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सुत्तागमे
[ भगवई
समट्ठे, नेरइयाणं एगसमएणं वा दुसमएण वा तिसमएण वा विग्गहेणं स्ववजंति, नेरइयाणं गोयमा ! तहा सीहा गई तहा सीहे गइविसए पण्णत्ते, एवं जाव वैमाणि - याणं, नवरं एगिदियाणं चउसमइए विग्गहे भाणियव्वे, सेसं तं चेव ॥ ५०० ॥ नेरइयाणं भंते । किं अतरोववन्नगा परंपरोववन्नगां अनंतरपरंपरंअणुववन्नगा ? गोयमा ! नेरइयाणं अगंत रोववन्नगावि परंपरोववन्नगावि अनंतरपरंपरअणुववन्नगावि, सेकेणट्टे भंते! एवं वुच्चइ जाव अतरपरंपरअणुववन्नगाव ? गोयमा ! जेणं नेरइया पुढमसमयोववन्नगा ते णं नेरइया अणंतरोववन्नगा, जेणं नेरइया अपढमसमयोववन्नगा ते णं नेरइया परंपरोववन्नगा, जेणं नेरइया विग्गहगइसमावन्नगा ते
नेरइया अनंतर परंपरअणुववन्नगा, से तेणद्वेणं जाव अणुववन्नगावि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया १ । अणतरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्ख० मणुस्स० देवाउयं पकरेंति ? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति । परंपरोववन्नगा णं भंते !. नेरइया कि नेरइयाउयं पकरेंति जाव देवाउयं पकरेंति ? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयंपि पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । अणंतर परंपरअणुर्ववन्नगा णं भंते ! नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेंतिः पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेन्ति, एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं पंचिदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा य परंपरोववन्नगा चत्तारिवि आउयाई पकरें (वंधं) ति, सेसं तं चैव २ ॥ नेरइया णं भंते! किं अनंतर निग्या परंपरंनिग्गया अणंतरपरंपरअणिग्गया ? गोयमा ! नेरइया णं अजंतरनिग्गयावि जाव अणंतरपरंपरअणिग्गयावि, से केणद्वेणं भंते ! जाव अणिग्गयावि ? गोयमा ! जेणं नेरइया पढमसमयणिग्गया ते णं नेरइया अणंतरणिग्गया, जेणं नेरइया अपढमसमयणिग्गया ते णं- नेरइया परंपरणिग्गया, जे णं नेरइया विग्गहगइसमावन्नगा ते णं नेरइया अणंतर परंपरअणिग्गया, से तेणट्टेणं गोयमा ! जाव अणिग्गयावि, एवं जाव वेमाणिया ३ ॥ अणंतरणिग्गया णं भंते ! नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेंति जाव देवाउयं पकरेंति ? गोयमा 'नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति । परंपरणिग्गया णं भंते! नेरइया किं नैरइयाउयं० पुच्छा, गोयमा | नेरइयाउयंपि परेंत जाव देवाउयंपि पंकरेंति । अणंतरपरंपरअणिग्गया णं भंते! नेरइया पुच्छा, गोयमा । नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति, एवं निरवसेसं जाव वैमाणिया ४ ॥ नेरइया णं भंते । कि अनंतर खेदोववन्नगा परंपरखेदोववन्नगां अनंतर परंपरखेदाणुववन्नगा ? गोयमा ! नेरइया ० एवं एएणं अभिलावेण तं चैव चत्तारि दंडगा भाणियव्वा । सेवं भंते । सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ ॥५०१ ॥ चोदसमसयस्स पढमो उद्देसो समत्तो ॥
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