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________________ सुत्तागमे [अणे २७० परमाणुपोग्गलं वा छिदित्तए वा भिंदित्तए वा, अगणिकाएण वा समोदहिए, बहिया वा लोगंता गमणयाए ॥ ५४७ ॥ छज्जीवनिकाया प० त० पुढविकाइया जाव तसकाइया ॥ ५४८ ॥ छ तारग्गहा प० तं० नुके, बुहे, वहस्सई, अंगारए, सणिचरे, केऊ ॥ ५४९ ॥ छव्विहा संसारसमावन्नगा जीवा प० त० पुटविकाइया जाव तसकाइया ॥ ५५० ॥ पुढविकाइया छगइया छआगइया प० तं० पुढविकाइए पुढविकाइएसु उववजमाणे पुढविकाइएहिंतो वा जाव तसकाइएहितो वा उववजेना, सो चेव णं से पुढविकाइए पुढविकाइयत्तं विप्पजहमाणे पुढविकाइयत्ताए वा जाव तसकाइयत्ताए वा गच्छेज्जा, आउकाइयावि छगइया छआगइया, एवं चेव जाय तसकाइया ॥ ५५१ ॥ छव्विहा सव्वजीवा प० तं० आभिणिवोहियणाणी जाव केवलणाणी, अन्नाणी ॥ ५५२ ॥ अहवा छविहा सव्वजीवा ५० नं० एगिदिया जाव पचिदिया, अगिंदिया ॥ ५५३ ॥ अहवा छव्विहा सव्वजीवा प० तं० ओरालियसरीरी, वेउब्वियसरीरी, आहारगसरीरी, तेयगसरीरी, कम्मगसरीरी, असरीरी॥५५४ ॥ छबिहा तणवणस्सइकाइया प० तं० अग्गवीया मूलबीया पोरबीया खंधवीया बीयस्हा समुच्छिमा ॥ ५५५॥ छठाणाई सव्वजीवाणं णो सुलभाई भवंति, तं० माणुस्सए भवे, आयरिए खित्ते जम्मं, सुकुले पञ्चायाती, केवलिपन्नत्तस्स धम्मस्स सवणया सुयस्स वा सद्दहणया, सद्दहियरस वा पत्तियस्स वा रोझ्यस्स वा सम्मं काएगं फासणया ॥५५६॥ छ इंदियत्था प० त० सोइंदियत्थे जाव फासिंदियत्थे णोइंदियत्थे ॥ ५५७ ॥ छविहे संवरे प० त० सोइंदियसंवरे जाव फासिंदियसंवरे णोइंदियसंवरे ॥ ५५८ ॥ छविहे असंवरे प० तं० सोइंदियअसंवरे, जाव फासिंदिअअसंवरे, णोइंदिअअसंवरे ॥ ५५९ ॥ छव्विहे साए प० तं० सोइंदियसाए जाव नोइंदियसाए ॥ ५६० ॥ छविहे असाए प० तं० सोइंदियअसाए, जाव नोइंदियअसाए ॥ ५६१ ॥ छविहे पायच्छित्ते प० तं० आलोयणारिहे, पडिक्कमणारिहे, तदुभयारिहे, विवेगारिहे, विउस्स. ग्गारिहे, तवारिहे ॥ ५६२ ॥ छन्विहा मणुस्सा प० तं० जंबूदीवगा, धायइखंडदीवपुरच्छिमद्धगा, धायइखंडदीवपच्चत्थिमद्धगा, पुक्खरवरदीवद्धपुरथिमद्धगा, पुक्खरवरदीवद्भुपचत्यिमद्धगा, अंतरदीवगा, अहवा छव्विहा मणुस्सा प० तं० संमुच्छिममणुस्सा, कम्मभूमगा अकम्मभूमगा अंतरदीवगा, गब्भवक्त्रंतियमणुस्सा कम्मभूमिगा अकम्मभूमिगा अतरदीवगा ॥५६३ ॥ छव्विहा इद्धिमंता मणुस्सा प० तं० अरहंता, चक्कवट्टी, वलदेवा, वासुदेवा, चारणा, विजाहरा ॥५६४ ॥ छव्विहा अणिड्डिमंता मणुस्सा प० तं० हेमवंतगा हेरनवंतगा हरिवंसगा रम्मगवंसगा कुरु
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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