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२ सु० अ० १५]
सुत्तागमे अहावरा दोच्चा भावणा, मणं परिजाणाइ से गिरगंथे, जे य मणे पावए सावज सकिरिए अण्हयकरे छेयकरे भेयकरे अधिकरणिए पाउसिए, परिताविए पाणाइवाइए, भूओवधाइए तहप्पगारं मणं णो पधारेजा, मणं परिजाणाति से णिनगंथे जे य मणे अपावए त्ति दोच्चा भावणा ॥ १०२८ ॥ अहावरा तच्चा भावणा ॥ वइं परिजाणाइ से णिग्गंथे जा य वई पाविया सावज्जा सकिरिया जाव भूओवघाइया तहप्पगारं वई णो उच्चारिजा, जे वइं परिजाणाइ से गिरगंथे जाय वई अपाविय त्ति तच्चा भावणा ॥ १०२९ ॥ अहावरा चउत्था भावणा, आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिए से णिग्गंथे, णो अणायाणभंडमत्तणिक्खेणासमिए णिग्गंथे केवली वूया, आयाणभंडमत्तणिक्खेवणाअसमिए णिग्गंथे पाणाइंभूयाइंजीवाइं सत्ताइं अभिहणेज वा जाव उद्दवेज वा, तम्हा आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिए से णिग्गंथे जो आयाणभंडमत्तणिक्खेवणाअसमिए त्ति चउत्था भावणा ॥ १०३०॥ अहावरा पंचमा भावणा, आलोइयपाणभोयणभोई से गिरगंथे, णो अणालोइयपाणभोयणभोई, केवली वूया, अणालोइयपाणभोयणभोई से णिग्गंथे पाणाई वा ४ अभिहणेज वा जाव उद्दवेज वा, तम्हा आलोइयपाणभोयणभोई से णिग्गंथे, णो अणालोइयपाणभोयणभोइ त्ति पंचमा भावणा ॥ १०३१॥ एतावता पढमे महव्वए सम्मं काएण फासिए पालिए तीरिए किट्टिए अवट्ठिए आणाए आराहिए यावि भवइ ॥ १०३२॥ पढमे भंते ! महव्वए पाणाइवायाओ वेरमणं ॥ १०३३ ।। अहावरं दोच्चं महव्वयं पञ्चक्खामि सव्वं मुसावायं वइदोसं से कोहा वा, लोहा वा, भया वा, हासा वा, णेव सयं मुसं भासेजा, णेवन्नेगं मुसं भासावेज्जा, अण्णं पि मुसं भासंतं ण समणुजाणेज्जा, तिविहं तिविहेणं मणसा वायसा कायसा तस्स भंते पडिकमामि जाव वोसिरामि ॥ १०३४ ॥ तस्सिमाओ पंच भावणाआ भवति ॥ १०३५ ॥ तस्थिमा पढमा भावणा, अणुवीइभासी से 'णिग्गंथे, णो अणणुवीइभासी; केवली वूया, अणणुवीइभासी से णिग्गंथे समावज्जिन मोसं वयणाए, अणुवीइभासी से णिग्गंथे, णो अणणुवीइभासि त्ति पढमा भावणा ॥ १०३६ ॥ अहावरा दोच्चा भावणा, कोहं परिजाणाइ से णिग्गंथे, णो काहणं सिया, केवली वूया, कोहपत्ते कोहत्तं समावदेजा मोसं वयणाए, कोहं परिजाणाइ से णिग्गंथे, णय कोहणे सियत्ति दोच्चा भावणा ॥ १०३७ ॥ अहावरा तचा भावणा, लोभं परिजाणाइ से णिग्गंथे, णो य लोभणए सिया, केवली व्या, लोभपत्ते लोभी समावदेजा मोसं वयणाए, लोभ परिजाणइ से णिग्गंथे, णो य लोभणए सियत्ति तच्चा भावणा ॥ १०३८ ॥ अहावरा चउत्था भावणा,