपोयए भविस्सइ उदाहु नो भविस्सइ-त्तिकद्दु तं मऊरीअंडयं अभिक्खणं २ उव्वत्तेइ परियत्तेइ आसारेइ संसारेइ चालेइ फंटेइ घटेर खोभेइ अभिक्खणं २ कण्णमूलंसि टिटियावेइ । तए णं से वण-मऊरीअंडए अभिक्खणं २ उव्वत्तिजमाणे जाव टिटियावेजमाणे पोचडे जाए यावि होत्था । तए णं से सागरदत्तपुत्ते सत्थवाहदारए अन्नया कयाइं जेणेव से वणमऊरीअंडए तेणेव उवागच्छइ २त्ता तं मऊरीअंडयं पोच्चडमेव पासइ २ त्ता अहो णं मम (एस) एत्य कीलावणए मऊ(री)रपोयए न जाए-त्तिकट्ठ ओहयमण जाव झियायइ । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा २ आयरियउवज्झायाणं अंतिए पव्वइए समाणे पंचमहव्वएसु जाव Page #1042 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९९० सुत्तागमे [णायाधम्मकहामो छज्जीवनिकाएसु निग्गंथे पावयणे संकिए जाव कलुससमावन्ने से णं इह-भवे चेव बहणं समणाणं वहूर्ण समणीणं वहूणं सावगाणं साविगाणं हीलणिज्जे निंदगिजे खिसणिजे गरहणिजे परिभवणिज्ने परलोए विय णं आगच्छइ वहूणि दंडणाणि य जाव अणुपरियट्ट(ए)इ ॥५६॥ तए णं से जिणदत्तपुत्ते जेणेव से मऊरीसंडए तेणेव उवागच्छइ २त्ता तंति मऊरीअंडयंसि निस्संकिए सुव्वत्तए णं मम एत्य कीलावणए मऊ(री)रपोयए भविस्सइ-त्तिकट्ठ तं मऊरीअंडयं अभिक्खगं २ नो उव्वत्तेइ जाव नो टिहियावेइ । तए णं से मऊरीअंडए अणुव्वत्तिज्जमाणे जाव अटिट्टियाविजमाणे (तेणं) कालेणं (तेगं) समएणं उभिण्णे मऊ (री)रपोयए एत्य जाए । तए ण से जिणदत्तपुत्ते(तं) मऊरपोययं पासइ २ ता हद्वतुढे मऊरपोसए सद्दावेइ २ त्ता एवं चयासी-तुम्भे गं देवाणुप्पिया ! इमं मऊरपोयगं वहहिं मऊरपोसणपा(उ)ओग्गेहिं दन्वेहि अणुपुत्वेणं सारक्खमाणा संगोवेमाणा संवड्वेह नट्ठलगं च सिक्खावेह । तएणं ते मऊरपोसगा जिणदत्तस्स पुत्तस्स एयमढे पडिसुणेति २ ता तं मऊरपोयगं गेहंति २ त्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता तं मऊरपोयगं जाव नट्ठलगं सिक्खावेति । तए णं से (वण)मऊरपोयए उम्मुकवालभावे चिन्नायपरिणयमेत्ते जोवणगमणु'पत्ते लक्खणवंजणगुगोववेए माणुम्माणप्पमाणपडिपुण्णपक्खपेहुणकलावे विचित्तपिच्छस(त्त)तचंदए नीलकंठए नच्चणसीलए एगाए चप्पुडियाए कयाए समाणीए अणेगाई नगुल्लगसयाई केकारवसयाणि य करेमाणे विहरइ । तए णं ते मऊरपोसगा तं मऊरपोयगं उम्पुक्क जाव करेमाणं पासित्ता (२) णं तं मऊरपोयगं गेण्हंति २ ता जिगदत्तस्स पुत्तस्स उवाते । तए णं से जिणदत्तपुत्ते सत्यवाहदारए मऊरपोयगं उम्मुक जाव करेमाणं पासित्ता हट्ठतुढे तेसिं विपुलं जीवियारिहं पीइदाणं जाव पडिविसज्जेइ । तए णं से मऊरपोयगे जिगदत्तपुत्तेणं एगाए चप्पुडियाए कयाए समाणीए नंगोलाभंगसिरोधरे सेयावंगे ओरालि(अवयारि)यपइण्णपक्खे उक्खित्तचंदकाइयकलावे केकाइयसयाणि विमु(च)ञ्चमाणे नचइ । तए णं से जिणदत्तपुत्ते तेणं मऊरपोयएणं चंपाए नयरीए सिंघाडग जाव पहेसु स(इ)एहि य साहस्सिएहि य सयसाहस्सिएहि य पणिएहि य जयं करेमाणे विहरइ । एवामेव समणाउसो! जो अम्हं निग्गंथो वा २ पव्वइए समाणे पंच(सु)महत्वएसु छज्जीवनिकाएनु निग्गंथे पावयणे निस्संकिए निकंखिए निबिगिच्छे से णं इहभवे चेव वहणं समणाणं जाव वीइवइस्सइ । एवं खलु जंबू! समणेणं ३ जाव संपत्तेणं नायाणं तच्चस्स अज्झयणस्स अयमद्वे पन्नत्तेत्ति बेमि ॥२७॥ गाहामो-जिगवरभासियभावेसु भावसच्चेसु भावओ मइमं । नो कुना संदेह संदेहोऽणत्यहेउत्ति ॥ १॥ निस्संदेहत्तं पुण गुणहेडं जं तओ तयं कनं -। एत्थं दो Page #1043 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९९१ सु० १ ० ४]. सुत्तागमे सिट्ठिसुया अंडयगाही उदाहरणं ॥ २॥ कत्थइ मइदुब्बल्लेण तव्विहायरियविरहओ चा वि। नेयगहणत्तणेणं नाणावरणोदएगं च ॥ ३ ॥ हेऊदाहरणासंभवे य सई सुटु-जं न बुज्झिज्जा । सव्वण्णुमयमवितहं तहावि इइ चिंतए मइमं ॥४॥ अणुवकयपराणुग्गहपरायणा जं जिणा जगप्पवरा । जियरागदोसमोहा य णण्णहावाइणो तेण ॥ ५॥ तच्चं नायज्झयणं समत्तं ।। ___ जइणं भंते ! समणेगं ३ नायाणं तच्चस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते चउत्थस्स णं नायाणं के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी नामं नयरी होत्था वण्णओ। तीसे णं वाणारसीए नयरीए (बहिया) उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए गंगाए महानईए मयंगतीरद्दहे नामं दहे होत्या अणुपुत्वसुजायवप्पगंभीरसीयलजले अच्छविमलसलिलपलिच्छन्ने संछन्नपत्तपुप्फपलासे बहुउप्पलपउमकुमुयनलिणसुभगसोगंधियपुंडरीयमहापुंडरीयसयपत्तसहस्सपत्तकेसरपुप्फोवचिए पासाईए ४ । तत्थ णं वहूणं मच्छाण य कच्छमाण य गाहाण य मगराण य सुंसुमाराण य स (इ)या(ण)णि य (साहस्सियाण) सहस्साणि य सय(साहस्सियाण)सहस्साणि य जूहाई निन्भयाई निरुबिग्गाइं सुहंसुहेणं अभिरममाणाई २ विहरति । तस्स णं मयंगतीरदहस्स अदूरसामंते एत्य-णं महं एगे मालुयाकच्छए होत्था वण्णओ । तत्थ णं दुवे पावसियालगा परिवसंति पावा चंडा रु(रो)दा तलिच्छा साहसिया लोहियपाणी आमिसत्थी आमिसाहारा आमिसप्पिया आमिसलोला आमिसं गवेसमाणा रत्ति वियालचारिणो दिया पच्छन्न(चा) वि चिट्ठति । तए णं ताओ मयंगतीरहहाओ अन्नया कयाइं सूरियसि चिरत्यमियंसि लुलियाए संझाए पविरलमाणुसंसि निसंतपडिनिसंतंसि समागंसि दुवे कुम्मगा आहारत्थी आहारं गवेसमाणा सणियं २ उत्तरंति तस्सेव मयंगतीरद्दहस्स परिपेरंतेणं सव्वओ समंता परिघोलेमाणा २ वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति । त(य)याणंतरं च णं ते पावसियालगा आहारत्थी जाव आहारं गवेसमाणा मालयाकच्छ(या)गाओ पडिनिक्खमंति २ ता जेणेव मयंगतीरद्दहे तेणेव उवागच्छंति २ ता तस्सेव मयंगतीरद्दहस्स परिपेरंतेणं परिघोलेमाणा २ वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति । तए णं ते पावसियाला ते कुम्मए पासंति २त्ता जेणेव ते कुम्मए तेणेव पहारेत्य गमणाए। तए णं ते कुम्मगा(ते) पावसियालए एजमाणे पासंति २ त्ता भीया तत्या तसिया उव्विग्गा संजायभया हत्थे य पाए य गीवाए य सएहिं २ काएहि साहरंति २ त्ता निचला निप्फंदा तुसिणीया संचिट्ठति । तए णं ते पावसियाल(या)गा जेणेव ते कुम्मगा तेणेव उवागच्छंति २ त्ता ते कुम्मगा सव्वओ समंता उव्वत्तेति परियत्तेति आसारेंति संसारेंति चालति घीति Page #1044 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९९२ सुत्तागमे [ णायार्धम्मकहाओ फंदेति खोमे॑ति नहेहिं आलंपति दंतेहि य अक्खोडेंति नो चेव णं संचाएंति तेसिं कुम्मगाणं सरीरस्स आवाहं वा पवाहं वा वावाहं वा उप्पा (ए) इत्तए छविच्छेयं वा क ( रे ) रित्तए । तए णं ते पावसियालगा (एए) ते कुम्मए दोपि तचंपि सव्वओ समंता उव्वत्तेति जाव नो चेव णं संचाएंति करित्तए ताहे संता तंता परितंता निव्विण्णा समाणा सणियं २ पच्चीस (क् ) कंति एगंतमवकमति २ ता निच्चला निप्फंदा तुसिणीया संचिद्वंति । तत्थ णं एगे कुम्म (गे) ए ते पावसियालए चि (रं) रगए दूरंगएं जाणित्ता सणियं २ एगं पायं निच्छुभइ । तए णं ते पावसि - यालगा तेणं कुम्मएणं सणियं २ एगं पायं नीणियं पाति २ ता (ताए उक्तिट्ठाए गईए) सिग्घं चवलं तुरियं चंडं जइणं वेगियं जेणेव से कुम्मए तेणेव उवागच्छंति २ त्ता तस्स णं कुम्मगस्स तं पायं नखेहिं आलंपति दंतेहिं अक्खोडेंति तओ पच्छा मंसं च सोणियं च आहारैति २ ता तं कुम्मगं सव्वओ समंता उव्वत्र्त्तेति जाव नो चेवणं संचा ( इं ) एंति करेत्तए ताहे दोचंपि अवकमंति एवं चत्तारि वि पाया जाव सणियं २ गीवं नीणेइ । तए णं ते पावसियालगा तेणं कुम्मएणं गीवं नीणियं पासंति २ त्ता सिग्धं चवलं ४ नहेहिं दंतेहिं (य) कवालं विहार्डेति २त्ता तं कुम्मगं जीवियाओ ववरोवेंति २ त्ता मंसं च सोणियं च आहारेंति । एवामेव समणाउसो ! जो अहं निग्गंथो वा २ आयरियउवज्झायाणं अंतिए पव्वइए समाणे पंच य से इंदिया (इं) अगुत्ता भवंति से णं इहभवे चेव वहूणं समणाणं ४ हीलणिजे परलो (गे) ए वि य णं आगच्छइ बहूणं दंडणाणं जाव अणुपरियट्टइ जहा (व) से कुम्मए अगुत्तिदिए । तए णं ते पावसियालगा जेणेव से दोचे कुम्मए तेणेव उवागच्छंति २ त्ता तं कुम्मगं सव्वओ समंता उव्वत्तॆति जाव दंतेहिं अक्खुडेंति जाच करित्तए । तए णं ते पावसियालगा दोच्चंपि तच्चपि जाव नो संचाएंति तस्स कुम्मगस्स किचि आवाहं वा विवाहं वा जाव छविच्छेयं वा करेत्तए ताहे संता तंता परितंता निव्विण्णा समाणा जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया । तणं से कुम्मए ते पावसियालए चिरगए दूरगए जाणित्ता सणियं २ गीवं नेणेइ २ त्ता दिसावलोयं करेइ २ त्ता जमगसमगं चत्तारि वि पाए नीणेइ २त्ता ताए उक्किट्ठाए कुम्मगईए वीईवयमाणे २ जेणेव मयंगतीरद्दहे तेणेव उवागच्छइ २ त्तां मित्तनाइनियगसयणसंवंधिपरियणेणं सद्धिं अभिसमन्नागए यावि होत्था । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं समणो वा समणी वा पंच (य) से (महव्वयाई) इंदियाई गुत्ताइं भवंति जाव जहा (उ) व से कुम्मए गुत्तिदिए । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं चउत्थस्स नायज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्तेत्ति बेमि ॥ ५८ ॥ गाहाउ - विसएसु 4 Page #1045 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ अ० ५ ] सुत्तागमे ९९३ इंदिआई संता रागदोसनिम्मुक्का | पावति निन्युइसुहं कुम्मुव्व मयंगदहसो खं ॥ १ ॥ अवरे उ अणत्थपरंपरा उ पावेंति पावकम्मवसा । संसारसागरगया गोमा उग्गसियकुम्मोव्व ॥ २ ॥ चउत्थं नायज्झयणं समत्तं ॥ जइ णं भंते ! समणेगं ३ जाव संपत्तेणं चउत्यस्स नायज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते पंचमस्स णं भंते । नायज्झयणस्स के अट्ठे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू । तेणं कालेणं तेणं समएणं बारवई नामं नयरी होत्था पाईणपडीणायया उदीनदा हिणवित्थिण्णा नवजोयवत्थण्णा दुवाल सजोयणायामा धणवइमइनि (म्म ) म्माया चामीयर पवरपागारा नाणामणिपंचवण्णकविसीसगसोहिया अलयापुरिसंकासा पमुइयपक्कीलिया पच्चक्खं देवलो (य) गभूया । तीसे णं वारवईए नयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए रेवयगे ना (म) में पव्व होत्था तुगे गगणतलमणुलिहंत सिहरे नाणाविहगुच्छगुम्मलयावलिपरिगए हंसमि (ग) यमयूरको चसारस चक्कवा यमयणसालकोइलकुलोववेए अणेगतडकडगवियरउज्झर (य) पवायपब्भार सिहरपउरे अच्छरगण देवसंघचारण विज्जाहर मिहुणसंविचिणे निच्चच्छणए दसारवर वीरपुरिस तेलोक्कबलवगाणं सोमे सुभगे पियदंसणे सुरूवे पासाईए ४ । तस्स णं रेवयगस्स अदूरसामंते एत्थ णं नंदणवणे नाम उज्जाणे होत्था सव्वउयपुप्फफलसमिद्धे रम्मे नंदगवणप्पगासे पासाईए ४ । तरस ण उज्जाणस्स बहुमज्झदेसभाए सुरप्पिए नामं जक्खाययणे होत्था वण्णओ । तत्थ णं वारवईए नयरीए कहे नाम वासुदेवे राया परिवसइ । से णं तत्थ समुह विजयपामोक्खाणं दसन्हं दसाराणं बलदेवपामोक्खाणं पंच महावीराणं उग्गसेणपामोक्खाणं सोलसहं राईसहस्साणं पजुन्नपामोक्खाणं अडाणं कुमारकोडीणं संवपामोक्खाणं सट्टीए दुद्दतसाहस्सीणं वीरसेणपामोक्खाणं एक्कवीस ए वीरसाहस्सीणं महासेणपामोक्खाणं छप्पन्नाए बलवगसाहस्सीणं रुप्पि (णी) णिप्पामोक्खाणं वत्तीसाए महिला साहस्सीणं अन्नेसि च बहूणं [ रा ]ईसरतलवर जाव सत्थवाहपभिईणं वेयढगिरिसा (य) गर पेरंतस्स य दाहिणड्डूभरहस् य बारवईए नयरीए आहेवच्चं जाव पालेमाणे विहरइ ॥ ५९ ॥ त ( स्स) त्थ णं बारवईए नयरीए थावच्चा नामं गाहावइणी परिवसइ अड्डा जाव अपरिभूया । तीसे णं थावच्चाए गाहावइणीए पुत्ते थावच्चापुत्ते नामं सत्थवाहदारए होत्था सुकुमालपाणिपाए जाव सुरूवे । तए णं सा थावच्चा गाहावइणी तं दार (यं) गं साइरेगअट्ठवास जा (य) यं जाणित्ता सोहणंसि तिहिकरण नक्खत्तमुहुत्तंसि कलायरियस्स उवणेइ जाव भोगसमत्थं जाणित्ता बत्तीसाए इब्मकुलबालियाणं एगदिवसेणं पाणि गेण्हावेइ बत्तीसओ दाओ जाव बत्तीसाए इब्भकुलवालियाहिं सद्धिं विपुले सद्दफरिसरसरुववण्णगंधे जाव ६३ सुत्ता० Page #1046 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९९४ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ भुंजमाणे विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिहनेमी सो चेव वण्णओ दसवणुस्सेहे नीलुप्पलगवलगुलियअयसिकुसुमप्पगासे अट्ठारसहिं समणसाहस्सीहिं चत्तालीमाए अज्जियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिबुडे पुव्वाणुपुट्विं चरमाणे जाव जेणेव बारवई नगरी जेणेव रेवयगपव्वए जेणेव नंदणवणे उजाणे जेणेव सुरप्पियस्स जक्खस्स जक्खाययणे जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ २त्ता अहापडिरूवं उग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ। परिसा निग्गया धम्मो कहिओ । तए णं से कण्हे वासुदेवे इमीसे कहाए लढे समाणे कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सभाए सुहम्माए मेघोघरसियं गंभी()रमहुरसई कोमुइयं भेरि तालेह । तए णं ते कोथुवियपुरिसा कण्हेगं वासुढेवेणं एवं वुत्ता समाणाहतुट्ठ जाव मत्थए अंजलिं कट्ट एवं सामी ! तह त्ति जाव पडिसुणेति २ त्ता कण्हस्स वासुदेवस्स अंतियाओ पडिनिक्खमंति २ त्ता जेणेव स(हा)भा सुहम्मा जेणेव कोमुइया मेरी तेणेव उवागच्छंति २ त्ता तं मेघोघरसि(य)यगंभीरमहुरसई कोमुइयं भेरि तालति । तओ निद्धमहुरगंभीरपडिसुएणं पिव सारइएणं वलाहएणं (पिव) अणुरसियं मेरीए । तए णं तीसे कोमुइयाए भे(रिया)रीए तालियाए समाणीए वारवईए नयरीए नवजोयणवित्थिण्णाए दुवालसजोयणायामाए सिंघाडगतियचउक्कचच्चरकदरदरी (य) विवरकुहरगिरिसिहरनगरगोउरपासायदुवारभवणदेउलपडि (सु)स्सुयासयसहस्ससंकुलं (सई) करेमाणे वारव(इं)ईए नय(रं)रीए सभितरवाहिरियं सव्वओ समंता (से)सद्दे विप्पसरित्था । तए णं वारवईए नयरीए नवजोयणवित्थिण्णाए वारसजोयणायामाए समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा जाव कोमुईयाए मेरीए सह सोचा निसम्म हट्टतुट्ठा जाव हाया आविद्धवग्धारियमल्लदामकलावा अहयवत्थचंदणो(कि)क्खिन्नगायसरीरा अप्पेगइया हयगया एवं गयगया रहसीयासंदमाणीगया अप्पेगइया पायविहारचारेणं पुरिस. वरगुरापरिक्खित्ता कण्हस्स वासुदेवस्स अंति(यं)ए पाउभवित्था । तए णं से कण्हे वानुदेवे समुद्दविजयपामोक्खे दस दसारे जाव अंतियं पाउन्भवमाणे (पासइ) पासित्ता हतुट्ठ जाव कोडुवियपुरिसे सहावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया । चाउरंगिणिं सेणं सज्जेह विजयं च गंधहत्थिं उवट्ठवेह । तेवि (तहत्ति) तहेव उवट्ठवेंति जाव पजुवासंति ॥६०॥ थावच्चापुत्ते वि निग्गए जहा मेहे तहेव धम्म सोचा निसम्म जेणेव थावच्चा गाहावइणी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पायग्गहणं करेड जहा मेहस्स तहा चेव निवेयणा जाहे नो संचाएइ विसयाणुलोमाहि य विसयपडिकूलाहि य वहहिं आघवणाहि य पन्नवणाहि य सन्नवणाहि य विनवणाहि य Page #1047 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु. १ अ०५] सुत्तागमे ९९५ आघवित्तए वा ४ ताहे अकामिया चेव थावच्चापुत्त(दारग)स्स निक्खमणमणुमन्नित्था (णवरं निक्खमणाभिसेयं पासामो, तए णं से थावच्चापुत्ते तुसिणीए सचिठ्ठड) । तए णं सा थावच्चा आसणाओ अब्भुटेइ २ त्ता महत्थं महग्धं महरिहं रा(य)यारिहं पाहुडं गेण्हइ २ त्ता मित्त जाव संपरिघुडा जेणेव कण्हस्स वासुदेवस्स भवणवरपडिदुवारदेसभाए तेणेव उवागच्छइ २त्ता पडिहारदेसिएणं मग्गेणं जेणेव कण्हे बामुढेवे तेणेव उवागच्छइ २ ता करयल जाव वद्धावेइ २ ता तं महत्थं ४ पाहुडं उवणे. २ ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम एगे पुत्ते थावचापुत्ते नाम दारए इढे जाव (मेणं)संसारभउबिग्गे (भीए) इच्छइ अरहओ अरिहनेमिस्स जाव पव्वइत्तए । अहं णं निक्खमणसकारं करेमि । इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! थावच्चापुत्तस्स निक्खममाणस्स छत्तमउडचामराओ य विदिनाओ। तए णं कण्हे वासुदेवे थावचागाहावइणिं एवं वयासी-अच्छाहि णं तुमं देवाणुप्पिए । सुनिव्वु(या)यवीसत्था । अहं णं सयमेव थावच्चापुत्तस्स दारगस्स निक्खमणसकारं करिस्सामि । तए गं से कण्हे वासुदेवे चाउरगिणीए सेगाए विजयं हत्थिरयणं दुरुढे समाणे जेणेव थावच्चाए गाहावइणीए भवणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता थावच्चापुत्तं एवं वयासी-मा णं तु(मे)मं देवाणुप्पिया ! मुडे भवित्ता पव्वयाहि, भुंजाहि णं देवाणुप्पिया ! विउले माणुस्सए कामभो (ए)गे मम वाहुच्छायापरिग्गहिए, केवलं देवाणुप्पियस्स (अहं) नो संचाएमि वाउकायं उपरिमेणं गच्छमागं निवारित्तए, अन्ने ण देवाणुप्पियस्स जं किचि(वि) आवाह वा वि(वा)वाहं वा उप्पाएइ त सव्वं निवारेमि। तए णं से थावच्चापुत्ते कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ते समाणे कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-जड णं (तुम)देवाणुपिया ! मम जीवियंतकरणं मधु एजमाणं निवारेसि जरं वा सरीररूवाविणा (सि)सणि सरीरं अइवयमागि निवारेसि तएणं अहं तव बाहुच्छायापरिग्गहिए विउले माणुस्सए । कामभोगे भुंजमाणे विहरामि । तए णं से कण्हे वासुदेवे थावच्चापुत्तेणं एवं वुत्ते समाणे थावच्चापुत्तं एवं वयासी-एए णं देवाणुप्पिया । दुरइक्कमणिज्जा, नो खलु सक्का सुबलिएणावि देवेण वा दाणवेण वा निवारित्तए नन्नत्थ अप्पणो कम्मक्खएणं । तए णं से थावच्चापुत्ते कण्हं वासुदेवं एवं क्यासी-जइ णं एए दुरइकमणिज्जा नो खलु सक्का सुबलिएणावि देवेण वा दाणवेण वा निवारित्तए नन्नत्थ अप्पणो कम्मक्खएणं तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया! अन्नाणमिच्छत्तअविरइकसायसचियस्स अत्तणो कम्मक्खयं करित्तए। तएणं से कण्हे वासुदेवे थावच्चापुत्तेणं एवं वुत्ते समाणे कोडंवियपुरिसे सहावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं देवाणुप्पिया ! बारवईए नयरीए सिंघाडगति(य)ग जाव पहेसु (य) हत्थिखंधवरगया महया २ सदेणं उग्घोसेमाणा Page #1048 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९९६ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ २ उग्घोसणं करेह-एवं खलु देवाणुपिया! थावच्चापुत्ते संसारभउद्विग्गे भीए जम्मणमरणाणं इच्छइ अरहओ अरिहनेमिस्स अंतिए मुंडे भवित्ता पव्वइत्तए, तं जो खलु देवाणुप्पिया ! राया वा जुवराया वा देवी वा कुमारे वा ईसरे वा तलवरे वा कोडुवियमाडंवियइन्भसेद्विसेणावइसत्यवाहे वा थावचापुत्तं पव्वयतमणुपव्वयइ तस्स ण कण्हे वासुदेवे अणुजाणइ पच्छाउरस्स वि य से मिननाइनियगसंबंधिपरिजणस्स जोग(खे क्खेम वट्टमाणं पडिवहइ-त्तिकट्ठ घोसणं घोसेह जीव घोसति । तए णं थावच्चापुत्तस्स अणुराएणं पुरिससहस्सं निक्खमणाभिमुहं ण्हायं सव्वा लंकारविभूसियं पत्तेयं २ पुरिससहस्सवाहिणीसु सिवियातु दुरूढं समाणं मित्तनाइपरिवुडं थादचापुत्तस्स अंतियं पाउन्भूयं । तए णं से कण्हे वासुदेवे पुरिससहस्तं अंतियं पाउन्भवमाणं पासइ २त्ता कोडंवियपुरिसे सहावेइ २ त्ता एवं क्यासी-जहा मेहस्स निक्खमणाभिसेओ तहेव सेयापीएहिं कलसेहिं पहावेइ जाव अरहओ अरिठ्ठनेमिस्स छत्ताइच्छत्तं पडागाइपडागं पास (न्ति)इ २ त्ता विजाहरचारणे जाव पासित्ता सी(सिवि) याओ पच्चोरुहइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे थावच्चापुत्तं पुरओ काउं जेणेव अ(रि)रहा अरिट्ठनेमी सव्वं तं चेव जाव आभर(णमल्लालंकार)णं ओमुयइ । तए गं सा थावचा गाहावइणी हंसलक्खणेणं पड(ग)साडएणं आभरणमल्लालंका(रे)रं पडिच्छइ हारवारिधा(र)राछिन्नमुत्तावलिप्पगासाइं अंसूणि विणि (म)मुंचमाणी २ एवं वयासी-जइयव्वं जाया ! घडियव्वं जाया! प(रि)रक्कमियव्वं जाया ! अस्सि च णं अढे नो पमाएयव्वं । जामेव दिसिं पाउभूया तामेव दिसिं पडिगया। तए णं से थावच्चापुत्ते पुरिससहस्से (हिं)णं सद्धि सयमेव पंचमुहियं लोयं करेइ जाव पव्वइए । तए णं से थावचापुत्ते अणगारे जाए इरियासमिए भासासमिए जाव विहरइ । तए णं से थावच्चापुत्ते अरहओ अरिहनेमिस्स तहारूवागं थेराणं अंतिए सामाइयमाझ्याई (इकारस अंगाई) चोदसपुव्वाइं अहिज्जइ २ त्ता वहहिं जाव चउत्येणं विहरइ । तए ण अ(रि)रहा अरिहनेमी थावच्चापुत्तस्स अणगारस्स तं इभाइयं अणगारसहस्स सीसत्ताए दलयइ । तए णं से थावच्चापुत्ते अन्नया कयाई अरहं अरिहनेमि वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते! तुमहिं अव्भणुन्नाए समाणे अणगारसहस्सेणं सद्धिं वहिया जणवयविहारं विहरित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया !! तए णं से यावच्चापुत्ते अणगारसहस्सेणं सद्धिं तेणं उरालेणं उ(द)ग्गेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं वहिया जणवयविहारं विहरइ ॥६१॥ तेणं कालेणं तेण समएणं सेलगपुर नाम नग(र)रे होत्या । सुभूमिभागे उजाणे । सेलए राया पउमावई देवी मंडुए कुमारे जुवराया । तस्स णं सेलगस्स पथगपामोक्खा (ग) पंच मंतिसया Page #1049 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० भ० ५]. सुत्तागमे होत्या उत्पत्तियाए ४ (चउन्विहाए बुद्धीए) उवया (रजधुरचिंतयावि होत्था) रजधुरं चिंतयंति । (तए णं) थावच्चापुत्ते (णाम अणगारे सहस्सेणं अणगारेणं सद्धि जेणेव) सेलगपुरे (जेणेव सुभूमिभागे नाम उजाणे तेणेव) समोसढे । राया निग्गए (धम्मो कहिओ) धम्मकहा। धम्मं सोचा जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए वहवे उग्गा भोगा जाव चइत्ता हिरण्णं जाव पव्वइया तहा णं अहं नो सचाएमि पव्वइत्तए । अहं णं देवाणुप्पियागं अंतिए पंचाणुव्वइयं जाव समणोवाम ए जा(व)ए अहिगयजीवाजीवे जाव अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । पंथगपामोक्खा पंच मंतिसया य ममगोवासया जाया । थावचापुत्ते वहिया जणव विहारं विहरइ । तेणं कालेणं तणं समएणं सोगंधिया नाम नयरी होत्या वग्णओ । नीलासोए उज्जाणे वण्णओ। तत्य णं सोगंधियाए नयरीए सुदंसणे नामं नयरसेट्ठी परिवसइ अड्ढे जाव अपरिभूए। तेणं कालेणं तेणं समएणं सुए नाम परिव्वायए होत्या रिउव्वेयज(उ)जुम्वेयसामवे. यअथव्वणवेयसद्वितंतकुसले संखसमए लढे पंच(जा)जमपंचनियमजुत्तं सोयमू. (लयं)लं दसप्पयार परिव्वायगधम्मं दाणधम्मं च सोयधम्मं च तित्थाभिसेय च आघवेमाणे पन्नवेमाणे (परूवेमाणे) धाउरत्तवत्थपवरपरिहिए तिदंडकुंडियछत्तछन्ना(लि)लयअंकुमपवित्तयके सरिहत्यगए परिव्वायगसहस्सेणं सद्धिं सपरिचुडे जेणेव सोगंधिया नयरी जेणेव परिव्वायगावसहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता परिव्वायगावसहंसि भंडगनिक्खेवं करेइ २ त्ता संखसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं सोगंधियाए नगरीए सिंघाडग जाव बहुजगो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ-एवं खलु मुए परिव्वायए इह(हव्व)मागए जाव विहरइ । परिसा निग्गया। सुदंसणो वि निग्गए। तए णं से सुए परिव्वायए तीसे परिसाए सुदंसणस्स (य) अन्नसिं च वहणं संखाणं (धम्म) परिकहेइ-एवं खलु सुदंसणा | अम्हं सोयमूलए धम्मे पन्नत्ते । से वि य सोए (धम्मे) दुविहे पन्नत्ते तंजहा-दव्वसोए य भावसोए य । दव्वसोए य उदएणं मट्टियाए य । भावसोए दन्भेहि य मंतेहि य । ज णं अम्हं देवाणुप्पिया ! किंचि असुई भवइ तं सव्वं स(जोजपुढवीए आलि(प्पइ)म्पइ तओ पच्छा सुद्धण वारिणा पक्खालिज्जइ तओ तं असुई सुई भवइ । एवं खलु जीवा जलाभिसेयपूयप्पाणो अविग्घेणं सग्गं गच्छंति । तए णं से सुदंसणे सुयस्स अंतिए धम्मं सोचा हट्ठे सुयस्म अंतियं सोयमूलयं धम्मं गेण्हइ २ त्ता परिव्वायए विउलेणं असणेणं ४ वत्थ० पडिलाभेमाणे जाव विहरइ । तए णं से सुए परिव्वाय(गवसहाओ)गे सोगंधियाओ नयरीओ निग्गच्छइ २ त्ता वहिया जणवयविहारं विहरइ । तेणं कालेणं तेगं समएणं (यावच्चापुत्ते णाम अणगारे सहस्सेणं अणगारेणं सद्धिं पुव्वाणुपुट्विं चरमाणे गामाणु Page #1050 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९९८ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ गामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव सोगंधिया णयरी जेणेव णीलासोए उजाणे तेणेव समोसढे) थावच्चापुत्तस्स समोसरणं । परिसा निग्गया। सुदंसणो वि निग्ग(ए)ओ थावच्चापुत्तं (नाम अणगारं आ०) वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-तुम्हाणं किमूलए धम्मे पन्नत्ते ? । तए णं [से] थावचापुत्ते सुदंसणेणं एवं वुत्ते समाणे सुदंसणं एवं वयासी-सुदंसणा! विणयमूले धम्मे पन्चत्ते । से विय विणए दुविहे पन्नत्ते तंजहाअगारविणए(य) अणगारविणए य । तत्थ णं जे से अगारविणए से णं पंच अणुव्वयाई सत्त सिक्खावयाई एक्कारस उवासगपंडिमाओ। तत्थ णं जे से अणगारविणए से णं पंच महव्वयाइं तंजहा-सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं सव्वाओ मुसावायाओ वेरमणं सव्वाओ अदिन्नादाणाओ वेरमणं सव्वाओ मेहुणाओ वेरमणं सव्वाओ परिग्गहाओ वेरमणं सव्वाओ राइभोयणाओ वेरमणं जाव मिच्छादसणसल्लाओ वेरमणं दसविहे पचक्खाणे बारस भिक्खुपडिमाओ इच्चेएणं दुविहेणं विणयमूलएणं धम्मेणं आणुपुव्वेणं अट्ठकम्मपगडीओ खवेत्ता लोयग्गपइट्ठा(णे)णा भवंति । तए णं थावच्चापुत्ते सुदंसणं एवं वयासी-तु(ब्भे)भं णं सुदंसणा! किमूलए धम्मे पन्नत्ते? अम्हाणं देवाणुप्पिया! सोयमू(ले)लए धम्मे पन्नत्ते जाव सरगं गच्छंति । तए णं थावच्चापुत्ते सुदंसणं एवं वयासी-सुदसणा! से जहानामए केइ पुरिसे एगं महं रुहिरकयं वत्थं रुहिरेण चेव धोवेजा तए णं सुदंसणा ! तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेण (चेव) पक्खालिज्जमाणस्स अत्थि काइ सोही ? नो इणढे समढे । एवामेव सुदंसणा! तुम्भंपि पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं नत्थि सोही जहा तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेणं चेव पक्खालिजमाणस्स नत्थि सोही । सुदंसणा ! से जहानामए केइ पुरिसे एगं महं रुहिरकयं वत्थं सजियाखारेणं अणुलिपइ २ त्ता पयणं आ(रु)रोहेइ २ त्ता उण्हं गाहेइ २ त्ता तओ पच्छा सुद्धेण वारिणा धोवेजा से नूणं सुदंसणा! तस्स रहिरकयस्स वत्थस्स सजियाखारेण अणुलित्तस्स पयणं आरोहियस्स उण्हं गाहियस्स सुद्धणं वारिणा पक्खालिज्जमाणस्स सोही भवइ ? हंता भवइ । एवामेव सुदंसणा! अम्हंपि पाणाइवायवेरमणेण जाव मिच्छादसणसल्लवेरमणेणं अत्थि सोही जहा(वि) वा तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स जाव सुद्धेणं वारिणा पक्खालिज्जमाणस्स अत्यि सोही । तत्थ णं (से) सुदंसणे संबुद्धे थावच्चापुत्तं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! धम्मं सोचा जाणित्तए जाव समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलाभेमाणे विहरइ । तए ण तस्स सुयस्स परिव्वायगस्स इमीसे कहाए लट्ठस्स समागस्स अयमेयारूवे जाव समुप्पजित्था-एवं खलु नुदंसणेणं सोयधम्मं विप्पजहाय विणयमूले धम्मे पडिवन्ने । तं सेयं खलु मम Page #1051 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ० ५] सुत्तागमे ९९९ सुदंसणस्स दिहिँ वामेत्तए पुणरवि सोयमूलए धम्मे आघवित्तए-त्तिकट्ठ एव संपेहेइ २ त्ता परिव्वायगसहस्सेणं सद्धिं जेणेव सोगंधिया नयरी जेणेव परिव्वायगावसहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता परिव्वायगावसहंसि भंडनिक्खेवं करेइ २ त्ता धाउरत्तवस्थ[पवर]परिहिए पविरलपरिव्वायगेणं सद्धिं संपरिवुडे परिव्वायगावसहाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता सोगंधियाए नयरीए मज्झंमज्झेणं जेणेव सुदंसणस्स गिहे जेणेव सुदंसणे तेणेव उवागच्छइ । तए णं से सुदंसणे तं सुयं एजमाणं पासइ २ त्ता नो अन्भुढेइ नो पञ्चुग्गच्छइ नो आढाइ नो परियाणाइ नो वदइ तुसिणीए संचिठ्ठइ । तए णं से सुए परिव्वायए सुदंसणं अ(ण)णुभुढ़ियं पासित्ता एवं वयासी-तु(म)व्भे णं सुदंसणा ! अन्नया ममं एजमाणं पासित्ता अव्भुढेसि जाव वंदसि, इयाणि सुदंसणा! नुमं ममं एजमाणं पासित्ता जाव नो वंदसि, तं कस्स णं तुमे सुदंसणा ! इमेयारूवे विणयमू(ल)ले धम्मे पडिवन्ने ? । तए णं से सुदंसणे सुएणं परिव्वाय(ए)गेणं एवं वुत्ते समाणे आसणाओ अव्भुट्टेइ २ त्ता करयल जाव सुयं परिव्वायगं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अरहओ अरिट्ठनेमिस्स अंतेवासी थावच्चापुत्ते नामं अणगारे जाव इहमागए इह चेव नीलासोए उजाणे विहरइ, तस्स णं अंतिए विणयमूले धम्मे पडिवन्ने । तए णं से सुए (परिव्वायए) सुदंसणं एवं वयासी-तं गच्छामो णं सुदंसणा! तव धम्मायरियस्स थावच्चापुत्तस्स अंतियं पाउब्भवामो इमाइं च णं एयारूवाइं अट्ठाई हेऊइं पसिणाई कारणाइं वागरणाइं पुच्छामो। तं जइ(णं) मे से इमाइं अट्ठाइं जाव वागरइ त(ए)ओ णं (अहं) वंदामि नमसामि । अह मे से इमाइं अट्ठाइं जाव नो से वागरेइ तओ णं अहं एएहिं चेव अढेहि हेऊहिं निप्पट्टपसिणवागरणं करिस्सामि । तए णं से सुए परिव्वायगसहस्सेणं मुदसणेण य सेट्ठिणा सद्धि जेणेव नीलासोए उजाणे जेणेव थावचापुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता थावच्चापुत्तं एवं वयासी-जत्ता ते । मंते ! जवणिज ते अव्वावाह (पि ते) फासु(यं)यविहारं(ते) । तए णं से थावच्चापुत्ते मुएणं (परिव्वायगेणं) एवं वुत्ते समाणे सुयं परिव्वायगं एव वयासी-सुया । जत्तावि मे 'जवणिज्जपि मे अव्वावाहंपि मे फासु(य)विहारंपि मे। तएणं (से) सुए थावच्चापुत्तं एवं वयासी-कि भंते ! जत्ता ? सुया । जंणं मम नाणदंसणचरित्ततवसंजममाइएहिं जोएहि जो(ज)यणा से तं जत्ता । से कि तं भंते ! जवणिजं ? सुया ! जवणिजे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-इंदियजवणिज्जे य नोइंदियजवणिजे य । से कि तं इंदियजवणिज ? सुया ! जंणं म(म)मं सोइंदियचक्खिदियघाणिदियजिभिदियफासिंदियाई निरुवहयाई वसे वटंति से तं इंदियजवणि(ज)ज्जे । से किं तं नोइंदियजवणिजे ? मुया ! ज णं कोहमाणमायालोभा खीणा उवसंता नो उदयंति से तं नोइंदियजवणिज्ने । से कि तं भंते ! Page #1052 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ अव्वाबाहं ? सुया । जं णं मम वाइयपित्तियसिभियसन्निवाइया विविहारोगायंका नो उदीरेंति से तं अव्वावाहं । से कि तं भंते ! फासुयविहारं ? सुया ! जंणं आरामेमु उजाणेसु दे(व) उलेसु सभासु प(व्वा)वासु इत्थीपसुपंडगविवज्जियासु वसहीसु पाडिहारियं पीढफलगसेज्जासंथारयं ओगिण्हित्ताणं विहरामि से तं फासुयविहारं । सरिसवया(ते) भंते ! किं भक्खेया अभक्खेया ? सुया! सरिसवया भक्खेयावि अभक्खेयावि । से केणढेगं भंते ! एवं वुच्चइ सरिसवया भक्खेयावि अभक्खेयावि ? सुया । सरिसवया दुविहा पन्नत्ता तंजहा -मित्तसरिसवया य धनसरिसवया य । तत्थ णं जे ते मित्तसरिसवया ते तिविहा पन्नत्ता तंजहा-सहजायया सहवड्डियया सहपंसुकीलि(य)या य, ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया । तत्थ णं जे ते धन्नसरिसवया ते दुविहा पन्नत्ता तंजहा-सत्थपरिणया य असत्थपरिणया य । तत्थ णं जे ते असत्थपरिणया ते समणांणं निग्गथाणं अभक्खेया। तत्थ ण जे ते सत्थपरिणया ते दुविहा पन्नत्ता तंजहा-फासु(गा)या य अफासुया य । अफासुया णं सुया ! नो भक्खेया। तत्थ ण जे ते फासुया ते दुविहा पन्नत्ता तंजहा-जाइया य अजाइया य । तत्थ णं जे ते अजाइया ते अभक्खेया । तत्थ णं जे ते जाइया ते दुविहा पन्नत्ता तंजहा-एसणिजा य अणेसणिजा य । तत्थ णं जे ते अणेसणिजा ते (णं) अभक्खेया। तत्थ णं जे ते एसणिजा ते दुविहा पन्नत्ता तंजहा-लद्धा य अलद्धा य । तत्य णं जे ते अलद्धा ते अभक्खेया। तत्थ णं जे ते लद्धा ते निग्गंथाणं भक्खेया। एएणं अटेणं सुया ! एवं वुच्चइ सरिसवया भक्खेयावि अभक्खेयावि । एवं कुलत्थावि भाणियव्वा नव(रि)रं इमं नाणत्तं-इत्थिकुलत्या य धन्नकुलत्था य । इत्थिकुलत्था तिविहा पन्नत्ता तंजहा-कुलव(हु)हूया य कुलमाउया इय कुलधूया इ य । धन्नकुलत्था तहेव । एवं मासा वि नवर इमं नाणत्तं-मासा तिविहा पन्नत्ता तंजहा-कालमासा य अत्यमासा य धन्नमासा य । तत्थ णं जे ते कालमासा तेणं दुवालसविहा पन्नत्ता तंजहासावणे जाव आसाढे, ते णं [समणाणं २] अभक्खेया। अस्थमासा दुविहा प० तं०-रुप्प(हिरण्ण)मासा य सुवण्णमासा य, ते ण अभक्खेया। धन्नमासा तहेव । एगे भवं दुवे भवं अणेगे भवं अक्खए भवं अव्वए भवं अवट्ठिए भवं अणेगभूयभावभविएवि भवं ? सुया ! एगेवि अहं दुवेवि अहं जाव अणेगभूयभावभविएवि अहं । से केणटेणं भंते ! एगेवि अहं जाव सुया । दव्वट्ठयाए एगे वि] अहं नाणदसणठ्याए दुवेवि अहं पएसट्टयाए अक्खएवि अहं अव्वएवि अहं अवट्ठिएवि अहं उवओगठ्याए अणेगभूयभावभविएवि अहं । एत्थ णं से सुए सवुद्धे थावच्चापुत्तं वंदइ नमंसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-इच्छामि गं भंते ! तु(ब्भे)ब्भं अंतिए केवलिपन्नत्तं Page #1053 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु. १ म०५] सुत्तागमे १००१ धम्म निसामित्तए । धम्मकहा भाणियव्वा । तए णं से सुए परिव्वायए थावच्चापुत्तस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! परिव्वायगसहस्सेगं सद्धिं संपरिवुडे देवाणुप्पियाणं अंतिए मुडे भवित्ता पव्वइत्तए। अहासुहं देवाणुप्पिया! जाव उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए ति(ड)दंडयं जाव धाउरत्ताओ य एगते एडेइ २ ता सयमेव सिहं उप्पाडेइ २ त्ता जेणेव थावच्चापुत्ते २ तेणेव उवागच्छइ जाव मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए सामाइयमाइयाइं (इकारस अंगाइ) चोदसपुव्वाइं अहिजइ । तए णं थावचापुत्ते सुयस्स अणगार (स्म) सहस्सं सीसत्ताए वियरइ । तए णं थावच्चापुत्ते सोगंधियाओ (नयरीओ) नीलासोयाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता बहिया जणवयविहार विहरड । तएणं से थावच्चापुत्ते अणगारसहस्सेणं सद्धिं संपरिवुडे जेणेव पुंडरी(ए)यपव्वए तेणेव उवागच्छइ २ ता पुंडरीयं पव्वयं सणियं २ दुलहइ २ त्ता मेघघगसन्निगासं देवसन्निवायं पुढविसिलापट्टयं जाव पाओवगमगं (कए)णुवण्णे । नए णं से थावच्चापुत्ते वहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए सहि भत्ताइं अणसणाए जाव केवलवरनाणदसणं समुप्पाडेत्ता तओ पच्छा सिद्धे जाव प्पहीणे ॥६२॥ तए णं से सुए अन्नया कयाइ जेणेव सेलगपुरे नगरे जेणेव सुभूमिभागे उजाणे (समोसरणं) तेणेव समोसरिए परिसा निग्गया सेलओ निग्गच्छइ धम्म सोचा जं नवरं देवाणुप्पिया! पंथगपामोक्खाइं पंच मंतिसयाइं आपुच्छामि मंडयं च कुमारं रज्जे ठावेमि तओ पच्छा देवाणुप्पियाणं अन्तिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वयामि । अहासुहं । तए णं से सेलए राया सेलगपुरं नगरं अणुप्पविसइ २त्ता जेणेव सए गिहे जेणेव वाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सीहास(णं)णे सन्निसण्णे। तए णं से सेलए राया पंथ(य)गपामोक्खे पंच मंतिसए सद्दावेइ २त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए सुयस्स अंतिए धम्मे निसते से वि य मे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए, अहं णं देवाणुप्पिया! संसारभ(य)उबिग्गे 'जाव पव्वयामि, तुम्भे ण देवाणुप्पिया ! कि करेह कि व(से)वसह किं वा (ते) भे हियइच्छिए सामत्थे ? । तए णं ते पंथगपामोक्खा सेलगं रायं एवं वयासी-जइ णं तुम्भे देवाणुप्पिया! संसार जाव पव्वयह अम्हाणं देवाणुप्पिया! (किमण्णे)को अन्ने आधारे वा आलंबे वा अम्हे वि य णं देवाणुप्पिया! संसारभउव्विग्गा जाव पव्वयामो, जहा णं देवाणुप्पिया! अम्हं बहुसु कजेसु य कारणेसु य जाव तहा णं पव्वइयाण वि समाणाण वहूसु जाव चक्खुभूए । तए णं से सेलगे पंथगपामोक्खे पंच मंतिसए एवं वयासी-जइ णं तुब्भे देवाणुप्पिया! संसार जाव पव्वयह तं गच्छह णं देवाणुप्पिया! सएसु २ कुटुंबेसु जे(४)पुत्ते कुटुंबमज्झे ठावेत्ता Page #1054 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १००२ [णायाधम्मकहाओ पुरिससहस्सवाहिणी या]ओसीयाओ दुरुढा समाणा ममअंतियं पाउन्भवह(त्ति)।तेवि तहेव पाउन्भवति । तए णं से सेलए राया पंच मंतिसयाई पाउम्भवमाणाइं पासइ २ त्ता हद्वतुट्ठ कोडुबियपुरिसे.सदावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! मंड्डयस्त कुमारस्स महत्थं जाव रायाभिसेयं उवट्ठवेह जाव अभिसिंचइ जाव राया जाए (जाव) विहरइ । तए णं से सेलए मंडुयं रायं आपुच्छइ । तए णं (से) मंडुए राया कोडवियपुरिसे सदावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव सेलगपुरं नयरं आसिय जाव गंधवट्टिभूयं करेह (य) कारवेह य क० २ त्ता ए(य)वमाणत्तियं पञ्चप्पिणह । तए णं से मंडुए दोचपि कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव सेलगस्स रन्नो महत्थं जाव निक्खमणाभिसेयं जहेव मेहस्स तहेव नवरं पउमावई-देवी अग्गकेसे पडिच्छइ सव्वेवि पडिग्गहं गहाय सीयं दुल्हंति अवसेसं तहेव जाव सामाइयमाझ्याइं एकारस अंगाई अहिज्जइ २ त्ता वहूहिं चउत्थ जाव विहरइ । तए णं से सुए सेल(योगस्म अणगारस्स ताई पंथगपामोक्खाइं पंच अणगारसयाई सीसत्ताए वियरइ । तए णं ने मुए अन्नया कयाइं सेलगपुराओ नगराओ सुभूमिभागाओ उजाणाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता वहिया जगवयविहारं विहरइ । तए णं से सुए अणगारे अन्नया कयाइ तेण अणगारसहस्सेणं सद्धिं संपरिचुडे पुव्वाणुपुचि चरमाणे गामाणुगामं विहरमाणे जेणेव पुं(पों)डरीयपन्वए तेणेव उवागच्छइ जाव सिद्धे ॥ ६३ ॥ तए णं तस्स सेलगस्स रायरिसिस्स तेहिं अंतेहि य पंतेहि य तुच्छेहि य लहेहि य अरसेहि य विरसेहि य सीएहि य 'उण्हेहि य कालाइकंतेहिं य पमाणाइकंतेहि य निचं पाणभोयणेहि य पयड. मुकुमाल(य)स्स य सुहोचियस्स सरीरगंसि वेयणा पाउन्भूया उज्जला जाव दुरहियासा कंड(योदाहपित्तज्जरपरिगयसरीरे यावि विहरइ । तए णं से सेलए तेणं रो(गा)यायंकेणं नु(क)क्खे जाए यावि होत्या । तए णं से] सेलए अन्नया कयाई पुवाणुपुचि चरमाणे जाव जेणेव सुभूमिभागे जाव विहरइ । परिसा निग्गया मंडओऽवि निग्गओ सेल(य)गं अणगारं (जाव) वंदइ जाव पज्जुवासइ । तए णं से मंडए राया सेलगस्स अणगारस्स सरीर(योगं सुकं जाव सव्वाबाहं सरोगं पासइ २ त्ता एवं वयासी-अहं णं भंते! तुम अहाप(वि)वत्तेहिं तिगिच्छिएहिं अहापवत्तेणं ओसहभेस (ब्जेणं)जभत्तपाणेणं तिगिच्छ आउंटावेमि । तुव्भे णं मंते ! मम जाणसालामु समोसरह फासु(अं)एसणिजं पीढफलगसेज्जासंथारगं ओगिण्हित्तागं विहरह । तए णं से सेलए अणगारे मंडुयस्स रन्नो एयमदं तहत्ति पडिमुणेइ । तए णं से मंडए सेलगं वंदइ नमंनड वं० २ ना जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसि पडिगए । तए णं से सेलएकलं जाव जलंते समंदमत्तोवगरणमायाए पंथगपामोक्खेहिं पंचहि अणगारसएहिं Page #1055 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ० ५] सुत्तागमे १००३ सद्धिं सेलगपुरमणुप्पविसइ २ त्ता जेणेव मंडुयस्स जाणसाला तेणेव उवागच्छइ २त्ता फाय पीढ जाव विहरड। तए णं से मंडुए (राया) ति(चि)गिच्छिए सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-नुत्भे गं देवाणुप्पिया ! सेलगस्स फासुएसणिजेणं जाव ति(ते)गिच्छं आ(उद्दे)उंटेह । तए णं तिगिच्छया मंडुएणं रन्ना एवं वुत्ता समाणा हट्ठा सेलगस्स (रायरिसिस्स) अहापवत्तेहिं ओसहभेसज्जभत्तपाणेहिं तिगिच्छं आउठेति । तए णं तरस सेलगस्स अहापवत्तेहिं ओसहमेसज्जभत्तपाणेहिं से रोगायके उवसंते जाए यावि होत्था हटे (जाव) वलियसरीरे जाए ववगयरोगायंके । तए णं से सेलए तंसि रोयातंकसि उवसंतंसि समाणंसि तंसि विपुलंसि असणंसि ४ मुच्छिए गढिए गिद्धे अज्झोववने ओसन्ने ओसन्नविहारी एवं पासत्थे २ कुसीले २ पमत्ते २ ससत्ते २ उउवद्धपीठफलगसेज्जासंथारए पमत्ते यावि विहरइ नो संचाएइ फासुएसणिज्ज पीढं पञ्चप्पिणित्ता मंडुयं च रायं आपुच्छित्ता वहिया जाव विहरित्तए॥६४॥ तए णं तेसिं पंथगवजाणं पंचण्हं अणगारसयाणं अन्नया कयाइ एगयओ सहियाणं जाव पुन्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणाणं अयमेयारूवे अज्झ थिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु सेलए रायरिसी चइत्ता र जाव पव्वइए विउले (णं) असणे ४ मुच्छिए ४ नो सचाएइ चइउं जाव विहरित्तए । नो खलु कप्पइ देवाणुप्पिया । समणाणं जाव पमत्ताणं विहरित्तए । तं सेयं खलु देवाणुप्पिया । अम्हं कलं सेलगं रायरिसिं आपुच्छित्ता पाडिहारियं पीढफलगसेज्जासंथार(ग)यं पञ्चप्पिणित्ता सेलगस्स अणगारस्स पंथयं अणगारं वेयावच्चकर ठा(ठ)वेत्ता बहिया अन्भुजएणं जाव विहरित्तए । एवं संपेहेंति २ त्ता कल्लं जेणेव सेल(ए)गरायरिसी० आपुच्छित्ता पाडिहारियं पीढफलग जाव पञ्चप्पिणंति २ ता पंथयं अणगारं वेयावच्चकरं ठावेंति २ त्ता बहिया जाव विहरति॥६५॥ तए णं से पंथए सेलगस्स सेज्जासंथारउच्चारपासवणखेल्लसिंघाणमलाओ ओसहभेसजभत्तपाणएणं अगिलाए विणएणं वेयावडियं करेइ । तए णं से सेलए अन्नया कयाइ कत्तियचाउम्मासियंसि विउलं असणं ४ आहारमाहारिए युवावरण्हकालसमयंसि सुहप्पसुत्ते । तए णं से पंथए कत्तियचाउम्मासियंसि कयकाउस्सग्गे देवसियं पडिकमणं पडिकंते चाउम्मासियं पडिक्कमि(उ)उकामे सेलगं रायरिसिं खामणठ्ठयाए सीसेणं पाएसु संघटेइ । तए णं से सेलए पंथएणं सीसेणं पाएसु संघट्टिए समाणे आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे उठेइ २ त्ता एवं वयासी-से केस णं भो एस अपत्थियपत्थिए जाव वजिए जे णं ममं सुहपसुत्तं पाएसु संघट्टेइ , तए णं से पंथए सेलएणं एवं वुत्ते समाणे भीए तत्थे तसिए करयल जाव कट्ठ एवं वयासीअहं णं भंते ! पंथए कयकाउस्सग्गे देवसियं पडिक्कमणं पडिकंते (चाउम्मासियं Page #1056 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००४ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ पडिकते) चाउम्मासियं खामेमाणे देवाणुप्पियं वंदमाणे सीसेणं पाएसु संघटेमि । तं खामेमि णं तुम्भे देवाणुप्पिया! खमन्तु मे अवराहं तुमं गं देवाणुप्पिया ! नाइभुजो एवं करणयाए–त्तिकटु सेलयं अणगारं एयमढें सम्मं विणएणं भुजो २ खामेइ । तए णं तस्स सेलगस्स रायरिसिस्स पंथएणं एवं वुत्तस्स अयभेयास्वे जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं रजं च जाव ओसन्नो जाव उउवद्धपीड० विहरामि । तं नो खलु कप्पइ समगाणं २ पासत्थाणं जाव विहरित्तए । तं सेयं खलु मे कल मंडुयं रायं आपुच्छित्ता पाडिहारियं पीढफलगसेज्जासंथारगं पचप्पिणित्ता पंथएणं अणगारेणं सद्धिं वहिया अभुजएणं जाव जगवयविहारेणं विहरित्तए। एवं संपेहेइ २ त्ता कळं जाव विहरइ ।। ६६ ॥ एवामेव समगाउसो! जाव निग्गंथो वा २ ओसन्ने जाव संथारए पमत्ते विहरइ से णं इहलोए चेव वहणं समगाणं ४ हीलणिज्ज संसारो भाणियव्वो। तए णं ते पंथगवज्जा पंच अणगारसया इमीसे कहाए लट्ठा समाणा अन्नमन्नं सदावेंति २ त्ता एवं वयासी-[एवं खलु] सेलए रायरिसी पंथएणं वहिया जाव विहरइ । तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं सेलगं [रायरिसिं] उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । एवं संपेहेंति २ त्ता सेलगं रायरिसिं उवसंपजिनाणं विहरति ॥ ६७ ॥ तए णं (ते सेलयपामोक्खा) से सेलए रायरिसी पंथगपामोक्खा पंच अणगारसया वहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता जेणेव पुंडरीयपम्वए तेणेव उवागच्छति २ त्ता जहेव थावच्चापुत्ते तहेव सिद्धा ४ । एवामेव समगाउसो ! जो निग्गंथो वा २ जाव विहरिस्सइ । एवं खलु जंवू । समणेणं भगवया महावीरेगं जाव संपत्तेणं पंचमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते त्तिवेमि ॥ ६८ ॥ गाहा-सिढिलियसंजमकजावि होइउं उज्जमंति जइ पच्छा । संवेगाओ तो लउव्व आराहया होति ॥ १ ॥ पंचमं नायज्झयणं समत्तं ॥ जइ णं भंते ! समणेणं ३ जाव संपत्तेणं पंचमस्स नायज्ञयणस्स अयमढे पन्नत्ते छहस्स णं भंते ! नायज्ञयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पन्नत्ते 2 एवं खलु जंबू । तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे (णाम णयरे होत्या, तत्थ णं रायगिहे गयरे सेणिए नामं राया होत्या, तस्स णं रायगिहस्स वहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीमाए एत्य णं गुगसिलए णामं उजाणे होत्था, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुट्विं चरमाणे जाव जेणेव रायगिहे णयरे जेणेव गुणसिलए उजाणे तेणेव समोसढे अहापडिलवं उग्गहं उग्गिमिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ) समोसरणं परिसा निग्गया (सेणिओ वि णिग्गओ धम्मो कहिओ परिसा पडिगया)। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स Page #1057 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु. ६ भ०७] सुत्तागमे १००५ जेट्टे अंतेवासी इंदभूई नामं अणगारे अदूरसामंते जाव सुक्कज्झाणोवगए विहरइ । तए णं से इंदभूई जायसढे जाव एवं वयासी-कहं णं भंते ! जीवा ग(गु)रुयत्तं वा लहुयत्तं वा हन्धमागच्छंति ? गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे एगं महं सुकं तुंवं निच्छि(8)ई निरुवयं दध्मे (हिं)हि य कुसेहि य वेढेइ २ त्ता मट्टियालेवेणं लिपइ २ त्ता उण्हे दलयइ २ त्ता सुवं समाणं दोचंपि दभेहि य कुसेहि य वेढेइ २ त्ता महियालेवेणं लिपइ २ त्ता उण्हे दलयइ २ ता सु(क)क्के समा(ण)णे तच्चपि दव्मेहि य कुसेहि य वेढेइ २ त्ता महियालेवेणं लिंपइ । एवं खलु एएणं उवाएणं (सत्तरत्तं) अंतरा वेढेमाणे अंतरा लिप्प(लिंपे)माणे अतरा सु(क)कावेमाणे जाव अहि महियालेवेहि आलिंपइ २ त्ता अत्थाहमतारमपोरिसियंसि उदगंसि पक्खिवेजा। से नूणं गोयमा ! से तुंबे तेसिं अट्ठण्हं मट्टियालेवेगं गुरुययाए भारि(य)याए गुरुयभारिययाए उपि सलिलमइवइत्ता अहे धरणियलपाटाणे भवइ । एवामेव गोयमा । जीवावि पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं अणुपुत्वेणं अट्ठकम्मपगडीओ समजि(णंति)णित्ता तासिं गरुययाए भारिययाए गरुयभारिययाए (एवामेव) कालमासे कालं किचा धरणियलमइवइत्ता अहे नरगतलपडट्ठाणा भवंति । एवं खलु गोयमा । जीवा गुरुयत्तं वमागच्छंति । अहे गं गोयमा ! से तुंबे तंसि पढमिल्लुगंसि मट्टियालेवंसि तिन्नंसि कुहियंसि परिसडियंसि ईसिं धरणियलाओ उप्पइत्ताणं चिट्ठइ। तयाणंतरं (च णं) दोचपि मट्टियालेवे जाव उप्पइत्ताणं चिठ्ठइ । एवं खलु एएणं उवाएणं तेसु अट्टसु मट्टियालेवेसु तिनेसु जाव विमुक्कवंधणे अहे-धरणियलमइवइत्ता उप्पि सलिलतलपडट्ठाणे भवइ । एवामेव गोयमा ! जीवा पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छादसणसल्लवेरमणेणं अणुपुत्वेगं अट्ठकम्मपगडीओ खवेत्ता गगणतलमुप्पइत्ता उप्पि लोयग्गपइटाणा भवंति । एवं खलु गोयमा ! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छति । एवं खलु जंवू ! समणेणं जाव संपत्तेणं छट्ठस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते त्तिवेमि ॥ ६९ ॥ गाहाउ-जह मिउलेवालित्तं गरुयं तुंवं अहो वयइ एवं । आसवकयकम्मगुरू जीवा वचंति अहरगई ॥ १ ॥ तं चेव तब्विमुक्कं जलोवरिं ठाइ जायलहुभावं । जह तह कम्मविमुक्का लोयग्गपइट्ठिया होति ॥ २ ॥ छटुं नाय. ज्झयणं समत्तं ॥ __ जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं छहस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते सत्तमस्स णं भते ! नायज्झयणस्स के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था । (तत्थणं रायगिहे नयरे सेणिए नाम राया होत्था, तस्स णं रायगिहस्स नयरस्स बहिया उत्तरपुरिच्छमे दिसीभाए) Page #1058 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १००६ [णायाधम्मकहाओ सुभूमिभागे उजाणे (होत्था) । तत्य णं रायगिहे नयरे ध(णे)ण्णे नामं सत्यवाहे परिवसइ अढे जाव अपरिभूए । (तस्स णं धण्णस्स सत्यवाहरस) भद्दा (नाम) भारिया (होत्था) अहीगपंचिंदियसरीरा जाव सुस्वा । तस्य णं धगरम सत्यवाहस्स पुत्ता भद्दाए भारियाए अत्तया चत्तारि सत्यवाहदारगा होत्था तंजहा-धणपाले धणदेवे धणगोवे धणरक्खिए। तरस णं धण्णस्स सत्यवाहस्स च उण्हं पुनाणं भारियाओ चत्तारि सुण्हाओ होत्था तंजहा-उझिया भोगवइया रक्वझ्या रोहिणिया । तए णं तस्स धण्णस्स सत्यवाहस्स अन्नया कयाई पुव्वरनावरत्तकाल. समयंसि इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु अहं रायगिहे नयरे बहूणं राईसरतलवर जाव पभिईणं सयस्स कुडुंवरस वहूलु कन्जेसु य कारणे(करणिज्जे)सु य कोडंबेसु य मंतणेसु य गुज्झेसु रहस्सेतु निच्छएमु ववहारेसु य आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे मेढी पमा(णे)णं आहारे आलंबणे चक्खू मेढी-पमाणभूए सव्वकजव(ट्टा)ड्ढावए । त न नज्जइ(ज) णं मए गयंसि वा चुयंसि वा मयंसि वा भग्गंसि वा लुग्गंसि वा सडियंसि वा पडियंसि वा विदेस(त्यंसि)गयंसि व विप्प. वसियसि वा इमस्स कुर्भुवस्स(कि) के मन्ने आहारे वा आलंबे वा पडिबंधे वा भविस्सइ । तं सेयं खलु मम कलं जाव जलंते विपुलं असणं ४ उवक्खडावेत्ता मित्तनाइ० चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गं आमंतेत्ता तं मित्तनाइनियगसयण० चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गं विपुलेगं असणेणं ४ धूवपुप्फवत्थगंध जाव सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्तनाइ चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स (य) पुरओ चउण्हें सुण्हाणं परिक्खणट्ठयाए पंच २ सालिअक्खए दलइत्ता जाणामि ताव का कि(ह)ह वा सारक्खेइ वा संगोवेइ वा संवड्वेइ वा । एवं संपेहेइ २ त्ता कलं जाव मित्तनाइ० चउण्हं सुण्हाणं कुलघरवग्गं आमंतेइ २ त्ता विपुलं असणं ४ उवक्खडावेइ तओ पच्छा पहाए भोयणमंडवंसि सुहासणवरगए (तं) मित्तनाइ० चउण्ह य सुण्हाणं कुल. घरवग्गेणं सद्धि तं विपुलं असणं ४ जाव सकारेइ सम्माणेइ स० २ त्ता तस्सेव मित्तनाइ० चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स (य) पुरओ पंच सालिअक्खए गेण्हइ २ ता जे(ट्ठा)टं सु(हा)ण्हं उज्झिइ(या)यं (तं) सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-तुमं णं पुत्ता । मम हत्थाओ इमे पंच सालिअक्खए गेण्हाहि २ त्ता अणुपुव्वेगं सारक्खमाणी संगोवेमाणी विहराहि । जया णं अहं पुत्ता ! तुम इमे पंच सालिअक्खए जाएजा तया णं तुमं मम इमे पंच सालिअक्खए पडि(दि)नि जाएजासि-त्तिक? , सुण्हाए हत्थे.दलयइ २ त्ता पडिविसज्जेइ । तए णं सा उज्झिया धण्णस्स तह त्ति एयमढें पडिसुणेइ २ त्ता धण्णस्स सत्थवाहस्स हत्थाओ ते पंच सालिअक्खए Page #1059 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ अ०७] सुत्तागमे गेण्हइ २ त्ता एगंतमवकमइ एगंतमवकमियाए इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु तायाण कोट्ठागारंसि वहवे पल्ला सालीणं पडिपुण्णा चिटुंति, तं जया णं म(म)म ताओ इमे पंच सालिअक्खए जाए(स)सइ तया णं अहं पल्लंतराओ अन्ने पच सालिअक्खए गहाय दाहामि-त्तिकटु एवं संपेहेइ २ ता ते पंच सालिअक्खए एगंते एडेइ २ ता सकम्मसंजुत्ता जाया यावि होत्था । एवं भोगवइयाए वि नवरं सा छो(ले)लइ २ त्ता अणुगिलइ २ त्ता सकम्मसजुत्ता जाया यावि होत्था । एवं रक्खिया वि नवरं गेण्हइ २ ता इमेयारूवे अज्झथिए०-एवं खलु ममं ताओ इमस्स मिननाइ० चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स य पुरओ सद्दावेत्ता एवं वयासीतुमं णं पुत्ता ! मम हत्थाओ जाव पडिनिजाएजासि-त्तिकटु मम हत्थंसि पंच सालिअक्खए दलयइ, तं भवियव्वं एत्य कारणेणं-तिकट्ठ एवं संपेहेइ २ त्ता ते पंच सालिअक्खए सद्धे वत्थे बंधइ २ त्ता रयणकरंडियाए पक्खि(वे)वइ २ ता उ(ऊ)सीसामूले ठावेइ २ ता तिसंझं पडिजागरमाणी २ विहरइ । तए णं से धणे सत्थवाहे त(स्से)हेव मित्त जाव चउत्थि रोहिणीयं सुण्हं सद्दावेइ २ त्ता जाव तं भवियव्य एत्थ कारणेणं (तं) तिकट्ठ सेयं खलु मम एए पंच सालिअक्खए सारक्खमाणीए संगोवेमाणीए सवड्दमाणीए-त्तिकट्ठ एवं संपेहेइ २ त्ता कुलघरपुरिसे सदावेइ २ त्ता एवं वयासी-तुन्भे णं देवाणुप्पिया! एए पंच सालिअक्खए गेण्हह २ त्ता पढमपाउसंसि महाबुटिकायंसि निवइयंसि समाणसि खुट्टागं केयारं सुपरिकम्मियं करेह २ त्ता इमे पंच सालिअक्खए वावेह २त्ता दोचंपि तचंपि उक्खयनि(क्ख)हए करेह २ त्ता वाडिपक्खेवं करेह २ त्ता सारक्खमाणा संगोवेमाणा आणुपुव्वेण संवड्वेह । तए णं ते कोडुविया रोहिणीए एयमटुं पडिसुणेति (२ त्ता) ते पंच सालिअक्खए गण्हंति २ त्ता अणुपुव्वेणं सारक्खंति संगोविंति (विहरंति)। तए णं ते कोडविया पढमपाउसंसि महावुट्टिकायसि निवइयंसि समाणंसि खुट्टागं केयारं सुपरिकम्मियं करति २ ता ते पंच सालिअक्खए ववति २ ता दोचंपि तच्चपि उक्खयनिहाए करंति २ त्ता वाडिपरिक्खेवं करेंति २ ता अणुपुव्वेणं सारक्खेमाणा सगोवेमाणा सवढमाणा विहरति । तए णं ते साली (अक्खए) अणुपुव्वेणं सारक्खिजमाणा संगोविजमाणा संवडिजमाणा साला जाया किण्हा किण्होभासा जाव निउरंवभूया पासाईया ४ । तए णं ते साली पत्तिया वत्तिया गन्भिया पसू [s]या आगयगंधा खीराइया वद्धफला पक्का परियागया सलइया पत्तइया हरियपव्वकंडा जाया यावि होत्था । तए णं ते कोथुविया ते साली(ए) पत्तिए जाव सल्लड(ए)यपत्तइए जाणित्ता तिखेहि नवपज्जणएहिं असि(य)एहिं लुणंति २ त्ता करयलमलिए करेति २ त्ता Page #1060 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००८ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ पुणंति । तत्थ णं चोक्खाणं सू[इ]याणं अखंडाणं अ(फो)फुडियाणं छ(१)डछडापूयागं सालीणं मागहए पत्थए जाए । तए णं ते कोडेविया ते साली नवएसु घडएसु पक्खिवंति २ त्ता उ(पलिं)लिंपंति २ त्ता लछियमुदिए करेंति २ त्ता कोट्ठागारस्स एगदेसंसि ठावेंति २ त्ता सारक्खमाणा संगोवेमाणा विहरति । तए णं ते कोडंविया दोचंसि वासारत्तसि पढमपाउसंसि महावुट्टिकायंसि निवइयंसि खुड्डाग केयारं सुपरिकम्मियं करेंति २ त्ता ते साली ववंति दोचंपि (तचंपि) उक्खायणिहए जाव लुणंति जाव चलणतलमलिए- करेंति २ त्ता पुणंति । तत्थ णं सालीणं वहवे कुडवा जाव एगदेसंसि ठावेंति २ त्ता सारक्खेमाणा संगोवेमाणा विहरति । तए णं ते कोडेविया तच्चंसि वासारत्तंसि महावुट्टिकायंसि निवइयंसि वहवे केयारे सुपरिकम्मिए जाव लुणंति २ त्ता संवहति २ त्ता खलयं करेति २ त्ता मलेति जाव वहवे कुंभा जाया । तए णं ते कोडुबिया साली कोट्ठागारंसि प(क्खिोलेवंति जाव विहरंति । चउत्थे वासारत्ते वहवे कुंभसया जाया । तए णं तस्स घण्णस्स पंचमयंसि सवच्छरंसि परिणममाणसि पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु म(म)ए इओ अईए पंचमे सवच्छरे चउण्हं सुण्हाणं परिक्खणयाए ते पंच २ सालिअक्खया हत्थे दिन्ना, तं सेयं खलु मम कलं जाव जलंते पंच सालिअक्खए परिजाइनए जाव जाणामि(ताव)काए किहसारक्खियावा संगोविया वा संवड्डिया (जाव त्तिक) वा एवं संपेहेइ २त्ता कल जाव जलंते विपुलं असणं ४ मित्तनाइनियग० चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गं जाव सम्माणित्ता तस्सेव मित्त० चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स पुरओ जेट्टं उज्झि(य)यं सहावेइ २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु अहं पुत्ता । इओ अईए पंचमंसि संवच्छरंसि इमस्स मित्त० चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स य पुरओ तव हत्थंसि पंच सालिअक्खए दलयामि जया णं अहं पुत्ता ! एए पंच सालिअक्खए जाएज्जा तया णं तुम मम इमे पंच सालिअक्खए पडिनिज्जाएसि-त्तिकटु (तं हत्यसि दलयामि)। से नूणं पुत्ता ! अद्वे समढे ? हंता अस्थि । तं ण [तुमं] पुत्ता ! मम ते सालिअक्खए पडिनिजाए(हि)सि । तए णं सा उज्झि (इ) या एयम धण्णस्स पडिसुणेइ २ त्ता जेणेव कोट्ठागारं तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पल्लाओ पच सालिअक्खए गेण्हइ २ त्ता जेणेव धणे सत्यवाहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता (धण्णं सत्थवाहं) एवं वयासी-एए णं ते पंच सालिअक्खए-त्तिक दृ धण्णस्स हत्यंसि ते पंच सालिअक्खए दलयइ । तएणं धण्णे उज्झियं सवहसावियं करेइ २ त्ता एव वयासी-कि णं पुत्ता ! (एए) ते चेव पंच सालिअक्खए उदाहु अन्ने ?, तए णं उज्झिया धणं सत्यवाहं एवं वयासी-एवं खलु तुव्भे Page #1061 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००९ सु० १ ० ७] सुत्तागमे ताओ ! इओ अईए पंचमे संवच्छरे इमस्स मित्तनाइ० चउण्ह य जाव विहराहि । तए णं अहं तुभं एयमढें पडिसुणेमि २ त्ता ते पंच सालिअक्खए गेण्हामि एगंतमवकमामि । तए णं मम इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु तायागं कोट्ठागारंसि जाव सकम्मसंजुत्ता, तं नो खलु ता(ओ)या! ते चेव पंच सालिअक्खए एए णं अन्ने । तए णं से धण्णे उज्झि[इ]याए अंतिए एयमढं सोचा 'निसम्म आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे उज्झिइयं तस्स मित्तनाइ० चउण्हं सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स य पुरओ तस्स कुलघरस्स छारुज्झियं च छाणुज्झियं च कयवरुज्झियं च संपु(समु)च्छियं च सम्मजिअंच पाउवदा(इं)इयं च ण्हाणोवदा(ई)इयं च वाहिरपेसणका(रि)रियं [च] ठावेइ । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा २ जाव पव्वइए पंच य से महत्वयाई उज्झियाई भवंति से गं इहभवे चेव वहूर्ण समणाणं ४ हीलणिजे जाव अणुपरियट्टइस्सइ जहा सा उज्ञिया । एवं भोगवइयावि नवरं तस्स कुलघरस्स कंडितियं च कोहतियं च पीसंतियं च एवं रुचंतियं (च) रंधतियं(च) परिवेसंतियं च परिभायंतियं च' अभितरियं च पेसणकारि महाणसिणिं ठावेइ । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं समणो वा २ पंच य से महव्वयाइं फोडियाई भवंति से णं इहभवे चेव वहूर्ण समणाणं ४ हीलणिज्जे ४ जाव जहा व सा भोगवइया । एवं रक्खिड्यावि नवरं जेणेव वासघरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता मंजूसं विहाडेइ २ त्ता रयणकरडगाओ ते पंच सालिअक्खए गेण्हइ २ त्ता जेणेव धणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पंच सालिअक्खए धण्णस्स हत्थे दलयइ । तए णं से धण्णे (स०) रक्खिइयं एवं वयासी-कि णं पुत्ता! ते चेव एए पंच सालिअक्खए उदाहु अन्ने (त्ति) । तए णं रक्खिझ्या धण्णं (सत्थवाह) एवं वयासी-ते चेव ताया। एए पंच सालिअक्खया नो अन्ने । कहं णं पुत्ता! 2 एवं खलु ताओ! तुमे इओ पंचमंमि (संवच्छरे) जाव भवियव्वं एत्थ कारणेणं-तिकटु ते पंच सालिअक्खए सुद्धे चत्थे जाव तिसंझं पडिजागरमाणी यावि विहरामि । तओ एएणं कारणेणं ताओ! ते चेव (ते) पंच सालिअक्खए नो अन्ने। तए णं से धण्णे रक्खिइयाए अंति(ए)यं एयमढे सोचा हद्वतुढे तस्स कुलघरस्स हिरण्णस्स य कंसदूस विपुलधण जाव सावएजस्स य भंडागारिणि ठवेइ । एवामेव समणाउसो! जाव पंच य से महव्वयाइं रक्खियाई भवंति से णं इहभवे चेव वहणं समणाणं ४ अचणिज्ने जाव जहा सा रक्खि[इया । रोहि(णि)णीयावि एवं चेव नवरं तुम्भे ताओ! मम सुवहुयं सगडीसागडं दला(हि)ह जा(जे)णं अहं तु(भ)ब्भे ते पच सालिअक्खए पडिनिज्जाएमि । तए णं से धण्णे (सत्थवाहे) रोहिणिं एवं वयासी-कहं णं तुमं मम ६४ सुत्ता. Page #1062 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१० सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ पुत्ता! ते पंच सालिअक्खए सगडसागडेणं निजा(इ)एस्ससि ? । तए णं सा रोहिणी धण्णं (सत्यवाह) एवं वयासी-एवं खलु ताओ ! इओ तुभ पंचमे संवच्छरे इमस्स मित्त जाव वहवे कुंभसया जाया तेणेव कमेणं, एवं खलु ताओ ! तुम्भे ते पंच सालिअक्खए सग(ड)डीसागड़ेणं निजाएमि । तए णं से धण्णे सत्यवाहे रोहिणीयाए सुबहुयं सगडीसागडं दलयइ। तए णं रोहिणी सुवहुं सगडीसागडं गहाय जेणेव सए कुलघरे तेणेव उवागच्छइ (२ त्ता) कोहागा(२)रं विहाडेइ २ त्ता पल्ले उभिदइ २ त्ता सगडीसागडं भरेइ २ त्ता रायगिह नगरं मज्जमज्झेणं जेणेव सए गिहे जेणेव धण्णे सत्यवाहे तेणेव उवागच्छइ । तए णं रायगिहे नयरे सिंघाडग जाव बहुजणो अन्नमन्नं एवमाइक्खइ ४-धन्ने णं देवाणुप्पिया! धण्णे सत्यवाहे जस्स णं रोहिणीया सुण्हा (जीए ण) पंच सालिअक्खए सगडसागडिएगं निजाएइ। तए णं से धणे सत्थवाहे ते पंच सालिअक्खए सगडसागडेणं निजा(ए)इए पासइ २ त्ता हट्ट जाव पडिच्छइ २ त्ता तस्सेव मित्तनाइ० चउण्ह य सुण्हाणं कुलघर(वग्गस्स)पुरओ रोहिणीयं सुण्हं तस्स कुलंघरस्स वहूसु कज्जेसु य जाव रहस्सेसु य आपुच्छणिजं जाव वटावियं पमाणभूयं ठावेइ । एवामेव समणाउसो! जावपंच [से] महव्वयाई संवड्डियाई भवंति से णं इहभवे चेव वहणं समणाणं जाव वीईवइस्सइ जहा व सा रोहिणीया । एवं , खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते तिबेमि ॥ ७० ॥ गाहाओ-जह सेट्ठी तह गुरुणो जह णाइजणो तहा समणसंघो। जह वहुया तह भव्वा जह सालिकणा तह वयाई ॥१॥ जह सा उज्झियनामा उज्झियसाली जहत्यमभिहाणा । पेसणगारित्तेणं असंखदुक्खक्खणी जाया ॥ २ ॥ तह भन्बो जो कोई संघसमक्खं गुरुविदिण्णाई। पडिवजिउं समुज्झइ महव्वयाई महामोहा ॥ ३ ॥ सो इह चेव भवंमी जणाण धिक्कारभायणं होइ । परलोए उ दुहत्तो णाणाजोणीसु संचरइ ॥ ४ ॥ जह वा सा भोगवई जहत्थनामोवभुत्तसालिकणा । पेसणविसेसकारित्तणेण पत्ता दुहं चेव ॥५॥ तह जो महव्वयाइं उवभुंजइ जीवियत्ति पालितो । आहाराइसु सत्तो चत्तो सिवसाहणिच्छाए ॥ ६॥ सो एत्थ जहिच्छाए पावइ आहारमाइ लिंगित्ति । विउसाण नाइपुज्जो परलोयम्मी दुही चेव ॥ ७ ॥ जह वा रक्खियवहुया रक्खियसालीकणा जहत्थक्खा । परिजणमण्णा जाया भोगसुहाइं च संपत्ता ॥ ८ ॥ तह जो जीवो सम्म पडिवजित्ता महव्वए पंच । पालेइ निरइयारे पमायलेसंपि वजेतो ॥ ९ ॥ सो अप्पहिएकरई इहलोयंमिवि विऊहि पणयपओ । एगंतसुही जायइ परम्मि मोक्खंपि पावेइ ॥ १०॥ जह रोहिणी उ सुण्हा रोवियसाली जहत्थमभिहाणा ! Page #1063 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ० ८] सुत्तागमे १०११ वडित्ता सालिकणे पत्ता सव्वस्स सांमित्तं ॥ ११ ॥ तह जो भव्वो पाविय वयाई पालेइ अप्पणा सम्मं । अण्णेसिवि भव्वाणं देइ अणेगेसि हिंयहेउं ॥ १२ ॥ सो इह संघपहाणो जुगप्पहाणेत्ति लहइ संसई । अप्पपरेसि कल्लाणकारओ गोयमपहुव्व ॥ १३ ॥ तित्थस्स बुद्धिकारी अक्खेवणओ कुतित्थियाईणं । विउसनरसेवियकमो कमेण सिद्धिपि पावेइ ॥ १४ ॥ सत्तमं नायज्झयणं समत्तं ॥ __जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते अट्ठमस्स णं भंते ! के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंवू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे २ महाविदेहे वासे मंदरस्स पव्वयस्स पञ्चत्थिमेणं निसढस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं सीओयाए महानदीए दाहिणेणं सुहावहस्स वक्खारपव्वयस्स पञ्चत्थिमेणं पञ्चत्थिमलवणसमुदस्स पुर(च्छि)त्थिमेणं एत्थ णं सलिलावई नाम विजए पनत्ते । तत्थ णं सलिलावई विजए वीयसोगा नाम रायहाणी पन्नत्ता नवजोयणवित्थिण्णा जाव पञ्चक्खं देवलोगभूया। तीसे णं वीयसोगाए रायहाणीए उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए (एत्थ णं) इंदकुंभा नाम उजाणे (होत्था) । तत्थ णं वीयसोगाए रायहाणीए बले नाम राया (होत्था)। त(स्सेव)स्स धारिणीपामोक्खं दे(वि)वीसहस्सं ओ(उत्र)रोहे होत्था । तए णं सा धारिणी देवी अन्नया कयाइ सीहं सुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा जाव महब्वले (नाम) दारए जाए उम्मुक्क जाव भोगसमत्थे । तए णं तं महब्वलं अम्मापियरो सरिसियाणं कमलसि (री)रिपामोक्खाणं पंचण्हं रायवरकन्नासयाणं एगदिवसेणं पाणि गेण्हावेंति । पंच पासायसया पंचसओ दाओ जाव विहरइ । (तेणं कालेणं तेणं समएणं धम्मघोसा नाम थेरा पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडा पुव्वाणुपुन्वि चरमाणा गामाणुगामं दूइजमाणा सुहंसुहेणं विहरमाणा जेणेव इंदकुंभे नाम उजाणे तेणेव समोसढा संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा • विहरंति) थेरागमणं इंदकुंभे उजाणे समोसढे परिसा निग्गया वलो वि (राया) निग्गओ धम्मं सोचा निसम्म जं नवरं महब्बलं कुमारं रजे ठावेइ जाव एकारसगवी बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता जेणेव चारुपव्वए मासिएणं भत्तेणं (अपाणेणं केवलं पाउणित्ता जाव) सिद्धे । तए णं सा कमलसिरी अन्नया कयाइ (जाव) सीहं सुमिणे (पासित्ताणं पडिवुद्धा) जाव बलभद्दो कुमारो जाओ जुवराया यावि होत्था । तस्स णं महब्बलस्स रन्नो इमे छप्पियवालवयंसगा रायाणो होत्था तंजहा-अयले धरणे पूरणे वसू वेसमणे अभिचंदे सहजा[य]या जाव सं(वडिया ते)हिच्चाए नित्थरियव्वे-त्तिकटु अन्नमन्नस्स एयमढे पडिसुणेति (सुहंसुहेणं विहरंति)। तेणं कालेणं तेणं समएणं (ध० थे० जे० इं० उ० ते० स०) इंदकुंभ Page #1064 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१२ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ उजाणे थेरा समोसढा । परिसा निग्गया। (महव्वलोवि राया निग्गओ धम्मो कहिओ) महब्बले णं धम्मं सोचा जं नवरं ( देवाणुप्पिया!) छप्पियवालवयंसए आपुच्छामि वलभदं च कुमारं रज ठावेमि जाव छप्पियवालवयंसए आपुच्छड् । तए णं ते छप्पिय० महब्बलं रायं एवं वयासी-जइ णं देवाणुप्पिया! तुम्भे पन्वयह अम्हं के अन्ने आहारे वा जाव पव्वयामो। तए णं से महव्वले राया ते छप्पिय० एवं वयासी-जइ णं (देवाणुप्पिया !) तुझे मए सद्धिं जाव पव्वयह तो. णं गच्छह जेटे पुत्ते सएहिं २ रजेहि ठावेह पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ दुरूढा जाव पाउब्भवंति । तए णं से महब्बले राया छप्पियवालवयंसए पाउन्भूए पासइ २ त्ता हट्ट जाव कोडवियपुरिसे (सदावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम्मे देवाणुप्पिया ! वलभद्दस्स कुमारस्स जाव तेवि तहेव जाव अभिसिंचइ०, तए णं से महब्बले वलभदं० आपुच्छड)० वलभद्दस्स रायाभिसेओ जाव आपुच्छइ । तए णं से महब्बले जाव महया इड्डीए (छ० स०) पव्वइए एकारस(गाई०)गवी वहहिं चउत्थ जाव भावेमाणे विहरइ । तए णं तेसिं महब्बलपामोक्खाणं सत्तण्हं अणगाराणं अन्नया कयाइ एगयओ सहियाणं इमेयालवे मिहो-कहासमुल्लावे समुप्पज्जित्थाजणं अम्हं देवाणुप्पिया ! ए(ग)गे तवोकम्मं उपसंपजित्ताणं विहरइ तं णं अम्हेहिं सव्वेहिं (सद्धि) तवोकम्म उवसंपजित्ताणं विहरित्तए-त्तिक? अन्नमन्नस्स एयमहें पडिसुणेति २ त्ता वहूहिं चउत्थ जाव विहरति । तए णं से महब्बले अणगारे इमेणं कारणेणं इत्थिनासगोयं कम्मं निव्वत्तेसु-जइ णं ते महब्बलवज्जा छ अणगारा चउत्थं उवसंपज्जित्ताणं विहरंति तओ से महव्वले अणगारे छठें उवसंपजित्ताण विहरड् । जइ णं ते महब्बलवजा [छ] अणगारा छठें उवसंपजित्ताणं विहरंति तओ से महव्वले अणगारे अट्ठमं उवसंपजित्ताणं विहरइ । एवं [अह] अट्ठमं तो दसमं अह दसमं तो दुवाल(सं)समं । इमेहि य णं वीसाएहि य कारणेहि आसेवियवहुलीकएहिं तित्थयरनामगोयं कम्मं निव्वत्तिंसु तंजहा-अरहंतसिद्धपवयणगुस्थेरवहुस्सुए तवस्सीसुं । वच्छल्लया य तेसिं अभिक्ख नाणोवओ(गे)गा य ॥ १॥ दंसणविणए आवस्सए य सीलव्वए निरइया(रं)रो। खणलवतव (चि)चियाए वेयावच्चे समाही य ॥२॥ अ(८)पुव्वनाणगणे सुयभत्ती पवयणे प(भा)हावणया । एएहिं कारणेहिं तित्थयरत्तं लहइ (जीओ) सो उ ॥ ३ ॥ तए णं ते महव्वलपामोक्खा सत्त अणगारा मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरंति जाव एगराइयं (मि० उव०)। तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागं सीहनिकीलियं तवोकम्मं उवसंपजित्ताणं विहरंति तजहा-चउत्थं करेंति २ त्ता सव्वकामगुणियं पारेंति २ त्ता Page #1065 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १०८] सुत्तागमे १०१३ छठं करेंति २ त्ता चउत्थं करेंति २ त्ता अट्टमं करेंति २ त्ता छटुं करेंति २ त्ता दसमं करेंति २ त्ता अट्ठमं करेंति २ त्ता दुवालसमं करेंति २ त्ता दसमं करेंति २ त्ता चो(चाउ)द्दसमं करेंति २ त्ता दुवालसमं करेंति २ त्ता सोलसमं करेंति २ त्ता चोद्दसमं करेंति २ त्ता अट्ठारसमं करेंति २ त्ता सोलसमं करेंति २ त्ता वीसइमं करेंति २ ता अट्ठारसमं करेंति २ त्ता वीसइमं करेंति २ त्ता सोलसमं करेंति २ त्ता अट्ठारसमं करेंति २ त्ता चोदसमं करेंति २ त्ता सोलसमं करेंति २ त्ता दुवालसमं करेंति २ त्ता चोदसमं करेंति २ त्ता दसमं करेंति २ त्ता दुवालसमं करेंति २ त्ता अट्ठमं करेंति २ त्ता दसमं करेंति २ त्ता छटुं करेंति २- त्ता अट्ठमं करेंति २ त्ता चउत्थं करेंति २ त्ता छर्ट करेंति २ त्ता चउत्थं करेंति सव्वत्थ सव्वकामगुणिएणं पारेंति । एवं खलु एसा खुट्टागसीहनिक्कीलियस्स तवोकम्मस्स पढमा परिवाडी छहिं मासेहिं सत्तहि य अहोरत्तेहि य अहासु(त्ता)त्तं जाव आराहिया भवइ । तयाअंतरं दोच्चाए परिवाडीए चउत्थं करेंति नरं विग(इ)यवजं पारेति । एवं तच्चा. [ए]वि परिवाडी[ए] नवरं पारणए अलेवाडं पारेति । एवं चउत्थावि परिवाडी नवरं पारणए आयंविलेण पारेति । तए णं ते महब्वलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागं सीहनिक्कीलियं तवोकम्म दोहिं संवच्छरेहिं अट्ठावीसाए अहोरत्तेहिं अहात्तं जाव आणाए आराहेत्ता जेणेव थेरे भगवंते तेणेव उवागच्छंति २ त्ता थेरे भगवंते वंदति नमसंति वं० २ त्ता एवं वयासी-इच्छामो णं भंते ! महालयं सीहनिक्कीलियं (तवोकम्म) तहेव जहा खुड्डाग नवरं चोत्तीसइमाओ नियत्त(ए)इ एगाए परिवाडीए कालो एगेणं संवच्छरेणं छहिं मासेहिं अट्ठार(से)सहि य अहोरत्तेहिं समप्पेइ । सव्वंपि सीहनिकोलियं छहिं वासेहिं दो(हि य)हिं मासेहि वारसहि य अहोरत्तेहि समप्पेइ । तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा महालयं सीहनिक्कीलियं अहासुत्तं जाव आरा(हे)हित्ता जेणेव थेरे भगवंते तेणेव उवागच्छति २ ता थेरे भगवंते वंदति नमसंति वं० २ त्ता वहूणि चउत्थ जाव विहरति । तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा तेणं उ(ओ)रालेणं सुक्का भुक्खा जहा खंदओ नवरं थेरे आपुच्छित्ता चार(वक्खार)पव्वयं [सणियं] दुरूहंति जाव दोमासियाए संलेहणाए सवीसं भत्तसयं (अणसणं) चउरासीइं वाससयसहस्साइं सामण्णपरियागं पाउणंनि २ त्ता चुलसीइं पुव्वसयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता जयंते विमाणे देवत्ताए उववन्ना ॥ ७१ ॥ तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं वत्तीसं सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता । तत्थ णं महबलवजाणं छण्हं देवाणं देसूणाई बत्तीसं सागरोवमाई ठिई । महब्वलस्स देवस्स पडिपुण्णाई वत्तीसं सागरोवमाइं ठिई(प.)। तए णं ते Page #1066 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१४ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ महब्बल(देव)वज्जा छप्पि(य) देवा (जयं)ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं जाव अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे विसुद्धपिइमाइवंसेमु रायकुलेसु पत्तयं २ कुमारत्ताए पञ्चायाया(सी) तंजहा-पडिबुद्धी इक्खागराया, चंदच्छाए अंगराया, संखे कासिराया, रुप्पी कुणालाहिवई, अदीणसत्तू कुरुराया, जियसत्तू पंचालाहिवई । तए णं से महब्बले देवे तिहिं नाणेहिं समग्गे उच्चट्ठाण(हि)गएसु गहेसु सोमासु दिसासु वितिमिरासु विसुद्धासु जइएसु सउणेसु पयाहिणाणुकूलंसि भूमिसप्पिसि मारुयंसि पवायंसि निप्फन्नसस्समेइणीयंसि कालंसि पमुइयपक्क्रीलिएसु जणवएनु अद्धरत्तकालसमयंसि अस्सिणीनक्खत्तेणं जोगमुवागएणं जे से हेमंताणं चउत्थे मासे अट्ठमे पक्खे फरगुणसुद्धे तस्स णं फरगुणसुद्धस्स चउत्यिपक्खेणं जयंताओ विमाणाओ वत्तीसं सागरोवमट्टि(ई)इयाओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे मिहिलाए रायहाणीए कुंभगस्स रन्नो पभावईए देवीए कुच्छिसि आहारवनंतीए भववनंतीए सरीरवकंतीए गन्मत्ताए वक्तते । तं रयणिं च णं चोदस महासुमिणा वण्णओ। भत्तारकहणं सुमिणपाढगपुच्छा जाव विहरइ । तए णं तीसे पभावईए देवीए तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं इमेयारवे डोहले पाउन्भूएधन्नाओ ण ताओ अम्मयाओ जाओ णं जलथलयभासुरप्पभूएणं दसवण्णेणं मल्लेणं अत्युयपच्चत्युयंसि सयणिजसि सन्निसण्णाओ संनिवन्नाओ य विहरंति एगं च महं सि(री)रिदामगंडं पाडलमल्लियचंप(योगअसोगपुन्नागनागमस्यगदमणगअणोजकोजय(कोरंटपत्तवर)पउरं परमसुह(फास)दरिसणिज्जं महया गंधद्धणिं मुयंतं अग्घायमाणीओ डोहलं विणेति । तए णं ती(से)ए पभावईए देवीए इमं ए(इमे)यात्वं डोहलं पाउन्भूयं पासित्ता अहासन्निहिया वाणमंतरा देवा खिप्पामेव जलथलय जाव दसद्धवण्णमलं कुंभग्गसो य भारग्गसो य कुंभगस्स रन्नो भवगंसि साहरंति एगं च णं महं सिरिदामगंडं जाव (गंधद्धणि) मुयंतं उवणेति । तए णं सा पभावई देवी जलथलय जाव मल्लेणं दोहलं विणेइ । तए णं सा पभावई देवी पसत्थदोहला जाव विहरइ । तए णं सा पभावई देवी नवण्हं मासाणं अट्ठमाण य रायं(रत्ति)दियाणं जे से हेमंताणं पढमे मासे दोच्चे पक्खे मग्गसिरसुद्धे तस्स णं (मग्गसिरसुद्धस्स) एकारसीए पव्व रत्तावरत्तकालसमयंसि अस्सिणीनक्खत्तेणं (जोगमुवागएणं) उच्चट्ठाण जाव पमइयपकीलिएसु जणवएसु आरोगारोगं एगूणवीसइमं तित्थयरं पयाया॥७२॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं अ(हो)हेलोगवत्थव्वाओ अट्ठ दिमाकुमारी(ओ)मयह(री)रियाओ जहा जंबुद्दीवपन्नत्तीए जम्मणं सव्वं (भाणियव्वं) नवरं मिहिलाए (नयरीए) कुंभ(राय)गस्स (भवणंसि) पभावईए (देवीए) अभिलावो संजोएयव्बो जाव नंदीसरव(रे)र Page #1067 -------------------------------------------------------------------------- ________________ { सु० १ अ० ८ ] सुत्तागमे दीवे महिमा । तया णं कुंभए राया बहूहिं भवणवईहिं ४ तित्थयर ( जम्मणाभिसेयं) - जायकम्मं जाव नामकरणं - जम्हा णं अ ( म्हे) म्हं इमीए दारियाए ( माउगव्र्भसि चक्कममाणंसि) माऊए मल्लसयणीयंसि डोहले विणीए तं होउ णं नामेणं मल्ली (नामं ठवेइ) जहा महब्बले (नाम) जाव परिवढिया - सा व ( ख ) ड्ढई भगवई दियलोयचुया अणोवमसिरीया । दासीदासपरिवुडा परिकिण्णा पीढमदेहिं ॥१॥ असियसिरया सुनयणा विवोट्टी धवलदंतपंतीया । वरकमलको मलंगी फुल्लुप्पलगंधनीसासा ॥ २ ॥ ७३ ॥ तए णं सा मल्ली विदेहरायवरकन्ना उम्मुक्कबालभावा जाव रूवेण [य] जोव्वणेण य लावणेण य अईव २ उक्तिट्ठा उक्किहसरीरा जाया (या) वि होत्था । तए णं सा मल्ली (वि०) देसूणवास सयजाया ते छप्पि (य) रायाणो विउलेणं ओहिणा आभोएमाणी २ विहरइ तंजहा - पडिबुद्धिं जाव जियसत्तुं पंचाला हिवरं । तए णं सा मल्ली (वि०) कोडुंवियपुरिसे सहावेइ २ त्ता एवं वयासी - गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! असोगचणियाए एवं महं मोहणघरं करेह अगखंभसयसन्निविद्वं । तस्स णं मोहणघरस्स बहुमज्झदेसभाए छ गब्भघरए करेह । तेसि णं गब्भघरगाणं बहुमज्प्रदेसभाए जालघरयं करेह । तस्स णं जालघरयस्स बहुमज्झदेसभाए मणिपेढियं करेह ( तेवि तहेव ) जाव पचप्पिर्णति । तए णं [सा] मल्ली मणिपेढियाए उवरिं अप्पणी सरिसियं सरित्तयं सरिव्वयं सरिसलावण्णजोव्वणगुणोववेयं कणगम ( इं ) यं मत्थयच्छिÎ पउमप्पलपिहाणं पडिमं करेइ २ त्ता जं विउलं असणं ४ आहारेइ तओ मन्नाओ असणाओ ४ कलाकलिं एगमेगं पिंडं गहाय तीसे कण ( ग ) गामईए मत्थछिड्डा जाव पडिमाए मत्थयंसि पक्खिवमाणी २ विहरइ । तए णं तीसे कणगामईए जाव मत्थयछिड्डाए पडिमाए एगमेगंसि पिंडे पक्खिप्पमाणे २ ( पउमुप्पलपिहाणं पिहेs) तओ गंधे पाउब्भवइ से जहानामए अहिमडेइ वा जाव एत्तो अणिट्टतराए अमणामतराए [ चेव ] ॥ ७४ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं कोसला नाम जणव (होत्था ) । तत्थ णं सागेए नामं नयरे । तस्स णं उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थ णं (महं एगे) महेंगे नागघरए होत्था । तत्थ णं सागेए नयरे पडि - बुद्धी नामं इक्खा (गु) गराया परिवसइ पउमावई देवी सुबुद्धी अमचे सामदंड ० । तए णं पउमावईए देवीए अन्नया कयाई नागजन्नए यावि होत्था । तए णं सा परमावई नागजन्नमुवट्ठियं जाणित्ता जेणेव पडिवुद्धी • करयल जाव एवं वयासी एवं खलु सामी ! मम कल्लं नागजन्नए (यावि) भविस्सइ, तं इच्छामि णं सामी 1 तुमेहिं अब्भणुन्नाया समाणी नागजन्नयं गमित्तए, तुम्मेवि णं सामी ! मम नागजन्नयंसि समोसरह । तए णं पडिबुद्धी पउमावईए ( देवीए ) एयमहं पडिमुणे । १०१५ Page #1068 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ तए णं पउमावई पडिवुद्धिणा रन्ना अभणुन्नाया समाणी ह(तु)हा जाव कोर्छवियपुरिसे सदावेइ २ ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम कलं नागजन्नए भविस्सइ । तं तुम्मे मालागारे सद्दावेह २ ना एवं वयह-एवं खलु पउमावईए देवीए कलं नागजन्नए भविस्सइ। तं तुम्मे णं देवाणुप्पिया ! जलथलय(०)दसवणं मलं नागघरयंसि साहरह एगं च णं महं सिरिदामगंडं उवणेह । तए णं जलथलयदसवण्णेणं मल्लेणं नाणाविहभत्तिविरइयं (करेह तंलि भनिसि) हंसमियमयूरकोंचसारसचक्कवायमयणसालकोइलकुलोववेयं ईहामिय जाव भत्तिचित्नं महग्धं महरिहं विउलं पुप्फमंडवं विरएह । तस्स णं वहुमझदेसभाए एगं महं सिरिदामगंडं जाव गंधद्धणि मुयंतं उल्लोयंति आ(ओ)लंबेह २ त्ता पउमावई देवि पडिवालेमाणा २ चिट्ठह । तए णं ते कोडुविया जाव चिट्ठति । तए णं सा परमावई देवी कलंक कोडंवि(यपुरिसे)ए (सद्दावेइ २ त्ता) एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! सागेयं नयरं सभितरवाहिरियं आसियसम्मजिओवलितं जाव पञ्चप्पिणंति । तए णं सा पउमावई (देवी) दोञ्चपि कोडंविय जाव खिप्पामेव लहुकरणजुत्तं जाव जुत्तामेव (उवट्ठवेह, तए णं तेवि तहेव) उव(ट्ठा)हवेति । तए णं सा पउमावई अंतो अंतेउरंति व्हाया सव्वालंकारविभूसिया धम्मियं जाणं दुख्ढा । तए णं सा पउमावई नियगपरि(वा)यालसंपरिबुडा सागेयं नयरं महंमज्झेणं नि(ज)जाइ २ त्ता जेणेव पुक्खरणी तेणेव उवागच्छइ २ ता पो(पु)क्खरणिं ओगा(ह)हेइ २ ना जलमज्जणं जाव परमसुइभूया उल्लपडसाड्या जाई तत्य उप्पलाई जाव गेण्हइ २ त्ता जेणेव नागघरए तेणेव पहारेत्य गमणाए । तए ण पउमावईए दासचेडीओ वहूओ पुप्फपडलगहत्यगयाओ धूवक्र(ड)डच्छु(ग)यहत्यगयाओ पिट्ठओ समणुगच्छंति । तए णं पउमावई सबिढीए जेणेव नागघ(रे)रए तेणेव उवागच्छड २ त्ता नागघ(रयं)रं अणुप्पविसइ २ त्ता लोमहत्यगं जाव धूवं डहइ २ ना पडिबुद्धिं (राय) पडिवालेमाणी २ चिठ्ठइ । तए णं पडिबुद्धी(राया) ण्हाए हत्यिखंचवरगए सकोरंट जाव सेयवरचामरा(हिं)हि य (महया)हयगयरह(जोह)महयाभडचडगरपहकरहिं सागेयं नगरं महंमज्झेणं निग्गच्छइ. २ त्ता जेणेव नागघरए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता हत्यिखधाओ पञ्चोल्हइ २ त्ता आलोए पणामं करेइ २ त्ता पुप्फमंडवं अणुपविसइ २ त्ता पासइ तं एगं महं सिरिदामगंडं । तए णं पडिबुद्धी तं सिरिदामगंडं (इ)चिरं कालं निरिक्खइ २ त्ता तंति सिरिदामगंडंसि जायविम्हए सुबुद्धिं अमचं एवं वयासी-तुमं(णं) देवाणुप्पिया ! मम दोत्रेणं वहणि गामागर जाव सन्निवेसाइं आहिंडसि वहू(णि)ण य रा(य)ईसर जाव गिहाई अणुपविसति, Page #1069 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ अ० ८ ] सुत्तागमे · तं अस्थि णं तुमे कहिंचि एरिसए सिरिदामगंडे दिट्ठपुव्वे जारिसए णं इमे पउमावई (ए) देवीए सिरिदामगंडे ? । तए णं सुबुद्धी पडिवुद्धिं रायं एवं वयासी एवं खलु सामी ! अह अन्नया कयाइं तुब्भं दोचेणं मिहिलं रायहाणि गए । तत्थ णं मए कुंभगस्स रन्नो धूयाए पभावईए देवीए अत्तयाए मल्लीए (विदेहरायवर कन्नाए ) संवच्छर पडिलेहणगंसि दिव्वे सिरिदामगंडे दिट्टपुब्वे । तस्स णं सिरिदामगंडस्स इमे पउमावईए [देवीए ] सिरिदामगंडे सयस हस्सइमंपि कलं न अग्घइ । तए णं पडिबुद्धी (राया ) सुबुद्धिं अमचं एवं वयासी केरिसिया णं देवाणुप्पिया ! मल्ली २ जस्स णं संवच्छर पडिलेहणयंसि सिरिदामगंडस्स पउमावईए देवीए सिरिदामगडे सयस - हस्सइमंपि कलं न अग्घइ ? । तए णं सुबुद्धी ( अमचे) पडिवुद्धि इक्खागरायं एवं वयासी - ( एवं खलु सामी !) मल्ली विदेहरायवरकन्नगा सुपइट्ठियकुम्मुन्नयचारुचरणा वण्णओ । तए णं पडिबुद्धी (राया ) सुबुद्धिस्स अमञ्चस्स अंतिए एयमहं सोचा निसम्म सिरिदामगंडजणियहासे दूयं सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी - गच्छाहि णं तुमं देवाणुप्पिया ! मिहिलं रायहाणिं, तत्थ णं कुंभगस्स रन्नो धूयं पभावईए (देवीए) अ (त्त) त्तियं मल्लि २ मम भारियत्ताए वरेर्हि जइ वि य णं सा सयं रज्जसुंका । तए णं से दूए पडिवुद्धिणा रन्ना एवं वृत्ते समाणे हट्ट जाव पडिसुणेइ २ त्ता जेणेव सए गिहे जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता चाउग्घंटं आसरहं पडिकप्पावेइ २ त्ता दुरूढे जाव हयगयमहयाभडचडगरेणं साएयाओ निग्गच्छइ २ ता जेणेव विदेहजणवए जेणेव मिहिला रायहाणी तेणेव पहारेत्थ गमणाए ( 1 ) ॥ ७५ ॥ तेणं काळेणं तेणं समएणं अंग नाम जणवए होत्था । तत्थ णं चंपा नामं नयरी होत्था । तत्थ णं चंपाए नयरीए चंदच्छाए अंगराया होत्था । तत्थ णं चंपाए नयरीए अरहन्नंगपामोक्खा बहवे संजत्तानावावाणियगा परिवसंति अड्डा जाव अपरिभूया । तए णं से अरहन्नगे समणोवासए यावि होत्था अहिगयजीवाजीवे वण्णओ । तए णं तेसिं अरहन्नगपामोक्खाणं संजत्तानावावाणियगाणं अन्नया कयाइ एगयओ सहियाणं इमे (ए) यारुवे मिहो कहा समुल्ला (संला ) वे समुप्पजित्था - सेयं खलु अम्हं गणिमं (च) धरिमं च मेजं च प (पा) रिच्छेजं च भंडगं गहाय लवणसमुद्दं पोयवहणेणं ओगाहित्तए-त्तिकट्टु अन्नम (नं ) नस्स एयमहं पडिसुर्णेति २ ता गणिमं च ४ गेण्हंति २ त्ता सग (डि ) डीसाग ( डि) डयं (च) सज्जेति २ ता गणिमस्स ४ भंडगस्स सगडसागडियं भरेंति २ त्ता सोहणंसि तिहिकरणनक्खत्तमुहुत्तंसि विउलं असणं ४ उवक्खडावेंति मित्तनाइ भोयणवेलाए भुंजावेंति जाव आपुच्छंति २ ता सगढीसागडियं जोयंति २ त्ता चंपाए नयरीए मज्झमज्झेणं निग्गच्छेति २ त्ता जेणेव १०१७ Page #1070 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१८ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ गंभीरए पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता सगडीसागडियं मोयंति २ त्ता पोयवहणं सज्जेंति २ त्ता गणिमस्स(य) जाव चउविह(स्स)भंडगस्स भरेंति तंदुलाण य समियस्स य तेल्लस्स य घयस्स य गुलस्स य गोरसस्स य उदगस्स य उदयभायणाण य ओसहाण य भेसज्जाण य तणस्स य कट्ठस्स य आवरणाण य पहरणाण य अन्नसिं च बहूणं पोयवहणपाउग्गाणं दव्वाणं पोयवहणं भरेंति (२ त्ता) सोहणंसि तिहिकरण. नक्खत्तमुत्तसि विउलं असणं ४ उवक्खडावेंति २ त्ता मित्तनाइ० आपुच्छंति २ त्ता जेणेव पोयट्ठाणे तेणेव उवागच्छंति । तए णं तेसिं अरहन्नग जाव वाणियगाणं परियणो जाव ता(रिसे)हिं इट्टाहिं जाव वग्गूहि अभिनंदंता य अभिसंथुणमाणा य एवं वयासी-अज ! ताय ! भाय ! माउल ! भाइणेज ! भगवया समुद्देणं अभिरक्खिजमाणा २ चिरं जीवह भदं च मे पुणरवि लढे कयकज्जे अणहसमग्गे नियगं घरं हव्वमागए पासामो-त्तिकटु ताहिं सोमाहिं निद्धाहिं दीहाहि सप्पिवासाहिं पप्पुयाहिं दिट्ठीहिं नि(री)रिक्खमाणा मुहुत्तमेत्तं संचिट्ठति । तओ समाणिएसु पुप्फवलिकम्मेसु दिन्नेसु सरसरत्तचंदणदद्दरपंचंगुलितलेसु अणुक्खित्तसि धूवंसि पूइएसु समुद्द वाएसु संसारियासु वलयबाहासु ऊसिएसु सिएसु झयग्गेसु पड्डुप्पवाइएसु तूरेसु जइएसु सव्वसउणेसु गहिएसु रायवरसासणेसु महया उक्किट्ठसीहनाय जाव रवेणं पक्खुभियमहासमुद्दरवभूयंपिव मेइणिं करेमाणा एगदिसिं जाव वाणियगा ना(वं)वाए दुरूढा । -तओ पुस्समाणवो वकमुदाहु-हं भो! सव्वेसिमवि अत्थसिद्धी उवट्ठियाइं कल्लाणाई पडिहयाइं सव्वपावाइं जुत्तो पूसो विजओ मुहुत्तो अयं देसकालो । तओ पुस्समाणएणं व(के)कमुदा(हि)हरिए हद्वतुढे कुच्छिधारकण्णधारगब्भि(ज)जसंजत्तानावावाणियगा वावारिंसु तं नावं पुण्णुच्छंगं पुण्णमुहि वंधणेहिंतो मुंचंति । तए णं सा नावा विमुक्कबंधणा पवणबलसमाहया ऊसि(उस्सि)यसिया विततपं(पक)खा इव गह(ड)लजुवई गंगासलिलतिक्खसोयवेगेहिं संखुब्भमाणी २ उम्मीतरंगमालासहस्साइं समइच्छमाणी २ कइवएहिं अहोरत्तेहिं लवणसमुई अणेगाइं जोयणसयाई ओगाढा। तए णं तेसिं अरहन्नगपामोक्खाणं संजत्तानावावाणियगाणं लवणसमुह अणेगाई जोयणसयाई ओगाढाणं समाणाणं बहूई उप्पाइयसयाइं पाउन्भूयाइं तंजहा-अकाले गज्जिए अकाले विजुए अकाले थणियसद्दे अभिक्खणं २ आगासे देवयाओ नचंति एगं च णं महं पिसायरूवं पासंति तालजंघं दिवं-गयाहिं बाहाहिं मसिमूसगमहिसकालगं भरियमेहवण्ण लंवोढं निग्गयग्गदंतं निल्लालियजमलजुयलजीहं आऊसियवयणगंडदेसं चीणचि(पिट)मिढनासियं विगयभुग्गभग्गभुमयं खज्जोयगदित्तचक्खुरागं उत्तासणगं विसालवच्छं विसालकुच्छि पलंबकुच्छि पहसियपयलियपयडियगत्तं पण Page #1071 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे सु० १ अ०८] १०१९ चमाणं अप्फोडतं अभिवयंत अभिगजंतं बहुसो २ अट्टहासे विणिम्मुयंत नीलुप्पलगवलगुलियअयसिकुसुमप्पगासं खुरधारं असिं गहाय अभिमुहमावयमाणं पासंति। तएणं ते अरहन्नगवजा संजत्तानावावाणियगा एगं च णं महं तालपिसायं (पासंति) पासित्ता तालजंघं दिवंगयाहिं वाहाहि फुट्टसिरं भमरनिगरवरमासरासिमहिसकालगं भरियमेहवण्णं सुप्पणहं. फालसरिसजीहं लंवोठें धवलवट्टअसिलिट्ठतिक्खथिरपीणकुडिलदाढोवगूढवयणं विकोसियधारासिजुयलसमसरिसतणुयचंचलगलतरसलोलचवलफुरफुरतनिल्लालियग्गजीहं अवयच्छियमहल्लविगयवीभच्छलालपगलंतरत्ततालुयं हिंगु(लु)लयसगम्भकंदरविलं व अंजणगिरिस्स अग्गिजालुग्गिलंतवयणं आऊसिय अक्खचम्मउइट्टगंडदेसं चीणचि(पिड)मिढवंकभग्गनासं रोसागयधमधमैतमारुयनिहरखरफरुसझुसिरं ओभुग्गनासियपुडं घ(घा)डउन्भडरइयभीसणमुहं उद्धमुहकग्णसक्कुलियमहतविगयलोमसंखालगलंवंतचलियकण्णं पिंगलदिप्पंतलोयणं भिउडितडि(योनिडालं नरसिरमालपरिणद्धचिंधं विचित्तगोणससुवद्धपरिकर अवहोलंतपु(प्फु)प्फयायंतसप्पविच्छुयगोधुंदरनउलसरडविरइयविचित्तवेयच्छमालियागं भोगकूरकण्हसप्पधमधमेंतलंवंतकण्णपूरं मजारसियाललइयखधं दित्त(घुघु)घूधूयंतघूयकयकुंतल. सिरं घंटारवेण भीमं भयंकरं कायरजणहिययफोडणं दित्तमट्टहासं विणिम्मुयंतं वसासहिरपूयमंसमलमलिणपोच्चडतणुं उत्तासणयं विसालवच्छं पेच्छंताभिन्ननहमुहनयणकण्णवरवग्यचित्तकत्तीणि(व)यंसणं सरसरुहिरगयचम्मविययऊसवियवाहुजुयलं ताहि य खरफरुसअसिणिद्धअणिट्ठदित्तअसुभअप्पिय(अमणुन्न)अकंतवग्गूहि य तज्जयंतं पासंति तं तालपिसायरूवं एजमाणं पासंति २ त्ता भीया संजायभया अन्नमन्नस्स कायं समतुरंगेमाणा २ वहूणं इंदाण य खंदाण य रुद्दसिक्वेसमणनागाणं भूयाण य जक्खाण य अजकोट्टकिरियाण य बहूणि उवाइयसयाणि ओवाइयमाणा २ चिट्ठति । तए णं से अरहन्नए समणोवासए तं दिव्वं पिसायरूवं एजमाणं पासइ २ त्ता अभीए अतत्थे अचलिए असंभंते अणाउले अणुम्बिग्गे अभिन्नमुहरागनयणवण्णे अदीणविमणमाणसे पोयवहणस्स एगदेसंसि वत्यंतेणं भूमि पमज्जइ २ त्ता ठाणं ठाइ २ त्ता करयल(ओ) जाव एवं वयासी-नमोत्थु णं अरहंताणं जाव संपत्ताणं, जइ णं अहं एत्तो उवसग्गाओ मुंचामि तो मे कप्पइ पारित्तए, अह गं एत्तो उवसग्गाओ न मुंचामि तो मे तहा पच्चक्खाएयव्वे-(ति)तिकट्ठ सागारं भत्तं पञ्चक्खाइ । तए णं से पिसायरूवे जेणेव अरहन्न(ए)गे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अरहन्नगं एवं वयासी-हं भो! अरहन्नगा अपत्थियपत्थिया जाव परिवजिया [1] नो खलु कप्पइ तव सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खा(णे)णपोसहोववासाई चालित्तए वा एवं Page #1072 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२० सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ खो(भे)भित्तए वा खंडित्तए वा भंजित्तए वा उज्झित्तए वा परिच्चइत्तए वा । तं जइ णं तुमं सीलव्वयं जाव न परिचयसि तो ते अहं एयं पोयवहणं दोहिं अंगुलियाहिं गेण्हामि २ त्ता सत्तट्ठतलप्पमाणमेत्ताइं उर्दू वेहासं उबिहामि (२ त्ता) अंतोजलंसि निच्छोलेमि जा(जे)णं तुमं अट्टदुहट्टवसट्टे असमाहिपत्ते अकाले चेव जीवि. याओ ववरोविज्जसि । तए णं से अरहन्नगे समणोवासए तं देवं मणसा चेव एवं वयासी-अहं णं देवाणुप्पिया ! अरहन्नए नाम समणोवासए अहिगयजीवाजीवे, नो खलु अहं सक्का केणइ देवेण वा जाव निग्गंथाओ पावयणाओ चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणा(मे)मित्तए वा, तुमं णं जा सद्धा तं करेहि-त्तिकछु अभीए जाव अभिन्नमुहरागनयणवण्णे अदीणविमणमाणसे निचले निप्फंदे तुसिणीए धम्मज्झाणोवगए विहरइ । तए णं से दिव्वे पिसायरूवे अरहन्नगं समणोवासगं दोचंपि तच्चपि एवं वयासी-हं भो अरहन्नगा ! जाव (अदीणविमणमाणसे निचले निप्फंदे तुसिणीए) धम्मज्झागोवगए विहरइ । तए णं से दिव्वे पिसायरूवे अरहन्नगं धम्मज्झाणोवगयं पासइ २ त्ता वलियतरागं आसुरुत्ते तं पोयवहण दोहि अंगुलियाहिं गिण्हइ २ त्ता सत्तकृतलाई जाव अरहन्नगं एवं वयासी-हं भो अरहन्नगा ! अपत्यियपस्थिया ! नो खलु कप्पइ तव सीलव्वय तहेव जाव धम्मज्झाणोवगए विहरइ । तए णं से पिसायरूवे अरहन्नगं जाहे नो संचाएइ निग्गंथाओ० चालित्तए वा (०ताहे)तहेव (उव). संते जाव निविण्णे तं पोयवहणं सणियं २ उवरि जलस्स ठवेइ २ त्ता तं दिव्वं पिसायरूवं पडिसाह(र)रेइ २ त्ता दिव्वं देवस्वं विउव्वइ २ त्ता अंतलिक्खपडिवन्ने सखिखि(णि)णीयाइं जाव परिहिए अरहन्नगं समणोवासगं एवं वयासी-ह भो अरहन्नगा! धन्नोसि णं तुमं देवाणुप्पिया! जाव जीवियफले जस्स णं तव निग्गंथे पावयणे इमेयारूवा पडिवत्ती लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया, एवं खलु देवाणुप्पिया! सके देविंदे देवराया सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसए विमाणे सभाए मुहम्माए वहणं देवाणं मझगए महया [२] सद्देणं [एवं] आइक्खइ ४-एवं खलु जंबुद्दीवे २ भारहे वासे चंपाए नयरीए अरहलए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे नो खलु सक्का केणइ देवेण वा (दाणवेण वा) ६ निग्गंथाओ पावयणाओ चालित्तए वा जाव विपरिणामित्तए वा । तए णं अहं देवाणुप्पिया ! सक्कस्स (देविंदस्स) नो एयमद्वं सद्दहामि(०)। तए णं मम इमेयारुवे अज्झथिए०-गच्छामि गं [अहं] अरहन्न(य)गस्स अंतियं पाउव्भवामि जाणामि ताव अहं अरहन्नगं किं पियधम्मे नो पियधम्मे, दढधम्मे नो दढधम्मे, सीलव्वयगुणे कि चालेइ जाव परिचयइ नो परिचयइ-त्तिकटु एवं संपेहेमि २ त्ता ओहिं पउजामि २ त्ता देवाणुप्पियं ओहिणा आभोएमि २ त्ता उत्तरपुरच्छिमं २ Page #1073 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे सु. १ अ०८ १०२१ उत्तरवेउब्वियं० ताए उकिटाए(जाव)जेणेव लवणसमुद्दे जेणेव देवाणुप्पिया तेणेव उवागच्छामि २ त्ता देवाणुप्पि(याणं)यं उवसग्गं करेमि नो चेव णं देवाणुप्पिया भीया वा(०), तं जं णं सके ३ [एवं] वयइ सच्चे णं एसमढे, तं दिटे णं देवागुप्पियाणं इड्डी जाव परक्कमे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागए । तं खामेमि णं देवाणुप्पिया ! खमतु मरहंतु णं देवाणुप्पिया! नाइभुजो (२) एवंकरणयाए-त्तिकट्ठ पंजलिउडे पायवडिए एयमढं विणएणं भुजो २ खामेइ (२ त्ता) अरहन्नगस्स [य] दुवे कुंडलजुयले दलयइ २ त्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव(दिसिं)पडिगए ॥ ७६ ॥ तए णं से अरहन्नए निरुवसग्गमितिकट्ठ पडिमं पारेइ । तए णं ते अरहन्नगपामोक्खा जाव वाणियगा दक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव गंभीरए पोय(पट्टणे)ट्ठाणे तेणेव उवागच्छंति २ ता पोयं लंवेंति २ ना सगडिसागडं सज्जेति (२ त्ता) तं गणिमं [च] ४ सगडि० संक्राति २ त्ता सगडी० जो(ए)विति २ त्ता जेणेव मिहिला(०) तेणेव उवागच्छति २ त्ता मिहिलाए रायहाणीए वहिया अरगुजाणसि सगडीसागडं मोएंति २ त्ता (मिहिलाए रायहाणीए तं)महत्थं ( महग्धं महरिहं) विउलं रायारिहं पाहुडं कुंडलजुयलं च गेण्हंति २ त्ता (मिहिलाए रायहाणीए) अणुप्पविसंति २ त्ता जेणेव कुंभए(राया) तेणेव उवागन्छंति २ ता करयल जाव महत्थं दिव्य कुंडलजुयलं उवणेति । तए णं कुंभए(राया) तेसि संजत्तगाणं जाव पडिच्छइ २ त्ता मलिं २ सद्दावेइ २ त्ता तं दिव्वं कुंडलजुयलं मल्लीए २ पिणद्धेइ २ त्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से कुंभए राया ते अरहन्नगपामोक्खे जाव वाणियगे विपुलेणं (अस०) वत्थगंधमल्लालंकारेणं जाव उस्सुक्तं वियरइ २ त्ता रायमग्गमोगाढे(इ)य आवासे वियरड [२ त्ता] पडिविसज्जेइ । तए णं अरहन्नगसंजत्तगा जेणेव रायमग्गमोगाढे आवासे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता भंडववहरणं करेंति (२ त्ता) पडिभं(ड)डे गेण्हति २ त्ता सगडी० भरेंति जेणेव गंभीरए पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता पोयवहणं सजेति २ त्ता भंडं संकामेति दक्खिणाणु० जेणेव चंपा पोयट्ठाणे तेणेव पोयं लवेति २ ता सगडी० सज्जेति २ ता तं गणिमं ४ सगडी० संक्रामेति जाव महत्थं [महग्धं] पाहुडं दिव्वं च कुंडलजुयलं गेहंति २ ता जेणेव चंदच्छाए अंगराया तेणेव उवागच्छंति २ त्ता तं महत्थं जाव उवणेति । तए णं चंदच्छाए अगराया तं दिव्वं महत्थे(च) कुंडलजुयलं पडिच्छइ २ त्ता ते अरहनगपामोक्खे एवं वयासी-तुन्भे णं देवाणुप्पिया ! वहूणि गामागर जाव आहिडह लवणसमुई च अभिक्खणं २ पोयवहणेहि ओगाहेह, तं अत्थियाई भे केइ कहिचि अच्छेरए दिट्ठपुव्वे ?। तए णं ते अरहन्नगपामोक्खा चंदच्छायं अंगरायं एवं Page #1074 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२२ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ वयासी-एवं खलु सामी! अम्हे इहेव चपाए नयरीए अरहन्नगपामोक्खा वहवे संजत्तगानावावाणियगा परिवसामो। तए णं अम्हे अन्नया कयाइ गणिमं च ४ तहेव अहीण(म)अइरित्तं जाव कुंभगस्स रन्नो उवणेमो। तए णं से कुंभए मल्लीए २ तं दिव्वं कुंडलजुयलं पिणद्धेइ २ त्ता पडिविसज्जेइ । तं एस णं सामी ! अम्हेहिं कुंभ[ग]रायभवणसि मल्ली २ अच्छेरए दिढे । तं नो खलु अन्ना कावि तारिसिया देवकन्ना वा जाव जारिसिया णं मल्ली २ । तए णं चंदच्छाए(ते)अरहन्नगपामोक्खे सक्कारेइ सम्माणेइ स० २ त्ता [उस्सुकं वियरइ] पडिविसज्जेइ । तए णं चंदच्छाए वाणियगजणियहासे दूयं सदावेइ जाव जइ वि य णं सा सयं रजसुक्का । तए णं से दूए हट्ठ जाव पहारेत्य गमणाए (२) ॥ ७७ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं कुणाला नाम जणवए होत्था । तत्थ णं सावत्थी नामं नयरी होत्था । तत्थ णं रुप्पी कुणालाहिवई नाम राया होत्था । तस्स णं रुप्पिस्स धूया धारिणीए देवीए अत्तया सुवा(हु)ह नामं दारिया होत्था सुकुमाल जाव रूवेण य जोव्वणे(णं)ण य लावण्णेण य उकिट्ठा उक्लिहसरीरा जाया यावि होत्था। तीसे णं सुवाहूए दारियाए अन्नया चाउम्मासियमज्जणए जाए यावि होत्था । तए णं से रुप्पी कुणालाहिवई सुबाहुए दारियाए चाउम्मासियमजणयं उवट्ठियं जाणइ २ त्ता कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया । सुवाह(ए)दारियाए कळं चाउम्मासियमजणए भविस्सइ । तं(कल्लं)तुव्भे णं रायमग्गमोगाढंसि(चउक्नसि)मंडवंसि जलथलयदसद्धवण्णमल्लं साह(रे)रह जाव सिरिदामग(डे)डं ओलइंति । तए णं से रुप्पी कुणालाहिवई सुवण्णगारसेणिं सहावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! रायमग्गमोगाढंसि पुप्फमंडवंसि नाणाविहपंचवण्णेहिं तंदुलेहि नयरं आलिहह तस्स बहुमज्झदेसभाए पट्टयं रएह जाव पञ्चप्पिणति । तए णं से रुप्पी कुणालाहिवई हत्थिखंधवरगए चाउरंगिणीए सेणाए महया भडचडगर जाव अंतेउरपरियालसंपरिवुडे सुवाहुं दारियं पुरओ कदु जेणेव रायमग्गे जेणेव पुप्फमंडवे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता हत्यिखंधाओ पञ्चोरुहइ २ त्ता पुप्फमंड(वं)वे अणुप्पविसइ २ त्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सन्निसण्णे। तए णं ताओ अंतेउरियाओ सुवाहुं दारियं पट्टयंसि दुसहेंति २ ता से(य)यापीयएहिं कलसेहिं पहाणेति २ त्ता सव्वालंकारविभूसियं करेंति २ त्ता पिउणो पा(यं)यवंदि(5)यं उवणेति । तए णं सुवाहू दारिया जेणेव रुप्पी राया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पायग्गहणं करेइ । तए णं से रुप्पी राया मुवाहुं दारियं 'अंके निवेसेइ २ त्ता सुवाहु(ए)दारियाए रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य (जाव विम्हिए) जायविम्हए वरिसधरं सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-तुम Page #1075 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १०२३ णं देवाणुपिया ! मम दोच्चेणं वहूणि ग्रामागरनगर गिहाणि अणुप्पविससि, तं अत्थियाई ते कस्सइ रनो वा ईसरस्स वा कहिंचि एयारिसए मजणए दिट्ठपुव्वे जारिसए णं इमीसे सुवाहुदारियाए मजणए ? । तए णं से वरिसधरे रुप्पि करयल जाव वद्धावेत्ता एवं वयासी एवं खलु सामी ! अहं अन्नया तु (भेणं) ब्भं दोचण मिहिलं गए, तत्थ णं मए कुंभगस्स रन्नो धूयाए पभावईए देवीए अत्तयाए मल्लीए २ मजणए दिट्टे, तस्स णं मज्जणगस्स इ ( मे ) मीए सुबाहु (ए) दारियाए मज्जणए सयसहस्राइमपि कलं न अ ( ग्घे ) ग्इ । तए णं से रुप्पी राया वरिसधरस्स अंति(ए) यं एयमहं सोचा निसम्म (सेसं तहेव ) मजणगजणियहासे दूयं सहावेइ जाव जेणेव मिहिला नयरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए ( ३ ) ॥ ७८ ॥ तेणं कालेणं तेणं समणं कासी नाम जणवए होत्था । तत्थ णं वाणारसी नामं नयरी होत्था । तत्थ णं संखे नामं कासीराया होत्था । तए णं तीसे मल्लीए २ अन्नया कयाइ तस्स दिव्वस्स कुंडलजुयलस्स संधी विसंघडिए यावि होत्था । तए णं से कुंभए राया सुवण्णगारसेणिं सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! इमस्स दिव्वस्स कुंडलजुयलस्स संधिं संघाडेह । तए णं सा सुवण्णगारसेणी एयमहं तहत्ति पडिसुणेइ २ त्ता तं दिव्वं कुंडलजुयलं गेण्हइ २ त्ता जेणेव सुवण्णगारभिसियाओ तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सुवण्णगारभिसियासु निवेसेइ २ त्ता वहूहिं आएहि य जाव परिणामेमाणा इच्छ ( न्ति ) इ तस्स दिव्वस्स कुंडलजुयलस्स संधिं घडित्तए नो चेवणं संचाएइ (सं) घडित्तए । तए णं सा सुवण्णगारसेणी जेणेव कुंभए तेणेव उवागच्छइ २ ता करयल जाव वद्धावेत्ता एवं वयासी एवं खलु सामी अज तु ( ब्मे) म्हे अम्हे सद्द वेह जाव संधि संघाडेत्ता ए (य) वसा (णं) णत्तियं पञ्चपिणह । तए णं अम्हे तं दिव्वं कुंडलजुयलं गेण्हामो जेणेव सुवण्णगारभिसियाओ जाव नो संचाएमो संघाडित्तए । तए अम्हे सामी ! एस्स दिव्वस्स कुंडलस्स अन्न सरिसयं कुंडलजुयलं घडेमो । तए से कुंभए राया तीसे सुवण्णगारसेणीए अंतिए एयमहं सोचा निसम्म आसुरुते ४ तिवलियं भिउडिं निडाले साहट्टु एवं वयासी - ( से के) केस णं तुब्भे कलायाणं भवह (?) जेणं तुब्भे इमस्स [दिव्वस्स] कुंडलजुयलस्स नो संचाएह संधिं संघाडित्तए ? ते सुवण्णगारे निव्विसए आणवेइ । तए णं ते सुवण्णगारा कुं(भे) भगेणं रन्ना निव्विसया आणत्ता समाणा जेणेव साईं २ गिहाई तेणेव उवागच्छंति २ त्ता सभंडमत्तोवगरणमाया (ओ) ए मिहिलाए रायहाणीए मज्झंमज्झेणं निक्खमंति २ त्ता विदेहस्स जणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव कासी जणवए जेणेव वाणारसी नयरी तेणेव उवागच्छंति २ त्ता अग्गुज्जाणंसि सगडीसागडं मोएंति २ त्ता महत्यं जाव पाहुडं गेहंति सु० अ० ८ ] 7 Page #1076 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२४ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ २ त्ता वाणारसीए नयरीए मज्झंमज्झेणं जेणेव संखे कासीराया तेणेव उवागच्छंति २ ना करयल जाव वद्धाति २ ता (पाहुडं पुरओ ठावेंति २ त्ता संखरायं) एवं वयासी-अम्हे णं सामी ! मिहिलाओ (नयरीओ) कुंभएणं रन्ना निविसया आणत्ता समाणा इ(हं)ह हव्वमागया, तं इच्छामो णं सामी ! तुम्भं वाहुच्छायापरिग्गहिया निव्भया निरुबिग्गा सुहंसुहेणं परिवसिउं । तए णं संखे कासीराया ते सुवण्णगारे एवं वयासी-कि णं तुम्भे देवाणुप्पिया । कुंभएणं रन्ना निबिसया आणत्ता ? । तए णं ते सुवण्णगारा संख एवं वयासी-एवं खलु सानी ! कुंभगस्स रन्नो धूयाए पभा वईए देवीए अत्तयाए मदीए कुंडलजुयलस्स संधी विसंघडिए। तए णं से कुंभए सुवण्णगारसेणिं सहावेइ जाव निबिसया आणत्ता । तं एएणं कारणेणं सामी! अम्हे कुंभएणं निव्विसया आणत्ता । तए णं से संखे सुवण्णगारे एवं वयासी-केरिसिया णं देवाणुप्पिया ! कुंभ(ग)स्स [रन्नो] धूया पभावईदेवीए अत्तया मल्ली विदेहरायवरकन्ना ? । तए णं ते सुवण्णगारा सं(ख)खं रायं एवं वयासी-नो खलु सामी ! अन्ना का(ई)वि तारिसिया देवकन्ना वा गंधव्वकन्ना वा जाव जारिसिया णं मल्ली २ । तए णं से सखे कुंडल(जुअल)जणियहासे दूयं सहावेइ जाव तहेव पहारेत्य गमणाए (४) ॥ ७९ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं कुरुजणवए होत्था । हत्थिणाउरे नयरे । अदी. णसत्तू नाम राया होत्था जाव विहरइ । तत्य णं मिहिलाए [तस्स ] कुंभगस्स पुत्ते पभावईए अत्तए मल्लीए अणु[मग्ग]जायए मल्लदि(ण्णए)न्ने नाम कुमारे जाव जुवराया यावि होत्था । तए णं मल्लदिन्ने कुमारे अन्नया कोडुवियपुरिसे सहावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे मम पमवणंति एग महं चित्तसभं करेह अणेग जाव पचप्पिणंति । तए णं से मल्लदिन्ने चित्तगरसेणिं सहावेइ २ त्ता एवं क्यासी-तुम्भे णं देवाणुप्पिया ! चित्तसभं हावभावविलासविव्वोयकलिएहिं रूवेहिं चित्तेह जाव पच. प्पिगह । तए णं सा चित्तगरसेणी तहत्ति पडिसुणेइ २ त्ता जेणेव सयाइं गिहाई तेणेव उवागच्छइ २ त्ता तूलियाओ वगए य गेण्हइ २ त्ता जेणेव चित्तसभा तेणेव (उवागच्छइ २ त्ता) अणुप्पविसइ २ त्ता भूमिभागे विरयइ २ त्ता भूमि सज्जेइ २ त्ता चित्तसभं हावभाव जाव चित्तेउं पयत्ता यावि होत्था । तए णं एगस्स चित्तगरस्स इमेयालवा चित्तगरलद्धी लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया-जस्स णं दुपयस्स वा चर(प)प्पयस्स वा अपयस्स वा एगदेसमवि पासइ तस्स णं देसाणुसारेणं तयाणुरूवं [व] नि(व्व)वत्तेइ । तए णं से चित्तगर(दार)ए मल्लीए जवणियंतरियाए जालंतरेग पायंगुट पासइ । तए णं तस्स(णं) चित्तगरस्स इमेयारूवे अद्भत्थिए जाव समुप्पजित्था-सेयं खलु ममं मबीए २ पायंगठाणुसारेणं सरिसगं जाव गुणोववेयं Page #1077 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ० ८] सुत्तागमे १०२५ रूवं निव्वत्तित्तए । एवं संपेहेइ २ त्ता भूमिभागं सज्जेइ (२ त्ता) मल्लीए २ पायंगट्ठा'णुसारेणं जाव निव्वत्तेइ । तए णं सा चित्तगरसेणी चित्तसभं जाव हावभा(वे)वं चित्तेइ २ ता जेणेव मल्लदिन्ने कुमारे तेणेव उवागन्छइ जाव ए(य)वमाणत्तियं पच्चप्पिणइ । तए णं मल्लदिन्ने चित्तगरसेणिं सकारेइ २(०) विपुल जीवियारिहं पीइदाणं द(ले)लयइ २ त्ता पडिविसजेइ । तए णं मल्लदिन्न (कुमारे) अन्नया ण्हाए अंतेउरपरियालसंपरिबुडे अम्मधाईए सद्धिं जेणेव चित्तसभा तेणेव उवागच्छइ २ त्ता चित्तसभ अणुप्पविसइ २ त्ता हावभावविलास (वि)विब्वोयकलियाई रूवाइ पासमाणे (२) जेणेव मल्लीए २ तयाणुरू(वे)वं निन्वत्तिए तेणेव पहारेत्थ गमणाए। तए णं से मल्लदिन्ने (कुमारे) मल्लीए २ तयाणुरूवं निव्वत्तियं पासइ २ ता इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-एस णं मल्ली २ तिकट्ठ लजिए वीडिए वि(अडे)ड्डे सणियं २ पच्चोसक्कइ । तए णं [तं] मल्लदिन्नं अम्मधाई [सणियं २] पच्चोसळतं पासित्ता एवं वयासी-किन्नं तुमं पुत्ता ! लजिए वीडिए विड्ड सणियं २ पच्चोसक्कसि ? । तए णं से मल्लदिन्ने अम्मधाई एवं वयासी-जुत्तं णं अम्मो !, मम जेट्टाए भगिणीए गुरुदेवयभूयाए लज्जणिज्जाए मम चित्तगरणिव्वत्तियं सभं अणुपविसित्तए ? । तए णं अम्मधाई मल्लदिन्नं कुमारं एवं वयासी-नो खलु पुत्ता ! एस मल्ली, एस णं मल्लीए २ चित्तगरएणं तयाणुरूवे निव्वत्तिए। तए णं से] मल्लदिन्ने अम्मवाईए एयमट्ठ सोचा निसम्म आसुरुत्ते [४] एवं वयासी-केस णं भो ()[से] चिन(य)गरए अपत्थियपत्थिए जाव परिवजिए जे णं मम जेठाए भगिणीए गुरुदेवयभूयाए जाव निव्वत्तिए-त्तिकट्ठ तं चित्तगरं वज्झं आणवेइ । तए णं सा चित्तगर(स)मेणी इमीसे कहाए लट्ठा समाणा जेणेव मल्लदिन्ने कुमारे तेणेव उवागच्छइ २ ता करयलपरिग्गहिय जाव वद्धावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु सामी ! तस्स चित्तगरस्स इमेयाख्वा चित्त(क)गरलद्धी लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया-जस्स णं दुपयस्स वा जाव निवत्तेइ, तं मा णं सामी ! तुम्भे तं चित्तगरं वज्झ आणवेह, तं तुम्मे णं सामी! तस्स चित्तगरस्स अन्नं तयाणुरूवं दंडं. निव्वत्तह । तए णं से मल्लदिन्ने तस्स चित्तगरस्स संडासगं छिंदावेइ २ त्ता निव्विसय आणवेइ । तए णं से चित्तगरए मल्लदिन्नेणं निव्विसए आणत्ते (समाणे) सभंडमत्तोवगरणमायाए मिहिलाओ नयरीओ निक्खमइ २ त्ता विदेहं जगवयं मज्झमज्झेणं जेगेव कुरुजणवए जेणेव हत्थिगाउरे नयरे (जेणेव अदीणसत्तू राया) तेणेव उवागच्छइ २ त्ता भंडनिक्खेत्रं करेइ २ त्ता चित्तफलगं सजेइ २ त्ता मल्लीए २ पायंगुटाणुसारेण रूवं निव्वत्तेइ २ त्ता कक्खंतरंसि छुन्भइ २ त्ता महत्यं जाव पाहुडं गेण्हइ २ त्ता हत्थिणाउरं नयरं मझमज्झेगं जेणेव अदीणसत्तू राया तेणेव उवा ६५ सुत्ता० Page #1078 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२६ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ गच्छइ २ त्ता तं करयल जाव वद्धावेइ २ त्ता पाहुडं उवणेइ २ त्ता एवं वयासीएवं खलु अहं सामी! मिहिलाओ रायहाणीओ कुंभगस्स रन्नो पुत्तेणं पभावईए देवीए अत्तएणं मल्लदिन्नेणं कुमारेणं निधिसए आणत्ते समाणे इ(ह)हं हव्वमागए, तं इच्छामि णं सामी ! तुम्भं वाहुच्छायापरिग्गहिए जाव परिवसित्तए । तए णं से अदी गसत्तू राया तं चित्तगरदारयं एवं वयासी-किन्नं तुमं देवाणुप्पिया ! मल्लदिन्नेणं निव्विसए आणत्ते? । तए णं से चित्त(य)गरदारए अदी गस(तु)त्तुं रायं एवं वयासी-एवं खलु सामी! मल्लदिन्ने कुमारे अन्नया कया(ई)इ चित्तगरसेणि सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-तुम्भे णं देवाणुप्पिया ! मम चित्तसभं तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव मम संडासगं छिंदावेइ २ त्ता निविसयं आणवेइ, तं एवं खलु [अहं] सामी! मल्लदिन्नेणं कुमारेणं निव्विसए आणत्ते । तए णं अदीणसत्तू राया तं चित्तगरं एवं वयासी-से केरिसए णं देवाणुप्पिया! तुमे मल्लीए त(दा)हाणुरूवे (रूवे) निव्वत्तिए ? । तए ण से चित्तगरे कक्खंतराओ चित्तफल(योग नीणेइ २ त्ता अदी गसत्तुस्स उवणेइ २ त्ता एवं वयासी-एस णं सामी! मल्लीए २ तयाणुरूवस्स रूवस्स केइ आगारभावपडोयारे निव्वत्तिए, नो खलु सक्का केगइ देवेण वा जाव मल्लीए २ तयाणुरूवे रूवे निव्वत्तित्तए । तए णं [से] अदीणसत्तू (राया) पडिरूवजणियहासे दूयं सद्दावेइ २ ता एवं वयासी तहेव जाव पहारेत्य गम(णया)णाए (५) ॥८०॥ तेणं कालेगं तेणं समएणं पंचाले जणवए कंपि(ले)लपुरे (नाम) नयरे (होत्था) । जियसत्तू नाम राया पंचालाहिवई । तस्स णं जियसत्तुस्स धारिणीपामोक्खं दे(वि)वीसहस्सं ओरोहे होत्था। तत्थ णं मिहिलाए चोक्खा नामं परिवाइया रिउव्वेय जाव [सु]परिणिट्ठिया यावि होत्था। तए णं सा चोक्खा परिव्वाइया मिहिलाए बहूर्ण राईसर जाव सत्यवाहपभिईणं पुरओ दाणधम्मं च सोयधम्मं च तित्याभिसेयं च आघवेमाणी पन्नवेमाणी परूवेमाणी उवदंसेमाणी विहरइ । तए णं सा चोक्खा (परिव्वाइया) अन्नया कयाइं तिदंडं च कुंडियं च जाव धाउरत्ताओ (य) ४ गेण्हइ २ त्ता परिव्वाइगावसहाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता पविरलपरिव्वाइयासद्धिं सपरिवुडा मिहिलं रायहाणि मज्जंमज्झेग जेणेव कुंभगस्स रन्नो भवणे जेणेव कन्नतेउरे जेणेव मल्ली २ तेणेव उवागच्छइ २ त्ता उदयपरि(फा)फोसियाए दभोवरि पच्चत्थुयाए भिसियाए नि(सि)सीयइ २ त्ता मल्लीए २ पुरओ दाणधम्मं च जाव विहरइ । तए णं मल्ली २ चोक्खं परिव्वाइयं एवं वयासी-तुन्भे चोक्खे ! किमूलए धम्मे पन्नत्ते ? । तए णं सा चोक्खा परिव्वाइया मलिं २ एवं वयासी-अम्हं णं देवाणुप्पिए ! सोयमूलए धम्मे पन्न(वेमि)त्ते, जंणं अम्हं किचि असुई भवइ तं णं उद Page #1079 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२७ सु० १ अ० ८ ] सुत्तागमे • एणय मट्टियाए जाव अविग्घेणं सग्गं गच्छामो । तए णं मल्ली २ चोक्खं परिव्वाइय एवं वयासी - चोक्खा ! से जहानामए के ( ३ ) इ पुरिसे रुहिरकयं वत्थं रुहिरे (ण)णं चेव धोवेज्जा अत्थि णं चोक्खा ! तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेणं धोव्व माणस का (ई)इ सोही ? नो इणट्ठे समट्ठे । एवामेव चोक्खा ! तुब्भे णं पाणाइवाएणं जाव मिच्छादंसणसल्लेणं नत्थि काइ सोही जहा (व) वा तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेणं चेव धोव्वमाणस्स । तए णं सा चोक्खा परिव्वाइया महीए २ एवं वृत्ता समा( णा ) णी संकिया कंखिया विइगिच्छिया भेयसमावन्ना जाया (या) वि होत्या मल्लीए नो संचाएइ. किचिवि पामोक्खमाइक्खित्तए तुसिणीया संचिट्ठर । तए णं तं चोक्खं मल्लीए ] बहु) हूओ दासचेडीओ हीलेंति निंदंति खिसंति ग (र) रिहंति अप्पेगइया [ओ] हेरुया (ल) ँति अप्पेगइया मुहमक्कडियाओ करेंति अप्पेगइया वग्घाडीओ करेंति अप्पेगइया त (ज)जेमाणीओ (क० अ० ) तालेमा (णि) णीओ (क०अ०) निच्छु (भं) हंति । तए णं सा चोक्खा मल्लीए २ दासचेडियाहिं हीलिजमाणी जाव गरहिजमाणी आसुरुत्ता जाव मिसिमिसेमाणी मल्लीए २ पओसमावज्जइ [२] भिसियं गेहइ २ ता कन्नंतेउराओ पडिनिक्खमइ २ त्ता मिहिलाओ निग्गच्छइ २त्ता परिव्वाइया संपरिवुडा जेणेव पंचालजणवए जेणेव कंपिल्लपुरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता वहूगं राईसर जाव परूवेमाणी विहरइ। तए णं से जियसत्तू अन्नया कयाइ अंतेउरपरियालसद्धिं संपरिवुडे एवं जाव विहरइ । तए णं सा चोक्खा परिव्वाइया संपरिवुडा जेणेव जियसत्तुस्स रन्नो भवणे जेणेव जियसत्त तेणेव (उवागच्छ २ त्ता) अणुपविसइ २ ता जियसत्तुं जएणं विजएणं बद्धावेइ । तए ण से जियसत्त चोक्खं परिव्वाइयं एजमाणं पासइ २ त्ता सीहासणाओ अब्भुदेइ २ त्ता चोक्खं (परिव्वाइयं) सक्का रेइ २ (०) आसणेणं उवनिमंतेइ । तए णं सा चोक्खा उदगपरिफोसियाए जाव भिसियाए निविसइ जियसत्तुं रायं जे य जाव अंतेउरे य कुसलोदतं पुच्छइ । तएं णं सा चोक्खा जियसत्तुस्स रन्नो दाणधम्मं च जाव विहरइ । तए णं से जियसत्तू अप्पगो ओरोहंसि (जाव विम्हिए) जायविम्हए चोक्खं (परिव्वाइयं) एवं वयासी - तुमं णं देवाणुप्पिया ! बहूणि गामागर जाव (अडह) आहिंडसि बहूण य राईसर गिहाई अणुप्पविस (ति) हि, तं अत्थियाई ते कस्स (वि) इ रन्नों वा जाब एरिसए ओरोहे दि - पुव्वे जारिसए णं इमे म( ह ) म ओ ( उव) रोहे ? । तए णं सा चोक्खा परिव्त्राइया जियसत्तुं (रायं) एवं ( वयासी - ) ईसिं अवहसियं करेइ २ त्ता एवं वयासी - ( एवं च ) सरिसए णं तुम देवाणुप्पिया ! तस्स अगडदद्दु स्स । केस णं देवाणुप्पिए । से अग डदद्दुरे ? जियसत्तू ! से जहानामए अगडदद्दुरे सिया, से णं तत्थ जाए तत्थेव वु(ड्डे) Page #1080 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२८ __ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ हिए अन्नं अगडं वा तलागं वा दहं वा सरं वा सागरं वा अपासमाणे (चेवं) मन्नइअय चेव अगडे वा जाव सागरे वा । तए ण तं कूवं अन्ने सामुद्दए ददुरे हव्वमागए। तए णं से कूवद्दुरे तं स(सा)मुद्ददडुरं एवं वयासी-से केस णं तुमं देवाणुप्पिया ! कत्तो वा इह हव्वमागए ? तए णं से सामुद्दए दद्दुरे तं कूवदडुरं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अहं सामुद्दए दद्दुरे । तए णं से कूवदद्दुरे तं सामुद्दयं ददुरं एवं वयासी-केमहालए ण देवाणुप्पिया ! से समुद्दे ? । तए णं से सामुद्दए दद्दुरे तं कूव. दद्दुर एवं वयासी-महालए णं देवाणुप्पिया ! समुद्दे । तए णं से कूवदद्दुरे पाएणं लीहं कड्ढेइ २ त्ता एवं वयासी-एमहालए णं देवाणुप्पिया ! से समुद्दे ? नो इणढे समढे, महालए णं से समुद्दे । तए णं से कूवद्दुरे पुर(च्छि)थिमिल्लाओ तीराओ उप्फिडित्ताणं[पञ्चत्थिमिळं तीरं]गच्छइ २ त्ता एवं वयासी-एमहालए णं देवाणुप्पिया। से समुद्दे ? नो इणद्वे(ममटे)तहेव । एवामेव तुमंपि जियसत्तू अन्नेसिं बहूर्ण राईसर जाव सत्थवाह(प)प्पभिईणं भज वा भगिणिं वा धूयं वा सुण्हं वा अपासमाणे जाणे)णसि जारिसए मम चेव णं ओरोहे तारिसए नो अन्नस्स । तं एवं खलु जियसत्त ! मिहिलाए नयरीए कुंभगस्स धूया पभावईए अत्तिया मल्लीनाम(ति)२ रूवेण य(जुव्वणेग) जाव नो खलु अन्ना काइ देवकन्ना वा जारिसिया मल्ली । विदेहवररायकन्नाए छिन्नस्स वि पायंगुढगस्स इमे तव ओरोहे सयसहस्सइमंपि कलं न अग्घइ-त्तिकट्ठ जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगया । तए णं से जियसत्तू परिव्वाइयाजणियहासे दूयं सद्दावेइ जाव पहारेत्य गमणाए(६)॥ ८१ ॥ तए णं तेसिं जियस(तत्तुपामोक्खाणं छग्हं राईणं दूया जेणेव मिहिला तेणेव पहारेत्य गमणाए । तए णं छप्पि (य) दू(तका)यगा जेणेव मिहिला तेणेव उवागच्छंति २ त्ता मिहिलाए अग्गुजाणंसि पत्तेयं २ खंधावारनिवेसं करेंति २ त्ता मिहिलं रायहाणि अणुप्पविसंति २ त्ता जेणेव कुंभए तेणेव उवागच्छंति २ ना पत्तय(२)करयल जाव साणं २ राईणं वयणाई निवेदेति । तए णं से कुंभए(राया)तेसिं दूयाण(अंतिए)एयमढे सोच्चा आसुरुत्ते जाव तिवलियं भिउडिं(णिडाले साहट्ठ)एवं वयासी-न देमि णं अहं तुम मल्लि २ तिकट्ठ ते छप्पि दूए असकारिय असम्माणिय अवदारेणं निच्छुभावेइ । तए णं जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राईणं दूया कुंभएणं रन्ना असक्कारिया असम्माणिया अवदारेग निच्छुभाविया समाणा जेणेव सगा २ ज(जाणवया जेणेव सयाई २ नगराई जेणेव स(गा)या २ रायाणो तेणेव उवागच्छंति २ ता करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु सामी ! अम्हे जियस(त्त)त्तुपामोक्खाणं छण्हं रा(ई)याणं दूया जमगसमगं चेव जेणेव मिहिला जाव अवदारेणं निच्छुभावेइ । तं न देइ णं Page #1081 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे सु० १ ०८] १०२९ सामी ! कुंभए मल्लिं २ । साणं २ राईणं एयमढें निवेदिति । तए णं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो तेसिं दूयाणं अंतिए एयमढे सोचा(निसम्म)आसुरुत्ता अन्नमन्नस्स दूयसंपेसणं करेंति (0) एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं छण्हं राईणं दूया जमगसमगं चेव जाव निच्छूढा । त सेयं खलु देवाणुप्पिया !(अम्ह) कुंभगस्स जत्तं गेण्हित्तए-त्तिकट्ठ अन्नमन्नस्स एयमहुँ पडिसुणेति २ ता व्हाया सन्नद्धा हत्थिखंधवरगया सको(रं)रिंटमल्लदामा जाव सेयवरचामराहिं(०)महयाहयगयरहपवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धि संपरिबुडा सव्विड्डीए जाव रवेणं सएहि[तो]२ नगरेहितो जाव निग्गच्छंति २ त्ता एगयओ मिलायंति(२त्ता) जेणेव मिहिला तेणेव पहारेत्य गमगाए । तए णं कुंभए राया इमीसे कहाए लद्धढे समाणे बलवाउयं सदावेइ २ ता एवं वयासी-खिप्पामेव(भो देवाणुप्पिया!) हय जाव सेन्नं सन्नाहेह जाव पञ्चप्पिणंति । तए णं कुंभए(राया)ण्हाए सन्नद्धे हत्थिखंधवरगए जाव सेयवर चाम(राहि)रए महया (०) मिहिलं(रायहाणि )मझमज्झेणं नि(ग्गच्छइ)जाइ २ ता विदे(ह)हजणवय मज्झमज्झेणं जेणेव देसअंते तेणेव (उवागच्छइ २ त्ता)खंधावारनिवेस करेइ २ त्ता जियसत्तूपामोक्खा छप्पि य रायाणो पडिवालेमाणे जुज्झसज्जे पडिचिठ्ठइ । तए णं ते जियसत्तूपामोक्खा छप्पि(य) रायागो जेणेव कुंभए तेणेव उवागच्छति २ त्ता कुंभएग रन्ना सद्धिं संपलग्गा यावि होत्या । तए णं (ने) जियमत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो कुंभयं रायं हयमहियपवरवीरघाइय(नि)विवडियचिध(द्ध)धय(छत्त) पडागं किच्छप्पागोवगयं दिसोदि(सि)संपडिसे(हि)हति । तए णं से कुंभए (राया)जियसत्तुपामोक्खेहिं छहि राईहि हयमहिय जाव पडिसेहिए समाणे अ-थामे अबले अवीरिए जाव अधारणिजमितिकटु सिग्धं तुरिय जाव वेइयं जेणेव मिहिला तेणेव उवागच्छइ २ त्ता मिहिलं अणुपवि. सइ २ त्ता मिहिलाए दुवाराई पिहेइ २ ता रोहसज्जे चिट्ठइ । तए णं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो जेणेव मिहिला तेणेव उवागच्छंति २ त्ता मिहिलं रायहागि निस्संचारं निस्चारं सव्वओ समंता ओलंभित्ताणं चिट्ठति । तए ण से कुंभए(राया)मिहिलं रायहागिं रूद्धं जाणिना अ(भ)भितरियाए उवट्ठाणसालाए सीहामणवरगए तेसिं जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राईणं छिद्दाणि य विवराणि य मम्माणि य अलभमाणे वहूहि आए है य उवाएहि य उप्पत्तियाहि य ४ वुद्धीहिं परिणामेमाणे २ किंचि आय वा उवायं वा अलभमाणे ओहयमणसंकप्पे जाव झियायइ । इमं च णं मल्ली • बहाया सव्वालंकारविभूसिया वहूहिं खुजाहिं परिवुडा जेणेव कुंभए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता कुंभगस्स पायग्गहणं करेइ । तए णं Page #1082 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३० सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ कुंभए(राया)मल्लिं २ नो आढाइ नो परियाणाइ तुसिणीए संचिठ्ठइ । तए णं मल्ली २ कुंभगं(राय)एवं वयासी-तुम्भे णं ताओ! अन्नया ममं एजमाणं जाव निवेसेह, किन्नं तुम अज ओहय जाव झियायह ? । तए णं कुंभए मलिं २ एवं वयासीएवं स्खलु पुत्ता ! तव कजे जियसत्तुपामोक्खेहिं छहिं राईहिं दूया संपेसिया । ते णं मए असक्कारिया जाव निच्छूडा । तए ण(ते)जियसत्तूपा(मु)मोक्खा तेसिं दूयाणं अंतिए एयमढे सोचा परिकुविया समाणा मिहिल रायहाणिं निस्संचारं जाव चिट्ठति । तए णं अहं पुत्ता(1)तेसिं जियसत्तुपामोक्खागं छण्हं राईणं अंतराणि अलभमाणे जाव झियामि । तए णं सा मल्ली २ कुंभ(यं)गं रायं एवं वयासी-मा णं तुम्भे ताओ ! ओहयमणसंक्रप्पा जाव झियायह, तुन्भे णं ताओ! तेसिं जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राईणं पत्तेयं २ रह (सियं)स्सिए दूयसंपेसे करेह एगमेगं एवं वयह-तव देमि मल्लिं २ तिऋटु संझाकालसमयंसि पविरलमणुस्संसि निसंतपडिनिसंतसि पत्तेयं २ मिहिलं रायहाणि अणुप्प(वे)विसेह २ त्ता गम्भघरएसु अणुप्पविसेह मिहिलाए रायहाणीए दुवाराई पिहेह २त्ता रोहसज्जे चिठ्ठह । तए णं कुंभए(राया)एवं तं चेव जाव पवेसेइ रोहसज्ने चिट्ठइ । तए णं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि(य)रायाणो कलं(पाउन्भूया)जाव [जलंते] जालंतरेहिं कणगमयं मत्ययछिटुं पउमुप्पलपिहाणं पडिमं पासंति एस णं मल्ली २ तिकट्ठ मल्लीए २ हवे य जोव्वणे य लावण्णे य मुच्छिया गिद्धा जाव अज्झोक्वन्ना अणिमिसाए दिट्ठीए पेहमाणा २ चिट्ठति । तए णं सा मल्ली २ पहाया सव्वालंकारविभूसिया वहूहिं खुजाहिं जाव परिक्खित्ता जेणेव जालघरए जेणेव कण(योगपडिमा तेणेव उवागच्छइ २त्ता तीसे कण पडिमाए मत्थयाओ तं परमं अवणेइ । तए णं गंधे निद्धा(व)वेइ से जहानामए अहिमडेइ वा जाव असुभतराए चेव । तए णं ते जियसत्तूपामोरखा तेणं असुभेगं गंधेणं अभिभूया समाणा सएहिं २ उत्तरि(जए)जेहिं आसाइं पिहेंति २ त्ता परम्मुहा चिट्ठति । तए णं सा मल्ली २ ते जियसत्तुपामोक्खे एव वयासीकि णं तु(भ)व्भे देवाणुपिया! सएहि २ उत्तरिजेहिं जाव परम्मुहा चिट्ठह ? । तए णं ते जियसत्तूपामोक्खा मलिं २ एवं वयंति-एवं खलु देवाणुप्पिए ! अम्हे इमेणं असुभेण गंधणं अभिभूया समाणा सएहिं २ जाव चिट्ठामो । तए णं मल्ली २ ते जिवसत्तूपामोक्खे एवं वयासी-जइ ताव देवाणुप्पिया ! इमीसे कणग जाव पडिमाए कलाकल्लिं ताओ मणुन्नाओ असणाओ ४ एगमेगे पिंडे पक्खिप्पमाणे २ इमेयात्वे असुभे पोग्ग(ल)ले परिणामे इमस्स पुण ओरालियसरीरस्स खेलासवस्स वंतासवस्स पित्तासवस्स सु(क)कासवस्स सोणियपूयासवस्स दु(स्व)स्यऊसासनीसा Page #1083 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ० ८ ] सुत्तागमे १०३१ सस्स दुरुयमुत्त (पु) पूइयपुरीस पुण्णस्स सडण जाव धम्मस्स केरिसए [य] परिणामे भवि स्सइ ? तं माणं तुभे देवाणुपिया ! माणुस्सएस कामभोगेषु सज्जह रज्जह गिज्झह मुज्झह अज्झोववजह । एवं खलु देवाणुप्पिया ! (तुम्हे ) अम्हे इ ( माओ मे तच्चे भवग्गहणे अवरविदेहवासे सलिलावईविजए वीयसोगाए रायहाणीए महब्बलपामोक्खा सत्त (वि) पियबालवयंसया रायाणो होत्या सहजाया जाव पव्वइया । तए णं अह देवाणुप्पिया ! इमेणं कारणेणं इत्थी नामगोयं कम्मं निव्वत्तमि - ज‍ णं तु (ब्भं) =भे चउ (चो) त्थं उवसंपज्जित्ताणं विहरह त (ए) ओ णं अहं छद्धं उवसंपजित्ताणं विहरामि सेसं तहेव सव्वं । तए णं तुभे देवाणुप्पिया ! कालमासे कालं किच्चा जयंते विमाणे उववन्ना । तत्थ णं तु (ब्भे ) व्भं देसूणाई बत्तीसाई सागरोवमाई ठिई । तए णं तुब्भे ताओ देवलो (या) गाओ अनंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे २ ( जाव) साई २ रजाई उवसंपज्जित्ताणं विहरह । तए णं अहं ( देवाणुप्पिया ! ) ताओ देवलगाओ आउक्खणं जाव दारियत्ताए पन्चायाया । किं (थ) च तयं पम्हुहुं जं थ तया भो जयंतपवरंमि । वुत्था समयनिबद्धं देवा तं संभरह जाई ॥ १ ॥ तए णं तेसि जियसत्तुपामोक्खाण छण्हं रा ( या ) ईणं मल्लीए २ अंतिए एयमहं सोचा २ सुभेणं परिणामेणं पसत्येणं अज्झवसाणेणं लेसाहि विसुज्झमाणीहि तयाचरणिजाणं कम्माणं खओवसमेणं ईहा ( वू ) पूह जाव सन्निजाईसरणे समुप्पन्ने एयमहं सम्म अभिसमागच्छंति । तए णं मत्री अरहा, जियसत्तुपामोक्खे छप्पि रायाणो समुप्पन्नजा (इ) ईसरणे जाणित्ता गब्भघराणं दाराई विहा ( डावे ) डेइ । तए णं (ते) जियसत्तु पामोक्खा जेणेव मल्ली अरहा तेणेव उवागच्छंति । तए णं महब्बलपामोक्खा सत्त पियबालवयंसा एगयओ अभिसमन्नागया (या) वि होत्था । तए णं मही अरहा ते जियस तु पामोक्खे छप्पि (य) रायाणो एवं वयासी एवं खलु अहं देवाप्पिया ! संसारभ (य) उव्वग्गा जाव पव्वयामि तं तुब्भे गं कि करेह कि चव सह (जाव ) किं भे हियसामत्थे ? । तए णं जियसत्तुपा मोक्खा (छ० रा ० ) महिं अरहं एवं वयासी - जड़ ण तुब्भे देवाणुप्पिया ! संसार जाव पव्त्रयह अम्हाणं देवाप्पिया ! के अन्ने आलवणे वा आहारे वा पडिवंधे वा ? जह चेव णं देवाणुपिया | तुब्भे अ ( म्हे) म्हं इओ तच्चे भवग्गहणे बहूसु कजेसु य मेढी पमाणं जाव धम्मधुरा होत्था त ( हा ) ह चेव णं देवाणुप्पिया ! इव्हिप जाव भविस्सह । अम्हे वि (य) देवाणुप्पिया | संसारभउव्विग्गा जाव भीया जम्मगमरणाणं देवाणुप्पिया(i) सद्धि मुंडा भवित्ता जाव पब्वयामो । तए णं मही अरहा ते जियसत्तुपामोक्खे एवं वयासी - ( जं) जइ णं तुब्भे संसार जाव मए सद्धिं पव्वयह तं गच्छह णं तुभे Page #1084 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३२ सुत्तागमे । [णायाधम्मकहाओ देवाणुप्पिया! सएहिं २ रजेहिं जे(हे)पुत्ते रजे ठावेह २ ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ दुरूहह(दुरूडा समाणा)२ त्ता मम अंतियं पाउन्भवह । तए णं ते जियसत्तुपामोक्खा मल्लिस्स अरहओ एयमढे पडिमुणेति । तए णं मल्ली अरहा ते जियसत्तुपामो(क्खे)क्खा गहाय जेणेव कुंभए ( राया ) तेणेव उवागच्छइ २ त्ता कुंभगस्स पाएमु पाडेइ । तए ण कुंभए (राया) ते जियमत्तुपामोक्खा विउलेणं असणेण ४ पुप्फवत्यगंधमल्यालंकारेणं सक्कारे जाव पडिविसज्जेइ । तए णं ते जियसत्तुपामोक्खा कुंभएणं रन्ना विसज्जिया समाणा जेणेव साइं २ रजाई जेणेव नगराइ तेणेव उवागच्छंति २ त्ता सगाई [२] रजाई उवसंपजित्ता[f] विहरति । तए णं मल्ली अरहा संवच्छरावसाणे निक्खमिस्सामित्ति मणं पहारेइ ॥ ८२ ॥ तेणं कालेणं तेण समएणं सक्कस्स आसगं चलइ । तए णं सक्के देविदे देवराया आसणं चलियं पासइ २ त्ता ओहिं पउंजइ • त्ता मल्लिं अरहं ओहिणा आभोएइ २ ता इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु जंबुद्दीवे २ भारहे वासे मिहिलाए कुंभगस्स रन्नो मल्ली अरहा निक्खमिस्सामित्ति मणं पहारेइ । तं जीयमेयं तीयपचुप्पन्नमगागयाणं सक्काणं (३) अरहतागं भगवंताणं निक्खममाणाणं इमेयारूवं अत्थसंपयाणं द(लि)लइत्तए तंजहा-तिण्णेव य कोडिसया अट्ठासीइं च हुं(हो)ति कोडीओ । असिइं च सयसहस्सा इंदा दलयति अरहाणं ॥ १ ॥ एवं संपेहेइ २ त्ता वेसमणं देवं सहावेइ २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! जंबुद्दीवे २ भारहे वासे जाव असीइं च सयसहस्साई दलात्तए, तं गच्छह णं देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवे (दीवे) भारहे वासे मिहिलाए कुंभगभवणंसि इमेयारूत्र अत्थसंपयाणं साहराहि २ त्ता खिप्पामेव मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि । तए णं से वेसमणे देवे सक्केणं देविदेणं(०) एव वुत्ते (समाणे) ह(०)ढे करयल जाव पडिसुणेइ २ त्ता भए देवे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया । जंवुहीवं २.भारहं वासं मिहिलं रायहाणि कुंभगस्स रन्नो भवणंसि तिन्नेव य कोडिसया अट्ठासीयं च कोडीओ अ(सि)सीयं च सयमहस्साइ अयमेयारूवं अत्यसंपयाणं साहरह २ त्ता मम एयमागत्तियं पञ्चप्पिणह । तए णं ते जभगा देवा वेसमणेण जाव सुणेत्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमति जाव उत्तरवेउव्वियाइं रुवाइ वि(इ)उव्वंति २ त्ता ताए उनिटाए जाव वीइवयमाणा जेणेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे जेणेव मिहिला रायहाणी जेणेव कुंभगस्स रन्नो भवणे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता कुंभगस्स रन्नो भवणंसि तिन्नि कोडिसया जाव साहरंति २ त्ता जेणेव वेसमणे देवे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता करयल जाव पच्चप्पिणति । तए णं से वेसमणे देवे जेणेव सक्ने ३ तेणेव Page #1085 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे सु० ५ ०८] १०३३ उवागच्छइ २ त्ता करयल जाव पञ्चप्पिणइ । तए णं मल्ली अरहा कल्लाकल्लिं जाव मागहओ पायरासो त्ति बहूणं सणाहाण य अणाहाण य पहियाण य पथियाण य करोडियाण य कप्पडियाण य एगमेगं हिरण्णकोडिं अट्ठ य अणूणाई सयसहस्साई इमेयारूवं अत्थसंपयाणं दलयइ । तए णं (से)कुंभए ( राया) मिहिलाए रायहाणीए तत्थ २ तहिं २ देसे २ वहूओं महाणससालाओ करेइ । तत्थ णं वहवे मणुया दिन्नभइभनवेयणा विउलं असणं ४ उवक्खडेंति (०) जे जहा आगच्छंति तजहा-पथिया वा पहिया वा करोडिया वा कप्पडिया वा पासंडत्या वा गिहत्था वा तस्स य तहा आसत्यस्स वीसत्थस्स सुहासणवरगयस्स तं विउलं असणं ४ परिभाएमाणा परिवेसेमाणा विहरति । तए णं मिहिलाए सिंघाडग जाव बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइ. क्खइ-एवं खलु देवाणुप्पिया ! कुंभगस्स रन्नो भवर्णसि सव्वकामगुणियं किमिच्छियं विपुलं असणं ४ वहूर्ण समणाण य जाव परिवेसिज्जइ । वरवरिया घोसिजइ किमि च्छियं दिजए बहुविहीयं । सुरअसुरदेवदाणवनरिंदमहियाण निक्खमणे ॥ १॥ तए णं मल्ली अरहा सवच्छरेणं तिन्नि कोडिसया अट्ठासी(ति)यं च होति कोडीओ अ(सिति)सीयं च सयसहस्साइं इमेयारूवं अत्थसपयाणं दलइत्ता निक्खमामित्ति मणं पहारेड् ॥ ८३ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं लोगंतिया देवा बंभलोए कप्पे रिटे विमाणपत्थडे सएहिं २ विमाणेहिं सएहिं २ पासायवडिसएहि पत्तेयं २ चउहिं सामाणियसाहस्सीहि तिहि परिसाहिं सत्तहिं अणिएहि सत्तहिं अणियाहिवई हिं सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहि अन्नहि य बहूहि लोगंतिएहिं देवेहि सद्धिं सपरिचुडा महयाहयनदृगीयवाइय जाव रवेणं मुंजमाणा विहरंति तंजहा-सारस्सयमाइच्चा वण्ही वरुणा य गहनोया य । तुसिया अन्चावाहा अग्गिचा चेव रिठ्ठा य ॥ १॥ तए णं तेसिं लो(योगतियाणं देवाणं पत्तयं २ आसणाइ चलति तहेव जाव अरहताणं निक्खममाणाणं संवोहणं क(३)रित्तए-त्ति तं गच्छामो णं अम्हे मल्लिस्स अरहओ संबोहणं करे(मि)मो-त्तिकट्ठ एव संपेहेंति २ ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभा(यं०)गं वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहणंति(०) सं(खि)खेजाई जोयणाई एवं जहा जंभगा जाव जेणेव मिहिला रायहाणी जेणेव कुंभगस्स रन्नो भवणे जेणेव मल्ली अरहा तेणेव उवागच्छंति २ त्ता अंतलिक्खपडिवन्ना सखिखिणियाइं जाव वत्थाई पवरपरिहिया करयल जाव ताहिं इटाहिं (जाव) एवं वयासी-बुज्झाहि भगवं(1) लोग हा ! पवत्तेहि धम्मतित्थं जीवाणं हियसुहनिस्सेयसकरं भविस्सइ-त्तिक दोचपि तचंपि एवं वयंति (०) मल्लिं अरहं वंदंति नमसंति वं० २ त्ता जामेव दिसि पाउन्भू(आ)या तामेव दिसिं पडिगया। तए णं मल्ली अरहा तेहिं लोगंतिएहिं देवेहि संबोहिए समाणे जेणेव Page #1086 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [णायाधम्मकहामो अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ २ त्ता करयल जाव एवं क्याची इच्छामि गं अम्मयाओ ! तुम्भेहिं अव्भणुनाए मुंडे भवित्ता जाव पव्वइत्तए । महानुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिवंधं करे(हि)ह । तए णं कुंभए राया कोडंबियपुरिले सहावइ २ ना एवं वयासी-खिप्पामेव अट्ठसहस्सं सोवणियाणं [कलसाणं] जाव भोमेजाणं (ति) अन्न च महत्थं जाव तित्ययराभिसेयं उवट्ठवेह जाव उवहति । तेणं कालेगं तेणं समएणं चमरे असुरिंदे जाव अच्चुयपज्जवसाणा आगया । तए णं सक्के (३) आभिओगिए देवे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव अट्ठसहस्सं सोवणियाणं (कलसाण) जाव अन्नं च तं विपुलं उवट्ठवेह जाव उवट्ठवेति । तेवि कलसा ते चेव कलसे अणुपविट्ठा । तए णं से सक्के देविंदे देवराया कुंभए य राया मल्लिं अरहं सीहासणंसि पुरत्याभिमुहं निवेसेइ अट्ठसहस्सेणं सोवण्णियाणं जाव अभिसिंचंति । तए णं मल्लिस्स भगवओ अभिसेए वट्टमाणे अप्पेगझ्या देवा मिहिल च सभित(रं)रवा (हिं)हिरं जाव सव्वओ समंना [सं]परिधावंति । तए णं कुंभए राया दोचंपि उत्तरावकमणं जाव सव्वालंकारविभूसियं करेइ २ त्ता कोडवियपुरिसे सदावेइ २त्ता एवं व्यासी-खिप्पामेव मणोरमं सीयं उवट्ठवेह ते उवठ्ठवेति । तए णं सक्ने (३) आभिओगिए देवे सदावेइ २ ता एवं वयासी-खिप्पामेव अणेगखंभ जाव (मणोरम) सीयं उवट्ठवेह जाव सावि सीया तं चेव सीयं अणुप्पविठ्ठा । तए णं मल्ली अरहा सीहासणाओ अब्भुटेइ २ त्ता जेणेव मणोरमा सीया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता मणोरमं सीयं अणुपयाहिणीकरेमाणा मणोरमं सीयं दुल्हइ २त्ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे सन्निसण्णे । तए णं कुंभए (राया) अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ सदावेइ २त्ता एवं वयासी-तुमे गं देवाणुप्पिया ! हाया सव्वालंकारविभूसिया मल्लिस्स सीयं परिवहह जाव परिवहति । तए णं सके ३ मगोरमाए [सीयाए] दक्खिणिलं उवरिलं वाहं गेण्हइ । ईसाणे उत्तरिलं उवरिलं वाहं गेण्हइ । चमरे दाहिणिलं हेहिलं वली उत्तरिलं हेट्ठिलं अवसेसा देवा जहारिहं मणोरमं सीयं परिवहति-पुट्विं उक्तित्ता माणु(स)सेहिं (तो)सा हट्ठरोमकूवेहिं । पच्छा वहति सीयं असुरिंदसुरिंदना(गे)गिंदा ॥१॥ चलचवलकुंडलधरा सच्छंदविउवियाभरणधारी। देविंददाणविंदा वहति सीयं जिगिंदस्स ॥२॥ तए णं मल्लिस्स अरहओ मणोरमं सीयं दुरुडस्स इमे अछमंगलगा पुरओ अहाणुपु(व्वीए)व्वेणं एवं निग्गमो जहा जमालिस्स । तए णं मन्दिस्स अरहओ निक्खममाणस्स अप्पेगइया देवा मिहिलं आसिय जाव अभितरवासविहिगाहा जाव परिधावंति । तए णं मल्ली अरहा जेणेव सहस्संबवणे उजाणे जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ २त्ता सीयाओ पच्चोर(मोहइ० आभरणालंकारं पभावई पडिच्छइ । Page #1087 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० ११०८] सुत्तागमे तएणं मल्ली अरहा सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ। तए णं सक्के ३ मल्लिस्स केसे पडिच्छइ (२त्ता) खीरोदगसमुद्दे साहर(पक्खिव)इ । तए णं मल्ली अरहा नमो(s)त्यु णं सिद्धाणंतिकडु सामाइय(च)चारित्त पडिवज्जइ । जं समयं च णं मल्ली अरहा चारित्तं पडिवज्जइ तं समयं च णं देवाणं [य] माणुसाण य निग्धोसे तु(रि)डिय(नि)णा(य)ए गीयवाइयनिग्घोसे य सक्क(स्स)वयणसंदेसेणं निलक्के यावि होत्था । जं समयं च णं मल्ली अरहा सामाइ(य)यचारित्तं पडिवन्ने तं समय च णं मल्लिस्स अरहओ माणुसधम्माओ उत्तरिए मणपज्जवनाणे समुप्पन्ने । मल्ली णं अरहा जे से हेमंताणं दोच्चे मासे चउत्थे पक्खे पोससुद्धे तस्स णं पोससुद्धस्स एकारसीपक्खेणं पुव्वण्हकालसमयंसि अट्ठमेणं भत्तेणं अपाणएणं अस्सिणीहि नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं तिहि इत्थीसएहि अभितरियाए परिसाए तिहिं पुरिससएहि वाहिरियाए परिसाए साद्ध मुंडे भवित्ता पव्वइए। मल्लिं अरहं इमे अट्ठ ना(रा)यकुमारा अणुपव्वइंसु तंजहा-नंदे य नदिमित्त सुमित्तवलमित्तभाणुमित्ते य । अमरवइ अमरसेणे महसेणे चेव अट्ठमए ॥१॥ तए णं (स) ते भवगवई ४ मल्लिस्स अरहओ निक्खमणमहिमं करेंति २ त्ता जेणेव नंदीस(रव)रे(०) अठ्ठाहियं करेंति जाव पडिगया । तए णं मल्ली अरहा जं चेव दिवसं पव्वइए तस्सेव दिवसस्स पुव्वा(प०)वरण्हकालसमयंसि असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टयंसि सुहासणवरगयस्स सुहेणं परिणामेण (पसत्येहिं अज्झवसाणेहिं) पसत्थाहि लेसाहिं (विसुज्झमाणीहिं) तयावरणकम्मरयविकरणकरं अपुवकरणं अणुपविट्ठस्स अणंते जाव केवल [वर]नाणदसणे समुप्पन्ने ॥८४|| तेगं कालेणं तेणं समएणं सव्वदेवाणं आ. सणाई च(लोलेति समोसढा सुणेति अठ्ठाहि(य)यं म(हिमा)हा० नंदीस (रे)रं [जाव] जामेव दिसिं पाउन्भूया तामेव (दिसिं) पडिगया । कुंभए वि निग्गच्छइ । तए णं ते जियसत्तपामोक्खा छप्पि य रायाणो जेट्टपुत्ते रज्जे ठावेत्ता पुरिससहस्सवाहिणीयाओ दुरूढा सव्विड्डीए जेणेव मल्ली अरहा जाव पजुवासंति । तए णं मल्ली अरहा तीसे महइमहालियाए कुंभगस्स (रण्णो) तेसिं च जियसतपामोक्खाणं धम्म परि] कहेइ । परिसा जामेव दिसिं पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया । कुंभए समणोवासए जाए पडिगए पभावई(य समणोवासिया जाया पडिगया) पि । तए ण जि यसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो धम्म सोच्चा आलित्तए णं भंते ! जाव पव्वइया [जाव] चोद्दसपुग्विणो अणंते केव(ले)ली सिद्धा । तए णं मल्ली अरहा सहसंबवणाओ [पडि] निक्खमइ २ त्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ । मल्लिस्स णं (अरहओ) भिसग(किसुय)पामोक्खा अट्ठावीसं गणा अट्ठावीसं गणहरा होत्था । मल्लिस्स णं अरहओ [अ]चत्तालीसं समणसाहस्सीओ उक्लो० । बंधुम(ई)इपामोक्खाओ पणपन्नं अजिया Page #1088 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३६ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ साहस्सीओ उक्को० । सुव्वयपामोक्खा(मल्लिस्स ण अरह)ओ सावयाणं एगा सयसाहस्सी चुलसीइं (च) सहस्सा (०) सुगंदापामोक्खा(मल्लिस्स णं अरहोओ सावियाणं तिष्णि सयसाहस्सीओ एण्णट्ठि च सहस्सा (०) छ(स)चसया चोद्दलपुव्वीणं संपया।] वी(स)सं सया ओहिनाणीणं वत्तीसं सया केवलनाणीणं पणतीसं सया वेठबियाणं अट्ठसया मणपज्जवनाणीणं चोइससया वाईगं वीसं सया अणुत्तरोववाइयाणं । मल्लिम्स [f] अरहओ दुविहा अंतगडभूमी होत्या तंजहा-जु(यं)गंतकरभूमी परियायंतकरभूमी य जाव वीसइमाओ पुरिसजुगाओ जुगंतकरभूमी दुवाल] सपरियाए अंतमकासी । मल्ली णं अरहा पणवीसं धणू (०) उर्दू उच्चत्तेग वण्णेणं पियंगु(स)सामे समचउरंससंठाणे वनरिसहनारायसंघयणे मज्झदेसे सुहंसुहेणं विहरित्ता जेणेव सम्मेए पव्वए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता संमेयसेलसिहरे पाओवगमणुववन्ने । मल्ली णं अरहा एग वाससयं अगारवासमज्झे पणपन्नं वाससहस्साई वाससयऊणाई केवलिपरियागं पाउणित्ता पणपन्नं वाससहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता जे से गिम्हागं पढमे मासे दोचे पक्खे चे(चि)नसुद्धे तस्सगं चेत्तसुद्धस्स चउत्थीए भरणीए नक्खत्तेणं अद्धरत्तकालसमयंसि पंचहिं अज्जियासएहिं अभितरियाए परिसाए पंचहिं अणगारसएहिं वाहिरियाए परिसाए मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं वग्धारियपाणी खीणे वेयणिजे आउए ना(मे)मगोए सिद्धे । एवं परिनिव्वाणमहिमा भाणियव्वा जहा जंबुद्दीवपण्णत्तीए नंदीसरे अट्ठा हियाओ पडिगयाओ । एवं खलु जंबू ! समणेणं ३ जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स नायज्झयणस्स अयमट्ठ पन्नत्ते-त्तिवेमि ॥ ८५ ॥ गाहाउ-उरगतवसंजमवओ पगिट्ठफलसाहगस्सवि जियस्स । धम्मविसएवि सुहुमावि होड माया अणत्थाय ॥ १ ॥ जह मल्लिस्स महावलभवंमि तित्ययरनामवधेऽवि । तवविसयथेवमाया जाया जुवइत्तहेउत्ति ॥ २ ॥ अट्टम नायज्झयणं समत्तं ॥ जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव सपत्तेणं अट्ठमस्स नायज्झय. णस्स अयमढे पन्नत्ते नवमस्स णं भंते ! नायज्झयगस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेण तेगं समएण चंपा नामं नयरी होत्या । (तीसे णं चपाए नयरीए कोणिए नाम राया होत्या तत्य णं चंपाए नयरीए वहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीमाए) पुण्णभद्दे (नाम) उज्जाणे(होत्था) । तत्य णं माकंदी नाम सत्यवाहे परिवसइ अढे जाव अपरिभूए । तस्स णं भद्दा नाम भारिया होत्या। तासे ण भद्दाए अत्तया दुवे सत्यवाहदारया होत्था तंजहा-जिणपालिए य जिगरक्खिए य । तए णं तेसिं मागदियदारगाणं अन्नया कयाइ एगयओ इमेयाब्वे मिहोकहासमुलावे समुप्पजित्या-एवं खलु अम्हे लवणसमुदं पोयवहणेणं एकारस Page #1089 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रो तेणेव उवागनगर हव्वमागया, पोयवहणेणं आ सु. १ म०९] सुत्तागमे १०३७ वारा ओगाढा सव्वत्थ वि य णं लट्ठा कयकज्जा अणहसमग्गा पुणरवि निय(य). गधरं हव्वमागया। तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया! दुवालसमंपि लवणसमुई पोयवहणेणं ओगाहित्तए-त्तिकट्ट अन्नमन्नस्स एयमह पडिसुणेति २ त्ता जेणेव अम्मा- ' पियरो तेणेव उवागच्छंति २ ता एवं वयासी-एवं खलु अम्हे अम्मयाओ ! एक्कारस वारा तं चेव जाव निय(यं)गघरं हव्वमागया, तं इच्छामो णं अम्मयाओ! तुमहिं अव्भणुन्नाया समाणा दुवालम (म)लवणसमुई पोयवहणेणं ओगाहित्तए । तए णं ते मागंदियदारए अम्मापियरो एवं वयासी-इमे (ते) मे जाया ! अजग जाव परिभाएत्तए, तं अणुहोह ताव जाया! विपुले माणुस्सए इड्डीसक्कारसमुदए, कि मे सपञ्चवाएणं निरालंवणेणं लवणसमुद्दोत्तारेणं ? एवं खलु पुत्ता ! दुवालसमी जत्ता सोवसग्गा यावि भवइ, तं मा णं तुन्भे दुवे पुत्ता ! दुवालसमंपि लवण जाव ओगाहेह, मा हु तुन्भं सरीरस्स वावत्ती भविस्सइ । तए णं [ते] मा(ग)कंदियदारगा अम्मापियरो दोच्चपि तच्चपि एवं वयासी-एवं खलु अम्हे अम्मयाओ! एकारस वारा लवण जाव ओगाहित्तए । तए णं ते मा(गदी)कंदियदारए अम्मापियरो जाहे नो संचाएति वहहि आघवणाहि य पण्णवणाहि य (आघवित्तए वा पन्नवित्तए वा) ताहे अकामा चेव एयमढे अणु(जाणि)मन्नित्या । तए ण ते माकंदियदारगा अम्मापिऊहिं अन्भणुन्नाया समाणा गणिमं च धरिमं च मेजं च पारिच्छेज्जं च जहा अरहन्नगस्स जाव लवणसमुदं वहूइं जो(अ)यणसयाई ओगाढा ॥ ८६ ॥ तए णं तेसिं माकंदियदारगाणं अणेगाइ जोयणसयाई ओगाढाणं समागाणं अणेगाइं उप्पाइयसयाई पाउन्भूयाइं तंजहा-अकाले गजियं जाव थणियसद्दे क्रालियवाए तत्थ समुट्ठिए । तए णं सा नावा तेणं कालियवाएणं आहुणिज्जमाणी २ संचालिज्जमाणी २ संखोभिजमाणी २ सलिलतिक्खवेगेहिं अइव(आय)टिजमाणी २ कोट्टिमंसि करतलाहए विव ति(ते)दूसए तत्थेव • ओवयमाणी य उप्पयमाणी य उप्पयमाणी-विव धरणीयलाओ सिद्धविज्जा विजाहरकन्नगा ओवयमाणी विव गगणतलाओ भट्ठविजा विजाहरकन्नगा विपलायमाणी विव महागरुलवेगवित्तासिया भुयगवरकन्नगा धावमाणी विव महाजणरसियसद्दवित्तत्था ठाणभट्टा आस किसोरी निगुंजमाणी विव गुरुजणदिहावराहा सु(य)जणकुलकन्नगा घुम्ममाणी विव वी(ची). चिपहारसयतालिया गलियलंबगा विव गगणतलाओ रोयमाणी विव सलिल[भिन्न] गंठिविप्पइरमाण(घो)थोरंसुवाएहिं नववहू उवरयभत्तुया विलवमाणी विव परचक्कराया'भिरोहिया परममहब्भयाभिया महापुरवरी झायमाणी विव कवडच्छोमण] प्रओग जुत्ता जोगपरिव्वाइया नीस(निसा)समाणी विव महाकंतारविणिग्गयपरिस्सता Page #1090 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३८ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ परिणयवया अम्मया सोयमाणी विव तवचरणखीणपरिभोगा च(य)वणकाले देववरवहू संचुण्णियकट्ठकूवरा भग्गमेढिमोडियसहस्समाला सूलाइयवंकपरिमासा फलहं. तरतडतडेंतफुट्टतसंधिवियलंतलोह(की)खीलिया सव्वंगवियंभिया परिसडियरज्जुविसरंतसव्वगत्ता आमगमल्लगभूया अकयपुण्णजगमणोरहो विव चितिजमागगुरुई हाहाकयकण्णधारनावियवाणियगजगकम्म(गा)करविलविया नाणाविहरयणपणियसंपुण्णा वहहिं पुरिससएहिं रोयमाणेहिं कंदमाणेहि सोयमाणेहि तिप्पमाणेहिं विलवमाणेहिं एगं महं अंतोजलगयं गिरिसिहरमासा(य)इत्ता संभग्गकूवतोरणा मोडिय(झ). ज्मयदंडा वलयसयखंडिया क(र)डकडस्स तत्थेव विध्वं उवगया । तए णं तीए नावाए भिज्जमाणीए [ते] बहवे पुरिसा विपुलप(डि)णियभंडमायाए अंतोजलंमि निम. जावि यावि होत्था । तए णं ते माकंदियदारगा छेया दक्खा पत्तहा कुसला मेहाची निउणसिप्पोवगया वहुसु पोयवहणसंपराएसु क्रय कर(ण)गा लद्धविजया अमूढा अमूढहत्था एग महं फलगखंडं आसादेंति । जं(सिं)सि च णं पएसंसि से पोयवहणे विवन्ने तंसि च णं पएसंसि एगे महं रयण(ही)दीवे नाम दीवे होत्या अणेगाई जोयणाई आयामविक्खंभेगं अणेगाई जोयणाइ परिक्खेवेणं नाणादुमसंडमंडि उद्देसे सस्सिरीए पासाईए दरि(द)सणिजे अभिलवे पडिरूवे । तस्स णं वहुमज्झदेमभाए ए(त)त्यणं महं एगे पासायवडेंसए होत्या अभुग्गयमूसि(य)ए जाव सस्सिरी(भू)यरूवे पासाईए ४ । तत्थ णं पासायवडेंसए रयणदीवदेवया नाम देवया परिवसइ पावा चंडा रुद्दा खुद्दा साहसिया । तस्स णं पासायव(डि)डेंसयस्स चउ(द्दि)दिसिं चत्तारि वणसंडा [पन्नत्ता] किण्हा 'किण्होभासा । तए णं ते माकंदियदारगा तेणं फलयखंडेणं उबुज्झमाणा २ रयणदीवंतेणं संवुढा यावि होत्था । तए णं ते माकंदियदारगा थ'हं लभंति २ त्ता मुहुत्तंतर आ(स)सासंति २ त्ता फलगखंडं विसज्जेति २ त्ता रयणदीवं उत्त(रं)रेति २ त्ता फलाणं मग्गणगवसणं करेंति २ त्ता फलाइं (गि(गे)ण्हति २ त्ता) आहारेति २ ता नालि(ए)यराणं मग्गणगवेसणं करेंति २ ता नालियराई फोडेंति २ त्ता नालियरतेल्लेणं अन्नमन्नस्स गाया(गत्ता)इं अ(भं)भिगेति २ त्ता पोक्खरणीओ ओगा(हिं)हति २ त्ता जलमजणं करेंति २ त्ता जाव पञ्चुत्तरंति २ त्ता पुढविसिलापट्टयंसि निसीयति र त्ता आसत्था वीसत्था सुहासणवरगया चं(पा)पं नयरि अम्मापिउआपुच्छगं च लवणसमुद्दोत्ता(रं)रणं च कालियवायसं(स)मु(त्थ)च्छणं च पोयवहणविवत्तिं च फलयखंड[य]स्स आसायणं च रयणदी()वोत्तारं च अणुचिंतेमाणा २ ओहयमणसंकप्पा-जाव झिया(यें)यंति । तए णं सा रयणदीवदेवया ते माकं दियदारए ओहिणा आभोएइ २ त्ता असिफलगवग्गहत्था सत्त[अ]ढ(ता)तलप्पमाणं Page #1091 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ अ०९ ] सुत्तागमे १०३९ उड्ड वेहासं उप्पयइ २ त्ता ताए उकिट्ठाए जाव देवगई ए वी (इ) ईवयमाणी २ जेणेव माकंदियदारए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता आसुरुत्ता [ते] माकंदियदारए खरफरुसनिहुरवयणेहिं एवं वयासी-हं भो माकंदियदारया ! ( अपत्थियपत्थिया 1 ) जइ णं तुब्भे मए सद्धि विउलाई भोगभोगाईं भुंजमाणा विहरह तो मे अस्थि जीवि (अ) यं, अह (v) णं तुभे मए सद्धिं विउलाई नो विहरह तो भे इमेणं नीलुप्पलगवलगुलिय जाव खुरधारेणं असिणा रत्तगंडमंसुयाई माउ (या) आहिं उवसोहियाइ तालफला( णी) णिव सीसाई एगंते एडेमि । तए णं ते माकंदियदारगा रयणदीवदेवयाए अंतिए एयमहं मोच्चा निसम्म भीया करयल जाव वद्धावेत्ता एवं वयासी-जन्नं देवाणुपिया (!) वइस्सर तस्स आणा उववायवयणनिद्देसे चिट्ठिस्सामो । तए णं सा रयणदीवदेवया ते माकंदियदारए गेण्हइ २ त्ता जेणेव पासायवडेंसंए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता असुभपोग्गलावहारं करेइ २ त्ता सुभपोग्गलपक्खेवं करेइ २ त्ता [तओ] पच्छा तेहिं सद्धिं विउलाई भोगभोगाईं भुंजमाणी विहरइ कल्लाकाल्लं च अमयफलाई उवइ ॥ ८७ ॥ तए णं सा रयणदीवदेवया सक्कवयणसंदेसेणं सुट्टिएणं लवणाहिवइणा लवणसमुद्दे तिसत्तखुत्तो अणुपरिय (ट्टि) यव्वे त्ति जं किचि तत्थ तणं वा पत्तं वाक वाकयवरं वा अ ( ३ ) इ पू (ति) यं दुरभिगंधम चोक्खं तं सव्वं आहुणिय २ तिसत्तखुत्तो एगंते एडेयव्वं तिकट्टु निउत्ता । तए णं सा रयणदीवदेवया ते मार्कदियदारए एवं वयासी - एवं खलु अहं देवाणुपिया ! सक्कवयणसंदेसेणं सुट्टिए ( ं) लवणाहिवइणा तं चैव जाव निउत्ता । तं जाव [ ताव] अहं देवाणुप्पिया । लवणसमुद्दे जाव एडेमि ताव तुब्भे इहेव पासायवडेंसए सुहंसुहेणं अभिरममाणा चिट्ठह । जणं तुभे एयंसि अंतरंसि उव्विग्गा वा उस्सुया वा उप्पुया वा भवेजाह तो णं तुब्भे पुर (च्छि ) त्थिमित्रं वणसंडं गच्छेजाह । तत्थ णं दो उ (ऊ) ऊ सया साहीगा तंजहा - पाउसे य वासारत्ते य । तत्थ उ कंइलसिलिंधदंतो निउरवरपुप्फपीवरकरो । कुडयजुणनीवसुरभिदाणो पाउसउऊ-गयवरो साहीणो ॥ १ ॥ तत्थ य - सुरगोवमणि - विचित्तो दद्दुरकुलरसियउज्झररवो । वरहिण (विं) वंद परिणद्धसिहरो वासार (तो) त्तउउपव्वओ साहीणो ॥ २ ॥ तत्थ णं तुब्भे देवाणुपिया ! बहुसु वावीमु य जाव सरसरपंतियासु [य] ब(हू) हुसु आलीघर एसु य मालीघरएसु य जाव कुसुमघरएसु य सुहंसुहेगं अभिरममाणा [२] विह (रे ) रिजाह । जइ णं तुव्भे त (ए) त्थ विउन्ग्गिा वा उरुपया वा उप्पुया वा भवेज्जाह तो णं तुब्भे उत्तरिल्लं वणसंडं गच्छेजाह । तत्थ णं दो उऊसया साहीगा तं जहा - सरदो य हेमंतो य । तत्थ उ सणस (त) त्तिवण्णक(ओ) हो नीलुप्पलप उंमनलिगसिंगो | सारसच ( कवा) कायरवियघोसो सरयउऊ - गोवई Page #1092 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४० सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ साहीणो॥ १ ॥ तत्य य सियकुंदधवल जोण्हो कुसुमियलोद्धवगसंडमंडलतलो। तुसारदगधारपीवरकरो हेमंतउऊससी सया साहीणो ॥ २ ॥ तत्य णं तुन्भे देवाणुप्पिया ! वावी मु य जाव विहरेजाह । जइ णं तुब्भे तत्थ वि उव्विग्गा वा जाव उस्सुया वा भवेजाह तो णं तुब्भे अवरिलं वणसंड गच्छे नाह । तत्थ णं दो उऊ सया साहीगा तंजहा-वसंते य गिम्हे य । तत्य उ सहकारचारुहारो किंसुयकण्णियारासोगम उडो। ऊसियतिलगव(उ)कुलायवत्तो वसंतउऊ-नरवई साहीगो॥ १ ॥ तत्य य पाडलसिरीससलिलो म(लि)लियावासंतियधवलवेलो सीयलसुरभिअनिलमगरचरिओ गिम्हउऊसागरो साहीणो ॥ २ ॥ तत्य णं बहूसु जाव विहरे जाह । जइणं तुन्भे देवाणुप्पिया ! तत्य वि उबिग्गा [वा] उस्सुया [वा उप्पुया वा] भवेजाह तओ तुब्भे जेगेव पासायवडेंसए तेणेव उवागच्छे जाह ममं पडिवालेमाणा २ चिट्टेजाह । मा णं तुब्भे दक्खिणिलं वणसंडं गच्छेजाह । तत्थ णं महं एगे उग्गविसे चंडविसे घोरविसे महाविसे अइका(य)र महाकाए जहा तेयनिसग्गे मसिमहि(सा)समूसाकालए नयणविसरोसपुण्णे अंजगपुंजनियरप्पगासे रत्तच्छे जमलजुयलचंचलचलंनजीहे धरणियलवेणिभूए उक्कडफुडकुडिलजडिलकक्खड वियडफडाडोवकरणदच्छे लो(गाहा)हागरधम्ममाणधमधमेतघोसे अगागलियचंडतिव्वरोसे समु(हिं)हं तुरि(य)यचवलं धमध(म)मेतदिट्ठीविसे सप्पे (य) परिवसइ । मा णं तुम्भ सरीर(ग)स्स वावत्ती भविस्सइ । ते माकंदियदारए दोच्चंपि तचंपि एवं वयइ २ त्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोह[]गइ २ त्ता ताए उनिहाए लवगसमुई तिसत्तखुत्तो । अणुपरियट्टेउं पयत्ता यावि होत्या ॥ ८८ ॥ तए णं ते माकंदियदारया तओ मुहुत्तंतरस्स पासायव.सए सई वा रई वा धिई वा अलभमाणा अन्नमन्नं एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! रयगदीवदेवया अम्हे एवं वयासी-एवं खलु अहं सक्कवयणसदेसेणं सुढिएणं लवगाहिवइणा जाव वावत्ती भविस्सइ । तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! पुरथिमि(ले)लं वगसंडं गमित्तए । अन्नमन्नस्स (एयम8) पडिसुणेति २ त्ता जेणेव पुरथिमिल्ले वगसंडे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता तत्य णं वावीनु य जाव आलीघरएसु य जाव विहरंति । तए णं ते माकदियदारगा तत्थ वि सई वा जाव अलभमाणा जेणेव उत्तरिल्ले वणसंडे तेणेव उवागच्छंति (२ त्ता) तत्थ णं वावीसु य जाव आलीघरएसु य विहरंति । तए णं ते माकंदियदार(या)गा तत्थ वि सई वा जाव अलभमाणा जेणेव पञ्चत्यिमिल्ले वणसंडे तेणेव उवागच्छंति २त्ता जाव विहरति । तए णं ते माकंदियदारगा तत्थवि सई वा जाव अलभमाणा अन्नमन्नं एवं वयासीएव खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे रयगदीवदेवया एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणु Page #1093 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ०९] सुत्तागमे १०४५ प्पिया। सक्क(स्स)वयणसंदेसेणं सुट्ठिए(ण)णं लवणाहिवइणा जाव मा णं तुभ सरीरस्स वावत्ती भविस्सइ । तं भवियव्व एत्य कारणेणं । तं सेयं खलु अम्हं दक्खिणिलं चणसंडं गमित्तए-त्तिकट्ट अन्नमन्नस्स एयमढे पडिसुणेति २ त्ता जेणेव दक्खिणिल्ले चणसंडे तेणेव पहारेत्य गमणाए। त(ए)ओ णं गंधे निद्धाइ से जहानामए अहिमडेइ वा जाव अणि?तराए(चेव)। तए णं ते माकंदियदार(या)गा तेणं असुभेणं गंधणं अभिभूया समाणा सएहिं २ उत्तरिजेहिं आसाइं पिहेंति २ ता जेणेव दक्खिणिल्ले वणसंडे तेणेव उवागया। तत्थ णं महं एग आ(घा)घयणं पासंति(०) अहियरासिसयसकुलं भीमदरिसणिज एगं च तत्थ सूलाइ(त)यं पुरिसं कलुणाई कट्ठाई विस्सराई कुव्वमाणं पासंति(२ त्ता)भीया जाव संजायभया जेणेव से सूलाइ(य)ए पुरिसे तेणेव उवागच्छंति २ तातं सूलाइयं पुरिसं एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया ! कस्स आघयणे तुमं च णं के कओ वा इहं हव्वमागए केण वा इमेयारूवं आव(ति)यं पाविए ? । तए णं से सूलाइए पुरिसे ते]माकदियदार(ए)गे एव वयासी-एस णं देवाणुप्पिया! रयणदीवदेवयाए आघयणे । अहं णं देवाणुप्पिया! जंबुद्दीवाओ दीवाओ भारहाओ वासाओ का (गंदी)कंदिए आसवाणियए विपुलं पणियभंडमायाए पोयवहणेणं लवणसमुदं ओयाए । तए ण अहं पोयवहणविवत्तीए निब्बुभंडसारे एग फलगखंडं आसाएमि । तए णं अहं उवुज्झमाणे २ रयणदीवंतेणं संवूढे। तए णं सा रयणदीवदेवया ममं (ओहिंगा) पासइ २ त्ता ममं गेण्हइ २ त्ता मए सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरइ । तए णं सा रयणदीवदेवया अन्नया कयाइ अहालहुसगंसि अवराहसि परिकुविया समाणी ममं एयारूवं आवयं पाई । तं न नजइ णं देवाणुप्पिया | तु(म्ह)भं पि इमेसि सरीरगाणं का मन्ने आवई भविस्सइ (?) । तए णं ते माकंदियदारगा तस्स सूलाइ(योगस्स अंतिए एयमढे सोचा निसम्म बलियतरं भीया जाव संजायभया सूलाइयं पुरिसं एवं वयासी-कहं णं देवाणुप्पिया! अम्हे रयणदीवदेवयाए हत्थाओ साहत्थि नित्थरिजामो ? । तए णं से सूलाइए पुरिसे ते माकंदियदारगे एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया ! पुरत्थिमिल्ले वणसंडे सेलगस्स जक्खस्स जक्खा(य)यणे सेलए नाम आसरूवधारी जक्खे परिवसइ । तए णं से सेलए जक्खे चाउ(चो)इसट्टमुट्ठिपुण्णमासिणीसु आगयसमएँ पत्तसमए महया २ सद्दणं एवं वदइ-कं तारयामि ? कं पालयामि ? तं गच्छह णं तुम्ने देवाणुप्पिया ! पुरथिमिळं वणसंड सेलगस्स जक्खस्स महरिहं पुप्फञ्चणियं करेह २ ता जनुपायवडिया पंजलिउडा विणएणं पजवासमाणा विहर(चिट्ठ)ह । जाहे णं से सेलए जक्खे आगयसमए पत्तसमए एवं वएज्जा-कं तारयामि ? के पालयामि ? तांहे ६६ सुत्ता. Page #1094 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४२ सुत्तागमे [णायाधम्मकहामओ तुम्मे [एवं] वयह-अम्हे तारयाहि अम्हे पालयाहि । सेलए (भ) भो जक्ले परं रयणदीवदेवयाए हत्थाओ साहत्यिं नित्यारेजा। अन्नहा भो न याणामि इमेसिं सरीरंगाणं का मन्ने आवई भविस्सइ ॥ ८९ ॥ तए णं ते माकंदियदारगा तस्स सलाइयस्स अंतिए एयमढे सोचा निसम्म सिग्धं चंदं चवलं तुरियं वेइयं जेणेव पुरथिमि , वणसंडे जेणेव पोक्खरिणी तेणेव उवागच्छंति २ त्ता पोक्खरिणिं ओगाहें (गाई)ति २ ता जलमजणं करेंति २ त्ता जाई तत्थ उप्पलाइं जाव गेण्हंति २ ना जेणेव सेलगस्य जक्खस्स जक्खाययणें तेणेव उवागच्छति २ त्ता आलोए पणामं करंति २त्ता महरिहं पुप्फञ्चणियं करेंति २ ता जनुपायवडिया सुस्सूसमाणा नमसमाणा पजुवासंति । तए णं से सेलए जक्खे आगयसमए पत्तसमए एवं वयासी-कं तारयामि ? के पालयामि ? | तए णं ते माकंदियदारगा उहाए उठेति करयल जाव वद्धावेत्ता एवं क्यासी-अम्हे तारयाहि अम्हे पालयाहि । तए णं से सेलए जक्खे ते माकंदियदारए एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! तुम्भ मए सद्धिं लवणसमु(देणं)ई मज्झंमज्झेणं वीईवयमा(ण)गाणं सारयणदीवदेवया पावा चंडा रुदा खुहा साहसिया बहूहि खरएहि य मउएहि य अणुलोमेहि य पडिलोमेहि य सिंगारेहि य कलुणेहि य उवसग्गेहि य उवसर्ग करेहिइ। तं जइ णं तुन्भे देवाणुप्पिया! रयणदीवदेवयाए एयमहूँ आढाह वा परियाणह वा अव(ए)यक्खह वा तो मे अहं पिट्टाओ वि(धु)हणामि । अह णं तुसे, रयणदीवदेवयाए एयमद्वं नो आढाह नो परियाणह नो अवयक्खह तो मे रचणदीवदेवयाए] हत्थाओ साहत्यिं नित्यारेमि । तए णं ते माकंदियदारगा सेलगं जक्वं एवं वयासी-जंणं देवाणुप्पिया(1)वइस्संति तस्स णं उववायवयणनिद्देले चिहिस्सामो। तएणं से सेलए जक्खे उत्तरपुर(च्छि)त्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ २ त्ता वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणइ २ ता संखेन्जाई जोयणाई दंडं निस्सरइ दोचंपि(तचंपि)वेउब्बियसमुग्घाएणं समोहणइ २ त्ता एगं महं आसत्वं वे(वि)उव्वइ २ त्ता ते माकंदियदारए एवं वयासी-हं भो माकंदियदारया ! आल्ह णं देवाणुप्पिया ! मम पिट्ठति । तए णं ते माकंदियदारया हट्ठ० सेलगस्स जक्खस्स पणामं करेति २ त्ता सेलगस्स पि(हि) दुरूढा-। तए णं से सेलए ते माकंदियदारए दुरुढे जाणित्ता सत्त[अढतालप्पमाणमेनाई. उर्दू,वेहासं उप्पयइ २ त्ता (य) ताए उनिहाए तुरियाए[चवलाए चंडाए दिव्वाए] देवयाए दे(दि०)वगईए लवणसमुई मज्झंमज्झेणं जेणेव जंबुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव चंपा नयरी तेणेव पहारेत्य गमणाए ॥९०॥ तए णं सा रयणदीवदेवया लवणसमुई तिसत्तखुत्तो अणुपरियइ जं तत्थ तणं वा जाव एडेइ(२ त्ता)जेणेव पासायवडेंसए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता ते माकंदियदारया पासायव.सए अपासमाणी Page #1095 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ अ०९] सुत्तागमे १०४३ जेणेव पुरथिमिल्ले वणसंडे जाव सवओ समंता मग्गणगवेसणं करेइ २ ता तेसिं माकंदियदारगाणं कत्थइ सुई वा ३ अलभमाणी जेणेव उत्तरिल्ले (वणसंडे) एवं चेव पञ्चत्थिमिल्ले वि जाव अपासमाणी ओहिं पउंजइ (०) ते माकंदियदारए सेलएणं सद्धि लवणसमुदं मझमज्झेणं वीईवयमाणे २ पासइ २ त्ता आसुरुत्ता असिखेडगं गेण्हइ २त्ता सत्तट्ट जाव उप्पयइ २ त्ता ताए उनिहाए जेणेव माकंदियदार(गा)या तेणेव उवा. गच्छइ २ ता एवं वयासी-हं भो माकंदियदारगा अपत्थियपत्थिया! किण्णं तुम्भे जाणह विप्पजहाय सेलएणं जक्खेणं सद्धिं लवणसमुदं मझंमज्झेणं वीईवयमाणा ? तं मम एवमवि गए जइ णं तुन्भे ममं अवयक्खह तो भे अत्थि जीवियं, अहणं नावयक्खह तो भे इमेणं नीलुप्पलगवल जाव एडेमि । तए णं ते माकंदियदारगा रयणदीवदेवयाए अंतिए एयमढं सोचा निसम्म अभीया अतत्था अणुब्बिग्गा अक्खुभिया असंभंता रयणदीवदेवयाए एयमढें नो आदति नो परियाणति ना(णो अ)वयक्खंति अणाढायमाणा अपरियाणमाणा- अणवयक्खमाणा[य]सेलए(ण)णं जक्खेणं सद्धिं लवणसमुई मज्झमज्झेणं वीईवयंति । तए णं सा रयणदीवदेवया ते माकंदि[यदार]या जाहे नो संचाएइ बहहिं पडिलोमेहि य उवसग्गेहि य चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा (लोभित्तए वा) ताहे महुरे(हि)हिं[य]सिंगारेहि य कलुणेहि य उव. सग्गेहि य उवसग्गेउं पयत्ता यावि होत्या-हं भो माकंदियदारगा ! जइ णं तुन्भेहि देवाणुप्पिया! मए सद्धिं हसियाणि य रमियाणि य ललियाणि य कीलियाणि य हिंडियाणि य मोहियाणि य ताहे णं तुम्भे सव्वाइं अगणेमाणा ममं विप्पजहाय सेलएणं सद्धि लवणसमुई मज्झमज्झेणं वीईवयह । तए णं सा रयणदीवदेवया जिणरक्खियस्स मणं ओहिणा आभोएइ २ त्ता एवं वयासी-निचंपि य णं अहं जिणपालियस्स अणिट्ठा ५ । निचं मम जिणपालिए अणिढे ५ । निचंपि य णं अहं जिणरक्खियस्स इट्ठा ५। निच्चपि य णं ममं जिणरक्खिए इढे ५ । जइ णं मम जिणपालिए रोयमा(णी)णि कंदमाणि सोयमाणि तिप्पमाणिं विलवमाणिं नावयक्खइ किष्णं तुम[पि]जिणरक्खिया! ममं रोयमाणि जाव नावयक्खसि ? तए -सा पवररयणदीवस्स देवया ओहिणा (उ) जिणरक्खियस्स मणं । नाऊ(ण)णं वधनिमित्तं उव(रि)रिं माकंदियदारगा(ण)ण दोण्हंपि ॥ १॥ दोसकलिया स(ललि)लिलयं नाणाविहचुण्णवासमीसियं दिव्यं । घाणमणनिव्वुइकरं सव्वोउयसुरभिकुसुमबुद्धिं पमुंचमाणी ॥ २ ॥ नाणामणिकणगरयणघंटियखिखिणिने(ऊ)उरमेहलभूसणरवेणं । दिसाओ विदिसाओ पूरयंती वयणमिणं बेइ सा (स)कलुसा ॥ ३ ॥ होल वसुल गोल नाह दइय पिय रमण कंत सामिय निग्षिण नित्थक्क । थि(छि)ण्ण निकिव Page #1096 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४४ सुत्तागमे [णायाधम्मकहामो अकय(लु)न्नुय सिढिलभाव निरज लुक्ख अकलण जिगरक्खिय मज्झं हिययरक्ख(गा)ग ॥ ४ ॥न हु जुज्जसि एक्वियं अणाहं अबंधवं तुज्न चलगओवायमारिवं उज्झिउम(ह)धन्नं । गुणसंकर (! अ)हं तुमे विहूणा न समत्या (वि) जीविडं खणंपि ॥ ५ ॥ इमस्स उ अणेगझसमगरविविधसावयसया(उ)कुलघरस्स । रयगागरस्स मज्झे अप्पाणं वहेमि तुज्झ पुरओ एहि नियत्नाहि जइ सि कुविओ खमाहि ए(का)कावराहं मे ॥ ६ ॥ तुज्झ य विगयघणविमलससिमंड(लोलागारसत्सिरीयं सारयनवकमलकुमुदकुवलयविमलदलनिकरसरिसनि(भ)भनयणं । ववणं पिवासा. गयाए सद्धा मे पेच्छिउं जे अवलोएहि ता इओ ममं नाह जा ते पेच्छामि वयण. क्रमलं ॥ ७ ॥ एवं सप्पणयसरलमहुराई पुणो २ कलुणाई वयणाई जंपमाणी सा पावा मग्गओ समण्णेइ पावहियया ॥ ८ ॥ तए णं से जिणरक्खिए चलमणे तेणेव भूसणरवेणं कण्णमुहमणोहरेणं तेहि य सप्पणयसरलमहुरभणिएहि संजायविउण[अणु]राए रयणदीवस्स देवयाए तीसे सुंदरथणजहणवयणकर चरणनयणलावग्गावजोवण्णसिरिं च दिव्वं सरभसउवगूहियाइं (जाति)विव्वोयविलसियाणि य विहसियसकडक्खदिट्ठिनिस्ससियमलियउवललिय(ठि)थियगमणपणयखिज्जिय(पा)पसाइयाणिय सरमाणे रागमोहियमई अवसे कम्मवसगए अवयक्खइ मग्गओ सविलियं । तए णं जिणरक्खियं समुप्पन्नकलुणभावं मच्चगलत्यल्लणोल्लियमइंअवयक्खंतं तहेव जक्खे (य) उ सेलए जाणिऊण सणियं २ उव्विहइ नियगपिट्ठा(हि)हिं विगयस(त्यं)द्धे । तए णं सा रयणदीवदेवया निस्संसा कलुणं जिणरक्खियं सकलुसा सेलगपिट्ठाहिं ओ(उ)व. यंतं-दास ! मओसि त्ति जंपमाणी अ()पत्तं सागरसलिलं गेण्हिय वाहाहिं आरसंतं उड उविवहह अंवरतले ओवयमाणं च मंडलग्गेण पडिच्छित्ता नीलुप्पलगवलअयसिप्पगासे(ण)णं असिवरेणं खंडाखंडिं करेइ २ त्ता तत्थ विलवमाणं तस्स य सरसवाहियस्स घेत्तूण अंगमंगाई सरुहिराइं उक्खित्तवलिं चउद्दिसिं करेइ सा पंजली प(हि)हट्ठा ॥ ९१ ॥ एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथाण वा निरगंथीण वा अतिए पव्वइए समाणे पुणरवि माणुस्सए कामभोगे आसायइ पत्ययइ पीहेइ अभिलसइ से णं इहभवे चेव वहणं समणाणं वहणं समणीणं वहूगं सावयागं वहणं सावियाणं जाव संसारं अणुपरियहिस्सइ जहा (वा) व से जिगरक्खिए। छलिओ अवयक्खंतो निरावयक्खो गओ अविग्घेणं । तम्हा पवयणसारे निरावयक्खेण भवियव्वं ॥१॥ भोगे अवयक्खंता पडं ति संसारसा(य)गरे घोरे । भोगेहिं [य] निरवयक्खा तरंति संसारकंतारं ॥ २॥ ९२ ॥ तएणं सा रयगदीवदेवया जेणेव जिणपालिए तेणेव उवागच्छइ २ ता वहिं अणुलोमेहि य पडिलोमेहि य खरम(हुर)उयसिंगारे(हिं)हि Page #1097 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ १०९] सुत्तागमे १०४५ य कलुणेहि य उवसग्गेहि य जाहे नो संचाएइ चालित्तए वा खोभित्तए वा वि(८)परिणामित्तए वा ताहे संता तंता परितंता निविण्णा समा(णा)णी जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दि(सं)सि पडिगया । तए णं से सेलए जक्खे जिणपालिएण सद्धिं लवणसमुद्दे मज्झमज्झेणं वीईवयइ २ त्ता जेणेव चंपा नयरी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता चपाए नयरीए अरगुजाणंसि जिगपालियं प(पि)हाओ ओयारेइ २ त्ता एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया! चंपा-नयरी दीसइ-त्तिक? जिणपालियं आपुच्छइ २ त्ता जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसि पडिगए ॥ ९३ ॥ तए णं जिणपालिए चंपं अणुपविसइ २त्ता जेणेव सए गिहे जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अम्मापिऊणं रोयमाणे जाव विलवमाणे जिणरक्खियवावत्तिं निवेदेड । तए णं जिणपालिए अम्मापियरो मित्तनाइ जाव परियणेणं सद्धिं रोयमाणाई बहुइं लोइयाइं मयकिच्चाई करेंति २ त्ता कालेणं विगयसोया जाया । तए णं जिणपालियं अन्नया कया(इ)ई मुहासणवरगयं अम्मापियरो एवं वयासी-कैहण्ण पुत्ता! जिणरक्खिए कालगए। तए णं से जिगपालिए अम्मापिऊणं लवणसमुद्दोत्तारणं च कालियवायसमुच्छणाच] पोयवहणविवत्तिं च फलहखंडआसायणं च रयणदीवुत्तारं च रयणदीवदेवया(गिह)गेण्डिं च भोगविभूई च रयणदीवदेवयाअप्पाहणं च सूलाइयपुरिसदरिसणं च सेलगजक्खआरुहणं च रयणदीवदेवयाउवसग्गं च जिणरक्खियविवत्ति च लवणसमुद्दउत्तरणं च चंपागमणं च सेलगजक्खआपुच्छणं च जहाभूयमवितहमसंदिद्धं परिकहेइ । तए णं जिगपालिए जाव अप्पसोगे जाव विउलाई भोगभोगाइं जमाणे विहरइ ॥ ९४ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे (जाव जेणेव चंपा न(ग)यरी जेणेव पुण्णभद्दे उजाणे तेणेव) समोसढे (परिसा णिग्गया कूणिओ वि राया निग्गओ जिगपालिए) जाव धम्म सोच्चा पव्वइए ए(का)गारसंग(विऊ)वी मासिएणं भत्तेणं जाव अत्ताणं झूसेत्ता सोहम्मे कप्पे दो सागरोवमाइं ठिई प० । ताओ आउक्खएगं ठिइक्खएणं भवक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता जेणेव महाविदेहे वासे सिज्झिहिंइ जाव अंतं काहिइ । एवामेव समणाउसो ! जाव माणुस्सए कामभोगे नो पुणरवि आसाइ से णं जाव वीईवइस्सइ जहा व से जिणपालिए । एवं खल जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं नवमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते तिबेमि ॥९५॥ गाहाओ-जह रयणदीवदेवी तह एत्थं अविरई महापावा। जह लाहत्थी वणिया तह सुहकामा इहं जीवा ॥ १ ॥ जह तेहि भीएहि दिहो आघायमंडले पुरिसो । संसारदुक्खभीया पासंति तहेव धम्मकह ॥ २ ॥ जह तेण तेसि कहिया देवी दुक्खाण कारणं घोरं । तत्तो चिय नित्थारो सेलगजक्खाओ Page #1098 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४६ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाभो नण्णत्तो ॥३॥ तह धम्मकही भव्वाण साहए दिट्ठअविरइसहावो । सयलदुहहेउभूओ विसया विरयंति जीवाणं ॥ ४ ॥ सत्ताणं दुहत्ताणं सरणं चरणं जिणिंदपण्णतं । आणंदरूवनिव्वाणसाहणं तह य देसेइ ॥ ५ ॥ जह तेसिं तरियन्वो रुद्दसमुद्दो तहेव संसारो । जह तेसि सगिहगमणं निव्वाणगमो तहा एत्यं ॥ ६ ॥ जह सेलगपिट्ठाओ भट्ठो देवीइ मोहियमईओ। सावयसहस्सपउरम्मि सायरे पाविओ निहणं ॥ ७ ॥ तह अविरईइ नडिओ चरणचुओ दुक्खसावयाइण्णे । निवडइ अपारसंसार. सायरे दारुणसरूवे ॥ ८ ॥ जह देवीए अक्खोहो पत्तो सट्ठाण जीवियसुहाई । तह चरणढिओ साहू अक्खोहो जाइ निव्वाणं ॥९॥ नवमं नायज्झयणं समत्तं ।। __ जइ णं भंते ! समणेणं० नवमस्स नायज्मयणस्स अयमढे पन्नत्ते दसमस्स(०) के अढे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेगं तेणं समएणं रायगिहे (नाम) नयरे (हो. तत्थ णं रा० न० से० णा० रा० हो० तस्स णं रा० न० व० उ० दि० एत्य णं गु० णा० उ० हो० ते० का ते० स० स० भ० म० पु० च० जाव जे० गु० उ० ते० स०) सामी समोसढे (प० नि० सेणिओ वि रा० नि० धम्म सोचा प० प० तए णं)गोय(मसामी)मो (समणं ३) एवं वयासी-कहण्णं भंते ! जीवा वढंति वा हायंति वा ? गोयमा! से जहानामए बहुलपक्खस्स पाडिवयाचंदे पुण्णिमाचंदं पणिहाय ही(गो)णे वण्णेणं हीणे सो(म)मयाए हीणे निद्धयाए हीणे कंतीए एवं दित्तीए जुत्तीए छायाए पभाए ओयाए ले(स)साए मंडलेणं । तयाणंतरं च णं बीयाचंदे प(पा)डिव(य)याचंदं पणिहाय हीणतराए वण्णेणं जाव मंडलेणं । तयाणंतरं च गं तइयाचंदे बी(विति)याचंदं पणिहाय हीणतराए वण्णेणं जाव मंडलेणं । एवं खलु एएणं कमेणं परिहायमाणे २ जाव अमाव(स)साचंदे चाउद्दसिचंदं पणिहाय नढे वण्णेणं जाव नटे मंडलेणं । एवामेव समणाउसो! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा जाव पव्वइए समाणे हीणे खंतीए एवं मुत्तीए गुत्तीए अज्जवेणं महवेणं लाघवेणं सच्चेणं तवेणं चियाए अकिंचणयाए वंभचेरवासेणं । तयाणंतरं च णं हीणे हीणतराए खंतीए जाव हीणतराए वंभचेरवासेणं । एवं खलु एएणं कमेणं परिहायमाणे २ नढे खंतीए जाव नढे बंभचेरवासेणं । से जहा वा सुक्कपक्खस्स पडिवयाचंदे अमावसा(ए)चंदं पणिहाय अहिए वण्णेणं जाव अहिए मंडलेणं । तयाणंतरं च णं बीयाचंदे पडिवयाचंदं पणिहाय अहिययराए वण्णेणं जाव अहिययराए मंडलेणं । एवं खलु एएणं कमेणं परि(व)वड्वेमाणे २ जाव पुण्णिमाचंदे चाउद्दसिं चंदं पणिहाय पडिपुण्णे वणेणं जाव पडिपुण्णे मंडलेणं । एवामेव समणाउसो! जाव पव्वइए समाणे अहिए खंतीए जाव वंभचेरत्रासेणं । तयाणंतरं च णं अहिययराए खंतीए जाव Page #1099 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु. १० ११] सुत्तागमे १०४७ वंभचेरवासेणं । एवं खल एएणं कमेणं परिवद्वेमाणे २ जाव पडिपुग्णे बंभचेरवासेणं । एवं खलु जीवा वटुंति वा हायंति वा । एवं खलु जंवू ! समणेणं भगवया महावीरेणं० दसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते त्ति बेमि ॥९॥ गाहामओजह चंदो तह साहू राहुवरोहो जहा तह पमाओ। वण्णाई गुणगणो जह तहा खमाई समणधम्मो ॥ १॥ पुण्णो वि पइदिणं जह हायंतो सव्वहा ससी नस्से । तह 'पुण्णचरित्तोऽवि हु कुसीलसंसग्गिमाईहिं ॥ २ ॥ जणियपमाओ साहू हायंतो 'पइदिणं खमाईहिं । जायइ नचरित्तो तत्तो दुक्खाई पावेइ ॥ ३ ॥ हीणगुणो वि हु होउं सुहगुरुजोगाइजणियसंवेगो । पुण्णसरूवो जायइ विवढमाणो ससहरोव्व ॥ ४ ॥ दसमं नायज्झयणं समत्तं ॥ __ जइणं भंते ! समणेणं० दसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते एक्कारसमस्स(०) के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंवू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव गोयमे (समणं ३) एवं वयासी-कहं णं भंते ! जीवा आराहगा चा विराहगा वा भवंति ? गोयमा! से जहानामए एगसि समुद्दकूलंसि दावद्दवा नामं रुक्खा पनत्ता किण्हजाव निड(रु)रंवभूया पत्तिया पुफिया फलिया हरियगरेरिजमाणा सिरीए-अईव उवसोभमाणा २ चिट्ठति । जया णं दीविञ्चगा ईसिं पुरेवाया पच्छावाया मंदावाया महावाया वायंति तया णं वहवे दावद्दवा रुक्खा पत्तिया जाव चिट्ठति । अप्पेगइया दावद्दवा रुक्खा जुण्णा प्रोडा परिसडियपंडुपत्तपुप्फफला सुक्कलक्खओ विव मिलायमाणा २ चिट्ठति । एवामेव समणाउसो ! (जे) जो अम्हं निग्गंथो वा २ जाव पव्वइए समाणे वहूणं समणाणं ४ सम्मं सहइ जाव अहियासेइ बहूणं. अन्नउत्थियाणं वहणं गिहत्थाणं नो सम्मं सहइ जाव नो.अहियासेइ एस णं मए पुरिसे देसविराहए पन्नत्ते समणाउसो ! जया णं सामुद्दगा ईसिं पुरेवाया पच्छावाया मंदावाया महावाया वायंति तया णं वहवे दावदवा रुक्खा जुण्णा झोडा जाव मिलाय. माणा २ चिट्ठति । अप्पेगइया दावदवा रुक्खा पत्तिया पुफिया जाव उवसोभेमाणा २ चिट्ठति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा २ जाव पव्वइए समाणे वहूणं अन्नउत्थि(याणं व०)यगिहत्थाणं सम्मं सहइ वहूणं समणाणं ४ नो सम्मं सहइ एस णं मए पुरिसे देसाराहए पन्नत्ते समणाउसो ! जया शं नो दीविचगा नो सामुदगा ईसिं (पुरेवाया) पच्छावाया जाव महावाया वायंति त(ए)या णं सव्वे दावद्दवा रुक्खा जुण्णा झोडा(०)। एवामेव समणाउसो! जाव पव्वइए समाणे वहणं समणाणं ४ बहूणं अन्नउत्थियगिहत्याणं नो सम्म सहइ एस णं मए पुरिसे सव्वविराहए पनत्ते समणाउसो ! जया णं दीविचगा वि सामुद्दगा वि ईसिं (पुरेवाया पच्छावाया) जाव Page #1100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ णायाधम्मकाओ वायंति तथा णं सव्वे दावद्दवा ( रूक्खा) पत्तिया जाव चिह्नंति । एवामेव समणाउसो ! जो अहं पव्वइए समाणे बहूणं समणाणं ४ वणं अन्नउत्थियगिहत्थाणं सम्मं सहइ - एस - मए पुरिसे सव्वआराहए पन्नत्ते ( समणा उसो !) । एवं खलु गोयमा ! जीवा आराहगा वा विराहगा वा भवंति । एवं खलु जंबू 1 समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं एक्कारसमस्स अयमट्टे पन्नत्ते त्तित्रेमि ॥ ९७ ॥ गाहाओ - जह दाववतरणमेव साहू जहेव दी विचा । वाया तह समणाइयसपक्खवयणाई दुसहाई ॥ १ ॥ जह सामुद्दयवाया तहऽण्णतित्याइकडुयवयणाई । कुसुमाइसंपया जह सिवमग्गाराहणा तह उ॥ २ ॥ जह कुसुम इविणासो सिवमग्गविराहणा तहा नेया । जह दीव वाउजोगे बहु इड्डी ईसि य अणिड्डी ॥ ३ ॥ तह साहम्मियवयणाण सहमागाराहणा भवे बहुया | इयराणमसह्णे पुण सिवमग्गविराहणा थोवा ॥ ४ ॥ जह जलहिवाउजोगे थेविड्ढी बहुरा यणिढी य । तह परपक्खक्खमणे आराहणमीसि वहु य यरं ॥ ५ ॥ जह उभयवाउविरहे सव्वा तस्संपया विणट्ट त्ति । अनिमित्तोभयमच्छरहवे विराहणा तह य ॥ ६ ॥ जह उभयवाउजोगे सव्वसमिढी वणस्स संज्ञाया । तह उभयेवयणसहणे सिवमग्गाराहणा वृत्ता ॥ ७ ॥ ता पुण्णसमणधम्माराहणचित्तो- सया महासत्तो । सव्वेण वि कीरंतं सहेज सव्वं पि पडिकूलं ॥ ८ ॥ एक्कारसमं नायज्झयणं समत्तं ॥ जणं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं एक्कारसमस्स नायज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते वारसमस्स णं (०) के अट्ठे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा ना(मं)म नयरी । पुण्णभद्दे उज्जाणे । जियसत्तू [नामं] राया (होत्या) । (तस्स णं जियसत्तुस्स रण्णो) धारिणी (नामं) देवी (होत्था अही० जाव सुरुवा) । (तस्स णं जि० २० पुत्ते धारिणीए अत्तए) अदीनसत्त नामं कुमारे जुबराया वि होत्या । सुबुद्धी [नामं] अमच्चे जाव रज्जधुराचिंतए [ यावि होत्था जाव ] समणोवासए (अ० ) । तीसे णं चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमेणं एगे फरिहोदए यावि होत्था मेयवसारुहिरमंसपूय-पडलपोचडे मयगकलेवरसंछन्ने अमणुन्ने [णं] वण्णेणं जाव फासेणं से जहानाम अहिमडेइ वा गोमडेइ वा जाव मयकुहियविणटुकिमिणवावण्णदुरभिगंधे किमिजालाउले ससत्ते असुइविगयबीभच्छदरिसणिजे । भवेयारूवे सिया ? नो इणट्ठे समट्ठे । एत्तो अणिट्ठतराए चेव जाव गंधेणं पन्नत्ते ॥ ९८ ॥ तए णं से जियसत्तू राया अन्नया कयाइ ण्हाए अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे वहूहिं ( रा ) ईसर जाव सत्थवाहपभि(ति)ईहिं सद्धि[भोयण मंडवंसि ] भोयणवेलाए सुहासणवरगए विउलं असणं ४ जाव विहरइ जिमियभुत्तुत्तरागए जाव सुइभूए तंसि विपुलंसि अस (ण) णंसि ४ जाक १०४८ Page #1101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १० १२] सुत्तागमे २०४९ जायविम्हए ते वहवे ईसर जाव पभिईए एवं वयासी-अहो णं टेवाणुप्पिया ! इमे मणुन्ने असणं ४ वण्णेणं उववेए जाव फासेणं उववेए अस्सायणिजे वि(स)सायणिजे' पीणणिजे दीवणिजे दप्पणिजे मयणिज्जे विहणिजे सव्विदियगायपल्हायणिज्जे । तए णं ते वहवे ईसर जाव पभियओ जियसत्तुं एवं वयासी-तहेव णं सामी! जण्णं तुम्भे वयह-अहो णं इमे मणुन्ने अस(ण)णे ४ वण्णेणं उववेए जाव पल्हायणिजे । तए णं जियसत्त सुबुद्धिं अमचं एवं वयासी-अहो णं सुवुद्धी ! इमे मणुन्ने असणे ४ जाव पल्हायणिज्जे । तए णं सुबुद्धी जियसत्तुस्स [रन्नो] एयमढे नो आढाइ जाव तुसिणीए संचिट्टइ। [तएणं जियसत्तू सुबुद्धिं दोचंपि तच्चपि एवं वयासी-अहो णं सुबुद्धी ! इमे मणुने तं चेव जाव पल्हायणिजे ।] तए णं (जियसत्तुणा) से सुबुद्धी [अमच्चे ] दोचंपि तच्चपि एवं वुत्ते समाणे जियसत्तुं राय एवं वयासी-नो खलु सामी ! अ(ह)म्हं एयंसि मणुन्नंसि असणंसि ४ केइ विम्हए। एवं खलु सामी ! सु(भि)रभिसदा वि पो(पु)ग्गला दुरभिसद्दत्ताए परिणमंति दुरभिसहा वि पोग्गला मुरभिसद्दत्ताए परिणमंति । सुरुवा वि पोग्गला दुरूवत्ताए परिणमंति दुरूवा वि पोग्गला सुरूवत्ताए परिणमंति। सुरभिगंधा वि पोग्गला दुरभिगंधत्ताए परिणमंति दुरभिगंधा वि पोग्गला सुरभिगंधत्ताए परिणमंति । सुरसा वि पोग्गला दुरसत्ताए परिणमंति दुरसा वि पोग्गला सुरसत्ताए परिणमंति। सुहफासा वि पोग्गला दुहफासत्ताए परिणमंति दुहफासा वि पोग्गला सुहफासत्ताए परिणमति । पओगवीससा-परिणया वि य णं सामी ! पोग्गला पन्नत्ता । तए ण(से)जियसत्तू मुवुद्धिस्स अमचस्स एवमाइक्खमाणस्स ४ एयमद्वं नो आढाइ नो परियाणइ तुसिणीए संचिठ्ठइ । तए णं से जियसत्तू अन्नया कयाइ हाए आसखंधवरगए महया-भडचडगर(ह)आसवाहणियाए निज्जायमाणे तस्स फरिहोद(ग)यस्स अदूरसामंतेणं वीईवयइ । तए णं जियसत्तू (राया) तस्स फरिहोदगस्स असुभेणं गंधेणं अभिभूए समाणे सएणं उत्तरिज(गे)एणं आसगं पिहेइ एगंतं अवक्कमइ (ते) २ त्ता वहवे ईसर जाव पभिइओ एवं वयासी-अहो णं देवाणुप्पिया! इमे फरिहोदए अमणुन्ने वण्णेणं ४ से जहानामए अहिमडेड वा जाव अमणामतराए चेव । तए णं ते वहवे राईसर जाव पभियओ एवं वयासी-तहेव णं तं सामी ! जंणं तुम्भे एवं वयह-अहो णं इमे फरिहोदए अमणुन्ने वण्णेणं ४ से जहानामए अहिमडेइ वा जाव अमणामतराए चेव । तए णं से जियसत्त सुबुद्धिं अमनं एवं वयासी-अहो णं सुवुद्धी ! इमे फरिहोदए अमणुन्ने वण्णेणं ४ से जहानामए अहिमडेइ वा जाव अमणामतराए चेव । तए [से]सुबुद्धी अमचे जाव तुतिणीए संचिट्ठइ । तए णं से जियसत्त राया सुबुद्धि अमचं दोचपि तगंपि एवं वयात्री Page #1102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५० सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ अहो णं तं चेव । तए णं से सुबुद्धी अमचे जियसत्तुणा रन्ना दोचपि तचपि एवं वुत्ते समाणे एवं वयासी-नो खलु सामी ! अम्हं एयंसि फरिहोदगंति केइ विम्हए। एवं खलु सामी ! सुरभिसद्दा वि पोग्गला दुन्भिसद्दत्ताए परिणमंति तं चेव जाव पओगवीससापरिणया वि य णं सामी ! पोग्गला पन्नत्ता । तए णं जियसत्तू (राया) सुवुद्धिं (अमचं) एवं वयासी-मा णं तुमं देवाणुप्पिया ! अप्पाणं च परं च तदुभयं च बहूहि य असव्भावुव्भावणाहिं मिच्छत्ताभिनिवेसेण य बुग्गाहेमाणे चुप्पाएमाणे विहराहि । तए णं सुबुद्धिस्स इमेयासवे अज्झल्लिए० समुप्पजिया-अहो णं जियसत्तू संते तच्चे तहिए अवितहे सन्भूए जिणपन्नत्ते भावे नो उवलभइ । तं सेयं खलु मम जियसत्तुस्स रन्नो संताणं तच्चाणं तहियाणं अवितहाणं सभूयाणं जिणपन्नत्ताणं भावाणं अभिगमणट्टयाए एयमढें उवा(इ)यणावेत्तए । एवं संपेहेइ २ त्ता पञ्चइएहि पुरिसेहि सद्धिं अंतरावणाओ नवए घड(य)ए य पडए य(प)गेण्हइ २त्ता संझाकालसमयंसि पविरलमणुस्संसि निसंतपडिनिसंतंसि जेणेव फरिहोदए तेणेव उवाग(ए)च्छइ २ त्ता तं फरिहोदगं गेण्हावेइ २ त्ता नवएसु घडएनु गालावेइ २त्ता नवएसु घडएसु पक्खिवावेइ २ त्ता [सज्जखारं पक्खिवावेइ] लंछियमुद्दिए का(क)रावेइ २ त्ता सत्तरत्तं परिवसावेइ २ त्ता दोञ्चपि नवएसु घडएट गालावेइ २ त्ता नवएसु घडएसु पक्खिवावेइ २ त्ता सज्ज(क)खारं पक्खिवावेइ २ त्ता लंछियमुहिए का(र)रावेइ २ त्ता सत्तरत्तं परिवसावेइ २ त्ता तच्चपि नवएसु घडएतु जाव संवसा. वेइ । एवं खलु एएणं उवाएणं अंतरा गा(ग)लावेमाणे संतरा पक्खिवावेमाणे अंतरा य (विपरि)वसावेमाणे (२) सत्तसत्त[य]राइंदिया[६](वि)परिवसावेइ । तए णं से फरिहोदए सत्त(म)मंसि सत्तयंसि परिणममाणंसि उदगरयणे जाए यावि होत्था अच्छे पत्थे जच्चे तणुए फालिय(फलिह)वण्णाभे वण्णेणं उववेए ४ आसायणिज्जे जाव सविदियगायपल्हायणिज्जे । तए णं सुबुद्धी(अमच्चे)नेणेव से उदगरयणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता करयलंसि आसादेइ २ त्ता तं उद्गरयणं वण्णेणं उववेयं ४ आसायणि(जे)जं जाव सविदियगायपल्हायणिज्जं जाणित्ता हट्टतुढे वहूहिँ उदगसंभारणिज्नेहिं दव्वेहि संभारेइ २ त्ता जियसत्तुस्स रन्नो पाणियघरियं सद्दावेइ.२ त्ता एवं वयासी-तुमं (च) णं देवाणुप्पिया! इमं उदगरयणं गेण्हाहि २ त्ता जियसत्तुस्स रन्नो भोयणवेलाए उवणेज्जासि । तए णं से पाणियधरिए सुबुद्धि(य)स्स एयमद्वं पडिसुणेइ २ त्ता तं उदगरयणं गेण्ह(गिण्हा)इ २ ता जियसत्तुस्स रन्नो भोयणवेलाए उवट्ठवेइ । तए णं से जियसत्त राया तं विपुलं लसणं ४ आसाएमाणे जाव विहरह जिमियभुत्तुत्तरा(यया)गए वि य णं जाव परमसुइभूए तसि उदगरय(णे)गलि जाय Page #1103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे सु० १० १२]] १०५१ विम्हए ते बहवे राईसर जाव एवं वयासी-अहो णं देवाणुप्पिया! इमे उदगरयणे अच्छे जाव सविदियगायपल्हायणिज्जे । तए ण ते] वहवे राईसर जाव एवं वयासीतहेवणं सामी! जष्णं तुन्भे वयह जाव एवं चेव पल्हायणिज्जे । तएणं जियसत्तू राया पाणियपरियं सदावेइ २ त्ता एवं वयासी-एस णं तु(ब्भे)मे देवाणुप्पिया ! उदगरयणे कओ आसाइए ? । तए णं से पाणियघरिए जियसत्तुं एवं वयासी-एस णं सामी! भए उदगरयणे सुबुद्धिस्स अंतियाओ आसाइए । तए णं जियसत्तू (राया) सुबुद्धि अमचं सदावेइ २ त्ता एवं वयासी-अहो णं सुबुद्धी ! केणं कारणेणं अहं तव अणि? ५ जेणं तुमं मम कलाकलिं भोयणवेलाए इमं उदगरयणं न उवट्ठवेसि ? तं एस(तए) ग तुमे देवाणुप्पिया! उदगरयणे कओ उवलद्धे ? । तए णं सुबुद्धी जियसत्तुं एवं वयासी-एस णं सामी। से फरिहोदए । तए णं से जियसत्तू सुवुद्धि एवं वयासीकेणं कारणेणं सुवुद्धी ! एस से फरिहोदए ? तए णं सुवुद्धी जियसत्तुं एवं वयासीएवं खलु सामी! तु(म्हे)न्भे तया मम एवमाइक्खमाणस्स ४ एयमद्वं नो सहहह । तए णं मम इमेयारूवे अज्झथिए०-अहो णं जियसत्त संते जाव भावे नो सहइ नो पत्तियइ नो रोएइ । तं सेयं खलु म(म)म जियसत्तुस्स रन्नो संताणं जाव सन्भूयाणं जिणपन्नत्ताणं भावाणं अभिगमणद्वयाए एयमहूँ उवायणावेत्तए । एवं संपेहेमि २ त्ता तं चेव जाव पाणियघरियं सहावेमि २ त्ता एवं वदामि-तुम णं देवाणुप्पिया ! उदगरयण जियसत्तुस्स रनो भोयणवेलाए उवणेहि । तं एएणं कारणेणं सामी! एस से फरिहोदए । तए णं जियसत्तू राया सुबुद्धिस्स (अमच्चस्स)एवमाइक्खमाणस्स ४ एयमद्वं नो सद्दहइ ३ असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरो(य)एमाणे अभितर(ट्टा). ठाणिजे पुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुभे देवाणुप्पिया! अंतराव'णाओ नव[ए]घडए पडए य गेण्हह जाव उदगसं(हा)भारणिज्जेहि दव्वेहिं संभारेह । तेवि तहेव सभारेंति २ त्ता जियसत्तुस्स उवणेति । तए णं से जियसत्तू राया तै उदगरयणं करयलंसि आसाएइ आसायणिजं जाव सबिदियगायपल्हायणिज जाणित्ता सुबुद्धि अमचं सदावेइ २ त्ता एवं वयासी-सुबुद्धी ! एए णं तुमे संता तच्चा जाव सब्भूया भावा कओ उवलद्धा ? । तए णं सुबुद्धी जियसत्तुं एवं वयासी-एए गं सामी ! मए संता जाव भावा जिणवयणाओ उवलद्धा । तए णं जियसत्त सुबुद्धि एवं वयासी-तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया! तव अंतिए जिणवयणं निसा(मे)मित्तए। तए णं सुबुद्धी जियसत्तुस्स विचित्तं केवलिपन्नत्तं चाउज्जामं धम्म परिकहेइ तमाड. क्खइ जहा जीवा वझंति जाव पंचाणुव्वयाई। तए णं जियसत्तू सुबुद्धिस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म इट्ट० सुबुद्धिं अमचं एवं क्यासी-सद्दहामि णं देवाणुप्पिया । Page #1104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुत्तागमे । पात्रयणं ३ जान जाव उन पासन नबुद्धिम्म जिनमत समाना हमा १०५२ [गायाधम्मकहाओ निरगंथं पात्रयणं ३ जाब ने जहयं नुब्मे वग्रह । तं इच्छामि णं नव अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्वावड्यं जाव उवनपनिनाणं विहरिनए। अहामुहं देवाणुपिया। मा पडिबंघ (करह)। तए णं ने जियसत्तृ सुबुद्धिस्स (अमन्त्रस्न) अनिए पंचाणुबइयं जाव दुवालसविहं सावयधम्म पडिवनइ । नए णं जियनन ममणीवानए जाए (मि)हिंगयजीवाजीचे जाव पडिलाममाणे विहर! तगं कालेगं गं तुमएणं (वेरा जेणेव चंपा नयरी जेणव पुण्गम उजाणे तणेव न०) थेरागमगं । जियसत्त राया सुट्टी य निगच्छइ । नुबुद्धी धम्मं सोचा जनवरं जियम आच्छामि जाव पञ्चयामि । अहानुहं देवाणुप्पिया! 1 नए गन] छुट्टी जत्र जियनन तव उवागच्छइ २त्ता एवं वयासी-एवं खलु सामी ! मग येरागं अंतिए धन्ने निनंत। मे()वि अधम्म इच्छि(योए पडिच्छिए। नए णं अहं सानी ! मुंसारभरविरंगे भीए जाब इच्छामि गं तुमाह अब्मशुन्नाए (स०) जात्र पञ्चइनए । तए णं जियसत्त मुबुद्धिं एवं यासी-(च्छा)च्छन नाव देवाणुपिया ! ऋययाई वामाई जरालाई जाव मुंजमागा । तओं पच्छा एगया थेराणं संनिए मुंडे मावना जाव पञ्बइम्सामो। नए णं नुबुद्धी जियसत्तुस्स रन्नो एयम पडिमुणेइ । नए णं नस्स जियसन्तुस्त रन्नो मुत्रुद्धिगा सद्धिं विधुलाई माणुस्सगाई जाव पत्रशुम्भवमाणम्न दुवालस बासाई बाइकताई। तणं कालेणं तेग सनएगं थेगगमगं । (नए ण) जिय. जन धम्म खोच्चा एवं जं नवरं देवाणुपिया! नुबुद्धिं आमंतमि जंघुनं रख्ने ठा(छ)वमि तए णं नुमं मंतिए] जाव पब्वयामि । अहानुहं देवाणुप्निया!। नर णं जियमत्तू राया जेणव गाए गिह नेणेव उवागच्छइ २ ना सुबुद्धि महावड २ ना एवं बवासी-एवं बलु मए थेरागं जात्र पत्र(ला)यानि, नुमं गं कि नि? 1 तए गं नुबुद्धी जियसतुंगवं बयासी जाव के अन्ने आ(हा)वारे वा जाव पव्वया)चामि । नं जग दवाणुपिया! जाब प(ब्बग्रह)चाहि । गच्छह गं देवाणिया! जंहानं त्र कुटुंब ठावहि २ ता सीयं दुलहिनाणं ममं अंतिए सीया जान पाउन(ववि)वइ । (न० नु० जाब पाउमड) नए णं जिचमत्त कोटुंबियपुरिने महावड २ ला एवं वयानी-गच्छह णं तुम्मे देवाशुधिया! अदीयमत्तुस्स कुमारस्व रायाभिनय उववह जाव अमिनिचंति जान पञ्चए । तए णं जियसन एकारन अंगाइं अदिइ वदृषि वासाणि परियाओ(पाउगिता)मानियाए मुलेहगाए जाब सिद्ध । ताणं सुबुद्धी गडारम अंगाई अदिजिना वणि वासाणि जाब रिद्ध । एवं खलु जं नमणेणं भगवया महावीरणं जात्र संपत्तेणं बारसमस्स नायझयशस्त्र अयम पन्नत्ते त्ति वमि ॥ ९९ ।। गाहा-मिच्छत्तमाहियमगा पावरसत्तात्रि पागिणो निगुगा । फारहीदगं व गुगिगो हबंति वरगुपसायाओ ॥ १ ॥ वारसमं नायज्झयणं समत् ।। Page #1105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे सु० १ अ० १३] १०५३ जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं वारसमस्स (णा०) अयमढे पन्नत्ते तेरसमस्स (णं भंते ! नाय०) के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे(०)गुणसिलए उज्जाणे (ते० का० ते० स० समणे ३ चउ(ह)दसहिं समणसाहस्सीहिं जाव सद्धिं पु० च० जाव जे० गु० उ० ते० स० अ० उ० सं० त० अ० भा० विहरइ) समोसरणं परिसा निग्गया। तेणं कालेणं तेणं समएणं सोहम्मे कप्पे ददुरवडिसए विमाणे सभाए सुहम्माए दडुरंसि सीहासणंसि दुरे देवे चउहि सामाणियसाहस्सीहिं चउहिं अगमहिसीहि सपरिसाहिं एवं जहा सू(सु)रिया(भो)भे जाव दिव्वाई भोगभोगाइं भुंजमा(णो)णे विहरइ इमं च णं केवलकप्पं जंवुदीवं दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणे २ जाव नट्टविहिं उवदंसित्ता पडिगए जहा -सूरियाभे। भंते(ति)! त्ति भगवं गोयमे समणं ३ वंदइ नमसइ वं० २ ता एव वयासीअहो णं भंते ! दहुरे देवे महिड्डिए ६ । दडुरस्स णं भंते ! देवस्स सा दिव्वा देविड्डी ३ कहिं गया ? कहिं (अणु)पविठ्ठा ? गोयमा ! सरीरं गया सरीर अणुपविट्ठा कूडागारदिहतो। दद्दुरेणं भते! देवेणं सा दिव्वा देविड्डी ३ किन्ना लद्धा जाव अभिसमन्नागया? एवं खलु गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे रायगिहे गुणसिलए उज्जाणे सेणिए राया। तत्थ णं रायगिहे नंदे नामं मणियारसेट्ठी परिवसइ अड्डे दित्ते । तेणं कालेणं तेणं समएणं अहं गोयमा | समोस(ढे)ड्ढे परिसा निग्गया सेणिए वि (राया) निग्गए । तए णं से नंदे मणियारसेट्ठी इमीसे कहाए लढे समाणे व्हाए पायचारेणं जाव पजुवासइ । नंदे धम्मं सोचा समणोवासए जाए। तए णं अहं रायगिहाओ पडिनिक्खंते बहिया जणवयविहारं विहरामि । तए णं से नं(दे)दमणियारसेट्ठी अन्नया कयाइ असाहुदंसणेण य अपजुवासणाए य अणणुसा. सणाए य असुस्सूसणाए य सम्मत्तपजवेहि परिहायमाणेहि २ मिच्छत्तपजवेहि परिवड्डमाणेहि २ मिच्छत्तं विप्पडिवन्ने जाए यावि होत्था । तए णं नंदे मणियारसेट्ठी अन्नया [कयाइ] गिम्हकालसमयंसि जेट्ठामूलंसि मासंसि अट्ठमभत्तं परिगेण्हइ २ त्ता 'पोसहसालाए जाव विहरइ। तए णं नंदस्स अट्ठमभत्तसि परिणममाणंसि तण्हाए छुहाए य अभिभूयस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए०-धन्ना ण ते जाव ईसरपभियओ जेसिं ण रायगिहस्स वहिया बहूओ वावीओ पोक्ख(र)रिणीओ जाव सरसरपंतियाओ जत्थ णं बहुजणो ण्हाइ य पियइ य पाणियं च संवहइ । तं सेयं खलु -म(म)म कलं (पाउ०) सेणियं रायं आपुच्छित्ता रायगिहस्स बहिया उत्तरपुरथिमे दिसीभा(ए)गे वे[]भारपव्वयस्स अदूरसामंते वत्थुपाढगरोइयंसि भूमिभागंसि(जाव) नंदं पोक्खरिणिं खणावेत्तए-त्तिकटु एवं संपेहेइ २ त्ता कलं जाव पोसहं पारेइ २ त्ता Page #1106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५४ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ बहाए मित्तनाइ जाव संपरिखुडे महत्थं जाव पाहुडं रायारिहं गेण्हइ २ ता जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छइ जाव पाहुडं उवट्ठवेइ २ ता एवं वयासी-इच्छामि ण सामी! तुन्भेहिं अन्भणुन्नाए समाणे रायगिहस्स बहिया जाव खणावेत्तए। अहासुहं देवाणुप्पिया (1)। तए णं[से]नंदे सेणिएणं रन्ना अब्भणुनाए समाणे हट्टतुट्टे रायगिह [नगरं] मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ २ त्ता वत्युपाढयरोइयंसि भूमिभागंसि नंदं पोक्खरणिं खणा(वि)वे पयत्ते यावि होत्या । तए णं सा नंदा पोक्खरणी अणुपुव्वेणं ख(ण)म्ममाणा २ पोक्खरणी जाया यावि होत्था चाउकोणा समतीरा अणुपु(व्व)व्वं सुजायवप्पसीयलजला संछन्नपत्त(वि)भिसमुणाला बहु[उ]प्पलपउमकुमुदनलि(णि)णसुभगसोगंधियपुंडरीयमहापुंडरीयसयपत्तसहस्सपत्त(पफुल)पुप्फफलकेसरोववेया परिहत्थभमंतमत्तछप्पयअणेगसउणगणमिहुणवियरियस (हुन्न)द्दनइयमहुरसरनाइया पासाईया ४ । तए णं से नंदे मणियारसेट्ठी नंदाए पोक्खरिणीए चउदिसिं चत्तारि वणसंडे रोवावेइ । तए णं ते वणसंडा अणुपुन्वेणं सारक्खिजमाणा संगो. विजमाणा (य) संवड्डि(य)जमाणा य (से) वणसंडा जाया किण्हा जाव 'नि(कु)उरंवभूया पत्तिया पुफिया जाव उवसोभेमाणा २ चिट्ठति । तए णं नंदे पुरथिमिल्ले वणसंडे एगं महं चित्तसभ करावेइ [२] अणेगखंभसयसंनिविटुं पासाइयं ४ । तत्थ गं बहूणि किण्हाणि य जाव सुक्किलाणि य कठ्ठकम्माणि य पोत्थकम्माणि य चित्त(०). ले(लि)प्प(०)गंथिमवेढिमपूरिमसंघाइ(म०)माइं उवदंसिज्जमाणाई २ चिट्ठति । तत्थ, णं बहूणि आसणाणि य सयणाणि य अत्थुयपच्चत्युयाइं चिट्ठति । तत्थ णं बहवे नडा. य नट्टा य जाव दिन्नभइभत्तवेयणा तालायरकम्मं करेमाणा विहरति । रायगिहवि-- णिग्गओ(य) त(ज)त्थ [f] ब(ह)हुजणो तेसु पुव्वन्नत्येसु आसणसयणेसु संनिसष्णो य संतुयट्टो य सुणमाणो य पेच्छमाणो य सा(सो)हेमाणो य सुहंसुहेणं विहरइ । तए . णं नंदे दाहिणिल्ले वणसंडे एग महं महाणससालं कारावेइ अणेगखंभ जाव रुवं । तत्थ णं वहवे पुरिसा दिन्नभइभत्तवेयणा विउलं असणं ४ उवक्खडेंति वहूर्ण समणमाहणअति(ही)हिकिवणवणीमगाणं परिभाएमाणा २ विहरंति । तए णं नंदे मणियारसेट्ठी पच्चत्थिमिल्ले वणसंडे एगं महं ति(ते)गिच्छियसालं क(रे)रावेइ अणेगखंभसय जाव पडिरुवं । तत्थ णं बहवे वेजा य वेजपुत्ता य जाणुया य जाणुयपुत्ता य कुसला य कुसलपुत्ता य दिन्नभइभत्तवेयणा वहणं वाहिया(ण)ण य गिलाणाण य रोगियाण य दुब्वलाण य तेइ(च्छं)च्छकम्मं करेमाणा विहरति । अन्ने य त(ए)त्थ बहवे पुरिसा दिन्नभइ० तेसिं बहूणं वाहियाण य रोगि(०)यगिला(०)णदुब्बलाण य ओसहमेसजभत्तपाणेणं पडियारकम्मं करेमाणा विहरति । तए णं नंदे उत्तरिल्ले वणसंडे एग Page #1107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे सु० १ ० १३] - १०५५. महं अलंकारियसभं कारेइ अणेगखंभसय जाव पडिरूवं । तत्थ णं बहवे अलंकारिय(पुरिसा)मणुस्सा दिनभइभत्त(वेय)पाणा वहणं समणाण य [माहणाण य सनाहाण या अणाहाण य गिलाणाण य रोगियाण य दुब्बलाण य अलंकारियकम्मं करेमाणा २ विहरति । तए णं तीए नंदाए पोक्खरिणीए बहवे सणाहा य अणाहा य पंथिया य पहिया य करोडिया य (कारिया०) तणा)णहारा पत्तहारा कहारा अप्पेगइया पहायंति अप्पेगइया पाणियं पियंति अप्पेगइया पाणियं संवहंति अप्पेगइया विसजियसेयजल्लमलपरिस्समनिहखुप्पिवासा सुहंसुहेणं विहरति । रायगिह(वि)निग्गओ वि ए(जोत्य बहुजणो कि ते जलरमणविविहमजणकयलिलया(घ)हरयकुसुमसत्थर. यअणेगसउणगण(रु)कयरिभियसंकुलेसु सुहंसुहेणं अभिरममाणो २ विहरइ । तए णं नंदाए पोक्खरिणीए वहुजणो ण्हायमाणो य पीयमाणो य पाणियं च संवहमाणो य अन्नमन्नं एवं वयासी-धन्ने णं देवाणुप्पिया! नंदे मणियारसेट्ठी कयत्थे जाव जम्म जीवियफले जस्स णं इमेयारूवा नंदा पोक्खरिणी चाउकोणा जाव पडिरूवा जस्त णं पुरथिमिले तं चेव सव्वं चउसु वि वणसंडेसु जाव रायगिहविणिग्गओ जत्थ बहुजणो आसणेसु य सयणेसु य सन्निसण्णो य संतुयट्टो य पेच्छमाणो य साहेमाणो य सुहसुहेणं विहरइ । तं धन्ने कयत्थे [कयलक्खणे] कयपुण्णे कया णं लोया(1) सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफले नंदस्स मणियारस्स । तए णं रायगिहे सिं(सं)घाडग जाक बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ ४-धन्ने णं देवाणुप्पिया! नंदे मणियारे सो चेक गमओ जाव हंसुहेणं विहरइ । तए णं से नंदे मणियारे बहुजणस्स अतिए एयमढं सोचा निसम्म हनुढे धाराहयक(ल)यंव(ग)कं पिव समूस(सि)वियरोमकूके परं सायासोक्खमणुभ(व)वेमाणे विहरइ ॥ १०॥ तए णं तस्स नंदस्स मणियारसेद्विस्स अन्नया कयाइ सरीरगंसि सोलस रोयायंका पाउन्भूया तंजहा-सासे कासे जरे दाहे कुच्छिसूले भगंदरे। अरिसा अजीरए दि(हि)ट्ठीमुद्धसूले अ(गा)कारए ॥१॥ अच्छिवेयणा कण्णवेयणा कंडू दउदरे कोढे ॥ तए णं से नंदे मणियारसेट्ठी सोलसहिं रोयायंकेहि अभिभूए समाणे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासीगच्छह णं तुन्भे देवाणुप्पिया! रायगिहे नयरे सिंघाडग जाव(म०)पहेसु महया [२] सद्देणं उग्घोसेमाणा २ एवं वयह-एवं खलु देवाणुप्पिया! नंदस्स मणियार(सेहिस्स सरीरगंसि सोलस रोयायंका पाउन्भूया तंजहा-सासे जाव कोढे । तं जो गं इच्छइ देवाणुप्पिया! वि(वे)जो वा विजपुत्तो वा जाणुओ वा २ कुसलो वा २ नंदस्स मणियारस्स तेसिं च णं सोलसहं रोयायंकाणं एगमवि रोयायंकं उवसा(मे)मित्तए तस्स णं (दे०1)नंदे मणियारे विउलं अत्थसंपयाणं दलयइ-त्तिकटु दोचंपि तचंपि Page #1108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [णायाधम्मकहामो चोसणं घोसेह २ त्ता एयमाणत्तिय पञ्चप्पिणह तेवि तहेव पञ्चप्पिणंति । तए णं रायगिहे इमेयारूवं घोसणं सोचा निसम्म वहवे वेज्जा य वेजपुत्ता य जाव कुसलपुत्ता य सत्यकोसहत्थगया य (कोसगपायहत्यगया य) सिलियाहत्यगया य गुलियाहत्यगया य ओसहभेसजहत्यगया य सएहिं २ गिहेहितो निक्खमंति २ ता रायगिह मज्झमझेग जेणेव नंदस्स मणियारसेट्ठिस्स गिहे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता नंदस्स मणियारस्स सरी(रं)रगं पासंति [२] तेसिं रोयायंकाणं नियाणं पुच्छंति २ ता] नंदस्स मणियारस्स बहुहिं उव्वलणेहि य उव्वट्टणेहि य सिणेहपाणेहि य वमणेहि य विरेयणेहि य सेयणेहि य अवदहणेहि य अवण्हा[व]णेहि य अणुवास(णे)णाहि य व(व)त्यिकम्मेहि य निल्हेहि य सिरावेहेहि यं तच्छणाहि य पच्छणाहि य सिरा(वेढे)वत्थीहि य तप्पणाहि य पु(ढ)डवाएहि य छल्लीहि य वल्लीहि य मूलेहि य कंदेहि य पत्तेहि य पुप्फेहि य फलेहि य वीएहि य सिलियाहि य गुलियाहि य ओसहेहि य भेसज्जेहि य इच्छंति तेसि सोलसण्हं रोयायंकाणं एगमवि रोयायंकं उवसामित्तए नो चेव णं संचाएंति उवसामेत्तए । तए ण ते वहवे विज्जा य ६ जाहे नो संचाएंति तेसिं सोलसण्हं रो(गा)यायंकाणं एगमवि रोयायंकं उवसामित्तए ताहे संता तंता जाव पडिगया। तए णं नंदे [मणियारे] तेहिं सोलसेहिं रोयायंकेहिं अभिभूए समाणे नंदा[ए] पु(पो)क्खरिणीए मुच्छिए ४ तिरिक्खजोणिएहि निवद्धाउए चद्धपएसिए अदुहट्टवसट्टे कालमासे कालं किच्चा नंदाए पोक्खरिणीए ददुरीए कुच्छिति दइरत्ताए उववन्ने । तए णं नंदे दद्दुरे गम्भाओ वि(णिम्मु)प्पमुक्ने समाणे उ(म)मुकवालभावे विनायपरिणयमित्तेजोव्वणगमण[]पत्ते नंदाए पोक्खरिणीए अभिरममाणे २ विहरइ । तए णं नंदाए पोक्खरिणीए बहुज(णे)णो ण्हायमाणो य पिय(माणो)। य पाणियं च संवहमाणो(य)अन्नम(नस्स)नं एवमाइक्खइ ४-धन्ने णं देवाणुप्पिया ! नंटे मणियारे जस्स णं इमेयास्त्रा नंदा पुक्खरिणी चाउकोणा जाव पडिरूवा जस्त णं पुरत्विमिल्ले वणसंडे चित्तसभा अगेगखंभ(०)तहेव चत्तारि स(हा)भाओ जाव जम्मजीवियफले । तए णं तस्स दडुरस्स तं अभिक्खणं २ वहुजणस्स अंतिए एयमद्वं सोचा निसम्म इमेयास्वे अज्झत्थिए० समुप्पज्जित्था-से कहिं मन्ने मए इमेयाल्वे मद्दे निसंतपुव्वे-त्तिकद्दु सुभेणं परिणामेणं जाव जाईसरणे समुप्पन्ने पुव्वजाइं सम्म नमागच्छइ । तए णं तस्स दडुरस्स इमेयास्वे अज्झथिए०-एवं खलु अहं इहेच रायगिहे नयरे नंदे नाम मणियारे अड्डे० । