________________
पुचि
मिलिच्छ
अर्धमागधी महाराष्ट्री अर्धमागधी महाराष्ट्री अभियागम अब्भाअम नितिय
णिच आउंटण आउंचण निएय
णिअअ आहरण उआहरण पडप्पन्न
पचुप्पन्न उप्पि
उवार-अवरि पच्छेकम्म पच्छाकम्म किया
किरिआ पाय (पात्र) पत्त कीस-केस केरिस पुढो (पृथक्) पुहं-पिहं केवच्चिर किअच्चिर पुरेकम्म
पुराकम्स गेहि गिद्धि
पुव्वं चियत्त
चइअ माय (मात्र) मत्त-मेत्त छच छक माहण
वम्हण जाया
जत्ता मिलक्खु-मेच्छ णिगण-णिगिण(नग्न) णग्ग वग्गू
वाआ णिगिणिण (नाम्न्य) णग्गत्तण वाहणा (उपानह् ) उवाणआ तच्च (तृतीय) तइअ
सहेज
सहाअ तच (तथ्य) तच्छ
सीआण-सुसाण मसाण तेगिच्छा चिइच्छा सुमिण
सिमिण दुवालसंग वारसंग सुहम-सहुम
सोहि
सुद्धि ___ और दुवालस, तेरस, अउणवीसड, वत्तीस, पणतीस, इगयाल, तेयालीस, पणयाल, अढयाल, एगट्ठि, वावहि, तेवहि, छावट्टि, अडसट्ठि, अउणत्तरि, वावत्तरि, पण्णत्तरि, सत्तहत्तरि, तेयासी, छलसीइ, वाणउइ प्रभृति संख्या शब्दोंके रूप जैसे अर्धमागधीमें पाए जाते हैं वैले महाराष्ट्री में नहीं ।
नामविभक्ति-(१) अर्धमागधीमे पुलिंग अकारांत गव्दके प्रथमाके एकवचनमे प्रायः सर्वत्र 'ए' और क्वचित् 'ओ' होता है जब कि महाराष्ट्रीमें केवल 'ओ' ही होता है।
(२) सप्तमीका एक वचन 'स्सि' होता है किन्तु महाराष्ट्रीम 'म्मि' 1
(३) चतुर्थी के एकवचनमे 'आए' या 'आते' होता है, जैसे-अढाए, गमणाए, देवाए, सवणयाए, अहिताते इत्यादि । महाराष्ट्रीमें ऐसा नहीं।
(४) अनेक शब्दोंके नृतीयाके एकवचनमे 'सा' होता है, जैसे-मना,
सह
दोच्च
दुइअ
म
कवचनमे 'आए । महाराष्ट्रीम ए
जसे