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वि० प० स० ७ उ०१०]
सुत्तागमे
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अटार तो पच्छा परिणाम कालोदाईमा परिणममा
लविवागसंजुत्ता कति ?, कालोदाई ! से जहानामए केइ पुरिसे मणुन्न थालीपागसुद्ध अट्ठारसवंजणाउलं विससंमिस्स भोयणं भुजेज्जा, तस्स णं भोयणस्स आवाए भद्दए भवइ, तओ पच्छा परिणममाणे परि० दुरूवत्ताए दुगंधत्ताए जहा महासवए जाव भुजो २ परिणमइ, एवामेव कालोदाई ! जीवाणं पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले तस्स णं आवाए भद्दए भवइ तओ पच्छा परिणममाणे २ दुरूवत्ताए जाव भुज्जो २ परिणमइ, एवं खलु कालोदाई ! जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कंजंति । अत्यि णं भंते । जीवाणं कन्द्राणा कम्मा कलाणफलविवागसंजुत्ता कजति ?, हंता! अस्थि, कहन्नं भंते ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा जाव कज्जति ?, कालोदाई । से जहानामए केइ पुरिसे मणुनं थालीपागसुद्धं. अट्ठारसवंजणाउलं ओसहमिस्सं भोयणं भुंजेजा, तस्स णं भोयणस्स आवाए नो भद्दए भवइ, तओ पच्छा परिणममाणे २ सुरुवत्ताए सुवन्नत्ताए जाव सुहत्ताए नो टुक्खत्ताए भुज्जो २ . परिणमइ, एवामेव कालोदाई ! जीवाणं पाणाइवायवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे कोहविवेगे,जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे तस्स णं आवाए नो भद्दए भवइ,तओ, पच्छा. परिणममाणे २,सुरूवत्ताए जाव नो दुक्खत्ताए भुजो २ परिणमई, एवं खलु कालोदाई ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा जाव कंजंति ॥ ३०५ ॥ दो भंते ! पुरिसा सरिसया जाव सरिसभंडमत्तोवगरणा अन्नमन्नणं सद्धिं अगणिकायं समारंभंति तत्थ णं एगे पुरिसे अगणिकायं उज्जालेइ एगे पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ, एएसि णं भंते ! दोण्हं पुरिसाणं-कयरे 'पुरिसे महाकम्मतराए चेव महाकिरियतराए चेव महासवतराए चेव महावेयणतराए चेव कयरे वा पुरिसे अप्पकम्मतराए -चेव जांव अप्पवेयणतराए चेव, जे वा से पुरिसे अगणिकायं 'उज्जालेइ जे वा से -पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ ?, कालोदाई ! तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकार्य उज्जालेइ से णं पुरिसे महाकम्मतराए चेव जाव महावैयणतराए चेव, तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ से णं पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए चेव । सेकेणतुणं भंते ! एवं बुच्चैइ-तत्थ णं जे से पुरिसे जाव अप्पवेयणतंराए चेव ?, कालोदाई ! तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं उज्जालेइ से णं पुरिसे बहुतरागं पुढविकायं समारंभइ वहुतराग आउक्कार्य समारंभइ अप्पतरायं तेउकार्य संमारंभइ बहुतरागं वाउकायं समारंभइ बहुतरायं वणस्सइकायं समारंभइ,' वहुतरागं तसकायं समारंभइ, तत्थ गंजे से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ.से णं-पुरिसे अप्पतरायं पुंढविकायं समारंभइ अप्पतरागं आउकार्य समारंभइ बहुतरागं तेउक्कायं समारंभई अप्पतराग वाउंकार्य समारंभइ अप्पतरागवणस्सइकार्य समारंभइ अप्पतरागं तसकायं समारंभइ,
३४ सुत्ता०