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे[इह]समोसड्ढे । तए [मए]समणस्स ३ अंतिए पंचाणुव्वइए सत्तसिक्खाचइए जाव पडिवन्ने । तए णं अहं अन्नया कयाइ असाहुदंसणेण य जाव मिच्छत्तं Page #1109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १० १३] सुत्तागमे १०५७ विप्पडिवन्ने । तए णं अहं अन्नया कया(ई)ई गि(म्हे)म्हकालसमयंसि जाव उवसंपजित्ताणं विहरामि-एवं जहेव चिंता आपुच्छणा नंदापुक्खरिणी वणसंडा सहाओ तं चेव सव्वं जाव नंदाए (पु(पो)क्ख०) ददुरत्ताए उववने । तं अहो णं अहं अहन्ने अपुण्णे अकयपुण्णे निग्गंथाओ पावयणाओ नढे भट्ठे परिब्भढे । तं सेयं खलु ममं सयमेव पुव्वपडिवन्नाई पंचाणुव्वयाइं (०) उवसंपजित्ताणं विहरित्तए । एवं संपेहेइ २ ता पुव्वपडिवन्नाइं पंचाणुव्वयाई जाव आर(हे)हइ २ त्ता इमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ-कप्पइ मे जाव(जी)ज्जीवं छठंछठेणं अणिक्खित्तेणं अप्पाणं भावमाणस्स विहरित्तए । छट्ठस्स वि य णं पारणगंसि कप्पइ मे नंदाए पोक्खरिणीए परिपेरंतेसु फासुएणं ण्हाणोदएणं उम्मद्द(णो)णालोलियाहि य वित्तिं कप्पेमाणस्स विहरित्तए । इमेयारूवं अभिग्गहं अभिगेण्हइ जावज्जीवाए छटुंछटेणं जाव विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं अहं गोयमा ! गुणसिलए समोसड्ढे परिसा निग्गया। तए णं नंदाए पो(पु)क्खरिणीए वहुजणो ण्हा(य०)इ ३ अन्नमन्नं (०) जाव समणे ३ इहेव गुणसिलए उजाणे समोसड्ढे । तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! समणं ३ वंदामो जाव पजुवासामो। एयं (मे) णे इहभवे परभवे य हियाए जाव आ(अ)णुगामियत्ताए भविस्सइ। तए णं तस्स दडुरस्स बहुजगस्स अतिए एयमढे सोच्चा निसम्म अयमेयारूवे अज्झथिए० समुप्पजित्था-एवं खलु समणे ३ (०) समोसढे । तं गच्छामि णं वंदामि (०)। एवं संपेहेइ २ त्ता नंदाओ पुक्खरिणीओ सणियं २ उत्त(र)रेइ (२ ता) जेणेव रायमग्गे तेणेव उवागच्छइ २ ता ताए उनिहाए ५ ददुरगईए वीईवयमाणे जेणेव ममं अंतिए तेणेव पहारेत्थ गमणाए । इमं च णं सेणिए राया भिं(भं)भसारे यहाए सव्वालंकारविभूसिए हत्थिखंधवरगए सको (रं)रेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमागेणं सेयवरचाम(रा)रे० हयगयरह० महया भडचडगर(०)चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे मम पायदए हव्वमागच्छइ । तए णं से दद्दुरे सेणियस्स रन्नो एगेणं आसकिसोरएणं वामपाएणं अकंते समाणे अंतनिग्याइए कए यावि होत्था । तए णं से दद्दुरे अ(थामे अवले अवीरिए अपुरिस(का)कारपरक्कमे अधारणिज्जमितिकड एगंतमवक्कमइ (0) करयल(परिग्गहियं तिखुत्तो सिरसावत्तं म० अं० कट्ठ) जाव एवं वयासी-नमोत्यु णं अ(रु)रहंताणं (भगवंताणं) जाव संपत्ताणं । नमोत्यु णं (समणस्स ३) मम धम्मायरियस्स जाव संपाविउकामस्स ! पुन्विपि य णं मए समणस्स ३ अंतिए थूलए पाणाइवाए पच्चक्खाए जाव थूलए परिग्गहे पञ्चक्खाए। तं इयाणिपि तस्सेव अंतिए सव्वं पाणाइवायं पञ्चक्खामि जाव सव्वं परिग्गहं पच्चक्खामि जावज्जीवं सव्वं असणं ४ पच्चक्खामि जावजीवं जंपि य इमं सरीरं इटुं ६७ मुत्ता० Page #1110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १०५८ [णायाधम्मकहाओ कंत जाव मा फुसंतु एयपि [य] णं चरिमेहिं ऊसासेहिं वोसिरामि-त्तिक? । तए ण से ददुरे कालमासे कालं किच्चा जाव सोहम्मे कप्पे दद्दुरवडिसए (विमाणे) उववायसभाए दुरदेवत्ताए उववने । एवं खलु गोयमा ! दद्दुरेणं सा दिव्वा देविट्ठी लद्धा ३ । दुरस्स णं भंते ! देवस्स केव(ति)इयं कालं ठिई पन्नत्ता ? गोयमा ! चत्तारि पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता। [ददुरे णं भंते ! देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं ठिइक्खएणं कहिं गच्छिहिइ कहिं उववजिहिइ ? गोयमा !] से णं दद्दुरे देवे (0) महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ [मुचिहिइ] जाव अंतं करेहिइ । एवं खलु [जंवू !] समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं तेरसमस्स नायज्झ. यणस्स अयमढे पन्नत्ते त्ति बेमि ॥ १०१॥ गाहाउ-संपन्नगुणो वि जओ सुसाहसंसग्गिवजिओ पायं । पावइ गुणपरिहाणि ददुरजीवोव्व मणियारो ॥१॥ तित्थयरवंदणत्यं चलिओ भावेण पावए सग्गं । जह ददुरदेवेणं पत्तं वेमाणियसुरत्तं ॥२॥ तेरसमं नायज्झयणं समत्तं ॥ ___ जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं तेरसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते चोद्दसमस्स (०) के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं तेयलिपु(रे)रं ना(म)म नय(रे)रं (होत्था) । (त० णं ते० ब० उ० दि० एत्थ णं) पमयवणे (णाम) उजाणे (होत्था) । (तत्थ णं ते० णयरे) कणगरहे (णाम) राया (होत्या)। तस्स णं कणगरहस्स (रण्णो) पउमावई (णाम) देवी (होत्था)। तस्स णं कणगरहस्स रन्नो तेयलिपुत्ते नामं अमच्चे (होत्था) साम(दाम)दंडभेय(दंडे)निउणे । तत्थ णं तेयलिपुरे कलादे नामं मूसियारदारए होत्था अड्ढे जाव अपरिभूए । तस्स णं भद्दा नामं भारिया (होत्था)। तस्स णं कलायस्स मूसियारदार(योगस्स धूया भद्दाए अत्तया पोटिला नामं दारिया होत्था रूवेण य (जोव्वणेण य ला०) जाव उकिट्ठा उक्किसरीरा। तए णं [सा] पोटिला दारिया अन्नया कयाइ व्हाया सव्वालंकारविभूसिया चेडियाचक्कवालसंपरिखुडा उप्पि पासायवरगया आगासतलगंसि कणग(मएणं)तिंदूसएणं कीलमाणी २ विहरइ । इमं च णं तेयलिपुत्ते अमचे पहाए आसखंधवरगए महया भडचडगर[0] आसवाहणियाए निजायमाणे कलायस्स मूसियारदारगस्स गिहस्स अदूरसामंतेणं वीईवयइ । तए णं से तेयलिपुत्ते [अमचे मूसियारदारगगिहस्स अदूरसामंतेणं वीईवयमाणे २ पोट्टिलं दारियं उप्पि (पासायवरगयं) आगासतलगंसि कणगतिंदूसएणं कीलमाणी पासइ २ त्ता पोट्टिलाए दारियाए स्वे य (३) जाव अज्झोववन्ने कोडंवियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया! कस्स दारिया किनामज्जा [वा] ?। तए ण Page #1111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ० १४ ] - सुत्तागमे १०५९ कोडुं वियपुर (से) सा तेयलिपुत्तं एवं वयासी - एस णं सामी । कलायस्स मूसियारदांरयस्स धूया भद्दाए अत्तया पोट्टिला नामं दारिया रूवेण य जाव [ उक्विड ] सरीरा । तए णं से तेयलिपुत्ते आसवाहणियाओ पडिनियत्ते समाणे अभितर ( द्वा) ठाणिजे पुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी - गच्छह णं तुभे देवाणुप्पिया । कला ( द ) यस्स २ धूयं भद्दाए अत्तयं पोट्टिलं दारियं मम भारियत्ताए वरेह । तए णं ते अभितरठापिज्जा पुरिसा तेलिणा एवं वुत्ता (समाणा) हट्ठ० करयल० तहत्ति जेणेव कलायस्स २ गिहे तेणेव उवागया । तए णं से कलाए मूसियारदार [ ए ] ते पुरिसे एजमाणे पासइ २त्ता तुट्ठे आसणाओ अब्भुट्ठेइ २ त्ता सत्तट्ठपयाई अणुगच्छइ २ त्ता आसणेण उवणिमंतेइ २ त्ता आसत्ये वीसत्थे सुहासणवरगए एवं वयासी - संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! किमागमणपओयणं (?) । तए णं ते अब्भितरठाणिजा ( पुरिसा) कलायं २ एवं वयासी-अम्हे णं देवाणुप्पिया । तव धूयं भद्दाए अत्तयं पहिलं दारियं तेयलिपुत्तस्स भारित्ताए वरेमो, तं जइ णं जागसि देवाणुप्पिया । जुत्तं वा पत्तं वा सलाहणिज्जं वा सरिसो वा संजोगो ता दिज्जउ णं पोट्टिला दारिया तेयलिपुत्तस्स, (ता) तो भण देवाणुप्पिया ! किं दलामो सुक्कं (?) । तए णं कलाए २ ते अभितरठाणिज्जे पुरिसे एवं वयासी- एस चेव णं देवाणुप्पिया । मम सु (क्के ) कं जन्नं तेयलिपुत्ते मम दारियानिमित्तेणं अणुग्गहं करेइ । ते ठाणिजे पुरिसे विपुलेणं अस (ण) गं ४ पुप्फवत्थ जाव मलालंकारेण सक्कारेइ सम्माणेइ (०) पडिविसज्जेइ । तए णं [ते पुरिसा ] कलायस २ गिहाओ पडिनि (क्खमं) यत्तति २ त्ता जेणेव तेयलिपुत्ते अमचे तेणेव उवागच्छंत २ ता तेयलिपुत्तं एयमहं निवे (यं ) इंति । तए णं कलाए २ अन्नया कयाईं सोहणंसि तिर्हि [करण ] नक्खत्तमुहुत्तंसि पोट्टिलं दारियं ण्हायं सव्वालं - कारविभूसियं सीयं (दुरूहइ) दुरू (हि) हेत्ता मित्तणाइसंपरिवुडे सया (सा) ओ गिहाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता सव्विडीए [४] तेयलिपुरं [नयरं] मज्झमज्झेणं जेणेव तेय - लिस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ (०) पोहिलं दारियं तेयलिपुत्तस्स सयमेव भारियत्ताए दलयइ । तए णं तेयलिपुत्ते पोहिलं दारियं भारियत्ताए उवणीयं पासइ २त्ता पोट्टिलाए ன் सद्धिं पट्टयं दुरूह २ त्ता सेयापी (त) एहिं कलसेहिं अप्पाणं मज्जावेइ २ ता अग्गिहोमं करेइ २ त्ता पाणिग्रहणं करेइ २ त्ता पोट्टिलाए भारियाए मित्तनाइ जाव परि(ज) यणं विलेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पुप्फ[वत्थ] जाव पडिविसज्जेइ । तए णं से तेयलिपुत्ते पोहिलाएं भारियाए अणुरते अविरत्ते उरालाई जाव विहरइ ॥ १०२ ॥ तणं से कणगरहे (राया) रज्जे य रहे य बळे य वाहणे य कोसे य कोट्टागारे य अंतेउरे य मुच्छिए ४ जाए २ पुत्ते वियंगेइ । अप्पेगइयाणं हत्थंगुलियाओ छिंदइ Page #1112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६० सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ अप्पेगइयाणं हत्थंगुट्ठए छिंदइ । एवं पायंगुलियाओ पायंगुहुए वि कण्ण(सक्छु)संकुली(ए)याओ वि नासापुडाइं फालेइ अं(गमं)गोवंगाई वियंगेइ । तए णं तीसे पठमावईए देवीए अन्नया [कयाइ] पुन्चरत्तावरत्तकालसमयंसि अयमेयात्वे अज्झथिए ४ समुप्पज्जित्था-एवं खलु कणगरहे राया रज्जे य जाव पुत्ते वियंगेइ जाव अंगमंगाई वियंगेइ । तं जइ [f] अहं दारयं प(या)यामि सेयं खलु म(म)म तं दारगं कणगरहस्स रहस्सि[य]यं चेव सारक्खमाणीए संगोवेमाणीए विहरित्तए-त्तिकटु एवं संपेहेइ २ त्ता तेयलिपुत्तं अमचं सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! कणगरहे राया रजे य जाव वियंगेइ । तं जइ णं अहं देवाणुप्पिया! दारगं पयायामि तए णं तुमं कणगरहस्स रहस्सिययं चेव अणुपुत्वेणं सारक्खमाणे संगोवेमाणे संवद्वेहि । तए णं से दारए उमुक्कवालभावे [जाव] जोव्वगगमणुप्पत्ते तव य मम य भिक्खाभायणे भविस्सइ । तए णं से तेयलिपुत्ते पउमावईए एयम पडिसुणेइ २ त्ता पडिगए । तए णं पउमावई (य) देवी पोटिला य अमची सममेव गन्मं गेण्ह(न्ति)इ सममेव (गम्भ) परिवहति (सममेव गम्भं परिवर्ल्डति) । तए णं सा पउमावई नवण्हं मासाणं जाव पियदसणं सुरुवं दारगं पयाया। जं रयणिं च णं पङमावई (देवी) दारयं पयाया तं रयणिं च णं पोट्टिला वि अमची नवण्हं मासाणं विणि(हा)घायमावन्नं दारियं पयाया। तए णं सा पउमावई देवी अम्मधाई सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तु(मे)मं अम्मो! (तेयलि(पुत्त)गिहे) तेयलिपुत्तं रहस्सिययं चेव सदावे(ह)हि । तए णं सा अम्मधाई तहत्ति पडिसुणेइ २ त्ता अंतेउरस्स अव(हा)दारेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव तेयलिस्स गिहे जेणेव तेयलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ २ ता करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! पउमावई देवी सद्दावेइ । तए णं तेयलिपुत्ते अम्मधाईए अंतिए एयमहं सोचा (णिसम्म) हठ्ठतु(E) अम्मधाईए सद्धिं सयाओ गिहाओ निग्गच्छइ २ त्ता अंतेलरस्स अवदारेणं रहस्सिययं चेव अणु[]पविसइ २ त्ता जेणेव पउमावई (देवी) तेणेव उवागच्छइ (२त्ता) करयल जाव एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणुप्पिया! जमए कायव्वं । तए णं पउमावई तेयलिपुत्तं एवं वयासी-एवं खलु कणगरहे राया जाव वियंगेइ । अहं च णं देवाणुप्पिया ! दारगं पयाया। तं तु(म)न्मे णं देवाणुप्पिया ! (तं) एवं दारगं गेहाहि जाव तव मम य भिक्खाभायणे भविस्सइ-तिकडे तेयलिपुत्तस्स हत्ये दलयइ । तए णं तेयलिपुत्ते पउमावईए हत्थाओ दारगं गेण्हइ उत्तरेजेणं पिहेइ २ ता अंतेउरस्स रहस्सिययं अवदारेणं निग्गच्छइ २ ता जेणेव सए गिहे जेणेव पोटिला भारिया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पोटिलं एवं वयासी-एवं Page #1113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ अ०१४] सुत्तागमे १०६१ खलु देवाणुप्पि(या)ए! कणगरहे राया रजे य जाव वियंगेइ । अयं च ण दारए कणगरहस्स पुत्ते पउमावईए अत्तए। (तेणं) तन्नं तुम देवाणुप्पिए ! इमं दारगं कणगरहस्स रहस्सिययं चेव अणुपुश्वेणं सारक्खाहि य संगोवेहि य संवदेहि य । तए णं एस दारए उमुक्कबालभावे तव य मम य पउमावईए य आहारे भविस्सइत्तिकट्ट पोटिलाए पासे निक्खिवइ [२] पोट्टिला(ओ)ए पासाओ तं विणिहायमावनियं दारियं गेण्हइ २ ता उत्तरिजेणं पिहेइ २ त्ता अंतेउरस्स अवदारेणं अणुप्प. विसइ २ त्ता जेणेव पउमावई देवी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पउमावईए देवीए पासे ठावेइ (०) जाव पडिनिग्गए । तए णं तीसे पउमावईए अंगपडियारियाओ पउमावई देविं विणिहायमावन्नियं (च) दारियं पयायं पासंति २ त्ता जेणेव कणगरहे राया तेणेव उवागच्छंति २ त्ता करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु सामी। पउमावई देवी म(इ)एल्लियं दारियं पयाया। तए णं कणगरहे राया तीसे मएलियाए दारियाए [महया] नीहरणं करेइ वहू(णि)ई लो(इ)गियाइं मयकिच्चाई करेइ 17 कालेणं विगयसोए जाए । तए णं से तेयलिपुत्ते क(ले)लं कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव चारगसोहणं जाव ठिइपडियं जम्हा णं अम्हं एस दारए कणगरहस्स रजे जाए तं होउ णं दारए नामेणं कणगज्झए जाव अलंभोगसमत्थे जाए ॥ १०३ ॥ तए णं सा पोट्टिला अन्नया कयाइ तेयलिपुत्तस्स अणिट्ठा ५ जाया यावि होत्था नेच्छइ (य) णं तेयलिपुत्ते पोट्टिलाए नामगो(त्त)यमवि सवणयाए किपुण दं(दरि)सणं वा परिभोगं वा (2)। तए णं तीसे पोटिलाए अन्नया कयाई पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि इमेयारूवे अज्झथिए ४ जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं तेयलिस्स पुचि इट्ठा ५ आसि इयाणि अणिट्ठा ५ जाया । नेच्छइ णं तेयलिपुत्ते मम नामं जाव परिभोगं वा ओहयमणसंकप्पा जाव झियायइ । तए णं तेयलिपुत्ते पोटिलं ओहयमणसंक्रप्पं जाव झियायमाणं पासइ २ त्ता एवं वयासी-मा णं तुम देवाणुप्पिए । ओहयमणसंकप्पा जाव झियाहि, तुमं णं मम महाणसंसि विपुलं असणं ४ उवक्खडावेहि २ त्ता बहूणं समणमाहण जाव वणीमगाणं देयमाणी य द(दे)वावेमाणी य विहराहि । तए णं सा पोट्टिला तेयलिपुत्तेणं [अमच्चणं] एवं वुत्ता समा(णा)णी हट्ठ० तेयलिपुत्तस्स एयमढे पडिसुणेइ २ त्ता कल्लाक(लं)ल्लिं महाणससि विपुलं असणं ४ जाव दवावेमाणी विहरइ ॥ १०४ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सुव्वयाओ नाम अजाओ इ(ई)रियासमियाओ जाव गुत्तबंभ(या)चारिणीओ वहुस्याओ बहुपरिवाराओ पुव्वाणुपुदिव [चरमाणीओ] जेणामेव तेयलिपुरे नयरे तेणेव उवागच्छंति २ ता अहापडिरूवं उग्गहं ओगिण्हंति २ त्ता संजमे(ण)णं तवसा Page #1114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६२ सुत्तागमे [ णायाधम्मकहाओ तए । अप्पाणं भावेमाणीओ विहरति । तए णं तासि सुव्वयाणं अजाणं एगे संघाडए पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ जाव अडमाणीओ तेयलिस्स गिहं अणुपविट्टाओ । णं सा पोट्टिला ताओ अजाओ एजमाणीओ पास २ ता हट्ट० आसणाओ अव्भुट्ठेइ (०) वंदइ नमंसइ वं० २ त्ता विपु (लं) लेणं अस (णं) णेणं ४ पडिलाइ २ त्ता एवं वयासी एवं खलु अहं अज्जाओ ! तेयलिपुत्तस्स पुव्वि इट्टा ५ आसि इयाणिं अणिट्ठा ५ जाव दंसणं वा परिभोगं वा, तं तुब्भे णं अजाओ बहुनायाओ [बहु]सिक्खियाओ वहुपढियाओ बहूणि गासागर जाव आहिंडह वहूणं राईसर जाव गिहाई अणुपविसह, तं अस्थि-याई भे अज्जाओ ! केइ क(हं) हिंचि चुण्णजोए वा मंतजोगे वा कम्मण जोए वा हियउडावणे वा काउढावणे वा आभिओगिए वा वसीकरणे वा कोउयकम्मे वा भूइकम्मे वा मूळे [वा] कंदे [वा] छही वही सिलिया वा गुलिया वा ओसहे वा भेसज्जे वा उवलद्धपुव्वे जेणाहं तेयलिपुत्तरस पुणरवि इट्टा ५ भवेज्जामि [?] । तए णं ताओ अजाओ पोट्टिलाए एवं वृत्ताओ समाणीओ दोवि क [अंगुलियं ] ठवें (ठाई ) ति २ त्ता पोट्टिलं एवं वयासी - अम्हे णं देवाणुप्पिए । समणीओ निग्गंथीओ जाव गुत्तवंभचारिणीओ । नो खलु कप्पइ अम्हं एयप्प (या) गारं कण्णे (हि)हिं वि निसा (मे) मित्तए किमंग पुण उव (दि) दंसित्तए वा आयरित्तए वा (?) । अम्हे णं तव देवाणुप्पिया ! विचित्तं केवलिपन्नत्तं धम्मं प ( डि) रिकहिजामो । तए णं सा पोट्टिला ताओ अजाओ एवं वयासी - इच्छामि णं अजाओ ! तु ( म्हं ) व्भं अंतिए केवलिपन्नत्तं धम्मं निसामित्तए । तए णं ताओ अजाओ पोट्टिलाए विचित्तं धम्मं परिकर्हेति । तए णं सा पोट्टिला धम्मं सोचा निसम्म हट्ट० एवं वयासी - सद्दहामि अजाओ ! निग्गंथं पावयणं जाव से जहेयं तुभे वयह, इच्छामि णं अहं तु भं अंतिए पंचाणुव्व (याइँ) इयं जाव धम्मं पडिवज्जित्तए । अहासुहं [देवाणुप्पिया ] । तए णं सा पोट्टिला तासिं अजाणं अंतिए पंचाणुव्वइयं जाव धम्मं पडिवजइ ताओ अजाओ वंदइ नमसइ वं० २ त्ता पडिविसज्जेइ । तए णं सा पोहिला समणोवासिया जाया जाव पडिलाभेमाणी विहरइ ॥ १०५ ॥ तए णं तीसे पोट्टिलाए अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुर्डुबजागरियं जागरमाणीए अयमेयास्वे अज्जथिए - एवं खलु अहं तेयलिपुत्तस्स पुव्वि इट्ठा ५ आति इयाणि अणिट्ठा ५ जाव परिभोगं वा, तं सेयं खलु म (म) मं सुव्वयाणं अजाणं अंतिए पव्वइत्तए । एवं संपेहेइ २ त्ता कलं (पाउ०) जेणेव तेयलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ २ त्ता करयल जाव एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए धम्मे निसंते जाव अब्भणुन्नाया पव्वइत्तए । तए णं तेयलिपुत्ते पोहिलं एवं व्यासी एवं खलु 0 * Page #1115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु. १०१४]] सुत्तागमे १०६३ तुम देवाणुप्पिए ! मुंडा पव्वइया समाणी कालमासे कालं किच्चा अ(न्नणंतरेसु देवलोएसु देवत्ताए ज्ववजिहिसि, तं जइ णं तुमं देवाणुप्पिए ! ममं ताओ देवलो(या)गाओ आगम्म केवलिपन्नत्ते धम्मे वो(हि)हेहि तो हं विसज्जेमि, अह णं तुमं ममं न संबोहेसि तो ते न विसज्जेमि । तए णं सा पोटिला तेयलिपुत्तस्स एयमहूं पडिसुणेइ । तए णं तेयलिपुत्ते विउलं असणं ४ उवक्खडावेइ २ त्ता मित्तनाइ जाव आमंतेइ (०) जाव सम्माणेइ २ पोटिलं ण्हायं स० पुरिससहस्सवा(ह)हिणीयं सीयं दुरूहित्ता मित्तनाइ जाव [स]परिवुडे सचि(डि)ड्डीए जाव रवेणं तेयलिपु(रस्सोरं मज्झमझेणं जेणेव सुव्वयाणं उवस्सए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सीयाओ पच्चोरुहइ २त्ता पोहिलं पुरओ-कटु जेणेव सुव्वया अज्जा तेणेव उवागच्छइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पि(ए)या। मम पोटिला भारिया इट्ठा ५, एस णं संसारभउब्विग्गा जाव पव्वइत्तए, पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सिस्सिणिभिक्खं (दलयामि)। अहाहं मा पडिवंधं (करेह) । तए णं सा पोट्टिला सुव्वयाहिं अजाहिं एवं वुत्ता समाणी हळू० उत्तरपुर(च्छिमे)त्थिमं दिसीमा(ए)ग [अवक्कमइ २] सयमेव आभरणमलालंकारं ओमुयइ २ त्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ २ ता जेणेव सुन्वयाओ अजाओ तेणेव उवागच्छइ २ ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-आलित्ते णं भंते ! लोए एवं जहा देवाणंदा जाव एकारस अंगाइं बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणइ २ त्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसेत्ता सर्टि भत्ताई अणस(गाई)णेणं [छेएत्ता] आलोइयपडिकंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववन्ना ॥ १०६ ॥ तए णं से कणगरहे राया अन्नया कयाइ कालधम्मुणा संजुत्ते यावि होत्था। तए णं [ते] राईसर जाव नीहरणं करेंति २ त्ता अन्नमन्नं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! कणगरहे राया रजे य जाव पुत्ते वियंगित्था । अम्हे णं देवाणुप्पिया! रायाहीणा रायाहिट्ठिया रायाहीणकजा। अयं च णं तेयली अमच्चे कणगरहस्स रनो सव्वट्ठाणेसु सव्वभूमियासु लद्धपच्चए दिनवियारे सव्वकज्जव(ट्टा)ड्ढावए यावि होत्था । तं सेयं खलु अम्हं तेय. लिपुत्तं अमचं कुमारं जाइत्तए-त्तिकटु अन्नमन्नस्स एयमढे पडिसुणेति २ ता जेणेव तेयलिपुत्ते अमच्चे तेणेव उवागच्छति २ त्ता तेयलिपुत्तं एवं वयासी-एवं खलु देवागुप्पिया! कणगरहे राया रजे य रहे य जाव वियंगेइ, अम्हे (य) णं देवाणुप्पिया! रायाहीणा जाव रायाहीणकज्जा, तुमं च णं देवाणुप्पिया ! कणगरहस्स रन्नो सव्व(हा)ठाणेसु जाव रजधुराचिंतए [होत्था], तं जइ णं देवाणुप्पिया। अत्थि केइ कुमारे रायलक्खणसंपन्ने अभिसेयारिहे तण्णं तुमं अम्हं दलाहि जण(जा)णं अम्हे Page #1116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६४ सुत्तागसे [णायाधम्मकहामओ रायाभिमए कणगरहस्स रनो कणगञ्जए नाम कुन महया २ रायाभिसेएणं अभिसिंचामो । तए णं तेयलिपुत्ते तेसिं ईसर जाव एयमढे पडिसुणेइ २ त्ता कणगज्झयं कुमारं व्हायं सव्वालंकारविभूतियं सस्सिरीयं करेइ २ त्ता तेसिं ईसर जाव उवणेइ २ त्ता एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया! कणगरहस्स रन्नो पुत्ते पउमावईए देवीए अत्तए कणगज्झए नाम कुमारे अभिसेयारिहे रायलक्खणसंपन्ने मए कणगरहस्स रन्नो रहस्सिययं संवदिए, एयं णं तुम्भे महया २ रायाभिसेएणं अभिसिंचह । सव्वं च तेसिं उहाणपरियावणियं परिकहेइ । तए णं ते ईसर जाव कणगज्झयं कुमारं महया (२) रायाभिसेएणं अभिसिंचंति । तए णं से कणगज्झए कुमारे राया जाए महयाहिमवंत(मलय) वण्णओ जाव रज पसा(से)हेमाणे विहरइ । तए णं सा पउमावई देवी कणगज्झयं रायं सहावेइ २ त्ता एवं वयासी-एस णं पुत्ता ! तव रज्जे जाव अंतेउरे य तुमं च तेयलिपुत्तस्स [अमचस्स] प(हा)भावेणं, तं तुम णं तेयलिपुत्तं अमचं आढाहि परिजाणाहि सकारेहि सम्माणेहि इंतं अब्भुढेहि ठियं पजुवासाहि वचंतं पडिसंसाहेहि अद्धासणेणं उवणिमंतेहि भोगं च से अणुवड्देहि । तए णं से कणगज्झए पउमावईए (देवीए) तहत्ति [वयणं] पडिसुणेइ जाव भोगं च से [सं]वड्ढेइ ॥ १०७॥ तए णं से पोट्टिले देवे तेयलिपुत्तं अभिक्खणं २ केवलिपन्नत्ते धम्मे संवोहेइ नो चेव णं से तेयलिपुत्ते संबुज्झइ । तए णं तस्स पोटिलदेवस्स इमेयारूवे अज्झथिए०-एवं खलु कणगज्झए राया तेयलिपुत्तं आढाइ जाव भोगं च संवड्डेइ । तए णं से तेय(ली)लिपत्ते अभिक्खणं २ संबोहिजमाणे वि धम्मे नो संवुज्झइ । तं सेयं खलु कणगज्मयं तेयलिपुत्ताओ विप्परिणा(मे)मित्तए-त्तिकटु एवं संपेहेइ २ त्ता कणगज्झयं तेयलिपुत्ताओ विप्परिणामेइ । तए णं तेयलिपुत्ते कल्लं ण्हाए आसखंधवरगए वहहिं पुरिसेहि [सद्धिं] संपरिवुडे सयाओ गिहाओ निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव कणगज्झए राया तेणेव पहारेत्थ गमणाए। तए णं तेयलिपुत्तं अमचं जे जहा वहवे राईसरतलवर जाव पभियओ पासंति ते तहेव आढायंति परि(जा)याणंति अव्भुढेति २ त्ता अंजलिपरिग्गहं करेंति इटाहिं कंताहिं जाव वग्गूहि आल(वे)वमाणा य संलवमाणा य पुरओ य पिट्ठओ य पासओ य मग्गओ य समणुगच्छंति । तए णं से तेयलिपत्ते जेणेव कणगज्झए तेणेव उवागच्छइ । तए णं [से] कणंगज्झए तेयलिपुत्तं एजमाणं पासइ २त्ता नो आढाइ नो परियाणाइ नो अब्भुढेइ अणाढायमाणे ३ परम्मुहे संचिठ्ठइ । तए णं से] तेयलिपुत्ते कणगज्मयस्स रन्नो अंजलिं करेइ । तए णं से कणगज्झए राया अणाढायमाणे तुसिणीए परम्मुहे संचिठ्ठइ । तए णं तेवलिपुत्ते कणगज्झयं [रायं] विप्परिणयं जाणित्ता भीए जाव संजायभए एवं वयासी-रुट्टे Page #1117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ अ०१४] ‘सुत्तागने णं मम कणगज्झए राया। हीणे णं मम कणगज्झए राया। अवज्झाए णं कणगज्झए (राया)। तं न नजइ णं मम केणइ कुमारेण मारेहिइ-त्तिकट्ट भीए तत्थे (य) जाव सणियं २ पञ्चोस(के)कइ २ त्ता तमेव आसखंधं दुरू(हे)हइ २ ता तेयलिपुरं मज्झमज्झेणं जेणेव सए गिहे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं तेयलिपुत्तं जे जहा ईसर जाव पासंति ते तहा नो आढायंति नो परियाणंति नो अब्भुति नो अंज(लि)लिं० इटा(हिं)इं जाव नो संलवंति नो पुरओ य पिट्ठओ य पासओ (य मग्गओ योसमणुगच्छंति । तए णं तेयलिपुत्ते जेणेव सए गिहे तेणेव उवाग(च्छइ)ए। जा वि य से तत्थ बाहिरिया परिसा भवइ तंजहा-दासेइ वा पेसेइ वा भाइलएइ वा सा वि य शं नो आढाइ ३ । जा वि य से अभितरिया परिसा भवइ तंजहा-पियाइ वा मायाइ वा जाव सुण्हाइ वा सा वि य णं नो आढाइ ३ । तए णं से तेयलिपुत्ते जेणेव वासघरे जेणेव (सए) सयणिजे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सयणिज्जसि निसीयइ २त्ता एवं वयासी-एवं खलु अहं सयाओ गिहाओ निग्गच्छामि तं चेव जाव अभितरिया परिसा नो आढाइ नो परियाणाइ नो अब्भुटेइ । तं सेयं खलु मम अप्पाणं जीवियाओ ववरोवित्तए-त्तिकटु एवं संपेहेइ २ ता तालउडं विसं आसगंसि पक्खिवइ, से (य विसे) नो संकमइ । तए णं से तेयलिपुत्ते [अमचे] नीलुप्पल जाव असिं खं(धे),सि ओहरइ, तत्थ वि य से धारा ओपल्ला । तए णं से तेयलिपुत्ते जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छइ २ ता पासगं गीवाए बंधइ २ त्ता रुक्खं दुरुहइ २त्ता पा(सं)सगं रुक्खे बंधइ २ त्ता अप्पाणं मुयड, तत्थ वि य से रज्जू छिन्ना। तए णं से तेयलिपुत्ते महइमहा(ल)लियं सिलं गीवाए बंधइ २ त्ता अत्थाहमतारमपोरि(सि)सीयंसि उदगंसि अप्पाणं मुयइ, तत्थ वि से थाहे जाए। तए णं से तेयलिपुत्ते सुकंसि तणकूडंसि अगणिकायं पक्खिवइ २ ता अप्पाणं मुयइ, तत्थ वि य से अगणिकाए विज्झाए । तए णं से तेयलिपुत्ते एवं वयासी-सद्धेयं खलु भो समणा वयंति, सद्धेयं खलु भो माहणा वयंति, सद्धेयं खलु भो समणा माहणा वयंति, अहं एगो असद्धेयं वयामि, एवं खलु अहं सह पुत्तेहिं अपुत्ते, को मेदं सद्दहिस्सइ ? सह मित्तेहिं अमित्ते, को मेदं सद्दहिस्सइ ? एवं अत्थेणं दारेणं दासेहिं [पेसेहि] परिजणेणं । एवं खल तेयलिपुत्तणं अमचेणं कणगज्झएणं रन्ना अवज्झाएणं समाणेणं तालपुडगे विसे आसगंसि पक्खित्ते, से वि य नो (सं)कमइ, को मेयं सहहिस्सइ ? तेयलिपुत्ते नीलप्पल जाव खंधसि ओहरिए, तत्थ वि य से धारा ओपल्ला, को मेदं सद्दहिस्सइ ? तेयलिपु(त्तस्स)त्ते पासगं गीवाए बं(धे)धित्ता जाव रज्जू छिन्ना, को मे(द)यं सद्दहिस्सइ ? तेयलिपुत्ते महा(सिल)लियं जाव बंधित्ता Page #1118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १०६६ [णायाधम्मकहामो अत्थाह जाव उदगंसि अप्पा[f] मुक्के, तत्य वि य णं थाहे जाए, को मेवं सहहिस्सइ ? तेयलिपुत्ते सुकंसि तणकूडे अग्गी विज्झाए, को मेयं सद्दहिस्सद ?-ओहयमणसंकप्पे जाव झिया [य]इ । तए णं से पोट्टिले देवे पोट्टिला विउच्चइ २ सा तेयलिपुत्तस्स अदूरसामंते ठिच्चा एवं क्यासी-हं भो तेयलिपुत्ता ! पुरओ पवाए पिट्ठओ हत्यिभयं दुहओ अचक्खुफासे मज्झे सराणि पतं(वरिसर्य)ति, गामे पलित्ते रन्ने झियाइ रम्ने पलित्ते गामे झियाइ, आउसो (1) तेयलिपुत्ता ! कओ वयामो ?। तए णं से तेयलिपुत्ते पोट्टिलं एवं वयासी-मीयस्स खलु भो ! पव्वजा सरणं, उळ(ठि). ट्टियस्स सदेसगमणं छुहियस्स अन्नं तिसियस्स पाणं आउरस्स मेसज्जं माइयस्त रहस्सं अभिजुत्तस्स पञ्चयकरणं अद्धाणपरिसंतस्स वाहणगमणं तरिउकामस्त पवह(ण)णकिच्चं परं अभिओजिउकामस्स सहायकिचं, खंतस्स दंतस्स जिइंदियस्स एत्तो एगमवि न भवइ । तए णं से पोट्टिले देवे तेयलिपुत्तं अमचं एवं वयासीसुट्टणं तुमं तेयलिपुत्ता ! एयमह आया(णि)णहि-त्तिकगु दोच्चपि [तबंपि] एवं वयइ २त्ता जामेव दि(सं)सिं पाउन्मए तामेव दिसिं पडिगए ॥ १०८ ॥ तए णं तस्स तेयलिपुत्तस्स सुभेणं परिणामेणं जाईसरणे समुप्पन्ने । तए थे (तस्स) तेयलिपुत्तस्स अयमेयारूवे अज्ज्ञथिए ० समुप्पन्ने-एवं खलु अहं इहेव जंबुद्दीवे २ महाविदेहे वासे पोक्खलावईविजए पोड(री)रिगिणीए रायहाणीए महापउमे नामं राया होत्था । तए णं (अ)हं थेराणं अंतिए मुंडे भवित्ता जाव चोद्दस-पुव्वाइं (०) बहूणि वासाणि सामण्णपरिया(ए)गं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए महानुक्के कप्पे देवे (उववन्ने) । तए णं हं ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं [भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता] इहेव तेयलिपुरे तेयलिस्स अमच्चस्स भद्दाए भारियाए दारगत्ताए पञ्चायाए । तं सेयं खलु मम पुवदिट्ठाई महन्वयाई सयमेव उवसंपजित्ताणं विहरित्तए। एवं संपेहेइ २ त्ता सयमेव महन्वयाइं आल्हेइ २ त्ता जेणेव पमयवणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टयंति सुहनिसण्णस्स अणुचिंतेमाणस्स पुवाहीयाइं सामाइयमाइयाइं चोइसपुव्वाइं सयमेव अभिसमन्नागयाइं । तए णं तस्स तेयलिपुत्तस्स अणगारस्स सुमेणं परिणामेणं जाव तयावरणिजाणं कम्माणं खओवसमेणं कम्मरयविकरणकरं अपुव्वकरणं पविट्ठस्स केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने ॥ १०९॥ तए णं तेयलिपुरे नयरे अहासनिहिएहि वाणमंतरेहिं देवेहिं देवीहि य देवदंदु(भी)हीओ समाहयाओ दसवण्णे कुसुमे निवाइए दिव्वे गीयगंधव्वनिनाए कए यावि होत्या। तए णं से कणगज्झए राया इमीसे कहाए लढे समाणे एवं वयासी-एवं खलु तेय(लिं)लिपुत्ते मए अव. Page #1119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६७ ' सु० १० १५] सुत्तागमे ज्झाए मुंडे भवित्ता पव्वइए तं गच्छामि गं तेयलिपुत्तं अणगारं वदामि नमसामि वं० २ त्ता एयमढें विणएणं भुजो २ खामेमि । एवं संपेहेइ २ ता हाए चाउरंगिणीए सेणाए जेणेव पमयवणे उजाणे जेणेव तेयलिपुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छड़ २त्ता तेयलिपुत्तं (अणगारं) वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एयमढे च f] विणएणं भुज्नो २ खामेइ [२] नच्चासन्ने जाव पजुवासइ । तए णं से तेयलिपुत्ते अणगारे कणगज्झयस्स रन्नो तीसे य महइमहालियाए परिसाए धम्म परिकहेइ । तए णं से कणगज्झए राया तेयलिपुत्तस्स केवलिस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं सावगधम्म पडिवजइ २ त्ता समणोवासए जाए जाव अ(हि)भिगयजीवाजीवे । तए णं तेयलिपुत्ते केवली वहूणि वासाणि केवलिपरियागं पाउणित्ता जाव सिद्धे । एवं खलु जंवू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं चोइसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते तिबेमि ॥ ११० ॥ गाहा-जाव न दुक्खं पत्ता माणभंसं च पाणिगो पायं । ताव न धम्मं गेहति भावओ तेयलिसुउव्व ॥ १॥ चोद्द(चउद)समं नाय(अ)ज्झयणं समत्तं ॥ __जइणं भंते ! समणेण० चोद्दसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते पन्नरसमस्स ग (0) के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंवू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा ना(म)म नयरी होत्था पुण्णभद्दे उजाणे जियसत्त राया। तत्थ णं चंपाए नयरीए ध(प)णे नामं सत्थवाहे होत्था अड्ढे जाव अपरिभूए । तीसे णं चंपाए नयरीए उत्तरपुरथिमे दि(सि)सीभाए अहिच्छत्ता ना(म)मं नयरी होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धा वण्णओ । तत्थ णं अहिच्छत्ताए नयरीए कणगकेऊ नामं राया होत्था (महया) वण्णओ । इतए गं] तस्स ध(1)णस्स सत्थवाहस्स अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि इमेयारूवे अज्झथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-सेयं खलु मम विपुलं पणियभंडमायाए अहिच्छत्तं न(गरं)यरिं वाणिज्जाए गमित्तए । एवं संपेहेइ २ ता गणिमं च ४ चउन्विहं भंडं गेण्हइ -(०) सगडीसागडं सज्जेइ २ त्ता सगडीसागडं भरेइ २ त्ता कोडंवियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम्मे देवाणुप्पिया ! चंपाए नयरीए सिंघाडग जाव पहे(सु)सु [एवं वयह-एवं खलु देवाणुप्पिया! धणे सत्यवाहे विपु(ले)लं पणि(य०)यं [आदाय] इच्छइ अहिच्छत्तं नयरिं वाणिजाए गमित्तए । तं जो णं देवाणुप्पिया । चरए वा चीरिए वा चम्मखंडिए वा भिच्छंडे वा पं(ड)डरगे वा गोयमे वा गोव(ती)त्तिए वा (गिहिधम्मे वा) गिहिधम्मचिंतए वा अविरूद्धविरुद्धवुड्डसावगरत्तपडनिग्गंथप्पभिइपासंडत्थे वा गिहत्थे वा (तस्स ण) धरणेणं सद्धिं अहिच्छत्तं नयरिं गच्छइ तस्स णं धणे अच्छत्तगरस Page #1120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [णायाधम्नकहाओ १०६८ छत्तगं दलाइ अणुवाहणस्स ओ(उ)वाहणा(उ)ओ दलयद अलंटियरस कुंटियं दलयइ अपत्थयणस्स पत्ययग दलयइ अपक्खेवगस्त पक्वेवं दलयइ अंतरा वि य में पडियस्स वा भग्गलुग्ग[स्स] साहेजं दलयइ नुहंमुहेण य (ग) अहिल्छतं संपावेदत्तिकट दोबपि तचंपि [घोसण] घोसेह २ त्ता मम एयमाणत्तियं पचप्पिगह । नए णं ते कोडेवियपुरिसा जाव एवं वयासी-हंदि मुणंतु भगवंतो चंपानयरीवत्यव्या बढे चरगा (य) जाव पञ्चप्पिणंति । तए णं (से) तनि कोटुंबिय(घोस)पुरिसाणं [अंतिए एयमह] सो(सु)चा चंपाए नयरीए वहवे चरगा य जाव गिहत्या व जेणेव धणे सत्यवाहे तेणेव उवागच्छंति । तए णं धणे सत्यवाहे] तेनि चरगाण य जाव गिहन्थाग य अच्छत्तगस्स छत्तं दलयइ जाव पत्थयणं दलाइ-गच्छह णं तुम्मे देवाणुपिया ! चंपाए नयरीए वहिया अग्रगुजाणंसि ममं पडिबालेमाणा चिट्ठह । तए णं ति] बरगा य० धणेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणा जाव चिट्ठति । तए णं धणे सत्यवाहे सोहणंसि तिहिकरणनक्खत्तसि विउलं असगं ४ उवक्खडावेइ २ ना मित्तना(ई)इ आमंतेइ २ त्ता भोयणं भोयावेइ २ त्ता आपुच्छड २ त्ता सगडीसागडं जोयाबेड २ त्ता चंपा[ओ] नयरीओ निग्गच्छइ (०) नाइविप्पगिट्टेहिं अदाणेहिं वसमाणे २ मुहेहि वसहिपायरासेहि अंगं जणवयं मझमझेणं जेणेव देसगं तेणेव उवागच्छड २ त्ता सगढीसागडं मोयावेइ (०) सत्यनिवेसं करे २ त्ता कोईवियपुरिसे सहावेइ २ त्ता एवं वयासी-तुव्भे गं देवाणुप्पिया । मम सत्यनिवेसंति महया २ सद्देणं उग्योसेमाणा २ एवं वयह-एवं खलु देवाणुप्पिया! इमीसे आगामियाए छिन्नावायाए दीहमद्धाए अडवीए वहुमझदेसभाए [एत्य णं] वहवे नंदिफला नाम ल्खा पन्नत्ता किण्हा जाव पत्तिया पुफिया फलिया हरिया रेरिजमाणा जिरीए अईव २ उवलोभेमाणा चिट्ठति मणुन्ना वग्णेणं [४] जाव मणुन्ना फासेणं मणुन्ना छायाए । तं जो णं देवाणुपिया ! तेसिं नंदिफलाणं रुक्खाणं मूलाणि वा कंद(०)तयपत्तपुरकफलबीयाणि वा हरियाणि वा आहारेइ छायाए वा वीसमइ तस्स णं आवाए भए भवइ तओ पच्छा परिणममाणा २ अंकाले चेव जीवियाओ ववरोवे(न्ति)इ । तं मा णं देवाणुप्पिया! केइ तेसिं नंदिफलाणं मूलाणि वा जाव छायाए वा वीसमउ मा गं से(s)वि अकाले चेव जीवियाओ ववरोविजिस्सइ । नुन्भे णं देवाणुप्पिया ! अन्नेनि रुक्खाणं मूलाणि य जाव हरियाणि य आहारे(थ)ह छायानु वीसमह ति घोसणं घोसेह जाव पञ्चप्पिणंति । तए णं धणे सत्यवाहे सगडीसागडं जोएइ २ त्ता जेणेव नंदिफला रुक्खा तेणेव उवागच्छइ २ त्ता तेसिं नंदिफलाणं अदूरसामंते सत्यनिवेसं करेइ २ ता दोचंपि तत्रपि कोडेवियपुरिसे-सहावेइ २ त्ता एवं वयासी-तुन्भे थे Page #1121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ १०१५] सुत्तागमे देवाणुप्पिया! मम सत्यनिवेसंसि महया [२] सद्देणं उग्घोसेमाणा २ एवं वयह-एए गं देवाणुपिया! ते नंदिफला [रुक्खा] किण्हा जाव मणुन्ना, छायाए । तं जो णं देवाणुप्पिया! एएसि नंदिफलाणं रुक्खाणं मूलाणि वा कंद(०)पुप्फतयापत्तफलाणि जाव अकाले चेव जीवियाओ ववरोवेइ। तं मा णं तुम्भे जाव (दूरं दूरेणं परिहर• माणा) वीसमह मा णं अकाले [चेच] जीवियाओ ववरोविस्संति अन्नेसि रुक्खाणं मूलाणि य जाव वीसमह-त्तिक घोसणं [जाव] पञ्चप्पिणंति । तत्थ णं अत्थेगइया पुरिसा धणस्स सत्थवाहस्स एयमद्वं सद्दहति जाव रोयंति एयमद्वं सद्दहमाणा तेसिं नंदिफलाणं दूरंदूरेणं परिहरमाणा २ अन्नेसिं रुक्खाणं मूलाणि य जाव वीसमंति । तेसि णं आवाए नो भद्दए भवइ तओ पच्छा परिणममाणा २ सु(ह)भरूवत्ताए ५ . भुजो २ परिणमंति । एवामेव समणाउसो! जो अम्हं निग्गंथो वा २ जाव पंचसु कामगुणेसु नो स(ज)ज्जइ (नो रजेइ) से णं इहभवे चेव वहूर्ण समणाणं ४ अच्चणिज्ने परलोए नो आगच्छइ, जाव वीईवइस्सइ। तत्थ णं (जे से) अप्पेगइया पुरिसा धणस्स एयमद्वं नो सद्दहति ३ घणस्स एयमढें असदहमाणा ३ जेणेव ते नंदिफला तेणेव उवागच्छंति २ ता तेसिं नंदिफलाणं मूलाणि य जाव वीसमंति तेसि णं आवाए भद्दए भवइ तओ पच्छा परिणममाणा जाव ववरोति। एवामेव समणाउसो | जो अम्हं निग्गंथो वा २ पव्वइए पंचसु कामगुणेसु सज्जइ जाव अणुपरियहिस्सइ जहा व ते पुरिसा । तए णं से धणे सगडीसागडं जोयावेइ २ त्ता जेणेव अहिच्छत्ता नयरी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अहिच्छत्ताए नयरीए बहिया अरगुजाणे सत्यनिवेसं करेइ २ त्ता सगडीसागडं मोयावेइ । तए णं से धणे सत्थवाहे महत्यं ३ रायारिहं पाहुडं गेण्हइ २ त्ता बहुपुरिसेहिं सद्धिं संपरिबुडे अहिच्छत्तं नय(रं)रि मज्झमज्झेणं अणुप्पविसइ २ ता जेणेव कणगकेऊ राया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता करयल जाव वद्धावेइ २ त्ता तं महत्थं ३ पाहुडं उवणेइ । तए णं से कणगकेऊ राया हद्वतु(ढ०) धणस्स सत्थवाहस्स तं महत्थं (३) जाव पडिच्छइ २ त्ता ध(७)णं सत्थवाहं सकारेइ सम्माणेइ स० २ त्ता उस्सुकं वियरइ २ त्ता पडिविसज्जेइ [२] भंडविणिमयं करेइ २ त्ता पडिभंडं गेण्हइ २ त्ता सुहंसुहेणं जेणेव चंपा नयरी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता मित्तनाइअभिसमन्नागए विपुलाई माणुस्सगाई जाव विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं थेरागमणं ध० धम्मं सोचा जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठावेत्ता [जाव] पव्वइए सामा[इयमा]इयाइं एकारस अंगाइं वहणि वासाणि जाव मासियाए (सं०) जाव अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववन्ने (से णं देवे ताओ देवलोगाओ आउक्ख० चयं चइत्ता) महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं करेहिइ.। Page #1122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७० सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं पन्नरस[म]स्स नायज्झयणस्त अयमढे पन्नत्ते त्तिबेमि ॥ १११ ॥ गाहाओ-चंपा इव मणुयगई धणो व्व भयवं जिणो दएकरसो। अहिछत्तानयरिसमं इह निव्वाणं मुणेयव्वं ॥१॥ घोसणया इव तित्थंकरस्स सिकमग्गदेसणमहग्छ । चरगाइणोव्व इत्यं सिवसुहकामा जिया वहवे ॥२॥ नंदिफलाइ व्व इहं सिवपहपडिवण्णगाण विसया उ । तन्भक्खणाओ मरणं जह तह विसएहिं संसारो ॥३॥ तव्वजणेण जह इट्टपुरगमो विसयवज्जणेण तहा । परमानंदनिबंध. णसिवपुरगमणं मुणेयध्वं ॥ ४ ॥ पन्नरसमं नायज्झयणं समत्तं ।। जइ णं भंते ! समणेणं ३ जाव संपत्तेणं पन्नरसमस्स नायज्झयणस्स अयमद्वे पन्नत्ते सोलसमस्स णं भंते ! नायज्झयणस्स (0) के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेगं तेणं समएणं चंपा नाम नयरी होत्या। तीसे णं चंपाए नयरीए वहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए सुभूमिभागे नाम उज्जाणे होत्या। तत्थ णं चंपाए नयरीए तओ माहणा भायरो परिवसंति तंजहा-सोमे सोमदत्ते सोमभूई अड्डा जाव [अपरिभूया] रिउव्वेयजउव्वेयसामवेयअथव्वणवेय जाव सुपरिनिट्ठिया । ते(सि गं)सिं माहणाणं तओ भारियाओ होत्या तंजहा-नागसिरी भूयसिरी जक्खसिरी सुकुमा(ल)ला जाव तेसि णं माहणाणं इट्ठाओ वि(पु)उले माणुस्सए जाव विहरति । तए ण तेसिं माहणाणं अन्नया कयाइ एगयओ समुवागयाणं जाव इमेयारूवे मिहोकहासमु लावे समुप्पजित्था-एवं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं इमे विउले धणे जाव सावएज्जे अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पकामं दाउं पकामं भोत्तुं पकामं परिभाए। तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया! अन्नमन्नस्स गिहेसु कलाकलिं विपुलं असणं)णपा(ण)णखाइ(म)मसाइमं उवक्खडेडं (२) परि (ज)जेमाणाणं विहरित्तए । अन्नम नस्स एयमट्ठ पडिसुणेति कलाकलिं अन्नमन्नस्स गिहेतु विपुलं असणं ४ उवक्खडावैति २ त्ता परिभुजेमाणा विहरति । तए णं तीसे नागसिरीए माहणीए अन्नया [कयाइ] भोयणवारए जाए यावि होत्था । तए णं सा नागसिरी [माहणी] विपुलं असणं ४ उवक्ख(डे)डावेइ २ त्ता एगं महं सालइयं ति(त्ता)त्तलाउ(ओयं वहुसंभार. संजुत्तं नेहावगाढं उवक्खडावेइ एगं बिंदुयं करयलंसि आसाएइ [२] तं खारं कडुये अखज्जं (अभोज) विस(द)भूयं जाणित्ता एवं वयासी-धिरत्यु णं मम नागसिरीए अ(ह)धन्नाए अपुण्णाए दूभगाए दूभगसत्ताए दूभगनिवोलियाए जा(जी)ए णं मए सालइए वहुसंभारसंभिए नेहावगाढे उवक्खडिए सुबहुव्वक्खए(ण) नेहक्खए य कए । तं जइ णं ममं जाउयाओ जाणिस्संति तो णं मम खिसिस्संति। तं जाव-ताद ममं जाउयाओ न जाणंति ताव मम सेयं एवं सालइयं ति(त्ता)त्तला[य] बहुसंभार Page #1123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ म० १६] सुत्तागमे १०७१ नेहकयं एगंते गो(वे)वित्तए अन्नं सालइयं महु(रा)रलाउयं जाव नेहावगाढं उवक्ख(डे)डित्तए । एवं संपेहेइ २ ता तं सालइयं जाव गोवेइ [२] अन्नं सालइयं महुरलाउयं उवक्खडेइ [२] तेसिं माहणाणं व्हायाणं सुहासणवरगयाणं तं विपुलं असणं ४ परिवेसेइ । तए ण ते माहणा जिमियभुत्तुत्तरागया समाणा आयंता चोक्खा परमसुइभूया सकम्मसंपत्ता जाया यावि होत्था । तए णं ताओ माहणीओ व्हायाओ सव्वालंकारविभूसियाओ तं विपुलं असणं ४ आहारेंति २ त्ता जेणेव सयाइं २ गि(गे)हाई तेणेव उवागच्छंति २ ता सकम्मसंपउत्ताओ जायाओ ॥ ११२ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं धम्मघोसा ना(म)मं थेरा जाव बहुपरिवारा जेणेव चंपा (नाम) नयरी जेणेव सुभूमिभागे उजाणे तेणेव उवागच्छंति २ ता अहापडिरूवं जाव विहरति । परिसा निग्गया धम्मो कहिओ परिसा पडिगया। तए णं तेसिं धम्मघोसाणं थेराणं अंतेवासी धम्मरुई नाम अणगारे उ(ओ)राले जाव ते(उ)यलेस्से मासंमासेणं खममाणे विहरइ । तए णं से धम्मरुई अणगारे मासखमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ २ त्ता बीयाए पोरिसीए एवं जहा गोयमसामी तहेव उग्गाहेइ २ त्ता तहेव धम्मघोसं थेरं आपुच्छइ जाव चंपाए नयरीए उच्चनीयमज्झिमकुलाई जान अडमाणे जेणेव नागसिरीए माहणीए गिहे तेणेव अणुपवितु । तए णं सा नागसिरी माहणी धम्मरुई एज्जमाणं पासइ २ त्ता तस्स सालइयस्स तित्तकडुयस्स वहुन (०)नेहावगाढस्स एड (निसिर)णट्ठयाए हट्टतुट्ठा [उठाए] उठेइ २ त्ता जेणेव भत्तघरे तेणेव उवागच्छइ २ ता तं सालइयं तित्तकडुयं च बहुने(हं)हावगाढं धम्मरुइस्स अणगारस्स पडिग्गहंसि सव्वमेव नि(सि)स्सिरइ । तए णं से धम्मरुई अणगारे अहापज्जत्तमितिकट्ट नागसिरीए माहणीए गिहाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता चपाए नयरीए मज्झंमज्झेणं पडिनिक्खमइ २ त्ता जेणेव सुभूमिभागे उजाणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता [जेणेव धम्मघोसा थेरा तेणेव उवागच्छइ २] धम्मघोसस्स अदूरसामंते अन्नपाणं पडि(दंसे)लेहेइ २ त्ता अन्नपाणं करयलंसि पडिदंसेइ । तए णं (ते) धम्मघोसा थेरा तस्स सालइयस्स नेहावगाढस्स गंधेणं अभिभूया समाणा तओ सालइयाओ नेहावगाढाओ एगं विंदु(ग)यं गहाय करयलंसि आसा(दे)दिति ति(त्तगं)त्तं खारं कडुयं अखज्ज अभोज विसभूयं जाणित्ता धम्मरुइं अणगारं एवं वयासी-जइ णं तुम देवाणुप्पिया! एयं सालइयं जाव नेहावगाढं आहारेसि तो णं तुमं अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि । तं मा गं तुमं देवाणुप्पिया ! इमं सालइयं जाव आहारेसि मा एं तुमं अकाले चेव जीवियाओ ववरोविनसि । तं गच्छ[ह] णं तुमं देवाणुप्पिया । इमं सालइयं एगंतमणावाए अ(चि)चित्ते थंडि(ले)ल्ले परिहवेहि २ त्ता अन्नं फासुयं एस. Page #1124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०७२ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ णिज असणं ४ पडिगाहेत्ता आहारं आहारहि । तए णं से धम्मरुई अणगारे धम्मघोसेणं थेरेणं एवं बुत्ते समाणे धम्मघोसस्स थेरस्स अंतियाओ पडिनिक्खमइ २ ता सुभूमिभा(ग)गाओ उज्जाणाओ अदूरसामंते थंडिल्लं पडिलेहेइ २ ता ता(त)ओ सालइयाओ एगं विंदुगं ग(हेइ)हाय २ थंडि(लं)हंसि निसिरइ । तए णं तस्स सालझ्यस्स तित्तकडुयस्स वहुनेहावगाढस्स गंधेणं वहूणि पिपीलिगासहस्साणि पाउन्भू० जा जहा य णं पिपीलिगा आहारेइ सा [f] तहा अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जइ । तए णं तस्स धम्मइस्स अणगारस्स इमेयालवे अज्झथिए०-जइ ताव इमस्स सालझ्यस्स जाव एगमि विदु(ग)यमि पक्खित्तमि अणेगाइं पिपीलि(का)गासहस्साई ववरोविजंति तं जइ णं अहं एयं सालइयं थंडिल्लंसि सव्वं निसिरामि (तए) तो णं बहूणं पाणाणं ४ वहकरणं भविस्सइ । तं सेयं खलु मम एयं सालइयं जाव [नेहाव]गाढं सयमेव आहा(रे)रित्तए मम चेव एएणं सरी(र)रएणं निजाउ-त्तिकट्ट एवं संपेहेइ २ ता मुहपोत्तियं [२] पडिलेहेइ २ त्ता ससीसोवरियं कायं पमनेइ २ ता तं सालइयं तित्तकडुयं वहुनेहावगाढं विलमिव पन्नगभूएणं अप्पा(णे)णएणं सव्वं सरीरको(ड)गंसि पक्खिवइ । तए णं तस्स धम्मरुइ[य]स्स तं सालइयं जाव नेहावगाढं आहारियस्स समाणस्स मुहुत्तंतरेणं परिणममाणंसि सरीरगंसि वेयणा पाउभूया उज्जला जाव दुरहियासा। तए णं से धम्मरु(ची)ई अणगारे अथामे अवले अवीरिए अपुरिसकारपरकमे अधारणिजमितिकटु आयारभंडगं एगते ठा(ठ)वेइ २ त्ता थंडिलं पडिलेहेइ २ त्ता दब्भसंथारगं संथारेइ २ त्ता दव्भसंथारगं दुरूहइ २ त्ता पुरत्थाभिमुहे संपलियंकनिसण्णे करयलपरिग्गहियं एवं वयासी-नमोत्यु णं अरहंताणं जाव संपत्ताणं नमोत्थु णं धम्मघोसाणं थेराणं मम धम्मायरियाणं [मम] धम्मोवएसगाणं पुचि पिणं मए धम्मघोसाणं थेराणं अंतिए सव्वे पाणाइवाए पञ्चक्खाए जावज्जीवाए जाव परिग्गहे इयाणिं पि णं अहं तेसिं चेव भगवंताणं अंति(य)ए सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामि जाव परिग्गहं पञ्चक्खामि - जाव(जी)ज्जीवाए जहा खंदओ जाव चरिमेहिं उस्सासेहिं वोसिरामि-त्तिकटु आलोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालगए। तए णं ते धम्मघोसा थेरा धम्मस्इं अणगारं चि(५)रगयं जाणित्ता समणे निग्गंथे सद्दावेंति २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! धम्मस्इस्स अणगारस्स मास[खमणपारणगंसि सालइयस्स जाव [नेहाव]गाढस्स निसिरणट्टयाए बहिया निग्गए चिरा वे]इ, तं गच्छह णं तुम्मे - देवाणुप्पिया ! धम्मरुइस्स अणगारस्स सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेह । तए णं ते समणा निग्गंथा जाव पडिसुणेति २ शा धम्मघोसाणं थेराणं अंतियाओ पडिनिक्खमंति २ त्ता धम्माइस्स अणगारस्स Page #1125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ० १६ ] सुत्तागमे ३०७३ सव्वओ समंता मग्गणगवेसण करेमाणा जेणेव थंडिलं तेणेव उवागच्छंति-२ त्ता धम्मरुइयस्स अणगारस्स सरीरगं निप्पाणं निञ्चेद्वं जीवविप्पजढं पासंति २ त्ता हा हा [I] अहो ! अकजमितिकट्टु धम्मरुइस्स अणगारस्स परिनिव्वाणवत्तियं काउस्सग्गं करेंति (०) धम्मस्स आयारभंडगं गेण्हंति २ त्ता जेणेव धम्मघोसा थेरा तेणेव उवागच्छंति २त्ता गमनागमणं पडिक्कमति २ त्ता एवं वयासी एवं खलु अम्हे तुम्भं अंतियाओ पडिनिक्खमामो २ त्ता सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स परिपेरंतेणं धम्मस्स्स अणगारस्स सव्वं जाव करेमा (णे ) णा जेणेव थंडिले तेणेव उवागच्छामो (०) जाव इह इव्वमागया, तँ कालगए णं भंते! धम्मरुई अणगारे इमे से आयारभंडए । तए (ते) धम्मघोसा घेरा पुव्वगए उवओगं गच्छति २ त्ता समणे निग्गंथे निग्गंथीओ य सहावेंत २ त्ता एवं वयासी एवं खलु अजो ! मम अंतेवासी धम्मरुई ना (म) मं अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए मासमासेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं जाव नागसिरीए माहणीए गि ( है ) हं अणुपवि ( है ) सइ । तए णं सा नागसिरी माहणी जाव निसिरइ । तए णं से धम्मरुई अणगारे अहापजत्तमि (ति) त्तिकट्टु जाव कालं अणंकंखमाणे विहरइ । से णं धम्मरुई अणगारे बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणत्ता आलोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा उडुं सोह (म्म) म्मे जाव सव्वट्ट सिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं [अत्थेगइयाणं ] ( अ ) जहन्नमणुकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई पञ्चत्ता । तत्थ [णं] धम्मरइस्स वि देवरस तेत्तीस साग़रोमाई ठिई पन्नत्ता । से णं धम्मरुई देवे ताओ देवलोगाओ जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहि ॥११३॥ तं धिरत्यु णं अज्जो ! नागसिरीए माहणीए अधन्नाए अपुण्णाए जाव निंबोलियाए जाए णं तहारूवे साहू [साहुरूवे ] धम्मरुई अणगारे मासक्खमण - पारणगंति सालइएणं जाव गाढेणं अकाले चेव जीवियाओ वबरोविए । तए णं ते समणा निग्गंथा धम्मघोसाणं थेराणं अंतिए एयमहं सोचा निसम्म चंपाए सिंघाडग (तिग) जाव [ पहेसु ] बहुजणस्स एवमाइक्खंति [४] - विरत्थु णं देवाणुप्पिया ! नागसिरीए (माहणीए ) जाव निंबोलियाए जाए णं तहारूवे साहू साहुरूवे सालइएणं जीवियाओ ववरो ( वेइ) विए । तए णं तेसिं समणाणं अंतिए एयमहं सोचा निसम्म बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ-विरत्यु णं नागसिरीए माहणीए जाव जीवियाओ ववरोविए । तए णं ते माहणा चंपाए नयरीए बहुजणस्स अंतिए एयमहं सोचा निसम्म आसुरुत्ता जाव मिसिमिसेमाणा जेणेव नागसिरी माहणी तेणेव उवागच्छंति २ त्ता नागसि (री) रिं माह (णीं) णिं एवं व्यासी-हं भो नागसिरी ! अपत्थियपथिए [1] दुरंतपंतलक्खणे [1] हीणपुण्णचाउद्दसे [1] धिरत्यु णं तव अवन्नाए अयु ६८ सुत्ता• C Page #1126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०७४ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाबो गाए (जाव) निंबोलियाए जाए णं तुमे तहाल्वे साह साहुल्वे मासखमणपारणगंसि सालइएणं जाव ववरोविए उच्चाव(ए)याहिं अकोसणाहिं अकोसंति उच्चावयाहिं उद्धंसणाहिं उद्धंसेंति उच्चावयाहिं निम्भ(त्य)च्छणाहिं निम्म(त्यं)च्छेति उच्चावयाहिं निच्छोडणाहिं निच्छोडेंति तजेति तालेति त(जे)जित्ता ता(ले)लित्ता सयाओ गिहाओ निच्छुभंति । तए णं सा नागसिरी सयाओ गिहाओ निच्छूडा समाणी पाए नयरीए सिंघाडगतियचउक्कचचरचउम्मुहमहापहपहेतु वहुजणेणं हीलिजमाणी खिसिज्जमाणी निंदिजमाणी गरहिजमाणी तजिजमाणी पव्वहिजमाणी धिकारिजमाणी थुक्कारिजमाणी कत्थइ ठाणं वा निलयं वा अलभमाणी २ दंडीखंडनिवसणा खंडमल्ल्यखंडघडगहत्यगया फुट्टहडाहडसीसा मच्छियाचडगरेणं अन्निजमाणमग्गा गि(गे)ह (ने)गिहेणं देहंवलियाए वित्तिं कप्पेमा(णी)गा विहरइ । तए णं तीसे नागतिरीए माहणीए तभवसि चेव सोलस रोयायंका पाउन्भूया तंजहा-सासे कासे जोणिसूले जाव कोढे । तए णं सा नागसिरी माहणी सोलसहिं रो(या)गायंकेहिं अभिभूया समाणी अदुहवसंहा कालमासे कालं किच्चा छट्ठीए पुढवीए उको (सणीनं वावीससागरोवम(ठिती)छिइएसु नेरइ(नर)एनु नेरइयत्ताए उववन्ना ! सा णं तओ(s)अणंतरं(ति) उव्वहित्ता मच्छेसु उववन्ना । तत्य णं सत्यवज्झा दाहवनंतीए कालमासे कालं किचा अहेसत्त(मी)माए पुढवीए उको(साए)स (तित्ती०)सागरोवमट्टिईएनु [नरएतु] नेरइएसु उववन्ना । साणं तओ(s)णंतरं उव्वटित्ता दोचपि मच्छेसु उववजइ । तत्य वि व णं सत्थवज्झा दाहवनंतीए दोपि अहे सत्तमाए पुढवीए उदो(सं)स(तेत्तीस सागरोवमहिइएसु नेरइएसु उववज्जइ । सा णं तओहिंतो जाव उव्वट्टित्ता तचंपि मच्छेनु उववन्ना । तत्थ वि य णं सत्यवज्झा जाव [कालमासे] कालं किंचा दोचपि छट्ठीए पुढवीए उक्कोसेणं (०) । तओणंतरं उबहित्ता उरएसु एवं जहा गोसाले तहा नेयर्व जाव रयणप्पभा(ए)ओ [पुढवीओ उव्वत्तिा] स(त्तोनीतु उक्वन्ना । तओ उव्वहिता जा(व)इं इमाई खहयरविहाणाई जाव अदुत्तरं च णं खरवायरपुढविकाइयत्ताए तेनु अणेगसयसहस्सखुत्तो ॥ ११४ ॥ सा णं तओणंतरं उवष्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपाए नयरीए सागरदत्तस्स सत्थवाहस्त भदाए भारियाए कुच्छिति दारियत्ताए पञ्चायाया । तए णं सा भद्दा सत्यवाही नवहं मासाणं दारियं पयाया सुकुमालकोमलियं गयतालुयसमाणं । तीसे [f] दारियाए निव्व(त)त्तवारसाहियाए अम्मापियरो इमं एयात्वं गोण्णं गुणनिप्फन्नं नामधेज करेंति-जम्हा णं अम्हं एसा दारिया सुकुमाला गयतालुयसमाणा तं होउ णं अम्हं इमीसे दारियाए नामधे(जे)जं नुकुमालिया [२] । तए णं तीसे दारियाए अम्मापियसे नामजं करेंति सूमालि. Page #1127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ० १६ ] सुत्तागमे ૩૦૭પ यत्ति । तए णं सा सूमालिया दारिया पंचधाईपरिग्गहिया तंजहा- खीरधाईए जाव गिरिकंदरमलोणा इव चंप (क) गलया नि(०) वा (ए) यनिव्वाघायंसि जाव परिक्डइ । तए णं सा सूमालिया दारिया उम्मुकबालभावा जाव रुवेण य जोव्वणेण य लावणय उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाया यावि होत्था ॥ ११५ ॥ तत्थ णं चंपाए नयरीए जिणदत्ते ना (म) मं सत्थवाहे अड्डे (०) । तस्स णं जिणदत्तस्स भद्दा भारिया सूमाला इट्ठा (जाव) माणुस्सर कामभो (ए)गे पचणुब्भवमाणा विहरइ । तस्स णं जिणदत्तस्स पुत्ते भद्दाए भारियाए अत्तए सागरए नामं दारए सुकुमाले जाव सुरुवे। तए णं से जिणदत्ते सत्यवाहे अन्नया कयाइ सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता सागरदत्तस्स सत्यवाह (गिह) स्स अदूरसामंतेणं वीईवयइ । इमं च णं सूमालिया दारिया व्हाया चेडियासंघपरिवुडा उप्पि आगासतलगंसि कणग (तें) हिंदूसएणं कीलमाणी (2) विहरइ । तए णं से जिणदत्ते सत्थवाहे सूमालियं दारियं पासइ २ त्ता सूमालियाए दारियाए रुवे य ३ जायविम्हए कोडुंबियपुरिसे सहावेइ २ त्ता एवं वयासी एस णं देवाप्पिया ! कस्स दारिया किं वा नामधेज्जं से ? । तए णं ते कोटुंबियपुरिसा जिणदत्तेणं सत्थवाहेणं एवं वृत्ता समाणा ह० करयल जाव एवं वयासी - एस णं (देवाणुप्पिया ! ) सागरदत्तरस २ धूया भद्दाए अत्तया सूमालिया ना (म) मं दारिया सुकुमालपाणिपाया जाव उनिडा । तए णं (से) जिणदत्ते सत्थवाहे तेसि कोडुंबियाणं अंतिए एयमहं सोचा जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ २त्ता हाए स० मित्तनाइपरिवुडे चंपाए नयरीए मज्यंमज्ज्ञेणं जेणेव सागरदत्तस्स गिहे तेणेव उवाग (च्छइ) ए । तए णं [से] सागरदत्ते २ जिणदत्तं २ एजमाणं पासइ २ त्ता आसणाओ अब्भुट्ठेइ २ ता आसपेण उवनिमंतेइ २ त्ता आसत्यं वीसत्यं सुहासणवरगयं एवं वयासी -भण देवाणुप्पिया ! किमागमणपओयणं (?) । तए णं से जिणदत्ते (सत्यवाहे) सागरदत्तं (सत्यवाहं ) एवं वयासी - एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! तव धूयं भद्दाए अत्तियं सूमालियं सागरस्स भारियत्ताए वरेमि । जइ णं जाणह देवाणुप्पिया ! जुत्तं वा पत्तं वा सलाहणिजं वा सरिसो वा संजोगो ता दिज्जड णं सूमालिया सागर [दारग ] स्स । तए णं देवाप्पिया । किं दलयामो सुकं [च] सूमालियाए ? । तए णं से सागरदत्ते (तं) २ जिणदत्तं [२] एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया । सूमालिया दारिया (मम) एगा एगजाया इट्ठा [५] जाव किमंग पुण पासणयाए । तं नो खलु अहं इच्छामि सूमालियाए दारियाए खणमवि विप्पओगं । तं जइ णं देवाणुप्पिया ! साग[ए] दारए मम घरजामाउए भवइ तो णं अहं सागर (स्स) दारगस्स सूमालियं दलयामि । तए से जिणदत्ते २ सागरदत्तेणं २ एवं वृत्ते समाणे जेणेव 'सए गिहे तेणेव उवांग Page #1128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १०७६ [णायाधम्मकहानो च्छइ २ ता सागरदारगं सदावेइ २ त्ता एवं क्यासी-एवं खलु पुत्ता । सागरदत्ते २ म(मोम एवं व्यासी-एवं खल देवाणुप्पिया ! सूमालिया दारिया इटा तं चेव, तं जइ णं सागरदारए मम घरजामाउए भवइ ता[व] दलयामि । तए णं से सागरए दारए जिणदत्तेणं २ एवं वुत्ते समाणे तुसिणीए। तए णं जिणदत्ते २ अन्नया कयाइ सोहणंसि तिहिकरणे वि(उ)पुलं असणं ४ उवक्खडावेइ २त्ता मित्तना(ई)इ आमंतेइ जाव [सकारेत्ता] सम्मा(णि)णेत्ता सागरं दारगं हाय सव्वालंकारविभूतियं करेइ २ त्ता पुरिससहस्सवाहि(णि)णीयं सीयं दुल्हावेइ २ ता मित्तनाइ जाव संपरिबुडे सन्डिीए सयाओ गिहाओ निग्गच्छइ २ त्ता चं(पा)पं नयरिं मयमझेणं जेणेव सागरदत्तस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ २ ता सीयाओ पचोरुहइ २ ता साग(रगोरे दारगं सागरदत्तस्स २ उवणेइ । तए णं [से] सागरदत्ते २ विपुलं असणं ४ उवक्खडावेइ २ त्ता जान सम्माणेत्ता सागरं दारगं सूमालियाए दारियाए सद्धिं पट्टयसि] दुरूहावेइ २ त्ता सेयापी(त)एहिं कलसेहिं मजावेइ २ त्ता [अग्गि होमं करावेइ २ त्ता सागरं दारयं सूमालियाए दारियाए पाणिं गेण्हा(विति)वेइ ॥ ११६॥ तए णं सागर(दार)ए सूमालियाए दारियाए इमं एयारूवं पाणिफासं (पडि)संवेदेइ से जहानामए असिपत्तेइ वा जाव मुम्मुरेइ वा (इतों) एत्तो अणिद्वतराए चेव पाणिफासं संवेदेइ । तए णं से सागरए अकामए अवस()वसे (त) मुहत्त(मि)मेत्तं संचिठ्ठइ। तए णं (से) सागरदत्ते २ सागरस्स (दारगस्स) अम्मापियरो मित्तनाइ विपुलं असणं ४ पुष्पवत्थ जाव सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ । तए णं सागरए (दारए) सूमालियाए सद्धिं जेणेव वासघरे तेणेव उवागच्छइ २ ता सूमालियाए दारियाए सद्धिं तलि(ग)मंति निवजइ । तए णं से सागरए दारए सूमालियाए दारियाए इमं एयारूवं अंगफास पडिसंवेदेइ से जहानामए असिपत्तेइ वा जाव अमणाम(य)तरागं चेद अंगफासं पत्रणुभवमाणे विहरइ । तए णं से सागरए दारए[सूमालियाए दारियाए] अंगफासं असहमाणे अवसवसे मुहुत्तमेत्तं संचिट्टइ । तए णं से सागरदारए सूमालियं (दारिय) सुहपसुत्तं जाणित्ता सूमालियाए दारियाए पासाओ उठेइ २ ता जेणेव सए सयणिजे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सयणीयंसि निवजइ । तए णं सूमालिया दारिया तओ मुहुत्तरस्स पडिबुद्धा समाणी पइंच्या पइमणुरत्ता पई पासे अपस्समाणी तलिमा(उ)ओ उठेइ.२ त्ता नेणेव से सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ २ ता सागरस्स पाते णुवजइ । तए णं से सागरदारए सूमालियाए दारियाए दो(दु)चंपि इमं एयारूवं अंगफासं पहिसंवेदेइ जाव अकामए अवसवसे मुहुत्तमेत्तं संचिट्ठइ। तए गं (से) सागरदारए सूमालियं दारियं सुहपत्तं जाणित्ता सयणिज्जाओ उठेइ २ Page #1129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु. १ अ० १६] · सुत्तागमे ៦ ០២ម៌ ता वासघरस्स दारं विहाडेइ २ ता मारामुक्कै विव काए जामेव दिसि पाउन्भूए'तामेव दिसि पडिगए ॥ ११७ ॥ तए णं सूमालिया दारिया तओ मुहुतंतरस्स पडिबुद्धा पतिवया जाव अपासमाणी सयणिजाओ उठेइ सागरस्स दारगस्स सव्वओ समंता मग्गणगवसणं करेमाणी २ वासघरस्स दारं विहाडियं पास २त्ता एवं वयासीगएण] से साग(रे)रए-त्तिकद्दु ओहयमणसंकप्पा जाव झियायइ । तए णं सा भद्दा सत्यवाही कलं, पाउप्पभाया]ए दासचे(डियोडिं सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम देवाणुप्पिए ! व(हु)हवरस्स मुह(सोह)धोवणियं उवणेहि । तए णं सा दासचेडी भद्दाए एवं वुत्ता समाणी एयमद्वं तहत्ति पडिसुणेइ [२] मुहधोवणियं गेण्हइ २ ता जेणेव वासघरे तेणेव उवागच्छइ (०) सूमालियं दारियं जाव झियायमाणि पासइ २ त्ता एवं वयासी-किनं तु(म)व्भे देवाणुप्पि(ए)या ! ओहयणमणसंकप्पा जाव झियाहि (ति) 21 तए णं सा समालियां दारिया तं दासचे(डी)डियं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! सागरए दारए म(म)मं मुहपसुत्तं जाणित्ता मम पासाओ उठेइ २ त्ता वासघरदुवारं अवगु(ण्ड)णेइ जाव पडिगए। तए ण ह] तओ (अहं)मुहत्तरस्स जाव विहाडियं पासामि [२] गए णं से सागरए-त्तिक? ओहयमणसंकप्पा जाव नियायामि । तए णं सा दासचेडी समालियाए दारियाए एयमढे सोचा जेणेव सागरदत्ते [२] तेणेव उवागच्छइ २त्ता सागरदत्तस्स एयमढें निवे(ए)देइ । तए णं से सागरदत्ते दासचेडीए अंतिए एयमह सोचा निसम्म आसुरुत्ते [४ जाव मिसिमिसेमाणे] जेणेव जिणदत्त[स्स] २गिहे तेणेव उवागच्छइ २ ता जिणदत्त २ एवं वयासी-किनं देवाणुप्पिया ! ए(व)यं जुत्तं वा पत्तं वा कुलाणुरूवं वा कुलसरिसं वा जण्णं सागर ए] दारए सूमालियं दारियं अदिट्टदो(सं)सवडियं पइवयं विप्पजहाय इहमाग(ओ)ए [१] बहहिं खिजणियाहि य रुंटणियाहि य उवा(ल)लंभइ । तए णं जिणदत्ते सागरदत्तस्स [२]एयमढे सोचा जेणेव सागरए (दारए) तेणेव उवागच्छइ २त्ता साग(रयोरं दारयं एवं वयासी-दुद्दणं पुत्ता ! तुमे कयं सागरदत्तस्स गिहाओ इहं हव्वमाग(।)च्छंतेणं, तं गच्छह णं तुमं पुत्ता! एवमवि गए सागरदत्तस्स गिहे । तए णं से सागरए जिणदत्तं एवं वयासी-अवि-याइं अहं ताओ! गिरिपडणं वा तरुपडणं वा मरुप्पवायं वा जलप्प(वेस)वायं वा जलणप्पवेसं वा विसभक्खणं वा सत्थोवाडणं वा वि(वे)हाणसं वा गिद्ध(पि)पर्ट वा पव्वजं वा विदेसगमण वा अन्भुवग(च्छि)च्छे. जा(मि) नो खलु अहं सागरदत्तस्स गिहं ग(च्छि)च्छेजा। तए णं से सागरदत्ते २ कुठंतरि या]ए सागरस्स एयमढ निसामेइ २ त्ता लज्जिए वि(लेपविटे)लीए विद्वे जिणदत्तस्स [२] गिहाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ २ ता Page #1130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १०७८ [णायाधम्मकहामो सुकुमालियं दारियं सद्दावेइ २ ता अंके निवेसेइ २ ता एवं क्यासी-किन्नं तव पुत्ता ! सागरएणं दारएणं (मुक्का) ? अहं णं तुम तस्स दाहामि जस्स णं तुम इट्टा (जाव) मणामा भविस्ससि-त्ति सूमालियं दारियं ताहिं इटाहिं [जाव] वग्गूहि समासासेइ २ ता पडिविसज्जेइ । तए णं से सागरदत्ते २ अन्नया उप्पि आगासतलगंसि सुहनिसणे रायमग्गं ओलोएमाणे २ चिट्ठइ । तए णं से सागरदत्ते एगं महं दमगपुरिसं पासइ दंडिखंडनिवसणं खंड(ग)मल्लगखंडघडगहत्यगय मच्छियासहस्सेहिं जाव अनिजमाणमग्गं । तए णं से सागरदत्ते सत्यवाहे] कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-तुन्भेणं देवाणुप्पिया! एयं दमगपुरिसं विपुलेगं अस(ण)णेणं ४ प(लो)डिलाभेह (०) गिहं अणुप्प(व)विसेह २ त्ता खंड(ग)मल्लगं खंडघडगं च से एगंते एडेह २त्ता अलंकारियकम्म कारेह २ ता हायं सव्वालंकारविभूसियं करेह २ त्ता मणुन्नं असणं ४ भोयावेह (०) मम अंतियं उवणेह । तए णं [ते] कोथुवियपुरिसा जाव पडिसुऐंति २ त्ता जेणेव से दमगपुरिसे तेणेव उवागच्छंति २ ता तं दम(ग)गपुरिसं अस(ण)णेणं ४ उवप्पलो(भीमति २ ता सयं गिहं अणुप्पवेसिति २ ता तं खंड (ग). मल्लगं खंड(ग)घडगं च तस्स दमगपुरिसस्स एगते एउंति । तए णं से दम(गे)गपुरिसे त[सि] खंडमल्लगंसि खंडघडगंसि य (एगंते) एडिजमाणंसि महया २ सद्देणं आरसइ। तए णं से सागरदत्ते तस्स दमगपुरिसस्स तं महया २ आरसियसई सोचा निसम्म कोडंबियपुरिसे एवं वयासी-किन्नं देवाणुप्पिया! एस दमगपुरिसे महया २ सद्देणं आरसइ। तए णं ते कोडुंबियपुरिसा एवं वयासी-एस णं सामी! तंसि खंडमल्ल. गंसि खंडघडगंसि (एगते) य एडिजमाणसि महया २ सद्देणं आरसइ । तए णं से सागरदत्ते २ ते कोडुबियपुरिसे एवं वयासी-मा णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! एयस्स दमगस्स तं खंड जाव एडेह पासे [से] ठवेह जहा णं पत्तियं भवइ । ते(वि) तहेव ठा(ठविति (तए णं ते कोडुंबियपुरिसा) २ तस्स दमगस्स अलंकारियकम्मं करेंति २त्ता सयपागसहस्सपागेहिं ते(ति)लेहिं अ(भ)भिगेंति अभिगिए समाणे सुरभिणा] गं(धुव्व)धव(णे)एणं गायं उ(व्वदि)वटेंति २ ता उसिणोद(ग)गेणं गंधोदएणं [व्हाणेति] सीओदगेणं ण्हाणेति (०) पम्हलसुकुमालगंधकासा(ई)इए गायाई ल(ह)हति २त्ता हंसलक्खणं प()डगसाडगं परि(ह)हँति २त्ता सव्वालंकारविभूसियं करेंति २ त्ता विपुलं असणं ४ भोयाति २ त्ता सागरदत्तस्स [समीवे] उवणेति । तए णं से] सागरदत्ते [२] सूमालियं दारियं व्हायं सव्वालंकारविभूसियं क(रि)रेत्ता तं दमगपुरिसं एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया! मम धूया इट्टा, एयं णं अहं तव भारियत्ताए द(ला)लयामि भद्दियाए भद्दओ भ(वि)वेज्जासि । तए णं से दमगपुरिसे Page #1131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १० १६] सुत्तागमे १०७९ सागरदत्तस्स एयमढे पडिसुणेइ २ त्ता सूमालियाए दारियाए सद्धिं वासघरं.अणुपविसइ सूमालियाए दारियाए सद्धिं तलिमंसि निवजइ । तए णं से दमगपुरिसे सूमालियाए इमं एयारूवं अंगफासं पडिसंवेदेइ सेसं जहा सागरस्स जाव सयणिज्जाओ अन्नठेइ २ ता वासघराओ निग्गच्छइ २ त्ता खंडमल्लगं खंडघ(ड)डगं च ग्रहाय मारामुक्त विव काए जामेव दि(सं)सिं पाउन्भूए तामेव दिसि पडिगए। तए णं सा सूमालिया जाव गए णं से दमगपुरिसे-त्तिकटु ओहयमणसंकप्पा जाव झियायइ ॥ ११८॥ तए णं सा भद्दा कलं पाउप्पभायाए दासचेडिं सदावेइ (२ एवं वयासी) जाव सागरदत्तस्स एयमहं निवेदेइ । तए णं से सागरदत्ते तहेव संभंते समाणे जेणेव वास(ह)घरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सूमालियं दारियं अंके निवेसेइ २ ता एवं वयासी-अहो णं तुमं पुत्ता ! पुरापोराणाणं [कम्माणं] जाव पचणुब्भवमाणी विहरसि, तं मा णं तुमं पुत्ता! ओहयमणसंकप्पा जाव झियाहि, तुम णं पुत्ता ! मम महाणसंसि विपुलं असणं ४ जहा पो(पु)ट्टिला जाव परिभाएमाणी विहराहि । तए णं सा सूमालिया दारिया एयमहूँ पडिसुणेइ २ त्ता महाणसंसि विपुलं असणं ४ जाव दलमाणी विहरइ। तेणं कालेणं तेगं समएणं गोवालियाओ अजाओ बहुस्सुयाओ एवं जहेव तेयलिणाए सुन्वयाओ तहेव समोस(हा)ढाओ तहेव संघाडओ जाव अणुपविढे तहेव जाव सूमालिया पडिला(भि)भत्ता एवं वयासी-एवं खलु अजाओ ! अहं सागरस्स अणिवा जाव अमणामा, नेच्छइ णं सागरए [दारए] मम नाम वा जाव परिभोगं वा, जस्स जस्स वि य णं दे(दि)जामि तस्स तस्स वि य णं अणिट्ठा जाव अमणामा भवामि, तुब्मे य णं अजाओ! वहुनायाओ एवं जहा पोट्टिला जाव उवलद्धे [f] जेणं अहं सागरस्स दारगस्स इट्ठा कंता जाव भवेज्जामि । अजाओ तहेव भणंति तहेव साविया जाया तहेव चिंता तहेव सागरद(त्तं स०)त्तस्स आपुच्छइ जाव गोवालियाणं अंति(ए)यं पव्वइया । तए णं सा सूमालिया अजा जाया इ(ई). रियासमिया जाव [गुत्त]वंभयारिणी वहहिं चउत्थछट्ठहम जाव विहरइ । तए णं सा सूमालिया अजा अन्नया कयाइ जेणेव गोवालियाओ अजाओ तेणेव उवागच्छइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-इच्छामि गं अजाओ ! तुन्भेहिं अन्मणुनाया समाणी चंपा(ओ)ए बाहिं सुभूमिभागस्स उजाणस्स अदूरसामंते छटुंछटेणं अणिक्खित्तणं तवोकम्मेणं सूराभिमुही आयावेमाणी विहरित्तए। तए णं ताओ गोवालियाओ अज्जाओ सूमालियं एवं वयासी-अम्हे णं अ(जे)जो! समणीओ निग्गंथीओइ(इ)रियासमियाओ जाव गुत्तवंभचारिणीओ, नो खलु अम्हं कम्पइ बहिया गामस्स [वा] जाव सन्निवेसस्स वा छटुंछट्टेणं जाव विहरित्तए, कप्पइ णं अम्हं अंतो Page #1132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ णायाधम्मकहाओ उवस्सयस्स वइपरिक्खित्तस्स संघाडिवद्धियाए णं समतलपइयाए आया (वि) वेत्तए : तणं सा सूमालिया गोवालियाए (अज्जाए) एयमहं नो सद्दहइ नो पत्तियइ नो रोएइ एयमहं असद्दहमा (णे ) णी ३ सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स अदूरसामंते छहंछट्टेणं जाव विहरइ ॥ ११९ ॥ तत्थ णं चंपाए (न०) ललिया नाम गोट्टी परिवसइ नरवइदिन्न(वि) पयारा अम्मापिइंनिययनिष्पिवासा वेसविहारकयनिकेया नाणाविह अविणयप्पहाणा अड्ढा जाव अपरिभूया । तत्थ णं चंपाए (०) देवदत्ता नामं गणिया होत्या सू (सुकु) माला जहा अंडनाए । तए णं तीसे ललियाए गोडीए अन्नया [कयाइ ] पंच गोलगपुरिया देवदत्ताए गणियाए सद्धि सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उजाणतिरिं पचणुभवमाणा विहरंति । तत्थ णं एगे गोहिलगपुरेसे देवदत्तं गणियं उच्छंगे (र) रेइ एगे पिओ आयवत्तं धरेइ एगे पुप्फपूर (यं) गं रएइ एगे पाए रएइ एगे चामरुक्खेवं करेइ । तए णं सा सूमालिया अज्जा देवदत्तं गणियं तेहिं पंचहिं गोटिलपुरिसेहिं सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमा (णि) णीं पासइ २ ता इमेयारूवे कप्पे समुप्पजित्था - अहो णं इमा इत्थिया पुरापोराणाणं कम्माणं जाव विहरइ । तं जइ णं केइ इमस्स सुचरियस्स तवनियमवंभचेरवासस्स काणे फलवित्तिविसेसे अत्थि तो णं अहमवि आगमिस्सेणं भवग्गहणेणं इमेयारूवाई उरालाई जाव विहरिज्जामि-त्तिकट्टु नियाणं करेइ २ त्ता आयावणभू (मिओ) मीए पच्चोरु(ह) भइ ॥ १२० ॥ तए णं सा सूमालिया अज्जा सरीर (व) वाउसा जाया यावि st अभिक्खणं २ हत्थे धोवेइ [अभिक्खणं २] पाए धोवेइ सीसं धोवेइ मुहं धोवे थणतराई धोवेइ कक्खंतराई धोवेइ गु (गो) ज्अंतराई धोवेइ जत्थ [२] णं ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेएइ तत्थ वि य णं पुव्वामेव उदएणं अब्भु (क्खइ) क्खेत्ता तओ पच्छा ठाणं वा ३ चेएइ । तए णं ताओ गोवालियाओ अजाओ सूमालियं अजं एवं वयासी एवं खलु (देवा० 1 ) अजे ! अम्हे समणीओ निग्गंधीओ इरियासमियाओ जाव वंभचेरधारिणीओ, नो खलु कप्पड़ अम्हं सरीरवाउसियाए होत्तए, तुमं च णं अजे ! सरीरवाउसिया अभिक्खणं २ हत्थे थो (व) वेसि जाव चे(दे)एसि, तं तुमं णं देवाणुप्पिए । एय (त) स्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवज्जाहि । तए णं सूमालिया गोवालियाणं अजाणं एयमहं नो आढाइ नो परि (जाण) याणाइ अणाढायमाणी अपरि (जा) याणमाणी विहरइ । तए णं ताओ अजाओ सूमालियं अजं अभिक्खणं २ (अभि ) ही (लं) लेंति जाव परिभवंति अभिक्खणं २ एयमहं निवारेंति । तए णं तीसे सूमालियाए समणीहिं निग्गंथीहिं हीलिजमाणीए जाब वारिजमाणीए इमेयारूवे अज्नत्थिए जाव समुप्पज्जित्था - जया णं अहं अगारवासम १०८० Page #1133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु. १ अ०१६] सुत्तागमे वसामि तयाणं अहं अप्पवसा । जया गं अहं मुं(डे)डा भवित्ता पव्वइया तया णं अहं परवसा । पुलिं च णं ममं समणीओ आढायति इयाणि नो आ(ढ)ढायंति । त सेयं खलु मम कन्ट पाउप्पभायाए गोवालियाणं अंतियाओ पडिनिक्खमित्ता पाडिएक उवरस(ग)यं उवसंपजिनाणं विहरित्तए-त्तिकदु एवं संपेहेइ २ त्ता कलं(पा०) गोवालियाणं (अजाणं) अंतियाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता पाडिएवं उवस्सयं उवसंपजित्ताणं विहरइ । तए णं सा सूमालिया अजा अणोहटिया अनिवारिया सच्छंदमई अभिक्सणं २ हत्थे धोवइ जाव चेएइ तत्थ वि य णं पासस्था पासत्थविहा(रीरिणी ओसन्ना २ कुसीला २ संसत्ता २ बहणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउ. णइ [२] अद्धमासियाए संलेहणाए तरस ठाणरस अणालोइय(अ)पडिक्वंता कालमासे कालं किचा ईसाणे कप्पे अन्नयरंसि विमाणसि देवगणियत्ताए उववन्ना। तत्थेगइयाणं देवीणं नव-पलिओवमाइं ठिई पनत्ता। तत्थ णं सूमालियाए देवीए नवपलिओवमाई ठिई पनत्ता ।। १२१ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव 'जंबुद्दीवे २ भारहे वासे पंचालेनु जणवएमु कंपिल्लपुरे नाम नयरे होत्था वण्णओ। तत्व पा. दुवए नाम राया होत्या वण्णओ। तरस-णं चुलणी देवी धट्टजुणे कुमारे जुवराया। तए णं सा समालिया देवी ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं जाव चइत्ता इहेव जंबुहोवे २ भारहे वासे पंचालेनु जणचएसु कंपिल्लपुरे नयरे दु(प)वयस्स रन्नो चुलणीए देवीए कुच्छिति दारिपत्ताए पञ्चायाया। तए णं सा चुलणी देवी नवण्हं मासाणं जाव दारियं पयाया-। तए णं तीसे दारियाए निव्वत्तवारसाहियाएं इमं एयावं (०) नाम(०)-जम्हा णं एसा दारिया दु(ब)पयस्स रन्नो धूया चुलणीए देवीए अत्तया तं हो(उ)ऊ गं अम्हं इमीसे दारियाए नाम(विजे) वेज दोवई । तए णं तीसे अम्मापियरो इमं एयास्त्रं गो(गु)ष्णं गुणनिष्फनं नामधेनं क(रि)रेंति दोवई । तए णं सा दोवई दारिया पंचधा(इ)ईपरिग्गहिया जाव गिरिकंदरमही(ण)णा इव चंपगलया निवायनिव्वाघायंसि मुहंसुहेणं परिवढइ । तए णं सा दोवई [देवी] रायवरकन्ना उम्मुक्कचालभावा जाव उकिसरीरा जाया यावि होत्था । तए णं तं दोवई रायवरकनं अन्नया कयाइ अंतेउरियाओ व्हायं सव्वालंकारविभूसियं करेंति २ ता दुवयस्स रन्नो पायवंदि(उ)यं पे(स)सति । तए णं सा दोवई २ जेणेव दुवए राया तेणेच उवागच्छइ २ त्ता दुवयस्स रन्नो पायग्गहणं करेइ । 'तए णं से दुवए राया दोवई दारियं अंके निवेसेइ २ त्ता दोवईए २ रुवे(ण) य.३ जायविम्हए दोवई २ एवं वयासी-जस्स णं अहं [तुमं] पुत्ता! रायस्स वा जुवरायस्स वा भारियत्ताए सयमेव दलइस्सामि तत्थ णं तुमं सुहिया वा दु(क्खिोहिया वा भ(वि)चे Page #1134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८२ सुत्तागमे [णायाधम्मकहानो जासि । तए णं म(म)म जावजीवाए हियय(डा)दाहे भविस्सइ । तं गं अहं तव पुत्ता ! अजयाए सयंवरं वि(रया)यरामि । अज्जयाए णं तुमं दिन्नं सयंवरा । (जे) जणं तुम सयमेव रायं वा जुवरायं वा वरेहिसि से णं तव भत्तारे भविस्सइत्तिकट्ट ताहिं इट्टाहिं जाव आसासेइ २त्ता पडिविसज्नेइ ॥ १२२॥ तए णं से दुवए राया दूयं सदावेइ २ ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम देवाणुप्पिया। वारवई नयरिं। तत्य णं तुमं कण्हं वासुदेवं समुद्दविजयपामोक्खे दस दसारे वलदेवपा(मु)मोक्खे पंच महावीरे उग्गसेणपामोक्खे सोलस रायसहस्से पजुन्नपा(मु)मोक्खाओ अदाओ कुमारकोडीओ संवपामोक्खाओ सहिँ दुइंतसाहस्सीओ वीरसेणपा(मु)मोक्खाओ ए. (इ)कवीसं [राय]वीरपुरिससाहस्सीओ म(ह)हासेणपामोक्खाओ छप्पन्नं बलवगसाहस्सीओ अन्ने य वहवे राईसरतलवरमाउंवियकोडंवियइभ(सि)सेहिसेणावइसत्यवाहपभिइओ करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कडे जएणं विजएणं वृद्धावेहि २ त्ता एवं वयाहि-एवं खलु देवाणुप्पिया ! कंपिल्लपुरे नयरे दुवयस्स रन्नो धूयाए चुलणीए (देवीए) अत्तयाए धट्ठजुणकुमारस्स भगि)इणीए दोवईए २ सयंवरे भविस्सइ । (त) तए णं तुम्मे (देवा० !) दुवयं रायं अणुगिण्हेमाणा अकालपरिहीणं चेव कंपिल्लपुरे नयरे समोसरह । तए णं से दूए करयल जाव कटु दुवयस्स रन्नो एयमढें (विणएणं) पडिसुणेइ २ त्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! चाउरचंट आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव उवट्ठति । तए णं से दूए हाए अलंकार० सरीरे चाउरघंटं आसरहंदु(रु)रूहइश्त्तावहूहिं पुरिसेहिं सन्नद्ध जाव गहिया(ss)उहपहरणेहिं सद्धिं संपरिचुडे कंपिलपुरं नयरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ (०) पंचालजणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव देसप्पंते तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सुरट्ठाजणवयस्स मज्झंमध्झेणं जेणेव वारवई नयरी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता वारवई नयरिं मज्झमझेणं अणुप्पविसइ २ त्ता जेणेव कण्हस्स वासुदेवस्स वाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ २ त्ता चाउरघंटं आसरहं ठा(ठ)वेइ २ ता रहाओ पच्चोरहइ २ त्ता मणुस्सवरगुरापरिक्खित्ते पायचारविहा(रचा)रेणं जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता कण्हं वासुदेवं समुद्दविजयपा(मु)मोक्खे य दस दसारे जाव वलवगसाहस्तीओ करयल तं चेव जाव समोसरह । तए णं से कण्हे वासुदेवे तस्स दूयस्स अंतिए एयमहूं सोचा निसम्म हातुढे] जाव हियए तं दूयं सकारेइ सम्माणेइ स०२त्ता पडिविसज्जेइ। तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडंबियपुरि(सं)से सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम देवाणुप्पिया ! सभाए सुहम्माए सामुदाइयं भेरिं तालेहि । तए णं से कोडुवियपु Page #1135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० ११० १६] सुत्तागमे १०८३ रिसे करयल जाव कण्हस्स वासुदेवस्स एयम पडिसुणेइ २ चा जेणेव सभाए सुहम्माए सामुदाइया मेरी तेणेव उवागच्छइ २ ता सामुदाइयं भेरिं महया २ सद्देणं तालेइ । तए णं ताए सामुदाइयाए भेरीए तालियाए समाणीए समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा जाव महासेणपामोक्खाओ छप्पन्नं वलवगसाहस्सीओ व्हाया सव्वालंकारविभूसिया जहाविभवइडिसक्कारसमुदएणं अप्पेगइया [हयगया] जाव [अप्पेगइया] पाय(विहारचा) चारविहारेणं जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता करयल जाव कण्हं वासुदेवं जएणं विजएणं वद्धावेंति । तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अभिसेकं हत्थिरयणं पडिकप्पेह हयगय जाव पञ्चप्पिणंति । तए णं से कण्हे वासुदेवे जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समुत्तजालाकुलाभिरामे जाव अंजणगिरिकूडसन्निभं गयवई नरवई दुरुढे। तए णं से कण्हे वासुदेवे समुद्दविजयपा(मु)मोक्खेहिं दसहिं दसारहिं जावम० छ० ब० सद्धिं संपरिबुडे सव्विड्डीए जाव रवेणं वारव(इ)इं नयरिं मज्झमझेणं निग्गच्छइ २ ता सुरद्वाजणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव देसप्पंते तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पंचालजणवयस्स मज्झमज्झेणं जेणेव कंपिल्लपुरे नयरे तेणेव पहारेत्य गमणाए । तए णं से दुवए राया दोचं [पि] दूयं सदावेइ २ ता एवं वयासी-गच्छ[ह] णं तुमं देवाणुप्पिया! हत्यिणारं नयरं, तत्थ णं तुमं पंडुरायं सपुत्तयं जुहिटिलं भीमसेणं अजणं नउलं सहदेवं दुजोहणं भाइसयसमग्गं गंगेयं विदुरं दोणं जयद्दहं सउ(णीं)णिं कीवं आसत्थामं करयल जाव कट्ट तहेव [जाव] समोसरह । तए णं से दूए एवं (व०-) जहा वासुदेवे नवरं भेरी नत्थि जाव जेणेव कंपिलपुरे नयरे तेणेव पहारेत्य गमणाए। एएणेव कमेणं तचं दूयं चंपापं नयरि, तत्थ णं तुमं कण्हं अंगरायं स(से)ल्लं नंदिरायं करयल तहेव जाव समोसरह । चउत्थं दूयं सुत्तिमई नयरिं, तत्थ णं तुम सिसुपालं दमघोससुर्य पंचभाइसयसंपरिवुडं करयल तहेव जाव समोसरह । पंचमगं दूयं हत्यिसी(स)सं नय()रि, तत्थ णं तुमं दमदंतं रायं करयल (तहेव) जाव समोसरह । छठं दूयं महुरं नयरिं, तत्थ णं तुमं धरं रायं करयल जाव समोसरह । सत्तमं दूयं रायगिहं नयरं, 'तत्थ णं तुमं सहदेवं जरा(सिंधु)संधसुयं करयल जाव समोसरह । अट्ठमं दूयं कोडिण्णं नयरं । तत्थ णं तुमं रुप्पि मे(भे)सगसुयं करयल तहेव जाव समोसरह । नवमं दूयं विरा(ड)ट नय(रं)रि, तत्थ णं तुमं की(कि)यगं भाउसयसमग्गं करयल जाव समोसरह । दसमं दूयं अवसेसेसु (य) गामागरनगरेसु अणेगाइं रायसहस्साई जाव समोसरह । तए णं से दूए तहेव निग्गच्छइ जेणेव यामागर तहेव] जाव समोसरह । तए णं ताई अणेगाइं रायसहस्साई तस्स दूयस्स Page #1136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८४ मुत्तागमे [णायाधम्मकहानो अंतिए एयमटुं सोचा निसम्म हट्ट० तं दूयं सकारेंति सम्माणेति स० २ ता पडिविस(जि)जति । तए णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा पत्तेयं २ ण्हाया सन्नदहत्थिखंधवरगया महया हयगयरह(०)भडचडगरपहकर (०) सएहि २ नगरेहितो अभिनिग्गच्छंति २ त्ता जेणेव पंचाले जणवए तेणेव पहारेत्य गमणाए ॥१२३॥ तए णं से दुवए राया कोडंवियपुरिसे सहावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! कंपिल्लपुरे नयरे बहिया गंगाए महानईए अदूरसामंते एगं महं सयंवरमंडवं करेह अणेगखंभसयसन्निविटं लीलट्ठियसा(लोलिभंजि(आ)यागं जाव पञ्चप्पिणंति । तए णं से दुवए राया [दोचंपि] कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! वासुदेवपा(मु)मोक्खाणं वहणं रायसहस्साणं आवासे करेह । ते वि करेत्ता पच्चप्पिणंति । तए णं [से] दुवए राया वासुदेवपा(०)मोक्खाणं वहणं रायसहस्साणं आग(म)मणं जाणेत्ता पत्तेयं २ हत्यिखंध जाव परिवुडे अग्धं च पज्जं च गहाय सविढीए कंपिल्लपुराओ निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव ते वासुदेवपा(मु)मोक्खा वहवे रायसहस्सा तेणेव उवागच्छइ २ ता ताई वासुदेवपा(मु)मोक्खाई अग्घेण य पजेग य सकारेइ सम्माणेइ स० २ ता तेसिं वासुदेवपा(०)मोक्खाणं पत्तेयं २ आवासे वियरइ : तए ण ते वासुदेवपामोक्खा जेणेव सया २ आवासा तेणेव उवागच्छंति २ त्ता हत्थिखं(धा)धेहितो पच्चोहंति २ त्ता पत्तेयं [२] खंधावारनिवेसं करेंति २ त्ता सएसु] २ आवासे सु] अणु[]पविसंति २ त्ता सएसु (२) आवासेसु[य] आसणेसु य सयणेसु य सन्निसण्णा य संतुयट्टा य वहूहिं गंधव्वेहि य नाडएहि य उवगिजमाणा य उवनच्चिजमाणा य विहरति । तए णं से दुवए राया कंपिल्लपुरं नयर अणुप्पविसइ २ त्ता विपुलं असणं ४ उवक्खडावेइ २ त्ता कोडंवियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासीगच्छह णं तुम्मे देवाणुपिया ! विपुलं असणं ४ सुवहुपुप्फवत्थगंधमलालंकारं च वासुदेवपामोक्खाणं रायसहस्साणं आवासेसु साहरह । ते वि साहरति । तए णं ते वासुदेवपा(०)मोक्खा तं विपुलं अस(ण)णपा(ण)णखाइ(म)मसाइमं आसाएमाणा ४ विहरंति जिमियभुत्तुत्तरागया वि य णं समाणा आयंता [चोक्खा] जाव सुहासणवरगया वहहिं गंधव्वेहिं जाव विहरंति । तए णं से दुवए राया पुत्वावरण्हकालसमयंसि कोथुवियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तु(मे)मे देवाणुप्पिया ! कंपिल्लपुरे सिं(सं)घाडग जाव पहें सु]वासुदेवपा(मु)मोक्खाण य रायसहस्साणं आवासेसु हत्यिखंधवरगया महया २ सद्देणं जाव उग्घोसेमाणा २ एवं वयह-एवं खलु देवाणुप्पिया ! कळं पाउप्पभायाए दुवयस्स रन्नो धूयाए चुलणीए देवीए अत्ति)त्तियाए-धजु(ग)णस्स भगिणीए दोवईए २ सयंवरे भविस्सइ । तं तुन्भे गं देवाणु Page #1137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे सु. ११० १६] १०८५ प्पिया। दुवयं रायाणं अणुगिण्हेमाणा व्हाया सव्वालंकारविभूसिया हत्यिसंधवरगया सको(२)रेंट० सेयवरचामर० हयगयरह. महया भडच(र)डगरेणं जाव परिक्खित्ता जेणेव सयंवरामंडवे तेणेव उवागच्छह २ त्ता पत्तयं नामंकेसु आसणेसु निसीयह २ ता दोवइं २ पडिवालेमाणा २ चिट्ठह घोसणं घोसेह [२] मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । तए णं ते कोडंविया तहेव जाव पच्चप्पिणंति । तए णं से दुवए राया कोडंवियपुरिसे सद्दावेइ २ ता एवं वयासी-गच्छह णं तुन्भे देवाणुप्पिया! सयंवरमंड(पं)वं आसियसंमजिओवलित्तं सुगंधवरगंधियं पंचवण्णपु(प्फयुंजो)प्फोवयारकलियं कालागरुपवरकुंदुरुकतुरुक जाव गंधवट्टिभूयं मंचाइमंचकलियं क्ररेह कारवेह करेत्ता कारवेत्ता वासुदेवपा(०)मोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं पत्तेयं २ नामंकाई आसणाई अत्युय(सेयव०)पच्चत्युयाई रएह २ त्ता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह (तेवि) जाव पञ्चप्पिणंति । तए णं ते वासुदेवपा(०)मोक्खा बहवे रायसहस्सा कलं (पाउ०) ण्हाया सव्वालंकारविभूसिया हत्यिखंधवरगया सकोरेंट० सेयवरचामराहिं [महया] हयगय जाव परिपुडा सव्विड्डीए जाव रवेणं जेणेव सयंव(रे)रामंडवे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता अणुप्पविसंति २'त्ता पत्तेयं २ नाम (के)कएमु निसीयंति दोवई २ पडिवालेमाणा चिट्ठति । तए णं से दुवए राया कलं हाए सव्वालंकारविभूसिए हत्थिखंधवरगए सकोरेंट० हयगय० कंपिल्लपुरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ (७) जेणेव सयंवरामंडवे जेणेव वासुदेवपा(०)मोक्खा वहवे रायसहस्सा तेणेव उवागच्छइ २ ता तेसिं वासुदेवपा(०)मोक्खाणं करयल जाव वद्धावेत्ता कण्हस्स वासुदेवस्स सेयवरचामरं गहाय उववीयमाणे चिट्ठइ ॥ १२४ ॥ तए णं सा दोवई २ [कलं जाव] जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ २ ता [मज्जणघरं अणुपविसइ २ ता] व्हाया सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिया मजणघराओ 'पहि निक्खमइ २ ता जेणेव अंतेउरे तेणेव उवागच्छइ । तए णं तं दोवई २ अंतेरियाओ सव्वालंकारविभूसियं करेंति, किं ते ? वरपायपत्तनेउरा जाव चेडियाचकवालम(यह)हयरगविंदपरिक्खित्ता अंतेउराओ पडिनिस्खमइ २ ता जेणेव वाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव चाउरघंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ २ ता किड्डावियाए लेहियाए सद्धिं चाउचंट आसरहं दुरूहइ । तए णं से पहजुणे कुमारे दोवईए कनाए सारत्यं करेइ । तए णं सा दोवई २ कंपिल्लपुरं (नयरं) मझमझेणं जेणेव सयंव(र)रामंडवे तेणेव उवागच्छइ २ ता रहं ठावेइ रहाओ पञ्चोर(ह)भइ २ त्ता किहावियाए लेहियाए (य) सद्धिं सयंवरमंडवं अणुपविसइ करयल [जाव] तेसिं वासुदेवपा(०)मोक्खाणं वहूर्ण रायवरसहस्साणं पणामं करेइ। तए णं सा दोवई २ Page #1138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०८६ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाणो एग महं सिरिदामगंड[ 0] किं ते ? पाडलमल्लियचंपय जाव सत्तच्छयाईहि गंधद्धणिं मुयंतं परमसुहफासं दरिसणिज गे(गि)ण्हइ । तए णं सा किड्डाविया (जाव) सुरुवा जाव वामहत्थेणं चिल्लगं दप्पणं गहेऊण सललियं दप्पणसंकंतविवसंदसिए य से दाहिणेणं हत्थेणं दरि(ति)सए पवररायसीहे फुडविसयविसुद्धरिभियगंभीरमहुरभ. गिया सा तेसिं सव्वेसिं पत्थिवाणं अम्मापि(ऊणं)उवंससत्तसामत्यगोत्तविकंतिकं. तिवहुविहआगममाहप्परूवजोव्वणगुणलावण्णकुलसीलजाणिया कित्तणं करेइ । पढम ताव वहिपुंगवाणं दसदसावर]वीरपुरि(साणं)स(ते)तिलोकवलवगाणं सत्तुसयसहस्समाणावमहंगाणं भवसिद्धिपवरपुंडरीयाणं चिल्गाणं वलवीरियरूवजोन्वणगुणला. वण्णकित्तिया कित्तणं करेइ । तओ पुरणो)ण उग्गसेणमाईणं जायवाणं भणइ(य)सोहग्गरवकलिए वरेहि वरपुरिसगंधहत्यीणं जो हु ते [लोए] होइ हिययदइओ ।। तए ण सा दोवई रायवरकन्नगा वहणं रायवरसहस्साणं मज्झमझेणं समइच्छमाणी २ पुवकयनियाणेणं चोइजमाणी २ जेणेव पंच पंडवा तेणेव उवागच्छइ २ त्ता ते पंच पंडवे तेणं दसद्धवणेणं कुसुमदामेणं आवेढियपरिवेढि(य)ए करेइ २ त्ता एवं क्यासी-एए णं मए पंच पंडवा वरिया । तए णं (तेसिं) ताइं वासुदेवपामोक्खा(णं)इं वहूणि रायसहस्साणि महया २ सणं उग्घोसेमाणाई]२ एवं वयंतिसुवरियं खलु भो ! दोव(इ)ईए रायवरकन्नाए (२)त्तिकट्ट सयंवरमंडवाओ पडिनिक्खमंति २ त्ता जेणेव सया २ आवासा तेणेव उवागच्छंति। तए णं धज्जु(णे)णकुमारे पंच पंडवे दोवइंच] रायवरक(गं)न्नगं चाटरवंट आसरहं दुरू(ह)हेइ २ त्ता कंपिल्लपुरं मझमज्झेणं जाव सयं भवणं अणुपविसइ । तए ण दुवए राया पंच-पंडवे दोवई २ पट्टयं दुलहेइ २ त्ता सेयापी या एहि कलसेहिं मज्जावेइ २ त्ता अग्गिहोम करा(कार)वेइ पंचण्हं पंडवाणं दोवईए य पाणिग्गहणं करावेइ । तए णं से दुवए राया दोवईए २ इमं एयास्त्रं पीइदाणं दलय(ती)इ तंजहा-अह हिरण्गकोडीओ जाव (अ) पेसणकारीओ दासचेडीओ अन्नं च विपुलं धणकणग जाव दलयइ । तए णं से दुवए राया ताई वासुदेवपामोक्खाइं विपुलेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्यगंध जाव पडिविसज्जेइ ॥ १२५ ॥ तए णं से पंडू राया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं वहणं रायसहस्साणं करयल जाव एवं क्यासी-एवं खलु देवाणुप्पिया। हत्यिणाउरे नयरे पंचण्हं पंडवाणं दोवईए य देवीए कन्याणकरे भविस्सइ, तं तुम्भे गं देवाणुप्पिया! ममं अणुगिण्हमाणा अकालपरिहीणं समोसरह । तए णं [ते वासुदेवपामोक्खा पत्तेयं २ जाव पहारेत्य गमणाए । तए णं से पं(ड) राया कोडंचियपुरिसे सद्दावेइ २ ता एवं वयासी-गच्छह णं तुन्भे देवाणुप्पिया.! हत्यिणात Page #1139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 सु० १ ० ३६ ] सुत्तागमे १०८७ उरे पंच पंडवाणं पंच पासायवर्डिसए कारे (ह) हि अब्भुग्गयमूसिय वण्णओ जाव पडिवे । तए णं ते कोडुंवियपुरिसा पडिसुर्णेति जाव कार ( करा ) वेंति । तए णं से पं (डए) इ राया पंचहिं पंडवेहिं दोवईए देवीए सद्धिं हयगयसंपरिवुडे कंपिल्लपुराओ पडिनिक्खमइ २ त्ता जेणेव हत्थिणाउरे तेणेव उवागए। तए णं से पंडुराया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं आगमणं जाणित्ता कोडुंवियपुरिसे सहावेइ २ ता एवं वयासीगच्छह गं तुभे देवाणुप्पिया ! हत्यिणाउरस्स नयरस्स बहिया वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्ताणं आवासे कारेह अणेग (खं) थंभसय तहेव जाव पचप्पिणंति । तए णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव हत्थिणाउरे तेणेव उवागच्छंति । तए णं (से) पंडूराया ते (सिं) वासुदेवपामो (क्खाणं) क्खे [जाव] आग (मi) ए जाणित्ता हट्टतुट्ठे हाए जहा दु ( प ) वए जाच जहारिहं आवासे दलयइ । तए णं ते वासुदेवपा (०)मोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव सया (इं) २ आवासा (ई) तेणेव उवागच्छंति (०) तहेव जाव विहरंति । तए णं से पंडूराया हत्थिणाउरं नयरं अणुपविसइ २ त्ता कोडुंवियपुर से सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी- तुब्भेणं देवाणुप्पिया ! विपुलं असणे ४ तहेव जाव उवणेंति । तए णं ते वासुदेवपामोक्खा वहवे रा ( या ) यसहस्सा पहाया तं विपुलं असणं ४ तहेव जाव विहरंति । तए णं से पंढराया [ते] पंचपंडवे दोवईं च देवि पट्ट दुरूहे त्ता सीयापीएहिं कलसेहिं व्हावे (न्ति) इ२ त्ता कल्लाण (का) करं करेड़ २ त्ता ते वासुदेवपामोक्खे बहवे रायसहस्से विपुलेणं अस (ण) णेणं ४ पुप्फवत्येणं सक्का रेइ सम्माणेइ (०) जाव पडिविसज्जेइ । तए णं ताईं वासुदेवपामोक्खाईं बहू (हिं) इं जाव पडिगयाई ॥ १२६ ॥ तए णं ते पंच पंडवा दोवईए देवीए (सद्धिं अंतो अंतेउरपरियाल) सद्धिं कल्ला कल्लि वारंवारेणं उ (ओ) रालाई भोगभोगाई जाव विहरंति । तणं से पंडू राया अन्नया कया (ई ) ई पंचहिं पंडवेहिं कोंतीए देवीए दोवईए (देवीए) य सद्धिं अंतोअंते उरपरियालसद्धिं संपरिवुडे सीहासणवरगए यावि विहरइ । इमं चणं कच्छुलनारए दंसणेणं अइमद्दए विणीए अंतो (२) य कलुस हियए मज्झ (त्यो)त्थरवत्थिए य अली सोमपियदंसणे सुरूवे अमइलसगल परिहिए कालमियचम्मउत्तरासंगरइयव(त्थे)च्छे दण्डकमण्डलुहत्थे जडामउडदित्तसिरए जन्नोवइयगणेत्तियमुंजमेह (ल) लावागलधरे हत्थकयकच्छभीए पियगंधव्वे धरणिगोयरप्पहाणे संवरणावरणओवय ( उ ) - प्पणिसणीय संक्रामणि (अ) आभिओगपन्नत्तिगमणीयं (भ) भिणीसु य व (हु) इस विजाहरी विजासु विस्सुयजसे इट्ठे रामस्स य केसवस्स य पजुन्नपईवसंवअनिरुद्धनिसढउम्मुय सारणगयसुमुहदुम्मुहाई (ण) णं जायवाणं अद्धुद्वाण [य] कुमारकोडीणं हिययदइए संथवए कलहजुद्धकोलाहलप्पिए भंडणाभिलासी वहुमु य सम (रेस) रसयसंपराएल Page #1140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९८८ मुत्तागमे . [णायाधम्मकहाओ ईसणरए समंतओ कलह सदक्विणं अणुगवेसमाणे असमाहिकरे दसारवरवीरपुरि-स(ति)तेलोकवलवगाणं आमतेऊण तं भगव(ती)ई प(ए)कमाणं गगणगमणदच्छं उप्पइओ गगणमभिलंघयंतो गामागरनगरखेडकबडमडवदोगमुहपट्टणसं(वा)वाहसहस्समंडियं थिमियमेइणीतलं वसुहं ओलोई(तो)ते रम्मं हरियणारं उवागए पंडु. रायभवर्णसि अइवेगेण समोवइए । तए णं से पंडू राया कच्छुछनारयं एज्जमाणं पासइ २ता पंचहिं पंडवेहि कुंतीए य देवीए सद्धिं आसणाओ अन्भुट्टेइ २ ना कच्छुलनारयं सत्तकृपयाई पञ्चुरगच्छइ २ त्ता तिक्तुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ २ ता वंदइ नमंस वं० २ त्ता महरिहेणं आसणेणं उवनिमंतेइ । तए णं से कच्छुछनारए उदपरिफोसियाए दमोवरिप(च)चुत्युयाए भिसियाए निसीयइ २ ता पंडरायं रजे य] जाव अंतेउरे य कुसलोदंतं पुच्छह । तए णं से पंडराया कोती [य] देवी पंच य पंडवा कच्छुलनाग्यं आईति जाव पजुवासंति । तए णं सा दोवई देवी कच्छुद्धनारयं अस्संज(य)यअविर(योयअप्पडियमपञ्चक्खायपावकम्म-तिकट्ट नो आनइ नो परियाणइ नो अमुटेइ नो पजुवासइ ।। १२७ ॥ तए णं तस्स कच्छुछनारयस्स इमेयारवे अझत्यिए चिंतिए पथिए मणोगए संकप्पे समुप्पन्जित्थाअहो णं दोवई देवी लवे(ण)ण य जाव लावण्णेग य पंचहि पंडहिं अ(णुव)वत्यद्धा -समाणी ममं नो आवाइ जाव नो पजुवासइ । तं सेयं खल्लु मम दोवईए देवीए त्रिप्पियं क(रि)रेत्तए-त्तिकटु एवं संपेहेइ २ ता पंड(योरायं आपुच्छइ २त्ता उप्पयणि विजं आवाहेइ २ ता ताए उकिट्ठाए जाव विनाहरगईए लवणसमुई मज्झं. -सज्झेणं पुरत्याभिमुहे वी(इ)ईवइ पयत्ते यावि होत्था । तेणं कालेणं तेणं समएणं धायइसंडे दीने पुरत्यिमद्धदाहिणभरहवासे अ(म)वरकंका ना(म)मं रायहाणी होत्या । त(ए)त्थ णं अ(म)वरकंकाए रायहाणीए पउमनाभे नाम राया होत्या महया हिमवंत वगओ। तस्स णं पउमनाभस्स रत्नो सत्त देवीसयाई ओरोहे होत्या। तस्स णं पउमनाभस्स रनो मुनामे नाम पुत्ते जुवराया(या)वि होत्या । तए णं से पउमनाभे राया अंतोअंतरंसि ओरोहसंपरिखुडे सी(सि)हासणवरगए विहरइ । तए णं से कच्छ नारए जेणेव अवरकंका रायहाणी जेणेव पउमना(ह)भस्स भवणे तेणेव उवागच्छइ २ ता पदमनाभस्स रन्नो भवर्णत्ति अत्तिति वेगे(ण)ण समोवड्ए । तए णं से पउमनामे(राया) कच्छु(लोलनारयं एज्जमाणं पासइ २ ता आसगाओ अमुछेद २ ता अग्घेणं जाव आसणेणं उचनिसतेइ । तए णं से कच्छुछनारए उदयपरिफोसियाए दभोवरिपञ्चत्युयाए भितियाए नितीयइ जाव कुसलोदंतं आपुन्छ । तए णं से पउमनाभे राया नियगओरोहे जायविम्हए तुल्नारय एवं Page #1141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुं० १० १६ सुत्तागमे १००१ वयांसी-तु(भ)मं देवाणुप्पिया, बहूणि गामाणि जाव गि(गे)हाई अणुपविससि, तं अत्थि-याई ते कहिंचि देवाणुप्पिया! एरिसए ओरोहे दिट्टपुग्वे जारिसए णं मम ओरोहे ? । तए णं से कच्छुल्लनारए पउमनाभेणं (रन्ना) एवं वुत्ते समाणे ईसिं विहसियं करेइ २ ता,एवं वयासी-सरिसे णं तुमं पउम-नाभा.! तस्स अगडदुरस्स। के णं देवाणुप्पिया! से अगडद(रे? एवं जहा मल्लिणाए। एवं खलु देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवे २ भारहे वासे हथिणाउरे [नयरे] दुपयस्स रन्नो धूया चुलणीए देवीए अत्तया पंडुस्स सुण्हा पंचण्हं पंडवाणं भारिया दोवई देवी रूवेण य जाव उनि सरीरा । दोवईए णं देवीए. छिन्नस्सवि पायंगुट(य)स्स अयं तव ओरोहे स(तिम)यंपि कलं न अग्घइ-त्तिक१ पउम-नाभं आपुच्छइ (०) जाव पडिगए । तए णं से पउमनाभे राया कच्छुलनारयस्स अंतिए एयमढे सोचा निसम्म दोवईए देवीए रूवे य ३ मुच्छिए ४ (०) जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पोसहसालं जाव पुव्वसंगइयं देवं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवे २ भारहे वासे हत्यिणाउरे जाव [उकिट]सरीरा, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया! दोव(ती)इं देवीं इहमा(णि)णीयं । तए णं 'पुव्वसंगइए देवे पउमनाभं एवं वयासी-नो खलु देवाणुप्पिया! ए(यं)वं भूयं वा भव्वं वा भविस्सं वा ज-नं दोवई देवी पंच-पंडवे मोत्तू(ण)णं अन्नणं पुरिसेणं सद्धिं उ(ओ)रालाई जाव विहरिस्सइ । तहावि य णं अहं तव पिय(त)याए दोवई देविं इहं हव्वमाणेमि-त्तिकट्ट पउम-नाम आपुच्छइ २ त्ता ताए उनिहाए जाव लवणसमुई मज्झमज्झेणं जेणेव हत्थिणाउरे तयरे तेणेव पहारेत्य गमणाए । तेणं कालेणं तेणं समएणं हथिणाउरे [नयरे] जुहिडिल्ले राया दोवईए देवीए सद्धिं उप्पिं आगासत(लं)लगंसि सुह[]पसुत्ते यावि होत्था । तए णं से पुव्वसंगइए देवे जेणेव जुहिहिल्ले राया जेणेव दोवई देवी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता दोवईए देवीए ओसोवणियं दलयइ २ त्ता दोवइं देवि गिण्हइ २ ता ताए उक्किठाए जाव जेणेव अ-वरकंका जेणेव पउम-नाभस्स भवणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पउम-नाभस्स भवणंसि असोगवणियाए दोवई देविं ठावेइ २ त्ता ओसोवणिं अवहरइ २ त्ता जेणेव पउमनाभे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता एवं वयासीएसणं देवाणुप्पिया ! मए हथिणाउराओ दोवई देवी इ(ह)हं हव्वमाणीया तव असोगवणियाए चिठ्ठइ । अओ परं तुमं जाणसि-त्तिकडे जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए । तए णं सा दोवई। देवी तओ मुहुत्तरस्स पडिबुद्धा समाणी तं भवणं असोगवणिय.च. अपच्चभिजाणमाणी एवं वयासी-नो खलु अम्हें एसे सए भवणे नो खलु एसा, अम्हं स(गा)या असोगवणिया। तं न नजइ णं अहं ६९ सुत्ता Page #1142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १.९० सुत्तागमे [णायाधम्मकहाबो केण(ई)इ देवेण वा दाणवेण वा किंपुरिसेण वा किन्नरेण वा महोरगेण वा गंधव्वेण वा अन्नस्स र-नो असोगवणियं साहरिय-त्तिकट्ट ओयमणसंक्रप्पा जाव झियायइ । तए णं से पउम-नामे राया पहाए सव्वालंकारविभूसिए अंतेउरपरियालसंपरिखुडे जेणेव असोगवणिया जेणेव दोवई देवी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता दोव(ती)ई दे(वी) वि ओहय(०) जाव झियायमा(णी)णि पासइ २ त्ता एवं वयासी-कि-नं तुमं देवाणुप्पि(ए)या ! ओहय जाव झियाहि ? एवं खलु तुमं देवाणुप्पिए ! मम पुत्वसंगइएणं देवेणं जंबुद्दीवाओ २ भारहाओ वासाओ हत्यिंगा(पु)उराओ नयराओ जुहिहिस्स र-नो भवणाओ साहरिया, तं मा गं तुमं देवाणुप्पि-या ! ओहय-जाव झियाहि, तुमं [f] मए सद्धिं विपुलाई भोगभोगाई जाव विहराहि । तए णं सा दोवई (देवी) पउम-नामं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवे २ भारहे वासे वारव(ति)ईए नयरीए कण्हे नास वासुदेवे मम(प्पि)पियभाउए परिवसइ, तं जइ णं से छण्हं मासाणं म(मोम कूवं नो हव्वमागच्छइ तए णं अहं देवाणुप्पिया! जं तुमं वदति तस्स आणाओवायवयणनिद्देसे चिहिस्सामि । तए णं से पउ(मे)मनामे दोवईए एयमई पडिसुणेइ २ त्ता दोवइं देवि कन्नतेउरे ठवेइ । तए णं सा दोवई देवी छठंछटेणं अणिक्खित्तेणं आयंबिलपरिग्गहिएणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावमाणी विहरइ ॥ १२८ ॥ तए णं से जु(हु)हिहिले राया तओ मुहुर्ततरस्स पडिबुद्धे,समाणे दोवई देवि पासे अपासमा(णोणे सयणिज्जाओ उठेइ २ त्ता दोवईए देवीए सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेइ २ त्ता दोवईए देवीए कत्वइ सुई वा खुइं वा पवत्तिं वा अलभमाणे जेणेव पं-डुराया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पं-ड्रायं एवं वयासी-एवं खलु ताओ! म-म आगासतलगंसि [सुह]पसुत्तस्स पासाओ दोवई देवी न नजइ केणइ देवेण वा दाणवेण वा [किंपुरिसेण वा] किन्नरेण वा महोरगेण वा गंधव्वेण वा हिया वा नि(णी)या वा अ(व)क्खित्ता वा (8), [तं] इच्छामि गं ताओ! दोवईए देवीए सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं क(य)रित्तए । तए णं से पंदूराया कोडुवियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम्मे देवाणुप्पिया ! हत्यिणाउरे नयरे सिंघा. डगति(योगचउक्कचच्चरमहापहपहेसु महया २ सद्देणं उग्घोसेमाणा २ एवं वयह-एवं खलु देवाणुप्पिया । जुहिडिलस्स र-न्नो आगासतलगंसि सुहपसुत्तस्स पासाओ दोवई देवी न नजइ केणइ देवेण वा दाणवेण वा किंपुरिसेण वा किन्नरेण षा महोरगेण वागंधव्वेण वा हिया वा नि(नी)या वा अ-क्खित्ता वा, तंजोणं देवाणुप्पिया! दोवईए देवीए सुई वा खुई वा पवित्तिं वा परिकहेइ तस्स णं पंडूराया विउलं अत्यसंपयाणं (दाणं)दलयइ-त्तिकट्ट घोसणं घोसावेह २ त्ता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह । तए णं ते Page #1143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० म०१६] सुत्तागमे १०९१ कोथुवियपुरिसा जाव पञ्चप्पिणति । तए णं से पंडू-राया दोवईए देवीए कत्थइ सुई वा जाव अलभमाणे कोंती देवी सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुमं देवाणुप्पि-या! बारवई नयरिं कण्हस्स वासुदेवस्स एयमढे निवेदेहि । कण्हे णं परं वासुदेवे दोवईए (देवीए) मग्गणगवेसणं करेजा अन्नहा न नजइ दोवईए देवीए सु(ती)ई वा खु(ती)ई वा पव(त्ती)त्तिं वा उवलभेजा। तए णं सा कोंती देवी पंड(रण)णा एवं वुत्ता समाणी जाव पडिसुणेइ २ त्ता हाया हत्यिखंधवरगया हथिणा(उ)पुरं नयरं मज्झमझेगं निग्गच्छइ २ त्ता कुरुजणवयं मज्झमज्झेणं जेणेव सुर(छोटाजणवए जेणेव बारवई नयरी जेणेव अग्गुजाणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता हत्थिखंधाओ पञ्चोरुहइ २ ता कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! जेणेव (बारवई ण०) बारवई नयरिं अणुपविसह २ त्ता कण्हं वासुदेवं करयल[0] एवं वयह-एवं खलु सामी ! तुभं पिउच्छा कोंती देवी हत्थिणाउराओ नयराओ इ-हं हव्वमागया तुभ दसणं कंखइ । तए णं ते कोडुबियपुरिसा जाव कहेंति । तए णं कण्हे वासुदेवे कोडुवियपुरिसाणं अंतिए [एयमह] सोचा निसम्म [हतुट्टे] हत्थिखंधवरगए हयगय[.] वारवईए (य)नयरीए मज्झंमज्झेणं जेणेव कोंती देवी तेणेव उपागच्छइ २ त्ता हत्थिखंधाओ पच्चोरुहइ २ त्ता कोंतीए देवीए पायग्गहणं करेइ २ ता कोंतीए देवीए सद्धिं हत्थिखधं दुरूहइ २ त्ता वारव(तीए)इं नय(रीए)रि मज्झंमज्झेणं जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सयं गिह अणु८-पविसइ । तए णं से कण्हे वासुदेव कों(ती)तिं देविं हायं जिमियभुत्तत्तरागयं जाव सुहासणवरगयं एवं वयासी-संदिसउ णं पिउच्छा ! किमागमणपओयणं (१)। तए णं सा कोंती देवी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-एवं खलु पुत्ता! हथिणाउरे नयरे जुहिहिलस्स रन्नो] आगासत(ले)लए सुह[]पसुत्तस्स पासाओ दोवई देवी न नजइ केणइ अवहिया जाव अवक्खित्ता वा, तं इच्छामि णं पुत्ता ! दोवईए देवीए मग्गणगवेसणं कयं । तए णं से कण्हे वासुदेवे कों(ति)तीपिउच्छि एवं वयासी-जं नवरं पिउच्छा (1) दोवईए देवीए कत्थइ सुई वा जाव लभासि तो णं अहं पायालाओ वा भवणाओ वा अद्धभरहाओ वा समंतओ दोवई [देविं] साहत्थि उवणेमि-त्तिकट्ट कों(ती)तीपिउ(स्थि)च्छि सकारेइ सम्माणेइ जाव पडिविसजेइ । तएणं सा कोंती देवी कण्हेणं वासुदेवेणं पडिविसजिया समाणी जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया। तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासीगच्छह णं तुम्मे देवाणुप्पिया! बारवई नयरिं एवं जहा पंडू तहा घोसणं घोसावेइ जाव पञ्चप्पिणंति पंडुस्स जहा । तए णं से कण्हे वासुदेवे अन्नया अंतोअंते Page #1144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०९२ सुत्तागमे [ णायाधम्मकहाओ उरगए ओरोहे जाव विहरइ । इमं च णं कच्छुल्लए [नारए] जाव समोवइए जान निसीइत्ता कन्हं वासुदेवं कुसलोदतं पुच्छइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे कच्छुलं नारयं एवं वयासी- तुमं णं देवाणुप्पिया ! बहूणि गामागर जाव अणुपविसति, तं अस्थि-याईं ते कहिं (वि) चि दोवईए देवीए सुई वा जाव उवलद्धा ? । तए णं से कच्छु (ले)लए (णारए) कण्हं वासुदेवं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! अन्नया [क्याई] धायईसंडे दीवे पुरत्थिमद्धं दार्हिणडभरहवासं अवरकंकारायहाणिं गए, तत्य णं मए पउमनाभस्स रन्नो भवणंसि दोवई देवी जारिसिया दिट्ठपुव्वा यावि होत्था । तए णं कण्हे वासुदेवे कच्छु एवं वयासी तुब्भं चेव णं देवाणुप्पिया ! ए (वं ) यं पुव्वकम्मं । तए णं से कच्छुलनारए कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वृत्ते समाणे उप्पयणि विजं आवाहेइ २ त्ता जामेव दिसिं पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए। तए णं से कण्हे वासुदेवे दूयं सहावेइ २ त्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया । हत्थिणाउरं पंडुस्स रन्नो एयमहं निवे (दे) एहि - एवं खलु देवाणुप्पिया ! [दोवई देवी] धाय (इ) ईसं (डे)डदीवे पुर (च्छि) त्थिमद्धे अवरकंकाए रायहाणीए पउम - नाभभवसि [साहिया ] दोवईए देवीए पत्ती उवलद्धा । तं गच्छंतु पंच पंढवा चाउरंगिणीए सेणाए सद्धि संपरिवुडा पुर-त्थिमवेयालीए ममं पडिवालेमाणा चिडूंतु । तए णं से दूए जाव भगइ [जाव] पडिवालेमाणा चिट्टह । तेवि जाव चिट्ठति । तए णं से कण्हे वासुदेवे कोईवियपुरिसे सहावेइ २ त्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! सन्नाहियं भेरिं ता (डे) लेह । तेचि ताळेंति । तए णं ती (से) ए सन्नाहियाए भेरीए सद्द सोच्चा समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा जाव छप्पन्नं बलव ( ये ) गसाहस्तीओ सन्नद्धवद्ध जाव गहियाउहपहरणा अप्पेगइया हयगया [अप्पेगइया ] गयगया जाव [सणुस्स ] वग्गुरापरिक्खित्ता जेणेव सभा सु (ध) हम्मा जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छंति २ ता करयल जाव वृद्धार्वेति । तए णं [से] कण्हे वासुदेवे हत्यिखंधवरगए सकोरेंटमलदामेणं छत्तेणं ध (धा) रिजमाणेणं सेयवर ० हयगय (०) महया भडचडगरपहकरेणं बारवईए नयरीए मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ (०) जेणेव पुर- त्थिमवेयाली तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं एगयओ मि (ल) लाइ २त्ता संवावार-निवेस करेइ २ त्ता [पोसहसालं करेइ २ ना] पोसहसालं अणु-- पविसइ २ त्ता सुट्ठियं देवं मण (ति) - सीकरेमाणे २ चिट्ठर । तए णं कण्हस्स वासुदेवस्स अट्टमभत्तंति परिणममाणंति सुट्टिओ जाव आगओ (,) [एवं वयइ - ] भण देवाणुप्पिया ! जं मए कायन्त्रं । तए णं से कण्हे वामुदेवे मुट्ठियं (देवं) एवं वयासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! दोवई देवी जाव पटमनाभस्त भवणंसि सा (हरि) हिया, तण्णं तुमं देवाणुप्पिया ! मम पंचाहि पंड Page #1145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० भ०१६] सुत्तागमे १०९३ वेहिं सद्धिं अप्पछट्ठस्स छण्हं रहाणं लवणसमुद्दे मग्गं विय(३)राहि जा(ज)णं अहं' अ-वरकंकारायहाणि दोवईए कूवं गच्छामि । तए णं से सुटिए देवे कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-किण्(ह)ण देवाणुप्पिया! जहा चेव पउम-नाभस्स रन्नो पुव्वसंगइएणं देवेणं दोवई जाव साहि(संहरि)या तहा चेव दोवइं देविं धायईसंडाओ दीवाओ भारहाओ जाव हत्थिणाउरं साहरामि उदाहु पउम-नाभं रायं सपुरवलवाहणं लवणसमुद्दे पक्खिवामि ? । तए णं से कण्हे वासुदेवे सुट्ठियं देवं एवं वयासीमा णं तुम देवाणुप्पिया! जाव साहराहि, तुम णं देवाणुप्पिया! [मम] लवणसमुद्दे [पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं] अप्पछट्ठस्स छण्हं रहाणं मग्गं वियराहि, सयमेव णं अहं दोवईए कूवं गच्छामि । तए णं से सुटिए देवे कण्हं वासुदेवं एवं वयासीएवं होउ [f] । पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछट्ठस्स छण्हं रहाणं लवणसमुद्दे मग्गं वियरइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे चाउरंगि(णी)णि सेणं पडिविसज्जेइ २ त्ता पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछठे छहि रहहिं लवणसमुई मज्झमज्झेणं वीईवयइ २ त्ता जेणेव अ-वरकंका रायहाणी जेणेव अ-वरकंकाए [रायहाणीए] अग्गुजाणे तेणेव उवागच्छइ २ ता रहं ठा(ठ)वेइ, २ त्ता दारुयं सारहिं सदावेइ २ ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम देवाणुप्पिया ! अ-वरकंकारायहाणिं अणु-प्-पविसाहि २ त्ता पउम-नाभस्स र-नो वामेणं पाएणं पायपीढं अव] कमित्ता कुंतग्गेणं लेहं पणामेहि तिवलियं भिउडि निडाले साहदु आसुरुत्ते रुठे कुद्धे कुविए चंडिक्किए एवं व०हं भो पउम-ना(हा)भा ! अपत्थियपत्थिया दुरंतपंतलक्खणा हीणपु-ण्णचाउद्दसा सि(री)रिहिरि(धी)धिइपरिवजिया [1]. अज न भवसि' 'किन्नं तुमं न याणासि कण्हस्स वासुदेवस्स भगिणिं दोवइं देविं इहं हव्वमा(ण)णेमा(णे)णं ? तं एयमवि गए पञ्चप्पिणाहि णं तुमं दोवइं देवि कण्हस्स वासुदेवस्स अहव णं जुद्धसजे निग्गच्छाहि, एस णं कण्हे वासुदेवे पंचहिं पंडवेहिं [सद्धि] अप्पछठे दोवई [ए] देवीए कूवं हव्वमागए । तए णं से दारुए सारही कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ते समाणे हट्टतुटे (जाव) पडिसुणेइ २ ता अ-वरकं(का)कं रायहाणिं अणुपविसइ २ त्ता जेणेव पउमना(ह)भे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता करयल जाव वद्धावेत्ता एवं वयासी-एस णं सामी ! मम विणयपडिवत्ती इमा अन्ना मम सामिस्स समुहाणत्तित्तिकट्ठ आसुरुत्ते वामपाएणं पायपीढं अ(णु)वक्कमइ २ त्ता कुं(को)तग्गेगं लेहं पणा(म)मेइ (6) जाव कूवं हव्वमागए । तए णं से पउम-नाभे दारुएणं सारहिणा एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते तिवलिं भिउडि,निडाले साहड एवं वयासी-(णो) न अप्पिणामि णं अहं देवाणुप्पिया! कण्हस्स वासुदेवस्स दोवई । एस णं अहं सयमेव जुज्झस(जो). Page #1146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०९४ सुत्तागमे [ णायावम्मकाओ जे निग्गच्छामि-त्तिकट्टु दाख्यं सारहिं एवं वयासी - केवलं भो ! रायसत्येन दू (ये) ए अवज्झे-त्तिकट्टु असक्कारि (य) यं असम्माणि (य) यं अव-दारेणं निच्छुभावेइ । तए से दाए सारही पम-नाभेणं असक्कारि-यं जाव निच् (छ) छुढे समाणे जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता करयल जाव कण्हं (जाव ) एवं वयासी - एवं खलु अहं सामी । तुभं वयणेणं जाव निच्छुभावे । तए णं से पम-नामे वलवाउयं सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! आभिसे हत्थिरयणं पडिकप्पेह। तयाणंतरं च णं छेयायरियडव (दे) एसमविकप्पणा (विगप्पेहिं) हि जाव उब ( ) ति । तए णं से पउमनाहे सन्नद्ध० अभिसेयं दुरूहइ २ त्ता हयगय जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव पहारेत्य गमणाए । तए णं से कण्हे वासुदेवे परम• नाभं रायाणं एज्जमाणं पासइ २ त्ता ते पंच पंढवे एवं व्यासी-हं भो दारगा ! किन्नं तुब्भे पउम-नाभेणं सद्धिं जुज्नि (हि) हह उयाहु पिच्छह (पेच्छिर्हि ) ह ? । तए णं ते पंच पंडवा कण्हं वासुदेवं एवं वयासी - अम्हे णं सामी ! जुज्झामो तुब्भे पेच्छह । तए णं पंच-पंड (वे ) वा सन्नद्ध जाव पहरणा रहे दुरुहंति २ त्ता जेणेव पउम-नाभे राया तेणेव उवागच्छंति २ त्ता एवं वयासी - अम्हे [वा ] परम-नाभे वा राय-त्तिक पउमनाभेणं सद्धिं संपलग्गा यावि होत्था । तए णं से पउमनाभे राया ते पंच पंडवे खिप्पामेव हयमहियपवर विवडियचिंध (द्ध) धयपडा (गा ) गे जाव दिसोदिसिं पडिसेहेइ । तए णं ते पंच पंडवा पउम-नाभेणं र-न्ना हयमहियपवरविवडिय जाव पडिसेहिया समाणा अत्थामा जाव अधारणिज [मि]त्तिकट्टु जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छंति । तए णं से कण्हे वासुदेवे ते पंच पंढवे एवं वयासीकहण्णं तुव्भे देवाणुप्पिया ! पउम-नाभे (ण) णं रन्ना सद्धिं संपलग्गा ? । तए णं ते पंच-पंडवा कण्हं वासुदेवं एवं वयासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे तुब्भेहिं अब्भणुन्नाया समाणा सन्नद्ध० रहे दुरूहामो २ त्ता जेणेव पउम-नाभे जाव पडिसेहेइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे ते पंच पंडवे एवं वयासी-जइ णं तुभे देवाणप्पिया ! एवं वयंता - अम्हे नो पउम-नाभे रायत्तिकट्टु पउम-नाभेणं सद्धिं संपलग्गंता तो णं तुभे नो पउम-ना-भे हयमहियपवर जाव पडिसे (हंते) हित्था तं पेच्छह तुभेदेवाणुप्पिया | अहं नो पउम नामे रायत्तिकट्टु पउमनाभेणं रन्ना सद्धिं जुज्झामि रहं दुरूहइ २ त्ता जेणेव पउमनामे राया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सेयं गोखीरहारधवलं तणसोह्रियसिंदुवार कुंदेंदुसन्निगासं नियय[स्स] वलस्स हरिसजणणं रिउसे-नविणासकरं पंचज नं संखं परामुसइ २ ता मुहवायपूरियं करे। तए णं तस्स पउम-ना (ह)भस्स तेणं संखसद्देणं बलतिभाए हुए जाव पडिसेहिए। तए णं से कण्हे Page #1147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुं० । अ० १६] सुत्तागमे १०९५ वासुदेवे धणुं परामुसइ वेढो धणुं पूरेइ २ ता धणुसई करेइ । तए णं तस्स पउम-नाभस्स दोचे बलतिभाए तेणं धणुसद्देणं हयमहिय जाव पडिसेहिए । तए णं से पउम-नाभे राया तिभागवलावसेसे अत्यामे अवळे अवीरिए अपुरिसकारपरक(म)मे अधारणिज्ज-मि-त्तिकट्ठ सिग्धं तुरियं जेणेव अ-वरकंका तेणेव उवागच्छइ २ ता अ-वरक(क)कारायहाणि अणुपविसइ २ त्ता वा(दा)राइं पिहेइ २ त्ता रोहसज्जे चिट्ठइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे जेणेव अ-वरकंका तेणेव उवागच्छइ २ ता रहं ठा वेइ २ ता रहाओ पच्चोल्हइ २ ता वेउव्वियसमुग्घाएण समोहा]णइ (०) एगं महं नरसीहरूवं विउव्वइ २ ता महया २ सद्देणं पा(द)यदद्दरियं करेइ । तए णं (से) कण्हेणं वासुदेवेणं महया २ सद्देणं पा-यदइरएणं कएणं समाणेणं अ-वरकंका रायहाणी संभग्गपागारगो(पु)उराट्टालयचरियतोरणपल्हत्यियपवरभवणसिरिघरा सर(स)सरस्स धरणियले सन्निवइया । तए णं से पउम-नामे राया अ-वरकंक रायहाणि संभ(ग)गं जाव पासित्ता भीए दोवइं देवि सरणं उवेइ । तए णं सा दोवई देवी पंउमनाभं रायं एवं वयासी-कि-नं तुम देवाणुप्पिया! (न) जाणसि कण्हस्स वासुदेवस्स उत्तमपुरिसस्स विप्पियं करेमाणे (ममं इह हव्वमाणेसि)? तं एवमवि गए गच्छह णं तुम देवाणुप्पिया! हाए उल्लपडसाडए ओ(अव)चूलगवत्थ-नियत्थे अंतेउरपरियालसंपरिबुडे अग्गाई वराई रयणाइं गहाय ममं पुरओ-काउं कण्हं वासुदेवं करयल जाव] पाय(पोवडिए सरणं उहि, पणिवइयवच्छला गं देवाणुप्पिया ! उत्तमपुरिसा । तए णं से पउमनाभे दोवईए देवीए एयमढे पडिसुणेइ २ ता हाए जाव सरणं उवेइ २ ता करयल जाव एवं वयासी-दिट्ठा ण देवाणुप्पियाणं इड्डी जाव परक्कमे । तं खामेमि णं देवाणुप्पिया ! जाव खमंतु णं जाव नाहं भुजो २ एवं करणयाए-त्तिकडे पंजलि(बु)उडे पायवडिए कण्हस्स वासुदेवस्स दोवई देविं साहत्थिं उवणेइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे पउम-नाभं एवं वयासी-हं भो पउम-नाभा! अ()पत्थियपत्थिया ४ कि-नं तुमं (ग) जागसि मम भगिणिं दोवई देविं इह हव्वमाणमाणे ? तं एवमवि गए नत्यि ते ममाहितो इयाणि भयमत्थि-त्तिकट्ठ पउम-नाम पडिविसजेइ (०) दोवई देविं गे(गि)ण्हइ २ त्ता रहं दुरूहेइ २ त्ता जेणेव पंच पंड-वा तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पंचण्डं पंडवाणं दोवई देविं साहत्यि उवणेइ । तए णं से कण्हे पंचहिं पंडवहिं सद्धिं अप्पछठे छहिं रहेहिं लवणसमुई मज्झंमज्झेणं जेणेव जंबुद्दीवे २ जेणेव भारहे वासे तेणेव पहारेत्थ गमणाए ॥ १२९ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं धायइसंडे दीवे पुर-स्थिमद्धे भारहे वासे चंपा नामं नयरी होत्था । पुण्णभद्दे उज्जाणे। Page #1148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०९६ सुत्तागमे [ णायाधम्मकाओ तत्थ णं चंपाए नयरीए कविले नामं वासुदेवे राया होत्या ( महया हिमवं ० ) वण्णओ । तेणं कालेणं तेणं समएणं मुनिसुव्वए अरहा चंपाए पुण्णभद्दे समोसढे । 'क (पि) विले वासुदेवे धम्मं सुणेइ । तए णं से कविले वासुदेवे मुणिसुव्वयस्स अरहओ [अंतिए ] धम्मं सुणेमाणे कण्हस्स वासुदेवस्स संखसद्दं सुणे । तए णं तस्स कविलस्स वासुदेवस्स इमेयारुवे अ (भ) ज्नत्थिए [४] समुप्पजित्था - किं मण्णे धायइसंडे दीवे भारहे वासे दोचे वासुदेवे समुप्पन्ने (?) जस्स णं अयं संखसद्दे ममं पिव मुहवायपूरिए वियंभइ [?] कविले वासुदे (वे) वा भ (स) द्दा ( तिं) इ (सुणेइ) मुणिसुव्वए अरहा कविलं वासुदेवं एवं व्यासी- ते नूणं (ते) कविला वासुदेवा ! म (म) मं अंतिए धम्मं निसामेमाणस्स संखसद्दं आकण्णित्ता इमेयारुवे अज्नथिए- किं मन्ने जाव वियंभइ । से नूणं कविला वासुदेवा ! अ (यम) हे समट्ठे ? हंता [1] अत्थि । [] नो खलु कविला ! एवं भूयं वा भ ( वइ ) व्वं वा भविर (सइ) सं वा जन्नं ए (गे) - गखेत्ते ए- गजुगे ए-गसमए [i] दुवे अरहंता वा चक्कवट्टी वा वलदेवा वा वासुदेवा वा उप्पर्जिनु वा उप्पजिति वा उप्पजिस्संति वा । एवं खलु वासुदेवा ! जंबुद्दीबाओ २ भारहाओ वासाओ हत्थिणाउ (र) राओ नयराओ पंडुस्स रन्नो सुहा पंचन्हं पंडवाणं भारिया ढोवई देवी तव पउम-नाभस्स रनो पुव्वसंगइएणं देवेणं अ-वरकं-कं-नयरिं साहरिया । तए णं से कण्हे वासुदेवे पंचहिं पंडवेहिं सद्धि अप्पछट्टे छहिं रहेहिं अ-वरकंकं रायहाणिं दोवईए देवीए कूत्रं हव्वमागए । तए णं तस्स कण्हस्स वासुदेवस्स पउम-नाभेणं र-न्ना सद्धिं संगामं संगामेमाणस्स अयं संखसद्दे तव मुहवाया ० ( इव) इट्ठे (कंते) इ(हे) व वियंभइ । तए णं से कविले वासुदेवे मुणिनुब्वयं वंदइ नमंसइ वं० २ त्ता एवं वयासी गच्छामि णं अहं भंते! कण्हं वामुदेवं उत्तमपुरिसं [मम] सरिसपुरिसं पासामि । तए णं मुणिसुव्वए अरहा कविलं वासुदेवं एवं वयासी-नो खलु देवाणुप्पिया ! एवं भूयं वा ३ जणं अरहंता वा अरहंतं पासंति चक्कवट्टी वा चक्कवहिं पासंति वलदेवा वा वलदेवं पासंति वातुदेवा वा वासुदेवं पासति । तहवि य णं तुमं कण्हस्स वासुदेवस्स लवणसमुद्द मज्ञंमज्ज्ञेणं वी(ति)ईवयमाणस्स सेयापीयाई वयग्गाईं पातिहिसि । तए णं से कविले वासुदेवे सुणिमुव्वयं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता हत्यिसंधं दुरुहइ २ ता सिग्धं २ जेणेव वेला (उ)कुले तेणेव उवागच्छइ २ त्ता कण्हस्स वासुदेवस्स लवणसमुद्द जनमगंवी ईवयमाणस्स सेयापीया (हिं) ई धयग्गा पास २ ता एवं वयइ- एस · मम सरिसपुरिसे उत्तमपुरिसे कण्हे वामुदेवे लवणसमुहं मज्यंमज्झेणं वीईवयइत्रियखं परानुंसई [२] मुहवायपूरियं करेइ । तए णं से कण्हे वासु Page #1149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु. १ म० १६] सुत्तागमे देवे कविलस्रा वासुदेवस्स संखसई आय-प्रणेइ २ ता पंचयन्नं जाव पूरियं करेइ । तए णं दोवि वासुदेवा संखसद्द(सा)समायारिं करेंति । तए णं से कविले वासुदेवे जेणेव अ-वरकंका तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अ-वरकंकं रायहाणि संभग्गतोरणं जाव पासइ २ ता पउम नाभं एवं वयासी-किन्नं देवाणुप्पिया ! एसा अ-वरकंका संभग्ग जाव सन्निवइया ? । तए णं से पउम-ना-भे कविलं वासुदेवं एवं वयासी-एवं खलु सामी ! जंबुद्दीवाओ २ भारहाओ वासाओ इहं हव्वमागम्म कण्हेणं वासुदेवेणं तुन्भे परिभूय अ-वरकंका जाव सन्नि(वा)वडिया । तए णं से कविले वासुदेवे परमना-भस्स अंतिए एयमढे सोच्चा पउम-ना(ह)भं एवं वयासी-हं भो पउम-नाभा ! अपत्यियपत्थिया [५] किन्नं तुमं (न) जाणसि मम सरिसपुरिसस्स कण्हस्स वासुदेवस्स विप्पियं करेमाणे ? आसुरुत्ते जाव पउम-ना-भं निव्विसयं आणवेइ पउम-ना-भस्स पुत्तं अ-वरकंका[ए] रायहाणीए महया २ रायाभिसेएणं अभिसिचइ जाव पडिगए ॥ १३० ॥ तए णं से कण्हे वासुदेवे लवणसमुई मज्झंमज्झेणं वी-ईवयइ (गंगं उवागए) ते पंच-पंडवे एवं वयासी-गच्छह णं तुन्भे देवाणुप्पिया! गं(गा)गं महान(दि)इं उत्तरह जाव ताव अहं सुटियं लवणाहिवई पासामि । तए णं ते पंच पंडवा कण्हेणं २ एवं वुत्ता समाणा जेणेव गंगा महानदी तेणेव उवागच्छंति २ त्ता एगठियाए नावाए मग्गणगवेसणं करेंति २ त्ता एगठियाए नावाए गं-गं महान-ई उत्तरंति २ त्ता अ-चम-नं एवं वयंति-पहू णं देवाणुप्पिया! कण्हे वासुदेवे गं-गं महा-न-इं वाहाहिं उत्तरित्तए उदाहु नो प(भूह उत्तरित्तए-त्तिक? एगट्ठियाओ (नावाओ) णूमेति २ त्ता कण्हं वासुदेवं पडिवालेमाणा २ चिट्ठति । तए णं से कण्हे वासुदेवे सुट्ठियं लवणाहिवई पासइ २ त्ता जेणेव गंगा महा-न(दी)ई तेणेव उवागच्छइ २ त्ता एगट्ठियाए सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेइ २ त्ता एगट्ठियं अपासमाणे एगाए वाहाए रहं सतुरगं ससारहिं गेण्हइ एगाए वाहाए गंगं महा-न-इं वासडिं जोयणाई अद्धजोयणं च चि(च्छि)स्थिण्णं उत्तरिउं पयत्ते यावि होत्था । तए णं से कण्हे वासुदेवे गंगा[ए] महा-न-ईए बहुमज्झदेसभा(ग)ए संपत्ते समाणे संते तंते परितंते वद्धसेए जाए यावि होत्था । तए णं तस्स]. कण्हस्स वासुदेवस्स इमे(ए)यारूवे अ-ज्झत्थिए (जाव समुप्पजित्था)-अहो णं पंच पंडवा महावलवगा जेहिं गंगामहानई बा(स)वढि जोयणाई अद्धजोयणं च वि-त्थिण्णा वाहाहिं उत्तिण्णा, इच्छंतएहि णं पंचहिं पंडवेहिं पउम-नाभे (राया) हयमहिय जाव नो पडिसेहिए। तए णं गंगादेवी कण्हस्स वासुदेवस्स इमं एयारूवं अज्झत्थियं जाव जाणित्ता थाहं वियरइ। तए णं से कण्हे वासुदेवे मुहुत्तरं समासा(स)सेइ २ त्ता गं-गं महा-नदि वावडिं जाव Page #1150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देवाणुप्पिया साउदेवेणं एवं कुत्ता महान १०९८ सुत्तागमे [णायाधम्मकहामो उत्तरइ १ ता जेणेव पंच-पंडवा तेणेव उवागच्छइ (०) पंच पंडवे एवं क्यासी-अहो गं तुम्मे देवाणुप्पिया ! महावलबगा जे हिं] णं तुम्भेहिं गंगामहा-न-ई वाचठिं जाव उत्तिण्णा, इच्छंतएहिं [f] तुम्भेहिं पउम[नाहे] जाव नो पडिसेहिए । तए णं ते पंच पंडवा कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ता समाणा कण्हं वासुदेवं एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया! अम्हे तुमहिं विसज्जिया समाणा जेणेव गंगा महा-नई तेणेव उवागच्छामो २ त्ता एगट्ठियाए सरगणगवसणं तं चेव जाव णूमेमो तुमे पडिवालेमाणा चिट्ठामो । तए णं से कण्हे वासुदेवे तेसिं पंच(ग्रह)पंडवाणं [अंतिए] एयमढे सोचा निसम्म आसुरुत्ते जाव तिवलियं एवं व्यासी-अहो णं जया मए लवणसमुई दुवे जोयणसयसह(स्सा)स्सवि-त्थिगं वीईवइत्ता पउम-नामं हयमहि(य)यं जाव पडिसेहित्ता अ-वरकंका संभ(ग०)गा दोवई साहत्थिं उवणीया तया णं तुन्भेहिं मम माहप्पं न वि-नायं इयाणिं जाणिस्सह-त्तिकट्ट लोहदंडं परासुसइ पंचण्हं पंडवाणं रहे सुसू(चू)रेइ २ त्ता निव्विसए आणवेइ २ त्ता तत्य णं रहमद्दणे नामं कोढे 'निविटे। तए णं से कण्हे वासुदेवे जेणेव सए खंधावारे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सएणं खंधावारेणं सद्धिं अभिसमन्नागए यावि होत्था। तए णं से कण्हे वासुदेवे जेणेव वारवई नयरी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अणु-प्पविसइ ॥१३१॥ तए णं ते पंच-पंडवा जेणेव हत्यिणाउरे (गयरे) तेणेव उवागच्छंति २ त्ता जेणेव पंडू [राया] तेणेव उवागच्छंति २ ता करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु ताओ! • अम्हे कण्हेणं निविसया आणत्ता। तए णं पं-डुराया ते पंच-पंडवे एवं वयासी-कहण्णं पुत्ता ! तुम्मे कण्हेणं वासुदेवेणं निव्विसया आणत्ता ? । तए णं ते पंच-पंडवा पंडोई रायं एवं वयासी-एवं खलु ताओ ! अम्हे अ-वरकंकाओपडि-नियत्ता लवणसमुदं दोन्नि जोयणसयसहस्साइं वीईवइ(त्ता)त्या । तए णं से कण्हे वासुदेवे अम्हे एवं व(या०). यइ-गच्छह णं तुन्भे देवाणुप्पिया ! गं-गं महा-न-इं उत्तरह जाव (चिठ्ठह) ताव अहं एवं तहेव जाव चिट्ठामो । तए णं से कण्हे वासुदेवे सुट्ठियं लवणाहिवई दह्ण तं चेव सव्वं नवरं कण्हस्स चिंता न वुज्झ(जुज्ज(बुच्च)इ जाव (अम्हे) निन्विसए आणवेइ । तए णं से पं-ड्राया ते पंच-पंडवे एवं वयासी-दुटुणं [तुमं] पुत्ता ! कयं कण्हस्स वासुदे. वस्स विप्पियं करेमाणेहिं । तए णं से पंड्-राया कोंतिं देविं सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छ[ह] णं तुमं देवाणुप्पिया ! वारवई कण्हस्स वासुदेवस्स निवे-एहि-एवं खलु देवाणुप्पिया! तु(म्हे)मे पंच-पंडवा निव्विसया आणत्ता,तुमं च णं देवाणुप्पिया! दाहिणभरहस्स सामी, तं संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! ते पंच-पंडवा कयर(दिसिं) देसं वा (वि)दिसि वा गच्छंतु ? । तए णं सा कोंती पंडुणा एवं वुत्ता समाणी हत्यिसंवं Page #1151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ० १६ ] सुत्तागमे १०९९ - दुरूहइ (०) जहा हेट्ठा जाव संदिसंतु णं पिउ (त्था) च्छा ! किमागमणपओयणं । तए णं सा कोंती कण्हं वासुदेवं एवं वयासी एवं खलु तुमे पुत्ता ! पंच-पंडवा निव्विसया आत्ता तुमं चणं दाहिणड्डूभरह[स्स ] जाव (वि) दि (सिं) सं वा गच्छंतु (?) । तए णं से कण्हे वासुदेवे कोंर्ति देविं एवं वयासी - अपू (ई) यवयणा णं पिउ-च्छा ! उत्तमपुरिसा वासुदेवा वलदेवा चक्कवट्टी । तं गच्छंतु णं (देवाणु ० !) पंच पंडवा दाहिणि (लं) लवेयालिं तत्थ पंडुमहुरं निवेसंतु म म अदिट्ठसेवगा भवंतु-त्तिकट्टु कोंतिं देविं सकारेइ सम्माणेइ जाव पडिविसजेइ । तए णं सा कोती (देवी) जाव पंडुस्स एयमहं निवे - एइ । तए णं पंडु राया पंच पंडवे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी - गच्छह णं तुब्भे पुत्ता ! दाहिणिल्लं वेयालि, तत्थ णं तुब्भे पंडुमहुरं निवेसेह । तए णं [ते] पंच पंडवा पंडुस्स रनो जाव तहत्ति पडिसुर्णेति २ त्ता सबलवाहणा हयग० हत्थिणाउराओ पडि-निक्खति २त्ता जेणेव दक्खिणिले वेयाली तेणेव उवागच्छति २ त्ता पंडुमहुरं [नाम ] नग (रिं) रं निवे (से) संति (०) । तत्थ [वि] णं ते विपुलभोगसमिइसम - नागया यावि होत्या ॥ १३२ ॥ तए णं सा दोवई देवी अन्नया कया ( इं ) इ आव-नसत्ता जाया (या) वि होत्या । तए णं सा दोवई देवी नवण्हं मासाणं जाव सुरूवं दारगं पयाया सूमालं निव्वत्तवारसाहस इमं एयारूवं - जम्हा णं अम्हं एस दारए पंचण्हं पंडवाणं पुत्ते दोवईए देवीए अत्तए तँ हो (उ) ऊ (अहं) णं इमस्स दारगस्स नामधेजं पंडुसेणे [त्ति ] | तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेजं क ( रेइ ) रेंति पंडुसेणत्ति । वावतीरं कलाओ जाव [अ] भोगस मत्थे जाए जुवराया जाव विहरइ । ( तेणं कालेणं तेणं समएणं धम्मघोसा) घेरा समोसढा परिसा निग्गया। पंडवा निग्गया धम्मं सोचा एवं बयासी - जं नवरं देवाणुप्पिया । दोवई देविं आपुच्छामो पंडुसेणं च कुमारं रज्जे ठावेमो तओ पच्छा देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता जाव पव्वयामो । अहामुहं देवाणुप्पिया ! । तए णं ते पंच-पंडवा जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छंति २ ता दोवई देवि सहावेंत २ त्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिए ! अम्हेहिं थेराणं अंतिए धम्म निसंते जाव पव्वयामो, तुमं [णं] देवाणुप्पिए ! किं करेसि ? । तए णं सा दोवई (देवी) ते पंच पंडवे एवं वयासी - जइ णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! संसारभव्विग्गा [ जाव] पव्चयह मम के अने आलंबे वा जाव भविस्सइ ? अहं पि यणं संसारभव्विग्गा देवाणुप्पिएहिं सद्धिं पव्वइस्सामि । तए णं ते पंच पंडवा पंडुसेणस्स अभिसेओ जाव राया जाए जाव रजं पसाहेमाणे विहरइ । तए णं ते पंच-पंडवा दोवई य देवी अन्नया कया-इ पंडुसेणं रायाणं आपुच्छंति । तए णं से पंडुसेणे या कोडुंबिय पुरिसे सद्दाचेद्र २त्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो [1] देवाणुप्पिया ! Page #1152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११०० सुत्तागमे [णायाधम्मकहानो निक्खमणाभिसेयं जाव उवट्टवेह पुरिससहस्सवा-हिणीओ सिवियाओ उवट्टवेह जाव पच्चोहति जेणेव थेरा भगवंतो] तेणेव उवागच्छंति जाव आलित्ते णं जाव समणा जाया चोद्द[स]स पुव्वाइं अहिज्जति २ ना वहूणि वासाणि छटमदसमदुवालसेहि मासद्धमासखमणेहें अप्पाणं भावेमाणा विहरंति ॥ १३३ ॥ तए णं सा दोवई देवी सीयाओ पचोरहइ जाव पव्वइया सुव्चयाए अजाए लिस्ति(णी)णियनाए दलयइ ए(इ)कारस अंगाई अहिजइ (०) वहूणि वासाणि छहट्मदसमदुवालसेहिं जाव विहरह॥१३॥ तए णं थेरा भगवंतो अन्नया कया(ई)इ पंडुमहुराओ नयरीओ सहसंबवणाओ उजाणाओ पडि-निक्खमंति २त्ता वहिया जणवयविहारं विहरति । तेणं कालेणं तेणं समएणं अ(रि)रहा अरिहनेमी जेणेव मुरद्वाजणवए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सुरद्वाजणवयंसि संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं बहुजगो अन्नमनस्स एवमाइक्खइ४-एवं खलु देवाणुप्पिया! अ-रहा अरिहनेमी मुरद्वाजणवए जाव विहरइ । तए णं (से) ते जुहिडिल्लपामोक्खा पंच अणगारा बहुजणस्स अंतिए एय. महूँ सोचा अन्नमन्नं सदावेंति २ त्ता एवं क्यासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! परहा अरिहनेमी पुव्वाणुपुर्दिव जाव विहरइ, तं सेयं खलु अम्हं थेरा आपुच्छित्ता अरहं अरिहनेमि वंदणाए गमित्तए । अन्नमन्नस्स एयमह पडिमुणेति २ त्ता जेणेव थेरा भगवतो तेणेव उवागच्छंति २ त्ता थेरे भगवंते वंदंति नमसंति वं० २ त्ता एवं वयासीइच्छामो णं तुम्भेहिं अन्भणुन्नाया समाणा अरहं अरिहनेमि जाव गमित्तए । अहामुहं देवाणुप्पिया1 । तए णं ते जुहिठ्ठिलपामोक्खा पंच अणगारा थेरेहिं अन्भणुन्नाया समाणा थेरे भगवंते वदंति नमसंति वं० २ त्ता थेराणं अंतियाओ पडि-निक्खमंति (6) मासंमासेणं अणिक्खित्तणं तवोकम्मेणं गामाणुगामं दू(इ)इजमाणा जाव जेणेव ह(त्यिोत्थकप्पे (नयरे) तेणेव उवागच्छंति (०) ह-त्यकप्पस्स बहिया सहसंबवणे उजाणे जाव विहरति । तए णं ते जुहिन्विज्जा चत्तारि अणगारा मास-खमणपारणए पढमाए पो(र)रिसीए. सज्झायं करेंति वीयाए एवं जहा गोयमसामी नवरं जुहिट्ठिलं आपुच्छंति जाव अडमाणा वहुजणसई निसामेति । एवं खलु देवाणुप्पिया! अरहा अरिंट्ठनेमी उ(जिं)नंतसेलसिहरे मासिएणं, भत्तेणं अपाणएणं पंचहिं छत्तीसेहिं अणगारसएहिं सद्धिं कालगए जाव पहीणे । तए णं ते जुहिहिलवजा चत्तारि अणगारा वहुजणस्स अंतिए (एयमह) सोचा ह-त्यकप्पाओ पडि-निक्खमंति २ त्ता जेणेव सहसंववणे उज्जाणे जेणेव जुहिहिले अणगारे तेणेव उवागच्छंति २.त्ता भत्तपाणं प(चुवे)चक्खंति २ ता गमणागमणस्स पडिकमंति २ त्ता एसणमणेसृणं आलोएंति २,त्ता,भत्तपाणं पडिदंसंति २त्ता एवं वयासी-एवं खलु Page #1153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९० १ ० १७] सुत्तागमे ११०१ देवाणुपिया (1) जाव कालगए । त सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! इमं पुगहियं भत्तपाणं परिद्ववेत्ता सेत्तुजं पव्वयं सणियं २ दु(6)रुहित्तए संलेहणा(ए)झुसणा[झो]. तियाणं कालं अण(वकंख)वेक्खमाणाणं विहरित्तए-त्तिकट्ठ अ-नम-नस्स एयमढ पडिसुर्णेति २ त्ता तं पुव्वगहियं भत्तपाणं एगते परिहवेंति २ त्ता जेणेव सेत्तुजे पव्वए तेणेव उवागच्छंति २ त्ता सेत्तुलं पव्वयं [सणियं २] दुल्हति (०) जाव कालं अणवकखमाणा विहरति । तए णं ते जुहिछिल्लपामोक्खा पंच अगगारा सामाइयमाइयाई चोद्दस-पुत्वाइं अहि(जित्ता)नंति बहूणि वासाणि (सामण्णपरियागं पाउणित्ता) दोमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झो(सि)सेत्ता जस्सहाए की(कि)रइ थेरकप्पभावे जिणकप्पभावे जाव तमट्ठमाराहेति २ ता अणंते जाव केवलवर-नाणदंसणे समुप्प-ने जाव सिद्धा ।। १३५॥ तए णं सा दोवई अजा सुव्वयाणं अज्जियागं अंतिए सामाइयमाझ्याई एकारस अंगाई अहिज्जइ २ त्ता वहूणि वासाणि (सा०) मासियाए संलेहणाए आलोइयपडिकंता कालमासे कालं किच्चा वंभलोए उववन्ना । तत्थ गं अत्यगइयाणं देवाणं दस सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता। तत्थ णं दुव(ति)यस्स [वि] देवस्स दस-सागरोवमाई ठिई प-नत्ता । से णं भंते ! दुवए देवे ता(त)ओ जाव महाविदेहे वासे जाव अंतं काहिइ । एवं खलु जंवू ! समगेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणे सोलसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते त्तिवेमि ॥ १३६ ॥ गाहाउ-सुबहुं पि तवकिलेसो नियाणदोसेण दूसिओ संतो। न सिवाय दोवईए जह किल सुकुमालियाजम्मे ॥ १॥ अमणुन्नमभत्तीए पत्ते दाणं भवे अणत्थाय । जह कडुयतुंवदाणं नागसिरिभवंमि दोवइए ॥ २॥ सोलसमं नायज्झयणं समत्तं । ; जइ णं भंते ! समणेणं० सोलसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे प-नत्ते सत्तरसमस्स (०) नायज्झयणस्स के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू । तेणं कालेणं तेणं समएणं हत्थिसीसे नामं नयरे होत्था वण्णओ। तत्थ णं कणगकेऊ नामं राया होत्था वण्णओ। तत्थ णं हत्थिसीसे नयरे वहवे संजुत्ता-नावावाणियगा परिवसंति अड्डा जाव ब(ह)हुजणस्स अपरिभूया यावि होत्था । तएणं तेसिं संजुत्तानावावाणियगाणं अन्नया कयाइ एगयओ (सहियाणं) जहा अरह-नओए जाव लवणसमुइं अणेगाई जोयणसयाई ओगाढा यावि होत्था । तए णं तेसिं जाव बहूणि उप्पा(ति)यसयाइं जहा मा-कदियदारगाणं जाव कालियवाए य तत्थ सं(स)मु(त्यि)च्छिए । तए णं सा नावा तेणं कालियवाएणं आ(घोलि)घुणिज्जमाणी २ संचालिजमाणी २ संखोहिजमाणी २ तत्थेव परिभमइ । तए णं से निजामए नट्ठमईएं नट्ठसुईए नहस-ने सूढदिसाभाए जाए यावि होत्था न जाणइ कयरं (देसं वा) दिसं वा विदिसं वा पोयवहणे [व. Page #1154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाभो हिए-त्तिकट्ट ओहयमणसंकप्पे जाव झियायइ । तए णं ते बहवे कुच्छिवारा य कण्णधारा य ग(भिन्भेल्लगा य संजुत्ता-नावावाणियगा य नेगेव से निजामए तेणेव उवागच्छंति २ त्ता एवं वयासी-किन्नं तुमं देवाणुप्पिया। ओयमणसंक(प्पा)प्पे (जाव) झियायसि ? । तए णं से निजामए ते वहवे कुच्छिधारा य ४ एवं वयासी-एवं खलु [अहं] देवाणुप्पिया ! नट्ठमईए जाव अवहिएत्तिकटु तमो ओहयमणसंकप्पे (जाव झियामि)। तए ण ते कण्णधारा [य ४] तस्स निजामयस्संतिए एयमढे सोचा निसम्म भीया० ण्हाया करयल [जाव] वहणं इंदाण य खं(दा)धाण य जहा मल्लिनाए जाव उवायमाणा २ चिट्ठति । तए णं से निजामए तो मुहुर्ततरस्स लद्धमईए ३ अमूढदिसाभाए जाए यावि होत्या । तए णं से निजामए ते बहवे कुच्छिधारा य ४ एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! लद्धमईए जाव अमूढदिसाभाए जाए। अम्हे णं देवाणुप्पिया । कालियदीवंतेणं सं(बू)छुडा । एस णं कालियदीवे आलोकइ । तए णं ते कुच्छिवारा य ४ तस्स निजामगस्स अंतिए एयमहें सोचा हट्ठतुट्ठा पयक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव का(ली)लियदीवे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता पोयवहणं लंवेति २ त्ता एगट्ठियाहिं कालियदीवं उत्तरंति । तत्य गं वहवे हिरण्णागरे य सुवण्णागरे य रयणागरे य वइरागरे य बहवे तत्य आसे पासंति किं ते ? हरिरेणुसोणिसुत्त(गा)ग आ(ई)इण्गवेढो । तए णं ते आसा(ते)ओ वाणियए पासंति (०) तेसिं गंध आ(अ)घायंति (०) भीया तत्या उविग्गा उन्विगमणा तओ अणेगाइं जोयणाई उव्ममंति । ते णं तत्य पउरगोयरा पठरतणपाणिया निव्भया निरुबिग्गा सुहंसुहेणं विहरंति । तए णं [ते] संजुत्ता-नावावाणियगा अ-नम-नं एवं वयासी-कि(ग्रह)नं अ(म्हे)म्हं देवाणुप्पिया! आसेहिं ? इमे णं वहवे हिरण्णागरा य सुवण्णागरा य रयणागरा य व(इ)यरागरा य । तं सेयं खलु अम्हं हिरण्णस्स य सुवण्णस्स य रयणस्स य व-यरस्स य पोयवहणं भरित्तएत्तिकटु अन्नमन्नस्स एयमढे पडिसुणेति २ त्ता हिरण्णस्स य सुवण्णस्स य रयणस्स य व-यरस्स य तणस्स य कट्ठस्स य अ-नस्स य पाणियस्स य पोयवहणं भरेंति २त्ता द(पयोक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव गंभीरपोय(वहण) पट्टणे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता पोयवहणं लंति २ त्ता सगडीसागडं सजेति २ त्ता तं हिरणं जाव वइरं च एगट्ठियाहिं पोयवहणाओ संचारेंति २ त्ता सगडीसागडं संजो(ई)एंति (0) जेणेव हत्यिसी(सए)से नयरे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता हत्यिसीसयस नयरस्स बहिया अरगुजाणे सत्य-निवेसं करेंति २त्ता सगडीसागडं मोएंति २त्ता महत्यं जाव पाहुडं गेहंति २ त्ता हत्यिसीसं च न(ग)यर अणु-प्पविसंति २त्ता जेणेव [से कण Page #1155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० ३ अ० १७ ] सुत्तागमे ११०३ 1 गऊ (राया) तेणेव उवागच्छति २ ता जाव उवणेंति । तए णं से कणगकेऊ तेसिं संजुत्ता ( णावा ) वाणियगाणं तं महत्यं जाव पडिच्छइ [२] ते संजुत्ता-वाणियगा एवं वयासी - तुमे णं देवाणुप्पिया ! गामागर जाव आहिंडह लवणसमुद्दं च अभिक्खणं २ पोयवहणेणं ओगा (ह) हेह, तं अस्थि-या ( इं ) इ [त्थ] केइ भे कहिंचि अच्छेरए दिट्ठपुवे ? । तए णं ते संजुत्ता-वाणियगा कणगडं (रायं) एवं वयासी - एवं खलु अम्हे देवाणुप्पिया । इहेव हत्थिसीसे नयरे परिवसामो तं चेव जाव कालि (य) यंदीवंतेण सं छूडा । तत्थ णं बहवे हिरण्णागरा य जाव बहवे तत्थ आसे, किं ते? हरिरेणु जाव अगाई जोयणाई जब्भमंति । तए णं सामी ! अम्हेहिं कालियदीवे ते आसा अच्छेरए दिट्ठपुव्वे । तए णं से कणगकेऊ तेर्सि संजु ( तगा ) त्ताणं अंतिए एयमहं सोचा ते संजुत्तए एवं वयासी - गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! सम कोहुँवियपुरिसेहिं सद्धिं कालियदीवाओ ते आसे आणेह । तए णं ते संजुत्तावाणियगा कणगकेडं - एवं वयासी- एवं सामि-त्ति (कट्टु ) आणाए विणणं वयणं पडिसुर्णेति । तणं [से] कणगऊ - कोडुंबियपुरिसे सहावेइ २ त्ता एवं वयासी - गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! संजुत्तएहिं [नावावाणियएहिं] सद्धिं कालियदीवाओ मम आसे आह । तेवि पडिसुर्णेति । तए णं ते कोडुबि ( य० ) या सगडी सागडं सर्व्वेति २ ता तत्थ हूगं वीणाण य वल्लकीण य भामरीण य कच्छभीण य भंभाण य छन्भामरीण य विचित्तवीणाण य अन्नेसिं च बहूणं सो ( तिं) यंदियपाउग्गाणं दव्वाणं सगडीसागडं भरें ति २ त्ता वहूणं किव्हाण य जाव सुकिलाण य कटुक्रम्माण य ४ गंधिमाण य ४ जाव संघाइमाण य अन्नेसिं च बहूणं चक्खिदियपाउग्गाणं दव्वाणं सगडी सागडं भरेंति २ त्ता बहूणं कोट्ठपुडाण य केयइपुडाण य जाव अन्नेसिं च बहूणं घाणिदियपाउग्गाणं दव्वाणं सगडीसागडं भरेंति २ त्ता बहुस्स खंडस्स य गुलस्स य सकराए य मच्छंडियाए य पुप्फुत्तरपउत्तर • अन्नेसिं च जिब्भिदियपाउग्गाणं दव्वाणं सगडीसागडं भरेंति २ ता [अन्नेसिं च] बहूणं कोय ( वया) वाण य कंबलाय पा ( वरणा ) वाराण य नवतयाण य मलयाण य मसूराण य सिलावट्टा [य] जाव हंसगब्भाण य अन्नेसिं च फासिदियपाउग्गाणं दव्वाणं जाव भरेंति २ त्ता सगडीसागडं जो(एं) यंति २ त्ता जेणेव गंभीरए पोयट्ठाणे तेणेव उवागच्छंति (०) सगडी सागडं मो (एं) यंति २ त्ता पोयवहणं सर्जेति २ त्ता तेसि उक्किद्वाणं सद्दफरिसरसरुवगंधाणं कस्स य तणस्स य पाणियस्त्र य तंदुलाण य समियस्स य गोरसस्स य जाव अन्नेसिं च बहूणं पोयवहणपाउरगाणं पोयवहणं भर्रेति २ ता दक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव कालियदीवे तेणेव उवागच्छति २ त्ता पोयवहणं Page #1156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ लवेति २ ता ताई उनिहाई सद्दफरिसरसरूवगंधाई एगट्ठियाहिं कालियदीवं उत्तारेति २ ता जहिं जहिं च णं ते आसा आसवंति वा सयंति वा चिट्ठति वा तुयति वा तहिं तहिं च णं ते कोडंबियपुरिसा ताओ वीणाओ य जाव (वि)चित्तवीणाओ य अन्नाणि बहूणि सो(इं)यंदियपाउग्गाणि य दव्वाणि समु(ही)दीरेमाणा ठवें (चिट्ठ)ति तेसिं च] परिपेरंतेणं पा(सए)से ठवेंति (०) निचला निफंदा तुसिणीया चिट्ठति । जत्थ जत्थ ते आसा आसयंति वा जाव तुयति वा तत्थ तत्थ णं ते कोडवि-या वहूणि किण्हाणि य (५) कट्ठकम्माणि य जाव संघाइमाणि य अन्नाणि य बहणि चक्खिदियपाउग्गाणि य दव्वाणि ठवेंति तेसिं परिपेरंतेणं पासए ठवेंति २ त्ता निचला निफंदा तुसिणीया चिट्ठति । जत्य जत्थ ते आसा आसयंति (४) तत्थ तत्थ इते] ण (ते कोडवियपुरिसा) तेसिं वहूर्ण कोहपुडाण य अन्नसिं च घाणिदियपाउग्गाणं दव्वाणं पुंजे य नियरे य करेंति २ त्ता तेसिं परिपेरते जाव चिट्ठति । जत्य जत्थणं ते आसा आसयंति ४ तत्थ तत्थ गुलस्स जाव अन्नसिं च वहूर्ण जिभिदियपाउग्गाणं दव्वाणं पुंजे य नि(क)वरे य करेंति २ त्ता वियरए खणंति २ त्ता गुलपाणगस्स खंडपाणगस्स पा(पो)रपाणगस्स अन्नसिं च बहूणं पाणगाणं विय(रे)रए भरेंति २ ता तेसिं परिपेरंतेणं पासए ठवेंति जाव चिट्ठति । जहिं जहिं च णं ते आसा (आस०) तहिं तहिं च ते वहवे कोयवया (य) जाव सिलावट्या अ-नाणि य फासिंदि. यपाउग्गाई अत्युयपञ्चत्युयाइं ठवेंति २ त्ता तेसि परिपेरंतेणं जाव चिट्ठति । तए णं ते आसा जेणेव (ए)ते उनिहा सद्दफरिसरसरूवगंधा तेणेव उवागच्छंति (०)। तत्थ णं अत्थेगइया आसा अपुव्वा णं इमे सफरिसरसरूवगंधा (इ)तिकट्ठ तेसु उकिडेसु सद्दफरिसरसरूवगंधेसु अमुच्छिया ४ तेसिं उनिहाणं सद्द जाव गंधाणं दूरंदूरेणं अवकमंति [२] ते णं तत्थ पउरगोयरा पउरतणपाणिया निव्भया निरुबिग्गा सुहंसुहेणं विहरति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा सफरिस (रसरुवगंधा) जाव नो सजइ से णं इहलोए चेव वहणं समणाणं ४ अञ्चणिज्जे जाव वी-ईव(य)इस्सइ ॥१३७ ॥ तत्य णं अत्थेगइया आसा जेणेव उनि(होटा सहफरिसरसख्वगंधा तेणेव उवागच्छंति २त्ता तेसु उकिडेसु स(६०)सु ५ सुच्छिया जाव अज्झोवव-न्ना आसेविडं पय(त्ते)त्ता यावि होत्था । तए णं ते आसा (एए) ते उक्किटे स(१)द्दे ५ आसेवमाणा तेहिं वहहिं कूडेहि य पासेहि य गलएसु य पाएतु य वज्झंति । तए णं ते कोडुविया (एए) ते आसे गिण्हति २ त्ता एगट्ठियाहिं पोयवहणे संचारेंति २ ता तणस्स [य] कट्ठस्स [य] जाव भरेंति । तए ण ते संजुत्ता(णावा. वाणियगा) दक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव गंभीर[ए] पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छंति Page #1157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ० १७ ] सुत्तागमे ११०५ २ त्ता पोयवहणं लंबेति २ त्ता ते आसे उत्तारेंति २ त्ता जेणेव हत्थिसीसे नयरे जेणेव कणगकेऊ राया तेणेव उवागच्छेति २ त्ता करयल जाव वद्धावेंति (०) ते आसे उवर्णेति । तए णं से कणगकेऊ (राया) तेसिं संजुत्तावाणियगाणं उस्क्कं वियरइ २ त्ता सक्कारेइ संमाणेइ स ० २त्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से कणग केऊ- कोडुंबिय - पुरिसे सद्दावे २ त्ता सक्कारेइ संमाणेइ स० २ त्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से कण केऊ राया आसमद्दए सहावेइ २ ता एवं वयासी - तुब्भे णं देवाणुप्पिया । मम आसे aिrya | तए णं ते आसमद्दगा तहत्ति पडिसुर्णेति २ त्ता ते आसे बहूहिं मुहबंधेहिय कण्णवधेहि य नासावंधेहि य वालबंधेहि य खुरवंधेहि य कडगबंधेहि य खलिणवंधेहि य अहिला (णे ) णवंधेहि य पडियाणेहि य अंकणाहि य (वेलप्पहारे हि य) वि (चित्तप्पहारेहि य लयप्पहारेहि य कसप्पहारेहि य छिवप्पहारेहि य विणयंति (०) कणगकेउस्स रन्नो उवर्णेति । तए णं से कणगकेऊ ते आसमद्दए सक्का रेइ २ (०) पडिविसजे । तए णं ते आसा वहूहिं मुहबंधे हि य जाव छि (वर) वा पहारेहि यवहूणि सारीरमाणसा (णि) ई दुक्खाई पावेंति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा पव्वइए समाणे इट्ठेसु सद्दफरिसरसरुवगंधेसु सज्ज (न्ति) इ रज-इ गिज्न-इ मुज्झन्छ अज्झोववज-इ से णं इहलोए चेव बहूणं समणा ( ण य ) णं [वहूणं समणीणं] जाव साविया ( ण य णं हीलणिजे जाव अणुपरिय ( हिस्स ) दृइ । [गाहा ] - कलरिभियमहुरतंतीतलता लवंसक उहा भिरामेसु । सद्देसु रजमाणा रमं( ती ) ति सोइंदियवसट्टा ॥ १ ॥ सोइंदियदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । दीविगरुयमसहतो वहवंधं तित्तिरो पत्तो ॥ २ ॥ थणजहणवयणकरचरण - नयणगव्वियविलासियग (ती) एसु । रूवेसु रजमाणा रमंति चक्खिदियवसट्टा ॥ ३ ॥ चक्खिदिय 1 तत्तणस्स अह एत्तिओ ह (भ) वइ दोसो । जं जलणंमि जलंते पडइ पयंगो अवुद्धीओ ॥ ४ ॥ अ (गु) गरुवरपवरधूवणउउय मल्लाणुलेवणविहीसु । गंधेसु रज्जमाणा रमंति घार्णिदियवसट्टा ॥ ५ ॥ घाणिदियदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । जं ओसहिगंधणं विलाओ निद्धावई उरगो ॥ ६ ॥ तित्तकडुयं कसायं ( ब ) [ अविरं] महुरं बहुखजपेजलेज्झेसु । आसायंमि उ गिद्धा रति जिब्भिदियवसट्टा ॥ ७ ॥ जिब्भिदि • यदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । जं गललग्गुक्खित्तो फुरइ थलवि (र) रेलिओ मच्छो ॥ ८ ॥ उउभयमाणमुहे (सु) हि य सविभव हिययमण निव्वुइकरे (सु) हिं । फासेसु रजमाणा रमंति फासिंदियवसट्टा ॥ ९ ॥ फासिंदियदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । जं खणइ मत्थयं कुंजरस्स लोहंकुसो तिक्खो ॥ १० ॥ कलरिभियमहुरतंढीतलतालवंसकउहाभिरामेसु । सद्देसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए ॥ ११ ॥ ७० सुत्ता० Page #1158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [णायाधम्माहात्रो थणजहणवयगकरचरणनयणगवियविलानियगईन। मवेन न रजा वनहार न ते मरए ॥ १२ ॥ अगस्वरपवरवण उउयमणुलवणविहीन । गरेन से न गिटा वसट्टमरणं न ते मरए ॥ १३॥ तिनकडुयं कसायं-महवाबाजपेजलतोगी आसा(ए जे)यंमि न गिद्धा वसहमरणं न ते मरए ॥ १४॥ उगमागमन या सविभवहिययमण-निव्वुइकरेनु । फालेनु जे न गिवा वनमरणं न ले मरण ॥ १५॥ सद्देसु य भयपावएनु सोयविसयं उ(व)वागएन । नुट्टेण व म्हंग व नमणेग नग न होयध्वं ॥ १६ ॥ रुवेनु य भद्द(ग)यपावन व विनय उवगएन्छ । नुट्रेण व महेश व समणेण सया न होयव्वं ॥ १७ ॥ गंधेनु य भयपावाएन पागविग(यं उ)यमुवगएन । तुट्टेण व रुढेग व समणेग सया न होयव्यं ॥ १८ ॥ रसेन्यु य भयपायएसु जिन्भविस-यमुवगएमु । तुद्वेग व महेश व समगेण सया न होगव्यं ॥ १९ ॥ फासेनु य भयपावएन काय विस-यमुवगएन । तुट्टेण व गढेग व समणेण सया न होयव्वं ॥ २० ॥ एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेगं जाय संपनेणं सत्तरसमस्स नायज्झयगस्स अयमढे पन्नत्ते तिबेमि ॥ १३८ ॥ गाहामओ-जह सो कालियदीवो अणुवमसोक्खो तहेव जइधम्मो । जह आसा तह साहू वनियन्चऽणुकूलकारिजणा ॥१॥ जह सद्दाइअगिद्धा पत्ता नो पामवणं आसा। नह विसएसु अगिद्धा वनंति न कम्मगा साहू ॥२॥ जह सच्छंदविहारो आसाणं तह य इह वरमुणीणं । जरमरणाई विवन्जिय संपत्ताणंदनिव्वाणं ॥ ३ ॥ जह सहाटनु गिद्धा वद्धा आसा तहेव विसयरया । पावेंति कम्मबंधं परमामुहकारणं घोरं ॥४॥ जह ते कालियदीवा णीया अन्नत्य दुहगणं पत्ता। तह धम्मपरिभट्टा अधम्मपत्ता इहं जीवा ॥ ५॥ पावेंति कम्मनरवइवसया संसारवाहयालीए । आसप्पमहएहि व नेरइयाइहिं दुक्खाइं ॥ ६ ॥ सत्तरसमं नायज्झयणं समत्तं ॥ ' जइ णं भंते ! समणेणं० सत्तरसमस्स (णायज्झयणस्स) अयमढे प-भत्ते अहारसमस्स के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंवू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नाम नयरे होत्या वण्णओ। तत्थ णं ध(ए)णे नामं सत्यवाहे (परिवसड) होत्या भहा भारिया। तस्स णं ध(ए)णस्स सत्यवाहस्स पुत्ता भदाए अत्तया पंच सत्यवाह. दारगा होत्या तंजहा-धणे धणपाले धगदेवे धणगोवे धणरक्खिए। तस्स णं घणस्स सत्यवाहस्स धूया भद्दाए अत्तया पंचण्हं पुत्ताणं अणुमग्गजा(ती)इया सुनुमा नामं दारिया होत्या सूमालपाणिपाया। तस्स णं धणस्स सत्यवाहस्स चिलाए नामं दासचेडे होत्या अहीणपंचिंदियसरीरे मंसोवचिए वालकीलावणकुसले यावि होत्था । तए णं से दासचेडे सुंसुमाए दारियाए वालग्गाहे जाए यावि होत्या सुंसुमं दारियं Page #1159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० ११० १८] सुत्तागमे ११०७ कडीए गिण्हइ २ त्ता वहूहिं दारएहि य दारियाहि य डिभएहि य डिभियाहि य कुमारएहि य कुमारियाहि य सद्धिं अभिरममाणे २ विहरइ । तए णं से चिलाए दासचेडे तेसिं वहूणं दारयाण य ६ अप्पेगइयाणं खुल्लए अवहरइ एवं वट्टए आडोलियाओ तिंदू(तेंदु)सए पोत्तुल्लए साडोल्लए, अप्पेगइयाणं आभरणमल्लालंकारं अवहरइ अप्पेगइ(या)ए आउ(स) सइ एवं अवहसइ निच्छोडेइ निब्भच्छेइ तजेइ अप्पेगइ-ए तालेइ । तए णं ते बहवे दारगा य ६ रोयमाणा य ५ साणं साणं अम्मापिऊणं निवेदेति । तए णं तेसिं वहूणं दारगाण य ६ अम्मापियरो जेणेव धणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छंति २ ता ध()णं २ बहुहिं खि(खे)ज(णा)णियाहि य रुंटणाहि य उ(व)पालंभणाहि य खि जमाणा य रुंटमाणा य उ(व)वालं(भे)भमाणा य धणस्स [२] एयमढे निवेदेति । तए णं से] धणे २ चिलायं दासचेडं एयमढं भुज्नो भुज्जो निवारे(न्ति)इ नो चेव णं चिलाए दासचेडे उवरमइ । तए णं से चिलाए दासचेडे तेसिं वहणं दारगाण य ६ अप्पेगइयाणं खुल्लए अवहरइ जाव तालेइ । तए णं ते बहवे दारगा य ६ रोयमाणा य जाव अम्मापिऊणं निवेदेति । तए णं ते आसुरुत्ता ५ जेणेव धणे २ तेणेव उवागच्छंति २ त्ता वहहिं खिज्जणाहि (य) जाव एयमटुं निवे(दि)देति । तए णं से धणे २ बहूणं दारगाणं ६ अम्मापिऊणं अंतिए एयमह सोचा आसुरुत्ते चिलायं दासचेडं उच्चावयाहि आउसणाहि आउसइ उद्धंसइ नि(ब्भच्छे). भिछड निच्छोडेइ तज्जेइ उच्चावयाहिं तालणाहिं तालेइ साओ गिहाओ निच्छुभइ ॥ १३९ ॥ तए णं से चिलाए दासचेडे साओ गिहाओ निच्छूढे समाणे रायगिहे नयरे सिंघाड(ए)ग जाव पहेसु देवकुलेसु य सभासु य पंवासु य जूयखलएसु य वेसाघ(रे)रएसु य पाणघरएसु य सुहंसुहेणं परिवड्डइ । तए णं से चिलाए दासचेडे अणोहटिए अणिवारिए सच्छंदमई सइरप्पयारी मज्ज-प्पसंगी चोज्ज-८-पसंगी (मंस०) जूयप्पसंगी वे(सा)सप्पसंगी परदारप्पसंगी जाए यावि होत्था । तए णं रायगिहस्स न-यरस्स अदूरसामंते दाहिणपुरथिमे दि-सीभाए सीहगुहा नामं चोरपल्ली होत्या विसमगिरिकडगको(ड)लंबसन्निविट्ठा वंसीकलंकपागारपरिक्खित्ता छि-नसेलविसमप्पवायफरिहोवगूढा एगदुवारा अणेगखंडी विदितजण-निग्गम[]पवेसा अभितरपाणिया सुदुल्लभजलपेरंता सुबहुस्सवि कूवियबलस्स आगयस्स दुप्पहंसा यावि होत्था। तत्थ णं सीहगुहाए चोरपल्लीए विजए नाम चोरसेणावई परिवसइ अहम्मिए जाव अ(ध)हम्मकेऊ समुट्ठिए बहु-नगर-निग्गयजसे सूरे [२] दढप्पहारी साह(सी)सिए सद्दवेहीं। से णं तत्थ सीहंगुहाए चोरपल्लीए पंचण्डं चोरसयाणं आहेवचं जाव विहरई । तए णं से विजए तकरे (चोर)सेणावई बहूणं चोराण य पार Page #1160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ णायायमकाओ दारियाण य गंठिमेयगाण य संधिन्छेयगाण य बत्तखगगाग य वाववारीय च अणवारगाण य बालघायगाण य वीसभघायगाण ग जयगरा य ग व अन्नेसिं च बहूणं छिन्नभिन्न (ब) बाहिरयाणं कुठेंगे यदि होत्या । तए से जिए णं ( तक्करे ) चोरसेगावई रायगिहस्त दाहिणपुर- त्विमं जगवयं बहूनामहिन नगरघा एहि य गो ( ) गहणे हि य वैदिग्गहणे हि य पंथदिव उवीलेमाणे २ विद्धंसेमाणे नित्याणं निद्रणं करेमाणे विहर। नए ए दासचे (डे) डए रायगिहे (ण) बहूहिं अत्याभिसंकीहिय चो(रा) जागिनंगीह य दाराभिसंकीहियव (णि) गएहि य ज (इ) करेहि य परभवमाणे २ रायगिहा नग (री) राओ निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव सीहगु ( फा ) हा चोरपाठी नेणेव उवागच्छर २ त्ता विजयं चोरसेणावई उवसंपजित्तागं विहरः । तए णं से चिलाए दाम विजयस्स चोरसेगावइस्त अग्गे असिल (ह) हिग्गा हे जाए यावि होत्या । जा वि यणं से विजए चोरगावई गामघायं वा जाव पंथको िवा कार्ड वय नाहे विय णं से चिलाए दासचेडे सुबहुंपि (हु) कृवियत्रलं हयमहिय जाव पडिलेट [२] पुणरवि लठ्ठे कयकज्जे अणहसमग्गे सीहगुहं चोरपरि हव्वमागच्छर । तए णं से विजए चोरसेणावई चिलायं तकरं बहु ( ३ ) ओ चोरविज्जाओ य चोरमंत य चोरमायाओ य चोरनिगडीओ य सिक्खावेइ । तए णं से विजए चोरसेगावई अन्नवा कया(इं)इ कालवम्मुणा सजुत्ते यावि होत्या । तए ण ताई पंच चोरलयाई विजयस्त चोरसेगाव इस्स महया २ इड्डीसकारसमुदएणं नीहरणं करेंति २त्ता बहूई लोडयाई मयकिचाई करे (इ) न्ति २ ता जाव विगयसोया जाया यावि होत्या । तए णं नाई पंचचोरसयाई अन्नमन्नं सहावेंति २ त्ता एवं व्यासी एवं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! विजए चोरसेणावई कालवम्मुगा संजुत्ते । अयं च णं चिलाए तक्करे विजएणं चोरसेगावइणा बहू-ओ चोरविजाओ य जाव सिक्खाविए । तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! चिलायं तकरं सीहगुहाए चोरपल्लीए चोरसेणावत्ताए अभिसिंचित्तए-त्तिकट्टु अन्नमन्नस्स एयमठ्ठे पडिसुर्णेति २ त्ता चिलायं (तीए) सीहगुहाए [ चोरपीए] चोरसेगावइत्ताए अभिसिंचंति । तए णं से चिलाए चोरसेणावई जाए अहम्मिए जाव विहरइ । तए णं से चिलाए चोरसेगावई चोर-नायगे जाव कुडंगे यावि होत्था । सेणं तत्थ सीहगुहाए चोरपल्लीए पंचण्हं चोरसयाण य एवं जहा विजओ तहेव सव्वं जाव रायगिहस्स [नयरस्स] दाहिणपुर-त्थिमिल्लं जणवयं जाव नित्थाणं निद्दणं करेमाणे विहरइ ॥ १४० ॥ तए णं से चिलाए चोरसेणावई अन्नया कयाइ विपुलं असणं ४ [उवक्खडावेइ] उवक्खडावेत्ता ते पंच चोरसए आमंतेइ तो पच्छा व्हाए भोयण ११०८ Page #1161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १० १०] सुत्तागमे ११०९ मंडवंसि तेहिं पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं विपुलं असणं ४ सुरं च मजं च मंसं च सीधु च पस-नं च आसाएमाणे ४ विहरइ जिमियभुत्तुत्तरागए ते पंच चोरसए विपुलेणं धूवपुप्फगंधमलालंकारेणं सक्कारेइ सम्माणेइ स० २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! रायगिहे नयरे धणे नामं सत्यवाहे अड्डे[.], तस्स णं धूया भद्दाए अत्तया पंचण्हं पुत्ताणं अणुमग्गजाइया सुंसुमा नाम दारिया (यावि) होत्था अहीणा जाव सुरूवा, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! धणस्स सत्थवाहस्स गिहं विलुंपामो, तुभं विपुले धणकणग जाव सिलप्पवाले ममं सुसुमा दारिया। नए णं ते पंच चोरसया चिलायस्स (0) पडिसुणेति । तए णं से चिलाए चोरसेणावई तेहि पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं अल्लचम्मं दुरूहइ [२] पच्चावरण्हकालसमयंसि पंचहिं चोरसएहि सद्धिं सन्नद्ध जाव गहियाउहपहरणा माइयगोमुहि(एहिं)फलएहिं नि(क)क्किट्ठाहिं असिलट्ठीहिं अंसगएहिं तोणेहिं स(जी)जीवेहिं धणूहिं समुक्खित्तेहिं सरेहिं समुल्लालियाहि दीहाहिं ओसारियाहिं उरुघंटियाहिं छिप्पतूरेहिं वजमाणेहिं महया २ उक्किट्ठसीह-नाय(चोरकलकलरवं) जाव समुद्दरवभूयं [पिव] करेमाणा सीहगुहाओ चोरपल्लीओ पडिनिक्खमंति २ त्ता जेणेव रायगिहे न-यरे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता रायगिहस्स अदूरसामंते एगं महं गहणं अणु-प्पविसंति २ त्ता दिवसं खवेमाणा चिट्ठति। तए णं से चिलाए चोरसेणावई अद्धरत्तकालसमयंसि निसंतपडिनिसंतंसि पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं माइयगोमुहिएहिं फलएहिं जाव मूइ(आ)याहिं उरुघंटियाहिं जेणेव रायगिहे [नयरे] पुर-त्थिमिल्ले दुवारे तेणेव उवागन्छइ (०) उदग(व)वत्यिं परामुसइ (०) आयंते चोक्खे परमसुइभूए तालुग्घाडणिविज्ज आवाहेइ २ त्ता रायगिहस्स दुवारकवाडे उदएणं अच्छोडेइ २ त्ता कवाडं विहाडेइ २ त्ता रायगिहं अणु-र-पविसइ २ त्ता महया • सद्देणं उग्घोसेमाणे २ एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया! चिलाए नामं चोरसेगावई पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं सीहगुहाओ चोरपल्लीओ इ()हं हव्वमागए धणस्स सत्यवाहस्स गिहं घाउकामे । तं (जो) जे णं नवियाए माउयाए दुद्धं पाउकामे से णं नि(र)गच्छउत्तिकट्ठ जेणेव धणस्स सत्यवाहस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता धणस्स गिहं विहाडेइ । तए णं से धणे चिलाएणं चोरसेणावइणा पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं गिहं घाइजमाण पासइ २ ता भीए तत्थे ४ पंचहिं पुत्तेहिं सद्धि एगंतं अवक्कमइ । तए णं से चिलाए चोरसेणावई धणस्स सत्यवाहस्स गिहं घाएइ २ त्ता सुवहुं धणकण(ग)गं जाव सावएजं सुसुमं च दारियं गेण्हइ २ त्ता रायगिहाओ पडि-निक्खमइ २ ता जेणेव सीहगुहा तेणेव पहारेत्थ गमणाए ॥ १४१॥ तए णं से धणे सत्यवाहे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सुवहुं धणकणगं सुसुमं च दारियं Page #1162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ११० [णायाधम्मकहाओ अब(ह)हारिलं जाणिना महत्यं ३ पाहुडं गहाय जेणेव नगरगुनिया तेणेव उवाग. छ. २ ना महत्यं पाहुई (नाव) उवणे(न्ति) २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाविया ! चिलाए चोरमेगावई सीगुहाओ चोरपडीओ इहं हबमागम्म पंचहिं चोग्नएहि सदि मन गिहं घाएना नुवहुं धगकणगं सुंनुमं च दारिवं गहाय जाव पन्डिगा, न इच्छा (मो)मि गं देवाणुप्पिया ! मुंबमा[ए] दारियाए कूर्व गमित्तए, (5) देवाणुप्पिया ! से विदुले धगकगने ममं मुंनुमा दारिया । तए णं ते नगरनिया बगल एयमढे पडिनुगेति २ ता सन्नद्ध जाव गहियाउहपहरणा महया २ मिट जाव ननुहग्वभूयं पित्र करेमाणा रायगिहाओ निग्गच्छंति २ त्ता जीव निला चोरे तेणेव उवागच्छंति २ ना चिलाएणं चोरसेगावइणा सद्धिं संपकागा जानि होन्या । नए [न] नगरगुत्तिया चिलायं चोरसेगावई हयमहि(या)य र पहिल। नए णं ते पंच-चोरस या नगर (गो)गुनिएहि हयमहिय जाव पडिसेजनमानातं विपुलं धगगगं विच्छा)नाणा य विप्पकि(रे)रमाणा व सव्वओ म विसरत्या । नए णं ते न-गरगुदिया तं विपुलं धणकगगं गेहंति २ त्ता व गोगों नेगेव उवागच्छति । ता ण से चिलाए तं चोरसे-नं तेहिं नगर बम : (जाब) [पवर] भीए [जाव] नत्ये मुंनुमं दारियं गहाय एगं महं i( : मग श्रीमदं अदि अशु-पत्रिटे। नए धणे सत्यवाहे मुंयुमं दारियं (i) अवतारमाणि पासिनाग पंचहिं पुत्तेहिं सद्धि अप्पछले नियम पद)वमरगनिहिं (अभिगच्छति) अणुगच्छमाणे अभिग( हमारी पुणानने मितन्नेमाणे अभिनानमाणे पिट्टओ अणुग.::. मिलानमारा, पर्चा पुनहि सिद्धि] अप्पछद्रं समयदं • मा अगाने । चाहे नो सन्चापट मुंनुमं दारियं निवाहितए ... (नीलगा अमि परानुनमा सुनमाए दारि: " : : - मामा मागम अरवि अणु-पवि। तानसे : ... E m] अनिए नमाणे पह) हदि. ......... नामलगाए । माया ममजाउली : जाव ........:: जार विमाधम्मस्म वन. ... ... ... ... . . . मगार्ग ४ हीलगिने ......... ..; मत्लवाद, पंचत '. . . . . . ... .. समता परिकादेमाणे २ , . . . . . बोरगान सान्धि Page #1163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० अ० १८] सुत्तागमे ११११ गिण्हित्तए । से णं तओ पडिनियत्तइ २ ता जेणेव सा सुंसुमा बालि(दारि)या चिलाएणं जीवियाओव वरोवि(लि)या (तेणं)तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सुसुमं दारियं चिलाएणं जीवियाओ ववरोवियं पासइ २ ता परसुनिय(न्तेव)त्तेव्व चंपगपायवे[.] । तए णं से धणे सत्थवाहे (पंचहिं पु०) अप्पछडे आसत्थे कूवमाणे कंदमाणे विलवमाणे महया २ सद्देणं कु(ह)हुकु-हु(सु)स्स परुन्ने सुचि()रकालं बा(वा)ह[प्प]मोक्खं करेइ । तए णं से धणे सत्थवाहे] पंचहिं पुत्तेहिं अप्पछठे चिलायं तीसे आ-गामियाए सव्वओ समंता परिधाडेमा(णा)णे तण्हाए छुहाए य प(रि)रब्भ(रद्धं)ते समाणे तीसे आगामियाए अडवीए सव्वओ समंता उदगस्स मग्गणगवेसणं करे(न्ति)इ २ त्ता संते तते परितंते निन्वि-पणे [समाणे] तीसे आगामियाए (अडवीए उदगस्स मग्गणगवेसणं करेमाणे नो चेव णं उदगं आसादेति तए ण) उदगं अणासाएमाणे जेणेव सुंमुमा जीवियाओ ववरो(एल्लि)विया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता जेढे पुत्तं धणे (स०) सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु पुत्ता ! सुंसुमाए दारियाए अट्ठाए चिलायं तकरं सव्वओ समंता परिधाडेमाणा तण्हाए छुहाए य अभिभूया समाणा इमीसे आगामि-: याए अडवीए उदगस्स मग्गणगवेसणं करेमाणा नो चेव णं उदगं आसादेमौं । तए णं उदगं अणासाएमाणा नो संचाएमो रायगिहं संपावित्तए । तण्णं तुम्भे ममं देवागुप्पिया! जीवियाओ ववरोवेह [मम] मंसं च सोणियं च आहारेह (०) तेणं आहारेणं अव(हिट्ठा)थद्धा समाणा तओ पच्छा इमं आगामियं अडविं नि थरिहिह रायगिहं च संपावि (हि)हह मित्त-नाइ(य)० अभिसमागच्छि-हह अत्थस्स य धम्मस्स य पुण्णस्स य आभागी भविस्सह । तए णं से जे(ह) पुत्ते धणेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ते समाणे धणं २ एवं वयासी-तुम्मे ण ताओ । अम्हं पिया गु(रू)रुजण(या)यदेवयभूया ठावका पइ(ट्ठा)ठवका संरक्खगा संगोवगा। तं कहण्णं अम्हे ताओ ! तुमे जीवियाओ ववरोवेमो तुब्भं णं मंसं च सोणियं च आहारेमो ? तं तुब्मेणं ताओ ! ममं जीवियाओ ववरोवेह मंसं च सोणियं च आहारेह आगामियं अडविं नित्थर ह]ह तं चेव सव्वं भणइ जाव अत्थस्स जाव (पुण्णस्स) आभागी भविस्सह । तए णं धणं सत्यवाहं दोचे पुत्ते एवं वयासी-मा णं ताओ! अम्हे जेटुं भायरं गु(रु)रुदेवयं जीवियाओ ववरोवेमो, तुब्मे णं ताओ ! म-मं जीवियाओ ववरोवेह जाव आभागी भविस्सह । एवं जाव पंचमे पुत्ते । तए णं से धणे सत्थवाहे पंचपुत्ताणं हियइच्छियं जाणित्ता ते पंच पुत्ते एवं वयासी-मा णं अम्हे पुत्ता ! एगमवि जीवियाओ ववरोवेमो। एस णं सुसुमाए दारियाए सरी(रए)रे निप्पाणे जाव जीवविप्पजढे । तं सेयं खलु पुत्ता! अम्हं सुंसुमाए दारियाए मंसं च सोणियं च Page #1164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [णायाधम्मकहामो आहारेत्तए । तए णं अम्हे तेणं आहारेणं अव()थद्धा समाणा रायगिहं संपाउणिस्सामो । तए णं ते पंच-पुत्ता धणेणं सत्यवाहेणं एवं वुत्ता समाणा एयमट्ठ पडिनुऐति । तए णं धणे सत्यवाहे पंचहिं पुत्तेहिं सद्धिं अरणिं करेइ २ त्ता सरगं (च) करेइ २ त्ता सरएणं अरणिं महेइ २ ना अग्गि पाडेइ २ त्ता अरिंग संधुक्खेइ २ त्ता दाख्या(ति)इं प(रि)क्खेवे)क्खिवइ २ ता अग्गि पज्जालेइ २ त्ता सुंनुमाए दारियाए मंसं च (पइत्ता) सोणियं च आहारे(न्ति)इ। तेणं आहारेणं अव थद्धा समाणा रायगिहं नय(रिं)रं संपत्ता मित्त-ना(ई इनियग० अभिसम-नागया तस्स य विउलस्स घणकणगरयण जाव आभागी जाया (वि होत्या)। तए णं से धणे सत्यवाहे सुंसुमाए दारियाए वहूई लोइयाइं [मयकिचाइं] जाब विगयसोए जाए यावि होत्या ॥ १४२ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे गुणसिलए उज्जाणे समोसढे । (से) तए णं धणे सत्यवाहे सपु(संप)त्ते धम्मं सोचा पव्वइए एकारसंगवी मातियाए संलेहगाए सोहम्मे उवव (ण्णो)न्ने महाविदेहे वासे सिनिहिइ । जहा वि य णं जंवू ! धणेणं सत्यवाहेणं नो वण्णहेडं वा नो स्वहे वा नो वलहेडं वा नो विसयहेडं वा सुंसुमाए दारियाए संससोणिए आहारिए नन्नत्य एगाए रायगिहं संपावणट्ठयाए एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निरगंथो वा निग्गंथी वा इमस्स ओरालियसरीरस्त वंतासवस्स पित्तासवस्स सुक्कासवस्स सोणियासवस्स जाव अवस्(सं)सविप्पजहियवस्स नो वण्णहेर वा नो लवहेडं वा नो वलहेडं वा नो विसयहेडं वा आहारं आहारेइ नन्नत्य एगाए सिद्धिगमणसंपावणव्याए से णं इह-भवे चेव वहूर्ण समणाणं वहणं समणीणं वहणं सावयाणं वहूर्ण सावियाणं अचणिज्जे जाव वीईवइस्सइ । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं अट्ठारसमस्त (णायज्झयणस्स) अयमढे प-न्नत्ते त्ति वेमि ।। १४३ ॥ गाहाओ-जह सो चिलाइपुत्तो सुसुमगिद्धो अकजपडिवो । धणपारद्धो पत्तो महाडविं वसणसयकलियं ॥१॥ तह जीवो विसयसुहे लुद्धो काऊण पावकिरियाओ। कम्मवसेणं पावइ भवा. डवीए महादुक्खं ॥ २॥ धणसेट्ठी-विव गुरुगो पुत्ता इव साहवो भवो अडवी । सुयमंसमिवाहारो रायगिहं इह तिवं नेयं ॥ ३ ॥ जह अडविनयरणित्यरणपावणत्यं तएहिं तुयमंसं । भुत्तं तहेह साहू गुरुण आणाए आहारं ॥ ४॥ भवलंघणसिवपावणहे भुंज(भुज)ति ण उण गेहीए । वणवलत्वहे च भावियप्पा महासत्ता ॥५॥ अट्ठारसमं नायज्झयणं समत्तं ॥ जइ णं भंते ! समणेणं० अट्ठारसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे प-न्नत्ते एगूणवीसइमस्स (०) के अढे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुहीवे Page #1165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे सु० १ ० १९] १११३ दीवे पुश्वविदेहे सीयाए महान-ईए उत्तरिल्ले कूले नीलवंतस्स दाहिणेणं उत्तरिल्लस्स सीयामुहवणसंडस्स प(च्छि)च्चत्थिमेणं एगसेलगस्स वक्खारपव्वयस्स पुर-त्थिमेण एत्थ णं पुक्खलावई नामं विजए प-नत्ते । तत्थ णं पुंडरिगिणी नाम रायहाणी पन्नत्ता नवजोयणवि-त्थिण्णा दुवालसजोयणायामा जाव पञ्चक्खं देवलो(योगभूया पासाईया दरिसणीया अभिरूवा पडिरूवा । तीसे णं पुंडरिगिणीए नयरीए उत्तरपुर थिमे दि-सीभाए नलिणिवणे नामं उजाणे होत्था (वण्णओ)। तत्थ णं पुंडरिगिणीए रायहाणीए महापउमे नामं राया होत्था । तस्स णं पउमावई नामं देवी होत्था । तस्स णं महापउमस्स रन्नो पुत्ता पउमावईए देवीए अत्तया दुवे कुमारा होत्था तं जहापुंडरीए य कंडरीए य सुकुमालपाणिपाया[.] | पुंडरीए जुवराया। तेणं कालेणं तेणं समएणं (धम्मघोसा थेरा पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं सं० पुव्वाणुपुन्दि चरमाणा जाव ण० उजाणे तेणेव स०) थेरागमणं महापउमे राया निग्गए धम्मं सोचा पुं(पों)डरीयं रज्जे ठवेना पव्वइए पुंडरीए राया जाए कंडरीए जुवराया। महापउमे अणगारे चोहस-पुत्वाइं अहिजइ । तए णं थेरा बहिया जणवयविहारं विहरति । तए णं से महापउमे वहूणि वासाणि जाव सिद्धे ॥ १४४ ॥ तए णं थेरा अन्नया कया-इ पुणरवि पुंडरिगिणीए रायहाणीए नलिणवणे उजाणे समोसढा । पुं-डरीए राया निग्गए । कंडरीए महाजणसई सोच्चा जहा म(ह)हावलो जाव पजुवासइ । थेरा धम्म परिकहेंति पुंडरीए समणोवासए जाए जाव पडिगए । तए णं कंडरीए उठाए उठेइ २ त्ता जाव से जहेयं तुन्भे वयह जं नवरं पुंडरीयं रायं आपुच्छामि तए णं जाव पव्वयामि । अहासुहं देवाणुप्पिया!। तए णं से कंडरीए जाव थेरे वंदइ नमसइ वं० २ त्ता [थेराणं] अंतियाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता तमेव चाउ[]घंटं आसरहं दुरूहइ जाव पच्चोरुहइ जेणेव पुंडरीए राया तेणेव उवागच्छइ (०) करयल जाव पुंडरीयं [रायं] एवं वयासी-एवं खलु (देवा०1) मए थेराणं अंतिए (जाव) धम्मे निसंते से धम्मे अभिरुइए । तए णं (देवा० !) जाव पव्वइत्तए । तए णं से पुंडरीए कंडरीयं एवं वयासीमा णं तुमं भाउ(देवाणुप्पि)या ! इ(दा)याणि मुंडे जाव पव्वयाहि, अहं णं तुमं म(हया २)हारायाभिसेएणं अभिसिं(चया)चामि । तए णं से कंडरीए पुंडरीयस्स र-नो एयमद्वं नो आढाइ जाव तुसिणीए सचिठ्ठइ । तए णं पुंडरीए राया कंडरीयं दोच्चंपि तच्चपि एवं वयासी जाव तुसिणीए संचिठ्ठइ । तए णं पुंडरीए कंडरीयं कुमारं जाहे नो संचाएइ बहहिं आघवणा(हिं)हि य प-नवणाहि य ४ ताहे अकामए चेव एयमढें अणुमन्नित्था जाव निक्खमणाभिसेएणं अभिसिचइ जाव थेराणं सीसभिक्खं दलयइ पव्वइए अणगारे जाए एक्कारसंग-वी । तए णं थेरा Page #1166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११.१४ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ भगवंतो अन्नया कया-इ पुंडरी)रिगिणीओ नयरीओ नलि(णी)णिवणाओ उज्जाणाओ पडि-निक्खमंति २ त्ता बहिया जणवयविहारं विहरंति ॥ १४५ ॥ तए णं तस्स कंडरीयस्स अणगारस्स तेहिं अंतेहि य पंतेहि य जहा सेलगस्स जाव दाहवनं. तीए यावि विहरइ । तए णं थेरा अन्नया कया(ई)इ जेणेव पोंडरिगिणी तेणेव उवागच्छ(इ)न्ति २ त्ता नलि(णि)णीवणे समोसढा । पुं-डरीए निग्गए धम्म सुणेइ । तए णं पुंडरीए राया धम्म सोचा जेणेव कंडरीए अणगारे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता कंडरीयं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता कंडरीयस्स अणगारस्स सरीरगं सव्वाबाहं सरो(योगं पासइ २ त्ता जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छइ २ त्ता थेरे भगवंते वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-अहण्णं भंते । कंडरीयस्स अणगारस्स अहापवत्तहिं ओसहमेसज्जेहिं जाव तिगि(तेइ)च्छं आ(उ)उंटामि, तं तुम्भे णं भंते ! मम जाणसालासु समोसरह । तए णं थेरा भगवंतो पुंडरीयस्स पडिसुणेति (०) जाव उवसंपजित्ताणं विहरति । तए णं पुंडरीए (राया) जहा मंडुए सेलगस्स जाव बलियसरीरे जाए । तए णं थेरा भगवंतो पुं-डरीयं रायं [आ]पुच्छंति २ त्ता वहिया जणवयविहारं विहरंति । तए णं से कंडरीए ताओ रोयायंकाओ विप्पमुक्के समाणे तंसि मणु-न्नंसि असण. पाणखाइमसाइमंसि मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोवव-न्ने नो संचाएइपुंडरीयं आपुच्छित्ता वहिया अव्भुजएणं (जणवयविहारं) जाव विहरित्तए तत्थेव ओस-ने जाए। तए णं से पुं-डरीए इमीसे कहाए लढे समाणे हाए अंतेउरपरियालसंपरिचुडे जेणेव कंडरीए अणगारे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता कंडरीयं तिक्खुत्तो आयाहि(ण)णपयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-धन्नेसि णं तुम देवाणुप्पिया ! कयत्थे कयपु-ण्णे कयलक्खणे, सुलद्धे णं देवाणुप्पिया ! तव माणुस्सए जम्मजीवियफले जे णं तुमं रजं च जाव अंतेउरं च [वि] छ(ड्डइ)हेत्ता विगोवइत्ता जाव पव्वइए, अहण्णं अह-ने [अपुण्णे] अकयपु-ण्णे रजे [य] जाव अंतेउरे य माणुस्सएसु य कामभोगेसु मुच्छिए जाव अज्झोववन्ने नो सचाएमि जाव पव्वइत्तए, तं धन्नेसि णं तुमं देवाणुप्पिया। जाव जीवियफले । तए णं से कंडरीए अणगारे पुंडरीयस्स एयमद्वं नो आढाइ जाव संचिठ्ठइ । तए णं से कंडरीए पोडरीएणं दोच्चंपि तच्चंपि एवं वुत्ते समाणे अकामए अव(स)सवसे लजाए गारवेण य पुं-डरीयं (रायं) आपुच्छइ २ त्ता थेरेहिं सद्धिं वहिया जणवयविहारं विहरइ । तए णं से कंडरीए थेरेहि सद्धिं कं(कि)चि कालं उग्गंउग्गेणं विह(रति) रित्ता तओ पच्छा समणत्तणपरितंते समणत्तण-निव्वि(प)णे समणत्तण-निव्भ(त्थि)च्छिए समणगुणमुक्कजोगी थेराणं अंतियाओ सणियं २ पच्चोसक्कइ २ त्ता जेणेव पुंडरिगिणी Page #1167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . ], सु० १ अ०. सुत्तागमे नयरी जेणेव पुंडरीयस्स भवणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता असोगवणियाए असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टगंसि निसीयइ २ त्ता ओहयमणसंकप्पे जाव झियायमाणे संचिट्ठर । तए णं तस्स पोंडरीयस्स अंब ( अम्म)धाई जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता कंडरीयं अणगारं असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिला (व)पट्ट-सि ओह मणसं कप्पं जाव झियायमाणं पासइ २ त्ता जेणेव पुं-डरीए राया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पुं-डरीयं रायं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! तव पि (उ) यभाउए कंडरीए अणगारे असोगवणियाए असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिला-पट्टे ओहयमणसंकप्पे जाव झियाय । तए णं [से] पुं-डरीए अम्मधा (इ) ईए एयमहं सोचा निसम्म तव संभंते समाणे उट्ठाए उट्ठेइ २ त्ता अंतेउरपरियालसं परिवुडे जेणेव असोगवणिया जाव कंडरीयं तिक्खुत्तो (०) एवं वयासी-ध-नेसि गं तुमं देवाणुप्पिया ! जाव पव्वइए, अहं णं अध-न्ने [३] जाव [ अ ]पव्वइत्तए, तं धन्नेसि णं तुमं देवाणुप्पिया ! जाव जीवियफले । तए णं कंडरीए पुंडरीएणं एवं वृत्ते समाणे तुसिणीए संचिgs दोपि तचंपि जाव चिट्ठह । तए णं पुंडरीए कंडरीयं एवं वयासी - अट्ठो भंते ! भोगेहिं ? हंता [!] अट्ठो । तए णं से पुं-डरीए राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया 1 कंडरीयस्स महत्थं जाव रायाभिसे(अ)यं उवट्ठवेह जाव रायाभिसेएणं अभिसिंचाइ ॥ १४६ ॥ तए णं [से] पुंडरीए सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ सयमेव चाउज्जामं धम्मं पडिवज्जइ २ त्ता कंडरीयस्स संतियं आयारभंड (यं) गं गेहइ २ त्ता इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइकम्पइ मे थेरे वंदित्ता नमसित्ता थेराणं अंतिए चाउज्जामं धम्मं उवसंपजित्ताणं तओ पच्छा आहारं आहारित्तए - तिकट्टु इमं (च) एयारुवं अभिग्ग अभिगि (व्हे)हित्ताणं पुं-ड- रिगिणी (ए) ओ पडिनिक्खमइ २-ता पुव्वाणुपुषि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्माणे [जेणेव ] थेरा भगवंतो तेणेव पहारेत्थ गमणा ॥ १४७ ॥ तए णं तस्स कंडरीयस्सर नो तं पणीयं पाणभोयणं आहारियस्स समाणस्स अइजाग (रि) - रएण य अइभोयणप्पसंगेण य से आहारे नो सम्मं परिण ( मइ ) ए । तए णं तस्स कंडरीयस्स र-नो तंसि आहारंसि अपरिणममाणंसि पुव्वतावरत्तकालसमयंसि सरी (रं) रगंसि वेयणा पाउन्भूया उज्जला विउला पगाढा जाव दुरहियासा पित्तज - रपरिगयसरीरे दाहवक्कंती यावि विहरइ । तए णं से कंडरीए राया रजे य रहे न्य अंतेउरे य जाव अज्झोववन्ने अट्टदुहट्टवसट्टे अकामए अव सवसे कालमासे कालं किच्चा आहे सत्तमा पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उवव-न्ने । एवामेव समणाउसो ! जाव पव्वइए समाणे पुणरवि माणुस्सर काम भो (गे) ए आसा १११५ Page #1168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १११६ सुत्तागमे [णायाधम्मकहामो (इए)एइ जाव अणुपरियट्टिस्सइजहा व से कंडरीए राया॥१४८॥ तए णं से पुं-डरीए अणगारे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छइ २ ता थेरे भगवंते वंदड नमंसड़ वं० २ ता थेराणं अंतिए दोच्चंपि चाउजामं धम्म पडिवज्जइ छ[क]खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ २ त्ता जाव अडमाणे सीयलुक्खं पाणभोयगं पडिगाहेइ २ त्ता अहापजत्तमितिकटु पडि-निय(त)त्तेइ जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छइ २ त्ता भत्तपाणं पडिदंसेइ २ त्ता थेरेहिं भगवंतेहिं अव्भणुन्नाए समाणे अमुच्छिए ४ विलमिव प-नगभूएणं अप्पाणेणं तं फासुएसणिजं असण ४ सरीरकोद्वगंसि पक्खिवइ । तए णं तस्स पुंडरीयस्स अणगारस्स तं कालाइक्वंतं अरसं विरसं सीयलुक्खं पाणभोयणं आहारियस्स समाणस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स से आहारे नो सम्मं परिणमइ । तए णं तस्स पुंडरीयस्स अणगारस्स सरीरगंसि वेयणा पाउन्भूया उज्जला जाव दुरहियासा पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवनंतीए विहरइ । तए णं से पुंडरीए अणगारे अत्यामे अवले अवीरिए अपुरिसक्कारपरकमे करयल जाव एवं वयासी-नमो-त्यु णं अ(रि)रहंताणं [भगवंताण] जाव संपत्ताणं । नमो-त्यु णं थेराणं भगवंताणं मम धम्मायरियाणं धम्मोवएसयाणं । पुल्विं पि य णं मए थेराणं अंतिए सव्वे पाणाइवाए पञ्चक्खाए जाव मिच्छादसणसल्ले (ण) पञ्चक्खाए जाव आलोइयपडिक्वंते कालमासे कालं किच्चा सव्वट्ठसिद्ध उववन्ने । तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ । एवामेव समणाउसो! जाव पव्वइए समाणे माणुस्सएहिं कामभोगेहिं नो सजइ नो रजइ जाव नो विप्पडिघायमावज्जइ से णं इहभवे चेव वहणं समणाणं वहूर्ण समणीणं बहणं साव(या)गाणं वहूणं सावियाणं अच्चणिजे वंदणिजे पूणिजे सक्कारणिजे सम्माणणिजे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासणिज्ने-त्तिकट्ठ परलोए वि य णं नो आगच्छइ वहूणि दंडणाणि य मुंडणाणि य तज्जणाणि य ता(ड)लणाणि य जाव चाउरंत संसारकंतारं जाव वीईवइस्सइ जहा व से पुं-डरीए अणगारे। एवं खलु जंवू ! समणेणं भगवया महावीरेणं आ(दि)इगरेणं तित्यगरेणं [सयंसंबुद्धगा. जाव सिद्धिगइ-नामधेनं ठाणं संपत्तेणं एगूणवीसइमस्स नायज्झयणस्स अयमद्वे पन्नत्ते । एवं खलु जंवू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव सिद्धिगइ-नामधेनं ठाणं संपत्तणं छहस्स अंगस्स पढमस्स सुयक्खंधस्स अयमढे प-न्नत्ते त्ति बेमि । तस्स णं सुयक्खंधस्स एगूणवीसं अज्झयणाणि ए(क)गासरगाणि एगूणवीसाए दिवसेसु समप्पंति ॥ १४९ ॥ गाहाउ-वाससहस्सं पि जई काऊणं संजमं सुविउलं पि। अंते किलिट्ठभावो न विसुज्झइ कंडरीउव्व ॥१॥ अप्पेण वि कालेणं केइ जहा Page #1169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु०.२ ० १ ० १] सुत्तागमे १११७ गहियसीलसामण्णा । साहिति निययकनं पुंडरीयमहारिसिव्व जहा ॥ २ ॥ एगूणवीसइमं अज्झयणं समत्तं ॥ नायाधम्मकहाणं पढमो सुयक्खंधो समत्तो॥ तेणं' कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था वण्णओ । तस्स णं रायगिहस्स [नयरस्स] बहिया उत्तरपुर-त्थिमे दि-सीभाए तत्थ णं गुण(सी)सिलए नाम उजाणे होत्था वण्णओ। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अजसुहम्मा नाम थेरा भगवंतो जाइसंपन्ना कुलसंपन्ना जाव चो(चउ)हसपुत्वी चउ-नाणोवगया पंचहि अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडा पुव्वाणुपुचि चरमाणा गामाणुगामं दू(दु)इजमाणा सुहंसुहेणं विहरमाणा जेणेव रायगिहे नयरे जेणेव गुण-सिलए उजाणे जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरति । परिसा निग्गया धम्मो कहिओ परिसा जामेव दि(सं)सिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया। तेणं कालेणं तेण समएणं अजसुहम्मस्स (अणगारस्स) अंतेवासी अजजंवू नाम अणगारे जाव पजुवासमाणे एवं वयासी-जइ ण भंते ! समणेणं (३) जाव संपत्तेणं छहस्स अंगस्स पढम[स्स] सुयक्खंधस्स ना(यसु)याण अयमढे पन्नत्ते दोच्चस्स णं भंते ! सुयक्खंधस्स धम्मकहाणं समणेणं० के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंवू ! समणेणं० धम्मकहाणं दस वग्गा पन्नत्ता तंजहा-चमरस्स अग्गमहिसीणं पढमे वग्गे, वलिस्स वइरोयणिंदस्स वइरोयणरन्नो अग्गमहिसीणं बीए वग्गे, असुरिंदवजियाणं दाहिणिल्लाणं इंदाणं अग्गमहिसीणं त(इ)ईए वग्गे, उत्तरिल्लाणं असुरिंदवजियाणं भवणवासिइंदाणं अग्गमहिसीणं चउत्थे वग्गे, दाहिणिल्लाणं वाणमंतराणं इंदाणं अग्गमहिसीणं पंचमे वग्गे, उत्तरिल्लाणं वाणमंतराणं इंदाणं अग्गमहिसीणं छठे वग्गे, चंदस्स अग्गमहिसीगं सत्तमे वग्गे, सूरस्स अग्गमहिसीणं अट्ठमे वग्गे, सकस्स अग्गमहिसीणं नवमे वग्गे, ईसाणस्स [य] अग्गमहिसीणं दसमे वग्गे । जइ णं भंते ! समणेणं० धम्मकहाणं दस वग्गा पन्नत्ता पढमस्स णं भंते ! वग्गस्स समणेणं० के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंवू ! समणेग० पढमस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा प-नत्ता तंजहा-काली राई रयणी विजू मेहा । जइ णं भंते ! समणेणं० पढमस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पनत्ता पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स समणेणं० के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे गुण-सिलए उजाणे सेणिए राया चे(लोल्लणा देवी सामी समोस(रिए)ढे परिसा निग्गया जाव परिसा पजुवासइ । तेण कालेणं तेणं समएणं काली (नाम) देवी चमरचंचाए रायहाणीए कालव-डेंसगभवणे कालंसि सीहासणंसि चउहि Page #1170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ णायाधरमाओ 带 सामाणियसाहस्सीहिं चउहिं मयहरियाहिं सपरिवाराहि तिहि परियाहि तर्हि अणिएहिं सत्तहिं अणिया हिवईहिं सोलसहिं आयरवदेवमाहस्सीहि अ.जे (हिंदिव व ( हुएहि य) हहिं कालवर्डिसयभवगवासीहिं अनुरकुमारेहि देहि देवाहि गर्दि संपरिवुडा महयाहय जाव विहरइ इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दी २ ले ओहिणा आभोएमाणी २ पासइ ए (त) त्थ समणं भगवं महावीरं जत्रुद्दीचे दीने भार वाले रायगिहे न यरे गुणसिलए उज्जाणे अहापटिरूवं उग्गहं ओगि (उग्ग) हिना जमे तवसा अप्पा भावेमाणं पासइ २ ता चित्तमाणंदिया पीटना जाव (य) - हियया सीहासणाओ अभुट्टेइ २ ना पायपीटाओ पचोरुहइ २ त्ता पाउया ओमुब २ त्ता तित्थगराभिमुही सत्तट्ट पयाई अणुगच्छ २ ना वामं जाएं अंचे २ ता दाहिणं जाणुं धरणियलंति निहट्ट तित्तो मुद्धाणं धरणियलंसि निबेसेड (०) ड्रेसिं पच्चु-न्नमइ २ त्ता कड (य) गतुडिययंभियाओ भुयाओ साहरड २ ता करयल जाय कह एवं वयासी-नमो-त्यु णं अरहंताणं (भगवंताण) जाव संपत्ताणं । नमो-त्यु णं समग भगवओ महावीरस्स जाव संपाविउकामस्य । वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहग (ए) - या पास मे समणे ३ तत्य-गए इह-गयं-तिक बंदर नर्मसड वं० २ त्ता सीहासणवरंसि पुरत्याभिमुहा निसगा । तए णं तीसे कालीए देवीए इमेयात्वे जाव समुप्पजित्था [तंजहा ] - सेयं खलु मे समणं ३ वंदित्ता जाव पजुवासितए-त्तिकद्रु एवं संपेहेइ २ त्ता आभिओगि (ए) या दे (वे) वा सहावेइ २ त्ता एवं वयासी एवं खलु देवाप्पिया ! समणे ३ एवं जहा सू-रियाभो तहेव आणत्तियं देइ जाव दिव्वं मुरवराभिगमणजोग्गं करेह २ त्ता जाव पच्चप्पिणह । तेवि तहेव करेत्ता जाव पच्चप्पिपंति । नवरं जोयणसहस्स वि- त्यिण्णं जाणं सेसं तहेव । तहेव नामगोयं साहेइ तहेव नट्टविहि उवदंसेइ जाव पडिगया । भंते त्ति भगवं गोयमे समणं ३ वंदइ नमसइ वं० २त्ता एवं वयासी - का ( लि) लीए णं भंते! देवीए सा दिव्वा देविट्टी ३ कहि गया ? कूडागारसालादिहंतो । अहो णं भंते ! काली देवी महिड्डिया [३] | का-लीए णं भंते! देवीए सा दिव्वा देविड्डी ३ किन्न्ना लद्धा कि-न्ना पत्ता कि न्ना अभिसम-न्नागया ? एवं जहा सूरियाभस्स जाव एवं खलु गोयमा । तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे आमलकप्पा ना- मं नयरी होत्या वण्णओ | अंबसालवणे उज्जाणे । जियसत्तू राया । तत्थ णं आमलकप्पाए नयरीए काले नामं गाहावई होत्था अड्ढे जाव अपरिभूए । तस्स णं कालस्स गाहावइस्स कालसिरी नामं भारिया होत्या सुकुमाल ( पाणिपाया) जाव सुरुवा । तस्स णं काल ( ग ) स्स गाहावइस धूया कालसिरीए भारियाए अत्तया काली नामं दारिया होत्या वढा वढ्ढकुमारी - १११८ Page #1171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ १० अ० १] सुत्तागमे जुण्णा जुण्णकुमारी पडियपुयत्थणी निव्वि-प्रणवरा वरपरिवज्जिया वि होत्था। तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए आइगरे जहा वद्धमाणसामी नवरं नवहत्थुस्सेहे सोलसहि समणसाहस्सीहिं अकृत्तीसाए अज्जियासाहस्सीहिं सद्धि संपरिबुडे जाव अंबसालवणे समोसढे । परिसा निग्गया जाव पजुवासइ । तए ण सा काली दारिया इमीसे कहाए लट्ठा समाणा हट्ट जाव हिंयया जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ २ त्ता करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु अम्मयाओ! पासे अरहा पुरिसादाणीए आइगरे जाव विहरइ, तं इच्छामि णं अम्मयाओ। तुब्मेहिं अब्भणुन्नाया समाणी पासस्स [f] अरहओ पुरिसादाणीयस्स पायवंदिया गमित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया। मा पडिबंधं करेहि । तए णं सा का (लिया)ली दारिया अम्मापिईहिं अब्भणुन्नाया समाणी हट्ठ जाव हियया व्हाया सुद्धप्(प)पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवर परिहिया अप्पमहग्घाभरणालं कियसरीरा चेडियाचक्कवालपरिकिण्णा साओ गिहाओ पडि-निक्खमइ २ त्ता जेणेव वाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता धम्मियं जाणपवरं दुरूढा । तए णं सा काली दारिया धम्मियं जाण[पवरं एवं जहा दोवई (जाव) तहा पज्जुवासइ । तए णं पासे अरहा पुरिसादाणीए कालीए दारियाए तीसे य महइमहा(ल)लियाए परिसाए धम्मं कहेइ । तए णं सा काली दारिया पासस्स अरहओ पुरिसादाणीयस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हह जाव हियया पासं अरहं पुरिसादाणीयं तिक्खुत्तो वंदइ नमंसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-सदहामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं जाव से जहेयं तुन्भे वयह जं नवरं देवाणुप्पिया! अम्मापियरो आपुच्छामि तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए जाव पव्वयामि । अहासुहं देवाणुप्पिए ! । तए णं सा काली दारिया पासेणं अरहया पुरिसादाणीएणं एवं वुत्ता समाणी हट्ठ जाव हियया पासं अरहं वंदइ नमसइ वं० २ ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दु-रूहइ २ ता पासस्स अरहओ पुरिसादाणीयस्स अंतियाओ अंबसालवणाओ उजाणाओ पडि-निक्खमइ २ त्ता जेणेव आमलकप्पा नयरी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता आमलकप्पं नयरिं मज्झमज्झेणं जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ २ त्ता धम्मियं जाण -पवरं ठवेइ २ त्ता धम्मियाओ जाणप्पवराओ पचोरुहइ २ त्ता जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ २ त्ता करयल[परिग्गहियं] जाव एवं वयासी-एवं खलु अम्मयाओ ! मए पासस्स अरहओ अंतिए धम्मे निसंते, से वि य धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए, तए णं अहं अम्मयाओ! संसारभउन्विग्गा भीया जम्मणमरणाणं इच्छामि णं तुब्भेहिं अब्भणुन्नाया समाणी पासस्स अरहओ अंतिए मुंडा भवित्ता आ-गा. Page #1172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [णायाधम्मकहाओ राओ अणगारियं पवइत्तए । अहासुहं देवाणुप्पि-ए ! मा पडिबंचं करे-हि । तए णं से काले गाहावई वि-उलं असणं ४ उवक्खडावेइ २त्ता मित्त-नाइ-नियगसयणसंबंधिपरियगं आमंतेइ २ त्ता तओ पच्छा बहाए विपुलेणं पुष्फवत्वगंधमलालंकारेणं सक्कारे(त्ता)इ सम्माणे-इ[२] तस्सेव मित्त-नाइ-नियगसयणसंबंधिपरियणस्स पुरो कालियं दारियं सेयायीएहिं कलसेहिं पहावेइ २ त्ता सव्वालंकारविभूतियं करेइ २ ता पुरिससहस्सवाहि(णीय)णिं सीयं दु-रूहेइ २ ता मित्त-नाइ-नियगसयणसंबंधिपरियणेणं सद्धिं संपरिखु(डा)डे सचिट्ठीए जाव रवेणं आमलकप्पं नपरि मञ्जमझेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव अंवसालवणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता छत्ताइए तित्थगराइ(स)ए पासइ २ त्ता सीयं ठा-वेइ २ ता [कालियं दारियं सीयाओ पञ्चोहइ । तए णं तं] कालियं दारियं अम्मापियरो पुरओ काउं जेणेव पासे अरहा पुरिसादापीए तेणेव उवागच्छ(इ)न्ति २ ता वंद-न्तिति नमंस-न्तिति वं० २ त्ता एवं व्यासीएवं खलु देवाणुप्पिया! काली दारिया अम्हं धूया इट्ठा कंता जाव किमंग पुण पासणयाए ? एस णं देवाणुप्पिया! संसारभउचिग्गा इच्छइ देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडा भवित्ता (ग) जाव पञ्चइत्तए, तं एयं णं देवाणुप्पियाण सिस्सिणिभिक्खं दलयामो, पडिच्छंनु णं देवाणुप्पिया ! सिस्सिणिभिक्खं । अहानुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंध (करेह) । तए णं [सा] काली कुमारी पासं अरहं वंदइ नमसइ वं० २ ना उत्तरपुरस्थिमं दि-सीभागं अवकमइ २ ता सयमेव आभरणमलालंकारं ओमुयइ २ त्ता सयमेव लोयं करेइ २ त्ता जेणेव पासे अरहा पुरिसादाणीए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पासं अरहं तिक्खुत्तो वदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-आलित्ते णं भंते ! लोए एवं जहा देवाणंदा जाव सयमेव पव्वा(वि)वेडं । तए णं पासे अरहा पुरिसादाणीए का(लिं)लियं सयमेव पुष्कचूलाए अजाए सिस्तिणियत्ताए दलयइ । तए णं सा पुष्कचूला अजा कालिं कुमारि सयमेव पवावेद जाव उवसंपजित्ताणं विहरइ । तए णं सा काली अजा जाया इ-रियासमिया जाव गुत्तभयारिणी । तए णं (सा) काली अना युप्फचूला[ए] अजाए मंतिए सामाइयमाइयाई एकारस अंगाई अहिबइ वहहिं बउत्य जाव विहरइ । तए णं सा काली अजा अन्नया कया(ति)इ सरीरवाउसिया जाया(या)वि होत्या, अभिक्खणं २ हत्ये थो(व)वेइ पाए धो-वेइ सीसं घो-वेइ मुहं वो बेइ थणंतरा(ई)णि धो-वेइ कक्खंतराणि धो-वेइगुझंतरा(ई)णि घो-वेइ जत्य जत्य वि य णं ठाणं वा सेज वा निसीहियं वा चेएइ तं पुवामेव अन्भु(क्खे क्वित्ता तो पच्छा आसयइ वा सयइ वा । तए णं सा पुष्पचूला अजा का-लियं अजं एवं वयासी-नो खल कप्पइ देवाणुप्पिए । समणीगं निरगंथीणं सरीरवासियाणं होत्तए, Page #1173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० २ ० १ ० २] सुत्तागमे ११२१ ! तुमं च णं देवाणुप्पिए । संरीरवाउलिया जाया अभिक्खणं २ हत्थे धोवसि जाव आसयाहि वा सयाहि वा, तं तुमं देवाणुप्पिए । एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पायच्छित्तं पडिवज्जाहि । तए णं सा काली अजा पुप्फचूलाए अजाए एयमहं नो आढाइ जाव तुसिणीया संचिट्ठइ । तए णं ताओ पुप्फचूलाओ अजाओ कालिं अजं अभिक्खणं २ हीति निंदंति खिं (सं) सेंति ग-रहंति अवमनंति अभिक्खणं २ एयमहं निवारेंति । तए णं तीसे कालीए अजाए समणीहिं निग्गंथी हिं अभिक्खणं २ हीलिजमाणीए जाव वारिज्जमाणीए इमेयारूवे अ-ज्झत्थिए जाव समुप्पजित्था - जया अहं अ (आ) गारवा समज्झे वसित्था तथा णं अहं सयंवसा । जप्पभिई च णं अहं मुं (डे) डा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइया तप्पभिई व णं अहं परवसा जाया । तं सेयं खलु मम कल पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलते पाडि ( कि) कयं उवस्सयं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए-त्तिकट्टु एवं संपेहेइ २ ता कलं जाव जलते पाडि (ए) कं उवस्सयं गे (गि) हइ तत्थ णं अणिवारिया अणोहट्टिया सच्छंदमई अभिक्खणं २ हत्थे धोवेइ जाव आसयइ वा सयइ वा । तए णं सा काली अज्जा पासत्था पासत्थविहा• ओसन्ना ओस- न्नविहा० कुसीला कुसीलविहा० अहाछंदा अहाछंदविहा० संसत्ता संसत्तविहा० हूणि वासाणि साम-ण्णपरियागं पाउणइ २ ता अद्धमासियाए संलेहणाए अ (त्ता )प्पाणं झूसेइ २ त्ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेएइ २ त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयअपडिकंता कालमासे कालं किच्चा चमरचंचाए रायहाणीए कालवर्डिसए भवणे उववायसभाए देवसयणिज्जंसि देवदूतरिया अंगुलस्स असंखे (जाइ) ज्जभागमेत्ताए ओगाहणाए काली दे - (वी) वित्ताए उववन्ना । तए णं सा काली देवी अहुणोवव-ना समाणी पंचविहाए पज्जत्तीए जहा सूरियाभो जाव भासामणपजत्तीए । तए णं सा काली देवी चउन्हं सामाणियसाहस्सीणं जाव अ-नेसि च बहूणं कालवडेंसगभवणवासीणं असुरकुमाराणं देवाण य देवीण य आहेवचं जाव विहरइ । एवं खलु गोयमा ! कालीए देवीए सा दिव्वा देविड्ढी ३ लद्धा पत्ता अभिसम न्नागया । कालीए णं भंते 1 देवीए केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ? गोयमा । अढाइजाई पलिओ माई ठिई पन्नत्ता | काली णं भंते! देवी ताओ देवलोगाओ अगंतरं उ (व) वट्टित्ता कहिं गच्छ - हिइ कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ [जाव अंतं काहिइ ] । एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं पढम् [ रस ] वग्गस्स पढमज्झयणस्स अयमट्टे प-नत्ते त्तिबेमि ॥ १५० ॥ ( धम्मकहाणं पढमज्झयणं समत्तं ) | 5 1 जइ णं भंते! समणेणं • धम्मकहाणं पढमस्स वग्गस्स पढमज्झयणस्स O ७१ सुत्ता० Page #1174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२२ सुत्तागमे [ णायाधम्मकहाओ अयम पत्ते विश्यस्स णं भंते । अज्झयणस्स समणेणं (३) जाव संपत्ते के अड्डे प-न्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं काळेणं तेणं समएणं रायगिहे न यरे गुणतिलए उज्जाणे सामी समोसढे परिसा निग्गया जाव पजुवासइ । तेणं काले ते समणं राई देवी चमरचंचाए रायहाणीए एवं जहा काली तहेव आगया नट्ट विहिं उवदं (से) सित्ता पडिगया । भंतेत्ति भगवं गोयमे पुव्वभवपुच्छा । एवं खलु गोयमा । तेणं कालेणं तेणं समएणं आमलकप्पा नयरी अंवसालवणे उजाणे जियसत्तू राया राई गाहावई रा ( ई ) इसिरी भारिया राई दारिया पासस्स समोसरणं राई दारिया जहेव काली तहेव निक्खता तहेव सरीरवाउसिया तं चैव सव्वं जाव अंत काहिइ | एवं खलु जंबू ! वि (इ) ईयज्झयणस्स निक्खेवओ ॥ जइ णं भंते ! तइयज्झयणस्स उक्खेव । एवं खलु जंबू । रायगिहे नयरे गुणसिलए उज्जाणे एवं जहेव राई तहेव रयणी वि नवरं आमलकप्पा नयरी रय (णी ) णे गाहावई रयण सिरी भारिया रयणी दारिया सेसं तहेव जाव अंतं काहिइ । एवं विजू वि आमलकप्पा नयरी वि(जु)ज्जू गाहावई विजुसिरी भारिया वि-ज्जू दारिया सेसं तहेव । एवं मेहा व आमलकप्पाए नयरीए मेहे गाहावई मेहसिरी भारिया मेहा दारिया सेसं तहेव । एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं पढमस्स वग्गस्स अयमट्ठे पन्नत्ते ॥ १५१ ॥ जइ णं भंते! समणेणं • दोच्चस्स वग्गस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! समणेणं० दोच्चस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पन्नत्ता तंजहा - सुंभा निसुंभा रंभा निरंभा म (द) यणा । जइ णं भंते । समणेणं ० धम्मकहाणं दोच्चस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पन्नत्ता दोच्चस्स णं भंते ! वग्गस्स पढमज्झयणस्स के अट्ठे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे गुण-सिलए उज्जाणे सामी समोस (ढो)ढे परिसा निग्गया जाव पज्जुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं सुंभा देवी बलिचंचाए रायहाणीए सुंभवडेंसए भवणे सुंभंसि सीहासांसि कालीगमएणं जाव नट्टविहिं उवदंसेत्ता जाव पडिगया । पुव्वभवपुच्छा | सावत्थी नयरी को ए उज्जाणे जियसत्तू राया सुंभे गाहावई सुभसिरी भारिया सुंभा दारिया सेसं जहा का (लिया) लीए नवरं अट्ठाई पलिओ माई ठिई । एवं खलु जंबू । निक्खेवओ अज्झयणस्स । एवं सेसावि चत्तारि अज्झयणा सावत्थीए नवरं माया पिया सरिस - नामया । एवं खलु जंबू । निक्खेवओ वि (ती) इयवग्गस्स ॥ १५२ ॥ उक्खे (वओ) वो तइयवग्गस्स । एवं खलु जंबू ! समणेणं० तइय (स्स ) वग्गस्स चउप-न्नं अज्झयणा पन्नत्ता तंजहा- पढमे अज्झयणे जाव चउपन्नतिमे अज्झयणे । जइ णं भंते ! समशेणं० धम्मकहाणं तइय वग्गस्स चउप्प (न्न )न्नं [ अ ] ज्झयणा पन्नत्ता पढमस्स णं ० Page #1175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० २ १०५ भ० १] सुत्तागमे ११२३ भंते ! अज्म णरस समणेणे० के अटे पनते ? एवं खलु जंबू । तेणं काटेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे गुण-सिलए उज्जाणे सामी समोसढे परिसा निग्गया जाव पजुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं अ(इ)ला देवी घर(णी)गाए रायहाणीए अ-लाव(ड)डेसए भवणे अ-लंसि सीहासणंसि एवं कालीगमएणं जाव नट्टविहिं उवदंपेत्ता पडिगया। पुव्वभवपुच्छा । वाणारसीए नयरीए काममहावणे उजाणे अले गाहावई अ-लसिरी भारिया इला दारिया सेसं जहा कालीए नवरं धरण(स्स)अग्गमहिसित्ताए उववाओ साइरे(ग)गं अद्धपलिओव(म)मं टिई सेसं तहेव । एवं खलु निक्खेवओ पढमज्झयणस्स । एवं करमा सते)मसोतरा सोयामणी इंदा घ(णा)गया विजुया-वि । सव्वाओ एयाओ धरणस्स अग्गमहिसीओ (एव)। एए छ अज्झयणा वेणुदेवस्स वि अविसेसिया भाणियव्वा, एवं जाव घोसस्स वि एए चेव छ अज्झयणा । एवमेते दाहिणिल्लाणं इंदाणं चउप्प-नं अज्झयणा भवंति सव्वाओ वि वाणारसीए काममहावणे उजाणे । तइयवग्गस्स निक्खेव(ओ)गो ॥ १५३ ॥ चउत्थस्स उक्खेव-गो । एवं खलु जंबू! समणेणं० धम्मकहाणं चउत्थवग्गस्स चउप्प-नं अज्झयणा प-नत्ता तंजहा-पढमे अज्झयणे जाव चउप्प-न्नइमे अज्झयणे। पढमस्स अज्झयणस्स उक्खेव-गो । एवं खलु जंवू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पजुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं रूया देवी रू(भू)याणंदा रायहाणी रूयगव (डि)डेंसए भवणे ख्यगंसि सीहासणसि जहा कालीए तहा नवरं पुन्वभवे चंपाए पुण्णभद्दे उज्जाणे रूयगगाहावई रूयगसिरी भारिया रूया दारिया सेसं तहेव नवरं भूयाणं(ददा अग्गमहिसित्ताए उववाओ देसूर्ण पलिओवमं ठिई । निक्खेवओ। एवं खलु सुरूया वि रूयंसा वि रूयगावई वि रूयकता वि रूयप्पभा वि । एयाओ चेव उत्तरिल्लाणं इंदाणं भाणियवाओ जाव महाघोसस्स । निक्खेवओ चउत्थवग्गस्स ॥ १५४ ॥ पंचमवग्गस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! जाव वत्तीसं अज्झयणा प-न्नत्ता तंजहा-कमला कमलप्पभा चेव, उप्पला य सुदंसणा । रूववई बहुरूवा, सुरूवा सुभगा वि य ॥ १॥ पुण्णा बहुपुत्तिया चेव, उत्तमा भारिया वि य । पउमा वसुमई चेव, कणगा कणगप्पभा ॥ २ ॥ वडेंसा के(उ)ऊमई चेव, वइरसेणा रइप्पिया। रोहिणी नवमिया चेव, हिरी पुप्फवई (ति) वि य ॥३॥ भुयगा भुयगवई चेव, महाकच्छा(s)परा(फुडा)इ(य)या। सुघोसा विमला चेव, सुस्सरा य सरस्सई ॥४॥ उक्खेवओ पढमज्झयणस्स । एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं कमला देवी कमलाए रायहाणीए कमलवडेंसए भवणे कमलंसि सीहासणंसि सेसं जहा कालीए तहेव Page #1176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [णायाधम्मकहामो नवरं पुन्वभवे नागपुरे नयरे सहसंबवणे उज्जाणे कमलस्स गाहावइस्स कमलसिरीए भारियाए कमला दारिया पासस्स(०) अंतिए निक्खंता कालस्स पिसायकुमारिंदस्स अग्गमहिसी अद्धपलिओवमं ठिई । एवं सेसा वि अज्जयणा दाहिणिलाणं वाणमंतरिंदाणं भ(भा)णियव्वाओ (सव्वाओ) नागपुरे सहसंबवणे उजाणे मायापि(या)यरो धूया सरिसनामया ठिई अद्धपलिओवमं । पंचमो वग्गो समत्तो ॥ १५५॥ छट्टो वि वग्गो पंचमवग्गसरिसो नवरं महाका (लिंदा)याईणं उत्तरिहाणं इंदागं अग्गमहिसीओ। पुत्वभवे सागे(य)ए नयरे उत्तरकुरुउज्जाणे मायापि-यरो धूया सरिसनामया । सेसं तं चेव । छटो वग्गो समत्तो ॥ १५६ ॥ सत्तमस्स वग्गस्स उक्खे. वओ। एवं खलु जंवू ! जाव चत्तारि अज्झयणा प-नत्ता तंजहा-सूरप्पभा आयवा अचिमाली पभंकरा । पढमज्जयणस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंवू ! तेणं कालेगं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पन्जुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं सूरप्पभा देवी सूरंसि विमाणसि सूरप्पमंसि सीहासणंसि सेसं जहा कालीए तहा नवरं पुन्वभवो अरक्खुरीए नयरीए सूरप्पभस्स गाहावइस्स सूरसिरीए भारियाए सूरप्पभा दारिया सूरस्स अग्गमहिसी ठिई अद्धपलिओवमं पंचहिँ वाससएहि अव्भहियं सेसं जहा कालीए । एवं सेसाओ वि सव्वाओ अरक्खुरीए नयरीए । सत्तमो वग्गो समत्तो ॥ १५७ ॥ अट्ठमस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंवू! जाव चत्तारि अज्झयणा प-न्नत्ता तंजहा-चंदप्पभा दोसि नाभा अच्चिमाली पभंकरा । पदम(स्स अ)ज्झयणस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंवू । तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं चंदप्पभा देवी चंदप्पमंसि विमाणंसि चंदप्पभंसि सीहासणंसि सेसं जहा कालीए नवरं पुव्वभ(वे)वो महुराए नयरीए भंडि(चंद)वडेंसए उज्जाणे चंदप्पमे गाहावई चंदसिरी भारिया चंदप्पभा दारिया चंदस्स अग्गमहिसी ठिई अद्धपलिओवमं प-ना(साए)सवाससहस्सेहिं अब्भहियं, सेसं जहा कालीए । एवं सेसाओ वि महुराए नयरीए मायापियरो(वि) धूया सरिस-नामा । अट्ठमो वग्गो समत्तो ॥१५८ ॥ नवमस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंवू ! जाव अट्ठ अज्झयणा पन्नत्ता तंजहा-पउमा सिवा सई अंजू रोहिणी न(व)मिया [इ य।] अ(च)यला अच्छरा ॥ पढमज्झयणस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंवू । तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं पउमावई देवी सोहम्मे कप्पे पउमव.सए विमाणे सभाए सुहम्माए पउमंसि सीहासणंसि जहा कालीए एवं अट्ठ वि अज्झयणा कालीगमएणं नायव्वा नवरं सावत्थीए दो-जणीओ हत्यिणाउरे दो-जणीओ कंपिल्लपुरे दो-जणीओ Page #1177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समत्ती] सुत्तागमे ११२५ सा(गेयनयरे)एए दो-जणीओ पउमे पियरो विजया मायराओ सव्वाओ वि पासस्स अंति(ए)यं पव्वइयाओ सकस्स अग्गमहिसीओ ठिई सत्त पलिओवमाई महाविदेहे वासे अंतं काहिति । नवमो वग्गो समत्तो ॥ १५९ ॥ दसमस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंवू! जाव अट्ठ अज्झयणा पत्नत्ता तंजहा-कण्हा य कण्हराई रामा तह रामरक्खिया वसू-या । वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा चेव ईसाणे ॥ १॥ पढमज्झयणस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पजुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं कण्हा देवी ईसाणे कप्पे कण्हवडेंसए विमाणे सभाए सुहम्माए कण्हंसि सीहासणंसि सेसं जहा कालीए एवं अवि अज्झयणा कालीगमएणं ना(णे)यव्वा नवरं पुत्वभ-वो वाणारसीए नयरीए दो-जणीओ रायगिहे नयरे दो-जणीओ सावत्थी(ए)नयरीए दो-जणीओ कोसंवीए नयरीए दो-जणीओ रामे पिया धम्मा माया सव्वाओ वि पासस्स अरहओ अंतिए पव्वइयाओ पुप्फचूलाए अजाए सिस्सि(णी)णियत्ताए ईसाणस्स अग्गम हिसीओ ठिई नवपलिओवमाई महाविदेहे वासे सिज्झिहिंति बुज्झिहिंति मुच्चिहिंति सव्वदुक्खाणं अंतं काहिंति । एवं खलु जंवू । निक्खेव-गो दसमवग्गस्स । दसमो वग्गो समत्तो ॥ १६० ॥ एवं खलु जंवू ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं तित्थगरेणं सयंसंबुद्धणं पुरिसोत्तमेणं [पुरिससीहेणं] जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं अयम? पन्नत्ते । धम्मकहा सुयक्खंधो समत्तो। दसहिं वग्गेहिं नायाधम्मकहाओ समत्ताओ ॥ १६१ ॥ बीओ सुयक्खंधो समत्तो ॥ नायाधम्मकहाओ समत्ताओ॥ Page #1178 --------------------------------------------------------------------------  Page #1179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोऽत्थु णे समणस्स भगवओ णायपुत्तमहावीरस्स सुत्तागमे तत्थ णं उवासगदसाओ तेणं कालेणं तेणं समएणं चम्पा नाम नयरी होत्था । वण्णओ । पुण्णभद्दे उजाणे । वण्णओ ॥ १ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं अज्जसुहम्मे समोसरिए जाव जम्बू पजुवासमाणे एवं क्यासी-जइ णं भन्ते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव सम्पत्तेणं छट्ठस्स अगस्स नायाधम्मकहाणं अयमढे पण्णत्ते, सत्तमस्स गं भन्ते ! अंगस्स उवासगदसाणं समणेणं जाव सम्पत्तेणं के अढे पण्णत्ते ? एवं खलु जम्बू ! समणेणं जाव सम्पत्तेणं सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा-आणन्दे १, कामदेवे य २, गाहावइचुलणीपिया ३, सुरादेवे ४, चुल्सयए ५, गाहावइकुण्डकोलिए ६, सद्दालपुत्ते ७, महासयए ८, नन्दिणीपिया ९, सालिहीपिया १० ॥२॥ जइ णं भन्ते ! समणेणं जाव सम्पतेणं सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता पढमस्स णं भंते ! समणेणं जाव सम्पत्तेणं के अटे पण्णत्ते ? एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नामं नयरे होत्था । वण्णओ । तस्स [f] वाणियगामस्स नयरस्स वहिया उत्तरपुर(त्थि)च्छिमे दिसीभाए दूइपलासए नामं उज्जाणे [होत्था] । तत्थ णं वाणियगामे नयरे जियसत्तू राया (होत्था) । वण्णओ । तत्थ गं वाणियगामे आणन्दे नाम गाहावई परिवसइ, अड्ढे जाव अपरिभूए । तस्स गं आणन्दस्स गाहावइस्स चत्तारि हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ, चत्तारि हिरण्णकोडीओ वु(व)ड्डिपउत्ताओ, चत्तारि हिरण्णकोडीओ पवित्थरपउत्ताओ, चत्तारि क्या दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था । से णं आणन्दे गाहावई बहूणं राईसर जाव सत्य. वाहाणं वहूसु कज्जेसु य कारणेसु य मन्तेसु य कुडुम्बेसु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य निच्छएसु य ववहारेसु य आपुच्छणिजे (य) पडिपुच्छणिजे, सयस्सवि य गं कुडुम्बस्स मेढी पमाणं आहारे आलम्वणं चक्खू , मे(ढी)ढिभूए जाव सव्वकज. व(घा)डावए यावि होत्था । तस्स णं आणन्दस्स गाहावइस्स सि(वा)वनन्दा नाम भारिया होत्था, अहीण जाव सुरूवा आणन्दस्स गाहावइस्स इट्टा आणन्देगं गाहा Page #1180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२८ सुत्तागमे [उवासगदसाओ वइणा सद्धिं अणुरत्ता अविरत्ता इ(ट्ठा)ढे सद्द जाव पञ्चविहे माणुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणी विहरड् । तस्स णं वाणियगामस्स बहिया उत्तरपुर-च्छिमे दिसीभाए एत्य ण कोल्लाए नामं सन्निवेसे होत्या, रिद्धस्थिमिय जाव पासादीए (४) । तत्य णं कोल्लाए सन्निवेसे आणन्दस्स गाहावइस्स बहुए मित्तनाइनियगसयणसम्बन्धिपरिजणे परिवसइ, अड्ढे जाव अपरिभूए । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव समोसरिए । परिसा निग्गया, कूणिए राया जहा तहा जियसत्तू निग्गच्छइ (२ त्ता) जाव पन्जुवासइ । तए णं से आणन्दे गाहावई इमीसे कहाए लढे समाणे "एवं खलु समणे जाव विइरइ, तं महाफलं [जाव] गच्छामि णं जाव पजुवासामि' एवं सम्पेहेइ, सम्पहित्ता पहाए सुद्धप्पावेसाई जाव अप्पमहग्घाभरणालतियसरीरे सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सको(रे)रण्टमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं मणुस्सवरगुरापरिक्खित्ते पायविहारचारेणं वाणियगामं नयरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणामेव दू(द)इपलासे उन्नाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करेत्ता वन्दइ नमसइ जाव पजुवासइ । तए णं समणे भगवं महावीरे आणन्दस्स गाहावइस्स तीसे य महइमहालियाए परिसाए जाव धम्मकहा, परिसा पडिगया, राया य ग(ए)ओ ॥ ३ ॥ तए णं से आणन्दे गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए धम्मं सोचा निसम्म हट्टतु जाव एवं वयासी-'सदहामि णं भन्ते ! निग्गन्थं पावयणं, पत्तियामि णं भन्ते ! निग्गन्थं पावयणं, रोएमि गं भन्ते ! निग्गंथं पावयणं, एवमेयं भन्ते !, तहमेयं भंते !, अवितहमेयं भन्ते !, इच्छियमेयं भन्ते !, पडिच्छियमेयं भन्ते !, इच्छियपडिच्छियमेयं भन्ते !, से जहेयं तुम्भे वयह'त्तिकद्दु जहा णं देवाणुप्पियाणं अन्तिए वहवे राई. सरतलवरमाडम्बियकोडुम्बियसेहिसेणावइ] सत्यवाहप्पभि(इया)ईओ मुण्डे)डा भवित्ता अ-गाराओ अणगारियं पव्वइया नो खलु अहं तहा संचाएमि मुण्डे जाव पव्वइत्तए, अहं णं देवाणुप्पियाण अन्तिए पञ्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविह गिहिधम्म पडिवजिस्सामि । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंध करे(हि)ह ॥ ४ ॥ तए ण से आणन्दे गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए तप्पढमयाए थूलग पाणाइवायं पञ्चक्खाइ, 'जावजीवाए दुविहं तिविहेणं न करे(इ)मि न कारवे(इ)मि मणसा वयसा कायसा' १ । तयाणन्तरं च णं थूलगं मुसावायं पच्चक्खाइ, 'जावज्जीवाए दुविहं तिविहेणं न करेमि न कारवेमि मणसा वयसा कायसा' २ । तयाणन्तरं च णं थूलगं अ(दत्ता) दिण्णादाणं पञ्चक्खाइ, जावजीवाए दुविहं Page #1181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भ..] सुत्तागमे तिविहेणं न करेमि न कारवेमि मणसा वयसा कायसा' ३ । तयाणन्तरं च णं सदारसन्तो(सी)सिए परिमाणं करेइ, 'नन्नत्थ एकाए सिवनन्दाए भारियाए, अवसेसं सव्वं मेहुणविहिं पञ्चक्खा(इ)मि मणसा वयसा कायसा' ४ । तयाणन्तरं च णं इच्छाविहिपरिमाणं करेमाणे हिरण्णसुवण्णविहिपरिमाणं करेइ, 'ननत्य चउहिं हिरण्णकोडीहिं निहाणपउत्ताहि, चउहि चु-डिपउत्ताहिं, चउहिं पवित्थरपउत्ताहि, अवसेसं सव्वं हिरण्णसुवण्णविहिं पञ्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं चउप्पयविहिंपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्थ चरहिं वएहिं दसगोसाहस्सिएणं वएणं, अवसेसं सव्वं चउप्पयविहिं पच्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं खेत्तवत्युविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्थ पञ्चहिं हलसएहिं नियत्तणसइएणं हलेणं, अवसेसं सव्वं खेत्तवत्थुविहि पञ्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं सगडविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्थ पञ्चहिं सगडसएहिं दिसायत्तिएहिं, पञ्चहिं सगडसएहिं संवाहणिएहि, अवसेस सव्वं सगडविहिं पञ्चक्खामि ३' ।। तयाणन्तरं च णं वाहणविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्थ चउहि वाहणेहिं दिसायत्तिएहिं, चउहिं वाहणेहिं संवाहणिऐहि, अवसेसं सव्वं वाहणविहि पञ्चक्खामि ३' ५ । तयाणन्तरं च णं उवभोगपरिभोगविहिं पञ्चक्खाएमाणे उल्लणियाविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्थ एगाए गन्धकासाईए, अवसेसं सव्वं उल्लणियाविहिं पञ्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं दन्तवणविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्थ एगेणं अल्ललट्ठीमहुएणं, अवसेसं दन्तवणविहिं पन्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं फलविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्थ एगेणं खीरामलएणं, अवसेसं फलविहिं पञ्चक्खामि ३' ।' तयाणन्तरं च णं अब्भङ्गणविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य सयपागसहस्सपागेहिं तेल्लेहिं, अवसेसं अन्भङ्गणविहिं पच्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं उव्व(ण)णाविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य एगेणं सुरहिणा गन्धट्टएणं, अवसेसं उन्वट्ट-णाविहिं पच्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं मजणविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य अहिं उ(हि)हिएहिं उदगस्स घडएहिं, अवसेसं मजणविहि पञ्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं वत्थविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य एगेणं खोमजुयलेणं, अवसेसं वत्थविहिं पच्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं विलेवणविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्थ अ(ग)गुरुकुंकुमचन्दणमादिएहिं, अवसेसं विलेवणविहिं पच्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं पुप्फविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य एगेणं सुद्धपउमेणं मालइकुसुमदामेणं वा, अवसेसं पुप्फविहिं पञ्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं आभरणविहिंपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य मट्ठक[]णेजएहि नाममुद्दाए य, अवसेसं आभरण. विहि पचक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं धूवणविहिपरिमाणं करेइ, 'ननत्य अगस्तु. Page #1182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमै १६३० [उवासगदसाओ रुकधूवमादिएहिं, अवसेसं धूवणविहिं पञ्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं भोयणविहिपरिमाणं करेमाणे पेजविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य एगाए कट्टपेज्जाए, अवसेसं पेजविहिं पञ्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं भक्खविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य एगेहिं घयपुण्णेहिं खण्डखजएहिं वा, अवसेसं भक्खविहिं पञ्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं ओदणविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य कलमसालिओदणेणं, अवसेसं ओदणविहिं पञ्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं सूवविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य कलायसूवेण वा मुग्गमाससूवेण वा, अवसेसं सूवविहिं पञ्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं घयविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य सारइए(ण)णं गोघयमण्डेणं, अवसेसं घयविहिं पञ्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं सागविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य वत्युसाएण वा सुत्यियसाएण वा, अवसेसं सागविहिं पच्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं माहुरयविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य एगेणं पालनामाहुरएणं, अवसेसं माहुरयविहिं पचक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं जेमणविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य सेह(व)वदालियं(वे)वेहिं, अवसेसं जेमणविहिं पञ्चक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं पाणियविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य एगेणं अन्तलिक्खोदएणं, अवसेसं पाणियविहि पत्रक्खामि ३' । तयाणन्तरं च णं मुहवासविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्य पञ्चसोगन्धिएणं तम्बोलेणं अवसेसं मुहवासविहिं पचक्खामि ३५६ । तयाणन्तरं च णं चउन्विहं अणट्ठादण्डं पञ्चक्खाइ, तंजहा-अवज्झाणायरियं पमायायरियं हिंसप्पयाणं पावकम्मोवएसे ३, ७ ॥ ५॥ इह खलु 'आणन्दा (इ)ई समणे भगवं महावीरे आणन्दं समणोवासगं एवं वयासी-"एवं खलु आणन्दा ! समणोवासएणं अभिगयजीवाजीवेणं जाव अणइक्कमणिनेणं सम्मत्तस्स पञ्च अइयारा पेयाला जाणियन्वा न समा. यरियव्वा, तंजहा-संका, कला, विइगिच्छा, परपासण्डपसंसा, परपासण्डसंथ(वो)वे । तयाणन्तरं च णं थूलगस्स पाणाइवायवेरमणस्स समणोवासएणं पञ्च अइन् यारा पेयाला जाणियव्वा न समायरियव्वा, तंजहा-वन्धे, वहे, छविच्छेए, अइभारे, भत्तपाणवोच्छेए १ । तयाणन्तरं च णं थूलगस्स मुसावायवेरमणस्स पञ्च अइयारा आणियव्वा न समायरियन्वा, तंजहा-सहसा[भक्खाणे, रहसाबमक्खाणे, सदारमन्तमेए, मोसोवएसे, कूडलेहकरणे २ । तयाणन्तरं च णं थूलगस्स अदिण्णादाणवेरमणस्स पञ्च अइयारा जाणियव्वा न समायरियचा, तंजहा-तेणाहडे, तकरप्पओगे, विरुद्धरज्जाइकमे, कूलतु(लोलकूडमाणे, तप्पडिरूवगववहारे ३ । तयापन्तरं च णं सदारसन्तो-सिए पञ्च अइयारा जाणियन्वा न समायरियचा, तंजहाइत्तरियपरिरगहियागमणे, अपरिगहियागमणे, अणग(किट्टा)कीडा, परविवाहकरणे, Page #1183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ११३३ कामभोगतिब्वाभिलासे ४ । तयाणन्तरं च णं इच्छापरिमाणस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियवा न समायरियव्वा, तंजहा-खेत्तवत्थुपमाणाइक्कमे, हिरणसुवण्णपमाणाइक्कमे, दुपयचउप्पयपमाणाइक्कमे, धणधन्नपमाणाइकमे, कुवियपमाणाइक्कमे ५। तयाणन्तरं च णं दिसि(क)वयस्स पञ्च अइयारा जाणियन्वा न समायरियव्वा, तंजहा-उनुदिसिपमाणाइक्कमे, अहोदिसिपमाणाइक्कमे, तिरियदिसिपमाणाइकमे, खेत्तवुड्डी, सइअन्तरद्धा ६ । तयाणन्तरं च णं उवभोगपरिभोगे दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-भोयणओ य कम्मओ य । तत्थ णं भोयणओ [य] समणोवासंएणं पञ्च अइयारा जाणियन्वा न समायरियव्वा, तंजहासचित्ताहारे, सचित्तपडिवद्धाहारे, अप्पउलिओसहिभक्खणया, दुप्पउलिओसहिभक्खणया, तुच्छोसहिभक्खणया । कम्मओ णं समणोवासएणं पण्णरस कम्मादाणाइं जाणियव्वाई न समायरियव्वाई, तंजहा-इशालकम्मे, वणकम्मे, साडीकम्मे, भाडीकम्मे, फोडीकम्मे, दन्तवाणिजे, लक(खा)खवाणिजे, रसवाणिजे, विसवाणिज्जे, केसवाणिज्जे, जन्तपीलणकम्मे, निलंछणकम्मे, दवग्गिदावणया, सरदहतलावसोसणया, असईजणपोसणया ७ । तयाणन्तरं च णं अणहादण्डवेरमणस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा , जाणियव्वा न समायरियव्वा, तंजहाकन्दप्पे, कुक्कुइ]ए, मोहरिए, संजुत्ताहिगरणे, उवभोगपरिभोगाइरित्ते ८ । तयाणन्तरं च णं सामाइयस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा, · तंजहा-मणदुप्पणिहाणे, वयदुप्पणिहाणे, कायदुप्पणिहाणे, सामाइयस्स सईअकरणया, सामाइयस्स अणवट्ठियस्स करणया ९ । तयाणन्तरं च णं देसावगासियस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा, तंजहा-आणवणप्पओगे, पेसवणप्पओगे, सद्दाणुवाए, रूवाणुवाए, बहिया पोग्गल. पक्खेवे १० । तयाणन्तरं च णं पोसहोववासस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियन्वा न समायरियन्वा, तंजहा-अप्पडिलेहियदुप्पडिलेहियसिज्जासंथारे, अप्पमज्जियदुप्पमज्जियसिज्जासंथारे, अप्पडिलेहियदुप्पडिलेहियउच्चारपासवणभूमी, अप्पमजियदुप्पमज्जियउच्चारपासवणभूमी, पोसहोववासस्स सम्म अणणुपालणया ११ । तयाणन्तरं च णं अहासंविभागस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियन्वा न समायरियव्वा, तंजहा-सचित्तनिक्खेवणया, सचित्त(पे)पिहणया, कालाइक्कमे, प(रो)रववदेसे, मच्छरिया १२। तयाणन्तरं च णं अपच्छिममारणन्तियसंलेहणाझ्सणाराहणाए पंच अइयारा- जाणियव्वा न समायरियव्वा, तंजहा-इहलोगासंसप्पओगे, परलोगासंसप्पओगे, जीवियासंसप्पओगे, मरणासंसप्पओगे, कामभोगा Page #1184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [उवासंगदसामो संसप्पओगे १३ ॥ ६॥ तए णं से आणन्दे गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए पञ्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं सावयधम्म पडिवजइ, पडिवजित्ता समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी'नो खलु मे भन्ते ! कप्पइ अजप्पभिई अन्नउत्थिए वा अन्नउत्थियदेवयाणि वा वन्दित्तए वा नमंसित्तए वा, पुब्बि अणालत्तेणं आलवित्तए वा संलवित्तए वा, तेसिं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा दाउं वा अणुप्पदाउं वा, नन्नत्य रायाभिओगेणं गणाभिओगेणं वलाभिओगेणं देवयाभिओगेणं गु(रू)रुनिग्गहेणं वित्तिकन्तारेणं । कप्पइ मे समणे निग्गन्थे फासुएणं एसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थपडिग्गहकम्बलपायपुंछणेणं पीढफल(ग)यसिज्जासंथारएणं ओसहभेसज्जेण य पडिलामेमाणस्स विहरित्तए'त्तिकट्स इमं एयारुवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ, अभिगिहित्ता पसिणाई पुच्छइ, पुच्छित्ता अट्ठाई आदियइ, आदिइत्ता समणं भगवं महावीर तिक्खुत्तो वन्दइ, वंदित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियाओ दूइपलासाओ उज्जाणाओ पडिणिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव वाणियगामे नयरे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सिवनन्दं भारिय एवं वयासी-‘एवं खलु देवाणुप्पिए । मए समणस्स भगवओ महावीरस्स, अन्तिए धम्मे निसन्ते, सेऽवि य धम्मे मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए, तं गच्छ गं तुमं देवाणुप्पिए ! समणं भगवं महावीरं वन्दाहि जाव पजुवासाहि, समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए पञ्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवजाहि' ॥ ७ ॥ तए णं सा सिवनन्दा भारिया आणन्देणं समणोवासएणं एवं वुत्ता समाणा हतुट्टा कोडम्बियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-'खिप्पामेव लहुकरण जाव पजुवासइ । तए णं समणे भगवं महावीरे सिवनन्दाए तीसे य महइ जाव धम्मं कहेइ । तए णं सा सिवनन्दा समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए धम्मं सोचा निसम्म हट्ट जाव गिहिंधम्म पडिवजइ २ त्ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरूहइ, दुरूहित्ता जामेव दि(सं)सिं पाउन्भूया तामेव दि-सिं पडिगया ॥ ८ ॥ 'भन्ते'त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी-'पह णं भन्ते ! आणन्दे समणोवासए देवाणुप्पियाणं अन्तिए मुण्डे जाव पव्वइत्तए ?' नो इणढे समढे, गोयमा ! आणन्दे णं समणोवासए वहुई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणिहिइ, पाउणित्ता जाव सोहम्मे कप्पे अरुणे विमाणे देवत्ताए उववजिहिइ । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता । तत्थ णं आणन्दस्स[s]वि समणोवासगस्स चत्तारि पलिओवमाइं ठिई Page #1185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ : सुत्तागमे ११३३ पण्णत्ता। तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ बहिया जाव विहरइ । तए णं से आणन्दे समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलाभेमाणे विहरइ । तए णं सा सिवनन्दा भारिया समणोवासिया जाया जाव पडिलामेमाणी विहरइ ॥ ९ ॥ तएणं तस्स आणन्दस्स, समणोवासगस्स उच्चावएहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहि अप्पाणं भावमाणस्स चउ(चो)इस संवच्छराई वइकन्ताई, पण्णरसमस्स संवच्छरस्स अन्तरा वट्टमाणस्स अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चिन्तिए पत्थिए मणोगए सङ्कप्पे समुप्पज्जित्था-"एवं खलु अहं वाणियगामे नयरे वहणं राईसर जाव सयस्सवि य णं कुडुम्वस्स जाव आधारे, तं एएणं वि(व)क्खेवेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्ति उवसम्पजित्ताणं विहरित्तए, तं सेयं खलु.ममं कल्लं जाव जलन्ते ,विउलं असणं० जहा पूरणो जाव जेहपुत्तं कुडुम्बे ठवेत्ता तं मित्त जाव जेट्टपुत्तं च आपुच्छित्ता कोलाए सन्निवेसे नायकुलंसि पोसहसालं पडिलेहित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पजित्ता णं विहरित्तए' एवं सम्पेहेइ, संपेहित्ता कलं. विउलं[.] तहेव जिमियभुत्तुत्तरागए तं मित्त जाव विउलेणं पुप्फ[0] ५ सकारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता संमाणित्ता तस्सेव मित्त जाव, पुरओ जेट्टपुत्तं सहावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-‘एवं खलु पुत्ता ! अहं वाणियगामे बहूणं राईसर[.] जहा चिन्तियं जाव विहरित्तए, तं सेयं खलु मम इदाणिं तुमं सयस्स कुडुम्बस्स आलम्वणं ४ ठवेत्ता जाव विहरित्तए' । तए ण जेट्टपुत्ते आणन्दस्स समणोवास(ग)यस्स तहत्ति एयमढे विणएणं पडिसुणेइ । तए णं से आणन्दे समणोवासए तस्सेव मित्त जाव पुरओ जेट्टपुत्तं कुडुम्बे ठवेइ, ठवेत्ता एवं , वयासी-'मा णं देवाणुप्पिया | तुम्मे अज्जप्पभिई केइ मम वहूसु कज्जेसु जाव आपुच्छउ वा पडिपुच्छउ वा, ममं अट्ठाए असणं वा ४ उवक्खडेउ [वा] उवकरेउ वा । तए णं से आणन्दे समणोवासए जेट्टपुत्तं मित्तनाइं आपुच्छइ, आपुच्छित्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता वाणियगामं नयरं मझमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव कोल्लाए. सन्निवेसे जेणेव नायकुले जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसालं पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता दम्भसंथारयं संथरइ, दम्भसंथारयं दु-रूहइ, दुरुहिता पोसहसालाए पोसहिए दब्भसंधारोवगए समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपत्तिं उवसम्पजित्ता णं विहरइ ॥ १० ॥ तए णं से आणन्दे समणोवासए उवासगपडि. Page #1186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [उवासगदसामो माओ उवसम्पजित्ता णं विहरइ । पढम उवासगपडिस अहानुत्तं महाकप्पं अहा. मरगं अहातचं सम्मं काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ आराहेइ । तए ण से आगन्दे समणोवासए दोचं उवासगपडिम, एवं तचं चउत्यं पञ्चमं छ? सत्तमं अट्ठमं नवमं दसम एक्कारसमं जाव आराहेइ ॥ ११ ॥ तए ण से आणन्दे समणोवासए इमेणं एयारवेणं उरालेणं विडलेणं पयत्तेणं पगहिएणं तवोकम्मेणं सुके जाव किसे धमणिसन्तए जाए । तए णं तस्स आणन्दस्त समणोवासगस्स अन्नया कयाइ पुव्वरत्ता जाव धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयं अज्झथिए ५एवं खलु अहं इमेणं जाव धमणिसन्तए जाए, तं अत्यि ता मे उहाणे कम्मे वले वीरिए पुरिसकारपरक्कमे सद्धाधिइसंवेगे, तं जाव ता मे अस्थि उटाणे सदाधिइ. संवेगे जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरइ ताव ता मे सेयं कलं जाव जलन्ते अपच्छिममारणन्तियसंलेहणाझूसणाझुसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स कालं अणवकसमाणस्स विहरित्तए' एवं सम्पेहेइ, संपेहित्ता कलं पाउ जाव अपच्छिममारणन्तिय जाव कालं अणवकपमाणे विहरड् । तए णं तस्स आणन्दस्स समणोवासगस्स अन्नया कयाइ सुमेणं अज्झवसाणेणं सुभेणं परिणामेणं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं तदावरणिजाणं कम्माणं खओवसमेणं ओहिनाणे समुप्पन्ने । पुरत्यिमेणं लवणसमुद्दे पञ्चजोयणस(याई)इयं खेत्तं जाणइ पासइ, एवं दक्खिगेणं पञ्चत्थिमेण य, उत्तरेणं जाव चुलहिमवन्तं वासघरपव्वयं जाणइ पासइ, उद्धं जाव सोहम्मं कप्पं जाणइ पासइ, अहे जाव इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयञ्चुयं नरयं चउरासीइवाससहस्सट्ठियं जागइ पासइ ॥ १२ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरिए, परिसा निग्गया जाव पडिगया । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अन्तेवासी इन्दभूई नाम अणगारे गोयमगोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए वजरिसहनारायसच्यणे कणगपुलगनिघसपम्हगोरे उगतवे दित्ततवे तत्ततवे चोरतवे महातवे उराले घोरगुणे घोरतवस्सी घोरवम्भचेरवासी उच्छृढसरीरे संखित्तविउलतेउलेसे छटुंछठेणं अणिक्खित्तेण तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं से भगवं गोयमे छडक्खमणपारणगंति पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ, विइयाए पोरिसीए झाणं मियाइ, तइयाए पोरिसीए अतुरियं अचवलं असम्भन्ते मुहपत्तिं पडिलेहेइ, २ त्ता भायणवत्याइं पडिलेहेइ, २ त्ता भायणवत्थाई पमबा, २ त्ता भायणाइं उगाहेइ, उग्गाहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव त्यागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता Page #1187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भ० १] सुत्तागमे ११३५ एवं वयासी- 'इच्छामि णं भन्ते । तुमेहिं अन्भणुण्णाए छट्ठक्खमण (स्स) पारणगंसि वाणियगामे नयरे उच्चनीयमज्झिमाई कुलाई घरसमु (दा) दाणस्स भिक्खायरियाए अत्तिए' । अहासु देवाणुप्पिया ! मा पडिबन्धं करेह । तए णं भगवं गोयमे सम भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियाओ दूइपलासाओ उज्जाणाओ पडिणिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता अतुरियमचवलमसम्भन्ते जुगन्तरपरिलोयणाए दिट्ठीए पुरओ ई (इ)रियं सोहेमाणे जेणेव वाणियगामे नयरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वाणियगामे नयरे उच्चनीयमज्झिमाईं कुलाई घरसमु दाणस्स भिक्खायरियाए अडइ । तए गं से भगवं गोयमे वाणियगामे नयरे जहा पण्णत्तीए तहा जाव भिक्खायरियाए अडमाणे अहापज्जत्तं भत्तपाणं सम्मं पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहित्ता वाणियगामाओ पडिणिग्गच्छइ पडिणिग्गच्छित्ता कोल्लायस्स सन्निवेसस्स अदूरसामन्तेणं व (बी) ईवयमाणे बहुजणसद्दं निसामेइ । बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ ४ - ' एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तेवासी आणन्दे नामं समणोवासए पोसहसालाए अपच्छिम जाव अणवकंखमाणे विहरइ' । तए णं तस्स गोयमस्स बहुजणस्स अन्तिए ए (यं ) यमहं सोचा निसम्म अयमेयारुवे अज्झथिए ४- तं गच्छामि णं आणन्दं समणोवासयं पासामि एवं सम्पेहेइ, संपेहित्ता जेणेव कोलाए सन्निवेसे जेणेव आणन्दे समणोवासए जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ । तए णं से आणन्दे समणोवासए भगवं गोयमं एजमाणं पासइ, पासित्ता हट्ट [तु] जाव हियए भ ( ग ) यवं गोयमं वन्दइ नमसइ, वंदित्ता नर्मसित्ता एवं वयासी - ' एवं खलु भन्ते ! अहं इमेणं उरालेणं जाव धमणिसन्तए जाए, (नो) न संचाएमि देवाणुप्पियस्स अन्तियं पाउब्भवित्ता णं तिक्खुत्तो मुद्धाणेणं पाए अभिवन्दित्तए, तुणं भन्ते | इच्छाकारेणं अणभिओएणं इओ चेव एह, जाणं देवाणुप्पियाणं तिक्खुत्तो मुद्धाणेणं पाएसु वन्दामि नम॑सामि' । तए णं से भगवं गोयमे जेणेव आणन्दे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ ॥ १३ ॥ तए णं से आपन्दे समणोवासए भगवओ गोयमस्स तिक्खुत्तो मुद्धाणेणं पाएसु वन्दइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- 'अत्थि णं भन्ते! गिहिणो गि (हि) हमज्यावसन्तस्स ओहिनाणे (i) समुप्पज्जइ ?' हन्ता अत्थि । जइ णं भन्ते । गिहिणो जाव समुप्पज्जइ, एवं खलु भन्ते ! ममवि गिहिणो गिहिमज्झावसन्तस्स ओहिनाणे समुप्पन्न - पुरत्थिमेणं लवणसमुद्दे पञ्च जोयणसयाई जाव लोलुयचुयं नरयं जाणामि पासामि । तए णं से भगवं गोयमे आणन्दं समणोवासयं एवं वयासी - 'अत्थि णं आणन्दा ! गिहिणो जाव समुप्पजइ, नो चेव णं एमहालए, तं गं तुमं आणन्दा ! एयस्स ठाणस्स Page #1188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૧૨૬ सुत्तागमे [ वासगदमाओ आलोएहि जाव तवोकम्मं पडिवजाहि' । तए णं से आणन्दे समणोवासए भगवं गोयमं एवं वयासी - 'अस्थि गं भन्ते । जिगवयणे सन्ताणं तचाणं तहियाणं सम्भूयाणं भावाणं आलोइजइ जाव पडिवजिजइ ?' नो इट्टे समट्ठे । 'जइ णं भन्ते ! जिणवयणे सन्ताणं जाव भावानं नो आलोइजइ जात्र तवोक्रम्मं नो पडिवजिजइ तं णं भन्ते । तुब्भे चैव एयरस ठाणस्व आलोपह जाव पडिवजह' । तए णं से भगवं गोयमे आणन्देणं समगोवास एणं एवं वृत्ते समाणे संकिए कंखिए विइगिच्छासमावन्ने आणन्दस्स अन्तियाओ पडिणिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव दृइपलासे उजाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छ, उवागच्छित्ता समणस्तु भगवओ महावीरस्स अदूरसामन्ते गमणागमणाए पडिक्कम, पडिक्कमित्ता एसणमणेसणं आलोएड, आलोएत्ता भत्तपाणं पडिसेड, पडिदंसित्ता समण भगवं महावीरं वन्दइ नमस वंदित्ता नर्मसित्ता एवं व्यासी- ' एवं खलु भन्ते ! यहं तुमेहिं अव्भणुण्णाए तं चेव सव्वं कइ जाव तए णं अहं संकिए ३ आणन्दस्स समणोवासगस्स अन्तियाओ पडिणिक्खमामि, पडिनिक्खमित्ता जेणेव इहं तेणेव हव्वमागए, तं णं भन्ते ! किं आणन्देणं समणोवासएणं तस्स ठाणस्स आलोएयव्वं जाव पडिवजेयत्वं उदाहु मए ?' 'गोयमा' इ समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी'गोयमा ! तुमं चेव णं तस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवजाहि, आनन्दं च समणोवासयं एयमहं खामेहि' । तए णं से भगवं गोयमे समणस्स भगवओ महावीरस्स 'तह'त्ति एयमहं विणएणं पडिसुणेड़, पडिमुणेत्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ जाव पडिवजह, आणन्दं च समणोवासयं एयमहं खामेइ । तए சு समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ वहिया जणवयविहारं विहरइ ॥ १४ ॥ तए णं से आगन्दे समणोवासए वहूहिं सीलव्वएहिं जाव अप्पाणं भावेत्ता वीसं वासाई समणोवास गपरियागं पाउणित्ता एक्कारस य उवासगपडिमाओ सम्म काएणं फासित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झु सित्ता सट्टि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडिकन्ते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे सोहम्मवर्डिसगस्स महाविमाणस्स उत्तरपुर-च्छिमेणं अरुणे विमाणे देवत्ताए उबवने । तत्य णं अत्येगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओ माई ठिई पण्णत्ता, तत्थ णं आणन्दस्सवि देवरस चत्तारि पलिओ माई ठिई पण्णत्ता | आणन्दे णं भन्ते ! देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं ३ अणन्तरं चयं चइता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्जिहि ॥ १५ ॥ निक्खेवो ॥ सत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसाणं पढमं अज्झयणं समत्तं ॥ 7 Page #1189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म०२] सुत्तागमे ११३७ जइ णं भन्ते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अगस्स उवासगदसाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, दोच्चस्स णं भन्ते ! अज्झयणस्स के अढे पण्णत्ते? एवं खलु जम्बू! तेणं कालेणं तेणं समएणं चम्पा नामं नयरी होत्था । पुण्णभद्दे उजाणे । जियस(तु)त्तू राया। कामदेवे गाहाव(इ)ई । भद्दा भारिया। छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ, छ(हि०)वु-ड्डिपउत्ताओ, छपवित्थरपउत्ताओ । छ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं । (तेणं का० तेणं स० भगवं म०) समोस(ढ)रणं । जहा आणन्दो तहा निग्गओ, तहेव सावयधम्म पडिवजइ । सा चेव वत्तव्वया जाव जेट्टपुत्तं मित्तनाइं (आपुच्छड) आपुच्छित्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता जहा आणन्दो जाव समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसंपजित्ता-णं विहरइ ॥ १६ ॥ तए णं तस्स कामदेवस्स समणोवासगस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे मायी मिच्छहिट्ठी अन्तियं पाउन्भूए । तए णं से देवे एगं महं पिसायरूवं विउव्वइ । तस्स णं देवस्स पिसायरूवस्स इमे एयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते-सीसं से गोकिलजसंठाणसंठियं, सालिभसेल्लसरिसा से केसा कविलतेएणं दिप्पमाणा, महल्लाउट्टियाकभल्लसंठाणसंठियं निडालं, मुगुंसपुंछ व तस्स भुमगाओ फुग्गफुग्गाओ विगय(वी)वीभ(त्थ)च्छदसणाओ, सीसघडि विणिग्गयाइं अच्छीणि विगय-बीभच्छदसणाई, कण्णा जह सुप्पकत्तरं चेव विगयवीभच्छदंस णिज्जा, उरब्भपुडसन्निभा से नासा, झुसिरा जमलचुल्लीसंठाणसंठिया दो[s] वि तस्स नासापुडया, घोडयपुंछ व तस्स मंसूई कविलकविलाई विगयवीभच्छदसणाई, उट्ठा उ(8)स्स चेव लम्बा, फालसरिसा से दन्ता, जिव्भा ज(ह)हा सुप्पकत्तरं चेव विगयबीभच्छदंसणिज्जा, हलकु(डा)हालसंठिया से हणुया, गल्लकडिल्लं च तस्स खड्डे फुटुं कविलं फरसं महल्लं, मुइङ्गाकारोवमे से खन्धे, पुरवरकवाडोवमे से वच्छे, कोट्ठियासंठाणसंठिया दो-वि तस्स वाहा, निसापाहाणसंठाणसंठिया दो-वि तस्स अग्गहत्था, निसालोडसंठाणसंठियाओ हत्थेसु अगुलीओ, सिप्पिपुडग(संठाण)संठिया से नक्खा, (ह)हावियपसेवओ व्व उरंसि लम्वन्ति दो-s-वि तस्स थणया, पोटं अयकोढओ व्व वढे, पाणकलन्दसरिसा से नाही, सिक्कगसंठाणसंठि (या)ए से नेत्ते, किण्णपुड(संडवसण)संठाणसंठिया दो-इ-वि तस्स वसणा, जमलकोठ्ठियासंठाणसंठिया दोऽ-वि तस्स ऊरू, अज्जुणगुढं व तस्स जाणूई कुडिलकुडिलाई विगयवीभच्छदसणाई, जंघाओ क(रक)क्खडीओ लोमेहिं उवचियाओ, अहरीसंठाणसंठिया दो-s-वि तस्स पाया, अहरीलोडसंठाणसंठियाओ पाएसु अंगुलीओ, सिप्पिपुड(सं०)संठिया से नक्खा, लडहमडहजाणुए विगयभग्गभुग्ग ७२ सुत्ता. Page #1190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [उवासंगदसाओ (भमुहे)भुमए अवदालियवयणविव(रे)रनिल्लालियग्गजीहे सरडकयमालियाए उन्दुरमालापरिणद्धसुकयचिंधे नउलकयकण्णपूरे सप्पकयवेगच्छे अफोडन्ते अभिगजन्ते भीममुक्कट्टहासे नाणाविहपञ्चवण्णेहिं लोमेहिं उवचिए एगं महं नीलुप्पलगवलगुलियअयसिकुसुमप्पगासं असिं खुरधारं गहाय जेणेव पोसहसाला जेणेव कामदेवे समणो. वासए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता आस(सोरत्ते स्टे कुविए चण्डिक्किए मिसिमिसीयमाणे कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो कामदेवा! समणोवासया! अप्पत्थियपत्थिया दुरन्तपन्तलक्खणा हीणपुण्णचाउद्दसिया हिरिसिरिधिइकित्तिपरिवज्जिया धम्मकामया पुण्णकामया सग्गकामया मोक्खकामया धम्मकंखिया पुण्णकंखिया सग्गकंखिया मोक्खकंखिया धम्मपिवासिया पुण्णपिवासिया सग्गपिवासिया मोक्खपिवासिया नो खलु कप्पइ तव देवाणुप्पिया! जं सीलाई वयाई वेरमणाई पच्चक्खाणाई पोसहोववासाई चालित्तए वा खोभित्तए वा खण्डित्तए वा भञ्जित्तए वा उज्झित्तए वा परि(हि)चइत्तए वा, तं जइ णं तुमं अज सीलाई जाव पोसहोववासाई न छ(ड) ड्डेसि न भजेसि तो ते अहं अज इमेणं नीलुप्पल[.] जाव असिणा खण्डाखण्डि करेमि, ज-हा णं तुमं देवाणुप्पिया! अदुहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविजसि'। तए णं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं पिसायलवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए अतत्थे अणुबिग्गे अक्खुभिए अचलिए असम्भन्ते तुसिणीए धम्मज्झाणोवगए विहरइ ॥ १७ ॥ तए णं से देवे पिसायरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव धम्मज्झाणोवगयं विहरमाणं पासइ, पासित्ता दोचं-पि तच्चं-पि कामदेवं (समणोवासयं) एवं वयासी-हं भो कामदेवा! समणोवासया! अपत्थियपत्थि० जइ णं तुमं अज जाव ववरोविनसि' । तए णं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं दोच्च-पि तच्च-पि एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव धम्मज्झाणोवगए विहरइ । तए णं से देवे पिसायरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ, पासित्ता आसु-रत्ते (५) तिवलियं भिउडि निडाले साहटुकामदेवं समणोवासयं नीलुप्पल-जाव असिणा खण्डाखण्डि करेइ । तए णं से कामदेवे समणोवासए उज्जलं जाव दुरहियासं चेयणं सम्म सहइ जाव अहियासेइ ॥ १८ ॥ तए णं से देवे पिसायरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ, पासित्ता जाहे नो संचाएइ कामदेवं समणोवासयं निग्गन्थाओ पावयणाओ चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा ताहे सन्ते तन्ते परितन्ते सणियं सणियं पच्चोसकइ, पच्चोसक्लित्ता पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता दिव्वं पिसायरूवं विप्पजहइ, विप्पजहित्ता एग महं दिव्वं हत्थिरुवं विउव्वइ, सत्तगपइट्ठियं सम्म संठियं सुजायं पुरओ उदग्गं पिट्ठओ वाराहं अया Page #1191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म०२] . सुत्तागमे कुच्चि अलम्बकुच्छि पलम्बलम्बोदराधरकर अभुग्गयमउलमल्लियाविमलधवलदन्तं कन्त्रणकोसीपविठ्ठदन्तं आणामियचावललियसंविल्लियग्गसोण्डं कु(म्मिव)म्मपडिपुण्णचलणं वीसइनक्खं अल्लीणपमाणजुत्तपुच्छं मत्तं मेहमिव गुलगुलेन्तं मणपवणजइणवेगं दिव्यं हत्यिस्वं विउव्वइ, विउव्वित्ता जेणेव पोसहसाला जेणेव कामदेवे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी-'हं भो कामदेवा! समणोवासया! तहेव भणइ जाव न भजेसि, तो ते अज -अहं सोण्डाए गिण्हामि, गिहित्ता पोसहसालाओ नीणेमि, नीणित्ता उढे वेहासं उव्विहामि, उविहिता तिक्तेहिं दन्तमुसलेहिं पडिच्छामि, पडिच्छित्ता अहे धरणितलंसि तिक्युत्तो पाएनु लोलेमि, जहा णं तुम अदुहवसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविनसि' । तए णं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं हत्थिरूवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ। तए णं से देवे हत्थिलवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ, पासित्ता दोच्चं-पि तच्चं-पि कामदेवं समणोवासयं एवं क्यासी-हं भो कामदेवा! तहेव जाव सो-s-वि विहरइ । तए णं से देवे हत्थिरुवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ, पासित्ता आसु(र)रुत्ते ४ कामदेवं समणोवासयं सोण्डाए गिण(ह)हेइ, गिहित्ता उद्धं वेहासं उव्विहइ, उन्विहिता तिक्खेहि दन्तमुसलेहिं पडिच्छइ, पडिच्छित्ता अहे धरणितलंसि तिक्खुत्तो पाए(पढे)नु लोलेइ । तए णं से कामदेवे समणोवासए तं उनलं जाव अहियासेइ ॥१९॥ तए णं से देवे हत्यिलवे कामदेवं समणोवासयं जाहे नो संचाएइ जाव सणियं सणियं पच्चोसकइ, पच्चोसकित्ता पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता दिव्वं हत्थित्वं विप्पजहइ, विप्पजहित्ता एग महं दिव्वं सप्परूवं विउव्वइ, (तं) उग्गविसं चण्डविसं घोरविसं (दिहिविसं) महाकायं म(सि)सीमूसाकालगं नयणविसरोसपुण्णं अंजणपुंजनिगरप्पगासं रत्तच्छं लोहियलोयणं जमलजुयलचञ्चलजीहं धरणीयलवे(णी)णिभूयं उक्कडफुडकुडिलजडिलककस वियड(फु)फडाडोवकरणदच्छं लोहागरधम्ममाणधमधमेन्तघोसं अणागलियतिव्वचण्डरोसं सप्पसवं वि(वे)उन्(वे)वइ, २ त्ता जेणेव पोसहसाला जेणेव कामदेवे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो कामदेवा ! समणोवासया ! जाव न भ(ज)खेति तो ते अ(ज)जेव अहं सरसरस्स कायं दु(रू)रुहामि, २ त्ता पच्छिमेणं भाएणं तिक्खुत्तो गीवं वेढेमि, वेढेत्ता तिक्खाहिं विसपरिगयाहि दाढाहिं उरंसि चेव निकुट्टेमि, ज-हाणं तुम अदृदुहवसहे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि' । तए णं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं सप्परवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ, सो-s-वि Page #1192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४० सुत्तागमे [उवासगदसामो दोच्चं-पि तचं-पि भणइ, कामदेवो-5-वि जाव विहरइ । तए णं से देवेसप्पत्वे कामदेव समणोवासयं अभीयं जाव पासइ, पासित्ता आसु-रुत्ते ४ कामदेवस्स समणोवास(ग)यस्स सरसरस्स कायं दुरुहइ, दुरुहित्ता पच्छिमभाएणं तिक्खुत्तो गीवं वेढे(ई)इ, वेढेत्ता तिक्खाहिं विसपरिगयाहिं दाढाहिं उरंसि चेव निकुठेइ । तए णं से कामदेवे समणोवासए तं उज्जलं जाव अहियासेइ ॥ २० ॥ तए णं से देवे सप्पलवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ, पासित्ता जाहे नो संचाएइ कामदेवं समणोवासय निग्गन्थाओ पावयणाओ चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा ताहे सन्ते ३ सणियं सणियं पञ्चोसक्कइ, पञ्चोसकित्ता पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता दिव्वं सप्परूवं विप्पजहइ, विप्पजहित्ता एगं महं दिव्वं देवरुवं वि-उव्वइ, हारविराइयवच्छं जाव दस-दिसाओ उज्जोवेमाणं पभासेमाणं पासाईयं दरिसणिज्नं अभिरुवं पडिस्वं दिव्वं देवस्वं विउव्वइ, विउवित्ता कामदेवस्स समणोवासयस्स पोसहसालं अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता अन्तलिक्खपडिवन्ने सखिखिणियाई पञ्चवण्णाई वत्थाई पवरपरिहिए कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो कामदेवा! समणोवासया ! धन्ने सिणं तुमं देवाणुप्पिया ! स(म)पुण्णे कयत्ये कयलक्खणे, सुलद्धे णं तव देवाणुप्पिया ! माणुस्सए जम्मजीवियफले, जस्स णं तव निग्गन्थे पावणे इमेयारूवा पडिवत्ती लद्दा पत्ता अभिसमन्नागया। एवं खलु देवाणुप्पिया ! सक्के देविन्दे देवराया जाव सक्नंति सीहासणंसि चउरासीईए सामाणियसाहस्तीणं जाव अन्नेसिं च वहूणं देवाण य देवीण य मज्जगए एवमाइक्खइ ४-एवं खलु देवा(०) ! जम्बुद्दीवे दीवे भारहे वासे चम्पाए नयरीए कामदेवे समणोवासए पोसहसालाए पोसहि(ए)यवम्भ(चेरवासी)चारी जाव दव्भसं(थ)थारोवगए समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्ति(ए)यं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पजित्ता-णं विहरइ, नो खलु से स(का)को केणइ देवेण वा दाणवेण वा जाव गन्धव्वेण वा निग्गन्थाओ पावयणाओ चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा । तए णं अहं सकस्स देविन्दस्स देवरण्णो एयमढे असद्दहमाणे ३ इहं हव्वमागए, तं अहो णं देवाणुप्पिया ! इड्ढी ६ लद्धा ३, तं दिवा णं देवाणुप्पिया! इड्डी जाव अभिसमन्नागया, तं खाममि णं देवाणुप्पिया ! खमन्तु मज्न देवाणुप्पिया ! खन्तुम(सोरहन्ति णं देवाणुप्पिया ! नाइं भुजो करणयाए'त्ति-कट्ठ पायवडिए पञ्जलिउडे एयमढ भुजो भुजो खामेइ, खामेत्ता जामेव दि(सिं)सं पाउन्भूए तामेव दिसं पडिगए। तए णं से कामदेवे समणोवासए निरुवसग्गं (इइ) तिकट्ठ पडिमं पारेइ ॥ २१ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव विहरइ । तए णं से कामदेवे समणो Page #1193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म० २] सुत्तागमे ११४१ बासए इमीसे कहाए लढे समाणे “एवं खलु समणे भगवं महावीरे जाव विहरइ, तं सेयं खलु मम समणं भगवं महावीरं वन्दित्ता नमंसित्ता तओ पडिणियत्तस्स पोसहं पारित्तए'त्ति कह एवं सम्पेहेइ, संपेहित्ता सुद्धप्पावेसाइं वत्थाई जाव मणुस्सबग्गुरापरिक्खित्ते सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता चम्पं नगरि मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव पुण्णभद्दे उजाणे जहा संखो जाव पजुवासइ । तए णं समणे भगवं महावीरे कामदेवस्स समणोवासयस्स तीसे य जाव धम्मकहा समत्ता ॥ २२॥ कामदेवा! इ समणे भगवं महावीरे कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी-से नूणं कामदेवा! तुब्भं पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि एगे देवे अन्तिए पाउन्भूए, तए णं से देवे एगं महं दिव्वं पिसायरूवं विउव्वइ, विउवित्ता आसु-रुत्ते ४ एग महं नीलुप्पल-जाव असिं गहाय तुमं एवं वयासी-हं भो कामदेवा ! जाव जीवियाओ ववरोविजसि, तं तुमं तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरसि, एवं वण्णगरहिया तिण्णि-वि उवसग्गा तहेव पडिउच्चारेयव्वा जाव देवो पडिगओ। से नूर्ण कामदेवा ! अढे समझे ? हन्ता, अस्थि । 'अजो! इ समणे भगवं महावीरे वहवे समणे निग्गन्थे य निग्गन्धीओ य आमन्तेत्ता एवं वयासी-जइ ताव अज्जो! समणोवासगा गिहिणो गि(हिं)हमज्झावसन्ता दिव्वमागु(स)सतिरिक्खजोणिए उवसग्गे सम्म सहन्ति जाव अहियासेन्ति, सक्का-पुणा(इ)ई अजो! समणेहिं निग्गन्थेहिं दुवालसझं गणिपिडगं अहिजमाणहिं दिव्वमाणुसतिरिक्खजोणिए सम्मं सहित्तए जाव अहियासित्तए । तओ ते वहवे समणा निग्गन्था य निग्गन्थीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स त(हि)हत्ति एयमदं विणएणं पडिसुणन्ति । तए णं से कामदेवे समणोवासए ह० जाव समणं भगवं महावीरं पसिणाई पुच्छइ, अट्ठमादियइ, समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वन्दइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता जामेव 'दि-सिं पाउन्भूए तामेव दि-सिं पडिगए। तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ चम्पाओ पडिणिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ॥ २३॥ तए णं से कामदेवे समणोवासए पढम उवासगपडिमं उवसम्पजित्ताणं विहरइ, तए णं से कामदेवे समणोवासए वहहिं [सीलवएहिं] जाव भावेत्ता वीसं वासाई समणोवासगपरियागं पाउणित्ता एकारस उवासगपडिमाओ सम्मं काएणं फासेत्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सर्व्हि भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडिकन्ते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे सोहम्मवर्डिसयस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरथिमेणं अरुणामे विमाणे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता, (तत्थणं) काम Page #1194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [उवासगदसामो देवस्स-s-वि देवस्स चत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णता । से णं भन्ते ! कामदेवे (देवे) ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणन्तरं चयं चइत्ता कहिं गमिहिइ, कहिं उववजिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वाले सिमिहिइ (जाव सव्वदुक्खा०) ॥ २४ ॥ निक्खेवो ॥ सत्तमस्स अगस्स उवासगदसाणं बीयं अज्झयणं समत्तं ॥ उक्खेवो तइयस्स अज्झयणस्स । एवं खलु जम्बू! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी नामं नयरी(होत्था), कोट्ट(गनाम)ए उज्जाणे, जियसत्तू राया। तत्य णं वाणारसीए न(य)गरीए चुलणीपिया नामं गाहावई परिवसइ, अन्हे जाव अपरिभूए । सामा भारिया । अट्ठ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ, अट्ट-बु-हिपउत्ताओ, अट्टपवित्थरपउत्ताओ, अट्ठ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं, जहा आण(दो)दे राईसर[-] जाव सव्वकजवड्ढावए यावि होत्था । सामी समोस(), परिसा निग्गया, चुलणी. पिया-वि जहा आणन्दो तहा निग्गओ, तहेव गिहिवम्म पडिवजइ । गोयमपुच्छा तहेव सेसं जहा कामदेवस्स जाव पोसहसालाए पोसहिए वम्भचारी समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पजित्ता-णं विहरइ ॥ २५ ॥ तए णं तस्स चुलणीपियस्स समणोवासयस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अन्तियं पाउन्भूए । तए णं से देवे एगं (मह) नीलुप्पल-जाव असिं गहाय चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो चुलणीपिया! समणोवासया! जहा कामदे(वे)वो जाव न भञ्जसि तो ते अहं अज्ज जेहें पुत्तं साओ गिहाओ नीणेमि, नीणेत्ता तब अग्गओ घाएमि, घाएत्ता तओ मंससोल्ले करेमि, करेत्ता आदाणभरियंति कडाहयंति अइहेमि, अहहेत्ता तव गायं मंसेण य सोणिएण य आ(इं)यचामि, जहा णं तुम अद्धहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोवि(जा)जसि ॥२६॥ तए णं से चुलणीपिया समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ । तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ, पासित्ता दोच्चं-पि तच्चं-पि चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो चुलणीपिया ! समणोवासया ! तं चेव भणइ, सो जाव विहरइ । तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासित्ता आसु-रुत्ते ४ चुलणीपियस्स समणोवास-यस्स जेठं पुत्तं गिहाओ नीणेइ, नीणेत्ता अग्गओ घाएइ, घाएत्ता तओ मंससोल्लए करेइ, करेत्ता आदाणभरियति कडाहयंसि अहहेई, अहहेत्ता चुलणीपियस्स समणोवासयस्स गायं मंसेण य सो(णी)णिएण य आयञ्चइ । तए णं से चुलणीपिया समणोवासए तं उज्जलं जाव अहियासेइ । तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ, पासित्ता दोच्चं-पि चुलणी Page #1195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HINDI दुक्करदुक्करकारियाजा इमा तव माया १० ३] सुत्तागमे पियं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो चुलणीपिया! समणोवासया ! अपत्थियप(त्यिोत्थया [1] जाव न भञ्जसि तो ते अहं अज मज्झिमं पुत्तं साओ गिहाओ नीणेमि, नीणेत्ता तव अग्गओ घाएमि, जहा जेठं पुत्तं तहेव भणइ, तहेव करेइ । एवं तच्च-पि कणीयसं जाव अहियासेइ ॥ २७ ॥ तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ, पासित्ता चउत्थ-पि चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी-"हं भो चुलणीपिया ! समणोवासया! अपत्थियप-त्य० ४ जइ णं तुम जाव न भजसि तओ अहं अज जा इमा तव माया भद्दा सत्थवा(हिणी)ही देवयगुरुजणणी दुक्करदुक्करकारिया तं ते साओ गिहाओ नीणेमि, नीणेत्ता तव अग्गओ घाएमि, घाएत्ता तओ मंससोल्लए करेमि, करेत्ता आदाणभरियसि कडाहयंसि अद्दहेमि, अइहेत्ता तव गायं मंसेण य सोणिएण य आयञ्चामि जहा णं तुमं अदुहव. सट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविजसि” । तए णं से चुलणीपिया समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ । तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ, पासित्ता चुलणीपियं समणोवासयं दोच्चं-पि तच्च-पि एवं वयासी-हं भो चुलणीपिया। समणोवासया। तहेव जाव ववरोविजसि । तए णं तस्स चुलणीपियस्स समणोवासयस्स तेणं देवेणं दोच्च-पि तच्च-पि एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए ५-अहोणं इमे पुरिसे अणारिए (अणारियबुद्धी) अणारि(याई पावाई)यकम्माई समायरइ, जेणं म(म)मं जेहें पुत्तं साओ गिहाओ नीणेइ, नीणेत्ता मम अग्गओ घाएइ, घाएत्ता जहा कयं तहा चिन्तेइ जाव गायं आयञ्चइ, जेणं म-मं मज्झिम पुत्तं साओ गिहाओ जाव सोणिएण य आयञ्चइ, जेणं ममं कणीयसं पुत्तं साओ गिहाओ तहेव जाव आयञ्चइ, जा-ऽ-वि य णं इमा ममं माया भद्दा सत्यवाही देवयगुरुजणणी दुक्करदुक्करकारिया तं-पि य णं इच्छइ सा(सया)ओ गिहाओ नीणेत्ता मम अग्गओ घा(इ)एत्तए, तं सेयं खलु ममं एवं पुरिसं गिण्हित्तए त्तिकट्ठ उ(ट्ठा)द्धाइए, से--वि य आगासे उप्पइए, तेणं च खम्भे आसाइए, महया महया सद्देणं कोलाहले कए, तए णं सा भद्दा सत्यवा-ही तं कोलाहलसई सोचा निसम्म जेणेव चुलणीपिया समणोवासए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी-किणं पुत्ता ! तुम महया महया सद्देणं कोलाहले कए ? तए णं से चुलणीपिया समणोवासए अम्मयं भई सत्थवाहिं एवं वयासी-एवं खलु अम्मो । न जा(या)णामि, केवि पुरिसे आतुरुत्ते ५ एगं महं नीलुप्पल-जाव असिं गहाय ममं एवं वयासी-हं भो त्रुलणीपि० समणोवासया! अपत्थियपत्थया ४ वजिया जइ णं तुम जाव ववरोविजसि । Page #1196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [उवासगदसाओ (न०ण) अहं तेणं पुरिसेणं एवं बुत्ते समाणे अभीए जाव विहरामि । तए ण से पुरिसे ममं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ, पासित्ता ममं दोच-पि तवं-पि एवं वयासी-हं भो चुलणीपि० समणोवासया । तहेव जाव गायं आयबइ । तए णं अहं तं उबलं जाव अहियासेमि । एवं तहेव उच्चारेयव्वं सव्वं जाव ऋणीयनं जाव आयबइ, अहं तं उज्जलं जाव अहियासेमि । तए णं से पुरिसे मनं अभीयं जाव पासइ, पासित्ता ममं च उत्यं-पि एवं वयासी-हं भो चुलगीपि० समणोवासया ' अपत्यियप.त्यया जाव न भन्नति तो ते अज जा इमा (तव) माया (भ०) गुरु[.] जाव ववरोविनति । तए णं अहं तेणं पुरिसेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरामि । तए णं से पुरिसे दोचं-पि तचं-पि ममं एवं वयासी-हं भो बुलणापि० समणोवासया ! अज जाव ववरोविज्जसि । तए णं तेणं पुरिसेणं दोचं-पि तत्र-पि मनं एवं बुनस्स समाणस्त इ(अय)मेयालवे अज्झथिए ५-अहो णं इमे पुरिले अणारिए जाव समायरइ, जेगं म-मं जेठं पुत्तं साओ गिहाओ तहेव जाव कणीयसं जाव आयबइ, तु(झे)न्भेs-त्रि य णं इच्छइ साओ गिहाओ नीणेत्ता मम अग्गओ घाएत्तए, त सेयं खलु ममं एवं पुरितं निहित्तए त्तिकट्ठ उद्धाइए, से-s-विय आगाले उप्पइए, मए-s-विय खम्मे आसाइए, महया महया सद्देणं कोलाहले कए ॥ २८ ॥ तए णं सा भद्दा सत्यवाही चुलणीपियं समणोवासयं एवं क्यासी-नो खलु के(इ)ई पुरिसे तव जाव कणीयसं पुत्तं साओ गिहाओ नीणेइ, नीणेत्ता तब अग्गओ घाएइ, एस (न) णं केइ पुरिसे तव उवसग्गं करेइ, एस गं तुमे विदरिसणे दिहे, तं गं तुम इ(दा)वाणिं भगवए भग्गनियमे भगपोस(होववासे)हे विहरसि, तं णं तुमं पुत्ता ! एयस्त ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवजाहि । तए णं से चुलणीपिया समणोवामए अम्मनाए भद्दाए सत्यवाहीए तहत्ति एयमह विणएणं पडिमुणेड, पडिमुणेत्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ जात्र पडिवजइ ॥ २९ ॥ तए णं से त्रुलणीपिया समणोवासए पढम उवासगपडिमं उवसम्पजित्ता-णं विहरइ, पढम उवासगपडिमं अहानुत्तं जहा आणन्दो जाव ए(इ)कारस-वि । तए णं से त्रुलणीपिया समगोवासए तेणं उरालेणं जहा कामदेवो जाव सोहम्ने कप्पे सोहम्मवळिसगस्स महाविमागस्त उत्तरपुरत्यिमेणं अत्णप्पमे विमाणे देवनाए उवव(नो)न्ने । चत्तारि पलिओवमाई ठिई (जाव) पण्णत्ता। महाविदेहे वाले सिमिहिइ ५॥ ३० ॥ निक्खेत्रो (तहेव) ॥ सत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसाणं तइयं अज्झयणं समत्तं ॥ उक्लेवओ चउत्यस्स अज्झयगस्स । एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारती नामं नयरी । कोहए उज्जाणे । जियस-तू राया । सुरादेवे गाहाव-ई, Page #1197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज०४] सुत्तागमे अड्डे (जाव अपरिभूए) । छ हिरण्यकोडीओ जाव छ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं । धन्ना भारिया । सामी समोसढे । जहा आणन्दो तहेव पडिवजइ गिहिधम्मं । जहा कामदेवो जाव समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्तिं उवसम्पजित्ता-गं विहरइ ॥ ३१ ॥ तए णं तस्स सुरादेवस्स समणोवासयस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि एगे देवे अन्तियं पाउभवित्था। से देवे एगं महं नीलुप्पल-जाव असिं गहाय सुरादेवं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो सुरादे० समणोवासया । अपत्थियप-त्थया ४ जइ णं तुम सी(लव्वया)लाई जाव न भञ्जसि तो ते जेठं पुत्तं साओ गिहाओ नीणेमि, नीणेत्ता तव अग्गओ घाएमि, घाएत्ता पञ्च (मंस)सोल्लए करेमि, (२ त्ता) आ(या) दाणभरियसि कडायंसि अइहेमि, अइहेत्ता तव गायं मंसेण य सोणिएण य आ(-च)यञ्चामि, जहा णं तुमं अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि । एवं मज्झि(म)मयं, कणीयसं, एकेने पञ्च सोल्लया, तहेव करेइ, जहा चुलणीपियस्स, नवरं एकेके पञ्च सोल्ल्या । तए णं से देवे सुरादेवं समणोवासयं च उत्थं-पि एवं वयासी-हं भो सुरादेवा ! समणोवासया । अपत्थियप-त्थया ४ जाव न परिचय(भंज)सि (त)तो (अहं) ते अज (तव) सरीरंसि जमगसमगमेव सोलस रोगायके पक्खि (वे)वामि, तं-जहासासे, कासे जाव को(ढए)ढे, ज-हा णं तुमं अदुहट्ट[.] जाव ववरोविजसि । तए णं से सुरादेवे समणोवासए जाव विहरइ । एवं देवो दोच्चं-पि तचं-पि भणइ जाव ववरोविजसि ॥ ३२ ॥ तए णं तस्स सुरादेवस्स समणोवासयस्स तेणं देवेणं दोच-पि तच्च-पि एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए ४ (समु०)-अहो णं इमे पुरिसे अणारिए जाव समायरइ, जेणं ममं जेठं पुत्तं जाव कणीयसं जाव आयञ्चइ, जे-ऽ-वि य इमे सोलस रोगायङ्का ते-ऽ-वि य इच्छइ मम सरीरगंसि पक्खिवित्तए, तं सेयं खलु ममं एवं पुरिसं गिण्हित्तए त्तिकट्ठ उ-द्धाइए । से-s-वि य आगासे उप्पइए, तेण य खम्मे आसाइए, महया महया सद्देणं कोलाहले कए ॥ ३३॥ तए णं सा धन्ना भारिया कोलाह(लसई)लं सोचा निसम्म जेणेव सुरादेवे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता एवं वयासी-किण्णं देवाणुप्पिया! तुन्भेहिं महया महया सद्दे(ण)णं कोलाहले कए ? तए णं से सुरादेवे समणोवासए धन्नं भारियं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिए ! के(इ)-s-वि पुरिसे तहेव कहेइ जहा चुलणीपिया । धन्ना-s-वि पडिभणइ-जाव कणीयसं, नो खलु देवाणुप्पिया ! तुब्भं के-s-वि पुरिसे सरीरंसि जमगसमग सोलस रोगायङ्के पक्खिवइ, एस-णं के-वि पुरिसे तुभं उवसग्गं करेइ, सेसं जहा चुलणीपियस्स तहा भणइ । एवं सेसं जहा चुलणीपियस्स निरवसेसं जाव सोहम(म)मे कप्पे अरुगकन्ते विमाणे उववन्ने। चत्तारि पलिओवमाइं ठिई, महा Page #1198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४६ सुतागमे [ वासगदाओ विदेहे वासे सिज्निहि ५ ॥ ३४ ॥ निक्खेवो ॥ सत्तमस्स अङ्गस्स उवास गदसाणं चउत्थं भज्झयणं समत्तं ॥ उक्खेवो पञ्चमस्स । एवं खलु जम्बू । तेणं कालेणं तेणं ममएणं आलं) लभिया नामं नयरी - 1 सङ्खवणे उज्जाणे । जियसत्तू राया । चुसवए गाहावरे ( परिवसः), अड्डे जाव छ हिरण्णकोडीओ जाव छ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं । बहुला भारिया । सामी समोस ढे । जहा आणंदो तहा (धम्मं सोचा ) गिहिधम्मं पडिवजर, सेसं जहा कामदे-वो जाव धम्मपण्णत्ति उवसम्पजित्ताणं विहरइ ॥ ३५ ॥ तए णं तस्स लयगस्स समणोवासयस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अन्तियं जाव असिं गहाय एवं वयासी - हं भो चुद्रसय ० समणोवासया ! जाव न भजति तो ते अज जेहं पुत्तं साओ गिहाओ नीणेमि, एवं जहा चुलणीपियं, नवरं एक्केके सत्त मंससोल्या जाव कणीयसं जाव आयञ्चामि । तए णं से चुलसयए समणोवासए जाव विहरइ । तए से देवे चुल्लसयगं समणोवासयं चउत्थं पि एवं व्यासी-हं भो चुलसयगा ! समगोवासया ! जाव न भञ्जसि तो ते अज जाओ इमाओ छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ, छ वु-ड्डिपउत्ताओ, छ पवित्थरपउत्ताओ (सव्वाओ) ताओ साओ गिहाओ नीगेमि, नीणेत्ता आ-लभियाए नयरीए सिङ्घाडग[]जाव पहेनु सव्वओ समन्ता विप्पइरामि, ज-हा णं तुमं अट्टदुहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविजसि ॥ ३६ ॥ तए से चुलसयए समणोवासए तेणं देवेणं एवं वृत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ । तए से देवे चुलसयगं समणोवासयं अभीयं जाव पासित्ता दोचं-पि तच्चं -पि तहेव भगइ जाव ववरोविज्जति । तए णं तस्स चुल्लसयगस्स समगोवासयस्स तेणं देवेण दोचं-पि तचं - पि एवं वुत्तस्स समाणस्स अयमेयास्वे अज्झत्थिए ४ - 'अहो णं इमे पुरिसे अणारिए जहा चुलणीपिया तहा चिन्तेइ जाव कणीयसं जाव आयञ्चर, जाओ-s वि य णं इमाओ ममं छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ छ वु-डिपउत्ताओ छ पवित्थरपउत्ताओ ताओ-s-वि य णं इच्छइ ममं साओ गिहाओ नीणेत्ता आ-लभियाए नयरीए सिङ्घाडग - जाव विप्पइरित्तए, तं सेयं खलु ममं एयं पुरिसं गिव्हित्तए' त्ति कट्टु उ-द्वाइए जहा सुरादे वो तहेव भारिया पुच्छर तहेव कहे ० । सेसं जहा चुलणीपियस्स जाव सोहम्मे कप्पे अरुणसिद्वे विमाणे उववन्ने, चत्तारि पलिओ माई ठिई। सेसं तहे (तं चे)व जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ [५] ॥ ३७ ॥ निक्खेवो ॥ सत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसाणं पञ्चमं अज्झयणं समत्तं ॥ छट्ठस्स उक्खेवओ । एवं खलु जम्बू ! तेगं कालेणं तेणं समएणं कम्पिल्लपुरे नयरे । सह(स्) सम्बवणे उज्जाणे । जियसत्तू राया । कुण्डकोलिए गाहावई । पूमा Page #1199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म.६] सुत्तागमे ११४७ भारिया । छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ, छ वु-ड्डिपउत्ताओ, छ पवित्थरपउताओ, छ क्या दसगोसाहस्सिएणं वएणं । सामी समोसढे । जहा कामदेवो तहा सावयधम्म पडिवजइ । (से) स(व्वे)चेव वत्तव्वया जाव पडिलामेमाणे विहरइ ॥ ३८॥ तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए अन्नया कयाइ पुव्वावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवणिया जेणेव पुढविसिलापट्टए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता नाममुद्दगं च उत्तरिजगं च पुढ(वी)विसिलापट्टए ठवेइ, ठवेत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पजित्ता-णं विहरइ ॥ ३९ ॥ तए णं तस्स कुण्डकोलि. यस्स समणोवासयस्स एगे देवे अन्तियं पाउन्भपित्या । तए णं से देवे नाममु(ग) च उत्तरि(य)नं च पुढ-विसिलापट्टयाओ गे(गि)ण्हइ, २ त्ता सखिखिणि[.] अन्तलिक्खपडिवन्ने कुण्डकोलियं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो कुण्डकोलि समणोवासया! सुन्दरी णं देवाणुप्पिया ! गोसालस्स मङ्खलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती, नत्थि उट्ठाणे इवा कम्मे इ वा बले इ वा वी(वि)रिए इ वा पुरिसकारपरक्कमे इ वा, नियया सव्वभावा, मंगुली णं समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्ती, अस्थि उट्ठाणे इ वा कम्मे इ वा वले इ वा वीरिए इ वा पुरिसक्कारपरकमे इ वा, अणियया सव्वभावा ॥ ४०॥ तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए तं देवं एवं वयासीजइ णं देवा-! सुन्दरी गोसालस्स मसलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती-नत्यि उहाणे इ वा जाव नियया सव्वभावा, मंगुली णं समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्तीअत्थि उठाणे इ वा जाव अणियया सव्वभावा, तुमे णं देवा-! इमा एयारूवा दिव्वा देविड्डी दिव्वा देवजुई दिव्वे देवाणुभावे किणा लद्धे, किणा पत्ते, किणा अभिसमन्नागए, कि उट्ठाणेणं जाव पुरिसक्कारपरक्कमेणं, उदाहु अणुट्ठाणेणं अकम्मेणं जाव अपुरिसक्कारपरक्कमेणं ? तए णं से देवे कुण्डकोलियं समणोवासयं एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया! मए इमेयारूवा दिव्वा देविड्डी ३ अणुढाणेणं जाव अपुरिसक्कारपरक्कमेणं लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया । तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए तं देवं एवं क्यासी-जइ णं देवा- तुमे इमा एयारूवा दिव्वा देविड्डी ३ अणुटाणेणं जाव अपुरिसकारपरकमेणं लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया, जेसि णं जीवाणं नस्थि उठाणे इ वा जाव परक्कमे इ वा, ते कि न देवा? अह णं देवा-! तुमे इमा एयारूवा दिव्वा देविड्डी ३ उठाणेणं जाव परक्कमेणं लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया, तो जं वदसि-सुन्दरी गं गोसालस्स मवलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती, नत्थि उठाणे इ वा जाव नियया सव्वभावा, मंगुली णं समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्ती-अत्यि उठाणे इ वा जाव अणियया सव्वभावा, तं ते मिच्छा । तए णं से देवे कुण्ड Page #1200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४८ सुत्तागमे [उवासगदसाओ कोलिएणं समणोवासएणं एवं वुत्ते समाणे संकिए जाव कलु(स)सं समावन्ने नो संचाएइ कुण्डकोलियस्स समणोवासयस्स किचि पा(मु)मोक्खमाइक्खित्तए, नाममुद्दयं च उत्तरिजयं च पुढविसिलापट्टए ठवेइ, ठवेत्ता जामेव दि.सिं पाउन्भूए तामेव दि-सिं पडिगए । तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे । तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए इमीसे कहाए लढे हट्ट(तु8) जहा कामदेवो तहा निग्गच्छइ जाव पज्जुवासइ । धम्मकहा ॥ ४२ ॥ "कुण्डकोलिया' इ समणे भगवं महावीरे कुण्डकोलियं समणोवासयं एवं वयासी-से नूणं कुण्डकोलिया ! कन्वं तु(भ)भ पुव्वावरण्हकालसमयंसि असोगवणियाए एगे देवे अन्तियं पाउभवित्या । तए णं से देवे नाममुदं च तहेव जाव पडिगए । से नूणं कुण्डकोलिया । अढे समढे ? हन्ता अस्थि । तं धन्ने सि णं तुम कुण्डकोलिया! जहा कामदेवो । 'अज्जो' इ समणे भगवं महावीरे समणे निग्गन्धे य निग्गन्थीओ य आमन्तित्ता एवं वयासी-जइ ताव अज्जो ! गिहिणो गि-हमज(झे)झावसन्ता णं अन्नउत्थिए अद्वेहि य हेऊहि य पतिणेहि य कारणेहि य वागरणेहि य निप्पट्ठपसिणवागरणे करेन्ति, सका पुणाई अज्जो ! समणेहिं निग्गन्धेहिं दुवालसङ्गं गणिपिडगं अहिज्जमाणेहिं अन्नउत्थिया अठेहि य जाव निप्पट्टपसि(णा)णवागरणा करित्तए । तए णं समणा निग्गन्या व निग्गन्थीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स तहत्ति एयमहँ विणएणं पडि. सुणेन्ति । तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता पसिणाई पुच्छइ, पुच्छित्ता अठ्ठमादियइ, २ त्ता जामेव दि-सं पाउन्भूए तामेव दि-सं पडिगए । सामी बहिया जगवयविहारं विहरइ ॥ ४२ ॥ तए णं तस्स कुण्डकोलियस्स समणोवासयस्स वहूहि सील[0]जाव भावेमाणस्स चोद[स]स संवच्छराइं व(वि)इकन्ताई, पण्णरसमस्स संवच्छरस्स अन्तरा वठ्माणस्स अन्नया कयाइ जहा कामदेवो तहा जेट्टपुत्तं (कुटुंबे) ठवेत्ता तहा पोसहसालाए जाव धम्मपण्णत्तिं उवसम्पजित्ता णं विहरइ । एवं एकारस उवासगपडिमाओ, तहेव जाव सोहम्मे कप्पे अरुणज्झए विमाणे जाव अन्तं काहिंइ ॥ ४३ ॥ निक्लेवो ॥ सत्तमस्स अगस्स उवासगदसाणं छ8 अज्झयणं समत्तं ॥ सत्तमस्स उक्खेवो । पोलासपु(र)रे नामं नयरे। सहस्सम्बवणं)णे उज्जा-णे। जियसत्तू राया। तत्थ णं पोलासपुरे नयरे सद्दालपुत्ते नाम कुम्भकारे आजीविओवासए परिवसइ, आजीवियसमयंसि लढे गहियढे पुच्छियढे विणिच्छियढे अभिगयटे अद्विमिंजपेमाणुरागरत्ते य, अयमाउसो | आजीवियसमए अढे अयं परमटे सेसे अणद्वेत्ति (एवं) आजीवियसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तस्स णं सद्दालपुत्तस्स Page #1201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म०७] सुत्तागमे ११४९ आजीविओवासगस्स एका हिरण्णकोडी निहाणपउत्ता, एका वु-ड्डिपउत्ता, एका पवित्थरपउत्ता, ए(गे)के वए दसगोसाहस्सिएणं वएणं । तस्स णं सद्दालपुत्तस्स आजीविओवास (योगस्स अग्गिमित्ता नामं भारिया होत्था । तस्स णं सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स पोलासपुरस्स नगरस्स बहिया पञ्च कुम्भकारावणसया होत्या । तत्थ णं वहवे पुरिसा दिण्णभइभत्तवेयणा कल्लाकलिं वहवे करए 2 वारए य पिहडए य घडए य अद्धघडए य कलसए य अलिञ्जरए य जम्बूलए य उट्टियाओ य करेन्ति । अन्ने य से बहवे पुरिसा दिन्नभइभत्तवेयणा कलाकलिं तेहिं वहूहिं करएहि य जाव उट्टिया(हिं)हि य रायमगंसि वित्तिं कप्पेमाणा विहरन्ति ॥ ४४ ॥ तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए अन्नया कयाइ पुवावरण्हकालसमयंति जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोसालस्स मझुलिपुत्तस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पजित्ता-णं विहरइ । तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स एगे देवे अन्तियं पाउभवित्था । तए णं से देवे अन्तलिक्खपडिवन्ने सखिखिणियाइं जाव परिहिए सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं एवं वयासी-एहिइ णं देवाणुप्पिया । कलं इ(ह)हं महामाहणे उप्पन्नणाणदंसणधरे तीयपडप्पन्नमणागयजाणए अरहा जिणे केवली सव्वण्णू सव्वदरिसी तेलोकवहियमहियपूइए सदेवमणुयासुरस्स लो-गस्स अच्चणिज्जे वन्दणिज्जे (पूयणिजे) सकारणिजे संमाणणिज्जे कल्लाणं मङ्गलं देवयं चेइयं जाव पज्जुवासणिज्जे त(वो)च्चकम्मसम्पयासम्पउत्ते, तं णं तुमं वन्देजाहि जाव पज्जुवासेजाहि, पाडिहारिए-णं पीढफलगसिज्जासंथारएणं उवनिमन्तेजाहि, दोचं-पि तच्च-पि एवं वयइ वइत्ता जामेव दि-सं पाउन्भूए तामेव दि-सं पडिगए ॥ ४५ ॥ तए णं तस्स सबालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स तेणं देवेणं एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयासवे अज्झथिए ४ समुप्पन्ने-'एवं खलु म-म धम्मायरिए धम्मोवएसए गोसाले मङ्खलिपुत्ते, से णं महामाहणे उप्पन्नणाणदंसणधरे जाव त-चकम्मसम्पयासम्पउत्ते, से णं कल्लं इहं हव्वमागच्छिस्सइ । तए णं तं अहं वन्दिस्सामि जाव पज्जुवासिस्सामि, पाडिहारिएणं जाव उवनिमन्तिस्सामि' ॥ ४६॥ तए णं कहं जाव जलन्ते समणे भगवं महावीरे जाव समोस(ड्डे)रिए । परिसा निग्गया जाव पज्जुवासइ । तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए इमीसे कहाए लढे समाणे 'एवं खलु समणे भगवं महावीरे जाव विहरइ, तं गच्छामि णं समणं भगव महावीरं, वन्दामि जाव पजुवासामि' एवं सम्पेहेइ, संपेहित्ता हाए सुद्धप्पावेसाई जाव अप्पमहग्घाभरणालं कियसरीरे मणुस्सवग्गुरापरिगए साओ गिहाओ पडिणि(ग्गच्छ)क्खमइ, २ ता पोलासपुरं नयरं मझमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता Page #1202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३५० सुतागमे [ वादा गए एवं जेणेव सहस्तम्बवणे उजाणे जेथेच मम भगतं नावरे यागन्द उवागच्छित्ता तिक्त आयाहिणं पवाहिणं रेट करेता र नरा नमंसित्ता जाय पजुवास ॥ ४७ ॥ त ं समने भगवं महावीरे सनस् आजीविओवातगस्स तीसे य महर जाव धम्मक समता । 'महात्म भगवं महावीरे सहालपुत्तं आजीविओवासवं एवं बयासी- मेनू हात ! कलं तुमं पुव्वावरण्हकालसमयंसि जेणेव अगणिया जाहिर तुम्भं एगे देवे [ अन्तियं] पाउभवित्था । तए से देवे अन्न चयासी ह भो सद्दालपुत्ता । तं चैव सव्वं जाव पज्जुवातस्यामि' से नृणं मह पुत्ता ! अट्टे समट्टे ? हंता अस्थि । (तं) नो गन्तु सहायता । तेणं देवेगं नोनाएं -मलिपुत्तं पणिहाय एवं वृत्ते । तए णं तस्स मालपुत्तर आजीविओवासयरम समणेगं भगवया महावीरेणं एवं वुनस्स समागम इसेवा अनलिए ४- एन णं समणे भगवं महावीरे महामाहणे उप्पन्नगाणदंसणधरे जाव तयकम्मसम्पा सम्पउत्ते, तं सेयं खलु समं समणं भगवं महावीरं वन्दिता नमनित्ता पारिहारिण पीढफल [ ० ] जाव उवनिमन्तित्तए' एवं सम्पेहेर, संहिता बहाए उट, गा समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ, वन्दित्ता नमंडित्ता एवं वयानी- ' एवं स भन्ते ! ममं पोलासपुरस्स नयरस्त बहिया पर कुम्भकारावणस्या । तत्थ तुमे पाडिहारियं पी [ ० ] जाव संथारयं ओगिन्हित्ताणं विहरह' । नए समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तस्म आजीविओवासगस्स एवमहं परिणे, परिणता सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स पत्रकुम्भकारावणसएन फालुएसणिजं पारिहारियं पीढकलग - जाव संथारयं ओगिहि (या) त्ताणं विहरइ ॥ ४८ ॥ तए णं से सद्दालपुते आजीविओवासए अन्नया कया (ई) इ वायाहययं कोलालभण्डं अन्तो सालाहिंनो चहिया नीणेइ, नीणेत्ता आयवंति दलय । तए णं समणे भगवं महावीरे सहालपुत्तं आजीविओवासयं एवं वयासी - 'सद्दालपुत्ता ! एस णं कोलाल भण्डे कओ ?' तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए समणं भगवं महावीरं एवं वयाची-एन जं भन्ते ! पुत्रि मट्टिया आसी, तओ पच्छा उदएणं निमिज्जइ, २ त्ता हारेण य करिसेण य एगयओ मीसिजइ, २ त्ता चक्के आ (रु) रोहिज्जर, त (तो) ओ वहवे करगा न्य जाव उट्टियाओ य कजंति । तए णं समणे भगवं महावीरे सहालपुत्तं आजीवि ओवासयं एवं वयासी - 'सद्दालपुत्ता ! एस णं कोलालभण्डे कि उहाणेणं जाव पुरि-सकारपरक्कमेणं कज्ज (न्ति)ति, उदाहु अणुद्वाणेणं जाव अपुरिसकारपरकमेणं कज्ज-ति ?' तए णं से सद्दालपु (तो) ते आजीविओवासए समणं भगवं महावीरं एवं व्यासी O ޕ Page #1203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ०७] सुत्तागमे 'भन्ते ! अणुटाणेणं जाव अपुरिसकारपरक्कमेण (कज्जति), नत्थिं उठाणे इ वा जाव परकमे इ वा, नियया सव्वभावा' ।। ४९ ॥ तए णं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं एवं वयासी-सद्दालपुत्ता ! जइ णं तुम्भं केइ पुरिसे वायाहयं वा पक्केलयं वा कोलालभण्डं अवहरे(ज)जा वा वि(क्खरि-)क्खिरेजा वा भिन्दे-जा वा अच्छिदे-जा वा परि(ठ)हवे-जा वा, अग्गिमित्ताए वा भारियाए सद्धिं विउ(उरा)लाई भोगभोगाइंभुञ्जमाणे विहरे(वा)ज्जा, तस्स णं तुमं पुरिसस्स किं दण्ड [नि]वत्तेजासि?' भन्ते ! अहं गं तं पुरिसं आओसे-जा वा हणे-जा वा वं(वंधि)धेज्जा वा महे-जा वा तज्जे-जा वा ताले-जा वा निच्छोडे-जा वा निब(भ)भच्छे-जा वा अकाले चेव जीवियाओ ववरो(वि)वे(वा)जा। सद्दालपुत्तानो खलु तुब्(भ)भं केइ पुरिसे वा(त)याहयं वा पक्केल्लयं वा कोलालभण्डं अवह(२)रइ वा जाव परिवेइ वा, अग्गिमित्ताए वा भारियाए सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरइ, नो वा तुमं तं पुरिसं आओसेन्जसि वा ह(णे)णिजसि वा जाव अकाले चेव जीवियाओ ववरो-वेजसि, जइ(ग)नत्थि उट्ठाणे इ वा जाव परक्कमे इ वा नि(ति)यया सव्वभावा । अ(ह)ह णं तु भं के (ई)इ पुरिसे वायाहयं जाव परिवेइ वा, अग्गिमित्ताए वा जाव विहरइ, तुम वा तं पुरिसं आओसेसि वा जाव ववरो(-ज)वेसि, तो जं वदसि नथि उठाणे इ वा जाव नियया सव्वभावा तं ते मिच्छा । एत्थ णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए सम्बुद्धे ॥ ५० ॥ तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ, वन्दित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-'इच्छामि गं भन्ते । तुम्भं अन्ति(य)ए धम्मं निसामेत्तए । तए णं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स तीसे य जाव धम्म परिकहेइ । तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए धम्मं सोचा निसम्म हद्वतुट्ठ जाव हिंयए जहा आणंदो तहा गिहिधम्म पडिवजइ । नवरं एगा हिरण्णकोडी निहाणपउत्ता, एगा हिरण्णकोडी वु-डिपउत्ता, एगा हिरण्णकोडी पवित्थरपउत्ता, ए(ग)गे वए दसगोसाहस्सिएणं वएणं, जाव समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ, वन्दित्ता नमंसित्ता जेणेव पोलासपुरे नयरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोलासपुर नयरं मझमज्झेणं जेणेव सए गिहे जेणेव अग्गिमित्ता भारिया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अग्गिमित्तं भारियं एवं वयासी-"एवं खलु देवाणुप्पिए । समणे भगवं महावीरे जाव समोस-ढे, तं गच्छाहि णं तुमं समणं भगवं महावीरं, वन(द)दाहि जाव पन्जुवा(स)साहि, समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए पञ्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिव-जाहि' ॥५१॥ तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया Page #1204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११५२ सुत्तागमे [टवासगदमा मो भारिया पहाया सुद्धप्पावताणप्पवरं दुल्हड, दुरहिनामा तेणेव उवाग सद्दालपुत्तस्स ममणोवासगरस 'त ह'त्ति एयमदं विणए-शं पहिलणेद । तए से सद्दालपुत्ते समगोवासए कोडुम्बियपुरिसे सद्दावेड, सद्दाविता एवं दवासी-लिप्यानेव भो देवाणुप्पिया ! लहुकरणजुनजोइयं समखुरवालिहागसमलिहियनिए(हि)हिं जन्न णयामयकलावजोत्तपइविसिएहिं रययामयघण्टयुत्तरजगवररूपणन्युट्यनन्यापरगहोगा हि(य)एहिं नीलुप्पलकयामे(ट)लएहिं पवरगोणजुवाणपहिं नागामणिकगगवष्टियाजालपरिगयं सुजायजुगजुत्तउजुगपसत्यनुविरदयनिम्मियं पवरलकन्यगोववेयं गुलामेव धम्मियं जाणप्पवरं उवहवेह, उववेत्ता मम एयमागनियं पगप्पिणद' । नए गं ते कोडुम्बियपुरिसा जाव पचप्पिगन्ति ॥ ५२ ॥ ताए ण सा अग्गिमिना भारिया ण्हाया मुद्धप्पावेसाइं जाव अप्पमहन्याभरणालंकियसरीरा (जाय) चेरियाचक्कवालपरिकिण्गा धम्मियं जाणप्पवरं दुन्हह, दुरहिना पोल्लासपुरं नग(णयोरं मलं. मज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव महस्सम्बवणे उजाणे तेणेव उवागच्छ, उवागच्छित्ता धम्मियाओ जाणाओ पचोराड, पचोसहित्ता चेडियाचकवालपरिखुटा जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छद, उवागच्छिना तिक्युत्तो जात्र वन्दइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नचासन्ने नाइदूरे जाव पालिउडा ठिश्या व पज्जुवासइ ॥ ५३ ॥ तए णं समणे भगवं महावीरे अग्गिमित्ताए तीसे य जाय धम्मं कहेइ । तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया समगस्स भगवओ महावीरस्त अन्तिए धम्म सोचा निसम्म हटा समगं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-'सद्दहामि गं भन्ते ! निग्गन्यं पावणं जाव ले जहेयं तुन्भे व(द)यह, जहा णं देवाणुप्पियाणं अन्तिए वहत्रे उग्गा भोगा जाव पव्वइया नो खलु अहं तहा संचाएमि देवाणुप्पियाणं अन्तिए मुण्डा भवित्ता जान अ(ह)हं णं देवाणुप्पियाणं अन्तिए पञ्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवजिस्सामि' । अहानुहं देवाणुप्पिया !(म)मा पडिबन्धं करेह । तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए पञ्चाणुव्वइयं सनसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहि(सावग)धम्म पडिवजइ, पडिवजित्ता समग भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता त(ता)मेव धम्मियं जा(ण)णप्पवरं दुस्हा, दुरुहित्ता जामेव दि-सं पाउभूया तामेव दि-सं पडिगया। तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ पोलासपुराओ [नयराओ] सहस्सम्बव(ण)गाओ (उन्ना-णाओ) पडि. निग्गच्छइ, पडिनिग्गच्छित्ता वहिया जणवयविहारं विहरइ ॥५४॥ तए णं ते सद्दालपुत्ते समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ । तए णं से गोसाले मङ्खलिपुत्ते इमीसे कहाए लढे समाणे-'एवं खलु सदालपुत्ते आजीवियसमयं वमि Page #1205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म०७] सुत्तागमे ११५३ (चइ)त्ता समणाणं निग्गन्थाणं दिद्धिं पडिवन्ने, तं गच्छामि णं सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं समणाणं निग्गन्थाणं दिहिं वामेत्ता पुणरवि आजीवियदिहि गे-पहावित्तए' त्ति-कट्टु एवं सम्पेहेइ, सपेहित्ता आजीवियसङ्घसम्परिचुडे जेणेव पोलासपुरे नयरे जेणेव आजीवियसभा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता आजीवियसभाए भण्ड(गनिक्खेवं करेइ, करेत्ता कइवएहिं आजीविएहिं सद्धि जेणेव सद्दालपुत्ते समणोवासए तेणेव उवागच्छइ । तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मङ्खलिपुत्तं एजमाणं पासइ, पासित्ता नो आढाइ, नो परिजा(णा)णइ, अणाढाय]माणे अपरिजाणमाणे तुसिणीए संचिट्ठइ ॥ ५५ ॥ तए णं से गोसाले मङ्खलिपुत्ते सद्दालपुत्तेणं समणोचासएणं अगाढाइनमाणे अपरिजाणिजमाणे पीढफलगसिज्जासंथारट्ठयाए समणस्स भगवओ महावीरस्स गुणकित्तणं करे(ति)माणे सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं वयासी'आगए णं देवाणुप्पिया । इह महामाहणे?' तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मटलिपुत्तं एवं वयासी- के णं देवाणुप्पिया! महामाहणे ?' तए णं से गोसाले मसलिपुत्ते सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं क्यासी-'समणे भगवं महावीरे महामाहणे' 'से केगटेणं देवाणुप्पिया! एवं बु(उ)चइ-समणे भगवं महावीरे महामाहणे ?' 'एवं खलु सहालपुत्ता । समणे भगवं महावीरे महामाहणे उप्पन्नणाणदंसणधरे जाव महियघूइए जाव त-चकम्मसम्पयासंपउत्ते, से तेणढेगं देवाणुप्पिया! एवं चु-चइ-समणे भगवं महावीरे महामाहणे' 'आगए णं देवाणुप्पिया । इहं महागोवे ?' 'के गं देवाणुप्पिया! महागोवे ?' 'समणे भगवं महावीरे महागोवे' 'से केणटेणं देवाणुप्पिया! जाव महागोवे ?' "एवं खलु देवाणुप्पिया! समणे भगवं महावीरे संसाराडवीए वहवे जीवे न(तस्समाणे विणस्समाणे खज्जमाणे छिज्जमाणे भिजमाणे लुप्पमाणे विलुप्पमाणे धम्ममएणं दण्डेणं सा(सं)रक्खमाणे संगोवेमाणे निव्वाणमहावा(डे)डं साहत्यि सम्पावेइ, से तेणटेणं सद्दालपुत्ता । एवं वुच्चइ-समणे भगवं महावीरे महागोवे' 'आगए णं देवाणुप्पिया । इहं महासत्थवाहे ?' 'के णं देवाणुप्पिया । महासत्यवाहे ?' सद्दालपुत्ता ! समणे भगवं महावीरे महासत्थवाहे' 'से केणटेणं (देवाणु० महासत्थचाहे) ?' ‘एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे संसाराडवीए वहवे जीवे न-स्समाणे विणस्समाणे जाव विलुप्पमाणे (उम्मग्गपडिवण्णे) धम्ममएणं पन्थेणं सा-रक्खमाणे निव्वाणमहापट्ट(गंसि)णाभिमुहे साहत्थिं सम्पावेइ, से तेणटेणं सद्दालपुत्ता! एवं बुच्चइ-समणे भगवं महावीरे महासत्थवाहे' 'आगए णं देवाणुप्पिया! इहं म(ह)हाधम्मकही?' 'के णं देवाणुप्पिया । महाधम्मकही ?' 'समणे भगवं महावीरे महाधम्मकहीं' से केणटेणं समणे भगवं महावीरे महाधम्मकही ? "एवं ७३ सुत्ता. Page #1206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ उवासगदसाओ खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे महइमहालयंति संसारं (मि) ति बहवे जीवे न-स्समाणे विणस्समाणे [खजमाणे छिज्जमाणे भिजमाणे लुप्पमाणे विलुप्पमाणे ] उम्मग्गपडिवन्ने सप्पहविप्पणडे मिच्छत्तवलाभिभूए अट्ठविहकम्मतमपडलप (डि) डोच्छन्ने बहूहिं अट्ठेहि य जाव वागरणेहि य चाउरन्ताओ संसारकन्ताराओ साहत्यि नित्थारेइ, से तेणट्टेणं देवाणुप्पिया 1 एवं बुच्चइ- समणे भगवं महावीरे महावम्मकही' 'आगए णं देवाणुप्पिया ! इहं महानिजामए ?' ' (से) के णं देवाणुप्पिया 1 महानिजामए ?' ‘समणे भगवं महावीरे महानिजामए' 'से केणट्टेणं (समणे ० ) ? "एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे संसारमहासमुद्दे वहवे जीवे न स्समाणे विणस्समाणे [जाव विलुप्पमाणे ] वु (बु) हमाणे नि (बु) बुद्रुमाणे उप्पियमाणे धम्ममईए नावाए निव्वाणतीराभिमुहे साहत्यि सम्पावेइ, से तेणट्टेणं देवाणुप्पिया ! एवं बुचइसमणे भगवं महावीरे महानिजामए ॥ ५६ ॥ तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मड्डुलिपुत्तं एवं वयासी- 'तुव्भे णं देवाणुप्पिया ! इयच्छेया जाव इयनिरणा इयनयवादी इयउचएसलद्धा इयविण्णाणपत्ता, पभू णं तुभे मम धम्म्मायरिएणं धम्मोवएसएणं (समणेणं) भगवया महावीरेणं सद्धिं विवादं क (रि) रेत्तए ?' 'नो ति (इ)ट्टे समट्टे' 'सेकेणट्टेणं देवाणुप्पिया । एवं बुचइ - तो खलु पभू तुम्भे मम धम्मायरिएणं जाव महावीरेणं सद्धिं विवादं क रेत्तए ?' 'सद्दालपुत्ता ! से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे जुगवं जाव निउणसिप्पोवगए एवं महं अयं वा एल्यं वा सूयरं वा कुक्कुडं वा तित्तिरं वा वट्ट्यं वा लावयं वा कवोयं वा कविजलं वा वायसं वा सेणयं वा हत्यंसि वा पायंसि वा खुरंसि वा पुच्छंसि वा पिच्छंसि वा सिङ्गति वा विसासि वा रोमंति वा जहिं जहि गिण्हइ तर्हि तर्हि निचलं निप्फन्दं धरेइ, एवामेव समणे भमवं महावीरे ममं वहूहिं अट्ठेहि य हेऊहि य जाव वागरणेहि य जहिं जहिं गिण्हइ तहिं तहिं निप्पट्टपसिणवागरणं करेड, से तेणट्टेणं सहालपुत्ता ! एवं बुचड़-नो खलु पभू अहं तव धम्मायरिएणं जाव महावीरेणं सद्धिं विवादं करेत्तए ॥ ५७ ॥ तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मलिपुत्तं एवं वयासी - 'जम्हा णं देवाप्पिया ! तुभे मम धम्मायरियस्स जाव महावीरस्स संतेहिं तचेहिं तहिएहिं (सव्वेहि) सम्भूए-हिं भावेहिं गुणकित्तणं करेह तम्हा णं अहं तुव्भे पारिहारिएणं पीड - जाव संथारएणं उवनिमन्तेमि, नो चेव णं धम्मो-त्ति वा तवो-त्ति वा तं गच्छह णं तुभे मम कुम्भारावणेड पाडिहारियं पीढफलग - जाव ओगिहि (उबसंपजि) ताणं विहरह' । तए णं से गोसाले महलिपुत्ते सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स एयमहं पडिनुणेs, पडिनुणेत्ता कुम् (भका) भारावणेन पाडिहारियं पीढ जाव ओगि ११५४ Page #1207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ब०७] ११५५ हि-त्ता-णं विहरइ । तए गं से गोसाले मसलिपुत्ते सद्दालपुत्तं समणोवासयं जाहे नो संचाएइ वहहिं आघवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विष्णवणाहि य (परुवणेहि य) निग्गन्याओ पावयणाओ (सं)चालित्तए वा खोमित्तए वा विपरिणामित्तए वा ताहे सन्ते तन्ते परितन्ते पोलासपुराओ नगराओ पडिणिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता वहिया जणवयविहारं विहरइ ॥ ५८ ॥ तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स बहूहिं सील-जाव भावेमाणस्स चोइस संवच्छरा व(वी)इकन्ता, पण्ण. रसमस्स संवच्छरस्स अन्तरा वट्टमाणस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले जाव पोसहसालाए समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पज्जित्ता-णं विहरइ । तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स (अंतिए) पुव्वरत्तावरत्तका(लसमयंसि)ले एगे देवे अन्तियं पाउन्भवित्था । तए णं से देवे एगं महं नीलुप्पल-जाव असिं गहाय सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं वयासी-जहा चुलणीपियस्स तहेव देवो उवसरगं करेइ, नवरं एक्के पुत्ते नव (२) मंससोल्लए करेइ जाव कणीयसं घाएइ, घाइत्ता जाव आयञ्चइ । तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए अभीए जाव विहरइ । तए णं से देवे सद्दालपुत्तं समणोवासयं अभीयं जाव पा(से)सित्ता चउत्यं-पि सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं क्यासी-हं भो सद्दालपुत्ता ! समणोवासया ! अपत्थियप-त्थया जाव न भनति तोते जाइमा अग्गिमित्ता भारिया धम्मसहाइया धम्म(वि)विइजिया धम्मागुरागरत्ता समसुहदु(ह)क्खसहाइया तं ते साओ गिहाओ नीणेमि, नीणेत्ता तव अग्गओ घाएमि, घाएत्ता नव मंससोल्लए करेमि, करेत्ता आदाणभरियसि कडाहयंसि अहेमि, अइहेत्ता तव गायं मंसेण य सोणिएण य आयञ्चामि, जहा गं तुमं अदुहट्ट •] जाव ववरोविज्जसि' । तए णं से सहालपुत्ते समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ । तए णं से देवे सद्दालपुत्तं समणोवासयं दोच्च-पि तच्च-पि एवं वयासी-'हं भो सद्दालपुत्ता ! समणोवासया ! तं चेव भणइ । तए णं तस्स सद्दालपुतस्स समणोवासयस्स तेणं देवेणं दोच्चं-पि तचं-पि एवं वुत्तस्स समाणस्स अयं अज्झथिए ४ समुप्प(जित्था)न्ने । एवं जहा चुलणीपिया तहेव चिन्तेइ-जेणं ममं जे8 पुत्तं, जेणं ममं मज्झि-मयं पुत्तं, जेणं म-मं कणीयसं पुत्तं जाव आयञ्चइ, जा-5-वि य णं म-मं इमा अग्गिमित्ता भारिया समसुहदु-क्खसहाइया तं-पि य इच्छइ साओ गिहाओ नीणेत्ता मम अग्गओ घाएत्तए, तं सेयं खलु ममं एयं पुरिसं गिण्हित्तए' त्ति-कटु उ-द्धाइए जहा चुलणीपिया तहेव सव्वं भाणियव्वं, नवरं अग्गिमित्ता भारिया कोलाहलं सु(णे)णित्ता भणइ, सेसं जहा चुलणिपियावत्तव्वया, नवरं अरुणभूए विमाणे उव(वाओ)वन्ने, जाव महाविदे(ह)हे वासे सिज्झि Page #1208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ११५६ [उवासगदसामो हिइ (५)॥ ५९ ॥ निक्खे(वो)वओ ॥ सत्तमस्स अङ्गास्स उवासगदसाणं सत्तमं अज्झयणं समत्तं ॥ __ अट्ठमस्स उक्खेवओ । एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे । गुणसि(लए)ले उजाणे । सेणि(यए राया। तत्थ णं रायगिहे महासयए नाम गाहावई परिवसइ, अड्डे-जहा आणन्दो । नवरं अट्ठ हिरण्गकोडीओ सकंसाओ निहाणपउत्ताओ, अट्ठ हिरण्णकोडीओ सकंसाओ (-ड्डी)ट्ठिपउत्ताओ, अट्ठ हिरणकोडीओ सकंसाओ पवित्थरपउत्ताओ, अट्ठ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं । तस्स णं महासयगस्स रेव(इ)ईपामोक्खाओ तेरस भारियाओ होत्था, अहीण[.] जाव सुरुवाओ । तस्स णं महासयगस्स रेवईए भारियाए कोल(ह)घरियाओ अट्ठ हिरण्णकोडीओ, अट्ठ-वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था । अवसेसाणं दुवालसण्हं भारियाणं कोल-घरिया एगमेगा हिरण्णकोडी, एगमेगे य वए दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था ॥ ६० ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोस-ढे । परिसा निग्गया। जहा आणन्दो तहा निग्गच्छइ, तहेव साव(ग)यधम्म पडिवजइ । नवरं अट्ठ हिरण्णकोडीओ सकंसाओ उच्चारेइ, अट्ट वया, रेवईपामोक्खाहिं तेर(से)सहिं भारियाहिं अवसेस मेहुणविहिं पच्चक्खाइ, सेसं सव्वं तहेव । इमं च णं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ-कल्लाकलिं [च गं] कप्पइ मे बे(वे-दो)दोणियाए कंसपाईए हिरण्णभरियाए संववहरित्तए । तए णं से महासयए समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ, तए णं समणे भगवं महावीरे वहिया जणवयविहारं विहरइ ॥ ६१ ॥ तए णं तीसे रेव-ईए गाहावइणीए अन्नया कया-इ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि कु(डोडम्ब[0] जाव इमेयारूवे अज्झथिए ४-"एवं खलु अहं इमासिं दुवाल. सहं सवत्तीणं विघाएणं नो संचाएमि महासयएणं समणोवासएणं सद्धिं उ(ओ)रालाई माणुस्सयाई भोगभोगाई भुञ्जमाणी विहरित्तए, तं सेयं खलु म-मं एयाओ दुवालस-वि सवत्तियाओ अग्गिप्पओगेण वा सत्थप्पओगेणं वा विसप्पओगेणं वा जीवियाओ ववरोवित्ता, एयासिं एगमेगं हिरण्णको(डी)डि एगमेगं वयं सयमेव उवसम्पजित्ता-णं महासयएणं समणोवासएणं सद्धिं उरालाइं जाव विहरित्तए' एवं सम्पेहेइ, संपेहित्ता तासिं दुवालसण्हं सवत्तीणं अन्तराणि य छिद्दाणि य वि(रहा)वराणि य पडिजागरमाणी विहरइ । तए णं सा रेवई गाहावइणी अन्नया कया-इ तासिं दुवालसण्हं सवत्तीणं अन्तरं जाणित्ता छ सवत्तीओ सत्थप्पओगेणं उद्दवेइ, उद्दवेत्ता छ सवत्तीओ विसप्पओगेणं उद्दवेइ, उद्दवेत्ता तासिं दुवालसण्हं सवत्तीणं कोलघरियं एगमेगं हिरण्णकोडिं एगमेगं वयं सयमेव पडिवजइ, पडिवजित्ता महासयएणं Page #1209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे समणोवाससलोलया मंसेसु माय मुरं च महुं च मयागहे नयरे अन्या मनु __ म..] ११५७ समणोवासएणं सद्धिं उरालाई भोगभोगाई भुञ्जमाणी विहरइ । तए णं सा रेवई गाहावइणी मंसलोलुया मंसेसु मुच्छिया जाव अज्झोववन्ना बहुविहेहिं मंसेहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भजिएहि य तुरं च महुं च मेरगं च मज्जं च सीधुं च पसन्नं च आसाएमाणी ४ विहरइ ॥ ६२ ॥ तए णं रायगिहे नयरे अन्नया कयाइ अमा(रि)घाए घुट्टे यावि होत्था । तए णं सा रेवई गाहावइणी मंसलोलुया मंसेसु मुच्छिया ४ कोलघरिए पुरिसे सद्दावेइ, सदावेत्ता एवं वयासी-'तुम्भे (ण) देवाणुप्पिया ! म(म)म कोलघरिएहितो (गो)वएहितो कल्लाकलिं दुवे दुवे गोणपोयए उद्दवेह, उद्दवेत्ता म-मं उवणेह । तए णं (ते) कोल-घरिया पुरिसा रेव-ईए गाहावइणीए 'तहत्ति एयमढे विणएणं पडिसु(णे)णन्ति, पडिसुणेत्ता रेवईए गाहावइणीए कोलघरिएहितो वएहितो कलाकालिं दुवे दुवे गोणपोयए वहेन्ति,वहेत्ता (तं) रेवईए गाहावइणीए उवणेन्ति । तए णं सा रेवई गाहावइणी तेहिं गोणमंसेहिं सोल्लेहि य ४ सुरं च ६ आसाएमाणी ४ विहरइ ।। ६३ ॥ तए णं तस्स महासयगस्स समणोवासगस्स बहूर्हि सील-जाव भावेमाणस्स चो(चउ)इस संवच्छरा वइकन्ता । एवं तहेव जे(ड), पुत्तं ठवेइ जाव पोसहसालाए धम्मपण्णत्तिं उवसम्पज्जित्ता-णं विहरइ । तए णं सा रेवई गाहावइणी मत्ता लुलिया विइण्णकेसी उत्तरिजयं विकड्डमाणी २ जेणेव पोसहसाला जेणेव महासयए समणोवासए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मोहुम्मायजणणाई सिङ्गारियाई इत्यिभावाइं उवदंसेमाणी २ महासययं समणोवासयं एवं वयासी'हं भो महासय(गा)या ! समणोवासया! धम्मकामया पुण्णकामया सग्गकामया मोक्खकामया धम्मकडिया ४ धम्मपिवासिया ४ किण्(कि)णं तुभं देवाणुप्पिया ! धम्मेण वा पुण्णेण वा सग्गेण वा मोक्खेण वा [?] जण्णं तुमं मए सद्धिं उ-रालाई जाव भुञ्जमाणे नो विहरसि(?)' । तए णं से महासयए समणोवासए रेवईए गाहावइणीए एयमद्वं नो आढाइ, नो परियाणाइ, अणाढायमाणे अपरियाणमाणे तुसिणीए धम्मज्झाणोवगए विहरइ । तए णं सा रेवई गाहावइणी महासययं समणोवासयं दोच्चं-पि तच्चं-पि एवं वयासी-'हं भो! (म० स०) तं चेव भणइ, सो-इ-वि तहेव जाव अणाढायमाणे अपरियाणमाणे विहरइ । तए णं सा रेव-ई गाहावइणी महासयएणं समणोवासएणं अणाढाइजमाणी अपरियाणिजमाणी जामेव दि-सिं पाउन्भूया तामेव दि-सिं पडिगया ॥ ६४ ॥ तए णं से महासयए समणोवासए पढम उवासगपडिम उवसंपजित्ता-णं विहरइ । पढमं अहासुत्तं जाव एक्कारस-5-वि । तए णं से महासयए समणोवासए तेणं उरालेणं जाव किसे धम. णिसन्तए जाए। तए णं तस्स महासययस्स समणोवासयस्स अन्नया कया(इ)ई Page #1210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११५८ सुत्तागमे [उवासगदसाओ पुव्वरत्तावरत्तकाले धम्मजागरियं जागरमाणस्स (इमेयालवे) अयं अज्झथिए ४'एवं खलु अहं इमेणं उरालेणं जहा आणन्दो तहेव अपच्छिममारणन्तियसंलेहणा(ए झो)झुसियसरीरे भत्तपाणपडियाइक्खिए कालं अणवकपमाणे विहरइ । तए णं तस्स महासयगस्स समणोवासगस्स सुभेणं अज्झवसाणे (परिणामे)णं जाव खओवसमेणं ओहिणाणे समुप्पन्ने । पुरथिमेगं लवणसमुद्दे जोयण(स)साह(स्स)स्सियं खे(त)त्ते जाणइ पासइ, एवं दक्खिणेणं पचत्यिमेणं, उत्तरेणं जाव चुल्लाहिमवन्तं वासहरपव्वयं जाणइ पासइ, अहे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयचुयं नरयं चर(चो)रासी[३]वाससहस्सटिइयं जाणइ पासइ ॥६५॥ तए णं सा रेवई गाहावइणी अन्नया कया-इ मत्ता जाव उत्तरिजयं विकड्माणी २ जेणेव पोसहसाला जेणेव महासयए समणोवासए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता महासययं तहेव भणइ, जाव दोच्चं-पि तञ्च-पि एवं वयासी-हं भो तहेव । तए णं से महासयए समगोवासए रेवईए गाहावइणीए दोच्चं-पि तच्चं-पि एवं वुत्ते समाणे आसु-रुत्ते ४ मोहिं पउंजइ, पउंजित्ता ओहिणा आभोएइ, आभोएत्ता रेवई गाहावइणिं एवं वयासी-हं भो रेव(ई)इ ! अपत्थियपत्थिए-!-४ एवं खलु तुमं अन्तो सत्तरत्तस्स अलसएणं वाहिणा अभिभूया समाणी अदुहवसट्टा असमाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा अहे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयञ्चुए नरए चउरासी (ई)इवाससहस्सट्टिइएतु नेरइएसु नेरइयत्ताए उववजिहिसि' । तए णं सा रेवई गाहावइणी महासयएणं समणोवासएणं एवं वुत्ता समाणी (भीया) एवं वयासी-'स्टे णं म-मं महासयए समणोवासए, हीणे गं म-मं महासयए समणोवासए, अवज्झाया णं अहं महासयएणं समणोवासएणं, न नजइणं अहं केणवि कुमारेणं मारिजिस्सामि'त्ति-कट्ट भीया तत्था तसिया उव्विग्गा सजायभया सणियं २ पच्चोसक्का, पञ्चोसक्कित्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ओहय[.] जाव झियाइ । तए णं सा रेवई गाहावइणी अन्तोसत्तरत्तस्स अलसएणं वाहिणा अभिभूया अदुहवसट्टा कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयच्चुए नरए चउरासीइवाससहस्सटिइएसु नेरइएसु नेरइयत्ताए उववन्ना ॥ ६६ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे, समोस-रणं, जाव परिसा पडिगया। ‘गोयमा'-!-इ समणे भगवं महावीरे एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! इहेव रायगिहे नयरे म-मं अन्तेवासी महासयए नाम समणोवासए पोसहसालाए अपच्छिममारणन्तियसंलेहणाए झुसियसरीरे भत्तपाणपडियाइक्खिए कालं अणवकलमाणे विहरइ । तए णं तस्स महासयगस्स रेवई गाहावइणी मत्ता जाव विक(डू)द्देमाणी २ जेणेव पोसहसाला जेणेव महासयए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मोहुम्माय[.] जाव एवं वयासी-तहेव जाव दोचं-पि तच्चं-पि एवं वयासी Page #1211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ०८] सुत्तागमे ११५९ तए णं से महासयए समणोवासए रेवईए गाहावइणीए दोघं-पि तच्चं पि एवं वृत्ते समाणे आसु-रुते ४ ओहिं परंजइ, परंजित्ता ओहिणा आभोएइ, आभोएत्ता रेवई गाहावइणिं एवं वयासी - जाव 'उववज्जिहिसि' । नो खलु कप्पइ गोयमा । समणोवासगस्स अपच्छिम [ ० ] जाव झुसियसरीरस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स परो सन्तेहिं तच्चेहिं तहिएहिं सम्भूएहि अणिद्वेहिं अकन्ते हि अप्पिएहिं अमणुण्णेहिं अमणामेहिं वागरणेहिं वागरित्तए, तं गच्छ (ह) णं देवाणुप्पिया ! तुमं महासययं समणोवासयं एवं वयाहि नो खलु ठेवाणुप्पिया । कप्पड़ समणोवासगस्स अपच्छिम - जाव भत्तपाणपडिया इक्खियस्स परो सन्ते-हिं जाव वागरित्तए । तुमे य णं देवाणुप्पिया ! रेवई गाहावइणी संतेहिं ४ अणिट्ठेहिं ५ वागरणेहिं वागरिया, तं णं तुमं एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव जहारिहं च पायच्छित्तं पडिव - जाहि' । तए णं से भगवं गोयमे समणस्स भगवओ महावीरस्स 'तह'त्ति एयमहं विणएणं पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता तथ पडिणिक्खमड, पडिनिक्खमित्ता रायगिहं न ( ग ) यरं मज्झमज्झेणं अणुप्पविसइ, अणुपविसित्ता जेणेव महासयगस्स समणोवासयस्स गिहे जेणेव -महासयए समणोवासए तेणेव उवागच्छइ । तए णं से महासयए (समणोवासए) भगवं गोयमं एजमाणं पासइ, पासित्ता ह (हे )ह जाव हियए भगवं गोयमं वन्दइ नमसइ । तए णं से भगवं गोयमे महासययं समणोवासयं एवं वयासी एवं खलु देवाप्पिया ! समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ भासइ पण्णवेइ परूवेइ-नो खलु कप्पर देवाणुप्पिया ! समणोवासगस्स अपच्छिम जाव वागरित्तए, तुमे णं देवाणुप्पिया । रेवई गाहावइणी सन्तेहि जाव वागरि (या) आ, तं णं तुमं देवाणुप्पिया ! एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिव - जाहि' । तए णं से महासयए समणोवासए भग(वं)चओ गोयमस्स 'तह 'त्ति एयमहं विणएणं पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ जाव अहारिहं च पायच्छित्तं पडिवज्जइ । तए णं से भगवं गोयमे महासयगस्स समणोवासयस्स अन्तियाओ पडिणिक्खमइ, पडि - निक्खमित्ता रायगिहं नगरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छर, निग्गच्छित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छन्, उवागच्छित्ता समण भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमसित्ता संजमे ( नं)ण तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कया-इ रायगिहाओ नयराओ पडिणिक्खमइ, पडि - निक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ॥ ६७ ॥ तए णं से महासयए समणोचास बहूहि सील-जाव भावेत्ता वीसं वासाई समणोवास - यपरिया (गं ) यं पाउणित्ता ए-क्कारस उवासगपडिमाओ सम्मं काए-ण फासित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झू. सित्ता सहि भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपक्किन्ते समाहिपत्ते कालमासे Page #1212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३६० सुत्तागमे [ उवासगदसाओ कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणवडिसए विमाणे देवत्ताए उववन्ने । चत्तारि पलिओवसाई ठिई | महाविदे - हे वासे सिज्जिहि ॥ ६८ ॥ निक्लेवो । सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं अट्ठमं अज्झयणं समत्तं ॥ नवमस्त उक्खेवो । एवं खलु जम् (बु) बू । तेणं काळेणं तेणं समएणं सावत्थी नयरी | कोट्ट (ग) ए उजाणे । जियसत्तू राया । तत्थ णं सावत्यीए नयरीए नन्दिनीपिया नामं गाहावई परिवसर, अड्ढे । चत्तारि हिरण्णकोडीओ निहागपरत्ताओ, चत्तारे हिरण्णकोडीओ वु-ढिपत्ताओ, चत्तारि हिरण्यकोडीओ पवित्थरपउत्ताओ, चत्तारि क्या दसगोसाहस्सिएणं वएणं । अस्सिणी भारिया । सानी समोसढे । जहा आणन्दो तहेव गिहिधम्मं पडिवज्जइ । सानी बहिया ( बिहार ) विहरइ । नए णं से नन्दिणीपिया समणोवासए जाए जाव विहरड़ । तए णं तस्न नन्द्रिणीपियस्त समणोवासयस्स बहूहिं सीलव्वयगुण [0] जाव भावेमाणस्स चोइस संबच्छराई वक्कन्ताई । तव जे पुनं ठवेइ, धम्मपण्णत्ति, वीसं वासाई परियागं, नाणत्तं अरुणगवे विमाणे उवत्राओ । महाविदे हे वासे सिज्जिहि ॥ ६९ ॥ निक्खेवों ॥ सत्तमस्त अंगस्स उवासगदसाणं नवमं अज्झयणं समत्तं ॥ दसमस्स उक्खेवो । एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं सम्वत्थी न-यरी | कोट्टए उजाणे । जियस तू राया । तत्थ णं सावत्थीए नयरीए कालिही पिया नामं गाहावई परिवसइ | अड्ढे दित्ते । चत्तारि हिरण्गकोडीओ निहाणपत्रत्ताओ, चत्तारि हिरण्गकोडीओ वुढिपत्ताओ, चत्तारि हिरण्गकोडीओ पवित्र उत्ताओ । चत्तारि क्या दसगोसाहस्सिएणं वएणं । फग्गुणी भारिया | सानी समोस-दे । जहा आणन्दो त ( ह ) हेव गिहिवम्मं पडिवज्जइ, जहा कामदेवो तहा जेहूं पुत्तं ठवे (इ) ता पोसहसालाए समणस्स भगवओ महावीरस्स वम्मपण्णत्ति उवसम्प जित्ताणं विहरड़ | नवरं निस्त्रसग्गाओ एकारस-वि उवासगपडिमाओ तहेव भाणियव्वाओ । एवं कामदेवगमेणं नेयव्वं जाव सोहम् मे कप्पे अरुणकीले विमाणे देवत्ताए उववन्ने । चत्तारि पलिओ माई ठिई, महाविदे हे वासे तिज्निहि ॥ ७० ॥ (०) || सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं इसमें अज्झयणं समन्तं ॥ दसण्ह-वि पणरसमे संवच्छरे वमाणाणं चिन्ता | दसह वि वीसं वासाई समणोवासयपरियाओ । एवं खलु जम्बू ! समणेणं जाव सम्पत्तेणं सत्तमस्त अङ्गस्स उवासगदसाणं अयमठ्ठे पण्णत्ते ॥ ७१ ॥ उवासगदसाओ समत्ताओ । उवासगदसाणं सत्तमस्स अगस्स एगो सुयखन्धो दस अज्ञ्जयणा एकसरगा दसनु चैव दिवसे उद्दिरिसज्जति तओ सुयखन्धो समुद्दित्सिज्जइ अणुण्गविज्जइ दोसु दिवसेन अङ्गं तहेव ॥ Page #1213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोऽत्यु णं समणस्स भगवओ णायपुत्तमहावीरस्स सुत्तागमे तत्थ णं अंतगडदसाओ [पढमो वग्गो] तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा-नाम न(ग)यरी (हो० व० तत्थ णं चं० न० उ० दि० ए०) पुण्णभद्दे (णा०) उजाणे (हो०) वण्णओ, (ती० चं० न० को० ना० ए० हो० म० हि० व०) तेणं कालेणं तेणं समएणं अज्जसुहम्मे (थे० जाव पं० अ० स० सं० पु० च० गा० सु० वि० जे० चं० न० जे० पु० उ० ते.) समोसरि(ते)ए परिसा निग्ग(ता)या जाव पडिग-या, तेणं कालेणं तेणं समएणं अन्नसुहम्मस्स अंतेवासी अनजंवू जाव पजुवास(माणे)इ, एवं व(दासि)यासी-ज(ति)इ णं भंते ! समणेणं (भ० म०) आ(इग)दिकरेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं अयमढे पण्णत्ते अट्ठमस्स णं भंते ! अंगस्स अंतगडदसाणं, समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पण्णत्ते ? एवं खलु जंवू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अट्ठ वग्गा पण्णत्ता, जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अट्ठ वग्गा पण्णत्ता पढमस्स णं भंते ! वग्गस्स अंतगडदसाणं समणेणं जाव संपत्तणं कइ अज्झयणा पण्णत्ता ? एवं खलु जंवू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं पढमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं०-'गोयम-समुद्द-सागर-गंभीरे चेव होइ थिमिए य। अयले कंपिल्ले खलु अक्खोभ-पसेण(ती)इ(वण्ही)विण्हू ॥ १ ॥' जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं पढमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पण्णत्ता (तं० गो० जाव वि०) पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स अंतगडदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पण्णत्ते? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वारवई-नामं नयरी होत्था, दुवालसजोयणायामा नवजो(अ)यणवित्थिण्णा धणवइमइणिम्माया चामीकरपागारा नाणामणिपंचवण्णकविसीसग(परि)मंडिया सुरम्मा अलकापुरिसंकासा पमुदियपीलिया पच्चक्खं देवलोगभूया पासा(दी)दिया ४, तीसे णं Page #1214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ११६२ [अंतगडदसामो वारवईणयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्य णं रेवयए नाम पव्वए होत्या तत्य णं रेवयए पन्चए नंदणवणे नामं उजाणे होत्या वग्गओ, नुरप्पिए नामं जक्खायतणे होत्या, असोगवरपायवे ०], तत्थ णं वारवई(ए)ग-यरीए कण्हे नाम वानुदेवे राया परिवसइ महया[0] रायवण्गओ, से णं तत्य सनुदविजयपा(मु)मोक्खागं दसहं दसारागं वलदेवपा-मोक्खाणं पंचण्हं महावीराणं पजुण्गपामोक्खाणं अङ्घद्धाणं कुमारकोडीणं संवपामोक्खाणं सट्ठीए दुइंतसाहस्वीणं महसेणपामोक्खाणं छप्पण्गाए वलच(ग)यसाहस्सीणं वीरसेणपामोक्खाणं एगवीसाए वीरसाहस्वीगं उग्गसेणपामोक्खाणं सोलसण्हं रायसाहस्सीणं रुप्पिणीपामोक्खाणं सोलसम्हं दे(वि)वीसाहस्तीणं अन्नेसिं च वहूणं ईसर जाव सत्यवाहाणं वारवईए नयरीए अद्धभरहस्स य सम(न्त-त्तत्यस्स आहेवचं जाव विहरइ, तत्य णं वा(वा)रवईए नयरीए अंधग(वि. हू)वण्(णी)ही-नामं राया परिवसइ, महया० रायवण्णओ, तस्स णं अवगवहिस्स रग्गो धारिणी नामं देवी होत्या वण्णओ, तए णं सा धारिणी देवी अण्णया कयाई तंति तारिसगंसि सबणिज्नति (एव) जहा महब्बले 'मुसिणसणकहणा जम्मं वालत्तणं कलाओ य । जोव्वणपाणिग्गहणं (कंता) कण्णा पासायभोगा य ॥ १ ॥' नवरं गोयमो नामेणं अठ्ठण्हं रायवरकण्गाणं एगदिवसेणं पाणिं गेहावेंति अलओ दाओ, तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिठ्ठणेमी आ-दिकरे जाव विहरइ चरविहा देवा आगया कण्हे-वि निग्गए, तए णं तस्स गोयमस्स कुमारस्स[.] जहा मेहे तहा णिग्गए धम्म सोत्रा (णि०) नवरं देवाणुप्पिया! अम्मापियरो आपुच्छामि देवाणुप्पियाणं० एवं जहा मेहे जाव अगगारे जाए [इरिया समि-ए] जाव इणमेव निरगंथं पावयणं पुरओ काउं विहरइ, तए णं से गोयमे (अ०) अण्गया कया(इ)इं अरहओ अरिहणेमिस्स तहालवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाझ्याई एकारस अंगाई अहि(न). ' जेइ २ त्ता वहूहिं चउत्थ जाव भावेमाणे विहरइ, (तएणं) ते अरिहा अरिठणेमी अण्णया कया-ई वारवईओ [नयरीओ] नंदणवणाओ (उ०) पडिणिक्खमइ (२ त्ता) वहिया जणवयविहारं विहरइ, तए णं से गोयमे अणगारे अण्णया कया-इं जेणेव अरहा अरिहणेमी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अरहं अरिठणेमि तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं व्यासी-इच्छामि गं भंते ! तुमहिं अभणुण्णाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरेत्तए, एवं जहा खंदओ तहा वारस भिक्खुपडिमाओ फासेइ (०) गुणरयणं-पि तवोकम्मं तहेव फासेइ निरवसेसं जहा खंदओ तहा चिंतेइ तहा आपुच्छइ तहा थेरेहिं सद्धि सेत्तुद्धं दुल्हइ मासियाए संलेहणाए वारस वरिसाइं परियाए जाव सिद्ध (५) ॥१॥ एवं Page #1215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व० ३ ० १ ] सुत्तागमे ११६३ खलु जंबू | समणेणं जाव संपत्तेणं अट्टमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं पढम् [स्स]व[स्स]पढम् [स्स]अज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते, एवं जहा गोयमो तहा सेसा वही पिया धारिणी माया समुद्दे सागरे गंभीरे थिमिए अयले कंपिल्ले अक्खोभे पसेणई वि ( हुए) हू एए एगगमा, पढमो वग्गो दस अज्झयणा पण्णत्ता ॥ २ ॥ [दोच्चो वग्गो] जइ दोच्चस्स वग्गस्स [०] उक्खेवओ, तेणं कालेणं तेणं समएणं वा रवईए नयरीए वही पिया धारिणी माया - अक्खोभसागरे खलु समुद्दहिमवत - अ ( ये ) चलनामे य । धरणे य पूरणे-वि य अभिचंदे चेव अट्टमए ॥ १ ॥ जहा पढ (मो ) मे वर (गो) गे तहासचे अट्ट अज्झयणा, गुणरय (ण) णं तवोकम्मं, सोलस-वासाईं परियाओ, सेत्तुचे मासियाए संलेहणाए (जाव) सि (द्धे) द्धी (०) ॥ ३ ॥ [तच्चो वग्गो] जइ तच्चस्स [0] उक्खेवओ एवं खलु जंबू ! (स० जाव सं० अ० अं०) तच्चस्स वग्गस्स अंतगडदसाणं तेरस अज्झयणा पण्णत्ता, तं० - अणीयसे (ण) अणंतसेणे [अजियसे-णे] अणिहय (वि)रि (उ) ऊ देव(जसे ) सेणे सत्तुसेणे सारणे गए सुमुहे दुम्मुहे कूवए दारुए अणादिट्ठी । जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तणं (०) तच्चस्स वग्गस्स अंतगडदसाणं तेरस अज्झयणा प० (तं० अ० जाव अ०) तच्चस्स णं भंते ! वग्गस्स पढम-अज्झयणस्स अंतगडदसाणं (०) के अट्ठे प० ? एवं खलु जंबू । तेणं कालेणं तेणं समएणं भद्दिलपुरे नामं न (य) गरे होत्था (रि०) वण्णओ, तस्स णं भद्दिलपुरस्स ( न० ) उत्तरपुर (त्थि ) च्छिमे दिसीभाए सिरिवणे नाम उज्जाणे होत्था वण्णओ, जियसत्तू राया, तत्थ णं भद्दिलपुरे न-यरे नागे नामं गाहावई होत्था अड्डे जाव अपरिभूए, तस्स णं नागस्स गाहावइस्स सुलसा नाम भारिया होत्या सू (सुकु)माला जाव सुरूवा, तस्स णं नागस्स गाहावइस्स पुत्ते सुलसाए भारियाए अत्तए अणीय (ज) से - नामं कुमारे होत्था सू-माले जाव सुरूवे पंचधाइपरिक्खित्ते तं ० -खीरधाई[0] जहा दढपइण्णे जाव गिरि० सुहंसुहेणं परिवढइ, तए णं तं अ (णि) णीयसं कुमारं सा (इ) तिरेगअट्ठवासजायं अम्मापियरो कलायरिय[0] जाव[ ० ] भोगसमत्थे जाए यावि हत्था, तए णं तं अ णीयसं कुमारं उम्मुक्कबालभावं जा (णे ) णित्ता अम्मापियरो सरि[ सियाणं ] जाव वत्तीसाए इब्भवरकण्णगाणं एगदिवसे पाणि गेण्हावेति, तएण से नागे गाहावई अणीयसस्स कुमारस्स इमं एयारूवं पीइदाणं दलयइ तं० - बत्तीसं हिरण्णकोडीओ [0] जहा म (ह) हावलस्स जाव उप्पि पासायवरगए फुट्ट० विहरइ, तेणं काळेणं तेणं समएणं अरहा अरि [णेमी] जाव समोसढे सिरि Page #1216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे ११६४ [अंतगडदसामो वणे उज्जाणे ज(अ)हा जाव विहरइ परिसा निग्गया, तए णं तस्स अणीयसस्स (कु०) तं (म०) जहा गोयमे तहा नवरं सामाइयमाइयाई चोइस-पुव्वाइं अहिज्जइ वीसं वासाइं परियाओ सेसं तहेव जाव सेत्तुळे पव्वए मासियाए संलेहणाए जाव सिद्धे (५) । एवं खलु जंबू! समणेणं[.] अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं तच्चस्स वग्गस्स पढम-अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, एवं जहा अणीयसे एवं सेसा-वि अणं. तसे(णो)णे जाव सत्तुसेणे छ-अज्झयणा ए(ग)कगमा बत्तीसओ दाओ वीसं वासा परियाओ चोइस [पु.] सेत्तुञ्जे (जाव) सिद्धा ॥ छट्ठमज्झयणं समत्तं ॥ ४ ॥ (ज०. णं० भ० उ० स०) तेणं कालेणं तेणं समएणं बारवईए नयरीए जहा पढ(मे नवर)मं वसुदेवे राया धारिणी देवी सीहो सुमिणे सारणे कुमारे पण्णासओ दाओ चोइस पुव्वा वीसं वासा परियाओ सेसं जहा गोयमस्स जाव सेत्तुजे सिद्धे ॥ ५॥ जइ[0] उक्खेव]ओ अट्ठमस्स एवं खलु जंवू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वारवईए नयरीए जहा पढमे जाव अरहा अरिठ्ठणेमी सामी समोसढे। तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहओ अरिट्ठणेमिस्स अंतेवासी छ अणगारा भायरो सहोदरा होत्था सरिसया सरित्तया सरिव्वया नीलुप्पलगुलियअयसिकुसुमप्पगासा सिरिवच्छंकियवच्छा कुसुम कुंडलभद्दलया नलकु(व्व)ब्बरसमाणा, तए णं ते छ अणगारा जं चेव दिवसं मुंडा भवेत्ता अ(आ)गाराओ अणगारियं पव्वइया तं चेव दिवसं (अरह) अरिहणेमि वंदंति णमंसंति वं० २ त्ता एवं वयासी-इच्छामो णं भंते ! तुन्भेहिं अन्भणुण्णाया समाणा जावज्जीवाए छलुछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवकम्मसंजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिवंधं करेह, तए णं (ते) छ अणगारा अरहया अरिट्ठणेमिणा अब्भणुण्णाया समाणा जावज्जीवाए छटुंछटेणं जाव विह(रे)रंति, तए णं-छ अणगारा अण्णया कयाई छक्खमणपार(णं)णयंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेंति ज(ह)हा गोय(मसा०)मो जाव इच्छामो णं (भं०) छठक्खमणस्स पार(णा)णए तुम्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणा तिहिं संघाडएहिं बारवईए नयरीए जाव अडित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह, तए णंछ अणगारा अरहया अरिट्ठणेमिणा अन्भणुण्णाया समाणा अरहं अरिठ्ठणेमि वंदति नमसंति वं० २ त्ता अरहओ अरिट्ठणेमिस्स अंतियाओ सह(स)संबवणाओ (०) पडिणि क्खमंति २ त्ता तिहिं संघाडएहिं अतुरियं जाव अडंति, तत्थ णं एगे संघाडए बारवईए नयरीए उच्चणीयमज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमा. णे (२) वसुदेवस्स रण्णो देवईए देवीए गेहे अणुपविटे, तए णं सा देवई देवी ते अणगारे एज्जमाणे पासइ पा(सइ)सेत्ता हट्ठ जाव हियया आसणाओ अब्भुट्टेइ २ Page #1217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व० ३ ०८] सुत्तागमे ११६५ त्ता सत्त-पयाइं (अ० २ त्ता) तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ ता जेणेव भत्तघ(रे)रए तेणेव उवाग(च्छइ २ त्ता)या सीहकेसराणं मोयगाणं थालं भरेइ (०) ते अणगारे पडिलाभेइ (०) वंदइ नमसइ वं० २ ता पडिविसज्जेइ, त(दा)याणंतरं च णं दोचे संघाडए वारवईए (न०) उच्च[0] जाव विसज्जेइ, तयाणंतरं च णं तच्चे संघाडए वारवईए न-गरीए उच्च-जाव पडिलाभेइ २ ता एवं वयासी-किण्णं देवाणुप्पिया ! कण्हस्स वासुदेवस्स इमीसे वारवईए नयरीए (दु०) नवजोयण० पञ्चक्खदेवलोगभूयाए समणा निग्गंथा उच्च-जाव अडमाणा भत्तपाणं नो लभंति (2) जण्णं ताइंचेव कुलाई भत्तपाणाए भुजो २ अणुप्पविसंति ?, तए णं ते अणगारा देवइं देवि एवं वयासी-नो खलु देवा० ! कण्हस्स वासुदेवस्स इमीसे वारवईए नयरीए जाव देवलोगभूयाए समणा निग्गंथा उच्च-जाव अडमाणा भत्तपाणं णो लभंति नो [ज] चेव णं ताई ताई कुलाइं दोच्चं-पि तचं-पि भत्तपाणाए अणुपविसंति, एवं खलु देवाणुप्पि० ! अम्हे भद्दिलपुरे नगरे नागस्स गाहावइस्स पुत्ता नुलसाए भारियाए अत्तया छ भायरो सहोदरा सरिसया[.] जाव नलकुब्बरसमाणा अरहओ अरिट्ठणेमिस्स अंतिए धम्मं सोचा-संसारभउव्विगा भीया जम्म(ण)मरणाणं मुंडा जाव पव्वइया, तए णं अम्हे जं चेव दिवसं पव्वइया तं चेव दिवसं अरहं अरिट्ठणेमि वंदामो नमसामो वं० २ त्ता इमं एयासवं अभिग्गहं अभिगेण्हामो-इच्छामो णं भंते ! तुन्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणा जाव अहासुहं०, तए गं अम्हे अरहओ (अ०) अब्भणुण्णाया समाणा जावजीवाए छटुंछट्टेणं जाव विह रामो, तं अम्हे अज छठक्खमणपारणयंसि पढमाए पोरिसिए जाव अडमाणा तव गेहें अणुप्पविठ्ठा, तं नो खलु देवाणुप्पिए ! ते चेवणं अम्हे,अम्हे णं अण्णे-देवई देवि एवं वदंति २ त्ता जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगया, (तए णं) तीसे देवईए (देवीए) अयमेयारूवे अ(ब्भ)ज्झथिए ४ समुप्पण्णे, एवं खलु अहं पोलासपुरे नयरे अइमुत्तेणं कुमारसमणेणं वालत्तणे वागरिया तुमण्णं देवाणुप्पिए ! अट्ठ पुत्ते पयाइस्ससि सरिसए जाव नलकु-व्वरसमाणे नो चेव णं भरहे वासे अण्णाओ अम्मयाओ तारिसए पुत्ते पयाइस्संति तं णं मिच्छा, इमं णं पञ्चक्खमेव दिस्सइ भरहे वासे अण्णाओ-वि अम्मयाओ (खल) एरिस जाव पुत्ते पयायाओ, तं गच्छामि णं अरहं अरिटणेमि वंदामि (न० २०) २ ता इमं च णं एयारूवं वागरणं पुच्छिस्सामीतिकडु एवं संपेहेइ २ त्ता कोडंबियपुरिसा सहावेइ २ त्ता एवं वयासी लहुकरणप्पवरं०] जाव उवट्ठति, जहा देवाणंदा जाव पजुवासइ,-ते अरहा अरिटणेमी देवई देवि एवं वयासी-से नूणं तव देवई ! इमे छ अणगारे पासेत्ता अयमेयारूवे Page #1218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६६ सुत्तागमे [अंतगडदसाओ अ(झ)न्भत्थिए० एवं खलु अहं पोलासपुरे नयरे अइमुत्तेगं तं चेव जाव निग्गच्छसि २ त्ता जेणेव ममं अंतियं हव्वमागया से नूणं देवई ! अ(त्थे)ढे समढे ? हंता अत्थि, एवं खलु देवाणुप्पिए ! तेणं कालेणं तेणं समएणं भद्दिलपुरे नयरे नागे नाम गाहावई परिवसइ अड्डे०, तस्स णं नागस्स गाहावइस्स सुलसा-नाम भारिया होत्था, सा सुलसा गाहावइणी वालत्तणे चेव ने(नि)मित्तएणं वागरिया-एस गं दारिया णिंदू भविस्स०, तए णं तीसे तुलसाए गाहावइणीए भत्तिवहुमाणसुस्सूसाए हरिणेगमेसी-देवे आराहिए यावि होत्था, तए णं से हरिणेगमेसी देवे सुलसाए गाहावइणीए अणुकंपण (ठ्ठया)हाए सुलसं गाहावइणिं तुमं च (णं) दो-वि समउउयाओ करेइ, तए णं तुभे दो-वि सममेव गम्भे गिण्हह सममेव गम्भे परिवहह सममेव दारए पयायह, तए णं सा सुलसा गाहावइणी विणिहायमावण्णे दारए पया(इ)यइ, तए णं से हरिणेगमेसी देवे सुलसाए अणुकंपणट्ठाए विणिहायमावण्णए दारए करयलसंपुडेणं गेण्हइ २ त्ता तव अंतियं साहरइ (२) तं-समयं च णं तुमं-पि नवण्हं मासाणं० सुकुमालदारए पसवसि, जे-वि (अ) य णं देवाणुप्पिए ! तव पुत्ता ते-वि य तव अंतियाओ करयलसंपुडेणं गेण्हइ २ त्ता सुलसाए गाहावइणीए अंतिए साहरइ, तं तव चेव णं देव(इ)ई! एए पुत्ता णो चेव सुलसाए गाहावइणीए, तए णं सा देवई देवी अरहओ अरिट्ठणेमिस्स अंतिए एयमढे सोचा निसम्म हटतुट्ठ जाव हियया अरहं अरिठ्ठणेमि वंदइ नमसइ वं० २ त्ता जेणेव ते छ अणगारा तेणेव उवागच्छइ [२ त्ता] ते छप्पि अणगारा वंदइ नमसइ वं० २ त्ता आगयप(ह)हया पप्फुयलोयणा कंचुयपडिक्खित्तया दरियवलयवाहा धाराहयकलंवपुप्फगंपिव समूससियरोमकूवा ते छप्पि अणगारे अणिमिसाए दिट्ठीए पेहमाणी २ सुचिरं निरिक्खइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता जेणेव अ(रि)रहा अरिठ्ठणेमी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अरहं अरिट्ठणेमि तिक्खुत्तो आयाहि(ण)णपयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता तमेव धम्मियं जाणं दु(रु)लहइ २ त्ता जेणेव वारवई-नयरी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता वारवई नयरिं अणुप्पविसइ २ त्ता जेणेव सए गिहे जेणेव वाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ २ त्ता धम्मियाओ जाणप्पवराओ पच्चोल्हइ २ त्ता जेणेव सए वासघरे जेणेव सए सयणिजे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सयंसि सयणिजंसि निसीयइ, तए णं तीसे देवईए देवीए अयं अभत्थिए ४ समुप्पण्णे-एवं खलु अहं सरिसए जाव नलकु-ब्बरसमाणे सत्त पुत्ते पयाया, नो चेव णं मए एगस्स-वि चालत्तणए समुभूए, एस-वि-य णं कण्हे वासुदेवे छहं छण्हं मासाणं ममं अंतियं पायवंदए हव्वमागच्छइ, तं धण्णाओ णं ताओ अम्माओ जासिं मण्णे णियगकुच्छि Page #1219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व० ३ ०८] सुत्तागमे संभूययाइं थणदुद्धलद्धयाई महुरसमुल्लावयाइं मंमण(प)जंपियाइं थणमूलकक्खदेसभागं अभिसरमाणाई मुद्धयाइं पुणो य कोमलकमलोवमेहिं हत्थेहिं (गेण्हंति) गिहिऊण उच्छंगि णिवेसियाइं देंति समुल्लावए सुमहुरे पुणो २ मंजुलप्पभणिए अहं ण अधण्णा अपुण्णा अकयपुण्णा एत्तो ए(क)कतरमपि न पत्ता, ओहय० जाव झियायइ । इमं च णं कण्हे वासुदेवे बहाए सव्वालंकारविभूसिए देवईए देवीए पायवंदए हव्वमागच्छइ, तए णं से कण्हे वासुदेवे देवई देविं० पासइ २ त्ता देवईए देवीए पायग्गहणं करेइ २ त्ता देवई देवी एवं वयासी-अण्णया णं अम्मो ! तुब्भे ममं पासेत्ता हट्ठ जाव भवह, किण्णं अम्मो! अज तुन्भे ओहय[.] जाव झियायह ?, तए णं सा देवई देवी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-एवं खलु अहं पुत्ता ! सरिसए जाव समाणे सत्त-पुत्ते पयाया नो चेव णं मए एगस्स-वि बालत्तणे अणुभूए तुम-पि(य)णं पुत्ता ! ममं छण्हं २ मासाणं ममं अंतियं पादवंदए हव्वमागच्छसि तं धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव झियामि, तए णं से कण्हे वासुदेवे देवइं देवि एवं वयासीमा णं तुन्भे अम्मो ! ओहय-जाव झियायह अहणं तहा घ(त्ति)इस्सामि जहा ] ममं सहोदरे कणीयसे भाउए भविस्सतीतिकटु देवइं देविं ताहिं इटाहिं (कं० जाव) वग्गूहिँ समासासेइ (२) तओ पडिणिक्खमइ २ त्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ २ त्ता जहा अभओ नवरं हरिणेगमेसिस्स अट्ठमभत्तं पगेण्हइ जाव अंजलि कटु एवं व-यासी-इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! सहोदरं कणीयसं भाउयं विदिण्णं, तए ण से हरिणेगमेसी (देवे) कण्हं वासुदेवं एवं क्यासी-होहिइ णं देवाणुप्पिया ! तव देवलोयचुए सहोदरे कणीयसे भाउए से णं उम्मुक्का ०] जाव अणुप्पत्ते अरहओ अरिट्ठः णेमिस्स अंतियं मुंडे जाव पव्वइस्सइ, कण्हं वासुदेवं दोच्चं-पि तच्चं-पि एवं वदइ २ त्ता जामेव दिसं पाउन्भूए तामेव दिसं पडिगए, तए णं से कण्हे वासुदेवे पोसहसालाओ पडिणि० जेणेव देवई देवी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता देवईए देवीए पायग्गहणं करेइ २ त्ता एवं वयासी-होहिइ णं अम्मो ! म(म)म सहोदरे कणीयसे (भाउ-ए)त्तिकटु देवई देविं ताहिं इटाहि जाव आसासेइ २ त्ता जामेव दिसं पाउन भूए तामेव 'दिसं पडिगए । तए णं सा देवई देवी अण्णया कयाई तंसि तारिसगंसि जाव सीहं सुमिणे पासेत्ता पडिबुद्धा जाव पाढया हट्ठ(तु०)हियया (तं ग० सु०) परिवहइ, तए णं सा देवई देवी नवण्हं मासाणं जासु(म)मिणारत्तवंधुजीवयलक्खारससरसपारिजातकतरुणदिवायरसमप्पभं सव्वणयणकंतं सुकुमालं जाव सुरूवं गयतालुयसमाणं दारयं पयाया जम्मणं जहा मेहकुमारे जाव जम्हा णं अम्हं इमे दारए गयतालुसमाणे तं होउ णं अम्ह एयस्स दारगस्स नामधेजे गयसुकुमाले (२), तए Page #1220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माहा उक्किचा अविकारविभूतिया बहामागे तेणेव उवागत समएणं अर सुत्तागमे [अंतगडदसामो गं तस्स दारगस्स अम्मापियरे नाम करेंति गयसुकुमा(ले)लो-त्ति सेसं जहा मेहे जाव (अलं-) भोगसमत्थे जाए यावि होत्था । तत्थ णं वा-रवईए नयरीए सोमिले नाम माहणे परिवसइ अरिउ०वे. जाव लुपरिणिहिए यावि होत्था, तस्स सोमिलमाहणस्स सोमसिरी नामं माहणी होत्था सू-माल०, तस्स णं सोमिलस्स (मा०) धूया सोमसिरीए माहणीए अत्तया सोमा-नामं दारिया होत्था सो(सुकु)माला जाव तुरुवा लवेणं जाव लावण्णेणं उकिट्ठा उकिसरीरा यावि होत्या, तए णं सा सोमा दारिया अण्णया कयाइ व्हाया सव्वालंकारविभूसिया बहूहिं खुजाहिं जाव परिक्खित्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ २ त्ता जेणेव रायमग्गे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता रायमरगसि कणगतिंदूसएणं कीलमाणी (२) चिठ्ठइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिढणेमी समोसढे परिसा निग्गया, तए णं से कण्हे वासुदेवे इमीसे कहाए लढे समाणे हाए सव्वालंकारविभूसिए गयसुकुमालेणं कुमारेग सद्धिं हत्यिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं घरेजमाणेणं से(य)अवरचामराहिं उद्धुव्वमाणीहिं वारवईए नयरीए मज्झमझेणं अरहओ अरिट्ठणेमिस्स पायवंदए निग्गच्छमाणे सोमं दारियं पालइ २ त्ता सोमाए दारियाए रुवेण य जोवणेण य लावण्णेण य जाव विम्हिए, तए णं (से) कण्हे[0] कोडंबियपुरिसे सहावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे-देवाणुप्पिया! सोमिलं माहणं जायित्ता सोमं दारियं गेण्हह २ त्ता कण्णंतेउरंसि पक्खिवह, तए णं एसा गयसुकुमालस्स कुमारस्स भारिया भविस्सइ, तए णं कोडंबिय जात्र पक्खिवंति, तए णं से कण्हे वासुदेवे वारवईए नयरीए मझमज्झेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव सह-संववणे उजाणे जाव पजुवासइ, तए णं अरहा अरिठ्ठणेमी कण्हस्स वासुदेवस्स गयसुकुमालस्स (कुमारस्स) तीसे य धम्मकहाए कण्हे पडिगए, तएणं से गयसुकुमाले (कु०) अरहओरिटणेमिस्स अंति(यं)ए धम्मं सोचा जं नवरं अम्मापियरं आपुच्छामि जहा मेहो (णवरं) महेलियावजं जाव वड्डियकुले, तए गं से कण्हे वासुदेवे इमीसे कहाए लढे समाणे जेणेव गयसुकुमाले-तेणेव उवागच्छइ २ त्ता गयसुकुमालं (०) आलिंगइ २ त्ता उच्छंगे निवेसेइ २ त्ता एवं वयासी-तुमं ममं सहोदरे कणीयसे भाया तं मा गं तुमं देवाणुप्पिया! इयाणि अरहओ (अ००) मुंडे जाव पव्वयाहि, अहण्णं वारवईए नयरीए महया (२) रायाभिसेएणं अभिसिंचिस्सामि, तए णं से गयसुकुमाले कण्हेणं वासुदेवेणं एवं बुत्ते समाणे तुसिणीए संचिठ्ठइ, तए णं से गयसुकुमाले-कण्हं वासुदेवं अम्मापियरो य दोचं-पि तचं-पि एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! माणुस्सया कामा खेलासवा जाव विप्पजहियव्वा भविस्संति,तं इच्छामि ण देवाणुप्पिया! तुमहिं अव्भणुन्नाए (स०) अरहओ अरिठणे Page #1221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व० ३ ० ८] सुत्तागमे ११६९ मिस्स अंतिए जाव पव्वइत्तए, तए णं तं गयसुकुमालं कण्हे वासुदेवे अम्मापियरो य जाहे नो संचाए. वहुयाहिं अणुलोमाहि जाव आघवित्तए ताहे अकामाई चेव एवं वयासी-तं इच्छामो णं ते जाया ! एगदिवसमवि रजसिरिं पासित्तए निक्खमणं जहा महावलस्स जाव तमाणाए तहा[0]तहा जाव संजमइ, से गयसुकुमाले अणगारे जाए ई(इ)रिया(०) जाव[ ०] गुत्तवंभयारी, तए णं से गयसुकुमा(रे)ले (अ०) जंचेव दिवसं पव्वइए तस्सेव दिवसा पुव्वावरण्हकालसमयंसि जेणेव अरहा अरिट्ठणेमी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अरह अरिट्टणेमि तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं० वंदइ नमंसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुव्मेहि अब्मणुण्णाए समाणे महाकालंसि सुसाणंसि एगराइयं महापडिमं उवसंपजित्ता-णं विह(रे)रित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिवंधं करेह, तए णं से गयसुकुमाले अणगारे अरहया अरिट्ठणेमिणा अन्भणुण्णाए समाणे अरहं अरिट्ठणेमि वंदइ नमसइ वं० २ त्ता अरहओ अरिहणेमिस्स अंति० सह-संववणाओ उजाणाओ पडिणिक्खमइ २ त्ता जेणेव महाकाले सुसाणे तेणेव उवागए २ त्ता थंडिलं पडिलेहेइ २ ता (उच्चार'पासवणभूमि पडिलेहेइ २ त्ता) ई(सिं)सिपमारगएणं काएणं जाव दो-वि पाए साहट्ट एगराइं महापडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ, इमं च णं सोमिले माहणे सामिधेयस्स अट्टाए वा-रवईओ नयरीओ वहिया पुव्वणिरगए समिहाओ य दब्मे य कुसे य पत्तामोडं च गेण्हइ २ त्ता तओ पडिणियत्तइ २ त्ता महाकालस्स सुसाणस्स अदूरसामंतेणं वीईचयमाणे (२) संझाकालसमयंसि पविरलमणुस्संसि गयसुकुमाल अणगारं पासइ २ त्ता तं वरं सरइ २ त्ता आसुरुत्ते ५ एवं वयासी-एस णं भो! से गय(सू)सुकुमाले कुमारे अ(प)पत्थिय जाव परिवज्जिए, जे णं मम धूयं सोमसिरीए भारियाए अत्तयं सोमं दारियं अदिट्ठदोसपइयं कालवत्तिणिं विप्पजहेत्ता मुंडे जाव पव्वइए, तं सेयं खलु ममं गयसुकुमालस्स कुमारस्स वेरनिजायणं करेत्तए, एवं संपेहेइ २त्ता दिसापडिलेहणं करेइ २त्ता सरसं मट्टियं गेण्हइ २ त्ता जेणेव गयसुकुमाले अणगारे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता ग(ज)य-सुकुमालस्स कुमा(अणगा)रस्स मत्थए मट्टियाए पालिं वंधइ २ त्ता जलंतीओ चिययाओ फुल्लियकिसुयसमाणे ख(य)इरंगारे कहल्लेणं गेण्हइ २ ता गय-सुकुमालस्स अणगारस्स मत्थए पक्खिवइ २ त्ता भीए ५ तओ खिप्पामेव अवक्कमइ २ त्ता जामेव दिसं पाउन्भूए तामेव दिस पडिगए, तए गं (से) तस्स ग-य-सुकुमालस्स अणगारस्स सरीरयंसि वेयणा पाउन्भूया उजला जाव दुरहियासा, तए णं से गय-सुकुमाले अणगारे सोमिलस्स माहणस्स मणसा-वि अप्पदुस्समाणे तं उजलं जाव अहियासेइ, तए णं तस्स गय-सुकुमालस्स अणगा ७४ सुत्ता Page #1222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे । [अंतगडदसाओ रस्स तं उज्जलं जाव अहियासेमाणस्म सुमेणं परिणामेणं पसत्थज्झवसाणेणं त(या)दावरणिज्जाणं कम्माणं खएणं कम्मरयविकिरणकरं अपुवकरणं अणु]पविठ्ठस्स अणंते अणुत्तरे जाव केवलवरणाणदंसणे समुप्पण्णे, तओ पच्छा सिद्धे जावप्पहीणे, तत्थ णं अहासंनिहिएहिं देवेहिं सम्मं आराहियंतिकट्ठ दिव्वे सुरभिगंधोदए बुढे दसवण्णे कुसुमे निवाडिए चेलुक्खेवे कए दिव्वे य गीयगंधव्वणिणाए कए यावि होत्था। तए णं से कण्हे वासुदेवे कलं पाउप्पभायाए जाव जलंते पहाए सव्वालंकारविभूसिए हत्यिखंधवरगए सको(ोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरेजमाणेणं सेयवरचामराहिं उद्ध(प्प)व्बमाणीहिं महया भडचडगरपहकरवंदपरिक्खित्ते वा-रवई नयरिं महंमज्नेणं जेणेव अरहा अरिटणेमी तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तए णं से कण्हे वासुदेवे वारवईए नयरीए मळमज्जेणं निग्गच्छमाणे ए(ग)कं पुरिसं पासइ जुण्णं जराजजरियदेहं जाव (किलंतं) महइमहालयाओ इट्टगरासीओ एगमेगं इगं गहाय वहियारत्यापहाओ अंतोगिह अणुप्पविसमाणं पासइ, तए णं से कण्हे वासुदेवे तस्स पुरिसस्स अणुकंपणछाए हत्यिखंधवरगए चेव एग इट्टगं गेण्हइ २ त्ता वहिया रत्थापहाओ अंतोगिह अणुप्पवेसेइ, तए णं कण्हेणं वासुदेवेणं एगाए इट्टगाए गहियाए समाणीए अणेगेहिं पुरिससएहिं से महालए इदृगस्स रासी वहिया रत्थापहाओ अंतोघरंसि अणुप्पवेसिए, तए णं से कण्हे वासुदेवे वारवईए न-गरीए मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव अरहा अरिट्ठणेमी तेणेव उवागए २ त्ता जाव वंदइ नमसइ वं० २ त्ता गयसुकुमालं अणगारं अपासमाणे अरहं अरिगेमि वंदइनमंसह वं० २ त्ता एवं वयासी-कहि णं भंते ! से म-मं सहोदरे कणीयसे भाया गयसुकुमाले अणगारे (2) जा(जग)णं अहं वंदामि नमसामि [?], तए णं अरहा अरिडणेमी कण्हं वासुदेवं एव वयासी-साहिए णं कण्हा ! गयसुकुमालेणं अणगारेणं अप्पणो अढे, तए णं से कण्हे वासुदेवे अरहं अरिहणेमि एवं वयासी-क्रहण (भंते !) गयनुकुमालेणं अणगारेणं साहिए अप्पणो अढे?, तए णं अरहा अरिष्टगेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-एवं खलु कण्हा ! गयसुकुमाले णं (अणगारे णं) ममं कर पुव्वावरण्हकालसमयंसि वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-इच्छामि गं जाव उवसंपजित्ताणं विहरइ, तए णं तं गयसुकुमालं अणगारं एगे पुरिसे पासइ २ त्ता आनुरुते ५ जाव सिद्धे, तं एवं खलु कण्हा ! गयसुकुमालेणं अणगारेणं साहिए अप्पणो अट्टे, तए णं से कण्हे वासुदेवे अरहं अरिट्ठणेमि एवं वयासी(स) से के णं भंते ! से पुरिसे अ-पत्यियपत्थिए जाव परिवजिए (3) जे-णं मसं सहोद(२)रे कणीय(सं)से भाय(रं)रे गयसुकुमा(ल)ले अणगा(रं)रे अकाले चेक व्यासी-साहिल वदामि नमसामिला ( अहे, तए Page #1223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व०३ अ०९] सुत्तागसे ११७१ जीवियाओ ववरोविए [2], तए णं अरहा अरिठ्ठणेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासीमा (ग) कण्हा ! तुम तस्स पुरिसस्स पदोसमावजाहि, एवं खलु कण्हा! तेणं पुरिसेणं गयसुकुमालस्स अणगारस्स साहिजे दिण्णे, कहण्णं भंते । तेणं पुरिसेणं गयसुकुमालस्स णं सा(हे)हिज्जे दिण्णे ?, तए णं अरहा अरिट्ठणेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-से नूणं कण्हा! ममं तुमं पायवंदए हव्वमागच्छमाणे वारवईए नयरीए (एगं) पुरिसं पाससि जाव अणु-प्-पविसिए, जहा णं कण्हा ! तुमं तस्स पुरिसस्स साहिने दिण्णे एवमेव कण्हा! तेणं पुरिसेणं गयसुकुमालस्स अणगारस्स अणेगभवसयसहस्ससंचियं कम्मं उदीरेमाणेणं बहुकम्मणिजरत्यं साहिजे दिण्णे, तए णं से कण्हे वासुदेवे अरहं अरिट्ठणेमि एवं वयासी-से गं भंते ! पुरिसे मए कहं जाणियव्वे ?, तए णं अरहा अरिट्ठणेमी कण्ठं वासुदेवं एवं वयासी-जे णं कण्हा ! तुमं वारवईए नयरीए अणु-पविसमाणं पासेत्ता ठियए चेव ठिइभेएणं कालं करिस्सइ तण्णं तुमं जा(णे)णिज्जासि एस णं से पुरिसे, तए णं से कण्हे वासुदेवे अरहं अरिट्ठणेमि वंदइ नमसइ वं० २ त्ता जेणेव आभिसे(ये)यं हत्थिरय(णे)णं तेणेव उवागच्छइ २ त्ता हत्थिं दु-रूहइ २ त्ता जेणेव बारवई नयरी जेणेव सए गिहे तेणेव पहारेत्थ गमणाए, (तए ण) तस्स सोमिलमाहणस्स कल्लं जाव जलंते अयमेयारूवे अ-ब्भत्थिए ४ समुप्पण्णे-एवं खलु कण्हे वासुदेवे अरहं अरिट्ठणेमिं पायवंदए निग्गए तं नायमेयं अरहया विण्णायमेयं अरहया सुयमेयं अरहया सिद्धि)ठमेयं अरहया भविस्सइ कण्हस्स वासुदेवस्स, तं न नजइ णं कण्हे वासुदेवे ममं केणवि कुमारेणं मारिस्सइत्तिक? भीए ४ सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, कण्हस्स वासुदेवस्स वा-रवइं नयरिं अणु-प्-पविसमाणस्स पुरओ सपक्खि सपडिदिसि हव्वमागए, तए णं से सोमिले माहणे कण्हं वासुदेवं सहसा पासेत्ता भीए ४ ठि(ए य)यए चेव ठिइभेयं कालं करेड धरणि(त)तलंसि सव्वंगेहि धसत्ति संणिवडिए, तए णं से कण्हे वासुदेवे सोमिलं माहणं पासइ २ त्ता एवं वयासी-एस णं (भो) देवाणुप्पिया । से सोमिले माहणे अ-पत्थियपत्थिए जाव परिवज्जिए जे(ण)णं ममं सहोयरे कणीयसे भायरे गयसुकुमाले अणगारे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविए[ति]त्तिकटु सोमिलं माहणं पाणेहिं कड्ढावेइ २ त्ता तं भूमि पाणिएणं अब्भोक्खावेइ २ त्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागए सयं गिहं अणु-प्पविटे, एवं खलु जंवू | जाव अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं तच्चस्स वग्गस्स अट्ठमज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते ॥ ६ ॥ नवमस्स (उ) उक्खेवओ, एवं खलु जंवू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वारवईए नयरीए जहा पढमए जाव विहरइ, तत्थ णं बारवईए-बलदेवे नामं राया होत्था वण्णओ, तस्स Page #1224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११७२ सुत्तागमे [अंतगडदसाओ गं वलदेवस्स रण्णो धारिणी-नामं देवी होत्था वण्णओ, तए णं सा धारिणी सीहं सुमिणे जहा गोयमे नवरं सुमुहे नामं कुमारे पण्णासं कण्णाओ पण्णासओ दाओ चोइसपुव्वाइं अहिजइ वीसं वासाइं परियाओ सेसं तं चेव (जाव) सेत्तुजे सिद्ध निक्खेवओ। एवं दुम्मुहे-वि कूव(दार)ए-वि, तिण्णिवि वलदेवधारिणीसुया, दारुए-वि एवं चेव, नवरं वा(व)सुदेवधारिणीसुए। एवं अणा(वि)दिट्ठी-विवा-सुदेवधारिणीसुए, एवं खलु जंवू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं तच्चस्स वग्गस्स तेरसमस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते ॥ ७ ॥ [चउत्थो वग्गो] जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तणं ("अं०) तच्चस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते चउत्थस्स (णं भं० व० अं० स० जाव सं०) के अहे पण्णत्ते? एवं खलु जंवू! समणेणं जाव संपत्तेणं चउत्थस्स वग्गस्स (अं०) दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं०जालिमयालिउवया(लि)ली पुरिससेणे य वारिसेणे य । पज्जण्णसंवअणिरुद्ध सचणेमी य दढणेमी (य) ॥१॥ जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं चउत्थस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पण्णत्ता पढमस्स णं (भं०) अज्झयणस्स (सजाव सं०) के अढे पण्णत्ते ? एवं खलु जंवू । तेणं कालेणं तेणं समएणं वा-रवई (णा०) नयरी (हो०), तीसे जहा पढमे कण्हे वासुदेवे आहेवच्चं जाव विहरइ, तत्थ णं वारवईए नगरीए वसुदेवे राया, [तस्स णं वसुदेवस्स रण्णो] धारिणी [नामं देवी होत्था] वण्णओ जहा गोयमो नवरं जालिकुमारे पण्णासओ दाओ बारसंगी सोलस-वासा परियाओ सेसं जहा गोयमस्स जाव सेत्तुजे सिद्धे । एवं मया-ली उवया-ली पुरिससेणे य वारिसेणे य । एवं पज्जुण्णे-वि-त्ति, नवरं कण्हे पिया रुप्पिणी माया । एवं संबे-वि, नवरं जंववई माया । एवं अणिरुद्ध-वि, नवरं पजुण्णे पिया वेदम्भी माया । एवं सञ्चणेमी, नवरं समुद्दविजए पिया सिवा माया, (एवं) दढणेमी-वि, सव्वे एगगमा, चउत्थ[स्स] वग्गस्स निक्खेवओ ॥ ८॥ [पंचमो वग्गो] जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं चउत्थस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते पंचमस्स (णं भं०) वग्गस्स अंतगडदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अटे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं पंचमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं०-'पउमावई य गोरी गंधारी लक्खणा सुसीमा य। जंबव(ई)इसचभामा रुप्पिणिमूलसि(री)रिमूलदत्ता-वि ॥ १॥' जइ णं भंते ! [समणेणं जाव संपत्तेणं] पंचमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा प० पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स-के Page #1225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व० ५ अ० १] सुत्तागमे ११७३ अढे प० ? एवं खलु जंवू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं बारवई-नगरी-जहा पढमे जाव कण्हे वासुदेवे आहेवच्चं जाव विहरंइ, तस्स णं कण्हस्स वासुदेवस्स पउमावई ना(म)म देवी हो(हु)त्था वण्णओ, तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिठ्ठणेमी समोसढे जाव विहरइ, कण्हे वासुदेवे निग्गए जाव पजुवासइ, तए णं सा पउमाव(इ)ई देवी इमीसे कहाए लट्ठा (समाणी) हट्ठ० जहा देवई जाव पन्जुवासइ, तए णं अ-रहा अरिहणेमी कण्हस्स वासुदेवस्स पउमावईए (दे०) य धम्मकहा परिसा पडिगया, तए णं कण्हे वासुदेवे अरह अरिट्ठणेमि वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-इमीसे णं भंते ! वारवईए न-गरीए-नवजोयण • ] जाव देवलोगभूयाए किंमूलाए विणासे भविस्सइ ? कण्हाइ । अरहा अरिट्ठणेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-एवं खलु कण्हा ! इमीसे वा-रवईए नयरीए-नवजोयण-जाव[0] भूयाए सुरग्गिदीवायणमूलाए विणासे भविस्सइ, (तए णं) कण्हस्स वासुदेवस्स अरहओ अरिट्ठणेमिस्स अंतिए ए(यमट्ठ)यं सोचा निसम्म (अ०) एवं अन्भत्थिए ४-धण्णा णं ते जालिमयालि(उ०)पुरिससेणवारिसेणपज्जण्णसंवअणिरुद्धदढणेमिसच्चणेमिप्पभियओ कुमारा जे णं (चिच्चा) चइत्ता हिरणं जाव परिभा(ए)इत्ता अरहओ अरिट्ठणेमिस्स अंतियं मुंडा जाव पव्वइया, अहण्णं अधण्णे अकयपुण्णे रज्जे य जाव अंतेउरे य माणुस्सएसु य कामभोगेसु मुछिए ४ नो संचाएमि अरहओ अरिट्ठणेमिस्स जाव पव्वइत्तए, कण्हाइ ! अरहा अरिठ्ठणेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-से नूणं कण्हा ! तव अयम-ब्भत्थिए ४-धण्णा णं ते जाव पव्वइत्तए, से नूणं कण्हा ! अ(यम)हे समढे ? हंता अस्थि, तं नो खलु कण्हा ! तं एवं भू(यंोतं वा भव्वं वा भविस्सइ वा जण्णं वासुदेवा चइत्ता हिरणं जाव पव्वइस्संति, से के-णं [अ]ढेणं भंते । एवं वुच्चइ-न एवं)यं भूयं वा जाव पव्वइस्संति ? कण्हाइ ! अरहा अरिट्ठणेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-एवं खलु कण्हा । सव्वे-वि यणं वासुदेवा पुव्वभवे नि-दाणगडा, से ए(ए)तेणढेणं कण्हा । एवं वुच्चइ-न एयं भूयं० पव्वइस्संति, तए णं से कण्हे वासुदेवे अरहं अरिट्ठणेमि एवं वयासी-अहं णं भंते । इ(ओ)तो कालमासे कालं किच्चा कहिं गमिस्सामि (१) कहिं उववज्जिस्सामि?, तएणं अ-रहा अरिट्ठणेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-एवं खलु कण्हा ! वारवईए नयरीए सुरग्गिदीवायण(कुमार)कोवनि(६)दड्ढाए अम्मापिइनियगविप्पहूणे रामे(ण)णं बलदेवे-णं सद्धि दाहिणवेयालिं अभिमुहे जो(जु) हिडिल्लपामोक्खाणं पंचण्हं पंडवाणं पंडरायपुत्ताणं पासं पंडुमहुरं संपत्थिए कोसंबवणकाणणे नग्गोहवरपायवस्स अ(धे)हे पुढविसिलापट्टए पीयवस्थपच्छाइयसरीरे ज(र)राकुमारेणं तिक्खेणं कोदंडविप्पमुक्नेणं इसुणा वामे पा(ये)दे विद्धे समाणे कालमासे कालं किच्चा तच्चाए वालुयप्पभाए meen Page #1226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ अंतगड साओ ११७४ पुढवीए उज्जलिए नरए नेरइयत्ताए उववज्जिहिति, तए णं कण्हे वासुदेवे अरहओ अरिट्ठमिस्स अंतिए एयमहं सोचा निसम्म ओहय- जाव झियाइ, कण्हाइ ! अरहा अरिणेमी कण्हं वासुदेवं एवं व्यासी - मा णं तुमं देवाणुप्पिया ! ओहय-जाव झियाहि, एवं खलु तुमं देवाणुप्पिया ! तचाओ पुढवीओ उजलियाओ अनंतरं उव्वट्टित्ता इव जं (वृदी) बुद्दीवे भारहे वासे आगमेसाए उस्सप्पिणीए पुंडे (पुणे) नु जणवएसु सयदुवारे वारसमे असमे नामं अरा भविस्सति, तत्य तुमं बहूई वासाईं केवलपरियागं पाउणेत्ता सिज्निहिति ५, तएं णं से कण्हे वामुदेवे अरहओ अरिटुणेमिस्स अंतिए एयमहं सोचा निसम्म हट्टनुहु० अप्फोडेर २ ता वग्गइ २ ता तिवई छिंदइ २ त्ता सीहणायं करेइ २ ता अरहं अरिटुणेमिं वंदइ नर्मसड़ वं० २त्ता तमेव आ (अ) भिसेकं ह (स्थिर ० ) त्थि दु-रूहइ २ त्ता जेणेव वारव-ई नयरी जेणेव सए गिहे तेणेव उवागए अभिसेयहत्थिरयणाओ पचोरुहइ (०) जेणेव वाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सए सीहासणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सीहा सणवरंति पुरस्थाभिमुहे निसीयइ २ त्ता कोडुंवियपुरिसे सहावेइ २ ता एवं वयासी - गच्छह णं तुव्भे देवाणुपिया ! वारवईए नयरीए सिंघाडग[0] जाव उवघोसेमाणा एवं वयह एवं खलु देवाणुप्पिया ! वारवईए नयरीए-नवजोयण-जाव-भूयाए सुरग्गिदीवायणसूलाए विणासे भविस्सइ, तं जो णं देवाणुप्पिया ! इच्छइ वा रवईए नयरीए राया वा जुवराया वा ईसरे तलवरे माईवियकोवियइभसेट्टी वा देवी वा कुमारो वा कुमारी वा अरहओ अरिङ मिस्स अंतिए मुंडे जाव पव्वत्तए तं णं कण्हे वासुदेवे विसज्जेड, पच्छातुरस्स-वि य से अहापवित्तं वित्ति अणुजाणइ महया ड[ड्ढि]ढीसकारसनुदएण य से निक्खमणं करेइ, दोचं-पि तचं-पि घोसणयं घोसेह २ त्ता मम ए ( यमाणत्ति) यं पञ्चप्पिणह, तए णं ते कोडुंविय जाव पचप्पिणंति, तए णं सा पउमावई - देवी अरहओ॰अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्ठतु [0] जाव हियया अरहं अरिटुणेसिं वंदइ नसंसइ वं० २ त्ता एवं वयासी सहामि णं भंते! निग्गंधं पा ( प ) त्रयणं ० से जहेयं तुभे वदह जं नवरं देवाणुप्पिया ! कन्हं वासुदेवं आपुच्छामि, तए णं अहं देवा अंतिए मुंडा जाव पव्वयामि, अहासुहं देवाणुप्पि० ! मा पडिबंध करे (हि)ह, तए णं सा परमावई देवी धम्मियं जाणप्पवरं दुरूह २ त्ता जेणेव वा-रवई -नयरी जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता धम्मियाओ जाणाओ पञ्चोरु(भ)हइ २ त्ता जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छइ २ ना करयल० अंजलिं कट्टु (कण्हं वा० ) एवं वयासी - इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तुमेहिं अव्भणुण्गाया Page #1227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ च० ५ ० २] सुत्तागमे ११७५ समाणी अरहओ अरिट्ठणेमिस्स अंतिए मुंडा जाव पव्व०, अहासुहं ०, तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडंविए (पु०) सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव (भो दे०) पउमावईए (०) महत्थं निक्खमणाभिसेयं उवट्ठवेह २ त्ता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तए णं ते जाव पञ्चप्पिणंति, तए णं से कण्हे वासुदेवे पउमावइं देवि पट्टयं[सि] दु-रूहेइ (०) अट्ठसएणं सोवण्णकलस जाव महाणिक्खमणाभिसेएणं अभिसिंचइ २ त्ता सव्वालंकारविभूसियं करेइ २ ता पुरिससहस्सवाहिणि सि(वि)वियं दुरू(हावे)हेइ २ त्ता वारवईए नयरीए मझंमज्झेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव रेवयए पव्वए जेणेव सहसंबवणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सीयं ठवेइ (०) पउमावई देवी सीयाओ पच्चोरूहइ २ त्ता जेणेव अरहा अरिट्ठणेमी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अरहं अरिहणेमिं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-एस णं भंते ! मम अगमहिसी पउमावई नाम देवी इट्ठा कंता पिया मणुण्णा मणा(मा अभिरामा जाव किमंग पुण पासणयाए ? तणं अहं देवाणुप्पिया ! सिस्सि(णी)णिभिक्खं दलयामि पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सिस्सिणिभिक्खं, अहासुहं०, तएं णं सा पउमावई (0) उत्तरपुर-च्छि(मे)मं दिसीभा(गे)गं अवकमइ २ त्ता सयमेव आभरणालंकारं ओमुयइ २ त्ता सयमेव पंचमुठियं लोयं करेइ २त्ता जेणेव अरहा अरिट्ठणेमी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अरहं अरिट्ठणेमि वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-आलित्ते जाव धम्ममाइक्खि(तं)उं, तए णं अरहा अरिट्ठणेमी पउमावई देवि सयमेव पव्वावेइ २ त्ता सयमेव मुंडावेइ सयमेव जक्खिणीए अजाए सिस्सिणिं दलयइ, तए णं सा जक्खिणी अजा पउमावइं देवि स(यं)यमेव पव्वा० जाव संजमियव्वं, तए णं सा पउमावई जाव सजमइ, तए णं सा पउमावई अज्जा जाया ईरियासमिया जाव गुत्तवंभयारिणी, तए णं सा पउमावई अजा जक्खिणीए अजाए अंतिए सामाइयमाइयाई एकारस अंगाई अहिजइ, बहूहि चउत्थछट्ठमदसमदुवालसेहि मासद्धमासखमणेहि० अप्पाणं भावमा(णी)णा विहरइ, तए णं सा पउमावई अज्जा बहुपडिपुण्णाई वीसं वासाइं सामण्णपरियागं [पाउणइ] पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झू(झो)सेइ २ त्ता सहि भत्ताई अणस (णेणं)णा-ए छेदेइ २ त्ता जस्सहाए कीरइ जिणकप्पभावे थेरकप्पभावे जाव तमढं आराहेइ चरिमुस्सासेहि सिद्धा ५ ॥ ९ ॥ (उ० य अ०) तेणं कालेणं तेणं समएणं वारवई (ण०) रेवयए उजाणे नंदणवणे तत्थ णं वारवईए नयरीए कण्हे वासुदेवे० तस्स णं , कण्ह[स्स]वासुदेवस्स गोरी देवी वण्णओ अरहा (अ०) समोसढे कण्हे णिग्गए गोरी Page #1228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११७६ सुत्तागमे [ अंतगड साओ जहा पउमावई तहा निग्गया धम्मका परिसा पडिगया, कण्हे-वि, तए णं सा गोरी जहा पउमावई तहा निक्खता जाव सिद्धा ५ । एवं गं(गांधारी । लक्खणा । सुसीमा । जंववई | सच्चभामा । रुप्पिणी । अट्ठ-वि परमाव [इ] इस रिसाओ अ अज्ञ्जयणा ॥ १० ॥ ( "न०) तेणं कालेणं तेण समएणं वारवई [ ए ]नयरीए रेवयए ( प ० ) नंदणवणे ( उ० ) कण्हे०, तत्थ णं बारवईए नयरीए कण्हस्स वासुदेवस्स पु(त्तए)त्ते जंववईए देवीए अत्तए संबे नामं कुमारे होत्था अहीण०, तस्स णं संवस्स कुमारस्स मूलसिरी - नामं भारिया होत्या वण्णओ, अरहासमोसढे कण्हे निग्गए मूलसिरी - वि निग्गया जहा पउमावई जं नवरं देवाणुप्पिया कण्हं वासुदेवं आपुच्छामि जाव सिद्धा । एवं मूलदत्ता - वि । पंचमो वग्गो ॥ ११ ॥ [ छट्टो वग्गो ] जइ (णं भं०) छट्ट (म )स्स उक्खेवओ नवरं सोलस अज्झयणा प०, तं०'म (मं) काई किक ( ) मे चेव मोग्गरपाणी य कासवे । खेमए धिइ (ध) हरे चेव केलासे हरिचंदणे ॥ १ ॥ वारत्तसुदंसणपुण्णभद्दमुमणभद्दसुपडे मेहे । अइमुत्ते अ[ह] अलक्खे अज्झयणाणं [उ] तु सोलसयं ॥ २ ॥ जइ सोलस अज्जयणा प० [०] पढमस्स अज्जयणस्स के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंवू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नगरे गुणसिलए उज्जाणे सेणिए राया (तत्थ णं) मकाई - नामं गाहावई परिवस अड्डे जाव अपरिभूए, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे आदिकरे गुणसिलए जाव विहरइ परिसा निग्गया, तए णं से मकाई गाहावई इमी से कहाए लट्ठे जहा पण्णत्तीए गंगदत्ते तहेव इमो ( S) वि जेट्ठपुत्तं कुटुंबे ठवेत्ता पुरिससहस्सवाहिणीए सीयाए निक्खंते जाव अणगारे जाए ईरियासमिए०, तए णं से मकाई अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ सेसं जहा खंदगस्स, गुणरयणं तवोकम्मं सोलसवासाईं परियाओ तहेव वि (पु) उले सिद्धे । (दो० उ० ) किकमे-वि एवं चेव जाव वि-उले सिद्धे ॥ १२ ॥ (त० उ० ए० ख० जं०) तेण कालेणं तेणं समएणं रायगिहे (ण०) गुणसिलए उज्जाणे सेणिए राया चेल्लणा देवी [वण्णओ], तत्थ णं रायगिहे अज्जुणए नामं मालागारे परिवसई, अड्ढे[0] जाव अपरिभूए, तस्स अज्जुणयस्स मालायारस्स बंधुमई- नामं भारिया होत्या सूमा०, तस्स णं अज्जुणयस्स मालायारस्स रायगिहस्स नयरस्स वहिया एत्थ णं महं एगे पुप्फारमे होत्या कि ( क ) हे जाव नि ( कु-गु ) उरंबभूए दसवण्णकुसुमकुसुमिए पासाईए ४, तस्स णं पुप्फारामस्स अदूरसामंते तत्थ णं अजुणयस्स माला (गा) यारस्स अजय Page #1229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व० ६ अ० ३] सुत्तागमे ११७७ पज्जयपिइपज्जयागए अणेगकुलपुरिसपरंपरागए मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणे होत्था, तत्थ णं मोग्गरपाणिस्स पडिमा एगं महं पलसहस्सणियफण्णं अयोमयं मोग्गरं गहाय चिट्ठइ, तए णं से अज्जुणए मालागारे वालप्पभिई चेव मोग्गरपाणिजक्ख(स्स)भत्ते यावि होत्था, कल्लाकल्लि प(च्छि)त्थि(या)यपिडगाइं गेण्हइ २ त्ता रायगिहाओ न-यराओ पडिणिक्खमइ २ त्ता जेणेव पुप्फारामे तेणेव उवागच्छड् २ त्ता पुप्फुच्चयं करेइ २ ता अग्गाइं वराइं पुप्फाई गहाइ २ त्ता जेणेव मोग्गरपाणिस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता मो(मु)ग्गरपाणिस्स जक्खस्स महरिहं पुप्फचणयं करेइ २ त्ता जण्णुपाय(व)पडिए पणामं करेइ, तओ पच्छा रायमग्गंसि वित्तिं कप्पेमाणे ' विहरइ, तत्थ णं रायगिहे नयरे ललिया नामं गोट्ठी परिवसइ अड्डा[0] जाव अपरिभू(या)ता जंकयसुकया यावि होत्था, तए णं रायगिहे न-यरे अण्णया कयाइ पमो(ए)दे धुढे यावि होत्था, तए णं से अजणए मालागारे कलं पभूयत(राए)रेहिं पुप्फेहिं कज्जमितिकट्ठ पञ्चूसकालसमयंसि वंधु. मईए भारियाए सद्धि प-त्थियपिडयाई गेण्हइ २ त्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ २ त्ता रायगिहं न-गरं मझमज्झेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव पुप्फारामे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता बंधुमईए भारियाए सद्धिं पुप्फुच्चयं करेइ, तए ण तीसे ललियाए गोट्ठीए छ गोहिला पुरिसा जेणेव मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागया अभिरममाणा चिट्ठति, तए णं से अजुणए मालागारे वंधुमईए भारियाए सद्धिं पुप्फुच्चयं करेड (०) अग्गाइं वराइं पुप्फाइं गहाय जेणेव मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छइ, तए णं-छ गोहिला पुरिसा अजुणयं मालागारं वंधुमईए भारियाए सद्धिं एजमाणं पासंति २ त्ता अण्णमणं एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया! अजुणए मालागारे बंधुमईए भारियाए सद्धिं इहं हव्वमागच्छइ तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं अजुणयं मालागारं अव(उ)ओडयवंधणयं करेत्ता बंधुमईए भारियाए सद्धि विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणाणं विहरित्तए-त्तिकट्ठ एयमढं अण्णमग्णस्स पडिसुणेति २ त्ता कवाडंतरेसु 'निलुकंति निचला निफंदा तुसिणीया पच्छग्णा चिट्ठति, तए णं से अजणए मालागारे बंधुम (ईए)इभारियाए सद्धिं जेणेव मोग्गरपाणिजक्खाययणे तेणेव उवागच्छइ (0) आलोए पणामं करेइ (०) महरिहं पुप्फचणं करेइ (०) जण्णुपायपडिए पणामं करेइ, तए णं-छ गो(हे)हिला पुरिसा दवदवस्स कवाडंतरेहितो निग्गच्छति २ ता अजणयं मालागारं गेण्हति २ त्ता अवओड (ग)यवंधणं करेंति (0) वधुमईए मालागारीए सद्धिं वि-उलाई भोगभोगाई Page #1230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११७८ सुत्तागमे [ अंतगडद साओ भुंजमाणा विहरंति, तए णं तस्स अज्जुणयस्त मालागारस्त अयमज्नत्थिए ४ (स० ), एवं खलु अहं वालप्पभिई चेव मोग्गरपाणिस्स भगवओ काकलिं जाव कप्पेमाणे विहरामि, तं जइ णं मोग्गरपा (णि) णी जक्खे इह संणिहिए होंते से णं किमनं एयारूवं आवईं पावेजमाणं पाते ?, तं नत्थि णं मोग्गरपाणी जक्खे इह संणिहिए, सुव्वत्तं तं एस कट्टे, तए णं से मोग्गरपाणी जक्खे अजुणयस्स मालागारस्स अयमेयारूवं अ- भत्थियं जाव विया (णि) णेत्ता अजूणयस्त मालागारस्स सरीरयं अणु-पविसइ २ त्ता तडतडतडस्स बंधाई छिंदइ, [ छिंदित्ता ] तं पलसहस्सणिप्फण्णं अयोमयं मोग्गरं गेण्हइ २ त्ता ते इत्थिसत्तमे पुरिसे घाएइ, तए णं से अज्जुणए मालागारे मोग्गरपाणिणा जक्खेणं अण्णाइडे समाणे रायगिहस्स नगरस्स परिपेरंतेणं कलाकलि छ इत्थिसत्तमे पुरिसे घाएमाणे विहरइ, (तए णं) रायगिहे नयरे सिंघाडग-जाव महापहपहेतु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्लइ ४ - एवं खलु देवाणुप्पिया ! अजणए सालागारे मोग्गरपाणिणा अण्णाइट्ठे समाणे रायगिहे नयरे वहिया छ इत्थिसत्तमे पुरिसे घा (य) एमाणे विहरड़, तए णं से सेणिए राया इमीसे कहाए लट्ठे समाणे कोडुंविय० सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! अजुगए मालागारे जाव घाएमाणे जाव विहरइ तं मा णं तुव्से के इ कटुस्स वा तणस्स वा पाणियस्स वा पुप्फफलाणं वा अट्ठाए सइरं निग्गच्छउ मा णं तस्स सरीरस्स वावत्ती भविस्सइत्तिकट्टु दोचं-पि तचं - पि घोसणयं घोसेह २ त्ता खिप्पामेव ममेयं पञ्चप्पिणह, तए णं ते कोडंविय[0] जाव पञ्चप्पिणंति, तत्थ णं रायगिहे नगरे सुदंसणे नामं सेट्ठी परिवसइ अड्ढे, तए णं से सुदंसणे समणोवासए यावि होत्था अभि (म) गयजीवाजीवे जाव विहरइ, तेणं काळेणं तेणं समएणं समणे भगवं जाव समोसढे [0] विहरइ, तए गं रायगिहे नगरे सिंघाडग० बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खड़ जाव किसंग पुण विपुलस्स अट्ठस्स गहणयाए [0] एवं तस्स सुदंसणस्स बहुजणस्स अंतिए एयं सोचा निसम्न अयं अन्व्भत्थिए ४ - एवं खलु समणे जाव विहरइ तं गच्छामि णं [0] वंदामि०, एवं संपेहेइ २ ता जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ २ त्ता करयल० अञ्जलिं कट्टु एवं वयासी - एवं खलु अम्मयाओ ! समणे जाव विहरइ तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वंदामि नम॑सामि जाव पज्जुवासामि, तए णं (तं) सुदंसणं सेट्ठि अम्मापियरो एवं वयासी एवं खलु पुत्ता ! अजु (णे ) णए मालागारे जाव घाएमाणे विहरइ, तं माणं (तुमं) पुत्ता ! समणं भगवं महावीरं वंदए निग्गच्छाहि, माणं Page #1231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व० ६ अ० ३ ] सुत्तागमे तव सरीरयस्स वावत्ती भविस्सर, तुमण्णं इहगए चेव समणं भगवं महावीरं बंदाहि नम॑साहि, तए णं सुदंसणे सेट्टी अम्मापि (तरो ) यरं एवं वयासी - किण्णं (तुमं) अहं अम्मयाओ ! समणं भगवं महावीरं इमागयं इह-पत्तं इह समोसढं इहगए चेव बंदिस्सामि (न० ), तं गच्छामि णं अहं अम्मयाओ ! तुब्भेहिं अन्भणुण्णाए समाणे (स० ) भगवं महावीरं वं ( दा० जाव प० ) दए, तए णं सुदंस (ण) णं सेहिं अम्मापियरो जाहे नो संचा (यं ) एंति वहूहिं आघवणाहिं ४ जाव परूवेनए ताहे एवं वयासी - अहासुहं०, तए णं से सुदंसणे अम्मापिईहिं अन्भणुगाए समाणे हाए सुद्धप्पावेसाई जाव सरीरे सयाओ गिहाओ पडिणिक्खम २त्ता पायविहारचारेणं रायगिहं नगरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ २ ता मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणस्स अदूरसामंतेणं जेणेव गुणसिलए उजाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव प ( पा ) हारेत्थ गमणाए, तए णं से मोग्गरपाणी जक्खे सुदंसणं समणोवासयं अदूरसामंतेणं वीईवयमाणं ( २ ) पास २ ता आसुरुते ५ तं पलसहस्सणिप्फण्णं अयोमयं सोग्गरं उल्लालेमाणे २ जेणेव सुदंसणे समणोवासए तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तए णं से सुदंसणे समणोवासए मोग्गरपाणिं जक्खं एजमाणं पासइ २ त्ता अभीए अतत्थे अणुव्विग्गे अक्खुभिए अचलिए असंभंते वत् (थए ) थंणं भूमिं पमज्जइ २ त्ता करयल० एवं वयासी - नमोऽत्थु णं अरहंताणं जाव संपत्ताणं नमोऽत्यु णं समणस्स जाव संपाविउकामरस, पुवि (च) पिणं मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धूलए पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए थूलए मुसावाए थूलए अदिण्णादाणे सदारसंतोसे कए जावज्जीवाए इच्छापरिमाणे कए जावज्जीवाए, तं इदाणिं-पिणं तरसेव अंतियं सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामि जावज्जीवाए (0) मुसावा (०) अदत्तादाणं (०) मेहुणं (०) परिग्गहं पञ्च्चक्खामि जावज्जीवाए सव्वं कोहं जाव मिच्छादंसणसलं पञ्चक्खामि जावज्जीवाएं सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चउव्विहं-पि आहारं पच्चक्खामि जावज्जीवाए, जइ णं एत्तो उवसग्गाओ सुच्चि - स्सामि तो मे कप्पेइ पारेत्तए अह णो एत्तो उवसग्गाओ (न) मुश्चिस्सामि तओ मे हा पच्चक्खाए 'चेवत्तिकट्टु सागारं पडिमं पडिवज्जइ । तए णं से मोग्गरपाणी जक्खे तं पलसहस्सणिप्फण्णं अयोमयं मोग्गरं उल्लालेमाणे २ जेणेव सुदंसणे समणोवासए तेणेव उवाग (च्छ० ) ए नो चेव णं संचाएइ सुदंसणं समणोवासयं तेयसा समभिपडित्तए, तए णं से मोग्गरपाणी-जक्खे सुदंसणं समणोवासयं सव्वओ समंताओ परिघोलेमाणे २ जाहे नो [ चेव णं] संचाएइ सुदं ११७९ Page #1232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ अंतगडदसाओ सणं समणोवासयं तेयसा समभिपडिनए ताहे सुदंसणस्स समणोवासयस्स पुरओ सपक्खि सपडिदिसि ठिचा सुदंसणं समणोवासयं अणिमिसाए दिट्ठीए सुचिरं निरिक्खइ २ त्ता अज्जुणयस्स मालागारस्स सरीरं विप्पज (हा ) हइ २ ता तं पलसहस्सणिप्फण्णं अयोमयं मोग्गरं गहाय जामेव दिसं पाउन्भूए तामेव दिसं पडिगए, तए णं से अज्जुणए मालागारे मोग्गरपाणिणा जक्खेणं विप्प ( ज ० ) - मुक्के समाणे वसत्ति धरणियलंसि सव्वंगेहिं (सं) निवडिए, तए णं से सुदंसणे समणोवासए निरुवसग्गमितिकट्टु पडिमं पारेड, तए णं से अजुणए मालागारे त (ओ) तो मुहुत्तरेणं आसत्थे समाणे उट्ठेइ २ त्ता सुदंसणं समणोवासयं एवं वयासी - तुभे णं देवाणुप्पिया ! के कहिं वा संपत्थिया ?, तए णं से सुदंसणे समणोवासए अज्जुणयं मालागारं एवं वयासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! अहं सुदंसणे नामं समणोवासए अभिगयजीवाजीवे गुणसिलए उज्जाणे समणं भगवं महावीरं वंदए संपत्थिए, तए णं से अजुणए मालागारे सुदंसणं समणोवासयं एवं वयासी- तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! अहमवि तुमए सद्धिं समणं भगवं महावीरं वं (दे) दित्तए जाव पज्जुवा (से) सित्तए, अहासहं देवाणुप्पिया ! मा पडिवंधं करेह, तए णं से सुदंसणे समणोवासए अजुणएणं मालागारेणं सद्धिं जेणेव गुणसिलए उज्जाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अज्जुणएणं मालागारेणं सद्धि समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव पज्जुवासइ, तए णं [से] समणे भगवं महावीरे सुदंसणस्स समणोवासगस्स अजुणयस्स मालागारस्स तीसे य० धम्मकहा०, सुदंसणे पडिगए । तए णं से अजुणए [मालागारे] समणस्स भगवओ महावीरस्स अंति (ए) यं धम्मं सोचा [निसम्म ] हट्ट सद्दहामि णं भंते । निग्गंथं पावयणं जाव अब्भुट्ठेमि, अहानुहं०, तए णं से अजुणए मालागारे उत्तर० सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ [करित्ता] जाव अणगारे जाए जाव विहरइ, तए णं से अजुणए अणगारे जं चेव दिवसं मुंडे जाव पव्वइए तं चेव दिवस समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता इमं एयारुवं अभिग्गहं उ (ग्गे -ओगे) ग्गिण्हड़ - कप्पइ मे जावजीवाए छछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणस्स विहरित्तएत्तिकट्टु अयमेयारूवं अभिग्गहं ओगेण्हइ २ ता जावज्जीवाए जाव विहरइ, तए णं से अज्जुणए अणगारे छट्ठक्खमणपारणयंसि पढ (म ) माए पोरिसीए सज्नायं करेड जहा गोयमसामी जाव अड (विहर) इ, तए णं तं अज्जुणयं अणगारं रायगिहे नयरे उच्च[०] जाव अडमाणं वहवे इ (स्थिया ) त्थीओ य पुरिसा य ११८० Page #1233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लभ जोगी असणे जेणेव स महावीरेण च० ६ अ० १३] सुत्तागमे ११८१ डहरा य महल्ला य जुवाणा य एवं वयासी-इमे-णं मे पिता-मा(र)रिए [माता मारि-या] भाया० भगिणी० भजा० पु(त्त)त्ते० धूया० सुहा० इमेण मे अण्णयरे सयणसंबंधिपरियणे मारिएत्तिकटु अप्पेगइया अक्कोसंति अप्पेगइया हीलंति निंदति खिसंति गरिहंति तज्नेति तालेंति, तए णं से अजुणए अणगारे तेहिं वहहिं इत्थीहि य पुरिसेहि य डहरेहि य महल्लेहि य जुवाणएहि य आ-तो-सिजमाणे जाव तालेजमाणे तेसिं मणसा-वि अपउस्समाणे सम्मं सहइ सम्मं खमइ तितिक्खइ अहियासेइ सम्म सहमाणे० रायगिहे नयरे उच्चणीयमज्झिमकुलाई अडमाणे जइ भत्तं ल-हइ तो पाणं न लभइ जइ पाणं तो भत्तं न लभइ, तए णं से अजुणए (अ०) अदीणे अविमणे अकलुसे अणाइले अविसा(ई)दी अपरितंतजोगी अडइ २ ता रायगिहाओ न-गराओ पडिणिक्खमइ २ त्ता जेणेव गुणसिलए उजाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे जहा गोयमसामी जाव पडिदंसेइ २ ता समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए अमुच्छिए ४ विलमिव पण्णगभूएणं अप्पाणेणं तमाहारं 'आहारेइ, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया (क०) राय०, पडिणिक्खमइ २ त्ता बहि जण विहरइ, तए णं से अजुणए अणगारे तेणं ओ(उ)रालेणं (वि०) पयत्तेणं पग्गहिएणं महाणुभागेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे वहुपुण्णे छम्मासे सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता] अद्धमासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूझु]सेइ [२ ता] तीसं भत्ताइं अणसणाए छेदेइ २ त्ता जस्सट्टाए कीरइ जाव सिद्धे ३ ॥ १३ ॥ (उ० च० अ० ए० ख० ज०) तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे न-गरे गुणसिलए उजाणे (तत्थ णं) सेणिए राया कासवे नाम गाहावई परिवसइ जहा म-काई, सोलस वासा परियाओ विपुले सिद्ध ४ । एवं खेमए-s-वि गाहावई, नवरं का(ग)यंदी नयरी सोलस वासा परियाओ विपुले पव्वए सिद्धे ५ । एवं धिइहरे-वि गाहावई का(म)यंदीए नयरीए सोलस वासा परियाओ (जाव) विपुले सिद्धे ६ । एवं केलासे-वि गाहावई नवरं सागेए नयरे बारस-वासाई परियाओ विपुले सिद्धे ७, एवं हरिचंदणे-वि गाहावई साएए बारस-वासा परियाओ विपुले सिद्धे ८ । एवं वारत्तए-वि गाहावई नवरं रायगिहे नगरे वारस-वासा परियाओ विपुले सिद्ध ९ । एवं सुदंसणे-वि गाहावई नवरं वाणिय[]गामे नयरे दूइपलासए उजाणे पंच-वासा परियाओ विपुले सिद्धे १० । एवं पुण्णभद्दे-वि गाहावई वाणिय-गामे नयरे पंचवासा परियाओ विपुले सिद्ध ११ । एवं सुमणभद्दे-वि गाहावई सावत्थीए नयरीए बहुवा(स-सा)साइं परि० सिद्धे १२ । एवं सुपइट्ठ-वि गाहावई सावत्थीए नयरीए Page #1234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८२ __सुत्तागमे [संतगडदसाओ सत्तावीसं वासा परियाओ विपुले सिद्धे १३ । एवं मेहे वि गाहावई रायगिहे नयरे बढ़ई वासाइं परियाओ विपुले सिद्धे १४ ॥ १४ ॥ (उ० प० अ० ए० व० ए० ख० ज०) तेणं कालेणं तेणं समएणं पोलासपुरे नगरे सि-रिवणे उजाणे, तत्य णं पोलासपुरे नयरे विजये नाम राया होत्या, तस्स णं विजयस्स रणो सिरीनाम देवी होत्या वण्णओ, तस्स - णं विजयस्स रण्णो पुत्ते सिरीए देवीए अत्तए अहमुत्ते नाम कुमारे होत्या सू-माले[.], तेणं कालेणं तेणं समएणं समण भगवं महावीरे जाव सि-रिवणे विहरइ, तेणं कालेणं तेणं समएणं समगस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभू(ई)ती जहा पण्णत्तीए जाव पोलासपुरे नयरे उच्च-जाव अडइ, इमं च णं अइमुत्ते कुमारे पहाए सव्वालंकारविभूतिए वहहिं दारए हिं]हि य दारिया-हि य डिभएहि य डिभियाहि य कुमारएहि य कुमारियाहि य सद्धिं संपरिखुडे स(या)ओ गिहाओ पडिणिक्खमइ २ ता जेणेव इंदट्ठाणे तेणेव उवागए तेहिं बहहिं दारएहि य ६ संपरिबुडे अभिरममाणे २ विहरइ, तए गं भगवं गोयमे पोलासपुरे न-यरे उच्च जाव अडमाणे इंदट्ठाणस्स अदूरसामंतणं वीईवयइ, तए णं से अइमुत्ते कुमारे भगवं गोयमं अदूरसामंतेणं बीईवयमाणं पासइ २ ता. जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागए २ त्ता भगवं गोयमं एवं वयासी-के गं भंते ! तुम्भे ? किं वा अडह ?, तए णं भगवं गोयमे अइमुत्तं कुमारं एवं वयासी-अम्हे गं देवाणप्पिया । समणा निरगंथा इरियासमिया जाव बंभयारी उच्च-जाव अडामो, तए णं अइमुत्ते कुमारे भगवं गोयमं एवं वयासी-एह णं भंते ! तुव्भे (जणेव) जा णं अहं तु(ह)व्मं भिकग्वं द्वावेमीतिकटु भगवं गोयमं अंगुलीए गेहइ २ त्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागए, तए णं सा सि-रिदेवी भगवं गोयमं एजमाणं पासइ २ त्ता हट्ठ० आसणाओ अमुढेइ २ त्ता जणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागया भगवं गोयमं तिक्खुत्तो आयाहि-णपयाहि० वंदइ० विउलेगं असण० जाव पडिविसज्जेइ, तए णं से अइमुत्ते कुमारे भगवं गोयम एवं वयासी-कहि णं भंते ! तुव्भे परिवसह ?, तए णं न] भगवं गोयमे अइमुत्तं कुमारं एवं बयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम धम्मायरिए धम्मोवएसए भगवं महावीरे आइगरे जाव संपाविउकामे इहेव पोलासपुरस्स न-रस्स बहिया सिरिवणे उज्जाणे अहापडिस्त्रं उरगहं उरिंगदिना मुनमेणं जाव भावेमाणे विहरइ, तत्य णं अम्हे परिवसामो, तए णं में अइमुत्ने कुमारे भगवं गोयम एवं वयासी-गच्छामि णं भंते ! अहं Page #1235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८३ व० ६ अ० १६] सुत्तागमे तुम्भेहिं सद्धिं समणं भगवं महावीरं पायवंदए, अहासुहं०, तए णं से अइमुत्ते कुमारे भग(व)वया गोयमेणं सद्धि जेणेव समणे (भ०) महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहि-णपयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ जाव पन्जुवासइ, तए णं भगवं गोयमे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागए जाव पडिदंसेइ २ त्ता संजमेणं तव० विहरइ, तए णं समणे भगवं महावीरे अइमुत्तस्स कुमारस्स तीसे य धम्मकहा, तए णं से अइमुत्ते (कु०) समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्ठ० जं नवरं देवाणुप्पिया! अम्मापियरो आपुच्छामि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए जाव पव्वयामि, अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिवंधं [करेह], तए णं से अइमुत्ते [कुमारे] जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागए जाव पव्वइत्तए, अइमुत्तं कुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-बाले-सि जा(ता)व तुमं पुत्ता ! असंयुद्ध-सि० किं णं तुमं जा(णा)णसि धम्म?, तए णं से अइमुत्ते कुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-एवं खलु (अहं) अम्मयाओ । जं चेव जाणामि तं चेव न जा(या)णामि जं चेव न जा-णामि तं चेव जाणामि, तए णं तं अइमुत्तं कुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-कहं णं तुमं पुत्ता । जं चेव जा-णसि जाव' तं चेव जा-णसि ?, तए णं से अइमुत्ते कुमारे अम्मापियरो एवं वयासीजाणामि अहं अम्मयाओ! जहा जाएणं अवस्समरियव्वं न जाणामि अहं अम्मयाओ! काहे वा कहिं वा कहं वा केचिरेण वा?, न जाणामि-अम्मयाओ ! केहि कम्माययणेहिं जीवा नेरइयतिरिक्खजोणिमणुस्स देवेसु उववजंति, जाणामि णं अम्मयाओ। जहा सएहि कम्माययणेहिं जीवा नेरइय[0] जाव उववजति, एवं खलु अहं अम्मयाओ। जं चेव जाणामि तं चेव न जा-णामि जं चेव न जा-णामि तं चेव जाणामि, इच्छामि णं अम्मयाओ। तुन्भेहि अभYण्णाए जाव पव्वइत्तए, तए णं तं अइमुत्तं कुमार अम्मापियरो जाहे नो संचाएंति वहूहि आघव० तंइच्छामो ते जाया ! एगदिवसमवि रा(ज)यसिरिं पासेत्तए, तए ण से अइमुत्ते कुमारे अम्मापिउवयणमणुयत्तमाणे तुसिणीए संचिठ्ठइ अभिसेओ जहा महावलस्स निक्खमणं जाव सामाइयमाइयाई अहिजइ वहूइ वासाइं सामण्णपरियागं गुणरयणं जाव विपुले सिद्धे १५ । (उ० सो० अ० ए० ख० ज०) तेणं कालेणं तेणं समएणं वा(बा)णारसीए नयरीए काममहावणे उजाणे, तत्य णं वाणारसी(इ)ए अलक्खे नाम राया होत्था, तेणं कालेगं तेणं समएणं समणे जाव विहरइ परिसा निग्गया, तए णं [से] अलक्खे राया इमीसे कहा। Page #1236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८४ सुत्तागमे [अंतगडदसाओ लढे (स०) हट्टतुट्ठ० जहा कूणिए जाव पजुवासइ धम्मकहा०, तए णं से अलक्खे राया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए जहा उदायणे तहा निक्खंते नवरं जेट्टपुत्तं रज्जे अहिसिचइ एक्कारस अंगाई बहू वासा परियाओ जाव विपुले सिद्धे १६ । एवं जंवू ! समणेणं जाव छठ्ठ-स्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते ॥१५॥ [सत्तमो वग्गो] जइ णं भंते ! सत्तमस्स वग्गस्स उक्खेवओ[.] जाव तेरस अज्झयणा पण्णत्ता तं०-'नंदा तह नंद(मती)वई नं(दो)दुत्तर नं(द)दिसेणिया चेव । म(हया)रुय सुमरु-य महमस्त्य मरु(इ)देवा य अट्ठमा ॥ १ ॥ भद्दा य सुभद्दा य सुजाया सुमणा(तिया)वि य । भूयदि(त्ता)ण्णा य वो(ख)धव्वा सेणियभज्जा(ण)णं नामाइं ॥ २ ॥' जइ णं भंते !० तेरस अज्ञयणा पण्णत्ता पढमस्स गं भंते ! अज्झयणस्स समणेणं० के अढे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे गुणसिलए उजाणे सेणिए राया (व०) तस्स णं सेणियस्स रण्णो नंदा नामं देवी होत्था वण्णओ, सामी समोसढे परिसा निग्गया, तए णं सा नंदा-देवी इमीसे कहाए लट्ठा (स० जाव हट्ट०) कोथुवियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता जाणं जहा पउमावई जाव एकारस अगाई अहिजित्ता वीसं वासाइं परियाओ जाव सिद्धा । एवं तेरस-वि देवीओ नंदागमेण नेयव्वाओ (णि०) ॥ सत्तमो वग्गो समत्तो ॥ १६ ॥ अट्ठमो वग्गो] जइ णं भंते ! अट्ठमस्स वग्गस्स उक्खेवओ-जाव दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं०~ काली सुकाली महाकाली कण्हा सुकण्हा महाकण्हा । वीरकण्हा य वो-धव्वा रामकण्हा तहेव य॥ १ ॥ पिउसेणकण्हा नवमी दसमी महासेणकण्हा य । जइ० दस अज्झयणा[0] पढमस्स (णं भं०) अज्झयणस्स (स० जाव सं०) के अढे पण्णत्ते ? एवं खलु जंवू! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम न-गरी होत्था पुण्णभद्दे उजाणे, तत्थ णं चंपाए नयरीए कोणिए राया वण्णओ, तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रणो भजा कोणियस्स रण्णो चुल्लमाउया काली नामं देवी होत्था वण्णओ जहा नंदा जाव सामाइयमाइयाइं एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, वहूहि चउत्थ० जाव अप्पाणं भावेमाणी विहरइ, तए णं सा काली (अजा) अण्णया कयाइ जेणेव अज्जचंदणा अजा तेणेव उवागया २ त्ता एवं वयासी-इच्छामि गं अजाओ! तुन्भेहि अव्भणुण्णाया समा-णा रयणावलिं तवं उवसंपज्जेत्ताणं विहरेत्तए, अहासुहं०, तए णं सा काली अजा अजचंदणाए अन्भणुण्णाया Page #1237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०म०१] सुंतागमे ११८५ समा-णा रयणावलि (त०) उवसंपजित्ता-णं विहरइतं०-चउत्थं करेई चउत्थं करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ सव्वकामगुणियं पारेत्ता छ8 करेइ छठें करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ २ अट्ठमं करेइ २ सव्वकाम० २ अट्ठ छट्ठाई करेइ २ सव्वकाम० २ चउत्यं करेइ २ सव्वकाम० २ छठें करेइ २ सव्वकाम० २ अट्ठमं करेइ २ सव्वकाम० २ दसमं करेइ २ सव्वकाम० २ दुवालसमं करेइ २ सव्वकाम० २ चोद्दसमं० २ सव्व० २ सोलसमं० २ सव्व० २ अट्ठारसमं० २ सव्व० २ वीसइमं० २ सव्व० २ वावीसइमं० २ सव्व० २ चउवीसइमं० २ सव्व० २ छन्वीसइमं० २ सव्व० २ अट्ठावीसइमं० २ सव्व० २ तीसइमं० २ सव्व० २ बत्तीसइमं० २ सव्व० २ चोत्तीसइमं० २ सव्व० २ चोत्तीसं छट्ठाई करेइ २ सव्व०२ चोत्ती(सइम)सं करेइ २ सव्व० २ वत्ती-सं० २ सव्व० २ तीसं० २ सव्व० २ अट्ठावी-सं० २ सव्व० २ छन्वी-सं० २ सव्व० २ चउवी-सं० २ सव्व० २ वावी-सं० २ सव्व० २ वी-सं० २ सव्व० २ अट्ठार(सम)सं० २ सव्व० २ सोलसमं० २ सव्व० २ चोइसमं० २ सव्व० २ वारसमं० २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व० २ अट्ठमं० २ सव्व० २ छटुं० २ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व० २ अट्ठ छट्ठाई करेइ २ सव्व० २ अट्ठमं करेइ २ सव्व० २ छठें करेइ २ सव्व० २ चउत्यं० २ सव्व० एवं खलु एसा रयणावलीए तवोकम्मस्स पढमा परिवाडी एगेणं संवच्छरेणं तिहिं मासेहिं बावीसाए य अहोरत्तेहिं अहासुत्ता जाव आराहिया भवइ, तयाणंतरं च णं दोच्चाए परिवाडीए चउत्थं करेइ २ विगइवजं पारेइ २ छठें करेइ २ विगइवजं पारेइ (०) एवं जहा पढमाए-वि नवरं सव्वपारणए विगइवज्ज पारेइ जाव आराहिया भवइ, तयाणंतरं च णं तच्चाए परिवाडीए चउत्यं करेइ चउत्थं करेत्ता अलेवाडं पारेइ सेसं तहेव, एवं चउत्था परिवाडी नवरं सव्वपारणए आयंबिलं पारेइ सेसं [तहेव] तं चेव,-'पढमंमि सव्वकामं पारणयं बिइयए विगइवजं । तइयंमि अलेवाडं आयंबि(लमो)लं चउत्थंमि ॥१॥' तए णं सा काली अजा रयणावली-तवोकम्मं पंचहिं संवच्छरेहिं दोहि य मासेहिं अट्ठावीसाए य दिवसेहिं अहासुत्तं जाव आराहेत्ता जेणेव अज्जचंदणा अज्जा तेणेव उवा० २ त्ता अजचंदणं अजं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता वहहिं चउत्थ[.] जाव अप्पाणं भावेमाणी विहरइ, तए णं सा काली अज्जा तेणं उ(ओ)रालेणं 'जाव धमणिसंतया जाया यावि होत्था से जहा इंगाल० जाव सहुयहुयासणे इव भासरासिपलिच्छण्णा तवेणं तेएणं तवतेयसिरीए अ-तीव ७५ सुत्ता० Page #1238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८६ सुत्तागमे [अंतगडदसाओ उवसो-हेमाणी चिठ्ठइ, तए णं तीसे कालीए अजाए अण्णया कयाइ पुन्वरत्तावरत्तकाले अयम-ब्भत्थिए जहा खंदयस्स चिंता जहा जाव अस्थि उठा० ताव ता(व) मे सेयं कल्लं जाव जलंते अजचंदणं अजं आपुच्छित्ता अजचंदणाए अजाए अब्भणुण्णायाए समाणीए संलेहणाझूसणाझसियाए भत्तपाणपडियाइक्खियाए पायोवगयाए कालं अणवकंखमाणीए विहरेत्तएत्तिकट्ठ एवं संपेहेइ २ ता कलं जेणेव अजचंदणा अजा तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अजचंदणं (अज्ज) वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-इच्छामि गं अजो! तुन्भेहिं अन्भणुण्णाया समाणी संलेहणा० जाव विहरेत्तए, अहासुहं०, (तओ) काली अजा अजचंदणाए अब्भणुण्णाया समाणी संलेहणा० जाव विहरइ, सा काली अजा अजचंदणाए अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिंजित्ता बहुपडिपुण्णाई अट्ठ संवच्छराई सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अ(प्पा)त्ताणं झुसेत्ता सहि भत्ताई अणसणाए छे(दे)दित्ता जस्सहाए कीरइ जाव चरिमुस्सासनीसासेहिं सिद्धा ५॥ निक्खे(वो)वओ। [पढमं] अज्झयणं [समत्तं] ॥ १७॥ (उ० बि० अ० ए० ख० ज०) तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा-ना(म)मं नयरी पुण्णभद्दे उजाणे कोणिए राया, तत्थ णं सेणियस्स रण्णो भजा कोणियस्स रण्णो चुल्लमाउया सुकाली-ना-मं देवी होत्था जहा काली तहा सुकाली-वि निक्खंता जाव बहूहिं चउत्थ-जाव भावेमाणी विहरइ, तए णं सा सुकाली अजा अण्णया कयाइ जेणेव अजचंदणा अजा जाव इच्छामि णं अजो! तुन्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणी कणगावली-तवोकम्म उवसंपज्जित्ताणं विहरेत्तए, एवं जहा रयणावली तहा कणगावली-वि, नवरं तिसु ठाणेसु अट्ठमाइं करेइ जहा रयणावलीए छट्ठाइं एकाए परिवाडीए संवच्छरो पंच मासा वारस य अहोरत्ता चउण्हं पंच वरिसा नव मासा अट्ठारस दिवसा सेसं तहेव, नव वासा परियाओ जाव सिद्धा ॥ १८ ॥ एवं महाकाली-वि, नवरं खुड्डागं सीहनिक्कीलियं तवोकम्म उवसंपजित्ताणं विहरइ, तं०-चउत्थं करेइ २ सव्वकामगुणियं पारेइ २ छटुं करेइ २ सव्वकामगुणियं पारेइ २ चउत्यं करेइ २ सव्वका० २ अट्ठमं करेइ २ सव्वका० २ छटुं०. २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व० २ अट्ठमं० २ सव्व० २ दुवाल-सं० २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व० २ चोद्द-सं० २ सव्व० २ (वारसम) दुवाल-सं० २ सव्व० २ सोलसमं० २ सव्व० २ चोह-सं० २ सव्व० २ अट्ठार-सं० २ सव्व० २ सोलसमं० २ सव्व० २ वीस० २ सव्व० २ अट्ठार. २ सव्व० २ वीस० २ सव्व० २ सोलसमं० २ सव्व० २ अट्ठार. २ सव्व० २ चोद्द-सं० Page #1239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५.८ अ०५]; सुत्तागमे ११८७ २ सन्द० २ सोलसमं० २ सव्व० २-दुवालसं० २ सव्व० २ चोइ-सं० २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व० २-दुवालसं० २ सव्व० २ अट्ठमं० २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व० २ छटुं० २ सव्व० २ अट्ठमं० २ सव्व० २ चउत्यं० २ सव्व० २ छटुं० २ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्वकामगुणियं पारेइ-तहेव चत्तारि परिवाडीओ, एकाए परिवाडीए छम्मासा सत्त य दिवसा, चटण्हं दो वरिसा अट्ठावीसा य दिवसा जाव सिद्धा ॥ १९ ॥ एवं कण्हा-वि नवरं महालयं सीहणिनीलियं तवोकम्मं जहेव खुट्टागं नवरं चोत्तीसइमं जाव नेयव्वं तहेव ऊसारेयव्वं, एक्काए वरिसं छम्मासा अट्ठारस य दिवसा, चउण्हं छव्वरिसा दो मासा वारस य अहोरत्ता, सेसं जहा कालीए जाव सिद्धा ॥ २०॥ एवं सुकण्हा-वि नवरं सत्तसत्तमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ, पढमे सत्तए एकेकं भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ एकेकं पाणयस्स, दोचे सत्तए दो दो भोयणस्स दो दो पाणयस्स पडिगाहेइ, तच्चे सत्तए तिण्णि० चउत्थे० पंचमे० छ० सत्तमे सत्तए सत्त दत्तीओ भोयणस्स पडि()गाहेइ सत्त पाणयस्स, एवं खलु एयं सत्तसत्तमियं भिक्खुपडिमं एगूणपण्णाए रा(ई)तिदिएहिं एगेण य छण्णउएणं भिवखासएणं अहासुत्ता जाव आराहेत्ता जेणेव अजचंदणा अन्ना तेणेव उवागया [२ त्ता] अजचंदणं अजं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-इच्छामि णं अजाओ! तुम्भेहिं अन्भणुण्णाया समाणी अहमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरेत्तए, अहासुहं०, तए णं सा सुकण्हा अज्जा अज्जचंदणाए अन्भणुण्णाया समाणी अहमियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरइ, पढमे अट्ठए एकनं भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ एकेक पाण(ग)यस्स जाव अट्ठमे अट्ठए अट्ठ भोयणस्स (दत्ति) पडिगाहेइ अट्ठ पाण-यस्स, एवं खलु एयं अट्ठमियं भिक्खुपडिमं चउसट्ठीए रा-तिदिएहिं दोहि य अट्ठासीएहिं भिक्खासएहिं अहासु(तं)त्ता जाव नवनवमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता-णं विहरइ, पढमे नवए एक्कनं भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ (य) एनेनं पाणयस्स जाव नवमे नवए नव नव द० भो० पडि-नव २ पाणयस्स, एवं खलु नवनवमियं भिक्खुपडिमं एकासी-ईराइंदिएहिं चउहिं पंचोत्तरेहिं भिक्खासएहिं अहासुत्ता जाव दसदसमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ, पढमे दसए एक भोयणस्स दत्तिं पडिमाहेइ-एक्वेक पाणयस्स जाव दसमे दसए दस २ भोयणस्स द(त्ति)त्ती[ओ] पडि-गाहेइ दस २ पाण[य]स्स०, एवं खलु एवं दसदसमियं भिक्खुपडिम एक्केणं राइंदियसएणं अद्धछठेहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं जाव भोयणस्स दात पाडगाहेइ दस २ पाणमा भिक्खासएहिं । Page #1240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ V १९८८ सुत्तागमे अंतगडदसामओ आराहेइ २ त्ता बहहिं चउत्थ जाव मासद्धमासविविहतवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणी विहरइ, तए णं सा सुकण्हा अजा तेणं उ-रालेणं जाव सिद्धा ॥ निक्खे-वओ॥ पंचम(अ)ज्झय(णा)णं ॥ २१ ॥ एवं महाकण्हा-वि नवरं खुड्डागं सव्वओभई पडिमं उपसंपज्जित्ताणं विहरइ, (तं०-) चउत्थं करेइ. २ सव्वकामगुणियं पारेइ २ छठें करेइ २ सव्व० २ अट्ठमं० २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व० २ दुवालसमं० २ सव्व० २ अट्ठमं० २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व० २ दुवालसमं० २ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व० २ छटुं० २ सव्व० २ दुवाल-सं०२ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व० २ छटुं० २ सव्व० २ अट्ठमं० २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व० २ छटुं० २ सव्व० २ अट्ठमं० २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व० २ दुवाल-सं० २ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व० २ दुवालसमं० २ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व० २ छटुं० २ सव्व० २ अट्ठमं० २ सव्व० एवं खलु एवं खुड्डागसव्वओभइस्स तवोकम्मस्स पढमं परिवाडि तिहिं मासेहिं दसहि दिवसेहिं अहासुत्तं जाव आरा(हे)हित्ता दोच्चाए परिवाडीए चउत्यं करेइ २ विगइवजं पारेइ २ जहा रयणावलीए तहा एत्थ-वि चत्तारि परिवाडीओ पारणा तहेव, चउण्डं कालो संवच्छरो मासो दस य दिवसा सेसं तहेव जाव सिद्धा॥ निक्खे-वओ॥ [छ8] अज्झयणं ॥ २२ ॥ एवं वीरकण्हा-वि नवरं महालयं सव्वओभई तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता-णं विहरइ, तं०-चउत्थं करेइ २ सव्व० २ छटुं० २ सव्व० २ अट्ठमं० २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व० २ दुवालसमं० २ सव्व० २ चोद्द(चउद)सं० २ सव्व० २ सोल(सं)समं० २ सव्व० २ (प० लया) दसमं० २ सव्व० २ दुवालसमं० २ सव्व० २ चोद्द-सं० २ सव्व० २ सोल-समं० २ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व० २ छटुं० २ सव्व० २ अट्ठमं० २ सव्व० २ (वि० ल०) सोल-समं० २ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व० २ छटुं० २ सव्व० २ अट्ठमं० २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व० २ दुवाल २ सव्व० २ चोद-सं० २ सव्व० २ (ति० ल०) अट्ठमं० २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व० २ दुवाल-सं० २ सव्व० २ चोद्दसमं० २ सव्व० २ सोलसमं० २ सव्व० २ चउत्यं० २ सव्व० २ छटुं० २ सव्व० २ (च० ल०) चोह-सं० २ सव्व० २ सोलसमं० २ सव्व० २ चउत्यं० २ सव्व० २ छटुं० २ सव्व० २ अट्ठमं० २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व० २ दुवाल० २ सव्व० २ (पं० ल०) छटुं० २ सव्व० २ अट्टमं० २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व० २ दुवाल० २ सव्वळ २ चोद-सं० २ सव्व० २ सोलसमं० २ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व० २ (छ० ल०) Page #1241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ० ८ ० १०] सुतारामे ११८९ दुवाल० २ सव्व० २ चोह- सं० २ सव्व ० २ सोलसमं० २ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व० २ छटुं० २ सव्व० २ अट्टमं० २ सव्व० २ दसमं० २ सव्व ० (स० ल०) एक्नेक्काए लयाए अट्ठ मासा पंच य दिवसा चउन्हं दो वासा अट्ठ मासा वीस दिवसा सेसं तहेव जाव सिद्धा ॥ २३ ॥ एवं रामकण्हा - वि नवर महोत्तरपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरइ तं०-दुवालसमं करेइ २ सव्व० २ चोद्दसमं० २ सव्व० २ सोलसमं० २ सव्व० २ अट्ठारसमं० २ सव्व० २ वीसइमं० २ - सव्व ० २ सोलसमं० २ सव्व० २ अट्ठारसमं ० २ सव्ब० २ वीसइमं ० २ सव्व ० २ दुवालसमं० २ सव्व० २ चोद्दसमं० २ सव्व० २ वीसइमं २ सव्व० २ दुवाल सं० २ सव्व० २ चोदसमं० २ सव्व० २ सोलसमं० २ सव्व० २ अट्ठार - समं० २ सव्व ० २ चोद्दसमं० २ सव्व० २ सोलसमं० २ सव्व० २ अट्ठारसमं० २ सव्व ० २ वीसइमं० २ सव्व० २ दुवालसमं० २ सव्व० २ अट्ठारसमं ० २ सव्व ० २ वीसइमं० २ सव्व० २ दुवालसमं० २ सव्व० २ चोहसमं० २ सव्व० २ सोलसमं० २ सव्व० एक्काए कालो छम्मासा वीस य दिवसा, चउन्हं कालो दो वरिसा दो मासा वीस य दिवसा, सेसं तहेव जहा काली जाव सिद्धा ॥ २४ ॥ एवं पिउसेणकण्हा - वि नवरं मुत्तावलीत वोकम्मं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ, तं० - चउत्यं करेइ २ सव्व० २ छटुं० २ सव्व ० २ चउत्यं • ० २ सव्व० २ अट्ठमं० २ सव्व० २ चउत्यं ० २ सव्व० २ दसमं० २ -सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व० २ दुवाल० २ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व ० २ चोदसमं० २ सव्व ० २ चउत्थं० २ सव्व ० २ सोलसमं० २ सव्व० २ चउत्यं० २ सव्व० २ अट्ठार-समं० २ सव्व० २ चउत्यं० २ सव्व० २ वीसइमं० २ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व० २ बावीस मं० २ सव्व० २ चउत्थं ० २ सव्व० २ चउवीसइमं० २ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व० २ छव्वीस मं० २ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व० २ अट्ठावीसं० २ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व० २ तीसइमं० २ सव्व० २ चउत्थं० २ सव्व० २ बत्तीसइमं ० २ सव्व० २ चउत्थं ० २ सव्व० २ चोत्तीस इमं ० [ सव्व ० ] ( २ त्ता च० २ ता २ त्ता व० २ त्ता) एवं तहेव ओसारेइ जाच ( चउत्थं करेइ ) चउत्थं क ( रे - इ) रित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, एक्काए कालो एक्कारस मासा पणरस य दिवसा चउन्हं तिण्णि वरिसा दस य मासा सेसं जाव सिद्धा ॥ २५ ॥ एवं - महा सेणकण्हा - वि, नवरं आयंबिलवद्रुमाणं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ताणं विहर, • तं ० - आयंबिलं करेइ २ चउत्थं करेइ २ बे आयंबिलाई करेइ २ चउत्यं -स० Page #1242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ अंतगडदसाओ करेइ २ तिणि आयंबिलाई करेइ २ चउत्थं० २ चत्तारि० २ चउत्थं० २ पंच० २ चउत्थं० २ छ०२ चउत्थं० २ एवं एकोत्तरियाए वढीए आयंविलाई वहू॑ति चउत्यंतरियाई जाव आयँविलसयं करेइ २ चत्यं करे, तए णं सां महासेणकण्हा अज्जा आयंबिलवमाणं तवोकम्मं चोद्दसहिं वासेहिं तिहि य मासेहिं वीसहि य अहोरत्तेहिं अहासुतं जाव सम्मं कारणं फासेइ जाव आरा - हित्ता जेणेव अजचंदणा अजा तेणेव उवा० २ त्ता (अ० अ० ) वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता बहूहिं चड़ (त्थेहिं ) त्थ जाव भावेमाणी विहरइ, तए णं सा महासेणकण्हा अजा तेणं उ-रालेणं जाव उवसोभेमाणी चिड, तए णं तीसे म (ह) हासेणकण्हाए अज्जाए अण्णया कयाई पुव्वरत्तावरत्तकाले चिंता जहा खंदयस्स जाव अज्जचंदणं ( आ ) पुच्छर जाव संलेहणा [-] कालं अणवर्कखमाणी विहरइ, तए णं सा महासेणकण्हा अजा अजचंद्णाए अजाए अंतिए सामाइयाई एक्कारस अंगाई अहिजित्ता बहुपडिपुण्णाई सत्तरस वासाईं परियायं पालइत्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झू-सित्ता सट्ठि भत्ताई अणसणाए छे. दित्ता जस्सट्ठाए कीरइ जाव तम आराहेइ [आराहित्ता ] चरिमउस्सासणीसासेहिं सिद्धा बुद्धा [0]। अट्ठ य वासा आ ( दी ) ई एक्को (रि) रयाए जाव सत्तरस । एसो खलु परियाओ से जियभजा- नायव्वो ॥ १ ॥ एवं खलु जं (बु) वू ! समणेणं ( भगवया महावीरेणं आ-दिगरेणं) जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अयमट्ठे पण्णत्ते (०) ॥ अंगं स (सं) मत्तं ॥ २६ ॥ अंतगडदसाणं अंगस्स एगो सुयखंधो अट्ठ-वग्गा अट्ठसु चेव दिवसेसु उद्दि [स्सि ]सिज्जंति, तत्थ पढमविइयवग्गे दस दस उद्देसगा तइयवग्गे तेरस उद्देसगा चउत्थपंचमंवग्गे दस दस उद्देस (या) गा छुट्टवग्गे सोलस उद्देसगा सत्तमवग्गे तेरस उद्देगा अहमवन्गे दस उद्देसंगा सेसं जहा नायाधम्मकहाणं ॥ २७ ॥ ३१९० Page #1243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमाऽत्यु णं समणस्स भगवओ णायपुत्तमहावीरस्स सुत्तागमे तत्थ णं अणुत्तरोववाइयदसाओ पढमो वग्गो] तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे (णा०) [नयरें] (हो० से. ना० रा० हो० चे० दे० गु० उ० व० ते० का० ते० स० रा० न०) अजसुहम्म(णा० थे०)स्स समोस(रिए)रणं परिसा निग्गया जाव जंबू (जाव) पन्जुवासइ० एवं वयासी-जइ णं भंते । समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अयमढे पण्णत्ते नवमस्स गं भंते ! अंगस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अद्वे पण्णत्ते ?, (तेणं०) तए णं से सुहम्मे अणगारे (बू)बु अणगारं एवं वयासी-एवं खलु जम्बू ! समणेणं जाव संपत्तेणं नवमस्स अंगस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं तिण्णि वग्गा पण्णत्ता, जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं नवमर्स अंगस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं (ति०) तओ वग्गा पण्णत्ता पढमस्स णं भंते ! वग्गस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं (के) कइ अज्झयणा पण्णत्ता ? एवं खलु जंबू ! समजेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं०-(गा०-)जालिमयालिउव(मा-जा-लि)याली पुरिससेणे य वारिसेणे य दीहदंते य लठ्ठदंते य वे(वि)हल्ले वेहा[य]से अभए इ य कुमारे ॥ जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पण्णत्ता पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पण्णत्ते ? एवं खलु जंवू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे रिद्धत्थिर्मियसमिद्धे गुणसिलए उजाणे सेणिए राया धा(र)रिणी-देवी सी(ह)हो सुमि(ण)णे (पा०प० जाव).जाली कुमा(रजाए)रो जहा मेहो (जाव) अट्ठओ दाओ जाव उप्पि पासाय० विहरइ, (ते० का० ते० स० स० भ० म० जाव) सामी समोसढे सेणिओ निग्गओ जहा मेहो तहा जाली-वि निग्गओ तहेव निक्खंतो जहा मेहो, एक्कारस अंगाई अहिजइ, गुणरयणं तवोकम्म [जहा खंदयस्स] एवं जा चेव खंद(योग[स्स] वत्तव्वया सा चेव चिंतणा आपुच्छणा थेरेहिं सद्धिं वि(पु)उलं तहेव दु(रु)रूहइ, नवरं सोलस वासाइं सामण्णपरियागं Page #1244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११९२ सुत्तागमे [भणुत्तरोववाइयदसामो 'देवस्ल कदम जाब विजयामा ! मी अंतेवासा पाउणित्ता कालमासे कालं किच्चा उट्टे चंदिम सोहम्मीसाण जाव आरणच्चुए कप्पे नव-य-गेवे(जे)न(य)विमाणपत्यडे उड़े दूरं वी(इ)ईवइत्ता विजयविमाणे देवत्ताए उववण्णे, त(या)ए णं (ते) थेरा भगवंतो जालिं अणगारं कालगयं जा(णे)णित्ता परिणिव्वाणवत्तियं काउस्सग्गं करेंति २ त्ता पत्तचीवराई गेण्हति तहेव उत्त(ओय)रंति जाव इमे से आयारभंडए, भंते । त्ति भगवं गोयमे जाव एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी जा(लि)ली नामं अणगारे पगइभद्दए से णं जाली अणगारे कालगए कहिं गए कहिं उववण्णे ? एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी तहेव जहा खंदयस्स जाव काल. उर्दू चंदिम जाव विज(यए विमाणे देवत्ताए उववण्णे । जालिस्स णं भंते ! देवस्स केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! वत्तीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता । से णं भंते ! ताओ देवलो(गा)याओ आउक्खएणं ३ कहिं गच्छिहिइ २ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ (जाव स० अं० क०), (ता) एवं [खलु] जंवू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमास्सावग्गस्स पढम[स्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते । (इति प० प० स०) एवं सेसाण-वि अट्ठ(नव)ण्हं भाणियव्वं, नवरं (सत्त) छ धा-रि(णी)णिसुआ वे-हल्लवेहा[य]सा चेल्लणाए (अ० णं०), आइल्लाणं पंचण्हं सोलस वासाइं सामण्णपरियाओ तिण्हं वारस वासाई दो(ह)हं पंच वासाइं, आइल्लाणं पंचण्हं आ(अ)णुपुवीए उववा(ओ)यो विजए वेजयंते जयंते अपराजिए सव्वट्ठसिद्धे, दीहदंते सव्वट्ठसिद्धे, उ(अणु)कमेणं सेसा, अभओ विजए, सेसं जहा पढमे, अभयस्स नाणत्तं, रायगिहे नयरे सेणिए राया नंदा देवी (माया) सेसं तहेव, एवं खलु जंवू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते ॥ १॥(इति) पढमो वग्गो समत्तो॥] [दोच्चो वग्गो __ जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते दोच्चस्स णं भंते ! वग्गस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपत्तणं के अट्ठे पण्णत्ते? एवं खलु जंवू! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं दोच्चस्स वग्गस्स तेरस अज्झयणा पण्णत्ता, तं०-.दीहसेणे महासेणे लट्ठदंते य गूढदंते य सुद्धदंते [य] हल्ले दुमे दुमसेणे महादुमसेणे य आहिए ॥ सीहे य सीहसेणे य महासीहसेणे य आहिए पुण्णसेणे य वो(द्ध)धवे तेरसमे होइ अज्झयणे ॥ जइ णं भंते । समणेणं जाव संपत्तणं अणुत्तरोववाइयदसाणं दोच्चस्स वग्गस्स तेरस अज्झयणा प० दोच्चस्स णं भंते ! वग्गस्स Page #1245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० ३०१] . सुत्तागमे ११९३ पढम-ज्झयणस्स समणेणं (३) जाव संपत्तेणं के अटे प० ? एवं खलु जंवू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे गुणसिलए उन्नाणे सेणिए राया धा-रिणी देवी सी(हे)हो सुमिणे जहा जाली तहा जम्(मण)मं वालत्तणं कलाओ नवरं दीहसे (णे)णो कुमा(१)रो स(च्चे) वेव वत्तव्वया जहा जालिस्स जाव अंतं काहिइ, एवं तेरस-वि रायगिहे (न०) सेणि(ए)ओ(प्पि)पिया धारिणी माया तेरसण्ह-वि सोलस-वासा परियाओ, आणुपुवीए (उ०) विजए दोणि वेजयंते दोण्णि जयंते दोणि अपराजिए दोण्णि, सेसा महादुमसेणमाई पंच सव्वट्ठसिद्धे, एवं खलु जंबू! समणेणं० अणुत्तरोववाइयदसाणं दोच्चस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते, मासियाए संलेहणाए दोसु-वि वग्गेसु ॥ २॥ [त्ति(बीओ) दोच्चो वग्गो समत्तो।] [तयो वग्गो] जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं दोच्चस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते तच्चस्स णं भंते ! वग्गस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ प०? एवं खलु जंवू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं तच्चस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं०-धण्णे य सुणक्खत्ते [य], इसिदासे (अ) य आहिए । पेल्लए रामपुत्ते य, चंदिमा पि(पु)हिमाइ(या)य ॥ १ ॥ पेढालपुत्ते अणगारे, नवमे पो(पु)हिले (इ) वि य । वे-हल्ले दसमे वुत्ते, इमे(ते)य दस (ए० अ०) आहि(ते)या ॥ २ ॥ जइ णं भंते । समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं तच्चस्स वग्गस्स दस अज्झयणा प० पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अटे पण्णत्ते ? एवं खलु जंवू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं का(गं-क)यंदी ना(म)मं नयरी होत्था रिथिमियसमिद्धा सह(स)संववणे उजाणे सवोदुए)वउउ० जि(अ)यस(त्तु)त्तू राया, तत्थ णं का-यंदीए नयरीए भद्दा-नाम सत्यवाही परिवसइ अड्डा जाव अपरिभू(आ)या, तीसे णं भद्दाए सत्थवाहीए पुत्ते धण्णे ना(मए)मं दारए होत्था अहीण जाव सुरूवे पंचधा[इ]ईपरिग्गहिए तं०-खीरधाई[ए] जहा म(हाव)हब्बले जाव वावत्त(रि)रिं कलाओ अ(हि.)हीए जाव अलं-भोगसमत्थे जाए यावि होत्था, तए णं सा भद्दा सत्यवाही ध(ण)णं दारयं उम्मुक्कबालभावं जाव भोगसमत्थं या(वा)वि(या)जा-णि(या)त्ता यत्तीसं पासायवडिंसए कारेइ अब्भुग्गयमूसिए जाव तेसि मज्झे भवणं अणेगखंभसयसंणिविढे जाव वत्तीसाए इन्भवरकण्णगाणं एगदिवसेणं पाणिं गेण्हावेइ (२) बत्तीसओ दाओ जाव उप्पि पासाय० फु(हे)तेहिं जाव विहरइ, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे० समोसढे परिसा निग्गया राया जहा कोणिओ तहा जियसत्तू Page #1246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ अणुत्तरोववाइयदसाओ निग्गओ, तए णं तस्त धण्णस्स तं महया ( ज ० ) जहा जमाली तहा निग्ग-ओ. नवरं पाय (विहा) चारेणं जाव जं नवरं अम्मयं भद्दं सत्यवाहिं आपुच्छामि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए जाव पव्वयामि जाब जहा जमाली तहा आपुच्छर मु (पु) च्छिया वृत्तपडिवृत्तया जहा म हव्वले जाव जाहे नो संचाएइ जहा थावच्चापुत्तो जियसत्तुं आपुच्छइ छत्तचामराओ ० सयमेव जियसत्तू निक्खमणं करेड़ जहा थावच्चापुत्तस्स कप हो जाव पव्वइए (०) अणगारे जाए ई (इ) रियासमिए जाव [गुत्त ] वंभयारी, तए णं से धण्णे अणगारे जं चेव दिवस मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए तं चेव दिवसं समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ वं० २ ता एवं वयासी - [एवं खलु ] इच्छामि णं भंते ! तुभे (णं) हिं अव्भणुण्णाए समाणे जावजीवाए छटुंछद्वेणं अणिक्खित्तेणं आयंविलपरिग्गहिएणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे विह (रे) रित्तए छट्ठस्स-विन्य णं पारण (गं) यंति कप (प ) पेड़ [मे ] आयंविलं पडि ( गहि ) गाहेत्तए नो चेव णं अणायविलं तं पि-य संसद्वं नो चेत्र णं असंसहं तं-पि य णं उज्झियधम्मियं नो चेव णं अणुज्नियवम्मियं तं पि-य (जं) जं अणे वहवे समणमाहणअतिहिकिवणवणीमगा नावकखंति, अहाहं देवाणुप्पिया ! मा पडिवंधं करेह, तए णं से धण्णे अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे हट्ठ० जावजीवाए छटुंछद्वेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे विहरड, तए णं से वण्णे अणगारे पढमछट्ठ (क) खमणपारणयंसि पढमाए पो (र) रिसीए सज्झायं करेइ जहा गोयमसामी तहेव आपु -- च्छइ जाव जेणेव का (कं) यंदी नयरी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता कायंदीए नयरीए उच्च० जाव अडमाणे आयंविलं [नो अणायंविलं] जाव नावकंखंति, तए णं से वण्णे अणगारे ताए अव्भुजयाए ( पयययाए) पयत्ताए पग्गहियाए एसणाए [एसमाणे ] जइ भत्तं लभइ तो पाणं न लभइ अह पाणं (ल०णो) तो भत्तं न लभइ, तए णं से धणे अणगारे अदीणे अविमणे अकलुसे अविसा (यी) ही अपरितंतजोगी जयणघडणजोगचरित्ते अहापज (त) तं समु (दा) दाणं पडिगाहेइ २ त्ता का चंदीओ नयरीओ पडिणिक्खमइ [पडिणिक्खमित्ता ] जहा गोयमे जाव पडिदंसेड, तए णं से धण्णे अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अव्भणुण्णाए समाणे अमुच्छिए जाव अणज्ञ्जववण्णे विलमिव पण्णगभूएणं अप्पाणेणं आहारं आहारेइ २ त्ता संजमेणं तवसा ० विहरड, [तए णं] समणे भगवं महावीरे अण्णया क्या (ई) इ का-यंदी (ए)ओ नयरीओ सहसंववणाओ उजाणाओ पडिणिक्खमइ २ त्ता वहिया जणवयविहारं विहरइ, तए णं से धण्णे अणगारे समणस्स भग ११९४ Page #1247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व०३ अ० १] सुत्तागमे वओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एकारस अंगाई अहिज्जइ [अहिजित्ता] संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ, तए णं से धणे अणगारे तेणं उ(ओ)रालेणं (त०) जहा खंदओ जाव० चिट्ठइ, धण्णस्स णं अणगारस्स पायाणं अय(इ)मेयालवे तवरूवलावण्णे होत्था, से जहा-नामए सुकछल्ली-इ वा कट्ठपाउया-इ वा जरग्ग(उ)ओवाहणा-इ वा, एवामेव धण्णस्स अण-- गारस्स पाया सुक्का (लुक्खा) निम्मंसा अट्ठिचम्मछिरत्ताए पण्णायंति नो चेव णं मंससोणियत्ताए, धण्णस्स णं अणगारस्स पायंगुलियाणं अयमेयारूवे० से जहा-नामए कलसंगलिया-इ वा मुग्ग(सं०)माससंगलिया-इ वा तरुणिया छिण्णा उण्हे दिण्णा सुक्का समाणी मिलायमाणी २ चिट्ठति, एवामेव धण्णस्स (अ.) पायंगुलियाओ सुक्काओ जाव सोणियत्ताए, धण्णस्स (णं अ०) जंघाणं अयमेयारूवे० से जहा० काकजंघा-इ वा कंकजंघा-इवा ढेणियालि(य)याजंघा-इ वा जाव सोणियत्ताए, धण्णस्स (णं) जाणूगं अयमेयारूवे० से जहा० का(ली)लिपोरे-इवा मयूरपोरे-इ वा ढेणियालियापोरे-इ वा एवं जाव सोणियत्ताए, धण्णस्स उरुस्स० जहा नामए सामक(रे)रिल्ले-इ वा वो(रि)रीकरिल्ले-इ वा सल्लइकरिल्ले-इ वा साम-लिकरिल्ले-इ वा तरुणिए (छि०) उण्हे जाव चिट्ठइ एवामेव धण्णस्स उरू जाव सोणियत्ताए, धण्णस्स कडिप(१)त्तस्स इमेयारूवे० से जहा० उट्टपा(ए)दे-इ वा जरग्गपाए-इ वा महिसपाए-इ वा] जाव सोणियत्ताए, धण्णस्स उदरभायणस्स इ(अय)मेयारूवे० से जहा० सुक्कदिए-इवा भज(णय)यणकभल्ले-इ वा कट्ठकोलंबए-इ वा, एवामेव उदरं सुकं[0], धण्णस्स पा(पां)सुलि(या)यक(रं)डयाणं इमेयारूवे० से जहा० थासयावली-इ वा पाणावली-इ वा मुंडावली-इ वा[.], धण्णस्स पि(ह)द्विकरंड-याणं अयमेयारूवे० से जहा० कण्णावली-इ वा गोलावली-इ वा वट्टयावली-इ वा, एवामेव०, धण्णस्स उ(स)रक-डयस्स अयमेयारूवे० से जहा० चित्त(य)कट्टरे-इ वा वियणपत्ते-इ वा तालियंटपत्ते-इ वा एवामेव०, धण्णस्स वाहाणं० से जहा-नामए समिसंगलिया-इ वा प(वा)हा(य)यासंगलिया-इ वा अगत्थिय-संगलिया-इ वा एवामेव०, धण्णस्स हत्थाणं० से जहा० सुक्कछगणिया-इ वा वडपत्ते-इ वा पलासपत्ते-इ वा, ए(व)वामेव०, धण्णस्स हत्थंगुलियाणं० से जहा० क(लाय)लसंगलिया-इवा मुग्ग(०)माससंगलिया-इवा तरुणिया छिण्णा आयवे दिण्णा सुक्का समाणी एवामेव०, धण्णस्स गीवाए० से जहा० करगगीवा-इवा कुंडियागीवा-इ वा उच्च(त्थ)ठवणए-इवा एवामेव०, धण्णस्स णं हणु(आ). याए० से जहा० लाउ(य)फले-इ वा हकुवफले-इ वा अंवगट्ठिया-इ वा एवामेव०, धण्णस्स-उठाणं० से जहा० सुक्कजलोया-इ वा सिलेसगुलिया-इ वा अलत्त(ग), Page #1248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुनागमे [अणुनरावबाइयदयामो गुलिया-इ वा एवामेव०, बस्स जिन्माए. में जहा. वटपत्ते-इ वा पलासरन द चा (उंबर०) सागपत्त-इ वा गवानेव०, बग्गस ना(लिया)साए में जहा० अंबगपेसिया-इ वा संबाइगपेसिया-इवा मात्र(लोलुगपतिया-इ वा तनगिया एवामेव०, वण्यस्म अच्छीगं ने जहा गाछि(होहे-इत्राव(च)दी(पची वगछिरेद वा पा(पोमाइयता(नि)रगा-इ वा एत्रामव०, बग्गस्थ ऋग्गाण में जहा० न(लि) लालछिया-इ वा वालुंक० कारेय(ब)(ली)रिया-द वा एकामेवा, वस्त्र (१०) सीयस्थल से जहा० नगगलाउए-इवा तनगगालालु(यत्ति)ए-इवा लिम्हा(लोनए-इ वा नरुगए जाब चिड, एवामंत्र वगम्य अगगारस्य भीमं मुकं टक्न निम्म अहिचम्म(च्छिोछिरत्ताए पग्गाय नो वेत्रण मंससोनियताए, एवं मुञ्चत्य मित्र), नवरं (द)यरमाय(ग)गं क(गोगा जीहा हा एएनि अट्टी न मगढ़ चम्म छिरनाए पण्णायइ-त्ति मग्गइ, बग्गे गं अगगारंग सकेगं (मोक्वेणं पायघोरगा विगयतडिकरालेण ऋडिऋडादेग पि-हिम(बोलिए उदरभायणेणं जोइन्द्रमाणेहिं पा(-)मुलिया कन्डएहिं अक्वनुत्तमाला(ति वा)त्रिव (गणिजमालाति वा) गणि)गेजमा(गाणेहिं पि- हिङगसंधीहिं गंगातरंगभूगण उरकडगंदखभाए मुकरण्यसमागाहिं बाहाहिं नि(नोडिलकडाली-वित्र (लीवहिव अगत्यहि कंपगवाइ(ओ)एवित्र वेत्रमाणीए सीसवटीए पत्रायवयगकमले उमटवटा)डमुहे उद्धगयणकोसे जीव-जीवणं गच्छइ जी-जावेगं बिइ मानं मातिस्सा(नीति)मिति गिला(य)इ ३ से जहा नामए इंगालनगडिया-इवा जहा वंदनी नहा जाव हुयानगे इव भासरा(सी)सिपलिच्छणे तत्रेण तेएग तवयसिरीए (अ०) उवलोमेमाणे २ चिट्टइ ॥ ३॥ तेण काळेण तेण समएण रायगिद्दे नयरे गुगभिलए उन्नाग मेगिए राया, वेणं कालेग तेगं समएगे सनणे भगवं महावीरे समोसुट परिसा निगया सणि (ओ)ए निग्ग-ए वम्मदा परिसा पडिगया, नए ग से सेगिए राया नुमणस्स भगवयो महावीरस्स अंतिए धम्म सोचा निसम्म समग भगवं महावीरं बंद नर्मसह वं० २ ता एवं बयासी-इमामि गं भने ! इंदमू-यामोक्वाणं बो(चन्दमण्ई समणसाहसीगं क(योइरे अणगारे महादुक्करकारए चैव महागिन्जस्यराए व ? एवं बल्लु मेगिया । इमासिं इंदमुइमामोक्खागं चोदमण्हं समगसाहस्तीगं वणे अणगारे महादुकरकारए चेत्र महाणिज(सोयराए चंब, से ऋगटेग मंते ! एवं बुच्चड़ इमानि नाव साइम्सीणं वागे अगगारे महादुकरकारए चेव महाणिज(कार)रयराए चेव ? एवं खलु सेणिया! तणं चालेगं तेगं समएणं ऋा-चंदी ना-नयरी होत्या [.] दयि पानायटिसए विहरइ, तए गं अहं अण्गया कयाइ गुन्बाशुपु Page #1249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५.३०२] सुत्तागमे ११९७० (वि)वीए चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव का-यंदी नयरी जेणेव सह-संबवणे उजाणे तेणेव उवागए उवागमित्ता] अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हामि २त्ता संजमेणं जाव विहरामि, परिसा निग्गया, तहे(तं चे)व जाव पव्वइए जाव विलमिक जाव आहारेइ, धण्णस्स णं अणगारस्स पादाणं सरीरवण्णओ सव्वो जाव उवसोभेमाणे २ चिट्ठइ, से तेणटेणं सेणिया! (इम) एवं वुच्चइ-इमासिं चउदसण्हं (समण)साहस्सीणं धण्णे अणगारे महादुक्करकारए महानिज्जरयराए चेव, तए णं से सेणि(य)ए राया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंति(य)ए एयमलु सोचा 'निसम्म हट्ट० समण भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहि (णं)णपयाहिणं करेइ २त्ता वंदइ नमंसइ वं० २ ता जेणेव धण्णे अणगारे तेणेव उवागच्छइ २ ता धणं अणगारं तिक्खुत्तो आयाहि-णपयाहिणं करेइ २ त्ता वं(दे)दइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-धण्णे(s)सि णं तुमं देवाणुप्पिया ! सुपुण्णे(०) सुकयत्थे कयलक्खणे सुलद्धे. णं देवाणुप्पिया! तव मा(म)गुस्सए जम्मजीवियफलेत्तिकटु वंदइ नमसइ वं० २त्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो (जाव) वंदइ नमसइ वं० २ त्ता जामेव दि(सिं)सं पाउन्भूए तामेव दि-सं पडिगए ॥ ४॥ तए णं तस्स धण्णस्स अणगारस्स अण्णया कया(इं)इ पुन्व-- रत्तावरत्तका(ले)लसमयसि धम्मजागरियं० इमेयारूवे अ(ज्झन्भत्थिए० एवं खलु अहं इमेणं उ-रालेणं [0] जहा खंदओ तहेव चिता आपुच्छ(णा)णं थेरेहिं सद्धिंवि(-लप०)उलं दुरू(हंति)हइ मासिया संलेहणा नव-मा(स)सा परियाओ जाव काल-- मासे कालं किच्चा उर्दू चंदिम जाव नव-य-गे(वि)वेज(वि०)विमाणपत्थडे उड़े दूरं वीईवइत्ता सव्वट्ठसिद्ध विमाणे देवत्ताए उववण्णे, थेरा तहेव उ(त)यरंति जाव इमे से आयारभंडए, भंतेत्ति भगवं गोयमे तहेव पुच्छइ जहा खंदयस्स भगवं वागरेइ जाव सव्वट्ठसिद्ध विमाणे उववण्णे । धण्णस्स णं भंते ! देवस्स केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? गोयमा । तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता । से णं भंते ! ता(त)ओ देवलोगाओ (आ० ३) कहिं गच्छिहिंइ कहिं उववजिहिइ ? गोयमा ! महाविदे(ह)हे वासे सिज्झिहिइ ५ । तं एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते ॥ ५॥ (इ० ति० व०) पढ(म)मं अज्झयणं समत्तं ॥ जइ णं भंते ! [.] उक्खेवओ एवं खलु जंवू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं [का-यंदी (ना.) नयरी (हो०) जियस० राया तत्थ णं] का-यंदीए नयरीए भद्दा-नामं सत्थ-- वाही परिवसइ अड्डा०, तीसे णं भद्दाए सत्यवाहीए पुत्ते सुणक्खत्ते नामं दारए होत्था अहीण० जाव सुरूवे पंचधाइपरिक्खित्ते जहा ध(ने)ण्णो त(हेव)हा बत्तीसओ दाओ जाव उप्पिं पासायव(.)डिंसए विहरइ, तेणं कालेणं तेणं समएणं (सामी), Page #1250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११९८ ‘सुत्तागमे [अणुत्तरोववाइयदसामो समोस(ई)रणं जहा ध-ण्णो तहा सुणक्ख(त्ते-s)त्तो-वि निग्ग(ते)ओ जहा थावच्चापुत्तस्स तहा निक्खमणं जाव अणगारे जाए ई-रियासमिए जाव वंभयारी, तए णं से सुणक्खत्ते (अणगारे) जं चेव दिवसं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए मुंडे ‘जाव पव्वइए तं चेव दिवसं अभिग्गहं तहेव जाव बिलमिव [.] आहारेइ संजमेणं जाव विहरइ [.] वहिया जणवयविहारं विहरइ एक्कारस अंगाई अहिज्जइ [.] संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं से सुणक्खत्ते (अ०) तेणं ओ-रालेणं [.] जहा खंदओ तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे गुणसिलए उजाणे सेणिए -राया सामी समोसढे परिसा निग्गया राया निग्गओ धम्मकहा राया पडिगओ परिसा पडिगया, तए णं तस्स सुणक्खत्तस्स अण्णया कया-इ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि धम्मजा० जहा खंदयस्स व(ह)ह वासा परियाओ गोयमपुच्छा तहेव कहेइ जाव सव्वट्ठसिद्ध विमाणे दे(वे)वत्ताए उववण्णे तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता, से गं भंते !० महाविदे(-वासे)हे सिज्झिहिइ ॥ [(इ०) वी(वी)यं अज्झयणं समत्तं ॥ ] "एवं (ख० ज०) सुणक्वत्तगमेणं सेसा-वि अट्ठ भाणियब्वा, नवरं आ-णुपुन्वीए दोण्णि रायगिहे दोण्णि साएए दोणि वाणियग्गामे नवमो हत्थि(ण)णापुरे दसमो -रायगिहे नवण्हं भद्दाओ जणणीओ नवण्ह-वि बत्तीसओ दाओ नवण्हं निक्खमणं थावच्चापुत्तस्स सरिसं वेहल्लस्स-पिया करेइ छम्मासा वेहल्लए नव धण्णे सेसाणं व-हू चासा(ई) मासं संलेहणा स(वे)वठ्ठसिद्ध महाविदे-हे सि(ज्झणा)ज्झि(हिं)स्संति [एवं दस अज्झयणाणि] । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं तित्थगरेणं सयंसंयुद्धणं लोगणाहेणं लोगप्पदीवेणं लोगपज्जोयगरेणं अभयदएणं सरणदएणं चक्खुदएणं मग्गदएणं धम्मदएणं धम्मदेसएणं धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टिणा अप्पडिहयवरणाणदसणधरेणं जिणेणं जाणएणं बुद्धणं वोहएणं मोक्केणं मोयएणं तिण्णेणं तारएणं सिवमयलमख्यमणंतमक्खयमव्वावाहमपुणरावत्तयं सिद्धिगइणाम'धेयं ठाणं संपत्तेगं अणुत्तरोववाइयदसाणं तच्चस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते ॥ ६ ॥ अणुत्तरोववाइयदसाओ समत्ताओ॥ (अणुत्तरोववाइयदसाणामं सुत्तं) नवममंग समत्तं ।। [अणुत्तरोववाइयदसाणं एगो सुयखं० तिण्णि व० तिसु चेव दिवसेसु उ० तत्थ पढमे वग्गे दस उद्देस० विइ(वी)ए वग्गे तेरस उद्देस० तइए वग्गे दस उद्देस० -सेसं जहा धम्मकहा ने(ना)य(व)वा ॥ ७ ॥] Page #1251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोऽत्यु णं समणस्स भगवओ णायपुत्तमहावीरस्स सुत्तागमे तत्थ णं पण्हावागरणं नमो अरिहंताणं नमो सिद्धाणं नमो आयरियाणं नमो उवज्झायाण नमो लोए सव्वसाहणं । (तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा-नाम नगरी होत्था, पुण्गभद्दे उजाणे असोगवरपायवे पुढविसिलापट्टए, तत्थ णं चंपाए नयरीए कोणिए नाम राया होत्था, धारिणी देवी, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अजसुहम्मे नाम थेरे जाइसंपन्ने कुलसंपन्ने बलसंपन्ने रूवसंपन्ने विणयसंपन्ने नाणसंपन्ने दसणसंपन्ने चरित्तसंपन्ने लज्जासंपन्ने लाघवसंपन्ने ओयंसी तेयंसी वचंसी जसंसी जियकोहे जियमाणे जियमाए जियलोभे जियनिद्दे जियइंदिए जियपरीसहे जीवियासमरणभयविप्पमुक्ने तवप्पहाणे गुणप्पहाणे मुत्तिप्पहाणे विनापहाणे मंतप्पहाणे वंभप्पहाणे वयप्पहाणे नयप्पहाणे नियमप्पहाणे सञ्चप्पहाणे सोयप्पहाणे नाणप्पहाणे दंसणप्पहाणे चरित्तप्पहाणे चोदसपुन्वी चउनाणोवगए पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिचुडे पुव्वाणुपुद्धि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव चंपा न(ग)यरी तेणेव उवागच्छइ जाव अहापडिरूवं उग्गहं उरिगण्हित्ता संजमेणं तवसा अपपाणं भावेमाणे विहरति । तेणं कालेणं तेणं समएणं अन्नसुहम्मस्स अंतेवासी अजजंवू नाम अणगारे कासवगोत्तेणं सत्तुस्सेहे जाव संखित्तविपुलतेयलेस्से अजसुहम्मस्स थेरस्स अदूरसामन्ते उर्दूजाणू जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ । तए णं से अजजंबू जायसवे जायसंसए जायकोउहल्ले उप्पन्नस (द्धे)ड्ढे ३ संजायस-ड्ढे ३ समुप्पन्नस-ढे ३ उठाए उठेइ २ त्ता जेणेव अजसुहम्मे थेरे तेणेव उवागच्छइ २ ता अजसुह(मे)मं थे(रे)रं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिगं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता नन्चासन्ने नाइदूरे विणएणं पंजलिपुडे पजुवासमाणे एवं वयासी-जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं णवमस्स अंगस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं अय मढे प० दसमस्स णं (भं०) अंगस्स पाहावागरणाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे ___ प.? जंवू ! दसमस्स अंगस्स समणेणं जाव संपत्तेणं दो सुयक्खंधा पण्णत्ता Page #1252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२०० सुत्तागमे [पण्हावागरणं आसवदारा य संवरदारा य, पढमस्स णं भंते ! नुयक्खंधस्स समणेणं जाव संपत्तेणं कइ अज्झयणा पण्णत्ता? जम्बू ! पढमस्स णं मुयक्खंधस्स समणेणं जाव संपत्तण पंच अज्झयणा पण्णत्ता, दोबस्स णं भंते !० एवं चेव, एएसि णं भंते ! अण्हयसंवराणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पण्णत्ते ?, तवे णं अज्जमुहम्मे धेरे जंबूनामेणं अणगारेणं एवं वुत्ते समाणे जं० अणगारं एवं क्यासी-) जंवू ! इणमो अण्हयसंवरविणिच्छयं पवयणस्स निस्संदं । वोच्छामि णिच्छयत्यं सुहासियत्यं महेसीहिं ॥ १ ॥ पंचविहो पण्णत्तो जिणे हिं]हिँ इह अण्हओ अगादीओ। हिंसामोसमदत्तं अव्बंभपरिग्गहं चेव ॥ २ ॥ जारिसओ जनामा जह य कओ जारिसं फलं देति । जेविय करेंति पावा पा(णि)णवहं तं निसामेह ॥३॥ पाणवहो नाम एस निचं जिणेहिं भणिओ-पावो चंडो रुद्दो खुद्दो साहसिओ अणारिओ णिग्घिणो णिस्संसो महन्भओ पइभओ १० अतिभओ बीहणओ तासणओ अणजो उव्वेयणओ य णिरवयक्खो णिद्धम्मो णिप्पिवासो णिकलुणो णि-रयवासगमणनिधणो २० मोहमहन्भयपयट्टओ मरणावेमणस्सो २२ ॥ पढमं अधम्मदारं ॥ १ ॥ तस्स य नामाणि इमाणि गोण्णाणि होति तीसं, तंजहा-पाणवहो १ उम्मूलणा सरीराओ २ अवीसंभो ३ हिंसविहिंसा ४ तहा अकिञ्चं च ५ घायणा ६ मारणा य ७ वहणा ८ उद्दवणा ९ तिवायणा य १० आरंभसमारंभो ११ आउयकम्मस्सुबहवो भेयणिवणगालणा य संवट्टगसंखेवो १२ मञ्चू १३ असंजमो १४ कडगमद्दणं १५ वोरमणं १६ परभवसंकामकारओ १७ दुग्गतिप्पवाओ १८ पावकोवो य १९ पावलोभो २० छविच्छेओ २१ जीवियंतकरणो २२ भयंकरो २३ अणकरो य २४ वजो २५ परितावणअण्हओ २६ विणासो २७ निजवणा २८ लुंपणा २९ गुणाणं विराहणत्ति ३० विय तस्स एवमादीणि णामधेजाणि हॉति तीसं पाणवहस्स कलुसस्स कडुयफलदेसगाई॥२॥ तं च पुण करेंति केई पावा अ(स)संजया अविरया अणिहुयपरिणामदुप्पयोगी पाणवहं भयंकर बहुविहं बहुप्पगारं परदुक्खुप्पायणप्पसत्ता इमेहिं तसथावरेहिं जीवेहिं पडिणिविट्ठा, किं ते ?, पाठीणतिमितिमिगिलअणेगझसविविहजातिमंदुकदुविहकच्छभणकमगरदुविहगाहादिलिवेढयमंदुयसीमागारपुलुयसुंसुमारवहुप्पगारजलयरविहाणाकते य एवमादी, कुरंगरुरुसरभचमरसंवर(ह)उरव्भससयपसयगोणरोहियहयगयखरकरभखग्गवानरगवयविगसियालकोलमज्जारकोलसुण(का)कसिरियंदलगावत्तकोतियगोकपणमियमहिसविग्धछगलदीवि(य)यासाणतरच्छअच्छ(क)मल्लसलसीहचिहलचउप्पयविहाणाकए य एवमा(यी)दी, अयगरगोणसवराहिमउलिका(ओ)उदरदमपुप्फयासालियमहोरगोरगविहाणककए य एवमादी, छीरलसरंवसेहसेल्गगोधुंदोदरण Page #1253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ०. सुत्तागमे १२०१ लसरडजाहगमुगुं(सी-सा)सखाडहि(ला)लवाउ(प्पि)प्पइय[घी]घरोलियसिरीसिवगणे यं एवमादी, कादंब(क)कवकवलाकासारसआडासेतीयकुललवंजुलपारिप्पवचकीवसउण-पि]पीपीलिय[दीविय]हंसधत्तरितुगभासकुलीकोसकुंचदगतुंडढेणियालगसू(यी)ईमुहकविलपिंगलक्खगकारंडगचक्कवागउकोसगरुलपिंगुलसुयवरहिणमयणसाल नंदीमुहनंदमाणगकोरंगभिंगारगकोणालगजी(व)वजीव(ग)कतित्तिरवट्टकलावककपिजलककवोतक काग]पारेवयग(च)चिडिगढिंककुक्कुडवेसरमयूरगचउरगहयपोंडरीयसालग[करक]वीरल्लसेणवायसयविहंग(भे)मिणासि(य)चासवरगुलिचम्मट्ठिलविततपक्खिखहयरविहाणाकते य एवमादी, जलथलखगचारिणो उ पंचिदिए पसुगणे वियतियचउरिदिए विविहे जीवे पियजीविए मरणदुक्खपडिकूले वराए हणंति वहुसंकिलिटकम्मा । इमेहिं विविहेहिं कारणेहिं, किं ते ?, चम्मवसामंसमेयसोणियजगफिप्फिसमत्यु[लि]ढुंगहितयंतपित्तफोफसदंत(ट्ठी)ट्ठा अद्विमिंजनहनयणकण्णण्हारुणिनकधमणिसिंगदाढिपिच्छविसविसाणवालहेउं, हिंसंति य भमरमधुकरिगणे रसेसु गिद्धा तहेव तेंदिए सरीरोवकरणट्ठयाए किवणे दिए वहवे वत्थोहरपरिमंडणट्ठा अण्णेहि य एवमाइएहिं वहूहि कारणसतेहिं अवुहा इह हिंसंति तसे पाणे इमे य एगिदिए वहवे वराए तसे य अण्णे तदस्सिए चेव तणुसरीरे समारंभंति अत्ताणे असरणे अणाहे अवंधवे कम्मनिगलवद्धे अकुसलपरिणाममंदबुद्धिजणदुग्विजाणए पुढ(वी)विम[ये]ए पुढ-विसंसि(ये)ए जलमए जलगए अणलाणिलतणवणस्सतिगणनिस्सिए य तम्मयतजिते चेव तदाहारे तप्परिणतवण्णगंधरसफासवोंदिरूवे अचक्खुसे चक्खुसे य तसकाइए असंखे थावरकाए य सुहुमवायरपत्तेयसरीरनामसाधारणे अणेते हणंति अविजाणओ य परिजाणओ य जीवे इमेहिं विविहेहि कारणेहिं, किं ते ?, करिसणपोक्खरणीवाविवप्पिणिकूवसरतलागचितिवे(दि)तियखातियआरामविहारथूभपागारदारगोउरअट्टालगचरियासेतुसंकमपासायविकप्पभवणधरसरणलेणआवणचेतियदेवकुलचित्तसभापवाआयतणावसहभूमिघरमंडवाण य कए भायणभंडोवगरणस्स विविहस्स य अट्ठाए पुढवि हिंसंति मंदबुद्धिया जलं च मजणयपाणभोयणवत्थधोवणसोयमादिएहि पयणपयावणजलावणविदंसणेहि अगणिं सुप्पवियणतालयंटपेहुणमुहकरयलसागपत्तवत्थमादिएहिं अणिलं अगारपरिवा(डि-या)रभक्खभोयणसयणासणफल(क)गमुसलउखलततविततातोजवहणवाहणमंडवविविहभवणतोरणाविडंगदेवकुलजालयद्धचंदनिज्जूगचंदसालियवेतियणिस्सेणिदोणिचंगेरिखीलमेढकसभापवावसहगंधमल्लाणुलेवणंवरजुयनंगलमइयकुलियसंदणसीयारहसगडजाणजोग्गअट्टालगचरिअदारगोपुरफलिहाजंतसूलियलउडमुसंढिसतग्घिबहुपहरणावरणुवक्खराण कते, ७६ सुत्ता० Page #1254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२०२ सुत्तागमे [पाहावागरणं अण्णेहि य एवमादिएहिं वहहिं कारणसतेहिं हिंसन्ति ते तरुगणे भणिता एवमादी सत्ते सत्तपरिवज्जिया उवहणन्ति दढमूढा दारुणमती कोहा माणा माया लोभा हस्सरती अरती सोय-वेदत्थी जीयकामत्यवम्महे सवसा अवसा अट्टा अणटाए य तसपाणे थावरे य हिंसंति (हिंसंति) मंदबुद्धी सवसा हणंति अवसा हणंति सवसा अवसा दुहओ हणंति अट्ठा हणंति अणट्ठा हणंति अट्टा अणट्ठा दुहओ हर्णति हस्सा हणंति वेरा हणति रती-य हणति हस्सवेरारती य हगंति कुद्धा हणंति लुद्धा हणंति मुद्धा हणंति कुद्धा लुद्धा मुद्धा हणंति अत्या हणंति धम्मा हणंति कामा हणंति अत्था धम्मा कामा हणंति ॥ ३ ॥ कयरे ते ?, जे ते सोयरिया मच्छबंधा साउणिया वाहा कूरकम्मा वाउरिया दीवितवंधणप्पओगतप्पगलजालवीरल्लगायसीदभवरगुराकूडछेलिहत्था (दीविया) हरिएसा सा]उणिया य वीदंसगपासहत्था वणचरगा लुद्धयमहुघातपोतघाया एणीयारा पएणियारा सरदहदीहिअतलागपछलपरिगालणमलणसोत्तवंधणसलिलासयसोसगा विसगरस्स य दायगा उत्तणवल्लरदवग्गिणियपलीवका कूरकम्मकारी इमे य वहवे मिलक्खुजाती, के ते?, सकजवणस[व]वरवब्वरगायमुरुंडोदभडगतित्तियपक्कणियकुलक्खगोडसीहलपारसकोंचंधदविल(चि). विल्ललपुलिंदअरोसडोवपोकणगंधहारगवहलीयजल्लरोममासवउसमलया चुंचुया य चूलिया कोंकणगा मेतपण्हवमालवमहुरआभासियाअणकत्रीणल्हासियखसखासिया नेहरमरहट्ठमुट्ठि(अ)यआरवडोविलगकुहणकेकयहणरोमगरुरुमरुगा चिलायविसय. वासी य पावमतिणो जलयरथलयरसणप्फतोरगखहचरसंडासतोंडजीवोवर)घायजीवी सण्णी य असण्णिणो य पज्जत्ता असुभलेस्सपरिणामा एते अण्णे य एवमादी करेंति पाणातिवायकरणं पावा पावाभिगमा पावरुई पाणवहकयरती पाणवहरूवाणुठ्ठाणा पाणवहकहासु अभिरमंता तुहा पावं करेत्तु हों(हो)ति य वहुप्पगारं। तस्स य पावस्स फलविवागं अयाणमाणा वटुंति महन्मयं अविस्सामवेयणं दीहकालवहुदुक्खसंकडं नरयतिरिक्खजोणिं, इओ आउक्खए चुया असुभकम्मवहुला उववज्जति नरएसु हुलितं महालएसु वयरामयकुहरुदनिस्संघिदारविरहियनिम्मदवभूमितलखरामरिसविसमणिरयघरचारएमुं महोसिणसया[व]पतत्तदुरगंधविस्सउव्वेयजणगेसु वीभच्छदरिसणिजेसु निचं हिमपडलसीयलेसु कालोभासेसु य भीमगंभीरलोमहरिसणेसु णिरभिरामेसु निप्पडियारवाहिरोगजरापीलिएसु अतीवनिच्चंधकारतिमिस्सेसु पतिभएसु ववगयगहचंदसूरणक्खत्तजोइसेनु मेयवसामंसपडलपोचडपूयरुहिरुक्मिण्णविलीणचिक्कणरसियावावण्णकुहियचिक्खल्लकद्दमेसु कुकूलानलपलित्तजालमुम्मुरअसिक्खुरकरवत्तधारानुनिसितविच्छुयडंकनिवातोवम्मफरिसअति Page #1255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे म. ] १२०३६ दुस्सहेसु य अत्ताणासरणकडयदुक्खपरितावणेसु अणुबद्धनिरंतरवेयणेसु जमपुरिससंकुलेसु, तत्थ य अन्तोमुहुत्तलद्धिभवपञ्चएणं निव्वत्तेति उ ते सरीरं हुंडं बीभच्छदरिसणिज बीहणगं अहिण्हारुणहरोमवज्जियं असुभ-गंध-दुक्खविसह, ततो न्य पजत्तिमुवगया इंदिएहिं पंचहिं वेदेति असुभाए वेयणाए उज्जलवलविउलउक्कडक्खरफरुसपयंडघोरबीहणगदारुणाए, किं ते ?, कंदुमहाकुंभियपयणपउलणतवगतलणभट्ठभजणाणि य लोहकडाहुकडणाणि य कोट्टवलिकरणकोट्टणाणि य सामलि'तिक्खग्गलोहकंटकअभिसरणपसारणाणि फालणविदालणाणि य अवकोडकवंधणाणि 'लट्ठिसयतालणाणि य गलगबलुलंबणाणि सूलग्गभेयणाणि य आएसपवंचणाणि खिसणविमाणणाणि विघुट्ठपणिजणाणि वज्झसयमातिकाति य एवं ते । पुव्वकम्मकयसंचयोवतत्ता निरयरिंगमहग्गिसंपलित्ता गाढदुक्खं महब्भयं कक्कसं असायं सारीरं मानसं च तिव्वं दुविहं वेदेति वेयणं पावकम्मकारी बहूणि पलिओवमसागरोवमाणि कलुणं पालेन्ति ते अहाउयं जमकातियतासिता य सदं करेंति भीया, किं ते ?, अविभायसामि(माम)भायवप्पतायजितवं मुय मे मरामि दुब्बलो चाहिपीलिओऽहं किं दाणिऽसि ? एवंदारुणो णिय मा देहि मे पहारे उस्सासेतं (एय) मुहुत्तयं मे देहि पसायं करेहि मा रुस वीसमामि गेविजं मु(च)य[ह] मे मरामि, गाढं तण्हातिओ अहं देह पाणीयं हंता पिय इमं जलं विमलं सीयलंति घेत्तूण य नरयपाला तवियं तउयं से देंति कलसेण अंजलीसु दह्ण य तं पवे[पि] वियंगोवंगा अंसुपगलंतपप्पुयच्छा छिण्णा तण्हाइयम्ह कलुणाणि जपमाणा विपेक्खन्ता दिसो"दिसिं अत्ताणा असरणा अणाहा अवंधवा वंधुविप्पहूणा विपलायति य मिगा इव वेगेण भयुब्बिग्गा, घेत्तण वला पलायमाणाणं निरणुकंपा मुहं विहाडेत्तुं लोहडंडेहिं कलकलं ण्हं वयणसि छुभंति केइ जमकाइया हसंता, तेण दड्डा संतो रसंति य भीमाई विस्सराई रुवंति य कलुणगाई पारेवतगाव एवं पलवितविलावकलुणाकंदियबहुरुन्नरुदियसद्दो परि[वे]देवितरुद्धवद्धयनारकारवसंकुलो णीसठ्ठो रसियभणियकुविउक्कूइयनिरयपालतजिय गेण्ह-कम पहर छिंद भिंद उप्पाडेहुक्खणाहि कत्ताहि विकत्ताहि य भुजो हण विहण विच्छुभोच्छुब्भ आकड विकद किं ण जंपसि ? सराहि पावकम्माइं दुक्कयाइं एवं वयणमहप्पगब्भो पडिसुयासहसंकुलो तासओ सया निरयगोयराण महाणगरडज्झमाणसरिसो निग्घोसो सु[च]व्वए अणिटो तहियं नेरइयाणं जाइज्जताणं जायणाहिं, कि ते?, असिवणदब्भवणजंतपत्थरसूइतलक्खारवाविकलकलन्तवेयर णिकलंववालुयाजलियगुहनिरंभणउसिणोसिणकंटइलदुग्गमरहजोयणतत्तलोहमग्गगमणवाहणाणि, इमेहिं विविहेहिं, आयुहेहिं कि ते ? मोग्गरमुसुं Page #1256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२०४ सुत्तागमे [पण्हावागरण ढिकरकयसत्तिहलगयमुसलचककोंततोमरसूललउलभिडिमालस[६]द्धलपट्टिसचम्मेद्वदुहणमुट्ठियअसिखेडगखग्गचावनारा(य)यकणककप्पणिवासिपरसुटंकतिक्खनिम्मलअण्णेहि य ए(य)वमादिएहिं असुभेहिं वेउचिएहिं पहरणसतेहिं.अणुवद्धतिव्ववेरा परोप्परवेयणं उदीरेंति अभिहणंता, तत्थ य मोग्गरपहारचुणियमुसुंढिसंभग्रामहितदेहा जंतोवपीलणफुरंतकप्पिया केइत्थ सचम्मका विगत्ता णिम्मूल(ल)लूणकण्णोठ्ठणासिका छिण्णहत्थपादा असिकरकयतिक्खकोतपरसुप्पहारफालियवासीसंतच्छितंगमंगा कलकलमाणखारपरिसित्तगाढडज्झंतगत्तकुंतग्गभिण्णजजरियसव्वदेहा विलोलंति मही:तले (निग्गयग्गजीहा) विसूणियंगमंगा, तत्थ य विगसुणगसियालकाकमज्जास्सरभदीवियवियग्घगसङ्कलसीहदप्पियखुहाभिभूतेहिं णिच्चकालमणसिएहिं घोरा-ss-रसमाणभीमरूवेहिं अक्कमित्ता दढदाढागाढडककड्डियसुतिक्खनहफालियउद्धदेहा विच्छिप्पंते समंतओ विमुक्कसंधिवंधणावियंगमंगा कंककुररगिद्धघोरकट्ठवायसगणेहि य पुणो.खेरथिरदढणक्खलोहतुंडेहिं ओवतित्ता पक्खाहयतिक्खणक्खविकिन्नजिब्भंछियनयणनि(द)ओलुग्गविगतवयणा, उक्कोसंता य उप्पयंता निपतंता भमंता पुव्वकम्मोदयोवगता पच्छाणुस ये]एण डज्झमाणा णिदंता पुरेकडाई कम्माइं पावगाइं तहिं २ तारिसाणि ओसन्नचिक्कणाइंदुक्खातिं अणुभवित्ता ततो य आउक्खएणं उव्वट्टिया समाणा, वहवे गच्छंति तिरियवसहिं दुक्खुत्तरं सुदारुणं जम्मणमरणजरावाहिपरियट्टणारहट्ट जलथलखहचरपरोप्परविहिंसणपवंचं इमं च जगपागडं वरा[का]गा दुक्खं पावेन्ति, दीहकालं, कि ते?, सीउण्हतण्हाखुहवेयणअप्पईकारअडविजम्मणणिच्चभउब्विभगवासजग्गणवहवंधणताडणंकणनिवायणअद्विभंजणनासाभेयप्पहारदूमणछविच्छेयणअभिओगपावणकसंकुसारनिवायदमणाणि वाहणाणि य मायापितिविप्पयोगसोयप-- रिपीलणाणि य सत्थग्गिविसाभिघायगलगवलआवलणमारणाणि य गलजालुच्छिपणाणि प(ओ)उलण-विकप्पणाणि य जावजीवि[क]गवंधणाणि पंजरनिरोहणांणि य सयूहनिद्धाडणाणि धमणाणि य दोहणाणि य कुदंडगलवंधणाणि वाडगपरिवारगाणि य पंकजलनिमज्जणाणि (य) वारिप्पवेसणाणि य ओवायणिभंगविसमणिवडणदवग्गिजालदहणाई य, एवं ते दुक्खसयसंपलित्ता नरगाउ आगया इहं सावसेसकम्मा तिरिक्खपंचेंदिएसु पाविति पावकारी कम्माणि पमायरागदोसवहसंचियाई अतीव अस्सायककसाइं भमरमसगमच्छिमाइएसु य जाइकुलकोडिसयसहस्सेहिं नवहिं चउरिंदियाण तहिं तहिं चेव जम्मणमरणाणि अणुभवंता कालं संखेजकं ममंति नेरइ[अ]यसमाणतिव्वदुक्खा फरिसरसणघाणचक्खुसहिया तहेव तेइंदिएसु ऊंयुपिप्पीलिकाअवधिकादिकेसु य जातिकुलकोडिसयसहस्सेहिं अट्ठहिं अणूणएहिं Page #1257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ०.२] सुत्तागमे १२०५ तेइंदियाणं तहिं २ चेवं जम्मणमरणाणि अणुहवंता कालं संखेज्जकं भमंति नेरइय-समागतिव्वदुक्खा परिसरसणघाण संपत्ता (तेहेव बेइं (वें) दि(ये) एस) मंडलयजलूयकिमियचंदणगमादिएसु य जा (ती) तिकुलकोडिसयसहस्सेहिं सत्तहिं अणूणएहिं वेइंदियाण तहिं २ चैव जम्मणमरणाणि अणुहवंता कालं संखिज्जकं भमंति नेरइयसमाणतिव्वदुक्खा परिसरसणसं पत्ता पत्ता एगिंदियत्तणंपि-य पुढविजलजलणमाख्यवणप्फति · सुहुमवायरं च पंजत्तमपजत्तं पत्तेयसरीरणाम-साहारणं च पत्तेयसरीरजीविएन य तत्थवि कालमसंखेज्जगं भमंति अनंतकालं च अणतकाए फासिंदियभावसंपउत्ता दुक्खसमुदयं इमं अणि पाविंति पुणो २ तहिं २ चेव परभवतरुगणग (ह) णे कोद्दालकुलियदालणसलिलमलणखंभणरंभणअणला णिलविविहसत्थघट्टणपरोप्पराभिहणणमारणाविराहणाणि य अकामकाई परप्पओगोदीरणाहि य कज्जपओयणेहि य पेस्स'पसुनिमि[त्तं]त्तओसहाहारमाइएहिं उक्खणणउकत्थणपयणकोट्टणपी सणपिट्टणभजण गालणआमोडणसडणफुडणभजणछेयणंतच्छणविलुंचणपत्तज्झोडणअग्गिदहणाइया(ति) ति एवं ते भवपरंपरादुक्खसमणुबद्धा अडति संसारवीहणकरे जीवा पाणाइवायनिरया अनंतकालं जेविय इह माणुसत्तणं आगया क ( हिं वि) हंचि नरगा उव्वट्टिया अधन्ना तेविय दीसंति पायसो- विकयविगलरूवा खुज्जा वडभा य वामणा हिरा काणा कुंटा पंगुला विउला य (अविय जल ) मू (या) का य मंगणा य अं (धिल)धयगा एगचक्खू विणिहयस ( पिस-वे ) चिल्ल्या वाहिरोगपीलियअप्पा उयसत्यवज्झबाला कुलक्खणुक्किन्नदेहा दुब्बलकुसंघयण कुप्पमाणकुसंठिया कुरूवा किविणा य ही हीणसत्ता निच्च- सोक्ख परिवज्जिया अमुहदुक्खभा[ग]गी णरगाओ [उव्वट्टिया] इह सावसेसकम्मा, एवं णरगं तिरिक्खजोणि कुमाणुसतं च हिंडमाणा पार्वति अताई दुक्खाईं पावकारी एसो सो पाणवहस्स फलविवागो इहलोइओ पा (प) - रलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महभयो वहुरयप्पगाढो दारुणो ककसो असाओ चाससहस्सेहिं मुच्चती, न य अवेदयित्ता अस्थि हु मोक्खोत्ति एवमाहंनु, नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो क( हइ सीह ) हेसी य पाणवह (ण) स्स फलविवागं, एसो सो पाणवहो चंडो रुहो खुद्दो अणारिओ निग्धिणो निसंसो नहभओ वीहणओ तासणओ अणज्जो उव्वेयणओ य णिरवयक्सो निम्तो निष्पिवासो निक्कलुणो निरयवासगमणनिधणो मोहमहन्भयपवद्रुओ मरणवेमणस्यो पढमं अहम्मदारं समत्तंतिबेमि ॥ ४ ॥ जंबू ! वितियं च अलियवयणं लहुमगलतुचवलभणियं भयंकरं दुहकरं अयसकरं वेरकरगं अरतिरतिरागदोसमणसंकिलेसविय- रणं अलियनियडिसातिजोयबहुलं नीयजणनिसेवियं निस्संस अप्पययकारकं परम Page #1258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२०६ सुत्तागमे [ पण्हावागरणं साहुगरहणिज्जं परपीलाकारकं परमकिण्हलेस्ससहियं दुग्गइविणिवायवडणं भवपुणव्भवकरं चिरपरिचियमणुगतं दुरन्तं कित्ति (यं) तं वितितं अधम्मदारं ॥ ५ ॥ तस्स य णामाणि गोण्णाणि होति तीसं, तंजहा - अलियं १ सढं २ अणजं ३ मायामोसो ४ असंतकं ५ कूडकवडमवत्थुगं च ६ निरत्ययमवत्थयं च ७ विद्देसगरहणिज्जं ८ अणुजुकं ९ कक्कणाय १० वंचणा य ११ मिच्छापच्छाकडं च १२ साती उ १३ उच्छन्नं १४ उकूलं च १५ अहं १६ अब्भक्खाणं च १७ किब्बिसं १८ वलयं १९ गहणं च २० सम्मणं च २१ नूमं २२ निय (डी) यी २३ अप्पचओ २४ अस मओ २५ असवसंधत्तणं २६ विवक्खो २७ अवही ( आणाइ) यं २८ उवहि सुद्ध २९ अवलोवोत्ति ३०, अविय तस्स एयाणि एवमादीणि नामधेजाणि होति तीसं सावज्जस्स अलियस्स वइजोगस्स अणेगाईं ॥ ६ ॥ तं च पुण वदंति के[ई]इ अलियं पावा असंजया अविरया कवडकुडिलकडुयचटुलभावा कुद्धा लुद्धा भया य हस्स द्विया य सक्खी चोरचारभडा खंडरक्खा जियजूईकरा य गहियगहणा कक्ककुरुगकारगा कुलिंगी उवहिया वाणियगा य कूडतुलकूडमाणी कुडकाहा वणोवजीवी पडगारकलायकारुइज्जा वैचणपरा चारियचाटुयारनगरगोत्तियपरिचारगा दुडवायि-सूयकअणवलभणिया य पुव्वकालियवयणदच्छा साहसिका लहुस्सगा असच्चा गारविया असच्चट्ठावणाहि चित्ता उच्चच्छंदा अणिग्गहा अणियता छंदेण मुक्कवाता भवंति अलियाहिं जे अविरया, अवरे नत्थिकवादिणो वामलोकवादी भणति नथि जीवो न जाइ इह परे वा लोए न य किचिवि फुसति पुन्नपावं नत्थि फलं सुकयदुक्कयाणं पंचमहाभूतियं सरीरं भासंति हे ! वातजोगजुत्तं, पंच य खंधे भणति केई, मणं च मणजीविका वदंति, वाउजीवोत्ति एवमाहंसु, सरीरं सादियं सनिधणं इहभवे एगे भवे तस्स विप्पणासंमि सव्वनासोत्ति, एवं जंपंति मुसावादी, तम्हा दाणवयपोसहाणं तवसंजमवंभचेरकल्लाणमाइयाणं नत्थि फलं नवि य पाणव[हे]ह-अलियवयणं न चेव चोरिक्ककरणपरदारसेवणं वा सपरिग्गहपावकम्मकरणं - पि नत्थ किंचि न नेरइयतिरियमणुयाण जोणी न देवलोको वा अत्थि न य अत्थि सिद्धि - गमणं अम्मापियरो नत्थि नवि अत्थि पुरिसकारो पञ्चक्खाणमवि नत्थि नवि अत्यि कालमच्चू य अरिहंता चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा नत्थि नेवत्थि के [वि]इ रिसओ धम्माम्मफलं च नवि अत्थि किंचि बहुयं च थोवकं वा, तम्हा एवं विजाणिऊण जहा सुबहु इंदियाणुकूलेसु सव्वविसएस वह णत्थि काइ किरिया वा अकिरिया वा एवं भणति नत्यिकवादिणो वामलेोगवादी, इमपि वितीयं कुदंसणं असब्भाववा - इणो पण्णवेंति मूढ़ा-संभूतो अंडकाओ लोको सयंभुणा सयं च निम्मिओ, एवं एव Gov Page #1259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १२०७ भलियं-पयावइणा इस्सरेण य कयंति केति, एवं विण्डमयं कसिणमेव य जगंति केई, एवमेके वदंति मोसं एको आया अकारको वेदको य सुकयस्स दुकयस्स य करणाणि कारणाणि सव्वहा सव्वहिं च निचो य निक्किओ निग्गुणो य अ(नो अ)णुवलेब ओत्ति-विय एवमाहंतु असम्भावं, जंपि इहं किंचि जीवलोके दीसइ सुकयं वा दुकयं वा एवं अदिच्छाए वा सहावेण वावि दइवतप्पभावओ वावि भवति, नत्थेत्थ किंचि कयकं [तत्त] क्यं च लक्खणविहाणनियती[ए]य कारि[य]या एवं केइ जंपति इड्डिरससातगारवपरा वहवे करणालसा परुति धम्मवीमंसएण मोसं, अवरे अहम्मओ रायदुटुं अन्भक्खाणं भणेति-अलियं चोरोत्ति अचोरयं करेंतं डामरिउत्तिवि-य एमेव उदासीणं दुस्सीलोति य परदारं गच्छतित्ति मइलिंति सीलकलियं अयंपि गुरुतप्पओ, अण्णे एमेव भणति उवाहणंता मित्तकलत्ताई सेवंति अयंपि लुत्तधम्मो इमोवि विस्संभावाइघायओ पावकम्मकारी अकम्मकारी अगम्मगामी अयं दुरप्पा बहुएसु य पा(प)वगेसु जुत्तोत्ति एवं जंपति मच्छरी, भद्दके वा गुणकित्तिनेहपरलोगनिप्पिवासा, एवं ते अलियवयणदच्छा परदोसुप्पायणप्पसत्ता वेढेन्ति अक्खातियवीएण अप्पाणं कम्मबंधणेण मुहरी असमिक्खियप्पलावा निक्खेवे अवहरंति परस्स अत्यंमि गढियगिद्धा अभिजुजति य परं असंतएहि लुद्धा य करेंति कूडसक्खित्तणं असच्चा अत्यालियं च कन्नालियं च भोमालियं च तह गवालियं च गरुयं भणति अहरगतिगमण (कारण), अन्नंपि य जातिरुवकुलसीलपच्चयं मायाणिगुणं चवल पिसुणं परमट्ठभेदक[स]संतकं विद्देसमणत्थकारकं पावकम्ममूलं दुद्दिडं दुस्सुयं अमुणियं निल्लनं लोकगरहणिज्ज वहवंधपरिकिलेसबहुलं जरामरणदुक्खसोयनिम्मं असुद्धपरिणामसंकिलिटुं भणंति अलिया (हिं)हिंस(ति)धिसंनिविट्ठा असंतगुणुदीरका य संतगुणनासका य हिंसाभूतोवघातितं अलियसंपत्ता वयणं सावजमकुसलं साहुगरहणिजं अधम्म जणणं भणति अणभिगयपुन्नपावा, पुणोवि अधिकरणकिरियापवत्तका वहुविहं अणत्यं अवमई अप्पणो पररस य करेंति, एमेव जंपमाणा महिससूकरे य साहिति घायगाणं ससयपसयरोहिए य साहिति वागुराणं तित्तिरवट्टकलावके य कविजलकवोयके य साहिति साउणीणं असमगरकच्छभे य साहिति मच्छियाणं संखके खुल्लए य साहिति म(ग्गि). गराणं अयगरगोणसमंडलिदव्वीकरे मउली य साहिति वा(यलिया)लवीणं गोहा सेहग सल्लगसरड[गे]के य साहिति लुद्धगाणं गयकुलवानरकुले य साहिति पासियाणं सुकबरहिणमयणसालकोइलहंसकुले सारसे य साहिति पोसगाणं वधबंधजायणं च साहिति गोम्मियाणं धणधनगवेलए य साहिति तकराणं गामागरनगरपट्टणे य साहिति चारियाणं पारघाइयपंथघातियाओ सा(ह)हिंति य गंठिभेयाणं कयं च चोरिय Page #1260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १२०० [पण्हावागरण नगरगोत्तियाणं लंछणनिलंछणधमणदुहणपोसणवणणदवणवाहणादियाई साहिति वहूणि गोमियाणं धातुमणिसिलप्पवालरयणागरे य साहिति आगरीणं पुप्फविहि फलविहिं च साहिति मालियाणं अग्घमहुकोसए य साहिति वणचराणं जताई विसाई मूलकम्मं आ(हिन्व)हेवण आविंधण]आभिओगमंतोसहिप्पओगे चोरिचपरदारगमणवहुपावकम्मकरणं उक्खंधे गामघातियाओ वणदहणतलागभेयणाणि बुद्धिविसविणासणाणि वसीकरणमादियाइं भयमरणकिलेसदोसजणणाणि भावबहुसंकि. लिट्ठमलिणाणि भूतघातोवघातियाई सन्चाइंपि ताई हिसकाई वयणाई उदाहरंति पुट्ठा वा अपुट्ठा वा परतत्तियवावडा य असमिक्खियभातिणो उपदिसति सहसा उद्या गोणा गवया दंमंतु परिणयवया अस्सा हत्थी गवेलगकुमुडा य किजंतु किणावेध य विक्रेह पयह य सयणस्स देह पियय दासिदासभयकभाइलका य लिस्सा य पेसकजणो कम्मकरा य किंकरा य एए सयणपरिजणो य कीस अच्छंति [१] भारिया भे क(रिंतु)रित्तु कम्मं गहणाई वणाई खेत्तखिलभूमिवन्दराई उत्तणघणसंकटाइंडज्जंतु सूडिजंतु य रुक्खा भिजंतु जंतभंडाइयस्स उवहिस्स कारणाए बहुविहस्स य अट्ठाए उच्छू दुजंतु पीलिजंतु य तिला पयावेह य इट्टकाउ मम घरट्टयाए खेत्ताई कसह कसावेह य लहुं गामआगरनगरखेडकब्बडे निवेसेह अडवीदेसेमु विपुलसीमे पुप्फाणि य फलाणि य कंदमूलाई कालपत्ताइं गेण्हेह करेह संचयं परिजणढयाए साली वीही जवा य लुच्चंतु मलिज्जंतु उप(फ)पणिज्नंतु य लहुं च पविसंतु य कोट्ठागारं अप्पमहउक्कोसगा य हंमंतु पोयसत्या सेणा णिज्जाउ जाउ डमर घोरा वटुंतु य संगामा पवहंतु य सगडवाहणाई उवणयणं चोलगं विवाहो जन्नो अमुगम्मि उ होउ दिवसे सुकरणे सुमुहुत्ते सुनक्खत्ते सुतिहिसु य अज्ज होउ ण्हवणं मुदितं बहुखज्जपिज्जकलियं कोतुकं विण्हावणकं सतिकम्माणि कुणह ससिरविगहोवरागविसमेसु सज्जणपरियणस्स य नियकस्स य जीवियस्स परिरक्खणट्ठयाए पडिसीसकाइं च देह देह य सीसोवहारे विविहोसहिमज्जमंसभक्खन्नपाणमल्लाणुलेवणपईवजलिउज्जलसुगंधिधूवावकारपुप्फफलसमिद्धे पायच्छित्ते करेह पाणाइवायकरणेणं बहुविहेणं विवरीउप्पायदुस्सुमिणपावसउणअसोमग्गहचरियअमंगलनिमित्तपडिघायहेडं वित्तिच्छेयं करेह मा देह किंचि दाणं सुटु हओ सुट्ट हओ मुट्ठ छिन्नो भिन्नत्ति उवदिसंता एवंविहं करेंति अलियं मणेण वायाए कम्मुणा य अकुसला अणजा अलियाणा अलियधम्मणिरया अलियासु कहासु अमिरमंता तुहा अलियं करेत्तु हों-ति य बहुप्पयारं ॥ ७ ॥ तस्स य अलियस्स फलविवागं अयाणमाणा वद्वेति महब्भयं अविस्सामवेयणं दीहकालं बहुदुक्खसंकडं नरयतिरियजोणिं तेण य अलिएण समणुबद्धा Page #1261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १२०९ आइद्धा पुणभवंधकारे भमंति भीमे दुग्गतिवसहिमुवगया, ते य दीसंतिह दुग्गया दुरंता परवसा अत्थभोगपरिवजिया असुहिता फुडियच्छविवीभच्छविवन्ना खरफल्सविरत्तज्झामझुसिरा निच्छाया लल्लविफलवाया असकतमसकया अगंधा अचेयणा दुन्भगा अकंता काकस्सरा हीणभिन्नघोसा विहिंसा जडवहिरन्ध(मू)या य मम्मणा अ(क)कंतविकयकरणा णीया णीयजणनिसेविणो लोगगरहणिज्जा भिच्चा असरिसजणस्स पेस्सा दुम्मेहा लोकवेदअझप्पसमयसुतिवजिया नरा धम्मबुद्धिवियला अलिएण य तेणं पडज्झमाणा असंतएण य अवमाणणपट्ठिमंसाहिक्खेवपिसुणमेयण-गुरुबंधवसयणमित्तवक्खारणादियाइं अभक्खाणाई बहुविहाई पावेंति अ(मणोर)गुवमाणि]ई हिययमणदूमकाई जावजीवं दुरुद्धराई अणि?(स)खरफरुसवयणतज्जणनिन्भच्छणदीणवदणविमणा कुभोयणा कुवाससा कुवसहीसु किलिस्संता नेव सुहं नेव निव्वुइं उवलभंति अच्चंतविपुलदुक्खसयसंपलित्ता । एसो सो अलियवयणस्स फलविवाओ इहलोइओ परलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महमओ बहुरयप्पगाढो दारुणो कक्कसो असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चइ, न य अवेदयित्ता अत्थि हु मोक्खोत्ति, एवमाहंसु नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो कहेसी य अलियवयणस्स फलविवागं एयं तं वितीयंपि अलियवयणं लहुसगलहुचवलभणियं भयंकर दुहकर अयसकर वेरकरगं अरतिरतिरागदोसमणसंकिलेसविरयणं अलियणियडिसादिजोगवहुलं नी-यजणनिसेवियं निस्संसं अप्पच्चयकारकं परमसाहुगरहणिज्जं परपीलाकारकं परमकण्हलेससहियं दुग्गतिविनिवायवडणं (भव)पुणव्भवकरं चिरपरिचियमणुगयं दु(रुत्तं)रंतं वितियं अधम्मदारं समत्तं ॥ ८ ॥ जंवू ! तइयं च अदत्तादाणं हरदहमरणभयकलुसतासणपरसंतिगऽभेजलोभमूलं कालविसमसंसियं अहोऽच्छिन्नतण्हपत्थाणपत्योइमइयं अकित्तिकरणं अणज्जं छिद्दमंतरविधुरवसणमग्गणउस्सवमत्तप्पमत्तपसुत्तवंचणक्खिवणघायणपराणिहुयपरिणामतकरजणबहुमयं अकलुणं रायपुरिसरक्खियं सया साहुगरहणिज्ज पियजणमित्तजणभेदविप्पीतिकारकं रागदोसबहुलं पुणो य उप्पूरसमरसंगामडमरकलिकलहवेहकरणं दुग्ग[ति]इविणिवायवडणं भवपुणब्भवकरं चिरपरिचितमणुगयं दुरंतं तइयं अधम्मदारं ॥९॥तस्स य णामाणि गोन्नाणि होति तीसं, तंजहा-चोरिनं १ परहडं २ अदत्तं ३ कूरि (कुरुटुय)क(य)डं ४ परलाभो ५ असंजमो ६ परधणंमि गेही ७ लोलिनं ८ तक्करत्तणंति-य ९अवहारो १० हत्थल(हु)त्तणं ११ पावकम्मकरणं १२ तेणिकं १३ हरणविप्पणासो १४ आदियणा १५ लुंपणा 'धणाणं १६ अप्पच्चओ १७ ओ(ओवीलो १८ अक्खेवो १९ खेवो २० विक्खेवो २१ कूडया २२ कुलमसी य २३ कंखा २४ लालप्पणपत्थणा य २५ (आससणाय) Page #1262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ पण्डावागरणं वसणं २६ इच्छामुच्छा य २७ तण्हागेहि २८ नियडिकम्मं २९ अपरच्छंति ३० विय तस्स एयाणि एवमादीणि नामधेजाणि होंति तीसं अदिन्नादाणस्स पावकलिकलुसकम्मबहुलस्स अगाई ॥ १० ॥ तं पुण करेंति चोरियं तकरा परदव्वहरा छेया कयकरणलद्धलक्खा साहसिया लहुस्सगा अतिमहिच्छलोभग (च्छा) त्या दद्दरओवीलका य गेहिया अर्हिमरा अणभंजकभग्गसंधिया रायदुद्रुकारी य विसयनिच्छूढलोकबज्झा उद्दोहकगामघाययपुरघायगपंथघायगआलीवगतित्थभेया लहुहत्यसंपउत्ता जूइकरा खंडरक्खत्थीचोरपुरिसचोरसंधिच्छेया य गंधिभेदगपरधणहरणलोमावहारअक्खेवी हडकारका निम्मद्दगगूढचोरकगोचोरगअस्सचोरगदासिचोरा य एकचोरा ओकड्ढकसंपदायकउच्छ्पिकसत्थघायकविल (चोरी) कोलीकारका य निग्गाहविप्पलंपगा बहुविहतेणिकहरणबुद्धी, एते अन्ने य एवमादी परस्स दव्वा हि जे अविरया । विपुलबलपरिग्गहा य बहवे रायाणो परधणंमि गिद्धा सए व दव्वे असंतुट्ठा परविसए अहिहणंति वे लुद्धा परवणस्स कज्जे चउरंग (सम) विभत्तवलसमग्गा निच्छियवरजोहजुद्धसद्धियअहमहमितिदप्पिएहिं [ सेन्नेहिं] संपरिवुडा पडमसगड सूइचक्कसागरगरुलवूहाति• एहिं अणिएहिं उत्थरंता अभिभूय हरंति परघणाई अवरे रणसीसलद्धलक्खा संगाम[[म] अतिवयंति सन्नद्धवद्धपरियर उप्पीलियचिंधपट्टगहियाउहपहरणा माढि (गुड) वरवम्मगुंडिया आविद्धजालिका कवयकंकडइया उरसिरमुहबद्धकंठतोण माइतवरफलहर चितपहकरसरहसखरचाव करकरंछियसुनिसितसरवरिसचडकरक (भंते ) मुयं तघणचंडवेगधारानिवायमग्गे अणेगधणुमंडलग्गसंधिताउच्छलियसत्तिकणगवामकरगहियखेडगनिम्मलनिक्किट्ठखग्ग पहरंत कोंततोमर चक्कगया परसुमु सललंगलसूललउलभिंडमालासव्वलपट्टिसचम्मेदुघणमोट्ठियमोग्गरवर फलिहजंतपत्थरदुहणतोणकुवेणीपीठकलियईलीपहरणमिलिमिलि मिलंत खिप्पंतविज्जुज्जलविरचितसमप्पहणभतले फुडपहरणे महारणसंखभेरिवरतूर पउरपडुप (हडा) डहाहयणिणायगंभीरणंदित पक्खुभियविपुलघोसे हयगयरहजोहतुरितपसरित उद्धततमंध कारवहुले कातरनरणयणहिययवाउलकरे विलुलियउक्कडवरमउडतिरीडकुंडलोडुदामाडोविय[म्मि] पागडपडागउसियज्झयवेजयंतिचामरचलंतछत्तंधकारगम्भीरे हयहेतियहत्थिगुलुगुलाइयरहघणघणाइन्यपाइकहरहराइयअप्(फा)फोडियसीहना [या ] यछेलियविघुटुकुटुकंठगयसद्दभीमगज्जिए सयराहहसंतस्संतकलकलरवे आसूणियवयण [द्दे] द्दभीमदसणाधरोट्ठगाढद[हें](द)इसप्प[ह]हार(कर)णुजयकरे अमरिसवसतिव्वरत्तनिद्दारितच्छे वेरदिट्ठिकुद्धचिट्ठियतिवलीकुडिलभिउडिकयनिलाडे वहपरिणयनरसहस्सविक्कम वियंभियवले वग्गंततुरगरहृपहावियसमरभडा आवडियछेयलाघवपहारसाधिता समूसवियवाहुजुय (लं) ले १२१० Page #1263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १२११ मुकट्टहासपुवंतवोलबहुले फुर(फल)फलगावरणगहियगयवरपत्थितद(प्पि)रियभडखलपरोप्परपलग्गजुद्धगवितविउसितवरासिरोसतुरियअभिमुहपहरितछिन्नकरिकरविभंगितकरे अवइ[हद्धनिसुद्धभिन्नफालियपगलियरुहिरकतभूमिकद्दमचिलिचिलपहे कुच्छि(वि)दालियगलित[रुलिंत]निमेलंतंतफुरुफुरंतविगलमम्माहयविकयगाढदिनपहारमुच्छितरुलंतवेंभलविलावकलुणे हयजोहभमंततुरगउद्दाममत्तकुंजरपरिसंकितजणनिब्लुक्कच्छिन्नधयभग्गरहवरनट्ठसिरकरिकलेवराकिन्नपतितपहरणविकिन्नाभरणभूमिभागे नचंतकवंधपउरभयंकरवायसपरिलेतगिद्धमंडलभमंतच्छायंधकारगंभीरे वसुवसुहविकंपितव्व पञ्चक्खपिउवणं परमरुद्दवीहणगं दुप्पवेसतरगं अभिवयंति संगामसंकडं परधणं महंता अवरे पाइक्कचोरसंघा सेणावतिचोरवंदपागड्डिका य अडवीदेसदुग्गवासी कालहरितरत्तपीतसक्किलअणेगसयचिंधपट्टबद्धा परविसए अभिहणंति लुद्धा धणस्स कजे रयणागरसागरं उम्मीसहस्समालाउलाकुलवितोयपोतकलकलेंतकलियं पा(ता)याल(कलस)सहस्सवायवसवेगसलिलउद्धम्ममाणदगरयरयंधकारं वर फेणपउरधवलपुलंपुलसमुट्टियट्टहासं मारुयविच्छुभमाणपाणियजलमालुप्पीलहुलियं अविया समंतओ खुभियलुलियखोखुब्भमाणपक्खलियचलियविपुलजलचक्वालमहानईवेगतुरियआपूरमाणगंभीरविपुलआवत्तचवलभममाणगुप्पमाणुच्छलंतपच्चोणियत्तपाणियपधावियखरफरुसपयंडवाउलियसलिलफुटुंतवीतिकल्लोलसंकुलं महामगरमच्छकच्छभोहारगाहतिमिसुंसुमारसावयसमाहयसमुद्धायमाणकपूरघोरपउरं कायरजणहिययकपणं घोरमारसंतं महन्भयं भयंकरं पतिभयं उत्तासणगं अणोरपारं आगासं चेक निरवलंवं उप्पाइयपवणधणितनोल्लियउवस्वरितरंगदरियअतिवेगवेगचक्खुपहमुच्छरंतकच्छइगंभीरविपुलगजियगुंजियनिग्घायगस्यनिवतितसुदीहनीहारिदूरसु[चं]व्वंतगंभीरधु(गु)गधुगंतसई पडिपहरुभंतजक्खरक्खसकुहंडपिसायरुसियतज्जायउवसग्गसहस्ससंकुलं वहूप्पाइयभूयं विरचितवलिहोमधूवउवचारदिन्नरुधिरचणाकरणपयतजोगपययचरियं परियन्तजुगंतकालकप्पोवमं दुरंतमहानईनईव[इ] ईमहाभीमदरिसणिज्जा दुरणुच्चरं विसमप्पवेसं दुक्खुत्तारं दुरासयं लवणसलिलपुण्णं असियसियसमूसियगे(हि)हिं दच्छ(हत्य)तरके-हिं वाहणेहिं अइवइत्ता समुहमज्झे हर्णति गंतूण जणस्स पोते परदव्वहरा नरा निरणुकंपा नि(रा)रवयक्खा गामागरनगरखेडकव्वडमडंचदोणमुहपट्टणासमणिगमजणवते य धणसमिद्धे हणंति थिरहिययछिन्नलज्जा वंदिग्गहगोग्गहे य गेण्हंति दारुणमती णिकिवा 'णियं हणंति छिंदति गेहसंधि निक्खित्ताणि य हरंति धणधचदव्वजायाणि जणवयकुलाणं णिग्षिणमती परस्स दव्वाहि जे अविरया, तहेव केई अदिन्नादाणं गवेसमाणा कालाकालेसु संचरंता चियकापन्ज Page #1264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२१२ सुत्तागमे [पण्हावागरणं लियसरसदरदडक्रड्डियकलेवरे हिरलित्तवयणअखतखातियपीतडाइणिभमंतभ(योयं. करं जंव्यक्तिक्खियंते घूयक्रयघोरसद्दे वेयालठ्ठियनिमुद्धकहकहितपहतितवीहणऋनिरभिरामे अतिदुभिगंधवीभच्छदारसणिज्जे सुसाणवणमुन्नघरलेगअंतरावणगिरिकंदरविसमसावयसमाकुलासु वसहीसु किलिस्संता सीतातवसोसियसरीरा ददृच्छवी 'निरयतिरियभवसंकडदुक्खसंभारवेयणिज्जाणि पावक्रम्माणि संचिणंता दुष्टहभक्खन्नपाणभोयणा पिवासिया झुंझिया किलंता मंसकुणिमकंदमूलकिचिक्रयाहारा उबिग्गा उप्पुया असरणा अडवीवासं वेंति वालसतसंकणिज्ज अयसकरा तकरा भयंकरा का(कर)स हरामोत्ति अज्ज व्वं इति सामत्यं करेंति गुज्झं वहुयस्स जणस्स कजकरणेसु विग्धकरा मत्तपमत्तपमुत्तवीसत्यछिद्दघाती वसणभुदएसु हरणबुद्धी विगव्व सहिरमहिया परेंति नरवतिमज्जायमतिकता सज्जणजणदुगुंछिया सकम्मेहि पावकम्मकारी असुभपरिणया य दुक्खभागी निचाइलदुहमनिव्वुइमणा इह-लोके चेव किलिस्संता परव्वहरा नरा वसणसयसमावण्णा ॥ ११॥ तहेव केइ परस्त दव्वं गवेसमाणा गहिता य हया य वद्धरुद्धा य तुरियं अतिधाडिया पुरवरं समप्पिया चोरग्गहचारभडचाडकराण तेहि य कप्पडप्पहारनियआरक्खियखरफत्सवयणतज्जणगलच्छष्टुच्छलणाहिं विमणा चारगवसहिं पवेसिया निरयवसहिसरिसं तत्यवि गोम्मियप्पहारदूमणनिभच्छणकड्डयवयणभेसण (गभया)गाभिभूया अक्खित्तनियंसणा मलिणदंडिखंडनिवसणा उक्कोडालंचपासमग्गणपरायणेहिं (दुक्खसमुदीरणेहिं) गोम्मियभडेहिं विविहेहिं बंधणेहिं, किं ते ८, हडिनिगड[वा]वालरज्जयकुदंडगवरत्तलोहसंकलहत्थंदुयवज्झपट्टदामणिकोडणेहिं अन्नेहि य एवमादिएहिं गोम्मिकभंडोवकरणेहिं दुक्खसमुदीरणेहिं संकोडण]मोडणाहिं वनंति मंदपु-ण्णा संपुढंकवाडलोहपंजरभूमिघरनिरोहकूवचारगकीलगयचक्कविततवंधणखंभालणउद्धचलणवंधणविहम्मणाहि य विहेडयन्ता अवकोडकगाढउरसिरवद्धउद्धपूरितफुरंतउरऋडगमोडणामेडणाहिं वद्धा य नीससंता सीसावे[3]ऊल्या[व]लचप्पडगसंधिबंधणतत्तसलागसूइयाकोडणाणि तच्छणविमाणणाणि य खारकड्डयतित्तनावणजायणाकारणसयाणि वहुयाणि पावियंता उरक्खोडीदिन्नगाढपेलणअढिकसंभग्गसुपंसुलीगा गलकालकलोहदंडउरउदरवत्थि-पिद्वि-परिपीलिता मत्यि]च्छंतहिययसंचुण्णिय(गुप)गमंगा आणत्तीकिकरहिं केति अविराहियवेरिएहिं जमपुरिससन्निहिं पहया ते तत्य मंदपुण्णा चडवेलावज्ञपट्टपाराइंछिचकसलतवरत्त ने वेत्तप्पहारसयतालियंगमंगा किवणा लंवंतचम्मवणवेयणविमुहियमणा घणकोटिमनियलजुयलसंकोडियमोडिया य कीरति निवारा एया अन्ना य एवमादीओ वेयणाओ पावा पावेंति अदन्तिदिया Page #1265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२१६. ८०३]. सुत्तागमे वसट्टा बहुमोहमोहिया परवणमि लुद्धा फासिदियविसयतिव्वगिद्धा इत्थिगयरूवसद्द. रसगंधइट्ठरतिमहितभोगतण्हाइया य धणतोसगा गहिया य जे नरगणा पुणरवि ते कम्मदुब्वियद्धा उवणीया रायकिंकराण तेसिं वहसत्थगपाढयाणं विलउलीकारकाणं लंचसयगेण्हगाणं कूडकवडमायानियडिआयरणपणिहिवंचणविसारयाणं बहुविहअलियसतजंपकाणं परलोकपरम्मुहाणं निरयगतिगामियाणं तेहि य आणत्तजीयदंडा तुरि(य)यं उग्घाडिया पुरवरे सिंघाडगतियचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु वेत्तदंडलउडकट्ठलेहुपत्थरपणालिपणोलिमुट्ठिलयापादपण्हिजाणुकोप्परपहारसंभग्गमहियगत्ता अट्ठारसकम्मकारणा जाइयंगमंगा कलुणा सुक्कोट्टकंठगलकतालुजीहा जायंता पाणीय विगयजीवियासा तण्हादिता वरागा तंपिय ण लभंति वज्झपुरिसेहिं धाडियंता तत्थ य खरफरुसपडहघट्टितकूडग्गहगाडरुहनिसठ्ठपरामुट्ठा वज्झकरकुडिजुयनियत्या सुरत्तकणवीरगहियविमुकुलकंठेगुणवज्झदूतआविद्धमल्लदामा मरणभयुप्पण्णसेदआयतणे. हुत्तुपियकिलिन्नगत्ता चुण्णगुंडियसरीररयरेणुभरियकेसा कुसुभगोक्किनमुद्धया छिन्नजीवियासा घुनंता वज्झया]पाण[भीता]पीया तिलं तिलं चेव छिज्जमाणा सरीरविकिन्तलोहिओलि[त्ता]त्तकागणिमंसाणि खावियंता पावा खर[फरु] करसएहिं तालिजमाणदेहा वातिकनरनारिसंपरिवुडा पेच्छिजंता य नागरजण वज्झनेवत्थिया पणेजति नयरमज्झेण किवणकलुणा अत्ताणा असरणा अणाहा अवंधवा वंधुविप्पहीणा विपिक्खिता दिसोदिसि मरणभयुग्विग्गा आघायणपडिदुवारसंपाविया अधन्ना सूलग्गविलग्गभिन्न देहा, ते य तत्थ कीरंति परिकप्पियंगमंगा उल्लंविजंति रुक्खसालासु केन्इ कलुणाई विलवमाणा अवरे चउरंगधणियवद्धा पव्वयकडगा पमुच्चंते दूरपातबहुविसमपत्थरसहा अन्ने य गयचलणमलणयनिम्मदिया कीरति पावकारी अट्ठारसखंडिया य कीरति मुंडपरसूहि के-इ उक्कत्तकन्नोडनासा उप्पाडियनयणदसणवसणा जि[भिदियं मंछिया]य छिन्नकन्नसिरा पणिज्जते छिज्जन्ते य असिणा निविसया छिन्नहत्थपाया पमुच्चंते जावज्जीवबंधणा य कीरंति केइ परदव्वहरणलुद्धा कारग्गलनियलजुयलरुद्धा चारगा[व]ए हतसारा सयणविप्पमुक्का मित्तजणनि रिक्सि]र(नि)क्या निरासा बहुजणधिकारसहलनायिता (अलज्जाविया) अलज्जा अणुवद्धखुहापारदसीउण्हतण्हवेयणदुग्धट्टघट्टिया विवन्नमुहविच्छविया विहलमतिलदुबला किलंता कासंता वाहिया य आमाभिभूयगत्ता परूढनहकेसमंसुरोमा छगमुत्तमि णियगंमि खुत्ता तत्थेव मया अकामका वंधिऊण पादे कहिया खाइयाए छूडा तत्य य व(ब)गमुणगसियालकोलमजारवंदसंबंसगतुंडपक्खिगणविविहमुहलय[ल] विलुतगत्ता कयविहंगा केइ किमिणो य कुहियदेहा अणिढवयणेहि सप्पमाणा नहु कयं Page #1266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १२१४ ___ • [पण्हावागरण मउत्ति पावो तुडेणं जगेण हम्ममाणा लजावणका य होंति सयणस्सवि-य दीइकालं मया संता, पुणो परलोगसमावन्ना नरए गच्छंति निरभिरामे अंगारपलित्तककप्प अच्चत्यसीतवेदणअस्साउदिन्नसयतदुक्खसयसमभि(भू)दुते ततोवि उव्वट्टिया समाणा पुणोवि प(डि)वजति तिरियजोणिं तहिपि निरयोवमं अणुवंति वेवणं, ते अणंतकालेण जति नाम कहिं (चि-वि)पि मणुयभावं लभंति णेगेहिं णिरयगतिगमणतिरियभवसयसहस्सपरियट्रेहिं तत्थवि-य भवात]तिऽणारिया नीचकुलसमुप्पण्णा 'आरियजणेवि लोगवज्झा तिरिक्वभूता य अकुसला कामभोगतिसिया जहिं निबंधति "निरयवत्तणिभवप्पवंचकरणपणोल्लि पुणोवि संसा(र)रावत्तणेममूले धम्मतिविवजिया अणज्जा कूरा मिच्छत्तसुतिपवन्ना य होंति एगंतदंडरुइणो वेहेंता कोसिकारकीडोव्व अप्पगं अट्ठकम्मतंतुघणवंधणेणं एवं नरगतिरियनरअमरगमणपेरंतचक्कवालं जम्मजरामरणकरणगम्भीरदुक्खपखुभियपउरसलिलं संजोगवि[यो]ओगवीचीचिंतापसंगपसरियवहवंधमहल्लविपुलकन्ट्रोलकलुणविलवितलोभकलकलिंतवोलवहुलं अवमाणण'फेणे तिव्वखिसणपुलंपुलप्पभूयरोगवेयणपराभवविणिवातफसधरिसणसमावडियकठिणकम्मपत्यरतरंगरंगंतनिचमच्चुभयतोयपढे कसायपायालसंकुलं भवसयसहस्सजल. संचयं अणंतं उव्वे(व)यणयं अणोरपारं महब्भयं भयंकरं पइभयं अपरिमियमहिच्छकलुसमतिवाउवेगउद्धम्ममाणआसापिवासपायालक्रामरतिरागदोसवंधणबहुविहसंकप्पविपुलदगरयरयंधकारं मोहमहावत्तभोगभममाणगुप्पमाणुच्छलंतवहुगव्भवासपच्चोणियत्तपाणि[य]यप(वाहिय)धावितवसणसमावन्नरुनचंडमारुयसमाहयामणुन्नवीचीवाकुलितभग्गफुटुंतनिट्ठकल्लोलसंकुलजलं पमातवहुचंडदुट्ठसावयसमाहयउद्धायमाणग'पूरघोरविद्धसणत्यवहुलं अण्णाणभमंतमच्छपरिहत] यअनिहुतिंदियमहामगरतुरियचरियखोखुन्भमाणसंतावनिच]ञ्चयचलंतचवलचंचलअत्ता(ण)णाऽसरणपुव्वक्रयकम्मसंचयोदिन्नवज्जवेइजमाणदुहसयविपाकघुन्नंतजलससूहं इडिरससायगारबोहारगहिंयकम्मपडिबद्धसत्तकड्डिजमाणनिरयतलहुत्तसन्नविसन्नवहुला]लअरइरइभयविसायसोगमिच्छत्तसेलसंकाड]डअणातिसंताणक्रम्मवंधण किलेसचिक्खिल्लुदुत्तारं अमरनरतिरियनिरयगतिगमणकुडिलपरियत्तविपुलवेलं हिंसालियअदत्तादाणमेहुणपरिग्गहारंभकरणकारावणाणुमोदणअट्ठविहअणिटुक्रम्मपिंडितगुरुभारतदुग्गजलोघदूरपगोलिज्जमाणउम्(मु)मग्गनि-मग्गदुल्लमतलं सारीरमणोमयाणि दुक्खाणि उप्पियंता सातस्सायपरित्तावणमयं उचुडनिवुट्ठयं करेंता चउरंतमहंतमणवयरगं (सं) रुई संसारसागरं अद्वि[य]यअणालंबणमपतिठाणमप्पमेयं चुलसीतिजोणिसयसहस्सगुविलं अणालोकमंधकारं अणंतकालं निचं उत्तत्यसुण्णभयसण्णसंपउत्ता (संसारसागरं) वसंति Page #1267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म. ] सुत्तागमे १२१५ उव्विगावासवसहिं जहिं आउयं निबंधति पावकम्मकारी बंधवजणसयणमित्तपरिचजिया अणिट्ठा भवंति अणादेजदुन्विणीया कुठाणासणकुसेजकुभोयणा असुइणो कुसंघयणकुप्पमाणकुसंठिया कुरुवा बहुकोहमाणमायालोभा वहुमोहा धम्मसन्नसम्मत्तपन्भट्ठा दारिदोवद्दवाभिभूया निच्च परकम्मकारिणो जीवणत्थरहिया किविणा परपिंडतकका दुक्खलद्धाहारा अरसविरसतुच्छकयकुच्छिपूरा परस्स पेच्छंता रिद्धिसकारभोयणविसेससमुदयविहिं निंदता अप्पक कयंतं च परिवयंता इह य पुरेकडाई कम्माई पावगाई विमणसो सोएण डज्झमाणा परिभूया होंति सत्तपरिवज्जिया य मेभासिप्पकलासमयसत्थपरिवजिया जहाजायपसुभूया अवियत्ता णिच्चनीयकम्मोवजीविणो लोयकुच्छणिजा मोघमणोर[हा हनिरासबहुला आसापासपडिबद्धपाणा अत्थोपायाणकामसोक्खे य लोयसारे होति अफलवंतका य सुझुविय उज्जमंता तद्दिवसुजुत्तकम्मकयदुक्खसंठवियसिस्थपिंडसंचयप[क]राखीणदव्वसारा निचं अधुवधणधण्णकोसपरिभोगविवज्जिया रहियकामभोगपरिभोगसव्वसोक्खा परसिरिभोगोवभोगनिस्साणमग्गणपरायणा वरागा अकामिकाए विणेति दुक्खं व सुहं णेव निव्वुर्ति उवलभंति अचंतविपुलदुक्खसयसंपलित्ता परस्स दव्वेहिं जे अविरया, एसो सो अदिण्णादाणस्स फलविवागो इहलोइओ पारलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महन्भओ बहुरयप्पगाढो दारुणो कक्कसो असाओ वाससहस्सेहिं मुञ्चति, न य अवेयइत्ता अत्यि उ मोक्खोत्ति, एवमाहंसु णायकुल-गंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो कहेसी य अदिण्णादाणस्स फलविवागं एवं तं ततियंपि अदि-ण्णा दाणं हरदहमरणभयकलुसतासणपरसंतिकभेजलोभमूलं एवं जाव चिरपरिगतमणुगतं दुरंतं ततियं अहम्मदारं समत्तं तिबेमि ॥ १२ ॥ जंबू! अभं च चउत्थं सदेवमणुयासुरस्स लोयस्स पत्थणिज्जं पंकपणयपासजालभूयं थीपुरिसनपुंसवेदचिंचं तवसंजमवंभचेरविग्घं भेदायतणवहुपमादमूलं कायरकापुरिससेवियं सुयणजणवजणिज्जं उद्दनरयतिरियतिलोकपइट्ठाणं जरामरणरोगसोगवहुलं वधवंधविघातदुविधायं दसणचरित्तमोहस्स हेउभूयं चिरपरि [गय]चितमणुगयं दुरंतं चउत्यं अधम्मदार ॥ १३ ॥ तस्स य णामाणि गोन्नाणि इमाणि होति तीसं, तं०-अभं १ मेहुणं २ चरंतं ३ संसग्गि ४ सेवणाधिकारो ५ संक्रप्पो ६ वाहणा पदाणं ७ दप्पो ८ मोहो ९ मणसं खेवो]खोभो १० आणिग्गहो ११ बुग्गहो १२ विघाओ १३ विभंगो १४ विन्भमो १५ अधम्मो १६ असीलया १७ गामधम्मति]तत्ती १८ रती १९ राग(चिंता)कामभोगमारो २१ वेरं २२ रहस्सं २३ गुज्नं २४ बहुमाणो २५ चंभचेरविग्यो २६ वावत्ति २७ विराहणा २८ पसंगो २९ कामगुणोत्ति ३० विय Page #1268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [पण्हावागरण तस्स एयाणि एवमादीणि नामधेज्जाणि होति तीसं ॥ १४ ॥ तं च पुण निसेवंति , सुरगणा सअच्छरा मोहमोहियमती असुरभुयगगरुलविजुजलणदीवउदहिदिसिपवणथणिया १० अणवन्निपणवन्नियइसिवादियभूयवादियकंदियमहाकंदियकूहंडपयंगदेवा ८ पिसायभूयजक्खरक्खसकिनरकिंपुरिसमहोरगगंधव्वा ८ तिरियजोइसविमाणवासि-- मणुयगणा जलयरथलयरखहयरा य मोहपडिवद्धचित्ता अवितण्हा कामभोगतिसिया तण्हाए वलवईए सहईए समभिभूया गढिया य अतिमुच्छिया य अवंमे उस्सण्णा तामसेण भावेण अणुम्मुक्का दंसर्णचरित्तमोहस्स पंजरं पिव करेंति अण्णमण्णं)न्नोऽन्नं सेवमाणा, भुजो असुरसुरतिरियमणुअभोगरतिविहारसंपउत्ता य चकवट्टी सुरनरवति-- सकया सुरवरुव्व देवलोए भरहणगणगरणि[य]गमजणवयपुरवरदोणमुहखेडकव्वडमडंवसंवाहपट्टणसहस्समंडियं थिमियमेयणियं एगच्छत्तं ससागरं भुंजिऊण वसुहं नरसीहा नरवई नरिंदा नरवसभा मस्यवसभकप्पा अन्भहियं रायतेयलच्छीए दिप्पमाणा सोमा रायवंसतिलगा रविससिसंखवर चक्कसोत्यियपडागजवमच्छकुम्मरहवरभगभवणविमाणतु(रंग)रयतोरणगोपुरमणिरयणनंदियावत्तमुसलणंगलसुरइयवरक्रप्परुक्खमिगवतिभद्दासणसुरूविथूभवरमउडसरियकुंडलकुंजरवरवसभदीवमंदिरगरुलद्धयइंदकेउदप्पणअट्ठावयचाववाणनक्खत्तमेहमेहलवीणाजुगछत्तदामदामिणिकमंडलुकमलघंटावरपोतसूइसागरकुमुदागरमगरहारगागरनेउरणगणगरवइरकिन्नरमयूरवररायहससारसचकोरचकवागमिहुणचामरखेडगपव्वीसगविपंचिवरतालियंटसिरियाभिसेयमेइणिखग्गंकुसविमलकलसभिंगारवद्धमाणगपसत्थउत्तमविभत्तवरपुरिसलक्खणधरा व. त्तीसं वररायसहस्साणुजायमग्गा चउसट्ठिसहस्सपवरजुवतीण णयणकता रत्ताभा पउमपम्हकोरंटगदामचंपकसुत(त्त)यवरकणकनिहसव-ण्णा सुजायसव्वंगसुंदरंगा महाघवरपट्टणुरगयविचित्तरागएणिपेणिणिम्मियदुगुल्लवरचीणपट्टकोसेजसोणीसुत्तकविभूसियंगा वरसुरभिगंधवरचुण्णवासवरकुसुमभरियसिरया कप्पियछेयायरियसुकयरइ[त]यमाल(कुं)कड(लं)गंगयतुडियपवरभूसणपिणद्धदेहा एकावलिकंठसुरइयवच्छा पालंवपलंब. माणसुकयपडउत्तरिजमुद्दियापिंगलंगुलिया उज्जलनेवत्थरइयचेल्लगविरायमाणा तेएण दिवाकरोव्व दित्ता सारयनवत्थणियमहुरगंभीरनिद्धघोसा उप्पन्नसमत्तरयणचक्करयणप्पहाणा नवनिहि(य)वइणो समिद्धकोसा चाउरंता चाउराहिं सेणाहिं समणुजातिज- - माणमग्गा तुरगवती गयवती रहवती नरवती विपुलकुलवीसुयजसा सारयससिसकलसोमवयणा सूरा तेलोक्कनिग्गयपभावलद्धसहा समत्तभरहाहिवा नरिंदा ससेलवणकाणणं च हिमवंतसागरंतं धीरा भुत्तूण भरहवासं जियसत्तू पवररायसीहा पुव्वकडतवप्पभावा निविद्वसंचियसुहा अणेगवाससयमायुवंतो भजाहि य जणवयप्पहाणाहिं लालियंता Page #1269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ०४] १२ सुत्तागमे अतुलसद्दफरिसरसरूवगंधे य अणुभवेत्ता तेवि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं । भुज्जो [भुजो] वलदेववासुदेवा य पवरपुरिसा महावलपरक्कमा महाधणुवियट्टका महासत्तसागरा दुद्धरा धणुद्धरा नरवसभा रामकेसवा भायरो सपरिसा वसुदेवसमुद्दविजयमादियदसाराणं पजुन्नपतिवसंवअनिरुद्धनिसहउम्मुयसारणगयसुमुहदुम्मुहादीण जायवाणं अद्भुटाणवि कुमारकोडीणं हिययदयिया देवीए रोहिणीए देवीए देवकीए य आणंदहिययभावनंदणकरा सोलसरायवरसहस्साणुजातमग्गा सोलसदेवीसहस्सवरणयणहिययद[यि]इया णाणामणिकणगरयणमोत्तियपालधणधनसंचयरिद्धिसमिद्धकोसा हयगयरहसहस्ससामी गामागर-णगरखेडकब्बडमडंवदोणमुहपट्टणासमसं(वा)वाहसहस्सथिमियणिव्वुय-प-मुदितजणविविह[सस्]सासनिष्फ जमाणमेइणिसरसरियतलागसेलकाणणआरामुजाणमणाभिरामपरिमंडियस्स दाहिणहवेयद्दगिरिविभत्तस्स लवणजलहिपरिगयस्स छव्विहकालगुणकामजुत्तस्स अद्धभरहस्स सामिका धीरकित्तिपुरिसा ओहवला अइबला अनिहया अपराजियसत्तुमद्दणरिपुसहस्समाणमहणा साणुकोसा अमच्छरी अचवला अचंडा मितमंजुलपलावाहसियगंभीर-महुर(परिपुण्णसच्चवयणा)भणिया अब्भुवगयवच्छला सरण्णा लक्खणवंजणगुणोववेया माणुम्माणपमाणपडिपुन्नसुजायसव्वंगसुंदरंगा ससिसोमागारकंतपियदसणा अमरिसणा पयंडडंडप्पयारगंभीरदरिसणिजा तालद्धउन्विद्धगरुलकेऊ बलवगगजंतदरितदप्पितमुट्ठियचाणूर(चू )मूरगा रिहवसभघातिणो केसरिमुहविप्फाडगा दरितनागदप्पमहणा जमलज्जुणभंजगा महासउणिपूतणारि[ऊ]वू कंसमउडमोडगा जरासिंधमाणमहणा तेहि य (अब्भपडलपिंगलुज्जलेहि) अविरलसमसहियचंडमंडलसमप्प(हे)भेहिं (मंगलसयभत्तिच्छेयचित्तियखिखिणिमणिहेमजालविरइयपपरेगयपेरंतकणयघंटियपयलियखिणिखिणितसुमहुरसुइसुहसद्दालसोहिएहिं सपयरगमुक्तदामलंवंतभूसणेहिं नरिंदवामप्पमाणरुंदपरिमंडलेहिं सीयायववायवरिसविसदोसणासएहिं तमरयमलबहुलपडलधाडणपहाकरेहिं मुद्धसुहसिवच्छायसमणुवद्धेहिं वेरुलियदंडसजिएहिं वयरामयवत्यिणिउणजोइयअडसहस्सवरकंचणसलागनिम्मिएहिं सुविमलरययसुटुच्छइएहिं णिउणोवियमिसिमिसिंतमणिरयणसूरमंडलवितिमिरकरनिग्गय'पडिहयपुणरविपच्चोवयंतचंचल-सूर-(म)मिरी (इ)यकवयं विणिम्मुयंतेहिं सपतिदंडेहि आयवत्तेहिं धरिजंतेहिं विरायंता ताहि य पवरगिरिकुहरविहरणसमुट्ठियाहिं निरुवहयचमरपच्छिमसरीरसंजाताहिं अमइलसियकमलविमुकुलुजलितरयतगिरिसिहरविमलससिकिरणसरिसकलहोयनिम्मलाहिं पवणाहयचवलचलियसललियपणच्चियवीइपसरियखीरोदगपवरसागरुप्पूरचंचलाहिं माणसंसरपसरपरिचियावासविसदवेसाहिं कण ७७ सुत्ता Page #1270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८ सुत्तागमे [पण्हावागरण गगिरितिहरसंसिताहिं उवाउप्पातचवलजयिणसिग्यवेगाहिं हंसवधूयाहिं चेत्र कलिया नाणामगिरणगमहरिहतवणिजुजलविचित्तउंडाहिं सललियाहिं नरबतिसिरिसमुदयप्यगासगरीहिं वरपणुग्णयाहिं समिद्धरायकुलसेवियाहिं नालागुन्सवर कुंदुरबतुवधूवार सवासविसदगंधुझ्याभिरामाहिं चिहिनाहिं उभयोगसंपि चामराहिं उक्विप्नमागाहिं मुहसीतलवातवीतियंगा अजिता अजितरहा हलनुसलनगरमागी संखचक्रगवसतिगंदगधरा पवरजलसुकतविमलकोथूभतिरीडवारी कुंडलउजोवियाणणा पुंडरीयगयणा एगावलीकंठरतियवच्छा तिरिवच्छमुलंछगा वरजसा सब्बोचसुरभिकुसुमसुरइयपलंबसोहंतवियसंतचिनवगमालरतियवच्छा असयविमतलक्षणपसत्यमुंदरविराइयंगमंगा मत्तगयवरिंदललियविक्रमविलसियगती ऋडिमुनानीलपीतकोसिज्जवाससा पवरदिनतया सारयनवणियमहुरगंमारनियोसा नरसीहा सीहविकमगई अत्यमि(य)या पवररायसीहा नोमा बा[वारवइपुन्नत्रंदा पुन्वक्रयतदप्यभावा निविठ्ठवंचियमुहा अणेगवाससयमा(नु)युवंतो भजाहि व जगवयम्पहाणाहि लालियंता अनुलसफरिसरसहवगंवे अणुभवेत्ता ते-वि उवगमंति मरणधन्न अनितना कामाणं । भुजो मंडलियनरवरेंदा सबला ससंतेरा सपरिसा सपुरोहिया[s]मचदंडनायकसेणावतिमंतनीतिकुमला नाणाननिरयणविषुलवणवन्नसंचयनिहीतमिद्धकोसा रजनिरिं विपुलमणुभविना विक्रोसंतालेण मत्ता तेवि उवणनंतिमरणधन्म अवितत्ता कामाणं । भुनो उत्तरकुल्देवकुखणविवरपा[बादचारिणो नरगणा भोगुत्तमा मोगलक्वगधरा भोगसत्सिरीया पसत्यसोमपडिपुगबद(र)रिनणिजा सुजातसव्वंगसुंदरंगा रत्तुप्पलपत्तकंतकरचरणकोमलतला सुपहियकुम्मचारचलणा अणुपुत्रनु (जायपीवर) हांगुलीया उन्नयतणुनंबनिद्धनखा संठि(त)यसिलिगूगों का एगीकुलविंदवनवाणुपुलिया नमुरगनि(मु)सरगगूढजाणू वरवारणमनतुलविकमविला. सितगती वरतरगमुजायगुज्झदेसा आइन्नहयन्त्र निललेवा पमुइयवरतुरगसीहअतिरेगवष्ट्रियकडगिंगावनदाहिणावनतरंगभंगुररविकिरणबोहियविकोसायंतपन्हगंभीरबिगडनाभी वाहतलोणंदमुसलदप्पणनिगरियवरकणगच्छन्सरिसवरवइवलियममा नागसममहिगान्तनुक्रनिगगिद्धआदेबलडहरमालमञ्चरोमराई इसविहगभुजानपीनरन्छी जसोदरा पम्हविगटनामा संनतपासा नंगययासा मुंदरपासा सुजात-- पाना मिन्मादयपीगलयपाना अडवनगगन्यगनिम्नलनुजायनिलयदेहवारी अग्निानलपरत्वममनलस्वटयविच्छिन्नपिहलवच्छा जुयनंनिभपीणरड्यपीवर पडठियालिलिसिटलमुनिचितवणविरोदनधी पुरखरखरालिहवष्टियभुया मुगगापिएलमोलाचाणकालिच्छूट दीवाद रत्ततलोवतियनउवमंसलमुजायल Page #1271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ० ४] सुत्तागमे क्खणपसंत्थअच्छिद्दजालपाणी पीवरसुजायकोमलवरंगुली, तंवतलिणसुरुइलनिद्धन-क्-खा निद्धपाणिलेहा चंदपाणिलेहा सूरपाणिलेहा संखपाणिलेहा चक्कपाणिलेहा दिसासोवत्थियपाणिलेहा रविससि संखवरचक्कदिसासोवत्थियविभत्तसुविरइयपाणिलेहा वरमहिसवराह[सीह ] सद्दल [सी ] (सिं) रिसहनागवर पडिपुन्नविउलखंधा चउरंगुलसुप्पमाणकंबुवरस रिसग्गीवा अवट्ठियसुविभत्तचित्तमंसू उवचियमंसलपसत्यसद्दलविपुलहया ओयवियसिलप्पवालबिंबफलसंनिभाधरोट्ठा पंडुरससिसकलविमलसंखगोखीरफेणकुंददगरयमुणालियाधचलदंतसेढी अखंडदंता अप्फुडियदंता अविरलदंता सुणिदंता सुजायदंता एगदंतसेढिव्व अणेगदंता "हुयं वहनिद्धंतधोयतत्ततवणिजरत्तत[ला] लतालुजीहा गरुलायतउज्जुतुंगनासा अवदालियपोंडरीयनयणा कोकासियधवलपत्तलच्छा आणामियचावस्इलकिण्हन्भराजिसंठियसंगयाययसुजायभुमगा अल्लीणपमाणजुत्तसवणा सुसवणा पीणमंसलकवोल देसभागा, अचिस्तगयवालचंद संठियमहानिडाला उडुवतिरिव पडिपुन्नसोमवयणा छत्तागारुत्तमंगदेसा घणनिचियसुवद्धलक्खणुन्नयकूडागारंनिभपिंडियग्गसिरा हुयवहनिद्धंतधोयतत्ततवणिज्जरत्तकेसंतकेसभूमी सामली पोंडघणनिचियछोडियमिउविस तपसत्थेसुहुमलक्खणसुंगंधिसुंदर भुयमोयगभिंनीलकज्जलप भमरगणनिद्धनिगुरुंवनिचिय कुंचियपया हिणा वत्तमुद्ध सिरया सुजातसुविभत्तसंगयं (ग) गा लक्खणवंजणगुणोववेया पसत्यवत्ती संलक्खणधरा हंसस्सरा कुंचस्सरा दुंदुभिस्सरा सीहस्सरा ओघ (उज्ज) सरा मेघसरा सुस्तरां सु[स्] सरनिग्घोसा वजरिसहना रायसंघयणा समचउरंससंठाणसंठिया छायाउज्जोवियंगमंगा पसत्थच्छवी निरातका कंकरगहणी कवोतपरिणामा सगुणिपोसपिद्वंतरोरुपरिणया पउमुप्पलसरिसगंधुस्सास सुरभिवयणा अणुलोमवाउंवेगा अंवदायनिद्धकाला विग्गहिय उन्नयकुच्छी अमयरसफलाहारा तिगा[ऊ ] उयसमूसिया तिपलिओवमट्ठि (ती) तिका तिन्निय पलिओवमाई परमाउं पालयित्ता ते वि उवणमंति मरणधम्मं अवि[त ]तित्ता कामाणं । पमया - विय तेसि होंति सोम्मा सुजायसव्वंगसुंदरीओ पहाणमहिलागुणेहिं जुत्ता अतिकंतविसप्पमाणमउयसुकुमाल कुम्मसंठियसिलिट्ठच [र]लणा 'उज्जुमउयपीवरसुसाहतंगुलीओ अब्भुन्नतरतिततलिणतं वसुइनिद्धनखा रोमरहियवट्टसंठि [ अ ] यअजहन्नपसत्थलक्खणअकोप्पजंघजुयला सुणिम्मितसुनिगूढजाणूंमंसल पसत्यतुबद्धसंधी कयलीखंभातिरेकसंठियनिव्वणसुकुमालमउयकोमलअविरलसमसहितयुंजा यवट्टपीवरनिरन्तरो अट्ठावयवी पट्टसंठियपसत्यविच्छिन्नपिहुलसोणी वयणायामप्पमाणदुगुणियविसालमंसलसुवद्धजहणवरधारिणीओ वजविराइयपसत्थलक्खणनिरोदरीओ तिवलिवलियतणुनमियमज्झियाओ उज्जुयसंमसहियजच्चतणुकसिणनिद्धआदेज्जलढहनुकुमाल M J १२१९ Page #1272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ पण्डावागरण मउयसुविभत्तरोमरातीओ गंगावत्तगपदाहिणावत्ततरंगभंगरविकिरण तरुणचोधितआको सायं तपउमगंभीरविगडनाभा अणुव्भडपसत्यसुजातपीणकुच्छी सन्नतपासा सुजातपासा संगतपांसा मियमायियपीणरतितपासा अकरंडुयकणगस्यगनिम्मलनुजायनिरुवहयगायलट्ठी कंचणकलसपमाण समसहियल[चू]चु (च्) चुयआमेलगजमलजुयलवट्टियपओहराओ भुयंग अणुपुव्वतणुयगोपुच्छवट्टसमसहियनमिय आदेजलउहबाहा तंवनहा मंसलग्गहत्था कोमलपीवरवरंगुलीया निद्धपाणिलेहा ससिसूरसंखचक्कवर-सोत्यियविभत्तसुविरइयपाणिलेहा पीणुण्गयकक्खवत्थिप्पदेसपडि पुन्नगलकवोला चररंगुलसुप्पमाणकंवुवरसरिसगीवा मंसलसंठियपसत्यहणुया दालिमपुप्फप्पगासपीवरपलंवकुंचितवराधरा सुंदरोत्तरोट्ठा दधिदगर यकुंदचंदवासंति मडल अच्छिद्दविमलदसणा रत्तुप्पलपउमपत्तसुकुमालतालुजीहा कणवीरमुउलऽ कुडिलऽभुन्नयर नुतुंगनासा सारदनवकमलकुमुतकुवलयदलनिगरसरिसलक्खणपसत्यअजिम्हकंतनयणा आनामिय-चावरुइलकिण्हव्भराइसंगयसुजायतणुकसिणनिद्धभुमगा अल्लोणपमाणजुत्तसवणा सुस्सवणा पीणमट्टगंडळेहा चउरंगुलविसालसमनिडाला कोमुदिरयणि करविमलपडि पुन्नसोमवदणा छत्तुन्नयउत्तमंगा अकविलसुसिणिद्धदीहसिरया छत्तज्जयजवधूभदामिणिकमंडलुकलसचाविसोत्थियपडागजवमच्छकुम्मर[ह]थवरमकरज्य यअंकथाल अंकुस अट्टावयसुपइड (मयू) अमरसिरियाभिसेयतोरणमेइणिउदधिवरपवर भवणगिरिवरवरायंससललियगयउसभसीहचामरपसत्यवत्तीसलक्खणधरीओ हंससरि (त्थ) च्छगतीओ कोइलमहुरगिराओ कंता सव्वस्स अणुमयाओ ववगयवलिपलितवंगदुव्वन्नवाधिदोहग्गसोयमुक्काओ उच्चत्तेण य नराण थोवूणमूसियाओ सिंगारागारचारुवेसाओ सुंदरथणजहणवयणकरचरणणयणा लावन्नरूवजोव्वणगुणोववेया नंदणवणविवरचारिणीओ-व्व अच्छराओ उत्तरकुरुमाणुसच्छराओ अच्छेरगपेच्छणिज्जियाओ तिन्नि य पलिओवमाईं परमाउं पालयित्ता ताओऽवि उवणमंति मरणधम्मं अवितित्ता कामाणं ॥ १५ ॥ मेहुणसन्नासंपगिद्धा य मोहभरिया सत्थेहिं हणंति एकमेकं विसयविस उदीरएन, अवरे परदारेहिं हम्मेति वि (मु) सुणिया धणनासं सयणविप्पणासं च पाउणंति, परस्स दाराओ जे अविरया मेहुणसन्नसंपगिद्धा य मोहभरिया अस्सा हत्थी गवा य महिसा मिगा य मार्रेति ए[क्के ]कमेक्क, मणुयगणा वानरा य पक्खी य विरुज्झंति, मित्ताणि खिप्पं भवंति सत्तू समये धम्मे गणेय भिंदंति पारदारी, धम्मगुणरया य चंभयारी खणेण उहोइए चरित्तांओ जसमन्तो सुव्वया य पावेंति अ [य (ज) स ] किति रोगत्ता वाहिया पवर्द्धिति रोयवाही, दुवे य लोया दुआराहगा भवंति - इहलोए चेव परलोए परस्स दा (र) राओ जे अविरया, तहेव केइ परस्स दारं गवेसमाणा गहिया १२२० · Page #1273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ० चरिमं ] सुत्तागमे १२२१* हया य बद्धरुद्धा य एवं जाव गच्छति विपुलमोहाभिभूयसन्ना, मेहुणमूलं च सुव्वए तत्थ तत्थ वत्तपुव्वा' संगामा जणक्खयकरा सीयाए दोवईए कए रुप्पिणीए पउमावईए ताराए कंचणाए रत्तसुभद्दाए अहिल्लियाए सुवन्नगुलियाए किन्नरीए सुरुवविजुमतीए रोहिणीए य, अन्नेसु य एवमादिएस बहवो महिलाकएड सुव्वंति अइअंता संगामा गामधम्ममूला इहलोए ताव नट्ठा परलोएविन्य नट्ठा महया मोह / तिमिसंधकारे घोरे तसथावरसुहुमबादरेसु पज्जत्तमपजत्तसाहारणसरीरपत्तेयसरीरेसु य अंडजपोतजजराउयरस जसं सेइमसंमुच्छिमउब्भियउववादिएसु य नरगतिरियदेव - माणुसेसु जरामरणरोगसोगबहुले पलिओवमसागरोवमाई अणावीयं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियहंति जीवा मोहवससन्निविद्वा । एसो सो अभस फलविवागो इहलोइओ पारलोइओ य अप्पसुहो बहुदुक्खो महन्भओ बहुरयप्पगाढो दारुणो कक्सो असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चती, न य अवेदइत्ता अत्थि हु मोक्खोत्ति, एवमाहंस नायकुलंनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामघेजो कहेसी य अवभस्स फलविवागं एयं तं अवंभंपि चउत्थं सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स पत्थणिजं एवं चिरपरिचियमणुग[तं] यं दुरंतं चउत्थं अधम्मदारं समत्तंति बेमि ॥ १६ ॥ जंबू | इत्तो परिग्गहो पंचमो उ नियमा णाणामणिकणगरयणमहरिहपरिमलसपुत्तदारपरिजणदासीदासभयगपे सहयगयगोमहिस उट्टखरअयगवेलगसी यासगडरहजाणजुग्गसंदणसयणासणवाहणंकुवियधणधन्नपाणभोयणाच्छायणगंधमल्लभायणभवणविहिं चेव बहुविहीयं भरहं णगणगरणियमजणवयपुरवरदोणमुहखेडकब्बडमडंबसं-वाहपट्टणसहस्सपरिमंडियं थिमियमेइणीयं एगच्छत्तं ससागरं भुंजिऊण वसुहं अपरिमियमणंततण्हमणुगयम हिच्छसारनिरयमूलो लोभकलिकसायमहक्खंधो चिंतासयनिचिय विपुलसालो गारवपविरलियग्गविडवो नियडितयापत्त पालवधरो पुप्फफलं जस्स कामभोगा आयासविसूरणा कलहप कंपियग्गसिहरो नरवतिसंपूजितो बहुजणस्स हिययदइओ इमस्स मोक्खवरमोत्तिमग्गस्स फलिहभूओ चरिमं अहम्मदारं ॥ १७ ॥ तस्स य नामाणि इमाणि गोण्णाणि होति तीसं, तंजहापरिग्गहो १ संचयो २ चयो ३ उवचओ ४ निहाणं ५ संभारो ६ संकरो ७ ( एवं ) आयरो ८ पिंडो ९ दव्वसारो १० तहा महिच्छा ११ पडिबंधो १२ लोहप्पा १३. मह [द्दी] ई १४ उवकरणं १५ संरक्खणा य १६ भारो १७ संपाउप्पायको १८ कलिकरंडो १९ पवित्थरो २० अणत्यो २१ संथवो २२ अगुत्ती २३ आयासो २४ अविओगो २५ अमुक्त्ती २६ तहा २७ अणत्थको २८ आसत्ती २९ असंतोसोत्तिविय ३०, तरस एयाणि एवमादीणि नामधे जाणि होंति तीसं ॥ १८ ॥ तं च Page #1274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२२ सुत्तागमे : [पण्हावागरण पुण परिग्गहं ममायति लोभवत्था भवणवरविमाणवासिणो परिग्गहरुती परिग्गहे विविहकरणबुद्धी देवनिकाया य असुरभुयगगस्लविजु]जलणदीवउदहिदिसिपवणथणियअणवंनियपणवनियइतिवातियभूतवाइयक्रंदियमहाकंदियकुहंडपतंगदेवा पिसायभूयजक्खरक्खसकिनरकिंपुरिसमहोरगर्गधन्वा य तिरियवासी पंचविहा जोइसिया य देवा वहस्सतीचंदसूरसंकसनिच्छरा राहुधूमकेउवुधा य अंगारका य तत्ततवणिज्जकणयवण्णा जे य गहा जोइसम्मि चारं चरंति केऊ य गतिरतीया अठ्ठावीसतिविहा य नक्खत्तदेवगणा नाणासंठाणसंठियाओ य तारगाओ ठियलेस्सा चारिणो य अविस्साममंडलगती उचरिचरा उडलोगवासी दुविहा वेमाणिया य देवा सोहम्मीसाणसणंकुमारमाहिंदवंभलोगलंतक्रमहासुक्कसहस्सारआणयपाणयारणअच्चुया कप्पवरविमाणवात्तिणो सुरंगणा गेवेजा अणुत्तरा दुविहा कप्पातीया विमाणवासी महिड्डिका उत्तमा तुरवरा एवं च ते चउन्विहा सपरिसावि देवा ममायंति भवणवाहणजाणविमाणसयणासणाणि य नाणाविहवत्यभूसणा-णि य-पवरपहरणाणि य नाणामणिपंचवन्नदिव्वं च भायणविहिं नाणाविहकामत्वे वेउचितअच्छरगणसंघाते दीवसमुद्दे दिसाओ विदिसाओ वणसंडे पवते य गामनगराणि य आरामुजाणकाणणाणि य कूवसरतलागवाविदीहियदेवकुलसभप्पववसहिमाझ्याई वहुकाई कित्तणाणि य परिगेम्हित्ता परिग्गहं विपुलदव्वसारं देवावि सइंदगा न तित्तिं न तुहिँ उवलभति अचंतविपुललोभाभिभूति]यास[त्ता]ना वासहरइक्खुगारवपव्वयकुंडलरुचगवरमाणुसोत्तरकालोदधिलवणसलिलदहपतिरतिकरसंजणकसेलदहिमुहऽवपातुप्पायकंचणकचित्तविचित्तजमकवरसिहरकूडवासी वक्तारअकम्मभूमिसु नुविभत्तभागदेसासु कम्मभूमिसु, जेऽवि-य नरा चाउरंतचकवट्टी वासुदेवा वलदेवा मंडलीया इस्सरा तलवरा सेणावती इब्मा सेट्ठी रहिया पुरोहिया कुमारा दंडणायगा माविया सत्यवाहा कोडंविया अमचा एए अन्ने य एवमाती परिग्गहं संचिणंति अणंतं असरणं दुरंतं अधुवमणिचं असासयं पावकम्मनेम्म अवकिरियव्वं विणासमूलं वहवंधपरिकिलेसबहुलं अणंतसंकिलेसकारणं, ते तं धणकणगरयणनिचयं पिंडिता चेव लोभघत्या संसारं अतिवयंति सबढुक्खसंनिलयणं, परिग्गहर्स स]सेव य अट्ठाए सिप्पसयं सिक्खए वहुजणो कलाओ य वावत्तरि सुनिपुणाओ लेहाइयाओ सउणल्यावसाणाओ-गणियप्पहाणाओ-च उसद्धिं च महिलागुणे रतिजणणे सिप्पसेवं अतिमसिकिसिवाणिज्ज ववहारं अत्यसत्य(इसोईसत्यच्छरुप्प(वा)गयं विविहाओ य जोगमुंजणाओ अन्नेसु एवमादिएसु वहूसु कारणसएसु जावजीवं नडिजए संचिणंति मुंदबुद्धी परिग्गहस्सेव य अहाए करंति पाणाण वहकरण अलियनियडिसाइसंपओगे Page #1275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सं०] ... सुत्तागमे १२२३ परदव्वअभिजा संप[रि]रदारअभिगमणासेवणाए आयासंविसूरणं कलहभंडणवेराणि य अवमाणणविमाणणाओ इच्छामहिच्छप्पिवाससतततिसिया तण्हगेहिलोभघत्था अत्ताणा अणिग्गहिया करेंति कोहमाणमायालोभे अकित्तणिजे परिग्गहे चेव होंति नियमा सल्ला दंडा य गारवा य कसाया सन्ना य कामगुण-अण्हगा य ईदियलेसाओ सयणसंपओगा सचित्ताचित्तमीसगाई दवाई अणंतकाई इच्छंति परिघेत्तुं सदेवमणुयासुरम्मि लोए लोभपरिग्गहो जिणवरेहि भणिओ नत्थि एरिसो 'पासो पडिवंधो अत्थि सव्वजीवाणं सव्वलोए ॥ १९॥ परलोगम्मि य नट्ठा तमं पविठ्ठा महयामोहमोहियमती तिमिसंधकारे तसथावरसुहुमवादरेसु पजत्तमपजत्तग एवं जाव परियति दीहमद्धं जीवा लोभवससंनिविट्ठा । एसो सो परिग्गहस्स फलविवाओ इहलोइओ परलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महमओ वहुरयप्पगाढो दारुणो ककसो असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चइ, न-य-अवे(त)तित्ता अस्थि हु मोक्खोत्ति, एवमाहंसु नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो कहेसी य परिग्गहस्स फलविवागं । एसो सो परिग्गहो पंचमो उ नियमा नाणामणिकणगरयणमहरिह एवं जाव इमस्स मोक्खवरमोत्तिमग्गस फलिहभूयो चरिमं अधम्मदारं समत्तं । एएहिं पंचहिं असंवरेहिं रयमादि] चिणित्तु अणुसमयं । चउविहग[ति इ(पज्ज)पेरंतं अणुपरियति संसारं ॥ १॥ सव्वगई पक्खंदे का[हें]हिंति अणंतए अकयपुण्णा । जे य ण सुणंति धम्मं सो(सुणि)ऊण य जे पायंति ॥ २॥ अणुसिटुं"पि वहुविहं मिच्छादिट्ठी (य जे) णरा अ(हमा)बुद्धीया । वद्धनिकाइयकम्मा सु(ग)ऐति धम्मं न य करेंति ॥ ३॥ किं सका काउं जे जंणेच्छह ओसहं मुहा पाउं । जिणवयणं गुणमाधु]हरं विरेयणं सव्वदुक्खाणं ॥ ४॥ पंचेव य उज्झिऊणं पंचेव य रक्खिऊण भावेण । कम्मरयविप्पमुक्का सिद्धिवरमणुत्तरं जंति ॥ ५॥ (त्तिवेमि ।) २० ॥जंवू !-एत्तो संवरदाराइं पंच वोच्छामि आणुपुव्वीए । जह भणियाणि भगवया सव्वदुहविमोक्खणट्ठाए ॥१॥ पढम होइ अहिंसा वितियं सच्चवयगंति पन्नत्तं । दत्तमणुन्नाय संवरो य वंभचेरमपरिग्गहत्तं च ॥ २ ॥ तत्थ पढम अहिंसा तसथावरसव्वभूयखेमकरी । तीसे सभावणा(ए)ओ किची वोच्छं गुणुद्देसं ॥ ३ ॥ ताणि उ इमाणि सुव्वय । महन्वयाई लोक[हियस]धिइअव्वयाइं सुयसागरदेतियाइं तवसंजममहन्वयाई सीलगुणवरव्वयाई सच्चन्नवव्वयाइं नरगतिरियमणुयदेवगतिविवज्ज“काई सव्वजिणसासणगाई कम्मरयविदारगाइं भवसयविणासणकाई दुहसयविमोयण काई सुहसयपवत्तणकाइं कापुरिसदुरुत्तराई सप्पुरिस(तीरि)निसेवियाई निव्वाणगमण“मग्ग-सग्ग()प(याण)णाय गा]काई संवरदाराइं पंच कहियाणि उ भगवया । Page #1276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे . [पण्हावागरण तत्य पढमं अहिंसा जा सा सदेवमणुयासुरस्स लोगस्सं भवति दीवो ताणं सरणं गती पइट्ठा निव्वाणं १ निव्वुई २ समाही ३ (संती) सत्ती ४ कित्ती ५ कंती ६ रती य ७ विरती य ८ सुयंगतित्ती ९-१० दया ११ विमुत्ती १२ खन्ती १३ सम्मत्ताराहणा १४ महंती १५ वोही १६ बुद्धी १७ धिती १८ समिद्धी १९ रिद्धी २० विद्धी २१ ठिती २२ पुट्ठी २३ नंदा २४ भद्दा २५ विसुद्धा २६ लद्धी २७ विसिट्टदिट्ठी २८ कल्लाणं २९ मंगलं ३० पमोओ ३१ विभूती ३२ रक्खा ३३ सिद्धावासो ३४ अणासवो ३५ केवलीण ठाणं ३६ सिवं ३७ समिई ३८ सी[ल]लं ३९ संजमोत्ति य ४० सीलपरिघरो ४१ संवरो ४२ य गुत्ती ४३ ववसाओ ४४ उस्सओ ४५ जन्नो ४६ आयतणं ४७ जतण सप्पमातो ४८-४९ अस्सासो ५० वीसासो ५१ अभओ ५२ सव्वस्सवि अमाघाओ ५३ चोक्खपवित्ता ५४-५५ सूती ५६ पूया ५७ विमल ५८ पभासा ५९ य निम्मलतर ६० त्ति एवमादीणि निययगुणनिम्मियाई पजवनामाणि होति अहिंसाए भगवतीए ॥२१॥ एसा सा भगवती अहिंसा जा सा भौयाण विव सरणं पक्खीणं पिव ग(ग)मणं तिसियाणं . पिव सलिलं खुहियाणं पिच असणं समुद्दमज्झे व पोतवहणं चउप्पयाण व आसमपयं दुहट्ठियाणं (व) च ओसहिवलं अडवीमज्झे विसत्यगमणं एत्तो विसिट्टतरिका अहिंसा जा सा पुढविजलअगणिमाख्यवणस्सइबीजहरितजलचरथलचरखहचरतसथावरसव्वभूयखेमकरी एसा भगवती अहिंसा जा सा अपरिमियनाणदंसणधरेहिं सीलगुणविणयतवसंयमनायकेहिं तित्यंकरहिं सव्वजगजीववच्छलेहिं तिलोगमहिएहिं जिणचंदेहिं मुट्ठ दिट्ठा ओहिजिणेहिं विण्णाया उजुमतीहिं विदिट्ठा विपुलमतीहिं विविदिता पुव्वधरेहिं अधीता वेउव्वीहिं पतिन्ना आभिणिवोहियनाणीहिं सुयनाणीहिं-- ओहिनाणीहिं-मणपज्जवनाणीहिं केवलनाणीहिं आमोसहिपत्तेहिं खेलोसहिपत्तेहिं जल्लो-- सहिपत्तेहिं विप्पोसहिपत्तेहिं सव्वोसहिपत्तेहिं बीजवुद्धीहिं कुछबुद्धीहिं पदाणुसारीहिं संभिन्नसोतेहिं नुयधरेहिं मणवलिएहि वयवलिएहिं कायवलिएहिं नाणवलिएहिं दंसण-- बलिएहिं चरित्तवलिएहिं खीरासवेहिं म(धु)हुआसवेहिं सप्पियासवेहिं अक्खीणमहाण-- सिएहिं चारणेहिं विजाहरेहिं चउत्यभत्तिएहिं एवं जाव छम्मासभत्तिएहि उक्खित्तचरएहिं निक्खित्तचरएहिं अंतचरएहिं पंतचरएहिं लूहचरएहिं समुदाणचरएहि अन्नइलाएहिं मोणचरएहिं संसठ्ठकप्पिएहिं तज्जायसंसठ्ठकप्पिएहिं उवनिहिएहिं. मुद्धेसणिएहि संखादत्तिएहिं दिट्ठलाभिएहिं अदिठ्ठलाभिएहिं पुट्ठलाभिएहिं आयंबिलिएहिं पुरिमविएहि एक्कासणिएहिं निवितिएहिं भिन्नपिंडवाइएहिं परिमियपिंडवाइएहि संताहारेहिं पंताहारेहिं अरसाहारेहिं विरसाहारेहि लहाहारेहिं तुच्छाहारेहिं अंतजी Page #1277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सं०] - सुत्तागमे १२२५. वि]वीहिं पंतजी-वीहिं लूहजी-वीहिं तुच्छजी-चीहिं उवसंतजी-वीहिं पसंतजी-वीहि विवित्तजी-वीहिं अखीरमहुसप्पिएहिं अमज्जमंसासिएहि ठाणाइएहिं पडिमिंठा]मट्ठाईहिं ठाणुक्कडिएहिं वीरासणिएहिं गेसज्जिएहिं डंडाइएहिं लगंडसाईहिं एगपासगेहिं आयाव-- एहि अप्पावएहिं अणिह[व]भएहिं अाइडयएहिं धुतकेसमंसुलोमनखेहिं सव्वगायपडिकम्मविप्पमुक्केहि समणुचिना सुयधरविदितत्थकायबुद्धीहिं धीरमतिबुद्धिणो य जे ते आसीविसउग्गतेयकप्पा निच्छयववसाय(विणीय)पजत्तकयमतीया णिचं सज्झायज्झाणअणुबद्धधम्मज्झाणा पंचमहव्वयचरित्तजुत्ता समिता समितिसु समितपावा छव्विहजगवच्छला निश्चमप्पमत्ता एएहिं अन्नेहि य जा सा अणुपालिया भगवती इमं च पुढविदगअगणिमारुयतरुगणतसथावरसव्वभूयसं(य)जमदयठ्याते सुद्धं उञ्छं गवेसियव्वं अकतमकारिमणाहूयमणुद्दिढं अकीयकडं नवहि य कोडिहिं सुपरिसुद्धं दसहि य दोसेहिं विप्पमुक्नं उग्गमउप्पायणेसणासुद्धं ववगयचुयचावियचत्तदेहं चः फासुयं च न नि(सि)सज्जकहापओयणक्खासुओ[व]णीयंति न तिगिच्छामंतमूलभेसज्जकजहेडं न लक्खणुप्पायसुमिणजोइसनिमित्तकहकप्पउत्तं नवि डंभणाए नवि रक्सणाते नवि सासणाते नवि दंभणरर्खणसासणाते भिक्खं गवेसियध्वं नवि वंदणाते नवि माणणाते नवि पूयणाते नवि वंदणमाणणपूयणाते भिक्खं गवेसियव्वं नवि हीलणाते नवि निंदणाते नवि गरहणाते नवि हीलणनिंदणगरहणाते भिक्खं गवेसियव्वं नवि भेसणाते नवि तज्जणाते नवि तालणाते नवि भेसणतज्जणतालणाते भिक्खं गवेसियव्वं नवि गारवेणं नवि कुहणयाते नवि वणीमयाते नवि गारवकुहवणीमयाए भिक्खं गवेसियव्वं नवि मित्तयाए नवि पत्यणाए नवि सेव. णाए नवि मित्तपत्थणसेवणाते भिक्खं गवेसियव्वं अन्नाए अगढिए अदुढे अदीणे अविमणे अकलुणे अविसाती अपरितंतजोगी जयणघडणकरणचरियविणयगुणजोगसंपउत्ते भिक्खू भिक्खेसणाते निरते, इमं च णं सव्वजीवरक्खणदयद्याते पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहियं पेच्चाभावियं आगमेसिभई सुद्धं नेयाउयं अकुडिलं अणु- - त्तरं सव्वदुक्खपावाण विउसमणं ॥ २२ ॥ तस्स इमा पंच भावणातो पढमस्स वयस्स होति पाणातिवायवेरमणपरिरक्खणट्ठयाए-पढम ठाणगमणगुणजोगजुंजणजुगंतरनिवातियाए दिट्ठीए ईरियव्वं कीडपयंगतसथावरदयावरेण निचं पुप्फफलतयप[बा]वालकंदमूलंदगमट्टियवीजहरियपरिवज्जिएण सं[स]मं, एवं खलु सव्वपाणा न हीलियम्वा न निंदियव्वा न गरहियव्वा न हिंसियव्वा न छिदियव्वा न भिदियव्या न वहेयव्वा न भयं दुक्खं च किचि लव्भा पावेउं एवं ईरियासमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा असवलमसंकिलिनिव्वणचरित्तभावणाए अहिंसए संजए Page #1278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १२२६ [पण्हावागरण सुसाहू, वितीयं च मणेण पावएणं पाव[ग]कं अहम्मियं दारुणं निस्संसं वहबंधपरि"किलेसबहुलं जरा(भयोमरणपरिकिलेससंकिलिटुं न कयावि मणेण पावतेणं पावर्ग किंचि-विनायव्वं एवं मणसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा असवलमसंकिलि?'निव्वणचरित्तभावणाए अहिंसए संजए सुसाहू, ततियं च वतीते पावियाते पाव-कअ० कं.....वईए पाविया(ओ)ए पावर्ग-न किंचिवि भासियच्वं एवं वतिसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा असवलमसंकिलिट्ठनिव्वणचरित्तभावणाए अहिंसओ संजओ सुसाहू, चउत्यं आहारएंसणाए सुद्धं उंछ गवेसियव्वं अन्नाए अ[गढिते] कहिए अदासिटे अदीणे अकलुणे अविसादी अपरितंतजोगी जयणघडणकरणचरियविणयगुणजोगसंपओगजुत्ते भिक्खू भिक्खेसणाते जुत्ते समुदाणेऊण भिक्खचरियं उंछं घेत्तूण आगतो गुरुजणस्त पासं गमणागमणातिचारे पडिकमणपडिकंते आलोयणदायणं च दाऊण गुरुजणस्स गुरुसंदिट्ठस्स वा जहोवएसं निरइयारं च अप्पमत्तो, पुणरवि अणेसणाते पयतो पडिकमित्ता पसंते आसीणंसुहनिसन्ने मुहुत्तमेत्तं च प्राणसुहजोगनाणसज्झायगोवियमणे धम्ममणे अविमणे सुहमणे अविग्गहमणे समाहिंयमणे सद्धासंवेगनिज्जरमणे पवतणवच्छ(ल)लभावियंमणे उठेऊण य पहहतुढे जहारायणियं निमंतइत्ता य साहवे भावओ य विइण्णे य गुरुजणेणं उपविढे संपमजिऊण ससीसं कायं तहा करतलं समुच्छिते अगिद्धे अगढिए अगरहिते अणज्झोववण्णे अणाइले अलुद्धे अणत्तट्टिते असुरसुरं अचवचवं अदुतमविलंवियं अपरिसाडि आलोयभायणे जयं पयत्तेण ववगयसंजोगमगिंगालं च विगयधूमं अक्खोवंज-णव-णाणुलेवणभूयं संजमजायामायानिमित्तं संजमभारवहणठ्याए मुंजेज्जा पाणवारणट्टयाए संजएण समियं एवं आहारसमितिजोगेणं भाविओ भवति अंतरप्पा असवलमसंक्रिलिट्ठनिव्वणचरित्तभावणाए अहिंसए संजए तुसाहू, पंचमं आदा[न]णनिक्खेवण]णाससिई पीढ फलगसिज्जासंथारगवत्यपत्तकंबलरयहरणचोलपट्टगमुहपोत्तिगपायपुंछणादी एयंपि संजमस्स उवहणट्टयाए वातातवदंसमसगसीयपरिरक्खणठ्याए उवगरणं रागदोसरहितं परिहरितव्वं संजमेणं निचं पडिलेहणपप्फोडणपमजणाए अहो य राओ य अप्पमत्तेण होइ सययं निक्खियव्वं च गिण्हियव्वं च भायणभंडोवहिंउवगरणं एवं आयाणभंडनिक्खेवणासमितिजोगेण भाविओ भवति अंतरप्पा असवलमसंकिलिट्ठनिव्वणचरित्तभावणाए अहिंसए संजते सुसाहू, एवमिग संवरस्स दारं सम्म संवरियं होति सुप्पणिहियं इमेहिं पंचहिवि कारणेहिं मणवयणकायपरिरक्खिएहिं णिचं आमरणंतं च एस जोगो णेयव्यो धितिमया मतिमया अणासवो अकलुसो अच्छिद्दो-अपरिस्सावीअसंकिलिहो सुद्धो सव्वजिणमणुन्नातो, एवं पटमं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं Page #1279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सं० २] सुत्तागमे १२२७ तीरिय किटियं आराहियं आणाते अणुपालियं भवति, ए(य)वं नायमुणिणा भगवया पन्नवियं परूवियं पसिद्ध सिद्धं सिद्धवरसासणमिणं आघवितं सुदेसितं पसत्य 'पढम संवरदार समत्तं तिबेमि [इति पढमं संवरदारं] ॥ २३ ॥ जंबू ! वितियं च सच्चवयणं सुद्धं सुचियं सिवं सुजायं सुभासियं सुव्वयं सुकहियं सुदिलु सुपतिट्ठियं सुपइट्ठियजसं सुसंजमियवयणवुइयं सुरवरनरवसभपवरवलवगसुविहियजणवहुमयं परमसाहुधम्मचरणं तवनियमपरिग्गहियं सुगतिपहदेस[ग] के च लोगुत्तमं वयमिणं विजाहरगगणगमणविजाणसाहकं सग्गमग्गसिद्धिपहदेसकं अवितहं तं सच्चं उज्जयं अकुडिलं भूयत्थं अत्थतो विसुद्धं उज्जोयकरं पभासकं भवति सव्वभावाण जीवलोगे अविसंवादि जहत्थमधुरं पञ्चक्खं दयिवयंव जं तं - अच्छेरकारकं अवत्यंतरेसु चहुएतु माणुसाणं सच्चेण महासमुहमज्झेवि चिट्ठति न निमज्जति मूढाणिया-वि पोया सच्चेण य उदगसंभमंमिवि न बुज्झइ न य मरंति थाहं ते लभंति सच्चेण य अगणिसंभमंमिवि न डझति उज्जुगा मणूसा सच्चेण य तत्ततेल्लतउलोहसीसकाई छिवंति धरेंति न य उज्झंति मणूसा पव्वयकडकाहिं मुच्चंते न य मरति सच्चेण य परिग्ग(ही)हिया असिपंजरगया समराओ-वि णिइंति अणहा य सन्चवादी वहवंधभियोगवेरघोरेहिं पमुच्चति य अमित्तमज्झाहिं निइंति अणहा य सच्चवादी सादेव्वाणि य देवयाओ करेंति सञ्चवयणे रताणं । तं सचं भगवं तित्थकरसुभासियं दसविहं चोद्दसपुव्वीहिं पाहुडत्थविदितं महरि(सि)सीण य समय(पइ)प्पदि(नचि)नं देविंदनरिदभासियत्यं वेमाणियसाहियं महत्थं मंतोसहिविज्जासाहणत्यं चारणगणसमणसिद्धविज्ज मणुयगणाणं वंदणिज अमरगणाणं अच्चणिजं असुरगणाणं च पूयणिज्ज अणेगपासंडिपरिग्गहितं जं तं लोकमि सारभूयं गंभीरतरं महासमुद्दाओ थिरतरगं मेरुपव्वयाओ सोमतरगं चंदमंडलाओ दित्ततरं सूरमंडलाओ विमलतरं सरयनहयलाओ सुरभितरं गंधमादणाओ जेविय लोगम्मि अपरिसेसा मंतजोगा जवा य विज्जा य जंभका य अत्थाणि य सत्थाणि य सिक्खाओ य आगमा य स(चा)व्वाणिवि ताई सच्चे पइढ़ियाई, सञ्चंपि-य संजमस्स उवरोहकारकं किंचि न वत्तव्वं हिंसासावजसंपउत्तं भेयविकहंकारकं अणत्यवायकलहकारकं अणजं अववायविवायसंपउत्तं वेलवं ओजधेजबहुलं निल्लज लोयगरहणिजं दुढिं दुस्सुयं अमुणियं अप्पणो थवणा परेसु निंदा न तंसि मेहावी ण तंसि धन्नो न तसि पियधम्मो न तं कुलीगो न तंति दाण[व]पती न तसि सूरो न तसि पडिरूबो न तसि लट्ठो न पंडिओ न वहुस्तुओ नवि य तं तवस्सी ण यावि परलोगणिच्छियमतीऽसि सव्वकालं जातिकुलस्ववाहिरोगेण बावि जं होइ बजणिज्जं दु(हओ)हिलं उवयारमतिकतं एवंविहं सच्चपि न वत्तव्वं, Page #1280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૧૨૨૮ मुत्तागमे [पण्हावागर अह केरिसकं पुणाइ सचं तु भासियव्वं ?, जं तं दव्धेहि पबवेहि य गुणेहि कम्मेहि बहुविहेहिं सिप्पेहिं आगमेहि य नामक्खायनिवाउवसरगतद्धियसमाससंधिपदहे उजी. गियउणादिकिरियाविहाणधातुसरविभत्तिवनजुत्तं तिक दसविहंपि सच जह भनियं तह य कम्मुणा होइ दुवालसविहा होइ भासा वयणंपि-य होइ सोलसविहं, एवं भरहंतमणुन्नायं समिक्खियं संजएण कालंमि य वत्तव्यं ॥ २४ ॥ इमं च अलियपिनुणफरुसकडुयचवलवयणपरिरक्खणट्टयाए पाचयणं भगवया तुकहियं अत्तहिचं पेजाभाविकं आगमेसिभई सुद्धं नेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सव्वदुक्खपावाणं विओसमणं, तस्स इमा पंच भावणाओ वितियस्स वयस्स अलियवयणस्स वेरमगपरिरक्तगट्टयाए, पढमं सोऊणं संवरटं परमहं सुट्ट जाणिऊण न वेगियं न तुरियं न चवलं न कडुयं न फरुसं न साहसं न य परस्स पीलाकरं सायनं सयं च हियं च मियं व गाहगं च सुद्धं संगयमकाहलं च समिक्खितं संजतेण कालंमि य वत्तव्वं एवं अणुवीतिसमितिजोगेण भाविओ भवति अंतरप्पा संजयकरचरणनयणवयणो सूरो सचनवसंपुन्नो, वितियं कोहो ण सेवियव्वो, कुद्धो चंडिवि[यो]ओ मणूसो अलियं भणेज पिसुणं भणेज फरसं भणेज अलियं पिसुणं फल्सं भणेज कलहं करेजा वेरं करेजा विकह करेजा कलहं वेरं विकह करेजा सच्चं हणेज सील हणेज विणयं हणेज सचं स्रीलं विणयं हणेज्ज वेसो हवेज वत्युं भवेज गम्मो भवेज वेसो वत्युं गम्मो भवेज एवं अन्नं च एवमादियं भणेज कोहग्गिसंपलित्तो तम्हा कोहो न सेवियन्यो, एवं खंतीइ भाविओ भवति अंतरप्पा संजयकरचरणनयणवयणो सूरो सचजवसंपन्नो, ततियं लोभो न सेवियन्वो लुद्धो लोलो भणेज अलियं खेत्तस्स व वत्युस्स व कतेण १ लुद्धो लोलो भणेज अलियं कित्तीए लोभस्स व कएण २ लुद्धो लोलो भणेज अलियं रिद्धी(ए)य व सोक्खस्स व कएण ३ लुद्धो लोलो भणेज अलियं भनस्स व पाणस्स व कएण ४ लुद्धो लोलो भणेज अलियं पीढस्स व फलगरस व कएण ५ लुद्धो लोलो भणेज अलियं सेजाए व संथारकस्स व कएण ६ लुद्धो लोलो भणेज अलियं वत्थस्स व पत्तस्स व कएण ७ लुद्धो लोलो भणेज अलियं कंबलस्स व पायपुंछणस्स व कएण ८ लुद्धो लोलो भणेज अलियं सीसस्स व सिस्सिणीए व कएण ९ लुद्धो लोलो भणेज अलियं अन्नेसु य एवमादिसु वहुतु कारणसतेसु, लुद्धो लोलो भणेज अलियं तम्हा लोभो न सेवियव्वो, एवं मुत्तीय भाविओ भवति अंतरप्पा संजयकरचरणनयणवयणो सूरो सञ्चजवसंपन्नो, चउत्थं न भाइयव्वं भीतं खु भया अइंति लहुयं भीतो अवितिजओ मणूसो भीतो भूतेहिं विप्पइ भीतो अन्न-पि हु भेसेज्जा भीतो तवसंजमं-पि हु मुएन्जा भीतो य भरं न नित्थरेजा Page #1281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सं०३] सुत्तागमे ૧૨૨૬ सप्पुरिसनिसेवियं च मग्गं भीतो न समत्यो अणुचरिउं तम्हा न भातियव्वं भयस्स चा वाहिस्स वा रोगस्स वा जराए वा मच्चुस्स वा अन्नस्स वा ए(वमादिय)गस्स-वाएवं घेजेण भाविओ भवति अंतरप्पा संजयकरचरणनयणवयणो सूरो सञ्चजवसंपन्नो, पंचमकं हासं न सेवियव्वं अलियाई असंतकाई जंपति हासइत्ता परपरिभवकारणं च हासं परपरिवायप्पियं च हासं परपीलाकारगं च हासं भेदविमुत्तिकारकं च हासं अन्नोन्नजणियं च होज हास अन्नोन्नगमणं च होज मम्मं अन्नोनगमणं च होज कम्मं कंदप्पाभियोगगमणं च होज हास आसुरियं किव्विसत्तणं च जणेज हासं तम्हा हासं न सेवियव्वं एवं मोणेण भाविओ भवइ अंतरप्पा संजयकरचरणनयणवयणो सूरो सच्चजवसंपन्नो, एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संवरियं होइ सुप्पणिहियं इमेहिं पंचहिवि कारणेहिं मणवयणकायपरिरक्खिएहिं निचं आमरणतं च एस जोगो णेयन्वो धितिमया मतिमया अणासवो अकलुसो अच्छिद्दो अपरिस्सावी असंकिलिट्ठो सुद्धो-सव्वजिणमणुनाओ, एवं वितियं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं तीरियं किट्टियं अणुपालियं आणाए आराहियं भवति, एव नायमुणिणा भगवया पन्नवियं परूवियं पसिद्ध सिद्धवरसासणमिणं आघवितं सुदेसि(य)तं पसत्थं वितियं संवरदारं समत्तं तिबेमि [इति वितियं दारं] ॥२५॥ जंबू! दत्तमणुण्णायसंवरो नाम होति ततियं सुव्वता ! महव्वतं गुणव्वतं परदव्वहरणपडिविरइकरणजुत्तं अपरिमियमणंततण्हाणुगयमहिच्छमणवयणकलुसआयाणसुनिग्गहियं सुसंजमियमणो]णहत्थपायनिभियं निग्गंथं णेट्टिकं निरुतं निरासवं निभयं विमुत्तं उत्तमनरवसभपवरवलवगसुविहितजणसंमतं परमसाहुधम्मचरण जत्थ य गामागरनगरनिगमखेडकब्बडमडंबदोणमुहसंवाहपट्टणासमगयं च किंचिदव्वं मणिमुत्तसिलप्पवालकंसदूसरययवरकणगरयणमादि पडियं पम्हढं विप्पणटुं न कप्पति कस्सति कहेउं वा गेव्हिडं वा अहिरनसुवन्निकेण समलेटुकंचणेणं अपरिग्गहसंवुडेणं लोगंमि विहरियव्व, जंपिय होजाहि दव्वजातं खल(थल)ग(य)तं खेत्त-गतरन्न-मंतरग(योतं वा किंचि तणकट्ठसक्करादि अप्पं च बहुं च अणुं च थूलग वान कप्प(ती)ति उग्गहमि अदिण्णमि गिहिउँ जे, हणि हणि उग्गह अणुन्नविय गेण्हियव्वं वजेयन्वो [य] सव्वकालं अचियत्तघरप्पवेसो अचियत्तभत्तपाणं अचियत्तपीढफलगसेज्जासंथारगवत्थपत्तकंबलरयहरणनिसेजचोलपट्टगमुहपोत्तियपायपुंछणाइ भायणभंडोवहिउवकरणं परपरिवाओ परस्स दोसो 'परवंवएसेणं जं च गेण्हई परस्स नासेइ जं च सुकयं दाणस्स य अंतरातियं दाणविप्पणासो पेसुन्नं चेव मच्छरित्तं च, जेविय पीढफलगसेज्जासंथारगवत्य(पत्त)पायकंबल[रयहरणनिसेजचोलपट्टग मुहपोत्तियपायपुंछणादिभायणभंडोवहिउदकरणं Page #1282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२३० सुत्तागमे [पाहावागरंग असंविभागी असंगहरुती तवतेणे य वइतेणे य रूवतेणे य आयारे चेव भावतेणे य सद्दकरे अझकरे कलहकरे वेरकरे विकहकरे असमाहिकरे सया अप्पमाणभोती सततं अणुवद्धवेरे य निचरोसी से तारिसए नाराहए वयमिणं, अह केरिसए पुणाई आराहए वयमिण ?, जे से उवहिभत्तपाणसंगहणदाणकुसले अचंतवालदुब्बलगिलाणबुडखमके पवत्तिआयरियउवज्झाए सेहे साहम्मिके तवस्सीकुलगणसंघट्टे य निज्जरही वेयावचं अणिस्सियं दसविहं वहुविहं करेति, न य अचियत्तस्स गिहं पविसइ न य अचियत्तस्स गेण्हइ भत्तपाणं न य अचियत्तस्स सेवइ पीढफलगतेज्जासंधारगवत्थपायकंवलरयहरणनिसेजचोलपट्ट्यमुहपोत्तियपायपुंछणाइभायणभंडोवहिउवगरणं न य परिवायं परस्स जंपति न यावि दोसे पररस गेहति परववएसेणवि न किंचि गेहति न य विपरिणामेति कं(क)चि जगं न यावि णासेति दिन्नसुक्यं दाऊण य [काऊण य] न होइ पच्छाताविए सं-वि-भागसीले संगहोवग्गहसले से तारिसते आराहते वयमिणं, इमंच परदव्वहरणवेरमगपरिरक्षणठ्ठयाए पावयगं भगवया सुकहितं अत्तहितं पेचाभावितं आगमेसिभइंसुद्धं नेयाज्यं अकुडिलं अगुत्तरं सवढुक्तपावाण विओ[व]समणं, तस्स इमा पंच भावणातो ततियस्स (वयस्स) होति परदबहरणवेरमणपरिरक्खणट्टयाए, पढमं देवकुलसभप्पवावसहरुक्खमूलआरामकंदागरगिरिगुहाक्रम्मउज्जाणजाणसालाकुवितसालामंडवसुन्नघरनुसाणलेगआवणे अन्नंमि य एवमादियंसि दगमटियवीजहरिततसपाणअसंसत्ते अहाकडे फामुए विवित्ते पसत्ये उवस्सए होइ विहरियव्वं, आहाकम्मबहुले य जे से आसितसंमजिउस्सित्तसोहियछायणदूमणलिंपणअणुलिंपणजलणभंडचालणे]ण अंतो वहिं च असंजमो जल्य वहाती संजयाण अट्ठा वज्जेयबोहुउवस्सओ से तारिसए सुत्तपडिकुटे, एवं विवित्तचासवसहिसमिइजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा निचं अहिकरणकरणकारावणपावक्रम्मविरतो दत्तमणुनायओग्गहरुती । वितीयं आरामुजाणकाणणवणेप्पदेसभागे जं किचि इकडं व कठिणगं च जंतुगं च परामेरकुन्चकुसडव्भपलालमूयगवछयतणकट्ठसकरादी गेण्हइ सेज्जोबहिस्स अट्ठा न कप्पए उग्गहे अदिन्नंमि गेहि(गिण्हे) जे हणि हणि उग्गहं अणुन्नविय गेव्हियन्वं एवं उग्गहसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा निचं अहिकरणकरणकारावणपावक्रम्मविरते दत्तमणुन्नायओग्गहरुती । ततीयं जस्सेव उवस्सते वसेज सेजं तत्येव गवेसेजा न निवायपवायउस्नुगत्तं न उंसमसगेसु -खुभियव् एवं, संजमवहुले संवरवहुले संबुडवहुले समाहिबहुले धीरे -काएण फासयंतो सययं अज्झप्पज्झाणजुत्ते समिएं एगे चरेज धम्मं, एवं सेजासमितिजोगेण भावितो भवति-अंतरप्पा निच्चं अहिकरणकरणकारावणपावकम्मविरते Page #1283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२३३ ... सुत्तागमे, दत्तमणुनायउग्गहरुती । चउत्थं साहारणपिंडपातलाभे भोत्तव्वं संजएण समियं न सायसूयाहिकं न खद्धं ण वेगितं न तुरियं न चवलं न साहसं न य पर[स्स]पीलाकरसावजं तह भोत्तन्वं जह से ततियवयं न सीदति साहारणपिंडपा[त]यलांभे सुहुमं अदिन्नादाण-विरमण-वयनियम(वरम)णं, एवं साहारणपिंडवायलाभे समितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा निचं अहिकरणकरणकारावणपावकम्मविरते दत्तमणुन्नायउग्गहरुती । पंचमगं साहम्मिए विणओ पउंजियव्वो उवाग]करणपारणासु विणओपउंजियव्वो वायणपरियट्टणासु विणओ पउंजियव्वो दाणगहणपुच्छणासु विणओं परंजियचो निक्खमणपवेसणासु विणओ पउंजियव्वो अन्नेसु य एवमादिसु बहुसु कारणसएमु विणओ पउंजियव्वो, विणओवि तवो तवोवि धम्मो तम्हा विणओं पउंजियन्वो गुरुसु साहू तवस्तीसु य, एवं विणतेण भाविओ भव-इ अंतरप्पा णिचं अधिकरणकरणकारावणपावकम्मविरते दत्तमणुनायउग्गहरुई । एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संवरियं होइ सुपणिहियं एवं जाव आघवियं सुदेसितं पसत्यं ततियं संवरदारं समत्तंतिबेमि ॥ २६ ॥ जंवू ! एत्तो य बंभचेरं उत्तमतवनियः मणाणदंसणचरित्तसम्मत्तविणयमूलं य[ज]मनियमगुणप्पहाणजुत्तं हिमवंतमहंततेयमंतं पसत्यगंभीरथिमितमज्झं अजवसाहुजणाचरितं मोक्खमग्गं विसुद्धसिद्धिगतिनिलयं सासयमव्वाबाहमपुणन्भवं पसत्थं सोमं सुभं सिवमचलमक्खयकर जतिवरसारक्खितंसुचरियं मुभासि साहियं नवरि मुणिवरेहिं महापुरिसधीरसूरधम्मियधितिमंताण य सया विसुद्धं भव्वं भव्वजणाणुचिन्नं निस्संकियं निब्भयं नित्तुसं निरायासं निरुवलेवं निव्वुतिघरं नियमनिप्पकंप तवसंजममूलदलियम्मं पंचमहव्वयसुरक्खियं समितिगुत्तिगुत्तं झाणवरकवाडसुकयमज्झप्पदिन्नफलिहं संनद्धोच्छइयदुग्गइपहं सुगतिपहदेसगं च लोगुत्तमं च वयमिणं पउमसरतलागपालिभूयं महासगडअरगतुंबभूयं महाविडिमरुक्खरखंधभूयं महानगरपागारकवाडफलिहभूयं रज्जुपिणिद्धो व इंदकेतू विसुद्धणेगगुणसंपिणद्धं ज़मि य भग्गंमि होइ सहसा सव्वं संभग्गम(हि)थियचुन्नियन कुसल्लियपलटपडियखंडियपरिसडियविणासियं विणयसीलतवनियमगुणसमूहं तं वर्भ भगवंतं गहगणनक्खत्ततारगाणं (व) वा जहा उड्डुपती मणिमुत्तसिलप्पवालरत्तरयणागराणं (च) व जहा समुद्दो वेरुलिओ चेव जहा मणीणं जहा मउडो चेव भूसणाणं वत्थाणं चेव खोमजुयलं अरविंदं चेव -पुप्फजेडं गोसीसं चेव चंदणाणं हिमवंतो चव ओसहीणं सीतोदा चेव निन्नगाणं उदहीसु जहा सयंभुरमणो रुयगवरे चेक मडलिकपव्वयाण पवरे एरावण इव कुंजराणं सीहोव्व जहा मिगाणं पवरे प[]वकाणं चेव चेणुदेवे धरणो जह पण्णगइंदराया कप्पाणं चेव वंभलोए सभासु या, Page #1284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १२३२ [पाहावागरण जहा भवे सुहम्मा ठितिसु लवसत्तमव्व पवरा दाणाणं चेव अभयदाणं क्रिमिरा[उ]ओ चेव कंवलाणं संघयणे चेव वनरिसमे संठाणे चेव समचउरंसे आणेमु य परमसुक्कज्झाणं णाणेसु य परमकेवलं तु सिद्धं लेसासु य परमसुक्कलेस्सा तित्यंकरे जहा चेव मुणीणं वासेसु जहा महाविदेहे गिरिराया चेव मंदरवरे वणेसु जहा]ह नंदणवणं 'पवरं दुमेसु जहा जंवू सुदंसणा वीसुयजसा जीय नामेण य अयं दीवो, तुरगवती गयवती रहवती नरवती जह वीसुए चेव राया रहिए चेव जहा महारहगते, एवमणेगा गुणा अहीणा भवंति एकमि वंभचेरे जमि य आराहियंमि आराहियं ‘चयमिणं सव्वं, सील तवो य विणओ य संजमो य खंती गुत्ती मुत्ती तहेव इहलोइयपारलोइयजसे य कित्ती य पच्चओ य, तम्हा निहुएण बंभचेरै चरियव्वं सव्वओ विसुद्धं जावज्जीवाए जाव सेयद्विसंजउत्ति, एवं भणियं वयं भगवया, तं च इम-पंचमहव्वयसुव्वयमूलं, समणमणाइलसाहुसुचिन्नं । वेरविरामणपज्जवसाणं, सव्वसमुद्दमहोदधितित्यं ॥१॥ तित्थकरेहिं सुदेसियमग्गं, नरयतिरिच्छविवज्जिय-मग्गं । सव्वपवित्तिसुनिम्मियसारं, सिद्धिविमाणअवंगुयदारं ॥ २॥ देवनरिंदनमंसियपूयं, सव्वजगुत्तममंगलमग्गं । दुद्धरिसं गुणना[ग]कमेकं, मोक्खपहस्स स्वडिस[क]गभूयं ॥ ३ ॥ जेण सुद्धचरिएण भवइ सुवंभणो सुसमणो सुसाहसइसी समुणी ससंजए स एव भिक्खू जो सुद्धं चरति वंभचेरं, इमं च रतिरागदोसमोहपवट्टणकरं किंमज्झपमायदोसपासत्थसीलकरणं अभंगणाणि य तेल्लमजणाणि य अभिक्खणं का खाखसीसकरचरणवदणधोवणसंवाहणगायकम्मपरिमद्दणाणुलेवणचुम्नवासधूव‘णसरीरपरिमंडणवाउसि(य)कहसियभणियनदृगीयवाइयनडनट्टकजल्लमपेच्छणवेलबक(जा)जाणि य सिंगारागाराणि य अन्नाणि य एवमादियाणि तवसंजमवंभचेरघातोवघातियाई अणुचरमाणेगं वंभचेरं वजेयव्वाई सव्वकालं, भावेयव्वो भवइ य अंतरप्पा इमेहिं तवनियमसीलजोगेहिं निच्चकालं, किं ते ?-अण्हाणकअदंतधावणसेयमलजल्लधारणं मूणवयकेसलोए य खमदमअचेलगखुप्पिवासलाघवसीतोसिणकट्ठसेजाभूमिनिसेज्जापरघरपवेसलद्धावलद्धमाणावमाणनिंदणदंसमसगफासनिय-मतवगुणविणयमादिएहिं जहा से थिरतर[ग] होइ वंभचेरं इमं च अवंभरविरमण'परिरक्खणठ्ठयाए पावयगं भगवया सुकहियं-अत्तहितं-पेच्चाभाविकं आगमेसिभई सुद्धं नेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सव्वदुक्खपावाण विउसवणं, तस्स इमा पंच भावणाओ ‘चउत्थ(व)यस्स होंति अवंभचेरवेरमणपरिरक्खणट्ठयाए, पढम सयणासणघरदुवारअंगणआगासगवक्खसालअभिलोयणपच्छवत्थुकपसाहणकण्हाणिकावकासा अवकासा जे य वेसियाणं अच्छंति य जत्य इत्यिकाओ अभिक्खणं मोहदोसरतिरांगचट्टणीओ कहिंति य कहाओ वहुविहांओ तेऽवि हु वजणिज्जा इत्यिसंसत्तसंकिलिट्ठा Page #1285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सं०४] सुत्तागमे १२३३ अन्नेवि य एवमादी अवकासा ते हु वजणिज्जा जत्थ मणोविन्भमो वा भंगो वा भंस(गो)णा वा अट्ट रुदं च हुज्ज झाणं तं तं वज्जेज वजभीरू अणायतणं अंतपंतवासी, एवमसंसत्तवासवसहीसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा आरतमणविरयगामधम्मे जितें]तिदिए बंभचेरगुत्ते । वितियं नारीजणस्स मज्झे न कहेयव्वा कहा विचित्ता वि(व्वो)ब्बोयविलाससंपउत्ता हाससिंगारलोइयकहव्व मोहजणणी न आवाहविवाहवरकहाविव इत्थीणं वा सुभगदुभगकहा चउसद्धिं च महिलागुणा न चनदेसजातिकुलरूवनामनेवत्थपरिजणकहा इत्थियाणं अन्नावि य एवमादियाओ कहाओ सिगारकलुणाओ तवसंजमवंभचेरघातोवघातियाओ अणुचरमाणेणं वंभचेरं न कहेयव्वा न सुणेयव्वा न चिंतेयव्वा, एवं इत्थीकहविरतिसमितिजोगेणं भावितो भवति अंतरप्पा आरतमणविरयगामधम्मे जितिंदिए बंभचेरगुत्ते । ततीयं नारीण हसितभणि(त)तं चेट्टियविप्पेक्खितगइविलासकीलियं विब्बोतियनZगीतवातियसरीरसंठाणवन्नकरचरणनयणलाव-ण्णरूवजोव्वणपयोहराधरवत्थालंकारभूसणाणि य गुज्झोवकासियाइं अन्नाणि य एवमादियाइं तवसंजमवंभचेरघातोवघातियाइं अणुचरमाणेणं वंभचेरं न चक्खुसा न मणसा न वयसा पत्थेयव्वाइं पावकम्माइं, एवं इत्थीरूवविरतिसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा आरतमणविरयगामधम्मे जितेंदिए वंभचेरगुत्ते । चउत्थं पुव्वरयपुव्वकीलियपुव्वसंगंथगंथसंथुया जे ते आवाहविवाहचोल्लकेसु य तिथिसु जन्नेसु उस्सवेसु य सिंगारागारचारुवेसाहि हावभावपललियविक्खेवविलाससालिणीहिं अणुकूलपेम्मिकाहिं सद्धिं अणुभूया सयणसंपओगा उदुमूहवरकुसुमसुरभिचंदणसुगंधिवरवासधूवसुहफरिसवत्थभूसणगुणोववेया रमणिज्जाउजगेयपउरनडनट्ट(ग)कजल्लमलमुट्ठिकवलंबगकहगपवगलासगआइक्खगलंखमंसतूणइलतुंववीणियतालायरपकरणाणि य बहूणि महुरसरगीतसुस्सराइं अन्नाणि य एवमादियाणि तवसंजमवंभचेरघातोवघातियाइं अणुचरमाणेणं बंभचेरं न तातिं समणेण लब्भा दटुं न कहेउं नवि सुमरि जे, एवं पुन्वरयपुव्वकीलियविरतिसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा आरयमणविरतगामधम्मे जिइंदिए वंभचेरगुत्ते । पंचमगं आहारपणीयनिद्धभोयणविवज्जते संजते सुसाहू ववगयखीरदहिसप्पिनवनीयतेल्ल्गुलखंडमच्छंडिकमहमज्जमंसखज्जकविगतिपरिचत्तकयाहारे ण दप्पणं न वहुसो न नितिकं न सायसूपाहिकं न खलु तहा भोत्तव्वं जह से जायामाता-य भवति, न य भवति विन्भमो न भंसणा य धम्मस्स, एवं पणीयाहारविरतिसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा आरयमणविरतगामधम्मे जिइंदिए वंभचेरगुत्ते । एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संवरियं होइ सुपणिहितं इमेहिं पञ्चहिवि कारणेहिं मणवयणकायपरि ७८ सुत्ता० Page #1286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२३४ सुत्तागमे [ पण्हावागरण रक्खिएहिं णिचं आमरणंतं च एसो जोगो णेयव्वो धितिम (या) ता मतिमातअणासवो अकलुसो अच्छिद्दो अपरिस्सावी असंकिलिडो सुद्धो सव्वजिणमणुन्नातो, एवं चरत्थं संवरदारं फासियं पालितं सोहितं तीरितं किट्टितं आणाए अणुपालियं भवति, एवं नायमुणिणा भगवया पन्नविय परुवियं पसिद्धं सिद्धवरसासणमिणं आघवियं सुदेसितं पसत्यं चउत्यं संवरदारं समत्तंतिवेमि ॥ २७ ॥ जंबू ! अपरिग्गहसंबुडे व समणे आरंभपरिग्गहातो विरते विरते कोहमाणमायालोभा एगे असंजमे दो चेव रागदोसा तिन्नि य दंडगारवा य गुत्तीओ तिन्नि तिन्नि य विराहणाओ चत्तारि कसाया आणसन्नाविकहा तहा य हुंति चउरो पंच य किरियाओ समिति - इंदियमहव्वयाईं च छज्जीवनिकाया छच्च लेसाओ सत्त भया अट्ठ य मया नव चेव य वंभचेरवयगुत्ती दसप्पकारे य समणधम्मे एक्कारस य उवासकाणं वारस य भिक ( खूणं)खुपडिमा किरियठाणा य भूयगामा परमाधम्मिया गाहासोलसया असंजम अवंभणायअसमाहिठाणा सवला परिसहा सूयगडज्ञ्जयणदेवभावणउद्देसगुणपकप्पपावसुतमोहणिजे सिद्धातिगुणा य जोगसंगहे तित्तीसा आसातणा सुरिंदा आदि एकातियं करेत्ता एकुत्तरियाए [ड्डि]ड्ढीए तीसातो जाव उ भवे तिकाहिका विरतीपणिहीनु अविरतीमु य (अ० ) एवमादिमु वहुसु ठाणेसु जिणपसत्येसु अवितहेसु मासयभावेनु अवट्ठिएनु संकं कखं निराकरेत्ता सद्दहते सासगं भगवतो अणियाणे अगारवे अलुद्धे अमूढमणवयणकायगुत्ते ॥ २८ ॥ जो सो वीरवरवयणविरतिपवित्थरबहुविहप्पकारो सम्मत्तविद्धमूलो घितिकंदो विणयवेतितो निग्गततिलोकविपुलजसनि[विड] चियपीण[प] पीवरनुजातखधो पंचमहव्त्रयविसालसालो भावणतयंतज्ज्ञाणनुभजोगनाणपञ्चवरंकुरथरो बहुगुणकुसुमसमिद्धो सीलनुगंधो अणण्हवफलो पुणो य मोक्सवरचीजसारो मंदरगिरिसिहरचूलिका इव इमल्स मोक्खवरमुत्तिमग्गस्स सिहरभूओ संवरवरपादपो चरिनं संवरदारं, जत्य न कप्पइ गामागरनगरखेडकव्व• मदोमुहपट्टणासमयं च किचि अप्पं व बहु व अणुं व थूलं व तसथावर कायदव्वजायं नगसावि परिघेत्तुं ण हिरण्णसुवण्णखेत्तवत्यु न दासीदास भयकपे सहयगयगवेलगं (च) वा न जाणजुग्गस यणा-सणा-इ ण छत्तकं न कुंडिया न उवागहा न पेहरावयतालिका ण यावि अयतज्यतंवसीसककंसरयत जात त्वमणिमुत्तावारपुनमगिमिंग (लेस) सेलकायवरचेलचम्मपत्ताई महरिहाई परस्स अज्जोवबायलोभजगणाटं परिग्गहेडं गुगवओ न चावि पुष्ककलकंदमूलादियाई सगसत्तरसाई सव्यमन्नारं निहिवि जोगेहिं परिघेत्तुं ओसहमेसज भोयगट्टयाए संजएणं, कि कारणं ?, अपरिमितगाणणधरेहिं सीलगुगविणयतयसंजमनायकेहिं तित्ययरेहिं सव्वजग Page #1287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२३५ सं०] सुत्तागमे [जी]जीववच्छलेहिं तिलोयमहिएहिं जिणवरिंदेहिं एस जोणी जगा[जंगमा]णं दिट्ठा न कप्पइ जोणिसमुच्छेदोत्ति तेण वनंति समणसीहा, जंपिय ओदणकुम्मासगं[ज]जतप्पणमंथुभुजियतिलपुप्फपिट्ठसूपसक्कुलिवेढिमवरसरकचुन्नकोसगपिंडसिहरिणिवट्टमो. यगखीरदहिसप्पितेहगुलखंडमच्छंडियखज्जकवंजणविधिमादिकं पणीयं उवस्सए परघरे व रन्ने न कप्प-ति तंपि सन्निहिं काउंसुविहियाणं, जंपि-य उद्दिटठवियरचियगपजवजातं पकिण्णपाउकरणपामिचं मीसकजायं कीयकडपाहुडं च दाणपुन्नपगडं समणवणीमगट्टयाए व कयं पच्छाकम्मं पुरेकम्मं नि[च]तिकम्मं मक्खियं अतिरित्तं मोहरं चेव सयागहमाहडं मट्टि[उ]ओवलितं अच्छेजं चेव अणीसटुं जं तं तिहीसु जन्नेसु ऊसवेसु य अंतो व वहि व होज समणयाए ठवियं हिंसासावजसंपउत्तं न कप्प-ति तंपिय परिघेत्तुं, अह केरिसयं पुणाइ कप्पति ?, जं तं एकारसपिंडवायमुद्धं किणणहणणपयणकयकारियाणुमोयणनवकोडीहिं सुपरिसुद्धं दसहि य दोसेहिं विप्पमुक्कं उग्गमउप्पायणेसणाए सुद्धं ववगयचुयचवियचत्तदेहं च फासुयं ववगयसंजोगमणिंगालं विगयधूमं छहाणनिमित्तं छक्कायपरिरक्खणट्ठा हाणि]णि ह-णि फासुकेण भिक्खेण वट्टियव्वं, जंपि-य समणस्स सुविहियस्स उ रोगायंके बहुप्पकारंमि समुप्पन्ने वाताहिकपित्तसिंभअतिरित्तकुविय तह सन्निवातजाते व उदयपत्ते उज्जलवलविउल[तिउल] कक्खडपगाढदुक्खे असुभकडयफरसे चंडफलविवागे महब्भ[ये]ए जीवियंतकरणे सव्वसरीरपरितावणकरे न कप्प-ति तारिसे-वि तह अप्पणो परस्स वा ओसहभेसज्ज भत्तपाणं च तंपि संनिहिकयं, जंपि-य समणस्स सुविहियस्स तु पडिग्गहधारिस भवति भायणभंडोवहिउवकरणं पडिग्गहो पादबंधणं पादकेसरिया पादठवणं च पडलाइं तिन्नेव रयत्ताणं च गोच्छओ तिन्नेव य पच्छाका रयोहरणचोलपट्टकमुहणतकमादीयं एयं-पि-य संजमस्स उववूहणट्ठयाए वायायवदंसमसगसीयपरिरक्खणट्टयाए उवगरणं रागदोसरहियं परिहरियव्वं संजएण णिच्चं पडिलेहणपप्फोडणपमजणाए अहो य राओ य अप्पमत्तेण होइ सततं निक्खिवियव्वं च गिण्हियव्वं च भायणभंडोवहिउव(क)गरणं, एवं से संजते विमुत्ते निस्संगे निप्परिग्गहराई निम्ममे निन्नेहवंधणे सव्वपावविरते वासीचंदणसमाणकप्पे समतिणमणिमुत्तालेटुकंचणे समे य माणावमाणणाए समियरते समितरागदोसे समिए समितीसु सम्म(दि) दिट्टी समे य जे सव्वपाणभूतेसु से हु समणे सुयधारते उज्जु ते]ते संजते स साहू सरणं सव्वभूयाणं सव्वजगवच्छले सच्चभासके य संसारंतहिते य संसारसमुच्छिन्ने सततं मरणाणुपारते पारगे य सव्वेसिं संसयाणं पवयणमायाहि अट्ठहि अट्ठकम्मगंठीविमोयके अट्ठमयमहणे ससमयकुसले य भवति सुहदुक्ख Page #1288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२३६ सुत्तागमे [पण्हावागरणं निबिसेसे अभितरवाहिरंमि सया तवोवहाणमि य सुजुते खते दंते य हिय(धिति). निरते ईरियासमिते भासासमिते एसणासमिते आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिते उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्ल[प]पारिट्ठावणियासमिते मणगुत्ते वयगुत्ते कायगुत्ते गुत्तिदिए गुत्तवंभयारी चाई लज्जू धन्ने तवस्सी खंतिखमे जितिंदिए सोधिए अणियाणे अवहिल्लेस्से अममे अक्रिचणे छिन्न(सोए)--गंथे निस्वलेवे सुविमलवरकसभायणं व मुक्कतोए संखेविव निरंजणे विगयरागदोसमोहे कुम्मो इव इंदिएसु गुत्ते जच्चकंचणगं व जायसवे पोक्खरपत्तं व निरुवलेवे चंदो इव सोम(भाव)याए सूरो-व्व दित्ततेए अचले जह मंदरे गिरिवरे अक्खोभे सागरो व्व थिमिए पुढवी-व सव्वफाससहे तवसा चिय भासरासिछन्निव्व जाततेए जलिययासणो विव तेयसा जलंते गोसीसचंदणं-पिव सीयले सुगंधे य हर(ए)यो विव समिय(ता)भावे उग्घोसियमुनिम्मलं व आयंसमंडलतलं व पागडभावेण सुद्धभावे सोंडीरे कुंजरोव्व वसभेव्व जायथामे सीहे वा जहा सिगाहिवे होति दुप्पधरिसे सारयसलिलं व सुद्धहिय(ये)ए भारंडे चेव अप्पमत्ते खग्गिविसाणं व एगजाते खाणुं चेव उड्ढकाए सुन्नागारेव्व अप्पडिकम्मे मुन्नागारावणस्संतो निवायसरणप्पदीपज्ज्ञाणमिव निप्पकपे जहा खुरो चेव एगधारे जहा अही चेव एगदिट्ठी आगासं चेव निरालंबे विहगे विव सचओ विप्पमुक्के कयपरनिलए जहा चेव उरए अप्पडिवद्ध अनिलोव्व जीवोव्च अप्पडिहयगती गामे गामे ए[ग]करायं नगरे नगरे य पंचरायं दूइज्जते य जितिंदिए जितपरीसहे निभओ वि(सुद्धो)ऊ सच्चित्ताचित्तमीसकेहिं दव्वेहिं विरायं गते संचयातो विरए मुत्ते लहुके निरवकंखे जीवियमरणासविप्पमुक्के निस्संधि निव्वर्ण चरित्तं धीरे काएण फासयंते सततं अज्झप्प(ज)झाणजुत्ते निहुए एगे चरेन धम्मं । इमं च परिग्गहवेरमणपरिरक्खणट्टयाए पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहियं पेच्चाभाविकं आगमेसिभई मुद्धं नेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सव्वदुक्खपावाण विओसमणं तस्स इमा पंच भावणाओ चरिमस्स वयस्स हॉति परिग्गहवेरमणरक्खणठ्ठयाए-पढमं सोइंदिएण सोचा सहाई मणुन्नभद्दगाई, किं ते ?, वरमुरयमुइंगपणवदर्दुरकच्छभिवीणाविपंचीवल्लयिवद्धीसकसुघोसनंदिसूसरपरिवादिणिवंसतूणकपव्वकतंतीतलतालतुडियनिग्योसगीयवाइयाइं नडनट्टकजल्लमलमुहिकवेलंवककहकपवकलासगआइक्खकलंखमंखतूणइन्दतुववीणियतालायरपकरणाणि य वहूणि महुरसरगीतसुस्सरातिं कंचीमेहलाकलावपत्तरकपहेरकपायजालगघंटियखिंखिणिरयणोरुजालियर्छ हिड्डियनेउरचलणमालियकणगनियलजालभूसणसहाणि लीलचंकम्ममाण णूदीरियाई तरुणीजणहसियभणियग्लरिभितमंजुलाई गुणवयणाणि व वहृणि महुरजणभासियाई अन्नेसु य एवमादिएनु Page #1289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२३७ मोतिदियभाव मणवणकाम मणुनाई सं०५] सुत्तागमे सद्देसु मणुन्नभद्दएसु ण तेसु समणेण सज्जियव्वं न रजियव्वं न गिज्झियव्वं न मुज्झियव्वं न विनिग्धायं आवज्जियव्वं न लुभियव्वं न तुसियव्वं न हसियव्वं न सइं च मइं च तत्थ कुज्जा, पुणरवि सोइंदिएण सोचा सदाइं अमणुन्नपावकाई, किं ते?, अकोसफरुसखिसणअवमाणणतज्जणनिभंछणदित्तवयणतासणउकूजियरुन्नरडियकंदियनिग्घुट्ठरसियकलुणविलवियाई अन्नेसु य एवमादिएसु सद्देसु अमणुण्णपावएसु न तेसु समणेण रूसियव्वं न हीलियव्वं न निंदियव्वं न खिसियव्वं न छिदियव्वं न भिं[भि]दियव्वं न वहेयव्वं न दुगुंछावत्तियाए लब्भा उप्पाएउं, एवं सोतिदियभावणाभावितो भवति अंतरप्पा मणुन्नाऽमणुन्नसुन्भिदुन्भिरागदोसप्पणिहियप्पा साह मणवयणकायगुत्ते संचुडे पणिहितिदिए चरेज धम्मं । वितियं चक्खिदिएण पासिय रुवाणि मणुनाइं भद्दकाई सचित्ता[s] चित्तमीसकाई कढे पोत्थे य चित्तकम्मे लेप्पकम्मे सेले य दंतकम्मे य पंचहि वण्णेहि अणेगसंठाणसं (थि)ठियाई गं[थिठिमवेढिमपूरिमसंघातिमाणि य मल्लाइं बहुविहाणि य अहियं नयणमणसुहकराई वणसंडे पव्वते य गामागरनगराणि य खुद्दियपुक्खरिणिवावीदीहियगुंजालियसरसरपंतियसागरविलपंतियखादियनदीसरतलागवप्पिणीफुल्लुप्पलपउमपरिमंडियाभिरामे अणेगसउणगणमिहुणविचरिए वरमंडवविविहभवणतोरणसभप्पवावसहसुक्रयसयणासणसीयरहसयडजाणजुग्गसंदणनरनारिगणे य सोमपडिरुवदरिसणिज्जे अलंकितविभूसिते पुव्वक्रयतवप्पभावसोहग्गसंपउत्ते नडनट्टगजल्लमल्लमुट्ठियवेलंबगकह[क]गपवगलासगआइक्खगलंखमंखतूणइलतुंववीणियतालायरपकरणाणि य बहूणि सुकरणाणि अन्नेसु य एवमादिएसु रुवेसु मणुनभद्दएसु न तेसु समणेण सज्जियव्वं न रजियव्वं जाव न सई च मई च तत्थ कुज्जा, पुणरवि चक्खिदिएण पासिय स्वाइं अमणुनपावकाई, किं ते ?, गंडिकोढिककुणिउदरिकच्छुलपइलकुनपंगुलवामणअंधिल्लगएगचक्खुविणिहयसप्पिसल्लगवाहिरोगपीलियं विगयाणि य मयककलेवराणि सकिमिणकुहियं च दव्वरासिं अन्नेसु य एवमादिएसु अमणुनपावतेतु न तेसु समणेण रूसियव्वं जाव न दुगुंछावत्तियावि लब्भा उप्पातेलं, एवं चक्खिदियभावणाभावितो भवति अंतरप्पा जाव चरेज धम्मं । ततिय घाणिदिएण अग्घाइय गंधाति मणुन्नभद्दगाई, किं ते ?, जलयथलयसरसपुप्फफलपाणभोयणकुट्ठतगरपत्तचोददमणकमरुयएलारसपिकमंसिगोसीससरसचंदणकप्पूरलवंगअगरकुकुमककोलउसीरसेयचंदणसुगन्धसारंगजुत्तिवरधूववासे उउयपिंडिमणिहारिमगंधिएसु अन्नेसु य एवमादि-ए-सु गंधेसु मणुन्नभद्दएसु न तेसु समणेण सज्जियव्वं जाव न सतिं च मइंच तत्थ कुज्जा, पुणरवि धाणिं दिएण अग्घातिय गंधाणि अमणुन्न Page #1290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १२३० [पण्हावागरणं पावकाई, किं ते?, अहिमडअस्समडहत्थिमडगोमडविगसुणगसियालमणुयमज्जार. सीहदीवियमयकुहियविणट्ठकिविणवहुदुरभिगंधेसु अन्नेसु य एवमादि-ए-सु गंधेसु अमणुन्नपावएसु न तेसु समणेण रूसियव्वं जाव पणिहियपंचिदिए चरेज धम्म । चउत्थं जिभिदिएण साइय रसाणि उ मणुन्नभत्काई, कि ते ?, उग्गाहिमविविहपाणभोयणगुलकयखंडकयतेल्घयकयभक्खेसु वहुविहेसु लवणरससंजुत्तेसु निट्ठाणगदालियंवसेहंवदुद्धदहिसायबहुप्पगारेसु भोयणेसु य मणुन्नवन्नगंधरसफासवहुदव्वसंभितेसु अन्नेसु य एवमादिएसु रसेसु मणुन्नभद्दएसु न तेसु समणेण सज्जियव्वं जाव न सइं च मतिं च तत्थ कुजा, पुणरवि जिभिदिएण सायिय रसातिं अमणुन्नपावगाई, कि ते ?, अरसविरससीयलुक्खणिजप्पपाणभोयगाई दोसीणअमणुन्नाई तित्तकडुयकसायअंविलरसलिंडनीरसाइं अन्नेसु य एवमा(ति)इएसु रसेसु अमणुन्नपावएसु न तेसु समणेण रूसियव्वं जाव चरेज धम्मं । पंचमगं -परावेक्खाए-फासिंदिएण फासिय फासाई मणुन्नभद्दकाई, किं ते ?, दगमंडवहारसेयचंदणसीयलविमलजलविविहकुसुमसत्थरओसीरमुत्तियमुणालदोसिणापेहुणउक्खेवगतालियंटवीयणगजणियसुहसीयले य पवणे गिम्हकाले सुहफासाणि य वहूणि सयणाणि आसणाणि य पाउरणगुणे य सिसिरकाले अंगारपतावणा य आयवनिद्धमउयसीयउसिणलहुया य जे उदुसुहफासा अंगसुहनिव्वुइकरा ते अन्नेसु य एवमादितेसु फासेसु मणुन्नभद्दएसु न तेसु समणेण सज्जियव्वं न रजियव्वं न गिज्नियव्वं न मुज्झियव्वं न विणिग्घायं आवज्जियव्वं न लुभियव्वं न अज्झोववजियव्वं न तृतियव्वं न हसियव्वं न सतिं च मतिं च तत्थ कुज्जा, पुणरवि फासिंदिएण फासिय फासातिं अमणुन्नपावकाई, किं ते ?, अणेगवधवंधतालणंकणअतिभारारोवणए अंगभंजणसूतीनखप्पवेसगायपच्छणणलक्खारसखारतेल्लकलकलंततउअसीसककाललोहसिंचणहडिवंधणरज्जुनिगलसंकलहत्यंडुयकुंभिपाकदहणसीहपुच्छणउव्बंधणसूलभेयगयचलणमलणकरचरणकन्ननासोहसीसछेयणजिन्भंछणवसणनयणहिय[य]यंतदंतभंजणजोत्तलयकसप्पहारपादपण्हिजाणुपत्थरनिवायपीलणकविकच्छुअगणिविच्छुयडक्कवायातवदंसमसकनिवाते दुट्ठणिसज्जदुनिसीहियदुन्भिकक्खडगुरुसीयउसिणलुक्खेसु बहुविहेसु अन्नसु य एवमाइएसु फासेसु अमणुन्नपावकेसु न तेसु समणेण रूसियव्वं न हीलियन्वं न निंदियव्वं न गरहियव्वं न खिसियव्वं न छिंदियव्वं न भिंदियव्वं न वहेयव्वं न दुगुंछावत्तियं च लभा उप्पाएउं, एवं फासिंदियभावणाभावितो भवति अंतरप्पा मणुन्नामणुन्नसुभिदुब्भिरागदोसपणिहियप्पा साहू मणवयणकायगुत्ते संबुढे पणिहितिदिए चरिज धम्म। एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संवरियं होइ Page #1291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिसमत्ती] सुत्तागमे १२३९ सुप्पणिहियं इमेहिं पंचहि-वि कारणेहिं मणवयकायपरिरक्खिएहिं निचं आमरणतं च एस जोगो नेयव्यो धितिमया मतिमया अणासवो अकलुसो अच्छिद्दो अपरिस्सावी असंकिलिट्ठो सुद्धो सव्वजिणमणुन्नातो, एवं पंचमं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं तीरियं किट्टियं अणुपालियं आणाए आराहियं भवति, एवं नायमुणिणा भगवया पन्नवियं परूवियं पसिद्धं सिद्धं सिद्धवरसासणमिणं आघवियं सुदेसियं पसत्यं पंचम संवरदारं समत्तंतिबेमि । एयाति वयाइं पंचवि सुव्वयमहव्वयाइं हेउसयविचित्तपुक्कलाई कहियाइं अरिहंतसासणे पंच समासेण संवरा वित्थरेण उ पणवीसतिसमियसहियसंबुडे सया जयणघडणसुविसुद्धदंसणे एए अणुचरियसंजते चरमसरीरधरे भविस्सतीति ।। २९ ॥ पण्हावागरणे णं एगो सुयक्खंधो दस अज्झयणा एकसरगा दससु चेव दिवसेसु उद्दिसिज्जति एगंतरेसु आयंबिलेसु निरूद्धेसु आउत्तभत्तपाणएणं अंगं जहा आयारस्स ॥ ३०॥ Page #1292 --------------------------------------------------------------------------  Page #1293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ णायपुत्तमहावीरस्स सुत्तागमे तत्थ णं विवागसुयं तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नयरी होत्था वण्णओ, (० चं० ण० उ०. दि० एत्य गं) पुण्णभद्दे (णा०) उज्जाणे (हो० व०)॥१॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अनसुहम्मे-नामं अणगारे जाइसंप-न्ने वण्यओ चर(द)हसपुव्वी चउनाणोवगए पंचहि अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणपुचि जाव जेणेव पुण्णभद्दे उजाणे अहापडिरूवं जाव विहरइ, परिसा निग्गया धम्म सोचा निसम्म जामेव दि(सं)सिं पाउन्भूया तामेव दि-सिं पडिगया, तेणं कालेणं तेणं समएणं अज्जसुहम्म(स्स)अंतेवासी अज्जजंवू-नामं अणगारे सत्तुस्सेहे जहा गोयमसामी तहा जाव झाणकोट्ठो[वगए] विहरइ, तए णं अजजंबू-ना(मे)मं अणगारे जायसवे जाव जेणेव अजसुहम्मे अणगारे तेणेव उवागए तिक्खुत्तो आयाहि(ण)णपयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता जाव पजुवासह, [२] एवं वयासी-जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं दसमस्स अंगस्स पण्हावागरणाणं अयमढे प-न्नत्ते, एकारसमस्स णं भंते ! अंगस्स विवागसुयस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे प-न्नत्ते , तए णं अजसुहम्मे अणगारे जं(बू)_ अणगारं एवं क्यासी-एवं खलु जंवू ! समणेणं जाव संपत्तेणं एकारसमस्स अंगस्स विवागसुयस्स दो सुयक्खंधा प-नत्ता, तं०-दुहविवागा य सुहविवागा य, जइ णं भंते । समणेणं जाव संपत्तेणं एकारसमस्स अंगस्स विवागसुयस्स दो सुयक्खंधा पन्नत्ता, तं०-दुहविवागा य सुहविवागा य, पढमस्स णं भंते ! सुयक्खंधस्स दुहविवागाणं समणेणं जाव संपत्तेणं (के) कइ अ)ज्झयणा प-न्न(ते)त्ता?, तए णं अजसुहम्मे अणगारे जं., अणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू ! समणेणं० आइगरेणं तित्थगरेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं दस अज्झयणा प-न्नत्ता, तं०-'मियापुत्ते य उज्झियए अभग्ग सगडे व(व)हस्सई नंदी । उंवर सोरियदत्ते य देवदत्ता य अंजू य ॥ १॥' जइ णं भंते ! समणेणं० आइगरेणं तित्थ(य)गरेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं दस अज्झयणा प-नत्ता, ' जइ गंभोस दो सयमजबू । समणेण विवागनुयस्स दोस्स दुहविवागाण अणगारे जच संपत्तण दुहवि Page #1294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२४२ सुत्तागमे [ विवागसुगं -तं ० - मियापुत्ते य जाव अंजू य, पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स दुहविवागाणं -समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पन्नत्ते ?, तए णं से सुहम्मे अणगारे जं-वुं अण-गारं एवं वयासी - एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं सिय[]गामे ना-मं नयरे होत्था वण्णओ, तस्स णं मिय-गामस्स नयरस्स वहिया उत्तरपुर (च्छि)त्थिमे दिसीभाए चंदणपायवे नामं उज्जाणे होत्था सव्वोउय.... वण्णओ, तत्थ णं सिग्गामे नयरे विजए - नामं खत्तिए राया परिवसइ वण्णओ, तस्स णं विजयस्स खत्तियस्स मिया - नामं देवी होत्या अहीण....वण्णओ, तस्स णं विजयस्स खत्ति - यस्स पुत्ते मियाए देवीए अत्तए मियापुत्ते - नामं दारए होत्या जाइअंधे जाइमूए लाइव हिरे जाइपंगुले (य) हुंडे य वायव्वे य, नत्थि णं तस्स दारगस्स हत्था वा पाया वा कण्णा वा अच्छी वा नासा वा, केवलं से तेसिं अंगोवंगाणं आ (ग) गिई आ-गिइ (मि) मेत्ते, तए णं सा मिया - देवी तं मियापु (त्त) त्तं दारगं रहस्तियंसि भूमिघरंसि रहस्सिएणं भत्तपाणेणं पडिजागरसाणी २ विहरइ ॥ २ ॥ तत्थ णं मि (या) यग्गा मे नयरे एगे जाइअंधे पुरिसे परिवसइ, से णं एगेणं सचक्खएणं पुरिसेणं पुरओदंडणं पग (ढ) डिजमाणे २ फुट्टहडाहडसीसे मच्छियाचडगरपहकरेणं अन्निजमाणसग्गे मि-यग्गामे नयरे गे (गि) हे २ कालुणवडियाए वित्तिं कप्पेमाणे विहरइ । तेणं काळेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव समोसरिए जाव परिसा 'निग्गया । तए णं से विजए खत्तिए इमीसे कहाए लट्ठे समाणे जहा कू ( को ) णिए तहा निग्गए जाव पज्जुवास, तए णं से जाइअंधे पुरिसे तं म ( हा) हया जणसद्दं जाव सुणेत्ता तं पुरिसं एवं वयासी- कि णं देवाणुप्पिया ! अज मियग्गामे नयरे इंदमहे-इ वा जाव निरगच्छन् ?, तए णं से पुरिसे तं जाइअंधपुरिसं एवं वयासी - नो खलु देवाप्पिया ! इंदमहे-इ वा जाव निग्गच्छइ, एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे जाव विहरइ, तए णं एए जाव निग्गच्छति, तए णं से अंधपुरिसे तं पुरिसं एवं वयासी - गच्छामो णं देवाणुप्पिया । अम्हे-वि समणं भगवं जाव पजवासामो, तए णं से जाइअं (ध)धे पुरिसे [ते] पुरओ-दंडणं [पुरिसेणं] पगड्डिजमाणे २ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागए (२ त्ता) तिक्खुत्तो आया हि णपयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता जाव पज्जुवासइ, तए णं समणे भगवं महावीरे विजयस्स खत्तियस्स तीसे य० धम्ममा इक्खर (०) जाव परिसा (जाव ) पडिगया, विजए-वि गए ॥ ३ ॥ तेणं काळेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्ठे अंतेवासी इंदभू (ति)ई नामं अणगारे जाव विहरइ, तए णं से भगवं (२) गोयमे तं जाइअंधपुरिसं पासइ २ त्ता जायसढे जाव एवं वयासी अस्थि णं भंते . के (ई) इ } Page #1295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म. १] सुत्तागमे १२४३ पुरिसे जाइअंधे जाइअंधारूवे ? हंता अस्थि, काह] हि णं भंते । से पुरिसे जाइअंधे जाइअंधालवे ? एवं खलु गोयमा । इहेव मियग्गामे नयरे विजयस्स खत्तियस्स पुत्ते मियादेवीए अत्तए मियापुत्ते नामं दारए जाइअंधे जाइअंधारूवे, नथि णं तरस दारगस्स जाव आ-गिइ-मेत्ते, तए णं सा मियादेवी जाव पडिजागरमाणी २ विहरइ, तए णं से भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ ता एवं वयासी-इच्छामि गं भंते ! अहं तुन्भेहिं अन्भणु-नाए समाणे मियापुत्तं दार(य)गं पासित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया !, तए णं से भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं अन्भणु-नाए समाणे ह(४)तुढे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ पडि-निक्खमइ २ त्ता अतुरियं जाव सोहेमाणे (२) जेणेव मि-यग्गामे नयरे तेणेव उवागच्छइ २ ता सि-यग्गामं नयरं मछमज्झे(ण)गं जेणेव मिया(ए)देवीए गि(गे)हे तेणेव उवाग(च्छइ)ए, तए णं सा मियादेवी भगवं गोयमं एज्जमाणं पासइ २ ता हट्टतुट्ठ जाव एवं वयासी-संदिसंतु' णं देवाणुप्पिया! किमागमण[]प(यो)ओयणं ?, तए णं [से] भगवं गोयमे मियादेवि एवं वयासी-अहं णं देवाणुप्पि(या)ए ! तव पुत्तं पासिउं हव्वमागए, तए णं सा मियादेवी मियापुत्तस्स दार(योगस्स अणुमग्गजायए चत्तारि पुत्ते सव्वालंकारविभूसिए करेइ २ ता भग(व)वओ गोयमस्स पाएसु पाडेइ २ त्ता एवं वयासी-एए णं भंते । मम पुत्ते पासह, तए णं से भगवं गोयमे मि(य)यादे(वीं)वि एवं वयासी-नो खलु देवा० अहं एए तव पुत्ते पासिर हव्वमागए, तत्थ णं जे से तव जेडे (पु०) मियापुत्ते दारए जाइअंधे जाइअंधालवे जंणं तुमं रहस्सियंसि भूमिघरंसि रहस्सिएणं भत्तपाणेणं पडिजागरमाणी २ विहरसि तं णं अहं पासिड हव्वमागए, तए णं सा सियादेवी भगवं गोयम एवं वयासी-से के णं गोयमा ! से तहारूवे नाणी वा तवस्सी वा जेणं तव एसमढे मम ताव रह(स्सि)स्सीकए तुम्भं हव्वमक्खाए जओ णं तुम्मे जाणह ?, तए णं भगवं गोयमे मियादे-वि एवं वया(सि)सी-एवं खलु देवाणुपिए ! मम धम्मायरिए समणे भगवं महावीरे (जाव) जओ णं अहं जाणामि, जावं च णं मियादेवी भगवया गोयमेण सद्धि एयमढे संलवइ तावं च णं मियापुत्तस्स दारगस्स भत्तवेला जाया यावि होत्या, तए णं सा मियादेवी भगवं गोयम एवं वयासी-तुम्भे णं भंते ! इ(ह)हं चेव चिट्ठह जा णं अहं तुभं मियापुत्तं दारनां उवदंसेमित्तिकट्ट जेणेव भत्तपाणघ(रए)रे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता वत्थपरिय(घ)ड्यं करेइ २ [त्ता] कट्ठसगडियं गिण्हइ २ [त्ता] वि(पु)उलस्स असणपाणखाइमसाइमस्स भरेइ २ [त्ता] तं कट्ठसगडियं अणुकड्डमाणी २ जे(णे)णामेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छद Page #1296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४४ सुत्तागमे [विवागसुयं २ त्ता भगवं गोयम एवं वयासी-एह णं तुम्भे भंते ! म(म)म अणुगच्छह जा णं अहं तुम्भं मियापुत्तं दार-गं उवदंसेमि, तए णं से भगवं गोयमे मि-यादेवि पिट्ठओ समणुगच्छइ, तए णं सा मियादेवी तं कट्ठसगडियं अणुकदमाणी २. जेणेव भूमिघरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता चउप्पुडेणं वत्थेणं णासिगं बंधेइ णासिगं बंधमाणी भगवं गोयम एवं वयासी-तुन्भे(s)वि णं भंते ! एवं करेह तए णं से भगवं गोयमे मियादेवीए एवं वुत्ते समाणे तहेव करेइ, तए णं सा मियादेवी परंमुही भूमिघरस्स दुवारं विहाडेइ, त(ओ)ए णं गंऽधे निग्गच्छइ से जहा-नामए अहिमडे-इ वा सप्पकडेवरे इ वा जाव तओ(s)वि[य]णं अणिढतराए चेव जाव गंधे प-चत्ते, तए णं से मियापुत्ते दारए तस्स वि-उलस्स असणपाणखाइमसाइमस्स गंधेणं अभिभूए समाणे तंसि वि-उलंसि असणपाणखाइमसाइमंसि मुच्छिए० तं वि-उल असणं ४ आसएणं आहारेइ २ ता खिप्पामेव' विद्धंसेइ २ त्ता तओ पच्छा पूयत्ताए य सोणियत्ताए य परिणामेइ तं-पि-य गं पूयं च सोणियं च आहारेइ, तए णं भगवओ गोयमस्स तं मियापुत्तं दार-गं पासित्ता अयमेयारूवे अज्झथिए [५] समुप्पजित्था-अहो णं इमे दारए पुरापोराणाणं दुच्चिण्णाणं दुप्पडिकंताणं असुभाणं पावाणं कडाणं कम्माणं पावर्ग फलवित्तिविसेसं पचणु(न)भवमाणे विहरइ,२ पच्चक्खं खलु अयं पुरिसे नर-गपडिरूवियं वेयणं वे(एईति)यइत्तिकट्टु मियं देवि आपुच्छइ २ त्ता मियाए देवीए गिहाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता मियग्गाम नयरं मझमज्झेणं निग्गच्छइ २ ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहि-णपयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २त्ता एवं वयासी-एवं खलु (भं०) अहं तुन्भेहिं अब्भणु-नाए समाणे मियग्गामं नयरं मज्झमज्झे-णं अणुप्पविसामि [२] जेणेव मियाए देवीए गि-हे तेणेव उवागए, तए णं सा मियादेवी ममं एजमाणं पासइ २ त्ता हट्ठातं चेव सव्वं जाव पूयं च सोणियं च आहारेइ, तए णं मम इमे अज्झत्थिए (०) समुप्पजित्था-अहो णं इमे दारए पुरा जाव विहरइ ॥ ४ ॥ से णं भंते ! पुरिसे पुव्वभवे के आ(सि)सी [? किं-नामए वा किगोए वा] कयरंसि गामंसि वा नयरंसि वा [2] कि वा दचा कि वा भोच्चा किं वा समायरित्ता केसिं वा पुरा जाव विहरइ ?, गोयमाइ समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी-एवं खलु गोयमा । तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे सयदुवारे नामं नयरे होत्या रिद्ध(त्योत्थिमि(ए)य वण्णओ, तत्थ णं सयदुवारे नयरे धणवई नामं राया हो(हु)त्था वण्णओ, तस्स णं सयदुवारस्स नयरस्स अदूरसामंते Page #1297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ० १] सुत्तागमे १२१५ दाहिणपुर-त्थिमे दि(सि)सीभाए विजयवद्धमाणे नामं खेडे होत्था रिद्ध-स्थिमियसमिद्धे, तस्स णं विजयवद्धमाणस्स खेडस्स पंच गामसयाई आभोए यावि हो-त्था, तत्थ मं विजयवद्धमाणे खेडे इ(ए)काई नामं रहकूडे होत्था अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, से णं इ-का(इणाम)ई रट्टकूडे विजयवद्धमाणस्स खेडस्स पंचण्हं गामसयाणं आहेवचं जाव पालेमाणे विहरइ, तए णं से इ-काई (र०) विजयवद्धमाणस्स खेडस्स पंच-गामसयाई बहूहिं करेहि य भरेहि य विद्धीहि य उक्कोडाहि य पराभवेहि य दे(दि)ज्जेहि य भेजेहि य कुंतेहि य लंछपोसेहि य आलीवणेहि य पंथकोद्देहि य ओ(उ)वीलेमाणे २ विहम्मेमाणे २ तजेमाणे २ तालेमाणे २ निद्धणे करेमाणे २ विहरइ । तए णं से इ-क्काई रहकूडे विजयवद्धमाणस्स खेडस्स बहणं राईसरतलवरमाडंबियकोडुंबियसेट्ठिसत्थवाहाणं अ-न्नेसिं च बहूणं गामेल्लगपुरिसाणं ब(हु)हुसु कज्जेसु य कारणेसु य मंतेसु य गुज्झेसु य निच्छएसु य ववहारेसु य सुणमाणे भणइ-न सुणेमि असुणमाणे भणइ-सुणेमि एवं पस्समाणे भासमाणे गिण्हमाणे जाणमाणे, तए णं से इ-का(इ)ई रटकूडे एयकम्मे एयप्पहाणे एयविजे एयसमायारे सुब(ह)हुं पावकम्म कलिकलुसं समजिणमाणे विहरइ, तए णं तस्स इ-क्का(ई)इयस्स रटकूडस्स अ-नया कया(ई.ई)इ सरीरगंसि जमगसमगमेव सोलस रोगायंका पाउब्भूया, तं०-सासे का(खा)से जरे दाहे कुच्छिसूले भगंदरे । अरि(से)सा अजी(रे)रए दिट्ठीमुद्धसूले अ(रोय) कारए ॥ १॥ अ(क्खि)च्छिवेयणा कण्णवेयणा कंडू उ(द)यरे को(हे)हे। तएणं से इ-क्का(इ)ई रटकूडे सोलसहिं रो(या)गायंकेहिं अभिभूए समाणे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! विजयवद्धमाणे खेडे सिं(सं)घाडगति-गचउक्कचच्चरमहापहपहेसु महया २ सद्देणं उग्घोसेमाणा २ एवं वयह-(एवं) इहं खलु देवाणुप्पिया! इ-क्का-ईरट्ठकूडस्स सरीरगंसि सोलस-रोगायंका पाउब्भूया, तं०-सासे का-से जरे जाव कोढे, तं जो णं इच्छइ देवाणुप्पिया ! वे (वि)जो वा वे-जपुत्तो वा जा(गु)णओवा जा-णयपुत्तो वा तेगिच्छी वा तेगिच्छिपुत्तो वा इ-क्का-ईरटकूडस्स तेसिं सोलसण्हं रोगायंकाणं एगमवि रोगायकं उवसामित्तए तस्स णं इ-का-ई रट्टकूडे वि-उलं अत्थसंपयाणं दलयइ, दोच्चं-पि तच्च-पि उग्घोसेह २ त्ता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तए णं ते कोडुंबियपुरिसा जाव पञ्चप्पिणंति, तए णं (से) विजयवद्धमा(ण)णे खे(डंसि)डे इमं एयारूवं उग्घोसणं सोच्चा निसम्म बहवे वे-जा य ६ सत्थकोसहत्थगया सएहिं[तो] २ गिहेहिंतो पडिनिक्खमंति २ त्ता विजयवद्धमाणस्स खेडस्स मज्झमज्झेणं जेणेव इ-का-ईरटकूडस्स गिहे तेणेव उवागच्छंति २ त्ता इ-काईरहकूडस्स सरीर-गं परामुसंति २ ता तेसिं रोगाणं नि(या)दाणं पुच्छंति २ त्ता Page #1298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४६ सुत्तागमे [विवागसुयं इ-काईरट्ठकूडस्स बहूहिं अभंगेहि य उव्वट्ट(णा)णेहिं य सिणेहपाणेहि य वमणेहि य विरेयणेहि (सिं०) य अवदह(णे)णाहि य अवण्हाणेहि य अणुवासणाहि य ब(व)त्थिकम्मेहि य नि(रु)रूहे हि य सिरावेहेहिं य तच्छणेहि य पच्छणेहि य सि(र)रो(व)बत्थीहि य तप्प-णाहि य पुडपागेहि य छल्लीहि य मूलेहि य कंदेहि य पत्तेहि य पुप्फेहि य फलेहि य बीएहि य सिलियाहि य गुलियाहि य ओसहेहि य भेसजेहि य इच्छंति तेसिं सोलसण्हं रोगायंकाणं एगमवि रोगायकं उव(सामि)समावित्तए, नो चेव णं संचाएंति उवसामित्तए । तए णं ते बहवे वे-जा य वे-जपुत्ता य जाहे नो संचाएंति तेसिं सोलसण्हं रोगायंकाणं एगमवि रोगायक उवसामित्तए ताहे संता तंता परितंता जामेव दिसिं पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया, तए णं इ-का-ई-रटकूडे वे-जेहि य ६ पडियाइक्खिए परियारगपरि(च)चत्ते नि(वि)वि(णो)टोसहभेसज्जे सोलसरोगायकेहिं अभिभूए समाणे रज्जे य रटे य जाव अंतेउरे य मुच्छिए रजं च रटुंच आसा(य) एमाणे पत्थेमाणे पीहेमाणे अभिलसमाणे अदृदुहट्टवसट्टे अड्डाइजाई वाससयाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसेणं सागरोवमहि(ती)इएसु नेरइएसु नेरइयत्ताए उवव-न्ने, से णं तओ अणंतरं उन्वत्तिा इहेव मियग्गामे नयरे विजयस्स खत्तियस्स मियाए देवीए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उवव-न्ने, तए णं तीसे मियाए देवीए सरीरे वेयणा पाउन्भूया उज्जला जाव (जलंता) दुरहियासा, जप्पभिइं च णं मियापु(त्त)त्ते दारए मियाए देवीए कुच्छिसि गन्भत्ताए उवव-न्ने तप्पभिइं च णं मियादेवी विजयस्स (ख०) अणिट्ठा अकंता अप्पिया अमणु-न्ना अमणामा जाया यावि होत्या, तए णं तीसे मियाए देवीए अ-नया कया(ई)इ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कु(टुं)डुबजागरियाए जागरमाणीए इमे एयारूवे अज्झथिए जाव समुप्प(ने)जित्था-एवं खलु अहं विजयस्स खत्तियस्स पुल्वि इट्टा ६ धेजा वेसासिया अणुमया आसी, जप्पभिइं च णं म-म इमे गन्भे कुच्छिसि गन्भत्ताए उवव-न्ने तप्पभियं च णं अहं विजयस्स खत्तियस्स अणिट्ठा जाव अमणामा जाया यावि होत्था, नि(ने)च्छइ णं विजए खत्तिए म-म नामं वा गोयं वा गिण्हित्तए वा किमंग पुण दंसणं वा परिभोगं वा, तं सेयं खलु मम एवं गन्भं बहुहिं गन्मसाडणाहि य पाडणाहि य गालणाहि य मारणाहि य साडित्तए वा ४, एवं संपेहेइ संपेहित्ता बहुणि खाराणि य कडुयाणि य तूवराणि य गब्भसाडणाणि य ४ खायमाणी य पी(पि)यमाणी य इच्छइ तं गभं साडित्तए वा ४ नो चेव णं से गब्भे सडइ वा ४ । तए णं सा मियादेवी जाहे नो संचाएइ तं गभं झाडे)डित्तए वा ४ ताहे संता तंता परितंता अकामिगा अस[य]वसा तं गर्भ Page #1299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म. ] सुत्तागमे १२४७ दुहंदुहेणं परिवहइ, तस्स णं दारगस्स गब्भगयस्स चेव अट्ठ-नालीओ अभितरप्पवहाओ अट्ठ-नालीओ बाहिर[]पवहाओ अट्ठ-पूयप्पवहाओ अट्ठ-सोणियप्पवहाओ दुवे दुवे कण्णंतरेसु दुवे दुवे अ(च्छि-क्खि)च्छिअंतरेसु दुवे दुवे नकंतरेसु दुवे दुवे धमणिअंतरेसु अभिक्खणं अभिक्खणं पूयं च सोणियं च परि(स)सवमाणीओ २ चेव चिट्ठति, तस्स णं दारगस्स गन्भगयस्स चेव अग्गिए-नामं वाही पाउब्भूए जेणं से दारए आहारेइ से णं खिप्पामेव विद्धं(सं)समागच्छइ (०) पूयत्ताए (य) सोणियत्ताए य परिणमइ, तं-पि-य से पूयं च सोणियं च आहारेइ, तए णं सा मियादेवी अ-नया कया-इ नवण्डं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दारगं पयाया जाइअंधे जाव आ-गिइ-मेत्ते, तए णं सा मियादेवी तं दार-गं हुंडं अंधारूवं पासइ २ त्ता भीया ४ अम्मधाइं सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छ[ह] णं देवाणुप्पि(ए)या ! तुम एवं दारगं एगते उक्कुरुडियाए उज्झाहि, तए णं सा अम्मधाई मियादेवीए तहत्ति एयमहँ पडिसुणेइ २ त्ता जेणेव विजए खत्तिए तेणेव उवागच्छइ २ [त्ता] करयलपरिग्गहियं....एवं वयासी-एवं खलु सा(मि)मी! मियादेवी नवण्हं मासाणं.... जाव आ-गिइ-मेत्ते, तए णं सा मियादेवी तं हुंडं अंधारूवं पासइ २ त्ता भीया तत्था उव्विग्गा संजायभया ममं सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छ[ह] गं तु[भे]मं देवाणुप्पि-या ! एयं दार-गं एगते उक्कुरुडियाए उज्झाहि, तं संदिसह णं सामी ! तं दारगं अहं एगते उज्झामि उदाहु मा?, तए णं से विजए खत्तिए तीसे अम्मधाईए अंतिए एयमढे सोचा [निसम्म] तहेव संभंते उठाए उढेइ २ त्ता जेणेव मियादेवी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता मियादे-वि एवं वयासी-देवाणुप्पि-या! तुब्भं पढमं गन्भे तं जइ णं तु-मं एयं (दा०) एगंते उकुरुडियाए उज्झा )झसि (तो) तओ णं तुभे)भं पया नो थिरा भविस्सइ, तो(ते)गं तुम एयं दारगं रहस्सियगंसि भूमिघरंसि रहस्सिएणं भत्तपाणेणं पडिजागरमाणी (२) विहराहि तो णं तुब्भं पया थिरा भविस्सइ, तए णं सा मियादेवी विजयस्स खत्तियस्स तहत्ति एयमढे विगएणं पडिसुणेइ २ त्ता तं दारगं रहस्सि(य)यंसि भूमिघरंसि रहस्सिएणं भत्तपाणेणं पडिजागरमाणी विहरइ, एवं खलु गोयमा ! मियापु-त्ते दारए पुरा(पो)पुराणाणं जाव पच्चणुभवमाणे विहरइ ॥५॥ मियापुत्ते णं भंते ! दारए इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गमहिइ (2) कहिं उववजिहिइ ? गोयमा ! मियापुत्ते दारए छव्वीसं वासाइं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेयड्डगिरिपायमूले सीहकुलंसि सीहत्ताए पञ्चायाहिइ, से णं तत्थ सीहे भविस्सइ अहम्मिए जाव साहसिए सुब-हुँ पावं जाव समजिणइ २ [त्ता] कालमासे कालं Page #1300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "१२४८ सुत्तागमे [विवागसुवं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोससागरोवम(ठि-)टिइएसु जाव उववजिहिइ, से णं तओ अणंतरं उव्वटित्ता स(सि)री(सि)सवेसु उववजिहिइ, तत्थ णं कालं किया दोचाए पुढवीए उक्कोसेणं तिण्णि सागरोवमाई....,से णं तओ अणंतरं उव्वहित्ता पक्खीसु उववजिहिइ, तत्थ-वि कालं किच्चा तच्चाए पुढवीए सत्त सागरोवमाइं..., से णं तओ सीहेसु य...., तयाणंतरं (च णं) चो(चउ)त्थीए (पु०) उरगो पंचमी० इत्थी० छट्ठी० मणु(आ-ओ)या० अहे-सत्त(मा)मीए, त(तोs)ओ अणंतरं उव्वटित्ता से जाइं इमाई जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं मच्छकच्छ (भ)वगाहमगर(सु)सुंसुमारा(दी)ईणं अ(द्ध)डतेरस जाइकुलको(डी)डिजोणिपमुहसयसहस्साई....तत्थ णं एगमेगंसि जो(णी)णिविहाणंसि अणेगसयसहस्सखुत्तो उदाइत्ता २ तत्(थेव)थ भुजो २ पञ्चायाइस्सइ, से णं तओ उव्वट्टित्ता....एवं चउ()पएसु उरपरिसप्पेसु भुयपरिसप्पेसु खयरेसु चउरिदिएसु तेइंदिएसु बेइंदिएसु वणप्फइएसु कडुयरुक्खेसु कडुयदुद्धिएसु वा(ऊ)उ० ते उ. आ-उ० पुढ(वि)वी. अणेगसयसहस्सखुत्तो...., से णं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता सुपइट्टपुरे नयरे गोणत्ताए पञ्चायाहिइ, से णं तत्थ उम्मुक जाव अ-नया कया-इ पढमपाउसं(मि)सि गंगाए महा-नईए खली(य)णमट्टियं खणमाणे तडीए पेल्लिए समाणे कालगए तत्थेव सुपइ(8)द्वपुरे नयरे सेडिकुलंसि पु(त्त)मत्ताए पञ्चायाइस्सइ, से गं तत्थ उम्मुकवालभावे जाव जोव्वणगमणु[]पत्ते तहालवाणं -थेराणं अंतिए धम्मं सोचा निसम्म मुंडे भवित्ता अ(आ)गाराओ अणगारियं पव्वइस्सइ, -से णं तत्थ अणगारे भविस्सइ ई(इ)रियासमिए जाव वंभयारी, से णं तत्थ बहूई बासाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता आलोइयपडिकते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्(म)मे कप्पे देवत्ताए उववजिहिइ, से णं तओ अणंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे जाइं कुलाई भवंति अड्डाई....जहा दडपइ-न्ने सा चेव वत्तव्वया -कलाओ जाव सिज्झिहिइ [५] । एवं खलु जंवू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे प-न्नत्तेत्तिबेमि ॥ ६ ॥ पढमं अज्झयणं समत्तं ॥ __ जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं दुह विवागाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते दोच्चस्स णं भंते ! अज्झयणस्स दुहविवागाणं समणेणं जाव संपत्तणं के अढे प-नत्ते ?, तए णं से सुहम्मे अणगारे जं-वू अणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नाम नयरे होत्था रि(द्धि)द्धस्थिमियसमिद्धे । तस्स णं वाणियगामस्स (नग०) उत्तरपुर-त्यिमे दिसीभाए दूईपलासे नामं उजाणे होत्या, तत्थ णं वाणियगामे मित्त नाम राया होत्था वण्णओ, तस्स णं मित्तस्स रन्नो Page #1301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु. १ म०२] सुत्तागमे १२४९ सिरी-नामं देवी होत्था वण्णओ, तत्थ णं वाणियगा(मण०)मे कामज्झया-नामं गणिया होत्था अहीण जाव सुरूवा बावत्त(री)रिकलापंडिया चउसद्विगणियागुणोववेया ए(कू)गूणतीसविसेसे रममाणी एकवीसरइगुणप्पहाणा बत्तीसपुरिसोवयारकुसला नवंगसुत्तपडिवोहिया अट्ठारसदेसीभासाविसारया सिंगारागा(रु)रचारवेसा गीयरइ(य)गंधव्व-नट्टकुसला संगयगय० सुंदरथण० ऊसिय(ध)ज्झया सहस्सलंभा विदिण्णछत्तचामरवालवीयणीया कण्णीरहप्पयाया यावि होत्था, बहूणं गणियाणं आहेवचं जाव विहरइ ॥ ७ ॥ तत्थ णं वाणियगामे विजयमित्ते नामं सत्थवाहे परिवसइ अड्डे०, तस्स णं विजयमित्तस्स सुभद्दा-नामं भारिया होत्था अहीण०, तस्स णं विजयमित्तस्स पुत्ते सुभद्दाए भारियाए अत्तए उज्झियए नाम दारए होत्था अहीण जाव सुरूवे । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे (जाव) समोस (ड)ढे परिसा निग्गया राया(वि) जहा कू-णिओ तहा निग्गओ धम्मो कहिओ परिसा पडिगया राया य गओ, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभू(इ)ई नाम अणगारे जाव ले[स]से छटुंछटेणं जहा पन्नत्तीए पढम जाव जेणेव वाणियगामे [नयरे] तेणेव उवागच्छइ २ त्ता उच्चनीय"अडमाणे जेणेव रायमग्गे तेणेव (उ०) ओगाढे, तत्थ णं बहवे हत्थी पासइ संनद्धबद्धवम्मियगुडियउप्पीलियकच्छे उद्दामियघंटे नाणामणिरयणविविहगे(वि)वेजउत्तरकंचुइजे पडिकप्पिए झयपडागवरपंचामेलआरूढहत्यारोहे गहियाउहप्पहरणे अ-ने य तत्थ बहवे आसे पासइ संनद्धवद्धवम्मियगुडिए आविद्धगु(डि)डे ओसारियपक्खरे उत्तरकंचुइयओचूलमुहचंडाधरचामरथासगपरिमंडियकडिए आरूढ(अर)आसारोहे' गहियाउहपहरणे अन्ने य तत्थ बहवे पुरिसे पासइ संनद्धबद्धवम्मियकवए उप्पीलियसरासणप(ट्टी)टिए पि(णि)णद्धगेवेज्जे विमलवरबद्धचिंधपट्टे गहियाउहप्पहरणे, तेसिं चणं पुरिसाणं मज्झगयं (एगं) पुरिसं पासइ अव(उ)ओड(ग)यबंधणं उत्तिकण्ण-नासं नेहतुप्पियगत्तं वज्झक(रक)क्खडियजुय-नियत्थं कंठेगुणरत्तमल्लदामं चुण्णगुंडिय(गाय)गत्तं चुण्णयं व[व]ज्झपाण(पी)पियं तिलंतिलं चेव छिजमाणं का(क-णी)गणिमंसाइं खावियंतं पावं खक्खरगसएहिं हम्ममाणं अणेग-नर-नारीसंपरिवुडं चच्चरे चच्चरे खंडपडहएणं उग्घोसिज्जमाणं, इमं च णं एयारूवं उग्घोसणं पडिसुणेइ-नो खलु देवा ! उज्झियगस्स दारगस्स केइ राया वा रायपुत्तो वा अवरज्झइ अप्पणो से सयाई कम्माइं अवरज्झन्ति॥ ८॥ तए णं से भगवओ गोयमस्स तं पुरिसं पासित्ता इमे अज्झत्थिए ५-अहोणं इमे पुरिसे जाव न(णि)रयपडिरूवियं वे(द)यणं वे(दे)एइत्तिकटु वाणियगामे नयरे उच्च-नीयमज्झिमकु(ले)लाइं जाव अडमाणे अहापजत्तं समु(या) ७९ सुत्ता. Page #1302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अहम्मिए जाव दुपारण सा उप्पला कूडा कूड[]गाहिणीए १२५० सुत्तागमे [विवागसुर्य दा(ग)णियं गिण्हइ २ त्ता वाणियगा(म)मे नय(र)रे मज्झंमज्झेणं जाव पडिदंसेइ, [२] समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु अहं भंते ! तु(ज्झे)व्मे (हि)हिं अब्भणु-नाए समाणे वाणियगामं जाव तहेव (नि)वे-एइ, से णं भंते ! पुरिसे पुव्वभवे के आ-सी जाव पञ्चणु-भवमाणे विहरइ ? एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे हत्थिणाउरे नामं नयरे होत्था रिद्ध०, तत्थ णं हत्यिणाउरे नयरे सुनंदे नामं राया होत्था महया०, तत्थ णं हत्यिणाउरे (ण(य)गरे) वहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे गोमंड(वे)वए होत्था अणेगखंभसयस-निविढे पासाईए ४, तत्थ णं वहवे न(यगरगोलवाणं सणाहा य अणाहा य न-गरगा(वि)वी (उ)ओ य नगरवसभा य न-गरव (लि)लीवदा य न-गरपड्डया-ओ य पउरतणपाणिया निव्भया निस्वसग्गा सुहंसुहेणं परिवसंति, तत्थ णं हत्थिणाउरे नयरे भीमे नामं कूडग्गा(ही)हे होत्या अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे। तस्स गं भीमस्स कूडग्गाहस्स उप्पला-नामं भारिया होत्या अहीण०, तए णं सा उप्पला कूडग्गाहिणी अ-नया कया(ई)इ आव-न्नसत्ता जाया यावि होत्था, तए णं तीसे उप्पलाए कूड[]गाहिणीए ति(ह)हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउन्भूए-धन्ना-ओ णं ताओ अम्मयाओ ४ जाव सुलद्धे जम्मजीवि(ए)यफळे जाओ णं वहणं न-गरगो(स)हवाणं सणाहाण य जाव वसभाण य ऊहेहि य थणेहि य वसणेहि य छे(छ-छि)प्पाहि य ककुहेहि य वहेहि य कण्णेहि य अ(च्छि)च्छीहि य नासाहि य जिव्भाहि य ओ(उ)टेहि य कंवलेहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भजिएहि य परिसुवेहि य लावणेहि य सुरं च महुं च मेरगं च जाइं च सी(y)हुं च पस-नं च आसाएमाणीओ विसाएमाणीओ परिभाएमाणीओ परिभु(ज)जेमाणीओ दोहलं वि(णयं)णेति, तं जइ णं अहमवि वहणं न-गर जाव विणिज्जामित्तिकट्ठ तंसि दोहलंसि अविणिजमाणंसि सुक्का भुक्खा निम्मंसा ओलुग्गा ओ-लुग्गसरीरा नित्तेया दीणविमणवयणा पंडुल्लइयमु(ही)हा ओमंथियनयणवयणकमला जहोइयं पुप्फवत्थगंघमल्लालंकाराहारं अपरिभुञ्जमाणी करयलमलिय-व्व कमलमाला ओहय जाव झिया(य)इ। इमं च णं भीमे कूडग्गाहे जेणेव उप्पला कूडग्गा(ह)हिणी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता ओहय जाव पासइ २ [त्ता] एवं वयासी-कि णं तु(मे)मं देवाणुप्पि-ए ! ओहय जाव झियासि ?, तए णं सा उप्पला भारिया भी(म)मं कूडग्गाहं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! ममं तिण्हं मासाणं वहुपडिपुण्णाणं दोह(ले)ला पाउन्भ(ए)या-ध-ना णं ता० जा-ओ णं वहूर्ण गो० ऊ(ह०)हेहि य जाक Page #1303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जाव वसभाण य आप गोमंडवे तेणेव उवाइ २ [त्ता] गइयाणं कंवले सु० १ भ०२] सुत्तागमे लावणए)णेहि य सुरं च ६ आसाएमाणी[ओ] ० दोहलं वि(णिं)णेति, तए णं अहं देवाणुप्पिया! तंसि दोहलंसि अविणिजमाणंसि जाव झियामि । तए णं से भी(म)मे कूडग्गा-हे उप्पलं भारियं एवं वयासी-मा णं तुमं देवाणुप्पिया ! ओहय० झियाहि, अहं णं (तं) तहा करिस्सामि जहा णं तव दोहलस्स संपत्ती भविस्सइ, ताहिं इटाहिं ५ जाव वग्गूहि समासासेइ, तए णं से भी-मे कूडग्गा-हे अद्धरत्तकालसमयसि एगे अवीए संनद्ध जाव पहरणे सया(सा)ओ गिहाओ निग्गच्छइ २ [त्ता] हत्यिणाउ(1)रे नयरे मज्झमज्झेणं जेणेव गोमंडवे तेणेव उवाग(-२ त्ता)ए वहणं न-गरगो-रूवाणं जाव वसभाण य अप्पेगइयाणं ऊहे छिंदइ जाव अप्पेगइयाणं कंवले छिंदइ अप्पेगइयाणं अ-नम-नाणं अंगोवंगाणं वियंगेइ २ त्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता उप्पलाए कूडग्गा-हिणीए उवणेइ, तए णं सा उप्पला भारिया तेहिं वहूहिँ गोमंसेहि य सोल्ले(सूले)हि य सुरं च [५] आसाएमा० तं दोहलं विणेइ, तए णं सा उप्पला कूडग्गा(ही-)हिणी संपुण्णदोहला संमाणियदोहला विणीयदोहला वोच्छिन्नदोहला संप-नदोहला तं गम्भं सुहंसुहेणं परिवहइ, तए णं सा उप्पला कूडग्गाहिणी अन्नया कया(इं.)इ नवण्हं मासाणं वहुपडिपुण्णाणं दार-गं पयाया ॥ ९॥ तए णं तेणं दारएणं जाय-मेत्तेणं चेव महया महया सद्देणं विधुढे विसरे आरसिए, तए णं तस्स दारगस्स आरसियसई सोचा निसम्म हस्थिणाउरे नयरे वहवे न-गरगो-रूवा जाव वसभा य भीया""उविग्गा सव्वओ समंता विप्पलाइत्था, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो अयमेयारूवं नामधेनं करेंति, जम्हा णं अम्(हे)हं इमेणं दारएणं जायमेत्तेणं चेव महया महया चिच्चीसदेणं विधुढे विस्सरे आरसिए तए णं एयस्स दारगस्स आरसि(यं)यसई सोचा निसम्म हथिणाउरे वहवे न-गरगो-रूवा जाव भीया ४ सव्वओ समंता विप्पलाइत्था तम्हा णं होउ अम्हं दारए गोत्तासए नामेणं, तए णं से गोत्ता(से)सए दारए उम्मुक्कबालभा० जाए यावि होत्था, तए णं से भी-मे कूडग्गाहे अन्नया कया(ई-इं)इ कालधम्मुणा संजुत्ते, तए णं से गोत्तासे दारए व(ह)हुएणं मित्त-नाइनियगसयणसंबंधिपरि(ज)यणेण सद्धिं संपरिखुडे' रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे भीमस्स कूडग्गा(हि)हस्स नीहरणं करेइ २ [त्ता] वहूइं लोइयमय(कज्जा)किच्चाई करेइ, तए णं से सु-नंदे राया गोत्तासं दारयं अन्नया कयाइ सयमेव कूडग्गा हत्ताए ठा(ठ)वेइ, तए णं से गोत्तासे दारए कूडग्गाहे जाए यावि होत्या अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तए णं से गोत्तासे दारए कूडग्गा(हे)हित्ताए कल्लाकल्लिं अद्धर(त)त्तियकालसमयंसि एगे अबीए संनद्धबद्धकवए जाव गहि(आ)याउह[]पहरणे सया-ओ Page #1304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२५२ सुत्तागमे [विवागसुर्य गिहाओ नि(जा)ग्गच्छइ [२] जेणेव गोमंडवे तेणेव उवागच्छइ २ [त्ता] वहणं न-गरगो-रुवाणं सणाहाण य जाव वियंगेइ २ त्ता जेणेव सए गे(गि)हे तेणेव उवाग(च्छइ)ए, तएणं से गोत्तासे कूडग्गाहे तेहिं वहूहिं गोमंसे(हिं)हि य सोल्ले-हि य.... सुरं च ६ आसाएमाणे विसाएमाणे जाव विहरइ, तए णं से गोत्तासे कूडग्गाहे एयकम्मे "सुवहुं पावकम्मं समजिणित्ता पंचवाससयाइं परमाउयं पालइत्ता अट्टदुहहोवगए कालमासे कालं किच्चा दोचाए पुढवीए उनोसं तिसागरोवमठिइएसु नेरइएसु नेरइयत्ताए उवव-ने ॥ १० ॥ तए णं सा विजयमित्तस्स सत्यवाहस्स सुभद्दा नाम भारिया जाय-निंदुया यावि होत्था जाया जाया दारगा विणिहायमावनंति, तए णं से गोत्तासे कूडग्गाहे दोच्चा(ओ)ए पुढवी(ओ)ए अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव वाणियगामे नयरे विजयमित्तस्स सत्यवाहस्स सुभद्दाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उवव-ने, तए णं सा सुभद्दा सत्यवाही अ-न्नया कया(इं)इ नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दार-गं पयाया, तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही तं दारगं जायमेत्तयं चेव एगंते उ(कु)कुरुडियाए उज्झावेइ उज्झावेत्ता दोच्चं-पि गिण्हावेइ २ ता अ(आ)गुपुव्वेणं सारक(खोखेमाणी संगोवेमाणी संवड्ढेइ, त-ए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो ठिइवडियं [च] चंदसूरदंस(णियं)णं च जागरियं [च] महया इड्डीसकारसमुदएणं करेंति, त-ए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो ए(इ)कारसमे दिवसे निव्वत्ते संपत्ते वार(साहे)समे दिवसे इममेयारूवं गोणं गुणनिप्फन्नं नामधेज करेंति, जम्हा णं अम्हं इमे दारए जाय-मेत्तए चेव एगते उक्कुरुडियाए उज्झिए तम्हा णं होउ अम्हं दारए उज्झियए नामेणं, तए णं से उज्झियए दारए पंचधाईपरिग्ग(ही)हिए तं० खीरधाईए (१) मजणधाईए (२) मंडणधाईए (३) कीलावणधाईए (४) अंकाईए (५) जहा दढपइन्ने जाव निव्वाघाए गिरिकंदरमल्लीणे [वि]व चंप-पायवे सुहंसुहेणं विहरइ, तए णं से विजयमित्ते सत्थवाहे अ-नया कया-इ गणिमं च १ धरिमं च २ मेजं च ३ पारिच्छेजं च ४ चउव्विहं भंडगं गहाय लवणसमुदं पोयवहणे(ण)ण उवागए, तए णं से विजयमित्ते तत्थ लवणसमुद्दे पोयविवत्तीए नि[]बुड्डभंडसारे अत्ताणे असरणे कालधम्मुणा संजुत्ते, तए णं तं विजयमित्तं सत्यवाहं जे जहा बहवे ईसरतलवरमाडंबियकोडं वियइब्भसेट्ठिसत्थवाहा लवणसमुद्दे पोयविवत्तीए छूढं निव्वुडभंडसारं कालधम्मुणा संजुत्तं सुणेति ते तहा हत्थ-निक्खेवं च वाहिरभंडसारं च गहाय एग(तं)ते अवक्कमंति । तए णं सा सुभद्दा सत्यवाही विजयमित्तं सत्यवाहं लवणसमुद्दे पोयविवत्तीए निब्बुड्ड. कालधम्मुणा संजुत्तं सुणेइ २ त्ता महया पइसोएणं अप्फुन्ना समाणी परसु-नियत्ता-विव चंपगलया Page #1305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्लवमाणीकरण आसत्या कोह) को सु० १ ०२] सुत्तागमे १२५३ धस-त्ति धरणीयलंसि सव्वंगे(हिं)ण संनि(प)वडिया, तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही मुहुत्तंतरे-ण आसत्था समाणी वहहिं मित्त जाव परिवुडा रोयमाणी कंदमाणी विलवमाणी विजयमित्तसत्यवाहस्स लोइयाइं मयकिच्चाई करेइ, तए णं सा सुभद्दा सत्यवाही अ-नया कया-इ लवणसमुद्दोत्तरण च लच्छिविणासं च पोयविणासं च पइमरणं च अणुचिं(त)तेमाणी २ कालधम्मुणा संजुत्ता ॥ ११॥ तए णं ते न-गर' गुत्तिया सुभदं सत्यवा(ह)हिं कालगयं जाणित्ता उज्झियगं दारगं सया-ओ गिहाओ निच्छुभंति निच्छुभित्ता तं गिह अ-नस्स दलयंति, तए णं से उज्झियए दारए सयाओ गिहाओ निच्छुढे समाणे वाणियगामे नयरे सिंघाडग जाव पहेसु जूय(ख)खेलएसु वेसियाघ-रेसु पाणागारेसु य सुहंसुहेणं परिवड्डइ, तए णं से उज्झियए दारए अणोह[टि]टए अणिवारिए सच्छंदमई सइर[]पयारे मजप्पसंगी चोरजूयवेसदारप्पसंगी जाए यावि होत्था, तए णं से उज्झियए अ-नया कया-इ कामज्झयाए गणियाए सद्धिं संपलग्गे जाए यावि होत्था, कामज्झयाए गणियाए सद्धिं विउलाई उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ, तए णं तस्स विजयमित्तस्स र-नो अ-नया कया-इ सिरीए देवीए जो(णी)णिसूले पाउन्भूए यावि होत्था, नो संचाएइ विजयमित्ते राया सि(रि)रीए देवीए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए, तए णं से विजयमित्ते राया अ-नया कया-इ उज्झियदारयं कामज्झयाए गणियाए गिहाओ निच्छुभावेइ २ त्ता कामज्झयं गणियं अन्भितरियं ठावेइ २ त्ता कामज्झयाए गणियाए सद्धिं उरालाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ । तए णं से उज्झियए दारए कामज्झयाए गणियाए गिहाओ निच्छुमेमाणे कामज्झयाए गणियाए मुच्छिए गिद्ध गढिए अज्झोवव-न्ने अ-नत्थ कत्थइ सुइं च रइं च घिइं च अविंदमाणे तच्चित्ते तम्मणे तल्लेसे तदज्झवसाणे तदट्ठोवउत्ते तयप्पियकरणे तब्भावणाभाविए कामज्झयाए गणियाए बहूणि अंतराणि य छि(हा)डाणि य विवराणि य पडिजागरमाणे २ विहरइ, तए णं से उज्झियए दारए अ-नया कया-इ कामज्झयं गणियं अंतरं ल(भे)न्भेइ, [२] कामज्झयाए गणियाए गिह रहसियं अणुप्पविसइ २ त्ता कामज्झयाए गणियाए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ । इमं च णं मित्ते राया ण्हाए सव्वालंकारविभूसिए मणुस्सवागुरा(ए)परि[खि]क्खित्ते जेणेव कामज्झयाए गिहे तेणेव उवागच्छइ २ ता तत्य णं उज्झियए दारए कामज्झयाए गणियाए सद्धिं उरालाई भोगभोगाइं जाव विहरमाणं पासइ २ त्ता आसुरुत्ते [४] तिवलियभिउडिं नि(लाडे)डाले साहटु उज्झिय-गं दार- पुरिसेहिं गिण्हावेइ २ त्ता अद्विमुहिजाणुकोप्परपहारसंभग्गमहियगत्तं करेइ Page #1306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [विवागसुर्य १२५४ २ त्ता अव-ओड-यवंधणं करेइ २ त्ता एएणं विहाणेणं वज्झं आणावेइ, एवं खलु गोयमा ! उज्झियए दारए पुरापोराणाणं कम्माणं जाव पचणु-भवमाणे विहरइ ॥ १२ ॥ उज्झियए णं भंते ! दारए इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहि० कहि उववजिहिइ ? गोयमा ! उज्झियए दारए पणवीसं वासाइं परमाउयं पालइत्ता अजेव तिभागावसेसे दिवसे सूलीभि-ने कए समाणे कालमासे कालं किचा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयत्ताए उववजिहिइ, से णं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेयडगिरिपायमूले वा-णरकुलंति वाणरत्ताए उववजिहिइ, से णं तत्थ उम्मुक्कवालभावे तिरियभो(ए)गेतु मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोवव-ने जाए जाए वा-णरपेल्लए वहेइ तं एयकम्मे [एयप्पहाणे एयविने एयसमुदायारे] कालमासे कालं किच्चा इहेव जंबुद्दीवे दीवे भार(ह)हे वासे इंदपुरे नयरे गणियाकुलंसि पुत्तत्ताए पचायाहिइ, तए णं तं दार(गं)यं अम्मापियरो जाय(मि)मेत्तकं बद्धेहिंति नपुंसगकम्मं सिक्खावेहिति, तए णं तस्स दार-यस्स अम्मापियरो निव्वत्तवारसाहस्स इमं एयात्वं नामधे क(रेहि)रेंति तं०-हो(ऊ)उ णं [अम्हं इमे दारए] पियसेणे नामं नपुंसए, तए णं से पियसेणे नपुंसए उम्मुक्कबालभावे जोव्वगगमणुप्पत्ते विण्(णा)णयपरिणय-मेत्ते स्वेण य जोव्वणेण य लावण्गेण य उकिडे उकिसरीरे भविस्सइ, तए णं से पियसेणे नपुंसए इंदपुरे नयरे वहवे राईसर जाव पभि(इ-य)ईओ वहूहि य विजाप[यो]ओगेहि य मंतचुण्णेहि य हियउड्डावणाहि य निण्हवणेहि य पण्हवणेहि य वसीकरणेहि य आभि-ओगिएहि य अभि-ओगित्ता उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरिस्सइ, तए णं से पियसेणे नपुंसए एयकम्मे० सुवहुं पावकम्मं समजिणित्ता ए-कवीसं वाससयं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयत्ताए उववजिहिइ, त(ओ), त्तो सरीस(सिरिसि)वेसु सुंसुमारे तहेव जहा पढमो जाव पुढवि० से णं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपाए नयरीए महिसत्ताए पञ्चायाहिइ, से गं तत्थ अ-नया कया-इ गोहिल्लएहिं जीवि(आ)याओ ववरोविए समाणे तत्थेव चंपाए नयरीए सेट्टिकुलंसि पुत्तत्ताए पचायाहिइ, से णं तत्य उम्मुक्कवालभावे तहाख्वाणं थेराणं अंतिए केवलं बोहिं""अणगारे सोहम्मे कप्पे जहा पढमे जाव अंतं करेहिइ ॥ निक्खेवो ॥ १३ ॥ विइयं अज्झयणं समत्तं ॥ ___ तच्चस्स उक्खेवो एवं खलु जंवू ! तेणं कालेगं तेणं समएणं पुरिमताले नामं नयरे होत्था रिद्ध०, तस्स णं पुरिमतालस्स नयरस्स उत्तरपुर-त्थिमे दिसीभाए एस्थ णं अमोहदसणे उजाणे होत्या, तत्थ णं पुरिमताले () म(ह)हावले नाम Page #1307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२५५ 'सु० १ ०३] सुत्तागमे राया होत्था, तत्थ णं पुरिमतालस्स नयरस्स उत्तरपुर-त्थिमे दिसीभाए देसप्पंते अडवी संठिया, एत्थ णं साला-नाम अडवी-चोरपल्ली होत्था विसमगिरिकंदरकोलंबसं-निविट्ठा वंसीकलंकपागारपरिक्खित्ता छि-नसेलविसमप्पवायफरिहोवगूढा अभितरपाणीया सुदुल्लभजलपेरंता अणेगखंडी-विदियजणदि-ननिग्गम[]पवेसा सुबहुयस्स-वि कुवियस्स जणस्स दुप्पहंसा यावि होत्था, तत्थ णं सालाडवीए चोरपल्लीए विजए नामं चोरसेणावई परिवसइ अहम्मिए जाव (हणछिन्नभिन्नवियत्तए) लोहियपाणी बहु-नयर-निग्गयजसे सूरे दढप्पहारे साहसिए सद्दवेही परिवसइ (अहम्मिए०) असिलट्ठिपढममल्ले, से णं तत्थ सालाडवीए चोरपल्लीए पंचण्हं चोरसयाणं आहेवचं जाव विहरइ ॥ १४ ॥ तए णं से विजए चोरसेणावई बहूणं चोराण य पारदारियाण य गंठिभेयाण य संधिच्छेयाण य खंडपट्टाण य अ-नेसि च बहूणं छि-न्नभिन्नवाहिराहियाणं कुडंगे यावि होत्था, तए णं से विजए चोरसेणावई पुरिमतालस्स नयरस्स उत्तरपुर-त्थिमिल्लं जणवयं बहूहिं गामघाएहि य न-गरघाएहि य गोग्गह हि य वंदिग्गहणेहि य पंथकोहि य खत्तखणणेहि य ओ-वीलेमाणे (२) विद्धंसेमाणे तज्जेमाणे तालेमाणे नित्थाणे निधणे निकणे कप्पायं करेमाणे विहरइ, महब्बलस्स र-न्नो अभिक्खणं २ कप्पायं गे-ण्हइ, तस्स णं विजयस्स चोरसेणावइस्स खंदसि(रि-)री नामं भारिया होत्था अहीण०, तस्स णं विजयचोरसेणावइस्स पुत्ते खंदसिरीए भारियाए अत्तए अभग्गसेणे नामं दारए होत्था अहीणपुण्णपं(चें)चिंदियसरीरे वि(ण्णा)न्नयपरिणयमेत्ते जोव्वणगमणु-पत्ते । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पुरिमताले नयरे (जे० अ० उ० ते०) समोसढे परिसा निग्गया राया निग्गओ धम्मो कहिओ परिसा राया य पडिगओ, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी गोयमे जाव रायमगं समोगाढे, तत्थ णं बहवे हत्थी पासइ बहवे आसे पुरिसे संनद्धवद्धकवए ते(सि)सिं णं पुरिसाणं मज्झगय एगं पुरिसं पासइ अव-ओडय जाव उग्घो(से)सिजमाणं, तए णं तं पुरिसं रायपुरिसा पढम(मि)सि चच्चरंसि नि(सि)सीया(वि) वेति २ त्ता अट्ठ चुल[प्पिय]पिउए अग्गओघाएंति २ [त्ता] कसप्पहारेहि तालेमाणा २ कलुणं का-गणिमंसाइं खावेंति खावेत्ता रुहिरपा(णी)णियं च पा(य)एंति तयाणंतरं च णं दोच्चंसि चच्चरंसि अट्ठ चुल्ल(लहु)माउयाओ अग्गओ घा-एंति एवं तचे चचरे अट्ठ महापिउए चउत्थे अट्ठ महामाउयाओ पंचमे पुत्ते छठे सुण्हा सत्तमे जामाउया अट्ठमे धूयाओ नवमे नत्तुया दसमे नत्तुईओ एकारसमे नत्तुयावई वारसमे जत्तुइणीओ तेरसमे पिउस्सियपइया चो(चउ)इसमे पिउसियाओ प-नरसमे माउ Page #1308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १२५६ [विवागसुर्य सियापइया सोलसमे माउ(स्सि)सियाओ सत्तरसमे मा(सिमियाओ अट्ठारसमे अवसेस मित्त-नाइ-नियगसयणसंबंधिपरि-यणं अग्गओ घा-एंति २ ता कसप्पहारेहि तालेमाणा २ कलुणं का-गणिमंसाइं खावेंति [२] रुहिरपा-णियं च पाएंति ॥ १५ ॥ तए णं से भगवं गोयमे तं पुरिसं पा(स)सेइ २ ता इमे ए(अयमे)यालवे अज्झ. थिए (पत्थिए) समुप्प-ने जाव तहेव निग्गए एवं वया-सी-एवं खलु अहं णं भंते ! तं चेव जाव से णं भंते ! पुरिसे पुत्वभवे के आसी जाव विहरइ ? एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पुरिमताले-ना(म)मं नयरे होत्था रिद्ध०, तत्थ णं पुरिमताले नयरे उदिओदिए-नामं राया होत्या महया०, तत्थ णं पुरिमताले निन्नए-नामं अंडयवाणियए होत्था अढे जाव अपरिभूए अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तस्स णं नि-नयस्स (अंडयवाणिय-ग-स्स) वहवे पुरिसा दि-नभइभत्तवेयणा कल्लाकल्लिं कु(को)दालियाओ य पत्यि(या)यपिडए [य] गि-हंति, [२] पुरिमतालस्स नयरस्स परिपेरंतेसु वहवे काइअंडए य घू(घू)इअंडए य पारेवइ० टिट्टिभिअंडए य ख[ग्गि]गि अं० मयूरि० कुक्कुडिअंडए य अ-नेसि च बहूर्ण जलयरथलयरखहयरमाईणं अंडाइं गेण्हंति २ त्ता पत्थियपिडगाई भरेंति [२] जेणेव नि-नयए अंडवाणियए तेणामेणेव उवागच्छन्ति २ त्ता नि-नय(ग)स्स अंडवाणियस्स उवणेंति, तए णं (से) तस्स नि-नयस्स अंडवाणियस्स वहवे पुरिसा दि-नभइ० बहवे काइअंडए य जाव कुकुडिअंडए य अ-नेसिं च वहणं जलयरथलयर(खेच)खहयरमाईणं अंडयए तवएसु य कवलीसु य कं(ड)दुएसु य भजणएसु य इंगालेसु य त(लिं)लेंति भ(ज)जेंति सो(ल्लिं)ल्लेति तलेता भ(जिं)जंता सो-लेता रायमग्गे अंतरावणंसि - अंडय(एहि य)पणि(ग)एणं वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति, अप्प(णो)णा-वि य णं से नि-नयए अंडवाणियए तेहिं वहहिं काइ(य)अंडएहि य जाव कुक्कुडिअंडएहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भ(जे)जिएहि य सुरं च""आसाएमाणे विसाएमाणे विहरइ, तए णं से नि-नए अंडवाणियए एयकम्मे ४ सुवहुं पावकम्म समजिणित्ता एग वाससहस्सं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा तच्चाए पुढवीए उनोससत्तसागरोवमठि-इएसु नेरइएसु नेरइयत्ताए उवव-ने ॥ १६॥ से णं तओ अणंतरं उव्वहित्ता इहेव सालाडवीए चोरपल्लीए विजयस्स चोरसेणावइस्स खंदसिरीए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उवव-ने, तए णं तीसे खंदसिरीए भारियाए अ-नया कया-इ तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं इमे एयारूवे दोहले पाउन्भूए-धन्ना ओ णं ताओ अम्सया० जाओ णं बहूहि मित्त-नाइ-नियगसयणसंबंधिपरियणमहिलाहिं अ-नाहि य चोरमहिलाहिं सद्धिं संपरिवुडा पहाया सव्वालंकारविभूसिया वि-उलं. Page #1309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ अ०३] सुत्तागमे ૧રપ૭ असणं पाणं खाइमं साइमं सुरं च म० च आसाएमाणी विसाएमाणी० विहरति जिमियभुत्तुत्तरागयाओ पुरिस-नेवत्थिया संनद्धवद्ध जाव [गहियाउह]पहरणा(वरणा) भरिए(हि योहिं फ(लि)लएहि निविटाहिं असीहिं अंसागएहिं तोणेहिं सजीवेटिं धणूहिं समुक्खित्तेहिं सरेहिं समुल्लालिया-हिं दा(हा)माहिं लंबिया-हि य ओसारियाहिं ऊरुघंटाहिं छिप्पतूरेणं वजमाणेणं २ महया उक्लिट्ठ जाव समुद्दरवभूयं-पिव करेमाणीओ सालाडवीए चोरपल्लीए सव्वओ समंता ओलोएमाणीओ २ आहिंडमाणीओ (२) दोहलं विणेंति, तं जइ (ण) अहं-पि जाव [दोहलं] विणिजामित्तिकटु तंसि दोहलंसि अविणिजमाणसि जाव झियाइ । तए णं से विजए चोरसेणावई खंदसि-रिभारियं ओहय जाव पासइ, २ [त्ता एवं वयासी-किं णं तुमं देवाणुप्पि-या! ओहय जाव झियासि , तए णं सा खंदसिरी (भा०) विजय एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! म-म तिण्हं मासाणं जाव झियामि, तए णं से विजए चोरसेणावई खंदसिरीए भारियाए अंति(य)ए एयमढं सोचा निसम्म खंदसिरिभारियं एवं वयासी-अहासुहं देवाणुप्पियत्ति एयमढे पडिसुणेइ, तए णं सा खंदसि(री)रिभारिया विजएणं चोरसेणावइणा अब्भणु नाया समाणी हद्वतुट्ठ० बर्हि मित्त जाव अन्नाहि य वहहिं चोरमहिलाहिं सद्धि संपरिवुडा पहाया सव्वालंकारविभूसिया वि-उल असणं ४ सुरं च ६ आसाएमा(गा)णी ४ विहरइ जिमियभुत्तुत्तरागया पुरिस-नेव[च्छा]त्था संनद्धवद्ध जाव आहिंडमाणी दोहलं विणेइ, तए णं सा खंदसि-रिभारिया संपुण्णदोहला संमाणियदोहला विणीयदोहला वोच्छिन्नदोहला संप-नदोहला तं गम्भं सुहंसुहेणं परिवहइ, तए णं सा (खंदसिरी) चोरसेणावइणी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दार-गं पयाया, तए णं से विज(य)ए चोरसेणावई तस्स दारगस्स महया इ(ड्डि)ड्डीसक्कारसमुदएणं दसरत्तं ठिइवडियं करेइ, तए णं से विजए चोरसेणावई तस्स दारगस्स एकारसमे दिवसे वि-उलं असणं ४ उवक्खडावेइ [२]मित्त-नाइ० आमंतेइ २ त्ता जाव तस्सेव मित्त-नाइ० पुरओ एवं वयासी-जम्हा णं अम्हं इमंसि दारगंसि गन्भगयंसि समाणसि इमे एयारूवे दोहले पाउन्भूए तम्हा णं होउ अम्हं दार(गे)ए अभग्गसेणे नामेणं, तए णं से अभग्गसेणे कुमारे पंचधाई(ए) जाव परिवढइ ॥ १७ ॥ तए णं से अभग्गसेणे कुमारे उम्मुक्कवालभावे यावि होत्था अट्ठ दारियाओ जाव अट्ठओ दाओ""उपि पासा.""भुंजमाणे विहरइ, तए णं से विजए चोरसेणावई अ-नया कया(ई)इ कालधम्मुणा संजुत्ते, तए णं से अभग्गसे(ण)णे कुमारे पंचहि चोरसएहि सद्धिं संपरिवुडे रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे विजयस्स चोरसेणावइस्स महया इ-ड्डीसकार Page #1310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे [ विवाग सुर्य समुदणं नीहरणं करेइ २ त्ता बहूई लोइयाई मय किच्चाई करेइ २ त्ता के (व) णइकालेगं अप्पसोए जाए यावि होत्था, तए णं ते पंच चोरसयाई अन्नया कया (इं) इ अभग्गसेणं कुमारं सालाडवीए चोरपल्लीए महया २ चोरसेणावइत्ताए अभिसिंचंति । तए णं से अभग्गसे-णे कुमारे चोरसेणावई जाए अहम्मिए जाव कप्पायं गि-हइ, तए णं (से) ते जाणवया पुरिसा अभग्गसेणेणं चोरसेणावइणा बहुगामघायावणाहिं ताविया समाणा अन्नमन्नं सद्दावेंति २ त्ता एवं वयासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! अभग्गसेणे चोरसेणावई पुरिमतालस्स नयरस्स उत्तरिलं जगवयं वहूहिं गामवाएहिं जाव निद्धणं करेमाणे विहरइ, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! पुरिमताले नयरे महाबलस्स रन्नो एयमहं वि न्नवित्तए, तए णं ते जा ( ज ) गवया पुरिसा एयमहं अन्नमन्नेणं पडिसुर्णेति २ त्ता महत्थं महग्घं महरिहं रा (य) यारिहं पाहुडं गि- ( हैं ) हंति २त्ता जेणेव पुरिमताले नयरे तेणेव उवाग० २ त्ता जेणेव म-हावले राया तेणेव उवाग० २ त्ता म-हावलम्स र नो तं महत्थं जाव पाहुडं उवर्णेति [२] करयल''''अंजलिं कट्टु म-हावलं रायं एवं वयासी एवं खलु सामी ! सालाडवीए चोरपल्लीए अभग्गसेणे चोरसेणावई अम्हे वहूहिं गामघाएहि य जाव निडणे करेमाणे विहरइ, तं इच्छामि णं सामी ! तु (भं) ज्झं वाहुच्छाया परिग्गहिया निग्भया निवसग्गा सुहेणं परिवसित्तएत्तिकट्टु पा-य वपडिया पंजलिउडा महावलं रायं एयमहं वि-न्नवेंति, तए णं से म-हावले राया तेसिं जाणवयाणं पुरिसाणं अंतिए एयमहं सोच्चा निसम्म आसुरुते जाव मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडिं निडाले माह दंडं सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी - गच्छह णं तु० देवाणुप्पिया ! सालाडावें चोरपलिं विलुंपाहि २ त्ता अभग्गसेणं चोरसेणावईं जीवग्गाहं गि-हाहि २ त्ता म- मं उवगेहि, तए णं से दंडे तहत्ति एयमहं पडिसुणेइ, तए णं से दंडे वहूहिं पुरिसेहिं संनद्धवद्ध जाव पहरणेहि सद्धिं संपरिवुडे मग्गइएहिं फलएहिं जाव छिप्पतूरेणं वजमाणेणं महया जाव उक्ति (डिं) जाव करेमाणे पुरिमतालं नयरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव सालाडवी (ए) चोरपल्ली (ए) तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तएणं तस्स अभग्गलेणस्स चोरसेणावर (य) स्स चारपुरिसा इमीसे कहाए लट्ठा समाणा जेणेव सालाडवी चोरपल्ली जेणेव अभग्गसेणे चोरसेणावई तेणेव उवाग (या) च्छंति २त्ता करयल जाव एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! पुरिमताले नयरे महावलेणं र-ना म ( हया) हा भडचडगरेणं दं (डं) डे आणत्ते - गच्छह णं तु (मे) भे - देवाणुप्पिया ! सालाडविं चोरपलिं विलुंपाहि अभग्गसेणं चोरसेणावई जीव ( ) गाईं गण्हाहि २ त्ता मन्मं उवणेहि, तए णं से दंडे महया भडचडगरेणं जेणेव -- १२५८ Page #1311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ ०३] सुत्तागमे १२५९ सालाडवी चोरपल्ली तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तए णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई तेसिं चारपुरिसाणं अंतिए एयमढे सोचा निसम्म पच-चोरसयाई सद्दावेइ सदावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! पुरिमताले नयरे म-हावले जाव तेणेव पहारेत्य गमणाए (आगए, तए णं से अभग्गसेणे ताई पंच-चोरसयाई एवं वयासी-) तं सेयं खलु देवाणुप्पिया । अम्हं तं दंडं सालाडविं चोरपल्लिं असंप(त)त्ते अंतरा चेव पडिसेहित्तए, तए णं ताइं पंच-चोरसयाई अभग्गसेणस्स चोरसेणावइस्स तहत्ति जाव पडिसुणेति, तए णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई वि-उलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेइ २ त्ता पंचहि चोरसएहिं सद्धिं व्हाए भोयणमंडवंति तं वि-उलं असणं ४ सुरं च ६ आसाएमाणे ४ विहरइ, जिमियभुत्तुत्तरागए-वि (अ) य णं समाणे आयंते चोक्खे परमसुइभूए पंचहि चोरसएहि सद्धिं अल्लं चम्मं दु(कोल्हइ २ [त्ता] सं-नद्धवद्ध जाव पहरणेहिं मग्गइएहिं जाव रवेणं पुव्वा (पच्चा)वरण्हकालसमयंसि सालाडवीओ चोरपल्लीओ निग्गच्छइ २ [त्ता] विसमदुग्गगहणं ठिए गहियभत्तपाणे तं दंडं पडिवालेमाणे चिठ्ठइ, तए णं से दंडे जेणेव अभग्गसेणे चोरसेणावई तेणेव उवागच्छइ २ [त्ता] अभग्गसेणेणं चोरसेणावइणा सद्धि संपलग्गे यावि होत्या, तए णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई तं दंडं खिप्पामेव हयमहिय जाव पडिसेहि० तए णं से दंडे अभग्गसेणे-णं चोरसेणावइणा हय जाव पडिसेहिए समाणे अथामे अवले अवीरिए अपुरिसकारपरकमे अधारणिजमितिकटु जेणेव पुरिमताले नयरे जेणेव म-हावले राया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता करयल० एवं वयासी-एवं खलु सामी! अभग्गसेणे चोरसेणावई विसमदुग्गगहणं ठिए गहियभत्तपा(णि)णीए नो खलु से सका केणइ सुवहुएणावि आसबलेण वा हत्यिवलेण वा जोहवलेण वा रहवलेण वा चाउरिगिणि-पि० उरंउरेणं गिण्हित्तए ताहे सामेण य भे-एण य उवप्प(दा)याणेण य वि[स](वी)संभमाणे उ(प)वयए यावि होत्था, जे-वि (य) से अभितरगा सीसग(स)भमा मित्त-नाइ-नियंगसयणसंबंधिपरियणं च वि-उलधणकणगरयणसंतसारसाव(इ)एजेणं भिदइ अभग्गसेणस्स य चोरसेणावइस्स अभिक्खणं २ महत्थाई महग्धाइं महरिहाई पाहुडाई पेसेइ [२] अ(भंग)भगासेणं चोरसेणावइं वी(वि)संभमाणेइ ॥ १८ ॥ तए णं से म-हावले राया अ-नया कया-इ पुरिमताले नयरे एगं महं महइमहालियं कूडागारसालं करेइ अणेगक्खंभसयसंनिविलु पासा(इ)ईयं दरसणिज०, तए णं से म-हावले राया अ-नया कया-इ पुरिमताले नयरे उस्सुक्नं जाव दुसरत्तं पमोयं (उर)घोसावेइ २ त्ता कोडंबियपुरि (सं)से सद्दावेइ २ ता एवं वयासी-गच्छह णं तुन्भे देवाणुप्पिया! Page #1312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तागमे १२६० [विवागसुर्य सालाडवीए चोरपल्लीए तत्थ णं तु[न्भे]म्हे अभग्गसेणं चोरसेणावई करयल जाव एवं व०-एवं खलु देवाणुप्पिया ! पुरिमताले नयरे महाबलस्स र-नो उस्मुक्के जाव दसरत्ते पमो-ए उग्घोसिए तं किं णं देवाणुप्पिया! वि-उलं असणं ४ पुप्फवत्थ(गंध)मल्लालका(रे योरं ते इहं हव्वमाणिज्जउ उदाहु सयमेव गच्छि[त्था]त्ता ?, तए णं [ते] कोडुबियपुरिसा म-हावलस्स र-नो करयल जाव पडितुणेति २ त्ता पुरिमतालाओ नयराओ पडि० नाइविकिहिं अद्धाणेहिं सुहेहिं वस(हिं)हीपायरासेहिं जेणेव सालाडवी चोरपल्ली तेणेव उवागच्छंति [२] अभग्गसेणं चोरसेणावई करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! पुरिमताले नयरे म-हावलस्स र-ओ उस्मुने जाव उदाहु सयमेव गच्छि-त्ता ?, तए णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई ते कोडंबियपुरिसे एवं वयासी-अहं णं देवाणुप्पिया ! पुरिमता(ले)लनय(रे)रं सयमेव गच्छामि, ते, कोडुबियपुरिसे सकारेइ""पडिविसज्जेइ, तए णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई वहहिं मित्त जाव परिवुडे पहाए सव्वालंकारविभूसिए सालाडवीओ चोरपल्लीओ पडि-निक्खमइ २ ता जेणेव पुरिमताले नयरे जेणेव म(लोहावले राया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता करयल० म(हब्ब)हावलं रायं जएणं विजएणं वद्धावेइ २ त्ता महत्थं जाव पाहुडं उवणेइ । तए णं से म-हाबले राया अभग्गसेणस्स चोरसेणावइस्स तं महत्थं जाव पडिच्छइ, अभग्गसेणं चोरसेणावई सकारेइ संमाणेइ पडिविसज्जेइ कूडागारसालं च से आवसहं दलयइ, तए णं [से] अभग्गसेणे चोरसेणावई म-हावलेणं र-ना विसजिए समाणे जेणेव कूडागारसाला तेणेव उवागच्छइ, तए णं से म(-लोहावले राया कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया। वि-उलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेह २ त्ता तं वि-उलं असणं ४ सुरं च ६ सुवहुं पुप्फ[वत्थ] गंधमलालंकारं च अभग्गसेणस्स चोरसेणावइस्स कूडागारसा(लाए)लं उवणेह, तए णं ते कोडंबियपुरिसा करयल जाव उवणेति, तए णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई वहूहि मित्त-नाइ जाव सद्धिं संपरिबुडे ण्हाए सव्वालंकारविभूसिएतं वि-उलं असणं ४ सुरं च ६ आसाएमाणे ४ पमत्ते विहरइ, तए णं से म-हावले राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ २त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तु(ब्भे)म्हे देवाणुप्पिया! पुरिमतालस्स नयरस्स दुवाराई पिहे० अभग्गसेणं चोरसेणावइंजीव-गाहं गिण्हह [२] ममं उवणेह, तए णं ते कोडुंबियपुरिसा करयल जाव पडिसुणेति २ त्ता पुरिमतालस्स नयरस्स दुवाराई पिहेंति अभग्गसेणं चोरसेणावई जीवगाहं गिण्हति [२] म-हाबलस्स रन्नो उवणेति, तए णं से म-हावले राया अभग्गसेणं चोरसेणावई एएणं विहाणेणं वज्झं आणवेइ, एवं खलु गोयमा! अभग्गसेणे चोरसेणावई Page #1313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सु० १ अ० ४ ] सुत्तागमे १२६१ पुरा (पु) पोराणाणं जाव विहरइ । अभग्गसेणे णं भंते । चोरसेणावई कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहि० कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! अभग्गसेणे चोरसेणावई सत्तत्तीसं वासाइं परमाउयं पालइत्ता अजेब तिभागावसेसे दिवसे सूलभिन्ने कए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोस'' नेरइएसु उववज्जिहिइ, से णं तओ अनंतरं उव्वट्टित्ता एवं संसारो जहा पढ (मो) मे जाव पुढवीए, तओ उव्वट्टित्ता वाणारसीए नयरीए सूयरत्ताए पच्चायाहिड, से णं तत्थ सो[स्]यरिएहिं जीवियाओ ववरोविए समाणे तत्थेव वाणारसीए नयरीए सेट्ठिकुलंसि पुत्तत्ताए पचायाहि, से णं तत्थ उम्मुक्काबालभावे एवं जहा पढमे जाव अंतं काहिइ ॥ निक्खेवो ॥ १९ ॥ तइयं अज्झयणं समत्तं ॥ जइ णं भंते!''''चउत्थस्स उक्खेवो, एवं खलु जंबू । तेणं कालेणं तेणं समएणं साहंजणी - नामं नयरी होत्या रिद्धत्थिमियसमिद्धा, तीसे णं साहंजणीए वाहिया उत्तरपुर- त्थिमे दिसीभाए देवरमणे नामं उज्जाणे होत्था, तत्थ णं साहंजणीए नयरीए महचंदे नामं राया होत्था महया०, तस्स णं महचंदस्स र-नो सुसेणे नामं अमच्चे होत्था सामभेयदंड० निग्गहकुसले, तत्थ णं साहंजणीए नयरीए सु (दं) दरिसणा- नामं गणिया होत्था वण्णओ, तत्थ णं साहंजणीए नयरीए सुभद्दे नामं सत्थवाहे (हो०) परिवसइ अड्डे, तस्स णं सुभद्दस्स सत्यवाहस्स भद्दा - नामं भारिया होत्था अहीण, तस्स णं सुभद्द ( स्स) सत्थवाहस्स पुत्ते भद्दाए भारियाए अत्तए सगडे नामं दार होत्या अहीण०, तेणं काळेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे..समोस - रणं परिसा राया य निग्गए धम्मो कहिओ परिसा ( रा ० ) पडिग (ओ) या, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्ठे अंतेवासी जाव रायमग्गमोगाढे तत्थ णं हत्थी आसे पुरिसे" "ते-सि च णं पुरिसाणं मज्झग [ ए ]यं पासइ एगं सइ - त्थीयं पुरिसं अव-ओड-यवंधणं उक्खित्त जाव घो ( सेण ) सिज्जमाणं चिंता तहेव जाव भगवं वागरेइ, एवं खलु गोयमा ! तेणं काळेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे छगलपुरे नामं नयरे होत्था, तत्थ सी (सिं) हगि (रि) री नाम राया होत्था महया०, तत्थ णं छगलपुरे नयरे छ (णि) णिए नामं छागलि (छगली) ए परिवसइ अड्डे॰ अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तस्स णं छ- णियस्स छा (छ) गलियस्स वहवे अ (जा) याण य ए (ला) लयाण य रोज्झाण य वसभाण य सस्याण य सूयराण य पसयाण य सिंघाण य हरिणाण य मयूराण य महिसाण य सयवद्धाण य सहस्सबवाण य जूहाणि वाडगंसि संनिरुद्धाई चिट्ठति, अ-न्ने य तत्थ वहवे पुरिसा दि-नभइभत्तवेयणा बहवे अए य जाव महिसे य सारक (ख) खेमाणा संगोवेमाणा चिद्वंति, Page #1314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1262 सुत्तागमे [विवागसुर्य अ-न्ने य से वहवे पुरिसा अयाण य जाव गिर्हसि निरुद्धा चिट्ठति, अ-न्ने य से वहवे पुरिसा दि-नभइभत्तवेयणा वहवे सय(अ)ए य (जाव) सहस्(महि)से य जीवियाओ ववरो-वेंति [2] मंसाइं क(प्पि-णी)प्पणिकप्पियाइं करेंति [2] छ(णी)णियस्स छागलि-यस्स उवणेति, अन्ने य से वहवे पुरिसा ताई व(ह)हुयाइं अयमंसाइं जाव महिसमंसाइं तवएसु य कवल्लीसु य कं(दू)दुएसु य भजणेमु य इंगालेसु य त(ल)लेति य भजेति य सो(ल्योल्लेति य . तओ रायमगंति वित्तिं कप्पेमाणा विहरति, अप्पणा-वि-य णं से छ(निय-)णिए छाग(ली)लिए तेहिं बहुवि० मंसेहिं जाव महिसमंसेहिं सोल्लेहि य त(ले)लिएहि य भ(जे)जिएहि य मुरं च 6 आसाएमाणे विहरइ, तए णं से छ(न्नी)णिए (य) छगलि-ए एयकम्मे""सुबहुं पावकम्मं कलिकलुसं समजिणित्ता सत्त-वाससयाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा चोस्थीए पुढवीए उकोसेणं दससागरोवमठिइएतु नेरइयत्ताए उवव-ने // 20 // तए णं तस्स सुभद्द-सत्थवाहस्स भद्दा भारिया जा(व)यनिंदुया यावि होत्या, जाया जाया दारगा विणिहायमावजंति, तए णं से छ-णिए छाग(ले-)लिए चो-स्थीए पुढवीए अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव साहंजणीए नयरीए सुभद्दस्स सत्यवाहस्स भद्दाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उक्व-न्ने, तए णं सा भद्दा सत्यवाही अ-नया कया-इ नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दारगं पयाया, तए णं तं दारगं अम्मापियरो जायमेत्तं चेव सगडस्स हे(ड)ट्ठाओ] ठावेंति (0) दोच्चं-पि गिण्हावेंति (0) अणुपुत्वेणं सारक(ख)खेति संगोवेति संववेति जहा उज्झियए जाव जम्हा णं अम्हं इमे दारए जायमेत्ते चेव सगडस्स हेट्ठा ठाविए तम्हा ण हो-उ णं अम्हं एस दारए सगडे नामेणं, सेसं जहा उज्झियए, सुभद्दे लवणसमुद्दे कालगए माया-वि कालगया, से(s)वि सयाओ गिहाओ निच्छुढे, तए णं से सगडे दारए सया-ओ गिहाओ निच्छूढे समाणे सिं(सं)घाडग""तहेव जाव सु-दरिसणाए गणियाए सद्धिं संपलग्गे यावि होत्या, तए णं से सुसेणे अमचे तं सगडं दारगं अ-नया कया-इ सुदरिसणाए गणियाए गिहाओ निच्छुभावेइ[२] सु-दरिस(णं)णियं गणियं अभितरियं ठा-वेइ 2 त्ता सुदरिसणाए गणियाए सद्धि उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ, तए णं से सगडे दारए सुदरिसणा(ओ)ए गिहाओ निच्छूढे समाणे अ-नत्य कत्थ(इ)वि सुई वा "अलभ० अ-नया कया-इ रह(स्सि)सियं सुदरिसणा-गेहं(सि) अणुप्पविसइ 2 त्ता सुदरि(सि)सणाए सद्धिं उरालाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ, इमं च णं सुसेणे अमचे पहाए सव्वालंकारविभूसिए मणुस्सवरगुराए जेणेव सुदरिसणा[ए] गणियाए गेहे तेणेव उवागच्छइ 2 [त्ता] सगडं दारयं सु-दरिसणाए Page #1315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1263. किच्चा इमीसे रयणप्पभाए मातंग कुलंसि जुग(जमाed) इम एयारूत्वं ग सु. 1 भ० 5] सुत्तागमे गणियाए सद्धिं उरालाई भोगभोगाइं भुंजमाणं पासइ 2 त्ता आसुरुत्ते जाव मि(स)सिमिसेमाणे तिवलियं भिउडि निडाले साहटु सगडं दारयं पुरिसेहि गिण्हावेइ [2] अढि जाव महियं करेइ [2] अव-ओड-यवध(णगं)ण करेइ 2 त्ता जेणेव महचंदे राया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु सामी! सगडे दारए म-मं अंते-उरंसि अवरद्धे, तए णं से महचंदे राया सुसेणं अमचं एवं वयासी-तुमं चेव णं देवाणुप्पिया! सगडस्स दारगस्स दंड (नि)वत्तेहि, तएणं से सुसेणे अमचे महचं देणं र-न्ना अब्भणु-नाए समाणे सगडं दारयं सुदरिसणं च गणियं एएणं विहाणेणं वझं आणवेइ, तं एवं खलु गोयमा! सगडे दार-ए पु(पो)रा-पोराणाणं..."पच्चणुभवमाणे विहरइ // 21 // सगडे णं भंते ! दारए कालगए कहिं गच्छिहि० कहिं उववजिहिइ ? सगडे णं दारए गोयमा ! सत्ताव-नं वासाइं परमाउयं पालइत्ता अजेव तिभागावसेसे दिवसे एगं महं अ(ओ)योमयं त(त्त)त्तं समजोइभूयं इ(त्थी)त्थिपडिमं अवयासाविए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयत्ताए उववजिहिइ, से णं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता रायगिहे नयरे मातंगकुलंसि जुग(जम)लत्ताए पञ्चायाहिइ, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नि[]वत्तवारस(म)गस्स (दि०) इमं एयारूवं गोण्णं नामधेनं करिस्संति, तं हो-उ णं दार० सगडे नामेणं हो-उ णं दारिया सुदरिसणा-नामेण, तए णं से सगडे दारए उम्मुक्कबालभावे जोव्वण"भविस्सइ, तए णं सा सुदरिसणा-वि दारिया उम्मुक्कवालभावा (विण्(णा)णय) जोव्वणगमणुप्पत्ता रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उकिट्ठा उनिसरीरा यावि भविस्सइ, तए णं से सगडे दारए सुदरिसणाए रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य मुच्छिए 4 सुदरिसणाए (भ०) सद्धिं उरालाइं (मा०) भोगभोगाई भुंजमाणे विहरिस्सइ, तए णं से सगडे दारए अ-नया (कया(इ)ई) सयमेव कूड-गा-हित्तं उवसंपज्जित्ताणं विहरिस्सइ, तए णं से सगडे दारए कूड-गाहे भविस्सइ अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे एयकम्मे० सुवहुं पावकम्म (जाव) समन्जिणित्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयत्ताए उवव-ने, संसारो तहेव जाव पुढवीए, से णं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता वाणारसीए नयरीए मच्छत्ताए उववजिहिइ, से णं तत्थ (ण) मच्छवंघिएहि वहिए तत्थेव वाणारसीए नयरीए सेढिकुलंसि पुत्तत्ताए पञ्चायाहिइ वोहिं वु(ज्झे) 0 पव्व० सोहम्मे कप्पे"महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ // निक्खेवो // 22 // चो-त्थं अज्झयणं समत्तं॥ जइ णं भंते !""पंचमस्स (अज्झयणस्स) उक्खे(वओ)वो, एवं खलु जंबू ! तेणं व्यद्वित्ता गमावियरो निता सग जोवण जोवणगमण Page #1316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1264 सुत्तागमे [विवागसुयं कालेणं तेणं समएणं कोसंबी-नाम नयरी होत्या रिद्धत्यिमिय० वाहि चंदोयरणे उज्जाणे, तत्थण कोसंवीए नयरीए सयाणीए नामं राया होत्था महया०, (त० णं स. 20) मियावई (गा०) देवी (हो० अ० जाव सु०), तस्स णं सयाणीयस्स (र०) पुत्ते मिया(वतीए)देवीए अत्तए उदायणे नामं कुमारे होत्या अहीग० जुवराया, तस्स णं उदायगस्स कुमारस्स पउमाव(इ)ई-नामं देवी होत्या, तस्स णं सयाणीयस्स सोमदत्ते नामं पुरोहिए होत्या रिउ[]वेय०, तस्स णं सोमदत्तस्स पुरोहियस्स वसुदत्ता नामं भारिया होत्या, तस्स णं सोमदत्तस्स पुत्ते वनुदत्ताए अत्तए व(व)हस्सइदत्ते नामं दारए होत्था अहीण०, तेणं कालेणं तेगं समएणं समणे भगवं महावीरे""समोस(रिए)रणं, तेगं कालेणं तेणं समएणं भगवं गोयमे तहेव जाव रायमग्गमोगाढे तहेव पासइ हत्यी आसे पुरि(से)समज्झे पुरिसं चिंता तहेव पुच्छइ पुव्वभवं भगवं वागरेइ-एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे सव्वओभद्दे नाम नयरे होत्या रि-द्धस्थिमियसमि० तत्य णं सव्वओभद्दे नयरे जियसत्तू (ना(गा)म) राया (हो०), तस्स णं जियसत्तुस्स र-नो महेसरदत्ते नामं पुरोहिए होत्या रिउन्नेय जाव अथ. व्वणकुसले या(आ)वि होत्था, तए णं से महेसरदत्ते पुरोहिए जियसत्तुस्स रन्नो रज्जवलविवद्धगअट्ठआए कल्लाकलिं एगमेगं माहणदार-यं एगमेगं खत्तियदार-यं एगमेगं वइस्सदार-यं एगमेगं सुद्ददार-यं गिण्हावेइ 2 त्ता तेसिं जीवंतगाणं चेव हियउंडए गिण्हावेइ [2] जियसत्तुस्स र-नो संतिहोमं करेइ, तए णं से महेसरदत्ते पुरोहिए अहमीचोदसीसु दुवे 2 माहणखत्तियवइस्(वे)स सुद्दे चउ(चो)ण्हं मासाणं चत्तारि 2 छण्हं मासाणं अट्ठ 2 संवच्छरस्स सोलस 2 जाहे जाहे(s)विन्य गं जियसत्तू राया परवलेणं अभिमुंजइ ताहे ताहे-वि-य णं से महेसरदत्ते पुरोहिए अट्ठसयं माहणदारगाणं अट्ठसयं खत्तियदारगाणं अट्ठसयं वइस्सदारगाणं अट्ठसयं सुद्ददारगाणं पुरिसेहिं गिण्हावेइ गिण्हावेत्ता तेसिं जीवंतागं चेव हिययउंडीओ गिण्हावेइ 2 त्ता जियसत्तुस्स रन्नो संतिहोमं करेइ // 23 // तए णं से महेसरदत्ते पुरोहिए एयकम्मे० सुवहुं पावकम्मं समजिणित्ता तीसं वाससयं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा पंच(मा)मीए पुडवीए उकोसेणं सत्तरससागरोवमट्टिइए नर-गे उववन्ने, से ण तओ अगंतुरं उव्वट्टित्ता इहेव कोसंबीए नयरीए सोमदत्तस्स पुरोहियस्स वसुदत्ताए [भारियाए] पुत्तत्ताए उवव-न्ने, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो निव्वत्तवारसाहस्स इ(म)यं एयात्वं नाम(वि)धेज करेंति, जम्हा णं अम्हं इमे दारए सोमदत्तस्स पुरोहियस्स पुत्ते वसुदत्ताए अत्तए तम्हा णं होउ अम्(ह)हं दारए व-ह